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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

सँकाना पु † क्रि॰ अ॰ [सं॰ शड्क] शंकित होना । भीत होना । डरना । उ॰—मुँह मिठास दृग चीकने, भौंहैं सरल सुभाय । तऊ खरे आदर खरौ, छिन छिन हियौ सँकाय ।—बिहारी (शब्द॰) ।