शब्दव्याकरण-१व्या-२व्या-३व्या-४व्या-५अर्थ-१अर्थ-२अर्थ-३अर्थ-४अर्थ-५
चंगुलपुंलिंगपुंलिंग---पशु-पक्षियों का ढेढ़ा पंजा जिससे वे किसी पर प्रहार करते अथवा कोई चीज पकड़ते हैं;किसी व्यक्ति के प्रभाव या वश में होने की वह स्थिति जिसमें से निकलना सहज न हो।---
चंचलविशेषणविशेषणविशेषण--अस्थिर;नटखट, शरारती;जो शांत न हो, विकल, उद्विग्न।--
चंदनपुंलिंगपुंलिंग---एक प्रसिद्ध पेड़ जिसकी लकड़ी बहुत सुगंधित होती है;उक्त लकड़ी को जल में घिस या रगंड़ कर बनाया हुआ गाढ़े घोल या लेप जिसका टीका आदि लगाया जाता है।---
चंदापुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--चंद्रमा;किसी परोपकारी अथवा सार्वजनिक कार्य के लिए दी या ली जाने वाली व्यक्तिगत आर्थिक सहायता;किसी संस्था, पत्रिका आदि को उसके सदस्य, ग्राहक आदि बने रहने के लिए दिया जाने वाला धन।--
चंद्रमापुंलिंग----पृथ्वी का एक प्रसिद्ध उपग्रह, चांद।----
चकबंदीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---बहुत बड़े भूमि खंड को छोटे-छोटे चकों या भागों में बांटने की क्रिया या भाव;छोटे-छोटे खेतों को एक में मिलाकर उनके बड़े-बड़े चक या विभाग बनाने की क्रिया या भाव।---
चकरानाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया--चकित होना;सिर घूमना।किसी को चक्कर या फेर में डालना, चकित करना।--
चकितविशेषण----आश्चर्य में आया या पड़ा हुआ।----
चक्कीस्त्रीलिंग----आटा पीसने, दाल दलने आदि का प्रसिद्ध यंत्र या मशीन, जाँता।----
चक्रपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--गाड़ी आदि का पहिया;पहिए के आकार का एक अस्त्र;देश भक्ति या वीरता आदि के लिए सरकार की ओर से दिया जाने वाला पदक या तमगा।--
चखनासकारात्मक क्रिया----किसी खाद्य-वस्तु का स्वाद जानने के लिए उसका थोड़ा अंश मुंह में रखना या खाना।----
चटपटाविशेषण----मिर्च-मसालेदार, तीक्ष्ण स्वाद का।----
चटाईस्त्रीलिंग----फूस, सींक, पतली फटियों आदि का बिछावन।----
चट्टानस्त्रीलिंग----पत्थर का बहुत बड़ा और विशाल खंड।----
चढ़नाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया-ऊपर की ओर बढ़ना;सवार होना;उन्नति करना;बही खाते आदि में नामों, रकमों आदि का अंकित होना।-
चढ़ाईस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---ऊंचाई की ओर जाने वाली भूमि;आक्रमण।---
चतुरविशेषणविशेषण---कार्य और व्यवहार में कुशल, प्रखर;चालाक, धूर्त।---
चपरासीपुंलिंगपुंलिंग---कार्यालय के कागज-पत्र आदि लाने या ले जाने वाला कर्मचारी;अरदली।---
चपलविशेषण----स्थिर न रहने वाला।----
चबानासकारात्मक क्रिया----दांतों से कुचलना।----
चबूतरापुंलिंग----मकान के अगले भाग में बैठने के लिए बनाई गई खुली चौकोर और चौरस जगह।----
चमकस्त्रीलिंग----प्रकाश, कांति।----
चमकनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया--प्रकाश या ज्योति से युक्त होना;कांति या आभा से युक्त होना;उन्नति करना।--
चमड़ापुंलिंगपुंलिंग---पशुओं की खाल का औद्योगिक कार्यों के लिए तैयार किया हुआ रूप (लैदर);त्वचा।---
