विक्षनरी : संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश/जि-दह्र
मूलशब्द—व्याकरण—संधिरहित मूलशब्द—व्युत्पत्ति—हिन्दी अर्थ
जि —भ्वा॰ पर॰ परा और वि पूर्व आने पर-आ॰ <आजयति> , <जित> —-—-—जीतना, हराना, विजय प्राप्त करना, दमन करना
जि —भ्वा॰ पर॰ परा और वि पूर्व आने पर-आ॰ <आजयति> , <जित> —-—-—मात कर देना, आगे बढ़ जाना
जि —भ्वा॰ पर॰ परा और वि पूर्व आने पर-आ॰ <आजयति> , <जित> —-—-—जीतना, दिग्विजय करके हस्तगत करना
जि —भ्वा॰ पर॰ परा और वि पूर्व आने पर-आ॰ <आजयति> , <जित> —-—-—दमन करना, दबाना, नियन्त्रण रखना,विजय प्राप्त करना
जि —भ्वा॰ पर॰ परा और वि पूर्व आने पर-आ॰ <आजयति> , <जित> —-—-—विजयी होना, प्रमुख या सर्वोत्तम बनना
अधिजि —भ्वा॰ पर॰—अधि-जि—-—जीतना, हराना,पछाड़ना
निर्जि —भ्वा॰ पर॰—निस्-जि—-—जीतना, हराना
निर्जि —भ्वा॰ पर॰—निस्-जि—-—जीत लेना, दिग्विजय द्वारा हस्तगत करना
पराजि —भ्वा॰ पर॰—परा-जि—-—हराना, जीतना, विजय प्राप्त करना, दमन करना
पराजि —भ्वा॰ पर॰—परा-जि—-—खोना, वञ्चित होना
पराजि —भ्वा॰ पर॰—परा-जि—-—जीत लिया जाना या वशीभूत किया जाना, (कुछ) असह्य लगना
विजि —भ्वा॰ पर॰—वि-जि—-—जीतना
विजि —भ्वा॰ पर॰—वि-जि—-—हराना, वशीभूत करना, दमन करना
विजि —भ्वा॰ पर॰—वि-जि—-—मात कर देना, आगे बढ़ जाना
विजि —भ्वा॰ पर॰—वि-जि—-—जीत लेना, दिग्विजय करके हस्तगत करना
विजि —भ्वा॰ पर॰—वि-जि—-—विजयी होना, श्रेष्ठ या सर्वोत्तम बनना
जिः —पुं॰—-—जि + डि़—पिशाच
जिगत्नुः —पुं॰—-—गम् + त्नु, सन्वद्भावत्वात् द्वित्वम्—प्राण, जीवन
जिगीषा —स्त्री॰—-—जि + सन् + अ + टाप्—जीतने की, दमन करने की, या वशीभूत करने की इच्छा
जिगीषा —स्त्री॰—-—-—अपर्धा प्रतिद्वन्दिता
जिगीषा —स्त्री॰—-—-—प्रमुखता
जिगीषा —स्त्री॰—-—-—चेष्टा, व्यवसाय, जीवनचर्या
जिगीषु —वि॰—-—जि + सन् + उ—जीतने का इच्छुक
जिघत्सा —स्त्री॰—-—अद् + सन् + अ, घसादेशः—खाने की इच्छा, बुभुक्षा
जिघत्सा —स्त्री॰—-—-—हाथपाँव मारना,
जिघत्सा —स्त्री॰—-—-—प्रबल उद्योग करना
जिघत्सु —वि॰—-—अद् + सन् + उ, घसादेशः—बुभुक्षु, भूखा
जिघांसा —स्त्री॰—-—हन् + सन् + अ + टाप्—मार डालने की इच्छा
जिघांसु —वि॰—-—हन् + सन् + उ—मार डालने का इच्छुक, घातक
जिघांसुः —पुं॰—-—-—शत्रु, वैरी
जिघृक्षा —स्त्री॰—-—ग्रह् + सन् + अ + टाप्—ग्रहण करने की या लेने की इच्छा
जिघ्र —वि॰—-— घ्रा + श, जिघ्रादेशः—सूँघने वाला
जिघ्र —वि॰—-—-—अटकलबाज, अनुमान लगाने वाला, निरीक्षण करने वाला
जिज्ञासा —स्त्री॰—-—ज्ञा + सन् + अ + टाप्—जानने इच्छा, कुतूहल, कौतुक या ज्ञानेप्सा
जिज्ञासु —वि॰—-—ज्ञा + सन् + उ—जानने का इच्छुक, ज्ञानेप्सु, प्रश्नशील
जिज्ञासु —वि॰—-—-—मुमुक्षु
जित् —वि॰—-—जि + क्विप्—जीतने वाला, परास्त करने वाला, विजय प्राप्त करने वाला
जित —भू॰क॰कृ॰—-—जि + क्त—जीता, अभिभूत, दमन किया हुआ, संयत
जित —भू॰क॰कृ॰—-—-—हस्तगत, हासिल, प्राप्त
जित —भू॰क॰कृ॰—-—-—मात दिया हुआ, आगे बढ़ा हुआ
जित —भू॰क॰कृ॰—-—-—वशीभूत, दासीकृत या प्रभावित
जिताक्षर —वि॰—जित-अक्षर—-—भलीभाँति या तुरन्त पढ़ने वाला
जितामित्र —वि॰—जित-अमित्र—-—जिसने अपने शत्रुओं को जीत लिया है,
जितारि —वि॰—जित-अरि—-—जिसने अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर ली है
जितारिः —पुं॰—जित-अरिः—-—बुद्ध का विशेषण
जितात्मन् —वि॰—जित-आत्मन्—-—जितेन्द्रिय, आवेगशून्य
जिताहव —वि॰—जित-आहव—-—विजयी
जितेन्द्रिय —वि॰—जित-इन्द्रिय—-—जिसने अपनी वासना पर विजय प्राप्त कर ली है या जिसने अपनी ज्ञानेन्द्रियों -रूप, रस, गन्ध, स्पर्श और शब्द को वश में कर लिया है
जितकाशिन् —वि॰—जित-काशिन्—-—विजयी दिखाई देने वाला, विजय का अहंकार करने वाला, अपनी विजय की शान दिखाने वाला
जितकोप —वि॰—जित-कोप—-—स्थिरता, शान्तचित्तता, अनुत्तेजनीयता
जितक्रोध —वि॰—जित-क्रोध—-—स्थिरता, शान्तचित्तता, अनुत्तेजनीयता
जितनेमिः —वि॰—जित-नेमिः—-—पीपल के वृक्ष की लाठी
जितश्रमः —पुं॰—जित-श्रमः—-—परिश्रम करने का अभ्यस्त, कठोर
जितस्वर्गः —पुं॰—जित-स्वर्गः—-—जिसने स्वर्ग प्राप्त कर लिया है
जितिः —स्त्री॰—-—जि+क्तिन्—विजय, दिग्विजय
जितुमः <o> जित्तमः —पुं॰—-—जित्+तमप्, <जित्तम= जितुम> पृषो॰ साधुः—मिथुन राशि, राशि़चक्र में तीसरी राशि ('ग्रीक' शब्द)
जित्वर —वि॰—-—जि+क्वरप्—विजयी, जीतने वाला, विजेता
जिन —वि॰—-—जि+नक्—विजयी, विजेता
जिनः —पुं॰—-—-—किसी वर्ग का प्रमुख, बौद्ध या जैनसाधु, जैनी अर्हत् या तीर्थंकर
जिनः —पुं॰—-—-—विष्णु का विशेषण
जिनेन्द्रः —पुं॰—जिन-इन्द्रः—-—प्रमुख बौद्ध सन्त
जिनेन्द्रः —पुं॰—जिन-इन्द्रः—-—जैन तीर्थंकर
जिनेश्वरः —पुं॰—जिन-ईश्वरः—-—प्रमुख बौद्ध सन्त
जिनेश्वरः —पुं॰—जिन-ईश्वरः—-—जैन तीर्थंकर
जिनसद्मन् —नपुं॰—जिन-सद्मन्—-—जैन मन्दिर या विहार
जिवाजिवः —पुं॰—-— = जीवञ्जीव, पृषो॰साधुः—चकोर पक्षी
जिष्णु —वि॰—-—जि+गुत्स्नु—विजयी, विजेता
जिष्णु —वि॰—-—-—विजय लाभ करने वाला, लाभ उठाने वाला
जिष्णु —वि॰—-—-—जीतने वाला, आगे बढ़ जाने वाला
जिह्म —वि॰—-—जहाति सरलमार्ग, हा+मन् सन्वत् आलोपश्च—ढलवा, कुटिल, तिरछा
जिह्म —वि॰—-—-—टेढ़ा, बाँका, वक्रदृष्टि
जिह्म —वि॰—-—-—घुमावदार, वक्र, टेढ़ा-मेढ़ा
जिह्म —वि॰—-—-—नैतिकता की दृष्टि से कुटिल, धोखेबाज़, बेईमान, दुष्ट, अनीतिपूर्ण
जिह्म —वि॰—-—-—धुँधला, निष्प्रभ, फीका
जिह्म —वि॰—-—-—मन्थर, आलसी
जिह्मम् —नपुं॰—-—-—बेईमानी, झूठा व्यवहार
जिह्माक्षः —वि॰—जिह्म-अक्ष—-—भैंगा, ऐंचाताना
जिह्मगः —पुं॰—जिह्म-गः—-—साँप
जिह्मगतिः —वि॰—जिह्म-गतिः—-—टेढ़ा-मेढ़ा चलने वाला, तिर्यक् गति से चलने वाला
जिह्ममेहनः —पुं॰—जिह्म-मेहनः—-—मेढ़क
जिह्मयोधिन् —वि॰—-—-—अधर्मी योद्धा
जिह्मशल्यः —पुं॰—-—-—खैर का वृक्ष
जिह्वः —पुं॰—-—ह्वे+ड, द्वित्वादि—जीभ
जिह्वल —वि॰—-—जिह्व+ला+क—जिभला, चटोरा
जिह्वा —स्त्री॰—-—लिहन्ति अनया- लिह्+वन् नि॰—जीभ
जिह्वा —स्त्री॰—-—-—आग की जीभ अर्थात् लौ
जिह्वास्वादः —पुं॰—जिह्वा-आस्वादः—-—चाटना, लपलपाना
जिह्वोल्लेखिनी —स्त्री॰—जिह्वा-उल्लेखनी—-—जीभ खुरचने वाला
जिह्वाल्लेखनिका —स्त्री॰—जिह्वा-उल्लेखनिका—-—जीभ खुरचने वाला
जिह्वानिर्लेखनम् —नपुं॰—जिह्वा-निर्लेखनम्—-—जीभ खुरचने वाला
जिह्वापः —पुं॰—जिह्वा-पः—-—कुत्ता, बिल्ली, व्याघ्र, चीता, रीछ
जिह्वामूलम् —नपुं॰—जिह्वा-मूलम्—-—जिह्वा की जड़
जिह्वामूलीय —वि॰—जिह्वा-मूलीय—-— क् और ख् से पूर्व विसर्ग की ध्वनि, तथा कण्ठ्य व्यञ्जनों की ध्वनि का द्योतक शब्द
जिह्वारदः —पुं॰—जिह्वा-रदः—-—पक्षी
जिह्वालिह् —पुं॰—जिह्वा-लिह्—-—कु्त्ता
जिह्वालौल्यम् —नपुं॰—जिह्वा-लौल्यम्—-—लालच
जिह्वाशल्यः —पुं॰—जिह्वा-शल्यः—-—खैर का पेड़
जीन —वि॰—-—ज्या+क्त—बूढ़ा, वयोवृद्ध, क्षीण
जीनः —पुं॰—-—-—चमड़े का थैला
जीमूतः —पुं॰—-—जयति नभः, जीयते अनिलेन जीवनस्योदकस्य मूतं बन्धो यत्र, जीवनं जलं मूतं बद्धम् अनेन, जीवनं मुञ्चतीति वा पृषो॰ तारा॰—बादल
जीमूतः —पुं॰—-—-—इन्द्र का विशेषण
जीमूतकूटः —पुं॰—जीमूतः-कूटः—-—एक पहाड़
जीमूतवाहनः —पुं॰—जीमूतः- वाहनः—-—इन्द्र
जीमूतवाहनः —पुं॰—जीमूतः- वाहनः—-—नागानन्द नाटक में नायक, विद्याधरों का राजा
जीमूतवाहिन् —पुं॰—जीमूतः-वाहिन्—-—धुआँ
जीरः —पुं॰—-—ज्या+रक्, सम्प्रसारणं दीर्घश्च—तलवार
जीरकः —पुं॰—-—जीर+कन्—जीरा
जीरणः —पुं॰—-—जीर+कन्, पृषो॰ कस्य णः—जीरा
जीर्ण —वि॰—-—जॄ+क्त, —पुराना, प्राचीन
जीर्ण —वि॰—-—-—घिसा-पिसा, शीर्ण, बरबाद, ध्वस्त, फटा-पुराना
जीर्णः —पुं॰—-—-—बूढ़ा आदमी
जीर्णम् —नपुं॰—-—-—गुग्गुल
जीर्णम् —नपुं॰—-—-—बूढ़ापा, क्षीणता
जीर्णोद्धारः —पुं॰—जीर्ण-उद्धारः—-—पुराने को नया बनाना, मरम्मत, विशेषकर किसी मन्दिर धर्मार्थ संस्था या धार्मिक, स्थान की
जीर्णोद्यानम् —नपुं॰—जीर्ण-उद्यानम्—-—उजड़ा हुआ उपेक्षित बाग़,
जीर्णज्वरः —पुं॰—जीर्ण-ज्वरः—-—पुराना बुख़ार, अधिक दिनों से रहने वाला मन्द ज्वर
जीर्णपणः —पुं॰—जीर्ण--पणः—-—कदम्ब वृक्ष
जीर्णवाटिका —स्त्री॰—जीर्ण-वाटिका—-—उजड़ी हुई बग़ीची
जीर्णवज्रम् —नपुं॰—जीर्ण-वज्रम्—-—वैक्रान्तमणि
जीर्णकः —वि॰—-—जीर्ण+कन्—करीब-करीब सूखा या मुरझाया हुआ
जीर्णिः —स्त्री॰—-—जृ+क्तिन्—बुढ़ापा, क्षीणता, कृशता, दुर्बलता
जीर्णिः —स्त्री॰—-—-—पाचन-शक्ति
जीव् —भ्वा॰ पर॰ <जीवति>, <जीवित>—-—-—जीना, जीवित रहना
जीव् —भ्वा॰ पर॰ <जीवति>, <जीवित>—-—-—पुनर्जीवित करना, जीवित होना
जीव् —भ्वा॰ पर॰ <जीवति>, <जीवित>—-—-—रहना, निर्वाह करना, आजीविका करना
जीव् —भ्वा॰ पर॰ <जीवति>, <जीवित>—-—-—आश्रित रहना, जीवित रहने के लिए किसी पर निर्भर करना
जीव् —भ्वा॰ पर॰ <जीवति>, <जीवित>—-—-—फिर जान डालना,
जीव् —भ्वा॰ पर॰ <जीवति>, <जीवित>—-—-—पालन पोषण करना, पालना, शिक्षित करना, सिखाना पढ़ाना
अतिजीव् —भ्वा॰ पर॰—अति-जीव्—-—जीवित रह जाना
अतिजीव् —भ्वा॰ पर॰—अति-जीव्—-—जीवन प्रणाली में दूसरों से आगे बढ़ जाना
अनुजीव् —भ्वा॰ पर॰—अनु-जीव्—-—लटकना, सहारे निर्भर रहना, जीवित रहना, सेवा करना
अनुजीव् —भ्वा॰ पर॰—अनु-जीव्—-—बिना ईर्ष्या के देखना
अनुजीव् —भ्वा॰ पर॰—अनु-जीव्—-—किसी के लिए जीवित रहना
अनुजीव् —भ्वा॰ पर॰—अनु-जीव्—-—जीवनचर्या में दूसरों के पीछे चलना
उज्जीव् —भ्वा॰ पर॰—उद्-जीव्—-—पुनर्जीवित करना, फिर जीवित होना
उपजीव् —भ्वा॰ पर॰—उप-जीव्—-—किसी आधार पर जीवित रहना, निर्वाह करना, आजीविका करना
उपजीव् —भ्वा॰ पर॰—उप-जीव्—-—सेवा करना, आश्रित रहना,
जीव —वि॰—-—जीव्+क—जीवित, विद्यमान
जीवः —पुं॰—-—-—जीवन का सिद्धान्त, श्वास, प्राण,आत्मा- गतजीव, जीवत्याग, जीवाशा आदि
जीवः —पुं॰—-—-—जीवन, अस्तित्व
जीवः —पुं॰—-—-—जानवर, जीवधारी प्राणी
जीवः —पुं॰—-—-—आजीविका, व्यवसाय
जीवः —पुं॰—-—-—कर्ण का नाम
जीवः —पुं॰—-—-—एक मरुत् का नाम
जीवः —पुं॰—-—-—पुष्य' नक्षत्रपुञ्ज
जीवान्तकः —पुं॰—जीवः-अन्तकः—-—चिड़ीमार, बहेलिया
जीवान्तकः —पुं॰—जीवः-अन्तकः—-—कातिल, हत्यारा
जीवादानम् —पुं॰—जीवः-आदानम्—-—मानव शरीर में रहने वाला आत्मा
जीवादानम् —पुं॰—जीवः-आदानम्—-—स्वस्थ रुधिर निकालना, रुधिर निकलना
जीवाधानम् —नपुं॰—जीवः-आधानम्—-—जीवन का प्ररक्षण
जीवाधारः —पुं॰—जीवः-आधारः—-—हृदय
जीवेन्धनम् —नपुं॰—जीवः-इन्धनम्—-—दहकती हुई लकड़ी, जलता हुआ काठ
जीवोत्सर्गः —पुं॰—जीवः-उत्सर्गः—-—प्राणोत्सर्ग करना, ऐच्छिक मृत्यु, आत्महत्या
जीवोर्णा —स्त्री॰—जीवः-ऊर्णा—-—जीवित पशु का ऊन
जीवगृहम् —नपुं॰—जीवः-गृहम्—-—आत्मा का वासगृह, शरीर
जीवमन्दिरम् —नपुं॰—जीवः-मन्दिरम्—-—आत्मा का वासगृह, शरीर
जीवग्राहः —पुं॰—जीवः-ग्राहः—-—जीवत पकड़ा हुआ, कैदी
जीवजीवः —पुं॰—जीवः-जीवः—-—चकोर पक्षी
जीवदः —पुं॰—जीवः-दः—-—वैद्य
जीवदः —पुं॰—जीवः-दः—-—शत्रु
जीवदशा —स्त्री॰—जीवः-दशा—-—नश्वर, अस्तित्व
जीवधनम् —नपुं॰—जीवः-धनम्—-—जीवित दौलत' जीवधारी प्राणियों के रूप में संपत्ति, पशुधन
जीवधानी —स्त्री॰—जीवः-धानी—-—पृथ्वी
