विक्षनरी : संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश/न-पण्य
मूलशब्द—व्याकरण—संधिरहित मूलशब्द—व्युत्पत्ति—हिन्दी अर्थ
नि —अव्य॰—-—नी + डि—निचान, नीचे की ओर गति- निपत् निषद्
नि —अव्य॰—-—नी + डि—समूह या संग्रह, निकर, निकाय
नि —अव्य॰—-—नी + डि—तीव्रता
नि —अव्य॰—-—नी + डि—हुक्म, आदेश, निदेश
नि —अव्य॰—-—नी + डि—सातत्य, स्थायित्व
नि —अव्य॰—-—नी + डि—कुशलतानिपुण
नि —अव्य॰—-—नी + डि—नियन्त्रण, निग्रह, निबंध
नि —अव्य॰—-—नी + डि—सम्मिलन
नि —अव्य॰—-—नी + डि—सान्निध्य, सामीप्य-निकट
नि —अव्य॰—-—नी + डि—अपमान, बुराई, हानि
नि —अव्य॰—-—नी + डि—दिखलावा, निदर्शन
नि —अव्य॰—-—नी + डि—विश्राम, निवृत्ति
नि —अव्य॰—-—नी + डि—आश्रय, शरण
नि —अव्य॰—-—नी + डि—सन्देह
नि —अव्य॰—-—नी + डि—निश्चय
नि —अव्य॰—-—नी + डि—पुष्टीकरण
नि —अव्य॰—-—नी + डि—फेंकना, देना
निःक्षेपः —पुं॰—-—निर् + क्षिप् + घञ्—फेंकना, भेज देना
निःक्षेपः —पुं॰—-—निर् + क्षिप् + घञ्—व्यय करना
निःश्रयणी —स्त्री॰—-—निःनिश्चितं श्रीयते आधीयते अनया निर् + श्रि + ल्युट् + ङीप्—सीढ़ी, जीना
निःश्रेणिः —स्त्री॰—-—निश्चिता श्रेणिः सोपानपंक्तिः यत्र ब॰ स॰—सीढ़ी, जीना
निःश्वासः —पुं॰—-—निर् + श्वस् + घञ्—साँस बाहर निकालना, बहिःश्वसन
निःश्वासः —पुं॰—-—निर् + श्वस् + घञ्—आह भरना, लम्बा साँस लेना, श्वास लेना
निश्श्वासः —पुं॰—-—निर् + श्वस् + घञ्—साँस बाहर निकालना, बहिःश्वसन
निश्श्वासः —पुं॰—-—निर् + श्वस् + घञ्—आह भरना, लम्बा साँस लेना, श्वास लेना
निःसरणम् —नपुं॰—-—निर् + सृ + ल्युट्—बाहर जाना, बहिर्गमन
निःसरणम् —नपुं॰—-—निर् + सृ + ल्युट्—निकास, द्वार, दरवाजा
निःसरणम् —नपुं॰—-—निर् + सृ + ल्युट्—महाप्रयाण, मृत्यु
निःसरणम् —नपुं॰—-—निर् + सृ + ल्युट्—उपाय, तरकीब, उपचार
निःसरणम् —नपुं॰—-—निर् + सृ + ल्युट्—मोक्ष
निःसह —वि॰—-—निर् + सह् खल्—सहन करने या रोकने के अयोग्य, असह्य
निःसह —वि॰—-—निर् + सह् खल्—निःशक्त, बलहीन, हतोत्साह, म्लान, श्रान्त
निःसह —वि॰—-—निर् + सह् खल्—असहनीय, जो सहा न जा सके, अनिवार्य
निःसारणम् —नपुं॰—-—निर् + सृ + णिच् + ल्युट्—निष्कासन, निकाल बाहर करना
निःसारणम् —नपुं॰—-—निर् + सृ + णिच् + ल्युट्—घर से निकलने का मार्ग, द्वार, दरवाजा
निःस्रवः —पुं॰—-—निर् + स्रु + अप्—शेष, बचत, फाल्तू
निःस्रावः —पुं॰—-—निर् + स्तु—व्यय, खर्च करना, अर्थव्यय
निःस्रावः —पुं॰—-—निर् + स्तु—चावलों का मांड
निकट —वि॰—-—नि समीपे कटति नि + कट् + अत्त—नजदीकी, समीपस्थ, अदूरस्थ, आसन्न
निकरः —पुं॰—-—नि + कृ + अच्, अप् वा—ढेर, चट्टा
निकरः —पुं॰—-—नि + कृ + अच्, अप् वा—झुण्ड, समुच्चय, संग्रह
निकरः —पुं॰—-—नि + कृ + अच्, अप् वा—गठरी
निकरः —पुं॰—-—नि + कृ + अच्, अप् वा—रस, सार, सत
निकरः —पुं॰—-—नि + कृ + अच्, अप् वा—उपयुक्त उपहार, दक्षिण
निकरः —पुं॰—-—नि + कृ + अच्, अप् वा—निधि, खजाना
निकर्तनम् —नपुं॰—-—नि + कृत् + ल्युट्—काट डालना
निकर्षणम् —नपुं॰—-—नि + कृष् + ल्युट्—विश्राम या विहार के लिए खुला स्थान, नगर में या नगर के निकट खेल का मैदान
निकर्षणम् —नपुं॰—-—नि + कृष् + ल्युट्—दालान
निकर्षणम् —नपुं॰—-—नि + कृष् + ल्युट्—पड़ोस
निकर्षणम् —नपुं॰—-—नि + कृष् + ल्युट्—जमीन का टुकड़ी जो अभी जोता न गया हो।
निकषः —पुं॰—-—नि + कष् + घ, अच् वा—कसौटी, निकष-प्रस्तर
निकषः —पुं॰—-—नि + कष् + घ, अच् वा—कसौटी का काम देने वाली कोई वस्तु, परीक्षण
निकषः —पुं॰—-—नि + कष् + घ, अच् वा—कसौटी पर बनी सोने की रेखा
निकषोपलः —पुं॰—निकषः-उपलः—-—कसौटी, निकष-प्रस्तर
निकषग्रावन् —पुं॰—निकषः-ग्रावन्—-—कसौटी, निकष-प्रस्तर
निकषपाषाणः —पुं॰—निकषः-पाषाणः—-—कसौटी, निकष-प्रस्तर
निकषा —अव्य॰—-—नि + कष् + अच् + टाप्—रावण आदि राक्षसों की माता
निकषा —स्त्री॰—-—नि + कष् + अच् + टाप्—निकट, अदूर, समीप, पास
निकषात्मजः —पुं॰—निकषा-आत्मजः—-—राक्षस
निकाम —वि॰—-—नि + कम् + घञ्—पुष्कल, विपुल, बहुल
निकाम —वि॰—-—नि + कम् + घञ्—इच्छुक
निकामः —पुं॰—-—-—कामना, चाह
निकामम् —नपुं॰—-—-—कामना, चाह
निकामम् —अव्य॰—-—-—यथेच्छ, इच्छा के अनुसार
निकामम् —अव्य॰—-—-—आत्मसंतोषार्थ, मनभर कर
निकामम् —अव्य॰—-—-—अत्यंत, अत्यधिक
निकायः —पुं॰—-—नि + चि + घञ्, कुत्वम्—ढेर, संघटन, श्रेणी, समुच्चय, झुण्ड, समूह
निकायः —पुं॰—-—नि + चि + घञ्, कुत्वम्—सत्संग या विद्वत्सभा, विद्यालय, धार्मिक परिषद्
निकायः —पुं॰—-—नि + चि + घञ्, कुत्वम्—घर, आवास, निवास-स्थल
निकायः —पुं॰—-—नि + चि + घञ्, कुत्वम्—शरीर
निकायः —पुं॰—-—नि + चि + घञ्, कुत्वम्—उद्देश्य, चांदमारी, निशाना
निकायः —पुं॰—-—नि + चि + घञ्, कुत्वम्—परमात्मा
निकाय्यः —पुं॰—-—नि + चि + ण्यत्, नि॰—निवास, आवास, घर
निकारः —पुं॰—-—नि + कृ + घञ्—अनाज फटकना
निकारः —पुं॰—-—नि + कृ + घञ्—ऊपर उठाना
निकारः —पुं॰—-—नि + कृ + घञ्—वध, हत्या
निकारः —पुं॰—-—नि + कृ + घञ्—अनादर, ताबेदारी
निकारः —पुं॰—-—नि + कृ + घञ्—अवज्ञा, क्षति, अनिष्ट, अपराध
निकारः —पुं॰—-—नि + कृ + घञ्—गाली, बुरा-भला कहना, अवमान
निकारः —पुं॰—-—नि + कृ + घञ्—दुष्टता, द्वेष
निकारः —पुं॰—-—नि + कृ + घञ्—विरोध, वचन विरोध
निकारणम् —नपुं॰—-—नि + कृ + णिच् + ल्युट्—वध, हत्या
निकाशः —पुं॰—-—नि + काश् + घञ्—दर्शन, दृष्टि
निकाशः —पुं॰—-—नि + काश् + घञ्—क्षितिज
निकाशः —पुं॰—-—नि + काश् + घञ्—सामीप्य, पड़ोस
निकाशः —पुं॰—-—नि + काश् + घञ्—समानता, समरूपता
निकासः —पुं॰—-—नि + कास् + घञ्—दर्शन, दृष्टि
निकासः —पुं॰—-—नि + कास् + घञ्—क्षितिज
निकासः —पुं॰—-—नि + कास् + घञ्—सामीप्य, पड़ोस
निकासः —पुं॰—-—नि + कास् + घञ्—समानता, समरूपता
निकाषः —पुं॰—-—नि + कष् + घञ्—खुरचना, रगड़ना
निकुञ्चनः —पुं॰—-—नि + कुञ्च् + ल्युट्—एक तोल जो १/४ कुदव के बराबर है।
निकुञ्जः —पुं॰—-—नि + कु + जन् + ड, पृषो॰—लतामण्डप, लतागृह
निकुञ्जम् —नपुं॰—-—नि + कु + जन् + ड, पृषो॰—लतामण्डप, लतागृह
निकुम्भः —पुं॰—-—नि + कुम्भ् + अच्—शिव के एक अनुचर का नाम
निकुम्भः —पुं॰—-—नि + कुम्भ् + अच्—सुन्द और उपसुन्द के पिता का नाम
निकुरम्वम् —नपुं॰—-—नि + कुर् + अम्बच्—झुंड, संग्रह, पुंज, समुच्चय
निकुरुम्वम् —नपुं॰—-—नि + कुर् + उम्बच्—झुंड, संग्रह, पुंज, समुच्चय
निकुलीनिका —स्त्री॰—-—नि + कुलीन + कन् + टाप्, इत्वम्—अपने कुल की विशेष कला, खांदानी हुनर, जो जन्म से मनुष्य को उत्तराधिकार में प्राप्त होती है, किसी घराने की परंपरागत विशेष कला या दस्तकारी
निकृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + कृ + क्त—विजित, निरुत्साहित, दीन
निकृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + कृ + क्त—तिरस्कृत, क्षुब्ध
निकृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + कृ + क्त—प्रवंचित, धोखा खाया हुआ
निकृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + कृ + क्त—हटाया हुआ
निकृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + कृ + क्त—कष्टग्रस्त, क्षतिग्रस्त
निकृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + कृ + क्त—दुष्ट, बेईमान
निकृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + कृ + क्त—अधम, नीच, कमीना
निकृतिः —वि॰—-—नि + कृ + क्तिन्—अधम, बेईमान, दुष्ट
निकृतिः —स्त्री॰—-—-—अधमपना, दुष्टता
निकृतिः —स्त्री॰—-—-—बेईमानी, जालसाजी, धोखा
निकृतिः —स्त्री॰—-—-—तिरस्कार, अपराध, अपमान
निकृतिः —स्त्री॰—-—-—गाली, झिड़की
निकृतिः —स्त्री॰—-—-—अस्वीकृति, निराकरण
निकृतिः —स्त्री॰—-—-—गरीबी, दरिद्रता
निकृतिप्रज्ञ —वि॰—निकृतिः-प्रज्ञ—-—दुष्ट, दुर्मना
निकृन्तन —वि॰—-—मि + कृत् + ल्युट्—काट डालना, नष्ट करना
निकृन्तनम् —नपुं॰—-—-—काटना, काट डालना, नष्ट करना
निकृन्तनम् —नपुं॰—-—-—काटने का उपकरण
निकृष्ट —वि॰—-—नि + कृष् + क्त—नीच, अधम, कमीना
निकृष्ट —वि॰—-—नि + कृष् + क्त—जातिबहिष्कृत, घृणित
निकृष्ट —वि॰—-—नि + कृष् + क्त—गंवारू, देहाती
निकेतः —पुं॰—-—निकेतति निवसति अस्मिन्- नि + कित् + घञ्—घर, आवास, भवन, आलय
निकेतनः —पुं॰—-—नि + कित् + ल्युट्—प्याज
निकेतनम् —नपुं॰—-—-—भवन, घर, आलय
निकोचनम् —नपुं॰—-—नि + कुच् + ल्युट्—सिकुड़न, सिमटन
निक्वणः —पुं॰—-—नि + क्वण् + अप—संगीतस्वर
निक्वणः —पुं॰—-—नि + क्वण् + अप—ध्वनि, स्वर
निक्वाणः —पुं॰—-—नि + क्वण् + घञ् —संगीतस्वर
निक्वाणः —पुं॰—-—नि + क्वण् + घञ् —ध्वनि, स्वर
निक्षा —स्त्री॰—-—निक्ष् + अ + टाप्—जूं का अंडा, लीख
निक्षिप्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + क्षिप् + क्त—फेंका हुआ, डाला हुआ, रक्खा हुआ
निक्षिप्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + क्षिप् + क्त—जमा किया हुआ, न्यस्त, धरोहर के रूप में रक्खा हुआ
निक्षिप्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + क्षिप् + क्त—भेजा हुआ, पहुँचाया हुआ
निक्षिप्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + क्षिप् + क्त—अस्वीकृत, परित्यक्त
निक्षेप —वि॰—-—नि + क्षिप् + घञ्—फेंकना, डालना
निक्षेप —वि॰—-—नि + क्षिप् + घञ्—धरोहर, न्यास, अमानत
निक्षेप —वि॰—-—नि + क्षिप् + घञ्—किसी के भरोसे पर या क्षतिपूर्ति के निमित्त, बिना मोहर लगाये रक्खी हुई जमा, खुली धरोहर
निक्षेप —वि॰—-—नि + क्षिप् + घञ्—भेजना
निक्षेप —वि॰—-—नि + क्षिप् + घञ्—फेंक देना, परित्याग करना
निक्षेप —वि॰—-—नि + क्षिप् + घञ्—मिटाना, सुखाना
निक्षेपणम् —नपुं॰—-—नि + क्षिप् + ल्युट्—डालना, पैरों के नीचे रखना
निक्षेपणम् —नपुं॰—-—नि + क्षिप् + ल्युट्—किसी वस्तु को रखने का उपाय
निखननम् —नपुं॰—-—नि + खन् + ल्युट्—खोदना, गाड़ना
निखर्व —वि॰—-—नितरां खर्वः प्रा॰ स॰—ठिंगना
निखर्वम् —नपुं॰—-—-—दस हजार करोड़
निखात —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + खन् + क्त—खोदा हुआ, खोदकर निकाला हुआ
निखात —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + खन् + क्त—जमाया हुआ, खोदकर गाड़ा हुआ, अन्दर गड़ाया हुआ
निखात —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + खन् + क्त—गाड़ा हुआ, दफ़नाया हुआ
निखिल —वि॰—-—निवृत्तं खिलं शेषो यस्मात ब॰ स॰—संपूर्ण, पूरा, समस्त, सब
निगड —वि॰—-—नि + गल् + अच् लस्य डः—बेड़ी से बंधा हुआ, शृंखलित
निगडः —पुं॰—-—-—हाथी के पैरों के लिए लोहे की जंजीर
निगडः —पुं॰—-—-—हथकड़ी, बेड़ी
निगडम् —नपुं॰—-—-—हाथी के पैरों के लिए लोहे की जंजीर
निगडम् —नपुं॰—-—-—हथकड़ी, बेड़ी
निगडित —वि॰—-—निगड + इतच्—हथकड़ी से बंधा हुआ, बेड़ी से जकड़ा हुआ, शृंखलित, बांधा हुआ
निगणः —पुं॰—-—निगरण, पृषो॰ साधुः—यज्ञाग्नि का धुआँ
निगदः —पुं॰—-—नि + गद् + अप्—सस्वर पाठ, स्तुति पाठ
निगदः —पुं॰—-—नि + गद् + अप्—ऊँचे स्वर से बोली गई प्रार्थना
निगदः —पुं॰—-—नि + गद् + अप्—भाषण, प्रवचन
निगदः —पुं॰—-—नि + गद् + अप्—अर्थ सीखना
निगदः —पुं॰—-—नि + गद् + अप्—उल्लेख, उल्लेखीकरण
निगादः —पुं॰—-—नि + गद् + घञ् —सस्वर पाठ, स्तुति पाठ
निगादः —पुं॰—-—नि + गद् + घञ् —ऊँचे स्वर से बोली गई प्रार्थना
निगादः —पुं॰—-—नि + गद् + घञ् —भाषण, प्रवचन
निगादः —पुं॰—-—नि + गद् + घञ् —अर्थ सीखना
निगादः —पुं॰—-—नि + गद् + घञ् —उल्लेख, उल्लेखीकरण
निगदितम् —नपुं॰—-—नि + गद् + क्त—प्रवचन, भाषण
निगमः —पुं॰—-—नि + गम् + घञ्—वेद, वेद का मूल पाठ
निगमः —पुं॰—-—नि + गम् + घञ्—वैदिक उद्धरण, वेद का वाक्य
निगमः —पुं॰—-—नि + गम् + घञ्—सहायक ग्रंथ-उपवेद, वेद भाष्य
निगमः —पुं॰—-—नि + गम् + घञ्—वेद का विधि वाक्य, ऋषियों के वचन
निगमः —पुं॰—-—नि + गम् + घञ्—धातु
निगमः —पुं॰—-—नि + गम् + घञ्—निश्चय, विश्वास
निगमः —पुं॰—-—नि + गम् + घञ्—तर्क
निगमः —पुं॰—-—नि + गम् + घञ्—व्यवसाय, व्यापार
निगमः —पुं॰—-—नि + गम् + घञ्—मंडी, मेला
निगमः —पुं॰—-—नि + गम् + घञ्—चलते-फिरते सौदागरों की मण्डली
निगमः —पुं॰—-—नि + गम् + घञ्—मार्ग, मण्डी का मार्ग
निगमः —पुं॰—-—नि + गम् + घञ्—नगर
निगमनम् —नपुं॰—-—नि + गम् + ल्युट्—वेद का उद्धरण या उद्धृत शब्द
निगमनम् —नपुं॰—-—नि + गम् + ल्युट्—अनुमान-प्रक्रिया में उपसंहार, घटाना
निगरः —पुं॰—-—नि + गृ + अप्—निगलना, डकारना
निगारः —पुं॰—-—नि + गृ +घञ् —निगलना, डकारना
निगरणम् —नपुं॰—-—नि + गृ + ल्युट्—निगलना, डकारना
निगरणम् —नपुं॰—-—नि + गृ + ल्युट्—ग्रहण कर लेना, पूर्ण रूप से लय कर देना
निगरणः —पुं॰—-—-—यज्ञाग्नि का धुआँ
निगलः —पुं॰—-—-—निगलना, डकारना
निगलः —पुं॰—-— निगरं, निगार, रलयोरभेदः—घोड़े का गला या गर्दन
निगालः —पुं॰—-—-—निगलना, डकारना
निगालः —पुं॰—-— निगरं, निगार, रलयोरभेदः—घोड़े का गला या गर्दन
निगीर्ण —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + गृ + क्त—निगला हुआ, डकारा हुआ
निगीर्ण —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + गृ + क्त—पूर्ण रूप से निगला हुआ, या लय किया हुआ, छिपा हुआ, गुप्त
निगूढ —वि॰—-—नि + गुह् + क्त—छिपाया हुआ, गुप्त- @ शि॰ १३/४०
निगूढ —वि॰—-—नि + गुह् + क्त—रहस्य, निजी
निगूढम् —अव्य॰—-—-—चुपचाप, निजी ढंग से
निगूहनम् —नपुं॰—-—नि + गुह् + ल्युट्—दुराना, छिपाना
निग्रन्थनम् —नपुं॰—-—नि + ग्रंथ् + ल्युट्—वध, हत्या
निग्रहः —पुं॰—-—नि + ग्रह् + अप्—रोक रखना, नियंत्रित करना, दमन करना, वश में करना
निग्रहः —पुं॰—-—नि + ग्रह् + अप्—दबाना, रोकना, कुचलना
निग्रहः —पुं॰—-—नि + ग्रह् + अप्—दौड़ कर पकड़ लेना, अधिकार में कर लेना, गिरफ्तार करना
निग्रहः —पुं॰—-—नि + ग्रह् + अप्—क़ैद करना, कारागार में डालना
निग्रहः —पुं॰—-—नि + ग्रह् + अप्—पराजय, पछाड़ देना, परास्त करना
निग्रहः —पुं॰—-—नि + ग्रह् + अप्—हटा देना, नष्ट करना, दूर करना
निग्रहः —पुं॰—-—नि + ग्रह् + अप्—रोगों की रोकथाम, चिकित्सा
निग्रहः —पुं॰—-—नि + ग्रह् + अप्—दण्ड, सजा
निग्रहः —पुं॰—-—नि + ग्रह् + अप्—डांट, फटकार, गहा
निग्रहः —पुं॰—-—नि + ग्रह् + अप्—अरुचि, नाप-संदगी, जुगुप्सा
निग्रहः —पुं॰—-—नि + ग्रह् + अप्—तर्कगत दोष, त्रुटि, अनुमान-प्रक्रिया में भूल
निग्रहः —पुं॰—-—नि + ग्रह् + अप्—मूठ
निग्रहः —पुं॰—-—नि + ग्रह् + अप्—सीमा, हद
निग्रहण —वि॰—-—नि + ग्रह् + ल्युट्—पीछे कर देने वाला, दबाने वाला
निग्रहणम् —नपुं॰—-—-—दमन करना, दबाना
निग्रहणम् —नपुं॰—-—-—पकड़ना, कैद करना
निग्रहणम् —नपुं॰—-—-—सजा, दण्ड
निग्रहणम् —नपुं॰—-—-—पराजय
निग्राहः —पुं॰—-—नि + ग्रह् + घञ्—दण्ड
निग्राहः —पुं॰—-—नि + ग्रह् + घञ्—कोसना
निघ —वि॰—-—नि + हन्, नि॰—जितना चौड़ा उतना ही लम्बा
निघण्टुः —पुं॰—-—नि + घण्ट् + कु—शब्दावली
निघण्टुः —पुं॰—-—नि + घण्ट् + कु—विशेष रूप से वैदिक शब्दावली जिसकी व्याख्या यास्क ने अपने निरुक्त में की है।
निघर्षः —पुं॰—-—नि + घृष् + घञ्—रगड़ना, घर्षण करना
निघर्षणम् —नपुं॰—-—नि + घृष् + ल्युट् —रगड़ना, घर्षण करना
निघसः —पुं॰—-—नि + अद् + अप्, घसादेशः—खाना, भोजन करना
निघसः —पुं॰—-—नि + अद् + अप्, घसादेशः—भोजन
निघातः —पुं॰—-—नि + हन् + घञ्—अभिघात, प्रहार
निघातः —पुं॰—-—नि + हन् + घञ्—स्वर का दमन करना या अभाव
निघातिः —स्त्री॰—-—नि + हन् + इञ्, कुत्वम्—लोहे की गदा
निघुष्टकम् —नपुं॰—-—नि + घुष् + क्त—ध्वनि, शब्द
निघ्न —वि॰—-—नि + हन् + क—आश्रित, अनुसेवी, आज्ञाकारी
निघ्न —वि॰—-—नि + हन् + क—शिक्ष्य, विधेय
निघ्न —वि॰—-—नि + हन् + क—पराश्रित
निघ्न —वि॰—-—नि + हन् + क—गुणित
निचयः —पुं॰—-—नि + चि + अच्—संग्रह, ढेर, समुच्चय
निचयः —पुं॰—-—नि + चि + अच्—अवयों का संघात जिसमें पूर्णता आ जाय
निचयः —पुं॰—-—नि + चि + अच्—निश्चितता
निचायः —पुं॰—-—नि + चि + घञ्—ढेर
निचिकिः —पुं॰—-—-—बढ़िया गाय
निचित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + चि + क्त—ढका हुआ, आच्छादित, फैला हुआ
निचित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + चि + क्त—भरा हुआ, पूरित
निचित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + चि + क्त—उठाया हुआ
निचुलः —पुं॰—-—नि + चुल् + क—एक प्रकार का नरकुल
निचुलः —पुं॰—-—नि + चुल् + क—एक कवि, कालिदास का मित्र
निचुलः —पुं॰—-—नि + चुल् + क—ऊपर से शरीर ढकने का कपड़ा, चादर
निचुलकम् —नपुं॰—-—निचुल + कन्—वक्षत्राण, चोली, अंगिया
निचोलः —पुं॰—-—नि + चुल् + घञ्—अवगुण्ठन, घूंघट, पर्दा
निचोलः —पुं॰—-—नि + चुल् + घञ्—बिस्तरे की चादर
निचोलः —पुं॰—-—नि + चुल् + घञ्—डोली का आवरण
निचोलकः —पुं॰—-—निचोल + कै + क—बनियान, चोली
निचोलकः —पुं॰—-—निचोल + कै + क—सिपाही की जाकट जो उरस्त्राण का काम दे।
निच्छबिः —पुं॰—-—प्रा॰ ब॰ —एक प्रदेश जिसे आज कल तिरहुत कहते हैं।
निच्छिविः —पुं॰—-—-—एक व्रात्य जाति, पतित जाति
निज् —जुहो॰ उभ॰- < नेनेक्ति>, < नेनिक्ते>, < पुं॰—-—-—धोना, निर्मल करना, स्वच्छ करना
निज् —जुहो॰ उभ॰- < नेनेक्ति>, < नेनिक्ते>, < पुं॰—-—-—अपने आपको धोना, निर्मल करना, स्वच्छ होना
निज् —जुहो॰ उभ॰- < नेनेक्ति>, < नेनिक्ते>, < पुं॰—-—-—पोषण करना
अवनिज् —जुहो॰ उभ॰—अव-निज्—-—प्रक्षालन करना, पानी छिड़कना
निर्णिज् —जुहो॰ उभ॰—निस्-निज्—-—धोना, निर्मल करना,स्वच्छ करना
निज —वि॰—-—नि + जन् + ड—अन्तर्जात, स्वदेशजात, सहज, अन्तर्भव, जन्मजात
निज —वि॰—-—नि + जन् + ड—अपना, स्वकीय, आत्मीय, अपने दल का या अपने देश का
निज —वि॰—-—नि + जन् + ड—विशिष्ट
निज —वि॰—-—नि + जन् + ड—निरन्तर रहने वाला, चिरस्थायी
निज् —अदा॰ आ॰- < निक्ते>—-—-—धोना
प्रणिज् —अदा॰ आ॰—प्र-निज्—-—धोना
निटलम् —नपुं॰—-—नि + टल् + अच्—मस्तक
निटलाक्षः —पुं॰—निटलम्-अक्षः—-—शिव का नाम
निडीनम् —नपुं॰—-—नीचैः डीनं पतनमस्ति—पक्षियों का नीचे की ओर उड़ना या झपट्टा मारना
नितम्बः —पुं॰—-—निभृतं तम्यते कामुकैः, तमु कांक्षायाम्—चूतड़, पिछला उभरा हुआ भाग, श्रोणि प्रदेश, कूल्हा
नितम्बः —पुं॰—-—निभृतं तम्यते कामुकैः, तमु कांक्षायाम्—ढलान, पर्वतश्रेणी, पार्श्व या पहलू
नितम्बः —पुं॰—-—निभृतं तम्यते कामुकैः, तमु कांक्षायाम्—खड़ी चट्टान
नितम्बः —पुं॰—-—निभृतं तम्यते कामुकैः, तमु कांक्षायाम्—नदी का ढलवां किनारा
नितम्बः —पुं॰—-—निभृतं तम्यते कामुकैः, तमु कांक्षायाम्—कंधा
नितम्बबिम्बम् —नपुं॰—नितम्बः-बिम्बम्—-—गोलाकार कूल्हा
नितम्बवत् —वि॰—-—नितंब + मतुप्—सुन्दर कूल्हों वाला
नितम्बवती —स्त्री॰—-—-—स्त्री
नितम्बिन् —वि॰—-—नितंब + इनि—सुन्दर कूल्हों वाला, सुडौल चूतड़ वाला
नितम्बिन् —वि॰—-—नितंब + इनि—अच्छे पार्श्वांगों वाला
नितम्बिनी —स्त्री॰—-—-—बड़े और सुन्दर कूल्हों वाली स्त्री
नितम्बिनी —स्त्री॰—-—-—स्त्री
नितराम् —अव्य॰—-—नि + तरप् + अमु—पूर्णरूप से, सर्वथा, पूरी तरह से
नितराम् —अव्य॰—-—नि + तरप् + अमु—अत्यंत, अत्यधिक, बहुत ज्यादा
नितराम् —अव्य॰—-—नि + तरप् + अमु—निरंतर, सदा, लगातार
नितराम् —अव्य॰—-—नि + तरप् + अमु—सर्वथा
नितराम् —अव्य॰—-—नि + तरप् + अमु—निश्चय ही
नितलम् —नपुं॰—-—नितरां तलम् अधोभागः यस्मिन्—पाताल के सात प्रभागों में से एक
नितान्त —वि॰—-—नि + तम् + क्त +, दीर्घः—असाधारण, अत्यधिक, बहुत अधिक, तीव्र
नितान्तम् —अव्य॰—-—-—अत्यधिक, बहुत ज्यादा, अत्यंत, अतिशय
नित्य —वि॰—-—नियमेन नियतं वा भवं- नि + त्यप्—निरंतर रहने वाला, चिरस्थायी, लगातार, देर तक टिकने वाला, शाश्वत, निर्बाध
नित्य —वि॰—-—नियमेन नियतं वा भवं- नि + त्यप्—अटल, नियमित, निश्चित, अनैच्छिक, नियमित रूप से नियत
नित्य —वि॰—-—नियमेन नियतं वा भवं- नि + त्यप्—आवश्यक, अवश्यकरणीय, अपरिहार्य
नित्य —वि॰—-—नियमेन नियतं वा भवं- नि + त्यप्—सामान्य, प्रचलित
नित्य —वि॰—-—नियमेन नियतं वा भवं- नि + त्यप्—निरंतर निवास करने वाला, लगातार किसी काम में लगा हुआ या व्यस्त
नित्यम् —अव्य॰—-—-—प्रतिदिन, लगातार, सदा, हमेशा, निरन्तर, सदैव
अनध्यायनित्य —वि॰—अनध्यायः-नित्य—-—ऐसा अवसर जब वेद पठन-पाठन सर्वथा त्याग दिया जाय
नित्यानित्य —वि॰—नित्य-अनित्य—-—शाश्वत तथा नश्वर
नित्यर्तु —वि॰—नित्य-ऋतु—-—ऋतु के आने पर नियमित रूप से होने वाला
नित्यकर्मन् —नपुं॰—नित्य-कर्मन्—-—प्रतिदिन किया जाने वाला आवश्यक कार्य, लगातार किया जाने वाला कर्तव्य
नित्यकृत्यम् —नपुं॰—नित्य-कृत्यम्—-—प्रतिदिन किया जाने वाला आवश्यक कार्य, लगातार किया जाने वाला कर्तव्य
नित्यक्रिया —स्त्री॰—नित्य-क्रिया—-—प्रतिदिन किया जाने वाला आवश्यक कार्य, लगातार किया जाने वाला कर्तव्य
नित्यगतिः —स्त्री॰—नित्य-गतिः—-—वायु, हवा
नित्यदानम् —नपुं॰—नित्य-दानम्—-—प्रतिदिन दान देने का कर्म
नित्यनियमः —पुं॰—नित्य-नियमः—-—अटल सिद्धांत
नित्यनैमित्तिकम् —नपुं॰—नित्य-नैमित्तिकम्—-—किसी निमित्त विशेष से नियमित रूप से होने वाला या किसी विशेष उद्देश्य की प्राप्ति के लिए निरन्तर किया जाने वाला अनुष्ठान
नित्यप्रलयः —पुं॰—नित्य-प्रलयः—-—सुषुप्ति
नित्यमुक्तः —पुं॰—नित्य-मुक्तः—-—परमात्मा
नित्ययौवनाम् —नपुं॰—नित्य-यौवनाम्—-—द्रौपदी का विशेषण
नित्यशङ्कित —वि॰—नित्यशङ्कित—-—सदैव चौकन्ना, सदैव सशंक
नित्यसमासः —पुं॰—नित्य-समासः—-—अनिवार्य समास, ऐसा समास जिसके अर्थों को पृथक्-पृथक् शब्दों द्वारा अभिव्यक्त न किया जा सके।
नित्यता —स्त्री॰—-—नित्य + तल् + टाप्—स्थिरता, अनवरतता, नैरन्तर्य, शाश्वतता, निरन्तरता
नित्यता —स्त्री॰—-—नित्य + तल् + टाप्—आवश्यकता
नित्यत्वम् —नपुं॰—-—नित्य + तल् + त्व —स्थिरता, अनवरतता, नैरन्तर्य, शाश्वतता, निरन्तरता
नित्यत्वम् —नपुं॰—-—नित्य + तल् + त्व —आवश्यकता
नित्यदा —अव्य॰—-—नित्य + दाच्—लगातार, हमेशा, प्रतिदिन, सदैव
नित्यशस् —अव्य॰—-—नित्य + शस्—लगातार, हमेशा, सदैव
निदद्रुः —पुं॰—-—निदात् विषात् द्राति पलायते- निद + द्रा + कु—मनुष्य
निदर्शक —वि॰—-—नि + दृश् + ण्वुल्—देखने वाला
निदर्शक —वि॰—-—नि + दृश् + ण्वुल्—अन्दर देखने वाला, प्रत्यक्ष करने वाला
निदर्शक —वि॰—-—नि + दृश् + ण्वुल्—संकेत करने वाला, प्रकथन करने वाला, इंगित करने वाला
निदर्शनम् —नपुं॰—-—नि + दृश् + ल्युट्—दृश्य, अन्तर्दृष्टि, अन्तरीक्षण, नजर, दर्शनशक्ति
निदर्शनम् —नपुं॰—-—नि + दृश् + ल्युट्—इशारा करना, बतलाना
निदर्शनम् —नपुं॰—-—नि + दृश् + ल्युट्—प्रमाण, साक्ष्य
निदर्शनम् —नपुं॰—-—नि + दृश् + ल्युट्—दृष्टान्त, उदाहरण, मिसाल
निदर्शनम् —नपुं॰—-—नि + दृश् + ल्युट्—अग्रसूचक
निदर्शनम् —नपुं॰—-—नि + दृश् + ल्युट्—चिह्न, शकुन
निदर्शनम् —नपुं॰—-—नि + दृश् + ल्युट्—योजना, पद्धति
निदर्शनम् —नपुं॰—-—नि + दृश् + ल्युट्—विधि, वेदविहित प्रमाण, निषेध
निदर्शना —स्त्री॰—-—-—अलंकारशास्त्र में एक अलंकार
निदाघः —पुं॰—-—नितरां दह्यते अत्र- नि + दह् + घङ—ताप, गर्मी
निदाघः —पुं॰—-—नितरां दह्यते अत्र- नि + दह् + घङ—ग्रीष्म ऋतु, गर्मी का मौसम
निदाघः —पुं॰—-—नितरां दह्यते अत्र- नि + दह् + घङ—स्वेद, पसीना
निदाघकरः —पुं॰—निदाघः-करः—-—सूर्य
निदाघकालः —पुं॰—निदाघः-कालः—-—गर्मी की ऋतु
निदानम् —नपुं॰—-—निश्चयं दीयतेऽनेन- नि + दा + ल्युट्—पट्टी, तस्मा, रस्सी, डोरी
निदानम् —नपुं॰—-—निश्चयं दीयतेऽनेन- नि + दा + ल्युट्—बछड़े को बांधने का रस्सा
निदानम् —नपुं॰—-—निश्चयं दीयतेऽनेन- नि + दा + ल्युट्—प्राथमिक कारण, प्रथम या आवश्यक कारण
निदानम् —नपुं॰—-—निश्चयं दीयतेऽनेन- नि + दा + ल्युट्—सामान्य कारण
निदानम् —नपुं॰—-—निश्चयं दीयतेऽनेन- नि + दा + ल्युट्—रोग का कारण जानना, रोग-विज्ञान
निदानम् —नपुं॰—-—निश्चयं दीयतेऽनेन- नि + दा + ल्युट्—किसी रोग का निरूपण
निदानम् —नपुं॰—-—निश्चयं दीयतेऽनेन- नि + दा + ल्युट्—अन्त, समाप्ति
निदानम् —नपुं॰—-—निश्चयं दीयतेऽनेन- नि + दा + ल्युट्—पवित्रता, निर्मलता, शुद्धता
निदिग्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + दिह् + क्त—लेप किया हुआ, चुपड़ा हुआ
निदिग्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + दिह् + क्त—बढ़ाया हुआ, संचित
निदिग्धा —स्त्री॰—-—-—छोटी इलायची
निदिध्यासः —पुं॰—-—नि + ध्यै + सन् + घञ्—बारंबार ध्यान में लाना, निरंतर चिन्तन
निदिध्यासनम् —नपुं॰—-—नि + ध्यै + सन् + ल्युट् —बारंबार ध्यान में लाना, निरंतर चिन्तन
निदेशः —पुं॰—-—नि + दिश् + घञ्—आज्ञा, हुक्म, हिदायत, अनुदेश
निदेशः —पुं॰—-—नि + दिश् + घञ्—भाषण, वर्णन, समालाप
निदेशः —पुं॰—-—नि + दिश् + घञ्—सामीप्य, पड़ोस
निदेशः —पुं॰—-—नि + दिश् + घञ्—पात्र,बर्तन
निदेशिन् —वि॰—-—निदेश + इनि—संकेत करने वाला
निदेशिनी —स्त्री॰—-—-—दिशा, पृथ्वी का एक बिन्दु
निदेशिनी —स्त्री॰—-—-—प्रदेश
निद्रा —स्त्री॰—-—निन्द् + रक् + टाप्, नलोपः—सुप्तावस्था, नींद
निद्रा —स्त्री॰—-—निन्द् + रक् + टाप्, नलोपः—शिथिलता
निद्रा —स्त्री॰—-—निन्द् + रक् + टाप्, नलोपः—आँखें मुंदना, कली की अवस्था
निद्राभङ्गः —पुं॰—निद्रा-भङ्गः—-—जागरण, नींद टूट जाना
निद्रावृक्षः —पुं॰—निद्रा-वृक्षः—-—अंधकार
निद्रासञ्जननम् —नपुं॰—निद्रा-संजननम्—-—श्लेष्मा, कफात्मक वृत्ति
निद्राण —वि॰—-—नि + द्रा + क्त, तस्य नः, ततो णत्वम्—सोता हुआ, शयान
निद्रालु —वि॰—-—नि + द्रा + आलुच्—शयान, निद्रित
निद्रालुः —पुं॰—-—-—विष्णु की उपाधि
निद्रित —वि॰—-—निद्रा + इतच्—सोया हुआ, सुप्त
निधन —वि॰—-—निवृत्तं धनं यस्मात्- ब॰ स॰—गरीब, दरिद्र
निधनः —पुं॰—-—-—ध्वंस, सर्वनाश, मरण, हानि
निधनः —पुं॰—-—-—उपसंहार, अन्त, परिसमाप्ति
निधनम् —नपुं॰—-—-—ध्वंस, सर्वनाश, मरण, हानि
निधनम् —नपुं॰—-—-—उपसंहार, अन्त, परिसमाप्ति
निधनम् —नपुं॰—-—-—परिवार, वंश
निधानम् —नपुं॰—-—नि + धा + ल्युट्—नीचे रखना, निर्धारित करना, जमा करना
निधानम् —नपुं॰—-—नि + धा + ल्युट्—संभाल कर रखना, सुरक्षित रखना
निधानम् —नपुं॰—-—नि + धा + ल्युट्—गोदाम, आधार, आशय
निधानम् —नपुं॰—-—नि + धा + ल्युट्—खजाना
निधानम् —नपुं॰—-—नि + धा + ल्युट्—कोष, भंडार, संपत्ति, दौलत
निधिः —पुं॰—-—नि + धा + कि—घर, आधार, आशय
निधिः —पुं॰—-—नि + धा + कि—भंडारगृह, कोषागार
निधिः —पुं॰—-—नि + धा + कि—खज़ाना, भंडार, संचय
निधिः —पुं॰—-—नि + धा + कि—समुद्र
निधिः —पुं॰—-—नि + धा + कि—विष्णु का विशेषण
निधिः —पुं॰—-—नि + धा + कि—सद्गुणसंपन्न व्यक्ति
निधीशः —पुं॰—निधिः-ईशः—-—कुबेर का विशेषण
निधिनाथः —पुं॰—निधिः-नाथः—-—कुबेर का विशेषण
निधुवनम् —नपुं॰—-—नितरां धुवनं हस्तपादादि चालनमत्र—क्षोभ, कम्पन
निधुवनम् —नपुं॰—-—नितरां धुवनं हस्तपादादि चालनमत्र—
निधुवनम् —नपुं॰—-—नितरां धुवनं हस्तपादादि चालनमत्र—आनन्द, उपभोग, केलि
निध्यानम् —नपुं॰—-—नि + ध्यै + ल्युट्—दर्शन, अवलोकन, दृष्टि
निध्वानः —पुं॰—-—नि + ध्वन् + घञ्—ध्वनि, शब्द
निनंक्षु —वि॰—-—नष्टुमिच्छुः- नश् + सन् + ड—मरने की इच्छा वाला
निनंक्षु —वि॰—-—नष्टुमिच्छुः- नश् + सन् + ड—भाग जाने या बच निकलने का इच्छुक
निनदः —पुं॰—-—नि + नद् + अप्—ध्वनि, शोर-उच्चचार
निनदः —पुं॰—-—नि + नद् + अप्—भिन-भिनाना, गुंजन करना
निनादः —पुं॰—-—नि + नद् + घञ् —ध्वनि, शोर-उच्चचार
निनादः —पुं॰—-—नि + नद् + घञ् —भिन-भिनाना, गुंजन करना
निनयनम् —नपुं॰—-—नि + नी + ल्युट्—अनुष्ठान
निनयनम् —नपुं॰—-—नि + नी + ल्युट्—किसी कार्य को पूर्ण करना, सम्पन्न करना
निनयनम् —नपुं॰—-—नि + नी + ल्युट्—उडेलना
निन्द् —भ्वा॰ पर॰ < निदन्ति>, < निन्दित>, < प्रणिदति>—-—-—दोष देना, निंदा करना, छिद्रान्वेषण करना, बुरा भला कहना, डांटना, फटकारना, धिक्कारना
निन्दक —वि॰—-—निंद् + ण्वुल्—कलंक लगाने वाला, निंदा करने वाला, गाली देने वाला, बदनाम करने वाला
निन्दनम् —नपुं॰—-—निन्द् + ल्युट्—कलंक, दोषारोप, डांट, फटकार, गाली, बुरा-भला कहना, बदनामी
निन्दनम् —नपुं॰—-—निन्द् + ल्युट्—क्षति, दुष्टता
निन्दा —स्त्री॰—-—निन्द + अ + टाप् —कलंक, दोषारोप, डांट, फटकार, गाली, बुरा-भला कहना, बदनामी
निन्दा —स्त्री॰—-—निन्द + अ + टाप् —क्षति, दुष्टता
निन्दनस्तुतिः —स्त्री॰—निन्दनम्-स्तुतिः—-—व्याजस्तुति, स्तुति के रूप में निन्दा
निन्दनस्तुतिः —स्त्री॰—निन्दनम्-स्तुतिः—-—प्रच्छन्नस्तुति
निंदित —भू॰ क॰ कृ॰—-—निंद + क्त—कलंकित, दोषारोपित, गाली दिया हुआ, बदनाम किया हुआ
निंदुः —स्त्री॰—-—निन्दु + उ—मरा बच्चा पैदा करने वाली स्त्री, मृतवत्सा
निंद्य —वि॰—-—निंदं + ण्यात्—कलंक के योग्य, दोषारोपण के लायक, निर्भत्स्य, गर्हित, जघन्य
निंद्य —वि॰—-—निंदं + ण्यात्—वर्जित, प्रतिषिद्ध
निपः —पुं॰—-—नियतं पिबति अनेन- नि + पा + क—जल का घड़ा
निपम् —नपुं॰—-—नियतं पिबति अनेन- नि + पा + क—जल का घड़ा
निपः —पुं॰—-—-—कदम्ब का पेड़
निपठः —पुं॰—-—नि + पठ् + अप्—पढ़ना, सस्वर पाठ करना, अध्ययन करना
निपाठः —पुं॰—-—नि + पठ् + घञ्—पढ़ना, सस्वर पाठ करना, अध्ययन करना
निपतनम् —नपुं॰—-—नि + पत् + ल्युट्—नीचे गिरना, नीचे उतरना, उतरना
निपतनम् —नपुं॰—-—नि + पत् + ल्युट्—नीचे की ओर उड़ना
निपत्या —स्त्री॰—-—निपतंति अस्याम्- नि + पत् + क्यप् + टाप्—फिसलन वाली भूमि
निपत्या —स्त्री॰—-—निपतंति अस्याम्- नि + पत् + क्यप् + टाप्—रणक्षेत्र
निपाकः —पुं॰—-—नि + पच् + घञ्—परिपक्व करना, पकाना
निपातः —पुं॰—-—नि + पत् + घञ्—नीचे गिरना, नीचे आना, नीचे उतरना
निपातः —पुं॰—-—नि + पत् + घञ्—आक्रमण करना, टूट पड़ना, झपटना, कूदना
निपातः —पुं॰—-—नि + पत् + घञ्—फेंकना, फेंक कर मारना, दागना
निपातः —पुं॰—-—नि + पत् + घञ्—उतार, प्रपात
निपातः —पुं॰—-—नि + पत् + घञ्—मरण, मृत्यु
निपातः —पुं॰—-—नि + पत् + घञ्—आकस्मिक घटना
निपातः —पुं॰—-—नि + पत् + घञ्—अनियमित रूप, अनियमितता, अनियमित या अपवाद मानना
निपातः —पुं॰—-—नि + पत् + घञ्—अव्यय, वह शब्द जिसके और रूप न बने।
निपातनम् —नपुं॰—-—नि + पत् + णिच् + ल्युट्—नीचे फेंक देना, पछाड़ देना, मारना
निपातनम् —नपुं॰—-—नि + पत् + णिच् + ल्युट्—परास्त करना, बर्बाद करना, वध करना
निपातनम् —नपुं॰—-—नि + पत् + णिच् + ल्युट्—मर्म स्पर्श करना
निपातनम् —नपुं॰—-—नि + पत् + णिच् + ल्युट्—अनियमित या अपवाद मानना
निपातनम् —नपुं॰—-—नि + पत् + णिच् + ल्युट्—शब्द का अनियमित रूप, अनियमितता, अपवाद
निपानम् —नपुं॰—-—नि + पा + ल्युट्—पीना
निपानम् —नपुं॰—-—नि + पा + ल्युट्—जलाशय, जोहड़, पोखर
निपानम् —नपुं॰—-—नि + पा + ल्युट्—चौबच्चा, कुएँ के समीप पानी का हौज़ जिसमें पशुओं के पीने का पानी भरा हो।
निपानम् —नपुं॰—-—नि + पा + ल्युट्—कुआँ
निपानम् —नपुं॰—-—नि + पा + ल्युट्—दूध की बाल्टी
निपीडनम् —नपुं॰—-—नि + पीड् + णिच् + ल्युट्—निचोड़ना, दबाना, भींचना
निपीडनम् —नपुं॰—-—नि + पीड् + णिच् + ल्युट्—चोट पहुँचाना, घायल करना
निपीडना —स्त्री॰—-—-—अत्याचार करना, घायल करना, क्षति पहुँचाना
निपुण —वि॰—-—नि + पुण् + क—चतुर, चालाक, बुद्धिमान्, कुशल
निपुण —वि॰—-—नि + पुण् + क—प्रवीण, कुशल, जानकार, परिचित
निपुण —वि॰—-—नि + पुण् + क—अनुभवशील
निपुण —वि॰—-—नि + पुण् + क—कृपालु, मित्रसदृश
निपुण —वि॰—-—नि + पुण् + क—सूक्ष्म, बढ़िया, कोमल
निपुण —वि॰—-—नि + पुण् + क—सम्पूर्ण, पूरा, सही
निपुणम् —अव्य॰—-—-—कौशल से, चतुराई से
निपुणम् —अव्य॰—-—-—पूरी तरह से, पूर्णरूप से, सर्वथा
निपुणम् —अव्य॰—-—-—ठीक, सावधानी से, यथार्थतः, सूक्ष्मरूप से
निपुणम् —अव्य॰—-—-—मृदुता के साथ
निपुणेन —अव्य॰—-—-—कौशल से, चतुराई से
निपुणेन —अव्य॰—-—-—पूरी तरह से, पूर्णरूप से, सर्वथा
निपुणेन —अव्य॰—-—-—ठीक, सावधानी से, यथार्थतः, सूक्ष्मरूप से
निपुणेन —अव्य॰—-—-—मृदुता के साथ
निबद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + बन्ध् + क्त—बांधा हुआ, कसा हुआ, हथकड़ी पहनाया हुआ, रोका हुआ, बंद किया हुआ
निबद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + बन्ध् + क्त—जुड़ा हुआ, संबद्ध
निबद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + बन्ध् + क्त—निमित
निबद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + बन्ध् + क्त—खचित, जड़ा हुआ
निबद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + बन्ध् + क्त—गवाह के रूप में बुलाया हुआ
निबन्धः —पुं॰—-—नि + बन्ध् + घञ्—बांधना, कसना, जकड़ना
निबन्धः —पुं॰—-—नि + बन्ध् + घञ्—आसक्ति, संलग्नता
निबन्धः —पुं॰—-—नि + बन्ध् + घञ्—रचना करना, लिखना
निबन्धः —पुं॰—-—नि + बन्ध् + घञ्—साहित्यिक रचना या कृति
निबन्धः —पुं॰—-—नि + बन्ध् + घञ्—संग्रह-ग्रन्थ
निबन्धः —पुं॰—-—नि + बन्ध् + घञ्—नियंत्रण, अवरोध, बंधन
निबन्धः —पुं॰—-—नि + बन्ध् + घञ्—मूत्रावरोध
निबन्धः —पुं॰—-—नि + बन्ध् + घञ्—बंध, हथकड़ी
