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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

व्रात संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. दल । समूह ।

२. मनुष्य । आदमी ।

३. वह परिश्रम जो जाविका के लिये किया जाय ।

४. वह जिसका कोई निश्चित वृत्ति न हो या जो चोरी, डाके से निर्वाह करता हो । जरायम पेशा । दुर्जीवी ।

५. बराती (को॰) ।

६. दैनिक मजदूरी ।

७. यदाकदा कार्य में नियुक्ति (को॰) ।

८. जातिच्युत ब्राह्मण को संतति (को॰) ।