विक्षनरी : संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश/ट-भ
मूलशब्द—व्याकरण—संधिरहित मूलशब्द—व्युत्पत्ति—हिन्दी अर्थ
टङ्कः —पुं॰—-—टङ्क्+घञ्, वा—टखना
टङ्कः —पुं॰—-—टङ्क्+घञ्, वा—एक प्रकार का माप
टङ्कः —पुं॰—-—टङ्क्+घञ्, वा—टकसाल
टङ्कपतिः —पुं॰—टङ्कः-पतिः—-—टकसालाध्यक्ष
टङ्कशाला —स्त्री॰—टङ्कः-शाला—-—टकसाल
टङ्कित —वि॰—-—टङ्+कृ+क्त—बांधा हुआ
टङ्कृतम् —नपुं॰—-—टङ्क्+क्त—टङ्कार, टनटन
ठक्कः —पुं॰—-—-—सौदागर, व्यापारी
डमरिन् —पुं॰—-—डमर+इनि—एक प्रकार का ढोल
डम्बरः —पुं॰—-—डम्ब्+अरन्—उच्चस्वर का घोष
डिका —स्त्री॰—-—-—एक बहुत छोटा पंखदार कीड़ा
डिम्बः —पुं॰—-—डिम्ब्+घञ्—गुंजायमान शिखर, कोलाहलमय चोटी
डिम्बः —पुं॰—-—डिम्ब्+घञ्—शरीर
डिम्बः —पुं॰—-—डिम्ब्+घञ्—बुद्धू, जड़
डिम्भः —पुं॰—-—डिम्भ्+अच्—पौधे का अंकुर, अँखुवा
डेरिका —स्त्री॰—-—-—छछूँदर
ढक्कनम् —नपुं॰—-—ढक्क्+ल्युट्—द्वार बन्द करना
ढक्कारी —स्त्री॰—-—ढक्क्+ल्युट्+ ङीप्—दुर्गा की मूर्ति की तान्त्रिक पूजा
ढोकित —वि॰—-—ढौकृ+क्त—निकट लाया हुआ
तक्रम् —नपुं॰—-—तक्+रक्—छाछ, मट्ठा
तक्रकूर्चिका —स्त्री॰—चक्रम्-कूर्चिका—-—राबड़ी, उबाली हुई छाछ
तक्रपिण्डः —पुं॰—तक्रम्-पिण्डः—-—छाछ , पपड़ी
तटः —पुं॰—-—तट्+अच्—ढलान, कगार, किनारा
तटः —पुं॰—-—तट्+अच्—क्षितिज
तटद्रुमः —पुं॰—तटः-द्रुमः—-—नदी किनारे का वृक्ष
तटपातः —पुं॰—तटः-पातः—-—किनारे का तोड़ कर गिराना
तटभूः —पुं॰—तटः-भूः—-—किनारे की धरती
तटिनीपतिः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—नदियों का स्वामी, समुद्र
तण्डुरीणः —पुं॰—-—तण्डुर+ख— कीड़ा, कृमि, कीट
तत्प्रख्यन्यायः —पुं॰—-—-—मीमांसा शास्त्र का एक नियम जिसके अनुसार किसी यज्ञ का नाम उसकी अभिव्यक्ति के अनुकूल रक्खा जाता है।
तत्त्वाभ्यासः —पुं॰—तत्त्वम्-अभ्यासः—-—वास्तविकता का बार-बार अध्ययन
तत्त्वदर्शिन् —वि॰—तत्त्वम्-दर्शिन्—-—असलियत को जानने वाला
तत्त्वभावः —पुं॰—तत्त्वम्-भावः—-—प्रकृति, वास्तविक सत्ता
तत्त्वसङ्ख्यानम् —नपुं॰—तत्त्वम्-सङ्ख्यानम्—-—सांख्यसिद्धान्त का विशेषण
तथावादिन् —वि॰—-—तथा+वाद+इनि—वैसा होने का दावा करने वाला
तद् —सर्व॰वि॰—-—-— किसी अनुपस्थित वस्तु या व्यक्ति का उल्लेख करने वाला सर्वनाम
तदन्य —वि॰—तद्-अन्य—-—उसको छोड़कर कोई दूसरा
तदपेक्ष —वि॰—तद्-अपेक्ष—-—उसका खयाल करने वाला
तत्कालीन —वि॰—तद्-कालीन—-—उसी काल से संबन्ध रखने वाला
तद्देश्य —वि॰—तद्-देश्य—-—उसी देश से संबन्ध रखने वाला
तद्धर्म्य —वि॰—तद्-धर्म्य—-—उसी गुण में भाग लेने वाला
तद्भव —वि॰—तद्-भव—-—उसी संस्कृत से जन्म लेने वाला, प्राकृत का एक भेद
तद्रूपः —वि॰—तद्-रूपः—-—उसी प्रकार के रूप वाला
तद्विद्यः —पुं॰—तद्-विद्यः—-—उसका ज्ञाता, किसी विशेष क्षेत्र में प्रामाणिकता रखने वाला
तत्सङ्ख्याक —वि॰—तद्-सङ्ख्याक—-—उस अंक के समान
तदादितदन्तन्यायः —पुं॰—-—-—मीमांसा का एक नियम जिसके अनुसार उत्कर्ष की उक्ति में आरम्भ से लेकर वह सब विवरण सम्मिलित होता है जिसके लिए वह दिया जाता है और साथ ही अपकर्ष की उक्ति अन्त तक उस सभी विवरण पर लागू है जिसके लिए वह दिया जाता है
तद्वयपदेशन्यायः —पुं॰—-—-—ऊपर बताये गये ‘तत्प्रख्यन्याय’ के समान
ततत्वम् —नपुं॰—-—-—सङ्गीत में आवाज को लम्बा करना, सङ्गीत की गति धीमी करना
तनु —वि॰—-—तन्+उन्—पतला, दुबला, कृश
तनु —वि॰—-—तन्+उन्—सुकुमार
तनु —वि॰—-—तन्+उन्—बढ़िया, नाजुक
तनु —वि॰—-—तन्+उन्—थोड़ा, छोटा, स्वल्प
तनु —स्त्री॰—-—-—शरीर, व्यक्ति
तनु —स्त्री॰—-—-—त्वचा, खाल
तनूद्भव —पुं॰—तनु-उद्भव—-—पंख
तनुकरणम् —नपुं॰—तनु-करणम्—-—पतला करना
तनुधी —पुं॰—तनु-धी—-—ओछे मन वाला
तन्तुकरणम् —नपुं॰—-—-— कातना, तार निकालना
तन्तुकार्यम् —नपुं॰—-—-—जाला
तन्त्रम् —नपुं॰—-—तन्त्र्+अच्— खड्डी
तन्त्रम् —नपुं॰—-—तन्त्र्+अच्—धागा
तन्त्रम् —नपुं॰—-—तन्त्र्+अच्—सतत श्रेणी
तन्त्रम् —नपुं॰—-—तन्त्र्+अच्—रस्म, व्यवस्था, संस्कार आदि धार्मिक कार्यों का नियमित आदेश
तन्त्रम् —नपुं॰—-—तन्त्र्+अच्—मुख्य बात
तन्त्रम् —नपुं॰—-—तन्त्र्+अच्—प्रधान सिद्धान्त, नियत
तन्त्रम् —नपुं॰—-—तन्त्र्+अच्— ऐसे कृत्यों का समूह जो अनेक प्रधान कार्यों में समान हो
तन्त्रम् —नपुं॰—-—तन्त्र्+अच्—विश्व की व्यवस्था
तन्त्रज्ञः —पुं॰—तन्त्रम्-ज्ञः—-—विशेषज्ञ
तन्त्रयुक्तिः —स्त्री॰—तन्त्रम्-युक्तिः—-—किसी एक संधि का आयोजन
तन्त्रिभाण्डम् —नपुं॰,ष॰त॰—-—-—भारतीय वीणा
तन्त्रिल —वि॰—-—तन्त्र+इलच्—प्रशासन कार्य में कुशल
तपर्तुः —पुं॰—-—तप+ऋतुः—ग्रीष्म ऋतु
तपस् —नपुं॰—-—तत्+असुन्—गर्मी, आग, प्रकाश
तपस् —नपुं॰—-—तत्+असुन्—पीड़ा, कष्ट
तपस् —नपुं॰—-—तत्+असुन्—तपस्या
तपस् —नपुं॰—-—तत्+असुन्—दण्ड
तपोऽर्थीय —वि॰—तपस्-अर्थीय—-—तपश्चरण के लिए अभिप्रेत
तपस्कृश —वि॰—तपस्-कृश—-—तपश्चरण के कारण दुर्बल
तपोमूल —वि॰—तपस्-मूल—-—तपस्या से उत्पन्न
तपोवृद्ध —वि॰—तपस्-वृद्ध—-—कठोर तपस्या के फलस्वरूप बूढ़ा
तप्त —वि॰—-—-—गर्म किया हुआ, जला हुआ
तप्त —वि॰—-—-—पीडित, कष्टग्रस्त
तप्तकुम्भः —पुं॰—तप्त-कुम्भः—-—एक नरक का नाम
तप्तकूपः —पुं॰—तप्त-कूपः—-—एक नरक का नाम
तप्ततप्त —वि॰—तप्त-तप्त—-—बार बार उबाला हुआ, बार बार गरम किया हुआ
तप्तमुद्रा —स्त्री॰—तप्त-मुद्रा—-—किसी गर्म धातु की छाप से शरीर पर किसी दिव्य शस्त्र के रूप में अधिकार चिह्न अंकित करना
तप्तरूपम् —नपुं॰—तप्त-रूपम्—-—शुद्ध की हुई चाँदी
तप्तरूपकम् —नपुं॰—तप्त-रूपकम्—-—शुद्ध की हुई चाँदी
तप्तबालुकाः —पुं॰—तप्त-बालुकाः—-—बालू के गर्म कण
तापिन् —वि॰—-—ताप+इनि—पीड़ा पहुँचाने वाला
तरङ्गमालिन् —पुं॰—-—-—समुद्र
तरङ्गवती —स्त्री॰—-—-—नदी, दरिया
तरलकरण —वि॰,ब॰स॰—-—-—चञ्चल तथा दुर्बल ज्ञानेन्द्रियों वाला
तरुकोटरम् —नपुं॰,ष॰त॰—-—-—वृक्ष की कोटर या खोखर
तरुतूलिका —स्त्री॰—-—-—चमगीदड़
तरुधूलिका —स्त्री॰—-—-—चमगीदड़
तरुता —स्त्री॰—-—-—ताजगी, ताजापन
तर्काटः —पुं॰—-—-—भिखारी, मांगने वाला
तर्कमुद्रा —स्त्री॰—-—-—हाथ की विशेष स्थिति
तलोदरी —स्त्री॰—-—-— गृहिणी, पत्नी
तलवः —पुं॰—-—-—अपनी हथेली से वाद्ययन्त्र को बजाने वाला संगीतकार
तलवकाराः —पुं॰—तलव-काराः—-—सामवेद की एक शाखा
तलित —वि॰—-—तल्+क्त—तला हुआ
तलित —वि॰—-—तल्+क्त—तलीदार
तलिन —वि॰—-—तल्+इनन्—ढका हुआ
तलिनोदरी —स्त्री॰—तलिन-उदरी—-—पतली कमर वाली महिला
तवकः —पुं॰—-—-—धोखा, जालसाजी
तसारिका —स्त्री॰—-—-—बुनना, बुनावट
ताजिकः —पुं॰—-—-—मध्यवर्ती एशिया में रहने वाली एक जाति
ताजिकः —पुं॰—-—-—एक उत्तम प्रकार के घोड़े की नस्ल
ताण्ड्यब्राह्मणम् —नपुं॰—-—-—सामवेद के एक ब्राहणग्रन्थ का नाम
तात्कर्म्यम् —नपुं॰—-—तत्कर्म+ष्यञ्—व्यवसाय की समानता
तात्पर्यार्थः —पुं॰—-—-— किसी उक्ति का सही अर्थ
तादात्विकः —पुं॰—-—-—अपव्ययी,
ताद्धर्म्यम् —नपुं॰—-—तद्धर्म+ष्यञ्— गुणों में समानता
तद्रूप्यम् —नपुं॰—-—तद्रूप+ष्यञ्—रूप की समानता
तापसकः —पुं॰—-—तापस+क—आचारभ्रष्ट संन्यासी
तामसः —पुं॰—-—-—चौथे मनु का नाम
तार —वि॰—-—तृ+णिच्+अच्—ऊँचा
तार —वि॰—-—तृ+णिच्+अच्—प्रबल
तार —वि॰—-—तृ+णिच्+अच्—चमकीला
तार —वि॰—-—तृ+णिच्+अच्—उत्तम
तारः —पुं॰—-—तृ+णिच्+अच्—धागा, तार
तारणेयः —पुं॰—-—तारणा+ढक्—कन्या से उत्पन्न, कानीन कर्ण
तारणेयः —पुं॰—-—तारणा+ढक्—सूर्य का भक्त
तारा —स्त्री॰—-—तार+टाप्—आठ प्रकार की सिद्धियों में से एक
तारा —स्त्री॰—-—तार+टाप्—संगीत के एक राग का नाम
तारिका —स्त्री॰—-—तृ+णिच्+ण्वुल्—एक प्रकार की शराब
तार्णसम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का चन्दन जिसका रंग तोते के पंखों जैसा होता है।
तालः —पुं॰—-—तल्+अण्—ताड़ का वृक्ष
तालः —पुं॰—-—तल्+अण्—तालियाँ बजाना
तालः —पुं॰—-—तल्+अण्—फट-फट करना
तालः —पुं॰—-—तल्+अण्—हाथ की हथेली
तालः —पुं॰—-—तल्+अण्—तलवार की मूठ
तालः —पुं॰—-—तल्+अण्—ताला, चटखनी
तालज्ञः —पुं॰—तालः-ज्ञः—-—जो संगीत शास्त्र के ताल को जानता है
तालधारकः —पुं॰—तालः-धारकः—-—नर्तक, नाचने वाला
तालनवमी —स्त्री॰—तालः-नवमी—-—भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष का नवाँ दिन
तालफलम् —नपुं॰—तालः-फलम्—-—ताड़ के वृक्ष का फल
तालभङ्गः —पुं॰—तालः-भङ्गः—-—संगीत में गान की ताल व लय के मान को सुरक्षित रखने में त्रुटि, ताल का टूट जाना
तावत्फल —वि॰,ब॰स॰—-—-—उतना सा ही फल भोगने वाला
तिग्मार्चि —ब॰स॰—-—-—सूर्य
तितिलम् —नपुं॰—-—-—ज्योतिषशास्त्र में एक करण
तितिलम् —नपुं॰—-—-—तिलों का चिउड़ा, चौले
तिथिः —स्त्री॰—-—अत्+इथिन्, पृषो॰—चान्द्रदिवस
तिथिः —स्त्री॰—-—अत्+इथिन्, पृषो॰—पन्द्रह की संख्या
तिथ्यर्धः —पुं॰—तिथिः-अर्धः—-—एक करण
तिथिप्रलयाः —पुं॰,ब॰स॰—तिथिः-प्रलयाः—-—किसी भी निर्दिष्ट अवधि में सौर और चान्द्र दिवसों का अन्तर
तिमिः —पुं॰—-—तिम्+इन्—समुद्र
तिमिः —पुं॰—-—तिम्+इन्—मीन राशि
तिमिघातिन् —वि॰—तिमिः-घातिन्—-—मछियारा, मछलियाँ पकड़ने वाला
तिमिमालिन् —पुं॰—तिमिः-मालिन्—-—समुद्र
तिमिला —स्त्री॰—-—-—संगीत का एक उपकरण, तबला
तिरस्कारिन् —वि॰—-—तिरस्कार+इनि—ज्ञात करने वाला, आगे बढ़ जाने वाला
तिर्यच् —वि॰—-—-—टेढ़ा, तिरछा वक्र
तिर्यच् —वि॰—-—-— घुमावदार
तिर्यच् —वि॰—-—-—अन्तर्वर्ती
तिर्यञ्च —वि॰—-—-—टेढ़ा, तिरछा वक्र
तिर्यञ्च —वि॰—-—-— घुमावदार
तिर्यञ्च —वि॰—-—-—अन्तर्वर्ती
तिर्यच् —पुं॰—-—-—जानवर, जन्तु
तिर्यञ्च —नपुं॰—-—-—जानवर, जन्तु
तिर्यक्ज —वि॰—तिर्यच्-ज—-—किसी जानवर से उत्पन्न
तिर्यक्ज्या —स्त्री॰—तिर्यच्-ज्या—-—टेढ़ी ज्या
तिलः —पुं॰—-—तिल्+क— तिल का पौधा
तिलकठः —पुं॰—तिलः-कठः—-— तिलकूट
तिलमयूरः —पुं॰—तिलः-मयूरः—-—मोर की एक जाति
तिहन् —पुं॰—-—-—चावल, धान्य
तीक्ष्णकण्टकः —पुं॰,ब॰स॰—-—-— तेज कांटेदार पौधा
तीक्ष्णमार्गः —पुं॰,ब॰स॰—-—-—तलवार
तीर्थचर्या —स्त्री॰,ष॰त॰—-—-— तीर्थयात्रा
तीव्रद्युतिः —स्त्री॰,ब॰स॰—-—-—सूर्य, सूरज
तीव्रा —स्त्री॰—-—-—काली सरसों
तीव्रा —स्त्री॰—-—-—संगीत का एक स्वर
तुङ्गः —पुं॰—-—-—पुन्नाग वृक्ष
तुङ्गिमन् —पुं॰—-—तुङ्ग+इमनिच्—ऊँचाई
तुच्छदय —वि॰,ब॰स॰—-—-—दयारहित, निर्दय
तुच्छप्राय —वि॰,ब॰स॰—-—-—नगण्य
तुञ्ज् —भ्वा॰पर॰—-—-—निकालना, भींचकर निकालना, रस निकालना
तुञ्जः —पुं॰—-—तुञ्ज्+अच्—दबाव
तोदः —पुं॰—-—तुद्+घञ्—दबाव
तुन्दिलित —वि॰—-—तुन्दिल+इतच्—जिसकी तोंद फूल गई है, मोटे पेट वाला
तुम्बारम् —नपुं॰—-—-—तुम्बाज्
तुर्ययन्त्रम् —नपुं॰—-—-—पादयन्त्र
तुला —स्त्री॰—-—तुल्+अङ्—घर की छत के नीचे की ओर ढलवां लगा हुआ शहतीर
तुला —स्त्री॰—-—तुल्+अङ्—तराजू की डंडी
तुलाधिरोहणम् —नपुं॰—तुला-अधिरोहणम्—-—मिलता-जुलता
तुलानुमानम् —नपुं॰—तुला-अनुमानम्—-—सादृश्य, सादृश्य पर आधारित अनुमान
तुलाधारणम् —नपुं॰—तुला-धारणम्—-—तराजू पर रखना अर्थात् लोलना
तुल्य —वि॰—-—तुलया संमितं यत् —उसी प्रकार का वैसा ही, मिलता-जुलता
तुल्य —वि॰—-—तुलया संमितं यत् —उपयुक्त
तुल्य —वि॰—-—तुलया संमितं यत् —अभिन्न, वही
तुल्यम् —अ॰—-—-—समान रूप से
तुल्यकक्ष —वि॰—तुल्य-कक्ष—-—समान, बराबर
तुल्यनक्तंदिन —वि॰—तुल्य-नक्तंदिन—-—जब रात और दिन दोनों समान हों
तुल्यनक्तंदिन —वि॰—तुल्य-नक्तंदिन—-—रात और दिन में कोई भेद न करने वाला
तुल्यनिन्दास्तुति —वि॰—तुल्य-निन्दास्तुति—-—अपनी प्रशंसा या अपयश दोनों की ओर से उदासीन
तुल्यमूल्य —वि॰—तुल्य-मूल्य—-—समान मूल्य का, एक सी कीमत का
तुल्ययोनिः —पुं॰—तुल्य-योनिः—-—उसी वंश का, उसी कुल में उत्पन्न
तुल्यवयस् —वि॰—तुल्य-वयस्—-—समान आयु का , बराबर की उम्र का
तुल्यसंख्य —वि॰—तुल्य-संख्य—-—समान संख्या का
तुल्यशः —अ॰—-—-—समान भागों में, बराबर बराबर
तुलसि —स्त्री॰—-—-—एक पवित्र पौधा जिसकी हिन्दू विशेषकर विष्णु के उपासक पूजा करते हैं
तुद् —तुदा॰पर॰—-—-—चोट पहुँचाना, तंग करना, कष्ट देना, पीड़ित करना
तूणी —स्त्री॰—-—-—नील का पौधा
तूतकम् —नपुं॰—-—-—नीला थोथा
तूलपीठी —स्त्री॰—-—-—तकुवा, कातते समय जिस पर लपेटा जाता है
तूललासिका —स्त्री॰—-—-—तकुवा, कातते समय जिस पर लपेटा जाता है
तूष्णींदण्डः —पुं॰—-—-—गुप्त रूप से दिया गया दण्ड
तृचः —पुं॰—-—त्रि+ऋच्—ऋग्वेद के तीन मन्त्रों का समूह
तृचम् —नपुं॰—-—त्रि+ऋच्—ऋग्वेद के तीन मन्त्रों का समूह
तृणम् —नपुं॰—-— तृह्+क्न, हलोपश्च—घास
तृणम् —नपुं॰—-— तृह्+क्न, हलोपश्च—तिनका
तृणम् —नपुं॰—-— तृह्+क्न, हलोपश्च—तिनकों की बनी कोई वस्तु
तृणगणना —स्त्री॰—तृणम्-गणना—-—तिनके की भांति तुच्छ समझना
तृणपूलिकः —पुं॰—तृणम्-पूलिकः—-—मानवी गर्भस्राव
तृणभुज् —वि॰—तृणम्-भुज्—-—घास खाने वाला, तृणभक्षी
तृणशालः —पुं॰—तृणम्-शालः—-—सुपारी का पेड़
तृणषट्पदः —पुं॰—तृणम्-षट्पदः—-—एक प्रकार की भिर्र
तृणता —स्त्री॰—-— तृण+तल्—तिनके का गुण, निकम्मापन
तृणता —स्त्री॰—-— तृण+तल्—धनुष
तृण्ण —वि॰—-— तृद्+क्त—कटा हुआ, फाड़ा हुआ
तृप्तता —स्त्री॰—-— तृप्त+तल्—सन्तोष, तृप्ति
तरपतिः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—तरणी या नावों का अधीक्षक
तरणितनया —स्त्री॰,ष॰त॰—-—-—यमुना नदी
तारकम् —नपुं॰—-— तृ+णिच्+ण्वुल्—तारा
तेजस् —नपुं॰—-— तिज्+असुन्—क्रोध
तेजस् —नपुं॰—-— तिज्+असुन्—सूर्य
तेजोपुञ्जः —पुं॰—तेजस्-पुञ्जः—-—प्रभापुञ्ज, कान्ति का संग्रह
तैजस् —वि॰—-— तेजस्+अण्—राजस गुणों से युक्त
तैजसम् —नपुं॰—-— तेजस्+अण्—झानेन्द्रियों का समूह
तैजसम् —नपुं॰—-— तेजस्+अण्—चेतन सृष्टि
तैमित्यम् —नपुं॰—-—-—मन्दता, जाड्य, जड़ता
तैर्यग्योन —वि॰,ब॰स॰—-—-—जीव जन्तुओं की सृष्टि से सम्बन्ध रखने वाला
तैलम् —नपुं॰—-— तिलस्य तत्सदृशस्य वा विकारः अण्—तेल
तैलम् —नपुं॰—-— तिलस्य तत्सदृशस्य वा विकारः अण्—लोबान
तैलकिट्टम् —नपुं॰—तैलम्-किट्टम्—-— खली
तैलपकः —पुं॰—तैलम्-पकः—-—तेल पीने वाला कीड़ा, तेलचट्टा
तैलपायिकः —पुं॰—तैलम्-पायिकः—-—तेल पीने वाला कीड़ा, तेलचट्टा
तैलपूर —वि॰—तैलम्-पूर—-—जो तेल से भरा हुआ हो
तोटक —वि॰—-— तोट+कन्—झगड़ालू
तोटकः —पुं॰—-— तोट+कन्—शंकर का शिष्य
तोटकम् —नपुं॰—-— तोट+कन्—एक छन्द का नाम
तोयम् —नपुं॰—-— तु+यत् नि॰— पानी
तोयम् —नपुं॰—-— तु+यत् नि॰— पूर्वाषाढा नक्षत्रपुंज
तोयाग्निः —पुं॰—तोयम्-अग्निः—-—जलवर्ती आग, वाडवानल
तोयाञ्जलिः —स्त्री॰—तोयम्-अञ्जलिः—-—देवों पितरों को संतृप्त करने के निमित्त अञ्जलि भर जल से तर्पण करना
तोरणम् —नपुं॰—-— तुर्+युच्, आधारे ल्युट्—डाटदार द्वार
तोरणम् —नपुं॰—-— तुर्+युच्, आधारे ल्युट्—बाहरी दरवाजा
तोरणम् —नपुं॰—-— तुर्+युच्, आधारे ल्युट्—अस्थायी अलङ्कृत द्वार
तोरणम् —नपुं॰—-— तुर्+युच्, आधारे ल्युट्—तराजू को लटकाने के लिए एक त्रिकोणीय ढांचा
तौच्छ्र्यम् —नपुं॰—-— तुच्छ्+ष्यञ्—तुच्छता, नगण्यता
तौरङ्गिक —वि॰—-— तुरङ्ग+ठक्—तुर्की जाति से सम्बद्ध
त्यक्तविधि —वि॰,ब॰स॰—-—-—नियमों का उल्लङ्घन करने वाला
त्यद् —सर्व,वि॰—-—-—अदृश्य
स्यः —पुं॰,कर्तृए॰व॰—-—-—अदृश्य
त्याजित —वि॰—-—त्यज्+णिच्+क्त—वञ्चित
त्याजित —वि॰—-—त्यज्+णिच्+क्त—निष्कासित
त्रयी —स्त्री॰—-—त्रय+ङीप्—वेदत्रयी
त्रयी —स्त्री॰—-—त्रय+ङीप्—तिगुना
त्रयी —स्त्री॰—-—त्रय+ङीप्—विवाहित स्त्री (माता) जिसका पति और बच्चे जीवित हैं।
त्रयीमय —वि॰—त्रयी-मय—-—जो तीनों (वेदों) से युक्त एकक है
त्रयीविद्य —वि॰—त्रयी-विद्य—-—जो तीनों वेदों में निष्णात है
त्रयीवेद्य —वि॰—त्रयी-वेद्य—-—जो तीनों वेदों के द्वारा जाना जा सकता है
त्रयीसंवरणम् —नपुं॰—त्रयी-संवरणम्—-—छिपाने या गुप्त रखने की तीन बातें
त्रि —सं॰वि॰—-—तृ+ड्रि—तीन
त्र्यङ्गुलम् —नपुं॰—त्रि-अङ्गुलम्—-—तीन अंगुल चौड़ाई की माप
त्र्यार्षेयाः —पुं॰,ब॰स॰—त्रि-आर्षेयाः—-—तीन पुरुष बहरा, गूंगा और अंधा
त्र्यार्षेयाः —पुं॰,ब॰स॰—त्रि-आर्षेयाः—-—तीन ॠषियों से युक्त प्रवर
त्रिकटु —नपुं॰—त्रि-कटु—-—सोंठ, पीपर और मिर्च का समाहार
त्रिकरणम् —नपुं॰—त्रि-करणम्—-—मन, वचन और कर्म से युक्त कार्यकलाप
त्रिकरणी —स्त्री॰—त्रि-करणी—-—और से तिगुना लंबा किसी वर्ग का पार्श्व
त्रिकाण्डम् —नपुं॰—त्रि-काण्डम्—-—अमरकोश नामक ग्रन्थ
त्रिगुणाकृतम् —नपुं॰—त्रि-गुणाकृतम्—-—तीन बार हल से कृष्ट, जिसमें तीन बार हल चल चुका है
त्रिजातम् —नपुं॰—त्रि-जातम्—-—तीन मसालों का मिश्रण
त्रिणेमि —वि॰—त्रि-णेमि—-—जिसमें तीन पुठठियाँ लगी हों
त्रिनेत्रफलः —पुं॰—त्रि-नेत्रफलः—-—नारियल
त्रिपिटकम् —नपुं॰—त्रि-पिटकम्—-—बौद्धौं के तीन धार्मिक पुस्तकों के संग्रह
त्रिभङ्गम् —नपुं॰—त्रि-भङ्गम्—-—शरीर की ऐसी मुद्रा जिसमें तीन झुकाव हो
त्रिमदः —पुं॰—त्रि-मदः—-—तिगुना अहंकार
त्रिमलम् —नपुं॰—त्रि-मलम्—-—मल, मूत्र और कफ, तीनों मल
त्रियव —वि॰—त्रि-यव—-—तोल में तीन जौ के बराबर
त्रिलोहकम् —नपुं॰—त्रि-लोहकम्—-—सोना, चाँदी और ताँबा तीन धातुएँ
त्रिवली —स्त्री॰—त्रि-वली—-—पेट की तीन वलियाँ
त्रिवली —स्त्री॰—त्रि-वली—-—गुदा
त्रिवृत्तिः —स्त्री॰—त्रि-वृत्तिः—-—यज्ञ, भैक्ष्य और अध्ययन के द्वारा जीविका
त्रिशर्करा —स्त्री॰—त्रि-शर्करा—-—तीन प्रकार की शक्कर
त्रिसवनम् —नपुं॰—त्रि-सवनम्—-—त्रैकालिक यज्ञ
त्रिसरः —पुं॰—त्रि-सरः—-—मिला कर उबाले हुए, दूध, तिल और चावल
त्रिसाधन —वि॰—त्रि-साधन—-— तीन प्रकार के साधन जिसे प्राप्त हैं
त्रिसामन् —वि॰—त्रि-सामन्—-—ऊह, रहस्य और प्रकृति नाम के तीनों सामों को गाने वाला
त्रिसुपर्णः —पुं॰—त्रि-सुपर्णः—-— तीन ऋचाएँ
त्रिसुपर्णम् —नपुं॰—त्रि-सुपर्णम्—-— तीन ऋचाएँ
त्रिकत्रयम् —नपुं॰—-—-—त्रिफला, त्रिकटु और त्रिमद का सम्मिश्रण
त्रैराशिक —वि॰—-—त्रिराशि+ठक्—तीन राशियों से सम्बन्ध रखने वाला
त्रैवेदिक —वि॰—-—त्रिवेद+ठक्—तीनों वेदों से सम्बन्ध रखने वाला
त्वञ्च —भ्वा॰पर॰—-—-—सिकुड़ना
त्वरता —स्त्री॰—-—त्वर+तल्—शीघ्रता
त्वरम् —अ॰—-—त्वर्+अच्—जल्दी से, शीघ्रतापूर्वक
त्वष्टिः —स्त्री॰—-—त्वक्ष्+क्तिन्—बढ़ईगिरी
त्वाष्ट्र —वि॰—-— त्वष्ट्र+अण्—त्वष्टा से सम्बन्ध रखने वाला
त्वाष्ट्री —स्त्री॰—-—त्वष्ट्र+ङीप्—‘चित्रा’ नक्षत्र पुंज
थुड् —तुदा॰पर॰—-—-—ढकना, पर्दा
थुड् —तुदा॰पर॰—-—-—छिपाना, गुप्त रखना
थोडनम् —नपुं॰—-—थुड्+ल्युट्—ढकना
थोडनम् —नपुं॰—-—थुड्+ल्युट्—लपेटना
दंशित —वि॰—-—दंश्+क्त—किसी विषय में ग्रस्त
दंस् —चुरा॰आ॰—-—-—डंक मारना
दक्ष् —भ्वा॰प्रेर॰—-—-—प्रसन्न करना
दक्ष् —भ्वा॰प्रेर॰—-—-—सशक्त बनाना
दक्षता —स्त्री॰—-—दक्ष्+अच्, भावे तल्—कुशलता, नैपुण्य
दक्षिण —वि॰—-—दक्ष्+इनन्—अनुकूल
दक्षिणाम्नायः —पुं॰—-—-—दक्षिणावर्त से सम्बन्ध रखने वाली तांत्रिक संप्रदाय की पुनीत पीठ
दक्षिणा —अ॰—-—दक्षिण+टाप्—दक्षिण की ओर, दाईं ओर
दक्षिणा —अ॰—-—दक्षिण+टाप्— दक्षिणदेश से
दक्षिणा —स्त्री॰—-—-—ब्राह्मणवर्ग को दी जाने वाली भेंट
दक्षिणापथिक —वि॰—दक्षिणा-पथिक—-—दक्षिणावर्त से सम्बन्ध रखने वाला
दक्षिणाप्रतीची —वि॰—दक्षिणा-प्रतीची—-— दक्षिण-पश्चिम
दक्षिणाप्रत्यच् —वि॰— दक्षिणा-प्रत्यच्—-— दक्षिण-पश्चिमी
दक्षिणामूर्तिः —पुं॰—दक्षिणा-मूर्तिः—-—शिव का एक रूप
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड्+अच्—डंडा, लाठी, मुद्गर, गदा
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड्+अच्—हाथी की सूँड
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड्+अच्—छतरी की मूठ
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड्+अच्—जुरमाना
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड्+अच्—हलस
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड्+अच्—राज्यतंत्र
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड्+अच्—आघात, चोट
दण्डाघातः —पुं॰—दण्डः-आघातः—-—डंडे की चोट
दण्डासनम् —नपुं॰—दण्डः-असनम्—-—एक प्रकार का आसन, भूमि पर लम्बा लेट जाना
दण्डोद्यमः —पुं॰—दण्डः-उद्यमः—-—दण्डित करने की धमकी देना
दण्डकलितम् —नपुं॰—दण्डः-कलितम्—-—मापने के गज की भांति बार-बार आवृत्ति करना
दण्डकल्पः —पुं॰—दण्डः-कल्पः—-—दण्डग्रस्त करना, दण्ड देना
दण्डनिधानम् —नपुं॰—दण्डः-निधानम्—-—क्षमा करना
दण्डलेशम् —नपुं॰—दण्डः-लेशम्—-—थोड़ा सा दण्ड
दण्डवाचिक —वि॰—दण्डः-वाचिक—-—वास्तविक या शाब्दिक (प्रहार)
दण्डवारित —वि॰—दण्डः-वारित—-—दण्डित होने के डर से कोई काम न करने वाला, दण्ड के डर से रुका हुआ
दधृष् —वि॰—-—-—ढीठ, साहसी, गुस्ताख
दध्नः —पुं॰—-—-—यम का विशेषण
दन्तः —पुं॰—-—दम्+तन्—दाँत
दन्तः —पुं॰—-—दम्+तन्—हाथी का दाँत
दन्तः —पुं॰—-—दम्+तन्— बाण की नोक
दन्तः —पुं॰—-—दम्+तन्—पहाड़ की चोटी
दन्तः —पुं॰—-—दम्+तन्—बत्तीस की संख्या
दन्तोच्छिष्टम् —नपुं॰—दन्तः-उच्छिष्टम्—-—दाँतो में लगा हुआ भोजन का अंश
दन्तपत्रिका —स्त्री॰—दन्तः-पत्रिका—-—कंघी
दन्तबीजः —पुं॰—दन्तः-बीजः—-—अनार
दन्तव्यापारः —पुं॰—दन्तः-व्यापारः—-—हाथी के दाँत का कार्य
दन्द्रम्यमाण —वि॰—-—द्रम्+यङ्+शानच्—भिन्न-भिन्न दिशाओं में चक्कर काटता हुआ
दमघोषः —पुं॰—-—-—एक राजा का नाम, शिशुपाल का पिता
दमनकः —पुं॰—-—-—पञ्चतन्त्र की कहानियों में एक गीदड़ का नाम
दम्भचर्या —स्त्री॰,ष॰त॰—-—-—धोखा, छल, कपट का आचरण
दरम् —नपुं॰—-— दृ+अप्— विवर, कन्दरा
दरम् —नपुं॰—-— दृ+अप्—शंख, जरा सा कुछ
दरदलित —वि॰—दरम्-दलित—-—जरा सा खुला हुआ
दरमन्थर —वि॰—दरम्-मन्थर—-—ईषन्मन्द, जरा धीमा
दर्भलवणम् —ष॰त॰—-—-—घास काटने का यंत्र
दर्विका —स्त्री॰—-—-—आँखों का अंजन
दशक्षीर —वि॰—दशन्-क्षीर—-—जिसमें दस भाग दूध हो
दशधर्मः —पुं॰—दशन्-धर्मः—-— कष्ट, विपत्ति
दशयोजनम् —नपुं॰—दशन्-योजनम्—-—दस योजन की दूरी
दशा —स्त्री॰—-—दश्+अङ्, नि॰ टाप्—किसी कपड़े की किनारी, गोट, मगजी
दशा —स्त्री॰—-—दश्+अङ्, नि॰ टाप्—लैम्प की बत्ती
दशा —स्त्री॰—-—दश्+अङ्, नि॰ टाप्—आयु
दशा —स्त्री॰—-—दश्+अङ्, नि॰ टाप्—अवस्था
दशा —स्त्री॰—-—दश्+अङ्, नि॰ टाप्—हालात
दशा —स्त्री॰—-—दश्+अङ्, नि॰ टाप्—ग्रहों की स्थिति
दशाङ्शः —पुं॰—दशा-अङ्शः—-—बुरा समय
दशाभागः —पुं॰—दशा-भागः—-—बुरा समय
दशाफलम् —नपुं॰—दशा-फलम्—-—जन्मपत्री में निर्देशित किसी विशेष समय का फल
दग्ध —वि॰—-—दह्+क्त—जला हुआ
दग्ध —वि॰—-—दह्+क्त—शोकग्रस्त, दुःखी
दग्धव्रणः —पुं॰—दग्ध-व्रणः—-—जल जाने से होने वाला घाव
दत्त —वि॰—-— दा+क्त—दिया हुआ
दत्तक्षण —वि॰—दत्त-क्षण—-—जिसे कोई अवसर दिया गया है
दत्तदृष्टि —वि॰—दत्त-दृष्टि—-—जिसने ध्यान लगाया हुआ है, जो देख रहा है।
दत्तकचन्द्रिका —स्त्री॰—-—-—धर्मशास्त्र का एक ग्रन्थ
ददातिः —पुं॰—-—-—स्वामित्व का परिवर्तन
दहनर्क्षम् —नपुं॰—-—दहन+ऋक्षम्—कृत्तिका नक्षत्रपुंज
दानम् —नपुं॰—-— दा+ल्युट्—देना
दानम् —नपुं॰—-— दा+ल्युट्— सौंपना
दानम् —नपुं॰—-— दा+ल्युट्—उपहार
दानम् —नपुं॰—-— दा+ल्युट्—दान
दानम् —नपुं॰—-— दा+ल्युट्—हाथी के गंडस्थल से बहने वाला रस
दानपरिमिता —स्त्री॰—दानम्-परिमिता—-—उदारता, दानशीलता की सीमा
दानवर्षिन् —वि॰—दानम्-वर्षिन्—-—मदोन्मत्त हाथी
देय —वि॰—-— दा+यत्—समर्पण करने योग्य (मार्ग)
दाक्षिकन्था —स्त्री॰—-—-— बाह्लीक देश में स्थित एक स्थान का नाम
दाडिमबीजः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—अनार का बीज
दायः —पुं॰—-— दा+घञ्—उपहार
दायः —पुं॰—-— दा+घञ्—वैवाहिक उपहार
दायः —पुं॰—-— दा+घञ्—बपौती, विरासत
दायः —पुं॰—-— दा+घञ्—सम्बन्धी, रिश्तेदार
दायविभागः —पुं॰—दायः-विभागः—-—संपत्ति का बँटवारा
दाराधिगमनम् —नपुं॰,ष॰त॰—-—-—विवाह
दारुमत्स्याह्वयः —पुं॰—-—-— गोह
दारुहारः —पुं॰—-—-—लकड़हारा
दारुणम् —नपुं॰—-— दृ+णिच्+उनन्—क्रूरता, भीषणता
दारुणम् —नपुं॰—-— दृ+णिच्+उनन्—कठोर, प्रतिकूल नक्षत्र मृग, पुष्य, ज्येष्ठा और मूल
दारोदर —वि॰—-—-—जूए से संबद्ध , जूआ विषयक
दार्विका —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार का आँखों का अंजन
दार्बी —स्त्री॰—-— दारु+अण्+ङीप्—दारुहल्दी
दार्बी —स्त्री॰—-— दारु+अण्+ङीप्—हल्दी का पौधा
दार्षद —वि॰—-—दृषद्+अण्—पथरीला
दार्षद —वि॰—-— दृषद्+अण्—जो पत्थर पर पीसा जाय
दार्षदी —स्त्री॰—-— दृषद्+अण्+ङीप्—पथरीला
दार्षदी —स्त्री॰—-— दृषद्+अण्+ङीप्—जो पत्थर पर पीसा जाय
दार्ष्टान्त —वि॰—-— दृष्टान्त+अण्— सादृश्य की सहायता से व्याख्या किया गया, उदाहरण देकर समझाया गया
दार्ष्टान्तिक —वि॰—-— दृष्टान्त+ठक्—जो उपमा देकर किसी बात को समझाता है
दालवः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का विष
दाल्भ्यः —पुं॰—-—-—एक वैयाकरण का नाम
दाशरथ —वि॰—-—दशरथ+अण्—यज्ञ से सम्बन्ध रखने वाला
दाशराज्ञ —वि॰—-—दशराजन्+अण्—दस राजाओं से सम्बन्ध रखने वाला
दासमीयः —पुं॰—-— दासं गृहशूद्रं मिमते मानयन्ति मैथुनार्थिन्यस्ताः दासम्याः तज्जः—उच्च वर्ण की स्त्री में शूद्र पिता के द्वारा उत्पादित पुत्र
दिनकृतम् —नपुं॰,ष॰त॰—-—-—नित्य का कार्यक्रम
दिनस्पृश् —नपुं॰—-— दिनस्पृश्+क्विप्—चान्द्रदिवस जो सप्ताह के तीन दिनों के साथ मेल खाता है
दिवसावसानम् —नपुं॰—-—-—संध्याकाल
दिवसीकृ —तना॰उभ॰—-—-—रात को दिन में परिणत करना
दिवानक्तम् —अ॰,द्व॰स॰—-—-—दिन रात
दिव्यावदानम् —नपुं॰—-—-—बौद्धधर्म का एक ग्रन्थ
दिव्यधुनी —स्त्री॰—-—-—गंगा नदी
दिगवस्थानम् —नपुं॰—-— दिक्+अवस्थानम्—अन्तरिक्ष
दिग्भ्रमः —पुं॰—-— दिश्+भ्रमः—दिशा की भ्रान्ति होना
दिक्शूलम् —नपुं॰—-— दिश्+शूलम्—दिशाशूल, यात्रियों को किन्हीं विशिष्ट दिनों में विशेष दिशाओं में जाने का प्रतिषेधक योग
दिष्ट —वि॰—-— दिश्+क्त—संकेतित, दर्शाया हुआ
दिष्ट —वि॰—-— दिश्+क्त—वर्णित, उल्लिखित
दिष्ट —वि॰—-— दिश्+क्त—निश्चित, नियत
दिष्टगतिः —स्त्री॰—दिष्ट-गतिः—-—मृत्यु
दिष्टदृश् —पुं॰—दिष्ट-दृश्—-—न्यायकारी परमात्मा
दिष्टभाज् —पुं॰—दिष्ट-भाज्—-—परमात्मा
दिष्टभुक् —वि॰—दिष्ट-भुक्—-—जो अपने कर्मों का फल भोगता है
दिष्टिवृद्धिः —स्त्री॰,ष॰त॰—-—-—बधाई, अभीनन्दन, साधुवाद
देशना —स्त्री॰—-— दिश्+युच्+टाप्— निदेश, अध्यादेश
दीनता —स्त्री॰—-— दीन+तल्—दुर्बलता, बलहीनता
दीक्ष् —भ्वा॰आ॰प्रेर॰—-—-—प्रेरित करना, प्रोत्साहित करना
दीक्षणीयेष्टिः —स्त्री॰—-—-—उपनयन संस्कार से पूव अनुष्ठेय यज्ञ
दीक्षाश्रमः —पुं॰—-—-—वानप्रस्थाश्रम
दीक्षायूपः —पुं॰,त॰स॰—-—-—यज्ञ की स्थूणा
दीपः —पुं॰—-— दीप्+णिच्+अच्—लैम्प, दीपक
दीपाङ्कुरः —पुं॰—दीपः-अङ्कुरः—-—लैम्प की लौ, दीवे की लौ
दीपोच्छिष्टम् —नपुं॰—दीपः-उच्छिष्टम्—-—दीवे की स्याही
दीपदण्डः —पुं॰—दीपः-दण्डः—-—दीवट, दीपक रखने की यष्टि
दीप्त —वि॰—-— दीप्+क्त—जला हुआ, प्रकाशित, सुलगाया हुआ
दीप्त —वि॰—-— दीप्+क्त—उत्तेजित, प्रदीप्त
दीप्त —वि॰—-— दीप्+क्त—उज्ज्वल
दीप्तः —पुं॰—-—-— नींबू का पेड़
दीप्तास्यः —पुं॰—दीप्त-आस्यः—-— साँप
दीप्तनिर्णयः —पुं॰—दीप्त-निर्णयः—-— निश्चित एवं वास्तविक परिणाम
दीप्तनिर्णय —वि॰—दीप्त-निर्णय—-—जिसने अपना पक्का निर्णय कर लिया है
दीप्यकम् —नपुं॰—-— दीप्+यत्+कन्—मोर की शिखा
दीप्यकम् —नपुं॰—-— दीप्+यत्+कन्—‘दीपक’ नाम का एक अलङ्कार, उसी का दूसरा नाम
दीर्घ —वि॰—-— दृ+घञ् बा॰—लम्बा, दूरगामी
दीर्घ —वि॰—-— दृ+घञ् बा॰—देर तक रहने वाला, टिकाऊ
दीर्घ —वि॰—-— दृ+घञ् बा॰—गहरा
दीर्घ —वि॰—-— दृ+घञ् बा॰—ऊँचा
दीर्घापाङ्ग —वि॰—दीर्घ-अपाङ्ग—-—बड़े कटाक्षों से युक्त
दीर्घापेक्षिन् —वि॰—दीर्घ-अपेक्षिन्—-—लिहाज करने वाला, सचेत, सावधान
दीर्घचतुरस्रः —पुं॰—दीर्घ-चतुरस्रः—-—दीर्घायत
दीर्घतमस् —पुं॰—दीर्घ-तमस्—-—एक ॠषि का नाम
दीर्घद्वेषिन् —वि॰—दीर्घ-द्वेषिन्—-—जो देर तक वैर-विरोध रखता है
दीर्घपत्रकः —पुं॰—दीर्घ-पत्रकः—-—गन्ना
दीर्घपत्रकः —पुं॰—दीर्घ-पत्रकः—-—एक प्रकार का लहसुन
दीर्घपुच्छः —पुं॰—दीर्घ-पुच्छः—-— साँप
दीर्घबाहु —वि॰—दीर्घ-बाहु—-—लम्बी भुजाओं वाला
दीर्घवच्छिका —स्त्री॰—दीर्घ-वच्छिका—-— घड़ियाल, मगरमच्छ
दुःखम् —नपुं॰—-—दुःख्+अच्—अप्रसन्नता, कष्ट, पीडा
दुःखम् —नपुं॰—-—दुःख्+अच्—कठिनाई, असुविधा
दुःखगतम् —नपुं॰—दुःखम्-गतम्—-—विपत्ति, संकट
दुःखजीविन् —वि॰—दुःखम्-जीविन्—-—कष्ट में जीवन व्यतीत करने वाला
दुःखत्रयम् —नपुं॰—दुःखम्-त्रयम्—-—तीन प्रकार का दुःख-आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक
दुःखदुःखम् —अ॰—दुःखम्-दुःखम्—-—बड़ी कठिनाई के साथ
दुःखदुःखिन् —वि॰—दुःखम्-दुःखिन्—-—जिसे दुःख पर दुःख उठाने पड़े
दुःखदुःखिन् —वि॰—दुःखम्-दुःखिन्—-—जो दूसरों के दुःख से दुःखी हो
दुःखलव्य —वि॰—दुःखम्-लव्य—-—जो कठिनाई से काटा जा सके
दुःखाकृत —वि॰—-—दुःख्+ आ+कृ+क्त—आहत, दलित, परेशान
दुकूलपट्टः —पुं॰—-—-—रेशमी पट्टा या सिर की पट्टी
दुन्दुभिः —पुं॰,स्त्री॰—-—दुन्दु+भण्+ड्+इ—एक प्रकार का बड़ा ढोल
दुन्दुभिः —पुं॰,स्त्री॰—-—दुन्दु+भण्+ड्+इ— विष्णु
