विक्षनरी : संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश/सर-सेव्य
मूलशब्द—व्याकरण—संधिरहित मूलशब्द—व्युत्पत्ति—हिन्दी अर्थ
सर —वि॰—-—सृ + अच्—जाने वाला, गतिशील
सर —वि॰—-—सृ + अच्—रेचक, दस्तावर
सरः —पुं॰—-—सृ + अच्—जाना, गति
सरः —पुं॰—-—सृ + अच्—आतंच, दही का चक्का, मलाई
सरः —पुं॰—-—सृ + अच्—लड़ी, हार
सरः —पुं॰—-—सृ + अच्—जलप्रपात
सरम् —नपुं॰—-—सृ + अच्—झील, सरोवर
सरोत्सवः —पुं॰—सर-उत्सवः—-—सारस
सरजम् —नपुं॰—सर-जम्—-—ताजा मक्खन, नवनीत
सरकः —पुं॰—-—सृ + वुन्—सड़क राजमार्ग की अनवरत पंक्ति
सरकः —पुं॰—-—सृ + वुन्—मदिरा, उग्र सुरा
सरकः —पुं॰—-—सृ + वुन्—पीने का बर्त्तन, शराब पीने का प्याला, कटोरा
सरकः —पुं॰—-—सृ + वुन्—तेज शराब का वितरण
सरकम् —नपुं॰—-—सृ + वुन्—सड़क राजमार्ग की अनवरत पंक्ति
सरकम् —नपुं॰—-—सृ + वुन्—मदिरा, उग्र सुरा
सरकम् —नपुं॰—-—सृ + वुन्—पीने का बर्त्तन, शराब पीने का प्याला, कटोरा
सरकम् —नपुं॰—-—सृ + वुन्—तेज शराब का वितरण
सरकम् —नपुं॰—-—सृ + वुन्—जाना, गति
सरकम् —नपुं॰—-—सृ + वुन्—तालाब, सरोवर
सरकम् —नपुं॰—-—सृ + वुन्—स्वर्ग
सरघा —स्त्री॰—-—सरं मधुविशेषं हन्ति-सर + हन् + ड नि॰—मधुमक्खी
सरङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच्—चतुष्पाद, चौपाया
सरङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच्—पक्षी
सरजस् —स्त्री॰—-—सहरजसा - ब॰ स॰—रजस्वला स्त्री
सरजसा —स्त्री॰—-—सहरजसा - ब॰ स॰, कप् + टाप्—रजस्वला स्त्री
सरजस्का —स्त्री॰—-—सहरजसा - ब॰ स॰, पक्षे कप् + टाप्—रजस्वला स्त्री
सरट् —पुं॰—-—सृ + अटिः—हवा, वायु
सरट् —पुं॰—-—सृ + अटिः—बादल, छिपकली
सरट् —पुं॰—-—सृ + अटिः—मधुमक्खी
सरटः —पुं॰—-—सृ + अटच्—वायु
सरटः —पुं॰—-—सृ + अटच्—छिपकली
सरटिः —पुं॰—-—सृ + अटिन्—वायु
सरटिः —पुं॰—-—सृ + अटिन्—बादल
सरटुः —पुं॰—-—सृ + अटु—छिपकली, गिरगिट
सरण —वि॰—-—सृ + ल्युट्—जाने वाला, गतिशील
सरण —वि॰—-—सृ + ल्युट्—बहने वाला
सरणम् —नपुं॰—-—सृ + ल्युट्—प्रगतिशील, जानेवाला, वहनशील
सरणम् —नपुं॰—-—सृ + ल्युट्—लोहे का जंग, मुर्चा
सरणिः —स्त्री॰—-—सृ + निः—पथ, मार्ग, सड़क, रास्ता
सरणिः —स्त्री॰—-—सृ + निः—क्रम, विधि
सरणिः —स्त्री॰—-—सृ + निः—सीधी अनवरत पंक्ति
सरणिः —स्त्री॰—-—सृ + निः—कण्ठरोग
सरणी —स्त्री॰—-—सृ + निः + ङीष्—पथ, मार्ग, सड़क, रास्ता
सरणी —स्त्री॰—-—सृ + निः + ङीष्—क्रम, विधि
सरणी —स्त्री॰—-—सृ + निः + ङीष्—सीधी अनवरत पंक्ति
सरणी —स्त्री॰—-—सृ + निः + ङीष्—कण्ठरोग
सरण्डः —पुं॰—-—सृ + अण्डच्—पक्षी
सरण्डः —पुं॰—-—सृ + अण्डच्—लम्पट, दुश्चरित्र व्यक्ति
सरण्डः —पुं॰—-—सृ + अण्डच्—छिपकली
सरण्डः —पुं॰—-—सृ + अण्डच्—धूर्त
सरण्डः —पुं॰—-—सृ + अण्डच्—एक प्रकार का अलंकार
सरण्युः —पुं॰—-—सृ + अन्युच्—वायु, हवा
सरण्युः —पुं॰—-—सृ + अन्युच्—बादल
सरण्युः —पुं॰—-—सृ + अन्युच्—जल
सरण्युः —पुं॰—-—सृ + अन्युच्—वसन्त ऋतु
सरण्युः —पुं॰—-—सृ + अन्युच्—अग्नि, यम का नाम
सरत्निः —पुं॰ स्त्री॰—-—सह रत्निना - ब॰ स॰—एक हाथ का माप
सरथ —वि॰—-—समानो रथो यस्य रथेन सह वा - ब॰ स॰—एक ही रथ पर सवार
सरथः —पुं॰—-—-—रथ पर सवार योद्धा
सरभस —वि॰—-—सह रभसेन - ब॰ स॰ —वेगवान्, फुर्तीला
सरभस —वि॰—-—सह रभसेन - ब॰ स॰ —प्रचण्ड, उग्र
सरभस —वि॰—-—सह रभसेन - ब॰ स॰ —क्रोधपूर्ण
सरभस —वि॰—-—सह रभसेन - ब॰ स॰ —प्रसन्न
सरभसम् —अव्य॰—-—-—अत्यंत वेग से
सरमा —स्त्री॰—-—सृ + अम + टाप्—देवों की कुतिया
सरमा —स्त्री॰—-—सृ + अम + टाप्—दक्ष की पुत्री का नाम
सरमा —स्त्री॰—-—सृ + अम + टाप्—रावण के भाई विभीषण की पत्नी का नाम
सरयुः —पुं॰—-—सृ + अयु—वायु, हवा
सरयुः —स्त्री॰—-—सृ + अयु—एक नदी का नाम जिसके तट पर अयोध्यानगरी स्थित है
सरयूः —स्त्री॰—-—सृ + अयु—एक नदी का नाम जिसके तट पर अयोध्यानगरी स्थित है
सरल —वि॰—-—-—ईमानदार, खरा, निष्कपट, निश्छल
सरल —वि॰—-—-—सीधासादा, भोलाभाला, स्वाभाविक
सरलः —पुं॰—-—-—चीड़ का वृक्ष
सरलाङ्गः —पुं॰—सरल-अङ्गः—-—सरल वृक्ष का रस, बिरोजा, तारपीन
सरलद्रवः —पुं॰—सरल-द्रवः—-—सुगंधित बिरोजा
सरव्य —नपुं॰—-—-—(तीर मारने का) निशाना, लक्ष्य
सरस् —नपुं॰—-—सृ + असुन्—सरोवर, तालाब, पोखर, पानी का विशाल तख्ता
सरस् —नपुं॰—-—सृ + असुन्—जल
सरोजम् —नपुं॰—सरस्-जम्—-—कमल
सरोजन्मन् —नपुं॰—सरस्-जन्मन्—-—कमल
सरोरुहम् —नपुं॰—सरस्-रुहम्—-—कमल
सरःसरसिजम् —नपुं॰—सरस्-सरसिजम्—-—कमल
सरःसरसिरुहम् —नपुं॰—सरस्-सरसिरुहम्—-—कमल
सरोजिनी —स्त्री॰—सरस्-जिनी—-—कमल का पौधा
सरोजिनी —स्त्री॰—सरस्-जिनी—-—कमलों से भरा हुआ सरोवर
सरोरुहिणी —स्त्री॰—सरस्-रुहिणी—-—कमल का पौधा
सरोरुहिणी —स्त्री॰—सरस्-रुहिणी—-—कमलों से भरा हुआ सरोवर
सरोरक्षः —पुं॰—सरस्-रक्षः—-—तालाब का संरक्षक
सरोवरः —पुं॰—सरस्-वरः—-—झील
सरस —वि॰—-—रसेन सह ब॰ स॰—रसीला, सजल
सरस —वि॰—-—रसेन सह ब॰ स॰—स्वादु, मधुर
सरस —वि॰—-—रसेन सह ब॰ स॰—आर्द्र
सरस —वि॰—-—रसेन सह ब॰ स॰—पसीने से तर
सरस —वि॰—-—रसेन सह ब॰ स॰—प्रेमपूर्ण, प्रणयोन्मत्त
सरस —वि॰—-—रसेन सह ब॰ स॰—लावण्यमय, प्रिय, रुचिकर, सुन्दर
सरस —वि॰—-—रसेन सह ब॰ स॰—ताजा, नया
सरसम् —नपुं॰—-—रसेन सह ब॰ स॰—झील, तालाब
सरसम् —नपुं॰—-—रसेन सह ब॰ स॰—रसायन, विद्या
सरसी —स्त्री॰—-—सरस + ङीष्—झील, पोखर, सरोवर
सरसीरुहम् —नपुं॰—सरसी-रुहम्—-—कमल
सरस्वत् —वि॰—-—सरस् + मतुप्—सजल, जलयुक्त
सरस्वत् —वि॰—-—सरस् + मतुप्—रसीला, मजेदार
सरस्वत् —वि॰—-—सरस् + मतुप्—ललित
सरस्वत् —वि॰—-—सरस् + मतुप्—भावुक
सरस्वत् —पुं॰—-—सरस् + मतुप्—समुद्र
सरस्वत् —पुं॰—-—सरस् + मतुप्—सरोवर
सरस्वत् —पुं॰—-—सरस् + मतुप्—नद
सरस्वत् —पुं॰—-—सरस् + मतुप्—भैंस
सरस्वत् —पुं॰—-—सरस् + मतुप्—वायु का नाम
सरस्वती —स्त्री॰—-—सरस्वत् + ङीप्—वाणी और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी जिसका वर्णन ब्रह्मा की पत्नी के रुप में किया गया हैं
सरस्वती —स्त्री॰—-—सरस्वत् + ङीप्—बोली, स्वर, वचन
सरस्वती —स्त्री॰—-—सरस्वत् + ङीप्—एक नदी का नाम
सरस्वती —स्त्री॰—-—सरस्वत् + ङीप्—नदी
सरस्वती —स्त्री॰—-—सरस्वत् + ङीप्—गाय
सरस्वती —स्त्री॰—-—सरस्वत् + ङीप्—श्रेष्ठ स्त्री
सरस्वती —स्त्री॰—-—सरस्वत् + ङीप्—दुर्गा का नाम
सरस्वती —स्त्री॰—-—सरस्वत् + ङीप्—बौद्धों की एक देवी
सरस्वती —स्त्री॰—-—सरस्वत् + ङीप्—सोमलता
सरस्वती —स्त्री॰—-—सरस्वत् + ङीप्—ज्योतिष्मती नामक पौधा
सराग —वि॰—-—सह रागेण - ब॰ स॰—रंगीन, हलके रंग वाला, रंगदार
सराग —वि॰—-—सह रागेण - ब॰ स॰—लाल रंग की लाल रंग से रंगा हुआ
सराग —वि॰—-—सह रागेण - ब॰ स॰—प्रणयोन्मत्त, प्रेमाविष्ट, मुग्ध
सराव —वि॰—-—सह रावेण - ब॰ स॰—शब्द करने वाला, कोलाहल करने वाला
सरावः —पुं॰—-—सह रावेण - ब॰ स॰—ढक्कन, आवरण
सरावः —पुं॰—-—सह रावेण - ब॰ स॰—कसोरा, चाय की तश्तरी
सरिः —स्त्री॰—-—सृ + इन्—झरना, फौवारा
सरित् —स्त्री॰—-—सृ + इति—नदी
सरित् —स्त्री॰—-—सृ + इति—धागा, डोरी
सरिन्नाथः —पुं॰—सरित्-नाथः—-—समुद्र
सरित्पतिः —पुं॰—सरित्-पतिः—-—समुद्र
सरिद्भर्तृ —पुं॰—सरित्-भर्तृ—-—समुद्र
सरिद्वरा —स्त्री॰—सरित्-वरा—-—गंगा का नाम
सरित्सुतः —पुं॰—सरित्-सुतः—-—भीष्म का विशेषण
सरिमन् —पुं॰—-—सृ + ईमनिच्—गति, सरकना
सरिमन् —पुं॰—-—सृ + ईमनिच्—वायु
सरीमन् —पुं॰—-—सृ + ईमनिच्—गति, सरकना
सरीमन् —पुं॰—-—सृ + ईमनिच्—वायु
सरिलम् —नपुं॰—-—सृ + इलच्—जल
सरीसृपः —पुं॰—-—कुटिलं सर्पति - सृप् + यङ (लुक्) + द्वित्वादि + अच्—साँप
सरुः —पुं॰—-—सृ + उन्—तलवार की मूठ
सरुप —वि॰—-—समानं रुपमस्य - ब॰ स॰—समान रुप वाला
सरुप —वि॰—-—समानं रुपमस्य - ब॰ स॰—समान, मिलता-जुलता, वैसे ही
सरुपता —स्त्री॰—-—सरुप + तल् + टाप्—समानता
सरुपता —स्त्री॰—-—सरुप + तल् + टाप्—ब्रह्मस्वरुप हो जाना, मुक्ति के चार प्रकारों में से एक
सरुपत्वम् —नपुं॰—-—सरुप + तल् + त्व —समानता
सरुपत्वम् —नपुं॰—-—सरुप + तल् + त्व —ब्रह्मस्वरुप हो जाना, मुक्ति के चार प्रकारों में से एक
सरोष —वि॰—-—सह रोषेण - ब॰ स॰—क्रुद्ध, रोषपूर्ण
सरोष —वि॰—-—सह रोषेण - ब॰ स॰—कुपित
सर्कः —पुं॰—-—सृ + क—वायु, हवा
सर्गः —पुं॰—-—सृज् + घञ्—छोड़ना, परित्याग
सर्गः —पुं॰—-—सृज् + घञ्—सृष्टि
सर्गः —पुं॰—-—सृज् + घञ्—सृष्टिरचना
सर्गः —पुं॰—-—सृज् + घञ्—प्रकृति, विश्व
सर्गः —पुं॰—-—सृज् + घञ्—नैसर्गिक गुण, प्रकृति
सर्गः —पुं॰—-—सृज् + घञ्—निर्धारण, संकल्प
सर्गः —पुं॰—-—सृज् + घञ्—स्वीकृति, सहमति
सर्गः —पुं॰—-—सृज् + घञ्—अनुभाग, अध्याय, सर्ग
सर्गः —पुं॰—-—सृज् + घञ्—धावा, हमला, प्रगमन
सर्गः —पुं॰—-—सृज् + घञ्—मलत्याग
सर्गः —पुं॰—-—सृज् + घञ्—शिव का नाम
सर्गक्रमः —पुं॰—सर्ग-क्रमः—-—सृष्टि का क्रम
सर्गबन्धः —पुं॰—सर्ग-बन्धः—-—महाकाव्य
सर्ज् —भ्वा॰ पर॰ <सर्जति>—-—-—अवाप्त करना, उपलब्ध करना
सर्ज् —भ्वा॰ पर॰ <सर्जति>—-—-—उपार्जन करना
सर्जः —पुं॰—-—सृज् + अच्—साल का पेड़
सर्जः —पुं॰—-—सृज् + अच्—साल वृक्ष का चूने वाला रस
सर्जनिर्यासकः —पुं॰—सर्ज-निर्यासकः—-—बिरोजा, लाख
सर्जमणिः —पुं॰—सर्ज-मणिः—-—बिरोजा, लाख
सर्जरसः —पुं॰—सर्ज-रसः—-—बिरोजा, लाख
सर्जकः —पुं॰—-—सृज् + ण्वुल्— साल का वृक्ष
सर्जनम् —नपुं॰—-—सृज् + ल्युट्—परित्याग, छोड़ना
सर्जनम् —नपुं॰—-—सृज् + ल्युट्—ढीला करना
सर्जनम् —नपुं॰—-—सृज् + ल्युट्—रचना करना
सर्जनम् —नपुं॰—-—सृज् + ल्युट्—मलत्याग
सर्जनम् —नपुं॰—-—सृज् + ल्युट्—सेना का पिछला भाग
सर्जिः —स्त्री॰—-—सृज् + इन्—सज्जीखार
सर्जिका —स्त्री॰—-—सर्जि + कन् + टाप्, —सज्जीखार
सर्जी —स्त्री॰—-—सर्जि + ङीष्—सज्जीखार
सर्जुः —पुं॰—-—सज् + ऊः—व्यापारी
सर्जुः —स्त्री॰—-—सज् + ऊः—बिजली
सर्जुः —स्त्री॰—-—सज् + ऊः—हार
सर्जुः —स्त्री॰—-—सज् + ऊः—गमन, अनुसरण
सर्जूः —पुं॰—-—सज् + ऊः—व्यापारी
सर्जूः —स्त्री॰—-—सज् + ऊः—बिजली
सर्जूः —स्त्री॰—-—सज् + ऊः—हार
सर्जूः —स्त्री॰—-—सज् + ऊः—गमन, अनुसरण
सर्पः —पुं॰—-—सृप् + घञ्—सर्पीली गति, घुमावदार चाल, खिसकना
सर्पः —पुं॰—-—सृप् + घञ्—अनुसरण, गमन
सर्पः —पुं॰—-—सृप् + घञ्—नाग, साँप
सर्पारातिः —पुं॰—सर्प-अरातिः—-—नेवला
सर्पारातिः —पुं॰—सर्प-अरातिः—-—मोर
सर्पारातिः —पुं॰—सर्प-अरातिः—-—गरुड़ का विशेषण
सर्पारिः —पुं॰—सर्प-अरिः—-—नेवला
सर्पारिः —पुं॰—सर्प-अरिः—-—मोर
सर्पारिः —पुं॰—सर्प-अरिः—-—गरुड़ का विशेषण
सर्पाशनः —पुं॰—सर्प-अशनः—-—मोर
सर्पावासम् —नपुं॰—सर्प-आवासम्—-—चन्दन का वृक्ष
सर्पेष्टम् —नपुं॰—सर्प-इष्टम्—-—चन्दन का वृक्ष
सर्पछत्रम् —नपुं॰—सर्प-छत्रम्—-—कुकुरमुत्ता, साँप की छतरी, खुंब
सर्पतृणः —पुं॰—सर्प-तृणः—-—नेवला
सर्पद्रंष्ट्रः —पुं॰—सर्प-द्रंष्ट्रः—-—साँप का विषैला दाँत
सर्पधारकः —पुं॰—सर्प-धारकः—-—सपेरा
सर्पभुज् —पुं॰—सर्प-भुज्—-—मोर
सर्पभुज् —पुं॰—सर्प-भुज्—-—सारस
सर्पभुज् —पुं॰—सर्प-भुज्—-—अजगर
सर्पमणिः —पुं॰—सर्प-मणिः—-—साँप के फण की मणि
सर्पराजः —पुं॰—सर्प-राजः—-—वासुकी
सर्पणम् —नपुं॰—-—सृप् + ल्युट्—रेंगना, सरकना
सर्पणम् —नपुं॰—-—सृप् + ल्युट्—वक्रगति
सर्पणम् —नपुं॰—-—सृप् + ल्युट्—बाण की भूमि के समानांतर उड़ान
सर्पिणी —स्त्री॰—-—सृप् + णिनि + ङीप्—साँपनी
सर्पिणी —स्त्री॰—-—सृप् + णिनि + ङीप्—एक प्रकार की जड़ी बूटी
सर्पिन् —वि॰—-—सृप् + णिनि —रेंगने वाला, सरकने वाला, घुमावदार, टेढ़ी चाला चलने वाला, जाने वाला, हिलने-जुलने वाला
सर्पिस् —नपुं॰—-—सृप् + इसि—पिघलाया हुआ घृत, घी
सर्पिःसमुद्रः —पुं॰—सर्पिस्-समुद्रः—-—घृतसागर, सात समुद्रों में से एक
सर्पिष्मत् —वि॰—-—सर्पिस् + मतुप्—घी युक्त
सर्ब् —भ्वा॰ पर॰ <सर्बति>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
सर्मः —पुं॰—-—सृ + मन्—चाल, गति
सर्मः —पुं॰—-—सृ + मन्—आकाश
सर्व् —भ्वा॰ पर॰ <सर्वति>—-—-—चोट पहुँचाना, क्षतिग्रस्त करना, वध करना
सर्व —नि॰ वि॰—-—सृतमनेन विश्वमिति सर्वम् - कर्तृ॰ ब॰ व॰ पुं॰, सर्वे—सब, प्रत्येक
सर्व —नि॰ वि॰—-—-—पूर्ण, समस्त, पूरा
सर्वः —पुं॰—-—-—विष्णु का नाम
सर्वः —पुं॰—-—-—शिव का नाम
सर्वाङ्गम् —नपुं॰—सर्व-अङ्गम्—-—समस्त शरीर
सर्वाङ्गीण —वि॰—सर्व-अङ्गीण—-—समस्त शरीर में व्याप्त या रोमांचकारी
सर्वाधिकारिन् —पुं॰—सर्व-अधिकारिन्—-—अधीक्षक
सर्वाध्यक्षः —पुं॰—सर्व-अध्यक्षः—-—अधीक्षक
सर्वान्नीन —वि॰—सर्व-अन्नीन—-—सब प्रकार के अन्न को खाने वाला सर्वान्नभोजिन् आदि
सर्वाकारम् —नपुं॰—सर्व-आकारम्—-—सर्वथा, पूर्ण रुप से, पूरी तरह से
सर्वात्मन् —पुं॰—सर्व-आत्मन्—-—पूर्ण आत्मा, सर्वथा, पूरी तरह से, पूर्ण रुप से
सर्वेश्वरः —पुं॰—सर्व-ईश्वरः—-—सबका स्वामी
सर्वग —वि॰—सर्व-ग—-— विश्वव्यापी, सर्वव्यापक
सर्वगामिन् —वि॰—सर्व-गामिन्—-— विश्वव्यापी, सर्वव्यापक
सर्वजित् —वि॰—सर्व-जित्—-—सर्वजेता, अजेय
सर्वज्ञ —वि॰—सर्व-ज्ञ—-—सबकुछ जानने वाला, सर्वज्ञ
सर्वविद् —वि॰—सर्व-विद्—-—सबकुछ जानने वाला, सर्वज्ञ
सर्वविद् —पुं॰—सर्व-विद्—-—शिव का विशेषण
सर्वविद् —पुं॰—सर्व-विद्—-—बुद्ध का विशेषण
सर्वदमन —वि॰—सर्व-दमन—-—सब का दमन करने वाला, दुर्निवार
सर्वनामन् —नपुं॰—सर्व-नामन्—-—संज्ञा के स्थान में प्रयुक्त होने वाले शब्दों का समूह
सर्वमंगला —स्त्री॰—सर्व-मंगला—-—पार्वती का विशेषण
सर्वरसः —पुं॰—सर्व-रसः—-—लाख, बिरोजा
सर्वलिंगिन् —पुं॰—सर्व-लिंगिन्—-—पाखंडी, छद्मवेशी, ढोंगी
सर्वव्यापिन् —वि॰—सर्व-व्यापिन्—-—सर्वत्र व्यापक रहने वाला
सर्ववेदस् —पुं॰—सर्व-वेदस्—-—सर्वस्व दक्षिणा में देकर यज्ञानुष्ठान करने वाला
सर्वसहा —स्त्री॰—सर्व-सहा—-—पृथ्वी
सर्वस्वम् —नपुं॰—सर्व-स्वम्—-—प्रत्येक वस्तु
सर्वस्वम् —नपुं॰—सर्व-स्वम्—-—किसी व्यक्ति की समस्त संपत्तिें
सर्वस्वहरणम् —नपुं॰—सर्व-स्वम्-हरणम्—-—सारी संपत्ति का अपहरण या जब्ती
सर्वस्वहरणम् —नपुं॰—सर्व-स्वम्-हरणम्—-—किसी वस्तु का सर्वांश
सर्वङ्कष —वि॰—-—सर्व् + कष् + खच्, मुम्—सर्वशक्तिमान्
सर्वङ्कषः —पुं॰—-—-—दुष्ट, बदमाश
सर्वतः —अव्य॰—-—सर्व् + तसिल्—प्रत्येक दिशा से, सब ओर से
सर्वतः —अव्य॰—-—सर्व् + तसिल्—सब ओर, सर्वत्र, चारों ओर
सर्वतः —अव्य॰—-—सर्व् + तसिल्—पूर्णतः, सर्वथा
सर्वतोगामिन् —वि॰—सर्वत-गामिन्—-—सर्वत्र पहुँच रखने वाला
सर्वतोभद्रः —पुं॰—सर्वत-भद्रः—-—विष्णु का रथ
सर्वतोभद्रः —पुं॰—सर्वत-भद्रः—-—बाँस
सर्वतोभद्रः —पुं॰—सर्वत-भद्रः—-—एक प्रकार का चित्रकाव्य
सर्वतोभद्रः —पुं॰—सर्वत-भद्रः—-—मन्दिर या महल जिसके चारों ओर द्वार हो
सर्वतोभद्रा —स्त्री॰—सर्वत-भद्रा—-—नर्तकी, नटी
सर्वतोमुख —वि॰—सर्वत-मुख—-—सब प्रकार का, पूर्ण, असीमित
सर्वतोमुखः —पुं॰—सर्वत-मुखः—-—शिव का विशेषण
सर्वतोमुखः —पुं॰—सर्वत-मुखः—-—ब्रह्मा का विशेषण
सर्वतोमुखः —पुं॰—सर्वत-मुखः—-—परमात्मा
सर्वतोमुखः —पुं॰—सर्वत-मुखः—-—आत्मा
सर्वतोमुखः —पुं॰—सर्वत-मुखः—-—ब्राह्मण
सर्वतोमुखः —पुं॰—सर्वत-मुखः—-—आग
सर्वतोमुखः —पुं॰—सर्वत-मुखः—-—स्वर्ग
सर्वत्र —अव्य॰—-—सर्व + त्रल्—प्रत्येक स्थान पर, सब जगहों पर
सर्वत्र —अव्य॰—-—सर्व + त्रल्—हर समय
सर्वथा —अव्य॰—-—सर्व + थाल—हर प्रकार से , सब तरह से
सर्वथा —अव्य॰—-—सर्व + थाल—बिल्कुल, पूर्णतः
सर्वथा —अव्य॰—-—सर्व + थाल—पूर्णतः, बिल्कुल, नितान्त
सर्वथा —अव्य॰—-—सर्व + थाल—सब समय
सर्वदा —अव्य॰—-—सर्व + दाच्—सब समय, सदैव, हमेशा
सर्वरी —स्त्री॰—-—-—स्त्री
सर्वशः —अव्य॰—-—सर्व + शस्—पूर्णतः, सर्वथा, पूरी तरह से
सर्वशः —अव्य॰—-—सर्व + शस्—सर्वत्र
सर्वशः —अव्य॰—-—सर्व + शस्—सब ओर
सर्वाणी —स्त्री॰—-—-—शिव की पत्नी पार्वती
सर्षपः —पुं॰—-—सृ + अप्, सुक्—सरसों
सर्षपः —पुं॰—-—सृ + अप्, सुक्—एक छोटा बाट
सर्षपः —पुं॰—-—सृ + अप्, सुक्—एक प्रकार का विष
सल् —भ्वा॰ पर॰ <सलति>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
सलम् —नपुं॰—-—सल् + अच्—जल
सलज्ज —वि॰—-—लज्जया सह ब॰ स॰—विनीत, लज्जाशील
सलिलम् —नपुं॰—-—सलति गच्छति निम्नम् सल् + इलच्—पानी
सलिलार्थिन् —वि॰—सलिलम्-अर्थिन्—-—प्यासा
सलिलाशयः —पुं॰—सलिलम्-आशयः—-—तालाब, ताल, पानी की टंकी
सलिलेन्धनः —पुं॰—सलिलम्-इन्धनः—-—वड़वानल
सलिलोपप्लवः —पुं॰—सलिलम्-उपप्लवः—-—जलप्लावन, प्रलय, बाढ़
सलिलक्रिया —स्त्री॰—सलिलम्-क्रिया—-—अन्त्येष्टि संस्कार के अवसर पर शवस्नान
सलिलक्रिया —स्त्री॰—सलिलम्-क्रिया—-—जलतर्पण, उदकक्रिया
सलिलजम् —नपुं॰—सलिलम्-जम्—-—कमल
सलिलनिधिः —पुं॰—सलिलम्-निधिः—-—समुद्र
सलील —वि॰—-—सहलीलया - ब॰ स॰—क्रीड़ाशील, स्वेच्छाचारी, श्रृंगारप्रिय
सलोकता —स्त्री॰—-—समानः लोको यस्य - इति सलोकः तस्य भावः तल् + टाप्—एक ही लोक में होना, किसी विशेष देवता के साथ एक ही स्वर्ग में निवास
सल्लकी —स्त्री॰—-—शल् + वुन्, लुक्, पृषो॰ शस्य सः—एक प्रकार का पेड़, सलाई का पेड़
सवः —पुं॰—-—सु + अच्—सोमरस का निकालना
सवः —पुं॰—-—सु + अच्—चढ़ावा, तर्पण
सवः —पुं॰—-—सु + अच्—सूर्य
सवः —पुं॰—-—सु + अच्—प्रजा
सवम् —नपुं॰—-—सु + अच्—पानी
सवम् —नपुं॰—-—सु + अच्—फूलों से लिया गया मधु
सवनम् —नपुं॰—-—सु (सू) + ल्युट्—सोमरस का निकालना या पीना
सवनम् —नपुं॰—-—सु (सू) + ल्युट्—यज्ञ
सवनम् —नपुं॰—-—सु (सू) + ल्युट्—स्नान, शुद्धिपरक स्नान
सवनम् —नपुं॰—-—सु (सू) + ल्युट्—जनन, प्रसव, बच्चे पैदा करना
सवयस् —वि॰—-—समानं वयो यस्य - ब॰ स॰ —एक ही आयु का
सवयस् —पुं॰—-—समानं वयो यस्य - ब॰ स॰ —समवयस्क, समसामयिक
सवयस् —पुं॰—-—समानं वयो यस्य - ब॰ स॰ —एक ही आयु के साथी
सवयस् —स्त्री॰—-—-—सखी, सहेली
सवर्ण —वि॰—-—समानो वर्णो यस्य - ब॰ स॰—एक ही रंग का
सवर्ण —वि॰—-—समानो वर्णो यस्य - ब॰ स॰—एक सी सूरत शक्ल का, समान मिलता-जुलता
सवर्ण —वि॰—-—समानो वर्णो यस्य - ब॰ स॰—एक ही जाति का
सवर्ण —वि॰—-—समानो वर्णो यस्य - ब॰ स॰—एक ही प्रकार का , एक जैसा
सवर्ण —वि॰—-—समानो वर्णो यस्य - ब॰ स॰—एक ही वर्णमाला का, एक ही स्थान से उच्चारण किये जाने वाले वर्ण
सविकल्प —वि॰—-—सह विकल्पेन - ब॰ स॰ —ऐच्छिक
सविकल्प —वि॰—-—सह विकल्पेन - ब॰ स॰ —संदिग्ध
सविकल्प —वि॰—-—सह विकल्पेन - ब॰ स॰ —कर्ता और कर्म के अन्तर को पहचानने वाला, ज्ञाता और ज्ञेय के भेद को जानने वाला
सविकल्पक —वि॰—-—सह विकल्पेन - ब॰ स॰ कप्॰—ऐच्छिक
सविकल्पक —वि॰—-—सह विकल्पेन - ब॰ स॰ कप्॰—संदिग्ध
सविकल्पक —वि॰—-—सह विकल्पेन - ब॰ स॰ कप्॰—कर्ता और कर्म के अन्तर को पहचानने वाला, ज्ञाता और ज्ञेय के भेद को जानने वाला
सविग्रह —वि॰—-—सह विग्रहेण ब॰स॰—शरीरधारी, देहधारी
सविग्रह —वि॰—-—सह विग्रहेण ब॰स॰—सार्थक अर्थ वाला
सविग्रह —वि॰—-—सह विग्रहेण ब॰स॰—संघर्षरत, झगड़ालू
सवितर्क —वि॰—-—सह वितर्केण- ब॰ स॰—विचारवान्
सविमर्श —वि॰—-—सह विमर्शेन - ब॰ स॰—विचारवान्
सवितर्कम् —अव्य॰—-—-—विचारपूर्वक
सविमर्शम् —अव्य॰—-—-—विचारपूर्वक
सवितृ —वि॰—-—सृ + तृच्—जनक, उत्पादक, फल देने वाला
सवितृ —पुं॰—-—सृ + तृच्—सूर्य
सवितृ —पुं॰—-—सृ + तृच्—शिव
सवितृ —पुं॰—-—सृ + तृच्—इन्द्र
सवितृ —पुं॰—-—सृ + तृच्—मदार का पेड़, अर्क वृक्ष
सवित्री —स्त्री॰—-—सवितृ + ङीप्—माता
सवित्री —स्त्री॰—-—सवितृ + ङीप्—गाय
सविध —वि॰—-—सह विधया - ब॰ स॰—एक ही प्रकार या ढंग का
सविध —वि॰—-—सह विधया - ब॰ स॰—निकट, सटा हुआ, समीपी
सविधम् —नपुं॰—-—सह विधया - ब॰ स॰—सामीप्य, पड़ोस
सविनय —वि॰—-—सह विनयेन - ब॰ स॰—विनीत, विनम्र
सविनयम् —अव्य॰—-—-—विनयपूर्वक
सविभ्रम —वि॰—-—सह विभ्रमेण - ब॰ स॰—क्रीड़ायुक्त, विलासयुक्त
सविशेष —वि॰—-—सह विशेषण - ब॰ स॰—विशिष्ट गुणों से युक्त
सविशेष —वि॰—-—सह विशेषण - ब॰ स॰—विशेष, असाधारण
सविशेष —वि॰—-—सह विशेषण - ब॰ स॰—विशिष्ट, खास
सविशेष —वि॰—-—सह विशेषण - ब॰ स॰—प्रमुख, श्रेष्ठ, बढ़िया
सविशेष —वि॰—-—सह विशेषण - ब॰ स॰—विलक्षण
सविशेषम् —नपुं॰—-—सह विशेषण - ब॰ स॰—विशेष कर, खास तौर से, अत्यंत
सविशेषतः —क्रि॰ वि॰—-—-—विशेष कर, खास तौर से, अत्यंत
सविस्तार —वि॰—-—सह विस्तरेण - ब॰ स॰—विवरण सहित, सूक्ष्म, पूर्ण
सविस्तरम् —अव्य॰—-—-—विवरण के साथ, विस्तार पूर्वक
सविस्मय —वि॰—-—सह विस्मयेन - ब॰ स॰—आश्चर्यान्वित, अचंभे से युक्त, चकित
सवृद्धिक —वि॰—-—सह वृद्धया - ब॰ स॰, कप्—जिसका ब्याज मिले, ब्याज से युक्त
सवेश —वि॰—-—सह वेशेन - ब॰ स॰—सजा हुआ, अलंकृत, वेशभूषा से युक्त
सवेश —वि॰—-—सह वेशेन - ब॰ स॰—निकट, समीपवर्ती
सव्य —वि॰—-—सू + य—बायाँ, बाँया हाथ
सव्य —वि॰—-—सू + य—दक्षिणी
सव्य —वि॰—-—सू + य—विरोधी, पिछड़ा हुआ, उल्टा
सव्यम् —अव्य॰—-—-—जनेऊ का बायें कंधे पर लटकते रहना
सव्येतर —वि॰—सव्य-इतर—-—सही, ठीक
सव्यसाचिन् —पुं—सव्य-साचिन्—-—अर्जुन का विशेषण
सव्यपेक्ष —वि॰—-—व्यपेक्षया सह ब॰ स॰—संयुक्त, निर्भर
सव्यभिचारः —पुं—-—सह व्यभिचारेण - ब॰ स॰—हेत्वाभास के पाँच मुख्य भेदों मे से एक, साधारण मध्यपद
सव्याज —वि॰—-—सह व्याजेन - ब॰ स॰—चालबाज
सव्याज —वि॰—-—सह व्याजेन - ब॰ स॰—बगुलाभगत, रंगासियार, चालाक
सव्यापार —वि॰ —-—व्यापरेण सह ब॰ स॰—व्यस्त, व्याप्त, कार्य में नियुक्त
सव्रीड —वि॰ —-—व्रीडया सह - ब॰ स॰—लज्जाशील, शर्मिन्दा
सव्येष्ठृ —पुं॰—-—सव्ये तिष्ठति - सव्ये + स्था + ऋन्, क वा, अलुक् स॰, षत्वम्—सारथि, रथ हाँकने वाला
सव्येष्ठः —पुं॰—-—सव्ये तिष्ठति - सव्ये + स्था + ऋन्, क वा, अलुक् स॰, षत्वम्—सारथि, रथ हाँकने वाला
सशल्य —वि॰—-—सह शल्येन - ब॰ स॰—काँटेदार
सशल्य —वि॰—-—सह शल्येन - ब॰ स॰—बर्छी या कांटों से बिंधा हुआ
सशस्य —वि॰—-—सह शस्येन - ब॰ स॰—सस्य से युक्त, अन्नोत्पादक
सशस्या —स्त्री॰—-—सह शस्येन - ब॰ स॰—सूर्यमुखी फूल का एक भेद
सश्मश्रु —वि॰—-—सह श्मश्रुणा - ब॰ स॰—दाढ़ी-मूंछ वाला
सश्मश्रु —स्त्री॰—-—सह श्मश्रुणा - ब॰ स॰—वह स्त्री जिसके दाढ़ी मूंछ दिखाई दे
सश्रीक —वि॰—-—श्रिया सह - ब॰ स॰, कप्—समृद्धिशाली, सौभाग्यशाली
सश्रीक —वि॰—-—श्रिया सह - ब॰ स॰, कप्—प्रिय, सुन्दर
सस् —अदा॰ पर॰ <सस्ति>—-—-—सोना
ससत्त्व —वि॰—-—सह सत्त्वेन ब॰ स॰—जीवन शक्ति से युक्त, ऊर्जस्वी, बलवान्, साहसी
ससत्त्व —वि॰—-—सह सत्त्वेन ब॰ स॰—गर्भवती
ससत्त्वा —स्त्री॰—-—-—गर्भवती स्त्री
ससन्देह —वि॰—-—सह सन्देहेन - ब॰ स॰—संदिग्ध
ससन्देहः —पुं॰—-—सह सन्देहेन - ब॰ स॰—एक अलंकार का नाम
ससनम् —नपुं॰—-—सस् + ल्युट्—पशुमेध, यज्ञीयपशु का वध
ससन्ध्य —वि॰—-—सन्ध्यया सह - ब॰ स॰—संध्यासंबंधी, सायंकालीन
ससाध्वस —वि॰—-—सह साध्वसेन - ब॰ स॰—आतंकित, डरा हुआ, भीरु
सस्ज् —भ्वा॰पर॰—-—-—संलग्न होना, जुड़े रहना, चिपके रहना
सस्यम् —नपुं॰—-—सस् + यत्—अनाज, अन्न
सस्यम् —नपुं॰—-—सस् + यत्—किसी भी पौधे का फल
सस्यम् —नपुं॰—-—सस् + यत्—शस्त्र
सस्यम् —नपुं॰—-—सस् + यत्—सद्गुण, खूबी
सस्येष्टिः —स्त्री॰—सस्यम्-इष्टिः—-—फ़सल पक जाने पर नये अन्न से किया जाने वाला यज्ञ
सस्यप्रद —वि॰—सस्यम्-प्रद—-—उपजाऊ
सस्यमारिन् —वि॰—सस्यम्-मारिन्—-—अन्न को नष्ट करने वाला
सस्यमारिन् —पुं॰—सस्यम्-मारिन्—-—एक प्रकार का चूहा, घूँस
सस्यसंवरः —पुं॰—सस्यम्-संवरः—-—साल का पेड़
सस्यक —वि॰—-—सस्य + कन्— अच्छे गुणों से युक्त, गुणान्वित, श्लाघ्य, प्रशंसनीय
सस्यकः —पुं॰—-—सस्य + कन्—तलवार
सस्यकः —पुं॰—-—सस्य + कन्—शस्त्र
सस्यकः —पुं॰—-—सस्य + कन्—एक प्रकार का मूल्यवान् पत्थर
सस्वेद —वि॰—-—सह स्वेदेन - ब॰ स॰—पसीने से तर, प्रस्विन्न
सस्वेदा —स्त्री॰—-—-—वह कन्या जिसका हाल ही में कौमार्य भंग हुआ हो
सह् —दिवा॰ पर॰ <सह्यति>—-—-—सन्तुष्ट करना
सह् —दिवा॰ पर॰ <सह्यति>—-—-—प्रसन्न होना
सह् —दिवा॰ पर॰ <सह्यति>—-—-—सहन करना, झेलना
सह् —भ्वा॰ आ॰ <सहते>—-—-—(क) झेलना, सहन करना, भुगतना, गम खाना
सह् —भ्वा॰ आ॰ <सहते>—-—-—(ख) सहन करना, अनुमति देना
सह् —भ्वा॰ आ॰ <सहते>—-—-—क्षमा करना, सह लेना
सह् —भ्वा॰ आ॰ <सहते>—-—-—प्रतीक्षा करना, सबर करना
सह् —भ्वा॰ आ॰ <सहते>—-—-—वहन करना, सहारा देना, ढकेलना
सह् —भ्वा॰ आ॰ <सहते>—-—-—जीतना, परास्त करना, विरोध करना, मुकाबला करना
सह् —भ्वा॰ आ॰ <सहते>—-—-—दबाना, रोकना
सह् —भ्वा॰ आ॰ <सहते>—-—-—योग्य होना
सह् —भ्वा॰ उभ॰, प्रेर॰ <साहयति> <साहयते>—-—-—धारण करवाना, भुगतवाना
सह् —भ्वा॰ आ॰—-—-—धारण करने या सहारा देने के योग्य बनाना
सह् —भ्वा॰ पर॰, इच्छा॰ <सिसहिषते>—-—-—सहन करने की इच्छा करना
उत्सह् —भ्वा॰ आ॰—उद्-सह्—-—योग्य होना, शक्ति या ऊर्जा रखना, साहस करना, दिलेरी दिखाना
उत्सह् —भ्वा॰ आ॰—उद्-सह्—-—(क) प्रयास करना, प्रणोदित होना
उत्सह् —भ्वा॰ आ॰—उद्-सह्—-—(ख) ढाढस बंधाना, विषण्ण न होना, हिम्मत न हारना
उत्सह् —भ्वा॰ आ॰—उद्-सह्—-— आराम में होना
उत्सह् —भ्वा॰ आ॰—उद्-सह्—-—आगे बढ़ना, प्रयाण करना
उत्सह् —भ्वा॰पर॰, इच्छा॰—उद्-सह्—-—उकसाना, उद्बुद्ध
परिसह् —भ्वा॰ आ॰—परि-सह्—-—सहन करना
प्रसह् —भ्वा॰ आ॰—प्र-सह्—-—सहन करना, झेलना
प्रसह् —भ्वा॰ आ॰—प्र-सह्—-—सामना करना, मुकाबला करना, पछाड़ना
प्रसह् —भ्वा॰ आ॰—प्र-सह्—-—चेष्टा करना, प्रयास करना
प्रसह् —भ्वा॰ आ॰—प्र-सह्—-—योग्य होना
प्रसह् —भ्वा॰ आ॰—प्र-सह्—-—शक्ति या ऊर्जा रखना
विसह् —भ्वा॰ आ॰—वि-सह्—-—सहन करना, झेलना
विसह् —भ्वा॰ आ॰—वि-सह्—-—मुकाबला करना, सामना करना, प्रतिरोध करने के योग्य होना
विसह् —भ्वा॰ आ॰—वि-सह्—-—योग्य होना
विसह् —भ्वा॰ आ॰—वि-सह्—-—अनुमति देना
विसह् —भ्वा॰ आ॰—वि-सह्—-—इच्छा करना, पसंद करना
सह —वि॰—-—सहते - सह् + अच्—सहन करने वाला, झेलने वाला, भुगतने वाला
सह —वि॰—-—सहते - सह् + अच्—धीर
सह —वि॰—-—सहते - सह् + अच्—योग्य
सहः —पुं॰—-—सहते - सह् + अच्—मंगसीर का महीना
सहः —पुं॰—-—सहते - सह् + अच्—शक्ति, सामर्थ्य
सहम् —नपुं॰—-—सहते - सह् + अच्—शक्ति, सामर्थ्य
सह —अव्य॰—-—-—के साथ मिलकर, साथ-साथ, सहित, से युक्त
सह —अव्य॰—-—-—साथ मिलकर, एक ही समय, युगपत्
सहाध्यायिन् —पुं॰—सह-अध्यायिन्—-—सहपाठी
सहार्थ —वि॰—सह-अर्थ—-—समानार्थक
सहार्थः —पुं॰—सह-अर्थः—-—समान या सामान्य उद्देश्य
सहोक्तिः —स्त्री॰—सह-उक्तिः—-—अलंकारशास्त्र में एक अलंकार का नाम
सहोटजः —पुं॰—सह-उटजः—-—पर्णकुटी
सहोदरः —पुं॰—सह-उदरः—-—एक ही पेट से उत्पन्न, सगा भाई
सहोपमा —स्त्री॰—सह-उपमा—-—उपमा का एक भेद
सहौढः —पुं॰—सह-ऊढः—-—विवाह के समय गर्भवती स्त्री का पुत्र
सहोढजः —पुं॰—सह-उढजः—-—विवाह के समय गर्भवती स्त्री का पुत्र
सहकार —वि॰—सह-कार—-—‘ह’ की ध्वनि से युक्त
सहकारः —पुं॰—सह-कारः—-—सहयोग, आम का पेड़
सहभञ्जिका —स्त्री॰—सह-भञ्जिका—-—एक प्रकार का खेल
सहकारिन् —वि॰—सह-कारिन्—-—सहयोग देने वाला
सहकारिन् —पुं॰—सह-कारिन्—-—सहप्रशासक, सहकारी, सहकर्मी
सहकृत् —वि॰—सह-कृत्—-—सहयोग देने वाला
सहकृत् —पुं॰—सह-कृत्—-—सहप्रशासक, सहकारी, सहकर्मी
सहकृत —वि॰—सह-कृत—-—सहयोग दिया हुआ, से सहायता प्राप्त
सहगमनम् —नपुं॰—सह-गमनम्—-—साथ जाना
सहगमनम् —नपुं॰—सह-गमनम्—-—किसी स्त्री का अपने मृत पति के शरीर के साथ जलना, विधवा का सती होना
सहचर —वि॰—सह-चर—-—साथ जाने वाला, साथ रहने वाला
सहचरः —पुं॰—सह-चरः—-—साथी, मित्र, सहयोगी
सहचरः —पुं॰—सह-चरः—-—प्रतिभू
सहचरी —स्त्री॰—सह-चरी—-—सहेली
सहचरी —स्त्री॰—सह-चरी—-—पत्नी, सखी
सहचरित —वि॰—सह-चरित—-—साथ रहने वाला, सेवा में उपस्थित रहने वाला, साथ देने वाला
सहचारः —पुं॰—सह-चारः—-—साथ रहना
सहचारः —पुं॰—सह-चारः—-—सहमति, सांमनस्य
सहचारः —पुं॰—सह-चारः—-—हे्तु के साथ साध्य का अनिवार्यतः साथ रहना
सहचारिन् —वि॰—सह-चारिन्—-—साथ जाने वाला, साथ रहने वाला
सहचारिन् —पुं॰—सह-चारिन्—-—साथी, मित्र, सहयोगी
सहचारिन् —पुं॰—सह-चारिन्—-—पति
सहचारिन् —पुं॰—सह-चारिन्—-—प्रतिभू
सहज —वि॰—सह-ज—-—अन्तर्जन्मा, स्वाभाविक, अन्तर्जात
सहजः —पुं॰—सह-जः—-—सगा भाई
सहजारिः —पुं॰—सह-ज-अरिः—-—नैसर्गिक स्थिति या वृत्ति
सहजमित्रम् —नपुं॰—सह-ज-मित्रम्—-—नैसर्गिक शत्रु
सहजमित्रम् —नपुं॰—सह-ज-मित्रम्—-—नैसर्गिक दोस्त
सहजात —वि॰—सह-जात—-—प्राकृतिक
सहदार —वि॰—सह-दार—-—सपत्नीक
सहदार —वि॰—सह-दार—-—विवाहित
सहदेवः —पुं॰—सह-देवः—-— पाँडवों का कनिष्ठ भ्राता, नकुल का जुडँवा भाई जो अश्विनी कुमारों की कृपा से माद्री के पेट से उत्पन्न हुआ, यह मानव-सौन्दर्य का एक आदर्श माना जाता हैं
सहधर्मः —पुं॰—सह-धर्मः—-—समान कर्तव्य
सहधर्मचारिन् —पुं॰—सह-धर्म-चारिन्—-—पति
सहधर्मचारिणी —स्त्री॰—सह-धर्म-चारिणी—-—धर्मपत्नी, वैध पत्नी
सहधर्मचारिणी —स्त्री॰—सह-धर्म-चारिणी—-—सहकर्मी
सहपांशुक्रीडिन् —वि॰—सह-पांशुक्रीडिन्—-—सखा, बचपन का मित्र, लंगोटिया यार
सहपांशुकिल —पुं॰—सह-पांशुकिल—-—सखा, बचपन का मित्र, लंगोटिया यार
सहभाविन् —पुं॰—सह-भाविन्—-—मित्र, हिमायती, अनुयायी
सहभू —वि॰—सह-भू—-—नैसर्गिक, सहजात
सह भोजनम् —नपुं॰—सह- भोजनम्—-—मित्रों के साथ बैठकर भोजन करना
सहमरणम् —नपुं॰—सह-मरणम्—-—साथ जाना
सहमरणम् —नपुं॰—सह-मरणम्—-—किसी स्त्री का अपने मृत पति के शरीर के साथ जलना, विधवा का सती होना
सहयुध्वन् —वि॰—सह-युध्वन्—-—संगी, साथी
सहवसतिः —पुं॰—सह-वसतिः—-—मिलकर रहना
सहवासः —पुं॰—सह-वासः—-—मिलकर रहना
सहता —स्त्री॰—-—सह्ं + तल् + टाप्, त्व वा—मिलाप, साहचर्य
सहत्वम् —नपुं॰—-—सह्ं + तल् + टाप्, त्व वा—मिलाप, साहचर्य
सहन —वि॰—-—सह् + ल्युट्—सहन करने वाला, झेलने वाला
सहनम् —नपुं॰—-—सह् + ल्युट्—सहन करना, झेलना
सहनम् —नपुं॰—-—सह् + ल्युट्—सहिष्णुता, सहनशीलता
सहस् —पुं॰—-—सह् + असि—मंगसिर का महीना
सहस् —पुं॰—-—सह् + असि—जाड़े की ऋतु
सहस् —नपुं॰—-—सह् + असि—शक्ति, ताकत, सामर्थ्य
सहस् —नपुं॰—-—सह् + असि—बल, हिंसा
सहस् —नपुं॰—-—सह् + असि—विजय, जीत