चमत्कारपुंलिंगपुंलिंग---अलौकिक-सा जान पड़ने वाला काम या बात, करामात;आश्चर्य, विस्मय।---
चरणपुंलिंगपुंलिंग---किसी पूज्यव्यक्ति के पांव के लिए आदर-सूचक शब्द;किसी छंद, श्लोक आदि की पूरी पंक्ति अथवा चौथाई भाग।---
चरनासकारात्मक क्रिया----पशुओं का खेतों आदि में उगी हुई घास, पौधे आदि खाना।----
चरबी (चर्बी)स्त्रीलिंग----प्राणियों के शरीर में होने वाला सफेद या हल्के पीले रंग का गाढ़ा, चिकना तथा लसीला पदार्थ (फैट)।----
चरवाहापुंलिंग----वह व्यक्ति जो दूसरों के पशुओं को चराकर अपनी जीविका चलाता हो।----
चरसस्त्रीलिंग----गांजे के पौधों के डंठलों पर से उतारा हुआ एक प्रकार का हरा या हल्का पीला गोंद या चेप जिसे लोग गांजे या तंमाकू की तरह पीते हैं।----
चरागाहपुंलिंग----पशुओं के चरने का स्थान, जहां प्राय: घास आदि उगी रहती है।----
चरित्रपुंलिंगपुंलिंग---वे सब बातें जो आचरण या व्यवहार आदि के रूप में की जायें, आचरण;कहानी, नाटक आदि का कोई पात्र।---
चर्चास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---बातचीत, वार्तालाप;अफवाह।---
चलचित्रपुंलिंग----सिनेमा (फिल्म, मूवी)----
चलनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया-पैरो, पहियों आदि की सहायता से अथवा किसी प्रकार की गति से युक्त होकर आगे बढ़ना;किसी चीज का ठीक तरह से उपयोग या व्यवहार में आते रहना;बराबर काम देते रहना;प्रहार के उद्देश्य से अस्त्र-शस्त्र आदि का प्रयोग या व्यवहार होना।-
चलनी (छलनी)स्त्रीलिंग----आटा, चाय आदि छानने का उपकरण।----
चश्मापुंलिंगपुंलिंग---ऐनक;जल-स्रोत, सोता।---
चसकापुंलिंग----किसी वस्तु या कार्य से होने वाली तृप्ति को बार-बार पाने की लालसापूर्ण प्रवृत्ति, चाट, लत।----
चहकनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया---पक्षियों का आनंदित होकर कूजना, चहचहाना;उमंग या प्रसन्नता से बढ़ चढ़ कर बोलना।---
चांटापुंलिंग----हथेली तथा हाथ की उंगलियों से किसी के गाल पर किया जाने वाला प्रहार, थप्पड़, तमाचा, झापड़।----
चांदनीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---चांद का प्रकाश;छत पर या ऊपर की ओर तानने का कपड़ा;---
चांदीस्त्रीलिंग----सफेद रंग की एक नरम चमकीली धातु जो गहने, सिक्के आदि गढ़ने के काम आती है।----
चाकूपुंलिंग----फल-तरकारी आदि काटने या कलम बनाने का छोटा औजार, छुरी।----
चाटनासकारात्मक क्रिया----जीभ लगाकर या जीभ से पोंछ कर खाना।----
चापलूसविशेषण----खुशामदी, चाटुकार।----
चाबीस्त्रीलिंग----ताली, कुंजी----
चाबुकपुंलिंग----कोड़ा।----
चारपाईस्त्रीलिंग----खाट, छोटा पलंग।----
चारापुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--पशुओं के खाने की घास, पत्ती, डंठल आदि;चिड़ियों, मछलियों आदि को फंसाने अथवा जीवित रखने के लिए खिलाई जाने वाली वस्तु;उपाय, इलाज, युक्ति।--
चालस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग-चलने की क्रिया या भाव;गति;धूर्तता;शतरंज, ताश आदि के खेल में अपनी बारी आने पर गोटी, पत्ता आदि आगे बढ़ाने या सामने लाने की क्रिया।-
