विक्षनरी : संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश/मव-म्लै
मूलशब्द—व्याकरण—संधिरहित मूलशब्द—व्युत्पत्ति—हिन्दी अर्थ
मव् —भ्वा॰ पर॰ <मवति>—-—-—कसना, बांधना
मव्य् —भ्वा॰ पर॰ <मव्यति>—-—-—बांधना
मश् —भ्वा॰ पर॰ <मशति>—-—-—भिनभिनाना, गुंजन करना, ऊं ऊं करना
मश् —भ्वा॰ पर॰ <मशति>—-—-—क्रोध करना
मशः —पुं॰—-—मश् + अच्—मच्छर
मशः —पुं॰—-—-—गूंजना, गुनगुनाना
मशहरी —स्त्री॰—मश-हरी—-—मच्छरदानी, मसहरी
मशकः —पुं॰—-—मंश् + वुन्—मच्छर, पिस्सू, डांस
मशकः —पुं॰—-—-—चमड़ी का एक विशेष रोग
मशकः —पुं॰—-—-—मशक, चमड़े का बना पानी भरने का थैला
मशककुटिः —पुं॰—मशक-कुटिः —-—मच्छर उड़ाने का चंवर
मशककुटी —स्त्री॰—मशक- कुटी —-—मच्छर उड़ाने का चंवर
मशकवरणम् —नपुं॰—मशक-वरणम्—-—मच्छर उड़ाने का चंवर
मशकहरी —स्त्री॰—मशक-हरी—-—मसहरी, मच्छरदानी
मशकिन् —पुं॰—-—मशक + इनि—गूलर का पेड़
मष् —भ्वा॰ पर॰ <मषति>—-—-—चोट पहुंचाना, क्षति पहुंचाना, मार डालना, नष्त करना
मषिः —स्त्री॰—-—मष् + इन्—स्याही
मषिः —स्त्री॰—-—मष् + इन्—दीवे की स्याही, काजल
मषिः —स्त्री॰—-—मष् + इन्—आंखों में लगाने की कालि काजल
मषी —स्त्री॰—-—मषि + ङीप्—स्याही
मषी —स्त्री॰—-—मषि + ङीप्—दीवे की स्याही, काजल
मषी —स्त्री॰—-—मषि + ङीप्—आंखों में लगाने की कालि काजल
मस् —दिवा॰ पर॰ <मस्यति>—-—-—तोलना, मापना, पैमाइश करना
मस् —दिवा॰ पर॰ <मस्यति>—-—-—रुप बदलना
मसः —पुं॰—-—मस् + अच्—माप, तोल
मसनम् —नपुं॰—-—मस् + ल्युट्—मापना, तोलना
मसनम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार की बूटी
मसरा —स्त्री॰—-—मस् + अरच् + टाप्—एक प्रकार की दाल, मसूर
मसारः —नपुं॰—-—मस् + क्विप्, मसं परिमाणम् ॠच्छति —पन्ना
मसारकः —पुं॰—-—मस् + ॠ + अण्, मसार + कन्—पन्ना
मसिः —पुं॰,स्त्री॰—-—मस् + इन्—स्याही
मसिः —पुं॰,स्त्री॰—-—-—दीवे की स्याही, काजल
मसिः —पुं॰,स्त्री॰—-—-—आंखों में लगाने की कालि काजल
मस्याधारः —पुं॰—मसि-आधारः—-—स्याही रखने की बोतल, दवात
मसिकूपी —स्त्री॰—मसि-कूपी—-—स्याही रखने की बोतल, दवात
मसिधानम् —नपुं॰—मसि-धानम्—-—स्याही रखने की बोतल, दवात
मसिधानी —स्त्री॰—मसि-धानी—-—स्याही रखने की बोतल, दवात
मसिमणिः —पुं॰—मसि-मणिः—-—स्याही रखने की बोतल, दवात
मसिजलम् —नपुं॰—मसि-जलम्—-—रोशनाई
मसिपण्यः —पुं॰—मसि-पण्यः—-—लेखक, लिपिकार
मसिपथः —पुं॰—मसि-पथः—-—कलम, लेखनी
मसिप्रसूः —स्त्री॰—मसि-प्रसूः—-—लेखनी
मसिप्रसूः —स्त्री॰—मसि-प्रसूः—-—स्याही की बोतल
मसिवर्धनम् —नपुं॰—मसि-वर्धनम्—-—लोबान
मसिकः —पुं॰—-—मसि + कन्—सागँ का बिल
मसी —स्त्री॰—-—मसि + ङीप्—स्याही
मसी —स्त्री॰—-—मसि + ङीप्—दीवे की स्याही, काजल
मसी —स्त्री॰—-—मसि + ङीप्—आंखों में लगाने की कालि काजल
मसीजलम् —नपुं॰—मसी-जलम्—-—स्याही
मसीधानी —स्त्री॰—मसी-धानी—-—दवात
मसीपटलम् —नपुं॰—मसी-पटलम्—-—काजल लगाना
मसुरः —पुं॰—-—मस् + उरन्—एक प्रकार की दाल, मसूर
मसुरः —पुं॰—-—मस् + उरन्—तकिया
मसुरः —स्त्री॰—-—मस् + उरन्—मसूर की दाल
मसुरः —स्त्री॰—-—मस् + उरन्—वेश्या, रंडी
मसूरः —पुं॰—-—मस् + ऊरन्—एक प्रकार की दाल, मसूर
मसूरः —पुं॰—-—मस् + ऊरन्—तकिया
मसूरः —स्त्री॰—-—मस् + ऊरन्—मसूर की दाल
मसूरः —स्त्री॰—-—मस् + ऊरन्—वेश्या, रंडी
मसूरिका —स्त्री॰—-—मसूर + कन् + टाप्, इत्वस्—एक प्रकार का शीतला रोग, खसरा
मसूरिका —स्त्री॰—-—-—मसहरी
मसूरिका —स्त्री॰—-—-—कुट्टिनी, दूती
मसूरी —स्त्री॰—-—मसूर+ङीष्—छोटी चेचक
मसृण —वि॰—-—ऋण (दीप्ति) + क, पृषो॰ साधुः—स्निग्ध, चिकना
मसृण —वि॰—-—-—मृदु, कोमल, सरल
मसृण —वि॰—-—-—सौम्य, मृदु, मधुरमसृणवाणि
मसृण —वि॰—-—-—प्रिय, मनोहर
मसृण —वि॰—-—-—चमकीला, उज्ज्वल
मस्क् —भ्वा॰ पर॰ <मस्कति>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
मस्करः —पुं॰—-—मस्क् + अरच्—बाँस
मस्करः —पुं॰—-—-—खोखला बाँस
मस्करिन् —पुं॰—-—मस्कर + इनि—संन्यासी या साधु, संन्यास आश्रम में वर्तमान ब्राह्मण
मस्करिन् —पुं॰—-—-—चन्द्रमा
मस्ज् —तुदा॰ पर॰ <मज्जति>, <मग्न> - पुं॰—-—-—स्नान करना, डुबकी लगाना, पानी में गोता लगाना
मस्ज् —तुदा॰ पर॰ <मज्जति>, <मग्न> - पुं॰—-—-—डूबना, ढलना, डुबजाना, नीचे बैठना, गोता लगाना (अधि॰ या कर्म॰ के साथ)
मस्ज् —तुदा॰ पर॰ <मज्जति>, <मग्न> - पुं॰—-—-—डूबना, पानी में नष्ट होना
मस्ज् —तुदा॰ पर॰ <मज्जति>, <मग्न> - पुं॰—-—-—दुर्भाग्यग्रस्त होना
मस्ज् —तुदा॰ पर॰ <मज्जति>, <मग्न> - पुं॰—-—-—हतोत्साह होना, निराशा या उत्साहहीन होना
उन्मस्ज् —तुदा॰ पर॰ —उद्-मस्ज्—-—पानी से बाहर आना, दृष्टिगोचर होना, उठना
निमस्ज् —तुदा॰ पर॰ —नि-मस्ज्—-—डूबना, नीचे बैठना, ढल जाना (आलं से भी)
निमस्ज् —तुदा॰ पर॰ —नि-मस्ज्—-—घुल जाना, डूब जाना, ओझल होना, नजर से बच निकलना
मस्तम् —नपुं॰—-—मस् + क्त—सिर, माथा
मस्तदारु —नपुं॰—मस्तम्-दारु—-—देवदारु का पेड़
मस्तमूलकम् —नपुं॰—मस्तम्-मूलकम्—-—गर्दन
मस्तकः —पुं॰—-—मस्मति परिमात्यनेन मस् करणे त स्वार्थे क @ तारा॰—सिर, माथा, खोपड़ी
मस्तकः —पुं॰—-—-—किसी चीज की चोटी या सिर
मस्तकम् —नपुं॰—-—-—सिर, माथा, खोपड़ी
मस्तकम् —नपुं॰—-—-—किसी चीज की चोटी या सिर
मस्तकाख्यः —पुं॰—मस्तक-आख्यः—-—वृक्ष की चोटी
मस्तकज्वरः —पुं॰—मस्तक-ज्वरः—-—तीव्र सिरदर्द
मस्तकशूलम् —नपुं॰—मस्तक-शूलम्—-—तीव्र सिरदर्द
मस्तकपिण्डकः —पुं॰—मस्तक-पिण्डकः—-—मदोन्मत्त हाथी के गंडस्थल पर का गोल उभार
मस्तकपिण्डकम् —नपुं॰—मस्तक-पिण्डकम्—-—मदोन्मत्त हाथी के गंडस्थल पर का गोल उभार
मस्तकमूलकम् —नपुं॰—मस्तक-मूलकम्—-—गर्दन
मस्तकस्नेहः —पुं॰—मस्तक-स्नेहः—-—मस्तिष्क
मस्तिकम् —नपुं॰—-—मस्तकम्, पृषो॰ इत्वम्—सिर
मस्तिष्कम् —नपुं॰—-—मस्तं मस्तकम् इष्यति स्वाधारत्वेन प्राप्नोति मस्त+ईष्+क, पृषो॰ —दिमाग
मस्तिष्कत्वच् —स्त्री॰—मस्तिष्कम्-त्वच्—-—मस्तिष्क पर चारों ओर लिपटी हुई झिल्ली
मस्तु —नपुं॰—-—मस्+तुन्—खट्टी मलाई
मस्तुलुङ्गः —पुं॰—मस्तु-लुङ्गः—-—मस्तिष्क, दिमाग
मस्तुलुङ्गम् —नपुं॰—मस्तु-लुङ्गम्—-—मस्तिष्क, दिमाग
मस्तुलुङ्गकः —पुं॰—मस्तु-लुङ्गकः—-—मस्तिष्क, दिमाग
मस्तुलुङ्गकम् —नपुं॰—मस्तु-लुङ्गकम्—-—मस्तिष्क, दिमाग
मह् —भ्वा॰ पर॰<महति> <महित>—-—-—सम्मान करना, आदर करना, बड़ा मानना, पूजा करना, श्रद्धा रखना, महत्वपूर्ण समझना
मह् —चुरा॰ उभ॰ <महयति> <महयते>—-—-—सम्मान करना, आदर करना, बड़ा मानना, पूजा करना, श्रद्धा रखना, महत्वपूर्ण समझना
मह् —भ्वा॰ आ॰ <महते>—-—-—विकसित होना, बढ़ना
महः —पुं॰—-—मह घञर्थे क—उत्सव, त्योहार
महः —पुं॰—-—-—प्रकाश, कान्ति
महकः —पुं॰—-—मह + कन्—प्रमुख पुरुष
महकः —पुं॰—-—-—विष्णु का नामान्तर
महत् —वि॰—-—मह् + अति—बड़ा, वृहद्, विस्तृत, विशाल, विस्तीर्ण
महत् —वि॰—-—-—पुष्कल, यथेष्ट, विपुल, बहुत से, असंख्य
महत् —वि॰—-—-—लम्बा, विस्तारित, व्यापक
महत् —वि॰—-—-—हृष्टपुष्ट, बलवान्, ताकतवर जैसे महान् वीरः
महत् —वि॰—-—-—प्रचंड, गहन, अत्यधिक
महत् —वि॰—-—-—स्थूल, निबिड, सघन
महत् —वि॰—-—-—महत्वपूर्ण, गुरुतर, भारी
महत् —वि॰—-—-—ऊँचा, उन्नत, प्रमुख, पूज्य, उदात्त
महत् —वि॰—-—-—सवेरे या देर से
महत् —पुं॰—-—-—शिव का विशेषण
महत् —पुं॰—-—-—(सांख्य में) महत्तत्त्व, बुद्धि तत्त्व (मन से भिन्न) सांख्य॰ द्वारा माने गये पच्चीस तत्त्वों में से दूसरा
महत् —नपुं॰—-—-—बड़प्पन, अनन्तता, असंख्यता
महत् —नपुं॰—-—-—राज्य, उपनिवेश
महत् —नपुं॰—-—-—पवित्रज्ञान
महत् —अव्य॰—-—-—बहुत अधिक, अत्यधिक, बहुत ज्यादा, अत्यन्त
महावासः —पुं॰—महत्-आवासः—-—विशालभवन
महाशा —पुं॰—महत्-आशा—-—ऊँची आशा
महाश्चर्य —वि॰—महत्-आश्चर्य—-—अत्यन्त आश्चर्यजनक
महाच्छ्रयः —पुं॰—महत्-आश्रयः—-—बड़ों का सहारा, बड़ों की शरण
महाकथ —वि॰—महत्-कथ—-—बड़ों द्वारा कथित या उल्लिखित, बड़े लोगों के मुंह में
महाक्षेत्र —वि॰—महत्-क्षेत्र—-—विस्तृत प्रदेश पर अधिकार करने वाला
महत्तत्त्वम् —नपुं॰—महत्-तत्त्वम्—-—सांख्यों के पच्चीस तत्त्वों में से दूसरा
महाबिलम् —नपुं॰—महत्-बिलम्—-—अन्तरिक्ष
महासेवा —स्त्री॰—महत्-सेवा—-—बड़ों की सेवा
महास्थानम् —नपुं॰—महत्-स्थानम्—-—ऊँचा स्थान, उन्नत स्थान
महती —स्त्री॰—-—मह्त् + ङीष्—एक प्रकार की वीणा
महती —स्त्री॰—-—-—नारद की वीणा
महती —स्त्री॰—-—-—सफेद बैगन का पौधा
महती —स्त्री॰—-—-—बड़प्पन, महत्व
महत्तर —वि॰—-—महत् + तरप्—अपेक्षाकृत बड़ा, विशाल
महत्तरः —पुं॰—-—-—प्रधान, मुख्य या सबसे बड़ा व्यक्ति अर्थात् सम्माननीय पुरुष
महत्तरः —पुं॰—-—-—कंचुकी या राज भवन का महाप्रतिहार
महत्तरः —पुं॰—-—-—गाँव का मुखिया या सबसे बड़ा आदमी
महत्तरकः —पुं॰—-—महत्तर + कन्—दरबारी आदमी, किसी राज भवन का महाप्रतिहार
महत्त्वम् —नपुं॰—-—महत् + त्व—बड़ापन, विशालता, विस्तृति, महाविस्तार
महत्त्वम् —नपुं॰—-—-—शक्तिमत्ता, विभूति, ऎश्वर्य
महत्त्वम् —नपुं॰—-—-—आवश्यकता
महत्त्वम् —नपुं॰—-—-—उन्नत अवस्था, ऊँवाई, उन्नयन
महत्त्वम् —नपुं॰—-—-—गहनता, प्रवण्डता, ऊँचा परिमाण
महनीय —वि॰—-—मह् + अनीयर—सम्मान के योग्य, आदरणीय, प्रतिष्ठित, श्रीमान्, यशस्वी, उदात्त, श्रेष्ठ
महन्तः —पुं॰—-—मह् + झच्—किसी पद का मुख्याधिष्ठाता
महर् —अव्य॰—-—मह् + अरु—भूलोक से ऊपर के लोकों में से चौथा लोक (स्वर और जनस् के बीच का लोक)
महस् —अव्य॰—-—मह् + अरु—भूलोक से ऊपर के लोकों में से चौथा लोक (स्वर और जनस् के बीच का लोक)
महल्लः —पुं॰—-—महत्+ला+क—राजा के अन्तःपुर में रहने वाला खोजा या हिजड़ा
महल्लिकः —पुं॰—-—महत्+ला+क—राजा के अन्तःपुर में रहने वाला खोजा या हिजड़ा
महल्लक —वि॰—-—महल्ल + कन्—निर्बल, कमजोर, पुराना
महल्लकः —पुं॰—-—-—राजा के अन्तःपुर का खोजा या हिजड़ा, विशाल भवन, महल
महस् —नपुं॰—-—मह् + असुन्—उत्सव, त्योहार का अवसर
महस् —नपुं॰—-—-—उपहार, आहुति, यज्ञ
महस् —नपुं॰—-—-—प्रकाश, आभा
महस् —नपुं॰—-—-—सात लोकों में से चौथा
महस्वत् —वि॰—-—महस् + मतुप्—भव्य, उज्जवल, चमकीला, प्रकाशयुक्त, आभामय
महस्विन् —वि॰—-—महस् +विनि —भव्य, उज्जवल, चमकीला, प्रकाशयुक्त, आभामय
महा —स्त्री॰—-—मह् + घ + टाप्—गाय
महा —स्त्री॰—-—-—बहुत अधिक
महाक्षः —पुं॰—महा-अक्षः—-—शिव का विशेषण
महाङ्ग —वि॰—महा-अङ्ग—-—स्थूल, महाकाय
महाङ्गः —पुं॰—महा-अङ्गः—-—उँट
महाङ्गः —पुं॰—महा-अङ्गः—-—एक प्रकार का चूहा, घूंस
महाङ्गः —पुं॰—महा-अङ्गः—-—शिव का नामान्तर
महाञ्जनः —पुं॰—महा-अञ्जनः—-—एक पहाड़ का नाम
महात्ययः —पुं॰—महा-अत्ययः—-—संकट का भारी खतरा
महाध्वनिक —वि॰—महा-अध्वनिक—-—‘दूर तक गया हुआ’ महाप्रयात, मृत
महाध्वरः —पुं॰—महा-अध्वरः—-—बड़ा यज्ञ
महानसम् —नपुं॰—महा-अनसम्—-—भारी गाड़ी
महानसी —स्त्री॰—महा-अनसी—-—रसोइया
महानसः —पुं॰—महा-अनसः—-—रसोई
महानसम् —नपुं॰—महा-अनसम्—-—रसोई
महानुभाव —वि॰—महा-अनुभाव—-—महाप्रतापी, ओजस्वी, उदात्त, यशस्वी, महाशय, उदार, श्रीमान
महानुभाव —वि॰—महा-अनुभाव—-—गुणवान, ईमानदार, धर्मात्मा
महानुभावः —पुं॰—महा-अनुभावः—-—प्रतिष्ठित या आदरणीय व्यक्ति
महान्तकः —पुं॰—महा-अन्तकः—-—मृत्यु, शिव का विशेषण
महान्धकारः —पुं॰—महा-अन्धकारः—-—घोर अन्धकार
महान्धकारः —पुं॰—महा-अन्धकारः—-—आध्यात्मिक अज्ञान
महांध्राः —पुं॰—महा-अंध्राः—-—एक देश और उसके अधिवासियों का नाम
महान्वय —वि॰—महा-अन्वय—-—उत्तम कुल में उत्पन्न, सत्कुलोद्भवः
महाभिजन —वि॰—महा-अभिजन—-—उत्तम कुल में उत्पन्न, सत्कुलोद्भवः
महान्वयः —पुं॰—महा-अन्वयः—-—उत्तम जन्म, ऊँचा कुल
महाभिजनः —पुं॰—महा-अभिजनः—-—उत्तम जन्म, ऊँचा कुल
महाभिषवः —पुं॰—महा-अभिषवः—-—सोम का अत्यन्त खींचा हुआ रस
महामात्यः —पुं॰—महा-अमात्यः—-—(राजा का) मुख्य या प्रधानमंत्री
महाम्बुकः —पुं॰—महा-अम्बुकः—-—शिव का विशेषण
महाम्बुजम् —नपुं॰—महा-अम्बुजम्—-—दस खरब
महाम्ल —वि॰—महा-अम्ल—-—बहुत खट्टा
महाम्लम् —नपुं॰—महा-अम्लम्—-—इमली का फल
महारण्यम् —नपुं॰—महा-अरण्यम्—-—सुनसान जंगल, विशाल जंगल
महार्घ —वि॰—महा-अर्घ—-—अतिमूल्यवान्, ऊँची कीमत वाला
महार्घः —पुं॰—महा-अर्घः—-—एक प्रकार की बटेर
महार्घ्य —वि॰—महा-अर्घ्य—-—मूल्यवान, कीमती
महार्चिस् —वि॰—महा-अर्चिस्—-—ऊँची ज्वालाओं वाला
महार्णवः —पुं॰—महा-अर्णवः—-—महासागर
महार्णवः —पुं॰—महा-अर्णवः—-—शिव का नामान्तर
महार्बुदम् —नपुं॰—महा-अर्बुदम्—-—एक अरब
महार्ह —वि॰—महा-अर्ह—-—अतिमूल्यवान, बहुत कीमती
महार्ह —वि॰—महा-अर्ह—-—अनमोल, अननुमेय
महार्हम् —नपुं॰—महा-अर्हम्—-—सफेद चन्दन की लकड़ी
महावरोहः —पुं॰—महा-अवरोहः—-—वटवृक्ष
महाशनिध्वजः —पुं॰—महा-अशनिध्वजः—-—वज्र के रुप में एक बड़ा झंडा
महाशन —वि॰—महा-अशन—-—पेटू, भोजनभट्ट
महाश्मन् —पुं॰—महा-अश्मन्—-—मूल्यवान् पत्थर, लाल
महाष्टमी —स्त्री॰—महा-अष्टमी—-—आश्विन शुक्ला अष्टमी, दुर्गाष्टमी
महासिः —पुं॰—महा-असिः—-—बड़ी तलवार
महासुरी —स्त्री॰—महा-असुरी—-—दुर्गा का नामान्तर
महाह्नः —पुं॰—महा-अह्नः—-—दोपहर बाद का समय
महाकार —वि॰—महा-आकार—-—विस्तीर्ण, विशाल, बड़ा
महाचार्यः —पुं॰—महा-आचार्यः—-—प्रधान अध्यापक
महाचार्यः —पुं॰—महा-आचार्यः—-—शिव का विशेषण
महाढ्य —वि॰—महा-आढ्य—-—धनवान, अमीर
महाढ्यः —पुं॰—महा-आढ्यः—-—कदम्ब का वृक्ष
महात्मन् —वि॰—महा-आत्मन्—-—महाशय, महामनस्क, उदारचेता, महोदय,
महात्मन् —वि॰—महा-आत्मन्—-—श्रीमान्, पूज्य, श्रेष्ठ, प्रमुख
महात्मन् —पुं॰—महा-आत्मन्—-—परमात्मा
महात्मवत् —वि॰—महात्मवत्—-—महाशय, महामनस्क, उदारचेता, महोदय,
महात्मवत् —वि॰—महात्मवत्—-—श्रीमान्, पूज्य, श्रेष्ठ, प्रमुख
महात्मवत् —पुं॰—महात्मवत्—-—परमात्मा
महानकः —पुं॰—महा-आनकः—-—एक प्रकार का बड़ा ढोल
महानन्दः —पुं॰—महा-आनन्दः—-—बड़ा हर्ष या उल्लास
महानन्दः —पुं॰—महा-आनन्दः—-—विशेष कर मोक्ष का आनन्द
महानन्दः —पुं॰—महा-आनन्दः—-—बड़ा हर्ष या उल्लास
महानन्दः —पुं॰—महा-आनन्दः—-—विशेष कर मोक्ष का आनन्द
महापगा —स्त्री॰—महा-आपगा—-—बड़ा दरिया
महायुधः —पुं॰—महा-आयुधः—-—शिव का विशेषण
महारम्भ —वि॰—महा-आरम्भ—-—बड़े-बड़े कार्यो को हाथ में लेने वाला, साहसिक
महारम्भः —पुं॰—महा-आरम्भः—-—कोई बड़ा साहसिक कार्य
महालयः —पुं॰—महा-आलयः—-—देवालय
महालयः —पुं॰—महा-आलयः—-—पवित्र स्थान, आश्रम
महालयः —पुं॰—महा-आलयः—-—बड़ा आवासस्थान
महालयः —पुं॰—महा-आलयः—-—तीर्थ स्थान
महालयः —पुं॰—महा-आलयः—-—ब्रह्मलोक
महालयः —पुं॰—महा-आलयः—-—परमात्मा
महालया —स्त्री॰—महा-आलया—-—एक विशेष देवता का नाम
महाशय —वि॰—महा-आशय—-—महात्मा, महामनस्क, उदारचेता, उदात्तचरित्र
महाशयः —पुं॰—महा-आशयः—-—उदारमना या उदारचेता व्यक्ति
महाशयः —पुं॰—महा-आशयः—-—समुद्र
महास्पद —वि॰—महा-आस्पद—-—उत्तम पद पर अधिकार करने वाला
महास्पद —वि॰—महा-आस्पद—-—ताकतवर, बलवान्
महाहवः —पुं॰—महा-आहवः—-—बड़ा या महासंग्राम
महेच्छ —वि॰—महा-इच्छ—-—उदारचेता, उदारमना, महामना, उदारचरित्र
महेच्छ —वि॰—महा-इच्छ—-—महान् उद्देश्य और आशाएँ रखने वाला, महत्त्वाकांक्षी
महेन्द्रः —पुं॰—महा-इन्द्रः—-—महेन्द्र अर्थात् महान् इन्द्र
महेन्द्रः —पुं॰—महा-इन्द्रः—-—मुखिया या नेता
महेन्द्रः —पुं॰—महा-इन्द्रः—-—एक पर्वत शृंखला
महेन्द्रचापः —पुं॰—महेन्द्रः-चापः—-—इन्द्रधनुष
महेन्द्रनगरी —स्त्री॰—महेन्द्रः-नगरी—-—इन्द्र की राजधानी अमरावती
महेन्द्रमन्त्रिन् —पुं॰—महेन्द्रः-मन्त्रिन्—-—बृहस्पति का विशेषण
महेष्वासः —पुं॰—महा-इष्वासः—-—बड़ा धनुर्धर, बड़ा भारी योद्धा
महेशः —पुं॰—महा-ईशः—-—शिव का नाम
महेशानः —पुं॰—महा-ईशानः—-—शिव का नाम
महेशानी —स्त्री॰—महा-ईशानी—-—पार्वती का नाम
महेश्वरः —पुं॰—महा-ईश्वरः—-—महाप्रभु, स्वामी
महेश्वरः —पुं॰—महा-ईश्वरः—-—शिव का नामान्तर
महेश्वरः —पुं॰—महा-ईश्वरः—-—विष्णु का नाम
महेश्वरी —स्त्री॰—महा-ईश्वरी—-—दुर्गा का नाम
महोक्षः —पुं॰—महा-उक्षः—-—(‘उक्षन्’ के स्थान पर) महाकाय बैल, हृष्टपुष्ट बैल
महोत्पलम् —नपुं॰—महा-उत्पलम्—-—एक बड़ा नील कमल
महोत्सवः —पुं॰—महा-उत्सवः—-—एक बड़ा पर्व, या हर्ष का अवसर
महोत्सवः —पुं॰—महा-उत्सवः—-—कामदेव
महोत्साह —वि॰—महा-उत्साह—-—ऊर्जस्वी, ओजस्वी, धैर्यशाली
महोत्साहः —पुं॰—महा-उत्साहः—-—धैर्य
महोदधिः —पुं॰—महा-उदधिः—-—महासागर
महोदधिः —पुं॰—महा-उदधिः—-—इन्द्र का विशेषण
महोदधिजः —पुं॰—महोदधिः-जः—-—शंख, सीपी
महोदय —वि॰—महा-उदय—-—बड़ा समृद्धिशालि या भाग्यवान्, बड़ा यशस्वी या भव्य, अतिसमृद्ध
महोदयः —पुं॰—महा-उदयः—-—प्रोत्कर्ष, उन्नयन, बड़प्पन, समृद्धि
महोदयः —पुं॰—महा-उदयः—-—मोक्ष
महोदयः —पुं॰—महा-उदयः—-—प्रभु, स्वामी
महोदयः —पुं॰—महा-उदयः—-—कान्यकुब्ज या कन्नौज नामक जिला
महोदयः —पुं॰—महा-उदयः—-—कन्नौज की राजधानी का नाम
महोदयः —पुं॰—महा-उदयः—-—मधुपर्क
महोदर —वि॰—महा-उदर—-—बड़े पेट वाला, मोटा
महोदरम् —नपुं॰—महा-उदरम्—-—बड़ा पेट
महोदरम् —नपुं॰—महा-उदरम्—-—जलोदर
महोदार —वि॰—महा-उदार—-—अतिदानशील, या उदारचेता, वदान्य
महोद्यम —वि॰—महा-उद्यम—-—ऊर्जस्वी, ओजस्वी, धैर्यशाली
महोद्योग —वि॰—महा-उद्योग—-—अतिपरिश्रमी, मेहनती, परिश्रमशील
महोन्नत —वि॰—महा-उन्नत—-—अत्यन्त ऊँचा
महोन्नतः —पुं॰—महा-उन्नतः—-—पंखिया खजूर का वृक्ष
महोन्नतिः —स्त्री॰—महा-उन्नतिः—-—प्रकर्ष, उन्नयन (आलं भी) उत्कृष्त पद
महोपकारः —पुं॰—महा-उपकारः—-—बड़ा आभार
महोपाध्यायः —पुं॰—महा-उपाध्यायः—-—मुख्य गुरु, विद्वान् अध्यापक
महोरगः —पुं॰—महा-उरगः—-—बड़ा साँप
महोरस्क —वि॰—महा-उरस्क—-—विशाल वक्षस्थल वाला
महोरस्कः —पुं॰—महा-उरस्कः—-—शिव का विशेषण
महोल्का —स्त्री॰—महा-उल्का—-—एक बड़ा टूटा तारा
महोल्का —स्त्री॰—महा-उल्का—-—बड़ी जलती हुई लकड़ी
महर्द्धिः —स्त्री॰—महा-ऋद्धिः—-—बड़ी समृद्धि या सम्पन्नता
महर्षभः —पुं॰—महा-ऋषभः—-—साँड
महर्षिः —पुं॰—महा-ऋषिः—-—बड़ा ऋषि या सन्त (मनु॰ १।३४ में यह शब्द मानवजाति के मूलपुरुष या दस प्रजापतियों के लिए प्रयुक्त हुआ है, परन्तु यह ‘बड़ा ऋषि’ के सामान्य अर्थ में भी प्रयुक्त होता है)
महर्षिः —पुं॰—महा-ऋषिः—-—शिव का नाम
महोष्ठ —वि॰—महा-ओष्ठ—-—बड़े होठों वाला
महोष्ठः —पुं॰—महा-ओष्ठः—-—शिव का विशेषण
महौजस् —वि॰—महा-ओजस्—-—बहुत ताकतवर, अतिबलशाली, प्रतापी, यशस्वी
महौजस् —पुं॰—महा-ओजस्—-—बड़ा शूरवीर या योद्धा, मल्ल
महौजसम् —नपुं॰—महा-ओजसम्—-—विष्णु का चक्र
महौषधिः —स्त्री॰—महा-ओषधिः—-—अमोघ औषधि का पौधा, अचूक दवा
महौषधिः —पुं॰—महा-ओषधिः—-—दूर्वा घास
महौषधम् —नपुं॰—महा-औषधम्—-—सर्वोपरि उपचार, रामबाण, सब रोगों की अचूक दवा
महौषधम् —नपुं॰—महा-औषधम्—-—अदरक
महौषधम् —नपुं॰—महा-औषधम्—-—लहसुन
महौषधम् —नपुं॰—महा-औषधम्—-—एक प्रकार का विष, वत्सनाभ
महाकच्छः —पुं॰—महा-कच्छः—-—समुद्र
महाकच्छः —पुं॰—महा-कच्छः—-—वरुण का नाम
महाकच्छः —पुं॰—महा-कच्छः—-—पहाड़ का नाम
महाकन्दः —पुं॰—महा-कन्दः—-—लहसुन
महाकपर्दः —पुं॰—महा-कपर्दः—-—एक प्रकार की सीपी, कौड़ी
महाकपित्थः —पुं॰—महा-कपित्थः—-—बेल का पेड़
महाकपित्थः —पुं॰—महा-कपित्थः—-—लाल लहसुन
महाकम्बु —वि॰—महा-कम्बु—-—बिल्कुल नंगा
महाकम्बुः —पुं॰—महा-कम्बुः—-—शिव का विशेषण
महाकर —वि॰—महा-कर—-—लंबे हाथों वाला
महाकर —वि॰—महा-कर—-—जिससे बहुत राजस्व मिलता हो
महाकर्णः —पुं॰—महा-कर्णः—-—शिव का विशेषण
महाकर्मन् —वि॰—महा-कर्मन्—-—बड़े-बड़े काम करने वाला
महाकर्मन् —पुं॰—महा-कर्मन्—-—शिव का विशेषण
महाकला —स्त्री॰—महा-कला—-—शुक्ल पक्ष की द्वितीया की रात
महाकविः —पुं॰—महा-कविः—-—कविशिरोमणि कालिदास, भवभूति, बाण और भारवि आदि महाकवि
महाकविः —पुं॰—महा-कविः—-—शुक्राचार्य का विशेषण
महाकान्तः —पुं॰—महा-कान्तः—-—शिव का विशेषण
महाकान्ता —स्त्री॰—महा-कान्ता—-—पृथ्वी
महाकाय —वि॰—महा-काय—-—स्थूलकाय, बड़ा महाकाय, अतिकाय
महाकायः —पुं॰—महा-कायः—-—हाथी
महाकायः —पुं॰—महा-कायः—-—शिव का विशेषण
महाकायः —पुं॰—महा-कायः—-—विष्णु का विशेषण
महाकायः —पुं॰—महा-कायः—-—शिव का एक अनुचर, नंदी बैल
महाकार्तिकी —स्त्री॰—महा-कार्तिकी—-—कार्तिक मास की पूर्णिमा
महाकालः —पुं॰—महा-कालः—-—प्रलय कर्ता के रुप में शिव का एक रुप
महाकालः —पुं॰—महा-कालः—-—एक प्रसिद्ध मंदिर या शिव (महाकाल) का मंदिर (‘महाकाल का यह मंदिर उज्जैन में विद्यमान है, कालिदास ने अपने मेघदूत के रचना के द्वारा इसे अमर कर दिया है, वहाँ (महाकाल=शिव) देवता, उसका मंदिर पूजा आदि के साथ--साथ नगरि का सचरित्र वर्णन मिलता हैं
महाकालः —पुं॰—महा-कालः—-—विष्णु का विशेषण
महाकालः —पुं॰—महा-कालः—-—एक प्रकार की लौकी या कद्दू
महाकालपुरम् —नपुं॰—महाकालः-पुरम्—-—उज्जयिनी की नगरी
महाकाली —स्त्री॰—महा-काली—-—दुर्गा देवी का डरावना रुप
महाकाव्यम् —नपुं॰—महा-काव्यम्—-—लौकिक काव्य, महाकाव्य (इसके विषय में पूरा विवरण जो साहित्य शास्त्रियों ने किया हैं सा॰ द॰ ५५९ में दे॰) (महाकव्य गिनती में पाँच हैं-रघुवंश, कुमारसंभव, किरातार्जुनीय, शिशुपालवध और नैषधचरित। यदि खंडकाव्य- मेघदूत भी सूची में सम्मिलित किया जाय तो छः महाकाव्य हो जाते हैं परन्तु यह गणना केवल परम्परा-प्राप्त, क्योंकि भट्टिकाव्य, विक्रमांकदेवचरित और हरविजय आदि का भी महाकाव्य की दृष्टि से विचार किया जाने का समाना अधिकार है)
महाकुमारः —पुं॰—महा-कुमारः—-—राजा का सबसे बड़ा पुत्र, युवराज
महाकुल —वि॰—महा-कुल—-—सत्कुलोत्पन्न, उच्चकुलोद्भव, ऊँचे कुल में उत्पन्न
महाकुलम् —नपुं॰—महा-कुलम्—-—उच्चकुल में जन्म, ऊँचा कुल
महाकृच्छ्रम् —नपुं॰—महा-कृच्छ्रम्—-—घोर साधना, भारी तपस्या
महाकोशः —पुं॰—महा-कोशः—-—शिव का विशेषण
महाक्रतुः —पुं॰—महा-क्रतुः—-—महायज्ञ उदा॰ अश्वमेघ
महाक्रमः —पुं॰—महा-क्रमः—-—विष्णु का विशेषण
महाक्रोधः —पुं॰—महा-क्रोधः—-—शिव का विशेषण
महाक्षत्रपः —पुं॰—महा-क्षत्रपः—-—महाराज्यपाल, उपशासक
महाक्षीरः —पुं॰—महा-क्षीरः —-—गन्ना, ईख
महाखर्वः —पुं॰—महा-खर्वः—-—बड़ी संख्या सौ खरब की संख्या
महाखर्वम् —नपुं॰—महा-खर्वम्—-—बड़ी संख्या सौ खरब की संख्या
महागजः —पुं॰—महा-गजः—-—बड़ा हाथी
महागणपतिः —पुं॰—महा-गणपतिः—-—गणेश देवता का रुप
महागन्धः —पुं॰—महा-गन्धः—-—एक प्रकार की बेत
महागन्धम् —नपुं॰—महा-गन्धम्—-—एक प्रकार की चन्दन की लकड़ी
महागवः —पुं॰—महा-गवः—-—सुरागाय
महागुण —वि॰—महा-गुण—-—अमोघ, अचूक (औषघि आदि)
महागृष्टिः —पुं॰—महा-गृष्टिः—-—विशाल डील की गाय
महाग्रहः —पुं॰—महा-ग्रहः—-—राहु का विशेषण
महाग्रीवः —पुं॰—महा-ग्रीवः—-—ऊँट
महाग्रीवः —पुं॰—महा-ग्रीवः—-—शिव का विशेषण
महाग्रीविन् —पुं॰—महा-ग्रीविन्—-—ऊँट
महाघूर्णा —स्त्री॰—महा-घूर्णा—-—खींची हुई शराब
महाघोषम् —नपुं॰—महा-घोषम्—-—मंडी, मेला
महाघोषः —पुं॰—महा-घोषः—-—ऊँचा शोर, कोलाहल, गुलगपाड़ा
महाचक्रवर्तिन् —पुं॰—महा-चक्रवर्तिन्—-—सार्वभौम नरेश
महाचमूः —स्त्री॰—महा-चमूः—-—विशाल सेना
महाछायः —पुं॰—महा-छायः—-—वटवृक्ष
महाजटः —पुं॰—महा-जटः—-—शिव का विशेषण
महाजत्रु —वि॰—महा-जत्रु—-—जिसकी हंसली की हड्डी बहुत बड़ी हो
महाजत्रुः —पुं॰—महा-जत्रुः—-—शिव का विशेषण
महाजनः —पुं॰—महा-जनः—-—लोगों का समूह, बहुत से प्राणी, साधारण जनता
महाजनः —पुं॰—महा-जनः—-—जनसंख्या, भीड़-भाड़
महाजनः —पुं॰—महा-जनः—-—बड़ा आदमी, प्रतिष्ठित पुरुष, प्रमुख व्यक्ति
महाजनः —पुं॰—महा-जनः—-—किसी व्यवसाय का मुखिया
महाजनः —पुं॰—महा-जनः—-—सौदागर, व्यापरी
महाजातीय —वि॰—महा-जातीय—-—दान-शील
महाजातीय —वि॰—महा-जातीय—-—उत्तम जाति का
महाज्योतिस् —पुं॰—महा-ज्योतिस्—-—शिव का विशेषण
महातपस् —पुं॰—महा-तपस्—-—कठोर तप करने वाला
महातपस् —पुं॰—महा-तपस्—-—विष्णु का विशेषण
महातलम् —नपुं॰—महा-तलम्—-—नीचे के सात लोकों में से एक
महातिक्तः —पुं॰—महा-तिक्तः—-—निंबवृक्ष
महातीक्ष्ण —वि॰—महा-तीक्ष्ण—-—अत्यन्त तेज या तीव्र
महातीक्ष्णा —स्त्री॰—महा-तीक्ष्णा—-—भिलावाँ
महातेजस् —वि॰—महा-तेजस्—-—बड़ी भारी कांति या दीप्ति से युक्त
महातेजस् —वि॰—महा-तेजस्—-—तेजस्वी, शक्तिशाली, शौर्ययुक्त
महातेजस् —पुं॰—महा-तेजस्—-—शूरवीर, योद्धा
महातेजस् —पुं॰—महा-तेजस्—-—अग्नि
महातेजस् —पुं॰—महा-तेजस्— —कार्तिकेय का विशेषण
महातेजस् —नपुं॰—महा-तेजस्—-—पारा
महादण्डः —पुं॰—महा-दण्डः—-—लंबी भुजा
महादण्डः —पुं॰—महा-दण्डः—-—भारी दंड
महादन्तः —पुं॰—महा-दन्तः—-—बड़े दांतो वाला हाथी
महादन्तः —पुं॰—महा-दन्तः—-—शिव का विशेषण
महादशा —स्त्री॰—महा-दशा—-—(मनुष्य के भाग पर) प्रबल ग्रह का प्रभाव
महादारु —नपुं॰—महा-दारु—-—देवदारु वृक्ष
महादेवः —पुं॰—महा-देवः—-—शिव का नामान्तर
महादेवी —स्त्री॰—महा-देवी—-—पार्वती का नामान्तर
महाद्रुमः —पुं॰—महा-द्रुमः—-—पीपल का वृक्ष
महाधन —वि॰—महा-धन—-—धनाढ्य
महाधन —वि॰—महा-धन— —कीमती, मूल्यवान्
महाधनम् —नपुं॰—महा-धनम्—-—सोना
महाधनम् —नपुं॰—महा-धनम्—-—गंध, धूप
महाधनम् —नपुं॰—महा-धनम्—-—मूल्यवान् वेशभूषा
महाधनुस् —पुं॰—महा-धनुस्— —शिव का विशेषण
महाधातुः —पुं॰—महा-धातुः—-—सोना
महाधातुः —पुं॰—महा-धातुः—-—शिव का विशेषण
महाधातुः —पुं॰—महा-धातुः—-—मेरु का विशेषण
महानटः —पुं॰—महा-नटः—-—शिव का विशेषण
महानदः —पुं॰—महा-नदः—-—बड़ा दरिया
महानदी —स्त्री॰—महा-नदी—-—गंगा, कृष्णा जैसी बड़ी नदी
महानदी —स्त्री॰—महा-नदी—-—बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली एक नदी
महानन्दा —स्त्री॰—महा-नन्दा—-—खींची हुई शराब
महानन्दा —स्त्री॰—महा-नन्दा—-—एक नदी का नाम
महानरकः —पुं॰—महा-नरकः—-—इक्कीस नरकों में से एक
महानलः —पुं॰—महा-नलः—-—एक प्रकार का नरकुल, नेजा
महानवमी —स्त्री॰—महा-नवमी—-—आश्विन शुक्ला नौमी, दुर्गानवमि
महानाटकम् —नपुं॰—महा-नाटकम्—-—‘महानटक’ एक नाटक का नाम जिसे ‘हनुमन्नाटक’ (हनुमान के नाम से सर्वप्रिय होने के कारण) भी कहते हैं
महानादः —पुं॰—महा-नादः—-—ऊची आवाज शोर
महानादः —पुं॰—महा-नादः—-—बड़ा ढोल
महानादः —पुं॰—महा-नादः—-—गर्जने वाला बादल
महानादः —पुं॰—महा-नादः—-—शंख
महानादः —पुं॰—महा-नादः—-—हाथी
महानादः —पुं॰—महा-नादः—-—सिंह
महानादः —पुं॰—महा-नादः—-—कान
महानादः —पुं॰—महा-नादः—-—ऊँट
महानादः —पुं॰—महा-नादः—-—शिव का विशेषण
महानादम् —नपुं॰—महा-नादम्—-—एक वाद्ययंत्र
महानासः —पुं॰—महा-नासः—-—शिव का विशेषण
महानिद्रा —स्त्री॰—महा-निद्रा—-—‘महानिद्रा’, मृत्यु
महानियमः —पुं॰—महा-नियमः—-—विष्णु का विशेषण
महानिर्वाणम् —नपुं॰—महा-निर्वाणम्—-—(बौद्धों के अनुसार) व्यष्टिसत्ता का पूर्ण नाश
महानिशा —स्त्री॰—महा-निशा—-—आधीरात, रात का दूसरा या तीसरा पहर
महानीचः —पुं॰—महा-नीचः—-—धोबी
महानील —वि॰—महा-नील—-—गहरा नील
महानीलः —पुं॰—महा-नीलः—-—एक पेअकार का नीलम या पन्ना
महानीलोपलः —पुं॰—महानीलः-उपलः—-—नीलम
महानृत्यः —पुं॰—महा-नृत्यः—-—शिव का विशेषण
महानेमिः —पुं॰—महा-नेमिः—-—कौवा
महापक्षः —पुं॰—महा-पक्षः—-—गरुड़ का विशेषण
महापक्षः —पुं॰—महा-पक्षः—-—एक प्रकार की बत्तख
महापक्षी —पुं॰—महा-पक्षी—-—उल्लू
महापञ्चमूलम् —नपुं॰—महा-पञ्चमूलम्—-—पाँच पेड़ों की जड़ों का योग
महापञ्चविषम् —नपुं॰—महा-पञ्चविषम्—-—पाँच घातक विषों का योग
महापथः —पुं॰—महा-पथः—-—मुख्य सड़क, प्रधान वीथी, राजमार्ग
महापथः —पुं॰—महा-पथः—-—परलोक अर्थात् मृत्यु का मार्ग
महापथः —पुं॰—महा-पथः—-—कुछ पर्वत के शिखर जहाँ से भक्त लोग स्वर्गपथ प्राप्त करने के लिए अपने आप को फेंका करते थे
महापथः —पुं॰—महा-पथः—-—शिव का एक विशेषण
महापद्मः —पुं॰—महा-पद्मः—-—एक विशिष्ट बड़ी संख्या, (सौ पद्य की संख्या?)
