हिन्दी सम्पादन

प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

विसमाद पु † संज्ञा पुं॰ [सं॰ विस्मय + ता]

१. संशय । शंका ।

२. दुःख । वेदना । उ॰—कड़िहारी और गृही कौ, कोई ना जाने अंत । बिन परचै बिसमाद है, हरषत परचै संत ।—कबीर सा॰, पृ॰ ९५ ।