निबन्धः —पुं॰—-—नि + बन्ध् + घञ्—संपत्ति का अनुदान, पशु, रुपया आदि सहायता के रूप में देना, स्थिर संपत्ति
निबन्धः —पुं॰—-—नि + बन्ध् + घञ्—बुनियाद, मूल
निबन्धः —पुं॰—-—नि + बन्ध् + घञ्—हेतु, कारण
निबन्धनम् —नपुं॰—-—नि + बन्ध्+ ल्युट्—एक जगह जकड़ना, मिलाकर बांधना
निबन्धनम् —नपुं॰—-—नि + बन्ध्+ ल्युट्—संरचना करना, निर्माण करना
निबन्धनम् —नपुं॰—-—नि + बन्ध्+ ल्युट्—नियंत्रण करना, रोकना, क़ैद करना
निबन्धनम् —नपुं॰—-—नि + बन्ध्+ ल्युट्—बंध, हथकड़ी
निबन्धनम् —नपुं॰—-—नि + बन्ध्+ ल्युट्—गांठ, बंध, सहारा, टेक
निबन्धनम् —नपुं॰—-—नि + बन्ध्+ ल्युट्—पराश्रयता, संबंध, अन्योन्याश्रित
निबन्धनम् —नपुं॰—-—नि + बन्ध्+ ल्युट्—कारण, मूल, हेतु, प्रयोजन, आधार, बुनियाद, आकस्मिक
निबन्धनम् —नपुं॰—-—नि + बन्ध्+ ल्युट्—आगार, गद्दी, आधार
निबन्धनम् —नपुं॰—-—नि + बन्ध्+ ल्युट्—रचना करना, क्रमबद्ध करना
निबन्धनम् —नपुं॰—-—नि + बन्ध्+ ल्युट्—साहित्यिक रचना या कृति, पुस्तक
निबन्धनम् —नपुं॰—-—नि + बन्ध्+ ल्युट्—अनुदान, नियोजन या हस्तांतरण-प्रलेख
निबन्धनम् —नपुं॰—-—नि + बन्ध्+ ल्युट्—वीणी की खूँटी
निबन्धनम् —नपुं॰—-—नि + बन्ध्+ ल्युट्—कारक-प्रकरण
निबन्धनम् —नपुं॰—-—नि + बन्ध्+ ल्युट्—भाष्य
निबन्धनी —स्त्री॰—-—निबन्धन + डीप्—बंध, हथकड़ी, डोरी या रस्सी
निबर्हण —वि॰—-—नि + ब (व) र्ह् + ल्युट्—नष्ट करने वाला, विनाशक, शत्रु
निबर्हणम् —नपुं॰—-—-—वध, ध्वंस, विनाश, हत्या
निविड —वि॰—-—नि + विड् + क—सघन, तिनका
निभ —वि॰—-—न + भा + क—सदृश, समान, अनुरूप
निभः —पुं॰—-—-—दर्शन, प्रकाश, प्रकटीकरण
निभः —पुं॰—-—-—बहाना, छद्मवेश, ब्याज
निभः —पुं॰—-—-—चाल, जालसाजी
निभम् —नपुं॰—-—-—दर्शन, प्रकाश, प्रकटीकरण
निभम् —नपुं॰—-—-—बहाना, छद्मवेश, ब्याज
निभम् —नपुं॰—-—-—चाल, जालसाजी
निभालनम् —नपुं॰—-—नि + भल + णिच् + ल्युट्—देखना, दृष्टि, प्रत्यक्षीकरण
निभूत —वि॰—-—नि + भू + क्त—अत्यन्त भीत
निभूत —वि॰—-—नि + भू + क्त—गया हुआ, बीता हुआ
निभृत —वि॰—-—नि + भृ + क्त—रक्खा हुआ, जमा किया हुआ, नीचा किया हुआ
निभृत —वि॰—-—नि + भृ + क्त—भरा हुआ, आपूरित
निभृत —वि॰—-—नि + भृ + क्त—छिपाया हुआ, गुप्त, दृष्टि से ओझल, अनीक्षित, अनवलोकित
निभृत —वि॰—-—नि + भृ + क्त—गुप्त, प्रच्छन्न
निभृत —वि॰—-—नि + भृ + क्त—चुप, शान्त
निभृत —वि॰—-—नि + भृ + क्त—स्थिर, नियत, अचल, गतिहीन
निभृत —वि॰—-—नि + भृ + क्त—मृदु, सौम्य, जो कोमल न हो, प्रचंड, दृढ़
निभृत —वि॰—-—नि + भृ + क्त—विनीत, नम्र
निभृत —वि॰—-—नि + भृ + क्त—दृढ़, अटल
निभृत —वि॰—-—नि + भृ + क्त—एकाकी, अकेला
निभृत —वि॰—-—नि + भृ + क्त—बंद, मुंदा हुआ
निभृतम् —अव्य॰ —-—-—गुप्त रूप से, प्रच्छन्न रूप से, निजी तौर पर, बिना किसी के देखे
निभृतम् —अव्य॰ —-—-—चुपचाप, शान्ति से
निमग्न —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + मस्ज् + क्त—डूबा हुआ, डुबोया हुआ, बोरा हुआ, आप्लावित, जलमग्न हुआ
निमग्न —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + मस्ज् + क्त—नीचे गया हुआ, अस्त
निमग्न —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + मस्ज् + क्त—अभिप्लुत, आच्छादित
निमग्न —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + मस्ज् + क्त—अवसन्न, अप्रमुख
निमज्जथुः —पुं॰—-—नि + मस्ज् + अथुच्—डुबकी लगाना, गोता लगाना
निमज्जथुः —पुं॰—-—नि + मस्ज् + अथुच्—बिस्तरे में डुबना, शयन करना, सो जाना
निमज्जनम् —नपुं॰—-—नि + मस्ज् + ल्युट्—स्नान करना, डुबकी लगाना, गोता लगाना, डूबना
निमन्त्रणम् —नपुं॰—-—नि + मंत्र् + ल्युट्—न्यौता
निमन्त्रणम् —नपुं॰—-—नि + मंत्र् + ल्युट्—आमन्त्रण, बुलावा
निमन्त्रणम् —नपुं॰—-—नि + मंत्र् + ल्युट्—आह्वान, तलवी
निमयः —पुं॰—-—नि + मि + अच्—वस्तु-विनिमय, अदला-बदली
निमानम् —नपुं॰—-—नि + मा + ल्युट्—माप
निमानम् —नपुं॰—-—नि + मा + ल्युट्—मूल्य
निमिः —पुं॰—-—-—आँख का झपकना
निमिः —पुं॰—-—-—ईक्ष्वाकु की एक संतान, मिथिला में राज्य करने वाले राजाओं के कुल का पूर्वज
निमित्तम् —नपुं॰—-—नि + मिद् + क्त—कारण, प्रयोजन, आधार, हेतु
निमित्तम् —नपुं॰—-—नि + मिद् + क्त—करणात्मक या कौशलदर्शी करण
निमित्तम् —नपुं॰—-—नि + मिद् + क्त—प्रतीयमान कारण, ब्याज
निमित्तम् —नपुं॰—-—नि + मिद् + क्त—चिह्न, संकेत, निशानी
निमित्तम् —नपुं॰—-—नि + मिद् + क्त—ठूंठ, लक्ष्य, निशाना
निमित्तम् —नपुं॰—-—नि + मिद् + क्त—भविष्यसूचक शकुन
निमित्तम् —अव्य॰ —-—-—के कारण, क्योंकि, इस कारण कि
निमित्तेन —अव्य॰ —-—-—के कारण, क्योंकि, इस कारण कि
निमित्तात् —अव्य॰ —-—-—के कारण, क्योंकि, इस कारण कि
निमित्तार्थः —पुं॰—निमित्तम्-अर्थः—-—अकर्तृक क्रिया की अवस्था, तुमुन्नंत प्रयोग
निमित्तावृत्तिः —स्त्री॰—निमित्तम्-आवृत्तिः—-—किसी विशेष कारण पर आश्रय
निमित्तकारणम् —नपुं॰—निमित्तम्- कारणम्—-—करणात्मक या कौशलदर्शी कारण
निमित्तहेतुः —पुं॰—निमित्तम्- हेतुः—-—करणात्मक या कौशलदर्शी कारण
निमित्तकृत् —पुं॰—निमित्तम्-कृत्—-—कौवा
निमित्तधर्मः —पुं॰—निमित्तम्-धर्मः—-—प्रायश्चित्त
निमित्तधर्मः —पुं॰—निमित्तम्-धर्मः—-—सामयिक संस्कार
निमित्तविद् —वि॰—निमित्तम्-विद्—-—अच्छे और बुरे शकुनों का ज्ञाता
निमित्तविद् —पुं॰—निमित्तम्-विद्—-—ज्योतिषी
निमिषः —पुं॰—-—नि + मिष् + क—आँख झपकना, आँख बन्द करना, पलक झपकाना
निमिषः —पुं॰—-—नि + मिष् + क—पलकमात्र समय, पलभर
निमिषः —पुं॰—-—नि + मिष् + क—फूलों का बन्द होना
निमिषः —पुं॰—-—नि + मिष् + क—आँख की पलक का शब्द होना
निमिषः —पुं॰—-—नि + मिष् + क—विष्णु
निमिषान्तरम् —नपुं॰—निमिषः-अन्तरम्—-—क्षण भर का अन्तराल
निमीलनम् —नपुं॰—-—नि + मील् + ल्युट्—पलकें बन्द करना, झपकना
निमीलनम् —नपुं॰—-—नि + मील् + ल्युट्—मरणसमय आँखें मुंदना, मृत्यु
निमीलनम् —नपुं॰—-—नि + मील् + ल्युट्—पूर्णग्रास
निमिला —स्त्री॰—-—नि + मील् + अ + टाप्—आँखें बन्द करना
निमिला —स्त्री॰—-—नि + मील् + अ + टाप्—आँख झपकाना, पलक मारना, किसी की ओर आँख मिचकाना
निमिला —स्त्री॰—-—नि + मील् + अ + टाप्—जालसाजी, बहाना, चालाकी
निमीलिका —स्त्री॰—-—निमिल + कन् + टाप्, इत्वम्—आँखें बन्द करना
निमीलिका —स्त्री॰—-—निमिल + कन् + टाप्, इत्वम्—आँख झपकाना, पलक मारना, किसी की ओर आँख मिचकाना
निमीलिका —स्त्री॰—-—निमिल + कन् + टाप्, इत्वम्—जालसाज़ी, बहाना, चालाकी
निमूलम् —अव्य॰—-—निक्तरां मूलम्, प्रा॰ स॰—नीचे जड़ तक
निमेषः —पुं॰—-—नि + मिष् + घञ्—आँख का झपकना, क्षण
अनिमेषेणचक्षुषा —स्त्री॰—अनिमेषेण चक्षुषा—-—टकटकी लगाकर, एकटक दृष्टि से
निमेषकृत् —स्त्री॰—निमेषः-कृत्—-—बिजली
निमेषरुच् —पुं॰—निमेषः-रुच्—-—जुगनू
निम्नः —वि॰—-—नि + म्ना + क—गहरा
निम्नः —वि॰—-—नि + म्ना + क—नीच, अवसन्न
निम्नम् —नपुं॰—-—-—गहराई, नीची भूमि, निम्न देश
निम्नम् —नपुं॰—-—-—ढलान, ढाल
निम्नम् —नपुं॰—-—-—व्यवधान, भूरन्ध्र
निम्नम् —नपुं॰—-—-—अवसाद, निचला भाग
निम्नोन्नत —वि॰—निम्नम्-उन्नत—-—ऊँचा नीचा, अवनत उन्नत, ऊबड़खाबड़
निम्नगतम् —नपुं॰—निम्नम्-गतम्—-—निम्नस्थान
निम्नगा —स्त्री॰—निम्नम्- गा—-—नदी, पहाड़ी नदी
निम्बः —पुं॰—-—निन्ब् + अच्—नीम का पेड़
निम्लोचः —पुं॰—-—नि + म्लुच् + अञ्—सूर्यास्त
नियत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + यम् + क्त्त—दमन किया हुआ, नियंत्रित
नियत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + यम् + क्त्त—अभिभूत, नियंत्रण में किया हुआ, स्वस्थ, स्वशासित
नियत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + यम् + क्त्त—संयमी, मिताहारी
नियत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + यम् + क्त्त—सावधान
नियत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + यम् + क्त्त—जमा हुआ, स्थायी, अनवरत, स्थिर
नियत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + यम् + क्त्त—अवश्यंभावी, निश्चित, अचूक
नियत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + यम् + क्त्त—अनिवार्य
नियत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + यम् + क्त्त—ध्रुव, निश्चित
नियत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + यम् + क्त्त—विचारणीय विषय
नियतम् —नपुं॰—-—-—हमेशा, लगातार
नियतम् —नपुं॰—-—-—निश्चयात्मक रूप से, अवश्य, अनिवार्यतः, निश्चय ही
नियति —स्त्री॰—-—नि + यम् + क्तिन्—नियंत्रण, प्रतिबन्ध
नियति —स्त्री॰—-—नि + यम् + क्तिन्—भाग्य प्रारब्ध, भवितव्यता, किस्मत
नियति —स्त्री॰—-—नि + यम् + क्तिन्—धार्मिक कर्तव्य
नियति —स्त्री॰—-—नि + यम् + क्तिन्—आत्मनियंत्रण, आत्मसंयम
नियन्तृ —पुं॰—-—नि + यम् + तृच्—सारथि, चालक
नियन्तृ —पुं॰—-—नि + यम् + तृच्—राज्यपाल, शासक, स्वामी, विनियंता
नियन्तृ —पुं॰—-—नि + यम् + तृच्—दण्ड देने वाला, सजा देने वाला
नियन्त्रणम् —नपुं॰—-—नि + यन्त्र् + ल्युट—रोक, आरक्षण, प्रतिबंध
नियन्त्रणम् —नपुं॰—-—नि + यन्त्र् + ल्युट—प्रतिबंध लगाना, सीमित करना
नियन्त्रणम् —नपुं॰—-—नि + यन्त्र् + ल्युट—निर्देशन, शासन
नियन्त्रणम् —नपुं॰—-—नि + यन्त्र् + ल्युट—परिभाषा बताना
नियन्त्रणा —स्त्री॰—-—नि + यन्त्र् + ल्युट्; स्त्रियां टाप् च—रोक, आरक्षण, प्रतिबंध
नियन्त्रणा —स्त्री॰—-—नि + यन्त्र् + ल्युट्; स्त्रियां टाप् च—प्रतिबंध लगाना, सीमित करना
नियन्त्रणा —स्त्री॰—-—नि + यन्त्र् + ल्युट्; स्त्रियां टाप् च—निर्देशन, शासन
नियन्त्रणा —स्त्री॰—-—नि + यन्त्र् + ल्युट्; स्त्रियां टाप् च—परिभाषा बताना
नियन्त्रित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + यंत्र् + क्त—दमन किया हुआ, रोका हुआ
नियन्त्रित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + यंत्र् + क्त—प्रतिबद्ध, सीमित
नियमः —पुं॰—-—नि + यन् + अप—नियंत्रण, रोक
नियमः —पुं॰—-—नि + यन् + अप—सधाना, वशीभूत करना
नियमः —पुं॰—-—नि + यन् + अप—सीमित करना, रोक लगाना
नियमः —पुं॰—-—नि + यन् + अप—निग्रह, निरोध
नियमः —पुं॰—-—नि + यन् + अप—सीमाबंधन, हदबंदी
नियमः —पुं॰—-—नि + यन् + अप—नियम या विधि कानून, प्रचलन
नियमः —पुं॰—-—नि + यन् + अप—नियमितता
नियमः —पुं॰—-—नि + यन् + अप—निश्चितता, निश्चय
नियमः —पुं॰—-—नि + यन् + अप—संविदा, प्रतिज्ञा, व्रत, वादा
नियमः —पुं॰—-—नि + यन् + अप—आवश्यकता, अनिवार्यता
नियमः —पुं॰—-—नि + यन् + अप—कोई ऐच्छिक या स्वेच्छा से गृहीत धार्मिक अनुष्ठान
नियमः —पुं॰—-—नि + यन् + अप—कोई छोटा अनुष्ठान या छोटा व्रत, विहित कर्तव्य जो यम की भांति अनिवार्य न हो।
नियमः —पुं॰—-—नि + यन् + अप—तपस्या, भक्ति, धार्मिक साधना
नियमः —पुं॰—-—नि + यन् + अप—इस प्रकार का नियम या विधि जिसमें उस बात का विधान किया जाता है, जो, यदि यह नियम न होता तो ऐच्छिक होती।
नियमः —पुं॰—-—नि + यन् + अप—मन का निग्रह, योग में समाधि के आठ मुख्य अंगों में दूसरा
नियमः —पुं॰—-—नि + यन् + अप—कविसमय, जैसा कि वसंत ऋतु में कोयल का वर्णन, वर्षा ऋतु में मोरों का वर्णन
नियमेन —पुं॰—-—-—नियमपूर्वक, अनिवार्यतः
नियमनिष्ठा —स्त्री॰—नियमः-निष्ठा—-—विहित संस्कारों का दृढ़तापूर्वक पालन
नियमपत्रम् —नपुं॰—नियमः- पत्रम्—-—लिखित संविदा पत्र
नियमस्थितिः —स्त्री॰—नियमः-स्थितिः—-—धार्मिक कर्तव्यों का दृढ़तापूर्वक पालन, साधना
नियमनम् —नपुं॰—-—नि + यम् + ल्युट्—अवरोध करना, शासन में रखना, नियन्त्रण करना, दमन करना
नियमनम् —नपुं॰—-—नि + यम् + ल्युट्—प्रतिबन्ध, सीमा-निबंधन
नियमनम् —नपुं॰—-—नि + यम् + ल्युट्—दीनता
नियमनम् —नपुं॰—-—नि + यम् + ल्युट्—विधि, स्थिर नियम
नियमवती —स्त्री॰—-—नियम + मतुप् + ङीप्—स्त्री जिसे मासिक धर्म नियमित रूप से होता हो।
नियमित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + यम् + पिच् + क्त—अवरुद्ध, दमन किया, नियन्त्रित
नियमित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + यम् + पिच् + क्त—शासित, निर्देशित
नियमित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + यम् + पिच् + क्त—विनियमित, विहित, निर्धारित
नियमित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि + यम् + पिच् + क्त—स्थिर, संवेदित, प्रतिज्ञात
नियामः —पुं॰—-—नि + यम् + घञ्—नियंत्रण
नियामः —पुं॰—-—नि + यम् + घञ्—धार्मिक व्रत
नियामक —वि॰—-—नि + यम् + णिच् + ण्वुल्—नियंत्रण करने वाला, अवरुद्ध करने वाला
नियामक —वि॰—-—नि + यम् + णिच् + ण्वुल्—दमन करने वाला, पछाड़ने वाला
नियामक —वि॰—-—नि + यम् + णिच् + ण्वुल्—सीमित करने वाला, प्रतिबंध लगाने वाला, ध्यानपूर्वक परिभाषा बनाने वाला
नियामक —वि॰—-—नि + यम् + णिच् + ण्वुल्—निर्देश करने वाला, शासन करने वाला
नियामकः —पुं॰—-—-—स्वामी, शासक
नियामकः —पुं॰—-—-—केवट, मल्लाह
नियामकः —पुं॰—-—-—कर्णधार, विमानचालक
नियुक्त —भू॰क॰कृ॰—-—नि + युज् + क्त—निदेशित, आज्ञप्त, अनुदिष्ट, आदिष्ट
नियुक्त —भू॰क॰कृ॰—-—नि + युज् + क्त—अधिकृत, निर्धारित
नियुक्त —भू॰क॰कृ॰—-—नि + युज् + क्त—विवादास्पद विषय को उठाने के लिए अनुज्ञात
नियुक्त —भू॰क॰कृ॰—-—नि + युज् + क्त—संलग्न
नियुक्त —भू॰क॰कृ॰—-—नि + युज् + क्त—उपबद्ध
नियुक्त —भू॰क॰कृ॰—-—नि + युज् + क्त—निर्णीत
नियुक्तिः —स्त्री॰—-—नि + युज् + क्तिन्—निषेधाज्ञा, आदेश, हुक्म
नियुक्तिः —स्त्री॰—-—नि + युज् + क्तिन्—नियोगन, आयोग, पद, कार्यभार
नियुतम् —नपुं॰—-—नि + यु + क्त—दस लाख
नियुतम् —नपुं॰—-—नि + यु + क्त—सौ हजार
नियुतम् —नपुं॰—-—नि + यु + क्त—दस हजार करोड़ या १०० अयुत
नियुद्धम् —नपुं॰—-—नि + युध् + क्त—पैदल युद्ध करना, घमासान युद्ध, व्यक्तिगत लड़ाई
नियोगः —पुं॰—-—नि + युज् + घञ्—किसी काम में लगाना, उपयोग, प्रयोग
नियोगः —पुं॰—-—नि + युज् + घञ्—निषेधाज्ञा, आदेश, हुक्म, निदेश, आयोग, कार्यभार, निर्धारित कर्तव्य, किसी की देख-रेख में आयुक्त कार्य
नियोगः —पुं॰—-—नि + युज् + घञ्—किसी के साथ संलग्न करना
नियोगः —पुं॰—-—नि + युज् + घञ्—आवश्यकता, अनिवार्यता
नियोगः —पुं॰—-—नि + युज् + घञ्—’प्रयत्न’ चेष्टा
नियोगः —पुं॰—-—नि + युज् + घञ्—निश्चितता, निश्चयन
नियोगः —पुं॰—-—नि + युज् + घञ्—प्राचीन काल की एक प्रथा जिसके अनुसार निस्सन्तान विधवा को अपने देवर या और किसी निकट
नियोगिन् —पुं॰—-—नियोग + इनि—अधिकारी, आश्रित, मंत्री, कार्यनिर्वाहक
नियोग्यः —पुं॰—-—नि + युज् + ण्यन्—प्रभु, स्वामी
नियोजनम् —नपुं॰—-—नि + युज् + ल्युट्—जकड़ना, संलग्न करना
नियोजनम् —नपुं॰—-—नि + युज् + ल्युट्—आदेश देना, विधान करना
नियोजनम् —नपुं॰—-—नि + युज् + ल्युट्—उकसाना, प्रेरित करना
नियोजनम् —नपुं॰—-—नि + युज् + ल्युट्—नियत करना
नियोज्यः —पुं॰—-—नि + युज् + यत्—किसी कर्तव्य का कार्यभार संभालने वाला, कार्यनिर्वाहक, अधिकारी, सेवक, नौकर
नियोद्धृ —पुं॰—-—कि + युध् + तृच्—योद्धा, पहलवान
नियोद्धृ —पुं॰—-—कि + युध् + तृच्—मुर्गा
निर् —अव्य॰—-—नृ + क्विप्, इत्वम्—’से मुक्त’ ’विना’ ’से रहित’ ’से दूर’ ’से बाहर’ आदि अर्थों को प्रकट करने के लिए सघोष व्यंजनों और स्वरों से पूर्व ’निस्’का स्थानापन्न; संज्ञा से पूर्व ’अ’या ’अन्’लगा कर भी इस अर्थ को प्रायः व्यक्त किया जा सकता है।
निरंश —वि॰—निर्-अंश—-—पूर्ण,समस्त
निरंश —वि॰—निर्-अंश—-—पूर्वजों से प्राप्त सम्पत्ति में भाग लेने का अनधिकारी
निरक्षः —पुं॰—निर्-अक्षः—-—भोगांश से मुक्त स्थान
निरग्नि —वि॰—निर्-अग्नि—-—जिसने अग्निहोत्र करना त्याग दिया हो।
निरङ्कुश —वि॰—निर्-अङ्कुश—-—जिस पर किसी प्रकार का दबाव न हो; कोई रोक टोक न हो, नियंत्रण से मुक्त, उद्दंड, स्वतंत्र, स्वेच्छाचारी, उच्खल
निरङ्ग —वि॰—निर्-अङ्ग—-—अंगहीन
निरङ्ग —वि॰—निर्-अङ्ग—-—साधनहीन
निरजिन —वि॰—निर्-अजिन—-—त्वचारहित
निरञ्जन —वि॰—निर्-अञ्जन—-—’बिना आंजक का’
निरञ्जन —वि॰—निर्-अञ्जन—-—निष्कलंक, निर्दोष
निरञ्जन —वि॰—निर्-अञ्जन—-—मिथ्यात्व से रहित
निरञ्जन —वि॰—निर्-अञ्जन—-—सीधा-सादा, जिसमें बनावट न हो
निरञ्जनः —पुं॰—निर्- अञ्जनः—-—शिव का विशेषण
निरञ्जना —स्त्री॰—निर्-अञ्जना—-—पूर्णिमा
निरतिशय —वि॰—निर्- अतिशय—-—जिससे बढ़चढ़ कर दूसरा न हो, अद्वितीय
निरत्यय —वि॰—निर्-अत्यय—-—निर्भय, निरापद, सुरक्षित
निरत्यय —वि॰—निर्-अत्यय—-—निरपराध, निष्कलंक, निर्दोष, निःस्पृह, पूर्णतः सफल
निरध्व —वि॰—निर्-अध्व—-—जो रास्ता भूल गया हो।
निरनूक्रोश —वि॰—निर्-अनूक्रोश—-—निर्मम, निर्दय, कठोरहृदय
निरनूक्रोशः —पुं॰—निर्-अनूक्रोशः—-—निर्दयता, निष्ठुरता
निरनुग —वि॰—निर्-अनुग—-—जिसका कोई अनुयायी न हो
निरनुनासिक —वि॰—निर्-अनुनासिक—-—अनुनासिक से भिन्न, जिसके उच्चारण में नाक का योग न हो।
निरनुरोध —वि॰—निर्-अनुरोध—-—अनगुकूल, अमैत्रीपूर्ण
निरनुरोध —वि॰—निर्-अनुरोध—-—निष्करुण, सद्भावशून्य
निरन्तर —वि॰—निर्-अन्तर—-—सदा बना रहने वाला, लगातार होने वाला, अव्यवहित, अविच्छिन्न
निरन्तर —वि॰—निर्-अन्तर—-—व्यवधानरहित, निरंतराल, सटा हुआ
निरन्तर —वि॰—निर्-अन्तर—-—अखंड, सघन
निरन्तर —वि॰—निर्-अन्तर—-—मोटा, स्थूल
निरन्तर —वि॰—निर्-अन्तर—-—विश्वसनीय, ईमानदार, सच्चा
निरन्तर —वि॰—निर्-अन्तर—-—सदा आंखों के सामने रहने वाला
निरन्तर —वि॰—निर्-अन्तर—-—अभिन्न, समान, समरूप
निरन्तरम् —नपुं॰—निर्-अन्तरम्—-—निर्बाध, लगातार, सतत, अनवरत
निरन्तरम् —नपुं॰—निर्-अन्तरम्—-—बिना किसी मध्यवर्ती अन्तराल के
निरन्तरम् —नपुं॰—निर्-अन्तरम्—-—पक्की तरह से, कसकर, दृढ़तापूर्वक
निरन्तरम् —नपुं॰—निर्-अन्तरम्—-—तुरन्त
निरभ्यासः —पुं॰—निर्-अभ्यासः—-—अनवरत अध्ययन, सपरिश्रम अभ्यास
निरन्तराल —वि॰—निर्-अन्तराल—-—जिसके बीच में स्थान न हो, सटा हुआ
निरन्तराल —वि॰—निर्-अन्तराल—-—तंग, भीड़ा
निरन्वय —वि॰—निर्-अन्वय—-—निस्संतान, संतानरहित
निरन्वय —वि॰—निर्-अन्वय—-—असंबद्ध,संबंधरहित
निरन्वय —वि॰—निर्-अन्वय—-—अप्रासंगिक
निरन्वय —वि॰—निर्-अन्वय—-—असंगत, संगतिरहित, अव्यवस्थित
निरन्वय —वि॰—निर्-अन्वय—-—अदृश्य, आंख ओझल
निरन्वय —वि॰—निर्-अन्वय—-—बिना नौकर-चाकरों के, अनुचरवर्ग जिसके साथ न हो
निरपत्रप —वि॰—निर्-अपत्रप—-—निर्लज्ज, ढीठ
निरपत्रप —वि॰—निर्-अपत्रप—-—साहसी
निरपराध —वि॰—निर्-अपराध—-—निर्दोष, निरीह, दोषरहित, कलंकरहित
निरपराधः —पुं॰—निर्-अपराधः—-—भोलापन
निरपाय —वि॰—निर्- अपाय—-—दुष्टता से रहित
निरपाय —वि॰—निर्- अपाय—-—क्षयरहित, अनश्वर
निरपाय —वि॰—निर्- अपाय—-—अमोघ, अचूक
निरपेक्ष —वि॰—निर्-अपेक्ष—-—जो किसी दूसरे पर निर्भर न हो, स्वतंत्र, किसी और की अपेक्षा न रखने वाला
निरपेक्ष —वि॰—निर्-अपेक्ष—-—अवहेलना करने वाला, ध्यान न देने वाला
निरपेक्ष —वि॰—निर्-अपेक्ष—-—तृष्णा से मुक्त, निर्भय
निरपेक्ष —वि॰—निर्-अपेक्ष—-—लापरवाह, असावधान, उदासीन
निरपेक्ष —वि॰—निर्-अपेक्ष—-—सांसारिक विषयवासनाओं से विरक्त
निरपेक्ष —वि॰—निर्-अपेक्ष—-—निःस्पृह, दूसरे से किसी पुरस्कार की इच्छा न वाला
निरपेक्ष —वि॰—निर्-अपेक्ष—-—निष्प्रयोजन
निरपेक्षा —स्त्री॰—निर्-अपेक्षा—-—उदासीनता, अवहेलना
निरभिभव —वि॰—निर्- अभिभव—-—जो दीनता या तिरस्कार का पात्र न हो
निरभिमान —वि॰—निर्-अभिमान—-—जो अहंमन्यता से मुक्त हो, घमंड या अहंकार रहित
निरभिमान —वि॰—निर्-अभिमान—-—स्वाभिमानशून्य
निरभिलाष —वि॰—निर्- अभिलाष—-—जिसे किसी वस्तु की चाह न हो, उदासीन
निरभ्र —वि॰—निर्-अभ्र—-—मेघरहित
निरमर्ष —वि॰—निर्-अमर्ष—-—क्रोधशून्य, धैर्यवान्
निरमर्ष —वि॰—निर्-अमर्ष—-—निरीह
निरम्बु —वि॰—निर्-अम्बु—-—जल से परहेज करने वाला
निरम्बु —वि॰—निर्-अम्बु—-—निर्जल, जलरहित
निरर्गल —वि॰—निर्-अर्गल—-—अर्गलारहित, प्रतिबंधरहित, निर्बाध, अनियंत्रित, निर्विघ्न, पूर्णतः मुक्त
निरर्गलम् —नपुं॰—निर्-अर्गलम्—-—मुक्त रूप से
निरर्थ —वि॰—निर्-अर्थ—-—निर्धन, गरीब, दरिद्र
निरर्थ —वि॰—निर्-अर्थ—-—अर्थहीन, निरर्थक
निरर्थ —वि॰—निर्-अर्थ—-—अनर्थक
निरर्थ —वि॰—निर्-अर्थ—-—व्यर्थ, बेकार, निष्प्रयोजन
निरर्थक —वि॰—निर्-अर्थक—-—बेकार, व्यर्थ, अलाभकर
निरर्थक —वि॰—निर्-अर्थक—-—अर्थहीन,अनर्थक, जिसका कोई तर्कयुक्त अर्थ न हो
निरर्थकम् —नपुं॰—निर्-अर्थकम्—-—पूरक
निरवकाश —वि॰—निर्-अवकाश—-—मुक्त स्थान से रहित
निरवकाश —वि॰—निर्-अवकाश—-—जिसके पास फुर्सत का समय न हो
निरवग्रह —वि॰—निर्-अवग्रह—-—नियंत्रण से मुक्त, अनियंत्रित, अनवरुद्ध, नियंत्रणरहित, दुर्निवार
निरवग्रह —वि॰—निर्-अवग्रह—-—मुक्त, स्वतंत्र
निरवग्रह —वि॰—निर्-अवग्रह—-—स्वेच्छाचारी, दुराग्रही
निरवद्य —वि॰—निर्-अवद्य—-—निष्कलंक, निर्दोष, अकलंकनीय, जिसमें कोई आपत्ति न हो सके
निरवधि —वि॰—निर्-अवधि—-—जिसका कोई अन्त न हो, असीम
निरवयव —वि॰—निर्-अवयव—-—खंडरहित
निरवयव —वि॰—निर्-अवयव—-—अविभाज्य
निरवयव —वि॰—निर्-अवयव—-—अंगरहित
निरवलम्ब —वि॰—निर्-अवलम्ब—-—असहाय, निराश्रय
निरवलम्ब —वि॰—निर्-अवलम्ब—-—जो सहारा न दे
निरवशेष —वि॰—निर्-अवशेष—-—पूर्ण, पूरा, समस्त
निरवशेषेण —अव्य॰—निर्-अवशेषेण—-—पूरी तरह से, सर्वथा, पूर्णरूप से, बिल्कुल
निरशन —वि॰—निर्-अशन—-—भोजन से परहेज करने वाला
निरशनम् —नपुं॰—निर्-अशनम्—-—उपवास
निरस्त्र —वि॰—निर्-अस्त्र—-—जिसके पास हथियार न हो, निहत्था
निरस्थि —वि॰—निर्-अस्थि—-—बिना हड्डी का
निरहङ्कार —वि॰—निर्-अहङ्कार—-—घमंडरहित, अभिमानशून्य्, विनीत,नम्र
निरहङ्कृति —वि॰—निर्-अहङ्कृति—-—घमंडरहित, अभिमानशून्य्, विनीत,नम्र
निरहम् —वि॰—निर्-अहम्—-—अहंमन्यता से मुक्त
निराकांक्ष —वि॰—निर्-आकांक्ष—-—जिसे किसी वस्तु की इच्छा न हो, इच्छा से मुक्त
निराकांक्ष —वि॰—निर्-आकांक्ष—-—पूरा करने के लिए जिसे किसी की अपेक्षा न हो
निराकार —वि॰—निर्-आकार—-—आकृतिशून्य, आकाररहित, बिना रूप का
निराकार —वि॰—निर्-आकार—-—कुरूप, विरूप
निराकार —वि॰—निर्-आकार—-—छद्मवेषी
निराकार —वि॰—निर्-आकार—-—विनम्र, कृशील
निराकारः —पुं॰—निर्-आकारः—-—परमात्मा, सर्वशक्तिमान्
निराकारः —पुं॰—निर्-आकारः—-—शिव की उपाधि
निराकारः —पुं॰—निर्-आकारः—-—विष्णु का विशेषण
निराकुल —वि॰—निर्-आकुल—-—जो घबराया न हो, अनुद्विग्न, जो हतबुद्धि न हुआ हो
निराकुल —वि॰—निर्-आकुल—-—स्थिर,शांत
निराकुल —वि॰—निर्-आकुल—-—स्वच्छ, निर्मल
निराकृति —वि॰—निर्-आकृति—-—आकाररहित, रूपरहित
निराकृति —वि॰—निर्-आकृति—-—विरूप
निराकृतिः —पुं॰—निर्-आकृतिः—-—वह ब्रह्मचारी जिसने विधिपूर्वक वेदाध्ययन न किया हो
निराकृतिः —पुं॰—निर्-आकृतिः—-—विशेषकर वह ब्राह्मण जिसने अपने वर्ण के लिए निर्धारित वेदाध्ययन के कर्तव्य को पूरा न किया हो।
निराक्रोश —वि॰—निर्-आक्रोश—-—जिस पर दोषारोपण न किया गया हो, जिसका तिरस्कार न हुआ हो
निरागस् —वि॰—निर्-आगस्—-—निर्दोष, निरीह, निष्पाप
निराचार —वि॰—निर्-आचार—-—आचारहीन, धर्मभ्रष्ट
निराडम्बर —वि॰—निर्-आडम्बर—-—बिना ढोल का, ढोंगरहित
निर्-आतङ्क —वि॰—निर्-आतङ्क—-—भय से मुक्त
निरातङ्क —वि॰—निर्-आतंक—-—नीरोग, सुखद, स्वस्थ
निरातप —वि॰—निर्-आतप—-—जिसमें धूप या गर्मी न हो, छायादार
निरातपा —स्त्री॰—निर्-आतपा—-—रात
निरादर —वि॰—निर्-आदर—-—अपमानजनक
निराधार —वि॰—निर्-आधार—-—आधाररहित
निराधार —वि॰—निर्-आधार—-—निराश्रय, आश्रयहीन
निराधि —वि॰—निर्-आधि—-—निर्भय, चिन्तामुक्त
निरापद् —वि॰—निर्-आपद्—-—आपत्तिरहित, संकटमुक्त
निराबाध —वि॰—निर्-आबाध—-—असन्तापित, उत्पीडनरहित, बाधारहित, बाधामुक्त
निराबाध —वि॰—निर्-आबाध—-—निर्बाध
निराबाध —वि॰—निर्-आबाध—-—जो बाधक न हो, जो पीड़ा न पहुँचाता हो
निराबाध —वि॰—निर्-आबाध—-—मूर्खतापूर्वक प्रबाधी
निरामय —वि॰—निर्-आमय—-—रोगमुक्त, स्वस्थ, नीरोग, भला-चंगा
निरामय —वि॰—निर्-आमय—-—निष्कलंक, विशुद्ध
निरामय —वि॰—निर्-आमय—-—निष्कपट
निरामय —वि॰—निर्-आमय—-—दोषों से मुक्त,निर्दोष
निरामय —वि॰—निर्-आमय—-—भरा हुआ, संपूर्ण
निरामय —वि॰—निर्-आमय—-—अमोघ
निरामयः —पुं॰—निर्-आमयः—-—नीरोगता, स्वास्थ्य, कल्याण, मंगल, आनन्द
निरामयम् —नपुं॰—निर्-आमयम्—-—नीरोगता, स्वास्थ्य, कल्याण, मंगल, आनन्द
निरामयः —पुं॰—निर्-आमयः—-—जंगली बकरी
निरामयः —पुं॰—निर्-आमयः—-—सूअर
निरामिष —वि॰—निर्-आमिष—-—बिना मांस का, मांस न खाने वाला
निरामिष —वि॰—निर्-आमिष—-—वासनारहित, लालच से मुक्त
निरामिष —वि॰—निर्-आमिष—-—पारिश्रमिक आदि न पाने वाला
निराय —वि॰—निर्-आय—-—जिससे कोई आमदनी या राजस्व प्राप्त न हो, लाभरहित
निरायास —वि॰—निर्-आयास—-—जिसमें परिश्रम न लगे, सुकर, आसान
निरायुध —वि॰—निर्- आयुध—-—जिसके पास हथियार न हो, निरस्त्र,निहत्था
निरालम्ब —वि॰—निर्-आलम्ब—-—जिसे कोई सहारा न हो
निरालम्ब —वि॰—निर्-आलम्ब—-—जो दूसरे पर आश्रित न हो, स्वतंत्र
निरालम्ब —वि॰—निर्-आलम्ब—-—जो अपना आश्रय आप ही हो, असहाय, अकेला
निरालोप —वि॰—निर्-आलोप—-—इधर-उधर न देखने वाला
निरालोप —वि॰—निर्-आलोप—-—दृष्टिहीन
निरालोप —वि॰—निर्-आलोप—-—प्रकाशरहित,अंधकारयुक्त
निराश —वि॰—निर्-आश—-—आशाशून्य, निराश, नाउम्मीद
निराशङ्क —वि॰—निर्-आशङ्क—-—निर्भय
निराशिष् —वि॰—निर्-आशिष्—-—आशीर्वाद या वरदान से वञ्चित
निराशिष् —वि॰—निर्-आशिष्—-—निरिच्छ, इच्छारहित, निराश, उदासीन
निराश्रय —वि॰—निर्-आश्रय—-—आश्रयहीन, जिसे कोई सहारा न हो, आश्रयरहित
निराश्रय —वि॰—निर्-आश्रय—-—मित्रहीन, दरिद्र, अकेला, शरणहित
निरास्वाद —वि॰—निर्-आस्वाद—-—स्वादरहित, फीका, बेमज़ा
निराहार —वि॰—निर्-आहार—-—जिसे भोजन न मिले, उपवास करने वाला, भोजन से परहेज करने वाला
निराहारः —पुं॰—निर्-आहारः—-—उपवास करना
निरिच्छ —वि॰—निर्-इच्छ—-—बिना इच्छा के, चाहरहित, उदासीन
निरिन्द्रिय —वि॰—निर्-इन्द्रिय—-—जिसका कोई अंग नष्ट हो गया हो या काम न से
निरिन्द्रिय —वि॰—निर्-इन्द्रिय—-—विकलांग, अपंग
निरिन्द्रिय —वि॰—निर्-इन्द्रिय—-—दुर्बल, अशक्त, कमजोर
निरिन्द्रिय —वि॰—निर्-इन्द्रिय—-—ज्ञान के साधन से हीन, जिसकी कोई इन्द्रिय बेकाम हो गई हो।
निरिन्धन —वि॰—निर्-इन्धन—-—इंधनरहित
निरीति —स्त्री॰—निर्-ईति—-—ऋतुओं के संकट से मुक्त
निरीश्वर —वि॰—निर्-ईश्वर—-—ईश्वर को न मानने वाला, नास्तिक
निरीषम् —नपुं॰—निर्-ईषम्—-—हल का फाल
निरीह —वि॰—निर्-ईह—-—तृष्णा से रहित, उदासीन
निरीह —वि॰—निर्-ईह—-—उद्यमहीन
निरुच्छ्वास —वि॰—निर्-उच्छ्वास—-—जो श्वास न लेता हो, श्वासरहित
निरुः —पुं॰—निर्-उः—-—श्वास-क्रिया का अभाव
निरुत्तर —वि॰—निर्-उत्तर—-—उत्तर रहित, बिना उत्तर के
निरुत्तर —वि॰—निर्-उत्तर—-—जो कुछ उत्तर न दे सके, चुप
निरुत्तर —वि॰—निर्-उत्तर—-—जिससे बड़ा कोई और न हो
निरुत्सव —वि॰—निर्-उत्सव—-—बिना उत्सव का
निरुत्साह —वि॰—निर्-उत्साह—-—जिसमें उत्साह न हो, उत्साह रहित, स्फूर्ति शून्य
निरुत्साहः —पुं॰—निर्-उत्साहः—-—उत्साह का अभाव, आलस्य
निरुत्सुक —वि॰—निर्-उत्सुक—-—उदासीन
निरुत्सुक —वि॰—निर्-उत्सुक—-—शान्त, चुपचाप
निरुदक —वि॰—निर्-उदक—-—जलरहित
निरुद्यम —वि॰—निर्-उद्यम—-—निश्चेष्ट, निकम्मा, आलसी, सुस्त
निरुद्योग —वि॰—निर्-उद्योग—-—निश्चेष्ट, निकम्मा, आलसी, सुस्त
निरुद्वेग —वि॰—निर्-उद्वेग—-—उत्तेजना रहित, जिसमें घबराहट न हो, गम्भीर, शांत
निरुपक्रम —वि॰—निर्-उपक्रम—-—जिसका आरम्भ न हुआ हो
निरुपद्रव —वि॰—निर्-उपद्रव—-—संकट या कष्ट से मुक्त, जिसमें या जहाँ कोई भय या उत्पात न हो, भाग्यशाली, सुखद, निर्बाध, संताप-विपक्षियों के आक्रमण से सुरक्षित
निरुपद्रव —वि॰—निर्-उपद्रव—-—राष्ट्रीय दुःखों या अत्याचारों से मुक्त
निरुपद्रव —वि॰—निर्-उपद्रव—-—जो किसी प्रकार का कष्ट न पहुँचाये
निरुपद्रव —वि॰—निर्-उपद्रव—-—सुरक्षित, शांतिमय
निरुपधि —वि॰—निर्-उपधि—-—निष्कपट, ईमानदार
निरुपपत्ति —वि॰—निर्-उपपत्ति—-—अनुपयुक्त
निरुपपद —वि॰—निर्-उपपद—-—जिसकी कोई उपाधि या पद न हो
निरुपपद —वि॰—निर्-उपपद—-—गौण शब्द से असंबद्ध
निरुपप्लव —वि॰—निर्-उपप्लव—-—बाधारहित, जहाँ कोई रुकावट या संकट न हो, जहाँ किसी प्रकार की हानि न हो।
निरुपम —वि॰—निर्-उपम—-—अनुपम, बेजोड़, अतुलनीय
निरुपसर्ग —वि॰—निर्-उपसर्ग—-—जहाँ उत्पात न होते हों, उपद्रव से रहित
निरुपाख्य —वि॰—निर्-उपाख्य—-—अवास्तविक, मिथ्या, जिसका कोई अस्तित्व न हो
निरुपाख्य —वि॰—निर्-उपाख्य—-—अभौतिक
निरुपाख्य —वि॰—निर्-उपाख्य—-—नीरूप
निरुपाय —वि॰—निर्-उपाय—-—उपायरहित, असहाय
निरुपेक्ष —वि॰—निर्-उपेक्ष—-—जालसाजी या चालाकी से मुक्त
निरुपेक्ष —वि॰—निर्-उपेक्ष—-—जिसकी उपेक्षा न की गई हो
निरुष्मन् —वि॰—निर्-उष्मन्—-—तापशून्य, शीतल
निर्गन्ध —वि॰—निर्-गन्ध—-—गंधशून्य, गंधरहित, जिसमें गंध न हो, बिना गंध के
निर्पुष्टिः —स्त्री॰—निर्-पुष्टिः—-—सेमर का पेड़
निर्गर्व —वि॰—निर्-गर्व—-—अभिमानरहित
निर्गवाक्ष —वि॰—निर्-गवाक्ष—-—जहाँ कोई खिड़की न हो
निर्गुण —वि॰—निर्-गुण—-—बिना डोरी का
निर्गुण —वि॰—निर्-गुण—-—संपत्तिशून्य
निर्गुण —वि॰—निर्-गुण—-—गुणरहित, बुरा, निकम्मा
निर्गुण —वि॰—निर्-गुण—-—जिसका कोई विशेषण न हो
निर्गुण —वि॰—निर्-गुण—-—जिसकी कोई उपाधि न हो
निर्गुणः —पुं॰—निर्- गुणः—-—परमात्मा
निर्गृह —वि॰—निर्-गृह—-—जिसका कोई घर न हो, घररहित
निर्गौरव —वि॰—निर्-गौरव—-—जिसकी कोई प्रतिष्ठा न हो, प्रतिष्ठारहित
निर्ग्रन्थ —वि॰—निर्-ग्रन्थ—-—बंधनमुक्त, बाधारहित
निर्ग्रन्थ —वि॰—निर्-ग्रन्थ—-—गरीब, संपत्तिरहित, भिखारी
निर्ग्रन्थ —वि॰—निर्-ग्रन्थ—-—अकेला, असहाय
निर्ग्रन्थः —पुं॰—निर्-ग्रन्थः—-—जड, मूर्ख
निर्ग्रन्थः —पुं॰—निर्-ग्रन्थः—-—जुआरी
निर्ग्रन्थः —पुं॰—निर्-ग्रन्थः—-—सन्त महात्मा जो सब प्रकार की सांसारिक विषय वासनाओं को त्याग कर नग्न होकर विचरता है, और विरक्त संन्यासी की भांति रहता है।
निर्ग्रन्थक —वि॰—निर्-ग्रन्थक—-—निपुण, विशेषज्ञ
निर्ग्रन्थक —वि॰—निर्-ग्रन्थक—-—असहाय, अकेला
निर्ग्रन्थक —वि॰—निर्-ग्रन्थक—-—छोड़ा हुआ, परित्यक्त
निर्ग्रन्थक —वि॰—निर्-ग्रन्थक—-—निष्फल
निर्ग्रन्थकः —पुं॰—निर्-ग्रन्थकः—-—धार्मिक साधु, क्षपणक
निर्ग्रन्थकः —पुं॰—निर्-ग्रन्थकः—-—दिगंबर साधु
निर्ग्रन्थकः —पुं॰—निर्-ग्रन्थकः—-—जुआरी
निर्ग्रन्थिकः —पुं॰—निर्-ग्रन्थिकः—-—नंगा रहने वाला साधु, दिगंबर संप्रदाय का जैन-साधु, क्षपणक
निर्घटम् —नपुं॰—निर्-घटम्—-—वह बाजार जहाँ दुकानदारों से किसी प्रकार का कर न लिया जाता हो
निर्घटम् —नपुं॰—निर्-घटम्—-—बड़ा बाजार जहाँ बहुत भीड़ भड़क्का हो
निर्घृण —वि॰—निर्-र्घृण—-—क्रूर, निष्ठुर, निर्दय
निर्घृण —वि॰—निर्-र्घृण—-—निर्लज्ज, बेहाया
निर्जन —वि॰—निर्-जन—-—जहाँ कोई न रहता हो, जो आबाद न हो, जहाँ कोई आता-जाता न हो, एकान्त, सुनसान
निर्जनम् —नपुं॰—निर्-जनम्—-—मरुभूमि, एकांत, सुनसान जगह
निर्जर —वि॰—निर्-जर—-—जो कभी बढ़ा न हो, सदा युवा रहने वाला
निर्जर —वि॰—निर्-जर—-—अनश्वर, जिसकी कभी मृत्यु न हो
निर्जरः —पुं॰—निर्-जरः—-—देवता, सुर
निर्जरम् —नपुं॰—निर्-जरम्—-—अमृत, सुधा
निर्जल —वि॰—निर्-जल—-—जलरहित, मरुभूमि, जलशून्य
निर्जल —वि॰—निर्-जल—-—जिसमें पानी न मिला हो
निर्जलः —पुं॰—निर्-जलः—-—ऊसर, बंजर, वीरान, उजाड़
निर्जिह्वः —पुं॰—निर्-जिह्वः—-—मेंढक
निर्जीव —वि॰—निर्-जीव—-—प्राणरहित
निर्जीव —वि॰—निर्-जीव—-—मृतक
निर्ज्वर —वि॰—निर्-ज्वर—-—जिसे बुखार न हो, स्वस्थ
निर्दण्डः —पुं॰—निर्-दण्डः—-—शूद्र
निर्दय —वि॰—निर्-दय—-—निर्दय, क्रूर, निर्मम, बेरहम, करूणारहित
निर्दय —वि॰—निर्-दय—-—उग्र
निर्दय —वि॰—निर्-दय—-—घनिष्ठ, दृढ़, मजबूत, अत्यधिक, प्रचंड
निर्दयम् —अव्य॰—निर्-दयम्—-—निष्ठुरता के साथ, क्रूरतापूर्वक
निर्दयम् —अव्य॰—निर्-दयम्—-—प्रचंडता के साथ, कठोरतापूर्वक
निर्दश —वि॰—निर्-दश—-—दस से अधिक दिनों का
निर्दशन —वि॰—निर्-दशन—-—बिना दांतों का
निर्दुःख —वि॰—निर्-दुःख—-—पीड़ा से मुक्त, पीडारहित
निर्दुःख —वि॰—निर्-दुःख—-—जो पीडा न दे
निर्दोष —वि॰—निर्-दोष—-—निरपराध, दोषरहित
निर्दोष —वि॰—निर्-दोष—-—अपराधशून्य, निरीह
निर्द्रव्य —वि॰—निर्-द्रव्य—-—संपत्तिरहित, गरीब
निर्द्रोह —वि॰—निर्-द्रोह—-—जो शत्रु न हो, मित्रवत्, कृपापूर्ण, जो द्वेषपूर्ण न हो
निर्द्वन्द्व —वि॰—निर्-द्वन्द्व—-—जो सुख-दुःख के द्वंद्वों से रहित हो, हर्ष और विषाद से परे हो
निर्द्वन्द्व —वि॰—निर्-द्वन्द्व—-—जो औरों पर आश्रित न हो, स्वतंत्र
निर्द्वन्द्व —वि॰—निर्-द्वन्द्व—-—ईर्ष्या द्वेष से मुक्त हो
निर्द्वन्द्व —वि॰—निर्-द्वन्द्व—-—जो दो से परे हो
निर्द्वन्द्व —वि॰—निर्-द्वन्द्व—-—जिसमें मुकाबला न हो, जिसमें किसी प्रकार का झगड़ा न हो
निर्द्वन्द्व —वि॰—निर्-द्वन्द्व—-—जो दो सिद्धांतों को न मानता हो
निर्धन —वि॰—निर्-धन—-—संपत्तिहीन, गरीब, दरिद्र
