"विक्षनरी:हिन्दी-तमिल शब्दकोश": अवतरणों में अंतर

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'''हिन्दी शब्द''' -- हिन्दी अर्थ ---> तमिल अर्थ <br><br>
'''अंक''' -- क्रोड़, गोद; संख्या के सूचक चिह्न; परीक्षा आदि में सफलता की सूचक इकाइयां (नंबर); नाटक का एक खंड या भाग जिसमें कई दृश्य हो सकते है; पत्र-पत्रिकाओं का किसी निश्चित समय पर होने वाला प्रकाशन ---> मडि; ऎण्णिक्कै; मदिप्पॆण् (मार्क्कु), ऎण्; नाडगत्तिन् कऴ्म/अंगम्; पत्तिरिगैकळिन इदळ <br><br>
'''अंकुर''' -- गुठली, बीज आदि से निकलने वाला नया डंठल, जड़ या डाल से निकलने वाला नया पत्ता; ---> विदैयिन् मुळै <br> <br>
'''अंकुश''' -- लोहे का कांटा जिससे हाथी को चलाया और वश में किया जाता है; नियंत्रण, दबाव या रोक ---> अंकुशम्; कट्टुप्पाडु <br> <br>
'''अंग''' -- शरीर के विभिन्न अवयव; शरीर, देह; भाग ---> अवयवम्/उडलिन् उरु॒प्पुगळ्; उडल्; बागम्, पगुदि <br> <br>
'''अंचल''' -- सीमा के आसपास का प्रदेश; आंचल या पल्ला ---> ऎल्लै ओरप्पगुदि; मुंदानै <br> <br>
'''अंडा''' -- कुछ विशिष्ट मादा जीवों के गर्भाश्य से निकलने वाला एक पिंड ---> मुट्टै <br> <br>
'''अंत''' -- समाप्ति, अवसान ---> मुडिवु <br> <br>
'''अंतरंग''' -- घनिष्ठ, आत्मीय; भीतरी ---> नॆरुंगिय, आप्तमान; अंतरंगमान <br> <br>
'''अंतर''' -- दो वस्तुओं के बीच की दूरी, फासला; भेद, भिन्नता ---> इडैवॆळि; वित्तियासम् <br> <br>
'''अंतरिक्ष''' -- पृथ्वी तथा अन्य ग्रहों या लोकों के बीच का स्थान ---> विण्-वॆळि <br> <br>
'''अंतर्राष्ट्रीय''' -- एक से अधिक राष्ट्रों से संबंध रखने वाला ---> सर्वदेशीय <br> <br>
'''अंतिम''' -- सबसे पीछे का, आखिरी; चरम, परम ---> मुडिवान <br>
'''अंदर''' -- भीतर ---> उळ्ळे <br> <br>
'''अंधकार''' -- अंधेरा ---> इरुट्टु <br> <br>
'''अंधा''' -- देखने की शक्ति से रहित ---> कुरूडान <br> <br>
'''अंश''' -- भाग, हिस्सा, खंड, टुकड़ा ---> बागम्, पगुदि, तुंडु <br> <br>
'''अकड़ना''' -- कड़ा होना, ऐंठना; घमंड दिखाना या दुराग्रह करना ---> विरै॒त्तुप्पोग; गर्वम् कॊळ्ळ <br> <br>
'''अकाल''' -- दुर्भिक्ष; कमी, अभाव ---> पंजम्; कुरै॒वु <br> <br>
'''अकेला''' -- बिना साथी का ---> तनियान <br> <br>
'''अक्ल''' -- बुद्धि, समझ ---> बुद्दि, अरि॒वु <br> <br>
'''अक्सर''' -- बहुधा, प्राय: ---> अडिक्कडि, पॆरम्बालुम् <br> <br>
'''अक्षर''' -- वर्ण; अविनाशी, नित्य ---> ऎळुत्तु; अ़ऴिवट॒ट॒ <br> <br>
'''अखंड''' -- जिसके खंड न हुए हों, पूरा, समूचा ---> तुण्डिक्क-पड़ाद, मुळु <br> <br>
'''अखबार''' -- समाचार पत्र ---> सॆय्दित्ताळ् <br> <br>
'''अखरना''' -- बुरा या अप्रिय लगना, खलना, ख़टकना ---> मनदै उरुत्त <br> <br>
'''अखाड़ा''' -- व्यायामशाला, कसरत करने का स्थान; साधुओं की साम्प्रदायिक मंडली या उनके रहने का स्थान ---> गुस्ति मैडै, गोदा; सादुक्कळिन् मड़म् <br> <br>
'''अगर''' -- यदि, जो; एक पेड़ जिसकी लकड़ी बहुत सुगंधित होती है ---> आल्; अगर (वासनैयुळ्ळ ऒरू मरत्तिन कट्टै) <br> <br>
'''अगरबत्ती''' -- वह बत्ती जो सुगंधि के निमित्त जलाई जाती है ---> अगर्बत्ति (ऊदुवत्ति) <br> <br>
'''अगला''' -- सबसे आगे, सबसे पहले या सामने वाला; भविष्य में आने वाला ---> मुन्दिय, ऎतिरिलुळ्ळ; वरुगिर, अडुत्त <br> <br>
'''अगाध''' -- अथाह; बहुत अधिक (प्रेम आदि); अपार ---> मिक्क आऴमान; मिक्क आदिगमान; कडक्क मुडियाद <br> <br>
'''अग्नि''' -- आग ---> ती, नॆरुप्पु <br> <br>
'''अग्रज''' -- बड़ा भाई ---> अण्णन् <br> <br>
'''अचल''' -- जो अपने स्थान पर बना रहे, गतिहीन, स्थिर; सदा एक-सा बना रहने वाला ---> नगराद, स्तिरमान, स्तावर; मारा॒द <br> <br>
'''अचानक''' -- बिना पूर्व सूचना के, एकाएक, सहसा ---> दिडीरॆन <br> <br>
'''अच्छा''' -- ठीक, उपयुक्त; जो बुरा न हो, दोष-रहित; आश्चर्य, स्वीकृतिसूचक अव्यय ---> सरियान; नल्ल, कुटट॒मिल्लाद; वियप्पूट्टुम शॊल् सरि (नल्लदु) <br> <br>
'''अजगर''' -- एक विशाल सर्प जो बकरी, हिरन आदि को निगल जाता है ---> मलैप्पांबु <br> <br>
'''अजायबघर''' -- वह भवन जहां पर पुराकालीन कला-कौशल संबंधी विभिन्न प्रकार की अद्भुत और विलक्षण वस्तुएं संग्रहीत तथा प्रदर्शित की जाती हैं, संग्रहालय ---> पॊरुट्काटचिशालै, मियूसियम् <br> <br>
'''अटकना''' -- चलते-चलते या कोई काम करत-करते रुक जाना, रुकना ---> तडैपड <br> <br>
'''अड़ना''' -- बीच में रुकना या फंसना; हठ करना ---> इडक्कुशॆय्य; अडम् पिडिक्क <br> <br>
'''अड्डा''' -- टिकने, ठहरने या बैठने का स्थान ---> तंगुमिडम्, निलैयम् <br> <br>
'''अणु''' -- किसी तत्व या धातु का वह बहुत छोटा अंश जिसमें उसके सभी संयोजक अंश वर्तमान हों; अत्यन्त सूक्ष्म मात्रा या वस्तु ---> अणु; मिगच्चिरि॒य वस्तु <br> <br>
'''अतिथि''' -- पाहुना, अभ्यागत, मेहमान ---> विरुन्दाळि <br> <br>
'''अदालत''' -- न्यायालय ---> नियायालयम् <br> <br>
'''अधिक''' -- बहुत; अतिरिक्त ---> अदिग; अदिगप्पडियान <br> <br>
'''अधिवेशन''' -- किसी बड़ी सभा की लगातार होने वाली बैठकों का सामूहिक नाम ---> सबै <br> <br>
'''अधिसूचना''' -- किसी बात की ओर विशिष्ट रूप से ध्यान आकृष्ट करने के लिए दी जाने वाली सूचना (नोटीफिकेशन) ---> विशेष अरि॒विप्पु <br> <br>
'''अधूरा''' -- जो पूरा न हो या जो समाप्त न हुआ हो ---> अरै कुरै॒ यान <br> <br>
'''अध्यक्ष''' -- किसी संघ, संस्था, समिति आदि का प्रधान; स्पीकर, चेयरमैन ---> तलैवर्; अवैत्तलैवर, मुदलवर् <br> <br>
'''अध्यादेश''' -- वह आधिकारिक आदेश जो किसी कार्य, व्यवस्था आदि के संबंध में राज्य के प्रधान शासक द्वारा निकाला गया हो (आर्डिनेंस) ---> अवसरच्चट्टम् <br> <br>
'''अध्यापक''' -- पढ़ाने वाला, शिक्षक ---> उबाद्दियायर् <br> <br>
'''अध्याय''' -- ग्रंथ या पुस्तक का खंड या विभाग; प्रकरण ---> अद्दियायम्; विषयम् <br> <br>
'''अनगिनत''' -- बहुत अधिक ---> ऎण्णट॒ट॒ <br> <br>
'''अनशन''' -- आहार त्याग, उपवास; भूख-हड़ताल ---> उपवासम्; उण्णाविरदम् <br> <br>
'''अनाथ''' -- जिसका पालन-पोषण करने वाला कोई न हो; असहाय, अशरण, दीन, दुखी ---> अनादै; दिक्कट॒ट॒वन् <br> <br>
'''अनाथालय''' -- वह स्थान जहां अनाथों का पालन-पोषण होता है ---> अनादै विडुदि <br> <br>
'''अनावरण''' -- किसी महापुरुष के चित्र, मूर्ति आदि से समारोहपूर्वक परदा हटा कर उसे सर्व-साधारण के लिए दर्शनीय किया जाना, उद्घाटन ---> तिर॒न्दुवैत्तल् <br> <br>
'''अनिवार्य''' -- जिससे बचा न जा सके, अवश्यभावी ---> तविर्क्क मुडियाद, कट्टायमाह <br> <br>
'''अनुकरण''' -- नकल, अनुसरण ---> अनुसरित्तल, पिन् पट॒टु॒दळ् <br> <br>
'''अनुक्रमणिका''' -- किसी विशेष क्रम के आधार पर बनाई गई सूची ---> अट्टवणै <br> <br>
'''अनुज''' -- छोटा भाई ---> तंबि <br> <br>
'''अनुराग''' -- प्रेम, आसक्ति ---> पिरियम् <br> <br>
'''अनुवाद''' -- एक भाषा में लिखि या कही हुई बात को दूसरी भाषा में कहने या लिखने की क्रिया, भाषांतर ---> मॊळि पॆयर्प्पु <br> <br>
'''अनुसंधान''' -- खोज, अन्वेषण ---> आराय्च्चि <br> <br>
'''अनुसार''' -- किसी के ढंग या रूप से मिलता हुआ, अनुरूप ---> अनुसरित्तु <br> <br>
'''अनुसूचित''' -- जिसे अनुसूची में स्थान मिला हो ---> अट्टवणैयिल् <br> <br>
'''अनुसूची''' -- किसी लेख या ग्रंथ के अंत में परिशिष्ट के रूप में लगी हुई सूची (शैड्यूल) ---> अट्टवणै <br> <br>
'''अनेक''' -- एक से अधिक, कई, बहुत ---> अनेग, पल <br> <br>
'''अन्न''' -- अनाज ---> दानियम् <br> <br>
'''अन्य''' -- दूसरा ---> मट॒ट॒, वेरु॒, अयल् <br> <br>
'''अन्याय''' -- न्याय-विरुद्ध कार्य; अति अनुचित व्यवहार ---> अनियायम्; तगुदियट॒ट॒ नडवडिक्कै <br> <br>
'''अपना''' -- आत्मसंबंधी, निजका; आत्मीय, स्वजन ---> तन्नुडैय; तन्नवर् <br> <br>
'''अपनाना''' -- अपना बनाना; ग्रहण करना, स्वीकार करना ---> तनदाक्किक्कॊळ्ळ; वांगिक्कॊळ्ळ <br> <br>
'''अपने-आप''' -- बिना किसी की प्रेरणा के; स्वत: खुद-बखुद ---> तानागवे; ताने <br> <br>
'''अपमान''' -- मानहानि, अनादर; तिरस्कार ---> अवमरियादै; अवमदित्तल् <br> <br>
'''अपराध''' -- अनुचित या दंडनीय कार्य; दोष, गलती ---> कुट॒ट॒म्; पिऴै, तप्पु <br> <br>
'''अपराधी''' -- अपराध करने वाला ---> कुट॒ट॒वाळि <br> <br>
'''अपराह्न''' -- दोपहर के बाद का काल, तीसरा पहर ---> पिर्पगल् <br> <br>
'''अपाहिज''' -- लूला लंगड़ा, विकलांग ---> मुडमान <br> <br>
'''अफसर''' -- अधिकारी ---> अदिकारि, अलुवलर् <br> <br>
'''अफीम''' -- पोस्त के डंठलों से निकाला जाने वाला मादक पदार्थ ---> अबिन् <br> <br>
'''अभयदान''' -- सुरक्षा का वचन देना ---> अबयमळित्तळ् <br> <br>
'''अभिनंदन''' -- किसी को पूज्य मान कर उसके प्रति शुभकामना और श्रद्धा प्रकट करना ---> पाराट्टु, मरियादै <br> <br>
'''अभिनय''' -- आंगिक चेष्ठा, हावभाव ---> अबिनयम्, नडिप्पु <br> <br>
'''अभिनेता''' -- रंगमंच पर अभिनय या नाटक करने वाला ---> नडिगर् <br> <br>
'''अभिप्राय''' -- उद्देश्य, प्रयोजन; आशय, मतलब ---> अंबिप्पिरायम्; करुत्तु <br> <br>
'''अभिभावक''' -- सरंक्षक (गार्जियन) ---> काप्पाळर्, पोषकर् <br> <br>
'''अभिमान''' -- अहंकार, घमंड ---> गर्वम् <br> <br>
'''अभियान''' -- किसी विशिष्ट कार्य की सिद्धि के लिए दल-बल सहित जाना; सैनिक आक्रमण, चढ़ाई ---> मस्तीप्पु; पडैयॆडुप्पु <br> <br>
'''अभियुक्त''' -- वह जिस पर न्यायालय में कोई अभियोग लगाया गया हो, मुलजिम, अपराधी ---> कुट॒ट॒म् शाट्टप्पट्टवर् <br> <br>
'''अभियोग''' -- अपराध का आरोप; दंड दिलाने के लिए न्यायालय से की जाने वाली फरियाद, मुक़दमा ---> कुट॒ट॒च्चाट्टु; कुट॒ट॒ वऴक्कु <br> <br>
'''अभिलाषा''' -- इच्छा, कामना, आकांक्षा ---> अभिळाषै, तीविर इच्चै <br> <br>
'''अभिलेख''' -- किसी घटना, विषय, व्यक्ति आदि से संबंधित लिखित प्रामाणिक सामग्री ---> आवणम् <br> <br>
'''अभिवादन''' -- श्रद्धापूर्वक किय़ा जाने वाला नमस्कार, प्रणाम ---> वणक्कम् <br> <br>
'''अभिशाप''' -- शाप, अहित कामनासूचक शब्द ---> शाबम् <br> <br>
'''अभी''' -- इसी समय, इसी क्षण, तुरंत; आजकल, इन दिनों ---> इप्पॊळुदे, उडने; इन्नाट्कळिल् <br> <br>
'''अभीष्ट''' -- जिसकी इच्छा या कामना की जाए; मनोरथ ---> विरुंबिय; विरुप्पम् <br> <br>
'''अभ्याय''' -- दक्षता प्राप्त करने के लिए दत्तचित्त होकर किसी काम को बार-बार करने की क्रिया ---> अब्बियासम् पयिर्चि <br> <br>
'''अमर''' -- कभी न मरने वाला; जिसका कभी अंत, क्षय या नाश न हो ---> शावु इल्लाद; अऴिवट॒ट॒ <br> <br>
'''अमल''' -- प्रयोग, व्यवहार ---> अमुलाक्कुदल् <br> <br>
'''अमानत''' -- धरोहर, थाती ---> वैप्तुत्तॊगै <br> <br>
'''अमावस्या''' -- चांद मास के कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन जिसमें रात को चंद्रमा की एक भी कला नहीं दिखाई देती ---> अमावासै <br> <br>
'''अमिट''' -- मिटने या नष्ट न होने वाला, स्थायी; अटल, अवश्यंभावी ---> अऴिवट॒ट॒; निलैयान <br> <br>
'''अमीर''' -- धनवान, व्यक्ति, रईश; सरदार, प्रमुख ---> दनवान्, पणक्कारर्; तलैवर्, मुक्कियस्तर् <br> <br>
'''अमुक''' -- कोई अनिश्चित व्यक्ति अथवा वस्तु, फलां ---> पलाना, इन्न <br> <br>
'''अमृत''' -- एक प्रसिद्ध कल्पित पेय जिसके सम्बंध में यह मान्यता है कि उसके पीने से प्राणी सदा के लिए अमर हो जाता है, सुधा, पीयूष ---> अमुदम् <br> <br>
'''अम्ल''' -- खट्टापन, खटाई; तेजाब (एसिड) ---> पुळिप्पु; अमिलम् <br> <br>
'''अरथी (अर्थी)''' -- वह तख्ता, सीढ़ी आदि जिस पर मृत शरीर को अंत्येष्टि के लिए ले जाया जाता है, जनाजा ---> पाडै <br> <br>
'''अराजकता''' -- अव्यवस्था; शासनतंत्र का अभाव ---> कुऴप्प निलै; अराजकम् <br> <br>
'''अरुण''' -- लाल रंग का, रक्त वर्ण का; सुर्ख; गहरा लाल रंग; सूर्य ---> सिवन्द; आळ्न्द सिवप्पु निरम्; सूरियन् <br> <br>
'''अर्चना''' -- पूजा, वंदना ---> पूजै, अरुच्चनै <br> <br>
'''अर्थ''' -- अभिप्राय, माने; धन-संपत्ति, पैसा ---> पॊरुळ्, अर्त्तम्; अर्त्तम्, सॆल्वम् <br> <br>
'''अर्थशास्त्र''' -- वह शास्त्र जो मनुष्य की आर्थिक क्रियायों का विवेचन करता है और उपयोगी पदार्थों के उत्पादन, उपभोग, वितरण और विनिमय की समुचित जानकारी देता है ---> पॊरुळादारम् <br> <br>
'''अर्ध''' -- आधा ---> अरै, पादि <br> <br>
'''अर्धमासिक''' -- मास के आधे भाग का, पाक्षिक ---> पक्षम्, अरैमादम् <br> <br>
'''अर्धांगिनी''' -- धर्मपत्नी ---> पत्तिनि, मनैवि <br> <br>
'''अर्पण''' -- किसी को आदरपूर्वक कुछ देना, सौंपना या भेंट करना ---> अर्पित्तल्, काणिक्कै <br> <br>
'''अलंकरण''' -- पदक या पदवी द्वारा विभूषित करने की क्रिया ---> अलंकरित्तल् <br> <br>
'''अलंकार''' -- सौंदर्यवर्धक वस्तु या सामग्री, सजावट; आभूषण, गहना; रचनागत विशिष्ट शब्दयोजना या अर्थ चमत्कार ---> अलंकारम्, अऴगुप्पॊरुळ्गळ्; नगैगळ्; सॊल्लणि <br> <br>
'''अलग''' -- दूर हटा हुआ, पृथक; औरों से भिन्न ---> तनियान; वेरु॒पट्ट <br> <br>
'''अलता''' -- लाख से बना हुआ वह लाल रंग जो स्त्रियां शोभा के लिए पैरों में लगाती है, महावर ---> अल्ता, सॆकुऴम्बु <br> <br>
'''अलबम''' -- तसवीरें रखने की किताब या कापी, चित्राधार ---> आल्बम् <br> <br>
'''अलमारी''' -- काठ, लोहे आदि का या दीवार में बना एक प्रकार का ऊंचा या लंबा आधान, जिसमें चीजें रखने के लिए खाने या घर बने होते है ---> अलमारि <br> <br>
'''अलापना''' -- गाने के समय लंबा स्वर खींचना, तान लगाना ---> आलापनै सॆय्दळ् <br> <br>
'''अलावा''' -- अतिरिक्त, सिवाय ---> तविर <br> <br>
'''अलौकिक''' -- जो इस लोक में न मिलता हो, लोकोत्तर; असाधारण, अद्भुत ---> दॆय्वीगमान; अर्पुदमान <br> <br>
'''अल्प''' -- कम थोड़ा, विरल; तुच्छ ---> कुरै॒वान, कॊजम्; अर्पमान <br> <br>
'''अल्पविराम''' -- एक विराम चिह्न जो वाक्य के पदों में पार्थक्क दिखाने या बोलने में कुछ ठहराव सूचित करने के लिए प्रयुक्त होता है (कॉमा) ---> काल्पुळ्ळि <br> <br>
'''अल्पसंख्यक''' -- वह दल, पक्ष या समाज जिसके अनुयायियों की संख्या अन्य दलों, पक्षों या समाजों से अपेक्षाकृत कम हो ---> सिरु॒ पान्मैयोर् <br> <br>
'''अल्पाहार''' -- उचित या साधारण से बहुत कम खाना, थोड़ा भोजन ---> सिट॒टुण्डि <br> <br>
'''अवकाश''' -- छुट्टी या फुरसत का समय; रिक्त या शून्य स्थान ---> ओय्वु नेरम्; कालि इडम् <br> <br>
'''अवज्ञा''' -- किसी आज्ञा या कानून को न मानना, उल्लंधन; अनादर, अपमान ---> कट्टळै मीरुदल सट्टत्तै मीरु॒दल्; अवमदिप्पु <br> <br>
'''अवतरण''' -- लेख, वचन आदि का उद्धृत, अंश, उद्धरण; ऊपर से नीचे आना, उतरना ---> मेर्कोळ्; इरंगुदल् <br> <br>
'''अवतार''' -- पौराणिक मान्यता के अनुसार ईश्वर का भौतिक या मानव रूप धारण करके इस संसार में आना; जिसके संबंध में यह माना जाता है कि वह ईश्वर का अंश और प्रतिनिधि है ---> कडवुळिन् अवतारम्; कडवुळिंन् अंशम् <br> <br>
'''अवयव''' -- शरीर का कोई अंग; किसी वस्तु का कोई अंश, भाग, हिस्सा ---> अवयवम्; वस्तुविन् पगुदि <br> <br>
'''अवरोह''' -- ऊपर या ऊंचाई से नीचे आना, उतरना; संगीत में स्वरों के ऊपर से नीचे आने का क्रम ---> इरंगुदल, मेलिरिन्दु कीळे वरुदल्; संगीदत्तिल, अवरोहणम् <br> <br>
'''अवलंब''' -- आश्रय, सहारा, भरोसा ---> आदरवु, उदवि <br> <br>
'''अवशेष''' -- जो उपयोग, नाश, व्यय आदि के उपरांत बाकी रहे ---> मिच्चमुळ्ळ <br> <br>
'''अवश्य''' -- निश्चित रूप से, जरूर ---> अवशियम्, कट्टायम् <br> <br>
'''अवसर''' -- सुयोग, मौका ---> वाय्प्पु <br> <br>
'''अवसाद''' -- आशा, उत्साह, शक्ति आदि का अभाव, शिथिलता, उदासी; विषाद, रंज ---> नंबिक्कै इन्मै, अत्साहमिन्मै; तुयरम् <br> <br>
'''अवसान''' -- अंत, समाप्ति; मरण, मृत्यु ---> मुडिवु; मरणम् <br> <br>
'''अवहेलना''' -- अवज्ञा, तिरस्कार; उपेक्षा, तिरस्कार ---> मदियामै; अवमदिप्पु <br> <br>
'''अवांछित''' -- जो चाहा न गया हो ---> विरुंबप्पड़ाद <br> <br>
'''अवाक्''' -- मौन, चुप, स्तब्ध ---> वायड़ैत्तुप्पोन <br> <br>
'''अविकल''' -- ज्यों का त्यों; पूरा, संपूर्ण ---> अप्पड़िये; पूरा, मुऴु <br> <br>
'''अविरल''' -- जो विरल अर्थात् दूर-दूर पर स्थित न हो, घना, सघन; अतंरहीन, निरंतर ---> अडर्तियान, अडुत्तार्पोलुळ्ळ; इडैवॆळिइल्लाद <br> <br>
'''अविलंब''' -- बिना देर किए, तुरंत, तत्काल ---> तामदमिन्रि॒, उड़ने <br> <br>
'''अवैतनिक''' -- बिना वेतन का (आनरेरी) ---> संबळमिल्लाद <br> <br>
'''अवैध''' -- जो विधि या विधान के विरुद्ध हो ---> सट्टत्तिर्कु पुरं॒बान <br> <br>
'''अव्यवस्था''' -- व्यवस्था (क्रम, नियम, मर्यादा आदि) का अभाव, गड़बड़ी; प्रबंध आदि में होने वाली गड़बड़ी, कुव्यवस्था ---> सीर॒केडु; ऒलुंगिन्मै <br> <br>
'''अशुद्ध''' -- जो शुद्ध न हो, जिसमें पवित्रता का अभाव हो, अपवित्र; जिसका शोधन या संस्कार न हुआ हो, दोषपूर्ण, त्रुटिपूर्ण ---> अशुद्दमान; माशु, पट्ट <br> <br>
'''अशुद्धि''' -- शुद्ध न होने की अवस्था या भाव, अशुद्धता; त्रुटि, गलती ---> अशुद्दम्, अळुक्कु; तवरु॒ <br> <br>
'''अशुभ''' -- जो शुभ (भला या हितकर) न हो, अमांगलिक या बुरा; अंमंगल, अहित; दोष या पाप ---> अमंगलमान, अशुभम्; तीमै; कुरै॒, पावम् <br> <br>
'''अश्लील''' -- नैतिक या सामाजिक आदर्शों , से च्युत, सभ्य पुरुषों की रुचि के प्रतिकूल, गंदा फूहड़ ---> आबासमान, कॆट्ट <br> <br>
'''अष्टमी''' -- शुक्ल या कृष्ण पक्ष की आठवीं तिथि ---> अष्टमि <br> <br>
'''असंख्य''' -- जो गिनती में बहुत अधिक हो; जिसकी गिनती न हो सके, अनगिनत ---> मिग अदिगमान; ऎण्णट॒ट॒ <br> <br>
'''असंगत''' -- जो संगत न हो, बेमेल, असंबद्ध, प्रसंग-विरुद्ध; अनुचित, अनुपयुक्त ---> पॆरुन्दाद, सेराद; तगुदियट॒ट॒ <br> <br>
'''असंतोष''' -- संतोष का अभाव ---> मननिरैविन्मै अदिरुप्ति <br> <br>
'''असंभव''' -- जो कभी घटित न हो सके ---> निगऴमुडियाद <br> <br>
'''असत्य''' -- जो सत्य या उसके अनुरूप॒ न हो, झूठा या मिथ्या ---> पॊय्यान <br> <br>
'''असभ्य''' -- जो सभ्य न हो, अशिष्ट, गंवार ---> नागरीगमट॒ट॒, पण्बट॒ट॒ <br> <br>
'''असमंजस''' -- कुछ करने, कहने आदि से पहले की वह मानसिक स्थिति जिसमें कर्त्तव्य निश्चित या स्थिर न हो सका हो, दुविधा ---> तडुमाट॒ट॒म् तयक्कम् <br> <br>
'''असमर्थ''' -- अशक्त; जो किसी विशिष्ट काम को कर सकने के योग्य न हो ---> तिर॒मैयट॒ट॒; समर्त्तियमट॒ट॒ <br> <br>
'''असर''' -- प्रभाव ---> पिरबावम् विळैवु <br> <br>
'''असल''' -- वास्तविक; मूलधन ---> उण्मैयान; मूलदनम् <br> <br>
'''असली''' -- असल ---> असल् शुद्दमान, कलप्पडमट॒ट॒ <br> <br>
'''असहयोग''' -- औरो के साथ मिलकर काम न करने की क्रिया या भाव ---> ऒत्तुऴैयामै <br> <br>
'''असह्य''' -- जो सहा न जा सके, उम्र, तीव्र या विकट ---> पॊरु॒क्कमुडियाद <br> <br>
'''असाधारण''' -- जो सामान्य न हो, असामान्य ---> तनिप्पट्ट <br> <br>
'''असीम''' -- जिसकी कोई सीमा न हो; बहुत अधिक, अपार ---> ऎल्लैयट॒ट॒; अबारमान <br> <br>
'''असुर''' -- दैत्य, दानव, राक्षस ---> अरक्कन् <br> <br>
'''असुविधा''' -- सुविधा का अभाव; कठिनाई ---> असौकरियम्; तॊन्दरवु <br> <br>
'''अस्तबल''' -- वह स्थान जहां घोड़े बांधे जाते है, घुड़साल, अश्वशाला ---> कुदिरैलायम् <br> <br>
'''अस्तव्यस्त''' -- जिसका क्रम या व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो चुकी हो, इधर-उधर बिखरा हुआ, तितर-बितर ---> उण्डु ऎन्र तन्मै <br> <br>
'''अस्तित्व''' -- होने का भाव, विद्यमानता, सत्ता ---> उण्डु ऎन्र तन्मै <br> <br>
'''अस्त्र''' -- फेंक कर चलाया जाने वाला हथियार ---> अस्तिरम्, अंबु <br> <br>
'''अस्थि''' -- हड्डी ---> ऎलुंबु <br> <br>
'''अस्थिर''' -- जिसमें स्थिरता न हो, गतिमान, चंचल ---> निलैयट॒ट॒, अशैगिर <br> <br>
'''अस्पताल''' -- वह स्थान जहां रोगियों की चिकित्सा की व्यवस्था होती है, चिकित्सालय ---> आस्पत्तिरि, मरुत्तुवमनै <br> <br>
'''अस्वस्थ''' -- जो स्वस्थ न हो, बीमार या रोगी; दूषित, बुरा ---> नोयुट॒ट॒; नलमट॒ट॒ <br> <br>
'''अहं''' -- अहंकार, अभिमान ---> गर्वम्, अहंकारम् <br> <br>
'''अहंकार''' -- अभिमान, गर्व ---> सॆरुक्कु <br> <br>
'''अहाता''' -- चारों ओर से घिरा हुआ मैदान या स्थान, हाता; चारदिवारी ---> सुट॒ट॒डैप्पु; सुट॒टुच्चुवर् <br> <br>
'''अहिंसा''' -- किसी की हत्या न करने या किसी को किसी भी तरह से तनिक भी कष्ट न पहुंचाने की क्रिया या भावना ---> तींगिऴैक्कामै, अहिंसै <br> <br>
'''अहित''' -- भलाई का अभाव या उसका विपरीत भाव, अपकार, हानि ---> तीमै, कॆडुदल् <br> <br>
'''आंकड़े''' -- वे अंक जो कोई पक्ष या स्थिति सूचित करते हैं, (स्टैटिस्टिक्स) ---> पुळ्ळि विवरंगळ् <br> <br>
'''आंकना''' -- अनुमान लगाना; अंकित करना (चित्र, रूपरेखा आदि) ---> मदिप्पिड़; वरैय <br> <br>
'''आंखमिचौनी''' -- बच्चों का एक खेल, लुका-छिपी ---> कण्णामूच्चि <br> <br>
'''आंगन''' -- घर कें अंदर या सामने का वह खुला चौकोर स्थान जिस पर छत न हो, सहन, चौक ---> मुट॒ट॒म् <br> <br>
'''आंचल''' -- पल्ला, छोर, सिरा ---> मुंदानै, तलैप्पु <br> <br>
'''आंतरिक''' -- अंदर का, भीतरी; अंत: करण से प्रेरित, सच्चा, वास्तविक ---> उट्पुर॒त्तु; उण्मै निलैयान <br> <br>
'''आंदोलन''' -- किसी उद्देश्य के लिए किया जाने वाला व्यापक तथा सामूहिक प्रयास ---> किळर्च्चि, पोराट्टम् <br> <br>
'''आंधी''' -- धूल भरी ज़ोर की हवा, अंधड़ ---> पुयल् काट॒टु <br> <br>
'''आंशिक''' -- अंश या भाग से संबंध रखने वाला; केवल अंश या भाग के रूप में होना, कुछ या थोड़ा, अपूर्ण ---> पगुदियान; अपूर्णमान <br> <br>
'''आंसू''' -- आंखो की अश्रुग्रंथि से ग्रवित जल की बूंदें, अश्रु ---> कण्णीर् <br> <br>
'''आकर्षक''' -- अपनी ओर खींचने वाला; प्रभावित या मोहित करके अपनी ओर ध्यान खींचने वाला ---> ईर्किर; मनदै कवरुगिर <br> <br>
'''आकर्षण''' -- अपनी ओर खींचने का भाव ---> ईर्कुम्, शक्ति, कवर्चिच <br> <br>
'''आकस्मिक''' -- अकस्मात् अप्रत्याशित रूप या एकाएक घटित होने या सामने आने वाला, अचानक ---> तर्चेयलान <br> <br>
'''आकार''' -- बाहरी रेखाओं का वह विन्यास जिससे किसी पदार्थ, विषय या व्यक्ति के रूप का ज्ञान या परिचय होता है, आकृति, शक्ल; किसी वस्तु या व्यक्ति की लंबाई-चौड़ाई, फैलाव, ऊंचाई आदि (साइज़) ---> उरुवम्, तोट॒ट॒म्; अमैप्पु <br> <br>
'''आकाश''' -- नभ, गगन, आसमान ---> आगायम् <br> <br>
'''आकाशवाणी''' -- देवता या ईश्वर की ओर से कही हुई या आकाश से सुनाई पड़ने वाली वाणी; आल इंडिया रेडियो का नाम ---> अशरीरि वाक्कु, वानॊलि; आकाशवाणी, वानॊलि निलैयम् <br> <br>
'''आकृति''' -- वस्तु या व्यक्ति का चित्र, भावभंगी प्रकट करने वाली मुद्रा; रूप, गठन, चेहरा ---> उरूवम्, तोट॒ट॒म्; रूपम्, मुखम् <br> <br>
'''आक्रमण''' -- प्रहार, हमला ---> पडैयॆडुप्पु <br> <br>
'''आक्षेप''' -- लांछन, व्यंग्यपूर्ण दोषारोपण ---> आक्षेबणै, कुट॒ट॒च्चाट्टु <br> <br>
'''आखिर''' -- अंत, समाप्ति; परिणाम; बाद में या पीछे होने वाला ---> मुडिवु; पयन्; पिन्नाल् वरुगिर <br> <br>
'''आखेट''' -- मृगया, शिकार ---> वेट्टै <br> <br>
'''आगंतुक''' -- अभ्यागत, अतिथि, पाहुना ---> विरुन्दाळि <br> <br>
'''आग''' -- अग्नि; जलन, डाह, संताप ---> ती, नॆरुप्पु; पॊरामै <br> <br>
'''आगमन''' -- आने, पहुंचने या नए सिरे से प्रगट होने की क्रिया या भाव ---> वरुगै <br> <br>
'''आगामी''' -- भविष्य में आने या होने वाला, भावी ---> अडुत्त, वरुगिर <br> <br>
'''आगे''' -- पहले या सामने, किसी की उपस्थिति में; भविष्य में; कुछ दूर और बढ़ने पर ---> मुन्नाल् ऎदिरे, मुन्निलैयिल्; इनि, ऎदिर् कालत्तिल्; अप्पाल् <br> <br>
'''आग्रह''' -- नम्रतापूर्वक बल देना, अनुरोध; किसी बात पर अड़ते हुए ज़ोर देना, हठ ---> बलियुरु॒त्तल़्; वर्पुरु॒त्तल् <br> <br>
'''आधात''' -- प्रहार या चोट; किसी दुखद घटना के कारण होने वाली मानसिक व्यथा ---> अडि, कायम्; विबत्तिनाल उंडागुम् मनवरुत्तम् <br> <br>
'''आचरण''' -- चाल-चलन, चरित्र ---> नडत्तै <br> <br>
'''आचार्य''' -- गुरु, शिक्षक; विश्वविद्यालय के किसी विभाग के वरिष्ठतम पद पर कार्य करने वाला अघ्यापक; किसी विषय का असाधारण पंडित ---> आसिरियर्, गुरु; पेरासिरियर्; अरिञर् <br> <br>
'''आज''' -- वर्तमान दिन में; इन दिनों में, इस काल में; प्रस्तुत या वर्तमान दिन! ---> इन्रू॒; इक्कालत्तिल्; इन्रै॒यदिनम् <br> <br>
'''आजकल''' -- इन दिनों, वर्तमान काल में; वर्तमान या प्रस्तुत दिनों में, एक-दो दिन में ---> इन्नाट्कळिल्; ओरिरु नाट्कळिल् <br> <br>
'''आज़ाद''' -- स्वाधीन, मुक्त, स्वतन्त्र ---> सुतंदिरमान <br> <br>
'''आजीवन''' -- जीवन भर ---> वाळ्नाळ् मुळुदुम् <br> <br>
'''आजीविका''' -- रोज़ी, रोज़गार, धंधा ---> पिळैप्पु, तॊऴिल, उद्दियोगम् <br> <br>
'''आज्ञा''' -- आदेश, हुक्म; अनुमति ---> कट्टळै; अनुमदि <br> <br>
'''आडंबर''' -- दिखावा, दिखावटी ठाट-बाट ---> आडंबरम् <br> <br>
'''आढ़तिया''' -- दूसरे का माल कमीशन लेकर बिकबा देने वाला, आढ़त का काम करने वाला ---> तरगर् <br> <br>
'''आतिशबाज़ी''' -- बारूद, गंधक, शोरे आदि से बनी चीज़ों के जलाने का तमाशा जिसमें रंग-बिरंगी चिनगारियां निकलती हैं ---> वाण वेडिक्कै <br> <br>
'''आतुर''' -- अधीर, उतावला; विकल, बेचैन ---> परपरप्पान; अमैदियट॒ट॒ <br> <br>
'''आत्म-कथा''' -- अपना लिखा जीवन-चरित ---> सुय-चरितै <br> <br>
'''आत्म-रक्षा''' -- अपना बचाव ---> तर्काप्पु <br> <br>
'''आत्मविश्वास''' -- अपने पर विश्वास या भरोसा ---> तन्नंबिक्कै <br> <br>
'''आत्मसमर्पण''' -- अपने आपको किसी के हाथ में सौंपना; हथियार डाल देना ---> तन्नैये अर्पणित्तुक्कॊळ्ळल्; ऎदिरिडियम् शरणैडदल <br> <br>
'''आत्म-हत्या''' -- अपने हाथों अपना वध, आत्मघात ---> तर् कॊलै <br> <br>
'''आत्मा''' -- शरीर में रहकर उसे जीवित रखने वाली अविनाशी, अभौतिक शक्ति, जीवात्मा; किसी वस्तु आदि का गूढ़, मूल तथा सार भाग ---> आत्तुमा, जीवन्; उळ् तत्तुवम् <br> <br>
'''आदत''' -- प्रकृति, स्वभाव; बान, टेव ---> पऴक्कम्; सुबात्रम् <br> <br>
'''आदमी''' -- मनुष्य, मानस; वयस्क और प्रौढ़ व्यक्ति ---> मनिदन्; वयदुवन्दवन् <br> <br>
'''आदर''' -- सम्मान, सत्कार; पूज्य भाव ---> मरियादै; मदिप्पु <br> <br>
'''आदरणीय''' -- आदर-योग्य ---> मदिप्पिर्रकुरिय <br> <br>
'''आदर्श''' -- अनुकरणीय, श्रेष्ठ; नमूना, बानगी ---> मुन्-मादिरि; उयर्गुणम् <br> <br>
'''आदान-प्रदान''' -- लेन-देन ---> कॊडुक्कल्वांगल् <br> <br>
'''आदि''' -- मूल; पहला; इसी प्रकार और या बाकी सब भी, इत्यादि, वगैरह ---> आदि, मूल; मुदलावदु; मुदलिय वगैयरा <br> <br>
'''आदिवासी''' -- किसी देश का मूल निवासी; जनजाति का सदस्य ---> आदिवासी पऴङ्कुडिगळ्; पऴंकुडिमक्कळ् <br> <br>
'''आदेश''' -- आज्ञा, हुक्म ---> कट्टळै <br> <br>
'''आद्यक्षर''' -- (कई पदों वाले) नाम के प्रत्येक पद का आरम्भिक अक्षर जो प्राय: हस्ताक्षर करने आदि के लिए प्रयुक्त होता है (इनीशियल) ---> मुदलॆळुत्तु <br> <br>
'''आधा''' -- वस्तु के दो समान भागो में से प्रत्येक ---> पादि, अरै <br> <br>
'''आधार''' -- नीचे की वह वस्तु जिसके ऊपर कोई दूसरी वस्तु टिकी या रखी हो; कारण ---> आदारम्; कारणम् <br> <br>
'''आधारभूत''' -- आधार रूप में स्थित, मूलभूत ---> अडिप्पडैयान <br> <br>
'''आधिकारिक''' -- अधिकारपूर्वक कहा या किया हुआ ---> आदिकार पूर्वमान <br> <br>
'''आधुनिक''' -- आजकल का, वर्तमान काल क़ा ---> इक्कालत्तिय <br> <br>
'''आध्यात्मिक''' -- आत्मा और ब्रह्म से सम्बन्ध रखने वाला ---> आन्मीयम् <br> <br>
'''आनंद''' -- हर्ष, खुशी; मौज ---> आनंदम् मगिऴ्च्चि; कृषि, उर्चाहम् <br> <br>
'''आना''' -- आगमन, होना, एक जगह से चल कर दूसरी जगह पहुंचना; ज्ञान या जानकारी होना ---> वर, वन्दुसेर; अरि॒न्दुकॊळ्ळ् <br> <br>
'''आप''' -- स्वयं, स्वत:, खुद; तुम' या 'वे' के स्थान पर प्रयुक्त आदरसूचक शब्द ---> ताने, तामागवे; तांगळ् <br> <br>
'''आपसी''' -- आपस का, पारस्परिक ---> तमक्कुळ्ळान <br> <br>
'''आभार''' -- एहसान, किसी के उपकार के लिए प्रकट की जाने वाली कृतज्ञता ---> नन्नि॒ <br> <br>
'''आभास''' -- झलक, छाया; मिथ्याप्रतीति, भ्रम ---> मुन्नरि॒विप्पु, सायल्; कुऴप्पम् <br> <br>
'''आभूषण''' -- अलंकार, गहनें, जेवर ---> नगै, अलंकारम् <br> <br>
'''आमुख''' -- प्रस्तावना, भूमिका ---> मुगवुरै <br> <br>
'''आमोद-प्रमोद''' -- जो काम केवल चित्त प्रसन्न करने और मन बहलाने के लिए किए जाते हैं ---> उल्लास वाऴ्क्कै <br> <br>
'''आय''' -- पारिश्रमिक, लाभ आदि के रूप में प्राप्त धन, आमदनी ---> वरुमानम् <br> <br>
'''आयकर''' -- राज्य की ओर से लोगों की आय पर लगने वाला कर ---> वरुमानवरि <br> <br>
'''आयत''' -- लम्बा-चौड़ा विस्तृत, विशाल; चार भुजाओं वाला वह क्षेत्र जिसकी आमने-सामने की भुजाएं समानांतर हों और चारों कोण समकोण हों ---> विशालमान; नीळ् सदुरमान <br> <br>
'''आया''' -- घाय, दाई, बच्चों को दूध पिलाने और उनकी देखभाल करने वाली स्त्री; आना क्रिया का भूतकालिक रूप ---> आया; वन्दान्, वन्द्दु <br> <br>
'''आयात''' -- व्यापार के लिए विदेश से माल मंगाने की क्रिया; विदेश सें मंगाया हुआ माल ---> इर॒क्कुमदि; इर॒क्कुमदिप्पॊरुळ् <br> <br>
'''आयाम''' -- लंबाई, विस्तार ---> नीळम्, विस्तारम् <br> <br>
'''आयुष्मान्''' -- दीर्घजीवी, चिरंजीवी ---> चिरंजीवियान, नींडकालम् वाळ्गिर <br> <br>
'''आयोजक''' -- प्रबन्ध या आयोजन करने वाला ---> एर्पाडुशॆय्बवर् <br> <br>
'''आरंभ''' -- शुरू, श्रीगणेश ---> आरंबम, तॊडक्कम् <br> <br>
'''आरती''' -- देवपूजन के समय घी का दीया, धूप आदि जला कर बार-बार घुमाते हुए सामने रखना, नीराजन; देवता की आरती के समय पढ़ा जाने वाला स्तोत्र; उक्त क्रिया के लिए घी और रुई की बत्ती रखने का पात्र ---> आरत्ति, दीपारादनै; तोत्तिरम्; दीपारदनैक्कु वेण्डिय नॆय् किण्णम् <br> <br>
'''आराम''' -- सुख, चैन, विश्राम; रोग कम होने या दूर होने की अवस्था ---> सुगम्, ओयवु; नोय् कुरै॒दल, गुणमादल् <br> <br>
'''आरोप''' -- किसी के संबंध में यह कहना कि उसने अ़मुक अनुचित या नियम-विरूद्ध कार्य किया है, इलज़ाम; ऊपर या कहीं से लाकर बैठाना या लगाना ---> कुट॒ट॒च्चाट्टु; शुमत्त, शाट्ट <br> <br>
'''आरोह''' -- ऊपर चढ़ना, सवार होना; नीचे से ऊपर की ओर जाना या बढ़ना; संगीत में स्वरों का चढ़ाव ---> एर॒; मेले एरु॒दल; इसैयिल् आरोहणम् <br> <br>
'''आर्थिक''' -- रुपये-पैसे, आय-व्यय आदि से संबंधित ---> पॊरुळादार संबन्दमान <br> <br>
'''आर्द्र''' -- गीला, तर, नम ---> ननैन्द, ईरमान <br> <br>
'''आलंब''' -- सहारा, आधार ---> आदरवु <br> <br>
'''आलंबन''' -- आधार, सहारा, आश्रय ---> आदारम् <br> <br>
'''आलसी''' -- सुस्त, काहिल ---> सोबेरि <br> <br>
'''आलस्य''' -- काम करने की अनिच्छा, सुस्ती, शिथिलता ---> सोम्बल् <br> <br>
'''आला''' -- दीवार में थोड़ा-सा खाली छोड़ा हुआ स्थान जिसमें छोटी-मोटी चीजें रखीं जाती है, ताक; कारीगरों के काम करने के कोई उपकरण, औज़ार; ऊंचे दर्जे का, बढ़िया, श्रेष्ठ, बड़ा ---> माडप्पुरै; तॊऴिलाळिगळिन् करुविगळ्; सिर॒न्द <br> <br>
'''आलोक''' -- प्रकाश, रोशनी ---> ऒळि <br> <br>
'''आलोचक''' -- गुण-दोष आदि का विवेचन, करने वाला, समीक्षक ---> विमरिसकर् <br> <br>
'''आलोचना''' -- गुण-दोषों का निरूपण या विवेचन, समीक्षा ---> विमरिसनम् <br> <br>
'''आवभगत''' -- किसी के आने पर किया जाने वाला आदर-सत्कार, आतिथ्य ---> उबचरिप्पु <br> <br>
'''आवरण''' -- परदा; ढक्कन; वह कपड़ा, कागज आदि जिसमें कोई चीज लपेटी जाए ---> पडुदा; मूडि; सुट॒ट॒ वैक्कुम् कागिदम, तुणि <br> <br>
'''आवश्यक''' -- जिसके बिना काम न चल सकता हो, ज़रूरी ---> अवसियमान, तेवैयान <br> <br>
'''आवश्यकता''' -- ऐसी स्थिति जिसमें किसी चीज या बात के बिना काम चल ही न सकता हो, जरूरत; आवश्यक होने की क्रिया या भाव ---> तेवै; तेवै <br> <br>
'''आवागमन''' -- आना-जाना; जनम-मरण का चक्र ---> पोक्कु-वरत्तु; पिर॒प्पु-इर॒प्पु <br> <br>
'''आवारा''' -- इधर-उधर बेकार घूमने-फिरनेवाला; अवांछनीय आचरणवाला, लफंगा ---> सोदा, वीणाग अलैगिर॒; पोक्किरि <br> <br>
'''आवास''' -- निवासस्थान ---> इरुप्पिडम् <br> <br>
'''आवाहन''' -- अपने पास बुलाने की क्रिया या भाव; पूजन के समय किसी देवता को मंत्र द्वारा बुलाने की क्रिया ---> अऴैप्पु; पूजैयिल् मंन्दिरम् सोल्लिदेवर्गळै अऴैत्तल् <br> <br>
'''अविष्कार''' -- ईजाद (इन्वेन्शन) ---> कंडुपिडिप्पु <br> <br>
'''आवृत्ति''' -- बार-बार होने की क्रिया या भाव; पुस्तक आदि का उसी रूप में फिर छापना ---> मरु॒बडि सॆय्दळ्; मरु॒पदिप्पु <br> <br>
'''आवेग''' -- प्रबल मनोवेग, जोश; बिना सोचे-विचारे कुछ कर बैठने की अन्त:प्रेरणा ---> मनऎऴच्चि; उरचाहम्, आवेशम् <br> <br>
'''आवेदन''' -- निवेदन, प्रार्थना ---> विण्णप्पम् <br> <br>
'''आशय''' -- अभिप्राय, तात्पर्य, इरादा ---> अबिप्पिरायम् करूत्तु <br> <br>
'''आशा''' -- उम्मीद ---> नंबिक्कै <br> <br>
'''आशीर्वाद''' -- मंगल कामना के लिए बड़ों द्वारा कहे गए शुभवचन, आशिष, दुआ ---> आशीर्वादम्, नल् वाऴ्त्तु <br> <br>
'''आश्रय''' -- शरण, ठिकाना; सहारा, अवलंब ---> तंजम्, पुगलिडम्; आदरवु <br> <br>
'''आश्वासन''' -- किसी का कोई काम पूरा करने के लिए दिया जानेवाला वचन; कष्ट में पड़े हुए व्यक्ति को दिलासा या धैर्य देना ---> आरु॒दल् आळित्तळ्; दैरियमूट्टल् <br> <br>
'''आसन''' -- बठने का कोई विशिष्ट ढंग, प्रकार या मुद्रा; कुश या कपड़े आदि का बना हुआ चौकोर टुकड़ा जिस पर बैठते हैं ---> उट्कारुम् विदम्; इरुक्कै <br> <br>
'''आसान''' -- सरल, सुगम ---> सुलबमान, ऎळिदान, इलगुवान <br> <br>
'''आस्तिक''' -- जिसका ईश्वर, परलोक, पुनर्जन्म आदि में विश्वास हो; धर्मनिष्ठ ---> आस्तिकनान; मद नंबिक्कैयुळ्ळ <br> <br>
'''आस्था''' -- विश्वासपूर्ण भावना ---> शिरद्दै, ईडुपाडु <br> <br>
'''आस्वादन''' -- स्वाद लेना, चखना; रसास्वादन (कविता आदि का) ---> शुवैत्तल्; रसित्तळ् <br> <br>
'''आहट''' -- हल्की आवाज ---> संदडि <br> <br>
'''आहार''' -- खाद्य पदार्थ, भोजन ---> आहारम्, उणवुप्पॊरुळ् <br> <br>
'''आहुति''' -- यक्ष या हवन करते समय सामग्री को अग्नि में डालने की क्रिया; हवन में हर बार डाली जाने वाली सामग्री की मात्रा ---> वेळ्वियिल् नॆय्, पॊरि मुदलियन अर्प्पित्त्ळ्, आहुति; वेळ्वियिल् अर्पणिक्कुम् पॊरुळ् <br> <br>
'''इंतज़ाम''' -- प्रबन्ध, व्यवस्था ---> एर्पाडु <br> <br>
'''इंदराज''' -- दर्ज करने की क्रिया या काम, प्रविष्टि ---> पदिन्दु कॊळ्ळळ् <br> <br>
'''इकहरा''' -- एक ही परतवाला; पतला ---> ऒट॒टै॒नाडियान; मॆल्लिय <br> <br>
'''इकाई''' -- किसी पूरे वर्ग या समूह का ऐसा भाग जो विश्लेषण के लिए स्वतन्त्र या पृथक माना जाता हो (यूनिट); किसी संख्या में दाईं ओर का पहला अंक या उसका स्थान ---> ऒन्रि॒यम्; मुदल् स्तान एंण, ऒट॒टै॒ <br> <br>
'''इक्का''' -- एक प्रकार की छोटी गाड़ी जिसमें केवल एक घोड़ा जोड़ा जाता हैं; ताश का एक बूटीवाला पत्ता ---> कुदिरै वण्डिं; एस' सीट्टु <br> <br>
'''इक्का-दुक्का''' -- अकेला,-दुकेला, कोई-कोई ---> ऒन्रि॒रण्डु <br> <br>
'''इच्छा''' -- चाह, कामना ---> इच्चै, विरुप्पम् <br> <br>
'''इठलाना''' -- गर्वसूचक चेष्टाएं करना, ऐंठ दिखाना, इतराना ---> सॆरुक्कुडन् नडक्क <br> <br>
'''इतिवृत्त''' -- किसी विषय से संबन्धित समस्त घटनाओं का काल क्रमानुसार पूर्ण विवरण (केस हिस्टरी); कथा, कहानी आदि के रूप में पुरानी बातों का विवरण, इतिहास ---> वरलारु॒; पऴंकदैगळिन्पर्णनै, चरित्तिरम् <br> <br>
'''इतिहास''' -- किसी व्यक्ति, समाज या देश की महत्वपूर्ण घटनाओं का काल क्रमानुसार वर्णन ---> देश चरित्तिरम्, नाट्टु बरलारु॒ <br> <br>
'''इत्र''' -- विशिष्ट प्रक्रिया से निकाला हुआ फूलों का सुगंधिंत सार, पुष्पसार, अतर ---> अत्तर् <br> <br>
'''इधर''' -- (दिशा और विस्तार के विचार से) इस ओर, इस तरफ, इस स्थान पर, पास-पड़ोस में; (समय के विचार से) वत्र्तमान के आस-पास ---> इंगे, इंदप्पक्कं; इप्पॊळुदु <br> <br>
'''इनकार''' -- न मानने की क्रिया या भाव, अस्वीकृति ---> मरु॒प्पु <br> <br>
'''इनाम''' -- पुरस्कार, पारितोषिक ---> इनाम्, बॆगुमदि <br> <br>
'''इमारत''' -- भवन ---> माळिगै <br> <br>
'''इलाका''' -- क्षेत्र, प्रदेश ---> इलाका, पिरिवु <br> <br>
'''इलाज''' -- उपचार, चिकित्सा; प्रतिकार की युक्ति या उपाय ---> चिकिच्चै; उपायम् <br> <br>
'''इशारा''' -- संकेत ---> जाडै <br> <br>
'''इस्तरी''' -- कपड़े की शिकन दूर करने या तह बिठाने के लिए लोहे या पीतल का उपकरण (आयरन) ---> इस्तिरि पोडुदल <br> <br>
'''इस्पात''' -- विशेष प्रक्रिया से तैयार किया हुआ कड़ा और बढ़िया लोहा (स्टील) ---> ऎहकु <br> <br>
'''ईंट''' -- सांचे में ढालकर पकाया हुआ मिट्टी का टुकड़ा जो दीवार आदि बनाने के काम आता हैं (ब्रिक); ताश के चार रंगों में से एक जिसमें लाल रंग की चोकोर बूटियां बनी होती हैं ---> चॆंगळ्; डैमंड् (सीट्टु) <br> <br>
'''ईंधन''' -- जलाने के काम आने वाली लकड़ी, जलावन ---> विर॒गु <br> <br>
'''ईख''' -- गन्ना, ऊख ---> करुंबु <br> <br>
'''ईश्वर''' -- परमात्मा, भगवान ---> कडवुळ् <br> <br>
'''उँडेलना''' -- किसी तरल पदार्थ को एक बर्तन से दूसरे बर्तन में डालना या जमीन पर गिरा देना ---> विड (दिरवङ्गळै) <br> <br>
'''उकताना''' -- ऊबना ---> सलिप्पडैय <br> <br>
'''उकसाना''' -- भड़काना, उत्तेजित करना ---> तूंडिविड <br> <br>
'''उक्ति''' -- किसी की कही हुई बात, कथन, वचन ---> पॊन् मॊऴि <br> <br>
'''उखाड़ना''' -- जमी, ठहरी या लगी हुई चीज को खींचकर आधार से अलग करना; भागने या हटने के लिए विवश करना ---> पिडुंगि ऎरि॒य; विरट्ट <br> <br>
'''उगना''' -- उदय होना, निकलना; अंकुरित होना; उपजना, पैदा होना ---> वळर, वॆळिवर; मुळैक्क; उण्डाग <br> <br>
'''उगलना''' -- मुँह में ली हुई चीज को थूक देना, खाई हुई वस्तु को मुँह से बाहर निकाल देना ---> कक्क <br> <br>
'''उगाना''' -- किसी बीज या पौधे आदि को उगने में प्रवृत करना, उपजाना; उत्पन्न या पैदा करना ---> विदैर्ये मुळैक्क वैक्क; उण्डाक्क <br> <br>
'''उघाड़ना''' -- खोलना, अनावृत करना, नंगा करना ---> तिरक्क, अम्मणमाक्क <br> <br>
'''उचटना''' -- किसी जमी या चिपकी हुई वस्तु का अपने आधार से अलग होना, छूटना; मन का हट जाना, न लगना, ऊबना ---> विडुपड; मनदु अलुत्तुप्पोग <br> <br>
'''उचित''' -- उपयुक्त, मुनासिब; ठीक, सही; न्यायसंगत ---> तगुन्द; सरियान; नियायमान <br> <br>
'''उच्च''' -- ऊँचा; पद आदि में औरों से ऊपर या बड़ा; श्रेष्ठ ---> उयर्न्द; पदवियिल् उयर्न्द; सिर॒प्पान <br> <br>
'''उच्चारण''' -- सार्थक शब्द कहने या बोलने का निश्चित और शुद्ध ढंग या प्रकार (प्रोनेसिएशन) ---> उच्चरिप्पु <br> <br>
'''उछल-कूद''' -- बार-बार उछलने या कूदने की क्रिया या भाव ---> कुदित्तु विळैयाडुदल् <br> <br>
'''उछलना''' -- वेगपूर्वक ऊपर की ओर उठना या बढ़ना; अत्यंत प्रसन्न होना, खुशी से फूलना ---> कुदित्तु ऎळ; पूरित्तुप्पोग <br> <br>
'''उजड़ना''' -- बसे हुए स्थान के आबाद न रहने पर उस का टूट-फूट कर बेकार हो जाना ---> पाऴडैदल् <br> <br>
'''उजाला''' -- चांदनी, प्रकाश, रोशनी; प्रात:काल होने वाला प्रकाश ---> वॆळिच्चम्, निळवॊळि; विडियर्कालै वॆळिच्चम् <br> <br>
'''उठना''' -- ऊंचाई की ओर या ऊपर जाना अथवा बढ़ना; गिरे, झुके, बैठे या लेटे होने की स्थिति से खड़े होने की स्थिति में आना; जागना ---> ऎम्ब, मेले पोग; ऎळुन्दिरुक्क; विऴित्तुक्कॊळ्ळ <br> <br>
'''उड़ना''' -- पंखों या परों की सहायता से आधार छोड़कर ऊपर उठना और आकाश या वायु में इधर-उधर आना-जाना; प्राकृतिक, रसायनिक आदि कारणों से किसी चीज का धीरे-धीरे कम होना या न रह जाना; गायब या लुप्त हो जाना ---> पर॒क्क; मॆळ्ळ मॆळ्ळ, कुरै॒न्दु पोग, मरै॒न्दुपोग; मरै॒न्दुपोग <br> <br>
'''उतना''' -- पहले निर्धारित मात्रा, मान, संख्या, दूरी आदि का सूचक ---> अव्वळवु, अत्तनै <br> <br>
'''उतरना''' -- किसी व्यक्ति या वस्तु का ऊपर के या ऊंचे स्थान से क्रमश: नीचे की ओर आना ---> इरं॒ग <br> <br>
'''उतार-चढ़ाव''' -- नीचे उतरने और ऊपर चढ़ने की अवस्था, क्रिया या भाव; किसी वस्तु के मान, मूल्य स्तर आदि का बराबर घटते-बढ़ते रहना ---> एट॒ट॒ इरक्कम्; विलै एरुवुदु-इरं॒गुवुदु <br> <br>
'''उतारना''' -- ऊपर से नीचे लाना; अलग करना (वस्त्र), आभूषण; पार या दूसरी ओर पहुँचाना (नदी आदि के) ---> कीऴे इर॒क्क; कळैय, अविऴ्क्क; अक्करै सेर्क्क <br> <br>
'''उत्कंठा''' -- कुछ करने या पीने की प्रबल इच्छा, चाव ---> तीविर विरुप्पम् अवा <br> <br>
'''उत्कर्ष''' -- ऊपर की ओर उठने, खिंचने या जाने की क्रिया या भाव; पद, मान, संपत्ति, भाव, मूल्य आदि में होने वाली वृद्धि ---> ऎळुच्चि; पदवि, सॆल्वाक्किल उयर्च्चि <br> <br>
'''उत्तम''' -- गुण, विशेषता आदि में सबसे बढ़कर ---> सिर॒न्द <br> <br>
'''उत्तराधिकार''' -- किसी को न रह जाने अथवा अपना अधिकार छोड़ देने पर किसी दूसरे को उसकी धन-संपत्ति, पद आदि मिलने का अधिकार ---> सॊत्तुरिमै <br> <br>
'''उत्तेजना''' -- वह स्थिति जिसमें मन की चंचलता के कारण कोई व्यक्ति बिना समझे-बूझे कोई काम करने में उग्रता तथा शीघ्रता से प्रवृत या रत होता है ---> तूण्डुदल्, आवेशम् <br> <br>
'''उत्पादन''' -- उत्पन्न या पैदा करने, बनाने की क्रिया या भाव ---> उर्पत्ति, विळैच्चल् <br> <br>
'''उत्सव''' -- ऐसा सामाजिक या धार्मिक कार्यक्रम जिसमें विशिष्ट अवसर पर विशिष्ट उद्देश्य से लोग उत्साहपूर्वक सम्मिलित होते हैं ---> उत्सवम् तिरुविऴा <br> <br>
'''उत्साह''' -- मन की वह वृत्ति या स्थिति जिसके परिणामस्वरूप मनुष्य प्रसन्नता और तत्परतापूर्वक किसी काम को पूरा करने या किसी उद्देश्य को सिद्ध करने के लिए अग्रसर होता है ---> उत्सागम्, आवल् <br> <br>
'''उत्सुक''' -- जिसके मन में तीब्र अथवा प्रबल अभिलाषा हो या जो किसी काम या बात के लिए किंचित् अधीर हो ---> आवलान <br> <br>
'''उदय''' -- ऊपर की ओर उठने, उभरने या बढ़ने की क्रिया या भाव, उद्भव; ग्रह, नक्षत्रों आदि का क्षितिज से ऊपर उठकर आकाश में आना और दृश्य होना; ---> उयर, ऎलुदल्; उदित्तल् <br> <br>
'''उदार''' -- खुले दिलवाला, दानी; जो स्वभाव से नम्र और सुशील हो और पक्षपात या संकीर्णता का विचार छोड़कर सबके साथ खुले दिल से आत्मीयता का व्यवहार करता हो ---> दाराळ गुणमुळ्ळ; पण्बुड़न् नड़न्दुकॊळ्गिर <br> <br>
'''उदास''' -- खिन्न, जो किसी प्रकार की उपेक्षा या अभाव के कारण अथवा भावी अनिष्ट की आशंका से खिन्न और चिन्तित हो ---> मनम् तळर्न्द, वरुत्तमुट॒ट॒ <br> <br>
'''उदासीन''' -- अलग या दूर रहने वाला; आसक्ति अथवा कामना-रहित; तटस्त, विरक्त ---> तनित्तु इरुक्किर॒; पट॒टुदलट॒ट॒; सिरद्दैयट॒ट॒ <br> <br>
'''उदाहरण''' -- नियम, सिद्धान्त आदि को बोधगम्य तथा स्पष्ट करने के लिए प्रस्तुत किए गए तथ्य; ऐसा आचरण, कृति या क्रिया जो दूसरों को अनुकरण करने के लिए प्रोत्साहित करे ---> उदारणम्; मादिरि <br> <br>
'''उद्घाटन''' -- आवरण या परदा हटाना; आधुनिक परिपाटी या रस्म जो नया कार्य आरंभ करने के समय औपचारिक उत्सव या कृत्य के रूप में की जाती है ---> तिर॒न्दु वैत्तल्; तिर॒प्पु विऴा <br> <br>
'''उद्देश्य''' -- वह बात, वस्तु या विषय जिसका ध्यान रखकर कुछ कहा या किया जाए, अभिप्रेत कार्य, पदार्थ या विषय, इष्ट ---> कुरि॒क्कोल् <br> <br>
'''उद्धरण''' -- किसी ग्रंथ, लेख आदि से उदाहरण, प्रमाण, साक्षी आदि के रूप में लिया हुआ अंश ---> मेर्कोळ् <br> <br>
'''उद्यम''' -- परिश्रम, मेहनत ---> उऴैप्पु <br> <br>
'''उद्योग''' -- परिश्रम, अध्यवसाय; काम-धंधा ---> उऴैप्पु; उद्दियोगम्, तॊऴिल् <br> <br>
'''उद्योगपति''' -- कच्चे माल से पक्का माल तैयार करने वाले किसी बड़े कारखाने का स्वामी; किसी भी उद्योग का स्वामी ---> तॊऴिळदिबर; मुदलाळि <br> <br>
'''उधेड़ना''' -- सिलाई के टांके खोलना ---> तैयलैप्पिरिक्क <br> <br>
'''उधेड़-बुन''' -- मन की अनिश्चियात्मक स्थिति, उलझन ---> कुऴप्पमान मननिलै <br> <br>
'''उन्नति''' -- आगे बढ़ने या विकसित होने की प्रक्रिया; उच्चता ---> उयर्वु; मेन्मै <br> <br>
'''उन्माद''' -- मस्तिष्क की असंतुलित अवस्था; साहित्य में एक संचारी भाव ---> पैत्तियम्; इलाक्कियत्तिल् ऒर मन ऎळुच्चि <br> <br>
'''उन्मूलन''' -- मूल या जड़ से नष्ट-भ्रष्ट करने की प्रक्रिया; समाप्त करना ---> वेरोडु अऴित्तल्; मुडित्तुविडल् <br> <br>
'''उपग्रह''' -- बड़े ग्रह की परिक्रमा करने वाला छोटा ग्रंह; किसी ग्रह की परिक्रमा करने के लिए आकाश में छोड़ा जाने वाला यांत्रिक गोला या पिंड ---> उपगिरहम्; सॆयक्कै गोळम् <br> <br>
'''उपचार''' -- चिकित्सा ---> चिकिच्चै <br> <br>
'''उपज''' -- जो उपजा हो, पैदावार, फसल; जो बन कर तैयार हुआ हो, उत्पादन; मन की नई उद्भावना या सूझ ---> विळैच्चल्; उर्पत्ति; मनदिल तोन्रूम् ऎण्णम् <br> <br>
'''उपजना''' -- उगना, अंकुर निकलना या फूटना; कोई नई बात सूझना ---> विळैय, मुळैक्क; पुदु ऐण्णम् तोन्र॒ <br> <br>
'''उपजाऊ''' -- कृषि के लिए उपयुक्त भूमि ---> सॆऴिप्पान <br> <br>
'''उपदेश''' -- धर्म और नीति के संबंध में विद्वानों द्वारा बताई गई बातें; समुचित राय ---> उपदेशम्; अरि॒वुरै <br> <br>
'''उपद्रव''' -- दंगा, फसाद; हलचल, ऊधम ---> कलगम; तॊन्दिरवु <br> <br>
'''उपनगर''' -- नगर के आसपास बसा हुआ बाहरी भाग ---> पुर-नगर् <br> <br>
'''उपनाम''' -- वास्तविक नाम से भिन्न कवियों, लेखकों आदि का स्वयं रखा हुआ कोई दूसरा नाम (पैननेम) ---> पुनैप्पॆयर्, कुलप्पॆयर् <br> <br>
'''उपन्यास''' -- वह काल्पनिक गद्य कथा जिसमें वास्तविक जीवन से मिलते-जुलते चरित्रों और कार्य-कलापों का विस्तृत चित्रण हो ---> नवीनम्, पुदिनम्, नावल् <br> <br>
'''उपभोक्ता''' -- काम में लाने या व्यवहार करने वाला, खपतकार ---> उपयोगिप्पवर्, नुगर्वोर् <br> <br>
'''उपभोग''' -- आनन्द या सुख-प्राप्ति के लिए किसी वस्तु का भोग करना या उसे व्यवहार में लाना; किसी वस्तु का इस रूप में प्रयोग करना कि उसकी उपभोगिता धीरे-धरे कम होती चले ---> उपयोगित्तल, नुगर्तल्; नुगर्न्दऴित्तल् <br> <br>
'''उपमा''' -- समान गुणों के आधार पर दो वस्तुओं को तुल्य या समान ठहराना; एक अर्थालंकार जिसमें उपमेय व उपमान भिन्न होते हुए भी उनमें किसी प्रकार की एकता या समानता दिखाई जाए ---> उवमै; उवमै अणि <br> <br>
'''उपयोग''' -- प्रयोग, व्यवहार ---> उपयोगम् <br> <br>
'''उपयोगी''' -- जो प्रयोग या व्यवहार में लाए जाने के योग्य हो ---> उपयोगमुळ्ळ <br> <br>
'''उपलक्ष्य''' -- वह बात जिसे ध्यान में रखकर कुछ कहा या किया जाए ---> कुरि॒क्कोळ् <br> <br>
'''उपला''' -- जलाने के काम आने वाली गोबर का सूखा टुकड़ा, कंडा ---> वरट्टि <br> <br>
'''उपवन''' -- उद्यान, बाग, पार्क ---> पूंगा <br> <br>
'''उपवास''' -- दिन-भर या दिन-रात भोजन न करना (भूखे रहना, लंधन, फाका) ---> उपवासम्, उण्णविरदम् <br> <br>
'''उपसंहार''' -- अंत, समाप्ति; किसी प्रकरण, विषय् आदि का अंतिम अंश जिसमें विषय का सारांश दिया जाता है ---> मुडिवु; मुडिवुरै <br> <br>
'''उपस्कर''' -- औज़ार, उपकरण ---> करुवि, सादनम् <br> <br>
'''उपस्थिति''' -- हाज़िरी ---> मुन्निलै <br> <br>
'''उपहार''' -- प्रसन्न होकर तथा सद्भाव-पूर्वक अथवा किसी अवसर पर किसी को दी जाने वाली कोई वस्तु ---> अन्बळिप्पु <br> <br>
'''उपहास''' -- हंसी, दिल्लगी, खिल्ली, मज़ाक ---> परिहासम्, केलि <br> <br>
'''उपाधि''' -- महत्व योग्यता, सम्मान आदि का सूचक वह पद या शब्द जो किसी के नाम के साथ लगाया जाए, खिताब, पदवी, डिग्री ---> पट्टप्पॆयर्, पदवि <br> <br>
'''उपाय''' -- युक्ति, तरकीब ---> उपायम्, वऴि <br> <br>
'''उपासक''' -- जो उपासना करता हो; आराधक ---> आरादिप्पवर्; बक्तर् <br> <br>
'''उपासना''' -- ईश्वर, देवता आदि की मूर्त्ति के पास बैठकर किया जाने वाला आध्यात्मिक चिन्तन, पूजन आराधन; किसी वस्तु के प्रति अत्यधिक आसक्ति की भावना ---> आरादनै, उपासनै; आळ्न्द पट॒टु <br> <br>
'''उपेक्षा''' -- अवहेलना; अनादर ---> मदियामै; अलट्चियम् <br> <br>
'''उबकाई''' -- उल्टी, कै; मिचली, मितली, मतली ---> वान्दि; कुमट्टल् <br> <br>
'''उबरना''' -- घात, फंदे, संकट आदि से बच जाना ---> आबत्तिलिरिन्दु तप्पिक्क <br> <br>
'''उबलना''' -- आग पर रखे हुए तरल पदार्थ का फेन के साथ ऊपर उठना; उत्तेजित होना, आवेश में आना ---> कॊदिक्क; वॆगुळि अडैय <br> <br>
'''उभरना''' -- नीचे के तल से उठ या निकलकर ऊपर आना; ऊपर उठकर या किसी प्रकार उत्पन्न होकर अनुभूत या प्रत्यक्ष होना ---> पॊगि ऎऴ्; मेलॆऴुन्दु तोन्र॒ <br> <br>
'''उमंग''' -- कोई काम करने के लिए प्रेरित करने वाला आनन्द या उत्साह ---> उरचाहम् <br> <br>
'''उम्मीदवार (उम्मेदवार)''' -- किसी पद पर चुने जाने या नियुक्त होने के लिए खड़ा होने वाला या अपने आपको उपस्थित करने वाला व्यक्ति, प्रत्याशी ---> अपेट्चगर्, वेट्पाळर् <br> <br>
'''उर्वर''' -- उपजाऊ; जिसकी उत्पादन शक्ति आधिक हो (तत्त्व) ---> सॆऴिप्पान; वळमुळ्ळ <br> <br>
'''उर्वरक''' -- खेतों को उपजाऊ बनाने के लिए डाली जाने वाली रसायनिक खाद (फर्टिलाइज़र) ---> उरम् <br> <br>
'''उलझन''' -- ऐसी स्थिति जिसमें किसी प्रकार का निराकरण़ या निश्चय करना बहुत कठिन हो, पेचीदगी ---> शिक्कल् <br> <br>
'''उलझना''' -- किसी चीज के अंगो का आपस में दूसरी चीज के अंगों के साथ इस प्रकार फंसकर लिपटना कि सहज में एक दूसरे से अलग न हो सकें; झंझट, झगड़े, बखेड़े आदि में इस प्रकार फंसना कि जल्दी छुटकारा न हो सके ---> शिक्किक्कॊळ्ळ; अगप्पड <br> <br>
'''उलटना''' -- सीध की विपरीत दिशा या स्थिति में जाना या होना; साधारण स्थिति से विपरीत या विरुद्ध हो जाना या करना; ऊपर का भाग नीचे और नीचे का भाग ऊपर की स्थिति में होना ---> तारुमाराह पोग, इरुक्क; तलै कीळाग; कविऴ <br> <br>
'''उलटी''' -- कै, वमन ---> वान्दि <br> <br>
'''उलाहना''' -- अपकार या हानि के प्रतिकार या पूर्त्ति के लिए ऐसे व्यक्ति से उसकी दु:खपूर्वक चर्चा करना जो उसके लिए उत्तरदायी हो या उसका प्रतिकार कर अथवा करा सकता हो, गिला, शिकवा ---> पुकार, निन्दनै <br> <br>
'''उलीचना''' -- किसी बड़े आधार या पात्र में भरे हुए जल को बर्तन या हाथ से बाहर निकालना या फेंकना ---> तण्णीरै वारिविड <br> <br>
'''उल्लंधन''' -- आज्ञा, नियम, प्रथा, रीति आदि का पालन न करना, अतिक्रमण ---> मीरु॒दल् <br> <br>
'''उल्लास''' -- आनन्द, प्रसन्नता ---> आनन्दम् <br> <br>
'''उल्लेखनीय''' -- जिसका वर्णन करना आवश्यक या उचित हो ---> कुरि॒प्पिडत्तक्क <br> <br>
'''उसूल''' -- सिद्धान्त ---> कॊळ्गै <br> <br>
'''उस्तरा''' -- बाल मूंडने का छुरा ---> सवरक्कत्ति <br> <br>
'''ऊघना''' -- झपकी आने पर आंखे बंद होना और सिर का बारबार झूलना ---> तूंगि वऴिय <br> <br>
'''ऊचा''' -- आधार या तल से ऊपर उठा हुआ; लंबा; पद, मर्यादा आदि की दृष्टि से दूसरों से आगे बढ़ा हुआ ---> उयर्न्द; उयरमान; मुन्नेरिय <br> <br>
'''ऊंचाई''' -- ऊँचे होने की अवस्था या भाव; गौरव, बड़ाई ---> उयरम्; गौरवम, पॆरुमै <br> <br>
'''ऊपर''' -- आकाश की ओर, ऊर्ध्व दिशा में; किसी के आधार या सहारे पर; ओरों से बढ़कर, श्रेष्ठ, उत्तम; अधिक, ज्यादा ---> मेले; मेले, उदविनाल्; सिर॒न्द; अदिग <br> <br>
'''ऊबना''' -- जी भर जाने के बाद किसी वस्तु विशेष में रुचि न रह जाना, मन में विरक्ति उत्पन्न होना ---> शलित्तुप्पोग <br> <br>
'''ऊष्मा''' -- गरम होने की अवस्था, गुण या भाव, गरमी, ताप ---> शुडु <br> <br>
'''ऊसर''' -- ऐसी भूमि जिसमें रेह की मात्रा बहुत अधिक होने के कारण कुछ उत्पन्न न होता हो, अनुपजाऊ, बंजर, परती ---> विळैयाद, तरिशु <br> <br>
'''ऊहापोह''' -- अनिश्चय की दशा में होने वाला तर्क-वितर्क या सोच-विचार, उधेड़-बुन ---> ऊगम् <br> <br>
'''ऋण''' -- उधार, कर्ज; किसी का किया हुआ उपकार, एहसान; घटाने या बाकी निकालने का चिह्न (-) ---> कडन्; ऒरुवर् सॆय्द उदवि; कऴित्तल् अडैयाळम् <br> <br>
'''ऋणदाता''' -- ऋण देने वाला ---> कडन् कॊडुप्पवर् <br> <br>
'''ऋतुराज''' -- ऋतुओं में सबसे अधिक आनन्द दायक बसंत ऋतु ---> इळवेनिर् कालम्, वसंतकाळम् <br> <br>
'''ऋषि''' -- वेद-मंत्रों का प्रकाश करने वाले महापुरुष या मंत्र-द्रष्टा; आध्यात्मिक और भौतिक तत्त्वों का साक्षात्कार करने वाला ---> रिषि, मुनिवर्; आन्मिक, ञानि <br> <br>
'''एकता''' -- मेल; समानता ---> ऒट॒टुमै; ऒप्पम् <br> <br>
'''एकत्र''' -- इकट्ठा, जमा ---> ऒन्रू॒ सेर्न्दु, कूट्टाग <br> <br>
'''एकदम''' -- तुरंत; बिल्कुल ---> उड़ने; मुट॒टि॒ळुम् <br> <br>
'''एकनिष्ठ''' -- एक पर ही श्रद्धा रखने वाला, अनन्य भक्त; मन लगाकर कोई काम करने वाला, एकाग्रचित ---> ऒरुमुनैपपट्ट दियानमुडैय; मुळुम़नदुडन् सॆयलाट॒ट॒ल् <br> <br>
'''एकमत''' -- एक ही तरह की राय रखने वाला; मन की एकता, मतैक्य ---> ऒरु मनदुळ्ळ; अबिप्पिराय ऒट॒टुमै <br> <br>
'''एकमात्र''' -- अकेला, एक ही ---> ऒरे, तनियान <br> <br>
'''एकांत''' -- निर्जन, सूना; एक को छोड़ और किसी ओर ध्यान न देने वाला; निर्जन स्थान ---> तनिमैयान; ऒरे गवनमुळ्ळ; तनिमैयानइडम् <br> <br>
'''एकाकी''' -- अकेला ---> तनियान, ऒण्डियान <br> <br>
'''एकाग्र''' -- तन्मय, दत्तचित्त ---> मनदु कुऴंवाद गवनमान <br> <br>
'''एकाधिकार''' -- एक या अकेले व्यक्ति का अधिकार (मॉनोपोली) ---> तनि उरिमै <br> <br>
'''ऐंठन''' -- मरोड़ ---> तिरुगुदल् <br> <br>
'''ऐंठना''' -- बल पड़ने के कारण मुड़ना या संकुचित होना; अकड़ दिखाना; मरोड़ना; धोखा देकर लेना ---> सुरुंग; विरै॒त्तुप्पोग; तिरुग; एमाट॒टि॒ ऎडुत्तुक्कॊळ्ळ <br> <br>
'''ऐनक''' -- चश्मा ---> मूक्कुक्कण्णाडि <br> <br>
'''ऐश्वर्य''' -- धन-संपत्ति, वैभव; प्रभुत्व, शक्ति ---> सॆल्वम्, वैबवम्; तिर॒मै <br> <br>
'''ओजस्वी''' -- प्रभावशाली, तेजस्वी; शक्तिशाली ---> ऒळिमयमान; तिर॒मैयुळ्ळ <br> <br>
