विक्षनरी : संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश/ध-ना
मूलशब्द—व्याकरण—संधिरहित मूलशब्द—व्युत्पत्ति—हिन्दी अर्थ
ध —वि॰—-—धा + ड—रखने वाला, संभालने वाला
धः —पुं॰—-—-—ब्रह्मा का विशेषण
धः —पुं॰—-—-—भलाई, नेकी, आचार, गुण
धम् —नपुं॰—-—-—धन दौलत, संपत्ति
धक् —नपुं॰—-—-—क्रोधोद्गार
धक्क् —चुरा॰ उभ॰- < धक्कयति>, < धक्कयते>—-—-—ध्वस्त करना, नष्ट करना
धटः —पुं॰—-—ध+ अट् + अच्, शक॰ पररुपम्—तराजू, तराजू के पलड़े
धटः —पुं॰—-—ध + अट् + अच्, शक॰ पररुपम्—तराजू द्वारा कठोर परीक्षा
धटः —पुं॰—-—ध + अट् + अच्, शक॰ पररुपम्—तुला राशि
धटकः —पुं॰—-—धट + कै + क—४२ गुंजा या रत्तियों के समान एक प्रकार का तोल विशेष
धटिका —स्त्री॰—-—धटी + कन् + टाप्, ह्रस्वः—पुराना कपड़ा या चिथड़ा
धटिका —स्त्री॰—-—धटी + कन् + टाप्, ह्रस्वः—लंगोटी
धटी —स्त्री॰—-—धन् + अच् + ङीष्, नि॰ नस्य टः—पुराना कपड़ा या चिथड़ा
धटी —स्त्री॰—-—धन् + अच् + ङीष्, नि॰ नस्य टः—लंगोटी
धटिन् —पुं॰—-—धट + इनि—शिव का विशेषण
धटिन् —पुं॰—-—धट + इनि—तुला राशि
धण् —भ्वा॰ पर॰- < धणति>—-—-—शब्द करना
धत्तूरः —पुं॰—-—धयति धातून् धे + उरच् पृषो॰—धतूरे का पौधा
धत्तूरकः —पुं॰—-—धत्तूर + कन्—धतूरे का पौधा
धत्तूरका —स्त्री॰—-—धत्तूर + कन्, स्त्रियां टाप् च—धतूरे का पौधा
धन् —भ्वा॰ पर॰- < धनति>—-—-—शब्द करना
धनम् —नपुं॰—-—धन् + अच्—संपत्ति, दौलत, धन, निधि, रुपया
धनम् —नपुं॰—-—धन् + अच्—मूल्यवान् संपत्ति, कोई प्रियतम या स्निग्धतम पदार्थ, प्रियतम निधि
धनम् —नपुं॰—-—धन् + अच्—मूल्यवान् वस्तु
धनम् —नपुं॰—-—धन् + अच्—पूँजी
धनम् —नपुं॰—-—धन् + अच्—लूट का माल, अपहृत वस्तु, ऊपरी आय
धनम् —नपुं॰—-—धन् + अच्—मल्लयुद्ध में विजेता को प्राप्त होने वाला पुरस्कार, खेल में जीता हुआ पारितोषिक
धनम् —नपुं॰—-—धन् + अच्—पुरस्कार प्राप्त करने के लिए प्रतियोगिता, प्रतिद्वन्द्विता
धनम् —नपुं॰—-—धन् + अच्—घनिष्ठा नक्षत्र
धनम् —नपुं॰—-—धन् + अच्—फालतू अवशिष्ट
धनम् —नपुं॰—-—धन् + अच्—जोड़ की राशि
धनाधिकारः —पुं॰—धनम्- अधिकारः—-—संपत्ति में अधिकार, उत्तराधिकार में संपत्ति पाने का हक़
धनाधिकारिन् —पुं॰—धनम्- अधिकारिन्—-—कोषाध्यक्ष
धनाधिकारिन् —पुं॰—धनम्- अधिकारिन्—-—उत्तराधिकारी
धनाधिकृतः —पुं॰—धनम्- अधिकृतः—-—कोषाध्यक्ष
धनाधिकृतः —पुं॰—धनम्- अधिकृतः—-—उत्तराधिकारी
धनाधिगोप्तृ —पुं॰—धनम्- अधिगोप्तृ—-—कुबेर का विशेषण
धनाधिगोप्तृ —पुं॰—धनम्-अधिगोप्तृ—-—कोषाध्यक्ष
धनाधिपः —पुं॰—धनम्- अधिपः—-—कुबेर का विशेषण
धनाधिपः —पुं॰—धनम्- अधिपः—-—कोषाध्यक्ष
धनाधिपतिः —पुं॰—धनम्- अधिपतिः—-—कुबेर का विशेषण
धनाधिपतिः —पुं॰—धनम्- अधिपतिः—-—कोषाध्यक्ष
धनाध्यक्षः —पुं॰—धनम्-अध्यक्षः—-—कुबेर का विशेषण
धनाध्यक्षः —पुं॰—धनम्-अध्यक्षः—-—कोषाध्यक्ष
धनापहारः —पुं॰—धनम्- अपहारः—-—अर्थदंड
धनापहारः —पुं॰—धनम्- अपहारः—-—लूट खसोट का माल
धनार्चित —वि॰—धनम्- अर्चित—-—धन के उपहारों से सम्मानित, मूल्यवान् उपहारों से संतुष्ट किया गया
धनार्चित —वि॰—धनम्- अर्चित—-—मालदार, धनाढ्य
धनार्थिन् —वि॰—धनम्-अर्थिन्—-—धनेच्छुक, लालची, कंजूस
धनाढ्य —वि॰—धनम्- आढ्य—-—मालदार, धनी, दौलतमंद
धनाधारः —पुं॰—धनम्- आधारः—-—खजाना
धनेशः —पुं॰—धनम्-ईशः—-—कोषाध्यक्ष
धनेशः —पुं॰—धनम्-ईशः—-—कुबेर का विशेषण
धनेश्वरः —पुं॰—धनम्- ईश्वरः—-—कोषाध्यक्ष
धनेश्वरः —पुं॰—धनम्- ईश्वरः—-—कुबेर का विशेषण
धनोष्मन् —पुं॰—धनम्- उष्मन्—-—धन की गर्मी
धनैषिन् —पुं॰—धनम्- एषिन्—-—साहूकार जो अपना रुपया माँगे
धनकेलिः —पुं॰—धनम्- केलिः—-—कुबेर का विशेषण
धनक्षयः —पुं॰—धनम्-क्षयः—-—धन की हानि
धनगर्व —वि॰—धनम्- गर्व—-—रुपये का घमंडी
धनगर्वित —वि॰—धनम्- गर्वित—-—रुपये का घमंडी
धनजातम् —नपुं॰—धनम्- जातम्—-—सब प्रकार की मूल्यवान् संपत्ति, समस्त द्रव्य
धनदः —पुं॰—धनम्- दः—-—उदार या दानशील व्यक्ति
धनदः —पुं॰—धनम्- दः—-—कुबेर का विशेषण
धनदः —पुं॰—धनम्- दः—-—अग्नि का नाम
॰धनानुजः —पुं॰—॰धनम्- अनुजः—-—रावण का विशेषण
धनदण्डः —पुं॰—धनम्- दण्डः—-—अर्थदंड, जुर्माना
धनदायिन् —पुं॰—धनम्-दायिन्—-—आग
धनपतिः —पुं॰—धनम्-पतिः—-—कुबेर का विशेषण
धनपालः —पुं॰—धनम्- पालः—-—कोषाध्यक्ष
धनपालः —पुं॰—धनम्- पालः—-—कुबेर का विशेषण
धनपिशाचिका —स्त्री॰—धनम्-पिशाचिका—-—धन का राक्षस, धन की तृष्णा, लालच, लोलुपता
धनपिशाची —स्त्री॰—धनम्- पिशाची—-—धन का राक्षस, धन की तृष्णा, लालच, लोलुपता
धनप्रयोगः —पुं॰—धनम्-प्रयोगः—-—सूदखोरी
धनमद —वि॰—धनम्-मद—-—धन का घमंडी
धनमूलम् —नपुं॰—धनम्- मूलम्—-—मूलधन, पूँजी
धनलोभः —पुं॰—धनम्- लोभः—-—तृष्णा, लिप्सा
धनव्ययः —पुं॰—धनम्- व्ययः—-—खर्च
धनव्ययः —पुं॰—धनम्- व्ययः—-—अपव्यय
धनस्थानम् —नपुं॰—धनम्- स्थानम्—-—खजाना
धनहरः —पुं॰—धनम्-हरः—-—उत्तराधिकारी
धनहरः —पुं॰—धनम्-हरः—-—चोर
धनहरः —पुं॰—धनम्-हरः—-—एक प्रकार का सुगंधद्रव्य
धनकः —पुं॰—-—धनस्य कामः- धन + कन्—तृष्णा, लालच, लालसा
धनाया —स्त्री॰—-—-—तृष्णा, लालच, लालसा
धनञ्जयः —पुं॰—-—धन + जि + खच्, मुम्—अर्जुन का नाम
धनञ्जयः —पुं॰—-—धन + जि + खच्, मुम्—अग्नि का विशेषण
धनवत् —वि॰—-—धन + मतुप्—धनी, दौलतमंद
धनिकः —पुं॰—-—धनमादेयत्वेनास्ति अस्य- ठन्—धनवान् या दौलतमंद पुरुष
धनिकः —पुं॰—-—धनमादेयत्वेनास्ति अस्य- ठन्—महाजन, साहूकार
धनिकः —पुं॰—-—धनमादेयत्वेनास्ति अस्य- ठन्—पति
धनिकः —पुं॰—-—धनमादेयत्वेनास्ति अस्य- ठन्—ईमानदार व्यापारी
धनिकः —पुं॰—-—धनमादेयत्वेनास्ति अस्य- ठन्—’प्रियंगु’ वृक्ष
धनिन् —वि॰—-—धन + इनि—धनी, मालदार, दौलतमंद
धनिष्ठ —वि॰—-—धन + इष्ठन्, धनिन् की उ॰ अ॰—अत्यंत धनी
धनिष्ठा —स्त्री॰—-—-—तेइसवाँ नक्षत्र
धनी —स्त्री॰—-—धनमस्ति अस्याः- धन् + अच् + ङीष्—तरुणी, जवान स्त्री
धनीका —स्त्री॰—-—धनमस्ति अस्याः- धन् + अच् + ङीष्—तरुणी, जवान स्त्री
धनुस् —वि॰—-—धन् + उसि—धनुष से सुसज्जित, धनुष
धनुस् —वि॰—-—धन् + उसि—चार हाथ के बराबर लंबाई की माप
धनुस् —वि॰—-—धन् + उसि—वृत्त की चाप
धनुस् —वि॰—-—धन् + उसि—धन राशि
धनुस् —वि॰—-—धन् + उसि—मरुस्थल
धनुष्कर —वि॰ < घनुष्कर>—धनुस्- कर—-—धनुष से सुसज्जित
धनुष्करः —पुं॰—धनुस्-करः—-—धनुष बनाने वाला
धनुष्काण्डम् —नपुं॰—धनुस्-काण्डम्—-—धनुष और बाण
धनुःखण्डम् —नपुं॰—धनुस्- खण्डम्—-—धनुष का भाग
धनुर्गुणः —पुं॰—धनुस्-गुणः—-—धनुष की डोरी
धनुर्ग्रहः —पुं॰—धनुस्-ग्रहः—-—धनुर्धारी
धनुःज्या —स्त्री॰—धनुस्- ज्या—-—धनुष की डोरी
धनुर्द्रुमः —पुं॰—धनुस्- द्रुमः—-—बाँस
धनुर्धरः —पुं॰—धनुस्- धरः—-—धनुर्धारी
धनुर्भृत् —पुं॰—धनुस्-भृत्—-—धनुर्धारी
धनुष्पाणि —वि॰—धनुस्- पाणि—-—धनुष से सुसज्जित, हाथ में धनुष लिये हुए
धनुर्मार्गः —पुं॰—धनुस्-मार्गः—-—धनुष की भांति टेढ़ी रेखा, वक्र
धनुर्विद्या —स्त्री॰—धनुस्- विद्या—-—धनुर्विज्ञान
धनुर्वृक्षः —पुं॰—धनुस्- वृक्षः—-—बाँस
धनुर्वृक्षः —पुं॰—धनुस्- वृक्षः—-—अश्वत्थ का वृक्ष
धनुर्वेदः —पुं॰—धनुस्-वेदः—-—चार उपवेदों में से एक- धनुर्वेद, धनुर्विज्ञान
धनू —स्त्री॰—-—धन् + ऊ—धनुष, कमान
धन्य —वि॰—-—धन् + यत्—धन प्रदान करने वाला
धन्य —वि॰—-—धन् + यत्—दौलतमंद, धनी, मालदार
धन्य —वि॰—-—धन् + यत्—सौभाग्यशाली, भाग्यवान्, महाभाग, ऐश्वर्यशाली
धन्य —वि॰—-—धन् + यत्—श्रेष्ठ, उत्तम, गुणवान्
धन्यः —पुं॰—-—-—भाग्यवान् या सौभाग्यशाली, किस्मत वाला व्यक्ति
धन्यः —पुं॰—-—-—काफिर, नास्तिक
धन्यम् —नपुं॰—-—-—दौलत, कोष
धन्यवादः —पुं॰—धन्य-वादः—-—साधुवाद देने के लिए बोला जाने वाला शब्द, साधुवाद
धन्यवादः —पुं॰—धन्य-वादः—-—प्रशंसा, स्तुति, वाहवाह
धन्यंमन्य —वि॰—-—धन्य + मन् + खश्, मुम्—अपने आपको भाग्यशाली मानने वाला
धन्याकम् —नपुं॰—-—धन्य + आकन्, नि॰—धनिये का पौधा
धन्याकम् —नपुं॰—-—धन्य + आकन्, नि॰—धनिया
धन्वम् —नपुं॰—-—धन् + वन्—धनुष
धन्वधिः —स्त्री॰—धन्वम्- धिः—-—धनुष रखने की पेटी
धन्वन् —पुं॰—-—धन्व् + कनिन्—सूखी जमीन, मरुभूमि, परत की भूमि
धन्वन् —पुं॰—-—धन्व् + कनिन्—समुद्रतट, कड़ी भूमि
धन्वदुर्गम् —नपुं॰—धन्वन्- दुर्गम्—-—गढ़
धन्वन्तरम् —नपुं॰—-—-—चार हाथ के बराबर दूरी की मप
धन्वन्तरि —पुं॰—-—धनुः चिकित्साशास्त्रं तस्यान्तमृच्छति- धनु + अन्त + ऋ + इ—देवताओं के वैद्य का नाम
धन्विन् —वि॰—-—धन्वं चापोऽस्त्यस्य इनि—धनुष से सुसज्जित
धन्विन् —पुं॰—-—-—धनुर्धारी
धन्विन् —पुं॰—-—-—विष्णु का विशेषण
धन्विन् —पुं॰—-—-—धनु राशि
धन्विनः —पुं॰—-—धन्व् + इनन्—सूअर
धम —वि॰—-—धम् + अच्—धौंकने वाला
धम —वि॰—-—धम् + अच्—पिघलाने वाला, गलाने वाला
धमः —पुं॰—-—-—कृष्ण की उपाधि
धमः —पुं॰—-—-—मृत्यु के देवता यम, और
धमः —पुं॰—-—-—ब्रह्मा का विशेषण
धमकः —पुं॰—-—धम् + ण्वुल्—लुहार
धयधमा —स्त्री॰—-—-—अनुकरणमूलक शब्द जो धौंकनी या बिगुल की ध्वनि को व्यक्त करता है।
धमन —वि॰—-—धम् + ल्युट्—धौंकने वाला
धमन —वि॰—-—धम् + ल्युट्—क्रूर
धमनः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का नरकुल
धमनिः —पुं॰—-—धम् + अनि—नरकुल, नै
धमनिः —पुं॰—-—धम् + अनि—शरीर की नाड़ी, शिरा
धमनिः —पुं॰—-—धम् + अनि—गला, गर्दन
धमनी —स्त्री॰—-—धमनि + ङीष्—नरकुल, नै
धमनी —स्त्री॰—-—धमनि + ङीष्—शरीर की नाड़ी, शिरा
धमनी —स्त्री॰—-—धमनि + ङीष्—गला, गर्दन
धमिः —पुं॰—-—धम् + इ—फूंक मारना
धम्मलः —पुं॰—-—धम् + विच्, मिल् + क्, पृ॰—स्त्री के सिर का मींढीदार अलंकृत जूड़ा जिसमें मोती और फूल लगे हों।
धम्मिलः —पुं॰—-—धम् + विच्, मिल् + क्, पृ॰—स्त्री के सिर का मींढीदार अलंकृत जूड़ा जिसमें मोती और फूल लगे हों।
धम्मिल्लः —पुं॰—-—धम् + विच्, मिल् + क्, पृ॰—स्त्री के सिर का मींढीदार अलंकृत जूड़ा जिसमें मोती और फूल लगे हों।
धय —वि॰—-—धे + श—पीने वाला चूसने वाला जैसा कि ’स्तनंधय’ में।
धर —वि॰—-—धृ + अच्—पकड़ने वाला, ले जाने वाला, संभालने वाला, पहनने वाला, रखने वाला, कब्जे में करने वाला, संपन्न, प्ररक्षा करने वाला, निरीक्षण करने वाला
धरः —पुं॰—-—-—कच्छपराज अर्थात् कूर्मावतार भगवान् विष्णु
धरः —पुं॰—-—-—एक वस्तु का नाम
धरण —वि॰—-—धृ + ल्युट्—रखने वाला, प्ररक्षण करने वाला, संभालने वाला
धरणः —पुं॰—-—-—टीला, पर्वतपार्श्व
धरणः —पुं॰—-—-—स्त्री की छाती
धरणः —पुं॰—-—-—चावल, अनाज, हिमालय
धरणम् —नपुं॰—-—-—सहारा देना, निर्वाह कराना, संभालना
धरणम् —नपुं॰—-—-—कब्जे में करना, लाना, उपलब्ध करना
धरणम् —नपुं॰—-—-—थूनी, टेक, सहारा
धरणम् —नपुं॰—-—-—दस पल के वजन का बट्टा
धरणिः —स्त्री॰—-—धृ + अनि—पृथ्वी
धरणिः —स्त्री॰—-—धृ + अनि—भूमि, मिट्टी
धरणिः —स्त्री॰—-—धृ + अनि—छत का शहतीर
धरणिः —स्त्री॰—-—धृ + अनि—नाड़ी, शिरा
धरणी —स्त्री॰—-—धरणि + ङीष्—पृथ्वी
धरणी —स्त्री॰—-—धरणि + ङीष्—भूमि, मिट्टी
धरणी —स्त्री॰—-—धरणि + ङीष्—छत का शहतीर
धरणी —स्त्री॰—-—धरणि + ङीष्—नाड़ी, शिरा
धरणीश्वरः —पुं॰—धरणिः- ईश्वरः—-—राजा
धरणीश्वरः —पुं॰—धरणिः- ईश्वरः—-—विष्णु का विशेषण
धरणीश्वरः —पुं॰—धरणिः- ईश्वरः—-—शिव का विशेषण
धरणिकीलकः —पुं॰—धरणिः- कीलकः—-—पहाड़
धरणिजः —पुं॰—धरणिः-जः—-—मंगल के विशेषण
धरणिजः —पुं॰—धरणिः-जः—-—’नरक’ राक्षस के विशेषण
धरणिपुत्रः —पुं॰—धरणिः- पुत्रः—-—मंगल के विशेषण
धरणिपुत्रः —पुं॰—धरणिः- पुत्रः—-—’नरक’ राक्षस के विशेषण
धरणिसुतः —पुं॰—धरणिः- सुतः—-—मंगल के विशेषण
धरणिसुतः —पुं॰—धरणिः- सुतः—-—’नरक’ राक्षस के विशेषण
धरणिजा —स्त्री॰—धरणिः- जा—-—जनक की पुत्री सीता का विशेषण
धरणिपुत्री —स्त्री॰—धरणिः- पुत्री—-—जनक की पुत्री सीता का विशेषण
धरणिसुता —स्त्री॰—धरणिः- सुता—-—जनक की पुत्री सीता का विशेषण
धरणिधरः —पुं॰—धरणिः- धरः—-—शेष
धरणिधरः —पुं॰—धरणिः- धरः—-—विष्णु का विशेषण
धरणिधरः —पुं॰—धरणिः- धरः—-—पहाड़
धरणिधरः —पुं॰—धरणिः- धरः—-—कछवा
धरणिधरः —पुं॰—धरणिः- धरः—-—राजा
धरणिधरः —पुं॰—धरणिः- धरः—-—हाथी
धरणिधृत् —पुं॰—धरणिः- धृत्—-—पहाड़्
धरणिधृत् —पुं॰—धरणिः- धृत्—-—विष्णु
धरणिधृत् —पुं॰—धरणिः- धृत्—-—शेष का विशेषण
धरा —स्त्री॰—-—धृ + अच् + टाप्—पृथ्वी
धरा —स्त्री॰—-—धृ + अच् + टाप्—शिरा
धरा —स्त्री॰—-—धृ + अच् + टाप्—गुदा
धरा —स्त्री॰—-—धृ + अच् + टाप्—गर्भाशय या योनि
धराधिपः —पुं॰—धरा-अधिपः—-—राजा
धरामरः —पुं॰—धरा-अमरः—-—ब्राह्मण
धरादेवः —पुं॰—धरा-देवः—-—ब्राह्मण
धरासुरः —पुं॰—धरा-सुरः—-—ब्राह्मण
धरात्मजः —पुं॰—धरा-आत्मजः—-—मंगल ग्रह के विशेषण
धरात्मजः —पुं॰—धरा-आत्मजः—-—नरक राक्षस के विशेषण
धरापुत्रः —पुं॰—धरा-पुत्रः—-—मंगल ग्रह के विशेषण
धरापुत्रः —पुं॰—धरा-पुत्रः—-—नरक राक्षस के विशेषण
धरासूनुः —पुं॰—धरा-सूनुः—-—मंगल ग्रह के विशेषण
धरासूनुः —पुं॰—धरा-सूनुः—-—नरक राक्षस के विशेषण
धरात्मजा —स्त्री॰—धरा-आत्मजा—-—सीता का विशेषण
धरोद्धारः —पुं॰—धरा-उद्धारः—-—पृथ्वी का छुटकारा
धराधरः —पुं॰—धरा-धरः—-—पहाड़
धराधरः —पुं॰—धरा-धरः—-—विष्णु या कृष्ण का विशेषण
धराधरः —पुं॰—धरा-धरः—-—शेष का विशेषण
धरापति —पुं॰—धरा-पति—-—राजा
धरापति —पुं॰—धरा-पति—-—विष्णु का विशेषण
धराभुज् —पुं॰—धरा-भुज्—-—राजा
धराभृत् —पुं॰—धरा-भृत्—-—पहाड़
धरित्री —स्त्री॰—-—धृ + इत्र + ङीष्—पृथ्वी
धरित्री —स्त्री॰—-—धृ + इत्र + ङीष्—भूमि, मिट्टी
धरिमण् —पुं॰—-—धृ + इमनिच्—तराजू, तराजू के पलड़े
धर्त्तूरः —नपुं॰—-— = धुस्तुर पृषो॰ साधुः—धतूरे का पौधा
धर्त्रम् —नपुं॰—-—धृ + त्र—घर
धर्त्रम् —नपुं॰—-—धृ + त्र—थूनी, टेक
धर्त्रम् —नपुं॰—-—धृ + त्र—यज्ञ
धर्त्रम् —नपुं॰—-—धृ + त्र—सद्गुण, भलाई, नैतिक गुण
धर्मः —पुं॰—-—घ्रियते लोकोऽनेन, धरति लोकं वा धृ + मन्—कर्तव्व, जाति, सम्प्रदाय आदि के प्रचलित आचार का पालन
धर्मः —पुं॰—-—घ्रियते लोकोऽनेन, धरति लोकं वा धृ + मन्—कानून, प्रचलन, दस्तूर, प्रथा, अध्यादेश, अनुविधि
धर्मः —पुं॰—-—घ्रियते लोकोऽनेन, धरति लोकं वा धृ + मन्—धार्मिक या नैतिक गुण, भलाई, नेकी, अच्छे काम
धर्मः —पुं॰—-—घ्रियते लोकोऽनेन, धरति लोकं वा धृ + मन्—कर्तव्य शास्त्र विहित आचरण क्रम
धर्मः —पुं॰—-—घ्रियते लोकोऽनेन, धरति लोकं वा धृ + मन्—अधिकार, न्याय, औचित्य या न्यायसाम्य, निष्पक्षता
धर्मः —पुं॰—-—घ्रियते लोकोऽनेन, धरति लोकं वा धृ + मन्—पवित्रता, औचित्य, शालीनता
धर्मः —पुं॰—-—घ्रियते लोकोऽनेन, धरति लोकं वा धृ + मन्—नैतिकता, नीतिशास्त्र
धर्मः —पुं॰—-—घ्रियते लोकोऽनेन, धरति लोकं वा धृ + मन्—प्रकृति, स्वभाव, चरित्र
धर्मः —पुं॰—-—घ्रियते लोकोऽनेन, धरति लोकं वा धृ + मन्—मूल गुण, विशेषता, लाक्षणिक गुण
धर्मः —पुं॰—-—घ्रियते लोकोऽनेन, धरति लोकं वा धृ + मन्—रीति, समरूपता, समानता
धर्मः —पुं॰—-—घ्रियते लोकोऽनेन, धरति लोकं वा धृ + मन्—यज्ञ
धर्मः —पुं॰—-—घ्रियते लोकोऽनेन, धरति लोकं वा धृ + मन्—सत्संग, भद्रपुरुषों की संगति
धर्मः —पुं॰—-—घ्रियते लोकोऽनेन, धरति लोकं वा धृ + मन्—भक्ति, धार्मिक भावमग्नता
धर्मः —पुं॰—-—घ्रियते लोकोऽनेन, धरति लोकं वा धृ + मन्—रीति प्रणाली
धर्मः —पुं॰—-—घ्रियते लोकोऽनेन, धरति लोकं वा धृ + मन्—उपनिषद्
धर्मः —पुं॰—-—घ्रियते लोकोऽनेन, धरति लोकं वा धृ + मन्—ज्येष्ठ पांडव युधिष्ठिर
धर्मः —पुं॰—-—घ्रियते लोकोऽनेन, धरति लोकं वा धृ + मन्—मृत्यु का देवता यम
धर्माङ्गः —पुं॰—धर्मः- अङ्गः—-—सारस
धर्माङ्गा —स्त्री॰—धर्मः- अङ्गा—-—सारस
धर्माधर्मौ —पुं॰—धर्मः- अधर्मौ—-—सत्य और असत्य, कर्तव्य और अकर्तव्य
धर्मविद् —पुं॰—॰धर्मः- विद्—-—मीमांसक जो कर्म के सही या गलत मार्ग को जानता है।
धर्माधिकरणम् —नपुं॰—धर्मः- अधिकरणम्—-—विधि का प्रशासन
धर्माधिकरणम् —नपुं॰—धर्मः- अधिकरणम्—-—न्यायालय
धर्माधिकरणिन् —पुं॰—धर्मः- अधिकरणिन्—-—न्यायाधीश, दण्डनायक
धर्माधिकारः —पुं॰—धर्मः- अधिकारः—-—धार्मिक कृत्यों का अधीक्षण
धर्माधिकारः —पुं॰—धर्मः- अधिकारः—-—न्याय- प्रशासन
धर्माधिकारः —पुं॰—धर्मः- अधिकारः—-—न्यायाधीश का पद
धर्माधिष्ठानम् —नपुं॰—धर्मः- अधिष्ठानम्—-—न्यायालय
धर्माध्यक्षः —पुं॰—धर्मः- अध्यक्षः—-—न्यायाधीश
धर्माध्यक्षः —पुं॰—धर्मः- अध्यक्षः—-—विष्णु का विशेषण
धर्मानुष्ठानम् —नपुं॰—धर्मः- अनुष्ठानम्—-—धर्म के अनुसार आचरण, अच्छा आचरण, नैतिक चालचलन
धर्मापेत —वि॰—धर्मः- अपेत—-—जो धर्म विरुद्ध हो, दुराचारी, अनीतिकर, अधार्मिक
धर्मापेतम् —नपुं॰—धर्मः- अपेतम्—-—दुर्व्यसन, अनैतिकता, अन्याय
धर्मारण्यम् —नपुं॰—धर्मः- अरण्यम्—-—तपोवन, वन जिसमें संन्यासी रहते हों।
धर्मालीक —वि॰—धर्मः- अलीक—-—झूठे चरित्र वाला
धर्मागमः —पुं॰—धर्मः- आगमः—-—धर्मशास्त्र, विधि- ग्रन्थ
धर्माचार्यः —पुं॰—धर्मः- आचार्यः—-—धर्म शिक्षक
धर्माचार्यः —पुं॰—धर्मः- आचार्यः—-—धर्मशास्त्र या कानून का अध्यापक
धर्मात्मजः —पुं॰—धर्मः- आत्मजः—-—युधिष्ठिर का विशेषण
धर्मात्मन् —वि॰—धर्मः- आत्मन्—-—न्यायशील, भला, पुण्यात्मा, सद्गुणी
धर्मासनम् —नपुं॰—धर्मः- आसनम्—-—न्याय का सिंहासन, न्याय की गद्दी, न्यायाधिकरण
धर्मेन्द्रः —पुं॰—धर्मः- इन्द्रः—-—युधिष्ठिर का विशेषण
धर्मेशः —पुं॰—धर्मः- ईशः—-—यम का विशेषण
धर्मोत्तर —वि॰—धर्मः- उत्तर—-—अतिधार्मिक, जो न्याय धर्म का प्रधान पक्षपाती हो, निष्पक्ष और न्यायपरायण
धर्मोपदेशः —पुं॰—धर्मः- उपदेशः—-—धर्म या कर्त्तव्य की शिक्षा, धार्मिक या नैतिक शिक्षण
धर्मोपदेशः —पुं॰—धर्मः- उपदेशः—-—धर्मशास्त्र
धर्मकर्मन् —नपुं॰—धर्मः- कर्मन्—-—कर्तव्य कर्म, नीति का आचरण, धर्मपालन, धार्मिक-कृत्य या संसार
धर्मकर्मन् —नपुं॰—धर्मः- कर्मन्—-—सदाचरण
धर्मकार्यम् —नपुं॰—धर्मः- कार्यम्—-—कर्तव्य कर्म, नीति का आचरण, धर्मपालन, धार्मिक-कृत्य या संसार
धर्मकार्यम् —नपुं॰—धर्मः- कार्यम्—-—सदाचरण
धर्मक्रिया —स्त्री॰—धर्मः- क्रिया—-—कर्तव्य कर्म, नीति का आचरण, धर्मपालन, धार्मिक-कृत्य या संसार
धर्मक्रिया —स्त्री॰—धर्मः- क्रिया—-—सदाचरण
धर्मकथादरिद्रः —पुं॰—धर्मः- कथादरिद्रः—-—कलियुग
धर्मकायः —पुं॰—धर्मः- कायः—-—बुद्ध का विशेषण
धर्मकीलः —पुं॰—धर्मः- कीलः—-—अनुदान, राजकीय लेख या शासन
धर्मकेतुः —पुं॰—धर्मः- केतुः—-—बुद्ध का विशेषण
धर्मकोशः —पुं॰—धर्मः- कोशः—-—घर्मसंहिता, धर्मशास्त्र
धर्मकोषः —पुं॰—धर्मः-कोषः—-—घर्मसंहिता, धर्मशास्त्र
धर्मक्षेत्रम् —नपुं॰—धर्मः- क्षेत्रम्—-—भारतवर्ष
धर्मक्षेत्रम् —नपुं॰—धर्मः- क्षेत्रम्—-—दिल्ली के निकट का मैदान, कुरुक्षेत्र
धर्मघटः —पुं॰—धर्मः-घटः—-—वैशाख के महीने में ब्राह्मण को प्रतिदिन दिये जाने वाले सुगन्धित जल का घड़ा
धर्मचक्रभृत् —पुं॰—धर्मः-चक्रभृत्—-—बौद्ध या जैन
धर्मचरणम् —नपुं॰—धर्मः- चरणम्—-—कानून का पालन, धार्मिक कर्त्तव्यों का सम्पादन
धर्मचर्या —स्त्री॰—धर्मः- चर्या—-—कानून का पालन, धार्मिक कर्त्तव्यों का सम्पादन
धर्मचारिन् —वि॰—धर्मः-चारिन्—-—भद्रव्यवहार करने वाला, कानून का पालन करने वाला, सद्गुणी, नेक
धर्मचारिन् —पुं॰—धर्मः-चारिन्—-—संन्यासी
धर्मचारिणी —स्त्री॰—धर्मः- चारिणी—-—पत्नी
धर्मचारिणी —स्त्री॰—धर्मः- चारिणी—-—पतिव्रता सती साध्वी पत्नी
धर्मचिंतनम् —नपुं॰—धर्मः- चिंतनम्—-—भलाई या सद्गुणों का अध्ययन, नैतिक कर्त्तव्यों का विचार, नीति- विमर्श
धर्मचिंता —स्त्री॰—धर्मः-चिंता—-—भलाई या सद्गुणों का अध्ययन, नैतिक कर्त्तव्यों का विचार, नीति- विमर्श
धर्मजः —पुं॰—धर्मः-जः—-—धर्म से उत्पन्न, वैध, पुत्र, असली बेटा
धर्मजः —पुं॰—धर्मः-जः—-—युधिष्ठिर का नाम
धर्मजन्मन् —पुं॰—धर्मः-जन्मन्—-—युधिष्ठिर का नाम
धर्मजिज्ञासा —स्त्री॰—धर्मः- जिज्ञासा—-—धर्म सम्बन्धी पूछताछ, सदाचरण विषयक पृच्छा
धर्मजीवन —वि॰—धर्मः- जीवन—-—जो अपने वर्ण के नियमानुसार निर्दिष्ट कर्त्तव्यों का पालन करता है।
धर्मजीवनः —पुं॰—धर्मः- जीवनः—-—वह ब्राह्मण जो दूसरों के धर्मानुष्ठान में साहाय्य प्रदान कर अपनी जीविका चलाता है।
धर्मज्ञ —वि॰—धर्मः- ज्ञ—-—सही बात को जानने वाला, नागरिक तथा धार्मिक कानूनों का जानकार
धर्मज्ञ —वि॰—धर्मः- ज्ञ—-—न्यायशील, नेक, पुण्यात्मा
धर्मत्यागः —पुं॰—धर्मः- त्यागः—-—अपने धर्म का त्याग करने वाला, धर्मच्युत
धर्मदाराः —पुं॰—धर्मः-दाराः—-—वैध पत्नी
धर्मद्रोहिन् —पुं॰—धर्मः- द्रोहिन्—-—राक्षस
धर्मधातुः —पुं॰—धर्मः-धातुः—-—बुद्ध का विशेषण
धर्मध्वजः —पुं॰—धर्मः-ध्वजः—-—धर्म के नाम पर पाखंड रचने वाला, छद्मवेशी
धर्मध्वजिन् —पुं॰—धर्मः-ध्वजिन्—-—धर्म के नाम पर पाखंड रचने वाला, छद्मवेशी
धर्मनन्दनः —पुं॰—धर्मः-नन्दनः—-—युधिष्ठिर का विशेषण
धर्मनाथः —पुं॰—धर्मः- नाथः—-—कानूनी अभिभावक, वैध स्वामी
धर्मनाभः —पुं॰—धर्मः- नाभः—-—विष्णु का विशेषण
धर्मनिवेशः —पुं॰—धर्मः-निवेशः—-—धार्मिक भक्ति
धर्मनिष्पत्तिः —स्त्री॰—धर्मः-निष्पत्तिः—-—कर्त्तव्य का पालन, नीति-पालना, धार्मिक अनुष्ठान
धर्मपत्नी —स्त्री॰—धर्मः-पत्नी—-—वैधपत्नी, धर्मपत्नी
धर्मपथः —पुं॰—धर्मः- पथः—-—भलाई का मार्ग, चाल चलन का सन्मार्ग
धर्मपर —वि॰—धर्मः- पर—-—धर्मपरायण, पुण्यात्मा, नेक, भला
धर्मपाठकः —पुं॰—धर्मः-पाठकः—-—नागरिक या धार्मिक कानूनों का अध्यापक
धर्मपालः —पुं॰—धर्मः-पालः—-—कानून का रक्षक, दण्ड, सजा, तलवार
धर्मपीडा —स्त्री॰—धर्मः- पीडा—-—क़ानून का उल्लंघन करना, क़ानून के प्रति अपराध
धर्मपुत्रः —पुं॰—धर्मः- पुत्रः—-—धर्मसम्मत पुत्र
धर्मपुत्रः —पुं॰—धर्मः- पुत्रः—-—युधिष्ठिर का विशेषण
धर्मप्रवक्तृ —पुं॰—धर्मः-प्रवक्तृ—-—धर्म का व्याख्याता, क़ानूनी सलाहकार
धर्मप्रवक्तृ —पुं॰—धर्मः-प्रवक्तृ—-—धार्मिक शिक्षक, धर्म-प्रचारक
धर्मप्रवचनम् —नपुं॰—धर्मः-प्रवचनम्—-—कर्त्तव्य-विज्ञान
धर्मप्रवचनम् —नपुं॰—धर्मः-प्रवचनम्—-—धर्म की व्याख्या करना
धर्मप्रवचनः —पुं॰—धर्मः-प्रवचनः—-—बुद्ध का विशेषण
धर्मबाणिजिकः —पुं॰—धर्मः-बाणिजिकः—-—जो अपने सद्गुणों से व्यापारी की भांति लाभ उठाने का प्रयत्न करता है।
धर्मबाणिजिकः —पुं॰—धर्मः-बाणिजिकः—-—लाभदायक व्यवसाय को करने वाले व्यापारी की भांति जो पुरस्कार पाने की इच्छा से धार्मिक कृत्यों का सम्पादन करता है।
धर्मभगिनी —स्त्री॰—धर्मः-भगिनी—-—वैधभगिनी