दुन्दुभिः —पुं॰,स्त्री॰—-—दुन्दु+भण्+ड्+इ— कृष्ण
दुन्दुभिः —पुं॰,स्त्री॰—-—दुन्दु+भण्+ड्+इ—एक प्रकार का विष
दुन्दुभिः —पुं॰,स्त्री॰—-—दुन्दु+भण्+ड्+इ—संवत्सर चक्र में ५६ वाँ वर्ष
दुर् —अ॰—-— दु+रुक्—दुस् का पर्यायवाची उपसर्ग
दुरक्षरम् —नपुं॰—दुर्-अक्षरम्—-—अमंगल सूचक शब्द
दुरपवादः —पुं॰—दुर्-अपवादः—-—पिशुनवाक्य, लोकापवाद
दुरवच्छद —वि॰—दुर्-अवच्छद—-—जिसका गुप्त रखना कठिन है
दुरवसित —वि॰—दुर्-अवसित—-—सीमारहित, अगाध, जो मापा न जा सके
दुराढ्य —वि॰—दुर्-आढ्य—-— निर्धन, धनहीन
दुराधिः —पुं॰—दुर्-आधिः—-—कष्ट, मानसिक चिन्ता
दुराधिः —पुं॰—दुर्-आधिः—-—क्रोध
दुरापूर —वि॰—दुर्-आपूर—-—जिसका भरना कठिन हो, जिसको सन्तुष्ट न किया जा सके
दुरामोदः —पुं॰—दुर्-आमोदः—-—दुर्गन्ध,सडांद
दुरावर्त —वि॰—दुर्-आवर्त—-—जिसे विश्वास न दिलाया जा सके
दुरासद —वि॰—दुर्-आसद—-—जिसे प्राप्त करना कठिन हो
दुरासद —वि॰—दुर्-आसद—-—अजेय, जिस पर आक्रमण न किया जा सके
दुरासद —वि॰—दुर्-आसद—-—जिसका सहन करना कठिन हो
दुरोदय —वि॰—दुर्-उदय—-— जो आसानी से प्रकट न हो सके
दुरोदर्क —वि॰—दुर्-उदर्क—-—जिसका बुरा परिणाम हो, जिसका कोई फल न निकले
दुरोपसर्पिन् —वि॰—दुर्-उपसर्पिन्—-—जो असावधानता पूर्वक पहुँच रहा है, जो सावधानी से पास नहीं जाता है
दुर्गुणितम् —नपुं॰—दुर्-गुणितम्—-—जिसका भलीप्रकार अध्ययन नहीं किया गया
दुर्गोष्ठी —स्त्री॰—दुर्-गोष्ठी—-—कुसंगति, षडयंत्र
दुर्नयः —पुं॰—दुर्-नयः—-—बुरी रणनीति
दुर्नयः —पुं॰—दुर्-नयः—-—अनैतिकता
दुर्नयः —पुं॰—दुर्-नयः—-—धृष्ठता
दुर्नृपः —पुं॰—दुर्-नृपः—-—बुरा राजा
दुर्न्यस्त —वि॰—दुर्-न्यस्त—-—दुर्व्यवस्थित
दुर्बाध —वि॰—दुर्-बाध—-—प्रतिबंधरहित
दुर्बुध —वि॰—दुर्-बुध—-—दुर्मना, दुष्ट मन वाला
दुर्भिषज्यम् —नपुं॰—दुर्-भिषज्यम्—-—अचिकित्स्यता, असाध्यता
दुर्मङ्कु —वि॰—दुर्-मङ्कु—-—ढीठ, आज्ञा न मानने वाला
दुर्मरम् —नपुं॰—दुर्-मरम्—-—कठिन मृत्यु, अप्राकृतिक मरण
दुर्मर्षित —वि॰—दुर्-मर्षित—-—उकसाया हुआ, भड़काया हुआ
दुर्मैत्र —पुं॰—दुर्-मैत्र—-—शत्रु, वैरी
दुर्ग्रामः —पुं॰—दुर्-ग्रामः—-—ब्राह्मणों (अग्रहारोपजीवी) की बस्ती के पास बसा हुआ गाँव
दुर्विद्ध —वि॰—दुर्-विद्ध—-—जिसमें छिद्र ठीक प्रकार न हुआ हो
दुर्विमर्श —वि॰—दुर्-विमर्श—-—जिसकी परीक्षा करना कठिन हो
दुर्विवाहः —पुं॰—दुर्-विवाहः—-—अनियमित विवाह
दुर्व्यवहृतिः —स्त्री॰—दुर्-व्यवहृतिः—-—मिथ्या अभियोग, झूठा आरोप
दूषक —वि॰—-— दुष्+णिच्+ण्वुल्—अधार्मिक, धर्महीन
दोषः —पुं॰—-— दुष्+घञ्—अपराध, बट्टा, निन्दा, त्रुटि
दोषः —पुं॰—-— दुष्+घञ्—पाप, जुर्म
दोषः —पुं॰—-— दुष्+घञ्—अवगुण, दुःस्वभाव
दोषः —पुं॰—-— दुष्+घञ्—वात,पित्त,कफ का विकार
दोषाक्षरम् —नपुं॰—दोषः-अक्षरम्—-— दोषारोपण, दोषारोप का शब्द
दोषाविष्करणम् —नपुं॰—दोषः-आविष्करणम्—-—दोषों को प्रकट करना
दोषनिरूपणम् —नपुं॰—दोषः-निरूपणम्—-—त्रुटियों का संकेत करना
दुस् —अव्य॰—-—दु+सुक्—संज्ञा पदों के साथ, कभी-कभी क्रियापदों के साथ भी लगने वाला उपसर्ग, इसका अर्थ है ‘बुरा’, ‘दुष्ट’, ‘घटिया’ ‘कठिन’ आदि
दुरुपस्थान —वि॰—दुस्-उपस्थान—-—अगम्य, पहुँच के बाहर
दुष्कुलम् —नपुं॰—दुस्-कुलम्—-—अधम कुल
दुष्कुह —वि॰—दुस्-कुह—-—पाखण्डी, दम्भी
दुष्क्रीत —वि॰—दुस्-क्रीत—-—जो उचित रूप से न खरीदा गया हो
दुश्चिक्यम् —नपुं॰—दुस्-चिक्यम्—-—ज्योतिष शास्त्र में लग्न से तीसरी राशि
दुष्प्रक्रिया —स्त्री॰—दुस्-प्रक्रिया—-—नगण्य अधिकार
दुष्प्रतीक —वि॰—दुस्-प्रतीक—-—पहचानने में कठिन
दुष्प्रद —वि॰—दुस्-प्रद—-—दुःखदायी, पीडाकर
दुर्मरम् —नपुं॰—दुस्-मरम्—-—असामयिक और दुःखद मृत्यु
दुःसथः —पुं॰—दुस्-सथः—-—कुत्ता
दुःसथः —पुं॰—दुस्-सथः—-—मुर्गा
दुःसंस्थित —वि॰—दुस्-संस्थित—-—देखने में कुरूप, निन्द्य, कलङ्कयुक्त
दुःस्थम् —अ॰—दुस्-स्थम्—-— बुरा अस्वस्थ
दुग्धकूपिका —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार की रोटी
दुग्धाक्षः —पुं॰—-—-—एक प्रकार की मूल्यवान् मणि
दुहिलितिका —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार की जानवरों की खाल जिस पर बाल बहुत लगे होते हैं
दूतः —पुं॰—-—दु+क्त, दीर्घः—हरकारा
दूतः —पुं॰—-—दु+क्त, दीर्घः—एलची, राजदूत
दूतकाव्यम् —नपुं॰—दूतः-काव्यम्—-—‘दूतसम्प्रेषण’ के विषय का काव्य जैसे मेघदूत
दूतवधः —पुं॰—दूतः-वधः—-—दूत की हत्या करना
दूतवध्या —स्त्री॰—दूतः-वध्या—-—दूत की हत्या करना
दूतसम्पातः —पुं॰—दूतः-सम्पातः—-—दूत भेजना
दूतसम्प्रेषणम् —नपुं॰—दूतः-सम्प्रेषणम्—-—दूत भेजना
दूत्यम् —नपुं॰—-—दूत+यत्—दूत का कार्य
दूर —वि॰—-—दुर्+इण्+रक्, धातोर्लोपः—फ़ासले पर, दूरी पर, दूर
दूर —वि॰—-—दुर्+इण्+रक्, धातोर्लोपः—अत्यन्त, बहुत अधिक
दूरापेत —वि॰—दूर-अपेत—-—प्रकरण से बाहर, अप्रासंगिक, असंगत
दूरागत —वि॰—दूर-आगत—-—दूरी से आये हुए
दूरोत्सारित —वि॰—दूर-उत्सारित—-—दूर भगाया हुआ
दूरगामिन् —पुं॰—दूर-गामिन्—-—बाण
दूरपात —वि॰—दूर-पात—-—जो दूर से निशाना लगा सकता है
दूरपातिन —वि॰—दूर-पातिन—-—जो दूर से निशाना लगा सकता है
दूरपातनम् —नपुं॰—दूर-पातनम्—-—दूर तक निशाना लगाना
दूरश्रवणम् —नपुं॰—दूर-श्रवणम्—-—दूर से सुनना
दूरश्रुतिः —स्त्री॰—दूर-श्रुतिः—-—दूर से सुनना
दूरश्रवस् —वि॰—दूर-श्रवस्—-—दूर-दूर तक विख्यात
दूरता —स्त्री॰—-—दूर+तल्—दूरी, फ़ासला
दूरत्वम् —नपुं॰—-—दूर+त्व—दूरी, फ़ासला
दृडकः —पुं॰—-—-—धरती में खोदकर बनाया हुआ चूल्हा
दृढ —वि॰—-—दृह्+क्त, नि॰ नलोपः—स्थिर, मजबूत, अटल, अडिग, अथक
दृढ —वि॰—-—दृह्+क्त, नि॰ नलोपः—ठोस
दृढ —वि॰—-—दृह्+क्त, नि॰ नलोपः—पुष्टीकृत
दृढ —वि॰—-—दृह्+क्त, नि॰ नलोपः—धैर्यवान्
दृढ —वि॰—-—दृह्+क्त, नि॰ नलोपः—सटा हुआ
दृढधृति —वि॰—दृढ-धृति—-—दृढ निश्चय, साहसी
दृढनाभः —पुं॰—दृढ-नाभः—-—अस्त्र का प्रभाव रोकने वाला मंत्र
दृढपृष्ठकः —पुं॰—दृढ-पृष्ठकः—-—कछुवा
दृढभूमिः —स्त्री॰—दृढ-भूमिः—-—यौगिक अध्ययन में जिसने मन को केन्द्रित कर लिया है
दृढभेदिन् —पुं॰—दृढ-भेदिन्—-—अच्छा तीरन्दाज
दृढवेधिन् —पुं॰—दृढ-वेधिन्—-—अच्छा तीरन्दाज
दृढमन्यु —वि॰—दृढ-मन्यु—-—प्रचण्ड क्रोधी
दृढवृक्षः —पुं॰—दृढ-वृक्षः—-—नारियल का पेड़
दृतिः —पुं॰,स्त्री॰—-— दृ+क्तिन्, ह्रस्वः—पिचकारी या नल
दर्शोपशान्तिः —स्त्री॰—-—-—घमंड चूर-चूर करना
दर्शदर्शम् —अ॰—-—-—हर दृष्टि में, प्रत्येक दृष्टि में
दर्शपूर्णमासन्यायः —पुं॰—-—-—ऐसा नियम जिसके आधार पर वह कार्य जो अनेक फलों का उत्पादक है, एक समय में केवल एक ही फल उत्पन्न कर सकता है, अनेक नहीं।
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश्+ल्युट्—देखना
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश्+ल्युट्—प्रकट करना
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश्+ल्युट्— जानना
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश्+ल्युट्—दृष्टि
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश्+ल्युट्—निश्चयात्मक कथन, उक्ति
दर्शनीयतम —वि॰—-—दृश्+अनीयर्+तमप्— जो देखने में अत्यन्त सुन्दर है
दर्शनीयमानिन् —वि॰—-—दर्शनीयमान+इनि— जो अपने सौन्दर्य का अभिमान करता है, घमंडी
दिदृक्षा —स्त्री॰—-—दृश्+सन्+उ— जो देखने का इच्छुक है
दृश् —स्त्री॰—-—दृश्+क्विप्—दृष्टि
दृश् —स्त्री॰—-—दृश्+क्विप्—आँख
दृगञ्चलः —पुं॰—दृश्-अञ्चलः—-—कटाक्षः, कनखी
दृक्छत्रम् —नपुं॰—दृश्-छत्रम्—-—पलक
दृङ्निमीलनम् —नपुं॰—दृश्-निमीलनम्—-—आँख मिचौनी, बच्चों का एक खेल
दृक्प्रसादा —स्त्री॰—दृश्-प्रसादा—-—एक नीला पत्थर जो अंजन की भांति प्रयुक्त किया जाता है
दृक्सङ्गमः —पुं॰—दृश्-सङ्गमः—-—दृष्टिमिलन, नजर मिलना
दृशालुः —पुं॰—-—दृश्+आलुच्फ़्—सूर्य
दृश्यम् —नपुं॰—-—दृश्+क्यच्—देखे जाने योग्य
दृश्यम् —नपुं॰—-—दृश्+क्यच्—सुन्दर
दृश्यम् —नपुं॰—-—दृश्+क्यच्—काव्य का एक भेद जो देखने के उपयुक्त है
दृश्येतर —वि॰—दृश्यम्-इतर—-— जो दिखाई न दे
दृश्यस्थापित —वि॰—दृश्यम्-स्थापित—-—आकर्षक रीति से रक्खा हुआ जिससे सभी उसको देख सकें
दृष्टसार —वि॰,ष॰त॰—-—-— जिसका बल या सामर्थ्य प्रमाणित हो चुका है
दृष्टिः —स्त्री॰—-—दृश्+क्तिन्—नज़र, देखना
दृष्टिः —स्त्री॰—-—दृश्+क्तिन्—मानसिक रूप से देखना
दृष्टिः —स्त्री॰—-—दृश्+क्तिन्— जानना
दृष्टिः —स्त्री॰—-—दृश्+क्तिन्—आँख
दृष्टिः —स्त्री॰—-—दृश्+क्तिन्— सिद्धान्त
दृष्टिप्रसादः —पुं॰—दृष्टिः-प्रसादः—-—दृष्टि की कृपा, दर्शन का अनुग्रह
दृष्टिमण्डलम् —नपुं॰—दृष्टिः-मण्डलम्—-—आँख की पुतली
दृष्टिमण्डलम् —नपुं॰—दृष्टिः-मण्डलम्—-—दृष्टिक्षेत्र
दृष्टिरागः —पुं॰—दृष्टिः-रागः—-—आँख द्वारा प्रेमाभिव्यक्ति
दृष्टिसम्भेदः —पुं॰—दृष्टिः-सम्भेदः—-—पारस्परिक अवलोकन
दृषदश्मन् —पुं॰—-—-—चक्की का ऊपर का पाट
देव —वि॰—-—दिव्+अच्—दिव्य, स्वर्गीय
देव —वि॰—-—दिव्+अच्—उज्ज्वल
देव —वि॰—-—दिव्+अच्—पूजनीय, माननीय
देवः —पुं॰—-—-—वर्षा का देवता
देवः —पुं॰—-—-—दिव्य मानुष, ब्राह्मण
देवः —पुं॰—-—-—देवर, पति का भाई
देवम् —नपुं॰—-—-—ज्ञानेन्द्रिय
देवार्पणम् —नपुं॰—देव-अर्पणम्—-—देवों के प्रति उपहार
देवार्पणम् —नपुं॰—देव-अर्पणम्—-—वेद
देवकुसुमम् —नपुं॰—देव-कुसुमम्—-—इलायची
देवखातम् —नपुं॰—देव-खातम्—-—पहाड़ की कन्दरा
देवखातम् —नपुं॰—देव-खातम्—-—सरोवर
देवखातम् —नपुं॰—देव-खातम्—-—मन्दिर का निकटवर्ती तालाब
देवखातकम् —नपुं॰—देव-खातकम्—-—पहाड़ की कन्दरा
देवखातकम् —नपुं॰—देव-खातकम्—-—सरोवर
देवखातकम् —नपुं॰—देव-खातकम्—-—मन्दिर का निकटवर्ती तालाब
देवगान्धारी —स्त्री॰—देव-गान्धारी—-—संगीतशास्त्र में एक राग का नाम
देवग्रहः —पुं॰—देव-ग्रहः—-—भूत-प्रेतों की श्रेणी जो उन्माद पैदा करती है
देवतर्पणम् —नपुं॰—देव-तर्पणम्—-—जल के उपहार से देवों को तृप्त करना
देवदैवत्य —वि॰—देव-दैवत्य—-—जो देवताओं का भवितव्य हो, उनके भाग्य से लिखा हो
देवधिष्ण्यम् —नपुं॰—देव-धिष्ण्यम्—-—देवों का रथ, विमान
देवनक्षत्रम् —नपुं॰—देव-नक्षत्रम्—-— दक्षिणी दिशा में पहले चौदह नक्षत्रों का नाम
देवनिन्दा —स्त्री॰—देव-निन्दा—-—नास्तिकता
देवनिर्माल्यम् —नपुं॰—देव-निर्माल्यम्—-—देवताओं को उपहार देने में प्रयुक्त
देवपुरोहितः —पुं॰—देव-पुरोहितः—-—देवों का अपना पुरोहित
देवपुरोहितः —पुं॰—देव-पुरोहितः—-—बृहस्पति ग्रह
देवप्रसूतः —वि॰—देव-प्रसूतः—-—प्रकृति से उत्पन्न
देवभोगः —पुं॰—देव-भोगः—-—स्वर्गीय भोग, स्वर्गीय हर्ष
देवमाया —स्त्री॰—देव-माया—-—दिव्य भ्रम
देवमार्गः —पुं॰—देव-मार्गः—-—वायु, अन्तरिक्ष
देवमार्गः —पुं॰—देव-मार्गः—-—गुदा
देवरातः —पुं॰—देव-रातः—-—परीक्षित का विशेषण
देवलक्ष्मम् —नपुं॰—देव- लक्ष्मम्—-—ब्राह्मणत्व का चिह्न, यज्ञोपवीत
देवसत्यम् —नपुं॰—देव-सत्यम्—-—दिव्य सचाई
देवहूः —पुं॰—देव-हूः—-—बायाँ कान
देवितव्य —वि॰—-—दिव्+तव्यत्—जूए में दाँव पर लगाने योग्य
देवीपुराणम् —नपुं॰—-—-—एक उपपुराण का नाम
देवीभागवतम् —नपुं॰—-—-—एक महापुराण का नाम
देवीमाहात्म्यम् —नपुं॰—-—-—मार्कण्डेय पुराण का एक भाग जिसे सप्तशती कहते हैं
देशः —पुं॰—-—दिश्+अच्—स्थान
देशः —पुं॰—-—दिश्+अच्—प्रदेश
देशः —पुं॰—-—दिश्+अच्—क्षेत्र
देशः —पुं॰—-—दिश्+अच्—प्रान्त
देशः —पुं॰—-—दिश्+अच्—विभाग
देशः —पुं॰—-—दिश्+अच्—संस्थान
देशः —पुं॰—-—दिश्+अच्—अध्यादेश
देशाटनम् —नपुं॰—देशः-अटनम्—-—किसी देश में भ्रमण करना
देशकण्टकः —पुं॰—देशः-कण्टकः—-—सामाजिक बुराई, देश की प्रगति में बाधक
देशकालज्ञ —वि॰—देशः-कालज्ञ—-— जो व्यक्ति कार्य करने के सही स्थान और समय को जानता है
देशविद्ध —वि॰—देशः-विद्ध—-—ठीक तरह से बिंधा हुआ (मोती) दर्शक की सापेक्ष स्थिति के आधार पर बना गोल घेरा
देशकः —पुं॰—-—दिश्+ण्वुल्—संकेतक, ज्ञापक, अनुबोधक
देशकपटुम् —नपुं॰—देशकः-पटुम्—-—छत्रक, खुम्भी
देशकरूपिणी —स्त्री॰—-—-—अध्यापिका के रूप में देवी, ललिता का विशेषण
देष्टव्य —वि॰—-—दिश्+तव्यत्—इंगित या संकेतित किये जाने के योग्य
देहः —पुं॰—-—दिह्+घञ्—काया, शरीर
देहः —पुं॰—-—दिह्+घञ्—व्यक्ति
देहम् —नपुं॰—-—दिह्+घञ्—काया, शरीर
देहम् —नपुं॰—-—दिह्+घञ्—व्यक्ति
देहम् —नपुं॰—-—दिह्+घञ्—रूप
देहासवः —पुं॰—देहः-आसवः—-—मूत्र
देहकृत् —पुं॰—देहः-कृत्—-—पाँच तत्त्व
देहकृत् —पुं॰—देहः-कृत्—-—पिता
देहतन्त्र —वि॰—देहः-तन्त्र—-—शरीरधारी, मूर्त्तरूप धारण करने वाला
देहपातः —पुं॰—देहः-पातः—-—मृत्यु
देहभेदः —पुं॰—देहः-भेदः—-—मृत्यु
देहयापनम् —नपुं॰—देहः-यापनम्—-—शरीर का पालन पोषण करना
देहविसर्जनम् —नपुं॰—देहः-विसर्जनम्—-—मृत्यु
देहवृन्तम् —नपुं॰—देहः-वृन्तम्—-—मज्जा
देहनाभि —पुं॰—देहः-नाभि—-—मज्जा
देहसारः —पुं॰—देहः-सारः—-—मज्जा
देहिका —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार का कीड़ा
दैक्ष —वि॰—-—दीक्षा+अण्—‘अग्नीषोम’ यज्ञ की दीक्षा लेने वाला
दैप —वि॰—-—दीप+अण्—दीपक से संबन्ध रखने वाला
दैव —वि॰—-—देव+अण्—देवताओं से सम्बन्ध रखने वाला
दैव —वि॰—-—देव+अण्—दिव्य, स्वर्गीय
दैव —वि॰—-—देव+अण्—भाग्य पर निर्भर
दैवेज्य —वि॰—दैव-इज्य—-—बृहस्पति के लिए पुनीत
दैवोढा —स्त्री॰—दैव-ऊढा—-—‘दैव’ विवाह की रीति के अनुसार विवाहित स्त्री
दैवचिन्ता —स्त्री॰—दैव-चिन्ता—-—भाग्यवाद
दैवरक्षित —वि॰—दैव-रक्षित—-—अन्तर्जात, नैसर्गिक
दैवरक्षित —वि॰—दैव-रक्षित—-—देवों से जिसकी रक्षा की गई है
दैवविद् —पुं॰—दैव-विद्—-—ज्योतिषी
दैवहत —वि॰—दैव-हत—-—जिससे देव घृणा करते हों, भाग्य का मारा
दैवतसरित् —स्त्री॰—-— —गंगा नदी
दैवसिक —वि॰—-—दिवस्+ठक्—एक दिन में जो घटित हो
दैवाकरिः —पुं॰—-— —शनिग्रह
दैवाकरिः —पुं॰—-—-—यमुना नदी
दैशिक —वि॰—-—देश्+ठञ्—गुरु के द्वारा शिक्षा प्राप्त
दोधकम् —नपुं॰—-—-—एक छन्द का नाम जिसके प्रत्येक चरण में तीन भगण और एक गुरु को मिला कर दस वर्ण हों
दोलाचलचित्तवृत्ति —वि॰—-—-—जिसका मन हिंडोले की भाँति इधर-उधर झूल रहा है
दोलाचलयन्त्रम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का यन्त्र जिसके द्वारा कुछ औषधियाँ तैयार की जाती है
दोस् —पुं॰,नपुं॰—-—दम्यतेऽनेन दम् दोऽसि अर्धर्चा॰—भुजा
दोस् —पुं॰,नपुं॰—-—दम्यतेऽनेन दम् दोऽसि अर्धर्चा॰—किसी वर्ग या त्रिकोण की भुजा
दोस् —पुं॰,नपुं॰—-—दम्यतेऽनेन दम् दोऽसि अर्धर्चा॰—अठारह इँच की माप
दोहददुःखशीलता —स्त्री॰—-—-—गर्भावस्था का बोझ
दौरुधरी —स्त्री॰—-—-—बृहस्पति और शुक्र ग्रह का चन्द्रमा के साथ संयोग-जातकों के लिए अत्यन्त मङ्गलमय समझा जाता है
दौर्जन —वि॰—-— दुर्जन+अण्—दुष्ट पुरुष से सम्बन्ध
दौर्भिक्षम् —नपुं॰—-—दुर्भिक्ष्+अण्—अकाल पड़ना, दुर्भिक्ष होना
दौर्व्रत्यम् —नपुं॰—-—दुर्वृत्त+ष्यञ्—आज्ञा न मानना
दौस्थ्यम् —नपुं॰—-—दुस्थ+ष्यञ्—दुःखद स्थिति
दौहदिकः —पुं॰—-—दोहद+ठक्—प्राकृतिक दृश्यों का माली
द्युपथः —पुं॰ष॰त॰—-—-—हवाई मार्ग
द्युरत्नम् —नपुं॰—-—-—सूर्य
द्युसैन्धवः —पुं॰—-—-—इन्द्र का घोड़ा, उच्चैःश्रवा
द्यूतः —पुं॰—-—-—जूआ खेलना, पासों से खेलना
द्यूतः —पुं॰—-—-—युद्ध, संग्राम
द्यूतः —पुं॰—-—-—जीता हुआ पारितोषिक
द्यूतम् —नपुं॰—-—-—जूआ खेलना, पासों से खेलना
द्यूतम् —नपुं॰—-—-—युद्ध, संग्राम
द्यूतम् —नपुं॰—-—-—जीता हुआ पारितोषिक
द्यूतधर्मः —पुं॰—द्यूतः-धर्मः—-—जूआ खेलने के नियम
द्यूतमण्डलम् —नपुं॰—द्यूतः-मण्डलम्—-—जूआघर
द्यूतलेखकः —पुं॰—द्यूतः-लेखकः—-—जो जूए के खेल के प्राप्तांक लिखता है
द्योकारः —पुं॰—-—-—स्थपति, वास्तुकार, सौधशिल्पी
द्रङ्गः —पुं॰—-—-—नगर, पुरी
द्रङ्गा —स्त्री॰—-—-—नगर, पुरी
द्रवत् —वि॰—-—द्रु+शतृ—दौड़ता हुआ, बहता हुआ
द्रवत् —वि॰—-—द्रु+शतृ—चूता हुआ, टपकता हुआ, बूंद बूंद गिरता हुआ
द्रविः —पुं॰,वेद॰—-—-—धातुओं को गलाने वाला
द्रविडशिशुः —पुं॰—-—-—द्रविड देश का पुत्र, शैव संप्रदाय का एक सन्त
द्रविणोदः —पुं॰—-—-—अग्नि, आग
द्रविणोदयः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—धन की प्राप्ति
द्रव्यम् —नपुं॰—-—द्रु+यत्—ऋग्वेद का मन्त्र जो साम के रूप में प्रयुक्त किया जाता है
द्रव्यशुद्धिः —स्त्री॰—द्रव्यम्-शुद्धिः—-—धर्म कार्य के लिए प्रयुक्त पदार्थ की पवित्रता
द्रष्टुकाम —वि॰—-—-—दर्शनाभिलाषी, देखने का इच्छुक
द्रष्टुमनस् —वि॰—-—-—दर्शनाभिलाषी, देखने का इच्छुक
द्राक्केन्द्रम् —नपुं॰—-—-—अपने अधिकतम वेग के बिन्दु से ग्रह की दूरी
द्राक्षापाकः —पुं॰—-—-—काव्यशैली का एक प्रकार जिसमें रचना सरल और मधुर हो
द्राक्षासवः —पुं॰—-—-—अंगूरों की शराब जो पुष्टिवर्धक के रूप में प्रयुक्त होती है।
द्राघिष्ठ —वि॰—-—दीर्घ+इष्ठन्—सबसे लम्बा, अत्यन्त लम्बा
द्राघिष्ठः —पुं॰—-—दीर्घ+इष्ठन्—रीछ
द्राह्यायणः —पुं॰—-—-—सामवेदियों के सम्प्रदाय के लिए लिखित श्रौतसूत्र के कर्ता का नाम
द्रुपाद —वि॰—-—-—लम्बे पैर वाला
द्रुतगति —वि॰,ब॰स॰—-—-—द्रुतगति से जाने वाला
द्रुतमध्या —स्त्री॰—-—-—एक छंद का नाम
द्रुमः —पुं॰—-—द्रुः शाखास्त्यस्य, मः—वृक्ष
द्रुमः —पुं॰—-—द्रुः शाखास्त्यस्य, मः—कल्पवृक्ष
द्रुमः —पुं॰—-—द्रुः शाखास्त्यस्य, मः—कुबेर का विशेषण
द्रुमाब्जम् —नपुं॰—द्रुमः-अब्जम्—-—कर्णिकार वृक्ष, कनियर का पौधा
द्रुमखण्डः —पुं॰—द्रुमः-खण्डः—-—वृक्षों की वाटिका, कुंज
द्रुमषण्डः —पुं॰—द्रुमः-षण्डः—-—वृक्षों की वाटिका, कुंज
द्रुमनिर्यासः —पुं॰—द्रुमः-निर्यासः—-—वृक्ष का रस, लोबान
द्रुमवासिन् —पुं॰—द्रुमः-वासिन्—-—बन्दर
द्रेक्काणः —पुं॰—-—-—राशि की अवधि का तीसरा भाग
द्रेष्काणः —पुं॰—-—-—राशि की अवधि का तीसरा भाग
द्रोणकम् —नपुं॰—-—द्रुण्+अच्, कन्—समुद्र के किनारे का नगर जिसमें किलाबन्दी की गई हो
द्रोणम्पच —वि॰—-—-—आतिथ्य सत्कार करने में उदार
द्रौणेयम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का नमक
द्रौहिक —वि॰—-—द्रोह+ठक्—सदैव घृणा का पात्र
द्वन्द्वम् —नपुं॰—-—द्वौ द्वौ सहाभिव्यक्तौ+द्विशब्दस्य द्वित्वं पूर्वपदस्य अम्भावः, उत्तरपदस्य नपुंसकत्वं+.नि॰—एक ओर, एकान्त स्थान
द्वन्द्वालापः —पुं॰—द्वन्द्वम्-आलापः—-—दो व्यक्तियों के मध्य वार्तालाप
द्वन्द्वगर्भः —वि॰—द्वन्द्वम्-गर्भः—-—बहुव्रीहि समास जिसके मध्य द्वन्द्व निहित हो
द्वन्द्वदुःखम् —नपुं॰—द्वन्द्वम्-दुःखम्—-—हर्ष और शोक आदि की परस्पर विरोधी भावनाओं से उत्पन्न दुःख
द्वार्ग —वि॰—-—द्वार्+ग—दरवाजे पर खड़ा हुआ
द्वारम् —नपुं॰—-—द्वृ+णिच्+अच्—दरवाजा
द्वारम् —नपुं॰—-—द्वृ+णिच्+अच्—प्रवेशद्वार
द्वारम् —नपुं॰—-—द्वृ+णिच्+अच्—शरीर के नौ द्वार
द्वारबाहुः —पुं॰—द्वारम्-बाहुः—-—चौखट
द्वाराररिः —पुं॰—द्वारम्-अररिः—-—किवाड़ का पट या पल्ला
द्वारवङ्शः —पुं॰—द्वारम्-वङ्शः—-—सरदल
द्व्यन्तर —वि॰—द्वि-अन्तर—-—दो घटकों द्वारा अन्तरित
द्व्यवर —वि॰—द्वि-अवर—-—न्यूनातिन्यून दो
द्व्याम्नात —वि॰—द्वि-आाम्नात—-—दो बार वर्णित
द्व्याहिक —वि॰—द्वि-आाहिक—-—हर तीसरे दिन होने वाला
द्व्येकान्तरम् —नपुं॰—द्वि-एकान्तरम्—-—एक अंश या दो अंश से वियुक्त
द्विकर —वि॰—द्वि-कर—-—दो प्रयोजन पूरा करने वाला
द्विकार्षापणिक —वि॰—द्वि-कार्षापणिक—-—दो कार्षापण के मूल्य का
द्विचन्द्रधीः —स्त्री॰—द्वि-चन्द्रधीः—-—आँख के खराबी के कारण दो चन्द्रदर्शन की भ्रान्ति
द्विजः —पुं॰—द्वि-जः—-—ब्रह्मचारी
द्विजातिः —स्त्री॰—द्वि-जातिः—-—जिसके दो पत्नियाँ हैं
द्विफालबद्धः —पुं॰—द्वि-फालबद्धः—-—दो और बँटें बाल
द्विफालबद्धः —पुं॰—द्वि-फालबद्धः—-—जिसने अपने बालों को कंघी करके दो भागों में बाँट दिया है
द्विबाहुः —पुं॰—द्वि-बाहुः—-—मनुष्य
द्विभातम् —नपुं॰—द्वि-भातम्—-—संध्या समय
द्विमुनि —अ॰—द्वि-मुनि—-—दो मुनि- पाणिनि और कात्यायन
द्विवक्त्रः —पुं॰—द्वि-वक्त्रः—-—दो मुँह वाला साँप
द्विवर्गः —पुं॰—द्वि-वर्गः—-—प्रकृति और पुरुष का जोड़ा
द्विव्याम —वि॰—द्वि-व्याम—-— बारह फुट लम्बा
द्विष्ठ —वि॰—द्वि-स्थ—-—दो अर्थ प्रकट करने वाला
द्विक —वि॰—-—द्वि+क—दोहरा, दो तह का
द्विक —वि॰—-—द्वि+क—दूसरी बार घटित होने वाला
द्विकः —पुं॰—-—-—चक्रवाक पक्षी
द्विकपृष्ठः —पुं॰—द्विक-पृष्ठः—-—दो कूब वाला ऊँट
द्वितीयगामिन् —वि॰—-—-—जो दूसरे पदार्थ पर घटता हो
द्वेषस्थ —वि॰—-—-—घृणा करने वाला
द्वीपवासिन् —वि॰—-—-—टापू पर रहने वाला
द्वीपवासी —पुं॰—-—-—खञ्जरीट पक्षी
द्वैधीकरणम् —नपुं॰—-—-—दो भाग करना
द्वैहकाल्यम् —वि॰—-—-—दो दिन तक अनुष्ठान चलते रहने की विशेषता
धगिति —अ॰—-—-—एक क्षण में, अकस्मात्
धनम् —नपुं॰—-—धन्+अच्—सम्पत्ति, दौलत, कोष, रुपया पैसा
धनम् —नपुं॰—-—धन्+अच्—कोई भी मूल्यवान् सामान, प्रियतम कोष
धनम् —नपुं॰—-—धन्+अच्—लूटमार का धन
धनम् —नपुं॰—-—धन्+अच्—पारितोषिक
धनम् —नपुं॰—-—धन्+अच्—धनिष्ठा नक्षत्र
धनम् —नपुं॰—-—धन्+अच्—जमा का चिह्न
धनादानम् —नपुं॰—धनम्-आदानम्—-—धन ग्रहण करना
धनाशा —स्त्री॰—धनम्-आशा—-—धन की इच्छा
धनधान्यम् —नपुं॰—धनम्-धान्यम्—-—रुपया पैसा तथा अनाज
धनसूः —पुं॰—धनम्-सूः—-—द्विशाखी पूँछ वाला किरौला नामक पक्षी
धनसूः —स्त्री॰—धनम्-सूः—-—वह माता जिसके कन्याएँ ही हों
धनिन् —वि॰—-—धन+इनि—वैश्य जाति
धनुरासनम् —नपुं॰—-—-—योगशास्त्र में वर्णित एक कायिक मुद्रा
धनुर्ग्रहम् —नपुं॰—-—-—एक माप, २७ अंगुल की माप, एक हस्तपरिमाण की माप
धन्वनम् —नपुं॰—-—धन्व्+ल्युट्— धनुष
धन्वनम् —नपुं॰—-—धन्व्+ल्युट्—इन्द्रधनुष
धन्वनम् —नपुं॰—-—धन्व्+ल्युट्— धनुराशि
धमधमाय् —ना॰धा॰—-—-—जगमगाना, निगल जाना
धरणीतलम् —नपुं॰ष॰त॰—-—-— धरती की सतह
धरणीविडौजः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—राजा
धरा —स्त्री॰—-—धृ+अच्+टाप्—पृथ्वी,धरती
धरोपस्थः —पुं॰—धरा-उपस्थः—-—पृथ्वीतल, धरती की सतह
धरित्रीभृत् —पुं॰—-—धरित्री+भृ+क्विप्—राजा
धर्मः —पुं॰—-—धृ+मन्—किसी जाति के परम्परागत अनुष्ठान
धर्मः —पुं॰—-—धृ+मन्—विधि, व्यवहार, प्रथा
धर्मः —पुं॰—-—धृ+मन्—नैतिक गुण
धर्मः —पुं॰—-—धृ+मन्—गुण, सचाई
धर्मः —पुं॰—-—धृ+मन्—चार पुरुषार्थों में से एक
धर्मः —पुं॰—-—धृ+मन्—कर्त्तव्य
धर्मः —पुं॰—-—धृ+मन्—न्याय
धर्माक्षरम् —नपुं॰—धर्मः-अक्षरम्—-—पवित्र मंत्र, आस्था का नियम
धर्मापदेशः —पुं॰—धर्मः-अपदेशः—-—धर्मानुष्ठान का बहाना
धर्मायनम् —नपुं॰—धर्मः-अयनम्—-—विधि का क्रम
धर्माहन् —नपुं॰—धर्मः-अहन्—-—कल जो बीत चुका
धर्माकूतम् —नपुं॰—धर्मः-आकूतम्—-—रामायण की एक टीका का नाम
धर्मेप्सु —वि॰—धर्मः-ईप्सु—-— धर्मलाभ प्राप्त करने का इच्छुक
धर्मोपचायिन् —वि॰—धर्मः-उपचायिन्—-— धर्मवृद्ध, धार्मिक
धर्मच्छलः —पुं॰—धर्मः-च्छलः—-— धर्म का कपटपूर्ण उल्लङ्घन
धर्मदक्षिणा —स्त्री॰—धर्मः-दक्षिणा—-— धर्मशिक्षा का शूल्क
धर्मपरिणामः —पुं॰—धर्मः-परिणामः—-—हृदय में सदाचरण का उद्बोधन
धर्मप्रतिरूपकः —पुं॰—धर्मः-प्रतिरूपकः—-—कपट धर्म, छद्म धर्म
धर्मप्रधान —वि॰—धर्मः-प्रधान—-—पवित्राचरण में मुख्य
धर्मप्रेक्ष्य —वि॰—धर्मः-प्रेक्ष्य—-— धार्मिक, गुणी
धर्मबाह्य —वि॰—धर्मः-बाह्य—-— धर्म से पराङ्मुख, धर्म विरोधी
धर्मशुद्धिः —स्त्री॰—धर्मः-शुद्धिः—-—आचरण की पवित्रता
धर्मसमयः —पुं॰—धर्मः-समयः—-—वैध दायित्व
धर्मसूत्रम् —नपुं॰—धर्मः-सूत्रम्—-—जैमिनिकृत पूर्वमीमांसा पर लिखा गया ग्रन्थ
धर्षणम् —नपुं॰—-—धृष्+ल्युट्—साहस, धृष्टता
धर्षणम् —नपुं॰—-—धृष्+ल्युट्—हराना, पराजय
धातुः —पुं॰—-—धा+तुन्—घटक,अवयव
धातुः —पुं॰—-—धा+तुन्—तत्त्व, प्राथमिक द्रव्य
धातुः —पुं॰—-—धा+तुन्—रस, अर्क
धातुगर्भः —पुं॰—धातुः-गर्भः—-—भस्म रखने का पात्र
धातुस्तूपः —पुं॰—धातुः-स्तूपः—-—भस्म रखने का पात्र
धातुचूर्णम् —नपुं॰—धातुः-चूर्णम्—-—पिसा हुआ खनिज पदार्थ
धातुप्रसक्त —वि॰—धातुः-प्रसक्त—-—रसायन कार्य में व्यस्त
धातुकम् —नपुं॰—-—-—शिलाजीत
धातृ —पुं॰—-—धा+तृच्—भाग्य, किस्मत
धात्रीपुष्पिका —स्त्री॰—-—-—एक वृक्ष का नाम
धान्यम् —नपुं॰—-—धान+यत्—अनाज, अन्न
धान्यखलः —पुं॰—धान्यम्-खलः—-—खलिहान
धान्यचौरः —पुं॰—धान्यम्-चौरः—-—अन्न चुराने वाला
धान्यमुष्टिः —स्त्री॰—धान्यम्-मुष्टिः—-—मुटठी भर अनाज
धाममानिन् —वि॰—-—धामन्+मान+इनि, नलोपः—भौतिक सत्ता में विश्वास रखने वाला
धामवत् —वि॰—-—धाम+मतुप्—शक्तिशाली, मज़बूत
धाय्या —स्त्री॰—-—सामिधेनी ऋग् या समिदाधाने पठ्यते—यज्ञाग्नि को सुलगाते समय गाया जाने वाला प्रार्थना मंत्र
धाय्या —स्त्री॰—-—सामिधेनी ऋग् या समिदाधाने पठ्यते— इन्धन
धारणम् —नपुं॰—-—धृ+णिच्+ल्युट्—पीड़ा को शान्त करने के लिए मन्त्र
धारणमन्त्रम् —नपुं॰—धारणम्-मन्त्रम्—-—एक प्रकार का ताबीज़
धारणा —स्त्री॰—-—धृ+णिच्+युच्+ल्युट्—योग का एक अङ्ग
धारणात्मक —वि॰—-—-—जो अपने आपको आसानी से स्वस्थचित्त या प्रशान्त कर लेता है।
धारयिष्णुता —स्त्री॰—-—धृ+णिच्+इष्णुच्+तल्—सहनशक्ति, सहिष्णुता
धारा —स्त्री॰—-—-—मालवा देश की एक नगरी
धारा —स्त्री॰—-—धृ+णिच्+अङ्+टाप्—पानी की धार, गिरते हुए किसी तरल पदार्थ की पंक्ति
धारा —स्त्री॰—-—धृ+णिच्+अङ्+टाप्—बौछार
धारा —स्त्री॰—-—धृ+णिच्+अङ्+टाप्—लगातार पंक्ति
धारा —स्त्री॰—-—धृ+णिच्+अङ्+टाप्—घड़े में छिद्र
धारा —स्त्री॰—-—धृ+णिच्+अङ्+टाप्—किसी वस्तु का किनारा
धारावर्तः —पुं॰—धारा-आवर्तः—-—भंवर, फिरकी
धारेश्वरः —पुं॰—धारा-ईश्वरः—-—राजा भोज
धारासम्पातः —पुं॰—धारा-सम्पातः—-—लगातार बौछार
धाराशीतः —वि॰—धारा-शीतः—-—धारोष्ण दूध ठंडा किया हुआ
धार्मिकः —पुं॰—-—धर्म+ठक्—न्यायकर्ता
धार्मिकः —पुं॰—-—धर्म+ठक्—धर्मान्ध, कट्टरपन्थी
धार्मिकः —पुं॰—-—धर्म+ठक्—बाजीगर
धावितृ —पुं॰—-—धाव्+तृच्—दौड़ने वाला
धित —वि॰—-—धा+क्त—रक्खा गया, अर्पण किया गया
धित —वि॰—-—धा+क्त—संतुष्ट, प्रसन्न
धिग्वादः —पुं॰—-—धिक्+वद्+घञ्—भर्त्सनापूर्ण उक्ति, निन्दा
धिष्ठित —वि॰—-—अधि+स्था+क्त, दे॰ पिधानं—सुस्थापित
धिष्ठित —वि॰—-—अधि+स्था+क्त, दे॰ पिधानं—खाई में सुरक्षित
धिष्ठित —वि॰—-—अधि+स्था+क्त, दे॰ पिधानं—ठहरा हुआ, निश्चित
धीः —स्त्री॰—-—ध्यै भावे क्विप् संप्रसारणं च—बुद्धि
धीः —स्त्री॰—-—ध्यै भावे क्विप् संप्रसारणं च—मन
धीः —स्त्री॰—-—ध्यै भावे क्विप् संप्रसारणं च—विचार
धीः —स्त्री॰—-—ध्यै भावे क्विप् संप्रसारणं च—कल्पना
धीः —स्त्री॰—-—ध्यै भावे क्विप् संप्रसारणं च—प्रार्थना
धीः —स्त्री॰—-—ध्यै भावे क्विप् संप्रसारणं च—यज्ञ
धीः —स्त्री॰—-—ध्यै भावे क्विप् संप्रसारणं च—लग्न से पाँचवा घर
धीविभ्रमः —पुं॰—धीः-विभ्रमः—-—दृष्टिभ्रम
धुन्धुकम् —नपुं॰—-—-—लकड़ी में विशेष प्रकार का दोष
धुन्धुकम् —नपुं॰—-—-—वृक्ष के तने में छिद्र जो उसके क्षय का चिह्न है
धुन्धुरिः —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार का वाद्ययंत्र, संगीत उपकरण
धुन्धुरी —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार का वाद्ययंत्र, संगीत उपकरण
धुर्यवाहः —पुं॰—-—-—बोझा ढोने वाला जानवर
धुर्यता —स्त्री॰—-— धुरं वहति यत्, तस्य भावः, तल्—नेतृत्व
धूतगुण —वि॰—-—-—जिसने तीनों गुणों को पार करलिया है, जो अब भौतिक सुखों से परे पहुँच गया है, संन्यासी
धूपः —पुं॰—-— धूप्+अच्—सुगन्ध
धूपः —पुं॰—-— धूप्+अच्—सुगन्धयुक्त वाष्प या धूआँ
धूपनेत्रम् —नपुं॰—धूपः-नेत्रम्—-—धूमनलिका, हुक्के की नली
धूपवर्त्तिः —स्त्री॰—धूपः-वर्त्तिः—-—एक प्रकार की सिगरेट
धूमः —पुं॰—-— धू+मक्— धुआँ
धूमः —पुं॰—-— धू+मक्—वाष्प
धूमः —पुं॰—-— धू+मक्—कुहरा, धुंध
धूमोपहत —वि॰—धूमः-उपहत—-— धूएँ के कारण अंधा हुआ
धूमनिर्गमनम् —नपुं॰—धूमः-निर्गमनम्—-—चिमनी जिसमें से धूआँ निकलता है
धूममहिषी —स्त्री॰—धूमः-महिषी—-— धुंध, कुहरा
धूमयोनिः —पुं॰—धूमः-योनिः—-—बादल
धूमरी —स्त्री॰—-—-— धुंध, कुहरा
धूम्र —वि॰—-— धूमं तद्वर्णं राति रा+क— धुएँ के रंग का
धूम्र —वि॰—-— धूमं तद्वर्णं राति रा+क—भूरा
धूलिधूसरित —वि॰—-—-—मिट्टी में लोटने से भूरा हुआ
धृ —भ्वा॰,तुदा॰आ॰—-—-—इरादा करना, मन करना
धृत —वि॰—-— धृ+क्त—संकल्प किया हुआ, दृढ़
धृतोत्सेक —वि॰—धृत-उत्सेक—-—घमण्डी
धृतैकवेणि —वि॰—धृत-एकवेणि—-—एक चोटी धारी
धृतगर्भ —वि॰—धृत-गर्भ—-—गर्भिणी
धृतमानस —वि॰—धृत-मानस—-—पक्के इरादे वाला, दृढ़मना
धृतिः —स्त्री॰—-— धृ+क्तिन्—एक छन्द का नाम
धृतिः —स्त्री॰—-— धृ+क्तिन्—अठारह की संख्या
धृष्टकेतुः —पुं॰—-—-—धृष्टद्युम्न के पुत्र का नाम
धृष्टवादिन् —वि॰—-—-—निर्भीक होकर बोलने वाला
धेनुः —स्त्री॰—-—धयति सुतान्+धे+नु, इच्च—गाय
धेनुः —स्त्री॰—-—धयति सुतान्+धे+नु, इच्च—दूध देने वाली गौ
धेनुः —स्त्री॰—-—धयति सुतान्+धे+नु, इच्च— पृथ्वी
धेनुः —स्त्री॰—-—धयति सुतान्+धे+नु, इच्च—घोड़ी
धेनुका —स्त्री॰—-—-—दुधारू गाय
धेनुका —स्त्री॰—-—-— पार्वती
धेय —वि॰—-— धे+ण्यत्—कार्य में परिणेय, प्रयोज्य