'''ओझल''' -- अदृश्य, छिपा हुआ ---> मरै॒न्द, पार्कमुडियाद <br> <br>
'''ओझा''' -- भूप-प्रेत आदि झाड़ने वाला व्यक्ति, सयाना; ब्राह्मणों की एक जाति ---> मन्दिरवादि; बिरामणर्गळिल् ऒरु पिरिवु <br> <br>
'''ओटना''' -- कपास के बिनौले अलग करना; ---> पंजु कडैय <br> <br>
'''ओढ़ना''' -- किसी कपड़े आदि से बदन ढकना; जिम्मा लेना; तन ढकने के लिए ऊपर से डाला जाने वाला वस्त्र ---> पोर्तिक्कॊळ्ळ; पॊरु॒प्पै ऎडत्तुक्कॊळ्ळ; पोर्वै <br> <br>
'''ओर''' -- दिशा, तरफ; पक्ष ---> दिशै, पक्कम्; पक्कम् <br> <br>
'''ओला''' -- बादलों से गिरने वाले वर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े ---> आलंकट्टि <br> <br>
'''ओस''' -- वातावरण में फैली हुई भाप जो जलकण के रूप में पृथ्वी पर गिरती है (ड्यू ) ---> पनि <br> <br>
'''ओहदा''' -- किसी कर्मचारी या कार्यकर्त्ता का पद ---> पदवि <br> <br>
'''औचित्य''' -- उचित हाने की अवस्था या भाव, उपयुक्तता ---> उगन्द तन्मै, पॊरुत्तम् <br> <br>
'''औजार''' -- हथियार, उपकरण ---> करुवि <br> <br>
'''औटाना''' -- किसी तरल पदार्थ को उबालकर या खौला कर गाढ़ा करना ---> वट॒ट॒क्काय्च्च <br> <br>
'''औधोगिक''' -- उद्योग-संबंधी; वस्तुएं तैयार करने के काम से संबंध रखने वाला ---> तॊऴिल् संबन्दमान <br>
'''औद्योगीकरण''' -- किसी देश में उद्योग-धंधों का विस्तार करने और नए-नए कल-कारखाने स्थापित करने का काम (इन्डस्ट्रियलाइज़ेशन) ---> तॊऴिळ्मयमाक्कुदल् <br> <br>
'''औपचारिक''' -- उपचार संबंधी; दिखावटी अथवा किसी नियम या रीति आदि के पालन-स्वरूप किया जाने वाला आचरण ---> चिकिच्चै संबन्दमान; मुरै॒प्पडियान <br> <br>
'''औपचारिकता''' -- औपचारिक होने की अवस्था गुण या भाव (फार्मोलिज़्म); दुनियादारी ---> मुरै॒मै; उलग वऴक्कु <br> <br>
'''और''' -- दो शब्दों और वाक्यों को जोड़ने वाला शब्द, तथा; दूसरा; अधिक ---> मेलुम्, मट॒टुम्; मटटॊरु, इन्नुम्; अदिगमाग <br> <br>
'''औरत''' -- स्त्री, महिला; पत्नी ---> मगळिर्; मनैवि <br> <br>
'''औषधालय''' -- दवाखाना ---> मरुन्दु कॊडुक्कुमिडम् <br> <br>
'''औषध''' -- दवा; जड़ी-बूटी जो दवा में काम आए ---> मरुन्दु; मूलिगैगल् <br> <br>
'''औसत''' -- माध्य, बीच का (एवरेज); साधारण ---> सरासरि; सादारण <br> <br>
'''कंगाल''' -- अभाव से पीड़ित, अति निर्धन ---> दरिद्दिरन्, मिगएळै <br> <br>
'''कंघा''' -- बाल झाड़ने या संवारने का एक उपकरण ---> सीप्पु <br> <br>
'''कंजूस''' -- धन संग्रह के लालच में कष्ट सहकर हीन अवस्था में रहने वाला व्यक्ति, कृपण ---> कंजन्, उलोबि <br> <br>
'''कंठ''' -- गला; गले से निकला हुआ स्वर ---> कळुत्तु; कुरल् <br> <br>
'''कंधा''' -- मनुष्य के शरीर की बांह का वह ऊपरी भाग या जोड़, जो गले के नीचे धड़ से जुड़ा रहता है ---> तोळ् <br> <br>
'''कंपकंपी''' -- भय, शीत आदि के कारण शरीर में होने वाली थर्राहट, जिसमें एक प्रकार की स्वरता होती है, कंपन ---> नडुक्कम् <br> <br>
'''कंबल''' -- बहुत मोटी ऊनी चादर जो प्राय: ओढने के काम आती है ---> कंबळि <br> <br>
'''कई''' -- एकाधिक लोग; कुछ ---> अनेग; पल <br> <br>
'''कक्ष''' -- किसी इमारत या भवन का कोई भीतरी भाग, कमरा या खंड ---> वीट्टिन उट्पगुदि उळ्, अरै <br> <br>
'''कक्षा''' -- विद्यार्थियों का वर्ग या श्रेणी जिसमें उन्हें एक साथ एक ही प्रकार की शिक्षा दी जाती है, दर्जा; आकाश में ग्रहों के भ्रमण का गोलाकार मार्ग (ऑर्बिट) ---> पळ्ळि वगुप्पु; गिरहंगळिन्, शुट॒टप्पादै <br> <br>
'''कचहरी''' -- न्यायालय, अदालत ---> नियायालयम्, नीदिमन्र॒म् <br> <br>
'''कचोटना''' -- किसी दु:खद बात से बार-बार मन में पीड़ा या वेदना होना, गड़ना ---> वरुत्तप्पड़ <br> <br>
'''कच्चा''' -- (खाद्य पदार्थ) अधपका; (फल, फसल आदि) जो परिपक्व न हुआ हो ---> पळुक्काद; काय्वॆट्टान् <br> <br>
'''कटघरा''' -- काठ का जंगलेदार घेरा जिसमें जानवरों को रखते हैं; कचहरी में वह स्थान जिसमें अभियुक्त खड़े होते है ---> मरक्कूण्डु; साट्चिक्कूण्डु <br> <br>
'''कटार''' -- छोटी, छुरी ---> कटारी <br> <br>
'''कटु''' -- जिसके स्वाद में कड़वापन हो; अप्रिय, बुरा लगने वाला ---> कसप्पान; पिडिक्काद <br> <br>
'''कट्टर''' -- पक्का, दृढ़ निश्चयी, सिद्धांतवादी ---> कॊळ्गैप्पिडिप्पुळ्ळ <br> <br>
'''कठपुतली''' -- काठ (लकड़ी) की बनी हुई पुतली जिसे धागे या तार की सहायता से नचाया जाता है ---> बॊम्मलाट्टत्तिनर् पयन्पडुत्तुम् बोम्मै <br> <br>
'''कठिन''' -- जो सरलता से न हो सके, मुश्किल; कठोर, सख्त ---> कष्टमान; कडिनमान <br> <br>
'''कठोर''' -- कड़ा, सख्त; निर्दयी, निष्ठुर ---> कडिनमान; कॊडूरमान <br> <br>
'''कड़कना''' -- कड़कड़ का शब्द होना ---> उडिक्क <br> <br>
'''कड़वा''' -- स्वाद में कसैला या कटु; कटु प्रकृति का; अप्रिय ---> कसप्पान; कॊडूरमान गुणमुळ्ळ्; पिडिक्काद <br> <br>
'''कड़ा''' -- धातु का बड़ा छल्ला; सख्त, कठोर ---> काप्पु; कडिनमान <br> <br>
'''कढ़ाई''' -- बेलबूटे निकालने का या बनाने का काम ---> तुणियिन्मेल् सॆय्युम् पूवेलै <br> <br>
'''कतरन''' -- कपड़े, कागज, धातु आदि के छोटे-छोटे रद्दी टुकड़े ---> कत्तरित्तु, ऎडुक्कप्पट्ट तुण्डु <br> <br>
'''कतरना''' -- कपड़े, कागज या धातु आदि की चादर को कैंची से काट कर दो या अनेक भागों में करना ---> कत्तरित्तल् <br> <br>
'''कतरनी''' -- कतरने का उपकरण, कैची ---> कत्तरिक्कोल् <br> <br>
'''कतराना''' -- बचना ---> तप्पिक्क <br> <br>
'''कतार''' -- पंक्ति ---> वरिशै <br> <br>
'''कत्था''' -- खैर की लकड़ी का सत जो पान में लगा कर खाया जाता है ---> कत्तैक्काँबु <br> <br>
'''कथनी''' -- कही हुई बात, उक्ति ---> पेच्चु, वचनम् <br> <br>
'''कथा''' -- किस्सा, कहानी, उपन्यास आदि; पौराणिक आख्यान जो धर्मोपदेश के रूप में लोगों को सुनाया जाए ---> कदै, शिरु॒कदै; कथा कालट्रचेपम् <br> <br>
'''कथानक''' -- किसी रचना (महाकाव्य, उपन्यास, नाटक आदि) की कथा-वस्तु ---> कदैयिन् करु <br> <br>
'''कद''' -- (व्यक्ति की) ऊंचाई ---> उयरम्, आकिरूति <br> <br>
'''कनक''' -- सोना, स्वर्ण; धतूरा ---> तंगम्; ऊमत्तै <br> <br>
'''कन्यादान''' -- विवाह में वर को कन्या का दान करने की रस्म ---> तिरुमणम्, कन्निकादानं <br> <br>
'''कपट''' -- छलपूर्ण मिथ्या आचरण, दुराव; धोखा; छलपूर्ण ---> वंजनै; सूदु; कपटमान <br> <br>
'''कपड़ा''' -- कपास, ऊन आदि के धागों से बनी हुई वस्तु जो ओढ़ने, बिछाने, पहनने आदि के काम आती है; पहनावा, पोशाक ---> तुणि; उडुप्पु <br> <br>
'''कपाट''' -- किवाड़, दरवाजे के पल्ले; दरवाजा, द्वार ---> कदवु; निलैवायिल <br> <br>
'''कपास''' -- एक प्रसिद्ध पौधा जिसके ढोंढ (फल) में से रुई निकलती है (कॉटन); इस पौधे के फलों के तंतु जिससे सूत काता जाता है ---> परुत्ति; पंजु <br> <br>
'''कपूत''' -- बुरे आचरण वाला पुत्र, नालायक बेटा; ---> कॆट्ट नडत्तैयुळ्ळ मगन् <br> <br>
'''कपूर''' -- सफेद रंग का एक सुगंधित धन पदार्थ जो हवा में रखने से भाप बन कर उड़ जाता है (कैंफर) ---> कर्पूरम्, सूडम् <br> <br>
'''कपोल''' -- गाल (चीक) ---> कन्नम् <br> <br>
'''कफन''' -- सिला अथवा बिना सिला कपड़ा जिसमें शव को लपेट कर दफनाया या जलाया जाता है ---> पिणत्तै मूडुम् तुणि <br> <br>
'''कब''' -- किस समय? किस वक्त? ---> ऎप्पॊळुदु <br> <br>
'''कबाड़ी''' -- टूटी-फूटी या पुरानी चीजें खरीदने या बेचने वाला ---> कायलांकडैक्कारन् <br> <br>
'''कबूलना''' -- मान लेना, स्वीकार करना ---> ऒप्पुक्कॊळ्ळ <br> <br>
'''कब्जा''' -- किसी वस्तु पर होने वाला अधिकार जिसके अनुसार उस वस्तु का उपयोग किया जाता है ---> कैप्पट॒ट॒ल् <br> <br>
'''कब्रिस्तान''' -- शव दफनाने के लिए नियत स्थान ---> इडुकाडु, मयानंम् <br> <br>
'''कभी''' -- किसी समय, किसी अवसर पर ---> ऍप्पॊळुदावदुं <br> <br>
'''कमंडल''' -- संन्यासियों का जलपात्र जो धातु, मिट्टी, तुपड़ी अथवा नारियल आदि का बना होता हैं ---> कमंडलु, सन्नियाशिगळिन् तण्णीर् पात्तिरम् <br> <br>
'''कम''' -- परिमाण, मात्रा, संख्या आदि के विचार से घट कर या थोड़ा ---> कॊंजम, कुरै॒वान <br> <br>
'''कमज़ोर''' -- दुर्बल, अशक्त, असमर्थ ---> बलवीनमान <br> <br>
'''कमर''' -- शरीर का मध्य भाग, कटि ---> इडुप्पु <br> <br>
'''कमरबंद''' -- कमर में बांधने का एक दुप्पटा ---> इडुप्पिल् कट्टुम् तुणि <br> <br>
'''कमरा''' -- कक्ष, कोठरी ---> उळ्, अरै॒ <br> <br>
'''कमल''' -- जलाशयों में हाने वाला एक पौधा जिसमें चौड़ी पंखुड़ियों वाले हल्के लाल, नीले, पीले या सफेद रंग के फूल होते है (लोटस) ---> तामरै <br> <br>
'''कमान''' -- धनुष ---> विल् <br> <br>
'''कमाना''' -- कोई व्यवसाय करके अर्थिक लाभ पाना, उपार्जन करना ---> संबादिक्क <br> <br>
'''कमी''' -- कम होने की स्थिति अथवा भाव; त्रुटि; अभाव ---> कुरै॒वु; तवरु॒; इल्लामै <br> <br>
'''कर''' -- हाथ; सरकार द्वारा जनता से उगाहा हुआ धन (टैक्स) ---> कै; वरि <br> <br>
'''करघा''' -- कपड़ा बुनने का एक यंत्र, खड्डी ---> कैत्तरि <br> <br>
'''करना''' -- किसी कार्य का संपादन ---> शॆय्य <br> <br>
'''करनी''' -- कार्य, कर्म; राजगीरों का एक प्रसिद्ध उपकरण, जिससे गारा या मसाला उठाकर दीवारों आदि पर थोपा, पोता या लगाया जाता है; अनुचित या हीन आचरण (बोलचाल में) ---> सॆयल्, कारियम्; करणै; कॆट्ट नडत्तै <br> <br>
'''करवट''' -- बैठने, लेटने आदि में शरीर का वह पार्श्व या बल जिस पर शरीर का सारा भार पड़ता है ---> (उडलिन्) पक्कम् <br> <br>
'''करारा''' -- कुरकुरा; तेज, उत्कट, उग्र (कार्य, उत्तर) ---> मुरु॒गलान, करार्; उरु॒दियान <br> <br>
'''कराहना''' -- पीड़ा या वेदना के समय व्यथा-सूचक शब्द का मुँह से निकलना ---> मुनग <br> <br>
'''करुण''' -- दयालु; दु:खद; साहित्य में एक रस ---> इरक्कमुळ्ळ; परिदाबमान; इलक्कियत्तिल् ऒरु मननिलै <br> <br>
'''करोड़पति''' -- वह जिसके पास करोड़ों रुपये अथवा करोड़ों की संपत्ति हो ---> कोटीश्वरन् <br> <br>
'''कर्ज़''' -- उधार लिया हुआ धन, ऋण ---> कडन् <br> <br>
'''कर्त्तव्य''' -- ऐसा काम जिसे पूरा करना आवश्यक हो, धर्म; ऐसा कार्य जिसे संपादित करने के लिए लोग विधान या शासन द्वारा बंधे हों ---> कडमै; शट्टप्पडि शॆय्य वेण्डिय वेलै <br> <br>
'''कर्त्ता''' -- करने या बनाने वाला, रचयिता, निर्माता; हिंदी व्याकरण में पहला कारक; धर या परिवार का स्वामी (धर्मशास्त्र और विधि के क्षेत्र में) ---> कर्त्तर्, कडवुळ्; ऎऴुवाय्; वीट्टु यजमान् <br> <br>
'''कर्त्ता-धर्त्ता''' -- वह व्यक्ति जिसको किसी कार्य या विषय के सभी अधिकार प्राप्त हों ---> एट॒टुनडत्तुबवर् <br> <br>
'''कर्म''' -- वह जो किया जाए, काम कार्य; पूर्व जन्म में किए गए कार्य; शास्त्रीय विधान से युक्त धार्मिक कार्य; व्याकरण में वाक्य का वह पद जिसपर कर्त्ता की क्रिया का प्रभाव पड़ता है, हिंदी व्याकरण में दूसरा कारक ---> वेलै, सॆयल्; मुन्विनै; मदच्चडङ्गु; सॆयप्पुडु पॊरुळ् <br> <br>
'''कर्मठ''' -- काम में कुशल; मेहनती ---> वेलैयिल् तिर॒मैयुळ्ळ; उऴैप्पाळि <br> <br>
'''कलंक''' -- दाग, धब्बा; लांछन, निन्दा ---> माशु, अळुक्कु; कुरै॒ <br> <br>
'''कल''' -- आज के दिन से ठीक पहले का बीता हुआ दिन; आज के दिन के ठीक बाद में आने वाला दिन; चैन, आराम; मशीन, यंत्र, पुर्ज़ा ---> नेट॒टु; नाळै; निम्मदि; इयंदिरम् <br> <br>
'''कलई''' -- सफेद रंग का प्रसिद्ध खनिज पदार्थ, रांगा; चूने की पुताई, सफेदी; मिथ्या आचरण या दिखावटी रूप ---> ईयम्; कलाइ, पृशुदल्; पॊय्यान तोट॒ट॒म् <br> <br>
'''कलफ''' -- चावल, अरारोट आदि को पका कर बनाई हुई पतली लेई जिसे धुले कपड़ों पर लगाकर उनकी तह कड़ी की जाती है, मांड ---> तुणिग्ळुक्कु पोडुम् कंजी <br> <br>
'''कलम''' -- लेखनी; चित्र बनाने की कूची; पेड़-पौधों की वे टहनियां जो काट कर दूसरी जगह गाड़ी या लगाई जाती हैं कि उन से उसी प्रकार के नए पेड़-पौधे उगें ---> पेना; तूरिकै; ऒट्टुच्चॆडि <br> <br>
'''कलरव''' -- पक्षियों के चहकने का कोमल और मधुर शब्द; मधुर तथा रसीली ध्वनि ---> परवैगळिन् ऒलि; इनिय ऒलि <br> <br>
'''कलश''' -- धड़ा, कलसा; मंदिरों आदि के शिखर पर लगा हुआ घड़े के आकार का कंगूरा ---> पानै; गोपुरंगळिन् कलशम् <br> <br>
'''कलह''' -- घरेलू झगड़ा, विवाद; युद्ध ---> कलहम; चण्डै <br> <br>
'''कला''' -- हुनर (आर्ट); चन्द्र या सूर्य का अंश ---> कलै; सूरिय, चन्दिर विम्बत्तिन् पगुदि <br> <br>
'''कलाकार''' -- कला की साधना करने वाला (आर्टिस्ट) ---> कलैञर् <br> <br>
'''कलाबाजी''' -- सिर नीचा करके उलट जाने की क्रिया या खेल; कलापूर्ण ढंग से दिखाए जाने वाले अद्भुत शारीरिक खेल ---> कुट्टिक्करणम् पोडुदल्; कलैत्तिरन् <br> <br>
'''कलियुग''' -- पुराणानुसार चार युगों में से चौथा युग जो आजकल चल रहा है ---> कलियुगम् <br> <br>
'''कली''' -- फूल का वह आरंभिक रूप जिसमें पंखुड़ियां खिली या खुली न हो ---> मॊट्टु <br> <br>
'''कलुष''' -- पातक, पाप ---> पावम् <br> <br>
'''कलेजा''' -- यकृत, जिगर, दिल; जीवट, साहस ---> मार्बु; दैरियम् <br> <br>
'''कल्पना''' -- वह क्रियात्मक मानसिक शक्ति जो अन्त:करण में अवास्तविक वस्तुओं के स्वरूप को उपस्थित करके काव्य, चित्र आदि के रूप में अभिव्यक्त होती है ---> कर्पनै <br> <br>
'''कल्प-वृक्ष''' -- पुराणानुसार देवलोक का एक वृक्ष जो सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला होता है ---> कर्पग मरम् <br> <br>
'''कल्याण''' -- हित, भलाई, समृद्धि; मंगल, शुभ ---> नलन्; शुभ कारियम् <br> <br>
'''कवि''' -- वह जो कविता या काव्य की रचना करता हो; ---> कविञन् <br>
'''कविता''' -- लय प्रधान तथा शब्द-बद्ध साहित्यिक रचना जो प्राय: छंदों में होती है, काव्य ---> कवितै <br> <br>
'''कष्ट''' -- पीड़ा; मुसीबत, आपत्ति; मेहनत, श्रम ---> कष्टम्; तुन्बम्; उऴैप्पु <br> <br>
'''कसना''' -- बन्धन कड़ा करना; सोने की जाँच के लिए उसकी परीक्षा करना ---> कट्टै इरु॒क्क; उरैत्तुप्पार्क्क <br> <br>
'''कसबा (कस्बा)''' -- छोटा शहर ---> कस्बा (शिरु॒ नगरम) <br> <br>
'''कसम''' -- धर्म ईश्वर आदि को साक्षी मान कर कही जाने वाली बात, शपथ ---> शबदम्, आणै <br> <br>
'''कसर''' -- कमी, न्यूनता; दोष, विकार ---> कुरै॒; कुटटम् <br> <br>
'''कसरत''' -- स्वास्थ्य की रक्षा तथा सुधार के लिए की जाने वाली आंगिक अथवा शरीरिक क्रियाएँ, व्यायाम; परिश्रम, आयास ---> देहप्पयिर्चि; उऴैप्पु <br> <br>
'''कसाई''' -- पशुओं आदि की हत्या करके उनके मांस को बेचने का व्यवसाय करने वाला, बूचड़ ---> कशाप्पुक्कारन् <br> <br>
'''कसूर (कुसूर)''' -- दोष, अपराध; त्रुटि, भूल ---> कुट॒ट॒म्; पिऴै <br> <br>
'''कसैला''' -- जिसके स्वाद से जीभ में हल्की ऐंठन या कुछ तनाव हो। आंवले, फिटकरी, सुपारी आदि के स्वाद-का सा, कषाय ---> तुवर्प्पान <br> <br>
'''कसौटी''' -- एक प्रकार का काला पत्थर जिस पर रगड़ कर सोने की परख की जाती है; महत्व या मूल्य आंकने का कोई मानक आधार ---> उरैकल; विलै, मदिप्पिडम् सादनम् <br> <br>
'''कस्तूरी''' -- एक प्रसिद्ध सुगंधित पदार्थ जो एक विशेष मृग की नाभि के पास थैली में पाया जाता है, (मस्क) ---> कस्तूरि <br> <br>
'''कहकहा''' -- जोर की हंसी, ठहाका ---> अट्टहासम् <br> <br>
'''कहना''' -- शब्द द्वारा भाव व्यक्त करना; सूचना देना अथवा घोषणा करना; समझाना-बुझाना; कथन, बात; आदेश; ++; सॊलल, कूर॒; अरि॒विक्क; सोल्ल; शॊल, कुट॒टु
'''कहाँ''' -- किस स्थान पर? किस स्थिति में? किस अवसर पर? ---> ऍङ्गे <br> <br>
'''कहानी''' -- कथा, किस्सा; मनगढंत बात ---> कदै; कट्टुक्कदै <br> <br>
'''कहावत''' -- ऐसा बंधा हुआ लोक-प्रचलित कथन या वाक्य जिसमें कोई तथ्य या अनुभव की बात संक्षेप में चामत्कारिक ढंग से कही गई हो (प्रोवर्ब) ---> पऴमॊऴि <br> <br>
'''काँखना''' -- मल-त्याग के समय आँतों या पेट को इस प्रकार कुछ जोर से दबाना कि मुँह से 'आह' या 'ऊँह' शब्द निकले; कठिन या विशेष परिश्रम का काम करते समय उक्त प्रकार की चेष्टा या शब्द करना ---> मुक्कि मुनग <br>
'''कांच''' -- शीशा ---> कण्णाडि <br> <br>
'''कांटा''' -- विशिष्ट प्रकार के पेड़-पौधों की डालियों आदि पर निकले हुए सुई की तरह नुकीले और कड़े अंकुर, कंटक; तराजू; धातु का एक उपकरण जिससे खाने की चीज़ें उठाकर खाई जाती हैं ---> मुळ्; तराशु; मुल्-करंडि (फोर्कु) <br> <br>
'''कांति''' -- चमक, आभा; शोभा, सौन्दर्य ---> ऒळि; ऎऴिल् <br> <br>
'''कांपना''' -- क्रोध, भय, शीत आदि के कारण शरीर का रह-रह कर हिलना, थरथराना ---> नडुंग <br> <br>
'''कागज''' -- सन, बाँस चीथड़े आदि की लुगदी से बनाया गया पत्र जो लिखने-छापने आदि के काम आता है (पेपर); ऐसा आवश्यक पत्र, प्रलेख आदि जिसका विधिक महत्व हो ---> कागिदम्; दस्तावेजु <br> <br>
'''काजल''' -- तेल, घी आदि के जलने से होने वाले धुँए की कालिख जो सुरमे की तरह लाभ या सुन्दरता के लिए आँख में लगाई जाती है; अंजन ---> कण्मै <br> <br>
'''काट-छांट''' -- किसी वस्तु का फालतू अंश काट कर अलग कर देने अथवा निकाल देने की क्रिया या भाव; कमी-बेशी, घटाव, बढ़ाव ---> कुरै॒त्तल्; नीक्कुदलुम् शेर्त्तलुम् <br> <br>
'''काटना''' -- औज़ार या शस्त्र आदि की धार से किसी वस्तु के दो या अधिक टुकड़े करना; डंक मारना या दांत गड़ा कर घाव कर देना; कलम की लकीर से किसी लिखावट को रद्द करना; खंडन करना, अमान्य ठहराना ---> वॆट्ट, तुण्डाक्क; कडिक्क; ऎऴुदियदै अडिक्क; मरु॒क्क <br> <br>
'''काठ''' -- लकड़ी, काष्ठ; जलाने की लकड़ी, ईंधन ---> कट्टै, मरम्; विर॒गु <br> <br>
'''काढ़ना''' -- किसी वस्तु के भीतर से कोई चीज बाहर निकालना, निकालना; पत्थर, लकड़ी या कपड़े आदि पर बेल-बूटे बनाना ---> उणर्च्चियटट; वॆळिये ऎडुक्क <br> <br>
'''कातना''' -- रूई, ऊन, रेशम आदि बट कर धागा बनाना ---> नूल् नूर्क्क <br> <br>
'''काना''' -- जिसकी एक आंख खराब या विकृत हो गई हो या फूट गई हो; वे फल आदि जिनका कुछ भाग कीड़ों आदि ने खा लिया हो ---> ओरुकण् कुरुडान; पूच्चि कडित्त <br> <br>
'''कानून''' -- राज्य नियम, विधि; किसी वर्ग या समाज में प्रचलित सर्वमान्य नियम या रूढ़ियाँ ---> चट्टम्; समूह कट्टुप्पाडु <br> <br>
'''काफी''' -- पर्याप्त, यथेष्ट; एक प्रकार का पेय, कहवा ---> पोदुमान; काप्पि <br> <br>
'''काम''' -- अपने-अपने विषयों के भोग की ओर होने वाली इंद्रियों की स्वाभाविक प्रवृति; इच्छा, अभिलाषा, कामना; कार्य, कृत्य; धंधा, व्यापार, नौकरी; वास्ता, मतलब; ++; कामम्; विरुप्पम्; वेलै; तॊऴिल, उद्दियोगम्
'''कामधेनु''' -- पुराणों में वर्णित एक प्रसिद्ध गौ जो सब प्रकार की कामनाएँ पूरी करने वाली मानी गई है, सुरभी (सुरभि) ---> कामदेनु <br> <br>
'''कामना''' -- अभीष्ट, हार्दिक इच्छा ---> आवल् <br> <br>
'''कामयाब''' -- जिसे सफलता प्राप्त हुई हो, सफल ---> वेट॒टि॒ पॆट॒ट॒ <br> <br>
'''कायम''' -- स्थिर, पक्का, दृढ़ ---> निलैयान <br> <br>
'''कायर''' -- उत्साह, बल या साहस से रहित, भीरू, डरपोक ---> कोळैयान, बयन्द <br> <br>
'''कायाकल्प''' -- जिस क्रिया या व्यवस्था से काया की पूरी तरह शुद्धि हो जाए और वह अपना काम ठीक तरह से करने लगे; औषध के प्रभाव से वृद्ध शरीर को पुन: तरुण और सबल करने की क्रिया या चिकित्सा ---> मुऴु माट॒ट॒म्; मुदियवरै इळमै पॆर शॆय्यप्पडुम् शिगिच्चै <br> <br>
'''कारखाना''' -- वह स्थान जहाँ यंत्रों आदि की सहायता से किसी वस्तु का वांछित परिमाण में उत्पादन किया जाता है ---> तॊळिर्चालै <br> <br>
'''कारण''' -- प्रेरक घटना या परिस्थिति; हेतु, उद्देश्य, प्रयोजन, वजह ---> कारणम्; नोक्कम् <br> <br>
'''कारतूस''' -- बंदूक, रिवाल्वर आदि में रखकर चलाई जाने वाली धातु, दफ्ती आदि की बनी हुई खोली, जिसमें धातु की गोली और बारूद भरा होता है ---> तोट्टा <br> <br>
'''कारस्तानी (करिस्तानी)''' -- किसी को हानि पहुँचाने के उद्देश्य से गुप्त रूप से की हुई कोई युक्ति, चालबाजी; अनुचित काम, करतूत ---> सूदु; कॆट्ट नडवडिक्कै <br> <br>
'''कारावास''' -- बंदीगृह में रहने का दंड ---> सिरै॒ वासम् <br> <br>
'''कारीगर''' -- छोटे-मोटे उपकरणों की सहायता से वस्तुओं की रचना या मरम्मत करने वाला (आर्टीजन) ---> सिर॒पि तॊऴिल्-तिरमैवाय्न्दवन् <br> <br>
'''कार्य''' -- वह जो किया जाए या किया गया हो, काम; व्यवसाय, धंधा, नौकरी ---> वेलै; उद्दियोगम, तॊऴिळ <br> <br>
'''कार्यकर्त्ता''' -- काम करने वाला व्यक्ति; कर्मचारी ---> अलुवलर्; अलुवलर् <br> <br>
'''कार्यकारिणी''' -- किसी संस्था आदि का कार्य चलाने वाली समिति ---> सॆयर् कुऴु <br> <br>
'''कार्यक्रम''' -- किसी उद्देश्य से किए जाने वाले कार्यें की पहले से तैयार की गई क्रम-सूची; उक्त सूचि के अनुसार होने वाला कार्य ---> निगऴचि निरल्; निगळ्चि निरल् <br> <br>
'''कार्यपालिका''' -- शासन का वह विभाग जो संसद द्वारा पारित विधियों को कार्य रूप में परिणत करता तथा उनका निष्पादन करता हो (एक्जेक्टिव) ---> आट्चियिन् सेयर् कुऴु <br> <br>
'''कार्यवाही (कार्रवाई)''' -- किसी कार्य के संपादन के समय होने वाली या की जाने वाली आवश्यक क्रियाएँ; ---> नडवडिक्कै <br> <br>
'''कार्यालय''' -- वह स्थान या भवन जहाँ कार्य विशेष के निर्वाह के लिए कुछ लोग नियमित रूप से काम करते हैं, दफ्तर ---> अलुवलगम् <br> <br>
'''काल''' -- समय; मौत, मृत्यु; क्रियाओं से सूचित वह तत्व जिससे किसी घटना या बात के घटित होने के समय ज्ञान होता है ---> नेरम्; सावु; कालम् <br> <br>
'''काला''' -- जो काले रंग का हो, कृष्ण, श्याम; जिसमें प्रकाश न हो, अंधकार पूर्ण; अनुचित, कलंकित, लांछित ---> करुमै निर॒मान; इरुट्टान <br>
'''काला बाजार''' -- कानून-विरोधी व्यापार (ब्लैक मार्किट) ---> करुप्पु मार्केट <br> <br>
'''कालीन''' -- ऊन, सूत आदि का बना हुआ एक प्रकार का मोटा बिछावन जिस पर रंग-बिरंगे बेल-बूटे आदि होते हैं, गलीचा; काल विशेष से संबधित या उसमें होने वाला ---> विरिप्पु (जमक्काळ्म, कंवळि); कालत्तिय <br> <br>
'''काल्पनिक''' -- मनगढ़ंत; कल्पित, कल्पनाप्रसूत ---> कर्पनै सॆय्यप्पट्ट; कर्पनसॆय्यप्पट्ट <br> <br>
'''काव्य''' -- पद्यात्मक साहित्यिक रचना, कविता आदि ---> काप्पियम् <br> <br>
'''काश्तकार''' -- किसान, खेतिहर; वह व्यक्ति जिसने जमींदार को लगान देकर उसकी जमीन पर खेती करने का स्वत्व प्राप्त किया हो ---> कुडियानवन्; विवसायि <br> <br>
'''काष्ट''' -- लकड़ी, काठ ---> कट्टै <br> <br>
'''किताब''' -- पुस्तक, ग्रंथ ---> पुत्तगम् <br> <br>
'''किनारा''' -- किसी वस्तु का अंतिम छोर, सिंरा; नदी या समुद्र का छोर, तट ---> ओरम्; करै <br> <br>
'''किफायत''' -- किसी चीज के उपयोग में या व्यय में की जाने वाली कमी, बचत ---> सिक्कनम् <br> <br>
'''किरकिरा''' -- वह वस्तु जिसमें महीन और कड़े कंकड, बालू आदि के कण मिले हों ---> कल् मणल् कलन्द पोरुळ् <br> <br>
'''किराना''' -- पंसारी या बनिए की दुकान में मिलने वाला समान-दाल, मसालें आदि ---> मळिगै सामान् <br> <br>
'''किराया''' -- भाड़ा; किसी की अचल संपत्ति का उपयोग करने के बदले में उसे दिया जाने वाला धन ---> बाडगै; कुडिक्कूलि <br> <br>
'''किरायेदार''' -- किसी की अचल संपत्ति किराये पर लेने वाला व्यक्ति ---> वाडगैक्कु इरुप्पवन् <br> <br>
'''किलकारी''' -- बच्चे की हर्ष ध्वनि ---> कुळन्दैगळिन् मगिऴचिक्कुरल् <br> <br>
'''किला''' -- दुर्ग, गढ़ ---> कोट्टै <br> <br>
'''किवाड़''' -- दरवाजे का पल्ला, कपाट ---> कदवु <br> <br>
'''किशोर''' -- बाल्यावस्था और युवावस्था के बीच का अर्थात् ग्यारह से पंद्रह वर्ष तक की अवस्था का बालक ---> 11 वयदुक्कुमेल 15 व्यदुक्कुट्पट्ट पैयन् <br> <br>
'''किसान''' -- खेती करने वाला, कृषक ---> कुडियानवन् <br> <br>
'''किस्त''' -- किसी ऋण या देनदारी का वह भाग जो किसी निश्चित समय पर दिया जाय (इनस्टालमैंट) ---> तवणैप्पणम् <br> <br>
'''किस्म''' -- प्रकार, गुण, धर्म ---> मादिरि, विदम् <br> <br>
'''किस्सा''' -- विवरणात्मक रूप में लिखी या कही गई घटना, कहानी, वृत्तांत ---> कदै वरलारु॒ <br> <br>
'''कीचड़''' -- पानी मिली धूल या मिट्टी, पंक, कर्दम ---> सगद, सेरु॒ <br> <br>
'''कीट''' -- रेंगने या उड़ने वाला छोटा जीव, कीड़ा ---> पूच्चि <br> <br>
'''कीटाणु''' -- बहुत छोटे कीड़े; ऐसे बहुत छोटे कीड़े जो कई प्रकार के रोगों के मूल कारण माने जाते हैं ---> पूच्चि-पॊट्टु; उयिरणु (सेल) <br> <br>
'''कीडा''' -- उड़ने या रेंगने वाला छोटा जंतु, कीट ---> पुळु, पूच्चि <br> <br>
'''कीमत''' -- दाम, मूल्य; महत्व ---> विलै; मदिप्पु <br> <br>
'''कीमती''' -- अधिक कीमत या मूल्य का, मूल्यवान; महत्त्वपूर्ण ---> विलैयुयर्न्द; मदिप्पुळ्ळ <br> <br>
'''कीर्ति''' -- यश, ख्याति ---> कीर्ति, पुगळ्, पॆरुमै <br> <br>
'''कुंज''' -- झाड़ियों, लताओं आदि से घिरा हुआ, प्राय: गोलाकार स्थान ---> शोलै, कॊडिप्पन्दल् <br> <br>
'''कुंजी''' -- वह उपकरण जिससे ताला खोला और बंद किया जाता है, चाबी, ताली; ऐसी सहायक पुस्तक जिसमें किसी दूसरी कठिन पुस्तक के अर्थ स्पष्ट किए गए हों; ऐसा सरल साधन जिससे कोई उद्देश्य सहज में सिद्ध हो ---> सावि; विळक्क उरै; ऎळिदिल् पुरिन्दु कॊळ्ळ उदवुम् सादनम् <br> <br>
'''कुंभ''' -- धातु, मिट्टी आदि का बना पानी रखने का एक पात्र, घड़ा, कलश; ज्योतिष में ग्यारहवीं राशि; प्रति बारहवें वर्ष मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध पर्व जो सूर्य और बृहस्पति की कुछ विशेष राशियों में प्रविष्ट होने के समय आता है ---> पानै; कुंभ राशि; कुंब मेलां ऎन्नुम तिरुविऴा <br> <br>
'''कुकर्म''' -- बुरा काम, निंदनीय कर्म ---> कॆट्ट वेलै <br> <br>
'''कुचक्र''' -- किसी को हानि पहुंचाने के लिए बनाई गई छलपूर्ण योजना ---> सूऴच्चि <br> <br>
'''कुचलना''' -- किसी पदार्थ को इस प्रकार पीसना कि वह बिलकुल महीन हो जाए; आघात, प्रहार आदि से दबा कर घायल या बेकार कर देना; रौंदना ---> नशुक्क; नॆरुक्क; कालाल् मिदिक्क <br> <br>
'''कुछ''' -- थोड़ी संख्या या मात्रा का, अल्प, कम जरा-सा, थोड़ा-सा; अज्ञात, अनिर्दिष्ट या अनिश्चित परिणाम, मात्रा या रूप में; कोई अज्ञात अनिर्दिष्ट या अनिश्चित वस्तु या बात; कोई हानिकारक चीज या बात ---> कॊजंम्, सिल; कॊजंम्, सिल; एदोसिल (पोरुळ्गळ्); ऎदुवो <br> <br>
'''कुटिया''' -- घास-फूस का बना छोटा मकान या घर, झोंपड़ी, कुटी; साधु-संतों आदि के रहने की झोंपड़ी ---> कुडिशै; मुडिल् <br> <br>
'''कुटिल''' -- टेढ़ा; मन में छल, कपट, द्वेष आदि रखने और छिपकर बदला लेने वाला, कपटी, दुष्ट ---> कोणलान; वंजगमान <br> <br>
'''कुटीर-उद्योग''' -- ऐसे छोटे-मोटे काम जिन्हें लोग घर में ही करके जीविका निर्वाह के लिए धन कमा सकते हैं, घरेलू-उद्योग ---> कुडिसै-तॊऴिल् <br> <br>
'''कुटुंब''' -- परिवार ---> कुडुंबम् <br> <br>
'''कुढ़ना''' -- मन ही मन दुखी और विकल होना ---> वॆरु॒प्पु कॊळ्ळ् <br> <br>
'''कुतरना''' -- दांत से छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में काटना ---> कडित्तुक्कुदर <br> <br>
'''कुतूहल''' -- किसी नई और अनोखी चीज को जानने के लिए मन में होने वाली प्रबल इच्छा, जिज्ञासा; आश्चर्य ---> पुदुविषयंगळै तोरिन्दुकोळ्ळुम् आवल्; आच्चरियम् <br> <br>
'''कुप्पी''' -- तेल, चिकनाई आदि रखने या डालने के लिए छोटा पात्र ---> शीशा, कुप्पी, पुट्टि ऎण्णैक्कुप्पि <br> <br>
'''कुबड़ा''' -- ऐसा व्यक्ति जिसकी पीठ टेढ़ी हो गई हो या झुकी हुई हो (हंच बैक) ---> कूनन् <br> <br>
'''कुमकुम''' -- केसर; रोली ---> कुंकुमम्; कुकुमम् <br> <br>
'''कुमुदिनी''' -- एक प्रकार का पौधा जिसमें कमल की तरह के सफेद पर छोटे-छोटे फूल लगते हैं तथा जो रात में खिलते हैं, कुई ---> अल्लिप्पू <br> <br>
'''कुम्हलाना''' -- मुरझाना; चेहरे का रंग फीका पड़ना ---> वडिप्पोग; मुगंवाड <br> <br>
'''कुल''' -- खानदान, घराना, वंश; पूरा सारा ---> वंशम्, कुलम्; पूरा, मुऴु <br> <br>
'''कुल देवता''' -- वह देवता जिसकी पूजा किसी कुल में परम्परा से होती आई हो ---> -;
'''कुलीन''' -- उच्च कुल में उत्पन्न, ख़ानदानी ---> उयर् कूलत्तु <br> <br>
'''कुल्हड़''' -- मिट्टि का बना हुआ छोटा पात्र ---> मण् किण्णम् <br> <br>
'''कुशल''' -- चतुर, होशियार; जिसने कोई काम अच्छी तरह करने की शिक्षा पाई हो, प्रशिक्षित (स्किल्ड); खैरियत, राजी-खुशी ---> कैतेर्न्द; कैर्तेर्न्द, निपुणन्; क्षेमम्, सौक्कियम् <br> <br>
'''कुश्ती''' -- एक प्रसिद्ध भारतीय खेल जिसमें दो व्यक्ति अपने शारीरिक बल तथा दांव-पेच से एक दूसरे को चित करने का पयत्न करते हैं (रैस्लिंग) ---> गुस्ति <br> <br>
'''कुष्ठ''' -- एक संक्रामक रोग जिसमें शरीर की त्वचा, नसें आदि सड़ने-गलने लगती है; कोढ़ ---> तॊऴुनोय् <br> <br>
'''कुसुम''' -- पुष्प, फूल ---> पू <br> <br>
'''कूंची (कूची)''' -- चित्रकार की वह कलम जिससे वह चित्रों में रंग आदि भरता है, तूलिका; मूंज आदि का बनाया हुआ एक प्रकार का ब्रुश जिससे दीवारों पर पुताई की जाती है ---> वर्णम् तीट्टुम् तूरिकै; विरष्, वॆळ्ळै आडिक्कुम् मट्टै <br> <br>
'''कूंआ (कुआं, कुवां)''' -- पानी निकालने के लिए जमीन में खोदा हुआ गहरा तथा गोल गड्ढा, कूप ---> किणरु॒ <br> <br>
'''कूटना''' -- किसी चीज को महीन करने के लिए उस पर भारी वस्तु से बार-बार मार करना; ठोंकना, पीटना; भूसी अलग करने के लिए धान को ऊखल (ओखली) में रख कर मूसल आदि से उस पर बार-बार आघात करना ---> पॊडियाक्क; तट्ट, आडिक्क; इडिक्क <br> <br>
'''कूटनीति''' -- व्यक्तियों या राष्ट्रों के पारस्परिक व्यवहार में दांव-पेच की नीति, छिपी हुई चाल ---> अरसियल् तंदिरम् <br> <br>
'''कूदना''' -- किसी ऊँचे स्थान से नीचे स्थान की ओर बिना किसी सहारे के छलांग लगाना; किसी काम या बात के बीच झट आ पहुंचना या दखल देना ---> कुदिक्क; दिडीरेन वंदु शेर्न्दुकोळ्ळ <br> <br>
'''कृतघ्न''' -- उपकार को न मानने वाला ---> नन्रि मर॒न्द <br> <br>
'''कृतज्ञ''' -- उपकार को मानने वाला ---> नन्रि॒ मर॒वाद <br> <br>
'''कृतार्थ''' -- जिसका उद्देश्य सिद्ध हो गया हो; जो अपने उद्देश्य के सिद्ध हो जाने के कारण संतुष्ट हो ---> नोक्कत्तिल वेट॒टि॒ पेट॒ट॒; तिरुप्ति अडैन्द <br> <br>
'''कृत्रिम''' -- जो प्राकृतिक न हो, मानव निर्मित; बनावटी, दिखावटी ---> शॆयकैयान; पगट्टान <br> <br>
'''कृपा''' -- अनुग्रह, दया ---> दयवु <br> <br>
'''कृषि''' -- खेतों को जोतने-बोने और उनमें अन्न आदि उपजाने का काम, खेती-बारी; फसल ---> वेळाण्मै; पयिर्, विळैच्चल् <br> <br>
'''केंद्र''' -- किसी गोले या वृत के बीच का वह बिंदु जिससे उस गोले या वृत की परिधि का प्रत्येक बिंदु बराबर दूरी पर पड़ता है (सेंटर); मध्य भाग; वह मूल या मुख्य स्थान जहाँ से चारों ओर दूर-दूर तक फैले हुए कार्यों की व्यवस्था तथा संचालन होता है ---> मैयम्; नडुप्पगुदि; तलैमै निलैयम् <br> <br>
'''केवल''' -- जिसका या जितने का उल्लेख किया जाए वही या उतना ही; मात्र, सिर्फ ---> मट्टुम्; मात्तिरम <br> <br>
'''केश''' -- सिर के बाल ---> तलै मयिर् <br> <br>
'''कै''' -- उलटी, वमन ---> वान्दि <br> <br>
'''कैद''' -- अपराधियों को दंड देने के लिए बंद स्थान में रखना, कारावास; बंधन ---> कैद; कट्टु <br> <br>
'''कैदी''' -- वह जिसे कैद अर्थात् बंधन में रखा गया हो, बंदी ---> कैदि <br> <br>
'''कोंपल''' -- पेड़-पौधों आदि में से निकलने वाली नई मुलायम पत्तियाँ, कल्ला ---> तळिर् <br> <br>
'''कोई''' -- दो या दो से अधिक वस्तुओं, व्यक्तियों आदि में से ऐसी वस्तु या व्यक्ति, जिसका निश्चित उल्लेख या परिज्ञान हो; न जाने कौन एक, बहुतों में से चाहे जो एक; लगभग ---> एदावदु ऒरु, ऎवनो; एदावदु ऒरु, ऎवनो; सुमार् <br> <br>
'''कोठरी''' -- छोटा कमरा ---> सिरु॒ अरै॒ <br> <br>
'''कोठी''' -- बहुत बड़ा, ऊँचा और पक्का मकान ---> माळिगै, बंगला <br> <br>
'''कोतवाल''' -- पुलिस का वह प्रधान कर्मचारी जिसके अधीन कई थाने और बहुत-से सिपाही होते हैं ---> कावळ तुरै आदिकारी पोलिस इंस्पक्टर् <br> <br>
'''कोतवाली''' -- कोतवाल का मुख्यालय ---> कावल् निलैयम् <br> <br>
'''कोमल''' -- जिसके देखने, सुनने अथवा स्पर्श से प्रिय अनुभूति तथा सुखद संवेदन होता हो; जो सहज में काटा, तोड़ा या मोड़ा जा सके ---> मिरुदुवान; ऎळिदिल् वॆट्ट अल्लदु मडिक्कक्कूडिय <br> <br>
'''कोरा''' -- जो अभी तक उपयोग या व्यवहार में न लाया गया हो, बिलकुल ताजा और नया ---> इदुवरै उपयोगिक्काद, पुदिय <br> <br>
'''कोलाहल''' -- बहुत से लोगों के बोलने अथवा चीखने-चिल्लाने से होने वाला घोर शब्द, शोर ---> कोलाहलम् इरैच्चल् <br> <br>
'''कोल्हू''' -- बीजों आदि को पैर कर उनका तेल और गन्ने आदि पेर कर रस निकालने का एक यंत्र ---> सॆक्कु <br> <br>
'''कोश (कोष)''' -- वह ग्रंथ जिसमें किसी विशेष क्रम से शब्द और उनके अर्थ दिए हों, शब्द कोश; इकट्ठा किया हुआ धन आदि ---> अगरादि; पॊक्किषम् <br> <br>
'''कोशकार''' -- शब्द कोश के लिए शब्दों का संग्रह तथा उनका संपादन करने वाला ---> अगरादि आशिरियर् <br> <br>
'''कोशिश''' -- प्रयत्न, चेष्टा ---> मुयर्चि <br> <br>
'''कोषाध्यक्ष''' -- वह कर्मचारी जिसके पास कोष रहता है, खजांची ---> पाक्किषदार <br> <br>
'''कोष्ठक''' -- ( ), [ ] और { } चिह्नो में से कोई एक जिसमें अंक शब्द, पद आदि विशेष स्पष्टीकरण के लिए संकेत रूप में अथवा ऐसे ही किसी और उद्देश्य से रखे जाते हैं ---> अडैप्पुक्कुरि॒ <br> <br>
'''कोसना''' -- सताये जाने पर किसी की अशुभ कामना करना ---> शबिक्क <br> <br>
'''कौंधना''' -- कुछ क्षणों के लिए (बिजली का) चमकना ---> मिन्न <br> <br>
'''कौतुक''' -- ऐसी अद्भुत या विलक्षण बात जिसे देखकर आश्चर्य भी हो और जिसे जानने की उत्सुकता भी हो; मनोविनोद, दिल्लगी ---> विन्दैयान विषयतै अरि॒युम आवल्; परिगासम्, आवल् <br> <br>
'''कौन''' -- एक प्रश्नवाचक सर्वनाम जो किसी वस्तु, व्यक्ति आदि के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त होता है; कोई व्यक्ति ---> यार्, ऎन्द; ऎवन् <br> <br>
'''क्या''' -- एक प्रश्नवाचक सर्वनाम जो उद्दिष्ट या अभिप्रेत वस्तु, किसी तथ्य, स्थिति आदि के संबंध में जिज्ञासा का भाव व्यक्त करता है या उसकी ओर संकेत करता है; आश्चर्यजनक प्रसंगों में किसी प्रकार का आधिक्य या श्रेष्ठता सूचित करने वाला तथा उपेक्षासूचक प्रसंगों में तुच्छता या हीनता का बोध कराने वाला ---> ऎन्न; वियप्पु, अवमदिप्पिनैकुरिक्कुम सॊल् <br> <br>
'''क्यों''' -- किसी उद्देश्य, अधिकार अथवा कारण से, किसलिए ---> एन् <br> <br>
'''क्योंकि''' -- कारण यह है कि, इसलिए कि ---> एन्नॆरा॒ळ् <br> <br>
'''क्रम''' -- कोई नियत या निश्चित पद्धति, तरतीब, सिलसिला; उचित रूप या ठीक तरह से काम करने का ढंग ---> वरिशै; आळुंगु, मुरै॒ <br> <br>
'''क्रमश:''' -- नियत क्रम के अनुसार, सिलसिलेवार; एक-एक करके, बारी-बारी से (रेस्पेक्टिवली); थोड़ा-थोड़ा करके ---> बरिशै किरममाग; मुरैप्पडि; पोगप्पोग <br> <br>
'''क्रय''' -- मोल लेने या खरीदने की क्रिया या भाव, खरीद ---> किरयम् विलैक्कु वांगुदल् <br> <br>
'''क्रांति''' -- एक दशा से दूसरी दशा में भारी परिवर्त्तन ---> विप्लवं <br> <br>
'''क्रांतिकारी''' -- क्रांति का प्रयत्न करने वाला ---> पुरट्चिकरमान <br> <br>
'''क्रिया''' -- कोई कार्य चलते या होते रहने की अवस्था या भाव; कोई काम करने का ढंग या विधि; व्याकरण में वे शब्द जो किसी कार्य, घटना आदि के होने या किये जाने के वाचक होते हैं ---> सॆयल्; सॆयल् मुरै; विनैच्चॊल् <br> <br>
'''क्रीड़ा''' -- आमोद-प्रमोद; खेलकूद ---> केळिक्कै; विळैयाट्टु <br> <br>
'''क्रूर''' -- निर्मम तथा हिंसक कार्य करने वाला, निर्दय ---> कॊडूरमान <br> <br>
'''क्रोध''' -- किसी के अनुचित या अन्यायपूर्ण काम के फलस्वरूप मन में उत्पन्न होने वाला उग्र तथा तीक्ष्ण मनोविकार, कोप, गुस्सा ---> कोबम् <br> <br>
'''क्लेश''' -- कष्ट पूर्ण मानसिक स्थिति, मनोव्यथा ---> आयासम् <br> <br>
'''क्षण''' -- काल का एक बहुत छोटा परिमाण ---> कणम नोड़ि <br> <br>
'''क्षति''' -- आघात या चोट लगने से होने वाला घाव; हानि, घाटा ---> अळिवु; नष्टम् <br> <br>
'''क्षतिपूर्ति''' -- हानि या घाटे का पूरा होना ---> नष्ट ईडु <br> <br>
'''क्षत्रिय''' -- हिन्दुओं के चार वर्णों में से दूसरा वर्ण; उक्त वर्ण का पुरुष ---> क्षत्रिय कुळम्; क्षत्तिरियन् <br> <br>
'''क्षमता''' -- सामर्थ्य; कोई काम करने का गुण या पात्रता; ग्रहण या धारण करने की पात्रता (कैपेसिटी) ---> तिरमै; सामर्त्तियम्; सामर्त्तियम् <br> <br>
'''क्षमा''' -- मन की वह भावना या वृत्ति जिससे मनुष्य दूसरे के द्वारा पहुँचाया हुआ कष्ट चुपचाप सहन कर लेता है और कष्ट पहुँचाने वाले के प्रति मन में कोई विकार नहीं आने देता; किसी दोषी या अपराधी को बिना किसी प्रतिकार के छोड़ देने का भाव, माफ़ी ---> मन्निक्कुम् इयल्बु; मन्निप्पु <br> <br>
'''क्षय''' -- क्रमश: तथा प्रकृतिश: होने वाला ह्रास; नाश; यक्ष्मा नामक रोग ---> तेय्दल; अळिवु; काश नोय् <br> <br>
'''क्षितिज''' -- पृथ्वी तल के चारों ओर की वह कल्पित रेखा या स्थान जहाँ पर पृथ्वी और आकाश एक दूसरे से मिलते हुए जान पड़ते हैं (होराइजन) ---> आडिवानम् <br> <br>
'''क्षुधा''' -- भोजन करने की इच्छा, भूख ---> पसि <br> <br>
'''क्षेत्र''' -- जोता-बोया जाने वाला भूमि-खंड़, खेत; प्राकृतिक, भौगोलिक, राजनीतीक आदि दृष्टियों से निर्दिष्ट भूभाग ---> वयळ्; निलंप्पगुदि <br> <br>
'''क्षेत्रफल''' -- किसी क्षेत्र की लम्बाई और चौड़ाई को गुणन करने से निकलने वाला वर्गात्मक परिमाण, रकबा (एरिया।) ---> परप्पु, विस्तीरणम् <br> <br>
'''खंड''' -- किसी टूटी या फूटी हुई वस्तु का कोई अंश, टुकड़ा; किसी संपूर्ण वस्तु का कोई विशिष्ट भाग या विभाग ---> बागम्; तुण्डु <br> <br>
'''खंडहर''' -- वह स्थान जिस पर बनी हुई इमारत या भवन खंड-खंड होकर गिरा पड़ा हो, गिरे या टूटे हुए मकान का बचा हुआ अंश, भग्नावशेष ---> इडिपाडु <br> <br>
'''खंभा''' -- ईंट, पत्थर, लकड़ी, लोहे आदि की बनी हुई गोल या चौकोर रचना जिस पर छत, या कोई भारी चीज टिकी रहती है ---> तूण, कबम् <br> <br>
'''खगोल''' -- आकाश मंडल ---> विण् वॆळि <br> <br>
'''खटकना''' -- दो वस्तुओं के परस्पर टकराने से शब्द उत्पन्न होना; किसी बात का मन में भली न जान पड़ने के कारण कुछ कष्टदायक जान पड़ना, खलना ---> मोदुम् शत्तम्; मनदै उरु॒त्त <br> <br>
'''खटाई''' -- खट्टे होने की अवस्था, गुण या भाव; कोई खट्टी वस्तु ---> पुळिप्पु; पुळिप्पान वस्तु <br> <br>
'''खट्टा''' -- जिसमें खटाई हो, आम, इमली आदि के से स्वाद वाला ---> पुळिप्पान <br> <br>
'''खड़ा''' -- जो धरातल से सीधा ऊपर की ओर उठा हुआ हो ---> निन्रूकोण्डिरु॒क्किर॒ <br> <br>
'''खड़ाऊँ''' -- काठ की बनी हुई एक प्रकार की पादुका जिसमें आगे की ओर पैर का अंगूठा और उंगली फंसाने के खूंटी लगी रहती है ---> मिदियडि, पादुकै <br> <br>
'''खतरनाक''' -- जो खतरे से भरा हो या खतरे का कारण बन सकता हो, जोखिम-भरा ---> अबायकरमान <br> <br>
'''खतरा''' -- अनिष्ट, संकट आदि की आशंका या संभावना से युक्त स्थिति ---> अबायम् <br> <br>
'''खनिज''' -- खान से खोद कर निकाला हुआ; खनिज पदार्थ ---> सुरंगत्तिनिन्रू ऎडुन्त; कनिप्पॊरुळ् <br> <br>
'''खपत''' -- खपने या खपाने की क्रिया या भाव, माल की कटती या बिक्री ---> सेलवादल् <br> <br>
'''खरा''' -- जिसमें किसी प्रकार की खोट या मैल न हो, विशुद्ध; लेन-देन व्यवहार आदि में ईमानदार, सच्चा और शुद्ध हृदय वाला ---> सुद्धमान, असल् कलप्पड मिल्लाद; नम्बिक्कैयान <br> <br>
'''खराद''' -- एक प्रकार का यंत्र जो लकड़ी अथवा धातु की बनी हुई वस्तुओं को छीलकर उन्हें सुडौल तथा चिकना बनाता है या विशेष आकार देता है ---> कडैसल् यन्दिरम् <br> <br>
'''खरीद''' -- मोल लेने की क्रिया या भाव, क्रय; वह जो खरीदा जाय ---> विलैक्कु वांगुदल्; वांगिय पॊरुळ् <br> <br>
'''खरीदना''' -- मोल लेना, क्रय करना ---> विलैक्कु बांग <br> <br>
'''खरोंच''' -- नख अथवा अन्य किसी नुकीली वस्तु से छिलने के कारण पड़ा हुआ दाग या चिह्न, खराश ---> सिराय्प्पु <br> <br>
'''खर्च (खरच)''' -- धन, वस्तु, शक्ति आदि का होने वाला उपभोग, व्यय; वह धन-राशि जो किसी वस्तु को खरीदने या बनाने के लिए अथवा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यय की जाती है ---> सॆलवु; उर्पत्तिच्चॆलवु <br> <br>
'''खलना''' -- अनुचित, अप्रिय या कष्टदायक प्रतीत होना, अखरना, खटकना ---> अरुवरुप्पु उण्डाग, पुण् पड <br> <br>
'''खलियान''' -- वह समतल भूमि या मैदान जहाँ फसल काट कर रखी, मांडी तथा बरसाई जाती है; अव्यवस्थित रूप से लगाया हुआ ढेर ---> कळत्तु मेडु; ओऴुंगाग वैक्कप्पाडाद, कुवियल् <br> <br>
'''खली''' -- तिलहन का वह अंश जो उसे पेर-कर तेल निकालने के बाद बच रहता है जिसे गाय-भैसों को भूसे में मिलाकर खिलाया जाता है ---> पिण्णाक्कु <br> <br>
'''खस्ता''' -- भुरभुरा, बहुत थोड़ी दाब से टूट जाने वाला, मुलायम तथा कुरकुरा; टूटा-फूटा, भग्न, दुर्दशा ग्रस्त ---> मुरु॒गलान, सुलबमान; पाडियागक्कूडिय, उडैन्द <br> <br>
'''खांसना''' -- गले में रुका हुआ कफ़ या और कोई अटकी हुई चीज निकालने या केवल शब्द करने के लिए झटके से वायु कंठ के बाहर निकालना, खांसी आने या होने का-सा शब्द करना ---> इरुम <br> <br>
'''खाई''' -- दुर्ग के चारो ओर खोदी हुई नहर; युद्ध क्षेत्र में छिप कर गोली चलाने के लिए खोदे जाने वाले गड्ढे (ट्रेंच) ---> किडंगु; किडंगु <br> <br>
'''खाकी''' -- खाक अर्थात मिट्टी के रंग का, भूरा ---> पळुप्पुनिर॒म् मण्निर॒मान <br> <br>
'''खाट''' -- चारपाई ---> कट्टिल् <br> <br>
'''खाद''' -- सड़ाया हुआ गोबर, पत्ते आदि जो खेत को उपजाऊ बनाने के लिए उनमें डाले जाते हैं (मैन्योर) ---> ऎरु <br> <br>
'''खादी''' -- हाथ से कते सूत का हाथ करघे पर बना कपड़ा, खद्दर ---> कदर् तुणि <br> <br>
'''खाद्य''' -- जो खाए जाने के लिए हो अथवा खाये जाने के योग्य हो, भक्ष्य, भोज्य; खाए जाने वाले पदार्थ; भोजन ---> उण्णत्तहुन्द; उणवुप्पॊरुळ्; साप्पाडु <br> <br>
'''खाद्यान्न''' -- वे अन्न जो खाने के काम आते हों ---> उणवु दानियंगळ् <br> <br>
'''खान''' -- वह स्थान जहां से धातु, पत्थर आदि खोद कर निकाले जाते हैं; वह स्थान जहां कोई वस्तु अधिकता से होती या पाई जाती है ---> कनि, सुरंगम्; शॆळिप्पाह किडैक्कू इडम् <br> <br>
'''खाना''' -- पेट भरने के लिए मुंह में कोई खाद्य वस्तु रखकर उसे चबाना और निगल जाना, भोजन करना; भोजन; दीवार, आलमारी, मेज आदि में बना हुआ वह अंश या विभाग जिसमें वस्तुएं आदि रखी जाती हैं ---> साप्पिड; साप्पाडु उणवु; अलमारी, शुवर् गळिल् अरैगळ् <br> <br>
'''खारा''' -- जिसमें क्षार का अंश या गुण हो, जो स्वाद में नमकीन हो ---> उप्पुक्करिक्किर <br> <br>
'''खाल''' -- पशुओं आदि के शरीर पर से खींच कर उतारी हुई त्वचा जिस पर बाल या रोएं होते है, चमड़ी ---> तोल् <br> <br>
'''खाली''' -- जिसके अंदर कोई चीज न हो, रीता; रोजगार-रहित; जो उपयोग में न आ रहा हो ---> कालियान; वेलै इल्लाद; अबयोगमट॒ट॒ <br> <br>
'''खास''' -- विशेष, विशिष्ट; किसी के पक्ष में व्यक्तिगत रूप से होने वाला, निज का ---> विशेषमान; तनिप्पट्ट <br> <br>
'''खिड़की''' -- घर, गाड़ी, जहाज आदि की दीवारों में बना हुआ वह बड़ा झरोखा जिसमें से धूप और रोशनी अंदर जाती है और जिसमें से झांक कर बाहर का दृश्य देखा जाता है (विंडो) ---> जन्नल् <br> <br>
'''खिन्न''' -- उदास, विकल; अप्रसन्न, अंसतुष्ट ---> वरुत्तमडैन्द; मनम् वेदुंबिय <br> <br>
'''खिलखिलाना''' -- बहुत प्रसन्न होने पर जोर से हंसना ---> उरक्कच्चिरिक्क <br> <br>
'''खिलना''' -- कली या फूल का पंखुडियां खोलना; कोई सुखद कार्य या बात होने पर आनंदित या प्रसन्न होना; सुन्दर लगना, फबना ---> मलर; मनम् मगिळ्; अऴगाह तोन्र॒ <br> <br>
'''खिलाड़ी''' -- वह जो खेल खेलता हो ---> विळैयाडुबवन् <br> <br>
'''खिलाना''' -- किसी को कोई चीज खाने में प्रवृत्त करना, भोजन कराना; खेल खिलाना; दुलारना ---> ऊट्ट, उणवु कॊडुक्क; विळै॒याडच्चॆय्य; सॆल्लम कोंज <br> <br>
'''खिलौना''' -- बच्चों के खेलने के लिए बनाई हुई धातु, मिट्टी आदि की आकृति, चीज या सामग्री; किसी के मन बहलाने का साधन या सामग्री ---> विळैयाट्टु सामान्; मागिऴ्च्चितरुम् वस्तु <br> <br>
'''खिसकना''' -- बैठे-बैठे किसी ओर बढ़ना या हटना, सरकना; किसी वस्तु का अपने स्थान से कुछ हट जाना; चुपके से उठ कर चल देना ---> उट्कार्न्दपडिये नगर; ऒरु पॊरुळ् तन् इडत्तिलिरुन्दु नगर्न्दु पोग; नळुव <br> <br>
'''खींचना''' -- किसी वस्तु को बलपूर्वक अपनी ओर लाना या अपने साथ लेते हुए आगे बढ़ना; किसी वस्तु या स्थान में स्थित कोई दूसरी वस्तु बलपूर्वक बाहर निकालना; किसी वस्तु का तत्व, सार या सुगंध निकालना ---> इळुक्क; इळुत्तु वॆळिये ऎडुक्क; सारतै ऎडुत्तुविड <br> <br>
'''खुजली''' -- शरीर के किसी अंग में रक्त का संचार रुक जाने के कारण होने वाली सुरसुरी; एक चर्म रोग जिसमें शरीर पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं और बहुत अधिक खुजलाहट होती है, खाज ---> अरिप्पु; सॊरि <br> <br>
'''खुजाना''' -- शरीर के किसी अंग में खुजली होने पर उस स्थान को नाखूनों अथवा उंगलियों से बार-बार मलना या रगड़ना ---> सॊरिय <br> <br>
'''खुदरा''' -- किसी पूरी चीज के छोटे-छोटे अंश, खंड या टुकड़े, फुटकर; वस्तुओं की बिक्री का वह प्रकार जिसमें वे इकट्ठी या थोक नहीं बल्कि एक-एक करके या थोड़ी-थोड़ी बेची जाती हैं; थोड़ा-थोड़ा करके बिकने वाला ---> सिल्लरै सामान्; सिल्लरै विर्पनै; सिरि॒दु सिरि॒दाग <br> <br>
'''खुर''' -- कुछ पशुओं के पैरों का अगला सिरा जो प्राय: गोल तथा बीच में से फटा हुआ होता है, टाप, सुम ---> कुळंबु <br> <br>
'''खुरचना''' -- किसी नुकीली वस्तु को किसी दूसरी वस्तु पर इस प्रकार रगड़ना कि वह कुछ छिल जाए ---> तुरुव, शुरण्ड <br> <br>
'''खुराक''' -- खाद्य पदार्थ, भोजन, आहार; भोजन की उतनी मात्रा जितनी एक बार अथवा एक दिन में खाई जाय; किसी दवाई की उतनी मात्रा जितनी एक बार में लेनी उचित या उपयुक्त हो ---> उणवु; ऒरु मुरै॒, ऒरु नाळ्, शाप्पिडुम उणवु; ऒरु वेळै कॊडुक्कुम् मरुन्दिन् अळवु <br> <br>
'''खुश''' -- प्रसन्न, संतुष्ट ---> संतोषप्पट्ट, मगिळ्युट॒ट॒ <br> <br>
'''खुश किस्मत''' -- अच्छे भाग्यवाला, सौभाग्यशाली, भाग्यवान ---> बाग्गिय शालि <br> <br>
'''खुशखबरी''' -- प्रसन्न करने वाला समाचार, शुभ समाचार ---> नर्चेय्दि <br> <br>
'''खुश्क''' -- जो तर न हो, सूखा; जो चिकना हो, चिकनाई-रहित; जिसमें कोमलता या रसिकता न हो ---> उलर्न्द; वरण्ड; मुरडु <br> <br>
'''खून''' -- रक्त, रुधिर, लहू; हत्या ---> रत्तम्; कॊलै <br> <br>
'''खूब''' -- सब प्रकार से अच्छा और उत्तम, बढ़िया; अच्छी तरह से, भली भांति ---> सिर॒न्द; नन्रा॒ग <br> <br>
'''खूबसूरत''' -- जो देखने में बहुत अच्छा लगता हो, सुन्दर ---> अऴगान <br> <br>
'''खेत''' -- वह भू-खंड जो फसल उपजाने के लिए जोता-बोया जाता है ---> वयल् <br> <br>
'''खेतिहर''' -- जमीन को जोत-बोकर उसमें फसल उपजाने वाला व्यक्ति, किसान, कृषक ---> कुडियानवन् <br> <br>
'''खेती''' -- खेत को जोतने-बोने तथा फसल उपजाने की कला तथा काम; खेत में बोई हुई फसल ---> विवशायम् पयिर् तोऴिळ्; पयिर् <br> <br>
'''खेद''' -- कोई अपेक्षित काम न करने अथवा कोई काम या बात ठीक तरह से न होने पर मन में होने वाला दु:ख, अप्रसन्नता, रंज ---> वरुत्तम् <br> <br>
'''खेना''' -- डांडों की सहायता से नाव को चलाना ---> तुडुप्पाल पडगोट्ट <br> <br>
'''खेल''' -- समय बिताने तथा मन बहलाने के लिए किया जाने वाला कोई काम, क्रीडा; बहुत साधारण या तुच्छ काम ---> विळैयाट्टु; मिग ऎळिदान वेलै <br> <br>
'''खेल-कूद''' -- खेल, क्रीडा; (बच्चों की) उछलकूद, आमोद-प्रमोद, कलोल ---> विळैयाट्टु निगऴचिगळ्; केळिक्कै <br> <br>
'''खेलना''' -- मन बहलाने के लिए शारीरिक क्रियांए करना या व्यायाम करना; खेलवाड़ (खिलवाड़) समझकर और परिणाम का ध्यान छोड़कर कोई काम करना ---> विळैयाड; विळैयाट्टाग सॆय्य <br> <br>
'''खैरात''' -- दान के रूप में दिया जाने वाला धन या पदार्थ, दान ---> दान-दरुमम् <br> <br>
'''खोखला''' -- जिसके भीतर कुछ न हो, भीतर से रिक्त; निस्सार, थोथा ---> पॊन्दु उळ्ळ; पदर् पोन्र, सारमट॒ट॒ <br> <br>
'''खोज''' -- कोई नई बात, तथ्य आदि का पता लगाने का काम, शोध, अनुसंधान; किसी खोई या छिपी हुई वस्तु को ढूंढने की क्रिया ---> आराय्च्चि; तेडुदल् <br> <br>
'''खोजना''' -- किसी खोई या छिपी हुई वस्तु के पता लगाने का प्रयत्न करना, ढूंढना; अनुसंधान या शोध करना ---> तेड; आराय <br> <br>
'''खोट''' -- दूसरों को ठगने के लिए सोने में मिलाया हुआ तांबा; दोष; किसी कार्य या व्यक्ति के प्रति मन में होने वाली बुरी भावना ---> तंगत्तुडन् कलप्पडम शॆय्द तामिरम्; कुट॒ट॒म्-कुरै॒; कॆट्ट ऍण्णम् <br> <br>
'''खोटा''' -- मिलावटी; नकली, झूठा, बनाबटी ---> कलप्पडमान; पोली <br> <br>
'''खोदना''' -- कुदाल आदि से जमीन पर आधात करके गड्ढा बनाना; उक्त क्रिया द्वारा दबी पड़ी हुई वस्तु बाहर निकालना; नक्काशी करना ---> तोण्ड; तोण्डि ऎडुक्क; नकासु वेलै <br> <br>
'''खोना''' -- किसी वस्तु को भूल से कहीं छोड़ देना; असावधानी, दुर्घटना, मृत्यु आदि के कारण क्षति से ग्रस्त होना ---> इऴक्क; नष्टप्पड <br> <br>
'''खोल''' -- किसी चीज का ऊपरी आवरण; विशिष्ट प्रकार के कीडे-मकोड़ों का प्राकृतिक आवरण ---> उरै॒, मूडि; पूच्चि पुऴुक्कळिन् मेलुरै <br> <br>
'''खोलना''' -- अनावृत करना, आवरण हटाना; किसी बंधी हुई वस्तु को मुक्त करना; मोड़ी या तह की हुई वस्तु को फैलाना ---> तिर॒क्क; अविऴक्क; विरिक्क <br> <br>
'''खौलना''' -- तरल पदार्थ को इतना अधिक गरम करना कि उसमें उबाल आने लगे, उबालना ---> कॊदिक्क <br> <br>
'''ख्याति''' -- यश, प्रसिद्धि, कीर्त्ति ---> पुगळ्, कियादि <br> <br>
'''गंजा''' -- जिसके सिर के बाल झड़ गए हों (बॉल्ड) ---> बळुक्कै तलै <br> <br>
'''गंदा''' -- अपवित्र, दूषित, बुरा; धूल, मिट्टी आदि से युक्त, मैला ---> अळुक्कान; अशुद्दमान <br> <br>
'''गंध''' -- कुछ विशिष्ट पदार्थों से सूक्ष्म कणों का वायु के साथ मिलकर होने वाला प्रसार जिसका अनुभव नाक से होता है, बास, दुर्गधं; सुगंधित द्रव्य ---> वासनै; वासनैप्पॊरुळ् <br> <br>
'''गंभीर''' -- गहरा; जटिल, गूढ; शांत, धीर ---> आळ्न्द; गंबीरमान; अमैदियान <br> <br>
'''गंवाना''' -- खोना; नष्ट करना ---> इऴक्क; नाशं चॆय्य <br> <br>
'''गंवार''' -- असभ्य, अशिष्ट; मूर्ख, अनाड़ी ---> नाट्टुप्पुर॒त्तान; मुट्टाल <br> <br>
'''गगन''' -- आकाश, आसमान ---> आगायम्, वानं <br> <br>
'''गज''' -- हाथी; लंबाई की एक माप जो सोलह गिरह या छत्तीस इंच के बराबर होती है, माप उपकरण; उक्त माप का उपकरण ---> यानै; गॆजम्; गॆजक्कोल् <br> <br>
'''गजरा''' -- फूलों की घनी गुंथी हुई माला ---> पू माळै <br> <br>
'''गड़बड़''' -- ऐसी अवस्था जिसमें क्रम, व्यवस्था आदि का अभाव हो; असावधानी, भूल आदि से कुछ का कुछ कर देने की क्रिया या भाव; उत्पाद, उपद्रव ---> ऒळुंगिन्मै; कुऴप्पम्; कलगम् <br> <br>
'''गढ़''' -- किला, दुर्ग; केन्द्र, मुख्य स्थान, अड्डा ---> कोट्टै; तलैमै निलैयम् <br> <br>
'''गढ़ना''' -- कोई नई चीज बनाने के लिए किसी स्थूल पदार्थ को काट, छील ढाल कर तैयार या दुरुस्त करना; कोई कल्पित बात बनाना या कोई बात नमक-मिर्च लगाकर सुन्दर रूप में प्रस्तुत करना ---> उरुवाक्य; कदै कट्ट <br> <br>
'''गण''' -- समूह, झुंड, वर्ग ---> कूट्टम् <br> <br>
'''गणतंत्र''' -- वह राज्य या राष्ट्र जिसकी सत्ता जनसाधारण (विशेषत: मतदाताओं या निर्वाचकों) में निहित होती है ---> कुडियरशु <br> <br>
'''गणना''' -- गिनती करने की क्रिया या भाव; गिनती, संख्या ---> ऎण्णिक्कै; ए॑ण् <br> <br>
'''गणित''' -- वह शास्त्र जिसमें परिमाण, मात्रा, संख्या आदि निश्चित करने की रीतिओं का विवेचन होता है, हिसाब (मैथेमेटिक्स़) ---> कणक्कु <br> <br>
'''गति''' -- चाल, रफ्तार; हरकत, चेष्टा, हिलना-डुलना; दशा, अवस्था, हालत, स्थिति ---> वेगम्; अशैदल; गदि, निलैमै <br> <br>
'''गतिरोध''' -- चलते हुए काम का रुक जाना; झगड़े या बातचीत के समय की ऐसी स्थिति जिसमें दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात पर अड़ जाते हैं और समझौते का कोई रास्ता दिखाई नही देता (डैड लॉक) ---> तडै-पंडुदल्; मुट्टुक्कट्टै <br> <br>
'''गतिविधि''' -- कार्य-कलाप; चेष्टा, हरकत; आचरण-व्यवहार करने या रहने-सहने का रंग-ढंग ---> नडैमुरै॒; मुयर्चि; नडत्तै <br> <br>
'''गदराना''' -- फलों आदि का पकने पर आना; जवानी में शरीर के अंगों का भरना और सुडौल होना ---> कनिय; इळमैयिल् अंगंगळ् वाळिप्पडैय <br> <br>
'''गद्दा''' -- बिछाने की मोटी रूई दार भारी तोशक ---> मॆद्दै <br> <br>
'''ग़बन''' -- अमानत की रकम खा जाना (ऐम्बैज़लमेंट) ---> पिरर् सॊत्तै गबळीगरम् शॆय्दल (कैयाडळ्) <br> <br>
'''गमला''' -- नांद के आकार का एक प्रकार का मिट्टी, धातु या लकड़ी का पात्र जिसमें फूलों आदि के पौधे लगाए जाते हैं ---> पूत्तॊट्टि <br> <br>
'''गरजना''' -- गंभीर तथा घोर शब्द करना, जोर से कड़क कर बोलना ---> गर्जिक्क <br> <br>
'''गरम (गर्म)''' -- साधारण से अधिक तापमान वाला, उष्ण; उग्र, उत्कट, आवेश प्रधान ---> शूडान; तीविरमान <br> <br>
'''गरिष्ठ''' -- बहुत भारी; (खाद्य पदार्थ) जो बहुत कठिनता से या देर में पचता हो ---> मिग गनमान; सीक्किरम् जीरणमागाद <br> <br>
'''गरी''' -- नारियल के अंदर का वह सफेद मुलायम गूदा जो खाया जाता है; किसी बड़े बीच के अंदर का मुलायम गूदा, गिरी ---> कॊप्परै; विदैकळिन् परुप्पु <br> <br>
'''गरीब''' -- निर्धन, दरिद्र; दीन और नम्र; निरुपाय, बेचारा ---> शदैप्पट॒टुळ्ळ बागम्; एळै; ऎळिय <br> <br>
'''गर्व''' -- अपने को दूसरों से बढ़कर समझने का भाव, अभिमान, घमंड; अपनी शक्ति, समर्थता आदि की दृष्टि से मन में होने वाली अयुक्तिपूर्ण अहंभावना; अपने किसी श्रेष्ठ कार्य, बात, वस्तु और व्यक्ति आदि के संबंध में होने वाली न्यायोचित अहंभावना ---> गर्वम्; शॆरुक्कु; मननॆगिऴचि <br> <br>