सहस् —नपुं॰—-—सह् + असि—कान्ति, चमक
सहसा —स्त्री॰—-—सह + सो + डा—बलपूर्वक, जबरदस्ती
सहसा —स्त्री॰—-—सह + सो + डा—उतावली के साथ, अंधाधुंध, बिना विचारे
सहसा —स्त्री॰—-—सह + सो + डा—अकस्मात, अचानक
सहसानः —पुं॰—-—सह् + असानच्—मोर
सहसानः —पुं॰—-—सह् + असानच्—यज्ञ, आहुति
सहस्यः —पुं॰—-—सहसे बलाय हितः सहस् + यत्—पौष मास
सहस्रम् —नपुं॰—-—समानं हसति - हस् + र—हजार
सहस्रांशु —पुं॰—सहस्रम्-अंशु—-—सूर्य
सहस्रार्चिः —पुं॰—सहस्रम्-अर्चिः—-—सूर्य
सहस्रकर —पुं॰—सहस्रम्-कर—-—सूर्य
सहस्रकिरण —पुं॰—सहस्रम्-किरण—-—सूर्य
सहस्रदीधिति —पुं॰—सहस्रम्-दीधिति—-—सूर्य
सहस्रधामन् —पुं॰—सहस्रम्-धामन्—-—सूर्य
सहस्रपाद —पुं॰—सहस्रम्-पाद—-—सूर्य
सहस्रमरीचि —पुं॰—सहस्रम्-मरीचि—-—सूर्य
सहस्ररश्मि —पुं॰—सहस्रम्-रश्मि—-—सूर्य
सहस्राक्ष —वि॰—सहस्रम्-अक्ष—-—हजार आँखों वाला
सहस्राक्ष —वि॰—सहस्रम्-अक्ष—-—जागरुक, सजग
सहस्राक्षः —पुं॰—सहस्रम्-अक्षः—-—इन्द्र का विशेषण
सहस्राक्षः —पुं॰—सहस्रम्-अक्षः—-—पुरुष का विशेषण
सहस्राक्षः —पुं॰—सहस्रम्-अक्षः—-—विष्णु का विशेषण
सहस्रकाण्डा —स्त्री॰—सहस्रम्-काण्डा—-—सफेद दूब
सहस्रकृत्वस् —अव्य॰—सहस्रम्-कृत्वस्—-—हजार बार
सहस्रद —वि॰—सहस्रम्-द—-—उदार
सहस्रधारः —पुं॰—सहस्रम्-धारः—-—विष्णु का चक्र
सहस्रपत्रम् —नपुं॰—सहस्रम्-पत्रम्—-—कमल
सहस्रबाहुः —पुं॰—सहस्रम्-बाहुः—-—राजा कार्तवीर्य का विशेषण
सहस्रबाहुः —पुं॰—सहस्रम्-बाहुः—-—बाण राक्षस का विशेषण
सहस्रबाहुः —पुं॰—सहस्रम्-बाहुः—-—शिव का विशेषण
सहस्रभुजः —पुं॰—सहस्रम्-भुजः—-—विष्णु का विशेषण
सहस्रमूर्घन् —पुं॰—सहस्रम्-मूर्घन्—-—विष्णु का विशेषण
सहस्रमौलि —पुं॰—सहस्रम्-मौलि—-—विष्णु का विशेषण
सहस्ररोमन् —नपुं॰—सहस्रम्-रोमन्—-—कंबल
सहस्रवीर्या —स्त्री॰—सहस्रम्-वीर्या—-—हींग
सहस्रशिखरः —पुं॰—सहस्रम्-शिखरः—-—विन्ध्य पर्वत का विशेषण
सहस्रधा —अन्य॰—-—सहस्र + धाच—हजार भागों में, हजार प्रकार से
सहस्रशस् —अव्य॰—-—सहस्र + शस्—हज़ार-हज़ार करके
सहस्रिन् —वि॰—-—सहस्र + इनि—हज़ार से युक्त, हजारी
सहस्रिन् —वि॰—-—सहस्र + इनि—हज़ारों से युक्त
सहस्रिन् —वि॰—-—सहस्र + इनि—हज़ार तक
सहस्रिन् —पुं॰—-—सहस्र + इनि—हज़ार मनुष्यों की टोलि
सहस्रिन् —पुं॰—-—सहस्र + इनि—हज़ार सैनिकों का सेनापति
सहस्वत् —वि॰—-—सहस् + मतुप्—समर्थ, शक्तिशाली
सहा —स्त्री॰—-—सह + अच् + टाप्—पृथ्वी
सहा —स्त्री॰—-—सह + अच् + टाप्—घीकुंवार का पौधा, केतकी का फूल
सहायः —पुं॰—-—सह एति - सह + इ + अच्—मित्र, साथी
सहायः —पुं॰—-—सह एति - सह + इ + अच्—अनुयायी, अनुगामी
सहायः —पुं॰—-—सह एति - सह + इ + अच्— ‘संधि’ द्वारा बनाया गया मित्र
सहायः —पुं॰—-—सह एति - सह + इ + अच्—सहायक, अभिभावक
सहायः —पुं॰—-—सह एति - सह + इ + अच्—चक्रवाक
सहायः —पुं॰—-—सह एति - सह + इ + अच्—एक प्रकार का गन्धद्रव्य
सहायः —पुं॰—-—सह एति - सह + इ + अच्—शिव का नाम
सहायता —स्त्री॰—-—सहाय + तल् + टाप्—साथियों का समूह
सहायता —स्त्री॰—-—सहाय + तल् + टाप्—साथ, मिलाप, मैत्री
सहायता —स्त्री॰—-—सहाय + तल् + टाप्—सहायता, मदद
सहायत्वम् —नपुं॰—-—सहाय + तल् + त्व —साथियों का समूह
सहायत्वम् —नपुं॰—-—सहाय + तल् + त्व —साथ, मिलाप, मैत्री
सहायत्वम् —नपुं॰—-—सहाय + तल् + त्व —सहायता, मदद
सहायवत् —वि॰—-—सहाय + मतुप्—मित्रों से युक्त
सहायवत् —वि॰—-—सहाय + मतुप्—मित्रता में आबद्ध, सहायवान्, सहायता प्राप्त
सहारः —पुं॰—-—सह + ऋ + अच्—आम का पेड़
सहारः —पुं॰—-—सह + ऋ + अच्—विश्व का नाश, प्रलय
सहित —वि॰—-—सह + इतच्, सह् + क्त, हितेन सह वा स + धा + क्त—सहगत या सेवित, साथ-साथ, संयुक्त, से युक्त
सहितम् —अव्य॰—-—-—साथ-साथ, के साथ
सहितृ —वि॰—-—सह + तृच्—सहन करने वाला, सहनशील, सहिष्णु
सहिष्णु —वि॰—-—सह + इष्णुच्—सहन करने के योग्य, झेलने में समर्थ
सहिष्णु —वि॰—-—सह + इष्णुच्—क्षमाशील, तितिक्षु, सहनशील
सहिष्णुता —स्त्री॰—-—सहिष्णु + तल् + टाप्—वहन करने की शक्ति
सहिष्णुता —स्त्री॰—-—सहिष्णु + तल् + टाप्—क्षमाशीलता, तितिक्षा
सहिष्णुत्वम् —नपुं॰—-—सहिष्णु + तल् + त्व —वहन करने की शक्ति
सहिष्णुत्वम् —नपुं॰—-—सहिष्णु + तल् + त्व —क्षमाशीलता, तितिक्षा
सहुरिः —पुं॰—-—सह् + उरिन्—सूर्य
सहुरिः —स्त्री॰—-—सह् + उरिन्—पृथ्वी
सहृदय —वि॰—-—सह हृदयेन - ब॰ स॰—अच्छे हृदय वाला, कृपालु, करुणाशील
सहृदय —वि॰—-—सह हृदयेन - ब॰ स॰—निष्कपट
सहृदयः —पुं॰—-—सह हृदयेन - ब॰ स॰—विद्वान पुरुष
सहृदयः —पुं॰—-—सह हृदयेन - ब॰ स॰—सराहना करने वाला, रसिक, विवेकशील
सहृल्लेख —वि॰—-—हृदयस्य लेखः कालुष्यकरणम्, सह हृदल्लेखेन - ब॰ स॰—प्रष्टव्य, संदिग्ध
सहृल्लेखम् —नपुं॰—-—हृदयस्य लेखः कालुष्यकरणम्, सह हृदल्लेखेन - ब॰ स॰—दूषित आहार
सहेल —वि॰—-—सह हेलेन - ब॰ स॰—क्रीडाशील, केलिपरक, विनोदप्रिय
सहोढः —पुं॰—-—सह ऊढेन - ब॰ स॰—चुराये गये सामान के साथ पकड़ा गया चोर
सहोर —वि॰—-—सह् + ओर—अच्छा, श्रेष्ठ
सहोरः —पुं॰—-—सह् + ओर—सन्त, महात्मा
सह्य —वि॰—-—सह् + यत्—वहन करने के योग्य, सहारा दिये जाने के योग्य, सहन करने योग्य
सह्य —वि॰—-—सह् + यत्—सहन किये जाने योग्य, झेले जाने योग्य
सह्य —वि॰—-—सह् + यत्—सहन करने योग्य
सह्य —वि॰—-—सह् + यत्—सहन करने में समर्थ, सहन करने के योग्य
सह्य —वि॰—-—सह् + यत्—समर्थ, शक्तिशाली
सह्यः —पुं॰—-—सह् + यत्—भारत की सात प्रधान पर्वतश्रेणियों में एक, समुद्र से कुछ दूरी पर पश्चिमी घाट का कुछ भाग, सह्याद्रिश्रेणी
सह्यम् —नपुं॰—-—सह् + यत्—स्वास्थ्य, आरोग्यलाभ
सह्यम् —नपुं॰—-—सह् + यत्—सहायता
सह्यम् —नपुं॰—-—सह् + यत्—युक्तता, पर्याप्ति
सा —स्त्री॰—-—सो + ड + टाप्—लक्ष्मी का नाम
सा —स्त्री॰—-—सो + ड + टाप्—पार्वती का नाम
सांयात्रिकः —पुं॰—-—संयात्रा + ठञ्—समुद्र व्यापारी, पोतवणिक्, समुद्री व्यापार करने वाला
सांयुगीन —वि॰—-—संयुगे साधुः ख—युद्धसंबधी, रणकुशल
सांयुगीनः —पुं॰—-—संयुगे साधुः ख—योद्धा, युद्धकुशल सैनिक
सांराविणम् —नपुं॰—-—सम्॰ + रु + णिनि = संराविन् + अण्—ऊँची आवाज, भारी कोलाहल
सांवत्सर —वि॰—-—संवंत्सर + अण् ठञ् वा—वार्षिक, सलाना
सांवत्सरिक —वि॰—-—संवंत्सर + ठञ् —वार्षिक, सलाना
सांवत्सरिकः —पुं॰—-—संवंत्सर + अण् —ज्योतिषी, दैवज्ञ
सांवादिक —वि॰—-—संवाद + ठञ्—(बोलचाल में) प्रचलित
सांवादिक —वि॰—-—संवाद + ठञ्—विवादग्रस्त
सांवादिकः —पुं॰—-—-—तार्किक, नैयायिक
सांवृत्तिक —वि॰—-—संवृत्ति + ठक्—भ्रामक, अलौकिक (घटना या तत्त्वविषयक)
सांशयिक —वि॰—-—संशय + ठक्—सन्दिग्ध
सांशयिक —वि॰—-—संशय + ठक्—अनिश्चित, अस्थिरमति
सांसारिक —वि॰—-—संसार + ठक्—दुनियावी, लौकिक
सांसिद्धिक —वि॰—-—संसिद्धि + ठञ्—प्राकृतिक, स्वतः विद्यमान, सहज, अन्तर्हित
सांसिद्धिक —वि॰—-—संसिद्धि + ठञ्—स्वभावतः प्रवृत्त, स्वतः स्फूर्त
सांसिद्धिक —वि॰—-—संसिद्धि + ठञ्—स्वयंभूत
सांसिद्धिक —वि॰—-—संसिद्धि + ठञ्—अतिप्राकृतिक साधनों से प्रभावित
सांसिद्धिकद्रवः —पुं॰—सांसिद्धिक-द्रवः—-—स्वाभाविक तरलता, केवल जलसंबंधी
सांस्थानिकः —पुं॰—-—संस्थान + ठक्—समानदेशीय, एक ही देश के निवासी
सांस्राविणम् —नपुं॰—-—सम् + स्रु + णिनि + अण्—सामान्य प्रवाह या सरिता
सांहननिक —वि॰—-—संहनन + ठक्—शारीरिक, कायिक
साकम् —अव्य॰—-—सह अकति - अक् + अमु, सादेशः—के साथ, साथ मिलकर
साकम् —नपुं॰—-—-—उसी समय, युगपत्, एक ही समय
साकल्यम् —नपुं॰—-—सकल + ष्यञ्—समष्टि, सम्पूर्णता, किसी वस्तु का संपूर्ण या समस्त भाग
साकल्येन —नपुं॰—-—सकल + ष्यञ्—पूर्णतः, पूरी तरह से, पूर्ण रुप से
साकूत —वि॰—-—सह आकूतेन - ब॰ स॰—साभिप्राय, सार्थक, अर्थ वाला
साकूत —वि॰—-—सह आकूतेन - ब॰ स॰—सप्रयोजन
साकूत —वि॰—-—सह आकूतेन - ब॰ स॰—श्रृंगार प्रिय, स्वेच्छाचारी
साकूतम् —अव्य॰—-—-—अर्थतः, सार्थकतापूर्वक
साकूतम् —अव्य॰—-—-—सानुराग
साकूतम् —अव्य॰—-—-—भावुकता के साथ, मार्मिकतापूर्वक
साकेतम् —नपुं॰—-—सह आकेतेन - ब॰ स॰—अयोध्या नगरी का नाम
साकेताः —पुं॰ ब॰ व॰—-—-—अयोध्या निवासी
साकेतकः —पुं॰—-—साकेत + कन्—अयोध्या का निवासी
साक्तुकम् —नपुं॰—-—सक्तूनां समाहार सक्तु + ठञ्—भुने हुए अन्न या सत्तू का ढेर
साक्षात् —अव्य॰—-—सह + अक्ष् + आति —के सामने, आँखों के सामने, दृश्य रुप से, हूबहू, स्पष्ट रुप से
साक्षात् —अव्य॰—-—सह + अक्ष् + आति —व्यक्तिशः,वस्तुतः, मूर्तरुप में
साक्षात् —अव्य॰—-—सह + अक्ष् + आति —प्रत्यक्ष
साक्षात्कृ ——-—-—अपनी आँखों से देखना, स्वयं जान लेना
साक्षात्करणम् —नपुं॰—साक्षात्-करणम्—-—दृष्टिगोचर करना
साक्षात्करणम् —नपुं॰—साक्षात्-करणम्—-—इन्द्रिग्राह बनाना
साक्षात्करणम् —नपुं॰—साक्षात्-करणम्—-—अन्तर्ज्ञानमूलक
साक्षात्कारः —पुं॰—साक्षात्-कारः—-—प्रत्यक्षज्ञान, समझ, जानकारी
साक्षिन् —वि॰—-—सह अक्षि अस्य, साक्षाद् द्रष्टा साक्षी वा - सह + अक्ष + इनि—देखने वाला, अवलोकन करने वाला, सबूत देने वाला
साक्षिन् —पुं॰—-—सह अक्षि अस्य, साक्षाद् द्रष्टा साक्षी वा - सह + अक्ष + इनि—गवाह, अवेक्षक, चश्मदीद गवाह, आंखों देखी बात बताने वाला
साक्ष्यम् —नपुं॰—-—साक्षिन् + ष्यञ्—गवाही, शहादत
साक्ष्यम् —नपुं॰—-—साक्षिन् + ष्यञ्—अभिप्रमाण, सत्यापन
साक्षेप —वि॰—-—सह आक्षेपेण - ब॰ स॰— जिसमें आक्षेप या व्यंग्य भरा हो, दुर्वचनयुक्त
साखेय —वि॰—-—सखि + ढञ्—मित्रसंबन्धी
साखेय —वि॰—-—सखि + ढञ्—मैत्रीपूर्ण, सौहार्दपूर्ण
साख्यम् —नपुं॰—-—सखि + ष्यञ्—मित्रता, सौहार्द
सागरः —पुं॰—-—सागरेण निर्वृत्तः - अण्—समुद्र, उदधि
सागरः —पुं॰—-—सागरेण निर्वृत्तः - अण्—चार या सात की संख्या
सागरः —पुं॰—-—सागरेण निर्वृत्तः - अण्—एक प्रकार का हरिण
सागरानुकूल —वि॰—सागर-अनुकूल—-—समुद्र के किनारे स्थित
सागरान्त —वि॰—सागर-अन्त—-—समुद्र की सीमा से युक्त, जिसके सब ओर समुद्र छाया है
सागराम्बरा —स्त्री॰—सागर-अम्बरा—-—पृथ्वी
सागरनेमिः —पुं॰—सागर-नेमिः—-—पृथ्वी
सागरमेखला —स्त्री॰—सागर-मेखला—-—पृथ्वी
सागरालयः —पुं॰—सागर-आलयः—-—वरुण का नाम
सागरोत्थम् —नपुं॰—सागर-उत्थम्—-—समुद्रीनमक
सागरगा —स्त्री॰—सागर-गा—-—गंगा
सागरगामिनी —स्त्री॰—सागर-गामिनी—-—नदी
साग्नि —वि॰—-—सह अग्निना - ब॰ स॰—अग्नि सहित
साग्नि —वि॰—-—सह अग्निना - ब॰ स॰—यज्ञाग्नि रखने वाला
साग्निक —वि॰—-—सह अग्निना - ब॰ स॰, कप्—यज्ञाग्नि रखने वाला
साग्निक —वि॰—-—सह अग्निना - ब॰ स॰, कप्—अग्नि से संबंध
साग्निकः —पुं॰—-—-—यज्ञाग्नि रखने वाला गृहस्थ
साग्र —वि॰—-—सह अग्रेण - ब॰ स॰—समस्त
साग्र —वि॰—-—सह अग्रेण - ब॰ स॰—अतिरिक्त समेत, अपेक्षाकृत अधिक रखने वाला
साङ्कर्यम् —नपुं॰—-—सङ्कर + ष्यञ्—मिश्रण, सम्मिश्रण, गड्डमड्ड किया हुआ या मिलाया हुआ घोल
साङ्कल —वि॰—-—सङ्कल + ष्यञ्— जोड़ या संकलन से उत्पन्न
साङ्काश्येम् —नपुं॰—-—-—जनता के भ्राता कुशध्वज की राजधानी का नाम
साङ्काश्या —स्त्री॰—-—-—जनता के भ्राता कुशध्वज की राजधानी का नाम
साङ्केतिक —वि॰—-—संकेत + ठक्—प्रतीकात्मक, संकेतपरक
साङ्केतिक —वि॰—-—संकेत + ठक्—व्यवहार-सिद्ध, रीत्यनुसार
साङ्क्षेपिक —वि॰—-—संक्षेप + ठक्—संक्षिप्त, संकुचित, छोटा किया हुआ
साङ्ख्य —वि॰—-—सङ्ख्या + अण्—संख्या संबंधी
साङ्ख्य —वि॰—-—सङ्ख्या + अण्—आकलन कर्ता, गणक
साङ्ख्य —वि॰—-—सङ्ख्या + अण्—विवेचन
साङ्ख्य —वि॰—-—सङ्ख्या + अण्—विचारक, तार्किक, तर्क कर्ता
साङ्ख्यः —पुं॰—-—सङ्ख्या + अण्—छः हिन्दू दर्शनों में से एक जिसके प्रणेता कपिल मुनि माने जाते हैं
साङ्ख्यम् —नपुं॰—-—सङ्ख्या + अण्—छः हिन्दू दर्शनों में से एक जिसके प्रणेता कपिल मुनि माने जाते हैं
साङ्ख्यः —पुं॰—-—सङ्ख्या + अण्—सांख्य शास्त्र का अनुयायी
साङ्ख्यप्रसादः —पुं॰—साङ्ख्य-प्रसादः—-—शिव का विशेषण
साङ्ख्यमुख्यः —पुं॰—साङ्ख्य-मुख्यः—-—शिव का विशेषण
साङ्ग —वि॰—-—सह अङ्गैः - ब॰ स॰—अंगों सहित
साङ्ग —वि॰—-—सह अङ्गैः - ब॰ स॰—प्रत्येक भाग से पूर्ण
साङ्ग —वि॰—-—सह अङ्गैः - ब॰ स॰—सहायक अंगों से युक्त
साङ्गतिक —वि॰—-—सङ्गति + ठक्—समाज या संघ से संबंध रखने वाला, साहचर्यशील
साङ्गतिकः —पुं॰—-—सङ्गति + ठक्—दर्शक, अतिथि, नवागंतुक
साङ्गमः —पुं॰—-—सङ्गम + अण्—मिलाप, मिलन
साङ्ग्रामिक —वि॰—-—संग्राम + ठञ्—युद्ध संबंधी,योद्धा,जंगजू, सैनिक, सामरिक
साङ्ग्रामिकः —पुं॰—-—संग्राम + ठञ्—सेनाध्यक्ष, सेनापति
साचि —अव्य॰—-—सच् + इण्—टेढ़ेपन से, तिरछेपन से, तिर्यक्, वक्रगति से टेढ़े-टेढ़े
साचीकृ ——-—-—मोड़ना, एक ओर झुकाना, टेढ़ा करना
साचिव्यम् —नपुं॰—-—सचिव + ष्यञ्—मंत्रालय, मंत्रित्व
साचिव्यम् —नपुं॰—-—सचिव + ष्यञ्—मंत्रिमंडल, प्रशासन
साचिव्यम् —नपुं॰—-—सचिव + ष्यञ्—मैत्री
साजात्यम् —नपुं॰—-—सजाति + ष्यञ्—जाति की समानता, वर्ग, श्रेणी या प्रकार की समानता
साजात्यम् —नपुं॰—-—सजाति + ष्यञ्—जाति का समुदाय, समजातीयता
साञ्जनः —पुं॰—-—सह अञ्जनेन - ब॰ स॰—छिपकली
साट् —चुरा॰ उभ॰ <साटयति> <साटयते>—-—-—बतलाना, प्रकट करना
साटोप —वि॰—-—सह आटोपेन - ब॰ स॰—घमंड में भरा या फूला हुआ, अहङ्कारी
साटोप —वि॰—-—सह आटोपेन - ब॰ स॰—गौरवशाली, शानदार
साटोप —वि॰—-—सह आटोपेन - ब॰ स॰—उभरा हुआ, बढ़ा हुआ
साटोपम् —नपुं॰—-—सह आटोपेन - ब॰ स॰—घमंड के साथ, हेकड़ी के साथ, अकड़ कर, इठला कर, रौब से
सात् —अव्य॰—-—-—तद्धित का एक प्रत्यय जो किसी शब्द के साथ इसलिए जोड़ा जाता हैं, या वह वस्तु पूर्ण रुप से तदधीन या उसके नियंत्रण में हो जाती हैं
भस्मसात्भू ——-—-—बिल्कुल राख बन जाना
सातत्यम् —नपुं॰—-—सतत + ष्यञ्—निरन्तरता, स्थायित्व
सातिः —स्त्री॰—-—सन् + क्तिन्—भेंट, उपहार, दान
सातिः —स्त्री॰—-—सन् + क्तिन्—प्राप्त करना, हासिल करना
सातिः —स्त्री॰—-—सन् + क्तिन्—सहायता
सातिः —स्त्री॰—-—सन् + क्तिन्—विनाश
सातिः —स्त्री॰—-—सन् + क्तिन्—अन्त, उपसंहार
सातिः —स्त्री॰—-—सन् + क्तिन्—तेज़ या तीव्र वेदना
सातीनः —पुं॰—-—सतीन + अण्—मटर
सातीनकः —पुं॰—-—सातीन + कन्—मटर
सात्त्विक —वि॰—-—सत्त्व + ठञ्—वास्तविक, आवश्यक
सात्त्विक —वि॰—-—सत्त्व + ठञ्—सत्य, असली, प्राकृतिक
सात्त्विक —वि॰—-—सत्त्व + ठञ्—ईमानदार, निष्कपट, अच्छा
सात्त्विक —वि॰—-—सत्त्व + ठञ्—सद्गुणी, मिलनसार
सात्त्विक —वि॰—-—सत्त्व + ठञ्—बलशाली
सात्त्विक —वि॰—-—सत्त्व + ठञ्—सत्त्वगुण से युक्त
सात्त्विक —वि॰—-—सत्त्व + ठञ्—सत्त्वगुण से संबद्ध या उत्पन्न
सात्त्विक —वि॰—-—सत्त्व + ठञ्—आंतरिक भावनाओं से उत्पन्न
सात्त्विकः —पुं॰—-—सत्त्व + ठञ्—भावनाओं या संवेगों का बाह्य संकेत, काव्य में भावों का एक प्रकार
सात्त्विकः —पुं॰—-—सत्त्व + ठञ्—ब्राह्मण
सात्त्विकः —पुं॰—-—सत्त्व + ठञ्—ब्रह्मा
सात्यिकः —पुं॰—-—सत्यक + इञ्—यदुवंशी योद्धा जो कृष्ण का सारथि था तथा जिसने महाभारत के युद्ध में पांडवों का पक्ष लिया।
सात्यवतः —पुं॰—-—सत्यवती + अण्, ठक् वा—व्यास मुनि का मातृपरक नाम
सात्यवतेयः —पुं॰—-—सत्यवती + अण्, ठक् वा—व्यास मुनि का मातृपरक नाम
सात्वत् —पुं॰—-—सातयति सुखयति - सात् + क्विप्, सात् परमेश्वरः, स उपास्यत्वेन अस्ति अस्य - सात् + मतुप्, मस्य वः—अनुयायी, उपासक
सात्वतः —पुं॰—-—सातयति सुखयति - सात् + क्विप्, सात् परमेश्वरः, स उपास्यत्वेन अस्ति अस्य - सात् + मतुप्, मस्य वः—विष्णु का नाम
सात्वतः —पुं॰—-—सातयति सुखयति - सात् + क्विप्, सात् परमेश्वरः, स उपास्यत्वेन अस्ति अस्य - सात् + मतुप्, मस्य वः—बलराम का नाम
सात्वतः —पुं॰—-—सातयति सुखयति - सात् + क्विप्, सात् परमेश्वरः, स उपास्यत्वेन अस्ति अस्य - सात् + मतुप्, मस्य वः—जाति से बहिष्कृत वैश्य का पुत्र
सात्वताः —पुं॰, ब॰ व॰—-—-—एक जाति का नाम
सात्वती —स्त्री॰—-—-—चार प्रकार की नाट्यशैलियों में से एक
सात्वती —स्त्री॰—-—-—शिशुपाल की माता का नाम
सादः —पुं॰—-—सद् + घञ्—बैठना, बसना
सादः —पुं॰—-—सद् + घञ्—क्लान्ति, थकावट
सादः —पुं॰—-—सद् + घञ्—क्षीणता, दुबला-पतलापन, कृशता
सादः —पुं॰—-—सद् + घञ्—ध्वंस, क्षय, लोप, विनाश, विश्रान्ति
सादः —पुं॰—-—सद् + घञ्—पीड़ा, संताप
सादः —पुं॰—-—सद् + घञ्—स्वच्छता, पवित्रता
सादनम् —नपुं॰—-—सद् + णिच् + ल्युट्—थकाना, क्लान्त करना
सादनम् —नपुं॰—-—सद् + णिच् + ल्युट्—नष्ट करना
सादनम् —नपुं॰—-—सद् + णिच् + ल्युट्—थकावट, क्लान्ति
सादनम् —नपुं॰—-—सद् + णिच् + ल्युट्—घर, निवास स्थान
सादिः —पुं॰—-—सद् + इण्—सारथि, रथवान्
सादिः —पुं॰—-—सद् + इण्—योद्धा
सादिन् —वि॰—-—सद् + णिच् + णिनि—बैठा हुआ
सादिन् —वि॰—-—सद् + णिच् + णिनि—थकाने वाला, नष्ट करने वाला
सादिन् —पुं॰—-—सद् + णिच् + णिनि—घुड़सवार
सादिन् —पुं॰—-—सद् + णिच् + णिनि—हाथी पर सवार या रथ में बैठा हुआ
सादृश्यम् —नपुं॰—-—सदृश + ष्यञ्—समानता, मिलता-जुलतापन, समरुपता
सादृश्यम् —नपुं॰—-—सदृश + ष्यञ्—प्रतिलिपि, आलोकचित्र, प्रतिमा
साद्यन्त —वि॰—-—सह + आद्यन्ताभ्याम् - ब॰ स॰—पूरा, समस्त
साद्यस्क —वि॰—-—सद्यस्क + अण्—शीघ्र होने वाला जिसमें विलंब न हो
साध् —स्वा॰ पर॰ <साध्नोति>—-—-—पू्रा करना, समाप्त करना, संपन्न करना
साध् —स्वा॰ पर॰ <साध्नोति>—-—-—जीतना
साध् —दिवा॰ पर॰ <साध्यति>—-—-—पूरा किया जाना, निष्पन्न किया जाना
साध् —दिवा॰ पर॰, प्रेर॰—-—-—निष्पन्न करना, कार्यान्वित करना, घटित करना, सम्पन्न करना
साध् —दिवा॰ पर॰—-—-—पूरा करना, समाप्त करना, उपसंहार करना
साध् —दिवा॰ पर॰—-—-—उपलब्ध करना, प्राप्त करना, पाना
साध् —दिवा॰ पर॰—-—-—साबित करना, सिद्ध करना
साध् —दिवा॰ पर॰—-—-—दमन करना,पराजित करना, जीतना, वश में करना
साध् —दिवा॰ पर॰—-—-—मार डालना, नष्ट करना
साध् —दिवा॰ पर॰—-—-—समझना, जानना
साध् —दिवा॰ पर॰—-—-—चिकित्सा करना, स्वस्थ करना
साध् —दिवा॰ पर॰—-—-—जाना, अलग होना,अपने रास्ते लगना
साध् —दिवा॰ पर॰—-—-—उगाहना
साध् —दिवा॰ पर॰—-—-—पूर्ण कर देना
प्रसाध् —दिवा॰ पर॰, प्रेर॰—प्र-साध्—-—आगे बढ़ना, उन्नति करना
प्रसाध् —दिवा॰ पर॰—प्र-साध्—-—निष्पन्न करना, कार्यान्वित करना
प्रसाध् —दिवा॰ पर॰—प्र-साध्—-—उपलब्ध करना, प्राप्त करना
प्रसाध् —दिवा॰ पर॰—प्र-साध्—-—पराभूत करना, दबाना
प्रसाध् —दिवा॰ पर॰—प्र-साध्—-—वस्त्र धारण करना, सजाना
संसाध् —दिवा॰, आ॰—सम्-साध्—-—सफल होना
संसाध् —दिवा॰ पर॰—सम्-साध्—-—निष्पन्न करना, पूरा करना
संसाध् —दिवा॰ पर॰—सम्-साध्—-—सुरक्षित करना, प्राप्त करना
संसाध् —दिवा॰ पर॰—सम्-साध्—-—बस जाना
संसाध् —दिवा॰ पर॰—सम्-साध्—-—पुनः प्राप्त करना
संसाध् —दिवा॰ पर॰—सम्-साध्—-—तय किया जाना या चुकता किया जाना
संसाध् —दिवा॰ पर॰—सम्-साध्—-—नष्ट करना, मार डालना
संसाध् —दिवा॰ पर॰—सम्-साध्—-—बुझाना
साधक —वि॰—-—साध् + ण्वुल्, सिध् + णिच् + ण्वुल् साधादेशः वा—सम्पन्न करने वाला, पूरा करने वाला, कार्यान्वित करने वाला, पूर्ण करने वाला
साधक —वि॰—-—साध् + ण्वुल्, सिध् + णिच् + ण्वुल् साधादेशः वा—दक्ष, प्रभावशाली
साधक —वि॰—-—साध् + ण्वुल्, सिध् + णिच् + ण्वुल् साधादेशः वा—कुशल, निपुण
साधक —वि॰—-—साध् + ण्वुल्, सिध् + णिच् + ण्वुल् साधादेशः वा—जादू से कार्य में परिणत करने वाला, ऐन्द्रजालिक
साधक —वि॰—-—साध् + ण्वुल्, सिध् + णिच् + ण्वुल् साधादेशः वा—सहायक, मददगार
साधन —वि॰—-—साध् + ण्वुल्, सिध् + णिच् + ण्वुल् साधादेशः वा—निष्पन्न करने वाला, कार्यान्वित करने वाला,
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—निष्पन्न करना, कार्यान्वित करना, अनुष्ठान करना
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—पूरा करना, सम्पन्नता किसी पदार्थ की पूर्ण अवाप्ति
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—उपाय, तरकीब, किसी कार्य को सम्पन्न करने की तदबीर
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—उपकरण,अभिकर्ता
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—निमित्त कारण, स्रोत, सामान्य हेतु
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—करण कारक
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—उपकरण, औजार
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—यन्त्र, सामग्री
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—मूल पदार्थ, संघटक तत्व
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—सेना या उसका अंग
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—सहायता, मदद, सहारा
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—प्रमाण, सिद्ध करना, प्रदर्शन करना
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—अनुमान की प्रक्रिया में हेतु, कारण, जो हमें किसी परिणाम पर पहुँचाये
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—दमन करना, जीत देना
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—जादू मंत्र से वश में करना
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—जादू या मंत्र से किसी कार्य को निष्पन्न करना
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—स्वस्थ करना, चिकित्सा करना
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—वध करना, विनाश करना
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—संराधन, प्रसादन, तुष्टीकरण
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—बाहर जाना, कूच करना, प्रस्थान
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—अनुगमन, पीछे चलना
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—साधना, तपस्या
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—मोक्ष प्राप्त करना
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—औषघि निर्माण, भेषज, जड़ी-बूटी
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—ऋण आदि की प्राप्ति के लिए आदेश, जुर्माना करना
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—शरीर का कोई अवयव
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—शिश्न, लिंग
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—औड़ी, ऐन
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—दौलत
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—मैत्री
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—लाभ, फायदा
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—शव की दाह क्रिया
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः—मृतकसंस्कार
साधनम् —नपुं॰—-—सिध् + णिच् + ल्युट्, साधादेशः— धातुओं का मारण या जारण
साधनक्रिया —स्त्री॰—साधन-क्रिया—-—समापिका क्रिया
साधनपत्रम् —नपुं॰—साधन-पत्रम्—-—लिखित प्रमाण
साधनता —स्त्री॰—-—साधन + तल् + टाप्, त्व वा—उपायवत्ता, उद्देश्य पूर्ति का जरिया होना
साधनत्वम् —नपुं॰—-—साधन + तल् + टाप्, त्व वा—उपायवत्ता, उद्देश्य पूर्ति का जरिया होना
साधना —स्त्री॰—-—सिध् + णिच् + युच् + टाप्, साधादेशः—निष्पन्नता, पूरा करना, पूर्ति
साधना —स्त्री॰—-—सिध् + णिच् + युच् + टाप्, साधादेशः—पूजा, अर्चना
साधना —स्त्री॰—-—सिध् + णिच् + युच् + टाप्, साधादेशः—संराधन, प्रसादन
साधन्तः —पुं॰—-—साध् + झच्, अन्तादेशः—भिक्षुक,भिखारी
साधर्म्यम् —नपुं॰—-—सधर्म + ष्यञ्—समानता, कर्तव्य की एकता,समानधर्मता
साधर्म्यम् —नपुं॰—-—सधर्म + ष्यञ्—प्रकृति की समानता, समान चरित्र, समता गुणों की समानता
साधारण —वि॰—-—सह धारणया - ब॰ स॰ सधारण + अण्—समान, संयुक्त
साधारण —वि॰—-—सह धारणया - ब॰ स॰ सधारण + अण्—मामूली, सामान्य
साधारण —वि॰—-—सह धारणया - ब॰ स॰ सधारण + अण्—सार्वजनिक, विश्वव्यापी
साधारण —वि॰—-—सह धारणया - ब॰ स॰ सधारण + अण्—मिश्रित मिला-जुला समान
साधारण —वि॰—-—सह धारणया - ब॰ स॰ सधारण + अण्—तुल्य, सदृश, समान
साधारण —वि॰—-—सह धारणया - ब॰ स॰ सधारण + अण्—एक से अधिक निदर्शनों से संबंद्ध, हेत्वाभास के तीन प्रभागों में से एक, अनैकान्तिक
साधारणम् —नपुं॰—-—सह धारणया - ब॰ स॰ सधारण + अण्—सामान्य या सार्वजनिक नियम, सार्वजनिक विधि या नियम
साधारणम् —नपुं॰—-—सह धारणया - ब॰ स॰ सधारण + अण्—जातिगत या निर्विशेष गुण
साधारणधनम् —नपुं॰—साधारण-धनम्—-—संयुक्त संपत्ति
साधारणस्त्री —स्त्री॰—साधारण-स्त्री—-—वेश्या, रंडी
साधारणता —स्त्री॰—-—साधारण + तल् + टाप्—सामुदायिकता, विश्वव्यापकता
साधारणता —स्त्री॰—-—साधारण + तल् + टाप्—संयुक्त हित
साधारणत्वम् —नपुं॰—-—साधारण + तल् +त्व —सामुदायिकता, विश्वव्यापकता
साधारणत्वम् —नपुं॰—-—साधारण + तल् +त्व —संयुक्त हित
साधारण्यम् —नपुं॰—-—साधारण + ष्यञ्—समानता
साधिका —स्त्री॰—-—सिध् + णिच् + ण्वुल् + टाप्, इत्वम्, साधादेशः—कुशल या निपुण स्त्री
साधिका —स्त्री॰—-—सिध् + णिच् + ण्वुल् + टाप्, इत्वम्, साधादेशः—गहरी नींद
साधित —भू॰ क॰ कृ॰—-—साध् + क्त—निष्पन्न, कार्यान्वित, अवाप्त
साधित —भू॰ क॰ कृ॰—-—साध् + क्त—पूरा किया हुआ, समाप्त
साधित —भू॰ क॰ कृ॰—-—साध् + क्त—सिद्ध, प्रदर्शित
साधित —भू॰ क॰ कृ॰—-—साध् + क्त—प्राप्त, उपलब्ध
साधित —भू॰ क॰ कृ॰—-—साध् + क्त—उन्मुक्त
साधित —भू॰ क॰ कृ॰—-—साध् + क्त—वश में किया हुआ, दमन किया हुआ
साधित —भू॰ क॰ कृ॰—-—साध् + क्त—पूरा किया हुआ, पुनः प्राप्त
साधित —भू॰ क॰ कृ॰—-—साध् + क्त—दण्डित
साधित —भू॰ क॰ कृ॰—-—साध् + क्त—दापित
साधित —भू॰ क॰ कृ॰—-—साध् + क्त—दिया हुआ
साधिमन् —पुं॰—-—साधु + इमनिच्—भद्रता, श्रेष्ठता, उत्तमता
साधिष्ठ —वि॰—-—साधु या बाढ़ की उत्तमावस्था अतिशयेन साधुः - इष्ठन्—श्रेष्ठ, सर्वोत्तम, उचिततम
साधिष्ठ —वि॰—-—साधु या बाढ़ की उत्तमावस्था अतिशयेन साधुः - इष्ठन्—अत्यंत मजबूत, कठोर या दृढ़
साधीयस् —वि॰—-—साधु + ईयसुन्, उकारलोपः, साधु या बाढ़ की मध्यमावस्था—अधिक अच्छा, अधिक श्रेष्ठ
साधीयस् —वि॰—-—साधु + ईयसुन्, उकारलोपः, साधु या बाढ़ की मध्यमावस्था—कठोरतर, अपेक्षाकृत मजबूत
साधु —वि॰—-—साध् + उन्, मध्य॰ अ॰ साधीयस्, उत्त॰ अ॰ साधिष्ठ—उत्तम, श्रेष्ठ, पूर्ण
साधु —वि॰—-—साध् + उन्, मध्य॰ अ॰ साधीयस्, उत्त॰ अ॰ साधिष्ठ—योग्य, उचित, सही
साधु —वि॰—-—साध् + उन्, मध्य॰ अ॰ साधीयस्, उत्त॰ अ॰ साधिष्ठ—गुणी, पुण्यात्मा, सम्मानीय, पवित्रात्मा
साधु —वि॰—-—साध् + उन्, मध्य॰ अ॰ साधीयस्, उत्त॰ अ॰ साधिष्ठ—(क) कृपालु, दयालु
साधु —वि॰—-—साध् + उन्, मध्य॰ अ॰ साधीयस्, उत्त॰ अ॰ साधिष्ठ—(ख) शिष्टाचारी
साधु —वि॰—-—साध् + उन्, मध्य॰ अ॰ साधीयस्, उत्त॰ अ॰ साधिष्ठ—शुद्ध, पवित्र, गौरवयुक्त या श्रेण्य
साधु —वि॰—-—साध् + उन्, मध्य॰ अ॰ साधीयस्, उत्त॰ अ॰ साधिष्ठ—सुखकर, रुचिकर, सुहावना
साधु —वि॰—-—साध् + उन्, मध्य॰ अ॰ साधीयस्, उत्त॰ अ॰ साधिष्ठ—भद्र, कुलीन, सत्कुलोद्भव
साधुः —पुं॰—-—-—भद्रपुरुष, पुण्यात्मा
साधुः —पुं॰—-—-—ऋषि, मुनि, संत
साधुः —पुं॰—-—-—सूदखोर, महाजन
साधुः —अव्य॰—-—-—अच्छा, बहुत अच्छा, शाबास, बढ़िया
साधुधी —वि॰—साधु-धी—-—अच्छे स्वभाव का
साधुवादः —पुं॰—साधु-वादः—-—‘शाबास’ की ध्वनि, ‘धन्य’ की ध्वनि
साधुवृत्त —वि॰—साधु-वृत्त—-—अच्छे चालचलन का, खरा, सद्गुणी
साधुवृत्त —वि॰—साधु-वृत्त—-—खूब गोल-गोल किया हुआ
साधुवृत्तः —पुं॰—साधु-वृत्तः—-—सद्गुणी
साधुवृत्तम् —नपुं॰—साधु-वृत्तम्—-—अच्छा आचरण, सद्गुण, पावनता, सचाई, ईमानदारी
साधृतम् —नपुं॰ब॰ स॰—-—सह आधृतेन —हाट, दुकान
साधृतम् —नपुं॰ब॰ स॰—-—सह आधृतेन —छतरी
साधृतम् —नपुं॰ब॰ स॰—-—सह आधृतेन —मोरों का झुंड
साध्य —वि॰—-—साध् + णिच् + यत्—कार्यान्वित होने योग्य, निष्पन्न होने योग्य, किया जाने योग्य
साध्य —वि॰—-—साध् + णिच् + यत्—जो हो सके, जो किया जा सके, प्राप्य
साध्य —वि॰—-—साध् + णिच् + यत्—सिद्ध किये जाने योग्य, प्रदर्शनीय
साध्य —वि॰—-—साध् + णिच् + यत्—स्थापित करने योग्य, पूरा किये जाने योग्य
साध्य —वि॰—-—साध् + णिच् + यत्—अनुमेय, उपसंहार्य
साध्य —वि॰—-—साध् + णिच् + यत्—जीत जाने योग्य, वश्य, जेय
साध्य —वि॰—-—साध् + णिच् + यत्—जिसकी चिकित्सा हो सके
साध्य —वि॰—-—साध् + णिच् + यत्—वध किये जाने योग्य, विनष्ट किये जाने योग्य
साध्यः —पुं॰—-—साध् + णिच् + यत्—दिव्य प्राणियों का एक विशेष वर्ग
साध्यः —पुं॰—-—साध् + णिच् + यत्—देवता
साध्यः —पुं॰—-—साध् + णिच् + यत्—एक मन्त्र का नाम
साध्यम् —नपुं॰—-—साध् + णिच् + यत्—निष्पन्नता, पूर्णता
साध्यम् —नपुं॰—-—साध् + णिच् + यत्—वह बात जो अभी सिद्ध की जाती हैं, प्रमाणित की जाने वाली वस्तु
साध्यम् —नपुं॰—-—साध् + णिच् + यत्—प्रस्ताव का विधेय, अनुमान प्रक्रिया की बड़ी बात
साध्याभावः —पुं॰—साध्यम्-अभावः—-—मुख्य शर्त या बंधन की कमी
साध्यसिद्धिः —स्त्री॰—साध्यम्-सिद्धिः—-—निष्पन्नता
साध्यसिद्धिः —पुं॰—साध्यम्-सिद्धिः—-—उपसंहार
साध्यता —स्त्री॰—-—साध्य + तल् + टाप्—संभावना, शक्यता
साध्यता —स्त्री॰—-—साध्य + तल् + टाप्—अच्छा किये जाने की स्थिति में होना
साध्यतावच्छेदकम् —नपुं॰—साध्यता-अवच्छेदकम्—-—जिस रुप से किसी के गुणों का पता लगे,लक्षण की जानकारी हो, या मुख्य शर्त का पता चले
साध्वसम् —नपुं॰—-—साधु + अस् + अच्—डर, आतंक, भय, त्रास
साध्वसम् —नपुं॰—-—साधु + अस् + अच्—जाडय
साध्वसम् —नपुं॰—-—साधु + अस् + अच्—विक्षोभ, अस्तव्यस्तता
साध्वी —स्त्री॰—-—साधु + ङीप्—सती स्त्री
साध्वी —स्त्री॰—-—साधु + ङीप्—पतिव्रता स्त्री
साध्वी —स्त्री॰—-—साधु + ङीप्—एक प्रकार की जड़
सानन्द —वि॰—-—सह आनन्देन ब॰ स॰—प्रसन्न, खुश
सानसिः —पुं॰—-—सन् + इण्, असुक—सोना, सुवर्ण
सानिका —स्त्री॰—-—सन् + ण्वुल् + टाप्—पीपनी, बाँसुरी
सानेयिका —स्त्री॰—-—सानेयी + कन् + टाप्, ह्रस्वः—पीपनी, बाँसुरी
