विक्षनरी : संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश/दा-द्
मूलशब्द—व्याकरण—संधिरहित मूलशब्द—व्युत्पत्ति—हिन्दी अर्थ
दा —भ्वा॰ पर॰- < यच्छति>, < दत्त>—-—-—देना, स्वीकार करना
प्रतिदा —भ्वा॰ पर॰—प्रति- दा—-—विनिमय करना
दा —अदा॰ पर॰ < दाति> —-—-—काटना
दा —जूहो॰ उभ॰ - < ददाति>, < दत्ते>, < दत्त>—-—-—देना, स्वीकार करना, प्रदान करना, प्रस्तुत करना, सौंपना, समर्पित करना, भेंट देना
दा —जूहो॰ उभ॰ - < ददाति>, < दत्ते>, < दत्त>—-—-—देना
दा —जूहो॰ उभ॰ - < ददाति>, < दत्ते>, < दत्त>—-—-—सौंपना, दे देना
दा —जूहो॰ उभ॰ - < ददाति>, < दत्ते>, < दत्त>—-—-—लौटाना, वापिस करना
दा —जूहो॰ उभ॰ - < ददाति>, < दत्ते>, < दत्त>—-—-—छोड़ देना, त्यागना, उत्सर्ग करना
प्राणान् दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—प्राण दे देना
आत्मानं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—प्राण त्याग देना
दा —जूहो॰ उभ॰ - < ददाति>, < दत्ते>, < दत्त>—-—-—रखना, रख देना, लगाना, जमाना
दा —जूहो॰ उभ॰ - < ददाति>, < दत्ते>, < दत्त>—-—-—विवाह में देना
दा —जूहो॰ उभ॰ - < ददाति>, < दत्ते>, < दत्त>—-—-—अनुमति देना, अनुज्ञा देना
अग्निं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—आग लगाना
अर्गलं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—कुंडी लगाना, चटखनी लगाना
अवकाशं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—स्थान देना, जगह देना
आज्ञां दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—आज्ञा देना, आदेश देना
आतपे दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—धूप में रहना
आत्मानं खेदाय दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—अपने आपको कष्ट में फँसाना
आशिषं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—आशीर्वाद देना
कर्णं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—कान देना, ध्यान से सुनना
चक्षुर्दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—नजर डालना, देखना
तालं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—तालियाँ बजाना
दर्शनं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—अपने आपको दिखलाना, दूसरों की बात सुनना
निगडं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—हथकड़ी डालना, शृंखला में बाँधना
प्रतिवचः दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—उत्तर देना
प्रत्युत्तरं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—उत्तर देना
मनो दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—किसी बात में मन लगाना
मार्गं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—रास्ता देना, जाने की अनुमति देना, रास्ते से अलग हो जाना
वरं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—वर देना
वाचं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—भाषण देना
वृत्तिं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—घेरना, बाड़ लगाना
शब्दं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—शोर मचाना
शापं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—शाप देना
शोकं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—रञ्ज पैदा करना
श्राद्धं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—श्राद्ध का अनुष्ठान करना
संकेतं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—नियुक्ति करना
संग्रामं दा —जूहो॰ उभ॰—-—-—लड़ना
दा —जूहो॰,प्रेर॰<दापयति>,<दापयते>—-—-—दिलवाना, स्वीकार करवाना
दा —जूहो॰,इच्छा॰ < दित्सति>, < दित्सते>—-—-—देने की इच्छा करना
आदा —जूहो॰आ॰—आ- दा—-—लेना, ग्रहण करना, स्वीकार करना, सहारा लेना
आदा —जूहो॰आ॰—आ- दा—-—शब्दोच्चारण करना
आदा —जूहो॰आ॰—आ- दा—-—पकड़ना, थामना
आदा —जूहो॰आ॰—आ- दा—-—उगाहना, वसूल करना
आदा —जूहो॰आ॰—आ- दा—-—ले जाना, लेना, वहन करना
आदा —जूहो॰आ॰—आ- दा—-—प्रत्यक्षज्ञान प्राप्त करना, समझना
आदा —जूहो॰आ॰—आ- दा—-—बन्दी बनाना, कैद करना
उपादा —जूहो॰आ॰—उपा-दा—-—ग्रहण करना, स्वीकार करना
उपादा —जूहो॰ उभ॰—उपा-दा—-—पाना, प्राप्त करना
उपादा —जूहो॰ उभ॰—उपा-दा—-—लेना, धारण करना, ले जाना
उपादा —जूहो॰ उभ॰—उपा-दा—-—अनुभव करना, प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करना
उपादा —जूहो॰ उभ॰—उपा-दा—-—पकड़ना, आक्रमण करना
परिदा —जूहो॰ उभ॰—परि- दा—-—सौंपना, समर्पण करना, दे देना
प्रदा —जूहो॰ उभ॰—प्र- दा—-—स्वीकार करना, देना, प्रस्तुत करना
प्रदा —जूहो॰ उभ॰—प्र- दा—-—शिक्षा देना, सिखाना
प्रतिदा —जूहो॰ उभ॰—प्रति- दा—-—अदलाबदली करना, विनिमय करना
प्रतिदा —जूहो॰ उभ॰—प्रति- दा—-—लौटाना, वापिस देना
प्रतिदा —जूहो॰ उभ॰—प्रति- दा—-—बदला देना, क्षतिपूर्ति करना
व्यादा —जूहो॰पर॰ आ॰—व्या- दा—-—खोलना, तोड़ कर खोलना
संप्रदा —जूहो॰ उभ॰—संप्र- दा—-—देना, स्वीकार करना, प्रदान करना
संप्रदा —जूहो॰ उभ॰—संप्र- दा—-—परम्परा से प्राप्त होना
संप्रदा —जूहो॰ उभ॰—संप्र- दा—-—दानपत्र लिखना, उत्तराधिकार में सौंपना
दाक्षायणी —स्त्री॰—-—दक्ष + फिञ् + ङीष्—२७ नक्षत्रों में से कोई सा एक नक्षत्र
दाक्षायणी —स्त्री॰—-—दक्ष + फिञ् + ङीष्—दिति, कश्यप की पत्नी, देवताओं की माता
दाक्षायणी —स्त्री॰—-—दक्ष + फिञ् + ङीष्—पार्वती
दाक्षायणी —स्त्री॰—-—दक्ष + फिञ् + ङीष्—रेवती नक्षत्र
दाक्षायणी —स्त्री॰—-—दक्ष + फिञ् + ङीष्—कद्रु, या विनता
दाक्षायणी —स्त्री॰—-—दक्ष + फिञ् + ङीष्—दन्ती का पौधा
दाक्षायणीपतिः —पुं॰—दाक्षायणी- पतिः—-—शिव का एक विशेषण
दाक्षायणीपतिः —पुं॰—दाक्षायणी- पतिः—-—चन्द्रमा
दाक्षायणीपुत्रः —पुं॰—दाक्षायणी- पुत्रः—-—देवता
दाक्षाम्यः —पुं॰—-—दक्ष् + अय्य + अण्—गिद्ध
दाक्षिण —वि॰—-—दक्षिणा + अण्—यज्ञीय दक्षिणा से सम्बद्ध अथवा उपहार से सम्बद्ध
दाक्षिण —वि॰—-—दक्षिणा + अण्—दक्षिण दिशा से सम्बन्ध रखने वाला
दाक्षिणम् —नपुं॰—-—-—यज्ञीय दक्षिणाओं का समूह या सञ्चय
दाक्षिणात्य —वि॰—-—दक्षिणा + त्यक्—दक्षिण से सम्बन्ध रखने वाला या दक्षिण में रहने वाला, दक्षिणी
दाक्षिणात्यः —पुं॰—-—-—दक्षिण देश का निवासी
दाक्षिणात्यः —पुं॰—-—-—नारियल
दाक्षिणिक —वि॰—-—दक्षि + ठक्—यज्ञीय दाक्षिणा सम्बन्धी
दाक्षिण्यम् —नपुं॰—-—दक्षिण + ष्यञ्—नम्रता, शिष्टता, सुजनता
दाक्षिण्यम् —नपुं॰—-—दक्षिण + ष्यञ्—कृपालुता
दाक्षिण्यम् —नपुं॰—-—दक्षिण + ष्यञ्—किसी प्रेमी का बनावटी तथा अतिशालीन शिष्टाचार
दाक्षिण्यम् —नपुं॰—-—दक्षिण + ष्यञ्—दक्षिण से आने की या सम्बन्ध रखने की स्थिति
दाक्षिण्यम् —नपुं॰—-—दक्षिण + ष्यञ्—तालमेल, सामञ्जस्य, सहमति
दाक्षिण्यम् —नपुं॰—-—दक्षिण + ष्यञ्—नैपुण्य, चतुराई
दाक्षी —स्त्री॰—-—दक्ष + इञ् + ङीष्—दक्ष की पुत्री
दाक्षी —स्त्री॰—-—दक्ष + इञ् + ङीष्—पाणिनी की माता
दाक्षीपुत्रः —पुं॰—दाक्षी- पुत्रः—-—पाणिनि
दाक्षेयः —पुं॰—-—दाक्षी + ढक्—पाणिनि का मातृपक्षीय नाम
दाक्ष्यम् —नपुं॰—-—दक्ष + ष्यञ्—चतुराई, कुशलता, उपयुक्तता, दक्षता, योग्यता
दाक्ष्यम् —नपुं॰—-—दक्ष + ष्यञ्—सचाई, अखण्डता, ईमानदारी
दाघः —पुं॰—-—दह् + घञ् कुत्वम्—जलाना, जलन
दाडकः —पुं॰—-—दल् + णिच् + ण्वुल्, लस्य डः—दाँत, हाथी का दाँत
दाडिमः —पुं॰—-—दल् + घञ् + इषम्, डलयोरभेदः—अनार का पेड़
दाडिमः —पुं॰—-—दल् + घञ् + इषम्, डलयोरभेदः—छोटी इलायची
दाडिमा —स्त्री॰—-—-—अनार का पेड़
दाडिमा —स्त्री॰—-—-—छोटी इलायची
दाडिमम् —नपुं॰—-—-—अनार का फल
दाडिमप्रियः —पुं॰—दाडिमः- प्रियः—-—तोता
दाडिमभक्षणः —पुं॰—दाडिमः- भक्षणः—-—तोता
दाडिम्बः —पुं॰—-—दा + डिम्ब बा॰—अनार का पेड़
दाढा —स्त्री॰—-—दा + क्विप्== दा + ढौक् + ड + टाप्—बड़ा दाँत, दाढ़
दाढा —स्त्री॰—-—दा + क्विप्== दा + ढौक् + ड + टाप्—समुच्चय
दाढा —स्त्री॰—-—दा + क्विप्== दा + ढौक् + ड + टाप्—कामना, इच्छा
दाढिका —स्त्री॰—-—दाढ + कन् + टाप्, इत्वम्—दाढ़ी
दाण्डाजिनिक —वि॰—-—दण्डाजिन + ठञ्—डण्डा और मृगछाला लिए हुए
दाण्डाजिनिकः —पुं॰—-—-—ठग, पाखण्डी, धूर्त
दाण्डिकः —पुं॰—-—दण्ड + ठञ्—ताड़ना देने वाला, दण्ड देने वाला
दात —वि॰—-—दा + क्त—बाँटा हुआ, काटा हुआ
दात —वि॰—-—दा + क्त—धोया हुआ, पवित्रीकृत
दात —वि॰—-—दा + क्त—काटी हुई
दातिः —स्त्री॰—-—दा + क्तिन्—देना
दातिः —स्त्री॰—-—दा + क्तिन्—काटना, नष्ट करना
दातिः —स्त्री॰—-—दा + क्तिन्—वितरण
दातृ —वि॰—-—दा + तृच्—देने वाला, स्वीकार करने वाला
दातृ —वि॰—-—दा + तृच्—उदार
दाता —पुं॰—-—-—महाजन, उधार देने वाला
दात्यूहः —पुं॰—-—दाति + ऊह् + अण्—जलकुक्कुट
दात्यूहः —पुं॰—-—दाति + ऊह् + अण्—चातक पक्षी
दात्यूहः —पुं॰—-—दाति + ऊह् + अण्—बादल
दात्यूहः —पुं॰—-—दाति + ऊह् + अण्—जल- कौवा
दात्रम् —नपुं॰—-—दा + ष्ट्रन्—काटने का एक उपकरण, एक प्रकार की दाँती या चाकू, दँराती
दादः —पुं॰—-—दद् + घञ्—उपहार, दान
दाददः —पुं॰—दादः- दः—-—दानी
दान् —भ्वा॰ उभ॰ <दानति>, < दानते>—-—-—काटना, बाँटना
दान् —भ्वा॰ उभ॰, इच्छा॰ < दीदांसति>, < दीदांसते>—-—-—सीधा करना
दानम् —नपुं॰—-—दा + ल्युट्—देना, स्वीकार करना, अध्यापन
दानम् —नपुं॰—-—दा + ल्युट्—सौंपना, समर्पण करना
दानम् —नपुं॰—-—दा + ल्युट्—उपहार, दान, पुरस्कार
दानम् —नपुं॰—-—दा + ल्युट्—उदारता, धर्मार्थ, धर्मार्थ पुरस्कार, दानशीलता
दानम् —नपुं॰—-—दा + ल्युट्—मदमत्त हाथी के मस्तक से चूने वाला रस, मद
दानम् —नपुं॰—-—दा + ल्युट्—रिश्वत, घूस, अपने शत्रु के ऊपर विजय प्राप्त करने के चार उपायों में से एक
दानम् —नपुं॰—-—दा + ल्युट्—काटना, बाँटना
दानम् —नपुं॰—-—दा + ल्युट्—पवित्रीकरण, स्वच्छ करना
दानम् —नपुं॰—-—दा + ल्युट्—रक्षा
दानम् —नपुं॰—-—दा + ल्युट्—आसन, अङ्गस्थिति
दानकुल्या —स्त्री॰—दानम्- कुल्या—-—हाथी की पुटपुड़ी से बहने वाले मद जल का प्रवाह
दानधर्मः —पुं॰—दानम्- धर्मः—-—दान देने का धर्म, दानरूपी धर्म
दानपतिः —पुं॰—दानम्- पतिः—-—अत्यन्त उदार पुरुष
दानपतिः —पुं॰—दानम्- पतिः—-—अक्रूर, कृष्ण का एक मित्र
दानपत्रम् —नपुं॰—दानम्- पत्रम्—-—दान-लेख
दानपात्रम् —नपुं॰—दानम्- पात्रम्—-—दान लेने के योग्य व्यक्ति, ब्राह्मण
दानप्रातिभाव्यम् —नपुं॰—दानम्- प्रातिभाव्यम् —-—ऋण परिशोध करने की जमानत
दानभिन्न —वि॰ —दानम्- भिन्न—-—रिश्वत देकर फोड़ा हुआ
दानवीरः —पुं॰—दानम्- वीरः—-—बहुत दानी व्यक्ति
दानवीरः —पुं॰—दानम्- वीरः—-—दानशीलता के फलस्वरूप वीररस, वीरतापूर्ण दानशीलता का रस
दानशील —वि॰—दानम्- शील—-—अत्यन्त उदार या दानशील
दानशर —वि॰—दानम्- शर—-—अत्यन्त उदार या दानशील
दानशौण्ड —वि॰—दानम्- शौण्ड—-—अत्यन्त उदार या दानशील
दानकम् —नपुं॰—-—दान + कन्—तुच्छ दान
दानवः —पुं॰—-—दनोः अपत्यम्--दनु + अण्—राक्षस, पिशाच
दानवारिः —पुं॰—दानवः- अरिः—-—देवता
दानवारिः —पुं॰—दानवः- अरिः—-—विष्णु का विशेषण
दानवगुरुः —पुं॰—दानवः- गुरुः—-—शुक्र का विशेषण
दानवेयः —पुं॰—-—दनु + ऊङ् + ढक्—दानवः
दान्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—दम् + क्त—पालतू, वश में किया हुआ, दमन किया हुआ, नियन्त्रित, लगाम द्वारा रोका हुआ
दान्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—दम् + क्त—पालतू, मृदु
दान्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—दम् + क्त—त्यक्त
दान्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—दम् + क्त—उदार
दान्तः —पुं॰—-—-—पालतू बैल
दान्तः —पुं॰—-—-—दमन का वृक्ष
दान्तिः —स्त्री॰—-—दम् + क्तिन्—आत्मसंयम, वश में करना, आत्मनियन्त्रण
दान्तिक —वि॰—-—दन्त + ठञ्—हाथी दाँत का बना हुआ
दायित —वि॰—-—दा + णिच् + क्त—दिलाया गया
दायित —वि॰—-—दा + णिच् + क्त—जो देने के लिए बाध्य किया गया हो, जिस पर अर्थ दण्ड लगाया गया हो
दायित —वि॰—-—दा + णिच् + क्त—जिसका निर्णय किया गया हो
दायित —वि॰—-—दा + णिच् + क्त—अधिन्यस्त, प्रदत्त
दामन् —नपुं॰—-—दो + मनिन्—डोरी, धागा, फ़ीता, रस्सी
दामन् —नपुं॰—-—दो + मनिन्—फूलों का गजरा, हार
दामन् —नपुं॰—-—दो + मनिन्—लकीर, धारी
दामन् —नपुं॰—-—-—बड़ी पट्टी
दामनाञ्चलम् —नपुं॰—दामन्- अञ्चलम्—-—घोड़े की पिछाड़ी बाँधने की रस्सी
दामनाञ्जनम् —नपुं॰—दामन्- अञ्जनम्—-—घोड़े की पिछाड़ी बाँधने की रस्सी
दामोदरः —पुं॰—दामन्- उदरः—-—कृष्ण का विशेषण
दामनी —स्त्री॰—-—दामन् + अण् + ङीप्—वह रस्सी जिसके सहारे पशुओं के पैर बाँध दिये जाते हैं
दामिनी —स्त्री॰—-—दामन् + इनि + ङीप्—बिजली
दाम्पत्यम् —नपुं॰—-—दम्पती + यक्—विवाह, स्त्री पुरुष का पति- पत्नी सम्बन्ध
दाम्भिक —वि॰—-—दम्भ + ठक्—धोखेबाज, पाखण्डी
दाम्भिक —वि॰—-—दम्भ + ठक्—घमण्डी, अभिमानी
दाम्भिक —वि॰—-—दम्भ + ठक्—आडम्बर प्रिय, ढोंगी
दायः —पुं॰—-—दा + घञ्—उपहार, पुरस्कार, दान
दायः —पुं॰—-—दा + घञ्—वैवाहिक उपहार
दायः —पुं॰—-—दा + घञ्—भाग, अंश, उत्तराधिकार, पैतृक सम्पत्ति
दायः —पुं॰—-—दा + घञ्—भाग, हिस्सा
दायः —पुं॰—-—दा + घञ्—सौंपना, समर्पण करना
दायः —पुं॰—-—दा + घञ्—बाँटना, वितरण करना
दायः —पुं॰—-—दा + घञ्—हानि, विनाश
दायः —पुं॰—-—दा + घञ्—दैवदुर्विपाक
दायः —पुं॰—-—दा + घञ्—स्थान, जगह
दायापवर्तनम् —नपुं॰—दायः- अपवर्तनम्—-—उत्तराधिकार में प्राप्त सम्पत्ति को जब्त करना
दायार्ह —वि॰—दायः- अर्ह—-—पैतृकसम्पति को पाने का दावेदार
दायादः —पुं॰—दायः- आदः—-—जो पैतृक सम्पत्ति के एक भाग का अधिकारी हो, उत्तराधिकारी
दायादः —पुं॰—दायः- आदः—-—पुत्र
दायादः —पुं॰—दायः- आदः—-—बन्धु, बान्धव, निकट या दूर का सम्बन्धी
दायादः —पुं॰—दायः- आदः—-—दावेदार या दावेदार होने का बहाना करने वाला
दायादा —स्त्री॰—दायः- आदा—-—उत्तराधिकारिणी
दायादा —स्त्री॰—दायः- आदा—-—पुत्री
दायादी —स्त्री॰—दायः- आदी—-—उत्तराधिकारिणी
दायादी —स्त्री॰—दायः- आदी—-—पुत्री
दायाद्यम् —नपुं॰—दायः- आद्यम्—-—उत्तराधिकार में प्राप्त सम्पत्ति
दायाद्यम् —नपुं॰—दायः- आद्यम्—-—उत्तराधिकारी बनने की स्थिति
दायकालः —पुं॰—दायः- कालः—-—पैतृक सम्पत्ति को बाँटने का समय
दायबन्धुः —पुं॰—दायः- बन्धुः—-—पैतृक सम्पत्ति का भागीदार
दायबन्धुः —पुं॰—दायः- बन्धुः—-—भाई
दायभागः —पुं॰—दायः- भागः—-—उत्तराधिकारियों में सम्पत्ति की बाँट
दायक —वि॰—-—दा + ण्वुल्, युक्—देने वाला, स्वीकार करने वाला
दारः —पुं॰—-—दृ + घञ्—दरार, रिक्ति, फटन, छिद्र
दारः —पुं॰—-—दृ + घञ्—जुता हुआ खेत
दाराधीन —वि॰—दाराः- अधीन—-—भार्या पर आश्रित
दारोपसंग्रहः —पुं॰—दाराः- उपसंग्रहः—-—विवाह
दारग्रहः —पुं॰—दाराः- ग्रहः—-—विवाह
दारपरिग्रहः —पुं॰—दाराः- परिग्रहः—-—विवाह
दारग्रहणम् —नपुं॰—दाराः- ग्रहणम्—-—विवाह
दारकर्मन् —नपुं॰—दाराः- कर्मन्—-—क्रिया विवाह
दारक —वि॰—-—दृ + णिच् + ण्वुल्—तोड़ने वाला, फाड़ने वाला टुकड़े-टुकड़े करने वाला
दारकः —पुं॰—-—-—लड़का, पुत्र
दारकः —पुं॰—-—-—बच्चा, शिशु
दारकः —पुं॰—-—-—जानवर का बच्चा
दारणम् —नपुं॰—-—दृ + णिच् + ल्युट्—टुकड़े- टुकड़े करना, फाड़ना, चीरना, खोलना, दो कर देना
दारदः —पुं॰—-—दरद् + अण्—पारा
दारदः —पुं॰—-—दरद् + अण्—समुद्र
दारिका —स्त्री॰—-—दारक + टाप्, इत्वम्—पुत्री
दारिका —स्त्री॰—-—दारक + टाप्, इत्वम्—वेश्या
दारित —वि॰—-—दृ + णिच् + क्त—फाड़ा हुआ, विभक्त किया हुआ, खण्ड-खण्ड किया हुआ, चीरा हुआ
दारिद्र्यम् —नपुं॰—-—दरिद्र + ष्यञ्—गरीबी, निर्धनता
दारी —स्त्री॰—-—दृ + णिच् + इन् + ङीप्—दरार
दारी —स्त्री॰—-—दृ + णिच् + इन् + ङीप्—एक प्रकार का रोग
दारु —वि॰—-—दीर्यते दृ + उण्—फाड़ने वाला, चीरने वाला
दारुः —पुं॰—-—-—उदार या दानशील व्यक्ति
दारुः —पुं॰—-—-—लकड़ी, लकड़ी का टुकड़ा, शहतीर
दारुः —पुं॰—-—-—उत्तोलन दण्ड
दारुः —पुं॰—-—-—देवदारु वृक्ष
दारुः —पुं॰—-—-—कच्चा लोहा
दारु —नपुं॰—-—-—लकड़ी, लकड़ी का टुकड़ा, शहतीर
दारु —नपुं॰—-—-—उत्तोलन दण्ड
दारु —नपुं॰—-—-—देवदारु वृक्ष
दारु —नपुं॰—-—-—कच्चा लोहा
दार्वण्डः —पुं॰—दारु- अण्डः—-—मोर
दार्वाटः —पुं॰—दारु- आघाटः—-—खुटबढ़ई
दारुगर्भा —स्त्री॰—दारु- गर्भा—-—काठ की पुतली
दारुजः —पुं॰—दारु- जः—-—एक प्रकार का ढोल
दारुपात्रम् —नपुं॰—दारु- पात्रम्—-—कठरा, काठ का बर्तन
दारुपुत्रिका —स्त्री॰—दारु- पुत्रिका—-—लकड़ी की गुड़िया
दारुपुत्री —स्त्री॰—दारु- पुत्री—-—लकड़ी की गुड़िया
दारुमुख्याह्वया —स्त्री॰—दारु- मुख्याह्वया—-—छिपकिली
दारुमुख्याह्वा —स्त्री॰—दारु- मुख्याह्वा—-—छिपकिली
दारुयन्त्रम् —नपुं॰—दारु- यन्त्रम्—-—कठपुतली
दारुयन्त्रम् —नपुं॰—दारु- यन्त्रम्—-—लकड़ी का यन्त्र
दारुवधूः —स्त्री॰—दारु- वधूः—-—लकड़ी की गुड़िया
दारुसारः —पुं॰—दारु- सारः—-—चन्दन
दारुहस्तकः —पुं॰—दारु- हस्तकः—-—लकड़ी का चम्मच
दारुकः —पुं॰—-—दारु + कन्—देवदारु का पेड़
दारुकः —पुं॰—-—दारु + कन्—कृष्ण के सारथि का नाम
दारुका —स्त्री॰—-—-—कठपुतली
दारुका —स्त्री॰—-—-—लकड़ी की मूर्ति
दारुण —वि॰—-—दृ + णिच् + उनन्—कड़ा, सख्त
दारुण —वि॰—-—दृ + णिच् + उनन्—कठोर, क्रूर, निर्दय, निष्ठुर
दारुण —वि॰—-—दृ + णिच् + उनन्—भीषण, भयानक, भयंकर
दारुण —वि॰—-—दृ + णिच् + उनन्—घोर, प्रचण्ड, उग्र, तीव्र, अत्यन्त पीड़ाकर
दारुण —वि॰—-—दृ + णिच् + उनन्—बहुत तेज, कर्कश
दारुण —वि॰—-—दृ + णिच् + उनन्—नृशंस,रोमाञ्चकारी
दारुणम् —नपुं॰—-—-—उग्रता, निर्दयता, वीभत्सता
दाढयम् —नपुं॰—-—दृढ़ + ष्यञ्—कड़ापन, सख्ती, दृढ़ता
दाढयम् —नपुं॰—-—दृढ़ + ष्यञ्—पुष्टि, समर्थन
दार्दुरः —पुं॰—-—दर्दुर + ण—दक्षिणावर्ती शंख
दार्दुरः —पुं॰—-—दर्दुर + ण—जल
दार्दुरम् —नपुं॰—-—दर्दुर + ण—दक्षिणावर्ती शंख
दार्दुरम् —नपुं॰—-—दर्दुर + ण—जल
दार्भ —वि॰—-—दर्भ + अण्—कुश घास का बना हुआ
दार्व —वि॰—-—दारु + अण्—काठ का बना हुआ
दार्वटम् —नपुं॰—-—दारु + अट् + क—मन्त्रणागृह, न्यायालय
दार्शनिकः —पुं॰—-—दर्शन + ठञ्—दर्शन शास्त्रों से परिचित
दार्षद —वि॰—-—दृषद् + अण्—पत्थर का बना हुआ, खनिज
दार्षद —वि॰—-—दृषद् + अण्—सिल पर पिसा हुआ
दार्ष्टान्त —वि॰—-—दृष्टान्त + अण्—दृष्टान्त देकर समझाया गया या व्याख्या किया गया, सचित्र वर्णन का विषय अर्थात् उपमेय
दाल्मिः —पुं॰—-—दालयति असुरान्- दल् + णिच् + मि—इन्द्र
दावः —पुं॰—-—दुनाति दु + ण—वन, जंगल
दावः —पुं॰—-—दुनाति दु + ण—जंगल की आग, दावाग्नि
दावाग्निः —पुं॰—दावः- अग्निः—-—जंगल की आग, दावाग्नि
दावानलः —पुं॰—दावः- अनलः—-—जंगल की आग, दावाग्नि
दावदहनः —पुं॰—दावः- दहनः—-—जंगल की आग, दावाग्नि
दाशः —पुं॰—-—दशति हिनस्ति मत्स्यान् - दंश् + ट, नस्य आत्वम्—मछुवा
दाशग्रामः —पुं॰—दाशः- ग्रामः—-—मछुवों का गाँव
दाशनन्दिनी —स्त्री॰—दाशः- नन्दिनी—-—व्यास की माता सत्यवती का विशेषण
दाशरथः —पुं॰—-—दशरथ + अण्—दशरथ का पुत्र
दाशरथः —पुं॰—-—दशरथ + अण्—राम और उसके तीनों भाई, विशेषकर राम
दाशरथिः —पुं॰—-—दशरथ + इञ् —दशरथ का पुत्र
दाशरथिः —पुं॰—-—दशरथ + इञ् —राम और उसके तीनों भाई, विशेषकर राम
दाशार्हाः —पुं॰, ब॰ व॰—-—दशार्ह + अण्—दशार्ह के वंशज, यादव
दाशेरः —पुं॰—-—दाशी + ढुक्—मछुवे का बेटा
दाशेरः —पुं॰—-—दाशी + ढुक्—मछुवा
दाशेरः —पुं॰—-—दाशी + ढुक्—ऊँट
दाशेरकः —पुं॰—-—दाशेर + कन्—मालव देश
दाशेरकाः —पुं॰—-—-—मालव देश के निवासी या शासक
दासः —पुं॰—-—दास् + अच्—गुलाम, सेवक
दासः —पुं॰—-—दास् + अच्—मछुवा
दासः —पुं॰—-—दास् + अच्—शूद्र, चौथे वर्ण का पुरुष
दासानुदासः —पुं॰—दासः- अनुदासः—-—गुलाम का सेवक
दासजनः —पुं॰—दासः- जनः—-—सेवक या गुलाम
दासी —स्त्री॰—-—दास + ङीष्—सेविका, नौकरानी
दासी —स्त्री॰—-—दास + ङीष्—मछुवे की पत्नी
दासी —स्त्री॰—-—दास + ङीष्—शूद्र की पत्नी
दासी —स्त्री॰—-—दास + ङीष्—वेश्या
दासीपुत्रः —पुं॰—दासी- पुत्रः—-—सेविका या गुलाम स्त्री का पुत्र
दासीसुतः —पुं॰—दासी- सुतः—-—सेविका या गुलाम स्त्री का पुत्र
दासीसभम् —नपुं॰—दासी- सभम्—-—दासियों का समूह
दास्याः पुत्रः —पुं॰—-—-—छिनाल का बेटा
दास्याः सुतः —पुं॰—-—-—छिनाल का बेटा
दासेरः —पुं॰—-—दासी + ढक्—दासी या सेविका का पुत्र
दासेरः —पुं॰—-—दासी + ढक्—शूद्र
दासेरः —पुं॰—-—दासी + ढक्—मछुवा
दासेरः —पुं॰—-—दासी + ढक्—ऊँट
दासेरकः —पुं॰—-—दासेर + कन्—दासी या सेविका का पुत्र
दासेरकः —पुं॰—-—दासेर + कन्—शूद्र
दासेरकः —पुं॰—-—दासेर + कन्—मछुवा
दासेरकः —पुं॰—-—दासेर + कन्—ऊँट
दास्यम् —नपुं॰—-—दास + प्यञ्—दासता, गुलामी, सेवा, अधीनता
दाहः —पुं॰—-—दह् + घञ्—जलन, दावाग्नि
दाहः —पुं॰—-—दह् + घञ्—दहकती हुई लाली
दाहः —पुं॰—-—दह् + घञ्—जलन की उत्तेजना
दाहः —पुं॰—-—दह् + घञ्—ताप, सन्ताप
दाहागरु —नपुं॰—दाहः- अगरु—-—एक प्रकार का सुगन्ध, अगर
दाहकाष्ठम् —नपुं॰—दाहः- काष्ठम्—-—एक प्रकार का सुगन्ध, अगर
दाहात्मक —वि॰—दाहः-आत्मक—-—जल उठने वाला
दाहज्वरः —पुं॰—दाहः- ज्वरः—-—जलन वाला बुखार
दाहसरः —पुं॰—दाहः- सरः—-—मुर्दों के जलाने का स्थान, श्मशानभूमि
दाहसरस् —नपुं॰—दाहः- सरस्—-—मुर्दों के जलाने का स्थान, श्मशानभूमि
दाहस्थलम् —नपुं॰—दाहः- स्थलम्—-—मुर्दों के जलाने का स्थान, श्मशानभूमि
दाहहर —वि॰—दाहः- हर—-—गर्मी को दूर हटाने वाला
दाहरम् —नपुं॰—-—-—उशीर पौधा, खस
दाहक —वि॰—-—दह् + ण्वुल्—जलाने वाला, सुलगाने वाला
दाहक —वि॰—-—दह् + ण्वुल्—आग लगाने वाला, दहनशील
दाहक —वि॰—-—दह् + ण्वुल्—दागने वाला
दाहनम् —नपुं॰—-—दह् + ल्युट्—जलाना, भस्म करना
दाहनम् —नपुं॰—-—दह् + ल्युट्—दागना
दाह्यम् —नपुं॰—-—दह् + ण्यत्—जलाने के योग्य
दाह्यम् —नपुं॰—-—दह् + ण्यत्—जल उठने के योग्य
दिक्कः —पुं॰—-—दिक् + कै + क—बीस वर्ष का जवान हाथी, करभ
दिग्ध —वि॰—-—दिह् + क्त—सना हुआ, लिपा हुआ, पोता हुआ
दिग्ध —वि॰—-—दिह् + क्त—मिट्टी में सना हुआ, कलुषित
दिग्ध —वि॰—-—दिह् + क्त—विषाक्त
दिग्धः —पुं॰—-—दिह् + क्त—तेल, मल्हम
दिग्धः —पुं॰—-—दिह् + क्त—चिकना पदार्थ, उबटन
दिग्धः —पुं॰—-—दिह् + क्त—आग
दिग्धः —पुं॰—-—दिह् + क्त—जहर में बुझा तीर
दिग्धः —पुं॰—-—दिह् + क्त—कहानी
दिण्डिः —पुं॰—-— —एक प्रकार का वाद्ययन्त्र
दिण्डिरः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का वाद्ययन्त्र
दित्त —वि॰—-—दो + क्त, इत्वम्—कटा हुआ, चीरा हुआ, फाड़ा हुआ, विभक्त
दितिः —स्त्री॰—-—दो + क्तिन्—काटना, टुकड़े-टुकड़े करना, विभक्त करना
दितिः —स्त्री॰—-—दो + क्तिन्—उदारता
दितिः —स्त्री॰—-—दो + क्तिन्—दक्ष की एक कन्या, कश्यप की पत्नी, राक्षसों और दैत्यों की माता
दितिजः —पुं॰—दितिः- जः—-—पिशाच, राक्षस
दितितनयः —पुं॰—दितिः- तनयः—-—पिशाच, राक्षस
दित्यः —पुं॰—-—दिति + यत्—राक्षस
दित्सा —स्त्री॰—-—दातुमिच्छा- दा + सन् + अ + टाप्—देने की इच्छा
दिदृक्षा —स्त्री॰—-—द्रष्टुमिच्छा- दृश् + सन् + अ + टाप्—देखने की इच्छा
दिधिषुः —स्त्री॰—-—दिधं धैर्य स्यति- सो + कु ==दिधिषुमात्मनः इच्छति- दिधिषु + क्यच् + क्विप्—पुनर्विवाहित स्त्री का दूसरा पति, अक्षतयोनि विधवा जिसका दूसरा विवाह हुआ हो
दिधिषूः —स्त्री॰—-—दिधि+ सो+ कू पृषो॰ साधुः—दूसरी बार ब्याही हुई स्त्री
दिधिषूः —स्त्री॰—-—दिधि+ सो+ कू पृषो॰ साधुः—अविवाहित बड़ी बहन जिसकी छोटी बहन का विवाह हो गया हो
दिधीषूः —स्त्री॰—-—दिधि+ सो+ कू पृषो॰ साधुः—दूसरी बार ब्याही हुई स्त्री
दिधीषूः —स्त्री॰—-—दिधि+ सो+ कू पृषो॰ साधुः—अविवाहित बड़ी बहन जिसकी छोटी बहन का विवाह हो गया हो
दिधिषूपतिः —पुं॰—दिधिषूः-पतिः—-—वह पुरुष जिसने अपने भाई की विधवा से मैथुन किया हो
दिधीर्षा —स्त्री॰—-—धृ + सन् + अ + टाप्—जीवित रखने की इच्छा, सहारा देने की इच्छा
दिनम् —नपुं॰—-—द्युति तमः, दो( दी) + नक्, ह्रस्वः—दिन