'''गलत''' -- जो सही या ठीक न हो, अशुद्ध; मिथ्या, असत्य; अनुचित ---> तवरा॒न; पॊय्; तगाद <br> <br>
'''गलती''' -- भूल, अशुद्धि, त्रुटि ---> पिऴै, तवरु॒ <br> <br>
'''गलाना''' -- किसी ठोस वस्तु को तरल बनाना, पिघलाना; किसी कड़ी चीज या कच्चे अन्न आदि को उबाल कर नरम करना; घुलाना ---> उरुक्क; समैत्तु पक्कुवमाक्क; करैक्क <br> <br>
'''गली''' -- सड़क से कम-चौड़ा, संकरा रास्ता जिसके दोनों ओर मकानो की कतार हो ---> सन्दु <br> <br>
'''गवाह''' -- ऐसा व्यक्ति जिसने कोई घटना स्वयं देखी हो अथवा जिसे किसी घटना, तथ्य, बात आदि की ठीक और पूरी जानकारी हो, साक्षी; न्यायालय में तथ्य का सत्यापन या समर्थन करने वाला, साक्षी; दो पक्षों में होने वाले लेन देन, व्यवहार, समझौते आदि के लेख पर हस्ताक्षर करने वाला। (विटनेस, उक्त तीनों अर्थों में) ---> साट्चि; साट्चि अळिप्पवन्; साट्चियाग कैयॊप्पम् इडुबवन् <br> <br>
'''गहन''' -- गहरा; दुर्लभ, दुरूह, कठिन; घना, निविड़ ---> आळ्न्द; तगर्क्कमुडियाद; अडर्न्द <br> <br>
'''गहना''' -- आभूषण, जेवर ---> नगै, आवरणम् <br> <br>
'''गहरा''' -- जिसका तल चारों ओर के स्तर से नीचे की ओर अधिक दूरी तक हो; जिसकी थाह बहुत नीचे हो, 'उथला' का विपर्याय; (व्यक्ति या विषय) गूढ, गहन, गंभीर ---> आऴमान; आऴमान; गंबीरमान <br> <br>
'''गांव''' -- बहुत छोटी बस्ती, खेड़ा, ग्राम ---> गिरामम् <br> <br>
'''गाड़ना''' -- गड्ढे में रखकर मिट्टी से ढकना, दफनाना; धरती या दीवार आदि में धंसाना ---> पुदैक्क; बूमियिल् सुवट्टिल तिणिक्क <br> <br>
'''गाढ़ा''' -- जो पतला न हो; (रंग आदि) जो अधिक गहरा हो; दृढ़, पक्का, घनिष्ठ ---> गॆट्टियान; आऴन्द; अडर्न्द <br> <br>
'''गाना''' -- लय, ताल के साथ पदों का उच्चारण करना; गाई जाने वाली चीज या रचना, गीत ---> पाड; पाट्टु <br> <br>
'''गायक''' -- गाने वाला, गवैया ---> पाडगर् <br> <br>
'''गाहक (ग्रहक)''' -- खरीदने वाला, खरीददार ---> विलैक्कु वांगुबवर्, वाडिक्कैक्कारर् <br> <br>
'''गिनती''' -- गिनने की क्रिया या भाव, गणना; संख्या; एक से सौ तक की अंक माला ---> ऎण्णिक्कै; ऎण्; ओन्रुमुदल नूरुवरै ऎण्गळ् <br> <br>
'''गिनना''' -- संख्या सूचक अंको का नियमित क्रम से उच्चारण करना, गिनती करना; गणना करना ---> ऎण्ण; कणक्किड <br> <br>
'''गिरजा''' -- ईसाइयों का प्रार्थना-मंदिर ---> मादाककोविल् <br> <br>
'''गिरफ्तार''' -- जो किसी अपराध के कारण पुलिस अधिकारियों द्वारा पकड़ा गया हो ---> कैदु सॆय्यप्पट्ट <br> <br>
'''गिरवी''' -- बंधक, रेहन; बंधक रखी हुई चीज ---> अडगु; अडगु वैक्कप्पट्ट <br> <br>
'''गिराना''' -- नीचे डालना, फेंकना; ढहाना, जमीन पर लुढ़का देना; किसी वस्तु या रचना को तोड़-फोड कर उसका नाश या ध्वंस करना ---> कीऴे पोळ्; तरैमेल् वीऴ्त्त; अऴित्तुविड <br> <br>
'''गिरोह''' -- एक साथ काम करने वाले व्यक्तियों का समूह, गुट या झुंड ---> कूट्टम <br> <br>
'''गीत''' -- छोटी पद्यात्मक रचना जो गाए जाने के लिए बनी हो, गाना ---> पाट्टु, गीतम् <br> <br>
'''गीतकार''' -- गीत लिखने वाला ---> पाडलाशिरियर् <br> <br>
'''गुंडा''' -- बुरे चाल-चलने वाला, बदमाश ---> गुण्डन् पोक्किरि <br> <br>
'''गुंडागर्दी''' -- गुंडो का सा आचरण या व्यवहार, बदमाशी ---> गुण्डात्तनम् पोक्किरित्तनम् <br> <br>
'''गुंबद''' -- वास्तु रचना में वह शिखर जो गोले के आकार का और अंदर पोला होता है, गुंबज ---> कुविन्द गण्डपम् कुविन्द गोपुरम् <br> <br>
'''गुच्छा''' -- एक ही प्रकार की बहुत-सी वस्तुओं का समूह जो एक साथ गुंथा या उपजा हो ---> कॊत्तु <br> <br>
'''गुजरना''' -- किसी स्थान से होते हुए आगे बढ़ना; व्यतीत होना, बीतना ---> कडन्दु शेल्ल; नाट्कळ् कऴिय <br> <br>
'''गुट''' -- टोली, गिरोह, छोटा दल ---> कुऴु <br> <br>
'''गुण''' -- महत्वपूर्ण विशेषता जिसके कारण एक वस्तु दूसरी से अलग मानी जाती है; किसी वस्तु का लाभदायक तत्व, प्रभाव; प्रशंसनीय बात ---> गुणम्, इयल्बु; उपयोगमुळ्ळ तत्तुवम्; मॆच्चत्तक्क विषयम् <br> <br>
'''गुणवान''' -- गुणशाली, गुणी, गुणों से युक्त ---> नल्ल गुणमुडैय <br> <br>
'''गुणा''' -- गणित में जोड़ने की एक संक्षिप्त रीति जिसमें कोई संख्या कई बार जोड़ने की बजाय एक बार में ही उतनी गुनी बढ़ाई जा सकती है (मल्टीप्लिकेशन) ---> पॆरुक्कल् <br> <br>
'''गुदगुदाना''' -- किसी के कोमल या मांसल अंगों को इस तरह खुजलाना या सहलाना कि वह हंसने लगे ---> किचु किचु मूट्ट <br> <br>
'''गुदगुदी''' -- गुदगुदाने की क्रिया या भाव ---> किळुकिळुप्पु <br> <br>
'''गुनगुना''' -- हल्का गरम ---> वॆदुवॆदुप्पान, इळम्शूडान <br> <br>
'''गुनगुनाना''' -- धीमे स्वर में अस्पष्ट शब्दोच्चारण करते हुए गाना ---> मॆदुवान कुरि॒लिल् वातैंगळै पादि उच्चरित्तु पाड <br> <br>
'''गुप्तचर''' -- जासूस, भेदिया ---> ऒट॒ट॒न्, उळ्वाळि <br> <br>
'''गुफा''' -- जमीन अथवा पहाड़ के अंदर का गहरा तथा अंधेरा गड्ढा, कंदरा ---> गुहै <br> <br>
'''गुब्बारा''' -- बच्चों के खेलने की रबड़ की थैली जिसमें हवा, गैस भरी जाती है (बैलून) ---> बलून् <br> <br>
'''गुमनाम''' -- अप्रसिद्ध; बिना नाम का, जिसमें किसी का नाम न लिखा हो, अनाम ---> पुगळ् इल्लाद; पॆयरिल्लाद <br> <br>
'''गुरु''' -- भारी; कठिन, मुश्किल; विद्या देने वाला, शिक्षक ---> गनत्त; कडिनमान; गुरु, अशिरियर् <br> <br>
'''गुरुकुल''' -- गुरु का वास स्थान जहाँ रह कर शिष्य विद्याध्ययन करते हों; प्राचीन पद्धति पर स्थापित विद्यापीठ ---> गुरुकुलमु; पंडै कालत्तिय कल्वि निलैयम् <br> <br>
'''गुर्राना''' -- कुत्ते बिल्ली आदि का क्रोध में मुंह बंद करके भारी आवाज निकालना; क्रोध में कर्कश स्वर से बोलना ---> उरुम; कोबत्तिनाळ् अडित्तॊडयाल् पेश <br> <br>
'''गुलाम''' -- मोल लिया हुआ नौकर, दास; ताश का एक पत्ता जिस पर गुलाम की आकृति होती है ---> अडिमै; शीट्टाट्टत्तिळ् जाक्कि शीट्टु <br> <br>
'''गुलाल''' -- एक प्रकार का रंगदार चूर्ण जिसे होली के दिनों में एक-दूसरे पर डालते या मलते है ---> होलि पंडिगैयिल् उबयोगिक्कुम् शिवप्पु पॊडि <br> <br>
'''गुल्लक (गोलक)''' -- वह थैली या संदूक जिसमें धन संग्रह किया जाता है ---> उंडियल् <br> <br>
'''गूंगा''' -- जो बोल न सके, मूक ---> ऊमै <br> <br>
'''गूंज''' -- टकरा कर लौटने वाली आवाज, प्रतिध्वनि ---> ऎदिरोलि <br> <br>
'''गूंजना''' -- आवाज का टकराकर लौटना, किसी ध्वनि से किसी स्थान का व्याप्त होना, ध्वनि का देर तक सुनाई देते रहना ---> ऎदिरॊलिक्क रींगारिक्क <br> <br>
'''गूंधना''' -- किसी प्रकार के चूर्ण में थो थोडा पानी अथवा कोई तरल पदार्थ मिला कर तथा हाथ से मलते हुए उसे गाढ़े अवलेह के रूप में लाना, मांडना, सानना ---> पिशैय <br> <br>
'''गूढ''' -- छिपा हुआ, गुप्त; समझने में कठिन, दुरूह ---> मरै॒न्द; पॊरुळ् पॊदिन्द <br> <br>
'''गूथना''' -- धागो या बालों को समेट कर सुंदरतापूर्वक बांधना; पिरोना ---> नूलगलै, कून्दलै, शेर्त्तु अऴगाह मुडिय; पिन्न <br> <br>
'''गूदा''' -- फल आदि के अंदर का कोमल और गुदगुदा सार भाग; किसी चीज को कूट कर तैयार किया हुआ उसका गीला पिंड या रूप (पल्प) ---> पऴंगळिन् सदैप्पट॒ट॒ळ्ळ बागम्; कागिदम् सॆय्युम् कूऴ् <br> <br>
'''गृहयुद्ध''' -- किसी एक ही राष्ट्र के विभिन्न प्रदेशों के निवासियों या राजनीतिक दलों का आपस में होने वाला युद्ध (सिविल वार) ---> अल्-नाट्टु कलहम् <br> <br>
'''गृहस्थी''' -- घर-बार और बाल-बच्चे; घर का सब सामान, माल-असबाब ---> कुडुंबम्; कुडुंम सॊत्तु <br> <br>
'''गृहिणी''' -- घर की मालकिन, पत्नी ---> बीट्टु ऎजमानि, मनैवि <br> <br>
'''गेरू''' -- एक प्रसिद्ध खनिज, लाल मिट्टी जो रंगने और दवा के काम आती है ---> काविक्कल् <br> <br>
'''गोंद''' -- कछ विशिष्ट पौधों तथा वृक्षों से निकलने वाला चिपचिपा लसीला, तरल निर्यास जिसे पानी में घोल कर कागज आदि चिपकाए जाते है तथा जिसे औषधि के रूप में भी प्रयुक्त किया जाता है ---> गोन्दु, पिसिन् <br> <br>
'''गोता''' -- शरीर को जल में इस प्रकार डुबाना जिससे शरीर का कोई अंग बाहर न रह जाए, डुबकी ---> मुऴुक्कु <br> <br>
'''गोद''' -- बैठे हुए व्यक्ति का सामाने कमर और घुटनों के बीच का भाग जिसमें बच्चों आदि को लिया जाता है, अंक ---> मडि <br> <br>
'''गोदाम''' -- वह बड़ा स्थान जहां तिजारती माल जमा करके रखा जाता है ---> किडंगु <br> <br>
'''गोधूलि''' -- सायंकाल का वह समय जब जंगल से चरकर लौटती हुई गौओं के खुरों से धूल उड़ती है और शुभ कार्यों के लिए अच्छा मुहूर्त्त माना जाता है ---> माडुगऴ मेयन्दु विट्टु तुशियै किळप्पिक्कॊण्डु वीडु तिरुंबुम् (मालं) नेरम् <br> <br>
'''गोपनीय''' -- छिपाने लायक, जिसे दूसरों पर प्रकट नहीं करना चाहिए ---> रगसियमान <br> <br>
'''गोबर''' -- गाय का मल जो लीपने और पोतने के काम आता है तथा जिसे सुखा कर जलाने के काम में लाते है, भैंस का मल ---> शाणम् <br> <br>
'''गोरा''' -- श्वेत वर्ण वाला (व्यक्ति), गौर ---> सिवप्पु निर॒मान <br> <br>
'''गोल''' -- मण्डलाकार या वृताकार; फुटबाल आदि खेलों का गोल ---> वट्टवडिवमान; काल्पन्दु विळैयाट्टिळ् 'गोल्' <br> <br>
'''गोली''' -- शीशा, लोहा या अन्य किसी पदार्थ का छोटा गोलाकार पिंड ---> गोलि, तुप्पाक्कि रवै <br> <br>
'''गोष्ठी''' -- कुछ व्यक्तियों का इकट्ठे होकर किसी विषय पर चर्चा करना ---> करुत्तरंगु <br> <br>
'''गौना''' -- विवाह के बाद की एक रस्म जिसमें वर वधू को पहले-पहल अपने साथ अपने घर ले जाता है ---> मणमगलै मणमगन् मुद्ल् मुदलाग तन् वीट्टुक्कु अऴैत्तुवरुम् मंगळ शडंगु <br> <br>
'''गौरव''' -- आदर, प्रतिष्ठा, मान-मर्यादा; बड़प्पन, महत्व ---> गौरवम्; पॆरुन्तन्मै <br> <br>
'''ग्रंथ''' -- किताब, पुस्तक; धार्मिक या साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कोई बड़ी पुस्तक ---> नूल्; नूल् (पुत्तगम्) <br> <br>
'''ग्रस्त''' -- ग्रसा हुआ, पकड़ा हुआ; पीड़ित ---> वलुवागप्पिडिक्कप्पट्ट; तुन्बत्तिल् शिक्किय <br> <br>
'''ग्रह''' -- आकाशस्थ पिंड जो सौर जगत का अंग हो और सूर्य की परिक्रमा करता हो; पकड़ने या वश में करने की क्रिया या भाव ---> गिरहम्; पिडित्तुक्कोळ्ळल् <br> <br>
'''ग्राम''' -- छोटी बस्ती, गांव ---> गिरामम्, पट्टित्तोट्टि <br> <br>
'''ग्रामीण''' -- ग्राम-संबंधी; गांव का ---> गिरामत्तान्; नाट्टुप्पुरत्तिय <br> <br>
'''ग्वाला''' -- अहीर, गोप ---> माट्टिडैयन् <br> <br>
'''घंटा''' -- दिन-रात का चौबीसवां भाग जो 60 मिनट का होता है; पूजा में या समय की सूचना देने वाला घड़ियाल; कोई काम करने की निश्चित अवधि (पीरियड) ---> 60 निमिडम् कॊण्ड ऒरुमणि नेरम्; मणि (अडिक्कुम्); काल वरैयरै॒ <br> <br>
'''घंटी''' -- छोटा उपकरण जिससे ध्वनि उत्पन्न की जा सकती हो, जैसे साइकिल या मेज पर की घंटी ---> सिरि॒य मणि <br> <br>
'''घटना''' -- घटित होना; ऐसी बातें या काम आदि जो हो चुका हो; कम होना ---> निगऴ; निगऴच्चि; कुरै॒य <br> <br>
'''घटाना''' -- कम करना; शेष निकालना; गणित में किसी एक राशि में से कोई दूसरी राशि निकालना ---> कुरै॒क्क; कऴिक्क; कऴिक्क <br> <br>
'''घटिया''' -- जो गुण, कर्म आदि की दृष्टि से औरों की तुलना में हीन हो ---> मट्ट रगमान <br> <br>
'''घड़ा''' -- धातु, मिट्टी आदि का बना एक गोलाकार पात्र जो प्राय: पानी भरने के काम आता है, गागर, मटका ---> पानै <br> <br>
'''घनघोर''' -- बहुत अधिक, घना; भीषण, विकट ---> अडर्न्द; बयंकरमान <br> <br>
'''घना''' -- जिसके अव्यव या अंश आसपास सटे हों; गहरा; बहुत अधिक, अतिशय ---> नॆरुक्कमान; अडर्त्तियान्; आळमान, मिग अदिग <br> <br>
'''घनिष्ठ''' -- जिसके साथ बहुत अधिक मित्रता या संबंध हो ---> नॆरुंगिय <br> <br>
'''घबराना''' -- व्याकुल होना; हिचकना; सकपकाना (आश्चर्य आदि से) ---> कलक्कमडैय; तडुमार; कलवरप्पड <br> <br>
'''घमंडी''' -- जिसे घमंड हो, अभिमानी ---> वीडु, इल्लम् <br> <br>
'''घर''' -- मकान, गृह ---> इल्लु <br> <br>
'''घरेलू''' -- घर-संबंधी; पालतू ---> वीट्टु; वळर्क्कप्पट्ट <br> <br>
'''घसियारा''' -- घास छील कर बेचने वाला ---> पुलवॆट्टुबवन् <br> <br>
'''घसीटना''' -- किसी वस्तु को इस प्रकार खींचना कि वह जमीन से रगड़ खाती हुई आए; जल्दी-जल्दी तथा अस्पष्ट लिखना; किसी को किसी काम में जबरदस्ती शामिल करना ---> -; किरु॒क्क; क्लुक्कट्टायमडुत्ति शेतुक्कॊळ्ळ <br> <br>
'''घाट''' -- नदी, झील आदि के तट पर वह स्थान जहाँ लोग नहाते-धोते और नावों पर चढ़ते-उतरते हैं ---> पडित्तुरै॒ <br> <br>
'''घाटा''' -- नुकसान, हानि, क्षति ---> नष्टम् <br> <br>
'''घाटी''' -- पर्वतीय प्रदेशों के बीच का मैदान या संकरा मार्ग ---> पळ्ळत्ताक्कु <br> <br>
'''घातक''' -- मार देने वाला; हानिकार ---> कॊलैयाळि; कॆडुदल शॆय्गिर <br> <br>
'''घायल''' -- जख्मी, आहत ---> कायमडैन्द <br> <br>
'''घास''' -- छोटी हरी वनस्पति जिसे चौपाए खाते हैं (ग्रास) ---> पुल् <br> <br>
'''घिसना''' -- किसी वस्तु को किसी वस्तु पर इस प्रकार रगड़ना कि वह छीजने लगे; किसी बरतन आदि पर जमी हुई मैल छुड़ाने के लिए उस पर कोई चीज़ रगड़ना, मांजना; रगड़ से कटना या छीजना ---> तेय्क्क; विळक्क; तेय <br> <br>
'''घुंघराला''' -- जिसमें छल्ले की तरह कई बल पड़े हों (कर्ली) ---> सुरुट्टैयान <br> <br>
'''घुंघरू''' -- चांदी, पीतल आदि का गोल पोला दाना जिसके अंदर कंकड़ी रहती है और जिसके हिलने से ध्वनि होती है। प्राय: नृत्य के समय इन्हें पैरों में पहना जाता है ---> सलंगै <br> <br>
'''घुटन''' -- दम घुटने की सी अवस्था या भाव; ऐसी अवस्था जिसमें कर्त्तव्य न सूझने पर मन में बहुत घबराहट होती है ---> मूच्चुत्तिणरल्; मनम् कुऴंबुदल <br> <br>
'''घुसना''' -- बलपूर्वक धंसना, प्रवेश करना या आगे बढ़ना ---> नुऴैय <br> <br>
'''घुसपैठ''' -- प्रयत्न करके या बलपूर्वक कहीं पहुँचकर अपने लिए स्थान बनाने की क्रिया या भाव (इन्फिल्ट्रेशन) ---> बलात्कारत्तुडन् उऴळै नुळैन्दुविडंळ् <br> <br>
'''घूंघट''' -- स्त्रियों की चुंदरी, धोती, साड़ी आदि का वह भाग जिसे वे सिर से कुछ नीचे कर अपना अपना मुंह ढंकती हैं ---> मुट्टाक्कु <br> <br>
'''घूंट''' -- तरल पदार्थ की उतनी मात्रा जितनी एक बार मुंह में भर कर गले के नीचे उतारी जाती है ---> ऒरु वायिळ् कुडिक्कक्कूडिय दिरव पदार्थम् <br> <br>
'''घूंसा''' -- बंधी हुई मुट्ठी का वह रूप जिसमें किसी पर प्रहार किया जाता है, मुक्का ---> मुष्टियाल कुत्तुवदु <br> <br>
'''घूमना''' -- चक्कर लगाना; सैर करना; किसी ओर मुड़ना ---> शुट्ट्; उलाव; तिरूंब <br> <br>
'''घूरना''' -- आंखे गड़ाकर देखना; काम या क्रोध से एकटक देखना ---> उट॒टुप्पार्क्क; मुरॆ॒त्तुप्पार्क्क <br> <br>
'''घूस''' -- रिश्वत; चूहे के वर्ग का एक बड़ा जन्तु जो पृथ्वी के अंदर बिल खोद कर रहता है ---> लंजम्; पॆरूच्चळि <br> <br>
'''घूसखोरी''' -- रिश्वत लेने की क्रिया या भाव ---> लंजम् वांगुदल् <br> <br>
'''घेरना''' -- चारों ओर से रोकना, अवरोध करना; कोई जगह इस प्रकार भरना कि औरों के लिए स्थान न रह जाय; ---> वळैत्तुक्कॊळ्ळ; इडत्तै अडैत्तुक्कॊळ्ळ <br> <br>
'''घेरा''' -- लंबाई-चौडाई आदि का सारा विस्तार या फैलाव; इस प्रकार घेर कर खड़े होने की स्थिति जिससे उस स्थान से कोई बाहर न निकल सके ---> सुट॒ट॒ळवु, विस्तारम्; मुट॒टुगै <br> <br>
'''घोंसला''' -- वृक्ष आदि पर तिनके, पत्ते आदि का बना हुआ स्थान जिसमें पक्षी रहते तथा अंडे देते हैं (नेस्ट) ---> परवैगळिन् कूडु <br> <br>
'''घोंटना (घोटना)''' -- गले को इस तरह दबाना कि सांस रुक जाए; मुंहजबानी याद रखना, रटना ---> मूच्चूतिणर॒च्चॆय्य; उरू अडिक्क <br> <br>
'''घोल''' -- किसी तरल पदार्थ में कोई दूसरी (घुलनशील) वस्तु मिलाकर तैयार किया हुआ मिश्रण ---> करैप्पु <br> <br>
'''घोलना''' -- किसी तरल पदार्थ में कोई अन्य घुलनशील वस्तु मिलाना ---> करैप्पु <br> <br>
'''घोषणा''' -- जन-साधारण को सुनाकर जोर से कही जाने वाली बात; सार्वजनिक रूप से निकाली गई राजाज्ञा ---> पॊदु अरि॒विप्पु; अरसु-अरि॒क्कै <br> <br>
'''चंगुल''' -- पशु-पक्षियों का ढेढ़ा पंजा जिससे वे किसी पर प्रहार करते अथवा कोई चीज पकड़ते हैं; किसी व्यक्ति के प्रभाव या वश में होने की वह स्थिति जिसमें से निकलना सहज न हो ---> परवैगळिन् वळैन्द नहंगळ्; बलुवान पिडिप्पु <br> <br>
'''चंचल''' -- अस्थिर; नटखट, शरारती; जो शांत न हो, विकल, उद्विग्न ---> निलैयिल्लाद; कुरुं॒बुत्तनमान; अमैदियट्ट <br> <br>
'''चंदन''' -- एक प्रसिद्ध पेड़ जिसकी लकड़ी बहुत सुगंधित होती है; उक्त लकड़ी को जल में घिस या रगंड़ कर बनाया हुआ गाढ़े घोल या लेप जिसका टीका आदि लगाया जाता है ---> चंदनमरम्; चन्दनम् <br> <br>
'''चंदा''' -- चंद्रमा; किसी परोपकारी अथवा सार्वजनिक कार्य के लिए दी या ली जाने वाली व्यक्तिगत आर्थिक सहायता; किसी संस्था, पत्रिका आदि को उसके सदस्य, ग्राहक आदि बने रहने के लिए दिया जाने वाला धन ---> चन्दिरन्; पंण उदवि; चन्दाप्पणम् <br> <br>
'''चंद्रमा''' -- पृथ्वी का एक प्रसिद्ध उपग्रह, चांद ---> चन्दिरन् <br> <br>
'''चकबंदी''' -- बहुत बड़े भूमि खंड को छोटे-छोटे चकों या भागों में बांटने की क्रिया या भाव; छोटे-छोटे खेतों को एक में मिलाकर उनके बड़े-बड़े चक या विभाग बनाने की क्रिया या भाव ---> वयलगळिन्; सिरियवल्गलै सॆर्त्तु पॆरिय वयलॊक्कुदल् <br> <br>
'''चकराना''' -- चकित होना; सिर घूमना; किसी को चक्कर या फेर में डालना, चकित करना ---> वियप्पड़ैय; तलै शुट॒ट॒; वियप्पूट्ट <br> <br>
'''चकित''' -- आश्चर्य में आया या पड़ा हुआ ---> आच्चारियमडैन्द, वियप्पूट्ट <br> <br>
'''चक्की''' -- आटा पीसने, दाल दलने आदि का प्रसिद्ध यंत्र या मशीन, जाँता ---> मावु अरैक्कुम् इयन्दिरम् <br> <br>
'''चक्र''' -- गाड़ी आदि का पहिया; पहिए के आकार का एक अस्त्र; देश भक्ति या वीरता आदि के लिए सरकार की ओर से दिया जाने वाला पदक या तमगा ---> चक्करम्; चक्रायुदम; वीरत्तुक्कान वॆगुमदि <br> <br>
'''चखना''' -- किसी खाद्य-वस्तु का स्वाद जानने के लिए उसका थोड़ा अंश मुंह में रखना या खाना ---> रुशि पार्क्क <br> <br>
'''चटपटा''' -- मिर्च-मसालेदार, तीक्ष्ण स्वाद का ---> कार-सारमान <br> <br>
'''चटाई''' -- फूस, सींक, पतली फटियों आदि का बिछावन ---> पाय् <br> <br>
'''चट्टान''' -- पत्थर का बहुत बड़ा और विशाल खंड ---> पारै॒ <br> <br>
'''चढ़ना''' -- ऊपर की ओर बढ़ना; सवार होना; उन्नति करना; बही खाते आदि में नामों, रकमों आदि का अंकित होना ---> एर्; सवारि शॆय्य; मुन्नेर॒; कणक्किल् ऍळुदप्पड <br> <br>
'''चढ़ाई''' -- ऊंचाई की ओर जाने वाली भूमि; आक्रमण ---> एट॒ट॒म्; पडैयॆडुप्पु <br> <br>
'''चतुर''' -- कार्य और व्यवहार में कुशल, प्रखर; चालाक, धूर्त ---> तिरमैयुळ्ळ; तन्दिरशालि <br> <br>
'''चपरासी''' -- कार्यालय के कागज-पत्र आदि लाने या ले जाने वाला कर्मचारी; अरदली ---> सेवगर् (अलुवलगत्तिन्); नेर्मुगसेवगर् <br> <br>
'''चपल''' -- स्थिर न रहने वाला ---> निलैयिल्लाद <br> <br>
'''चबाना''' -- दांतों से कुचलना ---> पर्कळाल् चवैत्तल् <br> <br>
'''चबूतरा''' -- मकान के अगले भाग में बैठने के लिए बनाई गई खुली चौकोर और चौरस जगह ---> मेडै, तिण्णै <br> <br>
'''चमक''' -- प्रकाश, कांति ---> ऒळि <br> <br>
'''चमकना''' -- प्रकाश या ज्योति से युक्त होना; कांति या आभा से युक्त होना; उन्नति करना ---> पिरकाशिक्क; ऒळि वीश; मुन्नेर तॆळियुक <br> <br>
'''चमड़ा''' -- पशुओं की खाल का औद्योगिक कार्यों के लिए तैयार किया हुआ रूप (लैदर); त्वचा ---> पदनिट्ट तोल्; तोल् <br> <br>
'''चमत्कार''' -- अलौकिक-सा जान पड़ने वाला काम या बात, करामात; आश्चर्य, विस्मय ---> अदिसयमान वेलै; वियप्पु <br> <br>
'''चरण''' -- किसी पूज्यव्यक्ति के पांव के लिए आदर-सूचक शब्द; किसी छंद, श्लोक आदि की पूरी पंक्ति अथवा चौथाई भाग ---> पादम्, अडि; शॆय्युळिल् ऒरु अडि <br> <br>
'''चरना''' -- पशुओं का खेतों आदि में उगी हुई घास, पौधे आदि खाना ---> मेय <br> <br>
'''चरबी (चर्बी)''' -- प्राणियों के शरीर में होने वाला सफेद या हल्के पीले रंग का गाढ़ा, चिकना तथा लसीला पदार्थ (फैट) ---> कॊऴुप्पु <br> <br>
'''चरवाहा''' -- वह व्यक्ति जो दूसरों के पशुओं को चराकर अपनी जीविका चलाता हो ---> आडुमाडु मेय्प्पवन् <br> <br>
'''चरस''' -- गांजे के पौधों के डंठलों पर से उतारा हुआ एक प्रकार का हरा या हल्का पीला गोंद या चेप जिसे लोग गांजे या तंमाकू की तरह पीते हैं ---> बोदै कॊडुक्कुम ऒरु मूलिगै <br> <br>
'''चरागाह''' -- पशुओं के चरने का स्थान, जहां प्राय: घास आदि उगी रहती है ---> मेय्च्चल निलम् <br> <br>
'''चरित्र''' -- वे सब बातें जो आचरण या व्यवहार आदि के रूप में की जायें, आचरण; कहानी, नाटक आदि का कोई पात्र ---> नडत्तै, गुणादिशयंगळ्; कदै अल्लंदु नाडग पत्तिरम् <br> <br>
'''चर्चा''' -- बातचीत, वार्तालाप; अफवाह ---> उरैयाडल्; वदन्ति <br> <br>
'''चलचित्र''' -- सिनेमा (फिल्म, मूवी) ---> तिरैप्पडम् सिनिमा <br> <br>
'''चलना''' -- पैरो, पहियों आदि की सहायता से अथवा किसी प्रकार की गति से युक्त होकर आगे बढ़ना; किसी चीज का ठीक तरह से उपयोग या व्यवहार में आते रहना; बराबर काम देते रहना; प्रहार के उद्देश्य से अस्त्र-शस्त्र आदि का प्रयोग या व्यवहार होना ---> नडक्क; उबयोगप्पड; पयनपड; पिरयोगिक्क <br> <br>
'''चलनी (छलनी)''' -- आटा, चाय आदि छानने का उपकरण ---> शल्लडै <br> <br>
'''चश्मा''' -- ऐनक; जल-स्रोत, सोता ---> मूक्कुक्कण्णाडि; नीर् ऊट॒टु शुनै <br> <br>
'''चसका''' -- किसी वस्तु या कार्य से होने वाली तृप्ति को बार-बार पाने की लालसापूर्ण प्रवृत्ति, चाट, लत ---> कॆट्ट विषयगळिल् नाट्टम् <br> <br>
'''चहकना''' -- पक्षियों का आनंदित होकर कूजना, चहचहाना; उमंग या प्रसन्नता से बढ़ चढ़ कर बोलना ---> परवैहळ् ऒलि शॆय्य; उरचाहमाह <br> <br>
'''चांटा''' -- हथेली तथा हाथ की उंगलियों से किसी के गाल पर किया जाने वाला प्रहार, थप्पड़, तमाचा, झापड़ ---> अरै (अ़डि) <br> <br>
'''चांदनी''' -- चांद का प्रकाश; छत पर या ऊपर की ओर तानने का कपड़ा; ---> निला; पंदलिन् उट्पुरम कट्टुम तुणि वितानम् <br> <br>
'''चांदी''' -- सफेद रंग की एक नरम चमकीली धातु जो गहने, सिक्के आदि गढ़ने के काम आती है ---> वॆळ्ळि <br> <br>
'''चाकू''' -- फल-तरकारी आदि काटने या कलम बनाने का छोटा औजार, छुरी ---> कत्ति <br> <br>
'''चाटना''' -- जीभ लगाकर या जीभ से पोंछ कर खाना ---> नक्क <br> <br>
'''चापलूस''' -- खुशामदी, चाटुकार ---> मुगस्तुति सॆयबवन् <br> <br>
'''चाबी''' -- ताली, कुंजी ---> सावि <br> <br>
'''चाबुक''' -- कोड़ा ---> शाट्टै, शवुक्कु <br> <br>
'''चारपाई''' -- खाट, छोटा पलंग ---> कट्टिल <br> <br>
'''चारा''' -- पशुओं के खाने की घास, पत्ती, डंठल आदि; चिड़ियों, मछलियों आदि को फंसाने अथवा जीवित रखने के लिए खिलाई जाने वाली वस्तु; उपाय, इलाज, युक्ति ---> काल् नडैत्तीवनम्; परवें/मीन्//पिडिक्क उपयोग़िक्कुम इरै; उपायम्, वऴि <br> <br>
'''चाल''' -- चलने की क्रिया या भाव; गति; धूर्तता; शतरंज, ताश आदि के खेल में अपनी बारी आने पर गोटी, पत्ता आदि आगे बढ़ाने या सामने लाने की क्रिया ---> नडै; पोक्कु; तन्दिरम्; शदुंरग विळैयाट्टिल कायै नगर्त्तुदल् <br> <br>
'''चालक''' -- चलाने वाला (ड्राइवर।) ---> ओट्टुबवर् <br> <br>
'''चालाक''' -- होशियार, व्यवहार-कुशल; धूर्त ---> तन्दिर शालियान; पोक्किरि <br> <br>
'''चालान (चलान)''' -- रवन्ना; अभियोगारंभ ---> वऴक्कु तॊडरल्; वऴक्कु तॊडरल् <br> <br>
'''चाहना''' -- इच्छा करना; प्रेम करना ---> विरुम्ब; कोर <br> <br>
'''चिंघाड़ना''' -- हाथी का बोलना या जोर से चिल्लाना ---> (यानै) पिळिर <br> <br>
'''चिंतन''' -- कोई बात समझने या सोचने के लिए मन में बार-बार किया जाने वाला उसका ध्यान या विचार, मनन ---> चिन्तनै, चिंदित्तल <br> <br>
'''चिंता''' -- सोच, फिक्र; परवाह ---> कवलै; परवाय <br> <br>
'''चिकना''' -- जो छूने में खुरदरा न हो; जिस पर पैर आदि फिसलें; जिसमें तेल आदि कोई चिकना पदार्थ लगा हो ---> पळवळप्पान; शरुक्कुगिर; ऎण्णैप्पशैयुळ्ळ <br> <br>
'''चिकित्सा''' -- रोग-निवारण का उपाय, इलाज ---> चिकिच्चै <br> <br>
'''चिट्ठी''' -- पत्र, ख़त ---> कडिदम्, मरुत्तुवम् <br> <br>
'''चिड़ियाघर''' -- वह स्थान जहाँ अनेक प्रकार के पशु-पक्षी आदि जन-साधारण को प्रदर्शित करने के लिये एकत्र करके रखे जाते हैं ---> मिरुगक्काट्चि शालै <br> <br>
'''चिढ़ाना''' -- नाराज करना; नकल उतारना ---> ऎरिच्चळ् मूट्ट; परिगसिक्क <br> <br>
'''चितकबरा''' -- सफेद रंग पर काले, लाल या पीले दागों वाला ---> वॆळ्ळै निर॒त्तिळ् करुप्पु/शिवप्पु <br> <br>
'''चिता''' -- चुनकर रखी हुई लकड़ियों का ढेर जिस पर मुर्दा जलाया जाता है, चिति ---> शिदै पुळ्ळि उळ्ळ <br> <br>
'''चित्त''' -- मन की एक अवस्था, अन्त: करण ---> मनदै आरायुम् शक्ति <br> <br>
'''चित्र''' -- तस्वीर (फोटो); पेंटिंग ---> पडम्; ओवियम् <br> <br>
'''चित्रकार''' -- चित्र बनाने वाला ---> ओवियर् <br> <br>
'''चिनगारी''' -- आग का छोटा कण; कोई ऐसी छोटी बात जिसका आगे चल कर बहुत उग्र या भीषण प्रभाव हो सकता है (लाक्षणिक) ---> नॆरुप्पु पॊरि <br>
'''चिपकना''' -- किसी लसीली वस्तु के कारण दो वस्तुओं का परस्पर जुड़ना; व्यक्तियों या वस्तुओं का पास-पास सटना ---> ऒट्टिक्कॊळ्ळ; नॆरूंगि इरूक्क <br> <br>
'''चिमनी''' -- मकान या कारखाने आदि का धुआं बाहर निकालने वाली विशेष नली, लैंप या लालटेन की शीशे की नली ---> पुरौपोक्कि विळक्किन कण्णाडि चिमिनि <br> <br>
'''चिल्लाना''' -- जोर से बोलना, शोर करना, हल्ला करना ---> उरक्क कत्त क्च्च लिड <br> <br>
'''चिह्न''' -- वह शब्द, बात या छाप जिससे किसी चीज की पहचान हो; दाग़ धब्बा, निशानी ---> अडैयाळम्; करि॒ <br> <br>
'''चीखना''' -- भय अथवा पीड़ा के कारण जोर से चिल्लाना; बहुत जोर से बोलना या कर्णकटु शब्द निकालना ---> वीरि॒ट्टुक्कत्त; कीच्चुक्कत्तल् <br> <br>
'''चीरना''' -- किसी चीज को धारदार उपकरण द्वारा काट या फाड़ कर अलग या टुकड़े करना ---> नरु॒क्क <br> <br>
'''चुंगी''' -- स्थानीय शासन द्वारा बाहर से आने वाले माल पर वसूल किया जाने वाला कर ---> सुंग वरि <br> <br>
'''चुंबक''' -- एक प्रकार का पत्थर या धातु जिसमें लोहे को अपनी ओर आकर्षित करने की शक्ति होती है ---> कान्दक्कल, कान्द इरूंबु <br> <br>
'''चुगना''' -- पक्षियों आदि का अपनी चोंच से अनाज के कण, कीड़े-मकोड़े आदि उठा-उठा कर खाना ---> अलहाल कॊत्ति तिन्न <br> <br>
'''चुगलखोर''' -- किसी की हानि करने के उद्देश्य से पीठ पीछे उसकी बुराई करने वाला ---> कोळ् शॊळ्ळि <br> <br>
'''चुटकुला''' -- चमत्कारपूर्ण और विलक्षण करवुं उक्ति अथवा बात जिसको सुन कर हंसी आए ---> तुणुक्कु विनोद, <br> <br>
'''चुनना''' -- बहुत में से कुछ को पंसद करके लेना; छोटी वस्तुओं को हाथ, चोंच आदि से एक-एक करके उठाना ---> पॊरुक्कि यॆडुक्क; पॊरुक्क, परि॒क्क <br> <br>
'''चुनरी''' -- वह रंगीन विशेषत: लाल कपड़ा जिसके बीच-बीच में बुंदकियां होती हैं ---> चुंगडिप्पुडवै <br> <br>
'''चुनाव''' -- चुनने की क्रिया या भाव; निर्वाचन ---> तेर्दल्; तेर्दल <br> <br>
'''चुनौती''' -- अपनी बात मनवाने के लिए किसी को उत्तेजित करते हुए सामना करने के लिए कहना, ललकार ---> शूळुरै <br> <br>
'''चुप''' -- मौन, खामोश ---> पेशाद, मौनमान <br> <br>
'''चुपड़ना''' -- किसी गीली या चिपचिपी वस्तु का लेप करना ---> तडव, पूश <br> <br>
'''चुभन''' -- किसी नुकीली वस्तु का दबाव पाकर किसी नरम वस्तु में धंसने की क्रिया या भाव; उक्त क्रिया के कारण होने वाली टीस या पीड़ा ---> कुत्तुदल; कुत्तुवलि <br> <br>
'''चुभाना''' -- कोई नुकीली चीज गड़ाना या धंसाना ---> कुत्त <br> <br>
'''चुराना''' -- छल-पूर्वक पराई वस्तु हरण करना; भय, संकोच आदि के कारण कोई चीज या बात दबा रखना या दूसरों के सम्मुख न लाना ---> तिरुड; बयत्तिनाल् मनदिल मरै॒त्तु वेक्क <br> <br>
'''चुस्त''' -- फुर्तीला; खूब कसा हुआ ---> शुरु॒ शुरु॒प्पान; इरु॒क्कमान <br> <br>
'''चूकना''' -- भूल करना; सुअवसर खो देना ---> पिऴै सॆय्य; नल् वाय्प्पै इऴक्क <br> <br>
'''चूड़ी''' -- सोने, चाँदी, काँच, हाथीदांत आदि का स्त्रियों का हाथ में पहनने का एक वृत्ताकार गहना; किसी पेंच के वृताकार खांचे (थ्रेड्स) ---> वळैयल्; तिरूगाणियिन् (स्क्रू) मरै <br> <br>
'''चूना''' -- कुछ विशिष्ट प्रकार के कंकड़-पत्थरों, शंख, सीप आदि को फूंक कर बनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध तीक्ष्ण और वाहक क्षार जिसका उपयोग दीवारों पर सफेदी करने और पान आदि के साथ खाने के लिए किया जाता है; किसी तरल पदार्थ का किसी छेद या संधि में से टपकना या बाहर निकलना ---> सुण्णांबु; ऒळुग <br> <br>
'''चूमना''' -- होठों से होंठ, हाथ, गाल, मस्तक आदि अंगों का अथवा किसी पदार्थ का स्पर्श करना ---> मुत्तम् इड <br> <br>
'''चूरन (चूर्ण)''' -- खूब महीन पीसी हुई बुकनी (पाउडर।) ---> पॊडि, तूळ् चूरणम् <br> <br>
'''चूल्हा''' -- मिट्टी, लोह आदि का वह उपकरण जिसमें चीजें पकाने या गरम करने के लिए कोयले, लकड़ियां आदि जलाई जाती हैं ---> अडुप्पु <br> <br>
'''चूसना''' -- जीभ और होंठ के संयोग से किसी वस्तु (विशेषत: फल) का रस अंदर खींचना; किसी गीली वस्तु की आर्द्रता सोख लेना; किसी का सत्व या सर्वस्व बल-पूर्वक या अनुचित रूप से हड़प लेना ---> उरिंज; ईरतै उरिंज; पिरर् सॊतैं अबगरित्तल <br> <br>
'''चेहरा''' -- गरदन के ऊपर का अगला भाग जिसमें मुंह, आंख, नाक, कान, मस्तक आदि होते हैं, मुखड़ा; मुखौटा ---> मुहम्, मुन् पुरम; मुगत्तोट॒ट॒म् <br> <br>
'''चोंच''' -- पक्षियों के मुंह का नुकीला और आगे की ओर निकला हुआ भाग ---> अलहु <br> <br>
'''चोट''' -- किसी वस्तु के आधात से शरीर पर होने वाला घाव; वार ---> कायम्; अडि <br> <br>
'''चोटी''' -- सबसे ऊपर का भाग; स्त्रियों के गुंथे हुए सिर के बाल, वेणी; हिन्दू पुरुषों के सिर के पिछले भाग के मध्य के थोड़े से लंबे बाल जिन्हें कटवाया नहीं जाता ---> उच्चि; कॊंड, पिन्नल्; शिगै, कुडुमि <br> <br>
'''चोर-बाज़ार''' -- व्यापार का वह क्षेत्र जहाँ चीजें चोरी से और, या अधिक ऊंचे दाम पर खरीदी या बेची जाती हैं (ब्लैक मार्केट) ---> कळ्ळ मार्कट्टु <br> <br>
'''चोरी''' -- चुराने की क्रिया या भाव; दूसरों से कोई बात छिपाने की क्रिया या भाव ---> तिरुट्टु; तिरुट्टुत्तनम् <br> <br>
'''चौंकना''' -- एकाएक किसी प्रकार की आहट, ध्वनि या शब्द सुनकर कुछ उत्तेजित अथवा विकल हो उठना; चकित होना ---> दिडुक्किड; वियप्पडैय <br> <br>
'''चौक''' -- आंगन, सहन; चबूतरा; चौराहा ---> मुट॒ट॒म; मेडै; श़दुक्कम् <br> <br>
'''चौकड़ी''' -- हिरन की वह दौड़ जिसमें वह चारों पैर एक साथ उठा कर छलांग मारता हुआ आगे बढ़ता है ---> नाळुकाल् पाय्च्चल <br> <br>
'''चौकस''' -- जो अपनी अथवा किसी की रक्षा के लिए पूर्णत: सचेत हो; ठीक, दुरुस्त, संपूर्ण ---> ऎच्चरिक्कैयाग; नल्लनिलैयिल् उळ्ळ <br> <br>
'''चौकीदार''' -- किसी स्थान पर पहरे का काम करने वाला कर्मचारी ---> कावल् कारन् पाराक्कारन् <br> <br>
'''चौखटा''' -- चौखट के आकार का ढांचा जिस में शीशा या तस्वीर आदि को मढ़ा जाता है ---> कण्णाडि/पडम् पॊरुत्तुवदर्कान नार्पुर मरच्चट्टम् <br> <br>
'''चौड़ा''' -- जिसके दोनों पार्श्वें के बीच में अधिक विस्तार हो, जो संकरा न हो ---> अगलमान <br> <br>
'''चौराहा''' -- वह स्थान जहाँ चारों दिशाओं से आने वाले मार्ग मिलते हों, चौरस्ता ---> नार्चन्दि <br> <br>
'''छंटनी''' -- छांटने की क्रिया; आवश्यकता से अधिक कर्मचारियों को सेवा से हटाने का काम (रिट्रेंचमेंट) ---> पॊरुक्कि तनियाक्कुदल; पणियाळर् कुरै॒प्पु <br> <br>
'''छड़ी''' -- बांस, बेंत, लकड़ी आदि की पतली लाठी ---> कुच्चि, पिरंबु <br> <br>
'''छत''' -- कमरा ढंकने वाली वास्तु-रचना का ऊपरी या निचला तल ---> वीट्टिन् मेल् तळम् <br> <br>
'''छतरी''' -- लोहे की तीलियों पर कपड़ा चढ़ा-कर धूप, वर्षा आदि से बचाव के लिए बनाया हुआ आच्छादन, छाता; चारों ओर से खुले हुए स्थान के ऊपर का मंडप; किसी की समाधि के स्थान पर बना हुआ मंडप; पैराशूट ---> कुडै; तिर॒न्द मण्डपम्; समादियिन्मेल् मंडपम्; पर॒क्कुम विमानत्तिलिरुन्द इरं॒गुवदकनि कुडै <br> <br>
'''छल''' -- कपट, धोखेबाजी ---> मोशम्, वंचनै <br> <br>
'''छलकाना''' -- बरतन में भरे हुए जल आदि को हिलाकर गिराना ---> तळुंबच्चॆय्य <br> <br>
'''छलना''' -- धोखा देना, ठगना, भुलावे में डालना; धोखा, वंचना ---> एमाट्ट, बंचिक्क; मोशम्, वंचनै <br> <br>
'''छल्ला''' -- सोने चाँदी आदि के तार को मोड़ कर बनाई हुई अंगूठी; उक्त प्रकार की कोई गोलाकार आकृति ---> वेळळि/तंग/कंबिगळाल्; मोदिरं <br> <br>
'''छांटना''' -- अनावश्यक अंश अलग करना; चुनना ---> वेण्डाद पहुदियै नीक्क; पोरुक्कि ऎडुक्क <br> <br>
'''छाज''' -- सरकंडों, सींकों आदि का बना हुआ वह उपकरण जिससे अनाज फटका जाता है, सूप; छप्पर ---> मुर॒म्; कूरै <br> <br>
'''छात्र''' -- विद्यार्थी ---> माणवन् <br> <br>
'''छात्रवृति''' -- विद्यार्थी को विद्याभ्यास के लिए दी जाने वाली आर्थिक सहायता ---> माणवर्गळुक्कळि <br> <br>
'''छात्रावास''' -- किसी स्कूल, कॉलेज के अंर्तगत वह स्थान जहां विद्यार्थी रहते हैं ---> माणवर् विडुदि <br> <br>
'''छानना''' -- आटे आदि को या तरल पदार्थ को चलनी या कपड़े से इस प्रकार निकालना जिसमें मोटा अंश रह जाए और महीन अंश नीचे गिर जाए; खोज, जांचना ---> वडि कट्ट; तेड, सोदिक्क <br> <br>
'''छान-बीन''' -- जांच-पड़ताल, खोजबीन ---> आराय्च्चि <br> <br>
'''छाप''' -- वह ठप्पा या सांचा जिससे कोई चीज छापी जाए, ठप्पा; प्रभाव, असर ---> मुटिरै, अच्चु; विळैवु <br> <br>
'''छापना''' -- यंत्रों, ठप्पों आदि की सहायता से अक्षर, चित्र आदि की छपाई करना; पुस्तक, लेख, समाचार पत्र आदि प्रकाशित करना ---> अच्चिड; पदिप्पिक्क <br> <br>
'''छापा (मारना)''' -- ठप्पा; कुछ विशिष्ट वस्तुएं पकड़ने के लिए पुलिस का अचानक या अप्रत्यशित रूप से कहीं पहुंच कर तलाशी लेने के लिए सब चीजों को देखना-भालना (रेड) ---> मुद्दिरै; दिडीर ताक्कुदल <br> <br>
'''छाया''' -- प्रकाश के अवरोध में उत्पन्न हलका अंधेरा; परछाई, प्रतिबिम्ब; सादृश्य, प्रतिकृति ---> निऴल्; पिरतिबिंबम्; उरुवम् <br> <br>
'''छाल''' -- वृक्षों आदि के तने पर का कड़ा, खुरदरा और मोटा छिलका ---> मरप्पट्टै <br> <br>
'''छाला''' -- शरीर के किसी अंग पर गरम पानी आदि पड़ने अथवा लगातार रगड़ के कारण होनेवाला मांस का कोमल और नरम उभार, फफोला ---> कॊप्पुळम <br> <br>
'''छावनी''' -- वह स्थान जहां सेना रहती हो, सैनिकों की बस्ती (केंटोंमेंट) ---> राणुवदळम <br> <br>
'''छिड़कना''' -- जल या कोई तरल पदार्थ इस प्रकार फेंकना कि उसके छींट बिखर कर चारों ओर पड़ें ---> तॆळिक्क <br> <br>
'''छिड़काव''' -- छिड़कने की क्रिया या भाव ---> तॊळित्तल <br> <br>
'''छिपाना''' -- किसी प्राणी या वस्तु को ऐसी जगह या स्थिति में रखना जहां कोई देख न सके, आवरण या ओट में रखना, ढांकना; किसी को किसी बात की जानकारी न कराना या न होने देना ---> ऒळिक्क; मरै॒क्क <br> <br>
'''छींकना''' -- नाक और मुंह से इस प्रकार सहसा जोर से सांस फेंकना कि जोर का शब्द हो, छींक लेना, छींक आना ---> तुम्म <br> <br>
'''छीनना''' -- किसी से कोई वस्तु आदि जबर्दस्ती ले लेना ---> पिडुंगिक् कॊळ्ळ <br> <br>
'''छीलना''' -- किसी चीज के ऊपर जमे या सटे हुए आवरण, तह अथवा परत को खींच कर उससे अलग करना; उगी या जमी हुई चीज को काटकर या खुरचकर अलग करना ---> तोल् उरिक्क; वळर्न्द/उरै॒न्द वस्तुबै वॆट्टि/शरंडि, ऎडुक्क <br> <br>
'''छुट्टी''' -- काम बंद रहने का दिन; जाने की अनुमति; छुटकारा ---> विडुमुरै॒; पोह अनुमदि; विडुदलै <br> <br>
'''छुरा''' -- लंबे फलवाला बड़ा चाकू ---> पॆरिय कत्ति <br> <br>
'''छूट''' -- बंधन आदि से मुक्ति, छुटकारा; रियायत, सुविधा; कुछ करने की आजादी ---> विडुदलै; विलक्कु, विट्टुक्कोडुत्तल्; शॆद्य उरिमै <br> <br>
'''छूत''' -- गंदी, अशुचि या रोग संवाहक वस्तु का स्पर्श या संसर्ग; अपवित्र वस्तु को छूने से होने वाला दोष ---> (तॊडक्कूडाद पॊरुळै) तीण्डुदळ्; तीण्डल् <br> <br>
'''छूना''' -- किसी वस्तु का शरीर के किसी अंग अथवा पहने हुए वस्त्र से लगना या स्पर्श होना ---> तॊड <br> <br>
'''छेड़ना''' -- किसी को उत्तेजित करने के लिए कुछ कहना या करना, चिढ़ाना; किसी वस्तु को इस प्रकार छूना या स्पर्श करना कि उसके फलस्वरूप कोई क्रिया या व्यापार घटित हो ---> वंबुसॆय्य; चीण्ड <br> <br>
'''छेदना''' -- छेद अथवा सुराख करना ---> तुळै पोड <br> <br>
'''छोटा''' -- मान, विस्तार आदि में अपेक्षाकृत या थोड़ा; उम्र में कम; तुच्छ, हीन ---> सिरि॒य; इळैय; अर्पमान <br> <br>
'''छोड़ना''' -- बंधन से मुक्त करना, स्वतन्त्र करना; माफ करना; त्याण देना; चलाना, फेंकना; किसी कार्य या उसके अंग को न करना या भूल से छोड़ देना; ++; विट्टु विड, विडुदलै शॆय्म; मन्निक्क; विट्टुविड; सॆलुत्त, ऎय्य
'''छोर''' -- अंतिम सिरा, किनारा ---> ओरम्, करै <br> <br>
'''जंग''' -- युद्ध; वायु और नमी के प्रभाव से उत्पन्न होकर लोहे पर जमने वाला मैला या विकृत अंश ---> युद्दम्, पोर्; तुरु <br> <br>
'''जंगल''' -- वन; निर्जन स्थान ---> काडु; जननडमाट्ट मट॒ट॒ इडम् <br> <br>
'''जंगला''' -- बरामदे, छज्जे आदि के किनारे-किनारे की गई रचना जिसमें लोहे या लकड़ी की छड़ें या जाली लगी हो ---> किरादि <br> <br>
'''जंजीर''' -- धातु की बहुत-सी कड़ियों को एक दूसरे में पहनाकर बनाई जाने वाली लड़ी, सांकल, श्रृंखला ---> संगिलि <br> <br>
'''जंतु''' -- प्राणी, जीव ---> पिराणि <br> <br>
'''जकड़ना''' -- कोई चीज इस प्रकार कसकर पकड़ना या बांधना कि वह हिलडुल न सकें; शीत आदि के कोप से शरीर का ऐंठना या तन जाना, अकड़ना ---> इरुक्किक्कट्ट; विरै॒त्तुपयोग <br> <br>
'''जगत्''' -- संसार, विश्व ---> उलगम् <br> <br>
'''जगत''' -- कुएं के चारों ओर बना हुआ चबूतरा जिस पर खड़े होकर पानी खींचा जाता है ---> किणट॒टु मेडै <br> <br>
'''जगमगाना''' -- अपने या दूसरे के प्रकाश से चमकने लगना ---> जॊलिक्क <br> <br>
'''जटिल''' -- कठिन, पेचीदा ---> शिक्कलान <br> <br>
'''जड़''' -- जिसमें जीवन अथवा चेतना न हो, निर्जीव, अचेतन; पेड़-पौधों आदि का नीचे वाला मूल भाग जो जमीन के अंदर हो ---> उण्रवट॒ट॒; वेर् <br> <br>
'''जनगणना''' -- किसी देश या राज्य के निवासियों की गिनती ---> तॊगैकणक्कु <br> <br>
'''जनजाति''' -- जंगलों, पहाड़ों आदि पर रहने वाली पिछड़ी जाति जो साधारणत: एक ही पूर्वज की वंशज हो और जिसका प्राय: एक ही पेशा, रहन-सहन और विचार आदि हो ---> पऴंकुडि मक्कळ् <br> <br>
'''जनतंत्र''' -- ऐसी शासन प्रणाली जिसमें देश या राज्य का शासन जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा होता हो ---> कुडि आट्चि <br> <br>
'''जनता''' -- किसी देश या राज्य में रहने वाले व्यक्तियों की संज्ञा, जनसाधारण, प्रजा ---> पिरजैगळ्, पॊदु मक्कळ् <br> <br>
'''जनेऊ''' -- हिंन्दुओं में बालकों का यज्ञोपवीत नामक संस्कार जिसमें सूत की तिहरी माला पहनाई जाती है; यज्ञोपवीत, ब्रह्मसूत्र ---> उपनयनम्, पूणूल् पोडुदल; पूणूल् <br> <br>
'''जन्मकुंडली''' -- वह चक्र जिसमें जन्मकाल के ग्रहों की स्थिति बताई गई हो ---> जादगम् <br> <br>
'''जन्म-दिन''' -- वह दिन जब किसी ने जन्म लिया हो ---> पिर॒न्द नाळ् <br> <br>
'''जन्म भूमि''' -- वह देश, राज्य या स्थान जहां किसी का जन्म हुआ हो ---> पिर॒न्द नाडु <br> <br>
'''जपना''' -- फल-प्राप्ति के लिए किसी शब्द, पद, वाक्य आदि को श्रद्धापूर्वक मन ही मन बार-बार कहना ---> जबिक्क <br> <br>
'''जबरदस्त''' -- प्रबल अथवा स्वभाव से कड़ा (व्यक्ति) ---> वलुवान <br> <br>
'''जमा''' -- बचाकर या जोड़कर रखा हुआ; मूलधन, पूंजी; जोड़ (गणित) ; खाते या बही का वह भाग या कोष्ठक जिसमें प्राप्त हुए धन का ब्योरा दिया जाता है ---> शेर्त्तुकैक्प्पट्ट; मुदल्; कूट्टुत्तॊगै; वरवु वैक्कुम पगुदि <br> <br>
'''ज़मानत''' -- वह जिम्मेदारी जो न्यायलय द्वारा इस रूप में दी जाती है कि यदि कोई व्यक्ति विशेष समय पर कोई काम नहीं करेगा तो उसका दंड या हरजाना भरा जाएगा (बेल) ; वह धन जो कोई जिम्मेदारी लेते समय किसी अधिकारी के पास जमा किया जाता है (सिक्योरिटि) ---> जामीन्; पिणैयम् <br> <br>
'''जमाना''' -- किसी तरल पदार्थ को शीत अथवा अन्य किसी प्रक्रिया से ठोस बनाना; एक वस्तु को दूसरी वस्तु पर दृढ़तापूर्वक स्थित करना या बैठाना ---> उरैयच्चॆय्य; नन्गु पॊरूत्ति वैक्क <br> <br>
'''ज़माना''' -- काल, समय ---> कालम् <br> <br>
'''जमींदार''' -- जमीन का मालिक, भूमि का स्वामी ---> जमीन्दार, निलक्किऴार् <br> <br>
'''जम्हाई''' -- एक शारीरिक व्यापार जिसमें, मनुष्य गहरा सांस लेने के लिए पूरा मुंह खोलता है (यानिंग) ---> कॊट्टावि <br> <br>
'''जयंती''' -- जन्मतिथि पर मनाया जाने वाला उत्सव; किसी महत्वपूर्ण कार्य के आरंभ होने की वार्षिक तिथि पर होने वाला उत्सव ---> पिर॒न्द नाळ् बिऴा; वर डान्दिर विऴा <br> <br>
'''जय-माला''' -- विजेता को पहनाई जाने वाली माला; विवाह के समय फूलों आदि की वह माला जो कन्या अपने भावी पति के गले में डालती है ---> वॆटटि वाहै; मण्पण् मणमगनुक्कुं अणिविक्कुं मालै <br> <br>
'''जरी''' -- सोने के वे तार जिनसे कपड़ों पर बेल-बूटे आदि बनाए जाते हैं ---> जरिगै <br> <br>
'''जरूर''' -- अवश्य ---> अवसियम्, कट्टायम् <br> <br>
'''जर्जर''' -- (वस्तु) कमजोर, बेकाम; खंडित, टूटा-फूटा, जीर्ण ---> उबयोगमट॒ट॒; उबयोगमट॒ट॒ <br> <br>
'''जलचर''' -- जल में रहने वाले जीव जंतु ---> नीर-वाऴव्न <br> <br>
'''जलना''' -- आग का संयोग होने पर किसी वस्तु से लपट, प्रकाश, ताप या धुआं आदि निकलने की स्थिति; उक्त प्रकार के संयोग से विकृत होना, झुलसना या भस्म होना; ईष्या, द्वेष आदि से कुढ़ना, संतप्त होना ---> ऎरिय; ऎरिन्दु नाशमाग; पॊरा॒मैप्पड <br> <br>
'''जलपान''' -- कलेवा, नाश्ता ---> शिट्टुण्डि, नाश्ता <br> <br>
'''जलप्रपात''' -- ऊंचाई से गिरने वाला, जल-प्रवाह, झरना (वाटर फाल) ---> नीर् वीळ्च्चि <br> <br>
'''जलयान''' -- वह यान या सवारी जो जल में चलती हो ---> पडगु, कप्पल् <br> <br>
'''जलवायु''' -- किसी प्रदेश की प्राकृतिक या वातावरणिक स्थिति जिसका विशेष प्रभाव जीवों, जंतुओं वनस्पतियों आदि की उपज, विकास तथा स्वास्थ्य पर पड़ता है (क्लाइमेट) ---> तट्प-वॆट्प निलै <br> <br>
'''जलसा''' -- उत्सव, समारोह, अधिवेशन, बैठक ---> विऴा <br> <br>
'''जलाशय''' -- तालाब, झील ---> कुळम्, एरि <br> <br>
'''जलूस (जुलूस)''' -- गलियों, बाजारों, सड़कों आदि पर प्रचार, प्रदर्शन आदि के लिए निकलने वाला लोगों का समूह ---> ऊर्वलम् <br> <br>
'''जल्दी''' -- शीघ्रता, तेजी, उतावलापन ---> जल्दी, शीक्किरम् <br> <br>
'''जहां''' -- जिस जगह, जिस स्थान पर ---> ऍविटॆ <br> <br>
'''जहाज''' -- जलयान ---> कप्पल् <br> <br>
'''जांच''' -- छान-बीन, परख, तहकीकात ---> आयवु <br> <br>
'''जांचना''' -- किसी प्रक्रिया, प्रयोग आदि के द्वारा किसी वस्तु की प्रामाणिकता, शुद्धता आदि का पता लगाना; किसी बात, सिद्धान्त आदि की उपयुक्तता, सत्यता का पता लगाना ---> परीक्षिक्क, सोदिक्क; पॊरुत्तम अल्लद उण्मैयै आराय <br> <br>
'''जागरण''' -- जागते रहने की अवस्था या भाव; किसी उत्सव, पर्व आदि के उपलक्ष में रात को जागते रहने का भाव ---> विऴित्तिरुत्तल; कण् विऴित्तल, मेन्मै पॆर॒ <br> <br>
'''जाड़ा''' -- सरदी, शीत; शीतकाल ---> कुळिर्; कुळिर् कालम् <br> <br>
'''जाति''' -- जात, संप्रदाय, नस्ल; पदार्थो या जीव-जन्तुओं की आकृति, गुण, धर्म आदि की समानता के विचार से किया हुआ विभाग, वर्ग ---> जाति; इनम् <br> <br>
'''जादू''' -- बुद्धि के कौशल और हाथ की सफाई से दिखाया जाने वाला कोई खेल जिसका रहस्य न समझने के कारण उसे अलौकिक कृत्य समझा जाए (मैजिक); किसी वस्तु का वह गुण या शक्ति जिसके कारण उस वस्तु की ओर लोग बरबस आकृष्ट हो जाते हैं, वशीकरण ---> जालविद्दै; माया जालम्, इन्द्रजालम् <br> <br>
'''जादूगर''' -- जादू के खेल दिखाने वाला व्यक्ति; आश्चर्यजनक रीति से विलक्षण कार्य करने वाला ---> जाल विद्दैक्कारन्; अर्बुदस्सॆयल् सॆय्बवन् <br> <br>
'''जानकारी''' -- जानकार होने की अवस्था, गुण या भाव, परिचय ---> अरि॒न्दिरूत्तल् <br> <br>
'''जानना''' -- किसी बात, वस्तु, विषय आदि के संबंध की वस्तुस्थिति से अवगत होना ---> अरि॒य, तॆरिन्दुकॊळ्ळ <br> <br>
'''जाना''' -- एक स्थान से चलकर अथवा और किसी प्रकार की गति में होकर दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए आगे या उसकी ओर बढ़ना, गमन या प्रस्थान करना ---> पोग <br> <br>
'''जाल''' -- धागे, सुतली आदि की बुनी हुई वह छेदों वाली रचना जो चिड़िया, मछलियां आदि फंसाने के काम आती है; फंसाने की युक्ति या फंदा ---> वलै; पारि॒ <br> <br>
'''जालसाज''' -- धोखाधड़ी करने वाला, धूर्त्त ---> मोशडि सॆयबवन् <br> <br>
'''जाला''' -- मकड़ी द्वारा बुना हुआ जाला; आंख का एक रोग जिसमें पुतली पर झिल्ली-सी आ जाती है ---> शिलन्दिक् कूडु; कण नोय् <br> <br>
'''जाली''' -- कोई ऐसी रचना जिसमें प्राय: नियत और नियमित रूप से छेद या कटाव हो; एक प्रकार का कपड़ा जिसमें बहुत छोटे-छोटे छेद होते हैं; धोखा देने के लिए बनाया गया, झूठा, नकली या बनावटी ---> जालि वलैप्पिन्नल्; जल्लात्तुणि; पोलि <br> <br>
'''जासूस''' -- वह व्यक्ति, जो गुप्त रूप से अपराधियों, प्रतिपक्षियों आदि का भेद लेता हो। गुप्तचर, भेदिया ---> ऒट॒ट॒न् उळवाळि <br> <br>
'''जासूसी''' -- जासूस का काम, पद या विद्या; जासूस संबंधी ---> उळवरि॒दल्; मर्म (उळवु संबन्दमान) <br> <br>
'''जिज्ञासा''' -- जानने की इच्छा ---> आवल् <br> <br>
'''जितना''' -- जिस मात्रा या परिमाण में ---> ऎन्द अळविल् <br> <br>
'''जिम्मेदार''' -- वह जिस पर किसी कार्य, वस्तु अथवा और किसी बात की जावाबदेही हो ---> पॊरुप्पुळ्ळ <br> <br>
'''जिला''' -- किसी राज्य का वह छोटा विभाग जो किसी एक प्रधान अधिकारी की देख-देख में हो और जिसमें कई तहसीलें हो (डिस्ट्रिक्ट) ---> जिल्ला, मावट्टम् <br> <br>
'''जीतना''' -- युद्ध, मुकदमा, खेल आदि में विपक्षी के विरुद्ध सफल होना; दमन करना, वश में करना ---> वॆल्ल; उयिर् बाळ <br> <br>
'''जीना''' -- जीवित रहना, जीवन के दिन बिताना ---> माडिप्पडि <br> <br>
'''ज़ीना''' -- सीढ़ी ---> निच्चेन मेट्लु <br> <br>
'''जीव''' -- जीवधारी, प्राणी; प्राणियों में रहने वाला चेतन तत्व, जीवात्मा ---> उयिरुळ्ळवै, पिराणि; उयिर्, जीवात्मा <br> <br>
'''जीव-विज्ञान''' -- वह विज्ञान जिसमें जीव जन्तुओं, वनस्पतियों आदि की उत्पत्ति, विकास, शारीरिक रचना तथा उनके रहन-सहन के संबंध में विचार किया जाता है (बायॅलाजी) ---> उयिर् इयल् <br> <br>
'''जीवाणु''' -- सेन्द्रिय जीवों का वह मूल और बहुत सूक्ष्म रूप जो विकसित होकर नये जीव का रूप धारण करता है ---> जीव-अणु <br> <br>
'''जुआ (जूआ)''' -- गाड़ी, हल आदि के आगे की वह लकड़ी जो जोते जाने वाले पशुओं के कंधों पर रखी जाती है (योक); धन आदि की बाजी लगाकर खेला जाने वाला खेल (गैंबलिंग) ---> नुगत्तडि; शूदाट्टम् <br> <br>
'''जुआरी''' -- जिसे जुआ खेलने का व्यसन हो ---> शूदाडुबवन् <br> <br>
'''जुटना''' -- चीजों, व्यक्तियों आदि का इकट्ठा होना; किसी काम में जी लगाकर योग देना ---> ऒन्रु॒ सेर; वेलैयिल् ईडुपड <br> <br>
'''जुड़ना''' -- संबंध होना; इकट्ठा होना ---> इणैय; ऒन्रु॒ शेर <br> <br>
'''जुड़वां''' -- जिनका जन्म एक साथ हुआ हो; (कोई ऐसे दो या अधिक पदार्थ) जो आपस में एक साथ जुड़े, लगे या सटे हों ---> इरट्टैयान; ऒन्रागइणैन्द इरु पॊरुळ्गळ् <br> <br>
'''जुताई (जोताई)''' -- जुतने या जोते जाने की क्रिया, भाव या मजदूरी ---> उळुविकॆ उऴवुकूलि <br> <br>
'''जुरमाना (जुर्माना)''' -- किसी अपराध, दोष या भूल के दंड स्वरूप ली जाने वाली धनराशि, अर्थ दंड ---> अबरादम् <br> <br>
'''जूझना''' -- शारीरिक बल लगाते हुए प्रयत्न करना, संघर्ष करना, लड़ना ---> मुळु बलत्तुडन् मुयर्चिक्क, पोराड <br> <br>
'''जूड़ा''' -- सिर के बालों को लपेट कर बनाया हुआ आकार-विशेष ---> कॊण्डै <br> <br>
'''जेब''' -- कुरते, कमीज़ आदि में रुपए-पैसे आदि रखने के लिए बनी हुई थैली (पाकेट) ---> जेबि, शट्टैप्पै <br> <br>
'''जेबकतरा''' -- दूसरों के जेब के रुपए-पैसे उड़ाने वाला ---> जेबडित् तिरूडन् <br> <br>
'''जेल''' -- कारा, कारागार ---> जयिल, शिरैच्चालै <br> <br>
'''जैसा''' -- जिस आकार-प्रकार या रूप रंग का, जिस तरह का; समान, सदृश ---> ऎप्पडिप्पट्ट; पोन्र॒ <br> <br>
'''जोंक''' -- पानी में रहने वाला एक कीड़ा जो अन्य जीवों के शरीर से चिपक कर उनका रक्त चूसता है ---> अट्टै <br> <br>
'''जो''' -- एक संबंधवाचक सर्वनाम जिसका प्रयोग पहले कही हुई किसी बात अथवा पहले आई हुई संज्ञा, सर्वनाम या पद के संबंध में कुछ और कहने से पहले किया जाता है; किसी अज्ञात या अनिश्चित बात का सूचक ---> ऎन्द; एदो <br> <br>
'''जोखिम''' -- हानि, अनिष्ट, घाटे की संभावना, खतरा ---> आघत्तु, आबायम् <br> <br>
'''जोड़ना''' -- दो वस्तुओं या टुकड़ों को एक दूसरे के साथ चिपकाना, सीना, मिलाना आदि; अपनी ओर से कुछ मिलाना; गणित में संख्याओं का योग करना ---> इणैक्क; सेर्क्क; कूट्ट <br> <br>
'''जोड़ा''' -- एक सी या एक साथ काम में आने वाली दो वस्तुएँ; एक ही प्रकार के जीवों का नर-मादा का युग्म ---> जोडि; ऒरि इनत्तै शेर्न्द आण्-पॆण् जोडि <br> <br>
'''जोतना''' -- कोई चीज घुमाने या चलाने के लिए उसके आगे कोई पशु बांधना; खेत को बोये जाने के योग्य बनाने के लिए उसमें हल चलाना ---> बाण्डियिल् पूट्ट एरिल् पूट्ट; उऴ <br> <br>
'''जोरदार''' -- (व्यक्ति) जिसमें ज़ोर अर्थात् बल हो; (बात) जो तत्वपूर्ण और प्रभावशाली हो ---> बलत्त; उरु॒दियान, शक्तिवायन्द <br> <br>
'''जोर-शोर''' -- किसी काम को पूरा करने के लिए लगाया जाने वाला जोर और दिलाया जाने वाला उत्साह तथा प्रयास ---> दडबुडल् <br> <br>
'''जोश''' -- आंच या गरमी के कारण द्रव-पदार्थ में आने वाला उफान, उबाल; आवेश, मनोवेग, उत्साह ---> कॊदिप्पु; उर्चाहम् <br> <br>
'''जौहरी''' -- हीरा, लाल आदि बहुमूल्य रत्न परखने और बेचने वाला व्यापारी ---> रत्तिन वियापारि <br> <br>
'''ज्ञान''' -- जानकारी, बोध ---> अरि॒वु, ञानम् <br> <br>
'''ज्ञापन''' -- कोई बात किसी को जतलाने, बतलाने या सूचित करने का भाव, क्रिया या पात्र ---> कुरि॒प्पाणै <br> <br>
'''ज्यादा''' -- अधिक, अतिरिक्त, बहुत ---> अदिगमान, निरै॒य <br> <br>
'''ज्योति''' -- प्रकाश, उजाला; लपट, लौ ---> ऒळि; तीप्पिऴम्बु <br> <br>
'''ज्योतिष''' -- ग्रह, नक्षत्रों की गति, स्थिति आदि से उत्पन्न प्रभावों का विचार करने वाला शास्त्र ---> जोदिडम् <br> <br>
'''ज्वर''' -- शरीर की वह गर्मी जो अस्वस्थता प्रकट करे, ताप, बुखार (फीवर) ---> जुरम्, काय्च्यल् <br> <br>
'''ज्वारभाटा''' -- चंद्रमा और सूर्य के आकर्षण से समुद्र की जलराशि का चढ़ाव और उतार ---> कडल्, पॊगुदलुम् वडिदलुम् <br> <br>
'''ज्वाला''' -- आग की लपट या लौ, अग्निशिखा ---> जुवालै <br> <br>
'''ज्वालामुखी''' -- वे पर्वत जिनकी चोटी में से धुआं, राख तथा पिघले या जले हुए पदार्थ बराबर अथवा समय-समय पर निकलते रहते हैं (वालकैनो) ---> ऎरिमलै <br> <br>
'''झंकार''' -- धातु के किसी पात्र अथवा तार पर आधात होने से निकलने वाला झनाहट का शब्द ---> 'गणीर्' ऍन्र॒ ऒलि <br> <br>
'''झंडा''' -- पताका, निशान ---> कॊडि <br> <br>
'''झगड़ा''' -- दो पक्षों में होने वाली कहासुनी या विवाद, लड़ाई ---> सण्डै <br> <br>
'''झगड़ालू''' -- जो प्राय: दूसरों से झगड़ा करता हो ---> सण्डैक्कारन् <br> <br>
'''झटकना''' -- किसी चीज को एकाएक जोर से हिलाना, झटका देना ---> उदर॒ <br> <br>
'''झटका''' -- हलका धक्का, झोंका, आधात ---> उररु॒दल, तळ्ळुदल <br> <br>
'''झटपट''' -- अति शीघ्र, तुरंत ही, एकदम ---> तुरिदमाग, उडने <br> <br>
'''झड़प''' -- दो जीवों या प्राणियों में कुछ समय के लिए होने वाली ऐसी छोटी लड़ाई जिसमें वे एक-दूसरे पर रह-रह कर झपटते हों ---> कै कलप्पु, सच्चरवु <br> <br>
'''झड़ी''' -- कुछ समय तक लगातार होने वाली वर्षा ---> विडादु पॆय्दल् <br> <br>
'''झपकी''' -- हलकी नींद, थोड़ी देर की नींद ---> कण् अयर्वु <br> <br>
'''झपटना''' -- किसी चीज को लेने, पकड़ने अथवा उस पर आक्रमण करने के लिए तेजी से लपकना ---> वेगमाय्पाय <br> <br>
'''झरना''' -- ऊंचे स्थान से नीचे गिरने वाला जल-प्रवाह, प्रपात; चश्मा, सोता; ऊंचे स्थान से पानी या किसी चीज का लगातार नीचे गिरना ---> नीर् वीऴच्चि; नीर् ऊट॒टु; उदिर, पाय <br> <br>
'''झरोखा''' -- दीवार में बनी हुई जालीदार छोटी खिड़की, गवाक्ष ---> शाळरम् <br> <br>
'''झलक''' -- चमक, दमक, आभा; आकृठति का आभास या प्रतिबिंब ---> पळपळप्पु मिन्नल्; तोट॒ट॒म् <br> <br>
'''झांकी''' -- किसी पूज्य या प्रिय वस्तु, घटना या व्यक्ति का सुखद अवलोकन, दर्शन; सजीव दृश्य, नाटकीय दृश्य, मनोहर दृश्य ---> दरिशनम्; मनम् कवरुम् काट्चि <br> <br>
'''झाग''' -- किसी तरल पदार्थ के फेंटने या बिलौने से निकलने वाला फेन ---> नुरै <br> <br>
'''झाड़ना''' -- फटकार कर धूल-गर्द साफ करना, बुहारना; फटकारना ---> तूश्यि तट्टि आगट॒ट॒, पॆरुक्क; कंडिक्क <br> <br>
'''झाड़ी''' -- छोटा झाड़ या पौधा; कंटीले पौधों या झाड़ों का समूह ---> सिरि॒य मरम, शॆडि; पुदर् <br> <br>
'''झाडू''' -- लंबी सींकों अथवा ताड़ या खजूर के पत्तों आदि का वह मुट्ठा जिससे कूड़ा-करकट, धूल आदि साफ की जाती है ---> तुडैप्पम् <br> <br>
'''झिझक''' -- किसी काम को करने मे होने वाला संकोच, हिचक ---> तयक्कम् <br> <br>
'''झिड़कना''' -- अवज्ञा या तिरस्कारपूर्वक बिगड़ कर कोई बात कहना ---> अदट्ट, तिट्ट <br> <br>
'''झील''' -- लंबा-चौड़ा प्राकृतिक जलाशय (लेक) ---> एरि <br> <br>
'''झुंझलाना''' -- झल्लाना, खिझलाना, चिड़चिड़ाना ---> शिडुशिडुक्क <br> <br>
'''झुंझलाहट''' -- झुंझलाने की अवस्था, क्रिया या भाव, झल्लाहट ---> शिडुशिडुप्पु <br> <br>
