शब्दव्याकरण-१व्या-२व्या-३व्या-४व्या-५अर्थ-१अर्थ-२अर्थ-३अर्थ-४अर्थ-५
दंगलपुंलिंग----पहलवानों की कुश्ती प्रतियोगिता।----
दंगापुंलिंग----उपद्रव, फसाद।----
दंडपुंलिंगपुंलिंग---सज़ा, ज़ुर्माना;बांस या लकड़ी का डंडा।---
दंडनीयविशेषण----दंड दिए जाने योग्य।----
दंपत्तिपुंलिंग----पति-पत्नी।----
दंभपुंलिंग----अहंकार।----
दक्षिणास्त्रीलिंग----यज्ञ दान आदि के अंत में ब्राह्मणों और पुरोहितों को दिया जाने वाला द्रव्य।----
दत्तकपुंलिंग----गोद लिया हुआ।----
दतचित्तविशेषण----जो किसी कार्य में मनोयोग पूर्वक लगा हुआ हो, तल्लीन।----
दफनानासकारात्मक क्रिया----मुर्दे को जमीन में गाड़ना।----
दबंगविशेषणविशेषण---जो किसी से दबता न हो, साहसी;प्रभावशाली।---
दबदबापुंलिंग----रोब, आतंक।----
दबानासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया--भार या दाब के नीचे लाना;किसी बात या मामले को आगे न बढ़ने देना, रोकना;दमन करना।--
दबावपुंलिंग----दाबने की क्रिया या भाव, दाब।----
दबोचनासकारात्मक क्रिया----झपट कर दबा लेना।----
दमपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--ताकत, जोर;हुक्के आदि का कश;सांस, श्वास, प्राण।--
दमकस्त्रीलिंग----चमक, प्रभा।----
दमकलस्त्रीलिंग----आग बुझाने का यंत्र या यंत्र-समूह।----
दयनीयविशेषण----दया के योग्य।----
दयास्त्रीलिंग----रहम, अनुकंपा, तरस।----
दयादृष्टिस्त्रीलिंग----दयापूर्ण या करुणापूर्ण दृष्टि या भावना।----
दरपुंलिंग, स्त्रीलिंगपुंलिंग, स्त्रीलिंग---द्वार, दरवाजा;निर्ख, भाव (रेट)---
दरखास्त (दरख्वास्त)स्त्रीलिंग----आवेदन, प्रार्थना पत्र, अर्जी।----
दरबानपुंलिंग----फाटक पर रहने वाला चौकीदार।----
दरवाज़ापुंलिंग----द्वार, कपाट, किवाड़।----
दरारस्त्रीलिंग----रेखा की तरह का लंबा छिद्र।----
दरिद्रविशेषण, पुंलिंग----निर्धन, कंगाल, गरीब।----
दरीस्त्रीलिंग----मोटे सूत का एक बिछावन।----
दर्जनपुंलिंग----बारह वस्तुओं की इकाई।----
दर्जीपुंलिंग----कपड़े सीने का काम करने वाला।----
दर्पणपुंलिंग----मुंह देखने का शीशा, आईना।----
दर्शकपुंलिंग----देखने वाला।----
दलपुंलिंगपुंलिंग---फूल की पंखड़ी;गुट, टोला।---
दलनासकारात्मक क्रिया----मोटा पीसना, दरदरा करना।----
दलालपुंलिंग----सौदा आदि करवाने में मध्यस्थता करने वाला, बिचोलिया।----
दवास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---औषधि;इलाज, उपचार।---
दशकपुंलिंग----दस वर्षों की अवधि।----
दस्तकारीस्त्रीलिंग----हाथ से किया गया कारीगरी का काम, हस्तशिल्प।----
दहकनाक्रिया----इस प्रकार जलना कि लपटें निकलने लगें, धधकना।----
दहाड़स्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---शेर की गरज;जोर की चिल्लाहट।---
दहाड़नाक्रियाक्रिया---शेर का गरजना;जोर से चिल्लाना।---
दहेजपुंलिंग----विवाह के अवसर पर कन्या पक्ष की ओर दिया जाने वाला धन और सामान (डाउरी)।----
दाईस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---उपमाता, धाय;प्रसूति के समय मदद करने वाली स्त्री (मिड वाइफ)---
दातुनस्त्रीलिंग----नीम, बबूल आदि की नरम टहनी का टुकड़ा जो दांत साफ करने के काम आता है।----
दानपुंलिंगपुंलिंग---देने की क्रिया;धर्म आदि की दृष्टि से किसी को कोई वस्तु देने की क्रिया, खैरात।---