महापद्मः —पुं॰—महा-पद्मः—-—नारद का नामान्तर
महापद्मः —पुं॰—महा-पद्मः—-—कुबेर की नौ निधियों में से एक
महापद्मम् —नपुं॰—महा-पद्मम्—-—श्वेत कमल
महापद्मम् —नपुं॰—महा-पद्मम्—-—एक नगर का नाम
महापतिः —पुं॰—महा-पतिः—-—नारद का नामान्तर
महापराह्लः —पुं॰—महा-पराह्लः—-—देर में, दोपहर बाद
महापातकम् —नपुं॰—महा-पातकम्—-—बहुत बड़ा पाप, जघन्य अपराध
महापातकम् —नपुं॰—महा-पातकम्—-—कोई बड़ा पाप, या अतिक्रमण
महापात्रः —पुं॰—महा-पात्रः—-—प्रधानमंत्री
महापादः —पुं॰—महा-पादः—-—शिव का विशेषण
महापाप्मन् —वि॰—महा-पाप्मन्—-—अत्यंत पापपूर्ण या दुर्वृत्त
महापुंसः —पुं॰—महा-पुंसः—-—महान् पुरुष
महापुरुषः —पुं॰—महा-पुरुषः—-—बड़ा आदमी, एक प्रमुख या पूज्य व्यक्ति
महापुरुषः —पुं॰—महा-पुरुषः—-—परमात्मा
महापुरुषः —पुं॰—महा-पुरुषः—-—विष्णु का विशेषण
महापुष्पः —पुं॰—महा-पुष्पः—-—एक प्रकार का कीड़ा
महापूजा —स्त्री॰—महा-पूजा—-—बड़ी पूजा, असाधारण अवसरों पर अनुष्ठित गहन पूजा
महापृष्ठः —पुं॰—महा-पृष्ठः—-—एक ऊँट
महाप्रपञ्चः —पुं॰—महा-प्रपञ्चः—-—विश्व का विराटरुप
महाप्रभ —वि॰—महा-प्रभ—-—बड़ी भारी कांति वाला
महाप्रभः —पुं॰—महा-प्रभः—-—दीपक का प्रकाश
महाप्रभुः —पुं॰—महा-प्रभुः—-—परमेश्वर
महाप्रभुः —पुं॰—महा-प्रभुः—-—राजा महाप्रभु
महाप्रभुः —पुं॰—महा-प्रभुः—-—मुख्य
महाप्रभुः —पुं॰—महा-प्रभुः—-—इन्द्र का विशेषण
महाप्रभुः —पुं॰—महा-प्रभुः—-—शिव का विशेषण
महाप्रभुः —पुं॰—महा-प्रभुः—-—विष्णु का विशेषण
महाप्रलयः —पुं॰—महा-प्रलयः—-—‘महाविघटन’ ब्रह्मा की जीवन समाप्ति पर विश्व का पूर्ण विनाश जबकि अपने अधिवासियों सहित समस्त लोक, देव, सन्त, ऋषि आदि स्वयं ब्रह्मा समेत सभी विनाश को प्राप्त हो जाते हैं
महाप्रसादः —पुं॰—महाप्रसादः—-—एक बड़ा अनुग्रह
महाप्रसादः —पुं॰—महाप्रसादः—-—(भगवान की मूर्ति पर लगाया हुआ भोग) एक बड़ा उपहार
महाप्रस्थानम् —नपुं॰—महा-प्रस्थानम्—-—इस जीवन से विदा लेना, मृत्यु ऊँचा श्वास, या श्वासाधिक ध्वनि जो ऊष्म वर्णों के उच्चारण में की जाती हैं
महाप्रस्थानम् —नपुं॰—महा-प्रस्थानम्—-—श्वासातिरेक से युक्त वर्ण-अर्थात् ख् घ् छ् झ् ठ् थ् ध् फ् भ् श् ष् स् ह्
महाप्रस्थानम् —नपुं॰—महा-प्रस्थानम्—-—पहाड़ी कौवा
महाप्लवः —पुं॰—महा-प्लवः—-—भारी बाढ़, जलप्लावन
महाफल —वि॰—महा-फल—-—बहुत फल देने वाला
महाफला —स्त्री॰—महा-फला—-—कड़वी लौकी
महाफला —स्त्री॰—महा-फला—-—एक प्रकार की बर्छी
महाफलम् —नपुं॰—महा-फलम्—-—बड़ा फल या पुरस्कार
महाबल —वि॰—महा-बल—-—बहुत मजबूत
महाबलः —पुं॰—महा-बलः—-—हवा
महाबलम् —नपुं॰—महा-बलम्—-—सीसा
महेश्वरः —पुं॰—महा-ईश्वरः—-—वर्तमान महाबलेश्वर के निकट स्थापित शिव का लिंग
महाबाहु —वि॰—महा-बाहु—-—लंबी भुजाओं वाला, शक्तिशाली
महाबाहुः —पुं॰—महा-बाहुः—-—विष्णु का विशेषण
महाबिलम् —नपुं॰—महा-बिलम्—-—अन्तरिक्ष
महाबिलम् —नपुं॰—महा-बिलम्—-—हृदय
महाबिलम् —नपुं॰—महा-बिलम्—-—जलकलश, घड़ा
महाबिलम् —नपुं॰—महा-बिलम्—-—विवर, गुफा
महाविलम् —नपुं॰—महा-विलम्—-—अन्तरिक्ष
महाविलम् —नपुं॰—महा-विलम्—-—हृदय
महाविलम् —नपुं॰—महा-विलम्—-—जलकलश, घड़ा
महाविलम् —नपुं॰—महा-विलम्—-—विवर, गुफा
महाबीजः —पुं॰—महा-बीजः—-—शिव का विशेषण
महावीजम् —पुं॰—महा-वीजः—-—शिव का विशेषण
महाबीज्यम् —नपुं॰—महा-बीज्यम्—-—मूलाधार
महावीज्यम् —नपुं॰—महा-वीज्यम्—-—मूलाधार
महाबोधिः —पुं॰—महा-बोधिः—-—बौद्धभिक्षु
महाब्रह्मम् —नपुं॰—महा-ब्रह्मम्—-—परमात्मा
महाब्रह्मन् —नपुं॰—महा-ब्रह्मन्—-—परमात्मा
महाब्राह्मणः —पुं॰—महा-ब्राह्मणः—-—एक बड़ा या विद्वान् ब्राह्मण
महाब्राह्मणः —पुं॰—महा-ब्राह्मणः—-—एक नीच या तिरस्करणीय ब्राह्मण
महाभाग —वि॰—महा-भाग—-—अतिभाग्यवान्, सौभाग्यशाली, समृद्ध
महाभाग —वि॰—महा-भाग—-—श्रीमान्, पूज्य, यशस्वी
महाभाग —वि॰—महा-भाग—-—अत्यन्त निर्मल या पवित्र, अत्यंत गुणवान्,
महाभागिन् —वि॰—महा-भागिन्—-—अतिभाग्यवान् या समृद्ध
महाभारतम् —नपुं॰—महा-भारतम्—-—प्रसिद्ध महाकाव्य जिसमें धृतराष्ट्र और पांडु के पुत्रों की प्रतिद्वन्द्विता और संघर्ष का वर्णन हैं (इसमें अठारह पर्व या अध्याय हैं, कहा जाता हैं कि इसकी रचना व्यास ने की, तु॰ ‘भारत’ शब्द की भी)
महाभाष्यम् —नपुं॰—महा-भाष्यम्—-—एक बड़ी टीका
महाभाष्यम् —नपुं॰—महा-भाष्यम्—-—विशेषकर पाणिनि के सूत्रों पर पतंजलि द्वारा लिखा गया महाभाष्य (विस्तृत टीका)
महाभीमः —पुं॰—महा-भीमः—-—राजा शान्तनु का विशेषण
महाभीरुः —पुं॰—महा-भीरुः—-—एक प्रकार का कीड़ा, गुबरैला
महाभुज —वि॰—महा-भुज—-—लम्बी भुजाओं वाला, शक्तिशाली
महाभूतम् —नपुं॰—महा-भूतम्—-—मूलतत्व
महाभूतः —पुं॰—महा-भूतः—-—एक बड़ा जानवर
महाभोगा —स्त्री॰—महा-भोगा—-—दुर्गा का विशेषण
महामणिः —पुं॰—महा-मणिः—-—कीमती या मूल्यवान् मणि, आभूषण, जवाहर
महामति —वि॰—महा-मति—-—उच्चमनस्क
महामति —वि॰—महा-मति—-—चतुर
महामतिः —स्त्री॰—महा-मतिः—-—बृहस्पति का नाम
महामद —वि॰—महा-मद—-—नशे में अत्यन्त चूर
महामदः —पुं॰—महा-मदः—-—मतवाला हाथी
महामनस् —वि॰—महा-मनस्—-—उच्चमना, उदात्तमनस्क, उदाराशय
महामनस् —वि॰—महा-मनस्—-—उदार
महामनस् —वि॰—महा-मनस्— —घमण्डी, अभिमानी
महामनस् —पुं॰—महा-मनस्— —शरभ नाम का एक कल्पनाप्रसूत जन्तु
महामनस्क —वि॰—महा-मनस्क—-—उच्चमना, उदात्तमनस्क, उदाराशय
महामनस्क —वि॰—महा-मनस्क—-—उदार
महामनस्क —वि॰—महा-मनस्क—-—घमण्डी, अभिमानी
महामनस्क —पुं॰—महा-मनस्क—-—‘शरभ नाम का एक कल्पनाप्रसूत जन्तु
महामन्त्रिन् —पुं॰—महा-मन्त्रिन्—-—प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री
महामहोपाध्यायः —पुं॰—महा-महोपाध्यायः—-—बहुत बड़ा उपाध्याय, अध्यापक, महापंडित, विद्वान और प्रसिद्ध पंडितो को दी जाने वाली उपाधि
महामांसम् —नपुं॰—महा-मांसम्—-—‘मूल्यवान् मांस’ विशेषकर नरमांस
महामात्रः —पुं॰—महा-मात्रः—-—राज्य का बड़ा अधिकारी, उच्च राज्याधिकारी, मुख्यमन्त्री
महामात्रः —पुं॰—महा-मात्रः—-—महावत, हाथियों पर निगरानी रखने वाला
महामात्रः —पुं॰—महा-मात्रः—-—हाथियों का अधीक्षक
महामात्री —स्त्री॰—महा-मात्री—-—मुख्यमन्त्री की पत्नी
महामात्री —स्त्री॰—महा-मात्री—-—आध्यात्मिक गुरु की पत्नी
महामायः —पुं॰—महा-मायः—-—विष्णु का विशेषण
महामाया —स्त्री॰—महा-माया—-—सांसारिक कारण भूता अविद्या जिससे यह समस्त भौतिक जगत् वास्तविक प्रतीत होता हैं
महामारी —स्त्री॰—महा-मारी—-—हैजा, बवाई रोग, संक्रामक बीमारी
महामाहेश्वरः —पुं॰—महा-माहेश्वरः—-—शिव या महेश्वर का बड़ा भक्त
महामुखः —पुं॰—महा-मुखः—-—मगरमच्छ, घड़ियाल
महामुनिः —पुं॰—महा-मुनिः—-—बड़ा ऋषि
महामुनिः —पुं॰—महा-मुनिः—-—व्यास
महामुनि —नपुं॰—महा-मुनि—-—आयुर्वेद की जड़ीबूटी
महामूर्धन् —पुं॰—महा-मूर्धन्—-—शिव का विशेषण
महामूलम् —नपुं॰—महा-मूलम्—-—एक बड़ी मूली
महामूलः —पुं॰—महा-मूलः—-—एक प्रकार का प्याज
महामूल्य —वि॰—महा-मूल्य—-—अत्यन्त कीमती
महामूल्यः —पुं॰—महा-मूल्यः—-—लाल
महामृगः —पुं॰—महा-मृगः—-—कोई भी बड़ा जानवर
महामृगः —पुं॰—महा-मृगः—-—हाथी
महामेदः —पुं॰—महा-मेदः—-—मूंगे का पेड़
महामोहः —पुं॰—महा-मोहः—-—मन का भारी आकर्षण
महामोहा —स्त्री॰—महा-मोहा—-—दुर्गा का विशेषण
महायज्ञः —पुं॰—महा-यज्ञः—-—‘महायज्ञ’ गृहस्थ द्वारा अनुष्ठेय दैनिक पांच यज्ञ और कोई धर्मकृत्य
महायमकम् —नपुं॰—महा-यमकम्—-—‘बृहद्यमक’ अर्थात् किसी श्लोक के चारों चरण जहां शब्दशः एक से हैं, परन्तु अर्थतः भिन्न हैं
महायात्रा —स्त्री॰—महा-यात्रा—-—‘बड़ी तीर्थयात्रा’ काशी यात्रा, मृत्यु
महायाम्यः —पुं॰—महा-याम्यः—-—विष्णु का विशेषण
महायुगम् —नपुं॰—महा-युगम्—-—‘बृहद् युग’ मनुष्यों के चार युगों का समाहार अर्थात् ३२०००० मानववर्ष
महायोगिन् —पुं॰—महा-योगिन्—-—शिव का विशेषण
महायोगिन् —पुं॰—महा-योगिन्—-—विष्णु का विशेषण
महायोगिन् —पुं॰—महा-योगिन्—-—मुर्गा
महारजतम् —नपुं॰—महा-रजतम्—-—सोना
महारजतम् —नपुं॰—महा-रजतम्—-—धतूरा
महारजनम् —नपुं॰—महा-रजनम्—-—केसर
महारजनम् —नपुं॰—महा-रजनम्—-—सोना
महारत्नम् —नपुं॰—महा-रत्नम्—-—बहुमूल्य रत्न
महारथः —पुं॰—महा-रथः—-—बड़ी गाड़ी या रथ
महारथः —पुं॰—महा-रथः—-—बड़ा योद्धा या नायक
महारस —वि॰—महा-रस—-—अत्यन्त रसीला
महारसः —पुं॰—महा-रसः—-—गन्ना, ईख
महारसः —पुं॰—महा-रसः— —पारा
महारसः —पुं॰—महा-रसः—-—बहुमूल्य धातु
महारसम् —नपुं॰—महा-रसम्— —चावलों का जायकेदार मांड
महाराजः —पुं॰—महा-राजः—-—बड़ा राजा, प्रभु, या सम्राट
महाराजः —पुं॰—महा-राजः—-—राजाओं या बड़े-बड़े व्यक्तियों को ससम्मान संबोधित करने की रीति (महाराज, देव, प्रभु, महामहिम)
महाचूतः —पुं॰—महा-चूतः—-—एक प्रकार का आम
महाराजिकाः —पुं॰—महा-राजिकाः—-—एक देव समूह का विशेषण (गिनती में यह देव २२० या २३६ माने जाते हैं
महाराज्ञी —स्त्री॰—महा-राज्ञी—-—मुख्य रानी, राजा की प्रधान पत्नी
महारात्रिः —स्त्री॰—महा-रात्रिः—-—‘महाविघटन’ ब्रह्मा की जीवन समाप्ति पर विश्व का पूर्ण विनाश जबकि अपने अधिवासियों सहित समस्त लोक, देव, सन्त, ऋषि आदि स्वयं ब्रह्मा समेत सभी विनाश को प्राप्त हो जाते हैं
महारात्री —स्त्री॰—महा-रात्री—-—‘महाविघटन’ ब्रह्मा की जीवन समाप्ति पर विश्व का पूर्ण विनाश जबकि अपने अधिवासियों सहित समस्त लोक, देव, सन्त, ऋषि आदि स्वयं ब्रह्मा समेत सभी विनाश को प्राप्त हो जाते हैं
महाराष्ट्रः —पुं॰—महा-राष्ट्रः—-—‘महाराष्ट्र्’ भारत के पश्चिम में मराठों का एक देश
महाराष्ट्रः —पुं॰—महा-राष्ट्रः—-—महाराष्ट्र देश के अधिवासी, मराठे (ब॰ व॰)
महाराष्ट्री —स्त्री॰—महा-राष्ट्री—-—मुख्य प्राकृत बोली, महाराष्ट्र के अधिवासियों कि भाषा
महारुप —वि॰—महा-रुप—-—रुप में बलवान्
महारुपः —पुं॰—महा-रुपः—-—शिव का विशेषण
महारुपः —वि॰—महा-रुपः— —राल
महारेतस् —पुं॰—महा-रेतस्—-—शिव का विशेषण
महारौद्र —वि॰—महा-रौद्र—-—बड़ा डरावना
महारौद्री —स्त्री॰—महा-रौद्री—-—दुर्गा का विशेषण
महारौखः —पुं॰—महा-रौखः—-—इक्कीस नरकों में से एक
महालक्ष्मी —स्त्री॰—महा-लक्ष्मी—-—नारायण की शक्ति या महालक्ष्मी
महालक्ष्मी —स्त्री॰—महा-लक्ष्मी—-—दुर्गा पूजा के अवसर पर दुर्गा बनने वाली कन्या
महालिङ्गम् —नपुं॰—महा-लिङ्गम्—-—बृहल्लिंग
महालिङ्गः —पुं॰—महा-लिङ्गः—-—शिव का विशेषण
महालोलः —पुं॰—महा-लोलः—-—कौवा
महालोहम् —नपुं॰—महा-लोहम्—-—चुम्बक
महावनम् —नपुं॰—महा-वनम्—-—एक बड़ा जंगल
महावनम् —नपुं॰—महा-वनम्—-—विंध्यवन में एक बड़ा जंगल
महावराहः —पुं॰—महा-वराहः—-—‘महावराह’ विष्णु का विशेषण, तृतीय अवतार ‘वराह शूकर’ के रुप में
महावसः —पुं॰—महा-वसः—-—शिशुमार, सूंस
महावाक्यम् —नपुं॰—महा-वाक्यम्—-—लंबा वाक्य
महावाक्यम् —नपुं॰—महा-वाक्यम्—-—अविच्छिन्न रचना या कोई साहित्यिक कृति
महावाक्यम् —नपुं॰—महा-वाक्यम्—-—महदर्थ प्रकाशक वाक्य
महावातः —पुं॰—महा-वातः—-—आंधी, झंझावात
महावार्तिकम् —नपुं॰—महा-वार्तिकम्—-—पाणिनि के सूत्रों पर कात्यायन द्वारा रचित वार्तिक
महाविदेहा —स्त्री॰—महा-विदेहा—-—योगदर्शन में प्रदर्शित मन की अवस्थाविशेष या वृत्तिविशेषः
महाविभाषा —स्त्री॰—महा-विभाषा—-—सविकल्प नियम
महाविषुवम् —नपुं॰—महा-विषुवम्—-—मेघ की संक्रान्ति
महासंक्रान्ति —वि॰—महा-संक्रान्ति—-—वसन्तविषुव (जब सूर्य मीन राशि से मेषराशि पर संक्रमण करता है
महावीरः —पुं॰—महा-वीरः—-—बड़ा शूरवीर या योद्धा
महावीरः —पुं॰—महा-वीरः—-—सिंह
महावीरः —पुं॰—महा-वीरः—-—इन्द्र का वज्र
महावीरः —पुं॰—महा-वीरः—-—विष्णु का विशेषण
महावीरः —पुं॰—महा-वीरः—-—गरुड़ का विशेषण
महावीरः —पुं॰—महा-वीरः—-—हनुमान का विशेषण
महावीरः —पुं॰—महा-वीरः—-—कोयल
महावीरः —पुं॰—महा-वीरः—-—सफेद घोड़ा
महावीरः —पुं॰—महा-वीरः—-—यज्ञाग्नि
महावीरः —पुं॰—महा-वीरः—-—यज्ञपात्र
महावीरः —पुं॰—महा-वीरः—-—एक प्रकार का बाज पक्षी
महावीर्या —स्त्री॰—महा-वीर्या—-—सूर्य की पत्नी संज्ञा का विशेषण
महावृयः —पुं॰—महा-वृयः—-—भारी बैल, साँड
महावेग —वि॰—महा-वेग—-—बहुत तेज, प्रवलवेग वाला
महावेगः —वि॰—महा-वेगः—-—लंबी चाल, प्रबल वेग
महावेगः —पुं॰—महा-वेगः— —लंगूर
महावेगः —पुं॰—महा-वेगः—-—गरुड़ पक्षी
महावेल —वि॰—महा-वेल—-—तरंगमय
महाव्याधिः —स्त्री॰—महा-व्याधिः—-—भारी बीमारी
महाव्याधिः —पुं॰—महा-व्याधिः—-—(काला कोढ़) कोढ़ का भयानक रुप
महाव्याहृतिः —स्त्री॰—महा-व्याहृतिः—-—अत्यन्त गूढ़ शब्द अर्थात् भूर्, भुवस् और स्वर्
महाव्रत —वि॰—महा-व्रत—-—अत्यंत धर्मनिष्ठ, कठोरतापूर्वक व्रत का पालन करने वाला
महाव्रतम् —नपुं॰—महा-व्रतम्—-—महाव्रत, बहुत बड़ा कठिन व्रत, महान् धर्मकृत्य का पालन्
महाव्रतम् —नपुं॰—महा-व्रतम्—-—कोई भी महान् या प्रधान कर्तव्य
महाव्रतिन् —पुं॰—महा-व्रतिन्—-—भक्त, संन्यासी
महाव्रतिन् —पुं॰—महा-व्रतिन्—-—शिव का विशेषण
महाशक्तिः —पुं॰—महा-शक्तिः—-—शिव का विशेषण
महाशक्तिः —पुं॰—महा-शक्तिः—-—कार्तिकेय का विशेषण
महाशङ्खः —पुं॰—महा-शङ्खः—-—बड़ा शंख
महाशङ्खः —पुं॰—महा-शङ्खः—-—कनपटी की हड्डी, मस्तक
महाशङ्खः —पुं॰—महा-शङ्खः—-—मानव अस्थि
महाशङ्खः —पुं॰—महा-शङ्खः—-—विशिष्ट ऊँची संख्या
महाशठः —पुं॰—महा-शठः—-—एक प्रकार का धतूरा
महाशब्द —वि॰—महा-शब्द—-—ऊँची ध्वनी करने वाला, अत्यन्त कोलाहलपूर्ण, ऊधम मचाने वाला
महाशल्कः —पुं॰—महा-शल्कः—-—समुद्री केकड़ा या झींगा मछली
महाशालः —पुं॰—महा-शालः—-—बड़ा गृहस्थ
महाशिरम् —पुं॰—महा-शिरम्—-—एक प्रकार का साँप
महाशुक्तिः —स्त्री॰—महा-शुक्तिः—-—मोतियों की सीपी
महाशुक्ला —स्त्री॰—महा-शुक्ला—-—सरस्वती का विशेषण
महाशुभ्रम् —नपुं॰—महा-शुभ्रम्—-—चाँदी
महाशूद्रः —पुं॰—महा-शूद्रः—-—उच्चपदस्त शूद्र
महाशूद्रः —पुं॰—महा-शूद्रः—-—ग्वाला
महाशूद्री —स्त्री॰—महा-शूद्री—-—उच्चपदस्त शूद्र
महाशूद्री —स्त्री॰—महा-शूद्री—-—ग्वाला
महाश्मशानम् —नपुं॰—महा-श्मशानम्—-—वाराणसी का विशेषण
महाश्रमणः —पुं॰—महा-श्रमणः—-—बुद्ध का विशेषण
महाश्वासः —पुं॰—महा-श्वासः—-—एक प्रकार का दमा
महाश्वेता —स्त्री॰—महा-श्वेता—-—सरस्वती का विशेषण
महाश्वेता —स्त्री॰—महा-श्वेता—-—दुर्गा का विशेषण
महाश्वेता —स्त्री॰—महा-श्वेता—-—सफेद खांड
महासंक्रान्तिः —स्त्री॰—महा-संक्रान्तिः—-—मकर संक्रान्ति
महासती —स्त्री॰—महा-सती—-—बड़ी सती साध्वी स्त्री
महासत्ता —स्त्री॰—महा-सत्ता—-—असीम अस्तित्व
महासत्यः —पुं॰—महा-सत्यः—-—यम का विशेषण
महासत्त्वः —पुं॰—महा-सत्त्वः—-—कुबेर का विशेषण
महासन्धिविग्रहः —पुं॰—महा-सन्धिविग्रहः—-—शान्ति और युद्ध के मन्त्री का पद
महासन्नः —पुं॰—महा-सन्नः—-—कुबेर का विशेषण
महासर्जः —पुं॰—महा-सर्जः—-—कटहल
महासान्तपनः —पुं॰—महा-सान्तपनः—-—एक प्रकार की घोर तपस्या
महासान्धिविग्रहिकः —पुं॰—महा-सान्धिविग्रहिकः—-—शान्ति और युद्ध का (परराष्ट्र) मन्त्री
महासारः —पुं॰—महा-सारः—-—एक प्रकार का खैर का वृक्ष
महासारथिः —पुं॰—महा-सारथिः—-—अरुण का विशेषण
महासाहसम् —नपुं॰—महा-साहसम्—-—अतिसाहस, बलात्कार, अत्यधिक दिलेरी
महासाहसिकः —पुं॰—महा-साहसिकः—-—डाकू, बटमार, साहसी लुटेरा
महासिंहः —पुं॰—महा-सिंहः—-—शरम नाम का एक कथा से वर्णितजन्तु
महासिद्धिः —स्त्री॰—महा-सिद्धिः—-—एक प्रकार की जादू की शक्ति
महासुखम् —नपुं॰—महा-सुखम्—-—बड़ा आनन्द
महासुखम् —नपुं॰—महा-सुखम्—-—संभोग
महासूक्ष्मा —स्त्री॰—महा-सूक्ष्मा—-—रेत
महासूतः —पुं॰—महा-सूतः—-—सैनिक ढोल
महासेनः —पुं॰—महा-सेनः—-—कार्तिकेय का विशेषण
महासेनः —पुं॰—महा-सेनः—-—विशाल सेना का सेनापति
महासेना —स्त्री॰—महा-सेना—-—बड़ी सेना
महास्कन्धः —पुं॰—महा-स्कन्धः—-—ऊँट
महास्थली —स्त्री॰—महा-स्थली—-—पृथ्वी
महास्थानम् —नपुं॰—महा-स्थानम्—-—बड़ा पद
महास्वनः —पुं॰—महा-स्वनः—-—एक प्रकार का ढोल
महाहंसः —पुं॰—महा-हंसः—-—विष्णु का विशेषण
महाहविस् —नपुं॰—महा-हविस्—-—घी
महाहिमवत् —पुं॰—महा-हिमवत्—-—एक पहाड़ का नाम
महिका —स्त्री॰—-—मह् + क्वुन् + टाप, इत्वम्—कोहरा, धुंध
महित —भू॰ क॰ कृ॰—-—मह् + क्त—सम्मानित, पूजित, बहुमानित, श्रद्धेय
महितम् —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—शिव का त्रिशूल
महिमन् —पुं॰—-—महत् + इमनिच् टिलोपः—बड़प्पन (आलं से भी)
महिमन् —पुं॰—-—-—यश, गौरव, ताकत, शक्ति
महिमन् —पुं॰—-—-—ऊँचा पद, उन्नत पदवी, या ऊँची प्रतिष्ठा
महिमन् —पुं॰—-—-—सिद्धियों में से एक -अपना शरीर फुलाना
महिरः —पुं॰—-—मह् + इलच्, लस्य रत्वम्—सूर्य
महिला —स्त्री॰—-—मह् + इलच् - टाप्—स्त्री
महिला —स्त्री॰—-—-—मदमत्त या विलासिनी स्त्री
महिला —स्त्री॰—-—-—प्रियंगु नाम की लता
महिला —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार का गंधद्रव्य या सुगंधित पौधा - रेणुका
महिलाह्वया —स्त्री॰—महिला-आह्वया—-—प्रियंगु लता
महिलारोप्यम् —नपुं॰—-—-—दक्षिण भारत में स्थित एक नगर का नाम
महिषः —पुं॰—-—मह् + टिषच्—भैंसा (यम का वाहन माना जाता हैं
महिषः —पुं॰—-—मह् + टिषच्—एक राक्षस का नाम जिसे दुर्गा ने मार गिराया था
महिषार्दनः —पुं॰—महिष-अर्दनः—-—कार्तिकेय का विशेषण
महिषासुरः —पुं॰—महिष-असुरः—-—महिष नाम का राक्षस
महिषासुरघातिनी —स्त्री॰—महिष-असुरः-घातिनी—-—दुर्गा का विशेषण
महिषासुरमथनी —स्त्री॰—महिष-असुरः-मथनी—-—दुर्गा का विशेषण
महिषासुरमर्दनी —स्त्री॰—महिष-असुरः-मर्दनी—-—दुर्गा का विशेषण
महिषासुरसूदनी —स्त्री॰—महिष-असुरः-सूदनी—-—दुर्गा का विशेषण
महिषघ्नी —स्त्री॰—महिष-घ्नी—-—दुर्गा का विशेषण
महिषध्वजः —पुं॰—महिष-ध्वजः—-—यम का विशेषण
महिषपालः —पुं॰—महिष-पालः—-—भैंस रखने वाला
महिषपालकः —पुं॰—महिष-पालकः—-—भैंस रखने वाला
महिषवहनः —पुं॰—महिष-वहनः—-—यम के विशेषण
महिषवाहनः —पुं॰—महिष-वाहनः—-—यम के विशेषण
महिषी —स्त्री॰—-—महिष + ङीष्—भैंस
महिषी —स्त्री॰—-—-—पटरानी, राजमहिषी
महिषी —स्त्री॰—-—-—पक्षी की मादा
महिषी —स्त्री॰—-—-—स्त्रीदासी, सेविका, सैरंध्री
महिषी —स्त्री॰—-—-—व्याभिचारिणी स्त्री
महिषी —स्त्री॰—-—-—अपनी पत्नी की वेश्यावृत्ति से अर्जित धन
महिषीपालः —पुं॰—महिषी-पालः—-—भैसों के रखने वाले
महिषीस्तम्भः —पुं॰—महिषी-स्तम्भः—-—भैंस के सिर से अलंकृत खंबा
महिष्मत् —वि॰—-—महिष + मतुप्, पृषो॰ टिलोपः—बहुत सी भैंस रखने वाला, या जहाँ भैसे बहुतायत से हों
मही —स्त्री॰—-—मह + अच् + ङीष्—पृथ्वी-जैसा कि महीपाल और महीभृत् आदि में
मही —स्त्री॰—-—-—भूमि,मिट्टी
मही —स्त्री॰—-—-—भूसम्पत्ति, जमीन-जायदाद
मही —स्त्री॰—-—-—देश, राज्य
मही —स्त्री॰—-—-—एक नदी का नाम जो खंबात की खाड़ी में गिरती हैं
मही —स्त्री॰—-—-—(ज्या॰ में) समतल आकृति की आधाररेखा
महीनः —पुं॰—मही-इनः—-—राजा
महीश्वरः —पुं॰—मही-ईश्वरः—-—राजा
महीकम्पः —पुं॰—मही-कम्पः—-—भूचाल
महीक्षित् —पुं॰—मही-क्षित्—-—राजा, प्रभु
महीजः —पुं॰—मही-जः—-—मंगलग्रह
महीजः —पुं॰—मही-जः—-—वृक्ष
महीजम् —नपुं॰—मही-जम्—-—हरा अदरक
महीतलम् —नपुं॰—मही-तलम्—-—धरातल्
महीदुर्गम् —नपुं॰—मही-दुर्गम्—-—मिट्टी का किला, भूदुर्ग
महीधरः —पुं॰—मही-धरः—-—पहाड़
महीधरः —पुं॰—मही-धरः—-—विष्णु का विशेषण
महीध्रः —पुं॰—मही-ध्रः—-—पहाड़
महीध्रः —पुं॰—मही-ध्रः—-—विष्णु का विशेषण
महीनाथः —पुं॰—मही-नाथः—-—राजा
महीपतिः —पुं॰—मही-पतिः—-—राजा
महीभुज् —पुं॰—मही-भुज्—-—राजा
महीमघवन् —पुं॰—मही-मघवन्—-—राजा
महीमहेन्द्रः —पुं॰—मही-महेन्द्रः—-—राजा
महीपुत्रः —पुं॰—मही-पुत्रः—-—मंगलग्रह
महीपुत्रः —पुं॰—मही-पुत्रः—-—नरकासुर का विशेषण
महीसुतः —पुं॰—मही-सुतः—-—मंगलग्रह
महीसुतः —पुं॰—मही-सुतः—-—नरकासुर का विशेषण
महीसूनुः —पुं॰—मही-सूनुः—-—मंगलग्रह
महीसूनुः —पुं॰—मही-सूनुः—-—नरकासुर का विशेषण
महीपुत्री —स्त्री॰—मही-पुत्री—-—सीता का एक विशेषन
महीसुता —स्त्री॰—मही-सुता—-—सीता का एक विशेषन
महीप्रकम्पः —पुं॰—मही-प्रकम्पः—-—भूचाल
महीप्ररोहः —पुं॰—मही-प्ररोहः—-—वृक्ष
महीरुह् —पुं॰—मही-रुह्—-—वृक्ष
महीरुहः —पुं॰—मही-रुहः—-—वृक्ष
महीप्राचीरम् —नपुं॰—मही-प्राचीरम्—-—समुद्र
महीप्रावरः —पुं॰—मही-प्रावरः—-—समुद्र
महीभर्तृ —पुं॰—मही-भर्तृ—-—राजा
महीभृत् —पुं॰—मही-भृत्—-—पहाड़
महीभृत् —पुं॰—मही-भृत्—-—राजा, प्रभु
महीलता —स्त्री॰—मही-लता—-—केंचुआ
महीसुरः —पुं॰—मही-सुरः—-—ब्राह्मण
महीयस् —वि॰—-—म॰ अ॰, महत् + ईयसुन्—अपेक्षाकृत बड़ा, विशाल, अपेक्षाकृत अधिक शक्तिशाली भारी या महत्वपूर्ण अधिक ताकतवर, मजबूत पुं॰ महामना, उदारचेता
महीला —स्त्री॰—-— = महिला, पृषो॰ साधुः—स्त्री, नारी
महेला —स्त्री॰—-— = महिला, पृषो॰ साधुः—स्त्री, नारी
मा —अव्य॰—-—मा + क्विप्—प्रतिषेधबोधक अव्यय, (नकारात्मक विरलतः) प्रायः लोट् लकार की क्रिया के साथ जुड़ा हुआ
मा —अव्य॰—-—-—लुङ् लकार की क्रिया के साथ जबकि उसके आगम ‘अकार’ का लोप भी हो जाता हैं
मा —अव्य॰—-—-—लङ् लकार की क्रिया के साथ भी (यहाँ भी आगम ‘अकार’ का लोप हो जाता हैं
मा —अव्य॰—-—-—लृट् लकार या विधिलिङ् की क्रिया के साथ भी, ‘ऐसा न हो कि ’ ‘ऐसा नहीं कि’ अर्थ को प्रकट करने में
मा —अव्य॰—-—-—जब अभिशाप अभिप्रेत हो तो शत्रन्त (वर्तमानकालिक विशेषण) के रुप में प्रयुक्त
मा —अव्य॰—-—-—संभावनार्थक कर्मवाच्यप्रत्ययांत क्रियाओं के साथ-मैव प्रार्थ्यम्,मा कभी-कभी बिना किसी क्रिया की उपेक्षा किये प्रयुक्त होता हैं- मा तावत् ‘अरे ऐसा मत (कहो) मा मैवम् मा नामरक्षिणः @ मृच्छ॰ ३, ‘कहीं कोई पुलिस का आदमी न हों’ दे॰ नाम के अन्तर्गत। कभी-कभी ‘मा’ के बाद ‘स्म’ लगा दिया जाता हैं, और उस समय क्रिया में लङ् य लुङ् लकार का प्रयोग होता हैं तथा आगम ‘अकार’ का लोप हो जाता हैं, विधिलिङ् के सा प्रयोग विरलता देखा जाता हैं
मा —स्त्री॰—-—मा + क + टाप्—धन की देवी लक्ष्मी
मापः —पुं॰—मा-पः—-—विष्णु का विशेषण
मापतिः —पुं॰—मा-पतिः—-—विष्णु का विशेषण
मा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰ <माति>, <मिमीते>, <मीयते>, <मित> —-—-—मापना
मा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰ <माति>, <मिमीते>, <मीयते>, <मित> —-—-—नापतोल करना, चिह्न लगाना, सीमांकन करना
मा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰ <माति>, <मिमीते>, <मीयते>, <मित> —-—-—(डील डौल में) तुलना करना, किसी भी मापदण्ड से मापना
मा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰ <माति>, <मिमीते>, <मीयते>, <मित> —-—-—अन्दर होना, अन्दर स्थान ढूंढना, युक्त या सहित होना
मा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰, प्रेर॰<मापयति>,<मापयते>—-—-—मपवाना, नाप करवाना
मा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰, इच्छा॰ <मित्सति>, <मित्सते>—-—-—मापने की कामना करना
अनुमा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰—अनु-मा—-—अनुमान लगाना, घटाना (कुछ कारणों के आधार पर) धूमादग्निमनुमाय -तर्क॰, @ कु॰ २।२५, अन्दाज लगाना, अटकल लगाना
अनुमा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰—अनु-मा—-—समाधान करना, पुनर्मिलित करना
उपमा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰—उप-मा—-—तुलना करना, समानता करना
निर्मा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰—निस्-मा—-—बनाना, सृजन करना, अस्तित्व में लाना
निर्मा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰—निस्-मा—-—(क) बनाना, रुप बनाना, संरचना करना
निर्मा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰—निस्-मा—-—(ख) बसाना (नगर पुर आदि) नई बस्ती बसाना
निर्मा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰—निस्-मा—-—उत्पन्न करना, पैदा करना
निर्मा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰—निस्-मा—-—रचना करना, लिखना
निर्मा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰—निस्-मा—-—तैयार करना, निर्माण करना
परिमा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰—परि-मा—-—मापना
परिमा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰—परि-मा—-—माप कर निशाना लगाना, सीमांकन करना
प्रमा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰—प्र-मा—-—मापना
प्रमा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰—प्र-मा—-—सिद्ध करना, स्थापित करना, प्रदर्शित करना
सम्मा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰—सम्-मा—-—मापना
सम्मा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰—सम्-मा—-—समान बनाना, बराबर-बराबर करना
सम्मा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰—सम्-मा—-—समानता करना, तुलना करना
सम्मा —अदा॰ पर॰, जुहो॰, दिवा॰ आ॰—सम्-मा—-—युक्त या सहित होना
मांसम् —नपुं॰—-—मन् + स दीर्घश्च—मांस, गोश्त
मांसम् —नपुं॰—-—-—मछली का मांस
मांसम् —नपुं॰—-—-—फल का गूदा
मांसः —पुं॰—-—-—मांस बेचने वाली एक वर्ण संकर जाति
मांसाद् —वि॰—मांसम्-अद्—-—मांस खाने वाला, आमिषभोजी (जैसे कि एक जानवर)
मांसाद —वि॰—मांसम्-अद—-—मांस खाने वाला, आमिषभोजी (जैसे कि एक जानवर)
मांसादिन् —वि॰—मांसम्-आदिन्—-—मांस खाने वाला, आमिषभोजी (जैसे कि एक जानवर)
मांसभक्षक —वि॰—मांसम्-भक्षक—-—मांस खाने वाला, आमिषभोजी (जैसे कि एक जानवर)
मांसार्गलः —पुं॰—मांसम्-अर्गलः—-—मांस का टुकड़ा जो मुँह से नीचे लटकता हैं
मांसार्गलम् —नपुं॰—मांसम्-अर्गलम्—-—मांस का टुकड़ा जो मुँह से नीचे लटकता हैं
मांसाशनम् —नपुं॰—मांसम्-अशनम्—-—मांस खाना
मांसाहारः —पुं॰—मांसम्-आहारः—-—पाशव भोजन
मांसोपजीविन् —पुं॰—मांसम्-उपजीविन्—-—माँस बेचने वाला
मांसौदनः —पुं॰—मांसम्-ओदनः—-—मछली का भोजन
मांसौदनः —पुं॰—मांसम्-ओदनः—-—मांस के साथ पकाये हुए चावल
मांसकारि —नपुं॰—मांसम्-कारि—-—रक्त
मांसग्रन्थिः —पुं॰—मांसम्-ग्रन्थिः—-—मांस की गिल्टी
मांसजम् —नपुं॰—मांसम्-जम्—-—चर्बी, वसा
मांसतेजस् —नपुं॰—मांसम्-तेजस्—-—चर्बी, वसा
मांसद्राविन् —पुं॰—मांसम्-द्राविन्—-—खटमिट्ठा चोका, खट्टी भाजी
मांसनिर्यासः —पुं॰—मांसम्-निर्यासः—-—शरीर के बाल
मांसपिटकः —पुं॰—मांसम्-पिटकः—-—मांस की टोकरी, मांस का ढेर
मांसकम् —नपुं॰—मांसम्-कम्—-—मांस की टोकरी, मांस का ढेर
मांसपित्तम् —नपुं॰—मांसम्-पित्तम्—-—हड्डी
मांसपेशी —स्त्री॰—मांसम्-पेशी—-—पुट्ठा
मांसपेशी —स्त्री॰—मांसम्-पेशी—-—मांस का टुकड़ा
मांसपेशी —स्त्री॰—मांसम्-पेशी—-—आठ से चौदह दिन तक के गर्भ का विशेषण
मांसभेत्तृ —वि॰—मांसम्-भेत्तृ—-—मांस काटने वाला
मांसभेदिन् —वि॰—मांसम्-भेदिन्—-—मांस काटने वाला
मांसयोनिः —पुं॰—मांसम्-योनिः—-—रक्त मांस से बना जीव
मांसविक्रयः —पुं॰—मांसम्-विक्रयः—-—मांस की बिक्री
मांससारः —पुं॰—मांसम्-सारः—-—चर्बी, वसा
मांसस्नेहः —पुं॰—मांसम्-स्नेहः—-—चर्बी, वसा
मांसहासा —स्त्री॰—मांसम्-हासा—-—खाल, चमड़ा
मांसल —वि॰—-—मांस + लच्—मांस से भरा हुआ
मांसल —वि॰—-—मांस + लच्—पुट्ठेदार, मोटा ताजा, बलवान्, हृष्टपुष्ट
मांसल —वि॰—-—मांस + लच्—स्थूलकाय, मजबूत, शक्तिशाली
मांसल —वि॰—-—मांस + लच्—(ध्वनि की भांति) गहरा
मांसल —वि॰—-—मांस + लच्—महाकाय, हट्टाकट्टा
मांसिकः —पुं॰—-—मांसं पण्यमस्य ठक्—कसाई, मांस विक्रेता
माकन्दः —पुं॰—-—मा + किप् माः परिमितः सुघटितः कन्द इव फलं अस्य—आम का पेड़
माकन्दी —स्त्री॰—-—-—आँवले का पेड़
माकन्दी —स्त्री॰—-—-—पीला चन्दन
माकन्दी —स्त्री॰—-—-—गंगा के किनारे स्थित एक नगर का नाम
माकर —वि॰—-—मकर + अण्—मगरमच्छ से संबद्ध, माघ मास से संबद्ध
माकरी —स्त्री॰—-—मकर + अण्—मगरमच्छ से संबद्ध, माघ मास से संबद्ध
माकरन्द —वि॰—-—मकरन्द + अण्—फूलों के रस से प्राप्त या, पुष्प रस से संबद्ध, शहद से भरा हुआ, मधुमिश्रित
माकरन्दी —स्त्री॰—-—मकरन्द + अण्—फूलों के रस से प्राप्त या, पुष्प रस से संबद्ध, शहद से भरा हुआ, मधुमिश्रित
माकलिः —पुं॰—-—-—इन्द्र का सारथि मातलि
माक्षिक —वि॰—-—मक्षिकाभिः संभृत्यः कृतम्- अण् पक्षे नि॰ दीर्घः—मधुमक्खियों से उत्पन्न या प्राप्त
माक्षीक —वि॰—-—मक्षिकाभिः संभृत्यः कृतम्- अण् पक्षे नि॰ दीर्घः—मधुमक्खियों से उत्पन्न या प्राप्त
माक्षिकी —स्त्री॰—-—मक्षिकाभिः संभृत्यः कृतम्- अण् पक्षे नि॰ दीर्घः—मधुमक्खियों से उत्पन्न या प्राप्त
माक्षिकम् —नपुं॰—-—-—मधु की भांति एक खनिज पदार्थ
माक्षिकाश्रयम् —नपुं॰—माक्षिक-आश्रयम्—-—मोम
माक्षिकाजम् —नपुं॰—माक्षिक-जम्—-—मोम
माक्षिकफलः —पुं॰—माक्षिक-फलः—-—एक प्रकार का नारियल
माक्षिकशर्करा —स्त्री॰—माक्षिक-शर्करा—-—कन्दयुक्त खांड
मागध —वि॰—-—मगध + अण्—मगध देश में रहने वाला, या उससे संबद्ध, या मगध के अधिवासि
मागधी —स्त्री॰—-—मगध + अण्—मगध देश में रहने वाला, या उससे संबद्ध, या मगध के अधिवासि
मागधः —पुं॰—-—-—मगध का राजा
मागधः —पुं॰—-—-—एक मिश्रजाति (कहा जाता है कि यह जाति वैश्य पिता और क्षत्रिय माता की संतान, इस जाति का कर्तव्य कर्म व्यावसायिक भाटों का कार्य हैं)
मागधः —पुं॰—-—-—चारण या बन्दीजन
मागधाः —पुं॰—-—-—मगध के अधिवासी
मागधी —स्त्री॰—-—-—मगध देश की राजकुमारी
मागधी —स्त्री॰—-—-—मागधी भाषा, चार मुख्य प्राकृतों में से एक
मागधी —स्त्री॰—-—-—बड़ी पीपल
मागधी —स्त्री॰—-—-—सफेद जीरा
मागधी —स्त्री॰—-—-—परिष्कृत खांड
मागधी —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार की चमेली
मागधी —स्त्री॰—-—-—छोटी इलायची
