विभाग
संज्ञा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
विभाग संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. बाँटने को क्रिया या भाव । किसी वस्तु के कई भाग या हिस्से करना । बँटवारा । तकसीम । जैसे,— संपत्ति का विभाग । क्रि॰ प्र॰—करना ।—होना ।
२. कई वर्गों या खंडों में विभक्त वस्तु का एक एक खंड या वर्ग । भाग । अंश । हिस्सा । बखरा ।
३. पैतृक संपत्ति का कोई अंश जो किसी को नियमानुसार दिया जाय । हिस्सा । बखरा ।
४. प्रकरण । अध्याय । जैसे,—ग्रंथ का विभाग ।
५. कार्य- क्षेत्र । मुहकमा । जैसे,—शिक्षा विभाग ।
६. व्यवस्था । प्रबध । इंतजाम (को॰) ।
७. गणित में भिन्न का अंश (को॰) ।
८. न्यायशास्त्र के अनुसार २४ गुणौ में से एक का नाम । यौ॰—विभागकल्पना = हिस्सा या अंश नियत करना (याज्ञ- बल्क्य स्मृति) । विभागज्ञ = अंतर को जाननेवाला । विभाग को समझनेवाला । विभागधर्म = दायभाग की विधि । बँटवार ा संबंधी नियम कानून । विभागपत्रिका = विभाजन का दस्ता- वेज । वह कागज जिसपर विभाग का विवरण दर्ज हो । विभागभाक्, विभागभाज् = पहले से बँटी हुई संपत्ति का हिस्सेदार । विभाग पानेवाला । विभागरेखा = विभाजन की रेखा । दो हिस्सों का अलगाव सूचित करनेवाला चिह्न या निशान ।