दानवपुंलिंग----राक्षस, असुर।----
दानवीरपुंलिंग----उदारतापूर्वक दान करने वाला।----
दानापुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--अन्न या फल का कण या बीज;माला आदि का तिनका;छोटी गोल फुंसी।--
दाना-पानीपुंलिंग----अन्न-जल, खाना-पीना, जीविका।----
दानेदारविशेषण----जिसमें दाने या रवे हों।----
दामपुंलिंग----कीमत, मूल्य।----
दायांविशेषण----दाहिना।----
दारोगा (दरोगा)पुंलिंगपुंलिंग---निगरानी, देख-भाल या प्रबन्ध करने वाला अधिकारी;पुलिस का वह अधिकारी जिसके अधीन सिपाहियों की एक टुकड़ी और प्राय: एक थाना होता है।---
दावतस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---भोज;निमंत्रण।---
दावापुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--अधिकार, स्वत्व, हक;स्वत्व की रक्षा या अन्याय के प्रतिकार के लिए न्यायालय में दिया हुआ प्रार्थना-पत्र, नालिश;किसी बात की यथार्थता के विषय में अत्यधिक आत्मविश्वास, गर्वोक्ति।--
दिखावटीविशेषण----जो केवल देखने में अच्छा या सुंदर हो।----
दिनपुंलिंगपुंलिंग---वह समय जिसका आरंभ सूर्योदय तथा अंत सूर्यास्त से होता है, दिवस;चौबीस घंटे की अवधि।---
दिनकरपुंलिंग----सूर्य।----
दिमागपुंलिंगपुंलिंग---सिर के भीतर का गूदा या भेजा;सोचने-समझने की शक्ति, मस्तिष्क।---
दियासलाईस्त्रीलिंग----एक सिरे पर गंधक आदि मसाले लगाकर बनाई हुई छोटी तीली जो रगड़ने पर जल उठती है।----
दिलपुंलिंग----हृदय।----
दिलासापुंलिंग----क्षुब्ध या दुखित हृदय को दिया जानेवाला आश्वासन, तसल्ली, ढाढस।----
दिवंगतविशेषण----जो मर गया हो, परलोकवासी।----
दिवालापुंलिंग----अर्थहीनता की वह स्थिति जिसमें कोई व्यक्ति अथवा संस्था अपना ऋण न चुका सके, सर्वथा अभाव की स्थिति (बैंकरप्टसी)।----
दिवालियाविशेषण----जिसका दिवाला निकल गया हो, जो सर्वथा अभाव की स्थिति में हो।----
दिशास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---क्षितिज मंडल के चार-पूर्व, पश्चिम, दक्षिण, उत्तर, मार्गों में से एक;ओर, तरफ।---
दीक्षास्त्रीलिंग----किसी पवित्र मंत्र की वह शिक्षा जो आचार्य या गुरु से विधिपूर्वक, शिष्य बनने अथवा किसी संप्रदाय में सम्मिलित होने के समय ली जाती है, गुरुमंत्र।----
दीपकपुंलिंग----दीया, चिराग।----
दीया (दिया)पुंलिंग----दीपक, चिराग।----
दीर्घास्त्रीलिंग----आने जाने के लिए कोई लंबा और ऊपर से छाया हुआ मार्ग।----
दीवारस्त्रीलिंग----मिट्टी, ईंटों पत्थरों आदि की प्राय: लंबी, सीधी और ऊंची रचना जो कोई स्थान घेरने के लिए खड़ी की जाती है, भीत (वॉल)।----
दु:खपुंलिंग----कष्ट, क्लेश, तकलीफ।----
दुकान (दूकान)स्त्रीलिंग----वह स्थान जहाँ बेचने की चीजें सजाकर रखी गई हों, सौदा खरीदने और बेचने की जगह (शॉप)।----
दुकानदार (दूकानदार)पुंलिंग----दुकान का स्वामी, दुकानवाला।----
दुतकारनासकारात्मक क्रिया----उपेक्षा या तिरस्कारपूर्वक हटाना, तिरस्कृत करना।----
दुबलाविशेषण----दुर्बल, निर्बल, कमज़ोर, पतले बदन वाला।----
दुभाषियापुंलिंग----दो भाषाएँ जानने वाला वह मध्यस्थ जो उन भाषाओं के बोलने वाले दो व्यक्तिओं की वार्ता के समय एक को दूसरे का अभिप्राय समझाए (इन्टरप्रेटर)।----
