सव्य
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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन
शब्दसागर सम्पादन
सव्य ^१ वि॰ [सं॰]
१. वाम । बायाँ ।
२. दक्षिण । दाहिना । विशेष—सव्य शब्द का वाम और दक्षिण दोनों अर्थ में प्रयोग होता है । पर साधारणतः यह वाम के ही अर्थ में प्रयुक् त होता है ।
३. प्रतिकूल । विरुद्ध । खिलाफ ।
४. अनुकूल । उपयुक्त । दक्षिण (को॰) ।
५. जो घृत से सिंचित न हो । शुष्क । रूखा (को॰) ।
सव्य ^२ संज्ञा पुं॰
१. यज्ञोपवीत ।
२. चंद्र या सूर्यग्रहण के दस प्रकार के ग्रासों में एक प्रकार का ग्रास ।
३. अंगिरा के पुत्र का नाम जो ऋग्वेद के कई मंत्रों के द्रष्टा थे । विशेष—कहते हैं कि अंगिरा के तपस्या करने पर इंद्र ने उनके घर पुत्र रूप में जन्म ग्रहण किया था, जिनका नाम सव्य पड़ा ।
४. विष्णु ।
५. अग्नि, जो किसी के मृत्युकाल में दीप्त की जाय (को॰) ।