जीवपतिः —पुं॰—जीवः-पतिः—-—वह स्त्री जिसका पति जीवित है
जीवपुत्रा —स्त्री॰—जीव-पुत्रा—-—वह स्त्री जिसका पुत्र जीवित है
जीववत्सा —स्त्री॰—जीव-वत्सा—-—वह स्त्री जिसका पुत्र जीवित है
जीवमातृका —स्त्री॰—जीव-मातृका—-—सात माताएँ या देवियाँ जो प्राणियों का पालन पोषण करने वाली मानी जाती हैं
जीवरक्तम् —नपुं॰—जीव-रक्तम्—-—स्त्री का रज, आर्तव,
जीवलोकः —पुं॰—जीव-लोकः—-—जीवधारी प्राणियों का संसार, मर्त्यलोक, प्राणिजगत्
जीववृत्तिः —स्त्री॰—जीव-वृत्तिः—-—पशुपालन, गायभैंस, आसि पालन का रोजगार
जीवशेष —वि॰—जीव-शेष—-—जिसकी केवल जान बची हो, जो सब कुछ छोड़ कर केवल जान लेकर भाग आया हो
जीवसंक्रमण —वि॰—जीव-संक्रमण—-—जीव का एक शरीर छोड़कर दूसरे शरीर में जाना
जीवसाधनम् —नपुं॰—जीव-साधनम्—-—धान्य, अनाज
जीवसाफल्यम् —नपुं॰—जीव-साफल्यम्—-—जीवनधारण करने के मुख्य लक्ष्य की प्राप्ति
जीवसूः —स्त्री॰—जीव-सूः—-—जीवधारी प्राणियों की माता, वह स्त्री जिसके बच्चे जीवित हों
जीवस्थानम् —नपुं॰—जीव-स्थानम्—-—जोड़, अस्थिसंधि
जीवस्थानम् —नपुं॰—जीव-स्थानम्—-—मर्म, हृदय
जीवकः —पुं॰—-—जीव्+णिच्+ण्वुल्—जीवधारी प्राणी
जीवकः —पुं॰—-—-—बौद्धभिक्षु, भिक्षा के सहारे ही जीवित रहने वाला भिखारी
जीवत् —वि॰—-—जी+शतृ—जीवित,सजीव
जीवत्तोका —स्त्री॰—जीवत्-तोका—-—वह स्त्री जिसके बच्चे जिन्दा हों
जीवत्पतिः —स्त्री॰—जीवत्-पतिः—-—वह स्त्री जिसका पति जीवित हो
जीवत्पत्नी —स्त्री॰—जीवत्-पत्नी—-—वह स्त्री जिसका पति जीवित हो
जीवन्मुक्त —वि॰—जीवत्-मुक्त—-—जीवन्मुक्त, जिसने परमात्मा के सत्यज्ञान से पवित्र होकर भावी जीवन से मुक्ति पा ली है, सांसारिक बंधनों से मुक्त
जीवन्मुक्तिः —स्त्री॰—जीवत्-मुक्तिः—-—इसी जीवन में परममोक्ष की प्राप्ति
जीवन्मृत —वि॰—जीवत्-मृत—-—जीता हुआ ही मृतक, जो जीता हुआ ही मुर्दे के समान बेकार है
जीवथः —पुं॰—-—जीव्+अथ—जीवन, अस्तित्व
जीवन —वि॰—-—जीव्+ल्युट्—जीवनप्रद, जीवनदाता, प्राणप्रद
जीवनः —पुं॰—-—-—जीवित आधारी
जीवनम् —नपुं॰—-—-—जिन्दा रहना, अस्तित्व
जीवनम् —नपुं॰—-—-—जीवन का सिद्धान्त, संजीवनीशक्ति
जीवनम् —नपुं॰—-—-—आजीविका, वृत्ति, अस्तित्व के साधन
जीवनम् —नपुं॰—-—-—पिछले दिन के रखे दूध से बनाया गया मक्खन
जीवनान्तः —पुं॰—जीवनम्-अन्तः—-—मृत्य
जीवनाघातम् —नपुं॰—जीवनम्-आघातम्—-—विष
जीवनावासः —पुं॰—जीवनम्-आवासः—-—जल में रहना, वरुण का विशेषण, जल की अधिष्ठात्री देवता
जीवनावासः —पुं॰—जीवनम्-आवासः—-—शरीर
जीवनोपायः —पुं॰—जीवनम्-उपायः—-—आजीविका
जीवनौषधम् —नपुं॰—जीवनम्-ओषधम्—-—अमृत
जीवनौषधम् —नपुं॰—जीवनम्-ओषधम्—-—सञ्जीवनी औषध
जीवनकम् —नपुं॰—-—जीवन+कन्—आहार, भोजन
जीवनीयम् —नपुं॰—-—जिव्+अनीयर्—जल, ताजा दूध
जीवन्तः —पुं॰—-—जित्+झच्—जीवन, अस्तित्व
जीवन्तः —पुं॰—-—-—दवाई, औषधि
जीवन्तिकः —पुं॰—-— = जीवान्तकः पृषो॰—बहेलिया, चिड़ीमार
जीवा —स्त्री॰—-—जीव्+अच्+टाप्—जल
जीवा —स्त्री॰—-—जीव्+अच्+टाप्—पृथ्वी
जीवा —स्त्री॰—-—जीव्+अच्+टाप्—धनुष की डोरी
जीवा —स्त्री॰—-—-—चाप के दो सिरों को मिलाने वाली रेखा
जीवा —स्त्री॰—-—-—जीवन के साधन
जीवा —स्त्री॰—-—-—धातु से बने आभूषणों की झंकार
जीवा —स्त्री॰—-—-—एक पौधा, वच
जीवातु —पुं॰—-— जीवत्यनेन जीव्+आतु—भोजन, आहार
जीवातु —पुं॰—-—-—प्राण, अस्तित्व
जीवातु —पुं॰—-—-—पुनर्जीवन, फिर जीवित करना
जीविका —पुं॰—-—जीव्+अकन्, अत इत्वम्—जीने का साधन, रोजगार
जीवित —वि॰—-—जीव+क्त—जीता हुआ, विद्यमान, सजीव
जीवित —वि॰—-—-—पुनः जीवनप्राप्त
जीवित —वि॰—-—-—जीवनयुक्त, अनुप्राणित
जीवित —वि॰—-—-—जिसमें रहा जा चुका है
जीवितम् —नपुं॰—-—-—जीवन, अस्तित्व
जीवितम् —नपुं॰—-—-—जीवन की अवधि
जीवितम् —नपुं॰—-—-—आजीविका
जीवितम् —नपुं॰—-—-—जीवधारी प्राणी
जीवितान्तकः —पुं॰—जीवितम्-अन्तकः—-—शिव का विशेषण
जीविताशा —स्त्री॰—जीवितम्-आशा—-—जीने की उम्मीद, जीवन से प्रेम
जीवितेशः —पुं॰—जीवितम्-ईशः—-—प्रेमी, पति
जीवितेशः —पुं॰—जीवितम्-ईशः—-—यम का विशेषण
जीवितेशः —पुं॰—जीवितम्-ईशः—-—सूर्य
जीवितेशः —पुं॰—जीवितम्-ईशः—-—चन्द्रमा
जीवितकालः —पुं॰—जीवितम्-कालः—-—जीवन की अवधि
जीवितकालज्ञा —स्त्री॰—जीवितम्-कालज्ञा—-—धमनी
जीवितव्ययः —पुं॰—जीवितम्-व्ययः—-—प्राणों का त्याग
जीवितसंशयः —पुं॰—जीवितम्-संशयः—-—जीवन की जोखिम, प्राणसंकट, जीवन को खतरा
जीविन् —वि॰—-—जीव+इनि—जिन्दा, सजीव, विद्यमान
॰जीविन् —वि॰—-—-—किसी के सहारे जिन्दा रहने वाला
शस्त्रजीविन् —पुं॰—शस्त्र-जीविन्—-—जीवधारी प्राणी
आयुधजीविन् —पुं॰—आयुध-जीविन्—-—जीवधारी प्राणी
जीव्या —स्त्री॰—-—जीव्+यत्+टाप्—आजीविका के साधन
जुगुप्सनम् —नपुं॰—-—गुप्+सन्+ल्युट् —निन्दा, झिड़की
जुगुप्सा —स्त्री॰—-—अ+टाप् वा—निन्दा, झिड़की
जुगुप्सनम् —नपुं॰—-—गुप्+सन्+ल्युट् —नापसन्दगी, अभिरुचि, घृणा, बीभत्सा
जुगुप्सा —स्त्री॰—-—अ+टाप् वा—नापसन्दगी, अभिरुचि, घृणा, बीभत्सा
जुगुप्सनम् —नपुं॰—-—गुप्+सन्+ल्युट् —बीभत्स रस का स्थायीभाव
जुगुप्सा —स्त्री॰—-—अ+टाप् वा—बीभत्स रस का स्थायीभाव
जुष् —तुदा॰आ॰ <जुषते>, <जुष्ट>—-—-—प्रसन्न होना, सन्तुष्ट होना,
जुष् —तुदा॰आ॰ <जुषते>, <जुष्ट>—-—-—अनुकूल होना, मङ्गलप्रद होना
जुष् —तुदा॰आ॰ <जुषते>, <जुष्ट>—-—-—पसन्द करना, अत्यन्त चाहना, प्रसन्नता या खुशी मनाना, सुखोपभोग करना
जुष् —तुदा॰आ॰ <जुषते>, <जुष्ट>—-—-—भक्त होना, अनुरक्त होना, अभ्यास करना, भुगतना, भोगना
जुष् —तुदा॰आ॰ <जुषते>, <जुष्ट>—-—-—प्रायःजाना, दर्शन करना, बसना
जुष् —तुदा॰आ॰ <जुषते>, <जुष्ट>—-—-—प्रविष्ट होना, बिठाना, आश्रय लेना
जुष् —तुदा॰आ॰ <जुषते>, <जुष्ट>—-—-—चुनना
जुष् —भ्वा॰पर॰, चुरा॰ उभ॰ <जोषति>, <जोषयति>, <जोषयते>—-—-—तर्क करना, चिन्तन करना,
जुष् —भ्वा॰पर॰, चुरा॰ उभ॰ <जोषति>, <जोषयति>, <जोषयते>—-—-—जाँच पड़ताल करना, परीक्षा करना
जुष् —भ्वा॰पर॰, चुरा॰ उभ॰ <जोषति>, <जोषयति>, <जोषयते>—-—-—चोट पहुँचाना
जुष् —भ्वा॰पर॰, चुरा॰ उभ॰ <जोषति>, <जोषयति>, <जोषयते>—-—-—सन्तुष्ट होना
जुष् —वि॰—-—जुष्+क्विप्—पसन्द करने वाला, उपभोग करने वाला, आनन्द लेने वाला
जुष् —वि॰—-—जुष्+क्विप्—दर्शन करने वाला, निकट जाने वाला, पहुँचने वाला, लेने वाला, धारण करने वाला, आश्रय लेने वाला आदि
जुष्ट —भू॰क॰कृ॰—-—जुष्+क्त—प्रसन्न, संतुष्ट,
जुष्ट —भू॰क॰कृ॰—-—जुष्+क्त—अभ्यस्त, आश्रित, देखा हुआ, भुगता हुआ
जुष्ट —भू॰क॰कृ॰—-—जुष्+क्त—सज्जित, सम्पन्न, युक्त
जुहूः —स्त्री॰—-—हु+क्विप्+नि॰हित्वं दीर्घश्च तारा॰—अग्नि में घी की आहुति देने के लिए काठ का बना अर्धचन्द्राकार चम्मच, स्रुवा
जुहोतिः —पुं॰—-—जु+श्तिप्—जुहोति' क्रिया से सम्पन्न होने वाले यज्ञानुष्ठानों का पारिभाषिक नाम, इससे भिन्न अनुष्ठानों को 'उपविष्ट होम' तथा 'यजति' है
जूः —स्त्री॰—-—जू+क्विप्—चाल
जूः —स्त्री॰—-—-—सरस्वती का विशेषण
जूटः —पुं॰—-—जुट्+अच्, नि॰ ऊत्वम्—चिपटे हुए तथा मींढी बनाये हुए केशों का समूह
जूटकम् —नपुं॰—-—जूट्+कन्—बट कर मींढी बनाये हुए बाल, जटा
जूतिः —स्त्री॰—-—जू+क्तिन्—चाल, वेग
जूर् —दिवा॰आ॰<जूर्यते>,<जूर्ण>—-—-—चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना, मारना
जूर् —दिवा॰आ॰<जूर्यते>,<जूर्ण>—-—-—क्रुद्ध होना
जूर् —दिवा॰आ॰<जूर्यते>,<जूर्ण>—-—-—पुराना होना
जूर्तिः —स्त्री॰—-—जर्+क्तिन्+ऊठ्—बुख़ार, जूड़ी
जृ —भ्वा॰पर॰<जरति>—-—-—नम्र बनाना, नीचा दिखाना
जृ —भ्वा॰पर॰<जरति>—-—-—आगे बढ़ जाना
जृभ् —भ्वा॰आ॰<जृभते>,<जृम्भते>,<जृम्भित>,<जृब्ध>—-—-—उबासी लेना, जमुहाई लेना,
जृभ् —भ्वा॰आ॰<जृभते>,<जृम्भते>,<जृम्भित>,<जृब्ध>—-—-—खोलना, विस्तार करना, खिलना
जृभ् —भ्वा॰आ॰<जृभते>,<जृम्भते>,<जृम्भित>,<जृब्ध>—-—-—बढ़ाना,फैलाना, सर्वत्र प्रसार करना
जृभ् —भ्वा॰आ॰<जृभते>,<जृम्भते>,<जृम्भित>,<जृब्ध>—-—-—प्रकट होना, उदय होना, अपनी शान दिखाना, दर्शनीय होना व्यक्त होना
जृभ् —भ्वा॰आ॰<जृभते>,<जृम्भते>,<जृम्भित>,<जृब्ध>—-—-—आराम होना,
जृभ् —भ्वा॰आ॰<जृभते>,<जृम्भते>,<जृम्भित>,<जृब्ध>—-—-—पीछे मुड़ना, पल्टा खाना,
जृभ् —भ्वा॰आ॰, प्रेर॰—-—-—जमुहाई दिलाना, प्रसार करना
जृम्भ् —भ्वा॰आ॰<जृभते>,<जृम्भते>,<जृम्भित>,<जृब्ध>—-—-—उबासी लेना, जमुहाई लेना,
जृम्भ् —भ्वा॰आ॰<जृभते>,<जृम्भते>,<जृम्भित>,<जृब्ध>—-—-—खोलना, विस्तार करना, खिलना
जृम्भ् —भ्वा॰आ॰<जृभते>,<जृम्भते>,<जृम्भित>,<जृब्ध>—-—-—बढ़ाना,फैलाना, सर्वत्र प्रसार करना
जृम्भ् —भ्वा॰आ॰<जृभते>,<जृम्भते>,<जृम्भित>,<जृब्ध>—-—-—प्रकट होना, उदय होना, अपनी शान दिखाना, दर्शनीय होना व्यक्त होना
जृम्भ् —भ्वा॰आ॰<जृभते>,<जृम्भते>,<जृम्भित>,<जृब्ध>—-—-—आराम होना,
जृम्भ् —भ्वा॰आ॰<जृभते>,<जृम्भते>,<जृम्भित>,<जृब्ध>—-—-—पीछे मुड़ना, पल्टा खाना,
जृम्भ् —भ्वा॰आ॰, प्रेर॰—-—-—जमुहाई दिलाना, प्रसार करना
उज्जृभ् —भ्वा॰आ॰—उद्-जृभ् —-—प्रकट होना, उदय होना, फूटना
उज्जृम्भ् —भ्वा॰आ॰—उद्-जृम्भ्—-—प्रकट होना, उदय होना, फूटना
विजृभ् —भ्वा॰आ॰—वि-जृभ्—-—जमुहाई लेना, उबासी लेना, मुँह खोलना
विजृम्भ् —भ्वा॰आ॰—वि-जृम्भ्—-—खुलना, खिलना
विजृम्भ् —भ्वा॰आ॰—वि-जृम्भ्—-—सर्वत्र फैल जाना, व्याप्त करना, भर देना
विजृम्भ् —भ्वा॰आ॰—वि-जृम्भ्—-—उदय होना, प्रकट होना
समुज्जृभ् —भ्वा॰आ॰—समुद्-जृभ्—-—प्रयत्न करना, हाथपाँव मारना, कोशिश करना
समुज्जृम्भ् —भ्वा॰आ॰—समुद्-जृम्भ्—-—प्रयत्न करना, हाथपाँव मारना, कोशिश करना
जृम्भः —पुं॰—-—जृम्भ्+घञ्—जमुहाई लेना, उबासी लेना
जृम्भम् —नपुं॰—-—-—जमुहाई लेना, उबासी लेना
जृम्भः —पुं॰—-—-—खुलना खिलना, विस्तृत होना
जृम्भम् —नपुं॰—-—-—खुलना खिलना, विस्तृत होना
जृम्भः —पुं॰—-—-—अंगड़ाई लेना
जृम्भम् —नपुं॰—-—-—अंगड़ाई लेना
जृम्भणम् —नपुं॰—-—जृम्भ्+ल्युट्—जमुहाई लेना, उबासी लेना
जृम्भणम् —नपुं॰—-—जृम्भ्+ल्युट्—खुलना खिलना, विस्तृत होना
जृम्भणम् —नपुं॰—-—जृम्भ्+ल्युट्—अँगड़ाई लेना
जृम्भा —स्त्री॰—-—जृम्भ्+अ+टाप्—जमुहाई लेना, उबासी लेना
जृम्भा —स्त्री॰—-—जृम्भ्+अ+टाप्—खुलना खिलना, विस्तृत होना
जृम्भा —स्त्री॰—-—जृम्भ्+अ+टाप्—अँगड़ाई लेना
जृम्भिका —स्त्री॰—-—जृम्भ्+कन्,इत्वम्+टाप्—जमुहाई लेना, उबासी लेना
जृम्भिका —स्त्री॰—-—जृम्भ्+कन्,इत्वम्+टाप्—खुलना खिलना, विस्तृत होना
जृम्भिका —स्त्री॰—-—जृम्भ्+कन्,इत्वम्+टाप्—अँगड़ाई लेना
जृ —भ्वा॰दिवा॰क्र्या॰पर॰चुरा॰उभ॰<जरति> ,<जीर्यति>, <जृणाति>,<जारयति> ते, जीर्ण जारित—-—-—बूढ़ा होना, जर्जरहोना, सूखना, मुरझाना
जृ —भ्वा॰दिवा॰क्र्या॰पर॰चुरा॰उभ॰<जरति> ,<जीर्यति>, <जृणाति>,<जारयति> ते, जीर्ण जारित—-—-—नष्ट होना, खा-पी जाना
जृ —भ्वा॰दिवा॰क्र्या॰पर॰चुरा॰उभ॰<जरति> ,<जीर्यति>, <जृणाति>,<जारयति> ते, जीर्ण जारित—-—-—घुल जाना, पच जाना
जेतृ —वि॰—-—जि+तृच्—जीतने वाला, विजेता,
जेतृ —पुं॰—-—-—विष्णु का विशेषण
जेन्ताकः —पुं॰—-—-—गरम कमरा जिसमें बैठने पर शरीर से पसीना बहे, शुष्क उष्ण स्नान