धर्मभगिनी —स्त्री॰—धर्मः-भगिनी—-—धर्मगुरु की पुत्री
धर्मभगिनी —स्त्री॰—धर्मः-भगिनी—-—धर्मबहन, अनुरूप धार्मिक कर्त्तव्यों का पालन करते हुए जिसको बहन मान लिया जाता है।
धर्मभागिनी —स्त्री॰—धर्मः- भागिनी—-—साध्वी पत्नी
धर्मभाणकः —पुं॰—धर्मः-भाणकः—-—व्याख्यानदाता जो महाभारत तथा भागवत आदि ग्रन्थों की व्याख्या सार्वजनिक रूप से अपने श्रोताओं के सामने रखता है।
धर्मभ्रातृ —पुं॰—धर्मः-भ्रातृ—-—धर्म-शिक्षा का सहपाठी, धर्म का भाई
धर्मभ्रातृ —पुं॰—धर्मः-भ्रातृ—-—वह व्यक्ति जिसको अनुरूप धार्मिक कर्त्तव्यों का पालन करते हुए, भाई मान लिया जाता है।
धर्ममहामात्रः —पुं॰—धर्मः-महामात्रः—-—धर्ममंत्री, धार्मिक मामलों का मंत्री
धर्ममूलम् —नपुं॰—धर्मः-मूलम्—-—नागरिक या धार्मिक क़ानूनों की नींव, वेद
धर्मयुगम् —नपुं॰—धर्मः-युगम्—-—सतयुग, कृतयुग
धर्मयूपः —पुं॰—धर्मः- यूपः—-—विष्णु का विशेषण
धर्मरति —वि॰—धर्मः-रति—-—भलाई और न्याय में प्रसन्नता प्राप्त करने वाला, नेक, पुण्यात्मा, न्यायशील
धर्मराज् —पुं॰—धर्मः-राज्—-—यम का विशेषण
धर्मराजः —पुं॰—धर्मः-राजः—-—यम
धर्मराजः —पुं॰—धर्मः-राजः—-—जिन
धर्मराजः —पुं॰—धर्मः-राजः—-—युधिष्ठिर, और
धर्मराजः —पुं॰—धर्मः-राजः—-—राजा का विशेषण
धर्मरोधिन् —वि॰—धर्मः-रोधिन्—-—क़ानून के विरुद्ध, अवैध, अन्याय
धर्मरोधिन् —वि॰—धर्मः-रोधिन्—-—अनैतिक
धर्मलक्षणम् —नपुं॰—धर्मः-लक्षणम्—-—धर्म का मूल चिह्न
धर्मलक्षणम् —नपुं॰—धर्मः-लक्षणम्—-—वेद
धर्मलक्षणा —स्त्री॰—धर्मः-लक्षणा—-—मीमांसा दर्शन
धर्मलोपः —पुं॰—धर्मः-लोपः—-—धर्माभाव, अनैतिकता
धर्मलोपः —पुं॰—धर्मः-लोपः—-—कर्त्तव्य का उल्लंघन
धर्मवत्सल —वि॰—धर्मः-वत्सल—-—कर्त्तव्यशील, धर्मात्मा
धर्मवर्तिन् —वि॰—धर्मः-वर्तिन्—-—न्याय परायण, नेक
धर्मवासरः —पुं॰—धर्मः-वासरः—-—पूर्णिमा का दिन
धर्मवाहनः —पुं॰—धर्मः-वाहनः—-—शिव का विशेषण
धर्मवाहनः —पुं॰—धर्मः-वाहनः—-—भैंसा
धर्मविद् —वि॰—धर्मः-विद्—-—कर्त्तव्य का ज्ञाता
धर्मविधिः —पुं॰—धर्मः-विधिः—-—वैध उपदेश या व्यादेश
धर्मविप्लवः —पुं॰—धर्मः-विप्लवः—-—कर्त्तव्य का उल्लंघन, अनैतिकता
धर्मः- वीरः —पुं॰—धर्मः- वीरः—-—भलाई या पवित्रता के कारण उत्पन्न वीर रस, शौर्यसहित पवित्रता का रसरस॰ में निम्नांकित उदाहरण दिया गया है
धर्मवीरः —पुं॰—धर्मः-वीरः—-—भलाई या पवित्रता के कारण उत्पन्न वीर रस, शौर्यसहित पवित्रता का रस
धर्मवृद्ध —वि॰—धर्मः-वृद्ध—-—सद्गुण व पवित्रता की दृष्टि से आगे बढ़ा हुआ
धर्मवैतंसिकः —पुं॰—धर्मः-वैतंसिकः—-—वह जो अपने आपको उदार प्रकट करने की आशा में, अवैधरूप से कमाये हुए धन को दान कर देता है।
धर्मशाला —स्त्री॰—धर्मः- शाला—-—न्यायालय, न्यायाधिकरण
धर्मशाला —स्त्री॰—धर्मः- शाला—-—धर्मार्थसंस्था
धर्मशासनम् —नपुं॰—धर्मः-शासनम्—-—धर्मसंहिता न्यायशास्त्र
धर्मशास्त्रम् —नपुं॰—धर्मः-शास्त्रम्—-—धर्मसंहिता न्यायशास्त्र
धर्मशील —वि॰—धर्मः-शील—-—न्यायशील, पुण्यात्मा, सदाचारी या सद्गुणी
धर्मसंहिता —स्त्री॰—धर्मः- संहिता—-—धर्मशास्त्र
धर्मसङ्गः —पुं॰—धर्मः-सङ्गः—-—सद्गुण या न्याय से अनुराग या आसक्ति
धर्मसङ्गः —पुं॰—धर्मः-सङ्गः—-—पाखंड
धर्मसभा —स्त्री॰—धर्मः-सभा—-—न्यायालय
धर्मसहायः —पुं॰—धर्मः- सहायः—-—धार्मिक कर्त्तव्यों के पालन करने मे सहायक, साथी या साझीदार
धर्मतः —अव्य॰—-—धर्म + तसिल्—धर्म के अनुसार, नियमानुकूल, सही तरीके से, धर्मपूर्वक,न्याय के अनुरूप
धर्मतः —अव्य॰—-—धर्म + तसिल्—भलाई से, नेकी के साथ
धर्मतः —अव्य॰—-—धर्म + तसिल्—भलाई या नेकी के उद्देश्य से
धर्मयु —वि॰—-—धर्म + यु—सद्गुणसंपन्न, न्यायशील, पुण्यात्मा, नेक
धर्मिन् —वि॰—-—धर्मे + इनि—सद्गुणों से युक्त, न्यायशील, पुण्यात्मा
धर्मिन् —वि॰—-—धर्मे + इनि—अपने कर्त्तव्य को जानने वाला
धर्मिन् —वि॰—-—धर्मे + इनि—कानून का पालन करने वाला
धर्मिन् —वि॰—-—धर्मे + इनि—किसी वस्तु के गुणों से युक्त, प्रकृति का, विशिष्ट गुणों से युक्त
धर्मिन् —पुं॰—-—धर्मे + इनि—विष्णु का विशेषण
धर्मीपुत्रः —पुं॰—-—-—अभिनेता, नाटक का पात्र, खिलाड़ी
धर्म्य —वि॰—-—धर्म + यत्—धर्मसम्मात, कर्त्तव्यसंगत, कानूनी रूप से सही, वैध
धर्म्य —वि॰—-—धर्म + यत्—धर्मयुक्त
धर्म्य —वि॰—-—धर्म + यत्—न्यायोचित, भला, उपयुक्त
धर्म्य —वि॰—-—धर्म + यत्—वैध, यथारीति
धर्म्य —वि॰—-—धर्म + यत्—विशेष गुणों से युक्त
धर्षः —पुं॰—-—धृष् + घञ्—धृष्टता, अविनय अहंकार, ढिठाई
धर्षः —पुं॰—-—धृष् + घञ्—घमंड, अभिमान
धर्षः —पुं॰—-—धृष् + घञ्—अधीरता
धर्षः —पुं॰—-—धृष् + घञ्—संयम
धर्षः —पुं॰—-—धृष् + घञ्—बलात्कार, सतीत्व हरण
धर्षः —पुं॰—-—धृष् + घञ्—क्षति, बुराई, अवज्ञा
धर्षः —पुं॰—-—धृष् + घञ्—हीजड़ा
धर्षकारिणी —स्त्री॰—धर्षः-कारिणी—-—बलात्कार द्वारा जिसका सतीत्वहरण हो चुका हो।
धर्षक —वि॰—-—धृष् + ण्वुल्—हमला करने वाला, आक्रमणकारी, प्रहार करने वाला
धर्षक —वि॰—-—धृष् + ण्वुल्—बलात्कार करने वाला, सतीत्वहरण करनेवाला
धर्षक —वि॰—-—धृष् + ण्वुल्—अधीर
धर्षकः —पुं॰—-—-—सतीत्वहर्ता, व्यभिचारी, बलात्कारी
धर्षकः —पुं॰—-—-—अभिनेता, नर्तक
धर्षणम् —नपुं॰—-—धृष् + ल्युट्—धृष्टता, अविनय
धर्षणम् —नपुं॰—-—धृष् + ल्युट्—अवज्ञा, मानहानि
धर्षणम् —नपुं॰—-—धृष् + ल्युट्—आक्रमण, अत्याचार, सतीत्वहरण, बलात्कार
धर्षणम् —नपुं॰—-—धृष् + ल्युट्—स्त्रीसंभोग
धर्षणम् —नपुं॰—-—धृष् + ल्युट्—तिरस्कार, निरादर
धर्षणम् —नपुं॰—-—धृष् + ल्युट्—दुर्वचन
धर्षणा —स्त्री॰—-—-—धृष्टता, अविनय
धर्षणा —स्त्री॰—-—-—अवज्ञा, मानहानि
धर्षणा —स्त्री॰—-—-—आक्रमण, अत्याचार, सतीत्वहरण, बलात्कार
धर्षणा —स्त्री॰—-—-—स्त्रीसंभोग
धर्षणा —स्त्री॰—-—-—तिरस्कार, निरादर
धर्षणा —स्त्री॰—-—-—दुर्वचन
धर्षणिः —स्त्री॰—-—धृष् + अनि—असती, स्वैरिणी, कुलटा स्त्री
धर्षणी —स्त्री॰—-—धर्षणि + ङीष्—असती, स्वैरिणी, कुलटा स्त्री
धर्षित —वि॰—-—धृष् + क्त—जिसका चरित्र भ्रष्ट किया गया है, अत्याचार पीडित, जिसके साथ बलात्कार हो चुका है
धर्षित —वि॰—-—धृष् + क्त—विजित, पराभूत, परास्त
धर्षित —वि॰—-—धृष् + क्त—जिसके साथ दुर्व्यवहार किया गया है, जिसे गाली दी गई है, तिरस्कृत
धर्षितम् —नपुं॰—-—-—औद्धत्य, घमंड
धर्षितम् —नपुं॰—-—-—सहवास, मैथुन
धर्षिता —स्त्री॰—-—-—कुलटा, असती स्त्री
धर्षिन् —वि॰—-—धृष् + णिनि—घमंडी, उद्धत, उद्दंड
धर्षिन् —वि॰—-—धृष् + णिनि—आक्रमण करने वाला, सतीत्वहरण करने वाला, बलात्कार करने वाला
धर्षिन् —वि॰—-—धृष् + णिनि—तिरस्कार करने वाला, दुर्व्यवहार करने वाला
धर्षिन् —वि॰—-—धृष् + णिनि—बेधड़क, दिलेर
धर्षिन् —वि॰—-—धृष् + णिनि—स्त्री सहवास करने वाला
धर्षिणी —स्त्री॰—-—-—कुलटा, या असती नारी
धवः —पुं॰—-—धु + अप्—हिल-जुल, कम्पन
धवः —पुं॰—-—धु + अप्—मनुष्य
धवः —पुं॰—-—धु + अप्—मालिक, स्वामी
धवः —पुं॰—-—धु + अप्—बदमाश, ठग
धवः —पुं॰—-—धु + अप्—एक प्रकार का वृक्ष ’धौ’
धवलः —पुं॰—-—धवं कम्पं लाति- ला + क तारा॰—श्वेत
धवलः —पुं॰—-—धवं कम्पं लाति- ला + क तारा॰—सुन्दर
धवलः —पुं॰—-—धवं कम्पं लाति- ला + क तारा॰—स्वच्छ, विशुद्ध
धवलः —पुं॰—-—-—अत्युत्तम बैल
धवलः —पुं॰—-—-—’धव’ नाम का वृक्ष
धवलम् —नपुं॰—-—-—सफ़ेद कागज़
धवला —स्त्री॰—-—-—सफ़ेद गाय, धौली गाय
धवलोत्पलम् —नपुं॰—धवलः-उत्पलम्—-—श्वेत कुमुद
धवलगिरिः —पुं॰—धवलः-गिरिः—-—हिमालय पहाड़ की सबसे ऊँची चोटी
धवलगिरिः —पुं॰—धवलः-गिरिः—-—चूने से पुता घर, महल
धवलगिरिः —पुं॰—धवलः-गिरिः—-—हंस
धवलगिरिः —पुं॰—धवलः-गिरिः—-—चान्द्रमास का शुक्लपक्ष
धवलगिरिः —पुं॰—धवलः-गिरिः—-—चाक-मिट्टी
धवलित —वि॰—-—धवल + इतच्—सफ़ेद किया हुआ, श्वेत बना हुआ
धवलिमन् —नपुं॰—-—धवल + इमनिच्—सफ़ेदी, सफ़ेद रंग
धवलिमन् —नपुं॰—-—धवल + इमनिच्—पांडुता पीलापन
धवित्रम् —नपुं॰—-—धू + इत्र—मृगचर्म से बना पंखा
धा —जुहो॰ उभ॰ < दधाति>, < धत्ते>, < हित>, कर्मवा॰ < धीयते>, पुं॰—-—-—रखना, धरना, जड़ना, लिटा देना, भर्ती करना, तह जमाना
धा —जुहो॰ उभ॰ < दधाति>, < धत्ते>, < हित>, कर्मवा॰ < धीयते>, पुं॰—-—-—जमाना, लगाना
धा —जुहो॰ उभ॰ < दधाति>, < धत्ते>, < हित>, कर्मवा॰ < धीयते>, पुं॰—-—-—प्रदान करना, अनुदान देना, देना, अर्पित करना, उपहार देना
धा —जुहो॰ उभ॰ < दधाति>, < धत्ते>, < हित>, कर्मवा॰ < धीयते>, पुं॰—-—-—पकड़ना, रखना
धा —जुहो॰ उभ॰ < दधाति>, < धत्ते>, < हित>, कर्मवा॰ < धीयते>, पुं॰—-—-—पकड़ना, हस्तगत करना
धा —जुहो॰ उभ॰ < दधाति>, < धत्ते>, < हित>, कर्मवा॰ < धीयते>, पुं॰—-—-—पहनना, धारण करना, वहन करना
धा —जुहो॰ उभ॰ < दधाति>, < धत्ते>, < हित>, कर्मवा॰ < धीयते>, पुं॰—-—-— धारण करना, लेना, रखना, दिखलाना, प्रदर्शन करना, कब्जे में करना
धा —जुहो॰ उभ॰ < दधाति>, < धत्ते>, < हित>, कर्मवा॰ < धीयते>, पुं॰—-—-—संभालना, निबाहना, थामे रखना
धा —जुहो॰ उभ॰ < दधाति>, < धत्ते>, < हित>, कर्मवा॰ < धीयते>, पुं॰—-—-—सहारा देना, स्थापित रखना
धा —जुहो॰ उभ॰ < दधाति>, < धत्ते>, < हित>, कर्मवा॰ < धीयते>, पुं॰—-—-—पैदा करना, रचना करना, उत्पादन करना, उत्पन्न करना, बनाना
धा —जुहो॰ उभ॰ < दधाति>, < धत्ते>, < हित>, कर्मवा॰ < धीयते>, पुं॰—-—-—सहना, भोगना, ग्रस्त होना
धा —जुहो॰ उभ॰ < दधाति>, < धत्ते>, < हित>, कर्मवा॰ < धीयते>, पुं॰—-—-—सम्पन्न करना
अतिसन्धा —जुहो॰ उभ॰—अतिसम्-धा—-—ठगना, धोखा देना
अन्तर्धा —जुहो॰ उभ॰—अन्तर- धा—-—मन में रखना, मानना, ग्रहण करना
अन्तर्धा —जुहो॰ उभ॰—अन्तर- धा—-—अपने आपको छिपाना, गुप्त रखना, ओझल होना
अन्तर्धा —जुहो॰ उभ॰—अन्तर- धा—-—ढकना, छिपाना, दृष्टि से ओझल करना, लपेटना, टांकना
अनुसन्धा —जुहो॰ उभ॰—अनुसम्-धा—-—ढूंढना, पूछताछ करना, अन्वेषण करना, जांच- पड़ताल करना
अनुसन्धा —जुहो॰ उभ॰—अनुसम्-धा—-—सचेत होना, अपने आपको शांत करना
अनुसन्धा —जुहो॰ उभ॰—अनुसम्-धा—-—उल्लेख करना, संकेत करना, लक्ष्य बनाना
अनुसन्धा —जुहो॰ उभ॰—अनुसम्-धा—-—योजना बनाना, क्रमबद्ध करना, क्रम में रखना
अपिधा —जुहो॰ उभ॰—अपि-धा—-—बन्द करना, भेजना
अपिधा —जुहो॰ उभ॰—अपि-धा—-—ढकना, छिपाना, गुप्त रखना
अपिधा —जुहो॰ उभ॰—अपि-धा—-—रोकना, बाधा डालना, प्रतिबंध लगाना
अभिधा —जुहो॰ उभ॰—अभि-धा—-—कहना, बोलना, बताना
अभिधा —जुहो॰ उभ॰—अभि-धा—-—संकेत करना, व्यक्त करना, मुख्यतः बतलाना, प्रस्तुत करना
अभिधा —जुहो॰ उभ॰—अभि-धा—-—अभिधान होना, पुकारना
अभिसन्धा —जुहो॰ उभ॰—अभिसम्-धा—-—किसी पर फेंकना, निशाना लगाना, लक्ष्य बनाना
अभिसन्धा —जुहो॰ उभ॰—अभिसम्-धा—-—ध्यान में रखना, निशाना बनाना, सोचना
अभिसन्धा —जुहो॰ उभ॰—अभिसम्-धा—-—धोखा देना, ठगना
अभिसन्धा —जुहो॰ उभ॰—अभिसम्-धा—-—अपने पक्ष में कर लेना, मित्र बना लेना, दूसरों का मित्र बन जाना
अभिसन्धा —जुहो॰ उभ॰—अभिसम्-धा—-—प्रतिज्ञा करना, प्रकथन करना
अभिसन्धा —जुहो॰ उभ॰—अभिसम्-धा—-—जोड़ना
अभ्याधा —जुहो॰ उभ॰—अभ्या- धा—-—नीचे रखना, नीचे फेंकना
अवधा —जुहो॰ उभ॰—अव-धा—-—सावधान होना, ध्यान देना, कान देना
आधा —जुहो॰ उभ॰—आ-धा—-—रखना, धरना, ठहरना
आधा —जुहो॰ उभ॰—आ-धा—-—प्रयोग करना, जमाना, किसी की ओर संकेत करना
आधा —जुहो॰ उभ॰—आ-धा—-—लेना, अधिकार में करना, वहन रखना
आधा —जुहो॰ उभ॰—आ-धा—-—बोझा उठाना, थामना, सहारा देना
आधा —जुहो॰ उभ॰—आ-धा—-—पैदा करना, उत्पादन करना, सर्जन करना, उत्तेजित करना
आधा —जुहो॰ उभ॰—आ-धा—-—देना, समर्पित करना
आधा —जुहो॰ उभ॰—आ-धा—-—नियुक्त करना, स्थिर करना
आधा —जुहो॰ उभ॰—आ-धा—-—संस्कृत करना
आधा —जुहो॰ उभ॰—आ-धा—-—अनुष्ठान करना, पालन करना
धाविस् —जुहो॰ उभ॰—धा-आविस्—-—भेद खोलना, प्रकट करना
उपधा —जुहो॰ उभ॰—उप-धा—-—रखना, उठाना, नीचे रखना, अन्दर रखना
उपधा —जुहो॰ उभ॰—उप-धा—-—निकट रखना, जोतना
उपधा —जुहो॰ उभ॰—उप-धा—-—पैदा करना, निर्माण करना, उत्पादन करना
उपधा —जुहो॰ उभ॰—उप-धा—-—ऊपर डालना, सौंपना, संभालना, देख-रेख में करना
उपधा —जुहो॰ उभ॰—उप-धा—-—तकिये के स्थान में प्रयुक्त करना
उपधा —जुहो॰ उभ॰—उप-धा—-—काम में लगाना, अभ्यर्थना करना, प्रदान करना
उपधा —जुहो॰ उभ॰—उप-धा—-—ढकना, छिपाना
उपधा —जुहो॰ उभ॰—उप-धा—-—देना, जताना, समाचार देना
उपाधा —जुहो॰ उभ॰—उपा-धा—-—निकट रखना, ऊपर रखना
उपाधा —जुहो॰ उभ॰—उपा-धा—-—पहनना
उपाधा —जुहो॰ उभ॰—उपा-धा—-—पैदा करना, सर्जन करना, उत्पादन करना
तिरस्-धा —जुहो॰ उभ॰—तिरस्-धा—-—छिपाना, गुप्त रखना
तिरोधा —जुहो॰ उभ॰—तिरस्-धा—-—लुप्त होना, ओझल होना
निधा —जुहो॰ उभ॰—नि॰-धा—-—रखना, धरना, जड़ देना
निधा —जुहो॰ उभ॰—नि॰-धा—-—भरोसा करना, सौंपना, देख-रेख में रखना
निधा —जुहो॰ उभ॰—नि॰-धा—-—देना, समर्पित करना, जमा कर देना
निधा —जुहो॰ उभ॰—नि॰-धा—-—दबा देना, शान्त करना, रोक देना
निधा —जुहो॰ उभ॰—नि॰-धा—-—दफन करना, गाड़ देना, छिपाना
परिधा —जुहो॰ उभ॰—परि-धा—-—पहनना, धारण करना
परिधा —जुहो॰ उभ॰—परि-धा—-—अहाता बना लेना, घेरा डाल लेना
परिधा —जुहो॰ उभ॰—परि-धा—-—किसी की ओर संकेत करना
पुरोधा —जुहो॰ उभ॰—पुरस्-धा—-—सिर पर रखना या धारण करना
पुरोधा —जुहो॰ उभ॰—पुरस्-धा—-—कुलपुरोहित बनाना
प्रणिधा —जुहो॰ उभ॰—प्रणि-धा—-—रखना, नीचे धरना या लिटा देना, साष्टांग प्रणत होना
प्रणिधा —जुहो॰ उभ॰—प्रणि-धा—-—जड़ना, अन्दर रखना, अन्दर लिटाना, पेटी में बन्द करना
प्रणिधा —जुहो॰ उभ॰—प्रणि-धा—-—प्रयोग करना, स्थिर करना, किसी की ओर संकेत करना
प्रणिधा —जुहो॰ उभ॰—प्रणि-धा—-—फैलाना, विस्तार करना
प्रणिधा —जुहो॰ उभ॰—प्रणि-धा—-—बाहर भेजना
प्रतिविधा —जुहो॰ उभ॰—प्रतिवि-धा—-—प्रतीकार करना, संशोधन करना, मरम्मत करना, बदला लेना, उपाय करना, विरुद्ध पग उठाना
प्रतिविधा —जुहो॰ उभ॰—प्रतिवि-धा—-—व्यवस्था करना, क्रम से रखना, सजाना
प्रतिविधा —जुहो॰ उभ॰—प्रतिवि-धा—-—प्रेषित करना, भेजना
प्रविधा —जुहो॰ उभ॰—प्रवि-धा—-—बाँटना
प्रविधा —जुहो॰ उभ॰—प्रवि-धा—-—करना, बनाना
विधा —जुहो॰ उभ॰—वि-धा—-—करना, बनाना, घटित करना, प्रभावित करना, सम्पन्न करना, अनुष्ठान करना, पैदा करना, उत्पादन करना, उत्पन्न करना
विधा —जुहो॰ उभ॰—वि-धा—-—पैदा करना, उत्पादन करना, समय का विनियमित करना
विधा —जुहो॰ उभ॰—वि-धा—-—निर्धारित करना, विधान बनाना, निर्दिष्ट करना, नियत करना, स्थिर करना, आदेश देना, आज्ञा देना
विधा —जुहो॰ उभ॰—वि-धा—-—रूप बनाना, शक्ल देना, सर्जन करना, निर्माण करना
विधा —जुहो॰ उभ॰—वि-धा—-—नियुक्त करना, प्रतिनियुक्त करना
विधा —जुहो॰ उभ॰—वि-धा—-—पहनना, धारण करना
विधा —जुहो॰ उभ॰—वि-धा—-—स्थिर करना, लगाना
विधा —जुहो॰ उभ॰—वि-धा—-—क्रमबद्ध करना, व्यवस्थित करना
विधा —जुहो॰ उभ॰—वि-धा—-—तैयार करना, तत्पर करना
व्यवधा —जुहो॰ उभ॰—व्यव-धा—-—नीच में रखना, बीच में डालना, हस्तक्षेप करना
व्यवधा —जुहो॰ उभ॰—व्यव-धा—-—छिपाना, ढकना, पर्दा डालना
श्रद्धा —जुहो॰ उभ॰—श्रद्-धा—-—भरोसा करना, विश्वास रखना
सन्धा —जुहो॰ उभ॰—सम्-धा—-—मिलाना, एकत्र लाना, संयुक्त करना, मिला देना
सन्धा —जुहो॰ उभ॰—सम्-धा—-—बर्ताव करना, मित्रता करना, संधि करना
सन्धा —जुहो॰ उभ॰—सम्-धा—-—स्थिर करना, संकेत करना
सन्धा —जुहो॰ उभ॰—सम्-धा—-—धनुष पर ठीक-ठीक बैठाना, या ठीक से जमाना
सन्धा —जुहो॰ उभ॰—सम्-धा—-—उत्पादन करना, पैदा करना
सन्धा —जुहो॰ उभ॰—सम्-धा—-—मुकाबला करना, मुकाबले में सामने आना
सन्धा —जुहो॰ उभ॰—सम्-धा—-—सुधारना, मरम्मत करना, स्वस्थ करना
सन्धा —जुहो॰ उभ॰—सम्-धा—-—कष्ट देना
सन्धा —जुहो॰ उभ॰—सम्-धा—-—ग्रहण करना, सहारा देना, बागडोर संभालना
सन्धा —जुहो॰ उभ॰—सम्-धा—-—अनुदान देना
सन्निधा —जुहो॰ उभ॰—सन्नि- धा—-—रखना, एकत्र रखना
सन्निधा —जुहो॰ उभ॰—सन्नि- धा—-—निकट रखना
सन्निधा —जुहो॰ उभ॰—सन्नि- धा—-—स्थिर करना, निर्दिष्ट करना
सन्निधा —जुहो॰ उभ॰—सन्नि- धा—-—निकट जाना, पहुँचना
सन्निधा —जुहो॰ उभ॰—सन्नि- धा—-—निकट लाना, एकत्र संग्रह करना
समाधा —जुहो॰ उभ॰—समा- धा—-—एकत्र रखना या धरना, मिलाना, संयुक्त करना
समाधा —जुहो॰ उभ॰—समा- धा—-—रखना, धरना, स्थापित करना, लागू करना
समाधा —जुहो॰ उभ॰—समा- धा—-—जमाना, अभिषेक करना, राजगद्दी पर बिठाना
समाधा —जुहो॰ उभ॰—समा- धा—-—समाश्वस्त होना, शान्त करना
समाधा —जुहो॰ उभ॰—समा- धा—-—सकेन्द्रित करना, एकाग्र करना
समाधा —जुहो॰ उभ॰—समा- धा—-—संतुष्ट करना, समाधान करना, आक्षेप का उत्तर देना
समाधा —जुहो॰ उभ॰—समा- धा—-—मरम्मत करना, सुधारना, ठीक करना, हटा देना
समाधा —जुहो॰ उभ॰—समा- धा—-—विचार करना
समाधा —जुहो॰ उभ॰—समा- धा—-—सौंपना, अर्पण करना, हस्तान्तरित करना
समाधा —जुहो॰ उभ॰—समा- धा—-—पैदा करना, कार्यान्वित करना, सम्पन्न करना
धाकः —पुं॰—-—धा + क- उणा॰- तस्य नेत्त्वम्—बैल
धाकः —पुं॰—-—धा + क- उणा॰- तस्य नेत्त्वम्—आधार, आशय
धाकः —पुं॰—-—धा + क- उणा॰- तस्य नेत्त्वम्—आहार, भात
धाकः —पुं॰—-—धा + क- उणा॰- तस्य नेत्त्वम्—स्थूणा, खंभा, स्तंभ
धाटी —पुं॰—-—धट् + घञ् + ङीप्—धावा, आक्रमण
धाणकः —पुं॰—-—धा + आणक—एक सोने का सिक्का
धातुः —पुं॰—-—धा + तुन्—संघटक या मूल भाग, अवयव
धातुः —पुं॰—-—धा + तुन्—मूल तत्त्व, मुख्य या तत्त्व मूलक सामग्री
धातुः —पुं॰—-—धा + तुन्—रस, मुख्य द्रव्य या रस, शरीर का अनिवार्य उपादान
धातुः —पुं॰—-—धा + तुन्—शरीर के स्थितिविधायक तत्त्व
धातुः —पुं॰—-—धा + तुन्—खनिज पदार्थ, धातु, कच्ची धातु
धातुः —पुं॰—-—धा + तुन्—क्रिया का मूल, भूवादयो धातवः- @ पा॰ १/३/१, पश्चादध्ययनार्थस्य धातोरधिरिवाभवत्- @ रघु॰ १५/९
धातुः —पुं॰—-—धा + तुन्—आत्मा
धातुः —पुं॰—-—धा + तुन्—परमात्मा
धातुः —पुं॰—-—धा + तुन्—ज्ञानेन्द्रिय
धातुः —पुं॰—-—धा + तुन्—पाँच महाभूतों का गुण
धातुः —पुं॰—-—धा + तुन्—हड्डी
धातूपलः —पुं॰—धातुः- उपलः—-—खड़िया, चाक्
धातुकाशीश —वि॰—धातुः- काशीश—-—कसीस
धातुकाशीशम् —नपुं॰—धातुः- काशीशम्—-—कसीस
धातुकासीसम् —नपुं॰—धातुः- कासीसम्—-—कसीस
धातुकसीस —वि॰—धातुः- कसीस—-—कसीस
धातुकुशल —वि॰—धातुः-कुशल—-—धातु के कार्यों में दक्ष
धातुक्रिया —स्त्री॰—धातुः-क्रिया—-—धातुकार्मिकी, धातुकर्म, खानित्री, धातुविज्ञान
धातुक्षयः —पुं॰—धातुः- क्षयः—-—शरीर के तत्त्वों का नाश, क्षयरोग
धातुजम् —नपुं॰—धातुः-जम्—-—शिलाजीत, शैलज तेल
धातुद्रावकः —पुं॰—धातुः- द्रावकः—-—सुहागा
धातुपः —पुं॰—धातुः-पः—-—खाद्य, पौषिटक रस, शरीर के सात मूल उपादानों में मुख्य उपादान
धातुपाठः —पुं॰—धातुः- पाठः—-—पाणिनि की व्याकरण पद्धति के अनुसार बनी धातुओं की सूची
धातुभृत् —पुं॰—धातुः- भृत्—-—पहाड़
धातुमलम् —नपुं॰—धातुः- मलम्—-—शरीरस्थ धातुओं के मल के अपवित्र रूपांतर
धातुमलम् —नपुं॰—धातुः- मलम्—-—सीसा
धातुमाक्षिकम् —नपुं॰—धातुः- माक्षिकम्—-—एक उपधातु, सोनामक्खी
धातुमाक्षिकम् —नपुं॰—धातुः- माक्षिकम्—-—खनिज पदार्थ
धातुमारिन् —पुं॰—धातुः-मारिन्—-—गंधक
धातुराजकः —पुं॰—धातुः- राजकः—-—वीर्य
धातुवल्लभम् —नपुं॰—धातुः- वल्लभम्—-—सुहागा
धातुवादः —पुं॰—धातुः-वादः—-—खनिज विज्ञान, धातुविज्ञान
धातुवादिन् —पुं॰—धातुः- वादिन्—-—खनिज विज्ञाता
धातुवैरिन् —पुं॰—धातुः-वैरिन्—-—गंधक
धातुशेखरम् —नपुं॰—धातुः- शेखरम्—-—कासीस, गंधक का तेजाब
धातुशोधनम् —नपुं॰—धातुः- शोधनम्—-—सीसा
धातुसंभवम् —नपुं॰—धातुः-संभवम्—-—सीसा
धातुसाम्यम् —नपुं॰—धातुः- साम्यम्—-—अच्छा स्वास्थ्य
धातुमत् —वि॰—-—धातु + मतुप्—धातुओं से भरा हुआ, धातु संपन्न
धातुमत्ता —स्त्री॰—धातुमत्- ता—-—धातुओं का बाहुल्य
धातु —पुं॰—-—धा + तृच्—निर्माता, रचयिता, उत्पादक, प्रणेता
धातु —पुं॰—-—धा + तृच्—धारण करने वाला, संधारक, सहारा देने वाला
धातु —पुं॰—-—धा + तृच्—सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा का विशेषण
धातु —पुं॰—-—धा + तृच्—विष्णु का विशेषण
धातु —पुं॰—-—धा + तृच्—आत्मा
धातु —पुं॰—-—धा + तृच्—ब्रह्मा की प्रथम सृष्टि होने के कारण सप्तर्षियों के नाम
धातु —पुं॰—-—धा + तृच्—विवाहित स्त्री का प्रेमी व्यभिचारी
धात्रम् —नपुं॰—-—धा + ष्ट्रल्—बर्तन, पात्र
धात्री —स्त्री॰—-—धात्र + ङीप्—दाई, धाय, उपमाता
धात्री —स्त्री॰—-—धात्र + ङीप्—माता
धात्री —स्त्री॰—-—धात्र + ङीप्—पृथ्वी
धात्री —स्त्री॰—-—धात्र + ङीप्—आँवले का वृक्ष
धात्रीपुत्रः —पुं॰—धात्री- पुत्रः—-—धाय का पुत्र, धर्म भाई
धात्रीपुत्रः —पुं॰—धात्री- पुत्रः—-—अभिनेता
धात्रीफलम् —नपुं॰—धात्री-फलम्—-—आँवला
धात्रेयिका —स्त्री॰—-—धात्रेयी + कन् + टाप्, ह्रस्वः—धात्रीपुत्री
धात्रेयिका —स्त्री॰—-—धात्रेयी + कन् + टाप्, ह्रस्वः—धाय, दूध पिलाने वाली धाय
धात्रेयी —स्त्री॰—-—धात्री ढक्- ङीप्—धात्रीपुत्री
धात्रेयी —स्त्री॰—-—धात्री ढक्- ङीप्—धाय, दूध पिलाने वाली धाय
धानम् —नपुं॰—-—धा + ल्युट्—आधार, पात्र, गद्दी, स्थान
धानी —स्त्री॰—-—धान + ङीप्—आधार, पात्र, गद्दी, स्थान
धानाः —स्त्री॰ ब॰ व॰—-—धान + टाप्—भुने हुए जौ या चावल, खीर
धानाः —स्त्री॰ ब॰ व॰—-—धान + टाप्—सत्तू
धानाः —स्त्री॰ ब॰ व॰—-—धान + टाप्—अनाज, अन्न
धानाः —स्त्री॰ ब॰ व॰—-—धान + टाप्—कली, अंकुर
धानुर्दण्डिकः —पुं॰—-—धनुर्दण्ड + ठक्—तीरंदाज, धनुर्धर
धानुष्कः —पुं॰—-—धनुष् + टक् + क—तीरंदाज, धनुर्धर
धानुष्यः —पुं॰—-—धनुष् + ष्यञ्—बाँस
धान्यम् —नपुं॰—-—धान + यत्—अनाज, अन्न, चावल
धान्यम् —नपुं॰—-—धान + यत्—धनिया
धान्याम्लम् —नपुं॰—धान्यम्- अम्लम्—-—मांड़ से तैयार की हुई कांजी
धान्यार्थः —पुं॰—धान्यम्- अर्थः—-—चावल या अनाज के रूप में धन
धान्यास्थि —नपुं॰—धान्यम्- अस्थि—-—तूस या भूसी, चोकर
धान्योत्तमः —पुं॰—धान्यम्- उत्तमः—-—बढ़िया अन्न अर्थात् चावल
धान्यकल्कम् —नपुं॰—धान्यम्-कल्कम्—-—छिल्का, धान्यत्वचा
धान्यकल्कम् —नपुं॰—धान्यम्-कल्कम्—-—भूसी, चोकर, पुआल
धान्यकोशः —पुं॰—धान्यम्- कोशः—-—अनाज की खत्ती
धान्यकोष्ठकम् —नपुं॰—धान्यम्- कोष्ठकम्—-—अनाज की खत्ती
धान्यक्षेत्रम् —नपुं॰—धान्यम्-क्षेत्रम्—-—अनाज का खेत
धान्यचमसः —पुं॰—धान्यम्- चमसः—-—चौला, चिड़वा
धान्यत्वच् —स्त्री॰—धान्यम्- त्वच्—-—अनाज का छिल्का
धान्यमायः —पुं॰—धान्यम्- मायः—-—अनाज का व्यापारी
धान्यराजः —पुं॰—धान्यम्- राजः—-—जौ
धान्यवर्धनम् —नपुं॰—धान्यम्- वर्धनम्—-—व्याज के लिए अनाज उधार देना, अनाज की सूदखोरी
