संगम
संज्ञा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
संगम संज्ञा पुं॰ [सं॰ सङ्गम]
१. दो वस्तुओं के मिलने की क्रिया । मिलाप । संमेलन । संयोग । समागम । मेल । उ॰—आपुहिं ते उठि जौ चलै तिय पिय के संकेत । निसिदिन तिमिर प्रकास कछु गनै न संगम हेत ।—देव (शब्द॰) ।
२. दो नदियों के मिलने का स्थान । जैसे,—गंगा यमुना का संगम प्रयाग में होता है । उ॰—ज्योति जगै यमुना सी लगै जग लाल विलोचन पाप विपोहै । सूर सुता शुभ संगम तुंग तरंग तरंगिणि गंग सी सोहै ।—केशव (शब्द॰) ।
३. साथ । संग । सोहबत । उ॰—पद्मापत सों कह्नो विहंगम । कंत लुभाय रहैं जेहि संगम ।—जायसी (शब्द॰) ।
४. स्त्री और पुरुष का संयोग । मैथुन । प्रसंग । यौ॰—संगम साध्वस = संभोग काल की घबराहट ।
५. ज्योतिष में ग्रहों का योग । कई ग्रहों आदि का एक स्थान पर मिलना या एकत्र होना ।
६. उपयुक्त होने का भाव (को॰) ।
७. लड़ाई । समर (को॰) ।
८. संपर्क । स्पर्श (को॰) ।
संगम संज्ञा पुं॰ [सं॰ साङ्गम] संगम । मिलन । संपर्क [को॰] ।