प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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विपरीत ^१ वि॰ [सं॰]

१. जो मेल में या अनुरूप न हो । जो विपर्यय के रूप में हो । उलटा । विरुद्ध । खिलाफ ।

२. किसी की इच्छा या हित के विरुद्ध । प्रतिकूल । जैसे,—विपरीत आचरण ।

३. अनिष्टसाधन में तत्पर । रुष्ट । जैसे,—दैव या विधि का विपरीत होना ।

४. हितसाधन के अनुपयुक्त । दुःखद । जेसे,— विपरीत समय । उ॰—आजु विपरीत समय सब ही विपरीत है । (शब्द॰) ।

५. मिथ्या । असत्य (को॰) ।

७. व्यत्यस्त अर्थात् उलटा वा प्रतिकूल अभिनय करनेवाला (को॰) ।

विपरीत ^२ संज्ञा पुं॰

१. केशव के अनुसार एक अर्थालंकार, जिसमें कार्य की सिद्धि में स्वयं साधक का बाधक होना दिखाया जाता है । जैसे,—'राधा जू सों कहा कहौं दुतिन की मानैं सीख साँ पनी सहित विषरहित फनिन की । क्यों न पैर बीच, बीच आँगियौ न सहि सकै, बीच परी अंगना अनेक आँगननि की' । (यहाँ दूती को साधक होना चाहिए था, पर वह बाधक हुई) ।

२. सोलह प्रकार के रतिबंधों में से दसवाँ रतिबंध । यौ॰—विपरीतकर, विपरीतकारक, विपरीतकृत=उलटा काम करनेवाला । विपरीतचेता । विपरीतर्मात । विपरीतरत= विपरीतरति । विपरीतलक्षणा । विपरीतवृत्ति ।