'''झुंड''' -- पशु-पक्षियों आदि का समूह; व्यक्तियों या जीवों का समूह ---> मन्दै, कूट्टम्; मन्दै, कूट्टम् <br> <br>
'''झुकना''' -- टेढ़ा होना, मुड़ना; आदर, लज्जा अथवा बोझ, भार आदि के कारण नमित होना ---> कुनिय; तलै वणंग <br> <br>
'''झुग्गी''' -- झोंपड़ी या कुटी ---> कुडिशै <br> <br>
'''झुठलाना''' -- किसी को झूठा ठहराना, सिद्ध करना या बहकाना ---> पॊयपिक्क, एमाट॒ट॒ <br> <br>
'''झुर्री''' -- त्वचा पर पड़ने वाली शिकन ---> तोलिल् उंडागुम् सुरुक्कम् <br> <br>
'''झूठ''' -- असत्य, मिथ्या ---> पॊय् <br> <br>
'''झूमना''' -- बार-बार आगे पीछे इधर उधर झुकते या हिलते-डुलते रहना, हलकी गति में झोंके खाना; नशे, नींद, प्रसन्नता या मस्ती में शरीर को धीरे-धीरे हिलाना ---> ऊंजलाड; असैन्दाड <br> <br>
'''झूलना''' -- किसी लटकी हुई चीज का बार-बार आगे-पीछे होना; झूले पर बैठ कर पेंग लेना ---> ऊशलाड; ऊंजलिल् आड <br> <br>
'''झूला''' -- पेड़ की डाल, छत या किसी अन्य ऊंचे स्थान से बांधकर लटकाई हुई जंजीरें या रस्सियां जिनपर तख्ता आदि लगा कर झूलते हैं (स्विंग) ---> ऊंजल् <br> <br>
'''झेंप''' -- लज्जा, संकोच, शर्म ---> नाणम् <br> <br>
'''झेंपना''' -- लज्जित होना, शर्माना ---> नाण <br> <br>
'''झेलना''' -- अपने ऊपर लेना, सहना ---> अनुबविक्क <br> <br>
'''झोंकना''' -- किसी वस्तु को आग में फेंकना; वेग से किसी चीज को डालना या फेंकना ---> तीयिल् पोड; वेगमाय् तळ्ळ <br> <br>
'''झोंका''' -- थोड़े समय के लिए सहसा वेगपूर्वक चलने वाली वायुलहरी; थोड़े समय के लिए सहसा आने वाली नींद ---> काट॒टि॒न्; कण् अयर्वु <br> <br>
'''झोंपड़ी''' -- घास-फूस से छाया हुआ छोटा, कच्चा घर, झुग्गी ---> कुडिशै <br> <br>
'''झोला''' -- चीजें रखने की कपड़े की थैली या थैला ---> पॆरिय पै (जोल्ना पै) <br> <br>
'''टंकार''' -- धनुष की प्रत्यंचा (डोरी) को तान कर सहसा ढीला छोड़ने पर होने वाली ध्वनि; धातु खण्ड, विशेषत: धातु के कसे या तने हुए तार पर आधात लगने से होने वाली टन-टन ध्वनि ---> नाण् ऒलि; कंबियै/उलोगत्तुण्डै/तट्टिनाल् उंडागुम् 'टन' एन्नुम ऒलि <br> <br>
'''टंकी''' -- पानी भर कर रखने का एक आधान या पात्र, हौज़, कुंड ---> तण्णीर्ताटॆटि <br> <br>
'''टकराना''' -- भिड़ना; मार्ग में बाधक होना, मुकाबला या सामना करना, संघर्ष होना ---> मोद; तडुक्क <br> <br>
'''टकसाल''' -- वह स्थान जहां सिक्के बनाए जाते है ---> नाणयंगळ् तयारिक्कुम्इडम् (तंगशालै) <br> <br>
'''टक्कर''' -- दो वस्तुओं का वेग के साथ आपस में भिड़ जाना; संघर्ष, मुकाबला ---> मुट्टिक्कॊळ्ळल्; मोदल् <br> <br>
'''टटोलना''' -- स्पष्ट दिखाई न पड़ने पर हाथ या उंगलियों से छूकर वस्तु का अनुमान करना ---> तडवित्तेड <br> <br>
'''टपकना''' -- किसी तरल पदार्थ का बूंद-बूंद करके रिसना या फलों आदि का टप-टप करते हुए गिरना ---> शॊट्ट, कीऴॆविळ <br> <br>
'''टहनी''' -- वृक्ष की शाखा, डाल, डाली ---> सिरु॒ किलै, मिळारु <br> <br>
'''टहलना''' -- जी बहलाने या स्वास्थ्य सुधार के लिए चलना-फिरना, घूमना ---> उलाव <br> <br>
'''टांकना''' -- सूई, डोरे आदि से सीकर कोई चीज कपड़ों पर लगाना ---> तुणियिन् मेल् तैक्क <br> <br>
'''टांका''' -- हाथ की सिलाई में, धागे आदि की वह सीवन जो एक बार सूई को एक स्थान से गड़ाकर दूसरे स्थान पर निकालने से बनती है (स्टिच); धातुओं को जोड़ने या सटाने के लिए लगाया गया जोड़ ---> तैयल्; पट॒ट॒ वैत्तल् <br> <br>
'''टांगना''' -- लटकाना ---> त॑गंविड, माट्ट <br> <br>
'''टाट''' -- सन या पटसन का मोटा कपड़ा ---> कित्तान् <br> <br>
'''टापू''' -- स्थल का वह भाग जो चारों ओर से जल से घिरो हो, द्वीप ---> तीवु <br> <br>
'''टालना''' -- स्थगित करना; बहाना करके पीछा छुड़ाना, टरकाना; निवारण करना, घटित न होने देना ---> ऒत्तिप् पोड; तट्टिक्कऴिक्क; तडुक्क <br> <br>
'''टिकना''' -- किसी आधार पर ठीक प्रकार से खड़ा या स्थित होना; यात्रा के समय विश्राम के लिए कहीं ठहरना ---> निलैत्तुनिर्क; वऴित्तंग <br> <br>
'''टिकाऊ''' -- जो अधिक समय तक काम में आता रहे, मज़बूत ---> उरु॒दियान, नॆडुनाळ् उऴैक्किर॒ <br> <br>
'''टिकिया''' -- कोई गोलाकार चपटी, कड़ी तथा छोटी वस्तु (टेब्लेट); साबुन आदि का छोटा आयताकार टुकड़ा ---> मात्तिरै; विल्लै <br> <br>
'''टीका''' -- तिलक, बिंदी; किसी गन्थ, पद आदि का अर्थ स्पष्ट करने वाला कथन, व्याख्या ---> नॆट॒टि॒प पॊट॒टु; तिळक्क उरै <br> <br>
'''टीका-टिप्पणी''' -- किसी प्रसंग के गुण-दोषों आदि के संबंध में प्रकट किए जाने वाले विचार ---> कुट॒ट॒म कुरगळ एडुत्तुक्काट्टुदल् <br> <br>
'''टीला''' -- छोटी पहाड़ी की तरह का ऊंचा भूखंड, ढूह ---> मणल्मेडु, सिरु॒कुन्रु॒ <br> <br>
'''टुकड़ा''' -- अंश, खंड, भाग ---> तुण्डु <br> <br>
'''टेक''' -- सहारा, आधार; हठ, आग्रह, संकल्प; गाने की प्रथम पंक्ति जो बार-बार दोहराई जाती है ---> मुट्टु; अड़म्; पल्लवि <br> <br>
'''टेकना''' -- अपने शरीर को अथवा किसी वस्तु को किसी दूसरी चीज के सहारे खड़ा करना या बैठाना, टिकाना ---> साय्न्दु कॊळळ, साय्त्तु वैक्क <br> <br>
'''टेढ़ा''' -- जो बीच में इधर-उधर मुड़ा हो, वक्र; कुटिल, धूर्त; मुश्किल, कठिन, उलझनपूर्ण ---> कोणलान; पोक्किरि; सिक्कलान <br> <br>
'''टोकना''' -- रोकना, बाधा डालना ---> तडुक्क <br> <br>
'''टोकरी''' -- बांस की खमचियों या तीलियों अथवा बेंत, सरकंडे आदि का बना हुआ खुले तथा चौड़े मुँहवाला बड़ा आधान (बास्केट) ---> कूडै <br> <br>
'''टोली''' -- मनुष्य का समूह, मंडली, दल, गिरोह ---> कुळ <br> <br>
'''टोह''' -- खोज, जांच, तलाशी; किसी अज्ञात बात का पता लगाने की क्रिया अथवा उससे प्राप्त होने वाली जानकारी ---> तेडुदल्; अरि॒याद पॊरुळै तॆरिन्दुकॊळ्ळशॆययुम् मुदर्चि <br> <br>
'''ठंडक''' -- वातावरण की ऐसी स्थिति जिसमें सुखद और प्रिय हल्की ठंड हो; जलन की कमी, चैन ---> कुळिर्चचि; आरु॒दल् <br> <br>
'''ठंडा''' -- उष्णता या ताप से रहित ---> कुळिर्न्द <br> <br>
'''ठग''' -- वह जो धोखा देकर दूसरे का धन या सामान हड़प ले, कपटी, धूर्त ---> एमाटटुक्कारन्, पोक्किरि <br> <br>
'''ठगना''' -- धोखा देना, छलना ---> एमाट॒ट॒ <br> <br>
'''ठप्पा''' -- धातु, लकड़ी आदि की छाप या मुहर; ठप्पे का छापा या चिह्न ---> मुद्दिरै; मुद्दिरै <br> <br>
'''ठहरना''' -- रुकना; किसी स्थान पर थोड़े समय के लिए रहने के लिए रुकना ---> तंग; वऴित्तंग <br> <br>
'''ठहाका''' -- जोर से हंसने का शब्द, कहकहा, अट्टहास ---> उरत्त शिरिप्पु <br> <br>
'''ठाट-बाट''' -- आडंबर, तड़क-भड़क, शान-शौकत ---> आडंबरम्, विमरिसै <br> <br>
'''ठिकाना''' -- रहने या ठहरने का स्थान ---> तंगुमिडम् <br> <br>
'''ठीक''' -- उपयुक्त; शुद्ध, सत्य ---> सरियान; सरि, नल्लदु <br> <br>
'''ठुकराना''' -- पैर से ठोकर लगाना; उपेक्षा या तिरस्कारपूर्वक अस्वीकार करना ---> उदैत्तुत्त्तळ्ळ; अवमदिक्क <br> <br>
'''ठूंठ''' -- वह वृक्ष जिसका धड़ ही बच रहा हो तथा जिसकी टहनियां टूट गई हों ---> मॊट्टै मारम् <br> <br>
'''ठूंसना''' -- जबरदस्ती कोई चीज किसी में डालना या भरना ---> तिणिक्क <br> <br>
'''ठेकेदार''' -- वह व्यक्ति जो ठेके पर दूसरों के काम करता या करवाता है (कंट्रेक्टर) ---> ऒप्पन्दक्कारर् <br> <br>
'''ठोंकना''' -- अच्छी तरह पीटना; किसी चीज को किसी दूसरी चीज के अंदर गड़ाने, धंसाने आदि के लिए उसके पिछले भाग पर जोर से आघात करना ---> नन्गु तट्ट; नग्नु तट्ट <br> <br>
'''ठोकर''' -- आघात जो चलने में कंकड़ पत्थर आदि के धक्के से पैर में लगे; पदाघात ---> इडरुदल्; कालाल् उदैत्तल् <br> <br>
'''ठोस''' -- जिसकी रचना में अंदर कहीं खोखलापन न हो, भरपूर; तथ्यपूर्ण, दृढ़, प्रमाणिक ---> दिडमान; उण्मैयान <br> <br>
'''डंक''' -- बिच्छू, मधुमक्खी आदि में पीछे का जहरीला कांटा ---> कॊडुक्कु <br> <br>
'''डंडा''' -- लकड़ी का मोटा सीधा लंबा टुकड़ा जिसका मुख्य प्रयोग मारने या बांधने के लिए होता है, दंड ---> तडि <br> <br>
'''डकार''' -- भोजन करने के पश्चात पेट में भरी वायु का कंठ से शब्द के साथ निकल पड़ने का शारीरिक व्यापार ---> एप्पम् <br> <br>
'''डकैती''' -- डाका, लूट-मार ---> कॊळ्ळै <br> <br>
'''डग''' -- कदम ---> कालडि <br> <br>
'''डगमगाना''' -- लड़खड़ाना, डिंगना, हिलना; विचलित होना या करना ---> तळ्ळाड; संचलप्पड <br> <br>
'''डरना''' -- भयभीत होना ---> बयप्पड <br> <br>
'''डरपोक''' -- कायर, भीरु ---> कोऴै, बयगॊळि <br> <br>
'''डराना''' -- किसी के मन में डर उत्पन्न करना, धमकाना ---> बयमुरुत्त <br> <br>
'''डरावना''' -- भयानक ---> बयंगरमान <br> <br>
'''डसना''' -- किसी जहरीले कीड़े का किसी को इस प्रकार काटना कि उसके शरीर में जहर प्रवेश हो जाए ---> विष जंतु तीण्ड <br> <br>
'''डांट''' -- किसी को सचेत करने के लिए कड़ी बात कहना ---> अदट्टल् <br> <br>
'''डांवाडोल''' -- जो सहसा किसी आघात से हिलने-डुलने लगे; (व्यक्ति अथवा स्थिति) अनिश्चित ---> आट्टम् कंड; निलैयट॒ट॒ <br> <br>
'''डाक''' -- पत्रों, बंडलों आदि को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने की सरकारी व्यवस्था; उक्त व्यवस्था द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाया जाने वाला पत्र या सामग्री ---> तपाल्; अञ्ञर कडिद त्तोहुदि <br> <br>
'''डाकघर''' -- डाकखाना ---> तपाल् आपीस्, अंजल् <br> <br>
'''डाका''' -- डकैती, लूट-मार ---> कॊळ्ळै <br> <br>
'''डाकू''' -- डाका डालने वाला ---> कॊळ्ळैक्कारन् <br> <br>
'''डाल''' -- पेड़-पौधे आदि की टहनी या शाखा ---> मरक्किळै <br> <br>
'''डालना''' -- किसी आधान या पात्र में कोई चीज कुछ ऊंचाई से गिराना, छोड़ना या रखना ---> पोड <br> <br>
'''डाह''' -- ईर्ष्या, जलन, कुढ़न ---> पॊरामै <br> <br>
'''डिबिया''' -- किसी वस्तु को रखने का ढक्कनदार बहुत छोटा आधान, बहुत छोटा डिब्बा ---> डब्बि <br> <br>
'''डिब्बा''' -- सामान रखने का बड़ा ढक्कनदार आधान जो पीतल, लकड़ी आदि का बना होता है; रेलगाड़ी का एक घटक, माल या सवारी गाड़ी का डिब्बा ---> डब्बा; रयिल् पॆट्टि <br> <br>
'''डींग''' -- अपने बल, योग्यता या साहस के बारे में बढ़ा-चढ़ा कर बात करना, शेखी ---> तर्पेरुमै <br> <br>
'''डुबाना''' -- ऐसा काम करना जिससे कोई चीज डूब जाए ---> मूऴ्गाडिक्क <br> <br>
'''डेढ़''' -- मान, मात्रा, संख्या आदि की किसी एक इकाई और उसकी आधी इकाई के योग का सूचक विशेषण ---> ऒन्र॒रै <br> <br>
'''डेरा''' -- पैदल यात्रा आदि के समय अस्थायी रूप से बीच में ठहरने का स्थान, पड़ाव ---> वऴित्तंगुमिडम् <br> <br>
'''डोंगी''' -- एक प्रकार की छोटी खुली नाव ---> तोणि <br> <br>
'''डोर''' -- सूत आदि का बटा हुआ पतला मजबूत धागा; पतंग आदि उड़ाने के लिए वह धागा जिस पर मांझा लगा होता है ---> कयिरु; नूल् (मांजा) <br> <br>
'''डोल''' -- कुएं से पानी खींचने का बरतन; ---> वाळि <br> <br>
'''डोली''' -- पालकी की तरह की एक प्रसिद्ध चौकोर छाई हुई सवारी जिसे दो कहार कंधे पर उठाकर चलते हैं और जिस पर प्राय: वधू बैठकर पहले-पहल ससुराल जाती है ---> मूडु पल्लक्कु <br> <br>
'''ड्योढ़ी''' -- किसी भवन या मकान के मुख्य प्रवेश द्वार के आसपास की भूमि या स्थान; घर के मुख्य द्वार के अंदर का वह भाग जिसमें से होकर घर के कमरों, आंगन आदि में जाया जाता है ---> निलैप्पडि; निलैवायिल् <br> <br>
'''ढंग''' -- कोई काम करने की रीति ---> मुरै॒ <br> <br>
'''ढकना''' -- किसी पर आवरण डालना ताकि वह दिखाई न पड़े; वह चीज या रचना जिससे कोई चीज ढकी जाती है, ढक्कन ---> मूड; मूडि <br> <br>
'''ढकेलना''' -- धक्का देकर आगे बढ़ाना ---> मुन्नेरुं॒बडि तळ्ळ <br> <br>
'''ढकोसला''' -- स्वार्थ-सिद्धि के लिए अपनाया हुआ झूठा रूप, दिखावा ---> शूदु, वॆळिप्पगट्टु <br> <br>
'''ढक्कन''' -- ढकना ---> मूडि <br> <br>
'''ढलाई''' -- ढालने की क्रिया या भाव; पिघली हुई धातु को सांचे में ढालकर बरतन, मूर्त्तियां आदि बनाने की क्रिया, भाव और मजदूरी ---> वार्प्पु; वार्प्पुक्कूलि <br> <br>
'''ढलान''' -- कोई ऐसा भूखंड जो चपटा और समतल न हो, बल्कि तिरछा हो जिसमें नीचे की ओर ढाल हो ---> सरिवु <br> <br>
'''ढांचा''' -- कोई वस्तु या रचना बनाते समय उसके विभिन्न मुख्य अंगों को जोड़ या वांध कर खड़ा किया हुआ आरंभिक रूप (फ्रेम); ठठरी या पंजर ---> एलुम्बुक्कूडु; वडिवम् <br> <br>
'''ढाई''' -- (इकाई या मान) जिसमें पूरे दो के साथ आधा और मिला हुआ हो ---> इरण्डरै <br> <br>
'''ढाढ़स''' -- तसल्ली, सांत्वना, धीरज ---> आरु॒दल, मनोदैयिम् <br> <br>
'''ढाबा''' -- वह स्थान जहां पकी हुई कच्ची रसोई बिकती या दाम लेकर लोगों को खिलाई जाती है ---> सिरि॒य उणवु विडुदि <br> <br>
'''ढाल''' -- चमड़े, धातु आदि का बना हुआ वह गोलाकार उपकरण जिसे युद्ध क्षेत्र में सैनिक लोग तलवार, भाले आदि का वार रोकने के लिए अपने बाएं हाथ में रखते थे; किसी भूखंड का ऐसा तल जो क्षितिज के समतल न हो बल्कि तिरछा या नीचे की ओर झुका हो, ढलान ---> केडयम्; शरिवान निलम् <br> <br>
'''ढिंढोरा (ढंढोरा)''' -- वह डुग्गी या ढोल जिसे बजा कर किसी बात की सार्वजनिक घोषणा की जाती है; उक्त प्रकार से की हुई घोषणा ---> दण्डोरा; दण्डोरा अडित्तु अरि॒विप्पु <br> <br>
'''ढीठ''' -- जो जल्दी किसी से डरता न हो और जो भय या संकट के समय भी अपने हठ पर अड़ा रहता हो, धृष्ट; जो प्राय: ऐसे अवसरों पर भी संकोच न करता हो जहां बड़ों की मान-मर्यादा का ध्यान रखना आवश्यक हो ---> पिडिवादमान; तुडुक्कान <br> <br>
'''ढीला''' -- शिथिल; जिसमें उचित कसाव-खिंचाव या तनाव का अभाव हो; जो नाप में आवश्यकता से अधिक गहरा, लंबा या चौड़ा हो ---> तळर्न्द; तॊय्न्द; तॊळतॊळत्त <br> <br>
'''ढुलाई''' -- ढोने की क्रिया, भाव या मजदूरी ---> सुमै कूलि <br> <br>
'''ढूंढना''' -- कोई छिपी या इधर-उधर पड़ी हुई वस्तु या आंख से ओझल व्यक्ति का पता लगाना, खोजना ---> तेड <br> <br>
'''ढेर''' -- एक स्थान पर विशेषत: एक दूसरे पर रखी हुई बहुत सी वस्तुओं का ऊंचा समूह ---> कुवियल् <br> <br>
'''ढेला''' -- मिट्टी या पत्थर का कड़ा टुकड़ा ---> मण्-कट्टि <br> <br>
'''ढोंगी''' -- झूठा आडंबर खड़ा करने वाला धोखेबाज, पाखंडी ---> नय वंजगन् <br> <br>
'''ढोना''' -- पीठ या सिर पर रखकर कोई भारी चीज एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना ---> सुमन्दु सॆल्ल <br> <br>
'''तंग''' -- संकरा, संकीर्ण; आवश्यकता से अधिक कसा हुआ और कुछ छोटा, चुस्त; परेशान, हैरान ---> कुरु॒गलान; इरु॒गिय; तॊल्लैक्कुळ्ळान <br> <br>
'''तंतु''' -- ऊन, रेशम, सूत आदि का बटा हुआ डोरा, तागा; ---> इऴै <br> <br>
'''तंदूर''' -- एक तरह का चूल्हा जिसकी ऊंची गोलाकार दीवार के भीतरी भाग में रोटियां चिपका कर बनाई जाती है (ओवन) ---> तंदूर रो॑ट्टि अडुप्पु <br> <br>
'''तंद्रा''' -- हलकी नींद, ऊंघ ---> तूक्कमयक्कम् <br> <br>
'''तंबाकू''' -- एक प्रसिद्ध पौध और उसके पत्ते जो अनेक रूपों में नशे के लिए काम में लाए जाते हैं ---> पुगैइलै <br> <br>
'''तंबू''' -- शमियाना, खेमा ---> तूणिप्पन्दल् कूडारम् <br> <br>
'''तंबोली (तमोली)''' -- पानलगाकर बेचने अथवा पान का व्यवसाय करनेवाला ---> बीडा विर्पवन् <br> <br>
'''तकनीक''' -- शिल्प, पद्धति ---> तॊऴिल् नुट्पम् <br> <br>
'''तकला''' -- सूत कातने और लपेटने के काम आनेवाली चरखे से लगी लोहे की सलाई, टेकुआ ---> राट्टै-क्-कदिर् <br> <br>
'''तकलीफ''' -- कष्ट, दुख, पीड़ा; विपत्ति, संकट ---> कष्टम्, तॊन्दरवु; संगड़म् <br> <br>
'''तख्त''' -- राजसिंहासन; लकड़ी की बनी बड़ी चौकी ---> अरियणै; उट्कारुम् पलगै <br> <br>
'''तख्ता''' -- लकड़ी का आयाताकार बड़ा तथा समतल टुकड़ा ---> पलगै <br> <br>
'''तट''' -- कूल, किनारा, तीर ---> करै <br> <br>
'''तटस्थ''' -- विरोध, विवाद आदि के प्रसंगों में दोनों दलो से अलग और निर्लिप्त रहने वाला, निरपेक्ष ---> नडुनिलै निर्कुम् <br> <br>
'''तड़पना''' -- अत्यन्त दु:खी होना, छटपटाना, तिलमिलाना; किसी वस्तु के लिए बेचैन होना ---> तुडिक्क; तुडिक्क <br> <br>
'''तत्परता''' -- उद्यत होने की अवस्था, गुण या भाव, सन्नद्धता; मनोयोगपूर्वक काम करने का भाव, तल्लीनता ---> मुनैन्दनिलै; ईडुपाडु <br> <br>
'''तथा''' -- दो चीजों, बातों आदि में योग या संगति स्थापित करने वाला एक योजक अव्यय, और; किसी के अनुरूप या अनुसार, वैसा ही ---> मेलुम्, मट॒टुम्; अदु पोलवे <br> <br>
'''तथ्य''' -- सत्यता, यथार्थता ---> उण्मै <br> <br>
'''तन''' -- शरीर, देह, जिस्म ---> उडल् <br> <br>
'''तना''' -- पेड़-पौधों का जमीन से ऊपर निकला हुआ वह मोटा भाग जिसके ऊपरी सिरे पर डालियां निकली होती हैं, धड़ ---> अड़िमरम्, तण्डु <br> <br>
'''तनखाह''' -- वेतन ---> संबळम् <br> <br>
'''तन्मयता''' -- मग्न अथवा दत्तचित होने की अवस्था, गुण या भाव ---> ऒन्रि॒प्पोदल् <br> <br>
'''तपस्या''' -- मन की शुद्धि, मोक्ष की प्राप्ति, पाप के प्रायश्चित आदि के लिए स्वेच्छा से किए जानेवाला कठोर आचरण और नियमपालन, तप; कष्ट-सहन ---> तवम्; कष्टत्तै मेर॒कॊळ्ळल् <br> <br>
'''तब''' -- उस समय; बाद में; उस कारण ---> अप्पॊऴदु; पिर॒गु; आदलाल् <br> <br>
'''तबीयत''' -- स्वास्थ्य की दृष्टि से किसी की शारीरिक या मानसिक स्थिति, मिज़ाज; मन का रुझान, प्रवृत्ति ---> उड्लनिलै, मननिले; मनप्पोक्कु <br> <br>
'''तमगा''' -- पदक (मेडल) ---> पदक्कम् <br> <br>
'''तमाचा''' -- थप्पड़, झापड़, चांटा ---> कन्नत्तिल अरै॒ <br> <br>
'''तमाशा''' -- मनोरंजक दृश्य; अद्भुत बात ---> वेडिक्कै; वेडिक्कै <br> <br>
'''तय करना''' -- फैसला या निर्णय अथवा निश्चित करना; (रास्ता आदि) पूरा या समाप्त करना ---> तीर्मानिक्क; कडक्क <br> <br>
'''तरंग''' -- पानी की लहर, हिल़ोर; उमंग; स्वरलहरी ---> अलै; उर्चाहम्; इशैयिन् अलै <br> <br>
'''तरकीब''' -- उपाय, युक्ति; ढंग, तरीका ---> वऴि, युक्ति; मुरै॒, वगै <br> <br>
'''तरक्की''' -- प्रगति, बढ़ोतरी, उन्नति; पदवृद्धि, पदोन्नति ---> मुन्नेट॒ट॒म्; पदवि उयर्वु <br> <br>
'''तरह''' -- ढंग, प्रकार, तरीका, किस्म ---> मादिरि, मुरै॒ <br> <br>
'''तरीका''' -- रीति, ढंग; उपाय, युक्ति ---> वऴि, मुरै॒, विदम्; युक्ति, वऴि <br> <br>
'''तरुण''' -- जवान ---> वालिबन् <br> <br>
'''तर्क''' -- युक्ति, दलील ---> तरूक्कम्, वादम् <br> <br>
'''तल''' -- निचला भाग, पेंदा, तला; ऊपरी सतह ---> कीऴ् बागम्; मेल् मट्टम् <br> <br>
'''तलवा''' -- पैर का नीचे का भाग; पदतल ---> उळ्ळंकाल् <br> <br>
'''तलवार''' -- खड्ग, कृपाण ---> वाळ् <br> <br>
'''तला''' -- पेंदा; जूते के नीचे का चमड़ा ---> अडिबागम; शॆरुप्पिन् (अडित्तोल्) <br> <br>
'''तलाक''' -- वैधानिक रीति से विवाह संबंध का विच्छेद ---> विवाह रद्दु <br> <br>
'''तसल्ली''' -- ढाढस, दिलासा, सांत्वना; संतोष ---> आरु॒दल्; मन निरै॒वु <br> <br>
'''तसवीर''' -- चित्र ---> पडम्, चित्तिरम् <br> <br>
'''तस्कर''' -- देय शुल्क चुकाए बिना अवैधानिक रूप से एक देश का माल दूसरे देश में पहुंचाने वाला (स्मगलर) ---> कळ्ळळ्कडत्तलकारन् <br> <br>
'''तह''' -- परत ---> मडिप्पु <br> <br>
'''ताकना''' -- देखना ---> उट॒टु नोक्क <br> <br>
'''तागा''' -- डोरा ---> नूल, कयिरु <br> <br>
'''ताज''' -- राजमुकट ---> मगुडम्, किरीडम् <br> <br>
'''ताजा''' -- जो अधिक दिनों का या बासी न हो; प्रफुल्लित और स्वस्थ ---> पुदिय, इन्रैय <br>
'''ताड़ी''' -- ताड़ के वृक्ष से निकला हुआ सफेद मादक रस ---> -;
'''ताना-बाना''' -- बुनाई के समय क्रमश: लंबाई तथा चौडाई के बल फैलाए या बुने जाने वाले सूत ---> पावु नूल, ऊडै नूल <br> <br>
'''ताप''' -- उष्णता, गरमी; ज्वर, बुखार; उष्मा ---> वॆप्पम्, शुडु; जुरम्; उष्णम्, वॆप्पम् <br> <br>
'''तापमान''' -- थर्मामीटर आदि द्वारा मापी गई ताप की मात्रा (टेम्परेचर) ---> वॆप्प निलै <br> <br>
'''ताम्रपत्र''' -- तांबे की पत्तर; तांबे की वह पत्तर जिस पर महत्वपूर्ण बात स्थायी रूप से लिखी गई हो ---> तामिरत् तगडु; तामिर पत्तिरम् <br> <br>
'''तार''' -- धातु का तागा-रूप (वायर); तार द्वारा समाचार या वह कागज जिस पर उक्त समाचार पहुंचाया जाता है ---> कवि; तन्दि <br> <br>
'''तारकोल''' -- अलकतारा, काले रंग का एक गाढ़ा द्रव जो लकड़ी आदि रंगने के काम आता है ---> तार् <br> <br>
'''तारतम्य''' -- क्रम, क्रमबद्धता ---> ऒळुगु, वरिशैक्किरमम् <br> <br>
'''तारा''' -- नक्षत्र, सितारा; आंख की पुतली ---> नक्षत्तिरम्, विण्मीन्; कण् मणि <br> <br>
'''तारीख''' -- दिनांक, तिथि ---> तेदि <br> <br>
'''तालमेल''' -- समन्वय, संगति ---> शीरान इणैप्पु <br> <br>
'''ताला''' -- जंदरा (लाक) ---> पूट्टु <br> <br>
'''तालाबंदी''' -- कारखाने आदि का उसके मालिक द्वारा अनिश्चित काल के लिए बंद किया जाना ---> कदवडैप्पु <br> <br>
'''तालाब''' -- पोखर, सरोवर ---> कुळम् <br> <br>
'''तालिका''' -- सूची ---> पट्टियल्, जाबिता <br> <br>
'''तावीज़''' -- चांदी, सोने आदि का वह छोटा संपुट जो रक्षा कवच के रूप में गले या बांह पर पहना जाता है ---> तायत्तु <br> <br>
'''ताश''' -- गत्ते या दफ्ती के 52 पत्ते जिनसे विभिन्न खेल खेले जाते है (प्लेंइग कार्ड) ---> विळैयाडुम् शीट्टु <br> <br>
'''तिजोरी''' -- लोहे की वह मजबूत छोटी अलमारी या पेटी जिसमें कीमती वस्तुएं सुरक्षा की दृष्टि से रखी जाती हैं (सेफ) ---> इरुंबुप्पॆट्टि <br> <br>
'''तिथि''' -- चन्द्रमास कें किसी पक्ष का कोई दिन अथवा उसे सूचित करने वाली कोई संख्या ---> तिदि <br> <br>
'''तिनका''' -- तृण, घासफूस ---> तुरुंबु, पुल् <br> <br>
'''तिपाई''' -- बैठने या सामान रखने की तीन पायों वाली ऊंची चौकी ---> मुक्कालि <br> <br>
'''तिमाही''' -- हर तीसरे महीने का, त्रैमासिक ---> काल्-वरुडत्तिय <br> <br>
'''तिरंगा''' -- तीन रंगों वाला ---> मूवण्णम् <br> <br>
'''तिरपाल''' -- राल या रोगन चढ़ाया हुआ एक प्रकार का मोटा कपड़ा ---> तार् पाय् <br> <br>
'''तिलक''' -- केसर, चंदन आदि से ललाट पर लगाई जाने वाली गोल बिंदी या लंबी रेखा, टीका ---> नॆट॒टि॒प् पॊट्टु <br> <br>
'''तिलमिलाना''' -- बेचैन या विकल होना; बौखलाना ---> तुडित्तुप्पॊग; मनम् कुळंब <br> <br>
'''तिलांजलि''' -- सदा के लिए किसी से संबंध विच्छेद ---> ऒरे अडियाग तॊडबैं अरु॒त्तुक्कॊळ्ळल् <br> <br>
'''तीक्ष्ण''' -- तेज नोक या धार वाला, तीखा, तेज; उग्र, कटु ---> कूमैयान; कडुमैयान <br> <br>
'''तीखा''' -- कटु, अप्रिय; चरपरे स्वाद वाला; तेज नोक या धार वाला ---> मनदुक्कु पिडिक्काद; कारमान; कूर्मैयान, कूरान <br> <br>
'''तीर''' -- नदी का किनारा, तट; बाण ---> नदिक्करै; अंबु <br> <br>
'''तीर्थ''' -- धार्मिक दृष्टि से पवित्र स्थल, पुण्य क्षेत्र ---> पुण्णियत्तलम् <br> <br>
'''तीली''' -- माचिस की सलाई ---> ईर्कुच्चि <br> <br>
'''तुकबंदी''' -- साधारण पद्य रचना ---> इयैबोलितोगुप्पु <br> <br>
'''तुतलाना''' -- शब्दों का अस्पष्ट उच्चारण ---> मऴलैयागप्पेश <br> <br>
'''तुम''' -- तू का बहुवचन जिसका प्रयोग बराबर के व्यक्ति के लिए किया जाता है ---> नीं/नीर् <br> <br>
'''तुम्हारा''' -- तुम का षष्ठी विभक्ति लगने पर बनने वाला रूप ---> उंगळुडैय, उन्नुडैय <br> <br>
'''तुरंत''' -- शीघ्र, झटपट ---> उडने <br> <br>
'''तुरपना''' -- सूई धागे से बड़े-बड़े टांके लगाना या सीना ---> ओट्टुत्तैयल् पोड <br> <br>
'''तुला''' -- तराजू, कांटा ---> तिरासु, निरै॒कोल् <br> <br>
'''तुलादान''' -- अपने शरीर के भार के बराबर तोल कर दिया जाने वाला अन्न, द्रव्य आदि का दान ---> तन् ऎडैक्कु सममान पॊरुळै दानमळित्तल्, तुलाभारं <br> <br>
'''तुषारपात''' -- बर्फ का गिरना, हिमपात ---> पनि मऴै <br> <br>
'''तू''' -- एक सर्वनाम जिसका प्रयोग मध्यम पुरुष एकवचन में अपने से छोटे व्यक्ति के लिए किया जाता है ---> नी <br> <br>
'''तूफान''' -- बहुत तेज चलने वाली विशेष रूप से समुद्र तल से उठने वाली आंधी जिसके साथ खूब बादल गरजते है और वर्षा होती है ---> पुयलुम्, मऴैयुम् <br> <br>
'''तूलिका''' -- चित्र अंकित करने की कूंची ---> वण्णम् वीट्टुम कुच्चि, बिरष् <br> <br>
'''तृण''' -- तिनका, घास ---> तुरुंबु, पुल् <br> <br>
'''तृप्ति''' -- आवश्यकता अथवा इच्छा पूरी हो जाने पर मिलने वाली मानसिक शांति या आनंद ---> तिरुप्ति, मननिरै॒वु <br> <br>
'''तेज''' -- दीप्ति; प्रताप; तीक्ष्ण पैनी धार वाला; प्रखर, प्रचंड ---> ऒळि; महिमै; कूमैंयान; पिरकाशमान <br> <br>
'''तेरा''' -- तू का संबंध कारक का रूप ---> उनदु, उन्नुडैय <br> <br>
'''तेल''' -- तिलहन के बीजों या कुछ विशिष्ट वनस्पतियों को पेर कर निकाला जाने वाला स्निग्ध तरल पदार्थ ---> ऎण्णॆय् <br> <br>
'''तेली''' -- तेल पेरने और बेचने का पेशा करने वाली एक जाति ---> वाणियन् <br> <br>
'''तैयार''' -- कुछ करने के लिए हर तरह से उद्यत; जो पक कर खाने योग्य हो गया हो; जो बन कर बिल्कुल ठीक और हर प्रकार से दुरस्त हो गया हो ---> तयारान; शाप्पिड़त्तक्क; नन्गु, तयार् सॆय्द <br> <br>
'''तैरना''' -- किसी जीव का हाथ पैर आदि चलाते हुए पानी में इस प्रकार आगे बढ़ना कि वह डूब न जाए ---> नीन्द <br> <br>
'''तैराक''' -- वह व्यक्ति जो अच्छी तरह तैरना जानता हो ---> नन्गु नीन्दतॆरिन्दवन् <br> <br>
'''तोड़ना''' -- किसी वस्तु को ऐसा खंडित या नष्ट करना कि वह काम में आने योग्य न रह जाए; किसी नियम, कानून आदि का पालन न करना ---> उडैक्क; शट्टत्तै मुरि॒क्क <br> <br>
'''तोड़फोड़''' -- जान-बूझ कर क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से किसी भवन या रचना को खंडित करना ---> नाशवेलै <br> <br>
'''तोरण''' -- किसी बड़ी इमारत या नगर का प्रवेश द्वार; प्राय: शोभा या सजावट के लिए बनाए जाने वाला अस्थायी स्वागत-द्वार ---> नगरत्तिन्, माळिगैयिन् तलैमे वायिल्; अलंगार, नुऴै वायिल् <br> <br>
'''त्याग''' -- किसी चीज पर अपना अधिकार या स्वत्व हटा लेने अथवा उसे छोड़ने की क्रिया ---> उरिमैयै विट्टु विडुदलं <br> <br>
'''त्योहार''' -- कोई धार्मिक, सांस्कृतिक या जातीय उत्सव ---> तिरुविऴा, पंडिगै <br> <br>
'''त्रस्त''' -- बहुत अधिक डरा हुआ, भयभीत; पीड़ित ---> मिक्क बयमडैन्द; तुन्बप्पट्ट <br> <br>
'''त्रिशूल''' -- लोहे का तीन फलों वाला एक प्रसिद्ध अस्त्र जो शिवजी का प्रधान अस्त्र है ---> तिरिशूलम् <br> <br>
'''थकना''' -- श्रम के कारण शिथिल होना, श्रांत होना; उत्साह न रह जाना, हार जाना ---> कळैत्तुप्पोग; उर्चाहम् इऴन्दुविड <br> <br>
'''थन''' -- गाय, बकरी आदि चौपायों का वह अंग जिसमें दूध जमा रहता है, स्तन ---> काल् नडैगळिन् पाल् मडि, अकडु <br> <br>
'''थपथपाना''' -- प्यार या लाड-चाव से अथवा आवेश शांत करने के लिए किसी की पीठ पर हथेली से धीर-धीरे थपथपाना ---> अन्बडुन् तट्टिक कॊडुक्क <br> <br>
'''थप्पड़''' -- चाटा, तमाचा ---> कन्नत्तिल अरै॒ <br> <br>
'''थलचर''' -- पृथ्वी पर रहने वाले जीव ---> तरै-वाऴ्वन <br> <br>
'''थलसेना''' -- वायुसेना और नौसेना से भिन्न वह सेना जिसका कार्य क्षेत्र मुख्यत: स्थल तक सीमित हो (आर्मी) ---> तरैप्पडै <br> <br>
'''थाती''' -- धरोहर, अमानत; जमापूंजी, संचित धन ---> ऒप्पडैत्त पॊरुळ्; शेर्त्त सॆल्वम् <br> <br>
'''थान''' -- एक निश्चित लंबाई का कपड़ें का टुकड़ा ---> पीस् (तुणि) <br> <br>
'''थाना''' -- पुलिस चौकी, पुलिस कार्यालय ---> कावल् निलयम् <br> <br>
'''थापी''' -- राज या मजदूर द्वारा छत पीटने के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली चिमटी ---> दिम्मिस <br> <br>
'''थिरकना''' -- नाचने में अंगों को हाव-भाव के साथ संचालित करना ---> नाट्टियमाड <br> <br>
'''थूकना''' -- मुंह से थूक बाहर निकाल फेंकना ---> तुप्प, उमिऴ <br> <br>
'''थूथन''' -- कुछ विशिष्ट प्रकार के पशुओं का लंबोतरा और कुछ आगे की ओर निकला हुआ मुंह ---> शिल पिराणिगळिन् नीळमान मुगम् <br> <br>
'''थैला''' -- झोला, कपड़े, टाट आदि का आधान जिसमें चीजें रखी जाती हैं ---> पॆरिय पै <br> <br>
'''थोक''' -- एक ही तरह की बहुत सी चीजों का ढेर या राशि; चीजें खरीदने-बेचने का वह प्रकार जिसमें बहुत सी चीजें एक साथ इकट्ठी खरीदी बेची जाती हैं। (खुदरा या फुटकर का विपर्याय) ---> ऒरेविद पारुळिन् कुवियल्; मॊत्त वियापारम् <br> <br>
'''थोड़ा''' -- अल्प मात्रा या मान, उचित से कम; अल्प मात्रा में, कुछ, जरा ---> सिरि॒दु; कॊंजमाग <br> <br>
'''दंगल''' -- पहलवानों की कुश्ती प्रतियोगिता ---> गुस्तिप् पोट्टि <br> <br>
'''दंगा''' -- उपद्रव, फसाद ---> कलगम्, कैक़लप्पु <br> <br>
'''दंड''' -- सज़ा, ज़ुर्माना; बांस या लकड़ी का डंडा ---> दंडनै, अबराद्म्; तड़ि, कम्पु <br> <br>
'''दंडनीय''' -- दंड दिए जाने योग्य ---> दंडिक्कत्तक्क <br> <br>
'''दंपत्ति''' -- पति-पत्नी ---> कणवनमनैवि <br> <br>
'''दंभ''' -- अहंकार ---> डंबम्, गरुवम् <br> <br>
'''दक्षिणा''' -- यज्ञ दान आदि के अंत में ब्राह्मणों और पुरोहितों को दिया जाने वाला द्रव्य ---> दक्षिणै <br> <br>
'''दत्तक''' -- गोद लिया हुआ ---> दत्तु ऎडुत्त <br> <br>
'''दतचित्त''' -- जो किसी कार्य में मनोयोग पूर्वक लगा हुआ हो, तल्लीन ---> बेलैयिल् मुऴु गवनम् सॆलुत्तुगिर <br> <br>
'''दफनाना''' -- मुर्दे को जमीन में गाड़ना ---> पुदैक्क <br> <br>
'''दबंग''' -- जो किसी से दबता न हो, साहसी; प्रभावशाली ---> बयप्पडाद; सॆल्वाक्कुळ्ळ <br> <br>
'''दबदबा''' -- रोब, आतंक ---> आदिगारम्, शॆल्वाक्कु <br> <br>
'''दबाना''' -- भार या दाब के नीचे लाना; किसी बात या मामले को आगे न बढ़ने देना, रोकना; दमन करना ---> अऴुत्त, अमुक्क; आमुक्किविड; आदिक्कम् शॆलुत्त <br> <br>
'''दबाव''' -- दाबने की क्रिया या भाव, दाब ---> अऴुत्तम् <br> <br>
'''दबोचना''' -- झपट कर दबा लेना ---> पाय्न्दु अमुक्कि विड <br> <br>
'''दम''' -- ताकत, जोर; हुक्के आदि का कश; सांस, श्वास, प्राण ---> बलम्, वलु; पुगै पिडित्तल्; मूच्चु <br> <br>
'''दमक''' -- चमक, प्रभा ---> पळपळप्पु <br> <br>
'''दमकल''' -- आग बुझाने का यंत्र या यंत्र-समूह ---> तीअणैक्कुम, करुवि, पडै <br> <br>
'''दयनीय''' -- दया के योग्य ---> इरक्क प्पडत्तक्क <br> <br>
'''दया''' -- रहम, अनुकंपा, तरस ---> इरक्कम्, करुणै <br> <br>
'''दयादृष्टि''' -- दयापूर्ण या करुणापूर्ण दृष्टि या भावना ---> करुणै नोक्कु, करुणै उळ्ळम् <br> <br>
'''दर''' -- द्वार, दरवाजा; निर्ख, भाव (रेट) ---> वाइल्, वाशल्; विलै विगिदम् <br> <br>
'''दरखास्त (दरख्वास्त)''' -- आवेदन, प्रार्थना पत्र, अर्जी ---> विण्णप्पम् <br> <br>
'''दरबान''' -- फाटक पर रहने वाला चौकीदार ---> कावल्कारन् <br> <br>
'''दरवाज़ा''' -- द्वार, कपाट, किवाड़ ---> वायिल्, कदवु <br> <br>
'''दरार''' -- रेखा की तरह का लंबा छिद्र ---> वॆडिप्पु, पिळवु <br> <br>
'''दरिद्र''' -- निर्धन, कंगाल, गरीब ---> दरिद्दिरन्, एऴै <br> <br>
'''दरी''' -- मोटे सूत का एक बिछावन ---> जमक्काळम् <br> <br>
'''दर्जन''' -- बारह वस्तुओं की इकाई ---> डजन् <br> <br>
'''दर्जी''' -- कपड़े सीने का काम करने वाला ---> तैयल् कारन् <br> <br>
'''दर्पण''' -- मुंह देखने का शीशा, आईना ---> निलैक्कण्णाडि <br> <br>
'''दर्शक''' -- देखने वाला ---> पावैंयाळर् <br> <br>
'''दल''' -- फूल की पंखड़ी; गुट, टोला ---> इदऴ्; कुऴु <br> <br>
'''दलना''' -- मोटा पीसना, दरदरा करना ---> अरैक्क <br> <br>
'''दलाल''' -- सौदा आदि करवाने में मध्यस्थता करने वाला, बिचोलिया ---> तरगर् <br> <br>
'''दवा''' -- औषधि; इलाज, उपचार ---> मरुन्दु; चिकिच्चै <br> <br>
'''दशक''' -- दस वर्षों की अवधि ---> पत्ताण्डुकळ् <br> <br>
'''दस्तकारी''' -- हाथ से किया गया कारीगरी का काम, हस्तशिल्प ---> कै वेलै <br> <br>
'''दहकना''' -- इस प्रकार जलना कि लपटें निकलने लगें, धधकना ---> कॊळुन्दु विट्टु ऎरिय <br> <br>
'''दहाड़''' -- शेर की गरज; जोर की चिल्लाहट ---> गर्जनै; उरक्क कत्तल् <br> <br>
'''दहाड़ना''' -- शेर का गरजना; जोर से चिल्लाना ---> गर्जिक्क (सिंगम्); उरक्क कत्तल् <br> <br>
'''दहेज''' -- विवाह के अवसर पर कन्या पक्ष की ओर दिया जाने वाला धन और सामान (डाउरी) ---> वरदक्षिणै <br> <br>
'''दाई''' -- उपमाता, धाय; प्रसूति के समय मदद करने वाली स्त्री (मिड वाइफ) ---> वळर्प्पुत्ताय्; पिरसवम् पार्कुम्, मरुत्तुवच्चि <br> <br>
'''दातुन''' -- नीम, बबूल आदि की नरम टहनी का टुकड़ा जो दांत साफ करने के काम आता है ---> पल्-कुच्चि <br> <br>
'''दान''' -- देने की क्रिया; धर्म आदि की दृष्टि से किसी को कोई वस्तु देने की क्रिया, खैरात ---> नन् कॊड़ै; दानम् <br> <br>
'''दानव''' -- राक्षस, असुर ---> राक्षसन्, अरक्कन् <br> <br>
'''दानवीर''' -- उदारतापूर्वक दान करने वाला ---> कॊडै वळ्ळल् <br> <br>
'''दाना''' -- अन्न या फल का कण या बीज; माला आदि का तिनका; छोटी गोल फुंसी ---> दानिय मणि; मालैयिन् मणि; शिरंगु <br> <br>
'''दाना-पानी''' -- अन्न-जल, खाना-पीना, जीविका ---> आहारम्, उणवु, वाऴ्क्कै <br> <br>
'''दानेदार''' -- जिसमें दाने या रवे हों ---> मणि मणियान <br> <br>
'''दाम''' -- कीमत, मूल्य ---> विलै <br> <br>
'''दायां''' -- दाहिना ---> वलदु <br> <br>
'''दारोगा (दरोगा)''' -- निगरानी, देख-भाल या प्रबन्ध करने वाला अधिकारी; पुलिस का वह अधिकारी जिसके अधीन सिपाहियों की एक टुकड़ी और प्राय: एक थाना होता है ---> इन्स्पेक्टर; पोलीस् इन्स्पॆक्टर <br> <br>
'''दावत''' -- भोज; निमंत्रण ---> विरुन्दु; अळैप्पु <br> <br>
'''दावा''' -- अधिकार, स्वत्व, हक; स्वत्व की रक्षा या अन्याय के प्रतिकार के लिए न्यायालय में दिया हुआ प्रार्थना-पत्र, नालिश; किसी बात की यथार्थता के विषय में अत्यधिक आत्मविश्वास, गर्वोक्ति ---> दावा, उरिमै; उरिमै, नियायम, कोरुम् वऴक्कु; अळवट॒ट॒ तन्नंबिक्कै <br> <br>
'''दिखावटी''' -- जो केवल देखने में अच्छा या सुंदर हो ---> पोलि, वॆळिप्पगट्टान <br> <br>
'''दिन''' -- वह समय जिसका आरंभ सूर्योदय तथा अंत सूर्यास्त से होता है, दिवस; चौबीस घंटे की अवधि ---> पगल् नेरम्; नाळ् (इरुपत्तिनालु मणि नेरम) <br> <br>
'''दिनकर''' -- सूर्य ---> सूरियन् <br> <br>
'''दिमाग''' -- सिर के भीतर का गूदा या भेजा; सोचने-समझने की शक्ति, मस्तिष्क ---> मूळै; बुद्दि <br> <br>
'''दियासलाई''' -- एक सिरे पर गंधक आदि मसाले लगाकर बनाई हुई छोटी तीली जो रगड़ने पर जल उठती है ---> तीक्कुच्चि, नॆरुप्पुक्कुच्चि <br> <br>
'''दिल''' -- हृदय ---> इदयम् <br> <br>
'''दिलासा''' -- क्षुब्ध या दुखित हृदय को दिया जानेवाला आश्वासन, तसल्ली, ढाढस ---> आरु॒दल् <br> <br>
'''दिवंगत''' -- जो मर गया हो, परलोकवासी ---> कालम् सॆन्र <br> <br>
'''दिवाला''' -- अर्थहीनता की वह स्थिति जिसमें कोई व्यक्ति अथवा संस्था अपना ऋण न चुका सके, सर्वथा अभाव की स्थिति (बैंकरप्टसी) ---> दिवाल् <br> <br>
'''दिवालिया''' -- जिसका दिवाला निकल गया हो, जो सर्वथा अभाव की स्थिति में हो ---> दिवालान <br> <br>
'''दिशा''' -- क्षितिज मंडल के चार-पूर्व, पश्चिम, दक्षिण, उत्तर, मार्गों में से एक; ओर, तरफ ---> दिशै; पक्कम् <br> <br>
'''दीक्षा''' -- किसी पवित्र मंत्र की वह शिक्षा जो आचार्य या गुरु से विधिपूर्वक, शिष्य बनने अथवा किसी संप्रदाय में सम्मिलित होने के समय ली जाती है, गुरुमंत्र ---> मन्तिरउपदेशम् <br> <br>
'''दीपक''' -- दीया, चिराग ---> विळक्कु <br> <br>
'''दीया (दिया)''' -- दीपक, चिराग ---> विळक्कु <br> <br>
'''दीर्घा''' -- आने जाने के लिए कोई लंबा और ऊपर से छाया हुआ मार्ग ---> ताऴ्वारम् वेराण्डा <br> <br>
'''दीवार''' -- मिट्टी, ईंटों पत्थरों आदि की प्राय: लंबी, सीधी और ऊंची रचना जो कोई स्थान घेरने के लिए खड़ी की जाती है, भीत (वॉल) ---> सुवर् <br> <br>
'''दु:ख''' -- कष्ट, क्लेश, तकलीफ ---> दुक्कम, वरुत्तम् <br> <br>
'''दुकान (दूकान)''' -- वह स्थान जहाँ बेचने की चीजें सजाकर रखी गई हों, सौदा खरीदने और बेचने की जगह (शॉप) ---> कड़ै <br> <br>
'''दुकानदार (दूकानदार)''' -- दुकान का स्वामी, दुकानवाला ---> कडैक्कारन् <br> <br>
'''दुतकारना''' -- उपेक्षा या तिरस्कारपूर्वक हटाना, तिरस्कृत करना ---> अवभदिक्क <br> <br>
'''दुबला''' -- दुर्बल, निर्बल, कमज़ोर, पतले बदन वाला ---> मॆलिन्द <br> <br>
'''दुभाषिया''' -- दो भाषाएँ जानने वाला वह मध्यस्थ जो उन भाषाओं के बोलने वाले दो व्यक्तिओं की वार्ता के समय एक को दूसरे का अभिप्राय समझाए (इन्टरप्रेटर) ---> मोळिगळै मॊऴि पॆयर्प्पाळर् <br> <br>
'''दुरुपयोग''' -- किसी चीज या बात का अनुचित ढंग या प्रकार से किया जाने वाला उपयोग ---> तवरा॒नवाळियिळ् उबयोगित्तल् <br> <br>
'''दुर्गंध''' -- बुरी गंध, बद्बू ---> दुर्-नाट्रम् <br> <br>
'''दुर्ग''' -- किला, गढ़, कोट ---> कोट्टै <br> <br>
'''दुर्घटना''' -- हानिकारक, अशुभ या क़्लेशकर घटना ---> विबत्तु <br> <br>
'''दुर्दशा''' -- हीनदशा, बुरी हालत, दुर्गति ---> अबल निलै <br> <br>
'''दुर्भिक्ष''' -- अकाल, कहत (फमिन) ---> पंजम् <br> <br>
'''दुर्लभ''' -- जो कठिनाई से अथवा कम मात्रा में प्राप्त होता हो, दुष्प्राप्य ---> किडैप्पदर्कु अरिदान <br> <br>
'''दुलहन (दुलहिन)''' -- नई बहू, नव-विवाहिता ---> मणमगळ् <br> <br>
'''दुलार''' -- लाड-प्यार ---> सेल्लम् <br> <br>
'''दुविधा''' -- ऐसी मन: स्थिति जिसमें दो या कई बातों में से किसी एक बात का निश्चय न हो रहा हो ---> इरण्डुम् कॆट्टान् निलै, तडुमाट॒ट॒म् <br> <br>
'''दुश्मन''' -- शत्रु, बेरी ---> ऎदिरि, विरोदि <br> <br>
'''दुष्ट''' -- दूषित मनोवृत्ति वाला, दूसरों को परेशान करने वाला ---> दुष्टन्, पोक्किरि <br> <br>
'''दुहना''' -- मादा जीवों के स्तनों से दूध निचोड़ना ---> कर॒क्क (पाल्) <br> <br>
'''दूत''' -- एक जगह से दूसरी जगह चिट्ठी-पत्री, संदेश आदि पहुँचाने के लिए नियुक्त व्यक्ति (मैसेंजर); किसी राजा या राष्ट्र का वह प्रतिनिधि जो राजनितिक कार्य से अन्य राष्ट्र में भेजा गया हो या स्थायी रूप से रहता हो (ऐबैसेडर) ---> तूदन्; राजतूदर <br> <br>
'''दूतावास''' -- राजदूत के रहने का स्थान और उसका कार्यालय (ऐंबैसी) ---> तुदरालयम् <br> <br>
'''दूभर''' -- कठिन, मुश्किल, असह्य ---> कडिनमान <br> <br>
'''दूर''' -- देश-काल आदि की दृष्टि से अधिक अंतर पर, फासले पर; अलग, पृथक् ---> दूरत्तिल, तॊलैविल्; तनियाग <br> <br>
'''दूरदर्शन''' -- टेलीविजन ---> तॊलै काट्चि (टी. वी.) <br> <br>
'''दूरबीन''' -- एक यंत्र जिसके द्वारा दूर की वस्तुएँ बड़ी और समीपस्थ दिखाई देती हैं (टेलिस्कोप) ---> तोलै नोक्कि <br> <br>
'''दूरभाष''' -- एक यंत्र जिसकी सहायता से दूर बैठे हुए लोग आपस में बातचीत करते हैं (टेलीफोन) ---> तॊलैपेसि, टेलिफ़ोन् <br> <br>
'''दूल्हा''' -- वह व्यक्ति जिसका ब्याह होने को हो या कुछ ही दिनों पहले हुआ हो, वर, नवविवाहित ---> मणमगन् <br> <br>
'''दूसरा''' -- जो गिनती में दो के स्थान पर हो, पहले के बाद का; प्रस्तुत से भिन्न, अन्य ---> इरण्डावुदु; मट॒टॊ॒रु <br> <br>
'''दृढ़''' -- अविचलित; कड़ा, मजबूत; जिसमें कोई हेर-फेर न हो सके, पक्का, निश्चित ---> निलैयान; दिडमान; अशैक्क मुडियाद <br> <br>
'''दृश्य''' -- जो देखने में आ सके या दिखाई दे सके, जिसे देख सकते हों, चाक्षुप (विजुअल); नज़ारा, तमाशा ---> काट्चि <br>
'''देखना''' -- नेत्रों द्वारा किसी का ज्ञान प्राप्त करना; निगरानी करना या रखना ---> पार्क्क; परामरिक्क <br> <br>
'''देख-रेख''' -- निगरानी ---> परामरिप्पु <br> <br>
'''देनदार''' -- कर्जदार, ऋणी ---> कडन्कारन् <br> <br>
'''देना''' -- प्रदान करना ---> कॊडुक्क <br> <br>
'''देर''' -- विलंब ---> तामदम् <br> <br>
'''देवता''' -- दिव्य शक्ति संपन्न सत्ता; देव प्रतिमा ---> देवतै; देव विग्गिरहम् <br> <br>
'''देवी''' -- दुर्गा, सरस्वती, पार्वती आदि स्त्री-देवता; देवता की पत्नी ---> अम्मन्; देवि <br> <br>
'''देश''' -- जगह, स्थान, क्षेत्र, प्रदेश; कोई विशिष्ट भू-भाग या खंड (कन्ट्री) ---> इडम्, पिरदेशम्; नाडु, देशम् <br> <br>
'''देशद्रोही''' -- षड्यंत्र रचकर अपने देश (वतन) को हानि पहुँचाने वाला, देश से विश्वासघात करने वाला ---> देशद्दुरोहि <br> <br>
'''देशवासी''' -- देश में रहने-बसने वाला ---> देशवासि <br> <br>
'''देहांत''' -- मृत्यु, मौत ---> मरणम्, सावु <br> <br>
'''देहात''' -- गांव, ग्राम ---> गिरामान्दरम् <br> <br>
'''दैनंदिनी''' -- डायरी ---> नाट् कुरि॒प्पु <br> <br>
'''दैनिकी''' -- जेब में रखी जाने वाली वह छोटी पुस्तिका जिसमें रोज़ के किए जानेवाले कामों का उल्लेख होता है, दैनंदिनी, डायरी ---> शिरि॒य नाट्कुरि॒प्पु (जेबि डायरी) <br> <br>
'''दोपहर''' -- दिन के बारह बजे और उसके आसपास का समय, मध्याह्न ---> मद्दियानम् नडुप्पहल् <br> <br>
'''दोहराना''' -- कोई काम या बात फिर से उसी प्रकार करना या कहना, पुनरावृति करना; किए हुए काम को फिर से आदि से अंत तक इस दृष्टि से देखना कि उसमें कहीं कोई भूल तो नही रह गई, पुनरीक्षण ---> मरुमुरै॒, शॊल्ल, शॆय्य; मरुमुरै॒ पार्त्तु पिऴै नीक्क <br> <br>
'''दौड़-धूप''' -- ऐसा प्रयत्न जिसमें अनेक स्थानों पर बार-बार आना-जाना तथा अनेक आदमियों से मिलना और उनसे अनुनय-विनय करना पड़े ---> ओडियाडि मुयर॒चित्तल् <br> <br>
'''दौड़ना''' -- अति वेग से चलना, इतनी तेज़ी से चलना कि पांव पृथ्वी पर पूरा न पड़े ---> ओड <br> <br>
'''दौलत''' -- धन, सम्पत्ति, अधिकृत सभी वस्तुएँ जिनका आर्थिक मूल्य हो ---> शॆल्वम् <br> <br>
'''द्योतक''' -- किसी चीज को प्रकाश में लाने वाला; प्रकट करने वाला ---> काण्बिक्किर; तॆरिविक्किर् <br> <br>
'''द्रोही''' -- किसी के विरुद्ध षडयंत्र रचनेवाला, विश्वासघाती ---> दुरोहि <br> <br>
'''द्वंद्व''' -- जोड़ा, युग्गल; दो व्यक्तियों का परस्पर युद्ध ---> इरट्टै, जोडि; मल्ल युद्दम् <br> <br>
'''द्वार''' -- मकान, कमरे आदि की दीवार में बनाया हुआ भीतर बाहर आने-जाने का विशेष प्रकार का दरवाजा ---> नुऴै वायिल् <br> <br>
'''द्वीप''' -- चारों ओर समुद्र से घिरा हुआ भू-भाग, जल के बीच का स्थल, टापू ---> तीवु <br> <br>
'''द्वेष''' -- चित्त का वह भाव जो अप्रिय वस्तु या व्यक्ति का नाश करने की प्रेरणा करता है, वैमनस्य, शत्रुता, वैर ---> द्ववेषम्, पगै, वॆरु॒प्पु <br> <br>
'''धंधा''' -- वह उद्योग या कार्य जो जीविका निर्वाह के लिए किया जाए; व्यवसाय, व्यापार; कोई भी काम ---> उद्दियोगम्; तॊऴिल्; वेलै <br> <br>
'''धकेलना''' -- धक्का देना, ढकेलना, आगे बढ़ाना ---> मुन्ने तळ्ळ <br> <br>
'''धड़''' -- शरीर का वह बीच-वाला भाग जिसमें छाती, पीठ और पेट है; तना ---> मुण्डम्; अडिमरम् <br> <br>
'''धड़कन''' -- हृदय का तीव्र और स्पष्ट स्पंदन ---> नॆजुत्तुडिप्पु <br> <br>
'''धधकना''' -- आग का दहकना, भड़कना ---> कॊऴ॒न्दु विट्टु ऎरिय <br> <br>
'''धन''' -- सम्पत्ति, दौलत; पूंजी ---> पणम्, सॆल्वम्; मुदल् <br> <br>
'''धनवान्''' -- जिसके पास बहुत धन हो, धनी, दौलतमद ---> पणक्कारन् <br> <br>
'''धनाढ्य''' -- बहुत बड़ा धनी, धनवान् ---> पणक्कारन् <br> <br>
'''धनुष''' -- कमान ---> विल् <br> <br>
'''धन्यवाद''' -- किसी उपकार या अनुग्रह के बदले में कहा जानेवाला कृतज्ञतासूचक शब्द, शुक्रिया, (थैंक्स) ---> नन्रि॒ <br> <br>
'''धरती''' -- पृथ्वी, जमीन, भूमि ---> बूमि, तरै <br> <br>
'''धरना''' -- किसी स्थान पर किसी चीज को रखना; बंधक रखना; कोई काम कराने के लिए अड़कर बैठ जाना और जब तक काम न हो जाए वहां से न हटना ---> वैक्क; अडगु वैक्क; मरि॒यल् <br> <br>
'''धर्म''' -- समाज में किसी जाति, कुल, वर्ग आदि के लिए उचित ठहराया हुआ व्यवसाय, कर्त्तव्य; मज़हब (रिलिजन) ---> कडमै; मदम् <br> <br>
'''धर्मशाला''' -- परोपकार की दृष्टि से बनाया गया वह भवन जिसमें यात्री बिना कुछ शुल्क दिए कुछ समय तक रह सकते हैं ---> सत्तिरम् <br> <br>
'''धर्मात्मा''' -- धार्मिक आचरण करने वाला; साधु-संत ---> अर॒नॆरि॒ कण्डवर्; सादुक्कळ् <br> <br>
'''धवल''' -- उजला, सफेद; निर्मल ---> प्रकाशमान, वॆण्मैयान्; मासट॒ट॒, अळुकक्ट॒ट॒ <br> <br>
'''धांधली''' -- अव्यवस्था, दुर्व्यवस्था, गड़बड़; निरंकुशता, स्वेच्छाचारिता ---> कुऴप्पम्; कट्टुप्पाडिन्मै <br> <br>
'''धागा''' -- बटा हुआ महीन सूत जो प्राय: सीने-पिरोने के काम आता है, डोरा (थ्रेड) ---> तैक्कुम् नूल् <br> <br>
'''धातु''' -- कुछ विशिष्ट प्रकार के खनिज पदार्थ; (संस्कृत व्याकरण में) क्रिया का मूल रूप ---> उलोगम्, दातुप्पॊरुऴ; विनैच्चॊल् <br> <br>
'''धार''' -- पानी आदि के गिरने या बहने का तार, धारा, अखंड प्रवाह; किसी काटने वाले हथियार का वह तेज सिरा या किनारा जिससे कोई चीज काटते हैं ---> नीरोट्टम्, दारै; कत्तियिन् कूमैयान बागम् <br> <br>
'''धारणा''' -- व्यक्तिगत विचार या विश्वास ---> अबिप्पिरायम् <br> <br>
'''धारा''' -- धारा, अखंड प्रवाह; किसी नियम, नियमावली, विधान आदि का वह स्वतंत्र अंश जिसमें किसी एक विषय से संबंध रखने वाली सब बातों का एक अनुच्छेद में उल्लेख होता है, दफा (सैक्शन); निरंतर चलनेवाला क्रम ---> दारै, नीरोट्टम्; सट्टत्तिन् पिरिवु; इडैविडाद निगळ्चि, पिरवाहन <br> <br>
'''धारावाही''' -- अविच्छिन्न क्रम या गतिवाला; जो क्रमश: खंडो के रूप में बराबर कई अंशों अथवा अंकों में प्रकाशित होता रहे ---> इडैविडाद नडक्किर॒; तॊडर्न्दु वॆळिवरुगिर॒ <br> <br>
'''धिक्कार''' -- भर्त्सना, लानत ---> निन्दनै, कंडित्तल् <br> <br>
'''धीमा''' -- कम वेगवाला, मंद; निस्तेज, तीव्रता या प्रचंडता से रहित (प्रकाश आदि) ---> मॆदुवान, वेगमट॒ट॒; मंगलान <br> <br>
'''धीर''' -- जो शांत स्वभाववाला हो, अविचल; दृढ़, अटल, दृढ़-प्रतिज्ञ ---> अमैदियान; दिडमनदुडैय <br> <br>
'''धीरे''' -- धीमी या मंद गति से, आहिस्ता; नीचे या हल्के स्वर में ---> मॆळ्ळ्; तणिन्द कुरलिल् <br> <br>
'''धुंधला''' -- धुंध से भरा हुआ; धुएँ की तरह का, कुछ-कुछ काला; मंद, फीका ---> मंगलान; पुगै पोन्र॒; नॆळिविल्लाद <br> <br>
'''धुआं''' -- जलती हुई चीजों से निकलने वाला वायवीय पदार्थ जो कुछ कालापन लिए होता है (स्मोक) ---> पुगै <br> <br>
'''धुन''' -- प्रबल इच्छा, मन की तरंग; सनक, झक; गाने या बजाने का विशिष्ट ढंग (ट्यून) ---> तीविर विरुप्पम्; वॆरि॒; मॆट्टु <br> <br>
'''धुनना''' -- धुनकी से रूई साफ करना ताकि उसके बिनौले अलग हो जाएं; खूब मारना-पीटना ---> पंजु अडिक्क; नन्गु पुडैक्क <br> <br>
'''धुरंधर''' -- किसी विषय में औरों से बहुत बढ़ा-चढ़ा, प्रवीण ---> निपुणरान <br> <br>
'''धुरी''' -- लकड़ी या लोहे का वह छड़ या डंडा जो पहियों की गरारी के बीचोबीच रहता है और जिसके सहारे पहिया चारों ओर घूमता है, अक्ष; मूल आधार ---> अच्चु, इरुशु; मुक्किय आदारम् <br> <br>
'''धूम-धाम''' -- उत्साह तथा उल्लास से युक्त होनेवाला ऐसा आयोजन जिसमें खूब चहल-पहल और ठाठ-बाट हो ---> आडंबरम्, विमरिशै <br> <br>
'''धूम्र-पान''' -- तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट आदि पीना ---> पुगै पिडित्तल् <br> <br>
'''धृष्टता''' -- ढिठाई, दुस्साहस ---> अदिगप् पिरसिंगित्तनम् <br> <br>
'''धैर्य''' -- अनुद्विग्नता, अविकलता, धीरज, सब्र ---> पॊरु॒मै, मनउरु॒दि <br> <br>
'''धोखा''' -- छल, कपट; भ्रम, भ्रांति ---> एमाट॒ट॒म; बिरमै, मनक्कुऴप्पम् <br> <br>
'''धोना''' -- जल या किसी तरल पदार्थ के प्रयोग से साफ करना; दूर करना, मिटाना ---> अलंब, तुवैक्क; नीक्क <br> <br>
'''धोंकना''' -- आग दहकाने के लिए धोंकनी, पंखे आदि की सहायता से जोर की हवा करना ---> तुरुत्तियाल, काट॒ट॒डिक्क <br> <br>
'''ध्यान''' -- अंत:करण में उपस्थित करने की क्रिया या भाव, मनोयोग, अवधान; सोच-विचार, मनन; चित्त या मन को पूरी तरह एकाग्र और स्थिर करने की क्रिया या भाव ---> गवनम्; योचित्तल्, चिन्तनै; गवनम् <br> <br>
'''ध्येय''' -- उद्देश्य ---> कुरि॒क्कोळ् <br> <br>
'''ध्रुव''' -- अचल, अटल, दृढ़, पक्का; स्थायी, नित्य, शाश्वत; पृत्वी के दोनों नुकीले सिरे (भूगोल); एक प्रसिद्ध तारा जो सदा उत्तरी ध्रुव के ठीक ऊपर रहता है ---> अशैयाद; निलैयान; बूमियिन् इरु दुरुवंगळ्; दुरुव नक्षत्तिरम् <br> <br>
'''ध्वज''' -- झंडा, पताका; चिह्न, प्रतीक ---> कॊड़ि; अ़डैयाळम् <br> <br>
'''ध्वजारोहण''' -- झंडा फहराने की क्रिया ---> कॊडियेट॒ट॒म् <br> <br>
'''ध्वनि''' -- आवाज़, शब्द; बाजे आदि बजने से उत्पन्न होने वाला शब्द; (काव्य में), व्यंग्य, व्यंग्यार्थ ---> ऒलि; वाद्दिय ऒलिप्पु; मरै॒ पॊरुळ् <br> <br>
'''नंगा''' -- जो कोई कपड़ा न पहने हो; जिस पर कोई आवरण या आलंकारिक वस्तु न हो; निर्लज्ज, बेशर्म, दुष्ट, पाजी ---> अम्मणमान; मूडप्पडाद; वॆट्कमिल्लाद <br> <br>
'''नकद''' -- नोटों, सिक्कों आदि के रूप में खड़ा धन जो देन आदि के बदले में तुरंत दिया या चुकाया जाए, उधार का विपर्याय; जिसका मूल्य रुपए पैसे के रूप में तुरंत चुकाया जाए; तुरंत दिए हुए रुपए के रूप में ---> रॊक्कप्पणम्; रॊक्कमाग; रॊक्कमाग <br> <br>
'''नकदी''' -- रुपया-पैसा जो तैयार या नोटों, सिक्कों आदि के रूप में सामने हो, खड़ा धन ---> रॊक्कप्पणम् <br> <br>
'''नकल''' -- किसी को कुछ काम करते हुए देखकर उसी के अनुसार करने की क्रिया या भाव, अनुकरण; परीक्षा में, एक परीक्षार्थी का दूसरे द्वारा लिखे हुए उत्तर को अपनी उत्तर पुस्तिका में उतार लेना; किसी कृति, चित्र लेख आदि की ज्यों की त्यों तैयार की हुई प्रतिलिपि, अनुलिपि ---> विगडम्; काप्पि अडित्तल्; नगल् पिरदि, पडि <br> <br>
'''नक्काशी''' -- धातु, पत्थर आदि पर खोद कर बेल-बूटे बनाने का काम या कला; उक्त प्रकार से बनाए गए बेल-बूटे आदि ---> नकासु वेळै; नकासु वेळै <br> <br>
'''नक्शा''' -- रेखाओं आदि द्वारा किसी वस्तु की अंकित की हुई वह आकृति जो उस वस्तु के स्वरूप का सामान्य परिचय कराती है, मानचित्र; रूपरेखा, खाका ---> वरै पडम्; उरुव पडम् <br> <br>
'''नक्षत्र''' -- तारा; चंद्रमा के पथ में पड़ने वाले 27 तारों का समूह ---> नक्षत्तिरम्, विण्मीन्; नक्षत्तिरक्कूट्टम् <br> <br>
'''नख-शिख''' -- पैर के नाखून से लेकर सिर के बालों तक के सब अंग, शरीर के अंग-प्रत्यंग ---> उच्चि मुदल् उळ्ळंगाल् वरैयुळ्ळ उरु॒प्पुगळ् <br> <br>
'''नग''' -- नगीना, मणि; अदद या संख्यासूचक एक शब्द ---> रत्तिनम्, मणि; ऎण्णै कुरि॒क्कुम शॊल् <br> <br>
'''नगर''' -- मनुष्यों की वह बस्ती जो गांवों कस्बों आदि से बहुत बड़ी हो, शहर ---> नगरम् <br> <br>
'''नगरपालिका''' -- आधुनिक नगर वयवस्था में नगरवासियों के निर्वाचित प्रतिनिधियों की वह संस्था जो नगर के स्वास्थ्य, जल, नल, रोशनी आदि का प्रबंध करती है (म्युंसिपलिटी) ---> नगराट्चि <br> <br>
'''नगाड़ा''' -- डुगडुगी की तरह का चमड़ा मढ़ा हुआ एक प्रकार का वाद्य यंत्र, नक्कारा ---> नगरा <br> <br>
'''नगीना''' -- रत्न, मणि, नग ---> रत्तिनम, मणि <br> <br>
'''नग्न''' -- नंगा; आवरण रहित, अनढका ---> अम्मणमान; मूडप्पडाद <br> <br>
'''नज़रबंद''' -- वह बंदी जिसकी चेष्टाओं पर नजर रखी जा सके और जो निश्चित स्थान और सीमा के बाहर आ-जा न सके (डेटॅनू) ---> कावल् कैदि <br> <br>
'''नट''' -- नाटक खेलने वाला, अभिनेता; तरह-तरह के शारिरिक करतब दिखाने वाली एक जाति ---> नडिगर्; कऴक्कूत्ताडि <br> <br>
'''नटखट''' -- चंचल, ऊधमी, शरारती ---> विषमम् शॆय्गिर॒, कुरु॒बुक्कारन् <br> <br>
'''नमस्कार''' -- झुककर आदरपूर्वक किया गया अभिवादन; अभिवादन सूचक शब्द ---> तलै वणंगुदल्; वणक्कम् <br> <br>
'''नमूना''' -- किसी वस्तु की बहुत-सी इकाइयों में से कोई इकाई जो उस वस्तु का स्वरूप बतलाने के लिए दिखाई जाती है (सेंपल); किसी पदार्थ का कोई ऐसा अंश जो उसके गुण और स्वरूप का परिचय कराने के लिए निकाला गया हो, बानगी (स्पेसिमेन); वह जिसे देखकर उसके अनुसार वैसा ही कुछ और बनाया जाए, प्रतिमान ---> मादिरि; मादिरि; मादिरि <br> <br>
'''नम्रता''' -- विनीत होने की अवस्था, गुण या भाव ---> पणिवु अडक्कम् <br> <br>
'''नया''' -- जो अभी हाल में निकला या बना हो, नवीन, ताज़ा ---> पुदिय <br> <br>
'''नर''' -- पुरुष, आदमी, मर्द ---> मनिदन्, आण <br> <br>
'''नरम''' -- कोमल, मृदु, मुलायम ---> मिरुदुवान, मॆन्मै <br> <br>
'''नरमी (नर्मी)''' -- नरम या नर्म होने की अवस्था, गुण या भाव, मृदुता, कोमलता ---> मॆन्मैयान, मॆन्मै <br> <br>
'''नरेश''' -- राजा ---> अरशन् <br> <br>
'''नर्तकी''' -- नाचने का पेशा करने वाली स्त्री, नटी, वेश्या ---> आडलऴगि <br> <br>
'''नल''' -- ऐसा वर्तुलाकार लंबा खंड या रचना जिसका भीतरी भाग खोखला या पोला हो और जिसके अंदर एक सिरे से दूसरे सिरे तक चीज़ें आती जाती हों (पाइप); जल-कल का वह सिरा जिसमें टोटी लगी होती है और जिसका पेंच दबाने या घुमाने से पानी निकलता है (टेप) ---> कुऴाय्; कुऴाय् <br> <br>
'''नलकूप''' -- एक विशेष प्रकार का आधुनिक यंत्र जिसके द्वारा सिंचाई के लिए जमीन के अंदर से पानी निकाला जाता है (ट्यूबवेल) ---> कुऴाय् किणरु॒ <br> <br>
'''नव''' -- नया, नवीन, आधुनिक ---> पुदिय, नवीन <br> <br>
'''नवनीत''' -- मक्खन ---> वॆण्णॆय् <br> <br>
'''नवयुवक''' -- जो अभी हाल में युवक हुआ हो, नौजवान, तरुण ---> इळैञन् <br> <br>
'''नवीन''' -- नया, नूतन; जो पहले-पहल या मूलरूप में बना हो, मौलिक ---> पुदिय; असल् <br> <br>
'''नशाबंदी''' -- राज्य या समाज द्वारा मादक द्रव्यों के बेचने-खरीदने और पान करने पर पाबंदी लगाना (प्रॉहिबिशन) ---> मदुविलक्कु <br> <br>
'''नष्ट-भ्रष्ट''' -- सब तरह से खराब और बरबाद; व्यर्थ और बेकार ---> नाशमान, अऴिन्दुविट्ट; वीणान <br> <br>
'''नस''' -- शरीर के अंदर का तंतु-जाल, स्नायु, तंत्रिका; रक्तवाहिनी नली या नाड़ी ---> नरंबु; रत्तक्कुऴाय्, दमनि <br> <br>
'''नसबंदी''' -- शल्य-क्रिया द्वारा पुरुष की जननेन्द्रिय के वीर्य-प्रवाह के मार्ग को अवरुद्ध कर देने की क्रिया ताकि वह प्रजनन कार्य में अक्षम हो जाए ---> कुडुंबक्कट्टुप्पाडुक्कान अरु॒वै चिकिच्चै <br> <br>
'''नसल (नस्ल)''' -- वंश; संतति ---> वमिशम्, इनम्; संददि <br> <br>
'''नहाना''' -- शरीर को स्वच्छ करने के लिए जल से धोना, स्नान करना ---> कुळिक्क <br> <br>