मागधा —स्त्री॰—-—मागध + टाप्—बड़ी पीपल
मागधिका —स्त्री॰—-—मागध + ठक् + टाप्—बड़ी पीपल
मागधिकः —पुं॰—-—मगध + ठक्—मगध का राजा
माघः —पुं॰—-—मघानक्षत्रयुक्ता पौर्णमासी माघी साऽत्र मासे अण्—चान्द्रवर्ष के एक महीने का नाम (यह जनवरी-फरवरी मास में आता हैं
माघः —पुं॰—-—-—एक कवि का नाम जिसने शिशुपालवध या महकाव्य की रचना की (कवि ने शि॰ २०।८०-८४ में अपने कुल का वर्णन इस प्रकार किया हैं-श्रीशब्दरम्यकृतसर्गसमाप्तिलक्ष्मलक्ष्मीपतेश्चरितकीर्तनचारु माघः तस्यात्मजः सुकविकीर्तिदुराशयादः काव्यं व्यधत्त शिशुपालवधामिधानम्)
माघी —स्त्री॰—-—-—माघ मास की पूर्णिमा
माघमा —स्त्री॰—-—-—मादा केकड़ा
माघवत —वि॰—-—मघवत् + अण्—इन्द्र से संबन्ध रखने वाला
माघवती —स्त्री॰—-—मघवत् + अण्—इन्द्र से संबन्ध रखने वाला
माघवती —स्त्री॰—-—-—पूर्वदिशा
माघवतचापम् —नपुं॰—माघवत-चापम्—-—इन्द्रधनुष
माघवन —वि॰—-—मघवन् + अण्—इन्द्र से शासित या संबद्ध
माघवनी —स्त्री॰—-—मघवन् + अण्—इन्द्र से शासित या संबद्ध
माध्यम् —नपुं॰—-—माघे जातम् - माघ + यत्—कुन्द लता का फूल
माङ्क्ष् —भ्वा॰ पर॰ <मांक्षति>—-—-—कामना करना, इच्छा करना, लालसा करना
माङ्गलिक —वि॰—-—मंगल + ठक्—शुभ, मंगलसूचक, भाग्यवान
माङ्गलिक —वि॰—-—-—सौभाग्यशाली
माङ्गलिकी —स्त्री॰—-—मंगल + ठक्—शुभ, मंगलसूचक, भाग्यवान
माङ्गलिकी —स्त्री॰—-—-—सौभाग्यशाली
माङ्गल्य —वि॰—-—मङ्गल + ष्यञ्—शुभ, सौभाग्यसूचक
माङ्गल्यम् —नपुं॰—-—-—मांगलिकता, समृद्धि, कल्याण, सौभाग्य
माङ्गल्यम् —नपुं॰—-—-—आशीर्वाद, शुभकामना
माङ्गल्यम् —नपुं॰—-—-—पर्व, त्यौहार, कोई भी शुभ कृत्य
माङ्गल्यमृदङ्गः —पुं॰—माङ्गल्य-मृदङ्गः—-—शुभ अवसरों पर बजाया जाने वाला ढोल
माचः —पुं॰—-—मा + अच् + क—सड़क, मार्ग
माचलः —पुं॰—-—मा + चल + अच्—चोर, लुटेरा
माचिका —स्त्री॰—-—मा + अञ्च् + क + कन् + टाप्, इत्वम्—मक्खी
माञ्जिष्ठ —वि॰ —-—मञ्जिष्ठया रक्तम् अण्—मजीठ की भांति लाल
माञ्जिष्ठी —स्त्री॰—-—मञ्जिष्ठया रक्तम् अण्—मजीठ की भांति लाल
माञ्जिष्ठम् —नपुं॰—-—-—लाल रंग
माञ्जिष्ठिक —वि॰—-—मञ्जिष्ठा + ठक्—मजीठ की रंग से रंगी हुई
माठरः —पुं॰—-—मठ् + अरन्, ततः अण्—व्यास का नाम
माठरः —पुं॰—-—-—शौंडिक, कलवार, शराब खींचने वाला
माठरः —पुं॰—-—-—सूर्य का एक सेवक
माठी —स्त्री॰—-—-—कवच, जिरहबख्तर
माडः —पुं॰—-—-—विशेष जाति का एक वृक्ष
माढिः —स्त्री॰—-—माह् + क्तिन्—किसलय (जो अभी खुला न हों)
माढिः —स्त्री॰—-—-—सम्मान करना
माढिः —स्त्री॰—-—-—उदासी,खिन्नता
माढिः —स्त्री॰—-—-—निर्धनता
माढिः —स्त्री॰—-—-—व्स्त्र की किनारी या झालर (घोट)
माढिः —स्त्री॰—-—-—दुहरा दाँत
माणवः —पुं॰—-—मणोतपत्यम् अण्, अल्पार्थे णत्वम्—लड़का,बालक, छोकरा, बच्चा
माणवः —पुं॰—-—-—छोटा मनुष्य, मुण्डा (तिरस्कार सूचक)
माणवः —पुं॰—-—-—सोलह (बीस) लड़ियों की मोतियों की माला
माणवकः —पुं॰—-—मानव + कन्—लड़का, बालक, बच्चा, छोकरा (प्रायः तिरस्कारसूचक के रुप में प्रयुक्त
माणवकः —पुं॰—-—-—छोटा मनुष्य, बौना, मुण्डा
माणवकः —पुं॰—-—-—मूर्ख व्यक्ति
माणवकः —पुं॰—-—-—छात्र धर्मशास्त्र पढ़ने वाला, विधार्थी
माणवकः —पुं॰—-—-—सोलह (या बीस) लड़ियों की मोतियों की माला
माणवीन —वि॰—-—मावस्येदं खञ्—बालको जैसा, बच्चों जैसा
माणव्यम् —नपुं॰—-—माणवानां समूहः यत्—बच्चों या छोकरों की टोली
माणिका —स्त्री॰—-—मान् + घञ् नि० णत्वम् + कन् + टाप् इत्वम्—एक विशेष बाट (आठ पल वजन के बराबर) या तोल
माणिक्यम् —नपुं॰—-—मणि + कन् + ष्यञ्—लाल
माणिक्या —स्त्री॰—-—माणिक्य + टाप्—छिपकली
माणिबन्धम् —नपुं॰—-—मणिबन्ध + अण्—सेंधा नमक
माणिमन्थम् —नपुं॰—-—मणिमन्थ + अण्—सेंधा नमक
माण्डनिक —वि॰—-—मण्डन + ठक्—किसी प्रान्त पर शासन करने वाला या उससे सम्बन्ध रखने वाला
माण्डनिकी —स्त्री॰—-—मण्डन + ठक्—किसी प्रान्त पर शासन करने वाला या उससे सम्बन्ध रखने वाला
माण्डनिकः —पुं॰—-—-—प्रान्त का शासक या राज्यपाल
मातङ्गः —पुं॰—-—मतङ्गस्य मुनेरयम् अण्—हाथी
मातङ्गः —पुं॰—-—-—नीचतम जाति का पुरुष, चाण्डाल
मातङ्गः —पुं॰—-—-—किरात, भील, पहाड़ी या बर्बर
मातङ्गः —पुं॰—-—-—(समास के अन्त में ) कोई भी सर्वोत्तम वस्तु
मातङ्गदिवाकरः —पुं॰—मातङ्ग-दिवाकरः—-—एक कवि का नाम
मातङ्गनक्रः —पुं॰—मातङ्ग-नक्रः—-—हाथी जैसा विशाल मगरमच्छ
मातरिपुरुषः —पुं॰—-—अलुक् समास—‘वह जो घर में अपनी माता के सामने ही अपनी शूरवीरता जताता हो’ डरपोक, कायर, शेखीखोरा, बुजदिल
मातरिश्वन् —पुं॰—-—मांतरि अन्तरिक्ष श्वयति वर्धते श्विकनिन् डिच्च, अलुक् स०—वायु
मातलिः —पुं॰—-—मतलस्यापत्यं पुमान्-मतल + इञ्—इन्द्र के सारथि का नाम
मातलिसारथिः —पुं॰—मातलि-सारथिः—-—इन्द्र का विशेषण
माता —स्त्री॰—-—मान् पूजायां तृच् न लोपः—माता, माँ
मातामहः —पुं॰—-—मातृ + डामहच्—नाना
मातामहौ —पुं॰—-—-—नाना-नानी
मातिः —स्त्री॰—-—मा + क्तिन्—माप
मातिः —स्त्री॰—-—-—चिन्तन, विचार, प्रत्यय
मातुलः —पुं॰—-—मातुर्भ्राता- मातृ + डलुच्—मामा
मातुलः —पुं॰—-—-—धतूरे का पौधा
मातुलः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का साँप
मातुलपुत्रकः —पुं॰—मातुलः-पुत्रकः—-—मामा का बेटा
मातुलपुत्रकः —पुं॰—मातुलः-पुत्रकः—-—धतूरे का फूल
मातुलङ्गः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का नींबू का वृक्ष
मातुला —स्त्री॰—-—मातुल + टाप्—मामी, मामा की पत्नी
मातुला —स्त्री॰—-—मातुल + टाप्—पटसन
मातुली —स्त्री॰—-—मातुल + ङीष्—मामी, मामा की पत्नी
मातुली —स्त्री॰—-—मातुल + ङीष्—पटसन
मातुलानी —स्त्री॰—-—मातुल +ङीष्, आनुक् च—मामी, मामा की पत्नी
मातुलानी —स्त्री॰—-—मातुल +ङीष्, आनुक् च—पटसन
मातुलिङ्गः —पुं॰—-—मातुल + गम् + खच्, पृषो॰ साधुः—एक प्रकार का नींबू का वृक्ष
मातुलुङ्गः —पुं॰—-—मातुल + गम् + खच्, पृषो॰ साधुः—एक प्रकार का नींबू का वृक्ष
मातुलिङ्गम् —नपुं॰—-—-—नींबू का वृक्ष फल, चकोतरा
मातुलुङ्गम् —नपुं॰—-—-—नींबू का वृक्ष फल, चकोतरा
मातुलेयः —पुं॰—-—मातुल + छ—मामा का पुत्र
मातुलेयी —स्त्री॰—-—मातुली + ढक् वा—मामा का पुत्र
मातृ —स्त्री॰—-—मान् पूजायां तृच् न लोपः—माँ, माता
मातृ —स्त्री॰—-—-—माता (आदर तथा वात्सल्य सूचक)
मातृ —स्त्री॰—-—-—लक्ष्मी का विशेषण
मातृ —स्त्री॰—-—-—दुर्गा का विशेषण
मातृ —स्त्री॰—-—-—अन्तरिक्ष, आकाश
मातृ —स्त्री॰—-—-—देव-माता
मातरः —स्त्री॰ब॰ व॰—-—-—देव माताओं का विशेषण, जो शिव की परिचारिका कही जाती हैं परन्तु बहुधा स्कन्द की परिचर्या में लिप्त रहती हैं (ये गिनती में आठ हैं- ब्राह्मी, माहेश्वरी, चंडी, वाराही, वैष्णवी तथा कौमारी चैव चामुंडा चर्चिकेत्यष्टमातरः। कुछ के मत में वह केवल सात हैं- ब्राह्मी माहेश्वरी चैव कौमारी वैष्णवी तथा माहेन्द्री चैव वाराही चामुंडा सप्त मातरः। कुछ लोग इनकी संख्या १६ तक बतलाते हैं)
मातृकेशटः —पुं॰—मातृ-केशटः—-—मामा
मातृगणः —पुं॰—मातृ-गणः—-—देव माताओं का समूह
मातृगन्धिनी —स्त्री॰—मातृ-गन्धिनी—-—विपरीत स्वभाव वाली माता
मातृगामिन् —पुं॰—मातृ-गामिन्—-—माता के साथ गमन करने वाला
मातृगोत्रम् —नपुं॰—मातृ-गोत्रम्—-—मातृकुल
मातृघातः —पुं॰—मातृ-घातः —-—माता की हत्या करने वाला
मातृघातकः —पुं॰—मातृ-घातकः—-—माता की हत्या करने वाला
मातृघातिन् —पुं॰—मातृ-घातिन्—-—माता की हत्या करने वाला
मातृघ्नः —पुं॰—मातृ-घ्नः—-—माता की हत्या करने वाला
मातृघातुकः —पुं॰—मातृ-घातुकः—-—मातृहन्ता
मातृघातुकः —पुं॰—मातृ-घातुकः—-—इन्द्र का विशेषण
मातृचक्रम् —नपुं॰—मातृ-चक्रम्—-—देव माताओं का समूह
मातृदेव —वि॰—मातृ-देव—-—जो माता को ही अपना देवता मानता हैं, माता को देवता की भांति पूजने वाला
मातृनन्दनः —पुं॰—मातृ-नन्दनः—-—कार्तिकेय का विशेषण
मातृपक्ष —वि॰—मातृ-पक्ष—-—मातृकुल से संबद्ध
मातृपक्षः —पुं॰—मातृ-पक्षः—-—मामा, नाना आदि
मातृपितृ —द्वि॰ व॰—मातृ-पितृ—-—माता-पिता
मातृपुत्रौ —पुं॰—मातृ-पुत्रौ—-—मां और बेटा
मातृपूजनम् —नपुं॰—मातृ-पूजनम्—-—देवमातृकाओं का पूजा
मातृबन्धुः —पुं॰—मातृ-बन्धुः—-—मातृकुल के संबंधी
मातृबान्धवः —पुं॰—मातृ-बान्धवः—-—मातृकुल के संबंधी
मातृमण्डलम् —नपुं॰—मातृ-मण्डलम्—-—देवमातृकाओं का समूह
मातृमातृ —स्त्री॰—मातृ-मातृ—-—पार्वती का विशेषण
मातृमुखः —पुं॰—मातृ-मुखः—-—मूर्ख, व्यक्ति, भोंदू
मातृयज्ञः —पुं॰—मातृ-यज्ञः—-—देवमातृकाओं के निमित्त किया गया यज्ञ
मातृवत्सलः —पुं॰—मातृ-वत्सलः—-—कार्तिकेय का विशेषण
मातृस्वसृ —स्त्री॰ —मातृ-स्वसृ—-—माता की बहन, मौसी
मातृस्वसेयः —पुं॰—मातृ-स्वसेयः—-—माता की बहन का पुत्र
मातृस्वसेयी —स्त्री॰—मातृ-स्वसेयी—-—मौसी की पुत्री
मातृक —वि॰—-—मातृ + ठञ्—माता से आया हुआ, या उत्तराधिकार में प्राप्त
मातृक —वि॰—-—-—माता संबंधी
मातृका —स्त्री॰—-—-—धात्री, दाई
मातृका —स्त्री॰—-—-—स्रोत, मूल
मातृका —स्त्री॰—-—-—देवमातृका
मातृका —स्त्री॰—-—-—अक्षरों में लिखे हुए कुछ रेखाचित्र जो जादू की शक्ति रखने वाले कहे जाते हैं
मातृका —स्त्री॰—-—-—इस प्रकार प्रयुक्त की गई वर्णमाला
मात्र —वि॰—-—मा + त्रन्—‘इतनी माप का जितना कि’ ‘वहाँ तक पहुँचता हुआ जहाँ तक कि ’ अर्थो को प्रकट करने के लिए संज्ञाओं के साथ जोड़ा जाने वाला प्रत्यय, जैसा कि उरुमात्री भित्तिः (इस अर्थ में समास के अन्त में ‘मात्रा’ शब्द का प्रयोग भी चिन्तनीय है, दे॰ नी॰)
मात्रा —स्त्री॰—-—मा + त्रन्—‘इतनी माप का जितना कि’ ‘वहाँ तक पहुँचता हुआ जहाँ तक कि ’ अर्थो को प्रकट करने के लिए संज्ञाओं के साथ जोड़ा जाने वाला प्रत्यय, जैसा कि उरुमात्री भित्तिः (इस अर्थ में समास के अन्त में ‘मात्रा’ शब्द का प्रयोग भी चिन्तनीय है, दे॰ नी॰)
मात्री —स्त्री॰—-—मा + त्रन्—‘इतनी माप का जितना कि’ ‘वहाँ तक पहुँचता हुआ जहाँ तक कि ’ अर्थो को प्रकट करने के लिए संज्ञाओं के साथ जोड़ा जाने वाला प्रत्यय, जैसा कि उरुमात्री भित्तिः (इस अर्थ में समास के अन्त में ‘मात्रा’ शब्द का प्रयोग भी चिन्तनीय है, दे॰ नी॰)
मात्रम् —नपुं॰—-—-—एक माप (चाहे वह लम्बाई, चौड़ाई, उँचाई की हो; चाहे डीलडौल, स्थान, दूरी या संख्या की हो, प्रयोग बहुधा समास के अन्त में
अङ्गुलिमात्रम् —नपुं॰—-—-—अंगुलि के बराबर चौड़ाई
किञ्चिन्मात्रं गत्वा —पुं॰—-—-—कुछ दूरी
कोशमात्रे —नपुं॰—-—-—एक कोस की दूरी पर
रेखामात्रमपि —नपुं॰—-—-—रेखा तक की चौड़ाई भी, इतनी चौड़ाई जितनी की एक रेखा की होती हैं
क्षणमात्रम् —नपुं॰—-—-—एक क्षण का अन्तराल
निमिषमात्रम् —नपुं॰—-—-—एक क्षण का अन्तराल
शतमात्रम् —नपुं॰—-—-—संख्या में सौ
गजमात्रम् —नपुं॰—-—-—इतना उँचा या बड़ा जितना कि हाथी तालमात्रं, यवमात्रम् आदि
गजमात्रम् —नपुं॰—-—-—किसी चीज का पूरा माप, वस्तुओं की पूर्ण समष्टि, राशि
गजमात्रम् —नपुं॰—-—-—किसी चीज का सामान्य माप, केवल एक बात का उससे अधिक नहीं, इसका अनुवाद प्रायः ‘केवल’, ‘सिर्फ’ या‘भी’ ‘ही’ आदि शब्दों से किया जाता हैं
मात्रा —स्त्री॰—-—मात्र + टाप्—माप
मात्रा —स्त्री॰—-—-—मापदंड, मापक, नियम
मात्रा —स्त्री॰—-—-—सही माप
मात्रा —स्त्री॰—-—-—माप की इकाई, एक फुट
मात्रा —स्त्री॰—-—-—कण, अणु
मात्रा —स्त्री॰—-—-—भाग, अंश
मात्रा —स्त्री॰—-—-—अल्पांश, अल्प परिमाण, छोटी माप
मात्रा —स्त्री॰—-—-—अर्थ, महत्त्व
मात्रा —स्त्री॰—-—-—धन, सम्पत्ति
मात्रा —स्त्री॰—-—-—(छन्दः शास्त्र में) एक मात्रा का क्षण, ह्रस्व स्वर को उच्चारण करने में लगने वाला काल
मात्रा —स्त्री॰—-—-—तत्त्व
मात्रा —स्त्री॰—-—-—भौतिक संसार, भूतद्रव्य
मात्रा —स्त्री॰—-—-—नागरी के अक्षरों का ऊपरी (अतिरिक्त) भाग, अर्थात् मात्रा
मात्रा —स्त्री॰—-—-—कान की बाली
मात्रा —स्त्री॰—-—-—आभूषण, अलंकार
मात्राछन्दस् —नपुं॰—मात्रा-छन्दस्—-—आधीमात्रा का क्षण
मात्राछन्दस् —नपुं॰—मात्रा-छन्दस्—-—वह छंद जिसका विनिमय मात्राओं की गिनती के आधार पर होता हैं -उदा॰ आर्या
मात्रावृत्तम् —नपुं॰—मात्रा-वृत्तम्—-—वह छंद जिसका विनिमय मात्राओं की गिनती के आधार पर होता हैं -उदा॰ आर्या
मात्राभस्त्रा —स्त्री॰—मात्रा-भस्त्रा—-—बटवा
मात्रासङ्गः —पुं॰—मात्रा-सङ्गः—-—गार्हस्थय सामग्री या संपत्ति में आसक्ति या अनुराग
मात्रासमकः —पुं॰—मात्रा-समकः—-—एक प्रकार के छेदों का समूह
मात्रास्पर्शः —पुं॰—मात्रा-स्पर्शः—-—भौतिक संपर्क, भौतिक तत्त्वों के साथ इन्द्रियों का संयोग
मात्रिका —स्त्री॰—-—मात्रा + ट्क + टाप्—मात्रा, या छन्दः शास्त्र का ह्रस्वस्वर के उच्चारण में लगने वाला क्षण (=मात्रां)
मात्सर —वि॰—-—मत्सर + अण्, ठक् वा—डाह करने वाला, ईर्ष्यालु, विद्वेषी, असूयायुक्त
मात्सरी —स्त्री॰—-—मत्सर + अण्, ठक् वा—डाह करने वाला, ईर्ष्यालु, विद्वेषी, असूयायुक्त
मात्सरिक —वि॰—-—मत्सर + अण्, ठक् वा—डाह करने वाला, ईर्ष्यालु, विद्वेषी, असूयायुक्त
मात्सरिकी —स्त्री॰—-—मत्सर + अण्, ठक् वा—डाह करने वाला, ईर्ष्यालु, विद्वेषी, असूयायुक्त
मात्सर्यम् —नपुं॰—-—मत्सर + ष्यञ्—ईर्ष्या, डाहः, असूया, विद्वेष
मात्स्यिकः —पुं॰—-—मत्स्य + ठक्—मछुवा, माहीगीर
माथः —पुं॰—-—मथ् + घञ्—बिलोना, मंथन, विलोडन करना
माथः —पुं॰—-—-—हत्या, विनाश
माथः —पुं॰—-—-—मार्ग, सड़क
माथुर —वि॰—-—मथुरा + अण्—मथुरा से आया हुआ
माथुर —वि॰—-—-—मथुरा में उत्पन्न
माथुर —वि॰—-—-—मथुरा में रहने वाला
माथुरी —स्त्री॰—-—मथुरा + अण्—मथुरा से आया हुआ ?
माथुरी —वि॰—-—-—मथुरा में उत्पन्न ?
माथुरी —वि॰—-—-—मथुरा में रहने वाला ?
मादः —पुं॰—-—मद् + घञ्—नशा, मस्ती
मादः —पुं॰—-—-—घमंड, अहंकार
मादक —वि॰—-—मद् + णिच् + ण्वुल—नशा करने वाला, उन्मत्त बनाने वाला, बेहोश करने वाला
मादिका —स्त्री॰—-—मद् + णिच् + ण्वुल—नशा करने वाला, उन्मत्त बनाने वाला, बेहोश करने वाला
मादिका —स्त्री॰—-—-—आनन्ददायक
मादन —वि॰—-—मद् + णिच् + ल्युट्—नशे में चूर करने वाला
मादनी —स्त्री॰—-—मद् + णिच् + ल्युट्—नशे में चूर करने वाला
मादनम् —नपुं॰—-—-—नशा करना
मादनम् —नपुं॰—-—-—आनन्द देना, उल्लास देना
मादनीयम् —नपुं॰—-—मद् + णिच् + अनीयर—एक नशीला पेय
मादृक्ष —वि॰—-—-—मेरी भांति, मुझसे मिलता जुलता
मादृली —स्त्री॰—-—-—मेरी भांति, मुझसे मिलता जुलता
मादृश् —वि॰—-—अस्मद् + दृश् + क्स (क्विप्, कञ् वा) मदादेशः आत्वम्—मेरी भांति, मुझसे मिलता जुलता
मादृशी —स्त्री॰—-—अस्मद् + दृश् + क्स (क्विप्, कञ् वा) मदादेशः आत्वम्—मेरी भांति, मुझसे मिलता जुलता
भादृश —वि॰—-—अस्मद् + दृश् + क्स (क्विप्, कञ् वा) मदादेशः आत्वम्—मेरी भांति, मुझसे मिलता जुलता
भादृशी —स्त्री॰—-—अस्मद् + दृश् + क्स (क्विप्, कञ् वा) मदादेशः आत्वम्—मेरी भांति, मुझसे मिलता जुलता
माद्रकः —पुं॰—-—मद्र + वुञ्—मद्र देश का राजकुमार
माद्रवती —स्त्री॰—-—मद्र + मतुप्, वत्वम् अण् ङीप्—पाण्डु की द्वितीय पत्नी का नाम
माद्री —स्त्री॰—-—मद्र + अण् + ङीत्—पाण्डु की द्वितीय स्त्री का नाम
माद्रीनन्दनः —पुं॰—माद्री-नन्दनः—-—नकुल और सहदेव का विशेषण
माद्रीपतिः —पुं॰—माद्री-पतिः—-—पाण्डु का एक विशेषण
माद्रेयः —पुं॰—-—माद्री + ढ़क—नकुल और सहदेव का विशेषण
माधव —वि॰—-—मधु + अण्, विष्णुपक्षे माया लक्ष्मयाः धवः ष॰ त॰—मधु की तरह मीठा
माधव —वि॰—-—-—शहद से बना हुआ
माधव —वि॰—-—-—मधु दैत्य के वंशजो से संबंध रखने वाला
माधवः —पुं॰—-—-—कृष्ण का नाम
माधवः —पुं॰—-—-—कामदेव का मित्र वसन्त ऋतु
माधवः —पुं॰—-—-—इन्द्र का नाम
माधवः —पुं॰—-—-—परशुराम का नाम
माधवः —पुं॰—-—-—यादवों का नाम (ब॰ व॰)
माधवः —पुं॰—-—-—मायण का पुत्र एक प्रसिद्ध ग्रन्थकर्ता, सायण और भोगनाथ उसके भाई थे, लोगों की मान्यता है कि माधव पन्द्रहवीं शताब्दी में हुआ। यह बहुत ही प्रसिद्ध विद्वान था, कई ग्रन्थों की रचना का श्रेय इसे प्राप्त हैं। ऐसा माना जाता हैं कि सायण और माधव दोनों ने मिलकर संयुक्त रुप से चारों वेदों पर भाष्य लिखा
माधववल्ली —स्त्री॰—-—-—कन्दयुक्त खांड
माधववल्ली —स्त्री॰—-—-—शहद से बना हुआ एक प्रकार का पेय
माधववल्ली —स्त्री॰—-—-—बासंती लता जिसके सुगंधित फूल आते हैं
माधववल्ली —स्त्री॰—-—-—तुलसी
माधववल्ली —स्त्री॰—-—-—कुट्टिनी, दूती
माधवश्री —स्त्री॰—-—-—वसन्त कालीन सौन्दर्य
माधवकः —पुं॰—-—माधव + वुञ्—एक प्रकार की नशीली शराब (मधु से बनाई गई)
माधविका —स्त्री॰—-—माधवी + कन् + टाप्, ह्रस्व—माधवी लता
माधवी —स्त्री॰—-—मधु + अण् + ङीप्—कन्दयुक्त खांड
माधवी —स्त्री॰—-—-—शहद से बना हुआ एक प्रकार का पेय
माधवी —स्त्री॰—-—-—बासंती लता जिसके सुगंधित फूल आते हैं
माधवी —स्त्री॰—-—-—कुट्टिनी, दूती
माधवीलता —स्त्री॰—माधवी-लता—-—वासन्ती लता
माधवीवनम् —नपुं॰—माधवी-वनम्—-—माधवी लताओं का उद्यान
माधवीय —वि॰—-—माधव + छ—माधवसंबंधी
माधुकर —वि॰—-—मधुकर + अण्—भौंरे से संबंध या मिलता-जुलता, जैसा कि ‘माधुकरी वृत्तिः’ में
माधुकरी —स्त्री॰—-—मधुकर + अण्—भौंरे से संबंध या मिलता-जुलता, जैसा कि ‘माधुकरी वृत्तिः’ में
माधुकरी —स्त्री॰—-—-—घर-घर जाकर भिक्षा मांगना, जिसप्रकार मधुमक्खी एक फूल से दूसरे फूल पर जाकर मधु एकत्र करती हैं
माधुकरी —स्त्री॰—-—-—पाँच भिन्न-भिन्न स्थानों से प्राप्त भिक्षा
माधुरम् —नपुं॰—-—मधुर + अण्—मल्लिका लता का फूल
माधुरी —स्त्री॰—-—माधुर + ङीप्—मिठास, मधुर या मजेदार स्वाद
माधुरी —स्त्री॰—-—-—खींची हुई शराब
माधुर्यम् —नपुं॰—-—मधुर + ष्यञ्—मिठास, सुहावनापन
माधुर्यम् —नपुं॰—-—-—आकर्षक, सौंदर्य, उत्कृष्ट सौन्दर्य
माधुर्यम् —नपुं॰—-—-—(काव्य में) मिठास, (मम्मट के अनुसार) काव्य रचनाओं में पाये जाने वाले तीन मुख्य गुणों में से एक
माध्य —वि॰—-—मध्य + अण्—केन्द्री, मध्यवर्ती
माध्यन्दिनः —पुं॰—-—मध्यंदिन + अण्—वाजसनेयिसंहिता की एक शाखा
माध्यन्दिनम् —नपुं॰—-—-—शुक्लयजुर्वेद की एक शाखा जिसका अनुसरण माध्यंदिन करते हैं
माध्यम —वि॰—-—मध्यम + अण्—मध्यवर्ती अंश से संबद्ध, केन्द्रीय, मध्यवर्ती, बिल्कुल मध्य का
माध्यमी —स्त्री॰—-—मध्यम + अण्—मध्यवर्ती अंश से संबद्ध, केन्द्रीय, मध्यवर्ती, बिल्कुल मध्य का
माध्यमक —वि॰—-—मध्यम + वुञ्, ठकू वा—मध्यवर्ती, केन्द्रीय
माध्यमिका —स्त्री॰—-—मध्यम + वुञ्, ठकू वा—मध्यवर्ती, केन्द्रीय
माध्यमिक —वि॰—-—मध्यम + वुञ्, ठकू वा—मध्यवर्ती, केन्द्रीय
माध्यमिकी —स्त्री॰—-—मध्यम + वुञ्, ठकू वा—मध्यवर्ती, केन्द्रीय
माध्यस्थम् —नपुं॰—-—मध्यस्थ + अण्—निष्पक्ष
माध्यस्थम् —नपुं॰—-—मध्यस्थ + अण्—तटस्थता, उदासीनता
माध्यस्थम् —नपुं॰—-—मध्यस्थ + अण्—मध्यस्थीकरण, बीच-बचाव करना
माध्यस्थ्यम् —नपुं॰—-—मध्यस्थ + ष्यञ् —निष्पक्ष
माध्यस्थ्यम् —नपुं॰—-—मध्यस्थ + ष्यञ् —तटस्थता, उदासीनता
माध्यस्थ्यम् —नपुं॰—-—मध्यस्थ + ष्यञ् —मध्यस्थीकरण, बीच-बचाव करना
माध्याह्निक —वि॰—-—मध्याह्न + ठक्—दोपहर से संबंध रखने वाला
माध्व —वि॰—-—मधु + अण्—मधुर, मीठा
माध्वी —स्त्री॰—-—मधु + अण्—मधुर, मीठा
माध्वः —पुं॰—-—मध्व + अण्—मध्वाचार्य का अनुयायी
माध्वी —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार की शराब जो मधु से तैयार की जाती हैं
माध्वीकम् —नपुं॰—-—मधुना मधूकपुष्पेण निर्वृत्तम्-ईकक्—एक प्रकार की शराब जो मधूक वृक्ष के फूलों से तैयार की जाती हैं
माध्वीकम् —नपुं॰—-—-—अंगूरों से खीचीं हुई शराब
माध्वीकम् —नपुं॰—-—-—अंगूर
माध्वीकम्फलम् —नपुं॰—माध्वीकफलम्—-—एक प्रकार का नारियल
मान् —भ्वा॰ आ॰ ‘मन्’ का इच्छा॰ = मीमांसते—-—-—
मान् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ = ‘मन्’ का प्रेर॰—-—-—
मानः —पुं॰—-—मन् + घञ्—आदर, सम्मान, प्रतिष्टा, सादर विचार
मानः —पुं॰—-—-—गर्व (अच्छे भाव में) आत्मनिर्भरता, आत्मप्रतिष्ठा
मानः —पुं॰—-—-—अहंकार, घमण्ड, अवलेप, आत्मविश्वास
मानः —पुं॰—-—-—सम्मान की आहत भावना
मानः —पुं॰—-—-—ईर्ष्यायुक्त क्रोध, डाह के कारण उद्दीप्तरोष (विशेषतः स्त्रियों में), क्रोध
मानम् —नपुं॰—-—-—माप, मापदण्ड
मानम् —नपुं॰—-—-—आयाम, संगणना
मानम् —नपुं॰—-—-—मापदण्ड, मापने का दण्डा, मानदण्ड
मानम् —नपुं॰—-—-—प्रमाण, सत्ताधिकार, प्रमाण या प्रदर्शन के साधन
मानम् —नपुं॰—-—-—समानता, मिलना-जुलना
मानासक्त —वि॰—मान-आसक्त—-—दर्पवान, अहंकारी, घमंडी
मानोन्नतिः —स्त्री॰—मान-उन्नतिः—-—बहुत आदर, भारी सम्मान
मानोन्मादः —पुं॰—मान-उन्मादः—-—घमंड का नाश
मानकलहः —पुं॰—मान-कलहः—-—ईर्ष्यायुक्त क्रोध से उत्पन्न झगड़ा
मानकलिः —पुं॰—मान-कलिः—-—ईर्ष्यायुक्त क्रोध से उत्पन्न झगड़ा
मानक्षतिः —स्त्री॰—मान-क्षतिः—-—सम्मान को क्षति, दीनता, अपमान, अप्रतिष्ठा
मानभङ्गः —पुं॰—मान-भङ्गः—-—सम्मान को क्षति, दीनता, अपमान, अप्रतिष्ठा
मानहानिः —स्त्री॰—मान-हानिः—-—सम्मान को क्षति, दीनता, अपमान, अप्रतिष्ठा
मानग्रन्थिः —स्त्री॰—मान-ग्रन्थिः—-—सम्मान या गर्व की क्षति
मानद —वि॰—मान-द—-—सम्मान करने वाला
मानदण्डः —पुं॰—मान-दण्डः—-—मापने का डंडा, गज
मानधन —वि॰—मान-धन—-—सम्मानरुपी धन से समृद्ध
मानधानिका —स्त्री॰—मान-धानिका—-—ककड़ी
मानपरिखण्डनम् —नपुं॰—मान-परिखण्डनम्—-—मानध्वंस, दीनता
मानमहत् —वि॰—मान-महत्—-—गौरव से समृद्ध, अत्यन्त दर्वीला
मानयोगः —पुं॰—मान-योगः—-—माप तोल की ठीक रीति
मानरन्ध्रा —स्त्री॰—मान-रन्ध्रा—-—एक प्रकार की जलमड़ी, एक छिद्रयुक्त जलकलश जो पानी में रखा हुआ शनैः शनैः भरता रहता है, उसी से समय की माप की जाती हैं
मानसूत्रम् —नपुं॰—मान-सूत्रम्—-—मापने की डोरी
मानसूत्रम् —नपुं॰—मान-सूत्रम्—-—(सोने की) जंजीर जो शरीर में पहनी जाय, करधनी
मानःशिल —वि॰—-—मनःशिला + अण्—मैनसिल से युक्त
माननम् —स्त्री॰—-—मान् + ल्युट्—सम्मान करना, आदर करना
माननम् —स्त्री॰—-—मान् + ल्युट्—हत्या
मानना —स्त्री॰—-—मान् + स्त्रियां टाप् —सम्मान करना, आदर करना
मानना —स्त्री॰—-—मान् + स्त्रियां टाप् —हत्या
माननीय —वि॰—-—मान् + अनीयर्—सम्मान के योग्य, आदरणीय, प्रतिष्ठित होने का अधिकारी (संबं के साथ)
मानव —वि॰—-—मनोरपत्यम् अण्—मनु से संबंध रखने वाला, या मनु के वंश में उत्पन्न
मानवी —स्त्री॰—-—मनोरपत्यम् अण्—मनु से संबंध रखने वाला, या मनु के वंश में उत्पन्न
मानवी —स्त्री॰—-—-—मानवसंबंधी
मानवः —पुं॰—-—-—मनुष्य, आदमी, इन्सान
मानवः —पुं॰—-—-—मनु्ष्यजाती
मानवम् —नपुं॰—-—-—एक विशेष प्रकार का दंड
मानवेन्द्र —पुं॰—मानव-इन्द्र—-—मनुष्यों का स्वामी, राजा, प्रभु
मानवदेवः —पुं॰—मानव-देवः—-—मनुष्यों का स्वामी, राजा, प्रभु
मानवपतिः —पुं॰—मानव-पतिः—-—मनुष्यों का स्वामी, राजा, प्रभु
मानवधर्मशास्त्रम् —नपुं॰—मानव-धर्मशास्त्रम्—-—मनुसंहिता, मनुस्मृति
मानवराक्षसः —पुं॰—मानव-राक्षसः—-—मनुष्य के रुप में राक्षस या पिशाच
मानवत् —वि॰—-—मान + मतुप्, वत्वम्—घमंडी, अहंकारी, अभिमानी, दर्पवान्
मानवती —स्त्री॰—-—-—घमंडी या दर्पोंद्धत स्त्री (ईर्ष्या के कारण क्रुद्ध)
मानव्यम् —नपुं॰—-—मानव + यत्—लड़कों का समूह
मानस —वि॰—-—मन एव, मनस इदं वा अण्—मन से संबंध रखने वाला, मानसिक, आत्मिक (विप॰ शारीरिक)
मानस —वि॰—-—-—मन से उत्पन्न, इच्छा से उदित
मानस —वि॰—-—-—केवल मनसा विचारणीय, कल्पनीय
मानस —वि॰—-—-—उपलक्षित, ध्वनित
मानस —वि॰—-—-—‘भानस’ सरोवर पर रहने वाला
मानसी —स्त्री॰—-—मन एव, मनस इदं वा अण्—मन से संबंध रखने वाला, मानसिक, आत्मिक (विप॰ शारीरिक)
मानसी —स्त्री॰—-—-—मन से उत्पन्न, इच्छा से उदित
मानसी —स्त्री॰—-—-—केवल मनसा विचारणीय, कल्पनीय
मानसी —स्त्री॰—-—-—उपलक्षित, ध्वनित
मानसी —स्त्री॰—-—-—‘भानस’ सरोवर पर रहने वाला
मानसः —पुं॰—-—-—विष्णु का एक रुप
मानसम् —नपुं॰—-—-—मन, हृदय
मानसम् —नपुं॰—-—-—कैलाश पर्वत पर स्थित एक पुनीत सरोवर
मानसम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का नमक
मानसालयः —पुं॰—मानस-आलयः—-—राजहंस, मराल
मानसोत्क —वि॰—मानस-उत्क—-—मानसरोवर जाने के लिए उत्सुक
मानसौकस् —पुं॰—मानस-ओकस्—-—राजहंस
मानसचारिन् —पुं॰—मानस-चारिन्—-—राजहंस
मानसजन्मन् —पुं॰—मानस-जन्मन्—-—कामदेव
मानसजन्मन् —पुं॰—मानस-जन्मन्—-—राजहंस
मानसिक —वि॰—-—मनस् + ठञ्—मन से उत्पन्न, मन सम्बन्धी, आत्मिक
मानसिकी —स्त्री॰—-—मनस् + ठञ्—मन से उत्पन्न, मन सम्बन्धी, आत्मिक
मानसिकः —पुं॰—-—-—विष्णु का विशेषण
मानिका —स्त्री॰—-—मन् + णिच् + ण्वुल् + टाप्, इत्वम्—एक प्रकार की खींची हुई शराब
मानिका —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार का तोल
मानित —भू॰ क॰ कृ॰—-—मान + इतच्—सम्मानित, आदरप्राप्त, प्रतिष्ठित
मानिन् —वि॰—-—मान् + णिनि—मानने वाला, समझने वाला, अभिमान करने वाला (समास के अन्त में) जैसा कि ‘पंडितमानिन्’ में
मानिन् —वि॰—-—-—सम्मान करने वाला, आदर करने वाला (समास के अन्त में)
मानिन् —वि॰—-—-—अभिमानी, घमण्डी, आत्माभिमानी
मानिन् —वि॰—-—-—आदरणीय, अतिसम्मानित
मानिन् —वि॰—-—-—अवज्ञापूर्ण, क्रोधयुक्त, रुष्ट
मानिनी —स्त्री॰—-—-—आत्माभिमानिनी स्त्री, दृढ़ संकल्प वाली, पक्के निश्चय वाली, गर्वयुक्त (अच्छे अर्थों में)
मानिनी —स्त्री॰—-—-—कुपित स्त्री, (ईर्ष्यायुक्त गर्व के कारण) अपने पति से रुष्ट
मानिनी —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार का सुगन्धयुक्त या महकदार पौधा
मानुष —वि॰—-—मनोरयम् - अण्, सुक् च—मनुष्य की, मानवी, इंसानी
मानुष —वि॰—-—-—कृपालु, दयालु
मानुषी —स्त्री॰—-—मनोरयम् - अण्, सुक् च—मनुष्य की, मानवी, इंसानी
मानुषी —स्त्री॰—-—-—कृपालु, दयालु
मानुषः —पुं॰—-—-—मनुष्य, मानव, इन्सान
मानुषः —पुं॰—-—-—मिथुन, कन्या और तुला राशियों का विशेषण
मानुषी —स्त्री॰—-—-—स्त्री
मानुषम् —नपुं॰—-—-—मनुष्यत्व
मानुषम् —नपुं॰—-—-—मानव प्रयत्न या कर्म
मानुषक —वि॰—-—मानुष + कन्—मनुष्य सम्बन्धी, इंसानी, मरणशील, मर्त्य
मानुषकी —स्त्री॰—-—मानुष + कन्—मनुष्य सम्बन्धी, इंसानी, मरणशील, मर्त्य
मानुष्यम् —नपुं॰—-—मनुष्य - अण्—मानव प्रकृति, मनुष्यत्व, इंसानियत
मानुष्यम् —नपुं॰—-—मनुष्य - अण्—मनुष्य जाति, मानवसंतति
मानुष्यम् —नपुं॰—-—मनुष्य - अण्—मानवसमुदाय
मानुष्यकम् —नपुं॰—-—मनुष्य -वुन् —मानव प्रकृति, मनुष्यत्व, इंसानियत
मानुष्यकम् —नपुं॰—-—मनुष्य -वुन् —मनुष्य जाति, मानवसंतति
मानुष्यकम् —नपुं॰—-—मनुष्य -वुन् —मानवसमुदाय
मानोज्ञकम् —नपुं॰—-—मनोज्ञ + वुञ्—सौन्दर्य, प्रियता, मनोहरता
मान्त्रिकः —पुं॰—-—मन्त्र + ठक्—वह जो मंत्र-तंत्र से सुपरिचित है, जादूगर, बाजीगर, ऐन्द्रजालिक
माथर्न्यम् —नपुं॰—-—मन्थर + ष्यञ्—मन्थरता, मन्दता, अकर्मण्यता
माथर्न्यम् —नपुं॰—-—-—दुर्बलता
मान्दारः —पुं॰—-—मन्दार + अण्—एक प्रकार का वृक्ष
मान्दारवः —पुं॰—-—मन्दार + अण्—एक प्रकार का वृक्ष
मान्द्यम् —नपुं॰—-—मन्द + ष्यञ्—मन्दता, सुस्ती, मन्थरता
मान्द्यम् —नपुं॰—-—-—जड़ता
मान्द्यम् —नपुं॰—-—-—दुर्बलता, निर्बल स्थिति, अग्निमांद्य
मान्द्यम् —नपुं॰—-—-—विराग, अनासक्ति
मान्द्यम् —नपुं॰—-—-—रोग, बीमारी, अस्वस्थता
मान्धातृ —पुं॰—-—मां धास्यति - माम् + धे तृच्—युवनाश्व का पुत्र एक सूर्यवंशी राजा (जो पिता के पेट से उत्पन्न हुआ था), ज्योंहि वह पेट से बाहर निकला कि ऋषियों ने पूछा ‘कम् एष धास्यति’ इस पर इन्द्र नीचे उतरा और उसने कहा मां धास्यति, इसीलिए वह बालक ‘मांधातृ’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ
मान्मथ —वि॰—-—मन्मथ + अण्—काम से संबंध रखने वाला या काम से उत्पन्न
मान्मथी —स्त्री॰—-—मन्मथ + अण्—काम से संबंध रखने वाला या काम से उत्पन्न
मान्य —वि॰—-—मान् अचार्यां कर्मणि ण्यत्—मान करने के योग्य, आदरणीय
मान्य —वि॰—-—-—आदर किये जाने के योग्य, सम्माननीय, श्रद्धेय @ रघु॰ २।४५, @ याज्ञ॰ १।११
मापनम् —नपुं॰—-—मा + णिच् + ल्युट्, पुकागमः—मापना
मापनम् —नपुं॰—-—-—रुप बनाना, बनाना
मापत्यः —पुं॰—-—मा विद्यते अपत्यं यस्य—कामदेव
माम —वि॰—-—मम इदम् - अस्मद् + अण्, ममादेशः—मेरा
माम —पुं॰—-—-—संबोधन में मामा
मामक —वि॰—-—अस्मद् + अण्, ममकादेशः—मेरा मेरे पक्ष से संबंध रखने वाला
मामक —वि॰—-—-—स्वार्थी, लालची, लोभी
मामिका —स्त्री॰—-—अस्मद् + अण्, ममकादेशः—मेरा मेरे पक्ष से संबंध रखने वाला
मामिका —स्त्री॰—-—-—स्वार्थी, लालची, लोभी
मामकीन —वि॰—-—अस्मद् + खच्, ममकादेशः—मेरा
मायः —पुं॰—-—माया अस्ति अस्य - माया - अच्—जादूगर, बाजीगर, ऐन्द्रजालिक
मायः —पुं॰—-—-—राक्षस, भूत प्रेत
माया —स्त्री॰—-—मीयते अनया - मा + य + टाप् बा॰ नेत्वम्—धोखा, जालसाजी, कपट, धूर्तता, दाँव, युक्ति, चाल
माया —स्त्री॰—-—-—जादूगरी, अभिचार, जादू-टोना, इन्द्रजाल
माया —स्त्री॰—-—-—अवास्तविंक या मायावी बिंब, कल्पनासृष्टि, मनोलीला, अवास्तविक आभास, छाया
माया —स्त्री॰—-—-—राजनैतिक दांवपेंच, चाल, युक्ति, कूटनीति की चाल
माया —स्त्री॰—-—-—(वेदान्त में) अवास्तविकता, एक प्रकार की भ्रान्ति जिसके कारण मनुष्य इस अवास्तविक विश्व को वास्तविक तथा परमात्मा से भिन्न अस्तित्ववान् समझता है
माया —स्त्री॰—-—-—(सांख्य में) प्रधान या प्रकृति
माया —स्त्री॰—-—-—दया, करुणा
माया —स्त्री॰—-—-—बुद्ध की माता का नाम
मायाचार —वि॰—माया-आचार—-—धोखे से काम करने वाला
मायात्मक —वि॰—माया-आत्मक—-—मिथ्या, भ्रान्तिमान्
मायोपजीविन् —वि॰—माया-उपजीविन्—-—जालसाजी और कपटपूर्ण जीवन बिताने वाला
मायाकारः —पुं॰—माया-कारः—-—जादूगर, बाजीगर
मायाकृत् —पुं॰—माया-कृत्—-—जादूगर, बाजीगर
