विसमाद पु † संज्ञा पुं॰ [सं॰ विस्मय + ता] १. संशय । शंका । २. दुःख । वेदना । उ॰—कड़िहारी और गृही कौ, कोई ना जाने अंत । बिन परचै बिसमाद है, हरषत परचै संत ।—कबीर सा॰, पृ॰ ९५ ।