जेमनम् —नपुं॰—-—जिम+ल्युट्—खाना, भोजन
जैत्र —वि॰—-—जेतृ+अण्,स्त्रियां ङीप् च्—विजयी, सफल, विजय प्राप्त कराने वाला
जैत्रः —पुं॰—-—-—विजयी, विजेता
जैत्रम् —नपुं॰—-—-—विजय, जीत
जैत्रम् —नपुं॰—-—-—बढ़ियापन
जैनः —पुं॰—-—जिन्+अण्—जैन सिद्धान्तों का अनुयायी, जैन मत को मानने वाला
जैमिनिः —पुं॰—-—-—प्रख्यात ऋषि और दार्शनिक जिन्होंने दर्शन संप्रदाय में 'पूर्वमीमांसा' का प्रणयन किया
जैवातृक —वि॰—-—जिव्+णिच्+आतृ-कन्—दीर्घजीवी, जिसके लिए दीर्घायु की इच्छा
जैवातृक —वि॰—-—-—दुबला-पतला, कृशकाय
जैवातृकः —पुं॰—-—-—चन्द्रमा
जैवातृकः —पुं॰—-—-—दवाई, औषधि
जैवेयः —पुं॰—-—जीवस्य गुरोः अपत्यम् जीव+ढक्—बृहस्पति के पुत्र कच की उपाधि
जैह्म्यम् —नपुं॰—-—जिह्म+ष्यञ्—टेढ़ापन, धोखा, झूठा व्यवहार
जोङ्गटः —पुं॰—-—जुङ्गति अरोचकत्वं परित्यजति अनेन जुङ्ग+अटन् नि॰ गुणः—गर्भवति स्त्री की प्रबल रुचि, दोहद
जोटिङ्गः —पुं॰—-—जुट्+इन्+,जोटि+गम्+ड, रिक्तत्वात् मुम्—शिव की उपाधि
जोषः —पुं॰—-—जुष्+घञ्—सन्तोष, सुखोपभोग, प्रसन्नता,आनन्द
जोषम् —अव्य॰—-—-—इच्छानुसार, आराम से
जोषा —स्त्री॰—-—जुष्यति उपभुज्यते जुष्+घञ्+टाप्—स्त्री, नारी
जोषित् —स्त्री॰—-—जुष्यति उपभुज्यते जुष्+इति—स्त्री, नारी
जोषिका —स्त्री॰—-—जुष्+ण्वुल्+टाप्, इत्वम्—नई कलियों का समूह
जोषिका —स्त्री॰—-—-—स्त्री, नारी
ज्ञ —वि॰—-—ज्ञा+क—जानने वाला, परिचित कार्यज्ञ, निमित्तज्ञ, शास्त्रज्ञ, सर्वज्ञ,
ज्ञः —पुं॰—-—-—बुद्धिमान् और विद्वान् पुरुष
ज्ञः —पुं॰—-—-—चैतन्य विशिष्ट आत्मा
ज्ञः —पुं॰—-—-—बुध नक्षत्र
ज्ञः —पुं॰—-—-—मंगल नक्षत्र
ज्ञः —पुं॰—-—-—ब्रह्मा का विशेषण
ज्ञपित —वि॰—-—-—जताया गया, संसूचित, स्पष्ट किया गया, सिखाया गया
ज्ञप्त —वि॰—-—-—जताया गया, संसूचित, स्पष्ट किया गया, सिखाया गया
ज्ञप्तिः —स्त्री॰—-—ज्ञा+णिच्+क्तिन्—समझ
ज्ञा —क्र्या॰उभ॰< जानाति>, <जानीते>, <ज्ञात>—-—-—जानना, सीखना, परिचित होना
ज्ञा —क्र्या॰उभ॰< जानाति>, <जानीते>, <ज्ञात>—-—-—जानना, जानकार होना, परिचित या विज्ञ होना
ज्ञा —क्र्या॰उभ॰< जानाति>, <जानीते>, <ज्ञात>—-—-—मालूम करना, निश्चय करना, खोज करना
ज्ञा —क्र्या॰उभ॰< जानाति>, <जानीते>, <ज्ञात>—-—-—समझना, जानना, अवबोध करना, महसूस करना, अनुभव करना
ज्ञा —क्र्या॰उभ॰< जानाति>, <जानीते>, <ज्ञात>—-—-—परीक्षण करना, जाँच करना, वास्तविक चरित्र जानना
ज्ञा —क्र्या॰उभ॰< जानाति>, <जानीते>, <ज्ञात>—-—-—पहचानना
ज्ञा —क्र्या॰उभ॰< जानाति>, <जानीते>, <ज्ञात>—-—-—लिहाज करना, खयाल करना, मान करना
ज्ञा —क्र्या॰उभ॰< जानाति>, <जानीते>, <ज्ञात>—-—-—काम करना, व्यस्त करना
ज्ञा —क्र्या॰उभ॰—-—-—घोषणा करना, सूचित करना, जतलाना, ज्ञात करना, अधिसूचित करना
ज्ञा —क्र्या॰उभ॰—-—-—निवेदन करना, कहना
ज्ञा —क्र्या॰उभ॰, आ॰ सन्नन्त<जिज्ञासते>—-—-—जानने की इच्छा करना, खोजना, निश्चय करना
अनुज्ञा —क्र्या॰उभ॰—अनु-ज्ञा—-—अनुमति देना, इजाजत देना, स्वीकृति देना, 'हाँ' करना, सहमत करना, स्वीकार कर लेना
अनुज्ञा —क्र्या॰उभ॰—अनु-ज्ञा—-—सगाई करना, विवाह में वचनबद्ध होना, वचन देना
अनुज्ञा —क्र्या॰उभ॰—अनु-ज्ञा—-—क्षमा करना, माफ करना
अनुज्ञा —क्र्या॰उभ॰—अनु-ज्ञा—-—प्रार्थना करना
अनुज्ञा —क्र्या॰उभ॰—अनु-ज्ञा—-—अपनाना
अपज्ञा —क्र्या॰उभ॰—अप-ज्ञा—-—छिपाना, गुप्तरखना, इन्कार करना, मुकरना
अभिज्ञा —क्र्या॰उभ॰—अभि-ज्ञा—-—पहचानना
अभिज्ञा —क्र्या॰उभ॰—अभि-ज्ञा—-—जानना, समझना, परिचित होना, जानकार होना @ भग॰४/१४,७/१३,१८,५५
अभिज्ञा —क्र्या॰उभ॰—अभि-ज्ञा—-—ध्यान रखना, खयाल रखना, मानना
अभिज्ञा —क्र्या॰उभ॰—अभि-ज्ञा—-—मान लेना, स्वीकार कर लेना
अवज्ञा —क्र्या॰उभ॰—अव-ज्ञा—-—तुच्छ समझना, घृणा करना, तिरस्कार करना, अपेक्षा करना
आज्ञा —क्र्या॰उभ॰—आ-ज्ञा—-—जानना, समझना, खोजना, निश्चय करना,
आज्ञा —क्र्या॰उभ॰—आ-ज्ञा—-—आज्ञा देना, आदेश देना, निदेश देना
आज्ञा —क्र्या॰उभ॰—आ-ज्ञा—-—विश्वास दिलाना
आज्ञा —क्र्या॰उभ॰—आ-ज्ञा—-—विसर्जित करना, जाने के लिए छुट्टी देना
परिज्ञा —क्र्या॰उभ॰—परि-ज्ञा—-—जानकार होना, जानना, परिचित होना
परिज्ञा —क्र्या॰उभ॰—परि-ज्ञा—-—खोजना, निश्चय करना
परिज्ञा —क्र्या॰उभ॰—परि-ज्ञा—-—पहिचानना
प्रतिज्ञा —क्र्या॰उभ॰—प्रति-ज्ञा—-—प्रतिज्ञा करना
प्रतिज्ञा —क्र्या॰उभ॰—प्रति-ज्ञा—-—पुष्ट करना
प्रतिज्ञा —क्र्या॰उभ॰—प्रति-ज्ञा—-—बताना, अभिपुष्टि करना, दावा करना
विज्ञा —क्र्या॰उभ॰—वि-ज्ञा—-—जानना, जानकार होना
विज्ञा —क्र्या॰उभ॰—वि-ज्ञा—-—सीखना, समझना, जान लेना
विज्ञा —क्र्या॰उभ॰—वि-ज्ञा—-—निश्चय करना मालूम करना
विज्ञा —क्र्या॰उभ॰—वि-ज्ञा—-—लिहाज करना, मान लेना, ख़याल करना
विज्ञा —क्र्या॰उभ॰—वि-ज्ञा—-—निवेदन करना,प्रार्थना करना
विज्ञा —क्र्या॰उभ॰—वि-ज्ञा—-—समाचार देना, सूचना देना
विज्ञा —क्र्या॰उभ॰—वि-ज्ञा—-—कहना, बतलाना
संज्ञा —क्र्या॰उभ॰—सम्-ज्ञा—-—जानना, समझना, जानकार होना
संज्ञा —क्र्या॰उभ॰—सम्-ज्ञा—-—पहचानना
संज्ञा —क्र्या॰उभ॰—सम्-ज्ञा—-—मेलजोल से रहना, परस्पर सहमत होना
संज्ञा —क्र्या॰उभ॰—सम्-ज्ञा—-—रखवाली करना, खबरदार रहना,
संज्ञा —क्र्या॰उभ॰—सम्-ज्ञा—-—राजी होना, सहमत होना
संज्ञा —क्र्या॰, पर॰—सम्-ज्ञा—-—याद करना, सोचना
संज्ञा —क्र्या॰उभ॰—सम्-ज्ञा—-—सूचना देना
ज्ञात —वि॰—-—ज्ञा+क्त—जाना हुआ, निश्चय किया हुआ, समझा हुआ, सीखा हुआ, समवधारित
ज्ञातसिद्धान्तः —पुं॰—ज्ञात-सिद्धान्तः—-—पूर्ण रूप से शास्त्रों से निष्णात
ज्ञातिः —पुं॰—-—ज्ञा+क्तिन्—पैतृक सम्बन्ध, पिता, भाई आदि, एक ही गोत्र के व्यक्ति
ज्ञातिः —पुं॰—-—-—बन्धु, बान्धव
ज्ञातिभावः —पुं॰—ज्ञातिः-भावः—-—सम्बन्ध,रिश्तेदारी
ज्ञातिभेदः —पुं॰—ज्ञातिः-भावः—-—सम्बन्धियों में फूट
ज्ञातिभावः —वि॰—ज्ञातिः-भावः—-—जो निकटस्थ व्यक्तियों से सम्बन्ध जोड़ता है
ज्ञातेयम् —नपुं॰—-—ज्ञाति+ढ़क्—सम्बन्ध, रिश्तेदार
ज्ञातृ —पुं॰—-—ज्ञा+तृच्— बुद्धिमान् पुरुष
ज्ञातृ —पुं॰—-—-—परिचित व्यक्ति
ज्ञातृ —पुं॰—-—-—ज़मानत, प्रतिभू
ज्ञानम् —नपुं॰—-—ज्ञा+ल्युट्—जानना, समझना, परिचित होना, प्रवीणता
ज्ञानम् —नपुं॰—-—-—विद्या, शिक्षण
ज्ञानम् —नपुं॰—-—-—चेतना, संज्ञान, जानकारी
ज्ञानम् —नपुं॰—-—-—जाने अनजाने, जानबूझकर, अनजाने में
ज्ञानम् —नपुं॰—-—-—परम ज्ञान
ज्ञानम् —नपुं॰—-—-—बुद्धि ज्ञान और प्रज्ञा की इन्द्रिय
ज्ञानानुत्पादः —पुं॰—ज्ञानम्-अनुत्पादः—-—अज्ञान, मूर्खता
ज्ञानात्मन् —वि॰—ज्ञानम्- आत्मन्—-—सर्वविद्, बुद्धिमान्
ज्ञानेन्द्रियम् —नपुं॰—ज्ञानम्-इन्द्रियम्—-—प्रत्यक्षीकरण की इन्द्रिय
ज्ञानकाण्डम् —नपुं॰—ज्ञानम्-काण्डम्—-—वेद का आन्तरिक या रहस्यवाद विषयक भाग
ज्ञानकृत —वि॰—ज्ञानम्-कृत—-—जानबूझ कर या इरादतन किया हुआ
ज्ञानगम्य —वि॰—ज्ञानम्-गम्य—-—समझ के द्वारा जानने योग्य
ज्ञानचक्षुस् —नपुं॰—ज्ञानम्-चक्षुस्—-—बुद्धि की आँख, मन की आँख, बौद्धिक स्वप्न
ज्ञानचक्षुस् —पुं॰—ज्ञानम्-चक्षुस्—-—बुद्धिमान् और विद्वान् पुरुष
ज्ञानतत्त्वम् —नपुं॰—ज्ञानम्-तत्त्वम्—-—वास्तविक ज्ञान, ब्रह्मज्ञान
ज्ञानतपस् —नपुं॰—ज्ञानम्-तपस्—-—सत्यज्ञान की प्राप्ति रूप तपस्या
ज्ञानदः —पुं॰—ज्ञानम्-दः—-—गुरु
ज्ञानदा —स्त्री॰—ज्ञानम्-दा—-—सरस्वती का विशेषण
ज्ञानदुर्बल —वि॰—ज्ञानम्-दुर्बल—-—जिसमें ज्ञान की कमी है
ज्ञाननिश्चयः —पुं॰—ज्ञानम्-निश्चयः—-—निश्चिति, निश्चयीकरण
ज्ञाननिष्ठ —वि॰—ज्ञानम्-निष्ठ—-—सच्चे आत्मज्ञान को प्राप्त करने पर तुला हुआ
ज्ञानयज्ञः —पुं॰—ज्ञानम्-यज्ञः—-—आत्मज्ञानी, दार्शनिक
ज्ञानयोगः —पुं॰—ज्ञानम्-योगः—-—सच्चा आत्मज्ञान प्राप्त करने या परमात्मानुभूति प्राप्त करने का मुख्यसाधन
ज्ञानचिन्तन —वि॰—ज्ञानम्-चिन्तन—-—विचारणा
ज्ञानशास्त्रम् —नपुं॰—ज्ञानम्-शास्त्रम्—-—भविष्य कथन का शास्त्र
ज्ञानसाधनम् —नपुं॰—ज्ञानम्-साधनम्—-—सच्चा आत्मज्ञान प्राप्त करने का साधन
ज्ञानसाधनम् —नपुं॰—ज्ञानम्-साधनम्—-—प्रत्यक्ष ज्ञान की इन्द्रिय
ज्ञानतः —अव्य॰—-—ज्ञान+तसिल्—ज्ञानपूर्वक, जानबूझकर, इरादतन
ज्ञानमय —वि॰—-—ज्ञा+मयट्—ज्ञानयुक्त, चिन्मय
ज्ञानमय —वि॰—-—-—ज्ञान से भरा हुआ
ज्ञानमयः —पुं॰—-—-—परमात्मा, शिव की उपाधि
ज्ञानिन् —वि॰—-—ज्ञान+इनि—प्रतिभाशाली, बुद्धिमान्
ज्ञानिन् —पुं॰—-—-—ज्योतिषी, भविष्यवक्ता
ज्ञानिन् —वि॰—-—-—ऋषि, आत्मज्ञानी
ज्ञापक —वि॰—-—ज्ञा+णिच्+ण्वुल्—जतलाने वाला, सिखाने वाला, सूचना देने वाला, संकेतक
ज्ञापकः —पुं॰—-—-—समादेशक, स्वामी
ज्ञापकम् —नपुं॰—-—-—सार्थक उक्ति, व्यञ्जनात्मक नियम
ज्ञापनम् —नपुं॰—-—ज्ञा+णिच्+ल्युट्—जतलाना, सूचना देना सिखलाना, घोषणा करना, संकेत देना
ज्ञापित —वि॰—-—ज्ञा+णिच्+क्त—जतलाया गया, सूचित किया गया, घोषित किया गया, प्रकाशित
ज्ञीप्सा —स्त्री॰—-—ज्ञा+सन्+अ+टाप्—जानने की इच्छा
ज्या —स्त्री॰—-—ज्या+अङ्+टाप्—धनुष की डोरी
ज्या —स्त्री॰—-—-—चाप के सिरों को मिलाने वाली सीधी रेखा
ज्यानिः —स्त्री॰—-—ज्या+नि—बूढ़ापा, क्षय,
ज्यानिः —स्त्री॰—-—-—छोड़ना, त्यागना
ज्यानिः —स्त्री॰—-—-—दरिया, नदी
ज्यायस् —स्त्री॰—-—अयमनयोरतिशयेन प्रशस्यःवृद्धो वा+ईयसुन्, ज्यादेशः—आयु मे बड़ा, अधिकतर वयस्क
ज्यायस् —स्त्री॰—-—-—दो में बढ़िया श्रेष्ठतर, योग्यतर
ज्यायस् —स्त्री॰—-—-—महत्तर, बृहत्तर
ज्यायस् —स्त्री॰—-—-—जो आवश्यक न हो
ज्येष्ठ —वि॰—-—अयमेषामतिशयेन वृद्धः प्रशस्यो वा+इष्ठन्, ज्यादेशः—आयु में सबसे बड़ा, जेठा
ज्येष्ठ —वि॰—-—-—श्रेष्ठतम्, सर्वोत्तम
ज्येष्ठ —वि॰—-—-—प्रमुख, प्रथम, मुख्य,उच्चतम
ज्येष्ठः —पुं॰—-—-—बड़ा भाई
ज्येष्ठः —पुं॰—-—-—चान्द्रमास
ज्येष्ठा —स्त्री॰—-—-—सबसे बड़ी बहन
ज्येष्ठा —स्त्री॰—-—-—१८ वाँ नक्षत्र पुँज
ज्येष्ठा —स्त्री॰—-—-—बिचली अँगुली
ज्येष्ठा —स्त्री॰—-—-—छोटी छिपकली
ज्येष्ठा —स्त्री॰—-—-—गंगा नदी का विशेषण
ज्येष्ठांशः —पुं॰—ज्येष्ठ-अंशः—-—सबसे बड़े भाई का भाग
ज्येष्ठांशः —पुं॰—ज्येष्ठ-अंशः—-—सबसे बड़े भाई का पैतृक संपत्ति में वह भाग जो सबसे बड़ा होने के कारण उसे मिले
ज्येष्ठांशः —पुं॰—ज्येष्ठ-अंशः—-—सर्वोत्तमभाग
ज्येष्ठाम्बु —नपुं॰—ज्येष्ठ-अम्बु—-—अनाज का धोवन
ज्येष्ठाम्बु —नपुं॰—ज्येष्ठ-अम्बु—-—माँड
ज्येष्ठाश्रमः —पुं॰—ज्येष्ठ-आश्रमः—-—ब्राह्मण अथवा गृहस्थ के धार्मिक जीवन में उच्चतम या सर्वोत्तम आश्रम
ज्येष्ठाश्रमः —पुं॰—ज्येष्ठ-आश्रमः—-—गृहस्थ
ज्येष्ठतातः —पुं॰—ज्येष्ठ-तातः—-—पिता का बड़ा भाई, ताऊ
ज्येष्ठवर्णः —पुं॰—ज्येष्ठ-वर्णः—-—सर्वोच्च जाति, ब्राह्मण जाति
ज्येष्ठवृत्तिः —स्त्री॰—ज्येष्ठ-वृत्तिः—-—बड़ों का कर्त्तव्य
ज्येष्ठश्वश्रूः —स्त्री॰—ज्येष्ठ--श्वश्रूः—-—बड़ी साली
ज्यैष्ठः —पुं॰—-—ज्येष्ठा+अण्—वह चान्द्रमास जिसमें पूर्ण चन्द्रमा ज्येष्ठा नक्षत्रपुंज में स्थित होता है, जेठ का महीना
ज्यैष्ठी —स्त्री॰—-—-—ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा
ज्यैष्ठी —स्त्री॰—-—-—छिपकली
ज्यो —भ्वा॰ आ॰ <ज्यवते>—-—-—परामर्श देना, नसीहत देना
ज्यो —भ्वा॰ आ॰ <ज्यवते>—-—-—धार्मिक कर्त्तव्य का पालन करना
ज्योतिर्मय —वि॰—-—ज्योतिस्+मयट्—तारों से युक्त, ज्योति से भरा हुआ, द्युतिमय
ज्योतिष —वि॰—-—ज्योतिस्+अच्—गणित या फलित ज्योतिष
ज्योतिषः —पुं॰—-—-—गणक, दैवज्ञ
ज्योतिषः —पुं॰—-—-—छः वेदाङ्गों में से एक
ज्योतिषविद्या —स्त्री॰—ज्योतिष-विद्या—-—गणित अथवा फलित ज्योतिर्विज्ञान
ज्योतिषी —स्त्री॰—-—ज्योतिस्+ङीप्—ग्रह, तारा नक्षत्र
ज्योतिष्कः —पुं॰—-—ज्योतिः इव कायति कै+क—ग्रह, तारा नक्षत्र
ज्योतिष्मत् —वि॰—-—ज्योतिस्+मतुप्—आलोकमय, तेजस्वी देदीप्यमान, ज्योतिर्मय
ज्योतिष्मत् —वि॰—-—-—स्वर्गीय
ज्योतिष्मत् —पुं॰—-—-—सूर्य
ज्योतिष्मती —स्त्री॰—-—-—रात्रि
ज्योतिष्मती —स्त्री॰—-—-—मन की सात्त्विक अवस्था अर्थात् शान्त अवस्था
ज्योतिस् —नपुं॰—-—द्योतते द्युत्यते वा द्युत्+इसुन् दस्य जादेशः—प्रकाश, प्रभा, चमक, दीप्ति
ज्योतिस् —नपुं॰—-—-—ब्रह्मज्योति, वह ज्योति जो ब्रह्म का रूप है
ज्योतिस् —नपुं॰—-—-—स्वर्गीय पिण्ड, ज्योति
ज्योतिस् —नपुं॰—-—-—देखने की शक्ति
ज्योतिस् —नपुं॰—-—-—आकाशीय संसार
ज्योतिरिङ्गः —पुं॰—ज्योतिस्-इङ्गः—-—जुगनू
ज्योतिरिङ्गणः —पुं॰—ज्योतिस्-इङ्गणः—-—जुगनू
ज्योतिष्कणः —पुं॰—ज्योतिस्-कणः—-—अग्नि की चिनगारी
ज्योतिर्गणः —पुं॰—ज्योतिस्-गणः—-—समष्टिरूप से खगोलीय पिण्ड
ज्योतिश्चक्रम् —नपुं॰—ज्योतिस्-चक्रम्—-—राशिचक्र
ज्योतिर्ज्ञः —पुं॰—ज्योतिस्-ज्ञः—-—गणक, दैवज्ञ
ज्योतिर्मण्डलम् —नपुं॰—ज्योतिस्-मण्डलम्—-—तारकीयमण्डल
ज्योतीरथः —पुं॰—ज्योतिस्-रथः—-—ध्रुवतारा
ज्योतिर्विद् —पुं॰—ज्योतिस्-विद्—-—गणक या दैवज्ञ
ज्योतिर्विद्या —स्त्री॰—ज्योतिस्-विद्या—-—गणितज्योतिष या नक्षत्रविद्या, फलितज्योतिष
ज्योतिश्शास्त्रम् —नपुं॰—ज्योतिस्-शास्त्रम्—-—गणितज्योतिष या नक्षत्रविद्या, फलितज्योतिष
ज्योत्स्ना —स्त्री॰—-—ज्योतिरस्ति अस्याम्, ज्योतिस्+न, उपधालोपः—चन्द्रमा का प्रकाश
ज्योत्स्ना —स्त्री॰—-—-—प्रकाश
ज्योत्स्नेशः —पुं॰—ज्योत्स्ना-ईशः—-—चाँद
ज्योत्स्नाप्रियः —पुं॰—ज्योत्स्ना-प्रियः—-—चकोर पक्षी
ज्योत्स्नावृक्षः —पुं॰—ज्योत्स्ना-वृक्षः—-—दीवट, दीपाधार
ज्योत्स्नी —स्त्री॰—-—ज्योत्स्ना अस्ति अस्य, ज्योत्स्ना+अण्+ङीप्—चाँदनी रात
ज्यौः —पुं॰—-—-—बृहस्पति नक्षत्र
ज्यौतिषिकः —पुं॰—-—ज्योतिष+ठक्—खगोलवेत्ता, गणक, दैवज्ञ या ज्योतिषी
ज्यौत्स्नः —पुं॰—-—ज्योत्स्ना+अण्—शुक्लपक्ष
ज्वर् —भ्वा॰ प॰ <ज्वरति>, <जूर्ण>—-—-—बुख़ार या आवेश से गर्म होना, ज्वरग्रस्त होना
ज्वर् —भ्वा॰ प॰ <ज्वरति>, <जूर्ण>—-—-—रुग्ण होना
ज्वरः —पुं॰—-—ज्वर्+घञ्—बुख़ार, ताप, बुख़ार की गर्मी
ज्वरः —पुं॰—-—-—आत्मा का बुखार, मानसिकपीड़ा, कष्ट, दुःख, रञ्ज, शोक
ज्वराग्निः —पुं॰—ज्वरः-अग्निः—-—बुखार का वेग या तेज़ी
ज्वराङ्कुशः —पुं॰—ज्वरः-अङ्कुशः—-—ज्वरप्रशामक औषधि
ज्वरित —वि॰—-—ज्वर्+इतच्—ज्वराक्रान्त, ज्वरग्रस्त
ज्वरिन् —वि॰—-—ज्वर्+इनि—ज्वराक्रान्त, ज्वरग्रस्त
ज्वल् —भ्वा॰पर॰<ज्वलति>,< ज्वलित>—-—-—तेजी से चलना, दीप्त होना, चमकना
ज्वल् —भ्वा॰पर॰<ज्वलति>,< ज्वलित>—-—-—जल जाना, जल कर भस्म हो जाना, कष्टग्रस्त होना
ज्वल् —भ्वा॰पर॰<ज्वलति>,< ज्वलित>—-—-—उत्सुक होना
ज्वल् —भ्वा॰पर॰,प्रेर॰—-—-—आग लगाना, आग जलाना
ज्वल् —भ्वा॰पर॰,प्रेर॰—-—-—देदीप्यमान करना, रोशनी करना, प्रकाश करना
प्रज्वल् —भ्वा॰पर॰—प्र-ज्वल्—-—तेजी से चलना, ज्वाज्वल्यमान होना
प्रज्वल् —भ्वा॰पर॰,प्रेर॰—प्र-ज्वल्—-—जलाना, आग सुलगाना
प्रज्वल् —भ्वा॰पर॰,प्रेर॰—प्र-ज्वल्—-—चमकना, रोशनी करना
ज्वलन —वि॰—-—ज्वल्+ल्युट्—दहकता हुआ, चमकता हुआ,
ज्वलन —वि॰—-—-—ज्वलनार्ह, दहनशील
ज्वलनः —पुं॰—-—-—तीन की संख्या
ज्वलनम् —नपुं॰—-—-—जलना, दहकना, चमकना
ज्वलनाश्मन् —पुं॰—ज्वलनम्-अश्मन्—-—सूर्यकान्त मणि
ज्वलित —वि॰—-—ज्वल्+क्त—दग्ध, जला हुआ, प्रकाशित
ज्वलित —वि॰—-—-—प्रदीप्त,प्रज्वलित
ज्वालः —पुं॰—-—ज्वल्+ण—प्रकाश, दीप्ति
ज्वाला —स्त्री॰—-—ज्वाल +टाप्—अग्निशिखा, लौ, लपट
ज्वालाजिह्वः —पुं॰—ज्वाला-जिह्वः—-—आग
ज्वालाध्वजः —पुं॰—ज्वाला-ध्वजः—-—आग
ज्वालामुखी —स्त्री॰—ज्वाला-मुखी—-—लावा निकलने का स्थान
ज्वालावक्त्रः —पुं॰—ज्वाला-वक्त्रः—-—शिव का विशेषण
ज्वालिन् —पुं॰—-—ज्वल्+णिनि—शिव का विशेषण
झः —पुं॰—-—झट्+ड—समय का बिताना
झः —पुं॰—-—-—झन झन, खनखन या इसी प्रकार की कोई और ध्वनि
झगझगायति —ना॰धा॰पर॰—-—-—चमक उठना, दमकना, जगमगाना, चमचमाना
झगति —अव्य॰—-—-—जल्दी से, तुरन्त
झगिति —अव्य॰—-—-—जल्दी से, तुरन्त
झङ्कारः —पुं॰—-—झमिति अव्यक्तशब्दस्य कारः कृ+घञ्—झनझनाहट, भिनभिनाना
झङ्कृतम् —नपुं॰—-—झमिति अव्यक्तशब्दस्य कारः कृ+क्त—झनझनाहट, भिनभिनाना
झङ्कारिणी —स्त्री॰—-—झङ्कार+इनि+ङीप्—गङ्गा नदी
झङ्कृतिः —स्त्री॰—-—झम्+कॄ+क्तिन्—खनखनाहट या झनझनाहट
झञ्झनम् —झञझ्+ल्युट्—-—-—आभूषणों की झनझन या खनखन
झञ्झनम् —झञझ्+ल्युट्—-—-—खड़खड़ाहट या टनटन की ध्वनि
झञ्झा —स्त्री॰—-—झमिति अव्यक्तशब्दं कृत्वा झटिति वेगेन वहति झम्+झट्+ड+टाप्—हवा के चलने या वर्षा के होने के शब्द
झञ्झा —स्त्री॰—-—-—हवा और पानी, तूफान, आँधी
झञ्झा —स्त्री॰—-—-—खनखन की ध्वनि, झनझन
झञ्झानिलः —पुं॰—झञ्झा-अनिलः—-—वर्षा के साथ आँधी, तूफान, प्रभञ्जक, अन्धड़
झञ्झामरुत् —पुं॰—झञ्झा-मरुत्—-—वर्षा के साथ आँधी, तूफान, प्रभञ्जक, अन्धड़
झञ्झावातः —पुं॰—झञ्झा-वातः—-—वर्षा के साथ आँधी, तूफान, प्रभञ्जक, अन्धड़
झटिति —अव्य॰—-—झट्+क्विप्, इ+क्तिन्—जल्दी से, तुरन्त
झणझणम् —नपुं॰—-—झणत्+डाच्, द्वित्वं, पूर्वपदटिलोपः—झनझनाहट
झणझणा —स्त्री॰—-—झणत्+डाच्, द्वित्वं, पूर्वपदटिलोपः—झनझनाहट
झणझणायित —वि॰—-—झणझण+क्यङ्+क्त—टनटन, झनझन, टनटन करना
झणत्कारः —पुं॰—-—झणत्+कृ+घञ्—झनझन, टनटन, झुनझनाना, खनखनाना
झनत्कारः —पुं॰—-—झनत्+कृ+घञ्—झनझन, टनटन, झुनझनाना, खनखनाना
झम्पः —पुं॰—-—झम्+पत्+ड—उछल, कूद, छलाँग
झम्पा —स्त्री॰—-—झम्+पत्+ड+टाप्—उछल, कूद, छलाँग
झम्पाकः —पुं॰—-—झम्पेन अकतिगच्छति झम्प+अक्+अण्—बन्दर, लङ्गूर
झम्पारुः —पुं॰—-—झम्पेन अकतिगच्छति झम्प+आ+रा+डु—बन्दर, लङ्गूर
झम्पिन् —पुं॰—-—झम्पेन अकतिगच्छति झम्पा+इनि—बन्दर, लङ्गूर
झरः —पुं॰—-—झृ+अच्—प्रपातिका, झरना, निर्झर, नदी
झरा —स्त्री॰—-—झृ+अच्+टाप्—प्रपातिका, झरना, निर्झर, नदी
झरी —स्त्री॰—-—झृ+अच्+ङीष्—प्रपातिका, झरना, निर्झर, नदी
झर्झरः —पुं॰—-—झर्झ्+अरन्—एक प्रकार का ढोल
झर्झरः —पुं॰—-—-—बेंत की छड़ी
झर्झरः —पुं॰—-—-—झाँझ, मजीरा
झर्झरा —स्त्री॰—-—-—वेश्या, वारांगना
झर्झरिन् —पुं॰—-—झर्झर+इनि—शिव का विशेषण
झलज्झला —स्त्री॰—-—झलज्झल इत्यव्यक्तः शब्दः अस्त्यत्र अच्+टाप्—बूँदों के गिरने का शब्द, झड़ी, हाथी के कान की फड़फड़ाहट
झला —स्त्री॰—-— =झरा पृषो॰—लड़की, पुत्री
झला —स्त्री॰—-— =झरा पृषो॰—धूप, चिलचिलाती धूप, चमक
झल्लः —पुं॰—-—झर्झ्+क्विप्,तं लाति ला+क—मल्लयोद्धा, एकनीच जाति
झल्लकम् —नपुं॰—-—झल्ल+कन्—झाँझ, मजीरा
झल्लकी —स्त्री॰—-—झल्ल+कन्+ङीष्—झाँझ, मजीरा
झल्लरी —स्त्री॰—-—झर्झ्+अरन्+ङीष् पृषो॰—झाँझ, मजीरा
झल्लरी —स्त्री॰—-—झर्झ्+अरन्+ङीष् पृषो॰—झाँझ, मजीरा
झल्लिका —स्त्री॰—-—झल्ली+कै+क, पृषो॰—उबटन आदि के लगाने से शरीर से छूटा हुआ मैल
झल्लिका —स्त्री॰—-—-—प्रकाश, चमक, दमक
झषः —पुं॰—-—-—बड़ी मछली, मगरमच्छ
झषम् —नपुं॰—-—-—मरुस्थल, सुनसान जङ्गल
झषाङ्कः —पुं॰—झषः-अङ्कः—-—कामदेव
झषकेतनः —पुं॰—झषः-केतनः—-—कामदेव
झषकेतुः —पुं॰—झषः-केतुः—-—कामदेव
झषध्वजः —पुं॰—झषः-ध्वजः—-—कामदेव
झषाशनः —पुं॰—झषः-अशनः—-—सूँस
झषोदरी —स्त्री॰—झषः-उदरी—-—व्यास की माता सत्यवती का विशेषण
झाङ्कृतम् —नपुं॰—-—झङ्कृत+अण्—झाँझन,पायजेब
झाङ्कृतम् —नपुं॰—-—-—आवाज, छपछप का शब्द
झाटः —पुं॰—-—झट्+घञ्—पर्णशाला, लतामण्डप, कान्तार, वृक्षों का झुरमुट
झिटिः —स्त्री॰—-—झिम्+रट्+अच्+ङीष् पृषो॰—एक प्रकार की झाड़ी
झिटी —स्त्री॰—-—झिम्+रट्+अच्+ङीष् पृषो॰—एक प्रकार की झाड़ी
झिरिका —स्त्री॰—-—झिरि+कै+क+टाप्—झींगुर
झिल्लिः —स्त्री॰—-—झिरिति अव्यक्त शब्दं लिशति झिर्+लिश्+डि—झींगुर, एक प्रकार का वाद्ययन्त्र
झिल्लिका —स्त्री॰—-—झिल्लि+कन्+टाप्—झींगुर
झिल्लिका —स्त्री॰—-—झिल्लि+कन्+टाप्—धूप का प्रकाश, चमक, दीप्ति
झिल्ली —स्त्री॰—-—झिल्लि+ङीप्—झींगुर, दीये की बत्ती
झिल्ली —स्त्री॰—-—झिल्लि+ङीप्—प्रकाश, चमक
झिल्लीकण्ठः —पुं॰—झिल्ली-कण्ठः—-—पालतू कबूतर
झीरुका —स्त्री॰—-—-—झींगुर
झुण्डः —पुं॰—-—लुण्ट्+अच्, पृषो॰—वृक्ष, बिना तने का पेड़
झुण्डः —पुं॰—-—-—झाड़ी, झाड़-झखाड़
झोडः —पुं॰—-—-—सुपारी का पेड़
टङ्क् —चुरा॰उभ॰ <टङ्कयति>, <टङ्कयते>, <टङ्कित>—-—-—बाँधना, कसना, जकड़ना
टङ्क् —चुरा॰उभ॰ <टङ्कयति>, <टङ्कयते>, <टङ्कित>—-—-—ढकना
उट्टङ्क् —चुरा॰उभ॰—उद्-टङ्क्—-—छीलना, खुरचना
उट्टङ्क् —चुरा॰उभ॰—उद्-टङ्कः—-—छिद्र करना, सूराख करना
टङ्कः —पुं॰—-—टङ्क+घञ् अच् वा—कुल्हाड़ी, कुठार, टाँकी
टङ्कः —पुं॰—-—-—कुल्हाड़ी की धार के आकार की चोटी, पहाड़ी की ढाल या झुकाव
टङ्का —स्त्री॰—-—-—पैर, लात
टङ्कम् —नपुं॰—-—टङ्क+घञ् अच् वा—कुल्हाड़ी, कुठार, टाँकी
टङ्कम् —नपुं॰—-—-—कुल्हाड़ी की धार के आकार की चोटी, पहाड़ी की ढाल या झुकाव
टङ्ककः —पुं॰—-—टङ्क+कन्—चाँदी की सिक्का
टङ्ककपतिः —पुं॰—टङ्ककः-पतिः—-—टकसाल का अध्यक्ष
टङ्ककशाला —स्त्री॰—टङ्ककः-शाला—-—टकसाल
टङ्कणम् —नपुं॰—-—टङ्क्+ल्युट्—सोहागा
टङ्कनम् —नपुं॰—-—टङ्क्+ल्युट्—सोहागा
टङ्कणः —पुं॰—-—-—घोड़े की एक जाति
टङ्कणः —पुं॰—-—-—एक देश विशेष के निवासी
टङ्कनः —पुं॰—-—-—घोड़े की एक जाति
टङ्कनः —पुं॰—-—-—एक देश विशेष के निवासी
टङ्कणक्षारः —पुं॰—टङ्कणम्-क्षारः—-—सोहागा
टङ्कारः —पुं॰—-—टम्+कृ+अण्—धनुष की डोर खींचने से होने वाली ध्वनि
टङ्कारः —पुं॰—-—-—गुर्राना, चिल्लाना, चीत्कार,चीख
टङ्कारिन् —वि॰—-—टङकार+इनि—टंकार करने वाला, फुत्कार या सीत्कार करने वाला; झङ्कार करने वाला
टङ्किका —स्त्री॰—-—टङ्क्+कन्+टाप्, इत्वम्—टाँकी, कुल्हाड़ी
टङ्गः —पुं॰—-—टङ्कः पृषो॰—कुदाल, खुर्पा, कुल्हाड़ी
टङ्गम् —नपुं॰—-—टङ्कः पृषो॰—कुदाल, खुर्पा, कुल्हाड़ी
टङ्गणः —पुं॰—-—टङ्कः पृषो॰—सोहागा
टङ्गणम् —नपुं॰—-—टङ्कः पृषो॰—सोहागा
टङ्गा —स्त्री॰—-—टङ्ग+टाप्—टाँग, लात, पैर
टहरी —स्त्री॰—-—टहेति शब्दं राति रा+क+ङीष्—एक प्रकार का वाद्ययन्त्र
टहरी —स्त्री॰—-—टहेति शब्दं राति रा+क+ङीष्—परिहास, ठठ्ठा
टाङ्कारः —पुं॰—-—टङ्कार+अण्—झंकार, टङ्कार
टिक् —भ्वा॰ आ॰ <टेकते>—-—-—जाना, चलना-फिरना
टिटिभः —पुं॰—-—टिटि इत्यव्यक्तशब्दं भणति टिटि+भण्+ड—टिटिहिरी पक्षी
टिट्टिभः —पुं॰—-—टिट्टि इत्यव्यक्तशब्दं भणति टिट्टि+भण्+ड—टिटिहिरी पक्षी