मायाजीविन् —पुं॰—माया-जीविन्—-—जादूगर, बाजीगर
मायादः —पुं॰—माया-दः—-—मगरमच्छ
मायादेवी —स्त्री॰—माया-देवी—-—बुद्ध की माता का नाम
मायासुतः —पुं॰—माया-सुतः—-—बुद्ध
मायाधर —वि॰—माया-धर—-—कपटपूर्ण, भ्रमात्मक
मायापटु —वि॰—माया-पटु—-—धोखा देने में कुशल, जालसाज, ठग
मायाप्रयोगः —पुं॰—माया-प्रयोगः—-—धोखा, जालसाजी या दाँवपेंच का प्रयोग
मायाप्रयोगः —पुं॰—माया-प्रयोगः—-—जादू का प्रयोग
मायामृग —वि॰—माया-मृग—-—मिथ्याहरिण, भ्रमात्मक या छाया मृग
मायायन्त्रम् —नपुं॰—माया-यन्त्रम्—-—जादू-टोना
मायायोगः —पुं॰—माया-योगः—-—जादू करना
मायावचनम् —नपुं॰—माया-वचनम्—-—झूठे या कपटपूर्ण शब्द
मायावादः —पुं॰—माया-वादः—-—भ्रान्ति का सिद्धान्त इस सिद्धान्त के अनुसार सारी सृष्टि मिथ्या समझी जाती है, बुद्धवाद
मायाविद् —वि॰—माया-विद्—-—कपट जाल रखने में कुशल, या जादू की कला
मायासुतः —पुं॰—माया-सुतः—-—बुद्ध का विशेषण
मायावत् —वि॰—-—माया + मतुप्—कपटपूर्ण, जालसाज
मायावत् —वि॰—-—-—भ्रान्तियुक्त, अवास्तविक, भर्मोत्पादक
मायावत् —वि॰—-—-—इन्द्रजाल की कला में कुशल, जादू की शक्ति लगाने वाला
मायावत् —पुं॰—-—-—कंस का विशेषण
मायावती —स्त्री॰—-—-—प्रद्युम्न की पत्नी का नाम
मायाविन् —वि॰—-—माया अस्त्यर्थे विनि—धोखेबाजी या चाल से काम लेने वाला, कूटयुक्ति का प्रयोग करने वाला, धोखेबाज, जालसाज
मायाविन् —वि॰—-—-—जादू के कार्य में कुशल
मायाविन् —वि॰—-—-—अवास्तविक, भ्रान्तिजनक
मायाविन् —पुं॰—-—-—ऐन्द्रजालिक, जादूगर
मायाविन् —नपुं॰—-—-—माजूफल
मायिक —वि॰—-—माया + ठन्—कपटमय, जालसाज
मायिक —वि॰—-—-—भ्रान्तिमान्, अवास्तविक
मायिन् —वि॰—-—माया + इनि—धोखेबाजी या चाल से काम लेने वाला, कूटयुक्ति का प्रयोग करने वाला, धोखेबाज, जालसाज
मायिन् —वि॰—-—माया + इनि—जादू के कार्य में कुशल
मायिन् —वि॰—-—माया + इनि—अवास्तविक, भ्रान्तिजनक
मायिन् —पुं॰—-—माया + इनि—बाजीगर
मायिन् —पुं॰—-—माया + इनि—धूर्त, ठग
मायिन् —पुं॰—-—माया + इनि—ब्रह्मा या काम का नामान्तर
मायुः —पुं॰—-—मि + उण्—सूर्य
मायुः —पुं॰—-—-—पित्त, पेत्तिक रस (इस अर्थ में नपुं॰ भी)।
मायूर —वि॰—-—मयूर + अण्—मोर से संबंध रखने वाला या मोर से उत्पन्न होने वाला
मायूर —वि॰—-—-—मोर के पंखों से बना हुआ
मायूर —वि॰—-—-—(गाड़ी की भाँति) मोर द्वारा खींचा जाने वाला
मायूर —वि॰—-—-—मोर को प्रिय
मायूरी —स्त्री॰—-—मयूर + अण्—मोर से संबंध रखने वाला या मोर से उत्पन्न होने वाला
मायूरी —स्त्री॰—-—-—मोर के पंखों से बना हुआ
मायूरी —स्त्री॰—-—-—(गाड़ी की भाँति) मोर द्वारा खींचा जाने वाला
मायूरी —स्त्री॰—-—-—मोर को प्रिय
मायूरम् —नपुं॰—-—-—मोरों का समूह
मायूरकः —पुं॰—-—मयूर + वुञ्—मोर पकड़ने वाला
मायूरिकः —पुं॰—-—मयूर + ठक्—मोर पकड़ने वाला
मारः —पुं॰—-—मृ + घञ्—हत्या, वध, कतल
मारः —पुं॰—-—-—बाधा, विघ्न, विरोध
मारः —पुं॰—-—-—प्रेम, प्रणयोन्माद
मारः —पुं॰—-—-—अनिष्ट, (बौधों के अनुसार) विनाशक
माराङ्क —वि॰—मार-अङ्क—-—‘प्रेमचिह्नित’ प्रेम के संकेत करने वाला
माराभिभू —पुं॰—मार-अभिभू —-—बुद्ध का विशेषण
मारारिः —पुं॰—मार-अरिः—-—शिव
माररिपुः —पुं॰—मार-रिपुः—-—शिव
मारात्मक —वि॰—मार-आत्मक—-—हत्यारा
मारजित् —पुं॰—मार-जित्—-—शिव का विशेषण
मारजित् —पुं॰—मार-जित्—-—बुद्ध का विशेषण
मारकः —पुं॰—-—मृ + णिच् + ण्वुल—कोई घातक रोग, महामारी
मारकः —पुं॰—-—-—हत्या करने वाला, विनाशकर्ता
मारकत —वि॰—-—मरकत + अण्—पन्ने से संबद्ध
मारकती —स्त्री॰—-—मरकत + अण्—पन्ने से संबद्ध
मारणम् —नपुं॰—-—मृ + णिच् + ल्युट्—हत्या, वध, कतल, विनाश
मारणम् —नपुं॰—-—-—शत्रु का विनाश करने के लिए किया गया जादूटोना
मारणम् —नपुं॰—-—-—फूंकना, राख कर देना
मारणम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का विष
मारिः —स्त्री॰—-—मृ + णिच् + इन्—घातकरोग, महामारी
मारिः —स्त्री॰—-—-—हत्या, बर्बादी, विनाश
मारिच —वि॰—-—मरिच + अण्—मिर्च का बना हुआ
मारिची —स्त्री॰—-—मरिच + अण्—मिर्च का बना हुआ
मारिषः —पुं॰—-—मा रिष्यति हिनस्ति - मा + रिष् + क—किसी मुख्य पात्र को सुत्रधार द्वारा नाटक में संबोधित करने के लिए सम्मानयुक्त रीति, आदरणीय, श्रद्धेय
मारी —स्त्री॰—-—मारि + ङीष्—प्लेग, घातक रोग, संक्रामक रोग
मारी —स्त्री॰—-—-—घातक या मारक रोगों की अधिष्ठात्री देवता दुर्गा
मारीचः —पुं॰—-—-—ताडका और सुन्द राक्षस की सन्तान, मारीच नाम का राक्षस। यह स्वर्णमृग का रुप धारण करके राम को सीता से दूर भगा ले गया था जिससे कि रावण को सीता का अपहरण करने का अवसर मिल गया
मारीचः —पुं॰—-—-—एक विशाल या राजकीय हाथी
मारीचः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का पौधा
मारीचम् —नपुं॰—-—-—मिर्च की झाड़ियों का संग्रह
मारुण्डः —पुं॰—-—-—साँप का अण्डा
मारुण्डः —पुं॰—-—-—पथ, मार्ग, सड़क
मारुत —वि॰—-—मरुत् + अण्—मरुत् संबंधी या मरुत् से उत्पन्न होने वाला
मारुत —वि॰—-—-—वायु से संबंध रखने वाला, वायवी, हवाई
मारुती —स्त्री॰—-—मरुत् + अण्—मरुत् संबंधी या मरुत् से उत्पन्न होने वाला
मारुती —स्त्री॰—-—-—वायु से संबंध रखने वाला, वायवी, हवाई
मारुतः —पुं॰—-—-—वायु का देवता, पवन की अधिष्ठात्री देवता
मारुतः —पुं॰—-—-—श्वास लेना
मारुतः —पुं॰—-—-—प्राण, शरीर के तीन मूल रसों (वात, पित्त, कफ) में से एक
मारुतः —पुं॰—-—-—हाथी की सूंड
मारुतम् —नपुं॰—-—-—स्वाती नाम का नक्षत्र
मारुताशनः —पुं॰—मारुत-अशनः—-—साँप
मारुतात्मजः —पुं॰—मारुत-आत्मजः—-—हनुमान के विशेषण
मारुतात्मजः —पुं॰—मारुत-आत्मजः—-—भीम के विशेषण
मारुतसुतः —पुं॰—मारुत-सुतः—-—हनुमान के विशेषण
मारुतसुतः —पुं॰—मारुत-सुतः—-—भीम के विशेषण
मारुतसूनुः —पुं॰—मारुत-सूनुः—-—हनुमान के विशेषण
मारुतसूनुः —पुं॰—मारुत-सूनुः—-—भीम के विशेषण
मारुतिः —पुं॰—-—मरुतोऽपत्यम् - इञ्—हनुमान के विशेषण
मारुतिः —पुं॰—-—-—भीम के विशेषण
मार्कण्डः —पुं॰—-—मृकण्डोः अपत्यम् - अण्—एक प्राचीन ऋषि का नाम
मार्कण्डेयः —पुं॰—-—मृकण्डु + ढक्—एक प्राचीन ऋषि का नाम
मार्कण्डेयपुराणम् —नपुं॰—मार्कण्डेय-पुराणम्—-—(इस ऋषि द्वारा प्रणीत) एक पुराण
मार्ग् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰<मार्गति>,<मार्गयति>,<मार्गयते>—-—-—खोजना, ढूंढना
मार्ग् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰<मार्गति>,<मार्गयति>,<मार्गयते>—-—-—तलाश करना, पीछे पड़ना
मार्ग् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰<मार्गति>,<मार्गयति>,<मार्गयते>—-—-—प्राप्त करने का प्रयत्न करना, कोशिश करते रहना
मार्ग् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰<मार्गति>,<मार्गयति>,<मार्गयते>—-—-—निवेदन करना, प्रार्थना करना, याचना करना
मार्ग् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰<मार्गति>,<मार्गयति>,<मार्गयते>—-—-—विवाह के लिए मांगना
मार्ग् —चुरा॰ उभ॰ <मार्गयति>,<मार्गयते>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
मार्ग् —चुरा॰ उभ॰ <मार्गयति>,<मार्गयते>—-—-—सजाना, अलंकृत करना
परिमार्ग् —चुरा॰ उभ॰—परि-मार्ग्—-—खोजना, ढूंढना
मार्गः —पुं॰—-—मार्ग् + घञ्—रास्ता, सड़क, पथ (आलं॰भी)
मार्गः —पुं॰—-—-—क्रम, रास्ता, भूखंड (जो पार कर लिया गया हो)
मार्गः —पुं॰—-—-—पहुँच, परास
मार्गः —पुं॰—-—-—किण, ब्रणचिह्न
मार्गः —पुं॰—-—-—खोज, पूछताछ, गवेषणा
मार्गः —पुं॰—-—-—नहर कुल्या, जलमार्ग
मार्गः —पुं॰—-—-—साधन, रीति
मार्गः —पुं॰—-—-—सही मार्ग, उचित पथ
मार्गः —पुं॰—-—-—पद्धति, रीति, प्रणाली, क्रम, चलन
मार्गः —पुं॰—-—-—शैली, वाक्यविन्यास
मार्गः —पुं॰—-—-—गुदा, मलद्वार
मार्गः —पुं॰—-—-—‘मृग-शिरस्’ नाम का नक्षत्र
मार्गः —पुं॰—-—-—मार्गशीर्ष का महीना
मार्गतोरणम् —नपुं॰—मार्ग-तोरणम्—-—सड़क बनाया गया उत्सवसूचक महराबदार द्वार
मार्गदर्शकः —पुं॰—मार्ग-दर्शकः—-—पथप्रदर्शक
मार्गधेनुः —पुं॰—मार्ग-धेनुः—-—चार कोस की दूरी
मार्गधनुकम् —नपुं॰—मार्ग-धनुकम्—-—चार कोस की दूरी
मार्गबन्धनम् —नपुं॰—मार्ग-बन्धनम्—-—रोक, आड़
मार्गरक्षकः —पुं॰—मार्ग-रक्षकः—-—सड़क का रखवाला, सड़क पर पहरा देने वाला
मार्गशोधकः —पुं॰—मार्ग-शोधकः—-—दूसरे के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाला
मार्गस्थ —वि॰—मार्ग-स्थ—-—यात्रा करने वाला, बटोही
मार्गहर्म्यम् —नपुं॰—मार्ग-हर्म्यम्—-—राजपथ पर बना हुआ महल
मार्गकः —पुं॰—-—मार्ग + कन्—मार्गशीर्ष का महीना
मार्गणम् —नपुं॰—-—मार्ग् + ल्युट्—याचना करना, प्रार्थना करना, निवेदन करना
मार्गणम् —नपुं॰—-—-—खोजना, तलाश करना, ढूंढना
मार्गणम् —नपुं॰—-—-—गवेषणा करना, पूछताछ करना, जांचपड़ताल करना
मार्गणा —स्त्री॰—-—-—याचना करना, प्रार्थना करना, निवेदन करना
मार्गणा —स्त्री॰—-—-—खोजना, तलाश करना, ढूंढना
मार्गणा —स्त्री॰—-—-—गवेषणा करना, पूछताछ करना, जांचपड़ताल करना
मार्गणः —पुं॰—-—-—भिक्षुक, अनुनय विनय करने वाला, साधु
मार्गणः —पुं॰—-—-—‘पांच’ की संख्या
मार्गशिरः —पुं॰—-—मृगशिरा + अण्—(नवंबर और दिसंबर में पड़ने वाला) हिन्दुओं का नवां महीना जिसमें कि पूर्णचन्द्रमा मृगशिरस् नक्षत्र में विद्यमान हैं।
मार्गशिरस् —पुं॰—-—मृगशिरा + अण्—(नवंबर और दिसंबर में पड़ने वाला) हिन्दुओं का नवां महीना जिसमें कि पूर्णचन्द्रमा मृगशिरस् नक्षत्र में विद्यमान हैं।
मार्गशीर्षः —पुं॰—-—मृगशीर्ष + अण्—(नवंबर और दिसंबर में पड़ने वाला) हिन्दुओं का नवां महीना जिसमें कि पूर्णचन्द्रमा मृगशिरस् नक्षत्र में विद्यमान हैं।
मार्गशिरी —स्त्री॰—-—मार्गशिर + ङीष्—मार्गशीर्ष के महीने में आने वाली पूर्णमासी का दिन
मार्गशीर्षी —स्त्री॰—-—मार्गशीर्ष + ङीप्—मार्गशीर्ष के महीने में आने वाली पूर्णमासी का दिन
मार्गिकः —पुं॰—-—मृगान् हन्ति - मृग + ठक्—यात्री
मार्गित —भू॰ क॰ कृ॰—-—मार्ग् + क्त—खोजा हुआ, ढूंढा हुआ, पूछताछ किया हुआ
मार्गित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—जिसके पीछे-पीछे फिरा गया हो, अभीष्ट, निवेदित
मार्ज् —चुरा॰ उभ॰ मार्जयति-ते—-—-—निर्मल करना, स्वच्छ करना, पोंछना
मार्ज् —चुरा॰ उभ॰ मार्जयति-ते—-—-—ध्वनि करना
मार्जः —पुं॰—-—मृज् (मार्ज वा) + घञ्—स्वच्छ करना, निर्मल करना, धोना
मार्जः —पुं॰—-—-—विष्णु का विशेषण
मार्जक —वि॰—-—मृज् + ण्वुल्—स्वच्छ करने वाला, निर्मल करने वाला, धोंने वाला
मार्जिका —स्त्री॰—-—मृज् + ण्वुल्—स्वच्छ करने वाला, निर्मल करने वाला, धोंने वाला
मार्जन —वि॰—-—-—स्वच्छ करने वाला, निर्मल करने वाला
मार्जनी —स्त्री॰—-—-—स्वच्छ करने वाला, निर्मल करने वाला
मार्जनम् —नपुं॰—-—-—स्वच्छ करना, साफ करना, निर्मल करना
मार्जनम् —नपुं॰—-—-—पोंछ देना, रगड़ कर मिटा देना
मार्जनम् —नपुं॰—-—-—साफ कर देना, पोंछ डालना
मार्जनम् —नपुं॰—-—-—उबटन से मल-मल कर शरीर स्वच्छ करना
मार्जनम् —नपुं॰—-—-—हाथ से या कुशा से शरीर पर जल के छींटे डालना
मार्जनः —पुं॰—-—-—लोध्रवृक्ष
मार्जना —स्त्री॰—-—-—स्वच्छ करना, निर्मल करना, साफ करना
मार्जना —स्त्री॰—-—-—ढोल की आवाज
मार्जनी —स्त्री॰—-—-—बुहरी, लंबी झाड़ या ब्रुश
मार्जारः —पुं॰—-—-—गंधमार्जार
मार्जालः —पुं॰—-—-—गंधमार्जार
मार्जारकण्ठः —पुं॰—मार्जार-कण्ठः—-—मोर
मार्जारकरणम् —नपुं॰—मार्जार-करणम्—-—एक प्रकार का मैथुन या रतिबन्ध
मार्जारी —स्त्री॰—-—-—बिल्ली
मार्जारी —स्त्री॰—-—-—मुश्क बिलाव, ओतु
मार्जारी —स्त्री॰—-—-—कस्तूरी
मार्जारीयः —पुं॰—-—-—बिलाव
मार्जारीयः —पुं॰—-—-—शूद्र
मार्जितम् —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—स्वच्छ किया हुआ, मल-मल कर मांजा हुआ, निर्मल किया हुआ
मार्जितम् —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—बुहारा हुआ, झाड़ू या ब्रुश से साफ किया हुआ
मार्जितम् —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—अलंकृत किया हुआ
मार्जिता —स्त्री॰—-—-—दही में चीनी और मसाले डालकर बनाया गया स्वादिष्ट पदार्थ, श्रीखंड
मार्तण्डः —पुं॰—-—-—मदार का पौधा
मार्तण्डः —पुं॰—-—-—बारह की संख्या (‘मार्तण्ड’ भी)
मार्तिक —वि॰—-—-—मिट्टी का बना हुआ, मिट्टी का
मार्तिकः —वि॰—-—-—एक प्रकार का घड़ा
मार्तिकः —वि॰—-—-—घड़े का ढक्कन, पाली
मार्तिकम् —नपुं॰—-—-—मिट्टी का लौंदा
मार्त्यम् —नपुं॰—-—-—मरणशीलता
मार्दङ्गः —पुं॰—-—-—ढोलकिया, मृदंग बजाने वाला
मार्दङ्गम् —नपुं॰—-—-—नगर, कस्बा
मार्दङ्गिकः —पुं॰—-—-—मृदंग बजाने वाला, ढोलकिया
मार्दवम् —नपुं॰—-—-—लचीलापन, दुर्बलता
मार्दवम् —नपुं॰—-—-—नरमी, कृपा, कोमलता, उदारता
मृदुता —स्त्री॰—-—-—लचीलापन, दुर्बलता
मृदुता —स्त्री॰—-—-—नरमी, कृपा, कोमलता, उदारता
मार्द्वीक —वि॰—-—-—अंगूरों से बनाया हुआ
मार्द्वीकी —स्त्री॰—-—-—अंगूरों से बनाया हुआ
मार्द्वीकम् —नपुं॰—-—-—शराब
मार्मिक —वि॰—-—-—गहरी अन्तर्दृष्टि रखने वाला, तत्त्व सौन्दर्यादिक से पूर्ण परिचित
मार्षः —पुं॰—-—-—किसी मुख्य पात्र को सुत्रधार द्वारा नाटक में संबोधित करने के लिए सम्मानयुक्त रीति, आदरणीय, श्रद्धेय
मार्ष्टिः —स्त्री॰—-—-—स्वच्छ करना, मलमलकर मांजना, निर्मल करना
मालः —पुं॰—-—-—बंगाल के पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम में एक जिले का नाम
मालः —पुं॰—-—-—एक बर्वर जाति का नाम, पहाड़ी
मालः —पुं॰—-—-—विष्णु का नाम
मालम् —नपुं॰—-—-—उँची भूमि, उठी हुई या उन्नत की हुई भूमि
मालम् —नपुं॰—-—-—धोखा, जालसाजी
मालचक्रकम् —नपुं॰—माल-चक्रकम्—-—कूल्हे का जोड़
मालकः —पुं॰—-—-—नीम का पेड़
मालकः —पुं॰—-—-—गाँव के पास का जंगल
मालकः —पुं॰—-—-—नारियल के खोल से बना पात्र
मालतिः —स्त्री॰—-—-—(सुगंधित श्वेत फूलों से युक्त) एक प्रकार की चमेली
मालतिः —स्त्री॰—-—-—मालती का फूल
मालतिः —स्त्री॰—-—-—क्ली, सामान्य फूल
मालतिः —स्त्री॰—-—-—कन्या, तरुणी
मालतिः —स्त्री॰—-—-—चांदनी
मालती —स्त्री॰—-—-—(सुगंधित श्वेत फूलों से युक्त) एक प्रकार की चमेली
मालती —स्त्री॰—-—-—मालती का फूल
मालती —स्त्री॰—-—-—क्ली, सामान्य फूल
मालती —स्त्री॰—-—-—कन्या, तरुणी
मालतिक्षारकः —पुं॰—मालति-क्षारकः—-—सुहागा
मालतिपत्रिका —स्त्री॰—मालति-पत्रिका—-—जायफल का छिल्का
मालतिफलम् —नपुं॰—मालति-फलम्—-—जायफल
मालतिमाला —स्त्री॰—मालति-माला—-—मालती या चमेली के फूलों की माला
मालय —वि॰—-—-—मलय पर्वत से आने वाला
मालयः —पुं॰—-—-—चंदन की लकड़ी
मालवः —पुं॰—-—-—एक देश का नाम, मध्य भारत में वर्तमान मालवा
मालवः —पुं॰—-—-—राग का नाम, या स्वरग्राम की रीति
मालवाः —पुं॰—-—-—मालवा प्रदेश के अधिवासी
मालवाधीशः —पुं॰—मालव-अधीशः—-—मालवा का राजा
मालवेन्द्रः —पुं॰—मालव-इन्द्रः—-—मालवा का राजा
मालवनृपतिः —पुं॰—मालव-नृपतिः—-—मालवा का राजा
मालवकः —पुं॰—-—-—मालव वासियों का देश
मालवकः —पुं॰—-—-—मालवा का निवासी
मालसी —स्त्री॰—-—-—एक पौधे का नाम
माला —स्त्री॰—-—-—हार, स्रज्, गजरा
माला —स्त्री॰—-—-—रेखा, पंक्ति, सिलसिला, श्रेणी या तांता
माला —स्त्री॰—-—-—समूह, झुरमुट, समुच्चय
माला —स्त्री॰—-—-—लड़ी, कण्ठहार- जैसा कि ‘रत्नमाला’ में
माला —स्त्री॰—-—-—जपमाला, जंजीर जैसा कि ‘अक्षरमाला’ में
माला —स्त्री॰—-—-—लकीर, लहर, कौंध जैसा कि ‘तडिन्माला’ और ‘विद्युन्माला’ में
माला —स्त्री॰—-—-—विशेषणों का सिलसिला
माला —स्त्री॰—-—-—(नाटक में) अपने मनोरथ के सिद्धि के लिए नाना वस्तुओं का उपहार
मालोपमा —स्त्री॰—माला-उपमा—-—उपमा का एक भेद जिसमें एक उपमेय की अनेक उपमानों से तुलना की जाती हैं
मालाकरः —पुं॰—माला-करः—-—हार बनाने वाला, फूल-विक्रेता, माली
मालाकरः —पुं॰—माला-करः—-—मालियों की एक जाति
मालाकारः —पुं॰—माला-कारः—-—हार बनाने वाला, फूल-विक्रेता, माली
मालाकारः —पुं॰—माला-कारः—-—मालियों की एक जाति
मालातृणम् —नपुं॰—माला-तृणम्—-—एक प्रकार का सुगंधित घास
मालादीपकम् —नपुं॰—माला-दीपकम्—-—दीपक अलंकार का एक भेद, मम्मट ने इसकी परिभाषा बताई है
मालिकः —पुं॰—-—-—फूलों का व्यापारी, माली
मालिकः —पुं॰—-—-—रंगने वाला, रंगरेज
मालिका —स्त्री॰—-—-—पंक्ति, रेखा, सिलसिला
मालिका —स्त्री॰—-—-—लड़ी, कण्ठहार
मालिका —स्त्री॰—-—-—चमेली का एक प्रकार
मालिका —स्त्री॰—-— —एक प्रकार का पक्षी
मालिका —स्त्री॰—-—-—मादक पेय
मालिन् —वि॰—-—-—माला पहनने वाला
मालिन् —वि॰—-—-—(समास के अन्त में) मालाओं से सम्मानित, हारों से सुशोभित गजरों से लपेटा हुआ
मालिन् —नपुं॰—-—-—फूलमाली, हार बनाने वाला
मालिनी —स्त्री॰—-—-—फूलमालिन्, हार बनाने वाले की पत्नी
मालिनी —स्त्री॰—-—-—चम्पा नगरी का नाम
मालिनी —स्त्री॰—-—-—सात वर्ष की कन्या जो दुर्गा पुजा के उत्सव पर दुर्गा का प्रतिनिधित्व करे
मालिनी —स्त्री॰—-—-—दुर्गा का नाम
मालिनी —स्त्री॰—-—-—स्वर्गंगा
मालिनी —नपुं॰—-—-—एक छन्द का नाम
मालिन्यम् —नपुं॰—-—-—मैलापन, गन्दगी, अपवित्रता
मालिन्यम् —नपुं॰—-—-—मलिनता, दूषण
मालिन्यम् —नपुं॰—-—-—पापपूर्णता
मालिन्यम् —नपुं॰—-—-—कालिमा
मालिन्यम् —नपुं॰—-—-—कष्ट, दुःख
मालुः —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार की लता
मालुः —स्त्री॰—-—-—एक स्त्री
मालुधानः —पुं॰—मालुधानः—-—एक प्रकार का साँप
मालूरः —पुं॰—-—-—बेल का वृक्ष
मालूरः —पुं॰—-—-—कैथ का वृक्ष
मालेया —स्त्री॰—-—-—बड़ी इलायची
माल्य —वि॰—-—-—हार के उपयुक्त या हार से संबद्ध
माल्यम् —नपुं॰—माल्य-ल्यम्—-—हार, गजरा
माल्यम् —नपुं॰—माल्य-ल्यम्—-—फूल
माल्यम् —नपुं॰—माल्य-ल्यम्—-—सुमिरनी या शिरोमाल्य
माल्यापणः —पुं॰—माल्य-आपणः—-—फूलों की मंडी
माल्यजीवकः —पुं॰—माल्य-जीवकः—-—फूलमाली, मालाकार
माल्यपुष्पः —पुं॰—माल्य-पुष्पः—-—पटसन
माल्यवृत्तिः —स्त्री॰—माल्य-वृत्तिः—-—फूलों का व्यापारी
माल्यवत् —वि॰—-—-—माला धारण किए हुए, हारों से सुशोभित
माल्यवत् —पुं॰—-—-—एक पर्वत या पर्वतशृंखला का नाम
माल्यवत् —पुं॰—-—-—सुकेतु का पुत्र एक राक्षस (माल्यवान रावण का मामा और मंत्री था, उसकी बहुत सी योजनाओं में वह सहायता देता था, अपने पूर्वकाल में घोर तपस्या के द्वारा उसने ब्रह्मा को प्रसन्न किया। इसके फलस्वरुप उसके लंकाद्वीप की सृष्टि की गई। कुछ वर्षों वह अपने भाइयों समेत वहाँ रहा, परन्तु बाद में उसने लंका को छोड़ दिया। कुबेर फिर लंका अपना अधिकार कर लिया। उसके पश्चात् फिर जब रावण ने कुबेर को निर्वासित कर दिया तो माल्यवान् फिर अपने बंधु-बांधवों समेत वहाँ आ गया और वर्षों रावण के साथ रहा।)
माल्लः —पुं॰—-—-—एक प्रकार की वर्णसंकर जाति
माल्लवी —स्त्री॰—-—-—कुश्ती या मुक्केबाजी की प्रतियोगिता
माषः —पुं॰—-—-—उड़द (एक वचन पौधे के अर्थ में तथा ब॰ व॰ फल या बीज के अर्थ में)
माषः —पुं॰—-—-—सोने की एक विशेष तोल, माशा
माषः —पुं॰—-—-—मूर्ख, बुद्धू
माषादः —पुं॰—माष-अदः—-—कछुवा
माषादः —पुं॰—माष-आदः—-—कछुवा
माषाज्यम् —नपुं॰—माष-आज्यम्—-—घी के साथ पकाये हुए उड़द
माषाशः —पुं॰—माष-आशः—-—घोड़ा
माषोन —वि॰—माष-ऊन—-—एक माशा कम
माषवर्धकः —पुं॰—माष-वर्धकः—-—सुनार
माषिक —वि॰—-—-—एक मासे के मूल्य का
माषिकी —स्त्री॰—-—-—एक मासे के मूल्य का
माषीणम् —नपुं॰—-—-—उड़दों का खेत
माष्यम् —नपुं॰—-—-—उड़दों का खेत
मास् —पुं॰—-—-—महीना (यह चांद, सौर, सावन, नक्षत्र या बार्हस्पत्य में से कोई भी हो सकता हैं)
मास् —पुं॰—-—-—बारह की संख्या
मासः —पुं॰—-—-—महीना (यह चांद, सौर, सावन, नक्षत्र या बार्हस्पत्य में से कोई भी हो सकता हैं)
मासः —पुं॰—-—-—बारह की संख्या
मासम् —नपुं॰—-—-—महीना (यह चांद, सौर, सावन, नक्षत्र या बार्हस्पत्य में से कोई भी हो सकता हैं)
मासम् —नपुं॰—-—-—बारह की संख्या
मासानुमासिक —वि॰—मास-अनुमासिक—-—प्रतिमास होने वाला
मासान्तः —पुं॰—मास-अन्तः—-—अमावस्या का दिन
मासाहार —वि॰—मास-आहार—-—मास में केवल एक बार खाने वाला
मासोपवासिनी —स्त्री॰—मास-उपवासिनी—-—पूरा महीना भर उपवास रखने वाली स्त्री
मासोपवासिनी —स्—मास-उपवासिनी—-—कुट्टिनी, लम्पट या दुश्चरित्र स्त्री (व्यंग्योक्तिपूर्वक)
मासकालिक —वि॰—मास-कालिक—-—मासिक
मासजात —वि॰—मास-जात—-—एक मास का, जिसको उत्पन्न हुए एक महीना हो चुका है
मासज्ञः —पुं॰—मास-ज्ञः—-—एक प्रकार का जलकुक्कुट
मासदेय —वि॰—मास-देय—-—जिसे महीना भर में चुकाना हो
मासप्रमितः —पुं॰—मास-प्रमितः—-—अमावस्या या प्रतिपदा का चंद्रमा
मासप्रवेशः —पुं॰—मास-प्रवेशः—-—महीने का आरम्भ
मासमानः —पुं॰—मास-मानः—-—वर्ष
मासरः —पुं॰—-—-—उबले हुए चावलों की पीच, माँड
मासिक —वि॰—-—-—महीने से संबंध रखने वाला
मासिक —वि॰—-—-—प्रतिमास होने वाला
मासिक —वि॰—-—-—एक महीने का रहने वाला
मासिक —वि॰—-—-—एक महीने में चुकाया जाने वाला
मासिक —वि॰—-—-—एक महीने के लिए नियुक्त
मासिकी —स्त्री॰—-—-—महीने से संबंध रखने वाला
मासिकी —स्त्री॰—-—-—प्रतिमास होने वाला
मासिकी —स्त्री॰—-—-—एक महीने का रहने वाला
मासिकी —स्त्री॰—-—-—एक महीने में चुकाया जाने वाला
मासिकी —स्त्री॰—-—-—एक महीने के लिए नियुक्त
मासिकम् —नपुं॰—-—-—प्रत्येक मृत्युतिथि को किया जाने वाला श्राद्ध (मनुष्य के मरने के प्रथम वर्ष में)
मासीन —वि॰—-—-—एक मास की आयु का
माह् —भ्वा॰ उभ॰ <माहति><माहते>—-—-—मापना
माहाकुल —वि॰—-—-—सत्कुलोत्पन्न, उत्तम कुल का, नामी घराने या प्रख्यात कुल का
माहाकुली —स्त्री॰—-—-—सत्कुलोत्पन्न, उत्तम कुल का, नामी घराने या प्रख्यात कुल का
माहाकुलीन —वि॰—-—-—सत्कुलोत्पन्न, उत्तम कुल का, नामी घराने या प्रख्यात कुल का
माहाकुलीनी —स्त्री॰—-—-—सत्कुलोत्पन्न, उत्तम कुल का, नामी घराने या प्रख्यात कुल का
माहाजनिक —वि॰—-—-—सौदागरों के लिए उपयुक्त
माहाजनिक —वि॰—-—-—महाजनोचित, बड़े आदमी के योग्य
माहाजनिकी —स्त्री॰—-—-—सौदागरों के लिए उपयुक्त
माहाजनिकी —स्त्री॰—-—-—महाजनोचित, बड़े आदमी के योग्य
माहाजनीन —वि॰—-—-—सौदागरों के लिए उपयुक्त
माहाजनीन —वि॰—-—-—महाजनोचित, बड़े आदमी के योग्य
माहाजनीनी —स्त्री॰—-—-—सौदागरों के लिए उपयुक्त
माहाजनीनी —स्त्री॰—-—-—महाजनोचित, बड़े आदमी के योग्य
माहात्मिक —वि॰—-—-—उन्नत-मना, उदाराशय, उत्तम, महानुभाव, यशस्वी
माहात्मिकी —स्त्री॰—-—-—उन्नत-मना, उदाराशय, उत्तम, महानुभाव, यशस्वी
माहात्म्यम् —नपुं॰—-—-—उदाराशयता, महानुभावता
माहात्म्यम् —नपुं॰—-—-—ऐश्वर्यं, महिमा, उत्कृष्ट पद
माहात्म्यम् —नपुं॰—-—-—किसी इष्ट देव या दिव्य विभूति के गुण, या एसी कृति जिसमें इस प्रकार के देवी देवताओं के गुणों का वर्णन दिया गया हो -जैसा कि देवीमाहात्म्य, शनिमाहात्म्य आदि।
माहाराजिक —वि॰—-—-—सम्राट के उपयुक्त, साम्राज्यसंबंधी, राजकीय या राजोचित
माहाराजिकी —स्त्री॰—-—-—सम्राट के उपयुक्त, साम्राज्यसंबंधी, राजकीय या राजोचित
माहाराज्यम् —नपुं॰—-—-—प्रभुता
माहाराष्ट्री —स्त्री॰—-—-—मुख्य प्राकृत बोली, महाराष्ट्र के अधिवासियों कि भाषा
माहिरः —पुं॰—-—-—इन्द्र का विशेषण
माहिष —वि॰—-—-—भैंस या भैंसे से उत्पन्न या प्राप्त, जैसा कि ‘माहिषं दधि’
माहिषिकः —पुं॰—-—-—भैंस रखनेवाला, ग्वाला
माहिषिकः —पुं॰—-—-—असती या व्याभिचारिणी स्त्री का यार
माहिषिकः —पुं॰—-—-—जो अपनी पत्नी की वेश्यावृत्ति पर निर्वाह करता हैं
माहिष्मती —स्त्री॰—-—-—एक नगर का नाम, हैहय राजाओं की कुलक्रमागत राजधानी
माहिष्यः —पुं॰—-—-—क्षत्रिय पिता और वैश्य माता से उत्पन्न एक मिश्र या वर्णसंकर जाति
माहेन्द्र —वि॰—-—-—इन्द्र से संबंध रखने वाला
माहेन्द्री —स्त्री॰—-—-—पूर्व दिशा
माहेन्द्री —स्त्री॰—-—-—गाय
माहेन्द्री —स्त्री॰—-—-—इन्द्राणी का नाम
माहेयः —पुं॰—-—-—मंगल ग्रह
माहेश्वरः —पुं॰—-—-—शिव की पूजा करने वाला
मि —स्वा॰ उभ॰ <मिनोति>, <मिनुते>—-—-—फेंकना, डालना, बखेरना
मि —स्वा॰ उभ॰ <मिनोति>, <मिनुते>—-—-—निर्माण करना, खड़ा करना
मि —स्वा॰ उभ॰ <मिनोति>, <मिनुते>—-—-—मापना
मि —स्वा॰ उभ॰ <मिनोति>, <मिनुते>—-—-—स्थापित करना
मि —स्वा॰ उभ॰ <मिनोति>, <मिनुते>—-—-—ध्यानपूर्वक देखना, प्रत्यक्षज्ञान प्राप्त करना
मिच्छ् —तुदा॰ पर॰ <मिच्छति>—-—-—विध्न डालना, बाधा डालना
मिच्छ् —तुदा॰ पर॰ <मिच्छति>—-—-—तंग करना
मित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—मापा हुआ, नपा तुला
मित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—नाप कर निशान लगाया हुआ, हदबन्दी की हुई, सीमाबद्ध किया हुआ
मित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—सीमित, परिमित, मर्यादित, थोड़ा, स्वल्प, बचा रखने वाला, संक्षिप्त
मित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—मापने में, माप का
मित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—जांच पड़ताल किया हुआ, परीक्षित
मिताक्षर —वि॰—मित-अक्षर—-—संक्षिप्त नपा तुला, थोड़े में, सामासिक
मिताक्षर —वि॰—मित-अक्षर—-—छन्दोबद्ध, पद्यात्मक
मितार्थ —वि॰—मित-अर्थ—-—नपे-तुले अर्थ वाला
मिताहार —वि॰—मित-आहार—-—थोड़ा खाने वाला
मिताहारः —पुं॰—मित-आहारः—-—परिमित आहार
मितभाषिन् —वि॰—मित-भाषिन्—-—कम बोलने वाला, नपे तुले शब्दों में अपनी बात कहने वाला
मितवाच् —वि॰—मित-वाच्—-—कम बोलने वाला, नपे तुले शब्दों में अपनी बात कहने वाला
मितङ्गम —वि॰—-—-—धीरे-धीरे चलने वाला
मितम्पच —वि॰—-—-—नपा-तुला अन्न पकाने वाला, थोड़ा पकाने वाला
मितम्पच —वि॰—-—-—मितव्ययी, दरिद्र कंजूस
मितिः —स्त्री॰—-—-—नापना, माप, तोल
मितिः —स्त्री॰—-—-—यथार्थ ज्ञान
मितिः —स्त्री॰—-—-—प्रमाण साक्ष्य
मित्रम् —नपुं॰—-—-—मित्रराष्ट्र, पड़ौसी राजा
मित्राचारः —पुं॰—मित्र-आचारः—-—मित्र के प्रति व्यवहार
मित्रोदयः —पुं॰—मित्र-उदयः—-—सूरज का उगना
मित्रोदयः —पुं॰—मित्र-उदयः—-—मित्र का कल्याण या समृद्धि
मित्रकर्मन् —नपुं॰—मित्र-कर्मन्—-—मित्र का कार्य, मित्रतापूर्ण कार्य या सेवा
मित्रकार्यम् —नपुं॰—मित्र-कार्यम्—-—मित्र का कार्य, मित्रतापूर्ण कार्य या सेवा
मित्रकृत्यम् —नपुं॰—मित्र-कृत्यम्—-—मित्र का कार्य, मित्रतापूर्ण कार्य या सेवा
मित्रघ्न —वि॰—मित्र-घ्न—-—विश्वासघाती
मित्रद्रुह —वि॰—मित्र-द्रुह—-—मित्र से घृणा करने वाला, मित्र के साथ विश्वासघात करने वाला, झूठा या विश्वासघाती मित्र
मित्रद्रोहिन् —वि॰—मित्र-द्रोहिन्—-—मित्र से घृणा करने वाला, मित्र के साथ विश्वासघात करने वाला, झूठा या विश्वासघाती मित्र
मित्रभावः —पुं॰—मित्र-भावः—-—मित्रता, दोस्ती
मित्रभेदः —पुं॰—मित्र-भेदः—-—मैत्रीभंग
मित्रवत्सल —वि॰—मित्र-वत्सल—-—मित्रों के प्रति कृपालु, शिष्टाचारयुक्त
मित्रहत्या —स्त्री॰—मित्र-हत्या—-—मित्र का वध करना
मित्रयु —वि॰—-—-—मित्रवत् आचरण करने वाला, हितैषी
मित्रयु —वि॰—-—-—स्नेहशील. मिलनसार
मिथ् —भ्वा॰ उभ॰ <मेथति>, <मेथते>—-—-—सहकारी बनना
मिथ् —भ्वा॰ उभ॰ <मेथति>, <मेथते>—-—-—एकत्र मिलाना, मैथुन करना, जोड़ा बनाना
मिथ् —भ्वा॰ उभ॰ <मेथति>, <मेथते>—-—-—चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना, प्रहार करना, वध करना
मिथ् —भ्वा॰ उभ॰ <मेथति>, <मेथते>—-—-—समझना, प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करना, जानना
मिथ् —भ्वा॰ उभ॰ <मेथति>, <मेथते>—-—-—झगड़ा
मिथस् —अव्य॰—-—-—परस्पर, आपस में, एक दूसरे को
मिथस् —अव्य॰—-—-—गुप्त रुप से, व्यक्तिगत रुप से, चुपचाप, निजी रुप से
मिथिलः —पुं॰—-—-—एक राजा का नाम
मिथिलाः —पुं॰—-—-—एक राष्ट्र का नाम
मिथिला —स्त्री॰—-—-—नगर का नाम, विदेह देश की राजधानी
मिथुनम् —नपुं॰—-—-—जोड़ा, दम्पती
मिथुनम् —नपुं॰—-—-—समागम, संगम
मिथुनम् —नपुं॰—-—-—मैथुन, संभोग, सहवास
मिथुनम् —नपुं॰—-—-—मिथुन राशि
मिथुनम् —नपुं॰—-—-—उपसर्ग से युक्त धातु
मिथुनाभावः —पुं॰—मिथुनम्-भावः—-—जोड़ी बनाना, जोड़ा बनाने की स्थिति
मिथुनाभावः —पुं॰—मिथुनम्-भावः—-—संभोग
मिथुनव्रतिन् —वि॰—मिथुनम्-व्रतिन्—-—सहवास करने वाला
मिथुनेचरः —पुं॰—-—-—चक्रवाक, चकवा
मिथ्या —अव्य॰—-—-—झूठमूठ, धोखे से, गलत तरीके से, अशुद्धता के साथ
मिथ्या —अव्य॰—-—-—विपर्यस्त रुप से, विपरीततया
मिथ्या —अव्य॰—-—-—निष्प्रयोजन, व्यर्थ, निष्फलता के साथ
मिथ्यावद् ——मिथ्या वद् —वच्—मिथ्या कहना, झूठ बोलना
मिथ्याकृ ——मिथ्या कृ—-—मिथ्या सिद्ध करना
मिथ्याभू ——मिथ्या भू—-—झूठ निकलना, झूठ होना
मिथ्याग्रह —वि॰—मिथ्या ग्रह—-—गलत समझना, भूल होना या करना
मिथ्याध्यवसितिः —पुं॰—मिथ्या-अध्यवसितिः—-—एक अलंकार जिसमें किसी असंभव घटना पर आश्रित होने के कारण किसी वस्तु की असंभावना की अभिव्यक्ति हो
मिथ्यापवादः —पुं॰—मिथ्या-अपवादः—-—झूठा आरोप
मिथ्याभिधानम् —नपुं॰—मिथ्या-अभिधानम्—-—झूठी युक्ति
मिथ्याभियोगः —पुं॰—मिथ्या-अभियोगः—-—झूठा या निराधार आरोप
मिथ्याभिशंसनम् —नपुं॰—मिथ्या-अभिशंसनम्—-—झूठा आक्षेप, मिथ्या दोषारोपण
मिथ्याभिशापः —पुं॰—मिथ्या-अभिशापः—-—झूठी भविष्यवाणी
मिथ्याभिशापः —पुं॰—मिथ्या-अभिशापः—-—झूठा या अन्याय दावा
मिथ्याचारः —पुं॰—मिथ्या-आचारः—-—गलत या अनुचित आचरण
मिथ्याहारः —पुं॰—मिथ्या-आहारः—-—गलत भोजन
मिथ्योत्तरम् —नपुं॰—मिथ्या-उत्तरम्—-—झूठा या गोलमोल जवाब
मिथ्योपचारः —पुं॰—मिथ्या-उपचारः—-—बनावटी कृपा या सेवा
मिथ्याकर्मन् —नपुं॰—मिथ्या-कर्मन्—-—झूठा कार्य
मिथ्याकोपः —पुं॰—मिथ्या-कोपः—-—झूठमूठ का गुस्सा
मिथ्याक्रोधः —पुं॰—मिथ्या-क्रोधः—-—झूठमूठ का गुस्सा
मिथ्याक्रयः —पुं॰—मिथ्या-क्रयः—-—मिथ्या मूल्य