दिनम् —नपुं॰—-—द्युति तमः, दो( दी) + नक्, ह्रस्वः—दिन
दिनाण्डम् —नपुं॰—दिनम्- अण्डम्—-—अन्धकार
दिनात्ययः —पुं॰—दिनम्- अत्ययः—-—सायंकाल, सूर्यास्त का समय
दिनान्तः —पुं॰—दिनम्- अन्तः—-—सायंकाल, सूर्यास्त का समय
दिनावसानम् —नपुं॰—दिनम्- अवसानम्—-—सायंकाल, सूर्यास्त का समय
दिनाधीशः —पुं॰—दिनम्- अधीशः—-—सूर्य
दिनार्धः —पुं॰—दिनम्- अर्धः—-—मध्याह्न, दोपहर
दिनागमः —पुं॰—दिनम्- आगमः—-—प्रभात, प्रातःकाल
दिनादिः —पुं॰—दिनम्- आदिः—-—प्रभात, प्रातःकाल
दिनारम्भः —पुं॰—दिनम्- आरम्भः—-—प्रभात, प्रातःकाल
दिनेशः —पुं॰—दिनम्- ईशः—-—सूर्य
दिनेश्वरः —पुं॰—दिनम्- ईश्वरः—-—सूर्य
दिनात्मजः —पुं॰—दिनम्- आत्मजः—-—शनि का विशेषण
दिनात्मजः —पुं॰—दिनम्- आत्मजः—-—कर्ण का विशेषण
दिनात्मजः —पुं॰—दिनम्- आत्मजः—-—सुग्रीव का विशेषण
दिनकरः —पुं॰—दिनम्- करः—-—सू्रज
दिनकर्तृ —पुं॰—दिनम्- कर्तृ—-—सू्रज
दिनकृत् —पुं॰—दिनम्- कृत्—-—सू्रज
दिनकेशरः —पुं॰—दिनम्- केशरः—-—अँधेरा
दिनवः —पुं॰—दिनम्- वः—-—अँधेरा
दिनक्षयः —पुं॰—दिनम्- क्षयः—-—सायंकाल
दिनचर्या —स्त्री॰—दिनम्- चर्या—-—दैनिक व्यस्तता, प्रतिदिन का कार्यकलाप
दिनज्योतिस् —नपुं॰—दिनम्- ज्योतिस्—-—धूप
दिनदुःखितः —पुं॰—दिनम्- दुःखितः—-—चक्रवाक पक्षी
दिनपः —पुं॰—दिनम्- पः—-—सूर्य
दिनपतिः —पुं॰—दिनम्- पतिः—-—सूर्य
दिनबन्धुः —पुं॰—दिनम्- बन्धुः—-—सूर्य
दिनमणिः —पुं॰—दिनम्- मणिः—-—सूर्य
दिनमयूखः —पुं॰—दिनम्- मयूखः—-—सूर्य
दिनरत्नम् —नपुं॰—दिनम्- रत्नम्—-—सूर्य
दिनमुखम् —नपुं॰—दिनम्- मुखम्—-—प्रातःकाल
दिनमूर्धन् —पुं॰—दिनम्- मूर्धन्—-—प्राची दिशा का पर्वत जिसके पीछे से सूर्य उदित होता हुआ माना जाता है
दिनयौवनम् —नपुं॰—दिनम्- यौवनम्—-—मध्याह्न, दोपहर
दिनिका —स्त्री॰—-—दिन + ठन् + टाप्—दिन की मजदूरी
दिलीपः —पुं॰—-—-—एक सूर्यवंशी राजा, अंशुमान् का पुत्र, भागीरथ का पिता
दिव् — दिवा॰ पर॰ - < दीव्यति>, < द्यूत या द्यून>,- इच्छा॰ < दुद्यूषति>, < दिदेविषति>—-—-—चमकना, उज्ज्वल होना
दिव् — दिवा॰ पर॰ - < दीव्यति>, < द्यूत या द्यून>,- इच्छा॰ < दुद्यूषति>, < दिदेविषति>—-—-—फेंकना, क्षपण करना
दिव् — दिवा॰ पर॰ - < दीव्यति>, < द्यूत या द्यून>,- इच्छा॰ < दुद्यूषति>, < दिदेविषति>—-—-—जूआ खेलना, पाँसे से खेलना
दिव् — दिवा॰ पर॰ - < दीव्यति>, < द्यूत या द्यून>,- इच्छा॰ < दुद्यूषति>, < दिदेविषति>—-—-—खेलना, क्रीडा करना
दिव् — दिवा॰ पर॰ - < दीव्यति>, < द्यूत या द्यून>,- इच्छा॰ < दुद्यूषति>, < दिदेविषति>—-—-—हँसी दिल्लगी करना, चुटकियों में उड़ा देना, खेल करना, मजाक करना
दिव् — दिवा॰ पर॰ - < दीव्यति>, < द्यूत या द्यून>,- इच्छा॰ < दुद्यूषति>, < दिदेविषति>—-—-—दाँव पर रखना, शर्त लगाना
दिव् — दिवा॰ पर॰ - < दीव्यति>, < द्यूत या द्यून>,- इच्छा॰ < दुद्यूषति>, < दिदेविषति>—-—-—बेचना, व्यापार करना
दिव् — दिवा॰ पर॰ - < दीव्यति>, < द्यूत या द्यून>,- इच्छा॰ < दुद्यूषति>, < दिदेविषति>—-—-—उड़ाना, अपव्यय करना
दिव् — दिवा॰ पर॰ - < दीव्यति>, < द्यूत या द्यून>,- इच्छा॰ < दुद्यूषति>, < दिदेविषति>—-—-—प्रशंसा करना
दिव् — दिवा॰ पर॰ - < दीव्यति>, < द्यूत या द्यून>,- इच्छा॰ < दुद्यूषति>, < दिदेविषति>—-—-—प्रसन्न होना, हर्ष मनाना
दिव् — दिवा॰ पर॰ - < दीव्यति>, < द्यूत या द्यून>,- इच्छा॰ < दुद्यूषति>, < दिदेविषति>—-—-—पागल होना, पीकर मस्त होना
दिव् — दिवा॰ पर॰ - < दीव्यति>, < द्यूत या द्यून>,- इच्छा॰ < दुद्यूषति>, < दिदेविषति>—-—-—नींद आना
दिव् — दिवा॰ पर॰ - < दीव्यति>, < द्यूत या द्यून>,- इच्छा॰ < दुद्यूषति>, < दिदेविषति>—-—-—कामना करना
दिव् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ < देवति>, < देवयति>, < देवयते>—-—-—विलाप कराना, पीडा दिलाना, प्रकुपित कराना, सताना
दिव् —चुरा॰ आ॰- < देवयते>—-—-—पीडा सहन करना, विलाप करना, आर्तनाद करना
परिदिव् —चुरा॰ आ॰—परि-दिव्—-—विलाप करना, क्रन्दन करना, पीडा सहन करना
दिव् —स्त्री॰—-—दीव्यन्त्यत्र दिव्+ आ आधारे डि वि- तारा॰—स्वर्ग
दिव् — दिवा॰ पर॰ - < दीव्यति>, < द्यूत या द्यून>,- इच्छा॰ < दुद्यूषति>, < दिदेविषति>—-—-—आकाश
दिव् — दिवा॰ पर॰ - < दीव्यति>, < द्यूत या द्यून>,- इच्छा॰ < दुद्यूषति>, < दिदेविषति>—-—-—दिन
दिव् — दिवा॰ पर॰ - < दीव्यति>, < द्यूत या द्यून>,- इच्छा॰ < दुद्यूषति>, < दिदेविषति>—-—-—प्रकाश, उजाला
दिवस्पतिः —पुं॰—-—-—इन्द्र का विशेषण
दिवस्पृथिव्यौ —स्त्री॰—-—-—स्वर्ग और पृथ्वी
दिविजः —पुं॰—-—-—स्वर्ग का रहने वाला, देवता
दिविष्ठः —पुं॰—-—-—स्वर्ग का रहने वाला, देवता
दिविस्थ —वि॰—-—-—स्वर्ग का रहने वाला, देवता
दिविसद् —पुं॰—-—-—स्वर्ग का रहने वाला, देवता
दिविषद् —पुं॰—-—-—स्वर्ग का रहने वाला, देवता
दिवोकस् —पुं॰—-—-—स्वर्ग का रहने वाला, देवता
दिवौकस् —वि॰—-—-—स्वर्ग का रहने वाला, देवता
दिवौकसः —पुं॰—-—-—स्वर्ग का रहने वाला, देवता
दिवम् —नपुं॰—-—दिव् + क—स्वर्ग
दिवम् —नपुं॰—-—दिव् + क—आकाश
दिवम् —नपुं॰—-—दिव् + क—दिन
दिवम् —नपुं॰—-—दिव् + क—वन, जङ्गल, अरण्य
दिवसः —पुं॰—-—दीव्यतेऽत्र दिव् + असच् किक्च—दिन
दिवसम् —नपुं॰—-—दीव्यतेऽत्र दिव् + असच् किक्च—दिन
दिवसेश्वरः —पुं॰—दिवसः- ईश्वरः—-—सूर्य
दिवसकरः —पुं॰—दिवसः- करः—-—सूर्य
दिवसमुखम् —नपुं॰—दिवसः- मुखम्—-—प्रातःकाल, प्रभात
दिवसविगमः —पुं॰—दिवसः- विगमः—-—सायंकाल, सूर्यास्त
दिवा —अव्य॰—-—दिव् + का—दिन में, दिन के समय
दिवाभू —अव्य॰—-—-—दिन निकलना
दिवाटनः —पुं॰—दिवा- अटनः—-—कौवा
दिवान्धः —पुं॰—दिवा- अन्धः—-—उल्लू
दिवान्धकी —स्त्री॰—दिवा- अन्धकी—-—छछुन्दर
दिवान्धिका —स्त्री॰—दिवा- अन्धिका—-—छछुन्दर
दिवाकरः —पुं॰—दिवा- करः—-—सूर्य
दिवाकरः —पुं॰—दिवा- करः—-—कौवा
दिवाकरः —पुं॰—दिवा- करः—-—सूरजमुखी फूल
दिवाकीर्तिः —पुं॰—दिवा- कीर्तिः—-—चाण्डाल, नीच जाति का पुरुष
दिवाकीर्तिः —पुं॰—दिवा- कीर्तिः—-—नाई
दिवाकीर्तिः —पुं॰—दिवा- कीर्तिः—-—उल्लू
दिवानिशम् —अव्य॰—दिवा- निशम्—-—दिन रात
दिवाप्रदीपः —पुं॰—दिवा- प्रदीपः—-—दिन का दीपक या लैम्प, अप्रसिद्ध पुरुष
दिवाभीतः —पुं॰—दिवा- भीतः—-—उल्लू
दिवाभीतः —पुं॰—दिवा- भीतः—-—चोर, सेंध लगाने वाला
दिवाभीतिः —पुं॰—दिवा- भीतिः—-—उल्लू
दिवाभीतिः —पुं॰—दिवा- भीतिः—-—चोर, सेंध लगाने वाला
दिवामध्यम् —नपुं॰—दिवा- मध्यम्—-—मध्याह्न
दिवारात्रम् —अव्य॰—दिवा- रात्रम्—-—दिनरात
दिवावसुः —पुं॰—दिवा- वसुः—-—सूर्य
दिवाशय —वि॰—दिवा- शय—-—दिन में सोने वाला
दिवास्वपनः —पुं॰—दिवा-स्वपनः—-—दिन के समय सोना
दिवास्वापः —पुं॰—दिवा-स्वापः—-—दिन के समय सोना
दिवातन —वि॰—-—दिवाभवः- टयु, तुट् च—दिन का या दिन से सम्बन्ध रखने वाला
दिविः —पुं॰—-—दिव् + इन्—चाष पक्षी, नीलकण्ठ
दिव्य —वि॰—-—दिव् + यत्—दैवी, स्वर्गीय, आकाशीय
दिव्य —वि॰—-—दिव् + यत्—अतिप्राकृतिक, अलौकिक
दिव्य —वि॰—-—दिव् + यत्—उज्ज्वल, शानदार
दिव्य —वि॰—-—दिव् + यत्—मनोहर, सुन्दर
दिव्यः —पुं॰—-—-—अलौकिक या स्वर्गीय प्राणी
दिव्यः —पुं॰—-—-—यम का विशेषण
दिव्यम् —नपुं॰—-—-—दैवी प्रकृति, दिव्यता
दिव्यम् —नपुं॰—-—-—दैवी परीक्षा
दिव्यम् —नपुं॰—-—-—शपथ, सत्योक्ति
दिव्यम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का चन्दन
दिव्यांशुः —पुं॰—दिव्य- अंशुः—-—सूर्य
दिव्याङ्गना —स्त्री॰—दिव्य- अङ्गना—-—नारी
दिव्यस्त्री —स्त्री॰—दिव्य- स्त्री—-—स्वर्गीय अप्सरा, दिव्य कन्या, अप्सरा
दिव्यादिव्य —वि॰—दिव्य- अदिव्य—-—कुछ लौकिक तथा कुछ अलौकिक
दिव्योदकम् —नपुं॰—दिव्य- उदकम्—-—वर्षा का जल
दिव्यकारिन् —वि॰—दिव्य- कारिन्—-—शपथ उठाने वाला
दिव्यकारिन् —वि॰—दिव्य- कारिन्—-—अग्नि परीक्षा देने वाला
दिव्यगायनः —पुं॰—दिव्य- गायनः—-—गन्धर्व
दिव्यचक्षुस् —वि॰—दिव्य- चक्षुस्—-—अलौकिक दृष्टि रखने वाला, दिव्य आँखों से युक्त
दिव्यचक्षुस् —वि॰—दिव्य- चक्षुस्—-—अन्धा बन्दर, ऋषीय आँख, अलौकिक दृष्टि, मानव आँखों द्वारा अदृष्ट पदार्थों को देखने की शक्ति
दिव्यज्ञानम् —नपुं॰—दिव्य- ज्ञानम्—-—अलौकिक जानकारी
दिव्यदृश् —पुं॰—दिव्य- दृश्—-—ज्योतिषी
दिव्यप्रश्नः —पुं॰—दिव्य- प्रश्नः—-—दिव्यलोकान्तर्गत तत्त्वों की पूछताछ, भावी घटना क्रम की पूछताछ, शकुन विचार
दिव्यमानुषः —पुं॰—दिव्य- मानुषः—-—उपदेवता
दिव्यरत्नम् —नपुं॰—दिव्य- रत्नम्—-—काल्पनिक रत्न जो स्वामी को सब इच्छाओं को पूरा करने वाला कहा जाता है, दार्शनिकों की मणि
दिव्यरथः —पुं॰—दिव्य- रथः—-—स्वर्गीय रथ जो आकाश में चलता है
दिव्यरसः —पुं॰—दिव्य- रसः—-—पारा
दिव्यवस्त्र —वि॰—दिव्य- वस्त्र—-—दिव्य वस्त्रों को धारण करने वाला
दिव्यवस्त्रः —पुं॰—दिव्य- वस्त्रः—-—धूप
दिव्यवस्त्रः —पुं॰—दिव्य- वस्त्रः—-—सूरजमुखी का फूल
दिव्यसरित् —स्त्री॰—दिव्य- सरित्—-—आकाशगङ्गा
दिव्यसारः —पुं॰—दिव्य- सारः—-—साल का वृक्ष
दिश् —तुदा॰ उभ॰- <दिशति>, < दिशते>,<दिष्ट>; पुं॰—-—-—संकेत करना, दिखलाना, प्रदर्शन करना, प्रस्तुत करना
दिश् —तुदा॰ उभ॰- <दिशति>, < दिशते>,<दिष्ट>; पुं॰—-—-—अधिन्यस्त करना; नियत करना
दिश् —तुदा॰ उभ॰- <दिशति>, < दिशते>,<दिष्ट>; पुं॰—-—-—देना, स्वीकार करना, प्रदान करना, अर्पण करना, सौंपना
दिश् —तुदा॰ उभ॰- <दिशति>, < दिशते>,<दिष्ट>; पुं॰—-—-—देना
दिश् —तुदा॰ उभ॰- <दिशति>, < दिशते>,<दिष्ट>; पुं॰—-—-—स्वीकृति देना
दिश् —तुदा॰ उभ॰- <दिशति>, < दिशते>,<दिष्ट>; पुं॰—-—-—निदेश देना, आदेश देना, हुक्म देना
दिश् —तुदा॰ उभ॰- <दिशति>, < दिशते>,<दिष्ट>; पुं॰—-—-—अनुज्ञा देना, इजाजत देना
अतिदिश् —तुदा॰ उभ॰—अति- दिश्—-—अधिन्यस्त करना, सौंपना
अतिदिश् —तुदा॰ उभ॰—अति- दिश्—-—प्रयोग का विस्तार करना, सादृश्य के आधार पर घटाना
अपदिश् —तुदा॰ उभ॰—अप- दिश्—-—संकेत करना, इशारा करना, दिखलाना
अपदिश् —तुदा॰ उभ॰—अप- दिश्—-—प्रकथन करना, प्रस्तुत करना, कहना, घोषणा करना, बतलाना, चेतावनी देना
अपदिश् —तुदा॰ उभ॰—अप- दिश्—-—ढोंग रचना, बहाना करना
अपदिश् —तुदा॰ उभ॰—अप- दिश्—-—उल्लेख करना, निर्देश करना
आदिश् —तुदा॰ उभ॰—आ- दिश्—-—करना, दिखलाना
आदिश् —तुदा॰ उभ॰—आ- दिश्—-—आदेश देना, आज्ञा देना, निर्देश देना
आदिश् —तुदा॰ उभ॰—आ- दिश्—-—उद्दिष्ट करना, अलग करना, अधिन्यस्त करना
आदिश् —तुदा॰ उभ॰—आ- दिश्—-—अध्यापन करना, उपदेश देना, शिक्षा देना, अङ्कित करना, निश्चित करना
आदिश् —तुदा॰ उभ॰—आ- दिश्—-—विशिष्ट करना
आदिश् —तुदा॰ उभ॰—आ- दिश्—-—आगे होने वाली बात बताना
उद्दिश् —तुदा॰ उभ॰—उद्- दिश्—-—संकेत करना, ज्ञापन करना, द्योतित करना, उल्लेख करना
उद्दिश् —तुदा॰ उभ॰—उद्- दिश्—-—उल्लेख करना, निर्देश करना, संकेत करना
उद्दिश् —तुदा॰ उभ॰—उद्- दिश्—-—अभिप्राय रखना, उद्देश्य रखना, निर्देश करना, अधिन्यस्त करना, अर्पित करना
उद्दिश् —तुदा॰ उभ॰—उद्- दिश्—-—सिखाना, उपदेश देना,
उपदिश् —तुदा॰ उभ॰—उप- दिश्—-—अध्यापन करना, उपदेश देना, सिखाना
उपदिश् —तुदा॰ उभ॰—उप- दिश्—-—संकेत करना, इशारा करना, उल्लेख करना
उपदिश् —तुदा॰ उभ॰—उप- दिश्—-—कथन करना, बतलाना, घोषणा करना
उपदिश् —तुदा॰ उभ॰—उप- दिश्—-—निर्दिष्ट करना, अङ्कित करना, स्वीकृति देना, निश्चित करना
उपदिश् —तुदा॰ उभ॰—उप- दिश्—-—नाम लेना, पुकारना
निर्दिश् —तुदा॰ उभ॰—निस्- दिश्—-—संकेत करना, इशारा करना, दिखलाना
निर्दिश् —तुदा॰ उभ॰—निस्- दिश्—-—अधिन्यस्त कर देना, दे देना
निर्दिश् —तुदा॰ उभ॰—निस्- दिश्—-—सुझाना, निर्देश करना, संकेत करना
निर्दिश् —तुदा॰ उभ॰—निस्- दिश्—-—भविष्यवाणी करना
निर्दिश् —तुदा॰ उभ॰—निस्- दिश्—-—उपदेश देना
निर्दिश् —तुदा॰ उभ॰—निस्- दिश्—-—बतलाना, समाचार देना
प्रदिश् —तुदा॰ उभ॰—प्र- दिश्—-—संकेत करना, इशारा करना, दिखाना, निर्देश करना
प्रदिश् —तुदा॰ उभ॰—प्र- दिश्—-—बतलाना, कथन करना
प्रदिश् —तुदा॰ उभ॰—प्र- दिश्—-—देना, स्वीकार करना, उपहार देना, प्रदान करना
प्रत्यादिश् —तुदा॰ उभ॰—प्रत्या- दिश्—-—अस्वीकार करना, दूर फेंकना, कतराना
प्रत्यादिश् —तुदा॰ उभ॰—प्रत्या- दिश्—-—पीछे ढकेलना
प्रत्यादिश् —तुदा॰ उभ॰—प्रत्या- दिश्—-—पछाड़ देना; प्रत्याख्यान करना
प्रत्यादिश् —तुदा॰ उभ॰—प्रत्या- दिश्—-—दुरूह बनाना, निस्तेज करना, परास्त करना, पृष्ठभूमि में फेंक देना
प्रत्यादिश् —तुदा॰ उभ॰—प्रत्या- दिश्—-—विपरीत आज्ञा देना, वापिस बुलाना
व्यापदिश् —तुदा॰ उभ॰—व्याप- दिश्—-—नाम लेना, पुकारना
व्यापदिश् —तुदा॰ उभ॰—व्याप- दिश्—-—नाम लेना, पुकारना
व्यापदिश् —तुदा॰ उभ॰—व्याप- दिश्—-—मिथ्या नाम लेना, मिथ्या पुकारना
व्यापदिश् —तुदा॰ उभ॰—व्याप- दिश्—-—बोलना, गर्व से कहना
व्यापदिश् —तुदा॰ उभ॰—व्याप- दिश्—-—बहाना करना, ढोंग रचना
सन्दिश् —तुदा॰ उभ॰—सम्- दिश्—-—देना, स्वीकृति देना, अधिन्यस्त करना, सौंपना
सन्दिश् —तुदा॰ उभ॰—सम्- दिश्—-—आज्ञा देना, निर्देश देना, शिक्षा देना, उपदेश देना, सन्देश भेजना
सन्दिश् —तुदा॰ उभ॰—सम्- दिश्—-—सन्देश के रूप में भेजना, सन्देश सौंपना
दिश् —स्त्री॰, कर्तृ॰ ए॰ ब॰< दिक्>, < दिग्>—-—दिशति ददात्यवकाशम् दिश् + क्विप्—दिशा, दिग्बिन्दु, चार दिशाएँ, परिधि का बिन्दु, आकाश का चौथाई
दिश् —स्त्री॰, कर्तृ॰ ए॰ ब॰< दिक्>, < दिग्>—-—दिशति ददात्यवकाशम् दिश् + क्विप्—वस्तु का केवल निर्देश, इंगित
दिश् —स्त्री॰, कर्तृ॰ ए॰ ब॰< दिक्>, < दिग्>—-—दिशति ददात्यवकाशम् दिश् + क्विप्—संकेत, इतिदिक्
दिश् —स्त्री॰, कर्तृ॰ ए॰ ब॰< दिक्>, < दिग्>—-—दिशति ददात्यवकाशम् दिश् + क्विप्—रीति, रूप, प्रणाली
दिश् —स्त्री॰, कर्तृ॰ ए॰ ब॰< दिक्>, < दिग्>—-—दिशति ददात्यवकाशम् दिश् + क्विप्—प्रदेश, अन्तराल, स्थान
दिश् —स्त्री॰, कर्तृ॰ ए॰ ब॰< दिक्>, < दिग्>—-—दिशति ददात्यवकाशम् दिश् + क्विप्—विदेश या दूरस्थ प्रदेश
दिश् —स्त्री॰, कर्तृ॰ ए॰ ब॰< दिक्>, < दिग्>—-—दिशति ददात्यवकाशम् दिश् + क्विप्—दृष्टिकोण, विषय को सोचने की रीति
दिश् —स्त्री॰, कर्तृ॰ ए॰ ब॰< दिक्>, < दिग्>—-—दिशति ददात्यवकाशम् दिश् + क्विप्—उपदेश, आदेश
दिश् —स्त्री॰, कर्तृ॰ ए॰ ब॰< दिक्>, < दिग्>—-—दिशति ददात्यवकाशम् दिश् + क्विप्—’दस’ की संख्या
दिश् —स्त्री॰, कर्तृ॰ ए॰ ब॰< दिक्>, < दिग्>—-—दिशति ददात्यवकाशम् दिश् + क्विप्—पक्ष, दल
दिश् —स्त्री॰, कर्तृ॰ ए॰ ब॰< दिक्>, < दिग्>—-—दिशति ददात्यवकाशम् दिश् + क्विप्—काटने का चिह्न
दिगन्तः —पुं॰—दिश्- अन्तः—-—दिशाओं का किनारा या क्षितिज, दूर का अन्तर, दूरस्थ स्थान
दिगन्तरम् —नपुं॰—दिश्- अन्तरम्—-—दूसरी दिशा
दिगन्तरम् —नपुं॰—दिश्- अन्तरम्—-—मध्यवर्ती स्थान, अन्तरिक्ष, अन्तराल
दिगन्तरम् —नपुं॰—दिश्- अन्तरम्—-—दूरवर्ती दिशा, अन्य प्रदेश, विदेश
दिगम्बर —वि॰—दिक्- अम्बर—-—दिशाएँ ही जिसका वस्त्र हों, बिल्कुल नग्न, विवस्त्र
दिगम्बरः —पुं॰—दिक्- अम्बरः—-—नग्न भिक्षु
दिगम्बरः —पुं॰—दिक्- अम्बरः—-—साधु, संन्यासी
दिगम्बरः —पुं॰—दिक्- अम्बरः—-—शिव का विशेषण
दिगम्बरः —पुं॰—दिक्- अम्बरः—-—अंधेरा
दिगीशः —पुं॰—दिक्- ईशः—-—दिशा का अधिष्ठात्री देवता
दिगीश्वरः —पुं॰—दिक्- ईश्वरः—-—दिशा का अधिष्ठात्री देवता
दिक्करः —पुं॰—दिक्- करः—-—युवा, जवान आदमी
दिक्करः —पुं॰—दिक्- करः—-—शिव का विशेषण
दिक्कारिका —स्त्री॰—दिक्- कारिका—-—जवान लड़की या स्त्री
दिक्करी —स्त्री॰—दिक्- करी—-—जवान लड़की या स्त्री
दिक्करिन् —पुं॰—दिक्- करिन्—-—वह हाथी जो पृथ्वी को सँभालने के लिए किसी दिशा में स्थित कहा जाता है
दिग्गजः —पुं॰—दिक्- गजः—-—वह हाथी जो पृथ्वी को सँभालने के लिए किसी दिशा में स्थित कहा जाता है
दिग्दन्तिन् —पुं॰—दिक्- दन्तिन्—-—वह हाथी जो पृथ्वी को सँभालने के लिए किसी दिशा में स्थित कहा जाता है
दिग्वारणः —पुं॰—दिक्- वारणः—-—वह हाथी जो पृथ्वी को सँभालने के लिए किसी दिशा में स्थित कहा जाता है
दिग्ग्रहणम् —नपुं॰—दिक्- ग्रहणम्—-—पृथ्वी की दिशाओं का अवलोकन
दिक्चक्रम् —नपुं॰—दिक्- चक्रम्—-—क्षितिज
दिक्चक्रम् —नपुं॰—दिक्- चक्रम्—-—समस्त विश्व
दिग्जयः —पुं॰—दिक्- जयः—-—दिग्विजय, सब दिशाओं में भिन्न-भिन्न देशों को जीतना, विश्व का विजय करना
दिग्विजयः —पुं॰—दिक्- विजयः—-—दिग्विजय, सब दिशाओं में भिन्न-भिन्न देशों को जीतना, विश्व का विजय करना
दिग्दर्शनम् —नपुं॰—दिक्- दर्शनम्—-—केवल दिशाएँ दिखाना, केवल सामान्य रूप, रेखा की ओर संकेत करना
दिङ्नागः —पुं॰—दिक्- नागः—-—पृथ्वी की दिशा का हाथी
दिङ्नागः —पुं॰—दिक्- नागः—-—कालिदास का समसामयिक एक कवि
दिङ्मण्डलम् —नपुं॰—दिक्- मण्डलम्—-—क्षितिज
दिङ्मण्डलम् —नपुं॰—दिक्- मण्डलम्—-—समस्त विश्व
दिङ्मात्रम् —नपुं॰—दिक्- मात्रम्—-—केवल दिशा या संकेत
दिङ्मुखम् —नपुं॰—दिक्- मुखम्—-—आकाश की कोई सी दिशा या भाग
दिङ्मोहः —पुं॰—दिक्- मोहः—-—मार्ग या दिशा भूल जाना
दिग्वस्त्र —वि॰—दिक्- वस्त्र—-—बिल्कुल नंगा, विवस्त्र
दिग्वस्त्रः —पुं॰—दिक्- वस्त्रः—-—दिगम्बर सम्प्रदाय का जैन या बौद्ध भिक्षु
दिग्वस्त्रः —पुं॰—दिक्- वस्त्रः—-—शिव का विशेषण
दिग्विभावित —वि॰—दिक्- विभावित—-—विश्रुत, विख्यात या सब दिशाओं में प्रसिद्ध
दिशा —स्त्री॰—-—दिश् + अङ् + टाप्—पृथ्वी का चौथाई, ओर, तरफ, प्रदेश
दिशागजः —पुं॰—दिशा- गजः—-—वह हाथी जो पृथ्वी को सँभालने के लिए किसी दिशा में स्थित कहा जाता है
दिशापालः —पुं॰—दिशा- पालः—-—वह हाथी जो पृथ्वी को सँभालने के लिए किसी दिशा में स्थित कहा जाता है
दिश्य —वि॰—-—दिशि भवः- दिश् + यत्—पृथ्वी की किसी दिशा से सम्बन्ध रखने वाला, या किसी दिशा में स्थित
दिष्ट —वि॰—-—दिश् + क्त—दिखलाया हुआ, संकेतित, निर्देश किया हुआ, इशारे से बताया हुआ
दिष्ट —वि॰—-—दिश् + क्त—वर्णित, उल्लिखित
दिष्ट —वि॰—-—दिश् + क्त—स्थिर, निश्चित
दिष्ट —वि॰—-—दिश् + क्त—निदेशित, आदेश दिया हुआ
दिष्टम् —नपुं॰—-—-—अधिन्यास, नियतीकरण
दिष्टम् —नपुं॰—-—-—भाग्य, नियति, सौभाग्य या दुर्भाग्य
दिष्टम् —नपुं॰—-—-—आदेश, निदेश
दिष्टम् —नपुं॰—-—-—उद्देश्य, ध्येय
दिष्टान्तः —पुं॰—दिष्ट- अन्तः—-—नियत किये हुए समय की समाप्ति, मृत्यु
दिष्टिः —स्त्री॰—-—दिश् + क्तिन्—अधिन्यास, नियतीकरण
दिष्टिः —स्त्री॰—-—दिश् + क्तिन्—निदेश, आज्ञा, शिक्षा, नियम, उपदेश
दिष्टिः —स्त्री॰—-—दिश् + क्तिन्—भाग्य, किस्मत, नियति
दिष्टिः —स्त्री॰—-—दिश् + क्तिन्—अच्छी किस्मत, प्रसन्नता, शुभ कार्य
दिष्ट्या —अव्य॰—-—दिष्टि का करण॰ ए॰ ब॰—भाग्य से, सौभाग्य से, ईश्वर का धन्यवाद, मैं कितना प्रसन्न हूँ, कितना सौभाग्यशाली, शाबाश
दिष्ट्या वृध् ——-—-—बधाई देना
दिह् —अदा॰ उभ॰- < देग्धि>, < दिग्धे>, < दिग्ध>- इच्छा॰ < दिधिक्षति>—-—-—लीपना, सानना, पोतना, बिछाना
दिह् —अदा॰ उभ॰- < देग्धि>, < दिग्धे>, < दिग्ध>- इच्छा॰ < दिधिक्षति>—-—-—मैला करना, भ्रष्ट करना, अपवित्र करना
सन्दिह् —अदा॰ उभ॰—सम्- दिह्—-—सन्देह करना, अनिश्चित रहना
सन्दिह् —अदा॰ उभ॰—सम्- दिह्—-—भूल करना, हतबुद्धि होना
सन्दिह् —अदा॰ उभ॰—सम्- दिह्—-—आक्षेप आरम्भ करना
दी —दिवा॰ आ॰- < दीयते>, < दीन>—-—-—नष्ट होना, मरना
दीक्ष् —भ्वा॰ आ॰- < दीक्षते>, < दीक्षित>—-—-—किसी धर्म-संस्कार के अनुष्ठान के लिए अपने आपको तैयार करना
दीक्ष् —भ्वा॰ आ॰- < दीक्षते>, < दीक्षित>—-—-—अपने आपको समर्पित करना
दीक्ष् —भ्वा॰ आ॰- < दीक्षते>, < दीक्षित>—-—-—शिष्य बनाना
दीक्ष् —भ्वा॰ आ॰- < दीक्षते>, < दीक्षित>—-—-—उपनयन संस्कार करना
दीक्ष् —भ्वा॰ आ॰- < दीक्षते>, < दीक्षित>—-—-—यज्ञ करना
दीक्ष् —भ्वा॰ आ॰- < दीक्षते>, < दीक्षित>—-—-—आत्म संयम करना
दीक्षकः —पुं॰—-—दीक्ष् + ण्वुल्—आध्यात्मिक मार्ग- दर्शक
दीक्षणम् —नपुं॰—-—दीक्ष् + ल्युट्—दीक्षा देना, धर्मार्पण
दीक्षा —स्त्री॰—-—दीक्ष् + अ + टाप्—किसी धर्म-संस्कार के लिए समर्पण, पवित्रीकरण
दीक्षा —स्त्री॰—-—दीक्ष् + अ + टाप्—यज्ञ से पूर्व किया जाने वाला प्रारम्भिक संस्कार
दीक्षा —स्त्री॰—-—दीक्ष् + अ + टाप्—धर्म-संस्कार-विवाह दीक्षा
दीक्षा —स्त्री॰—-—दीक्ष् + अ + टाप्—यज्ञोपवीत संस्कार करना, किसी विशेष उद्देश्य के लिए अपने आपको समर्पण करना
दीक्षान्तः —पुं॰—दीक्षा- अन्तः—-—पूर्वकृत यज्ञादि कर्म की त्रुटियों की शान्ति के लिए किया जाने वाला पूरक- यज्ञ
दीक्षित —भू॰ क॰ कृ॰—-—दीक्ष् + क्त—संस्कारित, दीक्षा- प्राप्त
दीक्षित —भू॰ क॰ कृ॰—-—दीक्ष् + क्त—यज्ञ के लिए तैयार
दीक्षित —भू॰ क॰ कृ॰—-—दीक्ष् + क्त—व्रत लेकर तैयार
दीक्षित —भू॰ क॰ कृ॰—-—दीक्ष् + क्त—अभिषिक्त
दीक्षितः —पुं॰—-—-—दीक्षा-कार्य में व्यस्त पुरोहित
दीक्षितः —पुं॰—-—-—वह पुरुष जिसने या जिसके पूर्व- पुरुषों ने ज्योतिष्टोम जैसे बृहद् यज्ञों का अनुष्ठान किया हो
दीदिविः —पुं॰—-—दिव् + क्विन्, द्वित्वं, दीर्घश्च—उबले हुए चावल
दीदिविः —पुं॰—-—दिव् + क्विन्, द्वित्वं, दीर्घश्च—स्वर्ग
दीधितिः —स्त्री॰—-—दीघी + क्तिन्, इट्, ईकारलोपश्च—प्रकाश की किरण
दीधितिः —स्त्री॰—-—दीघी + क्तिन्, इट्, ईकारलोपश्च—आभा, उजाला
दीधितिः —स्त्री॰—-—दीघी + क्तिन्, इट्, ईकारलोपश्च—शारीरिक कान्ति, स्फूर्ति
दीधितिमत् —वि॰—-—दीधिति + मतुप्—उज्ज्वल
दीधितिमत् —पुं॰—-—दीधिति + मतुप्—सूर्य
दीधी —अदा॰ आ॰ < दीधीते>—-—-—चमकना
दीधी —अदा॰ आ॰ < दीधीते>—-—-—दिखाई देना, प्रतीत होना
दीन —वि॰—-—दी + क्त, तस्य नः—गरीब, दरिद्र
दीन —वि॰—-—दी + क्त, तस्य नः—दुःखी, नष्ट- भ्रष्ट, कष्टग्रस्त, दयनीय, अभागा
दीन —वि॰—-—दी + क्त, तस्य नः—खिन्न, उदास, विषण्ण, शोकग्रस्त
दीन —वि॰—-—दी + क्त, तस्य नः—भीरु, डरा हुआ
दीन —वि॰—-—दी + क्त, तस्य नः—क्षुद्र, शोचनीय
दीनः —पुं॰—-—-—गरीब आदमी, दुःखी या विपद्ग्रस्त
दीनदयालुः —वि॰—दीन- दयालुः—-—दीन- दुखियों के प्रति कृपालु
दीनवत्सल —वि॰—दीन- वत्सल—-—दीन- दुखियों के प्रति कृपालु
दीनबन्धुः —पुं॰—दीन- बन्धुः—-—दीन- दुखियों का मित्र
दीनारः —पुं॰—-—दी + आरक्, नुट्—एक सोने का विशेष सिक्का
दीनारः —पुं॰—-—दी + आरक्, नुट्—सिक्का
दीनारः —पुं॰—-—दी + आरक्, नुट्—सोने का आभूषण
दीप् —दिवा॰ आ॰- < दीपुं॰—-—-—चमकना, जगमगाना
दीप् —दिवा॰ आ॰- < दीपुं॰—-—-—जलना, प्रकाशित होना
दीप् —दिवा॰ आ॰- < दीपुं॰—-—-—दहकना, प्रज्वलित होना, बढ़ना
दीप् —दिवा॰ आ॰- < दीपुं॰—-—-—क्रोध से आगबबूला होना
दीप् —दिवा॰ आ॰- < दीपुं॰—-—-—प्रख्यात होना
दीप् —दिवा॰ आ॰,प्रेर॰—-—-—आग सुलगाना, रोशनी करना, प्रकाश करना
उद्दीप् —दिवा॰ आ॰,प्रेर॰—उद्- दीप्—-—आग सुलगाना
उद्दीप् —दिवा॰ आ॰,प्रेर॰—उद्- दीप्—-—उद्बोधित करना, उत्तेजित करना, उद्दीपित करना
प्रदीप् —दिवा॰ आ॰—प्र- दीप्—-—चमकना, जगमगाना
सन्दीप् —दिवा॰ आ॰—सम्- दीप्—-—चमकना, जगमगाना
दीपः —पुं॰—-—दीप् + णिच् + अच्—लैम्प, दीवा, प्रकाश
दीपान्विता —स्त्री॰—दीपः- अन्विता—-—अमावस्या
दीपान्विता —स्त्री॰—दीपः- अन्विता—-—दीपपंक्ति, रात के समय रोशनी करना
दीपान्विता —स्त्री॰—दीपः- अन्विता—-—विशेषरुप से दिवाली का उत्सव जो कार्तिक की अमावस्या में मनाया जाता है
दीपाराधनम् —नपुं॰—दीपः- आराधनम्—-—दीप थाल में रख कर देवमूर्ति की आरती उतारना
दीपालिः —पुं॰—दीपः- आलिः—-—दीपपंक्ति, रात के समय रोशनी करना
दीपालिः —पुं॰—दीपः- आलिः—-—विशेषरुप से दिवाली का उत्सव जो कार्तिक की अमावस्या में मनाया जाता है
दीपाली —स्त्री॰—दीपः- ली—-—दीपपंक्ति, रात के समय रोशनी करना
दीपाली —स्त्री॰—दीपः- ली—-—विशेषरुप से दिवाली का उत्सव जो कार्तिक की अमावस्या में मनाया जाता है
दीपावली —स्त्री॰—दीपः- आवली—-—दीपपंक्ति, रात के समय रोशनी करना
दीपावली —स्त्री॰—दीपः- आवली—-—विशेषरुप से दिवाली का उत्सव जो कार्तिक की अमावस्या में मनाया जाता है
दीपोत्सवः —पुं॰—दीपः- उत्सवः—-—दीपपंक्ति, रात के समय रोशनी करना