धैर्यम् —नपुं॰—-— धीरस्य भावः+ष्यञ्—दृढ़ता, सामर्थ्य, टिकाऊपन
धैर्यम् —नपुं॰—-— धीरस्य भावः+ष्यञ्—स्वस्थचित्तता, प्रशान्ति
धैर्यम् —नपुं॰—-— धीरस्य भावः+ष्यञ्—साहस
धैर्यकलित —वि॰—धैर्यम्-कलित—-—धीर, अक्षुब्ध
धैर्यवृत्तिः —स्त्री॰—धैर्यम्-वृत्तिः—-—धीरज से पूर्ण आचरण
धौत —वि॰—-—धाव्+क्त—धोया हुआ, प्रक्षालित, स्वच्छ किया हुआ
धौत —वि॰—-—धाव्+क्त—उज्ज्वल किया हुआ, चमकाया हुआ
धौत —वि॰—-—धाव्+क्त—उज्ज्वल, चमकीला
धौतापाङ्ग —वि॰—धौत-अपाङ्ग—-—जिसकी कनखियाँ चमकीली हों
धौतात्मन् —वि॰—धौत- आत्मन्—-—पवित्र हृदय वाला
धौतेयम् —नपुं॰—-—धौति+ढक्—सैन्धव, पहाड़ी नमक, लाहौरी नमक
धौम्यः —पुं॰—-—-—एक ऋषि का नाम
ध्यानधिष्ण्यः —पुं॰—-—-—ध्यान का अभ्यास करने के योग्य
ध्यानमुद्रा —पुं॰ष॰त॰—-—-—ध्यान या चिन्तन करने की विशेष स्थिति या मुद्रा
ध्रुव —वि॰—-— ध्रु+क्—स्थिर, अचल, स्थायी, अनिवार्य
ध्रुवः —पुं॰—-— ध्रु+क्—खूटी
ध्रुवः —पुं॰—-— ध्रु+क्—ज्योतिष का एक योग
ध्रुवः —पुं॰—-— ध्रु+क्—मूलबिन्दु
ध्रुवः —पुं॰—-— ध्रु+क्—ध्रुव तारा
ध्रुवम् —नपुं॰—-— ध्रु+क्— निश्चित किया बिन्दु
ध्रुवा —स्त्री॰—-— ध्रु+क्—धनुष की डोरी
ध्रुवकेतुः —पुं॰—ध्रुव-केतुः—-—एक प्रकार की उल्का, टूटा हुआ तारा
ध्रुवगतिः —स्त्री॰—ध्रुव-गतिः—-—निश्चित मार्ग
ध्रुवमण्डलम् —नपुं॰—ध्रुव-मण्डलम्—-—ध्रुवीय क्षेत्र
ध्रुवयष्टिः —स्त्री॰—ध्रुव-यष्टिः—-—ध्रुवो की धारा
ध्रुवशील —वि॰—ध्रुव-शील—-— जिसका आवास निश्चित है।
ध्वंसः —पुं॰—-—ध्वंस्+घञ्—अधःपतन, डूबना
ध्वंसः —पुं॰—-—ध्वंस्+घञ्—लुप्त होना, ओझल होना
ध्वंसः —पुं॰—-—ध्वंस्+घञ्—नाश, विनाश, खंडहर
ध्वंसाभावः —पुं॰—ध्वंसः-अभावः—-—पदार्थ के विनाश से उत्पन्न अभाव या सत्ताहीनता
ध्वंसकारिन् —वि॰—ध्वंसः-कारिन्—-—नाश करने वाला
ध्वंसकारिन् —वि॰—ध्वंसः-कारिन्—-—उल्लंघन करने वाला
ध्वस्ताक्ष —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसकी आँखें डूब गई हों
ध्वजः —पुं॰—-—ध्वज्+अच्—खड्ग का एक भाग
ध्वजः —पुं॰—-—ध्वज्+अच्—झंडा
ध्वजः —पुं॰—-—ध्वज्+अच्— पूज्य व्यक्ति
ध्वजः —पुं॰—-—ध्वज्+अच्—ध्वजा की यष्टि
ध्वजः —पुं॰—-—ध्वज्+अच्—चिह्न, प्रतीक
ध्वजारोहणम् —नपुं॰—-—-— झंडा फहराना
ध्वजारोहः —पुं॰—-—-— झंडे पर एक प्रकार की सजावट
ध्वजोज्छ्रयः —पुं॰—-—-—धूर्तता, पाखंड
ध्वजिन् —वि॰—-—ध्वज+इनि—धूर्त, पाखंडी
ध्वनिनाला —स्त्री॰—-—-—वीणा
ध्वनिनाला —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार का लम्बोतरा ढोल, तासा
ध्वान्तजालम् —नपुं॰—-—-—रात्रि का आवरण, अंधकार का समूह
नंष्टृ —वि॰—-—नंश्+तृच्—हानिकारक, विनाशक
नंहंसः —पुं॰—-—हसन्ति विकसन्ति ते हंसाः+नमन्तो हंसा येषां ते नंहंसाः—अपने भक्तों पर कृपा करने वाला
नकुलः —पुं॰—-—नास्ति कुलं यस्य, समासे नञों न लोपः प्रकृतिभावात्—नीच कुल में उत्पन्न
नकुलेशः —पुं॰—नकुलः-ईशः—-—तान्त्रिक पूजा की एक रीति
नकुलद्वेषी —पुं॰—नकुलः-द्वेषी—-—साँप
नक्तन्तन —वि॰—-—नक्तं+तन्—रात्रि से संबंध रखने वाला, रात का
नक्रकेतनः —पुं॰ब॰स॰—-—-—कामदेव
नक्रमक्षिका —स्त्री॰,ष॰त॰—-—-—जल की मक्खी
नक्षत्रम् —नपुं॰—-—नक्षरति नक्ष्+अत्रन्—तारा
नक्षत्रम् —नपुं॰—-—नक्षरति नक्ष्+अत्रन्—तारापुंज
नक्षत्रम् —नपुं॰—-—नक्षरति नक्ष्+अत्रन्—मोती
नक्षत्रम् —नपुं॰—-—नक्षरति नक्ष्+अत्रन्—सत्ताइस मोतियों की माला
नक्षत्रेष्टिः —स्त्री॰—नक्षत्रम्-इष्टिः—-—एक यज्ञ का नाम
नक्षत्रोपजीविन् —पुं॰—नक्षत्रम्-उपजीविन्—-—ज्योतिषी
नक्षत्रभोगः —पुं॰—नक्षत्रम्-भोगः—-—नक्षत्र की कालावधि
नक्षत्रलोकः —पुं॰—नक्षत्रम्-लोकः—-—तारों का प्रदेश
नखन्यासः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—नाखून अन्तर्विष्ट करना, पंजा घुसेड़ देना
नगापगा —स्त्री॰—-—-—पहाड़ी नदी
नगनदी —स्त्री॰—-—-—पहाड़ी नदी
नगरमण्डना —स्त्री॰—-—-—वेश्या
नगरिन् —पुं॰—-—नगर+इनि—नगरपाल
नग्नहु —नपुं॰—-—-—आसन तैयार करने के लिए उठाया गया खमीर, किण्वन
नग्नचर्या —स्त्री॰—-—-—नग्न रहने की प्रतिज्ञा
नग्नाचार्यः —पुं॰—-—-—चारण, भाट, स्तुति पाठक
नटनारायणः —पुं॰—-—-—संगीत शास्त्र में वर्णित एक राग
नटवत् —वि॰—-—नट्+मतुप्—नाटक के पात्र की भाँति व्यवहार करने वाला
नडमीनः —पुं॰—-—-—एक प्रकार की मछली
नतनाभिः —वि॰,ब॰स॰—-—-—सुकुमार, तन्वी
नत्यूहः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का पक्षी
नत्रम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का नाच
नदीकूलम् —नपुं॰,ष॰त॰—-—-—नदी का किनारा, नदी तट
नदीतर —वि॰—-—नदीं तरतीति तृ+अच्—नदी को पार करने वाला
नदीमार्गः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—नदी का जलमार्ग
नदीमुखम् —नपुं॰,ष॰त॰—-—-—नदी का मुहाना, जहाँ से नदी निकलती है, नदी का उद्गम स्थान
ननान्दृपतिः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—ननदोई, पति की बहन का पति
नन्दकः —पुं॰—-—नन्द्+ण्वुल्—एक रत्न का नाम
नन्दन —वि॰—-—नन्द्+ल्युट्—आनन्द देने वाला, प्रसन्न करने वाला
नन्दना —स्त्री॰—-—-—पुत्री
नन्दनम् —नपुं॰—-—-—इन्द्र का नन्दन वन
नन्दजम् —नपुं॰—-—-—पीली चन्दन की लकड़ी
नन्दनद्रुमः —पुं॰—नन्दन-द्रुमः—-—नन्दनवन का वृक्ष, पारिजातवृक्ष, कल्पवृक्ष
नन्दनवनम् —नपुं॰—नन्दन-वनम्—-— दिव्य वाटिका, इन्द्र का उपवन
नन्दिः —पुं॰,स्त्री॰—-—नन्द्+इन्— हर्ष, प्रसन्नता, खुशी
नन्दिः —पुं॰—-—-—शिव का गण
नन्दिः —पुं॰—-—-—नान्दी का पाठ करने वाला
नन्दिदेवी —स्त्री॰—नन्दिः-देवी—-—हिमालय की एक चोटी
नन्दिनगरी —स्त्री॰—नन्दिः-नगरी—-—एक लिपि (लिखावट) का नाम
नन्दिपुराणम् —नपुं॰—नन्दिः-पुराणम्—-—एक उपपुराण
नन्दिवर्धनः —पुं॰—नन्दिः-वर्धनः—-—मित्र
नन्दिसुतः —पुं॰—नन्दिः-सुतः—नन्दिन्+सुतः, नलोपः—व्याडि मुनि
नन्दी —स्त्री॰—-—नन्दि+ङीप्—दुर्गा देवी
नभिः —पुं॰—-—नभ्+इन्—पहिया
नभोरूप —वि॰—-—नह्+असुन् भश्चान्तदेशः+ब॰स॰—अन्धकारयुक्त, काला
नभोवीथी —स्त्री॰—-—नभस्+ वीथी—सूर्य का मार्ग, हवाई मार्ग
नमश्चमसः —पुं॰—-—नमस्+चमस्—एक प्रकार का यज्ञपाक
नमश्चमसः —पुं॰—-—नमस्+चमस्—चन्द्रमा
नम्रनासिक —वि॰,ब॰स॰—-—-—चपटी और मोटी नाक वाला
नयनम् —नपुं॰—-—नी+ल्युट्—नेतृत्व करना
नयनम् —नपुं॰—-—नी+ल्युट्—निकट ले जाना
नयनम् —नपुं॰—-—नी+ल्युट्—आँख
नयनाञ्चलः —पुं॰—नयनम्-अञ्चलः—-—आँख का कोना
नयनाञ्चलः —पुं॰—नयनम्-अञ्चलः—-—कटाक्ष, कनखी
नयनचरितम् —नपुं॰—नयनम्-चरितम्—-—कटाक्ष, कनखी
नयनचरितम् —नपुं॰—नयनम्-चरितम्—-—दृक्पात, दृष्टिपात
नयनजम् —नपुं॰—नयनम्-जम्—-—आँसू
नयनबुद्बुदम् —नपुं॰—नयनम्-बुद्बुदम्—-—आँख का गोलक
नरः —पुं॰—-—नृ+अच्—व्यक्ति
नरचिह्नम् —नपुं॰—नरः-चिह्नम्—-—मूँछें
नरदेवः —पुं॰—नरः-देवः—-—राजा
नरकचतुर्दशी —स्त्री॰—-—-—दीपावली का दिन
नरकवासः —पुं॰—-—-—नरक में रहना
नराचः —पुं॰—-—-—एक छन्द का नाम
नर्दटकः —पुं॰—-—-—एक छन्द का नाम
नर्मस्फोटः —पुं॰—-—नर्मन्+स्फोटः, नलोपः—प्रेम के आदि चिह्न
नर्मस्फोटः —पुं॰—-—नर्मन्+स्फोटः, नलोपः—मुहासा
नर्मालापः —पुं॰—-—नर्मन्+आलापः, नलोपः—प्रेम वार्ता, आमोद-प्रमोद की बातचीत
नर्मोक्तिः —स्त्री॰—-—नर्मन्+उक्तिः, नलोपः—हास्यपरक अभिव्यक्ति
नर्मय् —ना॰धा॰—-—-—रिझाना, दिल बहलाना
नर्मायितम् —नपुं॰—-—नर्मय्+क्त—खेल, क्रीडा
नलः —पुं॰—-—नल्+अच्—संवत्सर
नलः —पुं॰—-—नल्+अच्—लम्बाई की माप जो चार हाथ के बराबर होती है
नलतूला —स्त्री॰—नलः-तूला—-—एक प्रकार का जलीय जन्तु
नलपाकः —पुं॰—नलः-पाकः—-—राजा नल द्वारा तैयार किया गया स्वादिष्ट भोज्य पदार्थ
नलिनी —स्त्री॰—-—नल्+णिनि+ङीप्—कमल का पौधा
नलिनी —स्त्री॰—-—नल्+णिनि+ङीप्—कमलों से सुवासित सरोवर
नलिनी —स्त्री॰—-—नल्+णिनि+ङीप्—धुंध
नलिनी —स्त्री॰—-—नल्+णिनि+ङीप्—नथना
नलिनी —स्त्री॰—-—नल्+णिनि+ङीप्—इन्द्रपुरी
नलिनीदलम् —नपुं॰—-—-—कमल का पत्ता
नलिनीपत्रम् —नपुं॰—-—-—कमल का पत्ता
नवद्वीपः —पुं॰—-—-—एक टापू का नाम। यह गङ्गा और जलङ्गी के संगम पर बंगाल में एक स्थान है जिसे आजकल ‘नदिया’ कहते हैं।
नवश्राद्धम् —नपुं॰—-—-—मृत्यु के पश्चात् विषम दिनों में अनुष्ठित श्राद्ध
नवीभावः —पुं॰—-—नव+च्वि+भू+घञ्—नया होना
नवन् —सं॰वि॰,ब॰व॰—-—नु+कनिन्, बा॰गुणः—नौ, नौ की संख्या
नवकपालः —पुं॰—नवन्-कपालः—-—नौ कलाप जैसे ठीकरों में पकाए हुए पिण्ड का उपहार
नवग्व —वि॰—नवन्-ग्व—-—नौगुणा, नौ तह का
नवचण्डिका —स्त्री॰—नवन्-चण्डिका—-—दुर्गादेवी के नौ रूप
नवधातुः —पुं॰—नवन्-धातुः—-—नौ धातु
नवपञ्चमम् —नपुं॰—नवन्-पञ्चमम्—-—विवाह के विषय में जन्मकुण्डली में एक अमंगल योग जब कि दुल्हन की जन्मराशि दूल्हे की जन्मराशि से पाँचवें या नवें हों।
नष्ट —वि॰—-—नश्+क्त—खोया हुआ, अन्तर्हित, ओझल
नष्ट —वि॰—-—नश्+क्त—मृत, ध्वस्त
नष्ट —वि॰—-—नश्+क्त—विकृत, बिगड़ा हुआ
नष्ट —वि॰—-—नश्+क्त—वञ्चित
नष्ट —वि॰—-—नश्+क्त—भ्रष्ट
नष्टम् —नपुं॰—-—-—अन्तर्धान
नष्टचन्द्रः —पुं॰—-—-—भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि जब कि चन्द्रमा का देखना निषिद्ध है
नष्टधी —वि॰—-—-—भूल जाने वाला, ध्यान न देने वाला
नष्टबीज —वि॰—-—-—नपुंसक, पुंस्त्वहीन
नशाकः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का कौवा
नाकः —पुं॰—-—न कम् अकं दुःखम्, तन्नास्ति यत्र—स्वर्ग
नाकः —पुं॰—-—न कम् अकं दुःखम्, तन्नास्ति यत्र—अन्तरिक्ष
नाकः —पुं॰—-—न कम् अकं दुःखम्, तन्नास्ति यत्र— सूर्य
नाकनदी —स्त्री॰—नाकः-नदी—-—स्वर्गीय नदी, स्वर्गंगा
नाकनारी —स्त्री॰—नाकः-नारी—-—अप्सरा
नाकलोकः —पुं॰—नाकः-लोकः—-—स्वर्गलोक, दिव्यलोक
नाकुः —पुं॰—-—-—वाल्मीकि मुनि
नागः —पुं॰—-—न गच्छति इति अगः, न अग इति नागः—साँप
नागः —पुं॰—-—न गच्छति इति अगः, न अग इति नागः—हाथी
नागः —पुं॰—-—न गच्छति इति अगः, न अग इति नागः—बादल
नागः —पुं॰—-—न गच्छति इति अगः, न अग इति नागः—बिगुल
नागम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का रतिबन्ध
नागारूढ —वि॰—नागः-आरूढ—-—हाथी पर सवार
नागकेतुः —पुं॰—नागः-केतुः—-—कर्ण का विशेषण
नागद्वीपम् —नपुं॰—नागः-द्वीपम्—-—भारतवर्ष का एक टापू
नागनासोरुँ —स्त्री॰—नागः-नासोरुँ—-—यह स्त्री जिसकी सुन्दर जंघाएँ आकार प्रकार में हाथी की सूँड़ से मिलती जुलती है।
नागपर्णी —स्त्री॰—नागः-पर्णी—-—पान का पौधा
नागबन्धः —पुं॰—नागः-बन्धः—-—एक प्रकार का नाम
नागरिपुः —पुं॰—नागः-रिपुः—-—गरुड़
नागरकः —पुं॰—-—नगर+अण्, स्वार्थे कन्—नगर पिता
नागरकाः —पुं॰—-—-—परस्पर विरोधी ग्रह
नागरवृत्तिः —स्त्री॰,ष॰त॰—-—-—नागरिकों की शिष्टता, शिष्टाचार, शालीनता
नागार्जुनः —पुं॰—-—-—एक बौद्ध शिक्षक का नाम
नागोजीभट्टः —पुं॰—-—-—एक प्रसिद्ध वैयाकरण का नाम
नाटकम् —नपुं॰—-—नट्+ण्वुल्—दृश्य काव्य
नाटकम् —नपुं॰—-—नट्+ण्वुल्—नाट्यरचना के मुख्य दस भेदों में प्रथम भेद
नाटकप्रपञ्चः —पुं॰—नाटकम्-प्रपञ्चः—-—नाटक करने की व्यवस्था
नाटकप्रयोगः —पुं॰—नाटकम्-प्रयोगः—-—नाटक का अभिनय करना,
नाटकरङ्ग —पुं॰—नाटकम्-रङ्ग—-—नाटक का रङ्गमञ्च
नाटकलक्षणम् —नपुं॰—नाटकम्-लक्षणम्—-—नाट्यरचना विषयक विविध नियम
नाट्यम् —नपुं॰—-—नट्+ष्यञ्—नाच
नाट्यम् —नपुं॰—-—नट्+ष्यञ्—नाटक प्रस्तुत करना, अभिनय करना
नाट्यम् —नपुं॰—-—नट्+ष्यञ्—नृत्यकला
नाट्यम् —नपुं॰—-—नट्+ष्यञ्—नाटक के पात्र की वेशभूषा
नाट्याङ्गानि —नपुं॰—नाट्यम्-अङ्गानि—-—नृत्य के दस भाग
नाट्यागारम् —नपुं॰—नाट्यम्-आगारम्—-—नृत्यकक्ष, नाचघर
नाट्यरासकम् —नपुं॰—नाट्यम्-रासकम्—-—एक प्रकार का एकाङ्की नाटक
नाट्यवेदः —पुं॰—नाट्यम्-वेदः—-—नाट्यशास्त्र या नाट्यकला का विज्ञान
नाडी —स्त्री॰—-—नड्+णिच्+इन्=नाडि+ङीष्—पौधे का नलिकामय डण्ठल
नाडी —स्त्री॰—-—नड्+णिच्+इन्=नाडि+ङीष्—कमल का खोखला काण्ड
नाडी —स्त्री॰—-—नड्+णिच्+इन्=नाडि+ङीष्—शरीर का नलिकायुक्त अंग
नाडीचक्रम् —नपुं॰—नाडी-चक्रम्—-—मूलाधार आदि शरीर के स्नायुओं के तन्त्री केन्द्रों का समूह
नाडीपात्रम् —नपुं॰—नाडी-पात्रम्—-—जलघड़ी
नाडीग्रन्थः —पुं॰—नाडी-ग्रन्थः—-—ज्योतिष की नाडी शाखा पर एक पुस्तक
नाणकम् —नपुं॰—-—-—सिक्का, मुद्राङ्कित कोई वस्तु
नाणकपरीक्षा —स्त्री॰—नाणकम्-परीक्षा—-—सिक्के को परखना
नाणकपरीक्षिन् —वि॰—नाणकम्-परीक्षिन्—-—सिक्कों का पारखी, परीक्षक
नायितम् —नपुं॰—-—नाथ्+क्त—माँग, प्रार्थना
नानर्दमान —वि॰—-—नर्द्+यङ्+शानच्—उच्च स्वर से शब्द करने वाला
नाना —अ॰—-—न+नञ्—भिन्न-भिन्न स्थानों पर, भिन्न-भिन्न रीति से, विविध प्रकार से
नाना —अ॰—-—न+नञ्— स्पष्ट रूप से, पृथक रूप से
नानाश्रय —वि॰—नाना-आश्रय—-— जिसके बहुत से आवास या घर हैं
नानागोत्र —वि॰—नाना-गोत्र—-—विविध गोत्रों से सम्बन्ध रखने वाला
नानाधर्मन् —वि॰—नाना-धर्मन्—-—भिन्न रीति-रिवाजों वाला
नानाभाव —वि॰—नाना-भाव—-—भिन्न प्रकृति वाला
नानात्वम् —नपुं॰—-—-—विविधता की स्थिति
नान्दन —वि॰—-—नन्दन+अण्—सुखद, हर्षप्रद
नाभस्वत —वि॰—-—नभस्वत्+अण्—वायु से संबन्ध रखने वाला
नाभागः —पुं॰—-—-—एक राजा का नाम, वैवस्वत मनु का पुत्र, अम्बरीष का पिता
नाभिः —पुं॰,स्त्री॰—-—नह्+इञ्—सुंडी
नाभिः —पुं॰,स्त्री॰—-—नह्+इञ्—सुंडी के समान कोई भी गहराई
नाभी —पुं॰,स्त्री॰—-—नह्+इञ्, भश्चान्तादेशः—सुंडी
नाभी —पुं॰,स्त्री॰—-—नह्+इञ्, भश्चान्तादेशः—सुंडी के समान कोई भी गहराई
नाभिः —पुं॰—-—-—पहिए की नाह
नाभिः —पुं॰—-—-—केन्द्र, मुख्य बिन्दु
नाभिगन्धः —पुं॰—नाभिः-गन्धः—-—कस्तूरी की बू या गन्ध
नाभिवर्षम् —नपुं॰—नाभिः-वर्षम्—-—जम्बू द्वीप के नौ वर्षों में से एक
नाभोगः —पुं॰—-—न+आभोगः—देवता
नाभोगः —पुं॰—-—न+आभोगः—साँप
नामावशेष —वि॰,ब॰स॰—-—-— जिसका केवल नाम ही रह गया है, मृतक
नायकायते —ना॰धा॰आ॰—-—-—नायक का अभिनय करना
नायकायते —ना॰धा॰आ॰—-—-—मोतियों के हार में केन्द्रीय रत्न या मणि का काम देना
नाराचः —पुं॰—-—नरान् आचायति+आ+चम्+ड, स्वार्थे अण्, नारम् आचामति वा—पूर्वदिशा को जाने वाली सड़क
नाराचः —पुं॰—-—नरान् आचायति+आ+चम्+ड, स्वार्थे अण्, नारम् आचामति वा—मूर्ति को उसके स्थान पर जमाने के लिए धातु की बनी चटखनी या कील
नारायणास्त्रम् —नपुं॰—-—-—एक अस्त्र का नाम
नारायणसूक्तम् —नपुं॰—-—-—ऋग्वेद का पुरुष सूक्त
नारीनाथ —वि॰,ब॰स॰—-—-— जिसके स्वामित्व अधिकार किसी स्त्री के पास है
नारीमणिः —स्त्री॰,स॰त॰—-—-—स्त्रीरत्न
नालायन्त्रम् —नपुं॰—-—-—तोप
नालायन्त्रम् —नपुं॰—-—-—निगल, नाली
नासत्यौ —पुं॰,द्वि॰व॰—-—नास्ति असत्यं यस्य, न॰ब॰, नञः प्रकृतिवद्भावः—दोनों अश्विनीकुमार
नासान्तिक —वि॰—-—नासा+अन्तिक—नाक तक पहुँचने वाला
नासावेधः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—नाक का बींधना, नासिकावेध संस्कार
नासिकः —पुं॰—-—-—महाराष्ट्र प्रान्त में स्थित एक पुण्यस्थान
नाहलः —पुं॰—-—-— जातिच्युत समुदाय का व्यक्ति, जाति बहिष्कृत
निःक्षत्र —वि॰,ब॰स॰—-—-—क्षत्रिय रहित
निःशङ्क —वि॰,ब॰स॰—-—-—निडर, निर्भय, संकोचहीन
निःशब्द —वि॰,ब॰स॰—-—-—शब्दरहित, जहाँ कोलाहल न हो
निःशस्त्र —वि॰,ब॰स॰—-—-—शस्त्रहीन, जिसके पास कोई हथियार नहीं
निःश्रेयसम् —नपुं॰—-—निश्चितं श्रेयः नि॰—मुक्ति, मोक्ष
निःश्रेयसम् —नपुं॰—-—निश्चितं श्रेयः नि॰—आनन्द
निःश्रेयसम् —नपुं॰—-—निश्चितं श्रेयः नि॰—आस्था, विश्वास
निःसंशय —वि॰,ब॰स॰—-—-—निःसन्दिग्ध, निश्चित
निःसंग —वि॰,ब॰स॰—-—-—अनासक्त
निःसंग —वि॰—-—-—स्वार्थरहित
निःसत्त्व —वि॰,ब॰स॰—-—-—असार
निःसीमन् —वि॰,ब॰स॰—-—-— सीमा रहित
निःस्नेह —वि॰,ब॰स॰—-—-—रूखा
निःस्नेह —वि॰,ब॰स॰—-—-—भावशून्य
निःस्पन्द —वि॰,ब॰स॰—-—-—निश्चल, गतिहीन
निःस्पृह —वि॰,ब॰स॰—-—-—इच्छारहित
निःस्पृह —वि॰,ब॰स॰—-—-— सन्तुष्ट
निःस्व —वि॰,ब॰स॰—-—-—अर्थहीन, निर्धन
निःस्वनः —पुं॰—-—निः+स्वन्+अच्—शब्द, ध्वनि
निकटवर्तिन् —वि॰—-—निकट+वृत्+णिनि—निकटस्थ, जो पास ही विद्यमान हो
निकषणः —पुं॰—-—नि+कष्+ल्युट्—कसौटी
निकषायित —वि॰—-—निकष+क्यङ्+णिच्+क्त—जो किसी बात के लिए प्रमाण या कसौटी मान लिया गया हो
निकाशः —पुं॰—-—नि+काश+घञ्—प्रकाश
निकाशः —पुं॰—-—नि+काश+घञ्—रहस्य
निकृष्टकर्मन् —वि॰,ब॰स॰—-—-—जो निन्द्य कार्यों के करने में व्यस्त हैं
निक्रन्दित —वि॰—-—नि+क्रन्द+क्त—जिसने खूब क्रन्दन किया हो, शोर मचाया हो
निक्षिप्त —वि॰—-—नि+क्षिप्+क्त—नियुक्त
निखिलेन —अ॰—-—-— पूर्णतः, सब मिलकर
निगादः —पुं॰—-—नि+गद्+घञ्—सस्वर पाठ
निगमः —पुं॰—-—नि+गम्+अच्—प्रतिज्ञा
निगमः —पुं॰—-—नि+गम्+अच्—प्राप्ति
निगमनसूत्रम् —नपुं॰—-—-—वह सूत्र जो किसी अनुमान वाक्य का उपसंहार करता हैं
निगमात् —अ॰—-—-—सारांशतः, संक्षेप से
निगुप् —भ्वा॰पर॰—-—-—छिपाना, गुप्त रखना
निगीर्णचारिन् —वि॰,क॰स॰—-—-—अज्ञात होकर घूमने वाला
निगोजाहकः —पुं॰—-—-—बिच्छू
निग्रहः —पुं॰—-—नि+ग्रह+अच्—अतिक्रमण
निग्रहणम् —नपुं॰—-—नि+ग्रह+ल्युट्—युद्ध, लड़ाई
निघ्नान —वि॰—-—नि+हन्+शानच्—नाशकर्ता, जो नष्ट करता हैं
निचित —वि॰—-—नि+चि+क्त—बद्धकोष्ठ, मलावरुद्ध
निचुलः —पुं॰—-—नि+चुल्+क—कमल
निचुलः —पुं॰—-—-—नारियल का पेड़
निचुलय् —चुरा॰उभ॰—-—-—बक्स में बन्द करना, ढकना
नितम्बः —पुं॰—-—निभृतं तम्यते कामुकैः+नि+तम्ब्+अच्—कूल्हा
नितम्बः —पुं॰—-—-—वीणा का स्वनशील फलक
नितान्तकठिन —वि॰—-—-—बहुत कठोर, अत्यन्त कड़ा
नित्य —वि॰—-—नियमेन भवं +नि+त्यप्—अनवरत, लगातार, शाश्वत
नित्य —वि॰—-—-—नियमित, स्थिर
नित्यानुबद्ध —वि॰—नित्य-अनुबद्ध—-—सदैव सम्बन्ध
नित्यानुवादः —पुं॰—नित्य-अनुवादः—-— तथ्य की नग्नोक्ति
नित्याभियुक्त —वि॰—नित्य-अभियुक्त—-—लगातार किसी न किसी कार्य में लीन
नित्यकालम् —अ॰—नित्य-कालम्—-—सदैव, हर समय
नित्यजात —वि॰—नित्य-जात—-—लगातार उत्पन्न
नित्यबुद्धि —वि॰—नित्य-बुद्धि—-—सभी बातों को सतत या निरन्तर मानने वाला
नित्यभावः —पुं॰—नित्य-भावः—-—शाश्वतता, नैरन्तर्य
नित्यसमः —पुं॰—नित्य-समः—-—एक विचार कि सभी वस्तुएँ सदैव एक समान रहती हैं
निदाघः —पुं॰—-—नि+दह्+घञ्, कुत्वम्—आन्तरिक गर्मी
निदाघधामन् —पुं॰—निदाघ-धामन्—-— सूर्य
निदर्शित —वि॰—-—नि+दृश्+णिच्+क्त—प्रदर्शित, चित्रित, प्रमाणित
निदर्शिन् —वि॰—-—नि+दृश्+णिच्+णिनि—पथप्रदर्शक, उदाहरण प्रस्तुत करने वाला
निद्रादरिद्र —वि॰—-—ब॰ स॰ —‘अनिद्रा’ रोग से ग्रस्त
निधनम् —नपुं॰—-—निवृत्तं धनं यस्मात्+डुधाञ्+क्यु—जन्मकुण्डली में लग्न से छठी राशि
निधानम् —नपुं॰—-—नि+धा+ल्युट्—धरोहर
निन्दनोपमा —स्त्री॰—-—-—निन्दोपलक्षित उपमा, ऐसी तुलना जिसमें निन्दा प्रकट हो
निपत् —भ्वा॰पर॰—-—-—विफल होना, अपरिपक्व अवस्था में ही नष्ट हो जाना
निपाकः —पुं॰—-—नि+पच्+घञ्—पसीना
निपाकः —पुं॰—-—नि+पच्+घञ्—पकाना
निपातः —पुं॰—-—नि+पत्+घञ्—मिलकर आना, समागम
निबर्हित —वि॰—-—नि+बर्ह्+क्त—नष्ट किया गया, दूर किया गया
निबिडित —वि॰—-—नि+बि(वि) ड्+क्त—गुरुकृत, भारी बनाया हुआ, भीड़ से युक्त, मोटा
निबिडित —वि॰—-—-—दाबकर सटाया हुआ, भींचा हुआ
निभृत —वि॰—-—नि+भृ+क्त—भरा हुआ
निभृत —वि॰—-—-—निष्क्रिय, आलसी
निभृताचार —वि॰—निभृत-आचार—-—दृढ़ आचरण का व्यक्ति
निभृतस्थित —वि॰—निभृत-स्थित—-—गुप्त रूप से विद्यमान
निमः —पुं॰—-—-—लकड़ी की खूंटी, मेख
निमित —वि॰—-—नि+मा+क्त—उत्पादित
निमित्तम् —नपुं॰—-—नि+मिद्+क्त—ज्ञान का साधन
निमित्तम् —नपुं॰—-—-—कार्य, उत्सव
निमित्तज्ञः —पुं॰—निमित्तम्-ज्ञः—-—शकुन के आधार पर भविष्यवाणी करने वाला ज्योतिषी
निमित्तनैमित्तिकम् —नपुं॰—निमित्तम्-नैमित्तिकम्—-—कार्य और कारण
निमित्तमात्रम् —नपुं॰—निमित्तम्-मात्रम्—-—केवल उकरण स्वरूप कारण
निमेषान्तरम् —नपुं॰,ष॰त॰—-—-—एक क्षन का अन्तराल
निम्न —वि॰—-—नि+म्ना+क—गहरा, नीचा
निम्नाभिमुख —वि॰—निम्न-अभिमुख—-—निम्नतर स्तर की ओर बहने वाला
निम्नित —वि॰—-—निम्न+इतच्—गहरा, डूबा हुआ
निम्बपञ्चकम् —नपुं॰—-—-—नींबू के पाँच भेद
नियत —वि॰—-—नि+यम्+क्त—रोका हुआ, बांधा हुआ
नियत —वि॰—-—-—अनुदान सहित उच्चारण
नियमः —पुं॰—-—नि+यम्+अप्—गुप्त रखना
नियमहेतुः —पुं॰—नियम-हेतुः—-—विनियमन का कारण, नियमित रखने का कारण
नियुक्त —वि॰—-—नि+युज्+क्त—उपयोग में लाया गया, काम पर लगाया गया
नियोक्तव्य —वि॰—-—नि+युज्+तव्यत्— जिसको को कार्य सौंपा जाय
नियोक्तव्य —वि॰—-—-—नियुक्त किये जाने योग्य
नियोक्तव्य —वि॰—-—-—जिसपर अभियोग चलाया जाय
नियोगः —पुं॰—-—नि+युज्+घञ्—अपरिवर्त्य नियम
नियोगः —पुं॰—-—नि+युज्+घञ्—सही, यथार्थ
निरग्र —वि॰—-—निर्+अग्र—जो राशि बिना कुछ शेष रहे, पूरी पूरी बँट सके
निरग्रक —वि॰—-—निर्+अग्रक—जो राशि बिना कुछ शेष रहे, पूरी पूरी बँट सके
निरधिष्ठान —वि॰,ब॰स॰—-—-—असहाय
निरधिष्ठान —वि॰,ब॰स॰—-—-—स्वतंत्र
निरनुग्रह —वि॰,ब॰स॰—-—-—निर्दय, कृपाशून्य, अकृपालु
निरनुनासिक —वि॰—-—-—जो वर्ण नाक से निरपेक्ष हो
निरनुनासिकम् —नपुं॰—-—-—नारायणभट्ट की एक रचना जिसमें कोई अनुनासिक वर्ण प्रयुक्त नहीं हुआ
निरन्धस् —वि॰,ब॰स॰—-—-—भूखा, निराहार
निरपवाद —वि॰,ब॰स॰—-—-—कलङ्करहित
निरपवाद —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसमें कोई अपवाद न हो
निरलंकृतिः —स्त्री॰—-—-—अलंकार का अभाव, सरलता
निरवसाद —वि॰,ब॰स॰—-—-—प्रसन्न, खुश
निरायति —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसका अन्त दूर नहीं हैं
निरारम्भ —वि॰,ब॰स॰—-—-— सब प्रकार का कार्य करने से मुक्त, निष्क्रिय
निरावर्ण —वि॰,ब॰स॰—-—-—स्फुट, स्पष्ट, प्रकट
निरुपभोग —वि॰,ब॰स॰—-—-—उपभोगशून्य
निरुपाधिक —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसमें कोई शर्त न हों, निरपेक्ष
निर्दाक्षिण्य —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसमें शिष्टता या शालीनता न हो, अभद्र
निर्धौत —वि॰—-—निर्+धाव्+क्त—धुला हुआ, स्वच्छ किया हुआ
निर्नायक —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसका कोई नेता न हो
निर्बीज —वि॰,ब॰स॰—-—-—नपुंसक, नामर्द, निश्शक्त
निर्मन्तु —वि॰,ब॰स॰—-—-—निष्कलंक, निरीह
निर्मान —वि॰,ब॰स॰—-—-—आत्मविश्वास से हीन
निर्मान —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसमें स्वाभिमान न हों
निर्लक्ष्य —वि॰,ब॰स॰—-—-—अदृश्य, जो दिखाई न दे
निर्लून —वि॰,ब॰स॰—-—-—पूरी तरह कटा हुआ
निवर्त्सल —वि॰,ब॰स॰—-—-—स्नेहहीन, जिसमें वात्सल्य का अभाव हो
निर्विषङ्ग —वि॰,ब॰स॰—-—-—अनासक्त, उदासीन
निर्वृत्तिः —वि॰,ब॰स॰—-—-—निष्पन्नता, निष्पत्ति
निर्वैलक्ष्य —वि॰,ब॰स॰—-—-—निर्लज्ज, बेशर्म
निर्व्यवधान —वि॰,ब॰स॰—-—-—व्यवधानरहित, मुक्त, अनाच्छदित, खुला
निर्व्यवस्थ —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसमें कोई व्यवस्था न रहे, इधर उधर भटकने वाला, असंगत गतियुक्त
निर्व्यावृत्ति —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसमें कुछ प्राप्ति न हो
निर्वीड —वि॰,ब॰स॰—-—-—निर्लज्ज, बेशर्म
निरयः —पुं॰—-—निर्+इ+अच्—छिपने का स्थान, भट या मांद, घोंसला
निरयः —पुं॰—-—निर्+इ+अच्—आवास, निवास, घर, गृह, रहने वाला, वास करने वाला
निरयः —पुं॰—-—निर्+इ+अच्—अस्त होना, छिपना
निरयवर्त्मन् —नपुं॰—निरय-वर्त्मन्—-—भौतिक अस्तित्व
निरस्तसंख्य —वि॰,ब॰स॰—-—-—अनन्त, असंख्य, अनगिनत
निराकृत —वि॰,ब॰स॰—-—-—निराकरण किया गया
निराकृत —वि॰,ब॰स॰—-—-—तिरस्कृत
निरुद्ध —वि॰—-—नि+रुध्+क्त—अवरुद्ध
निरुद्ध —वि॰,ब॰स॰—-—-—भरा, पूरा, पूर्ण
निरुद्धवृत्ति —वि॰—निरुद्ध-वृत्ति—-—कार्य करने में जिसकी गति अवरुद्ध हो गई हो
निरोधः —पुं॰—-—नि+रुध्+घञ्—लय, बुझ जाना
निरुपक —वि॰—-—नि+रुप्+ण्वुल्—निरुपण करने वाला, पर्यवेक्षक
निरुपक —वि॰—-—-—निश्चय करने वाला घटक
निरुपित —वि॰—-—नि+रुप्+क्त—चिन्हित, अंकित
निरुपित —वि॰—-—-— निशाना बनाया गया, इंगित
निर्ऋतिः —स्त्री॰—-—निर्+ऋ+क्तिन्—मूल नक्षत्र
निर्ऋतिः —स्त्री॰—-—-—आठ वासुओं में से एक
निर्ऋतिः —स्त्री॰—-—-—ग्यारह रुद्रों में से एक
निर्गलित —वि॰—-—निर्+गल्+क्त—बहा हुआ
निर्गलित —वि॰—-—-—गघुला हुआ, पिघला हुआ
निर्णयोपमा —स्त्री॰—-—-—अनुमान पर आश्रित उपमा
निर्णिक्त —वि॰—-—निर्णिज्+क्त—धुला हुआ, स्वच्छ किया हुआ
निर्णिक्त —वि॰—-—-—प्रायश्चित किया हुआ
निर्णिक्तबाहुवलय —वि॰—निर्णिक्त-बाहुवलय—-—जिसके कड़े या चूड़ियाँ स्वच्छ करके चमका दी गई हों
निर्णिक्तमनस् —वि॰—निर्णिक्त-मनस्—-—स्वच्छहृदय, निर्मल मन वाला
निर्देशः —पुं॰—-—निर्+दिश्+घञ्—करार, प्रतिज्ञा
निर्देश्य —वि॰—-—निर्+दिश्+यत्—संकेत किये जाने के योग्य
निर्देश्य —वि॰—-—निर्+दिश्+यत्—निश्चित किये जाने के योग्य
निर्देश्य —वि॰—-—निर्+दिश्+यत्—उद्धोष्य
निर्देश्य —वि॰—-—निर्+दिश्+यत्—जिसमें पवित्रता होनी चाहिए
निर्धूननम् —नपुं॰—-—निर्+धूञ्+ल्युट्—दीर्घ निश्वास, लहरों की भाँति उठना गिरना
निर्बन्धपृष्ठ —वि॰,त॰स॰—-—-—जिससे आग्रहपूर्वक कोई बात पूछी गई हों
निर्बन्धिन् —वि॰—-—निर्बन्ध+इनि—आग्रह करने वाला
निर्भर्त्सनम् —नपुं॰—-—निर्+भर्त्स्+ल्युट्—धमकी देना, अपशब्द कहना, झिड़की देना
निर्माथिन् —वि॰—-—निर्माथ+इनि—कुचलने वाला, बिलोने वाला, पीस डालने वाला
निर्मा —स्त्री॰—-—निर्+मा+अङ्—मूल्य, माप, सम
निर्माणम् —नपुं॰—-—निर्+मा+ल्युट्—बनना, जन्म होना
निर्यत् —वि॰—-—निर्+या+शतृ—बाहर जाता हुआ, निकलता हुआ
निर्याणम् —नपुं॰—-—निर्+या+ल्युट्—नगर से बाहर जाने का मार्ग
निर्याणिक —वि॰—-—निर्याण+ठक—मोक्ष की ओर ले जाने वाला
निर्यामकः —पुं॰—-—निर्+यम्+णिच्+ण्वुल्—सहायक
निर्योगः —पुं॰—-—निर्+युज्+घञ्—पूरा करना, सम्पन्न करना, बनाव श्रृंगार करना
निर्योगः —पुं॰—-—-— गाय को खूँटे से बाँधने का रस्सा
निर्लोच्य —अ॰—-—निर्+लुच्+ल्यप्—सोचविचार कर
निर्वचनम् —नपुं॰—-—निर्+वच्+ल्युट्—स्तुति
निर्वापः —पुं॰—-—निर्+वप्+घञ्—प्रदान करना, अर्पण करना
निर्वापित —वि॰—-—निर्+वप्+णिच्+क्त—बुझाया हुआ
निर्वासित —वि॰—-—निर्+वस्+णिच्+क्त—बहिष्कृत, निष्कासित
निर्वास्य —वि॰—-—निर्+वस्+णिच्+यत्—बहिष्कार्य, देश से निकालने के योग्य
निर्विश् —तुदा॰पर॰—-—-—घर में बस जाना
निर्विश् —वि॰—-—-—प्रविष्ट होना
निर्विश् —वि॰—-—-— आगे जाना
निर्विश् —वि॰—-—-—ऋण परिशोध करना
निर्विश् —वि॰—-—-—किसी के साथ रहना
निर्विष्ट —वि॰—-—निर्+विश्+क्त—घुसा हुआ, चिपका रहा, जुड़ा रहा
निर्विष्ट —वि॰—-—-—शिविर में वर्तमान, डेरा डाले हुए
निर्वेशः —पुं॰—-—निर्+विश्+घञ्—प्रविष्ट होना
निर्वेशः —पुं॰—-—निर्+विश्+घञ्—बदला लेना
निर्वारित —वि॰—-—निर्+वृ+णिच्+क्त—हटाया हुआ, रोका हुआ
निर्वृत्तमात्र —वि॰—-—-—जो अभी अभी समाप्त किया हो
निव्यञ्जक —वि॰—-—निर्+व्यञ्ज+ण्वुल्—संकेत करता हुआ, दिग्दर्शन करता हुआ
निर्विद्ध —वि॰—-—निर्+व्यध्+क्त—घायल
निर्विद्ध —वि॰—-—निर्+व्यध्+क्त—वियुक्त
निर्वेधः —पुं॰—-—निर्+व्यध्+घञ्—अन्दर घुस जाना
निर्वेधः —पुं॰—-—निर्+व्यध्+घञ्—अन्तर्दृष्टि
निर्व्युषित —वि॰—-—निर्+वि+वस्+क्त—व्यय किया गया, बीत गया, अतीत
निर्व्यूढ —वि॰—-—निर्वि+ऊह्+क्त—समर व्यूह में व्यवस्थित
निर्व्यूढ —वि॰—-—निर्वि+ऊह्+क्त—सफल
निर्व्यूढ —वि॰—-—निर्वि+ऊह्+क्त—बाहर धकेला गया
निर्व्यूढिः —स्त्री॰—-—निर्वि+ऊह्+क्तिन्—उच्चतम, बिन्दु या अंश
निर्व्यूहः —पुं॰—-—निर्वि+ऊह्+अच्—खूँटी
निर्हरणम् —नपुं॰—-—निर्+हृ+घञ्—घटाना
निर्हारिन् —वि॰—-—निर्हार+इनि—फैलाने वाला
निर्हारिन् —वि॰—-—निर्हार+इनि—एल प्रकार का सुगन्ध जो सब सुगन्धों से बढ़िया हो
निर्ह्रासः —पुं॰—-—निर्+ह्रस्+घञ्—छोटा करना, संकुचित करना
निलयनम् —नपुं॰—-—नि+ली+ल्युट्—घर, आवास, निवास
निलायनम् —नपुं॰—-—नि+ली+णिच्+ल्युट्—आँखमिचौनी का खेल खेलना
निवहः —पुं॰—-—नि+वह्+अच्—हत्या, वध
निवातकवचाः —पुं॰;ब॰व॰—-—-—एक जनजाति का नाम
निवापः —पुं॰—-—निर्+वप्+घञ्—बीज, अन्न के दाने
निवापः —पुं॰—-—-—श्राद्ध के वसर पर पितृतर्पण
निवापाञ्जलिः —स्त्री॰— निवाप-अञ्जलिः—-—तर्पण के लिए दोनों हाथों की अञ्जलि में लिया हुआ पानी
निवापान्नम् —नपुं॰— निवाप-अन्नम्—-—यज्ञीय आहार
निवारकः —पुं॰—-—नि+वृ+णिच्+ण्वुल्—प्रतिरक्षक
निवासः —पुं॰—-—नि+वस्+घञ्—घर, आवास, निवास
निवासभूमिः —स्त्री॰— निवास-भूमिः—-—रहने का स्थान
निवासरचना —स्त्री॰— निवास-रचना—-—भवन, मन्दिर
निवासस्थानम् —नपुं॰— निवास-स्थानम्—-—रहने की जगह
निविश् —तुदा॰आ॰—-—-—फेंकना, बन्दूक का निशाना बनाना
निविश् —तुदा॰आ॰—-—-—प्रभावित करना
निविष्ट —वि॰—-—नि+विश्+क्त—कृष्ट, आवर्धित
निवृत् —भ्वा॰आ॰—-—-—वापिस आना
निवृत् —भ्वा॰आ॰—-—-—भाग जाना
निवृत् —भ्वा॰आ॰—-—-—बच निकलना
निवृत् —भ्वा॰आ॰—-—-—समाप्त होना
निवृत् —भ्वा॰आ॰—-—-—सम्पन्न होना
निवृत् —भ्वा॰आ॰प्रेर॰—-—-—बाल छोटे कराना
निवृत्त —वि॰—-—नि+वृत्+क्त—जमा हुआ, व्यवस्थित, विनियमित
निशारत्नम् —नपुं॰,ष॰त॰—-—-—चन्द्रमा
