प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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श्रम संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. किसी कार्य के संपादन में होनेवाला शारीरिक अम्यास । शरीर के द्वारा होनेवाला उद्यम । परिश्रम । मेहनत । मशक्कत । उ॰—दूरि तीर्थन श्रम करि जाहि । जहाँ रहैं तहँ लख्यों न ताहिं ।—सूर (शब्द॰) । क्रि॰ प्र॰—उठाना ।—करना ।—पड़ना ।—होना ।

२. थकावट । क्लांति । मुहा॰—श्रम पाना = परिश्रम करना । मेहनत करके थकना । उ॰—आजु कहा उद्यम करि आए । कहै वृथा भ्रमि भ्रमि श्रम पाए ।—सूर (शब्द॰) ।

३. साहित्य में संचारी भावों के अंतर्गत एक भाव । कोई कार्य करते करते संतुष्ट और शिथिल हो जाना ।

४. क्शेश । दुःख । तकलीफ ।

५. दौड़ धूप । परेशानी ।

६. पसीना । स्वेद ।

७. व्यायाम । कसरत ।

८. शस्त्रों का अभ्यास । सैनिक कवायद ।

९. चिकित्सा । इलाज ।

१०. खेद ।

११. तप ।

१२. प्रयास ।

१३. (शास्त्रादि का) अभ्यास ।