विक्षनरी : संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश/पत-पा
मूलशब्द—व्याकरण—संधिरहित मूलशब्द—व्युत्पत्ति—हिन्दी अर्थ
पत् —भ्वा॰ पर॰ <पतति>, <पतित>—-—-—गिरना, गिर पड़ना, नीचे आना, उतरना
पत् —भ्वा॰ पर॰ <पतति>, <पतित>—-—-—उड़ना, वायु में आना जाना, उड़ान भरना
पत् —भ्वा॰ पर॰ <पतति>, <पतित>—-—-—छिपाना, डूबना
पत् —भ्वा॰ पर॰ <पतति>, <पतित>—-—-—अपने आप को डालना, नीचे फेंकना
पत् —भ्वा॰ पर॰ <पतति>, <पतित>—-—-—(नैतिक दृष्टि से) गिरना, जाति से पतित होना, प्रतिष्ठा का नष्ट होना, भ्रष्ट होना
पत् —भ्वा॰ पर॰ <पतति>, <पतित>—-—-—(स्वर्ग से) नीचे आना
पत् —भ्वा॰ पर॰ <पतति>, <पतित>—-—-—घटना, आपद्ग्रस्त या संकटापन्न होना
पत् —भ्वा॰ पर॰ <पतति>, <पतित>—-—-—नरक में जाना, नारकीय यातना सहन करना
पत् —भ्वा॰ पर॰ <पतति>, <पतित>—-—-—पड़ना, घटित होना, हो जाना, संपन्न होना
पत् —भ्वा॰ पर॰ <पतति>, <पतित>—-—-—निर्दिष्ट होना, उतरना या पड़ना
पत् —भ्वा॰ पर॰ <पतति>, <पतित>—-—-—भाग्य में होना
पत् —भ्वा॰ पर॰ <पतति>, <पतित>—-—-—ग्रस्त होना, फँसना
पत् —भ्वा॰ पर॰—-—-—नीचे गिराना, उतारना, डुबोना
पत् —भ्वा॰ पर॰—-—-—गिरने देना, नीचे को फेंकना, गिराना (वृक्ष आदि का) गिराना
पत् —भ्वा॰ पर॰—-—-—बर्बाद करना, परास्त करना
पत् —भ्वा॰ पर॰—-—-—(आँसू) गिराना
पत् —भ्वा॰ पर॰—-—-—फेंकना, (दृष्टि) डालना, सन्नन्त
पत् —भ्वा॰ पर॰—-—-—गिरने की इच्छा करना
अनुपत् —भ्वा॰ पर॰—अनु-पत्—-—उड़ना
अनुपत् —भ्वा॰ पर॰—अनु-पत्—-—पीछे दौड़ना, अनुसरण करना, पीछे लगे रहना, पीछा करना
अभिपत् —भ्वा॰ पर॰—अभि-पत्—-—निकट उड़ना, नज़दीक जाना, पास पहुँचना
अभिपत् —भ्वा॰ पर॰—अभि-पत्—-—आक्रमण करना, धावा बोलना, टूट पड़ना
अभिपत् —भ्वा॰ पर॰—अभि-पत्—-—उड़ कर पकड़ लेना
अभिपत् —भ्वा॰ पर॰—अभि-पत्—-—वापिस आना, लौट पड़ना, पीछे हटना
अभ्युत्पत् —भ्वा॰ पर॰—अभ्युद्-पत्—-—टूट पड़ना, आक्रमण करना
आपत् —भ्वा॰ पर॰—आ-पत्—-—टूट पड़ना, आक्रमण करना, धावा बोलना
आपत् —भ्वा॰ पर॰—आ-पत्—-—उड़ना, पिल पड़ना, झपटना
आपत् —भ्वा॰ पर॰—आ-पत्—-—निकट जाना
आपत् —भ्वा॰ पर॰—आ-पत्—-—होना, घटित होना, आ पड़ना
आपत् —भ्वा॰ पर॰—आ-पत्—-—सूझना, (मन में ) आना
उत्पत् —भ्वा॰ पर॰—उद्-पत्—-—उछलना कूदना
उत्पत् —भ्वा॰ पर॰—उद्-पत्—-—सूझना, विचार में आना
उत्पत् —भ्वा॰ पर॰—उद्-पत्—-—(गेंद की भांति) उछल कर आना
उत्पत् —भ्वा॰ पर॰—उद्-पत्—-—उदय होना, जन्म लेना, फूटना, उत्पन्न होना
निपत् —भ्वा॰ पर॰—नि-पत्—-—नीचे गिरना या आना, अवरोहण करना, उतरना, डूबना
निपत् —भ्वा॰ पर॰—नि-पत्—-—फेंका जाना, निर्दिष्ट होना
निपत् —भ्वा॰ पर॰—नि-पत्—-—(पैरों में ) डालना, साष्टांग लेटना
निपत् —भ्वा॰ पर॰—नि-पत्—-—गिरना, उतरना, मिल जाना
निपत् —भ्वा॰ पर॰—नि-पत्—-—टूट पड़ना, आक्रमण करना, पिल पड़ना
निपत् —भ्वा॰ पर॰—नि-पत्—-—होना, घटित होना, आ पड़ना, भाग्य में होना
निपत् —भ्वा॰ पर॰—नि-पत्—-—रक्खा जाना, स्थान पर अधिकार करना
निपत् —भ्वा॰ पर॰—नि-पत्—-—नीचे गिराना, फेंकना, पटक देना
निपत् —भ्वा॰ पर॰—नि-पत्—-—मार डालना, नष्ट करना, बर्बाद करना
निष्पत् —भ्वा॰ पर॰—निस्-पत्—-—निकालना, फूट पड़ना, फल निकलना, निकल पड़ना
परापत् —भ्वा॰ पर॰—परा-पत्—-—पहुँचना, निकट आना, पास जाना
परापत् —भ्वा॰ पर॰—परा-पत्—-—वापिस आना
परिपत् —भ्वा॰ पर॰—परि-पत्—-—इधर उधर उड़ना, चक्कर काटना, छा जाना
परिपत् —भ्वा॰ पर॰—परि-पत्—-—झपट्टा मारना, आक्रमण करना, टूट पड़ना (युद्ध में)
परिपत् —भ्वा॰ पर॰—परि-पत्—-—सब दिशाओं में दौड़ना
परिपत् —भ्वा॰ पर॰—परि-पत्—-—चले जाना, गिर पड़ना
प्रपत् —भ्वा॰ पर॰—प्र-पत्—-—नीचे आना, नीचे गिरना, उतरना
प्रपत् —भ्वा॰ पर॰—प्र-पत्—-—गिरकर अलग या दूर हो जाना
प्रपत् —भ्वा॰ पर॰—प्र-पत्—-—उड़ना, इधर उधर झपटना
प्रणिपत् —भ्वा॰ पर॰—प्रणि-पत्—-—प्रणाम करना, अभिवादन करना
प्रोत्पत् —भ्वा॰ पर॰—प्रोद-पत्—-—ऊपर उड़ना, उड़ान भरना
विनिपत् —भ्वा॰ पर॰—विनि-पत्—-—उड़ना, गिरना, उतरना
विनिपत् —भ्वा॰ पर॰—विनि-पत्—-—गिराना, बर्बाद करना, नष्ट करना
सम्पत् —भ्वा॰ पर॰—सम्-पत्—-—मिल कर उड़ना, एकत्र होना
सम्पत् —भ्वा॰ पर॰—सम्-पत्—-—इधर उधर जाना या घूमना
सम्पत् —भ्वा॰ पर॰—सम्-पत्—-—आक्रमण करना, टूट पड़ना, धावा बोलना
सम्पत् —भ्वा॰ पर॰—सम्-पत्—-—होना, घटित होना
सम्पत् —भ्वा॰ पर॰—सम्-पत्—-—निकट लाना
सम्पत् —भ्वा॰ पर॰—सम्-पत्—-—संग्रह करना, एकत्र करना, मिलाना
पतः —पुं॰—-—पत् + अच्—उड़ना, उड़ान
पतः —पुं॰—-—पत् + अच्—जाना, गिरना, उतरना
पतङ्गः —पुं॰—-—पतन् उत्प्लवन् गच्छति-गम् + ड, नि॰—पक्षी
पतङ्गः —पुं॰—-—पतन् उत्प्लवन् गच्छति-गम् + ड, नि॰—सूर्य
पतङ्गः —पुं॰—-—पतन् उत्प्लवन् गच्छति-गम् + ड, नि॰—शलभ, टिड्डी-दल, टिड्डा
पतङ्गः —पुं॰—-—पतन् उत्प्लवन् गच्छति-गम् + ड, नि॰—मधुमक्खी
पतङ्गम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार की चंदन की लकड़ी
पतगमः —पुं॰—-—पत + गम् + खच्, मुम्—पक्षी
पतगमः —पुं॰—-—पत + गम् + खच्, मुम्—शलभ
पतङ्गिका —स्त्री॰—-—पतंग + कन् + टाप्, इत्वम्—छोटी चिड़िया
पतङ्गिका —स्त्री॰—-—पतंग + कन् + टाप्, इत्वम्—एक छोटी मधुमक्खी
पतङ्गिन् —पुं॰—-—पतंग + इनि—पक्षी
पतञ्चिका —स्त्री॰—-—पतं शत्रुं चिक्कयति पीडयति-पृषो॰—धनुष की डोरी
पतञ्जलिः —पुं॰—-—-—पाणिनि के सूत्रों पर लिखे गये-महाभाष्य के प्रसिद्ध निर्माता, दार्शनिक, योगदर्शन के प्रवर्तक
पतत् —वि॰—-—पत् + शतृ—उड़ने वाला, अवरोहण करने वाला, उतरने वाला, नीचे आने वाला
पतत् —पुं॰—-—पत् + शतृ—पक्षी
पतद्ग्रहः —पुं॰—पतत्-ग्रहः—-—प्रारक्षित सेना
पतद्ग्रहः —पुं॰—पतत्-ग्रहः—-—थूकने का बर्तन, पीकदान
पतद्भीरुः —पुं॰—पतत्-भीरुः—-—बाज़, श्येन
पतत्रम् —नपुं॰—-—पत्-करणे अत्रन्—बाज़ू, डैना
पतत्रम् —नपुं॰—-—पत्-करणे अत्रन्—पर, पंख
पतत्रम् —नपुं॰—-—पत्-करणे अत्रन्—सवारी
पतत्रिः —पुं॰—-—पत् + अत्रिन्—पक्षी
पतत्रिन् —पुं॰—-—पतत्र + इनि—पक्षी
पतत्रिन् —पुं॰—-—पतत्र + इनि—बाण
पतत्रिन् —पुं॰—-—पतत्र + इनि—घोड़ा
पतत्रिकेतनः —पुं॰—पतत्रिन्-केतनः—-—विष्णु का विशेषण
पतनम् —नपुं॰—-—पत् + ल्युट्—उड़ने या नीचे आने की क्रिया, उतरना, अवरोहण करना, अपने आपको नीचे पटकना
पतनम् —नपुं॰—-—पत् + ल्युट्—(सूर्यादिका) अस्त होना
पतनम् —नपुं॰—-—पत् + ल्युट्—नरक में जाना
पतनम् —नपुं॰—-—पत् + ल्युट्—धर्मभ्रंश
पतनम् —नपुं॰—-—पत् + ल्युट्—मर्यादा या प्रतिष्ठा से गिरना
पतनम् —नपुं॰—-—पत् + ल्युट्—अवपात, ह्रास, नाश, विपत्ति
पतनम् —नपुं॰—-—पत् + ल्युट्—मृत्यु
पतनम् —नपुं॰—-—पत् + ल्युट्—नीचे लटकना, (छाती का) ढरकना
पतनम् —नपुं॰—-—पत् + ल्युट्—गर्भस्राव होना
पतनीय —वि॰—-—पत् + अनीयर्—गिराने वाला, जातिभ्रष्ट करने वाला
पतनीयम् —नपुं॰—-—पत् + अनीयर्—पतित करने वाला पाप या जुर्म
पतमः —पुं॰—-—पत् + अम—चाँद
पतमः —पुं॰—-—पत् + अम—पक्षी
पतमः —पुं॰—-—पत् + अम—टिड्डा
पतसः —पुं॰—-—पत् + असच्—चाँद
पतसः —पुं॰—-—पत् + असच्—पक्षी
पतसः —पुं॰—-—पत् + असच्—टिड्डा
पतयालु —वि॰—-—पत् + णिच् + आलुच्—पतनोन्मुख, पतनशील
पताका —स्त्री॰—-—पत्यते ज्ञायते कस्यचिद्भेदोऽनया-पत् + आक + टाप्—झण्डा, ध्वज
पताका —स्त्री॰—-—पत्यते ज्ञायते कस्यचिद्भेदोऽनया-पत् + आक + टाप्—ध्वजदण्ड
पताका —स्त्री॰—-—पत्यते ज्ञायते कस्यचिद्भेदोऽनया-पत् + आक + टाप्—संकेत, लक्षण, चिह्न, प्रतीक
पताका —स्त्री॰—-—पत्यते ज्ञायते कस्यचिद्भेदोऽनया-पत् + आक + टाप्—उपाख्यान या नाटकों में आई हुई प्रासंगिक कथा
पताका —स्त्री॰—-—पत्यते ज्ञायते कस्यचिद्भेदोऽनया-पत् + आक + टाप्—मांगलिकता, सौभाग्य
पताकांशुकम् —नपुं॰—पताका-अंशुकम्—-—झंडा
पताकास्थानकम् —नपुं॰—पताका-स्थानकम्—-—प्रांसगिक कथा की सूचना जब कि अप्रत्याशित रूप से, किसी परिस्थितिवश उसी लक्षण वाली कोई दूसरी आकस्मिक अविचारित वस्तु प्रदर्शित की जाती है
पताकिक —वि॰—-—पताका + ठन्—झंडा उड़ाने वाला, ध्वजदंडधारी
पताकिन् —वि॰—-—पताका + इनि—झंडा ले जाने वाला, पताकाओं से अलंकृत
पताकिन् —पुं॰—-—पताका + इनि—झंडाधारी, झंडाबरदार
पताकिन् —पुं॰—-—पताका + इनि—ध्वजा
पताकिनी —स्त्री॰—-—पताका + इनि+ङीप्—सेना
पतिः —पुं॰—-—पाति रक्षति-पा + इति—स्वामी, प्रभू
पतिः —पुं॰—-—पाति रक्षति-पा + इति—मालिक, अधिपति, स्वामी- क्षेत्रपति
पतिः —पुं॰—-—-—राज्यपाल, शासक, प्रधानता करने वाला
पतिघातिनी —स्त्री॰—पतिः-घातिनी—-—वह स्त्री जो अपने पति का वध कर देती है
पतिघ्नी —स्त्री॰—पतिः-घ्नी—-—वह स्त्री जो अपने पति का वध कर देती है
पतिदेवता —स्त्री॰—पतिः-देवता—-—वह स्त्री जो अपने पति को देवता समझती है, पतिव्रता, सती स्त्री
पतिधर्मः —पुं॰—पतिः-धर्मः—-—अपने पति के प्रति (पत्नी का) कर्तव्य
पतिप्राणा —स्त्री॰—पतिः-प्राणा—-—सती स्त्री
पतिलोकः —पुं॰—पतिः-लोकः—-—वह लोक जहाँ मृत्यु हो जाने के पश्वात् पति पहुंचता है
पतिव्रता —स्त्री॰—पतिः-व्रता—-—भक्त, श्रद्धालु, निष्ठावती स्त्री, सती स्त्री
पतिव्रत्वम् —नपुं॰—पतिः-व्रत्वम्—-—पति के प्रति निष्ठा, स्वामिभक्ति
पतिसेवा —स्त्री॰—पतिः-सेवा—-—पति के प्रति भक्ति
पतिवरा —स्त्री॰—-—पति + वृ + खच्, मुम्—अपना वर चुनने के लिए तत्पर स्त्री
पतितः —भू॰ क॰ कृ॰—-—पत् + क्त—गिरा हुआ, अवरूढ, उतरा हुआ
पतितः —भू॰ क॰ कृ॰—-—पत् + क्त—नीचे गिरा हुआ
पतितः —भू॰ क॰ कृ॰—-—पत् + क्त—(नैतिक दृष्टि से) पतित, भ्रष्ट, दुश्चरित्र
पतितः —भू॰ क॰ कृ॰—-—पत् + क्त—स्वधर्मभ्रष्ट
पतितः —भू॰ क॰ कृ॰—-—पत् + क्त—अपमानित, जातिबहिष्कृत
पतितः —भू॰ क॰ कृ॰—-—पत् + क्त—युद्ध में हारा हुआ, पराजित, परास्त
पतितः —भू॰ क॰ कृ॰—-—पत् + क्त—ग्रस्त, फंसा हुआ
पतेरः —पुं॰—-—पत् + एरक्—पक्षी
पतेरः —पुं॰—-—पत् + एरक्—छिद्र या विवर
पत्तनम् —नपुं॰—-—पतित गच्छति जना यस्मिन्, पत् + तनन्—कस्बा, नगर
पत्तिः —पुं॰—-—पद् + ति—पैदल, पैदल सैनिक
पत्तिः —पुं॰—-—पद् + ति—पैदल, चलने वाला यात्री
पत्तिः —पुं॰—-—पद् + ति—वीर
पत्तिः —स्त्री॰—-—-—सेना का छोटे से छोटा दस्ता जिसमें एक रथ, एक हाथी, तीन घुड़सवार और पाँच पैदल सैनिक हों
पत्तिः —स्त्री॰—-—-—जाने वाला, चलने वाला
पत्तिकायः —पुं॰—पत्तिः-कायः—-—पैदल सेना
पत्तिगणकः —पुं॰—पत्तिः-गणकः—-—सेना का अधिकारी जिसका काम पैदल सेना की गिनती करना
पत्तिसंहतिः —स्त्री॰—पत्तिः-संहतिः—-—पैदल सिपाहियों की टुकड़ी, पैदल सेना
रत्तिन् —पुं॰—-—पद्भ्यां तेलति, पाद + तिल् + डिन्, पदादेशः—पैदल सिपाही
पत्नी —स्त्री॰—-—पति + ङीप्, नुक्—सहधर्मिणी, भार्या
पत्न्याटः —पुं॰—पत्नी-आटः—-—रनिवास, अंतपुर
पत्नीसन्नहनम् —नपुं॰—पत्नी-सन्नहनम्—-—धर्मपत्नी का कटिसूत्र या करधनी
पत्रम् —नपुं॰—-—पत् + ष्ट्रन्— (वृक्ष का) पत्ता
पत्रम् —नपुं॰—-—पत् + ष्ट्रन्—फूल की पत्ती, कमल का पत्ता
पत्रम् —नपुं॰—-—पत् + ष्ट्रन्—पत्ता जिसके ऊपर लिखा जाय, कागज, लिखा हुआ पत्र
पत्रम् —नपुं॰—-—पत् + ष्ट्रन्—पत्र, दस्तावेज
पत्रम् —नपुं॰—-—पत् + ष्ट्रन्—किसी धातु का पतला पत्रा, स्वर्ण-पत्र
पत्रम् —नपुं॰—-—पत् + ष्ट्रन्—पक्षी का बाजू, पंख, पर
पत्रम् —नपुं॰—-—पत् + ष्ट्रन्—बाण का पंख
पत्रम् —नपुं॰—-—पत् + ष्ट्रन्—सामान्य सवारी (रथ, घोड़ा, ऊँट आदि)
पत्रम् —नपुं॰—-—पत् + ष्ट्रन्—शरीर पर (विशेष कर मुख पर) चन्दन आदि सुगंधित द्रव्य का लेप करना
पत्रम् —नपुं॰—-—पत् + ष्ट्रन्—तलवार या चाकू का फल
पत्रम् —नपुं॰—-—पत् + ष्ट्रन्—चाकू, छूरी
पत्राङ्गम् —नपुं॰—पत्रम्-अङ्गम्—-—भूर्ज वृक्ष
पत्राङ्गम् —नपुं॰—पत्रम्-अङ्गम्—-—लाल चंदन
पत्राङ्गुलिः —स्त्री॰—पत्रम्-अङ्गुलिः—-—शरीर (गर्दन, मस्तक आदि) पर अंगुलियों से केसर मिश्रित चंदन या अन्य किसी सुगंधित पदार्थ से चित्रण करना
पत्राञ्जनम् —नपुं॰—पत्रम्-अञ्जनम्—-—मसी
पत्रावलिः —स्त्री॰—पत्रम्-आवलिः—-—गेरु
पत्रावलिः —स्त्री॰—पत्रम्-आवलिः—-—पत्तों का कतार
पत्रावलिः —स्त्री॰—पत्रम्-आवलिः—-—शरीर पर सजावट की दृष्टि से चंदनादि से रेखाचित्रण करना
पत्रावली —स्त्री॰—पत्रम्-आवली—-—पत्तों की पंक्ति
पत्राहारः —पुं॰—पत्रम्-आहारः—-—पत्ते खाकर निर्वाह करना
पत्रौर्णम् —नपुं॰—पत्रम्-ऊर्णम्—-—बुनने वाली रेशम, रेशमी वस्त्र
पत्रकाहला —स्त्री॰—पत्रम्-काहला—-—परों की फटफटाहट, पत्तों की खड़खड़ाहट
पत्रदारकः —पुं॰—पत्रम्-दारकः—-—आरा
पत्रनाडिका —स्त्री॰—पत्रम्-नाडिका—-—पत्ते के रेशे
पत्रपरशुः —पुं॰—पत्रम्-परशुः—-—रेती
पत्रपालः —पुं॰—पत्रम्-पालः—-—लंबी छुरी, बड़ा चाकू
पत्रपाली —स्त्री॰—पत्रम्-पाली—-—बाण का पंख वाला भाग
पत्रपाली —स्त्री॰—पत्रम्-पाली—-—कैंची
पत्रपाश्या —स्त्री॰—पत्रम्-पाश्या—-—मस्तक का सोने का आभूषण, टीका
पत्रपुटम् —नपुं॰—पत्रम्-पुटम्—-—पत्तों से बना पात्र, दोना
पत्रबालः —पुं॰—पत्रम्-बालः—-—चप्पू
पत्रवालः —पुं॰—पत्रम्-वालः—-—चप्पू
पत्रभङ्गः —स्त्री॰—पत्रम्-भङ्गः—-—शरीर को अलंकृत करने के लिए चंदन, केसर, महंदी या किसी अन्य सुगंधित द्रव्य से शरीर पर लेप करना या चित्रण करना
पत्रभङ्गिः —स्त्री॰—पत्रम्-भङ्गिः—-—शरीर को अलंकृत करने के लिए चंदन, केसर, महंदी या किसी अन्य सुगंधित द्रव्य से शरीर पर लेप करना या चित्रण करना
पत्रभङ्गी —स्त्री॰—पत्रम्-भङ्गी—-—शरीर को अलंकृत करने के लिए चंदन, केसर, महंदी या किसी अन्य सुगंधित द्रव्य से शरीर पर लेप करना या चित्रण करना
पत्रयौवनम् —नपुं॰—पत्रम्-यौवनम्—-—नया पत्ता या कोंपल
पत्ररथः —पुं॰—पत्रम्-रथः—-—पक्षी
पत्रेन्द्रः —पुं॰—पत्रम्-इन्द्रः—-—गरूड़ का नाम
पत्रेन्द्रकेतुः —पुं॰—पत्रम्-इन्द्रः-केतुः—-—विष्णु का नाम
पत्ररेखा —वि॰—पत्रम्-रेखा—-—शरीर को अलंकृत करने के लिए चंदन, केसर, महंदी या किसी अन्य सुगंधित द्रव्य से शरीर पर लेप करना या चित्रण करना
पत्रलेखा —वि॰—पत्रम्-लेखा—-—शरीर को अलंकृत करने के लिए चंदन, केसर, महंदी या किसी अन्य सुगंधित द्रव्य से शरीर पर लेप करना या चित्रण करना
पत्रवल्लरी —वि॰—पत्रम्-वल्लरी—-—शरीर को अलंकृत करने के लिए चंदन, केसर, महंदी या किसी अन्य सुगंधित द्रव्य से शरीर पर लेप करना या चित्रण करना
पत्रवल्लिः —वि॰—पत्रम्-वल्लिः—-—शरीर को अलंकृत करने के लिए चंदन, केसर, महंदी या किसी अन्य सुगंधित द्रव्य से शरीर पर लेप करना या चित्रण करना
पत्रवल्ली —वि॰—पत्रम्-वल्ली—-—शरीर को अलंकृत करने के लिए चंदन, केसर, महंदी या किसी अन्य सुगंधित द्रव्य से शरीर पर लेप करना या चित्रण करना
पत्रवाज —वि॰—पत्रम्-वाज—-—बाण आदि पंखों से युक्त
पत्रवाहः —पुं॰—पत्रम्-वाहः—-—पक्षी
पत्रवाहः —पुं॰—पत्रम्-वाहः—-—बाण
पत्रवाहः —पुं॰—पत्रम्-वाहः—-—डाकिया, चिट्टीरसा
पत्रविशेषकः —पुं॰—पत्रम्-विशेषकः—-—शरीर को अलंकृत करने के लिए चंदन, केसर, महंदी या किसी अन्य सुगंधित द्रव्य से शरीर पर लेप करना या चित्रण करना
पत्रवेष्टः —पुं॰—पत्रम्-वेष्टः—-—एक प्रकार का कानों का आभूषण
पत्रशाकः —पुं॰—पत्रम्-शाकः—-—शाकभाजी, जिसमें मुख्यरूप से पत्ते हों
पत्रश्रेष्ठः —पुं॰—पत्रम्-श्रेष्ठः—-—बेल का पेड़
पत्रसूचिः —स्त्री॰—पत्रम्-सूचिः—-—कांटा
पत्रहिमम् —नपुं॰—पत्रम्-हिमम्—-—जाड़े की ऋतु जब पाला या बर्फ पड़े
पत्रकम् —नपुं॰—-—पत्र + कन्—पत्ता
पत्रकम् —नपुं॰—-—पत्र + कन्—सौन्दर्य बढ़ाने की दृष्टि से शरीर पर बनाई गई रेखाएँ या चित्रकारी
पत्रणा —स्त्री॰—-—पत्र + णिच् + युच् + टाप्—सौन्दर्य वृद्धि के लिए शरीर पर बनाई गई रेखाएँ और चित्रकारी
पत्रणा —स्त्री॰—-—पत्र + णिच् + युच् + टाप्—बाण में पंख लगाना
पत्रिका —स्त्री॰—-—पत्री + कन् + टाप्, ह्रस्वः—लिखने के लिए काग़ज
पत्रिका —स्त्री॰—-—पत्री + कन् + टाप्, ह्रस्वः—चिट्टी, लेख, प्रलेख
पत्रिन् —वि॰—-—पत्रम् अस्त्यर्थ इनि—पंखो से युक्त, परों वाला
पत्रिन् —वि॰—-—पत्रम् अस्त्यर्थ इनि—जिसमें पत्ते या पृष्ठ हो
पत्रिन् —पुं॰—-—पत्रम् अस्त्यर्थ इनि—बाण
पत्रिन् —पुं॰—-—पत्रम् अस्त्यर्थ इनि—पक्षी
पत्रिन् —पुं॰—-—पत्रम् अस्त्यर्थ इनि—बाज
पत्रिन् —पुं॰—-—पत्रम् अस्त्यर्थ इनि—पहाड़
पत्रिन् —पुं॰—-—पत्रम् अस्त्यर्थ इनि—रथ
पत्रिन् —पुं॰—-—पत्रम् अस्त्यर्थ इनि—वृक्ष
पत्रिवाहः —पुं॰—पत्रिन्-वाहः—-—पक्षी
पत्सलः —पुं॰—-—पत् + सरन्, रस्य लः—रास्ता, मार्ग
पथः —पुं॰—-—पथ् + क (घञर्थे)—रास्था, मार्ग, प्रसार, किनारा
पथकल्पना —स्त्री॰—पथः-कल्पना—-—जाड्ड के खेल
पथदर्शकः —पुं॰—पथः-दर्शकः—-—मार्ग बतलाने वाला
पथिकः —पुं॰—-—पथिन् + ष्कन्—यात्री, मुसाफिर, बटोही
पथिकः —पुं॰—-—पथिन् + ष्कन्—पथप्रदर्शक
पथिकसंततिः —स्त्री॰—पथिकः-संततिः—-—यात्रियों का समूह, काफला
पथिकसंहतिः —स्त्री॰—पथिकः-संहतिः—-—यात्रियों का समूह, काफला
पथिकसार्थः —पुं॰—पथिकः-सार्थः—-—यात्रियों का समूह, काफला
पथिन् —पुं॰—-—पथ् आधारे इनि—मार्ग, रास्ता
पथिन् —पुं॰—-—पथ् आधारे इनि—यात्रा, राहगीरी या पर्यटन
पथिन् —पुं॰—-—पथ् आधारे इनि—परास, पहुंच
पथिन् —पुं॰—-—पथ्+इनि—कार्यपद्धति, आचरण की रेखा, व्यवहारक्रमः
पथिन् —पुं॰—-—पथ्+इनि—संप्रदाय, सिद्धांत
पथिन् —पुं॰—-—पथ्+इनि—नरक का प्रभाग
पथिदेयम् —नपुं॰—पथिन्-देयम्—-—सार्वजनिक मार्गों पर लगाया गया राजकर
पथिद्रुमः —पुं॰—पथिन्-द्रुमः—-—खैर का पेड़
पथिप्रज्ञ —वि॰—पथिन्-प्रज्ञ—-—मार्गों का जानकार
पथिवाहक —वि॰—पथिन्-वाहक—-—क्रूर
पथिवाहकः —पुं॰—पथिन्-वाहकः—-—शिकारी, चिड़ीमार
पथिवाहकः —पुं॰—पथिन्-वाहकः—-—बोझा ढोने वाला, कुली
पथिलः —पुं॰—-—पथ् + इलच्—यात्री, राहगीर, बटोही
पथ्य —वि॰—-—पथिन् + यत् + इनो लोपः—स्वास्थ्यप्रद, स्वास्थ्यवर्धक, कल्याणकारी, उपयोगी (औषधि, आहार, सम्मति आदि)
पथ्य —वि॰—-—पथिन् + यत् + इनो लोपः—योग्य उचित, उपयुक्त
पथ्यम् —नपुं॰—-—पथिन् + यत् + इनो लोपः—स्वास्थ्यबर्धक या पौष्टिक आहार
पथ्यम् —नपुं॰—-—पथिन् + यत् + इनो लोपः—कल्याण, कुशलक्षेम
पथ्यापथ्यम् —नपुं॰—पथ्य-अपथ्यम्—-—उन पदार्थों का समूह जो किसी रोग में स्वास्थ्यवर्धक या हानिकर समझे जाते है
पद् —चुरा॰ आ॰ <पदयते>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
पद् —दिवा॰ आ॰ <पद्यते>, <पन्न>, पुं॰—-—-—जाना, चलना-फिरना
पद् —दिवा॰ आ॰ <पद्यते>, <पन्न>, पुं॰—-—-—पास जाना, पहुँचना
पद् —दिवा॰ आ॰ <पद्यते>, <पन्न>, पुं॰—-—-—हासिल करना, प्राप्त करना, उपलब्ध करना
पद् —दिवा॰ आ॰ <पद्यते>, <पन्न>, पुं॰—-—-—पालन करना, अनुसरण करना
अनुपद् —दिवा॰ आ॰—अनु-पद्—-—पीछे चलना, अनुगमन करना, सेवा करना
अनुपद् —दिवा॰ आ॰—अनु-पद्—-—स्नेहशील होना, अनुरक्त होना
अनुपद् —दिवा॰ आ॰—अनु-पद्—-—प्रविष्ट होना, अन्दर जाना
अनुपद् —दिवा॰ आ॰—अनु-पद्—-—अपनाना
अनुपद् —दिवा॰ आ॰—अनु-पद्—-—मालूम करना, देखना, निरीक्षण करना, समझना
अभिपद् —दिवा॰ आ॰—अभि-पद्—-—पास जाना, नजदीक होना, पहुँचना
अभिपद् —दिवा॰ आ॰—अभि-पद्—-—संमिल्लित होना
अभिपद् —दिवा॰ आ॰—अभि-पद्—-—अवलोकन करना, विचार करना, खवाल करना, समझना
अभिपद् —दिवा॰ आ॰—अभि-पद्—-—सहायता करना, मदद करना
अभिपद् —दिवा॰ आ॰—अभि-पद्—-—पकड़ना, परास्त करना, आक्रमण करना, दबोच लेना, अधिकार में कर लेना, ग्रस्त करना
अभिपद् —दिवा॰ आ॰—अभि-पद्—-—लेना, धारण करना
अभिपद् —दिवा॰ आ॰—अभि-पद्—-—स्वीकार करना, प्राप्त करना
अभ्यपपद् —दिवा॰ आ॰—अभ्यप-पद्—-—दया करना, सांत्वना देना, आराम पहुँचाना, तरस खाना, अनुग्रह करना (कष्ट से) मुक्त करना
अभ्यपपद् —दिवा॰ आ॰—अभ्यप-पद्—-—सहायता मांगना, दीनता प्रकट करना
अभ्यपपद् —दिवा॰ आ॰—अभ्यप-पद्—-—सहमत होना, स्वीकृति देना
आपद् —दिवा॰ आ॰—आ-पद्—-—निकट जाना, की और चलना, पहुँचना
आपद् —दिवा॰ आ॰—आ-पद्—-—प्रविष्ट होना, (किसी स्थान या स्थिति को चले जाना या प्राप्त करना
आपद् —दिवा॰ आ॰—आ-पद्—-—कष्ट फँसना, दुर्भाग्यग्रस्त होना
आपद् —दिवा॰ आ॰—आ-पद्—-—होना, घटित होना
आपद् —पुं॰—आ-पद्—-—प्रकाशित करना, सामने लाना, कार्यान्वित करना, निष्पन्न करना
आपद् —पुं॰—आ-पद्—-—निकालना, जन्म देना, पैदा करना
आपद् —पुं॰—आ-पद्—-—घटाना, कष्टग्रस्त करना, ले जाना
आपद् —पुं॰—आ-पद्—-—नियंत्रण में लाना
उत्पद् —दिवा॰ आ॰—उद्-पद्—-—जन्म लेना, पैदा होना, उदय होना, उत्पन्न होना, उगना
उत्पद् —दिवा॰ आ॰—उद्-पद्—-—होना, घटित होना
उत्पद् —पुं॰—उद्-पद्—-—पैदा करना, सर्जन करना, जन्म देना, उत्पन्न करना, कार्यान्वित करना, प्रकाशित करना
उत्पद् —पुं॰—उद्-पद्—-—सामने लाना
उपपद् —दिवा॰ आ॰—उप-पद्—-—पहुँचना, निकट जाना, पास जाना, पधारना
उपपद् —दिवा॰ आ॰—उप-पद्—-—हासिल होना, प्राप्त होना, हिस्से में आना
उपपद् —दिवा॰ आ॰—उप-पद्—-—होना, घटित होना, आ पड़ना, पैदा हो जाना
उपपद् —दिवा॰ आ॰—उप-पद्—-—संभव होना, संभाव्य होना
उपपद् —दिवा॰ आ॰—उप-पद्—-—उपयुक्त होना, योग्य होना, पर्याप्त होना, अनुरूप समुचित
उपपद् —दिवा॰ आ॰—उप-पद्—-—आक्रमण करना
उपपद् —पुं॰—उप-पद्—-—किसी स्थिति में लाना, पहुँचाना, प्राप्त कराना
उपपद् —पुं॰—उप-पद्—-—नेतृत्व करना, ले जाना
उपपद् —पुं॰—उप-पद्—-—तैयार होना
उपपद् —पुं॰—उप-पद्—-—किसी को कोई वस्तु प्रदान करना, प्रस्तुत करना, उपहार देना
उपपद् —पुं॰—उप-पद्—-—प्रकाशित करना, निष्पन्न करना, उपार्जन करना, कार्यान्वित करना, काम में लाना, अनुष्ठान करना
उपपद् —पुं॰—उप-पद्—-—न्याय्य ठहराना, तर्क देना, प्रदर्शित करना, प्रमाणित करना
उपपद् —पुं॰—उप-पद्—-—संपन्न करना, युक्त करना
निष्पद् —दिवा॰ आ॰—निस्-पद्—-—निकलना, उगना
निष्पद् —दिवा॰ आ॰—निस्-पद्—-—पैदा होना, प्रकाशित होना, उदय होना, कार्यान्वित होना
निष्पद् —पुं॰—निस्-पद्—-—पैदा करना, प्रकाशित करना, जन्म देना, कार्यान्वित करना, तैयार करना
प्रपद् —दिवा॰ आ॰—प्र-पद्—-—की ओर जाना, पहुँचना, आश्रय लेना, चले जाना, पहुँच जाना
प्रपद् —दिवा॰ आ॰—प्र-पद्—-—आश्रय ग्रहण करना
प्रपद् —दिवा॰ आ॰—प्र-पद्—-—किसी विशिष्ट अवस्था को जाना, पहुँचना या किसी विशिष्ट दशा में होना
प्रपद् —दिवा॰ आ॰—प्र-पद्—-—प्राप्र करना, खोज लेना, हस्तगत करना, प्राप्त करना, हासिल करना
प्रपद् —दिवा॰ आ॰—प्र-पद्—-—व्यवहार करना, बर्ताव करना
प्रपद् —दिवा॰ आ॰—प्र-पद्—-—प्रविष्ट करना, अनुमति देना, सहमत होना, स्वीकार करना
प्रपद् —दिवा॰ आ॰—प्र-पद्—-—निकट खिसकना, आना, (समय आदि का) पहुँचना
प्रपद् —दिवा॰ आ॰—प्र-पद्—-—चले चलना, प्रगति करना
प्रपद् —दिवा॰ आ॰—प्र-पद्—-—प्रत्यक्षज्ञान प्राप्त करना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—कदम रखना, जाना, पहुँचना, सहारा लेना (किसी व्यक्ति का) आश्रय लेना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—ग्रहण करना, कदम रखना, लेना, अनुसरण करना, (मार्ग आदि)
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—पधारना, पहुँचना, प्राप्त करना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—हासिल करना, उपलब्ध करना, प्राप्त करना, भाग लेना, हिस्सा लेना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—स्वीकार करना, मान लेना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—वसूल करना, फिर प्राप्त करना, पुनः उपलब्ध करना, ग्रहण करना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—मान लेना, स्वीकार करना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—थामना, ग्रहण करना, पकड़ना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—विचार करना, ख़याल करना, सोचना, अवलोकन करना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—अपने जिम्मे लेना, करने की प्रतिज्ञा करना, हाथ में लेना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—हामी भरना, सहमत होना, स्वीकृति देना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—करना, अनुष्ठान करना, अभ्यास करना, पालन करना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—व्यवहार करना, बर्ताव करना, किसी का कोई कार्य करना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—(उत्तर) देना, (प्रत्युत्तर) देना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—प्रत्यक्षज्ञान प्राप्त करना, जानकार होना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—जानना, समझना, परिचित होना, सीखना, मालूम करना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—घूमना, भ्रमण करना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—होना, घटित होना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—देना, प्रस्तुत करना, प्रदान करना, अभिदान करना, समर्पित करना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—सिद्ध करना, प्रमाणित करना, प्रमाण देकर पक्का करना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—व्याख्या करना, स्पष्ट करना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—लाना या वापिस मोड़ना, (किसी स्थान पर) ले जाना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—ख़याल करना, विचार करना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—उपस्थिति की घोषणा करना, पुनः प्रस्तुत करना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—उपार्जन करना
प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—प्रति-पद्—-—कार्यान्वित करना, निष्पन्न करना
विपद् —दिवा॰ आ॰—वि-पद्—-—बुरी तरह विफल होना, असफल होना, (व्यवसाय आदि), का विफल होना
विपद् —दिवा॰ आ॰—वि-पद्—-—दुर्भाग्यग्रस्त या दुर्दशाग्रस्त होना
विपद् —दिवा॰ आ॰—वि-पद्—-—विकलांग होना, अशक्त होना
विपद् —दिवा॰ आ॰—वि-पद्—-—मरना, नष्ट होना
व्यापद् —दिवा॰ आ॰—व्या-पद्—-—(पृथ्वी पर) उतरना, नीचे आना
व्यापद् —दिवा॰ आ॰—व्या-पद्—-—मरना, नष्ट होना
व्यापद् —दिवा॰ आ॰—व्या-पद्—-—मारना, कतल करना
सम्पद् —दिवा॰ आ॰—सम्-पद्—-—(तैयार माल) बाहर निकालना, सफलता प्राप्त करना, समृद्ध होना, सम्पन्न होना, पूरा होना
सम्पद् —दिवा॰ आ॰—सम्-पद्—-—पूरा होना, (संख्या आदि) जुड़ कर होना
सम्पद् —दिवा॰ आ॰—सम्-पद्—-—बन जाना, होना
सम्पद् —दिवा॰ आ॰—सम्-पद्—-—उदय होना, जन्म लेना, पैदा होना
सम्पद् —दिवा॰ आ॰—सम्-पद्—-—एक जगह पड़ना, एकत्र होना
सम्पद् —दिवा॰ आ॰—सम्-पद्—-—सुसज्जित होना, संपन्न होना, स्वामी होना
सम्पद् —दिवा॰ आ॰—सम्-पद्—-—(किसी ओर) प्रवृत्त होना, करवाना, पैदा करना
सम्पद् —दिवा॰ आ॰—सम्-पद्—-—प्राप्त करना, उपलब्ध करना, अधिग्रहण करना, हासिल करना
सम्पद् —दिवा॰ आ॰—सम्-पद्—-—संलग्न होना, लीन होना
सम्पद् —दिवा॰ आ॰—सम्-पद्—-—करवाना, होना, पैदा करना, सम्पन्न करना, पूरा करना, कार्यान्वित करना
सम्पद् —दिवा॰ आ॰—सम्-पद्—-—उपार्जन करना, प्राप्त करना, सज्जित करना, तैयार करना, अधिग्रहण करना, हासिल करना
सम्पद् —दिवा॰ आ॰—सम्-पद्—-—सज्जित करना, संपन्न करना, युक्त करना
सम्पद् —दिवा॰ आ॰—सम्-पद्—-—बदलना, रूपान्तरित करना
सम्पद् —दिवा॰ आ॰—सम्-पद्—-—करार या वादा करना
सम्प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—सम्प्रति-पद्—-—की ओर जाना, पहुँचना
सम्प्रतिपद् —दिवा॰ आ॰—सम्प्रति-पद्—-—विचार करना, ख़याल करना
समापद् —दिवा॰ आ॰—समा-पद्—-—घटित होना, घटना होना
समापद् —दिवा॰ आ॰—समा-पद्—-—हासिल करना, प्राप्त करना, उपलब्ध करना
पद् —पुं॰—-—पद् + क्विप्—पैर
पद् —पुं॰—-—पद् + क्विप्—चरण, चौथाई भाग (किसी कविता या श्लोक का)
पत्काशिन् —पुं॰—पद्-काशिन्—-—पैदल चलने वाला
पद्धतिः —स्त्री॰—पद्-हतिः—-—रास्ता, पथ, मार्ग, बटिया
पद्धतिः —स्त्री॰—पद्-हतिः—-—रेखा, पंक्ति, शृंखला
पद्धतिः —स्त्री॰—पद्-हतिः—-—उपनाम, वंशनाम, उपाधि या विशेषण, व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्दों के समास में प्रयुक्त होने वाला शब्द जो जाति या व्यवसाय का बोधक हो
पद्धतिः —स्त्री॰—पद्-हतिः—-—विवाहादि विधि को सूचित करने वाली पुस्तक
पद्धती —स्त्री॰—पद्-हती—-—रास्ता, पथ, मार्ग, बटिया
पद्धती —स्त्री॰—पद्-हती—-—रेखा, पंक्ति, शृंखला
पद्धती —स्त्री॰—पद्-हती—-—उपनाम, वंशनाम, उपाधि या विशेषण, व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्दों के समास में प्रयुक्त होने वाला शब्द जो जाति या व्यवसाय का बोधक हो
पद्धती —स्त्री॰—पद्-हती—-—विवाहादि विधि को सूचित करने वाली पुस्तक
पद्धिमम् —नपुं॰—पद्-हिमम्—-—पैरों का ठंडापन
पदम् —नपुं॰—-—पद् + अच्—पैर
पदङ्कृ ——पदम्- कृ—-—कदम रखना
पदङ्कृ ——पदम्- कृ—-—प्रवृत्त होना, अधिकार करना, कब्जा करना
मूध्निपदङ्कृ ——मूध्निपदम्- कृ—-—किसी के सिर पर चढ़ना, दीन बनाना
मूध्निपदङ्कृ ——मूध्निपदम्- कृ—-—कदम, पग, डग
पदे पदे —अव्य॰—-—-—हर कदम पर
पदे पदे —अव्य॰—-—-—पदचिह्न, पद-छाप
पदे पदे —अव्य॰—-—-—चिह्न, अंक, छाप, निशान
पदे पदे —अव्य॰—-—-—स्थान, अवस्था, स्थिति
पदे पदे —अव्य॰—-—-—मर्यादा, दर्जा, पद, स्थिति या अवस्था
पदे पदे —अव्य॰—-—-—कारण, विषय, अवसर, वस्तु मामला या बात
पदे पदे —अव्य॰—-—-—आवास, पदार्थ, आशय
पदे पदे —अव्य॰—-—-—श्लोक का एक चरण, एक लाइन -विरचितपद (गेयम्) @ मेघ॰ ८६, १३३ @ मालवि॰ ५/२, @ श॰ ३/१६
पदे पदे —अव्य॰—-—-—विभक्तिचिह्न से युक्त पूरा शब्द
पदे पदे —अव्य॰—-—-—कर्तृ॰ , ए॰ व॰ को छोड़ कर शेष सभी व्यंजनादि विभक्तिचिह्नों का सांकेतिक नाम
पदे पदे —अव्य॰—-—-—वैदिक शब्दों को सन्धिविच्छेद करके पृथक् २ रखना, वैदिक मन्त्रों का पद-पाठ निर्धारित करना
पदे पदे —अव्य॰—-—-—वर्गमूल
पदे पदे —अव्य॰—-—-—(वाक्य का) प्रभाग या खंड
पदे पदे —अव्य॰—-—-—लम्बाई की माप
पदे पदे —अव्य॰—-—-—प्ररक्षा, संधारण या प्ररक्षण
पदे पदे —अव्य॰—-—-—शतरंज की बिसात पर बना वर्गाकार घर
पदः —पुं॰—-—-—प्रकाश की किरण
पदाङ्कः —पुं॰—पदम्-अङ्कः—-—पदछाप
पदचिह्नम् —नपुं॰—पदम्-चिह्नम्—-—पदछाप
पदागुङ्ष्ठः —पुं॰—पदम्-अङ्गुष्ठः—-—पैर का अँगूठा
पदानुगः —पुं॰—पदम्-अनुगः—-—अनुगामी, सहचर
पदानुशासनम् —नपुं॰—पदम्-अनुशासनम्—-—शब्द विज्ञान, व्याकरण
पदान्तः —पुं॰—पदम्-अन्तः—-—शब्द का अन्त
पदान्तरम् —नपुं॰—पदम्-अन्तरम्—-—दूसरा पग, एक पग का अन्तराल
पदाब्जम् —नपुं॰—पदम्-अब्जम्—-—चरणकमल, कमल जैसे पग
पदाम्भोजम् —नपुं॰—पदम्-अम्भोजम्—-—चरणकमल, कमल जैसे पग
पदारविन्दम् —नपुं॰—पदम्-अरविन्दम्—-—चरणकमल, कमल जैसे पग
पदकमलम् —नपुं॰—पदम्-कमलम्—-—चरणकमल, कमल जैसे पग
पदपङ्कजम् —नपुं॰—पदम्-पङ्कजम्—-—चरणकमल, कमल जैसे पग
पदपद्मम् —नपुं॰—पदम्-पद्मम्—-—चरणकमल, कमल जैसे पग
पदार्थः —पुं॰—पदम्-अर्थः—-—शब्द का अर्थ
पदार्थः —पुं॰—पदम्-अर्थः—-—वस्तु या पदार्थ
पदार्थः —पुं॰—पदम्-अर्थः—-—शीर्षक या विषय (नैयायिक इसके आगे १६ उपशीर्षक गिनाते हैं)
पदार्थः —पुं॰—पदम्-अर्थः—-—अभिधेय, वह वस्तु जिसका कुछ नाम रक्खा जा सके, प्रवर्ग
पदाघातः —पुं॰—पदम्-आघातः—-—पैर का प्रहार या ठोकर
पदाजिः —पुं॰—पदम्-आजिः—-—पैदलसिपाही
पदावली —स्त्री॰—पदम्-आवली—-—शब्दों का समूह, शब्दों या पंक्तियों का अविच्छिन्न क्रम
पदासनम् —नपुं॰—पदम्-आसनम्—-—पादपीठ, पैर रखने की चौकी
पदक्रमः —पुं॰—पदम्-क्रमः—-—चलना, क़दम रखना
पदगः —पुं॰—पदम्-गः—-—पैदल सिपाही
पदच्युतः —वि॰—पदम्-च्युतः—-—पद से हटाया गया, गद्दी से उतारा हुआ
पदछेदः —पुं॰—पदम्-छेदः—-—शब्दों को अलग २ करना, पदच्छेद करना, वाक्य का संघटकों में पृथक्करण
पदविच्छेदः —पुं॰—पदम्-विच्छेदः—-—शब्दों को अलग २ करना, पदच्छेद करना, वाक्य का संघटकों में पृथक्करण
पदविग्रहः —पुं॰—पदम्-विग्रहः—-—शब्दों को अलग २ करना, पदच्छेद करना, वाक्य का संघटकों में पृथक्करण
पदन्यासः —पुं॰—पदम्-न्यासः—-—क़दम रखना, डग भरना, पग रखना
पदन्यासः —पुं॰—पदम्-न्यासः—-—पदचिह्न
पदन्यासः —पुं॰—पदम्-न्यासः—-—पैरों की एक मुद्रा विशेष
पदन्यासः —पुं॰—पदम्-न्यासः—-—गोखरु का पौधा
पदपङ्क्तिः —स्त्री॰—पदम्-पङ्क्तिः—-—पदचिह्नो की क़तार
पदपङ्क्तिः —स्त्री॰—पदम्-पङ्क्तिः—-—शब्दों का क्रम
पदपङ्क्तिः —स्त्री॰—पदम्-पङ्क्तिः—-—ईंट, पवित्र इष्टका