मिथ्याग्रहः —पुं॰—मिथ्या-ग्रहः—-—समझने में भूल होना, गलत समझना
मिथ्याग्रहणम् —नपुं॰—मिथ्या-ग्रहणम्—-—समझने में भूल होना, गलत समझना
मिथ्याचर्या —स्त्री॰—मिथ्या-चर्या—-—पाखंड
मिथ्याज्ञानम् —नपुं॰—मिथ्या-ज्ञानम्—-—अशुद्धि, त्रुटि, गलतफहमी
मिथ्यादर्शनम् —नपुं॰—मिथ्या-दर्शनम्—-—पाखंडधर्म, नास्तिकता
मिथ्यादृष्टिः —स्त्री॰—मिथ्या-दृष्टिः—-—मतविरोध, नास्तिकता के सिद्धान्तों को मानना
मिथ्यापुरुषः —पुं॰—मिथ्या-पुरुषः—-—छाया पुरुष
मिथ्याप्रतिज्ञ —वि॰—मिथ्या-प्रतिज्ञ—-—झूठी प्रतिज्ञा करने वाला, दगाबाज
मिथ्याफलम् —नपुं॰—मिथ्या-फलम्—-—काल्पनिक लाभ
मिथ्यामतिः —स्त्री॰—मिथ्या-मतिः—-—भ्रम, अशुद्धि, त्रुटि
मिथ्यावचनम् —नपुं॰—मिथ्या-वचनम्—-—मिथ्यात्व, झूठ
मिथ्यावाक्यम् —नपुं॰—मिथ्या-वाक्यम्—-—मिथ्यात्व, झूठ
मिथ्यावार्ता —स्त्री॰—मिथ्या-वार्ता—-—झूठा विवरण
मिथ्यासाक्षिन् —पुं॰—मिथ्या-साक्षिन्—-—झूठा गवाह
मिद् —भ्वा॰ आ॰, दिवा॰, चुरा॰, उभ॰ <मेदते>, <मेद्यति>, <मेद्यते>, <मेहयति>, <मेहयते>—-—-—चिकना या स्निग्ध होना
मिद् —भ्वा॰ आ॰, दिवा॰, चुरा॰, उभ॰ <मेदते>, <मेद्यति>, <मेद्यते>, <मेहयति>, <मेहयते>—-—-—पिघलना
मिद् —भ्वा॰ आ॰, दिवा॰, चुरा॰, उभ॰ <मेदते>, <मेद्यति>, <मेद्यते>, <मेहयति>, <मेहयते>—-—-—मोटा होना
मिद् —भ्वा॰ आ॰, दिवा॰, चुरा॰, उभ॰ <मेदते>, <मेद्यति>, <मेद्यते>, <मेहयति>, <मेहयते>—-—-—प्रेम करना, स्नेह करना
मिद् —भ्वा॰ उभ॰ <मेदति>, <मेदते>—-—-—सहकारी बनना
मिद् —भ्वा॰ उभ॰ <मेदति>, <मेदते>—-—-—एकत्र मिलाना, मैथुन करना, जोड़ा बनाना
मिद् —भ्वा॰ उभ॰ <मेदति>, <मेदते>—-—-—चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना, प्रहार करना, वध करना
मिद् —भ्वा॰ उभ॰ <मेदति>, <मेदते>—-—-—समझना, प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करना, जानना
मिद् —भ्वा॰ उभ॰ <मेदति>, <मेदते>—-—-—झगड़ा
मिद्धम् —नपुं॰—-—-—तन्द्रा, निठल्लापन, सुस्ती
मिद्धम् —नपुं॰—-—-—जड़ता, निद्रालुता, मन्दता
मिन्द् —भ्वा॰ चुरा॰ पर॰ <मिन्दति>, <मिन्दयति>—-—-—सहकारी बनना
मिन्द् —भ्वा॰ चुरा॰ पर॰ <मिन्दति>, <मिन्दयति>—-—-—एकत्र मिलाना, मैथुन करना, जोड़ा बनाना
मिन्द् —भ्वा॰ चुरा॰ पर॰ <मिन्दति>, <मिन्दयति>—-—-—चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना, प्रहार करना, वध करना
मिन्द् —भ्वा॰ चुरा॰ पर॰ <मिन्दति>, <मिन्दयति>—-—-—समझना, प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करना, जानना
मिन्द् —भ्वा॰ चुरा॰ पर॰ <मिन्दति>, <मिन्दयति>—-—-—झगड़ा
मिन्व् —भ्वा॰पर॰<मिन्वति>—-—-—छिड़कना,तर करना
मिन्व् —भ्वा॰पर॰<मिन्वति>—-—-—सम्मान करना, पूजा करना
मिल् —तुदा॰ उभ॰ <मिलति>, <मिलते>, सामान्यतः <मिलति>, <मिलित>—-—-—सम्मिलित होना, मिलना, साथ होना
मिल् —तुदा॰ उभ॰ <मिलति>, <मिलते>, सामान्यतः <मिलति>, <मिलित>—-—-—आना या परस्पर मिलना, सम्मिलित होना, इकट्ठे होना, एकत्र होना
मिल् —तुदा॰ उभ॰ <मिलति>, <मिलते>, सामान्यतः <मिलति>, <मिलित>—-—-—मिश्रित होना, मिलना, संपर्क में आना
मिल् —तुदा॰ उभ॰ <मिलति>, <मिलते>, सामान्यतः <मिलति>, <मिलित>—-—-—मिलना मुकाबला करना, सघन होना, सटना
मिल् —तुदा॰ उभ॰ <मिलति>, <मिलते>, सामान्यतः <मिलति>, <मिलित>—-—-—घटित होना, होना
मिल् —तुदा॰ उभ॰ <मिलति>, <मिलते>, सामान्यतः <मिलति>, <मिलित>—-—-—मिलना, साथ आ पड़ना
मिल् —पुं॰—-—-—एकत्र लाना, इकट्ठे होना, सम्मेलन बुलाना
मिलनम् —नपुं॰—-—-—सम्मिलित होना, मिलना, एक स्थान पर एकत्र होना
मिलनम् —नपुं॰—-—-—मुकाबला करना
मिलनम् —नपुं॰—-—-—सम्पर्क, मिश्रित होना, संपर्क में आना
मिलित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—एक स्थान पर आया हुआ, एकत्र हुआ, मुकाबला किया गया, मिश्रित
मिलित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—मिला हुआ, मूठभेड़ हुई
मिलित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—मिश्रित
मिलित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—एक स्थान पर रखे हुए, सबको ग्रहण किया हुआ
मिलिन्दः —पुं॰—-—-—मधुमक्खी, भौंरा
मिलिन्दकः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का साँप
मिश् —भ्वा॰ पर॰ <मेशति>—-—-—शोर करना, कोलाहल करना
मिश् —भ्वा॰ पर॰ <मेशति>—-—-—क्रुद्ध होना
मिश्र् —चुरा॰ उभ॰ <मिश्रयति>, <मिश्रयते>—-—-—मिलाना, गड्डमड्ड करना, जोड़ना, घोलना, संयुक्त करना, बढाना
मिश्र —वि॰—-—-—मिला हुआ, घोला हुआ, गड्डमड्ड किया हुआ, मिलाया हुआ
मिश्र —वि॰—-—-—साथ लगा हुआ, संयुक्त
मिश्र —वि॰—-—-—बहुविध, नाना प्रकार का
मिश्र —वि॰—-—-—उलझा हुआ, अन्तर्वलित
मिश्र —वि॰—-—-—मिश्रणसमेत, अधिकांशतः युक्त
मिश्रः —पुं॰—-—-—आदरणीय या योग्य व्यक्ति
मिश्रः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का हाथी
मिश्रम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार की मूली, शलजम
मिश्रजः —पुं॰—मिश्र-जः—-—खच्चर
मिश्रवर्ण —वि॰—मिश्र-वर्ण—-—मिश्रित रंग का
मिश्रवर्णम् —नपुं॰—मिश्र-वर्णम्—-—एक प्रकार की काली अगर की लकड़ी
मिश्रशब्दः —पुं॰—मिश्र-शब्दः—-—खच्चर
मिश्रक —वि॰—-—-—मिश्रित, गड्डमड्ड किया हुआ
मिश्रकः —पुं॰—-—-—व्यापारिक वस्तुओं में मिलावट करने वाला
मिश्रकम् —नपुं॰—-—-—खारी मिट्टी से पैदा किया गया नमक
मिश्रणम् —नपुं॰—-—-—मिलाना, घोलना, संयुक्त करना
मिश्रित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—मिला हुआ, घुला हुआ, संयुक्त
मिश्रित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—बढाया हुआ
मिश्रित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—आदरणीय
मिष् —तुदा॰ पर॰ <मिषति>—-—-—आंख खोलना, झपकना
मिष् —तुदा॰ पर॰ <मिषति>—-—-—देखना, विवशतापूर्वक देखना
मिष् —तुदा॰ पर॰ <मिषति>—-—-—प्रतिद्वंद्विता करना, होड़ लेना, प्रतिस्पर्धा करना
उन्मिष् —तुदा॰ पर॰—उद्-मिष्—-—आखें खोलना
उन्मिष् —तुदा॰ पर॰—उद्-मिष्—-—खोलना
उन्मिष् —तुदा॰ पर॰—उद्-मिष्—-—खुलना, खिलना, फुल्लित होना
उन्मिष् —तुदा॰ पर॰—उद्-मिष्—-—उदय होना
उन्मिष् —तुदा॰ पर॰—उद्-मिष्—-—चमकाना, जगमगाना
निमिष् —तुदा॰ पर॰—नि-मिष्—-—आखें मूंदना
मिष् —भ्वा॰ पर॰ <मेषति>—-—-—आर्द्र करना, तर करना, छिड़कना
मिषः —पुं॰—-—-—प्रतिस्पर्धा, प्रतिद्वंद्विता
मिषम् —नपुं॰—-—-—बहाना, छद्मवेष, धोखा, दांवपेंच, जालसाजी, झूठा आभास
मिष्ट —वि॰—-—-—स्वादिष्ट, मजेदार
मिष्ट —वि॰—-—-—तर किया हुआ, गीला किया हुआ
मिष्टम् —नपुं॰—-—-—मिष्ठान्न, मिठाई
मिह् —भ्वा॰ पर॰ <मेहति>, <मीढ>—-—-—मूत्रोत्सर्ग करना
मिह् —भ्वा॰ पर॰ <मेहति>, <मीढ>—-—-—गीला करना, तर करना, छिड़कना
मिह् —भ्वा॰ पर॰ <मेहति>, <मीढ>—-—-—वीर्यपात करना
मिहिका —स्त्री॰—-—-—पाला, हिम
मिहिरः —पुं॰—-—-—हवा, वायु
मिहिरः —पुं॰—-—-—बूढा आदमी
मिहिराणः —पुं॰—-—-—शिव का विशेषण
मी —क्रया॰ उभ॰ <मिनाति>, <मीनीते>—-—-—मार डालना, विनाश करना, चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना
मी —क्रया॰ उभ॰ <मिनाति>, <मीनीते>—-—-—घटना, कम करना
मी —क्रया॰ उभ॰ <मिनाति>, <मीनीते>—-—-—बदलना, परिवर्तित करना
मी —क्रया॰ उभ॰ <मिनाति>, <मीनीते>—-—-—अतिक्रमण करना, उल्लंघन करना
मी —भ्वा॰ पर॰ चुरा॰ उभ॰ <मयति>, <माययति>, <माययते>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
मी —भ्वा॰ पर॰ चुरा॰ उभ॰ <मयति>, <माययति>, <माययते>—-—-—जानना, समझना
मी —चुरा॰ आ॰ <मीयते>—-—-—मरना, नष्ट होना
मीढ —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—मूत्रोत्सृष्टि, पेशाब किया गया
मीढ —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—बहाया गया
मीढुष्टमः —पुं॰—-—-—शिव का विशेषण
मीढ्वस् —पुं॰—-—-—शिव का विशेषण
मीनः —पुं॰—-—-—बारहवीं अर्थात् मीन राशि
मीनः —पुं॰—-—-—विष्णु का पहला अवतार
मीनाण्डम् —नपुं॰—मीन-अण्डम्—-—मछली का अंडा, मछली के अंडो का समूह
मीनाघातिन् —वि॰—मीन-आघातिन्—-—मछुवा
मीनाघातिन् —पुं॰—मीन-आघातिन्—-—सारस
मीनघातिन् —पुं॰—मीन-घातिन्—-—मछुवा
मीनघातिन् —पुं॰—मीन-घातिन्—-—सारस
मीनालयः —पुं॰—मीन-आलयः—-—समुद्र
मीनकेतनः —पुं॰—मीन-केतनः—-—कामदेव
मीनगन्धा —स्त्री॰—मीन-गन्धा—-—सत्यवती का विशेषण
मीनगन्धिका —स्त्री॰—मीन-गन्धिका—-—जोहड़, पल्वल
मीनरङ्कः —पुं॰—मीन-रङ्कः—-—रामचिरैया, बहरी
मीनरङ्गः —पुं॰—मीन-रङ्गः—-—रामचिरैया, बहरी
मीनरः —पुं॰—-—-—मगरमच्छ नाम का समुद्री-दानव
मीम् —भ्वा॰ पर॰ <मीमति> —-—-—जाना, हिलना-जुलना
मीम् —भ्वा॰ पर॰ <मीमति> —-—-—शब्द करना
मीमांसकः —पुं॰—-—-—जो अनुसंधान करता है, पूछताछ करता है, अनुसंधानकर्ता, परीक्षक
मीमांसकः —पुं॰—-—-—मीमांसादर्शनशास्त्र का अनुयायी
मीमांसनम् —नपुं॰—-—-—अनुसंधान, परीक्षण, पूछताछ
मीमांसा —स्त्री॰—-—-—गहन विचार, पूछताछ, परीक्षण, अनुसंधान
मीमांसा —स्त्री॰—-—-—भारत के छः मुख्य दर्शनशास्त्रों में से एक
मील् —भ्वा॰ पर॰ <मीलति>, <मीलित>—-—-—आँखें मूंदना, पलकों को बन्द करना, आँख झपकाना, झपकी
मील् —भ्वा॰ पर॰ <मीलति>, <मीलित>—-—-—मूंदना, मुदना या बन्द होना
मील् —भ्वा॰ पर॰ <मीलति>, <मीलित>—-—-—मूर्झाना, अन्तर्धान होना, नष्ट होना
मील् —भ्वा॰ पर॰ <मीलति>, <मीलित>—-—-—मिलना एकत्र होना
मील् —भ्वा॰ पर॰प्रेर॰<मीलयति>,<मीलयते>—-—-—बन्द करवाना, मुंदवाना, बन्द करना
आमील् —भ्वा॰ पर॰प्रेर॰<मीलयति>,<मीलयते>—आ-मील्—-—बन्द करना
उन्मील् —भ्वा॰ पर॰ —उद्-मील्—-—आंखे खोलना
उन्मील् —भ्वा॰ पर॰ —उद्-मील्—-—जगाया जाना, उद्बुद्ध किया जाना
उन्मील् —भ्वा॰ पर॰ —उद्-मील्—-—फूलाना, फूंक मारना
उन्मील् —भ्वा॰ पर॰ —उद्-मील्—-—प्रसृत किया जाना, फैलाया जाना, गुच्छे बनना, झुण्ड हो जाना
उन्मील् —भ्वा॰ पर॰ —उद्-मील्—-—दिखाई देना, अंकुर फूटना
उन्मील् —भ्वा॰ पर॰प्रेर॰—उद्-मील्—-—खुलना
निमील् —भ्वा॰ पर॰ —नि-मील्—-—आंखे मूंदना
निमील् —भ्वा॰ पर॰ —नि-मील्—-—मृत्यु के कारण आँखें मुंदना, मरना
निमील् —भ्वा॰ पर॰ —नि-मील्—-—मुंदना या बन्द होना
निमील् —भ्वा॰ पर॰ —नि-मील्—-—ओझल होना, नष्ट होना, अस्त होना
निमील् —भ्वा॰ पर॰प्रेर॰—नि-मील्—-—बन्द करना, मूंदना
सम्मील् —भ्वा॰ पर॰ —सम्-मील्—-—बन्द होना, मुंदना
सम्मील् —भ्वा॰ पर॰प्रेर॰—सम्-मील्—-—बन्द करना या मूंदना
सम्मील् —भ्वा॰ पर॰प्रेर॰—सम्-मील्—-—मलिन करना, अंधेरा करना, धुंधला करना
मलिनम् —नपुं॰—-—-—आँखों का मुंदना, झपकना, झपकी लेना
मलिनम् —नपुं॰—-—-—आँखों का मूंदना
मलिनम् —नपुं॰—-—-—फूल का बन्द होना
मीलित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—बन्द, मुंदा हुआ
मीलित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—झपकी हुई
मीलित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—अधखुला, बिना खुला
मीलित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—नष्ट हुआ, ओझल
मीलितम् —नपुं॰—-—-—एक अलंकार जिनके बीच का अन्तर या भेद उनकी प्राकृतिक या कृत्रिम समानता के कारण पूर्णरुप से अस्पष्ट रहता है, मम्मट इसकी परिभाषा करता है-
मीव् —भ्वा॰ पर॰ <मीवति>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
मीव् —भ्वा॰ पर॰ <मीवति>—-—-—मोटा होना
मीवरः —पुं॰—-—-—सेना का नायक, सेनाध्यक्ष
मीवा —स्त्री॰—-—मी + वन्—पट्टकृम, अंत्रकीट, केंचुआ
मुः —पुं॰—-—मुच् + डु—शिव का विशेषण
मुकुः —पुं॰—-—मुच् + कु, पृषो॰—मुक्ति, छूटकारा, विशेषतः मोक्ष
मुकुटम् —नपुं॰—-—मंक् + उटन्, पृषो॰—ताज, किरीट, राजमुकुट
मुकुटम् —नपुं॰—-—-—शिखर, नोक या सिरा
मुकुटी —स्त्री॰—-—मुकुट + ङीष्—अंगुलियाँ चटकाना
मुकुन्दः —पुं॰—-—मुकुम् दाति दा + क पृषो॰ मुम्—विष्णु या कृष्णब् का नाम
मुकुन्दः —पुं॰—-—-—मूल्यवान पत्थर या रत्न
मुकुन्दः —पुं॰—-—-—कुबेर की नौ निधियों में से एक
मुकुन्दः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का ढोल
मुकुरः —पुं॰—-—मक् + उरच्, उत्वम्—मुँह देखने का शीशा
मुकुरः —पुं॰—-—-—कुम्हार के चाक का डंडा
मुकुरः —पुं॰—-—-—मौलसिरी का पेड़
मुकुलः —पुं॰—-—मुंच् + उलक्—कली
मुकुलः —पुं॰—-—-—कली जैसी कोई वस्तु
मुकुलः —पुं॰—-—-—आत्मा, जीव
मुकुलम् —नपुं॰—-—मुंच् + उलक्—कली
मुकुलम् —नपुं॰—-—-—कली जैसी कोई वस्तु
मुकुलम् —नपुं॰—-—-—आत्मा, जीव
मुकुलीकृ ——-—-—कली की भांति मुंदना
मुकुलित —वि॰—-—मुकुल + इतच्—कलियों से युक्त, कलीदार, फूल
मुकुलित —वि॰—-—-—अधमुंदा, आधाबंद
मुकुष्ठः —पुं॰—-—मुकु + स्था + क—एक प्रकार का लोबिया, मोठ
मुकुष्ठकः —पुं॰—-—मुकुष्ठ + कन्—एक प्रकार का लोबिया, मोठ
मुक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—मुच् + क्त—ढीला किया हुआ, शिथिलित, मंद या धीमा किया हुआ
मुक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—स्वतंत्र छोड़ा हुआ, आजाद किया हुआ, विश्राम दिया हुआ
मुक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—परित्यक्त छोड़ा हुआ, त्यागा हुआ, एक ओर फेंका हुआ, उतार दिया हुआ
मुक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—फेंका हुआ, डाला हुआ, कार्यमुक्त किया हुआ, ढकेला हुआ
मुक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—गिरा हुआ, अवपतित
मुक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—म्लान, अवसन्न
मुक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—निकाला हुआ, उत्सृष्ट
मुक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—मोक्ष प्राप्त किया हुआ
मुक्तः —पुं॰—-—-—जो सांसारिक जीवन के बन्धनों से मुक्ति पा चुका है, जिसने सांसारिक आसक्तियों को त्याग कर पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर लिया है, अपमुक्त संत
मु्क्ताम्बरः —पुं॰—मुक्त-अम्बरः—-—दिगंबर संप्रदाय का जन साधु
मुक्तात्मन् —वि॰—मुक्त-आत्मन्—-—जिसने मोक्ष प्राप्त कर लिया है
मु्क्तात्मन् —पुं॰—मुक्त-आत्मन्—-—सांसारिक वासनाओं और पापों से मुक्त आत्मा
मु्क्तात्मन् —पुं॰—मुक्त-आत्मन्—-—वह व्यक्ति जिसकी अपमुक्त हो गई है
मुक्तासन —वि॰—मुक्त-आसन—-—अपने आसन से उठा हुआ
मुक्तकच्छः —पुं॰—मुक्त-कच्छः—-—बौद्ध
मुक्तकञ्चुकः —पुं॰—मुक्त-कञ्चुकः—-—वह साँप जिसने अपनी केंचुली उतार दी है
मुक्तकण्ठ —वि॰—मुक्त-कण्ठ—-—दुहाई मचाने वाला
मुक्तकण्ठम् —अव्य॰—मुक्त-कण्ठम्—-—फूट फूटकर, ऊँचे स्वर से, जोर से
मुक्तकर —वि॰—मुक्त-कर—-—उदार, खुले हाथ वाला, दानी
मु्क्तहस्त —वि॰—मुक्त-हस्त—-—उदार, खुले हाथ वाला, दानी
मुक्तचक्षुस् —पुं॰—मुक्त-चक्षुस्—-—सिंह
मुक्तवसन —वि॰—मुक्त-वसन—-—दिगंबर संप्रदाय का जन साधु
मुक्तकम् —नपुं॰—-—मुक्त + कन्—अस्त्र आयुधास्त्र
मुक्तकम् —नपुं॰—-—-—सरल गद्य
मुक्तकम् —नपुं॰—-—-—एक पृथक्कृत श्लोक जिसका अर्थ स्वयं अपने में पूर्ण हो
मुक्ता —स्त्री॰—-—मुक्त + टाप्—मोती
मुक्ता —स्त्री॰—-—-—वेश्यागणिका
मु्क्तागारः —पुं॰—मुक्ता-अगारः—-—मोती का घोंघा
मु्क्तागारः —पुं॰—मुक्ता-आगारः—-—मोती का घोंघा
मु्क्तावलिः —स्त्री॰—मुक्ता-आवलिः—-—मोतियों का हार
मु्क्तावली —स्त्री॰—मुक्ता-आवली—-—मोतियों का हार
मु्क्ताकलापः —पुं॰—मुक्ता-कलापः—-—मोतियों का हार
मु्क्तागुणः —पुं॰—मुक्ता-गुणः—-—मोतियों का हार, मोतियों की लड़ी
मु्क्ताजालम् —नपुं॰—मुक्ता-जालम्—-—मोतियों की लड़ी या करधनी
मु्क्तादामन् —नपुं॰—मुक्ता-दामन्—-—मोतियों की लड़ी
मु्क्तापुष्पः —पुं॰—मुक्ता-पुष्पः—-—एक प्रकार की चमेली
मु्क्ताप्रसूः —स्त्री॰—मुक्ता-प्रसूः—-—मोती की शुक्ति
मु्क्ताप्रालम्बः —पुं॰—मुक्ता-प्रालम्बः—-—मोतियों की लड़ी
मु्क्ताफलम् —नपुं॰—मुक्ता-फलम्—-—मोती
मु्क्ताफलम् —नपुं॰—मुक्ता-फलम्—-—एल प्रकार का फूल
मु्क्ताफलम् —नपुं॰—मुक्ता-फलम्—-—सीताफल या कुम्हड़ा
मु्क्ताफलम् —नपुं॰—मुक्ता-फलम्—-—कपूर
मु्क्तामणिः —पुं॰—मुक्ता-मणिः—-—मोती
मु्क्तामातृ —स्त्री॰—मुक्ता-मातृ—-—मोती का घोंघा
मु्क्तालता —स्त्री॰—मुक्ता-लता—-—मोतियों की माला
मु्क्तास्रज् —स्त्री॰—मुक्ता-स्रज्—-—मोतियों की माला
मु्क्ताहारः —पुं॰—मुक्ता-हारः—-—मोतियों की माला
मु्क्ताशुक्तिः —पुं॰—मुक्ता-शुक्तिः—-—वह घोंघा या सीपी जिसमें से मोती निकलते हैं
मु्क्तास्फोटः —पुं॰—मुक्ता-स्फोटः—-—वह घोंघा या सीपी जिसमें से मोती निकलते हैं
मुक्तिः —स्त्री॰—-—मुच् + क्तिन्—छुटकारा, निस्तार, उन्मोचन
मुक्तिः —स्त्री॰—-—-—स्वातंत्र्य, उद्धार
मुक्तिः —स्त्री॰—-—-—मोक्ष, आवागमन के चक्र से आत्मा का मोचन
मुक्तिः —स्त्री॰—-—-—छोड़ना, त्याग, परित्याग, टालना
मुक्तिः —स्त्री॰—-—-—फेंकना, गिरा देना, छोड़ देना, मुक्त करना
मुक्तिः —स्त्री॰—-—-—आजाद करना, खोलना
मुक्तिः —स्त्री॰—-—-—ऋण मुक्त करना, ऋण परिशोध करना
मु्क्तिक्षेत्रम् —नपुं॰—मुक्तिः-क्षेत्रम्—-—वाराणसी का विशेषण
मु्क्तिमार्गः —पुं॰—मुक्तिः-मार्गः—-—मोक्ष का रास्ता
मु्क्तिमुक्तः —पुं॰—मुक्तिः-मुक्तः—-—लोबान
मुक्त्त्वा —अव्य॰—-—मुच् + क्त्त्वा—छोड़कर, परित्याग करके
मुक्त्त्वा —अव्य॰—-—-—सिवाय, छोड़कर, बिना
मुखम् —नपुं॰—-—खन् + अच्, डित् धातोः पूर्व मुट् च—मुँह
मुखम् —नपुं॰—-—-—चेहरा, मुखमण्डल
मुखम् —नपुं॰—-—-—थूथन, थूथनी या मोहरी
मुखम् —नपुं॰—-—-—अग्रभाग, हरावल, पुरोभाग
मुखम् —नपुं॰—-—-—किनारा, नोक, फल, प्रमुख
मुखम् —नपुं॰—-—-—की धार या तीक्ष्ण नोक
मुखम् —नपुं॰—-—-—चूचुक, स्तनाग्र
मुखम् —नपुं॰—-—-—पक्षी की चोंच
मुखम् —नपुं॰—-—-—दिशा, तरफ
मुखम् —नपुं॰—-—-—विवर, द्वार, मुँह
मुखम् —नपुं॰—-—-—प्रवेश द्वार, दरवाजा, गमन मार्ग
मुखम् —नपुं॰—-—-—आरंभ, शुरु
मुखम् —नपुं॰—-—-—प्रस्तावना
मुखम् —नपुं॰—-—-— मुख्य, प्रधान, प्रमुख
मुखम् —नपुं॰—-—-—सतह, उपरी पार्श्व
मुखम् —नपुं॰—-—-—स्रोत, जन्मस्थान, उत्पत्ति
मुखम् —नपुं॰—-—-—वेद, श्रुति
मुखम् —नपुं॰—-—-—नाटक में अभिनयादि कर्म का मूलस्रोत, एक संधि
मुखाग्निः —पुं॰—मुखम्-अग्निः—-—दावानल
मुखाग्निः —पुं॰—मुखम्-अग्निः—-—आग के मुख वाला बेताल
मुखाग्निः —पुं॰—मुखम्-अग्निः—-—अभिमन्त्रित या यज्ञीय अग्नि
मुखाग्निः —पुं॰—मुखम्-अग्निः—-—चिता में अग्न्याधान के अवसर पर शव के मुख पर रखी जाने वाली आग
मुखानिलः —पुं॰—मुखम्-अनिलः—-—सांस
मुखोच्छवासः —पुं॰—मुखम्-उच्छवासः—-—सांस
मुखास्त्रः —पुं॰—मुखम्-अस्त्रः—-—केकड़ा
मुखाकारः —पुं॰—मुखम्-आकारः—-—चेहरा, मुखछवि, दर्शन
मुखासवः —पुं॰—मुखम्-आसवः—-—अधरामृत
मुखास्रावः —पुं॰—मुखम्-आस्रावः—-—थूक, मुँह की लार
मुखास्रावः —पुं॰—मुखम्-स्रावः—-—थूक, मुँह की लार
मुखेन्दुः —पुं॰—मुखम्-इन्दुः—-—चन्द्रमा जैसा मुँह
मुखोल्का —स्त्री॰—मुखम्-उल्का—-—दावानल
मुखकमलम् —नपुं॰—मुखम्-कमलम्—-—कमल जैसा मुख
मुखखुरः —पुं॰—मुखम्-खुरः—-—दांत
मुखगंधकः —पुं॰—मुखम्-गंधकः—-—प्याज
मुखचपल —वि॰—मुखम्-चपल—-—बातूनी, वाचाल
मुखचपेटिका —स्त्री॰—मुखम्-चपेटिका—-—मुंह पर लगाई जाने वाली चपत
मुखचीरिः —स्त्री॰—मुखम्-चीरिः—-—जिह्वा
मुखजः —पुं॰—मुखम्-जः—-—ब्राह्मण
मुखजाहम् —नपुं॰—मुखम्-जाहम्—-—मुंह की जड़, कण्ठ
मुखदूषणः —पुं॰—मुखम्-दूषणः—-—प्याज
मुखदूषिका —स्त्री॰—मुखम्-दूषिका—-—मुहासा
मुखनिरीक्षकः —पुं॰—मुखम्-निरीक्षकः—-—सुस्त, आलसी, मुंह की ओर ताकने वाला
मुखनिवासिनी —स्त्री॰—मुखम्-निवासिनी—-—सरस्वती का विशेषण
मुखपटः —पुं॰—मुखम्-पटः—-—घूंघट
मु्खपिण्डः —पुं॰—मुखम्-पिण्डः—-—ग्रास
मुखपूरणम् —नपुं॰—मुखम्-पूरणम्—-— मुंह को भरना
मुखपूरणम् —नपुं॰—मुखम्-पूरणम्—-—एक कुल्ला पानी, मुंहभर
मुखप्रसादः —पुं॰—मुखम्-प्रसादः—-—प्रसन्नवदन, मुख की प्रसन्नमुद्रा
मुखप्रियः —पुं॰—मुखम्-प्रियः—-—संतरा
मुखबन्धः —पुं॰—मुखम्-बन्धः—-—भूमिका, प्रस्तावना
मुखबन्धनम् —नपुं॰—मुखम्-बन्धनम्—-—भूमिका
मुखबन्धनम् —नपुं॰—मुखम्-बन्धनम्—-—ढक्कन, आवरण
मुखभूषणम् —नपुं॰—मुखम्-भूषणम्—-—पान लगाना
मुखभेदः —पुं॰—मुखम्-भेदः—-—चेहरे का विकृत हो जाना
मुखमधु —वि॰—मुखम्-मधु—-—मिष्टभाषी, मधुराधर
मुखमार्जनम् —नपुं॰—मुखम्-मार्जनम्—-—मुंह धोना
मुखवन्त्रणम् —नपुं॰—मुखम्-वन्त्रणम्—-—लगाम की मुखरी या वल्गा
मुखरागः —पुं॰—मुखम्-रागः—-—चेहरे का रंग
मुखलाङ्गलः —पुं॰—मुखम्-लाङ्गलः—-—सूअर
मुखलेपः —पुं॰—मुखम्-लेपः—-—उपरी भाग पर लेप करना
मुखलेपः —पुं॰—मुखम्-लेपः—-—कफ प्रकृति वाले पुरुष की एक बीमारी
मुखवल्लभः —पुं॰—मुखम्-वल्लभः—-—अनार का पेड़
मुखवाद्यम् —नपुं॰—मुखम्-वाद्यम्—-—मुंह से बजाये जाने वाला बाजा, फूंक मार कर बजाया जाने वाला बाजा
मुखवाद्यम् —नपुं॰—मुखम्-वाद्यम्—-—मुंह से ‘बम् बम्’ शब्द करना
मुखवासः —पुं॰—मुखम्-वासः—-—श्वास को सुगंधित बनाने वाला एक गन्धद्रव्य
मुखवासनः —पुं॰—मुखम्-वासनः—-—श्वास को सुगंधित बनाने वाला एक गन्धद्रव्य
मुखविलुण्ठिका —स्त्री॰—मुखम्-विलुण्ठिका—-—बकरी
मुखव्यादानम् —नपुं॰—मुखम्-व्यादानम्—-—मुँह फाड़ना, जंभाई लेना
मुखशफ —वि॰—मुखम्-शफ—-—गाली देने वाला, अश्लीलभाषी, बदज़बान
मुखशुद्धिः —स्त्री॰—मुखम्-शुद्धिः—-—मुँह को धोना या निर्मल करना
मुखशेषः —पुं॰—मुखम्-शेषः—-—राहु का विशेषण
मुखशोधन —वि॰—मुखम्-शोधन—-—मुँह को स्वच्छ करने वाला
मुखशोधन —वि॰—मुखम्-शोधन—-—तीक्ष्ण, तीखा
मुखशोधनः —पुं॰—मुखम्-शोधनः—-—चरपराहट, तीखापन
मुखशोधनम् —नपुं॰—मुखम्-शोधनम्—-—मुँह को साफ करना
मुखश्री —स्त्री॰—मुखम्-श्री—-—‘मुख का सौन्दर्य’, प्रिय मुखमुद्रा
मुखसुखम् —नपुं॰—मुखम्-सुखम्—-—उच्चारण की सुविधा, ध्वन्यात्मक सुख
मुखसुरम् —नपुं॰—मुखम्-सुरम्—-—होठों की तरावट
मुखम्पचः —पुं॰—-—मुख + पच् + खच्, मुम्—भिखारी, साधु
मुखर —वि॰—-—मुखंव्यापारं कथनं राति - रा + क—बातूनी, वाचाल, वाक्पटु
मुखर —वि॰—-—-—कोलाहलमय, लगातार शब्द करने वाला, टनटन बजने वाला, रुनझुन करने वाला
मुखर —वि॰—-—-—ध्वननशील, अनुनादी, गूंजने वाला
मुखर —वि॰—-—-—अभिव्यंजक या सूचक
मुखर —वि॰—-—-—अश्लीलभाषी, गाली देने वाला, वदजबान
मुखर —वि॰—-—-—उपहास करने वाला, हँसी दिल्लगी करने वाला
मुखरीकृ ——-—-—शब्द करवाना, बुलवाना, प्रतिध्वनित करवाना
मुखरः —पुं॰—-—-—नेता मुख्य या प्रधान पुरुष
मुखरय —ना॰ धा॰ पर॰ <मुखरयति> —-—-—प्रतिध्वनित या कोलाहलमय करना, गुंजाना
मुखरय —ना॰ धा॰ पर॰ <मुखरयति> —-—-—बुलवाना या बातें करवाना
मुखरय —ना॰ धा॰ पर॰ <मुखरयति> —-—-—अधिसूचित करना, घोषणा करना, अभिज्ञापन करना
मुखरिका —स्त्री॰—-—मुखर + कन् टाप्, इत्वम्—लगाम की वल्गा, लगाम का दहाना
मुखरी —स्त्री॰—-—मुखर + ङीष्—लगाम की वल्गा, लगाम का दहाना
मुखरित —वि॰—-—मुखर + इतचू—कोलाहलमय या अनुनादित किया हुआ, बजता हुआ, कोलाहलपूर्ण
मुख्य —वि॰—-—मुखे आदौ भवः - यत्—मुख या चेहरे से संबंध रखने वाला
मुख्य —वि॰—-—-—बड़ा, प्रधान, प्रमुख, प्रथम, सर्व प्रधान, उत्तम, द्विजातिमुख्यः, वारमुख्याः, योधमुख्याः आदि
मुख्यः —पुं॰—-—-—नेता, पथप्रदर्शक
मुख्यम् —नपुं॰—-—-—प्रधान यज्ञकृत्य या धार्मिक संस्कार
मुख्यम् —नपुं॰—-—-—वेदों का पठनपाठन
मुख्यार्थः —पुं॰—मुख्य-अर्थः—-—शब्द का मुख्य या मूल आशय
मुख्यचान्द्रः —पुं॰—मुख्य-चान्द्रः—-—मुख्य चांद्र मास
मुख्यनृपः —पुं॰—मुख्य-नृपः—-—प्रभूसत्ताप्राप्त राजा, सर्वोपरि प्रभु
मुख्यनृपतिः —पुं॰—मुख्य-नृपतिः—-—प्रभूसत्ताप्राप्त राजा, सर्वोपरि प्रभु
मुख्यमन्त्रिन् —पुं॰—मुख्य-मन्त्रिन्—-—प्रधान मंत्री
मुगूहः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का जल कुक्कुट
मुग्ध —वि॰—-—मुह् + क्त—जड़ीकृत, मूर्छित
मुग्ध —वि॰—-—-—हतबुद्धि, प्रणयोन्मत्त
मुग्ध —वि॰—-—-—मूढ़, अज्ञानी, मूर्ख, जड़
मुग्ध —वि॰—-—-—स्रल, सीधासादा, भोला-भाला
मुग्ध —वि॰—-—-—भूल करने वाला, भूल में पड़ा हुआ
मुग्ध —वि॰—-—-—बालोचित सरलता से मोहित करने वाला, बालसुलभ
मुग्ध —वि॰—-—-—सुन्दर, प्रिय, मनोहर, कांत
मुग्धा —स्त्री॰—-—-—कुमारी सुलभ भोलेपन से आकर्षक किशोरी, सुन्दर तरुणी
मुग्धाक्षी —स्त्री॰—मुग्ध-अक्षी—-—सुन्दर आँखों वाली युवती
मुग्धानना —स्त्री॰—मुग्ध-आनना—-—सुन्दर मुख वाली
मुग्धधी —स्त्री॰—मुग्ध-धी—-—मूर्ख, मूढ़, जड़, भोला-भाला
मुग्धबुद्धि —स्त्री॰—मुग्ध-बुद्धि—-—मूर्ख, मूढ़, जड़, भोला-भाला
मुग्धमति —वि॰—मुग्ध-मति—-—मूर्ख, मूढ़, जड़, भोला-भाला
मुग्धभावः —पुं॰—मुग्ध-भावः—-—सादगी, भोलापन
मुच् —भ्वा॰ आ॰ <मोचते>—-—-— धोखा देना, ठगना
मुच् —तुदा॰ उभ॰ <मुञ्चति>, <मुञ्चते>, <मुक्त>—-—-— शिथिल करना, मुक्त करना, छोड़ना, जाने देना, ढीला होने देना, स्वतंत्र करना, छुटकारा करना
मुच् —तुदा॰ उभ॰ <मुञ्चति>, <मुञ्चते>, <मुक्त>—-—-—आजाद करना, ढीला छोड़ना
मुच् —तुदा॰ उभ॰ <मुञ्चति>, <मुञ्चते>, <मुक्त>—-—-—छोड़ना, परित्याग करना, उन्मुक्त करना, छोड़ देना, एक ओर डाल देना, उत्सर्ग करना
मुच् —तुदा॰ उभ॰ <मुञ्चति>, <मुञ्चते>, <मुक्त>—-—-—अलग रखना, अपहरण करना, अलगाना
मुच् —तुदा॰ उभ॰ <मुञ्चति>, <मुञ्चते>, <मुक्त>—-—-—डालना, फेंकना, उछाल देना, पटक देना, बोझा उतारना
मुच् —तुदा॰ उभ॰ <मुञ्चति>, <मुञ्चते>, <मुक्त>—-—-—निकालना, गिराना, उडेलना, टपकाना, ढलकाना
मुच् —तुदा॰ उभ॰ <मुञ्चति>, <मुञ्चते>, <मुक्त>—-—-—उच्चारण करना, बोलना
मुच् —तुदा॰ उभ॰ <मुञ्चति>, <मुञ्चते>, <मुक्त>—-—-—प्रदान करना, अनुदान देना, अर्पण करना
मुच् —तुदा॰ उभ॰ <मुञ्चति>, <मुञ्चते>, <मुक्त>—-—-—पहनना
मुच् —तुदा॰ उभ॰ <मुञ्चति>, <मुञ्चते>, <मुक्त>—-—-—उत्सर्ग करना
मुच् —कर्मवा॰ <मुच्यते>—-—-—ढीला किया जाना, छुटकारा पाना, स्वतंत्र होना, दोषमुक्त होना
मुच् —तुदा॰ उभ॰प्रेर॰<मोचयति>,<मोचयते>—-—-—स्वतंत्र या मुक्त कराना
मुच् —तुदा॰ उभ॰प्रेर॰<मोचयति>,<मोचयते>—-—-—गिरवाना
मुच् —तुदा॰ उभ॰प्रेर॰<मोचयति>,<मोचयते>—-—-—ढीला छोड़ना, आजाद करना, छुटकारा देना
मुच् —तुदा॰ उभ॰प्रेर॰<मोचयति>,<मोचयते>—-—-—उद्धार करना, सुलझाना
मुच् —तुदा॰ उभ॰प्रेर॰<मोचयति>,<मोचयते>—-—-—जुआ हटाना, साज उतारना
मुच् —तुदा॰ उभ॰प्रेर॰<मोचयति>,<मोचयते>—-—-—प्रदान करना, अर्पण करना
मुच् —तुदा॰ उभ॰प्रेर॰<मोचयति>,<मोचयते>—-—-—प्रसन्न करना, आनन्दित करना
मुच् —तुदा॰ उभ॰, इच्छा॰ <मुमुक्षति>—-—-—मुक्त या स्वतंत्र करने की इच्छा करना
मुच् —तुदा॰ उभ॰, इच्छा॰ <मुमुक्षति>—-—-—मोक्ष प्राप्त करने की इच्छा करना
अवमुच् —तुदा॰ उभ॰—अव-मुच्—-—उतार देना, उड़ा देना
आमुच् —तुदा॰ उभ॰—आ-मुच्—-—पहनना, धारण करना, चारों ओर बांधना या कसना
आमुच् —तुदा॰ उभ॰—आ-मुच्—-—डालना, फेंकना, दागना
उन्मुच् —तुदा॰ उभ॰—उद्-मुच्—-—खोलना
उन्मुच् —तुदा॰ उभ॰—उद्-मुच्—-—ढीला करना, मुक्त करना, स्वतंत्र करना
उन्मुच् —तुदा॰ उभ॰—उद्-मुच्—-—उतारना, खींच ले जाना, एक ओर करना, छोड़ना, परित्याग करना
निर्मुच् —तुदा॰ उभ॰—निस्-मुच्—-—स्वतंत्र करना, आजाद करना, मुक्त करना
निर्मुच् —तुदा॰ उभ॰—निस्-मुच्—-—छोड़ना, खाली कर देना, परित्याग करना
परिमुच् —तुदा॰ उभ॰—परि-मुच्—-—स्वतंत्र करना, छुटकारा देना, मुक्त करना
परिमुच् —तुदा॰ उभ॰—परि-मुच्—-—छोड़ना, खाली कर देना, परित्याग करना
प्रमुच् —तुदा॰ उभ॰—प्र-मुच्—-—स्वतंत्र करना, मुक्त करना, छुटकारा देना
प्रमुच् —तुदा॰ उभ॰—प्र-मुच्—-—फेंकना, डालना, उछालना
प्रमुच् —तुदा॰ उभ॰—प्र-मुच्—-—गिराना, उत्सर्ज करना, बीज बिखेरना
प्रतिमुच् —तुदा॰ उभ॰—प्रति-मुच्—-—स्वतंत्र करना, मुक्त करना, छुटकारा देना, आजाद करना
प्रतिमुच् —तुदा॰ उभ॰—प्रति-मुच्—-—धारण करना, पहनना
प्रतिमुच् —तुदा॰ उभ॰—प्रति-मुच्—-—खाली कर देना, छोड़ना, परित्याग करना
प्रतिमुच् —तुदा॰ उभ॰—प्रति-मुच्—-—फेंकना, डालना, दागना
विमुच् —तुदा॰ उभ॰—वि-मुच्—-—स्वतंत्र करना, मुक्त करना
विमुच् —तुदा॰ उभ॰—वि-मुच्—-—छोड़ देना, एक ओर डाल देना, परित्याग करना, खाली कर देना
विमुच् —तुदा॰ उभ॰—वि-मुच्—-—जाने देना, ढील देना
विमुच् —तुदा॰ उभ॰—वि-मुच्—-—अलगाना, अलग रखना
विमुच् —तुदा॰ उभ॰—वि-मुच्—-—गिराना, ढलकाना
विमुच् —तुदा॰ उभ॰—वि-मुच्—-—फेंकना, डालना
सम्मुच् —तुदा॰ उभ॰—सम्-मुच्—-—गिराना, भारमुक्त करना
मुचुकुन्दः —पुं॰—-—-—एक वृक्ष का नाम
मुचुकुन्दः —पुं॰—-—-—मांधाता के पुत्र एक प्राचीन राजा का नाम
मुचकुन्दः —पुं॰—-—-—एक वृक्ष का नाम
मुचकुन्दः —पुं॰—-—-—मांधाता के पुत्र एक प्राचीन राजा का नाम
मुचुकुन्दप्रसादकः —पुं॰—मुचुकुन्दः-प्रसादकः—-—कृष्ण का विशेषण
मुचकुन्दप्रसादकः —पुं॰—मुचकुन्दः-प्रसादकः—-—कृष्ण का विशेषण
मुचिरः —पुं॰—-—मुञ्च् + किरच्—देवता
मुचिलिन्दः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का फूल, तिलपुष्पी
मुचुटी —स्त्री॰—-—-—अंगुलियाँ चटकाना
मुचुटी —स्त्री॰—-—-—मुक्का
मुज् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <भोजति>, <भुञ्जति>, <भोजयति>, <भोजयते>, <भुञ्जयति>, <भुञ्जयते>—-—-—स्वच्छ करना, निर्मल करना
मुज् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <भोजति>, <भुञ्जति>, <भोजयति>, <भोजयते>, <भुञ्जयति>, <भुञ्जयते>—-—-—शब्द करना
मुञ्ज् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <भोजति>, <भुञ्जति>, <भोजयति>, <भोजयते>, <भुञ्जयति>, <भुञ्जयते>—-—-—स्वच्छ करना, निर्मल करना
मुञ्ज् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <भोजति>, <भुञ्जति>, <भोजयति>, <भोजयते>, <भुञ्जयति>, <भुञ्जयते>—-—-—शब्द करना
मुञ्जः —पुं॰—-—मुञ्ज् + अच्—एक प्रकार का घास
