शब्दव्याकरण-१व्या-२व्या-३व्या-४व्या-५अर्थ-१अर्थ-२अर्थ-३अर्थ-४अर्थ-५
रियापुंलिंग----विपत्ति, मुसीबत, आफत, आपत्ति।----
संकलनपुंलिंगपुंलिंग---एकत्र करने की क्रिया, संग्रह करना;ऐसी साहित्यिक कृति जिसमें अनेक ग्रंथों या स्थानों से बहुत-सी रचनाएं इकट्ठी करके रखी गई हों।---
संकल्पपुंलिंगपुंलिंग---दृढ निश्चय, इरादा ;सभा-समिति में किसी विषय में विचारपूर्वक किया हुआ पक्का निश्चय (रिज़ोल्यूशन)।---
संकीर्णविशेषण----तंग, संकुचित, अनुदार।----
संकेतपुंलिंगपुंलिंग---अभिप्राय सूचक अंगचेष्टा, इशारा ;चिह्न, निशान।---
संकोचपुंलिंगपुंलिंग---सिकुड़ने की क्रिया या भाव ;झिझक, हिचक।---
संक्रान्तिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि मे जाना ;वह दिन जिसमें सूर्य का उक्त प्रकार का संचार होता है, जो हिन्दुओ में माना जाता है।---
संक्रामकविशेषण----एक से दूसरे में संक्रमण करने वाला छूत आदि से फैलने वाला (रोग) (कान्टेजियस)।----
संक्षिप्तविशेषण----छोटा किया हुआ लेख, पुस्तक आदि का रूप, सार, संक्षेप।----
संक्षेपपुंलिंग----लेख आदि का काट-छांटकर छोटा किया हुआ रूप, सार।----
संख्यास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---गिनती, तदाद, गणना ;2, 1, 2, 3 आदि अंक।---
संगठनपुंलिंग----कार्य विशेष की सिद्धि के लिए निर्मित कोई संस्था।----
संगतिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---मेल-मिलाप, संग, साथ, सोहबत ;सामंजस्य, उपयुक्तता।---
संगीतपुंलिंग----ध्वनियों या स्वरों का कुछ विशिष्ट लय में होने वाला प्रस्फुटन (म्यूज़िक)।----
संगोष्ठीस्त्रीलिंग----किसी निर्धारित विषय पर आमंत्रित विद्वानों की चर्चा तथा उनका निबंध-पाठ।----
संग्रहालयपुंलिंग----वह स्थान जहाँ विशेष महत्त्व की वस्तुओं का संग्रह किया गया हो (म्युज़ियम)।----
संग्रामपुंलिंग----युद्ध, लड़ाई, समर।----
संघटनपुंलिंगपुंलिंग---कार्य विशेष की सिद्धि के लिए निर्मित कोई संस्था ;किसी चीज के विभिन्न अवयवों को जोड़कर उसे प्रतिष्ठित करना, रचना।---
संघर्षपुंलिंगपुंलिंग---स्पर्धा, होड़ ;कठिनाइयों या प्रबल विरोधी शक्तियों को दबाने के लिए प्राणपण से की जाने वाली चेष्टा।---
संचयपुंलिंगपुंलिंग---चीजें इकट्ठी करने की क्रिया या भाव;इकट्ठी की हुई चीजों का ढेर या राशि।---
संचारपुंलिंगपुंलिंग---गमन, चलना, चलाना ;आजकल संदेश, समाचार तथा समान आदि भेजने की क्रिया, प्रकार और साधन।---
संचालकविशेषणपुंलिंग---चलाने या गति देने वाला (कंडक्टर)।वह प्रधान अधिकारी जो किसी कार्य, विभाग, संस्था आदि चलाने की सारी व्यवस्था करता हो, निदेशक।---
संततिस्त्रीलिंग----संतान, बाल-बच्चे, औलाद।----
संतापपुंलिंगपुंलिंग---अग्नि, धूप आदि का बहुत तीव्र ताप;बहुंत तीव्र मानसिक क्लेश या पीड़ा।---
संतुलनपुंलिंगपुंलिंग---वह स्थिति जिसमें सभी अंग बराबर के या यथास्थान हो ;तोलते समय दोनो पलड़ो का बराबर होना।---
संतुष्टविशेषणविशेषण---जिसका संतोष कर दिया गया हो या हो गया हो, तृप्त ;जो समझाने-बुझाने से राजी हो गया या मान गया हो।---
संतुष्टिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---संतुष्ट होने की क्रिया या भाव तृप्ति;संतोष।---
संतोषपुंलिंगपुंलिंग---वह मानसिक अवस्था जिसमें व्यक्ति प्राप्त होने वाली वस्तु को यथेष्ट समझता है और उससे अधिक की कामना नहीं करता ;सब्र, धीरज, इतमीनान।---
संतोषजनकविशेषणविशेषण---संतोष देनेवाला, संतोषप्रद ;पर्याप्त, यथेष्ठ, काफी।---
संदर्भपुंलिंग----पुस्तक, लेख आदि में वर्णित प्रसंग, विषय आदि जिसका विचार या उल्लेख हो, प्रसंग।----
संदेशपुंलिंग----समाचार, पैगाम, खबर।----
संन्यासपुंलिंगपुंलिंग---पूरी तरह से छोड़ना, परित्याग करना;चतुर्थ आश्रम (हिन्दुओं का) जिसमें सब प्रकार के सांसारिक संबंध छोड़कर मनुष्य त्यागी और विरक्त हो जाता है।---
संन्यासीपुंलिंगपुंलिंग---जिसने संन्यास आश्रम ग्रहण किया हो ;त्यागी और विरक्त।---
संपन्नविशेषणविशेषणविशेषण--पूरा किया हुआ, पूर्ण मुकम्मल ;किसी गुण या वस्तु से युक्त ;खुशहाल, धनी, अमीर।--
संपर्कपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--मेल, संयोग ;आपस में होने वाला किसी प्रकार का लगाव, वास्ता या संसर्ग ;स्पर्श।--
संपर्क भाषास्त्रीलिंग----वह भाषा जिससे विभिन्न देशों अथवा प्रदेशों के लोग आपस में सूचना, विचारों आदि का आदान-प्रदान करते हैं।----
संपादकपुंलिंग----वह जो किसी पुस्तक, सामयिक पत्र आदि के सब लेख या विषय अच्छी तरह ठीक करके उन्हे प्रकाशन के योग्य बनाता है (एडिटर)।----
संपादकीयविशेषणपुंलिंग---संपादक संबंधी या संपादक का।संपादक द्वारा लिखी हुई टिप्पणी या अग्रलेख।---
संपादनपुंलिंगपुंलिंग---पूरा करना, प्रस्तुत करना ;किसी पुस्तक का विषय आदि ठीक करके उन्हे प्रकाशन के योग्य बनाना (एडिटिंग)।---
