सँहारना पु क्रि॰ स॰ [सं॰ संहरण] दे॰ 'संहारना' । उ॰—उहाँ तो खड्ग नरंदइ मारों । इहाँ तो बिरह तुम्हार सँहारों ।—जायसी (शब्द॰) ।