पदपाठः —पुं॰—पदम्-पाठः—-—वैदिक मंत्रों का एक विशेषक्रम जिसमें मंत्र का प्रत्येक शब्द उच्चारणविकारों से निरपेक्ष होकर अपने मूलरूप में ही लिखा जाता है और इसी मूलरूप में उच्चारण किया जाता है
पदपातः —पुं॰—पदम्-पातः—-—क़दम, (घोड़े का भी) क़दम
पदभञ्जनम् —नपुं॰—पदम्-भञ्जनम्—-—शब्दों का विग्रह, निरुक्ति
पदभञ्जिका —स्त्री॰—पदम्-भञ्जिका—-—एक टीका जिसमें किसी संदर्भ के शब्द, पृथक् २ किये जाते हैं तथा समासों का विग्रह कर दिया जाता है
पदमाला —स्त्री॰—पदम्-माला—-—जादू का गुर
पदवृत्तिः —स्त्री॰—पदम्-वृत्तिः—-—दो शब्दों के बीच अंतर या विराम
पदकम् —नपुं॰—-—पद + कन्—क़दम, स्थिति, पदवी
पदकः —पुं॰—-—पद + कन्—कण्ठ का एक आभूषण
पदकः —पुं॰—-—पद + कन्—पद पाठ का ज्ञाता
पदविः —स्त्री॰—-—पद् + अवि —रास्ता, मार्ग, पथ, बटिया, पवन पदवी
पदविः —स्त्री॰—-—पद् + अवि —अवस्था, स्थिति, दर्जा, मर्यादा, पदवी, पद
पदविः —स्त्री॰—-—पद् + अवि —जगह, स्थान
पदवी —स्त्री॰—-—पद् + ङीष्—रास्ता, मार्ग, पथ, बटिया, पवन पदवी
पदवी —स्त्री॰—-—पद् + ङीष्—अवस्था, स्थिति, दर्जा, मर्यादा, पदवी, पद
पदवी —स्त्री॰—-—पद् + ङीष्—जगह, स्थान
पदातः —पुं॰—-—पद्भ्यामतति-अत् + अच्—पैदल सिपाही
पदातः —पुं॰—-—पद्भ्यामतति-अत् + अच्—पैदल यात्री (पैदल चलने वाला)
पदातिः —पुं॰—-—पद्भ्यामतति-अत् + इन्—पैदल सिपाही
पदातिः —पुं॰—-—पद्भ्यामतति-अत् + इन्—पैदल यात्री (पैदल चलने वाला)
पदातिन् —वि॰—-—पदात + इनि—(सेना) जिसमें पैदल सिपाही हों
पदातिन् —वि॰—-—पदात + इनि—पैदल चलने वाला
पदातिन् —पुं॰—-—-—पैदल सिपाही
पदिक —वि॰—-—पादेन चरति-पाद + ष्ठन्, पादस्य पदादेश—पैदल चलने वाला
पद्मम् —नपुं॰—-—पद् + मन्—कमल
पद्मम् —नपुं॰—-—पद् + मन्—कमल जैसा आभूषण
पद्मम् —नपुं॰—-—पद् + मन्—कमल का रूप या आकृति
पद्मम् —नपुं॰—-—पद् + मन्—कमल की जड़
पद्मम् —नपुं॰—-—पद् + मन्—हाथी सूँड और चेहरे पर रंगीन निशान
पद्मम् —नपुं॰—-—पद् + मन्—कमल के आकार खड़ी की हुई सेना
पद्मम् —नपुं॰—-—पद् + मन्—विशेषरूप से बड़ी संख्या, (१०००००००००००००००)
पद्मम् —नपुं॰—-—पद् + मन्—सीसा
पद्मः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का मंदिर
पद्मः —पुं॰—-—-—साँप की एक जाती
पद्मः —पुं॰—-—-—राम का विशेषण
पद्मः —पुं॰—-—-—कुबेर के नौ ख़जानों में से एक
पद्मः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का रतिबंध, मैथुन
पद्मा —स्त्री॰—-—-—सौभाग्य की देवी लक्ष्मी, विष्णु की पत्नी
पद्माक्ष —वि॰—पद्मम्-अक्ष—-—कमल जैसी सुन्दर आँखों वाला
पद्माक्षः —पुं॰—पद्मम्-अक्षः—-—विष्णु या सूर्य का विशेषण
पद्माक्षम् —नपुं॰—पद्मम्-अक्षम्—-—कमल गट्टा
पद्माकरः —पुं॰—पद्मम्-आकरः—-—एक विशाल सरोवर जिसमें कमल खिले हों
पद्माकरः —पुं॰—पद्मम्-आकरः—-—पोखर, पल्वल
पद्माकरः —पुं॰—पद्मम्-आकरः—-—कमलों का समूह
पद्मालयः —पुं॰—पद्मम्-आलयः—-—जगत्स्रष्टा ब्रह्मा या विशेषण
पद्मालया —स्त्री॰—पद्मम्-आलया—-—लक्ष्मी का विशेषण
पद्मासनम् —नपुं॰—पद्मम्-आसनम्—-—कमल पीठ
पद्मासनम् —नपुं॰—पद्मम्-आसनम्—-—एक प्रकार का योगासन
पद्मासनः —पुं॰—पद्मम्-आसनः—-—जगत्स्रष्टा ब्रह्मा या विशेषण
पद्माह्वम् —नपुं॰—पद्मम्-आह्वम्—-—लौंग
पद्मोद्धवः —पुं॰—पद्मम्-उद्धवः—-—ब्रह्मा का विशेषण
पद्मकरः —पुं॰—पद्मम्-करः—-—विष्णु का विशेषण
पद्महस्त —पुं॰—पद्मम्-हस्त—-—विष्णु का विशेषण
पद्मकरा —स्त्री॰—पद्मम्-करा—-—लक्ष्मी का नाम
पद्महस्ता —स्त्री॰—पद्मम्-हस्ता—-—लक्ष्मी का नाम
पद्मकर्णिका —स्त्री॰—पद्मम्-कर्णिका—-—पद्म का बीजकोश
पद्मकलिका —स्त्री॰—पद्मम्-कलिका—-—कमल का अनखिला फूल, कली
पद्मकेशरः —पुं॰—पद्मम्-केशरः—-—कमल फूल का रेशा
पद्मकेशरकम् —नपुं॰—पद्मम्-केशरकम्—-—कमल फूल का रेशा
पद्मकोशः —पुं॰—पद्मम्-कोशः—-—कमल का संपुट
पद्मकोशः —पुं॰—पद्मम्-कोशः—-—संपुटित कमल के आकार की उँगलियों की एक मुद्रा
पद्मकोषः —पुं॰—पद्मम्-कोषः—-—कमल का संपुट
पद्मकोषः —पुं॰—पद्मम्-कोषः—-—संपुटित कमल के आकार की उँगलियों की एक मुद्रा
पद्मखण्डम् —नपुं॰—पद्मम्-खण्डम्—-—कमलों का समूह
पद्मषण्डम् —नपुं॰—पद्मम्-षण्डम्—-—कमलों का समूह
पद्मगन्ध —वि॰—पद्मम्-गन्ध—-—कमल की गंधवाला या कमल की सी गंधवाला
पद्मगन्धि —वि॰—पद्मम्-गन्धि—-—कमल की गंधवाला या कमल की सी गंधवाला
पद्मगर्भः —पुं॰—पद्मम्-गर्भः—-—ब्रह्मा का विशेषण
पद्मगर्भः —पुं॰—पद्मम्-गर्भः—-—विष्णु का विशेषण
पद्मगर्भः —पुं॰—पद्मम्-गर्भः—-—सूर्य का विशेषण
पद्मगुणा —स्त्री॰—पद्मम्-गुणा—-—धन की देवी लक्ष्मी का विशेषण
पद्मगृहा —स्त्री॰—पद्मम्-गृहा—-—धन की देवी लक्ष्मी का विशेषण
पद्मजः —पुं॰—पद्मम्-जः—-—कमल से उत्पन्न ब्रह्मा के विशेषण
पद्मजातः —पुं॰—पद्मम्-जातः—-—कमल से उत्पन्न ब्रह्मा के विशेषण
पद्मभयः —पुं॰—पद्मम्-भयः—-—कमल से उत्पन्न ब्रह्मा के विशेषण
पद्मभूः —पुं॰—पद्मम्-भूः—-—कमल से उत्पन्न ब्रह्मा के विशेषण
पद्मयोनिः —पुं॰—पद्मम्-योनिः—-—कमल से उत्पन्न ब्रह्मा के विशेषण
पद्मसम्भवः —पुं॰—पद्मम्-सम्भवः—-—कमल से उत्पन्न ब्रह्मा के विशेषण
पद्मतन्तुः —पुं॰—पद्मम्-तन्तुः—-—कमल का रेशेदार डंठल
पद्मनाभः —पुं॰—पद्मम्-नाभः—-—विष्णु का विशेषण
पद्मनाभि —पुं॰—पद्मम्-नाभि—-—विष्णु का विशेषण
पद्मनालम् —नपुं॰—पद्मम्-नालम्—-—कमल का डंठल
पद्मपाणिः —पुं॰—पद्मम्-पाणिः—-—ब्रह्मा का विशेषण
पद्मपाणिः —पुं॰—पद्मम्-पाणिः—-—विष्णु का विशेषण
पद्मपुष्पः —पुं॰—पद्मम्-पुष्पः—-—कर्णिकार का पौधा
पद्मबन्धः —पुं॰—पद्मम्-बन्धः—-—एक प्रकार की कृत्रिम रचना जिससें शब्दो को कमल-फूल के रूप में व्यवस्थित किया हो
पद्मबन्धुः —पुं॰—पद्मम्-बन्धुः—-—सूर्य
पद्मबन्धुः —पुं॰—पद्मम्-बन्धुः—-—मधुमक्खी
पद्मरागः —पुं॰—पद्मम्-रागः—-—लाल, माणिक्य
पद्मरागम् —नपुं॰—पद्मम्-रागम्—-—लाल, माणिक्य
पद्मरेखा —स्त्री॰—पद्मम्-रेखा—-—हथेली में (कमल फूल के आकार की) रेखायें जो अत्यन्त धनबान होने का लक्षण हैं
पद्मलाञ्छन —पुं॰—पद्मम्-लाञ्छन—-—ब्रह्मा का विशेषण
पद्मलाञ्छन —पुं॰—पद्मम्-लाञ्छन—-—कुबेर का विशेषण
पद्मलाञ्छन —पुं॰—पद्मम्-लाञ्छन—-—सूर्य और राजा का विशेषण
पद्मलाञ्छना —स्त्री॰—पद्मम्-लाञ्छना—-—धन की देवी लक्ष्मी का विशेषण
पद्मलाञ्छना —स्त्री॰—पद्मम्-लाञ्छना—-—या विद्या की देवी सरस्वती का विशेषण
पद्मवासा —स्त्री॰—पद्मम्-वासा—-—लक्ष्मी का विशेषण
पद्मकम् —नपुं॰—-—पद्म + कन्—कमलफूल के आकार की व्यूहरचना में स्थित सेना
पद्मकम् —नपुं॰—-—पद्म + कन्—हाथी की सूँड और चेहरे पर रंगीन स्थान
पद्मकम् —नपुं॰—-—पद्म + कन्—बैठने की विशेष मुद्रा
पद्मकिन् —पुं॰—-—पद्मक + इनि—हाथी
पद्मकिन् —पुं॰—-—पद्मक + इनि—भोजपत्र का वृक्ष
पद्मावती —स्त्री॰—-—पद्म + मतुप्, वत्वम्, दीर्घश्च—लक्ष्मी का विशेषण
पद्मावती —स्त्री॰—-—पद्म + मतुप्, वत्वम्, दीर्घश्च—एक नदी का नाम
पद्मिन् —वि॰—-—पद्म + इनि—कमल रख़ने वाला
पद्मिन् —वि॰—-—पद्म + इनि—चितकबरा
पद्मिन् —पुं॰—-—पद्म + इनि—हाथी
पद्मिनी —स्त्री॰—-—पद्म + इनि+ङीप्—कमल का पौधा
पद्मिनी —स्त्री॰—-—पद्म + इनि+ङीप्—कमलफूलों का समूह
पद्मिनी —स्त्री॰—-—पद्म + इनि+ङीप्—सरोवर या झील जिसमें कमल लगे हुए हों
पद्मिनी —स्त्री॰—-—पद्म + इनि+ङीप्—कमल का रेशेदार डंठल
पद्मिनी —स्त्री॰—-—पद्म + इनि+ङीप्—हथिनी
पद्मिनी —स्त्री॰—-—पद्म + इनि+ङीप्—रतिशास्त्र के लेखकों ने स्त्रियों के चार भेद किये हैं उसमें प्रथम प्रकार की स्त्री,
पद्मेशयः —पुं॰—-—पद्मे शेते-शी + अच्, अलु॰ स॰—विष्णु का विशेषण
पद्म —वि॰—-—पद् + यत्—पद या पंक्तियों वाला
पद्म —वि॰—-—पद् + यत्—चरण या पद को मापने वाला
पद्मः —पुं॰—-—-—शब्द का एक भाग
पद्मा —स्त्री॰—-—-—पगडंडी, पथ, बटिया
पद्मम् —नपुं॰—-—-—(चार चरणों से युक्त) श्लोक, कविता
पद्मम् —नपुं॰—-—-—प्रशंसा, स्तुति
पद्र —पुं॰—-—पद्यतेऽस्मिन् पद् + रक्—गाँव
पद्वः —पुं॰—-—पद् + वन्—भूलोक, मर्त्य लोक
पद्वः —पुं॰—-—पद् + वन्—रथ
पद्वः —पुं॰—-—पद् + वन्—मार्ग
पन् —भ्वा॰ उभ॰ <पनायति>, <पनायते>, <पनायित>, <पनित>—-—-—प्रशंसा करना, स्तुति करना
पनसः —पुं॰—-—पनाय्यते स्तूयतेऽनेन देवः-पन् + असच्—कटहल का वृक्ष
पनसः —पुं॰—-—पनाय्यते स्तूयतेऽनेन देवः-पन् + असच्—काँटा
पनसम् —नपुं॰—-—-—कटहल का फल
पंथक —वि॰—-—पथि जातः-पथिन् + कन्, पन्थादेशः—मार्ग में उत्पन्न
पन्न —भू॰ क॰ कृ॰—-—पद् + क्त—गिरा हुआ, डूबा हुआ, नीचे गया हुआ, अवतरित
पन्न —भू॰ क॰ कृ॰—-—पद् + क्त—बीता हुआ
पन्नगः —पुं॰—पन्न-गः—-—साँप, सर्प
पन्नगम् —नपुं॰—पन्न-गम्—-—सीसा
पन्नारिः —पुं॰—पन्न-अरिः—-—गरुड के विशेषण
पन्नाशनः —पुं॰—पन्न-अशनः—-—गरुड के विशेषण
पन्ननाशनः —पुं॰—पन्न-नाशनः—-—गरुड के विशेषण
पपिः —पुं॰—-—पातिलोकम्-पिबति वा, पा + कि, द्वित्वम्—चन्द्रमा
पपीः —पुं॰—-—पा + ई, द्वित्वं किच्च—चन्द्रमा
पपीः —पुं॰—-—पा + ई, द्वित्वं किच्च—सूर्य
पपु —वि॰—-—पा + कु, द्वित्वम्—पालन-पोषण करने वाला, रक्षा करने वाला
पपुः —स्त्री॰—-—पा + कु, द्वित्वम्—धात्री माता, प्रतिपालिका
पम्पा —स्त्री॰—-—पाति रक्षति महर्ष्यादीन्-पा॰ द्वित्वम् मुडागमश्च, नि॰—दंडकारण्य का एक सरोवर
पम्पा —स्त्री॰—-—पाति रक्षति महर्ष्यादीन्-पा॰ द्वित्वम् मुडागमश्च, नि॰—भारत के दक्षिण में एक नदी का नाम
पयस् —नपुं॰—-—पय् + असुन्, पा + असुन्, इकारादेश्च—पानी
पयस् —नपुं॰—-—पय् + असुन्, पा + असुन्, इकारादेश्च—दूध
पयस् —नपुं॰—-—पय् + असुन्, पा + असुन्, इकारादेश्च—वीर्य
पयोगलः —पुं॰—पयस्-गलः—-—ओला
पयोगलः —पुं॰—पयस्-गलः—-—टापू
पयोडः —पुं॰—पयस्-डः—-—टापू
पयोघनम् —नपुं॰—पयस्-घनम्—-—ओला
पयोचयः —पुं॰—पयस्-चयः—-—जलाशय या सरोवर
पयोजन्मन् —पुं॰—पयस्-जन्मन्—-—बादल
पयोदः —पुं॰—पयस्-दः—-—बादल
पयोसुहृद् —पुं॰—पयस्-सुहृद्—-—मोर
पयोधरः —पुं॰—पयस्-धरः—-—बादल
पयोधरः —पुं॰—पयस्-धरः—-—स्त्री की छाती
पयोधरः —पुं॰—पयस्-धरः—-—ऐन औडी
पयोधरः —पुं॰—पयस्-धरः—-—नारियल का पेड़
पयोधरः —पुं॰—पयस्-धरः—-—रीढ़ की हड्डी
पयोधस् —पुं॰—पयस्-धस्—-—समुद्र
पयोधस् —पुं॰—पयस्-धस्—-—तालाब, सरोवर, जलाशय
पयोधिः —पुं॰—पयस्-धिः—-—समुद्र
पयोनिधः —पुं॰—पयस्-निधः—-—समुद्र
पयोमुच् —पुं॰—पयस्-मुच्—-—बादल
पयोवाहः —पुं॰—पयस्-वाहः—-—बादल
पयस्य —वि॰—-—पयसो विकारः पयसः इदं वा-पयस् + यत्—दूध से युक्त, दूध से बना हुआ
पयस्य —वि॰—-—पयसो विकारः पयसः इदं वा-पयस् + यत्—पानी से युक्त
पयस्या —स्त्री॰—-—पयसो विकारः पयसः इदं वा-पयस् + यत्+टाप्—दही
पयस्वल —वि॰—-—पयस् + वलच्—दूध से भरा हुआ, यथेष्ट दूध देने वाला
पयस्वलः —पुं॰—-—पयस् + वलच्—बकरी
पयस्विन् —वि॰—-—पयस् + विनि—दूधिया, जल से युक्त
पयस्विनी —स्त्री॰—-—पयस् + विनि+ङीप्—दूध देने वाली गाय
पयस्विनी —स्त्री॰—-—पयस् + विनि+ङीप्—नदी
पयस्विनी —स्त्री॰—-—पयस् + विनि+ङीप्—बकरी
पयस्विनी —स्त्री॰—-—पयस् + विनि+ङीप्—रात
पयोधिकम् —नपुं॰—-—पयोधि + फै + क—समुद्रझग
पयोष्णी —स्त्री॰—-—-—विन्ध्यपर्वत से निकलने वाली एक नदी
पर —वि॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—दूसरा, भिन्न, अम्य
पर —वि॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—दूरस्थित, हटाया हुआ, दूर का
पर —वि॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—परे, आगे, के दूसरी ओर
पर —वि॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा— बाद का, पीछे का, आगे का
पर —वि॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—उच्चतर, श्रेष्ठ
पर —वि॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—उच्चतम, महत्तम, पूज्यतम, प्रमुख, मुख्य़, सर्वोत्तम, प्रधान
पर —वि॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—आगे का वर्ण या ध्वनि रखने वाला, पीछे का
पर —वि॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—विदेशी, अपरिचित, अजनवी
पर —वि॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—विरोधी, शत्रुतापूर्ण, प्रतिकूल
पर —वि॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—अधिक, अतिरिक्त, बचा हुआ
पर —वि॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—अन्तिम, आखीर का
पर —वि॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—किसी वस्तु की उच्चतम पदार्थ समझने वाला, लीन, तुला हुआ, अनन्यभक्त, पूर्णतः व्यस्त
परः —पुं॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—दूसरा, व्यक्ति, अपरिचित, विदेशी
परः —पुं॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—शत्रु, दुश्मन
परम् —नपुं॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—उच्चतम स्वर या बिन्दु, चरम बिन्दु
परम् —नपुं॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—परमात्मा
परम् —नपुं॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—मोक्ष
परम् —अपा॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—परे, अधिक, में से
परम् —अपा॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—के पश्चात्
परम् —नपुं॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—उस पर, उसके बाद
परम् —नपुं॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—परंतु, लोभी
परम् —नपुं॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—अन्यथा
परम् —नपुं॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—ऊँची मात्रा में , अधिकता के साथ, अत्यधिक, पूरी तरह से, सर्वथा
परम् —नपुं॰—-—पृ॰ + अप्, कर्तरि अच् वा—अत्यंत
परेण —अव्य॰—-—-—आगे, परे, अपेक्षाकृत अधिक
परेण —अव्य॰—-—-—इसके पश्चात्
परे —अव्य॰—-—-—बाद में, उसके पश्चात्
परे —अव्य॰—-—-—भविष्य में
पराङ्गम् —नपुं॰—पर-अङ्गम्—-—शरीर का पिछला
पराङ्गदः —पुं॰—पर-अङ्गदः—-—शिव का विशेषण
परादनः —पुं॰—पर-अदनः—-—अरब या पर्शिया के देशों में पाया जाने वाला घोड़ा
पराधीन —वि॰—पर-अधीन—-—पराधीन, पराश्रित, परवश
परान्ताः —पुं॰—पर-अन्ताः—-—एक राष्ट्र का नाम
परान्तकः —पुं॰—पर-अन्तकः—-—शिव का विशेषण
परान्न —वि॰—पर-अन्न—-—दूसरे के भोजन पर निर्वाह करने वाला
परान्नम् —नपुं॰—पर-अन्नम्—-—दूसरेका भोजन
परपरिपुष्टता —स्त्री॰—पर-परिपुष्टता—-—दूसरों के भोजन से पालन-पोषण
परभोजिन् —वि॰—पर-भोजिन्—-—दूसरों के भोजन पर निर्वाह करने वाला
परापर —वि॰—पर-अपर—-—दूर और निकट, दूर और समीप
परापर —वि॰—पर-अपर—-—पूर्ववर्ती और पश्चवर्ती
परापर —वि॰—पर-अपर—-—पहले और बाद में , पहले और पीछे
परापर —वि॰—पर-अपर—-—ऊंचा और नीचा, सबसे उत्तम और सबसे खराब
परापरम् —नपुं॰—पर-अपरम्—-—महत्तम और लघूत्तम संख्याओं के बीच की वस्तु, जाति (जो श्रेणी और व्यक्ति दोनों के मध्य विद्यमान हो)
परामृतम् —नपुं॰—पर-अमृतम्—-—वृष्टि
परायण —वि॰—पर-अयण—-—अनुरक्त, भक्त, संसक्त
परायण —वि॰—पर-अयण—-—आश्रित, वशीभूत
परायण —वि॰—पर-अयण—-—तुला हुआ, अनन्य भक्त, सर्वथा लीन
परायन —वि॰—पर-अयन—-—अनुरक्त, भक्त, संसक्त
परायन —वि॰—पर-अयन—-—आश्रित, वशीभूत
परायन —वि॰—पर-अयन—-—तुला हुआ, अनन्य भक्त, सर्वथा लीन
परायणम् —नपुं॰—पर-अयणम्—-—प्रधान या चरम उद्देश्य, मुख्य ध्येय, सर्वोत्तम या अन्तिम सहारा
परार्थ —वि॰—पर-अर्थ—-—दूसरा ही उद्देश्य या अर्थ रखने वाला
परार्थ —वि॰—पर-अर्थ—-—दूसरे के लिए अभिप्रेत, अन्य के लिए किया हुआ
परार्थः —पुं॰—पर-अर्थः—-—सर्वोच्च हित या लाभ
परार्थः —पुं॰—पर-अर्थः—-—किसी दूसरे का हित
परार्थः —पुं॰—पर-अर्थः—-—मुख्य अर्थ
परार्थः —पुं॰—पर-अर्थः—-—सर्वोच्च उद्देश्य (अर्थात् मैथुन)
परार्थम् —अव्य॰—पर-अर्थम्—-—दूसरे के लिए
परार्थे —अव्य॰—पर-अर्थे—-—दूसरे के लिए
परार्धम् —नपुं॰—पर-अर्धम्—-—दूसरा भाग , उत्तरार्ध
परार्धम् —नपुं॰—पर-अर्धम्—-—विशेष रूप से बड़ी संख्या अर्थात् १००, ०००,०००,०००,०००,०००
परार्ध्य —वि॰—पर-अर्ध्य—-—दूसरे किनारे पर होने वाला
परार्ध्य —वि॰—पर-अर्ध्य—-—संख्या में अत्यंत दूर का
परार्ध्य —वि॰—पर-अर्ध्य—-—अत्यंत श्रेष्ठ, सर्वोत्तम, परम श्रेष्ठ, अत्यंत मूल्यवान, सर्वोच्च, परम
परार्ध्य —वि॰—पर-अर्ध्य—-—अत्यंत कीमती
परार्ध्य —वि॰—पर-अर्ध्य—-—अत्यंत सुन्दर, प्रियतम, मनोज्ञतम
परार्ध्यम् —नपुं॰—पर-अर्ध्यम्—-—अधिकतम
परार्ध्यम् —नपुं॰—पर-अर्ध्यम्—-—अनन्त या असीम संख्या
परावरम् —वि॰—पर-अवरम्—-—दूर और निकट
परावरम् —वि॰—पर-अवरम्—-—सवेरी और अवेरी
परावरम् —वि॰—पर-अवरम्—-—पहले का और बाद का या आगामी
परावरम् —वि॰—पर-अवरम्—-—उच्चतर और निम्नतर
परावरम् —वि॰—पर-अवरम्—-—परंपराप्राप्त
परावरम् —वि॰—पर-अवरम्—-—सर्वसम्मिलित
पराहः —पुं॰—पर-अहः—-—दूसरे दिन
पराह्लः —पुं॰—पर-अह्लः—-—तीसरा पहर, दिन का उत्तरार्ध भाग
पराचित —वि॰—पर-आचित—-—दूसरे द्वारा पाला-पोसा हुआ
पराचितः —पुं॰—पर-आचितः—-—दास
परात्मन् —पुं॰—पर-आत्मन्—-—परमात्मा
परायत्त —वि॰—पर-आयत्त—-—दूसरे के अधीन, पराश्रित, पराधीन
परायुस् —पुं॰—पर-आयुस्—-—ब्रह्मा का विशेषण
पराविद्धः —पुं॰—पर-आविद्धः—-—कुवेर का विशेषण
पराविद्धः —पुं॰—पर-आविद्धः—-—विष्णु की उपाधि
पराश्रयः —पुं॰—पर-आश्रयः—-—परावलंबन, दूसरे की अधीनता
परासङ्गः —पुं॰—पर-आसङ्गः—-—परावलंबन, दूसरे की अधीनता
परास्कन्दिन् —पुं॰—पर-आस्कन्दिन्—-—चोर, लुटेरा
परेतर —वि॰—पर-इतर—-—शत्रुता से भिन्न अर्थात् मैत्री पूर्ण, कृपालु
परेतर —वि॰—पर-इतर—-—अपना, निजी
परेशः —पुं॰—पर-ईशः—-—ब्रह्मा का विशेषण
परोत्कर्षः —पुं॰—पर-उत्कर्षः—-—दूसरे की समृद्धि
परोपकारः —पुं॰—पर-उपकारः—-—दूसरों की भलाई करना जनहितैषिता, उदारता, धर्मार्थ
परोपजापः —पुं॰—पर-उपजापः—-—शत्रुओं में फूट डालना
परोपरुद्धः —वि॰—पर-उपरुद्धः—-—शत्रु के द्वारा घेरा हुआ
परोढा —स्त्री॰—पर-ऊढा—-—दूसरे की पत्नी
परैधित —वि॰—पर-एधित—-—दूसरे द्वारा पालित-पोषित
परैधितः —पुं॰—पर-एधितः—-—सेवक
परैधितः —पुं॰—पर-एधितः—-—कोयल
परकलत्रम् —नपुं॰—पर-कलत्रम्—-—दूसरे की पत्नी
पराभिगमनम् —नपुं॰—पर-अभिगमनम्—-—व्यभिचार
परकार्यम् —नपुं॰—पर-कार्यम्—-—दूसरे का व्यवसाय या काम
परक्षेत्रम् —नपुं॰—पर-क्षेत्रम्—-—दूसरे का शरीर
परक्षेत्रम् —नपुं॰—पर-क्षेत्रम्—-—दूसरे का क्षेत्र
परक्षेत्रम् —नपुं॰—पर-क्षेत्रम्—-—दूसरे की पत्नी
परगामिम् —वि॰—पर-गामिम्—-—दूसरे के साथ रहने वाला
परगामिम् —वि॰—पर-गामिम्—-—दूसरे से संबंध रखने वाला
परगामिम् —वि॰—पर-गामिम्—-—दूसरे के लिए लाभदायक
परग्रंथिः —स्त्री॰—पर-ग्रंथिः—-—जोड़, गांठ
परचक्रम् —नपुं॰—पर-चक्रम्—-—शत्रु की सेना
परचक्रम् —नपुं॰—पर-चक्रम्—-—शत्रु के द्वारा आक्रमण ६ ईतियों में से एक
परछंदः —पुं॰—पर-छंदः—-—दूसरे की इच्छा
परानुवर्तनम् —नपुं॰—पर-अनुवर्तनम्—-—दूसरे की इच्छा का अनुगमन करना
परछिद्रम् —नपुं॰—पर-छिद्रम्—-—दूसरे की कमजोरी, दूसरे की त्रुटि
परजात —वि॰—पर-जात—-—दूसरे से उत्पन्न
परजात —वि॰—पर-जात—-—जीविका के लिए दूसरे पर आश्रित
परजातः —पुं॰—पर-जातः—-—सेवक
परजित —वि॰—पर-जित—-—दूसरे से जीता हुआ
परजितः —पुं॰—पर-जितः—-—कोयल
परतंत्र —वि॰—पर-तंत्र—-—दूसरे पर आश्रित, पराधीन, अनुसेवी
परदाराः —पुं॰—पर-दाराः—-—दूसरे की पत्नी
परदारिन् —पुं॰—पर-दारिन्—-—व्यभिचारी, परस्त्रीगामी
परदुखम् —नपुं॰—पर-दुःखम्—-—दूसरे का कष्ट या दुःख
परदेशः —पुं॰—पर-देशः—-—विदेश
परदेशिन् —पुं॰—पर-देशिन्—-—विदेशी
परद्रोहिन् —वि॰—पर-द्रोहिन्—-—दूसरों से घृणा करने वाला, विरोधी, शत्रुतापूर्ण
परद्वेषिध् —वि॰—पर-द्वेषिध्—-—दूसरों से घृणा करने वाला, विरोधी, शत्रुतापूर्ण
परधनम् —नपुं॰—पर-धनम्—-—दूसरे की संपत्ति
परधर्मः —पुं॰—पर-धर्मः—-—दूसरे का धर्म
परधर्मः —पुं॰—पर-धर्मः—-—दूसरे का कर्तव्य या कार्य
परधर्मः —पुं॰—पर-धर्मः—-—दूसरी जाति का कर्तव्य
परनिपातः —पुं॰—पर-निपातः—-—समास में शब्द की अनियमित पश्चवर्तिता अर्थात् भूतपूर्वः
परपक्षः —पुं॰—पर-पक्षः—-—शत्रु का दल या पक्ष
परपदम् —नपुं॰—पर-पदम्—-—उच्चतम स्थिति, प्रमुखता
परपदम् —नपुं॰—पर-पदम्—-—मोक्ष
परपिंडः —पुं॰—पर-पिंडः—-—दूसरे का भोजन, दूसरों से दिया गया भोजन
पराद् —वि॰—पर-अद्—-—वह जो दूसरों का भोजन कर या जो दूसरे के खर्च पर जीवन निर्वाह करे
पररत —वि॰—पर-रत—-—दूसरे के भोजन पर पलने वाला
परपुरुषः —पुं॰—पर-पुरुषः—-—दूसरा मनुष्य, अपरिचित
परपुरुषः —पुं॰—पर-पुरुषः—-—परमात्मा, विष्णु
परपुरुषः —पुं॰—पर-पुरुषः—-—दूसरी स्त्री का पति
परपुष्ट —वि॰—पर-पुष्ट—-—दूसरे के द्वारा पाला पोसा हुआ
परपुष्टः —पुं॰—पर-पुष्टः—-—कोयल
परमहोत्सवः —पुं॰—पर-महोत्सवः—-—आम का वृक्ष
परपुष्टा —स्त्री॰—पर-पुष्टा—-—कोयल
परपुष्टा —स्त्री॰—पर-पुष्टा—-—वेश्या, रंडी
परपूर्वा —स्त्री॰—पर-पूर्वा—-—वह स्त्री जिसका दूसरा पति हो
परप्रेष्यः —पुं॰—पर-प्रेष्यः—-—सेवक, घरेलू नौकर
परब्रह्मन् —नपुं॰—पर-ब्रह्मन्—-—परमात्मा
परभागः —पुं॰—पर-भागः—-—दूसरे का हिस्सा
परभागः —पुं॰—पर-भागः—-—श्रेष्ठ गुण
परभागः —पुं॰—पर-भागः—-—सौभाग्य, समृद्धि
परभागः —पुं॰—पर-भागः—-—सर्वोत्तमता, श्रेष्ठता, सर्वोपरिता
परभागः —पुं॰—पर-भागः—-—अधिकता, बाहुल्य, ऊँचाई
परभाषा —स्त्री॰—पर-भाषा—-—विदेशी भाषा
परभुक्त —वि॰—पर-भुक्त—-—दूसरे के द्वारा भोगा हुआ
परभृत् —पुं॰—पर-भृत्—-—कौवा (क्योंकि यह दूसरे का अर्थात् कोयल का पालन-पोषण करता हैं )
परभृतः —पुं॰—पर-भृतः—-—कोयल (क्योंकि यह दूसरे दे द्वारा अर्थात् कौवे से पाली पोसी जाती है)
परभृता —स्त्री॰—पर-भृता—-—कोयल (क्योंकि यह दूसरे दे द्वारा अर्थात् कौवे से पाली पोसी जाती है)
परमृत्युः —पुं॰—पर-मृत्युः—-—कौवा
पररमणः —पुं॰—पर-रमणः—-—विवाहित स्त्री का यार या जार
परलोकः —पुं॰—पर-लोकः—-—दूसरा (आगामी) दुनिया
परविधिः —पुं॰—पर-विधिः—-—अन्त्येष्टि संस्कार
परवश —वि॰—पर-वश—-—दूसरे के अधीन, पराश्रित
परवश्य —वि॰—पर-वश्य—-—दूसरे के अधीन, पराश्रित
परवाच्यम् —नपुं॰—पर-वाच्यम्—-—दोष या त्रुटि
परवाणिः —पुं॰—पर-वाणिः—-—न्यायकर्ता
परवाणिः —पुं॰—पर-वाणिः—-—वर्ष
परवाणिः —पुं॰—पर-वाणिः—-—कार्तिकेय के मोर का नाम
परवादः —पुं॰—पर-वादः—-—अफ़वाह, जनश्रुति
परवादः —पुं॰—पर-वादः—-—आपत्ति, विवाद
परवादिन् —पुं॰—पर-वादिन्—-—झगड़ालू विवादी
परव्रतः —पुं॰—पर-व्रतः—-—धृतराष्ट्र का विशेषण
परश्वस् —अव्य॰—पर-श्वस्—-—परसों (आगामी)
परसंज्ञकः —पुं॰—पर-संज्ञकः—-—आत्मा
परस्वर्ण —वि॰ —पर-स्वर्ण—-—अग्रवर्ती वर्ण का सजातीय
परसेवा —स्त्री॰—पर-सेवा—-—दूसरे को सेवा
परस्त्री —स्त्री॰—पर-स्त्री—-—दूसरे की पत्नी
परस्वम् —नपुं॰—पर-स्वम्—-—दूसरे की संपत्ति
परहरणम् —नपुं॰—पर-हरणम्—-—दूसरे की संपत्ति हर लेना
परहन् —वि॰—पर-हन्—-—शत्रुओं को मारने वाला
परहितम् —नपुं॰—पर-हितम्—-—दूसरे का भला
परकीय —वि॰—-—परस्य इदम्-पर + छ, कुक्—दूसरे से संबंध रखने वाला
परकीया —स्त्री॰—-—-—दूसरे की पत्नी, जो अपनी न हो, नायिकाओं के तीन मुख्य प्रकारों में से एक
परञ्जः —पुं॰—-—-—तेल कोल्हू
परञ्जः —पुं॰—-—-—तलवार का फल
परञ्जनः —पुं॰—-—परस्याः पश्चिमस्याः दिशोजनः स्वामी नि॰ —वरुण का विशेषण
परञ्जयः —पुं॰—-—पर + जि + अच्, मुम्—वरुण का विशेषण
परतः —अव्य॰—-—पर + तस्—दूसरे से
परतः —अव्य॰—-—पर + तस्—शत्रु से
परतः —अव्य॰—-—पर + तस्—आगे, अपेक्षाकृत अधिक, परे, बाद, ऊपर
परतः —अव्य॰—-—पर + तस्—अन्यथा
परतः —अव्य॰—-—पर + तस्—भिन्न प्रकार से
परत्र —अव्य॰—-—पर + त्र—दूसरे लोक में , भावी जन्म में
परत्र —अव्य॰—-—पर + त्र—उत्तर भाग में, आगे या बाद में
परत्र —अव्य॰—-—पर + त्र—आने वाले समय में, भविष्य में
परत्रभीरुः —पुं॰—परत्र-भीरुः—-—परलोक के भय से विस्मित हो, धर्मात्मा पुरुष
परन्तप —वि॰—-—परान् शत्रुन् तापयति- पर + तप् + णिच् + खच्, ह्रस्वः, मुम् च—दूसरों को सताने वाला, अपने शत्रुओं का दमन करने वाला
परन्तपः —पुं॰—-—-—शूरवीर, विजेता
परम —वि॰—-—परं परत्वं माति-क तारा॰—दूरतम, अन्तिम
परम —वि॰—-—परं परत्वं माति-क तारा॰—उच्चतम, सर्वोत्तम, अत्यंत श्रेष्ठ, महत्तम
परम —वि॰—-—परं परत्वं माति-क तारा॰—मुख्य, प्रधान, प्राथमिक, सर्वोपरि
परम —वि॰—-—परं परत्वं माति-क तारा॰—अत्यधिक, अन्तिम
परम —वि॰—-—परं परत्वं माति-क तारा॰—यथेष्ट, पर्याप्त
परमम् —नपुं॰—-—-—सर्वोच्च या उच्चतम मुख्य या प्रमुख भाग, प्रधानतया युक्त, पूर्णतः संलग्न
परमम् —अव्य॰—-—-—स्वीकृतिबोधक, अंगीकार या सहमति बोधक, अध्यय (अच्छा, बहुत अच्छा, हाँ, ऐसा ही)
परमम् —अव्य॰—-—-—अत्यधिक, अत्यन्त परमक्रुद्धः आदि
परमाङ्गना —स्त्री॰—परम-अङ्गना—-—श्रेष्ठ श्री
परामाणुः —पुं॰—परम-अणुः—-—अत्यणु, अत्यल्पमात्रा का अणु
परमाद्वैतम् —नपुं॰—परम-अद्वैतम्—-—परमात्मा
परमाद्वैतम् —नपुं॰—परम-अद्वैतम्—-—विशुद्ध एकेश्वरवाद
परमान्नम् —नपुं॰—परम-अन्नम्—-—खीर, दूध में पके हुए चावल
परमार्थः —पुं॰—परम-अर्थः—-—सर्वोच्च या नितांत अलौकिक सत्य, वास्तविक आत्मज्ञान, ब्रह्मा या परमात्मासंबंधी ज्ञान
परमार्थः —पुं॰—परम-अर्थः—-—सचाई, वास्तविकता, आन्तरिकता
परमार्थः —पुं॰—परम-अर्थः—-—कोई श्रेष्ठ या महत्वपूर्ण पदार्थ
परमार्थः —पुं॰—परम-अर्थः—-—सर्वोत्तम अर्थ
परमार्थतः —अव्य॰—परम-अर्थतः—-—सचमुच, वस्तुतः, यथार्थतः, सत्यतः
परमाहः —पुं॰—परम-अहः—-—श्रेष्ठ दिन
परमात्मन —पुं॰—परम-आत्मन—-—सर्वोपरि आत्मा या ब्रह्म
परमापद —स्त्री॰—परम-आपद—-—अत्यंत भारी संकट या दुर्भाग्य
परमेशः —पुं॰—परम-ईशः—-—विष्णु का विशेषण
परमेशः —पुं॰—परम-ईशः—-—इन्द्र की उपाधि
परमेशः —पुं॰—परम-ईशः—-—शिव का विशेषण
परमेशः —पुं॰—परम-ईशः—-—सर्वशक्तिमान परमात्मा का विशेषण
परमर्षिः —पुं॰—परम-ऋषिः—-—उच्चाकोटिका ऋषि
परमैश्वर्यम् —नपुं॰—परम-ऐश्वर्यम्—-—सर्वशक्तिमत्ता, सर्वोपरिता
परमगतिः —स्त्री॰—परम-गतिः—-—मोक्ष, निर्वाण
परमगवः —पुं॰—परम-गवः—-—श्रेष्ठजाति का बैल या गाय
परमपदम् —नपुं॰—परम-पदम्—-—सर्वोत्तम स्थिति, उच्चतम दर्जा
परमपदम् —नपुं॰—परम-पदम्—-—मोक्ष
परमपुरुषः —पुं॰—परम-पुरुषः—-—परमात्मा
परमपूरुषः —पुं॰—परम-पूरुषः—-—परमात्मा
परमप्रख्य —वि॰—परम-प्रख्य—-—प्रसिद्ध विख्यात
परमब्रह्मन् —नपुं॰—परम-ब्रह्मन्—-—परमात्मा
परमहंसः —पुं॰—परम-हंसः—-—उच्चतम कोटि का संन्यासी, वह जिसने भावात्मक समाधि दे द्वारा अपनी इन्द्रियों का दमन करके उनको वश में कर लिया है
परमेष्ठः —पुं॰—-—परम + इष्ठन्—ब्रह्मा का विशेषण
परमेष्ठिन —पुं॰—-—परमेष्ठ + इनि—ब्रह्मा की विशेषण
परमेष्ठिन —पुं॰—-—परमेष्ठ + इनि—विष्णु की विशेषण
परमेष्ठिन —पुं॰—-—परमेष्ठ + इनि—गरुड की विशेषण
परमेष्ठिन —पुं॰—-—परमेष्ठ + इनि—अग्नि की उपाधि
परमेष्ठिन —पुं॰—-—परमेष्ठ + इनि—कोई भी आध्यात्मिक गुरु
परम्पर —वि॰—-—परं पिपर्ति पृ + अच्, अलु॰ स॰—एक के बाद दूसरा
परम्पर —वि॰—-—परं पिपर्ति पृ + अच्, अलु॰ स॰—पूर्वानुपर, उत्तरोत्तर
परम्परः —पुं॰—-—-—प्रपौत्र
परम्परा —स्त्री॰—-—-—अविच्छिन्न, शृंखला, नियमित सिलसिला, आनुपूर्व्य
परम्परया आगम् —नपुं॰—-—-—नियमित परम्परा के क्रम से प्राप्त होना
परम्परया आगम् —नपुं॰—-—-—(नियमित वस्तुओं की) पंक्ति, क़तार, संग्रह समूह
परम्परया आगम् —नपुं॰—-—-—प्रणाली, क्रम, सुव्यवस्था
परम्परया आगम् —नपुं॰—-—-—वंश, कुटुंब, कुल
परम्परया आगम् —नपुं॰—-—-—क्षति, चोट, मार डालना
परम्पराक —वि॰—-—परंपरया कायेत प्रकाशते- कै + क—यज्ञ में पशु का बध करना
परम्परीण —वि॰—-—परंपर + ख—उत्तराधिकार में प्राप्त, आनुवंशिक
परम्परीण —वि॰—-—परंपर + ख—परंपराप्राप्त
परवत् —वि॰—-—पर + मतुप् मस्य वः—पराधीन, दूसरे के वश में, आज्ञापालन के लिए तत्पर
परवत् —वि॰—-—पर + मतुप् मस्य वः—शक्ति से वंचित, निःशक्त
परवत् —वि॰—-—पर + मतुप् मस्य वः—पूर्णरूप से (दूसरे के) अधीन जो स्वयं अपना स्वामी न हो, विजित, पराभूत
परवत्ता —स्त्री॰—-—पखत् + तल् + टाप्—दूसरे की अधीनता, पराधीनता
परशः —पुं॰—-—स्पृशति इति पृषो॰—पारसमणि जिसके स्पर्श से, कहा जाता है कि लोहा आधि दूसरी धातुएँ सोना बन जाती हैं
परशुः —पुं॰—-—परं शृणति-शृ + कु ङिच्च— कुल्हाड़ा, कुल्हाड़ी, कुठार फरसा
परशुः —पुं॰—-—परं शृणति-शृ + कु ङिच्च—शस्त्र, हथियार
परशुः —पुं॰—-—परं शृणति-शृ + कु ङिच्च—बज्र
परशुधरः —पुं॰—परशुः-धरः—-—परशुराम का विशेषण
परशुधरः —पुं॰—परशुः-धरः—-—गणेश की उपाधि
परशुधरः —पुं॰—परशुः-धरः—-—कुठारधारी सैनिक
परशुरामः —पुं॰—परशुः-रामः—-—‘कुठारधारी राम’ एक विख्यात ब्राह्मणयोद्धा जो जमदग्नि का पुत्र और विष्णु का छठा अवतार था
परश्वधः —पुं॰—-—पर + श्वि + ड= परश्वः, तंदधाति- धा + क, नि॰ शस्य सत्वम्—कुल्हाड़ी, कुठार, फरसा
परस् —अव्य॰—-—पर + असि—परे, आगे, और भी
परस् —अव्य॰—-—पर + असि—इसके दूसरी ओर
परस् —अव्य॰—-—पर + असि—दूर, दूरी पर
परस् —अव्य॰—-—पर + असि—अपवाद रूप से
परः कृष्ण —वि॰—परस्-कृष्ण—-—अत्यन्त काला
परःपुरुषः —वि॰—परस्-पुरुषः—-—मनुष्य से लंबा या ऊँचा
परःशत —वि॰—परस्-शत—-— सौ से अधिक
परःश्वस् —अव्य॰—परस्-श्वस्—-—आगामी परसों
परःसहस्र —वि॰—परस्-सहस्र—-—एक हजार से अधिक
परस्तात् —अव्य॰—-—पर + अस्ताति—परे, के दूसरी ओर, और आगे
परस्तात् —अव्य॰—-—पर + अस्ताति—इसके पश्वात्, बाद में
परस्तात् —अव्य॰—-—पर + अस्ताति—अपेक्षाकृत ऊँचा
परस्पर —वि॰—-—परः परः इति विग्रहे समासवद्भावे पूर्वपदस्य सुः—आपस में
परस्मैपदम् —नपुं॰—-—परस्मै पदार्थ पदं —दूसरे के लिए प्रयुक्त वाच्य
परस्मैभाषा —स्त्री॰—-—परस्मै पदार्थ भाषा—दूसरे के लिए प्रयुक्त वाच्य
परा —अव्य॰—-—पृ + अच् + टाप्—‘दूर’ ‘पीछे’ ‘उल्टे क्रम से’ ‘एक ओर’ ‘की ओर’ अर्थो को प्रकट करने के लिए धातु या संज्ञा से पूर्व लगने वाला उपसर्ग
पराकरणम् —नपुं॰—-—परा + कृ + ल्युट्—एक ओर रख देने की क्रिया अस्वीकार करना, अवहेलना करना, तिरस्कृत करना
पराक्रमः —पुं॰—-—परा + क्रम् + घञ्—शूरवीरता, बहादुरी, साहस
पराक्रमः —पुं॰—-—परा + क्रम् + घञ्—विरोधी अभियान करना, आक्रमण करना
पराक्रमः —पुं॰—-—परा + क्रम् + घञ्—प्रयत्न, कोशिश, उद्योग
पराक्रमः —पुं॰—-—परा + क्रम् + घञ्—विष्णु का नाम
परागः —पुं॰—-—परा + गम् + ड—पुष्पराज
परागः —पुं॰—-—परा + गम् + ड—धूलि
परागः —पुं॰—-—परा + गम् + ड—स्नान के पश्चात् सेवन किया जाने वाला सुगंधित चूर्ण
परागः —पुं॰—-—परा + गम् + ड—चन्दन
परागः —पुं॰—-—परा + गम् + ड—सूर्य या चन्द्रमा का ग्रहण
परागः —पुं॰—-—परा + गम् + ड—यश, प्रसिद्धि
परागः —पुं॰—-—परा + गम् + ड—स्वाधीनता
पराङ्गवः —पुं॰—-—परांगं प्रचुरशरीरं वाति प्राप्नोति- वा + क—समुद्र
पराच् —वि॰—-—-—परे या दूसरी ओर स्थित
पराच् —वि॰—-—-—मुँह मोड़ कर (पराङमुख)
पराच् —वि॰—-—-—जो अनुकूल न हो, प्रतिकूल
पराच् —वि॰—-—-—बाहरकी ओर निदेशित
पराञ्च् —वि॰—-—परा + अंच् + क्विन्—परे या दूसरी ओर स्थित
पराञ्च् —वि॰—-—परा + अंच् + क्विन्—मुँह मोड़ कर (पराङमुख)
पराञ्च् —वि॰—-—परा + अंच् + क्विन्—जो अनुकूल न हो, प्रतिकूल
पराञ्च् —वि॰—-—परा + अंच् + क्विन्—दूरस्थ
पराञ्च् —वि॰—-—परा + अंच् + क्विन्—बाहरकी ओर निदेशित
पराङ्मुख —वि॰—पराच्-मुख—-—
पराङ्मुख —वि॰—पराच्-मुख—-—विमुख, उलट
पराङ्मुख —वि॰—पराच्-मुख—-—उदासीन, कतराने वाला, टाल जाने वाला
पराङ्मुख —वि॰—पराच्-मुख—-—प्रतिकूल, अनुकूल
पराङ्मुख —वि॰—पराच्-मुख—-—उपेक्षा करने वाला
पराचीन —वि॰—-—पराच् + ख—विरूद्ध दिशा में मुड़ा हुआ, विमुख़
पराचीन —वि॰—-—पराच् + ख—पराङ्मुख, अरूचि रखने वाला
पराचीन —वि॰—-—पराच् + ख—परवाह न करने वाला, उपेक्षा करने वाला
पराचीन —वि॰—-—पराच् + ख—बाद में होने वाला, उत्तरकालभव
पराचीन —वि॰—-—पराच् + ख—दूसरी ओर स्थित, परे होने वाला
पराजयः —पुं॰—-—परा + जि + अच्—परास्त करना, विजय, जीतना, अधीनीकरण, हार
पराजयः —पुं॰—-—परा + जि + अच्—परास्त होना, सहन करने के योग्य न होना
पराजयः —पुं॰—-—परा + जि + अच्—हारना, हार असफलता (मुकदमे आदि में)
पराजयः —पुं॰—-—परा + जि + अच्—पदच्युति, वंचना
पराजयः —पुं॰—-—परा + जि + अच्—परित्याग
पराजित —भू॰ क॰ कृ॰—-—परा + जि + क्त—जीता हुआ, वश में किया हुआ, हराया हुआ
पराजित —भू॰ क॰ कृ॰—-—परा + जि + क्त— कानून द्वारा दण्डित, (मुकदमे में) हारा हुआ, पछाड़ा हुआ