चालकविशेषण----चलाने वाला (ड्राइवर।)----
चालाकविशेषणविशेषण---होशियार, व्यवहार-कुशल;धूर्त।---
चालान (चलान)पुंलिंगपुंलिंग---रवन्ना।अभियोगारंभ---
चाहनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---इच्छा करनाप्रेम करना।---
चिंघाड़नाअकारात्मक क्रिया----हाथी का बोलना या जोर से चिल्लाना।----
चिंतनपुंलिंग----कोई बात समझने या सोचने के लिए मन में बार-बार किया जाने वाला उसका ध्यान या विचार, मनन।----
चिंतास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---सोच, फिक्रपरवाह।---
चिकनाविशेषणविशेषणविशेषण--जो छूने में खुरदरा न हो;जिस पर पैर आदि फिसलें;जिसमें तेल आदि कोई चिकना पदार्थ लगा हो।--
चिकित्सास्त्रीलिंग----रोग-निवारण का उपाय, इलाज।----
चिट्ठीस्त्रीलिंग----पत्र, ख़त।----
चिड़ियाघरपुंलिंग----वह स्थान जहाँ अनेक प्रकार के पशु-पक्षी आदि जन-साधारण को प्रदर्शित करने के लिये एकत्र करके रखे जाते हैं।----
चिढ़ानासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---नाराज करना;नकल उतारना।---
चितकबराविशेषण----सफेद रंग पर काले, लाल या पीले दागों वाला।----
चितास्त्रीलिंग----चुनकर रखी हुई लकड़ियों का ढेर जिस पर मुर्दा जलाया जाता है, चिति।----
चित्तपुंलिंग----मन की एक अवस्था, अन्त: करण।----
चित्रपुंलिंगपुंलिंग---तस्वीर (फोटो);पेंटिंग।---
चित्रकारपुंलिंग----चित्र बनाने वाला।----
चिनगारीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---आग का छोटा कण;कोई ऐसी छोटी बात जिसका आगे चल कर बहुत उग्र या भीषण प्रभाव हो सकता है (लाक्षणिक)।---
चिपकनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया---किसी लसीली वस्तु के कारण दो वस्तुओं का परस्पर जुड़ना;व्यक्तियों या वस्तुओं का पास-पास सटना।---
चिमनीस्त्रीलिंग----मकान या कारखाने आदि का धुआं बाहर निकालने वाली विशेष नली, लैंप या लालटेन की शीशे की नली।----
चिल्लानाअकारात्मक क्रिया----जोर से बोलना, शोर करना, हल्ला करना।----
चिह्नपुंलिंगपुंलिंग---वह शब्द, बात या छाप जिससे किसी चीज की पहचान हो;दाग़ धब्बा, निशानी।---
चीखनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया---भय अथवा पीड़ा के कारण जोर से चिल्लाना;बहुत जोर से बोलना या कर्णकटु शब्द निकालना।---
चीरनासकारात्मक क्रिया----किसी चीज को धारदार उपकरण द्वारा काट या फाड़ कर अलग या टुकड़े करना।----
चुंगीस्त्रीलिंग----स्थानीय शासन द्वारा बाहर से आने वाले माल पर वसूल किया जाने वाला कर।----
चुंबकपुंलिंग----एक प्रकार का पत्थर या धातु जिसमें लोहे को अपनी ओर आकर्षित करने की शक्ति होती है।----
चुगनासकारात्मक क्रिया----पक्षियों आदि का अपनी चोंच से अनाज के कण, कीड़े-मकोड़े आदि उठा-उठा कर खाना।----
चुगलखोरविशेषण----किसी की हानि करने के उद्देश्य से पीठ पीछे उसकी बुराई करने वाला।----
चुटकुलापुंलिंग----चमत्कारपूर्ण और विलक्षण करवुं उक्ति अथवा बात जिसको सुन कर हंसी आए।----
चुननासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---बहुत में से कुछ को पंसद करके लेना;छोटी वस्तुओं को हाथ, चोंच आदि से एक-एक करके उठाना।---
चुनरीस्त्रीलिंग----वह रंगीन विशेषत: लाल कपड़ा जिसके बीच-बीच में बुंदकियां होती हैं।----
चुनावपुंलिंगपुंलिंग---चुनने की क्रिया या भाव;निर्वाचन।---
चुनौतीस्त्रीलिंग----अपनी बात मनवाने के लिए किसी को उत्तेजित करते हुए सामना करने के लिए कहना, ललकार।----
चुपविशेषण----मौन, खामोश।----
चुपड़नासकारात्मक क्रिया----किसी गीली या चिपचिपी वस्तु का लेप करना।----
चुभनस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---किसी नुकीली वस्तु का दबाव पाकर किसी नरम वस्तु में धंसने की क्रिया या भाव;उक्त क्रिया के कारण होने वाली टीस या पीड़ा।---
चुभानासकारात्मक क्रिया----कोई नुकीली चीज गड़ाना या धंसाना।----
चुरानासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---छल-पूर्वक पराई वस्तु हरण करना;भय, संकोच आदि के कारण कोई चीज या बात दबा रखना या दूसरों के सम्मुख न लाना।---
चुस्तविशेषणविशेषण---फुर्तीला;खूब कसा हुआ।---
चूकनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया---भूल करना;सुअवसर खो देना।---
चूड़ीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---सोने, चाँदी, काँच, हाथीदांत आदि का स्त्रियों का हाथ में पहनने का एक वृत्ताकार गहना;किसी पेंच के वृताकार खांचे (थ्रेड्स)।---
चूनापुंलिंगअकारात्मक क्रिया---कुछ विशिष्ट प्रकार के कंकड़-पत्थरों, शंख, सीप आदि को फूंक कर बनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध तीक्ष्ण और वाहक क्षार जिसका उपयोग दीवारों पर सफेदी करने और पान आदि के साथ खाने के लिए किया जाता है।किसी तरल पदार्थ का किसी छेद या संधि में से टपकना या बाहर निकलना।---
चूमनासकारात्मक क्रिया----होठों से होंठ, हाथ, गाल, मस्तक आदि अंगों का अथवा किसी पदार्थ का स्पर्श करना।----
चूरन (चूर्ण)पुंलिंग----खूब महीन पीसी हुई बुकनी (पाउडर।)----
चूल्हापुंलिंग----मिट्टी, लोह आदि का वह उपकरण जिसमें चीजें पकाने या गरम करने के लिए कोयले, लकड़ियां आदि जलाई जाती हैं।----
चूसनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया--जीभ और होंठ के संयोग से किसी वस्तु (विशेषत: फल) का रस अंदर खींचना;किसी गीली वस्तु की आर्द्रता सोख लेना;किसी का सत्व या सर्वस्व बल-पूर्वक या अनुचित रूप से हड़प लेना।--
चेहरापुंलिंगपुंलिंग---गरदन के ऊपर का अगला भाग जिसमें मुंह, आंख, नाक, कान, मस्तक आदि होते हैं, मुखड़ा;मुखौटा।---
चोंचस्त्रीलिंग----पक्षियों के मुंह का नुकीला और आगे की ओर निकला हुआ भाग।----
चोटस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---किसी वस्तु के आधात से शरीर पर होने वाला घाव;वार।---
चोटीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--सबसे ऊपर का भाग;स्त्रियों के गुंथे हुए सिर के बाल, वेणी;हिन्दू पुरुषों के सिर के पिछले भाग के मध्य के थोड़े से लंबे बाल जिन्हें कटवाया नहीं जाता।--