संपूर्णविशेषणविशेषण---आदि से अंत तक सब, सारा कुल, समूचा ;पूरा या समाप्त किया हुआ।---
संप्रदायपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--एक ही तरह का मत या सिद्धान्त रखने वाले लोगों का समूह या वर्ग ;परंपरा से चला आया हुआ ज्ञान या सिद्धान्त, प्रथा, परिपाटी या रीति ;कोई विशिष्ट धार्मिक मत या सिद्धान्त, धर्म।--
संबंधपुंलिंगपुंलिंग---रिश्ता, नाता ;आपस में होने वाली घनिष्टता या मेल-जोल।---
संभवविशेषण----जो किया जा सकता हो, या हो सकता हो, मुमकिन।----
संभालना (सम्हालना)सकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया--पालन करना, सहारा देना ;प्रबंध करना, भार उठाना ;गिरते हुए को बीच में रोकना।--
संयुक्तविशेषणविशेषण---किसी के साथ जुड़ा, मिला, लगा या सटा हुआ ;जिसके दो या अधिक भागीदार हों, साझा।---
संरक्षकविशेषणपुंलिंगपुंलिंग--देखभाल, निरीक्षण करने वाला, आश्रयदाता, अभिभावक।संस्थाओं आदि में वह बड़ा और मान्य व्यक्ति जो उसके प्रधान पोषकों और समर्थकों में माना जाता है ;वह जिसके निरीक्षण या देख-रेख में किसी वर्ग के कुछ लोग रहते हों (गार्डियन)।--
संरक्षणपुंलिंगपुंलिंग---अच्छी और पूरी तरह से रक्षा करने की क्रिया या भाव, पूरी देख-रेख और हिफाजत (कस्टडी) ;अपने आश्रय में रखकर पालना-पोसना, आश्रय।---
संरचनास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---कोई ऐसी वस्तु बनाने की क्रिया या भाव जिसमें अनेक प्रकार के बहुत से अंगो-उपांगों का प्रयोग करना पड़ता है ;उक्त प्रकार से बनी हुई कोई चीज (स्ट्रक्चर)।---
संवादपुंलिंगपुंलिंग---बातचीत, वार्तालाप ;खबर, समाचार।---
संवाददातापुंलिंगपुंलिंग---संवाद या समाचार भेजने वाला ;आजकल वह व्यक्ति जो समाचारपत्रों में छपने के लिए स्थानिक घटनाओं का विवरण लिखकर भेजता हो (रिपोर्टर कारेस्पान्डेन्ट)।---
संवारनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---सुसज्जित करना, सजाना ;सुधारना, मरम्मत करना।---
संवाहकपुंलिंग----ठोकर अथवा किसी प्रकार एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने वाला, वहनक, वाहक (कॅरिअर)।----
संविधानपुंलिंग----राजनीति और शासनतंत्र में कानून के रूप में बने वे मौलिक नियम और सिद्धान्त जिनके अनुसार किसी राष्ट्र, राज्य या संस्था का संघटन और संचालन होता है (कान्स्टिट्यूशन)।----
संवेगपुंलिंग----मन में होने वाली खलबली, उद्विग्नता, घबराहट, डर।----
संवेदनास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---मन में होने वाला बोध या अनुभूति, अनुभव ;दु:ख या सहानुभूति प्रकट करने की क्रिया या भाव (कन्डोलेन्स)।---
संशयपुंलिंगपुंलिंग---संदेह, शक, अनिश्चय ;खतरे या संकट की आशंका या संभावना।---
संशोधनपुंलिंगपुंलिंग---त्रुटि, दोष आदि दूर करके ठीक और दुरुस्त करना, सुधार ;शुद्ध करना या साफ करना।---
संस्करणपुंलिंग----पुस्तकों आदि की एक बार में एक ही तरह की होने वाली छपाई, आवृत्ति (एडिशन)।----
संस्कारपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--किसी वस्तु को ठीक करके उचित रूप देने की क्रिया, परिष्कार ;पूर्व जन्म के आचार-व्यवहार, पाप-पुण्य आदि का आत्मा पर पड़ा वह प्रभाव जो मनुष्य के परवर्ती जन्म में उसके कार्यों, प्रवृत्तियों आदि के रूप में प्रकट होता है ;हिन्दुओं में जन्म से मरण तक होनेवाले वे विशिष्ट धार्मिक कृत्य जो द्विजातियों के लिए विहित हैं।--
संस्कृतिस्त्रीलिंग----आचरणगत परम्परा, सभ्यता (कल्चर)।----
संस्तुतिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---अच्छी या पूरी तरह से होने वाली तारीफ या स्तुति ;अनुशंसा, सिफारिश (रिकमेन्डेशन)।---
संस्थास्त्रीलिंग----समाज या समूह, सभा, समिति।----
संस्थानपुंलिंग----साहित्य, कला, विज्ञान आदि की उन्नति के लिए स्थापित संस्था या संघटन।----
संस्थापकपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--स्थापित करने वाला ;नए काम या बात का प्रवर्तन करने वाला, प्रवर्तक ;किसी संस्था, सभा या समाज की पहले-पहल स्थापना करने वाला।--
संस्मरणपुंलिंगपुंलिंग---किसी व्यक्ति के जीवन की महत्वपूर्ण और मुख्य घटनाओं या बातों का उल्लेख या कथन ;इष्ट देव आदि का बारबार स्मरण करना या उनका नाम जपना।---
संहारपुंलिंगपुंलिंग---ध्वंस, नाश ;बहुत से व्यक्तियों की युद्ध आदि में एक साथ होने वाली हत्या।---
सकपकानाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया---चंकित होना, चौकना ;घबराना (लज्जा आदि के कारण)।---
सख्तविशेषणविशेषण---कठोर, कड़ा ;कठिन, मुश्किल।---
सघनविशेषण----घना, अविरल, ठोस।----
सचमुचक्रिया विशेषणक्रिया विशेषण---यथार्थत: वास्तव में ;निश्चित रूप से अवश्य।---
सच्चरित्रविशेषण----जिस का चरित्र अच्छा हो, सदाचारी।----