धान्यवीजम् —नपुं॰—धान्यम्- वीजम्—-—धनिया
धान्यवीरः —पुं॰—धान्यम्- वीरः—-—उड़द की दाल
धान्यशीर्षकम् —नपुं॰—धान्यम्- शीर्षकम्—-—अनाज की बाल
धान्यशूकम् —नपुं॰—धान्यम्- शूकम्—-—अनाज का सिर्टा, टूंड
धान्यसारः —पुं॰—धान्यम्- सारः—-—कूट पीट कर निकाला हुआ अन्न
धान्या —नपुं॰—-—धान्य + टाप्—धनिया
धान्याकम् —नपुं॰—-—धान्य + टाप्, स्वार्थे कन् च—धनिया
धान्वन् —वि॰—-—धन्वन् + अण्—मरुभूमि का, मरुस्थल में विद्यमान
धामकः —पुं॰—-— = धानक पृषो॰—एक माशे की तोल
धामन् —नपुं॰—-—धा + मनिन्—आवास-स्थान, गृह, निवासस्थान, घर
धामन् —नपुं॰—-—धा + मनिन्—जगह, स्थान, आश्रय
धामन् —नपुं॰—-—धा + मनिन्—घर के निवासी, परिवार के सदस्य
धामन् —नपुं॰—-—धा + मनिन्—प्रकाश किरण
धामन् —नपुं॰—-—धा + मनिन्—प्रकाश, कान्ति, दीप्ति
धामन् —नपुं॰—-—धा + मनिन्—राजयोग्य कांति, यश, प्रतिष्ठा
धामन् —नपुं॰—-—धा + मनिन्—शक्ति, सामर्थ्य, प्रताप
धामन् —नपुं॰—-—धा + मनिन्—जन्म
धामन् —नपुं॰—-—धा + मनिन्—शरीर
धामन् —नपुं॰—-—धा + मनिन्—टोली, दल
धामन् —नपुं॰—-—धा + मनिन्—अवस्था, दशा
धामकेशिन् —पुं॰—धामन्- केशिन्—-—सूर्य
धामनिधिः —पुं॰—धामन्- निधिः—-—सूर्य
धामनिका —स्त्री॰—-—धामनी + कन् + टाप् ह्रस्वः—नरकुल, नै
धामनिका —स्त्री॰—-—धामनी + कन् + टाप् ह्रस्वः—शरीर की नाड़ी, शिरा
धामनिका —स्त्री॰—-—धामनी + कन् + टाप् ह्रस्वः—गला, गर्दन
धामनी —स्त्री॰—-—धमनी + अण् + ङीप्—नरकुल, नै
धामनी —स्त्री॰—-—धमनी + अण् + ङीप्—शरीर की नाड़ी, शिरा
धामनी —स्त्री॰—-—धमनी + अण् + ङीप्—गला, गर्दन
धार —वि॰—-—धृ + णिच् + अच्—संभालने वाला, सामने वाला, सहारा देने वाला
धार —वि॰—-—धृ + णिच् + अच्—नदी की भांति प्रवाहित होने वाला, टपकने वाला, बहने वाला
धारः —पुं॰—-—-—विष्णु का विशेषण
धारः —पुं॰—-—-—वर्षा को आकस्मिक तथा तीक्ष्ण बौछार, तेजी से उड़ा ले जाने वाली झड़ी
धारकः —पुं॰—-—धृ = ण्वुल्—किसी प्रकार का बर्तन, जलपात्र
धारकः —पुं॰—-—धृ = ण्वुल्—कर्जदार
धारण —वि॰—-—धृ = णिच् + ल्युट्—संभालने वाला, थामने वाला, ले जाने वाला, संधारण करने वाला, निबाहने वाला, रक्षा करने वाला, रखने वाला, धारण करने वाला
धारणम् —नपुं॰—-—-—संभालने, थामने, सहारा देने, संधारण करने या सुरक्षित रखने की क्रिया
धारणम् —नपुं॰—-—-—कब्जे में करना, संपत्ति
धारणम् —नपुं॰—-—-—पालन करना, दृढ़ता पूर्वक पकड़ना
धारणम् —नपुं॰—-—-—याद रखना
धारणम् —नपुं॰—-—-—कर्जदार होना
धारणी —स्त्री॰—-—-—पंक्ति या रेखा
धारणी —स्त्री॰—-—-—शिरा, नलाकार वाहिका
धारणकः —पुं॰—-—धारण + कन्—कर्ज़दार
धारणा —स्त्री॰—-—धारण + टाप्—संभालने, थामने, सहारा देने या सुरक्षित रखने की क्रिया
धारणा —स्त्री॰—-—धारण + टाप्—मन में धारण करने की शक्ति, अच्छी धारणात्मकस्मरण शक्ति
धारणा —स्त्री॰—-—धारण + टाप्—स्मरण शक्ति
धारणा —स्त्री॰—-—धारण + टाप्—मन को शांत रखना, श्वास को थामे रखना, मन की दृढ़ भावमग्नता
धारणा —स्त्री॰—-—धारण + टाप्—धैर्य, दृढ़ता, स्थिरता
धारणा —स्त्री॰—-—धारण + टाप्—निश्चित विधि या निषेध, निश्चित नियम, उपसंहार
धारणा —स्त्री॰—-—धारण + टाप्—समझ, बुद्धि
धारणा —स्त्री॰—-—धारण + टाप्—न्याय्यता, औचित्य, शालीनता
धारणा —स्त्री॰—-—धारण + टाप्—आस्था, विश्वास
धारणायोगः —पुं॰—धारणा- योगः—-—गहरी भक्ति, मनोयोग
धारणाशक्तिः —स्त्री॰—धारणा-शक्तिः—-—धारणात्मक स्मरण शक्ति
धारयित्री —स्त्री॰—-—धृ + णिच् + तृच् + ङीप्—पृथ्वी
धारा —स्त्री॰—-—धार + टाप्—पानी की सरिता या धार, गिरते हुए जल की रेखा, सरिता, धार
धारा —स्त्री॰—-—धार + टाप्—बौछार, वर्षा की तेज घड़ी
धारा —स्त्री॰—-—धार + टाप्—अनवरत रेखा
धारा —स्त्री॰—-—धार + टाप्—घड़े का छिद्र
धारा —स्त्री॰—-—धार + टाप्—घोड़े का कदम
धारा —स्त्री॰—-—धार + टाप्—हाशिया, किनारा, किसी वस्तु की किनारी या सीमा
धारा —स्त्री॰—-—धार + टाप्—तलवार, कुल्हाड़ा या किसी काटने वाले उपकरण का तेज किनारा या धार
धारा —स्त्री॰—-—धार + टाप्—किसी पहाड़ या चट्टान का किनारा
धारा —स्त्री॰—-—धार + टाप्—पहिया या पहिये का परिणाह या परिधि
धारा —स्त्री॰—-—धार + टाप्—उद्यान की दीवार, बाड़, छाड़बंदी
धारा —स्त्री॰—-—धार + टाप्—सेना की अग्रिम पंक्ति
धारा —स्त्री॰—-—धार + टाप्—उच्चतम बिन्दु, सर्वोपरिता
धारा —स्त्री॰—-—धार + टाप्—समुच्चय
धारा —स्त्री॰—-—धार + टाप्—यश
धारा —स्त्री॰—-—धार + टाप्—रात
धारा —स्त्री॰—-—धार + टाप्—हल्दी
धारा —स्त्री॰—-—धार + टाप्—समानता
धारा —स्त्री॰—-—धार + टाप्—कान का अग्रभाग
धाराग्रम् —नपुं॰—धारा- अग्रम्—-—बाण का चौड़ा फलका
धाराङ्कुरः —पुं॰—धारा- अङ्कुरः—-—वर्षा की बूँद
धाराङ्कुरः —पुं॰—धारा- अङ्कुरः—-—ओला
धाराङ्कुरः —पुं॰—धारा- अङ्कुरः—-—सेना के आगे-आगे बढ़ते जाना
धाराङ्गः —पुं॰—धारा- अङ्गः—-—तलवार
धाराटः —पुं॰—धारा-अटः—-—चातक पक्षी
धाराटः —पुं॰—धारा-अटः—-—घोड़ा
धाराटः —पुं॰—धारा-अटः—-—बादल
धाराटः —पुं॰—धारा-अटः—-—मदमाता हाथी
धाराधिरूढ़ —वि॰—धारा-अधिरूढ़—-—उच्चतम स्वर तक उठाया हुआ
धारावनिः —स्त्री॰—धारा-अवनिः—-—हवा
धाराश्रु —नपुं॰—धारा- अश्रु—-—अश्रु प्रवाह
धारासारः —पुं॰—धारा-आसारः—-—भारी वर्षा, मूसलाधार वर्षा
धारोष्ण —वि॰—धारा- उष्ण—-—गरम
धारागृहम् —नपुं॰—धारा- गृहम्—-—स्नानागार जिसमें फौवारा लगा हो, घर जिसमें फौवारे से सुसज्जित स्नानागार हो
धाराधरः —पुं॰—धारा-धरः—-—बादल
धाराधरः —पुं॰—धारा-धरः—-—तलवार
धारानिपातः —पुं॰—धारा-निपातः—-—बारिश का होना, बौछार का टपटप गिरना
धारानिपातः —पुं॰—धारा-निपातः—-—जल की धारा सरिता
धारापातः —पुं॰—धारा- पातः—-—बारिश का होना, बौछार का टपटप गिरना
धारापातः —पुं॰—धारा- पातः—-—जल की धारा सरिता
धारायन्त्रम् —नपुं॰—धारा- यन्त्रम्—-—फौवारा, झरना
धारावर्षः —पुं॰—धारा- वर्षः—-—लगातार घोर मूसलाधार वृष्टि
धारावर्षम् —नपुं॰—धारा- वर्षम्—-—लगातार घोर मूसलाधार वृष्टि
धारासंपातः —पुं॰—धारा- संपातः—-—लगातार घोर मूसलाधार वृष्टि
धारावाहिन् —वि॰—धारा- वाहिन्—-—अनवरत, लगातार
धाराविषः —पुं॰—धारा- विषः—-—टेढ़ी तलवार
धारिणी —स्त्री॰—-—धृ + णिनि + ङीप्—पृथ्वी
धारिन् —वि॰—-—धृ + णिनि—ले जाने वाला, वहन करने वाला, निबाहने वाला, सुरक्षित रखने वाला, रखने वाला, संभालने वाला, सहारा देने वाला
धारिन् —वि॰—-—धृ + णिनि—स्मृति में रखने वाला, धारणात्मक स्मरण शक्ति रखने वाला
धार्तराष्ट्रः —पुं॰—-—धृतराष्ट्र + अण्—धृतराष्ट्र का पुत्र
धार्तराष्ट्रः —पुं॰—-—धृतराष्ट्र + अण्—एक प्रकार का हंस जिसके पैर और चोंच काली होती है।
धार्मिक —वि॰—-—धर्म + ठक्—नेक, पुण्यात्मा, न्यायशील, सद्गुणसंपन्न
धार्मिक —वि॰—-—धर्म + ठक्—सत्याश्रित, न्याय्य, न्यायोचित
धार्मिक —वि॰—-—धर्म + ठक्—धर्म से युक्त
धार्मिणम् —नपुं॰—-—धर्मिन् + अण्—सद्गुणियों का समाज
धार्ष्टयम् —नपुं॰—-—धृष्ट + ष्यञ्—अहंकार, अविनय, औद्धत्य, ढिठाई, अक्खड़पन!
धाव् —भ्वा॰ पर॰- < धावति>, <धावित>—-—-—दौड़ना, आगे बढ़ना
धाव् —भ्वा॰ पर॰- < धावति>, <धावित>—-—-—किसी की ओर दौड़ना, किसी के मुकाबले में आगे बढ़ना, आक्रमण करना, मुकाबला करना
धाव् —भ्वा॰ पर॰- < धावति>, <धावित>—-—-—बहना, नदी की भांति प्रवाहित होना
धाव् —भ्वा॰ पर॰- < धावति>, <धावित>—-—-—दौड़ना, उड़ जाना
धाव् —भ्वा॰ उभ॰- < धावति>, < धावते>, <धौत>, < धाविन>—-—-—धोना, साफ करना, मांजना, निर्मल करना, रगड़ना
धाव् —भ्वा॰ उभ॰- < धावति>, < धावते>, <धौत>, < धाविन>—-—-—उज्ज्वल करना, चमकाना
धाव् —भ्वा॰ उभ॰- < धावति>, < धावते>, <धौत>, < धाविन>—-—-—किसी व्यक्ति से टकराना
निर्धाव् —भ्वा॰ आ॰—निस्- धाव्—-—धो डालना
धावकः —पुं॰—-—धाव् + ण्वुल्—धोबी
धावकः —पुं॰—-—धाव् + ण्वुल्—एक कवि
धावनम् —नपुं॰—-—धाव् + ल्युट्—दौड़ना, सरपट भागना
धावनम् —नपुं॰—-—धाव् + ल्युट्—बहना
धावनम् —नपुं॰—-—धाव् + ल्युट्—आक्रमण करना
धावनम् —नपुं॰—-—धाव् + ल्युट्—मांजना, पवित्र करना, रगड़ना, बहा देना
धावनम् —नपुं॰—-—धाव् + ल्युट्—किसी चीज से रगड़ना
धावल्यम् —नपुं॰—-—धवल + ष्यञ्—सफेदी
धावल्यम् —नपुं॰—-—धवल + ष्यञ्—पांडुरता
धि —तुदा॰ पर॰< धियति>—-—-—संभालना, रखना, अधिकार में करना
सन्धि —तुदा॰ पर॰—सम्-धि—-—सुलह करना
धि —स्वा॰ पर॰ < धिनोति>—-—-—प्रसन्न करना, खुश करना, संतुष्ट करना
धिः —पुं॰—-—-—आधार, भंडार, आशय आदि
धिक् —अव्य—-—धा + डिकन्—निन्दा, बुराई, विषाद की भावना को प्रकट करने वाला विस्मयांदिद्योतक अव्यय
धिक्कृ ——-—-—तिरस्कार करना, अवज्ञा करना, रद्द करना, बुरा भला कहना
धिक्कारः —पुं॰—धिक्-कारः—-—झिड़कना, फटकारना, तिरस्कार करना, अवज्ञा करना
धिक्क्रिया —स्त्री॰—धिक्- क्रिया—-—झिड़कना, फटकारना, तिरस्कार करना, अवज्ञा करना
धिक्दण्डः —पुं॰—धिक्-दण्डः—-—डांटफटकार बताना, निंदा
धिक्पारुष्यम् —नपुं॰—धिक्- पारुष्यम्—-—अपशब्द, डांट फटकार, भर्त्सना
धिप्सु —वि॰—-—दम्भ् + सन् + उ—धोखा देने का इच्छुक, धोखा देने वाला
धिन्व् —स्वा॰ पर॰ < धिनोति>—-—-—प्रसन्न करना, खुश करना, संतुष्ट करना
धिषणः —पुं॰—-—धृष् + क्यु, धिष् आदेशः—देवों के गुरू बृहस्पति का नाम
धिषणम् —नपुं॰—-—-—निवासस्थान, आवास, घर
धिषणा —स्त्री॰—-—-—स्तुति, सूक्त
धिषणा —स्त्री॰—-—-—बुद्धि, समझ
धिषणा —स्त्री॰—-—-—प्याला, कटोरा
धिष्ण्यः —पुं॰—-—धृष् + ण्य नि॰ ऋकारस्य इकारः—यज्ञाग्नि के लिए स्थान, हवनकुण्ड
धिष्ण्यः —पुं॰—-—धृष् + ण्य नि॰ ऋकारस्य इकारः—असुरों के गुरू शुक्राचार्य का नाम
धिष्ण्यः —पुं॰—-—धृष् + ण्य नि॰ ऋकारस्य इकारः—शुक्र ग्रह
धिष्ण्यः —पुं॰—-—धृष् + ण्य नि॰ ऋकारस्य इकारः—शक्ति, सामर्थ्य
धिष्ण्यष्ण्वम् —नपुं॰—धिष्ण्यः- ष्ण्वम्—-—आसन, आवास, स्थान, जगह, घर
धिष्ण्यष्ण्वम् —नपुं॰—धिष्ण्यः- ष्ण्वम्—-—केतु, उल्का
धिष्ण्यष्ण्वम् —नपुं॰—धिष्ण्यः- ष्ण्वम्—-—अग्नि
धिष्ण्यष्ण्वम् —नपुं॰—धिष्ण्यः- ष्ण्वम्—-—तारा, नक्षत्र
धीः —स्त्री॰—-—ध्यै + क्विप्, संप्रसारण—बुद्धि, समझ
धीः —स्त्री॰—-—ध्यै + क्विप्, संप्रसारण—मन
धीः —स्त्री॰—-—ध्यै + क्विप्, संप्रसारण—विचार, कल्पना, उत्प्रेक्षा, प्रत्यय
धीः —स्त्री॰—-—ध्यै + क्विप्, संप्रसारण—विचार, आशय, प्रयोजन, नैसर्गिक प्रवृत्ति
धीः —स्त्री॰—-—ध्यै + क्विप्, संप्रसारण—भक्ति, प्रार्थना
धीः —स्त्री॰—-—ध्यै + क्विप्, संप्रसारण—यज्ञ
धीन्द्रियम् —नपुं॰—धीः- इन्द्रियम्—-—प्रत्यक्षज्ञान का अंग
धीगुणाः —पुं॰—धीः- गुणाः—-—बौद्धिक गुण
धीपतिः —पुं॰—धीः- पतिः—-—देवों के गुरू बृहस्पति
धीमन्त्रिन् —पुं॰—धीः- मन्त्रिन्—-—सलाहकार मंत्री
धीमन्त्रिन् —पुं॰—धीः- मन्त्रिन्—-—बुद्धिमान् और दूरदर्शी सलाहकार
धीसचिवः —पुं॰—धीः- सचिवः—-—सलाहकार मंत्री
धीसचिवः —पुं॰—धीः- सचिवः—-—बुद्धिमान् और दूरदर्शी सलाहकार
धीशक्तिः —स्त्री॰—धीः- शक्तिः—-—बौद्धिक शक्ति
धीसखः —पुं॰—धीः- सखः—-—सलाहकार, परामर्शदाता, मंत्री
धीत —वि॰—-—धे + क्त—चूसा गया, पीया गया
धीतिः —स्त्री॰—-—धे + क्तिन्—पीना, चूसना
धीतिः —स्त्री॰—-—धे + क्तिन्—प्यास
धीमत् —वि॰—-—धी + मतुप्—बुद्धिमान्, प्रतिभाशाली, विद्वान्
धीमत् —पुं॰—-—-—बृहस्पति का विशेषण
धीर —वि॰—-—धी + रा + क—बहादुर, उद्धत साहसी
धीर —वि॰—-—धी + रा + क—स्थिर, सुदृढ़, अटल, टिकाऊ, चलाऊ, स्थायी
धीर —वि॰—-—धी + रा + क—दृढ़मनस्क, धैर्यवान्, स्वस्थचित्त, अडिग, दृढ़ निश्चय वाला
धीर —वि॰—-—धी + रा + क—स्वस्थचित्त, शान्त, सावधान
धीर —वि॰—-—धी + रा + क—सौम्य, स्थिरबुद्धि, प्रशान्त, गम्भीर
धीर —वि॰—-—धी + रा + क—मजबूत, बलवान
धीर —वि॰—-—धी + रा + क—बुद्धिमान्, दूरदर्शी, प्रतिभाशाली, समझदार, विद्वान्, चतुर
धीर —वि॰—-—धी + रा + क—गहरा, गंभीर, ऊँचा स्वर, खोखलास्वर
धीर —वि॰—-—धी + रा + क—आचरणशील, आचारवान्
धीर —वि॰—-—धी + रा + क—मन्द, मृदु, सुहावना, सुखकर
धीर —वि॰—-—धी + रा + क—सुस्त, आलसी
धीर —वि॰—-—धी + रा + क—साहसी
धीर —वि॰—-—धी + रा + क—हेकड़
धीरः —पुं॰—-—-—राजा बलि का विशेषण
धीरम् —नपुं॰—-—-—केसर, जाफ़रान
धीरम् —अव्य॰—-—-—साहसपूर्वक, दृढ़ता के साथ, अडिग होकर धीरज के साथ
धीरोदात्तः —पुं॰—धीर- उदात्तः—-—अच्छे विचारों का शूरवीर व्यक्ति, नायक
धीरोद्धतः —पुं॰—धीर-उद्धतः—-—शूरवीर परन्तु अभिमानी नायक
धीरचेतस् —वि॰—धीर- चेतस्—-—दृढ़, अडिग, दृढ़ मन वाला, साहसी
धीरप्रशान्तः —पुं॰—धीर- प्रशान्तः—-—नायक जो शूरवीर और शान्त व्यक्ति हो
धीरललितः —पुं॰—धीर- ललितः—-—नायक जो दृढ़ और शूरवीर होने के साथ- साथ क्रीडाप्रिय और असावधान हो।
धीरस्कन्धः —पुं॰—धीर- स्कन्धः—-—भैंसा
धीरता —स्त्री॰—-—धीर + तल् + टाप्—धैर्य, साहस, मनोबल
धीरता —स्त्री॰—-—धीर + तल् + टाप्—ईर्ष्या का दमन
धीरता —स्त्री॰—-—धीर + तल् + टाप्—गंभीरता, शान्तचित्तता- प्रत्यादेशान्न खलु भवतो धीरतां कल्पयामि- @ मेघ॰ १४४
धीरा —स्त्री॰—-—धीर + टाप्—काव्य नाटक में वर्णित नायिका जो अपने पति या प्रेमी से ईर्ष्या रखती हुई भी, उसकी उपस्थिति में अपनी बाह्य भावमुद्रा से अपना रोष प्रकट नहीं होने देती।
धीराधीरा —स्त्री॰—धीरा- अधीरा—-—काव्य नाटक में वर्णित नायिका जो अपने पति या प्रेमी से ईर्ष्य़ा रखती हुई अपने रोष को अभिव्यक्त भी कर देती है, और अपनी ईर्ष्या को छिपा भी लेती है।
धीलटिः —स्त्री॰—-—धी + लट् + इन्, धीलटि + ङीष्—पुत्री, बेटी
धीलटी —स्त्री॰—-—धी + लट् + इन्, धीलटि + ङीष्—पुत्री, बेटी
धीवरः —पुं॰—-—दधाति मत्स्यान् - धा + ष्वरच्—मछुवा
धीवरी —स्त्री॰—-—-—मछुवे की स्त्री
धीवरी —स्त्री॰—-—-—मछलियाँ रखने की टोकरी
धु —स्वा॰ उभ॰- < धुनोति>, < धुनुते>, < धुत>—-—-—हिलाना, क्षुब्ध करना, कंपाना
धु —स्वा॰ उभ॰- < धुनोति>, < धुनुते>, < धुत>—-—-—उतार देना, हटाना, फेंक देना
धु —स्वा॰ उभ॰- < धुनोति>, < धुनुते>, < धुत>—-—-—फूंक मार कर उड़ा देना, नष्ट करना
धु —स्वा॰ उभ॰- < धुनोति>, < धुनुते>, < धुत>—-—-—सुलगाना, उत्तेजित करना, पंखा करना
धु —स्वा॰ उभ॰- < धुनोति>, < धुनुते>, < धुत>—-—-—अशिष्ट व्यवहार करना, चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना
धु —स्वा॰ उभ॰- < धुनोति>, < धुनुते>, < धुत>—-—-—अपने ऊपर से उतार फ़ेकना, अपने आपको युक्त करना
धुक्ष् —भ्वा॰ आ॰ < धुक्षते>, < धुक्षित>—-—-—सुलगना
धुक्ष् —भ्वा॰ आ॰ < धुक्षते>, < धुक्षित>—-—-—जीना
धुक्ष् —भ्वा॰ आ॰ < धुक्षते>, < धुक्षित>—-—-—कष्ट भोगना
धुक्ष् —भ्वा॰ आ॰ , प्रेर॰<धुक्षयति>—-—-—सुलगाना, प्रज्वलित करना
सन्धुक्ष् —भ्वा॰ आ॰ —सम्- धुक्ष्—-—सुलगाना, उत्तेजित होना
सन्धुक्ष् —भ्वा॰ आ॰, प्रेर॰—सम्- धुक्ष्—-—सुलगाना, प्रज्वलित करना, उत्तेजित करना
धुत —वि॰—-—धु + क्त—हिला हुआ
धुत —वि॰—-—धु + क्त—छोड़ा हुआ, परित्यक्त
धुनिः —स्त्री॰—-—धु + नि—नदी, दरिया
धुनी —स्त्री॰—-—धुनि + ङीष्—नदी, दरिया
धुनिनाथः —पुं॰—धुनिः- नाथः—-—समुद्र
धुर् —पुं॰—-—धुर्व् + क्विप्—जूआ
धुर् —पुं॰—-—धुर्व् + क्विप्—जूए का वह भाग जो कंधों पर रखा रहता है।
धुर् —पुं॰—-—धुर्व् + क्विप्—पहिए की नाभि को धुरी के साथ स्थिर करने के लिए धुरी के दोनों किनारों पर लगी कील
धुर् —पुं॰—-—धुर्व् + क्विप्—गाड़ी का बम
धुर् —पुं॰—-—धुर्व् + क्विप्—बोझा, भार, उत्तरदायित्व, कर्तव्य, कार्य
धुर् —पुं॰—-—धुर्व् + क्विप्—प्रमुखतम या उच्चतम स्थान, हरावल, अग्रभाग, शिखर, सिर
धुर्गत —वि॰—धुर्- गत—-—रथ के बम पर खड़ा हुआ
धुर्गत —वि॰—धुर्- गत—-—सिर पर खड़ा हुआ मुख्य, प्रधान, प्रमुख
धुर्जटिः —पुं॰—धुर्-जटिः—-—शिव का विशेषण
धुर्धर —वि॰—धुर्- धर—-—जूआ सँभालने वाला
धुर्धर —वि॰—धुर्- धर—-—जोते जाने के योग्य
धुर्धर —वि॰—धुर्- धर—-—अच्छे गुणों से युक्त या महत्त्वपूर्ण कर्तव्यों से लदा हुआ
धुर्धर —वि॰—धुर्- धर—-—मुख्य, प्रधान, अग्रगण्य प्रमुख
धुर्धरः —पुं॰—धुर्-धरः—-—बोझा ढोने वाला जानवर
धुर्धरः —पुं॰—धुर्-धरः—-—जिसके ऊपर किसी कार्य का भार हो
धुर्धरः —पुं॰—धुर्-धरः—-—मुख्य, प्रधान, अग्रणी
धुर्वह —वि॰—धुर्-वह—-—भार वहन करने वाला
धुर्वह —वि॰—धुर्-वह—-—काम का प्रबंधक
धुर्वहः —पुं॰—धुर्-वहः—-—बोझा ढोने वाला पशु
धुरा —स्त्री॰—-—-—बोझा, भार
धुरीण —वि॰—-—धुरं वहति, अर्हति वा—बोझा ढोने या सँभालने के योग्य
धुरीण —वि॰—-—धुरं वहति, अर्हति वा—जोते जाने के योग्य
धुरीण —वि॰—-—धुरं वहति, अर्हति वा—महत्त्वपूर्ण कार्यों में नियुक्त
धुरीय —वि॰—-—धुर + छ —बोझा ढोने या सँभालने के योग्य
धुरीय —वि॰—-—धुर + छ —जोते जाने के योग्य
धुरीय —वि॰—-—धुर + छ —महत्त्वपूर्ण कार्यों में नियुक्त
धुरीणः —पुं॰—-—धुर + ख—बोझा ढोने वाला पशु
धुरीणः —पुं॰—-—धुर + ख—आवश्यक कार्यों में नियुक्त
धुरीणः —पुं॰—-—धुर + ख—मुख्य, प्रधान, अग्रणी
धुरीयः —पुं॰—-—धुर + छ —बोझा ढोने वाला पशु
धुरीयः —पुं॰—-—धुर + छ —आवश्यक कार्यों में नियुक्त
धुरीयः —पुं॰—-—धुर + छ —मुख्य, प्रधान, अग्रणी
धुर्य —वि॰—-—धुर् + यत्—बोझा सँभालने के योग्य
धुर्य —वि॰—-—धुर् + यत्—महत्त्वपूर्ण कार्य सौंपे जाने के योग्य
धुर्य —वि॰—-—धुर् + यत्—चोटी पर स्थित, मुख्य, प्रमुख
धुर्यः —पुं॰—-—धुर् + यत्—बोझा ढोने का पशु
धुर्यः —पुं॰—-—धुर् + यत्—घोड़ा या बैल जो गाड़ी में जुता हुआ हो
धुर्यः —पुं॰—-—धुर् + यत्—भार को संभालने वाला
धुर्यः —पुं॰—-—धुर् + यत्—मुख्य, अग्रणी, प्रधान
धुर्यः —पुं॰—-—धुर् + यत्—मंत्री, महत्त्वपूर्ण कार्यों पर नियुक्त व्यक्ति
धुस्तुरः —पुं॰—-—धु + उर्, स्तुट्—धतूरे का पौधा
धू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ धुवति; < धवति>, < धवते>; < धूनोति>,< धूनुते>; < धुनाति>, < धुनीते>; < धूनयति>, < धूनयते>—-—-—हिलाना, क्षुब्ध करना, कंपाना
धू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ धुवति; < धवति>, < धवते>; < धूनोति>,< धूनुते>; < धुनाति>, < धुनीते>; < धूनयति>, < धूनयते>—-—-—उतार देना, हटाना, फेंक देना
धू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ धुवति; < धवति>, < धवते>; < धूनोति>,< धूनुते>; < धुनाति>, < धुनीते>; < धूनयति>, < धूनयते>—-—-—फूंक मार कर उड़ा देना, नष्ट करना
धू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ धुवति; < धवति>, < धवते>; < धूनोति>,< धूनुते>; < धुनाति>, < धुनीते>; < धूनयति>, < धूनयते>—-—-—सुलगाना, उत्तेजित करना, पंखा करना
धू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ धुवति; < धवति>, < धवते>; < धूनोति>,< धूनुते>; < धुनाति>, < धुनीते>; < धूनयति>, < धूनयते>—-—-—अशिष्ट व्यवहार करना, चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना
धू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ धुवति; < धवति>, < धवते>; < धूनोति>,< धूनुते>; < धुनाति>, < धुनीते>; < धूनयति>, < धूनयते>—-—-—अपने ऊपर से उतार फ़ेकना, अपने आपको युक्त करना
अवधू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ —अव- धू—-—हिलाना, इधर- उधर करना, कम्पाना, लहराना
अवधू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ —अव- धू—-—उतार फेंकना, हटाना, पराभूत करना
अवधू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ —अव- धू—-—अवहेलना करना, अस्वीकृति करना, उपेक्षा करना, तिरस्कारयुक्त व्यवहार करना
उद्धू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ —उद्- धू—-—हिला डालना, उठाना, ऊपर को उछालना, लहराना
उद्धू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ —उद्- धू—-—उतार फेंकना, हटाना, दूर करना, नष्ट करना
उद्धू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ —उद्- धू—-—बाधा पहुँचाना, उत्तेजित करना, भड़काना
निर्धू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ —निस्-धू—-—उतार फेंकना, हटाना, दूर करना, निकाल देना, नष्ट करना
निर्धू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ —निस्-धू—-—उपेक्षा करना, तिरस्कारयुक्त व्यवहार करना, अवज्ञा करना
निर्धू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ —निस्-धू—-—त्याग देना, छोड़ देना, फेंक देना
विधू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ —वि- धू—-—हिलाना, इधर-उधर करना, कंपाना
विधू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ —वि- धू—-—उतार देना, नष्ट करना, निकाल देना, दूर भगा देना, कपेर्विधवितुं द्युतिम्- @ भट्टि॰ ९/२८, @ रघु॰ ९/७२
विधू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ , अन॰ पा॰—वि- धू—-—उपेक्षा करना, घृणा करना, तिरस्कारयुक्त व्यवहार करना
विधू —तुदा॰ पर॰, स्वा॰, क्रया॰, चुरा॰ + उभ॰ —वि- धू—-—छोड़ना, छोड़ देना, त्याग देना
धूः —स्त्री॰—-—धू + क्विप्—हिलना, कांपना, क्षुब्ध होना
धूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धू + क्त—हिला हुआ
धूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धू + क्त—उतार फेंका हुआ, हटाया हुआ
धूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धू + क्त—भड़काया हुआ
धूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धू + क्त—परित्यक्त, उजड़ा हुआ
धूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धू + क्त—फटकारा हुआ
धूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धू + क्त—परीक्षित
धूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धू + क्त—अवज्ञात, तिरस्कारपूर्वक व्यवहार किया गया
धूत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धू + क्त—अनुमानित
धूतकल्मष —वि॰—धूत- कल्मष—-—जिसने अपने पाप उतार फेंके हैं, पापमुक्त
धूतपाप —वि॰—धूत- पाप—-—जिसने अपने पाप उतार फेंके हैं, पापमुक्त
धूतिः —स्त्री॰—-—धू + क्तिन्—हिलाना, इधर- उधर करना
धूतिः —स्त्री॰—-—धू + क्तिन्—भड़्काना
धून —भू॰ क॰ कृ॰—-—धू + क्त, तस्य नः—हिला हुआ, क्षुब्ध
धूनिः —स्त्री॰—-—-—हिलाना, क्षुब्ध करना
धूप् —भ्वा॰ पर॰ <धूपायति>, < धूपायित>—-—-—गरम करना, गरम होना
धूप् —चुरा॰ उभ॰ < धूपयति>, < धूपयते>—-—-—धूनी देना, सुवासित करना, धुपाना, सुगंधित करना
