प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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विनता ^१ वि॰ स्त्री॰ [सं॰] कुबड़ी या खंज (स्त्री) ।

विनता ^२ संज्ञा स्त्री॰

१. दक्ष प्रजापति की एक कन्या जो कश्यप की स्त्री और अरुण तथा गरुड़ की माता थी । यौ॰—विनतातनय, विनतात्मज, विनतानंदन, विनतासुत=दे॰ 'विनतासूनु' ।

२. एक प्रकार का भयानक फोड़ा जो प्रमेह या बहुमुत्र के रोगियों को होता है । विशेष—जिस स्थान पर यह फोड़ा होता है, वह स्थान मुरदा हो जाने के कारण नीला पड़ जाता है । सुश्रुत आदि प्राचीन ग्रंथों में प्रमेह के अंतर्गत इसकी चिकित्सा लिखी है । यह प्रायः धातक होता है । इसमें अंग बहुत तेजो के साथ सड़ता चला जाता है । यदि बढ़ने के पहले ही वह स्थान काटकर अलग कर दिया जाय, तो रोगी बच सकता है ।

३. महाभारत के अनुसार एक राक्षसी जो व्याधि लाती हे ।

४. एक प्रकार की टोकरी वा डलिया (को॰) ।

५. रामायण । के अनुसार एक राक्षसी का नाम जिसे रावण ने सीता को समझाने के लिये नियुक्त किया था ।