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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

विवहार पु संज्ञा पुं॰ [सं॰व्यवहार] दे॰ 'व्यवहार' । उ॰—(क) विवहार धरै वरनं सु बरं । पढ़ि पिंगल बाहन केन हरे ।— पृ॰ रा॰,२५ ।२०७ ।(ख) विवहार विवुध जोतिग गिनत सलष सुष्ष जात न कहिय । —पृ॰ रा॰,१४ ।२४ ।