सच्चाविशेषणविशेषणविशेषण--सच बोलने वाला, सत्यवादी ;ईमानदार ;जो नकली या बनावटी न हो, बल्कि असली और वास्तविक हो, जिस में खोट न हो।--
सजनीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---सखी, सहेली ;प्रेमिका।---
सज़ास्त्रीलिंग----अपराधी को दिया जाने वाला दंड।----
सजानासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---वस्तुओं को ऐसे क्रम से रखना कि वे आकर्षक और सुंदर जान पड़ें, संवारना ;अलंकृत करना।---
सजावटस्त्रीलिंग----सजे हुए होने की अवस्था, क्रिया या भाव, शोभा।----
सजीवविशेषणविशेषण---जीव युक्त, जिस में प्रण हों ;तेज, फुरतीला।---
सज्जनविशेषण, पुंलिंग----भला आदमी, सत्पुरुष; शरीफ़।----
सज्जास्त्रीलिंग----साज समान।----
सटीकविशेषणविशेषण---जिस में मूल के साथ टीका भी हो, व्याख्या सहित टीका सहित;बिलकुल ठीक, उपयुक्त।---
सड़कस्त्रीलिंग----मार्ग, रास्ता, पथ।----
सड़नाअकारात्मक क्रिया----किसी वस्तु के संयोजक तत्वों का अलग-अलग हो जाना, गलना।----
सततअव्ययअव्यय---निरंतर, बराबर, लगातार ;सदा, हमेशा।---
सतर्कविशेषण----सचेत सावधान, सजग, होशियार।----
सतर्कतास्त्रीलिंग----सावधानी, होशियारी, सजगता।----
सत्कारपुंलिंगपुंलिंग---आदर-सम्मान ;आवभगत, आतिथ्य, खातिर।---
सत्तास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---अस्तित्व, हस्ती ;अधिकार, शक्ति, सामर्थ्य।---
सत्तूपुंलिंग----भुने हुए जौ, चने आदि का आटा या चूर्ण।----
सत्यनिष्ठास्त्रीलिंग----सत्य पर निष्ठा, सत्य में विश्वास, सच या वास्तविक से प्रेम।----
सत्याग्रहपुंलिंगपुंलिंग---सत्य का पालन और रक्षा करने के लिए किया जाने वाला आग्रह या हठ ;आधुनिक राजनीति में वह अहिंसात्मक कार्रवाई जो किसी सत्ता या अधिकारी के व्यवहार आदि के प्रति असंतोष प्रकट करने के लिए की जाती है (पेसिव रिजिस्टेंस)।---
सत्यापनपुंलिंग----जाँच या मिलान करके देखना कि ज्यों का त्यों और ठीक है कि नहीं (बैरिफ़िकेशन)।----
सत्रावसानपुंलिंग----आधुनिक राजतंत्र में, विधान मंडल सा संसद में सर्वप्रधान अधिकारी के द्वारा अनिश्चित और दीर्घकाल के लिए किया जाने वाला स्थगन (प्रोरोगेशन)।----
सत्संगपुंलिंगपुंलिंग---अच्छे आदमियों का साथ, अच्छी सोहब्बत, सज्जनों के साथ उठना-बैठना ;वह समाज या जन-समूह जिसमें कथावार्ता या रामनाम का पाठ होता है।---
सदनपुंलिंगपुंलिंग---घर मकान ;वह स्थान जहाँ किसी देश या राज्य के विधान बनने के कार्य होते हों।---
सदस्यपुंलिंगपुंलिंग---उन व्यक्तियों में से हर एक जिनके योग से कुटुम्ब, परिवार, समाज आदि बनते हैं ;वह व्यक्ति जिसका संबंध किसी समुदाय से हो और जिसका वह नियमित रूप से चंदा आदि देता हो या उसके कार्यों में सम्मिलित होता हो (मेम्बर दोनों अर्थों में)।---
सदाक्रिया विशेषणक्रिया विशेषण---नित्य, हमेशा, हरसमय;निरंतर, लगातार।---
सदाचारपुंलिंग----अच्छा और शुभ आचरण, अच्छा चालचलन।----
सदुपयोगपुंलिंग----अच्छा और उत्तम उपयोग।----
सद्भावपुंलिंगपुंलिंग---शुभ भाव, हित का भाव, छल कपट, द्वेष आदि से रहित भाव ;दो व्यक्तियों या पक्षों में होने वाली मैत्रीपूर्ण स्थिति।---
सदव्यवहारपुंलिंगपुंलिंग---अच्छा बरताव, अच्छा सलूक या व्यवहार ;सदवृत्ति, सदाचार।---
सन्नाटापुंलिंग----निस्तब्धता, निरवता, शांति।----
सपना (स्वप्न)पुंलिंग----वह घटना या दृश्य जो सोए होने पर अन्तर्मन में काल्पनिक रूप से भासित होता है (ड्रीम)।----
सपरिवारविशेषण----परिवार के सदस्यों के साथ।----
सप्तकपुंलिंगपुंलिंग---सात वस्तुओं का समूह ;संगीत के सात स्वरों का समाहार।---
सफ़रपुंलिंग----यात्रा।----
सफलविशेषण----कृतकार्य, कामयाब।----
सफलतास्त्रीलिंग----कामयाबी, सिद्धि।----
सबलविशेषण----बलवान, ताकतवर, बलशाली।----
सभास्त्रीलिंग----परिषद्, समिति।----
सभापतिपुंलिंग----सभा का अध्यक्ष।----
सभीविशेषण----सारे, सम्पूर्ण।----
सभ्यविशेषण----शिष्ट, संस्कृत, विनम्र।----
सभ्यतास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---सभ्य होने की अवस्था या भाव ;किसी जाति या देश की बाह्य तथा भौतिक उन्नतियों का सामूहिक रूप (सिविलिज़ेशन)।---
समकक्षविशेषण----जोड़ या बाराबरी का, सब बातों में बराबरी करने वाला।----
समझनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया---जान लेना, ठीक और पूर्ण ज्ञान प्राप्त करना ;विचारना।---
समझौतापुंलिंगपुंलिंग---राजीनामा, मेल, सुलह ;आपस में होने वाला करार या निश्चय, संधि।---
समतास्त्रीलिंग----सादृश्य, बराबरी, संतुलन।----
समदर्शीविशेषण----सब को एक सा देखने-समझने वाला।----
समन्वयपुंलिंग----वह अवस्था जिसमें कथनों या बातों का पास्परिक विरोध न रहे।----
समयपुंलिंगपुंलिंग---दिन-रात के विचार से काल का कोई मान, वक्त ;अवसर, मौका।---