सानेयी —स्त्री॰—-— सानेय + ङीष्—पीपनी, बाँसुरी
सानु —पुं॰, नपुं॰—-—सम् + ञुण्—चोटी, शिखर, शैल-शिला
सानु —पुं॰, नपुं॰—-—सम् + ञुण्—पहाड़ की चोटी पर समतल भूमि, पठार
सानु —पुं॰, नपुं॰—-—सम् + ञुण्—अंखुवा, अंकुर
सानु —पुं॰, नपुं॰—-—सम् + ञुण्—वन, जंगल
सानु —पुं॰, नपुं॰—-—सम् + ञुण्—सड़क
सानु —पुं॰, नपुं॰—-—सम् + ञुण्—सतह, बिन्दू, किनारा
सानु —पुं॰, नपुं॰—-—सम् + ञुण्—चट्टान
सानु —पुं॰, नपुं॰—-—सम् + ञुण्—हवा का झोंका
सानु —पुं॰, नपुं॰—-—सम् + ञुण्—विद्वान् पुरुष
सानु —पुं॰, नपुं॰—-—सम् + ञुण्—सूर्य
सानुमत् —पुं॰—-—सानु + मतुप्—पहाड़
सानुमती —स्त्री॰—-—सानु + मतुप्+ङीष्—एक अप्सरा का नाम
सानुक्रोश —वि॰—-—अनुक्रोशेन सह - ब॰ स॰—दयालु, करुणाकार
सानुनय —वि॰—-—सह अनुनयेन - ब॰ स॰—सभ्य, शिष्ट
सानुबन्ध —वि॰—-—सह अनुबन्धेन - ब॰ स॰—क्रमबद्ध, अविच्छिन्न
सानुराग —वि॰—-—सह अनुरागेण - ब॰ स॰—आसक्त, अनुरक्त, प्रेम में मुग्ध
सान्तपनम् —नपुं॰—-—सम् + तप् + ल्युट् + अण्—एक कठोर व्रत
सान्तर —वि॰—-—सह अन्तरेण - ब॰ स॰—अन्तर या अवकाशयुक्त
सान्तर —वि॰—-—सह अन्तरेण - ब॰ स॰—झीना
सान्तानिक —वि॰—-—सन्तान + ठक्—फैलने वाला, विस्तारयुक्त
सान्तानिक —वि॰—-—सन्तान + ठक्—सन्तानसंबंधी
सान्तानिक —वि॰—-—सन्तान + ठक्—संतान नामक वृक्षसंबंधी
सान्तानिकः —पुं॰—-—-—वह ब्राह्मण जो सन्तान की इच्छा से विवाह करना चाहता हैं
सान्त्व् —चुरा॰ उभ॰ <सान्त्वयति> <सान्त्वयते> —-—-—शान्त करना, खुश करना, सुलह करना, ढाढ़स-बँधाना, आराम पहुँचाना
सान्त्वः —पुं॰—-—सान्त्व् + घञ्—खुश करना, शान्त करना, ढाढस बँधाना, आराम पहुँचाना
सान्त्वः —पुं॰—-—सान्त्व् + घञ्—सुलह करना, मृदु या हल्का उपाय
सान्त्वः —पुं॰—-—सान्त्व् + घञ्—कृपापूर्ण या ढाढस बँधाने वाले शब्द
सान्त्वः —पुं॰—-—सान्त्व् + घञ्—मृदुता
सान्त्वः —पुं॰—-—सान्त्व् + घञ्—अभिवादन एवं कुशलक्षेम
सान्त्वनम् —नपुं॰—-—सान्त्व् + ल्युट् —खुश करना, शान्त करना, ढाढस बँधाना, आराम पहुँचाना
सान्त्वनम् —नपुं॰—-—सान्त्व् + ल्युट् —सुलह करना, मृदु या हल्का उपाय
सान्त्वनम् —नपुं॰—-—सान्त्व् + ल्युट् —कृपापूर्ण या ढाढस बँधाने वाले शब्द
सान्त्वनम् —नपुं॰—-—सान्त्व् + ल्युट् —मृदुता
सान्त्वनम् —नपुं॰—-—सान्त्व् + ल्युट् —अभिवादन एवं कुशलक्षेम
सान्त्वना —स्त्री॰—-—सान्त्व् + ल्युट् +टाप्—खुश करना, शान्त करना, ढाढस बँधाना, आराम पहुँचाना
सान्त्वना —स्त्री॰—-—सान्त्व् + ल्युट् +टाप्—सुलह करना, मृदु या हल्का उपाय
सान्त्वना —स्त्री॰—-—सान्त्व् + ल्युट् +टाप्—कृपापूर्ण या ढाढस बँधाने वाले शब्द
सान्त्वना —स्त्री॰—-—सान्त्व् + ल्युट् +टाप्—मृदुता
सान्त्वना —स्त्री॰—-—सान्त्व् + ल्युट् +टाप्—अभिवादन एवं कुशलक्षेम
सान्दीपनिः —पुं॰—-—सन्दीपन + इञ्—एक ऋषि का नाम
सान्दृष्टिक —वि॰—-—सन्दृष्टिं + ठक्—देखते ही देखते होने वाला, तात्कालिक
सान्दृष्टिकम् —नपुं॰—-—सन्दृष्टिं + ठक्—तात्कालिक परिणाम
सान्द्र —वि॰—-—सह अन्द्रेण - ब॰ स॰—पासपास, सटा हुआ, अनन्तराल
सान्द्र —वि॰—-—सह अन्द्रेण - ब॰ स॰—मोटा, घन, ठोस, गाढ़ा
सान्द्र —वि॰—-—सह अन्द्रेण - ब॰ स॰—गुच्छा बना हुआ, संगृहीत
सान्द्र —वि॰—-—सह अन्द्रेण - ब॰ स॰—हृष्टपुष्ट, मजबूत, हट्टाकट्टा
सान्द्र —वि॰—-—सह अन्द्रेण - ब॰ स॰—अत्यधिक, विपुल, प्रचुर
सान्द्र —वि॰—-—सह अन्द्रेण - ब॰ स॰—उग्र, प्रखर, प्रचण्ड
सान्द्र —वि॰—-—सह अन्द्रेण - ब॰ स॰—चिकना, तैलाक्त, चिपचिपा
सान्द्र —वि॰—-—सह अन्द्रेण - ब॰ स॰—स्निग्ध, मृदु, सौम्य
सान्द्र —वि॰—-—सह अन्द्रेण - ब॰ स॰—सुखकर, रुचिकर
सान्द्रः —पुं॰—-—-—राशि, ढेर
सान्धिकः —पुं॰—-—सन्धां सुराच्यावनं शिल्पं वेत्ति-ठकृ—कलाल, शराब खींचने चाला
सान्धिविग्रहिकः —पुं॰—-—सन्धिविग्रह + ठक्—विदेश मंत्री
सान्धय —वि॰—-—सन्ध्या + अण्—सायंकालीन, साँझ-संबंधी
सान्नहनिक —वि॰—-—सन्नहन + ठक्—कवचधारी
सान्नहनिक —वि॰—-—सन्नहन + ठक्—शस्त्र उठाने के लिए कहने वाला, युद्ध के लिए तैयार होने को प्रोत्साहन देने वाला
सान्नहनिकः —पुं॰—-—-—कवचधारी
सान्नाय्यः —पुं॰—-—सम् + नी + ण्यत्, नि॰—घीयुक्त कोई पदार्थ जो आहुति के रुप में अग्नि में डाला जाय
सान्निध्यम् —नपुं॰—-—सन्निधि + ष्यञ्—पड़ोस, सामीप्य
सान्निध्यम् —नपुं॰—-—सन्निधि + ष्यञ्—उपस्थिति, हाजरी
सान्निपातिक —वि॰—-—सन्निपात + ठक्—विविध
सान्निपातिक —वि॰—-—सन्निपात + ठक्—जटिल
सान्निपातिक —वि॰—-—सन्निपात + ठक्—कफ, पित्त, वायु तीनों ही दोष जिसके विकृत हो गये हो
सान्न्यासिक —वि॰—-—संयासः प्रयोजनमस्य - ठक्—अपने धार्मिक जीवन के चौथे विश्राम में विद्यमान ब्राह्मण
सान्न्यासिक —वि॰—-—संयासः प्रयोजनमस्य - ठक्—साधु
सान्वय —वि॰—-—सह अन्वयेन - ब॰ स॰—आनुवंशिक
सापत्न —वि॰—-—सपत्नी + अण्—सौतेली पत्नी से उत्पन्न
सापत्नाः —पुं॰ ब॰ व॰—-—सपत्नी + अण्—एक ही पति से भिन्न भिन्न पत्नियों के बच्चे
सापत्न्यम् —नपुं॰—-—सपत्नी + ष्यञ—सौतेली पत्नी की दशा
सापत्न्यम् —नपुं॰—-—सपत्नी + ष्यञ—प्रतिद्वन्द्विता, महत्त्वाकांक्षा, शत्रुता
सापत्न्यः —पुं॰—-—सपत्नी + ष्यञ—सौतेली पत्नी का पुत्र
सापत्न्यः —पुं॰—-—सपत्नी + ष्यञ—शत्रु
सापराध —वि॰—-—सह अपराधेन - ब॰ स॰—अपराधी, जुर्म करने वाला, मुजरिम
सापिण्डयम् —नपुं॰—-—सपिण्ड + ष्यञ्—समान पितरों को पिंडदान के संबंध, बंधुता, रक्तसम्बन्ध
सापेक्ष —वि॰—-—सह अपेक्षया - ब॰ स॰—लिहाज करने वाला, निर्भर
साप्तपद —वि॰—-—सप्तपद + अण् —सात पग साथ-साथ चलने से बनी हुई
साप्तपदीन —वि॰—-—सप्तपद + खञ् —सात पग साथ-साथ चलने से बनी हुई
साप्तपदम् —नपुं॰—-—-—विवाह के अवसर पर दूल्हा व दुल्हिन द्वारा यज्ञाग्नि की सात प्रदक्षिणाएँ करना
साप्तपदम् —नपुं॰—-—-—मित्रता, घनिष्ठता
साप्तपदनम् —नपुं॰—-—-—विवाह के अवसर पर दूल्हा व दुल्हिन द्वारा यज्ञाग्नि की सात प्रदक्षिणाएँ करना
साप्तपदनम् —नपुं॰—-—-—मित्रता, घनिष्ठता
साप्तपौरुष —वि॰—-—सप्तपुरुष + अण्—सात पीढ़ियों तक फैला हुआ
साफल्यम् —नपुं॰—-—सफल + ष्यञ्—सफलता, उपयोगिता, उपजाऊपन
साफल्यम् —नपुं॰—-—सफल + ष्यञ्—लाभ, फायदा
साफल्यम् —नपुं॰—-—सफल + ष्यञ्—कामयाबी
साब्दी —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार का अंगूर
साभ्यसूय —वि॰—-—सह अभ्यसूयया - ब॰ स॰—डाह करने वाला, ईर्ष्यालु
साम् —चुरा॰ उभ॰ <सामयति> <सामयते>—-—-—खुश करना, ढाढस बँधाना, तसल्ली देना
सामकम् —नपुं॰—-—समक + अण्—मूल ऋण
सामकः —पुं॰—-—समक + अण्—साण
सामग्री —स्त्री॰—-—समग्रस्य भावः ष्यञ् स्त्रीत्वपक्षे ङीषि यलोपः— सामान का संग्रह, या संघात, उपकरण, घर का सामान
सामग्री —स्त्री॰—-—समग्रस्य भावः ष्यञ् स्त्रीत्वपक्षे ङीषि यलोपः—सामान, माल-असबाब
सामग्र्यम् —नपुं॰—-—समग्र + ष्यञ्—समग्रता, पूर्णता, समूचापन, समष्टि
सामग्र्यम् —नपुं॰—-—समग्र + ष्यञ्—अनुचरवर्ग, नौकर-चाकर
सामग्र्यम् —नपुं॰—-—समग्र + ष्यञ्—उपकरणों का संग्रह, औजारों का भण्डार
सामग्र्यम् —नपुं॰—-—समग्र + ष्यञ्—भण्डार, समान
सामञ्जस्यम् —नपुं॰—-—समञ्जस + ष्यञ्—योग्यता, संगति, औचित्य
सामञ्जस्यम् —नपुं॰—-—समञ्जस + ष्यञ्—यथार्थता, शुद्धत्ता
सामन् —नपुं॰—-—सो + मनिन्—खुश करना, शान्त करना, आराम पहुँचाना, तसल्ली देना
सामन् —नपुं॰—-—सो + मनिन्—सुलह करना, शान्ति के उपाय, समझौता-वार्ता करना
सामन् —नपुं॰—-—सो + मनिन्—शान्तिदायक या मृदु उपाय, शान्त या ढाढस बंधाने वाला-आचरण, मृदुवचन
सामन् —नपुं॰—-—सो + मनिन्—मृदुता, कोमलता
सामन् —नपुं॰—-—सो + मनिन्—छन्दोबद्ध सूक्त या प्रशंसात्मक गान
सामन् —नपुं॰—-—सो + मनिन्—सामवेद का मंत्र
सामन् —नपुं॰—-—सो + मनिन्—सामवेद
सामोद्भवः —पुं॰—सामन्-उद्भवः—-—हाथी
सामोपचारः —पुं॰—सामन्-उपचारः—-—मृदु और शान्ति देने वाले उपाय, कोमल या शान्त युक्तियाँ
सामोपायः —पुं॰—सामन्-उपायः—-—मृदु और शान्ति देने वाले उपाय, कोमल या शान्त युक्तियाँ
सामगः —पुं॰—सामन्-गः—-—सामवेद के मंत्रों का गायन करने वाला ब्राह्मण
सामज —वि॰—सामन्-ज—-—सामवेद से उत्पन्न
सामज —वि॰—सामन्-ज—-—शान्ति के उपायों से उद्भूत
सामजात —वि॰—सामन्-जात—-—सामवेद से उत्पन्न
सामजात —वि॰—सामन्-जात—-—शान्ति के उपायों से उद्भूत
सामजः —पुं॰—सामन्-जः—-—हाथी
सामजातः —पुं॰—सामन्-जातः—-—हाथी
सामयोनिः —पुं॰—सामन्-योनिः—-—ब्राह्मण
सामयोनिः —पुं॰—सामन्-योनिः—-—हाथी
सामवादः —पुं॰—सामन्-वादः—-—कृपावचन, मधुरशब्द
सामवेदः —पुं॰—सामन्-वेदः—-—चारों में से तीसरा वेद
सामन्त —वि॰—-—समन्त + अण्— सीमावर्ती, सरहदी, पड़ोसी
सामन्त —वि॰—-—समन्त + अण्—विश्वव्यापक
सामन्तः —पुं॰—-—समन्त + अण्—पड़ोसी
सामन्तः —पुं॰—-—समन्त + अण्—पड़ोस का राजा
सामन्तः —पुं॰—-—समन्त + अण्—मांडलिक, कर देने वाला राजा
सामन्तः —पुं॰—-—समन्त + अण्—नेता, नायक
सामन्तम् —नपुं॰—-—समन्त + अण्—पड़ोस
सामयिक —वि॰—-—समय + ठञ्—प्रथानुसारी, परम्परागत
सामयिक —वि॰—-—समय + ठञ्—सम्मत, प्रतिज्ञात
सामयिक —वि॰—-—समय + ठञ्—करार के अनुरुप, नियत समय का पालन करने वाला
सामयिक —वि॰—-—समय + ठञ्—समय पालक, वक्त का पाबन्द
सामयिक —वि॰—-—समय + ठञ्—ऋतु के अनुकूल, समय पर होने वाला
सामयिक —वि॰—-—समय + ठञ्—नियत समय पर होने वाला
सामयिक —वि॰—-—समय + ठञ्—अस्थायी
सामयिकाभावः —पुं॰—सामयिक-अभावः—-—अस्थायी अनिस्तित्व
सामर्थ्यम् —नपुं॰—-—समर्थ + ष्यञ्—शक्ति, बल, धारिता, ताकत
सामर्थ्यम् —नपुं॰—-—समर्थ + ष्यञ्—उद्देश्य की समानता
सामर्थ्यम् —नपुं॰—-—समर्थ + ष्यञ्—अर्थ की एकता
सामर्थ्यम् —नपुं॰—-—समर्थ + ष्यञ्—पर्याप्ति, योग्यता
सामर्थ्यम् —नपुं॰—-—समर्थ + ष्यञ्—शब्दार्थ शक्तिं, शब्द की अर्थमूलक शक्ति
सामर्थ्यम् —नपुं॰—-—समर्थ + ष्यञ्—हित, लाभ
सामर्थ्यम् —नपुं॰—-—समर्थ + ष्यञ्—दौलत
सामवायिक —वि॰—-—समवाये प्रसृतः ठञ्—किसी संग्रह या संघात से संबद्ध
सामवायिक —वि॰—-—समवाये प्रसृतः ठञ्—अटूट सम्बन्ध से युक्त
सामवायिकः —पुं॰—-—समवाये प्रसृतः ठञ्—मंत्री, पार्षद
सामाजिक —वि॰—-—समाजः-सभावेशनं प्रयोजनमस्य ठञ्—किसी सभा से संबद्ध
सामाजिकः —पुं॰—-—समाजः-सभावेशनं प्रयोजनमस्य ठञ्—किसी सभा का सदस्य, सभा में दर्शक
सामानाधिकरण्यम् —नपुं॰—-—समानाधिकरण + ष्यञ्—उसी दशा या स्थिति में होना
सामानाधिकरण्यम् —नपुं॰—-—समानाधिकरण + ष्यञ्—सामान्य पद, कार्य या प्रशासन, समान सम्बन्ध
सामानाधिकरण्यम् —नपुं॰—-—समानाधिकरण + ष्यञ्—एक ही पदार्थ से संबन्ध होने की स्थिति
सामान्य —वि॰—-—समानस्य भावः ष्यञ्—समान, साधारण
सामान्य —वि॰—-—समानस्य भावः ष्यञ्—सदृश, तुल्य, समान
सामान्य —वि॰—-—समानस्य भावः ष्यञ्—मामूली, औसत दर्जे का, बीच का
सामान्य —वि॰—-—समानस्य भावः ष्यञ्—तुच्छ, नाचीज, नगण्य
सामान्य —वि॰—-—समानस्य भावः ष्यञ्—समस्त, संपूर्ण
सामान्यम् —नपुं॰—-—समानस्य भावः ष्यञ्—समुदाय, साधारणता, विश्वव्यापकता
सामान्यम् —नपुं॰—-—समानस्य भावः ष्यञ्—सामान्य या संघटक गुण, साधारणलक्षण
सामान्यम् —नपुं॰—-—समानस्य भावः ष्यञ्—समष्टि, समस्तता
सामान्यम् —नपुं॰—-—समानस्य भावः ष्यञ्—भेद, प्रकार
सामान्यम् —नपुं॰—-—समानस्य भावः ष्यञ्—अनुरुपता
सामान्यम् —नपुं॰—-—समानस्य भावः ष्यञ्—समानता, समता
सामान्यम् —नपुं॰—-—समानस्य भावः ष्यञ्—सार्वजनिक कार्य
सामान्यम् —नपुं॰—-—समानस्य भावः ष्यञ्—साधारण उक्ति
सामान्यम् —नपुं॰—-—समानस्य भावः ष्यञ्—एक अलंकार जिसकी परिभाषा मम्मट ने निम्नांकित लिखी है-
सामान्यज्ञानम् —नपुं॰—सामान्य-ज्ञानम्—-—लोकविषयक व्यापक बातों का ज्ञान
सामान्यपक्षः —पुं॰—सामान्य-पक्षः—-—मध्यस्थिति
सामान्यलक्षणम् —नपुं॰—सामान्य-लक्षणम्—-—व्यापक परिभाषा
सामान्यवनिता —वि॰—सामान्य-वनिता—-—सामान्य स्त्री, वेश्या
सामान्यशास्त्रम् —नपुं॰—सामान्य-शास्त्रम्—-—साधारण नियम
सामासिक —वि॰—-—समास + ठक्—सामूहिक, समस्त को समझने वाला, समुच्चयात्मक
सामासिक —वि॰—-—समास + ठक्—संहत, संक्षिप्त
सामासिक —वि॰—-—समास + ठक्—समाससंबंधी
सामासिकम् —नपुं॰—-—समास + ठक्—सब प्रकार के समासों का वर्ग
सामि —अव्य॰—-—साम् + इन्—आधा, अर्थात् अपूर्ण
सामि —अव्य॰—-—साम् + इन्—कलंकनीय, नीच, निंदनीय
सामिधेनी —स्त्री॰—-—सम् + इन्ध् + ल्युट्, नि॰—एक प्रकार का प्रार्थना मंत्र जिनका पाठ यज्ञाग्नि प्रज्वलित करते समय या समिधाएँ हवन में डालते समय किया जाता हैं
सामीची —स्त्री॰—-—-—प्रशंसा, स्तुति
सामीप्यम् —नपुं॰—-—समीप + ष्यञ्—पड़ोस, निकटता, आसन्नता
सामीप्यः —पुं॰—-—समीप + ष्यञ्—पड़ोसी
सामुद्र —वि॰—-—समुद्र + अण्—समुद्र में उत्पन्न, समुद्रसंबंधी
सामुद्रः —पुं॰—-—समुद्र + अण्—नाविक, समुद्रयात्री
सामुद्रम् —नपुं॰—-—समुद्र + अण्—समुद्री नमक
सामुद्रम् —नपुं॰—-—समुद्र + अण्—समुद्र झाग
सामुद्रम् —नपुं॰—-—समुद्र + अण्—शरीर का चिह्न
सामुद्रकम् —नपुं॰—-—सामुद्र + कन्—समुद्री नमक
सामुद्रिक —वि॰—-—समुद्र + ठञ्—समुद्र से उत्पन्न, समुद्रसंबंधी
सामुद्रिक —वि॰—-—समुद्र + ठञ्—शरीर के चिह्नों से संबंद्ध
सामुद्रिकः —पुं॰—-—समुद्र + ठञ्—सामुद्रिक विद्या का ज्ञाता, जो शरीर के लक्ष्णों को देखकर शुभाशुभ फल का कथन करे
सामुद्रिकम् —नपुं॰—-—समुद्र + ठञ्—हस्त रेखाओं को देखकर शुभाशुभ फल कहने की विद्या
साम्पराय —वि॰—-—सम्पराय + अण्—युद्धसंबंधी, सामरिक
साम्पराय —वि॰—-—सम्पराय + अण्—परलोक संबंधी, भावी
साम्परायः —पुं॰—-—सम्पराय + अण्—संघर्ष, झगड़ा
साम्परायः —पुं॰—-—सम्पराय + अण्—भावीजीवन, भवितव्यता
साम्परायः —पुं॰—-—सम्पराय + अण्—परलोक प्राप्ति के उपाय
साम्परायः —पुं॰—-—सम्पराय + अण्—भावीजीवन संबंधी पृच्छा
साम्परायः —पुं॰—-—सम्पराय + अण्—पृच्छा, गवेषणा
साम्परायः —पुं॰—-—सम्पराय + अण्—अनिश्चय
साम्परायम् —नपुं॰—-—सम्पराय + अण्—संघर्ष, झगड़ा
साम्परायम् —नपुं॰—-—सम्पराय + अण्—भावीजीवन, भवितव्यता
साम्परायम् —नपुं॰—-—सम्पराय + अण्—परलोक प्राप्ति के उपाय
साम्परायम् —नपुं॰—-—सम्पराय + अण्—भावीजीवन संबंधी पृच्छा
साम्परायम् —नपुं॰—-—सम्पराय + अण्—पृच्छा, गवेषणा
साम्परायम् —नपुं॰—-—सम्पराय + अण्—अनिश्चय
साम्परायिक —वि॰—-—सम्पराय + ठक्—सामरिक
साम्परायिक —वि॰—-—सम्पराय + ठक्—सैनिक, सामरिक महत्त्व का
साम्परायिक —वि॰—-—सम्पराय + ठक्—विपत्तिकारक
साम्परायिक —वि॰—-—सम्पराय + ठक्—परलोकसंबंधी
साम्परायिकम् —नपुं॰—-—सम्पराय + ठक्—युद्ध, लड़ाई, संघर्ष
साम्परायिकः —पुं॰—-—सम्पराय + ठक्—लड़ाई का रथ
साम्परायिककल्पः —पुं॰—साम्परायिक-कल्पः—-—सामरिक महत्त्व का व्यूह
साम्प्रत —वि॰—-—-—योग्य, उचित, उपयुक्त
साम्प्रतम् —अव्य॰—-—-—अब, इस समय
साम्प्रतम् —अव्य॰—-—-—तत्काल
साम्प्रतम् —अव्य॰—-—-—ठीक प्रकार, उचित रीति से, ऋतु के अनुकूल
साम्प्रतिक —वि॰—-—सम्प्रति + ठक्—वर्तमान काल संबंधी
साम्प्रतिक —वि॰—-—सम्प्रति + ठक्—योग्य, उचित, सही
साम्प्रदायिक —वि॰—-—सम्प्रदाय + ठक्—परम्पराप्राप्त सिद्धान्त से संबंध, परम्पराप्राप्त, क्रमागत
साम्बः —पुं॰—-—सह अम्बया - ब॰ स॰—शिव का नाम
साम्बन्धिक —वि॰—-—सम्बन्ध + ठक्—संबंध से उत्पन्न
साम्बन्धिकम् —नपुं॰—-—-—संबंध, रिश्तेदारी, मित्रता
साम्बरी —स्त्री॰—-—सम्बर + अण् + ङीप्—लाल लोध्रवृक्ष
साम्बरी —स्त्री॰—-—सम्बर + अण् + ङीप्—शक्यता, संभावना
साम्यम् —नपुं॰—-—सम + ष्यञ्—बराबरी, समता, समतलता
साम्यम् —नपुं॰—-—सम + ष्यञ्—समानता, मिलना-जुलना, सादृश्य
साम्यम् —नपुं॰—-—सम + ष्यञ्—तु्ल्यता
साम्यम् —नपुं॰—-—सम + ष्यञ्—सांमजस्य, अन्तरभाव, निष्पक्षपातिता, ऐकमत्य
साम्राज्यम् —नपुं॰—-—सम्राज + ष्यञ्—विश्व प्रभुता,सार्वभौमराज्य
साम्राज्यम् —नपुं॰—-—सम्राज + ष्यञ्—पूर्णाधिपत्य, प्रभुत्व
सायः —पुं॰—-—सो + घञ्—अन्त, समाप्ति, अवसान
सायः —पुं॰—-—सो + घञ्—दिन की समाप्ति, संध्या
सायपुङ्खः —पुं॰—सायपुङ्खः—-—बाण का पंखीला भाग
सायनम् —नपुं॰—-—सो + ल्युट्—किसी ग्रह की लम्बाई जो बासन्ती-विषवीय बिन्दु से मापी जाती है
सायन्तन —वि॰—-—सायम् + टयुल्, तुट्—संध्यासंबंधी, सायंकाल
सायम् —वि॰—-—सो + अमु—सांयकाल के समय
सायङ्कालः —पुं॰—सायम्-कालः—-—संध्या, सांझ
सायमण्डनम् —नपुं॰—सायम्-मण्डनम्—-—सूर्य का छिपना
सायमण्डनम् —नपुं॰—सायम्-मण्डनम्—-—सूर्य
सायसन्ध्या —स्त्री॰—सायम् -संध्या—-—सायंकालीन झुटपुटा
सायम्संध्या —स्त्री॰—सायंसंध्या—-—सायंकालीन प्रार्थना
सायिन् —पुं॰—-—साय + इन्—घुड़सवार
सायुज्यम् —नपुं॰—-—सयुज + ष्यञ्—घनिष्ठ मेल, समरुपता, लीनता विशेषतः देवता में
सायुज्यम् —नपुं॰—-—सयुज + ष्यञ्—सादृश्य, समानता
सार —वि॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—आवश्यक
सार —वि॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—सर्वोत्तम, उच्चतम, श्रेष्ठ
सार —वि॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—वास्तविक, सच्चा, असली
सार —वि॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—मजबूत, बलवान्
सार —वि॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—ठोस, पूर्णतः सिद्ध
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—सत्, सत्त्व
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—निचोड़, रस
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—मज्जा
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—वास्तविक सच्चाई, मुख्यबिंदु
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—वृक्षों का रस, गोंद जैसा कि खदिरसार या सर्जसार में
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—सारांश, संक्षेप, संक्षिप्त, संग्रह
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—सामर्थ्य, बल, शक्ति, ऊर्जा
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—पराक्रम, शौर्य, साहस
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—दृढ़ता, कठोरता
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—धन, दौलत
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—अमृत
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—ताजा मक्खम
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—हवा, वायु
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—मलाई, दही की मलाई
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—रोग
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—मवाद, पीप
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—मूल्य, श्रेष्ठता, उच्चतम प्रत्यक्षज्ञान
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—शतरंज का मोहरा
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—सोडे का बिना छना अंगाराम्लयुक्त द्रव्य
सारः —पुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—अंग्रेजी के क्लाईमैक्स नामक अलंकार से मिलता जुलता एक अलंकार
सारम् —नपुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—जल
सारम् —नपुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—योग्यता, औचित्य
सारम् —नपुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—जंगल, झाड़-झंखाड
सारम् —नपुं॰—-—सृ + घञ्, सार + अच् वा—इस्पात, लोहा
सारासार —वि॰—सार-असार—-—मूल्य और निर्मूलता
सारासार —वि॰—सार-असार—-—मूलपदार्थ और रिक्तता
सारासार —वि॰—सार-असार—-—सामर्थ्य और कमजोर
सारासारम् —नपुं॰—सार-असारम्—-—मूल्य और निर्मूलता
सारासारम् —नपुं॰—सार-असारम्—-—मूलपदार्थ और रिक्तता
सारासारम् —नपुं॰—सार-असारम्—-—सामर्थ्य और कमजोर
सारगन्धः —पुं॰—सार-गन्धः—-—चन्दन की लकड़ी
सारग्रीवः —पुं॰—सार-ग्रीवः—-—शिव जी का नाम
सारजम् —नपुं॰—सार-जम्—-—ताजा मक्खन
सारतरुः —पुं॰—सार-तरुः—-—केले का पेड़
सारदा —स्त्री॰—सार-दा—-—सरस्वती का नाम
सारदा —स्त्री॰—सार-दा—-—दुर्गा का नाम
सारद्रुमः —पुं॰—सार-द्रुमः—-—खैर का पेड़
सारभङ्गः —पुं॰—सार-भङ्गः—-—बल की हानि
सारभाण्डः —पुं॰—सार-भाण्डः—-—एक प्राकृतिक वर्तन
सारभाण्डः —पुं॰—सार-भाण्डः—-—समान का गट्ठा, पण्यसामग्री
सारभाण्डः —पुं॰—सार-भाण्डः—-—उपकरण
सारलोहम् —नपुं॰—सार-लोहम्—-—इस्पात
सारघम् —नपुं॰—-—सरघाभिः निर्वृत्तम्….अण्—मधु, शहद
सारङ्ग —वि॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—चितकबरा, रंगबिरंगा
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—रंगबिरंगा रंग
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—चित्रमृग, कुरंग
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—हरिण
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—सिंह
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—हाथी
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—भौरां
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—कोयल
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—सारस
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—राजहंस
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—मोर
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—छतरी
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—बादल
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—परिधान
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—बाल
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—शंख
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—शिव का नाम
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—कामदेव
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—कमल
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—कपूर
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—धनुष
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—चन्दन
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—एक प्रकार का वाद्ययंत्र
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—आभूषण
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—सोना
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—पृथ्वी
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—रात
सारङ्गः —पुं॰—-—सृ + अङ्गच् + अण्—प्रकाश
सारङ्गिकः —पुं॰—-—सारङ्गं हन्ति - ठक्—बहेलिया, चिड़ीमार
सारङ्गी —स्त्री॰—-—सारङ्ग + ङीप्—एक प्रकार का वाद्ययंत्र, सितार, वायलिन
सारङ्गी —स्त्री॰—-—सारङ्ग + ङीप्—चित्तीदार हरिण
सारण —वि॰—-—सृ + णिच् + ल्युट्—भेजना, बहाना
सारणः —पुं॰—-—सृ + णिच् + ल्युट्—पेचिस, पेंबदी बेर
सारणम् —नपुं॰—-—सृ + णिच् + ल्युट्—एक प्रकार का गंधद्रव्य
सारणा —स्त्री॰—-—सृ + णिच् + युच् + टाप्—धातुओं की विशेष कर पारे की एक प्रकार की प्रक्रिया
सारणिः —स्त्री॰—-—सृ + णिच् + अनि—नहर, नाली, पतनाला, जलमार्ग
सारणिः —स्त्री॰—-—सृ + णिच् + अनि—एक छोटी नदी
सारणी —स्त्री॰—-—सृ + णिच् + ङीष्—नहर, नाली, पतनाला, जलमार्ग
सारणी —स्त्री॰—-—सृ + णिच् + ङीष्—एक छोटी नदी
सारण्डः —पुं॰—-—सृ + णिच् + अण्ड्—साँप का अण्डा
सारतः —अव्य॰—-—सार + तसिल्—धन के अनुसार
सारतः —अव्य॰—-—सार + तसिल्—बलपूर्वक
सारथिः —पुं॰—-—सृ + अथिण् सह रथेन सरथः घोटकः तत्र नियुक्तः इञ् वा—रथवान
सारथिः —पुं॰—-—सृ + अथिण् सह रथेन सरथः घोटकः तत्र नियुक्तः इञ् वा—साथी, सहायक
सारथिः —पुं॰—-—सृ + अथिण् सह रथेन सरथः घोटकः तत्र नियुक्तः इञ् वा—समुद्र
सारथ्यम् —नपुं॰—-—सारथि + ष्यञ्—रथवान् का पद, गाड़ीवान् का पद
सारमेयः —पुं॰—-—सरमा + ढक्—कुत्ता
सारमेयी —स्त्री॰—-—सारमेय - ङीप्—कुतिया
सारल्यम् —नपुं॰—-—सरल + ष्यञ्—सरलता
सारल्यम् —नपुं॰—-—सरल + ष्यञ्—सीधापन, ईमानदारी, खरापन
सारवत् —वि॰—-—सार + मतुप्—तत्त्वयुक्त
सारवत् —वि॰—-—सार + मतुप्—उपजाऊ
सारवत् —वि॰—-—सार + मतुप्—रसीला
सारस —वि॰—-—सरस इदम् अण्—सरोवर संबंधी
सारसः —पुं॰—-—सरस इदम् अण्—सारस
सारसः —पुं॰—-—सरस इदम् अण्—पक्षी
सारसः —पुं॰—-—सरस इदम् अण्—चन्द्रमा
सारसम् —नपुं॰—-—सरस इदम् अण्—कमल
सारसम् —नपुं॰—-—सरस इदम् अण्—स्त्री की तगड़ी
सारसनम् —नपुं॰—-—सार + सन् + अच्—तगड़ी, करधनी
सारसनम् —नपुं॰—-—सार + सन् + अच्—सैनिक पेटी
सारशनम् —नपुं॰—-—सार + सन् + अच्—तगड़ी, करधनी
सारशनम् —नपुं॰—-—सार + सन् + अच्—सैनिक पेटी
सारस्वत —वि॰—-—सरस्वती देवतास्य, सरस्वत्या इदं वा अण्—सरस्वती देवी से संबंध
सारस्वत —वि॰—-—सरस्वती देवतास्य, सरस्वत्या इदं वा अण्—सरस्वती नदी से संबंध रखने वाला
सारस्वत —वि॰—-—सरस्वती देवतास्य, सरस्वत्या इदं वा अण्—वाक्पटु
सारस्वतः —पुं॰—-—सरस्वती देवतास्य, सरस्वत्या इदं वा अण्—सरस्वती नदी के आस पास का प्रदेश
सारस्वतः —पुं॰—-—सरस्वती देवतास्य, सरस्वत्या इदं वा अण्—ब्राह्मण जाति का एक भेद
सारस्वतः —पुं॰—-—सरस्वती देवतास्य, सरस्वत्या इदं वा अण्—बिल्वदण्ड
सारस्वताः —पुं॰ ब॰ व॰—-—सरस्वती देवतास्य, सरस्वत्या इदं वा अण्—सारस्वत देश के निवासी
सारस्वतम् —नपुं॰—-—सरस्वती देवतास्य, सरस्वत्या इदं वा अण्—भाषण, वाक्पटुता
सारालः —पुं॰—-—सार + आ + ला + क—तिल का पौधा
सारिः —स्त्री॰—-—सृ + इण्—शतरंज का मोहरा, गोट
सारिः —स्त्री॰—-—सृ + इण्—एक प्रकार का पक्षी
सारी —स्त्री॰—-—सृ + इण्+ङीप्—शतरंज का मोहरा, गोट
सारी —स्त्री॰—-—सृ + इण्+ङीप्—एक प्रकार का पक्षी
सारिफलकः —पुं॰—सारि-फलकः—-—शतरंज खेलने की विसात
सारिका —स्त्री॰—-—सरति गच्छति - सृ + ण्वुल् + टाप्, इत्वम्—एक प्रकार का पक्षी, मैना
सारिन् —वि॰—-—सृ + णिनि—जाने वाला, सहारा लेने वाला
सारिन् —वि॰—-—सृ + णिनि—तत्त्वयुक्त, सारवान्
सारुप्यम् —नपुं॰—-—सरुप + ष्यञ्—रुप की समता, समानता, सादृश्य, सरुपता, मिलना-जुलना
सारुप्यम् —नपुं॰—-—सरुप + ष्यञ्—देव में लीनता
सारुप्यम् —नपुं॰—-—सरुप + ष्यञ्—रुपसादृश्यजन्य भ्रम मेंकिया जाने वाला व्यवहार
सारुप्यम् —नपुं॰—-—सरुप + ष्यञ्—किसी पदार्थ को या उससे मिलती जुलती सूरत को देखकर आश्चर्य
सारोष्ट्रिकः —पुं॰—-—सारः श्रेष्ठः उष्ट्रो यत्र, सारोष्ट्रः देशभेदः तत्र भवः - सारोष्ट्र + ठक्—एक प्रकार का विष
सार्गल —वि॰—-—सह अर्गलेन - ब॰ स॰—रोका हुआ, अवरुद्ध, अड़चन वाला
सार्थ —वि॰—-—सह अर्थेन - ब॰ स॰—अर्थयुक्त, सार्थक
सार्थ —वि॰—-—सह अर्थेन - ब॰ स॰—सोद्देश्य
सार्थ —वि॰—-—सह अर्थेन - ब॰ स॰—समानार्थक, समानाशय
सार्थ —वि॰—-—सह अर्थेन - ब॰ स॰—उपयोगी
सार्थ —वि॰—-—सह अर्थेन - ब॰ स॰—कामलायक
सार्थ —वि॰—-—सह अर्थेन - ब॰ स॰—धनवान, दौलतमंद, मालदार
सार्थः —पुं॰—-—सह अर्थेन - ब॰ स॰—धनवान पुरुष्
सार्थः —पुं॰—-—सह अर्थेन - ब॰ स॰— सौदागरों की टोली, व्यापारियों का दल
सार्थः —पुं॰—-—सह अर्थेन - ब॰ स॰—दल
सार्थः —पुं॰—-—सह अर्थेन - ब॰ स॰—लहंडा, रेवड़
सार्थः —पुं॰—-—सह अर्थेन - ब॰ स॰—संचय, संग्रह
सार्थः —पुं॰—-—सह अर्थेन - ब॰ स॰—तीर्थयात्रियों की टोली में से एक
सार्थज —वि॰—सार्थ-ज—-—काफले में पला हुआ
सार्थवाहः —पुं॰—सार्थ-वाहः—-—काफले का नेता, व्यापारी, सौदागार
सार्थक —वि॰—-—सह अर्थेन - ब॰ स॰ कप्—अर्थयुक्त, अर्थपूर्ण
सार्थक —वि॰—-—सह अर्थेन - ब॰ स॰ कप्—उपयोगी, कामचलाऊ, लाभदायक
सार्थवत् —वि॰—-—सार्थ + मतुप्—अर्थयुक्त, अर्थपूर्ण
सार्थवत् —वि॰—-—सार्थ + मतुप्—बहुत साथियों से युक्त
सार्थिकः —पुं॰—-—सार्थ + ठक्—व्यापारी, सौदागर
सार्द्र —वि॰—-—सह आद्रेण - ब॰ स॰—गीला, भीगा, तर, सीला
सार्ध —वि॰—-—सह अर्धेन - ब॰ स॰—जिसमें आधा बढ़ा हुआ हो, जिसमें आधा जुड़ा हुआ हो, जिसमें आधा अधिक हो
सार्धम् —अव्य॰—-—सह + ऋध् + अमु—साथ साथ, के साथ, के साथ में
सार्पः —पुं॰—-—सर्पो देवताऽस्य सर्प + अण्, ष्यञ् वा—आश्लेषा नाम का नक्षत्रपुंज
सार्प्यः —पुं॰—-—सर्पो देवताऽस्य सर्प + अण्, ष्यञ् वा—आश्लेषा नाम का नक्षत्रपुंज
सार्पिष —वि॰—-—सर्पिस् + अण्, ठक् वा—घी में तला हुआ, घी मिश्रित
सार्पिष्क —वि॰—-—सर्पिस् + अण्, ठक् वा—घी में तला हुआ, घी मिश्रित
सार्वकामिक —वि॰—-—सर्वकाम + ठक्—प्रत्येक इच्छा को शान्त करने वाला, समस्त कामनाओं को
सार्वकालिक —वि॰—-—सर्वकाल + ठक्—नित्य, शाश्वत, सदैव रहने वाला
सार्वजनिक —वि॰—-—सर्वजन + ठक्, खञ् वा—सर्वजन व्यापक, विश्वव्यापी, सर्वसाधारण संबंधी
सार्वजनिन —वि॰—-—सर्वजन + ठक्, खञ् वा—सर्वजन व्यापक, विश्वव्यापी, सर्वसाधारण संबंधी
सार्वज्ञम् —नपुं॰—-—सर्वज्ञ + अण्—सर्वज्ञता, सबकुछ जानना
सार्वत्रिक —वि॰—-—सर्वत्र + ठक्—प्रत्येक स्थान का, सामान्य, सब स्थानों या परिस्थितियों से संबंध रखने वाला
सार्वधातुक —वि॰—-—सर्वधातु + ठक्—संपूर्ण धातुओं में व्यवहृत होने वाला, गण विकरण लगाने के पश्चात् धातु के समस्त रुप में घटने वाला, अर्थात् चार गण और चार लकारों के साथ प्रयुक्त होने वाला
सार्वधातुकम् —नपुं॰—-—सर्वधातु + ठक्—चार लकारों के तिङादि प्रत्यय
सार्वभौतिक —वि॰—-—सर्वभूत + ठक्—सभी मूलतत्त्वों या प्राणियों से संबंध रखने वाला
सार्वभौतिक —वि॰—-—सर्वभूत + ठक्—सभी जीवधारी जन्तुओं से युक्त
सार्वभौम —वि॰—-—सर्वभूमि + अण्—समस्त धरती से संबंध या युक्त, विश्वव्यापी
सार्वभौमः —पुं॰—-—सर्वभूमि + अण्—सम्राट, चक्रवर्ती राजा
सार्वभौमः —पुं॰—-—सर्वभूमि + अण्—कुबेर की दिशा, उत्तर दिशा का दिक्कुञ्जर
सार्वलौकिक —वि॰—-—सर्वलोक + ठञ्—सब लोकों का ज्ञात, समस्त संसार में व्याप्त, सार्वजनिक, विश्वव्यापी
सार्ववर्णिक —वि॰—-—सर्ववर्ण + ठक्—प्रत्येक प्रकार का, हर तरह का
सार्ववर्णिक —वि॰—-—सर्ववर्ण + ठक्—प्रत्येक जाति या वर्ग से संबंध रखने वाला
सार्वविभक्तिक —वि॰—-—सर्व विभक्ति + ठञ्—किसी शब्द की सभी विभक्तियों में घटने वाला, सभी विभक्तियों से संबंद्ध