दीपोत्सवः —पुं॰—दीपः- उत्सवः—-—विशेषरुप से दिवाली का उत्सव जो कार्तिक की अमावस्या में मनाया जाता है
दीपकलिका —स्त्री॰—दीपः- कलिका—-—दीपक की लौ
दीपकिट्टम् —नपुं॰—दीपः- किट्टम्—-—दीपक का फूल, दीये का गुल
दीपकूपी —स्त्री॰—दीपः- कूपी—-—दीवे की बत्ती
दीपखरी —स्त्री॰—दीपः- खरी—-—दीवे की बत्ती
दीपध्वजः —पुं॰—दीपः- ध्वजः—-—काजल
दीपपादपः —पुं॰—दीपः- पादपः—-—दीपाघार, दीवट
दीपवृक्षः —पुं॰—दीपः- वृक्षः—-—दीपाधार, दीवट
दीपपुष्पः —पुं॰—दीपः- पुष्पः—-—चम्पा का वृक्ष
दीपभाजनम् —नपुं॰—दीपः- भाजनम्—-—दीपक
दीपमाला —स्त्री॰—दीपः- माला—-—प्रकाश करना, रोशनी करना
दीपशत्रुः —पुं॰—दीपः- शत्रुः—-—पतंगा
दीपशिखा —स्त्री॰—दीपः- शिखा—-—दीपक की लौ
दीपशृङ्खला —स्त्री॰—दीपः- शृङ्खला—-—दीपों की पंक्ति, रोशनी
दीपक —वि॰—-—दीप् + णिच् + ण्वुल्—आग सुलगाने वाला, प्रज्वलित करने वाला
दीपक —वि॰—-—दीप् + णिच् + ण्वुल्—रोशनी करने वाला, उज्ज्वल बनाने वाला
दीपक —वि॰—-—दीप् + णिच् + ण्वुल्—सचित्र बनाने वाला, सुन्दर बनाने वाला, विख्यात करने वाला
दीपक —वि॰—-—दीप् + णिच् + ण्वुल्—उत्तेजक, प्रखर करने वाला
दीपक —वि॰—-—दीप् + णिच् + ण्वुल्—पौष्टिक, पाचनशक्ति को उद्दिप्त करने वाला, पाचनशील
दीपकः —पुं॰—-—-—कामदेव का विशेषण
दीपकम् —नपुं॰—-—-—जाफ़रान, केसर
दीपकम् —नपुं॰—-—-—एक अलंकार जिसमें समान विशेषण रखने वाले दो या दो से अधिक पदार्थ एक जगह मिला दिये जायँ, या जिसमें कुछ विशेषण एक ही कर्म के विधेय बना दिये जायँ
दीपन —वि॰—-—दीप् + णिच् + ल्युट्—आग सुलगाने वाला, प्रकाश करने वाला
दीपन —वि॰—-—दीप् + णिच् + ल्युट्—पुष्टिकारक, पाचनशक्ति को उद्दीप्त करने वाला
दीपन —वि॰—-—दीप् + णिच् + ल्युट्—उत्तेजक, उद्दीपक
दीपन —वि॰—-—दीप् + णिच् + ल्युट्—जाफ़रान
दीपिका —स्त्री॰—-—दीप् + णिच् + ण्वुल् + टाप्, इत्वम्—प्रकाश, मशाल
दीपिका —स्त्री॰—-—दीप् + णिच् + ण्वुल् + टाप्, इत्वम्—सचित्र वर्णन करने वाला, स्पष्टकर्ता; तर्कदीपिका
दीपित —वि॰—-—दीप् + णिच् + क्त—जिसको आग लगा दी गई हो
दीपित —वि॰—-—दीप् + णिच् + क्त—प्रज्वलित
दीपित —वि॰—-—दीप् + णिच् + क्त—रोशनीवाला, प्रकाशमय
दीपित —वि॰—-—दीप् + णिच् + क्त—प्रव्यक्त, प्रकाशित
दीप्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—दीप् + क्त—जलाया हुआ, प्रज्वलित, सुलगाया हुआ
दीप्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—दीप् + क्त—दहकता हुआ, गरम, प्रकाश उगलने वाला, चकाचौंध करने वाला
दीप्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—दीप् + क्त—प्रकाशमय
दीप्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—दीप् + क्त—उत्तेजित, उद्दीपित
दीप्तः —पुं॰—-—-—नींबू का पेड़
दीप्तांशुः —पुं॰—दीप्त- अंशुः—-—सूर्य
दीप्ताक्षः —पुं॰—दीप्त- अक्षः—-—बिल्ली
दीप्ताग्नि —वि॰—दीप्त- अग्नि—-—सुलगाया हुआ
दीप्ताग्निः —पुं॰—दीप्त- अग्निः—-—धधकती हुई आग
दीप्ताग्निः —पुं॰—दीप्त- अग्निः—-—अगस्त्य का नाम
दीप्ताङ्गः —पुं॰—दीप्त- अङ्गः—-—मोर
दीप्तात्मन् —वि॰—दीप्त- आत्मन्—-—जोशीले स्वभाव का
दीप्तोपलः —पुं॰—दीप्त- उपलः—-—सूर्यकान्तमणि
दीप्तकिरणः —पुं॰—दीप्त- किरणः—-—सूर्य
दीप्तकीर्तिः —पुं॰—दीप्त- कीर्तिः—-—कार्तिकेय का विशेषण
दीप्तजिह्वा —स्त्री॰—दीप्त- जिह्वा—-—लोमड़ी
दीप्ततपस् —वि॰—दीप्त- तपस्—-—उज्ज्वल धर्मनिष्ठा से युक्त, उत्कट भक्ति वाला
दीप्तपिङ्गलः —पुं॰—दीप्त- पिङ्गलः —-—सिंह
दीप्तरसः —पुं॰—दीप्त- रसः—-—केंचुवा
दीप्तलोचनः —पुं॰—दीप्त- लोचनः—-—बिल्ली
दीप्तलोहम् —नपुं॰—दीप्त- लोहम्—-—पीतल, काँसा
दीप्तिः —स्त्री॰—-—दीप् + क्तिन्—उजाला, चमक, प्रभा, आभा
दीप्तिः —स्त्री॰—-—दीप् + क्तिन्—सौंदर्य की उज्ज्वलता, अत्यन्त मनोरमता
दीप्तिः —स्त्री॰—-—दीप् + क्तिन्—लाख
दीप्तिः —स्त्री॰—-—दीप् + क्तिन्—पीतल
दीप्र —वि॰—-—दीप् + र—चमकीला, जगमगाता हुआ, चमकदार
दीर्घ —<वि॰>, < म॰ अ॰< द्राघीयस्>, उ॰ अ॰< द्राघिष्ठ>—-—दृ + घञ्—लम्बा, दूर तक पहुँचने वाला
दीर्घ —<वि॰>, < म॰ अ॰< द्राघीयस्>, उ॰ अ॰< द्राघिष्ठ>—-—-—लम्बी अवधि का टिकाऊ, उबा देने वाला
दीर्घ —<वि॰>, < म॰ अ॰< द्राघीयस्>, उ॰ अ॰< द्राघिष्ठ>—-—-—गहरा
दीर्घ —<वि॰>, < म॰ अ॰< द्राघीयस्>, उ॰ अ॰< द्राघिष्ठ>—-—-—लम्बा, जैसा कि 'काम' में 'आ'
दीर्घ —<वि॰>, < म॰ अ॰< द्राघीयस्>, उ॰ अ॰< द्राघिष्ठ>—-—-—उत्तुंग, ऊँचा, उन्नत
दीर्घम् —अव्य॰—-—-—चिर, चिरकाल तक
दीर्घम् —अव्य॰—-—-—अत्यन्त
दीर्घः —पुं॰—-—-—दीर्घस्वर
दीर्घाध्वगः —पुं॰—दीर्घ- अध्वगः—-—दूत, हरकारा
दीर्घाहन् —पुं॰—दीर्घ- अहन्—-—ग्रीष्म
दीर्घाकार —वि॰—दीर्घ- आकार—-—बड़े आकार का
दीर्घायु —वि॰—दीर्घ- आयु—-—दीर्घजीवी, लम्बी आयु वाला
दीर्घायुस् —वि॰—दीर्घ- आयुस्—-—दीर्घजीवी, लम्बी आयु वाला
दीर्घायुधः —पुं॰—दीर्घ- आयुधः—-—भाला
दीर्घायुधः —पुं॰—दीर्घ- आयुधः—-—कोई लम्बा हथियार
दीर्घायुधः —पुं॰—दीर्घ- आयुधः—-—सूअर
दीर्घास्यः —पुं॰—दीर्घ-आस्यः—-—हाथी
दीर्घकण्ठः —पुं॰—दीर्घ- कण्ठः—-—सारस
दीर्घकण्ठकः —पुं॰—दीर्घ- कण्ठकः—-—सारस
दीर्घकन्धरः —पुं॰—दीर्घ- कन्धरः—-—सारस
दीर्घकाय —वि॰—दीर्घ- काय—-—लम्बा
दीर्घकेशः —पुं॰—दीर्घ- केशः—-—रीछ
दीर्घगतिः —पुं॰—दीर्घ- गतिः—-—ऊँट
दीर्घग्रीवः —पुं॰—दीर्घ- ग्रीवः—-—ऊँट
दीर्घघाटिकः —पुं॰—दीर्घ- घाटिकः—-—ऊँट
दीर्घजङ्घः —पुं॰—दीर्घ- जङ्घः—-—ऊँट
दीर्घजिह्वः —पुं॰—दीर्घ- जिह्वः—-—साँप, सर्प
दीर्घतपस् —पुं॰—दीर्घ- तपस्—-—अहल्या के पति गौतम का विशेषण
दीर्घतरुः —पुं॰—दीर्घ- तरुः—-—ताड़ वृक्ष
दीर्घदण्डः —पुं॰—दीर्घ- दण्डः—-—ताड़ वृक्ष
दीर्घद्रुः —पुं॰—दीर्घ- द्रुः—-—ताड़ वृक्ष
दीर्घतुण्डी —पुं॰—दीर्घ- तुण्डी—-—छछुन्दर
दीर्घदर्शिन् —वि॰—दीर्घ- दर्शिन्—-—विवेकी, समझदार, दूरदर्शी, दूर तक की बात सोचने वाला
दीर्घदर्शिन् —वि॰—दीर्घ- दर्शिन्—-—मेधावी, बुद्धिमान्
दीर्घदर्शिन् —पुं॰—दीर्घ-दर्शिन्—-—रीछ
दीर्घदर्शिन् —पुं॰—दीर्घ-दर्शिन्—-—उल्लू
दीर्घनाद —वि॰—दीर्घ- नाद—-—लगातार देर तक शोर मचाने वाला
दीर्घनादः —पुं॰—दीर्घ- नादः—-—कुत्ता
दीर्घनादः —पुं॰—दीर्घ- नादः—-—मुर्गा
दीर्घनादः —पुं॰—दीर्घ- नादः—-—शंख
दीर्घनिद्रा —स्त्री॰—दीर्घ- निद्रा—-—लम्बी नींद
दीर्घनिद्रा —स्त्री॰—दीर्घ- निद्रा—-—चिरशयन, मृत्यु
दीर्घपत्रः —पुं॰—दीर्घ- पत्रः—-—ताड़ का वृक्ष
दीर्घपादः —पुं॰—दीर्घ- पादः—-—बगुला
दीर्घपादपः —पुं॰—दीर्घ- पादपः—-—नारियल का पेड़
दीर्घपादपः —पुं॰—दीर्घ- पादपः—-—सुपाड़ी का पेड़
दीर्घपादपः —पुं॰—दीर्घ- पादपः—-—ताड़ का वृक्ष
दीर्घपृष्ठः —पुं॰—दीर्घ- पृष्ठः—-—साँप
दीर्घबाला —स्त्री॰—दीर्घ- बाला—-—एक प्रकार का हरिण, चमरी
दीर्घमारुतः —पुं॰—दीर्घ- मारुतः—-—हाथी
दीर्घरतः —पुं॰—दीर्घ- रतः—-—कुत्ता
दीर्घरदः —पुं॰—दीर्घ- रदः—-—सूअर
दीर्घरसनः —पुं॰—दीर्घ- रसनः—-—साँप
दीर्घरोमन् —पुं॰—दीर्घ- रोमन्—-—भालू
दीर्घवक्त्रः —पुं॰—दीर्घ- वक्त्रः—-—हाथी
दीर्घसक्थ —वि॰—दीर्घ- सक्थ—-—लम्बी जंघाओं वाला
दीर्घसत्रम् —नपुं॰—दीर्घ- सत्रम्—-—चिरकाल तक चलने वाला सोमयज्ञ
दीर्घसत्रः —पुं॰—दीर्घ- सत्रः—-—सोमयाजी
दीर्घसूत्र —वि॰—दीर्घ- सूत्र—-—शनैः- शनैः कार्य करने वाला, मन्थर, प्रत्येक कार्य को देर में करने वाला, टालने वाला, देर लगाने वाला
दीर्घसूत्रिन् —वि॰—दीर्घ- सूत्रिन्—-—शनैः- शनैः कार्य करने वाला, मन्थर, प्रत्येक कार्य को देर में करने वाला, टालने वाला, देर लगाने वाला
दीर्घिका —स्त्री॰—-—दीर्घ + कन् + टाप्, इत्वम्—एक लम्बा सरोवर, जलाशय
दीर्घिका —स्त्री॰—-—दीर्घ + कन् + टाप्, इत्वम्—कुआँ या बावड़ी
दीर्ण —वि॰—-—दृ + क्त—चीरा हुआ, फाड़ा हुआ, टुकड़े- टुकड़े किया हुआ
दीर्ण —वि॰—-—दृ + क्त—डरा हुआ, भयभीत
दु —स्वा॰ पर॰ < दुनोति>, < दूत>, < दून>—-—-—जलाना, आग में भस्म करना
दु —स्वा॰ पर॰ < दुनोति>, < दूत>, < दून>—-—-—सताना, कष्ट देना, दुःख देना
दु —स्वा॰ पर॰ < दुनोति>, < दूत>, < दून>—-—-—पीड़ा देना, शोक पैदा करना
दु —स्वा॰ पर॰ < दुनोति>, < दूत>, < दून>—-—-—कष्टग्रस्त होना, पीड़ित होना
दु —स्वा॰ कर्मवा॰ या दिवा॰ आ॰—-—-—कष्टग्रस्त होना, पीड़ित होना
दुःख —वि॰—-—दुष्टानि खानि यस्मिन्, दुष्टं खनति- खन् + ड, दुःख् + अच् वा तारा॰—पीड़ाकर, अरुचिकर, दुःखमय
दुःखम् —नपुं॰—-—-—खेद, रञ्ज, विषाद, दुःख, पीड़ा, वेदना
दुःखम् —नपुं॰—-—-—कष्ट, कठिनाई
दुःखातीत —वि॰—दुःख- अतीत—-—दुःखों से मुक्त
दुःखान्तः —पुं॰—दुःख- अन्तः—-—मोक्ष
दुःखकर —वि॰—दुःख- कर—-—पीड़ाकर, कष्टदायक
दुःखग्रामः —पुं॰—दुःख- ग्रामः—-—दुःखों का दृश्य', सांसारिक अस्तित्व, संसार
दुःखछिन्न —वि॰—दुःख- छिन्न—-—सख्त, कठोर
दुःखछिन्न —वि॰—दुःख- छिन्न—-—पीड़ित, दुःखी
दुःखप्राय —वि॰—दुःख- प्राय—-—कष्ट और दुःखों से पूर्ण
दुःखबहुल —वि॰—दुःख- बहुल—-—कष्ट और दुःखों से पूर्ण
दुःखभाज् —वि॰—दुःख- भाज्—-—दुःखी, अप्रसन्न
दुःखलोकः —पुं॰—दुःख- लोकः—-—सांसारिक जीवन, सतत यातना का दृश्य, संसार
दुःखशील —वि॰—दुःख- शील—-—जो दूसरों को प्रसन्न न कर सके, बुरे स्वभाव का, चिड़चिड़ा
दुःखित —वि॰—-—दुःख + इतच्—दुःखी, कष्टग्रस्त, पीड़ित
दुःखित —वि॰—-—दुःख + इतच्—बेचारा, विषण्ण, दयनीय
दुःखिन् —वि॰—-—दुःख + इनि —दुःखी, कष्टग्रस्त, पीड़ित
दुःखिन् —वि॰—-—दुःख + इनि —बेचारा, विषण्ण, दयनीय
दुकूलम् —नपुं॰—-—दु+ ऊलच्, कुक्—बुना हुआ रेशम, रेशमीवस्त्र, अत्यन्त महीन वस्त्र
दुग्ध —वि॰—-—दुह् + क्त—दुहा हुआ
दुग्ध —वि॰—-—दुह् + क्त—जिसका दूध दुह लिया गया है, चूस लिया गया है या निकाल लिया गया है
दुग्धम् —नपुं॰—-—-—पौधों का दूधिया रस
दुग्धाग्रम् —नपुं॰—दुग्ध- अग्रम्—-—दूध का फेन, मलाई
दुग्धतालीयम् —नपुं॰—दुग्ध- तालीयम्—-—दूध का फेन, मलाई
दुग्धपाचनम् —नपुं॰—दुग्ध- पाचनम्—-—वह बर्तन जिसमें दूध डाल कर औटाया जाय
दुग्धपोष्य —वि॰—दुग्ध- पोष्य—-—अपनी माँ के दूध पर रहने वाला बच्चा, दूध पीता स्तनपायी
दुग्धसमुद्रः —पुं॰—दुग्ध- समुद्रः—-—दूध का सागर, सात समुद्रों में से एक
दुघ —वि॰—दुह् + क—दुह् + क—दूध देने वाला
दुघ —वि॰—दुह् + क—दुह् + क—सौंपने वाला, देने वाला
दुघा —स्त्री॰—दुघ + टाप्—दुध + टाप्—दूध देने वाली गाय, दुधार गौ
दुण्डुक —वि॰—-—दुण्डुभ इव कायति दुंडुभ + क, पृषो॰ भलोपः—बेईमान, दुष्ट हृदय वाला, जालसाज
दुण्डुभः —पुं॰—-—-—साँपों का एक प्रकार जिनमें ज़हर नहीं होता
दुन्द्रुमः —पुं॰—-—दुर् दुष्टो द्रुन्मः- पृषो॰ रलोपः—हरा प्याज
दुन्दमः —पुं॰—-—दुन्द इत्यव्यक्तं मणति शब्दायते- दुन्द् + मण् + ड—एक प्रकार का ढोल
दुन्दुः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का ढोल
दुन्दुः —पुं॰—-—-—कृष्ण के पिता वसुदेव का नाम
दुन्दुभः —पुं॰—-—दुन्दु + भण् + ड—एक प्रकार का बड़ा ढोल, तासा
दुन्दुभः —पुं॰—-—दुन्दु + भण् + ड—एक प्रकार का पनियल साँप
दुन्दुभिः —पुं॰—-—दुन्दु इत्यव्यक्तशब्देन भाति- भा + कि—एक प्रकार का बड़ा ढोल, नगाड़ा
दुन्दुभिः —पुं॰—-—-—विष्णु की उपाधि
दुन्दुभिः —पुं॰—-—-—कृष्ण का विशेषण
दुन्दुभिः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का विष
दुन्दुभिः —पुं॰—-—-—एक राक्षस जिसे बालि ने मारा था
दुर् —अव्य॰—-—दु + रुक्—बुरा, खराब, दुष्ट, घटिया, कठिन या मुश्किल आदि अर्थों को प्रकट करने के लिए संज्ञा शब्दों से पूर्व लगाया जाने वाला उपसर्ग
दुरक्ष —वि॰—दुर्- अक्ष—-—दुर्बल आँख वाला
दुरक्ष —वि॰—दुर्- अक्ष—-—खोटी दृष्टि वाला
दुरक्षः —पुं॰—दुर्- अक्षः—-—कपट का पासा
दुरतिक्रम —वि॰—दुर्- अतिक्रम—-—दुर्जय, दुस्तर, अजेय
दुरतिक्रम —वि॰—दुर्- अतिक्रम—-—दुर्लघ्य
दुरतिक्रम —वि॰—दुर्- अतिक्रम—-—अनिवार्य
दुरत्यय —वि॰—दुर्- अत्यय—-—जो कठिनाई से जीता जा सके
दुरत्यय —वि॰—दुर्- अत्यय—-—दुर्लभ, अगाध
दुरदृष्टम् —वि॰—दुर्- अदृष्टम्—-—दुर्भाग्य, विपत्ति
दुरधिरा —वि॰—दुर्- अधिरा—-—दुष्प्राप्य, जिसे प्राप्त करना कठिन हो
दुरधिरा —वि॰—दुर्- अधिरा—-—दुस्तर
दुरधिरा —वि॰—दुर्- अधिरा—-—दुर्ज्ञेय, जिसे अध्ययन करना बहुत कठिन हो
दुरधिगम —वि॰—दुर्- अधिगम—-—दुष्प्राप्य, जिसे प्राप्त करना कठिन हो
दुरधिगम —वि॰—दुर्- अधिगम—-—दुस्तर
दुरधिगम —वि॰—दुर्- अधिगम—-—दुर्ज्ञेय, जिसे अध्ययन करना बहुत कठिन हो
दुरधिष्ठित —वि॰—दुर्- अधिष्ठित—-—बुरी तरह से सम्पन्न, प्रबद्ध या क्रियान्वित किया गया
दुरध्यय —वि॰—दुर्- अध्यय—-—दुर्लभ
दुरध्यय —वि॰—दुर्- अध्यय—-—दुर्बोध
दुरध्यवसायः —पुं॰—दुर्- अध्यवसायः—-—मूर्खतापूर्ण व्यवसाय
दुरध्वः —पुं॰—दुर्- अध्वः—-—कुमार्ग
दुरन्त —वि॰—दुर्- अन्त—-—जिसके किनारे पर पहुँचना कठिन हो, अनन्त, अन्तहीन
दुरन्त —वि॰—दुर्- अन्त—-—परिणाम में दुःखदायी, विषण्ण
दुरन्वय —वि॰—दुर्- अन्वय—-—दुर्गम
दुरन्वय —वि॰—दुर्- अन्वय—-—जिसका पालन करना, या अनुसरण करना कठिन हो
दुरन्वय —वि॰—दुर्- अन्वय—-—दुष्प्राप्य, दुर्बोध
दुरन्वयः —पुं॰—दुर्- अन्वयः—-—अशुद्ध निष्कर्ष, दिये हुए तथ्यों का गलत अनुमान
दुरभिमानिन् —वि॰—दुर्- अभिमानिन्—-—मिथ्या अहंकार करने वाला, झूठा घमण्डी
दुरवगम —वि॰—दुर्- अवगम—-—दुर्बोध
दुरवग्रह —वि॰—दुर्- अवग्रह—-—जिसे रोकना या काबू में रखना कठिन हो, जिसका नियन्त्रण कष्ट- साध्य हो
दुरवस्थ —वि॰—दुर्- अवस्थ—-—दुर्दशाग्रस्त, बुरी दशा में पड़ा हुआ
दुरवस्था —स्त्री॰—दुर्- अवस्था—-—दुर्दशा, दयनीय स्थिति
दुराकृति —वि॰—दुर्- आकृति—-—कुरूप, बदसूरत
दुराक्रम —वि॰—दुर्- आक्रम—-—अजेय, जो जीता न जा सके
दुराक्रम —वि॰—दुर्- आक्रम—-—दुर्गम
दुराक्रमणम् —नपुं॰—दुर्- आक्रमणम्—-—अनुचित हमला
दुराक्रमणम् —नपुं॰—दुर्- आक्रमणम्—-—कठिन पहुँच
दुरागमः —पुं॰—दुर्- आगमः—-—अनुपयुक्त या अवैध अधिग्रहण
दुराग्रहः —पुं॰—दुर्- आग्रहः—-—मूर्खतापूर्ण हठ, जिद, अनुचित आग्रह
दुराचार —वि॰—दुर्- आचर—-—कष्टसाध्य
दुराचार —वि॰—दुर्- आचार—-—बुरे चालचलन का, कदाचारी
दुराचार —वि॰—दुर्- आचार—-—कुत्सित आचरण वाला, दुर्वृत्त, दुश्चरित्र
दुराचारः —पुं॰—दुर्- आचारः—-—दूषित आचरण, कदाचार, दुश्चरित्रता
दुरात्मन् —पुं॰—दुर्- आत्मन्—-—दुर्जन, लुच्चा, लफंगा
दुराधर्ष —वि॰—दुर्- आधर्ष—-—जिस पर आक्रमण करना कठिन है
दुराधर्ष —वि॰—दुर्- आधर्ष—-—जिसका लेशमात्र भी पराभव न हो सके
दुराधर्ष —वि॰—दुर्- आधर्ष—-—उद्धत
दुरानम —वि॰—दुर्- आनम—-—जिसे झुकाना बहुत कठिन हो
दुराप —वि॰—दुर्- आप—-—दुर्लभ
दुराराध्य —वि॰—दुर्- आराध्य—-—जिसे प्रसन्न करना बहुत कठिन हो, जिसको जीत लेना कष्टसाध्य हो
दुरारोह —वि॰—दुर्- आरोह—-—जिस पर चढ़ना कठिन हो
दुरारोहः —पुं॰—दुर्- आरोहः—-—नारियल का पेड़
दुरारोहः —पुं॰—दुर्- आरोहः—-—ताड़ का पेड़
दुरारोहः —पुं॰—दुर्- आरोहः—-—छुहारे का पेड़
दुरालापः —पुं॰—दुर्- आलापः—-—दुर्वचन, गाली
दुरालापः —पुं॰—दुर्- आलापः—-—बुरी बातचीत, अपशब्दयुक्त भाषा
दुरालोक —वि॰—दुर्- आलोक—-—जो कठिनाई से देखा जा सके
दुरालोक —वि॰—दुर्- आलोक—-—जिसकी ओर देखने से आँखें झँप जायँ, चकाचौंध करने वाला प्रकाश
दुरालोकः —पुं॰—दुर्- आलोकः—-—चकाचौंध पैदा करने वाली चमक
दुरावार —वि॰—दुर्- आवार—-—जिसे ढकना कठिन हो
दुरावार —वि॰—दुर्- आवार—-—जिसे रोकना, बन्द करना, या ठहराना कठिन हो
दुराशय —वि॰—दुर्- आशय—-—दुर्मनस्क, कुत्सित विचारों वाला व्यक्ति, जिसकी नीयत खराब हो, नीच हृदय का
दुराशा —स्त्री॰—दुर्- आशा—-—बुरी इच्छा
दुराशा —स्त्री॰—दुर्- आशा—-—ऐसी आशा करना जो पूरी न हो सके
दुरासद —वि॰—दुर्- आसद—-—जिसके पास पहुँचना कठिन हो, दुर्गम, दुर्धर्ष, दुर्जय
दुरासद —वि॰—दुर्- आसद—-—दुर्लभ, दुष्प्राप्य
दुरासद —वि॰—दुर्- आसद—-—अद्वितीय, अनुपम
दुरित —वि॰—दुर्- इत—-—कठिन
दुरित —वि॰—दुर्- इत—-—पापी
दुरितम् —नपुं॰—दुर्- इतम्—-—कुमार्ग, बुराई, पाप
दुरितम् —नपुं॰—दुर्- इतम्—-—कठिनाई, भय
दुरितम् —नपुं॰—दुर्- इतम्—-—संकट
दुरिष्टम् —नपुं॰—दुर्- इष्टम्—-—दुर्वचन, गाली
दुरिष्टम् —नपुं॰—दुर्- इष्टम्—-—दूसरे व्यक्ति को क्षति पहुँचाने के लिए किया जाने वाला जादूटोना या यज्ञानुष्ठान
दुरीशः —पुं॰—दुर- ईशः—-—बुरा स्वामी, किंप्रभु
दुरीषणा —स्त्री॰—दुर्- ईषणा—-—अभिशाप, दुर्वचन
दुरेषणा —स्त्री॰—दुर्- एषणा—-—अभिशाप, दुर्वचन
दुरुक्तम् —नपुं॰—दुर्- उक्तम्—-—दुर्वचन, झिड़की, गाली, बुरा-भला कहना
दुरुक्तिः —स्त्री॰—दुर्- उक्तिः—-—दुर्वचन, झिड़की, गाली, बुरा-भला कहना
दुरुत्तर —वि॰—दुर्- उत्तर—-—जिसका उत्तर न दिया जा सके
दुरुदाहर —वि॰—दुर्- उदाहर—-—जिसका उच्चारण किया जाना कठिन हो
दुरुद्वह —वि॰—दुर्- उद्वह—-—बोझिल, असह्य
दुरूह —वि॰—दुर्- ऊह—-—बहुत माथा पच्ची करने पर भी जल्द समझ में न आने वाला, कठिन
दुर्ग —वि॰—दुर्- ग—-—जहाँ पहुँचना कठिन हो, अगम्य, दुर्गम
दुर्ग —वि॰—दुर्- ग—-—अप्राप्य
दुर्ग —वि॰—दुर्- ग—-—दुर्बोध
दुर्गः —पुं॰—दुर्- गः—-—कठिन या तंग रास्ता, संकीर्ण घाटी, भीड़ा दर्रा
दुर्गः —पुं॰—दुर्- गः—-—गढ़, किला, कोट
दुर्गः —पुं॰—दुर्- गः—-—ऊबड़- खाबड़ जमीन
दुर्गः —पुं॰—दुर्- गः—-—कठिनाई, विपत्ति, संकट, दुःख, भय
दुर्गम् —नपुं॰—दुर्- गम्—-—कठिन या तंग रास्ता, संकीर्ण घाटी, भीड़ा दर्रा
दुर्गम् —नपुं॰—दुर्- गम्—-—गढ़, किला, कोट
दुर्गम् —नपुं॰—दुर्- गम्—-—ऊबड़- खाबड़ जमीन
दुर्गम् —नपुं॰—दुर्- गम्—-—कठिनाई, विपत्ति, संकट, दुःख, भय
दुर्गाध्यक्षः —पुं॰—॰दुर्ग- अध्यक्षः—-—किले का समादेष्टा या प्रशासक
दुर्गपतिः —पुं॰—॰दुर्ग- पतिः—-—किले का समादेष्टा या प्रशासक
दुर्गपालः —पुं॰—॰दुर्ग- पालः—-—किले का समादेष्टा या प्रशासक
दुर्गकर्मन् —नपुं॰—॰दुर्ग- कर्मन्—-—किलाबन्दी
दुर्गमार्गः —पुं॰—दुर्ग- मार्गः—-—घाटी का मार्ग, गहरी घाटी
दुर्गलङ्घनम् —नपुं॰—दुर्ग- लङ्घनम्—-—कठिनाइयों को पार करना
दुर्गलङ्घनः —नपुं॰—दुर्ग- लङ्घनः—-—ऊँट
दुर्गसञ्चरः —नपुं॰—दुर्ग- सञ्चरः—-—कठिन मार्ग
दुर्गा —स्त्री॰—दुर्- गा—-—शिव की पत्नी पार्वती की उपाधि
दुर्गत —वि॰—दुर्- गत—-—दुर्भाग्यग्रस्त, दुर्दशाग्र्रस्त
दुर्गत —वि॰—दुर्- गत—-—दरिद्र, गरीब
दुर्गत —वि॰—दुर्- गत—-—दुःखी, कष्टग्रस्त
दुर्गतिः —स्त्री॰—दुर्- गतिः—-—दुर्भाग्य, गरीबी, कमी, कष्ट, दरिद्रता
दुर्गतिः —स्त्री॰—दुर्- गतिः—-—कठिन स्थिति या मार्ग
दुर्गतिः —स्त्री॰—दुर्- गतिः—-—नरक
दुर्गन्ध —वि॰—दुर्- गन्ध—-—बुरी गन्ध वाला
दुर्गन्धः —पुं॰—दुर्- गन्धः—-—बुरी गन्ध, सड़ान्ध
दुर्गन्धः —पुं॰—दुर्- गन्धः—-—दुर्गन्धयुक्त पदार्थ
दुर्गन्धः —पुं॰—दुर्- गन्धः—-—प्याज
दुर्गन्धः —पुं॰—दुर्- गन्धः—-—आम का वृक्ष
दुर्गन्धि —वि॰—दुर्- गन्धि—-—जिसमें से बुरी गन्ध आवे
दुर्गन्धिन् —वि॰—दुर्- गन्धिन्—-—जिसमें से बुरी गन्ध आवे
दुर्गम —वि॰—दुर्- गम—-—जिसमें से जाया न जा सके, जहाँ पहुँचना कठिन हो, अप्रवेश्य
दुर्गम —वि॰—दुर्- गम—-—अप्राप्य, दुष्प्राप्य
दुर्गम —वि॰—दुर्- गम—-—दुर्बोध
दुर्गाढ —वि॰—दुर्- गाढ—-—जिसका अवगाहन करना या अनुसन्धान करना कठिन हो, अनवगाह्य
दुर्गाध —वि॰—दुर्- गाध—-—जिसका अवगाहन करना या अनुसन्धान करना कठिन हो, अनवगाह्य
दुर्गाह्य —वि॰—दुर्-गाह्य—-—जिसका अवगाहन करना या अनुसन्धान करना कठिन हो, अनवगाह्य
दुर्ग्रह —वि॰—दुर्- ग्रह—-—कष्टसाध्य
दुर्ग्रह —वि॰—दुर्- ग्रह—-—जिसको जीतना या वश में करना कठिन हो
दुर्ग्रह —वि॰—दुर्- ग्रह—-—दुर्बोध
दुर्ग्रहः —पुं॰—दुर्- ग्रहः—-—मरोड़
दुर्घट —वि॰—दुर्- घट—-—कठिन
दुर्घट —वि॰—दुर्- घट—-—असम्भव
दुर्घोषः —पुं॰—दुर्- घोषः—-—कर्कशध्वनि
दुर्घोषः —पुं॰—दुर्- घोषः—-—रीछ
दुर्जन —वि॰—दुर्- जन—-—दुष्ट, बुरा, खल
दुर्जन —वि॰—दुर्- जन—-—बदनाम, द्वेषपूर्ण, उपद्रवी
दुर्जनः —पुं॰—दुर्- जनः—-—बुरा या दुष्ट आदमी, द्वेष रखने वाला या उपद्रव करने वाला व्यक्ति, दुर्वृत्त
दुर्जय —वि॰—दुर्- जय—-—अजेय, जिसको जीता न जा सके
दुर्जर —वि॰—दुर्- जर—-—चिरयुवा
दुर्जर —वि॰—दुर्- जर—-—जो कठिनाई से पचे, अपचनशील
दुर्जर —वि॰—दुर्- जर—-—जिसका उपभोग करना कठिन हो
दुर्जात —वि॰—दुर्- जात—-—दुःखी, अभागा
दुर्जात —वि॰—दुर्- जात—-—बुरे स्वभाव का, बुरा, दुष्ट
दुर्जात —वि॰—दुर्- जात—-—मिथ्या, अवास्तविक
दुर्जातम् —नपुं॰—दुर्- जातम्—-—दुर्भाग्य, संकट, कठिनाई
दुर्जातिः —वि॰—दुर्- जातिः—-—बुरे स्वभाव का, दुर्जन, दुष्ट
दुर्जातिः —वि॰—दुर्- जातिः—-—जाति से बहिष्कृत
दुर्जातिः —स्त्री॰—दुर्- जातिः—-—दुर्भाग्य, दुर्दशा
दुर्ज्ञान —वि॰—दुर्- ज्ञान—-—जो कठिनाई से जाना जा सके, दुर्बोध
दुर्ज्ञेय —वि॰—दुर्- ज्ञेय—-—जो कठिनाई से जाना जा सके, दुर्बोध
दुर्णयः —पुं॰—दुर्- णयः—-—दुराचरण
दुर्णयः —पुं॰—दुर्- णयः—-—अनौचित्य
दुर्णयः —पुं॰—दुर्- णयः—-—अन्याय
दुर्नयः —पुं॰—दुर्- नयः—-—दुराचरण
दुर्नयः —पुं॰—दुर्- नयः—-—अनौचित्य
दुर्नयः —पुं॰—दुर्- नयः—-—अन्याय
दुर्णामन् —वि॰—दुर्- णामन्—-—बदनाम
दुर्नामन् —वि॰—दुर्- नामन्—-—बदनाम
दुर्दम —वि॰—दुर्- दम—-—जिसे दबाना या वश में करना कठिन हो, जो सीधा न किया जा सके, प्रबल
दुर्दमन —वि॰—दुर्- दमन—-—जिसे दबाना या वश में करना कठिन हो, जो सीधा न किया जा सके, प्रबल
दुर्दम्य —वि॰—दुर्- दम्य—-—जिसे दबाना या वश में करना कठिन हो, जो सीधा न किया जा सके, प्रबल
दुर्दर्श —वि॰—दुर्- दर्श—-—जो कठिनाई से दिखाई दे
दुर्दर्श —वि॰—दुर्- दर्श—-—चकाचौंध करने वाला
दुर्दान्त —वि॰—दुर्- दान्त—-—जिसको वश में करना कठिन हो, जो पालतू न हो सके, जो सीधा न किया जा सके
दुर्दान्त —वि॰—दुर्- दान्त—-—उच्छृंखल, घमण्डी, धृष्ट
दुर्दान्तः —पुं॰—दुर्- दान्तः—-—बछड़ा
दुर्दान्तः —पुं॰—दुर्- दान्तः—-—झगड़ा, कलह
दुर्दिनम् —नपुं॰—दुर्- दिनम्—-—बुरा दिन
दुर्दिनम् —नपुं॰—दुर्- दिनम्—-—मेघाच्छन्न दिन, आँधी, तूफ़ान का मौसम, वृष्टिकाल
दुर्दिनम् —नपुं॰—दुर्- दिनम्—-—बौछार
दुर्दिनम् —नपुं॰—दुर्- दिनम्—-—घोर अन्धकार
दुर्दृष्ट —वि॰—दुर्- दृष्ट—-—जिस पर गलत तरीके से विचार किया गया हो, जिसका फ़ैसला ठीक न हुआ हो
दुर्दैवम् —नपुं॰—दुर्- दैवम्—-—बुरी किस्मत, दुर्भाग्य
दुर्द्यूतम् —नपुं॰—दुर्- द्यूतम्—-—बेईमानी का खेल
दुर्द्रुमः —पुं॰—दुर्- द्रुमः—-—प्याज
दुर्धर —वि॰—दुर्- धर—-—जिसका मुक़ाबला न किया जा सके
दुर्धर —वि॰—दुर्- धर—-—दुस्सह
दुर्धरः —पुं॰—दुर्- धरः—-—पारा
दुर्धर्ष —वि॰—दुर्- धर्ष—-—अनुल्लङ्घनीय, अनतिक्रम्य
दुर्धर्ष —वि॰—दुर्- धर्ष—-—अगम्य
दुर्धर्ष —वि॰—दुर्- धर्ष—-—भयंकर, डरावना
दुर्धर्ष —वि॰—दुर्- धर्ष—-—उद्धत
दुर्धी —वि॰—दुर्- धी—-—मूर्ख, बेवकूफ
दुर्नामनः —पुं॰—दुर्- नामनः—-—बवासीर
दुर्निग्रह —वि॰—दुर्- निग्रह—-—जिसको दबाया न जा सके, जिस पर शासन न किया जा सके, जिसका प्रतिरोध न किया जा सके, उच्छृंखल
दुर्निमित —वि॰—दुर्- निमित—-—असावधानी से ज़मीन पर रक्खा हुआ
दुर्निमित्तम् —नपुं॰—दुर्- निमित्तम्—-—अपशकुन
दुर्निमित्तम् —नपुं॰—दुर्- निमित्तम्—-—बुरा बहाना
दुर्निवार —वि॰—दुर्- निवार—-—जिसको हटाना या दूर करना कठिन हो, जिसका मुकाबला करना कठिन हो, अजेय
दुर्निवार्य —वि॰—दुर्- निवार्य—-—जिसको हटाना या दूर करना कठिन हो, जिसका मुकाबला करना कठिन हो, अजेय
दुर्नीतम् —नपुं॰—दुर्- नीतम्—-—कदाचरण, दुर्नीति, दुर्व्यवहार
दुर्नीतिः —स्त्री॰—दुर्- नीतिः—-—बुरा प्रशासन
दुर्बल —वि॰—दुर्- बल—-—कमजोर, बलहीन
दुर्बल —वि॰—दुर्- बल—-—क्षीणकाय, शक्तिहीन
दुर्बल —वि॰—दुर्- बल—-—स्वल्प, थोड़ा, कम
दुर्बाल —वि॰—दुर्- बाल—-—गंजे सिर वाला
दुर्बुद्धि —वि॰—दुर्- बुद्धि—-—बेवकूफ, मूर्ख, बुद्धू
दुर्बुद्धि —वि॰—दुर्- बुद्धि—-—कुमार्गी, दुष्ट मन का, दुष्ट
दुर्बोध —वि॰—दुर्- बोध—-—जो शीघ्र समझ में न आये, जिसकी तह तक न पहुँचा जाय, दुर्गाह्य
दुर्भग —वि॰—दुर्- भग—-—भाग्यहीन, अभागा