टिप्पणी —स्त्री॰—-—टिप्+क्विप्, टिपा पन्यते स्तूयते टिप्+पन्+अच्+ङीष्, पृषो॰ पात्वं वा—भाष्य, टीका
टिप्पनी —स्त्री॰—-—टिप्+क्विप्, टिपा पन्यते स्तूयते टिप्+पन्+अच्+ङीष्, पृषो॰ पात्वं वा—भाष्य, टीका
टीक् —भ्वा॰आ॰<टीकते>—-—-—चलना- फिरना, जाना, सहारा, देना
आटीक् —भ्वा॰आ॰—आ-टीक्—-—जाना, चलना-फिरना, इधर-उधर घूमना
टीका —स्त्री॰—-—टीक्यते गम्यते, ग्रन्थार्थोऽनया टीक्+क+टाप्—व्याख्या, भाष्य
टुण्टुक —वि॰—-—टुण्टु इति अव्यक्तशब्दं कायति टुटु+कै+क—छोटा, थोड़ा
टुण्टुक —वि॰—-—-—दुष्ट, क्रूर, नृशंस
ठः —पुं॰—-—-—अनुकरणात्मक ध्वनिः
ठक्कुरः —पुं॰—-—-—मूर्ति, देवमूर्ति
ठक्कुरः —पुं॰—-—-—पूज्य व्यक्ति के नाम के साथ लगने वाली सम्मानसूचक उपाधि
ठालिनी —स्त्री॰—-—-—तगड़ी, करधनी
डमः —पुं॰—-—ड+मा+क—एक घृणित और मिश्रित जाति, डोम
डमरः —पुं॰—-—मृ+अच्=मरम्, डेन त्रासेन मरं पलायनम्, तृ॰त॰—झगड़ा, फ़साद, दंगा
डमरः —पुं॰—-—-—भावभंगिमा और ललकारों से शत्रु को भयभीत करना
डमरम् —पुं॰—-—-—डर के कारण भाग जाना, भगदड़
डमरुः —पुं॰—-—डमित्यव्यक्तशब्दम् ऋच्छति डम्+ऋ+कु—एक प्रकार बाजा, डुगडुगी
डम्ब् —चुरा॰उभ॰ <डम्बयति>, <डम्बयते>—-—-—फेंकना, भेजना
डम्ब् —चुरा॰उभ॰ <डम्बयति>, <डम्बयते>—-—-—आदेश देना
डम्ब् —चुरा॰उभ॰ <डम्बयति>, <डम्बयते>—-—-—देखना
विडम्ब् —चुरा॰उभ॰—वि-डम्ब्—-—अनुकरण करना, नक़ल करना, तुलना करना
विडम्ब् —चुरा॰उभ॰—वि-डम्ब्—-—हँसी उड़ाना, अवहास करना, खिल्ली उड़ाना
विडम्ब् —चुरा॰उभ॰—वि-डम्ब्—-—ठगना, धोखा देना
विडम्ब् —चुरा॰उभ॰—वि-डम्ब्—-—कष्ट देना, पीड़ा देना
डम्बर —वि॰—-—डम्ब्+अरन्—प्रसिद्ध, विख्यात
डम्बरः —पुं॰—-—-—समवाय, संग्रह, ढेर
डम्बरः —पुं॰—-—-—दिखावा, अहंकार
डम्भ् —चुरा॰उभ॰ <डम्भयति>, <डम्भयते>—-—-—इकट्ठा करना
डयनम् —नपुं॰—-—डी+ल्युट्—उड़ान
डयनम् —नपुं॰—-—-—डोली, पालकी
डवित्थः —पुं॰—-—-—काठ का बारहसिंहा
डाकिनी —स्त्री॰—-—डाय भयदानाम अकति व्रजति ड+अक्+इनि+ङीप्—पिशाचनी, भूतनी
डाङ्कृतिः —स्त्री॰—-—डाम्+कृ+क्तिन्—घण्टी के बजने की ध्वनि, डिङ्ग-डाङ्ग आदि
डामर —वि॰—-—डमर+अण्—डरावना, भयावह, भयानक
डामर —वि॰—-—-—दंगा करने वाला, हुड़दङ्गी
डामर —वि॰—-—-—सूरत शक्ल में मिलता-जुलता, अनुरूप
डामरः —पुं॰—-—-—हो हल्ला, हंगामा, दंगा, फ़साद
डामरः —पुं॰—-—-—उत्सव के अवसर पर चहल-पहल, लड़ाई झगड़े के अवसर पर खलबली, हलचल
डालिमः —पुं॰—-— =दाडिमः, पृषो॰—अनार
डाहलः —पुं॰—-—-—एक देश तथा उसके अधिवासी
डिङ्गरः —पुं॰—-—-—बदमाश, ठग, धूर्त
डिङ्गरः —पुं॰—-—-—पतित या नीच आदमी
डिण्डिमः —पुं॰—-—डिंडीति शब्दं माति डिण्डि+मा+क—एक प्रकार छोटा ढ़ोल
डिण्डीरः —पुं॰—-—डिण्डि+र, दीर्घः—मसिक्षेपी का भीतरी कवच; जो समुद्रफेन की भाँति काम में लाया जाता है
डिण्डीरः —पुं॰—-—डिण्डि+र, दीर्घः—झाग
डिण्डिरः —पुं॰—-—डिण्डि+र —मसिक्षेपी का भीतरी कवच; जो समुद्रफेन की भाँति काम में लाया जाता है
डिण्डिरः —पुं॰—-—डिण्डि+र —झाग
डिमः —पुं॰—-—डिम्+क—दस प्रकार के नाटकों मे से एक
डिम्बः —पुं॰—-—डिम्ब्+घञ्—दंगा, फ़साद
डिम्बः —पुं॰—-—-—कोलाहल, भय के कारण चीत्कार
डिम्बः —पुं॰—-—-—छोटा बच्चा या छोटा जानवर
डिम्बः —पुं॰—-—-—गोला, गेंद, पिण्ड
डिम्बावहः —पुं॰—डिम्बः-आहवः—-—मामूली लड़ाई, झड़प, खटपट, मुठभेड़, झूठमूठ की लड़ाई
डिम्बयुद्धम् —नपुं॰—डिम्बः-युद्धम्—-—मामूली लड़ाई, झड़प, खटपट, मुठभेड़, झूठमूठ की लड़ाई
डिम्बिका —स्त्री॰—-—डिम्+ण्वुल्+टाप्, इत्वम्—कामुकी स्त्री
डिम्बिका —स्त्री॰—-—-—बुलबुला
डिम्भः —पुं॰—-—डिम्+अच्—छोटा बच्चा
डिम्भः —पुं॰—-—-—कोई छोटा जानवर जैसे शेर का बच्चा
डिम्भः —पुं॰—-—-—मूर्ख, बुद्धू
डिम्भकः —पुं॰—-—डिम्भ्+ण्वुल्, स्त्रिया टाप् इत्वं च—एक छोटा बच्चा
डिम्भकः —पुं॰—-—-—जानवर का छोटा बच्चा
डी —भ्वा॰दिवा॰ आ॰<डयते>,< डीयते>, <डीन>—-—-—उड़ना, हवा में से गुज़रना
डी —भ्वा॰दिवा॰ आ॰<डयते>,< डीयते>, <डीन>—-—-—जाना
उड्डी —भ्वा॰दिवा॰आ॰—उद्-डी—-—हवा में उड़ना, ऊपर उड़ना
प्रडी —भ्वा॰दिवा॰आ॰—प्र-डी—-—ऊपर उड़ना
प्रोड्डी —भ्वा॰दिवा॰आ॰—प्रोद्-डी—-—ऊपर उड़ जाना
डीन —भू॰क॰कृ॰—-—डी+क्त—उड़ा हुआ
डीनम् —नपुं॰—-—-—पक्षी की उड़ान
डुण्डुभः —पुं॰—-—डुण्डु+भा+क—साँपों का एक प्रकार जिनमें ज़हर नहीं होता
डुलिः —स्त्री॰—-— =ढुलिः पृषो॰—एक छोटी कछवी
डोमः —पुं॰—-—-—अत्यन्त नीच जाति का पुरुष
ढक्का —स्त्री॰—-—ढक् इति शब्देन कायति ढक्+कै+क+टाप्—बड़ा ढोल
ढालिन् —पुं॰—-—ढाल+इनि—ढालधारी योद्धा
ढुण्ढिः —पुं॰—-—ढुण्ढ्+इन्—गणेश का विशेषण
ढौलः —पुं॰—-—-—बड़ा ढोल, मृदङ्ग, ढपली
ढौक् —भ्वा॰आ॰<ढौकते>, <ढौकित>—-—-—जाना, पहुँचाना
ढौक् —पुं॰—-—-—निकट लाना, पहुँचाना
ढौक् —पुं॰—-—-—उपस्थित करना,प्रस्तुत करना
ढौकनम् —नपुं॰—-—ढौक्+ल्युट्—भेंट
ढौकनम् —नपुं॰—-—ढौक्+ल्युट्—उपहार, रिश्वत
तकिल —वि॰—-—तक्+इलच्—जालसाज, चालाक, धूर्त
तक्रम् —नपुं॰—-—तक्+रक्—छाछ, मट्ठा
तक्राटः —पुं॰—तक्रम्-अटः—-—रई का डंडा
तक्रसारम् —नपुं॰—तक्र-सारम्—-—ताज़ा मक्खन
तक्ष् —भ्वा॰स्वा॰पर॰< तक्षति>, <तक्ष्णोति>,<तष्ट>—-—-—चीरना, काटना, छीलना, छेनी से काटना, टुकड़े-टुकड़े करना, खण्डशः करना
तक्ष् —भ्वा॰स्वा॰पर॰< तक्षति>, <तक्ष्णोति>,<तष्ट>—-—-—गढ़ना, बनाना, निर्माण करना
तक्ष् —भ्वा॰स्वा॰पर॰< तक्षति>, <तक्ष्णोति>,<तष्ट>—-—-—बनाना, रचना करना
तक्ष् —भ्वा॰स्वा॰पर॰< तक्षति>, <तक्ष्णोति>,<तष्ट>—-—-—घायल करना, चोट पहुँचाना
तक्ष् —भ्वा॰स्वा॰पर॰< तक्षति>, <तक्ष्णोति>,<तष्ट>—-—-—आविष्कार करना, मन में बनाना
निस्तक्ष् —भ्वा॰स्वा॰पर॰—निस्-तक्ष्—-—टुकड़े-टुकड़े करना
संतक्ष् —भ्वा॰स्वा॰पर॰—सम्-तक्ष्—-—छीलना, छेनी से काटना, चीरना
संतक्ष् —भ्वा॰स्वा॰पर॰—सम्-तक्ष्—-—घायल करना, चोट पहुँचाना, प्रहार करना
तक्षकः —पुं॰—-—तक्ष्+ण्वुल्—बढ़ई, लकड़ी का काम करने वाला
तक्षकः —पुं॰—-—तक्ष्+ण्वुल्—सूत्रधार
तक्षकः —पुं॰—-—तक्ष्+ण्वुल्—देवताओं का वास्तुकार, विश्वकर्मा
तक्षकः —पुं॰—-—तक्ष्+ण्वुल्—पाताल के मुख्य नागों अर्थात् सर्पों में से एक
तक्षणम् —नपुं॰—-—तक्ष्+ल्युट्—छीलना, काटना
तक्षन् —पुं॰—-—तक्ष्+कनिन्—बढ़ई, लकड़ी काटने वाला
तक्षन् —पुं॰—-—तक्ष्+कनिन्—देवताओं का शिल्पी- विश्वकर्मा
तगरः —पुं॰—-—तस्य क्रोडस्य गरः, ष॰त॰—एक प्रकार का पौधा
तङ्क् —भ्वा॰पर॰<तङ्कति>,<तङ्कित>—-—-—सहन करना, बर्दाश्त करना
तङ्क् —भ्वा॰पर॰<तङ्कति>,<तङ्कित>—-—-—हँसना
तङ्क् —भ्वा॰पर॰<तङ्कति>,<तङ्कित>—-—-—कष्टग्रस्त रहना
तङ्कः —पुं॰—-—तङ्क्+घञ्, अच् वा—कष्टमय जीवन, आपद्ग्रस्त जीवन
तङ्कः —पुं॰—-—-—किसी प्रिय वस्तु के वियोग से उत्पन्न शोक
तङ्कः —पुं॰—-—-—संगतराश की छेनी
तङ्कनम् —नपुं॰—-—तङ्क्+ल्युट्—कष्टमय जीवन, आपद्ग्रस्त जिन्दगी
तङ्ग —भ्वा॰पर॰<तङ्गति>,<तङ्गित>—-—-—जाना, चलना-फिरना
तङ्ग —भ्वा॰पर॰<तङ्गति>,<तङ्गित>—-—-—हिलाना-जुलाना, कष्ट देना
तङ्ग —भ्वा॰पर॰<तङ्गति>,<तङ्गित>—-—-—लड़खड़ाना
तञ्च् —रुधा॰ पर॰ <तनक्ति>, <तञ्चित>—-—-—सिकोड़ना, सिकुड़ना
तटः —पुं॰—-—तट्+अच्—ढाला, उतार, कगार
तटः —पुं॰—-—-—आकाश या क्षितिज
तटः —पुं॰—-—-—किनारा, कूल,उतार, ढाल
तटः —पुं॰—-—-—शरीर का अवयव
तटा —स्त्री॰—-—-—किनारा, कूल,उतार, ढाल
तटा —स्त्री॰—-—-—शरीर का अवयव
तटी —स्त्री॰—-—-—किनारा, कूल,उतार, ढाल
तटी —स्त्री॰—-—-—शरीर का अवयव
तटम् —नपुं॰—-—-—किनारा, कूल,उतार, ढाल
तटम् —नपुं॰—-—-—शरीर का अवयव
तटाघातः —पुं॰—तटः-आघातः—-—सीगों की टक्कर से मारना
तटस्थ —वि॰—तट-स्थ—-—किनारे पर विद्यमान, कूलस्थित
तटस्थ —वि॰—तट-स्थ—-—अलग खड़ा हुआ, अलग-अलग, उदासीन, पराया, निष्क्रिय
तटाकः —पुं॰—-—तट्+आकन्—तालब
तटिनी —स्त्री॰—-—तटमस्त्यस्या इनि ङीप्—नदी
तड् —चुरा॰ उभ॰ <ताडयति>, <ताडयते>, <ताडित>—-—-—पीटना, मारना, टकराना
तड् —चुरा॰ उभ॰ <ताडयति>, <ताडयते>, <ताडित>—-—-—पीटना, मारना, दण्डस्वरूप पीटना, आघात पहुँचाना
तड् —चुरा॰ उभ॰ <ताडयति>, <ताडयते>, <ताडित>—-—-—प्रहार करना, पीटना
तड् —चुरा॰ उभ॰ <ताडयति>, <ताडयते>, <ताडित>—-—-—बजाना, आहनन करना
तड् —चुरा॰ उभ॰ <ताडयति>, <ताडयते>, <ताडित>—-—-—चमकना,
तड् —चुरा॰ उभ॰ <ताडयति>, <ताडयते>, <ताडित>—-—-—बोलना
तडगः —पुं॰—-—-—तालाब, गहरा जोहड़, जलाशय
तडागः —पुं॰—-—तड्+आग—तालाब, गहरा जोहड़, जलाशय
तडाघातः —पुं॰—-—-—सीगों की टक्कर से मारना
तडित् —स्त्री॰—-—ताडयति अभ्रम् तड्+इति—बिजली
तडित्गर्भः —पुं॰—तडित्-गर्भः—-—बादल
तडिल्लता —स्त्री॰—तडित्-लता—-—बिजली की कौंध जिसमें लहरें हों
तडित्रेखा —स्त्री॰—तडित्-रेखा—-—बिजली की रेखा
तडित्वत् —वि॰—-—तडित्+मतुप्, वत्वम्—बिजली वाला
तडिन्मय —वि॰—-—तडित्+मयट्—बिजली से युक्त
तण्ड् —भ्वा॰आ॰<तण्डते>, <तण्डित>—-—-—प्रहार करना
तण्डकः —पुं॰—-—तण्ड्+ण्वुल्—खञ्जन पक्षी
तण्डुलः —पुं॰—-—तण्ड्+उलच्—कूटने, छड़ने और पिछोड़ने के पश्चात् प्राप्त अन्न
तत —भू॰क॰क॰—-—तन+क्त—फैलाया हुआ, विस्तारित घेरा हुआ
ततम् —नपुं॰—-—-—तारों वाला बाजा
ततस् —अव्य॰—-—तद्+तसिल्—से, वहाँ से
ततस् —अव्य॰—-—-—तब, तो, उसके बाद
ततस् —अव्य॰—-—-—इसलिए, फलतः, इसी कारण
ततस् —अव्य॰—-—-—तब, उस अवस्था में, तो
ततस् —अव्य॰—-—-—उससे परे उससे आगे, और आगे, इसके अतिरिक्त
ततस् —अव्य॰—-—-—उससे, उसकी अपेक्षा, उसके अतिरिक्त
ततस् —अव्य॰—-—-—कई बार 'तत्' शब्द के सम्प्र॰ के रूप की भाँति प्रयुक्त होता है
यतःततः —अव्य॰—-—-—जहाँ-वहाँ
यतःततः —अव्य॰—-—-—क्योंकि, इसलिए
यतोयतःततस्ततः —अव्य॰—-—-—जहाँ कहीं-वहीं
ततःकिम् —अव्य॰—-—-—तो फिर क्या, इससे क्या लाभ, क्या काम
ततस्ततः —अव्य॰—-—-—यहाँ-वहाँ, इधर-उधर
ततस्ततः —अव्य॰—-—-—फिर क्या' 'इसके आगे' 'अच्छा तो फिर'
ततःप्रभृति —अव्य॰—-—-—तब से लेकर
ततस्त्य —वि॰—-—ततस्+त्यप्—वहाँ से आने वाला, वहाँ से चलने वाला
तति —सर्व॰वि॰—-—तत्+डति—इतने अधिक
ततिः —स्त्री॰—-—-—श्रेणी, पंक्ति, रेखा
ततिः —पुं॰—-—-—गण, दल, समूह
तत्त्वम् —नपुं॰—-—तन्+क्विप्, तुक्, पृषो॰तत्+त्व—वास्तविक स्थिति या दशा
तत्त्वम् —नपुं॰—-—-—यथार्थ या मूलप्रकृति
तत्त्वम् —नपुं॰—-—-—मानव आत्मा की वास्तविक प्रकृति या विश्वव्यापी परमात्मा के समनुरूप विराट् सृष्टि या भौतिक संसार
तत्त्वम् —नपुं॰—-—-—प्रथम या यथार्थ सिद्धान्त
तत्त्वम् —नपुं॰—-—-—मूलतत्त्व या प्रकृति
तत्त्वम् —नपुं॰—-—-—वाद्य का भेद विशेष, विलम्बित
तत्त्वम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का नृत्य
तत्त्वाभियोगः —पुं॰—तत्त्वम्-अभियोगः—-—असन्दिग्ध दोषारोप या घोषणा
तत्त्वार्थः —पुं॰—तत्त्वम्-अर्थः—-—सच्चाई, वास्तविकता, यथार्थता, वास्तविक प्रकृति
तत्त्वज्ञः —वि॰—तत्वम्-ज्ञः—-—दार्शनिक, ब्रह्मज्ञान का वेत्ता
तत्त्वविद् —वि॰—तत्त्वम्-विद्—-—दार्शनिक, ब्रह्मज्ञान का वेत्ता
तत्त्वन्यासः —पुं॰—तत्त्वम्-न्यासः—-—विष्णु की तन्त्रोक्त पूजा में विहित एक अंगन्यास
तत्त्वतः —अव्य॰—-—तत्त्व+तस्—वस्तुतः, सचमुच, ठीक ठीक