सार्ववेदसः —पुं॰—-—सर्ववेदस् + अण्—जो किसी यज्ञ या अन्य पुण्यकार्य में अपना समस्त धन दे देता है
सार्ववैद्यः —पुं॰—-—सर्ववेद + ष्यञ्—सभी वेदों का ज्ञाता ब्राह्मण
सार्षप —वि॰—-—सर्षप + अण्—सरसों का बना हुआ
सार्षपम् —नपुं॰—-—सर्षप + अण्—सरसों का तेल
सार्ष्टि —वि॰—-—-—समान स्थान, दशा, या पद से युक्त समान अधिकार रखने वाला
सार्ष्टिता —स्त्री॰—-—सार्ष्टि + तल + टाप्—पद अधिकार व अवश्यकताओं में समानता
सार्ष्टिता —स्त्री॰—-—सार्ष्टि + तल + टाप्—शक्ति में तथा अन्य विशेषताओं में परमात्मा से समानता, मुक्ति की चार अवस्थों में से अन्तिम अवस्था
साष्टर्यम् —नपुं॰—-—सार्ष्टि + ष्यञ्—चौथे दर्जे की मुक्ति
सालः —पुं॰—-—सल् + घञ्—एक वृक्ष का नाम, या उसकी राल
सालः —पुं॰—-—सल् + घञ्—वृक्ष
सालः —पुं॰—-—सल् + घञ्—किसी भवन की चार दिवारी या फसील, परकोटा
सालः —पुं॰—-—सल् + घञ्—भीत, दीवार
सालः —पुं॰—-—सल् + घञ्—एक प्रकार की मछली
सालनः —पुं॰—-—साल + णिच् + ल्युट्—साल वृक्ष का राल
साला —स्त्री॰—-—सालः प्राकारोऽस्ति अस्याः - साल + अच् + टाप्—दीवार, फसील
साला —स्त्री॰—-—सालः प्राकारोऽस्ति अस्याः - साल + अच् + टाप्—घर, मकान
सालाकरी —स्त्री॰—साला-करी—-—घर में कार्य करने वाला
सालाकरी —स्त्री॰—साला-करी—-—बन्दी
सालावृकः —पुं॰—साला-वृकः—-—कुत्ता
सालावृकः —पुं॰—साला-वृकः—-—भेड़िया हरिण
सालावृकः —पुं॰—साला-वृकः—-—बिल्ली
सालावृकः —पुं॰—साला-वृकः—-—गीदड़
सालावृकः —पुं॰—साला-वृकः—-—बन्दर
सालारम् —नपुं॰—-—साला + ऋ + अण्—दीवार में गड़ी खूंटी, ‘ब्रैकेट’
सालूरः —पुं॰—-—सल् + उरच्, णित्त्व, वृद्धि—मेंढक
सालेयम् —नपुं॰—-—साला + ढक्—सोआ, मेथी
सालोक्यम् —नपुं॰—-—समानो लोकोऽस्य - व॰ स॰ सलोक + ष्यञ्—उसी लोक या संसार में दूसरे के साथ रहना
सालोक्यम् —नपुं॰—-—समानो लोकोऽस्य - व॰ स॰ सलोक + ष्यञ्—उसी स्वर्ग में देवता के साथ रहना
साल्वः —पुं॰—-—साल्व + अण्—एक देश का नाम, उसके निवासियों क नाम
साल्वः —पुं॰—-—साल्व + अण्—एक राक्षस का नाम जिसको विष्णु ने मार गिराय था
साल्वहन् —पुं॰—साल्व-हन्—-—विष्णु का विशेषण
साल्विकः —पुं॰—-—साल्व + ठक्—सारिका नामक पक्षी, मैना
सावः —पुं॰—-—सु + घञ्—तर्पण
सावक —वि॰—-—सु + ण्वुल्—उत्पादक, जन्म देने वाला, प्रसवसम्बन्धी
सावकः —पुं॰—-—सु + ण्वुल्—जानवर का बच्चा
सावकाश —वि॰—-—सह अवकाशेन - ब॰ स॰—जिसको अवकाश हो, अवकाश वाला, खाली
सावकाशम् —अव्य॰—-—-—अवकाश पाकर, अपनी सुविधानुकूल
सावग्रह —वि॰—-—अवग्रहेण सह - ब॰ स॰—‘अवग्रह’ चिह्न से युक्त
सावज्ञ —वि॰—-—सह अवज्ञया - ब॰ स॰—घृणा करने वाला, तिरस्कारपूर्ण, अपमान अनुभव करने वाला
सावद्यम् —नपुं॰—-—अवद्येन सह - ब॰ स॰—सन्यासी के द्वारा प्राप्य
सावधान —वि॰—-—अवधानेन सह - ब॰ स॰—ध्यान देने वाला, दत्तचित्त, सचेत, खबरदार
सावधान —वि॰—-—अवधानेन सह - ब॰ स॰—चौकस
सावधान —वि॰—-—अवधानेन सह - ब॰ स॰—परिश्रमी
सावधानम् —अव्य॰—-—-—सावधानता से ध्यानपूर्वक, चौकस होकर
सावधि —वि॰—-—सह अवधिना - ब॰ स॰—सीमायुक्त, सीमित, समापिका, परिभाषित, सीमाबद्ध
सावन —वि॰—-—सवन + अण्—तीनों सवनों से युक्त या संबद्ध
सावनः —पुं॰—-—सवन + अण्—यजमान, जो यज्ञ में पुरोहित का वरण करता है
सावनः —पुं॰—-—सवन + अण्—यज्ञ का उपसंहार, वह संस्कार जिसके द्वारा यज्ञ की पूर्णाहुति दी जाती हैं
सावनः —पुं॰—-—सवन + अण्—वरुण का नाम
सावनः —पुं॰—-—सवन + अण्—तीस सौरदिवस का मास
सावनः —पुं॰—-—सवन + अण्—सूर्योदय से सूर्यास्त तक का दिन
सावनः —पुं॰—-—सवन + अण्— विशेष वर्ष
सावयव —वि॰—-—सह अवयवेन - ब॰ स॰—भागों या अंगों से बना हुआ
सावरः —पुं॰—-—सवरेण निर्वृत्तः अण्—दोष, अपराध
सावरः —पुं॰—-—सवरेण निर्वृत्तः अण्—पाप, दुष्टता, जुर्म
सावरः —पुं॰—-—सवरेण निर्वृत्तः अण्—लोध्र वृक्ष
सावरण —वि॰—-—सह आवरणेन - ब॰ स॰—गूढ़, गुप्त, रहस्य
सावरण —वि॰—-—सह आवरणेन - ब॰ स॰—ढका हुआ, बन्द
सावर्ण —वि॰—-—सवर्ण + अण्—एक ही रंग का, एक ही जाति का, एक ही रंग या जाति से संबद्ध
सावर्णः —पुं॰—-—सवर्ण + अण्—आठवें मनु का मातृपरक नाम
सावर्णलक्ष्यम् —नपुं॰—सावर्ण-लक्ष्यम्—-—एक ही रंग या जाति का चिह्न
सावर्णलक्ष्यम् —नपुं॰—सावर्ण-लक्ष्यम्—-—त्वचा, खाल
सावर्णिः —पुं॰—-—सवर्णा + इञ्—आठवें मनु का मातृपरक नाम
सावर्ण्यम् —नपुं॰—-—सवर्ण + ष्यञ्—रंग की एकता
सावर्ण्यम् —नपुं॰—-—सवर्ण + ष्यञ्—किसी श्रेणी या जाति की एकता
सावर्ण्यम् —नपुं॰—-—सवर्ण + ष्यञ्—आठवें मनु द्वारा अधिष्ठित मन्वन्तर
सावलेप —वि॰—-—सह अवलेपेन—अभिमानपूर्ण, घमंडी, हेकड़वान
सावलेपम् —अव्य॰—-—-—घमंड से, हेकड़ी के साथ, अहंकारपूर्वक
सावशेष —वि॰—-—सह अवशेषेण - ब॰ स॰—अवशिष्ट से युक्त, जिसमें कुछ बाकी बचे
सावशेष —वि॰—-—सह अवशेषेण - ब॰ स॰—अपूर्ण, अधूरा, असमाप्त
सावष्टम्भ —वि॰—-—सह अवष्टम्भेन - ब॰ स॰—घमंडी, प्रतिष्ठित, उत्कृष्ट, शानदार
सावष्टम्भ —वि॰—-—सह अवष्टम्भेन - ब॰ स॰—साहसी, दृढ़निश्चयी
सावष्टम्भ —वि॰—-—सह अवष्टम्भेन - ब॰ स॰—दृढ़ता से पूर्ण
सावष्टम्भम् —अव्य॰—-—-—दृढ़निश्चय के साथ, दृढ़तापूर्वक, साहस के साथ
सावहेल —वि॰—-—सह अवहेलया - ब॰ स॰—तिरस्कारपूर्ण निरादर करने वाला, घृणा करने वाला
सावहेलम् —अव्य॰—-—-—निरादर के साथ, घृणापूर्वक
साविका —स्त्री॰—-—सू + ण्वुल + टाप्, इत्वम्—दाई, प्रसव के समय प्रसूता की देखभाल करने वाली
सावित्र —वि॰—-—सवित्रृ + अण्—सूर्य संबंधी
सावित्र —वि॰—-—सवित्रृ + अण्—सूर्य की सन्तान, सूर्यवंश से संबंद्ध
सावित्र —वि॰—-—सवित्रृ + अण्—गायत्री मंत्र से युक्त
सावित्रः —पुं॰—-—सवित्रृ + अण्—सूर्य
सावित्रः —पुं॰—-—सवित्रृ + अण्—भ्रूण, गर्भ
सावित्रः —पुं॰—-—सवित्रृ + अण्—ब्राह्मण
सावित्रः —पुं॰—-—सवित्रृ + अण्—शिव का विशेषण
सावित्रः —पुं॰—-—सवित्रृ + अण्—कर्ण का विशेषण
सावित्रम् —नपुं॰—-—सवित्रृ + अण्—यज्ञोपवीत संस्कार
सावित्री —स्त्री॰—-—सावित्र + ङीप्—प्रकाश की किरण
सावित्री —स्त्री॰—-—सावित्र + ङीप्—ऋग्वेद का एक मंत्र इसे गायत्री भी कहते है
सावित्री —स्त्री॰—-—सावित्र + ङीप्—यज्ञोपवीत संस्कार
सावित्री —स्त्री॰—-—सावित्र + ङीप्—ब्राह्मण की पत्नी
सावित्री —स्त्री॰—-—सावित्र + ङीप्—पार्वती
सावित्री —स्त्री॰—-—सावित्र + ङीप्—कश्यप की पत्नी
सावित्री —स्त्री॰—-—सावित्र + ङीप्—शाल्व देश के राजा सत्यवान की पत्नी
सावित्रीपतित —पुं॰—सावित्री-पतित—-—पहले तीनों वर्णों में से किसी एक वर्ण का पुरुष जिसका समय पर यज्ञोपवीत संस्कार न हुआ हो
सावित्रीपरिभ्रष्ट —पुं॰—सावित्री-परिभ्रष्ट—-—पहले तीनों वर्णों में से किसी एक वर्ण का पुरुष जिसका समय पर यज्ञोपवीत संस्कार न हुआ हो
सावित्रीव्रतम् —नपुं॰—सावित्री-व्रतम्—-—ज्येष्ठमास के शुक्लपक्ष के अन्तिम तीन दिनों का व्रत जिसे आर्य ललनाएँ विशेष रुप से वैधव्य से बचने के लिए रखती हैं ।
साविष्कार —वि॰—-—सह आविष्कारेण - ब॰ स॰—घमंडी, अहंकार
साविष्कार —वि॰—-—सह आविष्कारेण - ब॰ स॰—प्रकट
साशंस —वि॰—-—सह आशंसया - ब॰ स॰—कामना और उत्कण्ठा से पूर्ण, इच्छुक, आशावान, प्रत्याशी
साशंसम् —अव्य॰—-—-—कामना पूर्वक, आशा से
साशङ्क —वि॰—-—सह आशंङ्कया - ब॰ स॰—डर अनुभव करने वाला, आशंका करने वाला, डरा हुआ, चकित
साशयन्दकः —पुं॰—-—-—एक छोटी छिपकली
साशूकः —पुं॰—-—-—गलकंबल, सास्ना
साश्चर्य —वि॰—-—सह आश्चर्येण - ब॰ स॰—आश्चर्यजनक, विलक्षण
साश्चर्य —वि॰—-—सह आश्चर्येण - ब॰ स॰—आश्चर्यचकित
साश्चर्यम् —अव्य॰—-—-—आश्चर्य के साथ, अद्भुत प्रकार से
साश्र —वि॰—-—सह अश्रेण—कोन या किनारों से युक्त, कोणदार
साश्र —वि॰—-—सह अश्रेण—आँसू से भरा हुआ, रोता हुआ
सास्र —वि॰—-—सह अश्रेण -—कोन या किनारों से युक्त, कोणदार
सास्र —वि॰—-—सह अश्रेण -—आँसू से भरा हुआ, रोता हुआ
साश्रुधी —स्त्री॰—-—साश्रु ध्यायति - साश्रु + ध्यै + क्विप्, संप्रसारण—सास, पति या पत्नी की माता
साष्टाङ्गम् —अव्य॰—-—सह अष्टाङ्गैः - ब॰ स॰—लंबा दण्डवत् लेटकर
सास —वि॰—-—सह आसेन—धनुर्धारी
सासुसू —वि॰—-—-—बाण धारण करने वाला
सासूय —वि॰—-—सह असूयया—डाह करने वाला, ईर्ष्यालु, तिरस्कारपूर्ण
सासूयम् —अव्य॰—-—-—डाह के साथ, रोषपूर्वक तिरस्कार के साथ
सास्ना —स्त्री॰—-—सस् + न, णित् वृद्धि—गाय या बैल का गलकम्बल
साहचर्यम् —नपुं॰—-—सहचर + ष्यञ्—साथ, साथीपना, साथ रहना, साथ साथ बसना, सहवर्तिता
साहनम् —नपुं॰—-—सह् + णिच् + ल्युट्—सहन करना, भुगतना
साहसम् —नपुं॰—-—सहसा बलेन निर्वृत्तम् अण्—प्रचण्डता, बल, लूटखसोट
साहसम् —नपुं॰—-—सहसा बलेन निर्वृत्तम् अण्—कोई भी घोर अपराध, जघन्य अपराध, अग्रधर्षणपरक कार्य
साहसम् —नपुं॰—-—सहसा बलेन निर्वृत्तम् अण्—क्रूरता, अत्याचार
साहसम् —नपुं॰—-—सहसा बलेन निर्वृत्तम् अण्—हिम्मत, दिलेरी उग्र शौर्य
साहसम् —नपुं॰—-—सहसा बलेन निर्वृत्तम् अण्—साहसिकता, उतावलापन, औद्धत्य, अविमृश्यकारिता, साहसिक कार्य
साहसम् —नपुं॰—-—सहसा बलेन निर्वृत्तम् अण्—सजा, दण्ड, जुर्माना
साहसाङ्कः —पुं॰—साहसम्-अङ्कः—-—राजा विक्रमादित्य का विशेषण
साहसाङ्कः —पुं॰—साहसम्-अङ्कः—-—एक कवि का विशेषण
साहसाङ्कः —पुं॰—साहसम्-अङ्कः—-—एक कोशकार का विशेषण
साहसाध्यवसायिन् —वि॰—साहसम्-अध्यवसायिन्—-—उतावली या जल्दबाजी करने वाला
साहसैकरसिक —वि॰—साहसम्-ऐकरसिक—-—नितान्त प्रचण्डता पर तुला हुआ, भीषण, क्रूर
साहसकारिन् —वि॰—साहसम्-कारिन्—-—दिलेर, बेधड़क
साहसकारिन् —वि॰—साहसम्-कारिन्—-—जल्दबाज, अविवेकी
साहसलाञ्छन —वि॰—साहसम्-लाञ्छन—-— जिसमें साहस परिचायक के रुप में हों
साहसिक —वि॰—-—साहसे प्रसृतः ठक्—बहुत अधिक जोर लगाने वाला, नृशंस, प्रचण्ड, उत्पीडक, क्रूर, लूट-खसोट करने वाला
साहसिक —वि॰—-—साहसे प्रसृतः ठक्—हिम्मती, दिलेर, निर्भीक, विचारशून्य, उद्धत
साहसिक —वि॰—-—साहसे प्रसृतः ठक्—दण्डमूलक, दण्डात्मक
साहसिकः —पुं॰—-—साहसे प्रसृतः ठक्—हिम्मतवर, दिलेर, उद्यमी
साहसिकः —पुं॰—-—साहसे प्रसृतः ठक्—आततायी, भयंकर, भीषण
साहसिकः —पुं॰—-—साहसे प्रसृतः ठक्—लुटेरा, लूटमार करने वाला, डाकू
साहसिन् —वि॰—-—साहस + इनि—प्रचण्ड, उग्र, भीषण, क्रूर
साहसिन् —वि॰—-—साहस + इनि—हिम्मती, दिलेर, जल्दबाज, आशुकर्ता
साहस्र —वि॰—-—सहस्र + अण्—हजार से संबंध रखने वाला
साहस्र —वि॰—-—सहस्र + अण्—हजार से युक्त
साहस्र —वि॰—-—सहस्र + अण्—एक हजार में मोल लिया हुआ
साहस्र —वि॰—-—सहस्र + अण्—प्रति हजार दिया हुआ
साहस्र —वि॰—-—सहस्र + अण्—हजार गुना
साहस्रः —पुं॰—-—सहस्र + अण्—एक हजार सैनिकों की टुकड़ी
साहस्रम् —नपुं॰—-—सहस्र + अण्—एक हजार का समूह
साहायकम् —नपुं॰—-—सहाय + वुण्—सहायता, साहाय्य, मदद
साहायकम् —नपुं॰—-—सहाय + वुण्—सहचरत्व, मैत्री, सौर्हाद
साहायकम् —नपुं॰—-—सहाय + वुण्—मित्रमंडली
साहायकम् —नपुं॰—-—सहाय + वुण्—सहायक सेना
साहाय्यम् —नपुं॰—-—सहाय + ष्यञ्—सहायता, मदद, सहकार
साहाय्यम् —नपुं॰—-—सहाय + ष्यञ्—सौहार्द, मैत्री
साहित्यम् —नपुं॰—-—सहित + ष्यञ्—साहचर्य, भाईचारा, मेलमिलाप, सहयोगिता
साहित्यम् —नपुं॰—-—सहित + ष्यञ्—साहित्यिक या आलंकारिक रचना
साहित्यम् —नपुं॰—-—सहित + ष्यञ्—रीतिशास्त्र, काव्यकला
साहित्यम् —नपुं॰—-—सहित + ष्यञ्—किसी वस्तु के उत्पादन या सम्पन्नता के लिए सामग्री का संग्रह
साह्यम् —नपुं॰—-—सह + ष्यञ्—संयोजन, मेल, साहचर्य, सहयोग
साह्यम् —नपुं॰—-—सह + ष्यञ्—सहायता, मदद
साह्यकृत् —पुं॰—साह्यम्-कृत्—-—साथी
साह्वयः —पुं॰—-—सह आह्वयेन - ब॰ स॰—जानवरों की लड़ाई करा कर जूआ खेलना
सि —स्वा॰ क्रया॰ उभ॰ <सिनोति> <सिनुते> <सिनाति> <सनीते>—-—-—बांधना, कसना, जकड़ना
सि —स्वा॰ क्रया॰ उभ॰ <सिनोति> <सिनुते> <सिनाति> <सनीते>—-—-—जाल में फँसना
सिंहः —पुं॰—-—हिंस् + अच्, पृषो॰—शेर
सिंहः —पुं॰—-—हिंस् + अच्, पृषो॰—‘सिंह’ राशि का चिह्न
सिंहः —पुं॰—-—हिंस् + अच्, पृषो॰—सर्वोत्तम, श्रेणी में प्रमुख, उदा॰ रघुसिंह, पुरुषसिंह
सिंहावलोकनम् —नपुं॰—सिंह-अवलोकनम्—-—शेर का पीछे मुड़कर देखना
सिंहावलोकनन्यायः —पुं॰—सिंहावलोकनम्-न्यायः—-—सिंहावलोकन का न्याय, वस्तु का प्रायः पूर्ववर्ती और पारवर्ती संबंध बतलाने के लिए प्रयुक्त, व्याख्या के लिए ‘न्याय’ के अन्तर्गत देखिए
सिंहासनम् —नपुं॰—सिंह-आसनम्—-—राजगद्दी, सम्मान का आसन
सिंहासनः —पुं॰—सिंह-आसनः—-—एक प्रकार का रतिबंध
सिंहास्यः —पुं॰—सिंह-आस्यः—-—हाथों की विशेष स्थिति
सिंहगः —पुं॰—सिंह-गः—-—शिव का विशेषण
सिंहतलम् —नपुं॰—सिंह-तलम्—-—अंजलि
सिंहतुण्डः —पुं॰—सिंह-तुण्डः—-—एक प्रकार की मछली
सिंहदंष्ट्रः —पुं॰—सिंह-दंष्ट्रः—-—शिव का विशेषण
सिंहदर्प —वि॰—सिंह-दर्प—-—शेर की भाँति गर्वीला
सिंहध्वनिः —पुं॰—सिंह-ध्वनिः—-—शेर की दहाड़
सिंहध्वनिः —पुं॰—सिंह-ध्वनिः—-—युद्ध-ध्वनि ललकार
सिंहनादः —पुं॰—सिंह-नादः—-—शेर की दहाड़
सिंहनादः —पुं॰—सिंह-नादः—-—युद्ध-ध्वनि ललकार
सिंहद्वारम् —नपुं॰—सिंह-द्वारम्—-—मुख्य दरवाजा
सिंहयाना —स्त्री॰—सिंह-याना—-—पार्वती देवी
सिंहरथा —स्त्री॰—सिंह-रथा—-—पार्वती देवी
सिंहलीलः —पुं॰—सिंह-लीलः—-—एक प्रकार का संभोग
सिंहवाहनः —पुं॰—सिंह-वाहनः—-—शिव का विशेषण
सिंहसंहनन —वि॰—सिंह-संहनन—-—शेर की भाँति मजबूत
सिंहसंहनन —वि॰—सिंह-संहनन—-—सुन्दर
सिंहसंहननम् —नपुं॰—सिंह-संहननम्—-—शेर का मार डालना
सिंहलम् —नपुं॰—-—सिंहोऽस्त्यस्य लच्—टिन
सिंहलम् —नपुं॰—-—सिंहोऽस्त्यस्य लच्—पीतल
सिंहलम् —नपुं॰—-—सिंहोऽस्त्यस्य लच्—बल्क, वृक्ष की छाल
सिंहलम् —नपुं॰—-—सिंहोऽस्त्यस्य लच्—लंङ्काद्वीप
सिंहलाः —पुं॰ ब॰ व॰—-—-—लंका देशवासी लोग
सिहलकम् —नपुं॰—-—सिंहल + कन्—लंका का द्वीप
सिंहाणम् —नपुं॰—-—शिङ्घ + आनच्, पृषो॰—लोहे का जंग
सिंहाणम् —नपुं॰—-—शिङ्घ + आनच्, पृषो॰—नाक का मल
सिंहानम् —नपुं॰—-—शिङ्घ + आनच्, पृषो॰—लोहे का जंग
सिंहानम् —नपुं॰—-—शिङ्घ + आनच्, पृषो॰—नाक का मल
सिंहिका —स्त्री॰—-—सिंह + कन् + टाप्, इत्वम्—राहु की माँ
सिंहिकातनयः —पुं॰—सिंहिका-तनयः—-—राहु के विशेषण
सिंहिकापुत्रः —पुं॰—सिंहिका-पुत्रः—-—राहु के विशेषण
सिंहिकासुतः —पुं॰—सिंहिका-सुतः—-—राहु के विशेषण
सिंहिकासूनूः —पुं॰—सिंहिका-सूनूः—-—राहु के विशेषण
सिंही —स्त्री॰—-—सिंह + ङीष्—शेरनी
सिंही —स्त्री॰—-—सिंह + ङीष्—राहु की माता का नाम
सिकता —स्त्री॰—-—सिक् + अतच् + टाप्—रेतीली जमीन
सिकता —स्त्री॰—-—सिक् + अतच् + टाप्—रेत
सिकता —स्त्री॰—-—सिक् + अतच् + टाप्—बजरी, पथरी
सिकतिल —वि॰—-—सिकता + इलच्—रेतीला
सिक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिच् + क्त—छिड़का गया, पानी से गीला किया गया
सिक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिच् + क्त—तर किया गया, गीला किया गया, भिगोया गया
सिक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिच् + क्त—गर्भित
सिक्थः —पुं॰—-—सिच् + थक्—उबले हुए चावल
सिक्थः —पुं॰—-—सिच् + थक्—भात का पिंड
सिक्थम् —नपुं॰—-—सिच् + थक्— मधुमक्खियों से बनाया गया मोम
सिक्थम् —नपुं॰—-—सिच् + थक्—नील
सिक्यम् —नपुं॰—-—सिच् + थक्—(रस्सी से बुना हुआ) छीका, झोला
सिक्यम् —नपुं॰—-—सिच् + थक्—बहंगी पर लटका कर ले जाये जाने वाला बोझ
सिक्ष्यः —पुं॰—-—-—स्फटिक, शीशा
सिङ्घणम् —नपुं॰—-—शिङ्घ + आनच्, पृषो॰—नाक का मल
सिङ्घणम् —नपुं॰—-—शिङ्घ + आनच्, पृषो॰—लोहे का जंग
सिङ्घाणम् —नपुं॰—-—शिङ्घ + आनच्, पृषो॰—नाक का मल
सिङ्घाणम् —नपुं॰—-—शिङ्घ + आनच्, पृषो॰—लोहे का जंग
सिङ्घिणी —स्त्री॰—-—शिङ्घ + णिनि + ङीष्, पृषो॰—नाक
सिच् —तुदा॰ उभ॰ <सिंचति> <सिंचते> <सिक्त>—-—-—छिड़कना, छोटी-छोटी बूंदों में बखेरना
सिच् —तुदा॰ उभ॰ <सिंचति> <सिंचते> <सिक्त>—-—-—सींचना, तर करना, भिगोना, गीला करना
सिच् —तुदा॰ उभ॰ <सिंचति> <सिंचते> <सिक्त>—-—-—उडेलना, उत्सर्जन करना, निकालना, ढालना
सिच् —तुदा॰ उभ॰ <सिंचति> <सिंचते> <सिक्त>—-—-—भरना, बूंद-बूंद टपकाना, डालना
सिच् —तुदा॰ उभ॰ <सिंचति> <सिंचते> <सिक्त>—-—-—उडेल देना, प्रस्तुत करना
सिच् —तुदा॰ उभ॰, प्रेर॰ <सेचयति> <सेचयते>—-—-—छिड़कवाना
सिच् —तुदा॰ उभ॰, इच्छा॰ <सिसिक्षति> <सिसिक्षते>—-—-—छिड़कने की इच्छा करना
अभिसिच् —तुदा॰ उभ॰—अभि-सिच्—-—छिड़कना, उडेलना,सींचना,गीला करना, बौछार करना
अभिसिच् —तुदा॰ उभ॰—अभि-सिच्—-—लेप करना, संस्कारित करना, नियत करना, मुकुट पहनाना, राज्याभिषेक करना, पदासीन करना
अभिसिच् —तुदा॰ उभ॰, प्रेर॰—अभि-सिच्—-—ताज पहनना, राजगद्दी पर बैठाना
आसिच् —तुदा॰ उभ॰—आ-सिच्—-—छिड़कना
आसिच् —तुदा॰ उभ॰, प्रेर॰—आ-सिच्—-—छिड़कवाना, उडलवाना
उत्सिच् —तुदा॰ उभ॰—उद्-सिच्—-—छिनकना, उडेलना, फैलाना
उत्सिच् —तुदा॰ कर्मवा॰—उद्-सिच्—-—तेज प्रवाहित होना, झाग उगलना, ऊपर की ओर फेंका जाना
उत्सिच् —तुदा॰ उभ॰—उद्-सिच्—-—फूल जाना, उन्नत होना, अहंकार युक्त होना
उत्सिच् —तुदा॰ उभ॰—उद्-सिच्—-—बाधित होना
उत्सिच् —तुदा॰ उभ॰, प्रेर॰—उद्-सिच्—-—घमंड से भरना
निसिच् —तुदा॰ उभ॰—नि-सिच्—-—छिड़कना, उडेलना, ऊपर डाल देना, अन्दर डालना
निसिच् —तुदा॰ उभ॰—नि-सिच्—-—गर्भयुक्त करना
परिसिच् —तुदा॰ उभ॰—परि-सिच्—-—छिड़कना, उडेलना
सिञ्चयः —पुं॰—-—सच् + अयच्, कित्—वस्त्र, कपड़ा
सिञ्चिता —स्त्री॰—-—सिच् + इतच्, पृषो॰—पीपलामूल
सिञ्जा —स्त्री॰—-— =शिञ्जा, पृषो॰—धातुओं के बने आभूषणों की झनकार
सिञ्जितम् —नपुं॰—-— =शिञ्जित, पृषो॰—झनझनाहट, झनकार
सिट् —भ्वा॰ पर॰ <सेटति>—-—-—अवज्ञा करना, घृणा करना
सित —वि॰—-—सो (सि) + क्त—सफेद
सित —वि॰—-—सो (सि) + क्त—बंधा हुआ, कसा हुआ, जकड़ा हुआ, बेड़ी पड़ा हुआ
सित —वि॰—-—सो (सि) + क्त—घिरा हुआ
सित —वि॰—-—सो (सि) + क्त—अवसित, समाप्त
सितः —पुं॰—-—सो (सि) + क्त—सफेद रंग
सितः —पुं॰—-—सो (सि) + क्त—चान्द्र मास का शुक्ल पक्ष
सितः —पुं॰—-—सो (सि) + क्त—शुक्रग्रह
सितः —पुं॰—-—सो (सि) + क्त—बाण
सितम् —नपुं॰—-—सो (सि) + क्त—चाँदी
सितम् —नपुं॰—-—सो (सि) + क्त—चन्दन
सितम् —नपुं॰—-—सो (सि) + क्त—मूली
सिताग्रः —पुं॰—सित-अग्रः—-—काँटा
सितापाङ्गः —पुं॰—सित-अपाङ्गः—-—मोर
सिताभ्रः —पुं॰—सित-अभ्रः—-—कपूर
सिताभ्रम् —नपुं॰—सित-अभ्रम्—-—कपूर
सिताम्बरः —पुं॰—सित-अम्बरः—-—श्वेतवस्त्रधारी संन्यासी
सितार्जकः —पुं॰—सित-अर्जकः—-—सफेद तुलसी
सिताश्वः —पुं॰—सित-अश्वः—-—अर्जुन का विशेषण
सितासित —वि॰—सित-असित—-—बलराम का विशेषण
सितादि —वि॰—सित-आदि—-—राब, गुड़
सितालिका —स्त्री॰—सित-आलिका—-—कोकला, सितुही
सितेतर —वि॰—सित-इतर—-—जो स्वेत न हो अर्थात् काला
सितोद्भवम् —नपुं॰—सित-उद्भवम्—-—सफेद चन्दन
सितोपला —स्त्री॰—सित-उपला—-—मिस्री, चीनी
सितकरः —पुं॰—सित-करः—-—चन्द्रमा
सितकरः —पुं॰—सित-करः—-—कपूर
सितधातुः —पुं॰—सित-धातुः—-—चाक, खड़िया
सितरश्मिः —पुं॰—सित-रश्मिः—-—चाँद
सितवाजिन् —पुं॰—सित-वाजिन्—-—अर्जुन का नाम
सितशर्करा —स्त्री॰—सित-शर्करा—-—चीनी
सितशिम्बिकः —पुं॰—सित-शिम्बिकः—-—गेहूँ
सितशिवम् —नपुं॰—सित-शिवम्—-—सेंधा नमक
सितशूकः —पुं॰—सित-शूकः—-—जौ
सिता —स्त्री॰—-—सित + टाप्—चीनी, शक्कर
सिता —स्त्री॰—-—सित + टाप्—ज्योत्स्ना
सिता —स्त्री॰—-—सित + टाप्—मनोरमा स्त्री
सिता —स्त्री॰—-—सित + टाप्—मदिरा
सिता —स्त्री॰—-—सित + टाप्—सफेद दूब
सिता —स्त्री॰—-—सित + टाप्—चमेली, बेला
सिति —वि॰—-—सो + क्तिच्—सफेद
सिति —वि॰—-—सो + क्तिच्—काला
सितिः —पुं॰—-—सो + क्तिच्—सफेद या काला रंग
सितिकण्ठ —पुं॰—सिति-कण्ठ—-—शिव का विशेषण
सितिकण्ठ —पुं॰—सिति-कण्ठ—-—मोर
सितिकण्ठ —पुं॰—सिति-कण्ठ—-—जलकुक्कुट
सितिवासस् —पुं॰—सिति-वासस्—-—बलराम का विशेषण
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—सम्पन्न, कार्यान्वित, अनुष्ठित, अवाप्त, पूर्ण
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—प्राप्त, उपलब्ध, अवाप्त
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—कामयाब, सफल
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—बसा हुआ, स्थापित
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—साबित, प्रमाणित
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—वैध, न्याय
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—सच माना हुआ
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—फैसला किया हुआ, निर्णीत
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—दिया गया, भुगताया गया, चुकता किया गया
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—पकाया गया, बनाया गया
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—परिपक्व, पका हुआ
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—सर्वथा तैयार किया गया, मिश्रित, एकत्र पकाई गई
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—तैयार
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—वश में किया गया, जीता गया, अधीन किया गया
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—वशीभूत किया गया, मंगलप्रद बना हुआ
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त— पूर्णतः विज्ञ या दक्ष, प्रवीण जैसा कि ‘रससिद्धम्’
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—संम्पादित, पवित्रीकृत
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—मुक्त किया हुआ
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—आलौकिक शक्ति से युक्त
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—पावन, पवित्र, पुण्यात्मा
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—दिव्य, अविनश्वर, नित्य
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—विख्यात, विश्रुत, प्रसिद्ध
सिद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—सिध् + क्त—उज्जवल, शानदार
सिद्धः —पुं॰—-—सिध् + क्त—अर्धदिव्य प्राणी जो अत्यन्त पवित्र और पुण्यात्मा माना जाता है, विशेष रुप से देवयोनि विशेष जिसमें आठ सिद्धियाँ हो
सिद्धः —पुं॰—-—सिध् + क्त—अंतर्दृष्टि प्राप्त संत ऋषि या महात्मा
सिद्धः —पुं॰—-—सिध् + क्त—कोई भी सन्त ऋषि या महात्मा
सिद्धः —पुं॰—-—सिध् + क्त— जादूगर, ऐन्द्रजालिक
सिद्धः —पुं॰—-—सिध् + क्त—कानूनी मुकदमा, अदालती जाँच
सिद्धः —पुं॰—-—सिध् + क्त—गुड़
सिद्धम् —नपुं॰—-—सिध् + क्त—समुद्री नमक
सिद्धान्तः —पुं॰—सिद्ध-अन्तः—-—सर्वसम्मत फल
सिद्धान्तः —पुं॰—सिद्ध-अन्तः—-—किसी तर्क का प्रदर्शित उपसंहार, किसी प्रश्न का सर्वसम्मत रुप, सही तथा तर्कसंगत उपसंहार
सिद्धान्तः —पुं॰—सिद्ध-अन्तः—-—प्रमाणित तथ्य, मानी हुई सच्चाई, राद्धान्त, मत
सिद्धान्तः —पुं॰—सिद्ध-अन्तः—-—निर्णायक साक्ष्य के आधार पर अवलंबित कोई माना हुआ मूलपाठ का ग्रन्थ
सिद्धान्तकोटिः —पुं॰—सिद्ध-अन्त-कोटिः—-—युक्तिगत बिन्दू जो तर्क संगत उपसंहार माना जाता है
सिद्धान्तपक्षः —पुं॰—सिद्ध-अन्त-पक्षः—-—किसी युक्ति का तर्कसंगत पार्श्व
सिद्धान्नम् —नपुं॰—सिद्ध-अन्नम्—-—पकाया हुआ भोजन
सिद्धार्थ —वि॰—सिद्ध-अर्थ—-—जिसने अपना अभीष्ट सम्पन्न कर लिया है, सफल
सिद्धार्थः —पुं॰—सिद्ध-अर्थः—-—सफेद सरसों
सिद्धार्थः —पुं॰—सिद्ध-अर्थः—-—शिव का नाम
सिद्धार्थः —पुं॰—सिद्ध-अर्थः—-—महात्मा बुद्ध का नाम
सिद्धासनम् —नपुं॰—सिद्ध-आसनम्—-—धर्मसाधना में विशेष प्रकार की बैठने स्थिति
सिद्धगङ्गा —स्त्री॰—सिद्ध-गङ्गा—-—स्वर्गंगा, आकाशगंगा
सिद्धनदी —स्त्री॰—सिद्ध-नदी—-—स्वर्गंगा, आकाशगंगा
सिद्धसिन्धुः —पुं॰—सिद्ध-सिन्धुः—-—स्वर्गंगा, आकाशगंगा
सिद्धग्रहः —पुं॰—सिद्ध-ग्रहः—-—विशेष प्रकार का पागलपन, मनोविक्षिप्त
सिद्धजलम् —नपुं॰—सिद्ध-जलम्—-—कांजी
सिद्धधातुः —पुं॰—सिद्ध-धातुः—-—पारा
सिद्धपक्षः —पुं॰—सिद्ध-पक्षः—-—किसी प्रतिज्ञा का सर्वसम्मत तथा तर्कसंगत पहलू
सिद्धप्रयोजनः —पुं॰—सिद्ध-प्रयोजनः—-—सफेद सरसों
सिद्धयोगिन् —पुं॰—सिद्ध-योगिन्—-—शिव का विशेषण
सिद्धरस —वि॰—सिद्ध-रस—-—खनिज धातुमय
सिद्धरसः —पुं॰—सिद्ध-रसः—-—पारा
सिद्धरसः —पुं॰—सिद्ध-रसः—-—रसायनज्ञाता
सिद्धसङ्कल्पः —वि॰—सिद्ध-सङ्कल्पः—-—जिसने अपना अभीष्ट सिद्ध कर लिया है
सिद्धसेनः —पुं॰—सिद्ध-सेनः—-—कार्तिकेय का नाम
सिद्धस्थाली —स्त्री॰—सिद्ध-स्थाली—-—ऋषि की बटलोई या पात्र
सिद्धता —स्त्री॰—-—सिद्धि + तल + टाप्, त्व वा—सम्पन्नता, पूर्णता, पूरा करना
सिद्धत्वम् —नपुं॰—-—सिद्धि + तल + टाप्, त्व वा—सम्पन्नता, पूर्णता, पूरा करना
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—निष्पन्नता, पूर्णता, संपूर्ति, पूरा होना, पूर्ण अवाप्ति
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—सफलता, समृद्धिः, कल्याण, कुशल-क्षेम
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—स्थापना, प्रतिष्ठा
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—प्रमाणन, प्रदर्शन, प्रमाण, निर्विवाद परिणाम
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—वैधता
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—फैसला, निर्णय, व्यवस्था
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—निश्चिति, सचाई, यथार्थता, शुद्धता
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—अदायगी, परिशोध
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—तैयार करना, पकाना
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—समस्या का समाधान
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—तत्परता
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—नितान्त पवित्रता या विशुद्धता
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—अति मानव शक्ति
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—जादू के द्वारा अतिमानव शक्तियों को प्राप्त करना
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—विलक्षण कुशलता या क्षमता
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—अच्छा प्रभाव या फल
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—मुक्ति, मोक्ष
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—समझ, बुद्धि
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—छिपाना, अन्तर्धान होना, अपने आप को अदृश्य करना
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—जादू की खड़ाऊँ
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—एक प्रकार का योग
सिद्धिः —स्त्री॰—-—सिध् + क्तिन्—दुर्गा का नाम
सिद्धिद —वि॰—सिद्धि-द—-—सफलता या सर्वोपरि आनन्दातिरेक देने वाला
सिद्धिदः —पुं॰—सिद्धि-दः—-—शिव का विशेषण
सिद्धिदात्री —स्त्री॰—सिद्धि-दात्री—-—दुर्गा का विशेषण
सिद्धियोगः —पुं॰—सिद्धि-योगः—-—ग्रहों का विशेष प्रकार का शुभ संयोग
सिध् —दिवा॰ पर॰ <सिध्यति> <सिद्ध>, प्रेर॰ <साधयति> या <सेधयति>, इच्छा॰ <सिषित्सति> —-—-—सम्पन्न होना, पूरा होना
सिध् —दिवा॰ पर॰ <सिध्यति> <सिद्ध>, प्रेर॰ <साधयति> या <सेधयति>, इच्छा॰ <सिषित्सति> —-—-—कामयाब होना, सफलता प्राप्त करना
सिध् —दिवा॰ पर॰ <सिध्यति> <सिद्ध>, प्रेर॰ <साधयति> या <सेधयति>, इच्छा॰ <सिषित्सति> —-—-—पहुँचना, आघात करना, सही पड़ना
सिध् —दिवा॰ पर॰ <सिध्यति> <सिद्ध>, प्रेर॰ <साधयति> या <सेधयति>, इच्छा॰ <सिषित्सति> —-—-—अभीष्ट पदार्थ प्राप्त करना
सिध् —दिवा॰ पर॰ <सिध्यति> <सिद्ध>, प्रेर॰ <साधयति> या <सेधयति>, इच्छा॰ <सिषित्सति> —-—-—सिद्ध होना, प्रमाणित होना, वैध होना
सिध् —दिवा॰ पर॰ <सिध्यति> <सिद्ध>, प्रेर॰ <साधयति> या <सेधयति>, इच्छा॰ <सिषित्सति> —-—-—व्यवस्थित या अभिनिर्णीत होना
सिध् —दिवा॰ पर॰ <सिध्यति> <सिद्ध>, प्रेर॰ <साधयति> या <सेधयति>, इच्छा॰ <सिषित्सति> —-—-—सर्वथा तैयार किया हुआ या पकाया हुआ होना
सिध् —दिवा॰ पर॰ <सिध्यति> <सिद्ध>, प्रेर॰ <साधयति> या <सेधयति>, इच्छा॰ <सिषित्सति> —-—-—विजीत या जीता हुआ होना
प्रसिध् —दिवा॰ पर॰—प्र-सिध्—-—सम्पन्न होना, कार्यान्वित होना, सफल होना
प्रसिध् —दिवा॰ पर॰—प्र-सिध्—-—उपलब्ध या अवाप्त होना
प्रसिध् —दिवा॰ पर॰—प्र-सिध्—-—विख्यात होना
संसिध् —दिवा॰ पर॰—सम्-सिध्—-—पूरा किया जाना
संसिध् —दिवा॰ पर॰—सम्-सिध्—-—सर्वथा सम्पन्न या क्रियान्वित होना, पूरी तरह अनुष्ठित होना
संसिध् —दिवा॰ पर॰—सम्-सिध्—-—आनन्दातिरेक प्राप्त करना, प्रसन्न होना
संसिध् —भ्वा॰ पर॰ <सेधति> <सिद्ध>—सम्-सिध्—-—जाना
संसिध् —भ्वा॰ पर॰—सम्-सिध्—-—हटाना, दूर करना
संसिध् —भ्वा॰ पर॰—सम्-सिध्—-—नियन्त्रण करना, रुकावट डालना, रोकना
संसिध् —भ्वा॰ पर॰—सम्-सिध्—-—निषेध करना, प्रतिषेध करना
संसिध् —भ्वा॰ पर॰—सम्-सिध्—-—आदेश देना, समादेश देना, निदेश देना
संसिध् —भ्वा॰ पर॰—सम्-सिध्—-—शुभ निकलना, मंगलमय होना
अपसिध् —भ्वा॰ पर॰—अप-सिध्—-—दूर करना, हटाना
निषिध् —भ्वा॰ पर॰—नि-सिध्—-—परे हटाना, रोकना, नियंत्रण में रखना, पीछे हटाना
निषिध् —भ्वा॰ पर॰—नि-सिध्—-—विरोध करना, प्रतिवाद करना, आक्षेप करना
निषिध् —भ्वा॰ पर॰—नि-सिध्—-—प्रतिषेध करना, मना करना
निषिध् —भ्वा॰ पर॰—नि-सिध्—-—पराजित करना, जीतना
निषिध् —भ्वा॰ पर॰—नि-सिध्—-—हटाना, दूर करना, निवारण करना
प्रतिषिध् —भ्वा॰ पर॰—प्रति-सिध्—-—रोकना, दूर रखना, नियंत्रित करना
प्रतिषिध् —भ्वा॰ पर॰—प्रति-सिध्—-—मना करना, प्रतिषेध करना
विप्रतिषिध् —भ्वा॰ पर॰—विप्रति-सिध्—-—प्रतिवाद करना, विरोध करना
सिध्मम् —नपुं॰—-—सिध् + मन्, किच्च—छाला, ददोरा, खुजली
सिध्मम् —नपुं॰—-—सिध् + मन्, किच्च—कोढ़
सिध्मम् —नपुं॰—-—सिध् + मन्, किच्च—कुष्ठ ग्रस्त स्थान
सिध्मन् —नपुं॰—-—सिध् + मन्, किच्च—छाला, ददोरा, खुजली
सिध्मन् —नपुं॰—-—सिध् + मन्, किच्च—कोढ़