परानसा —स्त्री॰—-—वरा + अन् + अस + टाप्—औषधीय चिकित्सा, वैद्य, हकीम या डाक्टर द्वारा इलाज़, वैद्य का व्यवसाय
पराणसा —स्त्री॰—-—वरा + अण् + अस + टाप्—औषधीय चिकित्सा, वैद्य, हकीम या डाक्टर द्वारा इलाज़, वैद्य का व्यवसाय
पराभवः —पुं॰—-—परा + भू + अप्—हार, असफलता, पराजय
पराभवः —पुं॰—-—परा + भू + अप्—मानभंग, मानमर्दन, प्रतिष्ठाभंग
पराभवः —पुं॰—-—परा + भू + अप्—घृणा, अवहेलना, तिरस्कार
पराभवः —पुं॰—-—परा + भू + अप्—विनाश
पराभवः —पुं॰—-—परा + भू + अप्—लोप, वियोग
पराभूतिः —स्त्री॰—-—परा + भू + क्तिन्—हार, असफलता, पराजय
पराभूतिः —स्त्री॰—-—परा + भू + क्तिन्—मानभंग, मानमर्दन, प्रतिष्ठाभंग
पराभूतिः —स्त्री॰—-—परा + भू + क्तिन्—घृणा, अवहेलना, तिरस्कार
पराभूतिः —स्त्री॰—-—परा + भू + क्तिन्—विनाश
पराभूतिः —स्त्री॰—-—परा + भू + क्तिन्—लोप, वियोग
परामर्शः —पुं॰—-—परा + मृश् + घञ्—पकड़ लेना, ख़ीचना
परामर्शः —पुं॰—-—परा + मृश् + घञ्—हिंसा, आक्रमण, हमला
परामर्शः —पुं॰—-—परा + मृश् + घञ्—बाधा विघ्न
परामर्शः —पुं॰—-—परा + मृश् + घञ्—ध्यान करना, प्रत्यास्मरण
परामर्शः —पुं॰—-—परा + मृश् + घञ्—विचार, विमर्श, चिन्तन
परामर्शः —पुं॰—-—परा + मृश् + घञ्—निर्णय
परामर्शः —पुं॰—-—परा + मृश् + घञ्—घटाना, निश्चय करना कि अपना पक्ष या विषय सहेतुक है
परामृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—परा + मृश् + क्त—छूआ गया, हाथ लगाया गया, दबोचा गया, पकड़ा गया
परामृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—परा + मृश् + क्त—रूखा व्यवहार किया गया, दुर्व्यवहार किया गया
परामृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—परा + मृश् + क्त—तोला गया, विचार किया गया, कूता गया
परामृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—परा + मृश् + क्त—सहन किया गया
परामृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—परा + मृश् + क्त—संबद्ध
परामृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—परा + मृश् + क्त—(रोग से) ग्रस्त
परारि —अव्य॰—-—पूर्वतरे वत्सरे इत्यर्थे परभावः आदि च संवत्सरे—पूर्वतर वर्ष में, विगतवर्ष में, परियार साल
परायण —वि॰—-—-—अनुरक्त, भक्त, संसक्त
परायण —वि॰—-—-—आश्रित, वशीभूत
परायण —वि॰—-—-—तुला हुआ, अनन्य भक्त, सर्वथा लीन
परावर्तः —पुं॰—-—परा + वृत् + घञ्—पीछे मुड़ना, वापसी, प्रत्यावर्तन
परावर्तः —पुं॰—-—परा + वृत् + घञ्—अदल-बदल, विनिमय
परावर्तः —पुं॰—-—परा + वृत् + घञ्—पुनः प्राप्ति
परावर्तः —पुं॰—-—परा + वृत् + घञ्—(कानुन में) दण्ड या सजा की उलट-पलट
परावृत्तिः —स्त्री॰—-—परा + वृत् + क्तिन्—पीछे मुड़ना, वापसी, प्रत्यावर्तन
परावृत्तिः —स्त्री॰—-—परा + वृत् + क्तिन्—अदल-बदल, विनिमय
परावृत्तिः —स्त्री॰—-—परा + वृत् + क्तिन्—पुनः प्राप्ति
परावृत्तिः —स्त्री॰—-—परा + वृत् + क्तिन्—(कानुन में) दण्ड या सजा की उलट-पलट
पराशरः —पुं॰—-—परान् आशृणाति- शृ + अच्—एक प्रसिद्ध ऋषि का नाम जो व्यास के पिता तथा एक स्मृतिकार थे
परासम् —नपुं॰—-—परा + अस् + घञ्—रांगा, टीन
परासनम् —नपुं॰—-—परा + अस् + ल्युट्—बध, हत्या
परासु —वि॰—-—परागताः असवो यस्य प्रा॰ ब॰ स॰—निजीव, मृतक
परास्त —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परा + अस्+ क्त—फेंका हुआ, डाला हुआ
परास्त —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परा + अस्+ क्त—निष्कासित, निकाला हुआ
परास्त —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परा + अस्+ क्त—अस्वीकृत
परास्त —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परा + अस्+ क्त—निराकृत, त्यक्त
परास्त —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परा + अस्+ क्त—हराया हुआ
पराहत —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परा + हन् + क्त—पटका हुआ, पछाड़ा हुआ
पराहत —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परा + हन् + क्त—पीछे हटाया हुआ, पीछे ढकेला हुआ
पराहतम् —नपुं॰—-—परा + हन् + क्त—प्रहार, आघात
परि —अव्य॰—-—पृ + इन्—एक प्रकार का उपसर्ग
परि —अव्य॰—-—पृ + इन्—चारों ओर, इधर उधर, इर्दगिर्द
परि —अव्य॰—-—पृ + इन्—बहुत, अत्यन्त
परि —अव्य॰—-—पृ + इन्—पृथक्करणीय अव्यय
परि —अव्य॰—-—पृ + इन्—क्रिया विशेषण उपसर्ग के रूप में संज्ञाओं से पूर्व लग कर जब कि क्रिया से सीधा संबंध न हो, ‘बहुत’ ‘अति’ ‘अत्यधिक’ अत्यन्त आदि अर्थ प्रकट करता है
परि —अव्य॰—-—पृ + इन्—बिना, सिबाय, के बाहर, इसको छोड़ कर
परि —अव्य॰—-—पृ + इन्—इर्दगिर्द, चारों ओर, घिरा हुआ
परि —अव्य॰—-—पृ + इन्—‘श्रान्त’, ‘क्लान्त’, ‘उबा हुआ’
परिकथा —स्त्री॰, पुं॰, प्रा॰स॰—-—-—आख्यानप्रिय व्यक्ति के इतिवृत्त तथा उसके साहसिक कार्यों को बतलाने वाली रचना, काल्पनिक कथा
परिकम्पः —पुं॰,प्रा॰स॰—-—-—भारी त्रास
परिकम्पः —पुं॰,प्रा॰स॰—-—-—प्रचंड कंपकंपी या थरथराहट
परिकरः —पुं॰—-—-—परिजन, अनुचर वर्ग, नौकर-चाकर, अनुयायिवर्ग
परिकरः —पुं॰—-—-—समुच्चय, संग्रह, समूह
परिकरः —पुं॰—-—-—आरंभ, उपक्रम
परिकरः —पुं॰—-—-—परिधि, कटिबंध, कटिवस्त्र
परिकरं बन्ध ——-—-—कमर कसना, तैयार होना, किसी कार्य के लिए अपने आपको सज्जित करना
परिकरं कृ ——-—-—कमर कसना, तैयार होना, किसी कार्य के लिए अपने आपको सज्जित करना
परिकरः —पुं॰—-—-—एक अलंकार जिसके सार्थक विशेषणों का उपयोग होता है
परिकरः —पुं॰—-—-—नाटक की वस्तु कथा में आने वाली घटनाओं का परोक्षसूचन, बीज का मूलतत्त्व
परिकर्तृ —पुं॰—-—-—वह पुरोहित जो बड़े भाई के अविवाहित रहते हुए छोटे भाई का विवाह संस्कार करता है
परिकर्मन् —पुं॰—-—परि + कृ + मनिन्—सेवक
परिकर्मन् —नपुं॰—-—परि + कृ + मनिन्—शरीर को चित्रित या सुगंधित करना, वैयक्तिक सजावट, अलंकृत करना, प्रसाधन
परिकर्मन् —नपुं॰—-—परि + कृ + मनिन्—पैरों में महावर लगाना
परिकर्मन् —नपुं॰—-—परि + कृ + मनिन्—सज्जा, तैयारी
परिकर्मन् —नपुं॰—-—परि + कृ + मनिन्—पूजा, अर्चना
परिकर्मन् —नपुं॰—-—परि + कृ + मनिन्—शुद्ध करना, पवित्रीकरण, मन को शुद्ध करने के साधन
परिकर्मन् —नपुं॰—-—परि + कृ + मनिन्—गणित की प्रक्रिया
परिकर्षः —पुं॰—-—परि + कृष् + घञ्—ख़ीच कर बाहर निकालना, उखाड़ना
परिकर्षणम् —नपुं॰—-—परि + कृष् + ल्युट्—ख़ीच कर बाहर निकालना, उखाड़ना
परिकल्कनम् —नपुं॰—-—परि + कल् + क + ल्युट्—धोखा, ठगी, छल-कपट
परिकल्पनम् —नपुं॰—-—परि + कृप् + ल्युट्—निर्णय करना, स्थिर करना, फैसला करना, निर्धारण करना
परिकल्पनम् —नपुं॰—-—परि + कृप् + ल्युट्—उपाय निकालना, आविष्कार करना, रूप वेना, क्रमबद्ध करना
परिकल्पनम् —नपुं॰—-—परि + कृप् + ल्युट्—जुटाना, सम्पन्न करना
परिकल्पनम् —नपुं॰—-—परि + कृप् + ल्युट्—वितरण करना
परिकल्पना —स्त्री॰—-—परि + कृप् + ल्युट्+टाप्—निर्णय करना, स्थिर करना, फैसला करना, निर्धारण करना
परिकल्पना —स्त्री॰—-—परि + कृप् + ल्युट्+टाप्—उपाय निकालना, आविष्कार करना, रूप वेना, क्रमबद्ध करना
परिकल्पना —स्त्री॰—-—परि + कृप् + ल्युट्+टाप्—जुटाना, सम्पन्न करना
परिकल्पना —स्त्री॰—-—परि + कृप् + ल्युट्+टाप्—वितरण करना
परिकांक्षितः —पुं॰—-—परि + कांक्ष् + क्त—धर्म परायण साधु या सन्यासी, भक्त
परिकीर्ण —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + कृ + क्त—फैलाया हुआ, प्रसृत, इधर उधर बखेरा हुआ
परिकीर्ण —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + कृ + क्त—घिरा हुआ, भीड़भिड़क्का से युक्त, भरा हुआ
परिकूटम् —नपुं॰—-—-—अवरोध, आड़, नगर के फाटक के सामने की खाई
परिकोपः —पुं॰—-—परि + कुप् + घञ्—असह्य क्रोध, भीषणता
परिक्रमः —पुं॰—-—परि + क्रम् + घञ्—इधर उधर भ्रमण करना, इतस्ततः घूमना
परिक्रमः —पुं॰—-—परि + क्रम् + घञ्—भ्रमण, घूमना, टहलना
परिक्रमः —पुं॰—-—परि + क्रम् + घञ्—प्रदक्षिणा करना
परिक्रमः —पुं॰—-—परि + क्रम् + घञ्—इच्छानुसार टहलना
परिक्रमः —पुं॰—-—परि + क्रम् + घञ्—सिलसिला, क्रम
परिक्रमः —पुं॰—-—परि + क्रम् + घञ्—यथाक्रम, उत्तरोत्तर
परिक्रमः —पुं॰—-—परि + क्रम् + घञ्—घुसना
परिक्रमसहः —पुं॰—परिक्रमः-सहः—-—बकरी
परिक्रयः —पुं॰—-—परि + क्री + घञ्—मजदूरी, भाड़ा
परिक्रयः —पुं॰—-—परि + क्री + घञ्—मजदूरी पर काम में लगाना
परिक्रयः —पुं॰—-—परि + क्री + घञ्—मोल लेना, खरीद डालना
परिक्रयः —पुं॰—-—परि + क्री + घञ्—विनिमय, अदल-बदल
परिक्रयः —पुं॰—-—परि + क्री + घञ्—रुपया देकर की गई संधि
परिक्रमणम् —नपुं॰—-—परि + क्री + ल्युट्—मजदूरी, भाड़ा
परिक्रमणम् —नपुं॰—-—परि + क्री + ल्युट्—मजदूरी पर काम में लगाना
परिक्रमणम् —नपुं॰—-—परि + क्री + ल्युट्—मोल लेना, खरीद डालना
परिक्रमणम् —नपुं॰—-—परि + क्री + ल्युट्—विनिमय, अदल-बदल
परिक्रमणम् —नपुं॰—-—परि + क्री + ल्युट्—रुपया देकर की गई संधि
परिक्रया —स्त्री॰—-—परितः क्रिया—बाड़ लगाना, चारों ओर खाई खोदना
परिक्रया —स्त्री॰—-—परितः क्रिया—घेरना
परिक्रया —स्त्री॰—-—परितः क्रिया— नाट्य॰ में = परिकर ७
परिक्लांत —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + क्लम् + क्त—थका हुआ, परिश्रांत, उकताया हुआ
परिक्लेदः —पुं॰—-—परि + क्लिद् + घञ्—गीलापन, नमी, आर्द्रता
परिक्लेशः —पुं॰—-—परि + क्लिश् + घञ्—कठिनाई , थकावट, कष्ट
परिक्षयः —पुं॰—-—परि + क्षि + अच्—ह्रास, वर्बादी, विनाश
परिक्षयः —पुं॰—-—परि + क्षि + अच्—अन्तर्धान होना, समाप्त होना
परिक्षयः —पुं॰—-—परि + क्षि + अच्—बर्बादी, नाश, असफलता
परिक्षाम —वि॰—-—परि + क्षै + क्त, मकारा देशः—कृश, क्षीण, दुर्बल
परिक्षालनम् —नपुं॰—-—परि + क्षल् + णिच् + ल्युट्—धोना, मांजना
परिक्षालनम् —नपुं॰—-—परि + क्षल् + णिच् + ल्युट्—धोने के लिए पानी
परिक्षिप्त —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + क्षिप् + क्त—बखेरा हुआ, प्रसृत
परिक्षिप्त —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + क्षिप् + क्त—परिवेष्टित, घेरा हुआ
परिक्षिप्त —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + क्षिप् + क्त—खाई से घेरा हुआ
परिक्षिप्त —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + क्षिप् + क्त—ऊपर से फैलाया हुआ, ऊपर डाला हुआ
परिक्षिप्त —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + क्षिप् + क्त—छोड़ा हुआ, परित्यक्त
परिक्षीण —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + क्षि + क्त—अन्तर्हित, लुप्त
परिक्षीण —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + क्षि + क्त—बर्बाद हुआ, ह्रासित
परिक्षीण —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + क्षि + क्त—कृश, घिसा हुआ, थका हुआ
परिक्षीण —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + क्षि + क्त—दरिद्र किया हुआ, सर्वथा बर्बाद किया हुआ
परिक्षीण —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + क्षि + क्त—ख़ोया हुआ, नाश किया हुआ
परिक्षीण —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + क्षि + क्त—कम किया हुआ, घटाया हुआ
परिक्षीण —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + क्षि + क्त—(कानून में) दिवालिया
परिक्षीव —वि॰—-—परि + क्षीव् + क्त, तस्य लोपः—बिल्कुल नशे में चूर
परिक्षेपः —पुं॰—-—परि + क्षिप् + घञ्—इधर उधर घूमना, टहलना
परिक्षेपः —पुं॰—-—परि + क्षिप् + घञ्—बखेरना, फैलाना
परिक्षेपः —पुं॰—-—परि + क्षिप् + घञ्—घेरना, परिवेष्टन, चारों ओर बहना
परिक्षेपः —पुं॰—-—परि + क्षिप् + घञ्—घेरे की सीमा, हद जिससे कोई चीज घेरी जाय
परिखा —स्त्री॰—-—परितः खन्यते- खन् + ड + टाप्—प्रतिकूप, खाई, नगर या किले के चारों ओर बनी नाली या खात
परिखातम् —नपुं॰—-—परि + खन् + क्त—प्रतिकूप, खाई
परिखातम् —नपुं॰—-—परि + खन् + क्त—लीक, खूड
परिखातम् —नपुं॰—-—परि + खन् + क्त—चारों ओर से खोदना
परिखेदः —पुं॰—-—परितः खेदः —थकावट, परिश्रान्ति, थकान
परिख्यातिः —स्त्री॰—-—परि + ख्या + क्तिन्—यश, प्रसिद्धि
परिगणनम् —नपुं॰—-—परि + गण् + ल्युट्—पूर्ण गिनती, सही वर्णन या हिसाब
परिगणना —स्त्री॰—-—परि + गण् + ल्युट्+टाप्—पूर्ण गिनती, सही वर्णन या हिसाब
परिगत —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + गम् + क्त—घेरा हुआ, आवेष्टित, अहाता बनाया हुआ
परिगत —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + गम् + क्त—प्रसृत, चारों ओर फैलाया हुआ
परिगत —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + गम् + क्त—ज्ञात, समझा हुआ
परिगत —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + गम् + क्त—भरा हुआ, ढका हुआ, सम्पन्न
परिगत —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + गम् + क्त—हासिल, प्राप्त
परिगत —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + गम् + क्त—याद किया हुआ
परिगलित —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + गल् + क्त—डूबा हुआ
परिगलित —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + गल् + क्त—उथला हुआ
परिगलित —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + गल् + क्त—लुप्त
परिगलित —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + गल् + क्त—पिघला हुआ
परिगलित —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + गल् + क्त—बहता हुआ
परिगर्हणम् —नपुं॰—-—परि + गर्ह् + ल्युट्—भारी कलङ्क
परिगूढ —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + गुह् + क्त—बिल्कुल गुप्त
परिगूढ —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + गुह् + क्त—अबोध्य, जो समझने में अत्यंत कठिन हो
परिगृहीत् —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + ग्रह् + क्त—अपनाया हुआ, पकड़ा हुआ, ग्रहण किया हुआ
परिगृहीत् —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + ग्रह् + क्त—आलिंगन किया हुआ, घेरा हुआ
परिगृहीत् —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + ग्रह् + क्त—स्वीकार किया हुआ, लिया हुआ, प्राप्त किया हुआ
परिगृहीत् —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + ग्रह् + क्त—हामी भरा हुआ, स्वीकृत किया हुआ, माना हुआ
परिगृहीत् —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + ग्रह् + क्त—संरक्षण दिया हुआ, अनुग्रह किया हुआ
परिगृहीत् —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + ग्रह् + क्त—अनुसरण किया हुआ, आज्ञा माना हुआ
परिगृहीत् —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + ग्रह् + क्त—विरोध किया हुआ
परिगृह्या —स्त्री॰—-—परि + ग्रह् + क्यप् + टाप्—विवाहित स्त्री
परिग्रहः —पुं॰—-—परि + ग्रह् + घञ्—पकड़ना, थामना, लेना, ग्रहण करना
परिग्रहः —पुं॰—-—परि + ग्रह् + घञ्—घेरना, बन्द करना, चारों ओर से घेरा डालना, बाड़ बनाना
परिग्रहः —पुं॰—-—परि + ग्रह् + घञ्—पहनना (वेशभूषा की भांति) लपेटना
परिग्रहः —पुं॰—-—परि + ग्रह् + घञ्—धारण करना, लेना
परिग्रहः —पुं॰—-—परि + ग्रह् + घञ्—प्राप्त करना, लेना, स्वीकार करना, अंगीगार करना
परिग्रहः —पुं॰—-—परि + ग्रह् + घञ्—वैभव, संपत्ति, सामान
परिग्रहः —पुं॰—-—परि + ग्रह् + घञ्—आवाह, विवाह
परिग्रहः —पुं॰—-—परि + ग्रह् + घञ्—अपने रक्षण में लेना, अनुग्रह करना
परिग्रहः —पुं॰—-—परि + ग्रह् + घञ्—अनुचर, अनुसेवी, नौकर-चाकर, परिजन, सेवक समूह
परिग्रहः —पुं॰—-—परि + ग्रह् + घञ्—गृहस्थ, परिवार, परिवार के सदस्य
परिग्रहः —पुं॰—-—परि + ग्रह् + घञ्—राजा का अन्तःपुर, रनिवास
परिग्रहः —पुं॰—-—परि + ग्रह् + घञ्—जड, मूल
परिग्रहः —पुं॰—-—परि + ग्रह् + घञ्—सूर्य या चन्द्रमा का ग्रहण
परिग्रहः —पुं॰—-—परि + ग्रह् + घञ्—शपथ
परिग्रहः —पुं॰—-—परि + ग्रह् + घञ्—सेना का पिछला भाग
परिग्रहः —पुं॰—-—परि + ग्रह् + घञ्—विष्णु का नाम
परिग्रहः —पुं॰—-—परि + ग्रह् + घञ्—संक्षेप, उपसंहार
परिग्रहीतृ —पुं॰—-—परि + ग्रह् + तृच्—पति
परिक्लान —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + ग्लै + क्त—शिथिल, थका हुआ
परिक्लान —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + ग्लै + क्त—विमुख, पराङमुख
परिधः —पुं॰—-—परि + हन् + अप्, आदेशः—लोहे की छड़ या लकड़ी का मूसल जो द्वार को बंद रखने के लिए प्रयुक्त की जाय, अर्गला
परिधः —पुं॰—-—परि + हन् + अप्, आदेशः—(अतः) रोक, अवरोध,विध्न, बावा
परिधः —पुं॰—-—परि + हन् + अप्, आदेशः—लोहे की स्याम लगी हुई लाठी, मुद्गर जिसमें लोहे की स्याम जड़ दी गई हो
परिधः —पुं॰—-—परि + हन् + अप्, आदेशः—लोहे की गदा
परिधः —पुं॰—-—परि + हन् + अप्, आदेशः—जलपात्र, घड़ा
परिधः —पुं॰—-—परि + हन् + अप्, आदेशः—शीशे की झारी
परिधः —पुं॰—-—परि + हन् + अप्, आदेशः—घर
परिधः —पुं॰—-—परि + हन् + अप्, आदेशः—मारना, नष्ट करना
परिधः —पुं॰—-—परि + हन् + अप्, आदेशः—प्रहार करना (आघात या थप्पड़)
परिघट्टनम् —नपुं॰—-—परि + घट्ट + ल्युट्—घोटना, कड़छी चलाना
परिघातः —पुं॰—-—परि + हन् + णिच् घञ्—मारना, प्रहार करना, हटाना, छुटकारा पाना
परिघातः —पुं॰—-—परि + हन् + णिच् घञ्—मुद्गर ,मोटे सिरे की छड़ी
परिघातनम् —नपुं॰—-—परि + हन् + णिच् घञ्, नस्य तः, ल्युट्—मारना, प्रहार करना, हटाना, छुटकारा पाना
परिघातनम् —नपुं॰—-—परि + हन् + णिच् घञ्, नस्य तः, ल्युट्—मुद्गर ,मोटे सिरे की छड़ी
परिघोषः —पुं॰—-—परि + घुष् + घञ्—कोलाहल
परिघोषः —पुं॰—-—परि + घुष् + घञ्—अनुचित भाषण
परिघोषः —पुं॰—-—परि + घुष् + घञ्—गर्जन
परिचतुर्दशन् —वि॰,प्रा॰स॰—-—-—पूरे चौदह
परिचयः —पुं॰—-—परि + चि + अप्—ढेर लगाना, एकत्र करना
परिचयः —पुं॰—-—परि + चि + अप्—जान पहचान, परिचिति, घनिष्ठता, सरकारी संरक्षण
परिचयः —पुं॰—-—परि + चि + अप्—जांच, अध्ययन, अभ्यास, मुहुर्मुहु
परिचयः —पुं॰—-—परि + चि + अप्—ज्ञान
परिचयः —पुं॰—-—परि + चि + अप्—पहचान
परिचरः —पुं॰—-—परि + चर् + अच्—सेवक, अनुचर, टहलुआ
परिचरः —पुं॰—-—परि + चर् + अच्—शरीर रक्षक
परिचरः —पुं॰—-—परि + चर् + अच्—रक्षक, पहरेदार
परिचरः —पुं॰—-—परि + चर् + अच्—श्रद्धांजलि, सेवा
परिचरणः —पुं॰—-—परि + चर् + ल्युट्—सेवक, टहलुवा, सहायक
परिचरणम् —नपुं॰—-—-—सेवा, टहल
परिचरणम् —नपुं॰—-—-—इधर उधर जाना
परिचर्या —स्त्री॰—-—परि + चर् + क्यप् + टाप्—सेवा, टहल
परिचर्या —स्त्री॰—-—परि + चर् + क्यप् + टाप्—अर्चना, पूजा
परिचाय्यः —पुं॰—-—परि + चि + ण्यत्—यज्ञानि (कुण्ड में स्थापित)
परिचारः —पुं॰—-—परि + चर् + घञ्—सेवा, टहल
परिचारः —पुं॰—-—परि + चर् + घञ्—सेवक
परिचारः —पुं॰—-—परि + चर् + घञ्—टहलने का स्थान
परिचारकः —पुं॰—-—परि + चर् + ण्वुल्—सेवक, टहलुवा
परिचारिकः —पुं॰—-—परिचार + ठन्—सेवक, टहलुवा
परिचित —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + चि + क्त—ढेर लगाया हुआ, इकट्ठा किया हुआ
परिचित —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + चि + क्त—जानकार, घनिष्ठ, जान पहचान का
परिचित —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + चि + क्त—सीखा गया, अभ्यस्त
परिचितिः —स्त्री॰—-—परि + चि + क्तिन्—जान पहचान, परिचय, घनिष्टता
परिच्छद् —स्त्री॰—-—परि + छद् + क्विप्—परिजन, अनुचरवर्ग
परिच्छद् —स्त्री॰—-—परि + छद् + क्विप्—साज-सामान
परिच्छदः —पुं॰—-—परि + छद् + णिच् + घ—आवरण, चादर, पोशाक
परिच्छदः —पुं॰—-—परि + छद् + णिच् + घ—वस्त्र,वेशभूषा
परिच्छदः —पुं॰—-—परि + छद् + णिच् + घ—नौकरचाकर, परिजन, टहलुए, आश्रितमंडली
परिच्छदः —पुं॰—-—परि + छद् + णिच् + घ—साज-सामान, (छत्र, चामर आदि) ऊपरी सामान
परिच्छदः —पुं॰—-—परि + छद् + णिच् + घ—सामान, असबाब, व्यक्तिगत सामान, निजी चीज़े व सामान (बर्तनभांडे, तथा अन्य उपकरण आदि)
परिच्छदः —पुं॰—-—परि + छद् + णिच् + घ—यात्रा का आवश्यक सामान
परिच्छंदः —पुं॰—-—परि + छन्द् + क—नौकर-चाकर, परिजन
परिच्छन्न —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + छद् + क्त—वेष्टित, ढका हुआ, वस्त्राच्छादित, जिसने वस्त्र पहने हुए हों
परिच्छन्न —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + छद् + क्त—ऊपर फैलाया हुआ, या बिछाया हुआ
परिच्छन्न —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + छद् + क्त—घिरा हुआ, (परिजनों से)
परिच्छन्न —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + छद् + क्त—छिपा हुआ
परिच्छित्तिः —स्त्री॰—-—परि + छिद् + किन्—यथार्थ परिभाषा, सीमित करना
परिच्छित्तिः —स्त्री॰—-—परि + छिद् + किन्—विभाजन, अलग अलग करना
परिच्छिन्न —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + छिद् + क्त—काटा हुआ, विभक्त
परिच्छिन्न —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + छिद् + क्त—यथार्थ परिभाषा से युक्त, निर्धारित, निश्चयीकृत
परिच्छिन्न —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + छिद् + क्त—सीमित, सीमाबद्ध, परिसीमित
परिच्छेदः —पुं॰—-—परि + छिद् + घञ्—काटना, वियुक्त करना, विभक्त करना, (उचित और अनुचित में) विवेचन
परिच्छेदः —पुं॰—-—परि + छिद् + घञ्—यथार्थ परिभाषा, फैसला, यथार्थ निर्धारण, निश्चय करना
परिच्छेदः —पुं॰—-—परि + छिद् + घञ्—विवेक, निर्णय, सूक्ष्मदृष्टि
परिच्छेदः —पुं॰—-—परि + छिद् + घञ्—सीमा, हद, सीमा स्थिर करना, हदबन्दी
परिच्छेदः —पुं॰—-—परि + छिद् + घञ्—अनुभाग या पुस्तक का कांड
परिच्छेद्य —वि॰—-—परि + छिद् + ण्यत्—यथार्थरूप से परिभाषा के योग्य, परिभाषणीय
परिच्छेद्य —वि॰—-—परि + छिद् + ण्यत्—तोलने या अनुमान लगाने के योग्य
परिजनः —पुं॰—-—-—सदा साथ रहने वाले नौकर-चाकर, अनुयायिवर्ग, अनुचरवर्ग
परिजनः —पुं॰—-—-—अरदली लोग, सेवकसमूह, सेविकाओं का समूह, बांदियाँ, दासियाँ
परिजनः —पुं॰—-—-—सेवक, दास
परिजल्पितम् —नपुं॰—-—परि + जल्प् + क्त—(नौकर या सेवक का) गुप्त संकेत जिससे अपनी कुशलता श्रेष्ठता तथा स्वामी की क्रूरता एवं शठता तथा और दूसरे इसी प्रकार के दोष प्रकट हों
परिज्ञप्तिः —स्त्री॰—-—परि + ज्ञप् + क्तिन्—संलाप, संवाद
परिज्ञप्तिः —स्त्री॰—-—परि + ज्ञप् + क्तिन्—पहचान
परिज्ञानम् —नपुं॰—-—परि + ज्ञा + ल्युट्—पूरा ज्ञान, पूरी जानकारी
परोडीनम् —नपुं॰—-—परि + डी + क्त—पक्षियों का गोल बना कर उड़ना या पक्षियों के गोल की उड़ान
परिणत —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + नम् + क्त—झुका हुआ, विनत, ढलता हुआ
परिणत —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + नम् + क्त—वृद्ध, ढलता हुआ
परिणत —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + नम् + क्त—पक्का, परिपक्व, पका हुआ, पूर्णविकसित
परिणत —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + नम् + क्त—(भोजन आदि) पचा हुआ
परिणत —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + नम् + क्त—रूपान्तरित या परिवर्तित
परिणत —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + नम् + क्त—समाप्त, पर्यवसित, अवसायी
परिणत —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + नम् + क्त—(सूर्य आदि) अस्त
परिणतः —पुं॰—-—परि + नम् + क्त—अपने दांत से प्रहार करने के लिए झुका हुआ या पार्श्वाघात देने वाला हाथी
परिणतिः —स्त्री॰—-—परि + नम् + क्तिन्—झुकना, ढलना, नत होना
परिणतिः —स्त्री॰—-—परि + नम् + क्तिन्—पक्कापन, परिपक्वता, विकास
परिणतिः —स्त्री॰—-—परि + नम् + क्तिन्—परिवर्तन, रूपान्तरण, कायापलट
परिणतिः —स्त्री॰—-—परि + नम् + क्तिन्—पूर्णता
परिणतिः —स्त्री॰—-—परि + नम् + क्तिन्—नतीजा, परिणाम, फल
परिणतिः —स्त्री॰—-—परि + नम् + क्तिन्—अन्त, उपसंहार, समाप्ति, अवसान
परिणतिः —स्त्री॰—-—परि + नम् + क्तिन्—जीवन की अन्तिम झांकी, बुढ़ापा
परिणतिः —स्त्री॰—-—परि + नम् + क्तिन्—(भोजन का) पचना
परिणद्धः —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + नह् + क्त—बँधा हुआ, लिपटा हुआ
परिणद्धः —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + नह् + क्त—विस्तृत, विशाल
परिणयः —पुं॰—-—परि + नी + अप्—विवाह
परिणयनम् —नपुं॰—-—परि + नी + ल्युट्—विवाह
परिणहनम् —नपुं॰—-—परि + नह् + ल्युट्—कमर कसना, कमर पर कापड़ा लपेटना
परिणामः —पुं॰—-—परि + नम् + घञ्—बदलना, परिवर्तन, रूपान्तरण
परिणामः —पुं॰—-—परि + नम् + घञ्—पाचन
परिणामः —पुं॰—-—परि + नम् + घञ्—नतीजा, निष्पत्ति, फल, प्रभाव
परिणामः —पुं॰—-—परि + नम् + घञ्—पकना, परिपक्वता, पूर्णविकास
परिणामः —पुं॰—-—परि + नम् + घञ्—अन्त, समाप्ति, उपसंहार, अवसान, ह्रास
परिणामः —पुं॰—-—परि + नम् + घञ्—बुढ़ापा
परिणामः —पुं॰—-—परि + नम् + घञ्—(समय का) बीतना
परिणामः —पुं॰—-—परि + नम् + घञ्—रूपक से मिलता जुलता एक अलंकार जिसमें उपमेय के गुण उपमान में परिवर्तित कर दिये जाते हैं
परीणामः —पुं॰—-—परि + नम् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—बदलना, परिवर्तन, रूपान्तरण
परीणामः —पुं॰—-—परि + नम् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—पाचन
परीणामः —पुं॰—-—परि + नम् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—नतीजा, निष्पत्ति, फल, प्रभाव
परीणामः —पुं॰—-—परि + नम् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—पकना, परिपक्वता, पूर्णविकास
परीणामः —पुं॰—-—परि + नम् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—अन्त, समाप्ति, उपसंहार, अवसान, ह्रास
परीणामः —पुं॰—-—परि + नम् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—बुढ़ापा
परीणामः —पुं॰—-—परि + नम् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—(समय का) बीतना
परीणामः —पुं॰—-—परि + नम् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—रूपक से मिलता जुलता एक अलंकार जिसमें उपमेय के गुण उपमान में परिवर्तित कर दिये जाते हैं
परिणामदर्शिन् —वि॰—परिणामः-दर्शिन्—-—बुद्धिमान्, दूरदर्शी
परिणामदृष्टि —वि॰—परिणामः-दृष्टि—-—बुद्धिमान्
परिणामदृष्टिः —स्त्री॰—परिणामः-दृष्टिः—-—बुद्धिमत्ता, दूरदर्शिता
परिणामपथ्य —वि॰—परिणामः-पथ्य—-—जिसका फल स्वास्थ्यप्रद हो शूलम् पीडायुक्त अजीर्ण या मन्दाग्नि, उदरपीडा, पीड़ा के साथ उदरवायु, बायगोले का दर्द
परिणायः —पुं॰—-—परि + नी + घञ्—शतरंज की गोट का चलाना
परिणायः —पुं॰—-—परि + नी + घञ्—(शतरंज की) चाल
परीणायः —पुं॰—-—परि + नी + घञ् पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—शतरंज की गोट का चलाना
परीणायः —पुं॰—-—परि + नी + घञ् पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—(शतरंज की) चाल
परिणायकः —पुं॰—-—परि + नी + ण्वुल्—नेता
परिणायकः —पुं॰—-—परि + नी + ण्वुल्—पति
परिणाहः —पुं॰—-—परि + नह् + घञ्—परिधि, वृत्त, विस्तार, फैलाव, चौड़ाई, अर्ज
परिणाहः —पुं॰—-—परि + नह् + घञ्—वृत्त की परिधि
परीणाहः —पुं॰—-—परि + नह् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—परिधि, वृत्त, विस्तार, फैलाव, चौड़ाई, अर्ज
परीणाहः —पुं॰—-—परि + नह् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—वृत्त की परिधि
परिणाहवत् —वि॰—-—परिणाह + मतुप्, मस्य वत्वम्—विशाल, बड़ा, विस्तृत
परिणाहिन् —वि॰—-—परिणाह + इनि—विशाल, बड़ा
परिणिंसक —वि॰—-—परि + निंस् + ण्वुल्—स्वाद चखने वाला, खाने वाला
परिणिंसक —वि॰—-—परि + निंस् + ण्वुल्—चुम्बन
परिणिष्ठा —स्त्री॰—-—परि + निष्ठा प्रा॰ स॰—पूरा कौशल
परिणीत —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + नी + क्त—विवाहित
परिणीता —स्त्री॰—-—-—विवाहित स्त्री
परिणेतृ —पुं॰—-—परि + नी + तृच्—पति
परितर्पणम् —नपुं॰—-—परि + तृप् + ल्युट्—तृप्त करना, सन्तुष्ट करना
परितस् —अव्य॰—-—परि + तस्—इर्दगिर्द, सब ओर, घुमा फिराकर, सब दिशाओं में, सर्वत्र, चारों ओर
परितस् —अव्य॰—-—परि + तस्—की ओर, की दिशा में
परितापः —पुं॰—-—परि + तप् + घञ्—अत्यंत या झुलसा देने वाली गर्मी
परितापः —पुं॰—-—परि + तप् + घञ्—पीड़ा, वेदना, व्यथा, शोक
परितापः —पुं॰—-—परि + तप् + घञ्—विलाप, मातम, शोक
परितापः —पुं॰—-—परि + तप् + घञ्—कांपना, भय
परितुष्ट —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + तुष् + क्त—पूर्ण रूप से संतुष्ट
परितुष्ट —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + तुष् + क्त—प्रसन्न, खुश
परितुष्टिः —स्त्री॰—-—परि + तुष् + क्तिन्—संतृप्ति, पूर्ण संतोष
परितुष्टिः —स्त्री॰—-—परि + तुष् + क्तिन्—खुशी, हर्ष
परितोषः —पुं॰—-—परि + तुष् + घञ्—सन्तोष, इच्छा का अभाव
परितोषः —पुं॰—-—परि + तुष् + घञ्—पूर्ण संतोष, तृप्ति
परितोषः —पुं॰—-—परि + तुष् + घञ्—प्रसन्नता, खुशी, हर्ष, पसन्दगी
परितोषण —वि॰—-—परि + तुष् + णिच् + ल्युट्—संतुष्ट करने वाला, तृप्त करने वाला
परितोषणम् —नपुं॰—-—परि + तुष् + णिच् + ल्युट्—संतुष्ट करना
परित्यक्त —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + त्यज् + क्त—छोड़ा हुआ, उत्सृष्ट, सर्वथा त्यागा हुआ
परित्यक्त —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + त्यज् + क्त—वञ्चित, रहित
परित्यक्त —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + त्यज् + क्त—(तीर आदि) छोड़ा हुआ
परित्यक्त —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + त्यज् + क्त—अभावग्रस्त
परित्यागः —पुं॰—-—परि + त्यज् + घञ्—छोड़ना, उत्सर्ग करना, सर्वथा त्यागना, छोड़कर भाग जाना, (पत्नी आदि का) सम्बन्ध विच्छेद
परित्यागः —पुं॰—-—परि + त्यज् + घञ्—छोड़ देना, त्यागना, फेंक देना, विरक्त होना, गद्दी छोड़ देना
परित्यागः —पुं॰—-—परि + त्यज् + घञ्—अवहेलना, भूलचूक
परित्यागः —पुं॰—-—परि + त्यज् + घञ्—वदान्यता, उदारता
परित्यागः —पुं॰—-—परि + त्यज् + घञ्—हानि, कंगाली
परित्राणम् —नपुं॰—-—परि + त्रै + ल्युट्—संधारण, संरक्षण, बचाना प्रतिरक्षा, मुक्ति, छुटकारा
परित्रासः —पुं॰—-—परि + त्रस् + घञ्—त्रास, भय, डर
परिदंशित —वि॰—-—परि + देश् + क्त—कवच से ढका हुआ, आपादमस्तक शस्त्रों से सुसज्जित
परिदानम् —नपुं॰—-—परि + दा + ल्युट्—विनिमय, अदला-बदली
परिदानम् —नपुं॰—-—परि + दा + ल्युट्—भक्ति
परिदानम् —नपुं॰—-—परि + दा + ल्युट्—धरोहर का वापिस मिलना
परिदायिन् —पुं॰—-—परि + दा + णिनि—वह पिता जो अपनी पुत्री का विवाह ऐसे पुरुष से करता है जिसका बड़ा भाई अभी तक अविवाहित है
परिदाहः —पुं॰—-—परि + दह् + घञ्—जलन
परिदाहः —पुं॰—-—परि + दह् + घञ्—व्यथा, पीडा, दुःख, शोक
परीदाहः —पुं॰—-—परि + दह् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—जलन
परीदाहः —पुं॰—-—परि + दह् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—व्यथा, पीडा, दुःख, शोक
परीदेवः —पुं॰—-—परि + दिव् + घञ्—शोक मनाना, मातम, विलाप
परिदेवनम् —नपुं॰—-—परि + दिव् + ल्युट्—विलाप, विलखना, रोना-धोना
परिदेवनम् —नपुं॰—-—परि + दिव् + ल्युट्—पश्चात्ताप, खेद
परिदेवना —स्त्री॰—-—-—विलाप, विलखना, रोना-धोना
परिदेवना —स्त्री॰—-—-—पश्चात्ताप्, खेद
परिदेवितम् —नपुं॰—-—परि + दिव् + क्त—विलाप, विलखना, रोना-धोना
परिदेवितम् —नपुं॰—-—परि + दिव् + क्त—पश्चात्ताप्, खेद
परिदेवन —वि॰—-—परि + दिव् + ल्युट्—शोकसंतप्त, खेदजनक, दुःखी
परिद्रष्ट्ट —पुं॰—-—परि + दृश् + तृच्—तमाशबीन, दर्शक
परिधर्षणम् —नपुं॰—-—परि + धृष् + ल्युट्—हमला, आक्रमण, बलात्कार
परिधर्षणम् —नपुं॰—-—परि + धृष् + ल्युट्—अपमान, निरादर, तिरस्कार
परिधर्षणम् —नपुं॰—-—परि + धृष् + ल्युट्—दुर्व्यवहार, रूखा व्यवहार
परिधानम् —नपुं॰—-—परि + धा + ल्युट्—कपड़े पहनना, वस्त्र धारण करना
परिधानम् —नपुं॰—-—परि + धा + ल्युट्—पोशाक, अधीवस्त्र, कपड़े
परीधानम् —नपुं॰—-—परि + धा + ल्युट्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—कपड़े पहनना, वस्त्र धारण करना
