प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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विभावन संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ विभाबनीय]

१. विशेष रूप से चिंतन । विचार । विमर्श ।

२. साहित्य के रसविधान में वह मानसिक व्यापार जिसके कारण पात्र में प्रदर्शित भाव का श्रोता या पाठक भी साधारणीकरण द्वारा भागी होता है, विभावन व्यापार उ॰—पर विभावन द्वारा जब वस्तुप्रतिष्ठा पूर्ण रूप से हो ले तब आगे कुछ और होना चाहिए ।—रस॰ पृ॰ ११९ ।

३. स्पष्ट ज्ञान या निश्चय । विवेक । निर्णय (को॰) ।

४. प्रत्यय । कल्पना (को॰) ।

५. विकास । प्रसार (को॰) ।

६. पालन । रक्षण (को॰) ।

७. देखना । अवलोकन । दर्शन (को॰) ।

८. दिखाना । अभिव्यक्ति ।