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''''अंक''' -- क्रोड़, गोद; संख्या के सूचक चिह्न; परीक्षा आदि...' के साथ नया पन्ना बनाया
 
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'''अंक''' -- क्रोड़, गोद; संख्या के सूचक चिह्न; परीक्षा आदि में सफलता की सूचक इकाइयां (नंबर); नाटक का एक खंड या भाग जिसमें कई दृश्य हो सकते है; पत्र-पत्रिकाओं का किसी निश्चित समय पर होने वाला प्रकाशन ---> मडि; ऎण्णिक्कै; मदिप्पॆण् (मार्क्कु), ऎण्; नाडगत्तिन् कऴ्म/अंगम्; पत्तिरिगैकळिन इदळ्;इदळ <br>
'''अंकुर''' -- गुठली, बीज आदि से निकलने वाला नया डंठल, जड़ या डाल से निकलने वाला नया पत्ता; ---> विदैयिन् मुळै <br>
'''अंकुश''' -- लोहे का कांटा जिससे हाथी को चलाया और वश में किया जाता है; नियंत्रण, दबाव या रोक ---> अंकुशम्; कट्टुप्पाडु <br>
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'''अक्ल''' -- बुद्धि, समझ ---> बुद्दि, अरि॒वु <br>
'''अक्सर''' -- बहुधा, प्राय: ---> अडिक्कडि, पॆरम्बालुम् <br>
'''अक्षर''' -- वर्ण।वर्ण; अविनाशी, नित्य ---> ऎळुत्तु; अ़ऴिवट॒ट॒ <br>
'''अखंड''' -- जिसके खंड न हुए हों, पूरा, समूचा ---> तुण्डिक्क-पड़ाद, मुळु <br>
'''अखबार''' -- समाचार पत्र ---> सॆय्दित्ताळ् <br>
'''अखरना''' -- बुरा या अप्रिय लगना, खलना, ख़टकना ---> मनदै उरुत्त <br>
'''अखाड़ा''' -- व्यायामशाला, कसरत करने का स्थान; साधुओं की साम्प्रदायिक मंडली या उनके रहने का स्थान ---> गुस्ति मैडै, गोदा; सादुक्कळिन् मड़म् <br>
'''अगर''' -- यदि, जो।जो; एक पेड़ जिसकी लकड़ी बहुत सुगंधित होती है ---> आल्; अगर (वासनैयुळ्ळ ऒरू मरत्तिन कट्टै) <br>
'''अगरबत्ती''' -- वह बत्ती जो सुगंधि के निमित्त जलाई जाती है ---> अगर्बत्ति (ऊदुवत्ति) <br>
'''अगला''' -- सबसे आगे, सबसे पहले या सामने वाला; भविष्य में आने वाला ---> मुन्दिय, ऎतिरिलुळ्ळ; वरुगिर, अडुत्त <br>
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'''अचल''' -- जो अपने स्थान पर बना रहे, गतिहीन, स्थिर; सदा एक-सा बना रहने वाला ---> नगराद, स्तिरमान, स्तावर; मारा॒द <br>
'''अचानक''' -- बिना पूर्व सूचना के, एकाएक, सहसा ---> दिडीरॆन <br>
'''अच्छा''' -- ठीक, उपयुक्त; जो बुरा न हो, दोष-रहित।रहित; आश्चर्य, स्वीकृतिसूचक अव्यय ---> सरियान; नल्ल, कुटट॒मिल्लाद; वियप्पूट्टुम शॊल् सरि (नल्लदु) <br>
'''अजगर''' -- एक विशाल सर्प जो बकरी, हिरन आदि को निगल जाता है ---> मलैप्पांबु <br>
'''अजायबघर''' -- वह भवन जहां पर पुराकालीन कला-कौशल संबंधी विभिन्न प्रकार की अद्भुत और विलक्षण वस्तुएं संग्रहीत तथा प्रदर्शित की जाती हैं, संग्रहालय ---> पॊरुट्काटचिशालै, मियूसियम् <br>
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'''अनगिनत''' -- बहुत अधिक ---> ऎण्णट॒ट॒ <br>
'''अनशन''' -- आहार त्याग, उपवास; भूख-हड़ताल ---> उपवासम्; उण्णाविरदम् <br>
'''अनाथ''' -- जिसका पालन-पोषण करने वाला कोई न हो।हो; असहाय, अशरण, दीन, दुखी ---> अनादै; दिक्कट॒ट॒वन् <br>
'''अनाथालय''' -- वह स्थान जहां अनाथों का पालन-पोषण होता है ---> अनादै विडुदि <br>
'''अनावरण''' -- किसी महापुरुष के चित्र, मूर्ति आदि से समारोहपूर्वक परदा हटा कर उसे सर्व-साधारण के लिए दर्शनीय किया जाना, उद्घाटन ---> तिर॒न्दुवैत्तल् <br>
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'''अन्य''' -- दूसरा ---> मट॒ट॒, वेरु॒, अयल् <br>
'''अन्याय''' -- न्याय-विरुद्ध कार्य; अति अनुचित व्यवहार ---> अनियायम्; तगुदियट॒ट॒ नडवडिक्कै <br>
'''अपना''' -- आत्मसंबंधी, निजका।निजका; आत्मीय, स्वजन ---> तन्नुडैय; तन्नवर् <br>
'''अपनाना''' -- अपना बनाना; ग्रहण करना, स्वीकार करना ---> तनदाक्किक्कॊळ्ळ; वांगिक्कॊळ्ळ <br>
'''अपने-आप''' -- बिना किसी की प्रेरणा के; स्वत: खुद-बखुद ---> तानागवे; ताने <br>
पंक्ति १००:
'''अमानत''' -- धरोहर, थाती ---> वैप्तुत्तॊगै <br>
'''अमावस्या''' -- चांद मास के कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन जिसमें रात को चंद्रमा की एक भी कला नहीं दिखाई देती ---> अमावासै <br>
'''अमिट''' -- मिटने या नष्ट न होने वाला, स्थायी।स्थायी; अटल, अवश्यंभावी ---> अऴिवट॒ट॒; निलैयान <br>
'''अमीर''' -- धनवान, व्यक्ति, रईश; सरदार, प्रमुख ---> दनवान्, पणक्कारर्; तलैवर्, मुक्कियस्तर् <br>
'''अमुक''' -- कोई अनिश्चित व्यक्ति अथवा वस्तु, फलां ---> पलाना, इन्न <br>
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'''अरथी (अर्थी)''' -- वह तख्ता, सीढ़ी आदि जिस पर मृत शरीर को अंत्येष्टि के लिए ले जाया जाता है, जनाजा ---> पाडै <br>
'''अराजकता''' -- अव्यवस्था; शासनतंत्र का अभाव ---> कुऴप्प निलै; अराजकम् <br>
'''अरुण''' -- लाल रंग का, रक्त वर्ण का; सुर्ख।सुर्ख; गहरा लाल रंग; सूर्य ---> सिवन्द; आळ्न्द सिवप्पु निरम्; सूरियन् <br>
'''अर्चना''' -- पूजा, वंदना ---> पूजै, अरुच्चनै <br>
'''अर्थ''' -- अभिप्राय, माने; धन-संपत्ति, पैसा ---> पॊरुळ्, अर्त्तम्; अर्त्तम्, सॆल्वम् <br>
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'''अव्यवस्था''' -- व्यवस्था (क्रम, नियम, मर्यादा आदि) का अभाव, गड़बड़ी; प्रबंध आदि में होने वाली गड़बड़ी, कुव्यवस्था ---> सीर॒केडु; ऒलुंगिन्मै <br>
'''अशुद्ध''' -- जो शुद्ध न हो, जिसमें पवित्रता का अभाव हो, अपवित्र; जिसका शोधन या संस्कार न हुआ हो, दोषपूर्ण, त्रुटिपूर्ण ---> अशुद्दमान; माशु, पट्ट <br>
'''अशुद्धि''' -- शुद्ध न होने की अवस्था या भाव, अशुद्धता।अशुद्धता; त्रुटि, गलती ---> अशुद्दम्, अळुक्कु; तवरु॒ <br>
'''अशुभ''' -- जो शुभ (भला या हितकर) न हो, अमांगलिक या बुरा।बुरा; अंमंगल, अहित; दोष या पाप ---> अमंगलमान, अशुभम्; तीमै; कुरै॒, पावम् <br>
'''अश्लील''' -- नैतिक या सामाजिक आदर्शों , से च्युत, सभ्य पुरुषों की रुचि के प्रतिकूल, गंदा फूहड़ ---> आबासमान, कॆट्ट <br>
'''अष्टमी''' -- शुक्ल या कृष्ण पक्ष की आठवीं तिथि ---> अष्टमि <br>
पंक्ति १६३:
'''असमर्थ''' -- अशक्त; जो किसी विशिष्ट काम को कर सकने के योग्य न हो ---> तिर॒मैयट॒ट॒; समर्त्तियमट॒ट॒ <br>
'''असर''' -- प्रभाव ---> पिरबावम् विळैवु <br>
'''असल''' -- वास्तविक।वास्तविक; मूलधन ---> उण्मैयान; मूलदनम् <br>
'''असली''' -- असल ---> असल् शुद्दमान, कलप्पडमट॒ट॒ <br>
'''असहयोग''' -- औरो के साथ मिलकर काम न करने की क्रिया या भाव ---> ऒत्तुऴैयामै <br>
पंक्ति २०३:
'''आक्रमण''' -- प्रहार, हमला ---> पडैयॆडुप्पु <br>
'''आक्षेप''' -- लांछन, व्यंग्यपूर्ण दोषारोपण ---> आक्षेबणै, कुट॒ट॒च्चाट्टु <br>
'''आखिर''' -- अंत, समाप्ति; परिणाम।परिणाम; बाद में या पीछे होने वाला ---> मुडिवु; पयन्; पिन्नाल् वरुगिर <br>
'''आखेट''' -- मृगया, शिकार ---> वेट्टै <br>
'''आगंतुक''' -- अभ्यागत, अतिथि, पाहुना ---> विरुन्दाळि <br>
पंक्ति २०९:
'''आगमन''' -- आने, पहुंचने या नए सिरे से प्रगट होने की क्रिया या भाव ---> वरुगै <br>
'''आगामी''' -- भविष्य में आने या होने वाला, भावी ---> अडुत्त, वरुगिर <br>
'''आगे''' -- पहले या सामने, किसी की उपस्थिति में; भविष्य में।में; कुछ दूर और बढ़ने पर ---> मुन्नाल् ऎदिरे, मुन्निलैयिल्; इनि, ऎदिर् कालत्तिल्; अप्पाल् <br>
'''आग्रह''' -- नम्रतापूर्वक बल देना, अनुरोध; किसी बात पर अड़ते हुए ज़ोर देना, हठ ---> बलियुरु॒त्तल़्; वर्पुरु॒त्तल् <br>
'''आधात''' -- प्रहार या चोट; किसी दुखद घटना के कारण होने वाली मानसिक व्यथा ---> अडि, कायम्; विबत्तिनाल उंडागुम् मनवरुत्तम् <br>
'''आचरण''' -- चाल-चलन, चरित्र ---> नडत्तै <br>
'''आचार्य''' -- गुरु, शिक्षक; विश्वविद्यालय के किसी विभाग के वरिष्ठतम पद पर कार्य करने वाला अघ्यापक; किसी विषय का असाधारण पंडित ---> आसिरियर्, गुरु; पेरासिरियर्; अरिञर् <br>
'''आज''' -- वर्तमान दिन में; इन दिनों में, इस काल में।में; प्रस्तुत या वर्तमान दिन! ---> इन्रू॒; इक्कालत्तिल्; इन्रै॒यदिनम् <br>
'''आजकल''' -- इन दिनों, वर्तमान काल में।में; वर्तमान या प्रस्तुत दिनों में, एक-दो दिन में ---> इन्नाट्कळिल्; ओरिरु नाट्कळिल् <br>
'''आज़ाद''' -- स्वाधीन, मुक्त, स्वतन्त्र ---> सुतंदिरमान <br>
'''आजीवन''' -- जीवन भर ---> वाळ्नाळ् मुळुदुम् <br>
पंक्ति २३६:
'''आदर्श''' -- अनुकरणीय, श्रेष्ठ; नमूना, बानगी ---> मुन्-मादिरि; उयर्गुणम् <br>
'''आदान-प्रदान''' -- लेन-देन ---> कॊडुक्कल्वांगल् <br>
'''आदि''' -- मूल।मूल; पहला।पहला; इसी प्रकार और या बाकी सब भी, इत्यादि, वगैरह ---> आदि, मूल; मुदलावदु; मुदलिय वगैयरा <br>
'''आदिवासी''' -- किसी देश का मूल निवासी; जनजाति का सदस्य ---> आदिवासी पऴङ्कुडिगळ्; पऴंकुडिमक्कळ् <br>
'''आदेश''' -- आज्ञा, हुक्म ---> कट्टळै <br>
पंक्ति २५७:
'''आय''' -- पारिश्रमिक, लाभ आदि के रूप में प्राप्त धन, आमदनी ---> वरुमानम् <br>
'''आयकर''' -- राज्य की ओर से लोगों की आय पर लगने वाला कर ---> वरुमानवरि <br>
'''आयत''' -- लम्बा-चौड़ा विस्तृत, विशाल।विशाल; चार भुजाओं वाला वह क्षेत्र जिसकी आमने-सामने की भुजाएं समानांतर हों और चारों कोण समकोण हों ---> विशालमान; नीळ् सदुरमान <br>
'''आया''' -- घाय, दाई, बच्चों को दूध पिलाने और उनकी देखभाल करने वाली स्त्री।स्त्री; आना क्रिया का भूतकालिक रूप ---> आया; वन्दान्, वन्द्दु <br>
'''आयात''' -- व्यापार के लिए विदेश से माल मंगाने की क्रिया; विदेश सें मंगाया हुआ माल ---> इर॒क्कुमदि; इर॒क्कुमदिप्पॊरुळ् <br>
'''आयाम''' -- लंबाई, विस्तार ---> नीळम्, विस्तारम् <br>
पंक्ति ३३४:
'''उगना''' -- उदय होना, निकलना; अंकुरित होना; उपजना, पैदा होना ---> वळर, वॆळिवर; मुळैक्क; उण्डाग <br>
'''उगलना''' -- मुँह में ली हुई चीज को थूक देना, खाई हुई वस्तु को मुँह से बाहर निकाल देना ---> कक्क <br>
'''उगाना''' -- किसी बीज या पौधे आदि को उगने में प्रवृत करना, उपजाना।उपजाना; उत्पन्न या पैदा करना ---> विदैर्ये मुळैक्क वैक्क; उण्डाक्क <br>
'''उघाड़ना''' -- खोलना, अनावृत करना, नंगा करना ---> तिरक्क, अम्मणमाक्क <br>
'''उचटना''' -- किसी जमी या चिपकी हुई वस्तु का अपने आधार से अलग होना, छूटना; मन का हट जाना, न लगना, ऊबना ---> विडुपड; मनदु अलुत्तुप्पोग <br>
पंक्ति ३४५:
'''उजाला''' -- चांदनी, प्रकाश, रोशनी; प्रात:काल होने वाला प्रकाश ---> वॆळिच्चम्, निळवॊळि; विडियर्कालै वॆळिच्चम् <br>
'''उठना''' -- ऊंचाई की ओर या ऊपर जाना अथवा बढ़ना; गिरे, झुके, बैठे या लेटे होने की स्थिति से खड़े होने की स्थिति में आना; जागना ---> ऎम्ब, मेले पोग; ऎळुन्दिरुक्क; विऴित्तुक्कॊळ्ळ <br>
'''उड़ना''' -- पंखों या परों की सहायता से आधार छोड़कर ऊपर उठना और आकाश या वायु में इधर-उधर आना-जाना।जाना; प्राकृतिक, रसायनिक आदि कारणों से किसी चीज का धीरे-धीरे कम होना या न रह जाना; गायब या लुप्त हो जाना ---> पर॒क्क; मॆळ्ळ मॆळ्ळ, कुरै॒न्दु पोग, मरै॒न्दुपोग; मरै॒न्दुपोग <br>
'''उतना''' -- पहले निर्धारित मात्रा, मान, संख्या, दूरी आदि का सूचक ---> अव्वळवु, अत्तनै <br>
'''उतरना''' -- किसी व्यक्ति या वस्तु का ऊपर के या ऊंचे स्थान से क्रमश: नीचे की ओर आना ---> इरं॒ग <br>
पंक्ति ४१३:
'''उर्वरक''' -- खेतों को उपजाऊ बनाने के लिए डाली जाने वाली रसायनिक खाद (फर्टिलाइज़र) ---> उरम् <br>
'''उलझन''' -- ऐसी स्थिति जिसमें किसी प्रकार का निराकरण़ या निश्चय करना बहुत कठिन हो, पेचीदगी ---> शिक्कल् <br>
'''उलझना''' -- किसी चीज के अंगो का आपस में दूसरी चीज के अंगों के साथ इस प्रकार फंसकर लिपटना कि सहज में एक दूसरे से अलग न हो सकें।सकें; झंझट, झगड़े, बखेड़े आदि में इस प्रकार फंसना कि जल्दी छुटकारा न हो सके ---> शिक्किक्कॊळ्ळ; अगप्पड <br>
'''उलटना''' -- सीध की विपरीत दिशा या स्थिति में जाना या होना; साधारण स्थिति से विपरीत या विरुद्ध हो जाना या करना; ऊपर का भाग नीचे और नीचे का भाग ऊपर की स्थिति में होना ---> तारुमाराह पोग, इरुक्क; तलै कीळाग; कविऴ <br>
'''उलटी''' -- कै, वमन ---> वान्दि <br>
पंक्ति ४२६:
'''ऊचा''' -- आधार या तल से ऊपर उठा हुआ; लंबा; पद, मर्यादा आदि की दृष्टि से दूसरों से आगे बढ़ा हुआ ---> उयर्न्द; उयरमान; मुन्नेरिय <br>