मुञ्जः —पुं॰—-—-—धारापति राजा मुञ्ज का नाम
मुञ्जकेशः —पुं॰—मुञ्ज-केशः—-—शिव का विशेषण
मुञ्जकेशः —पुं॰—मुञ्ज-केशः—-—विष्णु का विशेषण
मुञ्जकेशिन् —पुं॰—मुञ्ज-केशिन्—-—विष्णु का विशेषण
मुञ्जबन्धनम् —नपुं॰—मुञ्ज-बन्धनम्—-—यज्ञोपवीत पहनना
मुञ्जवासस् —पुं॰—मुञ्ज-वासस्—-—शिव का विशेषण
मुञ्जरम् —नपुं॰—-—मुञ्ज् + अरन्—कमल की रेशेदार जड़
मुट् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <मोटति>, <मोटयति>, <मोटयते>—-—-—कुचलना, तोड़ना, पीसना, चूरा करना
मुट् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <मोटति>, <मोटयति>, <मोटयते>—-—-—कलंकित करना, बुरा भला कहना
मुण् —तुदा॰ पर॰ <मुणति>—-—-—प्रतिज्ञा करना
मुण्ट् —भ्वा॰ पर॰ <मुण्टति>—-—-—कुचलना, पीसना
मुण्ड् —भ्वा॰ पर॰ <मुण्डति>—-—-—क्षौर कर्म करना, मूंडना
मुण्ड् —भ्वा॰ पर॰ <मुण्डति>—-—-—कुचलना, पीसना
मुण्ड् —भ्वा॰ आ॰ <मुण्डते>—-—-—डूबना
मुण्ड —वि॰—-—मुण्ड + अच्—मुंडा हुआ
मुण्ड —वि॰—-—मुण्ड + अच्—कतरा हुआ, छांटा हुआ
मुण्ड —वि॰—-—मुण्ड + अच्—कुण्डित
मुण्ड —वि॰—-—मुण्ड + अच्—अधम, नीच
मुण्डः —पुं॰—-—मुण्ड + अच्—जिसका सिर मुंडा हुआ हो या गंजा हो
मुण्डः —पुं॰—-—मुण्ड + अच्—मुंडा हुआ या गंजा सिर
मुण्डः —पुं॰—-—मुण्ड + अच्—मस्तक
मुण्डः —पुं॰—-—मुण्ड + अच्—नाई
मुण्डः —पुं॰—-—मुण्ड + अच्—पेड़ का तना जिसकी ऊँची ऊँची शाखाएँ झांग दी गई हो
मुण्डा —स्त्री॰—-—मुण्ड + अच्+टाप्—किसी विशेष आश्रम की स्त्रीभिक्षुणी
मुण्डम् —नपुं॰—-—मुण्ड + अच्—सिर
मुण्डम् —नपुं॰—-—मुण्ड + अच्—लोहा
मुण्डायसम् —नपुं॰—मुण्ड-अयसम्—-—लोहा
मुण्डफलः —पुं॰—मुण्ड-फलः—-—नारियल का पेड़
मुण्डमण्डली —स्त्री॰—मुण्ड-मण्डली—-—ऐसा जनसमूह जिनके सिर मुंडे हुए हों
मुण्डलोहम् —नपुं॰—मुण्ड-लोहम्—-—लोहा
मुण्डशालिः —पुं॰—मुण्ड-शालिः—-—एक प्रकार का चावल
मुण्डकः —नपुं॰—-—मुण्ड - कन्—नाई
मुण्डकः —पुं॰—-—-—पेड़ का तना जिसकी बड़ी बडी शाखाएँ झांग दी गई हो, ठूंठ
मुण्डकोपनिषद् —स्त्री॰—मुण्डक-उपनिषद्—-—अथर्ववेद की एक उपनिषद का नाम
मुण्डनम् —नपुं॰—-—मुण्ड् + ल्युट्—सिर, मूंडना, मुंडन
मुण्डित —भू॰ क॰ कृ॰—-—मुण्ड् + क्त—मुंडा हुआ
मुण्डित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—कतरा हुआ या छांटा हुआ, झांगा हुआ
मुण्डिन् —पुं॰—-—मुण्ड् + इनि—नाई
मुण्डिन् —पुं॰—-—-—शिव का विशेषण
मुद् —चुरा॰ उभ॰ <मोदयति>, <मोदयते>—-—-—मिलाना, घोलना
मुद् —चुरा॰ उभ॰ <मोदयति>, <मोदयते>—-—-—स्वच्छ करना, निर्मल करना
मुद् —भ्वा॰ आ॰ <मोदते>—-—-—हर्ष मनाना, प्रसन्न होना, हृष्ट या आनन्दित होना
मुद् —भ्वा॰प्रेर॰<मोदयति>, <मोदयते>—-—-—हर्ष मनाना, प्रसन्न होना, हृष्ट या आनन्दित होना
मुद् —भ्वा॰ आ॰इच्छा॰ <मुमुदिषते>,<मुमोदिषते>—-—-—हर्ष मनाना, प्रसन्न होना, हृष्ट या आनन्दित होना
अनुमुद् —भ्वा॰ आ॰ —अनु-मुद्—-—अनुमोदन करना, मंजूरी देना, अनुमति देना, स्वीकृति देना
आमुद् —भ्वा॰ आ॰ —आ-मुद्—-—प्रसन्न या हर्षित होना, हर्ष मनाना
आमुद् —भ्वा॰ आ॰ —आ-मुद्—-—सुगंधित होना
आमुद् —भ्वा॰ आ॰प्रेर॰—आ-मुद्—-—सुगंधित करना, सुवासित करना
प्रमुद् —भ्वा॰ आ॰ —प्र-मुद्—-—अत्यन्त प्रसन्न होना, बहुत खुश होना
मुद् —भ्वा॰ आ॰ —-—मुद् + (भावे) क्विप्—हर्ष, आनंद, प्रसन्नता, खुशी, संतोष
मुदा —स्त्री॰—-—मुद् + (भावे) क्विप्, मुद् + टाप्—हर्ष, आनंद, प्रसन्नता, खुशी, संतोष
मुदित —भू॰ क॰ कृ॰—-—मुद् + क्त—प्रसन्न, हर्षित, आनंदित, खुश, हर्षयुक्त
मुदितम् —नपुं॰—-—-—प्रसन्नता, आनंद, खुशी, हर्ष
मुदितम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का मैथुनालिङ्गन
मुदिता —स्त्री॰—-—-—हर्ष, आनंद
मदिरः —पुं॰—-—मुद् + किरच्—बादल
मदिरः —पुं॰—-—-—प्रेमी, कामासक्त
मुदी —स्त्री॰—-—मुद् + क + ङीष्—ज्योत्स्ना, चांदनी
मुद्गः —पुं॰—-—मुद् + गक्—एक प्रकार का लोबिया, मुंग
मुद्गः —पुं॰—-—-—ढकना, आवरण
मुद्गः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का समुद्री-पशु
मुद्गभुज् —पुं॰—मुद्गः-भुज्—-—घोड़ा
मुद्गभोजिन् —पुं॰—मुद्गः-भोजिन्—-—घोड़ा
मुद्गरः —पुं॰—-—मुदं गिरति - गृ + अच्—हथौड़ा, मोंगरी
मुद्गरः —पुं॰—-—-—गतका, गदा
मुद्गरः —पुं॰—-—-—मिट्टी के ढेले तोड़ने वाली मोगरी
मुद्गरः —पुं॰—-—-—डम्बल, लोहे के छोटे मुद्गर
मुद्गरः —पुं॰—-—-—एक प्रकार की चमेली
मुद्गलः —पुं॰—-—मुद्ग + ला + क—एक प्रकार का घास
मुग्दष्टः —पुं॰—-—-—एक प्रकार की मूंग
मुद्रणम् —नपुं॰—-—मुद् + रा + ल्युट्, पृषो॰—मोहर लगाना, मुद्रांकित करना, छापना, चिह्न लगाना
मुद्रणम् —नपुं॰—-—-—मूंदना, बंद करना
मुद्रय —ना॰ धा॰ पर॰ <मुद्रयति>—-—-—मोहर लगाना
मुद्रय —ना॰ धा॰ पर॰ <मुद्रयति>—-—-—मुद्रांकित करना, चुह्न लगाना, अंकित करना
मुद्रय —ना॰ धा॰ पर॰ <मुद्रयति>—-—-—ढकना, मूंदना
मुद्रा —स्त्री॰—-—मुद् + रक् + टाप्—मोहर लगाने या मुद्रांकित करने का उपकरण, विशेषतः मोहर लगाने की अंगूठी नामांकित अंगूठी
मुद्रा —स्त्री॰—-—-—मोहर, छाप, अंक, चिह्न
मुद्रा —स्त्री॰—-—-—प्रवेशपत्र, षोतपारक
मुद्रा —स्त्री॰—-—-—मोहर लगा सिक्का, रुपयापैसा आदि सिक्के
मुद्रा —स्त्री॰—-—-—पदक, तमगा
मुद्रा —स्त्री॰—-—-—प्रतिभा चिह्न, बिल्ला, प्रतीकात्मक चिह्न
मुद्रा —स्त्री॰—-—-—बंद करना, मूंदना, मोहर लगा देना
मुद्रा —स्त्री॰—-—-—धर्मनिष्ठ भक्ति में अंगुलियों की विशिष्ट मुद्रा
मुद्राक्षरम् —नपुं॰—मुद्रा-अक्षरम्—-—मोहर का अक्षर
मुद्राक्षरम् —नपुं॰—मुद्रा-अक्षरम्—-—टाइप
मुद्राकारः —पुं॰—मुद्रा-कारः—-—मोहर बनाने वाला
मुद्रामार्गः —पुं॰—मुद्रा-मार्गः—-—मस्तक के बीच में होने वाला रंन्ध्र जिसके द्वारा प्राणवायु बाहर निकल जाता है, ब्रह्मरंध्र
मुद्रिका —स्त्री॰—-—मुद्रा + कन् + टाप्, इत्वम्—मोहर लगाने की अंगूठी
मुद्रित —वि॰—-—मुद्रा + इतच्—मोहर लगा हुआ, चिह्नित, अंकित, मुद्रांकित
मुद्रित —वि॰—-—-—बन्द किया हुआ, मुहरबंद
मुधा —अव्य॰—-—मुह् + का, पृषो॰ हस्य धः—व्यर्थ, निष्प्रयोजन, निरर्थकता के कारण, बिना किसी लाभ के
मुधा —अव्य॰—-—-—गलत रीति से, मिथ्या रुप से
मुनिः —पुं॰—-—मन् + इन्, उच्चै मनुते जानाति यः—ऋषि, महात्मा, सन्त, भक्त, संन्यासी
मुनिः —पुं॰—-—-—अगस्त्य मुनि का नाम
मुनिः —पुं॰—-—-—व्यास का नाम
मुनिः —पुं॰—-—-—बुद्ध का नाम
मुनिः —पुं॰—-—-—आम का पेड़
मुनिः —पुं॰—-—-—‘सात’ की संख्या
मुन्यन्नम् —पुं॰—मुनि-अन्नम्—-—संन्यासियों का भोजन
मु्नीन्द्र —पुं॰—मुनि-इन्द्र—-—एक बड़ा ऋषि
मुनीशः —पुं॰—मुनि-ईशः—-—एक बड़ा ऋषि
मु्नीश्वरः —पुं॰—मुनि-ईश्वरः—-—एक बड़ा ऋषि
मु्नित्रयम् —नपुं॰—मुनि-त्रयम्—-—‘मुनित्रय’ अर्थात् पाणिनि, कात्यायन और पतंजलि
मु्निपित्तलम् —नपुं॰—मुनि-पित्तलम्—-—तांबा
मु्निपुङ्गवः —पुं॰—मुनि-पुङ्गवः—-—महान या प्रमुख ऋषि
मु्निपुत्रकः —पुं॰—मुनि-पुत्रकः—-—खंजनपक्षी
मु्निपुत्रकः —पुं॰—मुनि-पुत्रकः—-—दमनक वृक्ष
मु्निभेषजम् —नपुं॰—मुनि-भेषजम्—-—आँवला
मु्निभेषजम् —नपुं॰—मुनि-भेषजम्—-—उपवास
मु्निव्रतम् —नपुं॰—मुनि-व्रतम्—-—संन्यासी की प्रतिज्ञा
मुन्थ् —भ्वा॰ पर॰ <मुंथति>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
मुमुक्षा —स्त्री॰—-—मोक्तुमिच्छा मुच् + सन् + अ + टाप्, धातोर्द्वित्वम्) —छुटकारे या मोक्ष की इच्छा
मुमुक्षु —वि॰—-—मुच् + सन् + उ—बरी या स्वतंत्र होने का इच्छुक
मुमुक्षु —वि॰—-—-—कार्यभार से मुक्त होने का इच्छुक
मुमुक्षु —वि॰—-—-—छोड़ने को प्रस्तुत
मुमुक्षु —वि॰—-—-— सांसारिक जीवन से मुक्त होनें का इच्छुक, मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील
मुमुक्षुः —पुं॰—-—-—मोक्ष के लिए प्रयत्नशील ऋषि
मुमुचानः —पुं॰—-—मुच् + आनच्, सन्वद्भावाद्द्वित्वम्—बादल
मुमूर्षा —स्त्री॰—-—मृ + सन् + अ + टाप्—मरने की इच्छा
मुमूर्षू —वि॰—-—मृ + सन् + उ—मरणासन्न, मृत्यु के निकट
मुर् —तुदा॰ पर॰ <मुरति>—-—-—घेरना, अन्तर्वृत्त करना, परिवृत्त करना, लिपटना
मुरः —पुं॰—-—मुर् + क—एक राक्षस का नाम जिसे कृष्ण ने मार गिराया था
मुरम् —नपुं॰—-—-—परिवृत्त करना, घेरना
मुरारिः —पुं॰—मुर-अरिः—-—कृष्ण का विशेषण
मुरारिः —पुं॰—मुर-अरिः—-—‘अनर्घराघव’ नाटक का प्रणेता
मुरजित् —पुं॰—मुर-जित्—-—कृष्ण या विष्णु के विशेषण
मुरद्विष् —पुं॰—मुर-द्विष्—-—कृष्ण या विष्णु के विशेषण
मुरभिद् —पुं॰—मुर-भिद्—-—कृष्ण या विष्णु के विशेषण
मुरमर्दनः —पुं॰—मुर-मर्दनः—-—कृष्ण या विष्णु के विशेषण
मुररिपुः —पुं॰—मुर-रिपुः—-—कृष्ण या विष्णु के विशेषण
मुरवैरिन् —पुं॰—मुर-वैरिन्—-—कृष्ण या विष्णु के विशेषण
मुरहन् —पुं॰—मुर-हन्—-—कृष्ण या विष्णु के विशेषण
मुरजः —पुं॰—-—मुरात् वेष्टनात् जायते - जन् + ड—एक प्रकार का ढोल या मृदंग
मुरजः —पुं॰—-—मुरात् वेष्टनात् जायते - जन् + ड—किसी श्लोक की भाषा को मुरज के रुप में व्यवस्थित करना
मुरजफलः —पुं॰—मुरज-फलः—-—कटहल का पेड़
मुरजा —स्त्री॰—-—मुरजा + टाप्—एक बड़ा ढोल
मुरजा —स्त्री॰—-—-—कुबेर की पत्नी का नाम
मुरन्दला —स्त्री॰—-—-—एक नदी का नाम
मुरला —स्त्री॰—-—मुर् + ला + क + टाप्—केरल देश से निकलने वाली एक नदी का नाम
मुरली —स्त्री॰—-—मुरम् अङ्गुलिवेष्टन लाति - मुर + ला + क + ङीष्—बांसुरी, वंशी, वेणु
मुरलीधरः —पुं॰—मुरली-धरः—-—कृष्ण का विशेषण
मुर्छ् —भ्वा॰ पर॰ <मूर्छति>, <मूर्छित>, या <मूर्त>—-—-—ठोस बनाना, जमना, गाढ़ा होना
मुर्छ् —भ्वा॰ पर॰ <मूर्छति>, <मूर्छित>, या <मूर्त>—-—-—मूर्छित होना, बेहोश होना, मुर्झा जाना, अचेतन होना, संज्ञारहित होना
मुर्छ् —भ्वा॰ पर॰ <मूर्छति>, <मूर्छित>, या <मूर्त>—-—-—उगना, बढ़ना, बलवान या शक्तिशाली होना
मुर्छ् —भ्वा॰ पर॰ <मूर्छति>, <मूर्छित>, या <मूर्त>—-—-—बल एकत्र करना, मोटा होना, सघन होना
मुर्छ् —भ्वा॰ पर॰ <मूर्छति>, <मूर्छित>, या <मूर्त>—-—-—प्रभाव डालना
मुर्छ् —भ्वा॰ पर॰ <मूर्छति>, <मूर्छित>, या <मूर्त>—-—-—छा जाना, प्रभावित करना
मुर्छ् —भ्वा॰ पर॰ <मूर्छति>, <मूर्छित>, या <मूर्त>—-—-—भरना, व्याप्त होना, प्रविष्ट होना, फैल जाना
मुर्छ् —भ्वा॰ पर॰ <मूर्छति>, <मूर्छित>, या <मूर्त>—-—-—जोड़ का होना
मुर्छ् —भ्वा॰ पर॰ <मूर्छति>, <मूर्छित>, या <मूर्त>—-—-—बार बार होना
मुर्छ् —भ्वा॰ पर॰ <मूर्छति>, <मूर्छित>, या <मूर्त>—-—-—ऊँचे स्वर से शब्द करवाना
मुर्छ् —भ्वा॰प्रेर॰<मूर्छयति>,<मूर्छयते>—-—-—जडीभूत करना, मूर्छित करना
विमुर्छ् —भ्वा॰ पर॰ —वि-मुर्छ्—-—मूर्छित होना, बेहोश होना
सम्मुर्छ् —भ्वा॰ पर॰ —सम्-मुर्छ्—-—मूर्छित होना, बेहोश होना
सम्मुर्छ् —भ्वा॰ पर॰ —सम्-मुर्छ्—-—ताकतवर या शक्तिशाली होना, बलवान होना, प्रबल होना
मुर्मुरः —पुं॰—-—मुर + क पृषो॰ द्वित्वम्—तुषाग्नि, तुष या भूषी से तैयार की हुई अग्नि
मुर्मुरः —पुं॰—-—-—सूर्य का घोड़ा
मुर्व् —भ्वा॰ पर॰ <मुर्वति>—-—-—बांधना, कसना
मुशटी —स्त्री॰—-—मुष् + अटन् + ङीप्, पृषो॰ षस्य शः—एक प्रकार का अन्न
मुशली —स्त्री॰—-—-—छोटी छिपकली
मुसली —स्त्री॰—-—-—छोटी छिपकली
मुष् —क्रया॰ पर॰ <मुष्णाति>, <मुषित>, इच्छा॰ <मुमुषिषति>—-—-—चुराना, उठा लेना, लूटना, डाका डालना, अपहरण करना
मुष् —क्रया॰ पर॰ <मुष्णाति>, <मुषित>, इच्छा॰ <मुमुषिषति>—-—-—ग्रहण लगाना, ढकना, लपेटना, छिपाना
मुष् —क्रया॰ पर॰ <मुष्णाति>, <मुषित>, इच्छा॰ <मुमुषिषति>—-—-—बन्दी बनाना, मुग्ध करना, लुभाना
मुष् —क्रया॰ पर॰ <मुष्णाति>, <मुषित>, इच्छा॰ <मुमुषिषति>—-—-—पीछे छोड़ देना, आगे बढ़ जाना
परिमुष् —क्रया॰ पर॰—परि-मुष्—-—लूटना, वंचित करना
प्रमुष् —क्रया॰ पर॰—प्र-मुष्—-—अपहरण करना, निस्तेज करना
मुष् —भ्वा॰ पर॰ <मोषति>—-—-—चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना, हत्या कराना
मुष् —दिवा॰ पर॰ <मुष्यति>—-—-—चुराना
मुष् —दिवा॰ पर॰ <मुष्यति>—-—-—तोड़ना, नष्ट करना
मुषकः —पुं॰—-—मुष् + ण्वुल्—चूहा
मुषल —पुं॰—-—मुष् + कलच्—गतका, गदा
मुषल —पुं॰—-—मुष् + कलच्—मूसल
मुषा —स्त्री॰—-—मुष् + क + अप्—कुठाली
मुषी —स्त्री॰—-—मुष् + क + अप्, ङीष् वा—कुठाली
मुषित —भू॰ क॰ कृ॰—-—मुष् + क्त—लूटा गया, चोरी किया गया, अपहृत
मुषित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—अपहरण किया गया, छीन कर ले जाया गया
मुषित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—वञ्चित, मुक्त
मुषित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—ठगा गया, धोखा दिया गया
मुषितकम् —नपुं॰—-—मुषित + कन्—चुराई हुई संपत्ति
मुष्कः —पुं॰—-—मुष् + कक् —अंडकोष
मुष्कः —पुं॰—-—-—गठीला तथा हृष्ट-पुष्ट पुरुष
मुष्कः —पुं॰—-—-—राशि, ढेर, परिमाण, समुच्चय
मुष्कदेशः —पुं॰—मुष्क-देशः—-—अण्डकोश का स्थान
मुष्कशून्यः —पुं॰—मुष्क-शून्यः—-—हिजड़ा, बधिया किया हुआ पुरुष
मुष्कशोफः —पुं॰—मुष्क-शोफः—-—पोतों की सूजन
मुष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—मुष् + क्त—चुराया हुआ
मुष्टम् —नपुं॰—-—-—चुराई हुई संपत्ति
मुष्टिः —पुं॰—-—मुष् + क्तिच्—भींचा हुआ हाथ, मुट्ठी
मुष्टिः —पुं॰—-—-—मुट्ठीभर, जितना एक मुट्ठी में आवे
मुष्टिः —पुं॰—-—-—मूंठ, दस्ता
मुष्टिः —पुं॰—-—-—एक विशेष तोल
मुष्टिः —पुं॰—-—-—पुरुष का लिंग
मुष्टिदेशः —पुं॰—मुष्टि-देशः—-—धनुष के बीच का भाग, वह भाग जो हाथ से पकड़ा से जाता है
मुष्टिद्यूतम् —नपुं॰—मुष्टि-द्यूतम्—-—एक प्रकार का खेल, जुआ
मुष्टिपातः —पुं॰—मुष्टि-पातः—-—मुक्केबाजी
मुष्टिबन्धः —पुं॰—मुष्टि-बन्धः—-—मुट्ठी बांधना
मुष्टिबन्धः —पुं॰—मुष्टि-बन्धः—-—मुट्ठीभर
मुष्टियुद्धम् —नपुं॰—मुष्टि-युद्धम्—-—मुक्केबाजी, घूँसेबाजी
मुष्टिकः —पुं॰—-—मुष्टिमोर्षणं प्रयोजनस्य - कन्—सुनार
मुष्टिकः —पुं॰—-—-—हाथों की विशिष्ट स्थिति
मुष्टिकः —पुं॰—-—-—एक राक्षस का नाम
मुष्टिकम् —नपुं॰—-—-—मुक्केबाजी, घुंसेबाजी
मुष्टिकान्तकः —पुं॰—मुष्टिक-अन्तकः—-—बलराम का विशेषण
मुष्टिका —स्त्री॰—-—मुष्टिक + टाप्—मुट्ठी
मुष्टिन्धयः —पुं॰—-—मुष्टि + धे + खश् मुम्—बच्चा, बालक, शिशु
मुष्टीमुष्टि —अव्य॰—-—मुष्टिभिः मुष्टिभिः प्रहृत्य प्रवृत्तं युद्धम्—मुक्केबाजी, घूंसेबाजी, हस्ताहस्ति युद्ध
मुष्ठकः —पुं॰—-—-—राई, काली सरसों
मुस् —दिवा॰ पर॰ <मुस्यति>—-—-—फाड़ना, विभक्त करना, टुकड़े-टुकड़े करना
मुसलः —पुं॰—-—मुस् + कलच्—गतका, गदा
मुसलम् —नपुं॰—-—मुस् + कलच्—गतका, गदा
मुसलायुधः —पुं॰—मुसल-आयुधः—-—बलराम का विशेषण
मुसलोलूखलम् —नपुं॰—मुसल-उलूखलम्—-—मुसली और खरल
मुसलामुसलि —अव्य॰—-—मुसलैः मुसलैः प्रहृत्य प्रवृत्तं युद्धम्—मूसल या गदाओं से लड़ना
मुसलिन् —पुं॰—-—मुसल + इनि—बलराम का विशेषण
मुसलिन् —पुं॰—-—-—शिव का विशेषण
मुसल्य —वि॰—-—मुसल + यत्—गदा से चूर-चूर किये जाने अथवा मार दिये जाने योग्य
मुस्त् —चुरा॰ उभ॰ <मुस्तयति>, <मुस्तयते>—-—-—ढेर लगाना, इकट्ठा करना, संग्रह करना, संचय करना
मुस्तः —पुं॰—-—मस्त् + क—एक प्रकार की घास, मोथा
मस्तादः —पुं॰—मस्त-अदः—-—सूअर
मस्तादः —पुं॰—मस्त-आदः—-—सूअर
मुस्तम् —नपुं॰—-—मस्त् + क—एक प्रकार की घास, मोथा
मुस्ता —स्त्री॰—-—मस्त् + क, स्त्रियां टाप्—एक प्रकार की घास, मोथा
मुस्रम् —नपुं॰—-—मुस् + रक्—मुसली
मुह् —दिवा॰ पर॰ <मुह्यति>, <मुग्ध>, या <मूढ>—-—-—मुर्झाना, मुर्छित होना, चेतना नष्ट होना, बेहोश होना
मुह् —दिवा॰ पर॰ <मुह्यति>, <मुग्ध>, या <मूढ>—-—-—उद्विग्न होना, विह्वल होना, घबराना
मुह् —दिवा॰ पर॰ <मुह्यति>, <मुग्ध>, या <मूढ>—-—-—मूढ बनना, जड़ होना, मोहित होना
मुह् —दिवा॰ पर॰ <मुह्यति>, <मुग्ध>, या <मूढ>—-—-—गलती करना, भूल होना
मुह् —दिवा॰प्रेर॰<मोहयति>,<मोहयते>—-—-—जड करना, मोहित करना
मुह् —दिवा॰प्रेर॰<मोहयति>,<मोहयते>—-—-—अस्तव्यस्त करना, घबराना, उद्विग्न होना
परिमुह् —दिवा॰ पर॰ —परि-मुह्—-—घबराया जाना, उद्विग्न हो जाना
परिमुह् —दिवा॰ प्रेर॰ आ॰—परि-मुह्—-—फुसलाना, बहकाना, ललचाना
प्रमुह् —दिवा॰ पर॰ —प्र-मुह्—-—जडीभूत होना, मुग्ध होना
विमुह् —दिवा॰ पर॰ —वि-मुह्—-—अव्यवस्थित होना, घबराना, उद्विग्न होना, विह्वल होना
विमुह —दिवा॰ पर॰ —वि-मुह्—-—मुग्ध होना या मोहित होना
सम्मुह —दिवा॰ पर॰ —सम्-मुह्—-—व्याकुल होना
सम्मुह —दिवा॰ पर॰ —सम्-मुह्—-—मूर्ख या अज्ञानी होना
सम्मुह —दिवा॰प्रेर॰—सम्-मुह्—-—मोहित करना, जड़ीभूत करना
मुहिर —वि॰—-—मुह् + किरच्—मूर्ख, मूढ, जड़
मुहिरः —पुं॰—-—-—मूर्ख, बुद्धू
मुहुस् —अव्य॰—-—मुह् + उसिक्—बहुधा, लगातार, निरंतर, बार-बार
मुहुर्मुहुः —पुं॰—-—-—बार बार, फिर फिर, प्रायः बहुशः
मुहुर्मुहुः —पुं॰—-—-—कुछ समय या क्षण के लिए, थोड़ी देर के लिए
मुहुर्मुहुर्भाषा —स्त्री॰—मुहुर्मुहुः-भाषा—-—पिष्टपेषण, पुनरुक्ति
मुहुर्मुहुर्वचस् —नपुं॰—मुहुर्मुहुः-वचस्—-—पिष्टपेषण, पुनरुक्ति
मुहुर्मुहुर्भुज् —पुं॰—मुहुर्मुहुः-भुज्—-—घोड़ा
मूहूर्तः —पुं॰—-—हुर्छ् + क्त धातोः पूर्व मुट् च—एक क्षण, समय का अल्पांश, निमिष
मूहूर्तः —पुं॰—-—-—काल, समय
मूहूर्तः —पुं॰—-—-—अड़तालीस मिनट का काल
मूहूर्तम् —नपुं॰—-—हुर्छ् + क्त धातोः पूर्व मुट् च—एक क्षण, समय का अल्पांश, निमिष
मूहूर्तम् —नपुं॰—-—-—काल, समय
मूहूर्तम् —नपुं॰—-—-—अड़तालीस मिनट का काल
मूहूर्तः —पुं॰—-—-—ज्योतिषी
मुहूर्तकः —पुं॰—-—मुहूर्त + कन्—निमिष, क्षण
मुहूर्तकः —पुं॰—-—-—अड़तालीस मिनट का काल
मू —भ्वा॰ पर॰ <मवते>—-—-—बांधना, जकड़ना, कसना
मूक —वि॰—-—मू + कक्—गूँगा, मौन, चुप्पा, वाक्शून्य
मूक —वि॰—-—-—बेचारा, दीन, दुःखी
मूकः —पुं॰—-—-—बेचारा, दीन
मूकाम्बा —स्त्री॰—मूक-अम्बा—-—दुर्गा का एक रुप
मूकभावः —पुं॰—मूक-भावः—-—चुप्पी, मूकता, वाक्शून्यता
मूकिमन् —पुं॰—-—मूक + इमनिच्—गूंगापन, मूकता, चुप्पी
मूढ —भू॰ क॰ कृ॰—-—मुह् + क्त—जडीभूत, मोहित
मूढ —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—उद्विग्न, व्याकुल, विह्वल, सूझबूझ से हीन
मूढ —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—नासमझ, मूर्ख, मन्दबुद्धि, जड, अज्ञानी
मूढ —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—भ्रान्त, भ्रमपूर्ण, प्रतारित, विचलित
मूढ —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—अपक्वजन्मा
मूढ —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—संशयोत्पादक
मूढः —पुं॰—-—-—मूर्ख, बुद्धू, मन्दमति, अज्ञानी पुरुष
मूढात्मन् —वि॰—मूढ-आत्मन्—-—मन से जडीभूत
मूढात्मन् —वि॰—मूढ-आत्मन्—-—निर्बुद्धि, जड़, मूर्ख
मूढगर्भः —पुं॰—मूढ-गर्भः—-—मृत गर्भ
मूढवादः —पुं॰—मूढ-वादः—-—अशुद्ध भाव, गलत, विचारण, गलत धारणा
मूढचेतन् —वि॰—मूढ-चेतन्—-—निर्बूद्धि, मूर्ख, अज्ञानी
मूढचेतस् —वि॰—मूढ-चेतस्—-—निर्बूद्धि, मूर्ख, अज्ञानी
मूढधी —स्त्री॰—मूढ-धी—-—निर्बुद्धि, जड़, मूर्ख, सीधासादा
मूढबुद्धि —स्त्री॰—मूढ-बुद्धि—-—निर्बुद्धि, जड़, मूर्ख, सीधासादा
मूढमति —वि॰—मूढ-मति—-—निर्बुद्धि, जड़, मूर्ख, सीधासादा
मूढसत्त्व —वि॰—मूढ-सत्त्व—-—मोहित, दीवाना
मूत —वि॰—-—मू + क्त—बांधा हुआ, करता हुआ
मूत —वि॰—-—-—बंदी किया हुआ
मूत्रम् —नपुं॰—-—मूत्र + घञ्—मूत, पेशाब
मूत्राघातः —पुं॰—मूत्रम्-आघातः—-—मूत्रसंबंधी रोग
मूत्राशयः —पुं॰—मूत्रम्-आशयः—-—पेट के नीचे का स्थल जहाँ मूत्र भरा रहता है
मूत्रोत्सङ्ग —वि॰—मूत्रम्-उत्सङ्ग—-—पेशाब आने में रुकावट, पीड़ा के साथ रक्त पेशाब आना
मूत्रकृच्छम् —नपुं॰—मूत्रम्-कृच्छम्—-—पीड़ा के साथ मूत्र का आना, मूत्रक्षरण, बूंद-बूंद पेशाव का पीड़ा देकर आना
मूत्रकोशः —पुं॰—मूत्रम्-कोशः—-—अंडकोश, पोता
मूत्रक्षयः —पुं॰—मूत्रम्-क्षयः—-—मूत्र का स्राव कम होना
मूत्रजठरः —पुं॰—मूत्रम्-जठरः—-—मूत्र रुक जाने से पेट की सूजन
मूत्रजठरम् —नपुं॰—मूत्रम्-जठरम्—-—मूत्र रुक जाने से पेट की सूजन
मूत्रदोषः —पुं॰—मूत्रम्-दोषः—-—मूत्रसंबंधी रोग
मूत्रनिरोधः —पुं॰—मूत्रम्-निरोधः—-—मूत्र का रुक जाना
मूत्रपतनः —पुं॰—मूत्रम्-पतनः—-—गंधमार्जार
मूत्रपथः —पुं॰—मूत्रम्-पथः—-—मूत्रनलिका
मूत्रपरीक्षा —स्त्री॰—मूत्रम्-परीक्षा—-—मूत्रनिरीक्षण, मूत्र की परीक्षा करना
मूत्रपुटम् —नपुं॰—मूत्रम्-पुटम्—-—पेट का निचला भाग, मूत्राशय
मूत्रमार्गः —पुं॰—मूत्रम्-मार्गः—-—मूत्रनलिका, मूत्रद्वार
मूत्रवर्धक —वि॰—मूत्रम्-वर्धक—-—अधिक पेशाब लाने की दवा, मूत्रल
मूत्रशूलः —पुं॰—मूत्रम्-शूलः—-—मूत्रसंबंधी पीड़ा
मूत्रशूलम् —नपुं॰—मूत्रम्-शूलम्—-—मूत्रसंबंधी पीड़ा
मूत्रसङ्ग —वि॰—मूत्रम्-सङ्ग—-—पेशाब आने में रुकावट, पीड़ा के साथ रक्त पेशाब आना
मूत्रय —ना॰ धा॰ पर॰ <मूत्रयति>—-—-—पेशाब, लघुशंका करना
मूत्रल —वि॰—-—मूत्र + ला + क—पेशाब लाने वाली दवा, मूत्रवर्धक औषधि
मूत्रित —वि॰—-—मूत्र + इतच्—मूत्र के रुप में निकला हुआ
मूर्ख —वि॰—-—मुह् - ख, मूर आदेशः—जड़, , मूढ, अनजान
मूर्खः —पुं॰—-—-—मन्दमति, बुद्धु
मूर्खः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का लोबिया
मूर्खभूयम् —नपुं॰—मूर्ख-भूयम्—-—मूर्खता, जड़ता, अज्ञानता
मूर्च्छन —वि॰—-—मुर्च्छ् + णिच् + ल्युट्—जडीभूत करने वाला, जडता या बेहोशी पैदा करने वाला
मूर्च्छन —वि॰—-—-—बढाने वाला, वर्धन करने वाला, बल देने वाला
मूर्च्छनम् —नपुं॰—-—-—मूर्छित होना, बेहोश होना
मूर्च्छनम् —नपुं॰—-—-—स्वरारोहण, स्वरविन्यास, स्वरों का नियमित आरोहणावरोहण, सुखद स्वरसंधान करना, लय परिवर्तन करना, स्वरसामंजस्य, स्वरमाधुर्य
मूर्च्छा —स्त्री॰—-—मुर्च्छ् - (भावे) अङ् + टाप्—बेहोशी, संज्ञाहीनता
मूर्च्छा —स्त्री॰—-—-—आत्म अज्ञान या व्यामोह
मूर्च्छा —स्त्री॰—-—-—धातु फूंक कर भस्म बनाने की प्रक्रिया
मूर्च्छाल —वि॰—-—मूर्च्छा + लच्—बेहोश, अचेत, चेतनारहित
मूर्च्छित —भू॰ क॰ कृ॰—-—मूर्च्छा जाता अस्य-इतच्, मूर्च्छ् + क्त वा—बेहोश, संज्ञाहीन, चेतनारहित
मूर्च्छित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—मूर्ख, जड, मूढ
मूर्च्छित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—बढाया हुआ, वर्धित
मूर्च्छित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—प्रचंड किया हुआ, तीव्र किया हुआ
मूर्च्छित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—उद्विग्न, व्याकुल
मूर्च्छित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—भरा हुआ
मूर्च्छित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—फूंका हुआ
मुर्त —वि॰—-—मूर्च्छ् + क्त—बेहोश, संज्ञाहीन
मुर्त —वि॰—-—-—शरीरधारी, मूर्तिमान
मुर्त —वि॰—-—-—भौतिक, पार्थिव
मूर्त्तिः —स्त्री॰—-—मूर्च्छ् + क्तिन्—निश्चित आकार और सीमा की कोई वस्तु, भौतिक तत्त्व, द्रव्य, सत्त्व
मूर्त्तिः —स्त्री॰—-—-—रूप, दृश्यमान आकृति, शरीर, आकृति
मूर्त्तिः —स्त्री॰—-—-—मूर्त्तिमत्ता, शरीरधारण, प्रतिबिंब, स्पष्टीकरण
मूर्त्तिः —स्त्री॰—-—-—प्रतिमा, प्रतिमूर्ति, पुतला, बुत
मूर्त्तिः —स्त्री॰—-—-—सौन्दर्य
मूर्त्तिः —स्त्री॰—-—-—ठोसपना, कड़ापन
मू्र्तिधर —वि॰—मूर्त्ति-धर—-—शरीरधारी, मूर्तिमान
मू्र्तिसंचर —वि॰—मूर्त्ति-संचर—-—शरीरधारी, मूर्तिमान
मू्र्तिपः —पुं॰—मूर्त्ति-पः—-—प्रतिमा का पुजारी, जो किसी देव प्रतिमा के पूजाकृत्य में लगाया गया हो
मूर्तिमत् —वि॰—-—मूर्त्ति + मतुप्—भौतिक, पार्थिव
मूर्तिमत् —वि॰—-—-—शरीरधारी, देहवान्, साकार
मूर्तिमत् —वि॰—-—-—कड़ा, ठोस
मूर्धन् —पुं॰—-—मुह्यत्यस्मिन्नाहते इति मूर्धा - मुह + कनि, उपधाया दीर्घो धोऽन्तादेशो रमागमश्च—मस्तक, भौ
मूर्धन् —पुं॰—-—-—उच्चतम या प्रमुख भाग, चोटी, शिखर, श्रृंग, सिर
मूर्धन् —पुं॰—-—-—नेता, मुखिया, ,मुख्य, सर्वोपरि, प्रमुख
मूर्धन् —पुं॰—-—-—सामने का, हरावल, अग्रभाग
मूर्धान्तः —पुं॰—मूर्धन्-अन्तः—-—सिर का मुकुट
मू्र्धाभिषिक्त —वि॰—मूर्धन्-अभिषिक्त—-—अभिमंत्रित, किरीटधारी, यथाविधि पद पर प्रतिष्ठापित
मू्र्धाभिषिक्तः —पुं॰—मूर्धन्-अभिषिक्तः—-—अभिमंत्रित या अभिषिक्त राजा
मू्र्धाभिषिक्तः —पुं॰—मूर्धन्-अभिषिक्तः—-—क्षत्रिय जाति का पुरुष
मू्र्धाभिषिक्तः —पुं॰—मूर्धन्-अभिषिक्तः—-—मंत्री
मू्र्धाभिषिक्तः —पुं॰—मूर्धन्-अभिषिक्तः—-—मूर्धाभिसिक्त
मू्र्धाभिषेकः —पुं॰—मूर्धन्-अभिषेकः—-—अभिमंत्रण, प्रतिष्ठापन
मू्र्धावसिक्तः —पुं॰—मूर्धन्-अवसिक्तः—-—ब्राह्मण पिता या क्षत्रिय माता से उत्पन्न एक वर्णसंकर जाति
मू्र्धावसिक्तः —पुं॰—मूर्धन्-अवसिक्तः—-—अभिमंत्रित राजा
मूर्धकर्णी —स्त्री॰—मूर्धन्-कर्णी—-—छतरी
मूर्धकर्परी —स्त्री॰—मूर्धन्-कर्परी—-—छतरी
मूर्धजः —पुं॰—मूर्धन्-जः—-—बाल
मूर्धजः —पुं॰—मूर्धन्-जः—-—अयाल
मूर्धज्योतिस् —नपुं॰—मूर्धन्-ज्योतिस्—-—मस्तक के बीच में होने वाला रंन्ध्र जिसके द्वारा प्राणवायु बाहर निकल जाता है, ब्रह्मरंध्र
मूर्धपुष्पः —पुं॰—मूर्धन्-पुष्पः—-—शिरीष का पेड़
मूर्धरसः —पुं॰—मूर्धन्-रसः—-—उबले चावलों का मांड
मूर्धवेष्टनम् —नपुं॰—मूर्धन्-वेष्टनम्—-—साफा, मुकुट, शिरोमाल्य
मूर्धन्य —वि॰—-—मूर्ध्नि भवः - यत्—सिर पर विद्यमान
मूर्धन्य —वि॰—-—-—मूर्धन्य
मूर्धन्य —वि॰—-—-—मुख्य, प्रमुख, सर्वोत्तम
मूर्ध्वन् —नपुं॰—-—-—मस्तक, भौ
मूर्ध्वन् —नपुं॰—-—-—उच्चतम या प्रमुख भाग, चोटी, शिखर, शृंग, सिर
मूर्ध्वन् —नपुं॰—-—-—नेता, मुखिया, ,मुख्य, सर्वोपरि, प्रमुख
मूर्ध्वन् —नपुं॰—-—-—सामने का, हरावल, अग्रभाग
मूर्वा —स्त्री॰—-—मुर्व + अच् + टाप्—एक प्रकार की लता जिसके देशों से धनुष की डोरी या क्षत्रियों की तड़ागी तैयार कै जाती है
मूर्वी —स्त्री॰—-—मुर्व + अच् + डीष् —एक प्रकार की लता जिसके देशों से धनुष की डोरी या क्षत्रियों की तड़ागी तैयार कै जाती है
मूर्विका —स्त्री॰—-—मूर्वा + कन् +टाप् इत्वम्—एक प्रकार की लता जिसके देशों से धनुष की डोरी या क्षत्रियों की तड़ागी तैयार कै जाती है
मूल् —भ्वा॰ उभ॰ <मूलति>, <मूलते>—-—-—जड़ जमाना, दृढ होना, स्थिर होना
मूल् —चुरा॰ उभ॰ <मूलयति>, <मूलयते>, <मूलित>—-—-—पौधा लगाना, उगाना, पालना
उन्मूल् —चुरा॰ उभ॰—उद-मूल्—-—उखाड़ना, जड़ से काटना, मुलोच्छेदन करना, विनष्ट करना, विध्वंस करना
निर्मूल् —चुरा॰ उभ॰—निस्-मूल्—-—जड़ से उखाड़ना, उन्मूलित करना
मूलम् —नपुं॰—-—मूल् + क—जड़
मूलंबन्ध् —नपुं॰—-—-—जड़ पकड़ना, जड जमना
मूलम् —नपुं॰—-—-—जड़, किसी वस्तु का सबसे नीचे का किनारा या छोर
मूलम् —नपुं॰—-—-—नीचे का भाग या किनारा, आधार, किसी भी वस्तु का किनारा जिसके सहारे वह किसी दूसरी वस्तु से जुड़ी हो
मूलम् —नपुं॰—-—-—आरंभ, शुरु
मूलम् —नपुं॰—-—-—आधार, नींव, स्रोत, मूल, उत्पत्ति
मूलम् —नपुं॰—-—-—किसी वस्तु का तल या पैर, पर्वतमूलम्, गिरिमूलम् आदि
मूलम् —नपुं॰—-—-—पाठ, मूल संदर्भ
मूलम् —नपुं॰—-—-—पड़ौस, आस-पास, सामीप्य
मूलम् —नपुं॰—-—-—मूलधन, मूलपूंजी
मूलम् —नपुं॰—-—-—कुलक्रमागत सेवक
मूलम् —नपुं॰—-—-—राजा का अपना निजी प्रदेश
मूलम् —नपुं॰—-—-—विक्रेता जो स्वयं विक्रेयवस्तु का स्वामी न हो
मूलम् —नपुं॰—-—-—ग्यारह तारकाओं का पुंज जो सत्ताइस नक्षत्रों में से उन्नीसवां है
मूलम् —नपुं॰—-—-—झाड़ी, झाड़-झखाड़
मूलम् —नपुं॰—-—-—पीपरा मूल
मूलम् —नपुं॰—-—-—अंगुलियों की विशेष स्थिति
मूलाधारम् —नपुं॰—मूलम्-आधारम्—-—नाभि
मूलाधारम् —नपुं॰—मूलम्-आधारम्—-—जननेन्द्रिय के ऊपर एक रहस्य मय वृत्त
मूलाभम् —नपुं॰—मूलम्-आभम्—-—मूली
मूलायातनम् —नपुं॰—मूलम्-आयतनम्—-—मूल आवासस्थान
मूलाशिन् —वि॰—मूलम्-आशिन्—-—जो कन्दमूलादि खाकर जीवित रहे
मूलाह्वम् —नपुं॰—मूलम्-आह्वम्—-—मूली
मूलोच्छेदः —पुं॰—मूलम्-उच्छेदः—-—पूर्णध्वंस, पूर्णविनाश, पूरी तरह उखाड़ फेकना
मूलकर्मन् —नपुं॰—मूलम्-कर्मन्—-—जादू
मूलकारण —वि॰—मूलम्-कारण—-—मूलहेतु, आदि कारण
मूलकारिका —स्त्री॰—मूलम्-कारिका—-—भट्टी, चूल्हा
मूलकृच्छ्रः —पुं॰—मूलम्-कृच्छ्रः—-—एक प्रकार की तपस्या, केवल जड़े खाकर जीवन निर्वाह करना
मूलकृच्छ्रम् —नपुं॰—मूलम्-कृच्छ्रम्—-—एक प्रकार की तपस्या, केवल जड़े खाकर जीवन निर्वाह करना
मूलकेशरः —पुं॰—मूलम्-केशरः—-—नीबू
मूलगुणः —पुं॰—मूलम्-गुणः—-—किसी मूल का गुणांक
मूलजः —पुं॰—मूलम्-जः—-—जड़ बोने से उत्पन्न होने वाला पौधा
मूलजम् —नपुं॰—मूलम्-जम्—-—हरा अदरक
मूलदेवः —पुं॰—मूलम्-देवः—-—कंस का विशेषण
मूलद्रव्यम् —नपुं॰—मूलम्-द्रव्यम्—-—मूलधन, माल, वाणिज्यवस्तु, पूंजी
मूलधनम् —नपुं॰—मूलम्-धनम्—-—मूलधन, माल, वाणिज्यवस्तु, पूंजी
मूलधातुः —पुं॰—मूलम्-धातुः—-—लसीका
मूलनिकृन्तन —वि॰—मूलम्-निकृन्तन—-—जड़ से काट डालने वाला
मूलपुरुष —वि॰—मूलम्-पुरुष—-—‘पशुपाल’ किसी परिवार का वंशपर्वर्तक पुरुष
मूलप्रकृतिः —स्त्री॰—मूलम्-प्रकृतिः—-—सांख्यों का प्रधान या प्रकृति
मूलफलदः —पुं॰—मूलम्-फलदः—-—कटहल का पेड़
मूलभद्रः —पुं॰—मूलम्-भद्रः—-—कंस का विशेषण
मूलभृत्यः —पुं॰—मूलम्-भृत्यः—-—पुराना तथा कुलक्रमागत सेवक
मूलवचनम् —नपुं॰—मूलम्-वचनम्—-—मूलपाठ
मूलवित्तम् —नपुं॰—मूलम्-वित्तम्—-—पुंजी, वाणिज्यवस्तु, माल
मूलविभुजः —पुं॰—मूलम्-विभुजः—-—रथ
मूलशाकटः —पुं॰—मूलम्-शाकटः—-—वह खेत जिसमें मूली गाजर आदि मूल-पौधे बोये जाते हैं
मूलशाकिनम् —नपुं॰—मूलम्-शाकिनम्—-—वह खेत जिसमें मूली गाजर आदि मूल-पौधे बोये जाते हैं
मूलस्थानम् —नपुं॰—मूलम्-स्थानम्—-—आधार, नींव
मूलस्थानम् —नपुं॰—मूलम्-स्थानम्—-—परमात्मा
मूलस्थानम् —नपुं॰—मूलम्-स्थानम्—-—हवा, वायु
