संतोष, धीरज, धैर्य

हिन्दी

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

सब्र संज्ञा पुं॰ [अ॰] संतोष । घैर्य । क्रि॰ प्र॰—आना ।—करना ।—रखना । मुहा॰—सब्र करना = (१) धीरज धरना । ठहरना । रुकना । (२) जल्दबाजी या उतावली न करना । सब्र देना = धैर्य बँधाना । ढाँढ़स देना । सब्र की सिल छाती पर रखना = सबकुछ चुपचाप सह लेना । (किसी का) सब्र पड़ना = किसी के धैर्यपूर्वक सहन किए हुए कष्ट का प्रतिफल होना । जैसे,—तुमने उस गरीब का मकान ले लिया; तुमपर उसका सब्र पड़ा है जिससे तुम्हारा लड़का मर गया । सब्र कर बैटना या लेना = कोई हानि या अनिष्ट होने पर चुपचाप उसे सह लेना । सब्र समेटना = किसी का शाप लेना । ऐसा काम करना जिसमें किसी का शाप पड़े ।