दुर्भगा —स्त्री॰—दुर्- भगा—-—वह पत्नी जिसे उसका पति न चाहता हो
दुर्भगा —स्त्री॰—दुर्- भगा—-—बुरे स्वभाव की स्त्री, कलहप्रिय स्त्री
दुर्भर —वि॰—दुर्- भर—-—जिसे निभाना कठिन हो, बोझा, भार
दुर्भाग्य —वि॰—दुर्- भाग्य—-—भाग्यहीन, अभागा
दुर्भाग्यम् —नपुं॰—दुर्- भाग्यम्—-—बुरी क़िस्मत
दुर्भक्षम् —नपुं॰—दुर्- भक्षम्—-—खाद्य सामग्री की कमी, अभाव, अकाल
दुर्भक्षम् —नपुं॰—दुर्- भक्षम्—-—कमी
दुर्भृत्यः —पुं॰—दुर्- भृत्यः—-—बुरा सेवक
दुर्भ्रातृ —पुं॰—दुर्- भ्रातृ—-—बुरा भाई
दुर्मति —वि॰—दुर्- मति—-—मूर्ख, दुर्बुद्धि, बेवकूफ, अज्ञानी
दुर्मति —वि॰—दुर्- मति—-—दुष्ट, खोटे हृदय का
दुर्मद —वि॰—दुर्- मद—-—शराबखोर, खूँखार या हिंस्र, मदोन्मत्त, दीवाना
दुर्मनस् —वि॰—दुर्- मनस्—-—खिन्नमनस्क, हतोत्साह, दुःखी, उदास
दुर्मनुष्यः —पुं॰—दुर्- मनुष्यः—-—दुर्जन, दुष्ट पुरुष
दुर्मन्त्रः —पुं॰—दुर्- मन्त्रः—-—बुरी नसीहत, बुरा परामर्श
दुर्मन्त्रितम् —नपुं॰—दुर्- मन्त्रितम्—-—बुरी नसीहत, बुरा परामर्श
दुर्मरणम् —नपुं॰—दुर्- मरणम्—-—बुरी मौत, अप्राकृतिक मृत्यु
दुर्मर्याद —वि॰—दुर्- मर्याद—-—निर्लज्ज, अशिष्ट
दुर्मल्लिका —स्त्री॰—दुर्- मल्लिका—-—एक प्रकार का उपरुपक, सुखान्त प्रहसन
दुर्मल्ली —स्त्री॰—दुर्- मल्ली—-—एक प्रकार का उपरुपक, सुखान्त प्रहसन
दुर्मित्रः —पुं॰—दुर्- मित्रः—-—बुरा दोस्त
दुर्मित्रः —पुं॰—दुर्- मित्रः—-—शत्रु
दुर्मुख —वि॰—दुर्- मुख—-—बुरे चेहरे वाला, विकराल, बदसूरत
दुर्मुख —वि॰—दुर्- मुख—-—कटुभाषी, अश्लीलभाषी, बदज़बान
दुर्मूल्य —वि॰—दुर्- मूल्य—-—बहुत अधिक मूल्य का महँगा
दुर्मेधस् —वि॰—दुर्- मेधस्—-—मूर्ख, बेवकूफ़, मन्दबुद्धि, बुद्धू
दुर्मेधस् —पुं॰—दुर्- मेधस्—-—मूढमति, मन्दबुद्धि मनुष्य, बुद्धू
दुर्योध —वि॰—दुर्- योध—-—अजेय, जो जीता न जा सके
दुर्योधन —वि॰—दुर्- योधन—-—अजेय, जो जीता न जा सके
दुर्योधनः —पुं॰—दुर्- योधनः—-—धृतराष्ट्र और गान्धारी का ज्येष्ठ पुत्र
दुर्योनि —वि॰—दुर्- योनि—-—नीच जाति में उत्पन्न, अधम कुल का
दुर्लक्ष्य —वि॰—दुर्- लक्ष्य—-—जो कठिनाई से देखा जा सके, जो दिखाई न दे
दुर्लभ —वि॰—दुर्- लभ—-—जिसको प्राप्त करना कठिन हो, दुष्प्राप्य, दुस्साध्य
दुर्लभ —वि॰—दुर्- लभ—-—जिसका ढूँढना कठिन हो, जिसका मिलना दुष्कर हो, विरल
दुर्लभ —वि॰—दुर्- लभ—-—सर्वोत्तम, श्रेष्ठ, प्रमुख
दुर्लभ —वि॰—दुर्- लभ—-—प्रिय, प्यारा
दुर्लभ —वि॰—दुर्- लभ—-—मूल्यवान्
दुर्ललित —वि॰—दुर्- ललित—-—लाड़ प्यार से बिगड़ा हुआ, अत्यधिक लाड़ प्यार में पला हुआ, जिसे प्रसन्न करना कठिन है
दुर्ललित —वि॰—दुर्- ललित—-—स्वेच्छाचारी, नटखट, अशिष्ट, उच्छृंखल
दुर्ललितम् —नपुं॰—दुर्- ललितम्—-—स्वेच्छाचारिता, अक्खड़पन
दुर्लेख्यम् —नपुं॰—दुर्- लेख्यम्—-—जाली दस्तावेज
दुर्वच —वि॰—दुर्- वच—-—जिसका वर्णन करना कठिन हो, अवर्णनीय
दुर्वच —वि॰—दुर्- वच—-—वह बात जिसका बतलाना उचित न हो
दुर्वच —वि॰—दुर्- वच—-—अनुचित बोलने वाला, गाली देने वाला
दुर्वचम् —नपुं॰—दुर्- वचम्—-—गाली, फटकार, दुर्वचन
दुर्वचस् —नपुं॰—दुर्- वचस्—-—गाली, झिड़क
दुर्वर्ण —वि॰—दुर्- वर्ण—-—बुरे रंग का
दुर्वर्णम् —नपुं॰—दुर्- वर्णम्—-—चाँदी
दुर्वसतिः —स्त्री॰—दुर्- वसतिः—-—पीड़ाजनक निवासस्थान
दुर्वह —वि॰—दुर्- वह—-—भारी, जिसे ढोना कठिन हो
दुर्वाच्य —वि॰—दुर्- वाच्य—-—जिसका कहना या उच्चारण करना कठिन हो
दुर्वाच्य —वि॰—दुर्- वाच्य—-—कुभाषी, बदजुबान
दुर्वाच्य —वि॰—दुर्- वाच्य—-—कठोर, क्रूर
दुर्वाच्यम् —नपुं॰—दुर्- वाच्यम्—-—झिड़की, दुर्वचन
दुर्वाच्यम् —नपुं॰—दुर्- वाच्यम्—-—बदनामी, लोकापवाद
दुर्वादः —पुं॰—दुर्- वादः—-—अपवाद, अपयश, कुख्याति
दुर्वार —वि॰—दुर्- वार—-—जिसका मुक़ाबला न किया जा सके, असह्य
दुर्वारण —वि॰—दुर्- वारण—-—जिसका मुक़ाबला न किया जा सके, असह्य
दुर्वासना —स्त्री॰—दुर्- वासना—-—ओछी कामना, बुरी इच्छा
दुर्वासना —स्त्री॰—दुर्- वासना—-—कपोलकल्पना
दुर्वासस् —वि॰—दुर्- वासस्—-—बुरा वस्त्र धारण किये हुए
दुर्वासस् —वि॰—दुर्- वासस्—-—नंगा
दुर्वासस् —पुं॰ —दुर्- वासस्—-—एक बड़ा क्रोधी ऋषि
दुर्विगाह —वि॰—दुर्- विगाह—-—जिसमें प्रवेश करना कठिन हो, जिसका अवगाहन मुश्किल हो, अगाध
दुर्विगाह्य —वि॰—दुर्- विगाह्य—-—जिसमें प्रवेश करना कठिन हो, जिसका अवगाहन मुश्किल हो, अगाध
दुर्विचिन्त्य —वि॰—दुर्- विचिन्त्य—-—अचिन्तनीय, अतर्क्य
दुर्विदग्ध —वि॰—दुर्- विदग्ध—-—अकुशल, नौसिखिया, बेवकूफ, मन्दबुद्धि, मूर्ख
दुर्विदग्ध —वि॰—दुर्- विदग्ध—-—बिल्कुल अनाड़ी
दुर्विदग्ध —वि॰—दुर्- विदग्ध—-—थोड़े से ज्ञान से ही फूला हुआ, गर्वित, झूठा घमण्ड करने वाला
दुर्विध —वि॰—दुर्- विध—-—कमीना, अधम, नीच
दुर्विध —वि॰—दुर्- विध—-—दुष्ट, दुश्चरित्र
दुर्विध —वि॰—दुर्- विध—-—गरीब, दरिद्र
दुर्विध —वि॰—दुर्- विध—-—मन्दबुद्धि, मूर्ख, बेवकूफ
दुर्विनयः —पुं॰—दुर्- विनयः—-—औद्धत्य, उद्दण्डता
दुर्विनीत —वि॰—दुर्- विनीत—-—बुरी तरह से शिक्षित, अशिष्ट, असभ्य, दुष्ट
दुर्विनीत —वि॰—दुर्- विनीत—-—अक्खड़, नटखट, उपद्रवी
दुर्विनीत —वि॰—दुर्- विनीत—-—हठीला, दुराग्रही
दुर्विपाकः —पुं॰—दुर्- विपाकः—-—दुष्परिणाम, बुरा नतीजा
दुर्विपाकः —पुं॰—दुर्- विपाकः—-—पूर्व जन्म के या इस जन्म के किये हुए कर्मों का बुरा परिणाम
दुर्विलसितम् —नपुं॰—दुर्- विलसितम्—-—स्वेच्छाचार, अक्खड़पन, नटखटपना
दुर्वृत्त —वि॰—दुर्- वृत्त—-—दुश्चरित्र, दुष्ट, असभ्य
दुर्वृत्त —वि॰—दुर्- वृत्त—-—बदमास
दुर्वृत्तम् —नपुं॰—दुर्- वृत्तम्—-—दुराचरण, अशिष्ट व्यवहार
दुर्वृष्टिः —स्त्री॰—दुर्- वृष्टिः—-—थोड़ी बारिश, अनावृष्टि
दुर्व्यवहारः —पुं॰—दुर्- व्यवहारः—-—गलत निर्णय
दुर्व्रत —वि॰—दुर्- व्रत—-—नियमों का पालन न करने वाला, जो आज्ञाकारी न हो
दुर्हुतम् —नपुं॰—दुर्- हुतम्—-—वह यज्ञ जो बुरी रीति से किया गया है
दुर्हृद् —वि॰—दुर्- हृद्—-—दुष्ट हृदय का, तुच्छ विचारों वाला, शत्रु
दुर्हृद् —पुं॰—दुर्- हृद्—-—वैरी
दुरोदरः —पुं॰—-—दुष्टमासमन्तात् उदरं यस्य ब॰ स॰—जूआरी, द्यूतकार
दुरोदरः —पुं॰—-—दुष्टमासमन्तात् उदरं यस्य ब॰ स॰—पासा, जूआ
दुरोदरः —पुं॰—-—दुष्टमासमन्तात् उदरं यस्य ब॰ स॰—बाजी, दाँव
दुरोदरम् —नपुं॰—-—-—जूआ खेलना, पासे से खेलना
दुल् —चुरा॰ उभ॰- < दोलयति>, < दोलयते >, < दोलित>—-—-—झूलना, इधर- उधर हिलना- जुलना, इधर- उधर घुमाना, झुलाना
दुल् —चुरा॰ उभ॰- < दोलयति>, < दोलयते >, < दोलित>—-—-—हिलाकर ऊपर को करना, ऊपर फेंकना
दुलिः —स्त्री॰—-—दुल् + कि—छोटा कछुवा, या कछुवी
दुष् —दिवा॰ पर॰- < दुष्यति>, < दुष्ट>—-—-—बुरा या भ्रष्ट हो जाना, दूषित होना, घाटा उठाना
दुष् —दिवा॰ पर॰- < दुष्यति>, < दुष्ट>—-—-—मलिन होना, असती होना, कलंकित होना, अपवित्र होना, बिगड़ना
दुष् —दिवा॰ पर॰- < दुष्यति>, < दुष्ट>—-—-—पाप करना, गलती करना, गलती होना
दुष् —दिवा॰ पर॰- < दुष्यति>, < दुष्ट>—-—-—असती होना, अभक्त या श्रद्धाहीन होना
दुष् —दिवा॰ पर॰,प्रेर॰<दूषयति>—-—-—भ्रष्ट करना, बिगाड़ना, नष्ट कराना, क्षतिग्रस्त करना, विनष्ट करना, दूषित करना, धब्बा लगाना, कलंकित करना, विषाक्त करना, अपवित्र करना
दुष् —दिवा॰ पर॰,प्रेर॰<दूषयति>—-—-—चरित्र भ्रष्ट करना, उत्साह भंग करना
दुष् —दिवा॰ पर॰,प्रेर॰<दूषयति>—-—-—उल्लंघन करना, अवज्ञा करना
दुष् —दिवा॰ पर॰,प्रेर॰<दूषयति>—-—-—निराकरण करना, हटा देना, रद्द कर देना
दुष् —दिवा॰ पर॰,प्रेर॰<दूषयति>—-—-—दोष लगाना, निन्दा करना, दोष निकालना, किसी के विषय में बुरा कहना, दोषारोपण करना
दुष् —दिवा॰ पर॰,प्रेर॰<दूषयति>—-—-—मिलावट करना
दुष् —दिवा॰ पर॰,प्रेर॰<दूषयति>—-—-—मिथ्या या बनावटी करना
दुष् —दिवा॰ पर॰,प्रेर॰<दूषयति>—-—-—निराकरण करना, खण्डन करना
प्रदुष् —दिवा॰ पर॰—प्र- दुष्—-—भ्रष्ट होना, बिगड़ना, विषाक्त होना
प्रदुष् —दिवा॰ पर॰—प्र- दुष्—-—पाप करना, गलती करना, श्रद्धाहीन या असती होना
प्रदुष् —पुं॰—प्र- दुष्—-—बिगाड़ना, भ्रष्ट करना, गदला करना, धब्बे लगाना
प्रदुष् —पुं॰—प्र- दुष्—-—दोष लगाना, निन्दा करना, दोष निकालना
सन्दुष् —दिवा॰ पर॰—सम्- दुष्—-—दूषित या कलंकित होना
सन्दुष् —पुं॰—सम्- दुष्—-—दूषित करना, भ्रष्ट करना, गदला करना, धब्बे लगाना
सन्दुष् —पुं॰—सम्- दुष्—-—उल्लंघन करना
सन्दुष् —पुं॰—सम्- दुष्—-—दोषारोपण करना, निन्दा करना, दोष निकालना
दुष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—दूष् + क्त—बिगड़ा हुआ, खराब हुआ, क्षतिग्रस्त, बर्बाद
दुष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—दूष् + क्त—दूषित, धब्बे लगा हुआ, उल्लंघन किया हुआ, कलुषित
दुष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—दूष् + क्त—मलिन, भ्रष्ट
दुष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—दूष् + क्त—पापासक्त, बदमाश
दुष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—दूष् + क्त—दोषी, अपराधी
दुष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—दूष् + क्त—नीच, अधम
दुष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—दूष् + क्त—दोषयुक्त, सदोष
दुष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—दूष् + क्त—पीड़ाकर,निकम्मा
दुष्टात्मन् —वि॰—दुष्ट- आत्मन्—-—खोटे मन वाला, दुष्ट हृदय वाला
दुष्टाशय —वि॰—दुष्ट- आशय—-—खोटे मन वाला, दुष्ट हृदय वाला
दुष्टगजः —वि॰—दुष्ट- गजः—-—बदमाश हाथी
दुष्टचेतस् —वि॰—दुष्ट- चेतस्—-—खोटे मन का, दुर्भावनापूर्ण, दुःशील
दुष्टधी —वि॰—दुष्ट- धी—-—खोटे मन का, दुर्भावनापूर्ण, दुःशील
दुष्टबुद्धि —वि॰—दुष्ट- बुद्धि—-—खोटे मन का, दुर्भावनापूर्ण, दुःशील
दुष्टवृषः —पुं॰—दुष्ट- वृषः—-—मजबूत परन्तु अड़ियल बैल, बदमाश बैल
दुष्टिः —स्त्री॰—-—दुष् + क्तिन्—भ्रष्टाचार, खोट
दुष्टु —अव्य॰—-—दुर् + स्था + कि—खराब, बुरा
दुष्टु —अव्य॰—-—दुर् + स्था + कि—अनुचित रूप से, अशुद्ध रूप से, गलती से
दुष्यन्तः —पुं॰—-—-—चन्द्रवंश में उत्पन्न एक राजा, पुरु की सन्तान, शकुन्तला का पति, भरत का पिता
दुस् —अव्य॰—-—दु + सुक्—बुरा, खराब, दुष्ट, घटिया, कठिन या मुश्किल आदि अर्थों को प्रकट करने के लिए संज्ञा शब्दों से पूर्व लगाया जाने वाला उपसर्ग
दुष्कर —वि॰—दुस्- कर—-—दुष्ट, बुरी तरह से करने वाला
दुष्कर —वि॰—दुस्- कर—-—करने में कठिन, कठोर या मुश्किल
दुष्करम् —नपुं॰—दुस्- करम्—-—कठिन या पीड़ाकर कार्य, कठिनाई
दुष्करम् —नपुं॰—दुस्- करम्—-—पर्यावरण, अन्तरिक्ष
दुष्कर्मन् —पुं॰—दुस्- कर्मन्—-—कोई भी बुरा काम, पाप, जुर्म
दुष्कालः —पुं॰—दुस्- कालः—-—बुरा समय
दुष्कालः —पुं॰—दुस्- कालः—-—प्रलयकाल
दुष्कालः —पुं॰—दुस्- कालः—-—शिव का विशेषण
दुष्कुलम् —नपुं॰—दुस्- कुलम्—-—बुरा या नीच घराना
दुष्कुलीन —वि॰—दुस्- कुलीन—-—नीच जाति में उत्पन्न
दुष्कृत् —पुं॰—दुस्- कृत्—-—दु्ष्टपुरुष
दुष्कृतम् —स्त्री॰—दुस्-कृतम्—-—पाप, दुष्कृत्य
दुष्कृतिः —स्त्री॰—दुस्- कृतिः—-—पाप, दुष्कृत्य
दुष्क्रम —वि॰—दुस्-क्रम—-—क्रमहीन, अस्तव्यस्त, अव्यवस्थित
दुश्चर —वि॰—दुस्- चर—-—जिसका पूरा करना कठिन हो, मुश्किल
दुश्चर —वि॰—दुस्- चर—-—अगम्य, दुर्गम
दुश्चर —वि॰—दुस्- चर—-—बुरा करने वाला, दुर्व्यवहार करने वाला
दुश्चरः —पुं॰—दुस्- चरः—-—रीछ
दुश्चरः —पुं॰—दुस्- चरः—-—द्विकोषीय शंख या सीपी
दुश्चारिन् —वि॰—दुस्- चारिन्—-—कठोर तपस्या करने वाला
दुश्चरित —वि॰—दुस्- चरित—-—दुष्ट, दुराचरण करने वाला, परित्यक्त दुराचरण, बुरा चाल- चलन
दुश्चिकित्स्य —वि॰—दुस्- चिकित्स्य—-—जिसका इलाज करना कठिन हो, असाध्य
दुश्च्यवनः —पुं॰—दुस्- च्यवनः—-—इन्द्र का विशेषण
दुश्च्यावः —पुं॰—दुस्- च्यावः—-—शिव का विशेषण
दुस्तर —वि॰—दुस्- तर—-—जिसका पार करना कठिन हो
दुस्तर —वि॰—दुस्- तर—-—जिसका दमन करना कठिन हो, अपराजेय, अजेय
दुस्तर्कः —पुं॰—दुस्- तर्कः—-—मिथ्या तर्कणा॰
दुष्पच —वि॰—दुस्- पच—-—जिसका हजम होना कठिन हो
दुष्पतनम् —नपुं॰—दुस्- पतनम्—-—बुरी तरह से गिरना
दुष्पतनम् —नपुं॰—दुस्- पतनम्—-—दुर्वचन, अपशब्द
दुष्परिग्रह —वि॰—दुस्- परिग्रह—-—जिसका पकड़ना, ग्रहण करना या लेना कठिन हो
दुष्परिग्रहः —पुं॰—दुस्- परिग्रहः—-—बुरी पत्नी
दुष्पूर —वि॰—दुस्- पूर—-—जिसका पूरा करना, या जिसको सन्तुष्ट करना कठिन हो
दुष्प्रकाश —वि॰—दुस्- प्रकाश—-—अप्रसिद्ध, अन्धकारमय, धूमिल
दुष्प्रकृति —वि॰—दुस्- प्रकृति—-—बुरे स्वभाव का, नीच प्रकृति का
दुष्प्रजस् —वि॰—दुस्- प्रजस्—-—बुरी सन्तान वाला
दुष्प्रज्ञ —वि॰—दुस्- प्रज्ञ—-—कमजोर मन का, दुर्बुद्धि
दुष्प्रधर्ष —वि॰—दुस्- प्रधर्ष—-—जिस पर प्रहार न किया जा सके
दुष्प्रधृष्य —वि॰—दुस्- प्रधृष्य—-—जिस पर प्रहार न किया जा सके
दुष्प्रवादः —पुं॰—दुस्- प्रवादः—-—बदनामी, कलंक, अपकीर्ति
दुष्प्रवृत्तिः —स्त्री॰—दुस्- प्रवृत्तिः—-—बुरा समाचार, कुख्याति
दुष्प्रसह —वि॰—दुस्- प्रसह—-—जिसका प्रतिरोध न किया जा सके, भयानक
दुष्प्रसह —वि॰—दुस्- प्रसह—-—असह्य
दुष्प्राप —वि॰—दुस्- प्राप—-—अप्राप्य, दुष्प्राप्य
दुष्प्रापण —वि॰—दुस्- प्रापण—-—अप्राप्य, दुष्प्राप्य
दुश्शकुनम् —नपुं॰—दुस्- शकुनम्—-—बुरा सगुन, अपशकुन
दुश्शला —स्त्री॰—दुस्- शला—-—धृतराष्ट्र की इकलौती पुत्री जो जयद्रथ को ब्याही गई थी
दुश्शासन —वि॰—दुस्- शासन—-—जिसका प्रबन्ध करना या शासन करना कठिन हो, अविनेय
दुश्शासनः —पुं॰—दुस्- शासनः—-—धृतराष्ट्र के १०० पुत्रों में से एक
दुश्शील —वि॰—दुस्- शील—-—गुण्डा, दुराचारी, बदमाश
दुस्सम —वि॰—दुस्- सम—-—असम, असमान, असदृश
दुस्सम —वि॰—दुस्- सम—-—प्रतिकूल, दुर्भाग्यपूर्ण
दुस्सम —वि॰—दुस्- सम—-—अनिष्टकर, अनुचित, बुरा
दुस्समम् —अव्य॰—दुस्- समम्—-—बुरी तरह से, दुष्टतापूर्वक
दुस्सत्वम् —नपुं॰—दुस्- सत्वम्—-—दुष्ट प्राणी
दुस्सन्धान —वि॰—दुस्- सन्धान—-—जिनका मिलना या जिनमें सुलह कराना कठिन हो
दुस्सन्धेय —वि॰—दुस्- सन्धेय—-—जिनका मिलना या जिनमें सुलह कराना कठिन हो
दुस्सह —वि॰—दुस्- सह—-—असह्य, अप्रतिरोध्य, असमर्थनीय
दुस्साक्षिन् —पुं॰—दुस्- साक्षिन्—-—झूठा गवाह
दुस्साध —वि॰—दुस्- साध—-—जिसका पूरा होना कठिन हो
दुस्साध —वि॰—दुस्- साध—-—जिसका इलाज करना कठिन हो
दुस्साध —वि॰—दुस्- साध—-—जिसपर विजय न प्राप्त की जा सके
दुस्साध्य —वि॰—दुस्- साध्य—-—जिसका पूरा होना कठिन हो
दुस्साध्य —वि॰—दुस्- साध्य—-—जिसका इलाज करना कठिन हो
दुस्साध्य —वि॰—दुस्- साध्य—-—जिसपर विजय न प्राप्त की जा सके
दुस्स्थ —वि॰—दुस्- स्थ—-—पीड़ित, विषण्ण, दुःखी
दुस्स्थ —वि॰—दुस्- स्थ—-—अस्वस्थ, रुग्ण
दुस्स्थ —वि॰—दुस्- स्थ—-—अस्थिर, अशान्त
दुस्स्थ —वि॰—दुस्- स्थ—-—मूर्ख, बुद्धिहीन, अज्ञानी
दुस्स्थित —वि॰—दुस्- स्थित—-—दुर्दशाग्रस्त, गरीब, दयनीय
दुस्स्थित —वि॰—दुस्- स्थित—-—पीड़ित, विषण्ण, दुःखी
दुस्स्थित —वि॰—दुस्- स्थित—-—अस्वस्थ, रुग्ण
दुस्स्थित —वि॰—दुस्- स्थित—-—अस्थिर, अशान्त
दुस्स्थित —वि॰—दुस्- स्थित—-—मूर्ख, बुद्धिहीन, अज्ञानी
दुस्स्थम् —अव्य॰—दुस्- स्थम्—-—बुरी तरह से, अधूरे ढंग से, अपूर्ण रुप से
दुस्स्थितिः —स्त्री॰—दुस्- स्थितिः—-—दुर्दशा, विषण्णता, दयनीयता
दुस्स्थितिः —स्त्री॰—दुस्- स्थितिः—-—अस्थिरता
दुस्स्पृष्टम् —नपुं॰—दुस्- स्पृष्टम्—-—ईषत्स्पर्श या सम्पर्क
दुस्स्पृष्टम् —नपुं॰—दुस्- स्पृष्टम्—-—जिह्वा का ईषत् स्पर्श या प्रयत्न जिससे य्, र्, ल्, तथा व् की ध्वनि निकलती है
दुस्स्मर —वि॰—दुस्- स्मर—-—जिसका याद रखना कठिन या पीड़ाकर हो
दुस्स्वपनः —पुं॰—दुस्- स्वपनः—-—बुरा स्वप्न
दुह् —अदा॰ उभ॰- < दोग्धि>, < दुग्धे>, < दुग्ध>—-—-—दोहना, निचोड़ना, उद्धृत करना
दुह् —अदा॰ उभ॰- < दोग्धि>, < दुग्धे>, < दुग्ध>—-—-—किसी वस्तु में से कोई दूसरी चीज निकालना
दुह् —अदा॰ उभ॰- < दोग्धि>, < दुग्धे>, < दुग्ध>—-—-—छान कर निकाल लेना, लाभ उठाना
दुह् —अदा॰ उभ॰- < दोग्धि>, < दुग्धे>, < दुग्ध>—-—-—प्रदान करना
दुह् —अदा॰ उभ॰- < दोग्धि>, < दुग्धे>, < दुग्ध>—-—-—उपभोग करना
दुह् —अदा॰ उभ॰,पुं॰—-—-—दुहाना
दुह् —अदा॰ उभ॰, इच्छा॰ < दुधुक्षति>—-—-—दुहने की इच्छा करना
दुहितृ —स्त्री॰—-—दुह् + तृच्—बेटी, पुत्री
दुहितृपतिः —पुं॰—दुहितृ-पतिः—-—जामाता, दामाद
दू — दिवा॰ आ॰ < दूयते>, < दून>—-—-—कष्टग्रस्त होना, पीडित होना, खिन्न होना
दू — दिवा॰ आ॰ < दूयते>, < दून>—-—-—कष्टग्रस्त, दुःखी
दू — दिवा॰ आ॰ < दूयते>, < दून>—-—-—पीडा देना
दूतः —पुं॰—-—दु + क्त, दीर्घश्च—सन्देशहर, संदेशवाहक, राजदूत
दूतकः —पुं॰—-—दूत + कन्—सन्देशहर, संदेशवाहक, राजदूत
दूतमुख —वि॰—दूतः- मुख—-—राजदूत के द्वारा बात करने वाला
दूतिका —स्त्री॰—-—दू + ति + कन् + टाप्, दूति + ङीष्—संदेशवाहिका, रहस्य की बातें जानने वाली
दूतिका —स्त्री॰—-—दू + ति + कन् + टाप्, दूति + ङीष्—प्रेमी और प्रेमिका से बातचीत कराने वाली, कुटनी
दूतीः —स्त्री॰—-—दू + ति + कन् + टाप्, दूति + ङीष्—संदेशवाहिका, रहस्य की बातें जानने वाली
दूतीः —स्त्री॰—-—दू + ति + कन् + टाप्, दूति + ङीष्—प्रेमी और प्रेमिका से बातचीत कराने वाली, कुटनी
दूत्यम् —नपुं॰—-—दूतस्य भावः - दूत ( ती) + यत्—किसी दूत का नियुक्त करना
दूत्यम् —नपुं॰—-—दूतस्य भावः - दूत ( ती) + यत्—दूतालय
दूत्यम् —नपुं॰—-—दूतस्य भावः - दूत ( ती) + यत्—संदेश
दूत —वि॰—-—दू + क्त, नत्वम्—पीडित, कष्टग्रस्त
दूर —वि॰—-—दुःखेन ईयते- दुर् + इण् + रक्, धातोः लोपः—दूरस्थ, दूरवर्ती, फासले पर, दूरस्थित, विप्रकृष्ट
दूरम् —अव्य॰—-—-—दूरी, फासला
दूरम् —अव्य॰—-—-—फ़ासले पर, विप्रकृष्ट, दूरी पर
दूरम् —अव्य॰—-—-—ऊपर ऊँचाई पर
दूरम् —अव्य॰—-—-—नीचे गहराई में
दूरम् —अव्य॰—-—-—अत्यन्त, अत्यधिक, बहुत ज्यादा
दूरम् —अव्य॰—-—-—पूर्णरूप से, पूरी तरह से
दूरेण —अव्य॰—-—-—दूर, दूरवर्ती स्थान से, दूर से
दूरेण —अव्य॰—-—-—कहीं अधिक, अत्यधिक ऊँचाई पर
दूरात् —अव्य॰—-—-—फासले से, दूरी से
दूरादागतः —अव्य॰—-—-—दूर से आया हुआ
दूरात् —अव्य॰—-—-—सूक्ष्म दृष्टि से
दूरात् —अव्य॰—-—-—सुदूर पूर्व काल से
दूरे —अव्य॰—-—-—दूर, फासले पर, दूरवर्ती स्थान पर
दूरीकृ ——-—-—फ़ासले पर हटा देना, हटाना, दूर करना
दूरीकृ ——-—-—वंचित करना, अलग करना
दूरीकृ ——-—-—रोकना, परे करना
दूरीकृ ——-—-—आगे बढ़ जाना, पीछे छोड़ जाना, दूर रखना
दूरीभू ——-—-—दूर रहना, परे रहना, अलग रहना, फ़ासले पर रहना
दूरान्तरित —वि॰—दूर- अन्तरित—-—लम्बी दूरी होने से वियुक्त
दूरापातः —पुं॰—दूर- आपातः—-—दूर से निशाना लगाना
दूराप्लाव —वि॰—दूर- आप्लाव—-—दूर तक कूदने वाला, लम्बी छलाँग लगाने वाला
दूरारूढ —वि॰—दूर- आरूढ—-—ऊँचाई पर चढा हुआ, दूर तक आगे बढा हुआ
दूरारूढ —वि॰—दूर- आरूढ—-—गहरा, उत्कट
दूरेरितेक्षण —वि॰—दूर- ईरितेक्षण—-—भैंगी दृष्टि वाला
दूरगत —वि॰—दूर- गत—-—दूर हटा हुआ, दूरस्थ, दूर गया हुआ, आगे तक बढ़ा हुआ, गहराई तक गया हुआ
दूरग्रहणम् —नपुं॰—दूर- ग्रहणम्—-—दूरस्थित पदार्थों को भी देखने की दिव्य शक्ति
दूरदर्शनः —पुं॰—दूर- दर्शनः—-—गिद्ध
दूरदर्शनः —पुं॰—दूर- दर्शनः—-—विद्वान् पुरुष, पण्डित
दूरदर्शिन् —वि॰—दूर- दर्शिन्—-—दूर को देखने वाला, अग्रदृष्टि, बुद्धिमान्
दूरदर्शिन् —पुं॰—दूर- दर्शिन्—-—गिद्ध
दूरदर्शिन् —पुं॰—दूर- दर्शिन्—-—विद्वान् पुरुष
दूरदर्शिन् —पुं॰—दूर- दर्शिन्—-—द्रष्टा, पैगम्बर ऋषि
दूरदृष्टिः —पुं॰—दूर- दृष्टिः—-—दूर तक देखने की शक्ति
दूरदृष्टिः —पुं॰—दूर- दृष्टिः—-—बुद्धिमत्ता, अग्रदृष्टि
दूरपातः —पुं॰—दूर- पातः—-—दूर तक गिरना
दूरपातः —पुं॰—दूर- पातः—-—दूर की उड़ान
दूरपातः —पुं॰—दूर- पातः—-—बहुत ऊँचाई से गिरना
दूरपात्र —वि॰—दूर- पात्र—-—विस्तृत पाट वाला
दूरपार —वि॰—दूर- पार—-—बहुत चौड़ा
दूरपार —वि॰—दूर- पार—-—जो कठिनाई से पार किया जा सके
दूरबन्धु —वि॰—दूर- बन्धु—-—पत्नी तथा अन्य भाई बन्धुओं से निर्वासित
दूरभाज् —वि॰—दूर- भाज्—-—दूरवर्ती, फ़ासले पर विद्यमान
दूरवर्तिन् —वि॰—दूर- वर्तिन्—-—दूरी पर विद्यमान, दूर हटाया हुआ, दूरस्थ, फ़ासले पर
दूरवस्त्रक —वि॰—दूर- वस्त्रक—-—नंगा
दूरविलम्बिन् —वि॰—दूर- विलम्बिन्—-—नीचे दूर तक लटकने वाला
दूरवेधिन् —वि॰—दूर- वेधिन्—-—दूर से ही बींधने वाला
दूरसंस्थ —वि॰—दूर- संस्थ—-—दूरी पर विद्यमान फ़ासले पर, दूरवर्ती
दूरतः —अव्य॰—-—दूर + तस्—दूर से, फ़ासले से
दूरतः —पुं॰—-—-—दूर, फ़ासले पर
दूरेत्य —वि॰—-—दूरे भवः- दूर+ एत्य—दूरी पर मौजूद, दूर से आया हुआ
दूर्यम् —नपुं॰—-—दूरे उत्सार्यम्- दूर + यत्—विष्ठा, मैला
दूर्वा —स्त्री॰—-—दुर्व् + अ + टाप्, दीर्घः—भूमि पर फैलने वाली एक घास, दूब
दूर्वाङ्कुर —पुं॰—दूर्वा- अङ्कुर—-—दूब के कोमल पत्ते
दूलिका —स्त्री॰—-—दूली + कन् + टाप, ह्रस्वः—नील का पौधा
दूली —स्त्री॰—-—दूर + अच् + ङीष्, रस्य लः—नील का पौधा
दूष —वि॰—-—दूष् +णिच् + अच्—दूषित करने वाला, अपवित्र करने वाला
दूषक —वि॰—-—दूष् + णिच् + ण्वुल्—भ्रष्टाचार करने वाला, अपवित्र करने वाला, विषाक्त करने वाला, दूषित करने वाला, बिगाड़ने वाला
दूषक —वि॰—-—दूष् + णिच् + ण्वुल्—उल्लंघन करने वाला, अवज्ञा करने वाला, गुमराह करने वाला
दूषक —वि॰—-—दूष् + णिच् + ण्वुल्—अपराध करने वाला, अतिक्रमण करने वाला, अपराधी
दूषक —वि॰—-—दूष् + णिच् + ण्वुल्—आकृति बिगाड़ने वाला
दूषक —वि॰—-—दूष् + णिच् + ण्वुल्—पापी, दुष्कृत
दूषकः —पुं॰—-—-—कुपथ पर चलाने वाला, भ्रष्ट करने वाला, बदनाम या दुष्ट पुरुष
दूषणम् —नपुं॰—-—दूष् + ल्युट्—बिगाड़ना, भ्रष्ट करना, विषाक्त करना, बर्बाद करना, अपवित्र करना
दूषणम् —नपुं॰—-—दूष् + ल्युट्—उल्लंघन करना, तोड़ना
दूषणम् —नपुं॰—-—दूष् + ल्युट्—पथभ्रष्ट करना, बलात्कार करना, सतीत्व नष्ट करना
दूषणम् —नपुं॰—-—दूष् + ल्युट्—गाली देना, निन्दा करना, कलंकित करना
दूषणम् —नपुं॰—-—दूष् + ल्युट्—बदनामी, अप्रतिष्ठा
दूषणम् —नपुं॰—-—दूष् + ल्युट्—विपरीत आलोचना, आक्षेप
दूषणम् —नपुं॰—-—दूष् + ल्युट्—निराकरण
दूषणम् —नपुं॰—-—दूष् + ल्युट्—दोष, अपराध, त्रुटि, पाप, जुर्म
दूषणः —पुं॰—-—-—एक राक्षस, रावण की सेना का एक नायक जिसे भगवान् राम ने मार गिराया था
दूषणारिः —पुं॰—दूषणः- अरिः—-—राम का विशेषण
दूषणावह —वि॰—दूषणः- आवह—-—कलंक में किसी को फँसाने वाला
दूषिः —स्त्री॰—-—दूष् + णिच् + इन्—ढीढ, आँख का कीचड़
दूषी —स्त्री॰—-—दूषि + ङीष्—ढीढ, आँख का कीचड़
दूषिका —स्त्री॰—-—दूषि + कन् + टाप्—लेखनी, चित्रकार की कूँची
दूषिका —स्त्री॰—-—दूषि + कन् + टाप्—एक प्रकार का चावल
दूषिका —स्त्री॰—-—दूषि + कन् + टाप्—ढीढ, आँखों का कीचड़
दूषित —वि॰—-—दूष् + णिच्- क्त—भ्रष्ट, दूषित, विकृत
दूषित —वि॰—-—दूष् + णिच्- क्त—चोटिल, क्षतिग्रस्त
दूषित —वि॰—-—दूष् + णिच्- क्त—अपहत, हतोत्साहित
दूषित —वि॰—-—दूष् + णिच्- क्त—कलंकित, बदनाम
दूषित —वि॰—-—दूष् + णिच्- क्त—मिथ्यादोषारोपित, बदनाम, निन्दित
दूष्य —वि॰—-—दूष् + णिच् + यत्—भ्रष्ट होने के योग्य
दूष्य —वि॰—-—दूष् + णिच् + यत्—गर्हणीय, दण्डनीय, दूषनीय
दूष्यम् —नपुं॰—-—-—मवाद, राद
दूष्यम् —नपुं॰—-—-—पोशाक, वस्त्र
दूष्या —स्त्री॰—-—-—हाथी का चमड़े का तंग
दृ —तुदा॰ आ॰- < द्वियते>, < द्वित>, - इच्छा॰ < दिदरिषते>—-—-—आदर करना, सम्मान करना, पूजा करना, प्रतिष्ठा करना
दृ —तुदा॰ आ॰- < द्वियते>, < द्वित>, - इच्छा॰ < दिदरिषते>—-—-—रखवाली करना, मन लगाना
दृ —तुदा॰ आ॰- < द्वियते>, < द्वित>, - इच्छा॰ < दिदरिषते>—-—-—अपने आप को अच्छी तरह लगाना, संलग्न करना, ध्यान रखना
दृ —तुदा॰ आ॰- < द्वियते>, < द्वित>, - इच्छा॰ < दिदरिषते>—-—-—इच्छा करना
दृंह् —भ्वा॰ पर॰- < दृंहति>, < दृंहित>—-—-—पुष्ट करना