परीधानम् —नपुं॰—-—परि + धा + ल्युट्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—पोशाक, अधीवस्त्र, कपड़े
परिधानीयम् —नपुं॰—-—परि + धा + अनीयर्—अधोवस्त्र, नाभि से नीचे का पहरावा
परिधायः —पुं॰—-—परि + धा + घञ्—नौकर-चाकर, अनुचर टहलुए
परिधायः —पुं॰—-—परि + धा + घञ्—आधार, आशय
परिधायः —पुं॰—-—परि + धा + घञ्—नितंब, चूतड़
परिधिः —पुं॰—-—परि + धा + कि—दीवार, मेंड़, बाड़, घेरा
परिधिः —पुं॰—-—परि + धा + कि—सूर्य या चन्द्रमा का परिवेश
परिधिः —पुं॰—-—परि + धा + कि—प्रकाशमंडल
परिधिः —पुं॰—-—परि + धा + कि—क्षितिज
परिधिः —पुं॰—-—परि + धा + कि—परिधि या वृत्त
परिधिः —पुं॰—-—परि + धा + कि—वृत्त की परिधि
परिधिः —पुं॰—-—परि + धा + कि—पहिये का घेरा
परिधिः —पुं॰—-—परि + धा + कि—(‘पलाश’ आदि पवित्र वृक्ष की)समिधा या लकड़ी जो यज्ञकुण्ड के चारों ओर रक्खी रहती हैं
परिधिपतिखेचरः —पुं॰—परिधिः-पतिखेचरः—-—शिव का विशेषण
परिधिस्थः —पुं॰—परिधिः-स्थः—-—चौकीदार
परिधिस्थः —पुं॰—परिधिः-स्थः—-—किसी राजा या सेनापति का सहायक अधिकारी
परिधूपित —वि॰—-—परि + धूप + क्त—धूप द्वारा सुवासित या सुंगधित किया हुआ
परिधूसर —वि॰—-—परितः सर्वतो भावेन धूसरः- प्रा॰ स॰—बिल्कुल भूरा
परिधेयम् —नपुं॰—-—परि + धा + यत्—अधोवस्त्र, नीचे पहनने का कपड़ा
परिध्वंसः —पुं॰—-—परि + ध्वंस् + घञ्—दुःख, विनाश,बर्बादी, कष्ट
परिध्वंसः —पुं॰—-—परि + ध्वंस् + घञ्—असफलता, विध्वंस, संहार
परिध्वंसः —पुं॰—-—परि + ध्वंस् + घञ्—जातिच्युति
परिध्वंसिन् —वि॰—-—परि + ध्वंस् + णिनि—गिर कर अलग होने वाला
परिध्वंसिन् —वि॰—-—परि + ध्वंस् + णिनि—बर्बाद होने वाला, नष्ट हो जाने वाला
परिनिर्वाण —वि॰, पुं॰—-—-—बिल्कुल बुझा हुआ
परिनिर्वाणम् —नपुं॰—-—-—(भक्ति की) अन्तिम विलुप्ति, परिमृति
परिनिर्वृत्तिः —स्त्री॰—-—परि + निर् + वृत् + क्तिन्—आत्मा की शरीर से पूर्णमुक्ति, पुनर्जन्म से छुटकारा, पूर्ण मोक्ष
परिनिष्ठा —स्त्री॰, पुं॰—-—-—(किसी वस्तु का) पूरा ज्ञान या परिचय
परिनिष्ठा —स्त्री॰, पुं॰—-—-—पूर्ण निष्पत्ति
परिनिष्ठा —स्त्री॰, पुं॰—-—-—चरम सीमा
परिनिष्ठित —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + नि + स्था + क्त—पूर्ण कुशल
परिनिष्ठित —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + नि + स्था + क्त—सुनिश्चित
परिपक्व —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + पच् + क्त—पूरी तरह पका हुआ
परिपक्व —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + पच् + क्त—भलीभाँति सेका हुआ
परिपक्व —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + पच् + क्त—बिल्कुल पक्का, प्रौढ़, सिद्ध, पूर्णता को प्राप्त
परिपक्व —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + पच् + क्त—सुसंवधित, समझदार, काईयाँ
परिपक्व —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + पच् + क्त—पूरी तरह पचा हुआ
परिपक्व —वि॰, भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + पच् + क्त—मुर्झाने वाला, मृत्यु के निकट
परिपणम् —नपुं॰—-—परि + पण् + घ —पूंजी, मूलधन, वारदाना
परिपनम् —नपुं॰—-—-—पूंजी, मूलधन, वारदाना
परिपणनन् —नपुं॰—-—परि + पण् + ल्युट्—वादा करना, प्रतिज्ञा करना
परिपणित —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + पण् + क्त—वादा किया हुआ, वचन दिया हुआ, प्रतिज्ञा की हुई
परिपंथकः —पुं॰—-—परि + पंथ् + ण्वुल्—शत्रु, विरोधी, दुश्मन
परिपंथिन् —वि॰—-—परि + पंथ् + णिनि—रास्ता रोकने वाला, रोड़ा अटकाने वाला, विरोध करने वाला, विघ्न डालने वाला
परिपंथिन् —पुं॰—-—परि + पंथ् + णिनि—रिपु, शत्रु, प्रतिद्वन्दी, दुश्मन
परिपंथिन् —पुं॰—-—परि + पंथ् + णिनि—लुटेरा, चोर डाकू
परिपाकः —पुं॰—-—परि + पच् + घञ्—पूरी तरह से पकाया जाना या संवारा जाना
परिपाकः —पुं॰—-—परि + पच् + घञ्—पचना
परिपाकः —पुं॰—-—परि + पच् + घञ्—पकजाना, परिपक्वन, विकास, पूर्णता
परिपाकः —पुं॰—-—परि + पच् + घञ्—फल, नतीजा, परिणाम
परिपाकः —पुं॰—-—परि + पच् + घञ्—चतुराई, दूरदर्शिता, कुशलता
परीपाकः —पुं॰—-—परि + पच् + घञ्,पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—पूरी तरह से पकाया जाना या संवारा जाना
परीपाकः —पुं॰—-—परि + पच् + घञ्,पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—पचना
परीपाकः —पुं॰—-—परि + पच् + घञ्,पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—पकजाना, परिपक्वन, विकास, पूर्णता
परीपाकः —पुं॰—-—परि + पच् + घञ्,पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—फल, नतीजा, परिणाम
परीपाकः —पुं॰—-—परि + पच् + घञ्,पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—चतुराई, दूरदर्शिता, कुशलता
परिपाटल —वि॰,प्रा॰स॰—-—-—पीला लाल
परिपाटिः —स्त्री॰, प्रा॰ब॰स॰—-—परि भागेन पाटिः पाटनं गतिः यस्या —प्रणाली, रीति, प्रक्रम
परिपाटिः —स्त्री॰, प्रा॰ब॰स॰—-—परि भागेन पाटिः पाटनं गतिः यस्या —व्यवस्था, क्रम, उत्तराधिकार
परिपाटी —स्त्री॰—-—परिपाटि + ङीष्—प्रणाली, रीति, प्रक्रम
परिपाटी —स्त्री॰—-—परिपाटि + ङीष्—व्यवस्था, क्रम, उत्तराधिकार
परिपाठः —पुं॰—-—-—परिगणना, पूर्ण निर्देशन, पूरा विवरण
परिपार्श्व —वि॰,अत्या॰ स॰ —-—-—निकट, पार्श्व में, पास, नजदीक ही
परिपालनम् —नपुं॰—-—परि + पल् + णिच् + ल्युट्—भलीभाँति पालना, रक्षा करना, संधारण करना, संभाले रखना, जीवित रखना
परिपालनम् —नपुं॰—-—परि + पल् + णिच् + ल्युट्—भरण पोषण, संवर्धन
परिपिष्टकम् —नपुं॰—-—परि + पिष् + क्त + कन्—सीसा
परिपीडनम् —नपुं॰—-—परि + पीड् + ल्युट्—निचोड़ना, भींचना
परिपीडनम् —नपुं॰—-—परि + पीड् + ल्युट्—क्षति पहुँचाना, चोट लगाना, नुकसान पहुँचाना
परिपुटनम् —नपुं॰—-—परि + पुट् + ल्युट्—हटाकर अलग करना
परिपुटनम् —नपुं॰—-—परि + पुट् + ल्युट्—बल्कल या छाल उतारना
परिपूजनम् —नपुं॰—-—परि + पूज् + ल्युट्—सम्मान करना, पूजा करना, अर्चना करना
परिपूजा —स्त्री॰—-—-—सम्मान करना, पूजा करना, अर्चना करना
परिपूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + पू + क्त—विशुद्ध किया गया, विशुद्ध
परिपूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + पू + क्त—पूरी तरह फटका हुआ, पिछोड़ा हुआ, भूसी से पृथक् किया हुआ
परिपूणम् —नपुं॰—-—परि + पूर् + ल्युट्—भरना
परिपूणम् —नपुं॰—-—परि + पूर् + ल्युट्—पूर्णता को पहुँचाना, पूरा करना
परिपूर्ण —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + पूर् + क्त—पूरी तरह भरा हुआ
परिपूर्णेंदुः —पुं॰—परिपूर्ण-इंदुः—-—पूरा चाँद, समस्त, सारा, भली भाँति भरा हुआ
परिपूर्णेंदुः —पुं॰—परिपूर्ण-इंदुः—-—स्वसंतुष्ट, संतृप्त
परिपूर्तिः —स्त्री॰—-—परि + पूर् + क्तिन्—पूर्णता, पर्याप्तता
परिपृच्छा —स्त्री॰—-—परि + प्रच्छ् -अङ + टाप्—पूछ-ताछ, प्रश्न
परिपेलव —वि॰—-—-—अति कोमल, सूक्ष्म, अत्यन्त मृदु
परिपोटः —पुं॰—-—परि + पूट + घञ्—एक प्रकार कर्ण रोग (जिसमें कान की खाल गलने लगती है)
परिपोटकः —पुं॰—-—परिपोट + कन्—एक प्रकार कर्ण रोग (जिसमें कान की खाल गलने लगती है)
परिपोषणम् —नपुं॰—-—परि + पुष् + ल्युट्—खिलाना-पिलाना ,भरण-पोषण
परिपोषणम् —नपुं॰—-—परि + पुष् + ल्युट्—आगे बढ़ाना, उन्नति करना
परिप्रश्नः —पुं॰—-—-—पूछताछ, प्रश्नवाचकता, सवाल
परिप्राप्तिः —स्त्री॰—-—-—अधिग्रहण, उपलब्धि
परिप्रेष्यः —पुं॰—-—-—सेवक
परिप्लव —वि॰—-—परि + प्लु + अच्—बहता हुआ
परिप्लव —वि॰—-—परि + प्लु + अच्—थरथराता हुआ, कांपता हुआ, डोलता हुआ, हिलोरे लेता हुआ, कम्पायमान
परिप्लव —वि॰—-—परि + प्लु + अच्—अस्थिर, चंचल
परिप्लवः —पुं॰—-—परि + प्लु + अच्—जलप्लावन
परिप्लवः —पुं॰—-—परि + प्लु + अच्—जल में डुबोना, गीला करना
परिप्लवः —पुं॰—-—परि + प्लु + अच्—किश्ती, नाव
परिप्लवः —पुं॰—-—परि + प्लु + अच्—उत्पीड़न, अत्याचार
परिप्लुत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + प्लु + क्त—बाढ़ग्रस्त, जलप्लावित
परिप्लुत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + प्लु + क्त—घवड़ाया हुआ, व्याकुल
परिप्लुत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + प्लु + क्त—आद्रीकृत, क्लिन्न, स्नात
परिप्लुतम् —नपुं॰—-—परि + प्लु + क्त—उछल छलांग
परिप्लुता —स्त्री॰—-—परि + प्लु + क्त+ टाप्—शराब
परिप्लुष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + प्लुष् + क्त—जला हुआ, झुलसा हुआ, भनभनाया हुआ
परिबर्हः —पुं॰—-—परि + बर्ह् + घञ्—अनुचर, नौकर-चाकर, टहलुए
परिबर्हः —पुं॰—-—परि + बर्ह् + घञ्—उपस्कर, घर के अन्दर का सामान
परिबर्हः —पुं॰—-—परि + बर्ह् + घञ्—राज चिह्न
परिबर्हः —पुं॰—-—परि + बर्ह् + घञ्—संपत्ति, धनदौलत
परिवर्हः —पुं॰—-—परि + वर्ह् + घञ्—अनुचर, नौकर-चाकर, टहलुए
परिवर्हः —पुं॰—-—परि + वर्ह् + घञ्—उपस्कर, घर के अन्दर का सामान
परिवर्हः —पुं॰—-—परि + वर्ह् + घञ्—राज चिह्न
परिवर्हः —पुं॰—-—परि + वर्ह् + घञ्—संपत्ति, धनदौलत
परिबर्हणम् —नपुं॰—-—परि + बर्ह् + ल्युट्—अनुचर, नौकर-चाकर
परिबर्हणम् —नपुं॰—-—परि + बर्ह् + ल्युट्—बनाव-सिंगार, काट-छांट
परिबर्हणम् —नपुं॰—-—परि + बर्ह् + ल्युट्—वृद्धि
परिबर्हणम् —नपुं॰—-—परि + बर्ह् + ल्युट्—पूजा
परिवर्हणम् —नपुं॰—-—परि + वर्ह् + ल्युट्—अनुचर, नौकर-चाकर
परिवर्हणम् —नपुं॰—-—परि + वर्ह् + ल्युट्—बनाव-सिंगार, काट-छांट
परिवर्हणम् —नपुं॰—-—परि + वर्ह् + ल्युट्—वृद्धि
परिवर्हणम् —नपुं॰—-—परि + वर्ह् + ल्युट्—पूजा
परिबाधा —स्त्री॰—-—-—कष्ट, पीड़ा, संतापन
परिबाधा —स्त्री॰—-—-—थकावट, उग्र व्यथा
परिबृंहणम् —नपुं॰—-—परि + बृंह् + ल्युट्—समृद्धि, कल्याण
परिबृंहणम् —नपुं॰—-—परि + बृंह् + ल्युट्—परिशिष्ट, सम्पूरक
परिवृंहणम् —नपुं॰—-—परि + वृंह् + ल्युट्—समृद्धि, कल्याण
परिवृंहणम् —नपुं॰—-—परि + वृंह् + ल्युट्—परिशिष्ट, सम्पूरक
परिबृंहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—बढ़ा हुआ, आवर्धित
परिबृंहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—फलाफूला, समृद्ध हुआ
परिबृंहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—से युक्त, संपन्न
परिवृंहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—बढ़ा हुआ, आवर्धित
परिवृंहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—फलाफूला, समृद्ध हुआ
परिवृंहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—से युक्त, संपन्न
परिबृंहितम् —नपुं॰—-—-—हाथी की चिघाड़
परिवृंहितम् —नपुं॰—-—-—हाथी की चिघाड़
परिभंगः —पुं॰—-—-—छिन्नभिन्न होना, टूट कर टुकड़े २ होना
परिभर्त्सनम् —नपुं॰—-—परि + भर्त्स् + ल्युट्—धमकाना, घुड़कना
परिभवः —पुं॰—-—परि + भू + अप्—अपमान, क्षति पहुँचाना, प्रतिष्ठा भंग, तिरस्कार, निरादर, मानहानि
परिभवः —पुं॰—-—परि + भू + अप्—हार, पराजय
परीभवः —पुं॰—-—परि + भू + अप्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—अपमान, क्षति पहुँचाना, प्रतिष्ठा भंग, तिरस्कार, निरादर, मानहानि
परीभवः —पुं॰—-—परि + भू + अप्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—हार, पराजय
परिभवास्पदम् —नपुं॰—परिभवः-आस्पदम्—-—घृणा का पात्र
परिभवास्पदम् —नपुं॰—परिभवः-आस्पदम्—-—अपमान, अपमानपूर्ण स्थिति
परिभवस्पदम् —नपुं॰—परिभवः-पदम्—-—घृणा का पात्र
परिभवस्पदम् —नपुं॰—परिभवः-पदम्—-—अपमान, अपमानपूर्ण स्थिति
परिभवविधिः —पुं॰—परिभवः-विधिः—-—प्रतिष्ठाभंग
परिभविन् —वि॰—-—परि + भू + इनि—मानहर, तुच्छ, अनादर या घृणायुक्त व्यवहार करने वाला
परिभविन् —वि॰—-—परि + भू + इनि—अपमानग्रस्त, तिरस्कार, पीडित
परिभावः —पुं॰—-—परि + भू + घञ्—अपमान, क्षति पहुँचाना, प्रतिष्ठा भंग, तिरस्कार, निरादर, मानहानि
परिभावः —पुं॰—-—परि + भू + घञ्—हार, पराजय
परिभाविन् —वि॰—-—परि + भू + णिनि—मानमर्दन करने वाला, घृणा करने वाला, तिरस्कारयुक्त व्यवहार करने वाला
परिभाविन् —वि॰—-—परि + भू + णिनि—लज्जित करने वाला, आगे बढ़ जाने वाला, श्रेष्ठ होने वाला
परिभाविन् —वि॰—-—परि + भू + णिनि—तुच्छ समझने वाला, उपेक्षा करने वाला
परिभाषण —पुं॰—-—परि + भाष् + ल्युट्—वार्तालाप, प्रवचन, बातचीत करना, गपशप लगाना, गप्पें हाँकना
परिभाषण —पुं॰—-—परि + भाष् + ल्युट्—निन्दाभिव्यक्ति, धिक्कारना, झिड़की, अपशब्द
परिभाषण —पुं॰—-—परि + भाष् + ल्युट्—नियम, विधि
परिभाषा —स्त्री॰—-—परि + भाष् + अ + टाप्—व्याख्यान, प्रवचन
परिभाषा —स्त्री॰—-—परि + भाष् + अ + टाप्—निन्दा, झिड़की, कलङ्क, गाली
परिभाषा —स्त्री॰—-—परि + भाष् + अ + टाप्—पारिभाषिक शब्दावली, पारिभाषिक पदावली, (किसी ग्रंथ में प्रयुक्त) तकनीकी शब्दावली
परिभाषा —स्त्री॰—-—परि + भाष् + अ + टाप्—(अतः) कोई सामान्य नियम, विधि या परिभाषा जो सर्वत्र घट सके
परिभाषा —स्त्री॰—-—परि + भाष् + अ + टाप्—किसी भी पुस्तक में प्रयुक्त संकेत या संक्षेपकों की सूची
परिभाषा —स्त्री॰—-—परि + भाष् + अ + टाप्—पाणिनि के अन्य सूत्रों में मिला हुआ व्याख़्यानात्मक सूत्र जो उन सूत्रों के प्रयोग की रीति बतलाता है
परिभुक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + भुज् + क्त—खाया हुआ, प्रयोग में लाया हुआ
परिभुक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + भुज् + क्त—उपभुक्त
परिभुक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + भुज् + क्त—अधिकृत
परिभुग्न —वि॰—-—परि + भुज् + क्त—विनत, वक्रीकृत, झुका हुआ
परिभूतिः —स्त्री॰—-—परि + भू + क्तिन्—तिरस्कार, अपमान, अनादर, अवमानना
परिभूषणः —पुं॰—-—परि + भूष् + ल्युट्—किसी भूमि का समस्त राजस्व छोड़ कर जो संधि की गई हो
परिभोगः —पुं॰—-—परि + भुज् + घञ्—उपभोग
परिभोगः —पुं॰—-—परि + भुज् + घञ्—विशेष कर मैंथुन
परिभोगः —पुं॰—-—परि + भुज् + घञ्—दूसरे के सामान का अवैध प्रयोग
परिभ्रंशः —पुं॰—-—परि + भ्रंशू + घञ्—बच निकलना
परिभ्रंशः —पुं॰—-—परि + भ्रंशू + घञ्—गिरना
परिभ्रमः —पुं॰—-—परि + भ्रम् + घञ्—घूमना, इधर उधर टहलना
परिभ्रमः —पुं॰—-—परि + भ्रम् + घञ्—घुमा-फिरा कर बात कहना, वाग्जाल, वक्रोक्ति
परिभ्रमः —पुं॰—-—परि + भ्रम् + घञ्—भूल, भ्रम
परिभ्रमणम् —नपुं॰—-—परि + भ्रम् + ल्युट्—घूमना, इधर उधर टहलना, पर्यटन
परिभ्रमणम् —नपुं॰—-—परि + भ्रम् + ल्युट्—चारों ओर घूमना, चक्कर काटना, परिधि
परिभ्रष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + भ्रंश् + क्त—गिरा हुआ, स्खलित
परिभ्रष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + भ्रंश् + क्त—बच कर निकला हुआ
परिभ्रष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + भ्रंश् + क्त—फेंका हुआ, अधःपतित
परिभ्रष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + भ्रंश् + क्त—वञ्चित, शून्य
परिभ्रष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + भ्रंश् + क्त—अवहेलना करने वाला
परिमण्डल —वि॰, पुं॰—-—-—गोलाकार, गोल, वर्तुलाकार
परिमण्डलम् —नपुं॰—-—-—पिंड, गोलक
परिमण्डलम् —नपुं॰—-—-—गेंद
परिमण्डलम् —नपुं॰—-—-—वृत्त
परिमन्थर —वि॰—-—-—अत्यन्त मंद
परिमन्द —वि॰—-—-—अत्यंत मंद, धुंधला, बिल्कुल फीका
परिमन्द —वि॰—-—-—अत्यंत मंद
परिमन्द —वि॰—-—-—बहुत थका हुआ
परिमन्द —वि॰—-—-—बहुत थोड़ा
परिमरः —पुं॰—-—परि + मृ + अप्—विनाश
परिमर्दः —पुं॰—-—परि + मृद् + घञ्—रगड़ना, पीसना
परिमर्दः —पुं॰—-—परि + मृद् + घञ्—कुचलना, पैरों के नीचे रौंदना
परिमर्दः —पुं॰—-—परि + मृद् + घञ्—विनाश
परिमर्दः —पुं॰—-—परि + मृद् + घञ्—चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना
परिमर्दः —पुं॰—-—परि + मृद् + घञ्—आलिंगन, परिरंभण
परिमर्दनम् —नपुं॰—-—परि + मृद् + ल्युट्—रगड़ना, पीसना
परिमर्दनम् —नपुं॰—-—परि + मृद् + ल्युट्—कुचलना, पैरों के नीचे रौंदना
परिमर्दनम् —नपुं॰—-—परि + मृद् + ल्युट्—विनाश
परिमर्दनम् —नपुं॰—-—परि + मृद् + ल्युट्—चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना
परिमर्दनम् —नपुं॰—-—परि + मृद् + ल्युट्—आलिंगन, परिरंभण
परिमर्षः —पुं॰—-—परि + मृष् + घञ्—ईर्ष्या, अरुचि
परिमर्षः —पुं॰—-—परि + मृष् + घञ्—क्रोध
परिमलः —पुं॰—-—परि + मल् + अच्—सुगंध, सुवास, सौरभ, महक
परिमलः —पुं॰—-—परि + मल् + अच्—सुगंधयुक्त पदार्थो का पीसना
परिमलः —पुं॰—-—परि + मल् + अच्—सुगंधद्रव्य
परिमलः —पुं॰—-—परि + मल् + अच्—सहवास
परिमलः —पुं॰—-—परि + मल् + अच्—विद्वत्सभा
परिमलः —पुं॰—-—परि + मल् + अच्—कलंक, धब्बा
परिमलित —वि॰—-—परि + मल् + क्त—सुगंधित
परिमलित —वि॰—-—परि + मल् + क्त—कलुषित, सौन्दर्य भ्रष्ट
परिमाणम् —नपुं॰—-—परि + मा + ल्युट्—मापना, (शक्ति या ताक़त की) माप
परिमाणम् —नपुं॰—-—परि + मा + ल्युट्—तोल, संख्या, मूल्य
परीमाणम् —नपुं॰—-—परि + मा + ल्युट्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—मापना, (शक्ति या ताक़त की) माप
परीमाणम् —नपुं॰—-—परि + मा + ल्युट्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—तोल, संख्या, मूल्य
परिमार्गः —पुं॰—-—परि + मार्ग् + घञ्—ढूंढना, खोज करना, तलाश करना, पता लगाना, पदचिह्न देखते हुए खोज निकालना
परिमार्गः —पुं॰—-—परि + मार्ग् + घञ्—स्पर्श, सम्पर्क
परिमार्गः —पुं॰—-—परि + मार्ग् + घञ्—साफ़ करना, पोछना
परिमार्गणम् —नपुं॰—-—परि + मार्ग् + ल्युट्—ढूंढना, खोज करना, तलाश करना, पता लगाना, पदचिह्न देखते हुए खोज निकालना
परिमार्गणम् —नपुं॰—-—परि + मार्ग् + ल्युट्—स्पर्श, सम्पर्क
परिमार्गणम् —नपुं॰—-—परि + मार्ग् + ल्युट्—साफ़ करना, पोछना
परिमार्जनम् —नपुं॰—-—परि + मृज् + णिच् + ल्युट्—मांजना, साफ़ करना, झाड़-पोछ करना
परिमार्जनम् —नपुं॰—-—परि + मृज् + णिच् + ल्युट्—घी और शहद से बनी मिठाई
परिमित —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + मा + क्त—मध्यम, मितव्ययी
परिमित —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + मा + क्त—सीमित
परिमित —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + मा + क्त—मापा हुआ, नपातुला
परिमित —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + मा + क्त—विनियमित, समंजित
परिमिताभरण —वि॰—परिमित-आभरण—-—थोड़े आभूषण धारण करने वाला, मध्यमरूप से अलंकृत
परिमितायुस् —वि॰—परिमित-आयुस्—-—अल्पायु, थोड़ी उम्र जीने वाला
परिमिताहार —वि॰—परिमित-आहार—-—परेहज़गार, मिताहारी, कमभोजन करने वाला
परिमितभोजन —वि॰—परिमित-भोजन—-—परेहज़गार, मिताहारी, कमभोजन करने वाला
परिमितकथ —वि॰—परिमित-कथ—-—थोड़ा बोलने वाला, मितभाषी, नपे तुले शब्द बोलने वाला
परिमितिः —स्त्री॰—-—परि + मा + क्तिन्—माप, परिमाण
परिमितिः —स्त्री॰—-—परि + मा + क्तिन्—सीमाबंधन
परिमिलनम् —नपुं॰—-—परि + मिल् + ल्युट्—स्पर्श, संपर्क
परिमिलनम् —नपुं॰—-—परि + मिल् + ल्युट्—सम्मिश्रण, मेल
परिमुखम् —अव्य॰ —-—अव्य॰ सं॰—मुँह के सामने, (किसी के) इर्द गिर्द, चारों ओर
परिमुग्ध —वि॰—-—परि + मुह् + क्त—भोला भाला, प्रिय, सरल, मनोहर
परिमुग्ध —वि॰—-—परि + मुह् + क्त—आकर्षक परन्तु मूर्ख
परिमृदित —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + मृद् + क्त—पैरों तले रौंदा हुआ, कुचला हुआ, पददलित, दुर्व्यवहारग्रस्त
परिमृदित —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + मृद् + क्त—आलिंगन, परिरंभण किया हुआ
परिमृदित —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + मृद् + क्त—मसला हुआ, पीसा हुआ
परिमृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + मृज् + क्त—धोया हुआ, मांजा हुआ, शुद्ध किया हुआ
परिमृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + मृज् + क्त—मसला हुआ, स्पर्श किया हुआ, थपथपाया हुआ
परिमृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + मृज् + क्त—आलिंगन
परिमृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + मृज् + क्त—फैला हुआ, व्याप्त, भरा हुआ
परिमेय —वि॰—-—परि + मा + यत्—थोड़े, सीमित
परिमेय —वि॰—-—परि + मा + यत्—जो मापा जा सके, गिना जा सके
परिमेय —वि॰—-—परि + मा + यत्—सान्त, जिसकी सीमा हो, समापिका
परिमोक्षः —पुं॰—-—परि + मोक्ष् + घञ्—हटाया, मुक्त करना
परिमोक्षः —पुं॰—-—परि + मोक्ष् + घञ्—मुक्त करना, स्वतंत्र करना, छुटकारा
परिमोक्षः —पुं॰—-—परि + मोक्ष् + घञ्—ख़ाली करना, मलत्याग
परिमोक्षः —पुं॰—-—परि + मोक्ष् + घञ्—बच निकलना
परिमोक्षः —पुं॰—-—परि + मोक्ष् + घञ्—मोक्ष, निर्वाण
परिमोक्षणम् —नपुं॰—-—परि + मोक्ष् + ल्युट्—मुक्ति, छुटकारा
परिमोक्षणम् —नपुं॰—-—परि + मोक्ष् + ल्युट्—खोल देना
परिमोषः —पुं॰—-—परि + मुष् + घञ्—चुराना, लूटाना, चोरी
परिमोषिन् —पुं॰—-—परि + मुष् + णिनि—चोर, लुटेरा
परिमोहनम् —नपुं॰—-—-—बहकाना, प्रलोभन देना, फुसलाना, मंत्रमुग्ध करना
परिमोहनम् —नपुं॰—-—-—व्यामोहित करना, प्रेम में अन्धा करना
परिम्लान —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + म्ला + क्त—मुर्झाया हुआ, मूर्छित, कुम्हालाया हुआ
परिम्लान —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + म्ला + क्त—श्रान्त, शिथिल
परिम्लान —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + म्ला + क्त—क्षीण, निस्तेज, हतप्रभ
परिम्लान —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + म्ला + क्त—कलंकित
परिरक्षकः —पुं॰—-—परि + रक्ष् + ण्वुल्—रक्षा करनेवाला, अभिभावक
परिरक्षणम् —नपुं॰—-—परि + रक्ष् + ल्युट्—रक्षा, संधारण, देखभाल करना
परिरक्षणम् —नपुं॰—-—परि + रक्ष् + ल्युट्—ध्यान रखना, बनाये रखना, पालन-पोषण
परिरक्षणम् —नपुं॰—-—परि + रक्ष् + ल्युट्—छुटकारा, बचाव
परिरक्षा —स्त्री॰—-—परि + रक्ष् + अङ् + टाप् च—रक्षा, संधारण, देखभाल करना
परिरक्षा —स्त्री॰—-—परि + रक्ष् + अङ् + टाप् च—ध्यान रखना, बनाये रखना, पालन-पोषण
परिरक्षा —स्त्री॰—-—परि + रक्ष् + अङ् + टाप् च—छुटकारा, बचाव
परिरथ्या —स्त्री॰—-—-—गली, सड़क
परिरंभः —पुं॰—-—परि + रभ् + घञ्—आलिंगन करना, अंङ्ग में भर लेना
परीरंभः —पुं॰—-—परि + रभ् + घञ,पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—आलिंगन करना, अंङ्ग में भर लेना
परिरंभणम् —नपुं॰—-—परि + रभ् + ल्युट्—आलिंगन करना, अंङ्ग में भर लेना
परिराटिन् —वि॰ —-—परि + रट् + घिनुण्—जोर से चिल्लाने वाला, चीखने वाला, रट लगाने वाला
परिलघु —वि॰—-—-—बहुत हल्का
परिलघु —वि॰—-—-—बहुत हल्का या जल्दी पचने वाला
परिलुप्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + लुप् + क्त—अन्तर्बाधित, सबाध, घटाया हुआ
परिलुप्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + लुप् + क्त—नष्ट, लुप्त
परिलेखः —पुं॰—-—परि + लिख् + पञ्—रूपरेखा, आलेखन, चित्रण, खाका
परिलेखः —पुं॰—-—परि + लिख् + पञ्—चित्र
परिलोपः —पुं॰—-—परि + लुप् + घञ्—क्षतिः
परिलोपः —पुं॰—-—परि + लुप् + घञ्—उपेक्षा, भूलचूक
परिवत्सरः —पुं॰—-—-—वर्ष, एक समूचा वर्ष, वर्ष का आवर्तन
परिवर्जनम् —नपुं॰—-—परि + वृज् + ल्युट्—छोड़ना, त्यागना, तजना
परिवर्जनम् —नपुं॰—-—परि + वृज् + ल्युट्—छोड़ देना, तिलांजलि देना
परिवर्जनम् —नपुं॰—-—परि + वृज् + ल्युट्—वध, हत्या
परिवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्—परिक्रमण, (ग्रह आदि का) घूमना
परिवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्—कालचक्र, कालक्रम, कालगति
परिवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्—युग का अन्त
परिवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्—आवृत्ति, पुनरावर्तन
परिवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्—परिवर्तन, अदल-बदल
परिवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्—प्रत्यावर्तन, पलायन, अपक्रमण
परिवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्—वर्ष
परिवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्—पुनर्जन्म, आवागमन
परिवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्—विनिमय, अदला-बदली
परिवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्—पुनरागमन, वापसी
परिवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्—आवास
परिवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्—किसी पुस्तक का अध्याय या परिच्छेद
परिवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्—कुर्मावतार, विष्णु का दूसरा अवतार
परीवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—परिक्रमण, (ग्रह आदि का) घूमना
परीवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—कालचक्र, कालक्रम, कालगति
परीवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—युग का अन्त
परीवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—आवृत्ति, पुनरावर्तन
परीवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—परिवर्तन, अदल-बदल
परीवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—प्रत्यावर्तन, पलायन, अपक्रमण
परीवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—वर्ष
परीवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—पुनर्जन्म, आवागमन
परीवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—विनिमय, अदला-बदली
परीवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—पुनरागमन, वापसी
परीवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—आवास
परीवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—किसी पुस्तक का अध्याय या परिच्छेद
परीवर्तः —पुं॰—-—परि + वृत् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—कुर्मावतार, विष्णु का दूसरा अवतार
परिवर्तक —वि॰—-—परि + वृत् + णिच् + ण्वुल्—घुमाने वाला, चक्कर देने वाला
परिवर्तक —वि॰—-—परि + वृत् + णिच् + ण्वुल्—बदला चुकाने वाला, वापिस करने वाला
परिवर्तनम् —नपुं॰—-—परि + वृत् + ल्युट्—इधर उधर घूमना, इधर उधर मुड़ना (बिस्तर आदि पर) करवटें बदलना
परिवर्तनम् —नपुं॰—-—परि + वृत् + ल्युट्—इधर उधर मुँह फिराना, चक्कर काटना, चकराना
परिवर्तनम् —नपुं॰—-—परि + वृत् + ल्युट्—क्रान्तिकाल, चक्र का अन्त
परिवर्तनम् —नपुं॰—-—परि + वृत् + ल्युट्—बदलना
परिवर्तनम् —नपुं॰—-—परि + वृत् + ल्युट्—अदला-बदली, विनिमय
परिवर्तनम् —नपुं॰—-—परि + वृत् + ल्युट्—पलटना, उलटना
परिवर्तिका —स्त्री॰—-—परि + वृत् + ण्वुल् + टाप्, इत्वम्—लिंग की अग्रत्वचा का सिकुड़ जाना
परिवर्तिन् —वि॰—-—परि + वृत् + णिनि—इधर उधर मुड़ने वाला, घूमने वाला
परिवर्तिन् —वि॰—-—परि + वृत् + णिनि—सदा प्रत्यावर्ती, वार २ आने वाला
परिवर्तिन् —वि॰—-—परि + वृत् + णिनि—बदलने वाला
परिवर्तिन् —वि॰—-—परि + वृत् + णिनि—निकट रहने वाला, इधर उधर घूमने वाला
परिवर्तिन् —वि॰—-—परि + वृत् + णिनि—प्रत्यावर्ती, पलायन शील
परिवर्तिन् —वि॰—-—परि + वृत् + णिनि—विनिमयशील
परिवर्तिन् —वि॰—-—परि + वृत् + णिनि—क्षतिपूर्ति करने वाला, बदला देने वाला
परिवर्धनम् —नपुं॰—-—परि + वृध् + ल्युट्—बढ़ना, विस्तृत होना
परिवर्धनम् —नपुं॰—-—परि + वृध् + ल्युट्—संवर्धन, पालन-पोषण करना
परिवर्धनम् —नपुं॰—-—परि + वृध् + ल्युट्—बड़ा होना, वृद्धि
परिवसथः —पुं॰—-—परितो वसन्ति अत्र- परि + वस् + अथ—गाँव
परिवहः —पुं॰—-—परि + वह + अच्—वायु के सात मार्गों में एक - छठा मार्ग
परिवादः —पुं॰—-—परि + वद् + घञ्—कलंक, निन्दा, बदनामी, गाली
परिवादः —पुं॰—-—परि + वद् + घञ्—लोकापवाद, कलंक, दूषण, अपकीर्ति
परिवादः —पुं॰—-—परि + वद् + घञ्—दोषी ठहराना, दोषारोपण करना
परिवादः —पुं॰—-—परि + वद् + घञ्—सारंगी बजाने का उपकरण
परीवादः —पुं॰—-—परि + वद् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—वायु के सात मार्गों में एक - छठा मार्ग
परीवादः —पुं॰—-—परि + वद् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—कलंक, निन्दा, बदनामी, गाली
परीवादः —पुं॰—-—परि + वद् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—लोकापवाद, कलंक, दूषण, अपकीर्ति
परीवादः —पुं॰—-—परि + वद् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—दोषी ठहराना, दोषारोपण करना
परीवादः —पुं॰—-—परि + वद् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—सारंगी बजाने का उपकरण
परिवादकः —पुं॰—-—परि + वद् + णिच् + ण्वुल्—वादी, अभियोक्ता, दोषारोपक
परिवादकः —पुं॰—-—परि + वद् + णिच् + ण्वुल्—सारंगी बजाने वाला
परिवादिन् —वि॰—-—परि + वद् + णिनि—खरीखोटी सुनाने वाला, निन्दा करने वाला, गाली देने वाला, बुरा-भला कहने वाला
परिवादिन् —वि॰—-—परि + वद् + णिनि—दोषारोपण करने वाला
परिवादिन् —वि॰—-—परि + वद् + णिनि—चीखने वाला, चिल्लाने वाला
परिवादिन् —वि॰—-—परि + वद् + णिनि—निन्दित, कलंकित
परिवादिन् —पुं॰—-—-—दोषारोपण करने वाला, वादी, अभियोक्ता
परिवादिनी —स्त्री॰—-—-—सात तारों की वीणा
परिवापः —पुं॰—-—परि + वप् + घञ्—मुंडन या हजामत करना, मूंडना या बाल काटना
परिवापः —पुं॰—-—परि + वप् + घञ्—बोना
परिवापः —पुं॰—-—परि + वप् + घञ्—जलाशय, पल्वल, पोखर, जोहड़
परिवापः —पुं॰—-—परि + वप् + घञ्—सामान (घरका)
परिवापः —पुं॰—-—परि + वप् + घञ्—नौकर-चाकर, अनुचर वर्ग
परीवापः —पुं॰—-—परि + वप् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—मुंडन या हजामत करना, मूंडना या बाल काटना
परीवापः —पुं॰—-—परि + वप् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—बोना
परीवापः —पुं॰—-—परि + वप् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—जलाशय, पल्वल, पोखर, जोहड़
परीवापः —पुं॰—-—परि + वप् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—सामान (घरका)
परीवापः —पुं॰—-—परि + वप् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—नौकर-चाकर, अनुचर वर्ग
परिवापित —वि॰—-—परि + वप् + णिच् + क्त—मुंडा हुआ
परिवारः —पुं॰—-—परिव्रियते अनेन- परि + वृ + घञ्—नौकर-चाकर, अनुचर वर्ग, टहलुए, अनुयायी
परिवारः —पुं॰—-—परिव्रियते अनेन- परि + वृ + घञ्—ढक्कन, चादर
परिवारः —पुं॰—-—परिव्रियते अनेन- परि + वृ + घञ्—म्यान, कोष
परीवारः —पुं॰—-—परिव्रियते अनेन- परि + वृ + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—नौकर-चाकर, अनुचर वर्ग, टहलुए, अनुयायी
परीवारः —पुं॰—-—परिव्रियते अनेन- परि + वृ + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—ढक्कन, चादर
परीवारः —पुं॰—-—परिव्रियते अनेन- परि + वृ + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—म्यान, कोष
परिवारणम् —नपुं॰—-—परि + वृ + णिच् + ल्युट्—ढक्कन, लिफ़ाफ़ा
परिवारणम् —नपुं॰—-—परि + वृ + णिच् + ल्युट्—नौकर-चाकर, अनुचर
परिवारणम् —नपुं॰—-—परि + वृ + णिच् + ल्युट्—दूर हटाना
परिवारित —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + वृ + णिच् + क्त—परिवेष्टित, लपेटा हुआ, घेरा हुआ
परिवारित —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + वृ + णिच् + क्त—व्याप्त, फैलाया हुआ
परिवारितम् —नपुं॰—-—-—ब्रह्मा का धनुष
परिवासः —पुं॰—-—परि + वस् + घञ्—आवास स्थान, ठहरना, टिकना, प्रवास, बसेरा
परिवाहः —पुं॰—-—परि + वह् + घञ्— तालाब का
परीवाहः —पुं॰—-—परि + वह् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः— तालाब का
परिवाहिन् —वि॰—-—परि + वह् + णिनि—छलकता हुआ
परिविण्णः —पुं॰—-—परि + विद् + क्त, पक्षे णत्वयोरभावः—अविवाहित बड़ा भाई जिसके छोटे भाई का विवाह हो गया हो
परिविन्नः —पुं॰—-—परि + विद् + क्त, पक्षे नत्वयोरभावः—अविवाहित बड़ा भाई जिसके छोटे भाई का विवाह हो गया हो
परिवित्तः —पुं॰—-—परि + विद् + क्त—अविवाहित बड़ा भाई जिसके छोटे भाई का विवाह हो गया हो