निशारत्नम् —नपुं॰,ष॰त॰—-—-—कपूर
निशिचारः —पुं॰—-—सप्तम्यलुक् समास—निशाचर, राक्षस, पिशाच
निश्चायः —पुं॰—-—निः+चि+घञ्— समाज, सत्संग
निश्चारकम् —नपुं॰—-—नि+चर्+ण्वुल्—पुरीषोत्सर्जन
निश्चारकम् —नपुं॰—-—नि+चर्+ण्वुल्—वायु, हवा
निश्चारकम् —नपुं॰—-—नि+चर्+ण्वुल्—धृष्टता, दुराग्रह, हठ
निश्चितार्थ —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसने अपना मन पक्का कर लिया हैं
निश्चितार्थ —वि॰—-—-—यथार्थ न्याय करने वाला
निश्राणः —पुं॰—-—नि+श्रि+शानच्—सान, सिल्ली, शाणप्रस्तर
निषादस्थपतिन्यायः —पुं॰—-—-—एक नियम जिसके आधार पर कर्मधारय और तत्पुरुष दोनों समासों की प्राप्ति होने पर, पूर्ववर्ती अर्थात् कर्मधारय ही बलीयान् होता हैं
निषेकः —पुं॰—-—नि+षिच्+घञ्—आसुत, स्रव, अर्क
निषेक्तृ —पुं॰—-—नि+षिच्+तृच्—पिता, जनक
निषेधिन —वि॰—-—निषेध+इनि—प्रत्याख्यान करने वाला, वर्जन करने वाला
निषेधिन —वि॰—-—निषेध+इनि— आगे बढ़ने वाला
निष्कम् —नपुं॰—-—निष्क्+अच्—बिदाई, प्रस्थान, खानगी
निष्कल —वि॰—-—निष्कल्+अच्—अनुच्चरित या अव्यक्त
निष्कालनम् —नपुं॰—-—निष्कल्+णिच्+ल्युट्—दूर भगाना, हटाना
निष्कृतिः —स्त्री॰—-—निः+कृ+क्तिन्—भर्त्सना, झिड़की
निष्कर्षम् —नपुं॰—-—निः+कृष्+अच्—टैक्स लेने के लिए प्रजा का उत्पीडन
निष्क्रान्त —वि॰—-—निः+क्रम+क्त—बाहर निकला हुआ, आगे आया हुआ
निष्टनः —पुं॰—-—निः+तनु+अच्—कराहना, आह भरना
निष्ठापित —वि॰—-—निः+स्था+णिच्+क्त—सम्पन्न, पूरा किया गया
निष्ठानित —वि॰—-—निष्ठान+इतच्—मिर्च मसाले के छौंक से युक्त, अचार, चटनी आदि सहित
निष्ठित —वि॰—-—नि+ष्ठिव्+क्त—जिसके ऊपर थूका गया हो
निष्पातः —पुं॰—-—नि+पत्+घञ्—धड़कन, कम्पन
निष्पन्द —वि॰—-—नि+स्पन्द्+अच्—गतिहीन, अचल, स्थिर
निष्पन्दः —पुं॰—-—नि+स्पन्द्+अच्—मित्रता का बन्धन
निष्पूर्तम् —नपुं॰—-—निः+पृ+क्त—धर्मशाला, धर्मार्थ बना विश्रामभवन
निष्कोश —वि॰,ब॰स॰—-—-—बिना म्यान का
निश्चक्रिक —वि॰,ब॰स॰—-—-—बिना किसी चलाकी के, ईमानदार, सच्चा
निष्पक्व —वि॰—-—निस्+पच्+क्त—भली-भाँति पकाया हुआ
निष्परामर्श —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसे कोई उपदेश न मिला हो, असहाय
निष्पुराण —वि॰,ब॰स॰—-—-—अश्रुतपूर्व, नया, नूतन
निष्प्रतिग्रह —वि॰,ब॰स॰—-—-—जो दान नहीं ग्रहण करता हैं, उपहार नहीं लेता हैं
निष्प्रत्याश —वि॰,ब॰स॰—-—-—निराश, हताश
निष्प्रवणि —वि॰,ब॰स॰—-—-—जो खड्डी से अभी आया हैं, नया
निःशर्कर —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसमें कंकड़ न हों, रोड़े आदियों से मुक्त
निःसह —वि॰,ब॰स॰—-—-—क्लान्त
निःसह —वि॰,ब॰स॰—-—-—असहिष्णु
निःसूत्र —वि॰,ब॰स॰—-—-—असहाय, साहाय्यहीन
निःस्वन —वि॰,ब॰स॰—-—-—शब्दहीन, जिसमें से कोई आवाज न निकले
निःस्पर्श —वि॰,ब॰स॰—-—-—कठोर, कड़ा, रूखा
निसर्गनिपुण —वि॰,पं॰त॰—-—-—स्वभावतः चतुर
निसृष्ट —वि॰—-—नि+ सृज्+क्त— सुलगाया हुआ
निस्तुष्त्वम् —नपुं॰,ब॰स॰—-—-—तुषों का न होना, दोषराहित्य, दोषों का अभाव
निस्तोदः —पुं॰—-—निः+तुद्+घञ्—गुम जाना, चुभ जाना, डंक मारना
निहित —वि॰—-—नि+धा+क्त—कैम्प लगाए हुए, शिविरस्थ
निहितदण्ड —वि॰—निहित-दण्ड—-— कोमल हृदय, कृपालु
निह्नवः —पुं॰—-—नि+हनृ+अप्—मुकर जाना
निह्नवः —वि॰,ब॰स॰—-—-—वचन विरोध, विरोधोक्ति
नीचगामिन् —वि॰—-—-—अधममार्ग का अनुसरण करने वाला
नीतिशतकम् —नपुं॰—-—-— भर्तृहरिकृत नीतिविषयक सौ श्लोकों का संग्रह
नीरचर —वि॰,त॰स॰—-—-—जल में रहने वाला, जल में घूमने वाला
नीरङ्गी —स्त्री॰—-—-—हल्दी
नीराजित —वि॰—-—निर्+राज्+क्त—देवतार्चन के दीप तथा ज्योति से सुसज्जित, प्रभासित
नीलपिटः —पुं॰—-—-—राजकीय प्रशस्तियों तथा समाचारों का संग्रह
नीलस्नेहः —पुं॰—-—-—अतिशय प्रेम
नीविः —स्त्री॰—-—नि+व्ये+इञ्, य लोप पूर्वस्य दीर्घः— कारागार
नीवी —स्त्री॰—-—नि+व्ये+इञ्, य लोप पूर्वस्य दीर्घः— कारागार
नुत्तिः —स्त्री॰—-—नुद्+क्तिन्—हटाना, दूर होना
ननंभावः —पुं॰—-—-—सम्भाव्यता, प्रायिकता
ननंभावात् —अ॰—-—-—कदाचित्, सम्भवः
नृ —पुं॰कर्तृ॰ए॰व॰ना—-—नी+ऋन् डिच्च्—मनुष्य, व्यक्ति
नृ —पुं॰कर्तृ॰ए॰व॰ना—-—-—मनुष्य जाति
नृ —पुं॰कर्तृ॰ए॰व॰ना—-—-—पुंल्लिंग शब्द
नृ —पुं॰कर्तृ॰ए॰व॰ना—-—-—नेता
नृकारः —पुं॰—नृ-कारः—-—मनुष्योचित कार्य, शौर्य
नृजग्ध —वि॰—नृ-जग्ध—-—मनुष्यभक्षी
नृपाय्यम् —नपुं॰—नृ-पाय्यम्—-—बड़ा भवन, बड़ा कमरा
नृवाह्यम् —नपुं॰—नृ-वाह्यम्—-—पालकी
नृत्तम् —नपुं॰—-—नृत्+क्त्, क्यप् वा—नाच, अभिनय
नृत्यम् —नपुं॰—-—नृत्+क्त्, क्यप् वा—नाच, अभिनय
नेती —स्त्री॰—-—-—योग की एक क्रिया-नाक में डोरी डालकर मुंह से निकालना
नेत्रम् —नपुं॰—-—नी+ष्ट्रन्—खटमल
नेत्रम् —नपुं॰—-—-—बक्कल, वृक्ष की छाल
नेत्रकार्मणम् —नपुं॰—नेत्रम्-कार्मणम्—-—आँखों के लिए जादू
नेत्रचपल —वि॰—नेत्रम्-चपल—-—जिसकी आँखें अधिक झपकती हों, आँखे झपकाने वाला
नेत्रपाकः —पुं॰—नेत्रम्-पाकः—-—आँखों की सूजन
नेत्रबन्धः —पुं॰—नेत्रम्-बन्धः—-—आँखमिचौनी खेलना
नेत्रबन्धः —पुं॰—नेत्रम्-बन्धः—-—आँखों में धूल झोंकना
नेत्रश्रवस् —पुं॰—नेत्रम्-श्रवस्—-— साँप
नेत्र्यम् —नपुं॰—-—-—आँखों के लिए उपयुक्त
नेदीयोमरण —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसकी मृत्यु निकट ही हैं, मरणासन्न
नेदिवस् —वि॰—-—-—शब्दायमान, कोलाहल करने वाला
नेपथ्यगृहम् —नपुं॰—-—-— श्रृंगार भवन, प्रसाधनकक्ष
नेंमितुम्बारम् —नपुं॰—-—-—पहिए का घेरा और नाभि
नेय —वि॰—-—नी+ण्यत्—ले जाने के योग्य
नेय —वि॰—-—नी+ण्यत्—शिक्षा दिये जाने के योग्य
नैककोटिसारः —पुं॰—-—-—करोड़पति, कोट्यधीश
नैगमः —पुं॰—-—निगम+अण्—यास्ककृत, निरुक्त का एक काण्ड
नैगमकाण्डः —पुं॰—नैगम-काण्डः—-—यास्ककृत, निरुक्त का एक काण्ड
नैद्र —वि॰—-—निद्रा+अण्—शयालु, निद्रालु
नैद्र —वि॰—-—निद्रा+अण्—बन्द
नैमित्तक —वि॰—-—निमित्त+ठक्—किसी कारण से सम्बन्ध
नैमित्तक —वि॰—-—निमित्त+ठक्—असाधारण
नैमित्तककर्मन् —नपुं॰—नैमित्तक-कर्मन्—-—किसी विशेष कारण से होने वाला संस्कार
नैमित्तकालयः —पुं॰—नैमित्तक-लयः—-—ब्रह्म में लीन हो जाना, ब्राह्मालय
नैऋत्य —वि॰—-—निर्ऋति+अण्—दक्षिण-पश्चिम दिशाओं से सम्बन्ध रखने वाला
नैश्चिन्त्यम् —नपुं॰—-—निश्चिन्त+ष्यञ्—चिन्ता से मुक्त होना
न्नैष्क्रम्यम् —नपुं॰—-—निष्क्रम+ष्यञ्—भौतिक सुखों के प्रति उदासीनता
नैष्ठिक —वि॰—-—निष्ठा+ठक्—अन्तिम, उपसंहारपरक
नैष्ठिक —वि॰—-—-—उच्चतम, पूर्ण
नैष्ठिक —वि॰—-—-—आभार्य, अनिवार्य
नैष्ठिकब्रह्मचारिन् —वि॰— नैष्ठिक-ब्रह्मचारिन्—-—जीवनपर्यन्त ब्रह्मचर्य पालन करने वाला
नैहारः —पुं॰—-—नीहार+अण्—कुहरा या धुन्ध से सम्बन्ध रखने वाला
नौक्रमः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—किश्तियों से बनाया गया पुल
न्यन्तः —पुं॰—-—नि+अन्त—सामीप्य, सन्निकटता
न्यन्तः —पुं॰—-—नि+अन्त—पश्चिमी पार्श्व
न्यवग्रहः —पुं॰—-—नि+अव+ग्रग्+अच्—समस्त शब्द के प्रथम खण्ड का अन्तिम स्वर जिस पर स्वराङ्कन नहीं किया गया हैं
न्यस्त —वि॰—-—नि+अस्+क्त—धारण किया हुआ, वस्त्र पहने हुए
न्यस्त —वि॰—-—नि+अस्+क्त—मन्द स्वर से युक्त
न्यस्तास्तव्य —वि॰—न्यस्त-अस्तव्य—-—रख दिये जाने के योग्य, स्थिर किये जाने के योग्य
न्यस्तचिह्न —वि॰—न्यस्त-चिह्न—-— बाह्य चिह्न से मुक्त
न्यासः —पुं॰—-—नि+अस्+घञ्—लिखित पाठ या साहित्यिक मूल पाठ
न्यायः —पुं॰—-—नि+इ+घञ्—प्रणाली, रीति, नियम, व्यवस्था
न्यायः —पुं॰—-—नि+इ+घञ्—औचित्य
न्यायः —पुं॰—-—नि+इ+घञ्—विधि
न्यायः —पुं॰—-—नि+इ+घञ्—धर्म
न्यायः —पुं॰—-—नि+इ+घञ्—न्यायालय द्वारा उद्धोपित निर्णय
न्यायः —पुं॰—-—नि+इ+घञ्—नीति
न्यायः —पुं॰—-—नि+इ+घञ्—अच्छा प्रशासन
न्यायः —पुं॰—-—नि+इ+घञ्—सादृश्य
न्यायः —पुं॰—-—नि+इ+घञ्—विश्वव्यापी नियम्
न्यायागत —वि॰—न्याय-आगत—-—ईमानदारी से प्राप्त
न्यायाभासः —पुं॰—न्याय-आभासः—-—मिथ्यातर्क जिसमें सत्य की झलक आती हो, एक रूपता का आभास
न्यायोपेत —वि॰—न्याय-उपेत—-—न्यायानुमत, न्याय्य, अनुमति-प्राप्त, सही ढंग से माना हुआ
न्यायनिर्वपण —वि॰—न्याय-निर्वपण—-—यथार्थ न्याय करने वाला
न्यायविद्या —स्त्री॰—न्याय-विद्या—-—तर्क विद्या, तर्क शास्त्र
न्यायशास्त्रम् —नपुं॰—न्याय-शास्त्रम्—-—तर्क विद्या, तर्क शास्त्र
न्यायसम्बन्ध —वि॰—न्याय-सम्बन्ध—-—युक्तियुक्त, तर्कसंगत
न्यूनपञ्चाशद्भावः —पुं॰—-—-—ऐसा मूर्ख व्यक्ति जिसमें मानवता के गुण पचास प्रतिशत से भी कम हों
न्यूनता —स्त्री॰—-—-—कमी, हीनता
न्यूनता —स्त्री॰—-—-—घटियापन, अधूरापन
पंश् —भ्वा॰चुरा॰पर॰—-—-—नष्ट करना
पंस् —भ्वा॰चुरा॰पर॰—-—-—नष्ट करना
पक्तिः —स्त्री॰—-—पच्+क्तिन्—पवित्रीकरण
पक्व —वि॰—-—पच्+क्त, तस्य वः—पका हुआ, भुना हुआ, उबाला हुआ
पक्वकषाय —वि॰—पक्व-कषाय—-—जिसके मनोवेग और विषम वासनाएँ शान्त हो गई हैं
पक्वगात्र —वि॰—पक्व-गात्र—-—पके गात वाला, दुर्बल शरीर, क्षीणकाय
पङ्क्ति —स्त्री॰—-—पञ्च्+क्तिन्—एक छन्द का नाम
पङ्क्ति —स्त्री॰—-—पञ्च्+क्तिन्—लाइन, श्रेणी
पङ्क्तिक्रमः —पुं॰—पङ्क्ति-क्रमः—-—आनुपूर्व्य, परम्परा, क्रमिक अनुगमन
पङ्क्तिशः —अ॰—-—-—पंक्तिवार, लाइनों में
पङ्गुवासरः —पुं॰—-—-—शनिवार
पक्षः —पुं॰—-—पक्ष्+अच्—सूर्य
पक्षनिक्षेपः —पुं॰—पक्ष-निक्षेपः—-—एक पक्ष का ही विचार करना, किसी का पक्षपात करना
पक्षभेदः —पुं॰—पक्ष-भेदः—-—किसी तर्क के दोनों पहलुओं में विवेक करना
पक्षवधः —पुं॰—पक्ष-वधः—-—पक्षाघात, शरीर के एक पक्ष में लकवा
पक्षवायुः —पुं॰—पक्ष-वायुः—-—पक्षाघात, अर्धांग में फालिज
पक्षपक्षकः —पुं॰—पक्ष-पक्षकः—-—पंखा
पक्षितीर्थम् —नपुं॰—-—-—दक्षिण भारत में एक पुण्य तीर्थ
पक्ष्मन् —नपुं॰—-—पक्ष्+मनिन्—गलमुच्छ
पक्ष्मन् —नपुं॰—-—पक्ष्+मनिन्—बाल
पक्ष्मलदृश् —स्त्री॰—-—पक्ष्मल+दृश्+क्विप्—जिस स्त्री की पलकें लम्बी हों
पचमानक —वि॰—-—पच्+शानच्, स्वार्थे कन्—अपना भोजन स्वयं पकाने वाला
पच्चनिका —स्त्री॰—-—-—हल का एक भाग
पञ्चन् —सं॰वि॰-सदैवब॰व॰—-—पञ्च्+कनिन्—पाँच
पञ्चाननः —पुं॰—पञ्चन्-आननः—-—सिंह
पञ्चाननः —पुं॰—पञ्चन्-आननः—-—किसी भी एक विषय में अन्यतम जैसे कि ‘वैद्यपञ्चानन’
पञ्चास्यः —पुं॰—पञ्चन्-आस्यः—-—सिंह
पञ्चास्यः —पुं॰—पञ्चन्-आस्यः—-—किसी भी एक विषय में अन्यतम जैसे कि ‘वैद्यपञ्चानन’
पञ्चायतनम् —नपुं॰—पञ्चन्-आयतनम्—-—पञ्च देवताओं का समूह जो दैनिक पूजा में सम्मिलि हैं
पञ्चायतनी —स्त्री॰—पञ्चन्-आयतनी—-—पञ्च देवताओं का समूह जो दैनिक पूजा में सम्मिलि हैं
पञ्चोपचारः —पुं॰—पञ्चन्-उपचारः—-—पूजा के पाँच पदार्थ
पञ्चकृत्यम् —नपुं॰—पञ्चन्-कृत्यम्—-—दिव्य शक्तियों के पाँच कार्य सृष्टि, स्थिति, संहार, तिरोधान और अनुग्रह
पञ्चचामरम् —नपुं॰—पञ्चन्-चामरम्—-—एक छन्द का नाम
पञ्चधारणक —वि॰—पञ्चन्-धारणक—-—पाँच तत्त्वों की सहायता से जीवित या स्थिर
पञ्चपादिका —स्त्री॰—पञ्चन्-पादिका—-—शंकर के ब्रह्म सूत्रभा.. पर पद्मपादाचार्य रचित टीका
पञ्चरात्रम् —नपुं॰—पञ्चन्-रात्रम्—-—भासकृत एक नाटक का नाम, दर्शन शास्त्र पर नारद द्वारा रचित एक ग्रंथ
पञ्चशीलम् —नपुं॰—पञ्चन्-शीलम्—-—सामाजिक आचरण के पाँच नियम जिन का प्रचार बुद्ध ने किया था
पञ्चशुक्लम् —नपुं॰—पञ्चन्-शुक्लम्—-—उत्तरायण, शुक्लपक्ष, दिन, हरिवासर और सिद्ध क्षेत्र का संयोग
पञ्चसिद्धान्ती —स्त्री॰—पञ्चन्-सिद्धान्ती—-—ज्योतिष के पाँच सिद्धान्त
पञ्चम् —वि॰—-—पञ्चन्+डट्+मट्—पाँचवां
पञ्चास्यः —पुं॰—पञ्चम्-आस्यः—-—कोयल
पञ्चस्वरम् —नपुं॰—पञ्चम्-स्वरम्—-—संगीत के स्वर का नाम
पञ्चिका —स्त्री॰—-—-—रजिस्टर या अभिलेख पुस्तिका
पञ्चीकरणम् —नपुं॰—-—पञ्च+च्वि+कृ+ल्युट्—पाँचों तत्त्वों का मेल जिससे फिर नाना प्रकार के पदार्थों का निर्माण होता हैं
पटः —पुं॰—-—पट्+क—कपड़ा, वस्त्र
पटम् —नपुं॰—-—पट्+क—कपड़ा, वस्त्र
पटाञ्चलः —पुं॰—पट-अञ्चलः—-—वस्त्र की गोट, झालर
पटोत्तरीयम् —नपुं॰—पट-उत्तरीयम्—-—चुन्नी, चादर, ओढ़ने का वस्त्र
पटवाद्यम् —नपुं॰—पट-वाद्यम्—-—मजीरा, करताल, झांझ
पटवासकः —पुं॰—पट-वासकः—-—सुगन्धित चूर्ण
पटलकः —पुं॰—-—पट्+कलच्, स्वार्थे कन् च—पर्दा, घूंघट
पटलकम् —नपुं॰—-—पट्+कलच्, स्वार्थे कन् च—पर्दा, घूंघट
पटलिका —स्त्री॰—-—-—राशि, समुच्चय
पटहवेला —स्त्री॰,ष॰त॰—-—-—वह समय जब कि ढोल बजाया जाता हैं
पटुकरण —वि॰,ब॰स॰—-—-— जिसके अंग स्वस्थ हैं
पट्टः —पुं॰—-—पट्+क्त, इडभावः—तख्ती
पट्टः —पुं॰—-—पट्+क्त, इडभावः—राजकीय प्रशस्ति
पट्टः —पुं॰—-—पट्+क्त, इडभावः—रेशम
पट्टाङ्शुकः —पुं॰—पट्ट-अङ्शुकः—-—रेशमी वस्त्र
पट्टबन्धः —पुं॰—पट्ट-बन्धः—-—सिर पर पगड़ी बांधना, या मुकुट बांधना
पट्टबन्धनम् —नपुं॰—पट्ट-बन्धनम्—-—सिर पर पगड़ी बांधना, या मुकुट बांधना
पट्टाङ्शुकः —पुं॰—पट्टम्-अङ्शुकः—-—रेशमी वस्त्र
पट्टबन्धः —पुं॰—पट्टम्-बन्धः—-—सिर पर पगड़ी बांधना, या मुकुट बांधना
पट्टबन्धनम् —नपुं॰—पट्टम्-बन्धनम्—-—सिर पर पगड़ी बांधना, या मुकुट बांधना
पट्टकिलः —पुं॰—-—पट्ट+कन्+इलच्—एक भुखण्ड को किराये पर जोतने वाला, पट्टेदार
पणः —पुं॰—-—पण्+अप्—पासे से खेलना, दाँव लगाकर खेलना
पणः —पुं॰—-—पण्+अप्—दाँव पर लगाई हुई वस्तु
पणायः —पुं॰—पण-अयः—-—लाभ ग्रहण करता
पणक्रिया —स्त्री॰—पण-क्रिया—-—दाँव पर रखना
पणक्रिया —स्त्री॰—पण-क्रिया—-—संघर्ष करना, मुकाबला करना
पण्य —वि॰—-—पण्+यत्—बेचने के योग्य, विक्रयार्थ पदार्थ
पण्य —वि॰—-—पण्+यत्—व्यापार, वाणिज्य
पण्यजनः —पुं॰—पण्य-जनः—-—व्यापारी
पण्यदासी —स्त्री॰—पण्य-दासी—-—भाड़े की सेविका
पण्यपरिणीता —स्त्री॰—पण्य-परिणीता—-—रखैल स्त्री
पण्यसंस्था —स्त्री॰—पण्य-संस्था—-—बर्तनों की दुकान
पणफरम् —नपुं॰—-—-—जन्मकुण्डली में लग्न से दूसरा, आठवाँ, पांचवाँ और ग्यारहवाँ स्थान
पण्डिती —स्त्री॰—-—-—विद्वता, बुद्धिमत्ता
पण्ड्रः —पुं॰—-—-—हीजड़ा, क्लीब
पण्ड्रकः —पुं॰—-—-—हीजड़ा, क्लीब
पतङ्गः —पुं॰—-—पतन् गच्छतीति गम्+ड नि॰—घोड़ा
पतङ्गः —पुं॰—-—पतन् गच्छतीति गम्+ड नि॰—सूर्य
पतङ्गः —पुं॰—-—पतन् गच्छतीति गम्+ड नि॰—गेंद
पतङ्गः —पुं॰—-—पतन् गच्छतीति गम्+ड नि॰—पारा
पतङ्गः —पुं॰—-—पतन् गच्छतीति गम्+ड नि॰—टिड्डा
पतङ्गशावः —पुं॰—पतङ्ग-शावः—-—पक्षी का बच्चा
पतङ्गिका —स्त्री॰—-—पतङ्ग+कन्+टाप्, इत्वम्—धनुष की डोरी
पतङ्गिका —स्त्री॰—-—-—छोटा पक्षी
पतङ्गिका —स्त्री॰—-—-—मधुमंक्षिका
पतत्प्रकर्ष —वि॰—-—-—जो तर्क संगत न हों
पताकः —पुं॰—-—पत्+आक—वाण का निशान लगाते समय अंगुलियों की विशेष मुद्रा
पताका —स्त्री॰—-—पत्+आक+टाप्—प्रचार, प्रसार
पताकादण्डः —पुं॰—पताका-दण्डः—-—ध्वजयष्टिका, झण्डे का डंडा
पताकिन् —वि॰—-—पताक+इनि—झंडाधारी
पताकिन् —पुं॰—-—पताक+इनि—रथ
पतितगर्भा —स्त्री॰,ब॰स॰—-—-—वह स्त्री जिसका गर्भपात हो गया हो
पतितवृत्त —वि॰,ब॰स॰—-—-—लम्पटता का जीवन बिताने वाला, अय्याश
पत्काषिन् —पुं॰—-—-— पदाति, पैदल सिपाही
पत्त्यध्यक्षः —पुं॰—-—पत्ति+अध्यक्ष— पैदल सेना का दलनायक, ब्रिगेडियर, उपचमूपति
पत्रम् —नपुं॰—-—पत्+ष्ट्रन्—पत्ता
पत्रम् —नपुं॰—-—-—पत्र, चिट्ठी
पत्रम् —नपुं॰—-—-—पक्षी का बाजू
पत्रम् —नपुं॰—-—-—तलवार या चाकू का फल
पत्रतण्डुला —स्त्री॰—पत्रम्-तण्डुला—-—स्त्री, महिला
पत्रदारकः —पुं॰—पत्रम्-दारकः—-—आरा, लकड़ी चीरने का यन्त्र
पत्रन्यासः —पुं॰—पत्रम्-न्यासः—-—बाण में तीर लगाना
पत्रपिशाचिका —स्त्री॰—पत्रम्-पिशाचिका—-—पत्तों की बनी टोंपी
पत्रल —वि॰—-—पत्र+लच्—पत्तों से समृद्ध
पथिकः —पुं॰—-—पथिन्+ष्कन्—मार्ग चलने वाला, यात्री
पथिकजनः —पुं॰—पथिक-जनः—-—एक यात्री, या यात्रियों का समूह
पथिन् —पुं॰—-—पथ्+इनि—मार्ग
पथ्यशनम् —नपुं॰—पथिन्-अशनम्—-—मार्ग में खाने के लिए भोज्य पदार्थ
पदम् —नपुं॰—-—पद्+अच्— पैर
पदकमलम् —नपुं॰—पदम्-कमलम्—-—चरण कमल, पैर रूपी कमल
पदजातम् —नपुं॰—पदम्-जातम्—-—शब्द समूह
पदरचना —स्त्री॰—पदम्-रचना—-—साहित्यिक कृति
पदरचना —स्त्री॰—पदम्-रचना—-—शब्द विन्यास
पदसन्धिः —पुं॰,ब॰स॰—पदम्-सन्धिः—-—शब्दों का श्रुतिमधुर मेल
पदातिलव —वि॰—-—-—अतिनम्र, अत्यन्त विनीत
पदीकृ —तना॰उभ॰—-—-—वर्गमूल , निकालना
पद्यम् —नपुं॰—-—पद्+मन्—कमल
पद्यम् —नपुं॰—-—पद्+मन्—शरीर की विशेष स्थिति, पद्मासन लगाकर बैठना
पद्यम् —नपुं॰—-—पद्+मन्—इन्द्रजाल से सम्बन्ध आठ प्रकार के कोषों में से ‘पद्मिनी’ नामक कोष
पद्यप्रिया —स्त्री॰—पद्यम्-प्रिया—-—लक्ष्मी का विशेषण
पद्यप्रिया —स्त्री॰—पद्यम्-प्रिया—-—जरत्कारु की पत्नी मनसा देवी
पद्यमुद्रा —स्त्री॰—पद्यम्-मुद्रा—-—तन्यशास्त्र का प्रतीक
पद्यशः —अ॰—-—पद्म+शस्—अरबों की संख्या में
पद्मिनीकण्टकः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का कोढ़
पद्रः —पुं॰—-—पद्+रक्—ग्राम मार्ग
पनस्यु —वि॰—-—-—प्रशंसा के योग्य बात प्रकट करने वाला, यशस्वी
पपी —पुं॰—-—पा+ई, द्वित्व किच्च— सूर्य
पयोरसः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—नदी की धारा
पर —वि॰—-—पृ+अप्, अच् वा—दूसरा
पर —वि॰—-—-—उच्चतर श्रेष्ठ
पर —वि॰—-—-—उच्चतम्, प्रमुख
परः —पुं॰—-—-—सर्वशक्तिमान
परम् —नपुं॰—-—-—उच्चतम बिन्दु
परम् —नपुं॰—-—-—शब्द का गौण अर्थ
परम् —नपुं॰—-—-—भावी लोक, इससे परे की दुनिया
परायनम् —नपुं॰—पर-अयनम्—-—उच्चतम पदार्थ
परायनम् —नपुं॰—पर-अयनम्—-— सारांश
परायनम् —नपुं॰—पर-अयनम्—-—दृढ़ भक्ति
परायनम् —नपुं॰—पर-अयनम्—-—धार्मिक आश्रम
परार्थः —पुं॰—पर-अर्थः—-—मुक्ति
परार्थः —पुं॰—पर-अर्थः—-—दूसरों के लिए उपयोगी पदार्थ
परार्घ्य —वि॰—पर-अर्घ्य—-—दिव्य
परावसथशायिन् —वि॰—पर-अवसथशायिन्—-—दूसरों के घर सोने वाला
पराचित —वि॰—पर-आचित—-—दूसरों के द्वारा पालित-पोषित, दास
परोद्वहः —पुं॰—पर-उद्वहः—-—कोयल
परोपसर्पणम् —नपुं॰—पर-उपसर्पणम्—-—दूसरों के निकट जाना
परकाल —वि॰—पर-काल—-—भावी समय से सम्बन्ध रखने वाला
परतर्ककः —पुं॰—पर-तर्ककः—-—भिखारी, भिक्षुक
परतल्पगामिन् —वि॰—पर-तल्पगामिन्—-—दूसरों की पत्नी के साथ सोने वाला
परपरिग्रहः —पुं॰—पर-परिग्रहः—-—दूसरों की सम्पत्ति
परपरिभवः —पुं॰—पर-परिभवः—-—दूसरों से अपमान या तिरस्कार प्राप्त करना
परपाकनिवृत्त —वि॰—पर-पाकनिवृत्त—-—जो दूसरों के यहाँ भोजन नहीं करता
परपाकरत —वि॰—पर-पाकरत—-—जो अपने पालन-पोषण के लिए दूसरों पर निर्भर करता हैं
परपाकरुचिः —स्त्री॰—पर-पाकरुचिः—-—दूसरों के घर पके भोजन की चाह करना
परथा —अ॰—-—पर+थाल्—अन्यथा, वरना
परम —वि॰—-—परं परत्वम् माति+क—अत्यन्त दूर का, अन्तिम
परम —वि॰—-—-—उच्चतम, श्रेष्ठतम्, महत्तम्
परम —वि॰—-—-—मुख्य, प्रमुख, प्रधान
परमम् —अ॰—-—-—अच्छा, बहुत अच्छा, हा
परमाक्षरम् —नपुं॰—परम-अक्षरम्—-—पुनीत अक्षर, ॐ
परमायुधम् —नपुं॰—परम-आयुधम्—-—चक्र नामक शस्त्र
परमकाण्डः —पुं॰—परम-काण्डः—-—मङ्गलमय क्षण
परमगहन —वि॰—परम-गहन—-—अत्यन्त रहस्ययुक्त
परमपुंस् —पुं॰—परम-पुंस्—-—परमात्मा, परमपुरुष
परमपरम् —वि॰—परम-परम्—-—अत्यन्त श्रेष्ठ
परमराजः —पुं॰—परम-राजः—-—सर्वोपरि राजा
परमसमुदाय —वि॰—परम-समुदाय—-—अत्यन्त सफल
परमसम्मत —वि॰—परम-सम्मत—-—परमादरणीय, अत्यन्त माननीय
परम्परयात —वि॰,ब॰स॰—-—-—परम्परा प्राप्त, कमानुसार प्राप्त
परम्परसम्बन्धः —पुं॰—-—-—अप्रत्यक्ष सम्बन्ध
परम्परित —वि॰—-—परम्परा+इनच्—शृङ्खला के रुप में, श्रेणीबद्ध
परशुमुद्रा —स्त्री॰,ब॰स॰—-—-—तर्कशास्त्र में वर्णित अंगस्थिति
परस्पर विलक्षण —वि॰—-—-—आपस में एक दूसरे का विरोध करने वाला
परस्पर व्यावृत्तिः —स्त्री॰—-—-—आपसी निराकरण, पारस्परिक बहिष्करण
पराक् —पुं॰—-—-—परे या दूसरी ओर स्थित
पराक् —पुं॰—-—-—मुँह मोड़ कर (पराङमुख)
पराक् —पुं॰—-—-—जो अनुकूल न हो, प्रतिकूल
पराक् —पुं॰—-—-—बाहरकी ओर निदेशित
पराकृष्ट् —वि॰—-—परा+कृष्+क्त—तिरस्कृत, अप्रतिष्ठित, निरादृत्
पराक्षिप्त —वि॰—-—परा+क्षिप्+क्त—उथल-पुथल, बलात् दूर किया गया
परागः —पुं॰—-—परा+गम्+ड—सुगन्धित चूर्ण, पुष्परज
पराच् —वि॰—-—परा+अञ्च्+क्विन्—अनावृत्त, जो दुहराया न गया हो
पराग्दृश् —वि॰—पराच्-दृश्—-—बहिर्मुखी, जिसने अपनी आँख बाहरी संसार की ओर लगाई हुई हैं
पराचीन —वि॰—-—पराच्+ख—अनुपयुक्त
पराडीनम् —नपुं॰—-—परा+डी+ल्युट्—पीछे की ओर उड़ना
पराभवः —पुं॰—-—परा+भू+अप्—६० वर्ष के संवत्सर चक्र में चालीसवाँ वर्ष
परासक्तिः —वि॰—-—परा+सिच्+क्त—फेंका हुआ, दूर डाला हुआ
परासेधः —पुं॰—-—-—बन्दी बनाना, कारागार में डालना
परिकल्पित —वि॰—-—परि+क्लृप्+ल्युट्—विभक्त, बँटा हुआ
परिक्रमः —पुं॰—-—परि+क्रम्+घञ्—नदी के प्रवाह का अनुसरण करना
परिक्रमसहः —पुं॰—परिक्रम-सहः—-—बकरी
परिक्रिया —स्त्री॰,प्रा॰स॰—-—-—व्यायाम करना
परिक्षित —वि॰—-—परि+क्षण्+क्त—घायल, आहत
परिक्षिप् —तुदा॰पर॰—-—-—बुरा भला कहना
परिगाढ —वि॰—-—परि+गाह्+क्त—बहुत अधिक, अत्यन्त
परिगुणित —वि॰—-—परि+गुण्+क्त—जोड़कर या गुणा करके परिवर्धित
परिग्रहः —पुं॰—-—परि+ग्रह+अच्—शरीर
परिग्रहः —पुं॰—-—-—प्रशासन
परिग्रहः —पुं॰—-—-—पत्नियों की बड़ी संख्या
परिग्राह्य —वि॰—-—परि+ग्रह+णिच्+अच्—नम्रता तथा शिष्टता पूर्वक सम्बोधित किये जाने के योग्य
परिघगुरु —वि॰,क॰स॰—-—-—लोहे की भाँति भारी
परिघस्तम्भः —पुं॰—-—-—चौखट, दरवाजे की बाजू
परिघ्रा —जुहो॰पर॰—-—-—सर्वत्र चुम्बन करना
परिचरणतन्त्रम् —नपुं॰—-—-—श्राद्ध के अनुष्ठान की विशेष रीति
परिचारिका —स्त्री॰—-—परि+चर्+णिच्+ण्वुल्+टाप्—सेविका, दासी, सेवा करने वाली नौकरानी
परिचारितम् —नपुं॰—-—परि+चर्+णिच्+क्त—आमोद-प्रमोद
परिच्यवनम् —नपुं॰—-—परि+च्यु+ल्युट्—पतित होना, गिर जाना
परिच्यवनम् —नपुं॰—-—परि+च्यु+ल्युट्— विचलित होना, भटकना
परिजीर्ण —वि॰—-—परि+जृ+क्त—घिसा हुआ, मुरझाया हुआ
परिजीर्ण —वि॰—-—परि+जृ+क्त—पचाया हुआ
परिणामः —पुं॰—-—परि+णम्+घञ्—परिवर्तन, रूपान्तरण
परिणामः —पुं॰—-—परि+णम्+घञ्—प्चाना
परिणामः —पुं॰—-—परि+णम्+घञ्—फल
परिणामः —पुं॰—-—परि+णम्+घञ्—पकना, पूर्णतः विकसित होना
परिणामः —पुं॰—-—परि+णम्+घञ्—अन्त, समाप्ति
परिणामः —पुं॰—-—परि+णम्+घञ्—बुढ़ापा
परिणामजम् —नपुं॰—परिणाम-जम्—-—अपच के कारन उत्पन्न उदरपीडा
परिणाममुख —वि॰—परिणाम-मुख—-—लगभग समाप्त होने को
परिणामवादः —पुं॰—परिणाम-वादः—-— विकासवाद का सांख्य सिद्धान्त
परिणीतिः —स्त्री॰—-—परि+नी+क्तिन्— विवाह
परिणेतव्य —वि॰—-—परि+नी+तव्यत्—जिसका अभी विवाह होना हैं
परिणेतव्य —वि॰—-—परि+नी+तव्यत्—जिसका विनिमय होना हैं
परितापिन् —वि॰—-—परिताप+णिनि—तङ्ग करने वाला, उत्पीड़क, कष्ट देने वाला
परितृप्तिः —स्त्री॰—-—परि+तृप्त्+क्तिन्—पूर्ण सन्तोष
परितृषित —वि॰—-—परि+तृष्+क्त—लालायित उत्सुक, आतुरतापूर्वक प्रबल इच्छा रखने वाला
परित्यज् —भ्वा॰पर॰—-—-—किश्ती से उतरना
परित्याज्य —वि॰—-—परि+त्यज्+णिच्+यत्—भुलाये जाने योग्य, त्याग दिये जाने के योग्य
परिदिष्ट —वि॰—-—परि+दिश्+क्त—जतलाया गया, ध्यान दिलाया गया
परिधिः —पुं॰—-—परि+धा+कि—दीवार, बाड़
परिधिः —पुं॰—-—-—चन्द्र या सूर्य के चारों ओर धुन्धला आभास
परिधिः —पुं॰—-—-—क्षितिज, दिशा
परिध्योपान्त —वि॰—परिधि-उपान्त—-—समुद्र ही जिसकी सीमा हैं
परिधारणा —स्त्री॰—-—-—संतोष, धैर्य
परिधीर —वि॰,प्रा॰स॰—-—-—बहुत गहरा
परिध्वंसः —पुं॰—-—परि+ध्वंस+घञ्—वर्ण संकरता
परिध्वंसः —पुं॰—-—परि+ध्वंस+घञ्—ग्रहण
परिनिष्ठित —वि॰—-—परि+नि+स्था+क्त—नितान्त पूर्ण
परिनिष्ठित —वि॰—-—परि+नि+स्था+क्त—सम्पन्न
परिपिच्छम् —नपुं॰—-—-—मोर का पंख, चन्दा, चन्दे को सजावट की दृष्टि से लगाना
परिपृच्छिक —वि॰—-—परिपृच्छा+ठक्—जिसे कोई वस्तु माँगने पर ही मिलती हैं
परिप्लोषः —पुं॰—-—परिप्लुष्+घञ्—आन्तरिक गर्मी
परिबर्हः —पुं॰—-—परिब (व) र्ह्+घञ्—सजावट का सामान, चंवर आदि राजचिह्न
परिबोधः —पुं॰—-—परिबुध्+घञ्—तर्क, युक्ति, कारण
परिभाण्डम् —नपुं॰—-—परिभण्+ड+अण्— गृहस्थ की आवश्यकताए
परिभू —भ्वा॰पर॰—-—-—आगे बढ़ जाना
परिभू —भ्वा॰पर॰—-—-—सुखा देना, संतृप्त करना
परिभवनिधानम् —नपुं॰,ष॰त॰—-—-—घृणा का पदार्थ, घृणा का पात्र
परिभावना —स्त्री॰—-—परिभू+णिच्+युच्—घृणा
परिभावना —स्त्री॰—-—परिभू+णिच्+युच्—जिज्ञासा को जगाने वाले शब्द
परिभूत —वि॰—-—परिभू+क्त—पराजित, हराया हुआ
परिभूत —वि॰—-—परिभू+क्त—अपमानित
परिभृष्ट —वि॰—-—परि+भ्रस्ज्+क्त—तला हुआ, भुना हुआ
परिमण्डित —वि॰—-—परि+मण्ड्+क्त—अलंकृत, सुभूषित, सजाया हुआ
परिमितवयस् —वि॰,ब॰स॰—-—-—बाल्य अवस्था का बच्चा, थोड़ी उम्र का
परिमोटनम् —नपुं॰—-—परिमुट्+ल्युट्—चटकाना, फोड़ना, तोड़ना
परियन्त्रणा —स्त्री॰—-—परि+यन्त्र्+युच्+टाप्—प्रतिबन्ध, रोक
परिरब्ध —वि॰—-—परि+रभ्+क्त—आलिङ्गित्
परिलङ्घनम् —नपुं॰—-—परि+लङ्घ्+ल्युट्—ऊपर से फांदना
परिलङ्घनम् —नपुं॰—-—-—अतिक्रमण करना
परिलीढ —वि॰—-—परि+लिह्+क्त—चारों ओर से चाटा हुआ
परिलोलित —वि॰—-—परिलुल्+णिच्+क्त—उछाला हुआ
परिवत्सः —पुं॰—-—-—बछड़ा, गाय का बच्चा
परिवादकथा —स्त्री॰,ष॰त॰—-—-—निन्दनीय बातचीत, बदनामी की बातें
परीवादकथा —स्त्री॰,ष॰त॰—-—-—निन्दनीय बातचीत, बदनामी की बातें
परिवादकरः —पुं॰—-—-—अपवाद, मिथ्यानिन्दा, कलंक
परीवादकरः —पुं॰—-—-—अपवाद, मिथ्यानिन्दा, कलंक
परिवर्जित —वि॰—-—परि+वृज्+णिच्+क्त—लपेटा हुआ, कुण्डलित किया हुआ, लच्छा बनाया हुआ
परिवर्जितसङ्ख्य —वि॰—परिवर्जित-सङ्ख्य—-— पूरे बीस कम से कम बीस
परिविष्ट —वि॰—-—परि+विश्+क्त—घेरा हुआ
परिविष्ट —वि॰—-—परि+विश्+क्त—वस्त्राच्छादित, वस्त्र पहने हुए
परिविष्ट —वि॰—-—परि+विश्+क्त—उपहृत
परिवर्तः —पुं॰—-—परिवृत्+घञ्—अव्यवस्था, व्यतिक्रम
परीवर्तः —पुं॰—-—परिवृत्+घञ्—अव्यवस्था, व्यतिक्रम
परिवर्तित —वि॰—-—परिवृत्+क्त—एक ओर किया हुआ, हटाया हुआ
परिवर्तित —वि॰—-—परिवृत्+क्त— पूरी तरह खोज किया गया
परिवृक्ण् —वि॰—-—परि+व्रश्च+क्त— विकृति, कटा-छंटा हुआ, खण्डित
परिवे —भ्वा॰उभ॰—-—-—अन्तर्ग्रथित करना, जोड़ना
परिवे —भ्वा॰उभ॰—-—-— बांधना
परिवेल्लित —वि॰—-—परिवेल्ल्+क्त—घिरा हुआ
परिशङ्का —स्त्री॰—-—परिशङ्क्+अ+टाप्—संशय, आशंका
परिशङ्का —स्त्री॰—-—परिशङ्क्+अ+टाप्—आशा, प्रत्याशा
परिशब्दित —वि॰—-—परिशब्द्+क्त—सम्प्रेषित, वर्णित
परिशुश्रूषा —स्त्री॰—-—परिश्रू+सन्+टाप्, द्वित्वम्—बिना विचार आज्ञापालन
परिष्पन्दः —पुं॰—-—परिस्पन्द्+घञ्—शौर्य, पराक्रम
परिस्पन्दः —पुं॰—-—परिस्पन्द्+घञ्—शौर्य, पराक्रम
परिसामन् —नपुं॰—-—-—सामसूक्त जिसकी विरल आवृत्ति होती हैं
परिसरः —पुं॰—-—परि+सृ+घ— शिरा, धमनी, वाहिनी
परिस्कन्धः —पुं॰—-—परि+स्कन्ध्+घञ्—संग्रह, समुच्चय
परिस्तोमः —पुं॰—-—परि+स्तोम्+अच्—रंगीन कपड़ा जो हाथी पर डाला जाता हैं
परिस्तोमः —पुं॰—-—परि+स्तोम्+अच्—यज्ञपात्र
परिस्रुत —वि॰—-—परि+स्रु+क्त—बहा हुआ, बून्द-बून्द करके टपका हुआ
परिहूत —वि॰—-—परि+ह्वे+क्त—आमन्त्रित, बुलाया हुआ
परिहृ —भ्वा॰पर॰—-—-—निराकरण करना
परिहृ —भ्वा॰पर॰—-—-—आवृत्ति करना
परिहृ —भ्वा॰पर॰—-—-—पोषण करना
परिहारः —पुं॰—-—परि+हृ+घञ्—त्यागना, छोड़ना
परिहारः —पुं॰—-—परि+हृ+घञ्—हटाना, दूर करना
परिहारः —पुं॰—-—परि+हृ+घञ्—निराकरण करना
परिहारः —पुं॰—-—परि+हृ+घञ्—टालना
परिहारः —पुं॰—-—परि+हृ+घञ्—शुल्क से मुक्ति
परिहारविशुद्धिः —स्त्री॰—परिहार-विशुद्धिः—-—तपश्चरण द्वारा पवित्रीकरण
परिहारसू —स्त्री॰—परिहार-सू—-—वह गाय जो बहुत दिनों के पश्चात् बछड़ा सूती हैं
परीष्ट —वि॰—-—परि+इष्+क्त—वाञ्छनीय, उत्तम, बढ़िया
परुषाक्षेपः —पुं॰,क॰स॰—-—-—कठोर शब्दों में व्यक्त किया गया आक्षेप, ऐतराज
परेतकल्पः —पुं॰—-—-—मृतप्राय, मरे हुए के समान
परेतकालः —पुं॰—-—-—मृत्यु का समय
परोक्षजित् —वि॰—-—परोक्ष+जि+क्विप्—जो विजय प्राप्त करता हुआ किसी से देखा नहीं जाता, अदृष्टविजयी
परोक्षबुद्धि —वि॰,ब॰स॰—-—-—तटस्थ, उदासीन
पणनालः —पुं॰—-—-—पत्ते के रूप में डंठल
पर्णालः —पुं॰—-—पर्ण+आलच्—किश्ती
पर्णालः —पुं॰—-—पर्ण+आलच्—एकाकी संघर्ष
पर्पटौदनः —पुं॰,द्व॰स॰—-—-—पर्पट मिश्रित चावल
पर्यङ्कबद्ध —वि॰,त॰स॰—-—-— वीरासन पर विराजमान
पर्यन्तस्थित —वि॰,त॰स॰—-—-—सीमा पर विद्यमान
पर्ययः —पुं॰—-—परि+इ+अच्—हानि, नाश
पर्यवस्थित —वि॰—-—परि+अव+स्था+क्त—पड़ाव डाला हुआ
पर्यवस्थित —वि॰—-—परि+अव+स्था+क्त—अधिकृत
पर्यवस्थित —वि॰—-—परि+अव+स्था+क्त—स्वस्थ, शान्त
पर्यादानम् —नपुं॰—-—परि+आ+दा+ल्युट्—अन्त, समाप्ति
पर्याप्तकाम —वि॰—-—ब॰ स॰—जिसकी इच्छाएँ पूर्ण हो गई हों
पर्यापतत —वि॰—-—परि+आ+म्ना+क्त—विख्यात्, प्रसिद्ध
पर्यायः —पुं॰—-—परि+इ+घञ्—अन्त
पर्यायः —पुं॰—-—परि+इ+घञ्—एक अलंकार का नाम
पर्यायक्रमः —पुं॰—पर्याय-क्रमः—-—परम्परा का सिलसिला
पर्यायत —वि॰—-—परि+आ+यम्+क्त—अत्यन्त लम्बा
पर्यासित —वि॰—-—परि+अस्+णिच्+क्त—रद्दी किया गया, नष्ट किया गया
पर्युदासः —पुं॰—-—परि+उद्+अस्+घञ्—‘नञ्’ के प्रयोग द्वारा निषेधार्थककृति