मूलस्रोतस् —नपुं॰—मूलम्-स्रोतस्—-—प्रधान धारा या किसी नदी का उद्गम स्थान
मूलकः —पुं॰—-—मूल् + कन्—मूली
मूलकः —पुं॰—-—-—भक्ष्य, जड़
मूलकम् —नपुं॰—-—मूल् + कन्—मूली
मूलकम् —नपुं॰—-—-—भक्ष्य, जड़
मूलकः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का विष
मूलकपोतिका —स्त्री॰—मूलक-पोतिका—-—मूली
मूला —स्त्री॰—-—मूल + अच् + टाप्—एक पौधे का नाम, सतावर
मूला —स्त्री॰—-—-—मूल नक्षत्र
मूलिक —वि॰—-—मूल + ठन्—मूलभूत, मौलिक
मूलिकः —पुं॰—-—-—भक्त, संन्यासी
मूलिन् —पूं॰—-—मूल + इनि—वृक्ष
मूलिन —वि॰—-—मूल + इन—जड बोने से उगने वाला
मूली —स्त्री॰—-—मूल + ङीष्—एक छोटी छिपकली
मूलेरः —पुं॰—-—मूल + एरक्—राजा का अपना निजी प्रदेश
मूलेरः —पुं॰—-—मूल + एरक्—जटामांसी, बालछड़
मूल्य —वि॰—-—मूल + यत्—उखाड़ देने योग्य
मूल्य —वि॰—-—मूल + यत्—मोल लेने के योग्य
मूल्यम् —नपुं॰—-—मूल + यत्—कीमत, मोल, लागत
मूल्यम् —नपुं॰—-—मूल + यत्—मजदूरी, किराया या भाड़ा, वेतन
मूल्यम् —नपुं॰—-—मूल + यत्—लाभ
मूल्यम् —नपुं॰—-—मूल + यत्—पूंजी, मूलधन
मूष् —भ्वा॰ पर॰ <मूषति>, <मूषित>—-—-—चुराना, लूटना, अपहरण करना
मूषः —पुं॰—-—मूष् + क—चूहा, मूसा
मूषः —पुं॰—-—मूष् + क— गोल खिड़की, मोघा रोशनदान
मूषकः —पुं॰—-—मूष् + कन्—चूहा, मूसा
मूषकः —पुं॰—-—मूष् + कन्—चोर
मूषकारातिः —पुं॰—मूषक-अरातिः—-—बिलाव
मूषकवाहनः —पुं॰—मूषक-वाहनः—-—गणेश
मूषणम् —नपुं॰—-—मूष् + ल्युट्—चुराना, चुपके से खिसका लेना, उठा लेना
मूषा —स्त्री॰—-—मूष + टाप्—चुहिया, कुठाली
मूषिका —स्त्री॰—-—मूषिक + टाप्—चुहिया, कुठाली
मुषिकः —पुं॰—-—मूष् + किकन्—चूहा
मुषिकः —पुं॰—-—मूष् + किकन्—चोर
मुषिकः —पुं॰—-—मूष् + किकन्—शिरीष का पेड़
मुषिकः —पुं॰—-—मूष् + किकन्—एक देश का नाम
मुषिकाङ्कः —पुं॰—मुषिक-अङ्कः—-—गणेश का विशेषण
मुषिकाञ्चनः —पुं॰—मुषिक-अञ्चनः—-—गणेश का विशेषण
मुषिकरथः —पुं॰—मुषिक-रथः—-—गणेश का विशेषण
मुषिकादः —पुं॰—मुषिक-अदः—-—बिलाव
मुषिकारातिः —पुं॰—मुषिक-अरातिः—-—बिलाव
मुषिकोत्करः —पुं॰—मुषिक-उत्करः—-—बांबी
मुषिकस्थलम् —नपुं॰—मुषिक-स्थलम्—-—बांबी
मूषी —स्त्री॰—-—मूष + ङीष्—चूहा, मूसा, मूसी
मूषीकः —पुं॰—-—मूष + ङीष्, मूष् + ईकन्—चूहा, मूसा, मूसी
मूषीका —स्त्री॰—-—मूष + ङीष्, मूष् + ईकन्, स्त्रियां टाप् च—चूहा, मूसा, मूसी
मृ —तुदा॰ आ॰ <म्रियते>, <मृत>—-—-—मरना, नष्ट होना, मृत्यु को प्राप्त होना, जीवन से विदा लेना
मृ —तुदा॰ आ॰,प्रेर॰—-—-—वध करना, हत्या करना
मृ —तुदा॰ आ॰, इच्छा॰ <मुमूर्षति>—-—-—मरने की इच्छा करना
मृ —तुदा॰ आ॰, इच्छा॰ <मुमूर्षति>—-—-—मरने के निकट होना, मरणासन्न अवस्था में होना
अनुमृ —तुदा॰ आ॰ —अनु-मृ—-—बाद में मरना, मरकर अनुगमन करना
मृक्ष् —तुदा॰ आ॰ —-—-—रगड़ना
मृक्ष् —तुदा॰ आ॰ —-—-—देर लगाना, संचय करना, इकट्ठा करना
मृक्ष् —तुदा॰ आ॰ —-—-—लेप करना, रगड़ना, मलना
मृक्ष् —तुदा॰ आ॰ —-—-—मिश्रण करना, मिलाना
मृग् —दिवा॰ पर॰, चुरा॰ आ॰ <मृग्यति>, <मृगयते>, <मृगित>—-—-—ढूंढना, खोजना, तलाश करना
मृग् —दिवा॰ पर॰, चुरा॰ आ॰ <मृग्यति>, <मृगयते>, <मृगित>—-—-—शिकार करना, पीछा करना, अनुसरण करना
मृग् —दिवा॰ पर॰, चुरा॰ आ॰ <मृग्यति>, <मृगयते>, <मृगित>—-—-—लक्ष्य बांधना, यत्न करना
मृग् —दिवा॰ पर॰, चुरा॰ आ॰ <मृग्यति>, <मृगयते>, <मृगित>—-—-—परीक्षण करना, अनुसंधान करना
मृग् —दिवा॰ पर॰, चुरा॰ आ॰ <मृग्यति>, <मृगयते>, <मृगित>—-—-—मांगना, याचना करना
मृगः —पुं॰—-—मृग् + क—चौपाया, जानवर
मृगः —पुं॰—-—मृग् + क—हरिण, बारहसिंगा
मृगः —पुं॰—-—मृग् + क—आखेट
मृगः —पुं॰—-—मृग् + क—चन्द्रमा का लाञ्छन जो हरिण के रुप में लगा हुआ है
मृगः —पुं॰—-—मृग् + क—कस्तूरी
मृगः —पुं॰—-—मृग् + क—खोज, तलाश
मृगः —पुं॰—-—मृग् + क—पीछा करना, अनुसरण करना, शिकार
मृगः —पुं॰—-—मृग् + क—पूछताछ, गवेषणा
मृगः —पुं॰—-—मृग् + क—प्रार्थना, निवेदन
मृगः —पुं॰—-—मृग् + क—एक प्रकार का हाथी
मृगः —पुं॰—-—मृग् + क—मनुष्यों की एक विशिष्ट श्रेणी
मृगः —पुं॰—-—मृग् + क—नक्षत्र
मृगः —पुं॰—-—मृग् + क—‘मार्गशीष’ का महीना
मृगः —पुं॰—-—मृग् + क—मकरराशि
मृगाक्षी —स्त्री॰—मृग-अक्षी—-—हरिणी जैसी आंखों वाली स्त्री
मृगाङ्कः —पुं॰—मृग-अङ्कः—-—चन्द्रमा
मृगाङ्कः —पुं॰—मृग-अङ्कः—-—कपूर
मृगाङ्कः —पुं॰—मृग-अङ्कः—-—हवा
मृगाङ्गना —स्त्री॰—मृग-अङ्गना—-—हरिणी
मृगाजिनम् —स्त्री॰—मृग-अजिनम्—-—मृगछाला
मृगाण्डजा —स्त्री॰—मृग-अण्डजा—-—कस्तूरी
मृगाद् —पुं॰—मृग-अद्—-—छोटा शेर या चीता, लकड़बग्घा
मृगादनः —पुं॰—मृग-अदनः—-—छोटा शेर या चीता, लकड़बग्घा
मृगान्तकः —पुं॰—मृग-अन्तकः—-—छोटा शेर या चीता, लकड़बग्घा
मृगाधिपः —पुं॰—मृग-अधिपः—-—सिंह
मृगाधिराजः —पुं॰—मृग-अधिराजः—-—सिंह
मृगारातिः —पुं॰—मृग-अरातिः—-—सिंह
मृगारातिः —पुं॰—मृग-अरातिः—-—कुत्ता
मृगारिः —पुं॰—मृग-अरिः—-—सिंह
मृगारिः —पुं॰—मृग-अरिः—-—कुत्ता
मृगारिः —पुं॰—मृग-अरिः—-—शेर
मृगारिः —पुं॰—मृग-अरिः—-—वृक्ष का नाम
मृगाशनः —पुं॰—मृग-अशनः—-—सिंह
मृगाविध् —पुं॰—मृग-आविध्—-—शिकारी
मृगास्यः —पुं॰—मृग-आस्यः—-—मकर राशि
मृगेन्द्रः —पुं॰—मृग-इन्द्रः—-—सिंह
मृगेन्द्रः —पुं॰—मृग-इन्द्रः—-—शेर
मृगेन्द्रः —पुं॰—मृग-इन्द्रः—-—सिंह राशि
मृगेन्द्रासनम् —नपुं॰—मृग-इन्द्र-आसनम्—-—सिंहासन
मृगेन्द्रास्यः —पुं॰—मृग-इन्द्र-आस्यः—-—शिव का विशेषण
मृगेन्द्रचटकः —पुं॰—मृग-इन्द्र-चटकः—-—बाज पक्षी
मृगेष्टः —पुं॰—मृग-इष्टः—-—चमेली का एक भेद
मृगेक्षणा —स्त्री॰—मृग-ईक्षणा—-—हरिणी जैसी आंखों वाली स्त्री
मृगेश्वरः —पुं॰—मृग-ईश्वरः—-—सिंह
मृगेश्वरः —पुं॰—मृग-ईश्वरः—-—सिंहराशि
मृगूत्तमम् —नपुं॰—मृग-उत्तमम्—-—मृगशिरा नक्षत्रपुंज
मृगूत्तमाङ्गम् —नपुं॰—मृग-उत्तमाङ्गम्—-—मृगशिरा नक्षत्रपुंज
मृगकाननम् —नपुं॰—मृग-काननम्—-—उद्यान
मृगगामिनी —स्त्री॰—मृग-गामिनी—-—एक प्रकार का औषधद्रव्य
मृगजलम् —नपुं॰—मृग-जलम्—-—मृगमरीचिका
मृगजलस्नानम् —नपुं॰—मृग-जलम्-स्नानम्—-—मृगमरीचिका के जल में स्नान करना
मृगजीवनः —पुं॰—मृग-जीवनः—-—शिकारी, बहेलिया
मृगतृष् —पुं॰—मृग-तृष्—-—मृगमरीचिका
मृगतृषा —स्त्री॰—मृग-तृषा—-—मृगमरीचिका
मृगतृष्णा —स्त्री॰—मृग-तृष्णा—-—मृगमरीचिका
मृगतृष्णिका —स्त्री॰—मृग-तृष्णिका—-—मृगमरीचिका
मृगदंश —वि॰—मृग-दंश—-—कुत्ता
मृगदंशकः —पुं॰—मृग-दंशकः—-—कुत्ता
मृगदृश —स्त्री॰—मृग-दृश्—-—हरिणी जैसी आंखों वाली स्त्री
मृगद्युः —पुं॰—मृग-द्युः—-—शिकारी
मृगद्विष् —पुं॰—मृग-द्विष्—-—सिंह
मृगधरः —पुं॰—मृग-धरः—-—चन्द्रमा
मृगधूर्तः —पुं॰—मृग-धूर्तः—-—गीदड़
मृगधूर्तकः —पुं॰—मृग-धूर्तकः—-—गीदड़
मृगनयना —स्त्री॰—मृग-नयना —-—हरिणी जैसी आंखों वाली स्त्री
मृगनाभिः —पुं॰—मृग-नाभिः—-—कस्तूरी
मृगनाभिः —पुं॰—मृग-नाभिः—-—हरिण जिसकी नाभि में कस्तूरी होती हैं
मृगनाभिजा —स्त्री॰—मृग-नाभि-जा—-—कस्तूरी
मृगपतिः —स्त्री॰—मृग-पतिः—-—सिंह
मृगपतिः —स्त्री॰—मृग-पतिः—-—हरिण
मृगपतिः —स्त्री॰—मृग-पतिः—-—शेर
मृगपालिका —स्त्री॰—मृग-पालिका—-—कस्तूरीमृग
मृगपिप्लुः —पुं॰—मृग-पिप्लुः—-—चन्द्रमा
मृगप्रभुः —पुं॰—मृग-प्रभुः—-—सिंह
मृगबधाजीवः —पुं॰—मृग-बधाजीवः—-—शिकारी
मृगवधाजीवः —पुं॰—मृग-वधाजीवः—-—शिकारी
मृगबन्धिनी —स्त्री॰—मृग-बन्धिनी—-—हरिणों को पकड़ने का जाल
मृगमदः —पुं॰—मृग-मदः—-—कस्तूरी
मृगमदवासा —स्त्री॰—मृग-मद-वासा—-—कस्तूरी का थैला
मृगमन्द्रः —पुं॰—मृग-मन्द्रः—-—हाथियों की एक श्रेणी
मृगमातृका —स्त्री॰—मृग-मातृका—-—हरिणी
मृगमुखः —पुं॰—मृग-मुखः—-—मकरराशि
मृगयूथम् —नपुं॰—मृग-यूथम्—-—हरिणों का झुण्ड
मृगराज् —पुं॰—मृग-राज्—-—सिंह
मृगराज् —पुं॰—मृग-राज्—-—शेर
मृगराज् —पुं॰—मृग-राज्—-—सिंह राशी
मृगराजः —पुं॰—मृग-राजः—-—सिंह
मृगराजः —पुं॰—मृग-राजः—-—सिंह राशि
मृगराजः —पुं॰—मृग-राजः—-—शेर
मृगराजः —पुं॰—मृग-राजः—-—चन्द्रमा
मृगराजधारिन् —पुं॰—मृग-राज-धारिन्—-—चन्द्रमा
मृगराजलक्ष्मन् —पुं॰—मृग-राज-लक्ष्मन्—-—चन्द्रमा
मृगरिपुः —पुं॰—मृग-रिपुः—-—सिंह
मृगरोमम् —नपुं॰—मृग-रोमम्—-—ऊन
मृगरोमजम् —नपुं॰—मृग-रोमम्-जम्—-—ऊनी कपड़ा
मृगलाञ्छनः —पुं॰—मृग-लाञ्छनः—-—चन्द्रमा
मृगलाञ्छनजः —पुं॰—मृग-लाञ्छन-जः—-—बुधग्रह
मृगलेखा —स्त्री॰—मृग-लेखा—-—चन्द्रमा में हरिण जैसी धारी
मृगलोचनः —पुं॰—मृग-लोचनः—-—चन्द्रमा
मृगलोचना —स्त्री॰—मृग-लोचना—-—हरिणी जैसी आंखों वाली स्त्री
मृगलोचनी —स्त्री॰—मृग-लोचनी—-—हरिणी जैसी आंखों वाली स्त्री
मृगवाहनः —पुं॰—मृग-वाहनः—-—हवा
मृगव्याधः —पुं॰—मृग-व्याधः—-—शिकारी
मृगव्याधः —पुं॰—मृग-व्याधः—-—तारामंडल या नक्षत्रपुंज
मृगव्याधः —पुं॰—मृग-व्याधः—-—शिव का विशेषण
मृगशावः —पुं॰—मृग-शावः—-—छौना, हरिण का बच्चा
मृगशिरः —पुं॰—मृग-शिरः—-—पांचवें नक्षत्र का नाम जो तीन तारों का पुंज है
मृगशिरस् —नपुं॰—मृग-शिरस्—-—पांचवें नक्षत्र का नाम जो तीन तारों का पुंज है
मृगशिरा —स्त्री॰—मृग-शिरा—-—पांचवें नक्षत्र का नाम जो तीन तारों का पुंज है
मृगशीर्षम् —नपुं॰—मृग-शीर्षम्—-—मृगशिरा नाम का नक्षत्रपुंज
मृगशीर्षः —पुं॰—मृग-शीर्षः—-—मार्गशीर्ष का महीना
मृगशीर्षन् —पुं॰—मृग-शीर्षन्—-—मृगशिरा नाम का नक्षत्र
मृगश्रेष्ठः —पुं॰—मृग-श्रेष्ठः—-—शेर
मृगहन् —पुं॰—मृग-हन्—-—शिकारी
मृगणा —स्त्री॰—-—मृग् + युच् + टाप्—खोजना, तलाश करना, पूछताछ, अनुसंधान
मृगया —स्त्री॰—-—मृगं यात्यनया या घञर्थे क—शिकार, पीछा करना
मृगयुः —पुं॰—-—मृग अस्त्यर्थे युच्—शिकारी, बहेलिया
मृगयुः —पुं॰—-—-—ब्रह्मा का विशेषण
मृगव्यम् —नपुं॰—-—मृग + व्यध् + ड—पीछा करना, शिकार
मृगव्यम् —नपुं॰—-—-—निशाना, लक्ष्य
मृगी —स्त्री॰—-—मृग + ङीष्—हरिणी, मृगी
मृगी —स्त्री॰—-—-—मिरगी रोग
मृगी —स्त्री॰—-—-—स्त्रियों की एक विशिष्ट श्रेणी
मृगीदृश —स्त्री॰—मृगी-दृश्—-—वह स्त्री जिसकी आँखे हरिणी जैसी होती है
मृगीपतिः —पुं॰—मृगी-पतिः—-—कृष्ण का विशेषण
मृग्य —वि॰—-—मृग + ण्यत्—खोजे जाने या त्याग किये जाने के योग्य
मृज् —भ्वा॰ पर॰ <मार्जति>—-—-—शब्द करना
मृज् —अदा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <मार्ष्टि>, <मार्जयति>, <मार्जयते>, इच्छा॰ <मिमृक्षति> या <मिमार्जिषति>—-—-—पोंछना, धो डालना, स्वच्छ करना, साफ करना
मृज् —अदा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <मार्ष्टि>, <मार्जयति>, <मार्जयते>, इच्छा॰ <मिमृक्षति> या <मिमार्जिषति>—-—-—बुहारी देकर साफ करना
मृज् —अदा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <मार्ष्टि>, <मार्जयति>, <मार्जयते>, इच्छा॰ <मिमृक्षति> या <मिमार्जिषति>—-—-—चिकना करना, खरहरे से रगड़ना
मृज् —अदा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <मार्ष्टि>, <मार्जयति>, <मार्जयते>, इच्छा॰ <मिमृक्षति> या <मिमार्जिषति>—-—-—सजाना, अलंकृत करना
मृज् —अदा॰ पर॰ <मार्ष्टि>, चुरा॰ उभ॰ <मार्जयति>, <मार्जयते>, इच्छा॰ <मिमृक्षति> या <मिमार्जिषति>—-—-—निर्मल करना, पानी से धोना, साफ करना
अवमृज् —अदा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰—अव-मृज्—-—मलना, गुदगुदाना
अवमृज् —अदा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰—अव-मृज्—-—धो डालना
उन्मृज् —अदा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰—उद्-मृज्—-—पोंछ देना, हटाना
निर्मृज् —अदा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰—निस्-मृज्—-—पोंछना, धो देना
परिमृज् —अदा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰—परि-मृज्—-—पोंछ डालना, धो देना, हटाना
परिमृज् —अदा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰—परि-मृज्—-—मलना, गुदगुदाना
प्रमृज् —अदा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰—प्र-मृज्—-—पोंछ डालना, हटाना, प्रायश्चित करना
विमृज् —अदा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰—वि-मृज्—-—पोंछ डालना, पोंछ देना
विमृज् —अदा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰—वि-मृज्—-—निर्मल करना, स्वच्छ करना
सम्मृज् —अदा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰—सम्-मृज्—-—बुहार कर साफ करना, निर्मल करना
सम्मृज् —अदा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰—सम्-मृज्—-—पोंछ देना, पोंछ डालना, हटाना
सम्मृज् —अदा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰—सम्-मृज्—-—मलना, गुदगुदाना
सम्मृज् —अदा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰—सम्-मृज्—-—निचोड़ना, छानना
मृजः —पुं॰—-—मृज् + क—‘मुरज’ नाम का वाद्यविशेष
मृजा —स्त्री॰—-—मृज् + अङ् + टाप्—स्वच्छ करना, निर्मल करना, धोना, नहाना-धोना
मृजा —स्त्री॰—-—-—स्वच्छता, निर्मलता
मृजा —स्त्री॰—-—-—आकार-प्रकार, निर्मल त्वचा और स्वच्छ मुखमण्डल
मृजित —वि॰—-—मृज् + क्त—धो डाला गया, स्वच्छ किया गया, हटाया गया
मृडः —पुं॰—-—मृड् + क—शिव का विशेषण
मृडा —स्त्री॰—-—मृड + टाप्—पार्वती का विशेषण
मृडानी —स्त्री॰—-—मृड + ङीष्, आनुक्—पार्वती का विशेषण
मृडी —स्त्री॰—-—मृड + ङीष्—पार्वती का विशेषण
मृण् —तुदा॰ पर॰ <मृणति>—-—-—वध करना, हत्या करना, नष्ट करना
मृणालः —पुं॰—-—मृण् + कालन्—कमल की तन्तुमय जड़, कमल तन्तु
मृणालम् —नपुं॰—-—मृण् + कालन्—कमल की तन्तुमय जड़, कमल तन्तु
मृणालम् —नपुं॰—-—-—सुगंधित घास की जड़, वरिणमूल
मृणालभङ्गः —पुं॰—मृणाल-भङ्गः—-—कमलतंतु का टुकड़ा
मृणालसूत्रम् —नपुं॰—मृणाल-सूत्रम्—-—कमलवृन्त का टुकड़ा
मृणालिका —स्त्री॰—-—मृणाल + कन् + टाप्, इत्वम्—कमलवृन्त या तन्तु
मृणाली —स्त्री॰—-—मृणाल + ङीष्—कमलवृन्त या तन्तु
मृणालिन् —पुं॰—-—मृणाल + इनि—कमल
मृणालिनी —स्त्री॰—-—मृणालिन् + ङीष्—कमल का पौधा
मृणालिनी —स्त्री॰—-—-—कमलों का समूह
मृणालिनी —स्त्री॰—-—-—जहाँ कमल बहुतायत से मिलते हों
मृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—मृ + क्त—मरा हुआ, मृत्यु को प्राप्त
मृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—मृ + क्त—मृतक जैसा, व्यर्थ, निष्फल
मृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—मृ + क्त—भस्म किया हुआ, फूँका हुआ
मृतम् —नपुं॰—-—-—भिक्षा में प्राप्त अन्न, दान या भिक्षा
मृताङ्गम् —नपुं॰—मृत-अङ्गम्—-—शव
मृताण्डः —पुं॰—मृत-अण्डः—-—सूर्य
मृताशौचम् —नपुं॰—मृत-अशौचम्—-—किसी सम्बन्धी की मृत्यु से उत्पन्न अपवित्रता, अशौच
मृतोद्भवः —पुं॰—मृत-उद्भवः—-—समुद्र, सागर
मृतकल्प —वि॰—मृत-कल्प—-—मृतप्राय, बेहोश
मृतगृहम् —नपुं॰—मृत-गृहम्—-—कबर
मृतदारः —पुं॰—मृत-दारः—-—रंडवा, विधुर
मृतनिर्यातकः —पुं॰—मृत-निर्यातकः—-—जो शवों को कब्रिस्तान में ढोकर ले जाता है
मृतमत्तः —पुं॰—मृत-मत्तः—-—गीदड़
मृतमत्तकः —पुं॰—मृत-मत्तकः—-—गीदड़
मृतसंस्कारः —पुं॰—मृत-संस्कारः—-—अन्त्येष्टि या और्ध्वदेहिक कृत्य
मृतसञ्जीवन —वि॰—मृत-सञ्जीवन—-—मुर्दो को जिलाने वाला
मृतसञ्जीवनम् —नपुं॰—मृत-सञ्जीवनम्—-—मुर्दो को पुनर्जीवित करना
मृतसञ्जीवनी —स्त्री॰—मृत-सञ्जीवनी—-—मुर्दो को पुनर्जीवित करना
मृतसञ्जीवनी —स्त्री॰—मृत-सञ्जीवनी—-—मुर्दों को जिलाने का मंत्र, गंडा या ताबीज
मृतसूतकम् —नपुं॰—मृत-सूतकम्—-—मरे हुए बच्चे को जन्म देना
मृतस्नानम् —नपुं॰—मृत-स्नानम्—-—किसी की मृत्यु होने पर स्नान करना
मृतकः —पुं॰—-—मृत + कन्—मुर्दा शव
मृतकम् —नपुं॰—-—-—मुर्दा शव
मृतकम् —नपुं॰—-—-—किसी सम्बन्धी की मृत्यु हो जाने पर उत्पन्न अशौच
मृतान्तकः —पुं॰—मृतक-अन्तकः—-—गीदड़
मृतालकम् —नपुं॰—-—मृत + अल् + णिच् + ण्वुल्—एक प्रकार की मिट्टी, पिंडोर या चिक्कण मृतिका
मृतिः —स्त्री॰—-—मृ + क्तिन्—मृत्यु, मरण
मृत्तिका —स्त्री॰—-—मृद् + तिकन् + टाप्—पिंडोर, मिट्टी
मृत्तिका —स्त्री॰—-—-—ताजी मिट्टी
मृत्तिका —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार की गंधयुक्त मिट्टी
मृत्युः —पुं॰—-—मृ + त्युक्—मरण
मृत्युः —पुं॰—-—-—मृत्यु का देवता यमराज
मृत्युः —पुं॰—-—-—ब्रह्मा का विशेषण
मृत्युः —पुं॰—-—-—विष्णु का विशेषण
मृत्युः —पुं॰—-—-—माया का विशेषण
मृत्युः —पुं॰—-—-—कलि का विशेषण
मृत्युतूर्यम् —नपुं॰—मृत्यु-तूर्यम्—-—एक प्रकार का ढोल जो और्ध्वदेहिक संस्कार के अवसर पर बजाया जाता है
मृत्युनाशकः —पुं॰—मृत्यु-नाशकः—-—पारा
मृत्युपाः —पुं॰—मृत्यु-पाः—-—शिव का विशेषण
मृत्युपाशः —पुं॰—मृत्यु-पाशः—-—मृत्यु या यम का फंदा
मृत्युपुष्पः —पुं॰—मृत्यु-पुष्पः—-—ईख या गन्ना
मृत्युप्रतिबद्ध —वि॰—मृत्यु-प्रतिबद्ध—-—मरणशील, मर्त्य
मृत्युफला —स्त्री॰—मृत्यु-फला—-—केला
मृत्यु्फली —स्त्री॰—मृत्यु-फली—-—केला
मृत्युबीजः —पुं॰—मृत्यु-बीजः—-—बांस
मृत्युबीजः —पुं॰—मृत्यु-वीजः—-—बांस
मृत्युराज् —पुं॰—मृत्यु-राज्—-—मौत का देवता, यमराज
मृत्युलोकः —पुं॰—मृत्यु-लोकः—-—मुर्दों की दुनिया, यमलोक
मृत्युलोकः —पुं॰—मृत्यु-लोकः—-—भूलोक, मर्त्यलोक
मृत्युवचनः —पुं॰—मृत्यु-वचनः—-—शिव का विशेषण
मृत्युवचनः —पुं॰—मृत्यु-वचनः—-—पहाड़ी कौवा
मृत्युसूतिः —स्त्री॰—मृत्यु-सूतिः—-—केकड़ी
मृत्युञ्जयः —पुं॰—-—मृत्यु + जि + खच्, मुम्—शिव का विशेषण
मृत्सा —स्त्री॰—-—मृद् + स + टाप्—मिट्टी, पिंडोर
मृत्सा —स्त्री॰—-—-—अच्छी मिट्टी या पिंडोर, चिक्कण मिट्टी
मृत्सा —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार की गन्धयुक्त मिट्टी
मृत्स्ना —स्त्री॰—-—मृद् + स्न + टाप्—मिट्टी, पिंडोर
मृत्स्ना —स्त्री॰—-—-—अच्छी मिट्टी या पिंडोर, चिक्कण मिट्टी
मृत्स्ना —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार की गन्धयुक्त मिट्टी
मृद् —क्रया॰ पर॰ <मृद्नाति>, <मृदित>—-—-—निचोड़ना, दबाना, भींचना
मृद् —क्रया॰ पर॰ <मृद्नाति>, <मृदित>—-—-—कुचलना, रौंदना, टुकड़े-टुकड़े कर देना, हत्या करना, नष्ट करना, पीस देना, रगड़ देना, चकनाचूर कर देना
मृद् —क्रया॰ पर॰ <मृद्नाति>, <मृदित>—-—-—मसलना, गुदगुदाना, घिसना, स्पर्श करना
मृद् —क्रया॰ पर॰ <मृद्नाति>, <मृदित>—-—-—जीत लेना, आगे बढ़ जाना
मृद् —क्रया॰ पर॰ <मृद्नाति>, <मृदित>—-—-—पोछ देना, रगड़ देना, हटाना
अभिमृद् —क्रया॰ पर॰ —अभि-मृद्—-—निचोड़ना, भींचना, कुचलना
अवमृद् —क्रया॰ पर॰ —अव-मृद्—-—रौंदना, कुचलना
उपमृद् —क्रया॰ पर॰ —उप-मृद्—-—निचोड़ना, भींचना
उपमृद् —क्रया॰ पर॰ —उप-मृद्—-—नष्ट करना, मार डालना, कुचल देना
परिमृद् —क्रया॰ पर॰ —परि-मृद्—-—भींचना, निचोड़ना
परिमृद् —क्रया॰ पर॰ —परि-मृद्—-—मार डालना, नष्ट करना
परिमृद् —क्रया॰ पर॰ —परि-मृद्—-—पोछ देना, रगड़ देना
प्रमृद् —क्रया॰ पर॰ —प्र-मृद्—-—कुचलना, चकनाचूर करना, पींस देना, हत्या कर देना
विमृद् —क्रया॰ पर॰ —वि-मृद्—-—भींचना, निचोड़ना
विमृद् —क्रया॰ पर॰ —वि-मृद्—-—चकनाचूर करना, कुचलना, पीसना
विमृद् —क्रया॰ पर॰ —वि-मृद्—-—मार डालना, नष्ट करना
सम्मृद् —क्रया॰ पर॰ —सम्-मृद्—-—इकट्ठा कर निचोड़ना, चकनाचूर करना, पीस देना, हत्या करना
मृद् —स्त्री॰—-—मृद् + क्विप्—पिंडोर, मिट्टी, मिट्टी का गारा
मृद् —स्त्री॰—-—-—मिट्टी का ढेला, चिकनी मिट्टी का लौंदा
मृद् —स्त्री॰—-—-—मिट्टी का टीला
मृद् —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार की सुगंधित मिट्टी
मृत्कणः —पुं॰—मृद्-कणः—-—मिट्टी की डली या लौंदा
मृत्करः —पुं॰—मृद्-करः—-—कुम्हार
मृत्कांस्यम् —नपुं॰—मृद्-कांस्यम्—-—मिट्टी का वर्तन
मृद्गः —पुं॰—मृद्-गः—-—एक प्रकार की मछली
मृच्चयः —पुं॰—मृद्-चयः—-—मिट्टी का ढेर
मृत्पचः —पुं॰—मृद्-पचः—-—कुम्हार
मृत्पात्रम् —नपुं॰—मृद्-पात्रम्—-—भाण्डम्, मिट्टी का बर्तन, चिकनी मिट्टी के बने पात्र
मृत्पिण्डः —पुं॰—मृद्-पिण्डः—-—मिट्टी का लौदा
मृद्बुद्धिः —पुं॰—मृद्-बुद्धिः—-— बुद्धू
मृल्लोष्टः —पुं॰—मृद्-लोष्टः—-—मिट्टी का ढेला
मृच्छकटिका —स्त्री॰—मृद्-शकटिका—-—मिट्टी की छोटी गाड़ी
मृदङ्गः —पुं॰—-—मृद् + अंगच् किच्च—एक प्रकार का ढोल या मुरज, डफली
मृदङ्गफलः —पुं॰—मृदङ्ग-फलः—-—कटहल का वृक्ष
मृदर —वि॰—-—मृद् + अरच्—क्रीडाशील, खिलाड़ी
मृदर —वि॰—-—-—क्षणभंगुर, क्षणिक, अस्थायी
मृदा —स्त्री॰—-—-—पिंडोर, मिट्टी, मिट्टी का गारा
मृदा —स्त्री॰—-—-—मिट्टी का ढेला, चिकनी मिट्टी का लौंदा
मृदा —स्त्री॰—-—-—मिट्टी का टीला
मृदा —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार की सुगंधित मिट्टी
मृदित —भू॰ क॰ कृ॰—-—मृद + क्त—भींचा हुआ, निचोड़ा हुआ
मृदित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—कुचला गया, पीसा गया, पीस डाला गया, रौंदा गया, मार डाल गया
मृदित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—मसल दिया गया, हटाया गया
मृदिनी —स्त्री॰—-—मृद + क + इनि + ङीष्—अच्छी चिकनी मिट्टी
मृदु —वि॰—-—मृद् + कु—चिकना, कोमल, पतला, लचीला, सुकुमार
मृदु —वि॰—-—-—कोमल, सुकुमार, नम्र
मृदु —वि॰—-—-—दुर्बल, कमजोर
मृदु —अव्य॰—-—-—कोमलता से, मन्दस्वर में, मधुर ढंग से
मृद्वङ्ग —वि॰—मृदु-अङ्ग—-—कोमल अंगो वाला
मृद्वङ्गम् —नपुं॰—मृदु-अङ्गम्—-—टीन, जस्त
मृद्वङ्गी —स्त्री॰—मृदु-अङ्गी—-—कोमल अंगो वाली स्त्री
मृदूत्पलम् —नपुं॰—मृदु-उत्पलम्—-—कोमल अर्थात या नीलकमल
मृदुकार्ष्णायसम् —नपुं॰—मृदु-कार्ष्णायसम्—-—सीसा
मृदुकोष्ठ —वि॰—मृदु-कोष्ठ—-—नरम कोठे वाला जिसे हलके विरेचन से दस्त आ जाय
मृदुगमन —वि॰—मृदु-गमन—-—मन्द या अलसपूर्ण चाल वाला
मृदुगमना —स्त्री॰—मृदु-गमना—-—हंसी, राजहंसी
मृदुचर्मिन् —पुं॰—मृदु-चर्मिन्—-—एक प्रकार के भोजपत्र का वृक्ष
मृदुछदः —पुं॰—मृदु-छदः—-—एक प्रकार के भोजपत्र का वृक्ष
मृदुत्वच् —पुं॰—मृदु-त्वच्—-—एक प्रकार के भोजपत्र का वृक्ष
मृदुत्वचः —पुं॰—मृदु-त्वचः—-—एक प्रकार के भोजपत्र का वृक्ष
मृदुपत्रः —पुं॰—मृदु-पत्रः—-—सरकंडा या नरकुल
मृदुपर्वकः —पुं॰—मृदु-पर्वकः—-—नरकुल, बेंत
मृदुपर्वन् —नपुं॰—मृदु-पर्वन्—-—नरकुल, बेंत
मृदुपुष्पः —पुं॰—मृदु-पुष्पः—-—शिरिष का वृक्ष
मृदुपूर्व —वि॰—मृदु-पूर्व—-—जो आरम्भ में मन्द हो, स्निग्ध हो, सौम्य तथा सुहावना हो
मृदुभाषिन् —वि॰—मृदु-भाषिन्—-—मधुर बोलने वाला
मृदुरोमन् —पुं॰—मृदु-रोमन्—-—खरगोश
मृदुरोमकः —पुं॰—मृदु-रोमकः—-—खरगोश
मृदुस्पर्शः —वि॰—मृदु-स्पर्शः—-—छूने में नरम
मृदुन्नकम् —पुं॰—-—मृदु + उद् + नी + ड + कन्—सोना, स्वर्ण
मृदुल —वि॰—-—मृदु + लच्—स्निग्ध, कोमल, सुकुमार
मृदुल —वि॰—-—-—ऋजु, सरल, साधु
मृदुलम् —नपुं॰—-—-—अगर की लकड़ी का एक भेद
मृद्वी —स्त्री॰—-—मृदु + ङीष्—अंगूरों की बेल या गुच्छा
मृद्वीका —स्त्री॰—-—मृदु + ङीष्, पक्षे कन् + टाप् च—अंगूरों की बेल या गुच्छा
मृध् —भ्वा॰ उभ <मर्धति>, <मर्धते>—-—-—गीला होना या गीला करना
मृधम् —नपुं॰—-—मृध् + क—संग्राम, युद्ध, लड़ाई
मृन्मय —वि॰—-—मृद् + मयट्—मिट्टी का बना हुआ
मृश् —तुदा॰ पर॰ <मृशति>, <मृष्ट>—-—-—स्पर्श करना, हाथ से पकड़ना
मृश् —तुदा॰ पर॰ <मृशति>, <मृष्ट>—-—-—मलना, गुदगुदाना
मृश् —तुदा॰ पर॰ <मृशति>, <मृष्ट>—-—-—सोचना, विमर्श, विचार करना
अभिमृश् —तुदा॰ पर॰ —अभि-मृश्—-—स्पर्श करना, हाथ से पकड़ना
आमृश् —तुदा॰ पर॰ —आ-मृश्—-—स्पर्श करना, हाथ लगाना, हाथ डालना
आमृश् —तुदा॰ पर॰ —आ-मृश्—-—झपट्टा मारना, खा जाना
आमृश् —तुदा॰ पर॰ —आ-मृश्—-—आक्रमण करना, हमला करना
परामृश् —तुदा॰ पर॰ —परा-मृश्—-—स्पर्श करना, मलना, गुदगुदाना
परामृश् —तुदा॰ पर॰ —परा-मृश्—-—किसी पर हाथ डालना, आक्रमण करना, हमला करना, पकड़ लेना
परामृश् —तुदा॰ पर॰ —परा-मृश्—-—दूषित करना, भ्रष्ट करना, बलात्कार करना
परामृश् —तुदा॰ पर॰ —परा-मृश्—-—विचार विमर्श करना, चिंतन करना
परामृश् —तुदा॰ पर॰ —परा-मृश्—-—मन से सोचना, प्रशंसा करना
परिमृश् —तुदा॰ पर॰ —परि-मृश्—-—स्पर्श करना, जरा छू जाना
परिमृश् —तुदा॰ पर॰ —परि-मृश्—-—ज्ञात करना
विमृश् —तुदा॰ पर॰ —वि-मृश्—-—स्पर्श करना
विमृश् —तुदा॰ पर॰ —वि-मृश्—-—चिन्तन करना, सोचना, विचार करना, मनन करना
विमृश् —तुदा॰ पर॰ —वि-मृश्—-—प्रत्यक्षज्ञान प्राप्त करना, पर्यवेक्षण करना
विमृश् —तुदा॰ पर॰ —वि-मृश्—-—परीक्षा लेना, परीक्षण करना
मृष् —भ्वा॰ पर॰ <मर्षति>—-—-—छिड़कना
मृष् —भ्वा॰ उभ॰ <मर्षति>, <मर्षते>—-—-—बर्दाश्त करना, सहन करना
मृष् —दिवा॰, चुरा॰ उभ॰ <मृष्यति>, <मृष्यते>, <मर्षयति>, <मर्षयते>, <मर्षति>—-—-—झेलना, भोगना, सहन करना, साथ रहना
मृष् —दिवा॰, चुरा॰ उभ॰ <मृष्यति>, <मृष्यते>, <मर्षयति>, <मर्षयते>, <मर्षति>—-—-—अनुमति देना, इजाजत देना
मृष् —दिवा॰, चुरा॰ उभ॰ <मृष्यति>, <मृष्यते>, <मर्षयति>, <मर्षयते>, <मर्षति>—-—-—क्षमा करना, माफ करना, दोषमुक्त करना, क्षमाशील होना
मृषा —अव्य॰—-—मृष् + का—मिथ्या, गलती से, असत्यता के साथ, झूठमूठ
मृषा —अव्य॰—-—-—व्यर्थ, निष्प्रयोजन, निरर्थक
मृषाध्यायिन् —पुं॰—मृषा-अध्यायिन्—-—एक प्रकार का सारस
मृषार्थक —वि॰—मृषा-अर्थक—-—असत्य
मृषार्थक् —वि॰—मृषा-अर्थक—-—बेहूदा
मृषार्थकम् —नपुं॰—मृषा-अर्थकम्—-—असंगति, असंभावना
मृषोद्यम् —नपुं॰—मृषा-उद्यम्—-—मिथ्यात्व, झूठ, झूठी उक्ति
मृषाज्ञानम् —नपुं॰—मृषा-ज्ञानम्—-—अज्ञान, अशुद्धि, भूल
मृषाभाषिन् —वि॰—मृषा-भाषिन्—-—झठा, झूठ बोलने वाला
मृषावादिन् —पुं॰—मृषा-वादिन्—-—झठा, झूठ बोलने वाला
मृषावाच् —स्त्री॰—मृषा-वाच्—-—असत्योक्ति, व्यङ्गयोक्ति, व्यंग्यकाव्य, ताना
मृषावादः —पुं॰—मृषा-वादः—-—असत्योक्ति, झूठ, मिथ्या
मृषावादः —पुं॰—मृषा-वादः—-—कपटपूर्ण उक्तिं, चापलूसी
मृषावादः —पुं॰—मृषा-वादः—-—व्यंग्य, व्यंग्योक्ति
मृषालकः —पुं॰—-—मृषा + अल + कै + क—आम का पेड़
मृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—मृज्, मृश् वा + क्त—स्वच्छ किया हुआ, निर्मल किया हुआ
मृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—लीपा हुआ
मृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—प्रसाधित, पकाया हुआ
मृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—छूआ हुआ
मृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—सोचा हुआ, विचारा हुआ
मृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—चटपटा, मसालेदार, रुचिकर
मृष्टगन्धः —पुं॰—मृष्ट-गन्धः—-—चटपटी और रोचक गन्ध
मृष्टिः —स्त्री॰—-—मृज् (मृश्) + क्तिन्—स्वच्छ करना, साफ करना, निर्मल करना
मृष्टिः —स्त्री॰—-—-—पकाना, प्रसाधन करना, तैयारी करना
मृष्टिः —स्त्री॰—-—-—स्पर्श, संपर्क
मे —भ्वा॰ आ॰ <मयते>, <मित> इच्छा॰ <मित्सते>—-—-—विनिमय करना, अदला बदली करना
निमे —भ्वा॰ आ॰—नि-मे—-—विनिमय या अदला बदली करना
विनिमे —भ्वा॰ आ॰—विनि-मे—-—विनिमय या अदला बदली करना
मेकः —पुं॰—-—मे इति कायति शब्द करोति मे + कै + क—बकरा
मेकलः —पुं॰—-—-—एक पहाड़ का नाम
मेकलाद्रिजा —स्त्री॰—मेकल-अद्रिजा—-—नर्मदा नदी के विशेषण
मेकलकन्यका —स्त्री॰—मेकल-कन्यका—-—नर्मदा नदी के विशेषण
मेकलकन्या —स्त्री॰—मेकल-कन्या—-—नर्मदा नदी के विशेषण
मेखला —स्त्री॰—-—मीयते प्रक्षिप्यते कायमध्यभागे - मी + खल + टाप, गुणः—करधनी, तगड़ी, कमरबन्द, कटिबन्ध, कोई वस्तु जो चारों ओर से लपेट सके
मेखला —स्त्री॰—-—-—विशेष कर स्त्री की तगड़ी नितम्ब
मेखला —स्त्री॰—-—-—तीन लड़ों वाली मेखला जो पहले तीन वर्ण के ब्रह्मचारियों द्वारा पहनी जाती हैं
मेखला —स्त्री॰—-—-—पहाड़ का ढलान
मेखला —स्त्री॰—-—-—तलवार की मूठ
मेखला —स्त्री॰—-—-—तलवार की मूठ में बंधी हुई डोरी की गांठ
मेखला —स्त्री॰—-—-—घोड़े की तंग
मेखला —स्त्री॰—-—-—नर्मदा नदी का नाम
मेखलापदम् —नपुं॰—मेखला-पदम्—-—कूल्हा
मेखलाबन्धः —पुं॰—मेखला-बन्धः—-—कटिसूत्र धारण करना
मेखलालः —पुं॰—-—मेखला + अल् + अच्—शिव का विशेषण
मेखलिन् —पुं॰—-—मेखला + इनि—शिव का विशेषण
मेखलिन् —पुं॰—-—-—धर्मशिक्षा ग्रहण करने वाला ब्रह्मचारी
मेघः —पुं॰—-—मेहति वर्षति जलम्, मिह् + घञ्, कुत्वम्—बादल
मेघः —पुं॰—-—-—ढेर, समुच्चय
मेघः —पुं॰—-—-—सुगन्धित घास
मेघाध्यन् —पुं॰—मेघ-अध्यन्—-—अन्तरिक्ष
मेघपथः —पुं॰—मेघ-पथः—-—अन्तरिक्ष
मेघमार्गः —पुं॰—मेघ-मार्गः—-—अन्तरिक्ष
मेघान्तः —पुं॰—मेघ-अन्तः—-—शरद् ऋतु
मेघारिः —पुं॰—मेघ-अरिः—-—वायु
मेघास्थि —नपुं॰—मेघ-अस्थि—-—ओला
मेघाख्यम् —नपुं॰—मेघ-आख्यम्—-—सेलखड़ी
मेघागमः —पुं॰—मेघ-आगमः—-—बारिश का आना, बरसात
मेघाटोपाः —पुं॰—मेघ-आटोपाः—-—सघन मोटा बादल
मेघाडम्बरः —पुं॰—मेघ-आडम्बरः—-—मेघों की गर्जन
मेघानन्दा —स्त्री॰—मेघ-आनन्दा—-—एक प्रकार का सारस
मेघानन्दिन् —पुं॰—मेघ-आनन्दिन्—-—मोर
मेघालोकः —पुं॰—मेघ-आलोकः—-—बादलों का दिखाई देना
मेघास्पदम् —नपुं॰—मेघ-आस्पदम्—-—आकाश, अन्तरिक्ष
मेघोदकम् —नपुं॰—मेघ-उदकम्—-—वृष्टि
मेघोदयः —पुं॰—मेघ-उदयः—-—बादलों का घिर आना
मेघकफः —पुं॰—मेघ-कफः—-—ओला
मेघकालः —पुं॰—मेघ-कालः—-—वृष्टि, वर्षा ऋतु
मेघगर्जनम् —नपुं॰—मेघ-गर्जनम्—-—चातक पक्षी
मेघगर्जना —स्त्री॰—मेघ-गर्जना—-—चातक पक्षी
मेघचिन्तकः —पुं॰—मेघ-चिन्तकः—-—चातक पक्षी
मेघजः —पुं॰—मेघ-जः—-—बड़ा मोती
मेघजालम् —नपुं॰—मेघ-जालम्—-—बादलों के सघन समूह
मेघजालम् —नपुं॰—मेघ-जालम्—-—सेलखड़ी
मेघजीवकः —पुं॰—मेघ-जीवकः—-—चातक पक्षी
मेघजीवनः —पुं॰—मेघ-जीवनः—-—चातक पक्षी
मेघज्योतिस् —पुं॰—मेघ-ज्योतिस्—-—बिजली
मेघडम्बर —वि॰—मेघ-डम्बर—-—बादलों की गरज
मेघदीपः —पुं॰—मेघ-दीपः—-—बिजली
मेघद्वारम् —नपुं॰—मेघ-द्वारम्—-—आकाश, अन्तरिक्ष