'''ऊंचाई''' -- ऊँचे होने की अवस्था या भाव; गौरव, बड़ाई ---> उयरम्; गौरवम, पॆरुमै <br>
'''ऊपर''' -- आकाश की ओर, ऊर्ध्व दिशा में; किसी के आधार या सहारे पर।पर; ओरों से बढ़कर, श्रेष्ठ, उत्तम; अधिक, ज्यादा ---> मेले; मेले, उदविनाल्; सिर॒न्द; अदिग <br>
'''ऊबना''' -- जी भर जाने के बाद किसी वस्तु विशेष में रुचि न रह जाना, मन में विरक्ति उत्पन्न होना ---> शलित्तुप्पोग <br>
'''ऊष्मा''' -- गरम होने की अवस्था, गुण या भाव, गरमी, ताप ---> शुडु <br>
पंक्ति ४३९:
'''एकदम''' -- तुरंत; बिल्कुल ---> उड़ने; मुट॒टि॒ळुम् <br>
'''एकनिष्ठ''' -- एक पर ही श्रद्धा रखने वाला, अनन्य भक्त; मन लगाकर कोई काम करने वाला, एकाग्रचित ---> ऒरुमुनैपपट्ट दियानमुडैय; मुळुम़नदुडन् सॆयलाट॒ट॒ल् <br>
'''एकमत''' -- एक ही तरह की राय रखने वाला।वाला; मन की एकता, मतैक्य ---> ऒरु मनदुळ्ळ; अबिप्पिराय ऒट॒टुमै <br>
'''एकमात्र''' -- अकेला, एक ही ---> ऒरे, तनियान <br>
'''एकांत''' -- निर्जन, सूना; एक को छोड़ और किसी ओर ध्यान न देने वाला।वाला; निर्जन स्थान ---> तनिमैयान; ऒरे गवनमुळ्ळ; तनिमैयानइडम् <br>
'''एकाकी''' -- अकेला ---> तनियान, ऒण्डियान <br>
'''एकाग्र''' -- तन्मय, दत्तचित्त ---> मनदु कुऴंवाद गवनमान <br>
'''एकाधिकार''' -- एक या अकेले व्यक्ति का अधिकार (मॉनोपोली) ---> तनि उरिमै <br>
'''ऐंठन''' -- मरोड़ ---> तिरुगुदल् <br>
'''ऐंठना''' -- बल पड़ने के कारण मुड़ना या संकुचित होना; अकड़ दिखाना।दिखाना; मरोड़ना; धोखा देकर लेना ---> सुरुंग; विरै॒त्तुप्पोग; तिरुग; एमाट॒टि॒ ऎडुत्तुक्कॊळ्ळ <br>
'''ऐनक''' -- चश्मा ---> मूक्कुक्कण्णाडि <br>
'''ऐश्वर्य''' -- धन-संपत्ति, वैभव; प्रभुत्व, शक्ति ---> सॆल्वम्, वैबवम्; तिर॒मै <br>
'''ओजस्वी''' -- प्रभावशाली, तेजस्वी; शक्तिशाली ---> ऒळिमयमान; तिर॒मैयुळ्ळ <br>
'''ओझल''' -- अदृश्य, छिपा हुआ ---> मरै॒न्द, पार्कमुडियाद <br>
'''ओझा''' -- भूप-प्रेत आदि झाड़ने वाला व्यक्ति, सयाना।सयाना; ब्राह्मणों की एक जाति ---> मन्दिरवादि; बिरामणर्गळिल् ऒरु पिरिवु <br>
'''ओटना''' -- कपास के बिनौले अलग करना; ---> पंजु कडैय <br>
'''ओढ़ना''' -- किसी कपड़े आदि से बदन ढकना; जिम्मा लेना।लेना; तन ढकने के लिए ऊपर से डाला जाने वाला वस्त्र ---> पोर्तिक्कॊळ्ळ; पॊरु॒प्पै ऎडत्तुक्कॊळ्ळ; पोर्वै <br>
'''ओर''' -- दिशा, तरफ; पक्ष ---> दिशै, पक्कम्; पक्कम् <br>
'''ओला''' -- बादलों से गिरने वाले वर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े ---> आलंकट्टि <br>
पंक्ति ४६५:
'''औपचारिक''' -- उपचार संबंधी; दिखावटी अथवा किसी नियम या रीति आदि के पालन-स्वरूप किया जाने वाला आचरण ---> चिकिच्चै संबन्दमान; मुरै॒प्पडियान <br>
'''औपचारिकता''' -- औपचारिक होने की अवस्था गुण या भाव (फार्मोलिज़्म); दुनियादारी ---> मुरै॒मै; उलग वऴक्कु <br>
'''और''' -- दो शब्दों और वाक्यों को जोड़ने वाला शब्द, तथा।तथा; दूसरा।दूसरा; अधिक ---> मेलुम्, मट॒टुम्; मटटॊरु, इन्नुम्; अदिगमाग <br>
'''औरत''' -- स्त्री, महिला; पत्नी ---> मगळिर्; मनैवि <br>
'''औषधालय''' -- दवाखाना ---> मरुन्दु कॊडुक्कुमिडम् <br>
पंक्ति ४९२:
'''कड़कना''' -- कड़कड़ का शब्द होना ---> उडिक्क <br>
'''कड़वा''' -- स्वाद में कसैला या कटु; कटु प्रकृति का; अप्रिय ---> कसप्पान; कॊडूरमान गुणमुळ्ळ्; पिडिक्काद <br>
'''कड़ा''' -- धातु का बड़ा छल्ला।छल्ला; सख्त, कठोर ---> काप्पु; कडिनमान <br>
'''कढ़ाई''' -- बेलबूटे निकालने का या बनाने का काम ---> तुणियिन्मेल् सॆय्युम् पूवेलै <br>
'''कतरन''' -- कपड़े, कागज, धातु आदि के छोटे-छोटे रद्दी टुकड़े ---> कत्तरित्तु, ऎडुक्कप्पट्ट तुण्डु <br>
पंक्ति ५०६:
'''कनक''' -- सोना, स्वर्ण; धतूरा ---> तंगम्; ऊमत्तै <br>
'''कन्यादान''' -- विवाह में वर को कन्या का दान करने की रस्म ---> तिरुमणम्, कन्निकादानं <br>
'''कपट''' -- छलपूर्ण मिथ्या आचरण, दुराव; धोखा।धोखा; छलपूर्ण ---> वंजनै; सूदु; कपटमान <br>
'''कपड़ा''' -- कपास, ऊन आदि के धागों से बनी हुई वस्तु जो ओढ़ने, बिछाने, पहनने आदि के काम आती है; पहनावा, पोशाक ---> तुणि; उडुप्पु <br>
'''कपाट''' -- किवाड़, दरवाजे के पल्ले; दरवाजा, द्वार ---> कदवु; निलैवायिल <br>
पंक्ति ५३३:
'''करघा''' -- कपड़ा बुनने का एक यंत्र, खड्डी ---> कैत्तरि <br>
'''करना''' -- किसी कार्य का संपादन ---> शॆय्य <br>
'''करनी''' -- कार्य, कर्म; राजगीरों का एक प्रसिद्ध उपकरण, जिससे गारा या मसाला उठाकर दीवारों आदि पर थोपा, पोता या लगाया जाता है।है; अनुचित या हीन आचरण (बोलचाल में) ---> सॆयल्, कारियम्; करणै; कॆट्ट नडत्तै <br>
'''करवट''' -- बैठने, लेटने आदि में शरीर का वह पार्श्व या बल जिस पर शरीर का सारा भार पड़ता है ---> (उडलिन्) पक्कम् <br>
'''करारा''' -- कुरकुरा; तेज, उत्कट, उग्र (कार्य, उत्तर) ---> मुरु॒गलान, करार्; उरु॒दियान <br>
पंक्ति ५४६:
'''कर्मठ''' -- काम में कुशल; मेहनती ---> वेलैयिल् तिर॒मैयुळ्ळ; उऴैप्पाळि <br>
'''कलंक''' -- दाग, धब्बा; लांछन, निन्दा ---> माशु, अळुक्कु; कुरै॒ <br>
'''कल''' -- आज के दिन से ठीक पहले का बीता हुआ दिन; आज के दिन के ठीक बाद में आने वाला दिन; चैन, आराम।आराम; मशीन, यंत्र, पुर्ज़ा ---> नेट॒टु; नाळै; निम्मदि; इयंदिरम् <br>
'''कलई''' -- सफेद रंग का प्रसिद्ध खनिज पदार्थ, रांगा; चूने की पुताई, सफेदी; मिथ्या आचरण या दिखावटी रूप ---> ईयम्; कलाइ, पृशुदल्; पॊय्यान तोट॒ट॒म् <br>
'''कलफ''' -- चावल, अरारोट आदि को पका कर बनाई हुई पतली लेई जिसे धुले कपड़ों पर लगाकर उनकी तह कड़ी की जाती है, मांड ---> तुणिग्ळुक्कु पोडुम् कंजी <br>
पंक्ति ५६३:
'''कल्प-वृक्ष''' -- पुराणानुसार देवलोक का एक वृक्ष जो सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला होता है ---> कर्पग मरम् <br>
'''कल्याण''' -- हित, भलाई, समृद्धि; मंगल, शुभ ---> नलन्; शुभ कारियम् <br>
'''कवि''' -- वह जो कविता या काव्य की रचना करता हो।हो; ---> कविञन् <br>
'''कविता''' -- लय प्रधान तथा शब्द-बद्ध साहित्यिक रचना जो प्राय: छंदों में होती है, काव्य ---> कवितै <br>
'''कष्ट''' -- पीड़ा; मुसीबत, आपत्ति; मेहनत, श्रम ---> कष्टम्; तुन्बम्; उऴैप्पु <br>
पंक्ति ५७७:
'''कस्तूरी''' -- एक प्रसिद्ध सुगंधित पदार्थ जो एक विशेष मृग की नाभि के पास थैली में पाया जाता है, (मस्क) ---> कस्तूरि <br>
'''कहकहा''' -- जोर की हंसी, ठहाका ---> अट्टहासम् <br>
'''कहना''' -- शब्द द्वारा भाव व्यक्त करना; सूचना देना अथवा घोषणा करना; समझाना-बुझाना।बुझाना; कथन, बात; आदेश।आदेश; ++; सॊलल, कूर॒; अरि॒विक्क; सोल्ल; शॊल, कुट॒टु
'''कहाँ''' -- किस स्थान पर? किस स्थिति में? किस अवसर पर? ---> ऍङ्गे <br>
'''कहानी''' -- कथा, किस्सा; मनगढंत बात ---> कदै; कट्टुक्कदै <br>
पंक्ति ५९५:
'''काना''' -- जिसकी एक आंख खराब या विकृत हो गई हो या फूट गई हो; वे फल आदि जिनका कुछ भाग कीड़ों आदि ने खा लिया हो ---> ओरुकण् कुरुडान; पूच्चि कडित्त <br>
'''कानून''' -- राज्य नियम, विधि; किसी वर्ग या समाज में प्रचलित सर्वमान्य नियम या रूढ़ियाँ ---> चट्टम्; समूह कट्टुप्पाडु <br>
'''काफी''' -- पर्याप्त, यथेष्ट।यथेष्ट; एक प्रकार का पेय, कहवा ---> पोदुमान; काप्पि <br>
'''काम''' -- अपने-अपने विषयों के भोग की ओर होने वाली इंद्रियों की स्वाभाविक प्रवृति; इच्छा, अभिलाषा, कामना; कार्य, कृत्य; धंधा, व्यापार, नौकरी; वास्ता, मतलब।मतलब; ++; कामम्; विरुप्पम्; वेलै; तॊऴिल, उद्दियोगम्
'''कामधेनु''' -- पुराणों में वर्णित एक प्रसिद्ध गौ जो सब प्रकार की कामनाएँ पूरी करने वाली मानी गई है, सुरभी (सुरभि) ---> कामदेनु <br>
'''कामना''' -- अभीष्ट, हार्दिक इच्छा ---> आवल् <br>
पंक्ति ६१९:
'''काला''' -- जो काले रंग का हो, कृष्ण, श्याम; जिसमें प्रकाश न हो, अंधकार पूर्ण; अनुचित, कलंकित, लांछित ---> करुमै निर॒मान; इरुट्टान <br>
'''काला बाजार''' -- कानून-विरोधी व्यापार (ब्लैक मार्किट) ---> करुप्पु मार्केट <br>
'''कालीन''' -- ऊन, सूत आदि का बना हुआ एक प्रकार का मोटा बिछावन जिस पर रंग-बिरंगे बेल-बूटे आदि होते हैं, गलीचा।गलीचा; काल विशेष से संबधित या उसमें होने वाला ---> विरिप्पु (जमक्काळ्म, कंवळि); कालत्तिय <br>
'''काल्पनिक''' -- मनगढ़ंत; कल्पित, कल्पनाप्रसूत ---> कर्पनै सॆय्यप्पट्ट; कर्पनसॆय्यप्पट्ट <br>
'''काव्य''' -- पद्यात्मक साहित्यिक रचना, कविता आदि ---> काप्पियम् <br>
पंक्ति ६५२:
'''कुचक्र''' -- किसी को हानि पहुंचाने के लिए बनाई गई छलपूर्ण योजना ---> सूऴच्चि <br>
'''कुचलना''' -- किसी पदार्थ को इस प्रकार पीसना कि वह बिलकुल महीन हो जाए; आघात, प्रहार आदि से दबा कर घायल या बेकार कर देना; रौंदना ---> नशुक्क; नॆरुक्क; कालाल् मिदिक्क <br>
'''कुछ''' -- थोड़ी संख्या या मात्रा का, अल्प, कम जरा-सा, थोड़ा-सा।सा; अज्ञात, अनिर्दिष्ट या अनिश्चित परिणाम, मात्रा या रूप में।में; कोई अज्ञात अनिर्दिष्ट या अनिश्चित वस्तु या बात; कोई हानिकारक चीज या बात ---> कॊजंम्, सिल; कॊजंम्, सिल; एदोसिल (पोरुळ्गळ्); ऎदुवो <br>
'''कुटिया''' -- घास-फूस का बना छोटा मकान या घर, झोंपड़ी, कुटी; साधु-संतों आदि के रहने की झोंपड़ी ---> कुडिशै; मुडिल् <br>
'''कुटिल''' -- टेढ़ा; मन में छल, कपट, द्वेष आदि रखने और छिपकर बदला लेने वाला, कपटी, दुष्ट ---> कोणलान; वंजगमान <br>
पंक्ति ६६५:
'''कुमुदिनी''' -- एक प्रकार का पौधा जिसमें कमल की तरह के सफेद पर छोटे-छोटे फूल लगते हैं तथा जो रात में खिलते हैं, कुई ---> अल्लिप्पू <br>
'''कुम्हलाना''' -- मुरझाना; चेहरे का रंग फीका पड़ना ---> वडिप्पोग; मुगंवाड <br>
'''कुल''' -- खानदान, घराना, वंश।वंश; पूरा सारा ---> वंशम्, कुलम्; पूरा, मुऴु <br>
'''कुल देवता''' -- वह देवता जिसकी पूजा किसी कुल में परम्परा से होती आई हो ---> -;
'''कुलीन''' -- उच्च कुल में उत्पन्न, ख़ानदानी ---> उयर् कूलत्तु <br>
'''कुल्हड़''' -- मिट्टि का बना हुआ छोटा पात्र ---> मण् किण्णम् <br>
'''कुशल''' -- चतुर, होशियार; जिसने कोई काम अच्छी तरह करने की शिक्षा पाई हो, प्रशिक्षित (स्किल्ड); खैरियत, राजी-खुशी ---> कैतेर्न्द; कैर्तेर्न्द, निपुणन्; क्षेमम्, सौक्कियम् <br>
'''कुश्ती''' -- एक प्रसिद्ध भारतीय खेल जिसमें दो व्यक्ति अपने शारीरिक बल तथा दांव-पेच से एक दूसरे को चित करने का पयत्न करते हैं (रैस्लिंग) ---> गुस्ति <br>
'''कुष्ठ''' -- एक संक्रामक रोग जिसमें शरीर की त्वचा, नसें आदि सड़ने-गलने लगती है; कोढ़ ---> तॊऴुनोय् <br>
पंक्ति ६८५:
'''कृषि''' -- खेतों को जोतने-बोने और उनमें अन्न आदि उपजाने का काम, खेती-बारी; फसल ---> वेळाण्मै; पयिर्, विळैच्चल् <br>
'''केंद्र''' -- किसी गोले या वृत के बीच का वह बिंदु जिससे उस गोले या वृत की परिधि का प्रत्येक बिंदु बराबर दूरी पर पड़ता है (सेंटर); मध्य भाग; वह मूल या मुख्य स्थान जहाँ से चारों ओर दूर-दूर तक फैले हुए कार्यों की व्यवस्था तथा संचालन होता है ---> मैयम्; नडुप्पगुदि; तलैमै निलैयम् <br>
'''केवल''' -- जिसका या जितने का उल्लेख किया जाए वही या उतना ही।ही; मात्र, सिर्फ ---> मट्टुम्; मात्तिरम <br>
'''केश''' -- सिर के बाल ---> तलै मयिर् <br>
'''कै''' -- उलटी, वमन ---> वान्दि <br>
पंक्ति ६९१:
'''कैदी''' -- वह जिसे कैद अर्थात् बंधन में रखा गया हो, बंदी ---> कैदि <br>
'''कोंपल''' -- पेड़-पौधों आदि में से निकलने वाली नई मुलायम पत्तियाँ, कल्ला ---> तळिर् <br>
'''कोई''' -- दो या दो से अधिक वस्तुओं, व्यक्तियों आदि में से ऐसी वस्तु या व्यक्ति, जिसका निश्चित उल्लेख या परिज्ञान हो।हो; न जाने कौन एक, बहुतों में से चाहे जो एक; लगभग ---> एदावदु ऒरु, ऎवनो; एदावदु ऒरु, ऎवनो; सुमार् <br>
'''कोठरी''' -- छोटा कमरा ---> सिरु॒ अरै॒ <br>
'''कोठी''' -- बहुत बड़ा, ऊँचा और पक्का मकान ---> माळिगै, बंगला <br>
पंक्ति ७४४:
'''खतरनाक''' -- जो खतरे से भरा हो या खतरे का कारण बन सकता हो, जोखिम-भरा ---> अबायकरमान <br>
'''खतरा''' -- अनिष्ट, संकट आदि की आशंका या संभावना से युक्त स्थिति ---> अबायम् <br>
'''खनिज''' -- खान से खोद कर निकाला हुआ।हुआ; खनिज पदार्थ ---> सुरंगत्तिनिन्रू ऎडुन्त; कनिप्पॊरुळ् <br>
'''खपत''' -- खपने या खपाने की क्रिया या भाव, माल की कटती या बिक्री ---> सेलवादल् <br>