दुरुपयोगपुंलिंग----किसी चीज या बात का अनुचित ढंग या प्रकार से किया जाने वाला उपयोग।----
दुर्गंधस्त्रीलिंग----बुरी गंध, बद्बू।----
दुर्गपुंलिंग----किला, गढ़, कोट।----
दुर्घटनास्त्रीलिंग----हानिकारक, अशुभ या क़्लेशकर घटना।----
दुर्दशास्त्रीलिंग----हीनदशा, बुरी हालत, दुर्गति।----
दुर्भिक्षपुंलिंग----अकाल, कहत (फमिन)।----
दुर्लभविशेषण----जो कठिनाई से अथवा कम मात्रा में प्राप्त होता हो, दुष्प्राप्य।----
दुलहन (दुलहिन)स्त्रीलिंग----नई बहू, नव-विवाहिता।----
दुलारपुंलिंग----लाड-प्यार।----
दुविधास्त्रीलिंग----ऐसी मन: स्थिति जिसमें दो या कई बातों में से किसी एक बात का निश्चय न हो रहा हो।----
दुश्मनपुंलिंग----शत्रु, बेरी।----
दुष्टविशेषण----दूषित मनोवृत्ति वाला, दूसरों को परेशान करने वाला।----
दुहनासकारात्मक क्रिया----मादा जीवों के स्तनों से दूध निचोड़ना।----
दूतपुंलिंगपुंलिंग---एक जगह से दूसरी जगह चिट्ठी-पत्री, संदेश आदि पहुँचाने के लिए नियुक्त व्यक्ति (मैसेंजर)।किसी राजा या राष्ट्र का वह प्रतिनिधि जो राजनितिक कार्य से अन्य राष्ट्र में भेजा गया हो या स्थायी रूप से रहता हो (ऐबैसेडर)।---
दूतावासपुंलिंग----राजदूत के रहने का स्थान और उसका कार्यालय (ऐंबैसी)।----
दूभरविशेषण----कठिन, मुश्किल, असह्य।----
दूरक्रिया विशेषणक्रिया विशेषण---देश-काल आदि की दृष्टि से अधिक अंतर पर, फासले पर;अलग, पृथक्।---
दूरदर्शनपुंलिंग----टेलीविजन।----
दूरबीनस्त्रीलिंग----एक यंत्र जिसके द्वारा दूर की वस्तुएँ बड़ी और समीपस्थ दिखाई देती हैं (टेलिस्कोप)।----
दूरभाषपुंलिंग----एक यंत्र जिसकी सहायता से दूर बैठे हुए लोग आपस में बातचीत करते हैं (टेलीफोन)।----
दूल्हापुंलिंग----वह व्यक्ति जिसका ब्याह होने को हो या कुछ ही दिनों पहले हुआ हो, वर, नवविवाहित।----
दूसराविशेषणविशेषण---जो गिनती में दो के स्थान पर हो, पहले के बाद का;प्रस्तुत से भिन्न, अन्य।---
दृढ़विशेषणविशेषणविशेषण--अविचलित;कड़ा, मजबूत;जिसमें कोई हेर-फेर न हो सके, पक्का, निश्चित।--
दृश्यपुंलिंगपुंलिंग---जो देखने में आ सके या दिखाई दे सके, जिसे देख सकते हों, चाक्षुप (विजुअल);नज़ारा, तमाशा।---
देखनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---नेत्रों द्वारा किसी का ज्ञान प्राप्त करना;निगरानी करना या रखना।---
देख-रेखस्त्रीलिंग----निगरानी।----
देनदारविशेषण----कर्जदार, ऋणी।----
देनासकारात्मक क्रिया----प्रदान करना।----
देरस्त्रीलिंग----विलंब।----
देवतापुंलिंगपुंलिंग---दिव्य शक्ति संपन्न सत्ता;देव प्रतिमा।---
देवीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---दुर्गा, सरस्वती, पार्वती आदि स्त्री-देवता;देवता की पत्नी।---
देशपुंलिंगपुंलिंग---जगह, स्थान, क्षेत्र, प्रदेश;कोई विशिष्ट भू-भाग या खंड (कन्ट्री)---
देशद्रोहीपुंलिंग----षड्यंत्र रचकर अपने देश (वतन) को हानि पहुँचाने वाला, देश से विश्वासघात करने वाला।----
देशवासीपुंलिंग----देश में रहने-बसने वाला।----
देहांतपुंलिंग----मृत्यु, मौत।----
देहातपुंलिंग----गांव, ग्राम।----
दैनंदिनीस्त्रीलिंग----डायरी।----
दैनिकीस्त्रीलिंग----जेब में रखी जाने वाली वह छोटी पुस्तिका जिसमें रोज़ के किए जानेवाले कामों का उल्लेख होता है, दैनंदिनी, डायरी।----
