श्राप पु संज्ञा पुं॰ [सं॰ शाप] दे॰ 'शाप' । उ॰—राछसन मारि विश्वामित्र सा करायो यज्ञ तारी रिषि नारी सिला श्राप सो भई रहा ।—रघुनाथ बंदीजन (शब्द॰) ।