सिध्मन् —नपुं॰—-—सिध् + मन्, किच्च—कुष्ठ ग्रस्त स्थान
सिध्मल —वि॰—-—सिध्म + लच्—जिसकी खुजली हो, कोढ़ के चिह्नों से युक्त, कोढ़ी
सिध्मा —स्त्री॰—-—सिध्म + टाप्—छाला, ददोरा, खुजली, कोढ़ युक्त स्थान
सिध्मा —स्त्री॰—-—सिध्म + टाप्—कोढ़
सिध्यः —पुं॰—-—सिध् + णिच् + यत्—पुष्य नक्षत्र
सिघ्रः —पुं॰—-—सिध् + रक्—पवित्रात्मा, पुण्यात्मा
सिघ्रः —पुं॰—-—सिध् + रक्—वृक्ष
सिध्रकावणम् —नपुं॰—-—सिध्रकप्रधानं वनम्, णत्वम्, दीर्घश्च—दीव्य उद्यानों में से एक उद्यान
सिनः —पुं॰—-—सि + नक्—ग्रास, कौर
सिनी —स्त्री॰—-—सिन + ङीष्—गौर वर्ण की स्त्री
सिनीवाली —स्त्री॰—-—-—सिनीं श्वेतां चन्द्रकलां वलति धारयति, सिनी वल् + अण् + ङीप्
सिन्दुकः —पुं॰—-—स्यन्द् + उ, सम्प्रसारण, सिन्दु + वृ + अण्—एक वृक्ष का नाम
सिन्दुवारः —पुं॰—-—स्यन्द् + उ, सम्प्रसारण, सिन्दु + वृ + अण्—एक वृक्ष का नाम
सिन्दूरः —पुं॰—-—स्यन्द् + उरन् सम्प्रसारणम्—एक प्रकार का वृक्ष
सिन्दूरम् —नपुं॰—-—स्यन्द् + उरन् सम्प्रसारणम्—लाल रंग का सूरमा
सिन्धुः —पुं॰—-—स्यन्द् + उद्, संप्रसारणं दस्य धः—समुद्र, सागर
सिन्धुः —पुं॰—-—स्यन्द् + उद्, संप्रसारणं दस्य धः—सिन्धुनदी के चारों ओर का देश
सिन्धुः —पुं॰—-—स्यन्द् + उद्, संप्रसारणं दस्य धः—मालवा में बहने वाली एक नदी का नाम
सिन्धुः —पुं॰—-—स्यन्द् + उद्, संप्रसारणं दस्य धः—हाथी के सूंड से निकला हुआ पानी
सिन्धुः —पुं॰—-—स्यन्द् + उद्, संप्रसारणं दस्य धः—हाथी के गण्डस्थलों से बहनें वाला दान या मद
सिन्धुः —पुं॰—-—स्यन्द् + उद्, संप्रसारणं दस्य धः—हाथी
सिन्धुः —पुं॰ ब॰ व॰—-—स्यन्द् + उद्, संप्रसारणं दस्य धः—बड़ा दरिया या नदी
सिन्धुज —वि॰—सिन्धु-ज—-—नदी से उत्पन्न
सिन्धुज —वि॰—सिन्धु-ज—-—समुद्र से उत्पन्न
सिन्धुज —वि॰—सिन्धु-ज—-—सिंघ देश में उत्पन्न
सिन्धुजः —पुं॰—सिन्धु-जः—-—चन्द्रमा
सिन्धुजम् —नपुं॰—सिन्धु-जम्—-—सेंधा नमक
सिन्धुनाथः —पुं॰—सिन्धु-नाथः—-—सागर
सिन्धुकः —पुं॰—-—सिन्धु + क, = सिन्दूवारः, दस्य धः—एक वृक्ष का नाम
सिन्धुवारः —पुं॰—-—सिन्धु + क, = सिन्दूवारः, दस्य धः—एक वृक्ष का नाम
सिन्धुरः —पुं॰—-—सिन्धु + र—हाथी
सिन्व् —भ्वा॰ पर॰ <सिन्वति>—-—-—गीला करना, भिगोना
सिप्रः —पुं॰—-—सप् + रक्, पृषो॰—पसीना, स्वेद
सिप्रः —पुं॰—-—सप् + रक्, पृषो॰—चाँद
सिप्रा —स्त्री॰—-—सिप्र + टाप्—स्त्री की करधनी या तगड़ी
सिप्रा —स्त्री॰—-—सिप्र + टाप्—भैंस
सिप्रा —स्त्री॰—-—सिप्र + टाप्—उज्जयिनी के निकट एक नदी का नाम
सिम —वि॰—-—सि + मन्—प्रत्येक, सब, संपूर्ण, समस्त
सिम्बा —स्त्री॰—-—-—फली, छीमी, सेम
सिम्बी —स्त्री॰—-—-—फली, सेम
सिम्बी —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार का पौधा
सिरः —पुं॰—-—सि + रक्—पीपलामूल की जड़
सिरा —स्त्री॰—-—सिर + टाप्—शरीर की नलिकाकार वाहिका
सिरा —स्त्री॰—-—सिर + टाप्—डोलची, उलीचने का बर्तन
सिव् —दिवा॰ पर॰ <सीव्यति> <स्यूत>—-—-—सीना, रफ़ू करना, तुरपना, टांका लगाना
सिव् —दिवा॰ पर॰ <सीव्यति> <स्यूत>—-—-—मिलाना, एकत्र करना
अनुसिव् —दिवा॰ पर॰—अनु-सिव्—-—नत्थी करना, मिलाकर जोड़ना
सिवरः —पुं॰—-—सि + क्वरप्—हाथी
सिषाधयिषा —स्त्री॰—-—साधयितुमिच्छा - साध् + सन् + अ + टाप्, धातोर्द्वित्वम्—संपन्न करने या क्रियान्वयन की इच्छा
सिषाधयिषा —स्त्री॰—-—-—स्थापित करने की इच्छा, सिद्ध करने की इच्छा, प्रदर्शित करने कि इच्छा
सिसृक्षा —स्त्री॰—-—सृज् + सन् + अ + टाप्, धातोर्द्वित्वम्—रचना करने की इच्छा
सिहुण्डः —पुं॰—-—सो + कि = सिः छेदः तं हुण्डते - सि + हुण्ड् + अण्—सेहुंड
सिह्लः —पुं॰—-—स्निह + लक् पृषो॰, —गुग्गुल, गंधद्रव्य
सिह्लकः —पुं॰—-—सिह्ल + कन्—गुग्गुल, गंधद्रव्य
सिह्ल्की —स्त्री॰—-—सिह्लक + ङीष्—लोबान का वृक्ष
सिह्ली —स्त्री॰—-—सिह्ल + ङीष्—लोबान का वृक्ष
सीक् —भ्वा॰ आ॰ <सीकते>—-—-—छिड़कना, छोटी-छोटी बूंदों में बखेरना
सीक् —भ्वा॰ आ॰ <सीकते>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
सीक् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <सीकति> <सीकयति>—-—-—उतावला होना
सीक् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <सीकति> <सीकयति>—-—-—सहिष्णु होना
सीक् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <सीकति> <सीकयति>—-—-—स्पर्श करना
सीकरः —पुं॰—-—सीक्यते सिच्यतेऽनेन + सीक् + अरन्—फुहार, वर्षा, जलकण पड़ना, फूही पड़ना
सीकरः —पुं॰—-—सीक्यते सिच्यतेऽनेन + सीक् + अरन्—छींटे, पानी की छोटी छोटी बूंदे
सीता —स्त्री॰—-—सि + त पृषो॰ दीर्घः—हल के चलाने से खेत में बनी हुई रेखा, खूड, हल की फाल से खुदी हुई रेखा
सीता —स्त्री॰—-—सि + त पृषो॰ दीर्घः—जुती हुई या खूडवाली भूमी, हल से जोती हुई भूमि
सीता —स्त्री॰—-—सि + त पृषो॰ दीर्घः—कृषि, खेंती
सीता —स्त्री॰—-—सि + त पृषो॰ दीर्घः—मिथिला के राजा जनक की पुत्री का नाम
सीता —स्त्री॰—-—सि + त पृषो॰ दीर्घः—एक देवी का नाम, इन्द्र की पत्नी
सीता —स्त्री॰—-—सि + त पृषो॰ दीर्घः—उमा का नाम
सीता —स्त्री॰—-—सि + त पृषो॰ दीर्घः—लक्ष्मी का नाम
सीता —स्त्री॰—-—सि + त पृषो॰ दीर्घः—गंगा की चार धाराओं में से एक
सीता —स्त्री॰—-—सि + त पृषो॰ दीर्घः—मदिरा
सीताद्रव्यम् —नपुं॰—सीता-द्रव्यम्—-—खेती के उपकरण, कृषि के औजार
सीतापतिः —पुं॰—सीता-पतिः—-—रामचन्द्र का नाम
सीताफलः —पुं॰—सीता-फलः—-—कुम्हड़े की बेल
सीताफलम् —नपुं॰—सीता-फलम्—-—कुम्हड़ा
सीत्कारः —पुं॰—-—सीत् + कृ + घञ्—साँस ऊपर खींचने का शब्द, सिसकारी
सीत्कृतिः —स्त्री॰—-—सीत् + कृ + क्तिन् —साँस ऊपर खींचने का शब्द, सिसकारी
सीत्य —वि॰—-—सीता + यत्—जोते गये या हल की फाल से बने खूडों से मापा गया
सीत्यम् —नपुं॰—-—सीता + यत्—चावल, धान्य, अन्न
सीद्यम् —नपुं॰—-—-—आलस्य, शिथिलता, सुस्ती
सीधु —पुं॰—-—सिध् + उ, पृषो॰ —राब या गुड़ से बनाई हुई शराब, ईख की मदिरा
सीधुगन्धः —पुं॰—सीधु-गन्धः—-—बकुलवृक्ष, मौलसिरी का पेड़
सीधुगन्धः —पुं॰—सीधु-पुष्पः—-—कदम्ब का वृक्ष
सीधुगन्धः —पुं॰—सीधु-पुष्पः—-—मौलसिरी का पेड़
सीधुरसः —पुं॰—सीधु-रसः—-—आम का पेड़
सीधुसंज्ञः —पुं॰—सीधु-संज्ञः—-—मौलसिरी का पेड़
सीघ्रम —नपुं॰—-—-—गुदा, मलद्वार
सीपः —पुं॰—-—-—नाव की शक्ल का यज्ञ-पात्र
सीमन् —स्त्री॰—-—सि + मनिन्, नि॰ दीर्घः—सीमा, हद
सीमन् —स्त्री॰—-—सि + मनिन्, नि॰ दीर्घः—अण्डकोष
सीमन्तः —पुं॰—-—सीम्नोऽन्तः, शक॰ पररुपम्—सीमारेखा, सीमान्त
सीमन्तः —पुं॰—-—सीम्नोऽन्तः, शक॰ पररुपम्—सिर के बालों की विभाजक रेखा, सिर की मांग जिसकी जिसके दोनों ओर बाल विभक्त हों
सीमन्तोन्नयनम् —नपुं॰—सीमान्त-उन्नयनम्—-—‘बालों का विभाजन’ बारह संस्कारों में से एक जिसको स्त्रियाँ गर्भाधान के चौथे, छठे या आठवें महीने में मनाती हैं
सीमान्तकः —पुं॰—-—सीमन्त + कन्—विशेष प्रकार के नरक का अधिवासी
सीमान्तकम् —नपुं॰—-—सीमन्त + कन्—सिन्दूर
सीमन्तयति —ना॰ धा॰ पर॰ <सीमन्तयति>—-—-—बालों को अलग-अलग करना
सीमन्तयति —ना॰ धा॰ पर॰ <सीमन्तयति>—-—-—माँग निकालना
सीमन्तित —वि॰—-—सीमन्त् + णिच् + क्त—विभाजित
सीमन्तित —वि॰—-—सीमन्त् + णिच् + क्त—बाल निकाल कर अलग किये हुए
सीमन्तिनी —स्त्री॰—-—सीमन्त + इनि + ङीप्—स्त्री, महिला
सीमा —स्त्री॰—-—सीमन् + डाप्—हद, मर्यादा, किनारा, छोर, सरहद
सीमा —स्त्री॰—-—सीमन् + डाप्—खेत, गाँव आदि की सीमा पर सीमा द्योतक टीला या मेंड़
सीमा —स्त्री॰—-—सीमन् + डाप्—चिह्न, सीमान्त
सीमा —स्त्री॰—-—सीमन् + डाप्—किनारा, तीर, समुद्रतट
सीमा —स्त्री॰—-—सीमन् + डाप्—क्षितिज
सीमा —स्त्री॰—-—सीमन् + डाप्—सीवनी, मांग
सीमा —स्त्री॰—-—सीमन् + डाप्—शिष्टाचार या नीति की सीमा, उच्चतम बिन्दु, चरमसीमा
सीमा —स्त्री॰—-—सीमन् + डाप्—खेत
सीमा —स्त्री॰—-—सीमन् + डाप्—ग्रीवा का पृष्ठ भाग
सीमा —स्त्री॰—-—सीमन् + डाप्—अण्डकोष
सीमाधिपः —पुं॰—सीमा-अधिपः—-—पड़ौसी राजा
सीमान्तः —पुं॰—सीमा-अन्तः—-—सीमारेखा, छोर, सरहद
सीमान्तः —पुं॰—सीमा-अन्तः—-—अधिकतम सीमा
सीमान्तपूजनम् —नपुं॰—सीमा-अन्त-पूजनम्—-—गाँव की सीमा का पूजन
सीमान्तपूजनम् —नपुं॰—सीमा-अन्त-पूजनम्—-—बरात के आने पर गाँव की सीमा पर दूल्हे का सत्कार
सीमोल्लङ्घनम् —नपुं॰—सीमा-उल्लङ्घनम्—-—अतिक्रमण करना, सीमा पार करना, सरहद लांघना
सीमानिश्चयः —पुं॰—सीमा-निश्चयः—-—सीमान्त या सीमारेखाओं के विषय में कानूनी निर्णय
सीमालिङ्गम् —नपुं॰—सीमा-लिङ्गम्—-—सीमा चिह्न, भू चिह्न
सीमावादः —पुं॰—सीमा-वादः—-—सीमा संबंधी झगड़ा
सीमाविनिर्णयः —पुं॰—सीमा-विनिर्णयः—-—सीमा रेखाओं के झगड़ों का फैसला
सीमाविवादः —पुं॰—सीमा-विवादः—-—सीमासंबंधी झगड़ा या मुकदमेबाजी
सीमाविवादधर्मः —पुं॰—सीमा-विवाद-धर्मः—-—सीमाविषयक झगड़ों से संबंध रखने वाला कानून
सीमावृक्षः —पुं॰—सीमा-वृक्षः—-—वह पेड़ जो सीमा रेखा का काम दे रहा है
सीमासन्धिः —पुं॰—सीमा-सन्धिः—-—दो सीमाओं का मिलन
सीमिकः —पुं॰—-—स्यम् + किनन्, सम्प्रसारणं, दीर्घश्च—एक वृक्षविशेष
सीमिकः —पुं॰—-—स्यम् + किनन्, सम्प्रसारणं, दीर्घश्च—बामी
सीमिकः —पुं॰—-—स्यम् + किनन्, सम्प्रसारणं, दीर्घश्च—चिऊँटी या ऐसा ही छोटा कोई जन्तु
सीरः —पुं॰—-—सि + रक्, पृषो॰—हल
सीरः —पुं॰—-—सि + रक्, पृषो॰—सूर्य
सीरः —पुं॰—-—सि + रक्, पृषो॰—आक या मदार का पौधा
सीरध्वजः —पुं॰—सीर-ध्वजः—-—जनक का विशेषण
सीरपाणिः —पुं॰—सीर-पाणिः—-—बलराम का विशेषण
सीरभृत् —पुं॰—सीर-भृत्—-—बलराम का विशेषण
सीरयोगः —पुं॰—सीर-योगः—-—हल में पशु को जोतना, या हल में जुती पशु की जोडी
सीरकः —पुं॰—-—सीर + कन्—हल
सीरकः —पुं॰—-—सीर + कन्—सूर्य
सीरकः —पुं॰—-—सीर + कन्—आक या मदार का पौधा
सीरिन् —पुं॰—-—सीर + इनि—बलराम का विशेषण
सीलन्दः —पुं॰—-—-—एक प्रकार की मछली
सीलन्धः —पुं॰—-—-—एक प्रकार की मछली
सीवनम् —नपुं॰—-—सिव् + ल्युट्, नि॰ दीर्घः—सीना, तुरपना, टांका लगाना
सीवनी —स्त्री॰—-—सीवन + ङीष्—सुई
सीवनी —स्त्री॰—-—सीवन + ङीष्—लिंगमणि का सन्धिशोथ
सीसम् —नपुं॰—-—सि + क्विप्, पृषो॰ दीर्घः = सी, सो + क = स, सी + स कर्म॰ स॰—सीसा
सीसकम् —नपुं॰—-—सीस +कन्—सीसा
सीसपत्रकम् —नपुं॰—-—सीस + पत्रक—सीसा
सीहुण्डः —पुं॰—-— = सिहुण्ड, पृषो॰—सेंहुड
सु —भ्वा॰ उभ॰ <सुवति> <सुवते>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
सु —भ्वा॰ अदा॰ पर॰ <सवति> <सौति>—-—-—शक्ति या सर्वोपरि सत्ता धारण करना
सु —स्वा॰ उभ॰ <सुनोति> <सुनुते> <सुत>—-—-—भींचना, दबा कर रस निकालना
सु —स्वा॰ उभ॰ <सुनोति> <सुनुते> <सुत>—-—-—अर्क खींचना
सु —स्वा॰ उभ॰ <सुनोति> <सुनुते> <सुत>—-—-—उडेलना, छिड़कना, तर्पण करना
सु —स्वा॰ उभ॰ <सुनोति> <सुनुते> <सुत>—-—-—यज्ञानुष्ठान करना, सोमयज्ञ करना
सु —स्वा॰ उभ॰ <सुनोति> <सुनुते> <सुत>—-—-—स्नान करना
सु —स्वा॰ उभ॰ , इच्छा॰ <सुषूसति> <सुषूसते>—-—-—
अभि-सु —स्वा॰ उभ॰ —अभि-सु—-—सोमरस निकालना
अभि-सु —स्वा॰ उभ॰ —अभि-सु—-—मिलाना, मिश्रण करना, गड्डमड्ड करना
अभि-सु —स्वा॰ उभ॰ —अभि-सु—-—छिड़कना
उत्सु —स्वा॰ उभ॰ —उद्-सु—-—उत्तेजित करना, विक्षुब्ध करना
प्रसु —स्वा॰ उभ॰ —प्र-सु—-—पैदा करना, जन्म देना
सु —अव्य॰—-—सु + डु—अच्छा, भला, श्रेष्ठ
सु —अव्य॰—-—सु + डु—सुन्दर, मनोहर
सु —अव्य॰—-—सु + डु—खूब, सर्वथा, पूरी तरह, ठीक प्रकार से
सु —अव्य॰—-—सु + डु—आसानी से, तुरन्त
सु —अव्य॰—-—सु + डु—अधिक, अत्यधिक, बहुत अधिक
स्वक्ष —वि॰—सु-अक्ष—-—अच्छी आँखों वाला
स्वक्ष —वि॰—सु-अक्ष—-—उग्र और तेज अंगों वाला
स्वङ्ग —वि॰—सु-अङ्ग—-—सुडौल, मनोहर, प्रिय
स्वन्त —वि॰—सु-अन्त—-—जिसका अन्त भला हो, अच्छी समाप्ति वाला
स्वाकार —वि॰—सु-आकार—-—सुनिर्मित, मनोहर, सुन्दर
स्वाकृति —वि॰—सु-आकृति—-—सुनिर्मित, मनोहर, सुन्दर
स्वाभास —वि॰—सु-आभास—-—बड़ा शानदार व प्रसिद्ध
स्वेष्ट —वि॰—सु-इष्ट—-—भली भाँति किया गया यज्ञ
स्विष्टकृत् —पुं॰—सु-इष्ट-कृत्—-—अग्नि का एक रुप
सूक्त्त —वि॰—सु-उक्त—-—अच्छा बोला हुआ, खूब कहा हुआ
सूक्त्तम् —नपुं॰—सु-उक्तम्—-—अच्छी या समझदारी की उक्ति
सूक्त्तम् —नपुं॰—सु-उक्तम्—-—वैदिक भजन या सूक्त
सूक्तदर्शिन् —पुं॰—सु-उक्त-दर्शिन्—-—मंत्रद्रष्टा, वैदिक ऋषि
सूक्तवाच् —स्त्री॰—सु-उक्त-वाच्—-—भजन
सूक्तवाच् —स्त्री॰—सु-उक्त-वाच्—-—स्तुति का शब्द
सूक्तिः —स्त्री॰—सु-उक्तिः—-—अच्छा या सौहार्दपूर्ण भाषण
सूक्तिः —स्त्री॰—सु-उक्तिः—-—अच्छा या चातुर्यपूर्ण कथन
सूक्तिः —स्त्री॰—सु-उक्तिः—-—शुद्ध वाक्य
सूक्तिः —वि॰—सु-उक्तिः—-—अतिश्रेष्ठ
सूत्तर —वि॰—सु-उत्तर—-—उत्तर दिशा की ओर
सूत्थान —वि॰—सु-उत्थान—-—खूब प्रयत्न करने वाला, बलशाली फुर्तीला
सूत्थानम् —नपुं॰—सु-उत्थानम्—-—प्रबल प्रयत्न या उद्योग
सून्मद —वि॰—सु-उन्मद—-—बिल्कुल पागल, दीवान
सून्माद —वि॰—सु-उन्माद—-—बिल्कुल पागल, दीवान
सूपसदन —वि॰—सु-उपसदन—-—जिसके पास पहुँचना आसान हो
सूपस्कर —वि॰—सु-उपस्कर—-—अच्छे उपकरणों से युक्त
सुकण्डुः —पुं॰—सु-कण्डुः—-—खुजली
सुकन्दः —पुं॰—सु-कन्दः—-—प्याज
सुकन्दः —पुं॰—सु-कन्दः—-—आलू, कचालू, शकरकंद आदि कंद
सुकन्दः —पुं॰—सु-कन्दः—-—एक प्रकार का घास
सुकन्दकः —पुं॰—सु-कन्दकः—-—प्याज
सुकर —वि॰—सु-कर—-—जो आसानी से किया जा सके, क्रियात्मक, कार्य
सुकर —वि॰—सु-कर—-—जिसका प्रबंध आसानी से किया जा सके
सुकरा —स्त्री॰—सु-करा—-—सुशील गौ
सुकरम् —नपुं॰—सु-करम्—-—दान, परोपकार
सुकर्मन् —वि॰—सु-कर्मन्—-—जो अच्छे कार्य करता है, पुण्यात्मा, भला
सुकर्मन् —वि॰—सु-कर्मन्—-—सक्रिय, परिश्रमी
सुकर्मन् —पुं॰—सु-कर्मन्—-—विश्वकर्मा का नाम
सुकल —वि॰—सु-कल—-—उदारता पूर्वक देने तथा सदुपयोग करने में जिसने कीर्ति अर्जित कर ली हो
सुकाण्डिन् —वि॰—सु-काण्डिन्—-—सुन्दर वृंतों से युक्त
सुकाण्डिन् —वि॰—सु-काण्डिन्—-—सुन्दरता के सात जुड़ा हुआ
सुकाण्डिन् —पुं॰—सु-काण्डिन्—-—भौंरा
सुकुन्दकः —पुं॰—सु-कुन्दकः—-—प्याज
सुकुमार —वि॰—सु-कुमार—-—मृदु, सुकुमार, कोमल
सुकुमार —वि॰—सु-कुमार—-—सौन्दर्य युक्त, तरुण
सुकुमारः —पुं॰—सु-कुमारः—-—सुन्दर युवक
सुकुमारः —पुं॰—सु-कुमारः—-—एक प्रकार का गन्ना
सुकुमारकः —पुं॰—सु-कुमारकः—-—सुन्दर तरुण
सुकुमारकः —पुं॰—सु-कुमारकः—-—‘शालि’ चावल
सुकुमारकम् —नपुं॰—सु-कुमारकम्—-—तमालपत्र
सुकृत् —वि॰—सु-कृत्—-—भला करने वाला, उपकारी
सुकृत् —वि॰—सु-कृत्—-—पवित्रात्मा, गुणसम्पन्न, धर्मात्मा
सुकृत् —वि॰—सु-कृत्—-—बुद्धिमान्, विद्वान्
सुकृत् —वि॰—सु-कृत्—-—भाग्यशाली, किस्मत वाला
सुकृत् —वि॰—सु-कृत्—-—अच्छे यज्ञ करने वाला
सुकृत् —पुं॰—सु-कृत्—-—कुशल कर्मकार
सुकृत् —पुं॰—सु-कृत्—-—त्वष्टा का नाम
सुकृत् —वि॰—सु-कृत—-—भली भांति किया हुआ
सुकृत् —वि॰—सु-कृत—-—सर्वथा किया हुआ
सुकृत् —वि॰—सु-कृत—-—खूब किया हुआ या सुरचित
सुकृत् —वि॰—सु-कृत—-—जिसके साथ कृपापूर्वक व्यवहार किया गया हो, सहायता दिया गया, मित्रता के सूत्र में आबद्ध
सुकृत् —वि॰—सु-कृत—-—सद्गुणी, घर्मात्मा, पवित्रात्मा
सुकृत् —वि॰—सु-कृत—-—भाग्यशाली, किस्मत वाला
सुकृतम् —नपुं॰—सु-कृतम्—-—कोई भी भला या अच्छा कार्य, कृपा, अनुग्रह, सेवा
सुकृतम् —नपुं॰—सु-कृतम्—-—सद्गुण, नैतिक या धार्मिक गुण
सुकृतम् —नपुं॰—सु-कृतम्—-—सौभाग्य, मांगलिकता
सुकृतम् —नपुं॰—सु-कृतम्—-—प्रतिफल, पुरस्कार
सुकृतिः —स्त्री॰—सु-कृतिः—-—कृपा, सद्गुण
सुकृतिः —स्त्री॰—सु-कृतिः—-—तपस्या करना
सुकृतिन् —वि॰—सु-कृतिन्—-—भलाई करने वाला, कृपापूर्वक व्यवहार करने वाला
सुकृतिन् —वि॰—सु-कृतिन्—-—सद्गुणसम्पन्न, पवित्रात्मा, भला, धर्मात्मा
सुकृतिन् —वि॰—सु-कृतिन्—-—बुद्धिमान्, विद्वान्
सुकृतिन् —वि॰—सु-कृतिन्—-—परोपकारी
सुकृतिन् —वि॰—सु-कृतिन्—-—भाग्यशाली, किस्मत वाला
सुकेशरः —पुं॰—सु-केशरः—-—गलगल का पेड़
सुकेसरः —पुं॰—सु-केसरः—-—गलगल का पेड़
सुऋतुः —पुं॰—सु-ऋतुः—-—अग्नि का नाम
सुऋतुः —पुं॰—सु-ऋतुः—-—शिव का नाम
सुऋतुः —पुं॰—सु-ऋतुः—-—इन्द्र का नाम
सुऋतुः —पुं॰—सु-ऋतुः—-—मित्र और वरुण का नाम
सुऋतुः —पुं॰—सु-ऋतुः—-—सूर्य का नाम
सुग —वि॰—सु-ग—-—सजीली चाल चलने वाला
सुग —वि॰—सु-ग—-—शोभन, ललित
सुग —वि॰—सु-ग—-—बोधगम्य, आसानी से समझे जाने योग्य
सुगम् —नपुं॰—सु-गम्—-—विष्ठा, मल
सुगम् —नपुं॰—सु-गम्—-—प्रसन्नता
सुगत —वि॰—सु-गत—-—भली-भांति किया हुआ
सुगत —वि॰—सु-गत—-—भली-भांति प्रदान किया हुआ
सुगतः —पुं॰—सु-गतः—-—बुद्ध का विशेषण
सुगन्धः —पुं॰—सु-गन्धः—-—खुशबू, अच्छी गंध, गन्धद्रव्य
सुगन्धः —पुं॰—सु-गन्धः—-—गन्ध
सुगन्धः —पुं॰—सु-गन्धः—-—व्यापारी
सुगन्धम् —नपुं॰—सु-गन्धम्—-—चन्दन
सुगन्धम् —नपुं॰—सु-गन्धम्—-—जीरा
सुगन्धम् —नपुं॰—सु-गन्धम्—-—नील कमल
सुगन्धम् —नपुं॰—सु-गन्धम्—-—एक प्रकार का सुगन्धित घास
सुगन्धा —स्त्री॰—सु-गन्धा—-—पवित्र तुलसी
सुगन्धकः —पुं॰—सु-गन्धकः—-—गन्धक
सुगन्धकः —पुं॰—सु-गन्धकः—-—लाल तुलसी
सुगन्धकः —पुं॰—सु-गन्धकः—-—सन्तरा
सुगन्धकः —पुं॰—सु-गन्धकः—-—एक प्रकार की लौकी
सुगन्धि —वि॰—सु-गन्धि—-—मधुर गन्ध वाला, खुशबूदार, सुरभित
सुगन्धि —वि॰—सु-गन्धि—-—सद्गुणों से युक्त, पवित्रात्मा
सुगन्धिः —स्त्री॰—सु-गन्धिः—-—गंधद्रव्य, सुरभि
सुगन्धिः —स्त्री॰—सु-गन्धिः—-—परमात्मा
सुगन्धिः —स्त्री॰—सु-गन्धिः—-—एक प्रकार का मधुगन्ध वाला आम
सुगन्धि —नपुं॰—सु-गन्धि—-—पिप्परामूल
सुगन्धि —नपुं॰—सु-गन्धि—-—एक प्रकार का सुगन्धित घास
सुगन्धि —नपुं॰—सु-गन्धि—-—धनिया
सुगन्धित्रिफला —स्त्री॰—सु-गन्धि-त्रिफला—-—जायफल
सुगन्धित्रिफला —स्त्री॰—सु-गन्धि-त्रिफला—-—लोंग
सुगन्धिकः —पुं॰—सु-गन्धिकः—-—धूप
सुगन्धिकः —पुं॰—सु-गन्धिकः—-—गन्धक
सुगन्धिकः —पुं॰—सु-गन्धिकः—-—एक प्रकार का चावल
सुगन्धिकम् —नपुं॰—सु-गन्धिकम्—-—सफेद कमल
सुगम —वि॰—सु-गम—-—जहाँ आसानी से पहुँचा जाय, सुलभ
सुगम —वि॰—सु-गम—-—सरल, बोधगम्य
सुगहना —स्त्री॰—सु-गहना—-—यज्ञस्थान को अस्पृश्यादि के संपर्क से बचाने के लिए बनाया गया घेरा
सुगहनावृत्तिः —स्त्री॰—सु-गहना-वृत्तिः—-—यज्ञस्थान को अस्पृश्यादि के संपर्क से बचाने के लिए बनाया गया घेरा
सुगृह —वि॰—सु-गृह—-—सुन्दर घर वाला, भली भांति रहने वाला
सुगृहीत —वि॰—सु-गृहीत—-—भली-भांति पकड़ा हुआ, अच्छी तरह समझा हुआ
सुगृहीत —वि॰—सु-गृहीत—-—समुचित रुप से या शुभ रीति से प्रयुक्त
सुगृहीतनामन् —वि॰—सु-गृहीत-नामन्—-—वह जिसका नाम मांगलिक रुप से लिया जाय, या जिसका नाम लेना शुभ समझा जाय, प्रातः स्मरणीय, सम्मानपूर्वक नाम लेने की रीति को द्योतन करने वाला शब्द
सुग्रासः —पुं॰—सु-ग्रासः—-—स्वादिष्ट कौर या निवाला
सुग्रीव —वि॰—सु-ग्रीव—-—अच्छी गर्दन वाला
सुग्रीवः —पुं॰—सु-ग्रीवः—-—नायक
सुग्रीवः —पुं॰—सु-ग्रीवः—-—हंस
सुग्रीवः —पुं॰—सु-ग्रीवः—-—एक प्रकार का शस्त्र
सुग्रीवः —पुं॰—सु-ग्रीवः—-—सुग्रीव जो वालि का भाई था
सुग्रीवेशः —पुं॰—सु-ग्रीव-ईशः—-—राम का नाम
सुग्ल —वि॰—सु-ग्ल—-—बहुत थका हुआ, श्रान्त
सुचक्षुस् —वि॰—सु-चक्षुस्—-—अच्छी आंखों वाला, भली-भांति देखने वाला
सुचक्षुस् —पुं॰—सु-चक्षुस्—-—विवेकशील, या बुद्धिमान् व्यक्ति, विद्वान पुरुष
सुचक्षुस् —पुं॰—सु-चक्षुस्—-—गूलर का पेड़
सुचरित —वि॰—सु-चरित —-—अच्छे आचरण वाला, शिष्टाचारयुक्त
सुचरित्र —वि॰—सु-चरित्र—-—अच्छे आचरण वाला, शिष्टाचारयुक्त
सुचरितम् —नपुं॰—सु-चरितम्—-—सदाचार, अच्छा चालचलन
सुचरितम् —नपुं॰—सु-चरितम्—-—गुण
सुचरित्रम् —नपुं॰—सु-चरित्रम्—-—सदाचार, अच्छा चालचलन
सुचरित्रम् —नपुं॰—सु-चरित्रम्—-—गुण
सुचरिता —स्त्री॰—सु-चरिता—-—सदाचारिणी, पतिव्रता, और सती साध्वी स्त्री
सुचरित्रा —स्त्री॰—सु-चरित्रा—-—सदाचारिणी, पतिव्रता, और सती साध्वी स्त्री
सुचित्रकः —पुं॰—सु-चित्रकः—-—रामचिरैया, एक पक्षी
सुचित्रकः —पुं॰—सु-चित्रकः—-—चीतल सांप
सुचित्रा —स्त्री॰—सु-चित्रा—-—एक प्रकार की लौकी
सुचिन्ता —स्त्री॰—सु-चिन्ता—-—गहनचिन्तन, गम्भीर
सुचिरस् —अव्य॰—सु-चिरस्—-—दीर्घ काल तक, बहुत देर तक
सुचिरायुस् —पुं॰—सु-चिरायुस्—-—सुर देवता
सुजनः —पुं॰—सु-जनः—-—भला पुरुष, सद्गुणी, परोपकारी
सुजनः —पुं॰—सु-जनः—-—सज्जन
सुजनता —स्त्री॰—सु-जनता—-—भलाई, नेकी, परोपकार, सद्गुण
सुजनता —स्त्री॰—सु-जनता—-—भले पुरुषों का समूह
सुजन्मन् —वि॰—सु-जन्मन्—-—सत्कुलोत्पन्न, कुलीन
सुजल्पः —पुं॰—सु-जल्पः—-—अच्छी वाणी
सुजात —वि॰—सु-जात—-—उच्चकुलोत्पन्नं
सुजात —वि॰—सु-जात—-—सुन्दर, प्रिय
सुतनु —वि॰—सु-तनु—-—सुन्दर शरीर वाला
सुतनु —वि॰—सु-तनु—-—अत्यन्त सुकुमार, दुबला-पतला
सुतनु —वि॰—सु-तनु—-—कृशकाय, दुर्बल शरीर
सुतनुः —पुं॰—सु-तनुः—-—कोमलाङ्गी, सुन्दर शरीर
सुतनूः —पुं॰—सु-तनूः—-—कोमलाङ्गी, सुन्दर शरीर
सुतपस् —वि॰—सु-तपस्—-—जो घोर तपस्या करता हो
सुतपस् —वि॰—सु-तपस्—-—अतिशय तापयुक्त
सुतपस् —पुं॰ —सु-तपस्—-—संन्यासी, भक्त, साधु, वैरागी
सुतपस् —पुं॰ —सु-तपस्—-—सूर्य
सुतपस् —नपुं॰—सु-तपस्—-—कठोर साधना
सुतरामं —अव्य॰—सु-तराम्—-—अपेक्षाकृत अच्छा, अधिक श्रेष्ठ ढंग से
सुतरामं —अव्य॰—सु-तराम्—-—अत्यन्त, अधिक, अत्यधिक, बहुत ज्यादा
सुतरामं —अव्य॰—सु-तराम्—-—और अधिक, और भी ज्यादह
सुतर्दनः —पुं॰ —सु-तर्दनः—-—कोयल
सुतलम् —नपुं॰—सु-तलम्—-—‘अत्यन्त गहराई’ भूमि के नीचे सात लोकों में से एक
सुतलम् —नपुं॰—सु-तलम्—-—किसी बड़े भवन की बुनियाद
सुतिक्तकः —पुं॰ —सु-तिक्तकः—-—मूंगे का पेड़
सुतीक्ष्ण —वि॰—सु-तीक्ष्ण—-—बहुत तेज
सुतीक्ष्ण —वि॰—सु-तीक्ष्ण—-—अत्यन्त तीखा
सुतीक्ष्ण —वि॰—सु-तीक्ष्ण—-—बहुत पीड़ाकारक
सुतीक्ष्णः —पुं॰ —सु-तीक्ष्णः—-—सहिजन का पेड़
सुतीक्ष्णः —पुं॰ —सु-तीक्ष्णः—-—एक ऋषि का नाम
सुतीक्ष्णदर्शनः —पुं॰ —सु-तीक्ष्ण-दर्शनः—-—शिव का विशेषण
सुतीर्थः —पुं॰ —सु-तीर्थः—-—अच्छा गुरु
सुतीर्थः —पुं॰ —सु-तीर्थः—-—शिव का नाम
सुतुङ्ग —वि॰—सु-तुङ्ग—-—बहुत ऊँचा या लंबा
सुतुङ्गः —पुं॰ —सु-तुङ्गः—-—नारियल का पेड़
सुदक्षिण —वि॰—सु-दक्षिण—-—अत्यन्त निष्कपट व खरा
सुदक्षिण —वि॰—सु-दक्षिण—-—बहुत उदार, यज्ञ में खूब दक्षिणा देने वाला
सुदक्षिणा —स्त्री॰—सु-दक्षिणा—-—दिलीप राजा की पत्नी का नाम
सुदण्डः —पुं॰ —सु-दण्डः—-—बेंत
सुदत् —वि॰—सु-दत्—-—अच्छे दांतों वाला
सुदन्तः —पुं॰ —सु-दन्तः—-—अच्छा दांत
सुदन्तः —पुं॰ —सु-दन्तः—-—अभिनेता, नर्तक, नट
सुदर्शन —वि॰—सु-दर्शन—-—प्रियदर्शन, सुंदर, मनोहर
सुदर्शन —वि॰—सु-दर्शन—-—जो आसानी से दिखाई दे
सुदर्शनः —पुं॰ —सु-दर्शनः—-—विष्णु का चक्र
सुदर्शनः —पुं॰ —सु-दर्शनः—-—शिव का नाम
सुदर्शनः —पुं॰ —सु-दर्शनः—-—गिद्ध
सुदर्शनम् —नपुं॰—सु-दर्शनम्—-—जंबू द्वीप का नाम
सुदर्शना —स्त्री॰—सु-दर्शना—-—सुन्दर स्त्री
सुदर्शना —स्त्री॰—सु-दर्शना—-—स्त्री
सुदर्शना —स्त्री॰—सु-दर्शना—-—आदेश, आज्ञा
सुदर्शना —स्त्री॰—सु-दर्शना—-—एक प्रकार की बूटी
सुदामन् —वि॰—सु-दामन्—-—जो उदारता पूर्वक देता है
सुदामन् —पुं॰—सु-दामन्—-—बादल
सुदामन् —पुं॰—सु-दामन्—-— पहाड़
सुदामन् —पुं॰—सु-दामन्—-—समुद्र
सुदामन् —पुं॰—सु-दामन्—-—इन्द्र के हाथी का नाम
सुदामन् —पुं॰—सु-दामन्—-—एक दरिद्र ब्राह्मण का नाम जो अपने मित्र कृष्ण से मिलने के लिए भुने चावलों की भेंट लेकर, द्वारकापुरी गया तथा जिसे श्रीकृष्ण ने फिर से धन्यधान्य और कीर्ति से सम्पन्न किया
सुदायः —पुं॰—सु-दायः—-—मांगलिक उपहार
सुदायः —पुं॰—सु-दायः—-—विशिष्ट अवसरों पर दिया जाने वाला विशेष उपहार
सुदिनम् —नपुं॰—सु-दिनम्—-—आनन्दप्रद शुभ दिवस
सुदिनम् —नपुं॰—सु-दिनम्—-—अच्छा दिन, अच्छा मौसम्
सुदीर्घ —वि॰—सु-दीर्घ—-—बहुत लंबा या विस्तृत
सुदीर्घा —स्त्री॰—सु-दीर्घा—-—एक प्रकार की लकड़ी
सुदुर्लभ —वि॰—सु-दुर्लभ—-—अत्यंत दुष्प्राप्य या विरल
सुदूर —वि॰—सु-दूर—-—बहुत दूर स्थित या दूरवर्ती
सुदूरम् —नपुं॰—सु-दूरम्—-—बहुत दूर
सुदूरम् —नपुं॰—सु-दूरम्—-—बहुत ऊँचाई तक, अत्यधिक
सुदूरात् —नपुं॰—सु-दूरात्—-—दूर से, फासले से
सुदृश् —वि॰—सु-दृश्—-—सुन्दर आँखों वाला
सुदृश् —स्त्री॰—सु-दृश्—-—सुन्दर स्त्री॰
सुधन्वन् —वि॰—सु-धन्वन्—-—बढ़िया धनुष को धारण करने वाला
सुधन्वन् —पुं॰—सु-धन्वन्—-—अच्छा तीरंदाज या धनुर्धारी
सुधन्वन् —पुं॰—सु-धन्वन्—-—विश्वकर्मा का नाम
सुधर्मन् —लि॰—सु-धर्मन्—-—कर्तव्यपरायण
सुधर्मन् —स्त्री॰—सु-धर्मन्—-—देव परिषद्, देवसभा
सुधर्मा —स्त्री॰—सु-धर्मा—-— देवसभा
सुधर्मी —स्त्री॰—सु-धर्मी—-— देवसभा
सुधी —वि॰—सु-धी—-—अच्छी समझवाला, बुद्धिमान, चतुर, प्रतिभाशाली
सुधीः —पुं॰—सु-धीः—-—बुद्धिमान या प्रतिभाशाली पुरुष, विद्वान पुरुष या पंडित
सुधीः —स्त्री॰—सु-धीः—-—अच्छी समझ, भला ज्ञान, प्रज्ञा
सूपास्यः —पुं॰—सु-उपास्यः—-—एक विशेष प्रकार का महल
सूपास्यः —पुं॰—सु-उपास्यः—-—कृष्ण के सेवक का नाम
सूपास्यम् —नपुं॰—सु-उपास्यम्—-—बलराम का मुद्गर
सूपास्या —स्त्री॰—सु-उपास्या—-—स्त्री
सूपास्या —स्त्री॰—सु-उपास्या—-—उमा या उसकी कोई सखी
सूपास्या —स्त्री॰—सु-उपास्या—-—एक प्रकार का रंजक
सुनंदा —स्त्री॰—सु-नंदा—-—स्त्री
सुनयः —पुं॰—सु-नयः—-—अच्छा चाल-चलन
सुनयः —पुं॰—सु-नयः—-—अच्छी नीति
सुनयन —वि॰—सु-नयन—-—सुन्दर आँखों वाला
सुनयनः —पुं॰—सु-नयनः—-—हरिण
सुनयना —स्त्री॰—सु-नयना—-—सुन्दर आँखों वाली स्त्री
सुनयना —स्त्री॰—सु-नयना—-—सामान्य स्त्री
सुनाभ —वि॰—सु-नाभ—-—सुन्दर नाभि वाला
सुनाभ —वि॰—सु-नाभ—-—अच्छे नाह या केन्द्र वाले
सुनाभः —पुं॰—सु-नाभः—-—पहाड़
सुनाभः —पुं॰—सु-नाभः—-—मैनाक पहाड़
सुनिभृत —वि॰—सु-निभृत—-—बिल्कुल अकेला, निजी
सुनिभृतम् —अव्य॰—सु-निभृतम्—-—चुपचाप, छिपे-छिपे, सटकर, निजी रुप से
सुनिश्छलः —पुं॰—सु-निश्छलः—-—शिव का विशेषण
सुनीत —वि॰—सु-नीत—-—अच्छे आचरण वाला, शिष्टाचारयुक्त
सुनीत —वि॰—सु-नीत—-—नम्र, विनयी
सुनीतम् —नपुं॰—सु-नीतम्—-—अच्छा चाल-चलन, शिष्ट आचरण
सुनीतम् —नपुं॰—सु-नीतम्—-—अच्छी नीति, दूरदर्शिता
सुनीतिः —स्त्री॰—सु-नीतिः—-—अच्छा आचरण, शिष्टाचार, औचित्य
सुनीतिः —स्त्री॰—सु-नीतिः—-—अच्छी नीति
सुनीतिः —स्त्री॰—सु-नीतिः—-—ध्रुव की माता का नाम
सुनीथ —वि॰—सु-नीथ—-—अच्छे स्वभाव वाला, सदाचारी, धर्मात्मा, सद्गुणी, भला
सुनीथः —पुं॰—सु-नीथः—-—ब्राह्मण
सुनीथः —पुं॰—सु-नीथः—-—शिशुपाल का नाम
सुनील —वि॰—सु-नील—-— बिल्कुल काला, या नीला
सुनीलः —पुं॰—सु-नीलः—-—अनार का पेड़
सुनीला —स्त्री॰—सु-नीला—-—सामान्य सन का पौधा
सुनेत्र —वि॰—सु-नेत्र—-—सुन्दर आँखों वाला
सुपक्व —वि॰—सु-पक्व—-—अच्छा पका हुआ
सुपक्व —वि॰—सु-पक्व—-—सर्वथा परिपक्व या पका हुआ
सुपक्वः —पुं॰—सु-पक्वः—-—एक प्रकार का सुगन्धित आम
सुपत्नी —स्त्री॰—सु-पत्नी—-—वह स्त्री जिसके पति भद्रपुरुष हो
सुपथः —पुं॰—सु-पथः—-—अच्छी सड़क
सुपथः —पुं॰—सु-पथः—-—सुमार्ग
सुपथः —पुं॰—सु-पथः—-—अच्छा चालचलन
सुपथिन् —पुं॰—सु-पथिन्—-—अच्छी सड़क
सुपर्ण —वि॰—सु-पर्ण—-—अच्छे पंखों वाला
सुपर्ण —वि॰—सु-पर्ण—-—सुन्दर पत्तों वाला
सुपर्णः —पुं॰—सु-पर्णः—-—सूर्य की किरण
सुपर्णः —पुं॰—सु-पर्णः—-—अर्धदिव्य चरित्र के पक्षियों जैसे प्राणी, देवगन्धर्व
सुपर्णः —पुं॰—सु-पर्णः—-—अलौकिक पक्षी
सुपर्णः —पुं॰—सु-पर्णः—-—गरुड का विशेषण
सुपर्णः —पुं॰—सु-पर्णः—-—मुर्गा
सुपर्णा —स्त्री॰—सु-पर्णा —-—कमलों का समूह
सुपर्णा —स्त्री॰—सु-पर्णा —-—कमलों से भरा ताल
सुपर्णा —स्त्री॰—सु-पर्णा —-—गरुड की माता का नाम
पर्णी —स्त्री॰—सु-पर्णी—-—कमलों का समूह
पर्णी —स्त्री॰—सु-पर्णी—-—कमलों से भरा ताल
पर्णी —स्त्री॰—सु-पर्णी—-—गरुड की माता का नाम
सुपर्याप्त —वि॰—सु-पर्याप्त—-—बहुत विस्तार युक्त
सुपर्याप्त —वि॰—सु-पर्याप्त—-—सुयोग्य
सुपर्बन् —वि॰—सु-पर्बन्—-—अच्छे जोड़ों या सन्धियों वाला, जिसमें बहुत से जोड़ या ग्रन्थियां हो
सुपर्बन् —पुं॰—सु-पर्बन्—-—बाँस
सुपर्बन् —पुं॰—सु-पर्बन्—-—बाण
सुपर्बन् —पुं॰—सु-पर्बन्—-—सुर, देवता
सुपर्बन् —पुं॰—सु-पर्बन्—-—विशेष चान्द्र दिवस
सुपर्बन् —पुं॰—सु-पर्बन्—-— धूआं
सुपात्रम् —नपुं॰—सु-पात्रम्—-—अच्छा या उपयुक्त बर्तन, योग्य, भाजन
सुपात्रम् —नपुं॰—सु-पात्रम्—-—योग्य या सक्षम व्यक्ति, किसी पद के समुपयुक्त व्यक्ति, समर्थ व्यक्ति
सुपाद् —स्त्री॰—सु-पाद्—-—अच्छे या सुन्दर पैरों वाली
सुपार्श्वः —पुं॰—सु-पार्श्वः—-—पाकड़ का पेड़, प्लक्ष
सुपीतम् —नपुं॰—सु-पीतम्—-—गाजर
सुपीतः —पुं॰—सु-पीतः—-—पाँचवाँ मुहूर्त
सुपुंसी —स्त्री॰—सु-पुंसी—-—वह स्त्री जिसका पति भला व्यक्ति हो
सुपुष्प —वि॰—सु-पुष्प—-—अच्छे फूल वाला
सुपुष्पः —पुं॰—सु-पुष्पः—-—मूंगे का पेड़
सुपुष्पम् —नपुं॰—सु-पुष्पम्—-—लौंग
सुपुष्पम् —नपुं॰—सु-पुष्पम्—-—स्त्रीरज
सुप्रतर्कः —वि॰—सु-प्रतर्कः—-—स्वस्थ विचार
सुप्रतिभा —स्त्री॰—सु-प्रतिभा—-—मदिरा
सुप्रतिष्ठ —वि॰—सु-प्रतिष्ठ—-—भली-भांति खड़ा हुआ
सुप्रतिष्ठ —वि॰—सु-प्रतिष्ठ—-—बहुत प्रसिद्ध, विश्रुत, कीर्तिशाली, विख्यात
सुप्रतिष्ठा —स्त्री॰—सु-प्रतिष्ठा—-—अच्छी स्थिति
सुप्रतिष्ठा —स्त्री॰—सु-प्रतिष्ठा—-—अच्छा मान, प्रसिद्धि, ख्याति
सुप्रतिष्ठा —स्त्री॰—सु-प्रतिष्ठा—-—स्थापना, निर्माण
सुप्रतिष्ठा —स्त्री॰—सु-प्रतिष्ठा—-—मूर्ति आदि की स्थापना, अभिषेक
सुप्रतिष्ठित —वि॰—सु-प्रतिष्ठित—-—भली-भांति स्थापित
सुप्रतिष्ठित —वि॰—सु-प्रतिष्ठित—-—अभिषिक्त
सुप्रतिष्ठित —वि॰—सु-प्रतिष्ठित—-—विख्यात
सुप्रतिष्ठितः —पुं॰—सु-प्रतिष्ठितः—-—गूलर का पेड़
सुप्रतिष्णात —वि॰—सु-प्रतिष्णात—-—सर्वथा पवित्रीकृत
सुप्रतिष्णात —वि॰—सु-प्रतिष्णात—-—किसी विषय का अच्छा जानकार
सुप्रतीक —वि॰—सु-प्रतीक—-—सुन्दर आकृति वाला, प्रिय मनोहर
सुप्रतीक —वि॰—सु-प्रतीक—-—सुन्दर स्कन्ध वाला