'''नाग''' -- सर्प, सांप; काले रंग का, बड़ा और फन वाला सांप, करैत ---> पांबु; करु नागम् <br> <br>
'''नागरिक''' -- नगर में रहने वाला, नगर से संबंधित; असैनिक (सिविल); किसी राज्य में जन्म लेने वाला वह व्यक्ति जिसे उस राज्य में रहने, नौकरी करने, संपत्ति रखने आदि के अधिकार प्राप्त होते हैं (सिटीज़न) ---> नगर वाशि; कुडिमुरैयान, सिविल् (राणुव चार्बट॒ट॒); कुड़िमगन् <br> <br>
'''नागिन''' -- नाग (सर्प) की मादा ---> पॆण् पांबु <br> <br>
'''नाचना''' -- हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त करने के लिए पैरों को थिरकाना, अंगों को हिलाना-डुलाना; संगीत के स्वर में ताल-स्वर के अनुसार हाव-भाव पूर्ण चेष्टाएं करना ---> नाट्टियमाड; नडनमाडुदल् <br> <br>
'''नाटक''' -- दृश्य काव्य (ड्रामा); दिखावटी कार्य ---> नाडगयम्; पाशांगु <br> <br>
'''नाता''' -- संबंध, रिश्ता ---> उर॒वु <br> <br>
'''नाथ''' -- प्रभु, स्वामी, अधिपति; विवाहिता स्त्री का पति; ऊंटों, बैलों आदि को वश में रखने के लिए नथनों में डाली जाने वाली रस्सी ---> ऎजमानन्, अदिपदि; कणवन्; मूक्कणांकयिरु॒ <br> <br>
'''नादान''' -- अकुशल या अनाडी ---> कपडमट॒ट॒ <br> <br>
'''नाप-तोल''' -- कोई चीज़ नापने या तौलने की क्रिया या भाव, नाप-जोख; नाप या तौल कर स्थिर की गई मात्रा या परिमाण, माप और वजन ---> अळत्तल, निरुत्तल्; अळवु, निरै॒ <br> <br>
'''नापना''' -- लंबाई, चौड़ाई, गहराई ऊँचाई, परिमाण, मात्रा आदि का ठीक ज्ञान प्राप्त करना, मापना ---> अळक्क <br> <br>
'''नाम''' -- वह शब्द जिससे किसी वस्तु, व्यक्ति आदि का बोध हो या उसे पुकारा जाए (नेम); ख्याति, प्रसिद्धि, यश, कीर्त्ति प्रतिष्ठा ---> पॆयर्; कीर्त्ति, पुगऴ् <br> <br>
'''नामकरण''' -- किसी का नाम रखने या किसी को नाम देने की क्रिया या भाव; एक संस्कार जिसमें विधिवत् पूजा-पाठ करके बच्चे का नाम रखा जाता है ---> पॆयर्-शूट्टल्; पॆयर् शूट्टु विऴा <br> <br>
'''नामे''' -- लेखा आदि वह खाता, स्तंभ या मद जिसमें किसी पक्ष को दी गई रकम लिखी जाती है, 'जमा' का विपर्याय (डेबिट) ---> वखु-कणक्कु <br> <br>
'''नायक''' -- नेता, मार्गदर्शक; काव्य, नाटक, उपन्यास आदि का प्रधान पात्र ---> तलैवर्, वऴिकाट्टि; तलैवन् <br> <br>
'''नायिका''' -- स्त्रीनेता, वीरांगना, अभिनेत्री; काव्य, नाटक, कहानी, उपन्यास आदि का मुख्य स्त्रीपात्र ---> तलौवि, नडिगै; तलैवि <br> <br>
'''नारा''' -- किसी दल, समुदाय आदि की तीव्र अनुभूति और इच्छा का सूचक कोई पद या वाक्य जो लोगों को आकृष्ट करने के लिए उच्च स्वर से बोला जाए, (स्लोगन) ---> गोषं, कोरिक्कै मुऴक्कम् <br> <br>
'''नाराज़''' -- अप्रसन्न, रुष्ट ---> कॊपमडैन्द <br> <br>
'''नारी''' -- स्त्री, औरत ---> मगळिर्, स्तिरी <br> <br>
'''नाला''' -- वह गहरा तथा लंबा कृत्रिम जल-मार्ग जो नहर आदि की अपेक्षा कम चौड़ा होता है तथा जिसमें बरसाती, गंदा या फालतू पानी वह कर किसी नदी आदि में जा गिरता है ---> वाय्क्काल् <br> <br>
'''नाव''' -- नदी से पार उतरने की एक प्रसिद्ध सवारी, नौका, किश्ती ---> पडगु <br> <br>
'''नाविक''' -- वह जो नौका खेता हो, मांझी, मल्लाह ---> पडगोट्टि <br> <br>
'''नाश''' -- रचनाओं के टूट-फूट कर ध्वस्त होने की क्रिया या भाव, ध्वंस, विध्वंस; अपव्यय, बरबादी ---> अऴिवु; नाशम् <br> <br>
'''नास्तिक''' -- ईश्वर, परलोक, मत-मतांतरों आदि को न मानने वाला ---> नास्तिगन् <br> <br>
'''निंदा''' -- दूसरों के समक्ष किसी के दोषों, बुराइयों आदि का वर्णन ---> निन्दनै इगऴच्चि <br> <br>
'''नि:शुल्क''' -- जिस पर कोई शुल्क या कर न लगता हो ---> कट्टणमिल्लाद, इलवशमान <br> <br>
'''नि:संतान''' -- संतान-रहित ---> मक्कट् पेरि॒ल्लाद <br> <br>
'''निकट''' -- समय या स्थान की दृष्टि से पास ही में, समीप ---> अरुगे, किट्ट <br> <br>
'''निकम्मा''' -- जो कोई काम न करता हो, बेकार; जो किसी काम में आने योग्य न हो ---> उदवाद; वीणान <br> <br>
'''निकलना''' -- भीतर से बाहर आना; उदित होना ---> वॆळिवर; उदिक्क <br> <br>
'''निकासी''' -- निकलने या निकालने की क्रिया, ढंग या भाव; दुकान में रखे हुए अथवा कारखानों आदि में तैयार होने वाले माल का बिकना, खपत, बिक्री ---> वॆळियेट॒टुदळ्; विर्पनै <br> <br>
'''निकृष्ठ''' -- खराब, बुरा, निम्न, घटिया ---> कॆट्ट, मट्टमान <br> <br>
'''निखट्टू''' -- (व्यक्ति) जो कुछ भी न कमाता हो; आल्सी, बेकार ---> ऒन्रु॒म् संबादिक्काद; शोंबेरि <br> <br>
'''निगलना''' -- काई ठोस चीज बिना चबाए ही गले के नीचे उतार लेना ---> विळंग <br> <br>
'''निग्रह''' -- बंधन, रोक आदि के द्वारा किसी क्रिया, वस्तु या व्यक्ति को स्वतंत्र आचरण न करने देना, अवरोध, रोक ---> तडुत्तल, अडक्कुदल् <br> <br>
'''निचोड़''' -- वह अंश या रस जो मलने, मरोड़ने या दबाने पर निकले, सत्व; सारांश ---> पिळिन्दॆडुत्त शारु; शुरुक्कमान करुत्तु <br> <br>
'''निचोड़ना''' -- गीली या रसदार वस्तु से उसका तरल अंश निकालने के लिए उसे ऐंठना, घुमाना, दबाना या मरोड़ना ---> पिऴिय <br> <br>
'''निडर''' -- निर्भय, निर्भीक; साहसी ---> अंजाद, बयमट॒ट॒; दैरियमान <br> <br>
'''नितांत''' -- बहुत अधिक; बिल्कुल पूर्ण, सम्पूर्ण ---> मिग अदिगमान; मुट॒टि॒लुम्, मुऴदुम् <br> <br>
'''निथारना''' -- कोई तरल पदार्थ इस प्रकार स्थिर करना कि उसमें घुली हुई वस्तु या मैल तल में बैठ जाए (डिकेन्टेशन) ---> तॆळिय वैत्तु वडिक्क <br> <br>
'''निदान''' -- मूल कारण; चिकित्सा शास्त्र में रोग की पहचान द्वारा रोग के कारणों का निश्चय (डाइगनोसिस) ---> अडिप्पडै कारणम् <br>
'''निद्रा''' -- नींद (स्लीप) ---> तूक्कम् <br> <br>
'''निधन''' -- मृत्यु, देहावसान ---> मरणम्, शावु <br> <br>
'''निधि''' -- किसी विशेष कार्य के लिए अलग रखा या जमा किया हुआ धन (फंड) ---> निदि, पॊक्किषम् <br> <br>
'''निपटना''' -- पूरा होना, संपन्न होना; निवृत होना; लेन-देन, झगड़े, विवाद आदि का निपटारा होना ---> निरै॒वु पॆर॒; ओय्वु पॆर॒; कॊडुक्कल् वांगल् <br> <br>
'''निपटाना''' -- कार्य आदि पूर्ण या संपादित करना; विवाद या झगड़े को समाप्त करना ---> वेलैयै मुडिक्क; शॆडैयै तीर्क्क <br> <br>
'''निपुण''' -- दक्ष, प्रवीण, कुशल ---> कैतेर्न्द <br> <br>
'''निबंध''' -- वह विचारपूर्ण विवरणात्मक और विस्तृत लेख जिसमें सब अंगों का मौलिक और स्वतंत्र रूप से विवेचन किया गया हो (एस्से) ---> कट्टुरै <br> <br>
'''निबाहना''' -- निर्वाह करना, निभाना; (दायित्व, प्रतिज्ञा आदि का) पालन करना, पूरा करना ---> निर्वहिक्क; पॊरु॒प्पै/वाक्कै/निरै॒वेट॒ट॒ <br> <br>
'''निभाना''' -- उत्तरदायित्व, कार्य, वचन आदि को पूरा करना; व्यक्ति अथवा स्थिति के अनुरूप अपने आपको ढाल कर समय बिताना ---> पॊरु॒प्पै निरैवट॒ट॒; समाळित्तुक्कॊळ्ळ <br> <br>
'''निमंत्रण''' -- किसी को किसी शुभ अवसर पर आदरपूर्वक बुलाने की क्रिया या भाव ---> अऴैप्पु <br> <br>
'''नियंत्रण''' -- मनमानी रोकने के लिए बंधन लगाना, नियम आदि द्वारा रोकना; व्यापारिक क्षेत्र में, शासन द्वारा किसी वस्तु के मूल्य और वितरण को नियमित और सुनिश्चित करना (कंट्रोल) ---> कट्टुप्पाडु; विलैक्कट्टुप्पाडु <br> <br>
'''नियम''' -- मनमानी रोकने के लिए लगाए गए बंधन ---> शट्टम <br> <br>
'''निरंकुश''' -- जिस पर किसी प्रकार का नियंत्रण न हो; स्वेच्छापूर्वक मनमानी अथवा अत्याचार करने वाला ---> कट्टुप्पाडट॒ट॒; तान्तोन्रियान <br> <br>
'''निरंतर''' -- अंतर-रहित, लगातार ---> इडैविडादु <br> <br>
'''निरस्त्रीकरण''' -- आधुनिक राजनीति में, परस्पर युद्ध की संभावना कम करने के लिए देश का सैनिक बल कम करना (डिस आर्मामेंट) ---> आयुंदगळै ऒळित्तल् <br> <br>
'''निरा''' -- विशुद्ध; केवल, सिर्फ, एक मात्र ---> शुद्दमान, असल्; वॆरु॒म, तनियान् <br> <br>
'''निराकरण''' -- दूर करना या हटाना; आपत्ति आदि का तर्कपूर्वक खंडन, निवारण या परिहार करना ---> अगट॒ट॒ल्; कारणम् कूरि॒ ऒदुक्कुदल् <br> <br>
'''निराकार''' -- जिसका कोई आकार न हो, स्वरूप रहित; ब्रह्म ---> उरुवमट॒ट॒; कडबुळ् <br> <br>
'''निराधार''' -- जिसका कोई आधार न हो, आधारहीन; ---> आदारमट॒ट॒ <br> <br>
'''निरामिष''' -- जिसमें मांस न मिला हो; (व्यक्ति) जो मांस (अंडा, मछली आदि) न खाता हो ---> मामिसम् शेराद; मामिस उणवु उण्णाद <br> <br>
'''निराश''' -- जिसे आशा न रह गई हो, हताश ---> नंबिक्कै इऴन्द <br> <br>
'''निरीक्षक''' -- जांच पड़ताल, निरीक्षण आदि करने वाला (इन्सपेक्टर) ---> मेल् पावैंयाळर्, कण् काणिप्पवर् <br> <br>
'''निरूपण''' -- छान-बीन तथा सोच-विचार कर किसी बात या विषय का विवेचन करना ---> आराय्न्दु निरूबित्तल् <br> <br>
'''निर्जीव''' -- प्राणरहित, जड़, अचेतन ---> उय़िरट॒ट॒ <br> <br>
'''निर्णय''' -- किसी बात या विषय की पूरी जानकारी और छानबीन के बाद स्थिर किया गया मत, निष्कर्ष या परिणाम, फैसला; निश्चय, संकल्प ---> तीर्मानम्; निच्चदम् <br> <br>
'''निर्दय''' -- दया-हीन, कठोर, निष्ठुर ---> इरक्कमट॒ट॒ <br> <br>
'''निर्देशक''' -- दिशा बताने, निर्देश करने या निर्देशन करने वाला (डाइरेक्टर) ---> वळिकाट्टुबवर, इयक्कुनर् <br> <br>
'''निर्दोष''' -- जिसमें कोई अवगुण, दोष या बुराई न हो; जिसने कोई अपराध न किया हो, निरपराध ---> कुट॒ट॒मट॒ट॒; कुट॒ट॒म सॆय्याद <br> <br>
'''निर्धन''' -- धन-रहित, गरीब ---> एऴै <br> <br>
'''निर्धारण''' -- तय या निश्चित करना, दृढ़ धारणा बनाना ---> तीर्मानित्तल् <br> <br>
'''निर्बल''' -- (शारीरिक दृष्टि से) बलहीन, कमजोर; जिसे यथेष्ट अधिकार या सत्ता प्राप्त न हो, शक्तिहीन ---> बलमटट; बलुवट॒ट॒ <br> <br>
'''निर्भर''' -- किसी दूसरे पर अवलंबित या आश्रित ---> अंडियुळ्ळ <br> <br>
'''निर्भीक''' -- निर्भर, निडर ---> वयमट॒ट॒ <br> <br>
'''निर्मल''' -- (वस्तु) जिसमें मल या मलिनता न हो, साफ, स्वच्छ; निष्कपट, शुद्ध ---> माशट॒ट॒, शुद्दमान; कपडमट॒ट॒ <br> <br>
'''निर्माण''' -- कोई नई चीज तैयार करना या बनाना, रचना; ---> कट्टुदल, उण्डाक्कुदल् <br> <br>
'''निर्यात''' -- माल बाहर भेजने की क्रिया या भाव; बाहर या विदेशों में भेजा हुआ माल ---> एट॒टुमदि; एट॒टुमदि शॆयद पॊरुळ् <br> <br>
'''निर्वाचन''' -- बहुतों में से किसी एक या अधिक को चुनना, चयन ---> तेर्न्दॆडुत्तल् <br> <br>
'''निवारण''' -- दूर करना, हटाना; रोकथाम, निषेघ, मनाही ---> अगट॒ट॒ल् अप्पुर॒प्पडुत्तळ्; तडुत्तल् <br> <br>
'''निवेदन''' -- नम्रतापूर्वक किसी से कोई बात कहना, प्रार्थना करना; अर्पण, समर्पण ---> विण्णप्पं; समर्पित्तल् <br> <br>
'''निवेश''' -- किसी व्यापार, उद्योग आदि में धन या पूंजी लगाने का कार्य तथा इस प्रकार से लगाया हुआ धन, पूंजी आदि (इन्वैस्टमेंट) ---> मुद्लीडु शॆयदल् <br> <br>
'''निशा''' -- रात्रि, रजनी, रात ---> रात्रिरि, इरवु <br> <br>
'''निशान''' -- ऐसा चिह्न या लक्षण जिससे कोई चीज पहचानी जाए या जिससे किसी घटना या बात का परिचय, प्रमाण या सूत्र मिलें; दाग, धब्बा; झंडा या पताका जिससे किसी संप्रदाय, राज्य आदि की पहचान होती है ---> अडैयाळम्; करै, माशु; कॊडि <br> <br>
'''निश्चय''' -- कोई कार्य करने का अंतिम निर्णय या संकल्प करना ---> तीर्मानित्तल् <br> <br>
'''निश्चल''' -- अविचल, स्थिर; अपरिवर्तनशील ---> अशैयाद, निलैयान; मारा॒द <br> <br>
'''निश्चित''' -- (बात या प्रस्ताव) जिसके संबंध में निश्चय हो चुका हो; जो अटल या स्थिर हो ---> निच्चयिक्क प्पट्ट तीर्मानिक्कप्पट्ट; निलैयान <br> <br>
'''निश्छल''' -- (व्यक्ति) छल-कपट से रहित ---> कपडमट॒ट॒ <br> <br>
'''निष्कर्ष''' -- विचार-विमर्श आदि के उपरांत निकलने वाला परिणाम या स्थिर होने वाला सिद्धान्त (कन्कलूज़न); सारांश, निचोड़ ---> आराय्नदपिन् ऎडुक्कुम् मुडिवु; शुरुक्कमान करुत्तु <br> <br>
'''निष्काम''' -- (व्यक्ति) जिसके मन में कामनाएं या वासनाएं न हों, निर्लिप्त; (कार्य) जो बिना किसी प्रकार की कामना के किया जाए ---> कामवासनैयट॒ट॒; पलनै ऎदिर पारादु सॆय्युम् बेलै <br> <br>
'''निष्कासन''' -- किसी को किसी पद, क्षेत्र, स्थान, वर्ग, दल आदि से निकालना, बाहर करना या हटाना ---> पदवियिलिरुन्दु अगट॒ट॒ळ् <br> <br>
'''निष्क्रिय''' -- किसी क्रिया, कार्य या व्यापार से रहित, निश्चेष्ट; अकर्मण्य, आलसी ---> शॆयलट॒ट॒, मुयर्चिक्काद; शेम्बेरि <br> <br>
'''निष्ठा''' -- मन में होनेवाला दृढ़ निश्चय या विश्वास; आस्था, श्रद्धा, भक्ति; ईमानदारी, वफादारी ---> निष्टै; दिड नंबिक्कै; ईडुपाटु <br> <br>
'''निष्पक्ष''' -- (व्यक्ति) जो किसी पक्ष या दल में सम्मिलित न हो, तटस्थ; पक्षपात-रहित ---> पारपक्षमट॒ट॒, नडु निलैयान; पारपक्षभट॒ट॒, नडु निलैयान <br> <br>
'''निष्पादन''' -- आज्ञा, आदेश, नियम, निश्चय आदि के अनुसार कोई काम ठीक तरह से पूरा करना ---> वेलै मुडित्तल् <br> <br>
'''निस्पंद''' -- जिसमें किसी प्रकार की क्रिया या क्रिया का भाव न हो, स्थिर ---> तुडिप्पट॒ट॒, अशैयाद <br> <br>
'''निस्संदेह''' -- जिसमें संदेह न हो असंदिग्ध; निश्चित रूप से, अवश्य ---> सन्देहमट॒ट॒; कट्टायम् <br> <br>
'''नींद''' -- निद्रा ---> तूक्कम् <br> <br>
'''नींव''' -- दीवार का जमीन के अंदर का निचला हिस्सा, बुनियाद; ---> अडिक्कल् <br> <br>
'''नीचा''' -- ऊंचाई, अधिकार, पद, मर्यादा आदि की दृष्टि से जो औरों से घटकर हो, छोटा; जो किसी सम धरातल या स्तर से निम्न स्तर पर स्थित हो, निम्न ---> ताऴ्न्द; ताऴ्न्द <br> <br>
'''नीचे''' -- किसी की तुलना में निम्न धरातल पर; किसी की अधीनता या वश में ---> कीऴे; पिर॒रुक्कु कीऴप्पडिन्दु <br> <br>
'''नीति''' -- सदाचार, सद्व्यवहार आदि के नियम ढंग या रीतियां; राज्य या शासन की रक्षा और व्यवस्था के लिए स्थिर किए हुए सिद्धान्त (पालिसी); युक्ति, तरकीब, चालाकी ---> नल्लोऴुक्कम्; अरशियल् कॊळ्गै; सामर्त्तियम् <br> <br>
'''नीलामी''' -- वस्तुओं की वह सार्वजनिक बिक्री जिसमें सबसे अधिक या बढ़कर दाम लगाने वाले के हाथ वस्तुएं बेची जाती हैं (आक्शन) ---> एलम् <br> <br>
'''नीहारिका''' -- रात के समय आकाश में दिखाई पड़ने वाले घने कोहरे की तरह के प्रकाश-पुंज ---> -;
'''नुकसान''' -- हानि, घाटा; किसी प्रकार होनेवाली खराबी या विकार ---> नष्टम्; तीमै <br> <br>
'''नेता''' -- नायक; धार्मिक संप्रदाय अथवा राजनैतिक या सामाजिक दल का वह व्यक्ति जो अनुयायी लोगों का मार्ग-दर्शन करे ---> तलैवर्; मदगुरु अरशियल् वळिकाट्टि <br> <br>
'''नेतृत्व''' -- नेता का पद तथा कार्य ---> तलैमै <br> <br>
'''नैतिक''' -- नीति-संबंधी; नीति-सम्मत ---> नीदि (कॊळ्गै) संबन्दमान; कॊळ्गैक्कु ऒत्त <br> <br>
'''नौकर''' -- सेवक; कर्मचारी ---> पणियाळ्; अळुवलर्, उद्दियोगस्तन् <br> <br>
'''नौकरी''' -- नौकर बनकर सेवा अथवा कार्य करते रहने की अवस्था या भाव; वह पद या काम जिसके लिए वेतन मिलता हो, रोजगार ---> पणि; उद्दियोगम् <br> <br>
'''नौका''' -- नाव, किश्ती ---> पडगु <br> <br>
'''पंकज''' -- कीचड़ से उत्पन्न, कमल ---> तामरैप्पू <br> <br>
'''पंक्ति''' -- कतार; छपे हुए अक्षरों की एक सीध में पढ़ने के क्रम से लगी हुई श्रृंखला (लाइन) ---> बरिशै; वरि (अच्चडित्त शॊर्कळिन्) <br> <br>
'''पंख''' -- पक्षियों तथा कुछ जंतुओं का वह अंग जिससे वे उड़ते है, पर ---> इरगु <br> <br>
'''पंखा''' -- ताड़ अथवा धातु आदि का वह उपकरण जिससे हवा का वेग बढ़ाया जाता हो (फ़ैन) ---> विशिरि <br> <br>
'''पंचाग''' -- वह पंजी या पुस्तिका जिसमें प्रत्येक मास या वर्ष के तिथियों, वारों, नक्षत्रों, योगों और कारणों का समुचित निरूपण या विवेचन होता हो, जंत्री, पत्रा ---> पंचांगम् <br> <br>
'''पंचायत''' -- गांव या बिरादरी के चुने हुए सदस्यों की सभा जो लोगों के झगड़ों का विचार और निर्णय करती है ---> पंचायत्तु <br> <br>
'''पंछी''' -- पक्षी, परिंदा ---> पखै <br> <br>
'''पंडित''' -- कुशल, निपुण; शास्त्रों आदि का ज्ञाता; ब्राह्मण ---> निबुणर्; शस्तिर वल्लुनर <br> <br>
'''पंथ''' -- मार्ग, रास्ता; धार्मिक मत या संप्रदाय ---> वाऴि, पादै; मदप्पिरिवु <br> <br>
'''पकड़ना''' -- थामना; बंदी बनाना ---> पिडिक्क; कैदु सॆय्य <br> <br>
'''पकाना''' -- अन्न, फल आदि को इस प्रकार आंच, गर्मी आदि देना कि वे मुलायम होकर खाने योग्य हो जाएं (टू कुक) ---> समैक्क <br> <br>
'''पक्का''' -- दृढ़, निश्चित, स्थिर; अच्छी तरह से पका या पकाया हुआ ---> दिडमान, वलुवान; नन्गु पऴुत्त, वॆन्द <br> <br>
'''पक्ष''' -- पक्षियों का डैना और उस पर के पंख; किसी विचार, सिद्धान्त या तथ्य आदि का एक पहलू; चन्द्रमास के दो बराबर भागों में से प्रत्येक भाग जो प्राय: 15 दिन का होता है, पखवाड़ा ---> शिरगु; पक्कम्; पक्षम् (15 नाळ्) <br> <br>
'''पक्षपात''' -- न्याय के समय अनुचित रूप से किसी पक्ष के प्रति होने वाली अनुकूल प्रवृत्ति ---> पारपक्षम् <br> <br>
'''पक्षी''' -- परों वाला, पंछी, परिंदा ---> पक्षि, परवै <br> <br>
'''पखवाड़ा''' -- पंद्रह दिनों का समय, पक्ष ---> पादिनैन्दु नाळ् (पक्षम्) <br> <br>
'''पगडंडी''' -- आने-जाने के कारण जंगल, खेत या मैदान में बना हुआ पतला या संकीर्ण मार्ग ---> ऒट॒टै॒यडिप्पादै <br> <br>
'''पचाना''' -- खाई हुई वस्तु को पक्वाशय की अग्नि से रस में परिणत करना (टू डाइजेस्ट) ---> जीरणिक्क <br> <br>
'''पछताना''' -- पश्चाताप करना ---> पच्चात्ताबप्पड <br> <br>
'''पछाड़ना''' -- कुश्ती अथवा प्रतियोगिता आदि में किसी को परास्त करना ---> वेट्टि॒ पेरु॒दल <br> <br>
'''पटकना''' -- किसी व्यक्ति या वस्तु आदि को उठाकर झोंके के साथ पृथ्वी आदि पर गिराना ---> इडित्तु कीऴै तळ्ळ <br> <br>
'''पटरी (पटड़ी)''' -- सड़क के दोनों ओर का उठा हुआ पैदल-पथ; लोहे के लंबे छड़ जिन पर रेल-गाड़ी चलती है; काठ का छोटा पतला और लंबोतरा टुकड़ा, छोटा पटरा ---> नडै पादै; रयिल् पादै; शिरु॒ पलगै <br> <br>
'''पटसन''' -- सन या सनई नामक प्रसिद्ध पौधा जिसके डंठलों के रेशों से रस्सी, बोरे, गलीचे आदि बनाए जाते हैं; उक्त के रेशे, जूट ---> चणल् चॆडि; चणल् <br> <br>
'''पटाखा (पटाका)''' -- एक प्रकार की आतिशबाजी जिससे जोर से पट या पटाक का शब्द होता है (क्रैकर) ---> पट्टासु <br> <br>
'''पड़ना''' -- गिरना, रखे रहना; लेटना, बीमार होना ---> बिळ, वैत्तिरुक्क; पडुक्क, नोयुर॒ <br> <br>
'''पड़ाव''' -- मार्ग में पड़ने वाला वह स्थान जहां सेना, काफिले, यात्री आदि कुछ समय के लिए विश्राम आदि करने को ठहरते हैं ---> पिरयणिरळ् वऴित्तंगुमिडम् <br> <br>
'''पतंग''' -- बांस की कमानियां के ढांचे पर कागज़ मड़कर बनाई हुई वस्तु जिसे तागे से बांधकर हवा में उड़ाते हैं (काइट); पतंगा, शलभ ---> कात्ताडि, पट्टम्; विट्टिल् पूच्चि <br> <br>
'''पतन''' -- अधोगति, गिरावट; स्तुत्य आचरण को छोड़कर हीन आचरण में प्रवृत्त होना ---> वीऴ्च्चि; कॆट्ट वऴियिळ् सॆल्लल् <br> <br>
'''पतला''' -- जो गाढ़ा न हो, जिसमें तरल अंश अधिक हो; कृश, दुबला; संकरा, बारीक ---> गॆट्टियिल्लाद; मॆलिन्द; मॆल्लिय <br> <br>
'''पता''' -- किसी वस्तु, स्थान या व्यक्ति के ठिकाने का ऐसा परिचय जो उसे पाने, ढूंढने या उनके पास तक समाचार पहुँचाने में सहायक हो; किसी अज्ञात व्यक्ति, विषय आदि के संबंध में ऐसी जानकारी जिसे प्राप्त करना अभीष्ट या आवश्यक हो ---> मुगवरि; तगवल् <br> <br>
'''पताका''' -- झंडा, ध्वजा; साहित्य में (नाटक में) अधिकारिक कथा की सहायतार्थ दूर तक चलने वाली प्रासंगिक कथा ---> कॊडि; नाडगत्तिल् मुक्किय कदैयुडन् शॆल्लुम तुणैक्कदै <br> <br>
'''पत्तन''' -- वायुयानों अथवा जलयानों के ठहरने का स्थान ---> पट्टणम् <br> <br>
'''पत्ता''' -- पेड़-पौधों की शाखाओं में लगने वाले प्राय: हरे रंग के चिपटे लचीले अवयव (लीफ़); ताश (प्लेइंग कार्ड) ---> इलै; विळैयाडुम् शीट्टु <br> <br>
'''पत्थर''' -- धातु से भिन्न कड़ा ठोस और भारी भूद्रव्य जो प्राय: खानों और पर्वतों को काटकर निकाला जाता है ---> कल् <br> <br>
'''पत्रकार''' -- वह व्यक्ति जो समाचार पत्रों को नित्य नए समाचारों की सूचना देता, उन पर टीका-टिप्पणी करता अथवा उनको संपादित करता हो (जर्नलिस्ट) ---> पत्तिरिगैयाळर् निरुबर् <br> <br>
'''पत्राचार''' -- परस्पर एक दूसरे को पत्र लिखना, पत्र-व्यवहार ---> कडिदप्पोक्कु वरत्तु <br> <br>
'''पथ''' -- मार्ग, रास्ता, राह; कार्य या व्यवहार की पद्धति ---> वऴि, शालै, पादै; नडैमुरै॒ <br> <br>
'''पथ-प्रदर्शक''' -- किसी कार्य या व्यवहार की पद्धति बताने वाला, मार्गदर्शक ---> वऴि काट्टुबवर् <br> <br>
'''पथ-भ्रष्ट''' -- जो मार्ग से भटक गया हो; न्याय मार्ग अथवा आचरण से विमुख ---> वऴि तवरि॒य; नल्लॊळुक्कत्तिलिरुन्दु पिळरिय <br> <br>
'''पथिक''' -- बटोही, राही ---> वऴिप्पोक्कन् <br> <br>
'''पथ्य''' -- गुणकारी, लाभदायक; वह हल्का भोजन जो अस्वस्थ या रोगी व्यक्ति को दिया जाए ---> पत्तियमान; पत्तिय उणवु <br> <br>
'''पद''' -- कदम, पांव, पैर; वाक्य का अंश या खंड; ओहदा, उपाधि; छंद, श्लोक आदि का चतुर्थांश ---> कालड़ि, अड़ि, पादम्; पदम् वातैं, चॊल्; पदवि; शॆय्युळिन् अडि <br> <br>
'''पदचाप''' -- चलते समय पैरों से होने वाली ध्वनि ---> कालडिच्चत्तम् <br> <br>
'''पद-चिह्न''' -- पैरों की छाप; दूसरों विशेषत: बड़ों द्वारा बतलाए हुए आदर्श अथवा कार्य करने का ढंग ---> अडिच्चुवडु; पॆरियोर् वऴिप्पट॒टुदल् <br> <br>
'''पद्धति''' -- कार्य करने का तरीका, कार्य-प्रणाली; रीति, पथ, मार्ग ---> वेलै मुरै॒; वऴि, मुरै॒ <br> <br>
'''पनघट''' -- वह घाट या स्थान जहां से लोग घड़े आदि में पानी भरकर लाते हैं ---> नीर्तुरै॒ <br> <br>
'''पनडुब्बी''' -- पानी के अंदर डूबकर चलने वाली नाव (सबमरीन) ---> नीर् मूऴगि कप्पल् <br> <br>
'''परंतु''' -- इतना होने पर भी, लेकिन, पर ---> आनाल् <br> <br>
'''परंपरा''' -- सिलसिला, क्रम; रीति-रिवाज, प्रथा ---> तॊडर्च्चि, परंपरै; पऴक्क वऴक्कंगळ् <br> <br>
'''परखना''' -- अच्छे बुरे की पहचान करना ---> परीक्षिक्क, बेदम् कंडुपिडिक्क <br> <br>
'''परदा''' -- आड़ या बचाव करने के लिए बीच में टांगा या लटकाया जाने वाला कपड़ा आदि; घूंघट ---> पडुदा, तिरै; मुट्टाक्कु (मुक्काडु) <br> <br>
'''परदेसी''' -- वह व्यक्ति जो अपना देश छोड़कर किसी दूसरे देश में आया हो, परदेसी ---> अन्निय नाट्टिल वशिक्किर <br> <br>
'''परम''' -- मुख्य, प्रधान; अत्यधिक ---> मुक्कियमान; परम, मिग, अदिग <br> <br>
'''परमाणु''' -- किसी तत्व का अविभाज्य टुकड़ा ---> अणु, परमाणु <br> <br>
'''परमात्मा''' -- ईश्वर, परब्रह्म ---> परमात्मा, कडवुळ् <br> <br>
'''परमार्थ''' -- मोक्ष; परोपकार ---> मोक्षम्, मुक्ति; पिर॒रुक्कु उदवियळित्तल्, परोपकारम् <br> <br>
'''परलोक''' -- इस लोक से भिन्न दूसरा लोक ---> परलोगम्, मेलुलगम् <br> <br>
'''परसों''' -- बीते हुए दिन से ठीक पहले वाला दिन; आगामी कल के बाद वाला दिन ---> मुन्दा नाळ्; नाळै मरु॒नाळ्, नाळै निन्रु॒ <br> <br>
'''परस्पर''' -- आपस में ---> तमक्कुळ्ळे, परस्परम् <br> <br>
'''पराकाष्ठा''' -- चरम सीमा, हद ---> कड़ैसि ऎल्लै <br> <br>
'''पराक्रम''' -- शौर्य, सामर्थ्य, बल ---> पराक्किरमम् बलम् <br> <br>
'''पराग''' -- फूल के लंबे केसरों पर जमी रहने वाली धूल ---> मकरन्दम् <br> <br>
'''पराजय''' -- हार, विजय का उल्टा ---> तोल्वि <br> <br>
'''पराधीनता''' -- दूसरे के अधीन अर्थात् पराधीन होने की अवस्था या भाव ---> अडिमैत्तनम् <br> <br>
'''परामर्श''' -- सलाह, सम्मति; विवेचन, विचार ---> आलोचनै; चचैं <br> <br>
'''पराया''' -- जिसका संबंध दूसरे से हो, अपने से भिन्न, आत्मीय या स्वजन से भिन्न ---> अन्निय <br> <br>
'''परिक्रमा''' -- चारों ओर चक्कर लगाना या घूमना; किसी तीर्थ, देवता या मंदिर के चारों ओर भक्ति और श्रद्धा से तथा पुण्य की भावना से चक्कर लगाने की क्रिया ---> वलम् तरुदल्; पिरदक्षिणम् <br> <br>
'''परिचय''' -- ऐसी स्थिति जिसमें दो व्यक्ति एक दूसरे को प्राय: प्रत्यक्ष भेंट के आधार पर जानते और पहचानते हों, जान-पहचान; किसी व्यक्ति के नाम-धाम या गुण-कर्म आदि से संबंध रखने वाली सब या कुछ बातें जो किसी को बतलाई जाएं ---> परिचयम्, अरि॒मुगम्; अरि॒मुगम् <br> <br>
'''परिचर्या''' -- किसी के द्वारा की जाने वाली अनेक प्रकार की सेवाएं; रोगी की सेवा सुश्रूषा ---> तोण्डु; चिक़िच्चै <br> <br>
'''परिचारिका''' -- सेवा करने वाली स्त्री, सेविका (नर्स) ---> पणिप्पॆण, शॆविलि <br> <br>
'''परिच्छेद''' -- अध्याय, प्रकरण ---> अद्दियायम् <br> <br>
'''परिजन''' -- चारों ओर के लोग विशेषत: परिवार के सदस्य; अनुगामी और अनुचर वर्ग ---> कुडुंबत्तवर, शुट॒टो॒र्; पणियाळ् <br> <br>
'''परिणाम''' -- किसी काम या बात का तर्क संगत रूप में अंत होने पर उससे प्राप्त होने वाला फल (रिज़ल्ट); किसी कार्य के उपरांत क्रियात्मक रूप से पड़ने वाला उसका प्रभाव (कांसीक्वेन्स) ---> विळैवु, पलन्; मुडिवु <br> <br>
'''परित्याग''' -- अधिकार, स्वामित्व, संबंध, अधिकृत वस्तु, निजी संपत्ति, संबंधी आदि का पूर्ण रूप से तथा सदा के लिए किया जाने वाला त्याग, पूरी तरह से छोड़ देना ---> तन् उरिमैयै मुट॒टि॒लुम तुर॒त्तल, तियागम्; <br>
'''परिधि''' -- वृत की रेखा; किसी गोलाकार वस्तु के चारों ओर खिंची हुई वृत्ताकार रेखा; वह गोलाकार मार्ग जिस पर कोई चीज चलती, घूमती या चक्कर लगाती हो ---> वट्टक् कोडु; बट्टवडिवमान पॊरुळै शुट्रि इरुक्कुम् कोडु; वट्टवडिवमान पादै <br> <br>
'''परिपक्व''' -- जो अभिवृद्धि, विकास आदि की दृष्टि से पूर्णता तक पहुँच चुका हो; अच्छी तरह से पका हुआ ---> मुऴु वळर्चियुटट; नन्गु पऴुत्त <br> <br>
'''परिभाषा''' -- ऐसा कथन या वाक्य जो किसी पद या शब्द का अर्थ या आशय स्पष्ट रूप से बतलाता या व्यक्त करता हो (डेफिनिशन) ---> शॊल्लिन् पॊरुळ् विळक्कम् <br> <br>
'''परिमाण''' -- गिनने, तोलने, मापने आदि पर प्राप्त होने वाला फल; नाप-जोख, तोल आदि की दृष्टि से किसी वस्तु की लंबाई-चौड़ाई, भार, घनत्व विस्तार आदि, मान (क्वान्टिटी) ---> अळवु, निरै॒; परिमाणम, मोत्त अळवु <br> <br>
'''परिमार्जन''' -- साफ करने के लिए अच्छी तरह धोना; अच्छी तरह साफ करना; भूलें आदि सुधारना ---> अलंबुदल्; शुद्दीकरिप्पु; पिऴै नीक्कल् तिरुत्तल <br> <br>
'''परिवर्धन''' -- आकार-प्रकार, विषय-वस्तु आदि में की जाने वाली वृद्धि; इस प्रकार बढ़ाया हुआ अंश ---> कूट्टल्, वळर्त्तल; अदिगरित्त पगुदि <br> <br>
'''परिवहन''' -- माल, यात्रियों आदि को एक स्थान से ढोकर दूसरे स्थान पर ले जाने का कार्य (ट्रान्सपोर्ट) ---> पोक्कु वरत्तु <br> <br>
'''परिवार''' -- एक घर में और विशेषत: एक कर्त्ता के अधीन या संरक्षण में रहने वाले लोग (फैमिली); किसी विशिष्ट गुण, संबंध आदि के विचार से चीजों का बनने वाला वर्ग ---> कुडुंबम्; वगै, जादि <br> <br>
'''परिवार नियोजन''' -- बढ़ती हुई जन-संख्या को नियंत्रित करने या सीमित रखने के उद्देश्य से गार्हस्थ्य जीवन के संबंध में की जाने वाली वह योजना जिससे लोग आवश्यकता अथवा औचित्य से अधिक संतान उत्पन्न न करें (फ़ैमिली प्लानिंग) ---> कुडुंब कट्टुप्पाडु <br> <br>
'''परिवेश''' -- वेष्टन, परिधि, घेरा; ---> ऎललै सुट॒टुच्चुवर् <br> <br>
'''परिशिष्ट''' -- छूटा या बाकी बचा हुआ, अवशिष्ट; पुस्तकों आदि के अंत में दी जाने वाली वे बातें जो मूल में आने से रह गईं हों, अथवा जो मूल में आई हुई बातों के स्पष्टीकरण के लिए हों ---> अनुबन्दम्; इणैप्पु <br> <br>
'''परिश्रम''' -- मानसिक या शारीरिक श्रम, मेहनत ---> उऴैप्पु <br> <br>
'''परिषद्''' -- निर्वाचित या मनोनीत विधायकों की वह सभा जो स्थायी या बहुत-कुछ स्थायी होती है (कौंसिल) ; सभा ---> मेल्, अवै; अवै <br> <br>
'''परिष्कार''' -- अच्छी तरह ठीक और साफ करने की क्रिया या भाव ; त्रुटियां दोष आदि दूर करके सुंदर, सुरुचिपूर्ण और स्वच्छ बनाना ; निर्मलता, स्वच्छता ---> शुद्दिकरिप्पु; शीर् पडुत्तुल; तूय्मै <br> <br>
'''परिस्थिति''' -- चारो ओर की स्थिति, हालत (सर्कमस्टांसिस) ---> शूळ्निळै <br> <br>
'''परीक्षण''' -- परीक्षा करने या लेने की क्रिया; जांच, परख ---> परिशोदनै; परीक्षै <br> <br>
'''परीक्षा''' -- किसी के गुण, धैर्य, योग्यता सामर्थ्य आदि की ठीक-ठाक स्थिति जानने या पता लगाने की क्रिया या भाव ; जांच-पड़ताल या देखभाल ---> परीक्षै, तेरवु; आयवु <br> <br>
'''परोक्ष''' -- आंखो से ओझल ; जो सामने न हो, अनुपस्थित ; छिपा हुआ, गुप्त; आंखों के सामने न होने की अवस्था या भाव, अनुपस्थिति; व्याकरण में पूर्ण भूतकाल; ++; पुलप्पडाद; मुरै॒मुगमान; मरै॒न्दुळ्ळ; इल्लामै
'''परोपकार''' -- दूसरों की भलाई, दूसरों के हित का काम ---> उपगारं <br> <br>
'''पर्यटक''' -- देश-विदेश में घूमने-फिरने वाला ---> पयणि, सुट॒टुला पयणि <br> <br>
'''पर्यटन''' -- अनेक महत्त्वपूर्ण स्थल देखने तथा मन-बहलाव के लिए अधिक विस्तृत भूभाग में किया जाने वाला भ्रमण ---> सुंट॒टुला <br> <br>
'''पर्याप्त''' -- जितना आवश्यक हो उतना सब, यथेष्ट, काफी ---> पोदुमान <br> <br>
'''पर्याय''' -- सामानार्थक शब्द ---> अदे पॊरुळुळ्ळ शोल् <br> <br>
'''पर्व''' -- ग्रंथ आदि का अंश, खंड, भाग ; उत्सब और त्यौहार ---> परुवं; तिरुविऴा, पंडिगै <br> <br>
'''पर्वतारोहण''' -- पहाड़ पर चढ़ने की क्रिया या पहाड़ पर चढ़ना ---> मलै ऎरु॒दल् <br> <br>
'''पलायन''' -- निकल भागने या बच निकलने की क्रिया या भाव ---> तप्पि ओडुदल् <br> <br>
'''पवन''' -- वायु हवा ---> काट॒टॅ॒ <br> <br>
'''पवित्र''' -- (पदार्थ) जो धार्मिक उपचारों से इस प्रकार शुद्ध किया गया हो अथवा स्वत: अपने गुणों के कारण इतना अधिक शुद्ध माना जाता हो कि पूजा-पाठ, यज्ञ होम आदि में काम में लाया या बरता जा सके; निश्छल, धार्मिक, सद्वृत्तिवाला और पूज्य व्यक्ति; साफ, स्वच्छ, निर्मल ---> तूय्मैयान; पजिक्कतूतक्क; माशट॒ट॒ <br> <br>
'''पशु''' -- चार पैरों से चलने वाला दुमदार जंतु, जानवर ---> मिरुगम् <br> <br>
'''पश्चाताप''' -- किसी कर्म के बाद उसके औचित्य का भान होने पर मन में होने वाला दु:ख, पछतावा ---> पच्चात्ताबम्, परिताबम <br> <br>
'''पसारना''' -- अधिक विस्तृत करना ; फैलाना ---> विस्तरिक्क; परप्प <br> <br>
'''पसीना''' -- ताप, परिश्रम आदि के कारण शरीर या अंगो में से निकलने वाले जलकण, स्वेद ---> वियवैं <br> <br>
'''पहचान (पहिचान)''' -- पहचानने की क्रिया, भाव या शक्ति ; कोई ऐसा चिह्न या लक्षण जिससे पता चले कि वह अमुक व्यक्ति या वस्तु है ; परिचय ---> अडैयाळम् तेरिन्दु काळ्ळल्; अडैयाळम्; अरिमुगम, परिच्चयम् <br> <br>
'''पहचानना''' -- किसी वस्तु या व्यक्ति को देखते ही उसके चित्रों, लक्षणों, रूप-रंग के आधार पर यह जान या समझ लेना कि यह अमुक व्यक्ति या वस्तु है जिसे मैं पहले से जानता हूँ ; किसी वस्तु या व्यक्ति के गुण-दोषों, योग्यताओं आदि से भली-भांति परिचित होना ---> अडैयाळम्, तॊरिन्दुकॊळ्ळ; गुणादिशयंगळै अरि॒य <br> <br>
'''पहनना''' -- शरीर या अंग पर विशेषकर कपड़े, गहने आदि धारण करना ---> उडुत्तिक्कॊळ्ळ, अणिन्दुकोळ्ळ <br> <br>
'''पहनावा (पहरावा)''' -- पहनने के कपड़े, पोशाक ; किसी जाति, देश आदि के लोगों द्वारा सामान्यत: पहने जाने वाले कपड़े ---> उडै, आडैगळ्; उडुप्पु <br> <br>
'''पहरेदार''' -- वह जिसका काम कहीं खड़े-खड़े घूम-घूम कर चौकसी करना हो, चौकीदार, संतरी ---> पाराक्कारन, कावल्कारन् <br> <br>
'''पहलवान''' -- कुश्ती लड़ने वाला मजबूत और कसरती व्यक्ति ---> पयिल्वान् <br> <br>
'''पहला''' -- समय के विचार से जो और सब के आदि में हुआ हो ; किसी चीज विशेषत: किसी वर्गीकृत चीज के आरंभिक या प्रांरभिक अंश या वर्ग से संबंध रखने वाला ; वर्तमान से पूर्व का, विगत ---> मुदलावदु; तॊडक्कात्तिलुळ्ळ; इदर्कु मुन्दिय <br> <br>
'''पहले''' -- आदि, आरंभ या शुरु मे, सर्व प्रथम; काल, घटना, स्थिति आदि के क्रम के विचार से आगे या पूर्व; बीते हुए समय में, पूर्वकाल में पुराने जमाने में ---> मुदल्मुदलिल्; मुन्नाल; पळंकालत्तिल मुर॒कालत्तिल <br> <br>
'''पहाड़''' -- चट्टानों का वह प्राकृतिक पुंज जो जमीन की सतह से बहुत ऊंचा होता है, पर्वत ---> मलै <br> <br>
'''पहाड़ा''' -- किसी अंक की गुणन सारणी ---> वाय्पाडु (पॆरुक्कल्) <br> <br>
'''पहिया''' -- गाड़ी, यान आदि का वह गोलाकार हिस्सा जिसकी धुरी पर घूमने से गाड़ी या यान आगे बढ़ता है ; यंत्रों आदि में लगा हुआ उक्त प्रकार का गोलाकार जिसके घूमने से उस यंत्र की कोई क्रिया संपन्न होती है ---> वंडियिन् सक्करम; यदि रंगळिन् सक्करम् <br> <br>
'''पहुंचना''' -- (वस्तु अथवा व्यक्ति का) एक स्थान से चलकर अथवा किसी प्रकार दूसरे स्थान पर उपस्थित या प्रस्तुत होना ; किसी स्थान या पद आदि को प्राप्त होना ---> पोय् सेर; ऒरु इडत्तै/पदविये/अडैय <br> <br>
'''पांडुलिपि''' -- पुस्तक, लेख आदि की मुद्रण योग्य प्रति ---> कै ऎळुत्तुप्पिरदि <br> <br>
'''पाक्षिक''' -- चांद्र मास के पक्ष से संबंध रखने वाला ; जो एक पक्ष (15 दिन) में एक बार होता है ---> वळर पिरै॒/तेय् पिरै॒ये शान्द; पदिनैन्दु नाळुक्कु ऒरु मुरै निगळ्गिर् <br> <br>
'''पांखड''' -- दिखावटी आचरण, उपासना या भक्ति ; पूजा-पाठ आदि का आडंबर, ढकोसला, ढोंग ---> पॊय् नडत्तै; पाशांगु <br> <br>
'''पागल''' -- जो किसी तीव्र मनोविकार के कारण ज्ञान या विवेक खो बैठा हो, विक्षिप्त, सनकी ---> पैत्तियम् पिडित्त <br> <br>
'''पाचक''' -- पचाने वाला ; वह दवा जो खाई हुई चीज पचाती या पाचन शक्ति बढ़ाती हो ---> जीरण शक्ति युडैय; जीरण मरुन्दु <br> <br>
'''पाठक''' -- पढ़ने वाला ---> वाचगर् <br> <br>
'''पाठशाला''' -- वह स्थान जहाँ विद्यार्थियों को पढ़ना-लिखना सिखाया जाता है, विद्यालय ---> पाडशालै पळ्ळिक्कूडम् <br> <br>
'''पाताल''' -- पृथ्वी के नीचे के सात लोकों में से सबसे नीचे का लोक, नाग-लोक ; बहुत अधिक गहरा और नीचा स्थान ---> पाताळम्, कीऴुलगम्; ताऴ्न्द, आळमान इडम् <br> <br>
'''पात्र''' -- वह आधान जिसमें कुछ रखा जा सके, बरतन, भाजन; ऐसा व्यक्ति जो किसी काम या बात के सब प्रकार से उपयुक्त या योग्य समझा जात हो ; उपन्यास, कहानी, काव्य नाटक आदि में वे व्यक्ति जो कथा-वस्तु की घटनाओं के घटक होते हैं और जिनके क्रिया-कलाप या चरित्र से कथा-वस्तु की सृष्टि और परिपाक होता है ---> पात्तिरम्; तगुदि पॆट॒ट॒वर्; इलक्किय- पात्तिरंगळ् <br> <br>
'''पाना''' -- प्राप्त करना ---> पॆट॒टुक्कॊळ्ळ <br> <br>
'''पाप''' -- धर्म और नीति के विरूद्ध किया जाने वाल ऐसा निंदनीय आचारण या काम जो बुरा हो और जिसके फलस्वरूप मनुष्य को नरक भोगना पड़ता हो ---> पावम् <br> <br>
'''पारंगत''' -- जिसने किसी विद्या या शास्त्र का बहुत अधिक ज्ञान प्राप्त कर लिया हो ---> करैकड़न्द अरि॒वुळ्ळ <br> <br>
'''पार''' -- झील, नदी, समुद्र आदि का दूसरी ओर का किनारा ; किसी काम या बात का अंतिम छोर या सिरा, विस्तार या व्याप्ति की चरम सीमा या हद ---> अक्करै, मरु॒करै; कड़ैशि ऎल्लै <br> <br>
'''पारदर्शी''' -- आर-पार अर्थात् बहुत दूर तक की बात देखने और समझने वाला ; दूरदर्शी, पारदर्शक ---> पिन् निगळुबबैगळै मुन्नरे अरियुम् तिर॒मैयुळ्ळ; दीर्ग दरिसियान <br> <br>
'''पारस''' -- एक कल्पित पत्थर जिसके स्पर्श से लोहा सोना हो जाता है ---> मुट॒ट॒ उलोंगंगळै पॊन्नाक्कुम शक्तियुळ्ळ दाग सॊल्लप्पडुम ऒरु कल् <br> <br>
'''पारावार''' -- समुद्र ---> कड़ल् <br> <br>
'''पारिभाषिक''' -- परिभाषा संबंधी ; जो (शब्द) जो किसी शास्त्र या विषय में अपना साधारण से भिन्न कोई विशिष्ट अर्थ रखता हो (टेक्नीकल) ---> पॊरुळै विळक्कुगिर; तॊळिल् नुट्पमुळ्ळ <br> <br>
'''पारिश्रमिक''' -- किए हुए श्रम या कार्य के बदले में मिलने वाला धन, करने की मजूरी (रिम्यूनरेशन) ---> ऊदियम् <br> <br>
'''पालकी''' -- एक प्रसिद्ध सवारी जिसे कहार या मजदूर कंधे पर उठाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते हैं ---> पल्लक्कु <br> <br>
'''पालतू''' -- (पशु पक्षियों के संबंध में) जो पकड़ कर घर में रखा तथा पाला गया हो (जंगली से भिन्न) ---> वीट्टिल् वळ्र्क्किंर॒ <br> <br>
'''पालन''' -- भरण-पोषण, परवरिश ; आज्ञा, आदेश, कर्त्तव्य, वचन आदि कार्यों का निर्वाह ---> वळरत्तल्; परमारित्तल् <br> <br>
'''पालना''' -- भरण-पोषण करना, परवरिश करना; आज्ञा, आदेश प्रतिज्ञा, वचन आदि के अनुसार आचरण या व्यवहार करना; पशु-पक्षियों को अपने पास रख कर खिलाना-पिलाना, पोसना ---> परिपालिक्क; अनुसरिक्क; वळर्क्क <br> <br>
'''पावन''' -- पवित्र; (समस्त पदों के अंत में) पवित्र करने या बनाने वाला ---> तूय्मैयान; तूय्मै आक्कुगिर॒ <br> <br>
'''पाश''' -- वह चीज जिससे किसी को फंसाया या बांधा जाए, बंधन, फंदा ---> पाशक् कयिरु॒ <br> <br>
'''पास''' -- जो अवकाश, काल आदि के विचार से अधिक दूरी पर न हो, निकट, समीप; अधिकार में, हाथ में ; जो जांच, परीक्षा आदि में उपयुक्त या ठीक ठहरा हो ---> किट्ट, अरुगे; कैवशम्; तेर्वु पॆट॒ट॒ <br> <br>
'''पिंजरा''' -- धातु बांस आदि की तीलियों का बना हुआ बक्स की तरह का वह आधान जिसमें पक्षी, पशु आदि बंद करके रखे जाते हैं (केज) ---> कूण्डु <br> <br>
'''पिंड''' -- धनी या ठोस चीज का छोटा और प्राय: गोलाकार खंड या टुकड़ा, ढेला या लोंदा ; जौ के आटे, भात आदि का बनाया हुआ वह गोलाकार खंड जो श्राद्ध में पितरों के उद्देश्य से वेदी आदि पर रखा जाता है ---> उरुण्डै; शिराद्दत्तिल्, अळिक्कुम् पिण्डम् <br> <br>
'''पिंडदान''' -- कर्मकांड के अनुसार पितरों का पिंड देने का कर्म जो श्राद्ध में किया जाता है ---> शिराद्दत्तिल् पिण्डम वैत्तल् <br> <br>
'''पिचकारी''' -- नली के आकार का धातु का बना हुआ एक उपकरण जिसके मुंह पर एक या अनेक ऐसे छोटे-छोटे छेद होते हैं, जिनके मार्ग से नाली में भरा हुआ तरल पदार्थ दबाव से धार या फुहार के रूप में दूसरों पर या दूर तक छिड़का या फेंका जाता है (सिरिंज) ; किसी चीज से जोर से निकलने वाली तरल पदार्थ की धार ---> पीच्चां कुऴल; पीच्चुगिर॒ दिरवम् <br> <br>
'''पिछला''' -- जो किसी वस्तु के पीछे की ओर हो (हिंड, बैक) ; काल, घटना, स्थिति आदि के क्रम के विचार से किसी के पीछे अर्थात पूर्व में या पहले पड़ने या होने वाला (प्रीसीडिंग) ; बीता हुआ ---> पिन पुर॒त्तु; कड़न्द, मुन्दैय; कऴिन्द <br> <br>
'''पिपासा''' -- पानी या और कोई तरल पदार्थ पीने की इच्छा, तृष्णा, तृषा, प्यास ---> दाहम् <br> <br>
'''पिशाच''' -- एक प्रकार के भूत या प्रेत जिनकी गणना हीन देव योनियों में होती है तथा जो वीभत्स कर्म करने वाले माने जाते हैं ---> पिशाशु, पेय् <br> <br>
'''पीछे''' -- पीठ की ओर ; काल क्रम, देश आदि के विचार से किसी के पश्चात् या उपरांत, घटना या स्थिति के विचार से किसी के अनंतर, उपरांत, पश्चात्; किसी के कारण या खातिर निमित्त, के लिए, वास्ते ---> पिन्नाल्; पिर॒गु; कारण माग <br> <br>
'''पीटना''' -- आघात करना, चोट पहुंचाना ; चौसर, शतरंज आदि के खेलों में विपक्षी की गोट या मोहरा मारना ---> अडिक्क; सदुरंगत्तिल् तोर्कडिक्क <br> <br>
'''पीठिका''' -- छोटा पीढ़ा, पीढ़ी ; वह आधार जिस पर कोई चीज विशेषत: देवमूर्त्ति रखी, लगाई या स्थापित की गई हो ---> शिरि॒य उट्कारुम, पलगै, आसनप्पलगै; पडिच्चट्टम् <br> <br>
'''पीड़ा''' -- शारीरिक या मानसिक कष्ट, दर्द, त्वचा का दर्द ---> वेदनै, वलि <br> <br>
'''पीढ़ी''' -- किसी कुल या वंश की परम्परा में, क्रम-क्रम से आगे बढ़ने वाली संतान की प्रत्येक कड़ी या स्थिति ; छोटा पीढ़ा ; किसी विशिष्ट समय का वह सारा जनसमुदाय जिसकी वय में अधिक छोटाई-बड़ाई न हो ---> तलै मुरै॒; शिरि॒य इरुक्कै; कुरि॒प्पिट्ट कालत्तिल् समवयदुळ्ळ जन समूगम् <br> <br>
'''पीना''' -- किसी तरल पदार्थ को घूँट-घूँट करके पेट मे उतारना ; धूम्रपान करना या शराब आदि से नशा करना ---> कुडिक्क, अरुन्द; कळ् कुडिक्क <br> <br>
'''पीला''' -- जो केसर, सोने या हल्दी के रंग का हो; आभा-रहित, निष्प्रभ ---> मंजळान; वॆळिरिय <br> <br>
'''पीसना''' -- रगड़ या दबाव पहुंचा कर किसी वस्तु को चूरे के रूप में बदलना ---> अरैक्क <br> <br>
'''पुंज''' -- ढेर, राशि ; समूह ---> कुवियल्; शेर्क्कै <br> <br>
'''पुकार''' -- जोर से नाम लेकर संबोधित करने की क्रिया या भाव; आत्मरक्षा, सहायता आदि के लिए दूसरों को बुलाने की क्रिया या भाव ---> कूप्पिडुदल्; उदविक्कु अऴैत्तल् <br> <br>
'''पुकारना''' -- किसी को बुलाने, संबोधित करने या उसका ध्यान आकृष्ट करने के लिए जोर से उसका नाम लेना ; रक्षा, सहायता आदि के लिए किसी का आह्वान करना, आवाज लगाना या चिल्लाना ---> उरक्क कूप्पिड; उदविक्काग उरक्क कूप्पिड <br> <br>
'''पुचकारना''' -- प्यार जतलाते हुए मुंह से पुच-पुच शब्द करना ---> शॆल्लम् कॊंज <br> <br>
'''पुजारी''' -- किसी देवी-देवता की मूर्त्ति या प्रतिमा की पूजा करने वाला व्यक्ति ---> पूशारी <br> <br>
'''पुण्य''' -- पवित्र, शुद्ध ; मंगलकारक, शुभ ; धर्म-विहित और उत्तम फलदायक; धार्मिक दृष्टि से कुछ विशिष्ट अवसरों पर कुछ विशिष्ट कर्म करने से प्राप्त होने वाला शुभ फल; अच्छे और शुभ कर्मों का संचित रूप जिसका आगे चलकर उत्तम फल मिलता हो; ++; तूय्मैयान; मंगळ करमान; पुण्णिय करमान; पुण्णियम्
'''पुनरावृत्ति''' -- किए हुए काम या बात को फिर से करने या दोहराने की क्रिया या भाव ---> तिरुम्बच्चॆय्दल <br> <br>
'''पुनरीक्षण''' -- किए हुए काम को जांचने के लिए फिर से देखना ---> परिशीलित्तल् <br> <br>
'''पुनर्जन्म''' -- मरने के बाद फिर से उत्पन्न होना, दोबारा शरीर धारण करना ---> मरु॒-पिर॒प्पु <br> <br>
'''पुनीत''' -- पवित्र ---> तूय्मैयान <br> <br>
'''पुरस्कार''' -- अच्छी तरह कोई प्रशस्त और कठिन कार्य करने पर आदर या सत्कार के रूप में दिया जाने वाला धन या पदार्थ (प्राइज़, एवार्ड, रिवार्ड) ---> वॆगुमदि <br> <br>
'''पुरूषार्थ''' -- वह मुख्य अर्थ, उद्देश्य या प्रयोजन जिसकी प्राप्ति या सिद्धि के लिए मनुष्य का प्रयत्न करना आवश्यक और कर्त्तव्य हो (पूरुषार्थ चार हैं- धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष); उद्योग, उद्यम ---> नल्ल पलन् पॆर॒ शॆय्युम कडमै, पुरुषार्थम्; मुयर्चि, उऴैप्पु <br> <br>
'''पुरोहित''' -- कर्मकांड आदि जानने वाला ब्राह्मण जो अपने यजमान के यहां मुंडन, यज्ञोपवीत, विवाह आदि संस्कार कराता तथा अन्य अवसरों पर उनसे दान, दक्षिणा आदि लेता है (हिन्दू प्रीस्ट) ---> पुरोगिदर् <br> <br>
'''पुल''' -- खाइयों, नदी-नालों, रेल लाईनों, आदि के ऊपर आर-पार पाट कर बनाई हुई वह वास्तु रचना, जिस पर से होकर गाड़ियाँ और आदमी इधर से उधर आते जाते हैं सेतु (ब्रिज) ---> पालम् <br> <br>
'''पुष्प''' -- फूल, कुसुम ---> पुष्पम्, पू, मलर् <br> <br>
'''पुष्पांजलि''' -- फूलों से भरी हुई अंजली जो किसी देवता या महापुरुष को अर्पित की जाती है ---> मलर्गळ समर्पित्तु वणंगुदल् <br> <br>
'''पुस्तकालय''' -- वह स्थान जिसमें विभिन्न प्रकार की पुस्तकें सुव्यवस्थित ढंग से रखी जाती हैं ---> नूलगम् पुत्तगालयम् <br> <br>
'''पूंजी''' -- जोड़ा या जमा किया हुआ धन ; ऐसा धन जो अधिक कमाने के उद्देश्य से व्यापार आदि में लगाया गया हो अथवा ऋण आदि पर उधार दिया गया हो ---> ईट्टिय पणम्; वियाबारतिल ईडु शॆय्युम् मुदल्, मुदलीडु <br> <br>
'''पूछताछ''' -- किसी बात की जानकारी के लिए उसके संबंध में एक या अनेक व्यक्तियों से बार-बार पूछना ---> विशारणै <br> <br>
'''पूछना''' -- किसी बात की जिज्ञासा से कोई प्रश्न करना ; जाँच, परीक्षा आदि के प्रसंग में किसी के सामने कुछ प्रश्न रखना कि वह उसका उत्तर दे; किसी का हाल-चाल या खोज खबर लेना ---> केट्क, विनव; केळ्वि केट्क; कुशलम् विशारिक्क, नलम् विशारिक्क <br> <br>
'''पूजना''' -- देवी-देवता को प्रसन्न या संतुष्ट करने के लिए यथाविधि श्रद्धाभाव से जल, फूल नैवेद्य आदि चढ़ाना ; किसी को परम श्रद्धा, भक्ति और आदर की दृष्टि से देखना और आदरपूर्वक उसकी सेवा तथा सत्कार करना ---> पूजिक्क; तॊण्डु पुरिय, सेविक्क <br> <br>
'''पूजनीय''' -- पूजा करने योग्य, अर्चनीय या आदरणीय ---> वणक्कत्तिर्कुरिय <br> <br>
'''पूजा''' -- किसी देवी-देवता पर विनय, श्रद्धा और समर्पण के भाव के साथ जल, फूल, फल, अक्षत आदि चढ़ाने का धार्मिक कृत्य, अर्चन, पूजन ; बहुत अधिक आदर-सत्कार, आव-भगत ---> पूजै; वणंगुदल्, उपचरित्तल् <br> <br>
'''पूरा''' -- पूरी तरह से, भरा हुआ, परिपूर्ण ; समग्र, समूचा, सारा, कुल ---> मुऴु; मॊत्तम्, एल्लाम् <br> <br>
'''पूर्ण''' -- जो पूरी तरह से भरा हुआ हो ; सब प्रकार की यथेष्टता के कारण जिसमें कुछ भी अपेक्षा, अभाव या आवश्यकता न रह गई हो, सबका सब, पूरा, सारा समस्त; हर तरह से ठीक और पूरा ---> निरंबिय, पूर्णमान; कुरैवट॒ट॒; मुळु, पूर्णमान <br> <br>
'''पूर्णमासी''' -- शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि जिसमें चन्द्रमा अपनी सोलहों कलाओं से युक्त होता है, पूर्णिमा ---> पौर्णमि <br> <br>
'''पूर्णिमा''' -- चाँद्र मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि जिसमें चन्द्रमा अपने पूरे मंडल से उदय होता है, पूर्णमासी ---> पौर्णमि <br> <br>
'''पूर्वज''' -- बाप, दादा, परदादा आदि पूर्व पुरुष, पुरखा ---> मुन्नोर् <br> <br>
'''पूर्वानुमान''' -- किसी भावी काम या बात के स्वरूप आदि के संबंध में पहले से किया जाने वाला अनुमान या कल्पना ---> मुन् कूट्टिये कॊण्ड ऎण्णम् <br> <br>
'''पूर्वाभास''' -- किसी काम या बात के संबंध में पहले से ही हो जाने वाला अनुमान ---> अबिप्पिरायम् <br> <br>
'''पूर्वाह्न''' -- दिन का पहला भाग, सवेरे से दोपहर का समय ---> मुर्पहल् <br> <br>
'''पृथ्वी''' -- सौर जगत का पाँचवां सबसे बड़ा ग्रह जिसमें हम लोग रहते हैं ; आकाश तथा जल से भिन्न वह अंश जिस पर मनुष्य तथा पशु विचरण करते तथा पेड़-पौधे उगते हैं, जमीन, मिट्टी ---> उलगम्, बूमि; बूमि, मण् <br> <br>
'''पृष्ठभूमि''' -- पिछला भाग ; पहले की वे सब बातें और परिस्थितियाँ जिसके आगे या सामने कोई नई विशेष बात या घटना हो और जिनके साथ मिलान करने पर उस बात या घटना का रूप स्पष्ट होता है, भूमिका (बैकग्राउण्ड) ---> पिर पगुदि; पिन्नणि <br> <br>
'''पेचीदा''' -- जिसमें बहुत से पेंच हो ; घुमाव-फिराव वाला; (काम या बात) जिसमें बहुत-सी उलझनें कठिनाइयां या झंझट हों ---> सुट॒टि॒ वळैत्त; सिक्कलान <br> <br>
'''पेटी''' -- कमर में लपेट कर बाँधने का तमसा, कमरबंद; छोटा संदूक, संदूकची, छोटी डिबिया ---> इडुप्पिल् अणियुम् पट्टै; पॆट्टि <br> <br>
'''पेड़''' -- वृक्ष ---> मरम् <br> <br>
'''पेशगी''' -- अग्रिम धन (एडवान्स) ---> मुन्पणम्, अचचारम् <br> <br>
'''पेशा''' -- व्यवसाय, धंधा ---> तॊळिळ्, उद्दियोगम् <br> <br>
'''पैदावार''' -- फसल, अन्न आदि जो खेत में बोने से पैदा होता है, उत्पादन ---> विळैच्चल् <br> <br>
'''पोंछना''' -- किसी सूखे कपड़े को इस प्रकार किसी अंग, वस्तु या स्थान पर फेरना कि उस स्थान की नमी को सोख ले ---> तुडैक्क <br> <br>
'''पोत''' -- जहाज़, जलयान ---> कप्पल् <br> <br>
'''पोतना''' -- लेप करना, चुपड़ना ---> पूश, तडव <br> <br>
'''पोषण''' -- लालन-पालन ; पुष्टि, समर्थन ---> पोषित्तल्; आदरित्तल् <br> <br>
'''पोशाक''' -- पहनावा, लिबास ---> उड़ै, आड़ै <br> <br>
'''पौधा''' -- छोटा पेड़, नया पेड़ ---> सॆड़ि <br> <br>
'''पौना (पौन)''' -- तीन चौथाई ---> मुक्काल् <br> <br>
'''पौरुष''' -- पुरुषार्थ, पराक्रम, उद्यम ---> आण्मै, वीरम् <br> <br>
'''पौष्टिक''' -- शक्तिवर्धक ---> पुष्टिकरमान <br> <br>
'''प्याऊ''' -- वह स्थान जहाँ राह चलते लोगों को नि:शुल्क पानी पिलाया जाता है ---> तण्णीर् पन्दल <br> <br>
'''प्यार''' -- स्नेह, प्रेम, अनुराग ---> अन्बु <br> <br>
'''प्यारा''' -- जो देखने में अच्छा और भला लगे; स्नेह या प्रेम का पात्र ---> अऴगुळ्ळ, मनंकर्वन्द; अन्बार्न्द <br> <br>
'''प्याला''' -- एक प्रकार की कटोरी (कप) ---> कोप्पै <br> <br>
'''प्यास''' -- वह स्थिति जिसमें जल या कोई तरल पदार्थ पीने की उत्कट इच्छा होती है, तृष्णा, पिपासा ; प्रबल इच्छा या कामना ---> दाहम्; मिगुन्द विरुप्पम्, आर्वम् <br> <br>
'''प्रकट''' -- ज़ाहिर, स्पष्ट, उद्भूत ---> वॆळिप्पड़ैयान <br> <br>
'''प्रकांड''' -- उत्तम, सर्वश्रेष्ठ ---> शिर॒न्द <br> <br>
'''प्रकृति''' -- सहज स्वाभाविक गुण, स्वभाव ; विश्व में रचना या सृष्टि करने वाली मूल नियामक तथा संचालन शक्ति, कुदरत (नेचर) ---> सुबाव़म् इयल्बु; इयरकै <br> <br>
'''प्रकोप''' -- अत्यधिक क्रोध ; किसी बीमारी का ज़ोर ---> शीट॒ट॒म्; नोयिन् शीट॒ट॒म् <br> <br>
'''प्रखर''' -- तीक्ष्ण, उग्र तेज ---> तीविरमान, ऒळिमयमान <br> <br>
'''प्रगतिशील''' -- जो आगे बढ़ रहा हो या उन्नति कर रहा हो ---> मुन्नेरु॒गिर॒ <br> <br>
'''प्रचंड''' -- अति तीव्र भंयकर ---> मिगत्तीविरमान, बयंगरमान <br> <br>
'''प्रचलित''' -- जो उपयोग या व्यवहार में आ रहा हो ---> नड़ै मुरै॒यिल् उळ्ळ <br> <br>
'''प्रचार''' -- वह प्रयास जो किसी बात या सिद्धान्त को फैलाने के लिए किया जाता है (प्रोपगेंडा) ---> पिरचारम्, परप्पुदल् <br> <br>
'''प्रचुर''' -- बहुत अधिक, प्रभूत ---> निरै॒य, दाराळमान <br> <br>
'''प्रजनन''' -- संतान उत्पन्न करना ; पशुओं आदि को पाल पोस कर उनकी उन्नति और वृद्धि करना (ब्रीडिंग) ---> पिरसवम्; इन बळर्प्पु <br> <br>
'''प्रजा''' -- किसी राज्य या राष्ट्र की जनता ---> पिरजै, कुडिमक्कळ् <br> <br>
'''प्रजातंत्र''' -- प्रजा की प्रजा के प्रतिनिधियों द्वारा प्रजा के लिए शासन व्यवस्था (डिमाक्रेसी) ---> कुडि अरसु मुरै॒ <br> <br>
'''प्रण''' -- दृढ़ निश्चय, प्रतिज्ञा ---> प्रतिज्ञै, शबदम <br> <br>
'''प्रणय''' -- प्रेम, प्रीति ---> कादल् <br> <br>
'''प्रणाम''' -- नमस्कार, अभिवादन ---> नमस्कारम्, वणक्कम् <br> <br>
'''प्रणाली''' -- पद्धति, रीति, ढंग ---> वऴि मुरै॒ <br> <br>
'''प्रताप''' -- तेज, प्रभाव ; पौरुष, वीरता ---> पेरुमै, पुगऴ्; आण्मै, वीरम् <br> <br>
'''प्रतिकार''' -- बदला चुकाने के लिए किया गया कार्य बदला, प्रतिशोध (रिवेंज); किसी बात को रोकने दबाने के लिए किया जाने वाला उपाय, रोकथाम ---> पऴि वांगुदल्; तडुत्तु वैत्तल् परिहारम् सॆय्दल् <br> <br>
'''प्रतिकूल''' -- जो अनुकूल न हो, विपरीत ---> ए॑दिरान्, विरोदमान् <br> <br>
'''प्रतिक्रिया''' -- किसी कार्य या घटना के परिणाम स्वरूप होने वाला कार्य ---> मारु॒पट्ट, पिरदिपलन् <br> <br>
'''प्रतिज्ञा''' -- शपथ, सौगंध, प्रण ---> पिरतिज्ञै, उरु॒दिमोळि <br> <br>
'''प्रतिद्वंद्वी''' -- वह व्यक्ति या वस्तु जो किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु के मुकाबले की हो या जिससे उसका मुकाबला हो (राइवल); एक व्यक्ति की दृष्टि में वह दूसरा व्यक्ति जो एक ही वस्तु या पद को पाने के लिए उसी की तरह उम्मीदवार हो, प्रतियोगी (कॅनटेस्टन्ट) ---> ऎदिराळि पोट्टि पोडुबवन्; पोट्टि पोडुबवन् <br> <br>
'''प्रतिध्वनि''' -- गूँज, प्रतिशब्द ---> ऎदिरोलि <br> <br>
'''प्रतिनिधि''' -- वह व्यक्ति जो दूसरों की ओर से कहीं भेजा जाए अथवा उनकी ओर से कार्य करे (रेप्रिजेंटेटिव) ---> पिरतिनिदि <br> <br>
'''प्रतिपादन''' -- किसी विषय का सप्रमाण कथन, निरूपण, विषय का स्थापन ---> विषयत्तै विळळुक्कुदल् विषयत्तै निरूबित्तळ् <br> <br>
'''प्रतिबंध''' -- बंधन या रोक, मनाही ; किसी काम या बत में लगाई कई शर्ते ---> तडै; षरत्तु <br> <br>
'''प्रतिबिंब''' -- परछाई, प्रतिच्छाया ---> निऴलुरुवम् <br> <br>
'''प्रतिभा''' -- असाधारण बुद्धिबल, विलक्षण बौद्धिक शक्ति ---> मदि नुट्पम् <br> <br>
'''प्रतिमा''' -- मूर्ति, अनुकृति ---> मूर्त्ति, सिलै, विग्रहम् <br> <br>
'''प्रतियोगिता''' -- होड़, मुकाबला ---> पोट्टि <br> <br>
'''प्रतिलिपि''' -- किसी लिखी हुई चीज की नकल (कापी) ---> नगल् मरु॒पिरदि <br> <br>
'''प्रतिशत''' -- हर सौ पर, फीसदी ---> शत-विहिदम् <br> <br>
'''प्रतिशोध''' -- बदला प्रतिकार ---> पऴिक्कुप्पऴि <br> <br>
'''प्रतिष्ठा''' -- मान, मर्यादा, इज्ज़त ; ख्याति, प्रसिद्धि ; स्थापन ---> गौरवम्; पुगऴ्; निरु॒वुदल् <br> <br>
'''प्रतिस्पर्धा''' -- होड़, प्रतियोगिता ---> पोट्टि <br> <br>
'''प्रतीक''' -- वह गोचर या दृश्य वस्तु जो किसी अगोचर या अदृश्य वस्तु के बहुत कुछ अनुरूप होने के कारण उसके गुण रूप का परिचय कराने के लिए उसका प्रतिनिधित्व करती हो (सिंबल) ---> अडैयाळम्, संकेतक्कुरि॒ <br> <br>
'''प्रतीक्षा''' -- इन्तज़ार ---> ऎदिर् पार्त्तल्, कात्तुक्कोण्डु इरुत्तल् <br> <br>
'''प्रतीक्षालय''' -- वह स्थान जहाँ बैठकर किसी का इन्तजार किया जाता है ---> कात्तिरुक्कुम् इडम् <br> <br>
'''प्रत्यक्ष''' -- जो आंखो के सामने स्पष्ट दिखाई दे रहा हो ---> नेरुक्कुनेराग, नन्णु पुलप्पडुगिर॒ <br> <br>
'''प्रत्यय''' -- व्याकरण में वह अक्षर या अक्षरों का समूह जो धातुओं अथवा विकारी शब्दों के अंत में लगकर उनके अर्थो में विशेषता उत्पन्न कर देते हैं (साफिक्स); विश्वास, धारणा ---> विगुदि; नंबिक्कै <br> <br>
'''प्रत्याशी''' -- उम्मीदवार ---> अपेक्षकर् <br> <br>
'''प्रत्येक''' -- हरएक ---> ओव्वोरु <br> <br>
'''प्रथम''' -- जो पहले स्थान पर हो ---> मुदलावदु <br> <br>
'''प्रथा''' -- रीति, परिपाटी ---> मरबु, वळक्कम् <br> <br>
'''प्रदक्षिणा''' -- किसी पवित्र स्थान या देव मूर्ति के चारों ओर इस प्रकार घूमना कि वह पवित्र स्थान या मूर्ति बराबर दाहिनी ओर रहे, परिक्रमा ---> पिरदक्षिणम्, कोविलै वलम् वरुदल <br> <br>
'''प्रदर्शिनि''' -- वह स्थान जहाँ तरह-तरह की वस्तुएं दिखाने के लिए रखी हों ---> पॊरुट् काट्चि <br> <br>
'''प्रदेश''' -- भू-भाग का कोई खंड विशेष; किसी संघ या राज्य की कोई इकाई ---> पिरदेशम् नाट्टिन् ऒरु पगुदि; मानिलम् <br> <br>
'''प्रधान''' -- सबसे बड़ा मुख्य, मुखिया ---> मुक्किय, मुदल् <br> <br>
'''प्रबंध''' -- व्यवस्था ; निबन्ध, रचना ---> एर्पाडु; कट्टुरै <br> <br>
'''प्रबल''' -- जिसमें बहुत अधिक बल हो ; तेज, प्रचंड, घोर ---> वलुवान; ऒळिमयमान <br> <br>
'''प्रभा''' -- प्रकाश, दीप्ति; ---> ऒळि ऎळिळ् <br> <br>
'''प्रभात''' -- सूर्य निकलने से कुछ पहले का समय, प्रात: काल ---> अदिकालै <br> <br>