तत्र —अव्य॰—-—तत्+त्रल्—उस स्थान पर, वहाँ, सामने, उस ओर
तत्र —अव्य॰—-—-—उस अवसर पर, उन परिस्थितियों में, तब, उस अवस्था में
तत्र —अव्य॰—-—-—उसके लिए, इसमें
तत्रापि —अव्य॰—-—-—तब भी' 'तो भी'
तत्र तत्र —अव्य॰—-—-—बहुत से स्थानों पर या विभिन्न विषयों में' 'यहाँ-वहाँ' 'प्रत्येक स्थान पर'
तत्रभवत् —वि॰—तत्र-भवत्—-— श्रीमान्, महोदय, श्रद्धेय, आदरणीय, महानुभाव
तत्रस्थ —वि॰—तत्र-स्थ—-—उस स्थान पर खड़ा हुआ या वर्तमान, उस स्थान से सम्बद्ध
तत्रत्य —वि॰—-—तत्र+त्यप्—वहाँ उत्पन्न या जन्मा हुआ, उस स्थान से सम्बद्ध
तथा —अव्य॰—-—तद् प्रकारे थाल् विभक्तित्वात्—वैसे, इस प्रकार, उस रीति से
तथा —अव्य॰—-—-—और भी, इस प्रकार भी, भी
तथा —अव्य॰—-—-—सच, ठीक इसी प्रकार, सचमुच वैसा ही
तथा —अव्य॰—-—-—ऐसा निश्चित जैसा कि
तथापि —अव्य॰—-—-—तो भी' 'तब भी' 'फिर भी' 'तिस पर भी'
तथेति —अव्य॰—-—-—सहमति', 'प्रतिज्ञा' को प्रकट करता है
तथैव च —अव्य॰—-—-—उसी ढंग से'
तथाच —अव्य॰—-—-—और इसी प्रकार', 'इसी ढंग से', 'इसी प्रकार कहा गया है कि'
तथाहि —अव्य॰—-—-— इसीलिए' 'उदाहरणार्थ', इसी कारण
तथाकृत —वि॰—तथा-कृत—-—इस प्रकार किया गया
तथागत —वि॰—तथा-गत—-—ऐसी स्थिति या दशा में होने वाला
तथागत —वि॰—तथा-गत—-—इस गुण का
तथागतः —पुं॰—तथा-गतः—-—बुद्ध
तथागतः —पुं॰—तथा-गतः—-—जिन
तथागुण —वि॰—तथा-गुण—-—ऐसे गुणों से युक्त या सम्पन्न
तथागुण —वि॰—तथा-गुण—-—ऐसी अवस्था को प्राप्त, ऐसी अवस्था में
तथाराजः —पुं॰—तथा-राजः—-—बुद्ध का विशेषण
तथारूप —वि॰—तथा-रूप—-—इस आकार प्रकार का, इस प्रकार दिखाई देने वाला
तथारूपिन् —वि॰—तथा-रूपिन्—-—इस आकार प्रकार का, इस प्रकार दिखाई देने वाला
तथाविध —वि॰—तथा-विध—-—इस प्रकार का, ऐसे गुणों का, इस स्वभाव का
तथाविधम् —अव्य॰—तथा-विधम्—-—इस प्रकार, इस रीति से
तथाविधम् —अव्य॰—तथा-विधम्—-—इसी भाँति, समान रूप से
तथ्य —वि॰—-—तथा-यत्—यथार्थ, वास्तविक, असली
तथ्यम् —नपुं॰—-—-—सचाई, वास्तविकता
तद् —सर्व॰ वि॰ —-—-—वह अविद्यमान वस्तु का उल्लेख
तद् —सर्व॰ वि॰ —-—-—वह अर्थात् प्रख्यात
तद् —सर्व॰ वि॰ —-—-—वही, समरूप, वह, बिल्कुल वही
तेन —सर्व॰ तद् का करण॰ रूप—-—-—इसलिए
तेन हि —अव्य॰—-—-—वहाँ, उधर
तेन हि —अव्य॰—-—-—तब, उस अवस्था में, उस समय
तेन हि —अव्य॰—-—-—इसी कारण, इसीलिए, फलस्वरूप
तेन हि —अव्य॰—-—-—तब, तथापि
तदनन्तरम् —अव्य॰—तद्-अनन्तरम्—-—उसके पश्चात्, बाद में
तदन्त —वि॰—तद्-अन्त—-—उसी में नष्ट होने वाला, इस प्रकार समाप्त होने वाला
तदर्थ —वि॰—तद्-अर्थ—-—उसके निमित्त अभिप्रेत
तदर्थीय —वि॰—तद्-अर्थीय—-—उस अर्थ से युक्त
तदर्ह —वि॰—तद्-अर्ह—-—उस योग्यता से युक्त
तदवधि —अव्य॰—तद्-अवधि—-—वहाँ तक, उस समय तक, तब तक
तदवधि —अव्य॰—तद्-अवधि—-—उस समय से लेकर, तब से
तदेकचित्त —वि॰—तद्-एकचित्त—-—उस पर ही मन को स्थिर करने वाला
तत्कालः —पुं॰—तद्-कालः—-—विद्यमान क्षण, वर्तमान समय
तत्कालधी —वि॰—तत्कालः-धी—-—समाहित, प्रत्युत्पन्नमति
तत्कालम् —अव्य॰—तद्-कालम्—-—अविलम्ब, तुरन्त
तत्क्षणः —पुं॰—तद्-क्षणः—-—इस क्षण, फ़िलहाल
तत्क्षणः —पुं॰—तद्-क्षणः—-—विद्यमान या वर्तमान समय
तत्क्षणम् —अव्य॰—तद्-क्षणम्—-—तुरन्त, प्रत्यक्षतः, फ़ौरन
तत्क्षणात् —अव्य॰—तद्-क्षणात्—-—तुरन्त, प्रत्यक्षतः, फ़ौरन
तत्क्रिया —वि॰—तद्-क्रिया—-—बिना मजदूरी के काम करने वाला
तद्गत —वि॰—तद्-गत—-—उस ओर गया हुआ या निदेशित, तुला हुआ, उसका भक्त, तत्सम्बन्धी
तद्गुण —वि॰—तद्-गुण—-—एक अलंकार
तज्ज —वि॰—तद्-ज—-—व्यवधानशून्य, तात्कालिक
तज्ज्ञः —पुं॰—तद्-ज्ञः—-—जानने वाला, प्रतिभाशाली, बुद्धिमान्, दार्शनिक
तत्तृतीयः —वि॰—तद्-तृतीयः—-—उसी कार्य को तीसरी बार करने वाला
तद्धन —वि॰—तद्-धन—-—कंजूस, दरिद्र
तत्पर —वि॰—तद्-पर—-—उसका अनुसरण करने वाला, पश्चवर्ती, घटिया
तत्पर —वि॰—तद्-पर—-—उसी को सर्वोत्तम पदार्थ मानने वाला, बिल्कुल तुला हुआ, नितान्त संलग्न, उत्सुकतापूर्वक व्यस्त
तत्परायणम् —वि॰—तद्-परायणम्—-—पूर्णतः संलग्न या आसक्त
तत्पुरुषः —पुं॰—तद्-पुरुषः—-—मूलपुरुष, परमात्मा
तत्पुरुषः —पुं॰—तद्-पुरुषः—-—एक समास का नाम
तत्पूर्व —वि॰—तद्-पूर्व—-—पहली बार घटने वाला, या होने वाला
तत्पूर्व —वि॰—तद्-पूर्व—-—पूर्व का, पहला
तत्प्रथम् —वि॰—तद्-प्रथम—-—पहली बार ही उस कार्य को करने वाला
तद्बलः —पुं॰—तद्-बलः—-—एक प्रकार का बाण
तद्भावः —पुं॰—तद्-भावः—-—उसके अनुरूप
तन्मात्रम् —नपुं॰—तद्-मात्रम्—-—केवल वह, सिर्फ़ मामूली, अत्यन्त तुच्छ मात्रा युक्त
तन्मात्रम् —नपुं॰—तद्-मात्रम्—-—सूक्ष्म तथा मूलतत्त्व
तद्वाचक —वि॰—तद्-वाचक—-—उसी को संकेतित या प्रकट करने वाला
तद्विद् —वि॰—तद्-विद्—-—उसको जानने वाला
तद्विद् —वि॰—तद्-विद्—-—सच्चाई को जानने वाला
तद्विध —वि॰—तद्-विध—-—उस प्रकार का
तद्धित —वि॰—तद्-हित—-—उसके लिए अच्छा
तद्धितः —पुं॰—तद्-हितः—-—एक प्रत्यय जो प्रातिपदिक शब्दों के आगे व्युत्पन्न शब्द बनाने के लिए लगाया जाता है
तदा —अव्य॰—-—तस्मिन् काले तद्+दा—तब, उस समय
तदा —अव्य॰—-—-—फिर, उस मामले में
यदा यदातदा तदा —अव्य॰—-—-—`जब कभी'
तदा प्रभृति —अव्य॰—-—-—तब से, उस समय से लेकर
तदामुख —वि॰—तदा-मुख—-—आरब्ध, उपक्रान्त या शुरू किया हुआ
तदमुखम् —नपुं॰—तदा-मुखम्—-—आरम्भ
तदात्वम् —नपुं॰—-—तदा+त्व—मौजूदा समय, वर्तमान काल
तदानीम् —अव्य॰—-—तद्+दानीम्—तब, उस समय
तदानीन्तन —वि॰—-—तदानीम्+ल्युट्, तुट्—उस समय से संबन्ध रखने वाला, उस समय का समकालीन
तदीय —वि॰—-—तद्+छ—उससे संबन्ध रखने वाला, उसका, उसकी, उनके, उनकी
तद्वत् —वि॰—-—तद्+मतुप्—उससे युक्त, उसको रखने वाला, जैसा कि ‘तद्वानपोहः' में
तद्वत् —वि॰—-—-—उसके समान, उस रीति से
तद्वत् —वि॰—-—-—समान रूप से, समान रीति से, इसलिए साथ ही
तन् —तना॰ उभ॰ <तनोति>, <तनुते>, तत क॰ वा॰ <तन्यते>, <तायते>, सन्नन्त-<तितंसति>, <तितांसति>, <तितनिषति>—-—-—फैलाना, विस्तारकरना, लम्बा करना, तानना
तन् —तना॰ उभ॰ <तनोति>, <तनुते>, तत क॰ वा॰ <तन्यते>, <तायते>, सन्नन्त-<तितंसति>, <तितांसति>, <तितनिषति>—-—-—फैलाना, बिछाना, पसारना
तन् —तना॰ उभ॰ <तनोति>, <तनुते>, तत क॰ वा॰ <तन्यते>, <तायते>, सन्नन्त-<तितंसति>, <तितांसति>, <तितनिषति>—-—-—ढकना, भरना
तन् —तना॰ उभ॰ <तनोति>, <तनुते>, तत क॰ वा॰ <तन्यते>, <तायते>, सन्नन्त-<तितंसति>, <तितांसति>, <तितनिषति>—-—-—उत्पन्न करना, पैदा करना, रूपदेना, देना, भेंट देना, प्रदान करना
तन् —तना॰ उभ॰ <तनोति>, <तनुते>, तत क॰ वा॰ <तन्यते>, <तायते>, सन्नन्त-<तितंसति>, <तितांसति>, <तितनिषति>—-—-—अनुष्ठान करना, पूरा करना, संपन्न करना
तन् —तना॰ उभ॰ <तनोति>, <तनुते>, तत क॰ वा॰ <तन्यते>, <तायते>, सन्नन्त-<तितंसति>, <तितांसति>, <तितनिषति>—-—-—रचना करना, लिखना,
तन् —तना॰ उभ॰ <तनोति>, <तनुते>, तत क॰ वा॰ <तन्यते>, <तायते>, सन्नन्त-<तितंसति>, <तितांसति>, <तितनिषति>—-—-—फैलाना, झुकाना
तन् —तना॰ उभ॰ <तनोति>, <तनुते>, तत क॰ वा॰ <तन्यते>, <तायते>, सन्नन्त-<तितंसति>, <तितांसति>, <तितनिषति>—-—-—कातना, बुनना
तन् —तना॰ उभ॰ <तनोति>, <तनुते>, तत क॰ वा॰ <तन्यते>, <तायते>, सन्नन्त-<तितंसति>, <तितांसति>, <तितनिषति>—-—-—प्रचार करना, प्रचारित करना,
तन् —तना॰ उभ॰ <तनोति>, <तनुते>, तत क॰ वा॰ <तन्यते>, <तायते>, सन्नन्त-<तितंसति>, <तितांसति>, <तितनिषति>—-—-—चालू रहना, टिका रहना
अवतन् —तना॰ उभ॰—अव-तन्—-—ढकना, फैलाना
अवतन् —तना॰ उभ॰—अव-तन्—-—उतरना
आतन् —तना॰ उभ॰—आ-तन्—-—विस्तृत करना, बिछाना, ढकना, ऊपर फैलाना
आतन् —तना॰ उभ॰—आ-तन्—-—फैलाना, पसारना,
आतन् —तना॰ उभ॰—आ-तन्—-—उत्पन्न करना, पैदा करना, सृजन करना, बनाना
आतन् —तना॰ उभ॰—आ-तन्—-—तानना
उत्तन् —तना॰ उभ॰—उद्-तन्—-—फैलाना
प्रतन् —तना॰ उभ॰—प्र-तन्—-—फैलाना, पसारना,
प्रतन् —तना॰ उभ॰—प्र-तन्—-—ढकना
प्रतन् —तना॰ उभ॰—प्र-तन्—-—उत्पन्न करना, पैदा करना, सृजन करना, दिखावा करना, प्रदर्शन करना, प्रस्तुत करना
प्रतन् —तना॰ उभ॰—प्र-तन्—-—अनुष्ठान करना
वितन् —तना॰ उभ॰—वि-तन्—-—फैलाना, बिछाना
वितन् —तना॰ उभ॰—वि-तन्—-—ढकना, भरना
वितन् —तना॰ उभ॰—वि-तन्—-—रूप देना, बनाना
वितन् —तना॰ उभ॰—वि-तन्—-—तानना
वितन् —तना॰ उभ॰—वि-तन्—-—उत्पन्न करना, पैदा करना, सृजन करना, देना, प्रदान करना
वितन् —तना॰ उभ॰—वि-तन्—-—रचना या लिखना
वितन् —तना॰ उभ॰—वि-तन्—-—करना, अनुष्ठान करना
वितन् —तना॰ उभ॰—वि-तन्—-—दिखावा करना, प्रस्तुत करना
संतन् —तना॰ उभ॰—सम्-तन्—-—चालू करना
संतन् —भ्वा॰पर॰, चुरा॰ उभ॰<तनति>, <तानयति>,<तानयते>—सम्-तन्—-—भरोसा करना, विश्वास करना, विश्वास रखना
संतन् —भ्वा॰पर॰, चुरा॰ उभ॰<तनति>, <तानयति>,<तानयते>—सम्-तन्—-—सहायता करना, हाथ बँटाना, मदद करना
संतन् —भ्वा॰पर॰, चुरा॰ उभ॰<तनति>, <तानयति>,<तानयते>—सम्-तन्—-—पीड़ित करना, रोगग्रस्त करना
संतन् —भ्वा॰पर॰, चुरा॰ उभ॰<तनति>, <तानयति>,<तानयते>—सम्-तन्—-—हानिशून्य होना
तनयः —पुं॰—-—तनोति विस्तारयति कुलम् तन्+कयन्—पुत्र
तनयः —पुं॰—-—-—सन्तान लड़का या पुत्री
तनिमन् —पुं॰—-—तनु+इमनिच्—पतलापन, सुकुमारता, सूक्ष्मता
तनु —वि॰—-—तन्+उ—पतला, दुबला, कृश
तनु —वि॰—-—-—सुकुमार, नाज़ुक, मृदु,
तनु —वि॰—-—-—छोटा, थोड़ा, नन्हा, कम, कुछ, सीमित
तनु —वि॰—-—-—तुच्छ, महत्त्वहीन, छोटा
तनु —स्त्री॰—-—-—शरीर, व्यक्ति
तनु —स्त्री॰—-—-—रूप, प्रकटीकरण
तनु —स्त्री॰—-—-—प्रकृति, किसी वस्तु का रूप और चरित्र
तन्वङ्ग —वि॰—तनु-अङ्ग—-—सुकुमार अङ्ग वाला, कोमलांगी, कोमलाङ्गिनी स्त्री
तनुकूपः —पुं॰—तनु-कूपः—-—रोमकूप
तनुच्छदः —पुं॰—तनु-छदः—-—कवच
तनुजः —पुं॰—तनु-जः—-—पुत्र
तनुजा —स्त्री॰—तनु-जा—-—पुत्री
तनुत्यज —वि॰ —तनु-त्यज—-—अपने जीवन को जोखिम में डालने वाला, अपने व्यक्तित्व को छोड़ने वाला, मरने वाला
तनुत्याग —वि॰ —तनु-त्याग—-—थोड़ा व्यय करने वाला, बचा देने वाला, दरिद्र
तनुत्रम् —नपुं॰—तनु-त्रम्—-—कवच
तनुत्राणम् —नपुं॰—तनु-त्राणम्—-—कवच
तनुभव —वि॰—तनु-भवः—-—पुत्र, पुत्री
तनुभस्त्रा —स्त्री॰—तनु-भस्त्रा—-—नाक
तनुभृत् —पुं॰—तनु-भृत्—-—शरीरधारी जीव, जीवधारी जन्तु, विशेष कर मनुष्य
तनुमध्य —वि॰—तनु-मध्य—-—पतली कमर, कमर वाला
तनुरसः —पुं॰—तनु-रसः—-—पसीना
तनुरुह —वि॰—तनु-रुह—-—शरीर का बाल
तनुरुहम् —नपुं॰—तनु-रुहम्—-—शरीर का बाल
तनुवारम् —नपुं॰—तनु-वारम्—-—कवच
तनुव्रणः —पुं॰—तनु-व्रणः—-—फुन्सी
तनुसञ्चारिणी —स्त्री॰—तनु-सञ्चारिणी—-—छोटी स्त्री, या दस वर्ष का लड़का
तनुसरः —पुं॰—तनु-सरः—-—पसीना
तनुह्रदः —पुं॰—तनु-ह्रदः—-—गुदा, मलद्वार
तनुल —वि॰—-—तन्+डलच्—फैलाया हुआ, विस्तारित
तनुस् —नपुं॰—-—तन्+उसि—शरीर
तनूद्भवः —पुं॰—तनू-उद्भवः—-—पुत्र
तनुजः —पुं॰—तनु-जः—-—पुत्र
तनूद्भवा —स्त्री॰—तनू-उद्भवा—-—पुत्री
तनूजा —स्त्री॰—तनू-जा—-—पुत्री
तनूनपम् —नपुं॰—तनू-नपम्—-—घी
तनूनपात् —पुं॰—तनू-नपात्—-—आग