मेघनादः —पुं॰—मेघ-नादः—-—बादलों की गरज, गड़गडाहट
मेघनादः —पुं॰—मेघ-नादः—-—वरुण का विशेषण
मेघनादः —पुं॰—मेघ-नादः—-—रावण के पुत्र इन्द्रजित का विशेषण
मेघनादानुलासिन् —पुं॰—मेघ-नादः-अनुलासिन्—-—मोर
मेघनादानुलासकः —पुं॰—मेघ-नादः-अनुलासकः—-—मोर
मेघनादजित् —पुं॰—मेघ-नाद-जित्—-—लक्ष्मण का विशेषण
मेघनिर्घोषः —पुं॰—मेघ-निर्घोषः—-—बादलों की गरज
मेघपङ्क्तिः —पुं॰—मेघ-पङ्क्तिः—-—बादलों की श्रेणी
मेघमाला —स्त्री॰—मेघ-माला—-—बादलों की श्रेणी
मेघपुष्पम् —नपुं॰—मेघ-पुष्पम्—-—पानी
मेघपुष्पम् —नपुं॰—मेघ-पुष्पम्—-—ओला
मेघपुष्पम् —नपुं॰—मेघ-पुष्पम्—-—नदियों का पानी
मेघप्रसवः —पुं॰—मेघ-प्रसवः—-—पानी
मेघभूतिः —पुं॰—मेघ-भूतिः—-—वज्र
मेघमण्डलम् —नपुं॰—मेघ-मण्डलम्—-—आकाश, अन्तरिक्ष
मेघमालः —पुं॰—मेघ-मालः—-—बादलों से घिरा हुआ
मेघमालिन् —वि॰—मेघ-मालिन्—-—बादलों से घिरा हुआ
मेघयोनिः —पुं॰—मेघ-योनिः—-—घुंघ, घूँआ
मेघरवः —पुं॰—मेघ-रवः—-—गरज
मेघवर्णा —स्त्री॰—मेघ-वर्णा—-—नील का पौधा
मेघवर्त्मन् —नपुं॰—मेघ-वर्त्मन्—-—अन्तरिक्ष
मेघवह्निः —पुं॰—मेघ-वह्निः—-—बिजली
मेघवाहनः —पुं॰—मेघ-वाहनः—-—इन्द्र का विशेषण
मेघवाहनः —पुं॰—मेघ-वाहनः—-—शिव का विशेषण
मेघविस्फूर्जितम् —नपुं॰—मेघ-विस्फूर्जितम्—-—गरज, बादलों की गड़गडाहट
मेघविस्फूर्जितम् —नपुं॰—मेघ-विस्फूर्जितम्—-—एक छन्द का नाम
मेघवेश्मन् —नपुं॰—मेघ-वेश्मन्—-—अन्तरिक्ष
मेघसारः —पुं॰—मेघ-सारः—-—एक प्रकार का कपूर
मेघसुहृद् —पुं॰—मेघ-सुहृद्—-—मोर
मेघस्तनितम् —नपुं॰—मेघ-स्तनितम्—-—गरज
मेघङ्कर —वि॰—-—मेघं करोतीति - कृ + अच्—बादलों को पैदा करने वाला
मेचक —वि॰—-—मच् + वुन्, इत् च—काला, गहरानीला, काले रंग का
मेचकः —पुं॰—-—-—कालिमा, गहरा नीला वर्ण
मेचकः —पुं॰—-—-—मोर की पूँछ की आँख
मेचकः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का रत्न
मेचकापगा —स्त्री॰—मेचक-आपगा—-—यमुना का विशेषण
मेट् —भ्वा॰ पर॰ <मेटति>—-—-—पागल होना
मेड् —भ्वा॰ पर॰ <मेडति>—-—-—पागल होना
मेटुला —स्त्री॰—-—-—आँवले का पेड़
मेठः —पुं॰—-—-—हाथी का रखवाला, महावत
मेठिः —पुं॰—-—-—खंभा, स्थाणु
मेठिः —पुं॰—-—-—खलिहान में गड़ा हुआ खंभा जिससे बैल बांधे जाते है
मेठिः —पुं॰—-—-—गाय, भैंस आदि बांधने का खूंटा
मेठिः —पुं॰—-—-—गाड़ी के बम को सहारने के लिए बल्ली
मेथिः —पुं॰—-—-—खंभा, स्थाणु
मेथिः —पुं॰—-—-—खलिहान में गड़ा हुआ खंभा जिससे बैल बांधे जाते है
मेथिः —पुं॰—-—-—गाय, भैंस आदि बांधने का खूंटा
मेथिः —पुं॰—-—-—गाड़ी के बम को सहारने के लिए बल्ली
मेढ्रः —पुं॰—-—मिह + ष्ट्रन्—मेंढा, मेष
मेढ्रम् —नपुं॰—-—मिह + ष्ट्रन्—पुरुष की जननेन्द्रिय
मेढ्रचर्मन् —नपुं॰—मेढ्र-चर्मन्—-—लिंग की सुपाड़ी का चमड़ा
मेढ्रजः —पुं॰—मेढ्र-जः—-—शिव का विशेषण
मेढ्ररोगः —पुं॰—मेढ्र-रोगः—-—लिंग संबंधी रोग
मेढ्रकः —पुं॰—-—मेढ्र + कन्—भुजा
मेढ्रकः —पुं॰—-—-—लिंग, पुरुष की जननेद्रिय
मेण्ठः —पुं॰—-—-—हाथी का रखवाला, महावत
मेण्डः —पुं॰—-—-—हाथी का रखवाला, महावत
मेण्ढः —पुं॰—-—-—मेंढा, मेष
मेढ्रकः —पुं॰—-—-—मेंढा, मेष
मेण्ढ्र —वि॰—-—मिह + ष्ट्रन्—मेंढा, मेष
मेण्ढ्र —वि॰—-—मिह + ष्ट्रन्—पुरुष की जननेन्द्रिय
मेथ् —भ्वा॰ उभ॰ <मेथति>, <मेथते>—-—-—मिलना
मेथ् —भ्वा॰ उभ॰ <मेथति>, <मेथते>—-—-—एक दूसरे से मिलन होना
मेथ् —भ्वा॰ उभ॰ <मेथति>, <मेथते>—-—-—बुरा भला कहना
मेथ् —भ्वा॰ उभ॰ <मेथति>, <मेथते>—-—-—जानना, समझाना
मेथ् —भ्वा॰ उभ॰ <मेथति>, <मेथते>—-—-—चोट मारना, क्षति पहुँचाना, जान से मार डालना
मेथिका —स्त्री॰—-—मेथ् + ण्वुल + टाप्—एक प्रकार का घास , मेथी
मेथिनी —स्त्री॰—-—मेथ् + ण्वुल + टाप्, इत्वम्, मेथ + णिनि + ङीष्—एक प्रकार का घास , मेथी
मेदः —पुं॰—-—मेदते स्निह्यति - मिद् + अच्—चर्बी
मेदः —पुं॰—-—-—एक विशेष प्रकार की वर्णसंकर जाति
मेदः —पुं॰—-—-—एक नाग राक्षस का नाम
मेदजम् —नपुं॰—मेद-जम्—-—एक प्रकार का गूगल
मेदभिल्लः —पुं॰—मेद-भिल्लः—-—एक पतित जाति का नाम
मेदकः —पुं॰—-—मिद् + ण्वुल्—अर्क जो शराब खींचेने के काम आता है
मेदस् —नपुं॰—-—मेदते स्निह्यति - मिद् + असुन्—चर्बी, वसा
मेदस् —नपुं॰—-—-—मांसलता, शरीर का मोटापा
मेदसार्बुदम् —नपुं॰—मेदस्-अर्बुदम्—-—एक मोटी रसौली
मेदस्कृत् —पुं॰—मेदस्-कृत्—-—मांस
मेदोग्रन्थिः —पुं॰—मेदस्-ग्रन्थिः—-—मेंद युक्त गांठ या रसौली
मेदोजम् —नपुं॰—मेदस्-जम्—-—हड्डी
मेदस्तेजस् —नपुं॰—मेदस्-तेजस्—-—हड्डी
मेदःपिण्डः —पुं॰—मेदस्-पिण्डः—-—चर्बी का डला
मेदोवृद्धिः —स्त्री॰—मेदस्-वृद्धिः—-—चर्बी की वृद्धि, मोटापा
मेदोवृद्धिः —स्त्री॰—मेदस्-वृद्धिः—-—फोतों का बढ़ जाना
मेदस्विन् —वि॰—-—मेदस् + विनि—मोटा, स्थूलकाय
मेदस्विन् —वि॰—-—-—मजबूत, हृष्टपुष्ट
मेदिनी —स्त्री॰—-—मेद + इनि + ङीष्—पृथ्वी
मेदिनी —स्त्री॰—-—-—जमीन, भूमि, मिट्टी
मेदिनी —स्त्री॰—-—-—स्थान, जगह
मेदिनी —स्त्री॰—-—-—एक कोश का नाम
मेदिनीशः —पुं॰—मेदिनी-ईशः—-—राजा
मेदिनीपतिः —पुं॰—मेदिनी-पतिः—-—राजा
मेदिनीद्रवः —पुं॰—मेदिनी-द्रवः—-—धूल
मदुर —वि॰—-—मिद् + धुरच्—मोटा
मदुर —वि॰—-—-—चिकना, स्निग्ध, मृदु
मदुर —वि॰—-—-—ठोस, सघन, फूला हुआ, भरा हुआ, ढका हुआ
मेदुरित —वि॰—-—मेदुर + इतच्—मोटा, फुलाया हुआ, सघन किया हुआ
मेद्य —वि॰—-—मेद् + यत्—चर्बीयुक्त
मेध् —भ्वा॰ उभ॰—-—-—एक दूसरे से मिलन होना
मेध् —भ्वा॰ उभ॰—-—-—बुरा भला कहना
मेध् —भ्वा॰ उभ॰—-—-—जानना, समझाना
मेध् —भ्वा॰ उभ॰—-—-—चोट मारना, क्षति पहुँचाना, जान से मार डालना
मेधः —पुं॰—-—मेध्यते हन्यते पशुः अत्र - मेध् + धञ्—यज्ञ
मेधः —पुं॰—-—-—यज्ञीय पशु, यज्ञ में बलि जाने वाला पशु
मेधजः —पुं॰—मेध-जः—-—विष्णु का विशेषण
मेधा —स्त्री॰—-—मेघ् + अञ् + टाप्—धारणात्मक शक्ति, धारणा शक्ति
मेधा —स्त्री॰—-—-—प्रज्ञा, वुद्धि
मेधा —स्त्री॰—-—-—सरस्वती का एक रुप
मेधातिथिः —पुं॰—मेधा-अतिथिः—-—मनुस्मृति का एक विद्वान भाष्यकार
मेधारुद्रः —पुं॰—मेधा-रुद्रः—-—कालिदास का विशेषण
मेधावत् —वि॰—-—मेधा + मतुप्, वत्वम्—बुद्धिमान, समझदार
मेधाविन् —वि॰—-—मेधा + विनि—बहुत समझदार, अच्छी स्मरणशक्ति वाला
मेधाविन् —वि॰—-—-—बुद्धिमान, समझदार, प्रज्ञावान
मेधाविन् —पुं॰—-—-—विद्वान पुरुष, ऋषि, विद्यासंपन्न
मेधाविन् —पुं॰—-—-—मादक पेय
मेधि —पुं॰—-—-—खंभा, स्थाणु
मेधि —पुं॰—-—-—खलिहान में गड़ा हुआ खंभा जिससे बैल बांधे जाते है
मेधि —पुं॰—-—-—गाय, भैंस आदि बांधने का खूंटा
मेधि —पुं॰—-—-—गाड़ी के बम को सहारने के लिए बल्ली
मेध्य —वि॰—-—मेध् + ण्यत् मेधाय हितं यत् वा—यज्ञ के लिए उपयुक्त
मेध्य —वि॰—-—-—यज्ञ संबंधी, यज्ञीय
मेध्य —वि॰—-—-—विशुद्ध, पुण्यशील, पवित्रात्मा
मेध्यः —पुं॰—-—-—खैर का पेड़
मेध्या —स्त्री॰—-—-—कुछ पौधों के नाम
मेनका —स्त्री॰—-—मन् + वुन् अकारस्य एत्वम्—एक अप्सरा का नाम
मेनका —स्त्री॰—-—-—हिमालय की पत्नी का नाम
मेनकात्मजा —स्त्री॰—मेनका-आत्मजा—-—पार्वती का नाम
मेना —स्त्री॰—-—मान + इनच्, नि॰ साधुः—हिमालय की पत्नी का नाम
मेना —स्त्री॰—-—-—एक नदी का नाम
मेनादः —पुं॰—-—मे इति नादोऽस्य—मोर
मेधिका —स्त्री॰—-—-—एक पौधा जिसे मेहंदी कहते हैं
मेधी —स्त्री॰—-—-—एक पौधा जिसे मेहंदी कहते हैं
मेप् —भ्वा॰ आ॰ <मेपते>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
मेय —वि॰—-—मा (मि) + यत्—नापने योग्य, जो नापा जा सके
मेय —वि॰—-—-—जिसका अनुमान लगाया जा सके
मेय —वि॰—-—-—पहचाने जाने के योग्य, ज्ञेय, जो जाना जा सके
मेरुः —पुं॰—-—मि + रु—उपाख्यानों में वर्णित एक पर्वत का नाम
मेरुः —पुं॰—-—-—रुद्राक्षमाला के बीच का गुरिया
मेरुः —पुं॰—-—-—हार के बीच की मणि
मेरुधामन् —पुं॰—मेरु-धामन्—-—शिव का विशेषण
मेरुयन्त्रम् —नपुं॰—मेरु-यन्त्रम्—-—तकुवे के आकार की बनी एक आकृति
मेरुकः —पुं॰—-—मेरु + कन्—धूप, धूनी
मेलः —पुं॰—-—मिल् + घञ्—मिलाप, एकता, संलाप, समवाय, सभा
मेलनम् —नपुं॰—-—मिल् + णिच् + ल्युट्—एकता, संयोग
मेला —स्त्री॰—-—मिल् + णिच् + अच् + टाप्—मिलना, समागम
मेला —स्त्री॰—-—-—समवाय, सभा, समाज
मेला —स्त्री॰—-—-—नील का पौधा
मेला —स्त्री॰—-—-—स्याही, मसी
मेला —स्त्री॰—-—-—संगीत की माप, स्वरग्राम
मेलान्धुकः —पुं॰—मेला-अन्धुकः—-—कलम दान, दवात
मेलाम्बुः —नपुं॰—मेला-अम्बुः—-—कलम दान, दवात
मेलानन्दः —पुं॰—मेला-नन्दः—-—कलम दान, दवात
मेलानन्दा —स्त्री॰—मेला-नन्दा—-—कलम दान, दवात
मेलामन्दा —स्त्री॰—मेला-मन्दा—-—कलम दान, दवात
मेव् —भ्वा॰ आ॰ <मेवते>—-—-—पूजा करना, सेवा करना, टहल करना
मेषः —पुं॰—-—मिषति अन्योऽन्यं स्पर्धते -मिष् + अच्—मेढ़ा, भेड़
मेषाण्डः —पुं॰—मेष-अण्डः—-—इन्द्र का विशेषण
मेषकम्बलः —पुं॰—मेष-कम्बलः—-—एक ऊनी कंबल या घुस्सा
मेषपालः —पुं॰—मेष-पालः—-—गडेरिया
मेषपालकः —पुं॰—मेष-पालकः—-—गडेरिया
मेषमांसम् —नपुं॰—मेष-मांसम्—-—भेड़ या बकरे का मांस
मेषयूथम् —नपुं॰—मेष-यूथम्—-—भेडों का रेबड़
मेषा —स्त्री॰—-—मिष्यतेऽसौ मिष् + घञ् + टाप्—छोटी इलायची
मेषिका —स्त्री॰—-—मेष + कन् + टाप्, इत्वम्—भेड़
मेषी —स्त्री॰—-—मेष + ङीष्—भेड़
मेहः —पुं॰—-—मिह् + घञ्—लघुशंका करना, मूत्र करना
मेहः —पुं॰—-—-—मूत्र संबंधी रोग
मेहनम् —नपुं॰—-—मिह् + ल्युट्—मूत्रोत्सर्ग करना
मैत्र —वि॰—-—मित्र + अण्—मित्रसंबंधी
मैत्र —वि॰—-—-—मित्र द्वारा दिया गया
मैत्र —वि॰—-—-—दिस्ताना, कृपापूर्ण, सौहार्दपूर्ण, कृपालु
मैत्र —वि॰—-—-—मित्र नाम के देवता से संबंध रखने वाला
मैत्रः —पुं॰—-—-—ऊँचा या पूर्ण ब्राह्मण
मैत्रः —पुं॰—-—-—एक विशेष वर्णसंकर जाति
मैत्री —स्त्री॰—-—-—मित्रता, दोस्ती, सद्भाव
मैत्री —स्त्री॰—-—-—घनिष्ठ संबंध या साहचर्य, मिलाप, सम्पर्क
मैत्री —स्त्री॰—-—-—अनुराधा नामक नक्षत्र
मैत्रम् —नपुं॰—-—-—मित्रता, दोस्ती
मैत्रम् —नपुं॰—-—-—मलोत्सर्ग करना
मैत्रम् —नपुं॰—-—-—अनुराधा नामक नक्षत्र
मैत्रकम् —नपुं॰—-—मैत्र + कन्—मित्रता, दोस्ती
मैत्रावरुणः —पुं॰—-—मित्रश्च वरुणश्च - द्व॰ स॰ , मित्रस्यानङ्; मित्रावरुण + अण्—वाल्मीकि का विशेषण
मैत्रावरुणः —पुं॰—-—-—अगस्त्य का विशेषण
मैत्रावरुणः —पुं॰—-—-—यज्ञ के प्रतिनिधि ऋत्विजों में से एक
मैत्रावरुणिः —पुं॰—-—मित्रावरुण + इञ्—अगस्त्य का विशेषण
मैत्रावरुणिः —पुं॰—-—-—वशिष्ठ का विशेषण
मैत्रावरुणिः —पुं॰—-—-—वाल्मीकि का विशेषण
मैत्रेय —वि॰—-—मैत्रे मित्रतायां साधुः, मैत्र + ढञ्—दोस्त या मित्र से संबंध रखने वाला, दोस्ताना
मैत्रेयः —पुं॰—-—-—एक वर्णसंकर जाति का नाम
मैत्रेयकः —पुं॰—-—मैत्रेय + कन्—एक वर्णसंकर जाति का नाम
मैत्रेयिका —स्त्री॰—-—मैत्रेयक + टाप्, इत्वम्—मित्रों या मित्रराष्ट्रों में संघर्ष, मित्रयुद्ध
मैत्र्यम् —नपुं॰—-—मित्र + ष्यञ्—मित्रता, दोस्ती, मैत्री
मैथिलः —पुं॰—-—मिथिलायां भवः - अण्—मिथिला का राजा
मैथिली —स्त्री॰—-—-—सीता का नाम
मैथुन —वि॰—-—मिथुनेन निर्वृत्तम् - अण्—युग्मय, जुड़ा हुआ
मैथुन —वि॰—-—-—विवाह सूत्र में आबद्ध
मैथुन —वि॰—-—-—संभोग से संबंध रखने वाला
मैथुनम् —नपुं॰—-—-—रतिक्रीडा, संभोग
मैथुनम् —नपुं॰—-—-—मिलाप, संयोग
मैथुनज्वरः —पुं॰—मैथुन-ज्वरः—-—मैथुनोन्माद की उत्तेजना
मैथुनधर्मिन् —वि॰—मैथुन-धर्मिन्—-—सहवासी
मैथुनवैराग्यम् —नपुं॰—मैथुन-वैराग्यम्—-—स्त्री संभोग से विरक्त
मैथुनिका —स्त्री॰—-—मैथुन + वुन् + टाप्, इत्वम्—विवाह द्वारा मिलाप, वैवाहिक गठबंधन
मैधावकम् —नपुं॰—-—-—समझ, बुद्धि
मैनाकः —पुं॰—-—मेनकायां भवः अण्—हिमालय और मेना के पुत्र का नाम
मैनाकस्वसृ —स्त्री—मैनाक-स्वसृ—-—पार्वती का विशेषण
मैनालः —पुं॰—-—-—मछुवा, माहीगीर
मैन्दः —पुं॰—-—-—एक राक्षस का नाम जिसे श्रीकृष्ण ने मार गिराया था
मैन्दहन् —पुं॰—मैन्द-हन्—-—कृष्ण का विशेषण
मैरेयः —पुं॰—-—मिरा देशभेदे भवः - ढक्—एक प्रकार का मादक पेय
मैरेयम् —नपुं॰—-—मिरा देशभेदे भवः - ढक्—एक प्रकार का मादक पेय
मैरेयेकः —पुं॰—-—मिरा देशभेदे भवः - ढक्—एक प्रकार का मादक पेय
मैरेयेकम् —नपुं॰—-—मिरा देशभेदे भवः - ढक्—एक प्रकार का मादक पेय
मैलिन्दः —पुं॰—-—मिलिंद + अण्—मधुमक्खी, भौंरा
मोकम् —नपुं॰—-—-—किसी जानवर की उतरी हुई खाल
मोक्ष् —भ्वा॰ पर॰ <मोक्षति>, चुरा॰ उभ॰ <मोक्षयति>, <मोक्षयते>—-—-—छोड़ना, स्वतंत्र करना, मुक्त करना, मुक्ति देना
मोक्ष् —भ्वा॰ पर॰ <मोक्षति>, चुरा॰ उभ॰ <मोक्षयति>, <मोक्षयते>—-—-—ढीला करना, खोलना, बिगाड़ना
मोक्ष् —भ्वा॰ पर॰ <मोक्षति>, चुरा॰ उभ॰ <मोक्षयति>, <मोक्षयते>—-—-—बलपूर्वक छीनना
मोक्ष् —भ्वा॰ पर॰ <मोक्षति>, चुरा॰ उभ॰ <मोक्षयति>, <मोक्षयते>—-—-—डालना, फेंकना, उछालना
मोक्ष् —भ्वा॰ पर॰ <मोक्षति>, चुरा॰ उभ॰ <मोक्षयति>, <मोक्षयते>—-—-—ढलकाना
मोक्षः —पुं॰—-—मोक्ष् + घञ्—मुक्ति, छुटकारा, बचाव, स्वतंत्रता
मोक्षः —पुं॰—-—-—उद्धार, परित्राण, मोचन
मोक्षः —पुं॰—-—-—परममुक्ति, आवागमन
मोक्षः —पुं॰—-—-—अधःपतन, अवपतन, गिरना
मोक्षः —पुं॰—-—-—ढीला करना, खोलना, बन्धन मुक्त करना
मोक्षः —पुं॰—-—-—ढलकाना, गिराना, बहाना
मोक्षः —पुं॰—-—-—निशाना लगाना, फेंकना, दागना
मोक्षः —पुं॰—-—-—बखेरना, छितराना
मोक्षः —पुं॰—-—-—परिशोध करना
मोक्षः —पुं॰—-—-—ग्रहणग्रस्त ग्रह की मुक्ति
मोक्षोपायः —पुं॰—मोक्ष-उपायः—-—मोक्ष प्राप्त करने का साधन
मोक्षदेवः —पुं॰—मोक्ष-देवः—-—प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्यूनत्सांग के साथ व्यवहृत होने वाला विशेषण
मोक्षद्वारम् —नपुं॰—मोक्ष-द्वारम्—-—सूर्य
मोक्षपुरी —स्त्री॰—मोक्ष-पुरी—-—कांची नामक नगरी का विशेषण
मोक्षणम् —नपुं॰—-—मोक्ष + ल्युट्—छोड़ना, मुक्त करना, परम मुक्ति, स्वतंत्रता देना
मोक्षणम् —नपुं॰—-—-—उद्धार, छुटकारा
मोक्षणम् —नपुं॰—-—-—ढीला करना, खोलना
मोक्षणम् —नपुं॰—-—-—छोड़ना, परित्याग करना, त्याग देना
मोक्षणम् —नपुं॰—-—-—ढरकारना
मोक्षणम् —नपुं॰—-—-—अपव्यय करना
मोघ —वि॰—-—मुह् + घ अच् वा, कुत्वम्—व्यर्थ, अर्थहीन, निष्फल, लाभरहित, असफल
मोघ —वि॰—-—-—निरुद्देश्य, निष्प्रयोजन, अनिश्चित
मोघ —वि॰—-—-—छोड़ा गया परित्यक्त
मोघः —पुं॰—-—-—बाड़, घेरा, झाड़बन्दी
मोघम् —अव्य॰—-—-—व्यर्थ, बिना किसी प्रयोजन के, बिना किसी उपयोग के
मोघकर्मन् —वि॰—मोघ-कर्मन्—-—अनुपयुक्त कार्यों में व्यस्त
मोघपुष्पा —स्त्री॰—मोघ-पुष्पा—-—बांझ स्त्री
मोघोलिः —पुं॰—-—-—झाड़बन्दी, बाड़
मोचः —पुं॰—-—मुच् + अच्—केले का पौधा
मोचः —पुं॰—-—-—शोभाञ्जन या सौहञ्जने का पौधा
मोचा —स्त्री॰—-—-—केले का वृक्ष
मोचा —स्त्री॰—-—-—कपास का पौधा
मोचा —स्त्री॰—-—-—नील का पौधा
मोचम् —नपुं॰—-—-—केले का फल
मोचकः —पुं॰—-—मुच् + ण्वुल्—भक्त, संन्यासी
मोचकः —पुं॰—-—-—परममुक्ति, छुटकारा
मोचकः —पुं॰—-—-—केले का पौधा
मोचन —वि॰—-—मुच् + ल्युट्—छोड़ने वाला, स्वतंत्र करने वाला
मोचनम् —नपुं॰—-—-—छोड़ना, मुक्त करना,स्वतंत्रता करना, मोक्ष
मोचनम् —नपुं॰—-—-—जूआ उतारना
मोचनम् —नपुं॰—-—-—निर्वहण करना, विसर्जन करना
मोचनम् —नपुं॰—-—-—किसी कर्तव्यभार या ऋण का परिशोध करना
मोचनपट्टकः —पुं॰—मोचन-पट्टकः—-—छन्ना
मोचयितृ —वि॰—-—मुच् + णिच् + तृच्—छुड़ाने वाला, स्वतंत्र करने वाला
मोचाटः —पुं॰—-—मुच् + णिच् + अच् = मोच + अट् + अच्—केले का गूदा या फल
मोचाटः —पुं॰—-—-—चन्दन की लकड़ी
मोटकः —पुं॰—-—मुट् + ण्वुल्—बटी, गोली
मोटकम् —नपुं॰—-—-—बटी, गोली
मोटकम् —नपुं॰—-—-—कुशा घास की दो पत्तियाँ जो श्राद्ध के अवसर पर दी जाती हैं
मोट्टायितम् —नपुं॰—-—मुट् + घञ् बा॰ तुक् + क्यङ् + (भावे) क्त—जब कभी बातचीत चलती है या अन्यमनस्का होकर नायिका कान आदि कुरेदती है तो उस समय चुपचाप बिना किसी इच्छा के अपने प्रिय के प्रति स्नेह की अभिव्यक्ति। उज्जवल मणि ने इसकी परिभाषा दी है
मोदः —पुं॰—-—मुद् + घञ्—आनन्द, प्रसन्नता, हर्ष, खुशी
मोदः —पुं॰—-—-—गंधद्रव्य, सुगन्धि
मोदाख्यः —पुं॰—मोद-आख्यः—-—आम का पेड़
मोदक —वि॰—-—मोदयति-मुद् + णिच् + ण्वुल्—सुहावना, आनंदप्रद, प्रसन्नतादायक
मोदकः —पुं॰—-—-—मिठाई, लड्डू
मोदकम् —नपुं॰—-—-—मिठाई, लड्डू
मोदकः —नपुं॰—-—-—एक वर्ण संकर जाति
मोदनम् —नपुं॰—-—मुद् + ल्युट्—हर्ष, प्रसन्नता
मोदनम् —नपुं॰—-—मुद् + ल्युट्—प्रसन्न करने की क्रिया
मोदयन्तिका —स्त्री॰—-—मोदयन्ती + कन् + टाप्, ह्रस्व—एक प्रकार की चमेली
मोदयन्ती —स्त्री॰—-—मुद् + णिच् + शतृ + ङीप् —एक प्रकार की चमेली
मोदिन् —वि॰—-—मुद् + णिनि—प्रसन्न, सुखी, खुश
मोदिन् —वि॰—-—-—प्रसन्नता-दायक, आनन्दप्रद
मोदिनी —स्त्री॰—-—-—नाना प्रकार के पौधों का नाम
मोदिनी —स्त्री॰—-—-—कस्तूरी
मोदिनी —स्त्री॰—-—-—मादक या खींची हुई शराब
मोरटः —पुं॰—-—मुर् + अटन्—मीठे रस वाला एके पौधा
मोरटः —पुं॰—-—-—ताजी ब्याई गाय का दूध
मोरटम् —नपुं॰—-—-—गन्ने की जड़
मोषः —पुं॰—-—मुष् + घञ्—चोर, लुटेरा
मोषः —पुं॰—-—-—लूटखसोट, चोरी, उठा ले जाना, हटाना
मोषः —पुं॰—-—-—चुराई हुई सम्पत्ति
मोषकृत् —पुं॰—मोष-कृत्—-—चोर
मोषकः —पुं॰—-—मुष् + ण्वुल्—लुटेरा, चोर
मोषणम् —नपुं॰—-—मुष् + ल्युट्—लुतना, खसोटना, चोरी करना, ठगना
मोषणम् —नपुं॰—-—-— नष्ट करना
मोषा —स्त्री॰—-—मुष् + अ + टाप्—चोरी, लूट
मोहः —पुं॰—-—मुह + घञ्—चेतना की हानि, मूर्छित होना, निःसंज्ञा, बेहोशी
मोहः —पुं॰—-—-—घबराहट, व्यामोह, उद्विग्नता, अव्यवस्था
मोहः —पुं॰—-—-—मूर्खता, अज्ञान, दीवानापन
मोहः —पुं॰—-—-—त्रुटि, भूल, अशुद्धि
मोहः —पुं॰—-—-—आश्चर्य, अचम्भा
मोहः —पुं॰—-—-—कष्ट, पीड़ा
मोहः —पुं॰—-—-—जादू की कला जो शत्रु को परास्त करने में प्रयुक्त की जाय
मोहः —पुं॰—-—-—व्यामोह जो सत्य को पहचानने में अवरोधक हो
मोहकलिल —वि॰—मोह-कलिल—-—मोटा और व्यामोहक जाल
मोहनिद्रा —स्त्री॰—मोह-निद्रा—-—अन्धविश्वास
मोहमन्त्रः —पुं॰—मोह-मन्त्रः—-—व्यामोहक जादू
मोहरात्रिः —स्त्री॰—मोह-रात्रिः—-—प्रलय की रात जब समस्त विश्व नष्ट हो जायगा
मोहशास्त्रम् —नपुं॰—मोह-शास्त्रम्—-—मिथ्या सिद्धान्त या गुरु
मोहन —वि॰—-—मुह् + णिच् + ल्युट्—जड़ीभूत करने वाला
मोहन —वि॰—-—-—व्याकुल करने वाला, उद्विग्न करने वाला, विह्वल करने वाल
मोहन —वि॰—-—-—व्यामोहक, संभ्रामक
मोहनः —पुं॰—-—-—शिव का विशेषण
मोहनः —पुं॰—-—-—काम के पांच बाणों में से एक धतूरा
मोहनम् —नपुं॰—-—-—जड़ीभूत करना
मोहनम् —नपुं॰—-—-—सुस्त करना, घबरा देना, विह्वल करना
मोहनम् —नपुं॰—-—-—जड़ता, बेहोशी
मोहनम् —नपुं॰—-—-—दीवानापन. व्यामोह, गलती
मोहनम् —नपुं॰—-—-—फुसलाना, प्रलोभन करने के लिए जादू-टोना
मोहनास्त्रम् —नपुं॰—मोहन-अस्त्रम्—-—एक ऐसा आयुध-अस्त्र जो उस व्यक्ति को जिस पर कि चलाया जाय, मुग्ध कर ले
मोहनकः —पुं॰—-—मोहन + के + क—चैत्र का महीना
मोहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—मुह् + क्त—जड़ीभूत किया हुआ
मोहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—घबरा हुआ, विह्वल
मोहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—व्यामुग्ध, आकृष्ट, मुग्ध किया हुआ, फुसलाया हुआ
मोहिनी —स्त्री॰—-—मुह् + णिच् + णिनी + ङीप्—एक अप्सरा का नाम
मोहिनी —स्त्री॰—-—-—मनोहारिणी स्त्री
मोहिनी —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार का चमेली का फूल
मौक्तिकम् —नपुं॰—-—मुक्तैव स्वार्थे ठक्—मोती
मौक्तिकावली —स्त्री॰—मौक्तिकम्-आवली—-—मोतियों की लड़ी
मौक्तिकगुम्फिका —स्त्री॰—मौक्तिकम्-गुम्फिका—-—मोतियों की मालाएँ गूंथने वाली स्त्री
मौक्तिकदामन् —नपुं॰—मौक्तिकम्-दामन्—-—मोतियों की लड़ी
मौक्तिकप्रसवा —स्त्री॰—मौक्तिकम्-प्रसवा—-—मोतियों को जन्म देने वाली सीपी
मौक्तिकशुक्ति —स्त्री॰—मौक्तिकम्-शुक्ति—-—मोतियों की सीपी
मौक्तिकसरः —पुं॰—मौक्तिकम्-सरः—-—मोतियों की लड़ी या हार
मौक्यम् —नपुं॰—-—मूक + ष्यञ्—गूंगापन, मूकता, मौन
मौखरिः —पुं॰—-—मुखर + इञ्—एक कुल का नाम
मौखर्यम् —नपुं॰—-—मुखरस्य भावाः ष्यञ्—बातूनीपना, बहुभाषिता
मौखर्यम् —नपुं॰—-—-—गाली, मानहानि, झूठा आरोप
मौख्यम् —नपुं॰—-—मुख + ष्यञ्—पूर्ववर्तिता, वरिष्ठता
मौध्यम् —नपुं॰—-—मुग्ध + ष्यञ्—मूर्खता, मूढता
मौध्यम् —नपुं॰—-—-—कलाहीनता, सरलता, भोलापन
मौध्यम् —नपुं॰—-—-—लावण्य, सौन्दर्य
मौचम् —नपुं॰—-—मोच + अण—केले का फल
मौज —वि॰—-—मुंज + अण—मूंज की घास का बना हुआ
मौजः —पुं॰—-—-—मूंज की घास का पत्ता
मौञ्जी —स्त्री॰—-—मौञ्ज + ङीप्—मूंज की घास की तीन लड़की बनी, ब्राह्मण की तगड़ी
मौञ्जीनिबन्धनम् —नपुं॰—मौञ्जी-निबन्धनम्—-—मूंज की घास का बना कटिसूत्र पहनना, उपनयन संस्कार
मौञ्जीबन्धनम् —नपुं॰—मौञ्जी-बन्धनम्—-—मूंज की घास का बना कटिसूत्र पहनना, उपनयन संस्कार
मौढ्यम् —नपुं॰—-—मूढ + ष्यञ्—अज्ञान, जड़ता, मूर्खता
मौत्रम् —नपुं॰—-—मूत्रस्येदम् - अण्—मूत्र की मात्रा
मौदकिकः —पुं॰—-—मोदक + ठक्—हलवाई
मौद्गलिः —पुं॰—-—मुद्गल + इञ्—कौवा
मौद्गीन —वि॰—-—मुद्ग + खञ्—जो लोबिया बोने के उपयुक्त हो
मौनम् —नपुं॰—-—मुनेर्भावः - अण्—चुप्पी, मूकभाव
मौनं त्यज —वि॰—-—-—‘होठ हिलाओ’
मौनं समाचार —वि॰—-—-—‘जीभ को ताला लगाओ’
मौनमुद्रा —स्त्री॰—मौनम् - मुद्रा—-—मौन धारण की अभिरुचि
मौनव्रतम् —नपुं॰—मौनम् - व्रतम्—-—चुप रहने की प्रतिज्ञा
मौनिन् —वि॰—-—मौन + इनि—चुप रहने की प्रतिज्ञा का पालन करने वाला, चुप, मूक
मौनिन् —पुं॰—-—-—एक पुण्यशील ऋषि, संन्यासी, साधु
मौरजिकः —पुं॰—-—मुरज + ठक्—मृदंग बजाने वाला
मौर्ख्यम् —नपुं॰—-—मूर्ख + ष्यञ्—मूर्खता, बुद्धूपन, जड़ता
मौर्यः —पुं॰—-—मुराया अपत्यम् - मुरा + ण्य—चन्द्रगुप्त से आरम्भ करके राजाओं का एक वंश
मौर्वी —स्त्री॰—-—मूर्वाया विकारः अण् + ङीप्—धनुष की डोरी
मौर्वी —स्त्री॰—-—-—मूर्वा घास की बनी तगड़ी
मौल —वि॰—-—मूलं वेत्ति मूलादागतो वा अण्—मूलभूत, मौलिक
मौल —वि॰—-—-—प्राचीन, पुराना, बहुत समय से चली आती हुई प्रथा
मौल —वि॰—-—-—सत्कुलोद्भव, उच्चकुल में उत्पन्न
मौल —वि॰—-—-—पीढ़ियों से राजा की सेवा में पला हुआ, प्राचीन काल से पदारुढ़, आनुवंशिक
मौलः —पुं॰—-—-—पुराना या वंशक्रमागत मंत्री
मौलि —वि॰—-—मूलस्यादूरभवः इञ्—प्रधान, प्रमुख, सर्वोत्तम
मौलिः —पुं॰—-—-—प्रधान, शिरोमणि
मौलिः —पुं॰—-—-—किसी वस्तु का सिर या चोटी, उच्चतम बिन्दु
मौलिः —पुं॰—-—-—ताज, किरीट, मुकुट
मौलिः —पुं॰—-—-—सिर की चोटी के बाल, शिखा
मौलिः —पुं॰—-—-—मींढी, केशविन्यास
मौलिमणिः —पुं॰—मौलि-मणिः—-—मुकुट की मणि, मुकुट में लगा रत्न
मौलिरत्नम् —नपुं॰—मौलि-रत्नम्—-—मुकुट की मणि, मुकुट में लगा रत्न
मौलिमण्डनम् —नपुं॰—मौलि-मण्डनम्—-—शिरोभूषण
मौलिमुकुटम् —नपुं॰—मौलि-मुकुटम्—-—ताज, किरीट
मौलिक —वि॰—-—मुल + ठञ्—मूलभूत
मौलिक —वि॰—-—-—मुख्य, प्रधान
मौल्यम् —नपुं॰—-—मूल्य + अण्—मूल्य, कीमत
मौष्टा —स्त्री॰—-—मुष्टि प्रहरणं अस्यां क्रीडायाम - मुष्टि + ण—मुक्केबाजी, घूंसेबाजी, मुष्टामुष्टि मुठभेड़
मौष्टिकः —पुं॰—-—मुष्टि + ठक्—बदमाश, ठग, धूर्त
मौसल —वि॰—-—मुसल + अण्—मुद्गर की भांति बना हुआ, मूसल के आकार का
मौसल —वि॰—-—-—जो गदाओं से लड़ा जाय
मौसल —वि॰—-—-—जो गदा युद्ध से संबंध हो
मौहूर्तः —पुं॰—-—मुहूर्त + अण्, ठक् वा—ज्योतिषी
मौहूर्तिकः —पुं॰—-—मुहूर्त + अण्, ठक् वा—ज्योतिषी
म्ना —भ्वा॰ पर॰ <मनति>, <म्नात>—-—-—दोहराना
म्ना —भ्वा॰ पर॰ <मनति>, <म्नात>—-—-—परिश्रम पूर्वक याद करना
म्ना —भ्वा॰ पर॰ <मनति>, <म्नात>—-—-—स्मरण करना
आम्ना —भ्वा॰ पर॰—आ-म्ना—-—सोचना, मनन करना
आम्ना —भ्वा॰ पर॰—आ-म्ना—-—परंपरानुसार दे देना, निर्धारित करना, उल्लेख करना, सोचना, बोलना
आम्ना —भ्वा॰ पर॰—आ-म्ना—-—अध्ययन करना, सीखना, याद करना
समाम्ना —भ्वा॰ पर॰—समा-म्ना—-—आवृत्ति करना
समाम्ना —भ्वा॰ पर॰—समा-म्ना—-—निर्धारित करना, निश्चित करना
म्नात —भू॰ क॰ कृ॰—-—म्ना + क्त—दोहराया गया
म्नात —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—याद किया गया, अध्ययन किया गया
म्रक्ष् —भ्वा॰ पर॰ <म्रक्षति>—-—-—रगड़ना
म्रक्ष् —भ्वा॰ पर॰ <म्रक्षति>—-—-—देर लगाना, संचय करना, इकट्ठा करना
म्रक्ष् —भ्वा॰ पर॰ <म्रक्षति>—-—-—लेप करना, रगड़ना, मलना
म्रक्ष् —भ्वा॰ पर॰ <म्रक्षति>—-—-—मिश्रण करना, मिलाना
म्रक्षः —पुं॰—-—म्रक्ष् + घञ्—पाखंड, कपटाचरण
म्रक्षणम् —नपुं॰—-—म्रक्ष् + ल्युट्—शरीर पर उबटन मलना
म्रक्षणम् —नपुं॰—-—-—लेप करना, सानना
म्रक्षणम् —नपुं॰—-—-—संचय करना, ढेर लगाना
म्रक्षणम् —नपुं॰—-—-—तेल, मल्हम
म्रद् —भ्वा॰ आ॰ <म्रदते>—-—-—पीसना, चूरा करना, कुचलना, रौंदना
म्रद् —पुं॰—-—-—पीसना, चूरा करना, कुचलना, रौंदना
म्रदिमन् —पुं॰—-—मृदोर्भावः इमनिच्—कोमलता, मृदुता
म्रदिमन् —पुं॰—-—-—ऋजुता, दुर्बलता
म्रुञ्च् —भ्वा॰ पर॰ <म्रोचति>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
म्रुञ्च् —भ्वा॰ पर॰ <म्रुञ्चति>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
म्लक्ष् —चुरा॰ उभ॰ <म्लक्षयति>, <म्लक्षयते>—-—-—काटना, विभक्त करना
म्लात —भू॰ क॰ कृ॰—-—म्ले + क्त—मुर्झाया हुआ, कुम्हलाया हुआ
म्लान —भू॰ क॰ कृ॰—-—म्ले + क्त कतस्य नः—मुर्झाया हुआ, कुम्हलाया हुआ
म्लान —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—क्लांत, थका हुआ, निढाल
म्लान —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—निर्मलीकृत, क्षीण, दुर्बल, कृश
म्लान —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—उदास, खिन्न, अवसन्न
म्लान —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—गन्दा, मलिन
म्लानाङ्ग —वि॰—म्लान-अङ्ग—-—क्षीणकाय
म्लानाङ्गी —स्त्री॰—म्लान-अङ्गी—-—रजस्वाला स्त्री
म्लानमनस् —वि॰—म्लान-मनस्—-—उदास मन वाला, उत्साहहीन, हताश
म्लानिः —स्त्री॰—-—म्लै + क्तिन्—मुर्झाना, कुम्हलाना, ह्रास
म्लानिः —स्त्री॰—-—-—क्लान्ति, शैथिल्य, थकान
म्लानिः —स्त्री॰—-—-—उदासी, खिन्नता
म्लानिः —स्त्री॰—-—-—गंदगी
म्लायत् —वि॰—-—म्लै + शतृ—कुम्हलाता हुआ, पतला और कृश होता हुआ
म्लायिन् —वि॰—-—म्लै + णिनि —कुम्हलाता हुआ, पतला और कृश होता हुआ
म्लास्नु —वि॰—-—म्लै + स्नु—मुर्झाया हुआ या कुम्हलाया हुआ या होने वाला
म्लास्नु —वि॰—-—-—पतला और कृश होने वाला
म्लास्नु —वि॰—-—-—निढाल और क्रान्त होने वाला
म्लिष्ट —वि॰—-—म्लेक्ष् + क्त नि॰ साधुः—अस्फुट बोला हुआ
म्लिष्ट —वि॰—-—-—अस्पट, असभ्य, असंस्कृत
म्लिष्ट —वि॰—-—-—मुर्झाया हुआ या कुम्हलाया हुआ
म्लिष्टम् —नपुं॰—-—-—अस्फुट या असंस्कृत भाषण
म्लुच् —भ्वा॰ पर॰—-—-—जाना, हिलना-जुलना
म्लुञ्च् —भ्वा॰ पर॰—-—-—जाना, हिलना-जुलना
म्लेच्छ् —भ्वा॰ पर॰ <म्लेच्छति>, <म्लिष्ट्>, <म्लेच्छित>—-—-—अव्यवस्थित रुप से बोलना, अस्फुत स्वर से बोलना, या बर्बरतापूर्वक बोलना
म्लेछ् —भ्वा॰ पर॰ <म्लेच्छति>, <म्लिष्ट्>, <म्लेच्छित>—-—-—अव्यवस्थित रुप से बोलना, अस्फुत स्वर से बोलना, या बर्बरतापूर्वक बोलना
म्लेच्छ् —चुरा॰ उभ॰ <म्लेच्छयति>—-—-—अव्यवस्थित रुप से बोलना, अस्फुत स्वर से बोलना, या बर्बरतापूर्वक बोलना
म्लेछ् —चुरा॰ उभ॰ <म्लेच्छयति>—-—-—अव्यवस्थित रुप से बोलना, अस्फुत स्वर से बोलना, या बर्बरतापूर्वक बोलना
म्लेच्छः —पुं॰—-—म्लेच्छ् + घञ्—असभ्य, अनार्य, विदेशी
म्लेच्छः —पुं॰—-—-—जाति से बहिष्कृत, नीच मनुष्य
म्लेच्छः —पुं॰—-—-—पापी, दुष्ट पुरुष
म्लेच्छम् —नपुं॰—-—-—ताँबा
म्लेच्छाख्यम् —नपुं॰—म्लेच्छ-आख्यम्—-—ताँबा
म्लेच्छाशः —पुं॰—म्लेच्छ-आशः—-—गेहूँ
म्लेच्छास्यम् —नपुं॰—म्लेच्छ-आस्यम्—-—ताँबा
म्लेच्छमुखम् —नपुं॰—म्लेच्छ-मुखम्—-—ताँबा
म्लेच्छकन्दः —पुं॰—म्लेच्छ-कन्दः—-—लहसुन
म्लेच्छजातिः —स्त्री॰—म्लेच्छ-जातिः—-—असभ्य, जंगली जाति, पहाड़ी, बर्बर
म्लेच्छदेशः —पुं॰—म्लेच्छ-देशः—-—वह देश जहाँ अनार्य लोग रहते हों, विदेश या असभ्य देश
म्लेच्छमण्डलम् —नपुं॰—म्लेच्छ-मण्डलम्—-—वह देश जहाँ अनार्य लोग रहते हों, विदेश या असभ्य देश
म्लेच्छभाषा —स्त्री॰—म्लेच्छ-भाषा—-—विदेशी भाषा
म्लेच्छभोजनः —पुं॰—म्लेच्छ-भोजनः—-—गेहूँ
म्लेच्छभोजनम् —नपुं॰—म्लेच्छ-भोजनम्—-—जौ
म्लेच्छवाच् —वि॰—म्लेच्छ-वाच्—-—बर्बर जाति या विदेशी भाषा बोलने वाला
म्लेच्छ्ति —भू॰ क॰ कृ॰—-—म्लेच्छ् + क्त—अस्फुट रुप से या बर्बरतापूर्वक बोला हुआ
म्लेच्छ्तिम् —नपुं॰—-—-—विदेशी भाषा
म्लेच्छ्तिम् —नपुं॰—-—-—व्याकरण विरुद्ध शब्द या भाषण
म्लेट् —म्लेटति, म्लेडति—-—-—पागल होना
म्लेड् —म्लेटति, म्लेडति—-—-—पागल होना
म्लेव् —भ्वा॰ आ॰ <म्लेवते>—-—-—पूजा करना, सेवा करना
म्लै —भ्वा॰ पर॰ <म्लायति>, <म्लान>—-—-—मुर्झाना, कुम्हलाना
म्लै —भ्वा॰ पर॰ <म्लायति>, <म्लान>—-—-—थक जाना, निढाल होना, श्रान्त या क्लांत होना
म्लै —भ्वा॰ पर॰ <म्लायति>, <म्लान>—-—-—उदास या खिन्न होना; उत्साहहीन या हतोत्साह होना
म्लै —भ्वा॰ पर॰ <म्लायति>, <म्लान>—-—-—पतला या कृशकाय होना
म्लै —भ्वा॰ पर॰ <म्लायति>, <म्लान>—-—-—ओझल होना, नष्ट होना
परिम्लै —भ्वा॰ पर॰—परि-म्लै—-—मुर्झाना, कुम्हलाना, परिम्लानमुखश्रियम्
परिम्लै —भ्वा॰ पर॰—परि-म्लै—-—खिन्न या निरुत्साहित होना
प्रम्लै —भ्वा॰ पर॰—प्र-म्लै—-—मुर्झाना, कुम्हलाना
प्रम्लै —भ्वा॰ पर॰—प्र-म्लै—-—उदास या खिन्न होना
प्रम्लै —भ्वा॰ पर॰—प्र-म्लै—-—निढाल होना
प्रम्लै —भ्वा॰ पर॰—प्र-म्लै—-—मलिन या गन्दा होना, मैला होना