सुप्रतीकः —पुं॰—सु-प्रतीकः—-—कामदेव का विशेषण
सुप्रतीकः —पुं॰—सु-प्रतीकः—-—शिव का विशेषण
सुप्रतीकः —पुं॰—सु-प्रतीकः—-—पश्चिमोत्तर दिशा का दिग्गज
सुप्रपाणम् —नपुं॰—सु-प्रपाणम्—-—अच्छा ताल
सुप्रभ —वि॰—सु-प्रभ—-—बड़ा प्रतिभाशाली, यशस्वी
सुप्रभा —स्त्री॰—सु-प्रभा—-—अग्नि की सात जिह्वाओं में से एक
सुप्रभाम् —नपुं॰—सु-प्रभाम्—-—शुभ प्रभात, मंगलमय प्रातः काल
सुप्रभाम् —नपुं॰—सु-प्रभाम्—-—प्रातः कालीन ऊषा
सुप्रयोगः —पुं॰—सु-प्रयोगः—-—अच्छा प्रबन्ध, भली-भांति काम में लाया जाना
सुप्रयोगः —पुं॰—सु-प्रयोगः—-—दक्षता
सुप्रसाद —वि॰—सु-प्रसाद—-—अति करुणामय, कृपानिधि
सुप्रसादः —पुं॰—सु-प्रसादः—-—शिव का नाम
सुप्रिय —वि॰—सु-प्रिय—-—अत्यंत प्रिय, रुचिकर
सुप्रिया —स्त्री॰—सु-प्रिया—-—मनोहारिणी स्त्री
सुप्रिया —स्त्री॰—सु-प्रिया—-—प्रेयसी
सुफल —वि॰—सु-फल—-—अत्यन्त फल देने वाला, बहुत उत्पादक
सुफल —वि॰—सु-फल—-—बहुत उपजाऊ
सुफलः —पुं॰—सु-फलः—-—अनार का पेड़
सुफलः —पुं॰—सु-फलः—-— बेरी का पेड़
सुफलः —पुं॰—सु-फलः—-—एक प्रकार का लोबिया
सुफला —स्त्री॰—सु-फला—-—कद्दू, लौकी
सुफला —स्त्री॰—सु-फला—-—केले का पेड़
सुफला —स्त्री॰—सु-फला—-—भूरे रंग का अंगूर
सुबन्धः —पुं॰—सु-बन्धः—-—तिल
सुबल —वि॰—सु-बल—-—अत्यन्त शक्तिशाली
सुबलः —पुं॰—सु-बलः—-—शिव का नाम
सुबोध —वि॰—सु-बोध—-—जो आसानी से समझा जाय
सुबोधः —पुं॰—सु-बोधः—-—भला समाचार या उपदेश
सुब्रह्मण्यः —पुं॰—सु-ब्रह्मण्यः—-—कार्तिकेय का विशेषण
सुब्रह्मण्यः —पुं॰—सु-ब्रह्मण्यः—-—यज्ञ में वरण किये गये सोलह पुरोहितों में एक
सुभग —वि॰—सु-भग—-—अत्यन्त भाग्यवान् या समृद्धिशाली, प्रसन्न, सौभाग्यशाली, अत्यन्त अनुगृहीत
सुभग —वि॰—सु-भग—-—प्रिय मनोहर, सुन्दर, मनोरम
सुभग —वि॰—सु-भग—-—सुहावना, कृतार्थ, रुचिकर, मधुर
सुभग —वि॰—सु-भग—-—प्रियतम, इष्ट, स्नेही, प्रिय
सुभग —वि॰—सु-भग—-—श्रीमान्
सुभगः —पुं॰—सु-भगः—-—सुहागा
सुभगः —पुं॰—सु-भगः—-—अशोक वृक्ष
सुभगः —पुं॰—सु-भगः—-—चम्पक वृक्ष
सुभगः —पुं॰—सु-भगः—-—लाल कटसरैया, सदाबहार
सुभगम् —नपुं॰—सु-भगम्—-—अच्छा भाग्य
सुभगमानिन् —वि॰—सु-भगम्-मानिन्—-—अपने आपको सौभाग्यशाली मानने वाला, सुशील हितकर
सुभगंमन्य —वि॰—सु-भगम्-मन्य—-—अपने आपको सौभाग्यशाली मानने वाला, सुशील हितकर
सुभगा —स्त्री॰—सु-भगा—-—पति की प्रियतमा, प्रेयसी
सुभगा —स्त्री॰—सु-भगा—-—सम्मानित माँ
सुभगा —स्त्री॰—सु-भगा—-—वनमल्लिका
सुभगा —स्त्री॰—सु-भगा—-—हल्दी
सुभगा —स्त्री॰—सु-भगा—-—तुलसी का पौधा
सुभगासुतः —पुं॰—सु-भगा-सुतः—-—पतिप्रिया पत्नी का पुत्र
सुभङ्गः —पुं॰—सु-भङ्गः—-—नारियल का पेड़
सुभद्र —वि॰—सु-भद्र—-—अत्यानन्दित या सौभाग्यशाली
सुभद्रः —पुं॰—सु-भद्रः—-—विष्णु का नाम
सुभद्रा —स्त्री॰—सु-भद्रा—-—बलराम और कृष्ण की बहन का नाम जिसका विवाह अर्जुन के साथ हुआ था । उससे अभिमन्यु नाम का पुत्र पैदा हुआ
सुभाषित —वि॰—सु-भाषित—-—भली भाँति कहा गया, सुन्दर रुप से कहा गया
सुभाषित —वि॰—सु-भाषित—-—सुन्दर भाषण करने वाला, वाग्मी
सुभाषितम् —नपुं॰—सु-भाषितम्—-—सुन्दर भाषण, वाग्मिता, अधिगम
सुभाषितम् —नपुं॰—सु-भाषितम्—-—नीतिवाक्य, सूक्ति, समुपयुक्त कथन
सुभाषितम् —नपुं॰—सु-भाषितम्—-—अच्छी उक्ति
सुभिक्षम् —नपुं॰—सु-भिक्षम्—-—अच्छी भिक्षा, सफल याचना
सुभिक्षम् —नपुं॰—सु-भिक्षम्—-—अन्न की बहुतायत, अनाज धान्यादिक की प्रचुर राशि, अन्नसंभरण
सुभ्रू —वि॰—सु-भ्रू—-—सुन्दर भौंह वाला
सुभ्रूः —स्त्री॰—सु-भ्रूः—-—मनोज्ञ स्त्री
सुमति —वि॰—सु-मति—-—बहुत बुद्धिमान्
सुमतिः —स्त्री॰—सु-मतिः—-—अच्छा मन या स्वभाव, कृपा, परोपकार, सौहार्द
सुमतिः —स्त्री॰—सु-मतिः—-—देवों का अनुग्रह
सुमतिः —स्त्री॰—सु-मतिः—-—उपहार, आशीर्वाद
सुमतिः —स्त्री॰—सु-मतिः—-—प्रार्थना, सूक्त
सुमतिः —स्त्री॰—सु-मतिः—-—कामना, इच्छा
सुमतिः —स्त्री॰—सु-मतिः—-—सगर की पत्नि का नाम जो साठ हजार पुत्रों की माता थी
सुमदनः —पुं॰—सु-मदनः—-—आम का वृक्ष
सुमध्य —वि॰—सु-मध्य—-—पतली कमर वाला
सुमध्यम —वि॰—सु-मध्यम—-—पतली कमर वाला
सुमध्या —स्त्री॰—सु-मध्या—-—मनोरम स्त्री
सुमध्यमा —स्त्री॰—सु-मध्यमा—-—मनोरम स्त्री
सुमन —वि॰—सु-मन—-—बहुत आकर्षक, प्रिय, सुन्दर
सुमनः —पुं॰—सु-मनः—-—गेहूँ
सुमनः —पुं॰—सु-मनः—-—धतूरा
सुमना —स्त्री॰—सु-मना—-—फूलों से लदी चमेली
सुमनस् —वि॰—सु-मनस्—-—अच्छे मन वाला, अच्छे स्वभाव का, उदार
सुमनस् —वि॰—सु-मनस्—-—खूब प्रसन्न, संतुष्ट
सुमनस् —पुं॰—सु-मनस्—-—देव, देवता
सुमनस् —पुं॰—सु-मनस्—-—विद्वान् पुरुष
सुमनस् —पुं॰—सु-मनस्—-—वेद का विद्यार्थी
सुमनस् —पुं॰—सु-मनस्—-—गेहूँ
सुमनस् —पुं॰—सु-मनस्—-—नीम का वृक्ष
सुमनस् —पुं॰—सु-मनस्—-—फूल
सुफलः —पुं॰—सु-फलः—-—जायफल
सुफलम् —नपुं॰—सु-फलम्—-—जायफल
सुमित्रा —स्त्री॰—सु-मित्रा—-—दशरथ की पत्नी और लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न की माता का नाम
सुमुख —वि॰—सु-मुख—-—सुन्दर चेहरे वाला, प्रिय
सुमुख —वि॰—सु-मुख—-—सुहावना
सुमुख —वि॰—सु-मुख—-—निर्वर्तित, आतुर
सुमुखः —पुं॰—सु-मुखः—-—विद्वान् पुरुष
सुमुखः —पुं॰—सु-मुखः—-—गरुड़ का विशेषण
सुमुखम् —नपुं॰—सु-मुखम्—-—नाखून की खरोंच
सुमुखा —स्त्री॰—सु-मुखा —-—सुन्दर स्त्री
सुमुखा —स्त्री॰—सु-मुखा—-—दर्पण
मुखी —स्त्री॰—सु-मुखी—-—सुन्दर स्त्री
मुखी —स्त्री॰—सु-मुखी—-—दर्पण
सुमूलकम् —नपुं॰—सु-मूलकम्—-—गाजर
सुमेधस् —वि॰—सु-मेधस्—-—अच्छी समझ रखने वाला, बुद्धिमान्, प्रतिभाशाली
सुमेधस् —पुं॰—सु-मेधस्—-—बुद्धिमान्, पुरुष
सुमेरुः —पुं॰—सु-मेरुः—-—‘सुमेरु’ नाम का पवित्र पर्वत
सुमेरुः —पुं॰—सु-मेरुः—-—शिव का नाम
सुयवसम् —नपुं॰—सु-यवसम्—-—सुंदर घास, अच्छी चरागाह
सुयोधनः —पुं॰—सु-योधनः—-—दुर्योधन का विशेषण
सुरक्तकः —पुं॰—सु-रक्तकः—-—गेरु
सुरक्तकः —पुं॰—सु-रक्तकः—-—एक प्रकार का आम का पेड़
सुरङ्गः —पुं॰—सु-रङ्गः—-—अच्छा रंग
सुरङ्गः —पुं॰—सु-रङ्गः—-—संतरा
सुरङ्गधातुः —पुं॰—सु-रङ्ग-धातुः—-—गेरु
सुरञ्जनः —पुं॰—सु-रञ्जनः—-—सुपारी का पेड़
सुरत —वि॰—सु-रत—-—अति प्रमोदी
सुरत —वि॰—सु-रत—-—क्रीडाशील
सुरत —वि॰—सु-रत—-—अत्यधिक अनुरक्त
सुरत —वि॰—सु-रत—-—करुणामय, सुकुमार
सुरतम् —वि॰—सु-रतम्—-—बड़ी प्रसन्नता, अत्यानन्द
सुरतम् —नपुं॰—सु-रतम्—-—संभोग, मैथुन, रतिक्रिया
सुरतताली —स्त्री॰—सु-रतम्-ताली—-—दूती, कुट्टनी
सुरतताली —स्त्री॰—सु-रतम्-ताली—-—शिरोभूषण, सिर की माला
सुरतप्रसङ्गः —पुं॰—सु-रतम्-प्रसङ्गः—-—कामकेलि में व्यसन
सुरति —स्त्री॰—सु-रति—-—भोगविलास, आनन्द, मजे
सुरस —वि॰—सु-रस—-—अच्छे रस वाला, रसीला, मजेदार
सुरसः —पुं॰—सु-रसः —-—सिंधुवार पौधा
सुरसा —स्त्री॰—सु-रसा—-—सिंधुवार पौधा
सुरसा —स्त्री॰—सु-रसा—-—दुर्गा का नाम
सुरुप —वि॰—सु-रुप—-—अच्छा बना हुआ, सुन्दर, मनोहर
सुरुप —वि॰—सु-रुप—-—बुद्धिमान्, विद्वान्
सुरुपः —पुं॰—सु-रुपः—-—शिव का विशेषण
सुरेभ —वि॰—सु-रेभ—-—अच्छी आवाज वाला
सुरेभम् —नपुं॰—सु-रेभम्—-—टीन, जस्त
सुलक्षण —वि॰—सु-लक्षण—-—शुभ व सुन्दर लक्षणों से युक्त
सुलक्षण —वि॰—सु-लक्षण—-—भाग्यशाली
सुलक्षणम् —नपुं॰—सु-लक्षणम्—-—निरीक्षण, सुपरीक्षण, निर्धारण, निश्चयन
सुलक्षणम् —नपुं॰—सु-लक्षणम्—-—अच्छा या शुभ चिन्ह
सुलभ —वि॰—सु-लभ—-—जो आसानी से मिल सके, सुप्राप्य, सुकर
सुलभ —वि॰—सु-लभ—-—तत्पर, अनुकूल बना हुआ, योग्य, उपयुक्त
सुलभ —वि॰—सु-लभ—-—स्वाभाविक, समुपयुक्त
सुलभकोप —वि॰—सु-लभ-कोप—-—जो शीघ्र क्रुद्ध हो जाए, जो आसानी से भड़काया जा सके
सुलोचन —वि॰—सु-लोचन—-—सुन्दर आँखों वाला
सुलोचनः —पुं॰—सु-लोचनः—-—हरिण
सुलोचना —स्त्री॰—सु-लोचना—-—सुन्दर स्त्री
सुलोहकम् —नपुं॰—सु-लोहकम्—-—पीतल
सुलोहित —वि॰—सु-लोहित—-—गहरा लाल
सुलोहिता —स्त्री॰—सु-लोहिता—-—अग्नि की सात जिह्वाओं में से एक
सुवक्त्रम् —नपुं॰—सु-वक्त्रम्—-—सुन्दर चेहरा या मुख
सुवक्त्रम् —नपुं॰—सु-वक्त्रम्—-—शुद्ध उच्चारण
सुवचनम् —नपुं॰—सु-वचनम्—-—वाग्मिता
सुवचस् —नपुं॰—सु-वचस्—-—वाग्मिता
सुवर्चिकः —पुं॰—सु-वर्चिकः—-—सज्जी, क्षार
सुवर्चिका —स्त्री॰—सु-वर्चिका—-—सज्जी, क्षार
सुवह —वि॰—सु-वह—-—सहनशील, सहिष्णु
सुवह —वि॰—सु-वह—-—धैर्यवान्, झेलने वाला
सुवह —वि॰—सु-वह—-—जो आसानी से ले जाया जा सके
सुवासिनी —स्त्री॰—सु-वासिनी—-—विवाहित या एकाकिनी स्त्री जो अपने पिता के घर रहती हैं
सुवासिनी —स्त्री॰—सु-वासिनी—-—विवाहित स्त्री जिसका पति जीवित हैं
सुविक्रान्त —वि॰—सु-विक्रान्त—-—बहादुर, साहसी, शूर
सुविक्रान्तम् —नपुं॰—सु-विक्रान्तम्—-—शौर्य
सुविद् —पुं॰—सु-विद्—-—विद्वान पुरुष, बुद्धिमान व्यक्ति
सुविद् —स्त्री॰—सु-विद्—-—बुद्धिमती या चतुर स्त्री
सुविदः —पुं॰—सु-विदः—-—अन्तःपुर का सेवक
सुविदन् —पुं॰—सु-विदन्—-—राजा
सुविदल्लः —पुं॰—सु-विदल्लः—-—अन्तःपुर का सेवक
सुविदल्लम् —नपुं॰—सु-विदल्लम्—-—अन्तःपुर, रानीवास
सुविदल्ला —स्त्री॰—सु-विदल्ला—-—विवाहित स्त्री
सु विध —वि॰—सु- विध—-—अच्छी प्रकार का
सुविधम् —अव्य॰—सु-विधम्—-—आसानी से
सुविनीत —वि॰—सु-विनीत—-—भली-भाँति प्रशिक्षित, विनयी
सुविनीता —स्त्री॰—सु-विनीता—-—सुशील गाय
सुविहित —वि॰—सु-विहित—-—भली भाँति रखा हुआ, अच्छी तरह जमा किया हुआ
सुविहित —वि॰—सु-विहित—-—सुव्यवस्थित, सुसंभृत, खाद्यसामग्री से युक्त, भली-भाँति क्रमबद्ध
सुवीज —वि॰—सु-वीज—-—अच्छे बीजों वाला
सुबीज —वि॰—सु-बीज—-—अच्छे बीजों वाला
सुवीजः —पुं॰—सु-वीजः —-—शिव का नाम
सुवीजः —पुं॰—सु-वीजः —-—खसखस
सुबीजः —पुं॰—सु-बीजः—-—शिव का नाम
सुबीजः —पुं॰—सु-बीजः—-—खसखस
सुबीजम् —नपुं॰—सु-बीजम्—-—अच्छा बीज
सुवीराम्लम् —नपुं॰—सु-वीराम्लम्—-— कांजी
सुवीर्य —वि॰—सु-वीर्य—-—अतिबलशाली
सुवीर्य —वि॰—सु-वीर्य—-—शौर्यबलयुक्त, शूरवीर, पराक्रमी
सुवीर्यम् —नपुं॰—सु-वीर्यम्—-—अतिशौर्य
सुवीर्यम् —नपुं॰—सु-वीर्यम्—-—शूरवीरों की बहुतायत
सुवीर्यम् —नपुं॰—सु-वीर्यम्—-—बेर का फल
सुवीर्या —स्त्री॰—सु-वीर्या—-—जंगली कपास
सुवृत्त —वि॰—सु-वृत्त—-—शिष्टाचार युक्त, सद्गुणी, नेक, भला
सुवृत्त —वि॰—सु-वृत्त—-—अच्छा गोल, सुन्दर वर्तुलाकार या गोल
सुवेल —वि॰—सु-वेल—-—शान्त, निश्चल
सुवेल —वि॰—सु-वेल—-—विनम्र, निस्तब्ध
सुवेलः —पुं॰—सु-वेलः—-—त्रिकूट पर्वत का नाम
सुव्रत —वि॰—सु-व्रत—-— धार्मिक व्रतों के पालन में दृढ़, सर्वथा धार्मिक तथा सद्गुणी
सुव्रतः —पुं॰—सु-व्रतः—-—ब्रह्मचारी
सुव्रता —स्त्री॰—सु-व्रता—-—सुन्दर व्रतवाली साध्वी पत्नी
सुव्रता —स्त्री॰—सु-व्रता—-—सुशील गाय, सीधी गाय जिसका दूध आसानी से निकाला जा सके
सुशंस —वि॰—सु-शंस—-—प्रख्यात, प्रसिद्ध, यशस्वी, प्रशंसनीय
सुशक —वि॰—सु-शक—-—सुसाध्य, आसान, सरल
सुशल्यः —पुं॰—सु-शल्यः—-—खदिर वृक्ष
सुशाकम् —नपुं॰—सु-शाकम्—-—अदरक
सुशासित —वि॰—सु-शासित—-—भली-भांति नियंत्रण में, सुनियंत्रित
सुशिक्षित —वि॰—सु-शिक्षित—-—सुशिक्षाप्राप्त, प्रशिक्षित, अच्छी तरह सधाया हुआ
सुशिखः —पुं॰—सु-शिखः—-—अग्नि
सुशिखा —स्त्री॰—सु-शिखा—-—मोर की शिखा
सुशिखा —स्त्री॰—सु-शिखा—-—मुर्गे की कलगी
सुशील —वि॰—सु-शील—-—अच्छे स्वभाव वाला, मिलनसार
सुशीला —स्त्री॰—सु-शीला—-—यम की पत्नी का नाम, कृष्ण की आठ प्रेयसियों में से एक
सुश्रुत —वि॰—सु-श्रुत—-—अच्छी तरह सुना हुआ
सुश्रुत —वि॰—सु-श्रुत—-—वेदज्ञ
सुश्रुतः —पुं॰—सु-श्रुतः—-—एक आयुर्वेद पद्धति का प्रणेता जिसकी कृति चरक की कृति के साथ-साथ आज भी भारतवर्ष में प्राचीनतम आयुर्वेद का प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता हैं
सुश्लिष्ट —वि॰—सु-श्लिष्ट—-—भली-भांति क्रमबद्ध, संयुक्त
सुश्लिष्ट —वि॰—सु-श्लिष्ट—-—भली-भांति उपयुक्त
सुश्लेषः —पुं॰—सु-श्लेषः—-—आलिंगन या घनिष्ठ मिलाप
सुसदृश् —वि॰—सु-सदृश्—-—देखने में रुचिकर
सुसन्नत —वि॰—सु-सन्नत—-—सुनिदेशित
सुसह —वि॰—सु-सह—-—जो आसानी से सहन किया जा सके
सुसह —वि॰—सु-सह—-—सहनशील, सहिष्णु
सुसहः —पुं॰—सु-सहः—-—शिव का विशेषण
सुसार —वि॰—सु-सार—-—अच्छे रस वाला, रसीला
सुसारः —पुं॰—सु-सारः—-—अच्छा रस, सत या अर्क
सुसारः —पुं॰—सु-सारः—-—सक्षमता
सुसारः —पुं॰—सु-सारः—-—लाल फूल का खदिर वृक्ष
सुस्थ —वि॰—सु-स्थ—-—समुपयुक्त, अच्छे अर्थ में प्रयुक्त
सुस्थ —वि॰—सु-स्थ—-—अच्छे स्वास्थ्य में, स्वस्थ, सुखी
सुस्थ —वि॰—सु-स्थ—-—अच्छी या समृद्ध परिस्थितियों में, समृद्धिशाली
सुस्थ —वि॰—सु-स्थ—-—प्रसन्न, भाग्यशाली
सुस्थम् —नपुं॰—सु-स्थम्—-— सुख की स्थिति, कल्याण
सुस्थिता —स्त्री॰—सु-स्थिता—-—अच्छी दशा, कुशल क्षेम, कल्याण, आनन्द
सुस्थिता —स्त्री॰—सु-स्थिता—-—स्वास्थ्य, रोगोपशमन
सुस्थितिः —स्त्री॰—सु-स्थितिः—-—अच्छी दशा, कुशल क्षेम, कल्याण, आनन्द
सुस्थितिः —स्त्री॰—सु-स्थितिः—-—स्वास्थ्य, रोगोपशमन
सुस्मित —वि॰—सु-स्मित—-—प्रसन्नतापूर्वक मुस्कराने वाला
सुस्मिता —स्त्री॰—सु-स्मिता—-—प्रसन्नवदना, हँसमुख स्त्री
सुस्वर —वि॰—सु-स्वर—-—सुरीला, सुमधुर स्वर वाला
सुस्वर —वि॰—सु-स्वर—-—उच्च स्वर
सुहित —वि॰—सु-हित—-—नितान्त योग्य या उपयुक्त, समुचित
सुहित —वि॰—सु-हित—-—हितकर, श्रेयस्कर
सुहित —वि॰—सु-हित—-—सौहार्दपूर्ण, स्नेही
सुहित —वि॰—सु-हित—-—सन्तुष्ट
सुहिता —स्त्री॰—सु-हिता—-—अग्नि की सात जिह्वाओं में से एक
सुहृद् —वि॰—सु-हृद्—-—कृपापूर्ण हृदय वाला, हार्दिक, मैत्रीपूर्ण, प्रिय, स्नेही
सुहृद् —पुं॰—सु-हृद्—-—मित्र
सुहृद् —पुं॰—सु-हृद्—-—मित्र
सुहृद्भेदः —पुं॰—सु-हृद्-भेदः—-—मित्रों का वियोग
सुहृद्वाक्यम् —नपुं॰—सु-हृद्-वाक्यम्—-—सद्भावपूर्ण सम्मति
सुहृदः —पुं॰—सु-हृदः—-—मित्र
सुहृदय —वि॰—सु-हृदय—-— सुन्दर हृदय वाला
सुहृदय —वि॰—सु-हृदय—-—प्रिय, स्नेही, प्रेमी
सुख —वि॰—-—सुख + अच्—प्रसन्न, आनन्दित, हर्षपूर्ण खुश
सुख —वि॰—-—सुख + अच्—रुचिकर, मधुर, सुहावना, मनोहर
सुख —वि॰—-—सुख + अच्—सद्गुणी, पुण्यात्मा
सुख —वि॰—-—सुख + अच्—आनन्द लेने वाला, अनुकूल
सुख —वि॰—-—सुख + अच्—आसान, सुकर
सुख —वि॰—-—सुख + अच्—योग्य, उपयुक्त
सुखम् —नपुं॰—-—सुख + अच्—आनन्द, हर्ष, खुशी, प्रसन्नता, आराम
सुखम् —नपुं॰—-—सुख + अच्—समृद्धि
सुखम् —नपुं॰—-—सुख + अच्—कुशलक्षेम, कल्याण, स्वास्थ्य
सुखम् —नपुं॰—-—सुख + अच्—चैन, आराम, प्रशमन
सुखम् —नपुं॰—-—सुख + अच्—सु्विधा, आसानी, सहूलियत
सुखम् —नपुं॰—-—सुख + अच्—स्वर्ग, वैकुण्ठ
सुखम् —नपुं॰—-—सुख + अच्—जल
सुखम् —अव्य॰—-—-—प्रसन्नतापूर्वक, हर्षपूर्वक
सुखम् —अव्य॰—-—-—सकुशल, स्वस्थ
सुखम् —अव्य॰—-—-—आसानी से, आराम से
सुखम् —अव्य॰—-—-—अनायास, आराम
सुखम् —अव्य॰—-—-—वस्तुतः, इच्छापूर्वक
सुखम् —अव्य॰—-—-—चुपचाप, शान्तिपूर्वक
सुखाधारः —पुं॰—सुख-आधारः—-—स्वर्ग
सुखाप्लव —वि॰—सुख-आप्लव—-—स्नान के लिए उपयुक्त
सुखायतः —पुं॰—सुख-आयतः—-—खूब सधाया हुआ या सीधा घोड़ा
सुखायनः —पुं॰—सुख-आयनः—-—खूब सधाया हुआ या सीधा घोड़ा
सुखारोह —वि॰—सुख-आरोह—-—जिसपर चढ़ना आसान हो
सुखालोक —वि॰—सुख-आलोक—-—सुदर्शन, मनोहर, प्रिय
सुखावह —वि॰—सुख-आवह—-—आनन्द की ओर ले जाने वाला, सुहावना, सुखकर
सुखाशः —पुं॰—सुख-आशः—-—वरुण का नाम
सुखाशकः —पुं॰—सुख-आशकः—-—ककड़ी
सुखास्वाद —वि॰—सुख-आस्वाद—-—मधुर स्वादयुक्त, मधुर रसयुक्त
सुखास्वाद —वि॰—सुख-आस्वाद—-—रुचिकर, आन्नदायी
सुखास्वादः —पुं॰—सुख-आस्वादः—-—सुखकर रस
सुखास्वादः —पुं॰—सुख-आस्वादः—-—उपभोग
सुखोत्सवः —पुं॰—सुख-उत्सवः—-—आनन्द मनाना, खुशी, उत्सव, आनन्दोत्सव
सुखोत्सवः —पुं॰—सुख-उत्सवः—-—पति
सुखोदकम् —नपुं॰—सुख-उदकम्—-—गरम पानी
सुखोदयः —पुं॰—सुख-उदयः—-—आनन्द की अनुभूति या सुख या उदय
सुखोदर्क —वि॰—सुख-उदर्क—-—फल में सुखदायी
सुखोद्य —वि॰—सुख-उद्य—-—जिसका उच्चारण रुचि के साथ या सुख से हो सके
सुखोपविष्ट —वि॰—सुख-उपविष्ट—-—आराम से बैठा हुआ, सुख से बैठा हुआ
सुखैषिन् —वि॰—सुख-एषिन्—-—आनन्द चाहने वाला, सु्ख की अभिलाषा करने वाला
सुखकर —वि॰—सुख-कर—-—आनन्द देने वाला, सुखकर, सुहावना
सुखकार —वि॰—सुख-कार—-—आनन्द देने वाला, सुखकर, सुहावना
सुखदायकः —वि॰—सुख-दायकः—-—आनन्द देने वाला, सुखकर, सुहावना
सुखद —वि॰—सुख-द—-—सुख देने वाला
सुखदा —वि॰—सुख-दा —-—इन्द्र के स्वर्ग की वारांगना
सुखदम् —नपुं॰—सुख-दम्—-—विष्णु का आसन
सुखबोधः —पुं॰—सुख-बोधः—-—सुख संवेदना
सुखबोधः —पुं॰—सुख-बोधः—-—आसानी से प्राप्य ज्ञान
सुखभागिन् —वि॰—सुख-भागिन्—-—प्रसन्न
सुखभाज् —वि॰—सुख-भाज्—-—प्रसन्न
सुखश्रव —वि॰—सुख-श्रव—-—कानों को मीठा, कर्णमधुर
सुखश्रुति —वि॰—सुख-श्रुति—-—कानों को मीठा, कर्णमधुर
सुखसङ्गिन् —वि॰—सुख-सङ्गिन्—-—सुख का साथी
सुखस्पर्श —वि॰—सुख-स्पर्श—-—छूने में सूखकर
सुत —भू॰ क॰ कृ॰—-—सु + क्त—उड़ेला गया
सुत —भू॰ क॰ कृ॰—-—सु + क्त—निकाला गया या निचोड़ा गया
सुत —भू॰ क॰ कृ॰—-—सु + क्त—जन्म दिया गया, उत्पादित, पैदा किया गया
सुतात्मजः —पुं॰—सुत-आत्मजः—-—पोता
सुतात्मजा —स्त्री॰—सुत-आत्मजा—-—पोती
सुतोत्पत्तिः —स्त्री॰—सुत-उत्पत्तिः—-—पुत्र का जन्म
सुतनिर्विशेषम् —अव्य॰—सुत-निर्विशेषम्—-—‘जो सीधे पुत्र से प्राप्त न हो’ ‘पुत्र की भांति’
सुतवस्करा —स्त्री॰—सुत-वस्करा—-—सात पुत्रों की माता
सुतस्नेहः —पुं॰—सुत-स्नेहः—-—पितृप्रेम, वात्सल्य
सुतवत् —वि॰—-—सुत + मतुप्—पुत्रों वाला
सुतवत् —पुं॰—-—सुत + मतुप्—पुत्र का पिता
सुता —स्त्री॰—-—सुत + टाप्—पुत्री
सुतिः —स्त्री॰—-—सु + क्तिन्—सोमरस का निकालना
सुतिन् —वि॰—-—सुत + इनि—बच्चे वाला या बच्चों वाला
सुतिनी —स्त्री॰—-—सुतिन् + ङीप्—माता
सुतुस् —वि॰—-—-—अच्छी आवाज वाला
सुत्या —स्त्री॰—-—सु + क्यप् + टाप्, तुक् —सोमरस निकालना या तैयार करना
सुत्या —स्त्री॰—-—सु + क्यप् + टाप्, तुक् —यज्ञीय आहुति
सुत्या —स्त्री॰—-—सु + क्यप् + टाप्, तुक् —प्रसव
सुत्रामन् —पुं॰—-—सुष्ठु त्रायते - सु + त्रै + मानिन्, पृषो॰—इन्द्र का नाम
सुत्वन् —पुं॰—-—सु + क्वनिप्, तुक्—सोमरस को उपहार में देने वाला या पीने वाला
सुत्वन् —पुं॰—-—सु + क्वनिप्, तुक्—वह ब्रह्मचारी जिसने आचमन और मार्जन का अनुष्ठान कर लिया है
सुदि —अव्य॰—-—सुष्ठु दीव्यति - सु + दिव् + डि—चान्द्रमास के शुक्लपक्ष में
सुधन्वाचार्यः —पुं॰—-—-—पतितवैश्य का सवर्णा स्त्री में उत्पन्न पुत्र
सुधा —स्त्री॰—-—सुष्ठु धीयते, पीयते धे (धा) + क + टाप्—देवों का पेय, पीयूष, अमृत
सुधा —स्त्री॰—-—सुष्ठु धीयते, पीयते धे (धा) + क + टाप्—फूलों का रस या मधु
सुधा —स्त्री॰—-—सुष्ठु धीयते, पीयते धे (धा) + क + टाप्—रस
सुधा —स्त्री॰—-—सुष्ठु धीयते, पीयते धे (धा) + क + टाप्—जल
सुधा —स्त्री॰—-—सुष्ठु धीयते, पीयते धे (धा) + क + टाप्—गंगा का नाम
सुधा —स्त्री॰—-—सुष्ठु धीयते, पीयते धे (धा) + क + टाप्—सफ़ेदी, पलस्तर, चूना
सुधा —स्त्री॰—-—सुष्ठु धीयते, पीयते धे (धा) + क + टाप्—ईंट
सुधा —स्त्री॰—-—सुष्ठु धीयते, पीयते धे (धा) + क + टाप्—बिजली
सुधा —स्त्री॰—-—सुष्ठु धीयते, पीयते धे (धा) + क + टाप्—सेंहुड
सुधांशुः —पुं॰—सुधा-अंशुः—-—चाँद
सुधांशुः —पुं॰—सुधा-अंशुः—-—कपूर
सुधांशुरत्नम् —नपुं॰—सुधा-अंशु-रत्नम्—-—मोती
सुधाङ्गः —पुं॰—सुधा-अङ्गः—-—पलस्तर करने वाला, ईंट की चिनाई करने वाला, राज
सुधाकारः —पुं॰—सुधा-आकारः—-—पलस्तर करने वाला, ईंट की चिनाई करने वाला, राज
सुधाधारः —पुं॰—सुधा-आधारः—-—पलस्तर करने वाला, ईंट की चिनाई करने वाला, राज
सुधाजीविन् —पुं॰—सुधा-जीविन्—-—पलस्तर करने वाला, ईंट की चिनाई करने वाला, राज
सुधाद्रवः —पुं॰—सुधा-द्रवः—-—अमृत के समान, तरलद्रव्य
सुधाधवलित —वि॰—सुधा-धवलित—-—पलस्तर किया हुआ, सफ़ेदी किया हुआ
सुधानिधिः —पुं॰—सुधा-निधिः—-—चाँद कपूर
सुधाभवनम् —नपुं॰—सुधा-भवनम्—-—चूने लिपा-पुता मकान
सुधाभित्तिः —स्त्री॰—सुधा-भित्तिः—-—पलस्तर की हुई दीवार
सुधाभित्तिः —स्त्री॰—सुधा-भित्तिः—-—ईटों की दीवार
सुधाभित्तिः —स्त्री॰—सुधा-भित्तिः—-—पाँचवाँ मुहूर्त या दोपहरबाद
सुधाभुज् —पुं॰—सुधा-भुज्—-—सुर, देव
सुधाभृतिः —पुं॰—सुधा-भृतिः—-—चाँद
सुधाभृतिः —पुं॰—सुधा-भृतिः—-—यज्ञ, आहुति
सुधामयम् —नपुं॰—सुधा-मयम्—-—ईंट या पत्थरों का बना मकान
सुधामयम् —नपुं॰—सुधा-मयम्—-—राजकीय महल
सुधावर्षः —पुं॰—सुधा-वर्षः—-—अमृतवर्षा
सुधावर्षिन् —पुं॰—सुधा-वर्षिन्—-—ब्रह्मा का विशेषण
सुधावासः —पुं॰—सुधा-वासः—-—चाँद, कपूर
सुधावासा —स्त्री॰—सुधा-वासा—-—एक प्रकार की ककड़ी
सुधासित —वि॰—सुधा-सित—-—चूने जैसा सफ़ेद
सुधासित —वि॰—सुधा-सित—-—अमृत जैसा उज्जवल
सुधासित —वि॰—सुधा-सित—-—अमृत से भरा हुआ
सुधासूतिः —पुं॰—सुधा-सूतिः—-—चांद
सुधासूतिः —पुं॰—सुधा-सूतिः—-—यज्ञ
सुधासूतिः —पुं॰—सुधा-सूतिः—-—कमल
सुधास्यन्दिन् —वि॰—सुधा-स्यन्दिन्—-—अमृतमय, अमृत बहाने वाला
सुधास्रवा —स्त्री॰—सुधा-स्रवा—-—तालुजिह्वा, कोमल तालु का लटकता हुआ मांसल भाग
सुधाहरः —पुं॰—सुधा-हरः—-—गरुड़ का विशेषण
सुधितिः —पुं॰, स्त्री॰—-—सु + धा + क्तिच्—कुल्हाड़ा
सुनारः —पुं॰—-—सुष्ठु नालमस्य - प्रा॰ ब॰, लस्य रः—कुतिया की औड़ी
सुनारः —पुं॰—-—सुष्ठु नालमस्य - प्रा॰ ब॰, लस्य रः—साँप का अण्डा
सुनारः —पुं॰—-—सुष्ठु नालमस्य - प्रा॰ ब॰, लस्य रः—चिड़िया, गोरैया
सुनासीरः —पुं॰—-—सुष्ठी नासीरम् अग्रसैन्यं यस्य - प्रा॰ ब॰—इन्द्र का विशेषण
सुनाशीरः —पुं॰—-—सुष्ठी नाशीरम् अग्रसैन्यं यस्य - प्रा॰ ब॰—इन्द्र का विशेषण
सुन्दः —पुं॰—-—-—एक राक्षस, उपसुंद का भाई- यह दोनों भाई निकुम्भ राक्षस के पुत्र थे
सुन्दर —वि॰—-—सुन्द् + अरः—प्रिय, मनोज्ञ, मनोहर, आकर्षक
सुन्दर —वि॰—-—सुन्द् + अरः—यथार्थ
सुन्दरः —पुं॰—-—-—कामदेव का नाम
सुन्दरी —स्त्री॰—-—-—मनोरम स्त्री
सुप्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—स्वप् + क्त—सोया हुआ, सोता हुआ, निद्राग्रस्त
सुप्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—स्वप् + क्त—लकवा मारा हुआ, स्तम्भित, सुन्न, बेहोश
सुप्तम् —नपुं॰—-—-—निद्रा, गहरी निद्रा
सुप्तजनः —पुं॰—सुप्तम्-जनः—-—सोता हुआ व्यक्ति
सुप्तजनः —पुं॰—सुप्तम्-जनः—-—मध्यरात्रि
सुप्तज्ञानम् —नपुं॰—सुप्तम्-ज्ञानम्—-—स्वप्न
सुप्तत्वच् —वि॰—सुप्तम्-त्वच्—-—अर्धांगग्रस्त, लकवा मारा हुआ
सुप्तिः —स्त्री॰—-—स्वप् + क्तिन्—निद्रा, सुस्ती, ऊंघ
सुप्तिः —स्त्री॰—-—स्वप् + क्तिन्—बेहोशी, लकवा, स्तम्भ, जाडय
सुप्तिः —स्त्री॰—-—स्वप् + क्तिन्—विश्वास, भरोसा
सुमः —पुं॰—-—सुष्ठु मीयतेऽदः - सु + मा + क—चाँद
सुमः —पुं॰—-—सुष्ठु मीयतेऽदः - सु + मा + क—कपूर
सुमः —पुं॰—-—सुष्ठु मीयतेऽदः - सु + मा + क—आकाश
सुमम् —नपुं॰—-—सुष्ठु मीयतेऽदः - सु + मा + क—फूल
सुरः —पुं॰—-—सुष्ठु राति ददात्यभीष्टम् - सु + रा + क—देव, देवता
सुरः —पुं॰—-—सुष्ठु राति ददात्यभीष्टम् - सु + रा + क—३३ की संख्या
सुरः —पुं॰—-—सुष्ठु राति ददात्यभीष्टम् - सु + रा + क—सूर्य
सुरः —पुं॰—-—सुष्ठु राति ददात्यभीष्टम् - सु + रा + क—ऋषि, विद्वान् पुरुष
सुराङ्गना —स्त्री॰—सुर-अङ्गना—-—दिव्यांगना, देवी, अप्सरा
सुराधिपः —पुं॰—सुर-अधिपः—-—इन्द्र का विशेषण
सुरारिः —पुं॰—सुर-अरिः—-—देवों का शत्रु, राक्षस
सुरारिः —पुं॰—सुर-अरिः—-—झींगुर की चींचीं
सुरार्हम् —नपुं॰—सुर-अर्हम्—-—सोना
सुरार्हम् —नपुं॰—सुर-अर्हम्—-—केसर, जाफ़रान
सुराचार्यः —पुं॰—सुर-आचार्यः—-—बृहस्पति का विशेषण
सुरापगा —स्त्री॰—सुर-आपगा—-—‘स्वर्गीय नदी’ गंगा का विशेषण
सुरालयः —पुं॰—सुर-आलयः—-—मेरु पर्वत
सुरालयः —पुं॰—सुर-आलयः—-—स्वर्ग, वैकुण्ठ
सुरेज्यः —पुं॰—सुर-इज्यः—-—बृहस्पति का नाम
सुरेज्या —स्त्री॰—सुर-इज्या—-—पवित्र तुलसी
सुरेन्द्रः —पुं॰—सुर-इन्द्रः—-—इन्द्र का नाम
सुरेशः —पुं॰—सुर-ईशः—-—इन्द्र का नाम
सुरेश्वरः —पुं॰—सुर-ईश्वरः—-—इन्द्र का नाम
सुरोत्तमः —पुं॰—सुर-उत्तमः—-—सूर्य
सुरोत्तमः —पुं॰—सुर-उत्तमः—-—इन्द्र
सुरोत्तरः —पुं॰—सुर-उत्तरः—-—चन्दन की लकड़ी
सुरऋषिः —पुं॰—सुर-ऋषिः—-—दिव्य ऋषि, देवर्षि
सुरकारुः —पुं॰—सुर-कारुः—-—विश्वकर्मा का विशेषण
सुरकार्मुकम् —नपुं॰—सुर-कार्मुकम्—-—इन्द्रधनुष
सुरगुरुः —पुं॰—सुर-गुरुः—-—बृहस्पति का विशेषण
सुरग्रामणी —पुं॰—सुर-ग्रामणी—-—इन्द्र का नाम
सुरज्येष्ठः —पुं॰—सुर-ज्येष्ठः—-—ब्रह्मा का विशेषण
सुरतरुः —पुं॰—सुर-तरुः—-—स्वर्ग का वृक्ष, कल्पवृक्ष
सुरतोषकः —पुं॰—सुर-तोषकः—-—कौस्तुभ नाम की मणि
सुरदारु —नपुं॰—सुर-दारु—-—देवदार वृक्ष
सुरदीर्घिका —स्त्री॰—सुर-दीर्घिका—-—गंगा का विशेषण
सुरदुन्दुभी —स्त्री॰—सुर-दुन्दुभी—-—पवित्रन् तुलसी
सुरद्विपः —पुं॰—सुर-द्विपः—-—देवों का हाथी
सुरद्विपः —पुं॰—सुर-द्विपः—-—ऐरावत
सुरद्विष् —पुं॰—सुर-द्विष्—-—राक्षस
सुरधनुस् —नपुं॰—सुर-धनुस्—-—इन्द्रधनुष
सुरधूपः —पुं॰—सुर-धूपः—-—तारपीन, राल
सुरनिम्नगा —स्त्री॰—सुर-निम्नगा—-—गंगा का विशेषण
सुरपतिः —पुं॰—सुर-पतिः—-—इन्द्र का विशेषण
सुरपथम् —नपुं॰—सुर-पथम्—-—आकाश, स्वर्ग
सुरपर्वतः —पुं॰—सुर-पर्वतः—-—मेरु पहाड़
सुरपादपः —पुं॰—सुर-पादपः—-—स्वर्ग का वृक्ष, जैसे कि कल्पतरु
सुरप्रियः —पुं॰—सुर-प्रियः—-—इन्द्र का नाम
सुरप्रियः —पुं॰—सुर-प्रियः—-—बृहस्पति का नाम
सुरभूयम् —नपुं॰—सुर-भूयम्—-—देव के साथ अनन्यरुपता, देवत्वग्रहण, देवत्वारोपण
सुरभूरुहः —पुं॰—सुर-भूरुहः—-—देवदारु वृक्ष
सुरयुवतिः —स्त्री॰—सुर-युवतिः—-—दिव्य तरुणी, अप्सरा
सुरलासिका —स्त्री॰—सुर-लासिका—-—मुरली, बांसुरी
सुरलोकः —पुं॰—सुर-लोकः—-—स्वर्ग
सुरवर्त्मन् —नपुं॰—सुर-वर्त्मन्—-—आकाश
सुरवल्ली —स्त्री॰—सुर-वल्ली—-—पवित्र तुलसी
सुरविद्विष् —पुं॰—सुर-विद्विष्—-—असुर, दानव, दैत्य
सुरवैरिन् —पुं॰—सुर-वैरिन्—-—असुर, दानव, दैत्य
सुरशत्रु —पुं॰—सुर-शत्रु—-—असुर, दानव, दैत्य
सुरसद्मन् —नपुं॰—सुर-सद्मन्—-—स्वर्ग, वैकुण्ठ
सुरसरित् —स्त्री॰—सुर-सरित्—-—गंगा
सुरसिन्धु —स्त्री॰—सुर-सिन्धु—-—गंगा
सुरसुन्दरी —स्त्री॰—सुर-सुन्दरी—-—दिव्यांगना, अप्सरा
सुरस्त्री —स्त्री॰—सुर-स्त्री—-—दिव्यांगना, अप्सरा
सुरङ्गः —पुं॰—-—-—अन्तःकक्षमार्ग, मकान के नीचे खोदा गया मार्ग
सुरङ्गा —स्त्री॰—-—-—अन्तःकक्षमार्ग, मकान के नीचे खोदा गया मार्ग
सुरभि —वि॰—-—सु + रभ् + इन्—मधुरगंधयुक्त, खुशबूदार, सुगंधयुक्त
सुरभि —वि॰—-—सु + रभ् + इन्—सुहावना, रुचिकर
सुरभि —वि॰—-—सु + रभ् + इन्—चमकीला, मनोहर
सुरभि —वि॰—-—सु + रभ् + इन्—प्रियतम, मित्रसदृश
सुरभि —वि॰—-—सु + रभ् + इन्—विख्यात, प्रसिद्ध
सुरभि —वि॰—-—सु + रभ् + इन्—बुद्धिमान, विद्वान्
सुरभि —वि॰—-—सु + रभ् + इन्—नेक, भला
सुरभिः —पुं॰—-—सु + रभ् + इन्—सुगंध, खुशबू, सुवास
सुरभिः —पुं॰—-—सु + रभ् + इन्—जायफ़ल
सुरभिः —पुं॰—-—सु + रभ् + इन्—साल वृक्ष की राल या कोई भी राल
सुरभिः —पुं॰—-—सु + रभ् + इन्—चम्पक वृक्ष
सुरभिः —पुं॰—-—सु + रभ् + इन्—शमी वृक्ष
सुरभिः —पुं॰—-—सु + रभ् + इन्—कदंब का पेड़
सुरभिः —पुं॰—-—सु + रभ् + इन्—एक प्रकार की सुगंधित घास
सुरभिः —पुं॰—-—सु + रभ् + इन्—वसन्त ऋतु
सुरभिः —स्त्री॰—-—सु + रभ् + इन्—लोबान का वृक्ष
सुरभिः —स्त्री॰—-—सु + रभ् + इन्—तुलसी
सुरभिः —स्त्री॰—-—सु + रभ् + इन्—मोतिया
सुरभिः —स्त्री॰—-—सु + रभ् + इन्—एक प्रकार की सुगम्ध, या सुगंधित पौधा
सुरभिः —स्त्री॰—-—सु + रभ् + इन्—मदिरा
सुरभिः —स्त्री॰—-—सु + रभ् + इन्—पृथ्वी
सुरभिः —स्त्री॰—-—सु + रभ् + इन्—गाय
सुरभिः —स्त्री॰—-—सु + रभ् + इन्—समृद्धि देने में प्रसिद्ध गाय
सुरभिः —स्त्री॰—-—सु + रभ् + इन्—मातृकाओं में से एक
सुरभिः —नपुं॰—-—सु + रभ् + इन्—मधुरगंध, सुवास, खुशबू
सुरभिः —नपुं॰—-—सु + रभ् + इन्—गंधक, सोना
सुरभिघृतम् —नपुं॰—सुरभि-घृतम्—-—सुगंधित मक्खन, खुशबूदार घी
सुरभित्रिफला —स्त्री॰—सुरभि-त्रिफला—-—जायफल
सुरभित्रिफला —स्त्री॰—सुरभि-त्रिफला—-— लौंग
सुरभित्रिफला —स्त्री॰—सुरभि-त्रिफला—-—सुपारी
सुरभिबाणः —पुं॰—सुरभि-बाणः—-—कामदेव का विशेषण
सुरभिमासः —पुं॰—सुरभि-मासः—-—वसंत ऋतु का आरम्भ
सुरभिका —स्त्री॰—-—सुरभि + कन् + टाप्—एक प्रकार का केला
सुरभिमत् —पुं॰—-—सुरभि + मतुप्—अग्नि का नाम
सुरा —स्त्री॰—-—सु + क्रन् + टाप्—मदिरा, शराब
सुरा —स्त्री॰—-—सु + क्रन् + टाप्—जल
सुरा —स्त्री॰—-—सु + क्रन् + टाप्—पान-पात्र
सुरा —स्त्री॰—-—सु + क्रन् + टाप्—साँप
सुराकारः —पुं॰—सुरा-आकारः—-—शराब खींचने की भट्टी
सुराजीवः —पुं॰—सुरा-आजीवः—-—कलाल
सुराजीविन् —पुं॰—सुरा-आजीविन्—-—कलाल
सुरालयः —पुं॰—सुरा-आलयः—-—मदिरालय, मधुशाला
सुरौदः —पुं॰—सुरा-उदः—-—शराब का समुद्र
सुराग्रहः —पुं॰—सुरा-ग्रहः—-—मदिरा भर कर रखा हुआ बर्त्तन
सुराध्वजः —पुं॰—सुरा-ध्वजः—-—शराब की दुकान के बाहर टंगा हुआ झंडा
सुराप —वि॰—सुरा-प—-—शराबी, मद्यप
सुराप —वि॰—सुरा-प—-—सुहावना, रुचिकर
सुराप —वि॰—सुरा-प—-—बुद्धिमान, ऋषि
सुरापाणम् —नपुं॰—सुरा-पाणम् —-—मदिरा या शराब का पीना
सुरापानम् —नपुं॰—सुरा-पानम्—-—मदिरा या शराब का पीना
सुरापात्रम् —नपुं॰—सुरा-पात्रम्—-—शराब का प्याला, या गिलास
सुराभाण्डम् —नपुं॰—सुरा-भाण्डम्—-—शराब का प्याला, या गिलास
सुराभागः —पुं॰—सुरा-भागः—-—खमीर, फेन
सुरामण्डः —पुं॰—सुरा-मण्डः—-—मदिरा के ऊपर जमने वाला फेन
सुरासन्धानम् —नपुं॰—सुरा-सन्धानम्—-—मदिरा खींचना
सुवर्ण —वि॰—-—सुष्ठु वर्णोऽस्य - प्रा॰ ब॰—अच्छे रंग का, सुन्दर रंग का, चमकीले रंग का, उज्ज्वल, पीला, सुनहरा
सुवर्ण —वि॰—-—सुष्ठु वर्णोऽस्य - प्रा॰ ब॰—अच्छी जाति या बिरादरी का
सुवर्ण —वि॰—-—सुष्ठु वर्णोऽस्य - प्रा॰ ब॰—अच्छी ख्याति का, यशस्वी, विख्यात
सुवर्णः —पुं॰—-—सुष्ठु वर्णोऽस्य - प्रा॰ ब॰—अच्छा रंग