दृंह् —भ्वा॰ पर॰- < दृंहति>, < दृंहित>—-—-—समर्थन करना
दृंह् —भ्वा॰ आ॰—-—-—दृढ़ होना
दृंह् —भ्वा॰ आ॰—-—-—विकसित होना या बढ़ना
दृंहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—दृंह् + क्त—पुष्ट किया गया, समर्थित
दृंहित —भू॰ क॰ कृ॰—-—दृंह् + क्त—विकसित, वंचित
दृकम् —नपुं॰—-—दृ + कक्—छिद्र, सूराख
दृढ —वि॰—-—दृह् + क्त—स्थिर, दृढ़, मज़बूत, अचल, अथक
दृढ —वि॰—-—दृह् + क्त—ठोस, पिण्डाकार
दृढ —वि॰—-—दृह् + क्त—सम्पुष्ट, स्थापित
दृढ —वि॰—-—दृह् + क्त—स्थिर, धैर्यशाली
दृढ —वि॰—-—दृह् + क्त—दृढ़ता पूर्वक बाँधा हुआ, कस कर बन्द किया हुआ
दृढ —वि॰—-—दृह् + क्त—सुसंहत
दृढ —वि॰—-—दृह् + क्त—कसा हुआ, घनिष्ठ, सघन
दृढ —वि॰—-—दृह् + क्त—मजबूत, गहन, बड़ा, अत्यधिक, ताक़तवर, कठोर, शक्तिशाली
दृढ —वि॰—-—दृह् + क्त—कड़ा
दृढ —वि॰—-—दृह् + क्त—झुकाने या तानने में कठिन
दृढ —वि॰—-—दृह् + क्त—टिकाऊ
दृढ —वि॰—-—दृह् + क्त—विश्वासपात्र
दृढ —वि॰—-—दृह् + क्त—निश्चित, अचूक
दृढम् —नपुं॰—-—-—गढ़, क़िला
दृढम् —नपुं॰—-—-—अधिकता, बहुतायत, ऊँचा दर्जा
दृढम् —अव्य॰—-—-—दृढ़तापूर्वक, कस कर
दृढम् —अव्य॰—-—-—अत्यधिक, अत्यन्त, तेज़ी से
दृढम् —अव्य॰—-—-—पूरी तरह से
दृढाङ्ग —वि॰—दृढ-अङ्ग—-—मज़बूत अंगों वाला, हृष्टपुष्ट
दृढाङ्ग —नपुं॰—दृढ- अङ्गम्—-—हीरा
दृढेषुधि —वि॰—दृढ- इषुधि—-—मज़बूत तरकस रखने वाला
दृढकाण्डः —पुं॰—दृढ- काण्डः—-—बाँस
दृढग्रन्थिः —पुं॰—दृढ- ग्रन्थिः—-—बाँस
दृढग्राहिन् —वि॰—दृढ- ग्राहिन्—-—मज़बूती से पकड़ने वाला अर्थात् हाथ धोकर काम के पीछे पड़ने वाला
दृढदंशकः —पुं॰—दृढ- दंशकः—-—मगरमच्छ
दृढद्वार —वि॰—दृढ- द्वार—-—बिल्कुल सुरक्षित दरवाजों वाला
दृढधनः —पुं॰—दृढ-धनः—-—बुद्ध का विशेषण
दृढधन्वन् —पुं॰—दृढ- धन्वन्—-—अच्छा धनुर्धारी
दृढधन्विन् —पुं॰—दृढ-धन्विन्—-—अच्छा धनुर्धारी
दृढनिश्चय —वि॰—दृढ- निश्चय—-—दृढ़ संकल्प वाला, अडिग, अटल
दृढनिश्चय —वि॰—दृढ- निश्चय—-—पुष्ट
दृढनीरः —पुं॰—दृढ- नीरः—-—नारियल का पेड़
दृढफलः —पुं॰—दृढ- फलः—-—नारियल का पेड़
दृढप्रतिज्ञ —वि॰—दृढ- प्रतिज्ञ—-—प्रण का पक्का, बात का धनी, सहमति पर निश्चल
दृढप्ररोहः —पुं॰—दृढ- प्ररोहः—-—गूलर का पेड़
दृढप्रहारिन् —वि॰—दृढ- प्रहारिन्—-—कड़ा प्रहार करने वाला
दृढप्रहारिन् —वि॰—दृढ- प्रहारिन्—-—कस कर मारने वाला, अचूक लक्ष्यवेध करने वाला
दृढभक्ति —वि॰—दृढ- भक्ति—-—निष्ठावान्, श्रद्धालु
दृढमति —वि॰—दृढ- मति—-—कृतसंकल्प, स्थिरबुद्धि, अडिग
दृढमुष्टि —वि॰—दृढ- मुष्टि—-—बन्दमुट्ठी वाला, कृपण, कंजूस
दृढमुष्टिः —पुं॰—दृढ- मुष्टिः—-—तलवार
दृढमूलः —पुं॰—दृढ- मूलः—-—नारियल का पेड़
दृढलोमन् —पुं॰—दृढ- लोमन्—-—जंगली सूअर
दृढवैरिन् —पुं॰—दृढ- वैरिन्—-—निर्दय शत्रु, निष्करुण दुश्मन
दृढव्रत —वि॰—दृढ- व्रत—-—धर्म साधना में अटल
दृढव्रत —वि॰—दृढ- व्रत—-—अडिग भक्त
दृढव्रत —वि॰—दृढ- व्रत—-—धैर्यवान्, आग्रही
दृढसन्धि —वि॰—दृढ- सन्धि—-—कस कर जुड़ा हुआ, सघनता पूर्वक मिला हुआ
दृढसन्धि —वि॰—दृढ- सन्धि—-—सघन, संहत
दृढसन्धि —वि॰—दृढ- सन्धि—-—सटा हुआ
दृढसौहृद —वि॰—दृढ- सौहृद—-—अटल मित्रता वाला
दृतिः —पुं॰—-—दृ + ति, ह्रस्वः—मशक
दृतिः —पुं॰— —दृ + ति, ह्रस्वः—मछली
दृतिः —पुं॰—-—दृ + ति, ह्रस्वः—खाल, चमड़ा
दृतिः —पुं॰—-—दृ + ति, ह्रस्वः—धौंकनी
दृतिहरिः —पुं॰—दृतिः- हरिः—-—कुत्ता
दृन्फूः —स्त्री॰—-—दृम्फ् + कू नि॰—साँप, वज्र
दृन्भूः —पुं॰—-—दृम्फ् + कू नि॰—इन्द्र का वज्र
दृन्भूः —पुं॰—-—दृम्फ् + कू नि॰—सूर्य
दृन्भूः —पुं॰—-—दृम्फ् + कू नि॰—राजा यम, मृत्यु का देवता, अन्तक
दृप् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰< दर्पति>, < दर्पयति>, < दर्पयते>—-—-—प्रकाशित करना, प्रज्वलित करना, सुलगाना
दृप् —दिवा॰ पर॰- < दृपुं॰—-—-—घमण्ड करना, अहंकार करना, ढीठ होना
दृप् —दिवा॰ पर॰- < दृपुं॰—-—-—अत्यन्त प्रसन्न होना
दृप् —दिवा॰ पर॰- < दृपुं॰—-—-—असभ्य या दुर्दान्त होना
दृप्त —वि॰—-—दृप् + क्त—घमण्डी, अहंकारी
दृप्त —वि॰—-—दृप् + क्त—मदोन्मत्त, असभ्य, पागल
दृप्र —वि॰—-—दृप् + रक्—घमण्डी, अहंकारी, बलवान्, शक्तिशाली
दृश् —भ्वा॰ पर॰ < पश्यति>, < दृष्ट>—-—-—देखना, नजर डालना, अवलोकन करना, समीक्षा करना, निहारना, दृष्टिगोचर करना
दृश् —भ्वा॰ पर॰ < पश्यति>, < दृष्ट>—-—-—निरीक्षण करना, सम्मान करना, विचार करना
दृश् —भ्वा॰ पर॰ < पश्यति>, < दृष्ट>—-—-—दर्शन करना, प्रतीक्षा करना, दर्शनार्थ जाना
दृश् —भ्वा॰ पर॰ < पश्यति>, < दृष्ट>—-—-—मन से दृष्टिगोचर करना, सीखना, जानना, समझना
दृश् —भ्वा॰ पर॰ < पश्यति>, < दृष्ट>—-—-—निरीक्षण करना, खोज करना
दृश् —भ्वा॰ पर॰ < पश्यति>, < दृष्ट>—-—-—ढूँढना, अनुसन्धान करना, परीक्षा करना, निश्चय करना
दृश् —भ्वा॰ पर॰ < पश्यति>, < दृष्ट>—-—-—अन्तर्ज्ञान की दिव्य दृष्टि से देखना
दृश् —भ्वा॰ पर॰ < पश्यति>, < दृष्ट>—-—-—विवश होकर देखते रहना
दृश् —भ्वा॰ पर॰ , कर्मवा॰ <दृश्यते>—-—-—दिखलाई देना, दृष्टिगोचर होना, दर्शनीय होना, प्रकट होना
दृश् —भ्वा॰ पर॰ , कर्मवा॰ <दृश्यते>—-—-—प्रतीत होना, दृश्यमान होना, दिखाई देना, मालूम होना
दृश् —भ्वा॰ पर॰ , कर्मवा॰ <दृश्यते>—-—-—मिलना, दिखाई देना, घटित होना
दृश् —भ्वा॰ पर॰ , कर्मवा॰ <दृश्यते>—-—-—खयाल किया जाना, माना जाना
दृश् —भ्वा॰ पर॰—-—-—किसी को कोई चीज़ देखने के लिए प्रेरित करना, दिखलाना, संकेत करना
दृश् —भ्वा॰ पर॰—-—-—सिद्ध करना, करके दिखलाना
दृश् —भ्वा॰ पर॰—-—-—दिखलाना, प्रदर्शन करना, दर्शनीय बनना
दृश् —भ्वा॰ पर॰—-—-—प्रस्तुत करना
दृश् —भ्वा॰ पर॰—-—-—उपस्थित करना
दृश् —भ्वा॰ पर॰—-—-—अपने आप को दिखलाना, प्रकट होना, अपनी कोई वस्तु दिखलाना
दृश् —भ्वा॰ पर॰, इच्छा॰ < दिदृक्षते>—-—-—देखने की इच्छा करना
अनुदृश् —भ्वा॰ पर॰—अनु- दृश्—-—भावदृश्य के रूप में देखना
अनुदृश् —भ्वा॰ पर॰—अनु- दृश्—-—दिखलाना, प्रदर्शन करना
अनुदृश् —भ्वा॰ पर॰—अनु- दृश्—-—स्पष्ट करना, व्याख्या करना
आदृश् —भ्वा॰ पर॰—आ- दृश्—-—दिखलाना, संकेत करना
उद्दृश् —भ्वा॰ पर॰—उद्- दृश्—-—प्रत्याशा करना, मुँह ताकना, आगे का देखना, मनोगत भाव देखना
उपदृश् —भ्वा॰ पर॰—उप- दृश्—-—देखना, अवलोकन करना
उपदृश् —भ्वा॰ पर॰—उप- दृश्—-—सामने रखना, समाचार देना, परिचित करना
निदृश् —भ्वा॰ पर॰—नि- दृश्—-—दिखलाना, संकेत करना
निदृश् —भ्वा॰ पर॰—नि- दृश्—-—सिद्ध करना, करके दिखलाना
निदृश् —भ्वा॰ पर॰—नि- दृश्—-—विचार करना, बातचीत करना, चर्चा करना
निदृश् —भ्वा॰ पर॰—नि- दृश्—-—अध्यापन करना
निदृश् —भ्वा॰ पर॰—नि- दृश्—-—उदाहरण देकर समझाना
प्रदृश् —भ्वा॰ पर॰—प्र- दृश्—-—दिखलाना, संकेत करना, खोज लेना, प्रदर्शित करना
प्रदृश् —भ्वा॰ पर॰—प्र- दृश्—-—सिद्ध करना, करके दिखलाना
सन्दृश् —भ्वा॰ पर॰—सम्- दृश्—-—देखना, अवलोकन करना
सन्दृश् —भ्वा॰ पर॰—सम्- दृश्—-—भलीभाँति देखना, समीक्षा करना
सन्दृश् —भ्वा॰ पर॰—सम्- दृश्—-—दिखलाना, प्रदर्शित करना, खोज निकालना
दृश् —वि॰—-—दृश् + क्विप्—देखने वाला, अधीक्षण करने वाला, सर्वेक्षण करने वाला, समीक्षा करने वाला
दृश् —वि॰—-—दृश् + क्विप्—विवेचन करने वाला, जानने वाला
दृश् —वि॰—-—दृश् + क्विप्—दिखलाई देने वाला, प्रतीत होने वाला
दृश् —स्त्री॰—-—-—देखना, समीक्षा, दृष्टिगोचर करना
दृश् —स्त्री॰—-—-—आँख, दृष्टि
दृश् —स्त्री॰—-—-—’दो’ की संख्या
दृगध्यक्षः —पुं॰—दृश्- अध्यक्षः—-—सूर्य
दृक्कर्णः —पुं॰—दृश्- कर्णः—-—साँप
दृक्क्षयः —पुं॰—दृश्- क्षयः—-—दृष्टि की क्षीणता या हानि, धुँधला दिखाई देना
दृग्गोचरः —पुं॰—दृश- गोचरः—-—दृष्टि- परास
दृग्जलम् —नपुं॰—दृश्- जलम्—-—आँसू
दृक्क्षेपः —पुं॰—दृश्- क्षेपः—-—पराकोटि की दूरी की लम्बरेखा
दृग्ज्या —स्त्री॰—दृश्-ज्या—-—पराकोटि की दूरी की लम्बरेखा
दृक्पथः —पुं॰—दृश्- पथः—-—दृष्टिपरास
दृक्पातः —पुं॰—दृश्- पातः—-—दृष्टि, झलक
दृक्प्रिया —स्त्री॰—दृश्- प्रिया—-—सौन्दर्य, प्रभा
दृग्भक्तिः —स्त्री॰—दृश्- भक्तिः—-—प्रेमदृष्टि, अनुरागभरी चितवन
दृग्लम्बनम् —नपुं॰—दृश्- लम्बनम्—-—ऊर्ध्वाधर दिग्भेद
दृग्विषः —पुं॰—दृश्- विषः—-—साँप
दृक्श्रुतिः —पुं॰—दृश्- श्रुतिः—-—सर्प, साँप
दृशद् —स्त्री॰—-—दृषद्, पृषो॰—पत्थर
दृशा —स्त्री॰—-—दृश + टाप्—आँख
दृशाकाङ्क्ष्यम् —नपुं॰—दृशा- आकाङ्क्ष्यम्—-—कमल
दृशोपमम् —नपुं॰—दृशा- उपमम्—-—श्वेत कमल
दृशानः —पुं॰—-—दृश् + आनच्—आध्यात्मिक गुरू
दृशानः —पुं॰—-—दृश् + आनच्—ब्राह्मण
दृशानः —पुं॰—-—दृश् + आनच्—लोकपाल
दृशानम् —नपुं॰—-—-—प्रकाश, उजाला
दृशिः —स्त्री॰—-—दृश् + इन्—आँख
दृशिः —स्त्री॰—-—दृश् + इन्—शास्त्र
दृशी —स्त्री॰—-—दृशि + ङीष्—आँख
दृशी —स्त्री॰—-—दृशि + ङीष्—शास्त्र
दृश्य —सं॰ कृ॰—-—-—देखे जाने योग्य, दर्शनीय
दृश्य —सं॰ कृ॰—-—-—देखने के
दृश्य —सं॰ कृ॰—-—-—सुन्दर, दृष्टिसुखद, प्रिय
दृश्यम् —नपुं॰—-—-—दिखाई देने वाला पदार्थ
दृश्वन् —वि॰—-—दृश् + क्वनिप्—देखने वाला, दृष्टिगोचर करने वाला
दृश्वन् —वि॰—-—दृश् + क्वनिप्—परिचित, जानकार
दृषद् —स्त्री॰—-—दृ + अदि, षुक्, ह्रस्वश्च—चट्टान, बड़ा पत्थर
दृषद् —स्त्री॰—-—दृ + अदि, षुक्, ह्रस्वश्च—चक्की का पत्थर, शिला
दृषदुपलः —पुं॰—दृषद्- उपलः—-—मसाला आदि पीसने के लिए सिल
दृषदिमाषकः —पुं॰—-—-—चक्कियों से लिया जाने वाला कर
दॄषद्वत् —वि॰—-—दृषद् + व्रत्—पथरीला, चट्टान से बना हुआ
दृषद्वती —स्त्री॰—-—-—एक नदी का नाम जो आर्यावर्त की पूर्वी सीमा बनाती है तथा सरस्वती नदी में मिलती है
दृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—दृश् + क्त—देखा हुआ, अवलोकन किया हुआ, दृष्टिगोचर किया हुआ, पर्यवेक्षित, निहारा हुआ
दृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—दृश् + क्त—दर्शनीय, पर्यवेक्षणीय
दृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—दृश् + क्त—माना गया, खयाल किया गया
दृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—दृश् + क्त—घटित होने वाला, मिला हुआ
दृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—दृश् + क्त—प्रकट होने वाला, व्यक्त
दृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—दृश् + क्त—जाना हुआ, मालूम किया हुआ
दृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—दृश् + क्त—निर्धारित, निर्णीत, निश्चित
दृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—दृश् + क्त—वैध
दृष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—दृश् + क्त—नियत किया गया
दृष्टम् —नपुं॰—-—-—डाकुओं से डर
दृष्टान्तः —पुं॰—दृष्ट- अन्तः—-—उदाहरण, निदर्शन, दृष्टान्त- कथा
दृष्टान्तः —पुं॰—दृष्ट- अन्तः—-—एक अलंकार जिसमें कोई उचित उदाहरण समझाई जाय
दृष्टान्तः —पुं॰—दृष्ट- अन्तः—-—शास्त्र या विज्ञान
दृष्टान्तः —पुं॰—दृष्ट- अन्तः—-—मृत्यु
दृष्टतम् —नपुं॰—दृष्ट- तम्—-—उदाहरण, निदर्शन, दृष्टान्त- कथा
दृष्टतम् —नपुं॰—दृष्ट- तम्—-—एक अलंकार जिसमें कोई उचित उदाहरण समझाई जाय
दृष्टतम् —नपुं॰—दृष्ट- तम्—-—शास्त्र या विज्ञान
दृष्टतम् —नपुं॰—दृष्ट- तम्—-—मृत्यु
दृष्टार्थ —वि॰—दृष्ट- अर्थ—-—जिसका अर्थ बिल्कुल स्पष्ट तथा व्यक्त हो
दृष्टार्थ —वि॰—दृष्ट- अर्थ—-—व्यावहारिक
दृष्टकष्ट —वि॰—दृष्ट- कष्ट—-—जिसने मुसीबत झेली हों, कष्ट सहन करने का अभ्यस्त हो गया हो
दृष्टदुःख —वि॰—दृष्ट- दुःख—-—जिसने मुसीबत झेली हों, कष्ट सहन करने का अभ्यस्त हो गया हो
दृष्टकूटम् —नपुं॰—दृष्ट- कूटम्—-—पहेली, गूढ़ प्रश्न
दृष्टदोष —वि॰—दृष्ट- दोष—-—जिसमें दोष देखा गया हो, जिसे अपराधी समझा गया हो
दृष्टदोष —वि॰—दृष्ट- दोष—-—दुर्व्यसनी
दृष्टदोष —वि॰—दृष्ट- दोष—-—जिसका भंडाफोड़ हो गया हो, जिसका पता लगा लिया गया हो
दृष्टप्रत्यय —वि॰—दृष्ट- प्रत्यय—-—विश्वास रखने वाला
दृष्टप्रत्यय —वि॰—दृष्ट- प्रत्यय—-—विश्वस्त
दृष्टरजस् —स्त्री॰—दृष्ट- रजस्—-—वह कन्या जो रजस्वला हो गई हो
दृष्टव्यतिकर —वि॰—दृष्ट- व्यतिकर—-—जिसने कष्ट और मुसीबतें झेली हों
दृष्टव्यतिकर —वि॰—दृष्ट- व्यतिकर—-—जो आने वाले अनिष्ट को पहले ही से भाँप लेता है
दृष्टिः —स्त्री॰—-—दृश् + क्तिन्—देखना, समीक्षण
दृष्टिः —स्त्री॰—-—दृश् + क्तिन्—मन की आँख से देखना
दृष्टिः —स्त्री॰—-—दृश् + क्तिन्—जानना, ज्ञान
दृष्टिः —स्त्री॰—-—दृश् + क्तिन्—आँख, देखने की शक्ति, नजर
दृष्टिः —स्त्री॰—-—दृश् + क्तिन्—नजर, चितवन
दृष्टिः —स्त्री॰—-—दृश् + क्तिन्—विचार, भाव
दृष्टिः —स्त्री॰—-—दृश् + क्तिन्—विचार, आदर
दृष्टिः —स्त्री॰—-—दृश् + क्तिन्—बुद्धि, बुद्धिमत्ता, ज्ञान
दृष्टिकृत् —वि॰—दृष्टिः- कृत्—-—स्थलपद्म, कुमुद
दृष्टिकृतम् —नपुं॰—दृष्टिः- कृतम्—-—स्थलपद्म, कुमुद
दृष्टिक्षेपः —पुं॰—दृष्टिः- क्षेपः—-—निगाह डालना, अवलोकन करना
दृष्टिगुणः —पुं॰—दृष्टिः- गुणः—-—तीर का निशाना, चाँदमारी, लक्ष्य
दृष्टिगोचर —वि॰—दृष्टिः- गोचर—-—दृष्टि- परास के अन्तर्गत जो दिखाई दे, दृश्य
दृष्टिपथः —पुं॰—दृष्टिः- पथः—-—दृष्टि- पास
दृष्टिपातः —पुं॰—दृष्टिः- पातः—-—निहारना, निगाह डालना
दृष्टिपातः —पुं॰—दृष्टिः- पातः—-—देखने की क्रिया, आँख का कार्य
दृष्टिपूत —वि॰—दृष्टिः- पूत—-—दृष्टिमात्र से पवित्र किया हुआ अर्थात् देख लिया कि किसी प्रकार की अशुद्धि नहीं है
दृष्टिबन्धुः —पुं॰—दृष्टिः- बन्धुः —-—जुगनू
दृष्टिविक्षेपः —पुं॰—दृष्टिः- विक्षेपः—-—कनखियों से देखना, कटाक्ष, तिरछी नजर
दृष्टिविद्या —स्त्री॰—दृष्टिः- विद्या—-—नेत्र- विज्ञान
दृष्टिविभ्रमः —पुं॰—दृष्टिः- विभ्रमः—-—अनुराग भरी दृष्टि, हाव- भाव से युक्त नजर
दृष्टिविषः —पुं॰—दृष्टिः- विषः—-—साँप
दृह् —भ्या॰ पर॰- < दर्हति>—-—-—स्थिर या दृढ़ होना
दृह् —भ्या॰ पर॰- < दर्हति>—-—-—विकसित होना, बढ़ाना
दृह् —भ्या॰ पर॰- < दर्हति>—-—-—समृद्ध होना
दृह् —भ्या॰ पर॰- < दर्हति>—-—-—कसना
दृंह् —भ्या॰ पर॰- < दृंहति>—-—-—स्थिर या दृढ़ होना
दृंह् —भ्या॰ पर॰- < दृंहति>—-—-—विकसित होना, बढ़ाना
दृंह् —भ्या॰ पर॰- < दृंहति>—-—-—समृद्ध होना
दृंह् —भ्या॰ पर॰- < दृंहति>—-—-—कसना
दृ —दिवा॰ क्रया॰ पर॰- < दीर्यति>, < दृणाति>, < दीर्ण>—-—-—फट जाना, टूट जाना, टुकड़े- टुकड़े होना
दृ —दिवा॰ क्रया॰ पर॰- < दीर्यति>, < दृणाति>, < दीर्ण>—-—-—फाड़ना, चीरना, विभक्त करना, विदीर्ण करना, खण्ड-खण्ड करना, टुकड़े- टुकड़े करना
दृ —दिवा॰ कर्मवा॰ < दीर्यते>—-—-—फटना, टूटना, खण्ड-खण्ड होना
दृ —दिवा॰ कर्मवा॰ < दीर्यते>—-—-—अलग करना
दृ —दिवा॰प्रेर॰<दरयति>,<दारयति>,<दरयते>,<दारयते>—-—-—टुकड़े-टुकड़े करना, चीर डालना, खोदकर विभक्त करना
दृ —दिवा॰प्रेर॰<दरयति>,<दारयति>,<दरयते>,<दारयते>—-—-—तितर- बितर करना, बिखेरना
विदृ —दिवा॰ क्रया॰ —वि-दृ—-—टुकड़े- टुकड़े करना, फाड़ डालना, विभक्त करना, काट कर टुकड़े टुकड़े करना
विदृ —दिवा॰ क्रया॰ —वि-दृ—-—फाड़ना
दृ —दिवा॰प्रेर॰<दरयति>,<दारयति>,<दरयते>,<दारयते>—-—-—फाड़ना
दे —भ्वा॰ आ॰ < दयते>, < दात> - इच्छा॰< दित्सते>—-—-—रक्षा करना, पालना, पोसना
देदीप्यमान —वि॰—-—दीप् + यङ् + शानच्—अत्यन्त चमकने वाला, ज्योतिष्मान्, जगमगाता हुआ
देय —वि॰—-—दा + यत्—दिये जाने के लिए, उपहृत किये जाने के लिए
देय —वि॰—-—दा + यत्—दिये जाने के योग्य, भेंट के लिए उपयुक्त
देय —वि॰—-—दा + यत्—वस्तु जो वापिस करने के लिए है,
देव् —भ्वा॰ आ॰- <देवते>—-—-—क्रीड़ा करना, खेलना, जूआ खेलना
देव् —भ्वा॰ आ॰- <देवते>—-—-—विलाप करना
देव् —भ्वा॰ आ॰- <देवते>—-—-—चमकना
परिदेव् —भ्वा॰ आ॰—परि- देव्—-—विलाप करना, शोक मनाना
देव —वि॰—-—दिव् + अच्—दिव्य, स्वर्गीय
देवः —पुं॰—-—दिव् + अच्—देव, देवता
देवः —पुं॰—-—दिव् + अच्—वर्षा का देवता, इन्द्र का विशेषण
देवः —पुं॰—-—दिव् + अच्—दिव्य पुरुष, ब्राह्मण
देवः —पुं॰—-—दिव् + अच्—राजा, शासक, जैसा कि ‘मनुष्यदेव’ में
देवः —पुं॰—-—दिव् + अच्—ब्राह्मणों के नामों के साथ लगने वाली उपाधि
देवः —पुं॰—-—दिव् + अच्—राजा को सम्बोधित करने के लिए सम्मानसूचक उपाधि
देवः —पुं॰—-—दिव् + अच्—अपने देवता के रूप में
देवांशः —पुं॰—देव- अंशः—-—भगवान् का अंशावतार
देवागारः —पुं॰—देव- अगारः—-—मन्दिर
देवागारम् —नपुं॰—देव- अगारम्—-—मन्दिर
देवांगना —स्त्री॰—देव- अंगना—-—स्वर्गीय देवी, अप्सरा
देवातिदेवः —पुं॰—देव- अतिदेवः—-—उच्चतम देवता
देवातिदेवः —पुं॰—देव- अतिदेवः—-—शिव का विशेषण
देवाधिदेवः —पुं॰—देव- अधिदेवः—-—उच्चतम देवता
देवाधिदेवः —पुं॰—देव- अधिदेवः—-—शिव का विशेषण
देवाधिपः —पुं॰—देव- अधिपः—-—इन्द्र का विशेषण
देवांधस् —नपुं॰—देव- अंधस्—-—देवताओं का आहार, दिव्य भोजन, अमृत
देवांधस् —नपुं॰—देव- अंधस्—-—वह भोजन जो पहले भगवान् की मूर्त्ति के आगे प्रस्तुत किया गया है
देवान्नम् —नपुं॰—देव- अन्नम्—-—देवताओं का आहार, दिव्य भोजन, अमृत
देवान्नम् —नपुं॰—देव- अन्नम्—-—वह भोजन जो पहले भगवान् की मूर्त्ति के आगे प्रस्तुत किया गया है
देवाभीष्ट —वि॰—देव- अभीष्ट—-—देवताओं को प्रिय
देवाभीष्ट —वि॰—देव- अभीष्ट—-—देवता पर चढ़ाया हुआ
देवाभीष्टा —स्त्री॰—देव- अभीष्टा—-—ताम्बूली, पान- सुपारी
देवारण्यम् —नपुं॰—देव- अरण्यम्—-—बाग
देवारिः —पुं॰—देव- अरिः—-—राक्षस
देवार्चनम् —नपुं॰—देव- अर्चनम्—-—देवपूजा
देवार्चना —स्त्री॰—देव- अर्चना—-—देवपूजा
देवावसथः —पुं॰—देव- अवसथः—-—मन्दिर
देवाश्वः —पुं॰—देव- अश्वः—-—उच्चैःश्रवा का विशेषण, इन्द्र का घोड़ा
देवाक्रीडः —पुं॰—देव- आक्रीडः—-—देवोद्यान, नन्दन वन
देवाजीवः —पुं॰—देव- आजीवः—-—भगवान् की मूर्ति का सेवक
देवाजीवः —पुं॰—देव- आजीवः—-—एक नीच कोटि का ब्राह्मण जो मूर्ति की सेवा द्वारा, तथा मूर्ति पर आये हुए चढ़ावे से अपना जीवन- निर्वाह करता है
देवाजीविन् —पुं॰—देव- आजीविन्—-—भगवान् की मूर्ति का सेवक
देवाजीविन् —पुं॰—देव- आजीविन्—-—एक नीच कोटि का ब्राह्मण जो मूर्ति की सेवा द्वारा, तथा मूर्ति पर आये हुए चढ़ावे से अपना जीवन- निर्वाह करता है
देवात्मन् —पुं॰—देव- आत्मन्—-—गूलर का वृक्ष
देवायतनम् —नपुं॰—देव- आयतनम्—-—मन्दिर
देवायुधम् —नपुं॰—देव- आयुधम्—-—दिव्य हथियार
देवायुधम् —नपुं॰—देव- आयुधम्—-—इन्द्रधनुष
देवालयः —पुं॰—देव- आलयः—-—स्वर्ग
देवालयः —पुं॰—देव- आलयः—-—मन्दिर
देवावासः —पुं॰—देव- आवासः—-—स्वर्ग
देवावासः —पुं॰—देव- आवासः—-—अश्वत्थवृक्ष
देवावासः —पुं॰—देव- आवासः—-—मन्दिर
देवावासः —पुं॰—देव- आवासः—-—सुमेरु पहाड़
देवाहारः —पुं॰—देव- आहारः—-—अमृत, पीयूष
देवेज् —वि॰—देव- इज्—-—देवताओं की पूजा करने वाला
देवेज्यः —पुं॰—देव- इज्यः—-—देवगुरु बृहस्पति का विशेषण
देवेन्द्रः —पुं॰—देव- इन्द्रः—-—इन्द्र का विशेषण
देवेन्द्रः —पुं॰—देव- इन्द्रः—-—शिव का विशेषण
देवेशः —पुं॰—देव- ईशः—-—इन्द्र का विशेषण
देवेशः —पुं॰—देव- ईशः—-—शिव का विशेषण
देवोद्यानम् —नपुं॰—देव- उद्यानम्—-—दिव्य बाग
देवोद्यानम् —नपुं॰—देव- उद्यानम्—-—नन्दन वन
देवोद्यानम् —नपुं॰—देव- उद्यानम्—-—मन्दिर का निकटवर्ती बाग
देवर्षिः —पुं॰—देव- ऋषिः—-—सन्त जिसने देवत्व प्राप्त कर लिया है, दिव्य ऋषि, यथा, अत्रि, भृगु, पुलस्त्य, अंगिरस आदि
देवर्षिः —पुं॰—देव- ऋषिः—-—नारद का विशेषण
देवौकस् —नपुं॰—देव- ओकस्—-—सुमेरु पर्वत
देवकन्या —स्त्री॰—देव- कन्या—-—स्वर्गीय देवी, अप्सरा
देवकर्मन् —नपुं॰—देव- कर्मन्—-—धार्मिक कृत्य या संस्कार
देवकर्मन् —नपुं॰—देव- कर्मन्—-—देवों की पूजा
देवकार्यम् —नपुं॰—देव- कार्यम्—-—धार्मिक कृत्य या संस्कार
देवकार्यम् —नपुं॰—देव- कार्यम्—-—देवों की पूजा
देवकाष्ठम् —नपुं॰—देव- काष्ठम्—-—देवदारु का वृक्ष
देवकुण्डम् —नपुं॰—देव- कुण्डम्—-—प्राकृतिक झरना
देवकुलम् —नपुं॰—देव- कुलम्—-—मन्दिर
देवकुलम् —नपुं॰—देव- कुलम्—-—देवों का समूह
देवकुल्या —स्त्री॰—देव- कुल्या—-—स्वर्गीय गंगा
देवकुसुमम् —नपुं॰—देव- कुसुमम्—-—लौंग
देवखातम् —नपुं॰—देव- खातम्—-—पर्वतों में बनी एक प्राकृतिक गुफा
देवखातम् —नपुं॰—देव- खातम्—-—एक प्राकृतिक तालाब या जलाशय
देवखातम् —नपुं॰—देव- खातम्—-—मन्दिर का निकटवर्ती तालाब
देवखातकम् —नपुं॰—देव- खातकम्—-—पर्वतों में बनी एक प्राकृतिक गुफा
देवखातकम् —नपुं॰—देव- खातकम्—-—एक प्राकृतिक तालाब या जलाशय
देवखातकम् —नपुं॰—देव- खातकम्—-—मन्दिर का निकटवर्ती तालाब
देवविलम् —नपुं॰—देव- विलम्—-—एक गुफ़ा, कन्दरा
देवगणः —पुं॰—देव- गणः—-—देवों की एक श्रेणी
देवगणिका —स्त्री॰—देव- गणिका—-—अप्सरा
देवगर्जनम् —नपुं॰—देव- गर्जनम्—-—बादल की गड़गड़ाहट
देवगायनः —पुं॰—देव- गायनः—-—स्वर्गीय गायक, गन्धर्व
देवगिरिः —पुं॰—देव- गिरिः—-—एक पहाड़ का नाम
देवगुरुः —पुं॰—देव- गुरुः—-—कश्यप का विशेषण
देवगुरुः —पुं॰—देव- गुरुः—-—बृहस्पति का विशेषण
देवगुही —स्त्री॰—देव- गुही—-—सरस्वती या उसके किनारे पर स्थित स्थान का विशेषण
देवगृहम् —नपुं॰—देव- गृहम्—-—मन्दिर
देवगृहम् —नपुं॰—देव- गृहम्—-—राज- प्रासाद
देवचर्या —स्त्री॰—देव- चर्या—-—देवों की पूजा या सेवा
देवचिकित्सकौ —पुं॰,द्वि॰ व॰—देव- चिकित्सकौ—-—देवों के वैद्य अश्विनीकुमार
देवच्छन्दः —पुं॰—देव- छन्दः—-—१०० लड़ी की मोतियों की माला
देवतरुः —पुं॰—देव- तरुः—-—गूलर का वृक्ष
देवतरुः —पुं॰—देव- तरुः—-—स्वर्गीय वृक्षों में से एक
देवताडः —पुं॰—देव- ताडः—-—आग
देवताडः —पुं॰—देव- ताडः—-—राहु का विशेषण
देवदत्तः —पुं॰—देव- दत्तः—-—अर्जुन के शंख का नाम
देवदत्तः —पुं॰—देव- दत्तः—-—कोई व्यक्ति
देवदारु —पुं॰—देव- दारु—-—देवदारु की जाति का पेड़
देवदारु —नपुं॰—देव- दारु—-—देवदारु की जाति का पेड़
देवदासः —पुं॰—देव- दासः—-—मन्दिर का सेवक
देवदासी —स्त्री॰—देव- दासी—-—मन्दिर या देवों की सेविका
देवदासी —स्त्री॰—देव- दासी—-—वेश्या
देवदीपः —पुं॰—देव- दीपः—-—आँख
देवदूतः —पुं॰—देव- दूतः—-—दिव्य सन्देशवाहक, देवदूत
देवदुन्दुभिः —पुं॰—देव- दुन्दुभिः—-—दिव्य ढोल
देवदुन्दुभिः —पुं॰—देव- दुन्दुभिः—-—लाल फूलों वाला तुलसी का पौधा
देवदेवः —पुं॰—देव- देवः—-—ब्रह्मा का विशेषण
देवदेवः —पुं॰—देव- देवः—-—शिव
देवदेवः —पुं॰—देव- देवः—-—विष्णु
देवद्रोणी —स्त्री॰—देव- द्रोणी—-—देवमूर्ति का जलूस
देवधर्मः —पुं॰—देव-धर्मः—-—धार्मिक कर्तव्य या पद
देवनदी —स्त्री॰—देव- नदी—-—गंगा
देवनदी —स्त्री॰—देव- नदी—-—कोई भी पावन नदी
देवनन्दिन् —पुं॰—देव- नन्दिन्—-—इन्द्र के द्वारपाल का नाम
देवनागरी —स्त्री॰—देव- नागरी—-—एक लिपि का नाम जिसमें प्रायः संस्कृत भाषा लिखी जाती है
देवनिकायः —पुं॰—देव- निकायः—-—देवावास, स्वर्ग
देवनिन्दकः —पुं॰—देव- निन्दकः—-—देवताओं की निन्दा करने वाला, नास्तिक
देवनिर्मित —वि॰—देव- निर्मित—-—देवता द्वारा रचित, प्राकृतिक
देवपतिः —पुं॰—देव- पतिः—-—इन्द्र का विशेषण
देवपथः —पुं॰—देव- पथः—-—स्वर्गीय मार्ग, आकाश, अन्तरिक्ष
देवपथः —पुं॰—देव- पथः—-—छायापथ
देवपशुः —पुं॰—देव- पशुः—-—देवता के नाम पर स्वच्छन्द छोड़ा हुआ पशु
देवपुर —वि॰—देव- पुर—-—अमरावती का विशेषण, इन्द्र की नगरी
देवपुरी —स्त्री॰—देव- पुरी—-—अमरावती का विशेषण, इन्द्र की नगरी
देवपूज्यः —पुं॰—देव- पूज्यः—-—बृहस्पति का विशेषण
देवप्रतिकृतिः —स्त्री॰—देव- प्रतिकृतिः—-—देवमूर्ति, देवता की प्रतिमा
देवप्रतिमा —स्त्री॰—देव- प्रतिमा—-—देवमूर्ति, देवता की प्रतिमा
देवप्रश्नः —पुं॰—देव- प्रश्नः—-—ग्रहादिसम्बन्धी जिज्ञासा, भविष्य सम्बन्धी प्रश्न, भविष्य की बातें बतलाना
देवप्रियः —पुं॰—देव- प्रियः—-—देवों को प्रिय, शिव का विशेषण
देवप्रियः —पुं॰—देव- प्रियः—-—बकरा
देवप्रियः —पुं॰—देव- प्रियः—-—मूढ़
देवबलिः —पुं॰—देव- बलिः—-—देवताओं को दी जाने वाली आहुति