धूप् —चुरा॰ उभ॰ < धूपयति>, < धूपयते>—-—-—चमकना
धूप् —चुरा॰ उभ॰ < धूपयति>, < धूपयते>—-—-—बोलना
धूपः —पुं॰—-—धूप् + अच्—धूप, लोबान, गन्धद्रव्य, कोई सुगंधयुक्त पदार्थ
धूपः —पुं॰—-—धूप् + अच्—वाष्प, सुगंधित वाष्प या धुआँ
धूपः —पुं॰—-—धूप् + अच्—सुगंधित चूर्ण
धूपागरु —नपुं॰—धूपः- अगरु—-—एक प्रकार की गुग्गुल जो धुपाने के काम आती है।
धूपाङ्गः —पुं॰—धूपः- अङ्गः—-—तारपीन
धूपाङ्गः —पुं॰—धूपः- अङ्गः—-—सरल वृक्ष
धूपार्हम् —नपुं॰—धूपः- अर्हम्—-—गुग्गुल
धूपपात्रम् —नपुं॰—धूपः- पात्रम्—-—धूपदान, अगरदान, धूप जलाने का पात्र
धूपवासः —पुं॰—धूपः- वासः—-—गंधद्रव्य के धुएँ से वासना, धूपाना
धूपवृक्षः —पुं॰—धूपः-वृक्षः—-—एक पेड़ जिससे गुग्गुल निकलता है, सरल वृक्ष
धूमः —पुं॰—-—धू + मक्—धूआँ, वाष्प
धूमः —पुं॰—-—धू + मक्—धुंध, कोहरा
धूमः —पुं॰—-—धू + मक्—उल्का, केतु
धूमः —पुं॰—-—धू + मक्—बादल
धूमः —पुं॰—-—धू + मक्—धूआँ
धूमः —पुं॰—-—धू + मक्—डकार, उद्गार
धूमाभ —वि॰—धूमः- आभ—-—धुएँ जैसा प्रतीत होने वाला, धुमैले रंग का
धूमावलिः —पुं॰—धूमः- आवलिः—-—धुएँ का बादल या धूममाला
धूमोत्थम् —पुं॰—धूमः- उत्थम्—-—नौसादर
धूमोद्गारः —पुं॰—धूमः- उद्गारः—-—धुआँ या वाष्प उठना
धूमोर्णा —पुं॰—धूमः- उर्णा—-—यम की पत्नी का नाम
धूमपतिः —पुं॰—धूमः-पतिः—-—यम का विशेषण
धूमकेतनः —पुं॰—धूमः-केतनः—-—आग
धूमकेतनः —पुं॰—धूमः-केतनः—-—उल्का, पुच्छल तारा, गिरता हुआ तारा
धूमकेतनः —पुं॰—धूमः-केतनः—-—केतु
धूमकेतुः —पुं॰—धूमः- केतुः—-—आग
धूमकेतुः —पुं॰—धूमः- केतुः—-—उल्का, पुच्छल तारा, गिरता हुआ तारा
धूमकेतुः —पुं॰—धूमः- केतुः—-—केतु
धूमजः —पुं॰—धूमः- जः—-—बादल
धूमध्वजः —पुं॰—धूमः- ध्वजः—-—अग्नि
धूमपानम् —नपुं॰—धूमः- पानम्—-—धुआँ या वाष्प पीना
धूममहिषी —स्त्री॰—धूमः- महिषी—-—कोहरा, ध्रुव
धूमयोनिः —पुं॰—धूमः- योनिः—-—बादल
धूमल —वि॰—-—धूम + ला + क—धुमैला, भूरा- लाल, मटमैला
धूमायति —ना॰ धा॰ पर॰—-—-—धूएँ से भर देना, वाष्प से ढक देना, अँधेरा करना
धूमायते —ना॰ धा॰ पर॰—-—-—धूएँ से भर देना, वाष्प से ढक देना, अँधेरा करना
धूमिका —स्त्री॰—-—धूम + ठन् + टा—वाष्प, कोहरा,धुंध
धूमित —वि॰—-—धूम + इतच्—धूएँ से ढका हुआ, अंधकारयुक्त- @ कु॰ ४/३०
धूम्या —स्त्री॰—-—धूम + यत् + टाप्—धूएँ का बादल, प्रगाढ़ धुआँ
धूम्र —वि॰—-—धूम + रा + क—धुमैला, धुएँ वाला, भूरा
धूम्र —वि॰—-—धूम + रा + क—गहरा लाल
धूम्र —वि॰—-—धूम + रा + क—काला, अंधकारावृत
धूम्र —वि॰—-—धूम + रा + क—मटमैला
धूम्रः —पुं॰—-—-—काले और लाल रंग का मिश्रण
धूम्रम् —नपुं॰—-—-—पाप, दुर्व्यसन, दुष्टता
धूम्राटः —पुं॰—धूम्र-अटः—-—एक प्रकार की शिकारी चिड़ियाँ
धूम्ररुच् —वि॰—धूम्र- रुच्—-—मटमैले रंग का
ध्रूमलोचनः —पुं॰—ध्रूम- लोचनः—-—कबूतर
ध्रूमलोहित —वि॰—ध्रूम- लोहित—-—गहरा लाल, गाढा मटमैला
ध्रूमलोहितः —पुं॰—ध्रूम- लोहितः—-—शिव का विशेषण
ध्रूमशूकः —पुं॰—ध्रूम- शूकः—-—ऊँट
धूम्रकः —पुं॰—-—धूम्र + कै + क—ऊँट
धूर्त —वि॰—-—धूर्व( धूर्) + क्त—चालाक, शठ, बदमाश, मक्कार, जालसाज
धूर्त —वि॰—-—धूर्व( धूर्) + क्त—उपद्रवी, क्षति पहुँचाने वाला
धूर्तः —पुं॰—-—-—ठग, बदमाश, उचक्का
धूर्तः —पुं॰—-—-—प्रेमी, रसिया, विनोदप्रिय धूर्त
धूर्तकृत् —वि॰—धूर्त-कृत्—-—मक्कार, बेइमान
धूर्तकृत् —पुं॰—धूर्त-कृत्—-—धतूरे का पौधा
धूर्तजन्तुः —पुं॰—धूर्त- जन्तुः—-—मनुष्य
धूर्तरचना —स्त्री॰—धूर्त- रचना—-—धूर्त विद्या, बदमाशी
धूर्तकः —पुं॰—-—धूर्त + कन्—गीदड़
धूर्तकः —पुं॰—-—धूर्त + कन्—बदमाश
पूर्वी —पुं॰—-—धुर + अज् + क्विप्, अज् इत्यस्य वी आदेशः—गाड़ी का बम, या अगला भाग
धूलकम् —नपुं॰—-—धू + लक + वा॰—विष, ज़हर
धूलिः —पुं॰—-—धू + लि बा॰—धूल
धूलिः —पुं॰—-—धू + लि बा॰—चूर्ण
धूली —स्त्री॰—-—धूलि + ङीष्—धूल
धूली —स्त्री॰—-—धूलि + ङीष्—चूर्ण
धूलिकुट्टिमम् —नपुं॰—धूलिः- कुट्टिमम्—-—टीला, प्राचीर
धूलिकुट्टिमम् —नपुं॰—धूलिः- कुट्टिमम्—-—जोता हुआ खेत
धूलिकेदारः —पुं॰—धूलिः- केदारः—-—टीला, प्राचीर
धूलिकेदारः —पुं॰—धूलिः- केदारः—-—जोता हुआ खेत
धूलिध्वजः —पुं॰—धूलिः- ध्वजः—-—वायु
धूलिपटलः —पुं॰—धूलिः- पटलः—-—धूल का ढेर
धूलिपुष्पिका —स्त्री॰—धूलिः- पुष्पिका—-—केतकी का पौधा
धूलिपुष्पी —स्त्री॰—धूलिः-पुष्पी—-—केतकी का पौधा
धूलिका —स्त्री॰—-—धूलि + कन् + टाप्—कोहरा, धुंध
धूसर —वि॰—-—धू + सर, किच्च न धत्वम्—धूल के रंग का, भूरा सा, धुमैला- सफेद रंग का, मटमैला
धृ —तुदा॰ आ॰- धृ का कर्मवा॰ रूप- < ध्रियते>, < धृत>—-—-—होना, विद्यमान होना, रहना, रहते रहना, जीवित रहना
धृ —तुदा॰ आ॰- धृ का कर्मवा॰ रूप- < ध्रियते>, < धृत>—-—-—स्थापित या सुरक्षित रहना, रहना, चलते रहना
धृ —तुदा॰ आ॰- धृ का कर्मवा॰ रूप- < ध्रियते>, < धृत>—-—-—संकल्प करना
धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰ < धरति>, < धरते>, < धारयति>, < धारयते>, < धृत>, < धारित>—-—-—थामना, संभालना, ले जाना
धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰ < धरति>, < धरते>, < धारयति>, < धारयते>, < धृत>, < धारित>—-—-—थामना, संभालना, स्थापित रखना, सहारा देना, जीवित रखना
धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰ < धरति>, < धरते>, < धारयति>, < धारयते>, < धृत>, < धारित>—-—-—अपने अधिकार में थामे रखना, अधिकार में करना, पास रखना, रखना
धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰ < धरति>, < धरते>, < धारयति>, < धारयते>, < धृत>, < धारित>—-—-—धारण करना, लेना
धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰ < धरति>, < धरते>, < धारयति>, < धारयते>, < धृत>, < धारित>—-—-—पहनना, धारण करना, उपयोग में लाना
धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰ < धरति>, < धरते>, < धारयति>, < धारयते>, < धृत>, < धारित>—-—-—रोकना, दमन करना, नियंत्रण करना, ठहराना, स्थगित करना
धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰ < धरति>, < धरते>, < धारयति>, < धारयते>, < धृत>, < धारित>—-—-—जमाना, संकेत करना
धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰ < धरति>, < धरते>, < धारयति>, < धारयते>, < धृत>, < धारित>—-—-—भुगतना, भोगना
धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰ < धरति>, < धरते>, < धारयति>, < धारयते>, < धृत>, < धारित>—-—-—किसी व्यक्ति के लिए कोई वस्तु निर्धारित करना, नियत करना, निर्दिष्ट करना
धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰ < धरति>, < धरते>, < धारयति>, < धारयते>, < धृत>, < धारित>—-—-—किसी का ऋणी होना
धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰ < धरति>, < धरते>, < धारयति>, < धारयते>, < धृत>, < धारित>—-—-—थामना, रखना
धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰ < धरति>, < धरते>, < धारयति>, < धारयते>, < धृत>, < धारित>—-—-—पालन करना, अभ्यास करना
धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰ < धरति>, < धरते>, < धारयति>, < धारयते>, < धृत>, < धारित>—-—-—हवाला देना, उद्धृत करना
मनसाधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—मनसा धृ—-—मन में धारण करना, याद रखना
शिरसाधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—शिरसा धृ—-—सिर पर रखना, अत्यंत आदर करना
मूर्ध्निधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—मूर्ध्नि धृ—-—सिर पर रखना, अत्यंत आदर करना
अंतरेधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—अंतरे धृ—-—धरोहर रखना, जमानत के रूप में जमा करना
समयेधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—समये धृ—-—सहमत करना
दण्डन्धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—दण्डं धृ—-—दण्ड देना, सजा देना, बल का उपयोग करना
जीवितन्धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—जीवितं धृ—-—जीवित रहना, आत्मा को स्थापित रखना, प्राणों का सुरक्षित रखना
प्राणाशरीरन्धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—प्राणान् शरीरं धृ—-—जीवित रहना, आत्मा को स्थापित रखना, प्राणों का सुरक्षित रखना
गात्रन्देहन्धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—गात्रं देहम् धृ—-—जीवित रहना, आत्मा को स्थापित रखना, प्राणों का सुरक्षित रखना
व्रतन्धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—व्रतं धृ—-—व्रत का पालन करना
तुलयाधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—तुलया धृ—-—तराजू में रखना, तोलना
मनःधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—मनः धृ—-—किसी वस्तु में मन लगाना, मन जमाना, सोचना, दृढ़ संकल्प करना
मतिधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—मतिम् धृ—-—किसी वस्तु में मन लगाना, मन जमाना, सोचना, दृढ़ संकल्प करना
चित्तधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—चित्तम् धृ—-—किसी वस्तु में मन लगाना, मन जमाना, सोचना, दृढ़ संकल्प करना
बुद्धिधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—बुद्धिम् धृ—-—किसी वस्तु में मन लगाना, मन जमाना, सोचना, दृढ़ संकल्प करना
गर्भधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—गर्भ धृ—-—गर्भवती होना
धारणान्धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—धारणां धृ—-—पालन करना
अवधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—अव- धृ—-—स्थिर करना, निर्धारित करना, निश्चित करना
अवधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—अव- धृ—-—जानना, निश्चय करना, समझना, सही- सही जानना
उद्धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—उद्- धृ—-—ऊपर उठाना, उन्नत करना
उद्धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—उद्- धृ—-—बचाना, परित्राण करना
उद्धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—उद्- धृ—-—बाहर निकालना, उद्धृत करना
उद्धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—उद्- धृ—-—उन्मूलन करना, उखाड़ना
निर्धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—निस्- धृ—-—निर्धारण करना, निश्चित करना, नियत करना
विधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—वि- धृ—-—धर पकड़ना, पकड़ लेना, ग्रहण करना, धारण कर लेना
विधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—वि- धृ—-—पहनना, धारण करना, उपयोग में लाना
विधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—वि- धृ—-—स्थापित रखना, वहन करना, सहारा देना, थाम लेना
विधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—वि- धृ—-—टकटकी लगाना, निदेश देना
सन्धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—सम्- धृ—-—थामना, संभालना, ले जाना
सन्धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—सम्- धृ—-—थाम लेना, सहारा देना
सन्धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—सम्- धृ—-—दबाना, नियंत्रण में रखना, रोकना
सन्धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—सम्- धृ—-—मन में रखना, याद रखना
समूद्धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—समूद्-धृ—-—जड़ से उखाड़ लेना, उन्मूलन करना
समूद्धृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—समूद्-धृ—-—बचाना, परित्राण करना
सम्प्रधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—सम्प्र- धृ—-—जानना, निर्धारण करना, निश्चय करना
सम्प्रधृ —भ्वा॰ चुरा॰ उभ॰—सम्प्र- धृ—-—विचार-विमर्श करना,चिन्तन करना, सोचना, विचार करना
धृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धृ + क्त—थामा गया, ले जाया गया, वहन किया गया, सहारा दिया गया
धृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धृ + क्त—अधिकृत किया गया
धृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धृ + क्त—रक्खा गया, संधारित, धारण किया गया
धृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धृ + क्त—पकड़ा गया, आत्मसात् किया गया, संभाला गया
धृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धृ + क्त—पहना गया, उपयोग में लाया गया
धृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धृ + क्त—रख दिया गया, जमा किया गया
धृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धृ + क्त—अभ्यास किया गया, पालन किया गया
धृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धृ + क्त—तोला गया
धृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धृ + क्त—धारण किया हुआ, संभाला हुआ
धृत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धृ + क्त—तुला हुआ
धृतात्मन् —वि॰—धृत- आत्मन्—-—पक्के मन वाला, स्थिर, शान्त, स्वस्थचित्त
धृतदण्ड —वि॰—धृत- दण्ड—-—दण्ड देने वाला
धृतदण्ड —वि॰—धृत- दण्ड—-—वह जिसको दण्ड दिया जाता है।
धृटपट —वि॰—धृट- पट—-—कपड़े से ढका हुआ
धृतराजन् —वि॰—धृत- राजन्—-—अच्छे राजा द्वारा शासित
धृतराष्ट्रः —पुं॰—धृत-राष्ट्रः—-—विचित्र वीर्य की विधवा पत्नी से उत्पन्न व्यास का ज्येष्ठ पुत्र
धृतवर्मन् —वि॰—धृत- वर्मन्—-—लेना, पकड़ना, हस्तगत करना
धृतिः —स्त्री॰—-—धृ + क्तिन्—रखना, अधिकृत करना
धृतिः —स्त्री॰—-—धृ + क्तिन्—स्थापित रखना, सहारा देना
धृतिः —स्त्री॰—-—धृ + क्तिन्—दृढ़ता, स्थिरता, स्थैर्य
धृतिः —स्त्री॰—-—धृ + क्तिन्—धैर्य, स्फूर्ति, दृढ़संकल्प, साहस, आत्म-संयम
धृतिः —स्त्री॰—-—धृ + क्तिन्—सन्तोष, तृप्ति, सुख,प्रसन्नता, खुशी, हर्ष
धृतिः —स्त्री॰—-—धृ + क्तिन्—साहित्यशास्त्र में वर्णित ३३ व्यभिचारीभावों में ’ सन्तोष’ की गिनती की गई है।
धृतिः —स्त्री॰—-—धृ + क्तिन्—यज्ञ
धृतिमत् —वि॰—-—धृति + मतुप्—पक्का, स्थिर, दृढ़, अडिग
धृतिमत् —वि॰—-—धृति + मतुप्—संतुष्ट, प्रसन्न, प्रह्रुष्ट, तृप्त
धृत्वन् —पुं॰—-—धृ + क्वनिप्—विष्णु का विशेषण
धृत्वन् —पुं॰—-—धृ + क्वनिप्—ब्रह्मा की उपाधि
धृत्वन् —पुं॰—-—धृ + क्वनिप्—सद्गुण, नैतिकता
धृत्वन् —पुं॰—-—धृ + क्वनिप्—आकाश
धृत्वन् —पुं॰—-—धृ + क्वनिप्—समुद्र
धृत्वन् —पुं॰—-—धृ + क्वनिप्—चतुर व्यक्ति
धृष् —भ्वा॰ पर॰ < धर्षति>, < धर्षित>—-—-—एकत्र होना, संहत होना, चोट पहुंचाना, क्षति पहुंचाना
धृष् —भ्वा॰ पर॰ चुरा॰ उभ॰ < धर्षति>, < धर्षयति>, < धर्षयते>—-—-—नाराज करना, चोट पहुंचाना, क्षति पहुंचाना
धृष् —भ्वा॰ पर॰ चुरा॰ उभ॰ < धर्षति>, < धर्षयति>, < धर्षयते>—-—-—अपमानित करना, मर्यादा से हीन व्यवहार करना
धृष् —भ्वा॰ पर॰ चुरा॰ उभ॰ < धर्षति>, < धर्षयति>, < धर्षयते>—-—-—धावा बोलना, जीतना, पराभूत करना, विजय प्राप्त करना, नष्ट करना
धृष् —भ्वा॰ पर॰ चुरा॰ उभ॰ < धर्षति>, < धर्षयति>, < धर्षयते>—-—-—आक्रमण करने का साहस करना, ललकारना, चुनौती देना
धृष् —भ्वा॰ पर॰ चुरा॰ उभ॰ < धर्षति>, < धर्षयति>, < धर्षयते>—-—-—बलात्कार करना, सतीत्व हरण करना
धृष् —स्वा॰ पर॰ < धृष्णोति>, < धृष्ट>—-—-—दिलेर या साहसी होना
धृष् —स्वा॰ पर॰ < धृष्णोति>, < धृष्ट>—-—-—विश्वस्त होना
धृष् —स्वा॰ पर॰ < धृष्णोति>, < धृष्ट>—-—-—घमंडी होना, उद्धत होना
धृष् —स्वा॰ पर॰ < धृष्णोति>, < धृष्ट>—-—-—ढीठ होना, उतावला होना
धृष् —स्वा॰ पर॰ < धृष्णोति>, < धृष्ट>—-—-—साहस करना, निडर होना
धृष् —स्वा॰ पर॰ < धृष्णोति>, < धृष्ट>—-—-—ललकारना, चुनौती देना
धृष् —चुरा॰ आ॰- < धर्षयते>—-—-—हमला करना, आक्रमण करना, बलात्कार करना
धृष्ट —वि॰—-—धृष् + क्त—दिलेर, साहसी, विश्वस्त
धृष्ट —वि॰—-—धृष् + क्त—ढीठ, अक्खड़, निर्लज्ज, उच्छृंखल, अविनीत
धृष्ट —वि॰—-—धृष् + क्त—प्रगल्भ, दुःसाहसी
धृष्ट —वि॰—-—धृष् + क्त—दुश्चरित्र, लुच्चा
धृष्टः —पुं॰—-—-—विश्वासघातक पति या प्रेमी
धृष्टद्युम्नः —पुं॰—धृष्ट- द्युम्नः—-—द्रुपद का पुत्र और द्रौपदी का भाई
धृष्णज् —वि॰—-—धृष् + नजिङ्—साहसी, विश्वस्त
धृष्णज् —वि॰—-—धृष् + नजिङ्—ढीठ, निर्लज्ज
धृष्णिः —पुं॰—-—धृष् + नि—प्रकाश की किरण
धृष्णु —वि॰—-—धृष् + क्नु—दिलेर, विश्वस्त, साहसी, बहादुर, बलशाली
धृष्णु —वि॰—-—धृष् + क्नु—निर्लज्जं, ढीठ
धे —भ्वा॰ पर॰ < धयति>, < धीत>- पुं॰—-—-—चूसना, पीना, घूट भरना, निगल जाना
धे —भ्वा॰ पर॰ < धयति>, < धीत>- पुं॰—-—-—चूमना
धे —भ्वा॰ पर॰ < धयति>, < धीत>- पुं॰—-—-—चूस लेना, खींच लेना, ले लेना
धेनः —पुं॰—-—धे + नन्—समुद्र
धेनुः —स्त्री॰—-—धयति सुतान्, धीयते वत्सैर्वा- धे + नु इच्च तारा॰—गाय, दुधार गाय
धेनुः —स्त्री॰—-—धयति सुतान्, धीयते वत्सैर्वा- धे + नु इच्च तारा॰—किसी जाति की स्त्री
धेनुक —वि॰—-—धेनु + कन्—एक राक्षस का नाम जिसको बलराम ने मार गिराया था।
धेनुकसूदनः —पुं॰—धेनुक- सूदनः—-—बलराम का विशेषण
धेनुका —स्त्री॰—-—धेनुक + टाप्—हथिनी
धेनुका —स्त्री॰—-—धेनुक + टाप्—दूध देने वाली गाय
धेनुष्या —स्त्री॰—-—धेनु + यत्, सुक्—वह गाय जिसका दूध बंधक रूप में सुरक्षित हो।
धैनुकम् —नपुं॰—-—धेनु + ठक्—गौओं का समूह
धैनुकम् —नपुं॰—-—धेनु + ठक्—रतिबंध
धैर्यम् —नपुं॰—-—धीर + ष्यञ्—दृढ़ता, टिकाऊपन, सामर्थ्य, ठोसपन, स्थिरता, स्थायिता, धीरज, साहस
धैर्यम् —नपुं॰—-—धीर + ष्यञ्—शान्ति, स्वस्थता
धैर्यम् —नपुं॰—-—धीर + ष्यञ्—गुरुत्वाकर्षण शक्ति, सहिष्णुता
धैर्यम् —नपुं॰—-—धीर + ष्यञ्—अनम्यता
धैर्यम् —नपुं॰—-—धीर + ष्यञ्—हिम्मत, दिलेरी
धैवतः —पुं॰—-—धीमत् + अण् पृषो॰ मस्य वत्वम्—भारतीय सरगम स्वरग्राम के सात स्वरों में छठा स्वर
धैवत्यम् —नपुं॰—-—धीवत् + ष्यञ्—चतुराई
धोडः —पुं॰—-—-—साँपों का एक प्रकार जिनमें ज़हर नहीं होता
धोर् —भ्वा॰ पर॰ < धोरति>—-—-—जल्दी जाना, अच्छे क़दम रखना, दौड़ना, दुल्की चलना
धोर् —भ्वा॰ पर॰ < धोरति>—-—-—कुशल होना
धोरणम् —नपुं॰—-—धोर् + ल्युट्—वाहन, सवारी
धोरणम् —नपुं॰—-—धोर् + ल्युट्—जल्दी जाना
धोरणम् —नपुं॰—-—धोर् + ल्युट्—घोड़े की दुल्की चाल
धोरणिः —स्त्री॰—-—धोर् + अनि, धोरणि + ङीप्—अनवच्छिन्न श्रेणी या नैरन्तर्य
धोरणी —स्त्री॰—-—धोर् + अनि, धोरणि + ङीप्—परम्परा
धोरितम् —नपुं॰—-—धोर् + क्त—क्षति पहुँचाना, चोट पहुँचाना, प्रहार करना
धोरितम् —नपुं॰—-—धोर् + क्त—गमन, गति
धोरितम् —नपुं॰—-—धोर् + क्त—घोड़े की दुल्की चाल
धौत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धाव् + क्त—धोया हुआ, बहाया गया, साफ किया गया, पवित्र किया गया, प्रक्षालन किया गया
धौत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धाव् + क्त—चमकाया हुआ, उजला किया हुआ
धौत —भू॰ क॰ कृ॰—-—धाव् + क्त—उजला, सफ़ेद, चमकदार, चमकीला, चमचमाता हुआ
धौतकटः —पुं॰—धौत- कटः—-—मोटे कपड़े का थैला
धौतकोषजम् —नपुं॰—धौत- कोषजम्—-—धुली हुई रेशम
धौतकौषेयम् —नपुं॰—धौत- कौषेयम्—-—धुली हुई रेशम
धौतशिलम् —नपुं॰—धौत- शिलम्—-—स्फटिक
धौम्रः —पुं॰—-—धूम्र + अण्—भूरापन
धौम्रः —पुं॰—-—धूम्र + अण्—मकान बनाने के लिए स्थान
धौरितकम् —नपुं॰—-—धोरित + अण् + कन्—घोड़े की दुल्की चाल
धौरेय —वि॰—-—धुरं वहति ढक्—बोझा ले जाने के योग्य
धौरेयः —पुं॰—-—-—बोझा ढोने का पशु
धौर्तकम् —नपुं॰—-—धूर्तस्य भावः कर्म वा- धूर्त + वुञ्—जालसाजी, बेईमानी, बदमाशी
धौर्तिकम् —नपुं॰—-—धूर्तस्य भावः कर्म वा- धूर्त + ठञ्—जालसाजी, बेईमानी, बदमाशी
धौर्त्यम् —नपुं॰—-—धूर्तस्य भावः कर्म वा- धूर्त +ष्यञ् —जालसाजी, बेईमानी, बदमाशी
ध्मा —भवा॰ पर॰ < धमति>, < ध्मात>, पुं॰—-—-—फूंक मारना, श्वास बाहर निकालना, निःश्वसन
ध्मा —भवा॰ पर॰ < धमति>, < ध्मात>, पुं॰—-—-—धौंकना, फूंक मार कर बजाना
ध्मा —भवा॰ पर॰ < धमति>, < ध्मात>, पुं॰—-—-—आग को फूंकना, फूंक मारकर आग को उद्दीप्त करना, चिंगारियाँ उठाना
ध्मा —भवा॰ पर॰ < धमति>, < ध्मात>, पुं॰—-—-—फूंक द्वारा निर्माण करना
ध्मा —भवा॰ पर॰ < धमति>, < ध्मात>, पुं॰—-—-—फेंकना, फूँक से उड़ाना, फेंक देना
आध्मा —भवा॰ पर॰—आ- ध्मा—-—हवा भरना, फुलाना
आध्मा —भवा॰ पर॰—आ- ध्मा—-—फूंक मारना या हवा से भरना
उपध्मा —भवा॰ पर॰—उप- ध्मा—-—फूंक मारकर तेज करना, पंखा करना
निस्ध्मा —भवा॰ पर॰—निस्- ध्मा—-—फूंक मारकर बाहर निकालना
प्रध्मा —भवा॰ पर॰—प्र- ध्मा—-—बजाना
विध्मा —भवा॰ पर॰—वि-ध्मा—-—बिखेरना, तितर-बितर करना, नष्ट करना
ध्माकारः —पुं॰—-—ध्मा + कृ + अण्—लुहार, लोहकार
ध्मांक्षः —पुं॰—-—-—भिक्षुक
ध्मांक्षः —पुं॰—-—-—ढीठ व्यक्ति
ध्मांक्षः —पुं॰—-—-—मुर्गाबी, सारस
ध्मात —भू॰ क॰ कृ॰—-—ध्मा + क्त—बजाया हुआ, पंखा किया हुआ, भड़काया हुआ
ध्मात —भू॰ क॰ कृ॰—-—ध्मा + क्त—हवा भरा हुआ, फूला हुआ, फुलाया हुआ
ध्यात —वि॰—-—ध्यै + क्त—सोचा हुआ, विचार किया हुआ
ध्यानम् —नपुं॰—-—ध्यै + ल्युट्—मनन, विमर्श, विचार, चिन्तन
ध्यानम् —नपुं॰—-—ध्यै + ल्युट्—विशेष रूप से सूक्ष्मचिंतन, धार्मिक मनन
ध्यानम् —नपुं॰—-—ध्यै + ल्युट्—दिव्य अन्तर्ज्ञान या अन्तर्विवेक
ध्यानम् —नपुं॰—-—ध्यै + ल्युट्—किसी देवता की व्यक्तिगत उपाधियों का मानसिक चिन्तन
ध्यानगम्य —वि॰—ध्यानम्- गम्य—-—केवल मनन द्वारा प्राप्य
ध्यानतत्पर —वि॰—ध्यानम्- तत्पर—-—विचारों में खोया हुआ, मनन में लीन, चिन्तनशील
ध्याननिष्ठ —वि॰—ध्यानम्- निष्ठ—-—विचारों में खोया हुआ, मनन में लीन, चिन्तनशील
ध्यानपर —वि॰—ध्यानम्- पर—-—विचारों में खोया हुआ, मनन में लीन, चिन्तनशील
ध्यानस्थ —वि॰—ध्यानम्- स्थ—-—मनन में लीन, विचारों में खोया हुआ
ध्यानिक —वि॰—-—ध्यान + ठक्—सूक्ष्म मनन और पवित्र चिंतन के द्वारा अनुसंहित या प्राप्त
ध्याम —वि॰—-—ध्यै + मक्—अस्वच्छ, मैला, काला, मलिन
ध्यामम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का घास
ध्यामन् —पुं॰—-—ध्यै + मनिन्—माप, प्रकाश
ध्यै —भ्वा॰ पर॰ < ध्यायति>, < ध्यात>, इच्छा॰ < दिध्यासति>, कर्मवा॰ < ध्यायते>—-—-—सोचना, मनन करना, विचार करना, चिंतन करना, विचार-विमर्श करना, कल्पना करना, याद करना
अनुध्यै —भ्वा॰ पर॰ —अनु- ध्यै—-—सोचना, ध्यान लगाना
अनुध्यै —भ्वा॰ पर॰ —अनु- ध्यै—-—याद करना