दोपहरपुंलिंग----दिन के बारह बजे और उसके आसपास का समय, मध्याह्न।----
दोहरानासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---कोई काम या बात फिर से उसी प्रकार करना या कहना, पुनरावृति करना;किए हुए काम को फिर से आदि से अंत तक इस दृष्टि से देखना कि उसमें कहीं कोई भूल तो नही रह गई, पुनरीक्षण।---
दौड़-धूपस्त्रीलिंग----ऐसा प्रयत्न जिसमें अनेक स्थानों पर बार-बार आना-जाना तथा अनेक आदमियों से मिलना और उनसे अनुनय-विनय करना पड़े।----
दौड़नाअकारात्मक क्रिया----अति वेग से चलना, इतनी तेज़ी से चलना कि पांव पृथ्वी पर पूरा न पड़े।----
दौलतस्त्रीलिंग----धन, सम्पत्ति, अधिकृत सभी वस्तुएँ जिनका आर्थिक मूल्य हो।----
द्योतकविशेषणविशेषण---किसी चीज को प्रकाश में लाने वाला;प्रकट करने वाला।---
द्रोहीविशेषण----किसी के विरुद्ध षडयंत्र रचनेवाला, विश्वासघाती।----
द्वंद्वपुंलिंगपुंलिंग---जोड़ा, युग्गल;दो व्यक्तियों का परस्पर युद्ध।---
द्वारपुंलिंग----मकान, कमरे आदि की दीवार में बनाया हुआ भीतर बाहर आने-जाने का विशेष प्रकार का दरवाजा।----
द्वीपपुंलिंग----चारों ओर समुद्र से घिरा हुआ भू-भाग, जल के बीच का स्थल, टापू।----
द्वेषपुंलिंग----चित्त का वह भाव जो अप्रिय वस्तु या व्यक्ति का नाश करने की प्रेरणा करता है, वैमनस्य, शत्रुता, वैर।----
धंधापुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--वह उद्योग या कार्य जो जीविका निर्वाह के लिए किया जाए;व्यवसाय, व्यापार;कोई भी काम।--
धकेलनासकारात्मक क्रिया----धक्का देना, ढकेलना, आगे बढ़ाना।----
धड़पुंलिंगपुंलिंग---शरीर का वह बीच-वाला भाग जिसमें छाती, पीठ और पेट है;तना।---
धड़कनस्त्रीलिंग----हृदय का तीव्र और स्पष्ट स्पंदन।----
धधकनासकारात्मक क्रिया----आग का दहकना, भड़कना।----
धनपुंलिंगपुंलिंग---सम्पत्ति, दौलत;पूंजी---
धनवान्विशेषण----जिसके पास बहुत धन हो, धनी, दौलतमद।----
धनाढ्यविशेषण----बहुत बड़ा धनी, धनवान्।----
धनुषपुंलिंग----कमान।----
धन्यवादपुंलिंग----किसी उपकार या अनुग्रह के बदले में कहा जानेवाला कृतज्ञतासूचक शब्द, शुक्रिया, (थैंक्स)।----
धरतीस्त्रीलिंग----पृथ्वी, जमीन, भूमि।----
धरनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रियापुंलिंग--किसी स्थान पर किसी चीज को रखना;बंधक रखना।कोई काम कराने के लिए अड़कर बैठ जाना और जब तक काम न हो जाए वहां से न हटना।--
धर्मपुंलिंगपुंलिंग---समाज में किसी जाति, कुल, वर्ग आदि के लिए उचित ठहराया हुआ व्यवसाय, कर्त्तव्य;मज़हब (रिलिजन)।---
धर्मशालास्त्रीलिंग----परोपकार की दृष्टि से बनाया गया वह भवन जिसमें यात्री बिना कुछ शुल्क दिए कुछ समय तक रह सकते हैं।----
धर्मात्माविशेषण, पुंलिंगविशेषण, पुंलिंग---धार्मिक आचरण करने वाला;साधु-संत।---
धवलविशेषणविशेषण---उजला, सफेद;निर्मल।---
धांधली-----अव्यवस्था, दुर्व्यवस्था, गड़बड़;निरंकुशता, स्वेच्छाचारिता।---
धागापुंलिंग----बटा हुआ महीन सूत जो प्राय: सीने-पिरोने के काम आता है, डोरा (थ्रेड)।----
धातुस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---कुछ विशिष्ट प्रकार के खनिज पदार्थ;(संस्कृत व्याकरण में) क्रिया का मूल रूप।---