परिवित्तिः —पुं॰—-—परि + विद् + क्तिच्—अविवाहित बड़ा भाई जिसके छोटे भाई का विवाह हो गया हो
परिविद्धः —पुं॰—-—परि + व्यध् + क्त—कुबेर का विशेषण
परिविंदकः —पुं॰—-—परि + विंद् + ण्वुल—विवाहित छोटा भाई जिसका बड़ा भाई अविवाहित हो
परिविंदत् —पुं॰—-—परि + विंद् + शतृ—विवाहित छोटा भाई जिसका बड़ा भाई अविवाहित हो
परिविहारः —पुं॰—-—परितो विहारः —इधर उधर सैर करना, घूमना, टहलना
परिविह्वल —वि॰—-—-—अत्यन्त व्याकुल, क्षुब्ध या घबड़ाया हुआ
परिवृढः —पुं॰—-—परि + वृंह् + क्त—स्वामी, प्रभु, मालिक, प्रधान, मुख्य
परिवृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + वृ + क्त—घिरा हुआ, परिवेष्टित, सेवित
परिवृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + वृ + क्त—प्रच्छन्न, गुप्त
परिवृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + वृ + क्त—व्याप्त, फैला हुआ
परिवृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + वृ + क्त—ज्ञात
परिवृत्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + वृत् + क्त—घुमा हुआ, मोड़ा हुआ अर्धमुखी
परिवृत्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + वृत् + क्त—प्रत्यावर्तित पीछे मुड़ा हुआ
परिवृत्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + वृत् + क्त—अबला-बदली किया हुआ, विनिमय किया हुआ
परिवृत्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + वृत् + क्त—समाप्त किया हुआ, अन्त किया हुआ
परिवृत्तम् —नपुं॰—-—-—आलिंगन
परिवृत्तिः —स्त्री॰—-—परि + वृत् + क्तिन्—क्रांति
परिवृत्तिः —स्त्री॰—-—परि + वृत् + क्तिन्—वापसी, लौटना
परिवृत्तिः —स्त्री॰—-—परि + वृत् + क्तिन्—विनिमय,अदला-बदली
परिवृत्तिः —स्त्री॰—-—परि + वृत् + क्तिन्—अन्त, समाप्ति
परिवृत्तिः —स्त्री॰—-—परि + वृत् + क्तिन्—घेरा
परिवृत्तिः —स्त्री॰—-—परि + वृत् + क्तिन्—किसी स्थान पर टिकना, बसना
परिवृत्तिः —स्त्री॰—-—परि + वृत् + क्तिन्—एक अलंकार जिसमें किसी समान, कम या बड़ी वस्तु से विनिमय हो
परिवृत्तिः —स्त्री॰—-—परि + वृत् + क्तिन्—अर्थ को बिना बदले एक शब्द के स्थान में दूसरा शब्द रखना
परिवृद्धिः —स्त्री॰, पुं॰—-—-—संवर्धन, बढ़ती, उन्नति
परिवेत्तृ —पुं॰—-—-—विवाहित छोटा भाई जिसका बड़ा भाई अविवाहित हो
परिवेतदकः —पुं॰—-—-—विवाहित छोटा भाई जिसका बड़ा भाई अविवाहित हो
परिवेदनम् —नपुं॰—-—परि + विद् + ल्युट्—बड़े भाई के अविवाहित रहते छोटे भाई का विवाह
परिवेदनम् —नपुं॰—-—परि + विद् + ल्युट्—विवाह
परिवेदनम् —नपुं॰—-—परि + विद् + ल्युट्—पूरा या सही ज्ञान
परिवेदनम् —नपुं॰—-—परि + विद् + ल्युट्—उपलब्धि, अधिग्रहण
परिवेदनम् —नपुं॰—-—परि + विद् + ल्युट्—अग्न्याधान
परिवेदनम् —नपुं॰—-—परि + विद् + ल्युट्—सर्वव्याप्ति, विश्वव्यापी या विश्वसत्ता
परिवेदना —स्त्री॰—-—-—समझदारी, बुद्धिमानी
परिवेदना —स्त्री॰—-—-—बुद्धिमत्ता, दूरदर्शिता
परिवेदनीया —स्त्री॰—-—परि + विद् + अनीयर् + टाप्—उस छोटे भाई की पत्नी जिसका बड़ा भाई अविवाहित हो
परिवेदिनी —स्त्री॰—-—परि + विद् + णिनि ङीप्—उस छोटे भाई की पत्नी जिसका बड़ा भाई अविवाहित हो
परिवेशः —पुं॰—-—परि + विश् + घञ्—भोजन के समय सेवा करना, भोजन बांटना, भोजन परोसना
परिवेशः —पुं॰—-—परि + विश् + घञ्—वृत्त, चक्र, (दीप्ति) मंडल
परिवेशः —पुं॰—-—परि + विश् + घञ्—(विशेषतः) सूर्यमंडल या चन्द्रमण्डल
परिवेशः —पुं॰—-—परि + विश् + घञ्—वृत्त की परिधि
परिवेशः —पुं॰—-—परि + विश् + घञ्—सूर्यबिंब, चन्द्रबिंब
परिवेशः —पुं॰—-—परि + विश् + घञ्—कोई वस्तु जो घेरती है या रक्षा करती है
परिवेषः —पुं॰—-—परि + विष् + घञ्—भोजन के समय सेवा करना, भोजन बांटना, भोजन परोसना
परिवेषः —पुं॰—-—परि + विष् + घञ्—वृत्त, चक्र, (दीप्ति) मंडल
परिवेषः —पुं॰—-—परि + विष् + घञ्—(विशेषतः) सूर्यमंडल या चन्द्रमण्डल
परिवेषः —पुं॰—-—परि + विष् + घञ्—वृत्त की परिधि
परिवेषः —पुं॰—-—परि + विष् + घञ्—सूर्यबिंब, चन्द्रबिंब
परिवेषः —पुं॰—-—परि + विष् + घञ्—कोई वस्तु जो घेरती है या रक्षा करती है
परीवेशः —पुं॰—-—परि + विश् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—भोजन के समय सेवा करना, भोजन बांटना, भोजन परोसना
परीवेशः —पुं॰—-—परि + विश् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—वृत्त, चक्र, (दीप्ति) मंडल
परीवेशः —पुं॰—-—परि + विश् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—(विशेषतः) सूर्यमंडल या चन्द्रमण्डल
परीवेशः —पुं॰—-—परि + विश् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—वृत्त की परिधि
परीवेशः —पुं॰—-—परि + विश् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—सूर्यबिंब, चन्द्रबिंब
परीवेशः —पुं॰—-—परि + विश् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—कोई वस्तु जो घेरती है या रक्षा करती है
परीवेषः —पुं॰—-—परि + विष् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—भोजन के समय सेवा करना, भोजन बांटना, भोजन परोसना
परीवेषः —पुं॰—-—परि + विष् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—वृत्त, चक्र, (दीप्ति) मंडल
परीवेषः —पुं॰—-—परि + विष् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—(विशेषतः) सूर्यमंडल या चन्द्रमण्डल
परीवेषः —पुं॰—-—परि + विष् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—वृत्त की परिधि
परीवेषः —पुं॰—-—परि + विष् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—सूर्यबिंब, चन्द्रबिंब
परीवेषः —पुं॰—-—परि + विष् + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—कोई वस्तु जो घेरती है या रक्षा करती है
परिवेषकः —पुं॰—-—परि + विष् + ण्वुल्—भोजन परोसने वाला
परिवेषणम् —नपुं॰—-—परि + विष् + ल्युट्—भोजन परोसना, (सेवा के लिए) प्रस्तुत रहना, भोजन वितरण करना
परिवेषणम् —नपुं॰—-—परि + विष् + ल्युट्—लपेटना, घेरना
परिवेषणम् —नपुं॰—-—परि + विष् + ल्युट्—सूर्यमंडल, चन्द्रमंडल
परिवेषणम् —नपुं॰—-—परि + विष् + ल्युट्—परिधि
परिवेष्टनम् —नपुं॰—-—परि + वेष्ट् + ल्युट्—घेरना, लपेटना
परिवेष्टनम् —नपुं॰—-—परि + वेष्ट् + ल्युट्—परिधि
परिवेष्टनम् —नपुं॰—-—परि + वेष्ट् + ल्युट्—ढक्कन, आवरण
परिवेष्ठ्ट —पुं॰—-—परि + वेष्ट् + तुच्—भोजन के समय सेवा करने वाला, भोजन परोसने वाला
परिव्ययः —पुं॰—-—-—लागत, मूल्य
परिव्ययः —पुं॰—-—-—मिर्चमसाला
परिव्याधः —पुं॰—-—परि + व्यध् + ण—नरकुल या सरकंडे की एक जाति
परिव्रज्या —स्त्री॰—-—परि + व्रज् + क्यप् + टाप्—चहलकदमी करना, जगह जगह घूमते फिरना
परिव्रज्या —स्त्री॰—-—परि + व्रज् + क्यप् + टाप्—सन्यासी होना, साधु महात्माओं का जीवन बिताना
परिव्रज्या —स्त्री॰—-—परि + व्रज् + क्यप् + टाप्—सांसारिक मोहमाया का त्याग, वैराग्य में अनुराग, धार्मिक साधना
परिव्राज् —पुं॰—-—परित्यज्य सर्वान् विषयभोगान् व्रजति परि + व्रज् + क्विप्—भ्रमणशील साधु, अवधूत, तपस्वी, सन्यासी (चौथे आश्रम में) जिसने सांसारिक मायामोह का त्याग कर दिया हो
परिव्राजः —पुं॰—-—परित्यज्य सर्वान् विषयभोगान् व्रजति परि + व्रज् + घञ्—भ्रमणशील साधु, अवधूत, तपस्वी, सन्यासी (चौथे आश्रम में) जिसने सांसारिक मायामोह का त्याग कर दिया हो
परिव्राजकः —पुं॰—-—परित्यज्य सर्वान् विषयभोगान् व्रजति परि + व्रज् + ण्वुल्—भ्रमणशील साधु, अवधूत, तपस्वी, सन्यासी (चौथे आश्रम में) जिसने सांसारिक मायामोह का त्याग कर दिया हो
परिशाश्वत —वि॰—-—-—सदा के लिए उसी रूप में बना रहने वाला
परिशिष्ट —वि॰—-—परि + शिष् + क्त—छोड़ा हुआ, बचा हुआ
परिशिष्टम् —नपुं॰—-—परि + शिष् + क्त—सम्पूरक, अतिरिक्त
परिशीलनम् —नपुं॰—-—परि + शील् + ल्युट्—स्पर्श, सम्पर्क
परिशीलनम् —नपुं॰—-—परि + शील् + ल्युट्—अनवरत सम्पर्क, आपसीमेलजोल, पत्र व्यवहार
परिशीलनम् —नपुं॰—-—परि + शील् + ल्युट्—अध्ययन, (किसी वस्तु में) आसक्ति, स्थिर या निश्चित वृत्ति
परिशुद्धिः —स्त्री॰—-—-—पूर्ण शुद्धि
परिशुद्धिः —स्त्री॰—-—-—दोष-शुद्धि, रिहाई
परिशुष्क —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + शुष् + क्त—पूरी तरह सूखा हुआ, सुखाया हुआ, तपाया हुआ
परिशुष्क —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + शुष् + क्त— मुर्झाया हुआ, कुम्हलाया हुआ, (गालों की भांति) चिपका हुआ
परिशुष्कम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का तला हुआ मांस
परिशून्य —वि॰—-—-—बिल्कुल खाली
परिशून्य —वि॰—-—-—सर्वथा स्वतन्त्र, नितान्त शून्य
परिशृतः —पुं॰—-—परि + शृ + क्त—तीक्ष्ण मदिरा
परिशेषः —पुं॰—-—परि + शिष् + घञ्—बचा हुआ, बाकी
परिशेषः —पुं॰—-—परि + शिष् + घञ्—परिशिष्ट
परिशेषः —पुं॰—-—परि + शिष् + घञ्—समाप्ति, उपसंहार, संपूर्ति
परीशेषः —पुं॰—-—परि + शिष् + घञ्, उपसर्गस्य दीर्घः—बचा हुआ, बाकी
परीशेषः —पुं॰—-—परि + शिष् + घञ्, उपसर्गस्य दीर्घः—परिशिष्ट
परीशेषः —पुं॰—-—परि + शिष् + घञ्, उपसर्गस्य दीर्घः—समाप्ति, उपसंहार, संपूर्ति
परिशोधः —पुं॰—-—परि + शुध्—शुद्ध करना, मांजना
परिशोधः —पुं॰—-—परि + शुध्—छुटकारा, भारावतरण, (ऋण आदि का) भुगतान
परिशोषः —पुं॰—-—परि + शुप् + घञ्—बिल्कुल सूख जाना, पूरी तरह भुन जाना
परिश्रमः —पुं॰—-—परि + श्रम् + घञ्—थकान, थक कर चूर २ होना, कष्ट, पीड़ा
परिश्रमः —पुं॰—-—परि + श्रम् + घञ्—चेष्टा, उद्योग, गहन अध्ययन, लगातार व्यस्त रहना
परिश्रयः —पुं॰—-—परि + श्रि + अच्—सम्मिलन, सभा
परिश्रयः —पुं॰—-—परि + श्रि + अच्—शरण, आश्रय
परिश्रान्तिः —स्त्री॰—-—परि + श्रम् + क्तिन्—थकान, ऊब, कष्ट, थक कर चूर चूर होना
परिश्रान्तिः —स्त्री॰—-—परि + श्रम् + क्तिन्—उद्योग, चेष्टा
परिश्लेषः —पुं॰—-—परि + श्लिष् + घञ्—आलिंगन
परिषद् —स्त्री॰—-—परितः सीदन्ति अस्याम् परि + सद् + क्विप्—सभा, सम्मिलन, मन्त्राणासभा, श्रोत्रृगण
परिषद् —स्त्री॰—-—परितः सीदन्ति अस्याम् परि + सद् + क्विप्—धर्मसभा, मीमांसासभा
परिषदः —पुं॰—-—परितः सीदति- परि + सद् + अच्—किसी सभा का सदस्य या मेंबर
परिषद्यः —पुं॰—-—परितः सीदति- परि + सद् + यत्—किसी सभा का सदस्य या मेंबर
परिषेकः —पुं॰—-—परि + सिच् + घञ्—पानी छिड़कना या उडेलना, गीला या तर करना
परिषेचनम् —नपुं॰—-—परि + सिच् + ल्युट्—पानी छिड़कना या उडेलना, गीला या तर करना
परिष्कन्न —वि॰—-—परि + स्कन्द् + क—दूसरे से पालित
परिष्कण्ण —वि॰—-—परि + स्कन्द् + क्त, णत्वं —पोष्यपुत्र, जिसे किसी अपरिचित ने पाला पोसा हो
परिष्कन्द —वि॰—-—परि + स्कन्द् + क्त—दूसरे के द्वारा पाला गया
परिष्कन्द —वि॰—-—परि + स्कन्द् + घञ्—दूसरे के द्वारा पाला गया
परिष्कन्दः —पुं॰—-—परि + स्कन्द् + घञ्—पोष्य पुत्र
परिष्कन्दः —पुं॰—-—परि + स्कन्द् + घञ्—भृत्य, सेवक
परिष्कन्दः —पुं॰—-—परि + स्कन्द् + घञ्—पोष्य पुत्र
परिष्कन्दः —पुं॰—-—परि + स्कन्द् + घञ्—भृत्य, सेवक
परिष्कारः —पुं॰—-—परि + कृ + अप्, सुट्, षत्वम्—सजावट, अलंकृत करना
परिष्कारः —पुं॰—-—परि + कृ + घञ्, सुट् षत्वम्—सजावट, आभूषण, अलंकरण
परिष्कारः —पुं॰—-—परि + कृ + घञ्, सुट् षत्वम्—पाचनक्रिया, खाना पकाना
परिष्कारः —पुं॰—-—परि + कृ + घञ्, सुट् षत्वम्—दीक्षा, आरंभिक संस्कारों द्वारा पवित्रीकरण
परिष्कारः —पुं॰—-—परि + कृ + घञ्, सुट् षत्वम्—(घर का) सामान
परिष्कृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + कृ + क्त, सुट्, षत्वम्—अलंकृत, सजाया हुआ
परिष्कृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + कृ + क्त, सुट्, षत्वम्—पकाया गया, प्रसाधित किया गया
परिष्कृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + कृ + क्त, सुट्, षत्वम्—आरंभिक संस्कारों द्वारा अभिमन्त्रित
परिष्क्रिया —स्त्री॰—-—परि + कृ + श + टाप्, सुट्—अलंकरण, सजावट, शृंगार
परिष्टोमः —पुं॰—-—परि + स्तु + मन्, षत्वं —हाथी की रंगीन झूल
परिष्टोमः —पुं॰—-—परि + स्तु + मन्, षत्वं —आच्छादन, आवरण
परिस्तोमः —पुं॰—-—परि + स्तु + मन्—हाथी की रंगीन झूल
परिस्तोमः —पुं॰—-—परि + स्तु + मन्—आच्छादन, आवरण
परिष्पन्दः —पुं॰—-—परि + स्पंद् + घञ्—नौकर-चाकर, अनुचर
परिष्पन्दः —पुं॰—-—परि + स्पंद् + घञ्—(फूलों से) केश शृंगार
परिष्पन्दः —पुं॰—-—परि + स्पंद् + घञ्—शृंगार, सजावट
परिष्पन्दः —पुं॰—-—परि + स्पंद् + घञ्—धड़कन, थरथराहट, धकधक, स्पंदन
परिष्पन्दः —पुं॰—-—परि + स्पंद् + घञ्—खाद्यसामग्री, संवर्धन
परिष्पन्दः —पुं॰—-—परि + स्पंद् + घञ्—कुचलना
परिस्पन्दः —पुं॰—-—परि + स्पंद् + घञ्, षत्वं —नौकर-चाकर, अनुचर
परिस्पन्दः —पुं॰—-—परि + स्पंद् + घञ्, षत्वं —(फूलों से) केश शृंगार
परिस्पन्दः —पुं॰—-—परि + स्पंद् + घञ्, षत्वं —शृंगार, सजावट
परिस्पन्दः —पुं॰—-—परि + स्पंद् + घञ्, षत्वं —धड़कन, थरथराहट, धकधक, स्पंदन
परिस्पन्दः —पुं॰—-—परि + स्पंद् + घञ्, षत्वं —खाद्यसामग्री, संवर्धन
परिस्पन्दः —पुं॰—-—परि + स्पंद् + घञ्, षत्वं —कुचलना
परिष्वक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + स्वंज् + क्त—परिरब्ध आलिंगित या आलिंगनबद्ध
परिष्वङ्गः —पुं॰—-—परि + स्वंज् + घञ्—आलिंगन
परिष्वङ्गः —पुं॰—-—परि + स्वंज् + घञ्—स्पर्श, सम्पर्क, मेल-मिलाप
परिसंवत्सर —वि॰—-—ऊर्ध्व संवत्सरात्- अव्य॰ स॰—पूरा एक वर्ष का
परिसंवत्सरः —पुं॰—-—ऊर्ध्व संवत्सरात्- अव्य॰ स॰—पूरा वर्ष
परिसंवत्सरात् —पुं॰—-—ऊर्ध्व संवत्सरात्- अव्य॰ स॰—पूरे एक वर्ष से ऊपर
परिसंख्या —स्त्री॰—-—परि + सम् + ख्या + अङ + टाप्—गिनती, संगणना
परिसंख्या —स्त्री॰—-—परि + सम् + ख्या + अङ + टाप्—योगफल, जोड़, पूर्ण संख्या
परिसंख्या —स्त्री॰—-—परि + सम् + ख्या + अङ + टाप्—अपाकरण, विशेष विवरण
परिसंख्या —स्त्री॰—-—परि + सम् + ख्या + अङ + टाप्—विशेष उल्लेख या एकान्तिक विशेष विवरण
परिसंख्यात —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + सम् + ख्या + अङ +क्त—गिना हुआ, हिसाब लगाया हुआ
परिसंख्यात —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + सम् + ख्या + अङ +क्त—एकान्तिकरूप से विशिष्ट या निर्दिष्ट
परिसंख्यानम् —नपुं॰—-—परि + संख्या + ल्युट्—गिनती, जोड़, पूर्णंसंख्या
परिसंख्यानम् —नपुं॰—-—परि + संख्या + ल्युट्—एकान्तिक विशेष निर्देश
परिसंख्यानम् —नपुं॰—-—परि + संख्या + ल्युट्—सही अनुमान, ठीक अंदाजा
परिसञ्चरः —पुं॰—-—परि + सम् + चर् + अच्—विश्वप्रलय का समय
परिसमापन —स्त्री॰—-—परि + सम् + आप् + ल्युट्—समाप्त करना, पूरा करना
परिसमाप्तिः —स्त्री॰—-—परि + सम् + आप् + क्तिन्—समाप्त करना, पूरा करना
परिसमूहनम् —नपुं॰—-—परि + सम् + ऊह् + ल्युट्—एकत्र करना, ढेर लगाना
परिसमूहनम् —नपुं॰—-—परि + सम् + ऊह् + ल्युट्—यज्ञाग्नि के चारों ओर (विशेष रीति से) जल छिड़कना
परिसरः —पुं॰—-—परि + सृ + घ—तट, किनारा, सामीप्य, आसपास, पड़ौस, पर्यावरण (किसी नदी, पहाड़ या नगर का)
परिसरः —पुं॰—-—परि + सृ + घ—स्थिति, स्थान
परिसरः —पुं॰—-—परि + सृ + घ—चौड़ाई, अर्ज
परिसरः —पुं॰—-—परि + सृ + घ—मृत्यु
परिसरः —पुं॰—-—परि + सृ + घ—नियम, विधि
परिसरणम् —नपुं॰—-—परि + सृ + ल्युट्—इधर-उधर दौड़ना
परिसर्पः —पुं॰—-—परि + सृप् + घञ्—इधर-उधर घूमना
परिसर्पः —पुं॰—-—परि + सृप् + घञ्—खोज में निकलना, पीछा करना, अनुसरण करना
परिसर्पः —पुं॰—-—परि + सृप् + घञ्—घेरना, मण्डलाकार करना
परिसर्पणम् —नपुं॰—-—परि + सृप् + ल्युट्—चलना, रेंगना
परिसर्पणम् —नपुं॰—-—परि + सृप् + ल्युट्—इधर-उधर दौड़ना, उड़ना, भागना
परिसर्या —स्त्री॰—-—परि + सृ + श + यक् + टाप्—इधर उधर घूमना फिरना, प्रदक्षिणा, फेरी
परीसर्या —स्त्री॰—-—परि + सृ + श + यक् + टाप् पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—इधर उधर घूमना फिरना, प्रदक्षिणा, फेरी
परिसारः —पुं॰—-—परि + सृ + श + यक् + घञ्—इधर उधर घूमना फिरना, प्रदक्षिणा, फेरी
परीसारः —पुं॰—-—परि + सृ + श + यक् + टाप् पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—इधर उधर घूमना फिरना, प्रदक्षिणा, फेरी
परिस्तरणम् —नपुं॰—-—परि + स्तृ + ल्युट्—बिछाना, फैलाना, इधर उधर बखेरना
परिस्तरणम् —नपुं॰—-—परि + स्तृ + ल्युट्—आवरण, ढक्कन
परिस्फुट —वि॰, पुं॰—-—-—सर्वथा समतल, व्यक्त, स्पष्टगोचर
परिस्फुट —वि॰, पुं॰—-—-—पूर्णविकसित, फूला हुआ, बढ़ा हुआ
परिस्फुरणम् —नपुं॰—-—परि + स्फुर् + ल्युट्—कंपकंपी, थरथरी
परिस्फुरणम् —नपुं॰—-—परि + स्फुर् + ल्युट्—कली का खिलना
परिस्यंदः —पुं॰—-—परि + स्यन्द् + घञ्—रसना, बूंद २ टपकना, चूना
परिस्यंदः —पुं॰—-—परि + स्यन्द् + घञ्—बहाव, धारा
परिस्यंदः —पुं॰—-—परि + स्यन्द् + घञ्—अनुचरवर्ग
परिस्रवः —पुं॰—-—परि + स्रु + अप्—बहना, बहाव
परिस्रवः —पुं॰—-—परि + स्रु + अप्—नीचे सरकना
परिस्रवः —पुं॰—-—परि + स्रु + अप्—नदी, निर्झर
परिस्रावः —पुं॰—-—परि + स्रु + णिच् + अच्—निकास, निस्राव
परिस्रुत् —पुं॰—-—परि + स्रु + क्विप् + तुक्—एक प्रकार की नशीली शराब
परिस्रुत् —पुं॰—-—परि + स्रु + क्विप् + तुक्—रिसना, टपकना, बहना
परिहत —वि॰—-—परि + हन् + क्त—ढीला किया हुआ
परिहरणम् —नपुं॰—-—परि + हृ + ल्युट्—छोड़ना, तजना, तिलांजलि देना
परिहरणम् —नपुं॰—-—परि + हृ + ल्युट्—टालना, कतराना
परिहरणम् —नपुं॰—-—परि + हृ + ल्युट्—निराकरण करना
परिहरणम् —नपुं॰—-—परि + हृ + ल्युट्—पकड़ना, ले जाना
परिहारः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्—छोड़ना, तजना, तिलांजलि देना, त्याग देना
परिहारः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्—हटाना, दूर करना
परिहारः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्—निराकरण करना, निवारण करना
परिहारः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्—उल्लेख न करना, भूल, चूक
परिहारः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्—आरक्षण, गुप्त रखना
परिहारः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्—गाँव या नगर के चारों ओर सामान्य भूखण्ड
परिहारः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्—विशेष अनुदान, छूट, विशेषाधिकार, शुक्ल से माफ़ी या छुटकारा
परिहारः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्—तिरस्कार, अनादर
परिहारः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्—आपत्ति
परीहारः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—छोड़ना, तजना, तिलांजलि देना, त्याग देना
परीहारः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—हटाना, दूर करना
परीहारः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—निराकरण करना, निवारण करना
परीहारः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—उल्लेख न करना, भूल, चूक
परीहारः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—आरक्षण, गुप्त रखना
परीहारः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—गाँव या नगर के चारों ओर सामान्य भूखण्ड
परीहारः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—विशेष अनुदान, छूट, विशेषाधिकार, शुक्ल से माफ़ी या छुटकारा
परीहारः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—तिरस्कार, अनादर
परीहारः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्, पक्षे उपसर्गस्य दीर्घः—आपत्ति
परिहाणिः —स्त्री॰, पुं॰—-—-—घटी, कमी, नुक़सान
परिहाणिः —स्त्री॰, पुं॰—-—-—मुर्झाना, क्षीण होना
परिहानिः —स्त्री॰, पुं॰—-—-—घटी, कमी, नुक़सान
परिहानिः —स्त्री॰, पुं॰—-—-—मुर्झाना, क्षीण होना
परिहार्य —वि॰—-—परि + हृ + घञ्—कतराये जाने के योग्य, टाले जाने के योग्य, जिससे बचा जाय, जिसे ले जाया जाय या दूर किया जा
परिहार्यः —पुं॰—-—परि + हृ + घञ्—कंकण
परिहासः —पुं॰—-—परि + हस् + घञ्—मख़ौल, मज़ाक, हँसी, ठट्ठा
परिहासः —पुं॰—-—परि + हस् + घञ्—हँसी उड़ाना, उपहास करना
परीहासः —पुं॰—-—परि + हस् + घञ्, दीर्घः—मख़ौल, मज़ाक, हँसी, ठट्ठा
परीहासः —पुं॰—-—परि + हस् + घञ्, दीर्घः—हँसी उड़ाना, उपहास करना
परिहृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + हृ + क्त—कतराया हुआ टाला हुआ
परिहृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + हृ + क्त—छोड़ा हुआ, परित्यक्त
परिहृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + हृ + क्त—निराकृत, अपास्त
परिहृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + हृ + क्त—लिया हुआ, पकड़ा हुआ
परीक्षकः —पुं॰—-—परि + ईक्ष् + ण्वुल्—परीक्षा लेने वाला, जाँच करने वाला, न्याय करने वाला
परीक्षणम् —नपुं॰—-—परि + ईक्ष् + ल्युट्—जाँच पड़ताल करना, परखना, इम्तहान लेना
परीक्षा —स्त्री॰—-—परि + ईक्ष् + अ + टाप्—इम्तहान, जाँच, परख
परीक्षा —स्त्री॰—-—परि + ईक्ष् + अ + टाप्—जाँच-पड़ताल के विविध प्रकार
परीक्षित् —पुं॰—-—परि + क्षि + क्विप्, तुक्, उपसर्गस्य दीर्घः—अर्जुन का पौत्र, अभिमन्यु का पुत
परीक्षित —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + ईक्ष् + क्त—परखा किया, जाँच पड़ताल की गई
परीत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + इ + क्त—घिरा हुआ, पर्यावृत
परीत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + इ + क्त—समाप्त हुआ, बीता हुआ
परीत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + इ + क्त—विगत, व्यतीत
परीत —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + इ + क्त—पकड़ा हुआ, अधिकार में किया हुआ, भरा हुआ
परीताप —पुं॰—-—-—अत्यंत या झुलसा देने वाली गर्मी,पीड़ा, वेदना, व्यथा, शोक,विलाप, मातम, शोक,कांपना, भय
परीपाक —पुं॰—-—-—पूरी तरह से पकाया जाना या संवारा जाना,पचना,पकजाना, परिपक्वन, विकास, पूर्णता,फल, नतीजा, परिणाम
परीवार —पुं॰—-—-—नौकर-चाकर, अनुचर वर्ग, टहलुए, अनुयायी,ढक्कन, चादर,म्यान, कोष
परीहास —पुं॰—-—-—मख़ौल, मज़ाक, हँसी, ठट्ठा,हँसी उड़ाना, उपहास करना,
परीप्सा —स्त्री॰—-—परि + आप् + सन् + अ + टाप्—प्राप्त करने की इच्छा
परीप्सा —स्त्री॰—-—परि + आप् + सन् + अ + टाप्—जल्दी, शीघ्रता
परीरम् —नपुं॰—-—पृ + ईरन्—एक फल
परीरणम् —नपुं॰—-—परि + ईर् + ल्युट्—कछुवा
परीरणम् —नपुं॰—-—परि + ईर् + ल्युट्—छड़ी
परीरणम् —नपुं॰—-—परि + ईर् + ल्युट्—पोशाक, वेशभूषा
परीष्टिः —स्त्री॰—-—परि + इष् + क्तिन्—अनुसंधान, पूछताछ, गवेषणा
परीष्टिः —स्त्री॰—-—परि + इष् + क्तिन्—सेवा, परिचर्या
परीष्टिः —स्त्री॰—-—परि + इष् + क्तिन्—आदर, पूजा, श्रद्धांजलि
परुः —पुं॰—-—पृ + उ—जोड़, गाँठ
परुः —पुं॰—-—पृ + उ—अवयव, अंग
परुः —पुं॰—-—पृ + उ—समुद्र
परुः —पुं॰—-—पृ + उ—स्वर्ग, बैकुण्ठ
परुत् —अव्य॰—-—पूर्वास्मिन् वत्सरे- इति पूर्वस्य परभावः उत् च—गत वर्ष, पिछला साल
परुष —वि॰—-—पृ + उषन्—कठोर, रूखा, सख्त़, कड़ा
परुष —वि॰—-—पृ + उषन्—(शब्द आदि) कटु, अपभाषित, निष्ठुर, निष्करुण, क्रूर, निर्मम (वाक्)
परुष —वि॰—-—पृ + उषन्—(शब्द) कर्णकटु, अरुचिकर
परुष —वि॰—-—पृ + उषन्—रूखा, स्थूल, खुरदरा, (बाल) मैला-कुचैला
परुष —वि॰—-—पृ + उषन्—तीक्ष्ण, प्रचण्ड, मजबूत, उत्सुक, (वायु आदि) वेधक
परुष —वि॰—-—पृ + उषन्—ठोस, गाढ़ा
परुष —वि॰—-—पृ + उषन्—मलिन, मैला
परुषम् —नपुं॰—-—-—कठोर या दुर्वचनयुक्त भाषण, अपभाषण
परुषेतर —वि॰—परुष-इतर—-—जो रूखा न हो, कोमल, मृदु
परुषोक्तिः —स्त्री॰—परुष-उक्तिः—-—अपभाषित
परुषवचनम् —नपुं॰—परुष-वचनम्—-—अपभाषित
परुस् —नपुं॰—-—पृ + उस्—सन्धि, ग्रन्थि, जोड़, गाँठ
परुस् —नपुं॰—-—पृ + उस्—अवयव, शरीर का अंग
परेत —भू॰ क॰ कृ॰—-—पर + इ + त—दिवंगत, मृत्युप्राप्त, मृत
परेतः —पुं॰—-—पर + इ + त—प्रेत
परेतभर्तृ —पुं॰—परेत-भर्तृ—-—मृत्यु का देवता, यमराज
परेतराज् —पुं॰—परेत-राज्—-—मृत्यु का देवता, यमराज
परेतभूमिः —स्त्री॰—परेत-भूमिः—-—कब्रिस्तान
परेतवासः —पुं॰—परेत-वासः—-—कब्रिस्तान
परेद्यवि —अव्य॰—-—परस्मिन् अहनि, नि॰ साधु॰—दूसरे दिन, और दिन
परेद्युः —अव्य॰—-—परस्मिन् अहनि, नि॰ साधु॰—दूसरे दिन, और दिन
परेष्टुः —स्त्री॰—-—पर + इस + तु—वह गाय जो कई बार ब्या चुकी हो
परेष्टुका —स्त्री॰—-—परेष्टु + कन् + टाप्—वह गाय जो कई बार ब्या चुकी हो
परोक्ष —वि॰—-—अक्ष्णः परम- अ॰ स॰—दृष्टिपरास से परे, या बाहर, जो दिखाई न दे, अगोचर
परोक्ष —वि॰—-—अक्ष्णः परम- अ॰ स॰—अनुपस्थित
परोक्ष —वि॰—-—अक्ष्णः परम- अ॰ स॰—गुप्त, अज्ञात, अपरिचित
परोक्षम् —नपुं॰—-—-—अनुपस्थिति अगोचरता
परोक्षम् —नपुं॰—-—-—भूतकाल (जो वक्ता ने न देखा हो)
परोक्षभोगः —पुं॰—परोक्ष-भोगः—-—स्वामी की अनुपस्थिति में किसी वस्तु का उपभोग
परोक्षवृत्ति —वि॰—परोक्ष-वृत्ति—-—आँखो से दूर रहने वाला
परोक्षवृत्तिः —स्त्री॰—परोक्ष-वृत्तिः—-—अदृष्ट और अज्ञात जीवन
परोष्टिः —स्त्री॰—-—पर + उष् + क्तिन्—तेलचट्टा (झींगर के आकार काले रंग का एक कीड़ा)
परोष्णी —स्त्री॰—-—पर + उष् + क्तिन्,परः शत्रुः उष्णो यस्याः ब॰ स॰—तेलचट्टा (झींगर के आकार काले रंग का एक कीड़ा)
पजंन्यः —पुं॰—-—पृष् + शन्य, नि॰ षकारस्य जकारः—बरसने वाला मेघ, गरजने वाला बादल, बादल या मेघ
पजंन्यः —पुं॰—-—पृष् + शन्य, नि॰ षकारस्य जकारः—बारिश
पजंन्यः —पुं॰—-—पृष् + शन्य, नि॰ षकारस्य जकारः—वृष्टि का देवता अर्थात् इन्द्र
पर्ण् —चुरा॰ उभ॰ <पर्णयति>, <पर्णयते>—-—-—हराभरा करना
पर्णम् —नपुं॰—-—पर्ण् + अच्—पंख, बाजू
पर्णम् —नपुं॰—-—पर्ण् + अच्—बाण का पंख
पर्णम् —नपुं॰—-—पर्ण् + अच्—पत्ता
पर्णम् —नपुं॰—-—पर्ण् + अच्—पान का पत्ता
पर्णः —पुं॰—-—-—ढाक का पेड़
पर्णाशनम् —नपुं॰—पर्णम्-अशनम्—-—पत्ते खाकर जीना
पर्णाशनः —पुं॰—पर्णम्-अशनः—-—बादल
पर्णासिः —पुं॰—पर्णम्-असिः—-—काली तुलसी
पर्णाहार —वि॰—पर्णम्-आहार—-—पत्ते खाकर निर्वाह करने वाला
पर्णोटजम् —नपुं॰—पर्णम्-उटजम्—-—पत्तों की कुटिया, साधुओं की झोपड़ी, आश्रम
पर्णकारः —पुं॰—पर्णम्-कारः—-—पनवाड़ी, तमोली, पान बेचने वाला
पर्णकुटिका —स्त्री॰—पर्णम्-कुटिका—-—पत्तों की बनी कुटिया
पर्णकृच्छ्रः —पुं॰—पर्णम्-कृच्छ्रः—-—प्रायश्चित्त संबंधी साधना जिसमें प्रायश्चित्तकार को पाँच दिन तक पत्ते और कुशाओं का का काढ़ा पीकर रहना पड़ता है
पर्णखंडः —पुं॰—पर्णम्-खंडः—-—फूलपत्तों के बिना वृक्ष
पर्णखंडम् —नपुं॰—पर्णम्-खंडम्—-—पत्तों का ढेर
पर्णचीरपटः —पुं॰—पर्णम्-चीरपटः—-—शिव का विशेषण
पर्णचोरकः —पुं॰—पर्णम्-चोरकः—-—एक प्रकार का सुगंध द्रव्य
पर्णनरः —पुं॰—पर्णम्-नरः—-—पत्तों से बनाया गया पुतला जो अप्राप्त शव की जगह रखकर जलाया जाता है
पर्णमेदिनी —स्त्री॰—पर्णम्-मेदिनी—-—प्रियंगुलता
पर्णभोजनः —पुं॰—पर्णम्-भोजनः—-—वकरी
पर्णमुच —पुं॰—पर्णम्-मुच्—-—जाड़े की मौसम, शिर्शिर ऋतु
पर्णमृगः —पुं॰—पर्णम्-मृगः—-—वृक्षों की शाखाओं पर रहने वाला जंगली जानवर
पर्णरुह् —पुं॰—पर्णम्-रुह्—-—वसंत ऋतु
पर्णलता —स्त्री॰—पर्णम्-लता—-—पान की बेल
पर्णवीटिका —स्त्री॰—पर्णम्-वीटिका—-—पान का बीड़ा
पर्णशय्या —स्त्री॰—पर्णम्-शय्या—-—पत्तों की सेज
पर्णशाला —स्त्री॰—पर्णम्-शाला—-—पत्तों की बनी कुटिया, साधुओं का
पर्णल —वि॰—-—पर्ण + लच्—पत्तों से भरा हुआ, पत्तों वाला
पर्णसिः —पुं॰—-—पृ+असि,णुक्—पानी के मध्य खड़ा भवन, ग्रीष्म भवन
पर्णसिः —पुं॰—-—पृ+असि,णुक्—कमल
पर्णसिः —पुं॰—-—पृ+असि,णुक्—शाक सब्जी
पर्णसिः —पुं॰—-—पृ+असि,णुक्—सजावट, प्रसाधन, शृंगार
पर्णिन् —पुं॰—-—पर्ण + इनि—वृक्ष
पर्णिल —वि॰—-—पर्ण + इलच्—पत्तों से भरा हुआ, पत्तों वाला
पर्द् —भ्वा॰ आ॰ <पर्दते>—-—-—पाद मारना, अपानवायु छोड़ना
पर्दः —पुं॰—-—पर्द + अच्—केश समूह, घना बाल
पर्दः —पुं॰—-—पर्द + अच्—पाद, अपान वायु
पर्पः —पुं॰—-—पृ + प—नया उगा घास
पर्पः —पुं॰—-—पृ + प—पंगु-पीठ, पंगुगाड़ी
पर्परीकः —पुं॰—-—पृ + ईकन्—सूर्य
पर्परीकः —पुं॰—-—पृ + ईकन्—आग
पर्परीकः —पुं॰—-—पृ + ईकन्—जलाशय, तालाब
पर्यक् —अव्य॰ —-—परि + अंच् + क्विप्—चारों ओर, सब दिशाओं में
पर्यकः —पुं॰—-—परिगतः अङ्कम्-अत्या॰ स॰—खाट, पलंग, सोफा
पर्यकः —पुं॰—-—परिगतः अङ्कम्-अत्या॰ स॰—अरूमाली
पर्यकः —पुं॰—-—परिगतः अङ्कम्-अत्या॰ स॰—समाधि-अवस्था में योगी के बैठने की विशेष अंगस्थिति- योगासन
पर्यकः —पुं॰—-—परिगतः अङ्कम्-अत्या॰ स॰—वीरासन
पर्यकबन्धः —पुं॰—पर्यकः-बन्धः—-—जांघ के सहारे बैठने की स्थिति
पर्यकभोगिन् —पुं॰—पर्यकः-भोगिन्—-—एक प्रकार का साँप
पर्यटनम् —नपुं॰—-—परि + अट् + ल्युट्—घूमना, इधर उधर भ्रमण करना, यात्रा करना
पर्यटितम् —नपुं॰—-—परि + अट् + क्त—घूमना, इधर उधर भ्रमण करना, यात्रा करना
पर्यनुयोगः —पुं॰—-—परि + अनु + युज् + घञ्—किसी उक्ति का खंडन करने के उद्देश्य से पूछताछ
पर्यत —वि॰—-—-—से सीमा बद्ध, तक फैला हुआ
पर्यतः —वि॰—-—-—आवर्त, परिधि
पर्यतः —वि॰—-—-—गोट, किनारा, मगजी, चरमसीमा, हद
पर्यतः —वि॰—-—-—पार्श्व, कक्ष
पर्यतः —वि॰—-—-—अन्त, उपसंहार, समाप्ति
पर्यतदेशः —पुं॰—पर्यतः-देशः—-—मिला हुआ या जुड़ा हुआ प्रदेश
पर्यतभूः —स्त्री॰—पर्यतः-भूः—-—मिला हुआ या जुड़ा हुआ प्रदेश
पर्यतभूमिः —स्त्री॰—पर्यतः-भूमिः—-—मिला हुआ या जुड़ा हुआ प्रदेश
पर्यतपर्वतः —पुं॰—पर्यतः-पर्वतः—-—संलग्न पहाड़
पर्यतिका —स्त्री॰—-—-—अच्छे गुणों की हानि, भ्रष्टाचार, नैतिक पतन
पर्यय —पुं॰—-—परि + इ + अच्—क्रान्ति, पतन, निःश्वास
पर्यय —पुं॰—-—परि + इ + अच्—(समय की) बर्बादी, या खोना
पर्यय —पुं॰—-—परि + इ + अच्—परिवर्तन, अदल-बदल
पर्यय —पुं॰—-—परि + इ + अच्—उलट-पुलट, अव्यवस्था, अनियमितता
पर्यय —पुं॰—-—परि + इ + अच्—शास्त्रीय मर्यादा का अतिक्रमण, कर्तव्य की अवहेलना
पर्यय —पुं॰—-—परि + इ + अच्—विरोध
पर्ययणम् —नपुं॰—-—परि + अय् + ल्युट्—चारों ओर घूमना, प्रदक्षिणा
पर्ययणम् —नपुं॰—-—परि + अय् + ल्युट्—घोड़े की जीन
पर्यवदात —वि॰—-—-—पूरी तरह शुद्ध पवित्र
पर्यवरोधः —पुं॰—-—-—बाधा, विघ्न
पर्यवसित —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + अव + सो + क्त—समाप्त किया गया, अन्त तक किया हुआ, पूरा किया हुआ
पर्यवसित —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + अव + सो + क्त—नष्ट, लुप्त
पर्यवसित —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + अव + सो + क्त—निर्धारित
पर्यवस्था —स्त्री॰—-—परि + अव + स्था + अङ् + टाप्—विरोध, मुकाबला, बाधा
पर्यवस्था —स्त्री॰—-—परि + अव + स्था + अङ् + टाप्—वैपरीत्य
पर्यवस्थानम् —नपुं॰—-—परि + अव + स्था + अङ् + ल्युट्—विरोध, मुकाबला, बाधा
पर्यवस्थानम् —नपुं॰—-—परि + अव + स्था + अङ् + ल्युट्—वैपरीत्य
पर्यश्रु —वि॰—-—प्रा॰ ब॰ स॰—आँसुओं से भरा हुआ,अश्रुपरिप्लावित, आँसू बहाने वाला, अश्रुयुक्त
पर्यसनम् —नपुं॰—-—परि + अस् + ल्युट्—फेंकना, इधर उधर डालना
पर्यसनम् —नपुं॰—-—परि + अस् + ल्युट्—भेजना, धकेलना
पर्यसनम् —नपुं॰—-—परि + अस् + ल्युट्—भेज देना
पर्यसनम् —नपुं॰—-—परि + अस् + ल्युट्—स्थगित करना
पर्यस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + अस् + क्त—इधर उधर फेंका गया, बखेरा गया
पर्यस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + अस् + क्त—घेरा हुआ, मण्डलाकृतः
पर्यस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + अस् + क्त—उलटाया गया, उथला हुआ
पर्यस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + अस् + क्त—पदच्युत, एक ओर रक्खा हुआ
पर्यस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + अस् + क्त—प्रहार किया हुआ, चोट पहुँचाया हुआ, मारा हुआ
पर्यस्तिः —स्त्री॰—-—परि + अस् + क्तिन्—वीरासन, पलंग
पर्यस्तिका —स्त्री॰—-—परि + अस् + टाप्—वीरासन, पलंग
पर्याकुल —वि॰, पुं॰—-—-—मैला, गंदा (पानी आदि)
पर्याकुल —वि॰, पुं॰—-—-—अव्यवस्थित, उद्विग्न, भयभीत
पर्याकुल —वि॰, पुं॰—-—-—क्रमहीन, अव्यवस्थित, उथल-पुथल
पर्याकुल —वि॰, पुं॰—-—-—उत्तेजित, क्षुब्ध, घबराया हुआ
पर्याकुल —वि॰, पुं॰—-—-—भरा हुआ, पूरा
