संकल
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनसंकल † ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ श्रृङ्खला, प्रा॰ संकल]
१. दरवाजे में लगाने की सिकड़ी या जंजीर ।
२. पशुओं को बाँधने का सिक्कड़ ।
३. सोने या चाँदी की जंजीर जो गले में पहनी जाती है । जंजीर ।
४. श्रृंखला । बंधन । उ॰—संकल ही ते सब लहै माया इहि संसार । ते क्यूँ छूटै बापुड़े बाँधे सिरजनहार ।—कबीर ग्रं॰, पृ॰ ३४ ।
संकल ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ सङ्कल]
१. बहुत सी चीजों को एक स्थान पर एकत्र करना । संकलन । एकत्रीकरण ।
२. योग । मिलाना ।
३. गणित की एक क्रिया जिसे जोड़ कहते हैं । योग । दे॰ 'संकलन' ।
४. राशि । ढेर (को॰) ।