'''खरा''' -- जिसमें किसी प्रकार की खोट या मैल न हो, विशुद्ध; लेन-देन व्यवहार आदि में ईमानदार, सच्चा और शुद्ध हृदय वाला ---> सुद्धमान, असल् कलप्पड मिल्लाद; नम्बिक्कैयान <br>
पंक्ति ७६२:
'''खाद''' -- सड़ाया हुआ गोबर, पत्ते आदि जो खेत को उपजाऊ बनाने के लिए उनमें डाले जाते हैं (मैन्योर) ---> ऎरु <br>
'''खादी''' -- हाथ से कते सूत का हाथ करघे पर बना कपड़ा, खद्दर ---> कदर् तुणि <br>
'''खाद्य''' -- जो खाए जाने के लिए हो अथवा खाये जाने के योग्य हो, भक्ष्य, भोज्य।भोज्य; खाए जाने वाले पदार्थ; भोजन ---> उण्णत्तहुन्द; उणवुप्पॊरुळ्; साप्पाडु <br>
'''खाद्यान्न''' -- वे अन्न जो खाने के काम आते हों ---> उणवु दानियंगळ् <br>
'''खान''' -- वह स्थान जहां से धातु, पत्थर आदि खोद कर निकाले जाते हैं; वह स्थान जहां कोई वस्तु अधिकता से होती या पाई जाती है ---> कनि, सुरंगम्; शॆळिप्पाह किडैक्कू इडम् <br>
'''खाना''' -- पेट भरने के लिए मुंह में कोई खाद्य वस्तु रखकर उसे चबाना और निगल जाना, भोजन करना।करना; भोजन; दीवार, आलमारी, मेज आदि में बना हुआ वह अंश या विभाग जिसमें वस्तुएं आदि रखी जाती हैं ---> साप्पिड; साप्पाडु उणवु; अलमारी, शुवर् गळिल् अरैगळ् <br>
'''खारा''' -- जिसमें क्षार का अंश या गुण हो, जो स्वाद में नमकीन हो ---> उप्पुक्करिक्किर <br>
'''खाल''' -- पशुओं आदि के शरीर पर से खींच कर उतारी हुई त्वचा जिस पर बाल या रोएं होते है, चमड़ी ---> तोल् <br>
पंक्ति ७८१:
'''खुजली''' -- शरीर के किसी अंग में रक्त का संचार रुक जाने के कारण होने वाली सुरसुरी; एक चर्म रोग जिसमें शरीर पर छोटे-छोटे दाने निकल आते हैं और बहुत अधिक खुजलाहट होती है, खाज ---> अरिप्पु; सॊरि <br>
'''खुजाना''' -- शरीर के किसी अंग में खुजली होने पर उस स्थान को नाखूनों अथवा उंगलियों से बार-बार मलना या रगड़ना ---> सॊरिय <br>
'''खुदरा''' -- किसी पूरी चीज के छोटे-छोटे अंश, खंड या टुकड़े, फुटकर; वस्तुओं की बिक्री का वह प्रकार जिसमें वे इकट्ठी या थोक नहीं बल्कि एक-एक करके या थोड़ी-थोड़ी बेची जाती हैं।हैं; थोड़ा-थोड़ा करके बिकने वाला ---> सिल्लरै सामान्; सिल्लरै विर्पनै; सिरि॒दु सिरि॒दाग <br>
'''खुर''' -- कुछ पशुओं के पैरों का अगला सिरा जो प्राय: गोल तथा बीच में से फटा हुआ होता है, टाप, सुम ---> कुळंबु <br>
'''खुरचना''' -- किसी नुकीली वस्तु को किसी दूसरी वस्तु पर इस प्रकार रगड़ना कि वह कुछ छिल जाए ---> तुरुव, शुरण्ड <br>
पंक्ति ७९०:
'''खुश्क''' -- जो तर न हो, सूखा; जो चिकना हो, चिकनाई-रहित; जिसमें कोमलता या रसिकता न हो ---> उलर्न्द; वरण्ड; मुरडु <br>
'''खून''' -- रक्त, रुधिर, लहू; हत्या ---> रत्तम्; कॊलै <br>
'''खूब''' -- सब प्रकार से अच्छा और उत्तम, बढ़िया।बढ़िया; अच्छी तरह से, भली भांति ---> सिर॒न्द; नन्रा॒ग <br>
'''खूबसूरत''' -- जो देखने में बहुत अच्छा लगता हो, सुन्दर ---> अऴगान <br>
'''खेत''' -- वह भू-खंड जो फसल उपजाने के लिए जोता-बोया जाता है ---> वयल् <br>
पंक्ति ८४१:
'''गरीब''' -- निर्धन, दरिद्र; दीन और नम्र; निरुपाय, बेचारा ---> शदैप्पट॒टुळ्ळ बागम्; एळै; ऎळिय <br>
'''गर्व''' -- अपने को दूसरों से बढ़कर समझने का भाव, अभिमान, घमंड; अपनी शक्ति, समर्थता आदि की दृष्टि से मन में होने वाली अयुक्तिपूर्ण अहंभावना; अपने किसी श्रेष्ठ कार्य, बात, वस्तु और व्यक्ति आदि के संबंध में होने वाली न्यायोचित अहंभावना ---> गर्वम्; शॆरुक्कु; मननॆगिऴचि <br>
'''गलत''' -- जो सही या ठीक न हो, अशुद्ध; मिथ्या, असत्य।असत्य; अनुचित ---> तवरा॒न; पॊय्; तगाद <br>
'''गलती''' -- भूल, अशुद्धि, त्रुटि ---> पिऴै, तवरु॒ <br>
'''गलाना''' -- किसी ठोस वस्तु को तरल बनाना, पिघलाना; किसी कड़ी चीज या कच्चे अन्न आदि को उबाल कर नरम करना; घुलाना ---> उरुक्क; समैत्तु पक्कुवमाक्क; करैक्क <br>
पंक्ति ८५२:
'''गाड़ना''' -- गड्ढे में रखकर मिट्टी से ढकना, दफनाना; धरती या दीवार आदि में धंसाना ---> पुदैक्क; बूमियिल् सुवट्टिल तिणिक्क <br>
'''गाढ़ा''' -- जो पतला न हो; (रंग आदि) जो अधिक गहरा हो; दृढ़, पक्का, घनिष्ठ ---> गॆट्टियान; आऴन्द; अडर्न्द <br>
'''गाना''' -- लय, ताल के साथ पदों का उच्चारण करना।करना; गाई जाने वाली चीज या रचना, गीत ---> पाड; पाट्टु <br>
'''गायक''' -- गाने वाला, गवैया ---> पाडगर् <br>
'''गाहक (ग्रहक)''' -- खरीदने वाला, खरीददार ---> विलैक्कु वांगुबवर्, वाडिक्कैक्कारर् <br>
पंक्ति ८८१:
'''गुब्बारा''' -- बच्चों के खेलने की रबड़ की थैली जिसमें हवा, गैस भरी जाती है (बैलून) ---> बलून् <br>
'''गुमनाम''' -- अप्रसिद्ध; बिना नाम का, जिसमें किसी का नाम न लिखा हो, अनाम ---> पुगळ् इल्लाद; पॆयरिल्लाद <br>
'''गुरु''' -- भारी; कठिन, मुश्किल।मुश्किल; विद्या देने वाला, शिक्षक ---> गनत्त; कडिनमान; गुरु, अशिरियर् <br>
'''गुरुकुल''' -- गुरु का वास स्थान जहाँ रह कर शिष्य विद्याध्ययन करते हों; प्राचीन पद्धति पर स्थापित विद्यापीठ ---> गुरुकुलमु; पंडै कालत्तिय कल्वि निलैयम् <br>
'''गुर्राना''' -- कुत्ते बिल्ली आदि का क्रोध में मुंह बंद करके भारी आवाज निकालना; क्रोध में कर्कश स्वर से बोलना ---> उरुम; कोबत्तिनाळ् अडित्तॊडयाल् पेश <br>
पंक्ति ९०६:
'''गोबर''' -- गाय का मल जो लीपने और पोतने के काम आता है तथा जिसे सुखा कर जलाने के काम में लाते है, भैंस का मल ---> शाणम् <br>
'''गोरा''' -- श्वेत वर्ण वाला (व्यक्ति), गौर ---> सिवप्पु निर॒मान <br>
'''गोल''' -- मण्डलाकार या वृताकार।वृताकार; फुटबाल आदि खेलों का गोल ---> वट्टवडिवमान; काल्पन्दु विळैयाट्टिळ् 'गोल्' <br>
'''गोली''' -- शीशा, लोहा या अन्य किसी पदार्थ का छोटा गोलाकार पिंड ---> गोलि, तुप्पाक्कि रवै <br>
'''गोष्ठी''' -- कुछ व्यक्तियों का इकट्ठे होकर किसी विषय पर चर्चा करना ---> करुत्तरंगु <br>
पंक्ति ९३८:
'''घायल''' -- जख्मी, आहत ---> कायमडैन्द <br>
'''घास''' -- छोटी हरी वनस्पति जिसे चौपाए खाते हैं (ग्रास) ---> पुल् <br>
'''घिसना''' -- किसी वस्तु को किसी वस्तु पर इस प्रकार रगड़ना कि वह छीजने लगे; किसी बरतन आदि पर जमी हुई मैल छुड़ाने के लिए उस पर कोई चीज़ रगड़ना, मांजना।मांजना; रगड़ से कटना या छीजना ---> तेय्क्क; विळक्क; तेय <br>
'''घुंघराला''' -- जिसमें छल्ले की तरह कई बल पड़े हों (कर्ली) ---> सुरुट्टैयान <br>
'''घुंघरू''' -- चांदी, पीतल आदि का गोल पोला दाना जिसके अंदर कंकड़ी रहती है और जिसके हिलने से ध्वनि होती है। प्राय: नृत्य के समय इन्हें पैरों में पहना जाता है ---> सलंगै <br>
पंक्ति ९६४:
'''चंद्रमा''' -- पृथ्वी का एक प्रसिद्ध उपग्रह, चांद ---> चन्दिरन् <br>
'''चकबंदी''' -- बहुत बड़े भूमि खंड को छोटे-छोटे चकों या भागों में बांटने की क्रिया या भाव; छोटे-छोटे खेतों को एक में मिलाकर उनके बड़े-बड़े चक या विभाग बनाने की क्रिया या भाव ---> वयलगळिन्; सिरियवल्गलै सॆर्त्तु पॆरिय वयलॊक्कुदल् <br>
'''चकराना''' -- चकित होना; सिर घूमना।घूमना; किसी को चक्कर या फेर में डालना, चकित करना ---> वियप्पड़ैय; तलै शुट॒ट॒; वियप्पूट्ट <br>
'''चकित''' -- आश्चर्य में आया या पड़ा हुआ ---> आच्चारियमडैन्द, वियप्पूट्ट <br>
'''चक्की''' -- आटा पीसने, दाल दलने आदि का प्रसिद्ध यंत्र या मशीन, जाँता ---> मावु अरैक्कुम् इयन्दिरम् <br>
पंक्ति १,०१०:
'''चालक''' -- चलाने वाला (ड्राइवर।) ---> ओट्टुबवर् <br>
'''चालाक''' -- होशियार, व्यवहार-कुशल; धूर्त ---> तन्दिर शालियान; पोक्किरि <br>
'''चालान (चलान)''' -- रवन्ना।रवन्ना; अभियोगारंभ ---> वऴक्कु तॊडरल्; वऴक्कु तॊडरल् <br>
'''चाहना''' -- इच्छा करना; प्रेम करना ---> विरुम्ब; कोर <br>
'''चिंघाड़ना''' -- हाथी का बोलना या जोर से चिल्लाना ---> (यानै) पिळिर <br>
पंक्ति १,०४९:
'''चूकना''' -- भूल करना; सुअवसर खो देना ---> पिऴै सॆय्य; नल् वाय्प्पै इऴक्क <br>
'''चूड़ी''' -- सोने, चाँदी, काँच, हाथीदांत आदि का स्त्रियों का हाथ में पहनने का एक वृत्ताकार गहना; किसी पेंच के वृताकार खांचे (थ्रेड्स) ---> वळैयल्; तिरूगाणियिन् (स्क्रू) मरै <br>
'''चूना''' -- कुछ विशिष्ट प्रकार के कंकड़-पत्थरों, शंख, सीप आदि को फूंक कर बनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध तीक्ष्ण और वाहक क्षार जिसका उपयोग दीवारों पर सफेदी करने और पान आदि के साथ खाने के लिए किया जाता है।है; किसी तरल पदार्थ का किसी छेद या संधि में से टपकना या बाहर निकलना ---> सुण्णांबु; ऒळुग <br>
'''चूमना''' -- होठों से होंठ, हाथ, गाल, मस्तक आदि अंगों का अथवा किसी पदार्थ का स्पर्श करना ---> मुत्तम् इड <br>
'''चूरन (चूर्ण)''' -- खूब महीन पीसी हुई बुकनी (पाउडर।) ---> पॊडि, तूळ् चूरणम् <br>
पंक्ति १,०७४:
'''छल''' -- कपट, धोखेबाजी ---> मोशम्, वंचनै <br>
'''छलकाना''' -- बरतन में भरे हुए जल आदि को हिलाकर गिराना ---> तळुंबच्चॆय्य <br>
'''छलना''' -- धोखा देना, ठगना, भुलावे में डालना।डालना; धोखा, वंचना ---> एमाट्ट, बंचिक्क; मोशम्, वंचनै <br>
'''छल्ला''' -- सोने चाँदी आदि के तार को मोड़ कर बनाई हुई अंगूठी; उक्त प्रकार की कोई गोलाकार आकृति ---> वेळळि/तंग/कंबिगळाल्; मोदिरं <br>
'''छांटना''' -- अनावश्यक अंश अलग करना; चुनना ---> वेण्डाद पहुदियै नीक्क; पोरुक्कि ऎडुक्क <br>
पंक्ति १,०८५:
'''छाप''' -- वह ठप्पा या सांचा जिससे कोई चीज छापी जाए, ठप्पा; प्रभाव, असर ---> मुटिरै, अच्चु; विळैवु <br>
'''छापना''' -- यंत्रों, ठप्पों आदि की सहायता से अक्षर, चित्र आदि की छपाई करना; पुस्तक, लेख, समाचार पत्र आदि प्रकाशित करना ---> अच्चिड; पदिप्पिक्क <br>
'''छापा (मारना)''' -- ठप्पा।ठप्पा; कुछ विशिष्ट वस्तुएं पकड़ने के लिए पुलिस का अचानक या अप्रत्यशित रूप से कहीं पहुंच कर तलाशी लेने के लिए सब चीजों को देखना-भालना (रेड) ---> मुद्दिरै; दिडीर ताक्कुदल <br>
'''छाया''' -- प्रकाश के अवरोध में उत्पन्न हलका अंधेरा; परछाई, प्रतिबिम्ब; सादृश्य, प्रतिकृति ---> निऴल्; पिरतिबिंबम्; उरुवम् <br>
'''छाल''' -- वृक्षों आदि के तने पर का कड़ा, खुरदरा और मोटा छिलका ---> मरप्पट्टै <br>
पंक्ति १,१०३:
'''छेड़ना''' -- किसी को उत्तेजित करने के लिए कुछ कहना या करना, चिढ़ाना; किसी वस्तु को इस प्रकार छूना या स्पर्श करना कि उसके फलस्वरूप कोई क्रिया या व्यापार घटित हो ---> वंबुसॆय्य; चीण्ड <br>
'''छेदना''' -- छेद अथवा सुराख करना ---> तुळै पोड <br>
'''छोटा''' -- मान, विस्तार आदि में अपेक्षाकृत या थोड़ा।थोड़ा; उम्र में कम।कम; तुच्छ, हीन ---> सिरि॒य; इळैय; अर्पमान <br>
'''छोड़ना''' -- बंधन से मुक्त करना, स्वतन्त्र करना; माफ करना; त्याण देना; चलाना, फेंकना।फेंकना; किसी कार्य या उसके अंग को न करना या भूल से छोड़ देना।देना; ++; विट्टु विड, विडुदलै शॆय्म; मन्निक्क; विट्टुविड; सॆलुत्त, ऎय्य
'''छोर''' -- अंतिम सिरा, किनारा ---> ओरम्, करै <br>
'''जंग''' -- युद्ध; वायु और नमी के प्रभाव से उत्पन्न होकर लोहे पर जमने वाला मैला या विकृत अंश ---> युद्दम्, पोर्; तुरु <br>
पंक्ति १,१११:
'''जंजीर''' -- धातु की बहुत-सी कड़ियों को एक दूसरे में पहनाकर बनाई जाने वाली लड़ी, सांकल, श्रृंखला ---> संगिलि <br>
'''जंतु''' -- प्राणी, जीव ---> पिराणि <br>
'''जकड़ना''' -- कोई चीज इस प्रकार कसकर पकड़ना या बांधना कि वह हिलडुल न सकें।सकें; शीत आदि के कोप से शरीर का ऐंठना या तन जाना, अकड़ना ---> इरुक्किक्कट्ट; विरै॒त्तुपयोग <br>
'''जगत्''' -- संसार, विश्व ---> उलगम् <br>
'''जगत''' -- कुएं के चारों ओर बना हुआ चबूतरा जिस पर खड़े होकर पानी खींचा जाता है ---> किणट॒टु मेडै <br>
पंक्ति १,१२७:
'''जपना''' -- फल-प्राप्ति के लिए किसी शब्द, पद, वाक्य आदि को श्रद्धापूर्वक मन ही मन बार-बार कहना ---> जबिक्क <br>
'''जबरदस्त''' -- प्रबल अथवा स्वभाव से कड़ा (व्यक्ति) ---> वलुवान <br>
'''जमा''' -- बचाकर या जोड़कर रखा हुआ।हुआ; मूलधन, पूंजी; जोड़ (गणित) ; खाते या बही का वह भाग या कोष्ठक जिसमें प्राप्त हुए धन का ब्योरा दिया जाता है ---> शेर्त्तुकैक्प्पट्ट; मुदल्; कूट्टुत्तॊगै; वरवु वैक्कुम पगुदि <br>
'''ज़मानत''' -- वह जिम्मेदारी जो न्यायलय द्वारा इस रूप में दी जाती है कि यदि कोई व्यक्ति विशेष समय पर कोई काम नहीं करेगा तो उसका दंड या हरजाना भरा जाएगा (बेल) ; वह धन जो कोई जिम्मेदारी लेते समय किसी अधिकारी के पास जमा किया जाता है (सिक्योरिटि) ---> जामीन्; पिणैयम् <br>