निर्धनः —पुं॰—निर्-धनः—-—बूढ़ा बैल
निर्धर्म —वि॰—निर्-धर्म—-—धर्महीन, अधर्मी
निर्धूम —वि॰—निर्-धूम—-—जहाँ धुआँ न हो
निर्नर —वि॰—निर्-नर—-—मनुष्यों द्वारा परित्यक्त, उजाड़
निर्नाथ —वि॰—निर्-नाथ—-—जिसका कोई अभिभावक या स्वामी न हो
निर्निद्र —वि॰—निर्-निद्र—-—जिसे नींद न आई हो, जागरुक
निर्निमित्त —वि॰—निर्-निमित्त—-—अकारण, बिना कारण का
निर्निमेष —वि॰—निर्-निमेष—-—बिना पलक झपकाये टकटकी लगाने वाला
निर्बन्धु —वि॰—निर्-बन्धु—-—बंधुरहित, मित्रहीन
निर्बल —वि॰—निर्-बल—-—शक्तिरहित, कमजोर, बलहीन
निर्बाध —वि॰—निर्-बाध—-—बाधारहित
निर्बाध —वि॰—निर्-बाध—-—जहाँ प्रायः आना-जाना न हो,एकांत, निर्जन
निर्बाध —वि॰—निर्-बाध—-—निरुपद्रव
निर्बुद्धि —वि॰—निर्-बुद्धि—-—मूर्ख, अज्ञानी, बेवकूफ़
निर्बुध —वि॰—निर्-बुध—-—जिसकी भूसी न निकाली गई हो
निर्बुस —वि॰—निर्-बुस—-—जिसकी भूसी न निकाली गई हो
निर्भय —वि॰—निर्-भय—-—निडर, निश्शंक
निर्भय —वि॰—निर्-भय—-—भय से मुक्त, सुरक्षित, निरापद्
निर्भर —वि॰—निर्-भर—-—अत्यधिक,तीव्र, उग्र, बहुत मजबूत
निर्भर —वि॰—निर्-भर—-—उत्सुक
निर्भर —वि॰—निर्-भर—-—दृढ़, प्रगाढ़
निर्भर —वि॰—निर्-भर—-—गाढ़, गहरा
निर्भर —वि॰—निर्-भर—-—भरा हुआ
निर्भरम् —नपुं॰—निर्-भरम्—-—अधिकता
निर्भरम् —अव्य॰—निर्-भरम्—-—अत्यधिक, अत्यंत, बहुत
निर्भरम् —अव्य॰—निर्-भरम्—-—खूब, चैन से
निर्भाग्य —वि॰—निर्-भाग्य—-—भाग्यहीन, दुर्भाग्यपूर्ण
निर्भृति —वि॰—निर्-भृति—-—बेगार में काम करने वाला
निर्मक्षिक —वि॰—निर्-मक्षिक—-—’मक्खियों से मुक्त’, निर्बाध, निर्जन, एकांत
निर्मक्षिकम् —अव्य॰—निर्-मक्षिकम्—-—बिना मक्खियों के अर्थात् एकान्त, निर्जन
निर्मत्सर —वि॰—निर्-मत्सर—-—ईर्ष्यारहित, ईर्ष्या न करने वाला
निर्मत्स्य —वि॰—निर्-मत्स्य—-—जहाँ मछलियाँ न हों
निर्मद —वि॰—निर्-मद—-—जो नशे में न हो, संजीदा, गंभीर, शान्त
निर्मद —वि॰—निर्-मद—-—अभिमानरहित, विनीत
निर्मद —वि॰—निर्-मद—-—मदजल से रहित
निर्मनुज —वि॰—निर्-मनुज—-—मनुष्यों से रहित, गैर-आबाद, मनुष्यों द्वारा परित्यक्त
निर्मन्यु —वि॰—निर्-मन्यु—-—बाह्य संसार के सब प्रकार के संबंधों से मुक्त, जिसने सब सांसारिक बंधनों को तिलांजलि दे दी है।
निर्मन्यु —वि॰—निर्-मन्यु—-—उदासीन
निर्मर्याद —वि॰—निर्-मर्याद—-—सीमारहित, अपरिमित
निर्मर्याद —वि॰—निर्-मर्याद—-—औचित्य की सीमा का उल्लंघन करने वाला, अनियंत्रित, उद्दंड, पापमय, अपराधी
निर्मल —वि॰—निर्-मल—-—मैल और गन्दगी से मुक्त
निर्मल —वि॰—निर्-मल—-—स्वच्छ, शुद्ध, अकलुष, निष्कलंकित
निर्मल —वि॰—निर्-मल—-—निष्पाप, सद्गुणसंपन्न
निर्मलम् —नपुं॰—निर्-मलम्—-—कहानी
निर्मलम् —नपुं॰—निर्-मलम्—-—देवता के चढ़ावे का अवशेष
निरुपलः —पुं॰—निर्-उपलः—-—स्फटिक
निर्मशक —वि॰—निर्-मशक—-—मच्छरों से मुक्त
निर्मांस —वि॰—निर्-मांस—-—मांसारहित
निर्मानुष —वि॰—निर्-मानुष—-—जो बसा हुआ न हो, निर्जन
निर्मार्ग —वि॰—निर्-मार्ग—-—मार्ग रहित, पथशून्य
निर्मुटः —पुं॰—निर्-मुटः—-—सूर्य
निर्मुटः —पुं॰—निर्-मुटः—-—बदमाश
निर्मुटम् —नपुं॰—निर्-मुटम्—-—वह बाजार या मेला जहाँ कर या चुंगी न लगे
निर्मूल —वि॰—निर्-मूल—-—बिना जड़ का
निर्मूल —वि॰—निर्-मूल—-—निराधार, आधारहीन
निर्मूल —वि॰—निर्-मूल—-—उन्मूलित
निर्मेघ —वि॰—निर्-मेघ—-—निरभ्र, बादलों से रहित
निर्मेध —वि॰—निर्-मेध—-—जिसे समझ न हो, निर्बुद्धि, जड़, मूर्ख, मन्दबुद्धि
निर्मोह —वि॰—निर्-मोह—-—माया या छल से मुक्त
निर्यत्न —वि॰—निर्-यत्न—-—निश्चेष्ट, उद्यमहीन
नियन्त्रण —वि॰—निर्-यन्त्रण—-—जहाँ कोई नियंत्रण न हो, निर्बाध, नियंत्रणरहित, प्रतिबन्धशून्य
नियन्त्रण —वि॰—निर्-यन्त्रण—-—उद्दंड, स्वेच्छाचारी, स्वतन्त्र
नियन्त्रणम् —नपुं॰—निर्-यन्त्रणम्—-—प्रतिबन्धशून्यता, स्वतन्त्रता
निर्-यशस्क —वि॰—निर्-यशस्क—-—जिसकी कीर्ति न हो, अकीर्तिकर, लज्जाजनक
नियूथ —वि॰—निर्-यूथ—-—जो अपने दल से बिछुड़ गया हो, यूथभ्रष्ट
नीरक्त —वि॰—निर्-रक्त—-—बिना रंग का, फीका
नीरज —वि॰—निर्-रज—-—धूल से मुक्त
नीरज —वि॰—निर्-रज—-—रागशून्य, अन्धकार शून्य
नीरजस्क —वि॰—निर्-रजस्क—-—धूल से मुक्त
नीरजस्क —वि॰—निर्-रजस्क—-—रागशून्य, अन्धकार शून्य
नीरजस् —वि॰—निर्-रज—-—धूल से मुक्त
नीरजस् —वि॰—निर्-रज—-—रागशून्य, अन्धकार शून्य
नीरजस् —स्त्री॰—निर्-रजस्—-—रजस्वला न होने वाली स्त्री
निस्तमसा —स्त्री॰—निर्-तमसा—-—राग या अन्धकार का अभाव
नीरन्ध्र —वि॰—निर्-रन्ध्र—-—जिसमें छिद्र न हों, अत्यन्त सटा हुआ, संसक्त, साथ लगा हुआ
नीरन्ध्र —वि॰—निर्-रन्ध्र—-—निविड, सघन
नीरन्ध्र —वि॰—निर्-रन्ध्र—-—मोटा, स्थूल
नीरव —वि॰—निर्-रव—-—शब्दरहित, ध्वनिशून्य
निरस —वि॰—निर्-रस—-—स्वादरहित, बेमजा, रसहीन
निरस —वि॰—निर्-रस—-—फीका, काव्य सौन्दर्य से विहीन
निरस —वि॰—निर्-रस—-—सूखा, रूखा, शुष्क
निरस —वि॰—निर्-रस—-—व्यर्थ, बेकार,निष्फल
निरस —वि॰—निर्-रस—-—अरुचिकर
निरस —वि॰—निर्-रस—-—क्रूर, निष्ठुर
निरसः —पुं॰—निर्-रसः—-—अनार
नीरसन —वि॰—निर्-रसन—-—बिना मेखला या कटिसूत्र के
नीरुच् —वि॰—निर्- रुच्—-—कान्तिहीन, म्लान, धूमिल
नीरुज् —वि॰—निर्- रुज्—-—रोग से मुक्त, स्वस्थ, अरोगी
नीरुज —वि॰—निर्- रुज—-—रोग से मुक्त, स्वस्थ, अरोगी
नीरूप —वि॰—निर्-रूप—-—रूपरहित, निराकार
नीरोग —वि॰—निर्- रोग—-—रोग या बीमारी से मुक्त, स्वस्थ, अरोगी
निर्लक्षण —वि॰—निर्-लक्षण—-—अशुभ चिह्नों से युक्त, अमंगलकारी सूरतशक्लवाला
निर्लक्षण —वि॰—निर्-लक्षण—-—जिसकी प्रसिद्धि न हो
निर्लक्षण —वि॰—निर्-लक्षण—-—अनावश्यक, निरर्थक
निर्लक्षण —वि॰—निर्-लक्षण—-—बेदाग
निर्लज्ज —वि॰—निर्-लज्ज—-—बेशर्म, बेहया,ढीठ
निर्लिङ्ग —वि॰—निर्-लिङ्ग—-—जिसमें कोई परिचायक चिह्न न हो
निर्लेप —वि॰—निर्-लेप—-—जो लिपा हुआ न हो, जिस पर मालिश न की गई हो
निर्लेप —वि॰—निर्-लेप—-—निष्कलंक, निष्पाप
निर्लोभ —वि॰—निर्-लोभ—-—लालच से मुक्त, लोभरहित
निर्लोमन् —वि॰—निर्-लोमन्—-—जिसके बाल न हों, बालों से शून्य
निर्वंश —वि॰—निर्-वंश—-—जिसका वंश उच्छिन्न हो गया हो, निःसन्तान
निर्वण —वि॰—निर्-वण—-—वन से बाहर
निर्वण —वि॰—निर्-वण—-—वन से रहित, नंगा, खुला हुआ
निर्वण —वि॰—निर्-वन—-—वन से बाहर
निर्वण —वि॰—निर्-वन—-—वन से रहित, नंगा, खुला हुआ
निर्वसु —वि॰—निर्-वसु—-—धनहीन, गरीब
निर्वात —वि॰—निर्-वात—-—वायु से सुरक्षित या मुक्त, शान्त, चुपचाप
निर्वातः —पुं॰—निर्-वातः—-—वायु के प्रकोप से मुक्त स्थान
निर्वानर —वि॰—निर्-वानर—-—बंदरों से मुक्त
निर्वायस —वि॰—निर्-वायस—-—कौओं से सुरक्षित
निर्विकल्प —वि॰—निर्-विकल्प—-—विकल्प से रहित
निर्विकल्प —वि॰—निर्-विकल्प—-—जिसमें दृढ़ संकल्प या निश्चय का अभाव है
निर्विकल्प —वि॰—निर्-विकल्प—-—पारस्परिक संबंध से विहीन
निर्विकल्प —वि॰—निर्-विकल्प—-—प्रतिबन्धयुक्त
निर्विकल्प —वि॰—निर्-विकल्प—-—कर्ता, कर्म या ज्ञाता तथा ज्ञेय के विवेक से रहित एक प्रकार का प्रत्यक्ष ज्ञान जिसमें किसी विषय का केवल इसी रूप में ज्ञान होता है कि यह कुछ है; जिस प्रकार कि समाधि की अवस्था में केवल एक ही अभिन्न तत्त्व पर एकमात्र ध्यान केन्द्रित होता है, और ज्ञाता, ज्ञेय, तथा ज्ञान के विभेद का बोध नहीं रहता यहाँ तक कि आत्मचेतना का भी भास नहीं होता)।
निर्विकल्पम् —अव्य॰—निर्-विकल्पम्—-—बिना किसी संकोच या हिचक के
निर्विकार —वि॰—निर्-विकार—-—अपरिवर्तित, अपरिवर्त्य, निश्चल
निर्विकार —वि॰—निर्-विकार—-—विकार रहित
निर्विकार —वि॰—निर्-विकार—-—उदासीन, स्वर्थहीन
निर्विकास —वि॰—निर्-विकास—-—जो खिला न हो, अविकसित
निर्विघ्न —वि॰—निर्-विघ्न—-—बिना किसी प्रकार के हस्तक्षेप के, जिसमें कोई बाधा न हो, विघ्न-बाधाओं से मुक्त
निर्विघ्नम् —नपुं॰—निर्-विघ्नम्—-—विघ्नों का अभाव
निर्विचार —वि॰—निर्-विचार—-—अविमर्शी, विचार शून्य, अविवेकी
निर्विचारम् —अव्य॰—निर्-विचारम्—-—बिना बिचारे, निस्संकोच
निर्विचिकित्स —वि॰—निर्-विचिकित्स—-—सन्देह या शंका से मुक्त
निर्विचेष्ट —वि॰—निर्-विचेष्ट—-—गतिहीन, संज्ञाहीन
निर्वितर्क —वि॰—निर्-वितर्क—-—जिस पर तर्क या सोच विचार न किया जा सके
निर्विनोद —वि॰—निर्-विनोद—-—आमोद प्रमोद से रहित, मनोरंजनशून्य
निर्विन्ध्या —स्त्री॰—निर्-विन्ध्या—-—विन्ध्य पहाड़ियों में बहने वाली एक नदी
निर्विमर्श —वि॰—निर्-विमर्श—-—विचारशून्य, अविवेकी, सोचविचार न करने वाला
निर्विवर —वि॰—निर्-विवर—-—बिना किसी विवर या मुँह के
निर्विवर —वि॰—निर्-विवर—-—जिसमें कोई छिद्र या अन्तराल न हो, सटा हुआ
निर्विवाद —वि॰—निर्-विवाद—-—विवाद रहित
निर्विवाद —वि॰—निर्-विवाद—-—जिसमें कोई झगड़ा न हो, कोई विरोध न हो, विश्वसम्मत
निर्विवेक —वि॰—निर्-विवेक—-—ना समझ, विवेकशून्य, अदूरदर्शी, मूर्ख
निर्विशंक —वि॰—निर्-विशंक—-—निडर, निश्शंक, विश्वस्त
निर्विशेष —वि॰—निर्-विशेष—-—कोई अन्तर न मानने वाला, बिना भेदभाव के, किसी प्रकार का भेदभाव न रखने वाला
निर्विशेष —वि॰—निर्-विशेष—-—जहाँ भिन्नता का अभाव हो, समान, तुल्य, अभिन्न
निर्विशेष —वि॰—निर्-विशेष—-—अभेदकारी, गड्ड-मड्ड
निर्विशेषः —पुं॰—निर्-विशेषः—-—अन्तर का अभाव
निर्विशेषण —वि॰—निर्-विशेषण—-—बिना किसी विशेषण के
निर्विष —वि॰—निर्-विष—-—जिसमें जहर न हो
निर्विषय —वि॰—निर्-विषय—-—अपनी जन्मभूमि या निवासस्थान से निर्वासित किया हुआ
निर्विषय —वि॰—निर्-विषय—-—जिसे कार्य-क्षेत्र का अभाव हो
निर्विषय —वि॰—निर्-विषय—-—विषय-वासनाओं में अनासक्त
निष्षाण् —वि॰—निर्-षाण्—-—बिना सींगो का
निर्विहार —वि॰—निर्-विहार—-—जिसके लिए आनन्द का अभाव हो
निर्वीज —वि॰—निर्-वीज—-—बिना बीज का
निर्वीज —वि॰—निर्-वीज—-—नपुंसक
निर्वीज —वि॰—निर्-वीज—-—निष्कारण
निर्बीज —वि॰—निर्-बीज—-—बिना बीज का
निर्बीज —वि॰—निर्-बीज—-—नपुंसक
निर्बीज —वि॰—निर्-बीज—-—निष्कारण
निर्वीर —वि॰—निर्-वीर—-—वीर विहीन
निर्वीर —वि॰—निर्-वीर—-—कायर
निर्वीरा —स्त्री॰—निर्-वीरा—-—वह स्त्री जिसका पति व पुत्र मर गये हों
निर्वीर्य —वि॰—निर्-वीर्य—-—शक्तिहीन, निर्बल, पुरुषार्थहीन, नपुंसक
निर्वृक्ष —वि॰—निर्-वृक्ष—-—जहाँ पेड़ न हों
निवृष —वि॰—निर्-वृष—-—जहाँ अच्छे बैल न हों
निर्वेग —वि॰—निर्-वेग—-—निश्चेष्ट, गतिहीन, शान्त, वेगरहित
निर्वेतन —वि॰—निर्-वेतन—-—अवैतनिक, बिना वेतन का
निर्वेष्टनम् —नपुं॰—निर्-वेष्टनम्—-—जुलाहे की नरी, ढरकी
निर्वैर —वि॰—निर्-वैर—-—वैरभाव से रहित, स्नेही, शान्तिप्रिय
निर्वैरम् —नपुं॰—निर्-वैरम्—-—शत्रुता का अभाव
निर्व्यञ्जन —वि॰—निर्-व्यञ्जन—-—सीधा सादा, खरा
निर्व्यञ्जन —वि॰—निर्-व्यञ्जन—-—बिना मसाले का
निर्-व्यञ्जने —अव्य॰—निर्-व्यञ्जने—-—सीधा-सादे ढंग से, बेलाग, ईमानदारी से
निर्व्यथ —वि॰—निर्-व्यथ—-—पीडा से मुक्त
निर्व्यथ —वि॰—निर्-व्यथ—-—शान्त, स्वस्थ
निर्व्यपेक्ष —वि॰—निर्-व्यपेक्ष—-—उदासीन, निरपेक्ष
निर्व्यलीक —वि॰—निर्-व्यलीक—-—जो किसी प्रकार की चोट न पहुँचाये
निर्व्यलीक —वि॰—निर्-व्यलीक—-—पीडारहित
निर्व्यलीक —वि॰—निर्-व्यलीक—-—प्रसन्न, मन से कार्य करने वाला
निर्व्यलीक —वि॰—निर्-व्यलीक—-—निष्कपट, सच्चा, पाखंडहीन
निर्व्याघ्र —वि॰—निर्-व्याघ्र—-—जहाँ चीतों का उत्पात न हो
निर्व्याज —वि॰—निर्-व्याज—-—स्पष्ट का, खरा, ईमानदार, सरल
निर्व्याज —वि॰—निर्-व्याज—-—पाखंडरहित
निर्व्याजम् —अव्य॰—निर्-व्याजम्—-—सरलता से, ईमअनदारी से, स्पष्ट रूप से
निर्व्यापार —वि॰—निर्-व्यापार—-—जिसे कोई काम न हो, बेकार
निर्व्रण —वि॰—निर्-व्रण—-—जिसे चोट न लगी हो, व्रणरहित
निर्व्रण —वि॰—निर्-व्रण—-—जिसमें दरार न पड़ी हो
निर्व्रत —वि॰—निर्-व्रत—-—जो अपनी की हुई प्रतिज्ञा का पालन न करे
निर्हिमम् —नपुं॰—निर्-हिमम्—-—जाड़े की समाप्ति, हिमशून्य
निर्हेति —वि॰—निर्-हेति—-—निरस्त्र, जिसके पास कोई हथियार न हो
निर्हेतु —वि॰—निर्-हेतु—-—निष्कारण, बिना किसी तर्क, या कारण के
निर्ह्रीक —वि॰—निर्-ह्रीक—-—निर्लज्ज, बेहया, ढीठ
निर्ह्रीक —वि॰—निर्-ह्रीक—-—साहसी, निर्भिक
निरत —वि॰—-—नि+रम्+क्त—किसी कार्य में लगा हुआ या रुचि रखने वाला
निरत —वि॰—-—नि+रम्+क्त—भक्त अनुरक्त, संलग्न, आसक्त
निरत —वि॰—-—नि+रम्+क्त—प्रसन्न, खुश
निरत —वि॰—-—नि+रम्+क्त—विश्रान्त, विरत
निरतिः —स्त्री॰—-—नि+रम्+क्तिन्—दृढ़ आसक्ति, अनुरक्ति, भक्ति
निरयः —पुं॰—-—निरु+इ+अच्—नरक
निरवहानिका —स्त्री॰—-—निर्+अव+हन्+ण्वुल्+टाप्, इत्वम्—बाड़ा, चाहारदीवारी
निरवहालिका —स्त्री॰—-—निर्+अव+हल्+ण्वुल्+टाप्, इत्वम्—बाड़ा, चाहारदीवारी
निरस —वि॰—-—निवृत्तो रसो यस्मात् प्रा॰ ब॰—स्वादरहित, फीका, सूखा
निरसः —पुं॰—-—-—रस की कमी, फीकापन, स्वादहीनता
निरसः —पुं॰—-—-—रसहीनता, सूखापन
निरसः —पुं॰—-—-—उत्कण्ठा का अभाव, भावना की कमी
निरसन —वि॰—-—निर्+अस्+ल्युट्—निकालने वाला, हटाने वाला, दूर भगाने वाला
निरसन —वि॰—-—निर्+अस्+ल्युट्—उद्वमन या कै करने वाला
निरसनम् —नपुं॰—-—-—निकालना, प्रक्षेपण, निष्कासन, हटाना
निरसनम् —नपुं॰—-—-—मुकरना, वचन-विरोध, अस्वीकृति, इंकार
निरसनम् —नपुं॰—-—-—कै करना, थूक देना
निरसनम् —नपुं॰—-—-—रोकना, दबाना
निरसनम् —नपुं॰—-—-—विनाश, वध, उन्मूलन
निरस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+अस्+क्त—दूर डाला हुआ, दूर फेंका हुआ, प्रत्याख्यात, हांका हुआ, निष्कासित, निर्वासित
निरस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+अस्+क्त—दूर भगाया गया, नष्ट किया गया,
निरस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+अस्+क्त—छोड़ा हुआ, परित्यक्त
निरस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+अस्+क्त—दूर हटाया गया, वंचित, शून्य
निरस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+अस्+क्त—चलाया हुआ
निरस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+अस्+क्त—निराकृत
निरस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+अस्+क्त—उगला हुआ, थूका हुआ
निरस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+अस्+क्त—शीघ्रतापूर्वक उच्चरित
निरस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+अस्+क्त—फाड़ा हुआ, विनष्ट
निरस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+अस्+क्त—दबाया हुआ, रोका हुआ
निरस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+अस्+क्त—तोड़ा हुआ
निरस्तम् —नपुं॰—-—-—अस्वीहृति, इंकार
निरस्तम् —नपुं॰—-—-—छोड़ देना
निरस्तभेद —वि॰—निरस्त-भेद—-—सब प्रकार के भेदभाव हटाये हुए, वही, समरूप
निरस्तराग —वि॰—निरस्त-राग—-—जिसने समस्त सांसारिक अनुरागों का त्याग कर दिया है
निराकः —पुं॰—-—निर्+अक्+घञ्—पकाना
निराकः —पुं॰—-—निर्+अक्+घञ्—स्वेद, पसीना
निराकः —पुं॰—-—निर्+अक्+घञ्—दुष्कर्मों का निस्तार
निराकरणम् —नपुं॰—-—निर्+आ+कृ+ल्युट्—प्रत्याख्यान करना, निकाल बाहर करना, रद्द कर देना
निराकरणम् —नपुं॰—-—निर्+आ+कृ+ल्युट्—निर्वासन
निराकरणम् —नपुं॰—-—निर्+आ+कृ+ल्युट्—अवबाधा, विरोध, प्रतिरोध, अस्वीकृति
निराकरणम् —नपुं॰—-—निर्+आ+कृ+ल्युट्—खण्डन, उत्तर
निराकरणम् —नपुं॰—-—निर्+आ+कृ+ल्युट्—तिरस्कार
निराकरणम् —नपुं॰—-—निर्+आ+कृ+ल्युट्—यज्ञ के मुख्य कर्तव्यों की उपेक्षा
निराकरणम् —नपुं॰—-—निर्+आ+कृ+ल्युट्—विस्मृति
निराकरिष्णु —वि॰—-—निर्+आ+कृ+इष्णुच्—प्रत्याख्यान करने वाला, बाहर निकालने वाला, निकाल बाहर करने वाला
निराकरिष्णु —वि॰—-—निर्+आ+कृ+इष्णुच्—विघ्न डालने वाला, बाधक
निराकरिष्णु —वि॰—-—निर्+आ+कृ+इष्णुच्—ठुकराने वाला, तिरस्कर्ता
निराकरिष्णु —वि॰—-—निर्+आ+कृ+इष्णुच्—किसी को किसी वस्तु से वंचित करने की चेष्टा करने वाला
निराकुल —वि॰—-—निर्+आ+कुल्+क—भरा हुआ, व्याप्त, ढका हुआ
निराकुल —वि॰—-—निर्+आ+कुल्+क—दुःखी
निराकृतिः —स्त्री॰—-—निर्+आ+कृ+क्तिन्—प्रत्याख्यान, निष्कासन, अस्वीकरण
निराकृतिः —स्त्री॰—-—निर्+आ+कृ+क्तिन्—इंकार
निराकृतिः —स्त्री॰—-—निर्+आ+कृ+क्तिन्—अवबाधा विघ्न, रुकावट, हस्तक्षेप, विरोध, प्रतिरोध
निराक्रिया —स्त्री॰—-—निर्+आ+कृ+श+टाप्—प्रत्याख्यान, निष्कासन, अस्वीकरण
निराक्रिया —स्त्री॰—-—निर्+आ+कृ+श+टाप्—इंकार
निराक्रिया —स्त्री॰—-—निर्+आ+कृ+श+टाप्—अवबाधा विघ्न, रुकावट, हस्तक्षेप, विरोध, प्रतिरोध
निराग —वि॰—-—निवृत्तः रागो यस्मात् प्रा॰ ब॰—उत्कण्ठा-रहित, जिसमें जोश न रहे
निरादिष्ट —वि॰—-—निर्+आ+दिश्+क्त—जो वापिस कर दिया गया हो
निरामालुः —पुं॰—-—नि+रम्+आलु—कैथ का वृक्ष
निरासः —पुं॰—-—निर्+अस्+घञ्—प्रक्षेपण, निर्वासन, बाहर फेंक देना, हटाना
निरासः —पुं॰—-—निर्+अस्+घञ्—उगलना
निरासः —पुं॰—-—निर्+अस्+घञ्—निराकरण
निरासः —पुं॰—-—निर्+अस्+घञ्—विरोध
निरिंगिणी —स्त्री॰—-—निः निभृतं जनमिङ्गितु प्राप्नोति - निर्+इंग्+इनि+ङीप्—परदा, घूंघट
निरिंगिनी —स्त्री॰—-—निः निभृतं जनमिङ्गितु प्राप्नोति - निर्+इंग्+इनि+ङीप्—परदा, घूंघट
निरीक्षणम् —नपुं॰—-—निर्+ईक्ष्+ल्युट्, अ+ टाप् वा—दृष्टि
निरीक्षणम् —नपुं॰—-—-—देखना, ध्यान देना, नजर डालना, अवलोकन करना
निरीक्षणम् —नपुं॰—-—-—ढूँढना, खोजना
निरीक्षणम् —नपुं॰—-—-—विचार, ख्याल
निरीक्षणम् —नपुं॰—-—-—आशा, प्रत्याशा
निरीक्षणम् —नपुं॰—-—-—ग्रहदशा
निरीक्षा —स्त्री॰—-—-—दृष्टि
निरीक्षा —स्त्री॰—-—-—देखना, ध्यान देना, नजर डालना, अवलोकन करना
निरीक्षा —स्त्री॰—-—-—ढूँढना, खोजना
निरीक्षा —स्त्री॰—-—-—विचार, ख्याल
निरीक्षा —स्त्री॰—-—-—आशा, प्रत्याशा
निरीक्षा —स्त्री॰—-—-—ग्रहदशा
निरीशम् —नपुं॰—-—निर्+ईश्+क—हल का फाल
निरीषम् —नपुं॰—-—निर्+ईष्+क—हल का फाल
निरुक्त —वि॰—-—निर्+वच्+क्त—अभिहित, उच्चरित, अभिव्यक्त, परिभाषित
निरुक्त —वि॰—-—निर्+वच्+क्त—उच्चस्वर से बोला हुआ, स्पष्ट
निरुक्तम् —नपुं॰—-—-—व्याख्या, निर्वचन, व्युत्पत्तिसहित व्याख्या
निरुक्तम् —नपुं॰—-—-—छः वेदांगों में से एक जिसमें अप्रचलित शब्दों की व्याख्या की गई है, विशेषकर वैदिक शब्दों की -
निरुक्तम् —नपुं॰—-—-—यास्क द्वारा निघण्टु पर किया गया भाष्य
निरुक्तिः —स्त्री॰—-—निर्+वच्+क्तिन्—व्युत्पत्ति, शब्दों की व्युत्पत्तिसहित व्याख्या
निरुक्तिः —स्त्री॰—-—निर्+वच्+क्तिन्—एक काव्यालंकार जिसमें शब्द की व्युत्पत्ति की मनमानी व्याख्या की जाय
निरुत्सुक —वि॰—-—निर्+उद्+सू+क्विप्+कन्, ह्रस्वः—अत्यंत आतुर
निरुत्सुक —वि॰—-—निर्+उद्+सू+क्विप्+कन्, ह्रस्वः—उत्सुकतारहित, उदासीन
निरुद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+रुध्+क्त—अवबाधित, प्रतिरुद्ध, अवरुद्ध, नियन्त्रित, दमन किया गया
निरुद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+रुध्+क्त—संसीमित, बंदीकृत
निरुद्धकण्ठ —वि॰—निरुद्ध-कण्ठ—-—जिसका सांस रुक गया हो, दम घुट गया हो
निरुद्धगुदः —पुं॰—निरुद्ध-गुदः—-—मलद्वार का अवरोध
निरूढ —वि॰—-—नि+रुह्+क्त—परंपरागत, प्रचलित, रूढ़
निरूढ —वि॰—-—नि+रुह्+क्त—अविवाहित
निरूढः —पुं॰—-—-—अन्तर्निधान, न्यास
निरूढलक्षणा —स्त्री॰—निरूढ-लक्षणा—-—शब्द का वह गौण प्रयोग जो वक्ता के विशेष आशय या विवक्षा पर निर्भर नहीं करता, बल्कि उसके स्वीकृत या लोकरूढ़ प्रचलन पर आधारित है
निरूढिः —स्त्री॰—-—नि+रुह्+क्तिन्—प्रसिद्धि, ख्याति
निरूढिः —स्त्री॰—-—नि+रुह्+क्तिन्—जानकारी, परिचय, प्रवीणता
निरूढिः —स्त्री॰—-—नि+रुह्+क्तिन्—संपुष्टि
निरूपणम् —नपुं॰—-—नि+रूप्+णिच्+ल्युट्; स्त्रियां टाप् च—रूप, आकृति
निरूपणम् —नपुं॰—-—नि+रूप्+णिच्+ल्युट्; स्त्रियां टाप् च—दृष्टि, दर्शन
निरूपणम् —नपुं॰—-—नि+रूप्+णिच्+ल्युट्; स्त्रियां टाप् च—ढूंढना, खोजना
निरूपणम् —नपुं॰—-—नि+रूप्+णिच्+ल्युट्; स्त्रियां टाप् च—निश्चयन, अन्वेषण, निर्धारण
निरूपणम् —नपुं॰—-—नि+रूप्+णिच्+ल्युट्; स्त्रियां टाप् च—परिभाषा
निरूपणा —स्त्री॰—-—नि+रूप्+णिच्+ल्युट्; स्त्रियां टाप् च—रूप, आकृति
निरूपणा —स्त्री॰—-—नि+रूप्+णिच्+ल्युट्; स्त्रियां टाप् च—दृष्टि, दर्शन
निरूपणा —स्त्री॰—-—नि+रूप्+णिच्+ल्युट्; स्त्रियां टाप् च—ढूंढना, खोजना
निरूपणा —स्त्री॰—-—नि+रूप्+णिच्+ल्युट्; स्त्रियां टाप् च—निश्चयन, अन्वेषण, निर्धारण
निरूपणा —स्त्री॰—-—नि+रूप्+णिच्+ल्युट्; स्त्रियां टाप् च—परिभाषा
निरूपित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+रूप्+णिच्+क्त—देखा गया, खोजा गया, चिह्नित, अवलोकित
निरूपित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+रूप्+णिच्+क्त—नियत, चुना हुआ, निर्वाचित
निरूपित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+रूप्+णिच्+क्त—विवेचन किया गया, निर्धारित
निरूहः —पुं॰—-—नि+रुह्+घञ्—वस्तिकर्म का एक प्रकार
निरूहः —पुं॰—-—नि+रुह्+घञ्—तर्क, युक्ति
निरूहः —पुं॰—-—नि+रुह्+घञ्—निश्चितता, निश्चय
निरूहः —पुं॰—-—नि+रुह्+घञ्—वाक्य जिसमेंन्यूनपद न हों, संपूर्ण वाक्य
निऋतिः —पुं॰—-—निर्+ऋ+क्तिन्—क्षय, नाश, विघटन
निऋतिः —पुं॰—-—निर्+ऋ+क्तिन्—संकट, अनिष्ट, विपदा, विपत्ति
निऋतिः —पुं॰—-—निर्+ऋ+क्तिन्—अभिशाप, आक्रोश
निऋतिः —पुं॰—-—निर्+ऋ+क्तिन्—मृत्यु, मूर्तिमान् विनाश, म्रुत्यु या विनाश की देवी, दक्षिण-पश्चिम कोण की अधिष्ठात्री देवी
निरोध —वि॰—-—नि+रुध्+घञ्, ल्युट् वा—कैद करना, रोधागार में रखना, हवालात में रखना
निरोध —वि॰—-—नि+रुध्+घञ्, ल्युट् वा—घेरना, ढक देना
निरोध —वि॰—-—नि+रुध्+घञ्, ल्युट् वा—प्रतिबंध, रोक, दमन, नियंत्रण
निरोध —वि॰—-—नि+रुध्+घञ्, ल्युट् वा—रुकावट, अवबाधा, विरोध
निरोध —वि॰—-—नि+रुध्+घञ्, ल्युट् वा—चोट पहुँचाना, दण्ड देना, क्षति पहुँचाना
निरोध —वि॰—-—नि+रुध्+घञ्, ल्युट् वा—ध्वंस, विनाश
निरोध —वि॰—-—नि+रुध्+घञ्, ल्युट् वा—अरुचि, नापसंदगी
निरोध —वि॰—-—नि+रुध्+घञ्, ल्युट् वा—निराशा, भग्नाशा
निरोधनम् —नपुं॰—-—नि+रुध्+घञ्, ल्युट् वा—कैद करना, रोधागार में रखना, हवालात में रखना
निरोधनम् —नपुं॰—-—नि+रुध्+घञ्, ल्युट् वा—घेरना, ढक देना
निरोधनम् —नपुं॰—-—नि+रुध्+घञ्, ल्युट् वा—प्रतिबंध, रोक, दमन, नियंत्रण
निरोधनम् —नपुं॰—-—नि+रुध्+घञ्, ल्युट् वा—रुकावट, अवबाधा, विरोध
निरोधनम् —नपुं॰—-—नि+रुध्+घञ्, ल्युट् वा—चोट पहुँचाना, दण्ड देना, क्षति पहुँचाना
निरोधनम् —नपुं॰—-—नि+रुध्+घञ्, ल्युट् वा—ध्वंस, विनाश
निरोधनम् —नपुं॰—-—नि+रुध्+घञ्, ल्युट् वा—अरुचि, नापसंदगी
निरोधनम् —नपुं॰—-—नि+रुध्+घञ्, ल्युट् वा—निराशा, भग्नाशा
निर्गः —पुं॰—-—निर्+गम्+ड—देश, प्रदेश, स्थान
निर्गंधनम् —नपुं॰—-—निर्+गंध्+ल्युट्—वध, हत्या
निर्गमः —पुं॰—-—निर्+गम्+अप्—बाहर जाना, चले जाना
निर्गमः —पुं॰—-—निर्+गम्+अप्—बिदायगी, ओझल होना
निर्गमः —पुं॰—-—निर्+गम्+अप्—द्वार, मार्ग, निकास
निर्गमः —पुं॰—-—निर्+गम्+अप्—निष्क्रमण, बाहर जाने का द्वार
निर्गमनम् —नपुं॰—-—निर्+गम्+ल्युट्—बाहर निकलना या चले जाना
निर्गूढ़ः —पुं॰—-—निर्+गुह्+क्त—वृक्ष का कोटर
निर्ग्रंथनम् —नपुं॰—-—निर्+ग्रन्थ्+ल्युट्—वध, हत्या
निर्घटः —पुं॰—-—निर्+घण्ट्+घञ्—शब्दावली, शब्द संग्रह
निर्घटः —पुं॰—-—निर्+घण्ट्+घञ्—सूचीपत्र
निर्घटम् —नपुं॰—-—निर्+घण्ट्+घञ्—शब्दावली, शब्द संग्रह
निर्घटम् —नपुं॰—-—निर्+घण्ट्+घञ्—सूचीपत्र
निर्घर्षणम् —नपुं॰—-—निर्+घृष्+ल्युट्—रगड़, टक्कर
निर्घातः —पुं॰—-—निर्+हन्+घञ्—विनाश
निर्घातः —पुं॰—-—निर्+हन्+घञ्—बवंडर, हवा का प्रचण्ड खोंका, आँधी
निर्घातः —पुं॰—-—निर्+हन्+घञ्—हवा की सनसनाहट, आकाश में हवा के झोकों के टकराने का शब्द
निर्घातः —पुं॰—-—निर्+हन्+घञ्—भूकंप
निर्घातः —पुं॰—-—निर्+हन्+घञ्—वज्रपात
निर्घातनम् —नपुं॰—-—निर्+हन्+णिच्+ल्युट्—बलपूर्वक बाहर निकालना, प्रकाशित करना
निर्घोषः —पुं॰—-—निर्+घुष्+घञ्—ध्वनि
निर्घोषः —पुं॰—-—निर्+घुष्+घञ्—निनाद, खड़खड़ाहट, ठनक
निर्जयः —स्त्री॰—-—निर्+जि+अच्+, क्तिन् वा—पूरी विजय, वशीकरण, परास्त करना
निर्जितिः —स्त्री॰—-—निर्+जि+अच्+, क्तिन् वा—पूरी विजय, वशीकरण, परास्त करना
निर्झरः —पुं॰—-—निर्+झृ+अप्—झरना, जल प्रपात, घनघोर्वृष्टि, वारिप्रवाह, पहाड़ी, झरना
निर्झरः —पुं॰—-—निर्+झृ+अप्—भूसी जलाना
निर्झरः —पुं॰—-—निर्+झृ+अप्—हाथी
निर्झरः —पुं॰—-—निर्+झृ+अप्—सूर्य का घोड़ा
निर्झरम् —नपुं॰—-—निर्+झृ+अप्—झरना, जल प्रपात, घनघोरवृष्टि, वारिप्रवाह, पहाड़ी, झरना
निर्झरिन् —पुं॰—-—निर्झर+इनि—पहाड़
निर्झरिणी —स्त्री॰—-—निर्झरिन्+ङीष्—नदी, पहाड़ी झरना
निर्झरी —स्त्री॰—-—निर्झर+ङीष्—नदी, पहाड़ी झरना
निर्णय —वि॰—-—निर्+नी+अच्—दूरीकरण, हटाना
निर्णय —वि॰—-—निर्+नी+अच्—पूर्ण निश्चय, फैसला, प्रकथन, निर्धारण स्थितीकरण
निर्णय —वि॰—-—निर्+नी+अच्—घटना, अटकल, उपसंहार, प्रदशंन
निर्णय —वि॰—-—निर्+नी+अच्—विचारविमर्श, गवेषणा, विचारण
निर्णय —वि॰—-—निर्+नी+अच्—किसी विचारपति द्वारा किसी विवाद के विषय में स्थिर किया गया मत, व्यवस्था, फैसला
निर्णयपादः —पुं॰—निर्णय-पादः—-—निर्णय की आज्ञप्ति, फरमान, व्यवस्था
निर्णायक —वि॰—-—निर्=नी+ण्वुल्—निर्णय देने वाला, अन्तिम फैसला करने वाला
निर्णायनम् —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+नी+ल्युट्—निश्चय करना
निर्णायनम् —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+नी+ल्युट्—हाथी के कान का बाहरी कोण
निर्णिक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+निज्+क्त—धुला हुआ, शुद्ध किया हुआ, स्वच्छ् किया हुआ @ रघु॰ १७/२२
निर्णिक्तिः —स्त्री॰—-—निर्+निज्+क्तिन्—धुलाई
निर्णिक्तिः —स्त्री॰—-—निर्+निज्+क्तिन्—प्रायश्वचित्त, परिशोधन
निर्णेकः —पुं॰—-—निर्+निज्+घञ्—धुलाई, सफाई
निर्णेकः —पुं॰—-—निर्+निज्+घञ्—संक्षालन
निर्णेकः —पुं॰—-—निर्+निज्+घञ्—परिशोधन, प्रायश्चित
निर्णेजकः —पुं॰—-—निर्+निज्+ण्वुल्—धोबी
निर्णेजनम् —नपुं॰—-—निर्+निज्+ल्युट्—संक्षालन
निर्णेजनम् —नपुं॰—-—निर्+निज्+ल्युट्—प्रायश्वचित्त, परिशोधन
निर्णोदः —पुं॰—-—निर्+निद्+घञ्—दूर करना, निर्वासन
निर्वट —वि॰—-— = निर्दय पृषो साधुः—निष्करुण, नृशंस, निर्मम
निर्वट —वि॰—-— = निर्दय पृषो साधुः—दूसरों की त्रुटियों पर हर्ष मनाने वाला
निर्वट —वि॰—-— = निर्दय पृषो साधुः—ईर्ष्यालु
निर्वट —वि॰—-— = निर्दय पृषो साधुः—गालीगलौज करने वाला, पिशुन
निर्वट —वि॰—-— = निर्दय पृषो साधुः—व्यर्थ, अनावश्यक
निर्वट —वि॰—-— = निर्दय पृषो साधुः—प्रचंड
निर्वट —वि॰—-— = निर्दय पृषो साधुः—पागल, उन्मत्त
निर्वड —वि॰—-— = निर्दय पृषो साधुः—निष्करुण, नृशंस, निर्मम
निर्वड —वि॰—-— = निर्दय पृषो साधुः—दूसरों की त्रुटियों पर हर्ष मनाने वाला
निर्वड —वि॰—-— = निर्दय पृषो साधुः—ईर्ष्यालु
निर्वड —वि॰—-— = निर्दय पृषो साधुः—गालीगलौज करने वाला, पिशुन
निर्वड —वि॰—-— = निर्दय पृषो साधुः—व्यर्थ, अनावश्यक
निर्वड —वि॰—-— = निर्दय पृषो साधुः—प्रचंड
निर्वड —वि॰—-— = निर्दय पृषो साधुः—पागल, उन्मत्त
निर्दर —वि॰—-—निर्+दृ+अप्, इन्+वा—कन्दरा, गुफा
निर्दरिः —पुं॰—-—निर्+दृ+अप्, इन्+वा—कन्दरा, गुफा
निर्दलनम् —नपुं॰—-—निर्+दल्+ल्युट्—टुकड़े-टुकड़े करना, तोड़ना, नष्ट करना
निर्दहनम् —नपुं॰—-—निर्+दह्+ल्यु—जलाना, दग्ध करना
निर्दातृ —पुं॰—-—निर्+दा (दो)+तृच्—निराने वाला
निर्दातृ —पुं॰—-—निर्+दा (दो)+तृच्—दाता
निर्दातृ —पुं॰—-—निर्+दा (दो)+तृच्—किसान, खेती काटने वाला
निर्दारित —वि॰—-—निर्+दृ+णिच्+क्त—फाड़ा हुआ, विदीर्ण
निर्दारित —वि॰—-—निर्+दृ+णिच्+क्त—खोला हुआ, काट कर खोला हुआ
निर्दिग्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+दिह्+क्त—लेप किया हुआ, मालिश की हुई
निर्दिग्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+दिह्+क्त—सुपोषित, स्थूलकाय, हृष्ट पुष्ट
निर्दिष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+दिश्+क्त—इशारे से बताया हुआ, दिखाया हुआ, संकेतित
निर्दिष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+दिश्+क्त—विशिष्ट, विशिष्टिकृत
निर्दिष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+दिश्+क्त—वर्णित
निर्दिष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+दिश्+क्त—अधिन्यस्त, नियत
निर्दिष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+दिश्+क्त—दृढतापूर्वक कहा हुआ, प्रकथित
निर्दिष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+दिश्+क्त—निश्चय किया हुआ, निर्धारित
निर्दिष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+दिश्+क्त—आदिष्ट
निर्देशः —पुं॰—-—निर्+दिश्+घञ्—इशारा करना, दिखलाना, संकेत करना
निर्देशः —पुं॰—-—निर्+दिश्+घञ्—आदेश, हुक्म, निदेश
निर्देशः —पुं॰—-—निर्+दिश्+घञ्—उपदेश, अनुदेश
निर्देशः —पुं॰—-—निर्+दिश्+घञ्—बतलाना, कहना, घोषणा करना
निर्देशः —पुं॰—-—निर्+दिश्+घञ्—विशेषता करना, विशिष्टीकरण, विशिष्टता, विशिष्टोल्लेख
निर्देशः —पुं॰—-—निर्+दिश्+घञ्—निश्चय
निर्देशः —पुं॰—-—निर्+दिश्+घञ्—पड़ौस, सामीप्य
निर्धारः —पुं॰—-—निर्+धृ+णिच्+घञ् ल्युट् वा—बहुतों में से एक को विशिष्ट करना, या पृथक् करना
निर्धारः —पुं॰—-—निर्+धृ+णिच्+घञ् ल्युट् वा—निश्चय करना, फैसला करना, निर्णय करना
निर्धारः —पुं॰—-—निर्+धृ+णिच्+घञ् ल्युट् वा—निश्चितता, निश्चय
निर्धारणम् —नपुं॰—-—निर्+धृ+णिच्+घञ् ल्युट् वा—बहुतों में से एक को विशिष्ट करना, या पृथक् करना
निर्धारणम् —नपुं॰—-—निर्+धृ+णिच्+घञ् ल्युट् वा—निश्चय करना, फैसला करना, निर्णय करना
निर्धारणम् —नपुं॰—-—निर्+धृ+णिच्+घञ् ल्युट् वा—निश्चितता, निश्चय
निर्धारित —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+धृ+णिच्+क्त—निर्धारण किया गया, निश्चय किया गया, स्थिर किया गया, निश्चित किया गया
निर्धूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+धू+क्त—हिलाया गया, हटाया गया
निर्धूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+धू+क्त—परित्यक्त, अस्वीकृत
निर्धूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+धू+क्त—वंचित, रहित
निर्धूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+धू+क्त—टाला गया
निर्धूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+धू+क्त—निराकृत
निर्धूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+धू+क्त—नष्ट किया गया
निर्धात —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+धाव्+क्त—धो दिया गया
निर्धात —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+धाव्+क्त—चमकाया गया, उज्ज्वल
निबन्ध —वि॰—-—निर्+बन्ध्+घञ्—आग्रह, हठ, जिद, दुराग्रह
निबन्ध —वि॰—-—निर्+बन्ध्+घञ्—दृढ़ाग्रह, भारी मांग, अत्यावश्कता
निबन्ध —वि॰—-—निर्+बन्ध्+घञ्—ढिठाई
निबन्ध —वि॰—-—निर्+बन्ध्+घञ्—दोषारोपन
निबन्ध —वि॰—-—निर्+बन्ध्+घञ्—कलह, झगड़ा
निर्बर्हण —वि॰—-—-—निर्वाह करना, अन्त तक निबाहना, जीवित रखना
निर्बर्हण —वि॰—-—-—ध्वंस, सर्वनाश
निर्बर्हण —वि॰—-—-—उपक्रांति, वह अन्तिम अवस्था जब कि महान् परिवर्तन का अन्तिम क्षण हो, नाटक या उपन्यास आदि का उपसंहार
निर्भट —वि॰—-—निर्+भट्+अच्—कठोर, दृढ़
निर्भर्त्सनम् —नपुं॰—-—निर्+भर्त्स्+ल्युट्, स्त्रियां टाप् च—धमकी, घुड़की
निर्भर्त्सनम् —नपुं॰—-—निर्+भर्त्स्+ल्युट्, स्त्रियां टाप् च—गाली, झिड़की, बुरा-भला कहना, दोषारोपण
निर्भर्त्सनम् —नपुं॰—-—निर्+भर्त्स्+ल्युट्, स्त्रियां टाप् च—दुर्भावना
निर्भर्त्सनम् —नपुं॰—-—निर्+भर्त्स्+ल्युट्, स्त्रियां टाप् च—लाल रंग, लाख
निर्भर्त्सना —स्त्री॰—-—निर्+भर्त्स्+ल्युट्, स्त्रियां टाप् च—धमकी, घुड़की
निर्भर्त्सना —स्त्री॰—-—निर्+भर्त्स्+ल्युट्, स्त्रियां टाप् च—गाली, झिड़की, बुरा-भला कहना, दोषारोपण
निर्भर्त्सना —स्त्री॰—-—निर्+भर्त्स्+ल्युट्, स्त्रियां टाप् च—दुर्भावना
निर्भर्त्सना —स्त्री॰—-—निर्+भर्त्स्+ल्युट्, स्त्रियां टाप् च—लाल रंग, लाख
निर्भेदः —पुं॰—-—निर्+भिद्+घञ्—फट जाना, विभक्त करना, टुकड़े टुकड़े करना
निर्भेदः —पुं॰—-—निर्+भिद्+घञ्—फटन, दरार
निर्भेदः —पुं॰—-—निर्+भिद्+घञ्—स्पष्ट उल्लेख या घोषणा
निर्भेदः —पुं॰—-—निर्+भिद्+घञ्—नदी का तल
निर्भेदः —पुं॰—-—निर्+भिद्+घञ्—किसी बात का निर्धारण
निर्मथः —पुं॰—-—निर्+मर्थ+घञ्, ल्युट् वा, निर्+मंथ+घञ्, ल्युट् वा—रगड़ना, मथना, हिलाना
निर्मथः —पुं॰—-—निर्+मर्थ+घञ्, ल्युट् वा, निर्+मंथ+घञ्, ल्युट् वा—दो अरणियों को आग पैदा करने के लिओए आपस में रगड़ना, अरणि
निर्मथन —वि॰—-—निर्+मर्थ+घञ्, ल्युट् वा, निर्+मंथ+घञ्, ल्युट् वा—दो अरणियों को आग पैदा करने के लिओए आपस में रगड़ना, अरणि
निर्मथन —वि॰—-—निर्+मर्थ+घञ्, ल्युट् वा, निर्+मंथ+घञ्, ल्युट् वा—दो अरणियों को आग पैदा करने के लिओए आपस में रगड़ना, अरणि