'''प्रभाव''' -- किसी के बुद्धिबल, उच्चपद आदि के फलस्वरूप दूसरों पर पड़ने वाला दबाब (इन्फ्लूएन्स); फल, परिणाम, असर ---> सॆल्वाक्कु; नल्विळैवु <br> <br>
'''प्रभु''' -- ईश्वर ; स्वामी, शासक ---> कडवुळ्; ऎजमान् <br> <br>
'''प्रमाण''' -- सबूत ; जिसका वचन या निर्णय यर्थाथ या सत्य माना जाए ---> साट्चि; साट्चि, प्रमाणम् <br> <br>
'''प्रमुख''' -- प्रथम, मुख्य ; श्रेष्ठ, सम्मान्य, प्रतिष्ठित ---> तलेमैयान; शिरू॒ <br> <br>
'''प्रयत्न''' -- कोशिश, प्रयास ---> मुयर्चि <br> <br>
'''प्रयास''' -- प्रयत्न, कोशिश ---> मुयर्चि <br> <br>
'''प्रयोग''' -- इस्तेमाल ; अस्त्र-शस्त्र चलाना या छोड़ना ; आजकल विज्ञान के क्षेत्र में किसी प्रकार का अनुसंधान करने के लिए की जाने वाली कोई परीक्षणात्मक क्रिया (ऐक्सपेरिमेन्ट) ---> उबयोगम्; ऎयदल (आयुदंगळै); परिशोदनै <br> <br>
'''प्रयोगशाला''' -- वह स्थान जहाँ विभिन्न तकनीकी विषयों से संबंधित प्रयोग किए जाते हैं (लेबोरेटरी) ---> परिशोदनैक्कूडम् <br> <br>
'''प्रयोजन''' -- उद्देश्य, हेतु ; अभिप्राय, मतलब ---> नोक्कम्; ऎण्णम् <br> <br>
'''प्रलय''' -- संसार का अपने मूल कारण प्रकृति में सर्वथा लीन हो जाना, सृष्टि का सर्वनाश ; भयंकर नाश या बरबादी ---> पिरळयम् अळि वॆळ्ळम्; अऴिवु <br> <br>
'''प्रलेख''' -- दस्तावेज, अनुबंध पत्र ---> दस्तावेजु, इणैप्पुक्कागिदम् <br> <br>
'''प्रलोभन''' -- लालच ---> आसैयै तूण्डुलद् <br> <br>
'''प्रवचन''' -- धार्मिक नैतिक आदि गंभीर विषयों में परोपकार की दृष्टि से कही जाने वाली अच्छी तथा विचारपूर्ण बातें ; उपदेशपूर्ण भाषण (सर्मन) ---> वियाककियानम्, विळक्क उरै॒; उपदेश मोऴि <br> <br>
'''प्रवास''' -- परदेस में रहना, विदेशवास ---> अयल् नाट्टुवासम् <br> <br>
'''प्रवासी''' -- परदेश में रहने वाला, जो प्रवास में हो ---> अयळ् नाट्टिल् वसिप्पवर् <br> <br>
'''प्रवाह''' -- बहने की क्रिया या भाव, बहाव ; किसी वस्तु का अटूट क्रम ---> पिरवाहम् पॆरुक्कॆडुतु ओडुदल; तॊडर् वरिशै <br> <br>
'''प्रविष्टि''' -- प्रवेश ; इन्दराज, बही खाते आदि में लेखे विवरण आदि लिखना ---> नुऴैवु; पदिवु <br> <br>
'''प्रवीण''' -- निपुण, कुशल ---> निबुणर <br> <br>
'''प्रवृत्ति''' -- मन का किसी विषय की ओर झुकाव (ट्रैन्ड) ; मनुष्य का साधारण आचरण या व्यवहार ---> मनप्पोक्कु; इयल्बान नडत्तै ईडुपाडु <br> <br>
'''प्रवेश''' -- अन्दर जाने की क्रिया या भाव ; किसी विशिष्ट संस्था आदि में भरती होना, दाखिला ---> नुऴैवु; शेर्न्दु, कॊळ्ळल् <br> <br>
'''प्रशंसा''' -- गुणों का बखान, तारीफ ---> पुगऴ्च्चि <br> <br>
'''प्रशासन''' -- सार्वजनिक व्यवस्था की दृष्टि से किया जाने वाला कार्य, शासन, (एडमिनिस्ट्रेशन) ---> आट्चि <br> <br>
'''प्रशिक्षण''' -- किसी व्यावहारिक या प्रायोगिक शिक्षा पद्धति से दी जाने वाली विशेष शिक्षा, सिखलाई ; (ट्रेनिंग) ---> पयिर॒चि <br> <br>
'''प्रसंग''' -- विषय या तारतम्य, प्रकरण, संबंध ---> सन्दर्बम् <br> <br>
'''प्रसन्न''' -- खुश, संतुष्ट, प्रफुल्लित ---> मगिऴ्च्चियुटट <br> <br>
'''प्रसारण''' -- आकाशवाणी आदि द्वारा अपने कार्यक्रमों को दूर-दूर के लोगों को सुनाने के लिए फैलाना, (ब्राडकास्टिंग); फैलाना ---> ऒलिपरप्पु; परप्पुदल् <br> <br>
'''प्रसिद्ध''' -- विख्यात, मशहूर ---> पॆयर् पॆट॒ट॒ <br> <br>
'''प्रसूति''' -- प्रसव, उत्पत्ति ; संतति, संतान ---> पिरसवम्; संददि <br> <br>
'''प्रस्ताव''' -- किसी के सामने विचारार्थ रखी गई बात या सुझाव ; उक्त का वह रूप जो किसी सभा या संस्था के सदस्यों के समक्ष विचारार्थ रखा जाए (मोशन) ---> योजनै; पिरेरणै <br> <br>
'''प्रस्तावना''' -- किसी ग्रंथ का वह आरम्भिक वक्तव्य जिसमें उससे संबंधित कुछ मुख्य बातों का विवेचन किया जाता है (प्रिफेस) ---> मुन्नुरै <br> <br>
'''प्रस्तुत''' -- मौजूद, उपस्थित, वर्तमान ; प्रकरण प्राप्त, प्रासंगिक ; उद्यत, तैयार ---> मुन्नुळ्ळ; संबन्दप्पट्ट; तयारान <br> <br>
'''प्रहरी''' -- पहरेदार ---> पाराक्कारन्, कावल्कारन् <br> <br>
'''प्राण''' -- शरीर के भीतर की जीवनाधार वायु, श्वास ---> उचिर् <br> <br>
'''प्राणदंड''' -- मौत की सजा, मृत्यु दंड ---> मरण दंडनै <br> <br>
'''प्राथमिकता''' -- किसी कार्य, बात या व्यक्ति को औरों से पहले दिया जाने या मिलने वाला अवसर या स्थान, अग्रता (प्राइअरिटी); प्रथम स्थान में होने या रखे जाने की अवस्था या भाव ---> मुदलिडम्; मुदन्मै <br> <br>
'''प्रादेशिक''' -- प्रदेश संबंधी, प्रदेश का ---> मानिलत्तिय <br> <br>
'''प्राप्त''' -- जो मिला हो लब्ध ---> किडैत्त <br> <br>
'''प्रामाणिक''' -- जो प्रमाण के रूप में माना जाता हो या माना जा सकता हो ; जो शास्त्रोंआदि से प्रमाणित या सिद्ध हो ---> अत्ताट्चि पेट॒ट॒; शास्तिरंगळिल् ओप्पुदल्पेट॒ट॒ <br> <br>
'''प्राय:''' -- लगभग, करीब-करीब ; अक्सर, अधिकतर ---> अनेगमाह; पेरुम्बालुम् <br> <br>
'''प्रायद्वीप''' -- स्थल का वह भाग जो तीन ओर पानी से घिरा हो और एक ओर स्थल से लगा हो (पिनिन्स्युला) ---> दीपगर्बम् <br> <br>
'''प्रायश्चित''' -- कोई ग़लत या अनुचित कार्य हो जाने पर अफसोस करना, पछतावा ; पाप का मार्जन करने के लिए किया जाने वाला शास्त्रविहित कर्म ---> पच्चात्ताबम्; पिरायच्चित्तम् <br> <br>
'''प्रार्थना''' -- निवेदन, याचना ; अपने अथवा किसी और के कल्याण की कामना भक्ति और श्रद्धापूर्वक ईश्वर से करना ---> वेण्डुकोळ्; पिरार्त्तनै <br> <br>
'''प्रिय''' -- जिसके प्रति बहुत अधिक स्नेह या प्रेम हो, मन को अच्छा लगने वाला, प्यारा ---> पिरियमुळ्ळ, अन्बुळ्ळ <br> <br>
'''प्रीतिभोज''' -- किसी मांगलिक या सुखद अवसर पर बंधु-बांधवों और इष्ट मित्रों को अपने यहाँ बुलाकर कराया जाने वाला भोजन, दावत ---> पाराट्टु विरुन्दु <br> <br>
'''प्रेम''' -- प्रीति, प्यार, स्नेह, अनुराग ---> अन्बु, कादल् <br> <br>
'''प्रेरक''' -- प्रेरित करने वाला, प्रेरणा देने वाला ---> तूण्डुगिर॒ <br> <br>
'''प्रेरणा''' -- किसी को किसी कार्य में प्रवृत्त करने की प्रक्रिया या भाव ---> तुण्डुदल् <br> <br>
'''प्रेषण''' -- भेजना, रवाना करना ---> अनप्पुदल् <br> <br>
'''प्रोत्साहन''' -- हिम्मत बढ़ाना ; प्रोत्साहित करने के लिए कही जाने वाली बात ---> उर्चागमळित्तल्; उचार्ग मोऴि <br> <br>
'''प्रोढ़''' -- अच्छी या पूरी तरह से बढ़ा हुआ ; आरम्भिक अवस्था पार करके मध्य अवस्था में पहुँचा हुआ (व्यक्ति) (एडल्ट) ; पुष्ट, परिपक्व (मैच्योर) ---> मुऴुवळर्चियुट॒ट॒; वयदुवन्द; पक्कुवमान <br> <br>
'''फकीर''' -- भिखमंगा, भिखारी ; संत, साधु, महात्मा ---> पिच्चैक्कारन्; इस्लामिय सादु (तुर॒वि) <br> <br>
'''फटकना''' -- सूप आदि के द्वारा अन्न साफ करना ; कपड़े को इस प्रकार झाड़ना कि उसमें से लगी हुई धूल या सिलवटें निकल जाएँ ---> मुर॒त्ताल् पुडैक्क; तुणियै उदर॒ <br> <br>
'''फड़कना''' -- शरीर के किसी अंग में स्फुरण होना; कोई बहुत बढ़िया या विलक्षण चीज देखकर मन में उक्त प्रकार का स्फुरण होना जो उस चीज के विशेष प्रशंसक होने का सूचक होता है; पक्षियों के पर हिलना, फड़फड़ाना ---> तुडिक्क; मनम् उक्क्क; (परं॒वेगळ्) सिर॒गै अडित्तुक्कॊळ्ळ <br> <br>
'''फबना''' -- किसी वस्तु या व्यक्ति का शोभन तथा सुंदर लगना ; बात आदि का ठीक मौके पर उपयुक्त लगना ---> शोबिक्क; पॊरुत्तमायिरुक्क <br> <br>
'''फर्क''' -- दो विभिन्न वस्तुओं, व्यक्तियों आदि में होने वाली विषमता, भिन्नता ; हिसाब-किताब आदि में भूल-त्रुटि आदि के कारण पड़ने वाला अंतर ; भेद-भाव, दुराव ---> विद्दियासम्; कणक्किल उण्डागुम पिळैयाल् वरुम् विद्दियासम्; विद्दियासम् <br> <br>
'''फल''' -- पेड़ का फल ; किसी प्रकार की क्रिया, घटना, प्रयत्न आदि के परिणाम के रूप में होने वाली बात ---> पऴम्; पयन् <br> <br>
'''फलना''' -- वृक्ष का फलों से युक्त होना ; किसी काम या बात का शुभ परिणाम प्रकट होना ; सुख-समृद्धि का कारण बनना ---> काय्क्क; पलिक्क; अबिविरुद्दि अडैय <br> <br>
'''फसल''' -- खेत मेंबोये हुए अनाजों आदि की पैदावार (क्रॉप/हार्वेस्ट) ---> विळैच्चल् <br> <br>
'''फब्बारा''' -- एक विशिष्ट प्रकार का उपकरण जिससे पानी या किसी तरल पदार्थ की बूंदें निरन्तर गिरती हैं, फुहारा (फाउन्टेन) ---> नीर ऊट॒टु <br> <br>
'''फहराना''' -- खुले या फैले हुए वस्त्रों या झंडे का हवा में उड़ना (हाइस्ट); कोई चीज इस प्रकार खुली छोड़ देना जिससे वह हवा में हिले और उड़े ---> (तुणि मुदलियवै) पर॒क्क; (काटटिल्) पर॒क्क विड़ <br> <br>
'''फांसना''' -- फंदे में किसी पशु-पक्षी को फंसाना ; छल, ठगी, युक्ति आदि से किसी व्यक्ति को अपने लाभ के लिए फंसाना ---> (वलैयिल) सिक्कवैक्क; वशप्पडुत्त एमाट॒टि॒ <br> <br>
'''फांसी''' -- प्राणदंड; रस्सी का वह फंदा जिसे लोग गले में फंसाकर आत्महत्या के लिए झूल या लटक जाते हैं ---> मरणदंडनै, तूक्कु दण्डनै; शुरुक्कु <br> <br>
'''फाटक''' -- मुख्य द्वार पर लगा हुआ बड़ा दरवाजा (मेन गेट) ---> मुक्किय वायिल् <br> <br>
'''फाड़ना''' -- कागज, कपड़े आदि को बलपूर्वक खींचकर टुकड़े-टुकड़े कर देना ; किसी वस्तु का मुंह साधारण से अधिक और दूर तक फैलाना या बढ़ाना ; किसी गाढ़े द्रव पदार्थ के संबंध में ऐसी क्रिया करना कि उसका जलीय अंश तथा ठोस अंश अलग हो जाए ---> किऴिक्क; वायै पिळक्क; गॆटिटियान दिरवपदार्त्तत्तै मुरि॒क्क, तिरैयवैक्क <br> <br>
'''फालतू''' -- जो किसी उपयोग में न आ रहा हो आवश्यकता से अधिक ; बेकार ---> अदिगप्पडियान; उबयोगमट॒ट॒ <br> <br>
'''फिर''' -- दोबारा या पुन: ; पीछे, अनंतर, उपरान्त, बाद ; तब ---> मरु॒मुरै॒; पिर॒गु; अप्पॊळुदु <br> <br>
'''फीका''' -- स्वादहीन (पदार्थ) ; जो यथेष्ट चमकीला या तेज न हो, (रंग); जिसमें आनन्द की प्राप्ति न हुई हो, नीरस (खेल) तमाशा आदि ---> रुचियट॒ट॒; मंगलान; अळगट॒ट॒ <br> <br>
'''फीता''' -- सूत आदि की बनी हुई कम चौड़ी और लम्बी पट्टी (लेस) ; वह पट्टी जिस पर इंचों आदि के निशान बने होते हैं और जो लंबाई, चौड़ाई आदि नापने के काम आती है (टेप) ---> नाडा; टेप् <br> <br>
'''फीस''' -- विशिष्ट कार्यों के बदले दिया गया धन; वह धन जो विद्यार्थी की शिक्षा के लिए मासिक रूप में देना पड़ता है, शुल्क ---> कट्टणम्; पळ्ळिक्कूड संबळम्, कट्टणम् <br> <br>
'''फुंकार''' -- वह शब्द जो कुछ जंतुओ के वेगपूर्वक सांस बाहर निकालते समय होता है; फूत्कार, फुफ़कार ---> शीरु॒दल् <br> <br>
'''फुटकर''' -- भिन्न या अनेक प्रकार का ; जो इकट्ठा या एक साथ नहीं बल्कि अलग-अलग या खंडों में आता या रहता हो, थोक का विपर्याय (रिटेल) ---> पल विदमान; शिल्लरै॒यान <br> <br>
'''फुदकना''' -- थोड़ी-थोड़ी दूरी पर उछलते हुए आते-जाते रहना ; उमंग में आकर अथवा प्रसन्नता-पूर्वक उछलते हुए इधर-उधर आना-जाना ---> तत्ति तत्ति नड़क्क; संदोषत्तिनाल् कुदिक्क <br> <br>
'''फुलझड़ी''' -- छोटी, पतली डंडी की तरह की आतिशबाजी जिसमें से फूल की सी चिनगारियाँ निकली हैं ---> मत्ताप्पु <br> <br>
'''फूलवारी''' -- फूलों से भरा छोटा उद्यान या बगीचा ---> पूंगा, नन्दवनम् <br> <br>
'''फुसफुसाना''' -- बहुत ही धीमे स्वर में कुछ बोलना ---> किशुकिशुक्क <br> <br>
'''फुहार''' -- ऊपर से गिरने वाली पानी की या किसी तरल पदार्थ की छोटी-छोटी बूँदे ---> शारल् <br> <br>
'''फुहारा''' -- ज़मीन से फूट पड़ने वाली तेज धार (स्प्रिंग); एक विशिष्ट प्रकार का उपकरण जिससे पानीया किसी तरल पदार्थ की बूंदे निरन्तर गिरती हैं, फव्वारा (फाउन्टेन) ---> नीर् ऊट॒टु; पीच्चि आडिक्कुम अमैप्पु <br> <br>
'''फूंकना''' -- मुँह का विवर समेटकर वेग के साथ हवा छोड़ना ; आग लगाना, जलाना या सुलगाना; बुरी तरह से नष्ट या बरबाद करना ---> ऊद; ती वैक्क; पोरुळै वीणाक्क <br> <br>
'''फूट''' -- आपसी अनबन या बिगाड़ ; एक प्रकार की बड़ी ककड़ी जो पकने पर प्राय: खेतों में ही फट जाती है ---> पिळवु, विरोदम्; पळुत्तदुम् वेड़िक्कुम् वेळ्ळरिक्काय् <br> <br>
'''फूल''' -- पुष्प, कुसुम ; शव के जल जाने के बाद बची हुई हड्डियाँ ---> मलर्, पू; पिणत्तै ऎरित्तपिन् इरुक्कुम ऎलुंबुगुल् (अस्ति) <br> <br>
'''फूलदान''' -- फूल सजाने के लिए मिट्टी, धातु, शीशे आदि का बना पात्र, गुलदान ---> पूक्कळै अडुक्कि वैक्कुम् पात्तिरम् <br> <br>
'''फूलना''' -- फूलों से युक्त होना ; उमंग से भर जाना, बहुत प्रसन्न होना ; बहुत अधिक उभर जाना या ऊंचा होना, सूजना ---> मलर्; मनमगिऴ्; वीङ्ग <br> <br>
'''फेंकना''' -- हाथ से किसी चीज को ऊंचा उछाल कर गिरा देना ---> विट्टॆरिय <br> <br>
'''फेन''' -- बुलबुलों का समूह, झाग ---> नुरै <br> <br>
'''फेरा''' -- किसी चीज के चारों ओर घूमने की क्रिया या भाव ; विवाह के समय वर-बधू द्वारा की जाने वाली अग्नि की परिक्रमा ; बार-बार कहीं आने-जाने की क्रिया या भाव ---> शुट॒टुदल्; तिरुमणत्तिन् पॊळुदु अग्गिनियै वलम् वरुदल्; अडिक्कडि पोय् वरुदल् <br> <br>
'''फैलना''' -- किसी चीज का विस्तार होना ; किसी बात आदि का व्यापक क्षेत्र में चर्चा का विषय बनना ---> विरिवडैय; परव <br> <br>
'''फोड़ना''' -- शीशा, चीनी, या मिट्टी आदि की कोई वस्तु खंड-खंड करना या तोड़ना ; किसी खोखली या वायु-भरी वस्तु को आघात या दबाव द्वारा तोड़ना ; किसी दल या पक्ष के व्यक्ति को प्रलोभन देकर अपनी ओर मिलाना ---> उडैक्क; वॆडिक्क; कट्चि मारु॒म्वड़ि सेयदल् <br> <br>
'''बंगला''' -- चारों तरफ से खुला हुआ एक मंजिला मकान; बंगाल की भाषा ---> बंगळा, माळिगै; वंग मोळि <br> <br>
'''बंजर''' -- ऊसर भूमि जहाँ कुछ पैदा न हो सके ---> तरिश् निलम् <br> <br>
'''बंद''' -- बंधा हुआ, कसा हुआ ; चारों ओर की दीवारों आदि से घिरा (स्थान) ; बाधा युक्त ---> कट्टप्पट्ट; शुवराल् सूऴप्पट्ट; मूडप्पट्ट <br> <br>
'''बंदनवार''' -- आम, अशोक आदि की पत्तियों को किसी लंबी रस्सी में जगह-जगह टांकने पर बनने वाली श्रृंखला जो शुभ अवसरों पर दरवाजों पर लटकाई जाती है ---> तोरणम् <br> <br>
'''बंदरगाह''' -- समुद्र के किनारे का वह स्थान जहाँ जहाज ठहरते हैं (सी पोर्ट, हार्बर) ---> तुरै॒ मुहम् <br> <br>
'''बंदी''' -- कैदी (प्रिज़नर) ---> कैदि <br> <br>
'''बंदूक''' -- ऐसा अस्त्र जिसमें कारतूस, गोली आदि भरकर इस प्रकार छोड़ी जाती है कि लक्ष्य पर गिरे, (गन, राईफल, मस्केट) ---> तुप्पाक्कि <br> <br>
'''बंधक''' -- गिरवी या रेहन ---> अड़गु <br> <br>
'''बकना''' -- ऊटपटांग या व्यर्थ की बहुत सी बातें करना ---> उळर॒ <br> <br>
'''बकाया''' -- बाकी बचा हुआ; किसी काम, बात या राशि का वह अंश जिसकी अभी पूर्ति होनी शेष हो ---> मिच्चनान; निरैवुपरा॒द पगुदि <br> <br>
'''बगीचा''' -- छोटा बाग या फुलवारी ---> तोट्टम् <br> <br>
'''बचत''' -- व्यय आदि से बची रहने वाली धन राशि; लागत आदि निकालने के बाद बचा हूआ धन, मुनाफा, लाभ ---> बाक्कि, मिच्चम्; निहर लाबम् <br> <br>
'''बचना''' -- उपयोग, व्यय आदि हो चुकने के बाद जो कुछ शेष रहे; बंधन, विपद, संकट आदि से किसी प्रकार सुरक्षित रहना ; किसी कार्य, व्यक्ति से संकोच करना ---> बाक्कि इरुक्क, मिंज; बद्दिरमायिरुक्क; तप्पित्तु क्कॊळ्ळ <br> <br>
'''बचपन''' -- बाल्यावस्था ---> कुऴन्दैप्परुवम <br> <br>
'''बच्चा''' -- प्राणी का नवजात शिशु ; बालक ---> कुंजु, कुट्टि; कुऴन्दै (आण) <br> <br>
'''बजना''' -- किसी चीज पर आघात किए जाने पर ऊँची ध्वनी निकलना ; संगीत अथवा वाद्ययंत्र में से ध्वनि निकलना ---> उरक्क ऒलिक्क; वाद्दियत्तिलिरुन्दु ऒलिवर, इशैक्करुवि ओलिक्क <br> <br>
'''बजे''' -- समय-मान, जैसे दस बजे, ग्याहर बजे (ओ क्लॉक) ---> मणिक्कु <br> <br>
'''बटुआ''' -- कपड़े-चमड़े आदि का खानों वाला तथा ढक्कनदार आधान जिसमें रुपये-पैसे रखे जाते हैं (पर्स) ---> पणप्पै, पर्सु <br> <br>
'''बड़ा''' -- जो अपने आकार-प्रकार या विस्तार के विचार से औरों से बढ़चढ़ कर हो विशाल ; जो पद, गरिमा, गुण आदि की दृष्टि से बड़ा हो, महान, श्रेष्ठ; उरद की दाल का एक प्रकार का नमकीन पकवान ---> पॆरिय; उयर्न्द, शिर॒न्द, मेलान; वडै <br> <br>
'''बड़ाई''' -- बड़े होने की अवस्था या भाव ; प्रशंसा, तारीफ ---> पॆरुमै; पुगऴ् <br> <br>
'''बढ़ना''' -- आकार, क्षेत्र, परिमाण, विस्तार, सीमा आदि की वृद्धि होना; आगे की ओर चलना या अग्रसर होना; किसी प्रकार की उन्नति या तरक्की होना ---> वळर; मुन्नेर॒; उयर्वु अडैय <br> <br>
'''बढ़ाना''' -- किसी को बढ़ने में प्रवृत्त करना ; परिणाम, मात्रा, संख्या आदि में वृद्धि करना ; किसी प्रकार की व्याप्ति में विस्तार करना ---> वळरच्चॆय्य; अदिगरिक्क; विरिवाक्क <br> <br>
'''बढ़िया''' -- जो गुण, रचना, रूप-रंग आदि की दृष्टि से उच्च कोटि का हो उत्तम, (उम्दा) ---> सिर॒न्द <br> <br>
'''बताना''' -- कोई बात कहकर किसी को कोई जानकारी या परिचय कराना ; किसी प्रकार का निर्देश या संकेत करना ---> अरि॒विक्क, कूर॒; कुरि॒प्पिड <br> <br>
'''बत्तीसी''' -- मनुष्य के 32 दाँतों का समूह ---> मुप्पत्तिरण्डु पर्कळ् <br> <br>
'''बदनाम''' -- जिसकी निंदा हो रही हो, कुख्यात ---> निन्दिक्क प्पट्ट कॆट्ट पॆयर् वांगिय <br> <br>
'''बदलना''' -- परिवर्तन होना ---> मार् <br> <br>
'''बदला''' -- प्रतिकार, पलटा ---> पऴिक्कुप्पलि, माट॒ट॒म् <br> <br>
'''बदसूरत''' -- भद्दी सूरत वाला, कुरूप ---> विकारमान <br> <br>
'''बधाई''' -- मंगल अवसर का गाना-बजाना ; मुबारकबाद ---> मंगळ इशै; वाऴ्त्तुक्कळ् <br> <br>
'''बधिर''' -- बहरा ---> सॆविडु <br> <br>
'''बनजारा''' -- वह व्यक्ति जो बैलों पर अन्न लादकर बेचने के लिए एक देश से दूसरे देश को जाता है ---> नाडोडि <br> <br>
'''बनाना''' -- किसी वस्तु को तैयार या प्रस्तुत करना ; बातचीत में किसी की प्रशंसा करते हुए उसे ऐसी स्थिति में लाना कि वह आत्म-प्रंशसा करता-करता औरों की दृष्टि में उपहासास्पद और मूर्ख सिद्ध हो ---> तयारिक्क, सॆय्य; केलि पण्ण, किंडल्, सॆप्प <br> <br>
'''बनावटी''' -- जिसमें तथ्य या वास्तविकता कुछ भी न हो, ऊपरी या बाहरी ; वास्तविकता के अनुकरण पर बनाया हुआ, कृत्रिम, नकली ---> वेळित्तोट॒ट॒म् मट्टुमुळ्ळ; सॆयर्कैयान <br> <br>
'''बनिया''' -- व्यापार करने वाला व्यक्ति या वैश्य ; आटा, दाल, नमक, मिर्च आदि बेचने वाला दुकानदार ---> वाणिगन्, सॆट्टियार्; मळिगै वियाबारि <br> <br>
'''बरसना''' -- वर्षा होना, गिरना ; किसी चीज का बहुत अधिक मात्रा, मान, संख्या में लगातार गिरना ---> पेय्य, विऴ; पॊऴिय <br> <br>
'''बरसात''' -- बारिश, वर्षा-ऋतु ---> मऴैक्कालम् <br> <br>
'''बरसी''' -- किसी के मरने के बाद हर वर्ष पड़ने वाली तिथि ; मृत का वार्षिक श्राद्ध ---> इरन्द तिदि/नाळ्; शिराद्दम, तिवसम् <br> <br>
'''बराती''' -- किसी की बरात में सम्मिलित होने वाला या होने वाले व्यक्ति ---> मण मगन् वीट्टारिन् ऊर्वलत्तिल् कलन्दु कॊळ्बवर् <br> <br>
'''बराबर''' -- जो तुलना के विचार से एकसा हो, समान; (तल) जो ऊँचा-नीचा या खुरदरा न हो सम; लगातार, निरन्तर ---> सममान; सरियान; इड़ैविड़ादु <br> <br>
'''बर्फ''' -- हिम (स्नो) ; बहुत अधिक ठंडक के कारण जमा हुआ पानी जो ठोस हो जाता है और आघात लगने पर टुकड़े-टुकड़े हो जाता है (आइस) ---> पनि; पनिक्कट्टि <br> <br>
'''बर्बर''' -- जंगली, असभ्य ---> काट्टु किराण्डित्तनमान, नागरिकमटट <br> <br>
'''बल''' -- ज़ोर, शक्ति, ताकत ; कपड़ो आदि पर पड़ने वाली सिलवट, शिकन ---> बलम्, वलिमै; सुरुक्कम् <br> <br>
'''बलवान्''' -- शक्तिशाली, ताकतवर ---> बलमुळ्ळ <br> <br>
'''बलात्कार''' -- बलात् या बलपूर्वक कोई काम करना ; किसी लड़की अथवा स्त्री के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध बलपूर्वक किया जाने वाला यौनाचार ---> बलात्कारम्; कर्पऴित्तल् <br> <br>
'''बलिदान''' -- देवताओं को प्रसन्न करने के लिए उनके उद्देश्य से किसी पशु का किया जाने वाला वध, बलि ; किसी उद्देश्य या बात के लिए अपने प्राण तक दे देना, कुर्बानी ---> बलि इडुदल; ऒरु कोळ्गैक्काग अयिरैयुम् तियागम् सॆय्दल <br> <br>
'''बल्कि''' -- ऐसा नहीं, इसके स्थान पर आदि का आशय सूचित करने वाला अव्यय, प्रत्युत, वरन् ---> आनाल् <br> <br>
'''बवंडर''' -- आँधी, तूफान ---> पुयल् काट॒ट॒ <br> <br>
'''बहकाना''' -- चकमा या भुलावा देना ---> तवरा॒न वऴियिले नडत्तिच् सेल्लल <br> <br>
'''बहना''' -- द्रव पदार्थ का धारा के रूप में किसी नीचे तल की ओर प्रवाहित होना ---> पायन्दु ओड़ <br> <br>
'''बहरा''' -- जिसे सुनाई न पड़ता हो, वधिर ---> सॆविडु <br> <br>
'''बहलाना''' -- किसी को प्रसन्न या शांत करना ---> मगिऴ्विक्क अमैदिप्पडुत्त <br> <br>
'''बहस''' -- तर्क, युक्ति आदि के द्वारा होने वाला खंडन-मंडन, विवाद ---> विवादम् <br> <br>
'''बहादुर''' -- वीर, शूर-वीर, सूरमा ---> वीरम् निरै॒न्द <br> <br>
'''बहाना''' -- तथ्य को छिपाने के लिए चालाकी की बात करना ---> शाक्कुप्पोक्कु <br> <br>
'''बहार''' -- फूलों के खिलने का मौसम, वसंत ऋतु; सौंदर्य आदि के फलस्वरूप होने वाली रमणीयता या शोभा ---> वसंत कालम् ऎऴिल्; शौबै, ऎऴिल् <br> <br>
'''बहिर्मुख''' -- जिसका मुँह बाहर की ओर हो ; जो बाहर की ओर उन्मुख या प्रवृत्त हो ---> मुहम् बॆळि नोक्कि उळ्ळ; वॆळि विषयंगळिळ् ईडुपाडुउळ्ळ <br> <br>
'''बहिष्कार''' -- जाति, समुदाय आदि से बाहर निकालाना; देश-विदेश के माल का सामूहिक व्यवहार-त्याग (बायकॉट) ---> बहिष्करित्तल् विलक्कुदल्; अन्निय नाट्टु पारुळ्गळै वांगामालिरुत्ताल् <br> <br>
'''बही-खाता''' -- हिसाब-किताब लिखने की पुस्तक ---> पेरेडु <br> <br>
'''बहुत''' -- परिमाण, मात्रा आदि में आवश्यकता से अधिक; अधिक परिमाण या मात्रा में, ज्यादा ---> निरै॒य, निरंब; अदिगमाग <br> <br>
'''बहुभाषी''' -- बहुत भाषाएँ जानने बोलने वाला ; बहुत बोलने वाला, बकवादी ---> पल मोळिगळ् पेसुगिर॒; अदिगप्पिरसंगि, वायाडि <br> <br>
'''बहुमूल्य''' -- जिसक मूल्य बहुत हो ; जो गुण, महत्त्व की दृष्टि से अति प्रशंसनीय या उपयोगी हो ---> विलैयुयर्न्द; अदिग मदिप्पुळ्ळ <br> <br>
'''बहुरूपिया''' -- अनेक प्रकार के रूप धारण करने वाला ---> पल वेषक्कारन् वेषदारि <br> <br>
'''बहू''' -- नव विवाहिता स्त्री ; पत्नी, जोरु ---> पुदु मणप्पेण्; मनैवि <br> <br>
'''बांग''' -- भोर के समय में मुरगे के बोलने का स्वर ; मसजिद में आकर नमाज पढ़ने के लिए बुलाने के लिए मुल्ला द्वारा की जाने वाली उच्च स्वर में पुकार ---> आदिकालैयिल् कोऴि कूबुदल्; मसूदियिल् नमाजु पड़िप्पदरक्काक अऴैप्पुक्कूरल् <br> <br>
'''बांझ''' -- वह स्त्री जो संतान उत्पन्न न कर सके ---> मलड़ि <br> <br>
'''बांटना''' -- किसी चीज को कई भागों में विभ़क्त करना या वितरित करना, वितरण ---> पंगिड <br> <br>
'''बांध''' -- वह वास्तु-रचना जो किसी नदी की धारा को रोकने अथवा किसी ओर प्रवृत्त करने के लिए बनाई गई हो (डैम) ---> अणैक्कट्टु <br> <br>
'''बांधना''' -- डोरी, रस्सी आदि कसकर किसी चीज के चारों ओर लपेटना ; कागज, कपड़े आदि से किसी चीज को इस प्रकार लपेटना कि वह बाहर न निकले (पैक) ---> कयिराल्कट्ट; पॊट्टलंकट्ट <br> <br>
'''बांसुरी''' -- मुरली या वंशी ---> पुल्लांगुऴल् <br> <br>
'''बाकी''' -- जो व्यय या क्षय होने के बाद बच रहा हो; गणित में बड़ी संख्या में से छोटी संख्या घटाने पर निकलने वाला फल ---> सॆलवु पोग, मिच्च मुळ्ळ; मीदि तॊहै <br> <br>
'''बागडोर''' -- लगाम ---> लगान् <br> <br>
'''बाज़ार''' -- वह स्थान जहाँ अनेक चीजों की बिक्री के लिए पास-पास दुकानें होती हैं ---> कड़ैवीदि <br> <br>
'''बाजीगर''' -- जादू के खेल दिखाने वाला, जादूगर ---> जालविद्दै- क्करान् <br> <br>
'''बाट''' -- राह, रास्ता, मार्ग ; पत्थर, लोहे आदि का वह टुकड़ा जो चीजें तौलने के काम आता है (वेट्स) ---> वऴि पादै; पडिक्कल् <br> <br>
'''बाढ़''' -- नदी-नाले की वह स्थिति जब उसका पानी किनारों से बाहर बहकर आस-पास के मकान, झोंपड़ों आदि को बहाने लगता है ---> वॆळ्ळम् <br> <br>
'''बाण''' -- इस प्रकार का नुकीला अस्त्र जो कमान या धनुष पर वढ़ाकर चलाया जाता है, तीर ---> अंबु <br> <br>
'''बातचीत''' -- वार्तालाप ---> उरैयाडल् <br> <br>
'''बाद''' -- पश्चात्, अनंतर, पीछे ---> पिर॒गु, पिन्नर् <br> <br>
'''बादल''' -- मेघ ---> मेहम् <br> <br>
'''बादशाह''' -- बड़े साम्राज्य का शासक, सम्राट ---> चक्रवर्त्ति, पादुषा <br> <br>
'''बाधक''' -- बाधा के रूप में होने वाला ; विघ्न या अड़चन डालने वाला ---> इडैजंल्; विघ्नकारि <br> <br>
'''बाधा''' -- रोक, रुकावट, अड़चन ---> इडैयूरु॒, तडै <br> <br>
'''बाप''' -- पिता या जनक ---> तन्दै, मगप्पन्; <br>
'''बायां''' -- दायां' का उल्टा, (लैफ्ट) ---> इड्दु <br> <br>
'''बारूद''' -- गंधक, शोरे, कोयले आदि का वह मिश्रण जो विस्फोटक होता है और तोपें, बंदूकें आदि चलाने के काम आता है ---> वेडि, मरून्दु <br> <br>
'''बारे में''' -- (किसी के) प्रसंग, विषय या संबंध में ---> संबन्दभाग, कुरि॒त्तु <br> <br>
'''बाल''' -- वह जो अभी जवान न हुआ हो, बालक, बच्चा ; जीव-जन्तुओं के शरीर में त्वचा से ऊपर निकले हुए वे सूक्ष्मतंतु जो रोयों से मोटे होते हैं और बढ़ते रहते हैं, सिर के बाल, केश ---> बालन्, कुऴ्न्दै; मयिर् <br> <br>
'''बाली''' -- कानों में पहनने का एक वृत्ताकार आभूषण ; अनाज की हरी नन्हीं बाल, सिट्टा ---> कादिल् अणियुम् वळैयम्; दानियक्कदिर् <br> <br>
'''बालू''' -- पत्थरों का चूर्ण जो रेगिस्तानों में या नदियों के तटों पर अत्यधिक मात्रा में पड़ा रहता है, रेत ---> मणल् <br> <br>
'''बावला''' -- विक्षिप्त, पागल, दीवाना ---> पैत्तियम् <br> <br>
'''बासी''' -- जो एक या अधिक दिन पहले बना या पका हो, 'ताजा' का विपर्याय ---> पऴयदु (सोरु) <br> <br>
'''बाहर''' -- किसी क्षेत्र, घेरे, विस्तार आदि की सीमा से परे, 'अंदर' और 'भीतर' का विपर्याय ---> वॆळिये <br> <br>
'''बिंदी''' -- गोलाकार टीका जो प्राय: विवाहित स्त्रियाँ माथे पर लगाती हैं ; शून्य का सूचक चिह्न (सिफर) ---> नेट॒ट॒टि॒यिल् इडुम् पॊट्टु; पूज्यम्, शून्यम् <br> <br>
'''बिंब''' -- किसी आकृति की वह झलक जो किसी पारदर्शक पदार्थ में दिखाई पड़ती है, परछाहीं; प्रतिमूर्त्ति ---> पिरदिपलित्तल् निळ्लुरुवम्; पिरतिंबिंबम् <br> <br>
'''बिखरना''' -- किसी चीज के कपड़ों, रेशों, इकाइयों आदि का अधिक क्षेत्र में फैल जाना ; अलग-अलग या दूर-दूर होना ---> सिदर॒; तनित्तनियागप् पिरिन्दुविड <br> <br>
'''बिखेरना''' -- वस्तुओं को बिना किसी सिलसिले के फैलाकर रखना या डालना ---> सिदर॒ड़िक्क <br> <br>
'''बिगाड़ना''' -- ऐसी क्रिया करना जिससे किसी काम, चीज या बात में किसी तरह की खराबी आ जाए, खराब करना ---> कॆडुक्क <br> <br>
'''बिछाना''' -- दूर तक फैलाना या बिखेरना ---> परप्प, विरिक्क <br> <br>
'''बिछुड़ना''' -- अलग होना ---> पिरिन्दु पोग <br> <br>
'''बिछौना''' -- बिछावन, बिस्तर ---> पडुक्कै <br> <br>
'''बिजली''' -- आकाश में सहसा उत्पन्न होने वाला वह प्रकाश जो बादलों की रगड़ के कारण उत्पन्न होता है (लाइटिनिंग) ; घर्षण, ताप और रासायनिक क्रियाओं से उत्पन्न होने वाली एक शक्ति जिससे ताप और प्रकाश उत्पन्न होता है (इलेक्ट्रिसिटि) ---> मिन्नल्; मिन्सारम् <br> <br>
'''बिजलीघर''' -- वह स्थान जहाँ रासायनिक प्रक्रियाओं, जल-प्रपातों आदि से बिजली उत्पन्न करके कलकारखानों आदि चलाने और घरों के प्रकाशं आदि करने के लिए जगह-जगह तार की सहायता से पहुँचाई जाती है (पावर-हाउस) ---> मिन्सार उर॒पत्ति निलैयम् <br> <br>
'''बिना''' -- बगैर ; अतिरिक्त, सिवा ---> इन्रि॒; तविर, इल्लामल् <br> <br>
'''बिनौला''' -- कपास का बीज ---> परुत्तिक् कॊट्टै <br> <br>
'''बिरादरी''' -- विशेषत: किसी एक ही जाति या वर्ग के वे सब लोग जो सामाजिक उत्सवों पर एक दूसरे के यहाँ आते-जाते हैं (समाज) ; भाईचारा, बंधुत्व ---> उर॒विनर्, बंदुक्कळ्; उर॒विनम् <br> <br>
'''बिल''' -- जमीन के अंदर खोद कर बनाया हुआ जीव-जन्तुओं के रहने का स्थान ; किसी को हिसाब चुकता करने के लिए किया जाने वाल वह पुरजा जिसमें प्राप्य मूल्य का पूरा ब्यौरा लिखा रहता है ---> पॊन्दु; विलैप्पट्टियल् <br> <br>
'''बिलकुल''' -- पूरा-पूरा, कुल, सब, जितना हो, उतना सब ; निरा, निपट ---> मुट॒टि॒लुम्; रॊम्बुवुम् <br> <br>
'''बिलखना''' -- रोना, कलपना, विलाप करना ---> पुलंब <br> <br>
'''बिलोना''' -- किसी तरल पदार्थ में कोई चीज डालकर अच्छी तरह हिलाना, मथना ---> कडैय <br> <br>
'''बिस्तर''' -- बिछावन या बिछौना ---> पडुक्कै, विरिप्पु <br> <br>
'''बीच''' -- किसी वस्तु का वह केन्द्रीय अंश या भाग जहाँ से उसके सभी छोर समान दूरी पर पड़ते हैं, मध्य; दरमियान, अंदर, में ---> मैयम्, नडुं, इडै; इडैये <br> <br>
'''बीज''' -- अन्न आदि का वह कण जो खेत में बोने के काम आता है। (सीड) ---> विदै <br> <br>
'''बीजक''' -- सूची, फेहरिस्त; वह सूची जिसमें किसी को भेजे जाने वाले माल का ब्यौरा, दर, मूल्य आदि लिखा रहता है (इन्वॉयस) ---> जापिता; पट्टियल् <br> <br>
'''बीजगणित''' -- गणित का वह प्रकार जिसमें अक्षरों को अज्ञात संख्याएं मानकर वास्तविक मान या संख्याएं जानी जाती हैं (अलजेबरा) ---> बीजगणिदम् <br> <br>
'''बीनना''' -- छोटी-छोटी चीजों को उठाना या चुनना, छाँटना ---> पोरु॒क्कि, ऎडुक्क, अगट॒ट॒ <br> <br>
'''बीमा''' -- किसी प्रकार की विशेषत: आर्थिक हानि पूरी करने की जिम्मेदारी जो कुछ निश्चित धन लेकर उसके बदले में की जाती है (इन्श्योरेन्स) ---> इन्षूरन्स्, आयुळ्काप्पु <br> <br>
'''बीमार''' -- वह व्यक्ति जो किसी रोग अथवा ज्वर से पीड़ित हो, रोगी ---> नोयुट॒ट॒, नोयाळि <br> <br>
'''बुझाना''' -- ऐसी क्रिया करना जिससे आग अथवा किसी जलते हुए पदार्थ का जलना बंद हो जाए ---> ऎरिवदै अणैक्क <br> <br>
'''बुढ़ापा''' -- बुड्ढ़े होने की अवस्था या भाव, वृद्धावस्था ---> मूप्पु <br> <br>
'''बुद्धि''' -- विचार या निश्चय करने की शक्ति, अक्ल, समझ ---> बुद्दि <br> <br>
'''बुनकर''' -- कपड़ा बुनने वाला कारीगर ---> नॆशवाळि, शेणियन् <br> <br>
'''बुनना''' -- करघे के द्वारा वस्त्र बनाना ; ऊन, तार आदि से स्वेटर, चटाई आदि बनाना ---> नॆयय; कंबळि नूलाल् पिन्न <br> <br>
'''बुरा''' -- ख़राब, दोषयुक्त ---> कॆट्ट, माशुळ्ळ <br> <br>
'''बुरादा''' -- आरे से लकड़ी चीरने या धातु रेतने पर उसमें से निकलने वाला महीन अंश, चूरा ---> मरत्तूळ् <br> <br>
'''बुलाना''' -- किसी को अपनी ओर आने के लिए आवाज देना या पुकारना ---> कूप्पिड <br> <br>
'''बूटि''' -- ऐसी जंगली वनस्पति जिसका उपयोग औषध आदि के रूप में होता है ; छोटे पौधों या फूलों के आकार का कोई अंकन या चित्रण ---> मूलिगै; पूवेलै <br> <br>
'''बूढ़ा''' -- बड़ी आयु का प्राणी, वृद्ध ---> वयदु, मुदिर्न्द, किऴ <br> <br>
'''बेईमान''' -- जिसका ईमान ठीक न हो, अधर्मी; अविश्वसनीय ---> आयोग्गियन्; नंबत्तगाद <br> <br>
'''बेगार''' -- ऐसा काम जो जबरदस्ती और बिना पारिश्रमिक दिए करवाया जाए ; अनिच्छित रूप से चलता किया जाने वाला काम ---> ऊदियम् इल्लमल् सॆय्विक्कुं वेलै; कट्टायमाग वेलै वांगुदल् <br> <br>
'''बेचना''' -- अपनी कोई चीज या संपत्ति किसी से दाम लेकर देना ---> विर्क, विर्पनै सॆय्य <br> <br>
'''बेचारा''' -- नि:सहाय, दीन, गरीब ---> ऎळिय, आदरवट॒ट॒ एळै <br> <br>
'''बेल''' -- एक प्रसिद्ध वृक्ष जिसका फल पेट के रोग के लिए गुणकारी होता है ; लता ; कपड़े आदि पर टंका जाने वाला फीता ---> विल्व मर्म; कॊड़ि (पडरुम्); तुणियिल् तैक्कपडुम् नेस, नाड़ा <br> <br>
'''बेलबूटा''' -- किसी चीज पर लताओं, पेड़-पौधों आदि के अंकन या चित्र ---> वैलैप्पाडु <br> <br>
'''बैठक''' -- बैठने का स्थान ; सभासदों का एकत्र होना ---> उट्कारुमिडम्; कूट्टम् <br> <br>
'''बैठना''' -- असीन होना अथवा स्थान-ग्रहण करना ---> उट्कार, अमर <br> <br>
'''बैर''' -- शत्रुता या बदला लेने की भावना, दुश्मनी ---> विरोदम् <br> <br>
'''बैरा''' -- होटलों आदि में खाना खिलाने वाला सेवक ---> परिचारग्न, सर्वर् <br> <br>
'''बैल''' -- गाय का नार जो गाड़ी और हल आदि में जोता जाता है ---> एरुदु <br> <br>
'''बैलगाड़ी''' -- बैल द्वारा खींची जाने वाली गाड़ी ---> माट्टु वण्डि <br> <br>
'''बोझ''' -- वजन, भार ---> सुमै, बारम् <br> <br>
'''बोतल''' -- शीशी ---> सीसा, पुट्टि <br> <br>
'''बोना''' -- पेड़-पौधे उगाने के लिए जमीन में बीज डालना ---> विदैत्तल् <br> <br>
'''बोलचाल''' -- वार्तालाप ---> संबाषणै, उरैयाडल् <br> <br>
'''बोलना''' -- शब्द, ध्वनि, आदि को स्वर में उच्चारित करना ; शब्दों द्वारा कहकर विचार प्रकट करना ---> पेश; सॊल्ल <br> <br>
'''बौखलाना''' -- मानसिक संन्तुलन खो बैठना; आबेश या क्रोध में आकर अंड-बंड बकना ---> वेरि कॊळ्ळ; वेरियिल् पिदट्ट <br> <br>
'''बौछार (बौछाड़)''' -- बूदों की झड़ी जो हवा के झोंके में तिरछी गिरती हों ; बहुत अधिक संख्या में लगातार किसी वस्तु का बरसना ---> शारल् तूर॒ल; पॊऴिय <br> <br>
'''बौद्धिक''' -- बुद्धि संबंधी, बुद्धि द्वारा ग्रहण किए जाने के योग्य ---> बुद्दि संबन्दमान <br> <br>
'''ब्याज''' -- वह धन जो ऋण देने अथवा बैंक आदि में जमा करवाने पर मूलधन के ऊपर मिले (इन्टरेस्ट) ---> वड्डि <br> <br>
'''ब्यौरा''' -- किसी घटना के अन्तर्गत एक-एक बात का उल्लेख या कथन, पूरा वृत्तान्त ---> विवरम् विरुन्तान्तम् <br> <br>
'''भंडार (भांडार)''' -- कोष, खजाना ; अन्नादि रखने का स्थान ---> पंडग शालै; उक्किराणम् <br> <br>
'''भंवर''' -- जलावर्त ---> सुऴळ् <br> <br>
'''भक्ति''' -- किसी के प्रति होने वाली निष्ठा, स्नेह, विश्वास या श्रद्धा ---> भक्ति, ईडुपाडु <br> <br>
'''भगवान''' -- परमेश्वर ; पूज्य, आदरणीय और महिमा शाली ---> भगवान्, कडवुळ्; वणक्कत्तिर् कुरिय <br> <br>
'''भड़काना''' -- आग को तेज करना ; उत्तेजित या क्रुद्ध करना ---> नेरुप्पै नन्गु ऎरिय विड; तूण्डि विड <br> <br>
'''भड़कीला''' -- जिसमें खूब चमक-दमक हो ---> पगट्टान <br> <br>
'''भद्र''' -- शिष्ट, सभ्य, सुशिक्षित ---> गण्णियमान <br> <br>
'''भरती (भर्ती)''' -- प्रवेश, दाखिला ---> शंर्त्तुकॊळ्ळल् <br> <br>
'''भरना''' -- खाली बरतन आदि में कोई चीज डालना, उडेलना, रखना ; (रिक्तता अथवा हानि की) पूर्त्ति करना ---> निरप्पुदल्; ईडु सॆय्य <br> <br>
'''भला''' -- अच्छा, नेक, साधु; हित, लाभ ---> नल्ल, सादुवान; नन्मै, लाबम् <br> <br>
'''भवन''' -- प्रासाद, महल ; घर, मकान, इमारत ---> माळिगै; वीडु, कट्टिडम् <br> <br>
'''भविष्य''' -- आनेवाला समय, भविष्यत् काल ---> ऎदिर् काळम् <br> <br>
'''भव्य''' -- सुंदर और प्रभावशाली, शानदार ---> गंबीरमान, ऍक्रिलुडैप <br> <br>
'''भांपना''' -- रंग-ढ़ंग से जान लेना, ताड लेना ---> ऊहिक्क <br> <br>
'''भागना''' -- दौड़ना ; जान बचाना, पीछा छुड़ाना ---> ओडिप्पॊग; तप्पित्तुक्कॊळ्ळ <br> <br>
'''भाग्य''' -- किस्मत, तकदीर, नसीब ---> विदि, तलै ऎळुत्तु <br> <br>
'''भाना''' -- रुचना, अच्छा लगना, पसंद आना ---> मनदुककुप्पि-डिक्क <br> <br>
'''भारतीय''' -- भारत में उत्पन्न अथवा उससे संबंधित; भारतवासी ---> भारत नाट्टिन्; भारत नाट्टिनर् <br> <br>
'''भारी''' -- अधिक भार वाला, वज़नी ; दु:खी उदास (मन आदि) ---> बारमान, गममान; वरुत्तमंडैन्द <br> <br>
'''भावना''' -- चिंतन, ध्यान ; कल्पना, इच्छा ---> चिन्तनै, मननिलै; कर्पनै, विरुम्पम् <br> <br>
'''भाषण''' -- वक्तृता, व्याख्यान ---> सॊर्पाऴिवु <br> <br>
'''भाषा''' -- बोलकर, लिखकर अथवा ध्वनि संकेतों में भावों को प्रकट करने का साधन ; बोली, जबान ---> मॊळि, बाषै; कुरुमॊऴि, पेंच्चुमॊळि <br> <br>
'''भिक्षु''' -- भिखारी ; संन्यासी विशेषत: बौद्ध संन्यासी ---> पिचचैक्कारन्; सन्नियासि (बौद्ध सन्निसासि) <br> <br>
'''भिखारी''' -- भीख माँगने वाला ; कंगाल, अकिंचन ---> पिच्चैककारन्; एऴै <br> <br>
'''भिगोना''' -- पानी से गीला या तर करना, पानी में डालना ---> ननैक्क <br> <br>
'''भिन्न''' -- अलग, पृथक; गणित में किसी पुरी इकाई का छोटा अंश या टुकड़ा (फ्रैक्शन) ---> मट॒टु वेरु॒; बिन्नम् <br> <br>
'''भीड़''' -- जन समूह ---> जनक्कूट्टम् <br> <br>
'''भीरु''' -- कायर, डरपोक ---> कोऴै <br> <br>
'''भीषण''' -- भयानक, डरावना ; दुष्परिणाम के रूप में हाने वाला, विकट ---> बयंकरमान; कॆट्ट मुडिबुळ्ळ <br> <br>
'''भुगतान''' -- देने, मूल्य आदि चुकाने की क्रिया या भाव, अदायगी ---> कणक्कुतीर्त्तल् <br> <br>
'''भुनाना''' -- किसी खाद्य पदार्थ को अंगारों पर सेंककर या गरम बालू में पकाने अर्थात भूनने का काम किसी दूसरे से कराना ; नोट रुपए आदि को छोटे सिक्कों में बदलवाना ---> वरुक्क च्चॆय्य; शिल्लरैमाट्ट्ट <br> <br>
'''भुरभुरा''' -- साधारण स्पर्श या हलके दबाब से जिसके कण या रवे अलग-अलग हो जाएं ---> मुरु॒गलान मोरुमोरुपान <br> <br>
'''भूकंप''' -- भूगर्भ में होने वाली उथल-पुथल से धरती के हिलने की अवस्था, भूचाल ---> बूकंपम् <br> <br>
'''भूख''' -- भोजन की इच्छा, क्षुधा ; कोई चीज प्राप्त करने की उत्कट इच्छा ---> पसि; अवा, तीविर विरुप्पम् <br> <br>
'''भूख-हड़ताल''' -- किसी नीति या कार्य आदि के प्रति विरोध प्रकट करते हुए अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए भोजन का त्याग करना (हंगर-स्ट्राइक) ---> उण्णाविरदम् <br> <br>
'''भूचाल''' -- दे भूकंप ---> बूकम्पम् <br> <br>
'''भूत''' -- बीता हुआ, अतीत, भूतकाल; प्रेत पिशाच ---> इर॒न्द कालम्; बूदम्, पिशासु <br> <br>
'''भूतपूर्व''' -- पूर्ववती, पहला ---> मुन्नाळैय, मुन् <br> <br>
'''भूमि''' -- पृथ्वी-जो सौर जगत के एक ग्रह के रूप में है ; जमीन, धरती ---> बूमि; निलम्, तरै <br> <br>
'''भूमिका''' -- ग्रंथ आदि की प्रस्तावना ; अभिनय ; किसी क्षेत्र विशेष में किसी व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य ---> मुन्नरै, मुगवुरै; नडिप्पु; चॆयक्, पंगु <br> <br>
'''भूरा''' -- मटमैला, खाकी,; खाकी रंग ---> पळुपपु निरमान; काक्कि निरम् <br> <br>
'''भूल-चूक''' -- लेखे या हिसाब में दृष्टि-दोष आदि के कारण होने वाली गलती, अशुद्धि ---> पिळैगऴम् तवरुगळुम् <br> <br>
'''भूलना''' -- याद न रहना, विस्मृत होना ; गलती या त्रुटि करना ---> मरन्दु विड; पिऴै रोय्य <br> <br>
'''भेजना''' -- रवाना करना, प्रेषण करना ---> अनुप्प <br> <br>
'''भेद''' -- अंतर, फरक ; रहस्य, मर्म ; प्रकार, तरह ---> विद्दियासम्; रगसियम्; विदम् <br> <br>
'''भोला''' -- छल-कपट रहित, सीधा-सादा, सहज-विश्वासी ; बुद्धू ---> कबटमट॒ट॒, अप्पवियान; मुट्टाळ् <br> <br>
'''भौतिक''' -- पंचभूतों से संबंध रखने वाला ; लौकिक, सांसारिक ---> बौदिग; उलग इयलान् <br> <br>
'''भ्रम''' -- मिथ्या ज्ञान, कुछ का कुछ समझना, धोखा ---> भ्रमम् <br> <br>
'''भ्रमण''' -- घूमना-फिरना, विचरण ---> सुट॒टुदल, पयणम् <br> <br>
'''भम्रर''' -- भौंरा, मधुप, भंवर ---> कुऴवि, करुवुडुं <br> <br>
'''भ्रष्ट''' -- बुरे आचार-विचार वाला, निदंनीय ; (मार्ग से) च्युत, विचलित ---> ऊऴल मलिन्द; नडत्तै तवरि॒य <br> <br>
'''मंगल''' -- कल्याणकारी, शुभ; कल्याण, भलाई, हित ; सौर मंडल का एक ग्रह ; मंगलवार ---> मंगलकरमान; नन्मै; सॆव्वाय गिरहम्; किऴमै सॆव्वाय् <br> <br>
'''मंगल-सूत्र''' -- सधवा स्त्रियों द्वारा गले मे पहना जाने वाला पवित्र सूत्र ---> ताक्ति, मंगळ-नाण् <br> <br>
'''मंगलाचरण''' -- शुभकार्य के आरंभ में पढ़ा जाने वाल मांगलिक मंत्र, श्लोक या पद्यमय रचना आदि ; ग्रंथ के आरंभ में मंगल की कामना तथा उसकी निर्विध्न समाप्ति के लिए लिखा जाने वाला पद्य ---> इरै॒ वणक्कम्; नूलिन आरंबतिळ इरै॒वणक्कपपा <br> <br>
'''मंच''' -- सभा-समितियों में ऊँचा बना हुआ मंउल जिस पर बैठकर सर्व-साधारण के सामने किसी प्रकार कार्य किया जाए, रंगमंच (स्टेज, डाइस); कुछ विशिष्ट प्रकार के कार्य कलापों के लिए उपयुक्त क्षेत्र (फोरम) ---> मेडै; मन्र॒म् <br> <br>
'''मंजिल''' -- गन्तव्य (डेस्टिनेशन); पड़ाव, मुकाम ---> पोय् सेरवेण्डिय इडम्; पयपत्तिन् इडैयतंगुइडम् <br> <br>
'''मंत्र''' -- देवताओं को प्रसन्न कराने अथवा सिद्धि आदि प्राप्त कराने वाला शब्द-समूह ; कार्य-सिद्धि का ढ़ंग, गुर या नीति ---> मन्दिरम्; वॆट्टि॒ परुवदर्कान रगसियम <br> <br>
'''मंत्री''' -- मंत्रणा अथवा परामर्श देने वाला ; आमात्य ; सचिव ---> मन्दिरि; अचैच्चर; सॆयळाळर् <br> <br>
'''मंदा''' -- जिसकी मांग कम हो (सौदा), जिसमें तेजी न हो (व्यापार या बाजार) ---> मन्दमान्, शुरु॒शुरु॒प्पट॒ट॒ <br> <br>
'''मंदिर''' -- देवालय किसी शुभ कार्य के लिए बना हुआ भवन या मकान ---> कोविल्, कोइल् <br> <br>
'''मक्कार''' -- कपटी, छली ---> वंजनैयुळ्ळ <br> <br>
'''मखमल''' -- एक तरह का चिकना तथा रोएंदार कपड़ा ---> वॆल्वॆट॒ट॒ तुणि <br> <br>
'''मगर''' -- घड़ियाल; लेकनि, परन्तु पर ---> मुदलै; आनाल् <br> <br>
'''मग्न (मगन)''' -- किसी काम या बात में तन्मय, लीन ---> आऴ्न्द <br> <br>
'''मच्छरदानी''' -- जालीदार कपड़े का बना हुआ चौकोर आवरण जिसका उपयोग मच्छरों से बचाव के लिए किया जाता है; मसहरी ---> कॊशु वलै <br> <br>
'''मज़दूर''' -- शारीरिक श्रम द्वारा जीविका कमाने वाला व्यक्ति ---> कूलियाळ् <br> <br>
'''मज़दूरी''' -- मजदूर का काम ; भाड़े या वेतन के रूप मे मज़दूर को दिया जाने वाला धन ---> कूलि वैलै, वाडगै; पूपणम् <br> <br>
'''मज़बूत''' -- दृढ़, पक्का, टिकाऊ ; (व्यक्ति) हृष्ट-पुष्ट, तगड़ा, शक्तिशाली ---> उरु॒दियान, दिडमान; दिडगात्तिरमान (नबर्) वलुवान <br> <br>
'''मज़ाक''' -- परिहास, हंसी, दिल्लगी ---> परिगासम् <br> <br>
'''मझधार''' -- नदी आदि के बीच की धारा ; किसी काम या बात के मध्य की स्थिति ---> आट्टिन् नडुप्पगुदि; वेलैयिन् नडुप्पगुदि <br> <br>
'''मठ''' -- साधु-सन्यासियों के रहने का स्थान या मकान ---> मडम् <br> <br>
'''मतदान''' -- चुनाव में अथवा किसी प्रस्ताव आदि के पक्ष-विपक्ष में अपना मत देने की क्रिया ---> वाक्कळिप्पु <br> <br>
'''मताधिकार''' -- किसी चुनाव या विषय में मत देने का अधिकार ---> वाक्कुरिमै <br> <br>
'''मथना''' -- दूध, दही को मथानी आदि से बिलोना ---> कडैय <br> <br>
'''मथानी''' -- दही मथने का काठ का बना हुआ एक उपकरण ---> मत्तु <br> <br>
'''मद''' -- नशा, मस्ती ; निंदनीय अहंकार या गर्व ; मतवाले हाथी का कनपटी से बहने वाला गंधयुक्त द्रव्य ---> बॆरि, बौदे; अहंतै; यानैयिन् मद नीर् <br> <br>
'''मदारी''' -- बाजीगर; बदर-भालू आदि नचाकर जीविका चलाने वाला ---> कुरं॒ गाट्टि; कुरंगु, करडि, अमट्टि संबादिप्पवन् <br> <br>
'''मदिरा''' -- शराब, मद्य ---> मदु, सारायम् <br> <br>
'''मद्यप''' -- जो मदिरापान करता हो, शराबी ---> कुड्रिकारन् <br> <br>
'''मद्यु''' -- शहद ; शराब ; बसंत ऋतु ---> तेन्; मदु; बसन्त कालम् <br> <br>
'''मधुर''' -- जिसका स्वाद मधु के समान हो, मीठा ---> इनिमैयान <br> <br>
'''मध्यस्थ''' -- आपस में मेल या समझौता कराने वाला, बिचौलिया ---> मद्दियस्कन <br> <br>
'''मन''' -- मनुष्य के अंत:करण का वह अंश जिससे वह अनुभव, इच्छा, बोध, विचार और संकल्प-विकल्प करता है ; वज़न में चालीस सेर ---> मनदु; मणङ्गु <br> <br>
'''मनचाहा''' -- जिसे मन चाहता हो, इच्छानुसार ---> विरुंबिय <br> <br>
'''मनोरंजन''' -- दिल बहलाव, मन की प्रसन्नता ---> पोळुदु पोक्कु <br> <br>
'''मनोरथ''' -- अभिलाषा, वांछा, इच्छा ---> आशै, विरुप्पम् <br> <br>
'''मनोरम''' -- जिसमें मन रमने लगे, सुंदर या आकर्षक ---> मनदैक कवरुगिर॒ अऴगान <br> <br>
'''ममता''' -- अपनत्व का भाव, ममत्व ; मन में होने वाला मोह या लोभ का भाव ---> तनदु ऎन्नुम् बावनै; मनप्पट॒ट॒ <br> <br>
'''मरना''' -- मृत्यु को प्राप्त होना, प्राणांत होना ; खेलों में खिलाड़ियों का हार जाना ---> मरणमडैय, इर॒न्दु पोग; विळैयाट्टिळ् तोट्टल् <br> <br>
'''मरहम (मलहम)''' -- चमड़ी, घाव आदि पर उपचार के लिए लगाया जाने वाला औषधियों का गाढ़ा और चिकना लेप ---> मरुन्दुप्पूच्चु, कळिंबु <br> <br>
'''मरोड़ना''' -- किसी चीज में घुमाव, बल आदि डालने के उद्देश्य से उसे कुछ जोर से घुमाना, ऐंठना ---> मुरु॒क्क <br> <br>
'''मर्म''' -- किसी बात के अन्दर छिपा हुआ तत्व, भेद, रहस्य ---> मर्मम् रगसियम् <br> <br>
'''मर्यादा''' -- सीमा, हद ; लोक में प्रचलित व्यवहार और उसके नियम आदि, लोकाचार ---> ऎल्लै; मरियादै मुरै॒ <br> <br>
'''मलना''' -- किसी पदार्थ को कहीं लगाने के उद्देश्य से रगड़ना या घिसना ; लेप करना ---> कैयाल् तेय्क्क; तडव, मेऴुग <br> <br>
'''मलबा''' -- कूड़ा-करकट; टूटी या गिराई हुई इमारत का ईंट-पत्थर, चूना आदि ---> कुप्पै कूऴम्; इडिन्द कारे कल् मुदलियवै <br> <br>
'''मलिन''' -- मैला-कुचैला, गंदा ; उदास, म्लान ---> अळुक्कारन्; मनम् तळर्न्द <br> <br>
'''मल्लाह''' -- नदी में नाव खेकर अपनी जीविका अर्जित करने वाला व्यक्ति, केवट, मांझी ---> पडगोट्टि <br> <br>
'''महंगा''' -- जिसके दाम साधारण या उचित से अधिक हों ---> गिराक्कियान <br> <br>
'''महंगाई''' -- साधारण या उचित से अधिक मूल्य पर वस्तुओं का बिकना ---> गिराक्कि <br> <br>
'''महत्ता''' -- बड़प्पन, महिमा, महत्व ---> मेन्मै, महत्तुवम् <br> <br>
'''महत्त्व''' -- महत्ता, बड़प्पन ---> मदिप्पु, मेन्मै <br> <br>
'''महत्त्वाकांक्षा''' -- बड़ा बनने की आकांक्षा, उच्चाकांक्षा ---> उदन्द कुरिक्कोळ् <br> <br>
'''महल''' -- भवन, प्रासाद ---> अरण्मनै, माळिगै <br> <br>
'''महान्''' -- बहुत बड़ा, विशाल ; उच्च कोटि का ---> पेरिय; उयर्न्द <br> <br>
'''महापुरुष''' -- महिमाशाली पुरुष, श्रेष्ठ जन ---> सान्रोर महान <br> <br>
'''महाविद्यालय''' -- उच्चशिक्षा देने वाला विद्यालय (कालेज) ---> कल्लूरि <br> <br>
'''महिला''' -- स्त्री, औरत ---> मगळिर् <br> <br>
'''मांग''' -- मांगने की क्रिया या भाव, याचना; किसी निश्चित मूल्य पर किसी चीज की खरीद या चाही जाने वाली मात्रा ; सिर के बालों को विभक्त करके बनाई जाने वाली रेखा, सीमान्त ---> विंरुबिक्केट्टल्; तेतै; वगिडु <br> <br>
'''मांगना''' -- किसी से यह कहना कि आप अमुक वस्तु या धन दें, याचना करना ---> कॆट्टु वांग याशिक्क <br> <br>
'''मांजना''' -- कोई चीज अच्छी तरह से साफ करने के लिए किसी दूसरी चीज से उसे अच्छी तरह मलना या रगड़ना ; किसी काम या चीज का अभ्यास करना ---> तुलक्क; अब्बियसिक्क, पयिल <br> <br>
'''मांस''' -- मनुष्यों तथा जीव-जंतुओं के शरीर का हड्डी, नस, चमड़ी रक्त आदि से भिन्न अंश जो रक्त वर्ण का तथा लचीला होता है, अमिष, गोश्त ---> मामिसम्, पुलाल् <br> <br>
'''माड़ना''' -- गूंधना, सानना ; अन्न की बालों में से दाने झाड़ना ---> पिसैय; कदिरिलिरुन्दु दानियंगळै उदर॒ <br> <br>
'''मातृभाषा''' -- अपने जन्म स्थान या घर में बोली जाने वाली भाषा ---> ताय्-मॊऴि <br> <br>
'''मातृभूमि''' -- जन्मभूमि, स्वदेश ---> ताय-नाडु <br> <br>
'''मादक''' -- नशा उत्पन्न करने वाला, नशीला ---> बोदै उण्डाक्कुकिर॒ <br> <br>
'''माधुर्य''' -- मधुरता, मिठास ; काव्य का एक गुण ---> इनिमै; मदुरं <br> <br>
'''माध्यम''' -- साधन, जरिया ---> मूलम्, वऴि <br> <br>
'''मानक''' -- विशिष्ट वस्तुओं के आकार-प्रकार, महत्त्व आदि जांचने का कोई अधिकारिक आदर्श, मानदंड या रूप (स्टैन्डर्ड) ---> निगरम् तिट्टमान <br> <br>
'''मानकीकरण''' -- एक ही बर्ग की बहुत सी वस्तुओ के गुण, महत्त्व आदि का एक मानक रूप स्थिर करने की क्रिया या भाव (स्टैण्डडरिजेशन) ---> तर निर्णयम् सॆयदल <br> <br>
'''मानना''' -- स्वीकार करना, कबूल करना ; (किसी के प्रति) श्रद्धा रखना, गुण योग्यता आदि का कायल होना ---> ऒप्पुक्कोळ्ळ; मादिक्क <br> <br>
'''मानव''' -- मनुष्य, आदमी ---> मानिडन्, मनिदन् <br> <br>
'''मानवता''' -- मानव होने की अवस्था या भाव, मनुष्य जाति ; मनुष्य के आदर्श तथा स्वाभाविक गुणों, भावनाओं आदि का प्रतीक या समूह ---> मानिदत्तन्मै; मानिद-पणवु <br> <br>
'''मानसिक''' -- मन-संबधी ---> मनदै शार्न्द <br> <br>
'''मान्य''' -- मानने योग्य ; आदरणीय, सम्मान का अधिकारी ---> ऒप्पत्तक्क मदिप्पिर्कुरिय; मदिपपिर्कुरिय <br> <br>
'''माप''' -- मापने की या नापने की क्रिया या भाव ; मापने पर ज्ञात होने वाला नाप, परिमाण, मात्रा या मान ---> अळत्तल्; अळवु <br> <br>
'''मापना''' -- वस्तु का विस्तार, घनत्व या वजन मालूम करना ---> अळक्क <br> <br>
'''माफ''' -- जिसे क्षमा किया गया हो या माफी दी गई हो ---> मन्निप्पु <br> <br>
'''मायका (मैका)''' -- विवाहित स्त्री की दृष्टि से उसके माता-पिता का घर और परिवार, नैहर, पीहर ---> मगळिरिन् पिरन्दगम् <br> <br>
'''मारना''' -- जान लेना, हत्या करना ; पीटना, प्रहार करना, चोट पहुँचाना ; मानसिक या शारीरिक आवेग दबाना या रोकना ---> कॊल्ल; अडिक्क, कायप्पडुत्त; मन एळुच्चियै तडुक्क <br> <br>
'''मार्ग''' -- रास्ता, पथ, राह ; माध्यम, साधन ---> वऴि/सालै; बऴि <br> <br>
'''मार्मिक''' -- मर्म स्थान पर प्रभाव डालने अथवा उसे आंदोलित करने वाला मर्मस्पर्शी ---> मनदै तॊडुगिर <br> <br>
'''माल''' -- प्रत्येक ऐसी मूल्यवान वस्तु जिसका कुछ उपयोग होता है ; धन-संपत्ति, रुपया-पैसा, दौलत ---> पोरुळ्, सरक्कु; पणम्-काशु, सॊत्तु शेलवम <br> <br>
'''मालूम''' -- जाना हुआ, ज्ञान, विदित ---> तॆरिन्द, अरि॒न्द <br> <br>
'''मिटाना''' -- दाग, निशान आदि दूर करना; नष्ट करना, बरबाद करना ---> तुडैत्तु अळिक्क; नाशप्पडुत्त <br> <br>
'''मिट्टी''' -- धरती की ऊपरी सतह का वह भुरभुरा मुलायम तत्त्व जिसमें पेड़ पौधे उगते हैं ---> मण् <br> <br>
'''मिठाई (मीठा)''' -- कुछ विशिष्ट प्रकार की बनी हुई खाने की मीठी चीजें ---> मिट्टाय् इनिप्पु पण्डम् <br> <br>
'''मितभाषी''' -- अपेक्षाकृत कम तथा आवश्यकतानुसार बोलने वाला ---> अळवोडु पेशुगिर <br> <br>
'''मित्र''' -- सखा, सुह्द, दोस्त ---> तोळन, नण्बन् <br> <br>
'''मिथ्या''' -- असत्य झूठा ; कृत्रिम, बनावटी ---> पॊय्; सॆयर्कैयान <br> <br>
'''मिलनसार''' -- जिसकी प्रवृति सबसे मिल-जुल कर रहने की हो ---> नन्गु पऴगुगिर् <br> <br>
'''मिलान''' -- तुलनात्मक दृष्टि से अथवा ठीक होने की जाँच करने के लिए दो या अधिक चीजों या बातों का आपस में साथ रखकर मिलाया और देखा जाना ; गुण, दोष, विभिन्नता या समानता जाने के लिए दो चीजों या बातों के संबंध में किया जाने वाला विवेचन, तुलना ---> ऒप्पिट्टु पार्त्तल्; ऒट॒टुमै वेट॒टुमैकलिन् ऒप्पिडुदल् <br> <br>
'''मिलाना''' -- मिश्रित करना, एक करना, मिलावट करना; जोड़ना, सटाना ; भेंट कराना, मेल-मिलाप कराना; तुलना करना, जाँच करना; किसी को अपने पक्ष में लाना; ++; ऒन्रु॒ सेर्क्क कल्क्क; इणैक्क कूट्ट; सादिक्क वैक्क; ओप्पिड
'''मिलावट''' -- किसी बढ़िया वस्तु में घटिया वस्तु का मेल ---> कलप्पडम् <br> <br>
'''मिश्रण''' -- दो या अधिक चीजों को एक में मिलाना ; उक्त प्राकर से मिलाने से तैयार होने वाला पदार्थ या रूप ; मिलावट ---> कलवै; तन्नुडन् सेर्त्तुक्कॊळ्ळल्; कलप्पडम् <br> <br>
'''मीठा''' -- जिसमें मिठास हो, मधुर रस वाला ; धीमा, मंदा ---> तित्तिप्पान, इनिप्पु; मन्दमान <br> <br>
'''मीनाकारी''' -- सोने-चांदी पर होने वाला मीने का रंगीन काम ---> नकासुवेलै <br> <br>
'''मुंडेर''' -- छत के चारो ओर मेंड जैसी दीवार ---> कैप्पिडिच्चुवर् <br> <br>
'''मुकदमा''' -- वह विवादास्पद विषय जो न्यायालय के सामने विचार और निर्णय के लिए प्रस्तुत किया जाए ---> वऴक्कु <br> <br>
'''मुकुट''' -- एक प्रसिद्ध शिरोभूषण जिसे राजा लोग पहनते हैं और जो प्राय: देवी-देवताओं की मूर्तियों के सिर पर पहनाया जाता है ---> मुगुडम् <br> <br>
'''मुक्त''' -- जो किसी प्रकार के बंधन से छूट गया हो ; मोक्ष-प्राप्त, भव-बंधन से मुक्त ; छूटा हुआ, फैंका हुआ ---> विडुपट्ट; मुक्ति अडैन्द; ऎरि॒यप्ट्ट <br> <br>
'''मुक्ति''' -- किसी प्रकार के बंधन आदि से छुटकारा; धार्मिक क्षेत्र में वह स्थिति जिसमें जीव जन्म-मरण के बंधन से छूट जाता है, मोक्ष ---> विडुदलै; मोट्चम् <br> <br>
'''मुख''' -- मुंह ; किसी पदार्थ का अगला या ऊपरी खुला भाग ---> वाय्, मुगम्; तिर॒न्द मेल् वागम्, वाय्, मुगम् <br> <br>
'''मुखपृष्ठ''' -- किसी ग्रंथ या पुस्तक का सबसे ऊपर वाला वह पृष्ठ जिसमें उस पुस्तक तथा उसके लेखक का नाम छपा होता है ---> पुत्तगत्तिन् मुदल् पक्कम् <br> <br>
'''मुख्य''' -- प्रधान, खास ; महत्व पूर्ण या सारभूत ---> मुक्कियमान; शिर॒प्पान <br> <br>
'''मुख्यालय''' -- किसी संस्था का केंद्रीय तथा प्रधान स्थान, प्रधान कार्यालय ---> तलैमै सॆयलगम् <br> <br>
'''मुग्ध''' -- मोहित, मूढ़ ---> मयंगिय, तन्नै मरन्द <br> <br>
'''मुट्ठी''' -- हथेली की वह स्थिति जिसमें उंगलियां अन्दर की ओर मोड़कर बंद कर ली जाती है ; उतनी वस्तु जितनी मुट्ठी में आ सके ; मुट्ठी की चौड़ाई का माप ---> मुष्टि, पिडि; पिडि अळवु; मुष्टियिन् अळवु <br> <br>
'''मुद्रण''' -- छापने की क्रिया या भाव ; मुद्रा से अंकित करना, मोहर लगाना ---> अच्चडित्तल्; मुद्दिरै कुत्तुदल् <br> <br>
'''मुद्रणालय''' -- जहाँ छापने का काम होता है, छापा खाना ---> अच्चगम् <br> <br>
'''मुद्रा''' -- चिह्न, नाम आदि अंकित करने की मुहर, सील ; ऐसी अंगूठी जिस पर किसी का नाम या कोई वैयक्तिक चिह्न अंकित हो ; क्रय-विक्रय का आधिकारिक माध्यम, सिक्का ; आंख मुंह हाथ आदि की ऐसी क्रिया जिससे मन की कोई विशिष्ट प्रवृति या भाव प्रकट हो ---> मुद्दिरै; तन् पेयर् पोरित्त मोदिरम; नाणयम्, चॆलावणि; नाट्टिय मुद्रदिरै <br> <br>
'''मुनाफा''' -- क्रय-विक्रय में आर्थिक दृष्टि से होने वाला लाभ, नफा ---> लाबम् <br> <br>
'''मुरझाना''' -- फूल-पत्तों आदि का सूखने लगना, कुम्हलाना ; उदास या सुस्त होना, कांति श्री आदि से रहित होना ---> वाडिप्पोग; ऒळि इळक्क <br> <br>
'''मुर्दनी''' -- चेहरे से प्रकट होने वाले मृत्यु चिह्न ; शव के साथ अंत्येष्टि-क्रिया के लिए जाना ---> मरण कळै; शवत्तुडन् इडुकाडु शॆल्लुदल् <br> <br>
'''मुश्किल''' -- कठिन, दुष्कर, दुस्साध्य; कठिनाई, परेशानी ---> कडिनमान; तोन्दरवु, कष्टम् <br> <br>
'''मुस्कान''' -- धीरे से हंसना ---> पुन्चिरिप्पु पुन्नहै <br> <br>