'''जमाना''' -- किसी तरल पदार्थ को शीत अथवा अन्य किसी प्रक्रिया से ठोस बनाना; एक वस्तु को दूसरी वस्तु पर दृढ़तापूर्वक स्थित करना या बैठाना ---> उरैयच्चॆय्य; नन्गु पॊरूत्ति वैक्क <br>
पंक्ति १,१६३:
'''जालसाज''' -- धोखाधड़ी करने वाला, धूर्त्त ---> मोशडि सॆयबवन् <br>
'''जाला''' -- मकड़ी द्वारा बुना हुआ जाला; आंख का एक रोग जिसमें पुतली पर झिल्ली-सी आ जाती है ---> शिलन्दिक् कूडु; कण नोय् <br>
'''जाली''' -- कोई ऐसी रचना जिसमें प्राय: नियत और नियमित रूप से छेद या कटाव हो; एक प्रकार का कपड़ा जिसमें बहुत छोटे-छोटे छेद होते हैं।हैं; धोखा देने के लिए बनाया गया, झूठा, नकली या बनावटी ---> जालि वलैप्पिन्नल्; जल्लात्तुणि; पोलि <br>
'''जासूस''' -- वह व्यक्ति, जो गुप्त रूप से अपराधियों, प्रतिपक्षियों आदि का भेद लेता हो। गुप्तचर, भेदिया ---> ऒट॒ट॒न् उळवाळि <br>
'''जासूसी''' -- जासूस का काम, पद या विद्या।विद्या; जासूस संबंधी ---> उळवरि॒दल्; मर्म (उळवु संबन्दमान) <br>
'''जिज्ञासा''' -- जानने की इच्छा ---> आवल् <br>
'''जितना''' -- जिस मात्रा या परिमाण में ---> ऎन्द अळविल् <br>
पंक्ति १,१९०:
'''जैसा''' -- जिस आकार-प्रकार या रूप रंग का, जिस तरह का; समान, सदृश ---> ऎप्पडिप्पट्ट; पोन्र॒ <br>
'''जोंक''' -- पानी में रहने वाला एक कीड़ा जो अन्य जीवों के शरीर से चिपक कर उनका रक्त चूसता है ---> अट्टै <br>
'''जो''' -- एक संबंधवाचक सर्वनाम जिसका प्रयोग पहले कही हुई किसी बात अथवा पहले आई हुई संज्ञा, सर्वनाम या पद के संबंध में कुछ और कहने से पहले किया जाता है।है; किसी अज्ञात या अनिश्चित बात का सूचक ---> ऎन्द; एदो <br>
'''जोखिम''' -- हानि, अनिष्ट, घाटे की संभावना, खतरा ---> आघत्तु, आबायम् <br>
'''जोड़ना''' -- दो वस्तुओं या टुकड़ों को एक दूसरे के साथ चिपकाना, सीना, मिलाना आदि; अपनी ओर से कुछ मिलाना; गणित में संख्याओं का योग करना ---> इणैक्क; सेर्क्क; कूट्ट <br>
पंक्ति १,२१९:
'''झपकी''' -- हलकी नींद, थोड़ी देर की नींद ---> कण् अयर्वु <br>
'''झपटना''' -- किसी चीज को लेने, पकड़ने अथवा उस पर आक्रमण करने के लिए तेजी से लपकना ---> वेगमाय्पाय <br>
'''झरना''' -- ऊंचे स्थान से नीचे गिरने वाला जल-प्रवाह, प्रपात; चश्मा, सोता।सोता; ऊंचे स्थान से पानी या किसी चीज का लगातार नीचे गिरना ---> नीर् वीऴच्चि; नीर् ऊट॒टु; उदिर, पाय <br>
'''झरोखा''' -- दीवार में बनी हुई जालीदार छोटी खिड़की, गवाक्ष ---> शाळरम् <br>
'''झलक''' -- चमक, दमक, आभा; आकृठति का आभास या प्रतिबिंब ---> पळपळप्पु मिन्नल्; तोट॒ट॒म् <br>
पंक्ति १,२३९:
'''झूठ''' -- असत्य, मिथ्या ---> पॊय् <br>
'''झूमना''' -- बार-बार आगे पीछे इधर उधर झुकते या हिलते-डुलते रहना, हलकी गति में झोंके खाना; नशे, नींद, प्रसन्नता या मस्ती में शरीर को धीरे-धीरे हिलाना ---> ऊंजलाड; असैन्दाड <br>
'''झूलना''' -- किसी लटकी हुई चीज का बार-बार आगे-पीछे होना।होना; झूले पर बैठ कर पेंग लेना ---> ऊशलाड; ऊंजलिल् आड <br>
'''झूला''' -- पेड़ की डाल, छत या किसी अन्य ऊंचे स्थान से बांधकर लटकाई हुई जंजीरें या रस्सियां जिनपर तख्ता आदि लगा कर झूलते हैं (स्विंग) ---> ऊंजल् <br>
'''झेंप''' -- लज्जा, संकोच, शर्म ---> नाणम् <br>
पंक्ति १,२८६:
'''ठाट-बाट''' -- आडंबर, तड़क-भड़क, शान-शौकत ---> आडंबरम्, विमरिसै <br>
'''ठिकाना''' -- रहने या ठहरने का स्थान ---> तंगुमिडम् <br>
'''ठीक''' -- उपयुक्त।उपयुक्त; शुद्ध, सत्य ---> सरियान; सरि, नल्लदु <br>
'''ठुकराना''' -- पैर से ठोकर लगाना; उपेक्षा या तिरस्कारपूर्वक अस्वीकार करना ---> उदैत्तुत्त्तळ्ळ; अवमदिक्क <br>
'''ठूंठ''' -- वह वृक्ष जिसका धड़ ही बच रहा हो तथा जिसकी टहनियां टूट गई हों ---> मॊट्टै मारम् <br>
पंक्ति १,३२६:
'''ड्योढ़ी''' -- किसी भवन या मकान के मुख्य प्रवेश द्वार के आसपास की भूमि या स्थान; घर के मुख्य द्वार के अंदर का वह भाग जिसमें से होकर घर के कमरों, आंगन आदि में जाया जाता है ---> निलैप्पडि; निलैवायिल् <br>
'''ढंग''' -- कोई काम करने की रीति ---> मुरै॒ <br>
'''ढकना''' -- किसी पर आवरण डालना ताकि वह दिखाई न पड़े।पड़े; वह चीज या रचना जिससे कोई चीज ढकी जाती है, ढक्कन ---> मूड; मूडि <br>
'''ढकेलना''' -- धक्का देकर आगे बढ़ाना ---> मुन्नेरुं॒बडि तळ्ळ <br>
'''ढकोसला''' -- स्वार्थ-सिद्धि के लिए अपनाया हुआ झूठा रूप, दिखावा ---> शूदु, वॆळिप्पगट्टु <br>
पंक्ति १,४४१:
'''तृण''' -- तिनका, घास ---> तुरुंबु, पुल् <br>
'''तृप्ति''' -- आवश्यकता अथवा इच्छा पूरी हो जाने पर मिलने वाली मानसिक शांति या आनंद ---> तिरुप्ति, मननिरै॒वु <br>
'''तेज''' -- दीप्ति; प्रताप।प्रताप; तीक्ष्ण पैनी धार वाला; प्रखर, प्रचंड ---> ऒळि; महिमै; कूमैंयान; पिरकाशमान <br>
'''तेरा''' -- तू का संबंध कारक का रूप ---> उनदु, उन्नुडैय <br>
'''तेल''' -- तिलहन के बीजों या कुछ विशिष्ट वनस्पतियों को पेर कर निकाला जाने वाला स्निग्ध तरल पदार्थ ---> ऎण्णॆय् <br>
पंक्ति १,४५०:
'''तोड़ना''' -- किसी वस्तु को ऐसा खंडित या नष्ट करना कि वह काम में आने योग्य न रह जाए; किसी नियम, कानून आदि का पालन न करना ---> उडैक्क; शट्टत्तै मुरि॒क्क <br>
'''तोड़फोड़''' -- जान-बूझ कर क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से किसी भवन या रचना को खंडित करना ---> नाशवेलै <br>
'''तोरण''' -- किसी बड़ी इमारत या नगर का प्रवेश द्वार।द्वार; प्राय: शोभा या सजावट के लिए बनाए जाने वाला अस्थायी स्वागत-द्वार ---> नगरत्तिन्, माळिगैयिन् तलैमे वायिल्; अलंगार, नुऴै वायिल् <br>
'''त्याग''' -- किसी चीज पर अपना अधिकार या स्वत्व हटा लेने अथवा उसे छोड़ने की क्रिया ---> उरिमैयै विट्टु विडुदलं <br>
'''त्योहार''' -- कोई धार्मिक, सांस्कृतिक या जातीय उत्सव ---> तिरुविऴा, पंडिगै <br>
पंक्ति १,४७०:
'''थैला''' -- झोला, कपड़े, टाट आदि का आधान जिसमें चीजें रखी जाती हैं ---> पॆरिय पै <br>
'''थोक''' -- एक ही तरह की बहुत सी चीजों का ढेर या राशि; चीजें खरीदने-बेचने का वह प्रकार जिसमें बहुत सी चीजें एक साथ इकट्ठी खरीदी बेची जाती हैं। (खुदरा या फुटकर का विपर्याय) ---> ऒरेविद पारुळिन् कुवियल्; मॊत्त वियापारम् <br>
'''थोड़ा''' -- अल्प मात्रा या मान, उचित से कम।कम; अल्प मात्रा में, कुछ, जरा ---> सिरि॒दु; कॊंजमाग <br>
'''दंगल''' -- पहलवानों की कुश्ती प्रतियोगिता ---> गुस्तिप् पोट्टि <br>
'''दंगा''' -- उपद्रव, फसाद ---> कलगम्, कैक़लप्पु <br>
पंक्ति १,५६१:
'''दुष्ट''' -- दूषित मनोवृत्ति वाला, दूसरों को परेशान करने वाला ---> दुष्टन्, पोक्किरि <br>
'''दुहना''' -- मादा जीवों के स्तनों से दूध निचोड़ना ---> कर॒क्क (पाल्) <br>
'''दूत''' -- एक जगह से दूसरी जगह चिट्ठी-पत्री, संदेश आदि पहुँचाने के लिए नियुक्त व्यक्ति (मैसेंजर); किसी राजा या राष्ट्र का वह प्रतिनिधि जो राजनितिक कार्य से अन्य राष्ट्र में भेजा गया हो या स्थायी रूप से रहता हो (ऐबैसेडर) ---> तूदन्; राजतूदर <br>
'''दूतावास''' -- राजदूत के रहने का स्थान और उसका कार्यालय (ऐंबैसी) ---> तुदरालयम् <br>
'''दूभर''' -- कठिन, मुश्किल, असह्य ---> कडिनमान <br>
पंक्ति १,६०८:
'''धन्यवाद''' -- किसी उपकार या अनुग्रह के बदले में कहा जानेवाला कृतज्ञतासूचक शब्द, शुक्रिया, (थैंक्स) ---> नन्रि॒ <br>
'''धरती''' -- पृथ्वी, जमीन, भूमि ---> बूमि, तरै <br>
'''धरना''' -- किसी स्थान पर किसी चीज को रखना; बंधक रखना।रखना; कोई काम कराने के लिए अड़कर बैठ जाना और जब तक काम न हो जाए वहां से न हटना ---> वैक्क; अडगु वैक्क; मरि॒यल् <br>
'''धर्म''' -- समाज में किसी जाति, कुल, वर्ग आदि के लिए उचित ठहराया हुआ व्यवसाय, कर्त्तव्य; मज़हब (रिलिजन) ---> कडमै; मदम् <br>
'''धर्मशाला''' -- परोपकार की दृष्टि से बनाया गया वह भवन जिसमें यात्री बिना कुछ शुल्क दिए कुछ समय तक रह सकते हैं ---> सत्तिरम् <br>
पंक्ति १,६३९:
'''ध्यान''' -- अंत:करण में उपस्थित करने की क्रिया या भाव, मनोयोग, अवधान; सोच-विचार, मनन; चित्त या मन को पूरी तरह एकाग्र और स्थिर करने की क्रिया या भाव ---> गवनम्; योचित्तल्, चिन्तनै; गवनम् <br>
'''ध्येय''' -- उद्देश्य ---> कुरि॒क्कोळ् <br>
'''ध्रुव''' -- अचल, अटल, दृढ़, पक्का।पक्का; स्थायी, नित्य, शाश्वत।शाश्वत; पृत्वी के दोनों नुकीले सिरे (भूगोल); एक प्रसिद्ध तारा जो सदा उत्तरी ध्रुव के ठीक ऊपर रहता है ---> अशैयाद; निलैयान; बूमियिन् इरु दुरुवंगळ्; दुरुव नक्षत्तिरम् <br>
'''ध्वज''' -- झंडा, पताका; चिह्न, प्रतीक ---> कॊड़ि; अ़डैयाळम् <br>
'''ध्वजारोहण''' -- झंडा फहराने की क्रिया ---> कॊडियेट॒ट॒म् <br>
'''ध्वनि''' -- आवाज़, शब्द; बाजे आदि बजने से उत्पन्न होने वाला शब्द; (काव्य में), व्यंग्य, व्यंग्यार्थ ---> ऒलि; वाद्दिय ऒलिप्पु; मरै॒ पॊरुळ् <br>
'''नंगा''' -- जो कोई कपड़ा न पहने हो; जिस पर कोई आवरण या आलंकारिक वस्तु न हो; निर्लज्ज, बेशर्म, दुष्ट, पाजी ---> अम्मणमान; मूडप्पडाद; वॆट्कमिल्लाद <br>
'''नकद''' -- नोटों, सिक्कों आदि के रूप में खड़ा धन जो देन आदि के बदले में तुरंत दिया या चुकाया जाए, उधार का विपर्याय।विपर्याय; जिसका मूल्य रुपए पैसे के रूप में तुरंत चुकाया जाए।जाए; तुरंत दिए हुए रुपए के रूप में ---> रॊक्कप्पणम्; रॊक्कमाग; रॊक्कमाग <br>
'''नकदी''' -- रुपया-पैसा जो तैयार या नोटों, सिक्कों आदि के रूप में सामने हो, खड़ा धन ---> रॊक्कप्पणम् <br>
'''नकल''' -- किसी को कुछ काम करते हुए देखकर उसी के अनुसार करने की क्रिया या भाव, अनुकरण; परीक्षा में, एक परीक्षार्थी का दूसरे द्वारा लिखे हुए उत्तर को अपनी उत्तर पुस्तिका में उतार लेना; किसी कृति, चित्र लेख आदि की ज्यों की त्यों तैयार की हुई प्रतिलिपि, अनुलिपि ---> विगडम्; काप्पि अडित्तल्; नगल् पिरदि, पडि <br>
पंक्ति १,६८२:
'''नहाना''' -- शरीर को स्वच्छ करने के लिए जल से धोना, स्नान करना ---> कुळिक्क <br>
'''नाग''' -- सर्प, सांप; काले रंग का, बड़ा और फन वाला सांप, करैत ---> पांबु; करु नागम् <br>
'''नागरिक''' -- नगर में रहने वाला, नगर से संबंधित; असैनिक (सिविल); किसी राज्य में जन्म लेने वाला वह व्यक्ति जिसे उस राज्य में रहने, नौकरी करने, संपत्ति रखने आदि के अधिकार प्राप्त होते हैं (सिटीज़न) ---> नगर वाशि; कुडिमुरैयान, सिविल् (राणुव चार्बट॒ट॒); कुड़िमगन् <br>
'''नागिन''' -- नाग (सर्प) की मादा ---> पॆण् पांबु <br>
'''नाचना''' -- हार्दिक प्रसन्नता व्यक्त करने के लिए पैरों को थिरकाना, अंगों को हिलाना-डुलाना; संगीत के स्वर में ताल-स्वर के अनुसार हाव-भाव पूर्ण चेष्टाएं करना ---> नाट्टियमाड; नडनमाडुदल् <br>
'''नाटक''' -- दृश्य काव्य (ड्रामा); दिखावटी कार्य ---> नाडगयम्; पाशांगु <br>
'''नाता''' -- संबंध, रिश्ता ---> उर॒वु <br>
'''नाथ''' -- प्रभु, स्वामी, अधिपति; विवाहिता स्त्री का पति।पति; ऊंटों, बैलों आदि को वश में रखने के लिए नथनों में डाली जाने वाली रस्सी ---> ऎजमानन्, अदिपदि; कणवन्; मूक्कणांकयिरु॒ <br>
'''नादान''' -- अकुशल या अनाडी ---> कपडमट॒ट॒ <br>
'''नाप-तोल''' -- कोई चीज़ नापने या तौलने की क्रिया या भाव, नाप-जोख; नाप या तौल कर स्थिर की गई मात्रा या परिमाण, माप और वजन ---> अळत्तल, निरुत्तल्; अळवु, निरै॒ <br>
पंक्ति १,७३८:
'''निरा''' -- विशुद्ध; केवल, सिर्फ, एक मात्र ---> शुद्दमान, असल्; वॆरु॒म, तनियान् <br>
'''निराकरण''' -- दूर करना या हटाना; आपत्ति आदि का तर्कपूर्वक खंडन, निवारण या परिहार करना ---> अगट॒ट॒ल्; कारणम् कूरि॒ ऒदुक्कुदल् <br>
'''निराकार''' -- जिसका कोई आकार न हो, स्वरूप रहित।रहित; ब्रह्म ---> उरुवमट॒ट॒; कडबुळ् <br>
'''निराधार''' -- जिसका कोई आधार न हो, आधारहीन; ---> आदारमट॒ट॒ <br>
'''निरामिष''' -- जिसमें मांस न मिला हो; (व्यक्ति) जो मांस (अंडा, मछली आदि) न खाता हो ---> मामिसम् शेराद; मामिस उणवु उण्णाद <br>
पंक्ति १,७४५:
'''निरूपण''' -- छान-बीन तथा सोच-विचार कर किसी बात या विषय का विवेचन करना ---> आराय्न्दु निरूबित्तल् <br>
'''निर्जीव''' -- प्राणरहित, जड़, अचेतन ---> उय़िरट॒ट॒ <br>
