समीर
संज्ञा
हवा
उदाहरण
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
समीर संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. वायु । हवा ।
२. वायु देवता (को॰) ।
३. शमी वृक्ष ।
४. प्राणवायु जिसे योगी वश में रखते हैं । उ॰—कछु न साधन सिधि जानौं न निगम विधि नहिं जप तप बस न समीर ।—तुलसी (शब्द॰) ।
समीर पु ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ समीर] समीर । पवन । (डिं॰) । उ॰— चरस करत लिषमण चमर, अरस अगर, सामीर । इस सिय जुत जन मंछ उर, बसो सदा रघुबीर ।—रघु॰ रू॰, पृ॰ १ ।
समीर ^२ वि॰ दे॰ 'सामीर्य' ।