निर्मन्थ्य —वि॰—-—निर्+मन्थ+ण्यत्—हिलाये जाने या मथे जाने योग्य
निर्मन्थ्य —वि॰—-—निर्+मन्थ+ण्यत्—रगड़ से पैदा करने योग्य
निर्मंथ्यम् —नपुं॰—-—-—अरणि
निर्माणम् —नपुं॰—-—निर्+मा+ल्युट्—मापना, नाप
निर्माणम् —नपुं॰—-—निर्+मा+ल्युट्—माप, फैलाव, विस्तार
निर्माणम् —नपुं॰—-—निर्+मा+ल्युट्—उत्पादन, रचना, निर्मिति
निर्माणम् —नपुं॰—-—निर्+मा+ल्युट्—सृष्टि, रचित वस्तु रूप
निर्माणम् —नपुं॰—-—निर्+मा+ल्युट्—रूप, बनावट, आकृति
निर्माणम् —नपुं॰—-—निर्+मा+ल्युट्—रचना, कृति, भवन
निर्माणा —स्त्री॰—-—-—उपयुक्तता, औचित्य, सुरीति
निर्माल्यम् —नपुं॰—-—निर्+मल्+ण्यत्—शुद्धता, स्वच्छता, निष्कलंकता
निर्माल्यम् —नपुं॰—-—निर्+मल्+ण्यत्—किसी देवता के चढ़ावे का अवशेष, फूल आदि
निर्माल्यम् —नपुं॰—-—निर्+मल्+ण्यत्—देवता पर समर्पित करने के पश्चात् मुर्झाये हुए फूल
निर्माल्यम् —नपुं॰—-—निर्+मल्+ण्यत्—अवशेष
निर्मितिः —स्त्री॰—-—निर्+मा+क्तिन्—उत्पादन, सृजन, निर्माण, कलात्मक वस्तु की रचना
निर्मुक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+मुच्+क्त—छोड़ा हुआ, मुक्त किया हुआ, स्वतंत्र किया हुआ
निर्मुक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+मुच्+क्त—सांसारिक अनुरागों से मुक्त
निर्मुक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+मुच्+क्त—वियुक्त, अलग किया हुआ
निर्मुक्तः —पुं॰—-—-—साँप जिसने हाल ही में अपनी केंचुली छोड़ी हो
निर्मूलनम् —नपुं॰—-—निर्+मूल्+णिच्+ल्युट्—उच्छेदन, जड़ से उखाड़ फेंकना, उन्मूलन
निर्मृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+मृज्+क्त—पोंछा गया, धोया गया, रगड़ा गया
निर्मोकः —पुं॰—-—निर्+मुच्+घञ्—मुक्त करना, स्वतंत्र करना
निर्मोकः —पुं॰—-—निर्+मुच्+घञ्—खाल, चमड़ी, विशेष रूप से केंचुली
निर्मोकः —पुं॰—-—निर्+मुच्+घञ्—कवच, जिरहबख्त
निर्मोकः —पुं॰—-—निर्+मुच्+घञ्—आकाश, अन्तरिक्ष
निर्मोक्षः —पुं॰—-—निर्+मोक्ष+घञ्—मुक्ति, छुटकारा
निर्मोचनम् —नपुं॰—-—निर्+मुच्+ल्युट्—मुक्ति, छुटकारा
निर्याणम् —नपुं॰—-—निर्+या+ल्युट्—निष्क्रमण, बाहर जाना, प्रस्थान करना, बिदायगी
निर्याणम् —नपुं॰—-—निर्+या+ल्युट्—अन्तर्धान, ओझल
निर्याणम् —नपुं॰—-—निर्+या+ल्युट्—मरण, मृत्यु
निर्याणम् —नपुं॰—-—निर्+या+ल्युट्—चिन्तन मुक्ति, परमानंद
निर्याणम् —नपुं॰—-—निर्+या+ल्युट्—हाथी की आँख का बाहरी किनारा
निर्यातनम् —नपुं॰—-—निर्+यत्+णिच्+ल्युट्—वापिस करना, लौटाना, अर्पण करना, प्रत्यर्पण करना
निर्यातनम् —नपुं॰—-—निर्+यत्+णिच्+ल्युट्—ऋणपरिशोध
निर्यातनम् —नपुं॰—-—निर्+यत्+णिच्+ल्युट्—उपहार, दान
निर्यातनम् —नपुं॰—-—निर्+यत्+णिच्+ल्युट्—प्रतिहिंसा, बदला
निर्यातनम् —नपुं॰—-—निर्+यत्+णिच्+ल्युट्—वध, हत्या
निर्यातिः —स्त्री॰—-—निर्+या+क्तिन्—निकलना, प्रस्थान
निर्यातिः —स्त्री॰—-—निर्+या+क्तिन्—इस जीवन से बिदा लेना, मरण, मृत्यु
निर्यामः —पुं॰—-—निर्+यम्+णिच्+घञ्—मल्लाह, कर्णधार या चालक, नाविक, नाव खेने वाला
निर्यासः —पुं॰—-—निर्+यस्+घञ्—वृक्षों या पौधों का निःश्रवन, गोद, रस, राल
निर्यासः —पुं॰—-—निर्+यस्+घञ्—अर्क, सार, काढ़ा
निर्यासः —पुं॰—-—निर्+यस्+घञ्—कोई गाढ़ा तरल पदार्थ
निर्युहः —पुं॰—-—निर्+उह+क; पृषो साधुः—कंगूरा, मीनार, बुर्ज या कलश
निर्युहः —पुं॰—-—निर्+उह+क; पृषो साधुः—शिरोभूषण, चूड़ामणि, मुकुट
निर्युहः —पुं॰—-—निर्+उह+क; पृषो साधुः—दीवार में लगी खूंटी
निर्युहः —पुं॰—-—निर्+उह+क; पृषो साधुः—दरवाजा, फाटक
निर्युहः —पुं॰—-—निर्+उह+क; पृषो साधुः—सत्त्व, काढ़ा
निर्लुंञ्चनम् —नपुं॰—-—निर्+लुञ्च्+ल्युट्—उखाड़ना, फाड़ना, छीलना
निर्लुंठनम् —नपुं॰—-—निर्+लुण्ठ्+ल्युट्—लूटना, लूटखसोट
निर्लुंठनम् —नपुं॰—-—निर्+लुण्ठ्+ल्युट्—फाड़ डालना
निर्लेखनम् —नपुं॰—-—निर्+लिख्+ल्युट्—खुरचना, खरोंचना, नोचना
निर्लेखनम् —नपुं॰—-—निर्+लिख्+ल्युट्—खुरचनी, रांपी
निर्ल्वयनी —स्त्री॰—-—निर्+ली+ल्युट्, पृषो॰ साधुः—सांप की केंचुली
निर्वचनम् —नपुं॰—-—निर्+वच्+ल्युट्—उक्ति, उच्चारण
निर्वचनम् —नपुं॰—-—निर्+वच्+ल्युट्—लोकप्रसिद्ध उक्ति, लोकोक्ति
निर्वचनम् —नपुं॰—-—निर्+वच्+ल्युट्—व्युत्पत्तिसहित, व्युत्पत्ति
निर्वचनम् —नपुं॰—-—निर्+वच्+ल्युट्—शब्दावली, शब्दसूची
निर्वपणम् —नपुं॰—-—निर्+वप्+ल्युट्—उडेल देना, भेंट करना
निर्वपणम् —नपुं॰—-—निर्+वप्+ल्युट्—विशेष रूप से पितरों को पिंडदान, तर्पण
निर्वपणम् —नपुं॰—-—निर्+वप्+ल्युट्—उपहार प्रदान करना
निर्वपणम् —नपुं॰—-—निर्+वप्+ल्युट्—पुरस्कार, दान
निर्वर्णनम् —नपुं॰—-—निर्+वर्ण्+ल्युट्—नजर डालना, देखना, दृष्टि
निर्वर्णनम् —नपुं॰—-—निर्+वर्ण्+ल्युट्—चिह्न लगाना, ध्यान पूर्वक अवलोकन करना
निर्वर्तक —वि॰—-—निर्+वृत्+णिच्+ण्वुल्—पूरा करने वाला, निष्पन्न करने वाला, समाप्त करने वाला, कार्यान्वित करने वाला, सम्पन्न करने वाला
निर्वर्तनम् —नपुं॰—-—निर्+वृत्+णिच्+ल्युट्—निष्पत्ति, पूर्ति, कार्यान्वित
निर्वहणम् —नपुं॰—-—निर्+वह्+ल्युट्—अन्त, पूर्ति
निर्वहणम् —नपुं॰—-—निर्+वह्+ल्युट्—निर्वाह करना, अन्त तक निबाहना, जीवित रखना
निर्वहणम् —नपुं॰—-—निर्+वह्+ल्युट्—ध्वंस, सर्वनाश
निर्वहणम् —नपुं॰—-—निर्+वह्+ल्युट्—उपक्रांति, वह अन्तिम अवस्था जब कि महान् परिवर्तन का अन्तिम क्षण हो, नाटक या उपन्यास आदि का उपसंहार
निर्वाण —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+वा+क्त—पफूंक मार कर बुझाया हुआ, बुझाया गया
निर्वाण —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+वा+क्त—खोया , लुप्त
निर्वाण —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+वा+क्त—मृत, मरा हुआ
निर्वाण —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+वा+क्त—जीवन से मुक्त
निर्वाण —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+वा+क्त—अस्त
निर्वाण —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+वा+क्त—शान्त, चुपचाप
निर्वाण —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+वा+क्त—डूबा हुआ
निर्वाणम् —नपुं॰—-—-—बुझाना
निर्वाणम् —नपुं॰—-—-—दृष्टि से ओझल होना, लोप होना
निर्वाणम् —नपुं॰—-—-—विघटन, मृत्यु
निर्वाणम् —नपुं॰—-—-—माया या प्रकृति से मुक्ति पाकर परमात्मा से मिलन, शाश्वत आनन्द
निर्वाणम् —नपुं॰—-—-—सांसारिक जीवन से व्यक्ति का पूर्ण निर्वाण, बौद्धों की मोक्षप्राप्ति
निर्वाणम् —नपुं॰—-—-—पूर्ण और शाश्वत शान्ति, सदा के लिए विश्राम
निर्वाणम् —नपुं॰—-—-—पूर्ण संतोष या आनन्द, ब्रह्मानन्द, परमानन्द
निर्वाणम् —नपुं॰—-—-—विश्राम, विराम
निर्वाणम् —नपुं॰—-—-—शून्यता
निर्वाणम् —नपुं॰—-—-—सम्मिलन, साहचर्य, संगम
निर्वाणम् —नपुं॰—-—-—हस्तिस्नान
निर्वाणम् —नपुं॰—-—-—विज्ञान में शिक्षण
निर्वाणभूयिष्ठ —वि॰—निर्वाण-भूयिष्ठ—-—प्रायः आंखों से ओझल या लुप्त
निर्वाणमस्तकः —पुं॰—निर्वाण-मस्तकः—-—मुक्ति, मोक्ष
निर्वादः —पुं॰—-—निर्+वद्+घञ्—दोषारोपण, दुर्वचन
निर्वादः —पुं॰—-—निर्+वद्+घञ्—बदनामी, लोकापवाद, परिवाद
निर्वादः —पुं॰—-—निर्+वद्+घञ्—शास्त्रार्थ का निर्णय
निर्वादः —पुं॰—-—निर्+वद्+घञ्—वाद का अभाव
निर्वापः —पुं॰—-—निर्+वप्+घञ्—उडेल देना, भेंट करना
निर्वापः —पुं॰—-—निर्+वप्+घञ्—विशेष रूप से पितरों को पिंडदान, तर्पण
निर्वापः —पुं॰—-—निर्+वप्+घञ्—उपहार प्रदान करना
निर्वापः —पुं॰—-—निर्+वप्+घञ्—पुरस्कार, दान
निर्वापणम् —नपुं॰—-—निर्+वप्+णिच्+ल्युट्—चढ़ावा, आहुति, पिंडदान या श्राद्ध
निर्वापणम् —नपुं॰—-—निर्+वप्+णिच्+ल्युट्—भेंट, दान
निर्वापणम् —नपुं॰—-—निर्+वप्+णिच्+ल्युट्—बुझाना, गुल करना
निर्वापणम् —नपुं॰—-—निर्+वप्+णिच्+ल्युट्—उडेलना, बखेरना, बोना
निर्वापणम् —नपुं॰—-—निर्+वप्+णिच्+ल्युट्—पुरस्करण, प्रदान
निर्वापणम् —नपुं॰—-—निर्+वप्+णिच्+ल्युट्—निराकरण, उपशमन, शान्ति
निर्वापणम् —नपुं॰—-—निर्+वप्+णिच्+ल्युट्—विनाश
निर्वापणम् —नपुं॰—-—निर्+वप्+णिच्+ल्युट्—वध, हत्या
निर्वापणम् —नपुं॰—-—निर्+वप्+णिच्+ल्युट्—ठण्डा करना, विश्रांति करना
निर्वापणम् —नपुं॰—-—निर्+वप्+णिच्+ल्युट्—प्रशीतल और ठंडा उपचार
निर्वासः —पुं॰—-—निर्+वस्+घञ्—निकालना, निर्वासन करना, देश निकाला देना
निर्वासः —पुं॰—-—निर्+वस्+घञ्—वध, हत्या
निर्वासनम् —नपुं॰—-—निर्+वस्+णिच्+ल्युट्—निकालना, निर्वासन करना, देश निकाला देना
निर्वासनम् —नपुं॰—-—निर्+वस्+णिच्+ल्युट्—वध, हत्या
निर्वाहः —पुं॰—-—निर्+वह्+घञ्—निबाहना, निष्पन्न करना, संपन्न करना
निर्वाहः —पुं॰—-—निर्+वह्+घञ्—सम्पूर्ति, अन्त
निर्वाहः —पुं॰—-—निर्+वह्+घञ्—अन्ततक निबाहना, सहारा देना, दृढ़तापूर्वक डटे रहना, धैर्य
निर्वाहः —पुं॰—-—निर्+वह्+घञ्—जीवित रहना
निर्वाहः —पुं॰—-—निर्+वह्+घञ्—पर्याप्ति, यथेष्ट व्यवस्था, अक्षमता
निर्वाहः —पुं॰—-—निर्+वह्+घञ्—वर्णन करना, बयान करना
निर्वाहणम् —नपुं॰—-—निर्+वह्+णिच्+ल्युट्—अन्त, पूर्ति
निर्वाहणम् —नपुं॰—-—निर्+वह्+णिच्+ल्युट्—निर्वाह करना, अन्त तक निबाहना, जीवित रखना
निर्वाहणम् —नपुं॰—-—निर्+वह्+णिच्+ल्युट्—ध्वंस, सर्वनाश
निर्वाहणम् —नपुं॰—-—निर्+वह्+णिच्+ल्युट्—उपक्रांति, वह अन्तिम अवस्था जब कि महान् परिवर्तन का अन्तिम क्षण हो, नाटक या उपन्यास आदि का उपसंहार
निर्विण्ण —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+विद्+क्त—निर्वेद-युक्त, खिन्न
निर्विण्ण —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+विद्+क्त—भय या शोक से अभिभूत
निर्विण्ण —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+विद्+क्त—शोक से कृश
निर्विण्ण —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+विद्+क्त—दुरुक्त, पतित
निर्विण्ण —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+विद्+क्त—किसी वस्तु से घृणा
निर्विण्ण —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+विद्+क्त—क्षीण, मुर्झाया हुआ
निर्विण्ण —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+विद्+क्त—विनम्र, विनीत
निर्विष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+विश्+क्त—उपभुक्त, अवाप्त, अनुभूत
निर्विष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+विश्+क्त—पूर्णतः उपभुक्त
निर्विष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+विश्+क्त—पारिश्रमिक के रूप में प्राप्त
निर्विष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+विश्+क्त—विवाहित
निर्विष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+विश्+क्त—व्यस्त
निर्वृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+वृ+क्त—संतृप्त, संतुष्ट, प्रसन्न
निर्वृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+वृ+क्त—निश्चिंत, बेफिकर, आराम में
निर्वृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+वृ+क्त—विश्रान्त, समाप्त
निर्वृतिः —स्त्री॰—-—निर्+वृ+क्तिन्—संतृप्ति, प्रसन्नता, सुख, आनन्द
निर्वृतिः —स्त्री॰—-—निर्+वृ+क्तिन्—शान्ति, , विश्राम, विश्रान्ति
निर्वृतिः —स्त्री॰—-—निर्+वृ+क्तिन्—मुक्ति, निर्वाण
निर्वृतिः —स्त्री॰—-—निर्+वृ+क्तिन्—संपूर्ति, निष्पत्ति
निर्वृतिः —स्त्री॰—-—निर्+वृ+क्तिन्—स्वतंत्रता
निर्वृतिः —स्त्री॰—-—निर्+वृ+क्तिन्—अन्तर्धान होना, मृत्यु, विनाश
निर्वृत्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+वृत्+क्त—निष्पन्न, अवाप्त, सम्पन्न
निर्वृत्तिः —स्त्री॰—-—निर्+वृत्+क्तिन्—निष्पन्नता, पूर्णता, सम्पन्नता
निर्वेदः —पुं॰—-—निर्+विद्+घञ्—घृणा, जुगुप्सा
निर्वेदः —पुं॰—-—निर्+विद्+घञ्—अति-तृप्ति, छक जाना
निर्वेदः —पुं॰—-—निर्+विद्+घञ्—विषाद, निराश, अवसाद
निर्वेदः —पुं॰—-—निर्+विद्+घञ्—दीनता
निर्वेदः —पुं॰—-—निर्+विद्+घञ्—शोक
निर्वेदः —पुं॰—-—निर्+विद्+घञ्—विरक्ति
निर्वेदः —पुं॰—-—निर्+विद्+घञ्—स्वावमान, दीनता
निवशः —पुं॰—-—निर्+विश्+घञ्—लाभ, प्राप्ति
निवशः —पुं॰—-—निर्+विश्+घञ्—मजदूरी, भाड़ा, नौकरी
निवशः —पुं॰—-—निर्+विश्+घञ्—भोजन, उपभोग,सेवन
निवशः —पुं॰—-—निर्+विश्+घञ्—भुगतान की अदायगी
निवशः —पुं॰—-—निर्+विश्+घञ्—प्रायश्चित, परिशोधन
निवशः —पुं॰—-—निर्+विश्+घञ्—विवाह
निवशः —पुं॰—-—निर्+विश्+घञ्—मूर्छित होना, बेहोश होना
निवशः —पुं॰—-—निर्+विश्+घञ्—छिद्र, रंध्र
निर्व्यूढ —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+वि+वह्+क्त—पूरा किया गया, समप्त किया गया
निर्व्यूढ —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+वि+वह्+क्त—उद्गतया उदित, वर्धित, विकसित
निर्व्यूढ —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+वि+वह्+क्त—प्रतिसमर्थित, पूर्णतः प्रदर्शित, सत्यप्रमाणित, श्रद्धापूर्वक या अन्त तक पालन किया गया
निर्व्यूढ —भू॰ क॰ कृ॰—-—निर्+वि+वह्+क्त—परित्यक्त, छोड़ा हुआ
निर्व्यूदिः —स्त्री॰—-—निर्+वि+वह्+क्तिन्—अन्त, पूर्ति
निर्व्यूदिः —स्त्री॰—-—निर्+वि+वह्+क्तिन्—शिखर, उच्चतम बिंदु
निर्व्यूहः —पुं॰—-—निर्+वि+वह्+घञ्—कंगूरा
निर्व्यूहः —पुं॰—-—निर्+वि+वह्+घञ्—शिरस्त्राण, कलगी
निर्व्यूहः —पुं॰—-—निर्+वि+वह्+घञ्—दरवाजा, फाटक
निर्व्यूहः —पुं॰—-—निर्+वि+वह्+घञ्—दीवार म्एं लगी खूँटी या ब्रैकेट
निर्व्यूहः —पुं॰—-—निर्+वि+वह्+घञ्—काढ़ा
निर्हरणम् —नपुं॰—-—निर्+हृ+ल्युट्—शव का दाहसंस्कार के लिये ले जाना, शव को चिता पर रखना
निर्हरणम् —नपुं॰—-—निर्+हृ+ल्युट्—ले जाना, बाहर निकालना, निचोड़ना, हटाना
निर्हरणम् —नपुं॰—-—निर्+हृ+ल्युट्—जड़ से उखाड़ना, उन्मूलन करना
निर्हादः —पुं॰—-—निर्+हद्+घञ्—मलोत्सर्ग, मलत्याग
निहारः —पुं॰—-—निर्+हृ+घञ्—ले जान, दूर करना, हटाना
निहारः —पुं॰—-—निर्+हृ+घञ्—बाहर खींचना, उखाड़ना
निहारः —पुं॰—-—निर्+हृ+घञ्—जड़ से उखाड़ना, विनाश
निहारः —पुं॰—-—निर्+हृ+घञ्—मृतक शरीर को दाह संस्कार के लिये ले जाना
निहारः —पुं॰—-—निर्+हृ+घञ्—निजी धन संचय, निजी जमा
निहारः —पुं॰—-—निर्+हृ+घञ्—मलत्याग
निर्हारिन् —वि॰—-—निर्+हृ+णिनि—पालन करने वाला
निर्हारिन् —वि॰—-—निर्+हृ+णिनि—व्याप्त, विस्तारशील
निर्हारिन् —वि॰—-—निर्+हृ+णिनि—गंधयुक्त
निर्हृतिः —स्त्री॰—-—निर्+हृ+क्तिन्—मार्ग से हटाना, दूर करना
निर्ह्रादः —पुं॰—-—निर्+हृद्+घञ्—ध्वनि
निलयः —पुं॰—-—नि+ली+अच—छिपने का स्थान, भट या मांद, घोंसला
निलयः —पुं॰—-—नि+ली+अच—आवास, निवास, घर, गृह, रहने वाला, वास करने वाला
निलयः —पुं॰—-—नि+ली+अच—अस्त होना, छिपना
निलयनम् —नपुं॰—-—नि+ली+ल्युट्—किसी स्थान पर बसना, उतरना
निलयनम् —नपुं॰—-—नि+ली+ल्युट्—शरणगृह, घर, गृह, आवास
निलिम्पः —पुं॰—-—नि+लिप्+श्, नुम्—देवता
निलिम्पः —पुं॰—-—नि+लिप्+श्, नुम्—मरुतों का दल
निलिम्पनिर्झरी —स्त्री॰—निलिम्पः-निर्झरी—-—स्वर्गीय गंगा
निलिम्पा —स्त्री॰—-—निलिम्प+टाप्, कन्+टाप्, इत्वं च—गाय
निलिम्पिका —स्त्री॰—-—निलिम्प+टाप्, कन्+टाप्, इत्वं च—गाय
निलीन —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+ली+क्त—पिघला हुअअ या गला हुआ
निलीन —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+ली+क्त—बन्द या किपटा हुआ, गुप्त
निलीन —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+ली+क्त—अन्तर्ग्रस्त, घिरा हुआ, परिवलयित
निलीन —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+ली+क्त—ध्वस्त, नष्ट
निलीन —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+ली+क्त—परिवर्तित, रूपान्तरित
निवचने —अव्य॰—-—प्रा॰ स॰—न बोलना, बोलना बन्द करके, जिह्वा को रोक कर
निवपनम् —नपुं॰—-—नि+वप्+ल्युट्—बिखरना, उडेलना, नीचे फेंकना
निवपनम् —नपुं॰—-—नि+वप्+ल्युट्—बोना
निवपनम् —नपुं॰—-—नि+वप्+ल्युट्—पितरों के नाम पर चढ़ावा, मृतपूर्वजों को लक्ष्य करके दी गई आहुति
निवरा —स्त्री॰—-—नि+वृ+अप्+टाप्—अक्षतयोनि, अविवाहित कन्या
निवर्तक —वि॰—-—नि+वृत्+ण्वुल्—वापिस देने वाला, आने वाला या पीछे मुड़ने वाला
निवर्तक —वि॰—-—नि+वृत्+ण्वुल्—ठहरने वला, पकड़ने वाला
निवर्तक —वि॰—-—नि+वृत्+ण्वुल्—उन्मूलक, निष्कासित करने वाला, मिटाने वाला
निवर्तक —वि॰—-—नि+वृत्+ण्वुल्—वापिस लाने वाला
निवर्तन —वि॰—-—नि+वृत्+ल्युट्—लौटाने वाला
निवर्तन —वि॰—-—नि+वृत्+ल्युट्—पीछे मुड़ने वाला, ठहरने वाला
निवर्तनम् —वि॰—-—नि+वृत्+ल्युट्—वापिस होना, मुड़ना, या वापिस आना, लौटना
निवर्तनम् —वि॰—-—नि+वृत्+ल्युट्—न घटने वाला, बन्द होने वाला
निवर्तनम् —वि॰—-—नि+वृत्+ल्युट्—रुकने वाला, परहेज करने वाला
निवर्तनम् —वि॰—-—नि+वृत्+ल्युट्—काम से हाथ खींचना, निष्क्रियता
निवर्तनम् —वि॰—-—नि+वृत्+ल्युट्—वापिस लाना
निवर्तनम् —वि॰—-—नि+वृत्+ल्युट्—पाश्चाताप करना, सुधार करने की इच्छा
निवर्तनम् —वि॰—-—नि+वृत्+ल्युट्—बीस बांस लम्बी भूमि
निवसतिः —स्त्री॰—-—नि+वस्+अतिच्—घर, आवास, आवासस्थान, वासगृह, निवासस्थान
निवसथः —पुं॰—-—नि+वस्+अथच्—गाँव, ग्राम
निवसनम् —नपुं॰—-—नि+वस्+ल्युट्—गृह, आवास, निवास-स्थान
निवसनम् —नपुं॰—-—नि+वस्+ल्युट्—परिधान, वस्त्र, अन्तर्वस्त्र
निवहः —पुं॰—-—-—सात पवनों में से एक पवन का नाम
निवात —वि॰—-—निवृत्तः वातो यस्मिन् ब॰ स॰—से सुरक्षित, जहाँ वायु न हो, शान्त
निवात —वि॰—-—निवृत्तः वातो यस्मिन् ब॰ स॰—जिसे चोट न लगी हो, क्षति न पहुँची हो, बाधा रहित
निवात —वि॰—-—निवृत्तः वातो यस्मिन् ब॰ स॰—सुरक्षित, अभय
निवात —वि॰—-—निवृत्तः वातो यस्मिन् ब॰ स॰—सुसज्जित, दृढ़ कबच धारण किए हुए
निवातः —पुं॰—-—-—शरणगृह, निवासस्थान, आश्रयागार
निवातः —पुं॰—-—-—अकाट्य कवच
निवातम् —नपुं॰—-—-—वायु से सुरक्षित स्थान
निवातम् —नपुं॰—-—-—वायु का अभाव, शान्त, निस्तब्धता
निवातम् —नपुं॰—-—-—निष्कंटक स्थान
निवातम् —नपुं॰—-—-—दृढ़ कवच
निवापः —पुं॰—-—नि+वप्+घञ्—बीज, अनाज, बीज के रक्खे हुए दान
निवापः —पुं॰—-—नि+वप्+घञ्—मृतक पूर्वजों के पितरों को या दूसरे बन्धुओं को भेंट, जलतर्पण
निवापः —पुं॰—-—नि+वप्+घञ्—भेंट या उपहार
निवारः —पुं॰—-—नि+वृ+णिच्+अच्, ल्युट् वा—दूर रखना, रोकना, हटाना
निवारः —पुं॰—-—नि+वृ+णिच्+अच्, ल्युट् वा—प्रतिषेध, बाधा
निवारणम् —नपुं॰—-—नि+वृ+णिच्+अच्, ल्युट् वा—दूर रखना, रोकना, हटाना
निवारणम् —नपुं॰—-—नि+वृ+णिच्+अच्, ल्युट् वा—प्रतिषेध, बाधा
निवासः —पुं॰—-—नि+वस्+घञ्—रहना, बसना, निवास करना
निवासः —पुं॰—-—नि+वस्+घञ्—घर, आवास, वासगृह, विश्राम-स्थान
निवासः —पुं॰—-—नि+वस्+घञ्—रात बिताना
निवासः —पुं॰—-—नि+वस्+घञ्—पोशाक, वस्त्र
निवासनम् —नपुं॰—-—नि+वस्+णिच्+ल्युट्—निवासस्थान
निवासनम् —नपुं॰—-—नि+वस्+णिच्+ल्युट्—पड़ाव, डेरा
निवासनम् —नपुं॰—-—नि+वस्+णिच्+ल्युट्—समय बिताना
निवासिन् —वि॰—-—नि+वस्+णिनि—निवास करने वाला, रहने वाला
निवासिन् —वि॰—-—नि+वस्+णिनि—पहनने वाला, वस्त्रों से ढका हुआ
निवासिन् —पुं॰—-—-—निवासी, आवासी
निविड —वि॰—-—नि+विड्+क—निरन्तराल, सघन, सटा हुआ
निविड —वि॰—-—नि+विड्+क—दृढ़, कसा हुआ, पक्का
निविड —वि॰—-—नि+विड्+क—दृढ़, कसा हुआ, पक्का
निविड —वि॰—-—नि+विड्+क—स्थूल, मोटा
निविड —वि॰—-—नि+विड्+क—महाकाय, विशाल
निविड —वि॰—-—नि+विड्+क—ठेढ़ी नाक वाला
निबिड —वि॰—-—नि+विड्+क—निरन्तराल, सघन, सटा हुआ
निबिड —वि॰—-—नि+विड्+क—दृढ़, कसा हुआ, पक्का
निबिड —वि॰—-—नि+विड्+क—दृढ़, कसा हुआ, पक्का
निबिड —वि॰—-—नि+विड्+क—स्थूल, मोटा
निबिड —वि॰—-—नि+विड्+क—महाकाय, विशाल
निबिड —वि॰—-—नि+विड्+क—ठेढ़ी नाक वाला
निविशेष —वि॰—-—निवृत्तो विशेषो कस्मात् ब॰ स॰—अभिन्न, समान
निविशेषः —पुं॰—-—-—अन्तर का अभाव
निविष्टः —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+विश्+क्त—स्थित, ऊपर बैठा हुआ
निविष्टः —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+विश्+क्त—पड़ाव डाला हुआ
निविष्टः —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+विश्+क्त—स्थिर, तुला हुआ
निविष्टः —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+विश्+क्त—संकेम्द्रित, दमन किया हुआ, नियंत्रित
निविष्टः —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+विश्+क्त—दीक्षित
निविष्टः —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+विश्+क्त—व्यवस्थित
निवीतम् —नपुं॰—-—नि+व्ये+क्त, सम्प्रसारणम्—यज्ञोपवीत पहनना
निवीतम् —नपुं॰—-—नि+व्ये+क्त, सम्प्रसारणम्—धारण किया हुआ जनेऊ
निवीतः —पुं॰—-—-—परदा, अवगुंठन, आवरण, दुपट्टा
निवीतः —पुं॰—-—-—परदा, अवगुंठन, आवरण, दुपट्टा
निवृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+वृ+क्त—घिरा हुआ, लपेटा हुआ
निवृतः —पुं॰—-—-—अवगुंठन, परदा, आवरण
निवृतम् —नपुं॰—-—-—अवगुंठन, परदा, आवरण
निवृतिः —स्त्री॰—-—नि+वृ+क्तिन्—आवरण, घेरा
निवृत्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+वृत्+क्त—लौटा हुआ, वापिस आया हुआ
निवृत्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+वृत्+क्त—गया हुआ, बिदा हुआ
निवृत्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+वृत्+क्त—रुक हुआ, परहेजगार, ठहरा हुआ, विरत
निवृत्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+वृत्+क्त—सांसारिक कार्यों से परहेज करने वाला, इस संसार से विरक्त, शान्त
निवृत्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+वृत्+क्त—असदाचरण के लिए पश्चात्ताप
निवृत्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+वृत्+क्त—समाप्त, पूरा, समस्त
निवृत्तम् —नपुं॰—-—-—लौटाना
निवृत्तात्मन् —पुं॰—निवृत्त-आत्मन्—-—ऋषि
निवृत्तात्मन् —पुं॰—निवृत्त-आत्मन्—-—विष्णु की उपाधि
निवृत्तकारण —वि॰—निवृत्त-कारण—-—बिना किसी अन्य कारण या प्रयोजन के
निवृत्तकारणः —पुं॰—निवृत्त-कारणः—-—धर्मात्मा मनुष्य, सांसारिक इच्छाओं से अप्रभावित
निवृत्तमांस —वि॰—निवृत्त-मांस—-—जो मांस खाने से परहेज करता है
निवृत्तराग —वि॰—निवृत्त-राग—-—जितेन्द्रिय
निवृत्तवृत्ति —वि॰—निवृत्त-वृत्ति—-—किसी व्यवसाय से उपरल होने वाला
निवृत्तहृदय —वि॰—निवृत्त-हृदय—-—हृदय में पछताने वाला
निवृत्तिः —स्त्री॰—-—नि+वृत्+क्तिन्—लौटना, वापिस आना, लौट आना`
निवृत्तिः —स्त्री॰—-—नि+वृत्+क्तिन्—अन्तर्धान, विराम, उपरति, स्थगन
निवृत्तिः —स्त्री॰—-—नि+वृत्+क्तिन्—काम से दूर रहना, निष्क्रियता
निवृत्तिः —स्त्री॰—-—नि+वृत्+क्तिन्—परहेज करना, अरुचि
निवृत्तिः —स्त्री॰—-—नि+वृत्+क्तिन्—छोड़ना, रुकना
निवृत्तिः —स्त्री॰—-—नि+वृत्+क्तिन्—वैराग्य, सांसारिक कार्यों से उपराम, शान्ति, संसार से वियुक्ति
निवृत्तिः —स्त्री॰—-—नि+वृत्+क्तिन्—विश्राम, आराम
निवृत्तिः —स्त्री॰—-—नि+वृत्+क्तिन्—आनन्द, कैवल्य
निवृत्तिः —स्त्री॰—-—नि+वृत्+क्तिन्—मुकरना, अस्वीकार करना
निवृत्तिः —स्त्री॰—-—नि+वृत्+क्तिन्—उन्मूलन, प्रतिरोध
निवेदनम् —नपुं॰—-—नि+विद्+ल्युट्—बतलाना, कहना, प्रकथन करना, समाचार, उद्घोषणा
निवेदनम् —नपुं॰—-—नि+विद्+ल्युट्—अर्पण करना, सौंपना
निवेदनम् —नपुं॰—-—नि+विद्+ल्युट्—समर्पण
निवेदनम् —नपुं॰—-—नि+विद्+ल्युट्—प्रतिनिधान
निवेदनम् —नपुं॰—-—नि+विद्+ल्युट्—चढ़ावा या आहुति
निवेद्यम् —नपुं॰—-—नि+विद्+ण्यत्—किसी देवमूर्ति को भोग लगाना
निवेशः —पुं॰—-—नि+विश्+घञ्—प्रवेश, दाखला
निवेशः —पुं॰—-—नि+विश्+घञ्—पड़ाव डालना, ठहरना
निवेशः —पुं॰—-—नि+विश्+घञ्—ठहरने का स्थान, शिविर, खेमा
निवेशः —पुं॰—-—नि+विश्+घञ्—घर, आवास, निवास
निवेशः —पुं॰—-—नि+विश्+घञ्—विस्तार, सुडौलपना
निवेशः —पुं॰—-—नि+विश्+घञ्—जमा करना, अर्पण करना
निवेशः —पुं॰—-—नि+विश्+घञ्—विवाह करना, विवाह, जीवन में स्थिर होना
निवेशः —पुं॰—-—नि+विश्+घञ्—छाप, नकल
निवेशः —पुं॰—-—नि+विश्+घञ्—सैन्यव्यवस्था
निवेशः —नपुं॰—-—नि+विश्+घञ्—आभूषण, सजावट
निवेशनम् —नपुं॰—-—नि+विश्+णिच्+ल्युट्—प्रवेश, दाखला
निवेशनम् —नपुं॰—-—नि+विश्+णिच्+ल्युट्—ठहरना, पड़ाव डालना
निवेशनम् —नपुं॰—-—नि+विश्+णिच्+ल्युट्—विवाह करना, विवाह
निवेशनम् —नपुं॰—-—नि+विश्+णिच्+ल्युट्—लेखबद्ध करना, शिला-लेखन
निवेशनम् —नपुं॰—-—नि+विश्+णिच्+ल्युट्—आवास, निवास, घर, आवास-स्थान
निवेशनम् —नपुं॰—-—नि+विश्+णिच्+ल्युट्—शिविर
निवेशनम् —नपुं॰—-—नि+विश्+णिच्+ल्युट्—कस्बा या नगर
निवेशनम् —नपुं॰—-—नि+विश्+णिच्+ल्युट्—घोंसला
निवेष्टः —पुं॰—-—नि+वेष्ट+घञ्—आवरण, लिफाफा
निवेष्टनम् —नपुं॰—-—नि+वेष्ट+ल्युट्—डकना, लिफाफे में बन्द करना
निशमनम् —नपुं॰—-—नि+शम्+णिच्+ल्युट्—देखना, अवलोकन करना
निशमनम् —नपुं॰—-—नि+शम्+णिच्+ल्युट्—दर्शन, दृष्टि
निशमनम् —नपुं॰—-—नि+शम्+णिच्+ल्युट्—सुनना
निशमनम् —नपुं॰—-—नि+शम्+णिच्+ल्युट्—जानकार होना
निशरणम् —नपुं॰—-—नि+श्रृ+णिच्+ल्युट्—बध, हत्या
निशारणम् —नपुं॰—-—नि+श्रृ+णिच्+ल्युट्—बध, हत्या
निशा —स्त्री॰—-—नितरां श्यति तनूकरोति व्यापारान् - शो+क तारा॰—रात
निशा —स्त्री॰—-—नितरां श्यति तनूकरोति व्यापारान् - शो+क तारा॰—हल्दी
निशादः —पुं॰—निशा-अदः—-—उल्लू
निशादः —पुं॰—निशा-अदः—-—राक्षस, भूत, पिशाच
निशादनः —पुं॰—निशा-अदनः—-—उल्लू
निशादनः —पुं॰—निशा-अदनः—-—राक्षस, भूत, पिशाच
निशातिक्रमः —पुं॰—निशा-अतिक्रमः—-—रात बिताना
निशातिक्रमः —पुं॰—निशा-अतिक्रमः—-—पौ फटना
निशाकप्ययः —पुं॰—निशा-कप्ययः—-—रात बिताना
निशाकप्ययः —पुं॰—निशा-कप्ययः—-—पौ फटना
निशान्तः —पुं॰—निशा-अन्तः—-—रात बिताना
निशान्तः —पुं॰—निशा-अन्तः—-—पौ फटना
निशावसानम् —नपुं॰—निशा-अवसानम्—-—रात बिताना
निशावसानम् —नपुं॰—निशा-अवसानम्—-—पौ फटना
निशादः —पुं॰—निशा-अदः—-—निशाद
निशान्ध —वि॰—निशा-अंध—-—जिसे रतौंधा आता हो, रात का अंधा
निशाधीशः —पुं॰—निशा-अधीशः—-—चन्द्रमा, चाँद
निशेशः —पुं॰—निशा-ईशः—-—चन्द्रमा, चाँद
निशानाथः —पुं॰—निशा-नाथः—-—चन्द्रमा, चाँद
निशापतिः —पुं॰—निशा-पतिः—-—चन्द्रमा, चाँद
निशामणिः —पुं॰—निशा-मणिः—-—चन्द्रमा, चाँद
निशारलम् —नपुं॰—निशा-रलम्—-—चन्द्रमा, चाँद
निशाअर्धकालः —पुं॰—निशा-अर्धकालः—-—रात का पूर्वा भाग
निशाख्या —स्त्री॰—निशा-आख्या—-—हल्दी
निशाह्वा —स्त्री॰—निशा-आह्वा—-—हल्दी
निशादिः —पुं॰—निशा-आदिः—-—सांध्यकालीन प्रकाश
निशोत्सर्गः —पुं॰—निशा-उत्सर्गः—-—रात्रि का अवसान, पौ फटना
निशाकरः —पुं॰—निशा-करः—-—चाँद
निशाकरः —पुं॰—निशा-करः—-—मुर्गा
निशाकरः —पुं॰—निशा-करः—-—कपूर
निशागृहम् —नपुं॰—निशा-गृहम्—-—शयनागार
निशाचर —वि॰—निशा-चर—-—रात में घूमने फिरने वाला, रात को चुपचाप पीछा करने वाला
निशाचरः —पुं॰—निशा-चरः—-—राक्षस, पिशाच, भूत, प्रेत
निशाचरः —पुं॰—निशा-चरः—-—शिव का विशेषण
निशाचरः —पुं॰—निशा-चरः—-—गीदड़
निशाचरः —पुं॰—निशा-चरः—-—उल्लू
निशाचरः —पुं॰—निशा-चरः—-—साँप
निशाचरः —पुं॰—निशा-चरः—-—चक्रवाक
निशाचरः —पुं॰—निशा-चरः—-—चौर
निशाचरपतिः —पुं॰—निशा-चरपतिः—-—शिव और रावण का विशेषण
निशाचरी —स्त्री॰—निशा-चरी—-—राक्षसी
निशाचरी —स्त्री॰—निशा-चरी—-—रात को निश्चित किये हुए समय पर अपने प्रेमी से मिलने के लिए जाने वाली स्त्री
निशाचरी —स्त्री॰—निशा-चरी—-—वेश्या
निशाचर्मन् —पुं॰—निशा-चर्मन्—-—अन्धकार
निशाजलम् —नपुं॰—निशा-जलम्—-—ओस, कोहरा
निशादर्शिन् —पुं॰—निशा-दर्शिन्—-—उल्लू
निशानिशम् —अव्य॰—निशा-निशम्—-—पर रात, सदैव
निशापुष्पम् —नपुं॰—निशा-पुष्पम्—-—सफेद कमलिनी
निशापुष्पम् —नपुं॰—निशा-पुष्पम्—-—पाला ओस
निशामुखम् —नपुं॰—निशा-मुखम्—-—रात्रि का आरम्भ
निशामृगः —पुं॰—निशा-मृगः—-—गीदड़
निशावनः —पुं॰—निशा-वनः—-—क्षण
निशाविहारः —पुं॰—निशा-विहारः—-—पिशाच, राक्षस
निशावेदिन् —पुं॰—निशा-वेदिन्—-—मुर्गा
निशाहसः —पुं॰—निशा-हसः—-—श्वेत कमल, कुमुद
निशात् —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+शो+क्त—पहनाया हुआ, शान पर चढ़ा कर तेज किया हुआ, तेज
निशात् —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+शो+क्त—चमकाया हुआ, झलकाया हुआ, उज्ज्वल
निशानम् —नपुं॰—-—नि+शो+ल्युट्—पहनाना, शान पर चढ़ाकर तेज करना
निशान्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+शम्+क्त—शांतियुक्त, शांत, चुपचप, सहनशील
निशान्तम् —नपुं॰—-—-—घर, आवास, निवास
निशामः —पुं॰—-—नि+शम्+घञ्—निरीक्षण करना, प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करना, दर्शन करना
निशामनम् —नपुं॰—-—नि+शम्+णिच्+ल्युट्—दर्शन करना, अवलोकन करना
निशामनम् —नपुं॰—-—नि+शम्+णिच्+ल्युट्—दृष्टि
निशामनम् —नपुं॰—-—नि+शम्+णिच्+ल्युट्—सुनना
निशामनम् —नपुं॰—-—नि+शम्+णिच्+ल्युट्—बार- बार निरीक्षण करना
निशामनम् —नपुं॰—-—नि+शम्+णिच्+ल्युट्—छाया, प्रतिबिंब
निशित —वि॰—-—नि+शो+क्त—पैना किया हुआ, शान पर तेज किया हुआ
निशित —वि॰—-—नि+शो+क्त—उद्दीपित
निशीथः —पुं॰—-—निशेरते जना अस्मिन् - निशी अधारे थक - तारा॰—आधीरात
निशीथः —पुं॰—-—निशेरते जना अस्मिन् - निशी अधारे थक - तारा॰—सोने का समय, रात
निशीथिनी —स्त्री॰—-—निशीथ+इनि+ङीप्—रात
निशीथ्या —स्त्री॰—-—निशीथ+यत्+टाप्—रात
निशुम्भः —पुं॰—-—नि+शुम्भ्+घञ्—वध, हत्या
निशुम्भः —पुं॰—-—नि+शुम्भ्+घञ्—तोड़ना, झुकाना
निशुम्भः —पुं॰—-—नि+शुम्भ्+घञ्—एक राक्षस का नाम जिसको दुर्गा ने मार दिया था
निशुम्भमथनी —स्त्री॰—निशुम्भः-मथनी—-—दुर्गा का विशेषण
निशुम्भमर्दनी —स्त्री॰—निशुम्भः-मर्दनी—-—दुर्गा का विशेषण
निशुम्भनाम् —नपुं॰—-—नि+शुभ्+ल्युट्—वध करना, हत्या करना
निश्चयः —पुं॰—-—निस्+चि+अप्—जांचपड़ताल, खोज, पूछताछ
निश्चयः —पुं॰—-—निस्+चि+अप्—स्थिर मत, दृढ़ विश्वास, पक्का भरोसा
निश्चयः —पुं॰—-—निस्+चि+अप्—निर्धारण, दृढ़ संकल्प , दृढ़ता
निश्चयः —पुं॰—-—निस्+चि+अप्—निश्चिति, स्पष्टता, असंदिग्ध, परिणाम
निश्चयः —पुं॰—-—निस्+चि+अप्—पक्का इरादा, योजना, प्रयोजन, उद्देश्य
निश्चल —वि॰—-—निस्+चल्+अस्—अचर, स्थिर, अटल, अडिग
निश्चल —वि॰—-—निस्+चल्+अस्—अपरिवर्त्य, अपरिवर्तनीय
निश्चला —स्त्री॰—-—-—पृथ्वी
निश्चलाङ्ग —वि॰—निश्चल-अङ्ग—-—दृढ़ शरीरवाला, मजबूत
निश्चलाङ्ग —पुं॰—निश्चल-अङ्गः—-—सारस की एक जाति
निश्चलाङ्गः —पुं॰—निश्चल-अङ्गः—-—चट्टान, पहाड़
निश्चायक —वि॰—-—निस्+चि+ण्वुल्—निधीरक, निर्णयात्मक, अन्तिम या निश्चयात्मक
निश्चारकम् —नपुं॰—-—निस्+चर्+ण्वुल्—मलोत्सर्ग करना
निश्चारकम् —नपुं॰—-—निस्+चर्+ण्वुल्—हवा, वायु
निश्चारकम् —नपुं॰—-—निस्+चर्+ण्वुल्—हठ, स्वेच्छाचारिता
निश्चित —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+चि+क्त—निश्चित किया हुआ, निर्धारित किया हुआ, फैसला किया, तय किया हुआ, समापन किया हुआ
निश्चितम् —नपुं॰—-—-—निश्चय, निर्णय
निश्चितम् —अव्य॰—-—-—निःसन्देह, निश्चित रूप से, अवश्यमेव
निश्चितिः —स्त्री॰—-—निस्+चि+क्तिन्—निश्चय करना, निर्णय करना
निश्चितिः —स्त्री॰—-—निस्+चि+क्तिन्—निर्धारण, दृढ़ संकल्प
निश्रमः —पुं॰—-—नि+श्रम्+घञ्—किसी कार्य पर किया गया परिश्रम, अध्यवसाय, अनवरत परिश्रम
निश्रयणी —अव्य॰—-—नि+श्रि+ल्युट्+ङीष्—सीढ़ी, जीना
निश्रेणि —स्त्री॰—-—नि+श्रि+नि, ङीष् वा—सीढ़ी, जीना
निश्रेणी —स्त्री॰—-—नि+श्रि+नि, ङीष् वा—सीढ़ी, जीना
निश्वासः —पुं॰—-—नि+श्वस्+घञ्—साँस खींचना, साँस लेना, आह भरना
निषङ्गः —पुं॰—-—नि+सञ्ज्+घञ्—आसकति, संलग्नता
निषङ्गः —पुं॰—-—नि+सञ्ज्+घञ्—सम्मिलन, साहचर्य
निषङ्गः —पुं॰—-—नि+सञ्ज्+घञ्—तरकस
निषङ्गथिः —पुं॰—-—नि+सञ्ज्+घथिन्—आलिंगन
निषङ्गथिः —पुं॰—-—नि+सञ्ज्+घथिन्—धनुर्धर
निषङ्गथिः —पुं॰—-—नि+सञ्ज्+घथिन्—सारथि
निषङ्गथिः —पुं॰—-—नि+सञ्ज्+घथिन्—रथ, गाड़ी
निषङ्गिन् —अव्य॰—-—निषङ्ग+इनि—आसक्त, संलग्न
निषङ्गिन् —अव्य॰—-—निषङ्ग+इनि—तरकसधारी
निषङ्गिन् —पुं॰—-—निषङ्ग+इनि—धानुष्क, धनुर्धर
निषङ्गिन् —पुं॰—-—निषङ्ग+इनि—तरकस
निषङ्गिन् —पुं॰—-—निषङ्ग+इनि—खड्गधारी
निषण्ण —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+सद्+क्त—बैठा हुआ, आसीन, विश्रान्त, आश्रित
निषण्ण —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+सद्+क्त—सहारा दिया हुआ
निषण्ण —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+सद्+क्त—गया हुआ
निषण्ण —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+सद्+क्त—खिन्न, कष्टग्रस्त, नतमुख
निषण्णकम् —नपुं॰—-—निषण्ण+कन्—आसन
निषद्या —स्त्री॰—-—नि+सद्+क्यप्+टाप्—खटोला, पीला
निषद्या —स्त्री॰—-—नि+सद्+क्यप्+टाप्—व्यापारी का कार्यालय, दुकान
निषद्या —स्त्री॰—-—नि+सद्+क्यप्+टाप्—मंडी, हाट
निषद्वरः —पुं॰—-—नि+सद्+ष्वरच्—गारा, दलदल
निषद्वरः —पुं॰—-—नि+सद्+ष्वरच्—कामदेव
निषधः —पुं॰—-—नि+सद्+अच्, पृषो॰—नल द्वारा शासित एक देश तथा उसके निवासियों का नाम