'''निर्णय''' -- किसी बात या विषय की पूरी जानकारी और छानबीन के बाद स्थिर किया गया मत, निष्कर्ष या परिणाम, फैसला।फैसला; निश्चय, संकल्प ---> तीर्मानम्; निच्चदम् <br>
'''निर्दय''' -- दया-हीन, कठोर, निष्ठुर ---> इरक्कमट॒ट॒ <br>
'''निर्देशक''' -- दिशा बताने, निर्देश करने या निर्देशन करने वाला (डाइरेक्टर) ---> वळिकाट्टुबवर, इयक्कुनर् <br>
पंक्ति १,७७५:
'''निष्पादन''' -- आज्ञा, आदेश, नियम, निश्चय आदि के अनुसार कोई काम ठीक तरह से पूरा करना ---> वेलै मुडित्तल् <br>
'''निस्पंद''' -- जिसमें किसी प्रकार की क्रिया या क्रिया का भाव न हो, स्थिर ---> तुडिप्पट॒ट॒, अशैयाद <br>
'''निस्संदेह''' -- जिसमें संदेह न हो असंदिग्ध।असंदिग्ध; निश्चित रूप से, अवश्य ---> सन्देहमट॒ट॒; कट्टायम् <br>
'''नींद''' -- निद्रा ---> तूक्कम् <br>
'''नींव''' -- दीवार का जमीन के अंदर का निचला हिस्सा, बुनियाद; ---> अडिक्कल् <br>
पंक्ति १,७९७:
'''पंचायत''' -- गांव या बिरादरी के चुने हुए सदस्यों की सभा जो लोगों के झगड़ों का विचार और निर्णय करती है ---> पंचायत्तु <br>
'''पंछी''' -- पक्षी, परिंदा ---> पखै <br>
'''पंडित''' -- कुशल, निपुण।निपुण; शास्त्रों आदि का ज्ञाता; ब्राह्मण ---> निबुणर्; शस्तिर वल्लुनर <br>
'''पंथ''' -- मार्ग, रास्ता; धार्मिक मत या संप्रदाय ---> वाऴि, पादै; मदप्पिरिवु <br>
'''पकड़ना''' -- थामना; बंदी बनाना ---> पिडिक्क; कैदु सॆय्य <br>
पंक्ति १,८१६:
'''पड़ना''' -- गिरना, रखे रहना; लेटना, बीमार होना ---> बिळ, वैत्तिरुक्क; पडुक्क, नोयुर॒ <br>
'''पड़ाव''' -- मार्ग में पड़ने वाला वह स्थान जहां सेना, काफिले, यात्री आदि कुछ समय के लिए विश्राम आदि करने को ठहरते हैं ---> पिरयणिरळ् वऴित्तंगुमिडम् <br>
'''पतंग''' -- बांस की कमानियां के ढांचे पर कागज़ मड़कर बनाई हुई वस्तु जिसे तागे से बांधकर हवा में उड़ाते हैं (काइट); पतंगा, शलभ ---> कात्ताडि, पट्टम्; विट्टिल् पूच्चि <br>
'''पतन''' -- अधोगति, गिरावट; स्तुत्य आचरण को छोड़कर हीन आचरण में प्रवृत्त होना ---> वीऴ्च्चि; कॆट्ट वऴियिळ् सॆल्लल् <br>
'''पतला''' -- जो गाढ़ा न हो, जिसमें तरल अंश अधिक हो; कृश, दुबला; संकरा, बारीक ---> गॆट्टियिल्लाद; मॆलिन्द; मॆल्लिय <br>
पंक्ति १,८३०:
'''पथ-भ्रष्ट''' -- जो मार्ग से भटक गया हो; न्याय मार्ग अथवा आचरण से विमुख ---> वऴि तवरि॒य; नल्लॊळुक्कत्तिलिरुन्दु पिळरिय <br>
'''पथिक''' -- बटोही, राही ---> वऴिप्पोक्कन् <br>
'''पथ्य''' -- गुणकारी, लाभदायक।लाभदायक; वह हल्का भोजन जो अस्वस्थ या रोगी व्यक्ति को दिया जाए ---> पत्तियमान; पत्तिय उणवु <br>
'''पद''' -- कदम, पांव, पैर; वाक्य का अंश या खंड।खंड; ओहदा, उपाधि; छंद, श्लोक आदि का चतुर्थांश ---> कालड़ि, अड़ि, पादम्; पदम् वातैं, चॊल्; पदवि; शॆय्युळिन् अडि <br>
'''पदचाप''' -- चलते समय पैरों से होने वाली ध्वनि ---> कालडिच्चत्तम् <br>
'''पद-चिह्न''' -- पैरों की छाप; दूसरों विशेषत: बड़ों द्वारा बतलाए हुए आदर्श अथवा कार्य करने का ढंग ---> अडिच्चुवडु; पॆरियोर् वऴिप्पट॒टुदल् <br>
पंक्ति १,८७४:
'''परिवार नियोजन''' -- बढ़ती हुई जन-संख्या को नियंत्रित करने या सीमित रखने के उद्देश्य से गार्हस्थ्य जीवन के संबंध में की जाने वाली वह योजना जिससे लोग आवश्यकता अथवा औचित्य से अधिक संतान उत्पन्न न करें (फ़ैमिली प्लानिंग) ---> कुडुंब कट्टुप्पाडु <br>
'''परिवेश''' -- वेष्टन, परिधि, घेरा; ---> ऎललै सुट॒टुच्चुवर् <br>
'''परिशिष्ट''' -- छूटा या बाकी बचा हुआ, अवशिष्ट।अवशिष्ट; पुस्तकों आदि के अंत में दी जाने वाली वे बातें जो मूल में आने से रह गईं हों, अथवा जो मूल में आई हुई बातों के स्पष्टीकरण के लिए हों ---> अनुबन्दम्; इणैप्पु <br>
'''परिश्रम''' -- मानसिक या शारीरिक श्रम, मेहनत ---> उऴैप्पु <br>
'''परिषद्''' -- निर्वाचित या मनोनीत विधायकों की वह सभा जो स्थायी या बहुत-कुछ स्थायी होती है (कौंसिल) ; सभा ---> मेल्, अवै; अवै <br>
पंक्ति १,८८१:
'''परीक्षण''' -- परीक्षा करने या लेने की क्रिया; जांच, परख ---> परिशोदनै; परीक्षै <br>
'''परीक्षा''' -- किसी के गुण, धैर्य, योग्यता सामर्थ्य आदि की ठीक-ठाक स्थिति जानने या पता लगाने की क्रिया या भाव ; जांच-पड़ताल या देखभाल ---> परीक्षै, तेरवु; आयवु <br>
'''परोक्ष''' -- आंखो से ओझल ; जो सामने न हो, अनुपस्थित ; छिपा हुआ, गुप्त।गुप्त; आंखों के सामने न होने की अवस्था या भाव, अनुपस्थिति; व्याकरण में पूर्ण भूतकाल।भूतकाल; ++; पुलप्पडाद; मुरै॒मुगमान; मरै॒न्दुळ्ळ; इल्लामै
'''परोपकार''' -- दूसरों की भलाई, दूसरों के हित का काम ---> उपगारं <br>
'''पर्यटक''' -- देश-विदेश में घूमने-फिरने वाला ---> पयणि, सुट॒टुला पयणि <br>
पंक्ति १,९४६:
'''पीढ़ी''' -- किसी कुल या वंश की परम्परा में, क्रम-क्रम से आगे बढ़ने वाली संतान की प्रत्येक कड़ी या स्थिति ; छोटा पीढ़ा ; किसी विशिष्ट समय का वह सारा जनसमुदाय जिसकी वय में अधिक छोटाई-बड़ाई न हो ---> तलै मुरै॒; शिरि॒य इरुक्कै; कुरि॒प्पिट्ट कालत्तिल् समवयदुळ्ळ जन समूगम् <br>
'''पीना''' -- किसी तरल पदार्थ को घूँट-घूँट करके पेट मे उतारना ; धूम्रपान करना या शराब आदि से नशा करना ---> कुडिक्क, अरुन्द; कळ् कुडिक्क <br>
'''पीला''' -- जो केसर, सोने या हल्दी के रंग का हो।हो; आभा-रहित, निष्प्रभ ---> मंजळान; वॆळिरिय <br>
'''पीसना''' -- रगड़ या दबाव पहुंचा कर किसी वस्तु को चूरे के रूप में बदलना ---> अरैक्क <br>
'''पुंज''' -- ढेर, राशि ; समूह ---> कुवियल्; शेर्क्कै <br>
पंक्ति १,९५३:
'''पुचकारना''' -- प्यार जतलाते हुए मुंह से पुच-पुच शब्द करना ---> शॆल्लम् कॊंज <br>
'''पुजारी''' -- किसी देवी-देवता की मूर्त्ति या प्रतिमा की पूजा करने वाला व्यक्ति ---> पूशारी <br>
'''पुण्य''' -- पवित्र, शुद्ध ; मंगलकारक, शुभ ; धर्म-विहित और उत्तम फलदायक।फलदायक; धार्मिक दृष्टि से कुछ विशिष्ट अवसरों पर कुछ विशिष्ट कर्म करने से प्राप्त होने वाला शुभ फल; अच्छे और शुभ कर्मों का संचित रूप जिसका आगे चलकर उत्तम फल मिलता हो।हो; ++; तूय्मैयान; मंगळ करमान; पुण्णिय करमान; पुण्णियम्
'''पुनरावृत्ति''' -- किए हुए काम या बात को फिर से करने या दोहराने की क्रिया या भाव ---> तिरुम्बच्चॆय्दल <br>
'''पुनरीक्षण''' -- किए हुए काम को जांचने के लिए फिर से देखना ---> परिशीलित्तल् <br>
पंक्ति २,०२३:
'''प्रतिक्रिया''' -- किसी कार्य या घटना के परिणाम स्वरूप होने वाला कार्य ---> मारु॒पट्ट, पिरदिपलन् <br>
'''प्रतिज्ञा''' -- शपथ, सौगंध, प्रण ---> पिरतिज्ञै, उरु॒दिमोळि <br>
'''प्रतिद्वंद्वी''' -- वह व्यक्ति या वस्तु जो किसी दूसरे व्यक्ति या वस्तु के मुकाबले की हो या जिससे उसका मुकाबला हो (राइवल); एक व्यक्ति की दृष्टि में वह दूसरा व्यक्ति जो एक ही वस्तु या पद को पाने के लिए उसी की तरह उम्मीदवार हो, प्रतियोगी (कॅनटेस्टन्ट) ---> ऎदिराळि पोट्टि पोडुबवन्; पोट्टि पोडुबवन् <br>
'''प्रतिध्वनि''' -- गूँज, प्रतिशब्द ---> ऎदिरोलि <br>
'''प्रतिनिधि''' -- वह व्यक्ति जो दूसरों की ओर से कहीं भेजा जाए अथवा उनकी ओर से कार्य करे (रेप्रिजेंटेटिव) ---> पिरतिनिदि <br>
पंक्ति २,१०६:
'''फकीर''' -- भिखमंगा, भिखारी ; संत, साधु, महात्मा ---> पिच्चैक्कारन्; इस्लामिय सादु (तुर॒वि) <br>
'''फटकना''' -- सूप आदि के द्वारा अन्न साफ करना ; कपड़े को इस प्रकार झाड़ना कि उसमें से लगी हुई धूल या सिलवटें निकल जाएँ ---> मुर॒त्ताल् पुडैक्क; तुणियै उदर॒ <br>
'''फड़कना''' -- शरीर के किसी अंग में स्फुरण होना।होना; कोई बहुत बढ़िया या विलक्षण चीज देखकर मन में उक्त प्रकार का स्फुरण होना जो उस चीज के विशेष प्रशंसक होने का सूचक होता है।है; पक्षियों के पर हिलना, फड़फड़ाना ---> तुडिक्क; मनम् उक्क्क; (परं॒वेगळ्) सिर॒गै अडित्तुक्कॊळ्ळ <br>
'''फबना''' -- किसी वस्तु या व्यक्ति का शोभन तथा सुंदर लगना ; बात आदि का ठीक मौके पर उपयुक्त लगना ---> शोबिक्क; पॊरुत्तमायिरुक्क <br>
'''फर्क''' -- दो विभिन्न वस्तुओं, व्यक्तियों आदि में होने वाली विषमता, भिन्नता ; हिसाब-किताब आदि में भूल-त्रुटि आदि के कारण पड़ने वाला अंतर ; भेद-भाव, दुराव ---> विद्दियासम्; कणक्किल उण्डागुम पिळैयाल् वरुम् विद्दियासम्; विद्दियासम् <br>
पंक्ति २,११३:
'''फसल''' -- खेत मेंबोये हुए अनाजों आदि की पैदावार (क्रॉप/हार्वेस्ट) ---> विळैच्चल् <br>
'''फब्बारा''' -- एक विशिष्ट प्रकार का उपकरण जिससे पानी या किसी तरल पदार्थ की बूंदें निरन्तर गिरती हैं, फुहारा (फाउन्टेन) ---> नीर ऊट॒टु <br>
'''फहराना''' -- खुले या फैले हुए वस्त्रों या झंडे का हवा में उड़ना (हाइस्ट); कोई चीज इस प्रकार खुली छोड़ देना जिससे वह हवा में हिले और उड़े ---> (तुणि मुदलियवै) पर॒क्क; (काटटिल्) पर॒क्क विड़ <br>
'''फांसना''' -- फंदे में किसी पशु-पक्षी को फंसाना ; छल, ठगी, युक्ति आदि से किसी व्यक्ति को अपने लाभ के लिए फंसाना ---> (वलैयिल) सिक्कवैक्क; वशप्पडुत्त एमाट॒टि॒ <br>
'''फांसी''' -- प्राणदंड; रस्सी का वह फंदा जिसे लोग गले में फंसाकर आत्महत्या के लिए झूल या लटक जाते हैं ---> मरणदंडनै, तूक्कु दण्डनै; शुरुक्कु <br>
पंक्ति २,१५०:
'''बंधक''' -- गिरवी या रेहन ---> अड़गु <br>
'''बकना''' -- ऊटपटांग या व्यर्थ की बहुत सी बातें करना ---> उळर॒ <br>
'''बकाया''' -- बाकी बचा हुआ।हुआ; किसी काम, बात या राशि का वह अंश जिसकी अभी पूर्ति होनी शेष हो ---> मिच्चनान; निरैवुपरा॒द पगुदि <br>
'''बगीचा''' -- छोटा बाग या फुलवारी ---> तोट्टम् <br>
'''बचत''' -- व्यय आदि से बची रहने वाली धन राशि; लागत आदि निकालने के बाद बचा हूआ धन, मुनाफा, लाभ ---> बाक्कि, मिच्चम्; निहर लाबम् <br>
पंक्ति २,१५९:
'''बजे''' -- समय-मान, जैसे दस बजे, ग्याहर बजे (ओ क्लॉक) ---> मणिक्कु <br>
'''बटुआ''' -- कपड़े-चमड़े आदि का खानों वाला तथा ढक्कनदार आधान जिसमें रुपये-पैसे रखे जाते हैं (पर्स) ---> पणप्पै, पर्सु <br>
'''बड़ा''' -- जो अपने आकार-प्रकार या विस्तार के विचार से औरों से बढ़चढ़ कर हो विशाल ; जो पद, गरिमा, गुण आदि की दृष्टि से बड़ा हो, महान, श्रेष्ठ।श्रेष्ठ; उरद की दाल का एक प्रकार का नमकीन पकवान ---> पॆरिय; उयर्न्द, शिर॒न्द, मेलान; वडै <br>
'''बड़ाई''' -- बड़े होने की अवस्था या भाव ; प्रशंसा, तारीफ ---> पॆरुमै; पुगऴ् <br>
'''बढ़ना''' -- आकार, क्षेत्र, परिमाण, विस्तार, सीमा आदि की वृद्धि होना; आगे की ओर चलना या अग्रसर होना; किसी प्रकार की उन्नति या तरक्की होना ---> वळर; मुन्नेर॒; उयर्वु अडैय <br>
पंक्ति २,१८०:
'''बरसी''' -- किसी के मरने के बाद हर वर्ष पड़ने वाली तिथि ; मृत का वार्षिक श्राद्ध ---> इरन्द तिदि/नाळ्; शिराद्दम, तिवसम् <br>
'''बराती''' -- किसी की बरात में सम्मिलित होने वाला या होने वाले व्यक्ति ---> मण मगन् वीट्टारिन् ऊर्वलत्तिल् कलन्दु कॊळ्बवर् <br>
'''बराबर''' -- जो तुलना के विचार से एकसा हो, समान; (तल) जो ऊँचा-नीचा या खुरदरा न हो सम।सम; लगातार, निरन्तर ---> सममान; सरियान; इड़ैविड़ादु <br>
'''बर्फ''' -- हिम (स्नो) ; बहुत अधिक ठंडक के कारण जमा हुआ पानी जो ठोस हो जाता है और आघात लगने पर टुकड़े-टुकड़े हो जाता है (आइस) ---> पनि; पनिक्कट्टि <br>
'''बर्बर''' -- जंगली, असभ्य ---> काट्टु किराण्डित्तनमान, नागरिकमटट <br>
पंक्ति २,२००:
'''बहिष्कार''' -- जाति, समुदाय आदि से बाहर निकालाना; देश-विदेश के माल का सामूहिक व्यवहार-त्याग (बायकॉट) ---> बहिष्करित्तल् विलक्कुदल्; अन्निय नाट्टु पारुळ्गळै वांगामालिरुत्ताल् <br>
'''बही-खाता''' -- हिसाब-किताब लिखने की पुस्तक ---> पेरेडु <br>
'''बहुत''' -- परिमाण, मात्रा आदि में आवश्यकता से अधिक।अधिक; अधिक परिमाण या मात्रा में, ज्यादा ---> निरै॒य, निरंब; अदिगमाग <br>
'''बहुभाषी''' -- बहुत भाषाएँ जानने बोलने वाला ; बहुत बोलने वाला, बकवादी ---> पल मोळिगळ् पेसुगिर॒; अदिगप्पिरसंगि, वायाडि <br>
'''बहुमूल्य''' -- जिसक मूल्य बहुत हो ; जो गुण, महत्त्व की दृष्टि से अति प्रशंसनीय या उपयोगी हो ---> विलैयुयर्न्द; अदिग मदिप्पुळ्ळ <br>
पंक्ति २,२११:
'''बांधना''' -- डोरी, रस्सी आदि कसकर किसी चीज के चारों ओर लपेटना ; कागज, कपड़े आदि से किसी चीज को इस प्रकार लपेटना कि वह बाहर न निकले (पैक) ---> कयिराल्कट्ट; पॊट्टलंकट्ट <br>
