प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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विदूषक संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. वह जो अधिक विषयी हो । कामुक ।

२. वह जो तरह तरह की नकलें आदि करके, वेश भूषा बनाकर अथवा बातचीत करके दूसरों को हँसाता हो । मसखरा । विशेष—प्राचीन काल में राजाओं और बड़े आदमियों के मनो- विनोद के लिये उनके दरबार में इस प्रकार के मसखरे रहा करते थे जो अनेक प्रकार के कौतुक करके, बेवकुफ बनकर अथवा बातें बनाकर लोगों को हँसाया करते थे । प्राचीन नाटकों आदि में भी इन्हें यथेष्ट स्थान मिला है; क्योंकि इनसे सामाजिकों का मनोरंजन होता है । साहित्यदर्पण के अनुसार विदूषक प्रायः अपने कौशल से दो आदमियों में झगड़ा भी कराता है; और अपना पेट भरना या स्वार्थ सिद्ध करना खुब जानता है । यह श्रृंगार रस में सहायक होता है और मानिनी नायिका को मनाने में बहुत कुशल होता है ।

३. चार प्रकार के नायकों में से एक प्रकार का नायक जो अपने कौतुक और परिहास आदि के कारण कामकेलि में सहायक होता है ।

४. वह जो दूसरों की निंदा करता हो । खल ।

५. भाँड़ ।

विदूषक ^२ वि॰

१. भ्रष्ट, दूषित या गंदा करनेवाला ।

२. परनिंदक । बदनाम करनेवाला ।

३. हंसी करनेवाला । मसखरा [को॰] ।