देवब्रह्मन् —पुं॰—देव- ब्रह्मन्—-—नारद का विशेषण
देवब्राह्मणः —पुं॰—देव- ब्राह्मणः—-—वह ब्राह्मण जो अपना निर्वाह मन्दिर से प्राप्त आय से कर लेता है
देवब्राह्मणः —पुं॰—देव- ब्राह्मणः—-—आदरणीय ब्राह्मण
देवभवनम् —नपुं॰—देव- भवनम्—-—स्वर्ग
देवभवनम् —नपुं॰—देव- भवनम्—-—मन्दिर
देवभवनम् —नपुं॰—देव- भवनम्—-—गूलर का वृक्ष
देवभूमिः —स्त्री॰—देव- भूमिः—-—स्वर्ग
देवभूतिः —स्त्री॰—देव- भूतिः—-—गंगा का विशेषण
देवभूयम् —नपुं॰—देव- भूयम्—-—देवत्व, दिव्यप्रकृति
देवभृत् —पुं॰—देव- भृत्—-—विष्णु का विशेषण
देवभृत् —पुं॰—देव- भृत्—-—इन्द्र का विशेषण
देवमणिः —पुं॰—देव- मणिः—-—विष्णु की मणि, कौस्तुभ
देवमणिः —पुं॰—देव- मणिः—-—सूर्य
देवमातृक —वि॰—देव- मातृक—-—वृष्टि के देवता तथा बादल ही जिसकी प्रतिपालिका माता हो, जिसे केवल वर्षा का जल ही लभ्य हो, जो सिंचाई को छोड़कर केवल वर्षा के जल पर ही निर्भर हो, जो और प्रकार की जलव्यवस्था से वंचित हो
देवमानकः —पुं॰—देव- मानकः—-—विष्णु की मणि जिसे कौस्तुभ कहते हैं
देवमुनिः —पुं॰—देव- मुनिः—-—दिव्य ऋषि
देवयजनम् —नपुं॰—देव- यजनम्—-—यज्ञभूमि, यज्ञस्थली
देवयजिः —वि॰—देव- यजिः—-—देवताओं को आहुति देने वाला
देवयज्ञः —पुं॰—देव- यज्ञः—-—वह हवन जिसमें वरिष्ठ देवताओं के निमित्त अग्नि में आहुति दी जाती हैं
देवयात्रा —स्त्री॰—देव- यात्रा—-—किसी देवप्रतिमा का जलूस, या सवारी निकालने का उत्सव
देवयानम् —नपुं॰—देव- यानम्—-—दिव्यरथ
देवरथः —पुं॰—देव- रथः—-—दिव्यरथ
देवयुगम् —नपुं॰—देव- युगम्—-—चार युगों में से एक, कृतयुग, सत्तयुग
देवयोनिः —पुं॰—देव- योनिः—-—अतिमानव प्राणी, उपदेव
देवयोनिः —पुं॰—देव- योनिः—-—दिव्य उत्पत्ति वाला
देवयोषा —स्त्री॰—देव- योषा—-—अप्सरा
देवरहस्यम् —नपुं॰—देव- रहस्यम्—-—दैवी रज या रहस्य
देवराज् —पुं॰—देव- राज्—-—इन्द्र का विशेषण
देवराजः —पुं॰—देव- राजः—-—इन्द्र का विशेषण
देवलता —स्त्री॰—देव- लता—-—नवमल्लिका लता, नेवारी
देवलिङ्गम् —नपुं॰—देव- लिङ्गम्—-—देवता की मूर्ति या प्रतिमा
देवलोकः —पुं॰—देव- लोकः—-—स्वर्ग-लोक, दिव्य-लोक
देववक्त्रम् —नपुं॰—देव- वक्त्रम्—-—आग का विशेषण
देववर्त्मन् —नपुं॰—देव- वर्त्मन्—-—आकाश
देववर्धकिः —पुं॰—देव- वर्धकिः—-—विश्वकर्मा, देवताओं का शिल्पी
देवशिल्पिन् —पुं॰—देव- शिल्पिन्—-—विश्वकर्मा, देवताओं का शिल्पी
देववाणी —स्त्री॰—देव- वाणी—-—दिव्य वाणी, आकाशवाणी
देववाहनः —पुं॰—देव- वाहनः—-—अग्नि का विशेषण
देवव्रतम् —नपुं॰—देव- व्रतम्—-—धार्मिक अनुष्ठान, धार्मिक व्रत
देवव्रतः —पुं॰—देव- व्रतः—-—भीष्म का विशेषण
देवव्रतः —पुं॰—देव- व्रतः—-—कार्तिकेय का विशेषण
देवशत्रुः —पुं॰—देव- शत्रुः—-—राक्षस
देवशुनी —स्त्री॰—देव- शुनी—-—देवों की कुतिया सरमा का विशेषण
देवशेषम् —नपुं॰—देव- शेषम्—-—देवनिमित्त किये गये यज्ञ का बचा हुआ अंश
देवश्रुतः —पुं॰—देव- श्रुतः—-—विष्णु का विशेषण
देवश्रुतः —पुं॰—देव- श्रुतः—-—नारद का विशेषण
देवश्रुतः —पुं॰—देव- श्रुतः—-—पावन शास्त्र
देवश्रुतः —पुं॰—देव- श्रुतः—-—देव
देवसभा —स्त्री॰—देव- सभा—-—देवताओं की सभा, सुधर्मा
देवसभा —स्त्री॰—देव- सभा—-—जूए का घर
देवसभ्यः —पुं॰—देव- सभ्यः—-—जुआरी
देवसभ्यः —पुं॰—देव- सभ्यः—-—जूएघरों में प्रायः जाने वाला
देवसभ्यः —पुं॰—देव- सभ्यः—-—देवसेवक
देवसायुज्यम् —नपुं॰—देव- सायुज्यम्—-—किसी देवता से मिलकर एक हो जाना, देवसंयोजन, देवत्वप्राप्ति
देवसेना —स्त्री॰—देव- सेना—-—देवों की सेना
देवसेना —स्त्री॰—देव- सेना—-—स्कन्द की पत्नी
देवपतिः —पुं॰—देव- पतिः—-—कार्तिकेय का विशेषण
देवस्वम् —नपुं॰—देव- स्वम्—-—देवों की सम्पत्ति, देवार्पित सम्पत्ति
देवहविस् —नपुं॰—देव- हविस्—-—बलिपशु
देवकी —स्त्री॰—-—देवक + ङीष्—देवक की एक पुत्री, वसुदेव की पत्नी, कृष्ण की माता
देवकीनन्दनः —पुं॰—देवकी- नन्दनः—-—श्रीकृष्ण के विशेषण
देवकीपुत्रः —पुं॰—देवकी-पुत्रः—-—श्रीकृष्ण के विशेषण
देवकीमातृ —पुं॰—देवकी-मातृ—-—श्रीकृष्ण के विशेषण
देवकीसूनुः —पुं॰—देवकी-सूनुः—-—श्रीकृष्ण के विशेषण
देवटः —पुं॰—-—दिव् + अटन्—कारीगर, दस्तकार
देवता —स्त्री॰—-—देव + तल् + टाप्—दिव्य प्रतिष्ठा या शक्ति, देवत्व
देवता —स्त्री॰—-—देव + तल् + टाप्—देव, सुर
देवता —स्त्री॰—-—देव + तल् + टाप्—देव की प्रतिमा
देवता —स्त्री॰—-—देव + तल् + टाप्—मूर्ति
देवता —स्त्री॰—-—देव + तल् + टाप्—ज्ञान इन्द्रिय
देवतागारः —पुं॰—देवता- अगारः—-—मन्दिर
देवतागारम् —नपुं॰—देवता- अगारम्—-—मन्दिर
देवतागारः —पुं॰—देवता- आगारः—-—मन्दिर
देवतागारम् —नपुं॰—देवता- आगारम्—-—मन्दिर
देवतागृहम् —नपुं॰—देवता-गृहम्—-—मन्दिर
देवताधिपः —पुं॰—देवता- अधिपः—-—इन्द्र का विशेषण
देवताभ्यर्चनम् —नपुं॰—देवता- अभ्यर्चनम्—-—देव पूजन
देवतायतनम् —नपुं॰—देवता- आयतनम्—-—मन्दिर देवालय
देवतालयः —पुं॰—देवता- आलयः—-—मन्दिर देवालय
देवतावेश्मन् —नपुं॰—देवता- वेश्मन्—-—मन्दिर देवालय
देवताप्रतिमा —स्त्री॰—देवता- प्रतिमा—-—देवमूर्ति प्रतिमा
देवतास्नानम् —नपुं॰—देवता- स्नानम्—-—देवमूर्ति का स्नान
देवद्रद्यंच् —वि॰—-—देवम् अंचति पूजयति - देव + अंच् + क्विन् अद्रि आदेशः—देवोपासक
देवन् —पुं॰—-—दिव + अनि—पति का छोटा भाई, देवर
देवनः —पुं॰—-—दिव् + ल्युट्—पासा
देवनम् —नपुं॰—-—-—सौन्दर्य, दीप्ति, कान्ति
देवनम् —नपुं॰—-—-—जूआ खेलना, पासे का खेल
देवनम् —नपुं॰—-—-—खेल, क्रीड़ा, विनोद
देवनम् —नपुं॰—-—-—प्रमोद-स्थल, प्रमोद-वाटिका
देवनम् —नपुं॰—-—-—स्पर्धा, आगे बढ़जाने की इच्छा
देवनम् —नपुं॰—-—-—मामला, व्यवसाय
देवना —अव्य॰—-—-—जूआ खेलना, पासे का खेल
देवयानी —स्त्री॰—-—-—असुरगुरु शुक्राचार्य की पुत्री
देवरः —पुं॰—-—देव् + अर—पति का भाई
देवृ —पुं॰—-—देव् + अर—पति का भाई
देवृ —पुं॰—-—दिव् + ऋ—पति का भाई
देवलः —पुं॰—-—देव + ला + क—देवमूर्ति का सेवक, एक नीच कोटि का ब्राह्मण जिसका अपना निर्वाह देव- प्रतिमा पर प्राप्त चढ़ावे के ऊपर निर्भर है
देवसात् —अव्य॰—-—देव + साति—देवताओं की प्रकृति के समान
देवसात् भू ——-—-—बदल कर देवता बनना
देविक —वि॰—-—देव + ठन्—दिव्य, देवगुणों से युक्त
देविक —वि॰—-—देव + ठन्—देव से प्राप्त
देविल —वि॰—-—दिव् + इलच्—दिव्य, देवगुणों से युक्त
देविल —वि॰—-—दिव् + इलच्—देव से प्राप्त
देवी —स्त्री॰—-—दिव् + अच् + ङीष्—देवता, देवी
देवी —स्त्री॰—-—दिव् + अच् + ङीष्—दुर्गा
देवी —स्त्री॰—-—दिव् + अच् + ङीष्—सरस्वती
देवी —स्त्री॰—-—दिव् + अच् + ङीष्—रानी
देवी —स्त्री॰—-—दिव् + अच् + ङीष्—सम्मानसूचक उपाधि जो सर्वश्रेष्ठ महिलाओं के साथ प्रयुक्त होती है
देशः —पुं॰—-—दिश् + अच—स्थान, जगह
देशः —पुं॰—-—दिश् + अच—प्रदेश, मुल्क, प्रान्त
देशः —पुं॰—-—दिश् + अच—विभाग, भाग, पक्ष, अंश
देशः —पुं॰—-—दिश् + अच—संस्था, अध्यादेश
देशातिथिः —पुं॰—देशः- अतिथिः—-—विदेशी
देशान्तरम् —नपुं॰—देशः- अन्तरम्—-—दूसरा देश, विदेशी भाग
देशान्तरिन् —पुं॰—देशः- अन्तरिन्—-—विदेशी
देशाचारः —पुं॰—देशः- आचारः—-—स्थानीय कानून या प्रथा, किसी देश के रीति-रिवाज
देशधर्मः —पुं॰—देशः- धर्मः—-—स्थानीय कानून या प्रथा, किसी देश के रीति-रिवाज
देशकालज्ञ —वि॰—देशः- कालज्ञ—-—उपयुक्त स्थान और समय को जानने वाला
देशज —वि॰—देशः- ज—-—स्वदेशीय, स्वदेशोत्पन्न
देशज —वि॰—देशः- ज—-—ठीक देश में उत्पन्न
देशज —वि॰—देशः- ज—-—असली, खरा, निर्मलवंशोद्भव
देशजात —वि॰—देशः- जात—-—स्वदेशीय, स्वदेशोत्पन्न
देशजात —वि॰—देशः- जात—-—ठीक देश में उत्पन्न
देशजात —वि॰—देशः- जात—-—असली, खरा, निर्मलवंशोद्भव
देशभाषा —स्त्री॰—देशः-भाषा—-—किसी देश की बोली
देशरूपम् —नपुं॰—देशः- रूपम्—-—औचित्य, उपयुक्तता
देशव्यवहारः —पुं॰—देशः- व्यवहारः—-—स्थानीय, प्रचलन, देशविदेश की प्रथा
देशकः —पुं॰—-—दिश् + ण्वुल्—शासक, राज्यपाल
देशकः —पुं॰—-—दिश् + ण्वुल्—शिक्षक, गुरु
देशकः —पुं॰—-—दिश् + ण्वुल्—पथ-प्रदर्शक
देशना —स्त्री॰—-—दिश् + णिच् + युच् + टाप्—निर्देशन, अनुदेश
देशिक —वि॰—-—देश् + ठन्—स्थानीय, किसी विशेष स्थान से सम्बन्ध रखने वाला, देशी
देशिकः —पुं॰—-—-—आध्यात्मिक गुरुः
देशिकः —पुं॰—-—-—स्थानों से परिचित
देशिनी —स्त्री॰—-—दिश् + णिनि + ङीष्—तर्जनी, अँगूठे के पास वाली अंगुली
देशी —स्त्री॰—-—देश + ङीष्—किसी देशविदेश की बोली, प्राकृत का एक भेद
देशीय —वि॰—-—देश + छ—किसी प्रान्त से सम्बन्ध रखने वाला, प्रान्तीय
देशीय —वि॰—-—देश + छ—स्वदेशीय, स्थानीय
देशीय —वि॰—-—देश + छ—किसी देश का निवासी जैसा कि मगधदेशीय, तद्देशीय, बंगदेशीय आदि में
देशीय —वि॰—-—देश + छ—अदूर, लगभग, सीमान्तवर्ती, लगभग १८ वर्ष की लड़की
देश्य —वि॰—-—दिश् + ण्यत्—जिसकी ओर संकेत करना हो, या जिसे प्रमाणित करना हो
देश्य —वि॰—-—दिश् + ण्यत्—स्थानीय, प्रान्तीय
देश्य —वि॰—-—दिश् + ण्यत्—देशी, स्वदेशी
देश्य —वि॰—-—दिश् + ण्यत्—असली, खरा, निर्मल वंशोद्भव
देश्य —वि॰—-—दिश् + ण्यत्—अदूर, लगभग
देश्यः —पुं॰—-—-—चश्मदीद गवाह
देश्यः —पुं॰—-—-—किसी देशविशेष का निवासी
देश्यम् —नपुं॰—-—-—प्रश्नोक्ति, तर्कोक्ति, पूर्वपक्ष
देहः —पुं॰—-—दिह + घञ्—शरीर
देहम् —नपुं॰—-—दिह + घञ्—शरीर
देहान्तरम् —नपुं॰—देह-अन्तरम्—-—अन्य शरीर
देहान्तरप्राप्तिः —स्त्री॰—देह-अन्तरम्-प्राप्ति—-—दूसरा जन्म लेना
देहात्मवादः —पुं॰—देहः-आत्मवादः—-—भौतिकता, चार्वाकों के सिद्धान्त
देहावरणम् —नपुं॰—देहः- आवरणम्—-—कवच, पोशाक
देहेश्वरः —पुं॰—देहः- ईश्वरः—-—आत्मा, जीव
देहोद्भव —वि॰—देहः- उद्भव—-—शरीरज, सहज, जन्मजात
देहोद्भूत —वि॰—देहः- उद्भूत—-—शरीरज, सहज, जन्मजात
देहकर्तृ —पुं॰—देहः- कर्तृ—-—सूर्य
देहकर्तृ —पुं॰—देहः- कर्तृ—-—परमात्मा
देहकर्तृ —पुं॰—देहः- कर्तृ—-—पिता
देहकोषः —पुं॰—देहः- कोषः—-—शरीर का आवरण
देहकोषः —पुं॰—देहः- कोषः—-—पर, बाजू
देहकोषः —पुं॰—देहः- कोषः—-—त्वचा, चमड़ा
देहक्षयः —पुं॰—देहः- क्षयः—-—शरीर का ह्रास
देहक्षयः —पुं॰—देहः- क्षयः—-—रोग, बीमारी
देहगत —वि॰—देहः- गत—-—शरीर में प्राप्त, मूर्त्तरूप
देहजः —पुं॰—देहः- जः—-—पुत्र
देहजा —स्त्री॰—देहः- जा—-—पुत्री
देहत्यागः —पुं॰—देहः-त्यागः—-—मृत्यु
देहत्यागः —पुं॰—देहः-त्यागः—-—इच्छामृत्यु, शरीर को छोड़ना
देहदः —पुं॰—देहः- दः—-—पारा
देहदीपः —पुं॰—देहः- दीपः—-—आँख
देहधर्मः —पुं॰—देहः- धर्मः—-—शरीर के अंगों की क्रिया
देहदाहकम् —नपुं॰—देहः- दाहकम्—-—हड्डी
देहधारणम् —नपुं॰—देहः-धारणम्—-—जीना, जीवन
देहधिः —पुं॰—देहः- धिः—-—बाजू, कक्ष
देहधृष् —पुं॰—देहः- धृष्—-—वायु, हवा
देहबद्ध —वि॰—देहः- बद्ध—-—मूर्त्त, सशरीर
देहभाज् —पुं॰—देहः- भाज्—-—शरीरधारी, जीवधारी, विशेषतः मनुष्य
देहभुज् —पुं॰—देहः- भुज्—-—जीव, आत्मा
देहभुज् —पुं॰—देहः- भुज्—-—सूर्य
देहभृत् —पुं॰—देहः- भृत्—-—जीवधारी, मनुष्य
देहभृत् —पुं॰—देहः- भृत्—-—शिव का विशेषण
देहभृत् —पुं॰—देहः- भृत्—-—जीवन, जीवनशक्ति
देहयात्रा —स्त्री॰—देहः- यात्रा—-—मरण, मृत्यु
देहयात्रा —स्त्री॰—देहः- यात्रा—-—पोषक पदार्थ, आहार
देहलक्षणम् —नपुं॰—देहः- लक्षणम्—-—मस्सा, त्वचा के ऊपर काला तिल
देहवायुः —पुं॰—देहः-वायुः—-—पाँच जीवन-वायु में से एक, प्राणवायु
देहसारः —पुं॰—देहः- सारः—-—मज्जा
देहस्वभावः —पुं॰—देहः- स्वभावः—-—शरीर का स्वभाव या गुण
देहंभर —वि॰—-—देह + भृ + खच्, मुम्—पेटू, उदरंभरि
देहवत् —वि॰—-—देह + मतुप्—शरीरधारी
देहला —स्त्री॰—-—देह + ला + क—मदिरा, शराब
देहलिः —स्त्री॰—-—देह + ला + कि—दरवाज़े की चौखट में नीचे वाली वाली लकड़ी जिसे लाँघ कर घर में घुसते निकलते हैं
देहली —स्त्री॰—-—देहलि + ङीष्—दरवाज़े की चौखट में नीचे वाली वाली लकड़ी जिसे लाँघ कर घर में घुसते निकलते हैं
देहलीदीपः —पुं॰—देहली- दीपः—-—देहली पर रक्खा हुआ दीपक
देहिन् —वि॰—-—देह + इनि—शरीरधारी, शरीरी
देहिन् —पुं॰—-—-—जीवधारी प्राणी
देहिन् —पुं॰—-—-—आत्मा, जीव
देहिनी —स्त्री॰—-—-—पृथ्वी
दै —भ्वा॰- पर॰< दायति>, <दात>—-—-—पवित्र करना, शुद्ध करना
दै —भ्वा॰- पर॰< दायति>, <दात>—-—-—पवित्र होना
दै —भ्वा॰- पर॰< दायति>, <दात>—-—-—रक्षा करना
अवदै —भ्वा॰- पर॰—अव- दै—-—धवल करना, उज्ज्वल करना
अवदै —भ्वा॰- पर॰—अव- दै—-—पवित्र करना
दैतेयः —पुं॰—-—दिति + ढक्—दिति का पुत्र, राक्षस, दैत्य
दैतेयेज्यः —पुं॰—दैतेयः- इज्यः—-—असुरों के गुरु शुक्राचार्य के विशेषण
दैतेयगुरुः —पुं॰—दैतेयः-गुरुः—-—असुरों के गुरु शुक्राचार्य के विशेषण
दैतेयपुरोधस् —पुं॰—दैतेयः- पुरोधस्—-—असुरों के गुरु शुक्राचार्य के विशेषण
दैतेयपूज्यः —पुं॰—दैतेयः- पूज्यः—-—असुरों के गुरु शुक्राचार्य के विशेषण
दैतेयनिषूदनः —पुं॰—दैतेयः- निषूदनः—-—विष्णु का विशेषण
दैतेयमातृ —स्त्री॰—दैतेयः- मातृ—-—दिति दैत्यों की माता
दैतेयमेदजा —स्त्री॰—दैतेयः- मेदजा—-—पृथ्वी
दैत्यः —पुं॰—-—दिति + ण्य—दिति का पुत्र, राक्षस, दैत्य
दैत्यारिः —पुं॰—दैत्यः- अरिः—-—देवता
दैत्यारिः —पुं॰—दैत्यः- अरिः—-—विष्णु का विशेषण
दैत्यदेवः —पुं॰—दैत्यः- देवः—-—विष्णु का विशेषण
दैत्यदेवः —पुं॰—दैत्यः- देवः—-—वायु
दैत्यपतिः —पुं॰—दैत्यः- पतिः—-—हिरण्यकशिपु का विशेषण
दैत्या —स्त्री॰—-—दैत्य + टाप्—औषधि
दैत्या —स्त्री॰—-—दैत्य + टाप्—मदिरा
दैन —वि॰—-—दिन + अण्—आह्निक, प्रति दिन का
दैनन्दिन —वि॰—-—दिनं दिनं भवः दिनं- दिन + अण्—आह्निक, प्रति दिन का
दैनिक —वि॰—-—दिन + ठञ्—आह्निक, प्रति दिन का
दैनम् —नपुं॰—-—दीन + अण्—गरीबी, दरिद्रावस्था, दयनीय अवस्था, दुर्दशा
दैनम् —नपुं॰—-—दीन + अण्—कष्ट, खेद, विषाद, शोक, उत्साहहीनता
दैनम् —नपुं॰—-—दीन + अण्—दुर्बलता
दैनम् —नपुं॰—-—दीन + अण्—कमीनापन
दैन्यम् —नपुं॰—-—दीन + अण्, ष्यञ् वा—गरीबी, दरिद्रावस्था, दयनीय अवस्था, दुर्दशा
दैन्यम् —नपुं॰—-—दीन + अण्, ष्यञ् वा—कष्ट, खेद, विषाद, शोक, उत्साहहीनता
दैन्यम् —नपुं॰—-—दीन + अण्, ष्यञ् वा—दुर्बलता
दैन्यम् —नपुं॰—-—दीन + अण्, ष्यञ् वा—कमीनापन
दैनिकी —स्त्री॰—-—दैनिक + ङीप्—प्रतिदिन की मजदूरी, दिनभर की उजरत, दिहाड़ी
दैर्घम् —नपुं॰—-—दीर्घ + अण्, ष्यञ् वा—लम्बाई, लम्बापन
दैर्घ्यम् —नपुं॰—-—दीर्घ + अण्, ष्यञ् वा—लम्बाई, लम्बापन
दैव —वि॰—-—देव + अण्—देवों से सम्बन्ध रखने वाला, दिव्य, स्वर्गीय
दैव —वि॰—-—देव + अण्—राजकीय
दैवः —पुं॰—-—-—आठ प्रकार के विवाहों में से एक
दैवम् —नपुं॰—-—-—भाग्य, नियति, भवितव्यता, क़िस्मत
दैवम् —नपुं॰—-—-—भगवान् उन्हीं की सहायता करते हैं जो अपनी सहायता आप करते हैं
दैवात् —पुं॰—-—-—संयोग से, भाग्यवश, अकस्मात्
दैवात् —पुं॰—-—-—देव, देवता
दैवात् —पुं॰—-—-—धार्मिक संस्कार, देवों को आहुति
दैवात्ययः —पुं॰—दैव- अत्ययः—-—दैवी उत्पात, आकस्मिक अनर्थ
दैवाधीन —वि॰—दैव- अधीन—-—भाग्य पर निर्भर
दैवायत्त —वि॰—दैव- आयत्त—-—भाग्य पर निर्भर
दैवाहोरात्रः —पुं॰—दैव- अहोरात्रः—-—देवताओं का एक दिन अर्थात् मनुष्यों का एक वर्ष
दैवोपहत —वि॰—दैव- उपहत—-—दुर्भाग्यग्रस्त, अभागा
दैवकर्मन् —नपुं॰—दैव- कर्मन्—-—देवताओं को आहुति देना
दैवकोविद —वि॰—दैव- कोविद—-—ज्योतिषी, भविष्यवक्ता
दैवचिन्तकः —पुं॰—दैव- चिन्तकः—-—ज्योतिषी, भविष्यवक्ता
दैवज्ञः —पुं॰—दैव- ज्ञः—-—ज्योतिषी, भविष्यवक्ता
दैवगतिः —स्त्री॰—दैव- गतिः—-—भाग्य का फेर
दैवतन्त्र —वि॰—दैव- तन्त्र—-—भाग्य पर आश्रित
दैवदीपः —पुं॰—दैव- दीपः—-—आँख
दैवदुर्विपाकः —पुं॰—दैव- दुर्विपाकः—-—भाग्य की निष्ठुरता, भाग्य का बुरा फेर या प्रतिकूलता
दैवदोषः —पुं॰—दैव- दोषः—-—भाग्य की कठोरता
दैवपर —वि॰—दैव- पर—-—भाग्य पर भरोसा करने वाला, भाग्यवादी
दैवपर —वि॰—दैव- पर—-—भाग्य में लिखा हुआ, प्रारब्ध
दैवप्रश्नः —पुं॰—दैव- प्रश्नः—-—भविष्यकथन, ज्योतिष
दैवयुगम् —नपुं॰—दैव- युगम्—-—देवों का एक युग
दैवयोगः —पुं॰—दैव- योगः—-—संयोग, इत्तफ़ाक, भाग्य, मौका
दैवयोगेन —पुं॰—-—-—भाग्य से, अकस्मात्
दैवयोगात् —पुं॰—-—-—भाग्य से, अकस्मात्
दैवलेखकः —पुं॰—दैव- लेखकः—-—भविष्यवक्ता, ज्योतिषी
दैववशः —पुं॰—दैव-वशः—-—नियति का बल, भाग्य की अधीनता
दैवशम् —नपुं॰—दैव- शम्—-—नियति का बल, भाग्य की अधीनता
दैववाणी —स्त्री॰—दैव- वाणी—-—आकाशवाणी
दैववाणी —स्त्री॰—दैव- वाणी—-—संस्कृत भाषा
दैवहीन —वि॰—दैव- हीन—-—भाग्यहीन, क़िस्मत का मारा, अभागा
दैवकः —पुं॰—-—दैव + कन्—देवता
दैवत —वि॰—-—देवता + अण्—दिव्य
दैवतम् —नपुं॰—-—-—देव, देवता, दिव्यता
दैवतम् —नपुं॰—-—-—देवों का समूह, देवताओं का पूरा समूह
दैवतम् —नपुं॰—-—-—देवमूर्ति
दैवतस् —अव्य॰—-—दैव + तस्—संयोगवश, किस्मत से, भाग्य से
दैवत्य —वि॰—-—देवता + ष्यञ्—किसी देवता को सम्बोधित, या मान्य
दैवलः —पुं॰—-—देव + ला + क, देवल + अण्—प्रेतपूजक, किसी दुष्ट आत्मा का उपासक
दैवलकः —पुं॰—-—दैवल + कन्—प्रेतपूजक, किसी दुष्ट आत्मा का उपासक
दैवारिपः —पुं॰—-—देवारीन् असुरान् पाति आश्रयदानेन दैवारिपः समुद्रः, तत्र भवः- देवारिप अण्—शंख
दैवासुरम् —नपुं॰—-—देवासुरस्य वैरम्- अण्—देवताओं और राक्षसों के मध्य रहने वाली स्वाभाविक शत्रुता
दैविक —वि॰—-—देव + ठक्—देवताओं से सम्बन्ध रखने वाला, दिव्य
दैविकम् —नपुं॰—-—-—अवश्यम्भावी घटना
दैविन् —पुं॰—-—दैव + इनि—ज्योतिषी
दैव्य —वि॰—-—देव + यञ्—दिव्य
दैव्यम् —नपुं॰—-—-—किस्मत, भाग्य
दैव्यम् —नपुं॰—-—-—दिव्य शक्ति
दैशिक —वि॰—-—देश + ठञ्—स्थानीय, प्रान्तीय
दैशिक —वि॰—-—देश + ठञ्—राष्ट्रीय, समस्त देश से सम्बन्ध रखने वाला
दैशिक —वि॰—-—देश + ठञ्—स्थान सम्बन्धी
दैशिक —वि॰—-—देश + ठञ्—किसी स्थान से परिचित
दैशिक —वि॰—-—देश + ठञ्—अध्यापन करने वाला संकेतक, निदेशक, दिखलाने वाला
दैशिकः —पुं॰—-—-—अध्यापक, गुरु
दैष्टिक —वि॰—-—दिष्ट + ठक्—भाग्य में लिखा हुआ, प्रारब्ध
दैष्टिकः —पुं॰—-—-—भाग्यवादी
दैहिक —वि॰—-—देह + ठक्—शारीरिक, देहसम्बन्धी
दैह्य —वि॰—-—देहे भवः- ष्यञ्—शारीरिक
दो —दिवा॰ पर॰- <द्यति>, < दित>, पुं॰—-—-—काटना, बाँटना
दो —दिवा॰ पर॰- <द्यति>, < दित>, पुं॰—-—-—फसल काटना, अनाज काटना
अवदो —दिवा॰ पर॰—अव- दो—-—काट डालना
दोग्धृ —पुं॰—-—दुह् + तृच्—ग्वाल, दूध दोहने वाला, दूधिया
दोग्धृ —पुं॰—-—दुह् + तृच्—बछड़ा
दोग्धृ —पुं॰—-—दुह् + तृच्—चारण या भाट
दोग्धृ —पुं॰—-—दुह् + तृच्—जो स्वार्थवश कोई कार्य करता है
दोग्ध्री —स्त्री॰—-—दोग्धृ + ङीप्—दुधारु गाय
दोग्ध्री —स्त्री॰—-—दोग्धृ + ङीप्—दूध पिलाने वाली गाय
दोघः —पुं॰—-—दुह् + अच्, नि॰—बछड़ा
दोरः —पुं॰—-— = डोर, नि॰ डस्य दः—रस्सी, रज्जु
दोलः —पुं॰—-—दुल् + घञ्—झूलना, डोलना, हिलना
दोलः —पुं॰—-—दुल् + घञ्—हिंडोला, डोली
दोलः —पुं॰—-—दुल् + घञ्—फाल्गुनपूर्णिमा के दिन होने वाला उत्सव जब कि बालकृष्ण की मूर्तियों को हिडोले में झुलाया जाता है
दोला —स्त्री॰—-—दोल + टाप्—डोली, पालकी
दोला —स्त्री॰—-—दोल + टाप्—हिंडोला, पालना
दोला —स्त्री॰—-—दोल + टाप्—झूलना, घट- बढ़ होना
दोला —स्त्री॰—-—दोल + टाप्—संदेह अनिश्चितता
दोलिका —स्त्री॰—-—दोल + कन् + टाप्, इत्वम् —डोली, पालकी
दोलिका —स्त्री॰—-—दोल + कन् + टाप्, इत्वम् —हिंडोला, पालना
दोलिका —स्त्री॰—-—दोल + कन् + टाप्, इत्वम् —झूलना, घट- बढ़ होना
दोलिका —स्त्री॰—-—दोल + कन् + टाप्, इत्वम् —संदेह अनिश्चितता
दोलाधिरूढ —वि॰—दोला- अधिरूढ—-—झूले पर सवार
दोलाधिरूढ —वि॰—दोला- अधिरूढ—-—अनिश्चित, अस्थिर, चञ्चल
दोलारूढ —वि॰—दोला-आरूढ—-—झूले पर सवार
दोलारूढ —वि॰—दोला-आरूढ—-—अनिश्चित, अस्थिर, चञ्चल
दोलायुद्धम् —नपुं॰—दोला- युद्धम्—-—सफलता की अनिश्चितता, वह युद्ध जिसमें हार- जीत का कुछ निश्चय न हो
दोलाय —ना॰ धा॰ आ॰ <दोलायते>—-—-—झूलना, इधर- उधर डोलना, इधर- उधर हिलना, घटबढ़ होना, आगे- पीछे होना
दोलाय —ना॰ धा॰ आ॰ <दोलायते>—-—-—चञ्चल या बेचैन होना
दोषः —पुं॰—-—दुष् + घञ्—त्रुटि, धब्बा, निन्दा, कमी, लाञ्छन, लचर, दलील
दोषः —पुं॰—-—दुष् + घञ्—भूल
दोषः —पुं॰—-—दुष् + घञ्—जुर्म, पाप, कसूर अपराध
दोषः —पुं॰—-—दुष् + घञ्—अनिष्टकारी गुण, बुराई, क्षतिकारक प्रकृति या गुण
दोषः —पुं॰—-—दुष् + घञ्—हानि, अनिष्ट, भय, क्षति
दोषः —पुं॰—-—दुष् + घञ्—बुरा फल, अनिष्टकारी फल, बाधक प्रभाव
दोषः —पुं॰—-—दुष् + घञ्—विकृत, व्याधि, रोग
दोषः —पुं॰—-—दुष् + घञ्—शरीर के तीनों दोषों का कुपित होना, त्रिदोषकोप
दोषः —पुं॰—-—दुष् + घञ्—परिभाषा का दोष
दोषः —पुं॰—-—दुष् + घञ्—रचना का एक दोष
दोषः —पुं॰—-—दुष् + घञ्—बछड़ा
दोषः —पुं॰—-—दुष् + घञ्—निराकरण
दोषारोपः —पुं॰—दोषः- आरोपः—-—दोष लगाना, इलजाम लगाना
दोषैकदृश् —वि॰—दोषः- एकदृश्—-—दोष ढूंढने वाला, दोषदर्शी, छिद्रान्वेषी
दोषकर —वि॰—दोषः- कर—-—बुराई करने वाला, अनिष्टकर
दोषकृत् —वि॰—दोषः- कृत्—-—बुराई करने वाला, अनिष्टकर
दोषग्रस्त —वि॰—दोषः- ग्रस्त—-—सिद्धदोष, अपराधी
दोषग्रस्त —वि॰—दोषः- ग्रस्त—-—दोषपूर्ण, त्रुटिपूर्ण
दोषग्राहिन् —वि॰—दोषः- ग्राहिन्—-—विद्वेषी, दुर्भावनापूर्ण
दोषग्राहिन् —वि॰—दोषः- ग्राहिन्—-—छिद्रान्वेषी
दोषज्ञ —वि॰—दोषः- ज्ञ—-—दोषों का ज्ञाता
दोषज्ञः —पुं॰—दोषः- ज्ञः—-—बुद्धिमान या विद्वान् पुरुष
दोषज्ञः —पुं॰—दोषः- ज्ञः—-—वैद्य
दोषत्रयम् —नपुं॰—दोषः- त्रयम्—-—शरीर के तीन दोष
दोषदृष्टि —वि॰—दोषः- दृष्टि—-—दोषदर्शी
दोषप्रसङ्गः —पुं॰—दोषः- प्रसङ्गः—-—कलंक लगाना, बदनामी, निन्दा
दोषभाज् —वि॰—दोषः- भाज्—-—दोषी, अपराधी, सदोष
दोषणम् —नपुं॰—-—दुष् + णिच् + ल्युट्—इलजाम लगाना, दोष मढना
दोषन् —पुं॰—-—-—भुजा, बाजू
दोषल —वि॰—-—दोष + लच—दोषी, सदोष, भ्रष्ट
दोषस् —स्त्री॰—-—दुष् + असुन्—रात
दोषा —स्त्री॰—-—-—रात्रि का अंधेरा, रात
दोषास्यः —पुं॰—दोषा- आस्यः—-—दीपक, लैम्प
दोषातिलकः —पुं॰—दोषा- तिलकः—-—दीपक, लैम्प
दोषाकरः —पुं॰—दोषा- करः—-—चाँद
दोषातन —वि॰—-—दोषा + टयु, तुट्—रात को होने वाला, रात्रि विषयक
दोषिक —वि॰—-—दोष + ठन्—दोषी, बुरा, सदोष
दोषिकः —पुं॰—-—-—रुग्णता, रोग
दोषिन् —वि॰—-—दुष् + णिनि—अपचित्र, दूषित, कलुषित
दोषिन् —वि॰—-—दुष् + णिनि—अपराधी, सदोष, मुजरिम, दुष्ट, बुरा
दोस् —पुं॰—-—दम्यते अनेन दम् + डोसि—अग्रभुजा, भुजा
दोस् —नपुं॰—-—दम्यते अनेन दम् + डोसि—चाप का वह भाग जो त्रिज्या का निर्मान करता है।
दोर्गडु —वि॰—दोस्- गडु—-—टेढ़ी भुजाओं वाला
दोर्ग्रह —वि॰—दोस्- ग्रह—-—सबल, शक्तिशाली
दोर्ग्रहः —पुं॰—दोस्- ग्रहः—-—भुजा में रहने वाली पीड़ा
दोर्ज्या —स्त्री॰—दोस्- ज्या—-—आधार की लंबरेखा
दार्दण्डः —पुं॰—दोस्- दण्डः—-—डंडे जैसी भुजा, मजबूत भुजा
दोर्मूलम् —नपुं॰—दोस्- मूलम्—-—कांख, बगल
दोर्युद्धम् —नपुं॰—दोस्- युद्धम्—-—द्वन्द्वयुद्ध, कुश्ती
दोःशालिन् —वि॰—दोस्- शालिन्—-—प्रबल भुजाओं वाला, रणोत्सुक, वीर
दोःशिखरम् —नपुं॰—दोस्- शिखरम्—-—कंधा
दोःसहस्रभृत् —पुं॰—दोस्- सहस्रभृत्—-—बाणासुर का विशेषण
दोःसहस्रभृत् —पुं॰—दोस्- सहस्रभृत्—-—सहस्रार्जुन का विशेषण
दोस्थः —पुं॰—दोस्-स्थः—-—सेवक
दोस्थः —पुं॰—दोस्-स्थः—-—सेवा
दोस्थः —पुं॰—दोस्-स्थः—-—खिलाड़ी
दोस्थः —पुं॰—दोस्-स्थः—-—खेल, क्रीडा
दोहः —पुं॰—-—दुह् + घञ्—दोहना
दोहः —पुं॰—-—दुह् + घञ्—दूध
दोहः —पुं॰—-—दुह् + घञ्—दूध की बाल्टी
दोहापनयः —पुं॰—दोहः- अपनयः—-—दूध
दोहजम् —नपुं॰—दोहः- जम्—-—दूध
दोहदः —पुं॰—-—दोहमाकर्ष ददाति- दा + क—गर्भवती स्त्री की प्रबल रुचि
दोहदः —पुं॰—-—दोहमाकर्ष ददाति- दा + क—गर्भावस्था
दोहदः —पुं॰—-—दोहमाकर्ष ददाति- दा + क—कली आने के समय पौधों की इच्छा
दोहदः —पुं॰—-—दोहमाकर्ष ददाति- दा + क—उत्कट अभिलाष
दोहदः —पुं॰—-—दोहमाकर्ष ददाति- दा + क—सामान्यतः कामना, इच्छा
दोहदम् —नपुं॰—-—-—गर्भवती स्त्री की प्रबल रुचि
दोहदम् —नपुं॰—-—-—गर्भावस्था