अनुध्यै —भ्वा॰ पर॰ —अनु- ध्यै—-—मंगलकामना करना, आशीर्वाद देना, अनुग्रह करना
अपध्यै —भ्वा॰ पर॰ —अप- ध्यै—-—बुरा सोचना, मन से शाप देना
अभिध्यै —भ्वा॰ पर॰ —अभि- ध्यै—-—कामना करना, इच्छा करना, लालच करना
अभिध्यै —भ्वा॰ पर॰ —अभि- ध्यै—-—सोचना
अवध्यै —भ्वा॰ पर॰ —अव- ध्यै—-—अवहेलना करना
निस्ध्यै —भ्वा॰ पर॰ —निस्- ध्यै—-—सोचना, मनन करना
विध्यै —भ्वा॰ पर॰ —वि- ध्यै—-—सोचना, मनन करना, याद करना
विध्यै —भ्वा॰ पर॰ —वि- ध्यै—-—गहन मनन करना, टकटकी लगाकर देखना
ध्राडिः —पुं॰—-—ध्राड् + इन्—फूल चुनना
ध्रुव —वि॰—-—ध्रु + क—स्थिर, दृढ़, अचल, स्थावर, स्थायी, अटल, अपरिवर्तनीय
ध्रुव —वि॰—-—ध्रु + क—शाश्वत, सदैव रहने वाला, नित्य
ध्रुव —वि॰—-—ध्रु + क—स्थिर
ध्रुव —वि॰—-—ध्रु + क—निश्चित, अचूक, अनिवार्य
ध्रुव —वि॰—-—ध्रु + क—मेधावी, धारणशील
ध्रुव —वि॰—-—ध्रु + क—मजबूत, स्थिर, निश्चित
ध्रुवः —पुं॰—-—ध्रु + क—ध्रुव तारा
ध्रुवः —पुं॰—-—ध्रु + क—किसी बड़े वृत्त के दोनों सिरे
ध्रुवः —पुं॰—-—ध्रु + क—नक्षत्र राशिचक्र के आरंभ से ग्रह की दूरी, ध्रुवीय देशांतर रेखा
ध्रुवः —पुं॰—-—ध्रु + क—वटवृक्ष
ध्रुवः —पुं॰—-—ध्रु + क—स्थाणु, खूंटा
ध्रुवः —पुं॰—-—ध्रु + क—तना
ध्रुवः —पुं॰—-—ध्रु + क—गीत का आरंभिक पाद, टेक
ध्रुवः —पुं॰—-—ध्रु + क—समय, काल, युग
ध्रुवः —पुं॰—-—ध्रु + क—ब्रह्मा का विशेषण
ध्रुवः —पुं॰—-—ध्रु + क—विष्णु
ध्रुवः —पुं॰—-—ध्रु + क—शिव की उपाधि
ध्रुवः —पुं॰—-—ध्रु + क—उत्तानपाद के पुत्र और मनु के पौत्र का नाम
ध्रुवम् —नपुं॰—-—ध्रु + क—आकाश, अन्तरिक्ष
ध्रुवम् —नपुं॰—-—ध्रु + क—स्वर्ग
ध्रुवा —स्त्री॰—-—ध्रु + क+टाप्—यज्ञ का श्रुवा
ध्रुवा —स्त्री॰—-—ध्रु + क+टाप्—साध्वी स्त्री
ध्रुवम् —नपुं॰—-—ध्रु + क—अवश्य, निश्चित रूप से, यकीनन
ध्रुवाक्षरः —पुं॰—ध्रुव- अक्षरः—-—विष्णु की उपाधि
ध्रुवावर्त्तः —पुं॰—ध्रुव- आवर्त्तः—-—सिर पर रक्खे मुकुट का वह स्थान जहां से बाल चमकते हैं।
ध्रुवतारकम् —नपुं॰—ध्रुव-तारकम्—-—ध्रुव तारा
ध्रुवतारा —स्त्री॰—ध्रुव-तारा—-—ध्रुव तारा
ध्रुवकः —पुं॰—-—ध्रुव + कन्—गीत का आरम्भिक पद
ध्रुवकः —पुं॰—-—ध्रुव + कन्—तना, भृत
ध्रुवकः —पुं॰—-—ध्रुव + कन्—स्थूणा
ध्रौव्यम् —नपुं॰—-—ध्रुव + ष्यञ्—स्थिरता, दृढ़ता, स्थावरता
ध्रौव्यम् —नपुं॰—-—ध्रुव + ष्यञ्—अवधि
ध्रौव्यम् —नपुं॰—-—ध्रुव + ष्यञ्—निश्चय
ध्वस् —भ्वा॰ आ॰ < ध्वंसते>, < ध्वस्त>—-—-—नीचे गिरना, गिर कर टुकड़े-टुकड़े होना, चूर-चूर हो जाना
ध्वस् —भ्वा॰ आ॰ < ध्वंसते>, < ध्वस्त>—-—-—गिरना, डूबना, हताश होना
ध्वस् —भ्वा॰ आ॰ < ध्वंसते>, < ध्वस्त>—-—-—नष्ट होना, बर्बाद होना
ध्वस् —भ्वा॰ आ॰ < ध्वंसते>, < ध्वस्त>—-—-—ग्रस्त होना
ध्वस् —भ्वा॰ आ॰ , प्रेर॰—-—-—नष्ट करना
प्रध्वस् —भ्वा॰ आ॰ —प्र- ध्वस्—-—नष्ट होना, मिट जाना
विध्वस् —भ्वा॰ आ॰ —वि-ध्वस्—-—गिरकर टुकड़े- टुकड़े होना
विध्वस् —भ्वा॰ आ॰ —वि-ध्वस्—-—तितर-बितर हो जाना, बिखर जाना
विध्वस् —भ्वा॰ आ॰ —वि-ध्वस्—-—नष्ट होना, मिट जाना, बर्बाद होना
ध्वंसः —पुं॰—-—ध्वंस् + घञ्—नीचे गिर जाना, डूबना, गिर कर टुकड़े-टुकड़े हो जाना
ध्वंसः —नपुं॰—-—ध्वंस् + घञ्—हानि, नाश, बर्बादी
ध्वंसनम् —पुं॰—-—ध्वंस् +ल्युट् —नीचे गिर जाना, डूबना, गिर कर टुकड़े-टुकड़े हो जाना
ध्वंसनम् —नपुं॰—-—ध्वंस् +ल्युट् —हानि, नाश, बर्बादी
ध्वंसी —स्त्री॰—-—ध्वंस् + घञ्+ ङीप्—सूर्य की किरण में धूलिकण
ध्वंसिः —पुं॰—-—ध्वंस् + इन्—मुहूर्त का शतांश
ध्वजः —पुं॰—-—ध्वज् + अच्—ध्वज, झण्डा, पताका, वैजयन्ती
ध्वजः —पुं॰—-—ध्वज् + अच्—पूज्य या प्रमुख व्यक्ति, झंडा या भूषण
ध्वजः —पुं॰—-—ध्वज् + अच्—वह बांस जिसमें झण्डा लहराता है।
ध्वजः —पुं॰—-—ध्वज् + अच्—चिह्न, निशान, लक्षण, प्रतीक
ध्वजः —पुं॰—-—ध्वज् + अच्—देवता की उपाधि
ध्वजः —पुं॰—-—ध्वज् + अच्—पथिकाश्रम का चिह्न
ध्वजः —पुं॰—-—ध्वज् + अच्—व्यवसाय का चिह्न- व्यवसाय लक्षण
ध्वजः —पुं॰—-—ध्वज् + अच्—जननेन्द्रिय
ध्वजः —पुं॰—-—ध्वज् + अच्—कलाल
ध्वजः —पुं॰—-—ध्वज् + अच्—किसी वस्तु से पूर्व की ओर स्थित घर
ध्वजः —पुं॰—-—ध्वज् + अच्—घमंड
ध्वजः —पुं॰—-—ध्वज् + अच्—पाखंड
ध्वजांशुकम् —नपुं॰—ध्वजः- अंशुकम्—-—झंडा
ध्वजपटः —पुं॰—ध्वजः-पटः—-—झंडा
ध्वजपटम् —नपुं॰—ध्वजः-पटम्—-—झंडा
ध्वजाहत —वि॰—ध्वजः-आहत—-—युद्धभूमि में पकड़े हुए
ध्वजगृहम् —नपुं॰—ध्वजः-गृहम्—-—वह कमरा जहाँ झंडे रक्खे जाते हैं।
ध्वजद्रुमः —पुं॰—ध्वजः-द्रुमः—-—ताड़ का वृक्ष
ध्वजप्रहरणः —पुं॰—ध्वजः-प्रहरणः—-—वायु, हवा
ध्वजयन्त्रम् —नपुं॰—ध्वजः-यन्त्रम्—-—झंडा खड़ा करने की कूटयुक्ति
ध्वजयष्टिः —स्त्री॰—ध्वजः- यष्टिः—-—झंडे का डंडा या बांस
ध्वजवत् —वि॰—-—ध्वज + मतुप् + मस्य वः—झंडों से सजा हुआ
ध्वजवत् —वि॰—-—ध्वज + मतुप् + मस्य वः—चिह्न से युक्त
ध्वजवत् —वि॰—-—ध्वज + मतुप् + मस्य वः—अपराधी के लक्षण से युक्त, दागी
ध्वजवत् —पुं॰—-—-—झंडा-वाहक
ध्वजवत् —पुं॰—-—-—मद्य विक्रेता, कलाल
ध्वजिन् —वि॰—-—ध्वज + इनि—झण्डाबरदार, झण्डा ले जाने वाला
ध्वजिन् —वि॰—-—ध्वज + इनि—चिह्नधारी
ध्वजिन् —वि॰—-—ध्वज + इनि—सुरापात्र के चिह्न वाला
ध्वजिन् —पुं॰—-—-—पताका वाहक
ध्वजिन् —पुं॰—-—-—कलाल, मद्य विक्रेता
ध्वजिन् —पुं॰—-—-—गाड़ी, शकट, रथ
ध्वजिन् —पुं॰—-—-—ब्राह्मण
ध्वजीकरणम् —नपुं॰—-—ध्वज + च्वि + कृ + ल्युट्—झंडोंत्तोलन, झंडे को फहराना
ध्वजीकरणम् —नपुं॰—-—ध्वज + च्वि + कृ + ल्युट्—दावा स्थापित करना, किसी बात को हेतु बनाने वाला
ध्वन् —भ्वा॰ पर॰< ध्वनति>, <ध्वनित>—-—-—शब्द करना, ध्वनि पैदा करना, गुनगुनाना, भिनभिनाना, गूंजना, प्रतिध्वनि करना, गरजना, दहाड़ना
ध्वन् —भ्वा॰ पर॰ प्रेर॰<ध्वनयति>—-—-—शब्द करवाना, बजवाना
ध्वनः —पुं॰—-—ध्वन् + अप्—शब्द, स्वर
ध्वनः —पुं॰—-—ध्वन् + अप्—भिनभिनाना, गुनगुनाना
ध्वननम् —नपुं॰—-—ध्वन् + ल्युट्—ध्वनि निकालना
ध्वननम् —नपुं॰—-—ध्वन् + ल्युट्—संकेत करना, सुझाव देना, या लगाना
ध्वननम् —नपुं॰—-—ध्वन् + ल्युट्—व्यंजना शक्ति, शब्द या वाक्य की वह शक्ति जिसके कारण यह मुख्यार्थ से भिन्न किसी और ही अर्थ को प्रकट करे, सुझाव-शक्ति
ध्वनिः —पुं॰—-—ध्वन् + इ—शब्द, प्रतिध्वनि, कोलाहल या शोर
ध्वनिः —पुं॰—-—ध्वन् + इ—लय, ताल, स्वर
ध्वनिः —पुं॰—-—ध्वन् + इ—वाद्ययंत्र की ध्वनि
ध्वनिः —पुं॰—-—ध्वन् + इ—बादल की गरज या गड़गड़ाहट
ध्वनिः —पुं॰—-—ध्वन् + इ—केवल रिक्तध्वनि
ध्वनिः —पुं॰—-—ध्वन् + इ—शब्द
ध्वनिः —पुं॰—-—ध्वन् + इ—काव्य के तीन मुख्य भेदों में से सर्वोत्तम काव्य जिसमें कि संदर्भ का ध्वन्यर्थ, अभिहित अर्थ की अपेक्षा अधिक चमत्कारक हो, या जहाँ मुख्यार्थ, ध्वन्यर्थ के अधीन हो।
ध्वनिग्रहः —पुं॰—ध्वनिः- ग्रहः—-—कान
ध्वनिग्रहः —पुं॰—ध्वनिः- ग्रहः—-—श्रवण, या श्रुति
ध्वनिग्रहः —पुं॰—ध्वनिः- ग्रहः—-—श्रवणेन्द्रिय
ध्वनिनाला —स्त्री॰—ध्वनिः-नाला—-—एक प्रकार का बिगुल
ध्वनिनाला —स्त्री॰—ध्वनिः-नाला—-—बांसुरी
ध्वनिनाला —स्त्री॰—ध्वनिः-नाला—-—मुरली, वंशी
ध्वनिविकारः —पुं॰—ध्वनिः-विकारः—-—भय या शोक के कारण वाणी का विकार
ध्वनित —भू॰ क॰ कृ॰—-—ध्वन् + क्त—निनादित
ध्वनित —भू॰ क॰ कृ॰—-—ध्वन् + क्त—निहित, ध्वनित, संकेतित
ध्वनितम् —नपुं॰—-—-—बादल की गरज या गड़गड़ाहट
ध्वस्तिः —स्त्री॰—-—ध्वंस् + क्तिन्—नाश, बर्बादी
ध्वांक्षः —पुं॰—-—ध्वंक्ष् + अच्—कौआ
ध्वांक्षः —पुं॰—-—ध्वंक्ष् + अच्—भिक्षुक
ध्वांक्षः —पुं॰—-—ध्वंक्ष् + अच्—ढीठ व्यक्ति
ध्वांक्षः —पुं॰—-—ध्वंक्ष् + अच्—मुर्गाबी, सारस
ध्वांक्षारातिः —पुं॰—ध्वांक्षः- अरातिः—-—उल्लू
ध्वांक्षपुष्टः —पुं॰—ध्वांक्षः- पुष्टः—-—कोयल
ध्वानः —पुं॰—-—ध्वन् + घञ्—शब्द
ध्वानः —पुं॰—-—ध्वन् + घञ्—गुनगुनाना, भिनभिनाना, बुड़बुड़ाना
ध्वान्तम् —नपुं॰—-—ध्वन् + क्त—अंधकार
ध्वान्तोन्मेषः —पुं॰—ध्वान्तम्- उन्मेषः—-—जुगनू
ध्वान्तवित्तः —पुं॰—ध्वान्तम्- वित्तः—-—जुगनू
ध्वान्तशात्रवः —पुं॰—ध्वान्तम्- शात्रवः—-—सूर्य
ध्वान्तशात्रवः —पुं॰—ध्वान्तम्- शात्रवः—-—चाँद
ध्वान्तशात्रवः —पुं॰—ध्वान्तम्- शात्रवः—-—आग
ध्वान्तशात्रवः —पुं॰—ध्वान्तम्- शात्रवः—-—श्वेतवर्ण
ध्वृ —भ्वा॰ पर॰- < ध्वरति>—-—-—झुकाना
ध्वृ —भ्वा॰ पर॰- < ध्वरति>—-—-—हत्या करना
न —वि॰—-—नह् (नश्) + ड—पतला, फाल्तू
न —वि॰—-—नह् (नश्) + ड—खाली, रिक्त
न —वि॰—-—नह् (नश्) + ड—वही, समरूप
न —वि॰—-—नह् (नश्) + ड—अविभक्त
नः —पुं॰—-—-—दौलत, सम्पन्नता
न —अव्य॰—-—-—निषेधात्मक अव्यय, ’नहीं’ ’न तो’ ’न’ का समानार्थक, लोट् लकार में प्रतिषेधात्मक न होकर, आज्ञा, प्रार्थना या कामना के लिए प्रयुक्त
न —अव्य॰—-—-—विधिलिङ् की क्रिया के साथ प्रयुक्त किये जाने पर कई बार इसका अर्थ होता है- ’ऐसा न हो कि’ इस डर से कि कहीं ऐसा न हो’
न —अव्य॰—-—-—तर्कपूर्ण लेखों में ’न’शब्द ’इत्तिचेत्’ के पश्चात् रक्खा जाता है और इसका अर्थ होता है’ ऐसा नहीं
न —अव्य॰—-—-—जब भिन्न-भिन्न वाक्यों में या एक ही वाक्य के क्रमबद्ध वाक्यखण्डों में निषेधक की पुनरावृत्ति करनी होती है तो केवल ’न’ की आवृत्ति की जा सकती है, अथवा उत, च, अपि, चापि और वा आदि अव्ययों के साथ ’न’को रक्खा जा सकता है, कई बार ’न’ द्वितीय तथा अन्य वाक्यखंडों में न रक्खा जाकर केवल च, वा, अपिवा से स्थानापत्ति करता है।
न —अव्य॰—-—-—किसी उक्ति पर बल देने के लिए बहुधा ’न’ को एक और ’न’ के साथ अथवा किसी अन्य निषेधात्मक अव्यय के साथ जोड़ दिया जाता है।
न —अव्य॰—-—-—कुछ शब्दों में नञ् तत्पुरूष के आरम्भ में ’न’ को ऐसा का ऐसा ही रख लिया जाता है।
न —अव्य॰—-—-—’न’ को बहुधा दूसरे अव्ययों के साथ भी जोड़ दिया जाता है।
नासत्यौ —पुं॰—न-असत्यौ—-—अश्विनी कुमार, देवों के वैद्ययुगल
नैक —वि॰—न-एक—-—’एक नहीं’ अर्थात् एक से अधिक, कुछ, कई
नात्मन् —वि॰—न-आत्मन्—-—विविध भांति का, विभिन्न प्रकृति का
नचर —वि॰—न-चर—-—’न रहने वाला’ यूथचारी, संघातवासी, समाज में रहने वाला, सामाजिक
नभेद —वि॰—न-भेद—-—विविध प्रकार का, नाना प्रकार के रूपों का
नरूप —वि॰—न-रूप—-—विविध प्रकार का, नाना प्रकार के रूपों का
नशस् —अव्य॰—न-शस्—-—बार-बार, बहुधा
नकिञ्चन —वि॰—न-किञ्चन—-—अत्यंत गरीब, भिखारी के समान
नकुटम् —नपुं॰—-—कुठ् + क, न शब्देन समासः—नाक, नासिका
नकुलः —पुं॰—-—नास्ति कुलं यस्य, नञो न लोपः प्रकृतिभावात्—नेवला, आखेटी नकुल
नकुलः —पुं॰—-—नास्ति कुलं यस्य, नञो न लोपः प्रकृतिभावात्—चौथा पाण्डव राजकुमार
नक्तम् —नपुं॰—-—नञ् + क्त—रात
नक्तम् —नपुं॰—-—नञ् + क्त—केवल रात्रि के समय खाना, एक प्रकार का धार्मिक व्रत या तपश्चर्या
नक्तान्ध —वि॰—नक्तम्-अन्ध—-—रात्र्यंध, जिसे रात में दिखाई नहीं देता
नक्तचर्या —स्त्री॰—नक्तम्-चर्या—-—रात को घूमना
नक्तचारिन् —पुं॰—नक्तम्-चारिन्—-—उल्लू
नक्तचारिन् —पुं॰—नक्तम्-चारिन्—-—विलाव
नक्तचारिन् —पुं॰—नक्तम्-चारिन्—-—चोर
नक्तचारिन् —पुं॰—नक्तम्-चारिन्—-—राक्षस, पिशाच, भूत-प्रेत
नक्तभोजनम् —नपुं॰—नक्तम्-भोजनम्—-—रात का भोजन, ब्यालू
नक्तमालः —पुं॰—नक्तम्-मालः—-—एक वृक्ष का नाम
नक्तमुखा —स्त्री॰—नक्तम्-मुखा—-—संध्या, सायंकाल
नक्तव्रतम् —नपुं॰—नक्तम्-व्रतम्—-—दिन भर व्रत रखना तथा रात को भोजन करना
नक्तव्रतम् —नपुं॰—नक्तम्-व्रतम्—-—कोई भी साधना या धार्मिक व्रत जो रात में किया जाय।
नक्तम् —अव्य॰—-—-—रात के समय, रात को
नक्तचरः —पुं॰—नक्तम्-चरः—-—रात को घूमने वाला प्राणी
नक्तचरः —पुं॰—नक्तम्-चरः—-—चोर
नक्तचारिन् —पुं॰—नक्तम्-चारिन्—-—
नक्तदिनम् —नपुं॰—नक्तम्-दिनम्—-—रात दिन
नक्तदिनम् —अव्य॰—नक्तम्-दिनम्—-—रात और दिन
नक्तदिवम् —अव्य॰—नक्तम्-दिवम्—-—रात और दिन
नक्तकः —पुं॰—-—नक्त + कै + क—गंदा, मैला, फटा पुराना कपड़ा
नक्रः —पुं॰—-—न क्रामतीति न + क्रम् + ड, नञे न लोपः—घड़ियाल, मगरमच्छ
नक्रम् —नपुं॰—-—-—दरवाजे की चौखट की ऊपर की लकड़ी
नक्रा —स्त्री॰—-—-—मक्खियों या भिडों का छत्ता
नक्षत्रम् —नपुं॰—-—नक्ष् + अत्रन्—तारा
नक्षत्रम् —नपुं॰—-—नक्ष् + अत्रन्—तारक पुंज, चन्द्रपथ में तारावली, नक्षत्र
नक्षत्रेशः —पुं॰—नक्षत्रम्-ईशः—-—चन्द्रमा
नक्षत्रेश्वरः —पुं॰—नक्षत्रम्-ईश्वरः—-—चन्द्रमा
नक्षत्रनाथः —पुं॰—नक्षत्रम्-नाथः—-—चन्द्रमा
नक्षत्रपः —पुं॰—नक्षत्रम्-पः—-—चन्द्रमा
नक्षत्रपतिः —पुं॰—नक्षत्रम्-पतिः—-—चन्द्रमा
नक्षत्रराजः —पुं॰—नक्षत्रम्-राजः—-—चन्द्रमा
नक्षत्रचक्रम् —नपुं॰—नक्षत्रम्-चक्रम्—-—स्थिर तारा-मंडल
नक्षत्रचक्रम् —नपुं॰—नक्षत्रम्-चक्रम्—-—नक्षत्रों का समूह
नक्षत्रदर्शः —पुं॰—नक्षत्रम्-दर्शः—-—ज्योतिर्विद्, ज्योतिषी
नक्षत्रनेमिः —पुं॰—नक्षत्रम्-नेमिः—-—चन्द्रमा
नक्षत्रनेमिः —पुं॰—नक्षत्रम्-नेमिः—-—ध्रुवतारा
नक्षत्रनेमिः —पुं॰—नक्षत्रम्-नेमिः—-—विष्णु की उपाधि
नक्षत्रनेमिः —स्त्री॰—नक्षत्रम्-नेमिः—-—अन्तिम नक्षत्र, खेती
नक्षत्रपथः —पुं॰—नक्षत्रम्-पथः—-—आकाश जिसमें तारे खिले हों
नक्षत्रपाठकः —पुं॰—नक्षत्रम्-पाठकः—-—ज्योतिषी
नक्षत्रमाला —स्त्री॰—नक्षत्रम्-माला—-—तारापुंज
नक्षत्रमाला —स्त्री॰—नक्षत्रम्-माला—-—२७ मोतियों की माला
नक्षत्रमाला —स्त्री॰—नक्षत्रम्-माला—-—चन्द्रपथ में तारामंडल
नक्षत्रमाला —स्त्री॰—नक्षत्रम्-माला—-—हाथियों के कण्ठ का आभूषण
नक्षत्रयोः —नपुं॰—नक्षत्रम्-योः—-—चन्द्रमा का नक्षत्रों से मिलन
नक्षत्रवर्त्मन् —पुं॰—नक्षत्रम्-वर्त्मन्—-—आकाश
नक्षत्रविद्या —स्त्री॰—नक्षत्रम्-विद्या—-—गणित, ज्योतिष
नक्षत्रवृष्टिः —स्त्री॰—नक्षत्रम्-वृष्टिः—-—टूटने वाले तारे
नक्षत्रसूचकः —पुं॰—नक्षत्रम्-सूचकः—-—अयोग्य ज्योतिषी
नक्षत्रिन् —पुं॰—-—नक्षत्र+ इनि—चन्द्रमा
नक्षत्रिन् —पुं॰—-—नक्षत्र+ इनि—विष्णु का विशेषण
नखः —पुं॰—-—नह् + ख, हकारस्यलोपः—हाथ या पैर की अंगुली का नाखून, पंजा, नखर
नखः —पुं॰—-—नह् + ख, हकारस्यलोपः—बीस की संख्या
नखम् —नपुं॰—-—नह् + ख, हकारस्यलोपः—हाथ या पैर की अंगुली का नाखून, पंजा, नखर
नखम् —नपुं॰—-—नह् + ख, हकारस्यलोपः—बीस की संख्या
नखाङ्कः —पुं॰—नखः- अङ्कः —-—खरोंच, नखचिह्न
नखाघातः —पुं॰—नखः- आघातः—-—खरोंच, नख द्वारा किया गया घाव
नखायुधः —पुं॰—नखः-आयुधः—-—व्याघ्र
नखायुधः —पुं॰—नखः-आयुधः—-—सिंह
नखायुधः —पुं॰—नखः-आयुधः—-—मुर्गा
नखाशिन् —पुं॰—नखः-आशिन्—-—उल्लू
नखकुट्टः —पुं॰—नखः-कुट्टः—-—नाई
नखजाहम् —नपुं॰—नखः-जाहम्—-—नाखून की जड़
नखदारणः —पुं॰—नखः- दारणः—-—बाज़, श्येन
नखदारणम् —नपुं॰—नखः-दारणम्—-—नहरनी, नाखून काटने की कैंची
नखनिकृन्तनम् —नपुं॰—नखः-निकृन्तनम्—-—नाखून काटने की कैंची, नहरना
नखरजनी —स्त्री॰—नखः-रजनी—-—नाखून काटने की कैंची, नहरना
नखपदम् —नपुं॰—नखः-पदम्—-—नखचिह्न, खरोंच
नखव्रणः —पुं॰—नखः-व्रणः—-—नखचिह्न, खरोंच
नखमुचः —पुं॰—नखः-मुचः—-—धनुष
नखलेखा —स्त्री॰—नखः-लेखा—-—नखचिह्न
नखलेखा —स्त्री॰—नखः-लेखा—-—नाखून रंगना
नखविष्किरः —पुं॰—नखः-विष्किरः—-—शिकारी पक्षी
नखशङ्खः —पुं॰—नखः- शङ्खः—-—छोटा शंख
नखम्पच —वि॰—-—नख + पच् + खश्, मुम्—नाखून झुलसाने वाला
नखरः —पुं॰—-—नख + रा + क—अंगुली का नाखून, पंजा, नख
नखरम् —नपुं॰—-—नख + रा + क—अंगुली का नाखून, पंजा, नख
नखरायुधः —पुं॰—नखरः-आयुधः—-—व्याघ्र
नखरायुधः —पुं॰—नखरः-आयुधः—-—सिंह
नखरायुधः —पुं॰—नखरः-आयुधः—-—मुर्गा
नखराह्वः —पुं॰—नखरः- आह्वः—-—करवीर
नखानखि —अभ्य॰—-—नखैश्च नखैश्च प्रहृत्य प्रवृत्तं युद्धम्, ब॰ स॰ —परस्पर नखाघात द्वारा होने वाला युद्ध, नाखूनों की लड़ाई
नाखिन् —वि॰—-—नख + इनि—बड़े
नाखिन् —वि॰—-—नख + इनि—नाखूनों वाला, तेज पंजों वाला
नाखिन् —वि॰—-—नख + इनि—कंटीला, काँटेदार
नाखिन् —पुं॰—-—नख + इनि—व्याघ्र या शेर जैसा नखधारी जन्तु
नगः —पुं॰—-—न गच्छति- न + गम् + ड—पहाड़
नगः —पुं॰—-—न गच्छति- न + गम् + ड—वृक्ष
नगः —पुं॰—-—न गच्छति- न + गम् + ड—पौधा
नगः —पुं॰—-—न गच्छति- न + गम् + ड—सूर्य
नगः —पुं॰—-—न गच्छति- न + गम् + ड—साँप
नगः —पुं॰—-—न गच्छति- न + गम् + ड—सात की संख्या
नगाटनः —पुं॰—नगः-अटनः—-—बंदर
नगाधिपः —पुं॰—नगः-अधिपः—-—हिमालय पर्वत
नगाधिपः —पुं॰—नगः-अधिपः—-—सुमेरु पर्वत
नगाधिराजः —पुं॰—नगः-अधिराजः—-—हिमालय पर्वत
नगाधिराजः —पुं॰—नगः-अधिराजः—-—सुमेरु पर्वत
नगेन्द्रः —पुं॰—नगः-इन्द्रः—-—हिमालय पर्वत
नगेन्द्रः —पुं॰—नगः-इन्द्रः—-—सुमेरु पर्वत
नगारिः —पुं॰—नगः-अरिः—-—इन्द्र का विशेषण
नगोच्छ्रायः —पुं॰—नगः-उच्छ्रायः—-—पहाड़ की ऊँचाई
नगौकस् —पुं॰—नगः-ओकस्—-—पक्षी
नगौकस् —पुं॰—नगः-ओकस्—-—कौवा
नगौकस् —पुं॰—नगः-ओकस्—-—सिंह
नगौकस् —पुं॰—नगः-ओकस्—-—शरभ नाम का काल्पनिक पक्षी
नगज —वि॰—नगः-ज—-—पहाड़ पर उत्पन्न, पहाड़ी
नगजा —स्त्री॰—नगः-जा—-—पार्वती का विशेषण
नगनन्दिनी —स्त्री॰—नगः-नन्दिनी—-—पार्वती का विशेषण
नगपतिः —पुं॰—नगः-पतिः—-—हिमालय पहाड़
नगपतिः —पुं॰—नगः-पतिः—-—चन्द्रमा
नगभिद् —पुं॰—नगः-भिद्—-—कुल्हाड़ा
नगभिद् —पुं॰—नगः-भिद्—-—इन्द्र का विशेषण
नगमूर्धन् —पुं॰—नगः-मूर्धन्—-—पहाड़ की चोटी
नगरन्ध्रकरः —पुं॰—नगः-रन्ध्रकरः—-—कार्त्तिकेय का विशेषण
नगरम् —नपुं॰—-—नग इव प्रासादाः सन्त्यत्र बा॰ र—कस्बा, शहर
नगराधिकृतः —पुं॰—नगरम्-अधिकृतः—-—नगर का मुख्य दण्डनायक, मुख्य आरक्षाधिकारी
नगराधिकृतः —पुं॰—नगरम्-अधिकृतः—-—नगरपाल, नगर का अधीक्षक
नगराधिपः —पुं॰—नगरम्-अधिपः—-—नगर का मुख्य दण्डनायक, मुख्य आरक्षाधिकारी
नगराधिपः —पुं॰—नगरम्-अधिपः—-—नगरपाल, नगर का अधीक्षक
नगराध्यक्षः —पुं॰—नगरम्-अध्यक्षः—-—नगर का मुख्य दण्डनायक, मुख्य आरक्षाधिकारी
नगराध्यक्षः —पुं॰—नगरम्-अध्यक्षः—-—नगरपाल, नगर का अधीक्षक
नगरोपान्तः —पुं॰—नगरम्-उपान्तः—-—उपनगर, नगर के आसपास की आबादी
नगरौकस् —पुं॰—नगरम्-ओकस्—-—नागरिक
नगरकाकः —पुं॰—नगरम्-काकः—-—’शहरुआ कौवा’ एक तिरस्कारयुक्त उक्ति
नगरघातः —पुं॰—नगरम्-घातः—-—हाथी
नगरजनः —पुं॰—नगरम्-जनः—-—नगर के लोग, नागर
नगरजनः —पुं॰—नगरम्-जनः—-—नागरिक
नगरप्रदक्षिण —वि॰—नगरम्-प्रदक्षिण—-—जलूस में मूर्ति को नगर के चारों ओर घुमाना
नगरप्रान्तः —पुं॰—नगरम्-प्रान्तः—-—उपनगर
नगरमार्गः —पुं॰—नगरम्-मार्गः—-—प्रधान सड़क, राजपथ
नगररक्षा —पुं॰—नगरम्-रक्षा—-—नगर का अधीक्षण या शासन
नगरस्थः —पुं॰—नगरम्-स्थः—-—नगरवासी, नागरिक
नगरी —स्त्री॰—-—नगर + ङीप्—कस्बा, शहर
नगरीकाकः —पुं॰—नगरी-काकः—-—सारस
नगरीबकः —पुं॰—नगरी-बकः—-—कौवा
नग्न —वि॰—-—नज् + क्त, तस्य नः—नंगा, विवस्त्र, वस्त्रहीन
नग्न —वि॰—-—नज् + क्त, तस्य नः—बिना जीता हुआ, बिना बसा, सुनसान
नग्नः —पुं॰—-—-—नंगा भिक्षु
नग्नः —पुं॰—-—-—सेना के साथ रहने वाला भाट, घूमता हुआ भाट
नग्ना —स्त्री॰—-—-—नंगी॰ निर्लज्ज, स्त्री
नग्ना —स्त्री॰—-—-—रजस्वला होने के पूर्व की आयु वाली लड़की, दस बारह वर्ष की आयु से कम की
नग्नाटः —पुं॰—नग्न-अटः—-—जो इधर-उधर नंगा घूम सके
नग्नाटः —पुं॰—नग्न-अटः—-—विशेष रूप जैन या बौद्ध भिक्षु
नग्नाटकः —पुं॰—नग्न-अटकः—-—जो इधर-उधर नंगा घूम सके
नग्नाटकः —पुं॰—नग्न-अटकः—-—विशेष रूप जैन या बौद्ध भिक्षु
नग्नक —वि॰—-—नग्न + कन्—नंगा, विवस्त
नग्नकः —पुं॰—-—-—नंगा भिक्षु
नग्नकः —पुं॰—-—-—जैन या बौद्ध भिक्षु
नग्नका —स्त्री॰—-—नग्नक + टाप्—नंगी, निर्लज्ज, स्त्री
नग्नका —स्त्री॰—-—नग्नक + टाप्—रजोधर्म होने से पूर्व की अवस्था की लड़की
नग्निका —स्त्री॰—-—नग्नक + टाप्, इत्वम्—नंगी, निर्लज्ज, स्त्री
नग्निका —स्त्री॰—-—नग्नक + टाप्, इत्वम्—रजोधर्म होने से पूर्व की अवस्था की लड़की
नग्नङ्करणम् —नपुं॰—-—अनग्नः नग्नः क्रियते- नग्न + च्वि + कृ- + ख्यु, मुम्—नंगा करना
नग्नं भविष्णु —वि॰—-—नग्न + भू = इष्णुच्—नंगा होने वाला
नग्नं भावुक —वि॰—-—नग्न + भू = उकञ्—नंगा होने वाला
नङ्गः —पुं॰—-—न नतिं गच्छति न + गम् + ड—प्रेमी, जार
नचिकेतस् —पुं॰—-—-—अग्नि का विशेषण
नचिर —वि॰—-—न चिरम्, न शब्देन समासः—संक्षिप्त, क्षणिक, क्षणस्थायी
नचिर —वि॰—-—न चिरम्, न शब्देन समासः—नया
नञ् —अव्य॰—-—-—निषेधात्मक अव्यय ’न’ के लिए पारिभाषिक शब्द
नट —भ्वा॰ पर॰ नटति- ’चोट पहुंचाने’ के अर्थ में ’पुं॰—-—-—नाचना
नट —भ्वा॰ पर॰ नटति- ’चोट पहुंचाने’ के अर्थ में ’पुं॰—-—-—अभिनय करना
नट —भ्वा॰ पर॰ नटति- ’चोट पहुंचाने’ के अर्थ में ’पुं॰—-—-—क्षति पहुँचाना
नट —भ्वा॰प्रेर॰ <नाटयति><नाटयते>—-—-—अभिनय करना, हाव-भाव व्यक्त करना, नाटक के रूप में वर्णन करना
नट —भ्वा॰प्रेर॰ <नाटयति><नाटयते>—-—-—अनुकरण करना, नकल करना
नट —चुरा॰ उभ॰ < नाटयति>, < नाटयते>—-—-—गिर पड़ना, गिरना
नट —चुरा॰ उभ॰ < नाटयति>, < नाटयते>—-—-—चमकना
नट —चुरा॰ उभ॰ < नाटयति>, < नाटयते>—-—-—क्षति पहुँचाना
नटः —पुं॰—-—नट् + अच्—नाचने वाला
नटः —पुं॰—-—नट् + अच्—अभिनेता
नटः —पुं॰—-—नट् + अच्—पतित क्षत्रिय का पुत्र
नटः —पुं॰—-—नट् + अच्—अशोक वृक्ष
नटः —पुं॰—-—नट् + अच्—एक प्रकार का नर कुल
नटान्तिका —स्त्री॰—नटः- अन्तिका—-—लज्जा, ह्री
नटेश्वरः —पुं॰—नटः-ईश्वरः—-—शिव का विशेषण
नटचर्या —स्त्री॰—नटः-चर्या—-—नाटक के पात्र का अभिनय
नटभूषणः —पुं॰—नटः-भूषणः—-—हरताल
नटमण्डनम् —नपुं॰—नटः- मण्डनम्—-—हरताल
नटरङ्गः —पुं॰—नटः-रङ्गः—-—नाटय रंगमंच
नटवरः —पुं॰—नटः-वरः—-—’प्रधान नट’ सूत्रधार
नटसज्ञकम् —नपुं॰—नटः-सज्ञकम्—-—हरताल
नटसज्ञकः —पुं॰—नटः-सज्ञकः—-—अभिनेता, नट
नटनम् —नपुं॰—-—नट + ल्युट्—नाचना, नाच
नटनम् —नपुं॰—-—नट + ल्युट्—अभिनय करना, हावभाव प्रकट करना, नाटकीय चित्रण
नटी —स्त्री॰—-—नट + ङीष्—अभिनेत्री
नटी —स्त्री॰—-—नट + ङीष्—मुख्य नटी
नटी —स्त्री॰—-—नट + ङीष्—वेश्या, रंडी
नटीसुतः —पुं॰—नटी-सुतः—-—नर्तकी का पुत्र
नटया —स्त्री॰—-—नट् + य + टाप्—अभिनेताओं की मंडली
नडः —पुं॰—-—नल् + अच्, लस्य डत्वम्—नरकुल का एक भेद
नडम् —नपुं॰—-—नल् + अच्, लस्य डत्वम्—नरकुल का एक भेद
नडागारम् —नपुं॰—नडः-अगारम्—-—नरकुलों का बना झोंपड़ा
नडागारम् —नपुं॰—नडः-आगारम्—-—नरकुलों का बना झोंपड़ा
नडप्राय —वि॰—नडः-प्राय—-—जहाँ नरकुल बहुत होते हों
नडवनम् —नपुं॰—नडः-वनम्—-—नरकुलों का जंगल
नडसंहतिः —स्त्री॰—नडः-संहतिः—-—नरकुलों का संग्रह