समय-सारिणीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---समय सूचित करने के लिए बनाई हुई सारणी;वह पुस्तिका जिस में विभिन्न गाड़ियों के विभिन्न स्टशनों से छूटने और पहुँचने के समय का उल्लेख सारिणियों में किया जाता है। (टाईमटेबल)।---
समरपुंलिंग----सुद्ध, संग्राम, लड़ाई।----
समर्थविशेषणविशेषण---बलवान, सशक्त ;योग्य, उपयुक्त।---
समष्टिस्त्रीलिंग----सामूहिकता, संपूर्णता।----
संमातर (समानांतर)क्रिया----जो समान अंतर पर रहे। (पैरलल)----
समाचारपुंलिंग----खबर, वृत्तांत, संदेश।----
समाचार-पत्रपुंलिंग----नियमित समय पर प्रकाशित होने वाला वह पत्र जिसमें अनेक प्रदेशों, राष्ट्रों आदि से संबंधित समाचार रहते हों (न्यूज़पेपर)।----
समाजपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--बहुत से लोगों का समूह ;किसी विशिष्ट उद्देश्य से स्थापित की हुई सभा ;किसी प्रदेश या भूखंड में रहने वाले लोग जिन में सांस्कृतिक एकता होती है।--
समाज-विज्ञानपुंलिंग----समाज शास्त्र (सोशिअलाजी)।----
समाजीकरणपुंलिंग----किसी काम, बात, व्यवहार को ऐसा रूप देना कि उस पर समाज का अधिकार हो जाए और सब लोग समान रूप से उसका लाभ उठा सकें। (सोशिअलाइज़ेशन)।----
समाधानपुंलिंगपुंलिंग---आपत्ति की निवृत्ति करना, संदेह निवारण करना ;समस्या का हल।---
समापनपुंलिंग----समाप्त करने की क्रिया या भाव, समाप्ति।----
समाप्तिस्त्रीलिंग----खतम या पूरा करने की क्रिया या भाव, समापन----
समायोजनपुंलिंगपुंलिंग---अनुकूल बनाने की क्रिया या भाव ;आंकड़ों का मेल बिठाना या ठीक ठाक करने की क्रिया या भाव।---
समारोहपुंलिंग----कोई ऐसा शुभ आयोजन जिसमें चहल-पहल हो।----
समालोकचपुंलिंग----समीक्षक, समालोचना करने वाला।----
समासपुंलिंगपुंलिंग---योग, मेल ;दो या अधिक पदों के मेल से बनने वाला नया पद।---
समाहारपुंलिंगपुंलिंग---बहुत सी चीज़ों को एक जगह इकट्ठा करना, संग्रह ;ढेर, राशि।---
समितिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---सभा, समाज ;किसी विशेष कार्य के लिए गठित कुछ व्यक्तियों की सभा।---
समुदायपुंलिंगपुंलिंग---समाज, बिरादरी ;समूह, राशि।---
समुद्रपुंलिंग----सागर।----
समूहपुंलिंगपुंलिंग---ढेर, राशि ;झुँड, समुदाय।---
समृद्धविशेषण----सम्पन्न, धनवान।----
समृद्धिस्त्रीलिंग----बहुत अधिक सम्पन्नता, अमीरी, ऐश्वर्य।----
सम्मानपुंलिंग----इज्ज़त, आदर, प्रतिष्ठा।----
सम्मेलनपुंलिंगपुंलिंग---मनुष्यों का किसी विशेष उद्देश्य से अथवा किसी विषय पर विचार करने के लिए एकत्र होने वाला समाज ;कोई स्थायी बहुत बड़ी संस्था।---
सम्मोहनपुंलिंगपुंलिंग---मुग्ध करना ;मुग्ध करने की शक्ति या गुण।---
सम्राटपुंलिंग----साम्राज्य का स्वामी।----
सरकनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया---जमीन से सटे हुए आगे बढ़ना, रेंगना।धीरे-धीरे तथा थोड़ा-थोड़ा आगे बढ़ना।---
सरकारस्त्रीलिंग----किसी देश के सम्राट, अधिनायक, राष्ट्रपति या मुख्यमंत्री द्वारा चुने हुए मंत्रियों का वह दल जो सामूहिक रूप से संविधान के अनुसार उस देश का शासन करता है।----
सरलविशेषणविशेषण---सीधा, भोला ;आसान, सहज।---
सरसविशेषणविशेषण---रसयुक्त, रसीला ;रचना जो भावमयी और मोहक हो।---
सराहनास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---तारीफ, प्रशंसा।तारीफ करना, प्रशंसा करना।---
सरोकारपुंलिंग----वास्ता, संबंध।----
सरोवरपुंलिंग----तालाब।----
सर्गपुंलिंग----किसी ग्रंथ विशेषत: काव्य ग्रंथ का अध्याय।----
सर्जनपुंलिंग----उत्पन्न करना या जन्म देना।----
सर्पपुंलिंग----सांप।----
सर्वज्ञविशेषणपुंलिंग---सब कुछ जानने वाला।ईश्वर।---
सर्वत्रक्रिया विशेषण----सब जगह।----
सर्वव्यापकपुंलिंग----जो सब स्थानों और सब पदार्थों में व्याप्त हो।----
सर्वसम्मतिस्त्रीलिंग----सबकी एक सम्मति या राय, मतैक्य।----
सर्वांगीणविशेषणविशेषण---सब अंगो में व्याप्त होने वाला ;जो सभी अंगों से युक्त हो।---
सर्वेक्षणपुंलिंग----किसी विषय के सही तथ्यों की जानकारी के लिए उसके सभी अंगो का किया गया अधिकारिक निरीक्षण।----
सर्वोदयपुंलिंगपुंलिंग---सभी का उदय या उन्नति ;सब लोगों के आर्थिक, नैतिक तथा सामाजिक उत्थान के लिए चलाया गया स्वतंत्र भारत का एक आन्दोलन।---
सलाहकारपुंलिंग----राय देने वाला, परामर्शदाता।----
सस्तापुंलिंगपुंलिंग---कम मूल्य का ;घटिया।---
सहकारितास्त्रीलिंग----साथ मिल कर काम करना, मदद, सहायता।----
सहजविशेषणविशेषण---जन्मजात, प्राकृतिक ;आसान।---
सहन शक्तिस्त्रीलिंग----सहने की शक्ति, सहिष्णुता, सहनशीलता, सह्यता।----
सहनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---सहन करना, झेलना ;बर्दाश्त करना, कष्ट उठाना।---
सहमतविशेषण----जिसका मत दूसरे से मिलता हो। जो दूसरे के मत को मान कर उसकी पुष्टि करता हो।----
