प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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विलास संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. प्रसन्न या प्रफुल्लित करने की क्रिया ।

२. सुखभोग । आनंदमय क्रीड़ा । मनोरंजन । मनोविनोद ।

३. आनंद । हर्ष ।

४. संयोग के समय में अनेक हाव भाव अथवा प्रेमसूचक क्रियाएँ जिनसे स्त्रियाँ पुरूषों को अपनी और अनुरक्त करती हैँ । हाव भाव । नाज नखरा ।

५. किसी अंग की मनोहर चेष्टा । जेसे, भ्रुविलास, करविलास । उ॰—भुकुटि विलास जासु जग होई । राम बाम दिस सीता सोई ।—तुलसी (शब्द॰) ।

६. किसी चीज का हिलना डो़लना । जैसे; चपला का विलास । चमक दमक ।

७. चमकना । दीप्त होना ।

८. आरामतलबी । अतिशय सुखभोग ।

९. प्रफुल्लता । उत्साहशीलता । तेजस्विता । (दशरूपक में पूरूष का एक गुण कहा गया है ।) यौ॰—विलासकानन=प्रमदवन । विलासकोदंड़, विलासचाप, विलासधन्वा, विलासबाण=कामदेव । विलासमंदिर=केलि- भवन । विलासवातायन=बरामदा । छज्जा । विलासविपिन= क्रीड़ाउपवन । विलालवेश्म=क्रीड़ागृह ।