दोहदम् —नपुं॰—-—-—कली आने के समय पौधों की इच्छा
दोहदम् —नपुं॰—-—-—उत्कट अभिलाष
दोहदम् —नपुं॰—-—-—सामान्यतः कामना, इच्छा
दोहदलक्षणम् —नपुं॰—दोहदः- लक्षणम्—-—भ्रूण, गर्भ
दोहदलक्षणम् —नपुं॰—दोहदः- लक्षणम्—-—जीवन की एक अवस्था से दूसरी में प्रवेश
दोहदवती —स्त्री॰—-—दोहद + मतुप + ङीप्, वत्वम्—गर्भवती स्त्री जिसे किसी वस्तु की इच्छा हो।
दोहन —वि॰—-—दुह् + ल्युट्—दोहने वाला
दोहन —वि॰—-—दुह् + ल्युट्—अभीष्ट पदार्थों को देनेवाला
दोहनम् —नपुं॰—-—-—दूध की बाल्टी
दोहनी —स्त्री॰—-—-—दूध की बाल्टी
दोहलः —पुं॰—-—दोह + ला + क—गर्भवती स्त्री की प्रबल रुचि
दोहलः —पुं॰—-—दोह + ला + क—गर्भावस्था
दोहलः —पुं॰—-—दोह + ला + क—कली आने के समय पौधों की इच्छा
दोहलः —पुं॰—-—दोह + ला + क—उत्कट अभिलाष
दोहलः —पुं॰—-—दोह + ला + क—सामान्यतः कामना, इच्छा
दोहली —स्त्री॰—-—दोहल + ङीष्—अशोकवॄक्ष
दोह्य —वि॰—-—दुह् + ण्यत्—द्हने योग्य, दुहे जाने योग्य
दोह्यम् —नपुं॰—-—दुह् + ण्यत्—दूध
दौः शील्यम् —नपुं॰—-—दुःशील + ष्यञ्—बुरा स्वभाव, दुष्टता, दुर्भावना
दौः साधिकः —पुं॰—-—दुःसाध + ठक्—द्वारपाल, डयोढ़ीवान
दौः साधिकः —पुं॰—-—दुःसाध + ठक्—गाँव का अधीक्षक
दौकलः —पुं॰—-—दुकूल + अण्—रेशमी आवरण से ढका हुआ रथ
दौगूलः —पुं॰—-—दुकूल + अण्—रेशमी आवरण से ढका हुआ रथ
दौकलम् —नपुं॰—-—-—बढ़िया रेशमी वस्त्र
दौगूलम् —नपुं॰—-—-—बढ़िया रेशमी वस्त्र
दौत्यम् —नपुं॰—-—दूत + ष्यञ्—संदेश, दूत का कार्य
दौरात्म्यम् —नपुं॰—-—दुरात्मन् + ष्यञ्—दुष्टता, दुष्ट स्वभाव, दुर्भावना
दौरात्म्यम् —नपुं॰—-—दुरात्मन् + ष्यञ्—दुर्जनता
दौर्गत्यम् —नपुं॰—-—दुर्गत + ष्यञ्—गरीबी,कमी, अभाव
दौर्गत्यम् —नपुं॰—-—दुर्गत + ष्यञ्—दरिद्रता, दुःख
दौर्गन्ध्यम् —नपुं॰—-—दुर्गन्ध + ष्यञ्—बुरी या अरुचिकर गंध
दौर्जन्यम् —नपुं॰—-—दुर्जन + ष्यञ्—दुष्टता, दुर्भावना
दौर्जीवित्यम् —नपुं॰—-—दुर्जीवित + ष्यञ्—कष्टमय जीवन, विपद्ग्रस्त जीवन
दौर्बल्यम् —नपुं॰—-—दुर्बल + ष्यञ्—नपुंसकता, दुर्बलता, कमजोरी, निर्बलता
दौर्भागिनेयः —पुं॰—-—दुर्भगा + ढक्, इनङ्—अभागी स्त्री का पुत्र
दौर्भाग्यम् —नपुं॰—-—दुर्भग + ष्यञ् उभयपदवृद्धिः—दुर्भाग्य,बदकिस्मती
दौर्भ्रात्रम् —नपुं॰—-—दुर्भ्रातृ + अण्—भाइयों का आपसी कलह
दौर्मनस्यम् —नपुं॰—-—दुर्मनस् + ष्यञ्—बुरा स्वभाव
दौर्मनस्यम् —नपुं॰—-—दुर्मनस् + ष्यञ्—मानसिक पीड़ा, कष्ट, खेद, विपाद
दौर्मनस्यम् —नपुं॰—-—दुर्मनस् + ष्यञ्—निराशा
दौर्मन्त्र्यम् —नपुं॰—-—दुर्मन्त्र + ष्यञ्—अनिष्टकारी उपदेश, बुरी सलाह
दौर्वचस्यम् —नपुं॰—-—दुर्वचस् + ष्यञ्—दुर्वचन, अपभाषण
दौर्हृदम् —नपुं॰—-—दुर्हृद् + अण्—मन की दुरवस्था, शत्रुता
दौर्हृदम् —नपुं॰—-—दुर्हृद् + अण्—गर्भावस्था
दौर्हृदम् —नपुं॰—-—दुर्हृद् + अण्—गर्भवती की प्रबल लालसा
दौर्हृदम् —नपुं॰—-—दुर्हृद् + अण्—इच्छा
दौहृदम् —नपुं॰—-—दुर्हृद् + अण्—मन की दुरवस्था, शत्रुता
दौहृदम् —नपुं॰—-—दुर्हृद् + अण्—गर्भावस्था
दौहृदम् —नपुं॰—-—दुर्हृद् + अण्—गर्भवती की प्रबल लालसा
दौहृदम् —नपुं॰—-—दुर्हृद् + अण्—इच्छा
दौर्हृदयम् —नपुं॰—-—दुर्हृद्य + अण्—मन की दुरवस्था, शत्रुता
दौल्मिः —पुं॰—-—दुल्म + इञ्—इन्द्र का विशेषण
दौवारिकः —पुं॰—-—द्वार + ठक्, औ आगम—द्वारपाल, पहरेदार
दौश्चर्यम् —नपुं॰—-—दुश्चर + ष्यञ्—दुराचरण, दुष्टता, दुष्कृत्य
दौष्कुल —वि॰—-—द्ष्कुलं अस्य ब॰ स॰, स्वार्थे अण्, दुष्टं कुलम् प्रा॰ स॰- दुष्कुल + ढक्—नीच कुल में उत्पन्न, नीच घराने में उत्पन्न
दौष्कुलेय —वि॰—-—द्ष्कुलं अस्य ब॰ स॰, स्वार्थे अण्, दुष्टं कुलम् प्रा॰ स॰- दुष्कुल + ढक्—नीच कुल में उत्पन्न, नीच घराने में उत्पन्न
दौष्ठवम् —नपुं॰—-—दुः + स्था + कु = तस्य भावः- अण्—बुराई, दुष्टता
दौष्यन्तिः —पुं॰—-—दुष्य (ष्म) न्त + इच्—दुष्यंत का पुत्र
दौष्मन्तिः —पुं॰—-—दुष्य (ष्म) न्त + इच्—दुष्यंत का पुत्र
दौहित्रः —पुं॰—-—दुहितृ + अञ्—दोहता, पुत्री का पुत्र
दौहित्रायणः —पुं॰—-—दौहित्र + फक्—दोहते का पुत्र
दौहित्री —स्त्री॰—-—दौहित्र + ङीप्—दोहती, पुत्री की पुत्री
दौहृदिनी —स्—-—दौहृद् + इनि + ङीप्—गर्भवती स्त्री
द्यु —अदा॰ पर॰- < द्यौति>—-—-—अग्रसर होना, मुकाबला करना, हमला करना, आक्रमण करना
द्यु —नपुं॰—-—दिव् + उन्, कित्—दिन
द्यु —नपुं॰—-—दिव् + उन्, कित्—अकाश
द्यु —नपुं॰—-—दिव् + उन्, कित्—उजाला
द्यु —नपुं॰—-—दिव् + उन्, कित्—स्वर्ग
द्युगः —पुं॰—द्यु- गः—-—पक्षी
द्युचरः —पुं॰—द्यु- चरः—-—ग्रह
द्युचरः —पुं॰—द्यु- चरः—-—पक्षी
द्युजयः —पुं॰—द्यु- जयः—-—स्वर्ग प्राप्त करना
द्युधुनिः —स्त्री॰—द्यु- धुनिः—-—स्वर्गंगा
द्युनदी —स्त्री॰—द्यु- नदी—-—स्वर्गंगा
द्युनिवासः —पुं॰—द्यु- निवासः—-—देवता
द्युपतिः —पुं॰—द्यु- पतिः—-—सूर्य
द्युपतिः —पुं॰—द्यु- पतिः—-—इन्द्र का विशेषण
द्युमणिः —पुं॰—द्यु- मणिः—-—सूर्य
द्युलोकः —पुं॰—द्यु- लोकः—-—स्वर्ग
द्युषद् —पुं॰—द्यु- षद्—-—सुर, देवता
द्युषद् —पुं॰—द्यु- षद्—-—ग्रह
द्युसद् —पुं॰—द्यु- सद्—-—सुर, देवता
द्युसद् —पुं॰—द्यु- सद्—-—ग्रह
द्युसरित् —स्त्री॰—द्यु-सरित्—-—गंगा
द्युकः —पुं॰—-—द्य् + कन्—उल्लू
द्युकारिः —पुं॰—द्युकः- अरिः—-—कौवा
द्युत् —भ्वा॰ आ॰- < द्योतते>, <द्युतित> या <द्योतित>- इच्छा॰ <दिद्युतिषते>, <दिद्योतिषते>—-—-—चमकना, उजला होना, जगमगाना
द्युत् —भ्वा॰ आ॰, प्रेर॰<द्योतयति>—-—-—प्रकाश करना, देदीप्यमान करना
द्युत् —भ्वा॰ आ॰, प्रेर॰<द्योतयति>—-—-—स्पष्ट करना, व्याख्या करना, समझाना
द्युत् —भ्वा॰ आ॰, प्रेर॰<द्योतयति>—-—-—अभिव्यक्त करना, अर्थ प्रकट करना
अभिद्युत् —भ्वा॰ आ॰—अभि- द्युत्—-—प्रकाश करना
उद्द्युत् —भ्वा॰ आ॰—उद्- द्युत्—-—प्रकाश करना, दीपक जलाना, सजाना, सुभूषित करना
विद्युत् —भ्वा॰ आ॰—वि- द्युत्—-—चमकना, उज्ज्वल होना
द्युतिः —स्त्री॰—-—द्युत् + इन्—दीप्ति, उजाला, कान्ति, सौन्दर्य
द्युतिः —स्त्री॰—-—द्युत् + इन्—प्रकाश, प्रकाश की किरण
द्युतिः —स्त्री॰—-—द्युत् + इन्—महिमा, गौरव
द्युतित —वि॰—-—द्युत् + क्त—प्रकाशित, चमकदार, उजाला
द्युम्नम् —नपुं॰—-—द्यु + म्ना + क—आभा, यश, कान्ति
द्युम्नम् —नपुं॰—-—द्यु + म्ना + क—बल, सामर्थ्य, शक्ति
द्युम्नम् —नपुं॰—-—द्यु + म्ना + क—वैभव, सम्पत्ति
द्युम्नम् —नपुं॰—-—द्यु + म्ना + क—प्रोत्साहन
द्युवन् —पुं॰—-—द्यु + कनिन्—सूर्य
द्युतः —पुं॰—-—दिव् + क्त, ऊठ्—खेलना, जुआ खेलना, पासे से खेलना
द्युतः —पुं॰—-—दिव् + क्त, ऊठ्—जीता हुआ पुरस्कार
द्युतम् —नपुं॰—-—दिव् + क्त, ऊठ्—खेलना, जुआ खेलना, पासे से खेलना
द्युतम् —नपुं॰—-—दिव् + क्त, ऊठ्—जीता हुआ पुरस्कार
द्युताधिकारिन् —पुं॰—द्युतः- अधिकारिन्—-—द्यूतगृह का स्वामी, जूआ खेलाने वाला
द्युतकरः —पुं॰—द्युतः- करः—-—जूआ खेलने वाला, जुआरी
द्युतकृत् —पुं॰—द्युतः- कृत्—-—जूआ खेलने वाला, जुआरी
द्युतकारः —पुं॰—द्युतः- कारः—-—जूआघर का रखने वाला
द्युतकारः —पुं॰—द्युतः- कारः—-—जुआरी
द्युतकारकः —पुं॰—द्युतः- कारकः—-—जूआघर का रखने वाला
द्युतकारकः —पुं॰—द्युतः- कारकः—-—जुआरी
द्युतक्रीडा —स्त्री॰—द्युतः- क्रीडा—-—पासों से खेलना, जूआ खेलना
द्युतपूर्णिमा —स्त्री॰—द्युतः- पूर्णिमा—-—आश्विन मास की पूर्णिमा
द्युतपौर्णिमा —स्त्री॰—द्युतः- पौर्णिमा—-—आश्विन मास की पूर्णिमा
द्युतवीजम् —नपुं॰—द्युतः- वीजम्—-—कौड़ी
द्यूतवृत्तिः —स्त्री॰—द्यूतः- वृत्तिः—-—पेशेवर जुआरी
द्यूतवृत्तिः —स्त्री॰—द्यूतः- वृत्तिः—-—जूआघर का रखवाला
द्युतसभा —स्त्री॰—द्युतः- सभा—-—जूआखाना
द्युतसभा —स्त्री॰—द्युतः- सभा—-—जूआरियों का समूह
द्युतसमाजः —पुं॰—द्युतः- समाजः—-—जूआखाना
द्युतसमाजः —पुं॰—द्युतः- समाजः—-—जूआरियों का समूह
द्यै —भ्वा॰ पर॰ < द्यायति>—-—-—घृणा करना, तिरस्कार युक्त व्यवहार करना
द्यै —भ्वा॰ पर॰ < द्यायति>—-—-—विरूप करना
द्यो —स्त्री॰, कर्तृ॰ ए॰ व॰ <द्यौः>—-—द्युत् + डो—स्वर्ग, वैकुण्ठ, आकाश
द्योभूमिः —स्त्री॰—द्यो- भूमिः—-—पक्षी
द्यौषद् —स्त्री॰—द्यो- सद्—-—देवता
द्योतः —पुं॰—-—द्युत् + घञ्—प्रकाश, ज्योति, उजाला जैसा कि ’खद्योत’ में
द्योतः —पुं॰—-—द्युत् + घञ्—धूप
द्योतः —पुं॰—-—द्युत् + घञ्—गर्मी
द्योतक —वि॰—-—द्युत् + ण्वुल्—चमकने वाला
द्योतक —वि॰—-—द्युत् + ण्वुल्—प्रकाशमय
द्योतक —वि॰—-—द्युत् + ण्वुल्—व्याख्या करने वाला, व्यक्त करने वाला, बतलाने वाला
द्योतिस् —नपुं॰—-—द्युत् + इसुन्—प्रकाश, उजाला, चमक
द्योतिस् —नपुं॰—-—द्युत् + इसुन्—तारा
द्योतिरिङ्गणः —पुं॰—द्योतिस्- इङ्गणः—-—जुगनू
द्रङक्षणम् —नपुं॰—-—द्राक्षन्ति अनेन- द्राङ्क्ष्- ल्युट् पृषो॰ ह्रस्वः—भार का माप या बट्टा, एक तोला
द्रढयति —ना॰ धा॰ पर॰—-—-—दृढ़ करना, जकड़्ना, कसना
द्रढयति —ना॰ धा॰ पर॰—-—-—समर्थन करना, पुष्ट करना, अनुमोदन करना
द्रढिमन् —पुं॰—-—दृढ + इमनिच्—कसाव, दृढ़ता
द्रढिमन् —पुं॰—-—दृढ + इमनिच्—पुष्टि, समर्थन
द्रढिमन् —पुं॰—-—दृढ + इमनिच्—प्रकथन, पुष्टीकरण
द्रढिमन् —पुं॰—-—दृढ + इमनिच्—गुरुता
द्रप्सम् —नपुं॰—-—दृप्यन्ति अनेन दृप् + स, र् आदेशः—जमे हुए दूध का घोल, पतला दही
द्रम् —भ्वा॰ पर॰- <द्रमति>—-—-—इधर-उधर जाना, दौड़ना, इधर- उधर भागना
द्रम्मम् —नपुं॰—-—-—’द्रम’ नाम एक प्रकार का सिक्का
द्रव —वि॰—-—द्रु + अप्—दौड़ने वाला
द्रव —वि॰—-—द्रु + अप्—चूने वाला, रिसने वाला, गोला, टपकने वाला
द्रव —वि॰—-—द्रु + अप्—बहने वाला, पनीला
द्रव —वि॰—-—द्रु + अप्—तरल
द्रव —वि॰—-—द्रु + अप्—पिघला हुआ, तरल बनाया हुआ
द्रवः —पुं॰—-—-—जाना, इधर-उधर घूमना, गमन
द्रवः —पुं॰—-—-—गिरना, टपकना, रिसना, निःस्रवण
द्रवः —पुं॰—-—-—भगदड़, प्रत्यावर्तन
द्रवः —पुं॰—-—-—खेल, विनोद, क्रीड़ा
द्रवः —पुं॰—-—-—तरलता, द्रवीकरण
द्रवः —पुं॰—-—-—तरल पदार्थ, प्रवाही
द्रवाधारः —पुं॰—द्रव- आधारः—-—छोटा बर्तन या पात्र
द्रवाधारः —पुं॰—द्रव- आधारः—-—चुल्लू
द्रवजः —पुं॰—द्रव- जः—-—राव
द्रवद्रव्यम् —नपुं॰—द्रव- द्रव्यम्—-—तरल पदार्थ
द्रवरसा —स्त्री॰—द्रव- रसा—-—लाख
द्रवरसा —स्त्री॰—द्रव- रसा—-—गोंद
द्रवन्ती —स्त्री॰—-—द्रु + शतृ + ङीप्—नदी, दरिया
द्रविडः —पुं॰—-—-—दक्षिण के घाट पर स्थित एक देश
द्रविडः —पुं॰—-—-—उस देश का निवासी
द्रविडः —पुं॰—-—-—एक नीच जाति
द्रविणम् —नपुं॰—-—द्रु + इनन्—दौलतमन्दी, धन, संपत्ति, द्रव्य
द्रविणम् —नपुं॰—-—द्रु + इनन्—सोना
द्रविणम् —नपुं॰—-—द्रु + इनन्—सामर्थ्य, शक्ति
द्रविणम् —नपुं॰—-—द्रु + इनन्—वीरता, विक्रम
द्रविणम् —नपुं॰—-—द्रु + इनन्—वात सामग्री सामान
द्रविणाधिपतिः —पुं॰—द्रविणम्- अधिपतिः—-—कुबेर का विशेषण
द्रविणेश्वरः —पुं॰—द्रविणम्- ईश्वरः—-—कुबेर का विशेषण
द्रव्यम् —नपुं॰—-—द्रु + यत्—वस्तु, सामग्री, पदार्थ, सामान
द्रव्यम् —नपुं॰—-—द्रु + यत्—अवयव, उपादान
द्रव्यम् —नपुं॰—-—द्रु + यत्—सामग्री
द्रव्यम् —नपुं॰—-—द्रु + यत्—उपयुक्त पात्र
द्रव्यम् —नपुं॰—-—द्रु + यत्—मूल तत्त्व, गुणों का आधार, वैशेषिकों के सात प्रवर्गों में से एक
द्रव्यम् —नपुं॰—-—द्रु + यत्—स्वायत्तीकृत कोई पदार्थ, दौलत, सामग्री, संपत्ति, धन
द्रव्यम् —नपुं॰—-—द्रु + यत्—औषधि, दवाई
द्रव्यम् —नपुं॰—-—द्रु + यत्—लज्जा, शालीनता
द्रव्यम् —नपुं॰—-—द्रु + यत्—कांसा
द्रव्यम् —नपुं॰—-—द्रु + यत्—मदिरा
द्रव्यम् —नपुं॰—-—द्रु + यत्—शर्त, दाँव
द्रव्यार्जनम् —स्त्री॰—द्रव्यम्- अर्जनम्—-—धन की अवाप्ति
द्रव्यवृद्धिः —स्त्री॰—द्रव्यम्- वृद्धिः—-—धन की अवाप्ति
द्रव्यसिद्धिः —स्त्री॰—द्रव्यम्- सिद्धिः—-—धन की अवाप्ति
द्रव्यओधः —पुं॰—द्रव्यम्- ओधः—-—सम्पन्नता, धन की बहुतायत
द्रव्यपरिग्रहः —पुं॰—द्रव्यम्- परिग्रहः—-—संपत्ति या धन का संचय
द्रव्यप्रकृतिः —स्त्री॰—द्रव्यम्- प्रकृतिः—-—माया का स्वभाव
द्रव्यसंस्कारः —पुं॰—द्रव्यम्-संस्कारः—-—यज्ञ के पदार्थों का शुद्धीकरण
द्रव्यवाचकम् —नपुं॰—द्रव्यम्- वाचकम्—-—संज्ञा, सत्तासूचक
द्रव्यवत् —वि॰—-—द्रव्य + मतुप्—धनी दौलतमंद
द्रव्यवत् —वि॰—-—द्रव्य + मतुप्—सामग्री में अन्तर्निहित
द्रष्टव्य —सं॰ कृ॰, वि॰—-—-—देखे जाने के योग्य, जो दिखलाई दे सके
द्रष्टव्य —सं॰ कृ॰, वि॰—-—-—प्रत्यक्षज्ञानयोग्य
द्रष्टव्य —सं॰ कृ॰, वि॰—-—-—देखने, अनुसंधान करने या परीक्षा करने के योग्य
द्रष्टव्य —सं॰ कृ॰, वि॰—-—-—प्रिय, दर्शनीय, सुन्दर
द्रष्ट्ट —पुं॰—-—दृश् + तृच्—दर्शक, मानसिक रूप से देखने वाला, जैसा कि ’ऋषयो मन्त्रद्रष्टारः’ में
द्रष्ट्ट —पुं॰—-—दृश् + तृच्—न्यायाधीश
द्रहः —पुं॰—-— = ह्रद पृषो॰ साधुः—गहरी झील
द्रा —अदा॰ दिवा॰- <द्राति>, < द्रायति>—-—-—सोना
द्रा —अदा॰ दिवा॰- <द्राति>, < द्रायति>—-—-—दौड़ना, शीघ्रता करना
द्रा —अदा॰ दिवा॰- <द्राति>, < द्रायति>—-—-—उड़ना, भाग जाना
निद्रा —स्त्री॰—नि-द्रा—-—नींद आना, सोना, सो जाना
द्राक् —अव्य॰—-—द्रा + कु—जल्दी से, तुरन्त, उसी समय तत्काल
द्राक्भृतकम् —नपुं॰—द्राक्- भृतकम्—-—कुएँ से अभी-अभी निकाला हुआ जल
द्राक्षा —स्त्री॰—-—द्राङ्क्ष् + आ + टाप्, नि॰ नलोपः—अंगूर, दाख
द्राक्षारसः —पुं॰—द्राक्षा- रसः—-—अंगूर का रस, मदिरा
द्राघय —ना॰ धा॰ पर॰—-—-—लम्बा करना, फैलाना, विस्तार करना
द्राघय —ना॰ धा॰ पर॰—-—-—बढ़ाना, गाढ़ा करना
द्राघय —ना॰ धा॰ पर॰—-—-—ठहरना, देर करना
द्राघिमन् —पुं॰—-—दीर्घ + इमनिच्, द्राघ् आदेशः—लम्बाई
द्राघिमन् —पुं॰—-—दीर्घ + इमनिच्, द्राघ् आदेशः—अक्षांश रेखा का दर्जा
द्राघिष्ठ —वि॰—-—अतिशयेन दीर्घः दीर्घ + इष्ठन्, द्राघ् आदेशः —सबसे अधिक लम्बा
द्राघिष्ठ —वि॰—-—अतिशयेन दीर्घः दीर्घ + इष्ठन्, द्राघ् आदेशः —अत्यन्त लम्बा
द्राघीयस् —वि॰—-—दीर्घ + ईयसुन्, द्राघ्, आदेशः—अपेक्षाकृत लम्बा, बहुत लम्बा
द्राण —वि॰—-—द्रा + क्त, नत्वं, णत्वम्—उड़ा हुआ, भागा हुआ
द्राण —वि॰—-—द्रा + क्त, नत्वं, णत्वम्—सोता हुआ, निद्रालु
द्राणम् —नपुं॰—-—-—दौड़ जाना, भगदड़, प्रत्यावर्तन
द्रापः —पुं॰—-—द्रा + णिच् + अच्, पुक्—कीचड़, दलदल
द्रापः —पुं॰—-—द्रा + णिच् + अच्, पुक्—स्वर्ग, आकाश
द्रापः —पुं॰—-—द्रा + णिच् + अच्, पुक्—मूर्ख, जड
द्रापः —पुं॰—-—द्रा + णिच् + अच्, पुक्—शिव का विशेषण, छोटा शंख
द्रामिलः —पुं॰—-—द्रमिल + अण्—चाणक्य
द्रावः —पुं॰—-—द्रु + घञ्—भगदड़, प्रत्यावर्तन
द्रावः —पुं॰—-—द्रु + घञ्—चाल
द्रावः —पुं॰—-—द्रु + घञ्—दौड़ना, बढ़ाव
द्रावः —पुं॰—-—द्रु + घञ्—गर्मी
द्रावः —पुं॰—-—द्रु + घञ्—तरलीकरण, पिघलना
द्रावकः —पुं॰—-—द्रु + ण्वुल—पिघलाने वाला पदार्थ
द्रावकः —पुं॰—-—द्रु + ण्वुल—अयस्कान्त मणि चुम्बक
द्रावकः —पुं॰—-—द्रु + ण्वुल—चन्द्रकांत मणि
द्रावकः —पुं॰—-—द्रु + ण्वुल—चोर
द्रावकः —पुं॰—-—द्रु + ण्वुल—बुद्धिमान् पुरुष, परिहास चतुर, ठिठोलिया, विदूषक
द्रावकः —पुं॰—-—द्रु + ण्वुल—लम्पट, व्यभिचारी
द्रावणम् —नपुं॰—-—द्रु + णिच् + ल्युट्—भाग जाना
द्रावणम् —नपुं॰—-—द्रु + णिच् + ल्युट्—पिघलना, गलना
द्रावणम् —नपुं॰—-—द्रु + णिच् + ल्युट्—अर्क निकालना
द्रावणम् —नपुं॰—-—द्रु + णिच् + ल्युट्—रीठा
द्राविडः —पुं॰—-—द्रविड + अण्—द्रविड देश निवासी, द्रविड का
द्राविडः —पुं॰—-—द्रविड + अण्—पंच द्रविड ब्राह्मणों में एक
द्राविडाः —पुं॰—-—-—द्रविड देश तथा उसके निवासी
द्राविडी —स्त्री॰—-—-—इलायची
द्राविडकः —पुं॰—-—द्राविड + कन्—आभाहल्दी
द्राविडकम् —नपुं॰—-—-—काला नमक
द्रु —भ्वा॰ पर॰ द्रवति, द्रुत, इच्छा॰ दुद्रूषति—-—-—दौड़ना, बहना, भाग जाना, प्रत्यावर्तन करना
द्रु —भ्वा॰ पर॰ द्रवति, द्रुत, इच्छा॰ दुद्रूषति—-—-—धावा बोलना, हमला करना, सत्वर आक्रमण करना
द्रु —भ्वा॰ पर॰ द्रवति, द्रुत, इच्छा॰ दुद्रूषति—-—-—तरल होना, घुलना, पिघलना, रिसना
द्रु —भ्वा॰ पर॰ द्रवति, द्रुत, इच्छा॰ दुद्रूषति—-—-—जाना, हिलना- डुलना
द्रु —भ्वा॰ पर॰, पुं॰—-—-—भगा देना, उलटे पाँव भगा देना
द्रु —भ्वा॰ पर॰, पुं॰—-—-—पिघलना, गलना
अनुद्रु —भ्वा॰ पर॰—अनु- द्रु—-—पीछे भागना, अनुसरण करना, साथ जाना
अनुद्रु —भ्वा॰ पर॰—अनु- द्रु—-—पीछा करना, पैरवी करना
अभिद्रु —भ्वा॰ पर॰—अभि- द्रु—-—हमला करना, धावा बोलना, जाना
अभिद्रु —भ्वा॰ पर॰—अभि- द्रु—-—आ पड़ना
अभिद्रु —भ्वा॰ पर॰—अभि- द्रु—-—ऊपर से चले आना
उपद्रु —भ्वा॰ पर॰—उप - द्रु—-—हमला करना, आक्रमण करना
उपद्रु —भ्वा॰ पर॰—उप - द्रु—-—की ओर भागना
प्रद्रु —भ्वा॰ पर॰—प्र-द्रु—-—भाग जाना, प्रत्यावर्तन, दौड़ जाना
प्रतिद्रु —भ्वा॰ पर॰—प्रति- द्रु—-—भागना, भाग जाना,प्रत्यावर्तन
द्रु —भ्वा॰ पर॰—-—-—भगा देना, बिदका देना, तितर बितर कर देना
द्रु —स्वा॰ पर॰ < द्रुणोति>—-—-—क्षति पहुँचाना, अनिष्ट करना
द्रु —स्वा॰ पर॰ < द्रुणोति>—-—-—जाना
द्रु —स्वा॰ पर॰ < द्रुणोति>—-—-—पछताना
द्रु —नपुं॰—-—द्रु + डु—लकड़ी
द्रु —नपुं॰—-—द्रु + डु—लकड़ी का बना उपकरण
द्रु —पुं॰—-—द्रु + डु—वृक्ष
द्रु —पुं॰—-—द्रु + डु—शाखा
द्रुकिलिमम् —नपुं॰—द्रु- किलिमम्—-—देवदारु वृक्ष
द्रुघणः —पुं॰—द्रु- घणः—-—मोगरी, गदा या थापी
द्रुघणः —पुं॰—द्रु- घणः—-—बढ़ई की हथौड़ी जैसा लोहे का उपकरण
द्रुघणः —पुं॰—द्रु- घणः—-—कुठार, कुल्हाड़ी
द्रुघणः —पुं॰—द्रु- घणः—-—ब्रह्मा का विशेषण
द्रुघ्नी —पुं॰—द्रु- घ्नी—-—कुल्हाड़ी
द्रुनखः —पुं॰—द्रु-नखः—-—कांटा
द्रुनस —वि॰—द्रु- नस—-—बड़ी नाक वाला
द्रुनहः —पुं॰—द्रु- नहः—-—म्यान
द्रुणहः —पुं॰—द्रु-णहः—-—म्यान
द्रुसल्लकः —पुं॰—द्रु-सल्लकः—-—एक वृक्ष-पियाल
द्रुणः —पुं॰—-—द्रुण् + क—बिच्छू
द्रुणः —पुं॰—-—द्रुण् + क—मधुमक्खी
द्रुणः —पुं॰—-—द्रुण् + क—बदमाश
द्रुणहः —पुं॰—द्रुणः- हः—-—असिकोष, म्यान
द्रुणा —द्रुण + टापुं॰—-—-—धनुष की डोरी
द्रुणिः —स्त्री॰—-—द्रुण् + इन्—एक छोटा कछुवा या कछुवी
द्रुणिः —स्त्री॰—-—द्रुण् + इन्—डोल
द्रुणिः —स्त्री॰—-—द्रुण् + इन्—कान- खजूरा
द्रुणी —स्त्री॰—-—द्रुणि + ङीष्—एक छोटा कछुवा या कछुवी
द्रुणी —स्त्री॰—-—द्रुणि + ङीष्—डोल
द्रुणी —स्त्री॰—-—द्रुणि + ङीष्—कान- खजूरा
द्रुत —भू॰ क॰ कृ॰—-—द्रु + क्त—आशुगामी, फुर्तीला, द्रुतगामी
द्रुत —भू॰ क॰ कृ॰—-—द्रु + क्त—बहा हुआ, भागा हुआ, पलायित
द्रुत —भू॰ क॰ कृ॰—-—द्रु + क्त—पिघला हुआ, तरल, घुला हुआ
द्रुतम् —पुं॰—-—-—जल्दी से, फुर्ती से, वेग से, तुरन्त
द्रुतपद —वि॰—द्रुत- पद—-—आशुगामी
द्रुतविलम्बितम् —नपुं॰—द्रुत- विलम्बितम्—-—एक छंद का नाम
द्रापः —पुं॰—-—द्रा + णिच् + अच्, पुक्—कीचड़, दलदल
द्रापः —पुं॰—-—द्रा + णिच् + अच्, पुक्—स्वर्ग, आकाश
द्रापः —पुं॰—-—द्रा + णिच् + अच्, पुक्—मूर्ख, जड
द्रापः —पुं॰—-—द्रा + णिच् + अच्, पुक्—शिव का विशेषण, छोटा शंख
द्रामिलः —पुं॰—-—द्रमिल + अण्—चाणक्य
द्रावः —पुं॰—-—द्रु + घञ्—भगदड़, प्रत्यावर्तन
द्रावः —पुं॰—-—द्रु + घञ्—चाल
द्रावः —पुं॰—-—द्रु + घञ्—दौड़ना, बढ़ाव
द्रावः —पुं॰—-—द्रु + घञ्—गर्मी
द्रावः —पुं॰—-—द्रु + घञ्—तरलीकरण, पिघलना
द्रावकः —पुं॰—-—द्रु + ण्वुल—पिघलाने वाला पदार्थ
द्रावकः —पुं॰—-—द्रु + ण्वुल—अयस्कान्त मणि चुम्बक
द्रावकः —पुं॰—-—द्रु + ण्वुल—चन्द्रकांत मणि
द्रावकः —पुं॰—-—द्रु + ण्वुल—चोर
द्रावकः —पुं॰—-—द्रु + ण्वुल—बुद्धिमान् पुरुष, परिहास चतुर, ठिठोलिया, विदूषक
द्रावकः —पुं॰—-—द्रु + ण्वुल—लम्पट, व्यभिचारी
द्रावणम् —नपुं॰—-—द्रु + णिच् + ल्युट्—भाग जाना
द्रावणम् —नपुं॰—-—द्रु + णिच् + ल्युट्—पिघलना, गलना
द्रुतिः —स्त्री॰—-—द्रु + क्तिन्—पिघलना, घुलना
द्रुतिः —स्त्री॰—-—द्रु + क्तिन्—चले जाना, भाग जाना
द्रुपदः —पुं॰—-—-—पांचाल देश के एक राजा का नाम
द्रुमः —पुं॰—-—द्रुः शाखाऽस्त्यस्य- मः—वृक्ष
द्रुमः —पुं॰—-—द्रुः शाखाऽस्त्यस्य- मः—पारिजात वृक्ष
द्रुमारिः —पुं॰—द्रुमः- अरिः—-—हाथी
द्रुमामय —पुं॰—द्रुमः-आमय—-—लाख, गोंद
द्रुमाश्रयः —पुं॰—द्रुमः- आश्रयः—-—छिपकली
द्रुमेश्वरः —पुं॰—द्रुमः- ईश्वरः—-—ताड़ का वृक्ष
द्रुमेश्वरः —पुं॰—द्रुमः- ईश्वरः—-—चन्द्रमा
द्रुमेश्वरः —पुं॰—द्रुमः- ईश्वरः—-—परिजात वृक्ष
द्रुमोत्पलः —पुं॰—द्रुमः- उत्पलः—-—कर्णिकार वृक्ष
द्रुमनखः —पुं॰—द्रुमः- नखः—-—काँटा
द्रुममरः —पुं॰—द्रुमः- मरः—-—काँटा
द्रुमव्याधिः —पुं॰—द्रुमः-व्याधिः—-—लाख, गोंद,
द्रुमश्रेष्ठः —पुं॰—द्रुमः- श्रेष्ठः—-—ताड़ का वृक्ष
द्रुमषण्डम् —नपुं॰—द्रुमः-षण्डम्—-—वृक्षोद्यान, पेड़ों का समूह
द्रुमिणी —स्त्री॰—-—द्रुम + इनि + ङीप्—वृक्षों का समूह
द्रुवयः —पुं॰—-—द्रु + वय—माप, मान
द्रुह् —दिवा॰पर॰<दुह्यति, दुग्ध>—-—-—ईर्ष्या द्वेष करना, क्षति या द्वेष पहुँचाने की चेष्टा करना, द्वेषपूर्वक बदला लेने की इच्छा से षडयन्त्र रचना
अभिद्रुह् —दिवा॰पर॰—अभि- द्रुह्—-—क्षति पहुँचाना, हमला करने का प्रयत्न करना, षड्यन्त्र रचना
द्रुह् —वि॰—-—द्रुह् + क्विप्—क्षति पहुँचाने वाला, चोट पहुँचाने वाला, षड्यन्त्रकारी, शत्रुवत् व्यवहार करने वाली
द्रुह् —स्त्री॰—-—-—क्षति, हानि
द्रुहः —पुं॰—-—द्रुह् + क—पुत्र
द्रुहः —पुं॰—-—द्रुह् + क—सरोवर, झील
द्रुहणः —पुं॰—-—द्रुं संसारगति हन्ति- द्रु + हन् + अच्, णत्वम्—ब्रह्मा या शिव का नाम
द्रुहिणः —पुं॰—-—द्रुह्यति दुष्टेम्यः, द्रुह् + इनन्, णत्वम्—ब्रह्मा या शिव का नाम
द्रूः —पुं॰—-—द्रु + क्विप्, दीर्घः—सोना
द्रूघणः —पुं॰—-— = द्रुघणः, पृषो॰ साधुः—हथौड़ा, लोहे का हथौड़ा
द्रूणः —पुं॰—-— = द्रुण, पृषो॰ साधु॰ —बिच्छू
द्रोणः —पुं॰—-—द्रुण + अच्, या द्रु + न—चार सौ बाँस लम्बी झील, या सरोवर
द्रोणः —पुं॰—-—द्रुण + अच्, या द्रु + न—बादल, जल से भरा बादल
द्रोणः —पुं॰—-—द्रुण + अच्, या द्रु + न—पहाड़ी कौवा, मुरदारखोर कौवा
द्रोणः —पुं॰—-—द्रुण + अच्, या द्रु + न—बिच्छू॰
द्रोणः —पुं॰—-—द्रुण + अच्, या द्रु + न—वृक्ष
द्रोणः —पुं॰—-—द्रुण + अच्, या द्रु + न—सफेद फूलों वाला वृक्ष
द्रोणः —पुं॰—-—द्रुण + अच्, या द्रु + न—कौरव पाण्डवों का गुरु
द्रोणः —पुं॰—-—-—एक विशेष तोल का बट्टा, या तो एक आढक या चार आढक, अथवा खारी का १/१६ भाग, या ३२ अथवा ६४ सेर
द्रोणम् —नपुं॰—-—-—एक विशेष तोल का बट्टा, या तो एक आढक या चार आढक, अथवा खारी का १/१६ भाग, या ३२ अथवा ६४ सेर
द्रोणम् —नपुं॰—-—-—काष्ठ पात्र, प्याला, कठौती
द्रोणम् —नपुं॰—-—-—लकड़ी की कूण्ड या खोर
द्रोणाचार्यः —पुं॰—द्रोणः- आचार्यः—-—कौरव पाण्डवों का गुरु
द्रोणकाकः —पुं॰—द्रोणः- काकः—-—पहाड़ी कौवा
द्रोणक्षीरा —स्त्री॰—द्रोणः- क्षीरा—-—एक द्रोण दूध देने वाली गाय
द्रोणघा —स्त्री॰—द्रोणः- घा—-—एक द्रोण दूध देने वाली गाय
द्रोणदुग्धा —स्त्री॰—द्रोणः- दुग्धा—-—एक द्रोण दूध देने वाली गाय
द्रोणदुधा —स्त्री॰—द्रोणः- दुधा—-—एक द्रोण दूध देने वाली गाय
द्रोणमुखम् —नपुं॰—द्रोणः- मुखम्—-—४०० गाँव की राजधानी, मुख्य नगर
द्रोणिः —स्त्री॰—-—द्रु+ नि—लकड़ी का बना एक अण्डाकार पात्र जिसमें पानी रखते हैं, अथवा पानी जिससे बाहर निकालते हैं, डोल, चिलमची कुप्पी
द्रोणिः —स्त्री॰—-—द्रु+ नि—जलाधार
द्रोणिः —स्त्री॰—-—द्रु+ नि—काट की खोर
द्रोणिः —स्त्री॰—-—द्रु+ नि—दो शूर्प या १२६ सेर के बराबर धारिता की माप
द्रोणिः —स्त्री॰—-—द्रु+ नि—दो पहाड़ों के बीच की घाटी,
द्रोणी —स्त्री॰—-—द्रोणि + ङीष्—लकड़ी का बना एक अण्डाकार पात्र जिसमें पानी रखते हैं, अथवा पानी जिससे बाहर निकालते हैं, डोल, चिलमची कुप्पी
द्रोणी —स्त्री॰—-—द्रोणि + ङीष्—जलाधार
द्रोणी —स्त्री॰—-—द्रोणि + ङीष्—काट की खोर
द्रोणी —स्त्री॰—-—द्रोणि + ङीष्—दो शूर्प या १२६ सेर के बराबर धारिता की माप
द्रोणी —स्त्री॰—-—द्रोणि + ङीष्—दो पहाड़ों के बीच की घाटी,
द्रोणिदलः —पुं॰—द्रोणिः- दलः—-—केतक का पौधा