सुवर्णः —पुं॰—-—सुष्ठु वर्णोऽस्य - प्रा॰ ब॰—अच्छी जाति या बिरादरी
सुवर्णः —पुं॰—-—सुष्ठु वर्णोऽस्य - प्रा॰ ब॰—एक प्रकार का यज्ञ
सुवर्णः —पुं॰—-—सुष्ठु वर्णोऽस्य - प्रा॰ ब॰—शिव का विशेषण
सुवर्णः —पुं॰—-—सुष्ठु वर्णोऽस्य - प्रा॰ ब॰—धतुरा
सुवर्णम् —नपुं॰—-—सुष्ठु वर्णोऽस्य - प्रा॰ ब॰—सोना
सुवर्णम् —नपुं॰—-—सुष्ठु वर्णोऽस्य - प्रा॰ ब॰—सोने का सिक्का
सुवर्णम् —नपुं॰—-—सुष्ठु वर्णोऽस्य - प्रा॰ ब॰—सोलह माशे के बराबर सोने का तोल या १७५ ग्रेन के लगभग
सुवर्णम् —नपुं॰—-—सुष्ठु वर्णोऽस्य - प्रा॰ ब॰—धन, दौलत, ऐश्वर्य
सुवर्णम् —नपुं॰—-—सुष्ठु वर्णोऽस्य - प्रा॰ ब॰—एक प्रकार की पीले चन्दन की लकड़ी
सुवर्णम् —नपुं॰—-—सुष्ठु वर्णोऽस्य - प्रा॰ ब॰—एक प्रकार का गेरु
सुवर्णाभिषेकः —पुं॰—सुवर्ण-अभिषेकः—-—दूल्हा और दूल्हिन पर उस जल के छींटे देने जिसमें का टुकड़ा डाला हुआ हो
सुवर्णकदली —पुं॰—सुवर्ण-कदली—-—केले का एक प्रकार
सुवर्णकर्तृ —पुं॰—सुवर्ण-कर्तृ—-—सु्नार
सुवर्णकार —पुं॰—सुवर्ण-कार—-—सु्नार
सुवर्णकृत् —पुं॰—सुवर्ण-कृत्—-—सु्नार
सुवर्णगणितम् —नपुं॰—सुवर्ण-गणितम्—-—गणित में हिसाब लगाने एक विशेष रीति
सुवर्णपुष्पित —वि॰—सुवर्ण-पुष्पित—-—सोने से भरा पूरा
सुवर्णपृष्ठ —वि॰—सुवर्ण-पृष्ठ—-—सोना चढ़ा हुआ, सोने का मुलम्मा चढ़ा हुआ
सुवर्णमाक्षिकम् —नपुं॰—सुवर्ण-माक्षिकम्—-—खनिज पदार्थ विशेष, सोनामाखी
सुवर्णयूथी —स्त्री॰—सुवर्ण-यूथी—-— पीली जूही
सुवर्णरुप्यक —वि॰—सुवर्ण-रुप्यक—-—सोने और चाँदी से भरपूर
सुवर्णरेतस् —पुं॰—सुवर्ण-रेतस्—-—शिव का विशेषण
सुवर्णसिद्धः —पुं॰—सुवर्ण-सिद्धः—-—जिसने जादू से सोना प्राप्त कर लिया हैं
सुवर्णस्तेयम् —नपुं॰—सुवर्ण-स्तेयम्—-—सोने की चोरी
सुवर्णकम् —नपुं॰—-—सुवर्ण + कन्—पीतल, कांसा
सुवर्णकम् —नपुं॰—-—सुवर्ण + कन्—सीसा
सुवर्णव्रत् —वि॰—-—सुवर्ण + मतुप्—सुनहरा
सुवर्णव्रत् —वि॰—-—सुवर्ण + मतुप्—सुनहरे रंग का, सुन्दर, मनोहर
सुषम —वि॰—-—सुष्ठु समं सर्व यस्मात् - प्रा॰ ब॰—अत्यन्त प्रिय या सुन्दर, बहुत सुखकर
सुषमा —स्त्री॰—-—सुष्ठु समं सर्व यस्मात् - प्रा॰ ब॰—परम सौन्दर्य, अत्यधिक आभा या कान्ति
सुषवी —स्त्री॰—-—सु + सु + अच् + ङीष्—एक प्रकार की लौकी
सुषवी —स्त्री॰—-—सु + सु + अच् + ङीष्—काला जीरा
सुषवी —स्त्री॰—-—सु + सु + अच् + ङीष्—जीरा
सुषादः —पुं॰—-—-—शिव का विशेषण
सुषिः —स्त्री॰—-—शुष् + इन्, पृषो॰ शस्य सः—छिद्र, सुराख
सुषिम —वि॰—-—सु + श्यै + मक्, सम्प्रसारण, पृषो॰—शीतल, ठंडा
सुषिम —वि॰—-—सु + श्यै + मक्, सम्प्रसारण, पृषो॰— सुखकर, रुचिकर
सुषीम —वि॰—-—सु + श्यै + मक्, सम्प्रसारण, पृषो॰—शीतल, ठंडा
सुषीम —वि॰—-—सु + श्यै + मक्, सम्प्रसारण, पृषो॰— सुखकर, रुचिकर
सुषिमः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का साँप
सुषिमः —पुं॰—-—-—चन्द्रकान्तमणि
सुषीमः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का साँप
सुषीमः —पुं॰—-—-—चन्द्रकान्तमणि
सुषिर —वि॰—-—शुष् + किरच्, पृषो॰ शस्य सः—छिद्रों से पूर्ण, खोखला, सरन्ध्र
सुषिर —वि॰—-—शुष् + किरच्, पृषो॰ शस्य सः—उच्चारण में मन्द
सुषिरम् —नपुं॰—-—शुष् + किरच्, पृषो॰ शस्य सः—छिद्र, रन्ध्र, सूराख
सुषिरम् —नपुं॰—-—शुष् + किरच्, पृषो॰ शस्य सः—कोई भी बाजा जो हवा से बजे
सुषुप्तिः —स्त्री॰—-—सु + स्वप् + क्तिन्—प्रगाढ़ निद्रा, प्रगाढ़ विश्राम
सुषुप्तिः —स्त्री॰—-—सु + स्वप् + क्तिन्—भारी बेहोसी या आत्मिक अज्ञान
सुषुम्णः —पुं॰—-—सुषु + म्ना + क—सूर्य की प्रधान किरणों में से एक
सुषुम्णा —स्त्री॰—-—सुषु + म्ना + क—शरीर की एक विशेष नाड़ी जो इडा तथा पिंगला नाम की वाहिकाओं के मध्य में स्थित है
सुष्ठु —अव्य॰—-—सु + स्था + कु—अच्छा, उत्तमता के साथ, सुन्दरता से
सुष्ठु —अव्य॰—-—सु + स्था + कु—अत्यन्त, बहुत ज्यादह
सुष्ठु —अव्य॰—-—सु + स्था + कु—सचमुच, ठीक
सुष्मम् —नपुं॰—-—सु + मक्, सुक्—रस्सी, डोरी, रज्जु
सुह्माः —पु॰ ब॰ व॰—-—-—एक राष्ट्र का नाम
सू —अदा॰ दिवा॰ आ॰ <सुते> <सूयते> <सूत>—-—-—उत्पन्न करना, पैदा करना, जन्म देना
प्रसू —अदा॰ दिवा॰ आ॰—प्र-सू—-—उत्पन्न करना, पैदा करना, जन्म देना
सू —तुदा॰ पर॰ <सुवति>—-—-—उत्तेजित करना, उकसाना, प्रेरित करना
सू —तुदा॰ पर॰ <सुवति>—-—-—परिशोध करना
सू —वि॰—-—सू + क्विप्—उत्पन्न करने वाला, पैदा करने वाला, फल देने वाला
सू —स्त्री॰—-—-—जन्म, माता
सूकः —पुं॰—-—सू + कन्—हवा, वायु
सूकरः —पुं॰—-—सू + करन्, कित्—वराह, सूअर
सूकरः —पुं॰—-—सू + करन्, कित्—एक प्रकार का हरिण
सूकरः —पुं॰—-—सू + करन्, कित्—कुम्हार
सूकरी —स्त्री॰—-—सू + करन्, कित्—सूअरी
सूकरी —स्त्री॰—-—सू + करन्, कित्—एक प्रकार की काई
सूकरी —स्त्री॰—-—सू + करन्, कित्—शैवाल
सूक्ष्म —वि॰—-—सूक् + मन्, सुक् च नेट्—बारीक, महीन, आणविक
सूक्ष्म —वि॰—-—सूक् + मन्, सुक् च नेट्—थोड़ा, छीटा
सूक्ष्म —वि॰—-—सूक् + मन्, सुक् च नेट्—बारीक, पतला, कोमल, बढ़िया
सूक्ष्म —वि॰—-—सूक् + मन्, सुक् च नेट्—उत्तम
सूक्ष्म —वि॰—-—सूक् + मन्, सुक् च नेट्—तेज, तीक्ष्ण, बेधी
सूक्ष्म —वि॰—-—सूक् + मन्, सुक् च नेट्—कलाभिज्ञ, चालबाज, धूर्त, प्रवीण
सूक्ष्म —वि॰—-—सूक् + मन्, सुक् च नेट्—यथार्थ, यथातथ्य, बिल्कुल सही, ठीक
सूक्ष्मः —पुं॰—-—सूक् + मन्, सुक् च नेट्—अणु
सूक्ष्मः —पुं॰—-—सूक् + मन्, सुक् च नेट्—केतक का पौधा
सूक्ष्मः —पुं॰—-—सूक् + मन्, सुक् च नेट्—शिव का विशेषण
सूक्ष्मम् —नपुं॰—-—सूक् + मन्, सुक् च नेट्—सर्वव्यापक सूक्ष्म तत्त्व, परमात्मा
सूक्ष्मम् —नपुं॰—-—सूक् + मन्, सुक् च नेट्—बारीकी
सूक्ष्मम् —नपुं॰—-—सूक् + मन्, सुक् च नेट्—सन्यासियों द्वारा प्राप्य तीन प्राकर की शक्तियों में से एक
सूक्ष्मम् —नपुं॰—-—सूक् + मन्, सुक् च नेट्—कलाभिज्ञता, प्रवीणता
सूक्ष्मम् —नपुं॰—-—सूक् + मन्, सुक् च नेट्—जालसाजी, धोखा
सूक्ष्मम् —नपुं॰—-—सूक् + मन्, सुक् च नेट्—बारीक धागा
सूक्ष्मम् —नपुं॰—-—सूक् + मन्, सुक् च नेट्—एक अलंकार का नाम जिसकी परिभाषा आचार्य मम्मट ने इस प्रकार दी है
सूक्ष्मैला —स्त्री॰—सूक्ष्म-एला—-—छोटी इलायची
सूक्ष्मतण्डुलः —पुं॰—सूक्ष्म-तण्डुलः—-—पोस्त
सूक्ष्मतण्डुला —स्त्री॰—सूक्ष्म-तण्डुला—-—पीपल, पीपली
सूक्ष्मतण्डुला —स्त्री॰—सूक्ष्म-तण्डुला—-—एक प्रकार का घास
सूक्ष्मदर्शितम् —स्त्री॰—सूक्ष्म-दर्शिताम्—-—सूक्ष्मदृष्टि होने का भाव, तीक्ष्णता, अग्रदृष्टि, बुद्धिमानी
सूक्ष्मदर्शिन् —वि॰—सूक्ष्म-दर्शिन्—-—तेज नजर वाला, श्येन जैसी दृष्टि वाला
सूक्ष्मदर्शिन् —वि॰—सूक्ष्म-दर्शिन्—-—बारीक विवेचन कर्ता
सूक्ष्मदर्शिन् —वि॰—सूक्ष्म-दर्शिन्—-—तीक्ष्ण, तेज मन वाला
सूक्ष्मदृष्टि —वि॰—सूक्ष्म-दृष्टि—-—तेज नजर वाला, श्येन जैसी दृष्टि वाला
सूक्ष्मदृष्टि —वि॰—सूक्ष्म-दृष्टि—-—बारीक विवेचन कर्ता
सूक्ष्मदृष्टि —वि॰—सूक्ष्म-दृष्टि—-—तीक्ष्ण, तेज मन वाला
सूक्ष्मदारु —नपुं॰—सूक्ष्म-दारु—-—लकड़ी का पतला तख्ता, फलक
सूक्ष्मदेहः —पुं॰—सूक्ष्म-देहः—-—लिंग शरीर जो सूक्ष्म पंच महाभूतों से युक्त है
सूक्ष्मशरीरम् —नपुं॰—सूक्ष्म-शरीरम्—-—लिंग शरीर जो सूक्ष्म पंच महाभूतों से युक्त है
सूक्ष्मपत्रः —पुं॰—सूक्ष्म-पत्रः—-—धनिया
सूक्ष्मपत्रः —पुं॰—सूक्ष्म-पत्रः—-—एक प्रकार का जंगली जीरा
सूक्ष्मपत्रः —पुं॰—सूक्ष्म-पत्रः—-—एक प्रकार का लाल गन्ना
सूक्ष्मपत्रः —पुं॰—सूक्ष्म-पत्रः—-—बबूल का पेड़
सूक्ष्मपत्रः —पुं॰—सूक्ष्म-पत्रः—-—एक प्रकार की सरसों
सूक्ष्मपर्णी —स्त्री॰—सूक्ष्म-पर्णी—-—एक प्रकार की तुलसी
सूक्ष्मपिप्पली —स्त्री॰—सूक्ष्म-पिप्पली—-—बनपीपली
सूक्ष्मबुद्धि —वि॰—सूक्ष्म-बुद्धि—-—तेज बुद्धिवाला, प्रखर, बुद्धिमान, प्रतिभाशाली
सूक्ष्मबुद्धिः —स्त्री॰—सूक्ष्म-बुद्धिः—-—तेज बुद्धि, सूक्ष्म प्रतिभा, मानसिक प्रगल्भता
सूक्ष्ममक्षिकम् —नपुं॰—सूक्ष्म-मक्षिकम्—-—मच्छर डांस
सूक्ष्ममक्षिका —स्त्री॰—सूक्ष्म-मक्षिका—-—मच्छर डांस
सूक्ष्ममानम् —नपुं॰—सूक्ष्म-मानम्—-—यथार्थ माप, सही से गणना
सूक्ष्मशर्करा —स्त्री॰—सूक्ष्म-शर्करा—-—बारीक बजरी, रेत, बालुका
सूक्ष्मशालिः —पुं॰—सूक्ष्म-शालिः—-—एक प्रकार का बारीक चावल
सूक्ष्मषट्चरणः —पुं॰—सूक्ष्म-षट्चरणः—-—एक प्रकार की जूं, जमजूं
सूच् —चुरा॰ उभ॰ <सूचयति> <सूचयते> सूचित—-—-—बीधना
सूच् —चुरा॰ उभ॰ <सूचयति> <सूचयते> सूचित—-—-—निर्देश करना, इंगित करना, बतलाना, प्रकट करना, साबित करना
सूच् —चुरा॰ उभ॰ <सूचयति> <सूचयते> सूचित—-—-—भेद खोलना, प्रकट करना, भण्डाफोड़ करना
सूच् —चुरा॰ उभ॰ <सूचयति> <सूचयते> सूचित—-—-—हावभाव व्यक्त करना, अभिनय करना, इशारों से सूचित करना
सूच् —चुरा॰ उभ॰ <सूचयति> <सूचयते> सूचित—-—-—पता लगाना, गुप्त भेद जानना, निश्चय करना
अभिसूच् —चुरा॰ उभ॰—अभि-सूच्—-—दिखलाना, संकेत करना
प्रसूच् —चुरा॰ उभ॰—प्र-सूच्—-—संकेत करना, सूचित करना
सूचः —पुं॰—-—सूच् + अच्—कुशा का नुकीला अंकुर या पत्ता
सूचक —वि॰—-—सूच् + ण्वुल्—संकेत परक, संकेत करने वाला, सिद्ध करने वाला, दिखलाने वाला
सूचक —पुं॰—-—सूच् + ण्वुल्—प्रकट करने वाला, सूचित करने वाला
सूचकः —पुं॰—-—सूच् + ण्वुल्—वेधक
सूचकः —पुं॰—-—सूच् + ण्वुल्—सूई, छिद्र करने या सीने के लिए कोई उपकरण
सूचकः —पुं॰—-—सूच् + ण्वुल्—सूचना देने वाला, कहानी बतलाने वाला, बदनाम करने वाला, भेदिया
सूचकः —पुं॰—-—सूच् + ण्वुल्—वर्णन करने वाला, पढ़ाने वाला, सिखाने वाला
सूचकः —पुं॰—-—सूच् + ण्वुल्—किसी मण्डली का प्रबन्धक या प्रधान अभिनेता
सूचकः —पुं॰—-—सूच् + ण्वुल्—बुद्ध
सूचकः —पुं॰—-—सूच् + ण्वुल्—सिद्ध
सूचकः —पुं॰—-—सूच् + ण्वुल्—दुष्ट, बदमाश
सूचकः —पुं॰—-—सूच् + ण्वुल्—राक्षस, पिशाच
सूचकः —पुं॰—-—सूच् + ण्वुल्—कुत्ता
सूचकः —पुं॰—-—सूच् + ण्वुल्—कौवा
सूचकः —पुं॰—-—सूच् + ण्वुल्—बिलाव
सूचकः —पुं॰—-—सूच् + ण्वुल्—एक प्रकार का महीन चावल
सूचकवाक्यम् —नपुं॰—सूचक-वाक्यम्—-—किसी सूचना देने वाले द्वारा दी गई सूचना
सूचनम् —नपुं॰—-—सूच् + भावे ल्युट्—बींधने या छिद्र करने की क्रिया, सुराख करना, छेदना
सूचनम् —नपुं॰—-—सूच् + भावे ल्युट्—इशारे से बताना, संकेत करना, सूचित करना
सूचनम् —नपुं॰—-—सूच् + भावे ल्युट्—विरुद्ध सूचित करना, भेद खोलना, कलंक लगाना, बदनाम करना
सूचनम् —नपुं॰—-—सूच् + भावे ल्युट्—हाव-भाव प्रकट करना, उचित चेष्टाओं या चिन्हों से संकेत करना
सूचनम् —नपुं॰—-—सूच् + भावे ल्युट्—इशारा करना, इंगित
सूचनम् —नपुं॰—-—सूच् + भावे ल्युट्—सूचना
सूचनम् —नपुं॰—-—सूच् + भावे ल्युट्—पढा़ना, दिखाना, वर्णन करना
सूचनम् —नपुं॰—-—सूच् + भावे ल्युट्—गुप्त भेद जानना, रहस्य का पता लगाना, देखना, निश्चय करना
सूचनम् —नपुं॰—-—सूच् + भावे ल्युट्—दुष्टता, बदमाशी
सूचना —स्त्री॰—-—सूच् + भावे ल्युट् + टाप्—बींधने या छिद्र करने की क्रिया, सुराख करना, छेदना
सूचना —स्त्री॰—-—सूच् + भावे ल्युट् + टाप्—इशारे से बताना, संकेत करना, सूचित करना
सूचना —स्त्री॰—-—सूच् + भावे ल्युट् + टाप्—विरुद्ध सूचित करना, भेद खोलना, कलंक लगाना, बदनाम करना
सूचना —स्त्री॰—-—सूच् + भावे ल्युट् + टाप्—हाव-भाव प्रकट करना, उचित चेष्टाओं या चिन्हों से संकेत करना
सूचना —स्त्री॰—-—सूच् + भावे ल्युट् + टाप्—इशारा करना, इंगित
सूचना —स्त्री॰—-—सूच् + भावे ल्युट् + टाप्—सूचना
सूचना —स्त्री॰—-—सूच् + भावे ल्युट् + टाप्—पढा़ना, दिखाना, वर्णन करना
सूचना —स्त्री॰—-—सूच् + भावे ल्युट् + टाप्—गुप्त भेद जानना, रहस्य का पता लगाना, देखना, निश्चय करना
सूचना —स्त्री॰—-—सूच् + भावे ल्युट् + टाप्—दुष्टता, बदमाशी
सूचा —स्त्री॰—-—सूक् + अ + टाप्—बींधना
सूचा —स्त्री॰—-—सूक् + अ + टाप्—हावभाव
सूचा —स्त्री॰—-—सूक् + अ + टाप्—भेद जानन, देखना, दृष्टि
सूचिः —स्त्री॰—-—सूच् + इन् —बींधना, छेद करना
सूचिः —स्त्री॰—-—सूच् + इन् —सूई
सूचिः —स्त्री॰—-—सूच् + इन् —तेज नोक, या नुकीली पत्ती
सूचिः —स्त्री॰—-—सूच् + इन् —तेज नोक या किसी वस्तु का सिरा
सूचिः —स्त्री॰—-—सूच् + इन् —कलिका की नोक
सूचिः —स्त्री॰—-—सूच् + इन् —एक प्रकार का सैनिकव्यूह, स्तंभ या पंक्ति
सूचिः —स्त्री॰—-—सूच् + इन् —समलंबक के पार्श्वों से निर्मित्त त्रिकोण
सूचिः —स्त्री॰—-—सूच् + इन् —शंकु, स्तूप
सूचिः —स्त्री॰—-—सूच् + इन् —अंगचेष्टाओं से संकेत करना, संकेतों द्वारा बतलाना, हावभाव
सूचिः —स्त्री॰—-—सूच् + इन् —नृत्यविशेष
सूचिः —स्त्री॰—-—सूच् + इन् —नाटकीय कर्म
सूचिः —स्त्री॰—-—सूच् + इन् —विषयानुक्रमणिका, विषयसूची
सूचिः —स्त्री॰—-—सूच् + इन् —फ़हरिस्त, विवरणिका
सूचिः —स्त्री॰—-—सूच् + इन् —ग्रहण की संगणना के लिए पृथ्वी का गोला
सूची —स्त्री॰—-—सूच् +ङीप्—बींधना, छेद करना
सूची —स्त्री॰—-—सूच् +ङीप्—सूई
सूची —स्त्री॰—-—सूच् +ङीप्—तेज नोक, या नुकीली पत्ती
सूची —स्त्री॰—-—सूच् +ङीप्—तेज नोक या किसी वस्तु का सिरा
सूची —स्त्री॰—-—सूच् +ङीप्—कलिका की नोक
सूची —स्त्री॰—-—सूच् +ङीप्—एक प्रकार का सैनिकव्यूह, स्तंभ या पंक्ति
सूची —स्त्री॰—-—सूच् +ङीप्—समलंबक के पार्श्वों से निर्मित्त त्रिकोण
सूची —स्त्री॰—-—सूच् +ङीप्—शंकु, स्तूप
सूची —स्त्री॰—-—सूच् +ङीप्—अंगचेष्टाओं से संकेत करना, संकेतों द्वारा बतलाना, हावभाव
सूची —स्त्री॰—-—सूच् +ङीप्—नृत्यविशेष
सूची —स्त्री॰—-—सूच् +ङीप्—नाटकीय कर्म
सूची —स्त्री॰—-—सूच् +ङीप्—विषयानुक्रमणिका, विषयसूची
सूची —स्त्री॰—-—सूच् +ङीप्—फ़हरिस्त, विवरणिका
सूची —स्त्री॰—-—सूच् +ङीप्—ग्रहण की संगणना के लिए पृथ्वी का गोला
सूच्यग्र —वि॰—सूचि-अग्र—-—सूई की भांति नोक वाला, सूई के समान तेज नोक रखने वाला, पैना किया हुआ
सूच्यग्रम् —नपुं॰—सूचि-अग्रम्—-—सूई की नोक
सूच्यास्यः —पुं॰—सूचि-आस्यः—-—चूहा
सूचिखातः —पुं॰—सूचि-खातः—-—स्तूप की खुदाई, शंकु
सूचिपत्रकम् —नपुं॰—सूचि-पत्रकम्—-—अनुक्रमणिका, विषयसूचि
सूचिपत्रकः —पुं॰—सूचि-पत्रकः—-—एक प्रकार का शाक, सितावार
सूचिपुष्पः —पुं॰—सूचि-पुष्पः—-—केतक वृक्ष
सूचिभिन्न —वि॰—सूचि-भिन्न—-—कली के किनारों का खिलना
सूचिभेद्यः —वि॰—सूचि-भेद्यः—-—जो सूई के द्वारा बींधा जा सके
सूचिभेद्यः —पुं॰—सूचि-भेद्यः—-—मोटा, सघन, घोर, गाढ़ा, बिल्कुल
सूचिभेद्यः —पुं॰—सूचि-भेद्यः—-—स्पर्शज्ञेय, सहजग्राह्य
सूचिमुख —वि॰—सूचि-मुख—-—सूई जैसा मुख वाला, नुकीला चोंच वाला
सूचिमुख —वि॰—सूचि-मुख—-—नुकीला
सूचिमुखः —पुं॰—सूचि-मुखः—-—पक्षी
सूचिमुखः —पुं॰—सूचि-मुखः—-—सफेद कुशा
सूचिमुखः —पुं॰—सूचि-मुखः—-—हाथों की विशेष स्थिति
सूचिमुखम् —नपुं॰—सूचि-मुखम्—-—हीरा
सूचिरोमन् —पुं॰—सूचि-रोमन्—-—सूअर
सूचिवदन —वि॰—सूचि-वदन—-—सूई जैसा मुख वाला, नुकीला चोंच वाला
सूचिवदनः —पुं॰—सूचि-वदनः—-—डांस, मच्छर
सूचिवदनः —पुं॰—सूचि-वदनः—-—नेवला
सूचिशालिः —पुं॰—सूचि-शालिः—-—एक प्रकार का बारीक चावल
सूचिकः —पुं॰—-—सूचि + ठन्—दर्जी
सूचिका —स्त्री॰—-—सूचि + क + टाप्—सूई
सूचिका —स्त्री॰—-—सूचि + क + टाप्—हाथी की सूंड
सूचिकाधरः —पुं॰—सूचिका-धरः—-—हाथी
सूचिकामुख —वि॰—सूचिका-मुख—-—नुकीले मुँह वाला, नुकीले सिर वाला
सूचिकामुखम् —नपुं॰—सूचिका-मुखम्—-—खोल, सीपी, शंख
सूचित —भू॰ क॰ कृ॰—-—सूच् + क्त—बींधा हुआ, सूराख किया हुआ, छिद्रित
सूचित —भू॰ क॰ कृ॰—-—सूच् + क्त—इशारे से बताया हुआ, दिखाया हुआ, सूचना दिया हुआ, संकेतित, इंगित किया हुआ
सूचित —भू॰ क॰ कृ॰—-—सूच् + क्त—जतलाया गया या हावभावों से संकेतित
सूचित —भू॰ क॰ कृ॰—-—सूच् + क्त—समाचार दिया गया, उक्त, प्रकट किया गया
सूचित —भू॰ क॰ कृ॰—-—सूच् + क्त—निश्चय किया गया, ज्ञात
सूचिन् —वि॰—-—सूच् + णिनि—बेधने वाला, छिद्र करने वाला
सूचिन् —वि॰—-—सूच् + णिनि—इशारा करने वाला, सूचना देने वाला, संकेत करने वाला
सूचिन् —वि॰—-—सूच् + णिनि—विरुद्ध सूचित करने वाला
सूचिन् —वि॰—-—सूच् + णिनि—रहस्य का पता लगाने वाला
सूचिन् —पुं॰—-—सूच् + णिनि—भेदिया, सूचना देने वाला
सूचिनी —स्त्री॰—-—सूचिन् + ङीप्—सूई
सूचिनी —स्त्री॰—-—सूचिन् + ङीप्—रात
सूच्य —वि॰—-—सूच् + ण्यत्—सूचित किये जाने योग्य, जताया जाने योग्य
सूत् —अव्य॰—-—-—अनुकरणात्मक ध्वनि
सूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—सू + क्त—जन्मा हुआ, उत्पन्न, जन्म दिया हुआ, पैदा किया हुआ
सूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—सू + क्त—प्रेरित, उद्गीर्ण
सूतः —पुं॰—-—-—रथवान, सारथि
सूतः —पुं॰—-—-—ब्राह्मणवर्ण की स्त्री में क्षत्रिय द्वारा उत्पन्न पुत्र
सूतः —पुं॰—-—-—व्यास के एक शिष्य का नाम
सूततनयः —पुं॰—सूततनयः—-—कर्ण का विशेषण
सूतराज् —पुं॰—सूतराज्—-—पारा
सूतकम् —नपुं॰—-—सूत + कन्—जन्म, पैदायश
सूतकम् —नपुं॰—-—सूत + कन्—प्रसव के कारण उत्पन्न अशौच
सूतका —स्त्री॰—-—सूत + कन् + टाप्—सद्यः प्रसूता, वह स्त्री जिसने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया हो, जच्चा
सूता —स्त्री॰—-—सूत + टाप्—जच्चा स्त्री
सूतिः —स्त्री॰—-—सू + क्तिन्—जन्म, पैदायश, प्रसव, जनन, बच्चा पैदा करना
सूतिः —स्त्री॰—-—सू + क्तिन्—सन्तान, प्रजा
सूतिः —स्त्री॰—-—सू + क्तिन्—स्रोत, मूलस्रोत, आदिकरण
सूतिः —स्त्री॰—-—सू + क्तिन्—वह स्थान जहाँ सोमरस निकाला जाता है
सूतिअशौचम् —नपुं॰—सूत्यशौचम्—-—परिवार बच्चे के कारण जो अपवित्रता
सूतिगृहम् —नपुं॰—सूतिगृहम्—-—जच्चा घर, प्रसूति गृह
सूतिमासः —पुं॰—सूतिमासः—-—प्रसव का महीना, गर्भाधान के पश्चात् दसवाँ महीना
सूतिका —स्त्री॰—-—सूत + कन् + टाप्, इत्वम्—वह स्त्री जिसके हाल ही में बच्चा हुआ हो, जच्चा
सूतिकाअगारम् —नपुं॰—सूतिकागारम्—-—जच्चाखाना, सौरी
सूतिकागृहम् —नपुं॰—सूतिकागृहम्—-—जच्चाखाना, सौरी
सूतिकागेहम् —नपुं॰—सूतिकागेहम्—-—जच्चाखाना, सौरी
सूतिकाभवनम् —नपुं॰—सूतिकाभवनम्—-—जच्चाखाना, सौरी
सूतिकारोगः —पुं॰—सूतिकारोगः—-—प्रसव के पश्चात होने वाला रोग
सूतिकाषष्ठी —स्त्री॰—सूतिकाषष्ठी—-—प्रसव के पश्चात छठे दिन पूजी जाने वाली देवी विशेष का नाम
सूत्परम् —नपुं॰—-—सु + उद् + पृ + अप्—मदिरा का खींचना या चुआना
सूत्या —स्त्री॰—-—सू + क्यप् + टाप्, तुक्—सोमरस निकालना या तैयार करना
सूत्या —स्त्री॰—-—सू + क्यप् + टाप्, तुक्—यज्ञीय आहुति
सूत्या —स्त्री॰—-—सू + क्यप् + टाप्, तुक्—प्रसव
सूत्र् —चुरा॰ उभ॰ <सूत्रयति> <सूत्रयते> <सूत्रित>—-—-—बांधना, कसना, धागा डालना, नत्थी करना
सूत्र् —चुरा॰ उभ॰ <सूत्रयति> <सूत्रयते> <सूत्रित>—-—-—सूत्र के रुप में या संक्षेप से रचना करना
सूत्र् —चुरा॰ उभ॰ <सूत्रयति> <सूत्रयते> <सूत्रित>—-—-—योजना बनाना, क्रमबद्ध करना, ठीक पद्धति में रखना
सूत्र् —चुरा॰ उभ॰ <सूत्रयति> <सूत्रयते> <सूत्रित>—-—-—शिथिल करना, ठीला करना
सूत्रम् —नपुं॰—-—सूत्र + अच्—धागा, डोरी, रेखा, रस्सी
सूत्रम् —नपुं॰—-—सूत्र + अच्—रेशा, तन्तु
सूत्रम् —नपुं॰—-—सूत्र + अच्—तार
सूत्रम् —नपुं॰—-—सूत्र + अच्—धागों की आटी
सूत्रम् —नपुं॰—-—सूत्र + अच्—यज्ञोपवीत, जनेऊ
सूत्रम् —नपुं॰—-—सूत्र + अच्—पुत्तलिका का तार या डोरी
सूत्रम् —नपुं॰—-—सूत्र + अच्—संक्षिप्त विधि, गुर, सूत्र
सूत्रम् —नपुं॰—-—सूत्र + अच्—परिभाषा परक संक्षिप्त वाक्य
सूत्रम् —नपुं॰—-—सूत्र + अच्—सूत्रग्रन्थ
सूत्रम् —नपुं॰—-—सूत्र + अच्—विधि, धर्म-सूत्र, अज्ञाप्ति
सूत्रम्आत्मन् —वि॰—सूत्रात्मन्—-—डोरी या धागे के स्वभाव वाला
सूत्रम्आत्मन् —पुं॰—सूत्रात्मन्—-—आत्मा
सूत्रम्आली —स्त्री॰—सूत्राली—-—माला, हार
सूत्रम्कण्ठः —पुं॰—सूत्रकण्ठः—-—ब्राह्मण
सूत्रम्कण्ठः —पुं॰—सूत्रकण्ठः—-—कबूतर, पेंडुकी
सूत्रम्कण्ठः —पुं॰—सूत्रकण्ठः—-—खंजन, पक्षी
सूत्रम्कर्मन् —नपुं॰—सूत्रकर्मन्—-—बढ़ई का काम
सूत्रम्कारः —पुं॰—सूत्रकारः—-—सूत्र रचने वाला
सूत्रम्कृत् —पुं॰—सूत्रकृत्—-—सूत्र रचने वाला
सूत्रम्कोणः —पुं॰—सूत्रकोणः—-—डमरु, डुगडुगी
सूत्रम्कोण्कः —पुं॰—सूत्रकोण्कः—-—डमरु, डुगडुगी
सूत्रम्गण्डिका —स्त्री॰—सूत्रगण्डिका—-—एक प्रकार की यष्टिका जिसका उपयोग जुलाहे धागे लपेटने में करते हैं
सूत्रम्चरणम् —नपुं॰—सूत्रचरणम्—-—वैदिक विद्यामन्दिर जिनके द्वारा अनेक सूत्रग्रन्थों का निर्माण हुआ
सूत्रम्दरिद्र —वि॰—सूत्रदरिद्र—-—कम धागों वाला वह कपड़ा जिसमें थोड़े धागे लगे हुए हो, झीना
सूत्रम्धरः —पुं॰—सूत्रधरः—-—‘डोरी पकड़ने वाला’ रंगमंच का प्रबन्धक, वह प्रधान नट जो पात्रों को एकत्र करके उन्हें प्रशिक्षित करता है, तथा जो प्रस्तावना में प्रमुख कार्य करता है
सूत्रम्धरः —पुं॰—सूत्रधरः—-—बढ़ई, दस्तकार
सूत्रम्धरः —पुं॰—सूत्रधरः—-—सूत्रकार
सूत्रम्धरः —पुं॰—सूत्रधरः—-—इन्द्र का विशेषण
सूत्रम्पिटकः —पुं॰—सूत्रपिटकः—-—बुद्धसंबन्धी त्रिपिटक का प्रथम खंड
सूत्रम्पुष्पः —पुं॰—सूत्रपुष्पः—-—कपास का पौधा
सूत्रम्भिद् —पुं॰—सूत्रभिद्—-—दर्जी
सूत्रम्भृत् —पुं॰—सूत्रभृत्—-—सूत्रधार
सूत्रम्यन्त्रम् —नपुं॰—सूत्रयन्त्रम्—-—‘धागा यंत्र’ ढरकी
सूत्रम्यन्त्रम् —नपुं॰—सूत्रयन्त्रम्—-—जुलाहे की खड्डी
सूत्रम्वीणा —स्त्री॰—सूत्रवीणा—-—एक प्रकार की बांसुरी
सूत्रम्वेष्टनम् —नपुं॰—सूत्रवेष्टनम्—-—जुलाहे की ढरकी
सूत्रणम् —नपुं॰—-—सूत्र + ल्युट्—मिलाकर नत्थी करना, क्रम में रखना, क्रमबद्ध करना
सूत्रणम् —नपुं॰—-—सूत्र + ल्युट्—सूत्रों के अनुसार क्रमपूर्वक रखना
सूत्रला —स्त्री॰—-—सूत्र + ला + क + टाप्—तकवा, तकली
सूत्रामन् —पुं॰—-—-—इन्द्र का नाम
सूत्रिका —स्त्री॰—-—सूत्र + ण्वुल् + टाप्, इत्वम्—सेंवई, सीमी
सूत्रित —भू॰ क॰ कृ॰—-—सूत्र् + क्त—नत्थी किया हुआ, क्रमबद्ध, प्रणालीबद्ध, पद्धतिकृत
सूत्रित —भू॰ क॰ कृ॰—-—सूत्र् + क्त—सूत्रविहित, सूत्रों के रुप में अभिहित
सूत्रिन् —वि॰—-—सूत्र + इनि—धागों वाला
सूत्रिन् —वि॰—-—सूत्र + इनि—नियमों वाला
सूद् —भ्वा॰ आ॰ <सूदते>—-—-—प्रहार करना, चोट पहुँचाना, घायल करना, मार डालना, नष्ट करना
सूद् —भ्वा॰ आ॰ <सूदते>—-—-—ढालना, उंडेलना
सूद् —भ्वा॰ आ॰ <सूदते>—-—-—जमा करना
सूद् —भ्वा॰ आ॰ <सूदते>—-—-—प्रक्षेपण, फेंक देना
सूद् —चुरा॰ उभ॰ <सूदयति> <सूदयते>—-—-—उकसाना, प्रवर्तित करना, उत्तेजित करना, उभाड़ना, प्राण फूंकना
सूद् —चुरा॰ उभ॰ <सूदयति> <सूदयते>—-—-—आघात करना, चोट पहुँचाना, मार डालना
सूद् —चुरा॰ उभ॰ <सूदयति> <सूदयते>—-—-—खाना पकाना, रांधना, सिझाना, तैयार करना
सूद् —चुरा॰ उभ॰ <सूदयति> <सूदयते>—-—-—उडेलना, ढालना
सूद् —चुरा॰ उभ॰ <सूदयति> <सूदयते>—-—-—हामी भरना, सहमत होना, प्रतिज्ञा करना
सूद् —चुरा॰ उभ॰ <सूदयति> <सूदयते>—-—-—डालना, फेंकना
निसूद् —चुरा॰ उभ॰, <निषूदयति> <निषूदयते>—नि-सूद्—-—मारना
सूदः —पुं॰—-—सूद् + घञ्, अच्, वा—नष्ट करना, विनाश, जनसंहार
सूदः —पुं॰—-—सूद् + घञ्, अच्, वा—उडेलना, चुआना
सूदः —पुं॰—-—सूद् + घञ्, अच्, वा—कुआं, झरना
सूदः —पुं॰—-—सूद् + घञ्, अच्, वा—रसोइया
सूदः —पुं॰—-—सूद् + घञ्, अच्, वा—चटनी, रसा, झोल
सूदः —पुं॰—-—सूद् + घञ्, अच्, वा—कोई भी वस्तु सिझायी हुई, तैयार खाना
सूदः —पुं॰—-—सूद् + घञ्, अच्, वा—दली हुई मटर
सूदः —पुं॰—-—सूद् + घञ्, अच्, वा—कीचड़, दलदल
सूदः —पुं॰—-—सूद् + घञ्, अच्, वा—पाप, दोष
सूदः —पुं॰—-—सूद् + घञ्, अच्, वा—लोध्र वृक्ष
सूदकर्मन् —वि॰—सूदकर्मन्—-—रसोईये का काम
सूदशाला —स्त्री॰—सूदशाला—-—रसोई
सूदन —वि॰—-—सूद् + ल्युट—नाश करने वाला, वध करने वाला, विनाशक
सूदन —वि॰—-—सूद् + ल्युट—प्यारा, प्रियतम
सूदनम् —नपुं॰—-—सूद् + ल्युट—नष्ट करना, विनाश, जनसंहार
सूदनम् —नपुं॰—-—सूद् + ल्युट—हामी भरना, प्रतिज्ञा करना
सूदनम् —नपुं॰—-—सूद् + ल्युट—डाल देना, फेंक देना
सूनरी —स्त्री॰—-—-—सुन्दर स्त्री
सूना —स्त्री॰—-—सूञः नः दीर्घश्च—कसाई घर, बुचड़खाना
सूना —स्त्री॰—-—सूञः नः दीर्घश्च—मांस की बिक्री
सूना —स्त्री॰—-—सूञः नः दीर्घश्च—चोट पहुँचाना, मार डालना, नष्ट करना
सूना —स्त्री॰—-—सूञः नः दीर्घश्च—मृदुतालु, काकल
सूना —स्त्री॰—-—सूञः नः दीर्घश्च—करधनी, तगड़ी
सूना —स्त्री॰—-—सूञः नः दीर्घश्च—गलग्रन्थियों की सूजन, हापू
सूना —स्त्री॰—-—सूञः नः दीर्घश्च—प्रकाश की किरण
सूना —स्त्री॰—-—सूञः नः दीर्घश्च—नदी
सूना —स्त्री॰—-—सूञः नः दीर्घश्च—पुत्री
सूनाः —स्त्री॰ ब॰ व॰—-—सूञः नः दीर्घश्च—घर में होने वाली पाँच वस्तुएं जिनसे जीव हिंसा होने की संभावना होती है
सूनिन् —पुं॰—-—सूना + इनि—कसाई, मांस-विक्रेता
सूनिन् —पुं॰—-—सूना + इनि—शिकारी
सूनुः —पुं॰—-—सू + नुक्—पुत्र
सूनुः —पुं॰—-—सू + नुक्—बाल, बच्चा
सूनुः —पुं॰—-—सू + नुक्—पोता
सूनुः —पुं॰—-—सू + नुक्—छोटा भाई
सूनुः —पुं॰—-—सू + नुक्—सूर्य
सूनुः —पुं॰—-—सू + नुक्—मदार का पौधा
सूनू —स्त्री॰—-—सूनु + ऊङ्—पुत्री
सूनृत —वि॰—-—सु + नृत् + क उपसर्गस्य दीर्घः —सत्य और सुखद, कृपालु और निष्कपट
सूनृत —वि॰—-—सु + नृत् + क उपसर्गस्य दीर्घः —कृपालु, सूशील, सज्जन, शिष्ट
सूनृत —वि॰—-—सु + नृत् + क उपसर्गस्य दीर्घः —शुभ, सौभाग्यसूचक
सूनृत —वि॰—-—सु + नृत् + क उपसर्गस्य दीर्घः —प्रियतम, प्यारा
सूनृतम् —नपुं॰—-—सु + नृत् + क उपसर्गस्य दीर्घः —सत्य तथा रोचक भाषण
सूनृतम् —नपुं॰—-—सु + नृत् + क उपसर्गस्य दीर्घः —कृपापूर्ण एवं सुखकर प्रवचन, शिष्ट भाषा
सूनृतम् —नपुं॰—-—सु + नृत् + क उपसर्गस्य दीर्घः —मांगलिकता
सूपः —पुं॰—-—सुखेन पीयते - सु + पा + घञर्थे क, पृषो॰—यूष रसा
सूपः —पुं॰—-—सुखेन पीयते - सु + पा + घञर्थे क, पृषो॰—चटनी, मिर्च, मशाला
सूपः —पुं॰—-—सुखेन पीयते - सु + पा + घञर्थे क, पृषो॰—रसोइया
सूपः —पुं॰—-—सुखेन पीयते - सु + पा + घञर्थे क, पृषो॰—कड़ाही, बर्तन
सूपः —पुं॰—-—सुखेन पीयते - सु + पा + घञर्थे क, पृषो॰—बाण
सूपकारः —पुं॰—सूपकारः—-—रसोइया
सूपधूपनम् —नपुं॰—सूपधूपनम्—-—हींग
सूपधूपकम् —नपुं॰—सूपधूपकम्—-—हींग
सूमः —पुं॰—-—सू + मक्—पानी
सूमः —पुं॰—-—सू + मक्—आकाश, गगन
सूर् —दिवा॰ आ॰ <सूर्यते>—-—-—चोट पहुँचाना, मार डालना
सूर् —दिवा॰ आ॰ <सूर्यते>—-—-—दृढ़ करना या दृढ़ होना
सूर्ण —वि॰—-—सूर् + क्त, क्तस्य न—चोट पहुँचाया हुआ, क्षतिग्रस्त
सूरः —पुं॰—-—सुवति प्रेरयति कर्मणि लोकानुदयेन - सू + क्रन्—सूर्य
सूरः —पुं॰—-—सुवति प्रेरयति कर्मणि लोकानुदयेन - सू + क्रन्—मदार का पौधा
सूरः —पुं॰—-—सुवति प्रेरयति कर्मणि लोकानुदयेन - सू + क्रन्—सोम
सूरः —पुं॰—-—सुवति प्रेरयति कर्मणि लोकानुदयेन - सू + क्रन्—बुद्धिमान या विद्वान पुरुष
सूरः —पुं॰—-—सुवति प्रेरयति कर्मणि लोकानुदयेन - सू + क्रन्—नायक, राजा
सूरचक्षुस् —वि॰—सूरचक्षुस्—-—सूर्य की भांति चमकीला
सूरसुतः —पुं॰—सूरसुतः—-—शनि का विशेषण
सूरसूतः —पुं॰—सूरसूतः—-—सूर्य का सारथि, अर्थात् अरुण
सूरणः —पुं॰—-—सू्रू + ल्युट्—सूरन, जमीकंद
सूरत —वि॰—-—सु + रम् + क्त्, पृषो॰ दीर्घः—कृपालु, दयालु, कोमल
सूरत —वि॰—-—सु + रम् + क्त्, पृषो॰ दीर्घः—शान्त, धीर
सूरिः —पुं॰—-—सू + क्रिन्—सूर्य
सूरिः —पुं॰—-—सू + क्रिन्—विद्वान या बुद्धिमान पुरुष, ऋषि
सूरिः —पुं॰—-—सू + क्रिन्—पुरोहित
सूरिः —पुं॰—-—सू + क्रिन्—पूजा करने वाला, जैन मत के आचार्यों को दिया गया सम्मानसूचक पद
सूरिः —पुं॰—-—सू + क्रिन्—कृष्ण का नाम
सू्रिन् —वि॰—-—सूर् + णिनि—बुद्धिमान, विद्वान
सू्रिन् —पुं॰—-—सूर् + णिनि—बुद्धिमान या विद्वान पुरुष, पंडित
सू्री —स्त्री॰—-—सूरि + ङीष्—सूर्य की पत्नी का नाम
सू्री —स्त्री॰—-—सूरि + ङीष्—कुन्ती का नाम
सूर्क्ष् —भ्वा॰ दिवा॰ पर॰ <सूर्क्षति> <सूर्क्ष्यति>—-—-—सम्मान करना, आदर करना
सूर्क्ष् —भ्वा॰ दिवा॰ पर॰ <सूर्क्षति> <सूर्क्ष्यति>—-—-—अनादर करना, अपमान करना, तिरस्कार करना
सूर्क्षणम् —नपुं॰—-—सूर्क्ष् + ल्युट्—अनादर, अपमान
सूर्क्ष्यणम् —नपुं॰—-—सूर्क्ष्य् + ल्युट्—अनादर, अपमान
सूर्क्ष्यः —पुं॰—-—सूर्क्ष्य + घञ्—माष्, उड़द
सूर्पः —पुं॰—-—-—दो द्रोण का तोल
सूर्मिः —स्त्री॰—-—शूर्मि, पृषो॰ शस्य सः—लोहे या अन्य किसी धातु की बनी मूर्ति
सूर्मिः —स्त्री॰—-—शूर्मि, पृषो॰ शस्य सः—घर का स्तम्भ
सूर्मिः —स्त्री॰—-—शूर्मि, पृषो॰ शस्य सः—आभा, क्रान्ति
सूर्मिः —स्त्री॰—-—शूर्मि, पृषो॰ शस्य सः—ज्वाला
सूर्मी —स्त्री॰—-—शूर्मि, पृषो॰ शस्य सः, ङीष्—लोहे या अन्य किसी धातु की बनी मूर्ति
सूर्मी —स्त्री॰—-—शूर्मि, पृषो॰ शस्य सः, ङीष्—घर का स्तम्भ
सूर्मी —स्त्री॰—-—शूर्मि, पृषो॰ शस्य सः, ङीष्—आभा, क्रान्ति
सूर्मी —स्त्री॰—-—शूर्मि, पृषो॰ शस्य सः, ङीष्—ज्वाला
सूर्यः —पुं॰—-—सरति आकाशे सूर्यः, यद्वा सुवति कर्मणि लोकं प्रेरयति - सृ + क्यप्, नि॰—सूरज
सूर्यः —पुं॰—-—सृ + क्यप्, नि॰—मदार का पौधा
सूर्यः —पुं॰—-—सृ + क्यप्, नि॰—बारह की संख्या
सूर्यअर्घ्यम् —नपुं॰—सूर्यार्घ्यम्—-—सूर्य की सेवा में उपहार प्रस्तुत करना
सूर्यअश्मन् —पुं॰—सूर्याश्मन्—-—सूर्यकान्तमणि
सूर्यअश्वः —पुं॰—सूर्याश्वः—-—सूर्य का घोड़ा
सूर्यअस्तम् —नपुं॰—सूर्यास्तम्—-—सूर्य का छिपना
सूर्यआतपः —पुं॰—सूर्यातपः—-—सूर्य की गरमी या चमक, धूप
सूर्यआलोकः —पुं॰—सूर्यालोकः—-—धूप
सूर्यआवर्तः —पुं॰—सूर्यावर्तः—-—एक प्रकार का सूरजमुखी फूल, हुलहुल
सूर्यआह्व —वि॰—सूर्याह्व—-—सूर्य के नाम पर जिसका नाम है
सूर्यआह्वः —पुं॰—सूर्याह्वः—-—मदार का भारी पौधा, आक
सूर्यआह्वम् —नपुं॰—सूर्याह्वम्—-—तांबा
सूर्यइन्दुसङ्गमः —पुं॰—सूर्येन्दुसङ्गमः—-—अमावस्या
सूर्यउत्थानम् —नपुं॰—सूर्योत्थानम्—-—सूर्य का निकलना
सूर्यउदयः —पुं॰—सूर्योदयः—-—सूर्य का निकलना
सूर्यऊढ़ः —पुं॰—सूर्योढ़ः—-—सूर्य, द्वारा लाया गया, सायंकाल के समय आने वाला अतिथि, सूर्य के छिपने का समय