पर्युपासीन —वि॰—-—परि+उप+आस्+शानच्, ईत्वम्—बैठा हुआ, घिरा हुआ
पर्युषित —वि॰—-—परि+वस्+णिच्+क्त—जिसके ऊपर से रात बीत गई हो, बासी, जो ताजा न हो
पर्युषितवाक्यम् —नपुं॰—पर्युषित-वाक्यम्—-—वह वचन जिसका पालन न किया गया हो, टूटी हुई प्रतिज्ञा
पर्युष्ट —वि॰—-—परि+वस्+क्त—बासी
पर्वतः —पुं॰—-—पर्व+अतच्—पहाड़
पर्वतः —पुं॰—-—-—एक ऋषि का नाम
पर्वतोपत्यका —स्त्री॰—पर्वत-उपत्यका—-—पहाड़ की तलहटी में स्थित समतल भूमि
पर्वतरोधस् —नपुं॰—पर्वत-रोधस्—-—पहाड़ी ढलान
पर्वन् —नपुं॰—-— पृ+वनिप्— गाँठ, जोड़
पर्वन् —नपुं॰—-—-—पोरी, अंश
पर्वास्फोटः —पुं॰—पर्वन्-आस्फोटः—-—अँगुलियाँ चटखाना
पर्वविपद् —पुं॰—पर्वन्-विपद्—-—चन्द्रमा
पलः —पुं॰—-—पल्+अच्—भूसी, छिल्का
पलम् —नपुं॰—-—पल्+अच्—मांस
पलम् —नपुं॰—-—पल्+अच्—४ कर्षं का बट्टा
पलम् —नपुं॰—-—पल्+अच्—समय की माप
पलम् —नपुं॰—-—पल्+अच्—एक छीटी तोल
पलान्नम् —नपुं॰—पल-अन्नम्—-—मांस से मिले चावल
पलालः —पुं॰—-—पल्+आलच्—भूसी, तुष्, तिनके
पलालभारकः —पुं॰—पलाल-भारकः—-—तिनको का बोझ, भूसी का भार
पलिः —स्त्री॰—-—पल्+इञ्—हाथी के मस्तक से ठीक ऊपर का भाग
पलित —वि॰—-—पल्+क्त—बूढ़ा, जिसके बाल पक गये हो, जिसके सिर के बाल सफेद हो गये हों
पलितम् —नपुं॰—-—पल्+क्त—सफेद बाल
पलितम् —नपुं॰—-—पल्+क्त— केश पाश
पलितछद्मन् —पुं॰—पलित-छद्मन्—-—सफेद बालों के बहाने
पलितदर्शनम् —नपुं॰—पलित-दर्शनम्—-—सफेद बालों का दिखाई देना
पल्लवः —पुं॰—-—पल्+क्विप्, लृ+अप्, पल् चासौ लवश्च, क॰ स॰—अङ्कुर
पल्लवः —पुं॰—-—पल्+क्विप्, लृ+अप्, पल् चासौ लवश्च, क॰ स॰—कली
पल्लवः —पुं॰—-—पल्+क्विप्, लृ+अप्, पल् चासौ लवश्च, क॰ स॰—विस्तार
पल्लवः —पुं॰—-—पल्+क्विप्, लृ+अप्, पल् चासौ लवश्च, क॰ स॰—शक्ति
पल्लवः —पुं॰—-—पल्+क्विप्, लृ+अप्, पल् चासौ लवश्च, क॰ स॰—घास की पत्ती
पल्लवः —पुं॰—-—पल्+क्विप्, लृ+अप्, पल् चासौ लवश्च, क॰ स॰—कङ्कण
पल्लवः —पुं॰—-—पल्+क्विप्, लृ+अप्, पल् चासौ लवश्च, क॰ स॰—वस्त्र का किनारा
पल्लवः —पुं॰—-—पल्+क्विप्, लृ+अप्, पल् चासौ लवश्च, क॰ स॰—प्रेम
पल्लवः —पुं॰—-—पल्+क्विप्, लृ+अप्, पल् चासौ लवश्च, क॰ स॰—कामकेलि
पल्लवः —पुं॰—-—पल्+क्विप्, लृ+अप्, पल् चासौ लवश्च, क॰ स॰—कहानी, कथा
पल्लवः —पुं॰—-—पल्+क्विप्, लृ+अप्, पल् चासौ लवश्च, क॰ स॰—
पल्लवनम् —नपुं॰—-—पल्+क्विप्, लृ+ल्युट्, पल् चासौ लवश्च, क॰ स॰—निरर्थक वक्तृता
पवनम् —नपुं॰—-—पू+ल्युट्—पवित्र करना, पिछोड़ना
पवनम् —नपुं॰—-—पू+ल्युट्—छलनी
पवनम् —नपुं॰—-—पू+ल्युट्—पानी
पवनम् —नपुं॰—-—पू+ल्युट्—कुम्हार का आँवा
पवनचक्रम् —नपुं॰—पवनम्-चक्रम्—-—बवंडर, भभूला
पवनपदवी —स्त्री॰—पवनम्-पदवी—-—आकाश का प्रदेश
पवमानसखः —पुं॰,ब॰स॰—-—-—अग्नि
पवित्र —वि॰—-—पू+इत्र—पावन, निष्पाप
पवित्र —वि॰—-—पू+इत्र—मन को शुद्ध करने का साधन
पवित्र —वि॰—-—पू+इत्र—सोमरस को छानने का वस्त्र, छलना या पोना
पवित्रीकरणम् —नपुं॰—-—पवित्र+च्वि+कृ+ल्युट्—पवित्र करना
पवित्रीकरणम् —नपुं॰—-—पवित्र+च्वि+कृ+ल्युट्—पवित्र करने का साधन
पशु —अ॰—-—दृश्+कु, पशादेशः—देखो ! कितना अच्छा
पशुः —पुं॰—-—-—पालतू जानवर, मवेशी
पश्वेकत्वन्यायः —पुं॰—पशु-एकत्वन्यायः—-—मीमांसा का नियम जिसके आधार पर मुख्यार्थ क्रिया के द्वारा संयुक्त होकर अभिप्रेत वचन को अभिव्यक्त करता हैं
पशुमतम् —नपुं॰—पशु-मतम्—-—मिथ्या सिद्धान्त
पशुसमाम्नायः —पुं॰—पशु-समाम्नायः—-—प्राणिजात के नामों का संग्रह
पश्चादह —अ॰—-—पश्चात्+अहः—तीसरा पहर
पश्चादुक्तिः —स्त्री॰—-—पश्चात्+उक्तिः—आवृत्ति, दोहराना
पश्चिमोत्तर —वि॰,ब॰स॰—-—-—उत्तरपश्चिमी
पश्चिमसंध्या —स्त्री॰—-—-—सायंकालीन झूटपुटा
पश्य —वि॰—-—दृश्+अच्+पश्यादेशः—जो केवल देवता रखता हैं
पष्ठौही —स्त्री॰—-—-—बछिया
पातव्य —वि॰—-—पा+तव्यत्—पीने के योग्य, पेय
पातव्य —वि॰—-—पा+तव्यत्—रक्षा किये जाने के योग्य
पांसुः —पुं॰—-—पंस्+कु, दीर्घः—चूर्ण, धूल
पांसुक्रीडनम् —नपुं॰—पांसु-क्रीडनम्—-—धूल में खेलना
पांसुगुण्ठित —वि॰—पांसु-गुण्ठित—-—धूल से भरा हुआ
पांसुलवणम् —नपुं॰—पांसु-लवणम्—-—एक प्रकार का नमक
पांसक —वि॰—-—पंस्+णिच्+ण्वुल्—भ्रष्ट करने वाला, बिगाड़ने वाला
पाकः —पुं॰—-—पच्+घञ्—शोथ, सूजन
पाकक्रिया —स्त्री॰—पाक-क्रिया—-—पकाने की क्रिया
पाजस्यम् —नपुं॰—-—-—जानवर का पेट
पाजस्यम् —नपुं॰—-—-—पार्श्व भाग
पाञ्चरात्रम् —नपुं॰—-—-—एक वैष्णव सम्प्रदाय तथा उसके सिद्धान्त, भक्तिमार्ग
पाञ्चरात्रम् —नपुं॰—-—-—पाञ्चरात्र सम्प्रदाय के शास्त्र, आगम
पाञ्चालेयः —पुं॰—-—पाञ्चाली+ढक्—पाञ्चाली का पुत्र
पाटलकीटः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का कीड़ा
पाट्युपकरः —पुं॰—-—पाटी+उपकरः—मुख्य लेखाधिकारी
पाठक्रमः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—मूलपाठ के अनुक्रम के अनुसार निर्धारित पाठ
पाठभेदः —पुं॰,स॰त॰—-—-—मूलपाठ के रूपान्तर, अवान्तर पाठ
पाठ्यपुस्तकम् —नपुं॰—-—-—किसी श्रेणी के लिए निर्धारित पुस्तक
पाणिः —पुं॰—-—पण्+इण्, आयाभावः—हाथ
पाणिकच्छपिका —स्त्री॰—पाणि-कच्छपिका—-—एक प्रकार की मुद्रा
पाणिगत —वि॰—पाणि-गत—-—निकट ही
पाणिदाक्ष्यम् —नपुं॰—पाणि-दाक्ष्यम्—-—हाथ की सफाई
पाणिवादः —पुं॰—पाणि-वादः—-—तालियाँ बजाना
पाणिवादः —पुं॰—पाणि-वादः—-—ढोल बजाना
पाणिवादः —पुं॰—पाणि-वादः—-—केरल प्रदेश के लिए ढोलकियों का समुदाय
पाण्डवप्रियः —पुं॰,ब॰स॰—-—-—कृष्ण का विशेषण
पाण्डिमन् —पुं॰—-—पाण्डु+इमनिच्—सफेदी
पाण्डुलोहम् —नपुं॰—-—-—चाँदी
पातः —पुं॰—-—पत्+घञ्—प्रयोग
पातालमूलम् —नपुं॰—-—-—पाताल लोक की निम्न सतह
पात्त्र —वि॰—-—पातात् त्रायते इति—पापों से छुटकारा दिलाने वाला
पात्रम् —नपुं॰—-—पा+ष्ट्रन्—प्याला, कटोरा
पात्रम् —नपुं॰—-—पा+ष्ट्रन्—बर्तन
पात्रम् —नपुं॰—-—पा+ष्ट्रन्—आशय
पात्रम् —नपुं॰—-—पा+ष्ट्रन्—योग्य व्यक्ति
पात्रम् —नपुं॰—-—पा+ष्ट्रन्—नाटक में अभिनेता
पात्रम् —नपुं॰—-—पा+ष्ट्रन्—राजा का मंत्री
पात्रम् —नपुं॰—-—पा+ष्ट्रन्—दरिया का पाट
पात्रम् —नपुं॰—-—पा+ष्ट्रन्—योग्यता औचित्य
पात्रोपकरणम् —नपुं॰—पात्रम्-उपकरणम्—-—अलंङ्करण के बर्तन, सजावट के पात्र जैसे चौरी आदि
पात्रप्रवेशः —पुं॰—पात्रम्-प्रवेशः—-—रंङ्गमंच पर अभिनेता का आगमन
पात्रमेलनम् —नपुं॰—पात्रम्-मेलनम्—-— भिन्न-भिन्न प्रकार का अभिनय कराने के लिए अभिनेताओं का एकत्रीकरण
पात्रशोधनम् —नपुं॰—पात्रम्-शोधनम्—-—किसी उपहार को ग्रहण करने के योग्य व्यक्ति की योग्यता का परीक्षा करना
पात्रसंस्कारः —पुं॰—पात्रम्-संस्कारः—-—किसी पात्र या बर्त्तन को पवित्र करना
पात्रकरणम् —नपुं॰—-—-—विवाह
पादः —पुं॰—-—पद्+घञ्—मशक की तली में छिद्र
पादकृच्छ्रम् —नपुं॰—पाद-कृच्छ्रम्—-—एक प्रकार का व्रत जिसमें हर तीसरे दिन उपवास रखना पडता हैं
पादनिकेतः —पुं॰—पाद-निकेतः—-—पादपीठ, मूँढा, स्टूल
पादपद्धतिः —स्त्री॰—पाद-पद्धतिः—-—पदचिह्न
पादपरिचारकः —पुं॰—पाद-परिचारकः—-—चरणसेवक, विनीत सेवक
पादभटः —पुं॰—पाद-भटः—-—पदाति, पैदल सिपाही
पादलग्नः —पुं॰—पाद-लग्नः—-—पैर में चिपका हुआ
पादसंहिता —स्त्री॰—पाद-संहिता—-—कविता के चरणों का जोड़
पादहीनजलम् —नपुं॰—पाद-हीनजलम्—-—वह पानी जिसका कुछ अंश उबाला हुआ हो
पादाकुलकम् —नपुं॰—-—-—एक छन्द का नाम
पानीयपृष्ठजा —स्त्री॰—-—-—मोथा नाम का घास जो पानी के किनारे उगता हैं
पान्थदुर्गा —स्त्री॰,ष॰त॰—-—-—मार्ग्रव्यापिनी देवी
पाप —वि॰—-—पा+फ—बुरा, दुष्ट
पाप —वि॰—-—पा+फ—अभिशप्त, विनाशकारी, शरारत से भरा हुआ
पापवङ्श —वि॰—पाप-वङ्श—-—नीच कुल में उत्पन्न
पापविनिग्रहः —पुं॰—पाप-विनिग्रहः—-—दुष्टता को रोकना
पापशमन —वि॰—पाप-शमन—-—पाप कर्म को रोकने वाला
पायसपिण्डारकः —पुं॰—-—-—खीर खाने वाला
पायितम् —नपुं॰—-—-—उदकदान, उपहार में दिया गया जल
पारः —पुं॰—-—पृ+घञ्—नदी का दूसरा का किनारा
पारः —पुं॰—-—पृ+घञ्—पार कर लेना
पारः —पुं॰—-—पृ+घञ्—सम्पन्न करना
पारः —पुं॰—-—पृ+घञ्—अन्त, किनारा
पारः —पुं॰—-—पृ+घञ्—संरक्षक
पारनेतृ —वि॰—पार-नेतृ—-—जो किसी व्यक्ति को किसी कार्य में दक्ष बना देता हैं
पारतल्पिकम् —नपुं॰—-—परतल्प+ठक्—व्यभिचार
पारमार्थिकसत्ता —स्त्री॰—-—-—परम सत्य का अस्तित्व
पारमिता —स्त्री॰—-—पारम् इतः प्राप्तः+पारमित+अलुक् स॰ +स्त्रियां टाप्—सम्पूर्ण निष्पत्ति, पूर्णता
पारमेश्वर —वि॰—-—परमेश्वर+अण्—परमेश्वर से संबद्ध
पारम्पर्यक्रमः —पुं॰—-—परम्परा+ष्यञ्—परम्परा प्राप्त अनुक्रम
पारषदम् —नपुं॰—-—-—सदस्यता, किसी सभा का सदस्य बनना
पारावतघ्नी —स्त्री॰—-—-—सरस्वती नदी
पारिणामिक —वि॰—-—परिणाम्+ठक्—पचने के योग्य, जो हजम हो सके
पारिणामिक —वि॰—-—परिणाम्+ठक्—जिसमें विकार हो सके, परिवर्त्य
पारिपन्थिकः —पुं॰—-—परिपन्था+ठक्—चलती सड़क पर लूटने वाला, डाकू
पारिप्लवदृष्टि —वि॰,ब॰स॰—-—-—चंचल आँखों वाला
पारिप्लवमति —वि॰,ब॰स॰—-—-—चंचल मन वाला
पारुषिक —वि॰—-—परष्+ठक्—कठोर, दारुण
पार्यवसानिक —वि॰—-—पर्यवसान्+ठक्—समाप्ति के निकट आने वाला
पार्श्वः —पुं॰—-—पर्शु+अण्—एक ऋषि, जैनियों के २३वें तीर्थकर का विशेषण
पार्श्वः —पुं॰—-—पर्शु+अण्—पार्श्वभाग
पार्श्वापवृत्त —वि॰—पार्श्वः-अपवृत्त—-—एक ओर को झुका हुआ
पार्श्वार्ति —स्त्री॰—पार्श्वः-आर्तिः—-—शरीर के पार्श्वभाग में पीडा
पार्श्वोपपीडम् —अ॰—पार्श्वः-उपपीडम्—-—पार्श्वभाग दुखने लगे
पार्श्ववक्त्रः —पुं॰—पार्श्वः-वक्त्रः—-—शिव का एक विशेषण
पार्ष्णिविग्रहः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—सेना के पिछली ओर आक्रमण करना
पालनम् —नपुं॰—-—पाल्+ल्युट्—तीक्ष्ण तेज करना
पालाशविधिः —पुं॰—-— पलाश+अण् तस्य विधिः—ढाक की लकड़ियों से मृतक का दाह संस्कार करना
पालिज्वरः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का बुखार
पाल्लविक —वि॰—-—पल्लव+ठक्— विसारी, विसरणशील, विच्युत
पावकमणिः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—सूर्यकान्तमणि
पावकशिखः —पुं॰,ब॰स॰—-—-—ज़ाफरान, अग्निशिख, केसर
पावकार्चिः —स्त्री॰,ष॰त॰—-—-—अग्नि की ज्वाला
पावित —वि॰—-—पू+णिच्+क्त—पवित्र किया हुआ, स्वच्छ किया हुआ‘
पाव्य —वि॰—-—पू+णिच्+ण्यत्—पवित्र किये जाने के योग्य
पाशिन् —पुं॰—-—पाश+इनि—रस्सी, बेड़ी
पाशुपतव्रतम् —नपुं॰—-—-—पाशपात सिद्धान्तों के लिए किया गया उपवास, व्रत
पिककूजनम् —नपुं॰,ष॰त॰—-—-—कोयल की कूक
पिङ्गमूलः —पुं॰,ब॰स॰—-—-—गाजर
पिच्छास्रावः —पुं॰—-—-—चिपचिपा थूक
पिञ्जरिकम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का संगीत उपकरण
पिटङ्काशः —पुं॰—-—-—एक प्रकार की छोटी मछली
पिठरपाकः —पुं॰—-—-—कार्यकारण का मेल
पिठरी —स्त्री॰—-—-—कड़ाही, जिसमें कुछ उबाला जाय
पिण्ड —वि॰—-—पिण्ड+अच्—ठोस
पिण्ड —वि॰—-—पिण्ड+अच्—सटा हुआ
पिण्डाक्षर —वि॰—पिण्ड-अक्षर—-—संयुक्त व्यञ्जनों से युक्त शब्द
पिण्डनिवृत्ति —वि॰—पिण्ड-निवृत्ति—-—सपिण्ड बन्धुता की समाप्ति
पिण्डपितृयज्ञः —पुं॰—पिण्ड-पितृयज्ञः—-—अमावस्या को संध्यासमय पितरों के प्रति आहुति देना
पिण्डविषमः —पुं॰—पिण्ड-विषमः—-—अपहरण की रीति, गबन का तरीका
पितुषणिः —पुं॰—-—-—भोजन प्रदाता
पितृत्रयम् —नपुं॰,ष॰त॰—-—-—पिता, पितामह तथा प्रपितामह
पितृवासरपर्वन् —नपुं॰—-—-—पितरों की पूजा का शुभ समय
पित्तम् —नपुं॰—-—अपि+दो+क्त, अपेः अकारलोपः—एक तरल पदार्थ जो शरीर के भीतर यकृत में बनता हैं
पित्तधर —वि॰—पित्तम्-धर—-—पित्त प्रकृति का व्यक्ति
पित्तधरा —स्त्री॰—पित्तम्-धरा—-—शरीर में पित्ताशय
पिधातव्य —वि॰—-—अपि+धा+तव्यत्, अपेः अलोपः—बन्द किये जाने के योग्य
पिप्पलः —पुं॰—-—-—पिप्पल नाम का वृक्ष
पिप्पलः —पुं॰—-—-—कर्मजन्य फल, कर्म का फल
पिप्पलादः —पुं॰—पिप्पल-अदः—-—एक मुनि का नाम ‘पिप्पलाद’
पिप्पलादः —पुं॰—पिप्पल-अदः—-—पिप्पल के बरबंटे खाने वाला
पिप्पलादः —पुं॰—पिप्पल-अदः—-—विषयवासना में लिप्त
पिब —वि॰—-—पा+अच्, पिबादेशः—पीने वाला
पिशितम् —नपुं॰—-—पिश्+क्त—मांस
पिशितम् —नपुं॰—-—पिश्+क्त—अल्पांश
पिशितपिण्डः —पुं॰—पिशितम्-पिण्डः—-—मांस का टुकड़ा
पिशितपिण्डः —पुं॰—पिशितम्-पिण्डः—-—तिरस्कारसूचक शब्द जो शरीर को इंगित करे
पिशितप्ररोहः —पुं॰—पिशितम्-प्ररोहः—-—मांस का उभार, रसौली
पिशुनित —वि॰—-—पिशुन+इतच्—प्रकट किया गया, प्रदर्शित
पिष्ट —वि॰—-—पिष्+क्त—पीसा हुआ
पिष्ट —वि॰—-—पिष्+क्त—गूँदा हुआ
पिष्टाद —वि॰—पिष्ट-अद—-—आटा खाने वाला
पिष्टपाकः —पुं॰—पिष्ट-पाकः—-—पकाया हुआ आटा
पिष्टातः —पुं॰—-—पिष्ट्+अत्+अण्—सुगन्धित चूर्ण, अबीर जो होली के अवसर पर एकदूसरे पर छिड़क दिया जाता हैं
पिस्पृक्षु —वि॰—-—स्पृश्+सन्+उ—छूने की इच्छा वाला
पिस्पृक्षु —वि॰—-—-—आचमन करने का इच्छुक
पीठाधिकारः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—किसी पद पर नियुक्ति
पीड् —चुरा॰उभ॰—-—-—शब्द करना
पीडास्थानम् —नपुं॰,ष॰त॰—-—-—ग्रह की किसी स्थान पर अशुभ स्थिति
पीत —वि॰—-—पा+क्त—पीया हुआ
पीत —वि॰—-—पा+क्त—भिगोया हुआ
पीत —वि॰—-—पा+क्त—बाष्पीकृत
पीत —वि॰—-—पा+क्त—छिड़का हुआ
पीतोदका —स्त्री॰—पीत-उदका—-—वह गाय जो पानी पी चुकी हैं
पीतनिद्र —वि॰—पीत-निद्र—-—नींद में डूबा हुआ
पीतमारुतः —पुं॰—पीत-मारुतः—-—एक प्रकार का साँप
पीतस्फोटः —पुं॰—पीत-स्फोटः—-—खुजली
पीयूषभानुः —पुं॰,ब॰स॰—-—-—चन्द्रमा
धामन् —पुं॰,ब॰स॰—-—-—चन्द्रमा
पुंस् —पुं॰—-—पा+डुमसुन्—जीवित प्राणी
पुंस् —पुं॰—-—पा+डुमसुन्—एक प्रकार का नरक
पुंल्लक्षणम् —नपुं॰—पुंस्-लक्षणम्—-—मानवीरूप, मानवी सूरत
पुच्चुकः —पुं॰—-—-—द्वितीय वर्ष में चल रहा हाथी
पुञ्जिकस्तना —स्त्री॰—-—-—एक स्वर्गीय अपसरा का नाम
पुञ्जिकास्तना —स्त्री॰—-—-—एक स्वर्गीय अपसरा का नाम
पुटम् —नपुं॰—-—पुट्+क—अंजलि
पुटम् —नपुं॰—-—पुट्+क—दोना
पुटाञ्जलिः —स्त्री॰—पुट-अञ्जलिः—-—दोनों हथेलियों को मिलाकर प्याले की भाँति बना लेना
पुटधेनुः —स्त्री॰—पुट-धेनुः—-—बछड़े वाली गौ जिसका अभी पूर्ण विकास नहीं हुआ हैं
पुटनम् —नपुं॰—-—पुट्+ल्युट्—आच्छादित करना, ढकना
पुण्डरीकम् —नपुं॰—-—पुंड्+ईकन्, रक् नि॰—एक यज्ञ का नाम
पुण्य —वि॰—-—पू+यत् णुगागमः, ह्रस्वः—पवित्र, पुनीत
पुण्य —वि॰—-—-—अच्छा गुणयुक्त
पुण्य —वि॰—-—-—मंगलमय, शुभ
पुण्य —वि॰—-—-—सुन्दर, मनोज्ञ, रोचक
पुण्यम् —नपुं॰—-—-—जन्मलग्न से सातवाँ घर
पुण्यम् —नपुं॰—-—-—मेष, कर्क, तुला और मकर का संयोग
पुण्यनिवह —वि॰—पुण्य-निवह—-— गुणयुक्त, गुणी
पुण्यशाला —स्त्री॰—पुण्य-शाला—-—धर्मार्थ भवन, दान-घर
पुण्यसञ्चयः —पुं॰—पुण्य-सञ्चयः—-—धार्मिक गुणों का संग्रह
पुत्रप्रवरः —पुं॰,स॰त॰—-—-—ज्येष्ठ पुत्र
पुत्रसूः —स्त्री॰,ष॰त॰—-—-—पुत्र की माँ
पोथित —वि॰—-—पुथ्+णिच्+क्त—आघात पहुँचाया हुआ, मारा हुआ, नष्ट किया हुआ
पुनर् —अ॰—-—पन्+अर्, उत्वम्—फिर, दोबारा, नये सिरे से
पुनरन्वयः —पुं॰—पुनर्-अन्वयः—-—वापसी, लौटना
पुनरपगमः —पुं॰—पुनर्-अपगमः—-— दोबारा चले जाना
पुनरुत्पादनम् —नपुं॰—पुनर्-उत्पादनम्—-—फिर उपजाना, पैदा करना
पुनःक्रिया —स्त्री॰—पुनर्-क्रिया—-—आवृत्ति करना, दोहराना
पुनर्नवा —स्त्री॰—पुनर्-नवा—-—एक प्रकार का शाक जिसकी पत्तियाँ गोल लाल रंग की होती हैं
पुनःस्नानम् —नपुं॰—पुनर्-स्नानम्—-— दोबारा नहाना
पुपूषा —स्त्री॰—-—पू+स्+अ, धातोर्द्वित्वम्—पवित्र करने की इच्छा
पुरनारी —स्त्री॰,ष॰त॰—-—-—नगरवेश्या
पुरंध्रिका —स्त्री॰—-—पुर्+धृ+खच्, स्वार्थे कन्—पत्नी
पुरस्कारः —पुं॰—-—पुरस्+कृ+घञ्—प्रस्तुत करना, परिचय देना
पुरस्कारः —पुं॰—-—पुरस्+कृ+घञ्—अपनेआप को प्रकट करना
पुरस्कृत्य —अ॰—-—पुरस्+कृ+ल्यप्—कृते, के विषय में उल्लेख करके, के कारण
पुरोभोक्तका —स्त्री॰—-—-—प्रातराश, नाश्ता
पुराण —वि॰—-—पुरा नवम्+नि॰—पुराना
पुराण —वि॰—-—पुरा नवम्+नि॰—बूढ़ा
पुराण —वि॰—-—पुरा नवम्+नि॰—घिसा पिटा
पुराणम् —नपुं॰—-—-—बीती हुई घटना
पुराणम् —नपुं॰—-—-—विख्यात धार्मिक पुस्तके जो गिनती में १८ हैं, तथा व्यास द्वारा रचित मानी जाती हैं
पुराणान्तरम् —नपुं॰—पुराण-अन्तरम्—-— दूसरा पुराण
पुराणप्रोक्त —वि॰—पुराण-प्रोक्त—-—पुराणों में कहा हुआ
पुराणप्रोक्त —वि॰—पुराण-प्रोक्त—-—प्राचीनों द्वारा बतलाया हुआ
पुराणविद्या —स्त्री॰—पुराण-विद्या—-—पुराणों का ज्ञान, पुराणों में वर्णित पाण्डित्य
पुराषाट् —पुं॰—-—-—अनकों का विजेता, बहुतों को हराने वाला
पुरीषभेदः —पुं॰—-—पृ+ईषन्, किच्च+भिद्+घञ्—अतिसार, दस्त लगना, संग्रहणी
पुरुकृत् —वि॰—-—-— अचूक प्रभावशाली
पुरुकृत्वन् —वि॰—-—-— अचूक प्रभावशाली
पुरुषः —पुं॰—-— पुरि देहे शेते शी+ड पृषो॰—नर, मनुष्य
पुरुषः —स्त्री॰—-— पुरि देहे शेते शी+ड पृषो॰—आत्मा
पुरुषमानिन् —वि॰—पुरुष-मानिन्—-—अपने आपको साहसी प्रकट करने वाला
पुरुषशीर्षकः —पुं॰—पुरुष-शीर्षकः—-—एक प्रकार का शस्त्र जिसका प्रयोग चोर सेंध लगाने में करते है
पुरुषसारः —पुं॰—पुरुष-सारः—-—श्रेष्ठतम नर
पुलकः —पुं॰—-—पुल्+ण्वल्— गुच्छा, झूंड
पुलिन्दः —पुं॰—-—-— शिकारी
पुलिन्दः —पुं॰ब॰व॰—-—-—एक जंगली जाति
पुल्कसः —पुं॰—-—-—एक मिश्रित जाति का नाम
पुष्ट —वि॰—-—पुष्+क्त—पाला-पोसा
पुष्ट —वि॰—-—पुष्+क्त—फलता-फूलता
पुष्ट —वि॰—-—पुष्+क्त—समृद्ध
पुष्ट —वि॰—-—पुष्+क्त—पूर्ण
पुष्टाङ्ग —वि॰—पुष्ट-अंङ्ग—-—मोटे अंगो वाले, जिसे अच्छे पदार्थ भोजन में मिलते रहे हैं
पुष्टार्थ —वि॰—पुष्ट-अर्थ—-—जो अर्थ की दृष्टि से पूर्णतः स्पष्ट हो
पुष्टिः —स्त्री॰—-—पुष्+क्तिन्—बहुत से अनुष्ठानों का नाम जो कल्याण की दृष्टि से किये जाते हैं, पुष्टिकर्म
पुष्टिमार्गः —पुं॰—पुष्टि-मार्गः—-—बल्लभाचार्य द्वारा माने गये सिद्धान्तों का समुच्चय
पुष्करम् —नपुं॰—-—पुष्कं पुष्टिं राति+रा+क—नीला कमल
पुष्करम् —नपुं॰—-—पुष्कं पुष्टिं राति+रा+क—हाथी के सूँड का किनारा
पुष्करविष्टरः —पुं॰—पुष्करम्-विष्टरः—-—ब्रह्मा, परमेश्वर
पुष्करविष्टरा —स्त्री॰—पुष्करम्-विष्टरा—-—लक्ष्मी देवी
पुष्पम् —नपुं॰—-—पुष्प्+अच्—फूल
पुष्पम् —नपुं॰—-—पुष्प्+अच्—पुष्परागमणि
पुष्पम् —नपुं॰—-—पुष्प्+अच्—कुबेर का रथ
पुष्पाम्बु —नपुं॰—पुष्पम्-अम्बु—-—फूलों का शहद
पुष्पास्तरकः —पुं॰—पुष्पम्-आस्तरकः—-—फूलों से सजावट करने की कला
पुष्पास्तरणम् —नपुं॰—पुष्पम्-आस्तरणम्—-—फूलों से सजावट करने की कला
पुष्पपदवी —स्त्री॰—पुष्पम्-पदवी—-—कपाटिका
पुष्पयमकम् —नपुं॰—पुष्पम्-यमकम्—-—अनुप्रास अलंकार का एक भेद
पुष्पधः —पुं॰—-—-—जाति से बहिष्कृत महिला में ब्राह्मण द्वारा उत्पादित संतान
पुष्परागः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—एक प्रकार की मणि
पुस्तम् —नपुं॰—-—पुस्त्+अच्—कोई वस्तु जो मिट्टी, लकड़ी या धातु की बनी हो
पुस्तम् —नपुं॰—-—पुस्त्+अच्—पुस्तक, हस्तलिखित, पांडुलिपि
पुस्तपालः —पुं॰—पुस्तम्-पालः—-—भू-अभिलेखों को सुरक्षा पूर्वक रखने वाला
पुस्तकः —पुं॰—-—पुस्त्+कन्—पाण्डुलिपि
पुस्तकः —पुं॰—-—पुस्त्+कन्—एक उभरा हुआ आभूषण
पुस्तकम् —नपुं॰—-—पुस्त्+कन्—पाण्डुलिपि
पुस्तकम् —नपुं॰—-—पुस्त्+कन्—एक उभरा हुआ आभूषण
पुस्तकागारम् —नपुं॰—पुस्तक-आगारम्—-—पुस्तकालय
पुस्तकास्तरणम् —नपुं॰—पुस्तक-आस्तरणम्—-—बस्ता, वह कपड़ा जिसमें पुस्तकें बाँधी जाती हैं
पुस्तकमुद्रा —स्त्री॰—पुस्तक-मुद्रा—-—एक प्रकार की तांत्रिक मुद्रा
पूतक्रतुः —पुं॰,ब॰स॰—-—-—इन्द्र का विशेषण
पूगी —स्त्री॰—-—-—सुपारी का पेड़
पूजा —स्त्री॰—-—पूज्+अ—आदर, सम्मान, पूजा
पूजोपकरणम् —नपुं॰—पूजा-उपकरणम्—-—पूजा करने का समान
पूजागृहम् —नपुं॰—पूजा-गृहम्—-— गार्ह्य पूजा का स्थान
पूयः —पुं॰—-—पूय्+अच्—मवाद, किसी फोड़े या फुंसी से निकलने वाला, पीप
पूयोदः —पुं॰—पूय-उदः—-—एक प्रकार का नरक
पूयवहः —पुं॰—पूय-वहः—-—एक प्रकार का नरक
पूरक —वि॰—-—पूर्+ण्वुल्—भरने वाला, पूरा करने वाला
पूरकः —पुं॰—-—पूर्+ण्वुल्— बाढ़, जलप्लावन
पूर्ण —वि॰—-—पुर्+क्त—सर्वव्यापक, सर्वत्र उपस्थित
पूर्णाभिषेकः —पुं॰—पूर्ण-अभिषेकः—-—एक प्रकार का धार्मिक स्नान जिसका कौल तंत्र में विधान निहित हैं
पूर्णोत्सङ्गा —वि॰—पूर्ण-उत्सङ्गा—-—ऐसी गर्भवती स्त्री जिसकी थोड़े ही दिनों में बाच्चा होने वाला हैं, आसन्नप्रसवा
पूर्णप्रज्ञः —पुं॰—पूर्ण-प्रज्ञः—-—जिसका ज्ञान पूर्णतः विकसित हो चुका हो
पूर्णप्रज्ञः —पुं॰—पूर्ण-प्रज्ञः—-—द्वैत संप्रदाय के प्रवर्तक माधव का विशेषण
पूर्व —वि॰—-—पूर्व+अच्—पहला, प्रथम
पूर्व —वि॰—-—पूर्व+अच्—पूर्वी, पूर्वदेश
पूर्व —वि॰—-—पूर्व+अच्—प्राचीन, पहला
पूर्वावसायिन् —वि॰—पूर्व-अवसायिन्—पूर्व+अच्—जो बात पहले घटती हैं
पूर्वनिमित्तम् —नपुं॰—पूर्व-निमित्तम्—-—शकुन
पूर्वनिविष्ट —वि॰—पूर्व-निविष्ट—-— जो पहले ही रचा हुआ हैं
पूर्वपश्चात् —अ॰—पूर्व-पश्चात्—-—पूर्व से लेकर पश्चिम तक
पूर्वमारिन् —वि॰—पूर्व-मारिन्—-—पति (या पत्नी) से पहले मरने वाला
पूर्वविद् —वि॰—पूर्व-विद्—-—जो भूतकाल की बात जानता हो
पूर्वविप्रतिषेधः —पुं॰—पूर्व-विप्रतिषेधः—-—पहली उक्ति का विरोध करने वाला कथन
पूर्वविहित —वि॰—पूर्व-विहित—-—जो पहले ही निर्णीत हो चुका हो
पूषानुजः —पुं॰—-—पूषन्+अनुजः—वृष्टि का देवता
पृणाका —स्त्री॰—-—-—किसी जानवर का मादा-बच्चा
पृतनापतिः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—सेनापति
पृथक् —अ॰—-—प्रथ्+अज्, कित्, संप्रसारणम्—अलग
पृथक् —अ॰—-—-—के बिना, के सिवाय
पृथक्कार्यम् —नपुं॰—पृथक्-कार्यम्—-—अलग काम
पृथक्धार्मिन् —वि॰—पृथक्-धार्मिन्—-— जो द्वैत सिद्धान्त को मानने वाला है
पृथक्बीजः —पुं॰—पृथक्-बीजः—-—भिलावा
पृथक्योगकरणम् —नपुं॰—पृथक्-योगकरणम्—-—एक व्याकरणनियम का दो भागों में जुदा जुदा करना
पृथक्त्वनिवेशः —पुं॰—-—-— जुदाई पर डटे रहना
पृथ्वीभृत् —पुं॰—-—पृथिवीं बिभर्तीति+भृ+क्विप्—पर्वत, पहाड़
पृथु —वि॰—-—प्रथ्+कु, संप्रसारणम्—विशाल, विस्तृत
पृथु —वि॰—-—प्रथ्+कु, संप्रसारणम्—प्रचुर पुष्कल
पृथु —वि॰—-—प्रथ्+कु, संप्रसारणम्—बड़ा
पृथु —वि॰—-—प्रथ्+कु, संप्रसारणम्—असंख्य
पृथुकीर्ति —वि॰—पृथु-कीर्ति—-— दूर-दूर तक विख्यात
पृथुदर्शिन् —वि॰—पृथु-दर्शिन्—-— दूरदर्शी, दीर्घदृष्टि
पृश्नि —वि॰—-—स्पृश् नि॰ किच्च पृषो॰ सलोपः—ठिगना
पृश्नि —वि॰—-—स्पृश् नि॰ किच्च पृषो॰ सलोपः—सुकुमार
पृश्नि —वि॰—-—स्पृश् नि॰ किच्च पृषो॰ सलोपः—चितकबरा
पृश्निः —स्त्री॰—-—स्पृश् नि॰ किच्च पृषो॰ सलोपः—चितकबरी गाय
पृश्निः —स्त्री॰—-—स्पृश् नि॰ किच्च पृषो॰ सलोपः—पृथ्वी
पृषत्कः —पुं॰—-—पृष्+अति=पृषत्+कन्—गोल धब्बा
पृषत्कः —पुं॰—-—पृष्+अति=पृषत्+कन्—चाप की शरज्या
पृष्ठम् —नपुं॰—-—पृष्+ (स्पृश्)+थक् नि॰—पीठ
पृष्ठम् —नपुं॰—-—पृष्+ (स्पृश्)+थक् नि॰—पुस्तक के पत्र का एक पार्श्व
पृष्ठम् —नपुं॰—-—पृष्+ (स्पृश्)+थक् नि॰— शेष
पृष्ठाक्षेपः —पुं॰—पृष्ठम्-आक्षेपः—-—पीठ में
पृष्ठगामिन् —वि॰—पृष्ठम्-गामिन्—-—स्वामिभक्त, अनुचर
पृष्ठतापः —पुं॰—पृष्ठम्-तापः—-—मध्याह्न, दोपहर
पृष्ठभङ्गः —पुं॰—पृष्ठम्-भङ्गः—-—युद्ध में लड़ने की एक रीति
पृष्ठयम् —नपुं॰—-—पृष्ठ+यत्—मेरुदण्ड
पृष्ठयम् —नपुं॰—-—पृष्ठ+यत्—सामसंग्रह
पेचकः —पुं॰—-—पच्+वुन्, इत्वम्—मार्ग में बना यात्रियों के लिए शरणगृह
पेट्टालः —पुं॰—-—-—टोकरा, पेटी
पेट्टालम् —नपुं॰—-—-—टोकरा, पेटी
पेट्टालकः —पुं॰—-—-—टोकरा, पेटी
पेट्टालकम् —नपुं॰—-—-—टोकरा, पेटी
पेण्डः —पुं॰—-—-—मार्ग, रास्ता
पेलिनी —स्त्री॰—-—पेल+इनि, स्त्रियां ङीप्—गांठगोभी, पातगोभी
पेशस् —नपुं॰—-—पेश+असिच्—रूप
पेशस्कारिन् —पुं॰—पेशस्-कारिन्—-—भिर्र
पेशस्कारिन् —पुं॰—पेशस्-कारिन्—-—सुनार
पेशस्कृत् —पुं॰—पेशस्-कृत्—-—हाथ
पेशस्कृत् —पुं॰—पेशस्-कृत्—-—भिर्र
पेशिः —स्त्री॰—-—पिश्+इन्—छाछ, तक्र
पेषीकृ —तना॰उभ॰—-—-—कुचलना, पीस देना
पैङ्गलः —पुं॰—-—पिङ्गल+अण्—पिंगल का पुत्र या शिष्य
पैङ्गलम् —नपुं॰—-—पिङ्गल+अण्—पिंङ्गल मुनि कृत पुस्तिका
पैतापुत्रीय —वि॰—-—पितापुत्र+छ— पिता और पुत्र से सम्बन्ध रखने वाला
पैंप्पलादः —पुं॰—-—पिप्पलाद+अण्—अथर्ववेद की एक शाखा
पैशुनिक —वि॰—-—पिशुन+ठक्—मिथ्यानिन्दात्मक, अपवाद परक
पोतायितम् —नपुं॰—-—पू+तन्=पोत+क्यच्+क्त— शिशु की भाँति आचरण करना
पोतायितम् —नपुं॰—-—पू+तन्=पोत+क्यच्+क्त—होठ और तालु की सहायता से उच्चरित, हाथी की चिंघाड़
पोत्रिप्रवरः —पुं॰—-—पू+त्र=पोत्र+इनि=पोत्रिन्, तेषु प्रवरः—विष्णु भगवान वाराहावतार
पोप्लूयमान —वि॰—-—प्लू+यङ्+शानच्, द्वित्वम्—बार-बार तैरता हुआ, लगातार तैरने वाला, या बहने वाला
पौण्ड्रवर्धनः —पुं॰—-—-— बिहार प्रदेश का नाम
पौत्रजीविकम् —नपुं॰—-—-—पुत्रं जीव पौधे के बीजों से बना ताबीज
पौरन्ध्र —वि॰—-—पुरन्ध्र+अण्—स्त्रीवाची, नारीजातीय
पौषधः —पुं॰—-—-—उपवास का दिन
प्रउगम् —नपुं॰—-—-—त्रिकोण
प्रकच —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसके बाल सीधे खड़े हों
प्रकाङ्क्षा —स्त्री॰—-—प्र+काङ्क्ष्+अङ्—भूख, बुभुक्षा
प्रकाशः —पुं॰—-—प्र+काश्+घञ्—ज्ञान
प्रकाशकरः —पुं॰—प्रकाशः-करः—-—प्रकट करने वाला, व्यक्त करने वाला
प्रकृ —तना॰उभ॰—-—-—विवेक करना, भेद करना
प्रकरः —पुं॰—-—प्र+कृ+अच्—धोना, माँजना, साफ करना
प्रकरणम् —नपुं॰—-—प्र+कृ+ल्युट्—प्रसंग
प्रकरणसमः —पुं॰—प्रकरणम्-समः—-—समान औचित्य और समान बल के दो तर्क
प्रकर्म —नपुं॰—-—-—मैथुन, संभोग
प्रकृतिः —स्त्री॰—-—प्र+कृ+क्तिन्—परम पुरुष परमात्मा के आठ रूप
प्रकृत्यमित्रः —पुं॰—प्रकृतिः-अमित्रः—-—सामान्य शत्रु
प्रकृतिकल्याण —वि॰—प्रकृतिः-कल्याण—-—नैसर्गिक सौन्दर्य से युक्त, स्वाभाविक सुन्दर
प्रकृतिभोजनम् —नपुं॰—प्रकृतिः-भोजनम्—-—यथारीति आहार, यथावत् भोजन
प्रकृतिमत् —वि॰—-—प्रकृति+मतुप्—नैसर्गिक, सामान्य
प्रकृतिमत् —वि॰—-—प्रकृति+मतुप्—सात्त्विक वृत्ति का महानुभाव
प्रक्रिया —स्त्री॰—-—प्र+कृ+श—योग, नुस्खा
प्रकृष् —तुदा॰पर॰—-—-—वेग से खींचना
प्रकर्षः —पुं॰—-—प्र+कृष्+घञ्—विश्वजनीन
प्रकर्षित —वि॰—-—प्र+कृष्+णिच्+क्त—फैलाया हुआ, बाहर निकाला हुआ
प्रक्रमः —पुं॰—-—प्र+क्रम+घञ्—चर्चा के बिन्दु पर पहुँचना
प्रक्रमनिरुद्ध —वि॰—प्रक्रम-निरुद्ध—-—आरंभ में ही रुका हुआ
प्रक्षपणम् —नपुं॰—-—प्र+क्षि+णिच्+ल्युट्, प्रगागमः—विनाश
प्रख्या —स्त्री॰—-—प्र+ख्या+अङ्+टाप्—उज्वलता, आभा, कान्ति
प्रगुणीभू —प्रगुण-च्वि-भू-भ्वा॰पर॰—-—-—अपने आप को योग्य बनाना, पात्रता प्राप्त करना
प्रग्रहः —पुं॰—-—प्र+ग्रह्+अप्—राजसभासदों को उपहार
प्रग्रहः —पुं॰—-—प्र+ग्रह्+अप्—जोड़ के रखना
प्रग्रहः —पुं॰—-—प्र+ग्रह्+अप्—घृष्टता
प्रचकित —वि॰—-—प्र+चक्+क्त—भय के कारण थर-थर काँपता हुआ
प्रचण्ड —वि॰,प्रा॰स॰—-—-—प्रखर, अत्यन्त तीव्र
प्रचण्डप्रतापः —पुं॰—प्रचण्ड-प्रतापः—-—शक्तिशाली तेज
प्रचण्डभैरवः —पुं॰—प्रचण्ड-भैरवः—-—एक नाटक का नाम
प्रचर्या —स्त्री॰—-—प्र+चर्+यत्+टाप्—प्रक्रिया
प्रचारः —पुं॰—-—प्र+चर्+घञ्—सरकारी घोषणा, सार्वजनिक उद्घोष
प्रचलित —वि॰—-—प्र+चल्+क्त—घबराया हुआ
प्रचलितम् —नपुं॰—-—प्र+चल्+क्त—बिदाई, विसर्जन
प्रचला —स्त्री॰—-—प्र+चल्+अच्+टाप्—गिरगिट
प्रचुरपरिभवः —पुं॰,क॰स॰—-—-—भारी अपमान, बड़ा तिरस्कार
प्रच्छन्नबौद्धः —पुं॰—-—-—वेदान्त के वेश में छिपा हुआ बौद्ध
प्रच्यावुक —वि॰—-—प्र+च्यु+उकञ्—क्षणभंगुर, सहज में टूट जाने वाला, भिदुर
प्रजननकुशल —वि॰—-—-— प्रसूति कार्य में दक्ष
प्रजा —स्त्री॰—-—प्र+जन्+ड+टाप्—संवत्सर
प्रजागरणम् —नपुं॰—-—प्र+जागृ+ल्युट्—जागते रहना
प्रजृम्भ् —भ्वा॰आ॰—-—-—जम्हाई लेना
प्रज्ञप्त —वि॰—-—प्र+ज्ञा+णिच्+क्त—आदिष्ट, आज्ञा दिया हुआ
प्रज्ञप्त —वि॰—-—प्र+ज्ञा+णिच्+क्त—व्यवस्थित
प्रज्ञा —स्त्री॰—-—प्र+ज्ञा+अङ्+टाप्—प्रकृष्ट बुद्धि
प्रज्ञास्त्रम् —नपुं॰—प्रज्ञा-अस्त्रम्—-—एक अस्त्र का नाम
प्रज्ञास्त्रम् —नपुं॰—प्रज्ञा-अस्त्रम्—-—बुद्धि रूपी शस्त्र
प्रज्ञाघनः —पुं॰—प्रज्ञा-घनः—-— केवल बुद्धि
प्रज्ञापारमिता —स्त्री॰—प्रज्ञा-पारमिता—-—पारदर्शी गुण
प्रज्ञामात्रा —स्त्री॰—प्रज्ञा-मात्रा—-—ज्ञानेन्द्रिय
प्रणमित —वि॰—-—प्र+नम्+णिच्+क्त—झुकाया हुआ, नमस्कार करने के लिए जिसका सिर झुकाया गया हैं
प्रणाय्य —वि॰—-—प्र+नी+ण्यत्—योग्य, उपयुक्त
प्रणिधिः —पुं॰—-—प्र+नि+धा+कि—हाथी को हाँकने की रीति
प्रणिधेयम् —नपुं॰—-—प्र+नि+धा+यत्—गुप्तचर भेजना
प्रणिधेयम् —नपुं॰—-—प्र+नि+धा+यत्—काम पर लगाना, उपयोग में लाना
प्रणयः —पुं॰—-—प्र+नी+अच्—विवाह
प्रणयः —पुं॰—-—प्र+नी+अच्—मैत्री
प्रणयः —पुं॰—-—प्र+नी+अच्—अनुग्रह
प्रणयः —पुं॰—-—प्र+नी+अच्—विनय
प्रणयमानः —पुं॰—प्रणय-मानः—-—प्रेम के कारण ईर्ष्या
प्रणयविमुख —वि॰—प्रणय-विमुख—-—प्रेम के विपरीत
प्रणयविमुख —वि॰—प्रणय-विमुख—-—मैत्री करने मे अनुत्सुक
