वैदिक
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनवैदिक औषधियाँ इससे तैयार होती है । हकीमों में इसका बहुत व्यवहार है । अंगुर का मड़वा वा अंगुर की टट्टी = (१) अंगुर की बेल के चढ़ने और फैलने के लिये बाँस की खपचियों का बना हुआ मंडप । (२) एक प्रकार की आतिशबाजी जिससे अंगुर के गुच्छे के समान चिनगारियां निकलती हैं । मुहा॰—अंगुर खट्टे होना = प्रयत्न करने पर भी प्राप्त न होनेवाली अच्छी चीज को बुरा बताना । उ॰—अंत में यह कह चलती हुई अरे ये खट्टे है अंगुर ।—खिलौना १९२७ ।
वैदिक ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. वह जो वैदों में बतलाए हुए कर्मकांड का अनुष्ठान करता हो । वेद में कहे हुए कृत्यों को करनेवाला ।
२. वह जो वेदों आदि का अच्छा ज्ञाता हो । वेदों का पंडित ।
वैदिक ^२ वि॰
१. जो वेदों में कहा गया हो । वेदविहित । उ॰— करनबेध चूड़ा़करन, लौकिक वैदिक काज । गुरु आयस भूपति करत, मंगल साज समाज ।—तुलसी ग्रं॰, पृ॰ ८२ ।
२. वेद- संबंधी । वेद का । जैसे, वैदिक काल ।
३. धर्मात्मा (को॰) ।
४. वेदज्ञ । वेदों का ज्ञाता (को॰) ।
५. पूत । शुद्ध । पवित्र (को॰) ।