'''मुहावरा''' -- वह शब्द या वाक्यांश जो अपने अभिधार्थ से भिन्न किसी और अर्थ में रूढ़ हो गया हो; अभ्यास ---> मोऴि नडै, मरवुच् चॊल्; वऴक्कं <br> <br>
'''मूहूर्त्त''' -- काल का एक मान जो दिन रात के तीसवें भाग के बराबर होता है ; ज्योतिष के अनुसार शुभाशुभ समय ; श्री गणेश, आरंभ ---> मुहूर्त नेरम्, नल्ल नेरम्; मुहूर्त्तम्; आरंबित्तल् <br> <br>
'''मूक''' -- गूंगा ---> ऊमै <br> <br>
'''मूलभूत''' -- आधार रूपी, बुनियादी ---> आदारमान <br> <br>
'''मूल्यांकन''' -- मूल्य निर्धारित या निश्चित करने की क्रिया ---> विलै भदित्तल् <br> <br>
'''मृत्यु''' -- मरण, मौत ---> मरणम्, शावु <br> <br>
'''मेहंदी''' -- एक प्रकार की झाड़ी जिसकी पत्तियाँ हाथ-पैर रंगने के काम आती हैं ---> मरुदाणि <br> <br>
'''मेखला''' -- करधनी, कमरबंद, पेटी ---> ऒड्डियाणम् बेलटु <br> <br>
'''मेधावी''' -- असाधारण बुद्धिवाला, बुद्धिमान ---> मेदावि <br> <br>
'''मेरा''' -- मै' का संबंध कारक ---> ऎनदु <br> <br>
'''मेरु-दंड''' -- मनुष्यों और बहुत से जीवों में पीठ के बीचों-बीच गरदन से लेकर कमर तक जाने वाली एवं माला की तरह गुंथी हुई हड्डी ---> मेरु-दण्डम् मुदुगॆलुम्बु <br> <br>
'''मेहतर''' -- भंगी ---> तोट्टि <br> <br>
'''मैं''' -- सर्वनाम उत्तम-पुरुष में कर्त्ता का रूप, स्वयं, खुद ---> नान् <br> <br>
'''मैदान''' -- विस्तृत क्षेत्र का भूखंड, दूर तक फैली हुई सपाट जमीन ; पर्वतीय क्षेत्र में भिन्न समतल भू भाग ; खेल आदि का स्थान ; युद्ध-क्षेत्र, रण-भूमि ---> मैदानम्, तिर॒न्द र्वोळ; समवेळि; विळैयाट्टुत्तिडल्; पोर्कळम् <br> <br>
'''मैल''' -- शरीर, कपड़े आदि से चिपका हुआ मल, गर्द, धूल आदि ; किसी के प्रति मन में संचित दुर्भाव ---> अळुक्कान; कॆट्ट ऎण्णम् <br> <br>
'''मैलखोरा''' -- धूल, गर्द आदि पड़ने पर भी जो मैला न दिखाई दे, जो मैल को छिपा सके ---> अऴुक्किल्लाद <br> <br>
'''मैला''' -- जिस पर मैल जमी हो, गर्द, धूल आदि पड़ी हो, गंदा, अस्वच्छ; विष्ठा ---> अऴुक्कान; विष्टै, मलम्, ऎच्चम् <br> <br>
'''मोटा''' -- जिसकी देह में मांस-मेद अधिक हो, स्थूलकाय ; जो पतला या बारीक न हो (कपड़ा आदि) ---> परुमनान; दडियान <br> <br>
'''मोती''' -- एक बहूमूल्य रत्न जो सीपी में से निकलता है, मुक्ता ---> मुत्तु <br> <br>
'''मोदक''' -- लड्डू; आनंद देने वाला ---> कॊळुक्कट्टै, मोदकम्; मगिऴ्च्चि अळिक्किर <br> <br>
'''मोल''' -- कीमत, मूल्य, दाम ---> विलै <br> <br>
'''मोह''' -- स्नेह, लगाव ---> मोहम्, अन्वु <br> <br>
'''मोहक''' -- मोह उत्पन्न करने वाला ; मन को आकृष्ट करने वाला, लुभावना ---> मनत्तै मयककुगिर॒; मनत्तै कवरुगिर॒ <br> <br>
'''मौत''' -- मरण, मृत्यु ---> मरणम्, शावु <br> <br>
'''मौन''' -- न बोलने की क्रिया या भाव, चुप रहना, चुप्पी; जो न बोले, चुप ---> मौनम, पेशामत्तिरुत्तल्; पेशामल् इरुक्किर॒ <br> <br>
'''मौलिक''' -- मूल-संबंधी, मूलगत ; जो किसी की छाया, उलथा, अनुकृति आदि न हो ---> असलान, मूल; मूलनूल <br> <br>
'''मौसम''' -- गरमी, सरदी, आदि के विचार से समय का विभाग, ऋतु ---> काल निलै, परुवम् <br> <br>
'''मौसम विज्ञान''' -- मौसम की जानकारी से संबंध रखने वाला विज्ञान ---> वानिलै शात्तिरम् <br> <br>
'''म्यान''' -- तलवार, कटार आदि रखने का कोष या गिलाफ ---> बाळुरै <br> <br>
'''यंत्र''' -- औज़ार, उपकरण ---> इयन्तिरम्, करुवि <br> <br>
'''यथार्थ''' -- जो अपने अर्थ (आशय, उद्देश्य भाव आदि) के ठीक अनुरूप हो, वास्तविक ---> उणमैयान, उण्मै <br> <br>
'''यद्यपि''' -- यद्यपि, अगर ऐसा है ---> आयिनुम्, इरुन्दालुम् <br> <br>
'''यशस्वी''' -- जिसका यश चारों ओर फैला हो ---> पुगऴ् पॆट्ट <br> <br>
'''यह''' -- एक सर्वनाम जिसका प्रयोग वक्ता और श्रोता को छोड़कर निकट के और सब मनुष्यों तथा पदार्थो के लिए होता है ---> इदु, इवन्, इवळ् <br> <br>
'''या''' -- विकल्प सूचक शब्द, अथवा ---> अल्लदु <br> <br>
'''याचक''' -- मांगने वाला, भिक्षुक ---> याचकन्, इरप्पोन <br> <br>
'''यातना''' -- घोर कष्ट ---> कडुम् वेदनै <br> <br>
'''यातायात''' -- एक स्थान से दूसरे स्थान पर आते जाते रहने की क्रिया या भाव, आना-जाना ---> पोक्कु वरन्तु <br> <br>
'''याद''' -- स्मरण रखने की क्रिया या भाव ---> ञापगम्, निनैवु <br> <br>
'''यान''' -- वह उपकरण या साधन जिसपर सवारं होकर यात्रा की जाती है अथवा माल ढोया जाता है ---> वाहनम्, वण्डि <br> <br>
'''युक्त''' -- किसी के साथ जुड़ा, मिला या लगा हुआ ; सम्मिलित ---> इणैन्द; कूडिय, शेर्न्द <br> <br>
'''युग''' -- काल, समय ; काल-गणना के विचार से कल्प के चार उप-विभाग (सत्य, त्रेता, द्वापर और कलि में से प्रत्येक।) ---> कालम्, नेरम्; युगम <br> <br>
'''युगल''' -- युग्म, जोड़ा ---> जोडि, इरट्टै <br> <br>
'''युग्म''' -- दो चीजे जो प्राय: या सदा साथ आती या रहती हों, जोड़ा ---> युग्मम् इरट्टै <br> <br>
'''युद्ध''' -- अस्त्र-शस्त्रों की सहायता से दो पक्षों में होने वाली लड़ाई, रण संग्राम ---> युद्दम, पोर् <br> <br>
'''युवक''' -- जवान आदमी ---> इळैञन् <br> <br>
'''योगदान''' -- किसी को सहायता देने, हाथ बंटाने की क्रिया या भाव ---> ओत्तुऴैपपु <br> <br>
'''योगी''' -- वह जो योग की साधना करता हो ---> योगि, तवसि <br> <br>
'''योग्य''' -- काबिल, लायक, उपयुक्त, उचित, मुनासिब; योग्यता रखने वाला ---> तुगुदियुळ्ळ; लायक्कान <br> <br>
'''योग्यता''' -- योग्य होने की अवस्था या भाव, काब्लियत ; गुण ---> तगुदि; गुणम् <br> <br>
'''योजना''' -- किसी कार्य को निष्पादित करने का प्रस्तावित कार्यक्रम (प्लान) ---> तिट्टम् <br> <br>
'''यौवन''' -- युवा या युवती होने की अवस्था या भाव ---> इळैमैप् परुवाम् <br> <br>
'''रंग''' -- वर्ण (कलर) ---> निरम्, चायम् <br> <br>
'''रंगना''' -- रंग में डुबा कर किसी चीज को रंगीन करना ---> चायम् पोड़ <br> <br>
'''रंगमंच''' -- वह ऊँचा उठा हुआ स्थान जहाँ पर पात्र अभिनय करते हैं ---> नाडग मेडै <br> <br>
'''रंभाना''' -- गाय का मुँह से आवाज करना ---> पशु माट्टिन् कत्तुदल् <br> <br>
'''रक्तपात''' -- लहू का गिरना या बहना, खून-खराबा ---> रत्तम् शिन्दुदल् <br> <br>
'''रक्षा''' -- ऐसा काम जो आक्रमण, आपद, नाश से बचने या बचाने के लिए किया जाता है, बचाव ---> काप्पाट॒ट॒दळ् <br> <br>
'''रखना''' -- किसी वस्तु पर या किसी वस्तु अथवा स्थान में स्थित करना ---> वैक्क <br> <br>
'''रगड़''' -- रगड़ने की क्रिया या भाव ; वह चिह्न जो किसी चीज से रगड़े जाने पर दिखाई देता है, खरोंच ---> तेय्त्तल, उराय्दल्; शिराय्पपु <br> <br>
'''रचना''' -- बना कर तैयार की हुई चीज, कृति, साहित्यिक कृति, रचने की क्रिया या भाव ---> पडैप्पु, तयारिप्पु <br> <br>
'''रजनी''' -- रात, रात्रि ---> रात्तिर, इरवु <br> <br>
'''रटना''' -- कंठस्थ करना ---> मणप्पाडं सॆय्य <br> <br>
'''रण''' -- लड़ाई, युद्ध ---> पोर् <br> <br>
'''रत़ि''' -- काम क्रीड़ा ; साहित्य में श्रृगार रस का स्थायी भाव ---> सिट॒टि॒न्बम्; रति एन्र॒ इलक्कियत्तिलुळ्ळ शिरुंगाररसत्तिन् निलैयान बावम् <br> <br>
'''रत्न''' -- बहूमूल्य पत्थर जो आभूषण आदि में जड़े जाते हैं ---> इरत्तिनम् <br> <br>
'''रफ़्तार''' -- चाल, गति ---> नडै, वेगम् <br> <br>
'''रमणी''' -- सुंदर नारी, युवती ---> अऴगिय <br> <br>
'''रमणीक''' -- सुंदर, मनोहर ---> अऴगान <br> <br>
'''रवि''' -- सूर्य ---> सूरियन् <br> <br>
'''रश्मि''' -- किरण ---> ऒळिक्कदिर् <br> <br>
'''रस''' -- शोरबा (जूस) ; मन में उत्पन्न होने वाला वह भाव जो काव्य आदि पढ़ने या देखने से होता है, काव्यानंद ---> शारु, रसम्; इलक्कियच्चुवै <br> <br>
'''रसायन''' -- उक्त क्रिया से तैयार की गई औषधि ---> रसायन पॊरुळ् <br> <br>
'''रसीला''' -- रस से भरा हुआ रसदार, स्वादिष्ट ---> शारु निरै॒न्द, रुचि कय्यान <br> <br>
'''रस्सा''' -- मोटी डोरी (रोप) ---> तांबुक्कासिरु <br> <br>
'''रहट''' -- खेतों में सिंचाई के लिए कुँए से पानी निकालने का एक प्रकार का यंत्र (पर्शियन ह्वील) ---> तण्णीर् इरैक्कुम राट्टु <br> <br>
'''रहस्य''' -- मर्म या भेद की बात, गुप्त बात ---> रगसियम् <br> <br>
'''रहित''' -- के बिना, के विहीन ---> इल्लामल, इन्रि॒ <br> <br>
'''राक्षस''' -- निशाचर, दैत्य ---> अरक्कन् <br> <br>
'''राख''' -- भस्म, किसी पदार्थ के बिल्कुल जले हुए अवशेष ---> शाम्बल् <br> <br>
'''राग''' -- अनुराग, प्रेम; शास्त्रीय संगीत का विशिष्ट गान-प्रकार ---> अन्बु; रागम् <br> <br>
'''राज''' -- राज्य, राजकीय शासन ; मकान बनाने वाला कारीगर (मेसन) ---> अरशाट्चि; कॊत्तनार् <br> <br>
'''राजकुमार''' -- राजा का पुत्र ---> अरश कुमारन् <br> <br>
'''राजचिह्न''' -- राजकाज के संबंध में उपयोग किया जाने वाला कोई भी चिह्न या साधन जो शासक के प्राधिकार का द्योतक हो ---> अरशु-चिन्नम् <br> <br>
'''राजदूत''' -- किसी राजा या राज्य का दूत ---> राज दूतन् <br> <br>
'''राजद्रोही''' -- वह जिसने राज्य सत्ता के विरूद्ध विद्रोह किया हो, बागी ---> राजदुरोहि <br> <br>
'''राजधानी''' -- किसी राज्य का वह नगर जो उसका शासन केन्द्र हो ---> राजदानि तलै नगरम् <br> <br>
'''राजनीति''' -- वह नीति या पद्धति जिसके द्वारा किसी राज्य प्रशासन किया जाता है (स्टेट्मैनशिप); गुटों, बर्गों आदि की पारस्परिक स्पर्धा वाली स्वार्थपूर्ण नीति (पालिटिक्स) ---> राज तन्दिरम; अरशियल् <br> <br>
'''राजभाषा''' -- किसी देश की वह भाषा जो राजकार्यों तथा न्यायालयों आदि के प्रयोग में आती हो ---> आट्चि मॊऴि <br> <br>
'''राजमार्ग''' -- मुख्य मार्ग, राजपथ ---> राज पाट्टै, नेडुम् पादै <br> <br>
'''राजस्व''' -- वह धन जो एक राजा या राज्य को आधिकारिक रूप से मिलता हो ---> वरि <br> <br>
'''राजा''' -- वह व्यक्ति जो किसी राज्य या भूखण्ड का पूरा मालिक हो, नृपति, भूपति ---> राजा, अरशन् <br> <br>
'''रात्रि''' -- रात, निशा ---> रात्तिरि, इरवु <br> <br>
'''राशि''' -- किसी पदार्थ का समूह ; गणित में कोई ऐसी संख्या जिसके संबंध में जोड़, गुणा, भाग आदि क्रियाऍ की जाती हैं ; ज्योतिष शास्त्र के अन्तर्गत क्रांति वृत्त में पड़ने वाले 12 तारा समूहों में से कोई एक ---> कुवियळ्; तॊगै; 12 राशिगळिळ् ओन्रु॒ (जोदिडम्) <br> <br>
'''राष्ट्र''' -- राज्य, देश, किसी निश्चित और विशिष्ट क्षेत्र में रहने वाले लोग जिनकी भाषा और रीति-रिवाज एक से होते हैं ---> देशम्, नाडु <br> <br>
'''राष्ट्रगान''' -- किसी राष्ट्र या देश का मान्यता प्राप्त विशिष्ट गीत जो राष्ट्रीय उत्सवों पर गाया जाता हो ---> देशीय गीतम्, नाट्टुप्पण् <br> <br>
'''राष्ट्रध्वज''' -- किसी भी एक राष्ट्र या देश का मान्यता प्राप्त विशिष्ट झंडा ---> देशीय-क्-कोड़ि <br> <br>
'''राष्ट्रभाषा''' -- राष्ट्र की ऐसी भाषा जिसका प्रयोग उसके निवासी सार्वजनिक कामों के लिए करते हों ---> देशीय मॊऴि <br> <br>
'''राष्ट्र मंडल''' -- ब्रिटेन तथा ऐसे स्वतंत्र राष्ट्रों का मंडल, जो कभी ब्रिटेन के अधीन थे (कामनवेल्थ) ---> रामनवॆलत्तु, नाडुगळिन् कुळु <br> <br>
'''राष्ट्रवादी''' -- राष्ट की उन्नति और सम्पन्नता में विश्वास रखने वाला व्यक्ति; राष्ट्रवाद से संबंधित ---> देशीय वादि <br>
'''राष्ट्रीकरण''' -- राष्ट्रीय या सरकारी अधिकार क्षेत्र में लेने की क्रिया या भाव ---> देशीय मय माक्कुदल् <br> <br>
'''रास्ता''' -- मार्ग, पथ ---> रस्ता, वऴि <br> <br>
'''रिमझिम''' -- फुहार पड़ना, छोटी-छोटी बूंदों का बरसना ---> मऴैत्तूरल् <br> <br>
'''रिवाज''' -- प्रथा, चलन ---> वऴक्कम्, संपिरदायम् <br> <br>
'''रिश्वत खोरी''' -- घूस लेने की क्रिया ---> लंचम्, ऊऴलू <br> <br>
'''रीझना''' -- मोहित होना, किसी पर प्रसन्न होना ---> मयंगि विड <br> <br>
'''रीति''' -- प्रथा, रिवाज; काम करने का विशिष्ट ढंग या तरीका, कायदा ---> वऴक्कम्; सॆयल् मुरै॒ <br> <br>
'''रुकना''' -- ठहरना, थमना ---> तंग, तडैपड <br> <br>
'''रुकावट''' -- विघ्न, बाधा, अटकाव ---> तंगुतडै <br> <br>
'''रुचना''' -- रुचि के अनुकूल प्रतीत होना, अच्छा लगना, भाना ---> मनदुक्कु-प् पिडिक्क <br> <br>
'''रुचि''' -- इच्छा; दिलचस्पी ---> इच्चै, सुवै; विरुप्पम् <br> <br>
'''रुपया''' -- सौ पैसे के मूल्य का सिक्का या नोट ---> रूबाय् <br> <br>
'''रुष्ट''' -- रोष से भरा हुआ, क्रुद्ध ; रूठा हुआ, अप्रसन्न ---> कोबमडैन्द; कोषमाह <br> <br>
'''रूखा''' -- जिसमें चिकनाहट का अभाव हो ; शुष्क, नीरस ---> वरण्ड; सुवैयट॒ट॒ <br> <br>
'''रूठना''' -- रुष्ट या अप्रसन्न होना; ---> कोबिक्क, ऊडल् कॊळ्ळ; <br> <br>
'''रूढ़ि''' -- परम्परा से चली आई कोई ऐसी प्रथा जिसे साधारणतया सभी लोग मानते हों ---> परंपरै, वऴक्कम् <br> <br>
'''रूपक''' -- ऐसी साहित्यिक रचना जिसका अभिनय हो सके, नाटक ; साहित्य में एक प्रकार का अर्थालकांर (मेटाफर) ---> शिरु॒नाड़गमं; उरुवणि <br> <br>
'''रूप रेखा''' -- रेखाओं द्वारा ऐसा अंकन जिससे किसी के रूप का स्थूल ज्ञान होता हो (स्केच); किसी कार्य या बात का संक्षिप्त रूप (आउटलाइन) ---> उरु वरै वम्; तिट्ट उरु वरै <br> <br>
'''रूपान्तर''' -- रूप-परिवर्तन ---> उरु माट॒ट॒म् <br> <br>
'''रेंगना''' -- पेट के बल खिसकना (टू क्रॉल, क्रीप) ---> तवऴ <br> <br>
'''रेखागणित''' -- ज्यामिति (जिआमिट्री) ---> क्षेत्तिर गणितम, वरै गणितम् <br> <br>
'''रेखाचित्र''' -- केवल रेखाओं से बनाया गया कोई चित्र या आकृति (स्केच) ---> कोडुगळाळ् वरैन्द पडम् <br> <br>
'''रेज़गारी''' -- छोटे सिक्के, छुट्टा (चेंज) ---> शिल्ल रै ककाशु <br> <br>
'''रेत''' -- बालू ---> मणल् <br> <br>
'''रेलगाड़ी''' -- भाप, बिजली आदि की सहायता से लोहे की पटरियों पर चलने वाली गाड़ी (रेलवे ट्रेन) ---> पुगै वंडि, रयिल् वंडि <br> <br>
'''रोक''' -- प्रतिबंध (बैन) ; रोकने (बाधा डालने या निषेध करने) की क्रिया या भाव ---> तडै, तडुप्पु; तडुत्तल् <br> <br>
'''रोकथाम''' -- किसी प्रवृत्ति, रोग आदि के उन्मूलन तथा प्रसार आदि को रोकने के उपाय ---> तडुप्पु <br> <br>
'''रोग''' -- बीमारी ---> वियादि, नोय् <br> <br>
'''रोचक''' -- रुचाने या अच्छा लगने वाला, मनोरंजक ---> रूचिकरमान्, मनदुक्कु इनिय <br> <br>
'''रोज़गार''' -- धंधा, पेशा, आजीविका का साधन ---> तॊऴिळ् उद्दियोगम् <br> <br>
'''रोना''' -- आंसू बहाना, रुदन करना ---> अऴ् <br> <br>
'''रोम''' -- शरीर पर के बाल, रोंआं ---> रोमम् <br> <br>
'''रोली''' -- हल्दी और चूने के योग से बना एक प्रकार का चूर्ण जिससे तिलक लगाया जाता है ---> कुंमुमम् <br> <br>
'''रोशनदान''' -- गवाक्ष, वातायन ---> साळरम्, कात्तुवारि <br> <br>
'''रोष''' -- क्रोध, गुस्सा, कोप ---> रोषम्, कोबम् <br> <br>
'''रौंदना''' -- किसी चीज को पैरों तले पीसना, कुचलना ---> कालाल, नशुक्क <br> <br>
'''रौनक''' -- चमक-दमक, शोभा ; चहल-पहल, जमघट ---> पहट्टु मिनुप्पु; विमरिशै <br> <br>
'''लंगड़ाना''' -- लंगड़ा कर चलना ---> नोण्ट <br> <br>
'''लंगर''' -- लोहे का बहुत भारी कांटा जिसे नदी, समुद्र आदि में गिरा कर जहाज आदि को रोक कर स्थिर किया जाता है; वह स्थान जहाँ पका हुआ भोजन गरीबों व आगुन्तुकों में बांटा जाता है तथा इस प्रकार बांटा जाने वाला भोजन ---> नंगूरम्; अन्नदान, शत्तिरम् <br> <br>
'''लंपट''' -- कामी, विषयी ---> कामवॆरि॒ कोण्ड <br> <br>
'''लंबा''' -- जो अधिक ऊँचा हो ; अधिक विस्तार वाला, दीर्घकायिक ---> नीळमान, मिग उरयमान; नीडकालत्तिय <br> <br>
'''लकड़ी''' -- कटे पेड़ का कोई भी सूखा भाग, शाख टहनी आदि ---> मरक्कट्टै <br> <br>
'''लकीर''' -- रेखा (लाइन) ---> कोडु <br> <br>
'''लक्षण''' -- किसी वस्तु या व्यक्ति में होने वाला कोई ऐसा गुण या विशेषता जो सहसा औरों में दिखाई न देती हो (फीचर्ज़, केरेक्टरिसटिक्स); शरीर में दिखाई पड़ने वाले वे चिह्न आदि जो किसी रोग के सूचक हों या सामुद्रिक के अनुसार शुभाशुभ के सूचक हों ---> लक्षणम्, विशेष गुणम्; उडलिल् काणप्पडुम् अडैयाळंगळ् <br> <br>
'''लक्षणा''' -- वह शब्द शक्ति जो सामान्य अर्थ से अन्य अर्थ प्रकट करती हो ---> मरै॒पॊरुळ् अणि <br> <br>
'''लक्ष्मण-रेखा''' -- ऐसी रेखाकार सीमा जो किसी प्रकार लांघ कर पार न की जा सकती हो ---> ताण्डक् कूडाद ऎल्लैक् कोडु <br> <br>
'''लक्ष्मी''' -- धन-सम्पत्ति, दौलत ; शोभा, श्री ---> सॆलवम्; अळहु <br> <br>
'''लक्ष्य''' -- निशाना ; अभीष्ट वस्तु, उद्देश्य ---> कुरि॒; कुरि॒क्कोळ् <br> <br>
'''लखपति''' -- लाखों रुपये का मालिक, बहुत अमीर व्यक्ति ---> लक्षादिपदि <br> <br>
'''लगन''' -- मन का किसी ओर लगना, धुन, लौ; विवाह या अन्य शुभ कार्य का महूर्त्त ---> मनप्पट॒ट॒ ऊक्कम्; नल्ल, नेरम् <br> <br>
'''लगान''' -- सरकार को मिलने वाला भूमि कर, भूकर ---> निलवरि <br> <br>
'''लगाना''' -- जोड़ना, संलग्न करना ; रोपना ---> इणैक्क; नड <br> <br>
'''लगाम''' -- बाग, रास ---> लगान, कडिवाळम् <br> <br>
'''लगाव''' -- स्नेह ; दिलचस्पी ---> अन्बु, पट॒ट॒; अक्करै <br> <br>
'''लघुतम''' -- सबसे छोटा ---> मिगच्चिरि॒य <br> <br>
'''लचकना''' -- दबाव आदि पड़ने के कारण किसी लंबीं चीज का मध्य भाग पर से कुछ झुकना या मुड़ना ; चलते समय कमर का थोड़ा झुकना या मुड़ना ---> तुवऴ वळैन्दु कॊडुक्क; कून् विऴ <br> <br>
'''लजाना''' -- लाज या शर्म से सिर नीचा करना, शर्माना, लज्जित होना ---> वॆट्कप्पड <br> <br>
'''लज्जा''' -- लाज, शर्म, हया ---> वेट्कम्, नाणम् <br> <br>
'''लटकना''' -- ऊँची जगह से नीचे की ओर अवलम्बित होना ; काम पूरा न होना, देर होना ---> तॊंग; वैलै तामदप्पड <br> <br>
'''लट्टू''' -- लकड़ी का एक खिलौना जिसके मध्य में कील जड़ी रहती है जो चलाए जाने पर उक्त कील पर घूमने या चक्कर लगाने लगता है (स्पिनिंग टॉप) ---> पंबरम् <br> <br>
'''लड़कपन''' -- बाल्यवस्था, बचपन ; बचकाना आचरण ---> पिळ्ळैप्परुवम्; सिरु॒ पिळ्ळैत्तनम् <br> <br>
'''लड़का''' -- बालक, जो अभी युवक न हुआ हो; पुत्र ---> पैयन्; मगन् <br> <br>
'''लड़खड़ाना''' -- चलते समय सीधे न रह सकने के कारण इधर-उधर झुकना, डगमगाना ---> तळ्ळाड <br> <br>
'''लड़ना''' -- लड़ाई करना, भिड़ना, झगडना ---> शण्डैयिड <br> <br>
'''लता''' -- जमीन पर या किसी आधार पर फैलने वाला पौधा, बेल ---> कॊडि <br> <br>
'''लदना''' -- बोझ या भार से युक्त होना ---> शुमै एट॒ट॒प्पड <br> <br>
'''लपकना''' -- सहसा तेजी से या फुर्ती से आगे बढ़ना; फैंकी गई किसी वस्तु को जमीन पर गिरने से पूर्व पकड़ लेना ---> मेले पाय, विरैन्दु मुन्नेर॒; पिड़िक्क <br> <br>
'''लपट''' -- आग की लौ, ज्वाला ---> तीप् पिऴंबु, जुवालै <br> <br>
'''लपेटना''' -- सूत, कपड़े आदि को किसी चीज़ के चारों ओर फेरा देकर बांधना ---> सुट॒ट॒ <br> <br>
'''लय''' -- एक वस्तु का दूसरी में विलीन होना, समा जाना; स्वर के आरोह-अवरोह का ढंग ---> ऒन्रि॒ विडुदल्; लयम् (इशैयिल्) <br> <br>
'''ललकार''' -- लड़ने के लिए प्रतिपक्षी को दी गई चुनौती ---> अरै॒कूवल् <br> <br>
'''ललकारना''' -- विपक्षी को लड़ने की चुनौती देना ---> अरै॒कूव <br> <br>
'''ललचाना''' -- कोई चीज देखकर किसी के मन में लोभ का भाव जाग्रत होना ---> आशै काट्ट <br> <br>
'''ललाट''' -- माथा ; भाग्य ---> नॆट॒टि॒; विदि, तलैऎळुत्तु <br> <br>
'''ललित''' -- मनोहर, सुंदर ---> अऴगान <br> <br>
'''लहर''' -- हिलोर, मौज, तरंग (वेव) ---> अलै <br> <br>
'''लहराना''' -- हवा के झोंकों से हिलना डुलना ---> अलै वीश, काट॒टि॒ल असैय <br> <br>
'''लहलहाना''' -- हरा भरा होना, पनपना ---> पसुमै नॆळिय <br> <br>
'''लहू-लुहान''' -- खून से तर-बतर ---> रत्तक्कळरियान <br> <br>
'''लांघना''' -- डम भर कर या छलांग लगाकर पार करना, फांदना ---> तांडिच्चॆल्लल्, तांडुदल् <br> <br>
'''लांछन''' -- चरित्र पर धब्बा, कलंक ---> माशु, कळंगम् <br> <br>
'''लाख''' -- जो संख्या में सौ हज़ार हो; सौ हजार की अंकों में सूचक संख्या - 1,00,000 ---> लक्षम् <br>
'''लागत''' -- किसी पदार्थ के निर्माण में होने वाला खर्च ---> अडक्क शॆलवु <br> <br>
'''लाचारी''' -- मजबूरी, असमर्थता, विवशता ---> वलुक्कट्टायम् वेरुवऴियिन्मै <br> <br>
'''लाड़-प्यार''' -- प्रेम पूर्ण व्यवहार, दुलार ---> शेल्लम् कॊंजल् <br> <br>
'''लाभ''' -- प्राप्ति, लब्धि ; फायदा, नफा ---> किडैत्तल; लाबम् <br> <br>
'''लाभदायक''' -- जो लाभ कराता हो, लाभ देने वाला हो ---> लाबकरमान <br> <br>
'''लाभांश''' -- लाभ का वह अंश जो हिस्सेदारों को लगाई गई पूंजी के अनुपात में मिलाता हो (डिविडेन्ड) ---> लाबत्तिन् पगुदि <br> <br>
'''लाल''' -- छोटा और प्रिय बालक, प्यारा बच्चा, पुत्र, बेटा; माणिक नामक रत्न; रक्तवर्ण का, सुर्ख ---> अन्बु मगन्; माणिक्कम्; शिवन्द <br> <br>
'''लालच''' -- कोई वस्तु पाने की बहुत बड़ी इच्छा, लोभ ---> पेराशै <br> <br>
'''लालटेन''' -- हाथ में लटकाने योग्य चिमनीदार लैंप, कंडील ---> लान्दर् विळक्कु <br> <br>
'''लाश''' -- किसी प्राणी का मृत शरीर, शव ---> पिणम् <br> <br>
'''लिपि''' -- किसी भाषा के ध्वनि अक्षरों का समूह जो लिखनें में प्रयुक्त होता है (स्क्रिप्ट) ---> मॊऴियिन् ऎळुत्तुगळ् <br> <br>
'''लीन''' -- जो किसी में समा गया हो ; जो किसी काम में इस प्रकार लगा हुआ हो कि उसे और बातों का ध्यान न रहे, तन्मय ---> आऴ्न्द ईडुपट्ट; लयित्तुप्पोन <br> <br>
'''लीपना''' -- किसी वस्तु पर गाढ़े या पतले तरल पदार्थ का लेप करना ---> लेऴुग, पूस <br> <br>
'''लुटेरा''' -- लूटने वाला, डाकू ---> कॊळ्ळैक्कारन् <br> <br>
'''लुभाना''' -- आकृष्ट, मोहित या रागयुक्त होना, लालच में पड़ना ---> वशीकरिक्क, आशैप्पड <br> <br>
'''लू''' -- गीष्म ऋतु में चलने वाली बहुत गर्म हवा ; ग्रीष्म ऋतु में गर्म हवा लग जाने से होने वाली एक बीमारी ---> अनल् काट॒ट॒; कडुमैयान <br> <br>
'''लूट''' -- जबरदस्ती छीनने की क्रिया ; लूट से मिलने वाला धन या सम्पत्ति ---> कॊळ्ळैयडित्तल्; कॊळ्ळै अडित्त पॊरूल् <br> <br>
'''लेकिन''' -- परन्तु, किन्तु, मगर ---> आनाल् <br> <br>
'''लेखक''' -- पत्र-पत्रिका आदि के लिए लेख लिखने वाला या साहित्यिक ग्रंथ लिखने वाला ---> ऎळुत्ताळर् (नूल) आशिरियर् <br> <br>
'''लेखा-जोखा''' -- हिसाब-किताब ---> कणक्कुविवरम् <br> <br>
'''लेटना''' -- विश्राम करने के लिए लंबाई के बल पड़े रहना, पौढ़ना ---> पडुक्क <br> <br>
'''लेन-देन''' -- किसी को कुछ देने और उससे कुछ लेने का व्यवहार ; उधार लेने-देने का व्यवहार ---> कोडुक्कल् वांगल्; कडन् कॊडुक्कुम् तॊळिल् <br> <br>
'''लेना''' -- थामना, पकड़ना ; खरीदकर या उधार के रूप में प्राप्त करना ---> ऎडत्तुक्कॊळ्ळ पिडिक्क; विलैक्कुवांग, कडनागप्पॆर <br> <br>
'''लेप''' -- गीली या धोली हुई चीज जो किसी दूसरी चीज पर पोती जाने को हो ; शरीर पर लगाया जाने वाला उबटन आदि ---> पूच्चु; नलुंगुप्पोडि <br> <br>
'''लोक कथा''' -- लोक विशेषत: ग्राम्य लोगों में प्रचलित कोई प्राचीन गाथा (फोक टेल) ---> नाडोडिक्कदै <br> <br>
'''लोककला''' -- अंचल विशेष में परम्परागत प्रचलित नृत्य, गीत आदि कलाएँ ---> परंपरैयाग वन्द कलैगळ् <br> <br>
'''लोकगीत''' -- जनसाधारण में प्रचलित गीत (फ़ोक सौंग) ---> नाट्टुप्पाडल् <br> <br>
'''लोकप्रिय''' -- जो जनसाधारण को प्रिय हो ---> पॊदु मक्कलुक्कुप् पिडित्त <br> <br>
'''लोक संगीत''' -- परम्परा से चला आया वह संगीत जो लोक में प्रचलित हो (फोक म्युजिक) ---> नाडोडि इशै <br> <br>
'''लोकापवाद''' -- लोक निंदा, बदनामी ---> अवदूरु॒, पऴिच्चोल् <br> <br>
'''लोकोक्ति''' -- लोक में प्रचलित बात, कहावत ---> पऴ मोंऴि <br> <br>
'''लोभ''' -- दूसरे की वस्तु की प्रबल कामना या लालसा, लालच ---> पेराशै <br> <br>
'''लोरी''' -- बच्चो को सुलाने के लिए गाए जाने वाले गीत ---> तालाटटु <br> <br>
'''लोहा''' -- प्राय: काले रंग की एक प्रसिद्ध धातु जिससे अनेक प्रकार के अस्त्र उपकरण, यन्त्र आदि बनाए जाते हैं (आयरन) ---> इरुं॒बु <br> <br>
'''लौ''' -- आग की लपट, ज्वाला ; लगन, धुन ---> तीक्कॊळुन्दु जुबालै; ईडुपाडु <br> <br>
'''लौकिक''' -- सांसारिक ---> उलग <br> <br>
'''लौटना''' -- वापस आना या जाना ; पीछे की ओर घूमना, मुड़ना ---> तिरुंबिवर; पिन् पक्कम् तिरुंब <br> <br>
'''वंश''' -- जीव या प्राणी की संतान परम्परा, कुल, खानदान ---> वमिशम्, कुलम् <br> <br>
'''वंशज''' -- वंश विशेष में उत्पन्न संतान ---> कुलत्तोर् <br> <br>
'''वंशावली''' -- किसी वंश में उत्पन्न पुरुषों की पूर्वोंत्तर क्रम-सूची ---> वंश-परंपरै, वमिशावळि <br> <br>
'''वकालत''' -- वकील का काम या पेशा ; अन्य व्यक्ति द्वारा किसी के पक्ष का किया जाने वाला मंडन, पक्ष समर्थन ---> वक्कील् तॊऴिल्; वक्कालत्तु <br> <br>
'''वचन-बद्ध''' -- जिसने किसी को कोई काम करने या न करने का वचन दिया हो ---> वाक्कुक्कु कट्टुप्पट्ट <br> <br>
'''वध''' -- अस्त्र-शस्त्र से की जाने वाली हत्या ---> वदम्, कोल्लुदल् <br> <br>
'''वधू''' -- ऐसी कन्या जिसका विवाह हो रहा हो, अथवा हाल में हुआ हो, दुलहन ; पत्नी ---> मणप्पॆण्; मनैवि <br> <br>
'''वनवास''' -- वन का निवास, जंगल में रहना ---> वन वासम् काट्टिल् वशित्तल् <br> <br>
'''वनस्पति''' -- जमीन से उगने वाले पेड़ पौधे, लताएँ आदि ---> तावरम् <br> <br>
'''वनिता''' -- औरत, स्त्री ---> मंगै <br> <br>
'''वयस्क''' -- शारीरिक दृष्टि से जिसका विकास पूर्णता पर पहुँच चुका हो अथवा यथेष्ट हो चुका हों, प्रौढ़; विधिक दृष्टि से आयु विशेष का वह व्यक्ति जिसे निर्वाचन में मत देने, अपनी संपत्ति की व्यवस्था करने, कानूनी विवाह करने आदि का अधिकार प्राप्त होता है, बालिग ---> मयदुवन्द; मेजरान <br> <br>
'''वर''' -- वह जो किसी कन्या के विवाह के लिए उपयुक्त पात्र माना या समझा गया हो ; नव विवाहित स्त्री का पति, दुल्हा ; वरदान ---> वरन्; मण मगन्; वरम् <br> <br>
'''वरदान''' -- देवता, महापुरुष आदि के द्वारा दिया हुआ वर, किसी की कृपा या प्रसन्नता से हाने वाली फलसिद्धि ---> वरम् कॊडुत्तल् <br> <br>
'''वर्ग''' -- स्वजातीय या समान-धार्मियों का समूह, श्रेणी; कुछ विशिष्ट कार्यो के लिए बना हुआ कुछ लोगों का समूह, दल ---> वगुप्पु; पिरिवु <br> <br>
'''वर्गीकरण''' -- गुण-धर्म, रंग-रूप, आकार-प्रकार आदि के आधार पर वस्तुओं आदि के भिन्न-भिन्न वर्ग बनाना ---> परप्पिरिवनै इनवारियाह पिरित्तल् <br> <br>
'''वर्णन''' -- किसी विशिष्ट अनुभूति, घटना दृश्य, वस्तु व्यक्ति आदि के संबंध मे विस्तार पूर्ण कथन ---> वर्णनै <br> <br>
'''वर्णमाला''' -- किसी लिपि के वर्णों या अक्षरों की यथाक्रम सूची ---> मॊऴियिन् ऍऴुत्तु वरिशै <br> <br>
'''वर्तमान''' -- जो इस समय अस्तित्व या सत्ता में हो अथवा लागू हो ; उपस्थित, प्रस्तुत, विद्यमान ---> निगऴ् कालत्तिय <br>
'''वर्षगांठ''' -- जन्म की तिथि के बाद प्रतिवर्ष पड़ने वाला दिवस, जन्मदिन, साल गिरह ---> पिर॒न्द नाळ् <br> <br>
'''वसीयत''' -- वह लिखित आदेश जिसमें लेखक की अनुपस्थिति में या मृत्यु के उपरान्त उसकी संपत्ति का वारिस अमुक व्यक्ति या अमुक संस्था होगी ; उक्त आशय का लिखा हुआ आदेश पत्र, वसीयत-नामा, इच्छापत्र ---> उयिल्; उयिल् <br> <br>
'''वसुन्धरा''' -- पृथ्वी ---> बूमि <br> <br>
'''वसूली''' -- वसूल करने की क्रिया या भाव, उगाही ---> वसूलित्तल् <br> <br>
'''वस्तु''' -- गोचर पदार्थ, चीज़ ---> वस्तु पॊरुळ् <br> <br>
'''वस्त्र''' -- ऊन, रुई, रेशम आदि के कपड़े ---> तुणि <br> <br>
'''वह''' -- बात चीत में दूर स्थित या परोक्ष व्यक्ति या पदार्थ को संकेत का शब्द ---> अवन्, अदु, अवळ्, अन्द <br> <br>
'''वहाँ''' -- उस स्थान में, उस जगह ---> अंगे <br> <br>
'''वांछनीय''' -- जिसकी वांछा या कामना की गई हो या की जाने वाली हो ---> विरुंबत्तक्क <br> <br>
'''वांछित''' -- चाहा हुआ, इच्छित ---> बिरुंबिय <br> <br>
'''वाङ्मय''' -- लिपिबद्ध विचारों का समस्त संग्रह या समूह, साहित्य ---> इलक्कियम् <br> <br>
'''वाणिज्य''' -- बहुत बड़े पैमाने पर होने वाला व्यापार ---> वणिगम् <br> <br>
'''वाणी''' -- मुँह से निकलने वाली सार्थक बात, वचन, स्वर ; जिह्वा, जीभ ; सरस्वती ---> शॊल, कुरल्; नाक्कु; कलैमगळ्, सरस्वति <br> <br>
'''वातानुकूलन''' -- यांत्रिक या वैज्ञानिक प्रक्रिया से ऐसी व्यवस्था करना कि किसी घिरे हुए स्थान के तापमान पर उसके बाहर के तापमान का प्रभाव न पड़ने पाए अर्थात् उस स्थान के अंदर की गर्मी या सर्दी नियंत्रित और नियमित रहे (एयर कंडिशनिंग) ---> कुळ्रि पदप् पडुत्तल् <br> <br>
'''वातावारण''' -- वायु की वह राशि जो पृथ्वी, ग्रह आदि पिंडों को चारो ओर से घेरे रहती है, वायुमंडल ; परिस्थिति, पर्यावरण ---> वायु मण्डलम् काट॒ट॒ मण्डलम्; सूळ्रनिलै <br> <br>
'''वात्सल्य''' -- माता-पिता के हृदय में होने वाला अपने बच्चों के प्रति नैसर्गिक प्रेम ---> कुऴन्दैगळिडम्, काट्टुम अन्बु <br> <br>
'''वाद-विवाद''' -- खंडन-मंडन, तर्क-वितर्क, वाद-विवाद ---> वाक्कुवादम् <br> <br>
'''वादी''' -- वह जो न्यायालय में किसी के विरुद्ध कोई अभियोग उपस्थित करे, फरियादी ---> वादि <br> <br>
'''वायु''' -- हवा, वात ---> काट॒ट॒ <br> <br>
'''वायुमार्ग''' -- हवाई मार्ग, विमान मार्ग ---> विण् वऴि, आगाय विमान वऴि <br> <br>
'''वायु सेना''' -- देश के वायुमार्गों की रक्षा करने वाली सेना, हवाई सेना ---> विमानप्पडै <br> <br>
'''वार्तालाप''' -- बातचीत, कथोपकथन, संवाद ---> उरैयाडल् <br> <br>
'''वार्षिक''' -- प्रतिवर्ष होने वाला, एक वर्ष के बाद होने वाला ; एक वर्ष तक चलता रहने वाला ---> वरुडान्दिर; वरुडम् मुळुदुम नडक्किर॒ <br> <br>
'''वाष्प''' -- भाप ---> नीरावि <br> <br>
'''वास्तविक''' -- जो वास्तव में हो, यथार्थ, सत्य ---> वास्तवमान् उण्मैयान <br> <br>
'''वाहन''' -- ऐसा साधन जिस पर चढ़कर लोग कहीं आते जाते हों ---> वाहनम्, सवारि, वण्डि <br> <br>
'''विकराल''' -- भीषण आकृति वाला, डरावना ---> बयंगरमान <br> <br>
'''विकल''' -- बेचैन, व्याकुल ---> मन अमैदियट॒ट॒ <br> <br>
'''विकास''' -- प्रसार, अभिवृद्धि, उन्नति ---> मलीर्च यळर्चि, मुन्नेट॒ट॒म् <br> <br>
'''विक्रम''' -- पौरुष, बल, वीरता, पराक्रम ---> पराक्किरमम्, वीरम् <br> <br>
'''विख्यात''' -- प्रसिद्ध, मशहूर ---> पिरसिद्दि पॆट॒ट॒, पुगऴ् पॆट॒ट॒ <br> <br>
'''विचार''' -- मन ही मन तर्क-वितर्क करके कुछ सोचने या समझने की क्रिया या भाव, मनन, चिंतन ; मत, राय, धारणा ---> ऎण्णम्; करुत्तु <br> <br>
'''विचार-विमर्श''' -- किसी समस्या पर विचारों का आदान-प्रदान, सलाह-मशवरा ---> करुत्तुप-परिमाट॒ट॒म् आलोचनै <br> <br>
'''विचित्र''' -- साधारण से भिन्न, अद्भुत, अनोखा ---> विचित्तिरमान, अदिशयमान <br> <br>
'''विजय''' -- शत्रु या प्रतिस्पर्धी को हराने का भाव, जीत; सफलता, कामयाबी ---> वेट॒टि॒; जयम् <br> <br>
'''विजेता''' -- जीतने वाला, विजयी ---> जयित्तवन् वॆट॒टि॒ पॆट॒टि॒वन् <br> <br>
'''विज्ञान''' -- आविष्कृत सत्यों तथा प्राकृतिक नियमों पर आधारित क्रमबद्ध तथा व्यवस्थित ज्ञान ---> विञ्ञानम् <br> <br>
'''विज्ञापन''' -- प्रचार तथा बिक्री आदि के उद्देश्य से पत्रिकाओं आदि में प्रकाशित कराई जाने वाली सूचना; प्रचार आदि के उद्देश्य से बांटी जाने वाली सामग्री, इश्तहार ---> विळंबरम्; विञ्ञापनम् <br> <br>
'''विडंबना''' -- क्रूर परिहास ; असंगति ---> केलि, परिहासम; पॊरुन्दामै <br> <br>
'''वितरण''' -- बांटना, देना ---> पंगीडु, पगिर्न्दु कोडुत्तल् <br> <br>
'''विदूषक''' -- अपने वेश, चेष्टा, बातचीत आदि से अथवा ढोंग रचकर और दूसरों की नकल उतार कर लोगों को हंसाने वाला, मसखरा, नाटकों में इस प्रकार का पात्र ---> विदूषकन् कोमाळि <br> <br>
'''विदेश''' -- स्वदेश से भिन्न कोई दूसरा देश ---> वॆळिनाडु <br> <br>
'''विद्या''' -- अध्ययन, शिक्षा आदि से अर्जित किया जाने वाला ज्ञान; किसी तथ्य या विषय का विशिष्ट और व्यवस्थित ज्ञान ---> कल्वि, अरि॒वु; आऴ्न्द अरि॒वु पुलमै <br> <br>
'''विद्यालय''' -- शिक्षण संस्थान (स्कूल) ---> पळ्ळिळ्कूडम् <br> <br>
'''विद्युत''' -- बिजली ---> मिन्सारम् <br> <br>
'''विद्रोह''' -- राज्य या शासन के विरुद्ध किया जाने वाला आचरण और व्यवहार, उपद्रव ---> पुरट्चि <br> <br>
'''विधर्मी''' -- अपने धर्म के विपरीत आचरण करने वाला, धर्म भ्रष्ट; दुसरे धर्म का अनुयायी ---> मदतै अवमदिप्पवन्; वेरु॒मदत्तवर् <br> <br>
'''विनती''' -- विनीत भाव से की जाने वाली प्रार्थना अनुनय-विनय ---> वेण्डु कोळ् <br> <br>
'''विनय''' -- विनम्रता और सौजन्य ; नम्रतापूर्वक की जाने वाली प्रार्थना या विनती ---> अडक्कम् नर्पण्बु; वेण्डु कोळ् <br> <br>
'''विनीत''' -- जिसमें विनय हो, विनयी, नम्र, सुशील और शिष्ट ---> अडक्कमुळ्ळ, पणिबुल्ळ <br> <br>
'''विनोद''' -- मन-बहलाव, मनोरंजन ; हंसी-ठट्ठा ---> मन मगिऴ्चि; वेडिक्कै <br> <br>
'''विपक्ष''' -- विरोधी पक्ष या दल ---> ऎदिर्कट्चि <br> <br>
'''विपुल''' -- संख्या या परिमाण में बहुत अधिक ---> मिग अदिगमान <br> <br>
'''विमल''' -- मल-रहित, निर्मल, साफ, दूषण रहित ---> माशट॒ट॒, तूय, शुद्दमान <br> <br>
'''विमोचन''' -- बंधन आदि खोलकर मुक्त करना, छुड़ाना या छोड़ना ; प्रकाशनोद्घाटन ---> अविऴ्त्तु विडुदल्; पुत्तग वॆळियीडु <br> <br>
'''वियोग''' -- ऐसी अवस्था जिसमें दो जीव विशेषत: प्रेमी एक दूसरे से दूर हों और इस प्रकार उनमें मिलन न होता हो, विप्रलंभ ; उक्त अवस्था के फलस्वरूप पेमियों को होने वाला कष्ट ---> कादलरिन् पिरिवु; पिरिवाट॒टा॒मै <br> <br>
'''विराट''' -- बहुत बड़ा या व्यापक ---> मिगप्पॆरिय, नन्गु परविय <br> <br>
'''विराम''' -- क्रिया, गति, चाल आदि में होने वाला अटकाव, ठहराव या पड़ाव ; वाक्य की समाप्ति पर लगाया जाने वाला रुकने का चिह्न, पूर्णविराम ; विश्राम, आराम ---> इडैवेळि; मुट॒ट॒प्पुळ्ळि; ओय्वु <br> <br>
'''विरोध''' -- किसी कार्य या प्रयत्न को रोकने या विफल करने के लिए विपरीत होने वाला प्रयत्न, विपरीतता ---> विरोदम्, ऎदिर्प्पु <br> <br>
'''विलंब''' -- ऐसी स्थिति जिसमें अनुमान, आवश्यकता, औचित्य से अधिक समय लगे, देर, देरी ---> तामदम् <br> <br>
'''विलय''' -- एक पदार्थ का अथवा राज्य का किसी दूसरे पदार्थ या राज्य में घुलना-मिलना, विलीन होना; सृष्टि का नष्ट होकर अपने मूल तत्त्वों में मिल जाना, प्रलय अथवा ध्वंस, नाश ---> ऒन्रि॒विडुदल; पडैप्पिन अऴिवु <br> <br>
'''विलास''' -- अधिक मूल्य की और सुख-सुभीते की वस्तुओं का ऐसा उपयोग या व्यवहार जो केवल मन प्रसन्न करने के लिए हो, शौकीनी ; अनुराग तथा प्रेम में लीन होकर की जाने वाली क्रीड़ा, सुखोपभोग, विषयानंद ---> केळिक्कै वाऴ्क्कै, इन्ववाऴ्क्कै; सिट॒टि॒न्बम् <br> <br>
'''विलीन''' -- जो अपनी स्वतन्त्र सत्ता खोकर दूसरे में मिल गया हो ; गायब, लुप्त, अदृश्य ---> मट॒ट॒ पोरुळडन इयैन्दुविट्ट; मरै॒न्दुपोन <br> <br>
'''विलोम''' -- समान्य क्रम से न होकर विपरीत क्रम से होने वाला; विपरीत अर्थ वाला ---> वरिशै मुरैक्कु ऎदिरान; ऎदिररिडैयान पॊरूळ् <br> <br>
'''विवश''' -- मजबूर, बाध्य, लाचार ---> तन् वश मट॒ट॒, कट्टाय-प्पडुत्तप्पट्ट <br> <br>
'''विवाद''' -- कहा-सुनी, तकरार ; पारस्परिक मतभेद ---> तकरारू; करुत्तु वेट॒ट॒मै <br> <br>
'''विवाह''' -- शादी, पाणिग्रहण ; उक्त के अवसर पर होने वाला उत्सव या धार्मिक कृत्य ---> तिरुमणम्; तिरुमण विऴा, कल्याणम् <br> <br>
'''विवेक''' -- सत् और असत् का निर्णय करने वाली बुद्धि, सुबुद्धि ---> पगुत्तरि॒वु <br> <br>
'''विशाल''' -- बड़ा, बृहद्; भव्य, शानदार ---> विशालमान, अऴगान <br>
'''विशिष्ट''' -- (वस्तु) जिसमें औरों की अपेक्षा कोई बहुत बड़ी विशेषता हो ; (व्यक्ति) जिसे अन्यों की अपेक्षा अधिक आदर, मान आदि प्राप्त हो ---> तनिच्चिर॒प्पान; मदिप्पिर्कुरिय <br> <br>
'''विशेष''' -- जिसमें औरों की अपेक्षा कोई नई बात अथवा कुछ अधिकता हो, विशेषतायुक्त; विचित्र, विलक्षण ---> विशेषमान, शिर॒प्पान; तनिप्पट्ट, अदिशयमान <br> <br>
'''विश्राम''' -- आराम, चैन, सुख ---> ओय्वु, सुगम् <br> <br>
'''विष''' -- ज़हर ---> नंजु, विषम् <br> <br>
'''विषम''' -- जो सम अर्थात् समान या बराबर न हों, असमान ; जो (संख्या) दो से भाग देने पर पूरी न बटे; (कार्य, स्थिति, या विषय) जो कठिन या विकट हो ---> वित्तियासमान, ऒन्रु॒पोलिल्लाद; ऒत्तैप्पडैयान; कडिनमान <br> <br>
'''विषय-सूची''' -- विषयों की अनुक्रमणिका या सूची ---> अट्टवणै <br> <br>
'''विसंगति''' -- संगति का न होना, असंगति ---> पॊरुन्दामै <br> <br>
'''विस्फोट''' -- एकत्र गेस, बारूद आदि का अग्नि या ताप के कारण जोर का शब्द करके बाहर निकल पड़ना ---> वॆडित्तल् <br> <br>
'''वे''' -- वह' का बहुवचन रूप ---> अवर्गळ्, अवै <br> <br>
'''वेग''' -- गति या चाल की तीब्रता या तेजी, शीघ्रता ---> वेगम् <br> <br>
'''वेतन''' -- तनख्वाह ---> शंबळम् <br> <br>
'''वेदवाक्य''' -- ऐसा वाक्य या कथन जिसकी सत्यता असंदिग्ध हो ---> वेद वाक्कु <br> <br>
'''वेदी''' -- मांगलिक या शुभ कार्य के लिए तैयार किया हुआ चौकोर स्थान, वेदिका ---> वेळ्वि मेडै <br> <br>
'''वेशभूषा''' -- पहनने के कपड़े, पोशाक, पहरावा ---> उडै, उडुत्तुम तुणिगळ् <br> <br>
'''वैज्ञानिक''' -- विज्ञान का ज्ञाता, विज्ञानवेत्ता; विज्ञान-संबंधी ---> विञ्ञानी; विञ्ञान, संबन्दमान <br> <br>
'''वैर''' -- घोर शत्रुता ---> विरोदम्, पगैमै <br> <br>
'''वैश्य''' -- हिंदुओं में तीसरे वर्ण का व्यक्ति जिसका मुख्य कर्म व्यापार कहा गया है ---> वैशियजातीयर् <br> <br>
'''व्यंग''' -- शब्द की व्यंजना शक्ति द्वारा निकलने वाला अर्थ, कटाक्ष, ताना ; विडम्बना ---> बंजप्पुहऴ्च्चि; किंडल्, परिगासम <br> <br>
'''व्यंग्य-चित्र''' -- किसी घटना, बात, व्यक्ति आदि की हँसी उड़ाने के उद्देश्य से बनाया गया उपहासात्मक तथा सांकेतिक चित्र ---> केलिच्चित्तिरम् <br> <br>
'''व्यंजना''' -- व्यंग्यार्थ-बोधक, शब्द की तीन प्रकार की शक्तियों में से एक ; व्यंग्यार्थ ---> करुत्तु त्तूण्डुदलुक्कु उट्पडत्तक्क तन्मै; व्यंग्यार्थम्, किण्डल् <br> <br>
'''व्यक्त''' -- प्रकट, प्रत्यक्ष ---> तॆळिवान, वॆळिप् पडैयान <br> <br>
'''व्यक्ति''' -- मनुष्य, आदमी, व्यष्टि ---> नबर् <br> <br>
'''व्यक्तिगत''' -- किसी एक ही व्यक्ति से संबंधित ---> सॊन्दमुरै॒यिलान <br> <br>
'''व्यथा''' -- उग्र शारीरिक या मानसिक पीड़ा ---> मन वेदनै <br> <br>
'''व्यय''' -- खर्च; उपभोग आदि में आने के कारण किसी चीज का होने वाला क्षय, नाश या लोप ---> सॆलवु; उपयोत्तिनाल् उंडागुम तेय्मानस् तेय्न्दु पोलुदल् <br> <br>
'''व्यवसाय''' -- जीविका-निर्वाह का साधन, पेशा, व्यापार ---> तॊऴिळ, जीविनोपायम् <br> <br>
'''व्यवस्था''' -- प्रबंध, इन्तजाम ; ठीक अवस्था, अच्छी हालत ---> एरपाडु; आऴुगान निलै <br> <br>
'''व्यष्टि''' -- समीष्ट का एक स्वतंत्र अंग, व्यक्ति ---> वेरु॒पट॒ट॒ तन्मै <br> <br>
'''व्यस्त''' -- कार्य आदी में लगा हुआ अथवा उलझा हुआ ---> वेलैयिल् ईडुपट्ट <br> <br>
'''व्याकुल''' -- बेचैन, व्यग्र, विकल ; उत्कंठित, उत्सुक ---> मनम् कलंगिय; आवलुळ्ळ <br> <br>
'''व्याख्या''' -- सविस्तार वर्णन, विवेचन ; अर्थ का स्पष्टीकरण, टीका ---> बिरिवुरै; विळक्क उरै <br> <br>
'''व्याघ्र''' -- बाघ, शेर ---> पुलि <br> <br>
'''व्याघि''' -- शारीरिक कष्ट, बीमारी ---> वियादी, नोय् <br> <br>
'''व्यापक''' -- चारों ओर फैला हुआ, विस्तृत ; वृहद ---> परबलान; मिहप्पॆरिय <br> <br>
'''व्यापार''' -- रोज़गार, तिजारत ---> वियापारम् <br> <br>
'''व्यायाम''' -- कसरत ---> कसरत्तु, देहाब्बियासम् उडर् पयिरचि <br> <br>
'''व्युत्पत्ति''' -- मूल, उद्गम या उत्पत्ति का स्थान ---> शॊल्-तोट॒ट॒म् <br> <br>
'''व्योम''' -- आकाश, अंतरिक्ष, आसमान ---> आगायम् <br> <br>
'''शंका''' -- संशय, संदेह, शक ; भय, अंदेशा, खटका ---> सन्देगम्, ऐयम्; बय उणर्चि <br> <br>
'''शंख''' -- समुद्र में पैदा होने वाला एक जंतु का कड़ा और सफेद खोल ; दस खर्ब अथवा एक लाख करोड़ की संख्या ---> शंगु; नूरु॒ कोडि <br> <br>
'''शकुन''' -- विशिष्ट पशु-पक्षी, व्यक्ति, वस्तु, व्यापार आदि के देखने-सुनने, होने आदि से मिलने वाली शुभ-अशुभ की पूर्व-सूचना ---> शगुनम् <br> <br>
'''शक्कर''' -- चीनी ; कच्ची चीनी, खांड ---> शक्करै; अस्का <br> <br>
'''शक्ति''' -- पराक्रम, बल, सामर्थ्य; दुर्गा ---> शक्ति, तिर॒न्; दुर्गै अम्मन <br> <br>
'''शक्तिशाली''' -- बलवान, शक्ति संपन्न ---> बलम् पोरुन्दिय <br> <br>
'''शताब्दी''' -- सौ वर्षों की अवधि, शती, सदी ---> नूट॒टा॒ण्डु <br> <br>
'''शत्रु''' -- वैरी, दुश्मन ---> पगैव़न्, शत्तुरु <br> <br>
'''शपथ''' -- सौगंध, कसम ---> आणै, शबदम्, अगरादि <br> <br>
'''शब्दकोश''' -- वह ग्रंथ जिसमे शब्दों के सम्यक् वर्ण विन्यास, अर्थ प्रयोग, पर्याय आदि हों ---> -;
'''शमन''' -- बढ़े हुए उपद्रव, कष्ट, दोष को दबाने की क्रिया, दमन ; शांति ---> अडंगुदल्; अमैदि <br> <br>
'''शरण''' -- आश्रय, संरक्षण, पनाह ---> तंजम्, अडैक्कलम् <br> <br>
'''शरणार्थी''' -- शरण चाहने वाला, असहाय ; किसी अन्य देश में भागकर शरण लेने के लिए आया हुआ, विस्थापित ---> तंजमडैन्दोर, अगदि; इडम् पॆयर्न्दोर् <br> <br>
'''शरमाना''' -- झेंपना ; लज्जित होना ---> वेट्कप्पड <br>
'''शराब''' -- मद्य, मदिरा ---> मदु, शारायम <br> <br>
'''शरीर''' -- देह, तन, जिस्म ---> उडल् <br> <br>
'''शल्य-क्रिया''' -- शारीरिक विकार को दूर करने के लिए की जाने वाली चीर-फाड़ ---> रण चिकिच्चै <br> <br>
'''शव-परीक्षा''' -- मृत व्यक्ति के शव की मृत्यु के कारणों की जाँच के लिए की जाने वाली परीक्षा या जाँच (पोस्ट मार्टम) ---> शवप्परीटचै <br> <br>
'''शस्त्र''' -- हाथ मे रखकर प्रयोग किया जाने वाला हथियार ---> पोर करुवि <br> <br>
'''शहद''' -- मधु (हनि) ---> तेन <br> <br>
'''शहीद''' -- अपने धर्म, सदाचार, कर्त्तव्य-परायणता के लिए अथवा देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण देने वाला (मार्टेअर) ---> वीरत्यागी <br> <br>
'''शांत''' -- आवेग, चंचलता, वासना अथवा विकास से रहित ; नि:शब्द, नीरव, चुप, मौन ---> अमैदियान; मौनमान <br> <br>
'''शांति''' -- नीरवता, सन्नाटा, स्तब्धता ; उत्पाद, उपद्रव, कलह आदि से रहित अवस्था, अमन ; आराम, चैन ---> अमैदि; शांति; ओय्वु, सुगम्, सौकरियम् <br> <br>
'''शाकाहारी''' -- मांस न खाने वाला, निरामिष भोजी ---> मरक्करि उण्बोर <br> <br>
'''शानदार''' -- भड़कीला, तड़क-भड़क वाला ; ऐश्वर्यपूर्ण, उच्च कोटि का ---> पगट्टान; उयर्तरमान <br> <br>
'''शाप''' -- अनिष्ट कामना के उद्देश्य से कहा गया कथन, अभिशाप, बद्दुआ ---> शाबम <br> <br>
'''शायद''' -- कदाचित, संभवत: ---> ओरुक्काल् <br> <br>
'''शायिका''' -- शयनिका (स्लीपर) ---> स्लीपर <br> <br>
'''शालीन''' -- लज्जाशील, शुशील, शिष्ट ---> पणबुळ्ळ <br> <br>
'''शाश्वत''' -- सतत्, स्थायी, नित्य, सनातन ---> शाशुवतमान, निलैयान <br> <br>
'''शासक''' -- शासन करने वाला व्यक्ति, शासन-कर्ता ---> आलुबवर् <br> <br>
'''शासन''' -- सरकार, हुकूमत; सरकार या किसी अन्य द्वारा नियन्त्रण, संचालन, व्यवस्था आदि ---> आट्चि; निर्वाहम् <br> <br>
'''शास्त्र''' -- धर्म ग्रंथ ; किसी कला, विद्या या विशिष्ट विषय का सांगोपांग ग्रंथ, विज्ञान ---> शास्तिरम्; कलै, विञ्ञानम् <br> <br>
'''शिकायत''' -- किसी के दोष या अनुचित काम का किसी के समक्ष किया गया कथन; किसी के अनुचित काम के प्रति होने वाला असंतोष ; हल्का, शारीरिक कष्ट या रोग ---> पुगार्; आक्षेपणै; जाडपम् <br> <br>
'''शिकार''' -- मृगया, आखेट ; मृगया अथवा आखेट में मारा या पकड़ा गया पशु-पक्षी ---> वेट्टै; वेट्टै (पर॒वै, पिराणि) <br> <br>
'''शिक्षा''' -- किसी प्रकार के ज्ञान के सीखने-सिखाने का क्रम, पढ़ाई या उक्त प्रकार से प्राप्त ज्ञान या विद्या ; उपदेश, सबक, नसीहत ---> कल्वि; बुद्दिमदि, पाडम् <br> <br>
'''शिखर''' -- किसी चीज का सबसे ऊपरी भाग, सिरा, चोटी, कलश, कंगूरा (मंदिर, मकान के संदर्भ में) ; पर्वत की चोटी ---> उयर् मट्टम्; शिगरम्, उच्चि मुलैयुच्चि <br> <br>
'''शिथिल''' -- जो कसकर बंधा न हो ढीला ; आलसी, सुस्त ; जिसे कुछ छूट दी गई हो, जिसका पालन दृढ़तापूर्वक न हो ---> तळर्न्द; सोबेरि; विट्टुप्पोन <br> <br>
'''शिरकत''' -- शरीक होने की अवस्था क्रिया या भाव, मिलना ; साझेदारी ---> सेर्न्दु कॊळ्ळल्; पंगु कोळ्ळल् <br> <br>
'''शिरोमणि''' -- सिर या मस्तक पर धारण करने का रत्न, चूड़ामणि ; श्रेष्ठ पुरुष; सर्वश्रेष्ठ ---> मगुडत्तिल्, उळ्ळ मणि; शिर॒न्दोर्; तलै शिर॒न्द <br> <br>
'''शिलान्यास''' -- नए भवन की नींव के रूप में पत्थर रखना ; नींव रखने का कृत्य या समारोह ---> अडिक्कल् नाट्टुदल्; अडिक्कल् नाट्टुविऴा <br> <br>
'''शिलालेख''' -- पत्थर पर गुदा हुआ लेख ; लेख आदि से गुदा हुआ पत्थर ---> कल् वॆट्टु <br>
'''शिल्प''' -- हस्तकला, दस्तकारी ; रचना विधान, निर्माण ; स्थापत्य, वास्तुकला ---> शिर्पम्; सॆयमुरै॒; वीडु कट्टुम्कलै <br> <br>
'''शिल्पकार''' -- शिल्पी, कारीगर ---> शिर्पि <br> <br>
'''शिल्पी''' -- शिल्प संबंधी काम करने वाला, शिल्पकार ---> शिर्पि <br> <br>
'''शिविर''' -- पड़ाव, छावनी; खेमा, तंबू ---> मुकाम्; कूडारम् <br> <br>
'''शिशु''' -- बहुत ही छोटा बच्चा; सात आठ वर्ष की अवस्था तक का बच्चा ---> कुऴन्दै; शिरु॒वन <br> <br>
'''शिष्ट''' -- सभ्य, सज्जन ---> पाणबुळ्ळ <br> <br>
'''शिष्टता''' -- शिष्ट होने की अवस्था गुण भाव, सौजन्य ---> पण्वु <br> <br>
'''शिष्टाचार''' -- शिष्टापूर्ण आचरण और व्यवहार ; औपचारिक आचरण ---> पणबुळ्ळ; नडत्तै <br> <br>
'''शिष्य''' -- छात्र, विद्यार्थी ; अनुयायी, चेला ---> शीडन्, माणवन; पिन् पट॒ट॒बवर <br> <br>
'''शीघ्र''' -- जल्द, अविलंब, तुरंत, फौरन ---> शीक्किरम्, उडने <br> <br>
'''शीघ्रता''' -- जल्दी ; तेजी, फुर्ती ---> अवरसम्; तुरिदम्, वेगं <br> <br>
'''शीतल''' -- ठंडा, सर्द ; आवेशरहित, शांत, सौम्य ---> कुळिर्न्द; अमैदियान <br> <br>
'''शीर्ष''' -- किसी चीज का सबसे ऊपरी तथा उन्नत सिरा ; सिर ; ज्यामिति में वह बिन्दु जिसपर दो ओर से दो तिरछी रेखाएं आकर मिलती हों ---> मेल् बागम्; तलै; शीर्ष बिन्दु <br> <br>
'''शीर्षक''' -- किसी लेख अथवा ग्रंथ आदि के ऊपर दिया जाने वाला नाम जिससे उनके विषय का कुछ परिचय मिलता है (टाइटल) ---> तलैप्पु <br> <br>
'''शीशा''' -- दर्पण, आईना ---> निलैक्कण्णाड़ि <br> <br>
'''शुद्ध''' -- पवित्र, निर्मल ; मिलावट रहित, असली ; अशुद्धि, गलती या भूल से रहित, ठीक, सही ---> शुद्दमान, तूय; कलप्पडमट॒ट॒; पिळैयट॒ट॒ <br> <br>
'''शुभ-चिंतक''' -- किसी की भलाई की सोचने वाला, शुभेच्छु ---> नन्मै कोरुबवर्, आदरिप्पोर् <br> <br>
'''शुभागमन''' -- मंगलप्रद या सुखद आगमन ---> नलवरवु <br> <br>
'''शुरु''' -- आरंभ, प्रारंभ ---> आरंबम्, तॊड़क्कम् <br> <br>
'''शुल्क''' -- वह धन जो वस्तुओं की उत्पत्ति, उपभोग, आयात, निर्यात आदि करने पर कानूनन कर के रूप में देय हो ; विशिष्ट सुविधा प्रदान करने पर किसी संस्था को दिया जाने वाला धन, फीस ; चंदा ---> कट्टणम्; शुंगवरि; शन्दा <br> <br>
'''शुष्क''' -- सूखा ; सहृदयता एवं कोमलता रहित ---> उलर्न्द; मॆन् मैयट॒ट॒ <br> <br>
'''शून्य''' -- रिक्त, खाली ; गणित में अभाव सूचक चिह्न (जीरो) ---> कालियान; पूज्यम, सैफ़र <br> <br>
'''शूर''' -- बहादुर, वीर, सूरमा ---> शूरन्, वीरन् <br> <br>
'''श्रृंखला''' -- क्रम, तारतम्य माला, पंक्ति, कतार ; जंजीर, सिकड़ी ---> वरिशै, तोडर्चि; शंगिलि <br> <br>
'''श्रृंगार''' -- सौंदर्य वृद्धि के लिए सौन्दर्य-प्रसाधनों द्वारा बनाव-सजाब; साहित्य में एक रस, रसराज ---> ऒप्पनै; अलंगारम् <br> <br>
'''शेष''' -- बचा हुआ, बाकी ---> मीदि, मिच्चम् <br> <br>
'''शैली''' -- ढंग, तरीका, पद्धति ; (साहित्य, कला) रचना अथवा अभिव्यक्ति का विशिष्ट ढंग ---> नडै, मुरै॒; मोंऴि नड़ै <br> <br>
'''शैशव''' -- शिशु होने की अवस्था, गुण या भाव बचपन, लड़कपन ---> कुळन्दैप्परुवम् <br> <br>
'''शोक''' -- इष्ट वस्तु या आत्मीयजन के वियोग, नाश या मृत्यु के कारण होने वाली मानसिक व्यथा, घोर दु:ख ---> वरुत्तम्, दुक्कम् <br> <br>
'''शोध''' -- छिपी हुई तथा रहस्यपूर्ण बातों की खोज करना, अन्वेषण; जाँच, परीक्षण ---> आराय्च्चि; परीक्षित्तल्, परिशोदनै <br> <br>
'''शोभा''' -- कांति, चमक ---> ऎळ्लि, ऒळि <br> <br>
'''शोषण''' -- परोक्ष उपायों से किसी की कमाई या धन धीरे-धीरे अपने हाथ में करना (एक्सप्लायटेशन) ---> शुरण्डल् <br> <br>
'''श्रद्धांजलि''' -- किसी पूज्य या बड़े व्यक्ति के संबंध में श्रद्धा और आदरपूर्वक कही जाने वाली बातें ---> मरियादै शेलुत्तल् <br> <br>
'''श्रद्धा''' -- पूज्य और बड़े लोगों के प्रति आदरपूर्ण आस्था या भावना ---> शिरद्दै, मदित्तल, मरियादै <br> <br>
'''श्रम''' -- मेहनत, परिश्रम ; जीविका-निर्वाह या धन उपार्जन के लिए किया जाने वाला कार्य ---> उऴैप्पु; तॊळ्लि, उद्दियोगम् <br> <br>
'''श्रमदान''' -- किसी सामूहिक हित के लिए स्वेच्छा से नि:शुल्क श्रम करना ---> उदियणिन्रि, उदवि सॆय्दल् <br> <br>
'''श्रमिक''' -- शारीरिक श्रम द्वारा जीविका चलाने वाला, मजदूर ---> तोऴिताळि <br> <br>
'''श्राद्ध''' -- सनातनी हिन्दुओं में पितरों या मृत व्यक्तियों को प्रसन्न कराने के उद्देश्य से किए जाने वाले पिंडदान, ब्राह्मण भोजन आदि कृत्य जो उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए किए जाते हैं; आश्विन मास का कृष्ण पक्ष, जिसमें विशिष्ट रूप से उक्त प्रकार के कृत्य करने का विधान है, पितृपक्ष ---> शिराद्दम्; तेवसम् <br> <br>
'''श्रीमान (श्रीमती)''' -- श्री' पुरुषों के नाम से पूर्व प्रयुक्त एक आदरसूचक विशेषण (स्त्री के नाम के पूर्व श्रीमति) ---> तिरुवाळर/श्रीमान, तिरुमति/श्रीमति <br> <br>
'''श्रुतलेख''' -- वह लेख जो किसी के द्वारा बोले हुए वाक्यों को सुनकर लिखा जाए (डिक्टेशन) ---> केट्टॆळुत्तु <br> <br>
'''श्रेणी''' -- कतार, पंक्ति ; कार्य, योग्यता, आदि के विचार से पदार्थों, व्यक्तियों आदि का वर्ग, विभाग या दर्जा ---> वरिशै; तरम्, वगुप्पु <br> <br>
'''श्रेय''' -- अच्छाई, उत्तमता ; मंगल, कल्याण ; यश ---> शिर॒प्पु; नन्मै; कीर्ति, पुगऴ् <br> <br>
'''श्रेष्ट''' -- गुण, मान आदि के विचार से बढ़कर, उत्तम, उत्कृष्ट ---> मिगच्चिर॒न्दं <br> <br>
'''श्रोता''' -- सुननेवाला (लिसनर); किसी सभा, नाटक-प्रदर्शन आदि के दर्शक, सुनने वाले या पाठक (बहुवचन में) (आड्यंस) ---> गवनित्तुक् केट्पवर्; सबैयोर् <br> <br>
'''श्लाघनीय''' -- प्रशंसनीय ---> पुगळत्तक्क, पाराट्टत्तक्क <br> <br>
'''श्लाघा''' -- प्रशंसा ; चापलूसी ---> पाराट्टु; मुगुत्तुदि <br> <br>
'''श्वास''' -- प्राणियों का नाक से श्वास खींचकर अंदर फेफड़ों या हृदय तक पहुँचाना और फिर बाहर निकालना, सांस ; दमा नामक रोग ---> मूच्चु, शुवासम्; शुवास नोय् <br> <br>
'''श्वेत''' -- धवल, उजला, सफेद, गोरा ; निर्मल, स्वच्छ, साफ ---> वॆण्मैयान; तूय, शुद्दमान <br> <br>
'''षड्यन्त्र''' -- साजिश, कुचक्र ---> सूलच्चि, सतियालोचनै <br> <br>
'''संकट''' -- विपत्ति, मुसीबत, आफत, आपत्ति ---> संकड़म्, तोन्दरवु <br> <br>
'''संकलन''' -- एकत्र करने की क्रिया, संग्रह करना; ऐसी साहित्यिक कृति जिसमें अनेक ग्रंथों या स्थानों से बहुत-सी रचनाएं इकट्ठी करके रखी गई हों ---> ऒन्रु॒ शेर्त्तल्; तॊगुप्पु <br> <br>
'''संकल्प''' -- दृढ निश्चय, इरादा ; सभा-समिति में किसी विषय में विचारपूर्वक किया हुआ पक्का निश्चय (रिज़ोल्यूशन) ---> तीर्मानम्, मन उरु॒दि; तीर्मानम्, मुडिवु <br> <br>
'''संकीर्ण''' -- तंग, संकुचित, अनुदार ---> कुरु॒गलान <br> <br>
'''संकेत''' -- अभिप्राय सूचक अंगचेष्टा, इशारा ; चिह्न, निशान ---> जाडै; अडैयाळम् <br> <br>
'''संकोच''' -- सिकुड़ने की क्रिया या भाव ; झिझक, हिचक ---> शुरुंगुदल; कूच्चम् <br> <br>
'''संक्रान्ति''' -- सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि मे जाना ; वह दिन जिसमें सूर्य का उक्त प्रकार का संचार होता है, जो हिन्दुओ में माना जाता है ---> संकिरान्ति, परुवकालम्; दक्षिणायन/उत्तारायण/आरंबम् <br> <br>
'''संक्रामक''' -- एक से दूसरे में संक्रमण करने वाला छूत आदि से फैलने वाला (रोग) (कान्टेजियस) ---> तॊत्तुगिर॒ (नोय) <br> <br>
'''संक्षिप्त''' -- छोटा किया हुआ लेख, पुस्तक आदि का रूप, सार, संक्षेप ---> सुरुक्कमान <br> <br>
'''संक्षेप''' -- लेख आदि का काट-छांटकर छोटा किया हुआ रूप, सार ---> सरुक्कम्, सारम् <br> <br>
'''संख्या''' -- गिनती, तदाद, गणना ; 2, 1, 2, 3 आदि अंक ---> ऎण्णिक्कै; ऎण्गळ <br> <br>
'''संगठन''' -- कार्य विशेष की सिद्धि के लिए निर्मित कोई संस्था ---> अमैप्पु <br> <br>
'''संगति''' -- मेल-मिलाप, संग, साथ, सोहबत ; सामंजस्य, उपयुक्तता ---> शेर्क्कै; इशैवु <br> <br>
'''संगीत''' -- ध्वनियों या स्वरों का कुछ विशिष्ट लय में होने वाला प्रस्फुटन (म्यूज़िक) ---> संगीदम्, इशै <br> <br>
'''संगोष्ठी''' -- किसी निर्धारित विषय पर आमंत्रित विद्वानों की चर्चा तथा उनका निबंध-पाठ ---> करुत्तरंगु <br> <br>
'''संग्रहालय''' -- वह स्थान जहाँ विशेष महत्त्व की वस्तुओं का संग्रह किया गया हो (म्युज़ियम) ---> कलैक्कूडम् <br> <br>
'''संग्राम''' -- युद्ध, लड़ाई, समर ---> युद्दम्, पोर् <br> <br>
'''संघटन''' -- कार्य विशेष की सिद्धि के लिए निर्मित कोई संस्था ; किसी चीज के विभिन्न अवयवों को जोड़कर उसे प्रतिष्ठित करना, रचना ---> अमैप़्पु; ओऩरु॒ शेर्त्तु <br> <br>
'''संघर्ष''' -- स्पर्धा, होड़ ; कठिनाइयों या प्रबल विरोधी शक्तियों को दबाने के लिए प्राणपण से की जाने वाली चेष्टा ---> मोदल्; पोराट्टम् <br> <br>
'''संचय''' -- चीजें इकट्ठी करने की क्रिया या भाव; इकट्ठी की हुई चीजों का ढेर या राशि ---> शेगरित्तल्; कुवियल् <br> <br>
'''संचार''' -- गमन, चलना, चलाना ; आजकल संदेश, समाचार तथा समान आदि भेजने की क्रिया, प्रकार और साधन ---> संचरित्तल, शेललुदल् <br>
'''संचालक''' -- चलाने या गति देने वाला (कंडक्टर); वह प्रधान अधिकारी जो किसी कार्य, विभाग, संस्था आदि चलाने की सारी व्यवस्था करता हो, निदेशक ---> नडत्तुनर; मेलाळर् <br> <br>