सहमतिस्त्रीलिंग----सहमत होने का भाव या अवस्था, एक मत होना।----
सहयोगपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--साथ मिलकर काम करना ;किसी के काम में हाथ बटाना ;सहायता देना।--
सहयोगीपुंलिंग----सहयोगी।----
सहलानासकारात्मक क्रिया----धीरे-धीरे मलना या हाथ फेरना।----
सहानुभूतिस्त्रीलिंग----हमदर्दी।----
सहायतास्त्रीलिंग----मदद।----
सहिष्णुविशेषण----सहने वाला, बरदाश्त करने वाला।----
सहिष्णुतास्त्रीलिंग----सहनशीलता।----
सहृदयतास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---दयालुता, करुणा ;रसज्ञता।---
सांकेतिकविशेषणविशेषण---संकेत संबंधी ;संकेत रूप में होने वाला।---
सांगोपांगविशेषण----सभी अंगो और उपांगों सहित।----
सांत्वनास्त्रीलिंग----शोकाकुल या संतप्त व्यक्ति को शांत करने या समझाने-बुझाने की क्रिया, तसल्ली।----
साकारविशेषणविशेषण---मूर्त, आकारयुक्त ;बात या योजना जिसे क्रियात्मक रूप प्राप्त हुआ हो।---
साक्षरतास्त्रीलिंग----पढ़े-लिखे होने का भाव।----
साजनपुंलिंगपुंलिंग---पति, स्वामी ;प्रेमी।---
साज-समानपुंलिंगपुंलिंग---सामग्री, उपकरण, असबाब ;ठाठ-बाट।---
साझेदारीस्त्रीलिंग----हिस्सेदारी, शराकत!----
सात्विकविशेषण----सतोगुणी, सत्वगुण-प्रधान, अनुभूति या भावनाजन्य।----
सादरक्रिया विशेषण----आदरपूर्वक, इज्जत से।----
सादाविशेषणविशेषण---खालिस, बिना मिलावट ;जिसमें किसी तरह की उलझन, पेंच की बात या बनावट न हो, सरल।---
सादृश्यपुंलिंग----समानता, तुल्यता, बराबरी।----
साधनपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--सामान, सामग्री, उपकरण ;कोई ऐसी चीज़ या वस्तु जिससे कुछ करने की शक्ति आती है (मीन्स);जिसके सहारे कोई काम पूरा होता है (रिसोर्सिस)।--
साधनास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---कोई कार्य सिद्ध या सम्पन्न करना ;ऐसी आराधना या उपासना जो बहुत कष्ट सहते हुए मनोयोग-पूर्वक की जाती है अथवा किसी महत्वपूर्ण कार्य को सिद्ध करने के लिए त्याग तथा परिश्रम से किया गया प्रयत्न या प्रयास।---
साधारणविशेषणविशेषण---जिसमें कोई विशेषता न हो, सामान्य, मामूली ;सहज, सुगम, सरल।---
साधुपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--संत, महात्मा ;बढ़िया, उत्तम ;सज्जन, भला, आदमी।--
साध्यविशेषणविशेषणविशेषण--जो सिद्ध या पूरा किया जा सके;निष्पाप ;(रोग आदि) अच्छा करने योग्य।--
सान्निध्यपुंलिंग----निकटता, समीपता।----
साक्षेपविशेषण----जो किसी की अपेक्षा रखता हो, जो दूसरों पर अवलम्बित हो।----
साफ़विशेषणविशेषणविशेषण--स्वच्छ, निर्मल ;जिसकी बनावट, रचना रूप आदि में कोई त्रुटि न हो या जो ऊबड़-खाबड़ न हो ;जिसमें किसी प्रकार का भ्रम या संदेह न रह गया हो।--
साबुनपुंलिंग----सोडा तेल आदि के योग से बना हुआ एक पदार्थ जिससे शरीर और कपड़े साफ किए जाते हैं (सोप)।----
सामंजस्यपुंलिंग----वह स्थिति जिसमें परस्पर किसी प्रकार की विपरीतता या विषमता न हो, संगति, अनुकूलता।----
सामग्रीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---आवश्यक वस्तुओं का समूह, सामान ;किसी उत्पादन, निर्माण रचना आदि के सहायक अंग या तत्व।---
सामनेअव्ययअव्यय---आगे, समक्ष ;मुकाबले में।---
सामर्थ्यपुंलिंग----कोई कार्य करने की योग्यता और शक्ति।----
सामयिकविशेषणविशेषण---समयोचित, ठीक समय में ;वर्तमान समय का।---
सामाजिकविशेषण----समाज का, समाज के संबंध रखने वाला।----
सामान्यविशेषणविशेषण---मामूली ;सार्वजनिक, आम।---
साम्राज्यपुंलिंग----वे अनेक राष्ट्र या देश जिन पर कोई एक शासक-सत्ता राज्य करती हो।----
साम्राज्यवादपुंलिंग----वह सिद्धान्त जिसमें यह माना जाता है कि किसी देश को अपने अधिकृत देशों में वृद्धि करते हुए अपने साम्राज्य का विस्तार करते रहना चाहिए (इम्पीरियलिज़म)।----
सामुद्रिकविशेषण----समुद्र संबंधी, समुद्र से संबंध रखने वाला।----
सामुद्रिकपुंलिंग----फलित ज्योतिष की वह शाखा जिसमें मनुष्य की हस्त रेखाओं और शरीर के चिह्नों आदि के शुभ-अशुभ फल पर विचार होता है।----
सामूहिकविशेषण----समूह से संबंध रखने वाला।----
सारपुंलिंगपुंलिंग---मूल भाग, सत ;तात्पर्य या निष्कर्ष, सारांश।---
सारणीस्त्रीलिंग----आजकल कोई ऐसा कागज़ या फलक जिसमें बहुत से खाते होते हैं तथा जिन में विशेष प्रकार की गणना या विवेचन के लिए कुछ अंक शब्द आदि लिखे होते है (टेबल)।----
सारांशपुंलिंग----संक्षिप्तरूप, सार, निचोड़, उपसंहार।----
साराविशेषण----कुल, समस्त, पूरा, समय।----
सार्थकविशेषण----जिसका कुछ अर्थ हो अर्थवान।----
सार्वजनिकविशेषणविशेषण---सर्वसाधारण-संबंधी।समान रूप से सब लोगों के काम आने वाला।---
सावधानविशेषण----सचेत, सतर्क, खबरदार।----
साहित्यपुंलिंग----ग्रन्थों का समूह, किसी भाषा की समस्त गद्य तथा पद्यात्मक रचनाएं।----