नडश —वि॰—-—नड + श—सरकंडों से ढका हुआ
नडिनी —स्त्री॰—-—नड + इनि + ङीष्—सरकंडों का ढेर
नडिनी —स्त्री॰—-—नड + इनि + ङीष्—सरकंडों का बना हुआ मूढ़ा या शय्या, वह नदी जहाँ सरकंडों के पौधे बहुतायत से हों।
नडिल —वि॰—-—नड + इलच्—सरकंडे जहाँ पर बहुतायत से हों, या जो सरकंडों से ढका हुआ हो, सरकंडों से युक्त स्थान
नड्वत् —वि॰—-—नड + ड्वतुप् —सरकंडे जहाँ पर बहुतायत से हों, या जो सरकंडों से ढका हुआ हो, सरकंडों से युक्त स्थान
नडया —स्त्री॰—-—नड् + य + टाप्—सरकंडों का ढेर
नड्वल —वि॰—-—नड + ड्वलच्—सरकंडों से व्याप्त
नड्वलम् —नपुं॰—-—-—सरकंडों का ढेर या शय्या
नत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नम् + क्त—झुका हुआ, प्रणत, झुकने वाला, रुझान वाला
नत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नम् + क्त—डूबा हुआ, अवसन्न
नत —भू॰ क॰ कृ॰—-—नम् + क्त—कुटिल, टेढ़ा
नत्तम् —नपुं॰—-—-—याम्योत्तर रेखा से किसी ग्रह की दूरी
नत्तांशः —पुं॰—नत्तम्-अंशः—-—शिरोबिंदु की दूरी
नत्ताङ्ग —वि॰—नत्तम्-अङ्ग—-—झुके हुए शरीर वाला
नत्ताङ्ग —वि॰—नत्तम्-अङ्ग—-—झुकने वाला
नत्ताङ्ग —वि॰—नत्तम्-अङ्ग—-—प्रणत
नत्ताङ्गी —स्त्री॰—नत्तम्-अङ्गी—-—झुके हुए अंगों वाली स्त्री
नत्ताङ्गी —स्त्री॰—नत्तम्-अङ्गी—-—स्त्री
नत्तनासिक —वि॰—नत्तम्-नासिक—-—चपटी नाक वाला
नत्तभ्रूः —स्त्री॰—नत्तम्-भ्रूः—-—टेढ़ी भौहों वाली स्त्री
नतिः —स्त्री॰—-—नम् + क्तिन्—झुकाव, झुकना, प्रणमन
नतिः —स्त्री॰—-—नम् + क्तिन्—वक्रता, कुटिलता
नतिः —स्त्री॰—-—नम् + क्तिन्—अभिवादन करने के लिए शरीर का झुकाना, प्रणति, शालीनता
नतिः —स्त्री॰—-—नम् + क्तिन्—भोगांश में स्थानभ्रंश
नद् —भ्वा॰ पर॰ < नदति>, < नदिन>—-—-—शब्द करना, कलकल ध्वनि करना, गरजना
नद् —भ्वा॰ पर॰ < नदति>, < नदिन>—-—-—बोलना, चिल्लाना, पुकारना, दहाड़ना
नद् —भ्वा॰ पर॰ < नदति>, < नदिन>—-—-—थरथराता
नद् —भ्वा॰ पर॰,प्रेर॰<नादयति>,<नादयते>—-—-—कोलाहल से भर देना, कोलाहलमय करना
नद् —भ्वा॰ पर॰,प्रेर॰<नादयति>,<नादयते>—-—-—शब्द करवाना
उन्नद् —भ्वा॰ पर॰—उद्-नद्—-—दहाड़ना, जोर से पुकारना, रांभना
निनद् —भ्वा॰ पर॰—नि-नद्—-—शब्द करना, चिल्लाना
प्रनद् —भ्वा॰ पर॰—प्र-नद्—-—ध्वनि करना, गूंजना, प्रतिध्वनि करना
प्रतिनद् —भ्वा॰ पर॰—प्रति-नद्—-—गूंजना, प्रतिध्वनि करना
प्रतिनद् —भ्वा॰ पर॰, प्रेर॰—प्रति-नद्—-—कोलाहल से भरना, गुंजायमान करना
विनद् —भ्वा॰ पर॰—वि-नद्—-—ध्वनि करना, गूंजना
विनद् —भ्वा॰ पर॰, प्रेर॰—वि-नद्—-—क्रंदन करवाना या गीत गवाना
नदः —पुं॰—-—नद् + अच्—दरिया, बड़ी नदी
नदः —पुं॰—-—नद् + अच्—नदी, प्रवहणी, नाला
नदः —पुं॰—-—नद् + अच्—समुद्र
नदराजः —पुं॰—नदः-राजः—-—समुद्र
नदथुः —पुं॰—-—नद् + अथुच्—शोर, दहाड़
नदथुः —पुं॰—-—नद् + अथुच्—बैल की दहाड़
नदी —स्त्री॰—-—नद + ङीप्—दरिया, प्रवहणी, सरिता
नदीनः —पुं॰—नदी-ईनः—-—समुद्र
नदीशः —पुं॰—नदी-ईशः—-—समुद्र
नदीकान्तः —पुं॰—नदी-कान्तः—-—समुद्र
नदीकुलप्रियः —पुं॰—नदी-कुलप्रियः—-—एक प्रकार का नरकुल
नदीज —वि॰—नदी-ज—-—जलोत्पन्न
नदीजः —पुं॰—नदी-जः—-—भीष्म का विशेषण
नदीजम् —नपुं॰—नदी-जम्—-—कमल
नदीतरस्थानम् —नपुं॰—नदी-तरस्थानम्—-—उतरने का स्थान, घाट
नदीदोहः —पुं॰—नदी-दोहः—-—भाड़ा, उतराई, किराया
नदीधरः —पुं॰—नदी-धरः—-—शिव का विशेषण
नदीपतिः —पुं॰—नदी-पतिः—-—समुद्र
नदीपतिः —पुं॰—नदी-पतिः—-—वरुण का विशेषण
नदीपूरः —पुं॰—नदी-पूरः—-—उमड़ा हुआ दरिया
नदीभवम् —नपुं॰—नदी-भवम्—-—नदीलवण
नदीमातृक —वि॰—नदी-मातृक—-—जहाँ नदी के पानी से सिंचाई होती हो, सिंचित, नदी या नहर द्वारा सिंचाई पर जो निर्भर करता हो।
नदीरथः —पुं॰—नदी-रथः—-—नदी की धार
नदीवङ्कः —पुं॰—नदी-वङ्कः—-—नदी का मोड़
नदीष्ण —वि॰—नदी-ष्ण—-—नदी में स्नान करने वाला
नदीष्ण —वि॰—नदी-ष्ण—-—नदियों के भयानक स्थानों, उनकी गहराइयों और प्रवाहों को जानने वाला
नदीष्ण —वि॰—नदी-ष्ण—-—अनुभवी, चतुर
नदीसर्जः —पुं॰—नदी-सर्जः—-—अर्जुन वृक्ष
नद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—नह् + क्त—बंधा हुआ, बाँधा हुआ, जकड़ा हुआ, चारों ओर से बद्ध, धारण किया हुआ
नद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—नह् + क्त—ढका हुआ, जड़ा हुआ, अन्तर्ग्रथित
नद्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—नह् + क्त—संयुक्त, संयोजित
नद्धम् —नपुं॰—-—-—गांठ, बंधन, बंध, गिरह
नदध्री —स्त्री॰—-—नह् + ष्ट्रन् + ङीप्—चमड़े का फीता
ननन्दृ —स्त्री॰—-—ननन्दति सेवयापि न तुष्यति न + नन्द् + ऋन्—पति की बहन
ननान्दृ —स्त्री॰—-—ननन्दति सेवयापि न तुष्यति न + नन्द् + ऋन्—पति की बहन
ननान्दृ-पतिः —पुं॰—ननान्दृ-पतिः—-—ननदोई, पति की बहन का पति
ननान्दुःपतिः —पुं॰—ननान्दुः-पतिः—-—ननदोई, पति की बहन का पति
ननु —अव्य॰—-—-—पूछताछ, प्रश्न
ननु —अव्य॰—-—-—निश्चय ही, अवश्य, निस्संदेह, क्या यह असन्दिग्ध नहीं
ननु —अव्य॰—-—-—निस्सन्देह, बेशक, अवश्य
ननु —अव्य॰—-—-—संबोधन सूचक अव्यय
ननु —अव्य॰—-—-—’कृपा करके’, ’अनुग्रह करके’ अर्थ को प्रकट करने के लिए प्रतिषेधात्मक कथन के रूप में प्रयुक्त होता है।
ननु —अव्य॰—-—-—कभी-कभी संशोधनशब्द के रूप में प्रयुक्त होता है।
ननु —अव्य॰—-—-—तर्कानुबद्ध चर्चा के समय आक्षेप करने या विरोधी प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए प्रयुक्त होता है।
नन्द् —भ्वा॰ पर॰ < नंदति>, < नंदित>—-—-—प्रसन्न होना, हर्षित होना, खुश होना, सन्तुष्ट होना, हर्ष प्रकट करना
नन्द् —भ्वा॰ पर॰—-—-—प्रसन्न करना, खुश करना, हर्षित करना, आनन्दित करना
अभिनन्द् —भ्वा॰ पर॰—अभि-नन्द्—-—हर्ष प्रकट करना, प्रसन्न होना, संतुष्ट होना
अभिनन्द् —भ्वा॰ पर॰—अभि-नन्द्—-—बधाई देना, जय जयकार करना, स्वागत करना, नमस्कार करना
अभिनन्द् —भ्वा॰ पर॰—अभि-नन्द्—-—प्रशंसा करना, तारीफ करना, श्लाघा करना, अच्छा समझना
अभिनन्द् —भ्वा॰ पर॰—अभि-नन्द्—-—कामना करना, चाहना, पसन्द करना, अपेक्षा करना
आनन्द् —भ्वा॰ पर॰—आ-नन्द्—-—प्रसन्न होना, खुश होना
आनन्द् —भ्वा॰ पर॰—आ-नन्द्—-—प्रसन्न करना, खुश करना
प्रतिनन्द् —भ्वा॰ पर॰—प्रति-नन्द्—-—आशीर्वाद देना
प्रतिनन्द् —भ्वा॰ पर॰—प्रति-नन्द्—-—स्वागत करना, बधाई देना, जयजयकार करना, हर्षपूर्वक सत्कार करना
नन्दः —पुं॰—-—नन्द् + अच्—आनन्द, सुख, हर्ष
नन्दः —पुं॰—-—नन्द् + अच्—एक प्रकार की बांसुरी
नन्दः —पुं॰—-—नन्द् + अच्—मेढक
नन्दः —पुं॰—-—नन्द् + अच्—विष्णु
नन्दः —पुं॰—-—नन्द् + अच्—एक ग्वाले का नाम जो यशोदा का पति तथा कृष्ण का पालकपिता था।
नन्दः —पुं॰—-—नन्द् + अच्—नंद वंश का प्रतिष्ठाता
नन्दात्मजः —पुं॰—नन्दः-आत्मजः—-—कृष्ण का विशेषण
नन्दनन्दनः —पुं॰—नन्दः-नन्दनः—-—कृष्ण का विशेषण
नन्दपालः —पुं॰—नन्दः-पालः—-—वरुण का विशेषण
नन्दक —वि॰—-—नन्द् + णिच् + ण्वुल्—हर्षित करने वाला, आनन्दित करने वाला, प्रसन्न करने वाला
नन्दक —वि॰—-—नन्द् + णिच् + ण्वुल्—खुश होने वाला, हर्ष मनाने वाला
नन्दक —वि॰—-—नन्द् + णिच् + ण्वुल्—परिवार को प्रसन्न करने वाला
नन्दकः —पुं॰—-—-—कृष्ण की तलवार
नन्दकिन् —पुं॰—-—नन्दक + इनि—विष्णु का विशेषण
नन्दथुः —पुं॰—-—नन्द् + अथुव्—आनन्द, प्रसन्नता, खुशी
नन्दन —वि॰—-—नन्द् + णिच् + ल्युट्—खुश करने वाला, सुहावना, प्रसन्न करने वाला
नन्दनः —पुं॰—-—-—विष्णु का विशेषण
नन्दनम् —नपुं॰—-—-—इन्द्र का उद्यान, आनन्दधाम
नन्दनम् —नपुं॰—-—-—हर्ष मनाने वाला, प्रसन्न होने वाला
नन्दनजम् —नपुं॰—नन्दन-जम्—-—पीले चंदन की लकड़ी, हरिचंदन
नन्दतः —पुं॰—-—नन्द् + अच्, अन्त आदेश—पुत्र, बेटा
नन्दयन्तः —पुं॰—-—नन्द् + णिच् + झच्(अन्त)—पुत्र, बेटा
नन्दा —स्त्री॰—-—नन्द + टाप्—खुशी, हर्ष, आनन्द
नन्दा —स्त्री॰—-—नन्द + टाप्—सम्पन्नता, धनाढयता, समृद्धि
नन्दा —स्त्री॰—-—नन्द + टाप्—छोटा मिट्टी का जल-पात्र
नन्दा —स्त्री॰—-—नन्द + टाप्—ननद, पति की बहन
नन्दा —स्त्री॰—-—नन्द + टाप्—प्रतिपदा,षष्ठी और एकादशी, चांद्रमास की तीन तिथियाँ
नन्दिः —पुं॰—-—नन्द + इन्—हर्ष, प्रसन्नता, खुशी
नन्दिः —पुं॰—-—-—विष्णु का विशेषण
नन्दिः —पुं॰—-—-—शिव का अनुचर
नन्दिः —पुं॰—-—-—जुआ खेलना, क्रीडा
नन्दीशः —पुं॰—नन्दिः- ईशः—-—शिव का विशेषण
नन्दीशः —पुं॰—नन्दिः- ईशः—-—शिव का प्रधान अनुचर
नन्दीश्वरः —पुं॰—नन्दिः-ईश्वरः—-—शिव का विशेषण
नन्दीश्वरः —पुं॰—नन्दिः-ईश्वरः—-—शिव का प्रधान अनुचर
नन्दिग्रामः —पुं॰—नन्दिः-ग्रामः—-—वह गाँव जहाँ राम के वनवासकाल में भरत रहा
नन्दिघोषः —पुं॰—नन्दिः-घोषः—-—अर्जुन का रथ
नन्दिवर्धनः —पुं॰—नन्दिः-वर्धनः—-—शिव का विशेषण
नन्दिवर्धनः —पुं॰—नन्दिः-वर्धनः—-—मित्र
नन्दिवर्धनः —पुं॰—नन्दिः-वर्धनः—-—चांद्र पक्ष का अन्त अर्थात् अमावस्या या पूर्णिमा
नन्दिकः —पुं॰—-—नन्दि + कन्—हर्ष, प्रसन्नता
नन्दिकः —पुं॰—-—नन्दि + कन्—छोटा जलपात्र
नन्दिकः —पुं॰—-—नन्दि + कन्—शिव का अनुचर
नन्दिकेशः —पुं॰—नन्दिकः-ईशः—-—शिव का एक मुख्य अनुचर
नन्दिकेशः —पुं॰—नन्दिकः-ईशः—-—शिव
नन्दिकेश्वरः —पुं॰—नन्दिकः-ईश्वरः—-—शिव का एक मुख्य अनुचर
नन्दिकेश्वरः —पुं॰—नन्दिकः-ईश्वरः—-—शिव
नन्दिन् —वि॰—-—नन्द् + णिनि, नन्द् + णिच् + णिनि वा—आनन्दित, हृष्ट, प्रसन्न, खुश
नन्दिन् —वि॰—-—नन्द् + णिनि, नन्द् + णिच् + णिनि वा—आनन्दित करने वाला, प्रसन्न करने वाला
नन्दिन् —पुं॰—-—-—नाटक में नान्दीपाठ या आशीर्वचन कहने वाला व्यक्ति
नन्दिन् —पुं॰—-—-—शिव का मुख्य अनुचर, द्वारपाल, या वह बैल जिस पर शिव सवारी करता है।
नन्दिनी —स्त्री॰—-—-—पुत्री
नन्दिनी —स्त्री॰—-—-—ननद, पति की बहन
नन्दिनी —स्त्री॰—-—-—काल्पनिक गाय, कामधेनु
नन्दिनी —स्त्री॰—-—-—गंगा का विशेषण
नन्दिनी —स्त्री॰—-—-—पवित्र काली तुलसी
नपात् —पुं॰—-—पाती इति- पा + शतृ, ततो नञा समासे प्रकृतिभावः—पोता
नपुंस् —पुं॰—-—नञा समासे प्रकृतिभावः—जो पुरुष न हो, हिजड़ा
नपुंसकः —पुं॰—-—न पुमान् न स्त्री, नि॰ स्त्रीपुंसयोः पुंसक आदेशः—उभयलिंगी
नपुंसकः —पुं॰—-—न पुमान् न स्त्री, नि॰ स्त्रीपुंसयोः पुंसक आदेशः—नामर्द, हिजड़ा
नपुंसकः —पुं॰—-—न पुमान् न स्त्री, नि॰ स्त्रीपुंसयोः पुंसक आदेशः—भीरु, डरपोक
नपुंसकम् —नपुं॰—-—न पुमान् न स्त्री, नि॰ स्त्रीपुंसयोः पुंसक आदेशः—उभयलिंगी
नपुंसकम् —नपुं॰—-—न पुमान् न स्त्री, नि॰ स्त्रीपुंसयोः पुंसक आदेशः—नामर्द, हिजड़ा
नपुंसकम् —नपुं॰—-—न पुमान् न स्त्री, नि॰ स्त्रीपुंसयोः पुंसक आदेशः—भीरु, डरपोक
नपुंसकम् —नपुं॰—-—-—नपुंसक लिंग का शब्द
नपुंसकम् —नपुं॰—-—-—नपुंसक लिंग
नप्तृ —पुं॰—-—न पतन्ति पितरो येन- न + पत् + तृच् नि॰—पोता, नाती
नभः —पुं॰—-—नभ् + अच्—श्रावण मास
नभम् —नपुं॰—-—-—आकाश, अन्तरिक्ष
नभस् —नपुं॰—-—नह्यते मेघैः सह- नह् + असुन्, भश्चान्तादेशः—आकाश, अन्तरिक्ष
नभस् —नपुं॰—-—नह्यते मेघैः सह- नह् + असुन्, भश्चान्तादेशः—बादल
नभस् —नपुं॰—-—नह्यते मेघैः सह- नह् + असुन्, भश्चान्तादेशः—कोहरा, वाष्प
नभस् —नपुं॰—-—नह्यते मेघैः सह- नह् + असुन्, भश्चान्तादेशः—पानी
नभस् —नपुं॰—-—नह्यते मेघैः सह- नह् + असुन्, भश्चान्तादेशः—जीवन की अवधि, आयु
नभस् —पुं॰—-—-—नासिका, घ्राण
नभोऽम्बुपः —पुं॰—नभस्-अम्बुपः—-—चातक पक्षी
नभस्कान्तिन् —पुं॰—नभस्-कान्तिन्—-—सिंह
नभोगजः —पुं॰—नभस्-गजः—-—बादल
नभश्चक्षुस् —पुं॰—नभस्-चक्षुस्—-—सूर्य
नभश्चमसः —पुं॰—नभस्-चमसः—-—चन्द्रमा
नभश्चमसः —पुं॰—नभस्-चमसः—-—जादू
नभश्चर —वि॰—नभस्-चर—-—गगन बिहारी
नभश्चरः —पुं॰—नभस्-चरः—-—देवता, उपदेवता
नभश्चरः —पुं॰—नभस्-चरः—-—पक्षी
नभोदुहः —पुं॰—नभस्-दुहः—-—बादल
नभोदृष्टि —वि॰—नभस्-दृष्टि—-—अंधा
नभोदृष्टि —वि॰—नभस्-दृष्टि—-—आकाश की ओर देखने वाला
नभोद्वीपः —पुं॰—नभस्-द्वीपः—-—बादल
नभोधूमः —पुं॰—नभस्-धूमः—-—बादल
नभोनदी —स्त्री॰—नभस्-नदी—-—आकाश गंगा
नभोप्राणः —पुं॰—नभस्-प्राणः—-—हवा
नभोमणिः —पुं॰—नभस्-मणिः—-—सूर्य
नभोमण्डलम् —नपुं॰—नभस्-मण्डलम्—-—आसमान, अन्तरिक्ष
नभोद्वीपः —पुं॰—नभस्-द्वीपः—-—चन्द्रमा
नभोरजस् —पुं॰—नभस्-रजस्—-—अंधकार
नभोरेणुः —स्त्री॰—नभस्-रेणुः—-—कोहरा,धुंध
नभोलयः —पुं॰—नभस्-लयः—-—धूआँ
नभोलिह् —वि॰—नभस्- लिह्—-—आकाश को चाटने वाला, उन्नत, बहुत ऊँचा
नभस्सद् —पुं॰—नभस्-सद्—-—देवता
नभस्सरित् —स्त्री॰—नभस्-सरित्—-—छायापथ
नभस्सरित् —स्त्री॰—नभस्-सरित्—-—आकाशगंगा
नभस्स्थली —स्त्री॰—नभस्-स्थली—-—आकाश
नभस्स्पृश् —वि॰—नभस्- स्पृश्—-—गगनचुंबी, उन्नत
नभसः —पुं॰—-—नभ् + असच्—आकाश
नभसः —पुं॰—-—नभ् + असच्—वर्षा ऋतु
नभसः —पुं॰—-—नभ् + असच्—समुद्र
नभसंगयः —पुं॰—-—नभस + गम् + खच् + मुम्—पक्षी
नभस्यः —पुं॰—-—नभस् + यत्—भाद्रपद का महीना
नभस्वत् —वि॰—-—नभस् + मतुप्, मस्य वः—वाष्पयुक्त, धुंधवाला, मेघाच्छन्न
नभस्वत् —पुं॰—-—-—हवा, वायु
नभाकः —पुं॰—-—नभ् + आक—अंधकार
नभाकः —पुं॰—-—नभ् + आक—राहु का विशेषण
नभ्राज् —पुं॰—-—भ्राज् + क्विप्, नञा समासे प्रकृति-भावः—काला बादल, काली घटा
नम् —भ्वा॰ पर॰ अ॰< नमति>, < नमते>, < नत>—-—-—झुकना, नमस्कार करना, अभिवादन करना
नम् —भ्वा॰ पर॰ अ॰< नमति>, < नमते>, < नत>—-—-—अधीन होना, पराभव स्वीकार करना, झुक जाना
नम् —भ्वा॰ पर॰ अ॰< नमति>, < नमते>, < नत>—-—-—झुकना, दबाना, नीचा होना
नम् —भ्वा॰ पर॰ अ॰< नमति>, < नमते>, < नत>—-—-—ठहरना, झुकाव होना
नम् —भ्वा॰ पर॰ अ॰< नमति>, < नमते>, < नत>—-—-—झुका हुआ होना, वक्र होना
नम् —भ्वा॰ पर॰ अ॰< नमति>, < नमते>, < नत>—-—-—ध्वनि निकालना
नम् —भ्वा॰ प्रेर॰ < नमयति>, < नमयते>—-—-—झुकना, नमस्कार करना, अभिवादन करना
नम् —भ्वा॰ प्रेर॰ < नमयति>, < नमयते>—-—-—अधीन होना, पराभव स्वीकार करना, झुक जाना
नम् —भ्वा॰ प्रेर॰ < नमयति>, < नमयते>—-—-—झुकना, दबाना, नीचा होना
नम् —भ्वा॰ प्रेर॰ < नमयति>, < नमयते>—-—-—ठहरना, झुकाव होना
नम् —भ्वा॰ प्रेर॰ < नमयति>, < नमयते>—-—-—झुका हुआ होना, वक्र होना
नम् —भ्वा॰ प्रेर॰ < नमयति>, < नमयते>—-—-—ध्वनि निकालना
नम् —भ्वा॰ इच्छा॰<निनंसति>—-—-—झुकना, नमस्कार करना, अभिवादन करना
नम् —भ्वा॰ इच्छा॰<निनंसति>—-—-—अधीन होना, पराभव स्वीकार करना, झुक जाना
नम् —भ्वा॰ इच्छा॰<निनंसति>—-—-—झुकना, दबाना, नीचा होना
नम् —भ्वा॰ इच्छा॰<निनंसति>—-—-—ठहरना, झुकाव होना
नम् —भ्वा॰ इच्छा॰<निनंसति>—-—-—झुका हुआ होना, वक्र होना
नम् —भ्वा॰ इच्छा॰<निनंसति>—-—-—ध्वनि निकालना
अभ्युन्नम् —भ्वा॰ पर॰—अभ्युद्-नम्—-—उठाना, उन्नत होना
अवनम् —भ्वा॰ पर॰—अव-नम्—-—झुकना, नम्र होना, नीचे को ढलना
अवनम् —भ्वा॰ पर॰—अव-नम्—-—झुकाना, लटकाना
उन्नम् —भ्वा॰ पर॰—उद्-नम्—-—उदय होना, प्रकट होना, उगना
उन्नम् —भ्वा॰ पर॰—उद्-नम्—-—लटकना, समीप होना
उन्नम् —भ्वा॰ पर॰—उद्-नम्—-—उदय होना, चढ़ना, ऊपर उठाना
उन्नम् —भ्वा॰ पर॰—उद्-नम्—-—उठाना, उन्नति करना
उन्नम् —भ्वा॰ पर॰—उद्-नम्—-—ऊपर उठाना, सीधा खड़ा करना
उपनम् —भ्वा॰ पर॰—उप-नम्—-—आना, आ जाना, पहुँचना
उपनम् —भ्वा॰ पर॰—उप-नम्—-—होना, भाग्य में होना, घटित होना, सामने आना
उपनम् —भ्वा॰ पर॰—उप-नम्—-—उपस्थित करना, देना, प्रस्तुत करना
परिणम् —भ्वा॰ पर॰—परि-नम्—-—नीचे को ढलना, झुकना
परिणम् —भ्वा॰ पर॰—परि-नम्—-—झुकना, नमस्कार करना, झुकाव होना
परिणम् —भ्वा॰ पर॰—परि-नम्—-—परिवर्तित होना, रूपांतरित होना, रूप धारण करना
परिणम् —भ्वा॰ पर॰—परि-नम्—-—विकसित या परिपक्व होना, पकना
परिणम् —भ्वा॰ पर॰—परि-नम्—-—बढ़ना, बड़ा होना, बूढ़ा होना, क्षीण होना
परिणम् —भ्वा॰ पर॰—परि-नम्—-—डूबना, पश्चिम में छिपना
परिणम् —भ्वा॰ पर॰—परि-नम्—-—पच जाना
प्रणम् —भ्वा॰ पर॰<प्रणमति>—प्र-नम्—-—नमस्कार करना, अभिवादन करना, विनम्र, प्रणति करना
विनम् —भ्वा॰ पर॰—वि-नम्—-—अपने आपको झुकाना, नम्र करना, विनीत होना
विपरिणम् —भ्वा॰ पर॰—विपरि-नम्—-—बदलना
विपरिणम् —भ्वा॰ पर॰—विपरि-नम्—-—बदल कर खराब होना
सन्नम् —भ्वा॰ पर॰—सम्-नम्—-—झुकना, नीचे को होना, झुकाव होना
सन्नम् —भ्वा॰ पर॰—सम्-नम्—-—नम्र होना, विनीत होना
नमत —वि॰—-—नम् + अतच्—झुका हुआ, विनीत, कुटिल, वक्र
नमतः —पुं॰—-—-—स्वामी, प्रभु
नमनम् —नपुं॰—-—नम् + ल्युट्—विनीत होना, झुकना, नम्र होना
नमनम् —नपुं॰—-—नम् + ल्युट्—दबना
नमनम् —नपुं॰—-—नम् + ल्युट्—विनती, नमस्कार, अभिवादन
नमस् —अव्य॰—-—नम् + असुन्—प्रामति, अभिवादन, प्रणाम, पूजा
नमस्कारः —पुं॰—नमस्- कारः—-—प्रणति, सादर प्रणाम, सादर अभिवादन
नमस्कृतिः —स्त्री॰—नमस्-कृतिः—-—प्रणति, सादर प्रणाम, सादर अभिवादन
नमस्कारणम् —नपुं॰—नमस्-कारणम्—-—प्रणति, सादर प्रणाम, सादर अभिवादन
नमस्कृत —वि॰—नमस्-कृत—-—जिसे प्रणति दी गई हैं, जिसको प्रणाम किया गया है।
नमस्कृत —वि॰—नमस्-कृत—-—सम्मानित, अर्चित, पूजित
नमोगुरुः —पुं॰—नमस्-गुरुः—-—आध्यात्मिक गुरु
नमोवाकम् —अव्य॰—नमस्-वाकम्—-—’नमस्’ शब्द का उच्चारण करना, अर्थात् विनम्र अभिवादन करना
नमस —वि॰—-—नम् + असच्—अनुकूल, सानुग्रह, व्यवस्थित
नमसित —वि॰—-—नमस् + क्यच् —जिसे नमस्कार किया गया हो, सम्मानित, जिसे प्रणाम किया गया है।
नमस्यित —वि॰—-—नमस्य + क्त—जिसे नमस्कार किया गया हो, सम्मानित, जिसे प्रणाम किया गया है।
नमस्यति —ना॰ धा॰ पर॰—-—-—नमस्कार करना, श्रद्धांजलि अर्पित करना, पूजा करना
नमस्य —वि॰—-—नमस् + यत्—अभिवादन प्राप्त करने का अधिकारी, सम्मानित, आदरणीय, वन्दनीय
नमस्य —वि॰—-—नमस् + यत्—आदरयुक्त, विनीत
नमस्या —स्त्री॰—-—-—पूजा, अर्चना, श्रद्धा, भक्ति
नमुचिः —पुं॰—-—न + मुच् + इन्—एक दैत्य जिसे इन्द्र ने मार गिराया था।
नमुचिः —पुं॰—-—न + मुच् + इन्—कामदेव
नमेरुः —पुं॰—-—नम् + एरु—एक वृक्ष का नाम, रुद्राक्ष या सुरपुन्नाग गणा नमेरुप्रसवावतंसाः- @ कु॰ १/५५, ३/४३, @ रघु॰ ४/७४
नम्र —वि॰—-—नमं + र—विनीत, प्रणतिशील, झुका हुआ, विनत, नीचे लटकने वाला
नम्र —वि॰—-—नमं + र—प्रणतिशील, सादर अभिवादनशील
नम्र —वि॰—-—नमं + र—सुशील, विनयी, विनयशील, श्रद्धालु
नम्र —वि॰—-—नमं + र—कुटिल, वक्र
नम्र —वि॰—-—नमं + र—पूजा करने वाला
नम्र —वि॰—-—नमं + र—भक्त, उपासक
नय् —भ्वा॰ आ॰<नयते>—-—-—जाना
नय् —भ्वा॰ आ॰<नयते>—-—-—रक्षा करना
नयः —पुं॰—-—नी + अच्—निर्देशन, मार्गदर्शन, प्रबन्धन
नयः —पुं॰—-—नी + अच्—व्यवहार, नित्यचर्या, आचरण, दिनचर्या
नयः —पुं॰—-—नी + अच्—दूरदर्शिता, अग्रदृष्टि
नयः —पुं॰—-—नी + अच्—नीति, शासन विषयक बुद्धिमत्ता, राजनीतिज्ञता, नागरिक प्रशासन, राज्य की नीति
नयः —पुं॰—-—नी + अच्—नैतिकता, न्याय, न्यायपरता, न्पाय्यता
नयः —पुं॰—-—नी + अच्—रूपरेखा, ढांचा, योजना
नयः —पुं॰—-—नी + अच्—सिद्धांत वाक्य, नियम
नयः —पुं॰—-—नी + अच्—क्रम, प्रणाली, रीति
नयः —पुं॰—-—नी + अच्—पद्धति, वाद, सम्मति
नयः —पुं॰—-—नी + अच्—दार्शनिक पद्धति- वैशेषिके नये-भाषा॰, १०५
नयकोविद् —वि॰—नयः-कोविद्—-—नीति कुशल, दूरदर्शी
नयज्ञ —वि॰—नयः-ज्ञ—-—नीति कुशल, दूरदर्शी
नयचक्षुस् —वि॰—नयः-चक्षुस्—-—शासकीय अग्रदृष्टि रखने वाला, बुद्धिमान्, दूरदर्शी
नयनेतृ —पुं॰—नयः-नेतृ—-—राजनीतिशास्त्र पारंगत
नयविद् —पुं॰—नयः-विद्—-—राजनयिक, राजनीतिज्ञ
नयविशारदः —पुं॰—नयः-विशारदः—-—राजनयिक, राजनीतिज्ञ
नयशास्त्रम् —नपुं॰—नयः-शास्त्रम्—-—राजनीतिशास्त्र
नयशास्त्रम् —नपुं॰—नयः-शास्त्रम्—-—राजनीति का या राजनीतिक अर्थशास्त्र का कोई ग्रन्थ
नयशास्त्रम् —नपुं॰—नयः-शास्त्रम्—-—नीतिशास्त्र
नयशालिन् —वि॰—नयः-शालिन्—-—न्यायपूर्ण, न्यायपरायण
नयनम् —नपुं॰—-—नी + ल्युट्—मार्गदर्शन, निर्देशन, संचालन, प्रबन्धन
नयनम् —नपुं॰—-—नी + ल्युट्—लेना, निकट लाना, खींचना
नयनम् —नपुं॰—-—नी + ल्युट्—हुकूमत करना, शासन करना
नयनम् —नपुं॰—-—नी + ल्युट्—प्रापण
नयनम् —नपुं॰—-—नी + ल्युट्—आँख
नयनाभिराम —वि॰—नयनम्-अभिराम—-—आँखों को प्रसन्न करने वाला, प्रियदर्शन
नयनाभिरामः —पुं॰—नयनम्-अभिरामः—-—चाँद
नयनोत्सवः —पुं॰—नयनम्-उत्सवः—-—दीपक, लैंप
नयनोत्सवः —पुं॰—नयनम्-उत्सवः—-—आँख की प्रसन्नता
नयनोत्सवः —पुं॰—नयनम्-उत्सवः—-—कोई प्रिय वस्तु
नयनोपान्तः —पुं॰—नयनम्-उपान्तः—-—आँख का कोना
नयनगोचर —वि॰—नयनम्-गोचर—-—दृश्यमान, दृष्टि-परास के अन्तर्गत
नयनछदः —पुं॰—नयनम्-छदः—-—पलक
नयनपथः —पुं॰—नयनम्-पथः—-—दृष्टि-परास
नयनतुटम् —पुं॰—नयनम्-तुटम्—-—अक्षिगोलक
नयनविषयः —पुं॰—नयनम्-विषयः—-—कोई दृश्यमान पदार्थ
नयनविषयः —पुं॰—नयनम्-विषयः—-—क्षितिज
नयनसलिलम् —नपुं॰—नयनम्-सलिलम्—-—आँसू
नरः —पुं॰—-—नृ + अच्—मनुष्य, पुमान् पुरुष
नरः —पुं॰—-—नृ + अच्—शतरंज का मोहरा
नरः —पुं॰—-—नृ + अच्—धूपघड़ी की कील, शंकु
नरः —पुं॰—-—नृ + अच्—परमात्मा, नित्यपुरुष
नरः —पुं॰—-—नृ + अच्—दोनों हाथों को दोनों ओर सीधा फैलाकर, हाथ के एक सिरे से दूसरे हाथ के सिरे तक की लम्बाई
नरः —पुं॰—-—नृ + अच्—एक प्राचीन ऋषि का नाम
नरः —पुं॰—-—नृ + अच्—अर्जुन का नाम
नराधिपः —पुं॰—नरः-अधिपः—-—राजा
नराधिपतिः —पुं॰—नरः-अधिपतिः—-—राजा
नरेशः —पुं॰—नरः-ईशः—-—राजा
नरेश्वरः —पुं॰—नरः-ईश्वरः—-—राजा
नरदेवः —पुं॰—नरः-देवः—-—राजा
नरपतिः —पुं॰—नरः-पतिः—-—राजा
नरपालः —पुं॰—नरः-पालः—-—राजा
नरान्तकः —पुं॰—नरः-अन्तकः—-—म्रुत्यु
नरायणः —पुं॰—नरः-अयणः—-—विष्णु का विशेषण
नरांशः —पुं॰—नरः-अंशः—-—राक्षस, पिशाच
नरेन्द्रः —पुं॰—नरः-इन्द्रः—-—राजा
नरेन्द्रः —पुं॰—नरः-इन्द्रः—-—वैद्य, विषनाशक औषधियों का विक्रेता, विनाशक
नरोत्तमः —पुं॰—नरः-उत्तमः—-—विष्णु का विशेषण
नरर्षभः —पुं॰—नरः-ऋषभः—-—’मनुष्यों में श्रेष्ठ’, राजकुमार, राजा
नरकयालः —पुं॰—नरः-कयालः—-—मनुष्य की खोपड़ी
नरकीलकः —पुं॰—नरः-कीलकः—-—आध्यात्मिक गुरु की हत्या करने वाला
नरकेशरिन् —पुं॰—नरः- केशरिन्—-—विष्णु का चौथा अवतार
नरद्विष् —पुं॰—नरः-द्विष्—-—राक्षस, पिशाच
नरनारायणः —पुं॰—नरः-नारायणः—-—कृष्ण का नाम
नरपशुः —पुं॰—नरः-पशुः—-—पशु जैसा मनुष्य, मानव रूप में पशु
नरपुङ्गवः —पुं॰—नरः-पुङ्गवः—-—मनुष्यों में श्रेष्ठ, उत्तमपुरुष
नरमानिका —स्त्री॰—नरः-मानिका—-—मनुष्य जैसी स्त्री जिसके दाढ़ी हो, मर्दानी औरत
नरमानिनी —स्त्री॰—नरः-मानिनी—-—मनुष्य जैसी स्त्री जिसके दाढ़ी हो, मर्दानी औरत