'''बांसुरी''' -- मुरली या वंशी ---> पुल्लांगुऴल् <br>
'''बाकी''' -- जो व्यय या क्षय होने के बाद बच रहा हो।हो; गणित में बड़ी संख्या में से छोटी संख्या घटाने पर निकलने वाला फल ---> सॆलवु पोग, मिच्च मुळ्ळ; मीदि तॊहै <br>
'''बागडोर''' -- लगाम ---> लगान् <br>
'''बाज़ार''' -- वह स्थान जहाँ अनेक चीजों की बिक्री के लिए पास-पास दुकानें होती हैं ---> कड़ैवीदि <br>
पंक्ति २,२३५:
'''बाहर''' -- किसी क्षेत्र, घेरे, विस्तार आदि की सीमा से परे, 'अंदर' और 'भीतर' का विपर्याय ---> वॆळिये <br>
'''बिंदी''' -- गोलाकार टीका जो प्राय: विवाहित स्त्रियाँ माथे पर लगाती हैं ; शून्य का सूचक चिह्न (सिफर) ---> नेट॒ट॒टि॒यिल् इडुम् पॊट्टु; पूज्यम्, शून्यम् <br>
'''बिंब''' -- किसी आकृति की वह झलक जो किसी पारदर्शक पदार्थ में दिखाई पड़ती है, परछाहीं।परछाहीं; प्रतिमूर्त्ति ---> पिरदिपलित्तल् निळ्लुरुवम्; पिरतिंबिंबम् <br>
'''बिखरना''' -- किसी चीज के कपड़ों, रेशों, इकाइयों आदि का अधिक क्षेत्र में फैल जाना ; अलग-अलग या दूर-दूर होना ---> सिदर॒; तनित्तनियागप् पिरिन्दुविड <br>
'''बिखेरना''' -- वस्तुओं को बिना किसी सिलसिले के फैलाकर रखना या डालना ---> सिदर॒ड़िक्क <br>
पंक्ति २,२५२:
'''बिलोना''' -- किसी तरल पदार्थ में कोई चीज डालकर अच्छी तरह हिलाना, मथना ---> कडैय <br>
'''बिस्तर''' -- बिछावन या बिछौना ---> पडुक्कै, विरिप्पु <br>
'''बीच''' -- किसी वस्तु का वह केन्द्रीय अंश या भाग जहाँ से उसके सभी छोर समान दूरी पर पड़ते हैं, मध्य।मध्य; दरमियान, अंदर, में ---> मैयम्, नडुं, इडै; इडैये <br>
'''बीज''' -- अन्न आदि का वह कण जो खेत में बोने के काम आता है। (सीड) ---> विदै <br>
'''बीजक''' -- सूची, फेहरिस्त; वह सूची जिसमें किसी को भेजे जाने वाले माल का ब्यौरा, दर, मूल्य आदि लिखा रहता है (इन्वॉयस) ---> जापिता; पट्टियल् <br>
पंक्ति २,३००:
'''भरती (भर्ती)''' -- प्रवेश, दाखिला ---> शंर्त्तुकॊळ्ळल् <br>
'''भरना''' -- खाली बरतन आदि में कोई चीज डालना, उडेलना, रखना ; (रिक्तता अथवा हानि की) पूर्त्ति करना ---> निरप्पुदल्; ईडु सॆय्य <br>
'''भला''' -- अच्छा, नेक, साधु।साधु; हित, लाभ ---> नल्ल, सादुवान; नन्मै, लाबम् <br>
'''भवन''' -- प्रासाद, महल ; घर, मकान, इमारत ---> माळिगै; वीडु, कट्टिडम् <br>
'''भविष्य''' -- आनेवाला समय, भविष्यत् काल ---> ऎदिर् काळम् <br>
पंक्ति २,३०८:
'''भाग्य''' -- किस्मत, तकदीर, नसीब ---> विदि, तलै ऎळुत्तु <br>
'''भाना''' -- रुचना, अच्छा लगना, पसंद आना ---> मनदुककुप्पि-डिक्क <br>
'''भारतीय''' -- भारत में उत्पन्न अथवा उससे संबंधित।संबंधित; भारतवासी ---> भारत नाट्टिन्; भारत नाट्टिनर् <br>
'''भारी''' -- अधिक भार वाला, वज़नी ; दु:खी उदास (मन आदि) ---> बारमान, गममान; वरुत्तमंडैन्द <br>
'''भावना''' -- चिंतन, ध्यान ; कल्पना, इच्छा ---> चिन्तनै, मननिलै; कर्पनै, विरुम्पम् <br>
पंक्ति २,३१६:
'''भिखारी''' -- भीख माँगने वाला ; कंगाल, अकिंचन ---> पिच्चैककारन्; एऴै <br>
'''भिगोना''' -- पानी से गीला या तर करना, पानी में डालना ---> ननैक्क <br>
'''भिन्न''' -- अलग, पृथक।पृथक; गणित में किसी पुरी इकाई का छोटा अंश या टुकड़ा (फ्रैक्शन) ---> मट॒टु वेरु॒; बिन्नम् <br>
'''भीड़''' -- जन समूह ---> जनक्कूट्टम् <br>
'''भीरु''' -- कायर, डरपोक ---> कोऴै <br>
पंक्ति २,३२७:
'''भूख-हड़ताल''' -- किसी नीति या कार्य आदि के प्रति विरोध प्रकट करते हुए अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए भोजन का त्याग करना (हंगर-स्ट्राइक) ---> उण्णाविरदम् <br>
'''भूचाल''' -- दे भूकंप ---> बूकम्पम् <br>
'''भूत''' -- बीता हुआ, अतीत, भूतकाल।भूतकाल; प्रेत पिशाच ---> इर॒न्द कालम्; बूदम्, पिशासु <br>
'''भूतपूर्व''' -- पूर्ववती, पहला ---> मुन्नाळैय, मुन् <br>
'''भूमि''' -- पृथ्वी-जो सौर जगत के एक ग्रह के रूप में है ; जमीन, धरती ---> बूमि; निलम्, तरै <br>
पंक्ति २,३४२:
'''भम्रर''' -- भौंरा, मधुप, भंवर ---> कुऴवि, करुवुडुं <br>
'''भ्रष्ट''' -- बुरे आचार-विचार वाला, निदंनीय ; (मार्ग से) च्युत, विचलित ---> ऊऴल मलिन्द; नडत्तै तवरि॒य <br>
'''मंगल''' -- कल्याणकारी, शुभ।शुभ; कल्याण, भलाई, हित ; सौर मंडल का एक ग्रह ; मंगलवार ---> मंगलकरमान; नन्मै; सॆव्वाय गिरहम्; किऴमै सॆव्वाय् <br>
'''मंगल-सूत्र''' -- सधवा स्त्रियों द्वारा गले मे पहना जाने वाला पवित्र सूत्र ---> ताक्ति, मंगळ-नाण् <br>
'''मंगलाचरण''' -- शुभकार्य के आरंभ में पढ़ा जाने वाल मांगलिक मंत्र, श्लोक या पद्यमय रचना आदि ; ग्रंथ के आरंभ में मंगल की कामना तथा उसकी निर्विध्न समाप्ति के लिए लिखा जाने वाला पद्य ---> इरै॒ वणक्कम्; नूलिन आरंबतिळ इरै॒वणक्कपपा <br>
'''मंच''' -- सभा-समितियों में ऊँचा बना हुआ मंउल जिस पर बैठकर सर्व-साधारण के सामने किसी प्रकार कार्य किया जाए, रंगमंच (स्टेज, डाइस); कुछ विशिष्ट प्रकार के कार्य कलापों के लिए उपयुक्त क्षेत्र (फोरम) ---> मेडै; मन्र॒म् <br>
'''मंजिल''' -- गन्तव्य (डेस्टिनेशन); पड़ाव, मुकाम ---> पोय् सेरवेण्डिय इडम्; पयपत्तिन् इडैयतंगुइडम् <br>
'''मंत्र''' -- देवताओं को प्रसन्न कराने अथवा सिद्धि आदि प्राप्त कराने वाला शब्द-समूह ; कार्य-सिद्धि का ढ़ंग, गुर या नीति ---> मन्दिरम्; वॆट्टि॒ परुवदर्कान रगसियम <br>
'''मंत्री''' -- मंत्रणा अथवा परामर्श देने वाला ; आमात्य ; सचिव ---> मन्दिरि; अचैच्चर; सॆयळाळर् <br>
पंक्ति २,३५३:
'''मक्कार''' -- कपटी, छली ---> वंजनैयुळ्ळ <br>
'''मखमल''' -- एक तरह का चिकना तथा रोएंदार कपड़ा ---> वॆल्वॆट॒ट॒ तुणि <br>
'''मगर''' -- घड़ियाल।घड़ियाल; लेकनि, परन्तु पर ---> मुदलै; आनाल् <br>
'''मग्न (मगन)''' -- किसी काम या बात में तन्मय, लीन ---> आऴ्न्द <br>
'''मच्छरदानी''' -- जालीदार कपड़े का बना हुआ चौकोर आवरण जिसका उपयोग मच्छरों से बचाव के लिए किया जाता है; मसहरी ---> कॊशु वलै <br>
पंक्ति २,४२४:
'''माल''' -- प्रत्येक ऐसी मूल्यवान वस्तु जिसका कुछ उपयोग होता है ; धन-संपत्ति, रुपया-पैसा, दौलत ---> पोरुळ्, सरक्कु; पणम्-काशु, सॊत्तु शेलवम <br>
'''मालूम''' -- जाना हुआ, ज्ञान, विदित ---> तॆरिन्द, अरि॒न्द <br>
'''मिटाना''' -- दाग, निशान आदि दूर करना।करना; नष्ट करना, बरबाद करना ---> तुडैत्तु अळिक्क; नाशप्पडुत्त <br>
'''मिट्टी''' -- धरती की ऊपरी सतह का वह भुरभुरा मुलायम तत्त्व जिसमें पेड़ पौधे उगते हैं ---> मण् <br>
'''मिठाई (मीठा)''' -- कुछ विशिष्ट प्रकार की बनी हुई खाने की मीठी चीजें ---> मिट्टाय् इनिप्पु पण्डम् <br>
पंक्ति २,४३२:
'''मिलनसार''' -- जिसकी प्रवृति सबसे मिल-जुल कर रहने की हो ---> नन्गु पऴगुगिर् <br>
'''मिलान''' -- तुलनात्मक दृष्टि से अथवा ठीक होने की जाँच करने के लिए दो या अधिक चीजों या बातों का आपस में साथ रखकर मिलाया और देखा जाना ; गुण, दोष, विभिन्नता या समानता जाने के लिए दो चीजों या बातों के संबंध में किया जाने वाला विवेचन, तुलना ---> ऒप्पिट्टु पार्त्तल्; ऒट॒टुमै वेट॒टुमैकलिन् ऒप्पिडुदल् <br>
'''मिलाना''' -- मिश्रित करना, एक करना, मिलावट करना; जोड़ना, सटाना ; भेंट कराना, मेल-मिलाप कराना; तुलना करना, जाँच करना।करना; किसी को अपने पक्ष में लाना।लाना; ++; ऒन्रु॒ सेर्क्क कल्क्क; इणैक्क कूट्ट; सादिक्क वैक्क; ओप्पिड
'''मिलावट''' -- किसी बढ़िया वस्तु में घटिया वस्तु का मेल ---> कलप्पडम् <br>
'''मिश्रण''' -- दो या अधिक चीजों को एक में मिलाना ; उक्त प्राकर से मिलाने से तैयार होने वाला पदार्थ या रूप ; मिलावट ---> कलवै; तन्नुडन् सेर्त्तुक्कॊळ्ळल्; कलप्पडम् <br>
पंक्ति २,४५४:
'''मुरझाना''' -- फूल-पत्तों आदि का सूखने लगना, कुम्हलाना ; उदास या सुस्त होना, कांति श्री आदि से रहित होना ---> वाडिप्पोग; ऒळि इळक्क <br>
'''मुर्दनी''' -- चेहरे से प्रकट होने वाले मृत्यु चिह्न ; शव के साथ अंत्येष्टि-क्रिया के लिए जाना ---> मरण कळै; शवत्तुडन् इडुकाडु शॆल्लुदल् <br>
'''मुश्किल''' -- कठिन, दुष्कर, दुस्साध्य।दुस्साध्य; कठिनाई, परेशानी ---> कडिनमान; तोन्दरवु, कष्टम् <br>
'''मुस्कान''' -- धीरे से हंसना ---> पुन्चिरिप्पु पुन्नहै <br>
'''मुहावरा''' -- वह शब्द या वाक्यांश जो अपने अभिधार्थ से भिन्न किसी और अर्थ में रूढ़ हो गया हो।हो; अभ्यास ---> मोऴि नडै, मरवुच् चॊल्; वऴक्कं <br>
'''मूहूर्त्त''' -- काल का एक मान जो दिन रात के तीसवें भाग के बराबर होता है ; ज्योतिष के अनुसार शुभाशुभ समय ; श्री गणेश, आरंभ ---> मुहूर्त नेरम्, नल्ल नेरम्; मुहूर्त्तम्; आरंबित्तल् <br>
'''मूक''' -- गूंगा ---> ऊमै <br>
पंक्ति २,४७२:
'''मैल''' -- शरीर, कपड़े आदि से चिपका हुआ मल, गर्द, धूल आदि ; किसी के प्रति मन में संचित दुर्भाव ---> अळुक्कान; कॆट्ट ऎण्णम् <br>
'''मैलखोरा''' -- धूल, गर्द आदि पड़ने पर भी जो मैला न दिखाई दे, जो मैल को छिपा सके ---> अऴुक्किल्लाद <br>
'''मैला''' -- जिस पर मैल जमी हो, गर्द, धूल आदि पड़ी हो, गंदा, अस्वच्छ।अस्वच्छ; विष्ठा ---> अऴुक्कान; विष्टै, मलम्, ऎच्चम् <br>
'''मोटा''' -- जिसकी देह में मांस-मेद अधिक हो, स्थूलकाय ; जो पतला या बारीक न हो (कपड़ा आदि) ---> परुमनान; दडियान <br>
'''मोती''' -- एक बहूमूल्य रत्न जो सीपी में से निकलता है, मुक्ता ---> मुत्तु <br>
'''मोदक''' -- लड्डू।लड्डू; आनंद देने वाला ---> कॊळुक्कट्टै, मोदकम्; मगिऴ्च्चि अळिक्किर <br>
'''मोल''' -- कीमत, मूल्य, दाम ---> विलै <br>
'''मोह''' -- स्नेह, लगाव ---> मोहम्, अन्वु <br>
'''मोहक''' -- मोह उत्पन्न करने वाला ; मन को आकृष्ट करने वाला, लुभावना ---> मनत्तै मयककुगिर॒; मनत्तै कवरुगिर॒ <br>
'''मौत''' -- मरण, मृत्यु ---> मरणम्, शावु <br>
'''मौन''' -- न बोलने की क्रिया या भाव, चुप रहना, चुप्पी।चुप्पी; जो न बोले, चुप ---> मौनम, पेशामत्तिरुत्तल्; पेशामल् इरुक्किर॒ <br>
'''मौलिक''' -- मूल-संबंधी, मूलगत ; जो किसी की छाया, उलथा, अनुकृति आदि न हो ---> असलान, मूल; मूलनूल <br>
'''मौसम''' -- गरमी, सरदी, आदि के विचार से समय का विभाग, ऋतु ---> काल निलै, परुवम् <br>
पंक्ति २,५३६:
'''राक्षस''' -- निशाचर, दैत्य ---> अरक्कन् <br>
'''राख''' -- भस्म, किसी पदार्थ के बिल्कुल जले हुए अवशेष ---> शाम्बल् <br>
'''राग''' -- अनुराग, प्रेम।प्रेम; शास्त्रीय संगीत का विशिष्ट गान-प्रकार ---> अन्बु; रागम् <br>
'''राज''' -- राज्य, राजकीय शासन ; मकान बनाने वाला कारीगर (मेसन) ---> अरशाट्चि; कॊत्तनार् <br>
'''राजकुमार''' -- राजा का पुत्र ---> अरश कुमारन् <br>
पंक्ति २,५४३:
'''राजद्रोही''' -- वह जिसने राज्य सत्ता के विरूद्ध विद्रोह किया हो, बागी ---> राजदुरोहि <br>
'''राजधानी''' -- किसी राज्य का वह नगर जो उसका शासन केन्द्र हो ---> राजदानि तलै नगरम् <br>
'''राजनीति''' -- वह नीति या पद्धति जिसके द्वारा किसी राज्य प्रशासन किया जाता है (स्टेट्मैनशिप); गुटों, बर्गों आदि की पारस्परिक स्पर्धा वाली स्वार्थपूर्ण नीति (पालिटिक्स) ---> राज तन्दिरम; अरशियल् <br>
'''राजभाषा''' -- किसी देश की वह भाषा जो राजकार्यों तथा न्यायालयों आदि के प्रयोग में आती हो ---> आट्चि मॊऴि <br>
'''राजमार्ग''' -- मुख्य मार्ग, राजपथ ---> राज पाट्टै, नेडुम् पादै <br>
पंक्ति २,५५५:
'''राष्ट्रभाषा''' -- राष्ट्र की ऐसी भाषा जिसका प्रयोग उसके निवासी सार्वजनिक कामों के लिए करते हों ---> देशीय मॊऴि <br>
'''राष्ट्र मंडल''' -- ब्रिटेन तथा ऐसे स्वतंत्र राष्ट्रों का मंडल, जो कभी ब्रिटेन के अधीन थे (कामनवेल्थ) ---> रामनवॆलत्तु, नाडुगळिन् कुळु <br>
'''राष्ट्रवादी''' -- राष्ट की उन्नति और सम्पन्नता में विश्वास रखने वाला व्यक्ति।व्यक्ति; राष्ट्रवाद से संबंधित ---> देशीय वादि <br>
'''राष्ट्रीकरण''' -- राष्ट्रीय या सरकारी अधिकार क्षेत्र में लेने की क्रिया या भाव ---> देशीय मय माक्कुदल् <br>
'''रास्ता''' -- मार्ग, पथ ---> रस्ता, वऴि <br>
पंक्ति २,५७०:
'''रुष्ट''' -- रोष से भरा हुआ, क्रुद्ध ; रूठा हुआ, अप्रसन्न ---> कोबमडैन्द; कोषमाह <br>
'''रूखा''' -- जिसमें चिकनाहट का अभाव हो ; शुष्क, नीरस ---> वरण्ड; सुवैयट॒ट॒ <br>
'''रूठना''' -- रुष्ट या अप्रसन्न होना।होना; ---> कोबिक्क, ऊडल् कॊळ्ळ; <br>
'''रूढ़ि''' -- परम्परा से चली आई कोई ऐसी प्रथा जिसे साधारणतया सभी लोग मानते हों ---> परंपरै, वऴक्कम् <br>