तनूसहम् —नपुं॰—तनू-सहम्—-—शर पर उगे हुए बाल
तनूसहम् —नपुं॰—तनू-सहम्—-—पक्षी के पंख, बाजू
तनूसहः —पुं॰—तनू-सहः—-—पुत्र
तन्तिः —स्त्री॰—-—तन्+क्तिच्—रस्सी, डोर, सूत्र
तन्तिः —स्त्री॰—-—तन्+क्तिच्—पंक्ति, श्रेणी
तन्तिपालः —पुं॰—तन्तिः-पालः—-—गोरक्षक
तन्तिपालः —पुं॰—तन्तिः-पालः—-—विराट के घर रहते समय का सहदेव का नाम
तन्तुः —पुं॰—-—तन्+तुन्—धागा, रस्सी, तार, डोर, सूत्र
तन्तुः —पुं॰—-—-—मकड़ी का जाला
तन्तुः —पुं॰—-—-—सन्तान, बच्चा, सन्तति
तन्तुनागः —पुं॰—तन्तुः-नागः—-—बड़ा मगरमच्छ
तन्तुनिर्यासः —पुं॰—तन्तुः-निर्यासः—-—ताड़ का वृक्ष
तन्तुनाभः —पुं॰—तन्तुः-नाभः—-—मकड़ी
तन्तुभः —पुं॰—तन्तुः-भः—-—सरसों
तन्तुभः —पुं॰—तन्तुः-भः—-—बछड़ा
तन्तुवाद्यम् —नपुं॰—तन्तुः-वाद्यम्—-—ऐसा बाजा जिसमें तार कसे हुए हों
तन्तुवानम् —नपुं॰—तन्तुः-वानम्—-—बुनना
तन्तुवापः —पुं॰—तन्तुः-वापः—-—जुलाहा
तन्तुवापः —पुं॰—तन्तुः-वापः—-—करघा
तन्तुवापः —पुं॰—तन्तुः-वापः—-—बुनाई
तन्तुनिग्रहाः —पुं॰—तन्तु-निग्रहाः—-—केले का वृक्ष
तन्तुशाला —स्त्री॰—तन्तु-शाला—-—जुलाहे का कारख़ाना
तन्तुसन्तत —वि॰—तन्तु-सन्तत—-—बुना हुआ, सिला हुआ
तन्तुसारः —पुं॰—तन्तु-सारः—-—सुपारी का पेड़
तन्तुकः —पुं॰—-—तन्तु+कन्—सरसों के दाने
तन्तुनः —पुं॰—-—तन्+तुनन्—घड़ियाल
तन्तुणः —पुं॰—-—तन्+तुनन्, पक्षे नि॰ णत्वम्—घड़ियाल
तन्तुरम् <o> तन्तुलम् —नपुं॰—-—तन्तु+र+लच् वा—मृणाल, कमल की नाल
तन्त्र् —चुरा॰उभ॰< तन्त्रयति>, <तन्त्रयते>, <तन्त्रित>—-—-—हकूमत करना, नियन्त्रण करना, प्रशासन करना
तन्त्र् —चुरा॰उभ॰< तन्त्रयति>, <तन्त्रयते>, <तन्त्रित>—-—-—पालन-पोषण करना, निर्वाह करना
तन्त्रम् —नपुं॰—-—तन्त्र+अच् —करघा
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—अविच्छिन्न वंश परम्परा
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—कर्मकाण्ड पद्धति, रूपरेखा, संस्कार
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—मुख्य विषय
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—मुख्य सिद्धान्त,नियम, वाद, शास्त्रपराश्रयता
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—वैज्ञानिक कृति
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—अध्याय, अनुभाग
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—तन्त्र-संहिता
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—एक से अधिक कार्यों का कारण
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—जादू-टोना
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—मुख्योपचार, गण्डा, ताबीज़
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—दवाई, औषधि
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—क़सम, शपथ
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—वेशभूषा
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—कार्य करने की सही रीति
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—राजकीय परिजन, अनुचरवर्ग, भृत्यवर्ग
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—राज्य, देश, प्रभुता
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—सरकार, हकूमत, प्रशासन
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—ढेर, जमाव
तन्त्रम् —नपुं॰—-—-—प्रसन्नता
तन्त्रकाष्ठम् —नपुं॰—तन्त्रम्-काष्ठम्—-—तन्तुकाष्ठ
तन्तुवाम् —नपुं॰—तन्तुम्-वापम्—-—बुनाई
तन्तुवाम् —नपुं॰—तन्तुम्-वापम्—-—करघा
तन्तुवापः —पुं॰—तन्तु-वापः—-—मकड़ी
तन्तुवापः —पुं॰—तन्तु-वापः—-—जुलाहा
तन्त्रकः —पुं॰—-—तन्त्र+कन्—नई वेशभूषा
तन्त्रणम् —नपुं॰—-—तन्त्र+ल्युट्—शान्ति बनाये, अनुशासन, व्यवस्था, प्रशासन रखना
तन्त्रि —स्त्री॰—-—तन्त्र्+इ —डोरी, रस्सी
तन्त्री —स्त्री॰—-—तन्त्रि+ङीष्—डोरी, रस्सी
तन्त्रि —स्त्री॰—-—तन्त्र्+इ —धनुष की डोरी
तन्त्री —स्त्री॰—-—तन्त्रि+ङीष्—धनुष की डोरी
तन्त्रि —स्त्री॰—-—तन्त्र्+इ —वीणा का तार
तन्त्री —स्त्री॰—-—तन्त्रि+ङीष्—वीणा का तार
तन्त्रि —स्त्री॰—-—तन्त्र्+इ —स्नायु, ताँत
तन्त्री —स्त्री॰—-—तन्त्रि+ङीष्—स्नायु, ताँत
तन्त्रि —स्त्री॰—-—तन्त्र्+इ —पूँछ
तन्त्री —स्त्री॰—-—तन्त्रि+ङीष्—पूँछ
तन्द्रा —स्त्री॰—-—तन्द्र+घञ्+टाप्—आलस्य, थकावट, थकान, क्लान्ति
तन्द्रा —स्त्री॰—-—-—ऊँघ, शैथिल्य
तन्द्रालु —वि॰—-—तन्द्रा+आलुच्—थका हुआ, परिश्रान्त
तन्द्रालु —वि॰—-—-—निद्रालु, आलसी
तन्द्रिः —स्त्री॰—-—तन्द्र्+क्रिन् —निद्रालुता, ऊँघ
तन्द्री —स्त्री॰—-—तन्द्रि+ङीष्—निद्रालुता, ऊँघ
तन्मय —वि॰—-—तत्+मयट्—उसका बना हुआ
तन्मय —वि॰—-—-—तद्रूप, तदेकरूप
तन्वी —स्त्री॰—-—तनु+ङीष्—सुकुमारी या कोमलांगी स्त्री
तप् —भ्वा॰पर॰ आ॰ विरल <तपति>—-—-—चमकना, प्रज्वलित होना
तप् —भ्वा॰पर॰ आ॰ विरल <तपति>—-—-—गर्म होना, उष्ण होना, गर्मी फैलना
तप् —भ्वा॰पर॰ आ॰ विरल <तपति>—-—-—पीडा सहन करना
तप् —भ्वा॰पर॰ आ॰ विरल <तपति>—-—-—शरीर को कृश करना, तपस्या करना
तप् —भ्वा॰पर॰ आ॰ विरल <तपति>—-—-—गर्म करना, उष्ण करना, तपाना
तप् —भ्वा॰पर॰ आ॰ विरल <तपति>—-—-—जलाना, दग्ध करना, जला कर समाप्त कर देना
तप् —भ्वा॰पर॰ आ॰ विरल <तपति>—-—-—चोट पहुँचाना, नुकसान पहुँचाना, खराब करना
तप् —भ्वा॰ कर्मवा॰<तप्यते>—-—-—पीडा देना, दुःख देना
तप् —भ्वा॰ कर्मवा॰<तप्यते>—-—-—गर्म किया जाना, पीडा सहन करना
तप् —भ्वा॰ कर्मवा॰<तप्यते>—-—-—घोर तपस्या करना
तप् —भ्वा॰ प्रेर॰<तापयति>,<तापयते>,<तापित>—-—-—गर्म करना, तापना
तप् —भ्वा॰ प्रेर॰<तापयति>,<तापयते>,<तापित>—-—-—यन्त्रणा देना, पीडित करना, सताना
अनुतप् —भ्वा॰पर॰—अनु-तप्—-—पश्चात्ताप करना, अफसोस करना, खिन्न होना
अनुतप् —भ्वा॰पर॰—अनु-तप्—-—पछताना
उत्तप् —भ्वा॰पर॰—उद्-तप्—-—तापना, गर्मकरना, झुलसाना, पिघलाना
उत्तप् —भ्वा॰पर॰—उद्-तप्—-—खा पी जाना, यन्त्रणा देना, पीडित करना, तपाना
उपतप् —भ्वा॰पर॰—उप-तप्—-—गर्म करना, तपाना,
उपतप् —भ्वा॰पर॰—उप-तप्—-—पीडित करना, दुःख देना,
निस्तप् —भ्वा॰पर॰—निस्-तप्—-—गर्म करना
निस्तप् —भ्वा॰पर॰—निस्-तप्—-—पवित्र करना
निस्तप् —भ्वा॰पर॰—निस्-तप्—-—परिष्कार करना
परितप् —भ्वा॰पर॰—परि-तप्—-—गर्म करना, जलाना, नष्ट करना
परितप् —भ्वा॰पर॰—परि-तप्—-—प्रज्वलित करना, आग लगाना
पश्चात्तप् —भ्वा॰पर॰—पश्चात्-तप्—-—पछताना, खेद प्रकट करना
वितप् —भ्वा॰पर॰—वि-तप्—-—चमकना
सन्ताप् —भ्वा॰पर॰—सम्-ताप्—-—गर्म करना, तपाना
सन्ताप् —भ्वा॰पर॰—सम्-ताप्—-—दुःखी होना, पीड़ा सहन करना, खिन्न होना
सन्ताप् —भ्वा॰पर॰—सम्-ताप्—-—पछताना
तप —वि॰—-—तप्+अच्—जलाने वाला, तपाने वाला, तपा कर समाप्त करने वाला
तप —वि॰—-—तप्+अच्—पीड़ाकर, कष्टकर, दुःखद
तपः —पुं॰—-—तप्+अच्—गर्मी, आग, आँच
तपः —पुं॰—-—तप्+अच्— सूर्य
तपः —पुं॰—-—तप्+अच्—ग्रीष्म ऋतु
तपः —पुं॰—-—तप्+अच्—तपस्या, धार्मिक कड़ी साधना
तपात्ययः —पुं॰—तप-अत्ययः—-—ग्रीष्म ऋतु का अन्त और वर्षा ऋतु का आरम्भ
तपान्तः —पुं॰—तप-अन्तः—-—ग्रीष्म ऋतु का अन्त और वर्षा ऋतु का आरम्भ
तपती —स्त्री॰—-—तप्+शतृ+ङीप्—ताप्ती नदी
तपनः —पुं॰—-—तप्+ल्युट्—सूर्य
तपनः —पुं॰—-—-—सूर्यकान्तमणि
तपनः —पुं॰—-—-—एक नरक का नाम
तपनः —पुं॰—-—-—शिव का विशेषण
तपनः —पुं॰—-—-—मदार का पौधा
तपनात्मजः —पुं॰—तपनः-आत्मजः—-—यम, कर्ण और सुग्रीव का विशेषण
तपनतनयः —पुं॰—तपनः-तनयः—-—यम, कर्ण और सुग्रीव का विशेषण
तपनात्मजा —स्त्री॰—तपनः-आत्मजा—-—यमुना और गोदावरी का विशेषण
तपनतनया —स्त्री॰—तपनः-तनया—-—यमुना और गोदावरी का विशेषण
तपनेष्टम् —नपुं॰—तपनः-इष्टम्—-—ताँबा
तपनोपलः —पुं॰—तपनः-उपलः—-—सूर्यकान्त मणि
तपनमणिः —पुं॰—तपनः-मणिः—-—सूर्यकान्त मणि
तपनच्छदः —पुं॰—तपनः-छदः—-—सूर्यमुखी फूल
तपनी —स्त्री॰—-—तपन+ङीप्—गोदावरी नदी या ताप्ती नदी
तपनीयम् —नपुं॰—-—तप्+अनीयर्—सोना, विशेषतःवह जो आग में तपाया जा चुका है
तपस् —नपुं॰—-—तप्+असुन्—ताप, गर्मी, आग
तपस् —नपुं॰—-—-—पीड़ा, कष्ट
तपस् —नपुं॰—-—-—तपश्चर्या, धार्मिक, कड़ी साधना, आत्मनियन्त्रण
तपस् —नपुं॰—-—-—आनन्दमन, और आत्मोत्सर्ग के अभ्यास से सम्बद्ध ध्यान
तपस् —नपुं॰—-—-—नैतिक गुण, खूबी
तपस् —नपुं॰—-—-—किसी विशेष वर्ण का विशेष कर्तव्यपालन
तपस् —नपुं॰—-—-— सात लोकों में से एक लोक अर्थात् ‘जन-लोक' के ऊपर का लोक
तपस् —पुं॰—-—-—माघ का महीना
तपस् —पुं॰—-—-—ग्रीष्म ऋतु
तपोऽनुभावः —पुं॰—तपस्-अनुभावः—-—धार्मिक तपश्चर्या का प्रभाव
तपोऽवटः —पुं॰—तपस्-अवटः—-—ब्रह्मावर्त देश
तपःक्लेशः —पुं॰—तपस्-क्लेशः—-—धार्मिक कड़ी साधना का कष्ट
तपश्चरणम् —नपुं॰—तपस्-चरणम्—-—कठोर साधना
तपश्चर्या —स्त्री॰—तपस्-चर्या—-—कठोर साधना
तपस्तक्षः —पुं॰—तपस्-तक्षः—-—इन्द्र का विशेषण
तपोधनः —पुं॰—तपस्-धनः—-—`साधना का धनी' तपस्वी, भक्त
तपोनिधिः —पुं॰—तपस्-निधिः—-—धर्मप्राण व्यक्ति, संन्यासी
तपःप्रभावः —पुं॰—तपस्-प्रभावः—-—कड़ी साधनाओं के फलस्वरूप प्राप्त शक्ति, तप द्वारा प्राप्त सामर्थ्य या अमोघता
तपोबलम् —नपुं॰—तपस्-बलम्—-—कड़ी साधनाओं के फलस्वरूप प्राप्त शक्ति, तप द्वारा प्राप्त सामर्थ्य या अमोघता
तपोराशिः —पुं॰—तपस्-राशिः—-—संन्यासी
तपोवनम् —नपुं॰—तपस्-वनम्—-—तपोभूमि, पवित्र वन जहाँ संन्यासी कठोर साधना में लिप्त हो
तपोवृद्ध —वि॰—तपस्-वृद्ध—-—जो बहुत तप कर चुका हो
तपोविशेषः —पुं॰—तपस्-विशेषः—-—भक्ति की श्रेष्ठता, धर्म संबन्धी अत्यन्त कठोर साधना
तपःस्थली —स्त्री॰—तपस्-स्थली—-—धार्मिक कठोर साधना की भूमि
तपःस्थली —स्त्री॰—तपस्-स्थली—-—बनारस
तपसः —पुं॰—-—तप्-असच्—सूर्य
तपस्यः —पुं॰—-—तपस्-यत्—फाल्गुन का महीना
तपस्यः —पुं॰—-—-—अर्जुन का विशेषण
तपस्या —स्त्री॰—-—-—धार्मिक कड़ी साधना, तपश्चरण
तपस्यति —नपुं॰—-—ना॰धा॰प्र॰ —तपस्या करना,
तपस्विन् —वि॰—-—तपस्+विनि—तपस्वी, भक्तिनिष्ठ
तपस्विन् —वि॰—-—तपस्+विनि—ग़रीब, दयनीय, असहाय, दीन
तपस्विन् —पुं॰—-—तपस्+विनि—संन्यासी
तपस्विपत्रम् —नपुं॰—तपस्विन्-पत्रम्—-—सूर्यमुखी फूल
तप्त —भू॰क॰कृ॰—-—तप्+क्त—गर्म किया हुआ, जला हुआ
तप्त —भू॰क॰कृ॰—-—-—रक्तोष्ण, गरम
तप्त —भू॰क॰कृ॰—-—-—पिघला हुआ, गला हुआ
तप्त —भू॰क॰कृ॰—-—-—दुःखी, पीड़ित, कष्टग्रस्त
तप्त —भू॰क॰कृ॰—-—-—किया गया अनुष्ठान
तप्तकाञ्चनम् —नपुं॰—तप्त-काञ्चनम्—-—आग में तपाया हुआ सोना
तप्तकृच्छ्रम् —नपुं॰—तप्त-कृच्छ्रम्—-—एक प्रकार की कठोर साधना
तप्तरूपकम् —नपुं॰—तप्त-रूपकम्—-—साफ की हुई चाँदी
तम् —दिवा॰पर॰<ताम्यति>, <तान्त>—-—-—दम घुटना, रुद्ध श्वास होना
तम् —दिवा॰पर॰<ताम्यति>, <तान्त>—-—-—परिश्रान्त होना, थक जाना
तम् —दिवा॰पर॰<ताम्यति>, <तान्त>—-—-—दुःखी होना, बेचैन या पीडित होना, पीड़ा देना, बर्बाद करना
उत्तम् —दिवा॰पर॰<ताम्यति>, <तान्त>—उद्-तम्—-—उतावला होना
तमम् —नपुं॰—-—तम्+घ—अन्धकार
तमम् —नपुं॰—-—-—पैर की नोंक