पर्याणम् —नपुं॰—-—परि + या + ल्युट्, पृषो॰—जीन, काठी
पर्याप्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + अप् + क्त—प्राप्त किया हुआ, हासिल किया हुआ, उपलब्ध
पर्याप्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + अप् + क्त—समाप्त किया हुआ, पूरा किया हुआ
पर्याप्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + अप् + क्त—भरा हुआ, पूर्ण, समस्त, सारा, समग्र
पर्याप्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + अप् + क्त—योग्य, सक्षम, यथेष्ट
पर्याप्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + अप् + क्त—काफी, यथोचित
पर्याप्तम् —नपुं॰—-—-—स्वेच्छापूर्वक, तत्परता के साथ
पर्याप्तम् —नपुं॰—-—-—ससन्तोष, काफी, यथेष्ट रूप से
पर्याप्तम् —नपुं॰—-—-—पूरी तरह से, योग्यतापूर्वक, सक्षमता के साथ
पर्याप्तिः —स्त्री॰—-—परि + आप् + क्तिन्—प्राप्त करना, अधिग्रहण
पर्याप्तिः —स्त्री॰—-—परि + आप् + क्तिन्—अन्त, उपसंहार, समाप्ति
पर्याप्तिः —स्त्री॰—-—परि + आप् + क्तिन्—काफी, पूर्णता, यथेष्टता
पर्याप्तिः —स्त्री॰—-—परि + आप् + क्तिन्—तृप्ति, संतोष
पर्याप्तिः —स्त्री॰—-—परि + आप् + क्तिन्—साधारण, प्रहार को रोकना
पर्याप्तिः —स्त्री॰—-—परि + आप् + क्तिन्—उपयुक्तता, सक्षमता
पर्यायः —पुं॰—-—परि + इ + घञ्—चक्कर लगाना, क्रान्ति
पर्यायः —पुं॰—-—परि + इ + घञ्—(समय की) समाप्ति, व्यतीत होना, बीतना
पर्यायः —पुं॰—-—परि + इ + घञ्—नियमित परावर्तन, या आवृत्ति
पर्यायः —पुं॰—-—परि + इ + घञ्—बारी, उत्तराधिकार, उचित या नियमित क्रम
पर्यायः —पुं॰—-—परि + इ + घञ्—प्रणाली व्यवस्था
पर्यायः —पुं॰—-—परि + इ + घञ्—तरीका, रीति, प्रक्रिया की प्रणाली
पर्यायः —पुं॰—-—परि + इ + घञ्—समानार्थक, पर्यायवाची
पर्यायः —पुं॰—-—परि + इ + घञ्—सृष्टि, निर्माण, तैयारी, रचना
पर्यायः —पुं॰—-—परि + इ + घञ्—धर्म, गुण
पर्यायः —पुं॰—-—परि + इ + घञ्—एक अलंकार
पर्यायेण —क्रि॰वि॰—-—-—बारी बारी से, उत्तरोत्तर, नंबरवार, नियमित क्रम से
पर्यायेण —क्रि॰वि॰—-—-—यथावसर, कभी कभी
पर्यायोक्तम् —नपुं॰—पर्यायः-उक्तम्—-—एक अलंकार, घुमाफिरा कर कहना, वक्रोक्ति या वाक्प्रपंच से कहने की रीति
पर्यायच्युत —वि॰—पर्यायः-च्युत—-—गुप्त रूप से उखाड़ा हुआ, जिसका स्थान छलपूर्वक ले लिया गया है
पर्यायवचनम् —नपुं॰—पर्यायः-वचनम्—-—समानार्थक
पर्यायशब्दः —पुं॰—पर्यायः-शब्दः—-—समानार्थक
पर्यायशयनम् —नपुं॰—पर्यायः-शयनम्—-—बारी २ सोना और चौकसी रखना
पर्याली —अव्य॰—-—परि + आ + अल् + ई—हानि या क्षति को (हिंसन) अभिव्यक्त करने वाला अव्यय जो प्रायः कृ, भू या अस् से पूर्व लगाया जाता है
पर्यालोचनम् —नपुं॰—-—परि + आ + लोच् + ल्युट्—सावधानता, समीक्षा, विचार, परिपक्व विमर्श
पर्यालोचनम् —नपुं॰—-—परि + आ + लोच् + ल्युट्—जानना, पहचानना
पर्यालोचना —स्त्री॰—-—परि + आ + लोच् + ल्युट्—जानना, पहचानना
पर्यावर्तः —पुं॰—-—परि + आ + वृत् + घञ्—वापिस आना, प्रत्यागमन
पर्यावर्तनम् —नपुं॰—-—परि + आ + वृत् + ल्युट्—वापिस आना, प्रत्यागमन
पर्याविल —वि॰—-—-—बड़ा गदला, मैला, मिट्टी में भरा हुआ
पर्यासः —पुं॰—-—परि + अस् + घञ्—अन्त, उपसंहार, समाप्ति
पर्यासः —पुं॰—-—परि + अस् + घञ्—परावर्तन, क्रान्ति
पर्यासः —पुं॰—-—परि + अस् + घञ्—उलटा क्रम या स्थिति
पर्याहारः —पुं॰—-—परि + आ + हृ + घञ्—बोझा घोने के लिए कंधों पर रक्खा गया जूआ
पर्याहारः —पुं॰—-—परि + आ + हृ + घञ्—ले जाना
पर्याहारः —पुं॰—-—परि + आ + हृ + घञ्—बोझा, भार
पर्याहारः —पुं॰—-—परि + आ + हृ + घञ्—धड़ा
पर्याहारः —पुं॰—-—परि + आ + हृ + घञ्—अनाज को भंडार में रखना
पर्युक्षणम् —नपुं॰—-—परि + उक्ष् + ल्युट्—बिना किसी मन्त्रोच्चारण के चारों ओर चुपचाप जल के छींटे देना
पर्युत्थानम् —नपुं॰—-—परि + उद् + स्था + ल्युट्—खड़ा होना
पर्युत्सुक —वि॰—-—-—शोक पूर्ण, ख़ेद युक्त, खिन्न, दुःखद
पर्युत्सुत्वम् —नपुं॰—-—-—शोक
पर्युत्सुत्वम् —नपुं॰—-—-—अत्यन्त इच्छुक, आतुर, सोत्सुक, प्रबल इच्छा रखने वाला
पर्युदञ्चनम् —नपुं॰—-—परि + उध् + अञ्च् + ल्युट्—ऋण, उधार
पर्युदञ्चनम् —नपुं॰—-—परि + उध् + अञ्च् + ल्युट्—उधार लेना, उठाना, उद्धार करना
पर्युदस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + उद् + अस् + क्त—बर्हिष्कृत किया हुआ, निकाला हुआ
पर्युदस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—परि + उद् + अस् + क्त—रोका गया (नियमित) आपत्ति उठाई गई
पर्युदासः —पुं॰—-—परि + उद् + अस् + घञ्—अपवाद, निषेध सूचक नियम या विधि
पर्युपस्थानम् —नपुं॰—-—परि + उप + स्था + ल्युट्—सेवा, टहल, उपस्थिति
पर्युपासनम् —नपुं॰—-—परि + उप + आस् + ल्युट्—पूजा, सम्मान, सेवा
पर्युपासनम् —नपुं॰—-—परि + उप + आस् + ल्युट्—मित्रता, शिष्टता
पर्युपासनम् —नपुं॰—-—परि + उप + आस् + ल्युट्—पास पास बैठाना
पर्युप्तिः —स्त्री॰—-—परि + वप् + क्तिन्—बोना, बीजना
पर्युषणम् —नपुं॰—-—परि + उष् + ल्युट्—पूजा, अर्चा, सेवा
पर्युषित —वि॰—-—परि + वस् + क्त—बासी, जो ताजा न हो
पर्युषित —वि॰—-—परि + वस् + क्त—फीका
पर्युषित —वि॰—-—परि + वस् + क्त—मूर्ख
पर्युषित —वि॰—-—परि + वस् + क्त—घमंडी
पर्येषणम् —नपुं॰—-—परि + इष् + ल्युट्—तर्क द्वारा गवेषणा
पर्येषणम् —नपुं॰—-—परि + इष् + ल्युट्—खोज, सामान्य पूछ-ताछ
पर्येषणम् —नपुं॰—-—परि + इष् + ल्युट्—श्रद्धांजलि, पूजा
पर्येषणा —स्त्री॰—-—परि + इष् + ल्युट्—तर्क द्वारा गवेषणा
पर्येषणा —स्त्री॰—-—परि + इष् + ल्युट्—खोज, सामान्य पूछ-ताछ
पर्येषणा —स्त्री॰—-—परि + इष् + ल्युट्—श्रद्धांजलि, पूजा
पर्येष्टिः —स्त्री॰—-—परि + इष् + क्तिन्—खोज, पूछ-ताछ
पर्वकम् —नपुं॰—-—पर्वणा ग्रन्थिना कायति- पर्वन् + कै + क—घुटने का जोड़
पर्वणी —स्त्री॰—-—पर्व् + ल्युट्, स्त्रियां ङीप्—पूर्णिमा, या शुक्लप्रतिपदा
पर्वणी —स्त्री॰—-—पर्व् + ल्युट्, स्त्रियां ङीप्—उत्सव
पर्वणी —स्त्री॰—-—पर्व् + ल्युट्, स्त्रियां ङीप्—आँख की संधि का विशेष रोग
पर्वतः —पुं॰—-—पर्व् + अचच्—पहाड़, गिरि
पर्वतः —पुं॰—-—पर्व् + अचच्—चट्टान
पर्वतः —पुं॰—-—पर्व् + अचच्—कृत्रिम पहाड़ या ढेर
पर्वतः —पुं॰—-—पर्व् + अचच्—‘सात’ की संख्या
पर्वतः —पुं॰—-—पर्व् + अचच्—वृक्ष
पर्वतारिः —पुं॰—पर्वतः-अरिः—-—इन्द्र का विशेषण
पर्वतात्मजः —पुं॰—पर्वतः-आत्मजः—-—मैनाक पर्वत का विशेषण
पर्वतात्मजा —स्त्री॰—पर्वतः-आत्मजा—-—पार्वती का विशेषण
पर्वताधारा —स्त्री॰—पर्वतः-आधारा—-—पृथ्वी
पर्वताशयः —पुं॰—पर्वतः-आशयः—-—बादल
पर्वताश्रयः —पुं॰—पर्वतः-आश्रयः—-—शरभ नामक काल्पनिक जंतु
पर्वतकाकः —पुं॰—पर्वतः-काकः—-—पहाड़ी कौवा
पर्वतजा —स्त्री॰—पर्वतः-जा—-—नदी
पर्वतपतिः —पुं॰—पर्वतः-पतिः—-—हिमालय पहाड़ का विशेषण
पर्वतमोचा —स्त्री॰—पर्वतः-मोचा—-—पहाड़ी केला
पर्वतराज् —पुं॰—पर्वतः-राज्—-—विशाल पहाड़
पर्वतराज् —पुं॰—पर्वतः-राज्—-—पर्वतों का स्वामी हिमालय
पर्वतराजः —पुं॰—पर्वतः-राजः—-—विशाल पहाड़
पर्वतराजः —पुं॰—पर्वतः-राजः—-—पर्वतों का स्वामी हिमालय
पर्वतस्थ —वि॰—पर्वतः-स्थ—-—पहाड़ी, पर्वत पर स्थित
पर्वन् —नपुं॰—-—पृ + वनिप्—गांठ, जोड़
पर्वन् —नपुं॰—-—पृ + वनिप्—अवयव, अंग
पर्वन् —नपुं॰—-—पृ + वनिप्—अंश, भाग, खण्ड
पर्वन् —नपुं॰—-—पृ + वनिप्—पुस्तक, अध्याय
पर्वन् —नपुं॰—-—पृ + वनिप्—जीने की सीढ़ी
पर्वन् —नपुं॰—-—पृ + वनिप्—अवधि, निश्चित समय
पर्वन् —नपुं॰—-—पृ + वनिप्—विशेष कर, चन्द्रमा के चार परिवर्तन अर्थात् दोनों पक्ष की अष्टमी पूर्णिमा तथा अमावस्या
पर्वन् —नपुं॰—-—पृ + वनिप्—चन्द्रमा के परिवर्तन काल के अवसर पर अनुष्ठित यज्ञ
पर्वन् —नपुं॰—-—पृ + वनिप्—पूर्णिमा या अमावस्या
पर्वन् —नपुं॰—-—पृ + वनिप्—सूर्य या चन्द्रमा का ग्रहण
पर्वन् —नपुं॰—-—पृ + वनिप्—उत्सर्व, त्योहार, हर्ष का अवसर
पर्वन् —नपुं॰—-—पृ + वनिप्—सामान्य अवसर
पर्वकालः —पुं॰—पर्वन्-कालः—-—चन्द्रमा का आवर्तिक परिवर्तन
पर्वकालः —पुं॰—पर्वन्-कालः—-—वह काल जब चन्द्रमा पर्वसन्धि में से गुजरता है (मिलते या निकलते समय)
पर्वकारिन् —पुं॰—पर्वन्-कारिन्—-—वह ब्राह्मण जो अमावस्या आदि के आवर्तिक अनुष्ठान या संस्कारो को अपने लाभ के कारण सामान्य दिनों में करता है
पर्वगामिन् —पुं॰—पर्वन्-गामिन्—-—पर्व आदि शास्त्र निषिद्ध अवसरों पर भी अपनी पत्नी से मैथुन करने वाला व्यक्ति
पर्वधिः —पुं॰—पर्वन्-धिः—-—चन्द्रमा
पर्वयोनिः —स्त्री॰—पर्वन्-योनिः—-—बेत, नरकुल
पर्वरुह् —पुं॰—पर्वन्-रुह्—-—अनार का वृक्ष
पर्वसन्धिः —पुं॰—पर्वन्-सन्धिः—-—पूर्णिमा या अमावस्या तथा प्रतिपदा के मध्य का समय, अर्थात् पूर्णिमा या अमावस्या की समाप्ति पर प्रतिपदा आरम्भ
पर्शुः —पुं॰—-—परं शत्रुं शृणाति- पर + शृ + कु स च डित् वा स्पृशति शत्रून्- स्पृश् + शुन्, पृ आदेशः—कुठार, कुल्हाड़ी
पर्शुः —पुं॰—-—परं शत्रुं शृणाति- पर + शृ + कु स च डित् वा स्पृशति शत्रून्- स्पृश् + शुन्, पृ आदेशः—शस्त्र, हथियार
पर्शुपाणिः —पुं॰—पर्शुः-पाणिः—-—गणेश का विशेषण
पर्शुपाणिः —पुं॰—पर्शुः-पाणिः—-—परशुराम का विशेषण
पर्शुंका —स्त्री॰—-—पर्शुं= कन् + टाप्—पसली
पर्श्वधः —पुं॰—-—परश्व + धा + क, पृषो॰—कुल्हाड़ी, कुठार, फरसा
पर्षद् —स्त्री॰—-—पृष् + आदि—सभा, सम्मिलन, सम्मर्द
पर्षद् —स्त्री॰—-—पृष् + आदि—विशेषकर धर्मसभा
पलः —पुं॰—-—पल् + अच्—पुआल, भूसी
पलम् —नपुं॰—-—-—मांस, आमिष
पलम् —नपुं॰—-—-—कर्ष का तोल
पलम् —नपुं॰—-—-—तरल पदार्थों को मापने का मान
पलम् —नपुं॰—-—-—समय मापने का मान
पलाग्निः —पुं॰—पलः-अग्निः—-—पित्त
पलाङ्गः —पुं॰—पलः-अङ्गः—-—कछुवा
पलादः —पुं॰—पलः-अदः—-—पिशाच, राक्षस
पलक्षारः —पुं॰—पलः-क्षारः—-—रुधिर
पलगण्डः —पुं॰—पलः-गण्डः—-—पलस्तर करने वाला, राज
पलप्रियः —पुं॰—पलः-प्रियः—-—राक्षस
पलप्रियः —पुं॰—पलः-प्रियः—-—पहाड़ी कौवा
पलभा —स्त्री॰—पलः-भा—-—मध्याह्न की विषुवीय छाया
पलङ्कट —वि॰—-—पलं मांस कटति- पल् + काट् + खच्, मुम्—भीरु, बुजदिल
पलङ्करः —पुं॰—-—पलं मांस करोति- पलम् + कृ + अच्, द्वितीया या अलुक्—पित्त
पलङ्कषः —पुं॰—-—पलं कषति- पलम् + कष् + अच्, द्वितीयाया अलुक्—राक्षस, पिशाच, दानव
पलङ्कषलम् —नपुं॰—-—पलं कषति- पलम् + कष् + अच्, द्वितीयाया अलुक्—मांस
पलङ्कषलम् —नपुं॰—-—पलं कषति- पलम् + कष् + अच्, द्वितीयाया अलुक्—कीचड़, दलदल
पलङ्कषलम् —नपुं॰—-—पलं कषति- पलम् + कष् + अच्, द्वितीयाया अलुक्—पिसे हुए तिल व चीनी मिला कर बनाई गई मिठाई, गजक
पलङ्कषज्वरः —पुं॰—पलङ्कषः-ज्वरः—-—पहाड़ी कौवा
पलङ्कषज्वरः —पुं॰—पलङ्कषः-ज्वरः—-—राक्षस
पलङ्कषप्रियः —पुं॰—पलङ्कषः-प्रियः—-—पहाड़ी कौवा
पलङ्कषप्रियः —पुं॰—पलङ्कषः-प्रियः—-—राक्षस
पलवः —पुं॰—-—पल + वा + क—मछलियाँ पकड़ने का जाल या टोकरी
पलाण्डु —पुं॰—-—पलस्य मांसस्य अंडामिव-पलं + अंड् + कु—प्याज
पलापम् —नपुं॰—-—पलं मासम् आप्यते बाहुल्येन अत्र- पल + आप् + घञ्—हाथी की पुटपुड़ी
पलापम् —नपुं॰—-—पलं मासम् आप्यते बाहुल्येन अत्र- पल + आप् + घञ्—पगहा, रस्सी
पलायनम् —नपुं॰—-—परा + अय् + ल्युट् रस्य लः—भागना, लौटना, उड़ान, बच निकलना
पलायित —भू॰ क॰ कृ॰—-—परा + अय् + क्त—भागा हुआ, लौटा हुआ, दौड़ा हुआ, बच निकला हुआ
पलालः —पुं॰—-—पल + कालन्—पुआल, भूसी
पलालम् —नपुं॰—-—-—पुआल, भूसी
पलालदोहदः —पुं॰—पलालः-दोहदः—-—आम का वृक्ष
पलालिः —पुं॰—-—पल + अल् + इन्—माँस का ढेर
पलाशः —पुं॰—-—पल + अश् + अण्—एक वृक्ष, ढाक का पेड़
पलाशम् —नपुं॰—-—पल + अश् + अण्—इस वृक्ष का फूल
पलाशम् —नपुं॰—-—पल + अश् + अण्—पत्ता, पंखड़ी
पलाशम् —नपुं॰—-—पल + अश् + अण्—हरा रंग
पलाशिन् —पुं॰—-—पलाश + इन्—ढाक का पेड़
पलिक्नी —स्त्री॰—-—पलित + अच्, तस्य क्न, डीप्—बूढ़ी स्त्री जिसके बाल सफेद हो गये हों
पलिक्नी —स्त्री॰—-—पलित + अच्, तस्य क्न, डीप्—पहली बार ही ब्याई हुई गौ, बालगर्भिणी
पलिघः —पुं॰—-—परि + हन् + अप्, आदेशः, रस्य लः—शीशे का बर्तन, घड़ा
पलिघः —पुं॰—-—परि + हन् + अप्, आदेशः, रस्य लः—फसील, परकोटा
पलिघः —पुं॰—-—परि + हन् + अप्, आदेशः, रस्य लः—लोहे की गदा
पलिघः —पुं॰—-—परि + हन् + अप्, आदेशः, रस्य लः—गोशाला, गोगृह
पलित —वि॰—-—पल् + क्त—भूरा, धवल, सफेंद बालों वाला, बृद्ध, बूढ़ा
पलितम् —नपुं॰—-—पल् + क्त—सफेद बाल या बालों की सफेदी जो बुढ़ापे के कारण हुई हो
पलितम् —नपुं॰—-—पल् + क्त—अधिक या अलंकृत केश
पलितङ्करण —वि॰—-—अपलितं पलितं क्रियतेऽनेन - पलित + कृ + ख्युन्, मुम्—सफेद करने वाला
पलितम्भविष्णु —वि॰—-—अपलितं पलितो भवति-पलित + भू + खिष्णुच्, मुम्—सफेद होने वाला
पल्यङ्कः —पुं॰—-—परितः अंक्यतेऽत्र, परि + अंक् + घञ् रस्य लः—पलंग, खाट
पल्ययनम् —नपुं॰—-—परि + अय् + ल्युट्, रस्यलः—जीन, काठी
पल्ययनम् —नपुं॰—-—परि + अय् + ल्युट्, रस्यलः—रास, लगाम
पल्लः —पुं॰—-—पल्ल् + अच्—अनाज का बड़ा भंडार, खत्ती
पल्लवः —पुं॰—-—पल् + क्विप्= पल्, लू + अप्= लव, पल् चासौ लवश्च कर्म॰ स॰—अंकुर, कोंपल, टहनी
पल्लवः —पुं॰—-—पल् + क्विप्= पल्, लू + अप्= लव, पल् चासौ लवश्च कर्म॰ स॰—कली, मंजरी
पल्लवः —पुं॰—-—पल् + क्विप्= पल्, लू + अप्= लव, पल् चासौ लवश्च कर्म॰ स॰—विस्तार, फलाव, अभिस्तृति
पल्लवः —पुं॰—-—पल् + क्विप्= पल्, लू + अप्= लव, पल् चासौ लवश्च कर्म॰ स॰—लालरंग, महावर, अलक्त
पल्लवः —पुं॰—-—पल् + क्विप्= पल्, लू + अप्= लव, पल् चासौ लवश्च कर्म॰ स॰—सामर्थ्य, शक्ति
पल्लवः —पुं॰—-—पल् + क्विप्= पल्, लू + अप्= लव, पल् चासौ लवश्च कर्म॰ स॰—घास की पत्ती
पल्लवः —पुं॰—-—पल् + क्विप्= पल्, लू + अप्= लव, पल् चासौ लवश्च कर्म॰ स॰—कंकण, बाजूबंद
पल्लवः —पुं॰—-—पल् + क्विप्= पल्, लू + अप्= लव, पल् चासौ लवश्च कर्म॰ स॰—प्रेम, केलि
पल्लवः —पुं॰—-—पल् + क्विप्= पल्, लू + अप्= लव, पल् चासौ लवश्च कर्म॰ स॰—चञ्चलता
पल्लवम् —नपुं॰—-—पल् + क्विप्= पल्, लू + अप्= लव, पल् चासौ लवश्च कर्म॰ स॰—अंकुर, कोंपल, टहनी
पल्लवम् —नपुं॰—-—पल् + क्विप्= पल्, लू + अप्= लव, पल् चासौ लवश्च कर्म॰ स॰—कली, मंजरी
पल्लवम् —नपुं॰—-—पल् + क्विप्= पल्, लू + अप्= लव, पल् चासौ लवश्च कर्म॰ स॰—विस्तार, फलाव, अभिस्तृति
पल्लवम् —नपुं॰—-—पल् + क्विप्= पल्, लू + अप्= लव, पल् चासौ लवश्च कर्म॰ स॰—लालरंग, महावर, अलक्त
पल्लवम् —नपुं॰—-—पल् + क्विप्= पल्, लू + अप्= लव, पल् चासौ लवश्च कर्म॰ स॰—सामर्थ्य, शक्ति
पल्लवम् —नपुं॰—-—पल् + क्विप्= पल्, लू + अप्= लव, पल् चासौ लवश्च कर्म॰ स॰—घास की पत्ती
पल्लवम् —नपुं॰—-—पल् + क्विप्= पल्, लू + अप्= लव, पल् चासौ लवश्च कर्म॰ स॰—कंकण, बाजूबंद
पल्लवम् —नपुं॰—-—पल् + क्विप्= पल्, लू + अप्= लव, पल् चासौ लवश्च कर्म॰ स॰—प्रेम, केलि
पल्लवम् —नपुं॰—-—पल् + क्विप्= पल्, लू + अप्= लव, पल् चासौ लवश्च कर्म॰ स॰—चञ्चलता
पल्लवः —पुं॰—-—-—स्वेच्छाचारी
पल्लवाङ्कुरः —पुं॰—पल्लवः-अङ्कुरः—-—शाखा
पल्लवाधारः —पुं॰—पल्लवः-आधारः—-—शाखा
पल्लवास्त्रः —पुं॰—पल्लवः-अस्त्रः—-—कामदेव का विशेषण
पल्लवद्रुः —पुं॰—पल्लवः-द्रुः—-—अशोक वृक्ष
पल्लवकः —पुं॰—-—पल्लव + कै + क—स्वेच्छाचारी
पल्लवकः —पुं॰—-—पल्लव + कै + क—लौंडा, गांडू
पल्लवकः —पुं॰—-—पल्लव + कै + क—रंडी का प्रेमी
पल्लवकः —पुं॰—-—पल्लव + कै + क—अशोक वृक्ष
पल्लवकः —पुं॰—-—पल्लव + कै + क—एक प्रकार की मछली
पल्लवकः —पुं॰—-—पल्लव + कै + क—अंकुर
पल्लविकः —पुं॰—-—पल्लवः शृंगारो रसः अस्ति अस्य- पल्लव + ठन्—स्वेच्छाचारी, रसिया
पल्लविकः —पुं॰—-—पल्लवः शृंगारो रसः अस्ति अस्य- पल्लव + ठन्—लौंडा, बांका, छैल
पल्लवित —वि॰—-—पल्लव + इतच्—अंकुरित होने वाला, नई २ कोंपलों से युक्त
पल्लवित —वि॰—-—पल्लव + इतच्—फैला हुआ, विस्तृत
पल्लवित —वि॰—-—पल्लव + इतच्—लाख से लाल रंग हुआ
पल्लवितः —पुं॰—-—पल्लव + इतच्—लाखका रंग
पल्लविन् —वि॰—-—पल्लव + इनि—नई २ कोंपलों से युक्त, नये किसलयों वाला
पल्लि —स्त्री॰—-—पल्ल् + इन्—छोटा गाँव
पल्लि —स्त्री॰—-—पल्ल् + इन्—झोंपड़ी
पल्लि —स्त्री॰—-—पल्ल् + इन्—घर, पड़ाव
पल्लि —स्त्री॰—-—पल्ल् + इन्—नगर या क़स्वा
पल्लि —स्त्री॰—-—पल्ल् + इन्—छिपकली
पल्ली —स्त्री॰—-—पल्लि + ङीष्—छोटा गाँव
पल्ली —स्त्री॰—-—पल्लि + ङीष्—झोंपड़ी
पल्ली —स्त्री॰—-—पल्लि + ङीष्—घर, पड़ाव
पल्ली —स्त्री॰—-—पल्लि + ङीष्—नगर या क़स्वा
पल्ली —स्त्री॰—-—पल्लि + ङीष्—छिपकली
पल्लिका —स्त्री॰—-—पल्लि + कन् + टाप्—छोटा गाँव, पड़ाव
पल्लिका —स्त्री॰—-—पल्लि + कन् + टाप्—छिपकली
पल्वलम् —नपुं॰—-—पल् + ववच्—छोटा तालाब, छप्पड़, जोहड़, तडाग
पल्वलावासः —पुं॰—पल्वलम्-आवासः—-—कछुवा
पल्वलपङ्कः —पुं॰—पल्वलम्-पङ्कः—-—छप्पड़ का गारा, कीचड़
पवः —पुं॰—-—पू + अप्—पवित्रीकरण
पवः —पुं॰—-—पू + अप्—अनाज फटकना
पवम् —नपुं॰—-—पू + अप्—गोबर
पवनः —पुं॰—-—पू + ल्युट्—हवा, वायु
पवनम् —नपुं॰—-—-—पवित्रीकरण
पवनम् —नपुं॰—-—-—चलनी, झरना
पवनम् —नपुं॰—-—-—कुम्हार का आवा
पवनम् —पुं॰—-—-—कुम्हार का आवा
पवनाशनः —पुं॰—पवनः-अशनः—-—साँप
पवनभुज् —पुं॰—पवनः-भुज्—-—साँप
पवनात्मजः —पुं॰—पवनः-आत्मजः—-—हनुमान का विशेषण
पवनात्मजः —पुं॰—पवनः-आत्मजः—-—भीम का विशेषण
पवनात्मजः —पुं॰—पवनः-आत्मजः—-—आग
पवनाशः —पुं॰—पवनः-आशः—-—साँप, सर्प
पवनाशः —पुं॰—पवनः-नाशः—-—गरुड़ का विशेषण
पवनाशः —पुं॰—पवनः-नाशः—-—मोर
पवनतनयः —पुं॰—पवनः-तनयः—-—हनुमान का विशेषण
पवनसुतः —पुं॰—पवनः-सुतः—-—भीम का विशेषण
पवनव्याधिः —पुं॰—पवनः-व्याधिः—-—कृष्ण के सलाहकार और मित्र उद्धव का विशेषण
पवनव्याधिः —पुं॰—पवनः-व्याधिः—-—गठिया
पवमानः —पुं॰—-—पू + शानच्, मुक्—हवा, वायु
पवमानः —पुं॰—-—पू + शानच्, मुक्—एक प्रकार की यज्ञाग्नि जिसे गार्हपत्य कहते हैं
पवाका —स्त्री॰—-—पू + आप्, नि॰ साधुः—बवंडर, आँधी, झंझावात
पविः —पुं॰—-—पू + इ—इन्द्र का वज्र
पवित —वि॰—-—पू + क्त—पवित्र किया हुआ, छाना हुआ
पवितम् —नपुं॰—-—पू + क्त—काली मिर्च
पवित्र —वि॰—-—पू + इत्र—पुनीत, पावन, निष्पाप, पवित्रीकृत (व्यक्ति या वस्तुएँ)
पवित्र —वि॰—-—पू + इत्र—शुद्ध, छना हुआ
पवित्र —वि॰—-—पू + इत्र—यज्ञादि के अनुष्ठानों द्वारा पवित्र किया गया
पवित्र —वि॰—-—पू + इत्र—पवित्र करना, पाप धोना
पवित्रम् —नपुं॰—-—पू + इत्र—छानने या शुद्ध करने का उपकरण, चलनी झरना
पवित्रम् —नपुं॰—-—पू + इत्र—कुश की दो पत्तियाँ जो यज्ञ में घी को पवित्र करने तथा छींटे देने के काम आती हैं
पवित्रम् —नपुं॰—-—पू + इत्र—कुशा की बनी अंगूठी जो कई धार्मिक अवसरों पर चौथी अँगुली में पहनी जाती है
पवित्रम् —नपुं॰—-—पू + इत्र—जनेऊ जो हिन्दुजाति के प्रथम तीन वर्ण पहनते हैं
पवित्रम् —नपुं॰—-—पू + इत्र—ताँबा
पवित्रम् —नपुं॰—-—पू + इत्र—वृष्टि
पवित्रम् —नपुं॰—-—पू + इत्र—जल
पवित्रम् —नपुं॰—-—पू + इत्र—रगड़ना, मांजना
पवित्रम् —नपुं॰—-—पू + इत्र—अर्घ्य देने का पात्र
पवित्रम् —नपुं॰—-—पू + इत्र—घी
पवित्रम् —नपुं॰—-—पू + इत्र—शहद, मधु
पवित्रारोपणम् —नपुं॰—पवित्र-आरोपणम्—पू + इत्र—यज्ञोपवीत धारण करने का संस्कार, उपनयन संस्कार
पवित्रारोहणम् —नपुं॰—पवित्र-आरोहणम्—पू + इत्र—यज्ञोपवीत धारण करने का संस्कार, उपनयन संस्कार
पवित्रपाणि —वि॰—पवित्र-पाणि—-—दर्भघास को हाथ से थामने वाला
पवित्रधान्यम् —नपुं॰—पवित्र-धान्यम्—-—जौ
पवित्रकम् —नपुं॰—-—पवित्र + कै + क—सन या सुतली का बना जाल या रस्सा
पशव्य —वि॰—-—पशु + यत्—मवेशियों (गाय भैंसो आदि) के लिए उचित या उपयुक्त
पशव्य —वि॰—-—पशु + यत्—पशुओं से या रेवड़ या लहड़े से संबंध रखने वाला
पशव्य —वि॰—-—पशु + यत्—पशुओं का स्वामी
पशव्य —वि॰—-—पशु + यत्—पशुतापूर्ण
पशुः —पुं॰—-—सर्वमविशेषेण पश्यति- दृश् + कु, पशादेशः—मवेशी, (एक या समष्टि)
पशुः —पुं॰—-—सर्वमविशेषेण पश्यति- दृश् + कु, पशादेशः—जानवर
पशुः —पुं॰—-—सर्वमविशेषेण पश्यति- दृश् + कु, पशादेशः—बलिपशु जैसे कि बकरा
पशुः —पुं॰—-—सर्वमविशेषेण पश्यति- दृश् + कु, पशादेशः—नृशंस, जंगली, तिरस्कार प्रकटा करने के लिए नर वाचक शब्दों के साथ जोड़ा जाता है
पशुः —पुं॰—-—सर्वमविशेषेण पश्यति- दृश् + कु, पशादेशः—एक उपदेवता, शिव का एक अनुचर
पशोवदानम् —नपुं॰—पशुः-अवदानम्—-—पशुबलि
पशुक्रिया —स्त्री॰—पशुः-क्रिया—-—बलियज्ञ को प्रक्रिया
पशुक्रिया —स्त्री॰—पशुः-क्रिया—-—स्त्रीप्रसंग
पशुगायत्री —स्त्री॰—पशुः-गायत्री—-—वह मन्त्र जो कि बलि के पशु के कान में बोला जाता है, यह प्रसिद्ध गायत्रीमंत्र हास्यमय अनुकृति है
पशुघातः —पुं॰—पशुः-घातः—-—यज्ञ के लिए पशुओं का वध
पशुचर्या —स्त्री॰—पशुः-चर्या—-—सहवास, स्त्री प्रसंग
पशुधर्मः —पुं॰—पशुः-धर्मः—-—पशुओं की प्रकृति या लक्षण
पशुधर्मः —पुं॰—पशुः-धर्मः—-—पशुओं की चिकित्सा
पशुधर्मः —पुं॰—पशुः-धर्मः—-—स्वच्छन्द मैथुन
पशुधर्मः —पुं॰—पशुः-धर्मः—-—विधवाविवाह
पशुनाथः —पुं॰—पशुः-नाथः—-—शिव का विशेषण
पशुनाथः —पुं॰—पशुः-नाथः—-—शिव का विशेषण
पशुपः —पुं॰—पशुः-पः—-—ग्वाला
पशुपतिः —पुं॰—पशुः-पतिः—-—शिव का विशेषण
पशुपतिः —पुं॰—पशुः-पतिः—-—ग्वाला, पशुओं का स्वामी
पशुपतिः —पुं॰—पशुः-पतिः—-—‘पाशुपत’ नामक दार्शनिक सिद्धान्त का प्रतिपादन करने वाला दर्शन शास्त्र
पशुपालः —पुं॰—पशुः-पालः—-—ग्वाला, पशुओं का पालन करने वाला
पशुपालकः —पुं॰—पशुः-पालकः—-—ग्वाला, पशुओं का पालन करने वाला
पशुपालनम् —नपुं॰—पशुः-पालनम्—-—पशुओं को पालना, रखना
पशुरक्षणम् —नपुं॰—पशुः-रक्षणम्—-—पशुओं को पालना, रखना
पशुपाशकः —पुं॰—पशुः-पाशकः—-—एक प्रकार का रतिबन्ध या मैथुन प्रकार
पशुप्रेरणम् —नपुं॰—पशुः-प्रेरणम्—-—पशुओं को हांकना
पशुमारम् —अव्य॰—पशुः-मारम्—-—पशुबध की रीति के अनुसार
पशुयज्ञः —पुं॰—पशुः-यज्ञः—-—पशु यज्ञ
पशुयागः —पुं॰—पशुः-यागः—-—पशु यज्ञ
पशुद्रव्यम् —नपुं॰—पशुः-द्रव्यम्—-—पशु यज्ञ
पशुरञ्जुः —स्त्री॰—पशुः-रञ्जुः—-—पशुओं को सँभालने के लिए रस्सी
पशुराजः —पुं॰—पशुः-राजः—-—सिंह, केसरी
पश्चात् —अव्य॰—-—अपर + अति, पश्चभावः—पीछे से, पिछली ओर से
पश्चात् —अव्य॰—-—अपर + अति, पश्चभावः—पीछे, पीछे की ओर, पीछे की तरफ
पश्चात् —अव्य॰—-—अपर + अति, पश्चभावः—(समय और स्थान की दृष्टि से) बाद में , तब, इसके बाद, उसके अन्तर
पश्चात् —अव्य॰—-—अपर + अति, पश्चभावः—आखिरकार, अन्त में अन्ततोगत्वा
पश्चात् —अव्य॰—-—अपर + अति, पश्चभावः—पश्चिम से
पश्चात् —अव्य॰—-—अपर + अति, पश्चभावः—पश्चिम की ओर, पश्चिम दिशा की तरफ
पश्चात्कृत —वि॰—पश्चात्-कृत—-—पीछे छोड़ा हुआ, आगे बढ़ा हुआ, पृष्ठभूमि में फेंका हुआ
पश्चात्तापः —पुं॰—पश्चात्-तापः—-—पछताना, ग्लानि, पछतावा
पश्चात्पंकृ ——पश्चात्-पं कृ—-—पछताना
पश्चार्धः —पुं॰—-—अपरश्चासौ अर्धः, कु॰ स॰, अपरस्य पश्चभावः—(शरीर का) पिछला भाग, या पार्श्व
पश्चार्धः —पुं॰—-—अपरश्चासौ अर्धः, कु॰ स॰, अपरस्य पश्चभावः—(समय और देश की दृष्टि से) अन्तिम
पश्चार्धः —पुं॰—-—अपरश्चासौ अर्धः, कु॰ स॰, अपरस्य पश्चभावः—पश्चिमी, पश्चिमी ढंग का
पश्चार्धार्धः —पुं॰—पश्चार्धः-अर्धः—-—उत्तरार्ध
पश्चार्धार्धः —पुं॰—पश्चार्धः-अर्धः—-—रात का पिछला पहर
पश्चार्धार्धः —पुं॰—पश्चार्धः-अर्धः—-—रात्रि का पिछला भाग
पश्चिमा —स्त्री॰—-—पश्चिम + टाप्—पश्चिम दिशा
पश्चिमोत्तरा —स्त्री॰—पश्चिमा-उत्तरा—-—उत्तरपश्चिम
पश्यत् —वि॰—-—दृश् + शतृ, पश्यादेशः—देखने वाला, प्रत्यक्ष ज्ञान करने वाला, अवलोकन करने वाला, दृष्टिपात करने वाला, निरीक्षण करने वाला आदि
पश्यतोहरः —पुं॰—-—पश्यन्तं जनम् अनादृत्य हरति-हृ + अच्, ष॰ त॰ अलुक् समासः—चोर, लुटेरा, डाकू
पश्यन्ती —स्त्री॰—-—दृश् + शतृ, पश्यादेशः, नुम्—वेश्या, रंडी
पश्यन्ती —स्त्री॰—-—दृश् + शतृ, पश्यादेशः, नुम्—विशेष-प्रकार की ध्वनि
पस्त्यम् —नपुं॰—-—अपस्त्यायन्ति संगीभूय तिष्ठति यत्र-अप + स्त्यै + क नि॰ अकारलोपः—घर, निवास, आवास
पस्पशः —पुं॰—-—-—पतंजलिप्रणीत महाभाष्य के प्रथम अध्याय का प्रथम आह्णिक
पस्पशः —पुं॰—-—-—प्रस्तावना, उपाद्धोत
पह्णवाः —पुं॰—-—-—एक जाति का नाम, संभवतः पर्शिया देशवासी
पह्नवाः —पुं॰—-—-—एक जाति का नाम, संभवतः पर्शिया देशवासी
पह्निकः —पुं॰—-—-—एक जाति का नाम, संभवतः पर्शिया देशवासी
पा —भ्वा॰ पर॰ <पिवति>, <पति>, कर्मवा॰ <पीयते>—-—-—पीना, एक सांस में चढ़ा जाना
पा —भ्वा॰ पर॰ <पिवति>, <पति>, कर्मवा॰ <पीयते>—-—-—चूमना
पा —भ्वा॰ पर॰ <पिवति>, <पति>, कर्मवा॰ <पीयते>—-—-—चिंतन करना (आंख और कान से पीना), उत्सव मनाना, ध्यान पूर्वक सुनना
पा —भ्वा॰ पर॰ <पिवति>, <पति>, कर्मवा॰ <पीयते>—-—-—अवशोषण करना, पी जाना
पा —पुं॰—-—-—पिलाना, पीने के लिए देना
पा —इच्छा॰ <पिपासति>—-—-—पीने की इच्छा
अनुपा —भ्वा॰ पर॰ —अनु-पा—-—बाद में पीना, अनुसरण करना
आपा —भ्वा॰ पर॰ —आ-पा—-—पीना
आपा —भ्वा॰ पर॰ —आ-पा—-—पी जाना, अवशोषण करना, चूस लेना
आपा —भ्वा॰ पर॰ —आ-पा—-—(आँख, कान से) पीने का उत्सव मनाना
निपा —भ्वा॰ पर॰ —नि-पा—-—पीना, चूमना
निपा —भ्वा॰ पर॰ —नि-पा—-—(आँख, कान से) पीना, सौन्दर्यावलोकन करना
परिपा —भ्वा॰ पर॰ —परि-पा—-—आत्मसात् करना
परिपा —अदा॰ पर॰ <पाति>, <पात>—परि-पा—-—रक्षा करना, देखभाल करना, चौकसी रखना, बचाना, संधारण करना
परिपा —अदा॰ पर॰ <पाति>, <पात>—परि-पा—-—हुकूमत करना, शासन करना
परिपा —पुं॰—परि-पा—-—रक्षा करना, देखभाल करना, चौकसी रखना, बचाना, संधारण करना
परिपा —पुं॰—परि-पा—-—हुकूमत करना, शासन करना
परिपा —पुं॰—परि-पा—-—पालन करना, स्थिर रखना, अनुपालन करना, पूरा करना (प्रतिज्ञा, व्रत आदि)
परिपा —पुं॰—परि-पा—-—पालन पोषण करना, संवर्धन करना, स्थापित रखना
परिपा —पुं॰—परि-पा—-—प्रतीक्षा करना
अनुपा —पुं॰—अनु-पा—-—बचाना, संधारण करना, देखभाल करना, रक्षा करना
अनुपा —पुं॰—अनु-पा—-—पालन पोषण करना, संवर्धन करना, सहारा देना
अनुपा —पुं॰—अनु-पा—-—स्थिर रखना, पालन करना, जमे रहना, धैर्य रखना
अनुपा —पुं॰—अनु-पा—-—प्रतीक्षा करना, इंतजार करना
प्रतिपा —पुं॰—प्रति-पा—-—बचाना, संधारण करना
प्रतिपा —पुं॰—प्रति-पा—-—प्रतीक्षा करना, इंतजार करना
प्रतिपा —पुं॰—प्रति-पा—-—अमल करना, आज्ञा मानना
पा —वि॰—-—पा + विच्—पीने वाला, चढ़ा जाने वाला
पा —वि॰—-—पा + विच्—बचाने वाला, देखभाल करने वाला, स्थिर रखने वाला
पांसन —वि॰—-—पंस् + ल्युट्, पृषो॰ दीर्घ॰—कलंकित करने वाला, अपमानित करने वाला, दूषित करने वाला
पांसन —वि॰—-—पंस् + ल्युट्, पृषो॰ दीर्घ॰—विषाक्त करने वाला, भ्रष्ट करने वाला
पांसन —वि॰—-—पंस् + ल्युट्, पृषो॰ दीर्घ॰—दुष्ट, तिरस्करणीय
पांसन —वि॰—-—पंस् + ल्युट्, पृषो॰ दीर्घ॰—बदनाम
पांशन —वि॰—-—पंश् + ल्युट्, पृषो॰ दीर्घ॰—कलंकित करने वाला, अपमानित करने वाला, दूषित करने वाला
पांशन —वि॰—-—पंश् + ल्युट्, पृषो॰ दीर्घ॰—विषाक्त करने वाला, भ्रष्ट करने वाला
पांशन —वि॰—-—पंश् + ल्युट्, पृषो॰ दीर्घ॰—दुष्ट, तिरस्करणीय
पांशन —वि॰—-—पंश् + ल्युट्, पृषो॰ दीर्घ॰—बदनाम
पांसव —वि॰—-—पांसु + अण्—धूल से भरा हुआ
पांशव —वि॰—-—पांशु + अण्—धूल से भरा हुआ
पांसुः —पुं॰—-—पंस् + कु, दीर्घः—धूल, गर्द, चूरा (जीर्ण होकर गिरने वाला)
पांसुः —पुं॰—-—पंस् + कु, दीर्घः—धूलकण
पांसुः —पुं॰—-—पंस् + कु, दीर्घः—गोबर, खाद
पांसुः —पुं॰—-—पंस् + कु, दीर्घः—एक प्रकार का कूपर
पांशुः —पुं॰—-—पंश् + कु, दीर्घः—धूल, गर्द, चूरा (जीर्ण होकर गिरने वाला)
पांशुः —पुं॰—-—पंश् + कु, दीर्घः—धूलकण
पांशुः —पुं॰—-—पंश् + कु, दीर्घः—गोबर, खाद
पांशुः —पुं॰—-—पंश् + कु, दीर्घः—एक प्रकार का कूपर
पांसुकासीसम् —नपुं॰—पांसुः-कासीसम्—-—कसीस
पांसुकुली —पुं॰—पांसुः-कुली—-—प्रशस्त पथ, राजमार्ग
पांसुकूलम् —नपुं॰—पांसुः-कूलम्—-—धूल का ढेर
पांसुकूलम् —नपुं॰—पांसुः-कूलम्—-—ऐसा कानूनी दस्तावेज जो किसी व्यक्ति विशेष के नाम न हो ,निरुपपदशासन
पांसुकृत —वि॰—पांसुः-कृत—-—धूल से भरा हुआ
पांसुक्षारम् —नपुं॰—पांसुः-क्षारम्—-—एक प्रकार का नमक
पांसुक्षारजम् —नपुं॰—पांसुः-क्षारजम्—-—एक प्रकार का नमक
पांसुचत्वरम् —नपुं॰—पांसुः-चत्वरम्—-—ओला
पांसुचंदनः —पुं॰—पांसुः-चंदनः—-—शिव का विशेषण
पांसुचामरः —पुं॰—पांसुः-चामरः—-—धूल का ढेर
पांसुचामरः —पुं॰—पांसुः-चामरः—-—तंबू
पांसुचामरः —पुं॰—पांसुः-चामरः—-—दूम से ढका नदीतट
पांसुचामरः —पुं॰—पांसुः-चामरः—-—प्रशंसा
पांसुजालिकः —पुं॰—पांसुः-जालिकः—-—विष्णु का विशेषण
पांसुपटलम् —नपुं॰—पांसुः-पटलम्—-—धूल की परत या तह
पांसुमर्दनः —पुं॰—पांसुः-मर्दनः—-—पेड़ की जड़ों के पास चारो ओर से खोद कर पानी सींचने का स्थान, आलवाल, थांवला
पांसुरः —पुं॰—-—पांसु + रा + क—डांस, गोमक्खी
पांसुरः —पुं॰—-—पांसु + रा + क—विकलांग, लुंजा जो गाड़ी में बैठकर इधर उधर घूमे
पांशुरः —पुं॰—-—पांशु + रा + क—डांस, गोमक्खी
पांशुरः —पुं॰—-—पांशु + रा + क—विकलांग, लुंजा जो गाड़ी में बैठकर इधर उधर घूमे
पांसुलः —वि॰—-—पांसु + लच्—धूल से भरा हुआ, धूलिधूसरित
पांसुलः —वि॰—-—पांसु + लच्—अपवित्र, दूषित, कलुषित, कलंकित
पांसुलः —वि॰—-—पांसु + लच्—दूषित करने वाला, कलंकित करने वाला, अपमानित करने वाला
पांशुलः —वि॰—-—पांशु + लच्—धूल से भरा हुआ, धूलिधूसरित
पांशुलः —वि॰—-—पांशु + लच्—अपवित्र, दूषित, कलुषित, कलंकित
पांशुलः —वि॰—-—पांशु + लच्—दूषित करने वाला, कलंकित करने वाला, अपमानित करने वाला
पांसुलः —पुं॰—-—-—दुश्चरित्र, स्वेच्छाचारी, लम्पट
पांसुलः —पुं॰—-—-—शिव का विशेषण
पांसुला —स्त्री॰—-—-—रजस्वला स्त्री
पांसुला —स्त्री॰—-—-—असती या व्यभिचारिणी स्त्री
अपांसुला —स्त्री॰—अ-पांसुला—-—सती स्त्री
पांसुला —स्त्री॰—-—-—पृथ्वी
पाकः —पुं॰—-—पच् + घञ्—पकाना, प्रसाधन, सेकना, उबालना
पाकः —पुं॰—-—पच् + घञ्—(ईंट आदि) आँच लगाना, सेकना
पाकः —पुं॰—-—पच् + घञ्—(भोजन का) पचना
पाकः —पुं॰—-—पच् + घञ्—पका होना
पाकः —पुं॰—-—पच् + घञ्—परिपक्वता, पूर्ण विकास
पाकः —पुं॰—-—पच् + घञ्—सम्पूर्ति, निष्पन्नता, पूरा करना
पाकः —पुं॰—-—पच् + घञ्—नतीजा परिणाम, फल, परिफलन
पाकः —पुं॰—-—पच् + घञ्—अनाज, अन्न
पाकः —पुं॰—-—पच् + घञ्—पकने की क्रिया, (फोड़े आदि का) पकना, पीप पड़ना
पाकः —पुं॰—-—पच् + घञ्—बुढ़ापे के कारण बालों का सफेद हो जाना
पाकः —पुं॰—-—पच् + घञ्—गार्हपत्याग्नि
पाकः —पुं॰—-—पच् + घञ्—उल्लू
पाकः —पुं॰—-—पच् + घञ्—बच्चा, शिशु
पाकः —पुं॰—-—पच् + घञ्—एक राक्षस जिसे इन्द्र ने मारा था
पाकागारः —पुं॰—पाकः-अगारः—-—रसोई
पाकागारम् —नपुं॰—पाकः-अगारम्—-—रसोई
पाकागारः —पुं॰—पाकः-आगारः—-—रसोई
पाकागारम् —नपुं॰—पाकः-आगारम्—-—रसोई
पाकशाला —स्त्री॰—पाकः-शाला—-—रसोई
पाकस्थानम् —नपुं॰—पाकः-स्थानम्—-—रसोई
पाकातीसारः —पुं॰—पाकः-अतीसारः—-—पुरानी पेंचिश
पाकाभिमुख —वि॰—पाकः-अभिमुख—-—पकाने के लिए तैयार, बिकासोन्मुख
पाकाभिमुख —वि॰—पाकः-अभिमुख—-—कृपापरायण
पाकजम् —नपुं॰—पाकः-जम्—-—काला नमक
पाकजम् —नपुं॰—पाकः-जम्—-—उदरवायु
पाकापात्रम् —नपुं॰—पाकः-पात्रम्—-—पकाने का बर्तन
पाकपुटी —स्त्री॰—पाकः-पुटी—-—कुम्हार का आवा
पाकयज्ञः —पुं॰—पाकः-यज्ञः—-—गृह्ययज्ञ
पाकशुक्ला —स्त्री॰—पाकः-शुक्ला—-—खड़िया
पाकशासनः —पुं॰—पाकः-शासनः—-—इन्द्र का विशेषण
पाकशासनिः —पुं॰—पाकः-शासनिः—-—इन्द्र का पुत्र जयन्त का विशेषण
पाकशासनिः —पुं॰—पाकः-शासनिः—-—वालि का विशेषण
पाकशासनिः —पुं॰—पाकः-शासनिः—-—अर्जुन का विशेषण
पाकलः —पुं॰—-—पाक + ला + क—आग
पाकलः —पुं॰—-—पाक + ला + क—हवा
पाकलः —पुं॰—-—पाक + ला + क—हाथी का ज्चर
पाकिम —वि॰—-—पाकेन निर्वृत्तम्- पाक + इमप्—पका हुआ, प्रसाधित
पाकिम —वि॰—-—पाकेन निर्वृत्तम्- पाक + इमप्—(प्राकृतिक या कृत्रिम रूप से) पका हुआ
पाकिम —वि॰—-—पाकेन निर्वृत्तम्- पाक + इमप्—(नमक आदि) उबाल कर प्राप्त किया हुआ
पाकुः —पुं॰—-—पच् + उण्—रसोइया
पाकुकः —पुं॰—-—पच् + उण्, क आदेशः—रसोइया
पाक्य —वि॰—-—पच् + ण्यत्, क आदेशः—पकाने के योग्य प्रसाधित होने के लायक, परिपक्व होने के योग्य
पाक्यः —पुं॰—-—पच् + ण्यत्, क आदेशः—जवाखार शोरा