प्रणयम् —नपुं॰—-—प्र+नी+ल्युट्—देना
प्रणयम् —नपुं॰—-—प्र+नी+ल्युट्—स्थापित करना
प्रणीत —वि॰—-—प्र+नी+क्त—प्रस्तुत किया हुआ
प्रणीत —वि॰—-—प्र+नी+क्त—कार्यान्वित किया हुआ
प्रणीत —वि॰—-—प्र+नी+क्त—सिखलाया हुआ
प्रणीत —वि॰—-—प्र+नी+क्त—लिखा हुआ, रचा हुआ
प्रणीताग्निः —पुं॰—प्रणीत-अग्निः—-—यज्ञ के निमित्त अभिमंत्रित की गई आग
प्रणीतापः —स्त्री॰,ब॰व॰—प्रणीत-आपः—-—पवित्र जल
प्रतन —वि॰—-—प्र+ट्यु, तुट्—पुराना, प्राचीन
प्रतनहविस् —नपुं॰—प्रतन-हविस्—-—आहुति देने केलिए अभिप्रेत पुराना घी
प्रतानः —पुं॰—-—प्र+तनु+घञ्—प्रसार, विस्तार, फैलाव
प्रतपः —पुं॰—-—प्र+तप्+अच्—सूर्य की गर्मी, धूप
प्रतापः —पुं॰—-—प्र+तप्+घञ्—अन्तिम चेतावनी देना
प्रतमाम् —अ॰—-—-—विशेष रूप से, खास तौर से
प्रति —अ॰—-—प्रथ्+डति—धातु के उपसृष्ट होकर
प्रति —अ॰—-—प्रथ्+डति—की ओर, की दिशा में
प्रति —अ॰—-—प्रथ्+डति—वापिस, ब्अदले में, फिर
प्रति —अ॰—-—प्रथ्+डति—के विरुद्ध, के प्रतिकूल
प्रति —अ॰—-—प्रथ्+डति—शब्दों के पूर्व लगकर इसका अर्थ होता हैं
प्रति —अ॰—-—प्रथ्+डति—समानता
प्रति —अ॰—-—प्रथ्+डति—विरुद्ध, विरोध में तथा
प्रति —अ॰—-—प्रथ्+डति—प्रतिद्वन्द्विता
प्रत्यनुप्रासः —पुं॰—प्रति-अनुप्रासः—-—अनुप्रास का एक भेद
प्रत्यरिः —पुं॰—प्रति-अरिः—-—मुकाबले का प्रतिपक्षी
प्रत्यर्कः —पुं॰—प्रति-अर्कः—-—झूठमूठ का सूर्य, बनावटी सूर्य
प्रत्यर्द्र —वि॰—प्रति-आर्द्र—-—बिल्कुल ताजा
प्रत्यासङ्गः —पुं॰—प्रति-आसङ्गः—-—संयोग, संबंध
प्रत्याह्वयः —पुं॰—प्रति-आह्वयः—-—गूँज, प्रतिध्वनि
प्रतिकर्मन् —नपुं॰—प्रति-कर्मन्—-—व्रत और उपवास
प्रतिकारः —पुं॰—प्रति-कारः—-—नकल करना
प्रतिकूलिक —वि॰—प्रति-कूलिक—-—विरोधी
प्रतिक्रिया —स्त्री॰—प्रति-क्रिया—-—व्यवहार, आचरण
प्रतिचक्रम् —नपुं॰—प्रति-चक्रम्—-—शत्रु की सेना
प्रतिदूतः —पुं॰—प्रति-दूतः—-—बदले में भेजा गया दूत या संदेशवाहक
प्रतिविषम् —नपुं॰—प्रति-विषम्—-—विषहर, विष को दूर करने वाला औषध
प्रतिवृषः —पुं॰—प्रति-वृषः—-—विरोधी साँड
प्रतिगद् —भ्वा॰पर॰—-—-—उत्तर देना
प्रतिगरः —पुं॰—-—प्रतिगृ+अच्—ललकार का उत्तर देना
प्रतिघातः —पुं॰—-—प्रतिह्न्+णिच्+अप्—गबन
प्रतिघातः —पुं॰—-—प्रतिह्न्+णिच्+अप्—नाश, अवमान
प्रतिचारः —पुं॰—-—प्रतिचर्+घञ्—व्यक्तिगत बनाव श्रृंगार
प्रतिज्ञा —स्त्री॰—-—प्रति+ज्ञा+अङ्+टाप्—निश्चित समझना
प्रतिज्ञापरिपालनम् —नपुं॰—प्रतिज्ञा-परिपालनम्—-—अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करना
प्रतिज्ञापालनम् —नपुं॰—प्रतिज्ञा-पालनम्—-—अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करना
प्रतिज्ञापारणम् —नपुं॰—प्रतिज्ञा-पारणम्—-—अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करना
प्रतिदुह्य् —नपुं॰—-—-—ताजा दूध
प्रतिदूषित —वि॰—-—प्रतिदुष्+णिच्+क्त—कलुषित, भ्रष्ट, मिलावटी
प्रतिनियमः —पुं॰—-—प्रतिनि+यम्+अच्—पृथक नियतीकरण
प्रतिनिष्क्रयः —पुं॰—-—प्रतिनिस्+क्री+अच्—प्रतिहिंसा, बदला लेना
प्रतिनिष्पूत —वि॰—-—प्रतिनिस्+पू+क्त— साफ किया हुआ, पछोड़ा हुआ
प्रतिपत्तिः —स्त्री॰—-—प्रतिपद्+क्तिन्—प्राप्ति, अवाप्ति
प्रतिपत्तिः —स्त्री॰—-—प्रतिपद्+क्तिन्—प्रत्यक्षीकरण, अवेक्षण
प्रतिपत्तिः —स्त्री॰—-—प्रतिपद्+क्तिन्—यथार्थ ज्ञान
प्रतिपत्तिः —स्त्री॰—-—प्रतिपद्+क्तिन्—स्वीकृति
प्रतिपत्तिः —स्त्री॰—-—प्रतिपद्+क्तिन्—आरम्भ
प्रतिपत्तिः —स्त्री॰—-—प्रतिपद्+क्तिन्—सङ्कल्प
प्रतिपत्तिः —स्त्री॰—-—प्रतिपद्+क्तिन्—समाचार
प्रतिपत्तिः —स्त्री॰—-—प्रतिपद्+क्तिन्—उपाय
प्रतिपत्तिः —स्त्री॰—-—प्रतिपद्+क्तिन्—बुद्धि
प्रतिपत्तिः —स्त्री॰—-—प्रतिपद्+क्तिन्—उन्नति
प्रतिपत्तिः —स्त्री॰—-—प्रतिपद्+क्तिन्—प्रयोग
प्रतिपत्तिः —स्त्री॰—-—प्रतिपद्+क्तिन्—प्रसिद्धि
प्रतिपत्तिः —स्त्री॰—-—प्रतिपद्+क्तिन्—विश्वासी
प्रतिपत्तिपराङ्मुख —वि॰—प्रतिपत्ति-पराङ्मुख—-—ढीठ, न दबने वाला
प्रतिपत्तिप्रदानम् —नपुं॰—प्रतिपत्ति-प्रदानम्—-—उन्नत पद अर्पण करना
प्रतिपत्पाठः —पुं॰—-—-— प्रतिपदा वाले अनध्याय दिन के पढ़ना
प्रतिपादित —वि॰—-—प्रति+पद्+णिच्+क्त—प्रकट किया गया
प्रतिपाद्य —वि॰—-—प्रतिपद्+णिच्+ण्यत्—चर्चा करने के योग्य, व्यवहार में लाने के योग्य
प्रतिपाद्यमान —वि॰—-—प्रतिपद्+णिच्+य+शानच्—दिया जाता हुआ, उपहृत किया जाता हुआ
प्रतिपाद्यमान —वि॰—-—प्रतिपद्+णिच्+य+शानच्—व्यवहृत किया जाता हुआ
प्रतिपाद्यमान —वि॰—-—प्रतिपद्+णिच्+य+शानच्—चर्चा के अन्तर्गत
प्रतिपानम् —नपुं॰—-—प्रतिपा+ल्युट्—पीने का पानी
प्रतिपूर्ण —वि॰—-—प्रति पृ+क्त—प्रसारित, फैलाया हुआ, प्रशस्त
प्रतिबन्दी —स्त्री॰—-—-—प्रत्यारोप, प्रत्युत्तर
प्रतिब्रू —अदा॰पर॰—-—-—उत्तर देना
प्रतिब्रू —अदा॰आ॰—-—-—मुकर जाना
प्रतिभा —स्त्री॰—-—प्रति+भा+क+टाप्—उचाटपना, ध्यानापकर्षण
प्रतिभोजनम् —नपुं॰—-—प्रतिभुज्+ल्युट्—विहित पथ्य, नियत किया हुआ आहार
प्रतिमागृहम् —नपुं॰,ष॰त॰—-—-—मूर्त्तियों का घर
प्रतियातनिद्र —वि॰,ब॰स॰—-—-—जागा हुआ, जागरूक
प्रतियातबुद्धि —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसे याद आ गई हो
प्रतियोगः —पुं॰—-—प्रति युज्+घञ्—प्रत्युत्तर, प्रत्युक्ति वचन
प्रतियोद्धृ —वि॰—-—प्रति+युध्+तृच्—युद्ध में प्रतिपक्षी
प्रतिरूढ —वि॰—-—प्रति+रुह्+क्त—प्रविष्ट, अधिकृत
प्रतिरूढ —वि॰—-—प्रति+रुह्+क्त—स्थापित
प्रतिवक्तव्य —वि॰—-—प्रति+वच्+तव्यत्—उत्तर दिये जाने के योग्य
प्रतिवक्तव्य —वि॰—-—प्रति+वच्+तव्यत्—वादविवाद किये जाने के योग्य
प्रतिविधातव्यम् —भाव॰क्रि॰—-—-—ध्यान रखना चाहिए
प्रतिविशेषः —पुं॰,प्रा॰स॰—-—-—विशेषता, विलक्षणता
प्रतिव्याहारः —पुं॰—-—प्रति वि+आ+हृ+घञ्—उत्तर, जवाब
प्रतिशीर्षकम् —नपुं॰,प्रा॰स॰—-—-—निष्कृतिधन, बन्दी मोचन धन
प्रतिश्रयः —पुं॰—-—प्रति+श्रि+अच्—आश्रम, मठ
प्रतिषेधः —पुं॰—-—प्रति+सिध्+घञ्—निषेधात्मकता का ध्यान दिलाना
प्रतिषेधः —पुं॰—-—प्रति+सिध्+घञ्—बाधा
प्रतिष्ठा —स्त्री॰—-—प्रति+स्था+अङ्+टाप्—व्रत की पूर्ति
प्रतिष्ठापनम् —नपुं॰—-—प्रति+स्था+णिच्+ल्युट्—समर्थन्
प्रतिष्ठासु —वि॰—-—प्रति+स्था+सन्+उ—कहीं पर बस जाने का इच्छुक
प्रतिष्ठित —वि॰—-—प्रति+स्था+णिच्+क्त—पूरा किया हुआ
प्रतिसंयात —वि॰—-—प्रतिसम्+या+क्त—आक्रमण कारी, हमला करने वाला
प्रतिसंरुद्ध —वि॰—-—प्रतिसम्+रुध+क्त—संकुचित किया हुआ
प्रतिसंक्रमः —पुं॰—-—प्रतिसम्+क्रम्+अच्—विच्छेद, विघटन
प्रतिसङ्ख्यानम् —नपुं॰—-—प्रतिसम्+ख्या+ल्युट्—किसी बात का शान्तिपूर्वक विचार करना
प्रतिसङ्ख्यानम् —नपुं॰—-—प्रतिसम्+ख्या+ल्युट्—सांख्य दर्शन
प्रतिसन्मासित —वि॰—-—प्रतिमास्+इतच्—समीकृत, बराबर किया हुआ
प्रतिसरबन्धः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—किसी भी मंगलमय कार्य के आरम्भ के अवसर पर हाथ की कलाई पर राखी या पहुँची बाँधना
प्रतिस्वम् —अ॰—-—-—एक-एक करके, एकैकशः
प्रतिहत —वि॰—-—प्रति+हन्+क्त—चौंधियायी हुई
प्रतिहत —वि॰—-—प्रति+हन्+क्त—कुण्ठित, ठूंठा
प्रतिहारः —पुं॰—-—प्रति+हृ+घञ्—आगमन की सूचना देना
प्रती —प्रति-इ-अदा॰पर॰—-—-—मुकाबला करना
प्रतीतात्मन् —वि॰—-—प्रति+इत्+आत्मन्—विश्वस्त, दृढ़
प्रतीकम् —नपुं॰—-—प्रति+कन्+नि॰ दीर्घः—चिह्न
प्रतीकम् —नपुं॰—-—प्रति+कन्+नि॰ दीर्घः—प्रतिलिपि
प्रतीकदर्शनम् —नपुं॰—प्रतीकम्-दर्शनम्—-—चिह्नपरक संकल्पना
प्रतीचीन —वि॰—-—प्रतञ्च+ख, अलोपः, नलोपः, दीर्घश्च—अन्तर्मुखी, अन्दर की ओर मुड़ा हुआ
प्रतीपदीपकम् —नपुं॰—-—-—दीपक अलंकार का एक भेद
प्रतूलिका —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार की शय्या
प्रत्यक्ष —वि॰—-—अक्ष्णः प्रति—आँखों को जो दिखाई दे, दर्शनीय
प्रत्यक्ष —वि॰—-—अक्ष्णः प्रति—नयनगोचर
प्रत्यक्ष —वि॰—-—अक्ष्णः प्रति—स्पष्ट, साफ
प्रत्यक्षपर —वि॰—प्रत्यक्ष-पर—-—प्रत्यक्ष को ही उत्तम परिणाम मानने वाला
प्रत्यक्षविधानम् —नपुं॰—प्रत्यक्ष-विधानम्—-—स्पष्ट विधि, स्पष्ट आदेश
विषयीभू —भ्वा॰पर॰—-—-—दृष्टिपरास के अन्तर्गत आना
प्रत्यक्षरम् —अ॰—-—-—प्रत्येक अक्षर पर
प्रत्यक्प्रवण —वि॰—-—प्रत्यञ्च्+प्रवण—आत्मोन्मुख, एक त्रात्मा का भक्त
प्रत्यभिज्ञादर्शनम् —नपुं॰—-—-—शैवदर्शन पर लिख गया एक ग्रन्थ
प्रत्यभिनन्द —भ्वा॰चुरा॰पर॰—-—-—बदले में नमस्कार करना
प्रत्यभिनन्द —भ्वा॰चुरा॰पर॰—-—-—स्वागत करना
प्रत्यभ्युत्थानम् —नपुं॰—-—प्रति+अभि+उद्+स्था+ल्युट्—अतिथि का स्वागत करने के लिए अपने आसन से उठना
प्रत्ययः —पुं॰—-—प्रति+इ+अच्—इन्द्रियों का कार्य
प्रत्यर्चनम् —नपुं॰—-—प्रति+अर्च्+ल्युट्—बदले में नमस्कार करना
प्रत्यवकर्शन —वि॰—-—प्रति+अव+कृश्+स्युट्—विफलकर, संहारकारी
प्रत्यवस्थापनम् —नपुं॰—-—प्रति+अव+स्था+णिच्+ल्युट्—सुखद, विश्रान्तिदायक, स्फूर्तिजनक
प्रत्यवेक्षणा —स्त्री॰—-—प्रति+अव+ईक्ष्+युच्+टाप्—पाँच प्रकार के ज्ञानों में से एक
प्रत्यस्त —वि॰—-—प्रति+अस्+क्त—फेंका हुआ, छोड़ा हुआ
प्रत्याचक्षाणक —वि॰—-—प्रति+आ+चक्ष्+शानच्, स्वार्थे कन्—निरकरण करने की इच्छा वाला, आक्षेप करने का इच्छुक
प्रत्यापन्न —वि॰—-—प्रति+आ+पद्+क्त—वापिस आया हुआ, फिर से एकत्र किया हुआ
प्रत्यापन्न —वि॰—-—प्रति+आ+पद्+क्त—बहकाया हुआ, बदले हुए मन वाला, विपरीत दृष्टी कोण वाला
प्रत्यासत्तिः —स्त्री॰—-—प्रति+आ+सद्+क्तिन्—प्रसन्नता हर्षोत्फुल्लता
प्रत्याहारः —पुं॰—-—प्रति+आ+हृ+घञ्—प्रस्तावना या आमुख, का विशेष भाग
प्रत्युत्पन्नजातिः —स्त्री॰—-—-—गुणा सहित समीकरण
प्रत्युपस्थित —वि॰—-—प्रति+उप+स्था+क्त—समूहगत
प्रत्युपस्थित —वि॰—-—प्रति+उप+स्था+क्त—एकत्र होना, दबाव होना
प्रत्युपस्थित —वि॰—-—प्रति+उप+स्था+क्त—विमुख, विपरीत हुआ
प्रत्यूढ —वि॰—-—प्रति+वह्+क्त—प्रत्याख्यात्म् अस्वीकृत
प्रत्यूढ —वि॰—-—प्रति+वह्+क्त—उपेक्षित
प्रत्यूढ —वि॰—-—प्रति+वह्+क्त—मात दिया हुआ
प्रथमकविः —पुं॰—-—-—वाल्मीकि का विशेषण
प्रदक्षिण —वि॰,प्रा॰स॰—-—-—चतुर, दक्ष, निपुण
प्रदा —जुहो॰उभ॰—-—-—ऋण परिशोध करना
प्रदानम् —नपुं॰—-—प्र+दो+ल्युट्—खण्डन करना, निराकरण करना
प्रदानकृपण —वि॰—-—प्र+दा+ल्युट्, प्रदाने कृपणः त॰ स॰—दरिद्र, उपहारादि समय पर न देने वाला
प्रदेशः —पुं॰—-—प्र+दिश्+घञ्—स्वातंत्र्य के क्षेत्र में एक बाधा
प्रदेहनम् —नपुं॰—-—प्र+दिह्+ल्युट्—लीपना, पोतना
प्रधानाङ्गणम् —नपुं॰,ष॰त॰—-—-—युद्ध का अग्रभाग
प्रधानकारणवादः —पुं॰—-—-—सांख्य का सिद्धान्त कि प्रधान ही मूल कारण हैं
प्रधानवादिन् —वि॰—-—-—जो व्यक्ति सांख्य के प्रधान कारण को मानने वाला हैं
प्रधावितिका —स्त्री॰—-—-—बच कर निकल भागने का मार्ग
प्रपञ्चः —पुं॰—-—प्र+पञ्च्+घञ्—हास्यास्पद वार्तालाप
प्रपतनम् —नपुं॰—-—प्र+पत्+ल्युट्—आक्रमण, धावा
प्रपुराण —वि॰,प्रा॰सा॰—-—-—अत्यन्त पुराणा
प्रपूरणम् —नपुं—-—प्र+पृ+ल्युट्—धनुष की डोरी को झुकाना, और बाँध देना
प्रबुद्धता —स्त्री॰—-—प्र+बुध्+क्त+ता —प्रज्ञा, बुद्धि
प्रभग्न —वि॰—-—प्र+भज्+क्त—टूटकर टुकड़े-टुकड़े हुआ, कुचला हुआ, हराया हुआ
प्रभद्रक —वि॰—-—-—अत्यन्त सुन्दर
प्रभवः —पुं॰—-—प्र+भू+अप्—समृद्धि
प्रभा —स्त्री॰—-—प्र+भा+अङ्+टाप्—पद्मरागमणि
प्रभाभिद् —वि॰—प्रभा-भिद्—-—उज्जवल
प्रभातकरणीयम् —नपुं॰,स॰त॰—-—-—प्रातः काल अनुष्ठेय
भावन —वि॰—-—प्र+भू+णिच्+ल्युट्—प्रमुख, प्रभावशाली
भावन —वि॰—-—-—सृजनात्मक सक्ति
प्रभाषित —वि॰—-—प्र+भाष्+क्त—कथित, उद्धोषित
प्रभुसम्मित —वि॰—-—-—स्वामी के समान
प्रभुत्वाक्षेपः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—आदेश के वचन के द्वारा उठाया गया आक्षेप
प्रभेदः —पुं॰—-—प्र+भिद्+घञ्—उदगम् स्थान
प्रमाथिन् —वि॰—-—प्र+मथ्+इनि—नाड़ियों में से रसों का उत्पादक
प्रमद्वरा —स्त्री॰—-—-—रुह नामक मुनि की पत्नी
प्रमहस् —वि॰,ब॰स॰—-—-—बड़ा शक्तिशाली, प्रतापी, तेजस्वी
प्रमाणम् —नपुं॰—-—प्र+मा+ल्युट्—एक प्रकार की माप
प्रमाणानुरूप —वि॰—-—-—किसी व्यक्ति की शारीरिक शक्ति और डीलडौल के अनुरूप
प्रमाणतः —अ॰—-—प्रमाण+तसिल्—माप या तोल के अनुसार
प्रमात्वम् —नपुं॰—-—-—निर्विकल्प प्रत्यक्ष ज्ञान की यथार्थता
प्रमितिः —स्त्री॰—-—प्र+मा+क्तिन्—प्रकटीकरण, अभिव्यक्ति
प्रमोदः —पुं॰—-—प्र+मुद्+घञ्—गुणी पुरुष का हर्ष, उल्लास
प्रमोदः —पुं॰—-—प्र+मुद्+घञ्—एक वर्ष का नाम
प्रयत्नगौरवम् —नपुं॰,ष॰त॰—-—-—यत्नों की गहनता, परिश्रम की गहराई
प्रयतात्मन् —वि॰—-—-—पुनीत मन वाला, जिसने अपने मन को संयत कर लिया हैं
प्रयतमानस् —वि॰—-—-—पुनीत मन वाला, जिसने अपने मन को संयत कर लिया हैं
प्रयतपाणि —वि॰,ब॰स॰—-—-—सम्मान में हाथ जोड़े हुए
प्रयन्तृ —पुं॰—-—-—चालक, उकसाने वाला, भड़काने वाला प्रेरक
प्रया —अदा॰पर॰—-—-—ग्रस्त होना, अपने ऊपर लेना, उठाना
प्रयुक्त —वि॰—-—प्रयुज्+क्त—प्रकल्पित, उपाय द्वारा काम चलाया हुआ
प्रयुक्त —वि॰—-—प्रयुज्+क्त—खींची हुई
प्रयुक्तसत्कार —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसका स्वागत सत्कार किया गया हैं
प्रयोक्तृ —पुं॰—-—प्र+युज्+तृच्—प्रापक, समाहर्ता
प्रयोगः —पुं॰—-—प्र+युज्+घञ्—उपयोग में लाना, इस्तेमाल करना, काम
प्रयोगः —पुं॰—-—प्र+युज्+घञ्—यतथावत् रूप, सामान्य उपयोग
प्रयोगः —पुं॰—-—प्र+युज्+घञ्—फेंकना, फेंक कर मार करना
प्रयोगः —पुं॰—-—प्र+युज्+घञ्—प्रदर्शन, अनुष्ठान
प्रयोगः —पुं॰—-—प्र+युज्+घञ्—अभ्यास, परीक्षणात्मक उपयोग
प्रयोगः —पुं॰—-—प्र+युज्+घञ्—प्रक्रिया क्रम
प्रयोगः —पुं॰—-—प्र+युज्+घञ्—कार्य
प्रयोगः —पुं॰—-—प्र+युज्+घञ्—सस्वर पाठ
प्रयोगः —पुं॰—-—प्र+युज्+घञ्—आरम्भ
प्रयोगः —पुं॰—-—प्र+युज्+घञ्—योजना, तरकीब
प्रयोगः —पुं॰—-—प्र+युज्+घञ्—साधन, उपाय
प्रयोगग्रहणम् —नपुं॰—प्रयोग-ग्रहणम्—-—व्यवहारिक शिक्षण प्राप्त करना
प्रयोगचतुर —वि॰—प्रयोग-चतुर—-—व्यवहार में प्रयुक्त करने में दक्ष, स्वयं अभ्यास करने में होशियार
प्रयोगनिपुण —वि॰—प्रयोग-निपुण—-—व्यवहार में प्रयुक्त करने में दक्ष, स्वयं अभ्यास करने में होशियार
प्रयोगशास्त्रम् —नपुं॰—प्रयोग-शास्त्रम्—-—कल्पसूत्र
प्रयोगविद् —वि॰—प्रयोग-विद्—-—जो किसी वस्तु के व्यवहार को जानता हैं
प्रलम्बबाहु —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसकी भुजाएँ लम्बी हो
प्रलम्बभुज —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसकी भुजाएँ लम्बी हो
प्रलयः —पुं॰—-—प्र+ली+अच्—आध्यात्मिक लय
प्रलयः —पुं॰—-—प्र+ली+अच्—मूर्छा, बेहोशी
प्रलापिता —स्त्री॰—-—प्रलाप+इनि+तल्+टाप्—प्रेम सम्बन्धी बातचीत
प्रलुप्त —वि॰—-—प्र+लुप्+क्त—लूटा हुआ
प्रलुब्ध —वि॰—-—प्र+लुभ्+क्त—ठग, वञ्चक
प्रलुब्ध —वि॰—-—प्र+लुभ्+क्त—लोभ में फँसाया हुआ
प्रलोपः —पुं॰—-—प्र+लुप्+घञ्—नाश, संहार
प्रवणम् —नपुं॰—-—प्र+ल्युट्—पहुँच, पैठ
प्रवणायितम् —नपुं॰—-—प्रवण+क्यच्+क्त—इच्छा, झुकाव
प्रवादः —पुं॰—-—प्र+वद्+घञ्—झूठा आरोप
प्रवर —वि॰—-—प्र+वृ+अप्—मुख्य, प्रधान, श्रेष्ठ, उत्तम
प्रवर —वि॰—-—प्र+वृ+अप्—सबसे बड़ा
प्रवरः —पुं॰—-—प्र+वृ+अप्—बुलावा
प्रवरः —पुं॰—-—प्र+वृ+अप्—अग्निहोत्र के अवसर पर ब्राह्मण द्वारा अग्नि का विशेष आवाहन
प्रवरः —पुं॰—-—प्र+वृ+अप्—पूर्वज
प्रवरः —पुं॰—-—प्र+वृ+अप्—कुल, वंश
प्रवरः —पुं॰—-—प्र+वृ+अप्—गोत्र, प्रवर्त्तक, ऋषि
प्रवरः —पुं॰—-—प्र+वृ+अप्—सन्तति
प्रवरः —पुं॰—-—प्र+वृ+अप्—चादर
प्रवरा —स्त्री॰—-—प्र+वृ+अप्+ टाप्—गोदावरी में गिरने वाली एक नदी
प्रवरम् —नपुं॰—-—प्र+वृ+अप्—अगर की लकड़ी चन्दन
प्रवरधातुः —पुं॰—प्रवर-धातुः—-—मूल्यवान धातु
प्रवरललितम् —नपुं॰—प्रवर-ललितम्—-—एक छन्द का नाम
प्रवासपर —वि॰—-—-—परदेश में रहने का व्यसनी
प्रवास्य —वि॰—-—प्र+वस्+णिच्+ण्यत्—निर्वासित किये जाने के योग्य
प्रवातशयनम् —नपुं॰—-—ऐसे स्थान पर सोना जहाँ खिड़की या वातायनों के द्वारा हवा खूब आती जाती हो—
प्रविचारः —पुं॰—-—प्र+वि+चर्+घञ्—विवेक, प्रभार, जाति, प्रकार
प्रविचारित —वि॰—-—प्रविचार+इतच्— परीक्षित, सावधानतापूर्वक विचार किया गया
प्रवरित —वि॰—-—प्र+त्रि+रम्+क्त—जो किसी बात से पराङ्मुख हो गया हो, दूर रहने वाला
प्रवेशः —पुं॰—-—प्र+विश्+घञ्—रीति, विन्यास
प्रवेशः —पुं॰—-—प्र+विश्+घञ्—रोजगार जैसा कि (मुसलप्रवेशः) में
प्रविषयः —पुं॰—-—-—क्षेत्र, परास, पहुँच
प्रवृत्त —वि॰—-—प्र+वृ+क्त—बहने वाला
प्रवृत्त —वि॰—-—प्र+वृ+क्त—आघात करने वाला, चोट पहुँचाने वाला
प्रवृत्त —वि॰—-—प्र+वृ+क्त—परिचारित, घुमाया हुआ
प्रवृत्तचक्रता —स्त्री॰—प्रवृत्त-चक्रता—-—प्रभुसत्ता @ याज्ञ॰१/२६६
प्रवृत्तिः —स्त्री॰—-—प्र+वृत्त्+क्तिन्—गुणक
प्रवृत्तिः —स्त्री॰—-—प्र+वृत्त्+क्तिन्—उदय, उदगम्
प्रवृत्तिः —स्त्री॰—-—प्र+वृत्त्+क्तिन्—प्रकट होना
प्रवृत्तिः —स्त्री॰—-—प्र+वृत्त्+क्तिन्—आरम्भ
प्रवृत्तिः —स्त्री॰—-—प्र+वृत्त्+क्तिन्—आचरण
प्रवृत्तिः —स्त्री॰—-—प्र+वृत्त्+क्तिन्—काम, रोजगार
प्रवृत्तिः —स्त्री॰—-—प्र+वृत्त्+क्तिन्—प्रयोग
प्रवृत्तिः —स्त्री॰—-—प्र+वृत्त्+क्तिन्—सार्थकता, अर्थ
प्रवृत्तिः —स्त्री॰—-—प्र+वृत्त्+क्तिन्—समाचार
प्रवृत्तिः —स्त्री॰—-—प्र+वृत्त्+क्तिन्—भाग्य, किस्मत
प्रवृत्तिः —स्त्री॰—-—प्र+वृत्त्+क्तिन्—प्रत्यक्ष ज्ञान
प्रवृत्तिपुरुषः —पुं॰—प्रवृत्ति-पुरुषः—-—समाचारों का अभिकर्ता
प्रवृत्तिलेखः —पुं॰—प्रवृत्ति-लेखः—-—अध्यादेश
प्रवृत्तिविज्ञानम् —नपुं॰—प्रवृत्ति-विज्ञानम्—-—बाहरी संसार का ज्ञान
प्रव्याहरणम् —नपुं॰—-—प्र+वि+आ+हृ+ल्युट्—वाक्शक्ति
प्रव्रज्यायोगः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—ज्योतिष का एक योग जो सन्यास लेने के निर्देश करता हैं
प्रशंस् —भ्वा॰आ॰—-—-—भविष्यवाणी करना
प्रशंसालापः —पुं॰,ष॰त॰—-—-— अभिनन्दन, जयघोष
प्रशस्तिः —स्त्री॰—-—प्र+शंस्+क्तिन्—प्रचार, विज्ञापन
प्रशमनम् —नपुं॰—-—प्र+शम्+ल्युट्—शान्ति की स्थापना
प्रशून —वि॰—-—प्र+शू+क्त, तस्य नत्वम्—सूजा हुआ
प्रश्नः —पुं॰—-—प्रच्छ+नङ्—सवाल, पृच्छा, पूछताछ
प्रश्नः —पुं॰—-—प्रच्छ+नङ्—न्यायिक पूछताछ
प्रश्नः —पुं॰—-—प्रच्छ+नङ्—विवादास्पद बिन्दु
प्रश्नः —पुं॰—-—प्रच्छ+नङ्—समस्या
प्रश्नः —पुं॰—-—प्रच्छ+नङ्— किसी पुस्तक का छोटा अध्याय
प्रश्नकथा —स्त्री॰—प्रश्न-कथा—-—पूछताछ पर समाप्त होने वाली कहानी
प्रश्नवादिन् —पुं॰—प्रश्न-वादिन्—-—ज्योतिषी, आगे होने वाली बात बताने वाला
प्रश्नविचारः —पुं॰—प्रश्न-विचारः—-—भविष्य कथन विषयक ज्योतिष की एक शाखा
प्रसक्त —वि॰—-—प्र+सञ्ज्+क्त—अत्यन्त आसक्त, किसी बात से चिपका हुआ
प्रसङ्गः —पुं॰—-—प्र+सञ्ज्+घञ्—बढ़ाया हुआ प्रयोग
प्रसङ्गः —पुं॰—-—प्र+सञ्ज्+घञ्— गौण घटना या कथावस्तु
प्रसङ्गसमः —पुं॰—प्रसङ्ग-समः—-— तर्कसंगत हेत्वाभास जहाँ स्वयं ‘प्रमाण’भी सिद्ध किया जाता हैं
प्रसञ्जित —वि॰—-—प्र+सञ्ज्+णिच्+क्त—सत्ताप्राप्त, अस्तित्व में आया हुआ
प्रसादः —पुं॰—-—प्र+सद्+घञ्—भोजन पचने के पश्चात उसका पोषक रस
प्रसोदिवस् —वि॰—-—प्र+सद्+वस्—जो प्रसन्न हो चुका हैं
प्रसन्दानम् —नपुं॰—-—प्र+सम्+दो+ल्युट्—रज्जु, रस्सी, बेड़ी
प्रसह्य —अ॰—-—प्र+सह्+ल्यप्—जीतकर
प्रसह्य —अ॰—-—-—अवश्य ही, निश्चित रूप से
प्रसह्यकारिन् —वि॰—प्रसह्य-कारिन्—-—भीषण कार्य करने वाला प्रबल वेग से क्रिया शील
प्रसवकालः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—प्रसूतिकाल, बच्चा जनने का समय
प्रसूतिः —स्त्री॰—-—प्र+सू+क्तिन्—उद्भव, उत्पत्ति, कारण
प्रसृ —भ्वा॰पर॰—-—-—विषण्ण होना
प्रसृ —भ्वा॰पर॰—-—-—अनुसरण करना
प्रसृ —भ्वा॰पर॰—-—-—स्प्रसारण अर्थात् अर्धस्वरों को उसके संवादी स्वर में बदलना
प्रसरः —पुं॰—-—प्र+सृ+अप्—परास
प्रसारः —पुं॰—-—प्र+सृ+घञ्—व्यापारी की दुकान
प्रसारः —पुं॰—-—प्र+सृ+घञ्—उड़ाना
प्रसारः —पुं॰—-—प्र+सृ+घञ्—फैलाव
प्रसारितमात्र —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसके अंग बहुत फैले हुए हों
प्रसृप् —भ्वा॰पर॰—-—-—छा जाना, फैल जाना
प्रस्कन्न —वि॰—-—प्र+स्कन्द+क्त—आक्रान्त, जिसके ऊपर धावा बोला गया हो
प्रस्तरप्रहरणन्यायः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—मीमांसा का व्याख्या विषयक एक सिद्धान्त जिसके अनुसार करण द्वारा प्रतिपादित विषयवस्तु की अपेक्षा कर्म द्वारा विहित वर्णन अधिक प्रबल होता हैं
प्रस्तावः —पुं॰—-—प्र+स्तु+घञ्—व्याख्यान का विषय, शीर्षक
प्रस्तावः —पुं॰—-—प्र+स्तु+घञ्—नाटक की प्रस्तावना
प्रस्तावः —पुं॰—-—प्र+स्तु+घञ्—साम की परिचायक शब्द
प्रस्तोतृ —पुं॰—-—प्र+स्तु+तृच्—उद्गाता की सहायता करने वाला यज्ञीय पुरोहित, ऋत्विज
प्रस्तोभः —पुं॰—-—प्र+स्तुब्+घञ्—संदर्भ, उल्लेख
प्रस्थानम् —नपुं॰—-—प्र+स्था+ल्युट्—दर्शनशास्त्र की एक शाखा
प्रस्थानम् —नपुं॰—-—प्र+स्था+ल्युट्—धार्मिक भिक्षावृत्ति, प्रवज्या
प्रस्थानमङ्गलम् —नपुं॰—प्रस्थानम्-मङ्गलम्—-—यात्रा करते समय माङ्गलिक क्रियाएँ
प्रस्नवः —पुं॰—-—प्र+स्नु+अप्—धारा
प्रस्नवः —पुं॰,ब॰व॰—-—प्र+स्नु+अप्—आँसू
प्रस्नवः —पुं॰—-—प्र+स्नु+अप्—मूत्र
प्रस्पर्धिन् —वि॰—-—प्र+स्पर्धा+इनि—होड़ करने वाला, बराबरी करने वाला
प्रस्फार —वि॰—-—प्र+स्फर्+घञ्—सूजा हुआ, फूला हुआ
प्रहतमुरज —वि॰,ब॰स॰—-—-—जहाँ पर ढोल बजते हों
प्रहतिः —स्त्री॰—-—प्र+ह्न्+क्तिन्—आघात, चोप, थप्पड़
प्रहा —जुहो॰पर॰—-—-—छोड़ देना, हार जाना
प्रहि —स्वा॰पर॰—-—-—मुड़ना, उन्मुख होना
प्रहितङ्गम —वि॰—-—-—सन्देश लेकर जाने वाला
प्रहरणकलिका —स्त्री॰—-—-—एक छन्द का नाम
प्रहारः —पुं॰—-—प्र+ह्+घञ्—युद्ध
प्रहारः —पुं॰—-—प्र+ह्+घञ्—हार
प्रांशुः —पुं॰,ब॰स॰—-—-—लम्बे कद का व्यक्ति, कद्दावर
प्रांशुप्राकार —वि॰—प्रांशु-प्राकार—-—जिसकी ऊँची दीवारे हों
प्रकारधरणी —स्त्री॰,स॰त॰—-—-—दीवान के ऊपर बना चबूतरा
प्राकारस्थ —वि॰,स॰त॰—-—-—जो फसील पर खड़ा हो
प्राकृतमानुषः —पुं॰,क॰स॰—-—-—साधारण मनुष्य
प्राक्तन —वि॰—-—प्राक्+तन्—पुराना, पिछला, भूतकाल का
प्राक्तन —वि॰—-—प्राक्+तन्—अतीत समय का, पहला, पहले जन्म का
प्राक्तनम् —नपुं॰—-—-—भाग्य
प्राक्तनकर्मन् —नपुं॰—प्राक्तन-कर्मन्—-—पूर्वजन्म में किया गया कार्य, भाग्य
प्राक्तनजन्मन् —नपुं॰—प्राक्तन-जन्मन्—-—पूर्वजन्म
प्रागल्भी —स्त्री॰—-—प्रगल्भ+अण्+ङीप्—स्हस
प्रागल्भी —स्त्री॰—-—प्रगल्भ+अण्+ङीप्—दृढ़ता
प्रागल्भ्यम् —नपुं॰—-—प्रगल्भ+ष्यञ्—प्रगल्भता, वीरता, चतुरता
प्रागल्भ्यबुद्धिः —स्त्री॰—प्रागल्भ्यम्-बुद्धिः—-—निर्णय करने का साहस, न्याय-साहस
प्रागुण्यम् —नपुं॰—-—प्रगुण+ष्यञ्—सही स्थिति, यथार्थ दशा, सही दिशा, अनुदेश
प्राघूर्णिका —स्त्री॰—-—-—अतिथि सत्कार, पाहुनों का स्वागत
प्राच् —वि॰—-—प्र+अञ्च्+क्विन्—सामने का, आगे का
प्राच् —वि॰—-—प्र+अञ्च्+क्विन्—पूर्वी
प्राच् —वि॰—-—प्र+अञ्च्+क्विन्—पहला
प्रागुत्पत्तिः —स्त्री॰—प्राच्-उत्पत्तिः—-—पहला दर्शन
प्राग्वचनम् —नपुं॰—प्राच्-वचनम्—-—प्राचीन उक्ति, पहले का कथन
प्राचार —वि॰—-—-—सामान्य प्रथाओं के विरुद्ध, साधारण अनुष्ठान और संस्थाओं के विपरीत
प्राचार्यः —पुं॰—-—प्रकृष्ट आचार्यः—अध्यापक का अध्यापक
प्राचार्यः —पुं॰—-—प्रकृष्ट आचार्यः—सेवानिवृत्त अध्यापक
प्राचीनमूल —वि॰,ब॰स॰—-—-—जिसकी जड़े पूर्व दिशा की ओर मुड़ी हुई हों
प्राच्यपदवृत्तिः —स्त्री॰—-—-—एक नियम जिसके अनुसार ‘अ’ से पूर्व किन्हीं विशेष अवस्थाओं में ‘ए’ अपरिवर्तित अवस्था में रहता हैं
प्राच्यवृत्तिः —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार का छन्द
प्राजापत्यम् —नपुं॰—-—प्रजापति+ष्यञ्—प्रजननात्मक शक्ति
प्राजापत्यम् —नपुं॰—-—प्रजापति+ष्यञ्—एक यज्ञ का नाम
प्राज्ञ —वि॰—-—प्रज्ञ एव +स्वार्थे अण्—बुद्धिमान्
प्राज्ञ —वि॰—-—प्रज्ञ एव +स्वार्थे अण्—समझदार, विद्वान्
प्राज्ञः —पुं॰—-—प्रज्ञ एव +स्वार्थे अण्—बुद्धिमान या विद्वान्
प्राज्ञः —पुं॰—-—प्रज्ञ एव +स्वार्थे अण्—एक प्रकार का तोता
प्राज्ञः —पुं॰—-—प्रज्ञ एव +स्वार्थे अण्—व्यक्तिगत बुद्धिमत्ता
प्राज्ञः —पुं॰—-—प्रज्ञ एव +स्वार्थे अण्—परमेश्वर
प्राज्ञता —स्त्री॰—-—प्राज्ञ्+तल्, त्व, वा—बुद्धिमत्ता
प्राज्ञत्वम् —नपुं॰—-—प्राज्ञ्+तल्, त्व, वा—बुद्धिमत्ता
प्राणः —पुं॰—-—प्र+अन्+घञ्—जीवन, जान
प्राणः —पुं॰—-—प्र+अन्+घञ्—आहार, अन्न
प्राणकर्मन् —नपुं॰—प्राण-कर्मन्—-—जीवन कार्य
प्राणपरिक्षीण —वि॰—प्राण-परिक्षीण—-—जिसके जीवन का अन्त निकट हैं
प्राणपरित्राणम् —नपुं॰—प्राण-परित्राणम्—-—किसी के जीवन की रक्षा करना, बचाना
प्राणवल्लभा —स्त्री॰—प्राण-वल्लभा—-—प्राणप्रिया
प्राणविद्या —स्त्री॰—प्राण-विद्या—-—प्राणायाम की विद्या
प्रातः —अ॰—-—प्र+अत्+अरन्—पौ फटने पर, प्रभात वेला में, तड़के, सवेरे
प्रातः —अ॰—-—प्र+अत्+अरन्—कल सवेरे
प्रातानुवाकः —पुं॰—प्रात-अनुवाकः—-—वह सूक्त जिससे प्रातः सवन का उपक्रम होता हैं
प्रातचन्द्रः —पुं॰—प्रात-चन्द्रः—-—प्रभातकाल का चन्द्रमा
प्रातिकामिन् —पुं॰—-—-—सेवक या दूत
प्रातिनिधिकः —पुं॰—-—प्रतिनिधि+ठक्—स्थानापन्न
प्रातिनिधिकः —पुं॰—-—प्रतिनिधि+ठक्—प्रतिताधिकार, प्रतिनिधित्व
प्रातीप्यम् —नपुं॰—-—प्रतीप्+ष्यञ्—शत्रुता, विरोध
प्रात्यक्षिक —वि॰—-—प्रत्यक्ष+ठक्—आँखों को दिखाई देने वाला
प्रादेशमात्र —वि॰—-—प्रदेशमात्र+अण्—जरा सा, विचार मात्र देने के लिए
प्रादेशमात्रम् —नपुं॰—-—प्रदेशमात्र+अण्—एक बालिस्त की माप, पूरी अंगुलियों को फैलाकर अंगूठे के किनारे से तर्जनी अंगुली के किनारे तक की माप
प्राध्व —वि॰—-—प्रकृष्टोऽध्व अच् समासः—यात्रा पर गया हुआ
प्राध्व —वि॰—-—प्रकृष्टोऽध्व अच् समासः—पूर्वोदाहरण, निदर्शन
प्राध्व —वि॰—-—प्रकृष्टोऽध्व अच् समासः—बन्धन
प्रान्तः —पुं॰—-—प्रकृष्टोऽन्तः—किनारा, गोट
प्रान्तः —पुं॰—-—प्रकृष्टोऽन्तः—कोण
प्रान्तः —पुं॰—-—प्रकृष्टोऽन्तः—सीमा
प्रान्तः —पुं॰—-—प्रकृष्टोऽन्तः—अन्तिम किनारा
प्रान्तनिवासिन् —पुं॰—प्रान्त-निवासिन्—-—सीमान्त प्रदेश का रहने वाला
प्रान्तभूमौ —अ॰—प्रान्त-भूमौ—-—अन्त में, आखिरकार
प्रापणम् —नपुं॰—-—प्रा+आप्+ल्युट्—व्याख्या, विवरण, चित्रण
प्रापिपयिषु —वि॰—-—प्रा+आप्+णिच्+सन्+उ—पहुँचने की इच्छा वाला
प्राप्त —वि॰—-—प्र+आप्+क्त—किसी पूर्वोदाहरण के अनुसार या पूर्वतर्क का अनुगामी
प्राप्तक्रम —वि॰—प्राप्त-क्रम—-—योग्य, उपयुक्त
प्राप्तभाव —वि॰—प्राप्त-भाव—-—बुद्धिमान
प्राप्तभाव —वि॰—प्राप्त-भाव—-—सुन्दर
प्राप्तिः —स्त्री॰—-—प्र+आप्+क्तिन्—किसी वस्तु का निरीक्षण करने पर लगाय गया अनुमान
प्राप्तिः —स्त्री॰—-—प्र+आप्+क्तिन्—ग्यारहवाँ चान्द्रघर
प्राप्य —अ॰—-—प्र+आप्+ल्पप्—प्राप्त करके, उपलब्ध करके
प्राप्यकारिन् —वि॰—प्राप्य-कारिन्—-—कार्य में नियुक्त होकर ही प्रभावशाली
प्राप्यरूप —वि॰—प्राप्य-रूप—-—अनायास ही प्राप्त होने वाला
प्रायणम् —नपुं॰—-—प्र+अय्+ल्युट्—दूध में तैयार किया हुआ भोजन
प्रायत्यम् —नपुं॰—-—प्रयत+ष्यञ्—पवित्रता, स्वच्छता
प्रायुस् —नपुं॰—-—-—बढ़ी हुई जीवन शक्ति, दीर्घतर जीवन
प्रारब्ध —वि॰—-—प्र+आ+रभ्+क्त—आरंभ किया हुआ, शुरु किया हुआ
प्रारब्धकर्मन् —वि॰—प्रारब्ध-कर्मन्—-—जिसने अपना कार्य आरंभ कर दिया हैं
प्रारब्धकार्य —वि॰—प्रारब्ध-कार्य—-—जिसने अपना कार्य आरंभ कर दिया हैं
प्रारब्धकर्मन् —नपुं॰—प्रारब्ध-कर्मन्—-—वह कार्य जो फल देने लगा हैं
प्रार्जयितृ —वि॰—-—प्र+अर्ज्+णिच्+तृच्—जो अनुदान देता हैं
प्रार्थ् —चुरा॰आ॰—-—-—आश्रय लेना, सहारा लेना
प्रार्थ्यम् —वि॰—-—प्र+अर्थ+ण्यत्—चाहने योग्य
प्रार्थ्यम् —वि॰—-—प्र+अर्थ+ण्यत्—वाञ्छनीय
प्रालेयम् —नपुं॰—-—प्रलय+अण्—प्रलय से सम्बन्ध रखने वाला
प्रावर्तिक —वि॰—-—प्रवृत+ठक्—वह क्रम जो किसी कार्य पद्धति में सर्व प्रथम अपनाया जाकर बाद में पश्चवर्ती सभी कार्यों में सर्व प्रथम अपनाया जाकर बाद में पश्चवर्ती सभी कार्यो में अपनाया जाय, जिससे कि कार्य में पद्धति की एकता बनी रहे
प्रावादुकः —पुं॰—-—प्र+वद्+उकञ्—वाद-विवाद में प्रति पक्षी
प्रसादः —पुं॰—-—प्र+सद्+घञ्—महल, भवन
प्रसादः —पुं॰—-—प्र+सद्+घञ्—राजभवन
प्रसादः —पुं॰—-—प्र+सद्+घञ्—मन्दिर
प्रसादः —पुं॰—-—प्र+सद्+घञ्—चबूतरा
प्रसादः —पुं॰—-—प्र+सद्+घञ्—वेदिका
प्रसादगर्भः —पुं॰—प्रसाद-गर्भः—-—महल का आन्तरिक कमरा
प्रसादशिखरः —पुं॰—प्रसाद-शिखरः—-—महल की चोटी
प्राहवनीय —वि॰—-—प्र+आ+ह्व्र्+अनीय—अतिथि की भाँति स्वागत किये जाने के योग्य
प्राहुणः —पुं॰—-—प्र+आ+घूर्ण्+क—अतिथि, पाहुना
प्रिय —वि॰—-—प्री+क—प्यारा, अनुकूल
प्रिय —वि॰—-—प्री+क— अभिलषित
प्रिय —वि॰—-—प्री+क—भक्त, अनूरक्त
प्रियः —पुं॰—-—प्री+क—प्रेमी, पति
प्रियः —पुं॰—-—प्री+क—हरिण
प्रियः —पुं॰—-—प्री+क—जामाता
प्रिया —स्त्री॰—-—प्री+क+ टाप्—पत्नी
