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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

वितल संज्ञा पुं॰ [सं॰] पुराणानुसार सात पातालों में से तीसरा पाताल । विशेष—देवी भागवत के अनुसार यही दूसरा पाताल है । कहते हैं, इस पाताल में शिव जी 'हाटकेश्वर' नाम से अपने पार्षदों के साथ रहते हैं । इनके वीर्य से हाटकी नाम की नदी बहती है जिसे हुताशन पीते हैं । उन्हीं हुताशन के मुँह से जब फुफकार निकलता है, तब उससे हाटक नामक सोना निकलता है ।