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संज्ञा

  1. कार्य विशेष की सिद्धि के लिए निर्मित कोई संस्था

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

संगठन संज्ञा पुं॰ [सं॰ संघटन, सङ्घटन या सम् + हि॰ गठना]

१. बिखरी हुई शक्तियों, लोगों या अंगो आदि को इस प्रकार मिलाकर एक करना कि उनमें नवीन जीवन या बल आ जाय । किसी विशिष्ट उद्धेश्य या कार्यसिद्धि के लिये बिखरे हुए अवयवों को मिलाकर एक और व्यवस्थित करना । एक में मिलाने और उपयोगी बनाने के लिये की हुई व्यवस्था । विशेष—वास्तव में यह शब्द शुद्ध संस्कृत नहीं है, गलत गढ़ा हुआ है; पर आजकल यह बहुत प्रचलित हो रहा है । कुछ लोग इससे, संस्कृत व्याकरण के नियमों के अनुसार 'संगठित', 'संगठनात्मक' आदि शब्द भी बनाते हैं, जो अशुद्ध हैं । कुछ लोगों ने इसके स्थान पर 'संघटन' शब्द का व्यवहार करना आरंभ किया है, जो शुद्ध संस्कृत है ।

२. वह संस्था या संघ आदि जो इस प्रकार की व्यवस्था से तैयार हो ।