'''रूपक''' -- ऐसी साहित्यिक रचना जिसका अभिनय हो सके, नाटक ; साहित्य में एक प्रकार का अर्थालकांर (मेटाफर) ---> शिरु॒नाड़गमं; उरुवणि <br>
पंक्ति २,५९४:
'''रौनक''' -- चमक-दमक, शोभा ; चहल-पहल, जमघट ---> पहट्टु मिनुप्पु; विमरिशै <br>
'''लंगड़ाना''' -- लंगड़ा कर चलना ---> नोण्ट <br>
'''लंगर''' -- लोहे का बहुत भारी कांटा जिसे नदी, समुद्र आदि में गिरा कर जहाज आदि को रोक कर स्थिर किया जाता है।है; वह स्थान जहाँ पका हुआ भोजन गरीबों व आगुन्तुकों में बांटा जाता है तथा इस प्रकार बांटा जाने वाला भोजन ---> नंगूरम्; अन्नदान, शत्तिरम् <br>
'''लंपट''' -- कामी, विषयी ---> कामवॆरि॒ कोण्ड <br>
'''लंबा''' -- जो अधिक ऊँचा हो ; अधिक विस्तार वाला, दीर्घकायिक ---> नीळमान, मिग उरयमान; नीडकालत्तिय <br>
'''लकड़ी''' -- कटे पेड़ का कोई भी सूखा भाग, शाख टहनी आदि ---> मरक्कट्टै <br>
'''लकीर''' -- रेखा (लाइन) ---> कोडु <br>
'''लक्षण''' -- किसी वस्तु या व्यक्ति में होने वाला कोई ऐसा गुण या विशेषता जो सहसा औरों में दिखाई न देती हो (फीचर्ज़, केरेक्टरिसटिक्स); शरीर में दिखाई पड़ने वाले वे चिह्न आदि जो किसी रोग के सूचक हों या सामुद्रिक के अनुसार शुभाशुभ के सूचक हों ---> लक्षणम्, विशेष गुणम्; उडलिल् काणप्पडुम् अडैयाळंगळ् <br>
'''लक्षणा''' -- वह शब्द शक्ति जो सामान्य अर्थ से अन्य अर्थ प्रकट करती हो ---> मरै॒पॊरुळ् अणि <br>
'''लक्ष्मण-रेखा''' -- ऐसी रेखाकार सीमा जो किसी प्रकार लांघ कर पार न की जा सकती हो ---> ताण्डक् कूडाद ऎल्लैक् कोडु <br>
पंक्ति २,६०५:
'''लक्ष्य''' -- निशाना ; अभीष्ट वस्तु, उद्देश्य ---> कुरि॒; कुरि॒क्कोळ् <br>
'''लखपति''' -- लाखों रुपये का मालिक, बहुत अमीर व्यक्ति ---> लक्षादिपदि <br>
'''लगन''' -- मन का किसी ओर लगना, धुन, लौ।लौ; विवाह या अन्य शुभ कार्य का महूर्त्त ---> मनप्पट॒ट॒ ऊक्कम्; नल्ल, नेरम् <br>
'''लगान''' -- सरकार को मिलने वाला भूमि कर, भूकर ---> निलवरि <br>
'''लगाना''' -- जोड़ना, संलग्न करना ; रोपना ---> इणैक्क; नड <br>
पंक्ति २,६१७:
'''लट्टू''' -- लकड़ी का एक खिलौना जिसके मध्य में कील जड़ी रहती है जो चलाए जाने पर उक्त कील पर घूमने या चक्कर लगाने लगता है (स्पिनिंग टॉप) ---> पंबरम् <br>
'''लड़कपन''' -- बाल्यवस्था, बचपन ; बचकाना आचरण ---> पिळ्ळैप्परुवम्; सिरु॒ पिळ्ळैत्तनम् <br>
'''लड़का''' -- बालक, जो अभी युवक न हुआ हो।हो; पुत्र ---> पैयन्; मगन् <br>
'''लड़खड़ाना''' -- चलते समय सीधे न रह सकने के कारण इधर-उधर झुकना, डगमगाना ---> तळ्ळाड <br>
'''लड़ना''' -- लड़ाई करना, भिड़ना, झगडना ---> शण्डैयिड <br>
पंक्ति २,६२५:
'''लपट''' -- आग की लौ, ज्वाला ---> तीप् पिऴंबु, जुवालै <br>
'''लपेटना''' -- सूत, कपड़े आदि को किसी चीज़ के चारों ओर फेरा देकर बांधना ---> सुट॒ट॒ <br>
'''लय''' -- एक वस्तु का दूसरी में विलीन होना, समा जाना।जाना; स्वर के आरोह-अवरोह का ढंग ---> ऒन्रि॒ विडुदल्; लयम् (इशैयिल्) <br>
'''ललकार''' -- लड़ने के लिए प्रतिपक्षी को दी गई चुनौती ---> अरै॒कूवल् <br>
'''ललकारना''' -- विपक्षी को लड़ने की चुनौती देना ---> अरै॒कूव <br>
पंक्ति २,६३७:
'''लांघना''' -- डम भर कर या छलांग लगाकर पार करना, फांदना ---> तांडिच्चॆल्लल्, तांडुदल् <br>
'''लांछन''' -- चरित्र पर धब्बा, कलंक ---> माशु, कळंगम् <br>
'''लाख''' -- जो संख्या में सौ हज़ार हो।हो; सौ हजार की अंकों में सूचक संख्या - 1,00,000 ---> लक्षम् <br>
'''लागत''' -- किसी पदार्थ के निर्माण में होने वाला खर्च ---> अडक्क शॆलवु <br>
'''लाचारी''' -- मजबूरी, असमर्थता, विवशता ---> वलुक्कट्टायम् वेरुवऴियिन्मै <br>
पंक्ति २,६४४:
'''लाभदायक''' -- जो लाभ कराता हो, लाभ देने वाला हो ---> लाबकरमान <br>
'''लाभांश''' -- लाभ का वह अंश जो हिस्सेदारों को लगाई गई पूंजी के अनुपात में मिलाता हो (डिविडेन्ड) ---> लाबत्तिन् पगुदि <br>
'''लाल''' -- छोटा और प्रिय बालक, प्यारा बच्चा, पुत्र, बेटा; माणिक नामक रत्न।रत्न; रक्तवर्ण का, सुर्ख ---> अन्बु मगन्; माणिक्कम्; शिवन्द <br>
'''लालच''' -- कोई वस्तु पाने की बहुत बड़ी इच्छा, लोभ ---> पेराशै <br>
'''लालटेन''' -- हाथ में लटकाने योग्य चिमनीदार लैंप, कंडील ---> लान्दर् विळक्कु <br>
पंक्ति २,७३०:
'''विजेता''' -- जीतने वाला, विजयी ---> जयित्तवन् वॆट॒टि॒ पॆट॒टि॒वन् <br>
'''विज्ञान''' -- आविष्कृत सत्यों तथा प्राकृतिक नियमों पर आधारित क्रमबद्ध तथा व्यवस्थित ज्ञान ---> विञ्ञानम् <br>
'''विज्ञापन''' -- प्रचार तथा बिक्री आदि के उद्देश्य से पत्रिकाओं आदि में प्रकाशित कराई जाने वाली सूचना।सूचना; प्रचार आदि के उद्देश्य से बांटी जाने वाली सामग्री, इश्तहार ---> विळंबरम्; विञ्ञापनम् <br>
'''विडंबना''' -- क्रूर परिहास ; असंगति ---> केलि, परिहासम; पॊरुन्दामै <br>
'''वितरण''' -- बांटना, देना ---> पंगीडु, पगिर्न्दु कोडुत्तल् <br>
पंक्ति २,७५३:
'''विरोध''' -- किसी कार्य या प्रयत्न को रोकने या विफल करने के लिए विपरीत होने वाला प्रयत्न, विपरीतता ---> विरोदम्, ऎदिर्प्पु <br>
'''विलंब''' -- ऐसी स्थिति जिसमें अनुमान, आवश्यकता, औचित्य से अधिक समय लगे, देर, देरी ---> तामदम् <br>
'''विलय''' -- एक पदार्थ का अथवा राज्य का किसी दूसरे पदार्थ या राज्य में घुलना-मिलना, विलीन होना।होना; सृष्टि का नष्ट होकर अपने मूल तत्त्वों में मिल जाना, प्रलय अथवा ध्वंस, नाश ---> ऒन्रि॒विडुदल; पडैप्पिन अऴिवु <br>
'''विलास''' -- अधिक मूल्य की और सुख-सुभीते की वस्तुओं का ऐसा उपयोग या व्यवहार जो केवल मन प्रसन्न करने के लिए हो, शौकीनी ; अनुराग तथा प्रेम में लीन होकर की जाने वाली क्रीड़ा, सुखोपभोग, विषयानंद ---> केळिक्कै वाऴ्क्कै, इन्ववाऴ्क्कै; सिट॒टि॒न्बम् <br>
'''विलीन''' -- जो अपनी स्वतन्त्र सत्ता खोकर दूसरे में मिल गया हो ; गायब, लुप्त, अदृश्य ---> मट॒ट॒ पोरुळडन इयैन्दुविट्ट; मरै॒न्दुपोन <br>
पंक्ति २,७६३:
'''विशाल''' -- बड़ा, बृहद्; भव्य, शानदार ---> विशालमान, अऴगान <br>
'''विशिष्ट''' -- (वस्तु) जिसमें औरों की अपेक्षा कोई बहुत बड़ी विशेषता हो ; (व्यक्ति) जिसे अन्यों की अपेक्षा अधिक आदर, मान आदि प्राप्त हो ---> तनिच्चिर॒प्पान; मदिप्पिर्कुरिय <br>
'''विशेष''' -- जिसमें औरों की अपेक्षा कोई नई बात अथवा कुछ अधिकता हो, विशेषतायुक्त।विशेषतायुक्त; विचित्र, विलक्षण ---> विशेषमान, शिर॒प्पान; तनिप्पट्ट, अदिशयमान <br>
'''विश्राम''' -- आराम, चैन, सुख ---> ओय्वु, सुगम् <br>
'''विष''' -- ज़हर ---> नंजु, विषम् <br>
पंक्ति २,७७६:
'''वेदी''' -- मांगलिक या शुभ कार्य के लिए तैयार किया हुआ चौकोर स्थान, वेदिका ---> वेळ्वि मेडै <br>
'''वेशभूषा''' -- पहनने के कपड़े, पोशाक, पहरावा ---> उडै, उडुत्तुम तुणिगळ् <br>
'''वैज्ञानिक''' -- विज्ञान का ज्ञाता, विज्ञानवेत्ता।विज्ञानवेत्ता; विज्ञान-संबंधी ---> विञ्ञानी; विञ्ञान, संबन्दमान <br>
'''वैर''' -- घोर शत्रुता ---> विरोदम्, पगैमै <br>
'''वैश्य''' -- हिंदुओं में तीसरे वर्ण का व्यक्ति जिसका मुख्य कर्म व्यापार कहा गया है ---> वैशियजातीयर् <br>
पंक्ति २,८३९:
'''शिथिल''' -- जो कसकर बंधा न हो ढीला ; आलसी, सुस्त ; जिसे कुछ छूट दी गई हो, जिसका पालन दृढ़तापूर्वक न हो ---> तळर्न्द; सोबेरि; विट्टुप्पोन <br>
'''शिरकत''' -- शरीक होने की अवस्था क्रिया या भाव, मिलना ; साझेदारी ---> सेर्न्दु कॊळ्ळल्; पंगु कोळ्ळल् <br>
'''शिरोमणि''' -- सिर या मस्तक पर धारण करने का रत्न, चूड़ामणि ; श्रेष्ठ पुरुष।पुरुष; सर्वश्रेष्ठ ---> मगुडत्तिल्, उळ्ळ मणि; शिर॒न्दोर्; तलै शिर॒न्द <br>
'''शिलान्यास''' -- नए भवन की नींव के रूप में पत्थर रखना ; नींव रखने का कृत्य या समारोह ---> अडिक्कल् नाट्टुदल्; अडिक्कल् नाट्टुविऴा <br>
'''शिलालेख''' -- पत्थर पर गुदा हुआ लेख ; लेख आदि से गुदा हुआ पत्थर ---> कल् वॆट्टु <br>
पंक्ति २,८७९:
'''श्रमदान''' -- किसी सामूहिक हित के लिए स्वेच्छा से नि:शुल्क श्रम करना ---> उदियणिन्रि, उदवि सॆय्दल् <br>
'''श्रमिक''' -- शारीरिक श्रम द्वारा जीविका चलाने वाला, मजदूर ---> तोऴिताळि <br>
'''श्राद्ध''' -- सनातनी हिन्दुओं में पितरों या मृत व्यक्तियों को प्रसन्न कराने के उद्देश्य से किए जाने वाले पिंडदान, ब्राह्मण भोजन आदि कृत्य जो उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए किए जाते हैं।हैं; आश्विन मास का कृष्ण पक्ष, जिसमें विशिष्ट रूप से उक्त प्रकार के कृत्य करने का विधान है, पितृपक्ष ---> शिराद्दम्; तेवसम् <br>
'''श्रीमान (श्रीमती)''' -- श्री' पुरुषों के नाम से पूर्व प्रयुक्त एक आदरसूचक विशेषण (स्त्री के नाम के पूर्व श्रीमति) ---> तिरुवाळर/श्रीमान, तिरुमति/श्रीमति <br>
'''श्रुतलेख''' -- वह लेख जो किसी के द्वारा बोले हुए वाक्यों को सुनकर लिखा जाए (डिक्टेशन) ---> केट्टॆळुत्तु <br>
पंक्ति २,९१२:
'''संचय''' -- चीजें इकट्ठी करने की क्रिया या भाव; इकट्ठी की हुई चीजों का ढेर या राशि ---> शेगरित्तल्; कुवियल् <br>
'''संचार''' -- गमन, चलना, चलाना ; आजकल संदेश, समाचार तथा समान आदि भेजने की क्रिया, प्रकार और साधन ---> संचरित्तल, शेललुदल् <br>
'''संचालक''' -- चलाने या गति देने वाला (कंडक्टर); वह प्रधान अधिकारी जो किसी कार्य, विभाग, संस्था आदि चलाने की सारी व्यवस्था करता हो, निदेशक ---> नडत्तुनर; मेलाळर् <br>
'''संतति''' -- संतान, बाल-बच्चे, औलाद ---> संतति, कुऴन्दै कुट्टिगळ् <br>
'''संताप''' -- अग्नि, धूप आदि का बहुत तीव्र ताप; बहुंत तीव्र मानसिक क्लेश या पीड़ा ---> दहित्तल्; मनक्कष्टम्, वेदनै <br>
पंक्ति २,९२८:
'''संपर्क भाषा''' -- वह भाषा जिससे विभिन्न देशों अथवा प्रदेशों के लोग आपस में सूचना, विचारों आदि का आदान-प्रदान करते हैं ---> तॊडर्बु मॊळि <br>
'''संपादक''' -- वह जो किसी पुस्तक, सामयिक पत्र आदि के सब लेख या विषय अच्छी तरह ठीक करके उन्हे प्रकाशन के योग्य बनाता है (एडिटर) ---> पत्तिरिगै-आशिरियर् तोगुप्पाळर <br>
'''संपादकीय''' -- संपादक संबंधी या संपादक का।का; संपादक द्वारा लिखी हुई टिप्पणी या अग्रलेख ---> पत्तिरिगैयिन् तलैयंगम् <br>
'''संपादन''' -- पूरा करना, प्रस्तुत करना ; किसी पुस्तक का विषय आदि ठीक करके उन्हे प्रकाशन के योग्य बनाना (एडिटिंग) ---> मुड़ित्तल; पुत्तगम्, अल्लदु सॆय्दियै सरि पार्त्तु तिरुत्तुतल् ऎडिट् सॆयदल् <br>
'''संपूर्ण''' -- आदि से अंत तक सब, सारा कुल, समूचा ; पूरा या समाप्त किया हुआ ---> मुऴु मैयान; निरै॒वु पॆट॒ट॒ <br>
पंक्ति २,९३६:
'''संभालना (सम्हालना)''' -- पालन करना, सहारा देना ; प्रबंध करना, भार उठाना ; गिरते हुए को बीच में रोकना ---> काप्पाट्टु; एवार्डुसेय्; ताङ्गु <br>
'''संयुक्त''' -- किसी के साथ जुड़ा, मिला, लगा या सटा हुआ ; जिसके दो या अधिक भागीदार हों, साझा ---> इणैन्द, ऒट्टिय; इरु पंगाळिगळ् कोण्ड <br>
'''संरक्षक''' -- देखभाल, निरीक्षण करने वाला, आश्रयदाता, अभिभावक।अभिभावक; संस्थाओं आदि में वह बड़ा और मान्य व्यक्ति जो उसके प्रधान पोषकों और समर्थकों में माना जाता है ; वह जिसके निरीक्षण या देख-रेख में किसी वर्ग के कुछ लोग रहते हों (गार्डियन) ---> आदरिप्पवर; पोषकर, आदरवाळ्र; पादुकाप्पाळ्र <br>
'''संरक्षण''' -- अच्छी और पूरी तरह से रक्षा करने की क्रिया या भाव, पूरी देख-रेख और हिफाजत (कस्टडी) ; अपने आश्रय में रखकर पालना-पोसना, आश्रय ---> पोषणै, संरक्षणै; संरक्षणै <br>
'''संरचना''' -- कोई ऐसी वस्तु बनाने की क्रिया या भाव जिसमें अनेक प्रकार के बहुत से अंगो-उपांगों का प्रयोग करना पड़ता है ; उक्त प्रकार से बनी हुई कोई चीज (स्ट्रक्चर) ---> अमैप्पु; अमैप्पु <br>
पंक्ति ३,०३९:
'''सम्मोहन''' -- मुग्ध करना ; मुग्ध करने की शक्ति या गुण ---> मनदैक्कवर्दल्; कवरुम्तिर॒न् <br>
'''सम्राट''' -- साम्राज्य का स्वामी ---> चक्करवर्त्ति <br>
'''सरकना''' -- जमीन से सटे हुए आगे बढ़ना, रेंगना।रेंगना; धीरे-धीरे तथा थोड़ा-थोड़ा आगे बढ़ना ---> नगर, तवऴ; मेळ्ळ मेळ्ळ मुन्नेर <br>
'''सरकार''' -- किसी देश के सम्राट, अधिनायक, राष्ट्रपति या मुख्यमंत्री द्वारा चुने हुए मंत्रियों का वह दल जो सामूहिक रूप से संविधान के अनुसार उस देश का शासन करता है ---> सर्क्कार्, अरशु <br>