पाक्ष —वि॰—-—पक्ष + अण्—(कृष्ण या शुक्ल) पक्ष से संबंध रखने वाला, पाक्षिक
पाक्ष —वि॰—-—पक्ष + अण्—किसी दल या पाटी से संबद्ध
पाक्षिक —वि॰—-—पक्ष + ठक्—पक्ष से संबद्ध, अर्धमासिक
पाक्षिक —वि॰—-—पक्ष + ठक्—पक्षी से संबद्ध
पाक्षिक —वि॰—-—पक्ष + ठक्—किसी दल या पार्टी का पक्ष लेने वाला
पाक्षिक —वि॰—-—पक्ष + ठक्—तर्क विषयक
पाक्षिक —वि॰—-—पक्ष + ठक्—ऐच्छिक, वैकल्पिक, अनुमत परन्तु विशेष रूप से निर्धारित न हो
पाक्षिकः —पुं॰—-—पक्ष + ठक्—बहेलिया, चिड़ीमार
पाखण्डः —पुं॰—-—पातीति- पा + क्विप्, पाः त्रयीधर्मः, तं खण्डयति- पा + खण्ड् + अच्—विधर्मी, नास्तिक
पागल —वि॰—-—पारक्षणम्, तस्मात् गलति विच्युतो भवति- पा + गल् + अच्—विक्षिप्त, जिसका दिमाग खराब हो
पाङ्क्तेय —वि॰—-—पंक्ति + ढक्—भोजन पंक्ति में एक साथ बैठने के योग्य
पाङ्क्तेय —वि॰—-—पंक्ति + ढक्—साहचर्य के उपयुक्त
पाङ्क्त्य —वि॰—-—पंक्ति + यत्—भोजन पंक्ति में एक साथ बैठने के योग्य
पाङ्क्त्य —वि॰—-—पंक्ति + यत्—साहचर्य के उपयुक्त
पाचक —वि॰—-—पच् + ण्वुल्—पकाना, सेकना
पाचक —वि॰—-—पच् + ण्वुल्—पचाने वाला, पौष्टिक
पाचकः —पुं॰—-—पच् + ण्वुल्—रसोइया
पाचकः —पुं॰—-—पच् + ण्वुल्—आग
पाचकस्त्री —स्त्री॰—पाचक-स्त्री—-—महाराजिन, रसोई बनाने वाली स्त्री
पाचन —वि॰—-—पच् + णिच् + ल्युट्—पकाने वाला
पाचन —वि॰—-—पच् + णिच् + ल्युट्—पकने वाला
पाचन —वि॰—-—पच् + णिच् + ल्युट्—पचाने वाला, हाजिम
पाचनः —पुं॰—-—पच् + णिच् + ल्युट्—आग
पाचनः —पुं॰—-—पच् + णिच् + ल्युट्—खटास, अम्लता
पाचनम् —नपुं॰—-—पच् + णिच् + ल्युट्—पकाने की क्रिया
पाचनम् —नपुं॰—-—पच् + णिच् + ल्युट्—पकने की क्रिया
पाचनम् —नपुं॰—-—पच् + णिच् + ल्युट्—घुलनशील, भोजन पचाने वाली औषधि
पाचनम् —नपुं॰—-—पच् + णिच् + ल्युट्—घाव भरना
पाचनम् —नपुं॰—-—पच् + णिच् + ल्युट्—तपस्या, प्रायश्चित्त
पाचल —पुं॰—-—पच् + णिच् + कलन्—रसोइया
पाचल —पुं॰—-—पच् + णिच् + कलन्—आग
पाचल —पुं॰—-—पच् + णिच् + कलन्—हवा
पाचलम् —नपुं॰—-—पच् + णिच् + कलन्—पकाना, परिपक्व करना
पाचा —स्त्री॰—-—पच् + णिच् + अङ + टाप्—पकाना
पाञ्चकपाल —वि॰—-—पञ्चकपाल + अण्—पाँच कपालों में भर कर दी गई आहुति से संबंध रखने वाला
पाञ्चजन्यः —पुं॰—-—पञ्चजन + ञ्य—कृष्ण के शंख का नाम
पाञ्चजन्यधरः —पुं॰—पाञ्चजन्यः-धरः—-—कृष्ण का विशेषण
पाञ्चदश —वि॰—-—पञ्चदशी + अण्—मास की पन्द्रहवीं तिथि से संबंध रखने वाला
पाञ्चदश्यम् —नपुं॰—-—पञ्चदशन् + ष्यञ्—पन्द्रह का समुच्चय
पाञ्चनद —वि॰—-—पञ्चनद + अण्—पंचनद या पंजाब में प्रचलित
पाञ्चभौतिक —वि॰—-—पञ्चभूत + ठक्, द्विपदवृद्धि—पाँच तत्त्वों के समूह से बना हुआ, या पाँच तत्वों वाला
पाञ्चवर्षिक —वि॰—-—पञ्चवर्ष + ठञ्—पाँच वर्ष का
पाञ्चशाब्दिकम् —नपुं॰—-—पञ्चशब्द + ठक्—पाँच प्रकार का संगीत
पाञ्चशाब्दिकम् —नपुं॰—-—पञ्चशब्द + ठक्—गायन संबंधी वाद्ययंत्र
पाञ्चाल —वि॰—-—पञ्चाल + अण्—पंचाल से संबंद्ध या पंचालों के शासक
पाञ्चालः —पुं॰—-—पञ्चाल + अण्—पंचालों का देश
पाञ्चालः —पुं॰—-—पञ्चाल + अण्—पंचालों का राजकुमार
पाञ्चालाः —पुं॰—-—पञ्चाल + अण्—पंचाल देश के लोग
पाञ्चालिका —स्त्री॰—-—पाञ्चाली + कप् + टाप्, हस्वः—गुड़िया
पाञ्चाली —स्त्री॰—-—पाञ्चाल + अण् + ङीप्—पंचाल देश की राज कुमारी या स्त्री
पाञ्चाली —स्त्री॰—-—पाञ्चाल + अण् + ङीप्—पांडवों की पत्नी, द्रौपदी
पाञ्चाली —स्त्री॰—-—पाञ्चाल + अण् + ङीप्—गुड़िया, पुतली
पाञ्चाली —स्त्री॰—-—पाञ्चाल + अण् + ङीप्—रचना की चार शैलियों में से एक
पाट् —अव्य॰—-—पट् + णिच् + क्विप्—एक अव्यय जो बुलाने के लिए
पाटकः —पुं॰—-—पट् + णिच् + ण्वुल्—विदारक, विभाजक
पाटकः —पुं॰—-—पट् + णिच् + ण्वुल्—गाँव का एक भाग
पाटकः —पुं॰—-—पट् + णिच् + ण्वुल्—गाँव का आधा हिस्सा
पाटकः —पुं॰—-—पट् + णिच् + ण्वुल्—एक प्रकार का संगीत-उपकरण
पाटकः —पुं॰—-—पट् + णिच् + ण्वुल्—तट, किनारा
पाटकः —पुं॰—-—पट् + णिच् + ण्वुल्—घाट की चौड़ियाँ
पाटकः —पुं॰—-—पट् + णिच् + ण्वुल्—मूलधन या पूंजी की हानि
पाटकः —पुं॰—-—पट् + णिच् + ण्वुल्—वित्ता या बालिस्त
पाटकः —पुं॰—-—पट् + णिच् + ण्वुल्—पासे फेंकना
पाटच्चरः —पुं॰—-—पाटयन् छिन्दन् चरति चर + अच्, पृषो॰—चोर, लुटेरा, पाड़ लगाने वाला,
पाटनम् —नपुं॰—-—पट् + णिच् + ल्युट्—विदीर्ण करना, तोड़ना, फाड़ना, नष्ट करना
पाटल —वि॰—-—पट् + णिच् + कलच्—पीतरक्त वर्ण, गुलाबी रंग
पाटलः —पुं॰—-—-—पीतरक्त प्याजी या गुलाबी रंग
पाटलः —पुं॰—-—-—पादर का फूल
पाटलम् —नपुं॰—-—-—पाटल वृक्ष का फूल
पाटलम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का चावल जो बरसात में तैयार होता है
पाटलम् —नपुं॰—-—-—केसर, जाफरान
पाटलोपलः —पुं॰—पाटल-उपलः—-—लाल
पाटलद्रुमः —पुं॰—पाटल-द्रुमः—-—पादर वृक्ष
पाटला —स्त्री॰—-—पाटल + अच् + टाप्—लाल लोध्र
पाटला —स्त्री॰—-—पाटल + अच् + टाप्—पादर का वृक्ष तथा उसका फूल
पाटला —स्त्री॰—-—पाटल + अच् + टाप्—दूर्गा का विशेषण
पाटलिः —स्त्री॰—-—पाटल + इनि—पादर का फूल
पाटलिपुत्रम् —नपुं॰—पाटलिः-पुत्रम्—-—एक प्राचीन नगर, मगध की राजधानी
पाटलिकः —पुं॰—-—पाटलि + कन्—छात्र, विद्यार्थी
पाटलिमन् —पुं॰—-—पाटल + इमनिच्—पीतरक्त वर्ण
पाटल्या —स्त्री॰—-—पाटल + यत् + टाप्—पाटल के फूलों का गुच्छा
पाटवम् —नपुं॰—-—पटु + अण्—तीक्ष्णता, पैनापन
पाटवम् —नपुं॰—-—पटु + अण्—चतुराई, कौशल, दक्षता, प्रवीणता
पाटवम् —नपुं॰—-—पटु + अण्—ऊर्जा
पाटवम् —नपुं॰—-—पटु + अण्—फुर्ती, उतावलापना
पाटविक —वि॰—-—पाटव + ठन्—चतुर, तीक्ष्ण, कुशल
पाटविक —वि॰—-—पाटव + ठन्—धूर्त, चालबाज, मक्कार
पाटित —भू॰ क॰ कृ॰—-—पट् + णिच् + क्त—फाड़ा हुआ, चीरा हुआ, टुकड़े २ किया हुआ, तोड़ा हुआ
पाटित —भू॰ क॰ कृ॰—-—पट् + णिच् + क्त—विद्ध, छिद्रित
पाटी —स्त्री॰—-—पट् + णिच् + इन् + ङीष्—अंकगणित
पाटीगणितम् —नपुं॰—पाटी-गणितम्—-—अंकगणित
पाटीर —पुं॰—-—पाटीर + अण्—चन्दन
पाटीर —पुं॰—-—पाटीर + अण्—खेत
पाटीर —पुं॰—-—पाटीर + अण्—राँगा
पाटीर —पुं॰—-—पाटीर + अण्—बादल
पाटीर —पुं॰—-—पाटीर + अण्—चलनी
पाठः —पुं॰—-—पठ् + घञ्—प्रपठन, सस्वर पाठ, आवृति करना
पाठः —पुं॰—-—पठ् + घञ्—पढ़ना, वाचन, अध्ययन
पाठः —पुं॰—-—पठ् + घञ्—वेदाध्ययन, वेदपाठ, ब्रह्मयज्ञ, ब्राह्मणों के द्वारा पाँच दैनिक यज्ञों में से एक
पाठः —पुं॰—-—पठ् + घञ्—पुस्तक का मूलपाठ, स्वाध्याय, पाठभेद
पाठान्तरम् —नपुं॰—पाठः-अन्तरम्—-—दूसरा पाठ, पाठभेद
पाठछेदः —पुं॰—पाठः-छेदः—-—विराम, यति
पाठदोषः —पुं॰—पाठः-दोषः—-—दूषित पाठ, पाठ की अशुद्धियाँ
पाठनिश्चयः —पुं॰—पाठः-निश्चयः—-—किसी संदर्भ का पाठ निर्धारित करना
पाठमञ्जरी —स्त्री॰—पाठः-मञ्जरी—-—मैना, सारिका
पाठशालिनी —स्त्री॰—पाठः-शालिनी—-—मैना, सारिका
पाठशाला —स्त्री॰—पाठः-शाला—-—विद्यालय, महाविद्यालय, विद्यामंदिर
पाठकः —पुं॰—-—पठ् + णिच् + ण्वुल्—अध्यापक, प्राध्यापक, गुरु
पाठकः —पुं॰—-—पठ् + णिच् + ण्वुल्— पुराण या अन्य धार्मिक ग्रन्थों का सार्वजनिक पाठ करने वाला
पाठकः —पुं॰—-—पठ् + णिच् + ण्वुल्—आध्यात्मिक गुरु
पाठकः —पुं॰—-—पठ् + णिच् + ण्वुल्—छात्र, विद्यार्थी, विद्वान
पाठनम् —नपुं॰—-—पठ् + णिच् + ल्युट्—अध्यापन, व्याख्यान देना
पाठित —भू॰ क॰ कृ॰—-—पठ् + णिच् + क्त—पढ़ाया हुआ, शिक्षा दिया हुआ
पाठिन् —वि॰—-—पठ् + णिनि, पाठ + इनि वा—जिसने किसी विषय का अध्ययन किया हो
पाठिन् —वि॰—-—पठ् + णिनि, पाठ + इनि वा—जानकार, परिचित
पाठीनः —पुं॰—-—पठ् + ईनण्—पुराना या अन्य धार्मिक ग्रंथों की कथा करने वाला
पाठीनः —पुं॰—-—पठ् + ईनण्—एक प्रकार की मछली
पाणः —पुं॰—-—पण् + घञ्—व्यापार, व्यवसाय
पाणः —पुं॰—-—पण् + घञ्—व्यापारी
पाणः —पुं॰—-—पण् + घञ्—खेल
पाणः —पुं॰—-—पण् + घञ्—खेल पर लगा या गया दाँव
पाणः —पुं॰—-—पण् + घञ्—करार
पाणः —पुं॰—-—पण् + घञ्—प्रशंसा
पाणः —पुं॰—-—पण् + घञ्—हाथ
पाणिः —पुं॰—-—पण् + इण्—हाथ
पाणौ कृ ——-—-—हाथ में थामना, विवाह करना
पाणौ करणम् —नपुं॰—-—-—विवाह
पाणिगृहीती —स्त्री॰—पाणिः-गृहीती—-—हाथ से ग्रहण की गई, ब्याही गई, पत्नी
पाणिग्रहः —पुं॰—पाणिः-ग्रहः—-—विवाह करना, शादी
पाणिग्रहणम् —नपुं॰—पाणिः-ग्रहणम्—-—विवाह करना, शादी
पाणिग्रहीतृ —पुं॰—पाणिः-ग्रहीतृ—-—दूह्ला, पति
पाणिघः —पुं॰—पाणिः-घः—-—ढोल बजाने वाला
पाणिघः —पुं॰—पाणिः-घः—-—कारीगर, शिल्पकार
पाणिघातः —पुं॰—पाणिः-घातः—-—हाथ का प्रहार, घूँसा
पाणिजः —पुं॰—पाणिः-जः—-—नाख़ून
पाणितलम् —नपुं॰—पाणिः-तलम्—-—हथेली
पाणिधर्मः —पुं॰—पाणिः-धर्मः—-—विवाह की विधि
पाणिपीडनम् —नपुं॰—पाणिः-पीडनम्—-—विवाह
पाणिप्रणयिनी —स्त्री॰—पाणिः-प्रणयिनी—-—पत्नी
पाणिबन्धः —पुं॰—पाणिः-बन्धः—-—हाथों का मिलना, विवाह
पाणिभुज् —पुं॰—पाणिः-भुज्—-—बड़ का वृक्ष, गूलर का वृक्ष
पाणिमुक्तम् —नपुं॰—पाणिः-मुक्तम्—-—हाथ के फेंक कर मारा जाने वाला आयुध, अस्त्र
पाणिरुह् —पुं॰—पाणिः-रुह्—-—अंगुली का नाख़ून
पाणिवादः —पुं॰—पाणिः-वादः—-—तालियाँ बजाना
पाणिवादः —पुं॰—पाणिः-वादः—-—ढोल बजाना
पाणिसर्ग्या —स्त्री॰—पाणिः-सर्ग्या—-—रस्सी
पाणिनिः —पुं॰—-—-—एक प्रसिद्ध वैयाकरण का नाम
पाणिनीय —वि॰—-—पाणिनि + छ—पाणिनि से संबंध रखने वाला, या उसके द्वारा बनाया गया
पाणिनीयः —पुं॰—-—पाणिनि + छ—पाणिनि का अनुयायी
पाणिनीयम् —नपुं॰—-—पाणिनि + छ—पाणिनि द्वारा प्रणीत व्याकरण
पाणिधम —वि॰—-—पाणि + ध्मा + खुश्—हाथ से धौंकने वाला, हाथ से फूंकने वाला, हाथ से पीने वाला
पाणिधय —वि॰—-—पाणि + धे + खुश्, मुम्—हाथ से धौंकने वाला, हाथ से फूंकने वाला, हाथ से पीने वाला
पाण्डर —वि॰—-—पाण्डर + अच्—धवल, पीतधवल, सफ़ेद
पाण्डर —पुं॰—-—पाण्डर + अच्—गेरु
पाण्डर —पुं॰—-—पाण्डर + अच्—चमेली का फूल
पाण्डव —पुं॰—-—पाण्डोः अपत्यम् पाण्डु + अण्—पाण्डु का पुत्र या सन्तान, पांडु के पाँचों पुत्रों में से कोई सा एक- युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव
पाण्डवाभीलः —पुं॰—पाण्डव-आभीलः—-—कृष्ण का नाम
पाण्डवश्रेष्ठः —पुं॰—पाण्डव-श्रेष्ठः—-—युधिष्ठिर का नाम
पाण्डवीय —वि॰—-—पांडव + छ—पांडवों से संबंध रखने वाला
पाण्डवेय —वि॰—-—-—पाण्डु का पुत्र या सन्तान, पांडु के पाँचों पुत्रों में से कोई सा एक- युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव
पाण्डित्यम् —नपुं॰—-—पंडित + ष्यञ्—विद्वत्ता, गहन अधिगम
पाण्डित्यम् —नपुं॰—-—पंडित + ष्यञ्—चतुराई, कुशलता, दक्षता, तीक्ष्णता
पाण्डु —वि॰—-—पण्ड् + कु, नि॰ दीर्घः—पीत-धवल, सफ़ेद सा
पाण्डुः —पुं॰—-—पण्ड् + कु, नि॰ दीर्घः—पीत-धवल, या पीताभ श्वेत रंग
पाण्डुः —पुं॰—-—पण्ड् + कु, नि॰ दीर्घः—पीलिया, यरकान
पाण्डुः —पुं॰—-—पण्ड् + कु, नि॰ दीर्घः—सफ़ेद हाथी
पाण्डुः —पुं॰—-—पण्ड् + कु, नि॰ दीर्घः—पांडवों के पिता का नाम
पाण्डुकम्बलः —पुं॰—पाण्डु-कम्बलः—-—सफ़ेद कंबल
पाण्डुकम्बलः —पुं॰—पाण्डु-कम्बलः—-—गरम चादर
पाण्डुकम्बलः —पुं॰—पाण्डु-कम्बलः—-—राजकीय हाथी की झूल
पाण्डुपुत्रः —पुं॰—पाण्डु-पुत्रः—-—पांडु का पुत्र, पाँचों में से कोई एक
पाण्डुमृत्तिका —स्त्री॰—पाण्डु-मृत्तिका—-—सफ़ेद या पीली मिट्टी
पाण्डुरागः —पुं॰—पाण्डु-रागः—-—सफ़ेदी, पीलापन
पाण्डुलेखः —पुं॰—पाण्डु-लेखः—-—खड़िया से बनाई गई कोई रूपरेखा
पाण्डुशर्मिला —स्त्री॰—पाण्डु-शर्मिला—-—द्रौपदी का विशेषण
पाण्डुसोपाकः —पुं॰—पाण्डु-सोपाकः—-—एक वर्ण संकर जाति
पाण्डुर —वि॰—-—पाण्डुवर्णोऽस्यास्ति- पांडु + र—सफेद सा, पीत-धवल, पीताभ-श्वेत, पीला
पाण्डुरम् —नपुं॰—-—पांडु + र—श्वेत कुष्ठ
पाण्डुरेक्षुः —पुं॰—पाण्डुर-इक्षुः—-—एक प्रकार की ईख, पौण्डा
पाण्डुरिमन् —पुं॰—-—पांडुर + इमनिच्—पीलापन, सफेदी या पीला रंग
पाण्ड्याः —पुं॰—-—पांडु देशः, अभिजनोऽस्य राजा वा- पाण्डु + ड्यन्—एक देश का नाम, देश के निवासियों का नाम
पाण्ड्यः —पुं॰—-—पाण्डु + ड्यन्—उस देश का राजा
पात —वि॰—-—पा + क्न—रक्षित, देखभाल किया गया, संधारित
पातः —पुं॰—-—पत् + घञ्—उड़ना, उड़ान
पातः —पुं॰—-—पत् + घञ्—उतरना, अवतरण करना, उतार
पातः —पुं॰—-—पत् + घञ्—नीचे गिरना, पतन, पराजय
चरणपातः —पुं॰—चरण-पातः—-—पैरों में गिरना
पातोत्पातौ —पुं॰—-—-—उदय और अस्त
पातः —पुं॰—-—पत् + घञ्—नाश, विघटन, बर्वादी
पातः —पुं॰—-—पत् + घञ्—आघात प्रहार
पातः —पुं॰—-—पत् + घञ्—बहना, छूटना, निकलना
पातः —पुं॰—-—पत् + घञ्—डालना, फेंकना, निशाना बनाना
पातः —पुं॰—-—पत् + घञ्—आक्रमण, हमला
पातः —पुं॰—-—पत् + घञ्—घटना, होना, घटित होना
पातः —पुं॰—-—पत् + घञ्—दोष, त्रुटि
पातः —पुं॰—-—पत् + घञ्—राहु का विशेषण
पातकः —पुं॰—-—पत् + णिच् + ण्वुल्—पाप, जुर्म
पातकम् —नपुं॰—-—पत् + णिच् + ण्वुल्—पाप, जुर्म
पातङ्गिः —पुं॰—-—पतङ्ग + इञ्—शनि
पातङ्गिः —पुं॰—-—पतङ्ग + इञ्—यम
पातङ्गिः —पुं॰—-—पतङ्ग + इञ्—कर्ण और सुग्रीव का विशेषण
पातञ्जल —वि॰—-—पतंजलि + अण्—पतंजलि द्वारा, रचित
पातञ्जलम् —नपुं॰—-—-—पतंजलि द्वारा प्रणीत योगदर्शन
पातनम् —नपुं॰—-—पत् + णिच् + ल्युट्—गिरने का कारण बनना, गिराना, नीचे लाना या फेंक देना, पछाड़ देना, नीचे पटक देना
पातनम् —नपुं॰—-—पत् + णिच् + ल्युट्—फेंकना, डालना
पातनम् —नपुं॰—-—पत् + णिच् + ल्युट्—हीन करना, नीचा दिखाना
पातालम् —नपुं॰—-—पतत्यास्मिन्नधर्मेण- पत् + आलञ्—पृथ्वी के नीचे स्थित सात लोकों में से अन्तिम लोक-नागलोक
पातालम् —नपुं॰—-—पतत्यास्मिन्नधर्मेण- पत् + आलञ्—निम्नप्रदेश, या नीचे का लोक
पातालम् —नपुं॰—-—पतत्यास्मिन्नधर्मेण- पत् + आलञ्—गढ़ा, छिद्र
पातालम् —नपुं॰—-—पतत्यास्मिन्नधर्मेण- पत् + आलञ्—वडवानल
पातालगङ्गा —स्त्री॰—पातालम्-गङ्गा—-—नीचे के लोक में बहने वाली
पातालोकस् —पुं॰—पातालम्-ओकस्—-—राक्षस
पातालोकस् —पुं॰—पातालम्-ओकस्—-—नाग या सर्पदैत्य
पातालनिलयः —पुं॰—पातालम्-निलयः—-—राक्षस
पातालनिलयः —पुं॰—पातालम्-निलयः—-—नाग या सर्पदैत्य
पातालनिवासः —पुं॰—पातालम्-निवासः—-—राक्षस
पातालनिवासः —पुं॰—पातालम्-निवासः—-—नाग या सर्पदैत्य
पातालवासिन् —पुं॰—पातालम्-वासिन्—-—राक्षस
पातालवासिन् —पुं॰—पातालम्-वासिन्—-—नाग या सर्पदैत्य
पातिकः —पुं॰—-—पात + ठन्—गंगा में रहन वाला सूँस, शिशु मार
पातित —भू॰ क॰ कृ॰—-—पत् + णिच् + क्त—डाल गया, फेंका गया नीचे गिराया, पटक दिया गया
पातित —भू॰ क॰ कृ॰—-—पत् + णिच् + क्त—परास्त किया गया, नीचा दिखाया गया
पातित —भू॰ क॰ कृ॰—-—पत् + णिच् + क्त—नीचा किया गया
पातित्यम् —नपुं॰—-—पतित + ष्यञ्—पद या जाति का पतन, पदच्युति, जातिभ्रंशता
पातिन् —वि॰—-—पत् + णिनि—जाने वाला, अवतरण करनेवाला, उतरने वाला
पातिन् —वि॰—-—पत् + णिनि—पतनशील, डूबनेवाला
पातिन् —वि॰—-—पत् + णिनि—पड़ने वाला
पातिन् —वि॰—-—पत् + णिनि—गिरने वाला, फेंकने वाला
पातिन् —वि॰—-—पत् + णिनि—उड़ेलने वाला, छोड़ने वाला, निकालने वाला
पातिली —स्त्री॰—-—पातिः संपातिः पक्षियूथं लीयतेऽत्र-पानि + ली + ड + ङीष्—जाल, फंदा
पातिली —स्त्री॰—-—पातिः संपातिः पक्षियूथं लीयतेऽत्र-पानि + ली + ड + ङीष्—छोटा मिट्टी का बर्तन, हांडी
पातुक —वि॰—-—पत् + उकञ्—पतनशील
पातुक —वि॰—-—पत् + उकञ्—गिरने की आदत वाला
पातुकः —पुं॰—-—पत् + उकञ्—पहाड़ का ढलान, चट्टान
पातुकः —पुं॰—-—पत् + उकञ्—शिशुमार, सूँस
पात्रम् —नपुं॰—-—पाति रक्षति, पिबन्नि अनेन वा-पा + ष्ट्रन्—पीने का बर्तन, प्याला, गिलास
पात्रम् —नपुं॰—-—पाति रक्षति, पिबन्नि अनेन वा-पा + ष्ट्रन्—कोई भी बर्तन
पात्रम् —नपुं॰—-—पाति रक्षति, पिबन्नि अनेन वा-पा + ष्ट्रन्—किसी वस्तु का आधार, प्राप्तकर्त्ता
पात्रम् —नपुं॰—-—पाति रक्षति, पिबन्नि अनेन वा-पा + ष्ट्रन्—जलाशय
पात्रम् —नपुं॰—-—पाति रक्षति, पिबन्नि अनेन वा-पा + ष्ट्रन्—योग्य व्यक्ति, दान पाने के योग्य, दानपात्र
पात्रम् —नपुं॰—-—पाति रक्षति, पिबन्नि अनेन वा-पा + ष्ट्रन्—अभिनेता, नाटक का पात्र
पात्रम् —नपुं॰—-—पाति रक्षति, पिबन्नि अनेन वा-पा + ष्ट्रन्—राजा का मंत्री
पात्रम् —नपुं॰—-—पाति रक्षति, पिबन्नि अनेन वा-पा + ष्ट्रन्—नहर या नदी का पाट
पात्रम् —नपुं॰—-—पाति रक्षति, पिबन्नि अनेन वा-पा + ष्ट्रन्—योग्यता, औचित्य
पात्रम् —नपुं॰—-—पाति रक्षति, पिबन्नि अनेन वा-पा + ष्ट्रन्—आदेश, हुक्म
पात्रोपकरणम् —नपुं॰—पात्रम्-उपकरणम्—-—घटिया प्रकार की सजावट
पात्रपालः —पुं॰—पात्रम्-पालः—-—चप्पू, डांड
पात्रपालः —पुं॰—पात्रम्-पालः—-—तराजू की डंडी
पात्रसंस्कारः —पुं॰—पात्रम्-संस्कारः—-—बर्तनों को मांज धोकर साफ करना
पात्रसंस्कारः —पुं॰—पात्रम्-संस्कारः—-—नदी का प्रवाह
पात्रिक —वि॰—-—पात्र + ठन्—किसी बर्तन की नाप आढक
पात्रिक —वि॰—-—पात्र + ठन्—योग्य, यथोचित, समुचित
पात्रिकम् —नपुं॰—-—पात्र + ठन्—बर्तन, प्याला, तश्तरी
पात्रिय —वि॰—-—पात्रमर्हति - पात्र + घ—भोजन में भाग लेने के योग्य
पात्र्य —वि॰—-—पात्रमर्हति-पात्र + यत्—भोजन में भाग लेने के योग्य
पात्रीयम् —नपुं॰—-—पात्र + छ—यज्ञीय पात्र
पात्रीरः —पुं॰—-—पाश्यै राति-पात्री + रा + क—आहुति
पात्रीरम् —नपुं॰—-—पाश्यै राति-पात्री + रा + क—आहुति
पात्रे बहुलः —पुं॰—-—पात्रे भोजनसमये एव बहुल संगतो वा न तु कार्ये- अलुक् समास—केवल भोजन का साथी, परान्नभोजी
पात्रे बहुलः —पुं॰—-—पात्रे भोजनसमये एव बहुल संगतो वा न तु कार्ये- अलुक् समास—धोखेबाज, कपटी, पाखंड़ी
पात्रेसमितः —पुं॰—-—पात्रे भोजनसमये एव बहुल संगतो वा न तु कार्ये- अलुक् समास—केवल भोजन का साथी, परान्नभोजी
पात्रेसमितः —पुं॰—-—पात्रे भोजनसमये एव बहुल संगतो वा न तु कार्ये- अलुक् समास—धोखेबाज, कपटी, पाखंड़ी
पाथः —पुं॰—-—पीयतेऽदः, पा + थ—अग्नि
पाथः —पुं॰—-—पीयतेऽदः, पा + थ—सूर्य
पाथस् —नपुं॰—-—पा + असुथुन्, थुक् च—जल
पाथस् —नपुं॰—-—पा + असुथुन्, थुक् च—हवा, वायु
पाथस् —नपुं॰—-—पा + असुथुन्, थुक् च—आहार
पाथोजम् —नपुं॰—पाथस्-जम्—-—कमल
पाथोजम् —नपुं॰—पाथस्-जम्—-—शंख
पाथोदः —पुं॰—पाथस्-दः—-—बादलः
पाथोधरः —पुं॰—पाथस्-धरः—-—बादलः
पाथोधिः —पुं॰—पाथस्-धिः—-—समुद्र
पाथोनिधिः —पुं॰—पाथस्-निधिः—-—समुद्र
पाथःपतिः —पुं॰—पाथस्-पतिः—-—समुद्र
पाथेयम् —नपुं॰—-—पथिन् + ढञ्—भोज्य सामग्री जिसे यात्री राह में खाने के लिए साथ ले जाता है, मार्गव्यय
पाथेयम् —नपुं॰—-—पथिन् + ढञ्—कन्याराशि
पादः —पुं॰—-—पद् + घञ्—पैर (चाहे मनुष्य का हो या किसी जानवर का)
पादः —पुं॰—-—पद् + घञ्—प्रकाश की किरण
पादः —पुं॰—-—पद् + घञ्—पैर या पावा (जड़ पदार्थों का, खाट आदि का)
पादः —पुं॰—-—पद् + घञ्—वृक्ष की जड़ या पैर
पादः —पुं॰—-—पद् + घञ्—गिरिपाद, तलहटी
पादः —पुं॰—-—पद् + घञ्—चौथाई, चौथाभाग
पादः —पुं॰—-—पद् + घञ्—श्लोक का एक चरण, पंक्ति
पादः —पुं॰—-—पद् + घञ्—किसी पुस्तक के अध्याय का चौथा भाग
पादः —पुं॰—-—पद् + घञ्—भाग
पादः —पुं॰—-—पद् + घञ्—स्तंभ, खंभा
पादाग्रम् —नपुं॰—पादः-अग्रम्—-—पैर का आगे का भाग
पादाङ्कः —पुं॰—पादः-अङ्कः—-—पदचिह्न
पादाङ्गदम् —नपुं॰—पादः-अङ्गदम्—-—पैर का आभूषण, नूपुर, पायल
पाददी —पुं॰—पादः-दी—-—पैर का आभूषण, नूपुर, पायल
पादाङ्गुष्ठः —पुं॰—पादः-अङ्गुष्ठः—-—पैर का अंगूठा
पादान्तः —पुं॰—पादः-अन्तः—-—पैरों का अन्तिम भाग
पादान्तरम् —नपुं॰—पादः-अन्तरम्—-—एक पग के बीच का अन्तराल, एक पग की दूरी
पादान्तरे —अव्य॰—पादः-अन्तरे—-—एक पद की दूरी के बाद
पादान्तरे —अव्य॰—पादः-अन्तरे—-—निकट, सटा हुआ
पादाम्बूः —नपुं॰—पादः-अम्बुः—-—छाछ जिसमें एक चौथाई पानी हो
पादाम्भस् —नपुं॰—पादः-अम्भस्—-—जल जिसमें श्रद्धेय व्यक्तियों के चरण धोये हो
पादरविन्दम् —नपुं॰—पादः-अरविन्दम्—-—कमल जैसा पैर, कमलचरण
पादकमलम् —नपुं॰—पादः-कमलम्—-—कमल जैसा पैर, कमलचरण
पादपङ्कजम् —नपुं॰—पादः-पङ्कजम्—-—कमल जैसा पैर, कमलचरण
पादपद्मम् —नपुं॰—पादः-पद्मम्—-—कमल जैसा पैर, कमलचरण
पादालिन्दी —स्त्री॰—पादः-अलिन्दी—-—किश्ती, नाव
पादावसेचनम् —नपुं॰—पादः-अवसेचनम्—-—चरण धोना
पादावसेचनम् —नपुं॰—पादः-अवसेचनम्—-—पैर धोने के लिए पानी
पादाघातः —पुं॰—पादः-आघातः—-—ठोकर
पादानत —वि॰—पादः-आनत—-—भूशापी, पैरों में पड़ा हुआ
पादावर्तः —पुं॰—पादः-आवर्तः—-—कुएँ से जल निकालने के लिए पैरों से चलाया जाने वाला यंत्र, रहट
पादासनम् —नपुं॰—पादः-आसनम्—-—पैर रखने का पीढ़ा
पादास्फालनम् —नपुं॰—पादः-आस्फालनम्—-—पैरों से रौंदना, कुचलना, रुक रुक कर आगे बढने की चेष्टा
पादाहत —वि॰—पादः-आहत—-—ठोकर खाया हुआ, ठुकराया हुआ
पादोदकम् —नपुं॰—पादः-उदकम्—-—पैर धोने के लिए पानी
पादोदकम् —नपुं॰—पादः-उदकम्—-—वह पानी जिसमें पुण्यात्मा, तथा सम्मानित व्यक्तियों ने पैर धोये है ओर इसीलिए जो पवित्र समझा जाता हैं
पादजलम् —नपुं॰—पादः-जलम्—-—पैर धोने के लिए पानी
पादजलम् —नपुं॰—पादः-जलम्—-—वह पानी जिसमें पुण्यात्मा, तथा सम्मानित व्यक्तियों ने पैर धोये है ओर इसीलिए जो पवित्र समझा जाता हैं
पादोदरः —पुं॰—पादः-उदरः—-—साँप
पादकटकः —पुं॰—पादः-कटकः—-—नूपुर, पायल
पादकटकम् —नपुं॰—पादः-कटकम्—-—नूपुर, पायल
पादकीलिका —स्त्री॰—पादः-कीलिका—-—नूपुर, पायल
पादक्षेपः —पुं॰—पादः-क्षेपः—-—कदम, पग
पादग्रन्थिः —स्त्री॰—पादः-ग्रन्थिः—-—टखना
पादग्रहणम् —नपुं॰—पादः-ग्रहणम्—-—(आदरयुक्त अभिवादन के रूप में) पैर पकड़ना
पादचतुरः —पुं॰—पादः-चतुरः—-—मिथ्यानिन्दक
पादचतुरः —पुं॰—पादः-चतुरः—-—बकरा
पादचतुरः —पुं॰—पादः-चतुरः—-—रेतीला तट
पादचतुरः —पुं॰—पादः-चतुरः—-—ओला
पादचत्वरः —पुं॰—पादः-चत्वरः—-—मिथ्यानिन्दक
पादचत्वरः —पुं॰—पादः-चत्वरः—-—बकरा
पादचत्वरः —पुं॰—पादः-चत्वरः—-—रेतीला तट
पादचत्वरः —पुं॰—पादः-चत्वरः—-—ओला
पादचारः —पुं॰—पादः-चारः—-—पैदल चलना, टहलना
पादचारिन् —वि॰—पादः-चारिन्—-—पैदल चलने वाला, पैदल योद्धा
पादचारिन् —पुं॰—पादः-चारिन्—-—फेरी वाला
पादचारिन् —पुं॰—पादः-चारिन्—-—पैदल सैनिक
पादजः —पुं॰—पादः-जः—-—शूद्र
पादजाहम् —नपुं॰—पादः-जाहम्—-—पपोटा, टखने की हड्डी
पादतलम् —नपुं॰—पादः-तलम्—-—पैर का तलवा
पादत्रः —पुं॰—पादः-त्रः—-—जूता, बूट
पादत्रा —स्त्री॰—पादः-त्रा—-—जूता, बूट
पादत्राणम् —नपुं॰—पादः-त्राणम्—-—जूता, बूट
पादपः —पुं॰—पादः-पः—-—वृक्ष
पादखण्डः —पुं॰—पादः-खण्डः—-—बाग, वृक्षों का झुरमुट
पादखण्डम् —नपुं॰—पादः-खण्डम्—-—बाग, वृक्षों का झुरमुट
पादपालिका —स्त्री॰—पादः-पालिका—-—नूपुर, पाजेब
पादपाशः —पुं॰—पादः-पाशः—-—पैकड़ा, पशुओं के पैरों को बाँधने की रस्सी
पादपाशी —पुं॰—पादः-पाशी—-—हथकड़ी
पादपाशी —पुं॰—पादः-पाशी—-—चटाई
पादपाशी —पुं॰—पादः-पाशी—-—लता
पादटीठः —पुं॰—पादः-टीठः—-—पैर रखने का पीढ़ा
पादठम् —नपुं॰—पादः-ठम्—-—पैर रखने का पीढ़ा
पादपूरणम् —नपुं॰—पादः-पूरणम्—-—पंक्ति पूरी करना
पादपूरणम् —नपुं॰—पादः-पूरणम्—-—पादपूरक
पादप्रक्षालनम् —नपुं॰—पादः-प्रक्षालनम्—-—पैर धोना
पादप्रतिष्ठानम् —नपुं॰—पादः-प्रतिष्ठानम्—-—पैर धोना
पादप्रहारः —पुं॰—पादः-प्रहारः—-—ठोकर
पादबन्धनम् —नपुं॰—पादः-बन्धनम्—-—बेड़ी
पादमुद्रा —स्त्री॰—पादः-मुद्रा—-—पदचिह्न
पादमूलम् —नपुं॰—पादः-मूलम्—-—पपोटा
पादमूलम् —नपुं॰—पादः-मूलम्—-—पैर का तलवा
पादमूलम् —नपुं॰—पादः-मूलम्—-—एडी
पादमूलम् —नपुं॰—पादः-मूलम्—-—पहाड़ की तलहटी
पादमूलम् —नपुं॰—पादः-मूलम्—-—किसी से बात करने की विनम्र रीति
पादरसस् —नपुं॰—पादः-रसस्—-—पैरों की धूल
पादरज्जुः —स्त्री॰—पादः-रज्जुः—-—हाथी के पैर बाँधने की चमड़े की रस्सी
पादरथी —स्त्री॰—पादः-रथी—-—जूता, बूट
पादरोहः —पुं॰—पादः-रोहः—-—बड़ का पेड़
पादरोहणः —पुं॰—पादः-रोहणः—-—बड़ का पेड़
पादवन्दनम् —नपुं॰—पादः-वन्दनम्—-—चरणवंदना, चरणों में प्रणाम
पादविरजस् —नपुं॰—पादः-विरजस्—-—जूता, बूट
पादविरजस् —पुं॰—पादः-विरजस्—-—देवता
पादशाखा —स्त्री॰—पादः-शाखा—-—पैर की अंगुली
पादशैलः —पुं॰—पादः-शैलः—-—गिरिपाद, पहाड़ की तलहटी में विद्यमान पहाड़ी
पादशोथः —पुं॰—पादः-शोथः—-—पैर की सूजन
पादशौचम् —नपुं॰—पादः-शौचम्—-—पैर धोकर साफ करना, पैर धोना
पादसेवनम् —नपुं॰—पादः-सेवनम्—-—पैर छूकर सम्मान प्रदर्शित करना
पादसेवनम् —नपुं॰—पादः-सेवनम्—-—सेवा
पादसेवा —स्त्री॰—पादः-सेवा—-—पैर छूकर सम्मान प्रदर्शित करना
पादसेवा —स्त्री॰—पादः-सेवा—-—सेवा
पादस्फोटः —पुं॰—पादः-स्फोटः—-—बवाई फटना विपदिका, सरदी से पैर फटना
पादहत —वि॰—पादः-हत—-—ठुकराया हुआ
पादविकः —पुं॰—-—पदवी + ठक्—यात्री, पथिक
पादात् —पुं॰—-—पादाभ्यामतति- पाद + अत + क्विप्—पैदल सिपाही, प्यादा
पादातः —पुं॰—-—पदातीनां समूहः- पदति + अण्—पैदल-सिपाही
पादातम् —नपुं॰—-—पदातीनां समूहः- पदति + अण्—पैदल-सेना
पादातिः —पुं॰—-—पाद + अत् + इन् —पैदल-सिपाही
पादाविकः —पुं॰—-—पादेन अवः रक्षणम्- पादाव + ठक्—पैदल-सिपाही
पादिक —वि॰—-—पाद + ठक्—चतुर्थांश, चौथा भाग
पादिन् —वि॰—-—पाद + इनि—सपाद, पैरों वाला
पादिन् —वि॰—-—पाद + इनि—श्लोक की भांति चार चरणों से युक्त
पादिन् —वि॰—-—पाद + इनि—चौथे भाग को लेने वाला, या चतुर्थांश का अधिकारी
पादिनः —पुं॰—-—पाद + इनि—चौथा भाग, चतुर्थांश
पादुकः —वि॰—-—पद् + उकञ्—पैदल चलने वाला
पादुका —स्त्री॰—-—पद् + उकञ्+टाप्—खड़ाऊँ, जूता
पादुककारः —पुं॰—पादुकः-कारः—-—मोची, जुता बनाने वाला
पादू —स्त्री॰—-—पद् + ऊ, णित्—जूता
पादूकृत् —पुं॰—पादू-कृत्—-—जूता बनाने वाला
पाद्य —वि॰—-—पाद + यत्—पैरों से संबंध रखने वाला
पाद्यम् —नपुं॰—-—पाद + यत्—पैर धोने के लिए जल
पानम् —नपुं॰—-—पा + ल्युट्—पीना, चढ़ा जाना, (ओष्ठ का) चुम्बन
पानम् —नपुं॰—-—पा + ल्युट्—सुरापान करना
पानम् —नपुं॰—-—पा + ल्युट्—पान के योग्य, पेय पदार्थ
पानम् —नपुं॰—-—पा + ल्युट्—पान- पात्र
पानम् —नपुं॰—-—पा + ल्युट्—तेज करना, पैनाना
पानम् —नपुं॰—-—पा + ल्युट्—बचाना, रक्षा
पानः —पुं॰—-—पा + ल्युट्—शराब खींचने वाला, कलवार
पानागारः —पुं॰—पानम्-अगारः—-—मदिरालय
पानागारम् —नपुं॰—पानम्-अगारम्—-—मदिरालय
पानागारः —पुं॰—पानम्-आगारः—-—मदिरालय
पानागारम् —नपुं॰—पानम्-आगारम्—-—मदिरालय
पानत्ययः —पुं॰—पानम्-अत्ययः—-—अत्यधिक पीना
पानगोष्ठिका —स्त्री॰—पानम्-गोष्ठिका—-—शराबियों की मंडली
पानगोष्ठिका —स्त्री॰—पानम्-गोष्ठिका—-—शराब की दुकार, मदिरालय
पानगोष्ठी —स्त्री॰—पानम्-गोष्ठी—-—शराबियों की मंडली
पानगोष्ठी —स्त्री॰—पानम्-गोष्ठी—-—शराब की दुकार, मदिरालय
पानप —वि॰—पानम्-प—-—सुरापान करने वाला
पानपात्रम् —नपुं॰—पानम्-पात्रम्—-—पान-पात्र, प्याला
पानभाजनम् —नपुं॰—पानम्-भाजनम्—-—पान-पात्र, प्याला
पानभाण्डम् —नपुं॰—पानम्-भाण्डम्—-—पान-पात्र, प्याला
पानभूः —स्त्री॰—पानम्-भूः—-—शराब पीने का स्थान
पानभूमिः —स्त्री॰—पानम्-भूमिः—-—शराब पीने का स्थान
पानभूमी —स्त्री॰—पानम्-भूमी—-—शराब पीने का स्थान
पानमण्डलम् —नपुं॰—पानम्-मण्डलम्—-—शराबियों की मंडली
पानरत —वि॰—पानम्-रत—-—सुरापान की लतवाला
पानवणिज् —पुं॰—पानम्-वणिज्—-—शराब-बिक्रेता
पानविभ्रमः —पुं॰—पानम्-विभ्रमः—-—नशा
पानशौण्ड —वि॰—पानम्-शौण्ड—-—पियक्कड़, अत्यधिक पीने वाला
पानकम् —नपुं॰—-—पान + कन्—पानीय, पेय, घूंट
पानिकः —पुं॰—-—पान + ठक्—शराब-बिक्रेता, कलाल
पानिलम् —नपुं॰—-—पान + इलच्—पान-पात्र, प्याला
पानीयम् —नपुं॰—-—पा + अनीयर्—जल
पानीयम् —नपुं॰—-—पा + अनीयर्—पेय, घूँट, पानीय- पीने के योग्य शर्बत आदि
पानीयनकुलः —पुं॰—पानीयम्-नकुलः—-—ऊदबिलाव
पानीयवर्णिका —स्त्री॰—पानीयम्-वर्णिका—-—रेत, बालू
पानीयशाला —स्त्री॰—पानीयम्-शाला—-—प्याऊ, जहाँ यात्रियों को पानी पिलाया जाय
पानीयशालिका —स्त्री॰—पानीयम्-शालिका—-—प्याऊ, जहाँ यात्रियों को पानी पिलाया जाय
पान्थः —पुं॰—-—पन्थानं नित्यं गच्छति- पथिन् + अण्, पंथादेशः—यात्री, बटोही
पाप —वि॰—-—पाति रक्षति, आत्मानम् अस्मात्- पा + प—अनिष्टकर, पापमय, दुष्ट, दुर्वृत्त
पाप —वि॰—-—पाति रक्षति, आत्मानम् अस्मात्- पा + प—उपद्रवकारी, विनाशक, अभिशप्त
पाप —वि॰—-—पाति रक्षति, आत्मानम् अस्मात्- पा + प—नीच, अधम, पतित
पाप —वि॰—-—पाति रक्षति, आत्मानम् अस्मात्- पा + प—अशुभ, प्रद्वेषी, अनिष्ट सूचक (पाप ग्रह आदि)
पापम् —नपुं॰—-—-—बुराई, बुरी अवस्था, दुर्भाग्य
पापम् —नपुं॰—-—-—बुराई, जुर्म, दुर्व्यसन, दोष
पापः —पुं॰—-—-—पाजी, पापी, दुष्ट, दुराचारी
पापाधम —वि॰—पाप-अधम—-—अत्यंत दुष्ट, अधम
पापापनुत्तिः —स्त्री॰—पाप-अपनुत्तिः—-—प्रायश्चित्त
पापाहः —नपुं॰—पाप-अहः—-—दुर्भाग्यपूर्ण दिवस
पापाचार —वि॰—पाप-आचार—-—पापमय आचरण वाला, पापपूर्ण जीवन बिताने वाला, दुर्व्यसनी, दुष्ट
पापात्मन् —वि॰—पाप-आत्मन्—-—दुष्टमना, पापपूर्ण, दुष्ट
पापात्मन् —पुं॰—पाप-आत्मन्—-—पापी
पापाशय —वि॰—पाप-आशय—-—दुष्ट इरादे वाला, दुष्ट हृदय
पापकर —वि॰—पाप-कर—-—पापपूर्ण, पापी, अधम
पापकारिन् —वि॰—पाप-कारिन्—-—पापपूर्ण, पापी, अधम
पापकृत् —वि॰—पाप-कृत्—-—पापपूर्ण, पापी, अधम
पापक्षयः —पुं॰—पाप-क्षयः—-—पाप का दूर करना, पाप का नाश
पापग्रहः —पुं॰—पाप-ग्रहः—-—दुष्ट ग्रह, प्रद्वेषी
पापघ्न —वि॰—पाप-घ्न—-—पाप को दूर करने वाला, प्रायश्चित्त कारी
पापचर्यः —पुं॰—पाप-चर्यः—-—पापी
पापचर्यः —पुं॰—पाप-चर्यः—-—राक्षस
पापदृष्टि —वि॰—पाप-दृष्टि—-—बुरी निगाह वाला, खोटी आँख वाला
पापधी —वि॰—पाप-धी—-—दुष्ट हृदय, दुर्बुद्धि
पापनापितः —पुं॰—पाप-नापितः—-—चालाक या दुष्ट नाई
पापनाशन —वि॰—पाप-नाशन—-—पापनाशक या प्रायश्चितकारी
पापपतिः —पुं॰—पाप-पतिः—-—जार, उपपति
पापपुरुषः —पुं॰—पाप-पुरुषः—-—दुष्ट प्रकृति वाला मनुष्य
पापफल —वि॰—पाप-फल—-—अनिष्टकर, अशुभ
पापबुद्धि —वि॰—पाप-बुद्धि—-—दुष्टहृदय, दुष्ट, दुश्चरित्र
पापभाव —वि॰—पाप-भाव—-—दुष्टहृदय, दुष्ट, दुश्चरित्र
पापमति —वि॰—पाप-मति—-—दुष्टहृदय, दुष्ट, दुश्चरित्र
पापभाज् —वि॰—पाप-भाज्—-—पापपूर्ण, पापी
पापमुक्तम् —वि॰—पाप-मुक्तम्—-—पाप से छूटा हुआ, पवित्र
पापमोचनम् —नपुं॰—पाप-मोचनम्—-—पाप का नाश
पापविनाशनम् —नपुं॰—पाप-विनाशनम्—-—पाप का नाश
पापयोनि —वि॰—पाप-योनि—-—नीच जाति में उत्पन्न
पापयोनिः —स्त्री॰—पाप-योनिः—-—नीच कुल में जन्म
पापरोगः —पुं॰—पाप-रोगः—-—कोई बुरा रोग
पापरोगः —पुं॰—पाप-रोगः—-—शीतला, चेचक
पापशील —वि॰—पाप-शील—-—दुष्ट कार्यों में प्रवृत्त होने वाला, दुष्टप्रकृति, दुष्टहृदय
पापसङ्कल्प —वि॰—पाप-सङ्कल्प—-—दुष्टहृदय, दुरात्मा
पापसङ्कल्पः —पुं॰—पाप-सङ्कल्पः—-—दुष्ट विचार
पापार्द्धिः —पुं॰—-—पापानामृद्धिर्यत्र- ब॰ स॰—शिकार, आखेट
पापल —वि॰—-—पाप + ला + क—पाप कमाने वाला, पाप कर
पापिन् —वि॰—-—पाप + इनि—पापपूर्ण, दुष्ट
पापिन् —पुं॰—-—-—पाप करने वाला
पापिष्ठ —वि॰—-—अतिशयेन पापी- पाप + इष्ठन्—अत्यंत पापपूर्ण, अधम, दुष्टतम
पापीयस् —वि॰—-—पाप ईयसुन्, अयमनयो रतिशयेन पापी, तुलना-अवस्था—अपेक्षाकृत पापी, अपेक्षाकृत दुष्ट या अनिष्टकर
पाप्मन् —पुं॰—-—पा + मानिन्, पुगागमः—पाप, जुर्म, दुष्टता, अपराध
पामन् —पुं॰—-—पा + मनिन्—एक प्रकार का चर्मरोग, खुजली
पामघ्नः —पुं॰—पामन्-घ्नः—-—गंधक
पामन —वि॰—-—पामन् + न, नलोपः—खुजली रोग से ग्रस्त, सकुण्डू
पामर —वि॰—-—-—खुजली वाला, अनिष्टकर, दुष्ट
पामर —वि॰—-—-—नीच, गंवारु, अधम
पामर —वि॰—-—-—निर्धन, असहाय
पामरः —वि॰—-—-—मूढ, जड़बुद्धि
पामरः —वि॰—-—-—दुष्ट या नीच पुरुष
पामरः —वि॰—-—-—अत्यंत नीच कर्म में प्रवृत्त व्यक्ति
पामा —पुं॰—-—पामन् + ङीप्निषेधः, नलोपः, दीर्घः—
पामारिः —पुं॰—पामा-अरिः—-—गंधक
पायना —स्त्री॰—-—पा + णिच् + युच् + टाप्—पीलाना
पायना —स्त्री॰—-—पा + णिच् + युच् + टाप्—सींचना, तर करना
पायना —स्त्री॰—-—पा + णिच् + युच् + टाप्—तेज करना, पैनाना
पायस —वि॰—-—पयस् + अण्—दूध या पानी से बना हुआ
पायसः —पुं॰—-—पयस् + अण्—खीर, दूध में उबले हुए चावल
पायसः —पुं॰—-—पयस् + अण्—तारपीन
पायसम् —नपुं॰—-—पयस् + अण्—खीर, दूध में उबले हुए चावल
पायसम् —नपुं॰—-—पयस् + अण्—तारपीन
पायसम् —नपुं॰—-—पयस् + अण्—दूध
पायिकः —पुं॰—-—-—पैदल सिपाही
पायुः —पुं॰—-—पा + उण्, युक—गुदा, मलद्वार