साहित्यकारपुंलिंग----साहित्य की रचना करने वाला।----
साहूकारपुंलिंग----बड़ा व्यापारी, महाजन।----
सिंगार (श्रृंगार)पुंलिंग----सजधज, सजावट।----
सिंगारदानपुंलिंग----श्रृंगार की सामग्री रखने का छोटा संदूक।----
सिंदूरपुंलिंग----एक प्रकार का लाल चूर्ण जिसे सौभाग्यवती स्त्रियाँ मांग में भरती हैं।----
सिंहनादपुंलिंगपुंलिंग---सिंह का गर्जन ;युद्ध आदि के समय गरज कर की जाने वाली ललकार, जोरदार शब्दों में ललकार कर कही जाने वाली बात।---
सिंहासनपुंलिंगपुंलिंग---राजगद्दी।राजाओं के बैठने या देव मूर्तियों की स्थापना के लिए बना हुआ एक विशेष प्रकार चौकी के आकार का आसन जिसके दोनों ओर शेर के मुख की आकृति बनी होती है।---
सितारापुंलिंगपुंलिंग---तारा, नक्षत्र ;भाग्य।---
सिद्धान्तपुंलिंगपुंलिंग---निश्चित मत जिसे सत्य के रूप में ग्रहण किया जाए, उसूल (प्रिंसिपल)।कला, विज्ञान आदि के संबंध में कोई ऐसी मूल बात जो किसी विद्वान द्वारा प्रतिपादित हो और जिसे बहुत से लोग ठीक मानते हों (थीअरी)।---
सिपाहीपुंलिंगपुंलिंग---फौजी आदमी, सैनिक ;पुलिस विभाग का साधारण कर्मचारी।---
सिफारिशस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---किसी का कोई काम करने के लिए दूसरे से कहना ;किसी के गुण योग्यता आदि का परिचय देने वाली बात किसी दूसरे व्यक्ति से कहना जो उस पहले व्यक्ति का कोई उपकार कर सकता है, संस्तुति।---
सिर्फविशेषण----बस, इतना ही, केवल।----
सिलसिलापुंलिंग----क्रम, श्रृंखला।----
सिलाईस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--सीने की क्रिया या भाव ;सिलने पर दिखाई पड़ने वाल टाँके;सिलने के बदले में मिलने वाली मजदूरी।--
सिवायअव्यय----जो है या हो उसको छोड़कर।----
सींचनासकारात्मक क्रिया----खेत या पेड़ पौधों में पानी देना।----
सीखनासकारात्मक क्रिया----किसी विषय या कला का ज्ञान प्राप्त करना, पढ़ना।----
सीधाविशेषणविशेषणविशेषण--जिस में टेढ़ापन या घुमाव न हो ;जिस में छलकपट न हो ;सरल, सुगम, आसान।--
सीनासकारात्मक क्रियापुंलिंग---सिलाई करना।छाती, वक्षस्थल।---
सीमास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---हद, सरहद (फ्रंटियर)।वह अंतिम हद जहाँ तक कोई बात हो सकती हो या होनी उचित हो, नियम या मर्यादा की हद (लिमिट)।---
सीमितविशेषणविशेषण---सीमाओं से बंधा हुआ ;जिसका प्रभाव या विस्तार एक निश्चित सीमा के अंतर्गत हो।---
सुचितविशेषण----जो अच्छे मन वाला हो , जिसका चित अच्छा हो----
सुंदरविशेषण----जो आंखों को अच्छा लगे, खूबसूरत।----
सुखपुंलिंग----वह अनुभूति जो तन मन को भाए, चैन, आराम।----
सुख-सुविधास्त्रीलिंग----ऐसी चीजें जिनके होने पर मनुष्य सुखपूर्वक जीवन बिता सके।----
सुगंधस्त्रीलिंग----अच्छी गंध, खुशबू, प्रिय महक।----
सुगमविशेषणविशेषण---सहज में आने या पाने योग्य ;आसान, सरल।---
सुघड़विशेषणविशेषण---जिसकी बनावट सुन्दर हो, सुडौल ;कुशल, निपुण, होशियार।---
सुचारुविशेषण----अत्यंत सुंदर, मनोहर, बहुत खूबसूरत।----
सुझावपुंलिंगपुंलिंग---सुझाने की क्रिया या भाव ;वह नई बात जो किसी को सुझाई गई हो या जिसकी ओर ध्यान आकृष्ट किया गया हो (सजेस्चन)।---
सुडौलविशेषण----सुंदर डीलडौल या आकार वाला।----
सुध-बुधस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---होश-हवास, चेत ;याद।---
सुधास्त्रीलिंग----अमृत, पीयूष।----
सुधारपुंलिंगपुंलिंग---दोष को दूर करने या होने का भाव (इम्प्रूवमेंट)।वह कांट-छांट जो किसी रचना को अच्छा रूप देने के लिए की जाती है (मॉडिफिकेशन)।---
सुधीरविशेषण----बहुत धैर्यवान, जिसमें यथेष्ट धैर्य हो।----
सुननासकारात्मक क्रिया----कानों से शब्द या ध्वनि ग्रहण करना।----
सुनहरा (सुनहला)विशेषण----सोने के रंग का।----
सुबोधविशेषण----जो आसानी से समझ आ जाए, सरल और बोधगम्य।----
सुमतिस्त्रीलिंग----अच्छी मति या बुद्धि।----
सुमनपुंलिंग----पुष्प, फूल।----
सुरंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---जमीन खोद कर उसके नीचे बनाया हुआ रास्ता (टनल);जमीन या समुद्र के नीचे बारूद की सहायता से बिछाया गया जाल अदि जिससे व्यक्ति या जहाज नष्ट हो जाते हैं (माइन)।---
सुरपुंलिंगपुंलिंग---गले, बाजे आदि से निकलने वाला स्वर ;देवता।---
सुरक्षास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---सम्यक, समुचित रक्षा ;आक्रमण, आघात आदि से बचने के लिए किया जाने वाला प्रबन्ध।---
सुरभिस्त्रीलिंग----सुगंध, खुशबू।----
सुरमापुंलिंग----एक खनिज पदार्थ जिसका बारीक चूर्ण आंखों में अंजन की तरह लगाया जाता है।----
सुराहीस्त्रीलिंग----जल आदि रखने का मिट्टी का पात्र जिसका नीचे का भाग लोटे की तरह गोल और ऊपर का भाग लम्बे चोगे या नल की तरह होता है।----