धारस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---पानी आदि के गिरने या बहने का तार, धारा, अखंड प्रवाह;किसी काटने वाले हथियार का वह तेज सिरा या किनारा जिससे कोई चीज काटते हैं।---
धारणास्त्रीलिंग----व्यक्तिगत विचार या विश्वास।----
धारास्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--धारा, अखंड प्रवाह;किसी नियम, नियमावली, विधान आदि का वह स्वतंत्र अंश जिसमें किसी एक विषय से संबंध रखने वाली सब बातों का एक अनुच्छेद में उल्लेख होता है, दफा (सैक्शन);निरंतर चलनेवाला क्रम।--
धारावाहीविशेषणविशेषण---अविच्छिन्न क्रम या गतिवाला;जो क्रमश: खंडो के रूप में बराबर कई अंशों अथवा अंकों में प्रकाशित होता रहे।---
धिक्कारपुंलिंग----भर्त्सना, लानत।----
धीमाविशेषणविशेषण---कम वेगवाला, मंद;निस्तेज, तीव्रता या प्रचंडता से रहित (प्रकाश आदि)।---
धीरविशेषणविशेषण---जो शांत स्वभाववाला हो, अविचल;दृढ़, अटल, दृढ़-प्रतिज्ञ।---
धीरेक्रिया विशेषणक्रिया विशेषण---धीमी या मंद गति से, आहिस्ता;नीचे या हल्के स्वर में।---
धुंधलाविशेषणविशेषणविशेषण--धुंध से भरा हुआ;धुएँ की तरह का, कुछ-कुछ काला;मंद, फीका।--
धुआंपुंलिंग----जलती हुई चीजों से निकलने वाला वायवीय पदार्थ जो कुछ कालापन लिए होता है (स्मोक)।----
धुनस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--प्रबल इच्छा, मन की तरंग;सनक, झक;गाने या बजाने का विशिष्ट ढंग (ट्यून)।--
धुननासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---धुनकी से रूई साफ करना ताकि उसके बिनौले अलग हो जाएं;खूब मारना-पीटना।---
धुरंधरविशेषण----किसी विषय में औरों से बहुत बढ़ा-चढ़ा, प्रवीण।----
धुरीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---लकड़ी या लोहे का वह छड़ या डंडा जो पहियों की गरारी के बीचोबीच रहता है और जिसके सहारे पहिया चारों ओर घूमता है, अक्ष;मूल आधार।---
धूम-धामस्त्रीलिंग----उत्साह तथा उल्लास से युक्त होनेवाला ऐसा आयोजन जिसमें खूब चहल-पहल और ठाठ-बाट हो।----
धूम्र-पानपुंलिंग----तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट आदि पीना।----
धृष्टतास्त्रीलिंग----ढिठाई, दुस्साहस।----
धैर्यपुंलिंग----अनुद्विग्नता, अविकलता, धीरज, सब्र।----
धोखापुंलिंगपुंलिंग---छल, कपट;भ्रम, भ्रांति।---
धोनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---जल या किसी तरल पदार्थ के प्रयोग से साफ करना;दूर करना, मिटाना।---
धोंकनासकारात्मक क्रिया----आग दहकाने के लिए धोंकनी, पंखे आदि की सहायता से जोर की हवा करना।----
ध्यानपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--अंत:करण में उपस्थित करने की क्रिया या भाव, मनोयोग, अवधान;सोच-विचार, मनन;चित्त या मन को पूरी तरह एकाग्र और स्थिर करने की क्रिया या भाव।--
ध्येयपुंलिंग----उद्देश्य----
ध्रुवविशेषणविशेषणपुंलिंगपुंलिंग-अचल, अटल, दृढ़, पक्का।स्थायी, नित्य, शाश्वत।पृत्वी के दोनों नुकीले सिरे (भूगोल);एक प्रसिद्ध तारा जो सदा उत्तरी ध्रुव के ठीक ऊपर रहता है।-
ध्वजपुंलिंगपुंलिंग---झंडा, पताका;चिह्न, प्रतीक।---
ध्वजारोहणपुंलिंग----झंडा फहराने की क्रिया।----
ध्वनिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--आवाज़, शब्द;बाजे आदि बजने से उत्पन्न होने वाला शब्द;(काव्य में), व्यंग्य, व्यंग्यार्थ।--