'''सरल''' -- सीधा, भोला ; आसान, सहज ---> नेरान; सुलबमान, ऎळिदान <br>
'''सरस''' -- रसयुक्त, रसीला ; रचना जो भावमयी और मोहक हो ---> रसमुळ्ळ; शुवैयुळ्ळ <br>
'''सराहना''' -- तारीफ, प्रशंसा।प्रशंसा; तारीफ करना, प्रशंसा करना ---> पुगऴ्दल्, मॆच्चुदल्; पुगऴ, मॆच्च <br>
'''सरोकार''' -- वास्ता, संबंध ---> संबन्दम् <br>
'''सरोवर''' -- तालाब ---> कुलम् पॊयगें <br>
पंक्ति ३,०४९:
'''सर्जन''' -- उत्पन्न करना या जन्म देना ---> शिरुष्टि, आक्कल <br>
'''सर्प''' -- सांप ---> सर्पम्, पांबु <br>
'''सर्वज्ञ''' -- सब कुछ जानने वाला।वाला; ईश्वर ---> ऎल्लामरि॒न्द; कडवुळ् <br>
'''सर्वत्र''' -- सब जगह ---> ऎल्ला इंडगाळिलुम् <br>
'''सर्वव्यापक''' -- जो सब स्थानों और सब पदार्थों में व्याप्त हो ---> ऎगुम निरैन्द <br>
पंक्ति ३,११०:
'''सारा''' -- कुल, समस्त, पूरा, समय ---> मुळु, ऎल्ला <br>
'''सार्थक''' -- जिसका कुछ अर्थ हो अर्थवान ---> अर्त्तमुळ्ळ <br>
'''सार्वजनिक''' -- सर्वसाधारण-संबंधी।संबंधी; समान रूप से सब लोगों के काम आने वाला ---> पोदुमक्कळिन्; ऎल्लोरुक्कुम् पयन् पडुगिर <br>
'''सावधान''' -- सचेत, सतर्क, खबरदार ---> गवनत्तुडन् कूडिय <br>
'''साहित्य''' -- ग्रन्थों का समूह, किसी भाषा की समस्त गद्य तथा पद्यात्मक रचनाएं ---> इलक्कियम् <br>
पंक्ति ३,११९:
'''सिंदूर''' -- एक प्रकार का लाल चूर्ण जिसे सौभाग्यवती स्त्रियाँ मांग में भरती हैं ---> कुंगुमम् <br>
'''सिंहनाद''' -- सिंह का गर्जन ; युद्ध आदि के समय गरज कर की जाने वाली ललकार, जोरदार शब्दों में ललकार कर कही जाने वाली बात ---> शिंगत्तिन् गर्जनै; अरै॒कूवलै-कुरिक्कुम् गर्जनै <br>
'''सिंहासन''' -- राजगद्दी।राजगद्दी; राजाओं के बैठने या देव मूर्तियों की स्थापना के लिए बना हुआ एक विशेष प्रकार चौकी के आकार का आसन जिसके दोनों ओर शेर के मुख की आकृति बनी होती है ---> शिंगासनम्; अरियणै <br>
'''सितारा''' -- तारा, नक्षत्र ; भाग्य ---> नक्षत्तिरम्, विण्मीन्; अदिरुष्टम् <br>
'''सिद्धान्त''' -- निश्चित मत जिसे सत्य के रूप में ग्रहण किया जाए, उसूल (प्रिंसिपल); कला, विज्ञान आदि के संबंध में कोई ऐसी मूल बात जो किसी विद्वान द्वारा प्रतिपादित हो और जिसे बहुत से लोग ठीक मानते हों (थीअरी) ---> कॊळ्गै, कोट्पाडु; तत्तुवम् <br>
'''सिपाही''' -- फौजी आदमी, सैनिक ; पुलिस विभाग का साधारण कर्मचारी ---> शिप्पाय्; कावलर, टाणाक्कारन् <br>
'''सिफारिश''' -- किसी का कोई काम करने के लिए दूसरे से कहना ; किसी के गुण योग्यता आदि का परिचय देने वाली बात किसी दूसरे व्यक्ति से कहना जो उस पहले व्यक्ति का कोई उपकार कर सकता है, संस्तुति ---> शिपारिशु; शिपारिशु <br>
पंक्ति ३,१३१:
'''सीखना''' -- किसी विषय या कला का ज्ञान प्राप्त करना, पढ़ना ---> कर्क <br>
'''सीधा''' -- जिस में टेढ़ापन या घुमाव न हो ; जिस में छलकपट न हो ; सरल, सुगम, आसान ---> नेरान, कोणलट॒ट॒; कपडमट॒ट॒; सुलबमान <br>
'''सीना''' -- सिलाई करना।करना; छाती, वक्षस्थल ---> तैक्क; मार्बु <br>
'''सीमा''' -- हद, सरहद (फ्रंटियर); वह अंतिम हद जहाँ तक कोई बात हो सकती हो या होनी उचित हो, नियम या मर्यादा की हद (लिमिट) ---> ऎल्लै; मुडिविडम् <br>
'''सीमित''' -- सीमाओं से बंधा हुआ ; जिसका प्रभाव या विस्तार एक निश्चित सीमा के अंतर्गत हो ---> ऎल्लैक्कुट्पट्ट; बरैयरु॒त्त <br>
'''सुंदर''' -- जो आंखों को अच्छा लगे, खूबसूरत ---> अऴगान <br>
पंक्ति ३,१४५:
'''सुध-बुध''' -- होश-हवास, चेत ; याद ---> उणर्वुळ्ळ निलै; ञाबगम् <br>
'''सुधा''' -- अमृत, पीयूष ---> अमिर्दम्, अमुदम् <br>
'''सुधार''' -- दोष को दूर करने या होने का भाव (इम्प्रूवमेंट); वह कांट-छांट जो किसी रचना को अच्छा रूप देने के लिए की जाती है (मॉडिफिकेशन) ---> शीर्-तिरुत्तम्; तिरुत्तल् <br>
'''सुधीर''' -- बहुत धैर्यवान, जिसमें यथेष्ट धैर्य हो ---> दैरियशालि <br>
'''सुनना''' -- कानों से शब्द या ध्वनि ग्रहण करना ---> कदाल् केट्क, मनदिल् वागिक्कोळ्ळ <br>
पंक्ति ३,१८७:
'''सेवा''' -- परिचर्या, टहल ; नौकरी ; पूजा, आराधना ---> तॊण्डु; शेवगम्; आरादनै, वऴिपाडु <br>
'''सैकड़ा''' -- सौ, शत की संख्या का सूचक जो इस (100) प्रकार लिखा जाता है ---> नूरु॒ <br>
'''सैनिक''' -- सेना-संबंधी, सेना का।का; सेना या फौज का सिपाही, फौजी ---> सॆनै संबन्दमान; शिप्पाय <br>
'''सैर''' -- मनोरंजन के लिए घूमना-फिरना, भ्रमण ---> उलावुदल् <br>
'''सोचना''' -- चिंता या फिक्र में पड़ना।पड़ना; किसी विषय पर मन में विचार करना, कल्पना करना या अनुमान करना ---> कवलैप्पड; योचिक्क <br>
'''सोना''' -- स्वर्ण, कांचन।कांचन; निद्रागस्त होना, नींद लेना ; एक ही स्थिति में रहने के कारण सुन्न होना ---> तंगम्; तूंग; मरत्तुप्पोग <br>
'''सोपान''' -- सीढ़ी, जीना ---> मडिप्पडि <br>
'''सौंपना''' -- (कोई वस्तु आदि) किसी के जिम्मे या सुपुर्द करना, किसी के अधिकार में देना ---> ऒप्पडैक्क <br>
पंक्ति ३,१९६:
'''सौतेला''' -- सौत अथवा सपत्नी संबंधी ; सौत से उत्पन्न ---> माट॒टा॒न्तायिन्; माट्रान्तायक्कुप् पिर॒न्द <br>
'''सौभाग्य''' -- अच्छा भाग्य, अच्छी किस्म्त ; सुहाग ---> नल्लदिरुष्टम्; कणवनुडन् संदोषमान वाऴवु <br>
'''स्तंभ''' -- खंभा।खंभा; पत्र-पत्रिका आदि में ऐसे विभाग जिनमें किसी विशेष विषय का प्रतिपादन अथवा निरूपण होता है ---> तूण्, कंबम्; पत्तिरिगैयिन् पगुदि <br>
'''स्तब्ध''' -- जड़ीभूत, निश्चेष्ट, हक्का-बक्का ---> तिगैप्पडैन्द, बिरमित्त <br>
'''स्तुति''' -- आदर भाव से किसी के गुणों के कथन करने का भाव, बड़ाई, तारीफ ; वह पद या रचना जिसमें किसी देवता आदि के गुण का बखान हो, स्तोत्र ---> तुदित्तल्; तोत्तिरम्, पाशुरम् <br>
पंक्ति ३,२१६:
'''स्फूर्ति''' -- तेजी, फुर्ती ---> उर्चागम् शुरु॒ शुरु॒प्पु <br>
'''स्मरण''' -- कोई बात फिर से याद आने की क्रिया या भाव, स्मृति, याद ---> निनैवु <br>
'''स्मारक''' -- स्मरण कराने वाला।वाला; स्मरण चिह्न, यादगार ---> निनैवु पडुत्तुगिर॒; ञापगार्त्तम् <br>
'''स्मृति''' -- स्मरण शक्ति ; याद, अनुस्मरण ; धर्म, आचार-व्यवहार आदि से संबंधित हिन्दू धर्मशास्त्र जिनकी रचना ऋषियों और मुनियों ने वेदों का स्मरण या चिंतन करके की थी ---> ञापग शक्ति; निनैवु; हिन्दुसट्ट, तॊगुप्पु, स्मृति <br>
'''स्रष्टा''' -- सृष्टि या रचना करने वाला, रचयिता, निर्माता।निर्माता; ब्रह्मा, सृष्टि का रचयिता ---> शिरुष्टिकर्ता उण्डाक्कुबवर; बिरम्म देवर् <br>
'''स्वचालित''' -- अपने आप चलने वाला, जिसके अंदर ऐसे कल-पुरजे लगे हों कि एक पुरजा चलाने से ही वह आपने आप चलने या कोई काम करने लगे ---> ताने इयंगुगिर॒ <br>
'''स्वजन''' -- अपने परिवार के लोग, आत्मीय जन; सगे संबंधी, रिश्तेदार, बन्धु-बांधव ---> तन् कुडुंबत्तिनर्; उर॒वनर् <br>
'''स्वतंत्र''' -- जिसका तंत्र अथवा शासन अपना हो, जो किसी के तंत्र या शासन में न हो, आजाद।आजाद; किसी प्रकार के नियंत्रण दबाव या बंधन से रहित ---> पिर॒र् अदिगारत्तिल इल्लाद <br>
'''स्वतंत्रता''' -- स्वतंत्र रहने या होने की अवस्था या भाव, आज़ादी, स्वातंत्र्य ---> सुदन्दिरम् विडुदलै <br>
'''स्वप्न''' -- सपना, ख्वाब ; मन ही मन की जाने वाली बड़ी-बड़ी कल्पनाएँ और बांधे जाने वाले मनसूबे ---> कनवु; कर्पनै <br>
'''स्वभाव''' -- प्रकृति, ख़ासियत, मिजाज ; आदत, बान ---> सुबावम्, इयर्कैयानगुणम्; वळक्कम् <br>
'''स्वयं''' -- (सर्वनाम) जिसके द्वारा वक्ता अपने व्यक्तित्व पर जोर देते हुए कोई बात कहता है।है; अपने आप करने या होने वाला अपनी इच्छा से, बिना किसी जोर या दबाव के।के; खुद (व्यक्ति) ---> तान्; तानागवे/निगऴ्गिर/सॆय्गिर॒; तान् <br>
'''स्वरूप''' -- आकृति, रूप, शक्ल ; प्रकृति, स्वभाव, गुण ---> उरुवम्; तोट॒ट॒म्, इयल्बु <br>
'''स्वर्ग''' -- देवलोक ; ऐसा स्थान जहाँ सभी प्रकार के सुख प्राप्त हों और नाममात्र भी कष्ट या चिंता न हो ---> सॊर्ग लोगम्; सॊर्ग लोगम् <br>
पंक्ति ३,२४९:
'''हँसी''' -- हंसने की क्रिया, ध्वनि या भाव ; परिहास, दिल्लगी, मज़ाक, ठट्ठा ---> शिरिप्पु; परिगासम्, केलि <br>
'''हकलाना''' -- स्वर नाली के ठीक काम न करने या जीभ के तेजी से न चलने के कारण बोलने के समय बीच-बीच में अटकना, रुक-रुक कर बोलना (स्टैमरिंग) ---> तिक्किप्पेश <br>
'''हटना''' -- किसी स्थान से चल कर खिसक कर या सरक कर दूसरी जगह जाना ; किसी काम या बात से दूर होना बचना या विमुख होना, मुँह मोड़ना।मोड़ना; किसी काम या बात का समय टलना, स्थगित होना ---> नगरन्दु पोग; पिन्वांग; नेरम् कऴिन्दु पोग, निन्रु॒ पोग <br>
'''हड़ताल''' -- दु:ख, रोष-विरोध या असंतोष प्रकट करने के लिए कल-कारखानों, कार्यालायों आदि के कर्मचारियों का सब कारोबार, दूकाने आदि बंद कर देना (स्ट्राइक) ---> वेलेनिरु॒त्तम् कडैयडैप्पु <br>
'''हड़पना''' -- मुँह में डाल कर निगलना या पेट में उतारना ; किसी चीज अनुचित रूप से लेकर दबा बैठना ---> विळांगिविड; कबळीगरम् सॆय्य <br>
पंक्ति ३,२७७:
'''हस्तांतरण''' -- सम्पत्ति, स्वत्व आदि का एक के हाथ से दुसरे के हाथ में जाना या दिया जाना, अंतरण (ट्रांसफ़रेन्स) ---> कै मारु॒दल् <br>
'''हस्ताक्षर''' -- किसी व्यक्ति द्वारा लिखा जाने वाला अपना नाम जो इस बात का सूचक होता है कि ऊपर लिखी हई बातें मैंने लिखी हैं और उनका दायित्व मुझ पर है, दस्तखत (सिगनेचर) ---> कैयॆळुत्तु, ऒप्पम् <br>
'''हां''' -- स्वीकृति, सहमति, समर्थन, निश्चय, आत्मतोष, स्मृति आदि का सूचक शब्द।शब्द; स्वीकृति देने या हां करने का कार्य ---> आम्, आमाम्; ऒप्पुदल् <br>
'''हांकना''' -- जानवरों को आगे बढ़ाने के लिए मुंह से कुछ कहते हुए चाबुक आदि लगाना, पशु वाली गाड़ी चलाना ; बहुत बढ़-चढ़ कर बातें करना ---> ओट्ट; जंबम्पेश <br>
'''हांफना''' -- थकावट, भय आदि के कारण फेफड़ों का जल्दी-जल्दी और लंबे सांस लेना ---> मेल् मूच्चुवांग <br>
पंक्ति ३,२८३:
'''हाथी दांत''' -- हाथी के मुंह के दोनों ओर निकले हुए सफेद दांत ---> यानै दन्दम् <br>
'''हानि''' -- क्षति, नुकसान ---> तींगु, नष्टम् <br>
'''हार''' -- पराजय, जीत का विपर्याय।विपर्याय; फूलों मोतियों आदि की माला ---> तोल्वि; मालै <br>
'''हारना''' -- युद्ध, खेल, आदि में पराजित होना, गंवाना, खोना; विफल होना ---> तोल्वि, अडैय; तोट॒ट॒प्पोग <br>
'''हार्दिक''' -- हृदय में रहने या होने वाला, हृदय का ---> मनमुवन्द, मनम्कनिन्द <br>
पंक्ति ३,२९३:
'''हितैषी''' -- भला चाहने वाला, कल्याण मानने वाला, हितचिंतक ---> नलम् विरुंबुबवर् <br>
'''हिनहिनाना''' -- घोड़े का हिन-हिन शब्द करना, हींसना ---> कनैक्क <br>
'''हिरासत''' -- किसी को इस प्रकार अपने बंधन या देख-रेख में रखना कि वह भाग कर कहीं जाने न पाए, अभिरक्षा, परिरक्षा (कस्टडी); वह स्थान जहां उक्त प्रकार के लोग बंद करके रखे जाते हैं (लाक-अप) ---> शिरै॒कावल्; कावर्कूडम् <br>
'''हिलाना''' -- किसी को हिलने में प्रवृत करना, झुलाना ; बच्चे को प्यार करके अपने साथ हिलाना, हेल-मेल में लाना, परचाना ---> अशैक्क; कुळ्न्दैयै, अनबूडन् आट्ट <br>
'''हिसाब-किताब''' -- आय-व्यय आदि का विवरण, लेखा जोखा ; व्यापारिक लेन-देन या व्यवहार ---> वरवु-शिलवु, कणक्कु; बागम् <br>
'''हिस्सा''' -- भाग, विभाग, अंश, खंड ; वह धन जो किसी साझे की वस्तु या व्यवसाय में कोई एक या हर एक साझेदार लगाए हो (शेयर); साझेदार को मिलने वाला अनुपातिक लाभ या अंश ---> पंगु; -; पंगळिक्कु किडैक्कुम् लावम् <br>
'''हुंडि''' -- अपना प्राप्य धन पाने के लिए किसी के नाम लिखा हुआ वह पत्र जिस पर लिखा रहता है कि इतने रुपये अमुक व्यक्ति, महाजन या बैंक को दे दिए जांए (बिल आफ एक्सचेंज ड्राफ्ट) ; भारतीय महाजनी क्षेत्र में वह पत्र जो कोई महाजन किसी से ऋण लेने के समय उसके प्रमाण स्वरूप ऋण देने वाले को लिख कर देता है और जिस पर लिखा रहता है कि वह धन इतने दिनों में ब्याज समेंत चुका दिया जाएगा (बांड, डिबेंचर) ---> केट्पु, वरै ओलै; कडन्, पत्तिरम् <br>
'''हृदय''' -- कलेजा, दिल (हार्ट); उक्त के पास छाती के मध्य भाग में माना जाने वाला वह अंग जिसमें प्रेम, हर्ष, शोक, क्रोध आदि मनोविकार उत्पन्न होते रहते हैं ; अंत: करण, विवेक ---> इरुदयम्, नेञ्जु; मनदु अन्बु, कोबम्, मुदलिय, उणर्चिगळ् इरुक्कुमिडम्; मनदु <br>