सुलगनाअकारात्मक क्रिया----इस प्रकार जलना कि उसमें से लपट न निकले, बल्कि धुंआ निकले, धीरे-धीरे जलना।----
सुलझनाअकारात्मक क्रिया----उलझनों से मुक्त होना, किसी समस्या अथवा उलझी हुई डोर आदि की पेचीदगी का दूर होना।----
सुलभविशेषण----जो आसानी से मिल जाए।----
सुवासस्त्रीलिंग----अच्छी महक, खुशबू, सुगन्ध।----
सुविधास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---आसानी ;आराम।---
सुसज्जितविशेषण----भली-भांति सजा या सजाया हुआ।----
सुस्तानाअकारात्मक क्रिया----थकावट दूर करना, थोड़ी देर के लिए आराम करना।----
सुहागपुंलिंगपुंलिंग---विवाहिता स्त्री की वह स्थिति जिसमें उसका पति जीवित हो, सौभाग्य ;विवाह के समय कन्यापक्ष में गाए जाने वाले मांगलिक गीत।---
सुहागापुंलिंग----एक क्षार द्रव्य जो सोना गलाने और दवा के काम आता है (बोरेक्स)।----
सूक्ष्मदर्शीविशेषण----बारीकी से देखने वाला।----
सूखाविशेषणविशेषण---शुष्क, निर्जल ;" जिसमें सरसता, भावुकता आदि कोमल गुणों का अभाव हो।"---
सूचनास्त्रीलिंग----कुछ बताने या जताने के लिए कही या लिखी गई बात, इत्तिला।----
सूचीस्त्रीलिंग----किसी प्रकार की वस्तुओं, नामों, बातों आदि का क्रमबद्ध लेखा या विवरण।----
सूजनाअकारात्मक क्रिया----रोग, चोट, वात आदि के कारण शरीर के किसी अंग का अधिक फूल या फैल जना।----
सूझनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया---दिमाग या ध्यान में आना ;दृष्टि में आना, दिखाई देना।---
सूत्रपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--पतला और महीन डोरा या तागा;गूढ़ अर्थ से युत्त संक्षिप्त वाक्य या पद;संकेत, पता सुराग।--
सूदपुंलिंग----ब्याज।----
सूनाविशेषण----जनहीन, निर्जन।----
सूराखपुंलिंग----छेद, छिद्र।----
सूर्यपुंलिंग----सौर जगत का सबसे उज्जवल और मुख्य ग्रह, जिसकी अन्य सब ग्रह परिक्रमा करते हैं और जिससे सब ग्रहों को ताप तथा प्रकाश प्राप्त होता है, रवि।----
सृजनपुंलिंग----सृष्टि करने अर्थात जन्म देने की क्रिया या भाव, रचना।----
सृष्टिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---सारा विश्व तथा इसके सभी प्राणी एवं पदार्थ;निर्माण, रचना।---
सेंकनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---आंच के पास या आग पर रख कर गरम करना अथवा पकाना;शरीर को गरमी या धूप देना।---
सेठपुंलिंग----बहुत धनवान या संपन्न व्यक्ति।----
सेतुपुंलिंग----नदी आदि पार करने के लिए बनाया हुआ रास्ता, पुल।----
सेनास्त्रीलिंग----रण-शिक्षा प्राप्त सशस्त्र व्यक्तियों का दल, फौज।----
सेनापतिपुंलिंग----सेना का नायक, फौज का अफ़सर।----
सेवास्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--परिचर्या, टहल ;नौकरी ;पूजा, आराधना।--
सैकड़ापुंलिंग----सौ, शत की संख्या का सूचक जो इस (100) प्रकार लिखा जाता है।----
सैनिकविशेषणपुंलिंग---सेना-संबंधी, सेना का।सेना या फौज का सिपाही, फौजी।---
सैरस्त्रीलिंग----मनोरंजन के लिए घूमना-फिरना, भ्रमण।----
सोचनाअकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---चिंता या फिक्र में पड़ना।किसी विषय पर मन में विचार करना, कल्पना करना या अनुमान करना।---
सोनापुंलिंगअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया--स्वर्ण, कांचन।निद्रागस्त होना, नींद लेना ;एक ही स्थिति में रहने के कारण सुन्न होना।--
सोपानपुंलिंग----सीढ़ी, जीना।----
सौंपनासकारात्मक क्रिया----(कोई वस्तु आदि) किसी के जिम्मे या सुपुर्द करना, किसी के अधिकार में देना।----
सौजन्यपुंलिंग----भलमनसत, सज्जनता।----
सौतेलाविशेषणविशेषण---सौत अथवा सपत्नी संबंधी ;सौत से उत्पन्न।---
सौभाग्यपुंलिंगपुंलिंग---अच्छा भाग्य, अच्छी किस्म्त ;सुहाग।---
स्तंभपुंलिंगपुंलिंग---खंभा।पत्र-पत्रिका आदि में ऐसे विभाग जिनमें किसी विशेष विषय का प्रतिपादन अथवा निरूपण होता है।---
स्तब्धविशेषण----जड़ीभूत, निश्चेष्ट, हक्का-बक्का।----
स्तुतिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---आदर भाव से किसी के गुणों के कथन करने का भाव, बड़ाई, तारीफ ;वह पद या रचना जिसमें किसी देवता आदि के गुण का बखान हो, स्तोत्र।---
स्तोत्रपुंलिंग----वह रचना, विशेषत: पद्बद्ध रचना जिसमें किसी देवता आदि की स्तुति हो, स्तव, स्तुति।----
स्त्रीपुंलिंगस्त्रीलिंग---मनुष्य जाति की क्यस्क मादा, पुरुष का विपर्याय ;पत्नी, जोरू।---
स्थगनपुंलिंग----सभा की बैठक, बात की सुनवाई या विचार अथवा कोई चलता हुआ काम कुछ समय के लिए रोक रखना।----
स्थानपुंलिंगपुंलिंग---जगह, स्थल ;पद ओहदा।---
स्थानांतरणपुंलिंग----किसी वस्तु या व्यक्ति को एक स्थान से हटाकर दूसरे स्थान पर पहुँचाना या भेजना, बदली, तबादला।----
स्थानीयविशेषण----स्थान, विशेष का, मुकामी, स्थानिक।----
