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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

संयुग संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. मेल । मिलाप । संयोग । समागम ।

२. भिड़ना । भिड़ंत ।

३. युद्ध । लड़ाई । उ॰—रोप्यो रन रावन, बोलाए बीर बानइत जानत जे रीति सब संयुग समाज की । चली चतुरंग चमू, चपरि हने निसान, सेना सराहन जोग राति- चरराज की ।—तुलसी (शब्द॰) ।