निषधः —पुं॰—-—-—निषध देश का शासक
निषधः —पुं॰—-—-—पहाड़ का नाम
निषादः —पुं॰—-—नि+सद्+घञ्—भारत की एक जंगली आदिम जाति, जैसे शिकारी, मछुवे आदि, पहाड़ी
निषादः —पुं॰—-—नि+सद्+घञ्—पतित जाति का मनुष्य, चाण्डाल, एक वर्णसंकर जाति
निषादः —पुं॰—-—नि+सद्+घञ्—विशेषकर शूद्रा स्त्री से ब्राम्हन का पुत्र
निषादः —पुं॰—-—नि+सद्+घञ्—हिन्दूसरगम का पहला स्वर
निषादित —वि॰—-—नि+सद्+णिच्+क्त—बैठाया हुआ
निषादित —वि॰—-—नि+सद्+णिच्+क्त—कष्टग्रस्त, दुखी
निषादिन् —वि॰—-—निषाद+इनि—बैठने वाला या लेटने वला, विश्राम करने वाला, आराम करने वाला
निषिद्ध —वि॰—-—नि+सिध्+क्त—मना किया हुआ, प्रतिषिद्ध, दूर हटाया हुआ, रोका हुआ
निषिक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+सिच्+क्त—छिड़का हुआ
निषिक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+सिच्+क्त—भरा हुआ, टपकाया हुआ, उँडेला हुआ, व्याप्त किया हुआ
निषिद्धिः —पुं॰—-—नि+सिध+क्तिन्—प्रतिषेध, दूर रखना, दूर हटाना
निषिद्धिः —पुं॰—-—नि+सिध+क्तिन्—प्रतिरक्षा
निषूदनम् —नपुं॰—-—नि+सूद्+णिच्+ल्युट्—वध करना, हत्या करना
निषेकः —पुं॰—-—नि+सिच्+घञ्—छिड़कना, तर करना
निषेकः —पुं॰—-—नि+सिच्+घञ्—बूंद-बूंद टपकना, रिसना, झरना, टपकते हुए तेल की एक बूंद
निषेकः —पुं॰—-—नि+सिच्+घञ्—स्राव, प्रस्राव
निषेकः —पुं॰—-—नि+सिच्+घञ्—वीर्यपात, वीर्यसिंचन, गर्भवती करना, बीज
निषेकः —पुं॰—-—नि+सिच्+घञ्—सिंचाई
निषेकः —पुं॰—-—नि+सिच्+घञ्—प्रक्षालन के लिए जल
निषेकः —पुं॰—-—नि+सिच्+घञ्—वीर्य की अपवित्रता
निषेकः —पुं॰—-—नि+सिच्+घञ्—मैला पानी
निषेधः —पुं॰—-—नि+सिध्+घञ्—प्रतिषेध, दूर रखना, दूर हटाना, रोकना, प्रतिरोध
निषेधः —पुं॰—-—नि+सिध्+घञ्—प्रत्याख्यान, मुकरना
निषेधः —पुं॰—-—नि+सिध्+घञ्—नकारात्मक अव्यय
निषेधः —पुं॰—-—नि+सिध्+घञ्—प्रतिषेधक नियम
निषेधः —पुं॰—-—नि+सिध्+घञ्—नियम से व्यतिक्रम करना, अपवाद
निषेवक —वि॰—-—नि+सेव्+ण्वुल्—अभ्यास करने वाला, अनुगमन करने वाला, भक्त, अनुरक्त
निषेवक —वि॰—-—नि+सेव्+ण्वुल्—बार-बार आने वाला, बसने वाला, आश्रयग्रहण करने वाला
निषेवक —वि॰—-—नि+सेव्+ण्वुल्—उपभोग करने वाला
निषेवनम् —नपुं॰—-—नि+सेव्+ल्युट्, अ+टाप् वा—सेवा करना, नौकरी, हाजरी में खड़े रहना
निषेवनम् —नपुं॰—-—नि+सेव्+ल्युट्, अ+टाप् वा—पूजा, अराधना
निषेवनम् —नपुं॰—-—नि+सेव्+ल्युट्, अ+टाप् वा—अभ्यास, अनुष्ठान
निषेवनम् —नपुं॰—-—नि+सेव्+ल्युट्, अ+टाप् वा—आसक्ति, लगाव
निषेवनम् —नपुं॰—-—नि+सेव्+ल्युट्, अ+टाप् वा—रहना, बसना, उपभोग करना, उपयोग में लाना
निषेवनम् —नपुं॰—-—नि+सेव्+ल्युट्, अ+टाप् वा—परिचय, उपयोग
निषेवा —स्त्री॰—-—नि+सेव्+ल्युट्, अ+टाप् वा—सेवा करना, नौकरी, हाजरी में खड़े रहना
निषेवा —स्त्री॰—-—नि+सेव्+ल्युट्, अ+टाप् वा—पूजा, अराधना
निषेवा —स्त्री॰—-—नि+सेव्+ल्युट्, अ+टाप् वा—अभ्यास, अनुष्ठान
निषेवा —स्त्री॰—-—नि+सेव्+ल्युट्, अ+टाप् वा—आसक्ति, लगाव
निषेवा —स्त्री॰—-—नि+सेव्+ल्युट्, अ+टाप् वा—रहना, बसना, उपभोग करना, उपयोग में लाना
निषेवा —स्त्री॰—-—नि+सेव्+ल्युट्, अ+टाप् वा—परिचय, उपयोग
निष्क् —चुरा॰ आ॰ - निष्क्रिते—-—-—तोलना, मापना
निष्कः —पुं॰—-—निष्+अच्—स्वर्णमुद्रा
निष्कः —पुं॰—-—निष्+अच्—१०८ से १५० कर्ष के तोल का सोना
निष्कः —पुं॰—-—निष्+अच्—छाती या कण्ठ में पहनने का स्वर्णाभूषण
निष्कः —पुं॰—-—निष्+अच्—सोना
निष्कः —पुं॰—-—निष्+अच्—चांडाल
निष्कम् —नपुं॰—-—निष्+अच्—स्वर्णमुद्रा
निष्कम् —नपुं॰—-—निष्+अच्—१०८ से १५० कर्ष के तोल का सोना
निष्कम् —नपुं॰—-—निष्+अच्—छाती या कण्ठ में पहनने का स्वर्णाभूषण
निष्कम् —नपुं॰—-—निष्+अच्—सोना
निष्कर्षः —पुं॰—-—निस्+कृष्+घञ्—बाहर निकालना, निचोड़ना
निष्कर्षः —पुं॰—-—निस्+कृष्+घञ्—सत्, सारभूत अर्थ, तत्त्व
निष्कर्षः —पुं॰—-—निस्+कृष्+घञ्—मापना
निष्कर्षः —पुं॰—-—निस्+कृष्+घञ्—निश्चय, जाँचपड़ताल
निष्कर्षणम् —नपुं॰—-—निस्+कृष्+ल्युट्—बाहर निकालना, निचोड़ना, खींचना
निष्कर्षणम् —नपुं॰—-—निस्+कृष्+ल्युट्—घटाना
निष्कालनम् —नपुं॰—-—निस्+कल्+णिच्+ल्युट्—हांक कर दूर करना
निष्कालनम् —नपुं॰—-—निस्+कल्+णिच्+ल्युट्—वध, हत्या
निष्कासः —पुं॰—-—निस्+काश् (स्) +घञ्—बाहर निकलना, निर्गम, निकास
निष्कासः —पुं॰—-—निस्+काश् (स्) +घञ्—प्रासाद आदि का द्वार-मण्डप
निष्कासः —पुं॰—-—निस्+काश् (स्) +घञ्—प्रभात
निष्कासः —पुं॰—-—निस्+काश् (स्) +घञ्—अन्तर्धान
निष्कासित —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+कस्+णिच्+क्त—निर्वासित, बाहर निकाला हुआ, हांक कर बाहर किया हुआ
निष्कासित —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+कस्+णिच्+क्त—बाहर गया हुआ, बाहर निकाला हुआ
निष्कासित —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+कस्+णिच्+क्त—रक्खा ह्उआ, जमा किया हुआ
निष्कासित —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+कस्+णिच्+क्त—ठहराया हुआ, नियत किया हुआ
निष्कासित —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+कस्+णिच्+क्त—खोला हुआ, खिला हुआ, फैलाया हुआ
निष्कासित —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+कस्+णिच्+क्त—बुराभला कहा हुआ, झिड़का हुआ
निष्कासिनी —स्त्री॰—-—नइस्+कस्+णिनि+ङीप्—वह दासी जो अपने स्वामी के नियंत्रण में न हो
निष्कुटः —पुं॰—-—निस्+कुट्+क—घर से लगा हुआ प्रमदवन, क्रीडोद्यान
निष्कुटः —पुं॰—-—निस्+कुट्+क—खेत
निष्कुटः —पुं॰—-—निस्+कुट्+क—स्त्रियों का रनवास, राजा का अन्तःपुर
निष्कुटः —पुं॰—-—निस्+कुट्+क—दरवाजा
निष्कुटः —पुं॰—-—निस्+कुट्+क—वृक्ष की कोटर
निष्कुटिः —स्त्री॰—-—निस्+कुट्+इन्—बड़ी इलायची
निष्कुटी —स्त्री॰—-—निस्+कुट्+इन्, स्त्रियाँ ङीष्—बड़ी इलायची
निष्कुषित —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+कुष्+क्त—फाड़ा हुआ, बलात् बाहर खींचा हुआ, विदीर्ण
निष्कुषित —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+कुष्+क्त—निकाला हुआ, निर्वासित
निष्कुहः —पुं॰—-—निस्+कुह्+अच्—वृक्ष की कोटर
निष्कृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+कृ+क्त—ले जाया गया, हटाया गया
निष्कृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+कृ+क्त—जिसने प्रायश्चित कर लिया है, दोषमुक्त, क्षमा किया गया
निष्कृतम् —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+कृ+क्त—प्रायश्वचित या परिशोधन
निष्कृतिः —स्त्री॰—-—निश्+कृ+क्तिन्—प्रायश्वचित, परिशोधन
निष्कृतिः —स्त्री॰—-—निश्+कृ+क्तिन्—निस्तार, प्रतिपादन, ॠणशोधन
निष्कृतिः —स्त्री॰—-—निश्+कृ+क्तिन्—हटाना
निष्कृतिः —स्त्री॰—-—निश्+कृ+क्तिन्—आरोग्यलाभ, चिकित्सा, प्रतीकार
निष्कृतिः —स्त्री॰—-—निश्+कृ+क्तिन्—टालना, बचना
निष्कृतिः —स्त्री॰—-—निश्+कृ+क्तिन्—अपेक्षा करना
निष्कृतिः —स्त्री॰—-—निश्+कृ+क्तिन्—बुरा चालचलन, बदमाशी
निष्कृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+कृष्+क्त—उखाड़ा हुआ, खींच कर बाहर निकाला हुआ, उद्धृत
निष्कृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+कृष्+क्त—संक्षिप्तावृत्ति
निष्कोषः —पुं॰—-—निस्+कुष्+क्त—फाड़ना, खींच कर बाहर निकालना, उखाड़ना, उन्मूलन करना
निष्कोषः —पुं॰—-—निस्+कुष्+क्त—भूसी निकालना, छिल्का उतारना
निष्कोषणम् —नपुं॰—-—निस्+कुष्+ल्युट् —फाड़ना, खींच कर बाहर निकालना, उखाड़ना, उन्मूलन करना
निष्कोषणम् —नपुं॰—-—निस्+कुष्+ल्युट् —भूसी निकालना, छिल्का उतारना
निष्कोषणकम् —नपुं॰—-—निष्कोषण+कन्—दांत खुरचनी
निष्क्रमः —पुं॰—-—निस्+क्रम्+घञ्—बाहर जाना, निकलना
निष्क्रमः —पुं॰—-—निस्+क्रम्+घञ्—बिदा होना, निर्गमन करना
निष्क्रमः —पुं॰—-—निस्+क्रम्+घञ्—एक संस्कार पहली बार खुली हवा में निकालना
निष्क्रमः —पुं॰—-—निस्+क्रम्+घञ्—पतित होना, जाति भ्रष्टता, जाति-हीनता
निष्क्रमः —पुं॰—-—निस्+क्रम्+घञ्—बौद्धिक शक्ति
निष्क्रमणम् —नपुं॰—-—निस्+क्रम्+ल्युट्—आगे या बाहर जाना
निष्क्रमणम् —नपुं॰—-—निस्+क्रम्+ल्युट्—एक संस्कार
निष्क्रमणिका —स्त्री॰—-—निष्क्रमण+कन्+टाप्, इत्वम्—
निष्क्रयः —पुं॰—-—निस्+क्री+अच्—निस्तार, छुटकारा, बन्दी का उद्धार-मूल्य
निष्क्रयः —पुं॰—-—निस्+क्री+अच्—पुरस्कार
निष्क्रयः —पुं॰—-—निस्+क्री+अच्—भाड़ा, मजदूरी
निष्क्रयः —पुं॰—-—निस्+क्री+अच्—अदायगी, चुनौती
निष्क्रयः —पुं॰—-—निस्+क्री+अच्—अदला-बदली, विनिमय
निष्क्रयणम् —नपुं॰—-—निस्+क्री+ल्युट्—निस्तार, छुटकारा, बन्दी का उद्धार-मूल्य
निष्क्काथः —पुं॰—-—निस्+क्वथ्+घञ्—काढ़ा
निष्क्काथः —पुं॰—-—निस्+क्वथ्+घञ्—रसा, शोरबा
निष्टपनम् —नपुं॰—-—निस्+तप्+ल्युट्—जलन
निष्टानकः —पुं॰—-—निस्+तानकः—घनध्वनि, कलकल् ध्वनि, मरमरध्वनि
निष्ठ —वि॰—-—नितरां तिष्ठति - नि+स्था+क—अन्दर रहने वाला, स्थित
निष्ठ —वि॰—-—नितरां तिष्ठति - नि+स्था+क—निर्भर, आश्रित, संकेत करने वाला या संबंध रखने वाला
निष्ठ —वि॰—-—नितरां तिष्ठति - नि+स्था+क—भक्त, अनुरक्त, अभ्यास करने वाला, इरादा, सत्यनिष्ठ
निष्ठ —वि॰—-—नितरां तिष्ठति - नि+स्था+क—कुशल
निष्ठ —वि॰—-—नितरां तिष्ठति - नि+स्था+क—आस्था रखने वाला, धर्मनिष्ठ
निष्ठा —स्त्री॰—-—-—अवस्था, दशा
निष्ठा —स्त्री॰—-—-—स्थैर्य, दृढ़ता, स्थिरता
निष्ठा —स्त्री॰—-—-—भक्ति, श्रद्धा, घनिष्ठ अनुराग
निष्ठा —स्त्री॰—-—-—विश्वास, दृढ़ भक्ति, आस्था
निष्ठा —स्त्री॰—-—-—श्रेष्ठता, कुशलता, प्रवीणता, पूर्णता
निष्ठा —स्त्री॰—-—-—उपसंहार, अन्त, अवसान
निष्ठा —स्त्री॰—-—-—उत्क्रान्ति या नाटक का अन्त
निष्ठा —स्त्री॰—-—-—निष्पत्ति, संपूर्ति
निष्ठा —स्त्री॰—-—-—चरम बिन्दु
निष्ठा —स्त्री॰—-—-—मृत्यु, विनाश, प्रलय
निष्ठा —स्त्री॰—-—-—स्थिर या निश्चित ज्ञान, निश्चिति
निष्ठा —स्त्री॰—-—-—भिक्षा मांगना
निष्ठा —स्त्री॰—-—-—भोगना, कष्ट उठाना, दुःख, चिन्ता
निष्ठा —स्त्री॰—-—-—क्त, क्तवतु के लिए पारिभाषिक शब्द
निष्ठानम् —नपुं॰—-—नि+स्था+ल्युट्—चटनी, मसाला
निष्ठीवः —पुं॰—-—नि+ष्ठीव्+घञ्+, दीर्घः, दीर्घाभावे गुणः; ल्युट् वा, दीर्घः पक्षे गुणः; क्त, दीर्घश्च—थूक देना, थूकना
निष्ठेवः —पुं॰—-—नि+ष्ठीव्+घञ्+, दीर्घः, दीर्घाभावे गुणः; ल्युट् वा, दीर्घः पक्षे गुणः; क्त, दीर्घश्च—थूक देना, थूकना
निष्ठीवम् —नपुं॰—-—नि+ष्ठीव्+घञ्+, दीर्घः, दीर्घाभावे गुणः; ल्युट् वा, दीर्घः पक्षे गुणः; क्त, दीर्घश्च—थूक देना, थूकना
निष्ठेवम् —नपुं॰—-—नि+ष्ठीव्+घञ्+, दीर्घः, दीर्घाभावे गुणः; ल्युट् वा, दीर्घः पक्षे गुणः; क्त, दीर्घश्च—थूक देना, थूकना
निष्ठीवनम् —नपुं॰—-—नि+ष्ठीव्+घञ्+, दीर्घः, दीर्घाभावे गुणः; ल्युट् वा, दीर्घः पक्षे गुणः; क्त, दीर्घश्च—थूक देना, थूकना
निष्ठेवनम् —नपुं॰—-—नि+ष्ठीव्+घञ्+, दीर्घः, दीर्घाभावे गुणः; ल्युट् वा, दीर्घः पक्षे गुणः; क्त, दीर्घश्च—थूक देना, थूकना
निष्ठीवितम् —नपुं॰—-—नि+ष्ठीव्+घञ्+, दीर्घः, दीर्घाभावे गुणः; ल्युट् वा, दीर्घः पक्षे गुणः; क्त, दीर्घश्च—थूक देना, थूकना
निष्ठुर —वि॰—-—नि+स्था+उरच्—कठोर, कर्कश, उजड्ड, रूखा
निष्ठुर —वि॰—-—नि+स्था+उरच्—कड़ा, तेज, तीक्ष्ण
निष्ठुर —वि॰—-—नि+स्था+उरच्—क्रूर, कठोर, पाषाणहृदय
निष्ठुर —वि॰—-—नि+स्था+उरच्—उद्धत
निष्ठयूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+ष्ठिव्+च्त, ऊठ्—हुआ, चूआ हुआ, फेंका हुआ
निष्ठयूतिः —स्त्री॰—-—नि+ष्ठिव्+च्तिन्, ऊठ्—थूक, खखार
निष्ण —वि॰—-—नि+स्ना+क, क्त वा—चतुर, कुशल, विज्ञ, दक्ष, सुपरिचित, विशेषज्ञ
निष्ण —वि॰—-—-—प्रकाशित, सम्पन्न, निष्पन्न
निष्ण —वि॰—-—-—बढ़िया, पूर्ण
निष्णात —वि॰—-—-—चतुर, कुशल, विज्ञ, दक्ष, सुपरिचित, विशेषज्ञ
निष्णात —वि॰—-—-—प्रकाशित, सम्पन्न, निष्पन्न
निष्णात —वि॰—-—-—बढ़िया, पूर्ण
निष्पक्व —वि॰—-—निस्+पच्+क्त—काढ़ा बनाया हुआ, जल में भिंगोया हुआ
निष्पक्व —वि॰—-—निस्+पच्+क्त—भली प्रकार पकाया हुआ
निष्पतनम् —नपुं॰—-—निस्+पत्+लट्—झपट कर निकलना, शीघ्रता से बाहर जाना
निष्पत्तिः —स्त्री॰—-—निस्+पद्+क्तिन्—जन्म, उत्पादन
निष्पत्तिः —स्त्री॰—-—निस्+पद्+क्तिन्—परिपक्वावस्था, परिपाक
निष्पत्तिः —स्त्री॰—-—निस्+पद्+क्तिन्—पूर्णता, समापन
निष्पत्तिः —स्त्री॰—-—निस्+पद्+क्तिन्—संपूर्ति, संपन्न्ता, समाप्ति
निष्पन्न —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+पद्+क्त—जन्मा हुआ, उदित, उद्गत, पैदा हुआ
निष्पन्न —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+पद्+क्त—कार्यान्वित हुआ, पूरा हुआ, संपन्न
निष्पन्न —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+पद्+क्त—तत्पर
निष्पवनम् —नपुं॰—-—निस्+पू+ल्युट्—फटकना
निष्पादनम् —नपुं॰—-—निस्+पद्+णिच्+ल्युट्—कार्यान्वयन, निष्पत्ति
निष्पादनम् —नपुं॰—-—निस्+पद्+णिच्+ल्युट्—उपसंहरण
निष्पादनम् —नपुं॰—-—निस्+पद्+णिच्+ल्युट्—उत्पादन, पैदा करना
निष्पावः —पुं॰—-—निस्+पू+घञ्—फटकना, अनाज साफ करना
निष्पावः —पुं॰—-—निस्+पू+घञ्—छाज से उत्पन्न होने वाली वायु
निष्पावः —पुं॰—-—निस्+पू+घञ्—हवा
निष्पीड़ित —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+पीड्+णिच्+क्त—निचोड़ा हुआ, भींचा हुआ
निष्पेषः —पुं॰—-—निस्+पिय्+घञ्, ल्युट् वा—मिलाकर रगड़ना, पीसना, चूर-चूर करना, कुचलना
निष्पेषः —पुं॰—-—निस्+पिय्+घञ्, ल्युट् वा—खोटना या कूटना, आघात करना, रगड़ देना
निष्पेषणम् —नपुं॰—-—निस्+पिय्+घञ्, ल्युट् वा—मिलाकर रगड़ना, पीसना, चूर-चूर करना, कुचलना
निष्पेषणम् —नपुं॰—-—निस्+पिय्+घञ्, ल्युट् वा—खोटना या कूटना, आघात करना, रगड़ देना
निष्प्रवाणम् —नपुं॰—-—निस्+प्र+वे+ल्युट्,निर्गता प्रवाणी तन्तुवापं शलाका अस्मात् अस्य वा नि॰ साधुः —नया कोरा कपड़ा,
निष्प्रवाणि —नपुं॰—-—निस्+प्र+वे+ल्युट्,निर्गता प्रवाणी तन्तुवापं शलाका अस्मात् अस्य वा नि॰ साधुः —नया कोरा कपड़ा,
निस् —अव्य॰—-—निस्+क्विप्—उपसर्ग के रूप में यह धातुओं के पूर्व लग कर वियोग
निस् —अव्य॰—-—निस्+क्विप्—निश्चिति, पूर्णता, उपभोग, पार करना, अतिक्रमण आदि अर्थों को बतलाता है,
निस् —अव्य॰—-—निस्+क्विप्—संज्ञा शब्दों के पूर्व उपसर्ग के रूप में प्रयुक्त होकर बहुत से नाम और विशेषण बनाता है तथा निम्नांकित अर्थ प्रकट करता है (क) 'में से' 'से दूर्' जैसा कि 'निर्वन्', निष्कौशाम्बि' या (ख)अधिक प्रचलित नहीं 'के विना' 'से शून्य' (अभावात्मकता पर बल देने वाला), निःशेष - बिना किसी शेष के, निष्फल, निर्जल आदि) (विशेष समासों निस् का स् स्वरों के अथवा वर्ग के ट्तीसरे, चौथे या पांचवें वर्ण, या य र ल व ह में से कोई वर्ण, परे होने पर, बदल कर र हो जाता है, ऊष्म वर्णों के परे होने पर विसर्ग, च् छ् से पूर्व श् तथा क् और् प् से पूर्व ष् हो जाता है, )
निष्कण्टक —वि॰—निस्-कण्टक—-—बिना कांटो का
निष्कण्टक —वि॰—निस्-कण्टक—-—कांटो से या शत्रुओं से युक्त, भय तथा उत्पातों से मुक्त
निष्कन्द —वि॰—निस्-कन्द—-—भक्ष्य मूलों के बिना
निष्कपट —वि॰—निस्-कपट—-—निश्चल, शुद्ध हृदय
निष्कम्प —वि॰—निस्-कंप—-—गतिहीन, स्थिर, अचर
निष्करुण —वि॰—निस्-करुण्—-—निर्दय, निर्मम, क्रुर
निष्कल —वि॰—निस्-कल—-—अखंड, अविभक्त, समस्त
निष्कल —वि॰—निस्-कल—-—प्राप्तक्षय, क्षीण, न्युन
निष्कल —वि॰—निस्-कल—-—पुंस्त्वहीन, ऊसर
निष्कल —वि॰—निस्-कल—-—विकलांग
निष्कलः —पुं॰—निस्-कलः—-—आधार
निष्कलः —पुं॰—निस्-कलः—-—योनि, भग
निष्कलः —पुं॰—निस्-कलः—-—ब्रह्मा
निष्कला —स्त्री॰—निस्-कला—-—एक बूढी स्त्री जिसके बच्चे होने बन्द हो गये हों, या जिसे अब रजोधर्म न होता हो
निष्कली —स्त्री॰—निस्-कली—-—एक बूढी स्त्री जिसके बच्चे होने बन्द हो गये हों, या जिसे अब रजोधर्म न होता हो
निष्कलङ्क —वि॰—निस्-कलङ्क—-—निर्दोय, कलंक से रहित
निष्कषाय —वि॰—निस्-कषाय—-—मैल तथा दुर्वासनाओं से मुक्त
निष्काम —वि॰—निस्-काम—-—कामना या अभिलाषारहित, निरिच्छ, निस्वार्थ, स्वार्थरहित
निष्काम —वि॰—निस्-काम—-—संसार की सब प्रकार की इच्छाओं से मुक्त
निष्कामम् —अव्य॰—निस्-कामम्—-—बिना इच्छा के
निष्कामम् —अव्य॰—निस्-कामम्—-—अनिच्छा पूर्वक
निष्कारण —वि॰—निस्-कारण—-—बिना कारण के, अनावश्यक
निष्कारण —वि॰—निस्-कारण—-—निस्स्वार्थ, निष्प्रयोजन
निष्कारण —वि॰—निस्-कारण—-—निराधार, हेतुरहित
निष्कारणम् —अव्य्॰—निस्-कारणम्—-—बिना किसी कारण या हेतु के, कारण के अभाव में, अनावश्यक रूप से
निष्कालकः —पुं॰—निस्-कालकः—-—पाश्चाताप में रत जिसके बाल, रोएँ सब मूंड कर घी लगाया गया हो
निष्कालिक —वि॰—निस्-कालिक—-—जिसकी जीवनचर्या समाप्त हो गई, जिसके दिन इने गिने हों
निष्कालिक —वि॰—निस्-कालिक—-—जिसे कोई जीत न सके, अजेय
निष्किञ्चन —वि॰—निस्-किञ्चन—-—जिसके पास एक पैसा भी न हो, धनहीन, दरिद्र
निष्कुल —वि॰—निस्-कुल—-—जिसका कोई बन्धुबान्धव न रहा हो, संसार में अकेला रह गया हो
निष्कुलीन —वि॰—निस्-कुलीन—-—नीच कुल का
निष्कूट —वि॰—निस्-कूट—-—छलरहित, ईमानदार, निर्दोष
निष्कृप —वि॰—निस्-कृप्—-—निर्मम्, निर्दय, क्रूर
निष्कैवल्य —वि॰—निस्-कैवल्य—-—केवल, विशुद्ध, निरपेक्ष
निष्कैवल्य —वि॰—निस्-कैवल्य—-—मोक्ष से वञ्चित, मोक्षहीन
निष्कौशांबि —वि॰—निस्-कौशांबि—-—जो कौशाम्बि से बाहर चला गया है
निष्क्रिय —वि॰—निस्-क्रिय—-—क्रियाहीन
निष्क्रिय —वि॰—निस्-क्रिय—-—जो धार्मिक संस्कारों का अनुष्ठान न करता हो
निःक्षत्र —वि॰—निस्-क्षत्र—-—सैन्यजाति से रहित
निःक्षत्रिय —वि॰—निस्-क्षत्रिय—-—सैन्यजाति से रहित
निःक्षेपः —पुं॰—निस्-क्षेपः—-—निक्षेप
निश्चक्रम् —अव्य॰—निस्-चक्रम्—-—पूर्ण रूप से
निश्चक्षुस् —वि॰—निस्-चक्षुस्—-—अन्धा, बिना आँखों का
निश्चत्वारिंश —वि॰—निस्-चत्वारिंश—-—जिसने चालीस पार कर लिये हों
निश्चितम् —वि॰—निस्-चितम्—-—चिन्ताओं से मुक्त, असंबद्ध, सुरक्षित
निश्चितम् —वि॰—निस्-चितम्—-—विचारहीन, चिंतन शून्य
निश्चेतन —वि॰—निस्-चेतन—-—चेतनारहित
निश्चेतस —वि॰—निस्-चेतस्—-—जो अपने ठीक होश में न हो
निश्चेष्ट —वि॰—निस्-चेष्ट—-—मतिहीन, निःशक्त
निश्चेष्टाकरण —वि॰—निस्-चेष्टाकरण—-—किसी को गति से वञ्चित करना, गतिहीनता का उत्पादक
निश्छन्दस् —वि॰—निस्-छन्दस्—-—जो वेदों का अध्ययन न करता हो
निश्छिद्र —वि॰—निस्-छिद्र—-—जिसमें सूराख न हो
निश्छिद्र —वि॰—निस्-छिद्र—-—निर्दोष
निश्छिद्र —वि॰—निस्-छिद्र—-—निर्बाध, क्षतिरहित
निस्तन्तु —वि॰—निस्-तंतु—-—जिसके कोई सन्तान न हो, निस्सन्तान
निस्तन्द्र —वि॰—निस्-तंद्र—-—जो आलसी न हो, फुर्तीला, स्वस्थ
निस्तमस्क —वि॰—निस्-तमस्क—-—अंधकारमुक्त, प्रकाशमान
निस्तमस्क —वि॰—निस्-तमस्क—-—पाप और नैतिक मलिनताओं से मुक्त
निस्तिमिर —वि॰—निस्-तिमिर—-—अंधकारमुक्त, प्रकाशमान
निस्तिमिर —वि॰—निस्-तिमिर—-—पाप और नैतिक मलिनताओं से मुक्त
निस्तर्क्य —वि॰—निस्-तर्क्य—-—कल्पनातीत, अचिन्तनीय
निस्तल —वि॰—निस्-तल—-—गोल, वर्तुलाकार
निस्तल —वि॰—निस्-तल—-—हिलने वाला, कांपने वाला, डोलने वाला
निस्तल —वि॰—निस्-तल—-—तलीरहित
निस्तुष —वि॰—निस्-तुष—-—भूसी से वियुक्त
निस्तुष —वि॰—निस्-तुष—-—विशुद्ध, स्वच्छ, सरलीकृत
निःक्षीरः —पुं॰—निस्-क्षीरः—-—गेहूँ
नीरत्नम् —नपुं॰—निस्-रत्नम्—-—स्फटिक
निस्तेजस् —वि॰—निस्-तेजस्—-—निरग्नि, ताप या शक्तिरहित, निःशक्त, पुंस्त्वहीन
निस्तेजस् —वि॰—निस्-तेजस्—-—उत्साहित, मन्द
निस्तेजस् —वि॰—निस्-तेजस्—-—गूढ़
निस्त्रप् —वि॰—निस्-त्रप्—-—ढीठ, निर्ल्लज
निस्त्रिंश् —वि॰—निस्-त्रिंश्—-—तीस से अधिक
निस्त्रिंश् —वि॰—निस्-त्रिंश्—-—निर्मम्, निर्दय, क्रूर
निस्त्रिंशः —पुं॰—निस्-त्रिंशः—-—तलवार
निस्त्रिंशभृत् —पुं॰—निस्-त्रिंशः-भृत्—-—कृपाणधारी
निस्त्रैगुण्य —वि॰—निस्-त्रैगुण्य—-—तीन गुणों से शून्य
निष्पङ्क —वि॰—निस्-पङ्क—-—कीचड़ से मुक्त, स्वच्छ, शुद्ध
निष्पताक —वि॰—निस्-पताक—-—बिना किसी झण्डे के
निष्पतिसुता —स्त्री॰—निस्-पतिसुता—-—वह स्त्री जिसके न कोई पुत्र हो, न पति
निष्पत्र —वि॰—निस्-पत्र—-—जिसमें कोई पत्ता न हो
निष्पत्र —वि॰—निस्-पत्र—-—जिसके पंखे न हों, बिना पंखों का
निष्पत्रा कृ ——-—-—बाण से इस प्रकार बींधना जिससे कि पंख विद्ध जन्तु के आर पार निकल जाय, अत्यन्त पीड़ा पहुँचाना
निष्पद —वि॰—निस्-पद—-—बिना पैरों का
निष्पदम् —नपुं॰—निस्-पदम्—-—एक गाड़ी जो बिना पैरों या बिना पहियों के चले
निष्परिकर —वि॰—निस्-परिकर—-—बिना तैयारी के
निष्परिग्रह —वि॰—निस्-परिग्रह—-—जिसके पास किसी प्रकार की सम्पत्ति न हो
निष्परिग्रहः —पुं॰—निस्-परिग्रहः—-—वह संन्यासी जिसने न तो विवाह किया हो, न जिसका कोई आश्रित हो और न जिसके पास कुछ सामान हो
निष्परिच्छद —वि॰—निस्-परिच्छ्द—-—जिसका कोई अनुचर या पिछलगुआ न हो
निष्परीक्ष —वि॰—निस्-परीक्ष—-—जो यथार्थ या सही सही परख न करे
निष्परीहार —वि॰—निस्-परीहार—-—जो सावधानी न रक्खे
निष्पर्यंत —वि॰—निस्-पर्यंत—-—सीमा रहित, असीमित
निष्पार —वि॰—निस्-पार—-—सीमा रहित, असीमित
निष्पाप —वि॰—निस्-पाप—-—पापरहित, निर्दोष, पवित्र
निष्पुत्र —वि॰—निस्-पुत्र—-—पुत्र रहित, निस्सन्तान
निष्पुरुष —वि॰—निस्-पुरुष—-—निर्जन, बिना किसी असामी के, उजाड़
निष्पुरुष —वि॰—निस्-पुरुष—-—पुंसन्तानहीन
निष्पुरुष —वि॰—निस्-पुरुष—-—जो पुंलिंग न हो, स्त्रीलिंग, नपुंसक लिंग
निष्पुरुषः —पुं॰—निस्-पुरुषः—-—हीजड़ा, कायर
निष्पुलाक —वि॰—निस्-पुलाक—-—बिना पुराली का, बिना भूसी का
निष्पौरुष —वि॰—निस्-पौरुष—-—पौरुषहीन
निष्प्रकम्प —वि॰—निस्-प्रकम्प—-—स्थिर, अचल, गतिहीन
निष्प्रकारक —वि॰—निस्-प्रकारक—-—जातिभेदरहित, वैशिष्ट्यरहित, पूर्ण
निष्प्रकाश —वि॰—निस्-प्रकाश—-—पारदर्शक, अस्पष्ट,अंधकारमय
निष्प्रचार —वि॰—निस्-प्रचार—-—न हिलने डुलने वाला
निष्प्रचार —वि॰—निस्-प्रचार—-—एक ही स्थान पर स्थिर रहने वाला
निष्प्रचार —वि॰—निस्-प्रचार—-—संकेन्द्रित, जमाया हुआ, स्थिर किया हुआ
निष्प्रतिकार —वि॰—निस्-प्रतिकार—-—जिसकी चिकित्सा न हो सके, जिसका कोई प्रतिकार न हो सके
निष्प्रतिकार —वि॰—निस्-प्रतिकार—-—निरबाध, बाधारहित
निष्प्रतिकारम् —अव्य॰—निस्-प्रतिकारम्—-—बिना किसी विघ्न के
निष्प्रतीकार —वि॰—निस्-प्रतीकार—-—जिसकी चिकित्सा न हो सके, जिसका कोई प्रतिकार न हो सके
निष्प्रतीकार —वि॰—निस्-प्रतीकार—-—निरबाध, बाधारहित
निष्प्रतिक्रिय —वि॰—निस्-प्रतिक्रिय—-—जिसकी चिकित्सा न हो सके, जिसका कोई प्रतिकार न हो सके
निष्प्रतिक्रिय —वि॰—निस्-प्रतिक्रिय—-—निरबाध, बाधारहित
निष्प्रघ —वि॰—निस्-प्रतिघ—-—विघ्नरहित, निर्बाध, बाधाशून्य
निष्प्रतिद्वन्द्व —वि॰—निस्-प्रतिद्वन्द्व—-—शत्रुरहित, निर्विरोध
निष्प्रतिद्वन्द्व —वि॰—निस्-प्रतिद्वन्द्व—-—बेजोड़, अप्रति, अनुपम
निष्प्रतिभ —वि॰—निस्-प्रतिभ—-—कान्तिशून्य
निष्प्रतिभ —वि॰—निस्-प्रतिभ—-—प्रज्ञाहीन, जो प्रत्युत्पन्नमति न हो, मन्स बुद्धि, जड़
निष्प्रतिभ —वि॰—निस्-प्रतिभ—-—उदासीन
निष्प्रतिभान —वि॰—निस्-प्रतिभान—-—कायर, भीरु
निष्प्रतीप —वि॰—निस्-प्रतीप—-—सीधा सामने देखने वाला, पीछे मुड़कर न देखने वाला
निष्प्रतीप —वि॰—निस्-प्रतीप—-—असंबद्ध
निष्प्रत्यूह —वि॰—निस्-प्रत्यूह—-—निर्विघ्न, अबाध
निष्प्रपञ्च —वि॰—निस्-प्रपञ्च—-—विस्तारहीन
निष्प्रपञ्च —वि॰—निस्-प्रपञ्च—-—छल कपट से रहित, ईमानदार
निष्प्रभ —वि॰—निस्-प्रभ—-—कान्तिविहीत, विवर्ण दिखाई देनेवाला
निष्प्रभ —वि॰—निस्-प्रभ—-—शक्तिरहित
निष्प्रभ —वि॰—निस्-प्रभ—-—निस्तेज
निष्प्रमाणक —वि॰—निस्-प्रमाणक—-—बिना अधिकार का
निष्प्रयोजन —वि॰—निस्-प्रयोजन—-—निरुद्देश्य, जो किसी प्रयोजन से प्रभावित न हो
निष्प्रयोजन —वि॰—निस्-प्रयोजन—-—निष्कारण, निराधार
निष्प्रयोजन —वि॰—निस्-प्रयोजन—-—व्यर्थ
निष्प्रयोजन —वि॰—निस्-प्रयोजन—-—अनुपयोगी, अनावश्यक
निष्प्रयोजनम् —अव्य॰—निस्-प्रयोजनम्—-—बिना कारण या हेतु के, बिना किसी मतलब के
निष्प्राण —वि॰—निस्-प्राण—-—प्राणहीन, निर्जीव, मृतक
निष्पफल —वि॰—निस्-फल—-—जिसका कोई फल न निकले, फलहीन, असफल
निष्पफल —वि॰—निस्-फल—-—अनुपयोगी, बिना लाभ का, निरर्थक
निष्पफल —वि॰—निस्-फल—-—बांझ, ऊसर
निष्पफल —वि॰—निस्-फल—-—निरर्थक
निष्पफल —वि॰—निस्-फल—-—बिना बीज का, निर्वीय
निर्लाली —स्त्री॰—निस्-लाली—-—स्त्री जिसके सन्तान होना बन्द हो गया हो
निष्फेन —वि॰—निस्-फेन—-—बिना झागों का
निःशब्द —वि॰—निस्-शब्द—-—जो शब्दों में व्यक्त न किया गया हो, शब्दरहित
निःशलाक —वि॰—निस्-शलाक—-—अकेला, एकांतसेवी, निवृत्त
निःशलाकम् —नपुं॰—निस्-शलाकम्—-—निर्जन स्थान, एकान्त स्थान
निःशेष —वि॰—निस्-शेष—-—बिना कुछ शेष रहे, पूर्ण, समस्त, पूरा
निःशोध्य —वि॰—निस्-शोध्य—-—धोया हुआ, स्वच्छ
निःसंशय —वि॰—निस्-संशय—-—असन्दिग्ध, निश्चित
निःसंशय —वि॰—निस्-संशय—-—संदेहरहित, आशंकारहित, संदेहशून्य
निःसंशयम् —अव्य॰—निस्-संशयम्—-—निस्सन्देह, असन्दिग्ध रूप से, निश्चित रूप से अवश्य
निःसंग —वि॰—निस्-संग—-—अनासक्त, भक्तिरहित, अनपेक्ष, उदासीन
निःसंग —वि॰—निस्-संग—-—सांसारिक आसक्तियों से मुक्त
निःसंग —वि॰—निस्-संग—-—निर्लिप्त, वियुक्त, अनुरागशून्य
निःसंग —वि॰—निस्-संग—-—अबाध
निःसंगम् —अव्य॰—निस्-संगम्—-—निस्स्वार्थ भाव से
निःसंज्ञ —वि॰—निस्-संज्ञ—-—बेहोश
निःसत्त्व —वि॰—निस्-सत्त्व—-—सत्त्वरहित, दुर्बल, पुंस्त्वहीन
निःसत्त्व —वि॰—निस्-सत्त्व—-—नीच, नगण्य, अधम
निःसत्त्व —वि॰—निस्-सत्त्व—-—सत्ताहीन, असार
निःसत्त्व —वि॰—निस्-सत्त्व—-—जीवित प्राणियों से वंचित
निःसत्त्वम् —नपुं॰—निस्-सत्त्वम्—-—शक्ति या ऊर्जा का अभाव
निःसत्त्वम् —नपुं॰—निस्-सत्त्वम्—-—सत्ताहीनता
निःसत्त्वम् —नपुं॰—निस्-सत्त्वम्—-—नगण्यता
निस्सन्तति —वि॰—निस्-सन्तति—-—जिसके कोई सन्तान न हो, सन्तानरहित
निस्सन्तान —वि॰—निस्-सन्तान—-—जिसके कोई सन्तान न हो, सन्तानरहित
निस्सन्दिग्ध —वि॰—निस्-सन्दिग्ध—-—
निस्सन्देह —वि॰—निस्-सन्देह—-—
निःसन्धि —वि॰—निस्-सन्धि—-—जिसमें दिखाई देनेवाली कोई गांठ न हो, संहत, सघन, सटा हुआ
निःसपत्न —वि॰—निस्-सपत्न—-—जिसका कोई शत्रु न हो
निःसपत्न —वि॰—निस्-सपत्न—-—जिसका कोई और दावेदार न हो, जो सर्वथा एक ही का हो
निःसपत्न —वि॰—निस्-सपत्न—-—अजातशत्रु
निस्समम् —अव्य॰—निस्-समम्—-—बिना ऋतु के, अनुचित समय पर
निस्समम् —नपुं॰—निस्-समम्—-—दुष्टता के साथ
निःसम्पात —वि॰—निस्-सम्पात—-—जहाँ मार्ग उपलब्ध न हो, जहाँ मार्ग अवरुद्ध हो
निःसम्पातः —पुं॰—निस्-सम्पातः—-—आधी रात का अँधेरा, गुप अँधेरा, घना अंधकार
निःसम्बाध —वि॰—निस्-सम्बाध—-—जो संकीर्ण न हो, प्रशस्त, विस्तृत
निःसंसार —वि॰—निस्-संसार—-—नीरस, सारहीन, बिना गूदे का
निःसंसार —वि॰—निस्-संसार—-—निकम्मा, असार
निःसीम —वि॰—निस्-सीम—-—अपरिमेय, सीमारहित
निःसीमन् —वि॰—निस्-सीमन्—-—अपरिमेय, सीमारहित
निःस्नेह —वि॰—निस्-स्नेह—-—जो चिकना न हो, बिना चिकनाई का, शुष्क
निःस्नेह —वि॰—निस्-स्नेह—-—स्नेहरहित, भावनाशून्य, कृपाहीन, उदासीन
निःस्नेह —वि॰—निस्-स्नेह—-—जिससे कोई प्यार न करता हो, जिसकी कोई देखभाल न करता हो
निःस्पन्द —वि॰—निस्-स्पन्द—-—गतिहीन, स्थिर
निःस्पृह —वि॰—निस्-स्पृह—-—कामनाशून्य
निःस्पृह —वि॰—निस्-स्पृह—-—लापरवाह, उदासीन
निःस्पृह —वि॰—निस्-स्पृह—-—स्न्तुष्ट, डाह न करने वाला
निःस्पृह —वि॰—निस्-स्पृह—-—सांसारिक बन्धनों से मुक्त
निःस्व —वि॰—निस्-स्व—-—निर्धन, दरिद्र
निःस्वादु —वि॰—निस्-स्वादु—-—स्वादरहित, बिना स्वाद का, बदमजा
निसम्पात —वि॰—-—-—जहाँ मार्ग उपलब्ध न हो, जहाँ मार्ग अवरुद्ध हो
निसर्गः —पुं॰—-—नि+सृज्+घञ्—प्रदान करना, अनुदान देना, उपहार देना, पुरस्कार देना
निसर्गः —पुं॰—-—नि+सृज्+घञ्—अनुदान
निसर्गः —पुं॰—-—नि+सृज्+घञ्—मलोत्सर्ग, शून्यीकरण, मलत्याग
निसर्गः —पुं॰—-—नि+सृज्+घञ्—त्याग, तिलांजलि देना
निसर्गः —पुं॰—-—नि+सृज्+घञ्—सृष्टि
निसर्गः —पुं॰—-—नि+सृज्+घञ्—अदला-बदली, विनिमय
निसर्गज —वि॰—निसर्गः-ज—-—सहज, अन्तर्जात, स्वाभाविक
निसर्गसिद्ध —वि॰—निसर्गः-सिद्ध—-—सहज, अन्तर्जात, स्वाभाविक
निसर्गभिन्न —वि॰—निसर्गः-भिन्न—-—स्वभावतः और प्रकार का
निसर्गविनीत —वि॰—निसर्गः-विनीत—-—स्वभावतः विवेकी
निसर्गविनीत —वि॰—निसर्गः-विनीत—-—स्वभावतः विनम्र
निसारः —पुं॰—-—नि+सृ+घञ्—समुच्चय, समूह
निसूदन —वि॰—-—नि+सूद्+ल्युट्—मारने वाला, नष्ट करने वाला
निसूदनम् —नपुं॰—-—-—बध, हत्या
निसृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+सृज्+च्त—सौंपा गया, दिया गया, अर्पित
निसृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+सृज्+च्त—छोड़ा गया, त्यक्त
निसृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+सृज्+च्त—विसर्जित
निसृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+सृज्+च्त—अनुज्ञात, अनुमत
निसृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+सृज्+च्त—केन्द्रवर्ती, मध्यस्थ
निसृष्टार्थ —वि॰—निसृष्ट-अर्थ—-—जिसे किसी कार्य का प्रबन्ध सौंपा गया हो
निसृष्टार्थ —वि॰—निसृष्ट-अर्थ—-—दूत, अभिकर्ता
निसृष्टदूती —स्त्री॰—निसृष्ट-दूती—-—वह स्त्री जो नायक और नायिका के प्रेम को जान कर स्वयं उनको मिलाती है
निस्तरणम् —नपुं॰—-—निस्+तृ+ल्युट्—बाहर जाना, बाहर आना
निस्तरणम् —नपुं॰—-—निस्+तृ+ल्युट्—पार करना
निस्तरणम् —नपुं॰—-—निस्+तृ+ल्युट्—बचाना, मुक्ति, छुटकारा
निस्तरणम् —नपुं॰—-—निस्+तृ+ल्युट्—तरकीब, उपाय, योजना
निस्तर्हणम् —नपुं॰—-—निस्+तृह्+ल्युट्—वध, हत्या
निस्तारः —पुं॰—-—निस्+तृ+घञ्—पार करना
निस्तारः —पुं॰—-—निस्+तृ+घञ्—छुटकारा पाना, छुट्टी, बचाव, उद्धार
निस्तारः —पुं॰—-—निस्+तृ+घञ्—मोक्ष
निस्तारः —पुं॰—-—निस्+तृ+घञ्—ऋणपरिशोधन, चुकौती, अदायगी
निस्तारः —पुं॰—-—निस्+तृ+घञ्—उपाय, तरकीब
निस्तीर्णः —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+तृ+क्त—उद्धार किया हुआ, मुक्त किया हुआ, बचाया हुआ
निस्तीर्णः —भू॰ क॰ कृ॰—-—निस्+तृ+क्त—पार किया हुआ
निस्तोदः —पुं॰—-—निस्+तुद्+घञ्—चुभना, डंक मारना
निस्पन्द —पुं॰—-—नि+स्पन्द्+घञ्—कंपकंपी, धड़कन, गति
निस्यन्दः —पुं॰—-—नि+स्यन्द्+घञ् षत्वं विकल्पेन—आगे, या नीचे की ओर वहना, चूना, टपकना, बूंद-बूंद करके गिरना, झरना, रिसना
निस्यन्दः —पुं॰—-—नि+स्यन्द्+घञ् षत्वं विकल्पेन—क्षरण, स्राव, रसीला पदार्थ, रस
निस्यन्दः —पुं॰—-—नि+स्यन्द्+घञ् षत्वं विकल्पेन—प्रवाह, स्रोत, पानी की धार
निष्यन्दः —पुं॰—-—नि+स्यन्द्+घञ् षत्वं विकल्पेन—आगे, या नीचे की ओर वहना, चूना, टपकना, बूंद-बूंद करके गिरना, झरना, रिसना
निष्यन्दः —पुं॰—-—नि+स्यन्द्+घञ् षत्वं विकल्पेन—क्षरण, स्राव, रसीला पदार्थ, रस
निष्यन्दः —पुं॰—-—नि+स्यन्द्+घञ् षत्वं विकल्पेन—प्रवाह, स्रोत, पानी की धार
निस्यन्दिन् —वि॰—-—नि+स्यन्द्+णिनि—टपकने वाला, बहने वाला, रिसने वाला
निस्रवः —पुं॰—-—नि+सुप्+अप्, घञ् वा—सरिता, धारा
निस्रवः —पुं॰—-—नि+सुप्+अप्, घञ् वा—चावलों का मांड़
निस्रावः —पुं॰—-—नि+सुप्+अप्, घञ् वा—सरिता, धारा
निस्रावः —पुं॰—-—नि+सुप्+अप्, घञ् वा—चावलों का मांड़
निस्वनः —पुं॰—-—नि+स्वन्+अप् —शब्द, आवाज
निस्वानः —पुं॰—-—नि+स्वन्+घञ् —शब्द, आवाज
निहत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+हन्+क्त—पटखी दिया हुआ, आघात किया हुआ, बध किया हुआ, मारा हुआ
निहत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+हन्+क्त—प्रहार किया हुआ, चोट जमाया हुआ
निहत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+हन्+क्त—अनुरक्त, भक्त
निहननम् —नपुं॰—-—नि+हन्+ल्युट्—वध, हत्या
निहनः —पुं॰—-—नि+ह्ने+अप्, संप्रसारण—आवाहन, बुलावा
निहारः —पुं॰—-—नि+ हृ+घञ्—कुहरा, धुंध
निहारः —पुं॰—-—नि+ हृ+घञ्—पाला, भारी ओस
निहारः —पुं॰—-—नि+ हृ+घञ्—मलमूत्र त्याग
निहिंसनम् —नपुं॰—-—नि+हिंस्+ल्युट्—बध, हत्या
निहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+धा+क्त—रक्खा हुआ, धरा हुआ, टिकाया हुआ, स्थापित, जमा किया हुआ
निहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+धा+क्त—सौम्पा हुआ, समर्पित
निहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+धा+क्त—प्रदत्त, प्रयुक्त
निहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+धा+क्त—अन्तर्हित, अंदर रक्खा हुआ
निहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+धा+क्त—कोषबद्ध किया हुआ
निहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+धा+क्त—संभाला हुआ
निहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+धा+क्त—पड़ी हुई
निहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+धा+क्त—गंभीर स्वर में उच्चरित
