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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

व्यभिचारी संज्ञा पुं॰ [सं॰ व्यभिचारिन्] [स्त्री॰ व्यभिचारिणी]

१. वह जो अपने मार्ग से गिर गया हो । मार्गभ्रष्ट । उ॰—हे प्रभु अविगति कला तुम्हारी । हम है कीट जीव व्यभिचारी ।—कबीर सा॰, पृ॰ ४३९ ।

२. वह जिसकी चालचलन अच्छी न हो । बदचलन ।

३. वह जो परस्त्रियों से संबंध रखता हो । पर- स्त्रीगामी ।

४. दे॰ 'सचारी' या 'व्यभिचारिभाव' ।

५. वह जो नियमविरुद्ध हो । असंगत (को॰) ।

६. असत्य । मिथ्या (को॰) ।

७. वह जो स्थिर न रहे । अस्थायी (को॰) ।

८. वह जो किसी व्यवस्था, नियम आदि का भंग या उल्लंघन करता हो (को॰) ।

९. वह शब्द जिसके कई गौण अर्थ हों ।