सूर्यकांतः —पुं॰—सूर्यकांतः—-—आतशी शीशा, एक स्फटिक मणि
सूर्यक्रान्तिः —स्त्री॰—सूर्यक्रान्तिः—-—सूर्य की दीप्ति
सूर्यक्रान्तिः —स्त्री॰—सूर्यक्रान्तिः—-—एक पुष्प विशेष
सूर्यक्रान्तिः —स्त्री॰—सूर्यक्रान्तिः—-—तिल का पूल
सूर्यकालः —पुं॰—सूर्यकालः—-—दिन का समय, दिन
सूर्यकालअनलचक्रम् —नपुं॰—सूर्यकालानलचक्रम्—-—ज्योतिषशास्त्र में शुभाशुभ फल जानने का चक्र
सूर्यग्रहः —पुं॰—सूर्यग्रहः—-—सूर्य
सूर्यग्रहः —पुं॰—सूर्यग्रहः—-—सूर्यग्रहण
सूर्यग्रहः —पुं॰—सूर्यग्रहः—-—राहु और केतु का विशेषण
सूर्यग्रहः —पुं॰—सूर्यग्रहः—-—घड़े का पेंदा
सूर्यग्रहणम् —नपुं॰—सूर्यग्रहणम्—-—सूर्यग्रहण
सूर्यचन्द्रौ —पुं॰ द्वि॰ व॰—सूर्यचन्द्रौ—-—सूर्य और चाँद
सूर्यजः —पुं॰—सूर्यजः—-—सुग्रीव के विशेषण
सूर्यजः —पुं॰—सूर्यजः—-—कर्ण का विशेषण
सूर्यजः —पुं॰—सूर्यजः—-—शनि ग्रह का विशेषण
सूर्यजः —पुं॰—सूर्यजः—-—यम के विशेषण
सूर्यतनयः —पुं॰—सूर्यतनयः—-—सुग्रीव के विशेषण
सूर्यतनयः —पुं॰—सूर्यतनयः—-—कर्ण का विशेषण
सूर्यतनयः —पुं॰—सूर्यतनयः—-—शनि ग्रह का विशेषन
सूर्यतनयः —पुं॰—सूर्यतनयः—-—यम के विशेषण
सूर्यपुत्रः —पुं॰—सूर्यपुत्रः—-—सुग्रीव के विशेषण
सूर्यपुत्रः —पुं॰—सूर्यपुत्रः—-—कर्ण का विशेषण
सूर्यपुत्रः —पुं॰—सूर्यपुत्रः—-—शनि ग्रह का विशेषन
सूर्यपुत्रः —पुं॰—सूर्यपुत्रः—-—यम के विशेषण
सूर्यजा —स्त्री॰—सूर्यजा—-—यमुना नदी
सूर्यतनया —स्त्री॰—सूर्यतनया—-—यमुना नदी
सूर्यतेजस् —नपुं॰—सूर्यतेजस्—-—सूर्य की चमक या गर्मी
सूर्यनक्षत्रम् —नपुं॰—सूर्यनक्षत्रम्—-—वह नक्षत्रपुंज जिसमें सूर्य हो
सूर्यपर्वन् —नपुं॰—सूर्यपर्वन्—-—पुण्यकाल, सूर्यपर्व
सूर्यप्रभव —वि॰—सूर्यप्रभव—-—सूर्य से उत्पन्न
सूर्यफणिचक्रम् —नपुं॰—सूर्यफणिचक्रम्—-—सूर्यकालानलचक्रम्
सूर्यभक्त —वि॰—सूर्यभक्त—-—सूर्य का उपासक
सूर्यभक्तः —पुं॰—सूर्यभक्तः—-—बन्धुकवृक्ष या गुलदुपहरिया या इसका फूल
सूर्यमणिः —पुं॰—सूर्यमणिः—-—सूर्यकान्तमणि
सूर्यमण्डलम् —नपुं॰—सूर्यमण्डलम्—-—सूर्य का घेरा, परिवेश
सूर्ययन्त्रम् —नपुं॰—सूर्ययन्त्रम्—-—सूर्य का चित्र या प्रतिमा
सूर्ययन्त्रम् —नपुं॰—सूर्ययन्त्रम्—-—सूर्य के वेध में काम आने वाला एक उपकरण
सूर्यरश्मिः —पुं॰—सूर्यरश्मिः—-—सूर्य की किरण, सूर्यमयूख या सविता
सूर्यलोकः —पुं॰—सूर्यलोकः—-—सूर्य का लोक
सूर्यवंशः —पुं॰—सूर्यवंशः—-—राजाओं का सूर्यवंश, इक्ष्वाकुवंश
सूर्यवर्चस् —वि॰—सूर्यवर्चस्—-—सूर्य के समान तेजो मण्डित
सूर्यविलोकनम् —नपुं॰—सूर्यविलोकनम्—-—बच्चे को चार महीना होने पर, बाहर ले जाकर सूर्यदर्शन कराने का संस्कार
सूर्यसङ्क्रमः —पुं॰—सूर्यसङ्क्रमः—-—सूर्य का एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश
सूर्यसङ्क्रान्तिः —स्त्री॰—सूर्यसङ्क्रान्तिः—-—सूर्य का एक राशि से दूसरे राशि में प्रवेश
सूर्यसंज्ञम् —नपुं॰—सूर्यसंज्ञम्—-—केसर, जाफ़रान
सूर्यसारथिः —पुं॰—सूर्यसारथिः—-—अरुण का विशेषण
सूर्यस्तुतिः —स्त्री॰—सूर्यस्तुतिः—-—सूर्य के प्रति की गई स्तुति
सूर्यस्तोत्रम् —नपुं॰—सूर्यस्तोत्रम्—-—सूर्य के प्रति की गई स्तुति
सूर्यहृदयम् —नपुं॰—सूर्यहृदयम्—-—सूर्य का एक स्तोत्र
सूर्या —स्त्री॰—-—सूर्य + टाप्—सूर्य की पत्नी
सूष् —भ्वा॰ पर॰ <सूषति>—-—-—फल प्रस्तुत करना, उत्पन्न करना, पैदा करना, जन्म देना
सूषणा —स्त्री॰—-—सुष् + युच् + टाप्—माता
सूष्यती —स्त्री॰—-—-—प्रसवोन्मुखी, आसन्न प्रसवा
सृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰ <सरति> <सिसर्ति> <सृत> धावती भी—-—-—जाना, हिलना-जुलना, प्रगति करना
सृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰ <सरति> <सिसर्ति> <सृत> धावती भी—-—-—पास जान, पहुँचना
सृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰ <सरति> <सिसर्ति> <सृत> धावती भी—-—-—धावा बोलना, चढ़ाई करना
सृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰ <सरति> <सिसर्ति> <सृत> धावती भी—-—-—दौड़ना, तेज चलना, खिसक जाना
सृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰ <सरति> <सिसर्ति> <सृत> धावती भी—-—-—तेज चलना
सृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰ <सरति> <सिसर्ति> <सृत> धावती भी—-—-—बहना
सृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ॰, प्रेर॰ <सारयति> <सारयते>—-—-—चलना या घूमना
सृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ॰, प्रेर॰ <सारयति> <सारयते>—-—-—विस्तार करना
सृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ॰, प्रेर॰ <सारयति> <सारयते>—-—-—मलना, शनैः शनैः छूना
सृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ॰, प्रेर॰ <सारयति> <सारयते>—-—-—पीछे धकेलना, हटाना
सृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰, इच्छा॰ <सिसीर्षति>—-—-—जाने की इच्छा करना
अनुसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—अनुसृ—-—अनुगमन करना, पीछे जाना, ध्यान देना, पैरवी करना
अनुसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—अनुसृ—-—पहुँचना, पहुँचाना
अनुसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—अनुसृ—-—अनुशीलन करना, पार करना
अनुसृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ, प्रेर॰—अनुसृ—-—अग्रणी होना
अनुसृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ, प्रेर॰—अनुसृ—-—पीछे चलना
अपसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—अपसृ—-—अलग होना, निवृत्त होना, वापिस लेना
अपसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—अपसृ—-—ओझल होना, अन्तर्धान होना
अपसृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ॰, प्रेर॰—अपसृ—-—भिजवाना, पहुँचाना, हटाना, वापिस हटना, दूर हांक देना
अभिसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—अभिसृ—-—जाना, पहुँचना
अभिसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—अभिसृ—-—मिलने के लिए जाना या आगे बढ़ना, नियत करके मिलना
अभिसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—अभिसृ—-—आक्रमण करना, हमला करना
अभिसृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ॰, प्रेर॰—अभिसृ—-—नियत करके मिलना, मिलने के लिए आगे बढ़ना
उद्सृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ॰, प्रेर॰—उत्सृ—-—दूर भगाना, निकाल देना
उपसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—उपसृ—-—पास जाना, पहुँचना
उपसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—उपसृ—-—सजग रहना, दर्शन देना
उपसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—उपसृ—-—चढ़ाई करना, आक्रमण करना
उपसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—उपसृ—-—आपसी मेल-जोल करना
निस्सृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—निस्सृ—-—चले जाना, बाहर निकलना, खिसक जाना, निकलना
निस्सृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—निस्सृ—-—बिदा होना, कूच करना
निस्सृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—निस्सृ—-—बहना, पसीजना, रिसना
निस्सृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ॰प्रेर॰—निस्सृ—-—हांक कर दूर करना, निष्कासित करना, बाहर निकाल देना
परिसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—परिसृ—-—चारों ओर बहना
परिसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—परिसृ—-—चक्कर काटना, घूमना
प्रसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—प्रसृ—-—बह जाना, झरना, उदय होना, प्रोद्गत होना
प्रसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—प्रसृ—-—आगे जाना, आगे बढ़ना
प्रसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—प्रसृ—-—फैलना, चारों ओर फैलना
प्रसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—प्रसृ—-—फैलना, छा जाना, व्याप्त होना
प्रसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—प्रसृ—-—बिछाया जाना, विस्तार करना
प्रसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—प्रसृ—-—उन्मुख होना, इच्छुक होना
प्रसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—प्रसृ—-—छा जाना, आरम्भ करना, उपक्रम करना
प्रसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—प्रसृ—-—लम्बा होना, दीर्घ होना
प्रसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—प्रसृ—-—मजबूत होना, प्रबल होना
प्रसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—प्रसृ—-—बिताना
प्रसृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ॰, प्रेर॰—प्रसृ—-—फैलना, बिछाना
प्रसृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ॰, प्रेर॰—प्रसृ—-—बिछाना, विस्तार करना, फैलाना
प्रसृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ॰, प्रेर॰—प्रसृ—-—फैलाना, बिक्री के लिए खिलाना
प्रसृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ॰, प्रेर॰—प्रसृ—-—चौड़ा करना, फैलाना
प्रसृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ॰, प्रेर॰—प्रसृ—-—प्रकाशित करना, ढिंढोरा पीटना, प्रचारित करना
प्रतिसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—प्रतिसृ—-—वापिस जाना, लौटना
प्रतिसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—प्रतिसृ—-—धावा बोलना, चढ़ आना, आक्रमण करना, हमला करना
प्रतिसृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ॰, प्रेर॰—प्रतिसृ—-—पीछे की ओर ढकेलना, बदल देना
विसृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—विसृ—-—फैलाना, विस्तृत होना, प्रसृत होना
विसृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ॰, प्रेर॰—विसृ—-—फैलाना, बिछाना
विसृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ॰, प्रेर॰—विसृ—-—व्याप्त होना
सम्सृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—संसृ—-—फैलना
सम्सृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—संसृ—-—हिलना-जुलना
सम्सृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—संसृ—-—मिलकर जाना या उड़ना
सम्सृ —भ्वा॰ जुहो॰ पर॰—संसृ—-—जाना, पहुँचना
सम्सृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ॰, प्रेर॰—संसृ—-—ऊपर फैलाना
सम्सृ —भ्वा॰ जुहो॰ उभ॰, प्रेर॰—संसृ—-—घुमाना, चक्कर देना
सृकः —पुं॰—-—सृ + कक्—हवा, वायु
सृकः —पुं॰—-—सृ + कक्—बज्र
सृकः —पुं॰—-—सृ + कक्—कमल, कैरव
सृकण्डु —स्त्री॰—-—सृ + क्विप्, पृषो॰ तुक् न, सृ + कण्डु क॰ स॰—खुजली
सृकालः —पुं॰—-—सृ + कालन्—गीदड़
सृकालः —पुं॰—-—सृ + कालन्—ठग, धूर्त, उचक्का
सृकालः —पुं॰—-—सृ + कालन्—भीरु
सृकालः —पुं॰—-—सृ + कालन्—दुष्ट प्रकृति, कटुभाषी
सृकालः —पुं॰—-—सृ + कालन्—कृष्ण
सृक्कम् —नपुं॰—-—सृज् + कन्—मुँह का किनारा
सृक्कणी —नपुं॰—-—सृज् + कन्—मुँह का किनारा
सृक्कन् —नपुं॰—-—सृज् + कन्—मुँह का किनारा
सृक्किणी —नपुं॰—-—सृज् + कनिन्—मुँह का किनारा
सृक्किन् —नपुं॰—-—सृज् + कनिन्—मुँह का किनारा
सृक्वम् —नपुं॰—-—सृज् + क्वनिप् —मुँह का किनारा
सृक्वणी —नपुं॰—-—सृज् + क्वनिप् —मुँह का किनारा
सृक्वन् —नपुं॰—-—सृज् + क्वनिप् —मुँह का किनारा
सृक्विणी —नपुं॰—-—सृज् +क्वनिप् —मुँह का किनारा
सृक्विन् —नपुं॰—-—सृज् +क्वनिप् —मुँह का किनारा
सृगः —पुं॰—-—सृ + गक्—एक प्रकार का बाण या नेजा, भिंदिपाल
सृगालः —पुं॰—-—सृ + गालन्—गीदड़
सृगालः —पुं॰—-—सृ + गालन्—ठग, धूर्त, उचक्का
सृगालः —पुं॰—-—सृ + गालन्—भीरु
सृगालः —पुं॰—-—सृ + गालन्—दुष्ट प्रकृति, कटुभाषी
सृगालः —पुं॰—-—सृ + गालन्—कृष्ण
सृङ्का —स्त्री॰—-—-—रत्नों या मणियों से बना हार, मणियों की जगमगाती लड़ी
सृज् —तुदा॰ पर॰ <सृजति> <सृष्ट>—-—-—रचना करना, पैदा करना, बनाना, प्रसव करना, जन्म देना
सृज् —तुदा॰ पर॰ <सृजति> <सृष्ट>—-—-—पहनना, रखना, प्रयोग में लाना
सृज् —तुदा॰ पर॰ <सृजति> <सृष्ट>—-—-—जाने देना, ढीला छोढ़ना, मुक्त करना
सृज् —तुदा॰ पर॰ <सृजति> <सृष्ट>—-—-—उत्सर्जन करना, छितरना, प्रसृत करना, बिखेरना, डालना
सृज् —तुदा॰ पर॰ <सृजति> <सृष्ट>—-—-—कहला भेजना, उच्चारण करना
सृज् —तुदा॰ पर॰ <सृजति> <सृष्ट>—-—-—फेकना, डाल देना
सृज् —तुदा॰ पर॰ <सृजति> <सृष्ट>—-—-—छोड़ना, छोड़कर चले जाना, त्यागना, हटा देना
सृज् —दिवा॰ आ॰ <सृज्यते>—-—-—ढीला होना
सृज् —दिवा॰ पर॰, इच्छा॰ <सिसृक्षति>—-—-—रचना करने की इच्छा करना
अतिसृज् —दिवा॰ आ॰ —अतिसृज्—-—देना, अर्पन करना
अतिसृज् —दिवा॰ आ॰ —अतिसृज्—-—त्यागना, पदच्युत करना
अतिसृज् —दिवा॰ आ॰ —अतिसृज्—-—उगलना
अतिसृज् —दिवा॰ आ॰ —अतिसृज्—-—अनुज्ञा देना, अनुमति देना
अभिसृज् —दिवा॰ आ॰ —अभिसृज्—-—देना, प्रदान करना
अवसृज् —दिवा॰ आ॰ —अवसृज्—-—डालना, फेंकना, बोना, बखेरना
अवसृज् —दिवा॰ आ॰ —अवसृज्—-—ढालना, बूंद-बूंद टपकाना
अवसृज् —दिवा॰ आ॰ —अवसृज्—-—ढीला छोड़ना
उद्सृज् —दिवा॰ आ॰ —उत्सृज्—-—उडेलना, उगलना, निकाल देना
उद्सृज् —दिवा॰ आ॰ —उत्सृज्—-—छोड़कर चले जाना, छोड़ देना, परित्याग करना
उद्सृज् —दिवा॰ आ॰ —उत्सृज्—-—एक ओर फेंकना, स्थगित करना
उद्सृज् —दिवा॰ आ॰ —उत्सृज्—-—ढीला छोड़ना, स्वच्छन्द घूमने देना
उद्सृज् —दिवा॰ आ॰ —उत्सृज्—-—दागना, फेंकना, गोली मारना
उद्सृज् —दिवा॰ आ॰ —उत्सृज्—-—बोना, बखेरना
उद्सृज् —दिवा॰ आ॰ —उत्सृज्—-—उपहार देना, प्रदान करना
उद्सृज् —दिवा॰ आ॰ —उत्सृज्—-—बिछाना, विस्तार करना
उद्सृज् —दिवा॰ आ॰ —उत्सृज्—-—हटाना
उद्सृज् —दिवा॰ आ॰ —उत्सृज्—-—दूर करना
उद्सृज् —दिवा॰ आ॰ —उत्सृज्—-—मिटाना, प्रतिबंध लगाना
उप्सृज् —दिवा॰ आ॰ —उपसृज्—-—उडेलना, प्रस्तुत करना
उप्सृज् —दिवा॰ आ॰ —उपसृज्—-—जोड़ना, मिलाना, संयुक्त करना, संसक्त करना, संबद्ध करना
उप्सृज् —दिवा॰ आ॰ —उपसृज्—-—व्याकुल करना, अत्याचार करना, सताना
उप्सृज् —दिवा॰ आ॰ —उपसृज्—-—ग्रहण लगना, ग्रस्त करना
उप्सृज् —दिवा॰ आ॰ —उपसृज्—-—पैदा करना, क्रियान्वित करना
उप्सृज् —दिवा॰ आ॰ —उपसृज्—-—नष्ट करना
निसृज् —दिवा॰ आ॰ —निसृज्—-—स्वतन्त्र करना, बरी करना
निसृज् —दिवा॰ आ॰ —निसृज्—-—हवाले करना, सौंपना, सुपुर्द करना
प्रसृज् —दिवा॰ आ॰ —प्रसृज्—-—छोड़ना, त्यागना
प्रसृज् —दिवा॰ आ॰ —प्रसृज्—-—ढीला छोड़ना
प्रसृज् —दिवा॰ आ॰ —प्रसृज्—-—बोना, बखेरना
प्रसृज् —दिवा॰ आ॰ —प्रसृज्—-—क्षतिग्रस्त करना, चोट पहुँचाना
विसृज् —दिवा॰ आ॰ —विसृज्—-—त्यागना, छोड़ना, तिलांजलि देना
विसृज् —दिवा॰ आ॰ —विसृज्—-—जाने देना, ढीला छोढ़ना
विसृज् —दिवा॰ आ॰ —विसृज्—-—ढालना, उडेलना
विसृज् —दिवा॰ आ॰ —विसृज्—-—भेजना, प्रेषित करना
विसृज् —दिवा॰ आ॰ —विसृज्—-—पदच्युत करना, जाने की अनुमति देना, भेजना
विसृज् —दिवा॰ आ॰ —विसृज्—-—देना
विसृज् —दिवा॰ आ॰ —विसृज्—-—भेज देना, डाल देना, बिसार देना, फेंकना
विसृज् —दिवा॰ आ॰ —विसृज्—-—डालना, गिरने देना, प्रहार करना
विसृज् —दिवा॰ आ॰ —विसृज्—-—उच्चारण करना
विसृज् —दिवा॰ आ॰ —विसृज्—-—उतार फेंकना, संबंध-विच्छेद करना
सम्सृज् —दिवा॰ आ॰ —संसृज्—-—मिलना, मिश्रण करना, संयुक्त करना, संपृक्त करना
सम्सृज् —दिवा॰ आ॰ —संसृज्—-—मिलना
सम्सृज् —दिवा॰ आ॰ —संसृज्—-—रचना करना
सृजिकाक्षारः —पुं॰, ष॰ त॰—-—-—सज्जी का खार, शोरा, रेह
सृजयाः —पुं॰ ब॰ व॰—-—-—एक राष्ट्र या जनपद का नाम
सृणि —स्त्री॰—-—सृ + निक्—अंकुश, हाथी को आंकने का आंकड़ा
सृणिका <o> सृणीका —स्त्री॰—-—सृणि + कन् (ईकन्) + टाप्—लार, थूक
सृतिः —स्त्री॰—-—सृ + क्तिन्—जाना, सरकना
सृतिः —स्त्री॰—-—-—रास्ता, मार्ग, पथ
सृतिः —स्त्री॰—-—-—चोट पहुँचाना, क्षतिग्रस्त करना
सृत्वर —वि॰—-—सृ + क्वरप्, तुक्—जाने वाला, सरणशील
सृत्वरी —स्त्री॰—-—-—नदी, दरिया, माता
सृदरः —पुं॰—-—सृ + अरक, दुक्—साँप
सृदाकुः —पुं॰—-—सृ + काकु, दुक्च—हवा, वायु
सृदाकुः —पुं॰—-—सृ + काकु, दुक्च—अग्नि
सृदाकुः —पुं॰—-—सृ + काकु, दुक्च—हरिण
सृदाकुः —पुं॰—-—सृ + काकु, दुक्च—इन्द्र का वज्र
सृदाकुः —पुं॰—-—सृ + काकु, दुक्च—सूर्यमंडल
सृदाकुः —स्त्री॰—-—सृ + काकु, दुक्च—नदी
सृदाकुः —स्त्री॰—-—सृ + काकु, दुक्च—सरिता
सृप् —भ्वा॰ पर॰ <सर्पति> <सृप्त> इच्छा॰ <सिसृप्सति>—-—-—रेंगना, पेट के बल चलना, शनैः शनैः सरकना
सृप् —भ्वा॰ पर॰ <सर्पति> <सृप्त> इच्छा॰ <सिसृप्सति>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
अनुसृप् —भ्वा॰ पर॰—अनुसृप्—-—पास जाना, पहुँचना
अनुसृप् —भ्वा॰ पर॰—अनुसृप्—-—पीछा करना
अप्सृप् —भ्वा॰ पर॰—अपसृप्—-—चले जाना, पीछे हट जाना, लौट पड़ना
अप्सृप् —भ्वा॰ पर॰—अपसृप्—-—सरक जाना, मन्द मन्द चलना
अप्सृप् —भ्वा॰ पर॰—अपसृप्—-—छिपकर देखना
अप्सृप् —भ्वा॰ पर॰—अपसृप्—-—अलग होना, छोड़ना
उद्सृप् —भ्वा॰ पर॰—उत्सृप्—-—ऊपर को उड़ना
उद्सृप् —भ्वा॰ पर॰—उत्सृप्—-—ऊपर जाना, पहुँचना
उपसृप् —भ्वा॰ पर॰—उपसृप्—-—पहुँचना, निकट जाना
उपसृप् —भ्वा॰ पर॰—उपसृप्—-—हरकत करना, जाना
उपसृप् —भ्वा॰ पर॰—उपसृप्—-—पहुँचना, प्राप्त करना, भुगतना
उपसृप् —भ्वा॰ पर॰—उपसृप्—-—आरंभ करना
उपसृप् —भ्वा॰ पर॰—उपसृप्—-—आक्रमण करना
परिसृप् —भ्वा॰ पर॰—परिसृप्—-—चारों ओर घूमना, छा जाना
परिसृप् —भ्वा॰ पर॰—परिसृप्—-—इधर-उधर घूमना
प्रसृप् —भ्वा॰ पर॰—प्रसृप्—-—आगे जाना, बाहर निकलना, आगे आना, प्रगति करना
प्रसृप् —भ्वा॰ पर॰—प्रसृप्—-—फैलना, प्रचारित करना
विसृप् —भ्वा॰ पर॰—विसृप्—-—जाना, प्रयाण करना, प्रगति करना
विसृप् —भ्वा॰ पर॰—विसृप्—-—इधर उधर उड़ना या घूमना
विसृप् —भ्वा॰ पर॰—विसृप्—-—फैलाना
विसृप् —भ्वा॰ पर॰—विसृप्—-— साथ-साथ बहना, नीचे गिरना
विसृप् —भ्वा॰ पर॰—विसृप्—-—लेकर चम्पत होना, बच निकलना
विसृप् —भ्वा॰ पर॰—विसृप्—-—छा जाना
विसृप् —भ्वा॰ पर॰—विसृप्—-—मुड़ना, घूमना
विसृप् —भ्वा॰ पर॰—विसृप्—-—भिन्न भिन्न दिशाओं में जाना
सम्सृप् —भ्वा॰ पर॰—सम्सृप्—-—हिलना-जुलना
सम्सृप् —भ्वा॰ पर॰—सम्सृप्—-— साथ साथ चलना, बहना
सृपाटः —पुं॰—-—सृप् + काटन्—एक प्रकार की माप
सृपाटिका —स्त्री॰—-— सृपाट + ङीष् + कन् + टाप्, ह्रस्वः—पक्षी की चोंच
सृपाटी —स्त्री॰—-— सृपाट + ङीष् —एक प्रकार की माप
सृप्रः —पुं॰—-—सृप् + कन्—चन्द्रमा
सृभ्, सृम्भ —भ्वा॰ पर॰ <सर्भति> <सृम्भति>—-—-—चोट पहुँचाना, क्षतिग्रस्त करना, वध करना
सृमर —वि॰—-—सृ + क्मरच्—गमन करने वाला जाने वाला
सृमरः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का हरिण
सृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—सृ + क्त—रचित, उत्पादित
सृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—सृ + क्त—उडेला हुआ, उगला हुआ
सृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—सृ + क्त—ढीला छोड़ा हुआ
सृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—सृ + क्त—छोड़ा हुआ, परित्यक्त
सृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—सृ + क्त—हटाया गया, दूर भेजा गया
सृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—सृ + क्त—निश्चय किया गया, निर्धारित
सृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—सृ + क्त—स्ंयुक्त, संबद्ध
सृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—सृ + क्त—अधिक, प्रचुर, असंख्य
सृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—सृ + क्त—अलंकृत
सृष्टिः —स्त्री॰—-—सृज् +क्तिन्—रचना, कोई भी रचित वस्तु
सृष्टिः —स्त्री॰—-—सृज् +क्तिन्—संसार की रचना
सृष्टिः —स्त्री॰—-—सृज् +क्तिन्—प्रकृति, प्राकृतिक संपत्ति
सृष्टिः —स्त्री॰—-—सृज् +क्तिन्—ढीला छोड़ना, उद्गार
सृष्टिः —स्त्री॰—-—सृज् +क्तिन्—प्रदान करना, भेंट
सृष्टिः —स्त्री॰—-—सृज् +क्तिन्—गुणों की विद्यमानता
सृष्टिः —स्त्री॰—-—सृज् +क्तिन्—पदार्थ का अभाव
सृष्टिगर्तृ —पुं॰—-—-—सर्ष्टा, रचयिता
सृ —क्रया॰ पर॰ <सृणाति>—-—-—चोट पहुँचाना, क्षतिग्रस्त करना, मार डालना
सेक् —भ्वा॰ आ॰ <सेकते>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
सेकः —पुं॰—-—सिच् + घञ्—छिड़कना, पानी देना
सेकः —पुं॰—-—सिच् + घञ्—उद्गार, प्रसार
सेकः —पुं॰—-—सिच् + घञ्—वीर्यपात
सेकः —पुं॰—-—सिच् + घञ्—तर्पण, चढ़ावा
सेकपात्रम् —नपुं॰—सेकपात्रम्—-—पानी छिड़कने का पात्र, जल-पात्र
सेकपात्रम् —नपुं॰—सेकपात्रम्—-—डोलची, बोका
सेकिमम —नपुं॰—-—सेक + डिम—मूली
सेक्तृ —वि॰—-—सिच् + तृच्—सींचने वाला
सेक्तृ —पुं॰—-—सिच् + तृच्—छिड़काव करने वाला
सेक्तृ —पुं॰—-—सिच् + तृच्—पति
सेक्त्रम् —नपुं॰—-—सिच् + ष्ट्रन्—डोलची, सींचने का पात्र
सेचक —वि॰—-—सिच् + ण्वुल्—सींचने वाला
सेचकः —पुं॰—-—सिच् + ण्वुल्—बादल
सेचनम् —नपुं॰—-—सिच् + ल्युट्—सींचना, पानी देना
सेचनम् —नपुं॰—-—सिच् + ल्युट्—स्राव, छिड़काव
सेचनम् —नपुं॰—-—सिच् + ल्युट्—मन्द-मन्द रिसना, टपकना
सेचनम् —नपुं॰—-—सिच् + ल्युट्—डोलची
सेचनघटः —पुं॰—सेचनम्-घटः—-—सींचने का बर्तन
सेचनी —स्त्री॰—-—सेचन + ङीप्—डोलची
सेटुः —पुं॰—-—सिट् + उन्—तरबूज, एक प्रकार की ककड़ी
सेतिका —स्त्री॰—-—-—अयोध्या का नाम
सेतुः —पुं॰—-—सि + तुन्—मिट्टी का टीला, मेंड, किनारा, ऊँचा मार्ग, बांध
सेतुः —पुं॰—-—सि + तुन्—पुल
सेतुः —पुं॰—-—सि + तुन्—सीमाचिह्न, मेंड
सेतुः —पुं॰—-—सि + तुन्—संकुचित मार्ग, दर्रा, संकीर्ण गिरिपथ
सेतुः —पुं॰—-—सि + तुन्—हद, सीमा
सेतुः —पुं॰—-—सि + तुन्—जंगला, परिसीमा, किसीप्रकार का अवरोध
सेतुः —पुं॰—-—सि + तुन्—निश्चित नियम या विधि, सर्वसम्मत प्रथा
सेतुः —पुं॰—-—सि + तुन्—‘ओम्’ पुनीत अक्षर
सेतुबन्धः —पुं॰—सेतुबन्धः—-—पुल का निर्माण, नवारा की रचना
सेतुबन्धः —पुं॰—सेतुबन्धः—-—शैल शृंखला जो कारोमण्डल समुद्रतट की दक्षिणी सीमा से लंका तक फैली हुई है
सेतुबन्धः —पुं॰—सेतुबन्धः—-—कोई भी पुल या नवारा
सेतुभेदिन् —वि॰—सेतुभेदिन्—-—बन्धनों को तोड़ने वाला
सेतुभेदिन् —वि॰—सेतुभेदिन्—-—रुकावटों को हटाने वाला
सेतुभेदिन् —पुं॰—सेतुभेदिन्—-—एक वृक्ष का नाम, दन्ती
सेतुकः —पुं॰—-—सेतु + क—समुद्रतट, नवारा, पुल
सेतुकः —पुं॰—-—सेतु + क—दर्रा
सेत्रम् —नपुं॰—-—सि + ष्ट्रन—बन्धन, हथकड़ी, बेड़ी
सेदिवस् —वि॰—-—सद् + लिट् + क्वसु—बैठा हुआ
सेन —वि॰—-—सह इनेन ब॰ स॰—प्रभु वाला, जिसका कोई स्वामी हो, नेता हो
सेना —स्त्री॰—-—सि + न + टाप्, सह इनेन प्रभुणा वा—फौज
सेना —स्त्री॰—-—सि + न + टाप्, सह इनेन प्रभुणा वा—संग्राम के देवता कार्तिकेय की मूर्त पत्नी सेना, फौज
सेनाग्रम् —नपुं॰—सेना-अग्रम्—-—सेना का अग्रभाग
सेनाग्रः —पुं॰—सेना-अग्रः—-—सेना का नायक या सेनापति
सेनाङ्गम् —नपुं॰—सेना-अङ्गम्—-—सेना का संघटक भाग
सेनाचरः —पुं॰—सेना-चरः—-—सैनिक
सेनाचरः —पुं॰—सेना-चरः—-—अनुचर वर्ग
सेनानिवेशः —पुं॰—सेना-निवेशः—-—सेना का शिविर
सेनानी —पुं॰—सेना-नी—-—सेना का नायक, सेनापति, सेनाध्यक्ष
सेनानी —पुं॰—सेना-नी—-—कार्तिकेय का नाम
सेनापतिः —पुं॰—सेना-पतिः—-—सेना का नायक
सेनापतिः —पुं॰—सेना-पतिः—-—कार्तिकेय का नाम
सेनापरिच्छद —वि॰—सेना-परिच्छद—-—सेना से घिरा हुआ
सेनापृष्ठम् —नपुं॰—सेना-पृष्ठम्—-—सेना का पिछला भाग
सेनाभङ्ग —पुं॰—सेना-भङ्ग—-—सेना का भग्न हो जाना, सर्वथा तितर-बितर होना, अव्यवस्थित रुप से इधर उधर भागना
सेनामुखम् —नपुं॰—सेना-मुखम्—-—सेना का एक दस्ता या भाग
सेनामुखम् —नपुं॰—सेना-मुखम्—-—विशेषतः वह दस्ता जिसमें तीन हाथी, तीनरथ, नौ घोड़े और पन्द्रह पदाति हों
सेनामुखम् —नपुं॰—सेना-मुखम्—-—नगर फाटक के बाहर बना मिट्टी का टीला
सेनायोगः —पुं॰—सेना-योगः—-—सेना की सुसज्जा
सेनारक्षः —पुं॰—सेना-रक्षः—-—पहरेदार, सन्तरी
सेफः —पुं॰—-—सि + फः—पुरुष का लिंग
सेमन्ती —स्त्री॰—-—सिम् + झि + ङीष्—सफेद गुलाब, सेवती
सेरः —पुं॰—-—-—एक विशेष माप, सेर का बट्टा
सेराहः —पुं॰—-—-—दुग्ध के समान श्वेत रंग का घोड़ा
सेरु —वि॰—-—सि + रु—बाँधने वाला, कसने वाला
सेल् —भ्वा॰ पर॰ <सेलति>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
सेव् —भ्वा॰ आ॰ <सेवते> <सेवित>, प्रेर॰ <सेवयति> <सेवयते> इच्छा॰ <सिसेविषते>—-—-—सेवा करना, सेवा में उपस्थित रहना, सम्मान करना, पूजा करना, आज्ञा मानना
सेव् —भ्वा॰ आ॰ <सेवते> <सेवित>, प्रेर॰ <सेवयति> <सेवयते> इच्छा॰ <सिसेविषते>—-—-—अनुगमन करना, पीछे करना, अनुसरण करना
सेव् —भ्वा॰ आ॰ <सेवते> <सेवित>, प्रेर॰ <सेवयति> <सेवयते> इच्छा॰ <सिसेविषते>—-—-—उपयोग में लाना, उपभोग करना
सेव् —भ्वा॰ आ॰ <सेवते> <सेवित>, प्रेर॰ <सेवयति> <सेवयते> इच्छा॰ <सिसेविषते>—-—-—शारीरिक सुखोपभोग करना
सेव् —भ्वा॰ आ॰ <सेवते> <सेवित>, प्रेर॰ <सेवयति> <सेवयते> इच्छा॰ <सिसेविषते>—-—-—अनुराग करना, अनुष्ठान करना
सेव् —भ्वा॰ आ॰ <सेवते> <सेवित>, प्रेर॰ <सेवयति> <सेवयते> इच्छा॰ <सिसेविषते>—-—-—सहारा लेना, आश्रित होना, रहना, बार-बार आना-जाना, बसना
सेव् —भ्वा॰ आ॰ <सेवते> <सेवित>, प्रेर॰ <सेवयति> <सेवयते> इच्छा॰ <सिसेविषते>—-—-—पहरा देना, रखवाली करना, रक्षा करना
आसेव् —भ्वा॰ आ॰—आसेव्—-—उपभोग करना
आसेव् —भ्वा॰ आ॰—आसेव्—-—अभ्यास करना, अनुष्ठान करना
आसेव् —भ्वा॰ आ॰—आसेव्—-—सहारा लेना
उपसेव् —भ्वा॰ आ॰—उपसेव्—-—सेवा करना, पूजा करना, सम्मान करना
उपसेव् —भ्वा॰ आ॰—उपसेव्—-—अभ्यास करना, अनुसरण करना, ध्यान देना, पीछा करना
उपसेव् —भ्वा॰ आ॰—उपसेव्—-—व्यस्त होना, उपभोग करना
उपसेव् —भ्वा॰ आ॰—उपसेव्—-—नित्य जाना, बसना
उपसेव् —भ्वा॰ आ॰—उपसेव्—-—मलना, मालिश करना
निसेव् —भ्वा॰ आ॰—निसेव्—-—पीछा करना, अनुसरण करना, संलग्न करना, अभ्यास करना
निसेव् —भ्वा॰ आ॰—निसेव्—-—उपभोग करना
निसेव् —भ्वा॰ आ॰—निसेव्—-—शारीरिक सुखोपभोग करना
निसेव् —भ्वा॰ आ॰—निसेव्—-—सहारा लेना, बसना, नित्य आना-जाना
निसेव् —भ्वा॰ आ॰—निसेव्—-—उपयोग में लाना , काम में लाना
निसेव् —भ्वा॰ आ॰—निसेव्—-—सेवा में उपस्थित रहना, हाजरी देना
निसेव् —भ्वा॰ आ॰—निसेव्—-—नजदीक जाना, पहुँचना
निसेव् —भ्वा॰ आ॰—निसेव्—-—भुगतना, अनुभव करना
परिसेव् —भ्वा॰ आ॰—परिसेव्—-—सहारा लेना
परिसेव् —भ्वा॰ आ॰—परिसेव्—-—उपभोग करना, लेना
सेव —नपुं॰—-—-—सेवा करना सेवा हाजरी में खड़े रहना, पूजा करना
सेव —नपुं॰—-—-—अनुगमन करना, अभ्यास करना, काम में लगना
सेव —नपुं॰—-—-—उपयोग करना, उपभोग करना
सेव —नपुं॰—-—-—शारीरिक सुखोपभोग करना
सेव —नपुं॰—-—-—सीना, टाँका लगाना
सेवक —वि॰—-—सेव् + ण्वुल्—सेवा करने वाला, पूजा करने वाला, सम्मान करने वाला
सेवक —वि॰—-—सेव् + ण्वुल्—व्यवसाय करने वाला, अनुगामी
सेवक —वि॰—-—सेव् + ण्वुल्—आश्रित, दास
सेवकः —पुं॰—-—सेव् + ण्वुल्—टहलुआ
सेवकः —पुं॰—-—सेव् + ण्वुल्—भक्त, पूजक
सेवकः —पुं॰—-—सेव् + ण्वुल्—सीने वाला, दर्जी
सेवकः —पुं॰—-—सेव् + ण्वुल्—बोरा, थैला
सेवधि —अव्य॰—-—-—मूल्यवान् कोष
सेवधि —अव्य॰—-—-—कुबेर के नौ कोषों में से एक
सेवनम् —नपुं॰—-—सेव् + ल्युट्—सेवा करना सेवा हाजरी में खड़े रहना, पूजा करना
सेवनम् —नपुं॰—-—सेव् + ल्युट्—अनुगमन करना, अभ्यास करना, काम में लगना
सेवनम् —नपुं॰—-—सेव् + ल्युट्—उपयोग करना, उपभोग करना
सेवनम् —नपुं॰—-—सेव् + ल्युट्—शारीरिक सुखोपभोग करना
सेवनम् —नपुं॰—-—सेव् + ल्युट्—सीना, टाँका लगाना
सेवनम् —नपुं॰—-—सेव् + ल्युट्—बोरा, थैला
सेवनी —स्त्री॰—-—सेवन + ङीप्—सुई
सेवनी —स्त्री॰—-—सेवन + ङीप्—सीवन, संधिरेखा
सेवनी —स्त्री॰—-—सेवन + ङीप्—संधि या सीवन की भाँति शरीर के अंगों का संघान
सेवा —स्त्री॰—-—सेव् + अङ् + टाप्—प्रिचर्या, खिदमत, दासता, टहल
सेवा —स्त्री॰—-—सेव् + अङ् + टाप्—पूजा, श्रद्धांजलि, सम्मान
सेवा —स्त्री॰—-—सेव् + अङ् + टाप्—संलग्नता, भक्ति, चाव
सेवा —स्त्री॰—-—सेव् + अङ् + टाप्—उपयोग, अभ्यास, काम में लगना, प्रयोग
सेवा —स्त्री॰—-—सेव् + अङ् + टाप्—बार-बार आना जाना, आश्रय लेना
सेवा —स्त्री॰—-—सेव् + अङ् + टाप्—चापलूसी, बहकाना, चिकने चुपड़े शब्द
सेवाकार —वि॰—सेवा-आकार—-—दासता के रुप में
सेवाकाकुः —पुं॰—सेवा-काकुः—-—सेवा में आवाज परिवर्तन
सेवाधर्मः —पुं॰—सेवा-धर्मः—-—सेवा करने का कर्तव्य
सेवाधर्मः —पुं॰—सेवा-धर्मः—-—सेवा का दायित्व
सेवाव्यवहारः —पुं॰—सेवा-व्यवहारः—-—सेवा की विधि या प्रथा
सेवि —नपुं॰—-—सेव् + इन्—बेर
सेवि —नपुं॰—-—सेव् + इन्—सेव
सेवित —भू॰ क॰ कृ॰—-—सेव् + क्त— सेवा किया गया, जिसकी टहल की गई है, पूजा किया गया
सेवित —भू॰ क॰ कृ॰—-—सेव् + क्त—अनुगत, अभ्यास, पीछा किया गया
सेवित —भू॰ क॰ कृ॰—-—सेव् + क्त—जहाँ नित्य प्रति आया जाय, सहारा लिया गया, जहाँ बसे हुए हों, जहाँ संगी साथी हों
सेवित —भू॰ क॰ कृ॰—-—सेव् + क्त—उपभुक्त, उपयुक्त
सेवितम् —नपुं॰—-—सेव् + क्त—सेव
सेवितृ —पुं॰—-—-—सेवक, दास
सेविन् —वि॰—-—सेव् + णिनि—सेवा करने वाला, पूजा करने वाला
सेविन् —वि॰—-—सेव् + णिनि—अनुगन्ता, अभ्यासी, उपयोक्त
सेविन् —वि॰—-—सेव् + णिनि—बसने वाला , रहने वाला
सेविन् —पुं॰—-—सेव् + णिनि—सेवक
सेव्य —वि॰—-—सेव् + ण्यत्—सेवा किये जाने के योग्य, टहल किये जाने के योग्य
सेव्य —वि॰—-—सेव् + ण्यत्—उपयोग में लाने के योग्य, काम में लाने के योग्य
सेव्य —वि॰—-—सेव् + ण्यत्—उपभोग किये जाने के योग्य
सेव्य —वि॰—-—सेव् + ण्यत्—देखभाल किये जाने के योग्य, पहरा दिये जाने के योग्य
सेव्यः —पुं॰—-—सेव् + ण्यत्—स्वामी
सेव्यः —पुं॰—-—सेव् + ण्यत्—अश्वत्थवृक्ष
सेव्यम् —नपुं॰—-—सेव् + ण्यत्—एक प्रकार की जड़
सेव्यसेवकौ —पुं॰, द्वि॰ व॰—सेव्य-सेवकौ—-—स्वामी और नौकर