स्थापनास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---स्थापित करने की क्रिया या भाव, स्थापन ;प्रतिपादन, निरूपण।---
स्थायीविशेषणविशेषण---सदा स्थित रहने वाला, हमेशा बना रहने वाला, स्थिर, अटल, नियत ;टिकाऊ।---
स्थितिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--दशा, हालत, अवस्था ;पद, मर्यादा आदि के विचार से समाज में स्थान ;किसी कार्य आदि की प्रगति की अवस्था, चरण।--
स्थिरविशेषणविशेषणविशेषण--अटल, निश्चल ;स्थायी ;धीर, शांत।--
स्नेहपुंलिंगपुंलिंग---प्रेमियों, हमजोलियों, बच्चों आदि के प्रति होनेवाला प्रेमभाव ;चिकना पदार्थ, चिकनाहट वाली चीज़।---
स्पंदनपुंलिंगपुंलिंग---धीने-धीरे हिलना या कांपना ;फकड़, प्रस्फुरण, गति।---
स्पर्धास्त्रीलिंग----प्रतियोगिता आदि में किसी से होने वाली होड़।----
स्पर्शपुंलिंगपुंलिंग--त्वचा का वह गुण जिससे छूने, दबने आदि का अनुभव होता है ;एक वस्तु के तल का दूसरी वस्तु के तल से सटना या छूना, संपर्क।---
स्पष्टविशेषण----जिसे देखने, समझने, सुनने आदि में नाम मात्र भी कठिनता न हो, बिलकुल साफ।----
स्फूर्तिस्त्रीलिंग----तेजी, फुर्ती।----
स्मरणपुंलिंग----कोई बात फिर से याद आने की क्रिया या भाव, स्मृति, याद।----
स्मारकविशेषणपुंलिंग---स्मरण कराने वाला।स्मरण चिह्न, यादगार।---
स्मृतिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--स्मरण शक्ति ;याद, अनुस्मरण ;धर्म, आचार-व्यवहार आदि से संबंधित हिन्दू धर्मशास्त्र जिनकी रचना ऋषियों और मुनियों ने वेदों का स्मरण या चिंतन करके की थी।--
स्रष्टाविशेषणपुंलिंग---सृष्टि या रचना करने वाला, रचयिता, निर्माता।ब्रह्मा, सृष्टि का रचयिता।---
स्वचालितविशेषण----अपने आप चलने वाला, जिसके अंदर ऐसे कल-पुरजे लगे हों कि एक पुरजा चलाने से ही वह आपने आप चलने या कोई काम करने लगे।----
स्वजनपुंलिंगपुंलिंग---अपने परिवार के लोग, आत्मीय जन;सगे संबंधी, रिश्तेदार, बन्धु-बांधव।---
स्वतंत्रविशेषणविशेषण---जिसका तंत्र अथवा शासन अपना हो, जो किसी के तंत्र या शासन में न हो, आजाद।किसी प्रकार के नियंत्रण दबाव या बंधन से रहित।---
स्वतंत्रतास्त्रीलिंग----स्वतंत्र रहने या होने की अवस्था या भाव, आज़ादी, स्वातंत्र्य।----
स्वप्नपुंलिंगपुंलिंग---सपना, ख्वाब ;मन ही मन की जाने वाली बड़ी-बड़ी कल्पनाएँ और बांधे जाने वाले मनसूबे।---
स्वभावपुंलिंगपुंलिंग---प्रकृति, ख़ासियत, मिजाज ;आदत, बान।---
स्वयंविशेषणक्रिया विशेषणपुंलिंग--(सर्वनाम) जिसके द्वारा वक्ता अपने व्यक्तित्व पर जोर देते हुए कोई बात कहता है।अपने आप करने या होने वाला अपनी इच्छा से, बिना किसी जोर या दबाव के।खुद (व्यक्ति)।--
स्वरूपपुंलिंगपुंलिंग---आकृति, रूप, शक्ल ;प्रकृति, स्वभाव, गुण।---
स्वर्गपुंलिंगपुंलिंग---देवलोक ;ऐसा स्थान जहाँ सभी प्रकार के सुख प्राप्त हों और नाममात्र भी कष्ट या चिंता न हो।---
स्वर्ण-युगविशेषण----ऐश्वर्य, ललित कलाओं की समृद्धि एवं शासनिक रूप से शांतिपूर्ण काल।----
स्वर्णिमविशेषण----सोने का, सुनहला।----
स्वस्थविशेषण----रोग, विकार आदि से रहित।----
स्वागतपुंलिंगपुंलिंग---किसी मान्य या प्रिय व्यक्ति के आने पर आगे बढ़कर आदरपूर्वक उसका अभिनंदन करने की क्रिया या भाव, अभ्यर्थना ;किसी के कथन, विचार आदि को अच्छा या अनुकूल समझकर ग्रहण अथवा मान्य करने की क्रिया या भाव।---
स्वादपुंलिंग----कोई चीज खाने चा पीने पर जबान या रसनेन्द्रिय को होने वाली अनुभूति, जायका।----
स्वादिष्टविशेषण----जिसका जायका या स्वाद बहुत अच्छा हो, जो खाने में बहुत अच्छा जान पड़े।----
स्वाभाविकविशेषणविशेषण---प्राकृतिक, कुदरती ;जो या जैसा प्रकृति के या स्वभाव के अनुसार साधारणत: हुआ करता है, सहज।---
स्वामित्वपुंलिंगपुंलिंग---मालिक अथवा स्वामी होने की अवस्था या भाव, मालिकी ;प्रभुता, आधिपत्य।---
स्वामीपुंलिंगपुंलिंग---वह व्यक्ति जिसे किसी वस्तु पर पूरे और सब प्रकार के अधिकार प्राप्त हों, मालिक ;पति शौहर।---
स्वार्थपुंलिंग----अपना अर्थ या उद्देश्य, अपना मतलब।----
स्वार्थीविशेषण----मात्र अपने उद्देश्य कही सिद्धि चाहने वाला, खुदगर्ज।----
स्वावलंबनपुंलिंग----अपने पर ही भरोसा रखने और दूसरे से सहायता न लेने की अवस्था, गुण या भाव, आत्मनिर्भरता।----
स्वावलंबीविशेषण----अपने ही बल पर काम करने वाला, दूसरे की सहायता न लेने वाला, आत्मनिर्भर।----
स्वास्थ्यपुंलिंग----स्वस्थ अर्थात निरोग होने की अवस्था, गुण या भाव, निरोगता, आरोग्यता, तन्दरुस्ती।----
स्वीकारपुंलिंगपुंलिंग---अपना बनाने, ग्रहण करने या लेने या अपनाने की क्रिया या भाव ;कोई बात मान लेने की क्रिया या भाव।---
स्वीकृतिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---स्वीकार करने की क्रिया या भाव सहमति ;प्रस्ताव, शर्त आदि मान लेने अथवा ग्रहण करने की क्रिया या भाव।---