प्रिया —स्त्री॰—-—प्री+क+ टाप्—महिला
प्रिया —स्त्री॰—-—प्री+क+ टाप्—छोटी इलायची
प्रियम् —नपुं॰—-—प्री+क—प्रेम
प्रियम् —नपुं॰—-—प्री+क—कृपा, प्रसाद
प्रियम् —नपुं॰—-—प्री+क—सुखद समाचार
प्रियालापिन् —वि॰—प्रिय-आलापिन्—-—मिष्ठभाषी, मीठा बोलने वाला
प्रियासु —वि॰—प्रिय-आसु—-—जिसे अपनी जान बहुत प्यारी हो, जीवन को चाहने वाला
प्रियकलह —वि॰—प्रिय-कलह—-—झगड़ालू
प्रियजीविता —स्त्री॰—प्रिय-जीविता—-—प्राणों का प्रेम
प्रियसम्प्रहार —वि॰—प्रिय-सम्प्रहार—-—मुकदमे बाजी को पसन्द करने वाला
प्रियंदद —वि॰—-—प्रियं ददाति+दा+श—अभीष्ट और सुखद वस्तु का दाता
प्रीतिः —स्त्री॰—-—प्री+क्तिच्—प्रबल इच्छा
प्रीतिः —स्त्री॰—-—प्री+क्तिच्—संगीत की श्रुति
प्रीतिसंयोगः —पुं॰—प्रीति-संयोगः—-—मैत्री सम्बन्ध
प्रीतिसंगतिः —स्त्री॰—प्रीति-संगतिः—-—मित्रों का सम्मिलन
प्रेतः —पुं॰—-—प्र+इ+क्त—नरक में रहने वाला
प्रेतः —पुं॰—-—प्र+इ+क्त—इस संसार से गया हुआ, मृत
प्रेतः —पुं॰—-—प्र+इ+क्त—पितर
प्रेतायनः —पुं॰—प्रेत-अयनः—-—एक विशेष नरक
प्रेतपात्रम् —नपुं॰—प्रेत-पात्रम्—-—और्ध्वदेहिक क्रिया के अवसर पर प्रयुक्त किया जाने वाला बर्तन
प्रेक्षणालम्भम् —नपुं॰—-—-—देखना या स्पर्श करना
प्रेक्षा —स्त्री॰—-—प्र+इछ्+अ+टाप्—कान्ति, आभा
प्रेक्षापूर्वम् —नपुं॰—प्रेक्षा-पूर्वम्—-—देखभालकर, जानबूझकर
प्रेक्षाप्रपञ्चः —पुं॰—प्रेक्षा-प्रपञ्चः—-—रंगमञ्च पर खेला जाने वाला नाटक
प्रेमार्द्र —वि॰—-—तृ॰ त॰ स॰—प्रेम से पसीजा हुआ
प्रैयकम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का चमड़ा
प्रैयरूपकम् —नपुं॰—-—-—सौन्दर्य, लावण्य
प्रोच्चल् —भ्वा॰पर॰—-—-—यात्रा पर प्रस्थान करने वाला
प्रोच्चाटना —स्त्री॰—-—प्र+उत्+चट्+णिच्+युच्+टाप्—भगाना
प्रोच्चाटना —स्त्री॰—-—प्र+उत्+चट्+णिच्+युच्+टाप्—विनाश
प्रोतघन —वि॰,ब॰स॰—-—-—बादलों में डूबा हुआ
प्रोतशूल —वि॰,ब॰स॰—-—-—शलाका पर रक्खा हुआ
प्रोत्तान —वि॰—-—प्र+उत्+घञ्—फैलाया हूआ
प्रोत्ताल —वि॰,प्रा॰स॰—-—प्रकर्षणोत्तालः—ऊँचे स्वर से बोलने वाला
प्रोदर —वि॰,ब॰स॰—-—-—बड़े पेट वाला
प्रोद्वीचि —वि॰,प्रा॰स॰—-—-—लहराता हुआ, घटबढ़ होता हुआ
प्रोन्नमित —वि॰—-—प्र+उत्+नम्+णिच्+क्त—उठाया हुआ, उभारा हुआ
प्रोर्णु —अदा॰उभ॰—-—-—अच्छी तरह ढक लेना, चादर लपेट लेना
प्रौढ —वि॰—-—प्र+ऊढ+वह्+क्त—विशाल, विस्तृत
प्रौढ —वि॰—-—-—व्यस्त, घिरा हुआ
प्रौढप्रियः —पुं॰—प्रौढ-प्रियः—-—साहसी और विश्वासपात्र स्त्री
प्रौढमनोरमा —स्त्री॰—प्रौढ-मनोरमा—-—सिद्धान्त कौमुदी पर एक टीका
प्रौढिः —स्त्री॰—-—प्र+वह्+क्तिन्—औत्सुक्य, उत्कटता, गहराई
प्रौक्त —वि॰—-—-—अर्थ सम्पन्न, अर्थ युक्त
प्लक्ष द्वारम् —नपुं॰—-—-—पार्श्वद्वार, भवन के पक्ष का द्वार
पल्वः —पुं॰—-—प्लु+अच्—एक जलचर
पल्वः —पुं॰—-—प्लु+अच्—एक संवत्सर का नाम
पल्वकुम्भः —पुं॰—पल्व-कुम्भः—-—तैराक की सहायता के लिए घड़े जैसा बर्तन
प्लावयितृ —वि॰—-—प्लु+णिच्+तृच्—मल्लाह, नाविक
प्लुतमेरुः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का संगीत माप
फणभरः —पुं॰—-—फणं बिभर्तीति+भृ+अच्—साँप
फणितल्पगः —पुं॰—-—-—विष्णु का विशेषण
फणिर्जकः —पुं॰—-—-—तुलसी का एक भेद, सफेद मरवा
फरुण्डः —पुं॰—-—-—हरी प्याज
फलम् —नपुं॰—-—फल्+अच्—क्षतिपूर्ति, प्रतिपूर्ति
फलम् —नपुं॰—-—फल्+अच्—स्कन्धास्ति, अंसफलक
फलम् —नपुं॰—-—फल्+अच्—परिणाम
फलम् —नपुं॰—-—फल्+अच्— कृत्य
फलम् —नपुं॰—-—फल्+अच्—उद्देश्य, प्रयोजन
फलम् —नपुं॰—-—फल्+अच्—उपयोग, लाभ
फलम् —नपुं॰—-—फल्+अच्—सन्तान
फलम् —नपुं॰—-—फल्+अच्—तीर की नोक
फलाधिकारः —पुं॰—फलम्-अधिकारः—-—परिश्रम का दावा
फलापूर्वम् —नपुं॰—फलम्-अपूर्वम्—-—यज्ञ का अदृष्ट परिणाम
फलोपयोगः —पुं॰—फलम्-उपयोगः—-—फल का आनन्द लेना
फलग्रन्थः —पुं॰—फलम्-ग्रन्थः—-—‘ग्रहों का मानवकुल पर प्रभाव’ विषयक ज्योतिष का एक ग्रन्थ
फलभावना —स्त्री॰—फलम्-भावना—-—परिणाम का अधिग्रहण
फलभुज् —पुं॰—फलम्-भुज्—-—बन्दर
फलमूलम् —नपुं॰—फलम्-मूलम्—-—फल और जड़ें
फलवर्त्ति —स्त्री॰—फलम्-वर्त्ति—-—कपड़े की बनी बत्ती जिसे चिकना करके अनीमा के लिए गुदा में रखा जाता हैं
फलस्थापनम् —नपुं॰—फलम्-स्थापनम्—-—‘सीमन्तोन्नयन’ नामक संस्कार
फलकम् —नपुं॰—-—फल+कन्—तख्ता, फट्टा
फलकम् —नपुं॰—-—फल+कन्—टिकिया
फलकम् —नपुं॰—-—फल+कन्— कूल्हा
फलकम् —नपुं॰—-—फल+कन्—हाथ की हथेली
फलकम् —नपुं॰—-—फल+कन्—बाण का मुंह
फलकम् —नपुं॰—-—फल+कन्—आर्तव, ऋतुस्राव
फलकम् —नपुं॰—-—फल+कन्—लकड़ी का पटड़ा
फलकम् —नपुं॰—-—फल+कन्—वृक्ष की छाल सन आदि
फलकपरिधानम् —नपुं॰—फलकम्-परिधानम्—-—वस्त्रों के रूप में वृक्षछाल धारण करना
फलिः —पुं॰—-—फल्+इ—एक प्रकार की मछली
फल्गुवाक् —स्त्री॰—-—-—मिथ्यापन, झूठापना
फालिका —स्त्री॰—-—-—ग्रास, टुकड़ा
फाल्गुनेयः —पुं॰—-—फल्गुनी+ढक्—अर्जुन का पुत्र, अभिमन्यु
फिट्सूत्रम् —नपुं॰—-—-—व्याकरण का एक ग्रन्थ जिसके रचयिता शान्तनावाचार्य थे
फुट्टिका —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार का बुना हुआ कपड़ा
फुत्कृतिः —स्त्री॰—-—फुत्कृ+क्तिन्—फूँक मारना, सीसी शब्द करना
फुलिङ्ग —पुं॰—-—आ॰ फिरङ्ग—उपदंश, गर्मी का रोग
फुल्लवदन —वि॰,ब॰स॰—-—-—प्रसन्नमुख, खुश दिखाई देने वाला
फेञ्जकः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का पक्षी
फेनधर्मन् —वि॰—-—-—क्षणभंगुर, क्षणस्थायी, बुलबुले की भांति, अस्थिर
फेनायितम् —नपुं॰,ना॰धा॰—-—फेन+क्यच्+क्त—मुख के पार्श्ववर्ती भाग से की गई हाथी की कड़कयुक्त गर्जन, चिंघाड़
फेलुकः —पुं॰—-—-—अंडकोष, फोता, मुष्क
बकः —पुं॰—-—वङ्क+अच्, पृषो॰—खान से धातुओं तथा अन्य खनिज पदार्थों को निकालने का एक उपकरण
बकचिञ्चका —स्त्री॰—बक-चिञ्चका—-—एक प्रकार की मछली
बकचिञ्ची —स्त्री॰—बक-चिञ्ची—-—एक प्रकार की मछली
बकाची —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार की मछली
बटुकः —पुं॰—-—बटु+कन्—लड़का, बच्चा
बटुकः —पुं॰—-—बटु+कन्—मन्दबुद्धि बालक
बटुकभैरवः —पुं॰—बटुक-भैरवः—-—भैरव का एक रूप
बडिशम् —नपुं॰—-—-—शल्योपयोगी उपकरण
बत —अ॰—-—-—यथार्थ, उक्त, ठीक कहा हुआ
बद्वम् —नपुं॰—-—-—बड़ी संख्या
बन्दिः —पुं॰—-—बन्द्+इ—बन्धन, कैद
बन्दिः —पुं॰—-—बन्द्+इ—बन्दी, कैदी
बन्दिग्रहः —पुं॰—बन्दि-ग्रहः—-—बन्दी बनाना
बन्दिग्राहः —पुं॰—बन्दि-ग्राहः—-—सेंध लगाने वाला
बन्दिग्राहम् —अ॰—बन्दि-ग्राहम्—-—बन्दी के रूप में ग्रहण करना
बन्दिपालः —पुं॰—बन्दि-पालः—-—काराध्यक्ष
बन्दिशूला —स्त्री॰—बन्दि-शूला—-—वारांगना, वेश्या
बद्ध —वि॰—-—बन्दध्+क्त—परिरक्षित
बद्ध —वि॰—-—-—बन्धा हुआ, श्रृंखलित
बद्धावस्थिति —वि॰—बद्ध-अवस्थिति—-—सतत, अनवरत
बद्धादर —वि॰—बद्ध-आदर—-—व्यसनग्रस्त
बद्धमण्डल —वि॰—बद्ध-मण्डल—-—वर्तुलाकार, मंडली में अवस्थित
बद्धमूत्र —वि॰—बद्ध-मूत्र—-—जिसने मूत्र रोक लिया हैं
बन्धः —पुं॰—-—बन्ध्+घञ्—बन्धन
बन्धः —पुं॰—-—बन्ध्+घञ्—केशबन्ध, चोटिला
बन्धः —पुं॰—-—बन्ध्+घञ्—शृंखला, बेड़ी
बन्धकर्तृ —पुं॰—बन्ध-कर्तृ—-—बाँधने वाला
बन्धमुद्रा —स्त्री॰—बन्ध-मुद्रा—-—बेड़ी की छाप
बन्धनम् —नपुं॰—-—बन्ध्+ल्युट्— सांसारिक बन्धन
बन्धनरक्षिन् —वि॰—बन्धनम्-रक्षिन्—-—काराध्यक्ष
बन्धनिकः —पुं॰—-—बन्धन+ठन्—काराध्यक्ष
बन्धुः —पुं॰—-—बन्ध्+उ—रिश्तेदार, सम्बन्धी
बन्धुः —पुं॰—-—बन्ध्+उ—एक दूसरे से सम्बद्ध, भाई
बन्धुः —पुं॰—-—बन्ध्+उ—मित्र
बन्धुः —पुं॰—-—बन्ध्+उ—नियंत्रक, शासक
बन्धुः —पुं॰—-—बन्ध्+उ—ज्योतिष की दृष्टि से तीसरा घर
बन्धुदायादः —पुं॰—बन्धु-दायादः—-—रिश्तेदार, उत्तराधिकारी
बन्धुप्रिय —वि॰—बन्धु-प्रिय—-—सम्बन्धियों का प्यारा
बन्धुरित —वि॰—-— बन्धुर+इतच्—प्रवृत्त, मुड़ा हुआ
बन्धूकृ —तना॰उभ॰—-—-—मित्र बनाना
बन्धूर —वि॰—-—बन्ध्+ऊरच्—तरंगित, लहरियादार
बन्धूर —वि॰—-—बन्ध्+ऊरच्—सुखद, प्रसन्नता देने वाला
बभ्रुकः —पुं॰—-—भृ+कु, द्वित्वम्; बभ्रू+उ वा, स्वार्थे कन् च—एक नक्षत्रपुंज
बर्बरः —पुं॰—-—-—वह हाथी जिसने चौथे वर्ष में पदार्पण कर लिया हैं
बर्बरालका —स्त्री॰—बर्बर-अलका—-—वह स्त्री जिसके मस्तक पर घुँघराले बाल हैं
बर्बरीकम् —नपुं॰—-—-— घुँघराले बाल
बर्बरीकम् —नपुं॰—-—-—सफेद की चन्दन की लकड़ी
बर्हः —पुं॰—-—बर्ह्+अच्—मोर का चंदा
बर्हः —पुं॰—-—बर्ह्+अच्—पक्षी की पूंछ
बर्हः —पुं॰—-—बर्ह्+अच्—मोर की पूंछ
बर्हः —पुं॰—-—बर्ह्+अच्—पत्ता
बर्हः —पुं॰—-—बर्ह्+अच्—वृन्द
बर्हावतस —वि॰—बर्हः-अवतस—-—जिसने सिर को पंख लगाकर अलंकृत किया हुआ हैं
बर्हनेत्रम् —नपुं॰—बर्हः-नेत्रम्—-—मोर के पूंछ पर बना आँख जैसा चिह्न
बर्हम् —नपुं॰—-—बर्ह्+अच्—मोर का चंदा
बर्हम् —नपुं॰—-—बर्ह्+अच्—पक्षी की पूंछ
बर्हम् —नपुं॰—-—बर्ह्+अच्—मोर की पूंछ
बर्हम् —नपुं॰—-—बर्ह्+अच्—पत्ता
बर्हम् —नपुं॰—-—बर्ह्+अच्—वृन्द
बर्हावतस —वि॰—बर्हम्-अवतस—-—जिसने सिर को पंख लगाकर अलंकृत किया हुआ हैं
बर्हनेत्रम् —नपुं॰—बर्हम्-नेत्रम्—-—मोर के पूंछ पर बना आँख जैसा चिह्न
बर्हिन्यायः —पुं॰—-—-—मीमांसा का व्याख्याविषयक एक नियम जिसके आधार पर गौण अर्थ की अपेक्षा प्राथमिक अर्थ को प्रधानता दी जाती हैं
बर्हिणवासस् —नपुं॰—-—-—पंखों से बना बाण, वह तीर जिसमें पर लगा हैं
बलम् —नपुं॰—-—बल्+अच्—शक्ति, सामर्थ्य
बलम् —नपुं॰—-—बल्+अच्—स्ना
बलम् —नपुं॰—-—बल्+अच्—मोटापा
बलम् —नपुं॰—-—बल्+अच्—शरीर, आकृति
बलम् —नपुं॰—-—बल्+अच्—वीर्य
बलम् —नपुं॰—-—बल्+अच्—रुधिर
बलम् —नपुं॰—-—बल्+अच्—अङ्कुर
बलम् —नपुं॰—-—बल्+अच्—शक्ति का देवता
बलम् —नपुं॰—-—बल्+अच्—प्रयत्न
बलार्थिन् —वि॰—बलम्-अर्थिन्—-—शक्ति या सामर्थ्य का इच्छुक
बलोपादानम् —नपुं॰—बलम्-उपादानम्—-—सेना में भर्त्ती होना
बलतापनः —पुं॰—बलम्-तापनः—-—इन्द्र का विशेषण
बलपुच्छकः —पुं॰—बलम्-पुच्छकः—-—कौवा
बलपृष्ठकः —पुं॰—बलम्-पृष्ठकः—-—हरिण विशेष
बलमुख्यः —पुं॰—बलम्-मुख्यः—-—सेनापति
बलवर्जित —वि॰—बलम्-वर्जित—-—बलहीन, दुर्बल
बलसमुत्थानम् —नपुं॰—बलम्-समुत्थानम्—-—सशक्त सेना की भर्ती करना
बलवत् —वि॰—-—बल+मतुप्—बलवान, शक्ति संपन्न, प्रबल
बलवत् —वि॰—-—बल+मतुप्—सघन, मोटा
बलवत् —वि॰—-—बल+मतुप्—अधिक महत्वपूर्ण
बलवत् —वि॰—-—बल+मतुप्—ससैन्य
बलवत् —पुं॰—-—बल+मतुप्—आठवाँ मुहूर्त
बलवत् —पुं॰—-—बल+मतुप्— श्लेष्मा, कफ, बलगम
बलवती —स्त्री॰—-—बल+मतुप्+ ङीप्—छोटी इलायची
बलासः —पुं॰—-—बल+मतुप्—एक प्रकार का रोग
बलासः —पुं॰—-—बल+मतुप्—क्षय, तपैदिक
बलाहकः —पुं॰—-—बल्+ आ+हा+ क्वुन्—बादल
बलाहकः —पुं॰—-—बल्+ आ+हा+ क्वुन्—एक पर्वत
बलाहकः —पुं॰—-—बल्+ आ+हा+ क्वुन्—विष्णु का एक घोड़ा
बलाहकः —पुं॰—-—बल्+ आ+हा+ क्वुन्—साँप की एक प्रकार
बलिः —पुं॰—-—बल्+इन्—यज्ञ में आहुति, उपहार
बलिः —पुं॰—-—बल्+इन्—भूत यज्ञ
बलिः —पुं॰—-—बल्+इन्—पूजा अर्चना
बलिः —पुं॰—-—बल्+इन्—उच्छिष्ट भोजन
बलिः —पुं॰—-—बल्+इन्—देवता पर चढ़ाया गया उपहार
बलिः —पुं॰—-—बल्+इन्— शुल्क कर
बलिः —पुं॰—-—बल्+इन्—चँवर का दस्ता
बलिः —पुं॰—-—बल्+इन्—एक प्रसिद्ध राक्षस का नाम
बलिक्रिया —स्त्री॰—बलि-क्रिया—-—मस्तक पर एक रेखा
बलिबन्धनम् —नपुं॰—बलि-बन्धनम्—-—एक नाटक का नाम जो पाणिनि द्वारा रचित समझा जाता हैं
बलिबन्धनः —पुं॰—बलि-बन्धनः—-—विष्णु का विशेषण
बलिविधानम् —नपुं॰—बलि-विधानम्—-—उपहार रूप में बलि देना
बलिषड्भागः —पुं॰—बलि-षड्भागः—-—आय का छठा भाग जो राजा को कर के रूप में दिया जाता हैं
बलिहोमः —पुं॰—बलि-होमः—-—अग्नि में आहुति देना
बलीशः —पुं॰—-—-—चालाक, धूर्त, मक्कार
वस्तमारम् —अ॰—-—-—बकरे की हत्या के ढंग पर
बस्तिः —पुं॰—-—बस्त+इ, दवयोरभेद—मूत्राशय
बस्तिः —पुं॰—-—बस्त+इ, दवयोरभेद—सांभर झील से उत्पन्न नमक
बस्तिकः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का बाण जिसका नोक शरीर से खींचते समय उसी में रह जाता हैं
बहिस् —अ॰—-—वह्+इसुन्—के बाहर, बाहर
बहिस् —अ॰—-—वह्+इसुन्—घर के बाहर
बहिस् —अ॰—-—वह्+इसुन्—बाह्य रूप से
बहिस् —अ॰—-—वह्+इसुन्—पृथक् रूप से सिवाय
बहिरङ्गः —वि॰—बहिस्-अङ्गः—-—बाहरी, दूर से सम्बन्ध रखने वाला
बहिर्दृश —अ॰—बहिस्-दृश—-—अतिरिक्त या फालतू दिखाई देने वाला
बहिष्पावनम् —नपुं॰—बहिस्-पावनम्—-—सोमयोग में प्रयुक्त सामतन्त्र
बहिष्प्रज्ञ —वि॰—बहिस्-प्रज्ञ—-— जिसकी योग्यता बाह्य पदार्थों की हो
बहिर्मनस् —वि॰—बहिस्-मनस्—-—जो मन से बाहर हो
बहिर्मनस्क —वि॰—बहिस्-मनस्क—-—जो मानस क्षेत्र की बात न हो
बहिर्यूति —वि॰—बहिस्-यूति—-—जो बाहर बन्धा हुआ या रखा हुआ हो
बहिर्वर्तिन् —वि॰—बहिस्-वर्तिन्—-—बाहर रहने वाला
बहिर्व्यसनिन् —वि॰—बहिस्-व्यसनिन्—-—लंपट, कामुक, इन्द्रियपरायण
बहिःस्थ —वि॰—बहिस्-स्थ—-—बाहरी, बाहर का
बहिर्स्थित —वि॰—बहिस्-स्थित—-—बाहरी, बाहर का
बहिष्कार्य —वि॰—बहिस्-कार्य—-—निकाल बाहर फेंकने के योग्य
बहु —वि॰—-—बह्+कु, नलोपः—बहुत, पुष्कल, प्रचुर
बहु —वि॰—-—बह्+कु, नलोपः—बहुत से, असंख्य
बहु —वि॰—-—बह्+कु, नलोपः—बड़ा, विशाल
बहूपयुक्त —वि॰—बहु-उपयुक्त—बह्+कु, नलोपः—जो कई प्रकार से काम का हो
बहुक्षारम् —नपुं॰—बहु-क्षारम्—-—साबुन
बहुक्षीरा —स्त्री॰—बहु-क्षीरा—-—अधिक दूध देने वाली गाय
बहुगुरुः —पुं॰—बहु-गुरुः—-— जिसने अध्ययन बहुत कुछ किया हैं पर भली प्रकार नहीं
बहुदोहनः —पुं॰—बहु-दोहनः—-—बहुत दूध देने वाली गाय
बहुनाडिकः —पुं॰—बहु-नाडिकः—-—शरीर, काया
बहुप्रकृति —वि॰—बहु-प्रकृति—-— जिसमें क्रिया परक तत्त्व बहुत हों
बहुप्रज्ञ —वि॰—बहु-प्रज्ञ—-—बहुत बुद्धिमान्, बड़ा समझदार
बहुप्रत्यर्थिक —वि॰—बहु-प्रत्यर्थिक—-— जिसके प्रतिपक्षी और प्रतिद्वन्द्वी अनेक हों
बहुप्रत्यवाय —वि॰—बहु-प्रत्यवाय—-—जिसके मार्ग में अनेक कठिनाईयाँ हो
बहुरजस् —वि॰—बहु-रजस्—-—बहुत धूल से भरा हुआ
बहुवादिन् —वि॰—बहु-वादिन्—-—बहुत बोलने वाला
बहुशस्त —वि॰—बहु-शस्त—-—बहुत उत्तम
बहुसङ्ख्यकः —वि॰—बहु-सङ्ख्यकः—-—अनगिनत
बहुसत्त्व —वि॰—बहु-सत्त्व—-— जिसके पास बहुत से पशु हों
बहुसाहस्र —वि॰—बहु-साहस्र—-—हजारों की संख्या में
बहुल —वि॰—-—बह्+कुलच्, नलोपः—मोटा, सघन, सटा हुआ
बहुल —वि॰—-—बह्+कुलच्, नलोपः—चौड़ा, पुष्कल
बहुल —वि॰—-—बह्+कुलच्, नलोपः—प्रचुर, यथेष्ट
बहुल —वि॰—-—बह्+कुलच्, नलोपः—असंख्य, अनगिनत
बहुल —वि॰—-—बह्+कुलच्, नलोपः— समृद्ध
बहुल —वि॰—-—बह्+कुलच्, नलोपः—काला, कृष्ण
बहुलाश्वः —पुं॰—बहुल-अश्वः—-—एक राजा का नाम
बहुलपक्षशितिमन् —पुं॰—बहुल-पक्षशितिमन्—-—कृष्णपक्ष का अन्धकार
बाणः —पुं॰—-—बण्+घञ्—निशाना
बाणः —पुं॰—-—बण्+घञ्—बाण की नोंक
बाणः —पुं॰—-—बण्+घञ्—ऐन, औडी
बाणः —पुं॰—-—बण्+घञ्—एक राक्षस, बलि का पुत्र
बाणः —पुं॰—-—बण्+घञ्—एक कवि का नाम जिसने कादम्बरी और हर्षचरित लिखे हैं
बाणः —पुं॰—-—बण्+घञ्—अग्नि में आहुति देना
बाणः —पुं॰—-—बण्+घञ्—पाँच की संख्या का प्रतीक
बाणः —पुं॰—-—बण्+घञ्—चाप की शरज्या
बाणनिकृत —वि॰—बाण-निकृत—-—बाण से बिंधा हुआ
बाणपत्रः —पुं॰—बाण-पत्रः—-—एक पक्षी
बाणलिङ्गम् —नपुं॰—बाण-लिङ्गम्—-—नर्मदा नदी पर उपलब्ध एक श्वेत पत्थर जिसे शिवलिङ्ग के रुप में पूजा जाता हैं
बादरिः —पुं॰—-—-—एक दार्शनिक का नाम
बाधानिवृत्तिः —स्त्री॰,पं॰त॰—-—-—भूत प्रेत की पीड़ा से मुक्ति
बाधक —वि॰—-—बाध्+ण्वुल्—पीडादायक, छेड़छाड़ करने वाला
बाधयितृ —पुं॰—-—बाध्+णिच्+तृच्—बाधा पहुँचानेवाला, हानि पहुँचाने वाला
बाध्यबाधकता —स्त्री॰—-—-—अत्याचारग्रस्त और अत्याचारी की अन्योन्यक्रिया, पीडित और पीडक का पारस्परिक प्रभाव
बान्धवः —पुं॰—-— बन्धु+अण्—हितैषी
बार्हस्पत्याः —स्त्री॰—-—बृहस्पति+यक्—राजनीति पर लिखने वालों की शाखा जिसका उल्लेख कौटिल्य ने किया हैं
बाल —वि॰—-—बल्+ण, बाल+अच्—बादल, बच्चा
बाल —वि॰—-—बल्+ण, बाल+अच्—अविकसित
बाल —वि॰—-—बल्+ण, बाल+अच्—नवोदित
बाल —वि॰—-—बल्+ण, बाल+अच्—अन्जान
बालः —पुं॰—-—बल्+ण, बाल+अच्—बच्चा
बालः —पुं॰—-—बल्+ण, बाल+अच्—अव्यस्क
बालः —पुं॰—-—बल्+ण, बाल+अच्—मूर्ख
बालः —पुं॰—-—बल्+ण, बाल+अच्—भोलाभाला
बालः —पुं॰—-—बल्+ण, बाल+अच्—पाँच वर्ष का हाथी
बालः —पुं॰—-—बल्+ण, बाल+अच्—नारियल
बालारिष्टः —पुं॰—बाल-अरिष्टः—-—बच्चों को दाँत निकलने का कष्ट
बालामयः —पुं॰—बाल-आमयः—-—बच्चों की बीमारी, बालरोग
बालचिकित्सा —स्त्री॰—बाल-चिकित्सा—-—बच्चों के रोगों का इलाज
बालचुम्बालः —पुं॰—बाल-चुम्बालः—-—मछली
बालचूतः —पुं॰—बाल-चूतः—-—आम का पौधा
बालमनोरमा —स्त्री॰—बाल-मनोरमा—-—सिद्धान्त कौमुदी पर लिखी गई टीका
बालमरणम् —नपुं॰—बाल-मरणम्—-—मूर्ख की मृत्यु
बालयतिः —पुं॰—बाल-यतिः—-—बालसन्यासी
बालव्रतः —पुं॰—बाल-व्रतः—-—मञ्जुघोष का विशेषण
बालकः —पुं॰—-—बाल+कन्—बालक, बच्चा
बालकः —पुं॰—-—बाल+कन्—आवश्यक
बालकः —पुं॰—-—बाल+कन्—बुद्धू
बालकः —पुं॰—-—बाल+कन्—कड़ा
बालकः —पुं॰—-—बाल+कन्—हाथी या घोड़े की पूँछ
बालकः —पुं॰—-—बाल+कन्— पाँच वर्ष का हाथी
बाला —स्त्री॰—-—बाल+टाप्—दुर्गा का विशिष्ट रूप
बालामन्त्रः —पुं॰—बाला-मन्त्रः—-—बाला देवी का पुनीत मंत्र
बालिशमति —वि॰—-—-—बच्चों जैसी छोटी बुद्धि वाला, बालबुद्धि
बालेयशाकः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का शाक
बाष्कलः —पुं॰—-—-—एक अध्यापक, पैल ऋषि का शिष्य, ऋग्वेदशाखा का संस्थापक
बाष्पविक्लव —वि॰—-—-—आँसुओं से अभिभूत
बास्तिकम् —नपुं॰—-—बास्त+ठक्—बकरियों का झुंड
बाहिरिकः —पुं॰—-—-—विदेशी, दूसरे देश का
बाहुः —पुं॰—-—बाध्+कु, हकारादेशः—भुजा
बाहुः —पुं॰—-—बाध्+कु, हकारादेशः—चौखट का बाजू
बाहुः —पुं॰—-—बाध्+कु, हकारादेशः—पशु का अगला पाँव
बाहुः —पुं॰—-—बाध्+कु, हकारादेशः—समकोण त्रिकोण की आधार रेखा
बाहुः —पुं॰—-—बाध्+कु, हकारादेशः—रथ का पोल
बाहुः —पुं॰—-—बाध्+कु, हकारादेशः—सूर्य घड़ी पर शङ्कु की छाया
बाहुः —पुं॰—-—बाध्+कु, हकारादेशः—बारह अंगुल की नाप, एक हाथ की नाप
बाहुः —पुं॰—-—बाध्+कु, हकारादेशः—धनुष का अवयव
बाह्वन्तरम् —नपुं॰—बाहु-अन्तरम्—-—छाती
बाहुतरणम् —नपुं॰—बाहु-तरणम्—-—भुजाओं से तैर कर नदी पार करना
बाहुनिःसृतम् —नपुं॰—बाहु-निःसृतम्—-—युद्ध की एक विद्या जिसके अनुसार शत्रु के हाथ की तलवार नीचे गिरवा दी जाती हैं
बाहुप्रचालकम् —अ॰—बाहु-प्रचालकम्—-—भुजाएँ हिलाना
बाहुलोहम् —नपुं॰—बाहु-लोहम्—-—घण्टी बनाने के काम आने वाला धातु
बाहुविघट्टनम् —नपुं॰—बाहु-विघट्टनम्—-—मलयुद्ध की एक विशेष मुद्रा
बाहुविघट्टितम् —नपुं॰—बाहु-विघट्टितम्—-—मलयुद्ध की एक विशेष मुद्रा
बाह्य —वि॰—-—बहिर्भवः+ष्यञ्—बाहर का, बाहरी
बाह्य —वि॰—-—बहिर्भवः+ष्यञ्—जाति बहिष्कृत
बाह्य —वि॰—-—बहिर्भवः+ष्यञ्—सार्वजनिक
बाह्यः —पुं॰—-—बहिर्भवः+ष्यञ्—विदेशी
बाह्यः —पुं॰—-—बहिर्भवः+ष्यञ्—विरादरी से निष्कासित
बाह्यः —पुं॰—-—बहिर्भवः+ष्यञ्—प्रतिलोम सम्बन्ध से उत्पन्न सन्तान
बाह्यार्थः —पुं॰—बाह्य-अर्थः—-—शब्द का अतिरिक्त, फालतू अर्थ
बाह्यकक्षः —पुं॰—बाह्य-कक्षः—-—बाहर की ओर का कमरा
बाह्यकरणम् —नपुं॰—बाह्य-करणम्—-—बाहरी ज्ञानेन्द्रिय
बाह्यप्रयत्नः —पुं॰—बाह्य-प्रयत्नः—-—ध्वनियों के उच्चारण के समय बाह्य प्रयत्न
बिडालव्रतिक —वि॰,ब॰स॰—-—-—पाखण्डी, कपटी, धूर्त
बिन्दुः —पुं॰—-—बिन्द्+उ—बूंद, कण
बिन्दुः —पुं॰—-—बिन्द्+उ—गोल चिह्न
बिन्दुः —पुं॰—-—बिन्द्+उ—हाथी के शरीर पर रंगीन निशान
बिन्दुः —पुं॰—-—बिन्द्+उ—शून्य, सिफर
बिन्दुः —पुं॰—-—बिन्द्+उ—ऐसा चिह्न जिसकी लम्बाई, चौड़ाई कुछ भी न हो
बिन्दुः —पुं॰—-—बिन्द्+उ—पानी की एक बूंद
बिन्दुः —पुं॰—-—बिन्द्+उ—अक्षर के ऊपर लगा बिन्दु जो अनुस्वार का कार्य करता हैं
बिन्दुः —पुं॰—-—बिन्द्+उ—पाँडुलिपियों में मिटाये गये शब्द के ऊपर शून्य चिह्न
बिन्दुः —पुं॰—-—बिन्द्+उ—विशिष्ट चिह्न जो किसी गौण घटना का आकस्मिक विकास प्राप्त करता हैं
बिन्दुः —पुं॰—-—बिन्द्+उ—चिच्छक्ति की विशिष्ट अवस्था
बिन्दुच्युतकः —पुं॰—बिन्दु-च्युतकः—-—एक प्रकार की शब्द क्रीड़ा
बिन्दुप्रतिष्ठामय —वि॰—बिन्दु-प्रतिष्ठामय—-—अनुस्वार पर आधारित
बिन्दुमाधवः —पुं॰—बिन्दु-माधवः—-—विष्णु का रूप
बिम्बः —पुं॰—-—वी+वन्, नि॰—सूर्य या चन्द्र का मण्डल
बिम्बः —पुं॰—-—वी+वन्, नि॰—कोई भी थाली की भाँति गोल तलीय वस्तु
बिम्बः —पुं॰—-—वी+वन्, नि॰—प्रतिमा, छाया, अक्स
बिम्बः —पुं॰—-—वी+वन्, नि॰—दर्पण
बिम्बः —पुं॰—-—वी+वन्, नि॰—मर्तबान
बिम्बः —पुं॰—-—वी+वन्, नि॰—तुलित पदार्थ
बिम्बः —पुं॰—-—वी+वन्, नि॰—मूर्ति, आकृति
बिम्बः —पुं॰—-—वी+वन्, नि॰—साँचा, उभरा हुआ चित्र
बिम्बिनी —स्त्री॰—-—बिम्ब्+इन्+ङीप्—आँख की पुतली
बिम्बसारः —पुं॰—-—-—मगध के एक राजा का नाम जो गौतम बुद्ध का समसामयिक था
बिरुदः —पुं॰—-—-—एक पदक या उपाधि जो श्रेष्ठता का द्योतक हैं
बिरुदः —पुं॰—-—-—स्तुतिपाद, प्रशस्ति
बिलायनम् —नपुं॰,ष॰त॰—-—-—अन्तर्भौमिक गुफा
बिसम् —नपुं॰—-—बिस्+क—कमलतन्तु
बिसम् —नपुं॰—-—-—कमल का तन्तुमय काण्ड
बिसम् —नपुं॰—-—-—कमल का पौधा
बिसोर्णा —स्त्री॰—बिसम्-ऊर्णा—-—कमलतन्तु की ऊन
बिसगुणः —पुं॰—बिसम्-गुणः—-—कमलतन्तुओं से बनी रस्सी
बिसप्रसूनम् —नपुं॰—बिसम्-प्रसूनम्—-—कमल फूल
बिसवर्त्तिः —स्त्री॰—बिसम्-वर्त्तिः—-—कमलतन्तुओं से बनी बत्ती
बिसनीपत्रम् —नपुं॰—-—-—कमल का पत्ता
बीजम् —नपुं॰—-—वि+जन्+ड, उपसर्गस्य दीर्घः—बीज, बीज का दाना
बीजम् —नपुं॰—-—वि+जन्+ड, उपसर्गस्य दीर्घः—बीजाणु, तत्त्व
बीजम् —नपुं॰—-—वि+जन्+ड, उपसर्गस्य दीर्घः—मूल, स्रोत
बीजम् —नपुं॰—-—वि+जन्+ड, उपसर्गस्य दीर्घः—वीर्य
बीजम् —नपुं॰—-—वि+जन्+ड, उपसर्गस्य दीर्घः—कथावस्तु का बीज
बीजम् —नपुं॰—-—वि+जन्+ड, उपसर्गस्य दीर्घः—बीजगणित
बीजम् —नपुं॰—-—वि+जन्+ड, उपसर्गस्य दीर्घः—सचाई
बीजम् —नपुं॰—-—वि+जन्+ड, उपसर्गस्य दीर्घः—आशय
बीजम् —नपुं॰—-—वि+जन्+ड, उपसर्गस्य दीर्घः—प्राथमिक जननाणु का संकलक
बीजम् —नपुं॰—-—वि+जन्+ड, उपसर्गस्य दीर्घः—विश्लेषण
बीजम् —नपुं॰—-—वि+जन्+ड, उपसर्गस्य दीर्घः—जन्म के समय शिशु के हाथों की मुद्रा
बीजाङ्घ्रिकः —पुं॰—बीजम्-अङ्घ्रिकः—-—ऊँट
बीजार्थ —वि॰—बीजम्-अर्थ—-—प्रजननार्थी
बीजनिर्वापणम् —नपुं॰—बीजम्-निर्वापणम्—-—बीज बोना
बीजप्ररोहिन् —वि॰—बीजम्-प्ररोहिन्—-—बीज से उगने वाला
बीजवापः —पुं॰—बीजम्-वापः—-—बीज बोना
बीजस्नेहः —पुं॰—बीजम्-स्नेहः—-—ढाक का वृक्ष
बीजाकृत —वि॰—-—-—जिसमें बोने के पश्चात हल चला दिया जाय
बुद्ध —वि॰—-—बुध्+क्त—ज्ञात
बुद्ध —वि॰—-—बुध्+क्त—जागरित
बुद्ध —वि॰—-—बुध्+क्त—प्रकाशित
बुद्ध —वि॰—-—बुध्+क्त—विकसित
बुद्धः —पुं॰—-—बुध्+क्त—विद्वान पुरुष
बुद्धः —पुं॰—-—बुध्+क्त—वह व्यक्ति जिसने ‘सत्य ज्ञान’ जान लिया है तथा जो स्वयं निर्वाण प्राप्त करने से पूर्व संसार को मोक्ष का मार्ग बतलाता हैं
बुद्धः —पुं॰—-—बुध्+क्त—परमात्मा
बुद्धिः —स्त्री॰—-—बुध्+क्तिन्—प्रत्यक्षीकरण, समझ
बुद्धिः —स्त्री॰—-—बुध्+क्तिन्—प्रज्ञा, मति, मेधा
बुद्धिः —स्त्री॰—-—बुध्+क्तिन्—सूचना, जानकारी
बुद्धिः —स्त्री॰—-—बुध्+क्तिन्—विवेक
बुद्धिः —स्त्री॰—-—बुध्+क्तिन्—मन
बुद्धिः —स्त्री॰—-—बुध्+क्तिन्—मति, विश्वास, विचार
बुद्धिः —स्त्री॰—-—बुध्+क्तिन्—इरादा, प्रयोजन
बुद्धिः —स्त्री॰—-—बुध्+क्तिन्—अभिकल्प
बुद्धिः —स्त्री॰—-—बुध्+क्तिन्—होश में आना, सुधबुध प्राप्त करना
बुद्धिः —स्त्री॰—-—बुध्+क्तिन्— सांख्य के २५ पदार्थों में दूसरा
बुद्धिः —स्त्री॰—-—बुध्+क्तिन्—प्रकृति
बुद्धिः —स्त्री॰—-—बुध्+क्तिन्—उपाय
बुद्धिः —स्त्री॰—-—बुध्+क्तिन्—ज्योतिष की दृष्टि से पाँचवाँ घर
बुद्ध्यधिक —वि॰—बुद्धि-अधिक—-— श्रेष्ठ बुद्धि से युक्त
बुद्धिच्छाया —स्त्री॰—बुद्धि-छाया—-—बुद्धि की आत्मा पर प्रतिवर्त क्रिया
बुद्धिप्रगल्भी —स्त्री॰—बुद्धि-प्रगल्भी—-—समझ की स्वस्थता
बुद्धिमोहः —पुं॰—बुद्धि-मोहः—-—विचार, मूढ़ता
बुद्धिलाघवम् —नपुं॰—बुद्धि-लाघवम्—-—निर्णयविषयक हलकापन्, न्यायलघिमा, नासमझी
बुद्धिवर्जित —वि॰—बुद्धि-वर्जित—-—निर्बुद्धी, बुद्धीहीन
बुद्धिवैभवम् —नपुं॰—बुद्धि-वैभवम्—-—बुद्धी की शक्ति, बुद्धि का ऐश्वर्य
बुभूषु —वि॰—-—भू+सन्+उ, धातोर्द्वित्वम्—समृद्ध होने का इच्छुक
बुभूषु —वि॰—-—भू+सन्+उ, धातोर्द्वित्वम्—कल्याण चाहने वाला
बुरुडः —पुं॰—-—-—टोकरी बनाने वाला
बुसा —स्त्री॰—-—बुस्+अच्+टाप्—छोटी बहन
बृसय —वि॰—-—-—प्रबल, बलशाली, बड़ा
बृहत् —वि॰—-—बृह्+अति—बड़ा विशाल
बृहत् —वि॰—-—-—चौड़ा, प्रशस्त, विस्तृत
बृहत् —वि॰—-—-—प्रबल, शक्तिशाली
बृहत् —वि॰—-—-—पूर्ण विकसित
बृहत् —वि॰—-—-—संपृक्त, सटा हुआ
बृहत् —वि॰—-—-—प्राचीनतम, सबसे पुराना
बृहती —स्त्री॰—-—-—बड़ी वीणा
बृहती —स्त्री॰—-—-—नारद की वीणा
बृहती —स्त्री॰—-—-—छत्तीस की संख्या का प्रतीक
बृहती —स्त्री॰—-—-—पीठ और छाती के बीच का भाग
बृहती —स्त्री॰—-—-—सफेद अंडाकार बैंगन
बृहत् —नपुं॰—-—-—नैष्ठिक ब्रह्मचर्य
बृहोत्तरतापिनी —स्त्री॰—बृहत्-उत्तरतापिनी—-—एक उपनिषद का नाम
बृहत्तेजस् —पुं॰—बृहत्-तेजस्—-—बृहस्पति ग्रह
बृहद्देवता —स्त्री॰—बृहत्-देवता—-—वैदिक देवता विषयक एक ग्रन्थ
बृहन्नारदीयम् —नपुं॰—बृहत्-नारदीयम्—-—एक उपनिषद का नाम
बृहत्संहिता —स्त्री॰—बृहत्-संहिता—-—वराहमिहिर रचित ज्योतिष का एक ग्रन्थ
बृहत्सामन् —नपुं॰—बृहत्-सामन्—-—सामदेव का एक मन्त्र
बृह्स्पतिचक्रम् —नपुं॰—-—-—साठवर्षों का काल
बैल —वि॰—-—बिल+अण्—बिलों में रहने वाला
बोक्काणः —पुं॰—-—-—घोड़े की नाक पर लटकता हुआ थैला जिसमें उसका खाद्यपदार्थ रखा रहता हैं
बोधायनः —पुं॰—-—-—एक सूत्रकार का नाम
बोधिः —पुं॰—-—बुध+इन्—पूर्ण ज्ञान या प्रकाश
बोधिः —पुं॰—-—बुध+इन्— बौद्ध श्रमण की उज्ज्वल बुद्धि
बोधिः —पुं॰—-—बुध+इन्—पुनीत बटवृक्ष
बोधिः —पुं॰—-—बुध+इन्—मुर्गा
बोधिः —पुं॰—-—बुध+इन्—बुद्ध का विशेषण
बोध्यङ्गम् —नपुं॰—बोधि-अङ्गम्—-—पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने के लिए अपेक्षित वस्तु
बौद्धावतारः —पुं॰—-—-— बुद्ध के रूप में भगवान का अवतार
ब्रध्नः —पुं॰—-—-—वृक्षमूल
ब्रध्नः —पुं॰—-—-—आक या मदार का पौधा
ब्रध्नः —पुं॰—-—-—शिव या ब्रह्मा का विशेषण
ब्रध्नः —पुं॰—-—-—तीर की नोक
ब्रध्नः —पुं॰—-—-—एक रोग का नाम
ब्रध्नबिम्बन् —पुं॰—ब्रध्न-बिम्बन्—-—सूर्यमण्डलम्
ब्रध्नमण्डलम् —नपुं॰—ब्रध्नः-मण्डलम्—-—सूर्यमण्डलम्
ब्रह्मन् —नपुं॰—-—बृह्+मनिन्, नकारस्याकार ऋतोरत्वम्—परमपुरुष, परमात्मा
ब्रह्मन् —नपुं॰—-—बृह्+मनिन्, नकारस्याकार ऋतोरत्वम्—अर्थवादपरक सूक्त
ब्रह्मन् —नपुं॰—-—बृह्+मनिन्, नकारस्याकार ऋतोरत्वम्—पुनीत पाठ
ब्रह्मन् —नपुं॰—-—बृह्+मनिन्, नकारस्याकार ऋतोरत्वम्—वेद
ब्रह्मन् —नपुं॰—-—बृह्+मनिन्, नकारस्याकार ऋतोरत्वम्—पुनीत अक्षर ॐ
ब्रह्मन् —नपुं॰—-—बृह्+मनिन्, नकारस्याकार ऋतोरत्वम्—ब्राह्मण जाति
ब्रह्मन् —नपुं॰—-—बृह्+मनिन्, नकारस्याकार ऋतोरत्वम्—ब्राह्मण की शक्ति
ब्रह्मन् —नपुं॰—-—बृह्+मनिन्, नकारस्याकार ऋतोरत्वम्—धार्मिक तपश्चरण
ब्रह्मन् —नपुं॰—-—बृह्+मनिन्, नकारस्याकार ऋतोरत्वम्—ब्रह्मचर्य, सतीत्व
ब्रह्मन् —नपुं॰—-—बृह्+मनिन्, नकारस्याकार ऋतोरत्वम्—मोक्ष
ब्रह्मन् —नपुं॰—-—बृह्+मनिन्, नकारस्याकार ऋतोरत्वम्—वेद का ब्राह्मण भाग
ब्रह्मन् —नपुं॰—-—बृह्+मनिन्, नकारस्याकार ऋतोरत्वम्—धन
ब्रह्मन् —नपुं॰—-—बृह्+मनिन्, नकारस्याकार ऋतोरत्वम्—आहार
ब्रह्मन् —नपुं॰—-—बृह्+मनिन्, नकारस्याकार ऋतोरत्वम्—स्च्चाई
ब्रह्मन् —नपुं॰—-—बृह्+मनिन्, नकारस्याकार ऋतोरत्वम्—ब्राह्मण
ब्रह्मन् —नपुं॰—-—बृह्+मनिन्, नकारस्याकार ऋतोरत्वम्—ब्राह्मणत्व
ब्रह्मन् —नपुं॰—-—बृह्+मनिन्, नकारस्याकार ऋतोरत्वम्—आत्मा
ब्रह्मकिल्विषम् —नपुं॰—ब्रह्मन्-किल्विषम्—-—ब्राह्मणों के प्रति किया गया अपराध
ब्रह्मकूटः —पुं॰—ब्रह्मन्-कूटः—-—बड़ा विद्वान्
ब्रह्मगीता —स्त्री॰—ब्रह्मन्-गीता—-—ब्रह्मा का उपदेश जैसा कि महा॰ के अनुसासनपर्व में दिया गया हैं
ब्रह्मजिज्ञासा —स्त्री॰—ब्रह्मन्-जिज्ञासा—-—परमात्मा को जानने की इच्छा
ब्रह्मतन्त्रम् —नपुं॰—ब्रह्मन्-तन्त्रम्—-—वेद की शिक्षा
ब्रह्मदूषक —वि॰—ब्रह्मन्-दूषक—-—वेद के मूल पाठ को दूषित करने वाला
ब्रह्मपारः —पुं॰—ब्रह्मन्-पारः—-—सब प्रकार के पूनित ज्ञान का अन्तिम उद्देश्य
ब्रह्मबलम् —नपुं॰—ब्रह्मन्-बलम्—-—ब्रह्मविषयक शक्ति
ब्रह्मबिन्दुः —पुं॰—ब्रह्मन्-बिन्दुः—-—वेदपाठ करते समय मुख से निकली थूक की बूँद
ब्रह्मभूमिजा —स्त्री॰—ब्रह्मन्-भूमिजा—-—एक प्रकार की मिर्च
ब्रह्ममुहूर्तः —पुं॰—ब्रह्मन्-मुहूर्तः—-—दिन का आरम्भिक भाग, ब्राह्मवेला
ब्रह्मरात्रः —पुं॰—ब्रह्मन्-रात्रः—-—उषाकाल
ब्रह्मवादः —पुं॰—ब्रह्मन्-वादः—-—परमात्मा से सम्बन्ध रखने वाला व्याख्यान
ब्रह्मश्री —स्त्री॰—ब्रह्मन्-श्री—-—एक साममंत्र का नाम
ब्रह्मण्वत् —पुं॰—-—ब्रह्मन्+मतुप्—अग्नि का विशेषण
