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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

शलभ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. टीड़ी । टीड्डी । शरभ ।

२. एक असुर का नाम ।

३. पतंग । फतिंगा । उ॰—किंतु शलभवर ! उसे न छेड़ो, सोने दो उसको उस पार । वहीं स्वप्न में पा लेगी वह, अपने प्रियतम का उपहार ।—वीणा, पृ॰ ३३ । विशेष—कविता में यह प्रेमी का प्रतीक माना जाता है ।

४. छप्पय के ३१ वें भेद का नाम । इसमें ४० गुरु और ७२ लघु, कुल ११२ वर्ण या १५२ मात्राएँ होती हैं ।