साज
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनसाज ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰] पूर्व भाद्रपद नक्षत्र ।
साज ^२ संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰ साज, मि॰ सं॰ सज्जा]
१. सजावट का काम । तैयारी । ठाटबाट ।
२. वह उपकरण जिसकी आवश्यकता सजावट आदि के लिये होती हो । वे चीजें जिनकी सहायता से सजावट की जाती है । सजावट का सामान उपकरण । सामग्री । जैसे,—घोड़े का साज (जीन लगाम, तंग, दुमची आदि), लहँगे का साज (गोटा, पट्ठा, किनारी आदि) बरा- मदे का साज खंभे, घुड़िया आदि) । यौ॰—साजसमाज = साज सज्जा । अलंकार । उ॰—आए साज- समाज सजि भूषन बसन सुदेश ।—तुलसी ग्रं॰ पृ॰ ८२ । सजसामान । मुहा॰—साज सजना = तैयारी करना । व्यवस्था करना । उ॰— मो कह तिलक साज सजि सोऊ ।—मानस, २ ।१८२
३. वाद्य । बाजा । जैसे,—तबला, सारंगी, जोड़ी, सितार, हार- मोनियम आदि । मुहा॰—साज छेड़ना = बाजा बजना आरंभ करना साज मिलाना = बाजा बजाने से पहले उसका सुर आदि ठीक करना ।
४. लड़ाई में काम आनेवाले हथियार । जैसे,—लतवार, बदूक, ढाल, भाला आदि । उ॰—करौ तयारी कोट मैं, सजा जुद्ध की साज ।—हम्मीर॰ पृ॰ २९ ।
५. बढ़इयों का एक प्रकार का रंदा जिससे गोल गलता बनाया जाता है ।
६. मेल जोल । घनिष्टता । यौ॰—साजबाज = हेलमेल । घनिष्ठता । क्रि॰ प्र॰—करना ।—रखना ।—होना ।
साज ^३ वि॰
१. बनानेवाला । मरम्मत या तैयार करनेवाला । काम करनेवाला ।
२. बनाया हुआ । निर्मित । रचित । विशेष—इस अर्थ में इस शब्द का प्रयोग यौगिक शब्दों के अंत मे होता है । जैसे,—घड़ीसाज, रंगसाज, खुदासाज आदि ।
साज ^४ संज्ञा पुं॰ [अ॰] साखू या साल का वृक्ष जिसकी लकड़ो इमा- रती कामों में आती है । उ॰—इमारती लकड़ी में सागौन , साज, सेमल,बीजा, हल्दुआ, तिंशा, शीशम, सलई आदि किस्म की लकडी बहुतायत से पाई जाती है ।—शुक्ल अभि॰ ग्रं॰ पृ॰ १४ ।