पाय्यम् —नपुं॰—-—मा + ण्यत्, नि॰ पत्वम्, युगागमः—जल
पाय्यम् —नपुं॰—-—मा + ण्यत्, नि॰ पत्वम्, युगागमः—पेय पदार्थ
पाय्यम् —नपुं॰—-—मा + ण्यत्, नि॰ पत्वम्, युगागमः—प्ररक्षण
पाय्यम् —नपुं॰—-—मा + ण्यत्, नि॰ पत्वम्, युगागमः—परिमाण
पारः —पुं॰—-—परं तीरं परमेव अण्—या नदी का परला- सामने वाला दूसरा किनारा
पारः —पुं॰—-—परं तीरं परमेव अण्—किसी भी वस्तु का विरोधी पक्ष
पारः —पुं॰—-—परं तीरं परमेव अण्—किसी वस्तु का अन्तिम किनारा, अन्तिम सीमा
पारः —पुं॰—-—परं तीरं परमेव अण्—किसी वस्तु का अधिकतम परिमाण, समष्टि
पारं गम् ——-—-—पार जाना, ऊपर चढ़ना
पारं गम् ——-—-—निष्पन्न करना, पूरा करना,
पारं गमि —पुं॰—-—-—पार जाना, ऊपर चढ़ना
पारं गमि —पुं॰—-—-—निष्पन्न करना, पूरा करना,
पारं गम्या —स्त्री॰—-—-—पार जाना, ऊपर चढ़ना
पारं गम्या —स्त्री॰—-—-—निष्पन्न करना, पूरा करना,
पारापारम् —नपुं॰—पारः-अपारम्—-—दोनों तट, पास का और दूर का
पारावारम् —नपुं॰—पारः-अवारम्—-—दोनों तट, पास का और दूर का
पारावारः —पुं॰—पारः-अवारः—-—समुद्र, सागर
पारायणम् —नपुं॰—पारः-अयणम्—-—पार जाना
पारायणम् —नपुं॰—पारः-अयणम्—-—पूरा पढ़ना, अनुशीलन, आद्योपान्त अध्ययन
पारायणम् —नपुं॰—पारः-अयणम्—-—समग्रता, सम्पूर्णता, या किसी वस्तु की समष्टि
पारायणी —स्त्री॰—पारः-अयणी—-—सरस्वती देवी
पारायणी —स्त्री॰—पारः-अयणी—-—चिन्तन, मनन
पारायणी —स्त्री॰—पारः-अयणी—-—कृत्य, कर्म
पारायणी —स्त्री॰—पारः-अयणी—-—प्रकाश
पारकाम —वि॰—पारः-काम—-—दूसरे किनारे तक जाने का इच्छुक
पारग —वि॰—पारः-ग—-—पार जाने वाला, नाव से पार उतरने वाला
पारग —वि॰—पारः-ग—-—जो पार पहुंच चुका है, जिसने किसी ग्रंथ का पूरा अध्ययन कर लिया है, पूर्णपरिचित, पूरा ज्ञाता
पारगत —वि॰—पारः-गत—-—जो तट के दूसरी ओर पहुंच गया है
पारगामिन् —वि॰—पारः-गामिन्—-—जो तट के दूसरी ओर पहुंच गया है
पारदर्शक —वि॰—पारः-दर्शक—-—सामने के तट को दिखलाने वाला
पारदर्शक —वि॰—पारः-दर्शक—-—जिसके आर पार दिखाई दे
पारदृश्वन् —वि॰—पारः-दृश्वन्—-—दूरदर्शी, बुद्धिमान्, समझदार
पारदृश्वन् —वि॰—पारः-दृश्वन्—-—जिसने किसी वस्तु का दूसरा किनारा देख लिया है, जिसने किसी बात को पूर्ण रूप से जान लिया है
पारक —वि॰—-—पृ + ण्वुल्—पार करने की योग्यता रखने वाला
पारक —वि॰—-—पृ + ण्वुल्—आगे ले जाने वाला, बचाने वाला, सौंपने वाला
पारक —वि॰—-—पृ + ण्वुल्—प्रसन्न करने वाला, संतुष्ट करने वाला
पारक्य —वि॰—-—परस्मै लोकाय हितम्- पर + ष्यञ्, कुक्—पराया, दूसरे का
पारक्य —वि॰—-—परस्मै लोकाय हितम्- पर + ष्यञ्, कुक्—दूसरों के लिए उद्दिष्ट
पारक्य —वि॰—-—परस्मै लोकाय हितम्- पर + ष्यञ्, कुक्—विरोधी, शत्रुतापूर्ण
पारक्यम् —नपुं॰—-—परस्मै लोकाय हितम्- पर + ष्यञ्, कुक्—परलोक साधन, पवित्र आचरण
पारग्रामिक —वि॰—-—परग्राम + ठक्—पराया, विरोधी, शत्रुतापूर्ण
पारज् —पुं॰—-—पार् + णिच् + अजि—सोना, स्वर्ण
पारजायिकः —पुं॰—-—परछायां गच्छति- परजाया + ठक्—व्यभिचारी पुरुष
पारटीटः —पुं॰—-—-—पत्थर, चट्टान्
पारटीनः —पुं॰—-—-—पत्थर, चट्टान
पारण —वि॰—-—पृ + ल्युट्—पार ले जाने वाला, उबारने वाला
पारण —वि॰—-—पृ + ल्युट्—बचाने वाला, उद्धार करने वाला
पारणः —पुं॰—-—पृ + ल्युट्—बादल
पारणः —पुं॰—-—पृ + ल्युट्—संतोष
पारणम् —नपुं॰—-—पृ + ल्युट्—निष्पन्न करना, पूरा करना,
पारणम् —नपुं॰—-—पृ + ल्युट्—पाठ करना, बांचना
पारणम् —नपुं॰—-—पृ + ल्युट्—व्रत (उपवास) के पश्चात् भोजन करना, व्रत खोलना
पारतः —पुं॰—-—पारं तनोति - पार + तन् + ड—पारा
पारतंत्र्यम् —नपुं॰—-—परतंत्र + ष्यञ्—पराश्रयता, अधीनता, अनुसेवा
पारत्रिक —वि॰—-—परत्र + ठक्—परलोक फल
पारदः —पुं॰—-—पारं ददाति- पार + दा + क—पारा
पारदारिकः —पुं॰—-—परदारा + ठक्—व्यभिचारी, परदारगामी
परदार्यम् —नपुं॰—-—परदार + ष्यञ्—व्यभिचार, परदारगमन
पारदेश्य —वि॰—-—परदेश + ष्यञ्—विदेश से संबंध रखने वाला, विदेशी
पारदेश्यः —वि॰—-—परदेश + ष्यञ्—अन्य देश का रहने वाला
पारदेश्यः —पुं॰—-—परदेश + ष्यञ्—यात्री
पारभृतम् —नपुं॰—-—इसका शुद्ध रूप संभवतः ‘प्राभृत’ है—उपहार, भेंट
पारमहंस्यम् —नपुं॰—-—परमहंस + ष्यञ्—सर्वोत्कृष्ट सन्यासवृत्ति, मनन
पारमहंस्यपरि —अव्य॰—पारमहंस्यम्-परि—-—इस प्रकार के सन्यासी से सम्बन्ध रखने वाला
पारमार्थिक —वि॰—-—परमार्थ + ठक्—‘परमार्थ’ अर्थात् सर्वोपरि सत्य अथवा अध्यात्म ज्ञान से संबन्ध रखने वाला
पारमार्थिक —वि॰—-—परमार्थ + ठक्—वास्तविक, आवश्यक, यथार्थ में विद्यमान सत्ता विविधा पारमार्थिकी
पारमार्थिक —वि॰—-—परमार्थ + ठक्—सत्य का ध्यान रखने वाला
पारमार्थिक —वि॰—-—परमार्थ + ठक्—सर्वश्रेष्ठ, सर्वोत्कृष्ट, सर्वोत्तम
पारमिक —वि॰—-—परम + ठक्—सर्वोपरि, सर्वोत्तम, मुख्य, प्रधान
पारमित —वि॰—-—पारमितः प्राप्तः- अलुक् स॰—दूसरे तट या किनारे पर गया हुआ
पारमित —वि॰—-—पारमितः प्राप्तः- अलुक् स॰—पार पहुँचा हुआ, आर-पार गया हुआ
पारमित —वि॰—-—पारमितः प्राप्तः- अलुक् स॰—परमोत्कृष्ट
पारमेष्ठ्यम् —नपुं॰—-—परमेष्ठिन् + प्यञ्—सर्वोपरिता, उच्चतम पद
पारमेष्ठ्यम् —नपुं॰—-—परमेष्ठिन् + प्यञ्—राजचिह्न
पारम्परीण —वि॰—-—परंपरा + खञ्—परंपरा प्राप्त, आनुवंशिक, वंशक्रमागत
पारम्परीय —वि॰—-—परम्परा + छ—परम्पराप्राप्त, आनुवंशिक
पारम्पर्यम् —नपुं॰—-—परम्परा + ष्यञ्—आनुवंशिक क्रम, अविच्छिन्न क्रम
पारम्पर्यम् —नपुं॰—-—परम्परा + ष्यञ्—परम्परा से प्राप्त शिक्षा, परम्परा
पारम्पर्यम् —नपुं॰—-—परम्परा + ष्यञ्—अन्तर्वर्तिता, मध्यस्थता
पारम्पर्योपदेशः —पुं॰—पारम्पर्यम्-उपदेशः—-—परंपरा प्राप्त शिक्षा, परम्परा
पारयिष्णु —वि॰—-—पार् + णिच् + इष्णुच्—सुहावना, तृप्तिकारक
पारयिष्णु —वि॰—-—पार् + णिच् + इष्णुच्—किसी कार्य को पूरा करने के योग्य, पार जाने के लिए समर्थ
पारलौकिक —वि॰—-—परलोकाय हितम् पर लोक + ठक् द्विपदवृद्धिः—परलोक से संबंध रखने वाला या परलोकोपयोगी
पारवतः —पुं॰—-—पारापत ( पार + आ + पत् + अच्)—कबूतर
पारवश्यम् —नपुं॰—-—परवेश + ष्यञ्—परावलंबन, पराश्रयता, अधीनता
पारशव —वि॰—-—परशु + अण्—लोहे का बना हुआ
पारशव —वि॰—-—परशु + अण्—कुठार से संबंध रखने वाला
पारशवः —पुं॰—-—परशु + अण्—लोहा
पारशवः —पुं॰—-—परशु + अण्—शूद्र स्त्री में उत्पन्न ब्राह्मण का पुत्र
पारशवः —पुं॰—-—परशु + अण्—दोगला, हरामी
पारश्वधः —पुं॰—-—परश्वधः प्रहरणमस्य- अण्—फरसा धारण करने वाला, कुठार धारी
पारश्वधिकः —पुं॰—-—परश्वध + ठक्—फरसा धारण करने वाला, कुठार धारी
पारस —वि॰—-—पारस्यदेशे भवः- अण् बा॰ यलोपः —पारसी फरस देश का रहने वाला
पारसिकः —पुं॰—-—-—फारस देश
पारसिकः —पुं॰—-—-—फारस देश का, पारसीक
पारसी —स्त्री॰—-—-—फारसी भाषा
पारसीकः —पुं॰—-—पृषो॰ साधुः—फारस देश
पारसीकः —पुं॰—-—पृषो॰ साधुः—फारस देश का घोड़ा
पारसीकाः —पुं॰—-—-—फारस देश के रहने वाले
पारस्त्रैणेयः —पुं॰—-—परस्त्री + ढक्, इनङ, उभय पदवृद्धिः—दोगला, हरामी
पारहंस्य —वि॰—-—परहंस + ष्यञ्—उस सन्यासी से संबंध रखने वाला जिसने सब इन्द्रियों का दमन कर लिया है
पारा —स्त्री॰—-—पार + अच् + टाप्—एक नदी का नाम
पारापतः —पुं॰—-—पार + आ + पत् + अच्—कबूतर
पारायणिकः —पुं॰—-—पारायण + ठञ्—व्याख्यानदाता, पुराण तथा अन्य धार्मिक ग्रन्थों का पाठ करने वाला
पारायणिकः —पुं॰—-—पारायण + ठञ्—शिष्य, विद्यार्थी
पारारुकः —पुं॰—-—पार + ऋ + उकञ्—पत्थर, चट्टान
पारावतः —पुं॰—-—पारापतः, पृषो॰ पस्य वः—कबूतर, फाख्ता, पेंडुकी
पारावतः —पुं॰—-—पारापतः, पृषो॰ पस्य वः—बन्दर
पारावतः —पुं॰—-—पारापतः, पृषो॰ पस्य वः—पहाड़
पारावताङ्घ्रिः —पुं॰—पारावतः-अङ्घ्रिः—-—एक प्रकार का कबूतर
पारावतपिच्छः —पुं॰—पारावतः-पिच्छः—-—एक प्रकार का कबूतर
पारावारीण —वि॰—-—पारावार + रव—दोनों छोर तक जाने वाला
पारावारीण —वि॰—-—पारावार + रव—पूर्ण रूप से जानकर
पाराशरः —पुं॰—-—पराशर + अण्—पराशर के पुत्र व्यास का विशेषण
पाराशर्यः —पुं॰—-—पराशर + यञ्—पराशर के पुत्र व्यास का विशेषण
पाराशरिः —पुं॰—-—पराशर + इञ्—शुकदेव का विशेषण
पाराशरिः —पुं॰—-—पराशर + इञ्—व्यास का नाम
पाराशरिन् —पुं॰—-—पाराशर + इनि—साधु, सन्यासी
पाराशरिन् —पुं॰—-—पाराशर + इनि—विशेषकर वह जो व्यास के शरीर सूत्रों के अध्येता हों
पारिकांक्षिन् —पुं॰—-—पारयति संसारात् पारि ब्रह्मज्ञानम् तत्कांक्षति- पारि + कांक्ष् + णिनि—ध्यानमग्न या चिन्ताशील सन्त, सन्यासी जो भावात्मक समाधि का भक्त हो
पारिक्षितः —पुं॰—-—परिक्षित् + अण्—जनमेजय का कुल सूचक नाम, अर्जुन का प्रपौत्र और परीक्षित् का पुत्र
पारिखेय —वि॰—-—परिखा + द—चारों ओर परिखा या खाई से घिरा हुआ
पारिजातः —पुं॰—-—पारमस्य अस्ति इतिपारी समुद्रः तस्माज्जातः- पारिजात + कन्—स्वर्ग के पाँच वृक्षों में से एक
पारिजातः —पुं॰—-—पारमस्य अस्ति इतिपारी समुद्रः तस्माज्जातः- पारिजात + कन्—मूंगे का पेड़
पारिजातः —पुं॰—-—पारमस्य अस्ति इतिपारी समुद्रः तस्माज्जातः- पारिजात + कन्—सुगन्ध
पारिजातकः —पुं॰—-—पारमस्य अस्ति इतिपारी समुद्रः तस्माज्जातः- पारिजात + कन्—स्वर्ग के पाँच वृक्षों में से एक
पारिजातकः —पुं॰—-—पारमस्य अस्ति इतिपारी समुद्रः तस्माज्जातः- पारिजात + कन्—मूंगे का पेड़
पारिजातकः —पुं॰—-—पारमस्य अस्ति इतिपारी समुद्रः तस्माज्जातः- पारिजात + कन्—सुगन्ध
पारिणाय्य —वि॰—-—परिणय + ष्यञ्—विवाह से संबन्ध रखने वाला
पारिणाय्य —वि॰—-—परिणय + ष्यञ्—विवाह के अवसर पर प्राप्त किया हुआ
पारिणाय्यम् —नपुं॰—-—परिणय + ष्यञ्—विवाह के अवसर पर स्त्री को मिली हुई सम्पत्ति
पारिणाय्यम् —नपुं॰—-—परिणय + ष्यञ्—विवाह व्यवस्था
पारितथ्या —स्त्री॰—-—-—बालों को बांधने के लिए मोतियों की लड़ी
पारितोषिक —वि॰—-—परितोष + ठञ्—सुखकर, तृप्तिकर, सान्त्वनाप्रद
पारितोषिकम् —नपुं॰—-—-—उपहार, पुरस्कार
पारिध्वजिकः —पुं॰—-—परितः ध्वजा- परिध्वजा + ठक्—झंडा बरदार, झंडा ले चलने वाला
पारिन्द्रः —पुं॰—-—पारीन्द्रः, पृषो॰ हृस्वः—सिंह, केसरी
पारिपंथिकः —पुं॰—-—परिपंथ + ठक्—लुटेरा, डाकू
पारिपाट्यम् —नपुं॰—-—परिपाटी + ष्यञ्—ढंग, प्रणाली, रीति (परिपाटी)
पारिपाट्यम् —नपुं॰—-—परिपाटी + ष्यञ्—नियमितता
पारिपार्श्वम् —नपुं॰—-—पारिपार्श्व + अण्—अनुचरवर्ग, सेवक, अनुयायी
पारिपार्श्वकः —पुं॰—-—पारिपार्श्व + कन्—सेवक, टहलुआ
पारिपार्श्वकः —पुं॰—-—पारिपार्श्व + कन्—नाटक में सूत्रधार का सहायक, नान्दीपाठ के अवसर एक अन्तर्वादी
पारिपार्श्विकः —पुं॰—-—परिपार्श्व + ठक्—सेवक, टहलुआ
पारिपार्श्विकः —पुं॰—-—परिपार्श्व + ठक्—नाटक में सूत्रधार का सहायक, नान्दीपाठ के अवसर एक अन्तर्वादी
पारिपार्श्विका —स्त्री॰—-—पारिपार्श्विका + टाप्—दासी, सेविका, निजी नौकरानी
पारिप्लव —वि॰—-—परिप्लव + अण्—इधर उधर घूमने वाला, डांवाडोल, चंचल, अस्थिर, कम्पायमान
पारिप्लव —वि॰—-—परिप्लव + अण्—तैरना, बहना
पारिप्लव —वि॰—-—परिप्लव + अण्—क्षुब्ध, उद्विग्न, परेशान, घबराया हुआ
पारिप्लवः —पुं॰—-—परिप्लव + अण्—नाव
पारिप्लवम् —नपुं॰—-—परिप्लव + अण्—बेचैनी, विकलता
पारिप्लाव्यः —पुं॰—-—परिपप्लव + ष्यञ्—हंस
पारिप्लाव्यम् —नपुं॰—-—परिपप्लव + ष्यञ्—परेशानी, बेचैनी, क्षोभ
पारिप्लाव्यम् —नपुं॰—-—परिपप्लव + ष्यञ्—कंपकंपी, थरथराहट
पारिबर्हः —पुं॰—-—परिबर्ह + अण्—वैवाहिक उपहार
पारिभद्रः —पुं॰—-—परिभद्र + अण्—मूंगे का वृक्ष
पारिभद्रः —पुं॰—-—-—देवदारू वृक्ष
पारिभद्रः —पुं॰—-—-—सरल वृक्ष
पारिभद्रः —पुं॰—-—-—नीम का पेड़
पारिभाव्यम् —नपुं॰—-—परिभू + ष्यञ्—जमानत, प्रतिभूति, जमानत के रूप में रक्खी गई वस्तु
पारिभाषिक —वि॰—-—परिभाषा + ठक्—चालू, सामान्य प्रचलित
पारिभाषिक —वि॰—-—परिभाषा + ठक्—(शब्द आदि) तकनीकी, किसी विशेषार्थ का संकेतक
पारिमांडल्यम् —नपुं॰—-—परिमंडल + ष्यञ्—अणु, सूर्य की किरण में विद्यमान रजकण
पारिमुखिक —वि॰—-—परिमुख + ठक्—मुंह के सामने का, निकटवर्ती, पास का
पारिमुख्यम् —नपुं॰—-—परिमुख + ष्यञ्—उपस्थिति, समीप होना
पारियात्रः —पुं॰—-—-—सात मुख्य पर्वत शृंखलाओं में से एक
पारिपात्रः —पुं॰—-—-—सात मुख्य पर्वत शृंखलाओं में से एक
पारियात्रिकः —पुं॰—-—पारियात्र + ठक्—पारियात्र पहाड़ का निवासी
पारियात्रिकः —पुं॰—-—पारियात्र + ठक्—पारियात्र पहाड़
पारिपात्रिकः —पुं॰—-—-—पारियात्र पहाड़ का निवासी
पारिपात्रिकः —पुं॰—-—-—पारियात्र पहाड़
पारियानिकः —पुं॰—-—पारियान + ठक्—यात्रा पर जाने के लिए गाड़ी
पारिरक्षकः —पुं॰—-—परिरक्षति आत्मान - परि + रक्ष् + ण्वुल् + अण्—साधु, सन्यासी
पारिवित्त्यम् —नपुं॰—-—परिवित्त + ष्यञ्—छोटे भाई का विवाह हो जाने पर भी बड़े भाई का अविवाहित रहना
पारिवेत्र्यम् —नपुं॰—-—परिवेतृ + ष्यञ्—छोटे भाई का विवाह हो जाने पर भी बड़े भाई का अविवाहित रहना
पारिब्राजकम् —नपुं॰—-—परिव्राजक + अण्—साधु सन्यासी का भ्रमणशील जीवन, सन्यास
पारिब्राज्यम् —नपुं॰—-—परिब्राज् + ष्यञ्—साधु सन्यासी का भ्रमणशील जीवन, सन्यास
पारिशीलः —पुं॰—-—परिशील + अण्—रोटी, पूड़ा, मालपुआ
पारिशेष्यम् —नपुं॰—-—परिशेष + ष्यञ्—बचा हुआ, शेष, बाकी
पारिषद —वि॰—-—परिषद् + अण्—सभा या परिषद् से संबन्ध रख़ने वाला
पारिषदः —पुं॰—-—परिषद् + अण्—सभा में उपस्थित व्यक्ति, सभा का सदस्य, परामर्शक
पारिषदः —पुं॰—-—परिषद् + अण्—राजा का सहचर
पारिषदाः —पुं॰—-—परिषद् + अण्—देव का अनुचरवर्ग
पारिषद्यः —पुं॰—-—परिषद् + ण्यत्—सभा में विद्यमान व्यक्ति, दर्शक
पारिहारिकी —स्त्री॰—-—पारिहर + ठक् + ङीप्—एक प्रकार की बुझौवल, पहेली
परिहार्यः —पुं॰—-—परि + हृ + ण्यत् + अण्—कड़ा, कंगण
पारिहार्यम् —नपुं॰—-—-—लेना, ग्रहण करना
पारिहास्यम् —नपुं॰—-—परिहास + ष्यञ्—हंसी-दिल्लगी, ठठोली, हंसी-मजाक
पारी —स्त्री॰—-—पृ + णिच् + घञ् + ङीष्—हाथी के पैरों को बांधने का रस्सा
पारी —स्त्री॰—-—पृ + णिच् + घञ् + ङीष्—जल का परिमाण
पारी —स्त्री॰—-—पृ + णिच् + घञ् + ङीष्—पानपात्र, सुराही, प्याला
पारी —स्त्री॰—-—पृ + णिच् + घञ् + ङीष्—दूध की बाल्टी
पारीक्षितः —पुं॰—-—-—जनमेजय का कुल सूचक नाम, अर्जुन का प्रपौत्र और परीक्षित् का पुत्र
पारीण —वि॰—-—पार + ख—दूसरी पार रहने या जाने वाला
पारीण —वि॰—-—पार + ख—सुविज्ञ, सुपरिचित
पारीणह्यम् —नपुं॰—-—परिणह + ष्यञ्, उपसर्गस्य दीर्घः—घर का सामान, या बर्तन आदि
पारीन्द्रः —पुं॰—-—पारि पशुः तस्येन्द्रः—सिंह
पारीन्द्रः —पुं॰—-—पारि पशुः तस्येन्द्रः—अजगर, बड़ा साँप
पारीरणः —पुं॰—-—पायां जलपूरे रण यस्य—कछुवा
पारीरणः —पुं॰—-—पायां जलपूरे रण यस्य—छड़ी, लाठी
पारुः —पुं॰—-—पिबति रसान्- पा + रु—सूर्य
पारुष्यम् —नपुं॰—-—परुष + ष्यञ्—खुरदरापन, ऊबड़खाबड़पन, कड़ापन
पारुष्यम् —नपुं॰—-—परुष + ष्यञ्—कठोरता, क्रूरता, (स्वभाव की) निर्दयता
पारुष्यम् —नपुं॰—-—परुष + ष्यञ्—अपभाषा, गाली देना, बुराभला कहना, अश्लील भाषा, अपमान
पारुष्यम् —नपुं॰—-—परुष + ष्यञ्—(वाणी से या कर्म से) हिंसा
पारुष्यम् —नपुं॰—-—परुष + ष्यञ्—इन्द्र का उद्यान
पारुष्यम् —नपुं॰—-—परुष + ष्यञ्—अगर
पारुष्यः —पुं॰—-—-—बृहस्पति का विशेषण
पारोवर्यम् —नपुं॰—-—परोवर + ष्यञ्—परंपरा
पार्घटम् —नपुं॰—-—पादे घटते इति अच्, पृषो॰ साधुः—धूल, राख
पार्जन्य —वि॰—-—पर्जन्य + अण्—वृष्टि से संबंध रखने वाला
पार्ण —वि॰—-—पर्ण + अण्—पत्तों से संबंध रखने वाला या पत्तों का बना हुआ
पार्ण —वि॰—-—पर्ण + अण्—पत्तों से उठाया हुआ
पार्श्वः —पुं॰—-—पृथा + अण्—युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन का मातृकुलसूचक नाम, परन्तु अर्जुन का विशेषरूप से
पार्श्वः —पुं॰—-—पृथा + अण्—राजा
पार्श्वसारथिः —पुं॰—पार्श्वः-सारथिः—-—कृष्ण का विशेषण
पार्थक्यम् —नपुं॰—-—पृथक + ष्यञ्—पृथकता, अलहदगी, अलग २ होने का भाव, अकेलापन, अनेकता
पार्थवम् —नपुं॰—-—पृथु + अण्—विशालता, विस्तार, फैलाव, चौड़ाई
पार्थिव —वि॰—-—पृथिवी + अण्—मिट्टी का बना हुआ, पृथ्वी संबंधी, भूमिसंबंधी, धरती से संबंध रखने वाला
पार्थिव —वि॰—-—पृथिवी + अण्—धरती पर शासन करने वाला
पार्थिव —वि॰—-—पृथिवी + अण्—राजसी, राजकीय
पार्थिवः —पुं॰—-—-—पृथ्वी पर रहने वाला
पार्थिवः —पुं॰—-—-—राजा, प्रभु
पार्थिवः —पुं॰—-—-—मिट्टी का वर्तन
पार्थिवनन्दनः —पुं॰—पार्थिव-नन्दनः—-—राजकुमार, राजपुत्र
पार्थिवसुतः —पुं॰—पार्थिव-सुतः—-—राजकुमार, राजपुत्र
पार्थिवकन्या —स्त्री॰—पार्थिव-कन्या—-—राजा की पुत्री, राजकुमारी
पार्थिवनन्दिनी —स्त्री॰—पार्थिव-नन्दिनी—-—राजा की पुत्री, राजकुमारी
पार्थिवसुता —स्त्री॰—पार्थिव-सुता—-—राजा की पुत्री, राजकुमारी
पार्थिवी —स्त्री॰—-—पार्थिव + ङीप्—सीता का विशेषण, धरती की पुत्री
पार्थिवी —स्त्री॰—-—पार्थिव + ङीप्—लक्ष्मी का विशेषण
पार्परः —पुं॰—-—-—मुट्ठी भर चावल
पार्परः —पुं॰—-—-—क्षयरोग, तपेदिक
पार्यतिक —वि॰—-—पर्यन्त + ठक्—अन्तिम, आख़री, निर्णायक
पार्वण —वि॰—-—पर्वन् + अण्—पर्वसंबंधी
पार्वण —वि॰—-—पर्वन् + अण्—वृद्धि की प्राप्त होना, बढ़ना (जैसे कि चन्द्रमा का)
पार्वणम् —नपुं॰—-—पर्वन् + अण्—पर्व के अवसर पर (अमावस्या के दिन) सभी पितरों के निमित्त आहुति देने का सामान्य संस्कार
पार्वत —वि॰—-—पर्वत + अण्—पहाड़ पर होने या रहने वाला
पार्वत —वि॰—-—पर्वत + अण्—पहाड़ पर उगने वाला, पहाड़ से प्राप्त होने वाला
पार्वत —वि॰—-—पर्वत + अण्—पहाड़ी
पार्वतिकम् —नपुं॰—-—पर्वत + ठञ्—पहाड़ों का समुच्चय, पर्वतशृंखला
पार्वती —स्त्री॰—-—पार्वत + ङीप्—दुर्गा का नाम, हिमालय की पुत्री के रूप में उत्पन्न
पार्वती —स्त्री॰—-—पार्वत + ङीप्—ग्वालिन
पार्वती —स्त्री॰—-—पार्वत + ङीप्—द्रौपदी का विशेषण
पार्वती —स्त्री॰—-—पार्वत + ङीप्—पहाड़ी नदी
पार्वती —स्त्री॰—-—पार्वत + ङीप्—एक प्रकार की सुगंधयुक्त मिट्टी
पार्वतीनन्दनः —पुं॰—पार्वती-नन्दनः—-—कार्तिकेय की उपाधि
पार्वतीनन्दनः —पुं॰—पार्वती-नन्दनः—-—गणेश का विशेषण
पार्वतीय —वि॰—-—पर्वत + छ—पहाड़ में रहने वाला
पार्वतीयः —पुं॰—-—पर्वत + छ—पहाड़ी
पार्वतीयः —पुं॰—-—-—एक विशेष पहाड़ी जाति का नाम
पार्वतेय —वि॰—-—पार्वती + ढक्—पहाड़ पर उत्पन्न
पार्वतेयम् —नपुं॰—-—पार्वती + ढक्—अंजन, सुरमा
पार्शवः —पुं॰—-—पर्शु + अण्—कुठार से सुसज्जित योद्धा
पार्श्वः —पुं॰—-—पशूनां समूहः—काँख से नीचे का शरीर का भाग, स्थान जहाँ पसलियाँ है
पार्श्वः —पुं॰—-—पशूनां समूहः—पाँसू, कोख, (सजीव और निर्जीव पदार्थों का) पार्श्वांग
पार्श्वः —पुं॰—-—पशूनां समूहः—आस-पास
पार्श्वः —पुं॰—-—पशूनां समूहः—जिनका विशेषण
पार्श्वम् —नपुं॰—-—पशूनां समूहः—काँख से नीचे का शरीर का भाग, स्थान जहाँ पसलियाँ है
पार्श्वम् —नपुं॰—-—पशूनां समूहः—पाँसू, कोख, (सजीव और निर्जीव पदार्थों का) पार्श्वांग
पार्श्वम् —नपुं॰—-—पशूनां समूहः—आस-पास
पार्श्वम् —नपुं॰—-—-—पसलियों का समूह
पार्श्वम् —नपुं॰—-—-—जालसाज़ी से भरी हुई तरकीब, असम्मानजनक उपाय
पार्श्वानुचरः —पुं॰—पार्श्वः-अनुचरः—-—टहलुआ, सेवक
पार्श्वास्थि —नपुं॰—पार्श्वः-अस्थि—-—पसली
पार्श्वायात —वि॰—पार्श्वः-आयात—-—जो बहुत निकट आ गया है
पार्श्वासन्न —वि॰—पार्श्वः-आसन्न—-—पास ही विद्यमान
पार्श्वोदरप्रियः —पुं॰—पार्श्वः-उदरप्रियः—-—केकड़ा
पार्श्वगः —पुं॰—पार्श्वः-गः—-—टहलुआ, सेवक
पार्श्वगत —वि॰—पार्श्वः-गत—-—पार्श्ववर्ती, पास ही स्थित, सेवा करने वाला
पार्श्वगत —वि॰—पार्श्वः-गत—-—शरणागत
पार्श्वचरः —पुं॰—पार्श्व-चरः—-—सेवक, टहलुआ
पार्श्वदः —पुं॰—पार्श्वः-दः—-—टहलुआ, सेवक
पार्श्वदेशः —पुं॰—पार्श्वः-देशः—-—(शरीर की) कोख, पाँसू
पार्श्वपरिवर्तनम् —नपुं॰—पार्श्वः-परिवर्तनम्—-—विस्तर पर करवट बदलना
पार्श्वपरिवर्तनम् —नपुं॰—पार्श्वः-परिवर्तनम्—-—भाद्रपदशुक्ल ११ में होने वाला पर्व
पार्श्वभागः —पुं॰—पार्श्वः-भागः—-—कोख, पाँसू
पार्श्ववर्तिन् —वि॰—पार्श्वः-वर्तिन्—-—पास होने वाला, उपस्थित, सेवा में खड़ा हुआ
पार्श्ववर्तिन् —वि॰—पार्श्वः-वर्तिन्—-—साथ ही लगा हुआ
पार्श्वशय —वि॰—पार्श्वः-शय—-—पास ही सोने वाला, बगल में सोने वाला
पार्श्वशूलः —पुं॰—पार्श्वः-शूलः—-—कोख में मीठा दर्द
पार्श्वशूलम् —नपुं॰—पार्श्वः-शूलम्—-—कोख में मीठा दर्द
पार्श्वसूत्रकः —पुं॰—पार्श्वः-सूत्रकः—-—एक प्रकार का आभूषण
पार्श्वस्थ —वि॰—पार्श्वः-स्थ—-—पार्श्ववर्ती, नजदीकी, निकटवर्ती, समीपस्थ
पार्श्वस्थः —पुं॰—पार्श्वः-स्थः—-—सहचर
पार्श्वस्थः —पुं॰—पार्श्वः-स्थः—-—सूत्रधार का सहायक
पार्श्वकः —पुं॰—-—पार्श्व + कन्—ठग, प्रवंचक, चोर
पार्श्वतः —अव्य॰—-—पार्श्व + तस्—निकट, नजदीक, समीप, पास
पार्श्विक —वि॰—-—पार्श्व + ठच्—पाँसू से संबंध रखने वाला
पार्श्विकः —पुं॰—-—पार्श्व + ठच्—पक्ष लेने वाला, आदमी, साझीदार
पार्श्विकः —पुं॰—-—पार्श्व + ठच्—साथी, सहचर
पार्श्विकः —पुं॰—-—पार्श्व + ठच्—जादूगर
पार्षत —वि॰—-—पृषत + अण्—चितकबरे हरिण से संबंध रखने वाला
पार्षतः —पुं॰—-—पृषत + अण्—राजा द्रुपद और उसके पुत्र धृष्टद्युम्न का पित्रृकुलसूचक नाम
पार्षती —स्त्री॰—-—पार्षत + ङीप्—द्रौपदी का विशेषण
पार्षती —स्त्री॰—-—पार्षत + ङीप्—दूर्गा की उपाधि
पार्षद् —स्त्री॰—-—परिषद्, पृषो॰—सभा
पार्षदः —पुं॰—-—पार्षद मर्हति अण्—साथी, सहचर
पार्षदः —पुं॰—-—पार्षद मर्हति अण्—टहलुआ, अनुचरवर्ग
पार्षदः —पुं॰—-—पार्षद मर्हति अण्—सभा में उपस्थित, दर्शक, सभासद्
पार्षद्यः —पुं॰—-—पर्षद् + ण्य—सभासद्, सदस्य
पार्ष्णिः —पुं॰—-—पृष् + नि, नि॰ वृद्धिः—एड़ी
पार्ष्णिः —पुं॰—-—पृष् + नि, नि॰ वृद्धिः—सेना की पिछाड़ी
पार्ष्णिः —पुं॰—-—पृष् + नि, नि॰ वृद्धिः—पिछड़ी, पिछला भाग
पार्ष्णिः —पुं॰—-—पृष् + नि, नि॰ वृद्धिः—ठोकर
पार्ष्णिः —स्त्री॰—-—-—व्यभिचारिणी स्त्री
पार्ष्णिः —स्त्री॰—-—-—कुन्ती का विशेषण
पार्ष्णिग्रहः —पुं॰—पार्ष्णिः-ग्रहः—-—अनुयायी
पार्ष्णिग्रहणम् —नपुं॰—पार्ष्णिः-ग्रहणम्—-—शत्रु की पीठ पर आक्रमण करना
पार्ष्णिग्राहः —पुं॰—पार्ष्णिः-ग्राहः—-—पृष्ठवर्ती शत्रु
पार्ष्णिग्राहः —पुं॰—पार्ष्णिः-ग्राहः—-—पृष्ठवर्ती सेना का सेनापति
पार्ष्णिग्राहः —पुं॰—पार्ष्णिः-ग्राहः—-—मित्रराजा जो किसी राजा की सहायता करे
पार्ष्णित्रम् —नपुं॰—पार्ष्णित्रम्—-—पृष्ठरक्षक, पीछे रहने वाली सेना की टुकड़ी, प्रारक्षित
पार्ष्णिवाहः —पुं॰—पार्ष्णिवाहः—-—बाह्यवर्ती घोड़ा
पालः —पुं॰—-—पाल् + अच्—प्ररक्षक, अभिभावक, संरक्षक
पालः —पुं॰—-—पाल् + अच्—ग्वाला
पालः —पुं॰—-—पाल् + अच्—राजा
पालः —पुं॰—-—पाल् + अच्—पीकदान
पालघ्नः —पुं॰—पालः- घ्नः—-—कुकुरमुत्ता, साँप की छतरी
पालकः —पुं॰—-—पाल् + ण्वुल्—अभिभावक, प्ररक्षक
पालकः —पुं॰—-—पाल् + ण्वुल्—राज कुमार, राजा, शासक, प्रभु
पालकः —पुं॰—-—पाल् + ण्वुल्—साईस, घोड़े का रख वाला
पालकः —पुं॰—-—पाल् + ण्वुल्—घोड़ा
पालकः —पुं॰—-—पाल् + ण्वुल्—चित्रक वृक्ष
पालकः —पुं॰—-—पाल् + ण्वुल्—पालक पिता
पालकाप्यः —पुं॰—-—-—एक ऋषि करेणु का पुत्र, (इन्होंने ही सर्वप्रथम हस्तिविज्ञान की शिक्षा दी)
पालकाप्यः —पुं॰—-—-—हस्तिविज्ञान
पालङ्कः —पुं॰—-—पाल् + किप्= पाल् + अंक् + घञ्—पालक का साग
पालङ्कः —पुं॰—-—पाल् + किप्= पाल् + अंक् + घञ्—बाजपक्षी
पालङ्की —स्त्री॰—-—-—एक गंधद्रव्य
पालङ्क्य —स्त्री॰—-—पालंक + ष्यञ्—एक सुगंध द्रव्य
पालङ्क्या —स्त्री॰—-—पालंक + ष्यञ्, स्त्रियाँ टाप् च—एक सुगंध द्रव्य
पालन —वि॰—-—पाल् + ल्यूट्—रक्षा करने वाला, संरक्षण देने वाला
पालनम् —नपुं॰—-—पाल् + ल्यूट्—प्ररक्षण, संरक्षण, पालना, पोसना, लालन-पालन करना
पालनम् —नपुं॰—-—पाल् + ल्यूट्—बनाये रखना, अनुपालन करना, (व्रत, प्रतिज्ञा, आदि को) पूरा करना
पालनम् —नपुं॰—-—पाल् + ल्यूट्—बाजी ब्याई हुई गो का दूध, खीस
पालयितृ —पुं॰—-—पाल् +णिच् + तृच्—प्ररक्षक, संरक्षक, परवरिश करने वाला
पालाश —वि॰—-—पलाश + अण्—ढाक का, ढाक से उत्पन्न
पालाश —वि॰—-—पलाश + अण्—ढाक की लकड़ी का बना हुआ
पालाश —वि॰—-—पलाश + अण्—हरा
पालाशः —पुं॰—-—पलाश + अण्—हरा रंग
पालाशखण्डः —पुं॰—पालाश-खण्डः—-—मगध देश का विशेषण
पालाशषण्डः —पुं॰—पालाश-षण्डः—-—मगध देश का विशेषण
पालिः —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—कान का सिरा
पालिः —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—किनारा, गोट, मगजी
पालिः —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—तेज़ सिरा, धार या नोक
पालिः —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—हद, सीमा
पालिः —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—श्रेणी, पंक्ति
पालिः —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—धब्बा, चिह्न
पालिः —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—बांध, पुल
पालिः —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—गोद, अंक
पालिः —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—आयताकार तालाब
पालिः —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—अध्ययनकाल में गुरु द्वारा छात्र का भरण-पोषण
पालिः —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—जूँ
पालिः —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—प्रशंसा, स्तुति
पालिः —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—वह स्त्री जिसके दाढ़ी-मूंछे हों
पाली —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—कान का सिरा
पाली —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—किनारा, गोट, मगजी
पाली —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—तेज़ सिरा, धार या नोक
पाली —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—हद, सीमा
पाली —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—श्रेणी, पंक्ति
पाली —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—धब्बा, चिह्न
पाली —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—बांध, पुल
पाली —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—गोद, अंक
पाली —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—आयताकार तालाब
पाली —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—अध्ययनकाल में गुरु द्वारा छात्र का भरण-पोषण
पाली —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—जूँ
पाली —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—प्रशंसा, स्तुति
पाली —स्त्री॰—-—पाल् + इन्—वह स्त्री जिसके दाढ़ी-मूंछे हों
पालिका —स्त्री॰—-—पालि + कन् + टाप्—कान का सिरा
पालिका —स्त्री॰—-—पालि + कन् + टाप्—तलवार या किसी छुरी आदि काटने वाले उपकरण की तेज़ धार
पालिका —स्त्री॰—-—पालि + कन् + टाप्—पनीर या मक्खन आदि काटने की छुरी
पालित —भू॰ क॰ कृ॰—-—पाल् + क्त—प्ररक्षित, संरक्षित, आरक्षित
पालित —भू॰ क॰ कृ॰—-—पाल् + क्त—पालन किया हुआ, पूरा किया हुआ
पालित्यम् —नपुं॰—-—पलित + ष्यञ्—वृद्धावस्था के कारण वालों की सफ़ेदी, धवलता
पाल्वल —वि॰—-—पल्वल + अण्—पोखर में उत्पन्न, तलैया से प्राप्त
पावकः —पुं॰—-—पू + ण्वुल्—आग
पावकः —पुं॰—-—पू + ण्वुल्—अग्नि देवता
पावकः —पुं॰—-—पू + ण्वुल्—विजली की आग
पावकः —पुं॰—-—पू + ण्वुल्—चित्रक वृक्ष
पावकः —पुं॰—-—पू + ण्वुल्—तीन की संख्या
पावकात्मजः —पुं॰—पावकः-आत्मजः—-—कार्तिकेय का विशेषण
पावकात्मजः —पुं॰—पावकः-आत्मजः—-—सुदर्शन नामक ऋषि
पावकिः —पुं॰—-—पावक + इञ्—कार्तिकेय का विशेषण
पावन —वि॰—-—पू + णिच् + ल्युट्—निर्मल करने वाला, पाप से मुक्त करने वाला, शुद्ध करने वाला, पवित्र वनाने वाला
पावन —वि॰—-—पू + णिच् + ल्युट्—पवित्र, पुनीत, विशुद्ध, परिष्कृत
पावनः —पुं॰—-—-—गंध द्रव्य
पावनम् —नपुं॰—-—-—पवित्री करण, विशुद्धीकरण
पावनम् —नपुं॰—-—-—संप्रदायसूचक तिलक
पावनध्वनिः —पुं॰—पावन-ध्वनिः—-—शंखनाद
पावनी —स्त्री॰—-—पावन + ङीप्—पवित्र तुलसी
पावनी —स्त्री॰—-—पावन + ङीप्—गाय
पावनी —स्त्री॰—-—पावन + ङीप्—गंगा नदी
पावमानी —स्त्री॰—-—पचमानम् अधिकृत्य प्रवृत्तम्- पवमान + अण् + ङीप्—विशिष्ट वैदिक ऋचाओं का विशेषण
पावरः —पुं॰—-—-—पासे को विशेष ढंग से फेकना
पाशः —पुं॰—-—पश्यते बध्यतेऽनेन, पश् करणे घञ्—डोरी, शृंखला, बेड़ी, फंदा
पाशः —पुं॰—-—पश्यते बध्यतेऽनेन, पश् करणे घञ्—जाल, खटकेदार पिंजड़ा, या फंदा
पाशः —पुं॰—-—पश्यते बध्यतेऽनेन, पश् करणे घञ्—बन्धन ज़ो (वरुण के द्वारा) शस्त्र की भांति प्रयुक्त होता है
पाशः —पुं॰—-—पश्यते बध्यतेऽनेन, पश् करणे घञ्—पाँसा
पाशः —पुं॰—-—पश्यते बध्यतेऽनेन, पश् करणे घञ्—किसी बुनी हुई वस्तु की किनारी
पाशः —पुं॰—-—पश्यते बध्यतेऽनेन, पश् करणे घञ्—तिरस्कार, अवमान
पाशः —पुं॰—-—पश्यते बध्यतेऽनेन, पश् करणे घञ्—सौन्दर्य, सराहना
पाशः —पुं॰—-—पश्यते बध्यतेऽनेन, पश् करणे घञ्—बहुतायत, ढेर, राशि
पाशान्तः —पुं॰—पाशः-अन्तः—-—कपड़े का पृष्ठभाग
पाशक्रीडा —स्त्री॰—पाशः-क्रीडा—-—जूआ खेलना, पांसे के साथ खेलना
पाशधरः —पुं॰—पाशः-धरः—-—वरुण का विशेषण
पाशपाणिः —पुं॰—पाशः-पाणिः—-—वरुण का विशेषण
पाशबद्ध —वि॰—पाशः-बद्ध—-—पिंजड़े में फंसा हुआ, जाल में पकड़ा हुआ, फंदे में पड़ा हुआ
पाशबन्धः —पुं॰—पाशः-बन्धः—-—बंधन, जाल, फांसी की डोरी
पाशबन्धकः —पुं॰—पाशः-बन्धकः—-—बलेलिया, पक्षी पकड़ने वाला
पाशबन्धनम् —नपुं॰—पाशः-बन्धनम्—-—जाल
पाशभृत् —पुं॰—पाशः-भृत्—-—वरुण का विशेषण
पाशरज्जुः —स्त्री॰—पाशः-रज्जुः—-—वेड़ी, रस्सी
पाशहस्तः —पुं॰—पाशः-हस्तः—-—‘हाथ में जाल पकड़े हुए’ वरुण का विशेषण
पाशकः —पुं॰—-—पाश्यति पीडयति- पश् + णिच् + ण्वुल्—अक्ष, पाँसा
पाशकपीठम् —नपुं॰—पाशकः-पीठम्—-—जूआ खेलने की चौकी
पाशनम् —नपुं॰—-—पश् + णिच् + ल्युट्—बंधन, फंदा, जाल, गुलेल या गोफिया
पाशनम् —नपुं॰—-—पश् + णिच् + ल्युट्—डोरी, चाबुक या सोटे में लगी चमड़े की डोरी या तस्मा
पाशनम् —नपुं॰—-—पश् + णिच् + ल्युट्—जाल में फंसाना, पिंजरे में बन्द करना
पाशव —वि॰—-—पशु + अण्—जानवरों से प्राप्त, या संबंध रखने वाला
पाशवम् —नपुं॰—-—पशु + अण्—रेवड़, लहंडा
पाशवपालनम् —नपुं॰—पाशव-पालनम्—-—पशुचरण या चरागाह, गोचरभूमि
पाशित —वि॰—-—पश् + णिच् + क्त—बद्ध, जाल में फंसा, बेड़ियों से जकड़ा हुआ
पाशिन् —पुं॰—-—पाश + इति—वरुण का विशेषण
पाशिन् —पुं॰—-—पाश + इति—यम का विशेषण
पाशिन् —पुं॰—-—पाश + इति—हिरणों को पकड़ने वाला, बहेलिया, जाल में फंसने वाला
पाशुपत —वि॰—-—पशुपति + अण्—पशुपति से प्राप्त, या पशुपति से सम्बद्ध अथवा पशुपति के लिए पावन
पाशुपतः —पुं॰—-—पशुपति + अण्—शिव का अनुयायी और पूजक
पाशुपतः —पुं॰—-—पशुपति + अण्—पशुपति के सिद्धान्तों का पालन करने वाला
पाशुपतम् —नपुं॰—-—पशुपति + अण्—पाशुपत सिद्धांत
पाशुपतस्त्रम् —नपुं॰—पाशुपत- अस्त्रम्—-—पशुपति या शिव द्वारा अधिष्ठित एक अस्त्र का नाम
पाशुपाल्यम् —नपुं॰—-—पशुपाल + ष्यञ्—पशुओं का पालना, ग्वाले की वृत्ति या धंधा
पाश्चात्य —वि॰—-—पश्चात् + त्यक्—पिछला
पाश्चात्य —वि॰—-—पश्चात् + त्यक्—पश्चिमी
पाश्चात्य —वि॰—-—पश्चात् + त्यक्—पश्चवर्ती, बाद का
पाश्चात्य —वि॰—-—पश्चात् + त्यक्—बाद में होने वाला
पाश्चात्यम् —नपुं॰—-—पश्चात् + त्यक्—पिछला भाग
पाश्या —स्त्री॰—-—पाश + य + टाप्—जाल
पाश्या —स्त्री॰—-—पाश + य + टाप्—रस्सियों या पौड़ियों का समूह
पाषंडः —पुं॰—-—पा त्रयीधर्मः तं षंडयति- पा + षंड् + अच्—पांखड
पाषंडकः —पुं॰—-—पाषंड + कन्—नास्तिक, धर्मभ्रष्ट, धर्म के नाम पर झूठा आडंबर रचने वाला धूर्त व्यक्ति
पाषंडिन् —पुं॰—-—पा + षड् + णिनि—नास्तिक, धर्मभ्रष्ट, धर्म के नाम पर झूठा आडंबर रचने वाला धूर्त व्यक्ति
पाषाणः —पुं॰—-—पिनष्टि पिष् संचूर्ण ने आनच् पृषो॰ तारा॰—पत्थर
पाषाणी —स्त्री॰—-—-—बाट का काम देने वाला छोटा पत्थर
पाषाणदारकः —पुं॰—पाषाणः-दारकः—-—टांकी
पाषाणदारणः —पुं॰—पाषाणः-दारणः—-—टांकी
पाषाणसंधिः —पुं॰—पाषाणः-संधिः—-—चट्टान के अन्दर गुफा या दरार
पाषाणहृदय —वि॰—पाषाणः-हृदय—-—पत्थर की भांति कठोरहृदय, क्रूर, निष्ठुर