निहीन —वि॰—-—नितरां हीनः प्रा॰ स॰—अधम, नीच
निहीनः —पुं॰—-—-—नीच आदमी, अधम कुल में उत्पन्न
निह्नवः —पुं॰—-—नि+हनु+अप्—मुकर जाना, जानकारी का छिपाना
निह्नवः —पुं॰—-—नि+हनु+अप्—गोपनीयता, छिपाव
निह्नवः —पुं॰—-—नि+हनु+अप्—रहस्य
निह्नवः —पुं॰—-—नि+हनु+अप्—अविश्वास, सन्देह, शंका
निह्नवः —पुं॰—-—नि+हनु+अप्—दुष्टता
निह्नवः —पुं॰—-—नि+हनु+अप्—परिशोधन, प्रायश्चित
निह्नवः —पुं॰—-—नि+हनु+अप्—बहाना
निह्नुतिः —स्त्री॰—-—नि+ह्नु+क्तिन्—मुकरना, जानकारी का छिपाव
निह्नुतिः —स्त्री॰—-—नि+ह्नु+क्तिन्—पाखंड, संवरण, मनोगुप्ति
निह्नुतिः —स्त्री॰—-—नि+ह्नु+क्तिन्—गोपनीयता, छिपाना, गुप्त रखना
नी —भ्वा॰ उभ॰ - <नयति>, <नयते>, <नीत>—-—द्विकर्मक धातु, उदाहरण - नी॰ दे॰—ले जाना, नेतृत्व करना, लाना, पहुँचाना, लेना, संचालन करना
नी —भ्वा॰ उभ॰ - <नयति>, <नयते>, <नीत>—-—द्विकर्मक धातु, उदाहरण - नी॰ दे॰—निर्देश करना, निर्देश देना, शासन करना
नी —भ्वा॰ उभ॰ - <नयति>, <नयते>, <नीत>—-—द्विकर्मक धातु, उदाहरण - नी॰ दे॰—दूर ले जाना, बहा ले जाना
नी —भ्वा॰ उभ॰ - <नयति>, <नयते>, <नीत>—-—द्विकर्मक धातु, उदाहरण - नी॰ दे॰—उठा ले जाना
नी —भ्वा॰ उभ॰ - <नयति>, <नयते>, <नीत>—-—द्विकर्मक धातु, उदाहरण - नी॰ दे॰—किसी के लिए ले जाना
नी —भ्वा॰ उभ॰ - <नयति>, <नयते>, <नीत>—-—द्विकर्मक धातु, उदाहरण - नी॰ दे॰—व्यय करना, बिताना
नी —भ्वा॰ उभ॰ - <नयति>, <नयते>, <नीत>—-—द्विकर्मक धातु, उदाहरण - नी॰ दे॰—किसी अवस्था तक कृश करना
नी —भ्वा॰ उभ॰ - <नयति>, <नयते>, <नीत>—-—द्विकर्मक धातु, उदाहरण - नी॰ दे॰—निश्चय करना, गवेषणा करना, पूछ्ताछ करना, निर्णय करना, फैसला करना
नी —भ्वा॰ उभ॰ - <नयति>, <नयते>, <नीत>—-—द्विकर्मक धातु, उदाहरण - नी॰ दे॰—पता लगाना, लीक के सहारे पीछा करना, खोज निकालना
नी —भ्वा॰ उभ॰ - <नयति>, <नयते>, <नीत>—-—द्विकर्मक धातु, उदाहरण - नी॰ दे॰—विवाह करना
नी —भ्वा॰ उभ॰ - <नयति>, <नयते>, <नीत>—-—द्विकर्मक धातु, उदाहरण - नी॰ दे॰—बहिष्कृत करना
नी —भ्वा॰ उभ॰ - <नयति>, <नयते>, <नीत>—-—द्विकर्मक धातु, उदाहरण - नी॰ दे॰—शिक्ष देना, अनुदेश देना, मार्गदर्शन करना, पहुंचवाना, ले जाने की कामना करना
अनुनी —भ्वा॰ उभ॰ —अनु-नी—-—मनना, अपने पक्ष का बना लेना, प्रवृत्त करना, फुसलाना, प्रार्थना करना, राजी करना, बहलाना, शान्त करना, प्रसन्न करना, लुभाना
अनुनी —भ्वा॰ उभ॰ —अनु-नी—-—स्नेह करना
अनुनी —भ्वा॰ उभ॰ —अनु-नी—-—साधना, अनुशासन में रखना
अपनी —भ्वा॰ उभ॰ —अप-नी—-—दूर ले जाना, बहा ले जाना, निवृत्त करना
अपनी —भ्वा॰ उभ॰ —अप-नी—-—हटाना, नष्ट करना, ले जाना
अपनी —भ्वा॰ उभ॰ —अप-नी—-—लूटना, चुराना, लूटमार करना, छीनना, ले लेना
अपनी —भ्वा॰ उभ॰ —अप-नी—-—उद्धृत, निचोड़ करना, दूर करना, उतारना, खींचकर उतारना
अभिनी —भ्वा॰ उभ॰ —अभि-नी—-—निकट लाना, संचालन करन, नेतृत्व करना, ले जाना
अभिनी —भ्वा॰ उभ॰ —अभि-नी—-—अभिनय करना, नाटकीय रूप से प्रतिनिधान या प्रदर्शन करना, हाव-भाव प्रदर्शित करना
अभिनी —भ्वा॰ उभ॰ —अभि-नी—-—उद्धृत करना, घटाना
अभिविनी —भ्वा॰ उभ॰ —अभिवि-नी—-—अध्यापन करना, शिक्षा देना, सधाना
आनी —भ्वा॰ उभ॰ —आ-नी—-—लाना, जाकर लाना
आनी —भ्वा॰ उभ॰ —आ-नी—-—प्रकाशित करना, पैदा करना, उत्पादन करना
आनी —भ्वा॰ उभ॰ —आ-नी—-—किसी अवस्था में पहुंचना
आनी —भ्वा॰ उभ॰ —आ-नी—-—निकट ले जाना, पहुंचाना
उन्नी —भ्वा॰ उभ॰ —उद् -नी—-—आगे वढ़ाना, पालनपोषण करना
उन्नी —भ्वा॰ उभ॰ —उद् -नी—-—उठाना, उन्नत करना, सीधा खड़ा करना
उन्नी —भ्वा॰ उभ॰ —उद् -नी—-—एक ओर ले जाना
उन्नी —भ्वा॰ उभ॰ —उद् -नी—-—अनुमान लगाना, निश्चय करना, अटकल लगाना, अन्दाज लगाना
उपनी —भ्वा॰ उभ॰ —उप -नी—-—निकट लाना, जाकर लाना
उपनी —भ्वा॰ उभ॰ —उप -नी—-—उठाना, उन्नत करना, ले जाना
उपनी —भ्वा॰ उभ॰ —उप -नी—-—प्रस्तुत करना, उपस्थित करना
उपनी —भ्वा॰ उभ॰ —उप -नी—-—प्रकाशित करना, पैदा करना, उत्पादन करना
उपनी —भ्वा॰ उभ॰ —उप -नी—-—किसी अवस्था में लाना, अवस्थाविशेष तक पहुंचना
उपनी —भ्वा॰ उभ॰ —उप -नी—-—यज्ञोपवीत धारण कराना
उपनी —भ्वा॰ उभ॰ —उप -नी—-—भाड़े पर रखना, भाड़े के नौकर रखना
उपानी —भ्वा॰ उभ॰ —उपा-नी—-—अवस्था विशेष में लाना, घटाना
निनी —भ्वा॰ उभ॰ —नि-नी—-—निकट ले जाना, समीप पहुँचाना
निनी —भ्वा॰ उभ॰ —नि-नी—-—झुकना,विनत होना
निनी —भ्वा॰ उभ॰ —नि-नी—-—उडेलना
निनी —भ्वा॰ उभ॰ —नि-नी—-—घटित करना, निष्पन्न करना
निर्णी —भ्वा॰ उभ॰ —निस्-नी—-—ले उड़ना
निर्णी —भ्वा॰ उभ॰ —निस्-नी—-—निश्चय करना, तय करना, फैसला करना, संकल्प करना, दृढ़ करना
परिणी —भ्वा॰ उभ॰ —परि-नी—-—प्रदक्षिणा करना
परिणी —भ्वा॰ उभ॰ —परि-नी—-—विवाह करना, ब्याहना
परिणी —भ्वा॰ उभ॰ —परि-नी—-—निश्चय करना, खोज करना
प्रणी —भ्वा॰ उभ॰ —प्र-नी—-—नेतृत्व करना
प्रणी —भ्वा॰ उभ॰ —प्र-नी—-—प्रस्तुत करना, देना, उपस्थित करना
प्रणी —भ्वा॰ उभ॰ —प्र-नी—-—चेताना, सुलगाना
प्रणी —भ्वा॰ उभ॰ —प्र-नी—-—वेदमंत्रों के पाठ से अभिमंत्रित करना, पूजना, अर्चना करना
प्रणी —भ्वा॰ उभ॰ —प्र-नी—-—देना
प्रणी —भ्वा॰ उभ॰ —प्र-नी—-—निर्धारित करना, शिक्षा प्रदान करना, प्रख्यायन करना, प्रतिष्ठापित करना, विहित करना
प्रणी —भ्वा॰ उभ॰ —प्र-नी—-—लिखना, रचना करना
प्रणी —भ्वा॰ उभ॰ —प्र-नी—-—निष्पन्न करना, कार्यान्वित करना, अनुष्ठान करना, प्रकाशित करना
प्रणी —भ्वा॰ उभ॰ —प्र-नी—-—पहुँचाना, निम्न अवस्था में ले जाना
प्रतिनी —भ्वा॰ उभ॰ —प्रति-नी—-—वापिस ले जाना
विनी —भ्वा॰ उभ॰ —वि-नी—-—हटाना, ले जाना, नष्ट करना
विनी —भ्वा॰ उभ॰ —वि-नी—-—अध्यापन करना, शिक्षण देना, शिक्षा देना, प्रशिक्षित करना
विनी —भ्वा॰ उभ॰ —वि-नी—-—पालना, वशीभूत करना, प्रशासित करना, नियंत्रित करना
विनी —भ्वा॰ उभ॰ —वि-नी—-—प्रसन्न करना, शान्त करना
विनी —भ्वा॰ उभ॰ —वि-नी—-—व्यतीत हो जाना, बिताना
विनी —भ्वा॰ उभ॰ —वि-नी—-—पार ले जाना, सम्पन्न करना, पूरा करना
विनी —भ्वा॰ उभ॰ —वि-नी—-—व्यय करना, प्रयुक्त करना, उपयोग में लाना
विनी —भ्वा॰ उभ॰ —वि-नी—-—देना, प्रस्तुत करना, प्रदान करना, अर्पित करना
विनी —भ्वा॰ उभ॰ —वि-नी—-—नेतृत्व करना, संचालन करना
सन्नी —भ्वा॰ उभ॰ —सम्-नी—-—एकत्र करना
सन्नी —भ्वा॰ उभ॰ —सम्-नी—-—हकूमत करना, प्रशासन करना, पथप्रदर्शन करना
सन्नी —भ्वा॰ उभ॰ —सम्-नी—-—वापिस प्राप्त, लौटाना
सन्नी —भ्वा॰ उभ॰ —सम्-नी—-—निकट लाना
समानी —भ्वा॰ उभ॰ —समा-नी—-—मिलाना, एकता में आबद्ध करना, एकत्र करना
समानी —भ्वा॰ उभ॰ —समा-नी—-—जा कर लाना
नी —पुं॰—-—नी+क्विप्—नेता, पथप्रदर्शक, जैसा कि ग्रामणी, सेनानी और अग्रणी में
नीका —स्त्री॰—-—-—कुल्या, गूल, खेत की सिंचाई के लिए बनी नहर
नीकारः —पुं॰—-—-—अनाज फटकना
नीकारः —पुं॰—-—-—ऊपर उठाना
नीकारः —पुं॰—-—-—वध, हत्या
नीकारः —पुं॰—-—-—अनादर, ताबेदारी
नीकारः —पुं॰—-—-—अवज्ञा, क्षति, अनिष्ट, अपराध
नीकारः —पुं॰—-—-—गाली, बुरा-भला कहना, अवमान
नीकारः —पुं॰—-—-—दुष्टता, द्वेष
नीकारः —पुं॰—-—-—विरोध, वचन विरोध
नीकाश —वि॰—-—नि+काश्+अच्, दीर्घः—
नीकाशः —पुं॰—-—नि+काश्+अच्, दीर्घः—दर्शन, दृष्टि
नीकाशः —पुं॰—-—नि+काश्+अच्, दीर्घः—क्षितिज
नीकाशः —पुं॰—-—नि+काश्+अच्, दीर्घः—सामीप्य, पड़ोस
नीकाशः —पुं॰—-—नि+काश्+अच्, दीर्घः—समानता, समरूपता
नीच —वि॰—-—निकृष्टतमीं शोभां चिनोति - चि+ड, तारा॰—नीच, छोटा, स्वल्प, थोड़ा, बौना
नीच —वि॰—-—निकृष्टतमीं शोभां चिनोति - चि+ड, तारा॰—निम्नस्थित, निकृष्ट
नीच —वि॰—-—निकृष्टतमीं शोभां चिनोति - चि+ड, तारा॰—नीची, गहरी
नीच —वि॰—-—निकृष्टतमीं शोभां चिनोति - चि+ड, तारा॰—नीच, कमीना, अधम, दुष्ट, अत्यंत खोटा
नीच —वि॰—-—निकृष्टतमीं शोभां चिनोति - चि+ड, तारा॰—निकम्मा, निरर्थक
नीचा —स्त्री॰—-—-—श्रेष्ठ गाय
नीचगा —स्त्री॰—नीच-गा—-—नदी
नीचभोज्यम् —नपुं॰—नीच-भोज्यम्—-—प्याज
नीचयोनिन् —वि॰—नीच-योनिन्—-—नीच कुलोत्पन्न, नीच घराने में जन्मा हुआ,
नीचवज्रः —पुं॰—नीच-वज्रः—-—वैक्रान्तमणि
नीचवज्रम् —नपुं॰—नीच-वज्रम्—-—वैक्रान्तमणि
नीचका —स्त्री॰—-—नीच+कन्=टाप्, पक्षे इत्वं वा—बढ़िया या श्रेष्ठ गाय
नीचिका —स्त्री॰—-—नीच+कन्=टाप्, पक्षे इत्वं वा—बढ़िया या श्रेष्ठ गाय
नीचकिन् —पुं॰—-—निचक+इनि—किसी वस्तु का शिखर
नीचकिन् —पुं॰—-—निचक+इनि—बैल का सिर
नीचकिन् —पुं॰—-—निचक+इनि—अच्छी गाय का स्वामी
नीचकैः —अव्य॰—-—नीचैस् इत्यस्य टः प्रागकच्—नीचा, नीचे, अधः, के नीचे,तले, नीचे की ओर
नीचकैः —अव्य॰—-—नीचैस् इत्यस्य टः प्रागकच्—नीचे झुककर, विनम्र हो कर, विनयपूर्वक
नीचकैः —अव्य॰—-—नीचैस् इत्यस्य टः प्रागकच्—आहिस्ता-आहिस्ता, कोमलता से
नीचकैः —अव्य॰—-—नीचैस् इत्यस्य टः प्रागकच्—मन्द स्वर में, धीमी आवाज से
नीचकैः —अव्य॰—-—नीचैस् इत्यस्य टः प्रागकच्—छोटा, गुटका, बौना
नीचकैः —पुं॰—-—-—पहाड़ का नाम
नीचकैगतिः —स्त्री॰—नीचकैः-गतिः—-—शिथिलगति
नीचकैमुख —वि॰—नीचकैः-मुख—-—नीचे को मुँह किये हुए
नीडः —पुं॰—-—नितरां मिलन्ति खगा अत्र - नि+इल्+क, लस्य ङ् तारा॰—पक्षी का घोसला
नीडः —पुं॰—-—-—बिस्तर, गद्दा
नीडः —पुं॰—-—-—रथ का भीतरी भाग
नीडः —पुं॰—-—-—स्थान, आवास, विश्रामस्थल
नीडम् —नपुं॰—-—-—पक्षी का घोसला
नीडम् —नपुं॰—-—-—बिस्तर, गद्दा
नीडम् —नपुं॰—-—-—रथ का भीतरी भाग
नीडम् —नपुं॰—-—-—स्थान, आवास, विश्रामस्थल
नीडोद्भवः —पुं॰—नीडः-उद्भवः—-—पक्षी
नीडजः —पुं॰—नीडः-जः—-—पक्षी
नीडकः —पुं॰—-—नीड+कन्—पक्षी
नीडकः —पुं॰—-—नीड+कन्—घोंसला
नीत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नी+क्त—ले जाया गया, संचालित, नेतृत्व किया गया
नीत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नी+क्त—लब्ध, प्राप्त
नीत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नी+क्त—निम्न अवस्था को पहुंचाया हुआ
नीत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नी+क्त—व्यतीत, बिताया गया
नीत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नी+क्त—भली भांति व्यवहृत, सही
नीतम् —नपुं॰—-—-—धान्य, अनाज
नीतिः —स्त्री॰—-—नी+क्तिन्—निर्देशन, दिग्दर्शन, प्रबंध
नीतिः —स्त्री॰—-—नी+क्तिन्—आचरण, चालचलन, व्यवहार, कार्यक्रम
नीतिः —स्त्री॰—-—नी+क्तिन्—औचित्य, शालीनता
नीतिः —स्त्री॰—-—नी+क्तिन्—नीतिकौशल, नीतिज्ञता, बुद्धिमत्ता, व्यवहारकुशलता
नीतिः —स्त्री॰—-—नी+क्तिन्—योजना, उपाय कूटयूक्ति
नीतिः —स्त्री॰—-—नी+क्तिन्—राजनय, राजनीति विज्ञान, राजनीतिज्ञता, राजनीतिक बुद्धिमत्ता
नीतिः —स्त्री॰—-—नी+क्तिन्—आचारशास्त्र, आचार, नीतिशास्त्र, आचारदर्शन
नीतिः —स्त्री॰—-—नी+क्तिन्—अवाप्ति, अधिग्रहण
नीतिः —स्त्री॰—-—नी+क्तिन्—देना, प्रदान करना, प्रस्तुत करना
नीतिः —स्त्री॰—-—नी+क्तिन्—संबंध, सहारा
नीतिकुशल —वि॰—नीतिः-कुशल—-—राजनीतिविशारद, राजनीतिज्ञ, नीतिज्ञ
नीतिकुशल —वि॰—नीतिः-कुशल—-—दूरदर्शी, बुद्दिमान
नीतिज्ञ —वि॰—नीतिः-ज्ञ—-—राजनीतिविशारद, राजनीतिज्ञ, नीतिज्ञ
नीतिज्ञ —वि॰—नीतिः-ज्ञ—-—दूरदर्शी, बुद्दिमान
नीतिनिष्ण —वि॰—नीतिः-निष्ण—-—राजनीतिविशारद, राजनीतिज्ञ, नीतिज्ञ
नीतिनिष्ण —वि॰—नीतिः-निष्ण—-—दूरदर्शी, बुद्दिमान
नीतिविद् —वि॰—नीतिः-विद्—-—राजनीतिविशारद, राजनीतिज्ञ, नीतिज्ञ
नीतिविद् —वि॰—नीतिः-विद्—-—दूरदर्शी, बुद्दिमान
नीतिघोषः —पुं॰—नीतिः-घोषः—-—बृहस्पति की गाड़ी
नीतिदोषः —पुं॰—नीतिः-दोषः—-—आचार, नीतिविषयक भूल
नीतिबीजम् —नपुं॰—नीतिः-बीजम्—-—षड्यंत्र कास्रोत
नीतिविषयः —पुं॰—नीतिः-विषयः—-—नैतिकता या दूरदर्शी व्यापार का क्षेत्र
नीतिव्यतिक्रमः —पुं॰—नीतिः-व्यतिक्रमः—-—नीतिशास्त्र या राजनीति-विज्ञान के नियमों का उल्लंघन
नीतिव्यतिक्रमः —पुं॰—नीतिः-व्यतिक्रमः—-—चालचलन की त्रुटि, नीतिविषयक भूल
नीतिशास्त्रम् —नपुं॰—नीतिः-शास्त्रम्—-—नीतिशास्त्र या राजनय, नैतिकता
नीध्रम् —नपुं॰—-—नितरां ध्रियते धृ मूलवि क दीर्घः - तारा॰—छत का किनारा
नीध्रम् —नपुं॰—-—नितरां ध्रियते धृ मूलवि क दीर्घः - तारा॰—जंगल
नीध्रम् —नपुं॰—-—नितरां ध्रियते धृ मूलवि क दीर्घः - तारा॰—पहिए की परिधि या घेरा
नीध्रम् —नपुं॰—-—नितरां ध्रियते धृ मूलवि क दीर्घः - तारा॰—चन्द्रमा
नीध्रम् —नपुं॰—-—नितरां ध्रियते धृ मूलवि क दीर्घः - तारा॰—रेवती नक्षत्र
नीपः —पुं॰—-—नी+प बा॰ गुणाभावः—पहाड़ की तलहटी
नीपः —पुं॰—-—नी+प बा॰ गुणाभावः—कदंब वृक्ष
नीपः —पुं॰—-—नी+प बा॰ गुणाभावः—अशोक जाति का वृक्ष
नीपः —पुं॰—-—नी+प बा॰ गुणाभावः—राजाओं का एक कुल
नीपम् —नपुं॰—-—-—कदंब वृक्ष का फूल
नीरम् —नपुं॰—-—नी+रक्—पानी
नीरम् —नपुं॰—-—नी+रक्—रस, आसव
नीरजम् —नपुं॰—नीरम्-जम्—-—कमल
नीरजम् —नपुं॰—नीरम्-जम्—-—मोती
नीरदः —पुं॰—नीरम्-दः—-—बादल
नीरधिः —पुं॰—नीरम्-धिः—-—समुद्र
नीरनिधिः —पुं॰—नीरम्-निधिः—-—समुद्र
नीररुहम् —नपुं॰—नीरम्-रुहम्—-—कमल
नीराजनम् —नपुं॰—-—निर्+राज्+ल्युट्—शास्त्रास्त्रों को चमकाना, एक प्रकार का सैनिक व धार्मिक पर्व जिसको राजा या सेनापति अश्विन मास में संग्राम क्षेत्र में जाने से पूर्व मनाते थे
नीराजनम् —नपुं॰—-—निर्+राज्+ल्युट्—अर्चना के रूप में देवमूर्ति के सामने प्रज्वलित दीपक घुमाना
नीराजना —स्त्री॰—-—निर्+राज्+ल्युट्, स्त्रियाँ टाप्—शास्त्रास्त्रों को चमकाना, एक प्रकार का सैनिक व धार्मिक पर्व जिसको राजा या सेनापति अश्विन मास में संग्राम क्षेत्र में जाने से पूर्व मनाते थे
नीराजना —स्त्री॰—-—निर्+राज्+ल्युट्, स्त्रियाँ टाप्—अर्चना के रूप में देवमूर्ति के सामने प्रज्वलित दीपक घुमाना
नील —वि॰—-—नील्+अच्—नीला, गहरा नीला
नील —वि॰—-—नील्+अच्—नील से रंगा हुआ
नीलः —पुं॰—-—नील्+अच्—गहरा नीला या काला रंग
नीलः —पुं॰—-—नील्+अच्—नीलमणि
नीलः —पुं॰—-—नील्+अच्—गूलर का पेड़, बड़ का पेड़
नीलः —पुं॰—-—नील्+अच्—राम की सेना में एक वानर मुख्य
नीलः —पुं॰—-—नील्+अच्—नीलगिरि पर्वत की एक मुख्य शृंखला
नीलम् —नपुं॰—-—नील्+अच्—काला नमक
नीलम् —नपुं॰—-—नील्+अच्—नीला थोथा या तूतिया
नीलम् —नपुं॰—-—नील्+अच्—सुरमा
नीलम् —नपुं॰—-—नील्+अच्—विष
नीलाङ्गः —पुं॰—नील-अङ्गः—-—सारस पक्षी
नीलाञ्जनम् —नपुं॰—नीलाञ्जनम्—-—सुरमा
नीलाञ्जना —स्त्री॰—नील-अञ्जना—-—बिजली
नीलाञ्जसा —स्त्री॰—नील-अञ्जसा—-—बिजली
नील-अब्जम् —नपुं॰—नील-अब्जम्—-—नील कमल
नीलाम्बुजम् —नपुं॰—नील+अम्बुजम्—-—नील कमल
नीलाम्बुजन्मन् —नपुं॰—नील-अम्बुजन्मन्—-—नील कमल
नीलोत्पलम् —नपुं॰—नील-उत्पलम्—-—नील कमल
नीलाभ्रः —पुं॰—नील-अभ्रः—-—काला बादल
नीलाम्बर —वि॰—नील-अम्बर—-—गहरे नीले वस्त्रों से सुसज्जित
नीलाम्बरः —पुं॰—नील-अम्बरः—-—राक्षस, पिशाच
नीलाम्बरः —पुं॰—नील-अम्बरः—-—शनि ग्रह
नीलाम्बरः —पुं॰—नील-अम्बरः—-—बलराम का विशेषण
नीलारुणः —पुं॰—नील-अरुणः—-—प्रभातकाल, पौ फटना
नीलाश्यन् —पुं॰—नील-अश्यन्—-—नीलमणि
नीलकण्ठः —पुं॰—नील-कण्ठः—-—मोर
नीलकण्ठः —पुं॰—नील-कण्ठः—-—शिव का विशेषण
नीलकण्ठः —पुं॰—नील-कण्ठः—-—एक प्रकार का लजलकुक्कुट
नीलकण्ठः —पुं॰—नील-कण्ठः—-—नीलकंठ पक्षी
नीलकण्ठः —पुं॰—नील-कण्ठः—-—खंजन पक्षी
नीलकण्ठः —पुं॰—नील-कण्ठः—-—चिड़िया
नीलकण्ठः —पुं॰—नील-कण्ठः—-—मधुमक्खी
नीलकेशी —स्त्री॰—नील-केशी—-—नील का पौधा
नीलग्रीवः —पुं॰—नील-ग्रीवः—-—शिव का विशेषण
नीलछदः —पुं॰—नील-छदः—-—छुहाड़े का पेड़
नीलछदः —पुं॰—नील-छदः—-—गरुड़ का विशेषण
नीलतरुः —पुं॰—नील-तरुः—-—नारियल का वृक्ष
नीलतालः —पुं॰—नील-तालः—-—तमाल का वृक्ष
नीलपङ्कः —पुं॰—नील-पङ्कः—-—अंधेरा
नीलपङ्कम् —नपुं॰—नील-पङ्कम्—-—अंधेरा
नीलपटलम् —नपुं॰—नील-पटलम्—-—काला आवरण, काली तह
नीलपटलम् —नपुं॰—नील-पटलम्—-—अंधे आदमी की आँख का जाला
नीलपिच्छ —वि॰—नील-पिच्छ—-—बाज पक्षी
नीलपुष्पिका —स्त्री॰—नील-पुष्पिका—-—नील का पौधा
नीलपुष्पिका —स्त्री॰—नील-पुष्पिका—-—अलसी
नीलभः —पुं॰—नील-भः—-—मधुमक्खी
नीलमणिरत्नम् —नपुं॰—नील-मणिरत्नम्—-—नीलम, नीलकान्तमणि
नीलमीलिकः —पुं॰—नील-मीलिकः—-—जुगनू
नीलमृत्तिका —स्त्री॰—नील-मृत्तिका—-—लौहमाक्षिक
नीलमृत्तिका —स्त्री॰—नील-मृत्तिका—-—काली मिट्टी
नीलराजिः —पुं॰—नील-राजिः—-—अंधकार की रेखा, गुप अंधेरा, घोर अंधकार
नीललोहितः —पुं॰—नील-लोहितः—-—शिव का विशेषण
नीलकम् —नपुं॰—-—नील+कन्—काला नमक
नीलकम् —नपुं॰—-—नील+कन्—नीला इस्पात
नीलकम् —नपुं॰—-—नील+कन्—तूतिया
नीलकः —पुं॰—-—नील+कन्—काले रंग का घोड़ा
नीलङ्गुः —पुं॰—-—नि+लङ्ग्+कु, पूर्वदीर्घः—एक प्रकार का कीड़ा
नीलाङ्गुः —पुं॰—-—नि+लङ्ग्+कु, पूर्वदीर्घः—एक प्रकार का कीड़ा
नीला —स्त्री॰—-—नील+अच्+टाप्—नील का पौधा
नीला —स्त्री॰—-—नील+अच्+टाप्—नीलमक्खियों की एक जाति
नीला —स्त्री॰—-—नील+अच्+टाप्—एक प्रकार का रोग
नीलिका —स्त्री॰—-—नील॰+क+टाप्—नील का पौधा
नीलिमन् —पुं॰—-—नील+इमनिच्—नीला रंग, कालापन, नीलापन
नीली —स्त्री॰—-—नील+अच्+ङीष्—नील का पौधा
नीली —स्त्री॰—-—नील+अच्+ङीष्—नीलमक्खियों की एक जाति
नीली —स्त्री॰—-—नील+अच्+ङीष्—एक प्रकार का रोग
नीलीराग —वि॰—नीली-राग—-—अनुराग में दृढ़
नीलीरागः —पुं॰—नीली-रागः—-—नील के रंग की भांति अपरिवर्तनीय स्नेह, दृढ़ानुरक्ति
नीलीरागः —पुं॰—नीली-रागः—-—पक्का मित्र
नीलीसन्धानम् —नपुं॰—नीली-सन्धानम्—-—नील का खमीर
नीलीभाण्डम् —नपुं॰—नीली-भाण्डम्—-—नील का बर्तन
नीवरः —पुं॰—-—नी+ष्वरक्—व्यवसाय, व्यापार
नीवरः —पुं॰—-—नी+ष्वरक्—व्यावसायिक
नीवरः —पुं॰—-—नी+ष्वरक्—धर्मभिक्षु, संन्यासी
नीवरः —पुं॰—-—नी+ष्वरक्—कीचड़
नीवाकः —पुं॰—-—नि+वच्+घञ्, कुत्वं डीर्घः—कमी के समय अनाज की बढ़ी माँग
नीवाकः —पुं॰—-—नि+वच्+घञ्, कुत्वं डीर्घः—दुर्भिक्ष, अकाल
नीवारः —पुं॰—-—नि+वृ+घञ्, दीर्घ—जंगली चावल जो बिना जोते बोये उत्पन्न हो
नीविः —स्त्री॰—-—निव्ययति निवीयते वा नि+व्ये+इन्, नीवि+ङीष्—कमर में लपेटी हुई धोती, धोती के दोनों किनारों की गाँठ, नाड़ा, कमरबन्द
नीविः —स्त्री॰—-—निव्ययति निवीयते वा नि+व्ये+इन्, नीवि+ङीष्—पूंजी, मूलधन
नीविः —स्त्री॰—-—निव्ययति निवीयते वा नि+व्ये+इन्, नीवि+ङीष्—दाँव, बाजी, शर्त
नीवी —स्त्री॰—-—निव्ययति निवीयते वा नि+व्ये+इन्, नीवि+ङीष्—कमर में लपेटी हुई धोती, धोती के दोनों किनारों की गाँठ, नाड़ा, कमरबन्द
नीवी —स्त्री॰—-—निव्ययति निवीयते वा नि+व्ये+इन्, नीवि+ङीष्—पूंजी, मूलधन
नीवी —स्त्री॰—-—निव्ययति निवीयते वा नि+व्ये+इन्, नीवि+ङीष्—दाँव, बाजी, शर्त
नीवृत् —पुं॰—-—नि+वृ+क्विप्, पूर्वदीर्घः—कोई भी आबाद देश, राज्य, राजधानी
नीव्र —वि॰—-—-—छत का किनारा
नीव्र —वि॰—-—-—पहिए की परिधि या घेरा
नीव्र —वि॰—-—-—रेवती नक्षत्र
नीशारः —पुं॰—-—नी+शृ+घञ्, पूर्वदीर्घः—गरम कपड़ा, कंबल
नीशारः —पुं॰—-—नी+शृ+घञ्, पूर्वदीर्घः—मसहरी, मच्छदानी
नीशारः —पुं॰—-—नी+शृ+घञ्, पूर्वदीर्घः—कनात
नीहारः —पुं॰—-—नि+हृ+घञ्, पूर्वदीर्घः—कुहरा, धुंध
नीहारः —पुं॰—-—नि+हृ+घञ्, पूर्वदीर्घः—पाला, भारी ओस
नीहारः —पुं॰—-—नि+हृ+घञ्, पूर्वदीर्घः—मलमूत्र त्याग
नु —अव्य॰—-—नुद्+डु—प्रश्नवाचकता का द्योतक तथा 'सन्देह' एवं 'अनिश्चयात्मकता' प्रकट करने वाला अव्य॰
नु —अव्य॰—-—नुद्+डु—संभावना' और 'अवश्य' के अर्थों को बतलाने के लिए इसे प्रश्नवाचक सर्वनाम तथा उससे व्युत्पन्न शब्दों से साथ जोड़ दिया जाता है
नु —अदा॰ पर॰ नौति, पुं॰—-—-—प्रशंसा करना, स्तुति करना, श्लाषा करना
नुतिः —स्त्री॰—-—नु+क्तिन्—प्रशंसा, संस्तुति, प्रशस्ति
नुतिः —स्त्री॰—-—नु+क्तिन्—पूजा, समादर
नुद् —तुद्॰ उत्तम॰ नुदति - ते, नुत्त या नुन्न—-—-—धकेलना, धक्का देना, हांकना, ठेलना, प्रोत्साहित करना
नुद् —तुद्॰ उत्तम॰ नुदति - ते, नुत्त या नुन्न—-—-—प्रोत्साहित करना, उकसाना, आगे बढ़ाना
नुद् —तुद्॰ उत्तम॰ नुदति - ते, नुत्त या नुन्न—-—-—हटाना, भगा देना, फेंक देना, मिटाना
नुद् —तुद्॰ उत्तम॰ नुदति - ते, नुत्त या नुन्न—-—-—फेंकना, डालना, भेजना
नुद् —तुद्॰ उत्तम॰—-—-—हटाना, दूर करना
नुद् —तुद्॰ उत्तम॰—-—-—प्रोत्साहित करना, उकसाना, ढकेलना, ठेलना, आगे बढ़ाना
अन्नुद् —तुद्॰ उत्तम॰—अप्-नुद्—-—भगाना, हटाना
उन्नुद् —तुद्॰ उत्तम॰—उप्-नुद्—-—धकेलना, आगे चलाना
निर्णुद् —तुद्॰ उत्तम॰—निस्-नुद्—-—अस्वीकार करना, इंकार करना
निर्णुद् —तुद्॰ उत्तम॰—निस्-नुद्—-—हटाना, मिटाना
प्रर्णुद् —तुद्॰ उत्तम॰—प्र-नुद्—-—मिटाना, दूर करना, हटाना
वि्नुद् —तुद्॰ उत्तम॰—वि-नुद्—-—आघात करना, बींधना
वि्नुद् —तुद्॰ उत्तम॰—वि-नुद्—-—वाद्ययंत्र बजाना
वि्नुद् —तुद्॰ उत्तम॰—वि-नुद्—-—हटाना, दूर करन, मिटाना, फेंक देना
वि्नुद् —तुद्॰ उत्तम॰—वि-नुद्—-—आगे बढ़ना, बिताना
वि्नुद् —तुद्॰ उत्तम॰—वि-नुद्—-—मोड़ना, बहलाना, मनोरंजन करना
वि्नुद् —तुद्॰ उत्तम॰—वि-नुद्—-—दिल बहलाना
सन्नुद् —तुद्॰ उत्तम॰—सम्-नुद्—-—एकत्र करना, संग्रह करना
सन्नुद् —तुद्॰ उत्तम॰—सम्-नुद्—-—प्राप्त करना, मिलना
नूतन —वि॰—-—नव+तनप्(त्नवा) नू आदेशः—नया
नूतन —वि॰—-—नव+तनप्(त्नवा) नू आदेशः—ताजा, बच्चा
नूतन —वि॰—-—नव+तनप्(त्नवा) नू आदेशः—भेंट, उपहार
नूतन —वि॰—-—नव+तनप्(त्नवा) नू आदेशः—तात्कालिक
नूतन —वि॰—-—नव+तनप्(त्नवा) नू आदेशः—हाल का, आधुनिक
नूतन —वि॰—-—नव+तनप्(त्नवा) नू आदेशः—कुतूहलपूर्ण, अजीब
नूत्म —वि॰—-—नव+तनप्(त्नवा) नू आदेशः—नया
नूत्म —वि॰—-—नव+तनप्(त्नवा) नू आदेशः—ताजा, बच्चा
नूत्म —वि॰—-—नव+तनप्(त्नवा) नू आदेशः—भेंट, उपहार
नूत्म —वि॰—-—नव+तनप्(त्नवा) नू आदेशः—तात्कालिक
नूत्म —वि॰—-—नव+तनप्(त्नवा) नू आदेशः—हाल का, आधुनिक
नूत्म —वि॰—-—नव+तनप्(त्नवा) नू आदेशः—कुतूहलपूर्ण, अजीब
नूनम् —अव्य॰—-—नु+ऊन्+अम्—असंदिग्ध रूप से, विश्वस्त रूप से, निश्चय ही, अवश्य, निस्सन्देह
नूनम् —अव्य॰—-—नु+ऊन्+अम्—अत्यधिक संभावना के साथ, पूरी संभावना है कि @ उत्तर॰ ४/२३
नूपुरः —पुं॰—-—नु+क्विप्=नु+पुर्+क—पाजेब, पैरों का आभूषण
नूपुरम् —नपुं॰—-—नु+क्विप्=नु+पुर्+क—पाजेब, पैरों का आभूषण
नृ —पुं॰—-—नी+ऋन् डिच्च—मनुष्य, एक व्यक्ति
नृ —पुं॰—-—नी+ऋन् डिच्च—मनुष्यजाति
नृ —पुं॰—-—नी+ऋन् डिच्च—शतरंज का मोहरा
नृ —पुं॰—-—नी+ऋन् डिच्च—सूरजघड़ी की कील
नृ —पुं॰—-—नी+ऋन् डिच्च—पुल्लिंग शब्द
न्रस्थि —पुं॰—नृ-अस्थि—-—शिव का विशेषण
नृमालिन् —पुं॰—नृ-मालिन्—-—शिव का विशेषण
नृकपालम् —नपुं॰—नृ-कपालम्—-—मनुष्य की खोपड़ी
नृकेसरिन् —पुं॰—नृ-केसरिन्—-—नर-शेर, नृसिंहावतार में विष्णु भगवान
नृजलम् —नपुं॰—नृ-जलम्—-—मनुष्य का मूत्र
नृदेवः —पुं॰—नृ-देवः—-—एक राजा
नृधर्मन् —पुं॰—नृ-धर्मन्—-—कुबेर का विशेषण
नृपः —पुं॰—नृ-पः—-—मनुष्यों का राजा, राजा, प्रभु
न्रध्वरः —पुं॰—नृ-अध्वरः—-—राजसूय यज्ञ जिसे सम्राट् सम्पन्न करता है और जिसमें सभी पदों का कार्य सहायक राजाओं द्वारा किया जाता है
न्रात्मजः —पुं॰—नृ-आत्मजः—-—राजकुमार, युवराज
नृमानम् —नपुं॰—नृ-मानम्—-—राजभोज में होने वाला संगीत
न्रामयः —पुं॰—नृ-आमयः—-—तपैदिक, क्षय
न्रासनम् —नपुं॰—नृ-आसनम्—-—राजगद्दी, सिंहासन, राज्य की कुर्सी
नृगृहम् —नपुं॰—नृ-गृहम्—-—राजमहल
नृनीतिः —स्त्री॰—नृ-नीतिः—-—राजनय, राजा की नीति, राजनीति
नृप्रियः —पुं॰—नृ-प्रियः—-—आम का पेड़
नृलक्ष्मन् —नपुं॰—नृ-लक्ष्मन्—-—राजचिह्न, राजत्व का लक्षण, राजकीय अधिकार चिह्न, विशेषकर श्वेत छत्र
नृलिङ्गम् —नपुं॰—नृ-लिंगम्—-—राजचिह्न, राजत्व का लक्षण, राजकीय अधिकार चिह्न, विशेषकर श्वेत छत्र
नृशासनम् —नपुं॰—नृ-शासनम्—-—राजविज्ञप्ति
नृसभम् —नपुं॰—नृ-सभम्—-—राजाओं की सभा
नृसभा —स्त्री॰—नृ-सभा—-—राजाओं की सभा
नृपतिः —पुं॰—नृ-पतिः—-—राजा
नृपालः —पुं॰—नृ-पालः—-—राजा
नृपशुः —पुं॰—नृ-पशुः—-—मनुष्य की शक्ल का जानवर, हिंसक पशु, नृशंस
नृमिथुनम् —नपुं॰—नृ-मिथुनम्—-—मिथुन राशि
नृमेघः —पुं॰—नृ-मेघः—-—नरमेघ यज्ञ
नृयज्ञः —पुं॰—नृ-यज्ञः—-—मनुष्यों के लिए किया जाने वाला यज्ञ, आतिथ्य, अतिथियों का सत्कार
नृलोकः —पुं॰—नृ-लोकः—-—मरण-धर्मा लोगों का संसार, मर्त्यलोक
नृवराहः —पुं॰—नृ-वराहः—-—सूअर' के अवतार में विष्णु भगवान
नृवाहन —वि॰—नृ-वाहन—-—कुबेर का विशेषण
नृवेष्टनः —पुं॰—नृ-वेष्टनः—-—शिव का नाम
नृशृङ्गम् —नपुं॰—नृ-शृङ्गम्—-—मनुष्य का सींग' अर्थात् असंभावना
नृसिंहः —पुं॰—नृ-सिंहः—-—सिंह जैसा मनुष्य', शेरेनर, प्रमुख मनुष्य, पूज्य व्यक्ति
नृसिंहः —पुं॰—नृ-सिंहः—-—विष्णु भगवान का चौथा अवतार, नृसिंहावतार
नृसिंहः —पुं॰—नृ-सिंहः—-—एक प्रकार का रतिबंध
नृसेनम् —नपुं॰—नृ-सेनम्—-—मनुष्यों की फौज
नृसेना —स्त्री॰—नृ-सेना—-—मनुष्यों की फौज
नृसोमः —पुं॰—नृ-सोमः—-—वैभवशाली मनुष्य, बड़ा आदमी
नृगः —पुं॰—-—-—वैवस्वत मनु का पुत्र, जो एक ब्राह्मण के शापवश छिपकली बना
नृत् —दिवा॰ पर॰ <नृत्यति>—-—-—नाचना, इधर उधरहिलना
नृत् —दिवा॰ पर॰ <नृत्यति>—-—-—रंगमंच पर अभिनय करना
नृत् —दिवा॰ पर॰ <नृत्यति>—-—-—हाव भाव दिखाना, नाटक करना
नृत् —दिवा॰ पर॰—-—-—नचवाना
नृत् —दिवा॰—-—-—हिलजुल पैदा करना
आनृत् —दिवा॰ पर॰—आ-नृत्—-—नाच कराना
आनृत् —दिवा॰ पर॰—आ-नृत्—-—नचवाना, फुर्ती के साथ हिलाना
उपनृत् —दिवा॰ पर॰—उप-नृत्—-—नाचना
उपनृत् —दिवा॰ पर॰—उप-नृत्—-—किसी दूसरे के आगे नाचना
प्रनृत् —दिवा॰ पर॰—प्र-नृत्—-—नाचना
प्रतिनृत् —दिवा॰ पर॰—प्रति-नृत्—-—नाच की नकल करके हंसी उड़ाना
नृतिः —स्त्री॰—-—नृत्+इन्—नाचना, नाच
नृतम् —नपुं॰—-—नृ+क्त, क्यप् वा—नाचना, अभिनय करना, नाचमूक अभिनय, हावभाव
नृत्यम् —नपुं॰—-—नृ+क्त, क्यप् वा—नाचना, अभिनय करना, नाचमूक अभिनय, हावभाव
नृतप्रियः —पुं॰—नृतम्-प्रियः—-—शिव का विशेषण
नृत्यप्रियः —पुं॰—नृत्यम्-प्रियः—-—शिव का विशेषण
नृतशाला —स्त्री॰—नृतम्-शाला—-—नाचघर
नृत्यशाला —स्त्री॰—नृत्यम्-शाला—-—नाचघर
नृतस्थानम् —नपुं॰—नृतम्-स्थानम्—-—रंगमञ्च, नाचने का कमरा
नृत्यस्थानम् —नपुं॰—नृत्यम्-स्थानम्—-—रंगमञ्च, नाचने का कमरा
नृपः —पुं॰—-—नरान् पाति रक्षति - नृ+पा+क, नृणां पतिः, ष॰ त॰, —मनुष्यों का राजा, राजा, प्रभु
नृपतिः —पुं॰—-—नरान् पाति रक्षति - नृ+पा+क, नृणां पतिः, ष॰ त॰, —राजा
नृपालः —पुं॰—-—नृ+पाल्+णिच्+अण्—राजा
नृशंस —वि॰—-—नृ+शस्+अण्—दुष्ट, द्वेषपूर्ण, क्रूर, उपद्रवी, कमीना
नजकः —पुं॰—-—निज्+ण्वुल्—धोबी
नजनम् —नपुं॰—-—निज्+ल्युट्—धोना, साफ करना, मांजना
नेतृ —पुं॰—-—नी+तृच्—जो नेतृत्व या पथप्रदर्शन करे, अग्रेसर, संचालक, प्रबंधक, पथप्रदर्शक
नेतृ —पुं॰—-—नी+तृच्—निदेशक, गुरु
नेतृ —पुं॰—-—नी+तृच्—मुख्य, स्वामी, प्रधान
नेतृ —पुं॰—-—नी+तृच्—देने वाला
नेतृ —पुं॰—-—नी+तृच्—मालिक
नेतृ —पुं॰—-—नी+तृच्—नाटक का नायक
नेत्रम् —नपुं॰—-—नयति नीयते वा अनेन - वी+ष्ट्रन्—नेतृत्व करना, संचालन
नेत्रम् —नपुं॰—-—नयति नीयते वा अनेन - वी+ष्ट्रन्—आँख
नेत्रम् —नपुं॰—-—नयति नीयते वा अनेन - वी+ष्ट्रन्—रई के डंडे की रस्सी
नेत्रम् —नपुं॰—-—नयति नीयते वा अनेन - वी+ष्ट्रन्—बुनी हुई रेशम, महीन रेशमी वस्त्र
नेत्रम् —नपुं॰—-—नयति नीयते वा अनेन - वी+ष्ट्रन्—वृक्ष की जड़
नेत्रम् —नपुं॰—-—नयति नीयते वा अनेन - वी+ष्ट्रन्—बस्तिक्रिया की नली
नेत्रम् —नपुं॰—-—नयति नीयते वा अनेन - वी+ष्ट्रन्—गाड़ी, वाहन
नेत्रम् —नपुं॰—-—नयति नीयते वा अनेन - वी+ष्ट्रन्—दो की संख्या
नेत्रम् —नपुं॰—-—नयति नीयते वा अनेन - वी+ष्ट्रन्—नेता, अगुआ
नेत्रम् —नपुं॰—-—नयति नीयते वा अनेन - वी+ष्ट्रन्—नक्षत्र पुंज, तारा
नेत्राञ्जनम् —नपुं॰—नेत्रम्-अञ्जनम्—-—आँखों के लिए सुरमा
नेत्रान्त —वि॰—नेत्रम्-अन्त—-—आँख का बाहरी किनारा
नेत्राम्बु —नपुं॰—नेत्रम्-अम्बु—-—आँसू
नेत्राम्भस् —नपुं॰—नेत्रम्-अम्भस्—-—आँसू
नेत्रामयः —पुं॰—नेत्रम्-आमयः—-—आँख का रोग, नेत्र-प्रदाह
नेत्रोत्सवः —पुं॰—नेत्रम्-उत्सवः—-—सुखद तथा सुन्दर पदार्थ
नेत्रोपमम् —नपुं॰—नेत्रम्-उपमम्—-—बादाम
नेत्रकनीनिका —स्त्री॰—नेत्रम्-कनीनिका—-—आँख की पुतली
नेत्रकोषः —पुं॰—नेत्रम्-कोषः—-—अक्षिगोलक
नेत्रकोषः —पुं॰—नेत्रम्-कोषः—-—फूल की कली
नेत्रगोचर —वि॰—नेत्रम्-गोचर—-—दृष्टि-परास के भीतर, प्रत्यक्षज्ञेय, दृश्य
नेत्रछदः —पुं॰—नेत्रम्-छदः—-—पलक
नेत्रजम् —नपुं॰—नेत्रम्-जम्—-—आँसू
नेत्रजलम् —नपुं॰—नेत्रम्-जलम्—-—आँसू
नेत्रवारि —नपुं॰—नेत्रम्-वारि—-—आँसू
नेत्रपर्यन्तः —पुं॰—नेत्रम्-पर्यन्तः—-—आँख का बाहरी किनारा
नेत्रपिण्डः —पुं॰—नेत्रम्-पिण्डः—-—अक्षिगोलक
नेत्रपिण्डः —पुं॰—नेत्रम्-पिण्डः—-—बिल्ली
नेत्रमलम् —नपुं॰—नेत्रम्-मलम्—-—ढीढ, आँख का मेल
नेत्रयोनिः —पुं॰—नेत्रम्-योनिः—-—इन्द्र का विशेषण
नेत्रयोनिः —पुं॰—नेत्रम्-योनिः—-—चन्द्रमा
नेत्ररञ्जनम् —नपुं॰—नेत्रम्-रञ्जनम्—-—अंजन, सुरमा
नेत्ररोमन् —नपुं॰—नेत्रम्-रोमन्—-—आँख क बरौनी
नेत्रवस्त्रम् —नपुं॰—नेत्रम्-वस्त्रम्—-—आँख का पर्दा, पलक
नेत्रस्तम्भः —पुं॰—नेत्रम्-स्तम्भः—-—आँखों का पथरा जाना
नेत्रिकम् —नपुं॰—-—नेत्र+ठन्—नली
नेत्रिकम् —नपुं॰—-—नेत्र+ठन्—चम्मच
नेत्री —स्त्री॰—-—नेत्र+ङीष्—नदी
नेत्री —स्त्री॰—-—नेत्र+ङीष्—धमनी
नेत्री —स्त्री॰—-—नेत्र+ङीष्—स्त्री नेता
नेत्री —स्त्री॰—-—नेत्र+ङीष्—लक्ष्मी का विशेषण
नेदिष्ठ —वि॰—-—अयम् एषाम् अतिशयेन अन्तिकः+इष्ठन्, अन्तिकस्य नेदादेशः—निकटतम, दूसरा, अत्यंत निकट
नेदीयस् —वि॰—-—अनयोः अतिशयेन अन्तिकः+ईयसुन् अन्तिकस्य नेदादेशः—निकटतर, अधिक पास, निकट आकर, पहुँचकर
नेपः —पुं॰—-—नी+स, गुणः—कुल-पुरोहित
नेपथ्यम् —नपुं॰—-—नी+विच्, नेः नेता तस्य पथ्यम्—सजावट, आभूषण
नेपथ्यम् —नपुं॰—-—नी+विच्, नेः नेता तस्य पथ्यम्—परिधान, पोशाक, वेश-भूषा, वस्त्र
नेपथ्यम् —नपुं॰—-—नी+विच्, नेः नेता तस्य पथ्यम्—विशेषकर नाटक के पात्र की वेश-भूषा
नेपथ्यम् —नपुं॰—-—नी+विच्, नेः नेता तस्य पथ्यम्—परिधान कक्ष, रंगमंच पृष्ठ, परदे के पीछे
नेपथ्यविधानम् —नपुं॰—नेपथ्यम्-विधानम्—-—परिधान-कक्ष की व्यवस्था
नेपालः —पुं॰—-—-—भारत के उत्तर में स्थित एक देश का नाम
नेपालाः —ब॰ व॰—-—-—इस देश के निवासी
नेपाली —स्त्री॰—-—-—जंगली छुहारे का वृक्ष या इसका फल
नेपालजा —स्त्री॰—नेपालः-जा—-—मैनसिल
नेपालजाता —स्त्री॰—नेपालः-जाता—-—मैनसिल
नेपालिका —स्त्री॰—-—नेपाल+ङीष्+कन्=टाप्, ह्र्स्वः—मैनसिल
नेमः —पुं॰—-—-—स्मय, काल, ऋतु
नेमः —पुं॰—-—-—घेरा, बाड़ा
नेमः —पुं॰—-—-—दीवार की नींव
नेमः —पुं॰—-—-—जालसाजी, धोखा
नेमिः —स्त्री॰—-—नी+मि—परिधि, पहिये का घेरा
नेमिः —स्त्री॰—-—नी+मि—किनारा, घेरा
नेमिः —स्त्री॰—-—नी+मि—हस्तघर्घरी, गरारी
नेमिः —स्त्री॰—-—नी+मि—वृत्त, परिधि
नेमिः —स्त्री॰—-—नी+मि—बज्र
नेमिः —स्त्री॰—-—नी+मि—पृथ्वी
नेमिः —स्त्री॰—-—नी+मि—तिनिश कअ वृक्ष
नेमी —स्त्री॰—-—नेमि+ङीष्—परिधि, पहिये का घेरा
नेमी —स्त्री॰—-—नेमि+ङीष्—किनारा, घेरा
नेमी —स्त्री॰—-—नेमि+ङीष्—हस्तघर्घरी, गरारी
नेमी —स्त्री॰—-—नेमि+ङीष्—वृत्त, परिधि
नेमी —स्त्री॰—-—नेमि+ङीष्—बज्र
नेमी —स्त्री॰—-—नेमि+ङीष्—पृथ्वी
नेष्टृ —पुं॰—-—नेष्+तृच्—सोमयाग के प्रधान ऋत्विजों में से एक
नेष्टुः —पुं॰—-—निश्+तुन्—मिट्टी का लौंदा
नैःश्रेयस् —वि॰—-—निःश्रेयस+अण्, ठक् वा—मोक्ष या आनन्द की ओर ले जाने वाला
नैःश्रेयसिक् —वि॰—-—निःश्रेयस+अण्, ठक् वा—मोक्ष या आनन्द की ओर ले जाने वाला
नैःस्वम् —नपुं॰—-—निःस्व+अण्, ष्यञ् वा—धनहीनता, गरीबी, दरिद्रता
नैःस्व्यम् —नपुं॰—-—निःस्व+अण्, ष्यञ् वा—धनहीनता, गरीबी, दरिद्रता
नैक —वि॰—-—न+एक—जो अकेला न हो
नैकात्मन् —पुं॰—नैक-आत्मन्—-—परमपुरुष परमात्मा के विशेषण
नैकरूपः —पुं॰—नैक-रूपः—-—परमपुरुष परमात्मा के विशेषण
नैकशृङ्गः —पुं॰—नैक-शृङ्गः—-—परमपुरुष परमात्मा के विशेषण
नैकटिक —वि॰—-—निकट+ठक्—पार्श्ववर्ती, निकट का, सटा हुआ
नैकटिकः —पुं॰—-—-—सन्यासी या भिक्षु
नैकट्यम् —नपुं॰—-—निकट+ष्यञ्—सामीप्य, पड़ौस
नैकषेयः —पुं॰—-—निकषा+ढक्—राक्षस
नैकृतिक —वि॰—-—निकृत्या परापकारेण जीवति - निकृति+ठक्—बेईमान, झूठा, क्रूर
नैकृतिक —वि॰—-—निकृत्या परापकारेण जीवति - निकृति+ठक्—नीच, दुष्ट, दुरात्मा
नैकृतिक —वि॰—-—निकृत्या परापकारेण जीवति - निकृति+ठक्—दुःशील, रूखे मिजाज का
नैगम —वि॰—-—निगम=अण्—वेद से संबद्ध, वेद में पाया जाने वाला
नैगमः —पुं॰—-—-—वेद का व्याख्याता
नैगमः —पुं॰—-—-—उपाय, तरकीब
नैगमः —पुं॰—-—-—विवेकपूर्ण आचरण
नैगमः —पुं॰—-—-—व्यापारी, सौदागर
नैघंटुकम् —नपुं॰—-—निघंटु+ठक्—वैदिक शब्दों का संग्रहग्रंथ जिसकी व्याख्या यास्क ने अपने निरुक्त में की है
नैचिकम् —नपुं॰—-—नीचा+ठक्—बैल का सिर
नैचिकी —स्त्री॰—-—निचिः गोकर्णशिरोदेशः, ततः स्वार्थे कन् - निचिकः+अण्+ङीप्—बढ़िया गाय
नैतलम् —नपुं॰—-—नितल+अण्—पाताल, नरक
नैतलसद्मन् —पुं॰—नैतलम्-सद्मन्—-—यम
नैत्यम् —नपुं॰—-—नित्य+अण्—नित्यता, शाश्वतता
