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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

शेषवत् संज्ञा पुं॰ [सं॰] न्याय में अनुमान का एक भेद । कार्य को देखकर कारण का निश्चय । जैसे—नदी की बाढ़ देखकर ऊपर हुई वर्षा का अनुमान ।