'''संतति''' -- संतान, बाल-बच्चे, औलाद ---> संतति, कुऴन्दै कुट्टिगळ् <br> <br>
'''संताप''' -- अग्नि, धूप आदि का बहुत तीव्र ताप; बहुंत तीव्र मानसिक क्लेश या पीड़ा ---> दहित्तल्; मनक्कष्टम्, वेदनै <br> <br>
'''संतुलन''' -- वह स्थिति जिसमें सभी अंग बराबर के या यथास्थान हो ; तोलते समय दोनो पलड़ो का बराबर होना ---> शीरान निलै; शीर् तूक्कल <br> <br>
'''संतुष्ट''' -- जिसका संतोष कर दिया गया हो या हो गया हो, तृप्त ; जो समझाने-बुझाने से राजी हो गया या मान गया हो ---> तिरुप्ति अडैन्दवन; ऒप्पक्कोण्ड <br> <br>
'''संतुष्टि''' -- संतुष्ट होने की क्रिया या भाव तृप्ति; संतोष ---> मन निरै॒वु; तिरुप्ति <br> <br>
'''संतोष''' -- वह मानसिक अवस्था जिसमें व्यक्ति प्राप्त होने वाली वस्तु को यथेष्ट समझता है और उससे अधिक की कामना नहीं करता ; सब्र, धीरज, इतमीनान ---> मन-निरैवु, तिरुप्ति; पॊरुमै <br> <br>
'''संतोषजनक''' -- संतोष देनेवाला, संतोषप्रद ; पर्याप्त, यथेष्ठ, काफी ---> तिरुप्ति अळिक्किर; पोदुमान <br> <br>
'''संदर्भ''' -- पुस्तक, लेख आदि में वर्णित प्रसंग, विषय आदि जिसका विचार या उल्लेख हो, प्रसंग ---> सन्दर्बम, सूऴ्निलै <br> <br>
'''संदेश''' -- समाचार, पैगाम, खबर ---> सॆयदि, समाचरं <br> <br>
'''संन्यास''' -- पूरी तरह से छोड़ना, परित्याग करना; चतुर्थ आश्रम (हिन्दुओं का) जिसमें सब प्रकार के सांसारिक संबंध छोड़कर मनुष्य त्यागी और विरक्त हो जाता है ---> मुट॒ट॒म् तुर॒त्तल्, सन्नियासमं; सन्यासम्, तुर॒वर॒म् <br> <br>
'''संन्यासी''' -- जिसने संन्यास आश्रम ग्रहण किया हो ; त्यागी और विरक्त ---> सन्नियासि; तुर॒वि <br> <br>
'''संपन्न''' -- पूरा किया हुआ, पूर्ण मुकम्मल ; किसी गुण या वस्तु से युक्त ; खुशहाल, धनी, अमीर ---> निरैवु, पॆट॒ट॒; बशदियुडन् कूडिय; सॆल्वम् पडैत्त <br> <br>
'''संपर्क''' -- मेल, संयोग ; आपस में होने वाला किसी प्रकार का लगाव, वास्ता या संसर्ग ; स्पर्श ---> इणैप्पु; तॊडर्बु; तॊडुदल् <br> <br>
'''संपर्क भाषा''' -- वह भाषा जिससे विभिन्न देशों अथवा प्रदेशों के लोग आपस में सूचना, विचारों आदि का आदान-प्रदान करते हैं ---> तॊडर्बु मॊळि <br> <br>
'''संपादक''' -- वह जो किसी पुस्तक, सामयिक पत्र आदि के सब लेख या विषय अच्छी तरह ठीक करके उन्हे प्रकाशन के योग्य बनाता है (एडिटर) ---> पत्तिरिगै-आशिरियर् तोगुप्पाळर <br> <br>
'''संपादकीय''' -- संपादक संबंधी या संपादक का; संपादक द्वारा लिखी हुई टिप्पणी या अग्रलेख ---> पत्तिरिगैयिन् तलैयंगम् <br>
'''संपादन''' -- पूरा करना, प्रस्तुत करना ; किसी पुस्तक का विषय आदि ठीक करके उन्हे प्रकाशन के योग्य बनाना (एडिटिंग) ---> मुड़ित्तल; पुत्तगम्, अल्लदु सॆय्दियै सरि पार्त्तु तिरुत्तुतल् ऎडिट् सॆयदल् <br> <br>
'''संपूर्ण''' -- आदि से अंत तक सब, सारा कुल, समूचा ; पूरा या समाप्त किया हुआ ---> मुऴु मैयान; निरै॒वु पॆट॒ट॒ <br> <br>
'''संप्रदाय''' -- एक ही तरह का मत या सिद्धान्त रखने वाले लोगों का समूह या वर्ग ; परंपरा से चला आया हुआ ज्ञान या सिद्धान्त, प्रथा, परिपाटी या रीति ; कोई विशिष्ट धार्मिक मत या सिद्धान्त, धर्म ---> मदप्पिरिदु; परम्परै पळ्क्क, वळक्कंगळ; सम्प्रदायम्, मदं <br> <br>
'''संबंध''' -- रिश्ता, नाता ; आपस में होने वाली घनिष्टता या मेल-जोल ---> संबंदम्; नट्पु <br> <br>
'''संभव''' -- जो किया जा सकता हो, या हो सकता हो, मुमकिन ---> निकऴक्कूडिय <br> <br>
'''संभालना (सम्हालना)''' -- पालन करना, सहारा देना ; प्रबंध करना, भार उठाना ; गिरते हुए को बीच में रोकना ---> काप्पाट्टु; एवार्डुसेय्; ताङ्गु <br> <br>
'''संयुक्त''' -- किसी के साथ जुड़ा, मिला, लगा या सटा हुआ ; जिसके दो या अधिक भागीदार हों, साझा ---> इणैन्द, ऒट्टिय; इरु पंगाळिगळ् कोण्ड <br> <br>
'''संरक्षक''' -- देखभाल, निरीक्षण करने वाला, आश्रयदाता, अभिभावक; संस्थाओं आदि में वह बड़ा और मान्य व्यक्ति जो उसके प्रधान पोषकों और समर्थकों में माना जाता है ; वह जिसके निरीक्षण या देख-रेख में किसी वर्ग के कुछ लोग रहते हों (गार्डियन) ---> आदरिप्पवर; पोषकर, आदरवाळ्र; पादुकाप्पाळ्र <br> <br>
'''संरक्षण''' -- अच्छी और पूरी तरह से रक्षा करने की क्रिया या भाव, पूरी देख-रेख और हिफाजत (कस्टडी) ; अपने आश्रय में रखकर पालना-पोसना, आश्रय ---> पोषणै, संरक्षणै; संरक्षणै <br> <br>
'''संरचना''' -- कोई ऐसी वस्तु बनाने की क्रिया या भाव जिसमें अनेक प्रकार के बहुत से अंगो-उपांगों का प्रयोग करना पड़ता है ; उक्त प्रकार से बनी हुई कोई चीज (स्ट्रक्चर) ---> अमैप्पु; अमैप्पु <br> <br>
'''संवाद''' -- बातचीत, वार्तालाप ; खबर, समाचार ---> उरैयाडल्; सॆयदि <br> <br>
'''संवाददाता''' -- संवाद या समाचार भेजने वाला ; आजकल वह व्यक्ति जो समाचारपत्रों में छपने के लिए स्थानिक घटनाओं का विवरण लिखकर भेजता हो (रिपोर्टर कारेस्पान्डेन्ट) ---> सॆय्दि अनुप्पुबबर; निरुबर् (पत्तिरिगै) <br> <br>
'''संवारना''' -- सुसज्जित करना, सजाना ; सुधारना, मरम्मत करना ---> अलंगरिक्क; शीर् पडुत्त <br> <br>
'''संवाहक''' -- ठोकर अथवा किसी प्रकार एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने वाला, वहनक, वाहक (कॅरिअर) ---> शुमन्दु सेलबबर बार वण्डि <br> <br>
'''संविधान''' -- राजनीति और शासनतंत्र में कानून के रूप में बने वे मौलिक नियम और सिद्धान्त जिनके अनुसार किसी राष्ट्र, राज्य या संस्था का संघटन और संचालन होता है (कान्स्टिट्यूशन) ---> अरशियल् अमैप्पु <br> <br>
'''संवेग''' -- मन में होने वाली खलबली, उद्विग्नता, घबराहट, डर ---> आत्तिरम्, कलवरम् <br> <br>
'''संवेदना''' -- मन में होने वाला बोध या अनुभूति, अनुभव ; दु:ख या सहानुभूति प्रकट करने की क्रिया या भाव (कन्डोलेन्स) ---> अनुताबम्; वरुत्तम् तेरिवित्तल् <br> <br>
'''संशय''' -- संदेह, शक, अनिश्चय ; खतरे या संकट की आशंका या संभावना ---> संदेहम्; संदेहम् <br> <br>
'''संशोधन''' -- त्रुटि, दोष आदि दूर करके ठीक और दुरुस्त करना, सुधार ; शुद्ध करना या साफ करना ---> तिरुत्तम्; तिरुत्तल् <br> <br>
'''संस्करण''' -- पुस्तकों आदि की एक बार में एक ही तरह की होने वाली छपाई, आवृत्ति (एडिशन) ---> पदिप्पु <br> <br>
'''संस्कार''' -- किसी वस्तु को ठीक करके उचित रूप देने की क्रिया, परिष्कार ; पूर्व जन्म के आचार-व्यवहार, पाप-पुण्य आदि का आत्मा पर पड़ा वह प्रभाव जो मनुष्य के परवर्ती जन्म में उसके कार्यों, प्रवृत्तियों आदि के रूप में प्रकट होता है ; हिन्दुओं में जन्म से मरण तक होनेवाले वे विशिष्ट धार्मिक कृत्य जो द्विजातियों के लिए विहित हैं ---> शुद्दिकरित्तल्; विट्टकुरै; सडंगु <br> <br>
'''संस्कृति''' -- आचरणगत परम्परा, सभ्यता (कल्चर) ---> पणबु <br> <br>
'''संस्तुति''' -- अच्छी या पूरी तरह से होने वाली तारीफ या स्तुति ; अनुशंसा, सिफारिश (रिकमेन्डेशन) ---> पुगळुरै; पुरिन्दुरै, शिपाशुं <br> <br>
'''संस्था''' -- समाज या समूह, सभा, समिति ---> स्तापनम्, निरु॒वनम् <br> <br>
'''संस्थान''' -- साहित्य, कला, विज्ञान आदि की उन्नति के लिए स्थापित संस्था या संघटन ---> इलक्कियम, कलै मुदलियवैगडिन कळर्चिक्कान निरुवनम <br> <br>
'''संस्थापक''' -- स्थापित करने वाला ; नए काम या बात का प्रवर्तन करने वाला, प्रवर्तक ; किसी संस्था, सभा या समाज की पहले-पहल स्थापना करने वाला ---> स्तापकर; पुदिय वेलैये, तोडगुबवर्; निरुवनत्तै, आरंबिप्पवर् <br> <br>
'''संस्मरण''' -- किसी व्यक्ति के जीवन की महत्वपूर्ण और मुख्य घटनाओं या बातों का उल्लेख या कथन ; इष्ट देव आदि का बारबार स्मरण करना या उनका नाम जपना ---> वाळ्क्कै- निनैवुक्कुरि॒-प्पुगळ्; नाम्विरुंबुम् देय्वत्तै जबित्तल् <br> <br>
'''संहार''' -- ध्वंस, नाश ; बहुत से व्यक्तियों की युद्ध आदि में एक साथ होने वाली हत्या ---> अऴित्तल्; पडुकॊलै <br> <br>
'''सकपकाना''' -- चंकित होना, चौकना ; घबराना (लज्जा आदि के कारण) ---> तिगैप्पडैय; कहवरप्पड <br> <br>
'''सख्त''' -- कठोर, कड़ा ; कठिन, मुश्किल ---> कडुमैयान; कडिनमान <br> <br>
'''सघन''' -- घना, अविरल, ठोस ---> अडर्तियान <br> <br>
'''सचमुच''' -- यथार्थत: वास्तव में ; निश्चित रूप से अवश्य ---> उण्मैयागवे; कट्टायमाग <br> <br>
'''सच्चरित्र''' -- जिस का चरित्र अच्छा हो, सदाचारी ---> नन्नडत्तैयुळ्ळ <br> <br>
'''सच्चा''' -- सच बोलने वाला, सत्यवादी ; ईमानदार ; जो नकली या बनावटी न हो, बल्कि असली और वास्तविक हो, जिस में खोट न हो ---> उण्मैयान; योग्गियमान; असलान <br> <br>
'''सजनी''' -- सखी, सहेली ; प्रेमिका ---> तोऴि; कादलि <br> <br>
'''सज़ा''' -- अपराधी को दिया जाने वाला दंड ---> दंडनै <br> <br>
'''सजाना''' -- वस्तुओं को ऐसे क्रम से रखना कि वे आकर्षक और सुंदर जान पड़ें, संवारना ; अलंकृत करना ---> पोरुळ्गळै अळ्गान; अलंगरिक्क <br> <br>
'''सजावट''' -- सजे हुए होने की अवस्था, क्रिया या भाव, शोभा ---> अलंगारम् <br> <br>
'''सजीव''' -- जीव युक्त, जिस में प्रण हों ; तेज, फुरतीला ---> उयिरुळ्ळ; शुरु॒ शुरु॒प्पान <br> <br>
'''सज्जन''' -- भला आदमी, सत्पुरुष; शरीफ़ ---> नल्लवर, गनवान् <br> <br>
'''सज्जा''' -- साज समान ---> दळवाडम्, सादनंगळ् <br> <br>
'''सटीक''' -- जिस में मूल के साथ टीका भी हो, व्याख्या सहित टीका सहित; बिलकुल ठीक, उपयुक्त ---> विळक्क उरैयुडन् कूडिय; मट॒टि॒लुम् सरियान <br> <br>
'''सड़क''' -- मार्ग, रास्ता, पथ ---> तेरु <br> <br>
'''सड़ना''' -- किसी वस्तु के संयोजक तत्वों का अलग-अलग हो जाना, गलना ---> अऴुग, नशित्तुप्पोग <br> <br>
'''सतत''' -- निरंतर, बराबर, लगातार ; सदा, हमेशा ---> इडैविडादु; ऎप्पोळुदुम् <br> <br>
'''सतर्क''' -- सचेत सावधान, सजग, होशियार ---> जाग्गिरदैयान, ऎच्चरिक्कै कॊण्ड <br> <br>
'''सतर्कता''' -- सावधानी, होशियारी, सजगता ---> ऎच्चरिक्कै, जाक्किरदै <br> <br>
'''सत्कार''' -- आदर-सम्मान ; आवभगत, आतिथ्य, खातिर ---> उपचारम्; विरुन्दोम्बल् <br> <br>
'''सत्ता''' -- अस्तित्व, हस्ती ; अधिकार, शक्ति, सामर्थ्य ---> निलैत्तिरुत्तल्; आदिगारम्, तिर॒न् <br> <br>
'''सत्तू''' -- भुने हुए जौ, चने आदि का आटा या चूर्ण ---> सत्तु मावु <br> <br>
'''सत्यनिष्ठा''' -- सत्य पर निष्ठा, सत्य में विश्वास, सच या वास्तविक से प्रेम ---> वाय्मैयिल्, कोणडुळ्ळ आर्वम् <br> <br>
'''सत्याग्रह''' -- सत्य का पालन और रक्षा करने के लिए किया जाने वाला आग्रह या हठ ; आधुनिक राजनीति में वह अहिंसात्मक कार्रवाई जो किसी सत्ता या अधिकारी के व्यवहार आदि के प्रति असंतोष प्रकट करने के लिए की जाती है (पेसिव रिजिस्टेंस) ---> सत्तियागिरहम्, उण्मैयै- कडैप्णिडित्तल; (इनरै॒य अरशियलिल) अहिम्सैयुडन कूडिय ऎदिर्पपु <br> <br>
'''सत्यापन''' -- जाँच या मिलान करके देखना कि ज्यों का त्यों और ठीक है कि नहीं (बैरिफ़िकेशन) ---> सरिपार्त्तल् <br> <br>
'''सत्रावसान''' -- आधुनिक राजतंत्र में, विधान मंडल सा संसद में सर्वप्रधान अधिकारी के द्वारा अनिश्चित और दीर्घकाल के लिए किया जाने वाला स्थगन (प्रोरोगेशन) ---> शट्ट सबैयिन् ओरु कूट्टत्त्-तॊडरिन् मुडिवु <br> <br>
'''सत्संग''' -- अच्छे आदमियों का साथ, अच्छी सोहब्बत, सज्जनों के साथ उठना-बैठना ; वह समाज या जन-समूह जिसमें कथावार्ता या रामनाम का पाठ होता है ---> नल्लोरोडु शोर्न्दु रुत्तल्, नर्चेर्क्कै; काताकालक्षेपम्, भजनै गोष्ठि <br> <br>
'''सदन''' -- घर मकान ; वह स्थान जहाँ किसी देश या राज्य के विधान बनने के कार्य होते हों ---> वीडु, माळिगै; शट्ट सबै कूडिमिडम् <br> <br>
'''सदस्य''' -- उन व्यक्तियों में से हर एक जिनके योग से कुटुम्ब, परिवार, समाज आदि बनते हैं ; वह व्यक्ति जिसका संबंध किसी समुदाय से हो और जिसका वह नियमित रूप से चंदा आदि देता हो या उसके कार्यों में सम्मिलित होता हो (मेम्बर दोनों अर्थों में) ---> अंगत्तिनर्; अंगत्तिनर् <br> <br>
'''सदा''' -- नित्य, हमेशा, हरसमय; निरंतर, लगातार ---> ऎप्पोळदुम्; इडैविडादु <br> <br>
'''सदाचार''' -- अच्छा और शुभ आचरण, अच्छा चालचलन ---> नन्नडत्तै <br> <br>
'''सदुपयोग''' -- अच्छा और उत्तम उपयोग ---> नल्ल उपयोगम् <br> <br>
'''सद्भाव''' -- शुभ भाव, हित का भाव, छल कपट, द्वेष आदि से रहित भाव ; दो व्यक्तियों या पक्षों में होने वाली मैत्रीपूर्ण स्थिति ---> नल्लॆण्णम्; सिनेगम् <br> <br>
'''सदव्यवहार''' -- अच्छा बरताव, अच्छा सलूक या व्यवहार ; सदवृत्ति, सदाचार ---> नल्लॊऴुक्कम्; नल्ल नडवडिक्कै <br> <br>
'''सन्नाटा''' -- निस्तब्धता, निरवता, शांति ---> शत्तमिन्मै, अमैदि <br> <br>
'''सपना (स्वप्न)''' -- वह घटना या दृश्य जो सोए होने पर अन्तर्मन में काल्पनिक रूप से भासित होता है (ड्रीम) ---> कनवु <br> <br>
'''सपरिवार''' -- परिवार के सदस्यों के साथ ---> कुडुबत्तिनरुडन् <br> <br>
'''सप्तक''' -- सात वस्तुओं का समूह ; संगीत के सात स्वरों का समाहार ---> एऴुवस्तुक्कळिन् तॊगुदि; कुवियल <br> <br>
'''सफ़र''' -- यात्रा ---> यात्तिरै, पिरयाणम् <br> <br>
'''सफल''' -- कृतकार्य, कामयाब ---> वेट॒टि॒पेट॒ट॒, पयनुळ्ळ <br> <br>
'''सफलता''' -- कामयाबी, सिद्धि ---> वेट॒टि॒ <br> <br>
'''सबल''' -- बलवान, ताकतवर, बलशाली ---> बलमुळ्ळ <br> <br>
'''सभा''' -- परिषद्, समिति ---> सबै, अबै <br> <br>
'''सभापति''' -- सभा का अध्यक्ष ---> अवैत्तलैवर् <br> <br>
'''सभी''' -- सारे, सम्पूर्ण ---> ऍल्ला, मुऴुमैयान <br> <br>
'''सभ्य''' -- शिष्ट, संस्कृत, विनम्र ---> नागरीगमान, पणबुळ्ळ <br> <br>
'''सभ्यता''' -- सभ्य होने की अवस्था या भाव ; किसी जाति या देश की बाह्य तथा भौतिक उन्नतियों का सामूहिक रूप (सिविलिज़ेशन) ---> नागरीगम्; नागरीगम् <br> <br>
'''समकक्ष''' -- जोड़ या बाराबरी का, सब बातों में बराबरी करने वाला ---> ओरे वगैयान, समनिलैयान <br> <br>
'''समझना''' -- जान लेना, ठीक और पूर्ण ज्ञान प्राप्त करना ; विचारना ---> अरि॒न्दुकोळ्ळ; निनैक्क <br> <br>
'''समझौता''' -- राजीनामा, मेल, सुलह ; आपस में होने वाला करार या निश्चय, संधि ---> उडन्पिडिक्कै; उडन्पाडु <br> <br>
'''समता''' -- सादृश्य, बराबरी, संतुलन ---> समत्तुवम्, आरु॒मैप्पाडु <br> <br>
'''समदर्शी''' -- सब को एक सा देखने-समझने वाला ---> पारपट्चमट॒ट॒ <br> <br>
'''समन्वय''' -- वह अवस्था जिसमें कथनों या बातों का पास्परिक विरोध न रहे ---> शीराग इणैत्तल् <br> <br>
'''समय''' -- दिन-रात के विचार से काल का कोई मान, वक्त ; अवसर, मौका ---> समयम्, नेरम्; वाय्प्पु, तरुणम् <br> <br>
'''समय-सारिणी''' -- समय सूचित करने के लिए बनाई हुई सारणी; वह पुस्तिका जिस में विभिन्न गाड़ियों के विभिन्न स्टशनों से छूटने और पहुँचने के समय का उल्लेख सारिणियों में किया जाता है। (टाईमटेबल) ---> काल अट्टवणै; रयिलवे काल अट्टवणै <br> <br>
'''समर''' -- सुद्ध, संग्राम, लड़ाई ---> युद्दम, पोर् <br> <br>
'''समर्थ''' -- बलवान, सशक्त ; योग्य, उपयुक्त ---> समर्तियमुळ्ळ तिर॒मैयुळ्ळ; तगुन्द <br> <br>
'''समष्टि''' -- सामूहिकता, संपूर्णता ---> शेर्क्कै, कूट्टु <br> <br>
'''संमातर (समानांतर)''' -- जो समान अंतर पर रहे। (पैरलल) ---> समानान्तरमान <br> <br>
'''समाचार''' -- खबर, वृत्तांत, संदेश ---> समाचारम् सॆय्दि <br> <br>
'''समाचार-पत्र''' -- नियमित समय पर प्रकाशित होने वाला वह पत्र जिसमें अनेक प्रदेशों, राष्ट्रों आदि से संबंधित समाचार रहते हों (न्यूज़पेपर) ---> सॆय्दित्ताळ् <br> <br>
'''समाज''' -- बहुत से लोगों का समूह ; किसी विशिष्ट उद्देश्य से स्थापित की हुई सभा ; किसी प्रदेश या भूखंड में रहने वाले लोग जिन में सांस्कृतिक एकता होती है ---> समूगम्; समाजम्; ओरेपण्-बुळ्ळवरिन् समूगम् <br> <br>
'''समाज-विज्ञान''' -- समाज शास्त्र (सोशिअलाजी) ---> समूग इयल् <br> <br>
'''समाजीकरण''' -- किसी काम, बात, व्यवहार को ऐसा रूप देना कि उस पर समाज का अधिकार हो जाए और सब लोग समान रूप से उसका लाभ उठा सकें। (सोशिअलाइज़ेशन) ---> समदर्मक् कॊळ्गैक्कु उळ्ळाक्कुदल <br> <br>
'''समाधान''' -- आपत्ति की निवृत्ति करना, संदेह निवारण करना ; समस्या का हल ---> संदेगंगेळै पोक्कुदल्, समाधानं; पिरच्नैगळुक्कु, तीर्वु काणुदल् <br> <br>
'''समापन''' -- समाप्त करने की क्रिया या भाव, समाप्ति ---> मुडित्तल् <br> <br>
'''समाप्ति''' -- खतम या पूरा करने की क्रिया या भाव, समापन ---> मुडिवु <br> <br>
'''समायोजन''' -- अनुकूल बनाने की क्रिया या भाव ; आंकड़ों का मेल बिठाना या ठीक ठाक करने की क्रिया या भाव ---> अनुकूल-माक्कुदल्; कणक्कु-सरिकट्टल् <br> <br>
'''समारोह''' -- कोई ऐसा शुभ आयोजन जिसमें चहल-पहल हो ---> विऴा <br> <br>
'''समालोकच''' -- समीक्षक, समालोचना करने वाला ---> विमरिशकर् <br> <br>
'''समास''' -- योग, मेल ; दो या अधिक पदों के मेल से बनने वाला नया पद ---> शेक्कैं; पुणरच्चि (इल्क्कणम्) <br> <br>
'''समाहार''' -- बहुत सी चीज़ों को एक जगह इकट्ठा करना, संग्रह ; ढेर, राशि ---> ऒन्रु॒ शेर्त्तल्; कुवियल् <br> <br>
'''समिति''' -- सभा, समाज ; किसी विशेष कार्य के लिए गठित कुछ व्यक्तियों की सभा ---> कुळु; कमिट्टि <br> <br>
'''समुदाय''' -- समाज, बिरादरी ; समूह, राशि ---> समूगम्, समुदायम् <br>
'''समुद्र''' -- सागर ---> समुद्दिरम्, कडल् <br> <br>
'''समूह''' -- ढेर, राशि ; झुँड, समुदाय ---> कुवियल्, कूट्टम् <br>
'''समृद्ध''' -- सम्पन्न, धनवान ---> वळमुळ्ळ्, शेल्वमुळ्ळ <br> <br>
'''समृद्धि''' -- बहुत अधिक सम्पन्नता, अमीरी, ऐश्वर्य ---> वळम् शेल्वम् <br> <br>
'''सम्मान''' -- इज्ज़त, आदर, प्रतिष्ठा ---> मरियादै <br> <br>
'''सम्मेलन''' -- मनुष्यों का किसी विशेष उद्देश्य से अथवा किसी विषय पर विचार करने के लिए एकत्र होने वाला समाज ; कोई स्थायी बहुत बड़ी संस्था ---> सम्मेळनम्, मानाडु; निलैयान निरु॒वनम <br> <br>
'''सम्मोहन''' -- मुग्ध करना ; मुग्ध करने की शक्ति या गुण ---> मनदैक्कवर्दल्; कवरुम्तिर॒न् <br> <br>
'''सम्राट''' -- साम्राज्य का स्वामी ---> चक्करवर्त्ति <br> <br>
'''सरकना''' -- जमीन से सटे हुए आगे बढ़ना, रेंगना; धीरे-धीरे तथा थोड़ा-थोड़ा आगे बढ़ना ---> नगर, तवऴ; मेळ्ळ मेळ्ळ मुन्नेर <br> <br>
'''सरकार''' -- किसी देश के सम्राट, अधिनायक, राष्ट्रपति या मुख्यमंत्री द्वारा चुने हुए मंत्रियों का वह दल जो सामूहिक रूप से संविधान के अनुसार उस देश का शासन करता है ---> सर्क्कार्, अरशु <br> <br>
'''सरल''' -- सीधा, भोला ; आसान, सहज ---> नेरान; सुलबमान, ऎळिदान <br> <br>
'''सरस''' -- रसयुक्त, रसीला ; रचना जो भावमयी और मोहक हो ---> रसमुळ्ळ; शुवैयुळ्ळ <br> <br>
'''सराहना''' -- तारीफ, प्रशंसा; तारीफ करना, प्रशंसा करना ---> पुगऴ्दल्, मॆच्चुदल्; पुगऴ, मॆच्च <br> <br>
'''सरोकार''' -- वास्ता, संबंध ---> संबन्दम् <br> <br>
'''सरोवर''' -- तालाब ---> कुलम् पॊयगें <br> <br>
'''सर्ग''' -- किसी ग्रंथ विशेषत: काव्य ग्रंथ का अध्याय ---> सरुक्कम् काप्पियत्तिन ओरु पगुदि <br> <br>
'''सर्जन''' -- उत्पन्न करना या जन्म देना ---> शिरुष्टि, आक्कल <br> <br>
'''सर्प''' -- सांप ---> सर्पम्, पांबु <br> <br>
'''सर्वज्ञ''' -- सब कुछ जानने वाला; ईश्वर ---> ऎल्लामरि॒न्द; कडवुळ् <br> <br>
'''सर्वत्र''' -- सब जगह ---> ऎल्ला इंडगाळिलुम् <br> <br>
'''सर्वव्यापक''' -- जो सब स्थानों और सब पदार्थों में व्याप्त हो ---> ऎगुम निरैन्द <br> <br>
'''सर्वसम्मति''' -- सबकी एक सम्मति या राय, मतैक्य ---> ऎल्लेरालुम् सम्मदिक्क प्पडल् <br> <br>
'''सर्वांगीण''' -- सब अंगो में व्याप्त होने वाला ; जो सभी अंगों से युक्त हो ---> ऎल्ला उरु॒प्पुगळिलुम; ऎल्ला उरु॒प्पुगळुम् उडैय, पूरणमान <br> <br>
'''सर्वेक्षण''' -- किसी विषय के सही तथ्यों की जानकारी के लिए उसके सभी अंगो का किया गया अधिकारिक निरीक्षण ---> मेर्पावैं, विंवरगळै आरि॒दल् <br> <br>
'''सर्वोदय''' -- सभी का उदय या उन्नति ; सब लोगों के आर्थिक, नैतिक तथा सामाजिक उत्थान के लिए चलाया गया स्वतंत्र भारत का एक आन्दोलन ---> ऎल्लोरुडैय मुन्नेट॒ट॒म्; सर्वोदय इयक्कम् <br> <br>
'''सलाहकार''' -- राय देने वाला, परामर्शदाता ---> अरि॒वुरैयाळर् <br> <br>
'''सस्ता''' -- कम मूल्य का ; घटिया ---> मलिवान; कुरै॒न्दमदि-प्पुळ्ळ <br> <br>
'''सहकारिता''' -- साथ मिल कर काम करना, मदद, सहायता ---> कूट्टुर॒वु <br> <br>
'''सहज''' -- जन्मजात, प्राकृतिक ; आसान ---> इयर्क्कैयान; ऎळिदान <br> <br>
'''सहन शक्ति''' -- सहने की शक्ति, सहिष्णुता, सहनशीलता, सह्यता ---> पॊरु॒त्तक्कोळ्ळम तिर॒मै <br> <br>
'''सहना''' -- सहन करना, झेलना ; बर्दाश्त करना, कष्ट उठाना ---> पॊरु॒त्तुक्कोळ्ळ <br>
'''सहमत''' -- जिसका मत दूसरे से मिलता हो। जो दूसरे के मत को मान कर उसकी पुष्टि करता हो ---> ऒरुमनदान, इणंगिय <br> <br>
'''सहमति''' -- सहमत होने का भाव या अवस्था, एक मत होना ---> ऒरुमनप्पडुदल इणक्कम् <br> <br>
'''सहयोग''' -- साथ मिलकर काम करना ; किसी के काम में हाथ बटाना ; सहायता देना ---> ऒत्तुऴैप्पु; उदवि अऴिक्क; उदवि अळिक्क <br> <br>
'''सहयोगी''' -- सहयोगी ---> ऒत्तुऴैप्पवर, ऒरेनिरुवनत्तिल् उऴैप्पवर् <br> <br>
'''सहलाना''' -- धीरे-धीरे मलना या हाथ फेरना ---> तडाविक्कोडुक्क <br> <br>
'''सहानुभूति''' -- हमदर्दी ---> अनुताबम् <br> <br>
'''सहायता''' -- मदद ---> उदवि <br> <br>
'''सहिष्णु''' -- सहने वाला, बरदाश्त करने वाला ---> पॊरु॒त्तुक्कोळ्गिर॒ <br> <br>
'''सहिष्णुता''' -- सहनशीलता ---> पॊरु॒मै, पॊरु॒त्तुक्कोळ्ळुम् गुणम् <br> <br>
'''सहृदयता''' -- दयालुता, करुणा ; रसज्ञता ---> कनिन्दमनम्, करुणै <br>
'''सांकेतिक''' -- संकेत संबंधी ; संकेत रूप में होने वाला ---> अडैयाळमान <br>
'''सांगोपांग''' -- सभी अंगो और उपांगों सहित ---> मुऴुमैयान <br> <br>
'''सांत्वना''' -- शोकाकुल या संतप्त व्यक्ति को शांत करने या समझाने-बुझाने की क्रिया, तसल्ली ---> आरुदल् <br> <br>
'''साकार''' -- मूर्त, आकारयुक्त ; बात या योजना जिसे क्रियात्मक रूप प्राप्त हुआ हो ---> उरुवमुळ्ळ; अमुलाक्कप्पट्ट <br> <br>
'''साक्षरता''' -- पढ़े-लिखे होने का भाव ---> ऎळुत्तरिवु <br> <br>
'''साजन''' -- पति, स्वामी ; प्रेमी ---> कणवन, ऎजमान्; कादलन् <br> <br>
'''साज-समान''' -- सामग्री, उपकरण, असबाब ; ठाठ-बाट ---> सादनंगळ्, दळवांडगळ्; दडबुडल <br> <br>
'''साझेदारी''' -- हिस्सेदारी, शराकत! ---> कूट्टु (वियाबारत्तिल्) <br> <br>
'''सात्विक''' -- सतोगुणी, सत्वगुण-प्रधान, अनुभूति या भावनाजन्य ---> अमैदियान इयल्बुळ्ळ <br> <br>
'''सादर''' -- आदरपूर्वक, इज्जत से ---> मरियादैयुडन् <br> <br>
'''सादा''' -- खालिस, बिना मिलावट ; जिसमें किसी तरह की उलझन, पेंच की बात या बनावट न हो, सरल ---> कलप्पडमट॒ट॒; सादा <br> <br>
'''सादृश्य''' -- समानता, तुल्यता, बराबरी ---> ऒरुमैप्पाडु <br> <br>
'''साधन''' -- सामान, सामग्री, उपकरण ; कोई ऐसी चीज़ या वस्तु जिससे कुछ करने की शक्ति आती है (मीन्स); जिसके सहारे कोई काम पूरा होता है (रिसोर्सिस) ---> सादनंगळ्, दळवाडंगळ्; करुविगळ्; बशादिगळ् <br> <br>
'''साधना''' -- कोई कार्य सिद्ध या सम्पन्न करना ; ऐसी आराधना या उपासना जो बहुत कष्ट सहते हुए मनोयोग-पूर्वक की जाती है अथवा किसी महत्वपूर्ण कार्य को सिद्ध करने के लिए त्याग तथा परिश्रम से किया गया प्रयत्न या प्रयास ---> शादित्तल्; उपासनै, पॆरुमुयर्चि <br> <br>
'''साधारण''' -- जिसमें कोई विशेषता न हो, सामान्य, मामूली ; सहज, सुगम, सरल ---> सादारणमान; ऎळिदान <br> <br>
'''साधु''' -- संत, महात्मा ; बढ़िया, उत्तम ; सज्जन, भला, आदमी ---> सादु, महात्मा; शिर॒न्द; नल्लवर् <br> <br>
'''साध्य''' -- जो सिद्ध या पूरा किया जा सके; निष्पाप ; (रोग आदि) अच्छा करने योग्य ---> साद्दियमान; सॆयदुमुडिक्क कूडिय; सरिप्पुडुत्तक्कूडिय <br> <br>
'''सान्निध्य''' -- निकटता, समीपता ---> अरुगामै <br> <br>
'''साक्षेप''' -- जो किसी की अपेक्षा रखता हो, जो दूसरों पर अवलम्बित हो ---> पिर॒रै नंबियिरुक्किर <br> <br>
'''साफ़''' -- स्वच्छ, निर्मल ; जिसकी बनावट, रचना रूप आदि में कोई त्रुटि न हो या जो ऊबड़-खाबड़ न हो ; जिसमें किसी प्रकार का भ्रम या संदेह न रह गया हो ---> शुद्दमान; अमैप्पिल् पिळैयट॒ट॒; कुऴप्पमट॒ट॒ संदेहमट॒ट॒ <br> <br>
'''साबुन''' -- सोडा तेल आदि के योग से बना हुआ एक पदार्थ जिससे शरीर और कपड़े साफ किए जाते हैं (सोप) ---> सोप्पु <br> <br>
'''सामंजस्य''' -- वह स्थिति जिसमें परस्पर किसी प्रकार की विपरीतता या विषमता न हो, संगति, अनुकूलता ---> पॊरुत्तम् <br> <br>
'''सामग्री''' -- आवश्यक वस्तुओं का समूह, सामान ; किसी उत्पादन, निर्माण रचना आदि के सहायक अंग या तत्व ---> सामान्गळ, पंडंगळ्; तुणै-पॊरुळ्गळ् <br> <br>
'''सामने''' -- आगे, समक्ष ; मुकाबले में ---> ऎदिरे; मुन् <br> <br>
'''सामर्थ्य''' -- कोई कार्य करने की योग्यता और शक्ति ---> सामर्त्तियम् तिर॒मै <br> <br>
'''सामयिक''' -- समयोचित, ठीक समय में ; वर्तमान समय का ---> नेरत्तिर्कुरिय; तर्पोदैय <br> <br>
'''सामाजिक''' -- समाज का, समाज के संबंध रखने वाला ---> समूगत्तिय <br> <br>
'''सामान्य''' -- मामूली ; सार्वजनिक, आम ---> सादारणमान; पॊंदुवान <br> <br>
'''साम्राज्य''' -- वे अनेक राष्ट्र या देश जिन पर कोई एक शासक-सत्ता राज्य करती हो ---> साम्राज्यम् <br> <br>
'''साम्राज्यवाद''' -- वह सिद्धान्त जिसमें यह माना जाता है कि किसी देश को अपने अधिकृत देशों में वृद्धि करते हुए अपने साम्राज्य का विस्तार करते रहना चाहिए (इम्पीरियलिज़म) ---> एकादिपत्तियम् <br> <br>
'''सामुद्रिक''' -- समुद्र संबंधी, समुद्र से संबंध रखने वाला ---> कडल् संबन्दमान <br> <br>
'''सामुद्रिक''' -- फलित ज्योतिष की वह शाखा जिसमें मनुष्य की हस्त रेखाओं और शरीर के चिह्नों आदि के शुभ-अशुभ फल पर विचार होता है ---> कैरेगैशास्तिरम् <br> <br>
'''सामूहिक''' -- समूह से संबंध रखने वाला ---> समूगत्तिय <br> <br>
'''सार''' -- मूल भाग, सत ; तात्पर्य या निष्कर्ष, सारांश ---> सारु; करुत्तु, सारांशम् <br> <br>
'''सारणी''' -- आजकल कोई ऐसा कागज़ या फलक जिसमें बहुत से खाते होते हैं तथा जिन में विशेष प्रकार की गणना या विवेचन के लिए कुछ अंक शब्द आदि लिखे होते है (टेबल) ---> अट्टवणै <br> <br>
'''सारांश''' -- संक्षिप्तरूप, सार, निचोड़, उपसंहार ---> सारांशम्, शुरुक्कमान करुत्तु <br> <br>
'''सारा''' -- कुल, समस्त, पूरा, समय ---> मुळु, ऎल्ला <br> <br>
'''सार्थक''' -- जिसका कुछ अर्थ हो अर्थवान ---> अर्त्तमुळ्ळ <br> <br>
'''सार्वजनिक''' -- सर्वसाधारण-संबंधी; समान रूप से सब लोगों के काम आने वाला ---> पोदुमक्कळिन्; ऎल्लोरुक्कुम् पयन् पडुगिर <br> <br>
'''सावधान''' -- सचेत, सतर्क, खबरदार ---> गवनत्तुडन् कूडिय <br> <br>
'''साहित्य''' -- ग्रन्थों का समूह, किसी भाषा की समस्त गद्य तथा पद्यात्मक रचनाएं ---> इलक्कियम् <br> <br>
'''साहित्यकार''' -- साहित्य की रचना करने वाला ---> इल्क्किय आशिरियर् <br> <br>
'''साहूकार''' -- बड़ा व्यापारी, महाजन ---> पेरिय वियापारी, लेवादेविक्कारन् <br> <br>
'''सिंगार (श्रृंगार)''' -- सजधज, सजावट ---> ऒप्पनै, अलंगारम् <br> <br>
'''सिंगारदान''' -- श्रृंगार की सामग्री रखने का छोटा संदूक ---> ऒप्पनै पॆट्टि अळगु सादनप्पॆट्टि <br> <br>
'''सिंदूर''' -- एक प्रकार का लाल चूर्ण जिसे सौभाग्यवती स्त्रियाँ मांग में भरती हैं ---> कुंगुमम् <br> <br>
'''सिंहनाद''' -- सिंह का गर्जन ; युद्ध आदि के समय गरज कर की जाने वाली ललकार, जोरदार शब्दों में ललकार कर कही जाने वाली बात ---> शिंगत्तिन् गर्जनै; अरै॒कूवलै-कुरिक्कुम् गर्जनै <br> <br>
'''सिंहासन''' -- राजगद्दी; राजाओं के बैठने या देव मूर्तियों की स्थापना के लिए बना हुआ एक विशेष प्रकार चौकी के आकार का आसन जिसके दोनों ओर शेर के मुख की आकृति बनी होती है ---> शिंगासनम्; अरियणै <br> <br>
'''सितारा''' -- तारा, नक्षत्र ; भाग्य ---> नक्षत्तिरम्, विण्मीन्; अदिरुष्टम् <br> <br>
'''सिद्धान्त''' -- निश्चित मत जिसे सत्य के रूप में ग्रहण किया जाए, उसूल (प्रिंसिपल); कला, विज्ञान आदि के संबंध में कोई ऐसी मूल बात जो किसी विद्वान द्वारा प्रतिपादित हो और जिसे बहुत से लोग ठीक मानते हों (थीअरी) ---> कॊळ्गै, कोट्पाडु; तत्तुवम् <br> <br>
'''सिपाही''' -- फौजी आदमी, सैनिक ; पुलिस विभाग का साधारण कर्मचारी ---> शिप्पाय्; कावलर, टाणाक्कारन् <br> <br>
'''सिफारिश''' -- किसी का कोई काम करने के लिए दूसरे से कहना ; किसी के गुण योग्यता आदि का परिचय देने वाली बात किसी दूसरे व्यक्ति से कहना जो उस पहले व्यक्ति का कोई उपकार कर सकता है, संस्तुति ---> शिपारिशु; शिपारिशु <br> <br>
'''सिर्फ''' -- बस, इतना ही, केवल ---> मट्टुम् <br> <br>
'''सिलसिला''' -- क्रम, श्रृंखला ---> तोडर्चि <br> <br>
'''सिलाई''' -- सीने की क्रिया या भाव ; सिलने पर दिखाई पड़ने वाल टाँके; सिलने के बदले में मिलने वाली मजदूरी ---> तैयल्; तैयल्; तैयर॒कूलि <br> <br>
'''सिवाय''' -- जो है या हो उसको छोड़कर ---> तविर <br> <br>
'''सींचना''' -- खेत या पेड़ पौधों में पानी देना ---> नीर्पाय्च्च <br> <br>
'''सीखना''' -- किसी विषय या कला का ज्ञान प्राप्त करना, पढ़ना ---> कर्क <br> <br>
'''सीधा''' -- जिस में टेढ़ापन या घुमाव न हो ; जिस में छलकपट न हो ; सरल, सुगम, आसान ---> नेरान, कोणलट॒ट॒; कपडमट॒ट॒; सुलबमान <br> <br>
'''सीना''' -- सिलाई करना; छाती, वक्षस्थल ---> तैक्क; मार्बु <br> <br>
'''सीमा''' -- हद, सरहद (फ्रंटियर); वह अंतिम हद जहाँ तक कोई बात हो सकती हो या होनी उचित हो, नियम या मर्यादा की हद (लिमिट) ---> ऎल्लै; मुडिविडम् <br> <br>
'''सीमित''' -- सीमाओं से बंधा हुआ ; जिसका प्रभाव या विस्तार एक निश्चित सीमा के अंतर्गत हो ---> ऎल्लैक्कुट्पट्ट; बरैयरु॒त्त <br> <br>
'''सुंदर''' -- जो आंखों को अच्छा लगे, खूबसूरत ---> अऴगान <br> <br>
'''सुख''' -- वह अनुभूति जो तन मन को भाए, चैन, आराम ---> सुगम् मनमगिऴ्च्चि, सौकरियम् <br> <br>
'''सुख-सुविधा''' -- ऐसी चीजें जिनके होने पर मनुष्य सुखपूर्वक जीवन बिता सके ---> सौकरियंगळ्, वाळ्क्कै-वशादिगळ् <br> <br>
'''सुगंध''' -- अच्छी गंध, खुशबू, प्रिय महक ---> नरु॒मणम् <br> <br>
'''सुगम''' -- सहज में आने या पाने योग्य ; आसान, सरल ---> सुळबमागप्-पॆर॒क्कूडिय; ऍळिदान <br> <br>
'''सुघड़''' -- जिसकी बनावट सुन्दर हो, सुडौल ; कुशल, निपुण, होशियार ---> अऴ्गान; शमर्त्तन <br> <br>
'''सुचारु''' -- अत्यंत सुंदर, मनोहर, बहुत खूबसूरत ---> मिग अऴगान <br> <br>
'''सुझाव''' -- सुझाने की क्रिया या भाव ; वह नई बात जो किसी को सुझाई गई हो या जिसकी ओर ध्यान आकृष्ट किया गया हो (सजेस्चन) ---> योशनै, शूचने; कुरि॒प्पाग सॊल्लप्पट्ट विषयम् <br> <br>
'''सुडौल''' -- सुंदर डीलडौल या आकार वाला ---> अळगान उडलमैप्पुळ्ळ <br> <br>
'''सुध-बुध''' -- होश-हवास, चेत ; याद ---> उणर्वुळ्ळ निलै; ञाबगम् <br> <br>
'''सुधा''' -- अमृत, पीयूष ---> अमिर्दम्, अमुदम् <br> <br>
'''सुधार''' -- दोष को दूर करने या होने का भाव (इम्प्रूवमेंट); वह कांट-छांट जो किसी रचना को अच्छा रूप देने के लिए की जाती है (मॉडिफिकेशन) ---> शीर्-तिरुत्तम्; तिरुत्तल् <br> <br>
'''सुधीर''' -- बहुत धैर्यवान, जिसमें यथेष्ट धैर्य हो ---> दैरियशालि <br> <br>
'''सुनना''' -- कानों से शब्द या ध्वनि ग्रहण करना ---> कदाल् केट्क, मनदिल् वागिक्कोळ्ळ <br> <br>
'''सुनहरा (सुनहला)''' -- सोने के रंग का ---> तंग निर॒मान <br> <br>
'''सुबोध''' -- जो आसानी से समझ आ जाए, सरल और बोधगम्य ---> ऎळिदिल्, पुरिन्दुकोळ्ळ त्तक्क <br> <br>
'''सुमति''' -- अच्छी मति या बुद्धि ---> नल्ल अरिवु <br> <br>
'''सुमन''' -- पुष्प, फूल ---> पू, मलर् <br> <br>
'''सुरंग''' -- जमीन खोद कर उसके नीचे बनाया हुआ रास्ता (टनल); जमीन या समुद्र के नीचे बारूद की सहायता से बिछाया गया जाल अदि जिससे व्यक्ति या जहाज नष्ट हो जाते हैं (माइन) ---> सुरंगप्पादै; कण्णि वेडि <br> <br>
'''सुर''' -- गले, बाजे आदि से निकलने वाला स्वर ; देवता ---> स्वरम्; देवर्गळ् <br> <br>
'''सुरक्षा''' -- सम्यक, समुचित रक्षा ; आक्रमण, आघात आदि से बचने के लिए किया जाने वाला प्रबन्ध ---> पादुकाप्पु; पादुकाप्पुएर्पाडु <br> <br>
'''सुरभि''' -- सुगंध, खुशबू ---> नरु॒मणम् <br> <br>
'''सुरमा''' -- एक खनिज पदार्थ जिसका बारीक चूर्ण आंखों में अंजन की तरह लगाया जाता है ---> कण्-मै <br> <br>
'''सुराही''' -- जल आदि रखने का मिट्टी का पात्र जिसका नीचे का भाग लोटे की तरह गोल और ऊपर का भाग लम्बे चोगे या नल की तरह होता है ---> कूजा <br> <br>
'''सुलगना''' -- इस प्रकार जलना कि उसमें से लपट न निकले, बल्कि धुंआ निकले, धीरे-धीरे जलना ---> ती मूळ <br> <br>
'''सुलझना''' -- उलझनों से मुक्त होना, किसी समस्या अथवा उलझी हुई डोर आदि की पेचीदगी का दूर होना ---> शिक्कल् नींग <br> <br>
'''सुलभ''' -- जो आसानी से मिल जाए ---> ऎळिदाग किडैक्किर <br> <br>
'''सुवास''' -- अच्छी महक, खुशबू, सुगन्ध ---> वासनै नरु॒मणम् <br> <br>
'''सुविधा''' -- आसानी ; आराम ---> सुलबम्; वशदि <br> <br>
'''सुसज्जित''' -- भली-भांति सजा या सजाया हुआ ---> नन्गु अलंगरिक्कप्पट्ट <br> <br>
'''सुस्ताना''' -- थकावट दूर करना, थोड़ी देर के लिए आराम करना ---> इळैप्पार॒ <br> <br>
'''सुहाग''' -- विवाहिता स्त्री की वह स्थिति जिसमें उसका पति जीवित हो, सौभाग्य ; विवाह के समय कन्यापक्ष में गाए जाने वाले मांगलिक गीत ---> कणवनुडन, मगिळ्च्चियान वाऴुम् निळै; तिरुमणत्तिल् पाडप्पडुम पाट्टु <br> <br>
'''सुहागा''' -- एक क्षार द्रव्य जो सोना गलाने और दवा के काम आता है (बोरेक्स) ---> बोरैक्स् <br> <br>
'''सूक्ष्मदर्शी''' -- बारीकी से देखने वाला ---> कुर्मैयागपार्प्पवन् <br> <br>
'''सूखा''' -- शुष्क, निर्जल ; जिसमें सरसता, भावुकता आदि कोमल गुणों का अभाव हो ---> उलर्न्द; सत्तट॒ट॒ <br> <br>
'''सूचना''' -- कुछ बताने या जताने के लिए कही या लिखी गई बात, इत्तिला ---> अरि॒विप्पु <br> <br>
'''सूची''' -- किसी प्रकार की वस्तुओं, नामों, बातों आदि का क्रमबद्ध लेखा या विवरण ---> पट्टियल, जापिता <br> <br>
'''सूजना''' -- रोग, चोट, वात आदि के कारण शरीर के किसी अंग का अधिक फूल या फैल जना ---> वींग <br> <br>
'''सूझना''' -- दिमाग या ध्यान में आना ; दृष्टि में आना, दिखाई देना ---> मनदिल तोन्र॒; तॆन्पड <br> <br>
'''सूत्र''' -- पतला और महीन डोरा या तागा; गूढ़ अर्थ से युत्त संक्षिप्त वाक्य या पद; संकेत, पता सुराग ---> नूल्; सूत्तिरम्; अडैयाळम् <br> <br>
'''सूद''' -- ब्याज ---> वड्डि <br> <br>
'''सूना''' -- जनहीन, निर्जन ---> मनिद नडमाट्ट मिल्लाद <br> <br>
'''सूराख''' -- छेद, छिद्र ---> दुवारम्, तॊळै <br> <br>
'''सूर्य''' -- सौर जगत का सबसे उज्जवल और मुख्य ग्रह, जिसकी अन्य सब ग्रह परिक्रमा करते हैं और जिससे सब ग्रहों को ताप तथा प्रकाश प्राप्त होता है, रवि ---> सूरियन् <br> <br>
'''सृजन''' -- सृष्टि करने अर्थात जन्म देने की क्रिया या भाव, रचना ---> उंडाक्कुदल्, आक्कल् <br> <br>
'''सृष्टि''' -- सारा विश्व तथा इसके सभी प्राणी एवं पदार्थ; निर्माण, रचना ---> पडैप्पु; आक्कल् <br> <br>
'''सेंकना''' -- आंच के पास या आग पर रख कर गरम करना अथवा पकाना; शरीर को गरमी या धूप देना ---> कुळिर् काय; ऒत्तडम् कोडुकक <br> <br>
'''सेठ''' -- बहुत धनवान या संपन्न व्यक्ति ---> दनवान्, शेल्वन्द्न् <br> <br>
'''सेतु''' -- नदी आदि पार करने के लिए बनाया हुआ रास्ता, पुल ---> पालम् <br> <br>
'''सेना''' -- रण-शिक्षा प्राप्त सशस्त्र व्यक्तियों का दल, फौज ---> सेनै, पडै <br> <br>
'''सेनापति''' -- सेना का नायक, फौज का अफ़सर ---> सेनापति, पडैत्तलैवर् <br> <br>
'''सेवा''' -- परिचर्या, टहल ; नौकरी ; पूजा, आराधना ---> तॊण्डु; शेवगम्; आरादनै, वऴिपाडु <br> <br>
'''सैकड़ा''' -- सौ, शत की संख्या का सूचक जो इस (100) प्रकार लिखा जाता है ---> नूरु॒ <br> <br>
'''सैनिक''' -- सेना-संबंधी, सेना का; सेना या फौज का सिपाही, फौजी ---> सॆनै संबन्दमान; शिप्पाय <br> <br>
'''सैर''' -- मनोरंजन के लिए घूमना-फिरना, भ्रमण ---> उलावुदल् <br> <br>
'''सोचना''' -- चिंता या फिक्र में पड़ना; किसी विषय पर मन में विचार करना, कल्पना करना या अनुमान करना ---> कवलैप्पड; योचिक्क <br> <br>
'''सोना''' -- स्वर्ण, कांचन; निद्रागस्त होना, नींद लेना ; एक ही स्थिति में रहने के कारण सुन्न होना ---> तंगम्; तूंग; मरत्तुप्पोग <br> <br>
'''सोपान''' -- सीढ़ी, जीना ---> मडिप्पडि <br> <br>
'''सौंपना''' -- (कोई वस्तु आदि) किसी के जिम्मे या सुपुर्द करना, किसी के अधिकार में देना ---> ऒप्पडैक्क <br> <br>
'''सौजन्य''' -- भलमनसत, सज्जनता ---> इनिय इयल्बु <br> <br>
'''सौतेला''' -- सौत अथवा सपत्नी संबंधी ; सौत से उत्पन्न ---> माट॒टा॒न्तायिन्; माट्रान्तायक्कुप् पिर॒न्द <br> <br>
'''सौभाग्य''' -- अच्छा भाग्य, अच्छी किस्म्त ; सुहाग ---> नल्लदिरुष्टम्; कणवनुडन् संदोषमान वाऴवु <br> <br>
'''स्तंभ''' -- खंभा; पत्र-पत्रिका आदि में ऐसे विभाग जिनमें किसी विशेष विषय का प्रतिपादन अथवा निरूपण होता है ---> तूण्, कंबम्; पत्तिरिगैयिन् पगुदि <br> <br>
'''स्तब्ध''' -- जड़ीभूत, निश्चेष्ट, हक्का-बक्का ---> तिगैप्पडैन्द, बिरमित्त <br> <br>
'''स्तुति''' -- आदर भाव से किसी के गुणों के कथन करने का भाव, बड़ाई, तारीफ ; वह पद या रचना जिसमें किसी देवता आदि के गुण का बखान हो, स्तोत्र ---> तुदित्तल्; तोत्तिरम्, पाशुरम् <br> <br>
'''स्तोत्र''' -- वह रचना, विशेषत: पद्बद्ध रचना जिसमें किसी देवता आदि की स्तुति हो, स्तव, स्तुति ---> तोत्तिरम तुदिपाडल् <br> <br>
'''स्त्री''' -- मनुष्य जाति की क्यस्क मादा, पुरुष का विपर्याय ; पत्नी, जोरू ---> मगळिर; मनैवि <br> <br>
'''स्थगन''' -- सभा की बैठक, बात की सुनवाई या विचार अथवा कोई चलता हुआ काम कुछ समय के लिए रोक रखना ---> ऒत्तिप्पोडल् <br> <br>
'''स्थान''' -- जगह, स्थल ; पद ओहदा ---> इडम्; पदवि <br> <br>
'''स्थानांतरण''' -- किसी वस्तु या व्यक्ति को एक स्थान से हटाकर दूसरे स्थान पर पहुँचाना या भेजना, बदली, तबादला ---> इडमाट॒ट॒म् <br> <br>
'''स्थानीय''' -- स्थान, विशेष का, मुकामी, स्थानिक ---> उळ्ळूरै चेर्न्द <br> <br>
'''स्थापना''' -- स्थापित करने की क्रिया या भाव, स्थापन ; प्रतिपादन, निरूपण ---> निरु॒वनम्; निलैनाट्टल् <br> <br>
'''स्थायी''' -- सदा स्थित रहने वाला, हमेशा बना रहने वाला, स्थिर, अटल, नियत ; टिकाऊ ---> शासुवदमान्, निलैयान; नीडित्तुनिर्किर <br> <br>
'''स्थिति''' -- दशा, हालत, अवस्था ; पद, मर्यादा आदि के विचार से समाज में स्थान ; किसी कार्य आदि की प्रगति की अवस्था, चरण ---> निलैमै; समूगत्तिल् किडैत्त इडम्; निलै <br> <br>
'''स्थिर''' -- अटल, निश्चल ; स्थायी ; धीर, शांत ---> अशैयाद; स्तिरमान, निलैयान; अमैदियान <br> <br>
'''स्नेह''' -- प्रेमियों, हमजोलियों, बच्चों आदि के प्रति होनेवाला प्रेमभाव ; चिकना पदार्थ, चिकनाहट वाली चीज़ ---> अन्बु; पळपळप्पान पॊरुळ् <br> <br>
'''स्पंदन''' -- धीने-धीरे हिलना या कांपना ; फकड़, प्रस्फुरण, गति ---> नडुक्कम्; तुडिप्पु <br> <br>
'''स्पर्धा''' -- प्रतियोगिता आदि में किसी से होने वाली होड़ ---> पोट्टि <br> <br>
'''स्पर्श''' -- त्वचा का वह गुण जिससे छूने, दबने आदि का अनुभव होता है ; एक वस्तु के तल का दूसरी वस्तु के तल से सटना या छूना, संपर्क ---> तॊडुउणर्चि; तोडुदल् <br> <br>
'''स्पष्ट''' -- जिसे देखने, समझने, सुनने आदि में नाम मात्र भी कठिनता न हो, बिलकुल साफ ---> तॆळिवान <br> <br>
'''स्फूर्ति''' -- तेजी, फुर्ती ---> उर्चागम् शुरु॒ शुरु॒प्पु <br> <br>
'''स्मरण''' -- कोई बात फिर से याद आने की क्रिया या भाव, स्मृति, याद ---> निनैवु <br> <br>
'''स्मारक''' -- स्मरण कराने वाला; स्मरण चिह्न, यादगार ---> निनैवु पडुत्तुगिर॒; ञापगार्त्तम् <br> <br>
'''स्मृति''' -- स्मरण शक्ति ; याद, अनुस्मरण ; धर्म, आचार-व्यवहार आदि से संबंधित हिन्दू धर्मशास्त्र जिनकी रचना ऋषियों और मुनियों ने वेदों का स्मरण या चिंतन करके की थी ---> ञापग शक्ति; निनैवु; हिन्दुसट्ट, तॊगुप्पु, स्मृति <br> <br>
'''स्रष्टा''' -- सृष्टि या रचना करने वाला, रचयिता, निर्माता; ब्रह्मा, सृष्टि का रचयिता ---> शिरुष्टिकर्ता उण्डाक्कुबवर; बिरम्म देवर् <br> <br>
'''स्वचालित''' -- अपने आप चलने वाला, जिसके अंदर ऐसे कल-पुरजे लगे हों कि एक पुरजा चलाने से ही वह आपने आप चलने या कोई काम करने लगे ---> ताने इयंगुगिर॒ <br> <br>
'''स्वजन''' -- अपने परिवार के लोग, आत्मीय जन; सगे संबंधी, रिश्तेदार, बन्धु-बांधव ---> तन् कुडुंबत्तिनर्; उर॒वनर् <br> <br>
'''स्वतंत्र''' -- जिसका तंत्र अथवा शासन अपना हो, जो किसी के तंत्र या शासन में न हो, आजाद; किसी प्रकार के नियंत्रण दबाव या बंधन से रहित ---> पिर॒र् अदिगारत्तिल इल्लाद <br>
'''स्वतंत्रता''' -- स्वतंत्र रहने या होने की अवस्था या भाव, आज़ादी, स्वातंत्र्य ---> सुदन्दिरम् विडुदलै <br> <br>
'''स्वप्न''' -- सपना, ख्वाब ; मन ही मन की जाने वाली बड़ी-बड़ी कल्पनाएँ और बांधे जाने वाले मनसूबे ---> कनवु; कर्पनै <br> <br>
'''स्वभाव''' -- प्रकृति, ख़ासियत, मिजाज ; आदत, बान ---> सुबावम्, इयर्कैयानगुणम्; वळक्कम् <br> <br>
'''स्वयं''' -- (सर्वनाम) जिसके द्वारा वक्ता अपने व्यक्तित्व पर जोर देते हुए कोई बात कहता है; अपने आप करने या होने वाला अपनी इच्छा से, बिना किसी जोर या दबाव के; खुद (व्यक्ति) ---> तान्; तानागवे/निगऴ्गिर/सॆय्गिर॒; तान् <br> <br>
'''स्वरूप''' -- आकृति, रूप, शक्ल ; प्रकृति, स्वभाव, गुण ---> उरुवम्; तोट॒ट॒म्, इयल्बु <br> <br>
'''स्वर्ग''' -- देवलोक ; ऐसा स्थान जहाँ सभी प्रकार के सुख प्राप्त हों और नाममात्र भी कष्ट या चिंता न हो ---> सॊर्ग लोगम्; सॊर्ग लोगम् <br> <br>
'''स्वर्ण-युग''' -- ऐश्वर्य, ललित कलाओं की समृद्धि एवं शासनिक रूप से शांतिपूर्ण काल ---> पोर्-कालम <br> <br>
'''स्वर्णिम''' -- सोने का, सुनहला ---> तंगमयमान <br> <br>
'''स्वस्थ''' -- रोग, विकार आदि से रहित ---> आरोग्गियमान, नोयट॒ट॒ <br> <br>
'''स्वागत''' -- किसी मान्य या प्रिय व्यक्ति के आने पर आगे बढ़कर आदरपूर्वक उसका अभिनंदन करने की क्रिया या भाव, अभ्यर्थना ; किसी के कथन, विचार आदि को अच्छा या अनुकूल समझकर ग्रहण अथवा मान्य करने की क्रिया या भाव ---> वरवेर॒पु; नल्वरवु <br> <br>
'''स्वाद''' -- कोई चीज खाने चा पीने पर जबान या रसनेन्द्रिय को होने वाली अनुभूति, जायका ---> रुचि <br> <br>
'''स्वादिष्ट''' -- जिसका जायका या स्वाद बहुत अच्छा हो, जो खाने में बहुत अच्छा जान पड़े ---> रुचिकरमान, शवैयुळ्ळ <br> <br>
'''स्वाभाविक''' -- प्राकृतिक, कुदरती ; जो या जैसा प्रकृति के या स्वभाव के अनुसार साधारणत: हुआ करता है, सहज ---> इयर्क्कैयान; इयलबाग, नडक्किर॒ <br> <br>
'''स्वामित्व''' -- मालिक अथवा स्वामी होने की अवस्था या भाव, मालिकी ; प्रभुता, आधिपत्य ---> तन्उटैमै, सॊन्दम; आदिक्कम् <br> <br>
'''स्वामी''' -- वह व्यक्ति जिसे किसी वस्तु पर पूरे और सब प्रकार के अधिकार प्राप्त हों, मालिक ; पति शौहर ---> ऎजमान, उरिमैयाळर; कणवन् <br> <br>
'''स्वार्थ''' -- अपना अर्थ या उद्देश्य, अपना मतलब ---> सुयनलम् <br> <br>
'''स्वार्थी''' -- मात्र अपने उद्देश्य कही सिद्धि चाहने वाला, खुदगर्ज ---> सुयनलम् कॊण्ड <br> <br>
'''स्वावलंबन''' -- अपने पर ही भरोसा रखने और दूसरे से सहायता न लेने की अवस्था, गुण या भाव, आत्मनिर्भरता ---> सुयतेवैप्पूर्त्ति कॊळ्गै, तनकैयेतनक्कु-दवि ऎनरकाळ्गै <br> <br>
'''स्वावलंबी''' -- अपने ही बल पर काम करने वाला, दूसरे की सहायता न लेने वाला, आत्मनिर्भर ---> तन्नंबिक्कयुळ्ळ <br> <br>
'''स्वास्थ्य''' -- स्वस्थ अर्थात निरोग होने की अवस्था, गुण या भाव, निरोगता, आरोग्यता, तन्दरुस्ती ---> आरोग्गियम्, उडलनलम् <br> <br>
'''स्वीकार''' -- अपना बनाने, ग्रहण करने या लेने या अपनाने की क्रिया या भाव ; कोई बात मान लेने की क्रिया या भाव ---> एट॒ट॒क्कोळ्ळल्; ऒप्पुक्कोळ्ळल् <br> <br>
'''स्वीकृति''' -- स्वीकार करने की क्रिया या भाव सहमति ; प्रस्ताव, शर्त आदि मान लेने अथवा ग्रहण करने की क्रिया या भाव ---> ऒप्पुदल्; एरपु <br> <br>
'''हँसना''' -- आनन्द, तृप्ति आदि प्रकट कने की एक क्रिया, जिसमें चेहरा खिल उठता है, आंखें कुछ फैल जाती हैं, मुँह ,सुल जाता है और गले में से ध्वनियाँ निकलने लगती हैं, प्रसन्न होना ; दिल्लगी, माजक या परिहास करना ---> शिरिक्क; परिगसिक्क, केलि सॆय्य <br> <br>
'''हँसमुख''' -- जिसका मुख सदा हँसता हुआ सा रहता हो, विनोदी ---> शिरित्तमुगमुडैय, इनिय सुबावमुळ्ळ <br> <br>
'''हँसली''' -- गले के नीचे और छाती के ऊपर के धनुषाकार हड्डी ; स्त्रियों का गले में पहनने का एक गहना जो प्राय: उक्त हड्डी के समानांतर रहता है ---> तोळ्पट्टै ऎलुंबु; अड्डिगै <br> <br>
'''हँसी''' -- हंसने की क्रिया, ध्वनि या भाव ; परिहास, दिल्लगी, मज़ाक, ठट्ठा ---> शिरिप्पु; परिगासम्, केलि <br> <br>
'''हकलाना''' -- स्वर नाली के ठीक काम न करने या जीभ के तेजी से न चलने के कारण बोलने के समय बीच-बीच में अटकना, रुक-रुक कर बोलना (स्टैमरिंग) ---> तिक्किप्पेश <br> <br>
'''हटना''' -- किसी स्थान से चल कर खिसक कर या सरक कर दूसरी जगह जाना ; किसी काम या बात से दूर होना बचना या विमुख होना, मुँह मोड़ना; किसी काम या बात का समय टलना, स्थगित होना ---> नगरन्दु पोग; पिन्वांग; नेरम् कऴिन्दु पोग, निन्रु॒ पोग <br> <br>
'''हड़ताल''' -- दु:ख, रोष-विरोध या असंतोष प्रकट करने के लिए कल-कारखानों, कार्यालायों आदि के कर्मचारियों का सब कारोबार, दूकाने आदि बंद कर देना (स्ट्राइक) ---> वेलेनिरु॒त्तम् कडैयडैप्पु <br> <br>
'''हड़पना''' -- मुँह में डाल कर निगलना या पेट में उतारना ; किसी चीज अनुचित रूप से लेकर दबा बैठना ---> विळांगिविड; कबळीगरम् सॆय्य <br> <br>
'''हत्था''' -- हाथ से चलाये जाने वाले बड़े औजारों और छोटी कलों का वह हिस्सा, जिसे हाथ से पकड़ कर घुमाने या चलाने से वे चलते हैं, दस्ता ---> कैप्पिडि <br> <br>
'''हथ-करघा (हाथ-करघा)''' -- कपड़ा बुनने का वह करघा जो हाथ से चलाया जाता है (हैंडलूम) ---> कैत्तरि <br> <br>
'''हथियाना''' -- अपने प्रभुत्व या अधिकार में कर लेना ---> तन्वशमाक्कि कॊळ्ळ, कैप्पटट <br> <br>
'''हथियार''' -- अस्त्र-शस्त्र ---> आयुद्म् <br> <br>
'''हथौड़ा''' -- धातु, पत्थर, ईंट आदि ठोकने-पीटने वाला लोहे का एक औजार (हैमर) ---> शुत्तियल् <br> <br>
'''हदबंदी''' -- दो खेतों, प्रदेशों, राज्यों, देशों की सीमा निर्धारण करना ---> ऎल्लैयै वरैयरु॒त्तल् <br> <br>
'''हम''' -- उत्तम पुरुष बहुवचन सूचक सर्वनाम 'मैं' का बहुवचन ---> नाम् नांगळ् <br> <br>
'''हमारा''' -- हम' का संबंधकारक रूप ---> नम्मुडैय, ऎगळुडैय <br> <br>
'''हमेशा''' -- सदा, सर्वदा, सदैव ---> ऎप्पोळुदुम् <br> <br>
'''हरण''' -- छीनना या लूटना, उठा ले जाना ---> पिडुंगिक्कोळ्ळल् <br> <br>
'''हरा''' -- ताजी उगी हुई घास या पत्तों के रंग का, हरित सब्ज़ ; हरियाली से भरा हुआ ; हरा रंग ---> पच्चै निर॒मान; पशुमैयान <br>
'''हरित''' -- हरे रंग का, हरा ---> पच्चैनिर॒मान <br> <br>
'''हरित-क्रांति''' -- फल-फूल, पौधे आदि को लगाए जाने के लिए किया जाने वाला आन्दोलन ---> विऴैच्चलिल्, मुन्नेट॒ट॒म् <br> <br>
'''हरियाली''' -- हरे-भरे पेड़ पौधों आदि का विस्तृत फैलाव या समूह ; आनन्द, प्रसन्नता ---> पशुमै, मरम् शेडिगळ् परवियिरुत्तल्; महिऴ्च्चि <br> <br>
'''हर्ष''' -- प्रसन्नता, आनंद, खुशी ---> महिऴ्च्चि, आनंदम् <br> <br>
'''हल''' -- खेत जोतने का एक प्रसिद्ध यंत्र ; गणित के प्रश्न का उत्तर ; किसी विषय या समस्या का समाधान ---> एर्; केळ्विक्कु विडै; पिरच्नैयिन् तीर्वु <br> <br>
'''हलचल''' -- वह अवस्था या स्थिति जिसमें किसी स्थान पर लोगों का चलना-फिरना लगा रहता हो, शोरगुल ---> किळर्चि <br> <br>
'''हवन''' -- देवताओं को प्रसन्न करने के लिए अग्नि में घी, जौ आदि की आहुति देने की क्रिया, होम ---> वेळ्वित्तीयिल् अविस् पोडुदल, होमम् <br> <br>
'''हवाई-अड्डा''' -- वायुयानों के उतरने, रुकने या उड़ान भरने का स्थान ---> विमान तळम् <br> <br>
'''हवाई जहाज़''' -- हवा में उड़ने वाला यान, वायुयान, विमान ---> आगाय विमानम् <br> <br>
'''हवाई-डाक''' -- वायुयान द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजी जाने वाली डाक, चिट्ठियाँ आदि ---> विमानत्तपाल् <br> <br>
'''हस्तकला''' -- हाथों के कौशल द्वारा किया जाने वाला काम ---> कै वेलै <br> <br>
'''हस्तक्षेप''' -- किसी दूसरे काम के में अनावश्यक रूप से तथा बिना अधिकार दखल देना ---> तलैइडुदल् <br> <br>
'''हस्तांतरण''' -- सम्पत्ति, स्वत्व आदि का एक के हाथ से दुसरे के हाथ में जाना या दिया जाना, अंतरण (ट्रांसफ़रेन्स) ---> कै मारु॒दल् <br> <br>
'''हस्ताक्षर''' -- किसी व्यक्ति द्वारा लिखा जाने वाला अपना नाम जो इस बात का सूचक होता है कि ऊपर लिखी हई बातें मैंने लिखी हैं और उनका दायित्व मुझ पर है, दस्तखत (सिगनेचर) ---> कैयॆळुत्तु, ऒप्पम् <br> <br>
'''हां''' -- स्वीकृति, सहमति, समर्थन, निश्चय, आत्मतोष, स्मृति आदि का सूचक शब्द; स्वीकृति देने या हां करने का कार्य ---> आम्, आमाम्; ऒप्पुदल् <br> <br>
'''हांकना''' -- जानवरों को आगे बढ़ाने के लिए मुंह से कुछ कहते हुए चाबुक आदि लगाना, पशु वाली गाड़ी चलाना ; बहुत बढ़-चढ़ कर बातें करना ---> ओट्ट; जंबम्पेश <br> <br>
'''हांफना''' -- थकावट, भय आदि के कारण फेफड़ों का जल्दी-जल्दी और लंबे सांस लेना ---> मेल् मूच्चुवांग <br> <br>
'''हाथापाई''' -- वह लड़ाई जिसमें एक-दूसरे के हाथ पकड़ कर खींचते और ढकेलते हैं ---> कै कलप्पु, आडि तडि <br> <br>
'''हाथी दांत''' -- हाथी के मुंह के दोनों ओर निकले हुए सफेद दांत ---> यानै दन्दम् <br> <br>
'''हानि''' -- क्षति, नुकसान ---> तींगु, नष्टम् <br> <br>
'''हार''' -- पराजय, जीत का विपर्याय; फूलों मोतियों आदि की माला ---> तोल्वि; मालै <br> <br>
'''हारना''' -- युद्ध, खेल, आदि में पराजित होना, गंवाना, खोना; विफल होना ---> तोल्वि, अडैय; तोट॒ट॒प्पोग <br> <br>
'''हार्दिक''' -- हृदय में रहने या होने वाला, हृदय का ---> मनमुवन्द, मनम्कनिन्द <br> <br>
'''हालचाल''' -- अवस्था, दशा, वृत्तांत, समाचार ---> निलवरम् <br> <br>
'''हालांकि''' -- यद्यपि ; अगरचे ---> आयिनुम्; इरुन्दपोदिलुम् <br> <br>
'''हास्य''' -- हंसने की क्रिया या भाव, हंसी, हास ; दिल्लगी, मज़ाक ; साहित्यक में नौ स्थायी भावों या रसों में से एक ---> शिरिप्पु; परिगासम्, केलि; नगैच्चुवै <br> <br>
'''हिंसा''' -- हत्या, वध ; किसी प्रकार की हानि पहुंचाने, अनिष्ट या अपकार करने, कष्ट या दुख देने की क्रिया या भाव ---> कॊंलै; इम्मित्तल् तुन्बुरुत्तल <br> <br>
'''हिचकी''' -- खांसी, छींक, डकार आदि की तरह का एक शारीरिक व्यापार जिसमें सांस लेने के समय क्षण भर के लिए फेफड़े का मुंह बंद होकर पेट की वायु कुछ रुक कर हल्का शब्द करती हुई बाहर निकलती है (हिकप); उक्त के फलस्वरूप झटके सें होने वाला तीव्र शब्द जो कंठ से निकलता है ---> विक्कल् <br>
'''हितैषी''' -- भला चाहने वाला, कल्याण मानने वाला, हितचिंतक ---> नलम् विरुंबुबवर् <br> <br>
'''हिनहिनाना''' -- घोड़े का हिन-हिन शब्द करना, हींसना ---> कनैक्क <br> <br>
'''हिरासत''' -- किसी को इस प्रकार अपने बंधन या देख-रेख में रखना कि वह भाग कर कहीं जाने न पाए, अभिरक्षा, परिरक्षा (कस्टडी); वह स्थान जहां उक्त प्रकार के लोग बंद करके रखे जाते हैं (लाक-अप) ---> शिरै॒कावल्; कावर्कूडम् <br> <br>
'''हिलाना''' -- किसी को हिलने में प्रवृत करना, झुलाना ; बच्चे को प्यार करके अपने साथ हिलाना, हेल-मेल में लाना, परचाना ---> अशैक्क; कुळ्न्दैयै, अनबूडन् आट्ट <br> <br>
'''हिसाब-किताब''' -- आय-व्यय आदि का विवरण, लेखा जोखा ; व्यापारिक लेन-देन या व्यवहार ---> वरवु-शिलवु, कणक्कु; बागम् <br> <br>
'''हिस्सा''' -- भाग, विभाग, अंश, खंड ; वह धन जो किसी साझे की वस्तु या व्यवसाय में कोई एक या हर एक साझेदार लगाए हो (शेयर); साझेदार को मिलने वाला अनुपातिक लाभ या अंश ---> पंगु; -; पंगळिक्कु किडैक्कुम् लावम् <br> <br>
'''हुंडि''' -- अपना प्राप्य धन पाने के लिए किसी के नाम लिखा हुआ वह पत्र जिस पर लिखा रहता है कि इतने रुपये अमुक व्यक्ति, महाजन या बैंक को दे दिए जांए (बिल आफ एक्सचेंज ड्राफ्ट) ; भारतीय महाजनी क्षेत्र में वह पत्र जो कोई महाजन किसी से ऋण लेने के समय उसके प्रमाण स्वरूप ऋण देने वाले को लिख कर देता है और जिस पर लिखा रहता है कि वह धन इतने दिनों में ब्याज समेंत चुका दिया जाएगा (बांड, डिबेंचर) ---> केट्पु, वरै ओलै; कडन्, पत्तिरम् <br> <br>
'''हृदय''' -- कलेजा, दिल (हार्ट); उक्त के पास छाती के मध्य भाग में माना जाने वाला वह अंग जिसमें प्रेम, हर्ष, शोक, क्रोध आदि मनोविकार उत्पन्न होते रहते हैं ; अंत: करण, विवेक ---> इरुदयम्, नेञ्जु; मनदु अन्बु, कोबम्, मुदलिय, उणर्चिगळ् इरुक्कुमिडम्; मनदु <br> <br>
'''हृष्ट-पुष्ट''' -- मोटा-ताजा ---> वाट्ट शाट्टमान <br> <br>
'''हेरा-फेरी''' -- चालबाजी, दांव-पेंच, गड़बड़ ---> तन्दिरम् <br> <br>
'''होना''' -- अस्तित्व में आना ; कार्य या घटना का क्रियात्मक या वास्तविक रूप में सामने आना ---> इरुक्क; निगऴ, उण्डाग <br> <br>
'''होनी''' -- ऐसी घटना या बात, जिसका घटित होना अनिवार्य हो ---> कट्टायम्- नडक्क वेण्डिय निगऴ्च्चि <br> <br>
'''होश''' -- चेतना, संज्ञा ; याद, स्मृति ---> पिरज्ञै, उणर्चि; निनैवु <br> <br>
'''होशियार''' -- सावधान, सतर्क, सजग, चौकस ; चतुर, चालाक ; माहिर, कुशल, दक्ष ---> जाग्गिरदैयान; सामर्तिय-शालियान <br>
'''ह्रास''' -- क्षय, क्षीणता, नाश, अपव्यय, अभाव, कमी, घटती ; पतन, अवनति, अपकर्ष ---> कुलैदल, अऴिवु; वीऴ्च्चि <br> <br>
 
==वाह्य सूत्र==