नरमालिनी —स्त्री॰—नरः-मालिनी—-—मनुष्य जैसी स्त्री जिसके दाढ़ी हो, मर्दानी औरत
नरमेधः —पुं॰—नरः-मेधः—-—नरयज्ञ
नरयन्त्रम् —नपुं॰—नरः-यन्त्रम्—-—धूपघड़ी
नरयानम् —नपुं॰—नरः-यानम्—-—मनुष्य द्वारा खींची जाने वाली गाड़ी
नररथः —पुं॰—नरः-रथः—-—मनुष्य द्वारा खींची जाने वाली गाड़ी
नरवाहनम् —नपुं॰—नरः-वाहनम्—-—मनुष्य द्वारा खींची जाने वाली गाड़ी
नरलोकः —पुं॰—नरः-लोकः—-—मनुष्यों का संसार, पृथ्वी, पार्थिव संसार
नरलोकः —पुं॰—नरः-लोकः—-—मानवता
नरवाहनः —पुं॰—नरः-वाहनः—-—कुबेर का विशेषण
नरवीरः —पुं॰—नरः-वीरः—-—पराक्रमी मनुष्य, शूरवीर
नरव्याघ्रः —पुं॰—नरः-व्याघ्रः—-—प्रमुख पुरुष
नरशार्दूलः —पुं॰—नरः-शार्दूलः—-—प्रमुख पुरुष
नरशृङ्गम् —नपुं॰—नरः-शृंगम्—-—मनुष्य का सींग, असंभावना, शेर के मुँह, बकरे के धड़ और साँप की पूँछ वाला बकरा अर्थात् बन्ध्यापुत्र, सत्ताहीनता
नरसंसर्गः —पुं॰—नरः- संसर्गः—-—मानव-समाज
नरसिंहः —पुं॰—नरः-सिंहः—-—’नरसिंह’ विष्णु का चौथा अवतार
नरहरिः —पुं॰—नरः-हरिः—-—’नरसिंह’ विष्णु का चौथा अवतार
नरस्कन्धः —पुं॰—नरः-स्कन्धः—-—मनुष्यों की टोली
नरकः —पुं॰—-—नृणाति क्लेशं प्रापयति- नृ + वुन्—दोज़ख, घृण्य प्रदेश
नरकम् —नपुं॰—-—नृणाति क्लेशं प्रापयति- नृ + वुन्—दोज़ख, घृण्य प्रदेश
नरक —वि॰—-—-—एक राक्षस का नाम, प्राग्ज्योतिष का राजा
नरकान्तकः —पुं॰—नरकः-अन्तकः—-—कृष्ण का विशेषण
नरकारिः —पुं॰—नरकः-अरिः—-—कृष्ण का विशेषण
नरकजित् —पुं॰—नरकः-जित्—-—कृष्ण का विशेषण
नरकामयः —पुं॰—नरकः-आमयः—-—मृत्यु के पश्चात् आत्मा
नरकामयः —पुं॰—नरकः-आमयः—-—भूत, प्रेत
नरककुण्डम् —नपुं॰—नरकः-कुण्डम्—-—नरक का गढ़ा
नरकस्था —स्त्री॰—नरकः- स्था—-—वैतरणी नदी
नरङ्गम् —नपुं॰—-—नृ + अंगच्—पुरुष की जननेन्द्रिय, लिङ्ग
नराङ्गः —पुं॰—-—नर + अंग् + अण्—पुरुष की जननेन्द्रिय, लिङ्ग
नरन्धिः —पुं॰—-—नराः धीयन्तेऽस्मिन्- नर + धा + कि, पृषो॰ मुम्—सांसारिक जीवन या अस्तित्व
नरी —स्त्री॰—-—नर + ङीष्—नारी, स्त्री
नरकुटकम् —नपुं॰—-—नरस्य कुटकमिव, पृषो॰ —नाक, नासिका
नर्तः —पुं॰—-—नृत् + अच्—नाचना, नाच
नर्तकः —पुं॰—-—नृत् + ष्वुन्—नाचने वाला, नृत्यशिक्षक
नर्तकः —पुं॰—-—नृत् + ष्वुन्—अभिनेता, नट, मूकनाटक का पात्र
नर्तकः —पुं॰—-—नृत् + ष्वुन्—भाट, चारण
नर्तकः —पुं॰—-—नृत् + ष्वुन्—हाथी
नर्तकः —पुं॰—-—नृत् + ष्वुन्—राजा
नर्तकः —पुं॰—-—नृत् + ष्वुन्—मोर
नर्तकी —स्त्री॰—-—-—नाचने वाली स्त्री, नटी, अभिनेत्री
नर्तनः —पुं॰—-—नृत् + ल्युट्—नाचने वाला
नर्तनम् —नपुं॰—-—-—हावभाव प्रदर्शित करना, नाचना, नाच
नर्तनगृहम् —नपुं॰—नर्तनः-गृहम्—-—नाचघर
नर्तनशाला —स्त्री॰—नर्तनः-शाला—-—नाचघर
नर्तनप्रियः —पुं॰—नर्तनः-प्रियः—-—शिव का विशेषण
नर्तित —वि॰—-—नृत् + णिच् + क्ति—नाचा हुआ, नचाया हुआ
नर्द् —भ्वा॰ पर॰- < नर्दति>, < नर्दित>—-—-—गरजना, दहाड़ना, शब्द करना
नर्द् —भ्वा॰ पर॰- < नर्दति>, < नर्दित>—-—-—जाना, गतिशील होना
नर्द —वि॰—-—नर्द् + अच्—गरज, दहाड़
नर्दनम् —नपुं॰—-—नर्द् + ल्युट्—गरजना, दहाड़ना
नर्दनम् —नपुं॰—-—नर्द् + ल्युट्—प्रशंसा का प्रचार करना, ऊँचे स्वर में कीर्तिगान करना
नर्दितः —पुं॰—-—नर्द + क्त—एक प्रकार का पासा, पासे का हाथ
नर्दितम् —नपुं॰—-—-—आवाज, दहाड़, गरज
नर्मटः —पुं॰—-—नर्मन् + अटन्, पृषो॰—ठीकरा, बर्तन का टुकड़ा
नर्मटः —पुं॰—-—नर्मन् + अटन्, पृषो॰—सूर्य
नर्मठः —पुं॰—-—नर्मन् + अठन्—भांड़
नर्मठः —पुं॰—-—नर्मन् + अठन्—लम्पट, दुश्चरित्र, स्वेच्छाचारी
नर्मठः —पुं॰—-—नर्मन् + अठन्—क्रीडा, मनोरंजन, विनोद
नर्मठः —पुं॰—-—नर्मन् + अठन्—मैथुन, संभोग
नर्मठः —पुं॰—-—नर्मन् + अठन्—ठोडी
नर्मठः —पुं॰—-—नर्मन् + अठन्—चूचक
नर्मन् —नपुं॰—-—नृ + मनिन्—क्रीडा, विनोद, विलास, आमोद, प्रमोद, कामकेलि, केलिविहार
नर्मन् —नपुं॰—-—नृ + मनिन्—परिहास, हँसी, दिल्लगी, ठड्ढा, रसिकोक्ति, परिहासपूर्ण, सरस
नर्मकीलः —पुं॰—नर्मन्-कीलः—-—पति
नर्मगर्भ —वि॰—नर्मन्-गर्भ—-—रसिक, ठिठोलिया, विनोदी
नर्मगर्भः —पुं॰—नर्मन्-गर्भः—-—गुप्तप्रेमी
नर्मद —वि॰—नर्मन्-द—-—आह्लादकारी, आनन्ददायक
नर्मदः —पुं॰—नर्मन्-दः—-—विदूषक
नर्मदा —स्त्री॰—नर्मन्- दा—-—विन्ध्यपर्वत से निकलने वाली एक नदी जो खंभात की खाड़ी में जाकर गिरती है।
नर्मद्युति —वि॰—नर्मन्-द्युति—-—हर्षोत्फुल्ल, हंसमुख, प्रसन्नवदन
नर्मद्युतिः —स्त्री॰—नर्मन्-द्युतिः—-—परिहास का मजा लेना
नर्मसचिवः —पुं॰—नर्मन्-सचिवः—-—विदूषक, राजा या किसी रईस का मनोविनोद करने वाला साथी
नर्मसुहृद् —पुं॰—नर्मन्-सुहृद्—-—विदूषक, राजा या किसी रईस का मनोविनोद करने वाला साथी
नर्मराः —स्त्री॰—-—नर्मन् + र + टाप्—घाटी, कंदरा
नर्मराः —स्त्री॰—-—नर्मन् + र + टाप्—धौंकनी
नर्मराः —स्त्री॰—-—नर्मन् + र + टाप्—बूढ़ी स्त्री जिसे अब रजोधर्म न होता हो
नर्मराः —स्त्री॰—-—नर्मन् + र + टाप्—सरला नाम का पौधा
नलः —पुं॰—-—नल् + अच्—एक प्रकार का नरकुल
नलः —पुं॰—-—नल् + अच्—निषधदेश का एक विख्यात राजा, ’नैषध चरित’ काव्य का नायक
नलः —पुं॰—-—नल् + अच्—एक प्रमुख वानर जो विश्वकर्मा का पुत्र था तथा जिसने नलसेतु नामक एक पत्थरों का पुल बनाया, जिसके ऊपर से होकर राम ने अपने सैन्यदल समेत लंका में प्रवेश किया।
नलकीलः —पुं॰—नलः-कीलः—-—घुटना
नलकूबरः —पुं॰—नलः-कूबरः—-—कुबेर के एक पुत्र का नाम
नलदम् —नपुं॰—नलः-दम्—-—एक सुगंधित जड़, खस, उशीर
नलपट्टिका —स्त्री॰—नलः-पट्टिका—-—नरकुलों की बनी हुई एक प्रकार की चटाई
नलमीनः —पुं॰—नलः-मीनः—-—जल वृश्चिक, झींगा मछली
नलकम् —नपुं॰—-—नल + कै + क—शरीर की कोई भी लंबी हड्डी
नलकम् —नपुं॰—-—नल + कै + क—कुहनी की हड्डी
नलकिनी —स्त्री॰—-—नलक + इनि + ङीप्—घुटने की कपाली
नलकिनी —स्त्री॰—-—नलक + इनि + ङीप्—टांग
नलिनः —पुं॰—-—नल् + इनच्—सारस
नलिनम् —नपुं॰—-—-—कमल, कुमुद
नलिनम् —नपुं॰—-—-—नील का पौधा
नलिनेशयः —पुं॰—-—-—विष्णु का विशेषण
नलिनी —स्त्री॰—-—नल + इनि + ङीप्—कमल का पौधा
नलिनी —स्त्री॰—-—नल + इनि + ङीप्—कमलों का समूह
नलिनी —स्त्री॰—-—नल + इनि + ङीप्—कमलों से भरा हुआ सरोवर
नलिनीखण्डम् —नपुं॰—नलिनी- खण्डम्—-—कमलपुंज
नलिनीषण्डम् —नपुं॰—नलिनी- षण्डम्—-—कमलपुंज
नलिनीरुहः —पुं॰—नलिनी-रुहः—-—ब्रह्मा का विशेषण
नलिनीरुहम् —नपुं॰—नलिनी- रुहम्—-—कमलडंडी, कमल का रेशा
नल्वः —पुं॰—-—नल् + व—दूरी मापने का नाप जो ४०० हाथ लम्बा हो।
नव —वि॰—-—नु + अप्—नया, ताजा, थोड़ी आयु का, नवीन
नवम् —अव्य॰—-—-—आजकल में, हाल में, अभी-अभी, बहुत दिन हुए
नवान्नम् —नपुं॰—नव-अन्नम्—-—नये चावल या नया अनाज
नवाम्बु —नपुं॰—नव-अम्बु—-—ताजा पानी
नवाहः —पुं॰—नव-अहः—-—पक्ष का पहला दिन
नवेतर —वि॰—नव-इतर—-—पुराना
नवोद्धतम् —नपुं॰—नव-उद्धतम्—-—ताजा मक्खन
नवोढा —स्त्री॰—नव-ऊढा—-—अभी की विवाहित स्त्री, दुलहिन
नवपाणिग्रहणा —स्त्री॰—नव-पाणिग्रहणा—-—अभी की विवाहित स्त्री, दुलहिन
नवकारिका —स्त्री॰—नव-कारिका—-—नवविवाहित स्त्री
नवकारिका —स्त्री॰—नव-कारिका—-—नूतन रजस्वला स्त्री
नवकालिका —स्त्री॰—नव- कालिका—-—नवविवाहित स्त्री
नवकालिका —स्त्री॰—नव- कालिका—-—नूतन रजस्वला स्त्री
नवफलिका —स्त्री॰—नव-फलिका—-—नवविवाहित स्त्री
नवफलिका —स्त्री॰—नव-फलिका—-—नूतन रजस्वला स्त्री
नवछात्रः —पुं॰—नव-छात्रः—-—नया विद्यार्थी, नौसिखिया, नवशिष्य
नवनी —स्त्री॰—नव-नी—-—ताजा मक्खन
नवनीतम् —नपुं॰—नव-नीतम्—-—ताजा मक्खन
नवनीतकम् —नपुं॰—नव-नीतकम्—-—परिष्कृत मक्खन
नवनीतकम् —नपुं॰—नव-नीतकम्—-—ताजा मक्खन
नवपाठकः —पुं॰—नव-पाठकः—-—नया अध्यापक
नवमल्लिका —स्त्री॰—नव-मल्लिका—-—चमेली का एक भेद
नवमालिका —स्त्री॰—नव-मालिका—-—चमेली का एक भेद
नवयज्ञः —पुं॰—नव-यज्ञः—-—नये अन्न या नये फलों से आहुति देना
नवयौवनम् —नपुं॰—नव-यौवनम्—-—नई जवानी, यौवन का नया विकास
नवरजस् —स्त्री॰—नव-रजस्—-—लड़की जिसे हाल ही में रजोदर्शन हुआ हो
नववधूः —पुं॰—नव-वधूः—-—नवविवाहिता लड़की
नववरिका —स्त्री॰—नव-वरिका—-—नवविवाहिता लड़की
नववल्लभम् —नपुं॰—नव-वल्लभम्—-—एक प्रकार का चन्दन
नववस्त्रम् —नपुं॰—नव-वस्त्रम्—-—नया कपड़ा
नवशशिभृत् —पुं॰—नव-शशिभृत्—-—शिव का विशेषण
नवसूतिः —स्त्री॰—नव-सूतिः—-—नई सूई हुई या दुधार गाय
नवसूतिः —स्त्री॰—नव-सूतिः—-—जच्चा स्त्री
नवसूतिका —स्त्री॰—नव-सूतिका—-—नई सूई हुई या दुधार गाय
नवसूतिका —स्त्री॰—नव-सूतिका—-—जच्चा स्त्री
नवकम् —नपुं॰—-—नवन् + कन् नलोपः—नौ वस्तुओं का समूह, नौ का गुच्छा
नवत —वि॰—-—नवति + डट्—नव्वेवाँ
नवतः —पुं॰—-—-—छींट की बनी हाथी की झूल
नवतः —पुं॰—-—-—ऊनी कपड़ा, कंबल
नवतिः —स्त्री॰—-—नि॰—नव्वे
नवतिका —स्त्री॰—-—नवति + कन् + टाप्—नब्बे
नवतिका —स्त्री॰—-—नवति + कन् + टाप्—चित्रकार की कूंची
नवन् —सं॰ वि॰—-—नु + कनिन् बा॰ गुणः—नौ
नवाशीतिः —स्त्री॰—नवन्-अशीतिः—-—नवासी
नवार्चिस् —पुं॰—नवन्-अर्चिस्—-—मंगलग्रह
नवदीधितिः —पुं॰—नवन्-दीधितिः—-—मंगलग्रह
नवकृत्वस् —अव्य॰—नवन्-कृत्वस्—-—नौ गुणा
नवग्रहाः —पुं॰—नवन्-ग्रहाः—-—नौ ग्रह
नवचत्वारिंश —वि॰—नवन्-चत्वारिंश—-—उनचासवाँ
नवचत्वारिंशत् —स्त्री॰—नवन्-चत्वारिंशत्—-—उनचास
नवछिद्रम् —नपुं॰—नवन्-छिद्रम्—-—शरीर
नवद्वारम् —नपुं॰—नवन्-द्वारम्—-—शरीर
नवत्रिंश —वि॰—नवन्-त्रिंश—-—उंतालीसवाँ
नवत्रिंशत् —स्त्री॰—नवन्-त्रिंशत्—-—उंतालीस
नवदश —वि॰—नवन्-दश—-—उन्नीसवाँ
नवदशन् —वि॰ब॰ व॰—नवन्-दशन्—-—उन्नीस
नवनवतिः —स्त्री॰—नवन्-नवतिः—-—निन्यानवे
नवनिधिः —पुं॰—नवन्-निधिः—-—कुबेर के नौ खजाने
नवपञ्चाश —वि॰—नवन्-पञ्चाश—-—उनसठवाँ
नवपञ्चाशत् —स्त्री॰—नवन्-पञ्चाशत्—-—उनसठ
नवरत्नम् —नपुं॰—नवन्-रत्नम्—-—नौ अमूल्य रत्न
नवरत्नम् —नपुं॰—नवन्-रत्नम्—-—राजा विक्रमादित्य के दरबार के नौ कवि
नवरसाः —पुं॰—नवन्-रसाः—-—काव्य के नौ रस
नवरात्रम् —नपुं॰—नवन्-रात्रम्—-—नौ दिन का समय
नवरात्रम् —नपुं॰—नवन्-रात्रम्—-—अश्विन मास के प्रथम नौ दिन जो दुर्गा पूजा के दिन माने जाते हैं।
नवविंश —वि॰—नवन्-विंश—-—उंतीसवाँ
नवविंशतिः —स्त्री॰—नवन्-विंशतिः—-—उंतीस
नवविध —वि॰—नवन्-विध—-—नौ तरह का, नौ प्रकार का
नवशतम् —नपुं॰—नवन्-शतम्—-—एक सौ नौ
नवशतम् —नपुं॰—नवन्-शतम्—-—नौ सौ
नवषष्टिः —स्त्री॰—नवन्-षष्टिः—-—उनहत्तर
नवसप्ततिः —स्त्री॰—नवन्-सप्ततिः—-—उनासी
नवधा —अव्य॰—-—नव + धा—नौ प्रकार से, नौगुणा
नवम —वि॰—-—नवन् + डट्, डट्स्थाने मट्—नवां
नवमी —स्त्री॰—-—-—चान्द्रमास के पक्ष का नवाँ दिन
नवशः —अव्य॰—-—नवन् + शस्—नौ नौ करके
नवीन —वि॰ —-—नव + ख—नया, ताजा, हाल का
नवीन —वि॰ —-—नव + ख—आधुनिक
नव्य —वि॰ —-—नव +यत् —नया, ताजा, हाल का
नव्य —वि॰ —-—नव +यत् —आधुनिक
नश् —दिवा॰ पर॰- < नश्यति>, <नष्ट>, पुं॰—-—-—खोया जाना, अन्तर्धान होना, लुप्त होना, अदृश्य होना
नश् —दिवा॰ पर॰- < नश्यति>, <नष्ट>, पुं॰—-—-—नष्ट होना, ध्वस्त होना, मरना, बर्बाद होना
नश् —दिवा॰ पर॰- < नश्यति>, <नष्ट>, पुं॰—-—-—भाग जाना, उड़ जाना, बच निकलना
नश् —दिवा॰ पर॰- < नश्यति>, <नष्ट>, पुं॰—-—-—भग्नाश होना, असफल होना
नश् —दिवा॰ पर॰, पुं॰—-—-—अन्तर्धान करना
नश् —दिवा॰ पर॰, पुं॰—-—-—नष्ट करना, हटा देना, मिटा देना, भगा देना, उड़ा देना
प्रणश् —दिवा॰ पर॰—प्र + नश्—-—ध्वस्त होना, मरना
विनश् —दिवा॰ पर॰—वि + नश्—-—ध्वस्त होना, मरना
नश् —स्त्री॰—-—नश् + क्विप्—नाश, ध्वंस, हानि, अन्तर्धान
नशः —स्त्री॰—-—नश् + क—नाश, ध्वंस, हानि, अन्तर्धान
नशनम् —स्त्री॰—-—नश् + ल्युट् —नाश, ध्वंस, हानि, अन्तर्धान
नश्वर —वि॰—-—नश् + क्वख्—नष्ट होने वाला, क्षणस्थायी, क्षणभंगुर, अनित्य, अस्थायी
नश्वर —वि॰—-—नश् + क्वख्—विनाशकारी, उत्पातकारी
नष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—नश् + क्त—खोया हुआ, अनर्हित, , लुप्त, अदृश्य
नष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—नश् + क्त—मृत,ध्वस्त, उच्छिन्न
नष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—नश् + क्त—भ्रष्ट, क्षीण
नष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—नश् + क्त—भागा हुआ
नष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—नश् + क्त—वंचित, मुक्त
नष्टार्थ —वि॰—नष्ट-अर्थ—-—निर्धनीकृत
नष्टातङ्कम् —अव्य॰—नष्ट-आतङ्कम्—-—निश्चिंतता के साथ, निर्भय होकर
नष्टात्मन् —वि॰—नष्ट-आत्मन्—-—ज्ञान से वंचित, बेहोश
नष्टाप्तिसूत्रम् —नपुं॰—नष्ट-आप्तिसूत्रम्—-—लूट का माल, लूट-खसोट
नष्टाशङ्क —वि॰—नष्ट-आशङ्क—-—निडर, सुरक्षित, भयरहित
नष्टेन्दुकला —स्त्री॰—नष्ट-इन्दुकला—-—पूर्णिमा का दिन
नष्टेन्द्रिय —वि॰—नष्ट-इन्द्रिय—-—इन्द्रियरहित
नष्टचेतन —वि॰—नष्ट-चेतन—-—जिसकी चेतना जाती रही है, अचेतन, बेहोश, मूर्छित
नष्टचेष्ट —वि॰—नष्ट-चेष्ट—-—जिसकी चेतना जाती रही है, अचेतन, बेहोश, मूर्छित
नष्टसंज्ञ —वि॰—नष्ट-संज्ञ—-—जिसकी चेतना जाती रही है, अचेतन, बेहोश, मूर्छित
नष्टचेष्टता —स्त्री॰—नष्ट-चेष्टता—-—विश्वविनाश
नस् —स्त्री॰—-—नस् + क्विप्—नाक, नासिका
नःक्षुद्र —वि॰—नस्- क्षुद्र—-—छोटी नाक वाला
नस्तस् —अव्य॰—-—नस् + तसिल्—नाक से
नसा —स्त्री॰—-—नस् + टाप्—नाक, नासिका
नस्तः —पुं॰—-—नस् + क्त—नाक
नस्तम् —नपुं॰—-—-—नस्य, सूँघनी
नस्ता —स्त्री॰—-—-—नाक के नथुने में किया गया छिद्र
नस्तोतः —पुं॰—नस्तः-ऊतः—-—नकेल द्वारा चलाया गया बल
नस्तित —वि॰—-—नस्त + इतच्—नाथा हुआ
नस्य —वि॰—-—नासिक + यत् नसादेशः—अनुनासिक
नस्यम् —नपुं॰—-—-—नाक का बाल
नस्या —स्त्री॰—-—-—पशु के नाक में से निकली हुई रस्सी, नकेल
नह् —दिवा॰ उभ॰- < नह्यति>, < नह्यते>, नद्ध, इच्छा॰ < निनत्सति>, < निनत्सते>—-—-—बांधना, बंधनयुक्त करना, ऊपर से चारो ओर से या एक जगह बांधना, कमर कसना
नह् —दिवा॰ उभ॰—-—-—पहनना, वस्त्र धारण करना, सुसज्जित करना
अपनह् —दिवा॰ उभ॰—अप-नह्—-—खोलना
अपिनह् —दिवा॰ उभ॰—अपि-नह्—-—बांधना, कमर कसना, बंधन में डालना
अपिनह् —दिवा॰ उभ॰—अपि-नह्—-—पहनना, कपड़े धारण करना
अपिनह् —दिवा॰ उभ॰—अपि-नह्—-—ढकना, बंद करना
उन्नह् —दिवा॰ उभ॰—उद्-नह्—-—बांधना, जकड़ना, गूंथना
परिणह् —दिवा॰ उभ॰—परि-नह्—-—घेरना, अन्तर्जटित करना, परिवृत्त करना
सन्नह् —दिवा॰ उभ॰—सम्-नह्—-—कसना, बांधना, जकड़ना
सन्नह् —दिवा॰ उभ॰—सम्-नह्—-—वस्त्र पहनना, धारण करना, शस्त्रास्त्र से सुसज्जित होना, संवारना, लिबास पहनना
सन्नह् —दिवा॰ उभ॰—सम्-नह्—-—अपने आपको तैयार करना
नहि —अव्य॰—-—-—निश्चय ही नहीं, निश्चित रूप से नहीं, किसी भी अवस्था में नहीं, बिल्कुल नहीं
नहुषः —पुं॰—-—नह + उपच्—एक चन्द्रवंशी राजा, ययाति का पिता, पुरूरवा का पोता और आयुस् का पुत्र,
ना —अव्य॰—-—नह + डा—नहीं, न
नाकः —पुं॰—-—न कम् अकम् दुःखम्, तत् नास्ति अत्र इति नि॰ प्रकृतिभावः—स्वर्ग
नाकः —पुं॰—-—न कम् अकम् दुःखम्, तत् नास्ति अत्र इति नि॰ प्रकृतिभावः—आकाश मंडल, ऊर्ध्वतर गगन, अन्तरिक्ष
नाकचरः —पुं॰—नाकः-चरः—-—देव
नाकचरः —पुं॰—नाकः-चरः—-—उपदेव
नाकनाथः —पुं॰—नाकः-नाथः—-—इन्द्र का विशेषण
नाकनायकः —पुं॰—नाकः-नायकः—-—इन्द्र का विशेषण
नाकवनिता —स्त्री॰—नाकः-वनिता—-—अप्सरा
नाकसद् —पुं॰—नाकः-सद्—-—देव
नाकिन् —पुं॰—-—नाक + इनि—देवता, सुर
नाकुः —पुं॰—-—नम् + उ नाक् आदेशः—वल्मीक
नाकुः —पुं॰—-—नम् + उ नाक् आदेशः—पहाड़
नाक्षत्र —वि॰—-—नक्षत्र + अण्—तारा-सम्बन्धी, नक्षत्रविषयक
नाक्षत्रम् —नपुं॰—-—-—२७ नक्षत्रों में से चन्द्रमा की गति के आधार पर गिना गया महीना, ६० घड़ी वाले तीस दिनों का एक मास
नाक्षत्रिकः —पुं॰—-—नक्षत्र + ठञ्—२७ दिनों का महीना
नागः —पुं॰—-—नाग + अण्—साँप, विशेष कर काला साँप
नागः —पुं॰—-—नाग + अण्—एक काल्पनिक नागदैत्य जिसका मुख मनुष्य जैसा और पूंछ साँप जैसी होती है तथा जो पाताल में रहता है- @ भग॰ १०/२९,@ रघु॰ १५/८३
नागः —पुं॰—-—नाग + अण्—हाथी
नागः —पुं॰—-—नाग + अण्—मगरमच्छ
नागः —पुं॰—-—नाग + अण्—क्रूर, अत्याचारी व्यक्ति
नागः —पुं॰—-—नाग + अण्—गण्यमान्य और पूज्य व्यक्ति
नागः —पुं॰—-—नाग + अण्—बादल
नागः —पुं॰—-—नाग + अण्—खूंटी
नागः —पुं॰—-—नाग + अण्—नागकेसर, नागरमोथा
नागः —पुं॰—-—नाग + अण्—शरीरस्थ पाँच प्राणों में वह वायु जो डकार के द्वारा बाहर निकलती है।
नागः —पुं॰—-—नाग + अण्—सात की संख्या
नागाङ्गना —स्त्री॰—नागः-अङ्गना—-—हथिनी
नागाङ्गना —स्त्री॰—नागः-अङ्गना—-—हाथी की सूंड
नागाञ्जना —स्त्री॰—नागः-अञ्जना—-—हथिनी
नागाधिपः —पुं॰—नागः-अधिपः—-—शेष का विशेषण
नागान्तकः —पुं॰—नागः-अन्तकः—-—गरुड का विशेषण
नागान्तकः —पुं॰—नागः-अन्तकः—-—मोर
नागान्तकः —पुं॰—नागः-अन्तकः—-—सिंह
नागारातिः —पुं॰—नागः-अरातिः—-—गरुड का विशेषण
नागारातिः —पुं॰—नागः-अरातिः—-—मोर
नागारातिः —पुं॰—नागः-अरातिः—-—सिंह
नागारिः —पुं॰—नागः-अरिः—-—गरुड का विशेषण
नागारिः —पुं॰—नागः-अरिः—-—मोर
नागारिः —पुं॰—नागः-अरिः—-—सिंह
नागाशनः —पुं॰—नागः-अशनः—-—मोर
नागाशनः —पुं॰—नागः-अशनः—-—गरुड का विशेषण
नागाननः —पुं॰—नागः-आननः—-—गणेश का विशेषण
नागाननः —पुं॰—नागः-आह्वः—-—हस्तिनापुर
नागेन्द्रः —पुं॰—नागः-इन्द्रः—-—भव्य या श्रेष्ठ हाथी
नागेन्द्रः —पुं॰—नागः-इन्द्रः—-—इन्द्र का हाथी ऐरावत
नागेन्द्रः —पुं॰—नागः-इन्द्रः—-—शेष का विशेषण
नागेशः —पुं॰—नागः- ईशः—-—शेष की उपाधि
नागेशः —पुं॰—नागः- ईशः—-—परिभाषेन्दुशेखर तथा कई अन्य पुस्तकों का प्रणेता
नागेशः —पुं॰—नागः- ईशः—-—पतंजलि
नागोदरम् —नपुं॰—नागः-उदरम्—-—लोहे का तवा, वक्षस्त्राण
नागोदरम् —नपुं॰—नागः-उदरम्—-—गर्भावस्था का एक रोग विशेष, गर्भोपद्रवभेद
नागकेसरः —पुं॰—नागः-केसरः—-—सुगंधित फूलों का एक वृक्ष
नागगर्भम् —नपुं॰—नागः-गर्भम्—-—सिन्दूर
नागचूडः —पुं॰—नागः-चूडः—-—शिव की उपाधि
नागजम् —नपुं॰—नागः-जम्—-—सिन्दूर
नागजम् —नपुं॰—नागः-जम्—-—रांग
नागजिह्विका —स्त्री॰—नागः-जिह्विका—-—मैनसिल
नागजीवनम् —नपुं॰—नागः-जीवनम्—-—रांगा
नागदन्तः —पुं॰—नागः-दन्तः—-—हाथी दांत
नागदन्तः —पुं॰—नागः-दन्तः—-—दीवार में लगी खूंटी या दीवारगीरी
नागदन्तकः —पुं॰—नागः-दन्तकः—-—हाथी दांत
नागदन्तकः —पुं॰—नागः-दन्तकः—-—दीवार में लगी खूंटी या दीवारगीरी
नागदन्ती —स्त्री॰—नागः-दन्ती—-—एक प्रकार का सूरजमुखी फूल
नागदन्ती —स्त्री॰—नागः-दन्ती—-—वेश्या
नागनक्षक्षम् —नपुं॰—नागः-नक्षक्षम्—-—आश्लेषा नक्षत्र
नागनायकम् —नपुं॰—नागः-नायकम्—-—आश्लेषा नक्षत्र
नागनायकः —पुं॰—नागः-नायकः—-—सांपों का स्वामी
नागनासा —स्त्री॰—नागः-नासा—-—हाथी की सूंड
नागनिर्यूहः —पुं॰—नागः-निर्यूहः—-—दीवार में लगी खूंटी या दीवारगीरी
नागपञ्चमी —स्त्री॰—नागः-पञ्चमी—-—श्रावणशुक्ला पंचमी को मनाया जाने वाला उत्सव
नागपदः —पुं॰—नागः-पदः—-—एक प्रकार का रतिबंध
नागपाशः —पुं॰—नागः-पाशः—-—युद्ध में शत्रुओं को फंसाने के लिए प्रयुक्त एक प्रकार का जादू का जाल
नागपाशः —पुं॰—नागः-पाशः—-—वरुण का शस्त्र या जाल
नागपुष्पः —पुं॰—नागः-पुष्पः—-—चम्पक का पौधा
नागपुष्पः —पुं॰—नागः-पुष्पः—-—पुन्नाग वृक्ष
नागबन्धकः —पुं॰—नागः-बन्धकः—-—हाथी पकड़ने वाला
नागबन्धुः —पुं॰—नागः-बन्धुः—-—गूलर का पेड़, पीपल का पेड़
नागबलः —पुं॰—नागः-बलः—-—भीम की उपाधि
नागभूषणः —पुं॰—नागः-भूषणः—-—शिव की उपाधि
नागमण्डलिकः —पुं॰—नागः-मण्डलिकः—-—सपेरा
नागमण्डलिकः —पुं॰—नागः-मण्डलिकः—-—सांप पकड़ने वाला
नागमल्लः —पुं॰—नागः-मल्लः—-—ऐरावत का विशेषण
नागयष्टिः —स्त्री॰—नागः-यष्टिः—-—नये खुदे तालाब में पानी की गहराई नापने के लिए अंशांकित बांस विशेष
नागयष्टिः —स्त्री॰—नागः-यष्टिः—-—धरती में छेद करने का वर्मा
नागयष्टिका —स्त्री॰—नागः-यष्टिका—-—नये खुदे तालाब में पानी की गहराई नापने के लिए अंशांकित बांस विशेष
नागयष्टिका —स्त्री॰—नागः-यष्टिका—-—धरती में छेद करने का वर्मा
नागरक्तम् —नपुं॰—नागः-रक्तम्—-—सिंदूर
नागरेणुः —स्त्री॰—नागः-रेणुः—-—सिंदूर
नागरङ्गः —पुं॰—नागः-रङ्गः—-—संतरा
नागराजः —पुं॰—नागः-राजः—-—शेष की उपाधि
नागलता —स्त्री॰—नागः-लता—-—नागकेसर, पात की बेल
नागवल्लरी —स्त्री॰—नागः-वल्लरी—-—नागकेसर, पात की बेल
नागवल्ली —स्त्री॰—नागः-वल्ली—-—नागकेसर, पात की बेल
नागलोकः —पुं॰—नागः-लोकः—-—सांपों की दुनिया, सांपों का कुल, भूलोक के नीचे अवस्थित पाताल लोक
नागवारिकः —पुं॰—नागः-वारिकः—-—राजकील हाथी
नागवारिकः —पुं॰—नागः-वारिकः—-—महावत
नागवारिकः —पुं॰—नागः-वारिकः—-—मोर
नागवारिकः —पुं॰—नागः-वारिकः—-—गरुड की उपाधि
नागवारिकः —पुं॰—नागः-वारिकः—-—हाथियों का यूथपति
नागवारिकः —पुं॰—नागः-वारिकः—-—किसी समाज का प्रधान व्यक्ति
नागसम्भवम् —नपुं॰—नागः-सम्भवम्—-—सिन्दूर
नागसम्भूतम् —नपुं॰—नागः-सम्भूतम्—-—सिन्दूर
नागसाह्वयम् —नपुं॰—नागः-साह्वयम्—-—हस्तिनापुर
नागर —वि॰—-—नगर + अण्—नगर में उत्पन्न, नगर में पला
नागर —वि॰—-—नगर + अण्—नगर से संबंध रखने वाला, नगरीय
नागर —वि॰—-—नगर + अण्—नगर में बोला जाने वाला
नागर —वि॰—-—नगर + अण्—नम्र, शिष्ट
नागर —वि॰—-—नगर + अण्—चतुर, चालाक
नागर —वि॰—-—नगर + अण्—बुरा, दुष्ट, दुर्व्यसनी
नागरः —पुं॰—-—-—देवर, पति का भाई
नागरः —पुं॰—-—-—थकावट, कठिनाई, श्रम
नागरः —पुं॰—-—-—मुकरना, जानकारी का खण्डन
नागरी —स्त्री॰—-—-—लिपि, वर्णमाला जिसमें प्रायः संस्कृत लिखी जाती है।
नागरी —स्त्री॰—-—-—चालाक और बुद्धिमती स्त्री
नागरी —स्त्री॰—-—-—स्नुही नाम का पौधा
नागरक —वि॰—-—नगरेभवः वुंञ्—नगर में पला, नगर में उत्पन्न
नागरक —वि॰—-—नगरेभवः वुंञ्—नम्र, शिष्ट, शालीन
नागरक —वि॰—-—नगरेभवः वुंञ्—चतुर, बुद्धिमान्, चालाक
नागरिक —वि॰—-—नगर + ठक—नगर में पला, नगर में उत्पन्न
नागरिक —वि॰—-—नगर + ठक—नम्र, शिष्ट, शालीन
नागरिक —वि॰—-—नगर + ठक—चतुर, बुद्धिमान्, चालाक
नागरकः —पुं॰—-—-—नम्र या शिष्ट व्यक्ति, वीर बहादुर, वह प्रेमी जो अपनी पहली प्रेमिका को अतिशय प्रेम प्रदर्शित करता है, परन्तु किसी अन्य से अपनी प्रणय प्रार्थना करता है।
नागरकः —पुं॰—-—-—जो नगर के दुर्व्यसनों में फँस गया है।
नागरकः —पुं॰—-—-—पुलिस का मुख्य अधिकारी
नागरीटः —पुं॰—-—नागरी + इट् + क—लम्पट, दुश्चरित्र
नागरीटः —पुं॰—-—नागरी + इट् + क—जार