नैत्यक —वि॰—-—नत्य+कन्, नित्य+ठक्—नियमित रूप से घटने वाला, बार-बार दोहराया गया
नैत्यक —वि॰—-—नत्य+कन्, नित्य+ठक्—नियमित रूप से अनुष्ठेय
नैत्यक —वि॰—-—नत्य+कन्, नित्य+ठक्—अपरिहार्य, अनवरत, अवश्यकरणीय
नैदाघः —पुं॰—-—निदाघ+अण्—ग्रीष्म ऋतु
नैदानः —पुं॰—-—निदान+अण्—शब्दव्युत्पत्तिशास्त्र का वेत्ता
नैदानिकः —पुं॰—-—निदान+ठक्—निदानशास्त्र का ज्ञाता, व्याधिकोविद
नैदेशिकः —पुं॰—-—निदेश+ठक्—आदेशों और निदेशों का पालन करने वाला, सेवक
नैपातिक —वि॰—-—निपात+ठक्—अकस्मात् या दैवयोग से होने वाला उल्लेख
नैपुण्यम् —नपुं॰—-—निपुण+अण्, ष्यञ् वा—दक्षता, कौशल, चतुराई, प्रवीणता
नैपुण्यम् —नपुं॰—-—निपुण+अण्, ष्यञ् वा—कोई कार्य जिसमें कौशल की आवश्यकता हो, सूक्ष्म बात
नैपुण्यम् —नपुं॰—-—निपुण+अण्, ष्यञ् वा—समग्रता, पूर्णता
नैभृत्यम् —नपुं॰—-—निभृत+ष्यञ्—लज्जाशीलता, विनम्रता
नैभृत्यम् —नपुं॰—-—निभृत+ष्यञ्—गोपनीयता
नैमन्त्रणकम् —नपुं॰—-—निमंत्रण+अण्+कन्—भोज, दावत
नैयमः —पुं॰—-—नियम+अण्—व्यापारी, सौदागर
नैमित्तिक —वि॰—-—निमित्त+ठक्—किसी विशेष कारण के फलस्वरूप उत्पन्न, संबद्ध या निर्भर
नैमित्तिक —वि॰—-—निमित्त+ठक्—असाधारण, कभी कभी होने वाला, सांयोगिक, किसी विशेष निमित्त से किया गया
नैमित्तिकः —पुं॰—-—-—ज्योतिषी, भविष्यवक्ता
नैमित्तिकम् —नपुं॰—-—-—कार्य
नैमित्तिकम् —नपुं॰—-—-—किसी विशेष अवसर पर होने वाला संस्कार, आवर्ती पर्व
नैमिष —वि॰—-—निमिष+अण्—निमिष मात्र या क्षणभर रहने वाला, क्षणिक, अस्थायी
नैमिषम् —नपुं॰—-—-—पवित्र वनस्थली जहाँ कुछ ऋषि मुनि रहते थे जिनको कि सौति ने महाभारत सुनाया था
नैमेयः —पुं॰—-—नि+मि+यत्+अण्—बिनिमय, अदलाबदली
नैयग्रोधम् —नपुं॰—-—न्यग्रोध+अण्—बड़ या बरगद का फल, बरगद का पेड़
नैयत्यम् —नपुं॰—-—नियत+ष्यञ्—नियंत्रण, आत्मसंयम
नैयमिक —वि॰—-—नियम+ठक्—नियम या विधि के अनुरूप, नियमित
नैयमिकम् —नपुं॰—-—-—नियमितता
नैयायिक —वि॰—-—न्याय+ठक्—तार्किक, न्यायदर्शन के सिद्धान्तोम् का अनुयायी
नैरन्तर्य —वि॰—-—निरंतर+ष्यञ्—निर्बाधता, निरंतर होने का भाव, अविछिन्नता
नैरन्तर्य —वि॰—-—निरंतर+ष्यञ्—सान्निध्य, संसक्ति
नैरपेक्ष्यम् —नपुं॰—-—निरपेक्ष+ष्यञ्—अवहेलना, निरपेक्षता, उदासीनता
नैरयिकः —पुं॰—-—निरय+ठक्—नरकवासी, नरक भोगने वाला
नैरर्थ्यम् —नपुं॰—-—निरर्थ+ष्यञ्—निरर्थकता, बेहूदगी, बकवास
नैराश्यम् —नपुं॰—-—निराश+ष्यञ्—आशा का अभाव, नाउम्मीदी, निराशा
नैराश्यम् —नपुं॰—-—निराश+ष्यञ्—कामना या प्रत्याशा का अभाव
नैरुक्तः —पुं॰—-—निरुक्त+अण्—जो शब्दों की व्युत्पत्ति जानता है, शब्दव्युत्पत्तिशास्त्रविद्
नैरुज्यम् —नपुं॰—-—निरुज्+ष्यञ्—स्वास्थ्य, आरोग्य
नैऋतः —पुं॰—-—निऋत+अण्—एक राक्षस
नैऋती —स्त्री॰—-—नैऋत+ङीप्—दुर्गा का विशेषण
नैऋती —स्त्री॰—-—नैऋत+ङीप्—दक्षिण पश्चिमी दिशा
नैर्गुण्यम् —नपुं॰—-—निर्गुण+ष्यञ्—गुणों या धर्मों का अभाव
नैर्गुण्यम् —नपुं॰—-—निर्गुण+ष्यञ्—श्रेष्ठता की कमी, अच्छे गुणों का अभाव
नैर्घृण्यम् —नपुं॰—-—निर्घृण+ष्यञ्—निर्ममता, क्रूरता
नैर्मल्यम् —नपुं॰—-—निर्मल+ष्यञ्`—स्वच्छता, शुद्धता, निष्कलङ्कता
नैर्लज्ज्यम् —नपुं॰—-—निर्लज्ज+ष्यञ्—निर्लज्जता, बेहयाई, ढीठपना
नैल्यम् —नपुं॰—-—नील+ष्यञ्—नीलापन, गहरा, नीला रंग
नैविड्यम् —नपुं॰—-—निविड+ष्यञ्—संशक्तता, सटा हुआ होने का भाव, घनापन, सघनता
नैबिड्यम् —नपुं॰—-—निबिड+ष्यञ्—संशक्तता, सटा हुआ होने का भाव, घनापन, सघनता
नैवैद्यम् —नपुं॰—-—निवेद+ष्यञ्—किसी देवता या देवमूर्ति को भेंट देने के लिए भोज्य पदार्थ
नैश —वि॰—-—निशा+अण्, ठञ् वा—रात से संबंध रखने वाला, रात्रिविषयक, रात को होने वाला
नैश —वि॰—-—निशा+अण्, ठञ् वा—रात को मनाया जाने वाला
नैशिक —वि॰—-—निशा+अण्, ठञ् वा—रात से संबंध रखने वाला, रात्रिविषयक, रात को होने वाला
नैशिक —वि॰—-—निशा+अण्, ठञ् वा—रात को मनाया जाने वाला
नैश्चलयम् —नपुं॰—-—निश्चल+ष्यञ्—स्थिरता, अचलता, दृढ़ता
नैश्चित्यम् —नपुं॰—-—निश्चित+ष्यञ्—निर्धारण, निश्चिति
नैश्चित्यम् —नपुं॰—-—निश्चित+ष्यञ्—निश्चित समय पर होने वाला संस्कार
नैषधः —पुं॰—-—निषध+अण्—निषध देश का राजा
नैषधः —पुं॰—-—निषध+अण्—विशेषतः, राजा नल का विशेषण
नैषधः —पुं॰—-—निषध+अण्—निषध देश का वासी, या जो निषध देश में उत्पन्न हुआ हो
नैष्कर्म्यम् —नपुं॰—-—निष्कर्म+ष्यञ्—अकर्मण्यता, क्रियाहीनता
नैष्कर्म्यम् —नपुं॰—-—निष्कर्म+ष्यञ्—कर्म और उनके फलों से मुक्ति
नैष्कर्म्यम् —नपुं॰—-—निष्कर्म+ष्यञ्—वह मुक्ति जो कर्म न कर केवल भाव, ध्यान आदि से प्राप्त की जाय
नैष्किक —वि॰—-—निष्क+ठक्—निष्क देकर भोल लिया हुआ, या निष्क से बना हुआ
नैष्किकः —पुं॰—-—-—टकसाल का अध्यक्ष
नैष्ठिक —वि॰—-—निष्ठा+ठक्—अन्तिम, आखीर का, उपसंहारक
नैष्ठिक —वि॰—-—निष्ठा+ठक्—निर्णीत, निश्चायक, निर्णायक
नैष्ठिक —वि॰—-—निष्ठा+ठक्—स्थिर, दृढ़, संलग्न
नैष्ठिक —वि॰—-—निष्ठा+ठक्—उच्चतम, पूरा
नैष्ठिक —वि॰—-—निष्ठा+ठक्—पूर्ण रूप से जानकार या विज्ञ
नैष्ठिक —वि॰—-—निष्ठा+ठक्—निरन्तर त्यागमय शुद्ध पवित्र जीवन विताने की प्रतिज्ञा करने वाला
नैष्ठिकः —पुं॰—-—-—वह शाश्वत छात्र जो आध्यात्मिक शिक्षा ग्रहण करने के लिए निर्धारित काल के पश्चात भी सदैव गुरु की सेवा में रहे, और जिनसे आजन्म ब्रहमचारी और जितेन्द्रिय रहने की प्रतिज्ञा कर ली है
नैष्ठुर्यम् —नपुं॰—-—निष्ठुर+ष्यञ्—क्रूरता, कर्कशता, कठोरता
नैष्ठ्यम् —नपुं॰—-—निष्ठ+ष्यञ्—स्थायित्व, दृढ़ता
नैसर्गिक —वि॰—-—निसर्ग+ठक्—स्वाभाविक, अन्तर्जात, सहज, अन्तर्हित
नैस्त्रिंशिकः —पुं॰—-—निस्त्रिंश+ठक्—कृपाणधारी, तलवार रखने वाला
नो —अव्य॰—-—न+उ—नहीं, न, मत
नोचेत् —अव्य॰—-—नो+चेत्+द्व॰ स॰—अन्यथा, वरना
नोदनम् —नपुं॰—-—नुद्+ल्युट्—ठेलना, हांकना, आगे बढ़ाना
नोदनम् —नपुं॰—-—नुद्+ल्युट्—हटाना, दूर करना, मिटाना
नोधा —अव्य॰—-—नो+धा—नौ प्रकार, नौ गुणा
नौः —स्त्री॰—-—नुद्यते अनया - नुद्+डौ—जहाज, नौका
नौः —स्त्री॰—-—नुद्यते अनया - नुद्+डौ—एक नक्षत्रपुंज का नाम
नावारोहः —पुं॰—नौः-आरोहः—-—जहाज का यात्री
नावारोहः —पुं॰—नौः-आरोहः—-—मल्लाह
नौकर्णधारः —पुं॰—नौः-कर्णधारः—-—नाविक, पोतचालक
नौकर्मन् —नपुं॰—नौः-कर्मन्—-—मल्लाह की वृत्ति
नौचरः —पुं॰—नौः-चरः—-—मल्लाह, माँझी
नौजीविकः —पुं॰—नौः-जीविकः—-—मल्लाह, माँझी
नौतार्य —वि॰—नौः-तार्य—-—जिसमें नाव चल सके, जो नाव से पार किया जा सके
नौदण्ड —वि॰—नौः-दण्ड—-—डांड, चप्पू
नौयानम् —नपुं॰—नौः-यानम्—-—पोत-कौशल, नौकायन
नौयायिन् —वि॰—नौः-यायिन्—-—नाव या जहाज से जाने वाला, नौयात्री
नौवाहः —पुं॰—नौः-वाहः—-—कर्णधार, कर्णी, पोतवाहक, केवट
नौव्यसनम् —नपुं॰—नौः-व्यसनम्—-—पोतभंग, नौका का टूट जाना
नौसाधनम् —नपुं॰—नौः-साधनम्—-—जहाजी बेड़ा, नौसमूह, पोतावली
नौका —स्त्री॰—-—नौ+कन्+टाप्—एक छोटी नाव, किश्ती
नौकादण्डः —पुं॰—नौका-दण्डः—-—चम्पू, पतवार
न्यक् —अव्य॰—-—नि+अंचू+क्विन्—क्रियाविशेषण, घृणा, अपमान एवं दीनता को द्योतन करने के लिए 'कृ' और 'भू' से पूर्व लगने वाला उपसर्ग
न्यक्करणम् —नपुं॰—न्यक्-करणम्—-—दीनता, अवमानना
न्यक्करणम् —नपुं॰—न्यक्-करणम्—-—अनादर, घृणा, अपमान
न्यक्कारः —पुं॰—न्यक्-कारः—-—दीनता, अवमानना
न्यक्कारः —पुं॰—न्यक्-कारः—-—अनादर, घृणा, अपमान
न्यग्भावः —पुं॰—न्यक्-भावः—-—दीनता, अवमानना
न्यग्भावः —पुं॰—न्यक्-भावः—-—घटिया करने वाला, मातहती, अधीनता
न्यग्भावित —वि॰—न्यक्-भावित—-—दीन, अधःपतित, अपमानित
न्यग्भावित —वि॰—न्यक्-भावित—-—आगे बढ़ा हुआ, श्रेष्ठता को प्राप्त, अप्रधानीकृत
न्यक्ष —वि॰—-—नियते निकृति वा अक्षिणि यस्य - ब॰ स॰ षच् प्रत्ययः—नीच, अधम, दुष्ट, कमीना
न्यक्षः —पुं॰—-—-—परशुराम का विशेषण
न्यक्षम् —नपुं॰—-—-—सूराख, छिद्र
न्यग्रोधः —पुं॰—-—न्यक् रुणद्धि-न्यक्+रुध्+अच्—बरगद का पेड़
न्यग्रोधः —पुं॰—-—न्यक् रुणद्धि-न्यक्+रुध्+अच्—पुरस, लंबाई का एक नाप जिसकी लंबाई उतनी होती है जितनी की दोनों हाथों को फैलाने से होवे
न्यग्रोधपरिमण्डला —स्त्री॰—न्यग्रोधः-परिमण्डला—-—श्रेष्ठ स्त्री
न्यङ्कुः —पुं॰—-—नि+अञ्च्+डु—एक प्रकार का बारहसिंगा
न्यञ्च् —वि॰—-—नि+अञ्च्+क्विन्—नीचे की ओर मुड़ा या झुका हुआ, या नीचे की ओर जाता हुआ
न्यञ्च् —वि॰—-—नि+अञ्च्+क्विन्—मुंह के बल लेटा हुआ
न्यञ्च् —वि॰—-—नि+अञ्च्+क्विन्—नीच, घृणा के योग्य, अधम, कमीना, दुष्ट
न्यञ्च् —वि॰—-—नि+अञ्च्+क्विन्—मन्थर, आलसी
न्यञ्च् —वि॰—-—नि+अञ्च्+क्विन्—पूर्ण, समस्त
न्यञ्चनम् —नपुं॰—-—नि+अञ्च्+ल्युट्—वक्र
न्यञ्चनम् —नपुं॰—-—नि+अञ्च्+ल्युट्—छिपने का स्थान
न्यञ्चनम् —नपुं॰—-—नि+अञ्च्+ल्युट्—कोटर
न्ययः —पुं॰—-—नि+इ+अच्—हानि, नाश
न्ययः —पुं॰—-—नि+इ+अच्—बरबादी, क्षय
न्यसनम् —नपुं॰—-—नि+अस्+ल्युट्—जमा करना, लेटना
न्यसनम् —नपुं॰—-—नि+अस्+ल्युट्—सौंपना, छोड़ना
न्यस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+अस्+क्त—डाला हुआ, फेंका हुआ, लिटाया हुआ, जमा किया हुआ
न्यस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+अस्+क्त—अन्दर रक्खा हुआ, अन्तर्हित, प्रयुक्त
न्यस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+अस्+क्त—वर्णित, चित्रित, चित्रन्यस्त
न्यस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+अस्+क्त—सुपुर्द किया हुआ, सौंपा हुआ, स्थानान्तरित
न्यस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+अस्+क्त—रहना, टिकना
न्यस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—नि+अस्+क्त—छोड़ा हुआ, एक ओर डाला हुआ, उत्सृष्ट
न्यस्तदण्ड —वि॰—न्यस्त-दण्ड—-—दंड जोड़ने वाला
न्यस्तदेह —वि॰—न्यस्त-देह—-—मरा हुआ, मृत
न्यस्तशस्त्र —वि॰—न्यस्त-शस्त्र—-—जिसने हथियार डाल दिये हों
न्यस्तशस्त्र —वि॰—न्यस्त-शस्त्र—-—निरस्त्र, अरक्षित
न्यस्तशस्त्र —वि॰—न्यस्त-शस्त्र—-—जो हानिकारक न हो
न्याक्यम् —नपुं॰—-—नि+अक्+ण्यत्—तले हुए चावल, मुर्मुरे
न्यादः —पुं॰—-—नि+अद्+ण—खाना, खिलाना
न्यायः —पुं॰—-—नियन्ति अनेन - नि+इ+घञ्—प्रणाली, तरीका, रीति, नियम, पद्धति योजना
न्यायः —पुं॰—-—नियन्ति अनेन - नि+इ+घञ्—उपयुक्तता, औचित्य, सुरीति
न्यायः —पुं॰—-—नियन्ति अनेन - नि+इ+घञ्—कानून, न्याय या इंसाफ, नैतिक विशालता, न्याय्यता, सचाई, ईमानदारी
न्यायः —पुं॰—-—नियन्ति अनेन - नि+इ+घञ्—कानूनी मुकदमा, कानूनी कार्रवाई
न्यायः —पुं॰—-—नियन्ति अनेन - नि+इ+घञ्—कानून के अनुसार दण्ड, निर्णय
न्यायः —पुं॰—-—नियन्ति अनेन - नि+इ+घञ्—रजनीति, अच्छा शासन
न्यायः —पुं॰—-—नियन्ति अनेन - नि+इ+घञ्—समानता, सादृश्य
न्यायः —पुं॰—-—नियन्ति अनेन - नि+इ+घञ्—लोकरूढ़ नीतिवाक्य, उपयुक्त दृष्टांत
न्यायः —पुं॰—-—नियन्ति अनेन - नि+इ+घञ्—वैदिक स्वर
न्यायः —पुं॰—-—नियन्ति अनेन - नि+इ+घञ्—विश्वव्यापी नियम
न्यायः —पुं॰—-—नियन्ति अनेन - नि+इ+घञ्—गौतम ऋषि प्रणीत न्यायशास्त्र
न्यायः —पुं॰—-—नियन्ति अनेन - नि+इ+घञ्—तर्कशास्त्र, न्याय दर्शन
न्यायः —पुं॰—-—नियन्ति अनेन - नि+इ+घञ्—अनुमान की पूरी प्रक्रिया
न्यायपथः —पुं॰—न्यायः-पथः—-—मीमांसा दर्शन
न्यायवर्तिन् —वि॰—न्यायः-वर्तिन्—-—आचरणशील, न्यायानुसार आचरण करने वाला
न्यायवादिन् —वि॰—न्यायः-वादिन्—-—न्याय्य और धर्मानुमोदित बात कहने वाला
न्यायशास्त्रम् —नपुं॰—न्यायः-शास्त्रम्—-—तर्क विज्ञान, तर्कशास्त्र
न्यायसारिणी —स्त्री॰—न्यायः-सारिणी—-—उचित तथा उपयुक्त व्यवहार
न्यायसूत्रम् —नपुं॰—न्यायः-सूत्रम्—-—गौतम प्रणीत न्यायदर्शन के सूत्र
अन्धचटकन्यायः —पुं॰—अन्धचटक-न्यायः—-—अन्धे के हाथ बटेर लगना अर्थ में घुणाक्षर न्याय के समान।
अन्धपरम्परान्यायः —पुं॰—अन्धपरम्परा-न्यायः —-—अंधानुकरण - जब लोग बिना विचारे दूसरों का अन्धानुकरण करते हैं और यह नहीं कि इस प्रकार का अनुसरण उन्हें अन्धकार में फँसा देगा।
अरुन्धतीदर्शनन्यायः —पुं॰—अरुन्धती- दर्शन-न्यायः—-—अरुन्धती तारादर्शन का सिद्धान्त, ज्ञात से अज्ञात का पता लगाना; शंकराचार्य की निम्नांकित व्याख्या से इसका प्रयोग स्पष्ट हो जायेगा
अशोकवनिकान्यायः —पुं॰—अशोकवनिका-न्यायः—-—अशोकवृक्षों के उद्यान का न्याय, रावण ने सीता को अशोकवाटिका में रक्खा था, परन्तु उसने और स्थ्यानों को छोड़ कर इसी वाटिका में क्यों रक्खा, इसका कोई विशेष कारण नहीं बताया जा सकता। सारांश यह हुआ कि जब मनुष्य के पास किसी कार्य को सम्पन्न करने के अनेक साधन प्राप्त हों, तो यह उसकी इच्छा है कि वह चाहे किसी साधन को अपना ले। ऐसी अवस्था मॆम् किसी भी साधन को अपनाने का कोई विशेष कारण नहीं दिया जा सकता।
अश्मलोष्टन्यायः —पुं॰—अश्मलोष्ट-न्यायः—-—पत्थर और मिट्टी के लौंदे का न्याय, मिट्टी का ढला रूई की अपेक्षा कठोर है परन्तु वही कठोरता मृदुता में बदल जाती है जब हम उसकी तुलना पत्थर से करते हैं। इसी प्रकार एक व्यक्ति बड़ा महवपूर्ण समझा जाता है जब उसकी तुलना उसकी अपेक्षा निचले दर्जे के व्यक्तियों से की जाती है, परन्तु यदि उसकी अपेक्षा श्रेष्ठतर व्यक्तियों से तुलना की जाय तो वही महत्त्वपूर्ण व्यक्ति नग्ण्य बन जाता है।
कदम्बकोरकन्यायः —पुं॰—कदम्बकोरक-न्यायः—-—कदंब वृक्ष का कलि का न्याय, कदंब वृक्ष की कलियाँ साथ ही खिल जाती हैं, अतः जहाँ उदय के साथ ही कार्य भी होने लगे, वहाँ इस न्याय का उपयोग करते हैं।
काकतालीयन्यायः —पुं॰—काक -तालीय- न्यायः—-—कौवे और ताड़ के फल का न्याय, एक कौवा एक वृक्ष की शाखा पर जाकर बैठा ही था कि अचानक ऊपर से एक फल गिरा और कौवे के प्राण पखेरु उड़ गये -अतः जब कभी कोई घटना शुभ हो या अशुभ अप्रत्याशित रूप अकस्मात् घटती है, तब इसका उपयोग होता है
काकदन्तगवेषणन्यायः —पुं॰—काकदंतगवेषण-न्यायः—-—कौवे के दाँत ढूढना, यह न्याय उस समय प्रयुक्त होता है जब कोई व्यक्ति व्यर्थ, अलाभकारी या असंभव कार्य करता है।
काकाक्षिगोलन्यायः —पुं॰—काकाक्षिगोल-न्यायः—-—कौवे की आंख गोलक का न्याय, एकदृष्टि, एकाक्ष आदि शब्दों से यह कल्पना कीऒ जाती है कि कौवे की आँख तो एक ही होती है, परन्तु वह आवश्यकता के अनुसार उसे एक गोलक से दूसरे गोलक में ले जा सकता है। इसका उपयोग उस समय होता है जब वाक्य में किसी शब्द या पदोच्च्य का जो केवल एक ही बार प्रयुक्त हुआ है, आवश्यकता होने पर दूसरे स्थान पर भी अध्याहार कर लें
कूपयंत्रघटिकान्यायः —पुं॰—कूपयंत्रघटिका-न्यायः—-—रहटतिंशर न्याय, इसका उपयोग सांसारिक अस्तित्व की विभिन्न अवस्थाओं को प्रकट करने के लिये किया जाता है - जैसे रहट के चलते समय कुछ टिंडर तो पानी से भरे हुए ऊपर को जाते हैं, कुछ् खाली हो रहे हैं, और कुछ बिल्कुल खाली होकर नीचे को जा रहे हैं
घट्ट्कुटीप्रभातन्यायः —पुं॰—घट्ट्कुटीप्रभात-न्यायः—-—चुंगी घर के निकट पौफटी का न्याय, कहते हैं एक गाड़ीवान चुंगी देना नहीं चाहता था, अतः वह ऊबड़-खाबड़ रास्ते से रात को घूमता रहा, जब पौफटी तो देखता है कि वह ठीक चुंगीधर के पास ही खड़ा है, विवश हो उसे चुंगी देनी पड़ी इसलिये जब कोई किसी कार्य को जानबूझ कर टालना चाहता है, परन्तु में उसी को करने के लिए विवश होना पड़ता है तो उस समय इस न्याय का प्रयोग होता है
घुणाक्षरन्यायः —पुं॰—घुणाक्षर-न्यायः—-—लकड़ी में घुणकीटों द्वारा निर्मित अक्षर का न्याय, किसी लकड़ी में घुण लग जाने से अथवा किसी पुस्तक में दीमक लग जाने से कुछ अक्षरों की आकृति से मि्लते-जुलते चिह्न अपने-आप बन जाते हैं, अतः जब कोई कार्य अनायास व अकस्मात् हो जाता है तब इस न्याय का प्रयोग किया जाता है।
दण्डापूपन्यायः —पुं॰—दण्डापूप-न्यायः—-—डंडे और पूड़े का न्याय, जब डंडा और पूड़ा एक ही स्थान पर रक्ख गये - और एक व्यल्ति ने कह कि डंडे को तो चूहे घसीट कर ले गये और खा लिया, तो दूसरा व्यक्ति स्वभावतः यह समझ् लेता है कि पूड़ा तो खा ही लिया गया होगा - क्योंकि व्ह उसके पास ही रक्खा था। इसलिए जब कोई वस्तु दूसरी के साथ विशेष रूप से अत्यंत संबद्ध होती है और् एक वस्तु के संबंध में हम कुछ कहते हैं तो वही बात दूसरी के साथ भी अपने आप लागू हो जाती है,
देहलीदीपन्यायः —पुं॰—देहलीदीप-न्यायः—-—देहली पर स्थापित दीपक का न्याय, जब दीपक को देहली पर रख दिया जाता है तो इसका प्रकाश देहली के दोनों ओर होता हैअतः यह न्याय उस समय प्रयुक्त किया जाता है जब एक ही वस्तु दो स्थानों पर काम आवे।
नृपनापितपुत्रन्यायः —पुं॰—नृपनापितपुत्र-न्यायः—-—राजा और नाई के पुत्र का न्याय, कहते हैं कि एक नाई किसी राजा के यहाँ नौकर था, एक बार राजा ने उसे कहा कि मेरे राज्य में जो लड़का सबसे सुन्दर हो उसे लाओ। नाई बहुत दिनों तक इधर उधर भटकता रहा परन्तु उसे ऐसा कोई बालक नहीं मिला जैसा राजा चाहता था। अन्त में थककर और निराश होकर वह घर लौट आया - तब उसे अपना कला-कलूटा लड़का ही अत्यंत सुन्दर लगा। वह उसी को लेकर राजा के पास गया पहले तो उस काले कलूटे बालज्क को देख कर राजा को बड़ा क्रोध आया परन्तु यह विचार कर कि मानव मात्र अपनी वस्तु को ही सर्वोत्तम समझता है, उसे छोड़ दिया
पङ्कप्रक्षालनन्यायः —पुं॰—पङ्कप्रक्षालन-न्यायः—-—कीचड़ धोकर उतारने का न्याय, कीचड़ लगने पर उसे धो डालने की अपेक्षा यह अधिक अच्छा है कि मनुष्य कीचड़ लगने ही न देवे। इसी प्रकार भयग्रस्त स्थिति में फँस कर उससे निकलने का प्रयत्न करने की अपेक्षा उअह ज्यादा अच्छा है कि उस भयग्रस्त स्थिति में कदम ही न रखे
पिष्टपेषणन्यायः —पुं॰—पिष्टपेषण-न्यायः—-—पिसे को पीसना, यह न्याय उस समय प्रयुक्त होता हैजब कोई किये हुए कार्य को ही दुबारा करने लगता है, क्योंकि पिसे को पीसना फाल्तू और व्यर्थ कार्य है
बीजाङ्कुरन्यायः —पुं॰—बीजाङ्कुर-न्यायः—-—बीज और अङ्कुर का न्याय, कार्य कारण जहाँ अन्योन्याश्रित होते हैं वहाँ इस न्याय का रयोग होता है, (बीज से अंकुर निकला, और फिर समय पाकर अंकुर से ही बीज की उत्पत्ति हुई) अतः न बीज के बिना अङ्कुर हो सकता है और न अंकुर के बिना बीज।
लोहचुम्बकन्यायः —पुं॰—लोहचुम्बक-न्यायः—-—लोहे और चुंबक का आकर्षण न्याय, यह प्रकृतिसिद्ध बात है कि लोहा चुंबक की ओर आकृष्ट होता है, इसी प्रकार प्राकृतिक घनिष्ट संबंध या निसर्गवृत्ति की बदौलत सभी वस्तुएँ सभी वस्तुएँ एक दूसरे की ओर आकृष्ट होती हैं।
वह्निधूमन्यायः —पुं॰—वह्निधूम-न्यायः—-—धूएँ से अग्नि का अनुमान, धूएँ और अग्नि की अवश्यंभावी सहवर्तिता नैसर्गिक है, अतः (जहाँ धूआँ होगा वहाँ आग अवश्य होगी) यह न्याय उसी समय प्रयुक्त होता है जहाँ दो पदार्थ कारण्-कार्य या दो व्यक्तियों का अनिवार्य संबंध बताया जाय।
वृद्धकुमारीवाक्यन्यायः —पुं॰—वृद्धकुमारीवाक्य-न्यायः—-—बूढ़ी कुमारी को वरदान न्याय, इस प्रकार का वरदान मांगना जिसमें वह सभी बातें आ जाय जो एक व्यक्ति चाहता है।
शाखाचन्द्रन्यायः —पुं॰—शाखाचन्द्र-न्यायः—-—शाखा पर वर्तमान चन्द्रमा का न्याय, जब किसी को चन्द्रमा का दर्शन कराते हैं तो चन्द्रमा के दूर स्थित होने पर भी हम यही कहते हैं 'देखो सामने वृक्ष की शाखा के ऊपर चाँद दिखाई देता है। अतः यह न्याय उस समय प्रयुक्त होता है जब कोई वस्तु चाहे दूर ह्ही हो, निकटवर्ती किसी पदार्थ से संसक्त होती है।
सिंहावलोकनन्यायः —पुं॰—सिंहावलोकन-न्यायः—-—सिंह का पीछे मुड़ कर देखना, यह उस समय प्रयुक्त होता है जब कोई व्यल्ति आगे चलने के साथ-साथ अपने पूर्वकृतकार्य पर भी दृष्टि डालता रहता है - जिस प्रकार सिंह शिकार की तलाश में आगे भी बढ़ता जाता है परन्तु साथ ही पीछे मुड़कर भी देखता रहता है।
सूचीकटाहन्यायः —पुं॰—सूचीकटाह-न्यायः—-—सूई और कड़ाही का न्याय, यह उस समय प्रयुक्त किया जाता है, जब दो बातें एक कठिन और एक अपेक्षाकृत आसान - करने को हों, तो उस समय आसान कार्य को पहले किया जाता है, जैसे कि जब किसी व्यक्ति को सुई और कड़ाही दो वस्तुएँ बनानी हैं तो वह सुई को पहले बनावेगा - क्योकि कड़ाही की अपेक्षा सुई का बनाना आसान या अल्पश्रमसाध्य है।
स्थूणानिखननन्यायः —पुं॰—स्थूणानिखनन-न्यायः—-—गढ़ा खोदकर उसमें थूणी जमाना, जब किसी मनुष्य को कोई थूणी अपने घर में लगानी होती है तो मिट्टी कंकड़ आदि बार बार डाल कर और कूटकर वह उस थूणी को दृढ़ बनाता है, इसी प्रकार वादी भी अपने अभियोग की पुष्टि में नाना प्रकार के तर्क, और दृष्टांत उपस्थित करके अपनी बात का और भी अधिक समर्थन करता है।
स्यामिबृत्यन्यायः —पुं॰—स्यामिबृत्य-न्यायः—-—स्वामी और सेवक का न्याय, इसका प्रयोग उस समय किया जाता है जब पागल और पाल्य, पोषक और पोष्य के संबंध को बतलाना होता है या ऐसे ही किन्हीं दो पदार्थों का संबंध को बतलाया जाता है।)
न्याय्य —वि॰—-—न्याय+यत्—ठीक, उचित, सही, न्यायसंगत, उपयुक्त, योग्य
न्याय्य —वि॰—-—न्याय+यत्—सामान्य, प्रचलित
न्यासः —पुं॰—-—नि+अस्+घञ्—रखना, स्थापित करना, आरोपण करना,
न्यासः —पुं॰—-—नि+अस्+घञ्—अतः कोई भी छाप, चिह्न, मोहर, ठप्पा
न्यासः —पुं॰—-—नि+अस्+घञ्—जमा करना
न्यासः —पुं॰—-—नि+अस्+घञ्—धरोहर, अमानत
न्यासः —पुं॰—-—नि+अस्+घञ्—सौंपना, बचनबद्ध होना, सिपुर्द करना, हवाले करना
न्यासः —पुं॰—-—नि+अस्+घञ्—चित्रित करना, लिख रखना
न्यासः —पुं॰—-—नि+अस्+घञ्—छोड़ना, उत्सर्ग करना, त्यागना, तिलांजलि देना
न्यासः —पुं॰—-—नि+अस्+घञ्—सम्मुख रखना, घटाना
न्यासः —पुं॰—-—नि+अस्+घञ्—खोद कर निकालना, पकड़ना
न्यासः —पुं॰—-—नि+अस्+घञ्—शरीर के भिन्न भिन्न अंगों में भिन्न भिन्न देवताओं का ध्यान जो सामान्य रूप से मंत्र पाठ के साथ साथ तदनुरूप हाव भाव सहित सम्पन्न किया जाता है।
न्यासापह्नवः —पुं॰—न्यासः-अपह्नवः—-—किसी धरोहर का प्रत्याख्यान करना
न्यासधारिन् —पुं॰—न्यासः-धारिन्—-—धरोहर रखने वाला, रहन रखने वाला
न्यासिन् —पुं॰—-—न्यास+इनि—जिसने अपने समस्त सांसारिक बंधनों को काट डाला है, संन्यासी
न्युङ्ख —वि॰—-—नि+उङ्ख्+घञ्—मनोहर, सुन्दर, प्रिय
न्युङ्ख —वि॰—-—नि+उङ्ख्+घञ्—उचित,ठीक
न्युङ्ख —वि॰—-—नि+उङ्ख्+घञ्—मनोहर, सुन्दर, प्रिय
न्युङ्ख —वि॰—-—नि+उङ्ख्+घञ्—उचित,ठीक
न्युब्ज —वि॰—-—नि+उब्ज+अच्—नीचे की ओर झुका हुआ, या मुड़ा हुआ, मुँह के बल लेटा हुआ
न्युब्ज —वि॰—-—नि+उब्ज+अच्—झुका हुआ, टेढ़ा
न्युब्ज —वि॰—-—नि+उब्ज+अच्—उन्नतोदर
न्युब्ज —वि॰—-—नि+उब्ज+अच्—कुबड़ा
न्युब्जः —पुं॰—-—-—बड़ या बरगद का पेड़
न्युब्जखङ्गः —पुं॰—न्युब्ज-खङ्गः—-—खांडा, वक्र खड्ग
न्यून —वि॰—-—नि+ऊन्+अच्—कम किया हुआ, घटाया हुआ, छोटा किया हुआ
न्यून —वि॰—-—नि+ऊन्+अच्—सदोष, घटिया, हीन, अभावग्रस्त, रहित या विहीन
न्यून —वि॰—-—नि+ऊन्+अच्—कम
न्यून —वि॰—-—नि+ऊन्+अच्—सदोष
न्यून —वि॰—-—नि+ऊन्+अच्—नीच, दुष्ट, दुर्वृत्त, निंद्य
न्यूनम् —अव्य॰—-—-—कम, कम मात्रा में
न्यूनाङ्ग —वि॰—न्यून-अङ्ग—-—अपांग, विकलांग
न्यूनाधिक —वि॰—न्यून-अधिक—-—कम या ज्यादा, असमान
न्यूनधी —स्त्री॰—न्यून-धी—-—निर्बुद्धि, अज्ञानी, मूर्ख
न्यूनयति —ना॰ धा॰ पर॰—-—-—घटना, कम करना
प —वि॰—-—पा+क—चौकसी करने वाला, हकूमत करने वाला
पक्कणः —पुं॰—-—पचति श्वादिनिकृष्टमांसमिति- पच्+क्विप्=पक्=शवरः तस्य कोलाहलशब्दो यत्र—चांडाल का घर वर्बर या जंगली आदमी का घर
पक्तिः —स्त्री॰—-—पच्+क्तिन्—पकाना
पक्तिः —स्त्री॰—-—पच्+क्तिन्—पचना, हाजमा या पाचन शक्ति
पक्तिः —स्त्री॰—-—पच्+क्तिन्—पक जाना, परिपक्व होना, परिपक्वावस्था विकास
पक्तिः —स्त्री॰—-—पच्+क्तिन्—प्रसिद्धि, प्रतिष्ठा
पक्तिशूलम् —नपुं॰—पक्तिः-शूलम्—-—अजीर्ण के कारण पेट में होने वाला दर्द, उदर पीड़ा ।
पक्तृ —वि॰—-—पच् + तृच्—रसोइया पाचक
पक्तृ —वि॰—-—पच् + तृच्—पकाने वाला
पक्तृ —वि॰—-—पच् + तृच्—उद्दीपक, पचाने वाला
पक्तृ —पुं॰—-—पच् + तृच्—जठराग्नि
पक्त्रम् —नपुं॰—-—पच्+ष्ट्रन्—यज्ञाग्नि को स्थापित रखने वाले गृहस्थ की दशा
पक्त्रम् —नपुं॰—-—पच्+ष्ट्रन्—इस प्रकार स्थापित यज्ञाग्नि
पक्त्रिम् —वि॰—-—पच्+ क्त्रि + मम्—पक्का, पका हुआ
पक्त्रिम् —वि॰—-—पच्+ क्त्रि + मम्—परिपक्व
पक्त्रिम् —वि॰—-—पच्+ क्त्रि + मम्—पकाया हुआ
पक्व —वि॰—-—पच्+क्त,तस्य वः—पकाया हुआ, भूना हुआ, उबाला हुआ
पक्व —वि॰—-—पच्+क्त, तस्य वः—पचा हुआ
पक्व —वि॰—-—पच्+क्त, तस्य वः—सेका हुआ, गरम किया हुआ, तपाया हुआ
पक्व —वि॰—-—पच्+क्त, तस्य वः—परिपक्व, पक्का
पक्व —वि॰—-—पच्+क्त, तस्य वः—सुविकसित, सुपूरित, परिपक्व
पक्व —वि॰—-—पच्+क्त, तस्य वः—अनुभवशील, बुद्धिमान्
पक्व —वि॰—-—पच्+क्त, तस्य वः—(फोड़े की भांति) पका हुआ जिसमें पीप पड़ने वाली हो
पक्व —वि॰—-—पच्+क्त, तस्य वः—सफेद (बाल)
पक्व —वि॰—-—पच्+क्त, तस्य वः—नष्ट, क्षीयमाण विनाश के अन्त पर, अपनी मृत्यु का स्वागत करने के लिये पक्का
पक्वातिसारः —पुं॰—पक्व-अतिसारः—-—पुरानी पेचिश
पक्वान्नम् —नपुं॰—पक्व-अन्नम्—-—मसाला आदि देकर बनाया गया भोजन
पक्वाशयः —पुं॰—पक्व-आशयः—-—पेट , उदर
पक्वेष्टका —स्त्री॰—पक्व-इष्टका—-—पकी हुई ईंट
पक्वेष्टकचितम् —नपुं॰—पक्व-इष्टकचितम्—-—पक्की ईंटों से निर्मित भवन
पक्वकृत् —वि॰—पक्व-कृत्—-—पकाने वाला
पक्वकृत् —वि॰—पक्व-कृत्—-—परिपक्व होने वाला
पक्वरसः —पुं॰—पक्व-रसः—-—शराब, मदिरा
पक्ववारि —नपुं॰—पक्व-वारि—-—कांज़ी का पानी
पक्वशः —पुं॰—-—-—एक बर्बर जाति का नाम, चाण्डाल
पक्ष् —भ्वा॰ पर॰< पक्षति> चुरा॰ उभ॰ <पक्षयति>, <पक्षयते>—-—-—लेना, ग्रहण करना
पक्ष् —भ्वा॰ पर॰< पक्षति> चुरा॰ उभ॰ <पक्षयति>, <पक्षयते>—-—-—स्वीकार करना
पक्ष् —भ्वा॰ पर॰< पक्षति> चुरा॰ उभ॰ <पक्षयति>, <पक्षयते>—-—-—पक्ष करना
पक्ष् —भ्वा॰ पर॰< पक्षति> चुरा॰ उभ॰ <पक्षयति>, <पक्षयते>—-—-—पक्ष लेना, तरफदारी करना।
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—बाजू, भुजा
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—बाण के दोनों ओर लगे पंख
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—किसी मनुष्य या जाति का पार्श्व, कंघा
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—किसी भी वस्तु का पार्श्व, बगल
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—सेना का एक कक्ष या पार्श्व
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—किसी वस्तु का अर्धभाग
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—चान्द्र मास का अर्धभाग, पखवारा (१५ दिनों का)
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—दल, गुट, पहलू
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—किसी एक दल से संबद्ध, अनुयायी, साझीदार
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—श्रेणी, समुदाय, समूह, अनुयायियों को संख्या
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—किसी तर्क का एक पहलू, विकल्प, दो में से कोई सा एक पक्ष
पक्षे —पुं॰—-—पक्ष + अच्—दूशरा पहलू, इसके विपरीत
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—एक सामान्य विचार
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—चर्चा का विषय, प्रस्ताव
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—अनुमान-प्रक्रिया का विषय (वह बस्तु जिसमें साध्य की स्थिति संदिग्ध हो)
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—दो की संख्या की प्रतीकात्मक उक्ति
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—पक्षी
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—अवस्था, दशा
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—शरीर
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—शरीर का अंग
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—राजा का हाथी
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—सेना
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—दीवार
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—विरोध
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—प्रतिवचन, उत्तर
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष + अच्—राशि, समुच्चय
पक्षान्तः —पुं॰—पक्षः-अन्तः—-—कोई से भी पक्ष का पन्द्रहवां दिन अर्थात् अमावस्या या पूर्णिमा का दिन
पक्षान्तरम् —नपुं॰—पक्षः-अन्तरम्—-—दूसरा पार्श्व
पक्षान्तरम् —नपुं॰—पक्षः-अन्तरम्—-—किसी तर्क का दूसरा पहलू
पक्षान्तरम् —नपुं॰—पक्षः-अन्तरम्—-—और विचार या कल्पना
पक्षाघातः —पुं॰—पक्षः-आघातः—-—शरीर के एक अंग का मारा जाना, अधलकवा
पक्षाभासः —पुं॰—पक्षः-आभासः—-—भ्रामक तर्क
पक्षाभासः —पुं॰—पक्षः-आभासः—-—मिथ्या परिबाद या फ़रियाद
पक्षाहारः —पुं॰—पक्षः-आहारः—-—पखवारे में केवल एक बार भोजन करना
पक्षग्रहणम् —नपुं॰—पक्षः-ग्रहणम्—-—किसी भी पक्ष का हो जाना
पक्षचरः —पुं॰—पक्षः-चरः—-—यूथभ्रष्ट हाथी
पक्षचरः —पुं॰—पक्षः-चरः—-—चन्द्रमा
पक्षच्छिद् —पुं॰—पक्षः-छिद्—-—इन्द्र का विशेषण (पहाड़ के पंखों या भुजाओं को काटने वाला)
पक्षजः —पुं॰—पक्षः-जः—-—चाँद
पक्षद्वयम् —नपुं॰—पक्षः-द्वयम्—-—किसी विवाद के दोनों पहलू
पक्षद्वयम् —नपुं॰—पक्षः-द्वयम्—-—दो पख़वारे अर्थात् एक मास
पक्षद्वारम् —नपुं॰—पक्षः-द्वारम्—-—चोरदरवाजा, निजी द्वार
पक्षधर —वि॰—पक्षः-धर—-—पंखधारी
पक्षधर —वि॰—पक्षः-धर—-—एक का पक्ष लेने वाला, किसी एक तरफ़दारी करने वाला
पक्षधरः —पुं॰—पक्षः-धरः—-—पक्षी
पक्षधरः —पुं॰—पक्षः-धरः—-—चन्द्रमा
पक्षधरः —पुं॰—पक्षः-धरः—-—हिमायती
पक्षधरः —पुं॰—पक्षः-धरः—-—यूथभ्रष्ट हाथी
पक्षनाडी —स्त्री॰—पक्षः-नाडी—-—पक्षी का मोटा पर जिसे कलमकी भांति प्रयुक्त करते हैं
पक्षपातः —पुं॰—पक्षः-पातः—-—किसी एक की तरफ़दारी करना
पक्षपातः —पुं॰—पक्षः-पातः—-—(किसी वस्तु के लिए) स्नेह, प्रेम, चाह, रुचि
पक्षपातः —पुं॰—पक्षः-पातः—-—किसी दल विशेष की ओर अनुराग, हिमायत, तरफ़दारी
पक्षपातः —पुं॰—पक्षः-पातः—-—पंखों का गिरना, पक्षमोचन
पक्षपातः —पुं॰—पक्षः-पातः—-—हियायती
पक्षपातिन् —वि॰—पक्षः-पातिन्—-—पक्षपात करने वाला, किसी एक दल का अनुयायी, (किसी एक विशिष्ट बात का) तरफ़दार
पक्षपातिन् —वि॰—पक्षः-पातिन्—-—सहानुभूति करने वाला
पक्षपातिन् —वि॰—पक्षः-पातिन्—-—अनुयायी, हिमायती, मित्र
पक्षपालिः —पुं॰—पक्षः-पालिः—-—चोर दरवाजा
पक्षबिदुः —पुं॰—पक्षः-बिदुः—-—कंक पक्षी
पक्षभागः —पुं॰—पक्षः-भागः—-—पार्श्व, बगल
पक्षभागः —पुं॰—पक्षः-भागः—-—विशेषतः हाथी का पार्श्व
पक्षभुक्तिः —स्त्री॰—पक्षः-भुक्तिः—-—उतरी दूरी जितनी सूर्य एक पखवारे में तय करता है
पक्षमूलम् —नपुं॰—पक्षः-मूलम्—-—पंख की जड़
पक्षवादः —पुं॰—पक्षः-वादः—-—एकतरफ़ा बयान
पक्षवादः —पुं॰—पक्षः-वादः—-—एक पक्ष की उक्ति, मताभिव्यक्ति
पक्षवाहनः —पुं॰—पक्षः-वाहनः—-—पक्षी
पक्षहतः —वि॰—पक्षः-हतः—-—जिसका एक पार्श्व लकवे-से बेकाम हो गया हो
पक्षहरः —पुं॰—पक्षः-हरः—-—पक्षी
पक्षहोम —पुं॰—पक्षः-होम—-—पन्द्रह दिन तक होने वाला यज्ञ
पक्षहोम —पुं॰—पक्षः-होम—-—पाक्षिक यज्ञ
पक्षकः —पुं॰—-—पक्ष+कन्—चोर दरवाजा
पक्षकः —पुं॰—-—पक्ष+कन्—पक्ष, पार्श्व
पक्षकः —पुं॰—-—पक्ष+कन्—साथी, हिमायती
पक्षता —स्त्री॰—-—पक्ष + तल् + टाप्—मित्रता, हिमायत
पक्षता —स्त्री॰—-—पक्ष + तल् + टाप्—दल-विशेष का अनुगमन
पक्षता —स्त्री॰—-—पक्ष + तल् + टाप्—किसी एक पक्ष का होना ।
पक्षतिः —स्त्री॰—-—पक्षस्य मूलम्- पक्ष + ति—पंख की जड़
पक्षतिः —स्त्री॰—-—पक्षस्य मूलम्- पक्ष + ति—शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा
पक्षालुः —पुं॰—-—पक्ष+ आलुच्—पंछी
पक्षिणी —स्त्री॰—-—पक्ष+ इनि + ङीप्—मादा पक्षी
पक्षिणी —स्त्री॰—-—पक्ष+ इनि+ङीप्—दो दिनों के बीच की रात
पक्षिणी —स्त्री॰—-—पक्ष+ इनि+ङीप्—पूर्णिमा
पक्षिन् —वि॰ —-—पक्ष + इनि—पंखयुक्त
पक्षिन् —वि॰ —-—पक्ष + इनि—बाजू वाला
पक्षिन् —वि॰ —-—पक्ष + इनि—तरफ़दार, दल विशेष का अनुयायी
पक्षिन् —पुं॰—-—पक्ष + इनि—पक्षी
पक्षिन् —पुं॰—-—पक्ष + इनि—तीर
पक्षिन् —पुं॰—-—पक्ष + इनि—शिव का विशेषण
पक्षीन्द्रः —पुं॰—पक्षिन्-इन्द्रः—-—गरुड का विशेषण
पक्षिप्रवरः —पुं॰—पक्षिन्-प्रवरः—-—गरुड का विशेषण
पक्षिराज् —पुं॰—पक्षिन्-राज्—-—गरुड का विशेषण
पक्षिराजः —पुं॰—पक्षिन्-राजः—-—गरुड का विशेषण
पक्षिसिंहः —पुं॰—पक्षिन्-सिंहः—-—गरुड का विशेषण
पक्षिस्वामिन् —पुं॰—पक्षिन्-स्वामिन्—-—गरुड का विशेषण
पक्षिकीटः —पुं॰—पक्षिन्-कीटः—-—छोटी चिड़िया
पक्षिशाला —स्त्री॰—पक्षिन्-शाला—-—घोंसला
पक्षिशाला —स्त्री॰—पक्षिन्-शाला—-—चिड़ियाघर
पक्ष्मन् —नपुं॰—-—पक्ष्+मनिन्—बरौनी
पक्षमन् —नपुं॰—-—पक्ष्+मनिन्—फूल की पंखड़ी
पक्षमन् —नपुं॰—-—पक्ष्+मनिन्—धागे क सिरा, पतला धागा
पक्षमन् —नपुं॰—-—पक्ष्+मनिन्—बाजू
पक्ष्मल —वि॰—-—पक्ष्मन्+लच्—दृढ़, लम्बी और सुन्दर बरौनी वाला
पक्ष्मल —वि॰—-—पक्ष्मन्+लच्—बालों वाला, लोमश, रोंएदार