चोर-बाज़ारपुंलिंग----व्यापार का वह क्षेत्र जहाँ चीजें चोरी से और, या अधिक ऊंचे दाम पर खरीदी या बेची जाती हैं (ब्लैक मार्केट)।----
चोरीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---चुराने की क्रिया या भाव;दूसरों से कोई बात छिपाने की क्रिया या भाव।---
चौंकनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया---एकाएक किसी प्रकार की आहट, ध्वनि या शब्द सुनकर कुछ उत्तेजित अथवा विकल हो उठना;चकित होना।---
चौकपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--आंगन, सहन;चबूतरा;चौराहा।--
चौकड़ीस्त्रीलिंग----हिरन की वह दौड़ जिसमें वह चारों पैर एक साथ उठा कर छलांग मारता हुआ आगे बढ़ता है।----
चौकसविशेषणविशेषण---जो अपनी अथवा किसी की रक्षा के लिए पूर्णत: सचेत हो;ठीक, दुरुस्त, संपूर्ण।---
चौकीदारपुंलिंग----किसी स्थान पर पहरे का काम करने वाला कर्मचारी।----
चौखटापुंलिंग----चौखट के आकार का ढांचा जिस में शीशा या तस्वीर आदि को मढ़ा जाता है।----
चौड़ाविशेषण----जिसके दोनों पार्श्वें के बीच में अधिक विस्तार हो, जो संकरा न हो।----
चौराहापुंलिंग----वह स्थान जहाँ चारों दिशाओं से आने वाले मार्ग मिलते हों, चौरस्ता।----
छंटनीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---छांटने की क्रिया;आवश्यकता से अधिक कर्मचारियों को सेवा से हटाने का काम (रिट्रेंचमेंट)।---
छड़ीस्त्रीलिंग----बांस, बेंत, लकड़ी आदि की पतली लाठी।----
छतस्त्रीलिंग----कमरा ढंकने वाली वास्तु-रचना का ऊपरी या निचला तल।----
छतरीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग-लोहे की तीलियों पर कपड़ा चढ़ा-कर धूप, वर्षा आदि से बचाव के लिए बनाया हुआ आच्छादन, छाता;चारों ओर से खुले हुए स्थान के ऊपर का मंडप;किसी की समाधि के स्थान पर बना हुआ मंडप;पैराशूट।-
छलपुंलिंग----कपट, धोखेबाजी----
छलकानासकारात्मक क्रिया----बरतन में भरे हुए जल आदि को हिलाकर गिराना।----
छलनासकारात्मक क्रियास्त्रीलिंग---धोखा देना, ठगना, भुलावे में डालना।धोखा, वंचना।---
छल्लापुंलिंगपुंलिंग---सोने चाँदी आदि के तार को मोड़ कर बनाई हुई अंगूठी;उक्त प्रकार की कोई गोलाकार आकृति।---
छांटनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---अनावश्यक अंश अलग करना;चुनना।---
छाजपुंलिंगपुंलिंग---सरकंडों, सींकों आदि का बना हुआ वह उपकरण जिससे अनाज फटका जाता है, सूप;छप्पर।---
छात्रपुंलिंग----विद्यार्थी।----
छात्रवृतिस्त्रीलिंग----विद्यार्थी को विद्याभ्यास के लिए दी जाने वाली आर्थिक सहायता।----
छात्रावासपुंलिंग----किसी स्कूल, कॉलेज के अंर्तगत वह स्थान जहां विद्यार्थी रहते हैं।----
छाननासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---आटे आदि को या तरल पदार्थ को चलनी या कपड़े से इस प्रकार निकालना जिसमें मोटा अंश रह जाए और महीन अंश नीचे गिर जाए;खोज, जांचना।---
छान-बीनस्त्रीलिंग----जांच-पड़ताल, खोजबीन।----
छापस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---वह ठप्पा या सांचा जिससे कोई चीज छापी जाए, ठप्पा;प्रभाव, असर।---
छापनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---यंत्रों, ठप्पों आदि की सहायता से अक्षर, चित्र आदि की छपाई करना;पुस्तक, लेख, समाचार पत्र आदि प्रकाशित करना।---
छापा (मारना)पुंलिंगक्रिया---ठप्पा।कुछ विशिष्ट वस्तुएं पकड़ने के लिए पुलिस का अचानक या अप्रत्यशित रूप से कहीं पहुंच कर तलाशी लेने के लिए सब चीजों को देखना-भालना (रेड)।---
छायास्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--प्रकाश के अवरोध में उत्पन्न हलका अंधेरा;परछाई, प्रतिबिम्ब;सादृश्य, प्रतिकृति।--
छालस्त्रीलिंग----वृक्षों आदि के तने पर का कड़ा, खुरदरा और मोटा छिलका।----
छालापुंलिंग----शरीर के किसी अंग पर गरम पानी आदि पड़ने अथवा लगातार रगड़ के कारण होनेवाला मांस का कोमल और नरम उभार, फफोला।----
छावनीस्त्रीलिंग----वह स्थान जहां सेना रहती हो, सैनिकों की बस्ती (केंटोंमेंट)----
छिड़कनासकारात्मक क्रिया----जल या कोई तरल पदार्थ इस प्रकार फेंकना कि उसके छींट बिखर कर चारों ओर पड़ें।----
छिड़कावपुंलिंग----छिड़कने की क्रिया या भाव।----
छिपानासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---किसी प्राणी या वस्तु को ऐसी जगह या स्थिति में रखना जहां कोई देख न सके, आवरण या ओट में रखना, ढांकना;किसी को किसी बात की जानकारी न कराना या न होने देना।---
छींकनाअकारात्मक क्रिया----नाक और मुंह से इस प्रकार सहसा जोर से सांस फेंकना कि जोर का शब्द हो, छींक लेना, छींक आना।----
छीननासकारात्मक क्रिया----किसी से कोई वस्तु आदि जबर्दस्ती ले लेना।----
छीलनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---किसी चीज के ऊपर जमे या सटे हुए आवरण, तह अथवा परत को खींच कर उससे अलग करना;उगी या जमी हुई चीज को काटकर या खुरचकर अलग करना।---
छुट्टीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--काम बंद रहने का दिन;जाने की अनुमति;छुटकारा।--
छुरापुंलिंग----लंबे फलवाला बड़ा चाकू।----
छूटस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--बंधन आदि से मुक्ति, छुटकारा;रियायत, सुविधा;कुछ करने की आजादी।--
छूतस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---गंदी, अशुचि या रोग संवाहक वस्तु का स्पर्श या संसर्ग;अपवित्र वस्तु को छूने से होने वाला दोष।---
छूनासकारात्मक क्रिया----किसी वस्तु का शरीर के किसी अंग अथवा पहने हुए वस्त्र से लगना या स्पर्श होना।----
छेड़नासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---किसी को उत्तेजित करने के लिए कुछ कहना या करना, चिढ़ाना;किसी वस्तु को इस प्रकार छूना या स्पर्श करना कि उसके फलस्वरूप कोई क्रिया या व्यापार घटित हो।---
छेदनासकारात्मक क्रिया----छेद अथवा सुराख करना।----
छोटाविशेषणविशेषणविशेषण--मान, विस्तार आदि में अपेक्षाकृत या थोड़ा।उम्र में कम।तुच्छ, हीन।--
छोड़नासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रियाबंधन से मुक्त करना, स्वतन्त्र करना;माफ करना;त्याण देना;चलाना, फेंकना।किसी कार्य या उसके अंग को न करना या भूल से छोड़ देना।
छोरपुंलिंग----अंतिम सिरा, किनारा।----