नागरीटः —पुं॰—-—नागरी + इट् + क—संबंध भिड़ाने वाला
नागवी —पुं॰—-—नाग इव व्येटति नाग + वि + इट् + क—लम्पट, दुश्चरित्र
नागवी —पुं॰—-—नाग इव व्येटति नाग + वि + इट् + क—जार
नागवी —पुं॰—-—नाग इव व्येटति नाग + वि + इट् + क—संबंध भिड़ाने वाला
नागरुकः —पुं॰—-—नाग + रु + क—संतरा, नारंगी
नागर्यम् —पुं॰—-—नागर + ष्यञ्—बुद्धिमत्ता, चतुराई
नाचिकेतः —पुं॰—-—नाचिकेता + अण्—अग्नि
नाटः —पुं॰—-—नट् + घञ्—नाचना, अभिनय करना
नाटः —पुं॰—-—नट् + घञ्—कर्णाटक प्रदेश
नाटकम् —नपुं॰—-—नट् + ण्वुल्—स्वांग, रूपक
नाटकम् —नपुं॰—-—नट् + ण्वुल्—रूपक के दस मुख्य भेदों में से पहला, परिभाषा आदि के लिए
नाटकः —पुं॰—-—-—अभिनेता, नाचने वाला
नाटकीय —वि॰—-—नाटक + छ—नाटकसंबंधी, नाटकविषयक
नाटारः —पुं॰—-—नटया अपत्यम् आरक्—अभिनेत्री का पुत्र
नाटिका —स्त्री॰—-—नाट + कन् + काप्, इत्वम्—एक छोटा या लघु प्रहसन, एक रूपक
नाटितकम् —नपुं॰—-—नट् + णिच् + क्त + कन्—अनुकृति, किसी की चेष्टादि का अनुकरण, संकेत, हावभाव प्रदर्शन
नाटेयः —पुं॰—-—नटी + ढक् —किसी अभिनेत्री या नर्तकी का पुत्र
नाटेयरः —पुं॰—-—नटी + ढ्रक् —किसी अभिनेत्री या नर्तकी का पुत्र
नाट्यम् —नपुं॰—-—नट + ष्यञ्—नाचना
नाट्यम् —नपुं॰—-—नट + ष्यञ्—अनुकरणात्मक चित्रण, स्वांग, हावभाव प्रदर्शन, अभिनय करना
नाट्यम् —नपुं॰—-—नट + ष्यञ्—नृत्यकला, अभिनय कला, नाटयकला नाटयं भिन्नरुचेर्जनस्य बहुधाप्येकं समाराधनम्- @ मालवि॰ १/४
नाट्याचार्यः —पुं॰—नाट्यम्-आचार्यः—-—नृत्यकला का गुरु
नाट्योक्तिः —स्त्री॰—नाट्यम्-उक्तिः—-—नाटकीय वाक्यविन्यास
नाट्यधर्मिका —स्त्री॰—नाट्यम्-धर्मिका—-—अभिनयसंबंधी नियमावली
नाट्यधर्मी —स्त्री॰—नाट्यम्-धर्मी—-—अभिनयसंबंधी नियमावली
नाट्यप्रियः —पुं॰—नाट्यम्-प्रियः—-—शिव की उपाधि
नाट्यशाला —स्त्री॰—नाट्यम्-शाला—-—नाचघर
नाट्यशाला —स्त्री॰—नाट्यम्-शाला—-—नाटक खेलने का घर या स्थान
नाट्यशास्त्रम् —नपुं॰—नाट्यम्-शास्त्रम्—-—नाटय विज्ञान, नृत्य, गीत तथा अभिनय संबंधी विद्या
नाट्यशास्त्रम् —नपुं॰—नाट्यम्-शास्त्रम्—-—नाटयशास्त्र पर लिखा गया ग्रन्थ
नाडिः —स्त्री॰—-—नड + णिच् + इन्—किसी पौधे का पीला डंठल
नाडिः —स्त्री॰—-—नड + णिच् + इन्—कमल की खोखली डंडी
नाडिः —स्त्री॰—-—नड + णिच् + इन्—नलियों के आकार का शरीर का अंग
नाडिः —स्त्री॰—-—नड + णिच् + इन्—बाँसुरी, मुरली
नाडिः —स्त्री॰—-—नड + णिच् + इन्—नासूर वाला घाव, नासूर, नाडीव्रण
नाडिः —स्त्री॰—-—नड + णिच् + इन्—हाथ या पैर की नब्ज़
नाडिः —स्त्री॰—-—नड + णिच् + इन्—चौबीस मिनट के समय के बराबर माप, घड़ी
नाडिः —स्त्री॰—-—नड + णिच् + इन्—आधे मुहूर्त का कालमान
नाडिः —स्त्री॰—-—नड + णिच् + इन्—ऐन्द्रजालिक जाल
नाडी —स्त्री॰—-—नाडि + ङीष्—किसी पौधे का पीला डंठल
नाडी —स्त्री॰—-—नाडि + ङीष्—कमल की खोखली डंडी
नाडी —स्त्री॰—-—नाडि + ङीष्—नलियों के आकार का शरीर का अंग
नाडी —स्त्री॰—-—नाडि + ङीष्—बाँसुरी, मुरली
नाडी —स्त्री॰—-—नाडि + ङीष्—नासूर वाला घाव, नासूर, नाडीव्रण
नाडी —स्त्री॰—-—नाडि + ङीष्—हाथ या पैर की नब्ज़
नाडी —स्त्री॰—-—नाडि + ङीष्—चौबीस मिनट के समय के बराबर माप, घड़ी
नाडी —स्त्री॰—-—नाडि + ङीष्—आधे मुहूर्त का कालमान
नाडी —स्त्री॰—-—नाडि + ङीष्—ऐन्द्रजालिक जाल
नाडिचरणः —पुं॰—नाडिः-चरणः—-—एक पक्षी
नाडिचीरम् —नपुं॰—नाडिः-चीरम्—-—एक छोटा नरकुल
नाडिजङ्घः —पुं॰—नाडिः-जङ्घः—-—कौवा
नाडिपरीक्षा —स्त्री॰—नाडिः-परीक्षा—-—नब्ज़ देखना
नाडिमण्डलम् —नपुं॰—नाडिः-मण्डलम्—-—आकाशीय विषुवत् रेखा
नाडियन्त्रम् —नपुं॰—नाडिः-यन्त्रम्—-—नली के आकार का एक उपकरण
नाडिव्रणः —पुं॰—नाडिः-व्रणः—-—नासूर, पूयव्रण, रिसने वाला फोड़ा
नाडिका —स्त्री॰—-—नाडि + कन् + टाप्—नली के आकार का अंग
नाडिका —स्त्री॰—-—नाडि + कन् + टाप्—२४ मिनट का समय, घड़ी
नाडिधम —वि॰—-—नाडीं धमति- नाडी + ध्मा + खश्, धमादेशः, ह्रस्वः, मुम् च, प्रक्षे ह्रस्वाभावः—नलिकाकार अंगों को गति देने वाला
नाणकम् —नपुं॰—-—न आणकम्, इति—सिक्का, मोहर लगी हुई कोई वस्तु
नातिचर —वि॰—-—न अतिचरः—जो बहुत लंबी अवधि का न हो, जो दीर्घकालीन न हो।
नातिदूर —वि॰—-—न अतिदूरः—जो बहुत दूर न हो, अधिक दूरी पर न स्थित हो।
नातिवादः —पुं॰—-—न अतिवादः—दुर्वचन तथा अपशब्दों का परिहार करना
नाथ् —भ्वा॰ पर॰ नाथति- कभी-कभी आ॰ भी—-—-—निवेदन करना, प्रार्थना करना, किसी बात की याचना करना
नाथ् —भ्वा॰ पर॰ नाथति- कभी-कभी आ॰ भी—-—-—शक्ति रखना, स्वामी होना, छा जाना
नाथ् —भ्वा॰ पर॰ नाथति- कभी-कभी आ॰ भी—-—-—तंग करना, कष्ट देना
नाथ् —भ्वा॰ पर॰ नाथति- कभी-कभी आ॰ भी—-—-—आशीर्वाद देना, मंगल कामना करना, शुभाशीष देना
नाथः —पुं॰—-—नाथ् + अच्—प्रभु, स्वामी, रक्षक
नाथः —पुं॰—-—नाथ् + अच्—पति
नाथः —पुं॰—-—नाथ् + अच्—भारवाही बैल की नाक में डाला हुआ रस्सा
नाथहरिः —पुं॰—नाथः- हरिः—-—पशु
नाथवत् —वि॰—-—नाथ + मतुप्, वत्वम्—सनाथ, जिसका कोई स्वामी या रक्षक हो
नाथवत् —वि॰—-—नाथ + मतुप्, वत्वम्—पराश्रयी, पराधीन
नादः —पुं॰—-—नद् + घञ्—ऊँची पहाड़, चिल्लाहट, चीख, गरजना, दहाड़ना
नादः —पुं॰—-—नद् + घञ्—ध्वनि
नादः —पुं॰—-—नद् + घञ्—अनुनासिक ध्वनि जिसे हम चन्द्रबिन्दु के द्वारा प्रकट करते हैं।
नादिन् —वि॰—-—नद् + णिनि—ध्वनि या शब्द करने वाला, अनुनादी
नादिन् —वि॰—-—नद् + णिनि—रांभने वाला, गरजने वाला
नादेय —वि॰—-—नदी + ढक्—नदी में उत्पन्न, जलीय, समुद्रीय
नादेयम् —नपुं॰—-—-—सेंधानमक
नाना —अव्य॰—-—न + नाञ्—अनेक स्थानों पर, विभिन्न रीति से, विविध प्रकार से, तरह-तरह से
नाना —अव्य॰—-—न + नाञ्—स्पष्ट रूप से, अलग, पृथक् रूप से
नाना —अव्य॰—-—न + नाञ्—विना
नाना —अव्य॰—-—न + नाञ्—विविध प्रकार का, तरह-तरह का, नाना प्रकार का, विभिन्न, विविध
नानात्यय —वि॰—नाना-अत्यय—-—विभिन्न प्रकार का, बहुपक्षी
नानार्थ —वि॰—नाना-अर्थ—-—विविध उद्देश्य या लक्ष्यों वाला
नानार्थ —वि॰—नाना-अर्थ—-—विविध अर्थों वाला, अनेकार्थक
नानारस —वि॰—नाना-रस—-—विविध रुचि से युक्त
नानारूप —वि॰—नाना-रूप—-—विभिन्न रूपों वाला, विविध प्रकार का, बहुरूपी, नाना प्रकार का
नानावर्ण —वि॰—नाना-वर्ण—-—भिन्न-भिन्न रंगों का
नानाविध —वि॰—नाना-विध—-—विविध प्रकार का, तरह-तरह का, बहुविध
नानाविधम् —अव्य॰—नाना-विधम्—-—विविध रीति से
नानान्द्रः —पुं॰—-—ननांदृ + अण्—ननद का पुत्र
नान्त —वि॰—-—न॰ ब॰—अन्तरहित, अनन्त
नान्तरीयक —वि॰—-—न अन्तराविनाभवः- अन्तरा + छ, + कन्—जो अलग न किया जा सके, अनिवार्य रूप से जुड़ा हुआ
नान्त्रम् —नपुं॰—-—नम् + ष्ट्रन्—प्रशंसा, स्तुति
नान्दिकरः —पुं॰—-—नान्दी करोति- कृ + ट, ह्रस्वः—नांदी पाठ करने वाला
नान्दिन् —पुं॰—-—नन्द् + णिनि—नांदी पाठ करने वाला
नान्दी —स्त्री॰—-—नन्दन्ति देवा अत्र नन्द् + घञ्, पृषो॰ वृद्धि, ङीप्—हर्ष, संतोष, खुशी
नान्दी —स्त्री॰—-—नन्दन्ति देवा अत्र नन्द् + घञ्, पृषो॰ वृद्धि, ङीप्—समृद्धि
नान्दी —स्त्री॰—-—नन्दन्ति देवा अत्र नन्द् + घञ्, पृषो॰ वृद्धि, ङीप्—धर्मानुष्ठान के आरम्भ में देवस्तुति
नान्दी —स्त्री॰—-—नन्दन्ति देवा अत्र नन्द् + घञ्, पृषो॰ वृद्धि, ङीप्—विशेषकर, नाटक के आरम्भ में मंगलाचरण के रूप में आशीर्वादात्मक श्लोक या श्लोकों का पाठ
नान्दीकरः —पुं॰—नान्दी-करः—-—नांदी पाठ करने वाला
नान्दीनिनादः —पुं॰—नान्दी-निनादः—-—हर्षनाद
नान्दीपटः —पुं॰—नान्दी-पटः—-—कुएँ का ढक्कन
नान्दीमुख —वि॰—नान्दी-मुख—-—जिनके लिए नांदीमुख श्राद्ध किया जाय
नान्दीमुखम् —नपुं॰—नान्दी-मुखम्—-—पितरों की पुण्यस्मृति में किया जाने वाला श्राद्ध, विवाह आदि शुभ उत्सवों से पूर्व की जाने वाली आरंभिक स्तुति
नान्दीमुखः —पुं॰—नान्दी-मुखः—-—कुयें का ढक्कन
नान्दीवादिन् —पुं॰—नान्दी-वादिन्—-—नाटक में मंगलाचरण के रूप में नान्दी पाठ करने वाला
नान्दीवादिन् —पुं॰—नान्दी-वादिन्—-—ढोल बजाने वाला
नान्दीश्राद्धम् —नपुं॰—नान्दी-श्राद्धम्—-—पितरों की पुण्यस्मृति में किया जाने वाला श्राद्ध, विवाह आदि शुभ उत्सवों से पूर्व की जाने वाली आरंभिक स्तुति
नापितः —पुं॰—-—न आप्नोति सरलताम्- न + आप् + तन्, इट्—नाई, हजामत बनाने वाला
नापितशाला —स्त्री॰—नापितः-शाला—-—नाई की दुकान, क्षीरगृह, वह स्थान जहाँ हजामत होती हो।
नापिप्यम् —नपुं॰—-—नापित + ष्यञ्—नाई का व्यवसाय
नाभिः —पुं॰—-—नह् + इञ्, भश्चान्तदेशः—सूंडी
नाभिः —पुं॰—-—नह् + इञ्, भश्चान्तदेशः—नाभि के समान गर्त
नाभिः —पुं॰—-—-—पहिए की नाह
नाभिः —पुं॰—-—-—केन्द्र, किरणबिन्दु, मुख्य बिंदु
नाभिः —पुं॰—-—-—मुख्य, अग्रणी, प्रधान
नाभिः —पुं॰—-—-—निकट की रिश्तेदारी, बिरादरी, समुदाय
नाभिः —पुं॰—-—-—सर्वोपरि प्रभु
नाभिः —पुं॰—-—-—निकटसंबंधी
नाभिः —स्त्री॰—-—-—कस्तूरी
नाभिजः —पुं॰—नाभिः-जः—-—ब्रह्मा के विशेषण
नाभिजन्मन् —पुं॰—नाभिः-जन्मन्—-—ब्रह्मा के विशेषण
नाभिभूः —पुं॰—नाभिः- भूः—-—ब्रह्मा के विशेषण
नाभिनाडी —स्त्री॰—नाभिः-नाडी—-—नाभिरज्जु, जन्मरज्जु, नाल
नाभिनाडी —स्त्री॰—नाभिः-नाडी—-—नाभि का विदारण
नाभिनालम् —नपुं॰—नाभिः-नालम्—-—नाभिरज्जु, जन्मरज्जु, नाल
नाभिनालम् —नपुं॰—नाभिः-नालम्—-—नाभि का विदारण
नाभिल —वि॰—-—नाभिरस्त्यस्य- लच्—नाभि से संबद्ध या नाभि से आने वाला
नाभीलम् —नपुं॰—-—नाभि + गीष् + ला + क—नाभि का गर्त
नाभीलम् —नपुं॰—-—नाभि + गीष् + ला + क—पीडा
नाभीलम् —नपुं॰—-—नाभि + गीष् + ला + क—विदीर्ण नाभि
नाभ्य —वि॰—-—नाभि + यत्—नाभि से संबंध रखने वाला, नाभि से आने वाला, नाभि में रहने वाला, नाल से जुड़ा हुआ
नाभ्यः —पुं॰—-—-—शिव का विशेषण
नाम —अव्य॰—-—नम् + णिच् + ड—नामधारी, नामक, नाम से
नाम —अव्य॰—-—नम् + णिच् + ड—निस्सन्देह, निश्चय ही, सचमुच, वास्तव में, यथार्थ में, अवश्य, वस्तुतः
नाम —अव्य॰—-—नम् + णिच् + ड—संभवतः, कदाचित्
नाम —अव्य॰—-—नम् + णिच् + ड—संभवतः, कदाचित्
नाम —अव्य॰—-—नम् + णिच् + ड—संभावना
नाम —अव्य॰—-—नम् + णिच् + ड—झूठमूठ का कार्य, बहाना
नाम —अव्य॰—-—नम् + णिच् + ड—झूठमूठ का कार्य, बहाना
नाम —अव्य॰—-—नम् + णिच् + ड—माना कि, यद्यपि, हो सकता है, अच्छा
नाम —अव्य॰—-—नम् + णिच् + ड—आश्चर्य
नाम —अव्य॰—-—नम् + णिच् + ड—रोष या निन्दा
नामन् —नपुं॰—-—म्नायते अभ्यस्यते नम्यते अभिधीयते अर्थोऽनेन वा म्ना + मनिन् नि॰ साधुः—नाम, अभिधान, वैयक्तिक नाम
नामन् —नपुं॰—-—म्नायते अभ्यस्यते नम्यते अभिधीयते अर्थोऽनेन वा म्ना + मनिन् नि॰ साधुः—केवल नाम
नामन् —नपुं॰—-—म्नायते अभ्यस्यते नम्यते अभिधीयते अर्थोऽनेन वा म्ना + मनिन् नि॰ साधुः—संज्ञा, नाम
नामन् —नपुं॰—-—म्नायते अभ्यस्यते नम्यते अभिधीयते अर्थोऽनेन वा म्ना + मनिन् नि॰ साधुः—शब्द, नाम, समानार्थक शब्द
नामन् —नपुं॰—-—म्नायते अभ्यस्यते नम्यते अभिधीयते अर्थोऽनेन वा म्ना + मनिन् नि॰ साधुः—सामग्री
नामाङ्क —वि॰—नामन्-अङ्क—-—नाम से चिह्नित
नामानुशासनम् —नपुं॰—नामन्-अनुशासनम्—-—किसी के नाम की घोषणा करना
नामानुशासनम् —नपुं॰—नामन्-अनुशासनम्—-—शब्द संग्रह, शब्दकोष
नामाभिधानम् —नपुं॰—नामन्-अभिधानम्—-—किसी के नाम की घोषणा करना
नामाभिधानम् —नपुं॰—नामन्-अभिधानम्—-—शब्द संग्रह, शब्दकोष
नामापराधः —पुं॰—नामन्-अपराधः—-—नाम लेकर गाली देना, नाम लेकर बुलाना अर्थात् तिरस्कार करना
नामावली —स्त्री॰—नामन्-आवली—-—नाम-सूची
नामकरणम् —नपुं॰—नामन्-करणम्—-—नाम रखना, जन्म होने के पश्चात् बालक का नामकरण करना
नामकरणम् —नपुं॰—नामन्-करणम्—-—नाम मात्र का अनुबंध
नामकर्मन् —नपुं॰—नामन्-कर्मन्—-—नाम रखना, जन्म होने के पश्चात् बालक का नामकरण करना
नामकर्मन् —नपुं॰—नामन्-कर्मन्—-—नाम मात्र का अनुबंध
नामग्रहः —पुं॰—नामन्-ग्रहः—-—नामोल्लेख करना, नाम लेकर संबोधित करना, नामोच्चारण, नाम याद करना
नामत्यागः —पुं॰—नामन्-त्यागः—-—नाम छोड़ना
नामधातुः —पुं॰—नामन्-धातुः—-—नाम क्रिया, नाम धातु
नामधारक —वि॰—नामन्-धारक—-—नाम मात्र रखने वाला, नाम मात्र का, नाममात्र
नामधातिन् —वि॰—नामन्-धातिन्—-—नाम मात्र रखने वाला, नाम मात्र का, नाममात्र
नामधेयम् —नपुं॰—नामन्-धेयम्—-—नाम, अभिधान
नामनिर्देशः —पुं॰—नामन्-निर्देशः—-—नाम से संकेत
नाममात्र —वि॰—नामन्- मात्र—-—केवल नामधारी, नाममात्र का, नाम के लिए
नाममाला —स्त्री॰—नामन्- माला—-—नामों की सूची, शब्दावली
नामसङ्ग्रहः —पुं॰—नामन्-सङ्ग्रहः—-—नामों की सूची, शब्दावली
नाममुद्रा —स्त्री॰—नामन्-मुद्रा—-—मोहर लगाने की अँगूठी, नामांकित अँगूठी
नामलिङ्गम् —नपुं॰—नामन्-लिङ्गम्—-—संज्ञाओं का लिंग
नामानुशासनम् —नपुं॰—नामन्-अनुशासनम्—-—संज्ञा शब्दों के लिंगों की नियमावली
नामवर्जित —वि॰—नामन्-वर्जित—-—नाम रहित
नामवर्जित —वि॰—नामन्-वर्जित—-—मूर्ख, बेवकूफ
नामवाचक —वि॰—नामन्-वाचक—-—नाम बतलाने वाला
नामवाचकम् —नपुं॰—नामन्-वाचकम्—-—व्यक्ति वाचक संज्ञा
नामशेष —वि॰—नामन्-शेष—-—जिसका केवल नाम ही बाकी रह गया हो, जिसका नाम ही जीवित हो, स्वर्गीय
नामिः —पुं॰—-—नम् + इञ्—विष्णु की उपाधि
नामित —वि॰—-—नम् + णिच् + क्त—झुका हुआ, विनम्र, विनीत
नाम्य —वि॰—-—नम् + णिच् + क्त—लचकदार, लचीला, लचकीला
नायः —पुं॰—-—नी + घञ्—नेता, मार्ग दर्शक
नायः —पुं॰—-—नी + घञ्—मार्ग दिखलाने वाला, निर्देशक
नायः —पुं॰—-—नी + घञ्—नीति
नायः —पुं॰—-—नी + घञ्—उपाय, तरकीब
नायकः —पुं॰—-—नी + ण्वुल्—मार्गदर्शक, अग्रणी, संवाहक
नायकः —पुं॰—-—नी + ण्वुल्—मुख्य, स्वामी, प्रधान, प्रभु
नायकः —पुं॰—-—नी + ण्वुल्—गण्यमान्य या प्रधान पुरुष, पूज्य व्यक्ति
नायकः —पुं॰—-—नी + ण्वुल्—सेनानायक, सेनापति
नायकः —पुं॰—-—नी + ण्वुल्—नाटक या काव्य का नायक
नायकः —पुं॰—-—नी + ण्वुल्—हार के बीच का मुख्य मणि
नायकः —पुं॰—-—नी + ण्वुल्—निदर्शन या मुख्य उदाहरण-
नायकाधिपः —पुं॰—नायकः- अधिपः—-—राजा, प्रभु
नायिका —स्त्री॰—-—नायक + टाप्, इत्वम् —स्वामिनी
नायिका —स्त्री॰—-—नायक + टाप्, इत्वम् —पत्नी
नायिका —स्त्री॰—-—नायक + टाप्, इत्वम् —किसी काव्य या नाटक की नायिका
नारम् —नपुं॰—-—-—मनुष्यों की भीड़ या सम्मर्द
नारजीवनम् —नपुं॰—नारः-जीवनम्—-—सोना
नारक —वि॰—-—नरक + अण्—नारकीय, नरकसंबंधी, दोजखी
नारकः —पुं॰—-—-—नारकीय प्रदेश, दोजख नरकवासी
नारकिक —वि॰ —-—नरक + ठक्—नरक का, दोजखी
नारकिक —वि॰ —-—नरक + ठक्—नरक या दोजख में रहने वाला
नारकिन् —वि॰ —-—नरक + इनि—नरक का, दोजखी
नारकिन् —वि॰ —-—नरक + इनि—नरक या दोजख में रहने वाला
नारकिन् —वि॰ —-—नरक + छ —नरक का, दोजखी
नारकिन् —वि॰ —-—नरक + छ —नरक या दोजख में रहने वाला
नारङ्गः —पुं॰—-—नृ + अंगत्, वृद्धि—संतरे का पेड़
नारङ्गः —पुं॰—-—नृ + अंगत्, वृद्धि—लुच्चा,लम्पट
नारङ्गः —पुं॰—-—नृ + अंगत्, वृद्धि—जीवित प्राणी
नारङ्गः —पुं॰—-—नृ + अंगत्, वृद्धि—युग्गल
नारङ्गकम् —नपुं॰—-—-—संतरे
नारदः —पुं॰—-—नरस्य धर्मो नारं, तत् ददाति- दा + क—प्रसिद्ध देवर्षि का नाम, दिव्य ऋषि, सन्त महात्मा जिसने देवत्व प्राप्त किया।
नारसिंह —वि॰—-—नरसिंह + अण्—नरसिंह से संबंध रखने वाला
नारसिंहः —पुं॰—-—-—विष्णु का विशेषण
नाराचः —पुं॰—-—नरान् आचमति- आ + चम् + ड स्वार्थे अण्, नारम् आचामति वा तारा॰—लोहे का बाण
नाराचः —पुं॰—-—नरान् आचमति- आ + चम् + ड स्वार्थे अण्, नारम् आचामति वा तारा॰—बाण
नाराचः —पुं॰—-—नरान् आचमति- आ + चम् + ड स्वार्थे अण्, नारम् आचामति वा तारा॰—जल हाथी
नाराचिका —स्त्री॰—-—नाराच + हन् + टाप्—सुनार की तराजू
नाराची —स्त्री॰—-—नाराच + अच् + ङीप्—सुनार की तराजू
नारायणः —पुं॰—-—नारा अयनं यस्य ब॰ स॰—विष्णु की उपाधि
नारायणः —पुं॰—-—नारा अयनं यस्य ब॰ स॰—एक प्राचीन ऋषि का नाम जो ’नर’ के साथी थे तथा जिन्होंने अपनी जंघा से उर्वशी को पैदा किया- तु॰ उरुद्भवा नरसखस्य मुनेः सुरस्त्री- विक्रम॰ १/२, दे॰ ’नरनारायणं ’नर’ के अन्तर्गत)
नारायणी —स्त्री॰—-—-—धन की देवी लक्ष्मी का विशेषण
नारायणी —स्त्री॰—-—-—दुर्गा का विशेषण
नारीकेरः —पुं॰—-—किल् + घञ् = केलः, नार्याः केलः- ष॰ त॰, पृषो॰ ह्रस्वः, अथवा नल् + इण् लस्य रः = नारि, केन जलेन इलति- इल् + क कर्म॰ स॰—नारियल
नारीकेलः —पुं॰—-—किल् + घञ् = केलः, नार्याः केलः- ष॰ त॰, पृषो॰ ह्रस्वः, अथवा नल् + इण् लस्य रः = नारि, केन जलेन इलति- इल् + क कर्म॰ स॰—नारियल
नारी —स्त्री॰—-—नृ- नर वा जातौ ङीष् नि॰—स्त्री
नारीतरङ्गकः —पुं॰—नारी-तरङ्गकः—-—जार, उपपति
नारीतरङ्गकः —पुं॰—नारी-तरङ्गकः—-—लम्पट
नारीदूषणम् —नपुं॰—नारी-दूषणम्—-—स्त्री का दुर्व्यसन
नारीप्रसङ्गः —पुं॰—नारी-प्रसंगः—-—कामासक्ति, लम्पटता
नारीरत्नम् —नपुं॰—नारी-रत्नम्—-—स्त्रीरत्न, श्रेष्ठ स्त्री
नार्यंगः —पुं॰—-—नारीणामङ्गमिव शोभनमंगं यस्य—संतरे का पेड़
नाल —वि॰—-—नलस्येवम्- अण्—नरकुल का बना हुआ
नालम् —नपुं॰—-—-—पीला डंठल, विशेष कर कमल की डंडी
नालम् —नपुं॰—-—-—शरीर की नलिकाकार वाहिनी, धमनी
नालम् —नपुं॰—-—-—मूठ, दस्का
नालम्बी —स्त्री॰—-—-—शिव की वीणा
नाला —स्त्री॰—-—नल् + ण + टाप्—पीला डंठल, विशेषकर कमल नाल
नालिः —स्त्री॰—-—नल् + णिच् + इन्—शरीर की नलिकाकार वाहिनी, धमनी
नालिः —स्त्री॰—-—नल् + णिच् + इन्—पीला डंठल, विशेषकर कमलनाल
नालिः —स्त्री॰—-—नल् + णिच् + इन्—२४ घंटे का समय, घड़ी
नालिः —स्त्री॰—-—नल् + णिच् + इन्—हाथी के कानों को बींधने का उपकरण
नालिः —स्त्री॰—-—नल् + णिच् + इन्—नहर, नाभी
नालिः —स्त्री॰—-—नल् + णिच् + इन्—कमलफूल
नाली —स्त्री॰—-—नालि + ङीष्—शरीर की नलिकाकार वाहिनी, धमनी
नाली —स्त्री॰—-—नालि + ङीष्—पीला डंठल, विशेषकर कमलनाल
नाली —स्त्री॰—-—नालि + ङीष्—२४ घंटे का समय, घड़ी
नाली —स्त्री॰—-—नालि + ङीष्—हाथी के कानों को बींधने का उपकरण
नाली —स्त्री॰—-—नालि + ङीष्—नहर, नाभी
नाली —स्त्री॰—-—नालि + ङीष्—कमलफूल
नालिकः —पुं॰—-—नलमेव नालमस्त्यस्य ठन्—भैंसा
नालिका —स्त्री॰—-—-—कमल की डंडी
नालिका —स्त्री॰—-—-—हाथी का कान बींधने का उपकरण
नालिकम् —नपुं॰—-—-—कमल का फूल
नालिकम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का फूंक से बजने वाला वाद्ययंत्र, बांसुरी
नालीकः —पुं॰—-—नाल्यां कायति- कै + क तारा॰—बाण
नालीकः —पुं॰—-—नाल्यां कायति- कै + क तारा॰—भाला, नेज़ा
नालीकः —पुं॰—-—नाल्यां कायति- कै + क तारा॰—कमल
नालीकः —पुं॰—-—नाल्यां कायति- कै + क तारा॰—कमल की रेशेदार डंडी
नालीकः —पुं॰—-—नाल्यां कायति- कै + क तारा॰—कमल के फूलों का रेशेदार डंठल
नालीकिनी —स्त्री॰—-—नालीक + इनि + ङीप्—कमल फूलों का गुच्छा, समूह
नालीकिनी —स्त्री॰—-—नालीक + इनि + ङीप्—कमलों का सरोवर
नाविकः —पुं॰—-—नावा तरति- ठन्—जहाज का कर्णधार, चालक
नाविकः —पुं॰—-—नावा तरति- ठन्—पौतवाहक, मल्लाह
नाविकः —पुं॰—-—नावा तरति- ठन्—नौयात्री
नादिन् —पुं॰—-—न + इनि—केवट, मल्लाह
नाव्य —वि॰—-—नावा तार्य नौ + यत्—जहाँ किश्ती या जहाज से जाया जा सके, जिसमें जहाज चलाया जा सके
नाव्य —वि॰—-—नावा तार्य नौ + यत्—प्रशंसा के योग्य
नाव्यम् —नपुं॰—-—-—नयापन, नूतनता
नाशः —पुं॰—-—नश् + घञ्—ओझल होना
नाशः —पुं॰—-—नश् + घञ्—भग्नाशा, ध्वंस, बर्बादी, हानि
नाशः —पुं॰—-—नश् + घञ्—मृत्यु
नाशः —पुं॰—-—नश् + घञ्—मुसीबत, संकट
नाशः —पुं॰—-—नश् + घञ्—परिहार, परित्याग
नाशः —पुं॰—-—नश् + घञ्—भगदड़, पलायन
नाशक —वि॰—-—नश् + णिच् + ण्वुल्—विध्वंसक, नाश करने वाला
नाशन —वि॰—-—नश् + णिच् + ल्युट्—नष्ट करने वाला, नाश कराने वाला, हटाने वाला
नाशनम् —नपुं॰—-—-—विध्वंस, बर्बादी
नाशनम् —नपुं॰—-—-—दूर हटाना, दूर कर देना, बाहर निकाल देना
नाशनम् —नपुं॰—-—-—नष्ट होना, मृत्यु
नाशिन् —वि॰—-—नश् + णिनि—विध्वंसक, नाश करने वाला, हटाने वाला
नाशिन् —वि॰—-—नश् + णिनि—नष्ट करने वाला, नष्ट होने योग्य
नाष्टिकः —पुं॰—-—नष्ट + ठञ्—खोई हुई वस्तु का स्वामी
नासा —स्त्री॰—-—नास् + अ + टाप्—नाक
नासा —स्त्री॰—-—नास् + अ + टाप्—हाथी की सूँड
नासा —स्त्री॰—-—नास् + अ + टाप्—दरवाज़े की चौखट की ऊपर की लकड़ी
नासाग्रम् —नपुं॰—नासा-अग्रम्—-—नाक का अग्रभाग
नासाछिद्रम् —नपुं॰—नासा-छिद्रम्—-—नथुनी
नासारन्ध्रम् —नपुं॰—नासा-रन्ध्रम्—-—नथुनी
नासाविवरम् —नपुं॰—नासा-विवरम्—-—नथुनी
नासादारु —नपुं॰—नासा-दारु—-—दरवाज़े की चौखट की ऊपर वाली लकड़ी
नासापरिस्रावः —पुं॰—नासा-परिस्रावः—-—नाक का बहना, सर्दी लगना
नासापुटः —पुं॰—नासा-पुटः—-—नथुना
नासापुटम् —नपुं॰—नासा-पुटम्—-—नथुना
नासावंशः —पुं॰—नासा-वंशः—-—नाक की हड्डी
नासास्रावः —पुं॰—नासा-स्रावः—-—सर्दी से नाक का बहना
नासिकंघय —वि॰—-—नासिका + घे + खश्, मुम्, ह्रस्वश्च—नाक के द्वारा पीने वाला
नासिका —स्त्री॰—-—नास् + ण्वुल् + टाप्, इत्वम्—नाक
नासिकामलः —पुं॰—नासिका-मलः—-—नाक से निकलने वाला श्लेष्मा
नासिक्य —वि॰—-—नासिका + ण्यच्—अनुनासिक
नासिक्य —वि॰—-—नासिका + ण्यच्—नाक में होने वाला
नासिक्यः —पुं॰—-—-—अनुनासिक ध्वनि
नासीरम् —नपुं॰—-—नासाय ईर्ते- ईर् + क तारा॰—सेना के सामने आगे बढ़ना या लड़ना
नासीरः —पुं॰—-—-—सेना की पंक्ति के आगे चलने वाला योद्धा
नास्ति —अव्य॰—-—न + अस्ति—’यह नहीं है’, अनस्तित्व
नास्तिवादः —पुं॰—नास्ति-वादः—-—’सर्वोपरि शासक या परमात्मा का अनस्तित्व’ सिद्धांत, नास्तिकता, अनास्था
नास्तिक —वि॰—-—नास्ति परलोकः तत्साक्षीश्वरो वा इति मतिरस्य—अनीश्वरवादी, अविश्वासी, जो वेदों की प्रामाणिकता, पुनर्जन्म और परमात्मा या विश्व के विधाता के अस्तित्व में विश्वास नहीं रखता है।
नास्तिकः —वि॰—-—नास्ति परलोकः तत्साक्षीश्वरो वा इति मतिरस्य—अनीश्वरवादी, अविश्वासी, जो वेदों की प्रामाणिकता, पुनर्जन्म और परमात्मा या विश्व के विधाता के अस्तित्व में विश्वास नहीं रखता है।
नास्तिक्यम् —नपुं॰—-—नास्तिक + ष्यञ्—नास्तिकता, अनास्था, पाखंडधर्म
नास्तिकः —पुं॰—-—-—आम का वृक्ष
नास्यम् —नपुं॰—-—नासा + यत्—नाक की रस्सी, चालू बैल की नकेल
नाहः —पुं॰—-—नह + घञ्—बंधन, निग्रह
नाहः —पुं॰—-—नह + घञ्—फंदा, जाल
नाहः —पुं॰—-—नह + घञ्—मलावरोध, कोष्ठवद्धता
नाहुषः —पुं॰—-—नहुषस्यापत्यम्- नहुष + अण—ययाति राजा की उपाधि
नाहुषिः —पुं॰—-—नहुषस्यापत्यम्- नहुष +इण्—ययाति राजा की उपाधि