पक्ष्य —वि॰—-—पक्ष+यत्—पखवारे में होने वाला, पाक्षिक
पक्ष्य —वि॰—-—पक्ष+यत्—तरफ़दार
पक्ष्य —वि॰—-—पक्ष+यत्—पक्षपाती
पक्ष्यः —पुं॰—-—पक्ष+यत्—हिमायती, अनुयायी मित्र, सखा
पङ्कः —पुं॰—-—पंच विस्तारे कर्मणि करणे वा वञ्, कुत्वम—गारा, लसदार मिट्टी, दलदल
पङ्कः —पुं॰—-—पंच विस्तारे कर्मणि करणे वा वञ्, कुत्वम—अतः मोटी राशि, स्थूल ढेर
पङ्कः —पुं॰—-—पंच विस्तारे कर्मणि करणे वा वञ्, कुत्वम—दलदल, कीचड़, धंसन
पङ्कः —पुं॰—-—पंच विस्तारे कर्मणि करणे वा वञ्, कुत्वम—पाप
पङ्कम् —नपुं॰—-—पंच विस्तारे कर्मणि करणे वा वञ्, कुत्वम—गारा, लसदार मिट्टी, दलदल
पङ्कम् —नपुं॰—-—पंच विस्तारे कर्मणि करणे वा वञ्, कुत्वम—अतः मोटी राशि, स्थूल ढेर
पङ्कम् —नपुं॰—-—पंच विस्तारे कर्मणि करणे वा वञ्, कुत्वम—दलदल, कीचड़, धंसन
पङ्ककीरः —पुं॰—पङ्कः-कीरः—-—टिटहरी
पङ्कक्रीडः —पुं॰—पङ्कः-क्रीडः—-—सूअर
पङ्कग्राहः —पुं॰—पङ्कः-ग्राहः—-—मगरमच्छ, घड़ियाल
पङ्कच्छिद् —पुं॰—पङ्कः-छिद्—-—रीठे का वृक्ष
पङ्कजम् —नपुं॰—पङ्कः-जम्—-—कमल
पङ्कजः —पुं॰—पङ्कः-जः —-—ब्रह्मा का विशेषण
पङ्कजन्मन् —पुं॰—पङ्कः-जन्मन्—-—ब्रह्मा का विशेषण
पङ्कनाभः —पुं॰—पङ्क-नाभः—-—विष्णु क विशेषण
पङ्कजन्मन् —नपुं॰—पङ्क-जन्मन्—-—कमल
पङ्कजन्मन् —पुं॰—पङ्क-जन्मन्—-—सारस पक्षी
पङ्कमण्डुकः —पुं॰—पङ्क-मण्डुकः—-—द्विकोष शंख
पङ्करुह् —नपुं॰—पङ्क-रुह्—-—कमल
पङ्करुहम् —नपुं॰—पङ्क-रुहम्—-—कमल
पङ्कवासः —पुं॰—पङ्क-वासः—-—केंकड़ा
पङ्कजिनी —स्त्री॰—-—पंकज + इनि+ ङीप्—कमल का पौधा
पङ्कजिनी —स्त्री॰—-—पंकज + इनि+ ङीप्—कमलों का समूह
पङ्कजिनी —स्त्री॰—-—पंकज + इनि+ ङीप्—कमलों से भरा हुआ स्थान
पङ्कजिनी —स्त्री॰—-—पंकज + इनि+ ङीप्—कुमुद डंडी
पङ्कणः —पुं॰—-—पृषो॰ सा॰—चांडाल की झोपड़ी
पङ्कारः —पुं॰—-—पंक + ऋ + अण्—सिवार
पङ्कारः —पुं॰—-—पंक + ऋ + अण्—बांध, मेड़
पङ्कारः —पुं॰—-—पंक + ऋ + अण्—जीना, सीढ़ी, पौड़ीयाँ
पङ्किल —वि॰—-—पक् + इलच्—गारे से भरा हुआ, गदला, मैला, मलिन
पङ्केज —पुं॰—-—पंक जायते - पंके + जन् + ड—कमल
पङ्केरुह् —नपुं॰—-—पंके + रुह् +क—कमल
पङ्केरुहम् —नपुं॰—-—पंके + रुह् +क्विप्—कमल
पङ्केरुहः —पुं॰—-—पंके + रुह् +क्विप्—शारस पक्षी
पङ्केशय —वि॰—-—पंके + शी + अच्—दलदल में रहने वाला
पङ्क्तिः —स्त्री॰—-—पच् + क्तिन्—लाइन, कतार, श्रेणी, सिलसिला
पङ्क्तिः —स्त्री॰—-—पच् + क्तिन्—समूह, संग्रह, रेवड़, दल
पङ्क्तिः —स्त्री॰—-—पच् + क्तिन्—(एक ही जाति के) लोगों की लाइन जो खाने पर बैठी हो, एक ही जाति के सहभोजियों क समुदाय
पङ्क्तिः —स्त्री॰—-—पच् + क्तिन्—जीवित पीढ़ी
पङ्क्तिः —स्त्री॰—-—पच् + क्तिन्—पृथ्वी
पङ्क्तिः —स्त्री॰—-—पच् + क्तिन्—यश, प्रसिद्ध
पङ्क्तिः —स्त्री॰—-—पच् + क्तिन्—पाँच क संग्रह, पाँच की संख्या
पङ्क्तिः —स्त्री॰—-—पच् + क्तिन्—दस की संख्या
पङ्क्तिग्रीव —पुं॰—पङ्क्ति-ग्रीव—-—रावण का विशेषण
पङ्क्तिचरः —पुं॰—पङ्क्ति-चरः—-—समुद्री उकाब, कुरर पक्षी
पङ्क्तिदूषः —पुं॰—पङ्क्ति-दूषः—-—जिसके साथ बैठकर भोजन करने में दूषण लगे
पङ्क्तिदूषकः —पुं॰—पङ्क्ति-दूषकः—-—जिसके साथ बैठकर भोजन करने में दूषण लगे
पङ्क्तिपावनः —पुं॰—पङ्क्ति-पावनः—-—आदरणीय या सम्मानित व्यक्ति
पङ्क्तिरथः —पुं॰—पङ्क्ति-रथः—-—दशरथ का नाम
पङ्गु —वि॰—-—खञ्ज् + कु, खस्य पत्वे जस्य गादेशः, नुम्—लंगड़ा, लड़खड़ाता, विकलांग
पङ्गुः —पुं॰—-—खञ्ज् + कु, खस्य पत्वे जस्य गादेशः, नुम्—लंगड़ा आदमी
पङ्गुः —पुं॰—-—खञ्ज् + कु, खस्य पत्वे जस्य गादेशः, नुम्—शनि का विशेषण
पङ्गुग्राहः —पुं॰—पङ्गु-ग्राहः—-—मगरमच्छ
पङ्गुग्राहः —पुं॰—पङ्गु-ग्राहः—-—दसवीं राशि, मकरराशि
पङ्गुल —वि॰—-—-—लङ्गड़ा, विकलांग
पच् —भ्वा॰ उभ॰ <पचति>, <पचते>, < पक्व>—-—-—पकाना, भूनना, भोजन बनाना
पच् —भ्वा॰ उभ॰ <पचति>, <पचते>, < पक्व>—-—-—पकाना, (ईंट आदि) पकाना
पच् —भ्वा॰ उभ॰ <पचति>, <पचते>, < पक्व>—-—-—(भोजन आदि) पचाना
पच् —भ्वा॰ उभ॰ <पचति>, <पचते>, < पक्व>—-—-—पकना, परिपक्व होना
पच् —भ्वा॰ उभ॰ <पचति>, <पचते>, < पक्व>—-—-—पूर्णता को पहुँचाना, (समझ आदि) का विकास करना
पच् —भ्वा॰ उभ॰ <पचति>, <पचते>, < पक्व>—-—-—(धातु आदि का) गलाना
पच् —भ्वा॰ उभ॰ <पचति>, <पचते>, < पक्व>—-—-—(अपने लिये) पकाना
पच् —कर्मवा॰<पच्यते>—-—-—पकाया जाना
पच् —कर्मवा॰<पच्यते>—-—-—पक्का होना, परिपक्व या विकसित होना, पकना
पच् —भ्वा॰ उभ॰ <पाचयति>, <पाचयते>—-—-—पकवाना, पक्का करना, विकसित कराना, पूर्णता को पहुँचाना
परिपच् —भ्वा॰ उभ॰—परि-पच्—-—पकना, परिपक्व होना, विकसित होना
विपच् —भ्वा॰ उभ॰—वि-पच्—-—परिपक्व होना, विकसित होना, पकना, फल देना
विपच् —भ्वा॰ उभ॰—वि-पच्—-—पचाना
विपच् —भ्वा॰ उभ॰—वि-पच्—-—भलीभांति पकाना
पच् —भ्वा॰ आ॰ <पचते>—-—-—स्पष्ट करना, विशद करना
पचतः —पुं॰—-—पच् + अत्—आग्नि
पचतः —पुं॰—-—पच् + अत्—सूर्य
पचतः —पुं॰—-—पच् + अत्—इन्द्र का नाम
पचन —वि॰—-—पच् + ल्युट्—पकाना, भोजन बनाना, परिपक्व करना
पचनः —पुं॰—-—पच् + ल्युट्—अग्नि
पचनम् —नपुं॰—-—पच् + ल्युट्—पकाना, भोजन बनाना, परिपक्व करना
पचनम् —नपुं॰—-—पच् + ल्युट्—पकाने के उपकरण, बर्तन, इन्धन आदि
पचपचः —पुं॰—-—प्रकारे पच इत्यस्य द्वित्वम्—शिव जी की उपाधी
पचा —स्त्री॰—-—पच् + अड् + टाप्—पकाने की क्रिया
पचिः —पुं॰—-—पच् + इन्—अग्नि
पचेलिम —वि॰—-—पच् + एलिमच्—शीघ्र ही पकने वाला
पचेलिम —वि॰—-—पच् + एलिमच्—परिपक्व होने के योग्य
पचेलिम —वि॰—-—पच् + एलिमच्—स्वतः या नैसर्गिक रूप से पकने वाला
पचेलिमः —पुं॰—-—पच् + एलिमच्—अग्नि
पचेलिमः —पुं॰—-—पच् + एलिमच्—सूर्य
पचेलुकः —पुं॰—-—पच् + एलुक—रसोइया
पज्झटिका —स्त्री॰—-—-—एक छोटी घंटी
पञ्चक —वि॰—-—पंच + कन्—पाँच से युक्त
पञ्चक —वि॰—-—पंच + कन्—पाँच से संबद्ध
पञ्चक —वि॰—-—पंच + कन्—पाँच से निर्मित
पञ्चक —वि॰—-—पंच + कन्—पाँच से खरीदा हुआ
पञ्चक —वि॰—-—पंच + कन्—पाँच प्रतिशत लेने वाला
पञ्चकः —पुं॰—-—पंच + कन्—पाँच वस्तुओं क संग्रह
पञ्चकम् —नपुं॰—-—पंच + कन्—पाँच वस्तुओं क संग्रह
पञ्चत् —स्त्री॰—-—-—पंच, पंचसमुदाय, पंचायत
पञ्चता —स्त्री॰—-—पंचन् + तल् +टाप्—पाँचगुना स्थिति
पञ्चता —स्त्री॰—-—पंचन् + तल् +टाप्—पाँच का संग्रह
पञ्चता —स्त्री॰—-—पंचन् + तल् +टाप्—पाँच तत्वों की समष्टि
पञ्चत्वम् —नपुं॰—-—पंचन् + तल् + त्व—पाँचगुना स्थिति
पञ्चत्वम् —नपुं॰—-—पंचन् + तल् + त्व—पाँच का संग्रह
पञ्चत्वम् —नपुं॰—-—पंचन् + तल् + त्व—पाँच तत्वों की समष्टि
पञ्चतागम् ——पञ्चता-गम्—-—उन पाँच तत्वों में घुलमिल जाना जिनसे शरीर बना है, मरना, नष्ट होना
पञ्चत्वङ्गम् ——पञ्चत्वम्- गम्—-—उन पाँच तत्वों में घुलमिल जाना जिनसे शरीर बना है, मरना, नष्ट होना
पञ्चतानी ——पञ्चता- नी—-—मार डालना, नष्ट करना
पञ्चत्वन्नी ——पञ्चत्वम्- नी—-—मार डालना, नष्ट करना
पञ्चथुः —पुं॰—-—पञ्चन् + अथुच्—समय
पञ्चथुः —पुं॰—-—पञ्चन् + अथुच्—कोयल
पञ्चधा —अव्य॰—-—पंचन् + धा—पाँच भागों में
पञ्चधा —अव्य॰—-—पंचन् + धा—पाँच प्रकार से
पञ्चन् —सं॰ वि॰—-—पंच् + कनिन्—पाँच
पञ्चांशः —पुं॰—पञ्चन्-अंशः—-—पाँचवा भाग, पाँचवा
पञ्चाङ्ग्निः —पुं॰—पञ्चन् - अग्निः—-—पाँच यज्ञाग्नियों क समूह
पञ्चाङ्ग्निः —पुं॰—पञ्चन् - अग्निः—-—पंचाग्नियों को स्थापित रख़ने वाला गृहस्थ
पञ्चाङ्ग —वि॰—पञ्चन्-अङ्ग—-—पाँच सदस्यीय, पाँच अंगों वाला
पञ्चाङ्गः —पुं॰—पञ्चन्-अङ्गः—-—कछुवा
पञ्चाङ्गः —पुं॰—पञ्चन्-अङ्गः—-—एक प्रकार का घोड़ा जिसके शरीर के विभिन्न भागों पर पाँच चिन्ह हो
पञ्चाङ्गी —पुं॰—पञ्चन्-अङ्गी—-—लगाम का दहाना, मुखरी
पञ्चाङ्गम् —नपुं॰—पञ्चन्-अङ्गम्—-—पाँच भागों का संग्रह या समष्टि
पञ्चाङ्गम् —नपुं॰—पञ्चन्-अङ्गम्—-—भक्ति के पाँच प्रकार
पञ्चाङ्गम् —नपुं॰—पञ्चन्-अङ्गम्—-—पंचाग, तिथिपत्र, जंत्री
पञ्चगुप्तः —पुं॰—पञ्चन् -गुप्तः—-—एक प्रकार का समुद्री कछुवा
पंचशुद्धिः —स्त्री॰—पञ्चन्-शुद्धिः—-—तिथि, वार, नक्षत्र, योग, और करण (ज्योतिष्), इन पाँच आवश्यक अंगों की अनुकूल स्थिति
पंचांगुल —वि॰—पञ्चन् -अङ्गुल—-—पाँच अंगुल का माप
पञ्चाङ्गुला —स्त्री॰—पञ्चन् -अङ्गुला—-—पाँच अंगुल का माप
पञ्चाङ्गुली —स्त्री॰—पञ्चन् -अंगुली—-—पाँच अंगुल का माप
पञ्चाजम् —नपुं॰—पञ्चन्-अजम्—-—बकरी से प्राप्त होने वाले पाँच पदार्थ
पञ्चाजम् —नपुं॰—पञ्चन्-आजम्—-—बकरी से प्राप्त होने वाले पाँच पदार्थ
पञ्चाप्सरम् —नपुं॰—पञ्चन् -अप्सरम्—-—मंडकर्णी ऋषि द्वारा निर्मित कहा जाने वाला सरोवर
पञ्चामृतम् —नपुं॰—पञ्चन्-अमृतम्—-—देवपूजा के लिए पाँच मिष्ट पदार्थों का संग्रह
पञ्चार्चिस् —पुं॰—पञ्चन्- अर्चिस—-—बुध ग्रह
पञ्चावयव —वि॰—पञ्चन्-अवयव—-—पाँच अंगों वाला
पञ्चावस्थः —पुं॰—पञ्चन्-अवस्थः—-—शव
पञ्चाविकम् —नपुं॰—पञ्चन्-अविकम्—-—भेंड़ से प्राप्त पाँच प्रकार के पदार्थ
पञ्चाशीतिः —स्त्री॰—पञ्चन्-अशीतिः—-—पचासी
पञ्चाहः —पुं॰—पञ्चन्-अहः—-—पाँच दिन का समय
पञ्चातप —पुं॰—पञ्चन्-आतप—-—पंचाग्नियों (चारों ओर चार अग्नि, तथा ऊपर सूर्य) से तपस्या करने वाला
पञ्चाननः —पुं॰—पञ्चन्-आननः—-—शिव का विशेषण
पञ्चाननः —पुं॰—पञ्चन्-आननः—-—सिंह
पञ्चास्यः —पुं॰—पञ्चन्-आस्यः—-—शिव का विशेषण
पञ्चास्यः —पुं॰—पञ्चन्-आस्यः—-—सिंह
पञ्चमुख —पुं॰—पञ्चन्-मुख—-—शिव का विशेषण
पञ्चमुख —पुं॰—पञ्चन्-मुख—-—सिंह
पञ्चवक्तृः —पुं॰—पञ्चन्-वक्तृः—-—शिव का विशेषण
पञ्चवक्तृः —पुं॰—पञ्चन्-वक्तृः—-—सिंह
पञ्चेन्द्रियम् —नपुं॰—पञ्चन्-इन्द्रियम्—-—पाँच अंगों की समष्टि
पञ्चेषुः —पुं॰—पञ्चन्-इषुः—-—कामदेव का विशेषण
पञ्चबाणः —पुं॰—पञ्चन्-बाणः —-—कामदेव का विशेषण
पञ्चशरः —पुं॰—पञ्चन्-शरः—-—कामदेव का विशेषण
पञ्चोष्मन् —पुं॰—पञ्चन्-उष्मन्—-—शरीर में रहने वाली पाँच अग्नियाँ
पञ्चकर्मन् —नपुं॰—पञ्चन्-कर्मन्—-—पाँच प्रकार की चिकित्साएँ
पञ्चकृत्वस —अव्य॰—पञ्चन्-कृत्वस—-—पाँच बार
पञ्चकोणम् —नपुं॰—पञ्चन्-कोणम्—-—पाँच कोण की आकृति
पञ्चकोलम् —नपुं॰—पञ्चन्-कोलम्—-—पाँच मसालों ( पीपल, पिप्परामूल, चई, चित्रकमूल और सोंठ) का चूर्ण
पञ्चकोषाः —पुं॰—पञ्चन्-कोषाः—-—पाँच प्रकार क परिधान
पञ्चक्रोशी —पुं॰—पञ्चन्-क्रोशी—-—पाँच कोस की दूरी
पञ्चखटवम् —नपुं॰—पञ्चन्-खट्वम्—-—पाँच खाटों का समूह
पञ्चखट्वी —स्त्री॰—पञ्चन्-खट्वी—-—पाँच खाटों का समूह
पञ्चगव्यम् —नपुं॰—पञ्चन्-गव्यम्—-—गौ से प्राप्त होने वाले पाँच पदार्थों का समूह
पञ्चगु —वि॰—पञ्चन्-गु—-—पाँच गौओं के बदले खरीदा हुआ
पञ्चगुण —वि॰—पञ्चन्-गुण—-—पाँच गुणा
पञ्चगुप्तः —पुं॰—पञ्चन्-गुप्तः—-—कछुवा
पञ्चगुप्तः —पुं॰—पञ्चन्-गुप्तः—-—दर्शनशास्त्र में वर्णित भौतिकवाद की पद्धति, चार्वाकों क सिद्धांत
पञ्चचत्वारिंश —वि॰—पञ्चन्-चत्वारिंश—-—पैंतालीसवाँ
पञ्चचत्वारिंशत् —वि॰—पञ्चन्-चत्वारिंशत्—-—पैंतालीस
पञ्चजनः —पुं॰—पञ्चन्-जनः—-—मनुष्य, मनुष्य जाति
पञ्चजनः —पुं॰—पञ्चन्-जनः—-—एक राक्षस जिसने शंखशुक्ति का रूप धारण कर लिया था तथा जिसको श्रीकृष्ण ने मार गिराया था
पञ्चजनः —पुं॰—पञ्चन्-जनः—-—आत्मा
पञ्चजनः —पुं॰—पञ्चन्-जनः—-—प्राणियों की पाँच श्रेणियाँ अर्थात् देवना, मनुष्य, गंधर्व, नाग और् पितर
पञ्चजनः —पुं॰—पञ्चन्-जनः—-—हिन्दुओं की चार मुख्य जातियाँ
पञ्चजनीन —वि॰—पञ्चन्-जनीन—-—पंचजनों का भक्त
पञ्चवः —पुं॰—पञ्चन्-वः—-—अभिनेता, बहुरूपिया, विदूषक
पञ्चज्ञानः —पुं॰—पञ्चन्-ज्ञानः—-—बुद्ध का विशेषण क्योंकि वह पाँच प्रकार के ज्ञान से युक्त हैं
पञ्चज्ञानः —पुं॰—पञ्चन्-ज्ञानः—-—पाशुपत सिद्धान्तों से परिचित मनुष्य
पञ्चतक्षम् —नपुं॰—पञ्चन्-तक्षम—-—पाँच रथकारों का समूह
पञ्चतक्षी —स्त्री॰—पञ्चन्-तक्षी—-—पाँच रथकारों का समूह
पञ्चतत्त्वम् —नपुं॰—पञ्चन्-तत्त्वम्—-—पाँच तत्त्वों की समष्टि
पञ्चतत्त्वम् —नपुं॰—पञ्चन्-तत्त्वम्—-—(तंत्रों में) तांत्रिकों के पाँच तत्व जो पंचमकार
पञ्चतपस् —पुं॰—पञ्चन्-तपस्—-—एक सन्यासी जो ग्रीष्म ॠतु में सूर्य की प्रखर किरणों के नीचे चारों ओर आग जला कर बैठा हुआ तपस्या करता है
पञ्चतय —वि॰—पञ्चन्-तय—-—पाँच गुणा
पञ्चयः —पुं॰—पञ्चन्-यः—-—पंचायत
पञ्चत्रिंश —वि॰—पञ्चन्-त्रिंश—-—पैंतीसवाँ
पञ्चत्रिंशत् —स्त्री॰—पञ्चन्-त्रिंशत्—-—पैंतीस
पञ्चत्रिंशति —स्त्री॰—पञ्चन्-त्रिंशतिः—-—पैंतीस
पञ्चदश —वि॰—पञ्चन्-दश—-—पन्द्रहवाँ
पञ्चदश —पुं॰—पञ्चन्-दश—-—जिसमें पन्द्रह बने हुए हैं
पञ्चदशन् —वि॰ ब॰व॰—पञ्चन्-दशन्—-—पन्द्रह
पञ्चाहः —पुं॰—पञ्चन्-अहः—-—पन्द्रह दिन की अवधि
पञ्चदशिन् —वि॰—पञ्चन्-दशिन्—-—पन्द्रह से युक्त या निर्मित
पञ्चदशी —पुं॰—पञ्चन्-दशी—-—पूर्णिमा
पञ्चदीर्घम् —नपुं॰—पञ्चन्-दीर्घम्—-—शरीर के पाँच लम्बे अंग
पञ्चनखः —पुं॰—पञ्चन्-नखः—-—पाँच पंजों से युक्त कोई जानवर
पञ्चनखः —पुं॰—पञ्चन्-नखः—-—हाथी
पञ्चनखः —पुं॰—पञ्चन्-नखः—-—कछुवा
पञ्चनखः —पुं॰—पञ्चन्-नखः—-—सिंह या व्याघ्र
पञ्चनदः —पुं॰—पञ्चन्-नदः—-—‘पाँच नदियों का देश, वर्तमान पंजाब’
पञ्चनदाः —ब॰ व॰—पञ्चन्-नदाः—-—इस देश के निवासी, पंजाबी
पञ्चनवतिः —स्त्री॰—पञ्चन्-नवतिः—-—पिचानवें
पञ्चनीराजनम् —नपुं॰—पञ्चन्-नीराजनम्—-—देवमूर्ति के सामने पाँच पदार्थों को हिलाना और फिर उसके सामने लंबा लेट जाना
पञ्चपञ्चास् —वि॰—पञ्चन्-पंचास—-—पचपनवाँ
पञ्चपञ्चाशत् —वि॰—पञ्चन्-पञ्चाशत—-—पंचपन
पञ्चपदी —स्त्री॰—पञ्चन्-पदी—-—पाँच कदम
पञ्चपात्रम् —नपुं॰—पञ्चन्-पात्रम्—-—पाँच पात्रों का समूह
पञ्चपात्रम् —नपुं॰—पञ्चन्-पात्रम्—-—एक श्राद्ध जिसमें पाँच पात्रों में रखकर भेंट दी जाती है
पञ्चप्राणाः —पुं॰—पञ्चन्-प्राणाः—-—पाँच जीवन प्रदवायु- प्राण, अपान, व्यान, उदान, और समान
पञ्चप्रासादः —पुं॰—पञ्चन्-प्रासादः—-—विशिष्ट आकार का मन्दिर
पञ्चबाणः —पुं॰—पञ्चन्-बाणः —-—कामदेव के विशेषण
पञ्चवाणः —पुं॰—पञ्चन्-वाणः —-—कामदेव के विशेषण
पञ्चशरः —पुं॰—पञ्चन्-शरः—-—कामदेव के विशेषण
पञ्चभुज —वि॰—पञ्चन्-भुज—-—पाँच भुजाओं का
पञ्चभुजः —पुं॰—पञ्चन्-भुजः—-—पंचभुज या पंचकोना
पञ्चभूतम् —नपुं॰—पञ्चन्-भूतम्—-—पाँच मूलत्व
पञ्चमकारम् —नपुं॰—पञ्चन्-मकारम्—-—वाममार्गी तन्त्राचार के पाँच मूलत्व जिनके नाम का प्रथम अक्षर ‘म’ है (मद्य, मांस, मत्स्व, मुद्रा और मैथुन)
पञ्चमहापातकम् —नपुं॰—पञ्चन्-महापातकम्—-—पाँच बड़े पाप
पञ्चमहायज्ञः —पुं॰—पञ्चन्-महायज्ञः—-—दैनिक यज्ञ जो एक ब्राह्मण के लिए अनुष्ठेय हैं
पञ्चयामः —पुं॰—पञ्चन्-यामः—-—दिन
पञ्चरत्नम् —नपुं॰—पञ्चन्-रत्नम्—-—पाँच रत्नों का संग्रह
पञ्चरात्रम् —नपुं॰—पञ्चन्-रात्रम्—-—पाँच रात्रियों का समय
पञ्चराशिकम् —नपुं॰—पञ्चन्-राशिकम्—-—गणित की एक क्रिया जिससे चार ज्ञात राशियों केद्वारा पाँचवीं राशि निकाली जाती है
पञ्चलक्षणम् —नपुं॰—पञ्चन्- लक्षणम्—-—एक पुराण
पञ्चलवणम् —नपुं॰—पञ्चन्-लवणम्—-—नमक के पाँच प्रकार
पञ्चवटी —स्त्री॰—पञ्चन्-वटी—-—अंजीर की जाति के पाँच वृक्ष
पञ्चवटी —स्त्री॰—पञ्चन्-वटी—-—दण्डकारण्य का एक भाग
पञ्चवर्षदेशीय —वि॰—पञ्चन्-वर्षदेशीय—-—लगभग पाँच वर्ष की आयु का
पञ्चवर्षीय —वि॰—पञ्चन्-वर्षीय—-—पाँच वर्ष का
पञ्चवल्कलम् —नपुं॰—पञ्चन्-वल्कलम्—-—पाँच प्रकार के वृक्षों (अर्थात् बड़, गूलर, पीपल, प्लक्ष और वेतस ) की छाल
पञ्चविंश —वि॰—पञ्चन्-विंश—-—पच्चीसवां
पञ्चविंशति —स्त्री॰—पञ्चन्-विंशति—-—पच्चीस
पञ्चविंशतिका —स्त्री॰—पञ्चन्-विंशतिका—-—पच्चीस का संग्रह
पञ्चविध —वि॰—पञ्चन्-विध—-—पाँच गुणा या पाँच प्रकार का
पञ्चशत —वि॰—पञ्चन्-शत—-—जिसका जोड़ पाँच सौ हो
पञ्चशत —वि॰—पञ्चन्-शत—-—पाँच सौ
पञ्चशतम् —नपुं॰—पञ्चन्-शतम्—-—एक सौ पाँच
पञ्चशतम् —नपुं॰—पञ्चन्-शतम्—-—पाँच सौ
पञ्चशाखः —पुं॰—पञ्चन्-शाखः—-—हाथ
पञ्चशाखः —पुं॰—पञ्चन्-शाखः—-—हाथी
पञ्चशिखः —पुं॰—पञ्चन्-शिखः—-—सिंह
पञ्चष —वि॰ ब॰ व॰—पंचन्-ष—-—पाँच छः
पञ्चषष्ट —वि॰ —पञ्चन्-षष्ट—-—पैंसठवां
पञ्चषष्टिः —स्त्री॰—पञ्चन्-षष्टिः—-—पैंसठ
पञ्चसप्तत —वि॰—पञ्चन्-सप्तत—-—पचहत्तरवां
पञ्चसूनाः —स्त्री॰—पञ्चन्-सूनाः—-—घर में रहने वाली पाँच वस्तुएं जिनके द्वारा छोटे २ जीवों को हिंसा हो जाया करती हैं
पञ्चहायन —वि॰—पञ्चन्-हायन—-—पाँच वर्ष की आयु का
पञ्चनी —स्त्री॰—-—पंचन् + ल्युट् + ङीप्—शतरंज जैसे ख़ेल की कपड़े की बनी हुई विसात
पञ्चम —वि॰—-—पंचन् + मट्—पाँचवाँ
पञ्चम —वि॰—-—पंचन् + मट्—पाँचवाँ भाग बनानेवाला
पञ्चम —वि॰—-—पंचन् + मट्—दक्ष, चतुर
पञ्चम —वि॰—-—पंचन् + मट्—सुन्दर, उज्ज्वल
पञ्चमः —पुं॰—-—पंचन् + मट्—भारतीय स्वरग्राम का पाँचवाँ (बाद के समय में सातवाँ) स्वर
पञ्चमः —पुं॰—-—पंचन् + मट्—संगीत स्वर या राग का नाम
पञ्चमम् —नपुं॰—-—पंचन् + मट्—पाँचवाँ
पञ्चमम् —नपुं॰—-—पंचन् + मट्—मैथुन, तान्त्रिकों का पाँचवाँ मकार
पञ्चमी —स्त्री॰—-—पंचन् + मट्—चान्द्रमास के पक्ष की पाँचवीं तिथि
पञ्चमी —स्त्री॰—-—पंचन् + मट्—अपादान कारक, द्रौपदी का विशेषण
पञ्चमी —स्त्री॰—-—पंचन् + मट्—शतरंज की कपड़े की बिसात
पञ्चमास्यः —पुं॰—पञ्चम-आस्यः—-—कोयल
पञ्चालाः —पुं॰—-—पंच् + कालन्—एक देश तथा उसके निवासियों का नाम
पञ्चालः —पुं॰—-—-—पंचालों का राजा
पञ्चालिका —स्त्री॰—-—पंचाय प्रपंचाय अलति-अल् + ण्वुल् + टाप्, इत्वम्—गुड़िया, पुतली
पञ्चाली —स्त्री॰—-—पंचाल + ङीष्—गुड़िया, पुतली
पञ्चाली —स्त्री॰—-—पंचाल + ङीष्—एक प्रकार का राग
पञ्चाली —स्त्री॰—-—पंचाल + ङीष्—शतरंज आदि खेल की कपड़े की बनी बिसात
पञ्चाश —वि॰—-—पंचाशत् + डट्—पचासवाँ
पञ्चाशत् —स्त्री॰—-—-—पचास
पञ्चाशतिः —स्त्री॰—-—-—पचास
पञ्चाशिका —स्त्री॰—-—पंचाश + क + टाप्, इत्वम्—पचास श्लोकों का संग्रह अर्थात् ‘चौर’ पंचाशिका
पञ्जरम् —नपुं॰—-—पंज् + अरन्—पिंजरा, चिड़ियाघर
पञ्जरम् —नपुं॰—-—पंज् + अरन्—पसलियाँ
पञ्जरम् —नपुं॰—-—पंज् + अरन्—कंकाल, ठठरी
पञ्जरः —पुं॰—-—पंज् + अरन्—पसलियाँ
पञ्जरः —पुं॰—-—पंज् + अरन्—कंकाल, ठठरी
पञ्जरः —पुं॰—-—पंज् + अरन्—शरीर
पञ्जरः —पुं॰—-—पंज् + अरन्—कलियुग
पञ्जराखेटः —पुं॰—पञ्जरम्-आखेटः—-—मछलियाँ पकड़ने का जाल या टोकरी
पञ्जरशुकः —पुं॰—पञ्जरम्-शुकः—-—पिंजरे का तोता, पिंजड़े में बंद तोता
पञ्जिः —स्त्री॰—-—पंज् + इन्—रूई का गल्हा जिससे धागा काता जाय, पूनी
पञ्जिः —स्त्री॰—-—पंज् + इन्—अभिलेख, पत्रिका, बही पंजिका
पञ्जिः —स्त्री॰—-—पंज् + इन्—तिथि-पत्र, जंत्री, पत्रा या पंचांग
पञ्जी —स्त्री॰—-—पंजि + ङीष्—रूई का गल्हा जिससे धागा काता जाय, पूनी
पञ्जी —स्त्री॰—-—पंजि + ङीष्—अभिलेख, पत्रिका, बही पंजिका
पञ्जी —स्त्री॰—-—पंजि + ङीष्—तिथि-पत्र, जंत्री, पत्रा या पंचांग
पञ्जिकारः —पुं॰—पञ्जिः-कारः—-—लेखक, लिपिकार
पञ्जिकारकः —पुं॰—पञ्जिः-कारकः—-—लेखक, लिपिकार
पट् —भ्वा॰ पर॰ <पटति>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
पट् —पुं॰—-—-—टुकड़े करना, विदीर्ण करना, फाड़ना, फाड़ कर अलग २ करना, फाड़ कर ख़ोलना, विभक्त करना
पट् —पुं॰—-—-—तोड़ना, तोड़ कर खोलना
पट् —पुं॰—-—-—छेदना, चुभोना, घुसेड़ना
पट् —पुं॰—-—-—दूर करना, हटाना
पट् —चुरा॰ उभ॰ <पाटयति>, <पाटयते>—-—-—टुकड़े करना, विदीर्ण करना, फाड़ना, फाड़ कर अलग २ करना, फाड़ कर ख़ोलना, विभक्त करना
पट् —चुरा॰ उभ॰ <पाटयति>, <पाटयते>—-—-—तोड़ना, तोड़ कर खोलना
पट् —चुरा॰ उभ॰ <पाटयति>, <पाटयते>—-—-—छेदना, चुभोना, घुसेड़ना
पट् —चुरा॰ उभ॰ <पाटयति>, <पाटयते>—-—-—दूर करना, हटाना
पट् —चुरा॰ उभ॰ <पाटयति>, <पाटयते>—-—-—तोड़ डालना
उत्पाट् —चुरा॰ उभ॰—उद्-पट्—-—फाड़ डालना, निकाल लेना
उत्पाट् —चुरा॰ उभ॰—उद्-पट्—-—जड़ से उखाड़ना, उन्मूलन करना
उत्पाट् —चुरा॰ उभ॰—उद्-पट्—-—उद्धृत करना
विपट् —चुरा॰ उभ॰—वि-पट्—-—फाड़ डालना
विपट् —चुरा॰ उभ॰—वि-पट्—-—खीचना, बाहर निकालना, उद्धृत करना
पट् —चुरा॰ उभ॰ <पटयति>, <पटयते>—-—-—गूंथना, बुनना
पट् —चुरा॰ उभ॰ <पटयति>, <पटयते>—-—-—वस्त्र पहनाना, लपेटना
पट् —चुरा॰ उभ॰ <पटयति>, <पटयते>—-—-—घेरना, घेरा बनाना
पटः —पुं॰—-—पट् वेष्टने करणे घञर्थे कः—वस्त्र, पहनावा, कपड़ा, चिथड़ा
पटः —पुं॰—-—पट् वेष्टने करणे घञर्थे कः—महीन कपड़ा
पटः —पुं॰—-—पट् वेष्टने करणे घञर्थे कः—घूंघट, परदा
पटः —पुं॰—-—पट् वेष्टने करणे घञर्थे कः—कपड़े का टुकड़ा जिस पर चित्र बनाये जायँ
पटम् —नपुं॰—-—-—वस्त्र, पहनावा, कपड़ा, चिथड़ा
पटम् —नपुं॰—-—-—महीन कपड़ा
पटम् —नपुं॰—-—-—घूंघट, परदा
पटम् —नपुं॰—-—-—कपड़े का टुकड़ा जिस पर चित्र बनाये जायँ
पटोटजम् —नपुं॰—पटः-उटजम्—-—तंबू
पटकारः —पुं॰—पटः-कारः—-—जुलाहा
पटकारः —पुं॰—पटः-कारः—-—चित्रकार
पटकुटी —स्त्री॰—पटः-कुटी—-—तंबू
पटमंडपः —पुं॰—पटः-मंडपः—-—तंबू
पटवापः —पुं॰—पटः-वापः—-—तंबू
पटवेश्मन् —नपुं॰—पटः-वेश्मन्—-—तंबू
पटवासः —पुं॰—पटः-वासः—-—तंबू
पटवासः —पुं॰—पटः-वासः—-—पेट्टीकोट
पटवासः —पुं॰—पटः-वासः—-—सुगंधित चूर्ण
पटवासकः —पुं॰—पटः-वासकः—-—सुगंधित चूर्ण
पटकः —पुं॰—-—पट + कै + क—शिविर, पड़ाव
पटकः —पुं॰—-—पट + कै + क—रूई का कपड़ा
पटच्चरः —पुं॰—-—पटत् इति अव्यक्तशब्द चरति-पटत् + चर् + अच्—चोर
पटच्चरम् —नपुं॰—-—-—चिथड़ा, फटे पुराना कपड़ा
पटत्कः —पुं॰—-—पटत् + कै + क—चोर
पटपटा —अव्य॰—-—-—अनुकरण मूलक ध्वनि
पटलम् —नपुं॰—-—पट् + कलच्—छत, छप्पर
पटलम् —नपुं॰—-—पट् + कलच्—ढकना, आवरण, अवगुण्ठन, लेपन
पटलम् —नपुं॰—-—पट् + कलच्—आँखों का जाला
पटलम् —नपुं॰—-—पट् + कलच्—देर, समुच्चय, राशि, परिमाण
पटलम् —नपुं॰—-—पट् + कलच्—टोकरी
पटलम् —नपुं॰—-—पट् + कलच्—अनुचरवर्ग, नौकर चाकर
पटलः —पुं॰—-—पट् + कलच्—वृक्ष
पटलः —पुं॰—-—पट् + कलच्—डंठलः
पटली —स्त्री॰—-—पट् + कलच्+ङीप्—वृक्ष
पटली —स्त्री॰—-—पट् + कलच्+ङीप्—डंठलः
पटलः —पुं॰—-—पट् + कलच्—पुस्तक का अध्याय
पटलम् —नपुं॰—-—पट् + कलच्—पुस्तक का अध्याय
पटलप्रातः —पुं॰—पटलम्-प्रातः—-—छत का किनारा
पटहः —पुं॰—-—पटेन हन्यते- पट + हन् + ड—धौंसा, नगाड़ा, ढोल, तबला
पटहः —पुं॰—-—पटेन हन्यते- पट + हन् + ड—आरम्भ, उपक्रम
पटहः —पुं॰—-—पटेन हन्यते- पट + हन् + ड—घायल करना, मारना
पटहघोषकः —पुं॰—पटहः-घोषकः—-—ढिंढोरची (जो ढोल पीटता जाता है और घोषणा करता जाता है) डोंडी पीटने वाला
पटहभ्रमणम् —नपुं॰—पटहः-भ्रमणम्—-—लोगों को एकत्र करने के लिए ढोल पीटते हुए इधर उधर घूमना
पटालुका —स्त्री॰—-—पट + अल् + उक + टाप्—जोक
पटिः —स्त्री॰—-—पट् + इन्—रंगशाला का पर्दा
पटिः —स्त्री॰—-—पट् + इन्—कपड़ा
पटिः —स्त्री॰—-—पट् + इन्—मोटा कपड़ा, कैनवस
पटिः —स्त्री॰—-—पट् + इन्—कनात
पटी —स्त्री॰—-—पटि + ङीष्—रंगशाला का पर्दा
पटी —स्त्री॰—-—पटि + ङीष्—कपड़ा
पटी —स्त्री॰—-—पटि + ङीष्—मोटा कपड़ा, कैनवस
पटी —स्त्री॰—-—पटि + ङीष्—कनात
पटीक्षेपः —पुं॰—पटी-क्षेपः—-—(रंगशाला) के पर्दे को एक ओर गिराना, यह एक प्रकार का रंगमंच का निर्देशन है जो किसी पात्र के शीघ्रता पूर्वक रंगमंच पर आने को प्रकट करता
पटिमन् —पुं॰—-—पटु + इमनिच्—दक्षता, चतुराई
पटिमन् —पुं॰—-—पटु + इमनिच्—निपुणता
पटिमन् —पुं॰—-—पटु + इमनिच्—तीक्ष्णता
पटिमन् —पुं॰—-—पटु + इमनिच्—नैपुण्य
पटिमन् —पुं॰—-—पटु + इमनिच्—प्रचंडता, तीव्रता आदि
पटीरः —पुं॰—-—पट् + ईरन्—खेलने की गेंद, चंदन की लकड़ी
पटीरः —पुं॰—-—पट् + ईरन्—कामदेव
पटीरम् —नपुं॰—-—पट् + ईरन्—कत्था
पटीरम् —नपुं॰—-—पट् + ईरन्—चलनी
पटीरम् —नपुं॰—-—पट् + ईरन्—पेट
पटीरम् —नपुं॰—-—पट् + ईरन्—खेत
पटीरम् —नपुं॰—-—पट् + ईरन्—बादल
पटीरम् —नपुं॰—-—पट् + ईरन्—ऊँचाई
पटीरजन्मन् —पुं॰—पटीरः-जन्मन्—-—चन्दन का पेड़
पटु —वि॰—-—पट् + णिच् + उ, पटादेशः—चतुर, कुशल, दक्ष
पटु —वि॰—-—पट् + णिच् + उ, पटादेशः—तीक्ष्ण, तीखा, चरपरा
पटु —वि॰—-—पट् + णिच् + उ, पटादेशः—प्रखर, काइयाँ
पटु —वि॰—-—पट् + णिच् + उ, पटादेशः—प्रचंड, मजबूत, तीव्र, गहन
पटु —वि॰—-—पट् + णिच् + उ, पटादेशः—कर्कश, सुश्राव्य, तेजध्वनियुक्त
पटु —वि॰—-—पट् + णिच् + उ, पटादेशः—प्रवण, स्वस्थ
पटु —वि॰—-—पट् + णिच् + उ, पटादेशः—कठोर, क्रूर, पाषाणहृदय
पटु —वि॰—-—पट् + णिच् + उ, पटादेशः—मक्कार, धूर्त, चालाक, शठ
पटु —वि॰—-—पट् + णिच् + उ, पटादेशः—नीरोग, स्वस्थ
पटु —वि॰—-—पट् + णिच् + उ, पटादेशः—सक्रिय, व्यस्त
पटु —वि॰—-—पट् + णिच् + उ, पटादेशः—वाक्पटु, वाग्मी
पटु —वि॰—-—पट् + णिच् + उ, पटादेशः—खिला हुआ, फुलाया हुआ
पटुः —पुं॰—-—पट् + णिच् + उ, पटादेशः—कुकुरमुत्ता, साँप की छतरी
पटु —नपुं॰—-—पट् + णिच् + उ, पटादेशः—कुकुरमुत्ता, साँप की छतरी
पटु —नपुं॰—-—पट् + णिच् + उ, पटादेशः—नमक
पटुकल्प —वि॰—पटु-कल्प—-—खासा चतुर, तीक्ष्णबुद्धि
पटुदेशीय —वि॰—पटु-देशीय—-—खासा चतुर, तीक्ष्णबुद्धि
पटोलः —पुं॰—-—पट् + ओलच्—परमल, ककड़ी की जाति का
पटोलम् —नपुं॰—-—पट् + ओलच्—एक प्रकार का कपड़ा
पटोलकः —पुं॰—-—पटोल + कै + क—शुक्ति, घोंघा
पट्टः —पुं॰—-—पट् + क्त—शिला, तख़्ती (लिखने के लिए) पट्टिका
पट्टः —पुं॰—-—पट् + क्त—राज़कीय अनुदान, राजाज्ञा
पट्टः —पुं॰—-—पट् + क्त—किरीट, मुकुट
पट्टः —पुं॰—-—पट् + क्त—धज्जी
पट्टः —पुं॰—-—पट् + क्त—रेशम
पट्टः —पुं॰—-—पट् + क्त—महीन या रंगीन कपड़ा, वस्त्र
पट्टः —पुं॰—-—पट् + क्त—ओढ़ने का वस्त्र
पट्टः —पुं॰—-—पट् + क्त—शिरोवेष्टन, पगड़ी, रंगीन रेशमी साफा
पट्टः —पुं॰—-—पट् + क्त—सिंहासन
पट्टः —पुं॰—-—पट् + क्त—कुर्सी, तिपाई
पट्टः —पुं॰—-—पट् + क्त—ढाल
पट्टः —पुं॰—-—पट् + क्त—चक्की का पाट
पट्टः —पुं॰—-—पट् + क्त—चौराहा
पट्टः —पुं॰—-—पट् + क्त—नगर, कस्बा
पट्टः —पुं॰—-—पट् + क्त—पट्टी, तनी या बंधनी
पट्टार्हा —स्त्री॰—पट्टः-अर्हा—-—पटरानी
पट्टोपाध्यायः —पुं॰—पट्टः-उपाध्यायः—-—राजाज्ञा तथा अन्य प्रलेखों या दस्तवेजों के लिखने वाला
पट्टजम् —नपुं॰—पट्टः-जम्—-—एक प्रकार का कपड़ा
पट्टदेवी —स्त्री॰—पट्टः-देवी—-—पटरानी
पट्टमहिषी —स्त्री॰—पट्टः-महिषी—-—पटरानी
पट्टवस्त्र —वि॰—पट्टः-वस्त्र—-—रेशमी या रंगीन वस्त्रों से सुसज्जित
पट्टवासस् —वि॰—पट्टः-वासस्—-—रेशमी या रंगीन वस्त्रों से सुसज्जित
पट्टनम् —नपुं॰—-—पट् + तनप्—नगर
पट्टनी —स्त्री॰—-—पट्टन + ङीप्—नगर
पट्टिका —स्त्री॰—-—पट्टी + कन् + टाप्, ह्रस्वः—तख़्ती, फलक
पट्टिका —स्त्री॰—-—पट्टी + कन् + टाप्, ह्रस्वः—प्रलेख या दस्तावेज
पट्टिका —स्त्री॰—-—पट्टी + कन् + टाप्, ह्रस्वः—धज्जी कपड़े का टुकड़ा
पट्टिका —स्त्री॰—-—पट्टी + कन् + टाप्, ह्रस्वः—रेशमी कपड़े का टुकड़ा
पट्टिका —स्त्री॰—-—पट्टी + कन् + टाप्, ह्रस्वः—बन्धनी या तनी,पट्टी
पट्टिकावायकः —पुं॰—पट्टिका-वायकः—-—रेशम की बुनावट
पट्टिशः —पुं॰—-—पट्ट + टिश च्—एक तेज़ धार की बर्छी
पट्टिसः —पुं॰—-—पट्ट + टिस च्—एक तेज़ धार की बर्छी
पट्टीशः —पुं॰—-—पट्ट + टिश च्, पक्षे पट्टी + शो + क—एक तेज़ धार की बर्छी
पट्टीसः —पुं॰—-—पट्ट + टिस च्, पक्षे पट्टी + सो + क—एक तेज़ धार की बर्छी
पट्टोलिका —स्त्री॰—-—पट्ट + उल् + ण्वुल् + टाप्, इत्वम्—एक प्रकार का बंध या पट्टा
पठ् —भ्वा॰ पर॰ <पठति>, <पठित>—-—-—जोर से पढ़ना या दोहराना, सस्वर पाठ करना, पूर्वाभ्यास करना
पठ् —भ्वा॰ पर॰ <पठति>, <पठित>—-—-—पाठ करना, अध्ययन करना, अनुशीलन करना
पठ् —भ्वा॰ पर॰ <पठति>, <पठित>—-—-—(देवता का) आवाहन करना
पठ् —भ्वा॰ पर॰ <पठति>, <पठित>—-—-—हवाला देना, उद्धृत करना, (किसी पुस्तक का) उल्लेख करना
पठ् —भ्वा॰ पर॰ <पठति>, <पठित>—-—-—घोषणा करना, अभिव्यक्त करना
पठ् —भ्वा॰ पर॰ <पठति>, <पठित>—-—-—...... से पढ़ना
पठ् —पुं॰—-—-—जोर से पढ़वाना
पठ् —पुं॰—-—-—अध्यापन करना, शिक्षा देना
परिपठ् —भ्वा॰ पर॰—परि-पठ्—-—उल्लेख करना, घोषणा करना
परिपठ् —पुं॰—परि-पठ्—-—शिक्षा देना
संपठ् —भ्वा॰ पर॰—सम्-पठ्—-—पढ़ना, सीखना
पठकः —पुं॰—-—पठ् + ण्वुल्—पढ़ने वाला
पठनम् —नपुं॰—-—पठ् + ल्युट्—पढ़ना, पाठ करना
पठनम् —नपुं॰—-—पठ् + ल्युट्—उल्लेख करना
पठनम् —नपुं॰—-—पठ् + ल्युट्—अध्ययन करना, अनुशीलन करना
पठिः —स्त्री॰—-—पठ् + इन्—पढ़ना, अध्ययन करना, अनुशीलन करना
पण् —भ्वा॰ आ॰ <पणते>, <पणित>—-—-—व्यापार करना, लेन-देन करना, खरीदना, मोल लेना
पण् —भ्वा॰ आ॰ <पणते>, <पणित>—-—-—सौदा करना, वाणिज्य करना
पण् —भ्वा॰ आ॰ <पणते>, <पणित>—-—-—शर्त लगाना या दाँव पर लगाना
पण् —भ्वा॰ आ॰ <पणते>, <पणित>—-—-—जोखिम उठाना
पण् —भ्वा॰ आ॰ <पणते>, चुरा॰ उभ॰ <पणायति>, <पणायते>—-—-—प्रशंसा करना
पण् —भ्वा॰ आ॰ <पणते>, चुरा॰ उभ॰ <पणायति>, <पणायते>—-—-—सम्मान करना
विपण् —भ्वा॰ आ॰—वि-पण्—-—बेचना, अदल-बदल करना
पणः —पुं॰—-—पण् + अप्—पासों से या दाँव लगार कर खेलना
पणः —पुं॰—-—पण् + अप्—जूआ, जो दाँव या शर्त लगा कर खेला जाय
पणः —पुं॰—-—पण् + अप्—दाँव पर लगाई हुई वस्तु
पणः —पुं॰—-—पण् + अप्—शर्त, संविदा, समझौता
पणः —पुं॰—-—पण् + अप्—मजदूरी, भाड़ा
पणः —पुं॰—-—पण् + अप्—पारितोषिक
पणः —पुं॰—-—पण् + अप्—रकम जो या तो शिक्कों में हो या कौड़ियों में
पणः —पुं॰—-—पण् + अप्—८० कौड़ी के मूल्य का सिक्का
पणः —पुं॰—-—पण् + अप्—मूल्य
पणः —पुं॰—-—पण् + अप्—धन दौलत, संपत्ति
पणः —पुं॰—-—पण् + अप्—विक्रयवस्तु
पणः —पुं॰—-—पण् + अप्—व्यापार, लेनदेन
पणः —पुं॰—-—पण् + अप्—दुकान
पणः —पुं॰—-—पण् + अप्—विक्रेता, बेचने वाला
पणः —पुं॰—-—पण् + अप्—शराब खींचने वाला
पणः —पुं॰—-—पण् + अप्—मकान
पणाङ्गना —स्त्री॰—पणः-अङ्गना—-—वेश्या, रंडी
पणस्त्री —स्त्री॰—पणः-स्त्री—-—वेश्या, रंडी
पणग्रन्थिः —स्त्री॰—पणः-ग्रन्थिः—-—मंडी, मेला या पेंठ
पणबन्धः —पुं॰—पणः-बन्धः—-—संधि या सुलह करना
पणबन्धः —पुं॰—पणः-बन्धः—-—समझौता, ठहराव
पणनम् —नपुं॰—-—पण् + ल्युट्—अदल-बदल करना, खरीदना
पणनम् —नपुं॰—-—पण् + ल्युट्—शर्त लगाना
पणनम् —नपुं॰—-—पण् + ल्युट्—बिक्री
पणवः —पुं॰—-—पणं स्तुति वाति-पण + वा + क—एक प्रकार का वाद्ययंत्र
पणाया —स्त्री॰—-—पण् + आय + अप् + टाप्—लेनदेन, व्यवसाय, व्यापार
पणाया —स्त्री॰—-—पण् + आय + अप् + टाप्—मंडी
पणाया —स्त्री॰—-—पण् + आय + अप् + टाप्—वाणिज्य से प्राप्त होने वाला लाभ
पणाया —स्त्री॰—-—पण् + आय + अप् + टाप्—जूआ खेलना
पणाया —स्त्री॰—-—पण् + आय + अप् + टाप्—प्रशंसा
पणिः —स्त्री॰—-—पण् + इन्—बाजार
पणिः —पुं॰—-—पण् + इन्—कंजूस, लोभी
पणिः —पुं॰—-—पण् + इन्—अपावन मनुष्य या पापी
पणित —भू॰ क॰ कृ॰—-—पण् + क्त—(व्यापार में) किया गया लेन-देन
पणित —भू॰ क॰ कृ॰—-—पण् + क्त—शर्त पर रक्खा हुआ
पण्ड् —भ्वा॰ आ॰ <पण्डते>, <पण्डित>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
पण्ड् —चुरा॰ उभ॰ <पण्डयति>, <पण्डयते>—-—-—संग्रह करना, चट्टा लगाना, ढेर लगाना
पण्डः —पुं॰—-—पण्ड् + अच्, ड वा—हिजड़ा, नपुंसक
पण्डा —स्त्री॰—-—पण्ड + टाप्—बुद्धिमत्ता, समझ
पण्डा —स्त्री॰—-—पण्ड + टाप्—ज्ञान, विज्ञान
पण्डावत् —पुं॰—-—पण्डा + मतुप्—बुद्धिमान्, विद्वान्
पण्डित —वि॰—-—पण्डा + मतुप्—विद्वान्, बुद्धिमान्
पण्डित —वि॰—-—पण्डा + मतुप्—सूक्ष्मबुद्धि, चतुर
पण्डित —वि॰—-—पण्डा + मतुप्—दक्ष, प्रवीण, कुशल
पण्डितः —पुं॰—-—पण्डा + मतुप्—शास्त्रज्ञ, विद्वान्
पण्डितः —पुं॰—-—पण्डा + मतुप्—गंधद्रव्य
पण्डितजातीय —वि॰—पण्डित-जातीय—-—कुछ चतुर
पण्डितमानिक —वि॰—पण्डित-मानिक—-—अपने आप को विद्वान समझने वाला, घमंडी आदमी, अपने आपको शास्त्रज्ञ या पंडित मानने वाला
पण्डितमानिन् —वि॰—पण्डित-मानिन्—-—अपने आप को विद्वान समझने वाला, घमंडी आदमी, अपने आपको शास्त्रज्ञ या पंडित मानने वाला
पण्डितमन्य —वि॰—पण्डित-मन्य—-—अपने आप को विद्वान समझने वाला, घमंडी आदमी, अपने आपको शास्त्रज्ञ या पंडित मानने वाला
पण्डितिमन् —पुं॰—-—पंडित + इमनिच्—ज्ञान, विद्वत्ता, बुद्धिमत्ता
पण्य —वि॰—-—पण् + यत्—बिकाऊ, विक्रयार्थ
पण्य —वि॰—-—पण् + यत्—लेन-देन के योग्य
पण्यः —पुं॰—-—पण् + यत्—वर्तन, वस्तु, विक्रेयवस्तु
पण्यः —पुं॰—-—पण् + यत्—वाणिज्य, व्यवसाय
पण्यः —पुं॰—-—पण् + यत्—मूल्य
पण्यागङ्ना —स्त्री॰—पण्य-अगङ्ना—-—वेश्या, रंडी
पण्यौषित् —स्त्री॰—पण्य-योषित्—-—वेश्या, रंडी
पण्यविलासिनी —स्त्री॰—पण्य-विलासिनी—-—वेश्या, रंडी
पण्यस्त्री —स्त्री॰—पण्य-स्त्री—-—वेश्या, रंडी
पण्याजिरम् —नपुं॰—पण्य-अजिरम्—-—मंडी
पण्याजीवः —पुं॰—पण्य-आजीवः—-—व्यापारी
पण्याजीवकम् —नपुं॰—पण्य-आजीवकम्—-—मंडी, पेंठ या मेला
पण्यपतिः —पुं॰—पण्य-पतिः—-—बड़ा व्यापारी
पण्यभूमिः —स्त्री॰—पण्य-भूमिः—-—मालगोदाम
पण्यवीथिका —स्त्री॰—पण्य-वीथिका—-—मंडी
पण्यवीथिका —स्त्री॰—पण्य-वीथिका—-—विक्रयणी, दुकान
पण्यवीथी —स्त्री॰—पण्य-वीथी—-—मंडी
पण्यवीथी —स्त्री॰—पण्य-वीथी—-—विक्रयणी, दुकान
पण्यशाला —स्त्री॰—पण्य-शाला—-—मंडी
पण्यशाला —स्त्री॰—पण्य-शाला—-—विक्रयणी, दुकान