द्रोहः —पुं॰—-—द्रुह् + घञ—किसी के विरुद्ध षड्यन्त्र रचना, आघात या आक्रमण करने की चेष्टा, क्षति, उपद्रव, ईर्ष्या
द्रोहः —पुं॰—-—द्रुह् + घञ—धोखा, विश्वासघात
द्रोहः —पुं॰—-—द्रुह् + घञ—अन्याय, दोष
द्रोहः —पुं॰—-—द्रुह् + घञ—विद्रोह
द्रोहाटः —पुं॰—द्रोहः- अटः—-—पाखंडी, धूर्त, छद्मवेषी
द्रोहाटः —पुं॰—द्रोहः- अटः—-—शिकारी
द्रोहाटः —पुं॰—द्रोहः- अटः—-—झूठा मनुष्य
द्रोहचिन्तनम् —नपुं॰—द्रोहः- चिन्तनम्—-—ईर्ष्यायुक्त विचार, अपकार चिन्ता, हानि पहुँचाने का इरादा
द्रोहवृद्धि —वि॰—द्रोहः- वृद्धि—-—उपद्रव करने पर उतारू या दूषित व्यवहार पर तुला हुआ
द्रोहवृद्धिः —स्त्री॰—द्रोहः- वृद्धिः—-—दुष्ट प्रयोजन, दुराशय
द्रौणायनः —पुं॰—-—द्रोण + फक्—अश्वत्थामा का विशेषण
द्रौणायनिः —पुं॰—-—द्रोण + फिञ् —अश्वत्थामा का विशेषण
द्रौणिः —पुं॰—-—द्रोण + इञ्—अश्वत्थामा का विशेषण
द्रौपदी —स्त्री॰—-—द्रुपद + अण् + ङीप्—पांचालराज द्रुपद की पुत्री का नाम
द्वौपदेयः —पुं॰—-—द्रौपदी + ढक्—द्रौपदी का पुत्र
द्वन्द्वः —पुं॰—-—द्वौ द्वौ सहाभिव्यक्तौ- द्वि शब्दस्य द्वित्वम्, पूर्वपदस्य अम्भावः,उत्तरपदस्य नपुंसकत्वम्, नि॰—घड़ियाल जिस पर प्रहार करके घंटों की सूचना दी जाती है।
द्वन्द्वम् —नपुं॰—-—-—जोड़ा, जन्तु युगल
द्वन्द्वम् —नपुं॰—-—-—स्त्री-पुरुष, नर-मादा
द्वन्द्वम् —नपुं॰—-—-—दो वस्तुओं का जोड़ा, दो विरोधी अवस्थाओं या गुणों का जोड़ा
द्वन्द्वम् —नपुं॰—-—-—झगड़ा, लड़ाई, कलह, टाण्टा, युद्ध
द्वन्द्वम् —नपुं॰—-—-—कुश्ती
द्वन्द्वम् —नपुं॰—-—-—संदेह, अनिश्चिति
द्वन्द्वम् —नपुं॰—-—-—किला, गढ़
द्वन्द्वम् —नपुं॰—-—-—रहस्य
द्वन्द्वः —पुं॰—-—-—समास के चार मुख्य भेदों में से एक जिसमें दो या दो से अधिक शब्द एक साथ जोड़ दिये जाते हैं, जो कि असमस्त होने की अवस्था में एक ही विभक्ति के रुप ’और’ अव्यय से जोड़े जाते
द्वन्द्वचर —वि॰—द्वन्द्वः- चर—-—जोड़े के रूप में रहने वाले
द्वन्द्वचारिन् —वि॰—द्वन्द्वः- चारिन्—-—जोड़े के रूप में रहने वाले
द्वन्द्वचर —पुं॰—द्वन्द्वः- चर—-—चकवा
द्वन्द्वभावः —पुं॰—द्वन्द्वः- भावः—-—वैपरीत्य, अनबन
द्वन्द्वभिन्नम् —नपुं॰—द्वन्द्वः- भिन्नम्—-—स्त्री और पुरूष का वियोग
द्वन्द्वभूत —वि॰—द्वन्द्वः- भूत—-—एक जोड़ा बनाते हुए
द्वन्द्वभूत —वि॰—द्वन्द्वः- भूत—-—संदिग्ध, अनिश्चित
द्वन्द्वयुद्धम् —नपुं॰—द्वन्द्वः- युद्धम्—-—मल्लयुद्ध, अकेलों की लड़ाई
द्वन्द्वशः —अव्य॰—-—द्वन्द्व + शस्—दो- दो करके जोड़े में
द्वय —वि॰—-—द्वि + अयट्—दोहरा, दुगुना, दो प्रकार का, दो तरह का
द्वयम् —नपुं॰—-—-—जोड़ी, युगल, युग्म
द्वयम् —नपुं॰—-—-—दो प्रकार की प्रकृति, द्वैधता
द्वयम् —नपुं॰—-—-—मिथ्यात्व
द्वयी —स्त्री॰—-—-—जोड़ी, युगल
द्वयातिग —वि॰—द्वय- अतिग—-—जिसका मन रजस् और तमस् इन दो गुणों के प्रभाव से मुक्त हो गया है, सन्त, महात्मा
द्वयात्मक —वि॰—द्वय-आत्मक—-—द्वैवप्रकृति से युक्त
द्वयवादिन् —वि॰—द्वय- वादिन्—-—द्विजिह्व, कपटी
द्वयस —वि॰—-—-—’जहाँ तक हो सके’ ’इतना ऊँचा जितना कि’ ’इतना गहरा जितना कि’ ’पहुँचने वाला’ अर्थ को बतलाने वाला प्रत्यय जो संज्ञा शब्दों के साथ लगता है।
द्वापरः —पुं॰—-—द्वाभ्यां सत्यत्रेतायुगाभ्यां परः पृषो॰- तारा॰—विश्व का तृतीय युग
द्वापरः —पुं॰—-—द्वाभ्यां सत्यत्रेतायुगाभ्यां परः पृषो॰- तारा॰—पासे का वह पार्श्व जिस पर ’दो’ की संख्या अंकित है
द्वापरः —पुं॰—-—द्वाभ्यां सत्यत्रेतायुगाभ्यां परः पृषो॰- तारा॰—संदेह, शशोपंज, अनिश्चितता
द्वापरम् —नपुं॰—-—द्वाभ्यां सत्यत्रेतायुगाभ्यां परः पृषो॰- तारा॰—विश्व का तृतीय युग
द्वापरम् —नपुं॰—-—द्वाभ्यां सत्यत्रेतायुगाभ्यां परः पृषो॰- तारा॰—पासे का वह पार्श्व जिस पर ’दो’ की संख्या अंकित है
द्वापरम् —नपुं॰—-—द्वाभ्यां सत्यत्रेतायुगाभ्यां परः पृषो॰- तारा॰—संदेह, शशोपंज, अनिश्चितता
द्वामुष्यायण —वि॰—-—अदस् + फक् = आमुष्यायणः ष॰ त॰—
द्वार —स्त्री॰—-—द्वृ + णिच् + विच्—दरवाजा, फाटक
द्वार —स्त्री॰—-—द्वृ + णिच् + विच्—उपाय, तरकीब, द्वारा ’के उपाय से’ की मार्फत
द्वाःस्थः —पुं॰—द्वार- स्थः—-—द्वारपाल, डयोढ़ीवान्
द्वास्थः —पुं॰—द्वार- स्थः—-—द्वारपाल, डयोढ़ीवान्
द्वाःस्थितः —पुं॰—द्वार- स्थितः—-—द्वारपाल, डयोढ़ीवान्
द्वास्थितः —पुं॰—द्वार- स्थितः—-—द्वारपाल, डयोढ़ीवान्
द्वारम् —नपुं॰—-—द्वृ + णिच् + अच्—दरवाजा, तोरण, प्रवेशद्वार, फाटक
द्वारम् —नपुं॰—-—द्वृ + णिच् + अच्—मार्ग, प्रवेश, घुंसना, मुंह
द्वारम् —नपुं॰—-—द्वृ + णिच् + अच्—शरीर के द्वार या छिद्र
द्वारम् —नपुं॰—-—द्वृ + णिच् + अच्—मार्ग, माध्यम, साधन या उपाय
द्वारेण —नपुं॰—-—-—’में से’ ’के साधन से’
द्वाराधिपः —पुं॰—द्वारम्- अधिपः—-—डयोढ़ीवान्, द्वारपाल
द्वारकण्टकः —पुं॰—द्वारम्- कण्टकः—-—दरवाजे की कुंडी
द्वारकपाटः —पुं॰—द्वारम्- कपाटः—-—दरवाजे का पत्ता या दिला
द्वारकपाटम् —नपुं॰—द्वारम्- कपाटम्—-—दरवाजे का पत्ता या दिला
द्वारगोपः —पुं॰—द्वारम्- गोपः—-—द्वारपाल, डयोढ़ीवान्, पहरेदार
द्वारनायकः —पुं॰—द्वारम्- नायकः—-—द्वारपाल, डयोढ़ीवान्, पहरेदार
द्वारपः —पुं॰—द्वारम्- पः—-—द्वारपाल, डयोढ़ीवान्, पहरेदार
द्वारपालः —पुं॰—द्वारम्-पालः—-—द्वारपाल, डयोढ़ीवान्, पहरेदार
द्वारपालकः —पुं॰—द्वारम्- पालकः—-—द्वारपाल, डयोढ़ीवान्, पहरेदार
द्वारदारुः —पुं॰—द्वारम्- दारुः—-—सागवान की लकड़ी
द्वारपट्टः —पुं॰—द्वारम्- पट्टः—-—दरवाजे का दिला
द्वारपट्टः —पुं॰—द्वारम्- पट्टः—-—दरवाजे का पर्दा
द्वारपिण्डी —स्त्री॰—द्वारम्- पिण्डी—-—दरवाजे की देहली
द्वारपिधानः —पुं॰—द्वारम्- पिधानः—-—दरवाजे की कुंडी
द्वारबलिभुज् —पुं॰—द्वारम्- बलिभुज्—-—कौवा
द्वारबलिभुज् —पुं॰—द्वारम्- बलिभुज्—-—चिड़िया
द्वारबाहुः —पुं॰—द्वारम्- बाहुः—-—दरवाजे की बाजू, द्वार का पाखा
द्वारयन्त्रम् —नपुं॰—द्वारम्- यन्त्रम्—-—ताल, कुंडी
द्वारस्थः —पुं॰—द्वारम्- स्थः—-—द्वारपाल
द्वारका —स्त्री॰—-—द्वार + कै + क—गुजरात के पश्चिमी किनारे पर स्थित कृष्ण की राजधानी
द्वारिका —स्त्री॰—-—द्वार + कै + क—गुजरात के पश्चिमी किनारे पर स्थित कृष्ण की राजधानी
द्वारकेशः —पुं॰—द्वारका- ईशः—-—कृष्ण का विशेषण
द्वारिकेशः —पुं॰—द्वारिका-ईशः—-—कृष्ण का विशेषण
द्वारवती —स्त्री॰—-—-—द्वारका
द्वारावती —स्त्री॰—-—-—द्वारका
द्वारिकः —पुं॰—-—-—डयोढ़ीवान्, द्वारपाल
द्वारिन् —पुं॰—-—-—डयोढ़ीवान्, द्वारपाल
द्वि —संख्या॰ वि॰—-—-—दो, दोनों
द्व्यक्ष —वि॰—द्वि-अक्ष—-—दो आँखों वाला
द्व्यक्षर —वि॰—द्वि- अक्षर—-—द्वयक्षरी, दो अक्षरों से संबद्ध
द्व्यङ्गुल —वि॰—द्वि- अङ्गुल—-—दो अंगुल लम्बा
द्व्यङ्गुलम् —नपुं॰—द्वि- अङ्गुलम्—-—दो अंगुल की लम्बाई
द्व्यणुकम् —नपुं॰—द्वि- अणुकम्—-—दो अणुओं का संघात
द्व्यर्थ —वि॰—द्वि- अर्थ—-—दो अर्थ रखने वाला
द्व्यर्थ —वि॰—द्वि- अर्थ—-—संदिग्ध, अस्पष्ट या द्वयर्थक
द्व्यर्थ —वि॰—द्वि- अर्थ—-—दो बातों का ध्यान रखने वाला
द्व्यशीत —वि॰—द्वि- अशीत—-—बयासीवाँ
द्व्यशीतिः —स्त्री॰—द्वि- अशीतिः—-—बयासी
द्व्यष्टम् —नपुं॰—द्वि- अष्टम्—-—ताँबा
द्व्यहः —पुं॰—द्वि- अहः—-—दो दिन का समय
द्व्यात्मक —वि॰—द्वि- आत्मक—-—दो प्रकार के स्वभाव वाला
द्व्यात्मक —वि॰—द्वि- आत्मक—-—दो होने वाला
द्व्यामुष्यायणः —पुं॰—द्वि- आमुष्यायणः—-—दो पिताओं का पुत्र, गोद लिया हुआ बेटा, जो अपने मूल पिता की सम्पत्ति का भी साथ ही साथ उत्तराधिकारी हो।
द्व्यर्चम् —नपुं॰—द्वि- ऋचम्—-—ऋचाओं का संग्रह
द्विकः —पुं॰—द्वि- कः—-—कौवा
द्विकः —पुं॰—द्वि- कः—-—चकवा
द्विककारः —पुं॰—द्वि- ककारः—-—कौवा
द्विककारः —पुं॰—द्वि- ककारः—-—चकवा
द्विककुद् —पुं॰—द्वि- ककुद्—-—ऊँट
द्विगु —वि॰—द्वि- गु—-—दो गौओं से विनिमय किया हुआ
द्विगुः —पुं॰—द्वि- गुः—-—तत्पुरुष समास का एक भेद जिसमें पूर्वपद संख्यावाचक होता है।
द्विगुण —वि॰—द्वि- गुण—-—दुगुना, दोहरा
द्विगुणित —वि॰—द्वि- गुणित—-—दुगुना किया हुआ
द्विगुणित —वि॰—द्वि- गुणित—-—दो तह किया हुआ
द्विगुणित —वि॰—द्वि- गुणित—-—लपेटा हुआ
द्विगुणित —वि॰—द्वि- गुणित—-—दुगुना बढ़ाया हुआ
द्विचरण —वि॰—द्वि- चरण—-—दो टाँगों वाला, दो पैरों वाला
द्विचत्वारिंश —वि॰—द्वि- चत्वारिंश—-—बयालीसवाँ
द्विचत्वारिंशत् —स्त्री॰—द्वि- चत्वारिंशत्—-—बयालीस
द्विजः —पुं॰—द्वि- जः—-—हिन्दुओं के प्रथम तीन वर्णों में कोई एक
द्विजः —पुं॰—द्वि- जः—-—ब्राह्मण
द्विजः —पुं॰—द्वि- जः—-—अंडज जंतु जैसे कि पक्षी, साँप, मछली आदि
द्विजः —पुं॰—द्वि- जः—-—दाँत
द्विजाग्रयः —पुं॰—द्विजः- अग्रयः—-—ब्राह्मण
द्विजायनी —स्त्री॰—द्विजः- अयनी—-—यज्ञोपवीत जिसे हिन्दुओं के प्रथम तीन वर्ण धारण करते हैं।
द्विजालयः —पुं॰—द्विजः- आलयः—-—द्विज का घर
द्विजेन्द्रः —पुं॰—द्विजः- इन्द्रः—-—चन्द्रमा
द्विजेन्द्रः —पुं॰—द्विजः- इन्द्रः—-—गरुड़ का विशेषण
द्विजेन्द्रः —पुं॰—द्विजः- इन्द्रः—-—कपूर
द्विजेशः —पुं॰—द्विजः- ईशः—-—चन्द्रमा
द्विजेशः —पुं॰—द्विजः- ईशः—-—गरुड़ का विशेषण
द्विजेशः —पुं॰—द्विजः- ईशः—-—कपूर
द्विजदासः —पुं॰—द्विजः- दासः—-—शूद्र
द्विजपतिः —पुं॰—द्विजः- पतिः—-—चन्द्रमा का विशेषण
द्विजपतिः —पुं॰—द्विजः- पतिः—-—गरुड़ का विशेषण
द्विजपतिः —पुं॰—द्विजः- पतिः—-—कपूर
द्विजराजः —पुं॰—द्विजः- राजः—-—चन्द्रमा का विशेषण
द्विजराजः —पुं॰—द्विजः- राजः—-—गरुड
द्विजराजः —पुं॰—द्विजः- राजः—-—कपूर
द्विजप्रपा —स्त्री॰—द्विजः- प्रपा—-—आलवाल, थांवला
द्विजप्रपा —स्त्री॰—द्विजः- प्रपा—-—चुबच्चा
द्विजबन्धुः —पुं॰—द्विजः- बन्धुः—-—जो ब्राह्मण बनने का बहाना करता है।
द्विजबन्धुः —पुं॰—द्विजः- बन्धुः—-—जो जन्म से ब्राह्मण हो, कर्म से न हो
द्विजब्रुवः —पुं॰—द्विजः- ब्रुवः—-—जो ब्राह्मण बनने का बहाना करता है।
द्विजब्रुवः —पुं॰—द्विजः- ब्रुवः—-—जो जन्म से ब्राह्मण हो, कर्म से न हो
द्विजलिङ्गिन् —पुं॰—द्विजः- लिङ्गिन्—-—क्षत्रिय
द्विजलिङ्गिन् —पुं॰—द्विजः- लिङ्गिन्—-—झूठा ब्राह्मण, ब्राह्मण वेशधारी
द्विजवाहनः —पुं॰—द्विजः- वाहनः—-—विष्णु की उपाधि
द्विजसेवक —वि॰—द्विजः- सेवक—-—शूद्र
द्विजन्मन् —पुं॰—द्वि- जन्मन्—-—हिन्दुओं के प्रथम तीन वर्णों में से किसी एक वर्ण का
द्विजन्मन् —पुं॰—द्वि- जन्मन्—-—ब्राह्मण
द्विजन्मन् —पुं॰—द्वि- जन्मन्—-—पक्षी पंछी
द्विजन्मन् —पुं॰—द्वि- जन्मन्—-—दाँत
द्विजातिः —पुं॰—द्वि- जातिः—-—हिन्दुओं के प्रथम तीन वर्णों में से किसी एक वर्ण का
द्विजातिः —पुं॰—द्वि- जातिः—-—ब्राह्मण
द्विजातिः —पुं॰—द्वि- जातिः—-—पक्षी पंछी
द्विजातिः —पुं॰—द्वि- जातिः—-—दाँत
द्विजातीय —वि॰—द्वि- जातीय—-—हिन्दुओं के प्रथम तीन वर्णों में से किसी एक वर्ण का
द्विजिह्वः —पुं॰—द्वि- जिह्वः—-—साँप
द्विजिह्वः —पुं॰—द्वि- जिह्वः—-—संसूचक, मिथ्यानिन्दक, चुगलखोर
द्विजिह्वः —पुं॰—द्वि- जिह्वः—-—कपटी पुरुष
द्वित्र —वि॰, ब॰ व॰—द्वि- त्र—-—दो तीन
द्वित्रिंश —वि॰—द्वि- त्रिंश—-—बत्तीसवाँ
द्वित्रिंश —वि॰—द्वि- त्रिंश—-—बत्तीस से युक्त
द्वित्रिंशत् —वि॰—द्वि- त्रिंशत्—-—बत्तीस
द्वात्रिंशल्लक्षण —वि॰—द्वात्रिंशत्- लक्षण—-—३२ शुभलक्षणों से युक्त
द्विदण्डि —अव्य॰—द्वि- दण्डि—-—डंडे से डंडा
द्विदत् —वि॰—द्वि- दत्—-—दो दाँत रखने वाला
द्विदश —वि॰, ब॰ व॰—द्वि- दश—-—बीस
द्विदश —वि॰—द्वि-दश—-—बीसवाँ
द्विदश —वि॰—द्वि-दश—-—बारह से युक्त
द्विदशन् —वि॰, ब॰ व॰—द्वि- दशन्—-—बारह
द्वादशांशुः —पुं॰—द्वादशन्- अंशुः—-—बृहस्पति ग्रह तथा
द्वादशांशुः —पुं॰—द्वादशन्- अंशुः—-—देवों के गुरु बृहस्पति का विशेषण
द्वादशांक्षः —पुं॰—द्वादशन्- अक्षः—-—कार्तिकेय का विशेषण
द्वादशकरः —पुं॰—द्वादशन्- करः—-—कार्तिकेय का विशेषण
द्वादशलोचनः —पुं॰—द्वादशन्- लोचनः—-—कार्तिकेय का विशेषण
द्वादशाङ्गुलः —पुं॰—द्वादशन्- अङ्गुलः—-—१२ अंगुल का माप
द्वादशाह —वि॰—द्वादशन्- अह—-—बारह दिन का समय
द्वादशाह —वि॰—द्वादशन्- अह—-—१२ दिन तक चलने वाला या १२ दिन में पूर्ण होने वाला यज्ञ
द्वादशात्मन् —पुं॰—द्वादशन्- आत्मन्—-—सूर्य
द्वादशादित्याः —पुं॰,ब॰ व॰—द्वादशन्- आदित्याः—-—बारह सूर्य
द्वादशायुस् —पुं॰—द्वादशन्-आयुस्—-—कुत्ता
द्वादशसहस्र —वि॰—द्वादशन्- सहस्र—-—१२००० से युक्त
द्विदशी —स्त्री॰—द्वि- दशी—-—चाँद्र मास के पक्ष की १२वीं तिथि
द्विदेवतम् —नपुं॰—द्वि- देवतम्—-—विशाखानाम नक्षत्र
द्विदेहः —पुं॰—द्वि- देहः—-—गणेश का विशेषण
द्विधातुः —पुं॰—द्वि- धातुः—-—गणेश का विशेषण
द्विनग्नकः —पुं॰—द्वि- नग्नकः—-—वह मनुष्य जिसकी सुन्नत हो चुकी हो।
द्विनवत —वि॰—द्वि- नवत—-—बानवेवाँ
द्विनवतिः —पुं॰—द्वि- नवतिः—-—बानवे
द्विपः —पुं॰—द्वि- पः—-—हाथी
द्विपास्यः —पुं॰—द्विपः- आस्यः—-—गणेश का विशेषण
द्विपक्षः —पुं॰—द्वि- पक्षः—-—पंछी
द्विपक्षः —पुं॰—द्वि- पक्षः—-—महीना
द्विपञ्चाश —वि॰—द्वि- पञ्चाश—-—बावनवाँ
द्विपञ्चाशत् —स्त्री॰—द्वि- पञ्चाशत्—-—बावन
द्विपथम् —नपुं॰—द्वि- पथम्—-—दो मार्ग
द्विपदः —पुं॰—द्वि- पदः—-—दुपाया, मनुष्य
द्विपदिका —स्त्री॰—द्वि-पदिका—-—दुपाया, मनुष्य
द्विपदिका —स्त्री॰—द्वि-पदिका—-—पक्षी, देवता
द्विपदी —स्त्री॰—द्वि- पदी—-—दुपाया, मनुष्य
द्विपदी —स्त्री॰—द्वि- पदी—-—पक्षी, देवता
द्विपाद्यः —पुं॰—द्वि- पाद्यः—-—दुहरा जुर्माना
द्विपाद्यम् —नपुं॰—द्वि- पाद्यम्—-—दुहरा जुर्माना
द्विपायिन् —पुं॰—द्वि- पायिन्—-—हाथी
द्विबिन्दुः —पुं॰—द्वि- बिन्दुः—-—विसर्गः
द्विभुजः —पुं॰—द्वि- भुजः—-—कोण
द्विभूम —वि॰—द्वि- भूम—-—दो मंजिला
द्विमातृ —पुं॰—द्वि- मातृ—-—गणेश का विशेषण
द्विमातृ —पुं॰—द्वि- मातृ—-—जरासंध का विशेषण
द्विमातृजः —पुं॰—द्वि- मातृजः—-—गणेश का विशेषण
द्विमातृजः —पुं॰—द्वि- मातृजः—-—जरासंध का विशेषण
द्विमात्रः —पुं॰—द्वि- मात्रः—-—दीर्घ स्वर
द्विमार्गी —पुं॰—द्वि- मार्गी—-—पगडंडी
द्विमुखा —पुं॰—द्वि- मुखा—-—जोंक
द्विरः —पुं॰—द्वि- रः—-—भौंरा
द्विरः —पुं॰—द्वि- रः—-—बर्बर
द्विरदः —पुं॰—द्वि- रदः—-—हाथी
द्विरदान्तकः —पुं॰—द्विरदः- अन्तकः—-—सिंह
द्विरदारातिः —पुं॰—द्विरदः- अरातिः—-—सिंह
द्विरदाशनः —पुं॰—द्विरदः- अशनः—-—सिंह
द्विरसनः —पुं॰—द्वि- रसनः—-—साँप
द्विरात्रम् —नपुं॰—द्वि- रात्रम्—-—दो रातें
द्विरूप —वि॰—द्वि- रूप—-—दो रूपों का
द्विरूप —वि॰—द्वि- रूप—-—दो रंग का, द्विदलीय
द्विरेतस् —पुं॰—द्वि- रेतस्—-—खच्चर
द्विरेफः —पुं॰—द्वि- रेफः—-—भौंरा
द्विवचनम् —नपुं॰—द्वि- वचनम्—-—द्विवचन
द्विवज्रकः —पुं॰—द्वि- वज्रकः—-—१६ कोणों का खोखा या पार्श्वो का घर
द्विवाहिका —स्त्री॰—द्वि- वाहिका—-—बहंगी
द्विविंश —वि॰—द्वि- विंश—-—बाइसवाँ
द्विविंशतिः —स्त्री॰—द्वि- विंशतिः—-—बाईस
द्विविध —वि॰—द्वि- विध—-—दो प्रकार का, दो तरह का
द्विवेशरा —स्त्री॰—द्वि- वेशरा—-—खड़खड़ा, खच्चरों से खींची जाने वाली हल्की गाड़ी
द्विशतम् —नपुं॰—द्वि- शतम्—-—दो सौ
द्विशतम् —नपुं॰—द्वि- शतम्—-—एक सौ दो
द्विशत्य —वि॰—द्वि- शत्य—-—दो सौ में खरीदा हुआ या दो सौ के मूल्य का
द्विशफ —वि॰—द्वि- शफ—-—दो फटे खुर वाला
द्विशफः —वि॰—द्वि- शफः—-—कॊई भी फटे दो खुर वाला जानवर
द्विशीर्षः —वि॰—द्वि- शीर्षः—-—अग्नि का विशेषण
द्विषष् —वि॰, ब॰ व॰—द्वि- षष्—-—दो बार छः, बारह
द्विषष्ट —वि॰—द्वि- षष्ट—-—बासठवाँ
द्विषष्टिः —स्त्री॰—द्वि- षष्टिः—-—बासठ
द्विसप्तत —वि॰—द्वि-सप्तत—-—बहत्तरवाँ
द्विसप्ततिः —स्त्री॰—द्वि- सप्ततिः—-—बहत्तर
द्विसप्ताहः —पुं॰—द्वि- सप्ताहः—-—पक्ष, पखवाड़ा
द्विसहस्र —वि॰—द्वि- सहस्र—-—२००० से युक्त
द्विसाहस्र —वि॰—द्वि- साहस्र—-—२००० से युक्त
द्विसहस्रम् —नपुं॰—द्वि- सहस्रम्—-—दो हजार
द्विसीत्य —वि॰—द्वि- सीत्य—-—दोनों ओर से हल चला हुआ अर्थात् पहले लम्बाई की ओर से और फिर चौड़ाई की ओर से
द्विहल्य —वि॰—द्वि- हल्य—-—दोनों ओर से हल चला हुआ अर्थात् पहले लम्बाई की ओर से और फिर चौड़ाई की ओर से
द्विसुवर्ण —वि॰—द्वि- सुवर्ण—-—दो सोने की मोहरों से खरीदा हुआ या दो स्वर्ण मुद्राओं के मूल्य का
द्विहन् —पुं॰—द्वि- हन्—-—हाथी
द्विहायन् —वि॰—द्वि- हायन्—-—दो वर्ष की आयु का
द्विवर्ष —वि॰—द्वि- वर्ष—-—दो वर्ष की आयु का
द्विहीन —वि॰—द्वि- हीन—-—नपुंसक लिंग
द्विहृदया —स्त्री॰—द्वि- हृदया—-—गर्भवती स्त्री
द्विहोतृ —पुं॰—द्वि- होतृ—-—अग्नि का विशेषण
द्विक —वि॰—-—द्वाभ्यां कायति- द्वि + कै + क—दोहरा, जोड़ी बनाने वाला, दो से युक्त
द्विक —वि॰—-—द्वाभ्यां कायति- द्वि + कै + क—दूसरा
द्विक —वि॰—-—द्वाभ्यां कायति- द्वि + कै + क—दोबारा होने वाला
द्विक —वि॰—-—द्वाभ्यां कायति- द्वि + कै + क—दो अधिक बढ़ा हुआ, दो प्रतिशत
द्वितय —वि॰—-—द्वौ अवयवौ यस्य- द्वि + तयप्—दो से युक्त, दो में विभक्त, दुगुना, दोहरा
द्वितयम् —नपुं॰—-—-—जोड़ी, युगल
द्वितीय —वि॰—-—द्वयोः पूरणम् द्वि + तीय—दूसरा
द्वितीयः —पुं॰—-—-—परिवार में दूसरा, पुत्र
द्वितीयः —पुं॰—-—-—साथी, साझीदार, मित्र
द्वितीया —स्त्री॰—-—-—चान्द्रमास के पक्ष की दोयज, पत्नी, साथी, साझीदार
द्वितीयाश्रमः —पुं॰—द्वितीय- आश्रमः—-—ब्राह्मण या गृहस्थ के जीवन की दूसरी अवस्था अर्थात् गार्हस्थ्य
द्वितीयक —वि॰—-—द्वितीय + कन्—दूसरा
द्वितीयाकृत —वि॰—-—द्वितीय + डाच् + कृ + क्त)—जिसमें दो बार हल चलाया जा चुका हो।
द्वितीयिन् —वि॰—-—द्वितीय + इनि—दूसरे स्थान पर अधिकार किये हुए।
द्विध —वि॰—-—द्विधा + क —दो भागों में विभक्त, दो टुकड़ों में कटा हुआ
द्विधा —अव्य॰—-—द्वि + धाच्—दो भागों में
द्विधा —अव्य॰—-—द्वि + धाच्—दो प्रकार से
द्विधाकरणम् —नपुं॰—द्विधा- करणम्—-—दो भागों में विभाजन, टुकड़े- टुकड़े करना
द्विधागतिः —पुं॰—द्विधा- गतिः—-—उभयचर जन्तु, जल-स्थल-चर
द्विधागतिः —पुं॰—द्विधा- गतिः—-—केंकड़ा
द्विधागतिः —पुं॰—द्विधा- गतिः—-—मगरमच्छ
द्विशस् —अव्य॰—-—द्वि + शस्—दो- दो करके, दो के हिसाब से, जोड़े में
द्विष् —अदा॰ उभ॰- < द्वेष्टि>, < द्विष्टे>, < द्विष्ट> —-—-—घृणा करना, पसंद न करना, विरोधी होना
द्विष् —वि॰—-—द्विष् + क्विप्—विरोधी, घृणा करने वाला, शत्रुवत्
द्विष —वि॰—-—द्विष् + क—शत्रु
द्विष —वि॰—-—-—शत्रु को संतप्त करने वाला, परिशोध लेने वाला
द्विषत् —पुं॰—-—द्विष् + शतृ—शत्रु
द्विष्ट —वि॰—-—द्विष् + क्त—विरोधी
द्विष्ट —वि॰—-—द्विष् + क्त—घृणित, अप्रिय
द्विष्टम् —नपुं॰—-—-—तांबा
द्विस् —अव्य॰—-—द्वि + सुच्—दो बार
द्विरागमनम् —नपुं॰—द्विस्- आगमनम्—-—गौना, मुकलावा, दुल्हन का अपने पति के घर दूसरी बार आना
द्विरापः —पुं॰—द्विस्- आपः—-—हाथी
द्विरुक्त —वि॰—द्विस्- उक्त—-—आवृत्ति, पुनरुक्ति
द्विरुक्त —वि॰—द्विस्- उक्त—-—अतिरेक, अनुपयोग
द्विरूढा —स्त्री॰—द्विस्- ऊढा—-—पुनर्विवाहित स्त्री
द्विर्भावः —पुं॰—द्विस्- भावः—-—द्विरावृत्ति
द्विर्वचनम् —नपुं॰—द्विस्- वचनम्—-—द्विरावृत्ति
द्वीपः —पुं॰—-—द्विर्गता द्वयोर्दिशोर्वा गता आपो यत्र द्वि + अप्—टापू
द्वीपः —पुं॰—-—द्विर्गता द्वयोर्दिशोर्वा गता आपो यत्र द्वि + अप्—शरणस्थान, आश्रयगृह, उत्पादन स्थान
द्वीपः —पुं॰—-—द्विर्गता द्वयोर्दिशोर्वा गता आपो यत्र द्वि + अप्—भूलोक का एक भाग
द्वीपम् —नपुं॰—-—द्विर्गता द्वयोर्दिशोर्वा गता आपो यत्र द्वि + अप्, अप ईप—टापू
द्वीपम् —नपुं॰—-—द्विर्गता द्वयोर्दिशोर्वा गता आपो यत्र द्वि + अप्, अप ईप—शरणस्थान, आश्रयगृह, उत्पादन स्थान
द्वीपम् —नपुं॰—-—द्विर्गता द्वयोर्दिशोर्वा गता आपो यत्र द्वि + अप्, अप ईप—भूलोक का एक भाग
द्वीपकर्पूरः —पुं॰—द्वीपः- कर्पूरः—-—चीन से प्राप्त कपूर
द्वीपवत् —वि॰—-—द्वीप + मतुप्—टापुओं से भरा हुआ
द्वीपवती —स्त्री॰—-—-—पृथ्वी
द्वीपिन् —पुं॰—-—द्वीप + इनि—शेर
द्वीपिन् —पुं॰—-—द्वीप + इनि—चीता, व्याघ्र
द्वीपिनखः —पुं॰—द्वीपिन्- नखः—-—शेर की पूँछ
द्वीपिनखः —पुं॰—द्वीपिन्- नखः—-—एक प्रकार का सुगन्ध द्रव्य
द्वीपिखम् —नपुं॰—द्वीपिन्- खम्—-—शेर की पूँछ
द्वीपिखम् —नपुं॰—द्वीपिन्- खम्—-—एक प्रकार का सुगन्ध द्रव्य
द्वेधा —अव्य॰—-—द्वि + धा—दो भागों में, दो तरह से, दो बार
द्वेषः —पुं॰—-—द्विष् + घञ्—घृणा, अरुचि, वीभत्सा, अनिच्छा, जुगुप्सा
द्वेषः —पुं॰—-—द्विष् + घञ्—शत्रुता, विरोध, ईर्ष्या
द्वेषण —वि॰—-—द्विष् + ल्युट्—घृणा करने वाला, नापसन्द करने वाला
द्वेषणम् —नपुं॰—-—-—घृणा, जुगुप्सा, शत्रुता, अरुचि
द्वेषिन् —वि॰—-—द्वेष + इनि—घृणा करने वाला
द्वेषिन् —पुं॰—-—द्वेष + इनि—शत्रु
द्वेष्ट्ट —वि॰—-—द्विष् + तृच्—घृणा करने वाला
द्वेष्ट्ट —पुं॰—-—द्विष् + तृच्—शत्रु
द्वेष्य —सं॰ कृ॰—-—द्विष् + ण्यत्—घृणा के योग्य
द्वेष्य —सं॰ कृ॰—-—द्विष् + ण्यत्—घिनौना, घृणित, अरुचिकर
द्वैगुणिकः —पुं॰—-—द्विगुण + ठक्—सूदखोर जो शत- प्रतिशत ब्याज लेता है।
द्वैगुष्यन् —वि॰—-—द्विगुण + ष्यञ्—दुगुनी राशि मूल्य या माप
द्वैगुष्यन् —वि॰—-—द्विगुण + ष्यञ्—द्वित्व, द्वैतावस्था
द्वैगुष्यन् —वि॰—-—द्विगुण + ष्यञ्—तीन गुणों में से दो पर अधिकार रखना
द्वैतम् —नपुं॰—-—द्विधा इतम् द्वितम्, तस्य भावः स्वार्थे अण्—द्वित्व
द्वैतम् —नपुं॰—-—द्विधा इतम् द्वितम्, तस्य भावः स्वार्थे अण्—द्वैतवाद
द्वैतम् —नपुं॰—-—द्विधा इतम् द्वितम्, तस्य भावः स्वार्थे अण्—एक जंगल का नाम
द्वैतवनम् —नपुं॰—द्वैतम्- वनम्—-—एक जंगल का नाम
द्वैतवादिन् —पुं॰—द्वैतम्- वादिन्—-—वह दार्शनिक जो द्वैतसिद्धान्त को मानता है।
द्वैतिन् —पुं॰—-—द्वैत + इनि—द्वैतवादी दार्शनिक
द्वैतीयीक —वि॰—-—द्वितीय + ईकक्—दूसरा
द्वैध —वि॰—-—द्वि + धमुञ्—दोहरा, दुगुना
द्वैधम् —नपुं॰—-—-—द्वैतावस्था, दोहरी प्रकृति या अवस्था
द्वैधम् —नपुं॰—-—-—दो भागों में वियुक्ति
द्वैधम् —नपुं॰—-—-—दुगुने साधन, गौण आरक्षण
द्वैधम् —नपुं॰—-—-—विविधता, भिन्नता, संघर्ष, विवाद, विभेद
द्वैधम् —नपुं॰—-—-—संदेह, अनिश्चितता
द्वैधम् —नपुं॰—-—-—दो प्रकार का व्यवहार, दुरगीनीति, विदेशनीति के छः प्रकारों में से एक
द्वैधीभावः —पुं॰—-—द्वैध + च्वि + भू + घञ्—द्वैतता, दो प्रकार की अवस्था या प्रकृति
द्वैधीभावः —पुं॰—-—द्वैध + च्वि + भू + घञ्—दो खण्ड, विभिन्नता, द्विधाभाव
द्वैधीभावः —पुं॰—-—द्वैध + च्वि + भू + घञ्—संदेह, अनिश्चितता, डाँवाडोल होना, निलम्बन
द्वैधीभावः —पुं॰—-—द्वैध + च्वि + भू + घञ्—दुविधा
द्वैधीभावः —पुं॰—-—द्वैध + च्वि + भू + घञ्—विदेश नीति के छः गुणों में से एक
द्वैध्यम् —नपुं॰—-—द्विधा + ष्यञ्—दुरंगी चाल
द्वैध्यम् —नपुं॰—-—द्विधा + ष्यञ्—विविधता, विभिन्नता
द्वैप —वि॰—-—द्वीप + अण्—टापू से संबंध या टापू पर रहने वाला
द्वैप —वि॰—-—द्वीप + अण्—शेर से संबंध रखने वाला, शेर के खाल का बना हुआ या व्याघ्र की खाल से ढका हुआ
द्वैपः —पुं॰—-—-—शेर की खाल से ढकी हुई गाड़ी
द्वैपक्षम् —नपुं॰—-—द्विपक्ष् + अण्—दो दल, दो टोलियाँ
द्वैपायनः —पुं॰—-—द्वीपायन + अण्—टापू में उत्पन्न, वेदव्यास
द्वैप्य —वि॰—-—द्वीप + यञ्—टापू निवासी या टापू से संबन्ध
द्वैमातुर —वि॰—-—द्विमातृ + अण्—दो माताओं वाला, अर्थात् जन्मदात्री माता तथा सौतेली माता
द्वैमातुरः —पुं॰—-—-—गणेश का नाम
द्वैमातुरः —पुं॰—-—-—जरासंध का नाम
द्वैमातृक —वि॰—-—द्विमातृक + अण्—जहाँ वर्षा तथा नदी दोनों का जल खेतों के काम आता हो।
द्वैरथम् —नपुं॰—-—द्विरथ + अण्—दो रथारोहियों का एकाकी युद्ध
द्वैरथम् —नपुं॰—-—द्विरथ + अण्—एकल युद्ध
द्वैराज्यम् —नपुं॰—-—द्विराज्य + ष्यञ्—दो राजाओं में बँटा हुआ उपनिवेश
द्वैवार्षिक —वि॰—-—द्विवर्ष + ठक्—प्रति दूसरे वर्ष होने वाला
द्वैविध्यम् —नपुं॰—-—द्विविध + ष्यञ्—द्वैतता, दुरंगी प्रकृति
द्वैविध्यम् —नपुं॰—-—द्विविध + ष्यञ्—विभिन्नता, विविधता, भिन्नता