ब्रह्मीभूतः —पुं॰—-—-—जिसने ब्रह्मा के साथ सायुज्य प्राप्त कर लिया हैं
ब्रह्मीभूतः —पुं॰—-—-—शङ्कराचार्य
ब्राह्मनिधिः —पुं॰—-—-—ब्राह्मणों, पुरोहितों तथा याजकों के लिए बनाई गई निधि
ब्राह्मण —वि॰—-—ब्रह्म वेत्त्यधीते वा ब्रह्मा+अण्—ब्राह्मण विषयक
ब्राह्मण —वि॰—-—ब्रह्म वेत्त्यधीते वा ब्रह्मा+अण्—ब्राह्मण के योग्य
ब्राह्मण —वि॰—-—ब्रह्म वेत्त्यधीते वा ब्रह्मा+अण्—ब्राह्मण द्वारा दिया गया
ब्राह्मण —वि॰—-—ब्रह्म वेत्त्यधीते वा ब्रह्मा+अण्—धर्मपूजा विषयक
ब्राह्मण —वि॰—-—ब्रह्म वेत्त्यधीते वा ब्रह्मा+अण्—ब्रह्मा को जानने वाला
ब्राह्मणः —पुं॰—-—ब्रह्मा+अण्—चारों वर्णो में से पहले वर्णों से संबद्ध
ब्राह्मणः —पुं॰—-—ब्रह्मा+अण्—ब्राह्मण
ब्राह्मणः —पुं॰—-—ब्रह्मा+अण्—पुरोहित
ब्राह्मणः —पुं॰—-—ब्रह्मा+अण्—अग्नि का विशेषण
ब्राह्मणः —पुं॰—-—ब्रह्मा+अण्—अट्ठाइसवाँ नक्षत्र
ब्राह्मणम् —नपुं॰—-—ब्रह्मा+अण्—ब्राह्मण समाज
ब्राह्मणम् —नपुं॰—-—ब्रह्मा+अण्—वेद का वह भाग जिसमें विभिन्न यज्ञों के अवसर पर सूक्तों के प्रयोगों का विधान विहित हैं, यह मन्त्रभाग से बिल्कुल पृथक् हैं
ब्राह्मणादर्शनम् —नपुं॰—ब्राह्मण-अदर्शनम्—-—ब्राह्मण भाग में विहित निर्देश का अभाव
ब्राह्मणप्रसङ्गः —पुं॰—ब्राह्मण-प्रसङ्गः—-—‘ब्राह्मण’ नाम
ब्राह्मणप्रातिवेश्यः —पुं॰—ब्राह्मण-प्रातिवेश्यः—-—पडौसी ब्राह्मण
ब्राह्मणभावः —पुं॰—ब्राह्मण-भावः—-—ब्राह्मण होने की स्थिति
भक्तम् —नपुं॰—-—भज्+क्त—भाग, अंश
भक्तम् —नपुं॰—-—भज्+क्त—आहार
भक्तम् —नपुं॰—-—भज्+क्त—भात, उबले हुए चावल
भक्तम् —नपुं॰—-—भज्+क्त—अनाज
भक्तम् —नपुं॰—-—भज्+क्त—पानी में उबाला हुआ अन्न
भक्तम् —नपुं॰—-—भज्+क्त—पूजा, अर्चना
भक्तम् —नपुं॰—-—भज्+क्त—वेतन, पारिश्रमिक
भक्तम् —नपुं॰—-—भज्+क्त—एक दिन का भोजन
भक्ताग्रः —पुं॰—भक्तम्-अग्रः—-—उपहारशाला, जलपानगृह
भक्ताग्रम् —नपुं॰—भक्तम्-अग्रम्—-—उपहारशाला, जलपानगृह
भक्तकृत्यम् —नपुं॰—भक्तम्-कृत्यम्—-—भोजन की तैयारी
भक्तसाधनम् —नपुं॰—भक्तम्-साधनम्—-—दाल की तश्तरी
भक्तसिक्थम् —नपुं॰—भक्तम्-सक्थम्—-—भात का मांड
भक्तिः —स्त्री॰—-—भज्+क्तिन्—विभाजन
भक्तिः —स्त्री॰—-—भज्+क्तिन्—गौण अर्थ, आलंकारिक अर्थ
भक्तिः —स्त्री॰—-—भज्+क्तिन्—शरीर की उन्मुखता
भक्तिगम्य —वि॰—भक्ति-गम्य—-—जो भक्ति के दारा प्राप्त किया जा सके, जहाँ श्रद्धा और भक्ति से पहुँचा जाय
भक्तिगन्धि —वि॰—भक्ति-गन्धि—-—जिसमें भक्ति की गन्धमात्र हो अर्थात थोड़ी भक्ति वाला व्यक्ति
भक्तिवैश्य —वि॰—भक्ति-वैश्य—-—जो भक्ति के द्वारा वश में किया जा सके
भक्ष्य —वि॰—-—भक्ष्+ण्यत्—खाने के योग्य, भोजन के लिए उपयुक्त
भक्ष्यम् —नपुं॰—-—भक्ष्+ण्यत्—खाने क पदार्थ, आहार
भक्ष्यम् —नपुं॰—-—भक्ष्+ण्यत्—जल
भक्ष्याभक्ष्यम् —नपुं॰—भक्ष्य-अभक्ष्यम्—-—अनुमत और निषिद्ध भोजन
भक्ष्यभोज्यम् —नपुं॰—भक्ष्य-भोज्यम्—-—सब प्रकार के भोजन से युक्त
भगः —पुं॰—-—भज्+घ—शिव का रूप
भगः —पुं॰—-—भज्+घ—सौभाग्य, प्रसन्नता
भगः —पुं॰—-—भज्+घ—समृद्धि, यश, कीर्ति
भगः —पुं॰—-—भज्+घ—सौन्दर्य
भगः —पुं॰—-—भज्+घ—श्रेष्ठता
भगः —पुं॰—-—भज्+घ—प्रेम, प्यार
भगः —पुं॰—-—भज्+घ—गुण, धर्म
भगः —पुं॰—-—भज्+घ—अरूचि, विराग
भगः —पुं॰—-—भज्+घ—सामर्थ्य
भगः —पुं॰—-—भज्+घ—सर्वशक्तिमत्तता
भगः —पुं॰—-—भज्+घ—प्रेम और विवाह की अधिष्ठात्री देवता आदित्य
भगम् —नपुं॰—-—भज्+घ—शिव का रूप
भगम् —नपुं॰—-—भज्+घ—सौभाग्य, प्रसन्नता
भगम् —नपुं॰—-—भज्+घ—समृद्धि, यश, कीर्ति
भगम् —नपुं॰—-—भज्+घ—सौन्दर्य
भगम् —नपुं॰—-—भज्+घ—श्रेष्ठता
भगम् —नपुं॰—-—भज्+घ—प्रेम, प्यार
भगम् —नपुं॰—-—भज्+घ—कामकेलि
भगम् —नपुं॰—-—भज्+घ—गुण, धर्म
भगम् —नपुं॰—-—भज्+घ—प्रयत्न
भगम् —नपुं॰—-—भज्+घ—अरूचि, विराग
भगम् —नपुं॰—-—भज्+घ—सामर्थ्य
भगम् —नपुं॰—-—भज्+घ—सर्वशक्तिमत्तता
भगम् —नपुं॰—-—भज्+घ—प्रेम और विवाह की अधिष्ठात्री देवता आदित्य
भगेशः —पुं॰—भगम्-ईशः—-—भाग्य का देवता
भगकाम —वि॰—भगम्-काम—-—संभोग के आनन्द का इच्छुक
भगवृत्तिः —स्त्री॰—भगम्-वृत्तिः—-—वेश्यावृत्ति
भगवृत्ति —वि॰—भगम्-वृत्ति—-—वेश्यावृत्ति से निर्वाह करने वाला
भगवत्पादाः —पुं॰—-—-—आदि शंकराचार्य की सम्मानसूचक उपाधि
भग्न —वि॰—-—भञ्ज+क्त—टूटा हुआ
भग्न —वि॰—-—भञ्ज+क्त—हताश, विफल
भग्न —वि॰—-—भञ्ज+क्त—अवरुद्ध, स्थगित
भग्न —वि॰—-—भञ्ज+क्त—ध्वस्त
भग्न —वि॰—-—भञ्ज+क्त—ढाया हुआ
भग्नास्थि —वि॰—भग्न-अस्थि—-— जिसकी हड्डियाँ टूट गई हैं
भग्नकूवर —वि॰—भग्न-कूवर—-— जिसका ऊपर का ढाँचा टूट गया हैं
भग्नतालः —पुं॰—भग्न-तालः—-—एक प्रकार की माप
भग्नपरिणाम —वि॰—भग्न-परिणाम—-—पूरा करने से रोकने वाला
भङ्गः —पुं॰—-—भञ्ज+घञ्—विश्व में निरन्तर होने वाला क्षय
भङ्गः —पुं॰—-—भञ्ज+घञ्—‘स्यात’ से आरम्भ होने वाला तार्किक सूत्र
भङ्गिः —स्त्री॰—-—भञ्ज+इन्, कुत्वम्; स्त्रियां ङीष्—टूटना
भङ्गिः —स्त्री॰—-—भञ्ज+इन्, कुत्वम्; स्त्रियां ङीष्—हिलना
भङ्गिः —स्त्री॰—-—भञ्ज+इन्, कुत्वम्; स्त्रियां ङीष्—झुकना
भङ्गिः —स्त्री॰—-—भञ्ज+इन्, कुत्वम्; स्त्रियां ङीष्—तरंग
भङ्गिः —स्त्री॰—-—भञ्ज+इन्, कुत्वम्; स्त्रियां ङीष्—बाढ़
भङ्गिः —स्त्री॰—-—भञ्ज+इन्, कुत्वम्; स्त्रियां ङीष्— विशिष्ट प्रथा, ढंग
भङ्गिभाषणम् —नपुं॰—भङ्गि-भाषणम्—-—कूटनीति से युक्त भाषण
भङ्गिविकारः —पुं॰—भङ्गि-विकारः—-—अपनी मुखमुद्रा को विकृत करना
भङ्गिनी —स्त्री॰—-—भङ्गिन्+ङीप्—नदी, दरिया
भञ्जना —स्त्री॰—-—भञ्ज्+युच्+टाप्—व्याख्या
भट्टनारायणः —पुं॰—-—-—‘वेणिसंहार’ नाटक का प्रणेता
भट्टिः —पुं॰—-—-—‘भट्टि काव्य’ का रचयिता
भट्टोजिः —पुं॰—-—-—एक वैयाकरण का नाम
भण्डुकः —पुं॰—-—-—एक प्रकार की मछली
भद्र —वि॰—-—भन्द्+रक्, नलोपः—अच्छा, प्रसन्न, समृद्ध
भद्र —वि॰—-—भन्द्+रक्, नलोपः— शुभ, मांगलिक
भद्र —वि॰—-—भन्द्+रक्, नलोपः—श्रेष्ठ, प्रमुख
भद्र —वि॰—-—भन्द्+रक्, नलोपः—कृपालु
भद्र —वि॰—-—भन्द्+रक्, नलोपः—सुखद
भद्र —वि॰—-—भन्द्+रक्, नलोपः—सुन्दर
भद्र —वि॰—-—भन्द्+रक्, नलोपः— वाञ्छनीय
भद्र —वि॰—-—भन्द्+रक्, नलोपः—प्रिय
भद्र —वि॰—-—भन्द्+रक्, नलोपः—दक्ष
भद्रकल्पः —पुं॰—भद्र-कल्पः—-—बौद्धों के अनुसार वर्तमान युग
भद्रनिधिः —पुं॰—भद्र-निधिः—-—उपहार के लिए बने पात्र
भद्रवाच् —स्त्री॰—भद्र-वाच्—-—शुभ वक्तृता
भद्रविराज —पुं॰—भद्र-विराज—-—एक छन्द का नाम
भद्रक —वि॰—-—भद्र+कन्—सुन्दर
भद्रक —वि॰—-—भद्र+कन्—सज्जन
भद्रकम् —नपुं॰—-—-—बैठने का विशिष्ट आसन
भद्रकम् —नपुं॰—-—-—अन्तःपुर
भद्राकरणम् —नपुं॰—-—-—मुण्डन, समस्त सिर मुंडवाना
भयालु —वि॰—-—भय+आलुच्—भीरु कायर
भरः —पुं॰—-—भृ+अप्—पराक्रम, श्रेष्ठता, प्रमुखता
भरतशास्त्रम् —नपुं॰—-—-—नाट्यकला
भर्गस् —नपुं॰—-—भृज्+असुन्—आभा, कान्ति, चमक
भर्तव्य —वि॰—-—भृ+तव्य—सहन करने या ढोने योग्य
भर्तव्य —वि॰—-—भृ+तव्य—भाड़े के योग, पालन पोषण किये जाने के योग्य
भर्तृ —पुं॰—-—भृ+तृच्—स्वामी
भर्तृ —पुं॰—-—भृ+तृच्—नेता, सेनापति
भर्तृ —पुं॰—-—भृ+तृच्—पालक पोषक, रक्षक
भर्तृ —पुं॰—-—भृ+तृच्— सृष्टिकर्ता
भर्तृ —पुं॰—-—भृ+तृच्— विष्णु
भर्तृचित्त —वि॰—भर्तृ-चित्त—-—पति के विषय में सोचने वाली
भर्तृदेवता —स्त्री॰—भर्तृ-देवता—-—पति को देवता मानना
भर्तृलोकः —पुं॰—भर्तृ-लोकः—-—पति का संसार
भर्तृहार्यधन —वि॰—भर्तृ-हार्यधन—-— जिसकी सम्पत्ति उसकी स्वामी के द्वारा जब्त किया जा सके
भर्तृहीना —स्त्री॰—भर्तृ-हीना—-—पति द्वारा परित्यक्ता
भवः —पुं॰—-—भू+अप्—सत्ता, अस्तित्व
भवः —पुं॰—-—भू+अप्—जन्म, उपज
भवः —पुं॰—-—भू+अप्—स्रोत, उदगम्
भवः —पुं॰—-—भू+अप्—सांसारिक सत्ता, सांसारिक जीवन
भवः —पुं॰—-—भू+अप्—स्वास्थ्य, समृद्धि
भवः —पुं॰—-—भू+अप्—अधिग्रहण, प्राप्ति
भवः —पुं॰—-—भू+अप्—श्रेष्ठता
भवाग्रम् —नपुं॰—भव-अग्रम्—-—संसार का सबसे अधिक दूरवर्ती किनारा
भवभङ्गः —पुं॰—भव-भङ्गः—-—जन्म मरण से मुक्ति
भवभावन —वि॰—भव-भावन—-—कल्याणकारी
भवभीरु —वि॰—भव-भीरु—-—संसार के अस्तित्व से डरने वाला
भवभोगः —पुं॰—भव-भोगः—-—सांसारिक सुखों का आनन्द लेना
भवशेखरः —पुं॰—भव-शेखरः—-—चन्द्रमा
भवसङ्गिन् —वि॰—भव-सङ्गिन्—-—भौतिक संसार में अनुरक्त
भवसन्ततिः —स्त्री॰—भव-सन्ततिः—-—जन्म मरण का तांता
भवद्वसु —वि॰,ब॰स॰—-—-—धनवान, दौलतमंद
भवनम् —नपुं॰—-—भ्+ल्युट्—जन्माङ्ग, जन्मकुंडली, जन्म-नक्षत्र
भव्यमनस् —वि॰—-—-—अच्छे सङ्कल्पों वाला
भावत्क —वि॰—-—भवत्+कक्—आप से सम्बन्ध रखने वाला
भषी —स्त्री॰—-—-—कुतिया, भौंकने वाली
भस्मन् —नपुं॰—-—भस्+मनिन्—राख
भस्मन् —नपुं॰—-—-—शरीर पर लागाई जानी वाली भभूत, राख
भस्माङ्गः —पुं॰—भस्मन्-अङ्गः—-—एक प्रकार का कबूतर
भस्माङ्गरागः —पुं॰—भस्मन्-अङ्गरागः—-—शरीर पर भस्म रमाना
भस्मावलेपः —पुं॰—भस्मन्-अवलेपः—-—शरीर पर भस्म लीपना
भस्मावशेषः —वि॰—भस्मन्-अवशेषः—-—जो केवल राख के रूप में बच गया हैं
भस्मगुण्ठनम् —नपुं॰—भस्मन्-गुण्ठनम्—-—शरीर पर भस्म पोतना
भस्मगात्रः —पुं॰—भस्मन्-गात्रः—-—कामदेव
भस्मचयः —पुं॰—भस्मन्-चयः—-—राख का ढेर
भा —अदा॰पर॰—-—-—फूंक मारना
बभौ —भाधातु,लिट्लकार,प्र॰पु॰,ए॰व॰—-—-—चमका
बभौ —भाधातु,लिट्लकार,प्र॰पु॰,ए॰व॰—-—-—प्रसन्न हुआ
बभौ —भाधातु,लिट्लकार,प्र॰पु॰,ए॰व॰—-—-—हुआ
बभौ —भाधातु,लिट्लकार,प्र॰पु॰,ए॰व॰—-—-—हवा चली
भागः —पुं॰—-—भज्+घञ्—शुल्क
भागः —पुं॰—-—भज्+घञ्—चार आध्यात्मिकों में से एक
भागः —पुं॰—-—भज्+घञ्—ग्यारह की संख्या
भागः —पुं॰—-—भज्+घञ्—भाग, अंश
भागः —पुं॰—-—भज्+घञ्—भाग्य, किस्मत
भागः —पुं॰—-—भज्+घञ्—चौथाई भाग
भागाप —वि॰—भाग-अप—-—जो अपना भाग ले लेता हैं
भागहारिन् —वि॰—भाग-हारिन्—-—जो अपना भाग ले लेता हैं
भागधनम् —नपुं॰—भाग-धनम्—-—कोष
भागपत्रम् —नपुं॰—भाग-पत्रम्—-—विभाजन का दस्तावेज
भागलेख्यम् —नपुं॰—भाग-लेख्यम्—-—विभाजन का दस्तावेज
भागिन् —वि॰—-— भाग+इनि—अत्यन्त उपयोगी
भागुरिः —पुं॰—-—-—एक विख्यात वैयाकरण और स्मृतिकार का नाम
भाग्य —वि॰—-—भज्+ण्यत्, कुत्वम्—बांटे जाने के योग्य
भाग्य —वि॰—-—भज्+ण्यत्, कुत्वम्—हिस्से का अधिकारी
भाग्य —वि॰—-—भज्+ण्यत्, कुत्वम्—भाग्यशाली, किस्मतवाला
भाग्यम् —नपुं॰—-—भज्+ण्यत्, कुत्वम्—भाग्य, किस्मत
भाग्यम् —नपुं॰—-—भज्+ण्यत्, कुत्वम्—अच्छी किस्मत, सौभाग्य
भाग्यम् —नपुं॰—-—भज्+ण्यत्, कुत्वम्—समृद्धि
भाग्यम् —नपुं॰—-—भज्+ण्यत्, कुत्वम्—कल्याण, सुख
भाग्यसंक्षयः —पुं॰—भाग्य-संक्षयः—-—बुरी किस्मत
भाग्योन्नतिः —स्त्री॰—भाग्य-उन्नतिः—-—भाग्य का उदय होना
भाग्यर्क्षम् —नपुं॰—भाग्य-ऋक्षम्—-—पूर्वफाल्गुणी नक्षत्र
भाजक् —अ॰—-—-—जल्दी से , तेजी से
भाजनविषमः —पुं॰—-—-—गलत उपायों के द्वारा गबन करना
भाण्डम् —नपुं॰—-—भाण्ड्+अच्—सामान
भाण्डम् —नपुं॰—-—भाण्ड्+अच्—पूंजी, मूलधन
भाण्डम् —नपुं॰—-—भाण्ड्+अच्—बर्तन
भाण्डगोपकः —पुं॰—भाण्ड-गोपकः—-—बर्तन रखने वाला
भानतः —अ॰—-—-—प्रतीति के परिणामस्वरुप
भानव —वि॰—-—भानु+अण्—सूर्यसम्बन्धी
भानुभूः —स्त्री॰—-—-—यमुना नदी का विशेषण
भामहः —पुं॰—-—-—अलंकार शास्त्र का एक विख्यात लेखक
भारः —पुं॰—-—भृ+घञ्—आधिक्य
भारः —पुं॰—-—भृ+घञ्—परिश्रम
भारः —पुं॰—-—भृ+घञ्—बड़ी राशि
भारः —पुं॰—-—भृ+घञ्—किसी पर डाला गया कार्यभार
भारावरतणम् —नपुं॰—भार-अवरतणम्—-—बोझा कम करना
भाराक्रान्ता —स्त्री॰—भार-आक्रान्ता—-—एक छन्द का नाम
भारोद्धरणम् —नपुं॰—भार-उद्धरणम्—-—बोझा उठाना
भारोढिः —स्त्री॰—भार-ऊढिः—-—भारवहन करना, बोझ उठाना
भारगः —पुं॰—भार-गः—-—खच्चर
भारिका —स्त्री॰—-—-—राशि, ढेर
भारती —स्त्री॰—-—-—वक्तृता, शब्द, वाक्पटुता
भारती —स्त्री॰—-—-—वाणी की देवता
भारती —स्त्री॰—-—-—नाट्यकला
भारती —स्त्री॰—-—-—किसी पात्र की संस्कृत वक्तृता
भारती —स्त्री॰—-—-—सन्यासियों के दस भेदों में से एक
भारत —वि॰—-—भरतस्येदम्+अण्—भरतवंशी
भारतः —पुं॰—-—भरतस्येदम्+अण्—भरतकुल में उत्पन्न
भारतः —पुं॰—-—भरतस्येदम्+अण्—भारतवर्ष का निवासी
भारतः —पुं॰—-—भरतस्येदम्+अण्—अग्नि
भारतम् —नपुं॰—-—भरतस्येदम्+अण्—भारतवर्ष देश
भारतम् —नपुं॰—-—भरतस्येदम्+अण्—संस्कृत का एक महान काव्य
भारतम् —नपुं॰—-—भरतस्येदम्+अण्—संगीतशास्त्र तथा नाट्यकला
भारताख्यानम् —नपुं॰—भारत-आख्यानम्—-—भरतकुल के राजाओं की कहानी, महाभारत काव्य
भारतेतिहासः —पुं॰—भारत-इतिहासः—-—भरतकुल के राजाओं की कहानी, महाभारत काव्य
भारतकथा —स्त्री॰—भारत-कथा—-—भरतकुल के राजाओं की कहानी, महाभारत काव्य
भारतसावित्री —स्त्री॰—भारत-सावित्री—-—एक स्तोत्र का नाम
भारद्वाजः —पुं॰—-—भरद्वाज+अण्—भरद्वाज गोत्र से सम्बन्ध रखने वाला
भारद्वाजः —पुं॰—-—भरद्वाज+अण्—राजनीति का एक लेखक
भारविः —पुं॰—-—-—किरातार्जुनीयम् काव्य का रचयिता
भारुषः —पुं॰—-—-—अविवाहित वैश्य कन्या में वैश्यव्रात्य के द्वारा उत्पादित पुत्र
भारुषः —पुं॰—-—-—शक्ति की पूजा करने वाला
भार्गवः —पुं॰—-— भृगु+अण्—ज्योतिषी, भविष्यवक्ता
भार्यापतित्वम् —नपुं॰—-—-—दाम्पत्य सम्बन्ध
भाल्लविः —पुं॰—-—-—सामदेव की एक शाखा
भावः —पुं॰—-—भू+घञ्—सत्ता, अस्तित्व
भावः —पुं॰—-—भू+घञ्—कल्याण
भावः —पुं॰—-—भू+घञ्—प्ररक्षण
भावः —पुं॰—-—भू+घञ्—वासना, अतीत संकल्पनाओं की सुध
भावः —पुं॰—-—भू+घञ्—छः अवस्था - अस्ति, वर्धते, विपरिणमति आदि
भावकर्तृकः —पुं॰—भाव-कर्तृकः—-—भाववाचक क्रिया
भावगतिः —स्त्री॰—भाव-गतिः—-—मानवी भावनाओं को प्रकट करने की शक्ति
भावचेष्टितम् —नपुं॰—भाव-चेष्टितम्—-—प्रेमद्योतक संकेत या चेष्टाएँ
भावनिर्वृत्तिः —स्त्री॰—भाव-निर्वृत्तिः—-—भौतिक सृष्टि
भावनेरिः —पुं॰—भाव-नेरिः—-—एक प्रकार का नाच
भावशबलत्वम् —नपुं॰—भाव-शबलत्वम्—-—नाना प्रकार की भावनाओं का मिश्रण
भावंगम् —वि॰—-—-—मनोहर, सुहावना
भावयितृ —वि॰—-—भू+णिच्+तृच्—प्ररक्षक, प्रोन्नायक
भावित —वि॰—-—भू+णिच्+क्त—अभिनिर्दिष्ट, स्थिर किया हुआ, गड़ाया हुआ
भावित —वि॰—-—भू+णिच्+क्त—अधिकार में किया हुआ, गृही, पकड़ा हुआ
भावित —वि॰—-—भू+णिच्+क्त—निमग्न, लीन, पूर्ण
भावित —वि॰—-—भू+णिच्+क्त—प्रसन्न, हृष्ट
भावितभवन् —वि॰—भावित-भवन्—-—स्वयं को आगे बढ़ाने वाला, तथा औरों की सहायता करने वाला
भाव्य —वि॰—-— भू+ण्यत्—भावी
भाव्य —वि॰—-— भू+ण्यत्— जो सम्पन्न हो सके
भाव्य —वि॰—-— भू+ण्यत्— सिद्ध दोष होना
भाषापत्रम् —नपुं॰—-—-—आवेदन पत्र
भाषासमितिः —स्त्री॰—-—-— वाणी का नियन्त्रण
भाषितृ —वि॰—-— भाष्+तृच्—बोलने वाला, बातें करने वाला
भाष्यभूत —वि॰—-—-—टीका या भाष्य का काम देने वाला
भासः —पुं॰—-—-—एक प्रसिद्ध नाटककार, स्वप्नवासवदत्तम् आदि नाटकों का प्रणेता
भिक्षा —स्त्री॰—-— भिक्ष्+अ— जीवन निर्वाह का एक साधन
भिक्षा —स्त्री॰—-— भिक्ष्+अ—मांगना
भिक्षाभुज् —वि॰—भिक्षा-भुज्—-—भिक्षावृत्ति से निर्वाह करने वाला
भिक्षुः —वि॰—-— भिक्ष्+उन्—भिखारी
भिक्षुः —वि॰—-— भिक्ष्+उन्—साधु
भिक्षुः —वि॰—-— भिक्ष्+उन्—सन्यासी
भिक्षुः —वि॰—-— भिक्ष्+उन्—श्रमण
भिक्षभावः —वि॰—भिक्ष-भावः— भिक्ष्+उन्—श्रमणता, साधुता
भिङ्गिसी —स्त्री॰—-—-—कम्बल का एक भेद
भिद् —रुधा॰पर॰—-—-—टुकड़े-टुकड़े करना, काटना
भिद् —रुधा॰पर॰—-—-—व्याख्या करना
भिदापनम् —नपुं॰—-—-—तुड़वाना, कुचलवाना
भिन —वि॰—-—भिद्+क्त—टूटा हुआ, फाड़ा हुआ, चीरा हुआ
भिन —वि॰—-—भिद्+क्त—विषाक्त
भिन —वि॰—-—भिद्+क्त—रोमाञ्चित
भिन —वि॰—-—भिद्+क्त—जिसे घूस दी गई हैं
भिनकर्ण —वि॰—भिन-कर्ण—-—जिसने कानों को बांट दिया हैं
भिनकर्ण —वि॰—भिन-कर्ण—-— जिसके कान बींध दिये गये हैं
भिनकुम्भः —पुं॰—भिन-कुम्भः—-— जिसने अपने अनिवार्य कर्तव्य सम्पन्न कर लिये हैं
भिनहृतिः —स्त्री॰—भिन-हृतिः—-—भिन्न राशियों का भाग
भीत —वि॰—-—भी+क्त—डरा हुआ, आतङ्कित
भीत —वि॰—-—भी+क्त—डरपोक, कायर
भीत —वि॰—-—भी+क्त—भयग्रस्त
भीतगायनः —पुं॰—भीत-गायनः—-—लज्जाशील गायक, शर्मीला गाने वाला
भीतचारिन् —वि॰—भीत-चारिन्—-—कातर भाव से व्यवहार करने वाला
भीतचित्त —वि॰—भीत-चित्त—-—मन में डरने वाला
भीतिः —स्त्री॰—-—भी+क्तिन्—डर, आशङ्का, त्रास
भीतिः —स्त्री॰—-—भी+क्तिन्—खतरा, जोखिम
भीतिः —स्त्री॰—-—भी+क्तिन्—कंपकंपी
भीतिकृत् —वि॰—भीति-कृत्—-—डर पैदा करने वाला
भीतिछिद् —वि॰—भीति-छिद्—-—डर दूर करने वाला
भीम —वि॰—-—भी+मक्—भयानक, डरावना, भयपूर्ण
भीमः —पुं॰—-—भी+मक्—शिव का विशेषण
भीमः —पुं॰—-—भी+मक्—परमपुरुष
भीमः —पुं॰—-—भी+मक्—भयानक रस
भीमः —पुं॰—-—भी+मक्—दूसरा पांडव
भीमाञ्जसः —वि॰—भीम-अञ्जसः—-—भीषण शक्तिवाला
भीमपाकः —पुं॰—भीम-पाकः—-— पूरी तरह पका हुआ भोजन
भीमरथः —पुं॰—भीम-रथः—-— धृतराष्ट्र के पुत्र का नाम
भीमरथः —पुं॰—भीम-रथः—-—श्रीकृष्ण का एक पुत्र
भीष्म —वि॰—-—भी+णिक्+सुक्+मक्—डरावना, भयानक, भयपूर्ण
भीष्मः —पुं॰—-—भी+णिक्+सुक्+मक्—भयानक रस
भीष्मः —पुं॰—-—भी+णिक्+सुक्+मक्—राक्षस, पिशाच, भूतप्रेत
भीष्मः —पुं॰—-—भी+णिक्+सुक्+मक्—शिव का विशेषण
भीष्मः —पुं॰—-—भी+णिक्+सुक्+मक्—शन्तनु के द्वारा गंगा में उत्पादित पुत्र
भीष्मपर्वन् —पुं॰—भीष्म-पर्वन्—-—महाभारत का छठा पर्व
भीष्मस्तवराजः —पुं॰—भीष्म-स्तवराजः—-—महाभारत में शान्ति के पर्व के ४७वें अध्याय में निहित भीष्म की प्रार्थना
भुक्तमात्रे —अ॰—-—-—खाने के तुरन्त पश्चात
भग्न —वि॰—-—भुज+क्त—विनीत, नत
भग्न —वि॰—-—भुज+क्त—वक्रीकृत्, मुड़ा हुआ
भग्न —वि॰—-—भुज+क्त—टूटा हुआ
भग्न —वि॰—-—भुज+क्त—हताश, विनम्रीकृत
भुजः —पुं॰—-—भुज+क—बाहु, भुजा
भुजः —पुं॰—-—भुज+क—हाथ, हाथी की सूँड
भुजः —पुं॰—-—भुज+क—गणित में आकृति का एक पार्श्व जैसे त्रिभुज में
भुजः —पुं॰—-—भुज+क—त्रिकोण का आधार
भुजः —पुं॰—-—भुज+क—वृक्ष की शाखा
भुजाङ्कः —पुं॰—भुज-अङ्कः—-—आलिङ्गन
भुजार्पणम् —नपुं॰—भुज-अर्पणम्—-—निर्वाह के अनुदान
भुजाकम्बुः —पुं॰—भुज-आकम्बुः—-—शंख
भुजछाया —स्त्री॰—भुज-छाया—-—किसी की भुजाओं के द्वारा दिया गया प्ररक्षण
भुजवीर्य —वि॰—भुज-वीर्य—-—प्रबल भुजाओं वाला
भुजगः —पुं॰—-—भुज+क=भुज+गम्+ड—साँप, सर्प
भुजगी —स्त्री॰—-—भुज+क=भुज+गम्+ड—आश्लेषा नक्षत्र
भुजगवलयः —पुं॰—भुजग-वलयः—-—कड़े की भाँति कलाई में गोलाकार लिपटा हुआ साँप
भुजगशायिन् —पुं॰—भुजग-शायिन्—-—विष्णु का विशेषण
भुजंगः —पुं॰—-—भुज+गम्+खच्,मुम्— साँप
भुजंगः —पुं॰—-—भुज+गम्+खच्,मुम्— जार, प्रेमी
भुजंगः —पुं॰—-—भुज+गम्+खच्,मुम्—पति, स्वामी
भुजंगः —पुं॰—-—भुज+गम्+खच्,मुम्—आश्लेषा नक्षत्र
भुजंगः —पुं॰—-—भुज+गम्+खच्,मुम्—इल्लती
भुजंगः —पुं॰—-—भुज+गम्+खच्,मुम्—राजा का बदचलन मित्र
भुजंगप्रयातम् —नपुं॰—भुजंग-प्रयातम्—-—एक छन्द का नाम
भुजंगसंगता —स्त्री॰—भुजंग-संगता—-—एक छन्द का नाम
भुजंगशिशु —पुं॰—भुजंग-शिशु—-—एक छन्द का नाम
भुजा —स्त्री॰—-—भुज्+टाप्—ज्यामिति की आकृति का पार्श्व
भुजाभुजि —अ॰—-—-—हाथापाई, हाथों की
भुवनम् —नपुं॰—-—भु+क्यून्—संसार, त्रिभुवन, चरुर्दशभुवनानि
भुवनम् —नपुं॰—-—भु+क्यून्—धरती
भुवनम् —नपुं॰—-—भु+क्यून्—स्वर्ग
भुवनम् —नपुं॰—-—भु+क्यून्—जन्तु, प्राणी
भुवनम् —नपुं॰—-—भु+क्यून्—मानव
भुवनेश्वरी —स्त्री॰—भुवन-ईश्वरी—-—पार्वती का रूप
भुवनतलम् —नपुं॰—भुवन-तलम्—-—धरती की सतह
भुवनभावनः —पुं॰—भुवन-भावनः—-—सृष्टि का कर्ता
भूः —स्त्री॰—-—भू+क्विप्—पृथ्वी
भूः —स्त्री॰—-—भू+क्विप्—विश्व
भूः —स्त्री॰—-—भू+क्विप्—धरती
भूछाया —स्त्री॰—भू-छाया—-—धरती की छाया
भूछायम् —स्त्री॰—भू-छायम्—-—धरती की छाया
भूतुम्बी —स्त्री॰—भू-तुम्बी—-—एक प्रकार की ककड़ी
भूपलः —पुं॰—भू-पलः—-—एक प्रकार का चूहा
भूभा —स्त्री॰—भू-भा—-—पृथ्वी की छाया, ग्रहण
भूलिङ्गशकुनः —पुं॰—भू-लिङ्गशकुनः—-—पक्षियों की एक जाति
भूशय्या —स्त्री॰—भू-शय्या—-—भूमि पर सोना
भूस्फोटः —पुं॰—भू-स्फोटः—-—कुकुरमुत्ता, साँप की छतरी
भूत —वि॰—-—भू+क्त—होने वाला, वर्तमान
भूत —वि॰—-—भू+क्त—उत्पादित, निर्मित
भूत —वि॰—-—भू+क्त—वस्तुतः होने वाला, सत्य
भूत —वि॰—-—भू+क्त—सही, उचित, उपयुक्त
भूत —वि॰—-—भू+क्त—अतीत, बीता हुआ
भूतानुवादः —पुं॰—भूत-अनुवादः—-—बीती हुई बात, या निष्ठित तथ्य का उल्लेख करना
भूताभिषङ्गः —पुं॰—भूत-अभिषङ्गः—-—भूतप्रेत का किसी पर चढ़ना
भूतावेशः —पुं॰—भूत-आवेशः—-—भूतप्रेत का किसी पर चढ़ना
भूतमानिन् —पुं॰—भूत-मानिन्—-—जो सबको अवमानना करता हो, सबसे घृणा करने वाला
भूतकोटिः —पुं॰—भूत-कोटिः—-—निरपेक्ष, शून्यता
भूतगत्या —स्त्री॰—भूत-गत्या—-—सच्चाई के साथ
भूतगुणः —पुं॰—भूत-गुणः—-—तत्त्वों का गुण
भूतजननी —स्त्री॰—भूत-जननी—-—सब प्राणियों की माता
भूततन्मात्रम् —नपुं॰—भूत-तन्मात्रम्—-— सूक्ष्मतत्त्व
भूतपालः —पुं॰—भूत-पालः—-—जीवित प्राणधारियों का संरक्षक
भूतभव —वि॰—भूत-भव—-—सभी प्राणियों में रहने वाला
भूतभृत् —वि॰—भूत-भृत्—-—जन्तुओं या तत्त्वों का पालन पोषण करने वाला
भूतमातृका —स्त्री॰—भूत-मातृका—-—पृथ्वी
भूतसृज् —पुं॰—भूत-सृज्—-—ब्रह्मा का विशेषण
भूतिः —स्त्री॰—-—भू+क्तिन्—सत्ता, अस्तित्व
भूतिः —स्त्री॰—-—भू+क्तिन्—जन्म, उपज
भूतिः —स्त्री॰—-—भू+क्तिन्—कल्याण, कुशलमंगल, समृद्धि
भूतिः —स्त्री॰—-—भू+क्तिन्—सफलता
भूतिः —स्त्री॰—-—भू+क्तिन्—धन, दौलत
भूतिः —स्त्री॰—-—भू+क्तिन्—शान, आभा, कान्ति
भूतिः —स्त्री॰—-—भू+क्तिन्—राख
भूत्यर्थम् —अ॰—भूति-अर्थम्—-—समृद्धि के लिए
भूतिसृज् —वि॰—भूति-सृज्—-—कल्याणोत्पादक
भूमिः —स्त्री॰—-—भू+मि—ज्यामिति की आकृतियों की आधाररेखा
भूमिः —स्त्री॰—-—भू+मि—किसी चित्र का रेखा चित्र
भूमिः —स्त्री॰—-—भू+मि—धरती, पृथ्वी
भूम्यनृतम् —नपुं॰—भूमि-अनृतम्—-—भूमि के विषय में झूठी गवाही
भूमिखर्जूरिका —स्त्री॰—भूमि-खर्जूरिका—-—खजूर वृक्ष का एक प्रकार
भूमिछत्रम् —नपुं॰—भूमि-छत्रम्—-—कुकुरमुत्ता, साँप की छतरी
भूमितनयः —पुं॰—भूमि-तनयः—-—मंगलग्रह
भूमिपरिमाणम् —नपुं॰—भूमि-परिमाणम्—-—वर्गमाप
भूमिरथिकः —पुं॰—भूमि-रथिकः—-—भूमि पर रथ हाँकने वाला
भूमिसमीकृत —वि॰—भूमि-समीकृत—-—भूमि जैसा बराबर किया हुआ, फर्श के साथ मिलाया हुआ
भूमिसम्भवः —पुं॰—भूमि-सम्भवः—-—मंगल ग्रह
भूमिसम्भवः —पुं॰—भूमि-सम्भवः—-—नरकासुर
भूमिसुतः —पुं॰—भूमि-सुतः—-—मंगल ग्रह
भूमिसुतः —पुं॰—भूमि-सुतः—-—नरकासुर
भूयस् —वि॰—-—बहु+ईयसुन्—अपेक्षाकृत अधिक
भूयस् —वि॰—-—बहु+ईयसुन्—अधिक बड़ा
भूयस् —वि॰—-—बहु+ईयसुन्—अधिक आवश्यक
भूयस्काम —वि॰—भूयस्-काम—बहु+ईयसुन्—बहुत अधिक इच्छुक
भूयोभावः —पुं॰—भूयस्-भावः—-—वृद्धिम् विकास
भूयोमात्रम् —नपुं॰—भूयस्-मात्रम्—-—अधिकतर अधिकांश
भूरि —वि॰—-—भू+क्रिन्—बहुत, पुष्कल, असंख्य, पुष्कल
भूरिकालम् —अ॰—भूरि-कालम्—-—बहुत समय तक
भूरिकृत्वम् —अ॰—भूरि-कृत्वम्—-—बहुत बार, बार-बार
भूरिगुण —वि॰—भूरि-गुण—-—बहुत अधिक बढ़ता हुआ
भूरिगुण —वि॰—भूरि-गुण—-—भांति-भांति के फल देनेवाला
भूरिफेना —स्त्री॰—भूरि-फेना—-—पौधों की एक जाति
भूरिभोज —वि॰—भूरि-भोज—-—नानाप्रकार से सुखोपभोग करने वाला
भूरिशः —अ॰—-—भूरि+शस्—विविध प्रकार से, नाना प्रकार से
भूषणवासांसि —नपुं॰ब॰व॰—-—-—वस्त्र और आभूषण
भृ —जुहो॰पर॰—-—-—संतुलित रखना, समसंतुलन करना
भृतक —वि॰—-—भृत+कन्—पालन पोषण किया हुआ,
भृतक —वि॰—-—भृत+कन्—किराये का
भृतकः —पुं॰—-—भृत+कन्—भाड़े का सेवक
भृतकाध्यापनम् —नपुं॰—भृतक-अध्यापनम्—-—वैतनिक अध्यापक द्वारा दिया गया शिक्षण
भृतकभृतिः —स्त्री॰—भृतक-भृतिः—-—मजदूरी, पारिश्रमिक, किराया
भृतिः —स्त्री॰—-—भृ+क्तिन्—सहन करना, सहारना, सहारा देना
भृतिः —स्त्री॰—-—भृ+क्तिन्—भरणपोषण
भृतिः —स्त्री॰—-—भृ+क्तिन्—आहार
भृतिः —स्त्री॰—-—भृ+क्तिन्—ले जाना, नेतृत्व करना
भृतिः —स्त्री॰—-—भृ+क्तिन्—मूलधन
भृतिः —स्त्री॰—-—भृ+क्तिन्—पारिश्रमिक
भृत्यर्थम् —नपुं॰—भृति-अर्थम्—-—निर्वाह के निमित्त, जीविका के लिए
भृगुः —पुं॰—-—-—एक मुनि का नाम
भृगुः —पुं॰—-—-—जमदग्नि का नाम
भृगुः —पुं॰—-—-—शुक्र का विशेषण
भृगुः —पुं॰—-—-—शुक्र नामक ग्रह
भृगुः —पुं॰—-—-—शिव का विशेषण
भृगुकच्छः —पुं॰—भृगुः-कच्छः—-—नर्मदा नदी पर एक तीर्थ स्थान
भृगुकच्छम् —नपुं॰—भृगुः-कच्छम्—-—नर्मदा नदी पर एक तीर्थ स्थान
भृगुपतनम् —नपुं॰—भृगुः-पतनम्—-—चट्टान से गिरना
भृगुपातः —पुं॰—भृगुः-पातः—-—चट्टान से कूदना, छलांग लगाना
भृगुभृङ्गः —पुं॰—भृगुः-भृङ्गः—-—एक प्रकार का संगीत का माप
भृग्वभीष्टः —पुं॰—भृगुः-अभीष्टः—-—आम का वृक्ष
भृशदण्ड —वि॰—-—-—कठोर दण्ड देने वाला
भेदः —पुं॰—-—भिद्+घञ्—दारुण पीड़ा
भेदः —पुं॰—-—भिद्+घञ्—ग्रहों का योग
भेदः —पुं॰—-—भिद्+घञ्—पक्षाघात
भेदः —पुं॰—-—भिद्+घञ्—सिकुड़ना
भेदः —पुं॰—-—भिद्+घञ्—समभुज त्रिकोण की कर्णरेखा
भेदक —वि॰—-—भि+ण्वुल्—वियोजक, विभाजक, तोड़ने वाला
भेदक —वि॰—-—भि+ण्वुल्—नाशक
भेदक —वि॰—-—भि+ण्वुल्—विवेचक
भेदक —वि॰—-—भि+ण्वुल्—रेचक
भेदक —वि॰—-—भि+ण्वुल्—मोड़ने वाला
भेदक —वि॰—-—भि+ण्वुल्—पथभ्रष्ट करने वाला
भेदन —वि॰—-—भिद्+णिच्+ल्युट्—तोड़ने वाला, विभाजक
भेदन —वि॰—-—भिद्+णिच्+ल्युट्—रेचक
भेदनम् —नपुं॰—-—भिद्+णिच्+ल्युट्—नासा छेदन करना
भेषज —वि॰—-—भेषं रोगमयं जयति+जि+ड—स्वस्थ करने वाला, चिकित्सा किये जाने के योग्य
भेषजम् —नपुं॰—-—भेषं रोगमयं जयति+जि+ड—औषधि
भेषजम् —नपुं॰—-—भेषं रोगमयं जयति+जि+ड—उपचार
भेषजम् —नपुं॰—-—भेषं रोगमयं जयति+जि+ड—रोगनाशकमंत्र
भेषजकरणम् —नपुं॰—भेषज-करणम्—-—औषधियों का तैयार करना
भेषजकृत —वि॰—भेषज-कृत—-—स्वस्थ किया हुआ
भेषजवीर्यम् —नपुं॰—भेषज-वीर्यम्—-—औषधियों की स्वास्थ्यकर शक्ति
भोगः —पुं॰—-—भुज्+घञ्—खाना, खा लेना
भोगः —पुं॰—-—भुज्+घञ्—सुखोपभोग
भोगः —पुं॰—-—भुज्+घञ्— वस्तु
भोगः —पुं॰—-—भुज्+घञ्—उपयोगिता, उपयोग
भोगः —पुं॰—-—भुज्+घञ्—शासन करना
भोगः —पुं॰—-—भुज्+घञ्—उपयोग, प्रयोग
भोगः —पुं॰—-—भुज्+घञ्—सहन करना
भोगः —पुं॰—-—भुज्+घञ्—अनुभव करना, संकल्पना
भोगः —पुं॰—-—भुज्+घञ्—स्त्रीसंभोग
भोगः —पुं॰—-—भुज्+घञ्—आनन्द लेना
भोगः —पुं॰—-—भुज्+घञ्—आहार
भोगनाथः —पुं॰—भोग-नाथः—-—पोषक, भरणपोषण करने वाला
भोगपत्रम् —नपुं॰—भोग-पत्रम्—-—किराये का दस्तावेज
भोगभुज् —वि॰—भोग-भुज्—-—सुखोपभोग करने वाला
भोगिराजः —पुं॰,ष॰त॰—-—-—शेषनाग
भोग्यवस्तु —नपुं॰—-—-—विलास की सामग्री
भोज —वि॰—-—भुज्+अच्—सुखोपभोग देने वाला
भोज —वि॰—-—भुज्+अच्—उदार, दानशील
भोजः —पुं॰—-—भुज्+अच्—एक प्रसिद्ध राजा का नाम
भोजः —पुं॰—-—भुज्+अच्—विदर्भदेश का राजा
भोजचम्पू —पुं॰—भोज-चम्पू—-—भोज द्वारा रचित रामायण चम्पू
भोजप्रबन्धः —पुं॰—भोज-प्रबन्धः—-—बल्लाल की भोजविषयक कृति
भोलः —पुं॰—-—-—वैश्य द्वारा नटी में उत्पादित पुत्र
भौजिष्यम् —नपुं॰—-—-—दासता, सेवकत्व
भौत —वि॰—-—भू+अण्—प्राणिसम्बन्धी
भौतः —पुं॰—-—भू+अण्—भूत पिशाचों की पूजा करने वाला
भौतः —पुं॰—-—भू+अण्—भूतयज्ञ
भौतप्रिय —वि॰—भौत-प्रिय—-—मूढ, दुर्बुद्धि
भौमम् —नपुं॰—-—भूमि+अण्—तत्त्वविषयक वस्तु
भौमम् —नपुं॰—-—भूमि+अण्—फर्श
भौमम् —नपुं॰—-—भूमि+अण्—भवन की ऊपर की मंजिलें
भौमी —स्त्री॰—-—भौम+ङीप्—सीता का विशेषण
भ्रंशः —पुं॰—-—भ्रंश+घञ्— गिरना, फिसल जाना, अद्यपतन
भ्रंशः —पुं॰—-—भ्रंश+घञ्—ह्रास, मुर्झाना
भ्रंशः —पुं॰—-—भ्रंश+घञ्—नाश, ध्वंस
भ्रंशः —पुं॰—-—भ्रंश+घञ्—दूर भाग जाना
भ्रंशः —पुं॰—-—भ्रंश+घञ्—ओझल होना
भ्रंशः —पुं॰—-—भ्रंश+घञ्—उत्तेजना के कारण वाक्स्खलन
भ्रष्ट —वि॰—-—भ्रंश+क्त— गिरा हुआ, पतित
भ्रष्ट —वि॰—-—भ्रंश+क्त—मुर्झाया हुआ
भ्रष्ट —वि॰—-—भ्रंश+क्त—भागकर जो बच गया
भ्रष्टाधिकार —वि॰—भ्रष्ट-अधिकार—-—जिससे अधिकार छिन लिये गये हों, पदच्युत्
भ्रष्टक्रिय —वि॰—भ्रष्ट-क्रिय—-—जो विहित कर्म करने में असफल रहा
भ्रष्टयोगः —वि॰—भ्रष्ट-योगः—-—जो भक्ति से पतित हो गया हो
भ्रम् —भ्वा॰,दिवा॰पर॰—-—-—लड़खड़ाना, घबड़ाना
भ्रम् —भ्वा॰,दिवा॰प्रेर॰—-—-—ढिंढोरा पीटना
भ्रम् —भ्वा॰,दिवा॰प्रेर॰—-—-—अव्यवस्थित करना
भ्रमः —पुं॰—-—भ्रम्+घञ्—छाता, छतरी
भ्रमः —पुं॰—-—भ्रम्+घञ्—वृत्त
भ्रमरः —पुं॰—-—भ्रम्+करन्—मधुमक्खी
भ्रमरः —पुं॰—-—भ्रम्+करन्—प्रेमी
भ्रमरः —पुं॰—-—भ्रम्+करन्—कुम्हार का चाक
भ्रमरः —पुं॰—-—भ्रम्+करन्—जवान
भ्रमरः —पुं॰—-—भ्रम्+करन्—लट्टू
भ्रमरनिकरः —पुं॰—-—भ्रम्+करन्—मधुमक्खियों का छत्ता
भ्रमरपदम् —नपुं॰—-—-—एक छन्द
भ्रमरित् —वि॰—-—भ्रमर+इतच्—जो नीला हो गया हैं
भ्रमिः —स्त्री॰—-—भ्रम्+इ—मूर्छा, बेहोशी
भ्रान्त —वि॰—-—भ्रम्+क्त—इधर-उधर घुमा हुआ
भ्रान्त —वि॰—-—भ्रम्+क्त—चक्कर खाया हुआ
भ्रान्त —वि॰—-—भ्रम्+क्त—भूला भटका
भ्रान्त —वि॰—-—भ्रम्+क्त—घबड़ाया हुआ
भ्रान्त-चिन्त —वि॰—-—-—मन में घबराया हुआ
भ्रू —स्त्री॰—-—भ्रम्+डू—भौं, आँख की भौं
भ्रूवञ्चितम् —नपुं॰—भ्रू-वञ्चितम्—-—चुपके-चुपके झांकना, छिपकर देखना
भ्रूविजृम्भः —पुं॰—भ्रू-विजृम्भः—-—भौहों को मोड़ना, भौहें चढ़ाना