तमः —पुं॰—-—-—राहु का विशेषण
तमस् —नपुं॰—-—तम्+असुन्—अन्धकार
तमस् —नपुं॰—-—-—नरक का अन्धकार
तमस् —नपुं॰—-—-—मानसिक अन्धेरा, भ्रम, भ्रांति
तमस् —नपुं॰—-—-—अन्धकार या अज्ञान, प्रकृति के संघटक,३ गुणों में से एक
तमस् —पुं॰—-—-—राहु का विशेषण
तपोऽपह —वि॰—तमस्-अपह—-—अज्ञान या अन्धकार को दूर करने वाला, ज्ञान देने वाला, प्रकाशित करने वाला
तमोऽपहः —पुं॰—तमस्-अपहः—-—सूर्य
तमोऽपहः —पुं॰—तमस्-अपहः—-—चन्द्रमा
तमोऽपहः —पुं॰—तमस्-अपहः—-—आग
तमःकाण्डः —पुं॰—तमस्-काण्डः—-—घोर अन्धकार
तमःकाण्डम् —नपुं॰—तमस्-काण्डम्—-—घोर अन्धकार
तमोगुणः —पुं॰—तमस्-गुणः—-—अन्धकार या अज्ञान, प्रकृति के संघटक,३ गुणों में से एक
तमोघ्नः —पुं॰—तमस्-घ्नः—-—सूर्य
तमोघ्नः —पुं॰—तमस्-घ्नः—-—चाँद
तमोघ्नः —पुं॰—तमस्-घ्नः—-—आग
तमोघ्नः —पुं॰—तमस्-घ्नः—-—विष्णु
तमोघ्नः —पुं॰—तमस्-घ्नः—-—शिव
तमोघ्नः —पुं॰—तमस्-घ्नः—-—ज्ञान
तमोघ्नः —पुं॰—तमस्-घ्नः—-—बुद्धदेव
तमोज्योतिस् —पुं॰—तमस्-ज्योतिस्—-—जुगनू
तमस्ततिः —पुं॰—तमस्-ततिः—-—व्यापक अन्धकार
तमोनुद् —पुं॰—तमस्-नुद्—-—उज्ज्वल शरीर
तमोनुद् —पुं॰—तमस्-नुद्—-—सूर्य
तमोनुद् —पुं॰—तमस्-नुद्—-—चाँद
तमोनुद् —पुं॰—तमस्-नुद्—-—आग
तमोनुद् —पुं॰—तमस्-नुद्—-—लैम्प, प्रकाश
तमोनुदः —पुं॰—तमस्-नुदः—-—सूर्य
तमोनुदः —पुं॰—तमस्-नुदः—-—चन्द्रमा
तमोभिद् —पुं॰—तमस्-भिद्—-—जुगनू
तमोमणिः —पुं॰—तमस्-मणिः—-—जुगनू
तमोविकारः —पुं॰—तमस्-विकारः—-—रोग, बीमारी
तमोहन् —वि॰—तमस्-हन्—-—अन्धकार को दूर करने वाला
तमोहर —वि॰—तमस्-हर—-—अन्धकार को दूर करने वाला
तमोहन् —पुं॰—तमस्-हन्—-—सूर्य
तमोहन् —पुं॰—तमस्-हन्—-—चन्द्रमा
तमोहर —पुं॰—तमस्-हर—-—सूर्य
तमोहर —पुं॰—तमस्-हर—-—चन्द्रमा
तमसः —पुं॰—-—तम्+असच्—अन्धकार
तमसः —पुं॰—-—तम्+असच्—कुआँ
तमस्विनी —स्त्री॰—-—तमस्+विनि+ङीप्—रात
तमा —स्त्री॰—-—तम+टाप्—रात
तमालः —पुं॰—-—तम्+कालन्—एक वृक्ष का नाम
तमालः —पुं॰—-—-—मस्तक पर चन्दन का साम्प्रदायिक तिलक
तमालः —पुं॰—-—-—तलवार, खड्ग
तमालपत्रम् —नपुं॰—तमाल-पत्रम्—-—मस्तक पर साम्प्रदायिक चिन्ह
तमालपत्रम् —नपुं॰—तमाल-पत्रम्—-—तमाल का पत्ता
तमिः —स्त्री॰—-—तम्+इन्—रात
तमिः —स्त्री॰—-—तम्+इन्—मूर्च्छा, बेहोशी
तमिः —स्त्री॰—-—तम्+इन्—हल्दी
तमी —स्त्री॰—-—तमि+ङीष्—रात
तमी —स्त्री॰—-—तमि+ङीष्—मूर्च्छा, बेहोशी
तमी —स्त्री॰—-—तमि+ङीष्—हल्दी
तमिस्र —वि॰—-—तमिस्रा+अच्—काला
तमिस्रम् —नपुं॰—-—-—अन्धकार
तमिस्रम् —नपुं॰—-—-—मानसिक अन्धकार भ्रम
तमिस्रम् —नपुं॰—-—-—क्रोध, कोप
तमिस्रपक्षः —पुं॰—तमिस्रम्-पक्षः—-—कृष्णपक्ष
तमिस्रा —स्त्री॰—-—तमिस्र+टाप्—रात
तमिस्रा —स्त्री॰—-—-—व्यापक अन्धकार
तमोमयः —पुं॰—-—तमस्+मयट्—राहु
तम्बा —स्त्री॰—-—तम्बति गच्छति-तम्ब्+अच्+टाप्—गाय, गौ
तम्बिका —स्त्री॰—-—तम्बति गच्छति-तम्ब्+ण्वुल्+टाप्, इत्वम्—गाय, गौ
तय् —भ्वा॰आ॰<तयते>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
तय् —भ्वा॰आ॰<तयते>—-—-—रखवाली करना, रक्षा करना
तरः —पुं॰—-—तृ+अप्—पार जाना, पार करना, मार्ग
तरपण्यम् —नपुं॰—तरः-पण्यम्—-—नाव का भाड़ा
तरःस्थानम् —नपुं॰—तरः-स्थानम्—-—घाट
तरक्षः —पुं॰—-—तरं बलं मार्गं वा क्षिणोति, तर+क्षि+डु—बिज्जू, लकड़बग्घा
तरक्षुः —पुं॰—-—तरं बलं मार्गं वा क्षिणोति, तर+क्षि+डु, पक्षे पृषो॰ उलोपः—बिज्जू, लकड़बग्घा
तरङ्गः —पुं॰—-—तृ+अङ्गच्—लहर
तरङ्गः —पुं॰—-—-—किसी ग्रन्थ का अध्याय या अनुभाग
तरङ्गः —पुं॰—-—-—कूद, छलाँग, सरपट चौकड़ी, छलाँग लगाने की क्रिया
तरङ्गः —पुं॰—-—-—कपड़ा, वस्त्र
तरङ्गिणी —स्त्री॰—-—तरङ्ग+इनि+ङीप्—नदी
तरङ्गित —वि॰ —-—तरङ्ग+इतच्—लहराता हुआ, लहरों के साथ उछलने वाला
तरङ्गित —वि॰ —-—-—छलकता हुआ
तरङ्गित —वि॰ —-—-—थरथराता हुआ
तरङ्गितम् —नपुं॰—-—-—कम्पायमान
तरणः —पुं॰—-—तृ+ल्युट्—नाव, बेड़ा
तरणः —पुं॰—-—तृ+ल्युट्—स्वर्ग
तरणम् —नपुं॰—-—-—जीतना, पराजित करना
तरणम् —नपुं॰—-—-—चप्पू, डाँड़
तरणिः —पुं॰—-—तृ+अनि—सूर्य
तरणिः —पुं॰—-—-—प्रकाश किरण
तरणी —स्त्री॰ —-—-—बेड़ा, घड़नई, नाव
तरणिरत्नम् —नपुं॰—तरणिः-रत्नम्—-—लाल
तरण्डः —पुं॰—-—तृ+अण्ड़च्—सामान्य नाव
तरण्डः —पुं॰—-—-—चप्पू या डाँड़
तरण्डम् —नपुं॰—-—तृ+अण्ड़च्—सामान्य नाव
तरण्डम् —नपुं॰—-—-—चप्पू या डाँड़
तरण्डपादा —स्त्री॰—तरण्डः-पादा—-—एक प्रकार की नाव
तरण्डी —स्त्री॰—-—तरण्ड+ङीष्—नाव, बड़ा, घड़नई
तरद् —स्त्री॰—-—तृ+अदि—नाव, बड़ा, घड़नई
तरन्ती —स्त्री॰—-—तरन्त+ङीष्—नाव, बड़ा, घड़नई
तरन्तः —पुं॰—-—तृ+झच्—समुद्र
तरन्तः —पुं॰—-—-—प्रचण्ड बौछार
तरल —वि॰—-—तृ+अलच्—कम्पमान, लहराता हुआ, हिलता हुआ, थरथराता हुआ
तरल —वि॰—-—-—शानदार, चमकदार, चटकीला
तरल —वि॰—-—-—कामुक, स्वेच्छाचारी
तरलः —पुं॰—-—-—हार की मध्यवर्ती मणि
तरलय् —ना॰धा॰आ॰ <तरलयति>—-—-—काँपना, हिलना, इधर-उधर, चलना-फिरना
तरलायितः —पुं॰—-—तरल+क्यच्+क्त—बड़ी लहर, कल्लोल
तरलित —वि॰—-—तरल+इतच्—हिलता हुआ, थरथराता हुआ, आन्दोलित होता हुआ
तरवारिः —पुं॰—-—तरं समागत विपक्षबलं वारयति तर+वृ+णिच्+इन्—तलवार
तरस् —नपुं॰—-—तॄ+असुन्—चाल, वेग
तरस् —नपुं॰—-—-—वीर्य, शक्ति, ऊर्जा
तरस् —नपुं॰—-—-—तट, पार करने का स्थान
तरस् —नपुं॰—-—-—घड़नई, बेड़ा
तससम् —नपुं॰—-—तॄ+असच्—आमिष, मांस
तरसानः —पुं॰—-—तृ+आनच्, सुट्—नाव
तरस्विन् —वि॰—-—-—तेज, फुर्तीला
तरस्विन् —वि॰—-—-—मज़बूत, शक्तिशाली, साहसी, ताक़तवर
तरस्विन् —पुं॰—-—-—हलकारा, आशुगामी दूत
तरस्विन् —पुं॰—-—-—हवा, वायु
तरस्विन् —पुं॰—-—-—गरुड का विशेषण
तराधुः —पुं॰—-—तराय तरणाय अन्धुरिव, तराय अलति प्राप्नोति तर+अल्+उण्—एक बड़ी चपटी तली की नाव
तरालुः —पुं॰—-—तराय तरणाय अन्धुरिव, तराय अलति प्राप्नोति तर+अल्+उण्—एक बड़ी चपटी तली की नाव
तरिः —स्त्री॰—-—तरति अनया तॄ+इ—नाव
तरिः —स्त्री॰—-—तरति अनया तॄ+इ—कपड़े रखने का सन्दूक
तरिः —स्त्री॰—-—तरति अनया तॄ+इ—कपड़े का छोर या मगज़ी
तरी —स्त्री॰—-—तरति अनया तरि+ङीष्—नाव
तरी —स्त्री॰—-—तरति अनया तरि+ङीष्—कपड़े रखने का सन्दूक
तरी —स्त्री॰—-—तरति अनया तरि+ङीष्—कपड़े का छोर या मगज़ी
तरिरथः —पुं॰—तरि-रथः—-—चप्पू, डाँड़
तरीरथः —पुं॰—तरी-रथः—-—चप्पू, डाँड़
तरिकः —पुं॰—-—तर+ठन्—मल्लाह
तरिकिन् —पुं॰—-—तरिक+इनि—मल्लाह
तरिका —स्त्री॰—-—तरिक+टाप्—नाव, किश्ती
तरिणी —स्त्री॰—-—तर+इनि+ङीप्—नाव, किश्ती
तरित्रम् —नपुं॰—-—तृ+ष्ट्रन्—नाव, किश्ती
तरित्री —स्त्री॰—-—तरित्र+ङीप्—नाव, किश्ती
तरीषः —पुं॰—-—तृ+ईषण्—बेड़ा,नाव
तरीषः —पुं॰—-—तृ+ईषण्—समुद्र
तरीषः —पुं॰—-—तृ+ईषण्—सक्षम व्यक्ति
तरीषः —पुं॰—-—तृ+ईषण्—स्वर्ग
तरीषः —पुं॰—-—तृ+ईषण्—कार्य, धन्धा, व्यवसाय,पेशा
तरुखण्डः —पुं॰—तरः-खण्डः—-—वृक्षों का झुण्ड या समूह
तरुखण्डम् —नपुं॰—तरु-खण्डम्—-—वृक्षों का झुण्ड या समूह
तरुषण्डः —पुं॰—तरु-षण्डः—-—वृक्षों का झुण्ड या समूह
तरुषण्डम् —नपुं॰—तरु-षण्डम्—-—वृक्षों का झुण्ड या समूह
तरुजीवनम् —नपुं॰—तरु-जीवनम्—-—वृक्ष की जड़
तरुतलम् —नपुं॰—तरु-तलम्—-—वृक्ष के तने के पास का स्थान, वृक्ष की जड़
तरुनखः —पुं॰—तरु-नखः—-—काँटा
तरुमृगः —पुं॰—तरु-मृगः—-—बन्दर
तरुरागः —पुं॰—तरु-रागः—-—कली या फूल
तरुरागः —पुं॰—तरु-रागः—-—कोमल अंकुर अँखुवा
तरुराजः —पुं॰—तरु-राजः—-—ताल का पेड़
तरुरुहा —स्त्री॰—तरु-रुहा—-—पेड़ पर ही उत्पन्न होने वाला पौधा
तरुविलासिनी —स्त्री॰—तरु-विलासिनी—-—नवमल्लिका लता
तरुशायिन् —पुं॰—तरु-शायिन्—-—पक्षी
तरुण —वि॰—-—तृ+उनन्—चढ़ती जवानी वाला, जवान पुरुष युवक
तरुण —वि॰—-—-—बच्चा, नवजात, सुकुमार, कोमल
तरुण —वि॰—-—-—नवोदित, जो आकाश में ऊँचा न हो
तरुण —वि॰—-—-—ज़िन्दादिल, विशद
तरुणः —पुं॰—-—-—युवा पुरुष, जवान
तरुणी —स्त्री॰—-—-—युवती या जवान स्त्री
तरुणज्वरः —पुं॰—तरुण-ज्वरः—-—एक सप्ताह रहने वाला बुख़ार
तरुणदधि —नपुं॰—तरुण-दधि—-—पाँच दिन का जमाया हुआ दूध
तरुणपीतिका —स्त्री॰—तरुण-पीतिका—-—मैनसिल
तरुश —वि॰—-—तरु+श—वृक्षों से भरा हुआ
तर्क —चुरा॰उभ॰<तर्कयति>, <तर्कयते>, <तर्कित>—-—-—कल्पना करना, अटकल करना, शंका करना, विश्वास करना, अन्दाज लगाना, अनुमान करना
तर्क —चुरा॰उभ॰<तर्कयति>, <तर्कयते>, <तर्कित>—-—-—तर्क करना, विचारना, विमर्श करना,
तर्क —चुरा॰उभ॰<तर्कयति>, <तर्कयते>, <तर्कित>—-—-—खयाल करना, माल लेना,
तर्क —चुरा॰उभ॰<तर्कयति>, <तर्कयते>, <तर्कित>—-—-—सोचना, इरादा कराना, अभिप्राय रखना, विचार में रहना
तर्क —चुरा॰उभ॰<तर्कयति>, <तर्कयते>, <तर्कित>—-—-—निश्चय करना
तर्क —चुरा॰उभ॰<तर्कयति>, <तर्कयते>, <तर्कित>—-—-—चमकना
तर्क —चुरा॰उभ॰<तर्कयति>, <तर्कयते>, <तर्कित>—-—-—बोलना
प्रतर्क —चुरा॰उभ॰—प्र-तर्क—-—तर्क करना, विचार विमर्श करना
प्रतर्क —चुरा॰उभ॰—प्र-तर्क—-—सोचना, विश्वास करना, ख़याल करना, कल्पना करना
वितर्क —चुरा॰उभ॰—वि-तर्क—-—अटकल करना, अन्दाज करना,
वितर्क —चुरा॰उभ॰—वि-तर्क—-—सोचना, कल्पना, विश्वास करना
वितर्क —चुरा॰उभ॰—वि-तर्क—-—विचार विमर्श करना, तर्क करना
तर्कः —पुं॰—-—तर्क+अच्—कल्पना, अन्दाज, अटकल
तर्कः —पुं॰—-—-—तर्कना, अटकलबाज़ी, चर्चा, दुरूह तर्कणा
तर्कः —पुं॰—-—-—न्याय, तर्कशास्त्र, तर्कशास्त्रम्, तर्कदीपिका
तर्कः —पुं॰—-—-—उपहासास्पद होना, वह परिणाम जो पूर्व कथित तथ्यों (पक्षों) के विपरीत हो
तर्कः —पुं॰—-—-—कामना, इच्छा
तर्कः —पुं॰—-—-—कारण, प्रयोजन
तर्कविद्या —स्त्री॰—तर्कः-विद्या—-—न्यायशास्त्र
तर्ककः —पुं॰—-—तर्क्+ण्वुल्—वादी, पू़छताछ करने वाला, प्रार्थी
तर्ककः —पुं॰—-—तर्क्+ण्वुल्—तर्कशास्त्री
तर्कुः —पुं॰—-—कृत्+उ+नि—तकवा, लोहे की तकली जिस पर सूत लिपटता जाता है
तर्कुपिण्डः —पुं॰—तर्कुः-पिण्डः—-—चींचली
तर्कुपीठीः —पुं॰—तर्कुः-पीठीः—-—चींचली
तर्क्षुः —पुं॰—-—तरक्षुः पृषो॰—लकड़बग्घा, बिज्जू
तर्क्ष्यः —पुं॰—-—तृक्ष्+ण्यत्—यवक्षार, जवाखार, शोरा
तर्ज् —भ्वा॰पर॰, चुरा॰आ॰पुं॰—-—-—धमकाना, घुड़कना, डराना
तर्ज् —भ्वा॰पर॰, चुरा॰आ॰पुं॰—-—-—झिड़कना, बुरा-भला कहना, निन्दा करना, कलंक लगाना
तर्ज् —भ्वा॰पर॰, चुरा॰आ॰पुं॰—-—-—खिल्ली उड़ाना, अपहास करना
तर्जनम् —नपुं॰—-—तर्ज्+ल्युट्—धमकाना, डराना
तर्जनम् —नपुं॰—-—तर्ज्+ल्युट्—निन्दा करना
तर्जना —स्त्री॰—-—तर्ज्+ल्युट्—धमकाना, डराना
तर्जना —स्त्री॰—-—तर्ज्+ल्युट्—निन्दा करना
तर्जनी —स्त्री॰—-—तर्जन्+ङीप्—अँगूठे के पास वाली अँगुली
तर्णः —पुं॰—-—तृण्+अच्—बछड़ा
तर्णकः —पुं॰—-—तर्ण्+कन्—बछड़ा
तर्णिः —पुं॰—-—तॄ+नि—बेड़ा
तर्णिः —पुं॰—-—तॄ+नि—सूर्य
तर्द् —भ्वा॰पर॰<तर्दति>—-—-—क्षति पहुँचाना, चोट पहुँचाना
तर्द् —भ्वा॰पर॰<तर्दति>—-—-—मार डालना, काट डालना
तर्पणम् —नपुं॰—-—तृप्+ल्युट्—प्रसन्न करना, तृप्त करना
तर्पणम् —नपुं॰—-—तृप्+ल्युट्—तृप्ति प्रसन्नता
तर्पणम् —नपुं॰—-—तृप्+ल्युट्—पाँच यज्ञों में से एक- पितृयज्ञ
तर्पणम् —नपुं॰—-—तृप्+ल्युट्—समिधा
तर्पणेच्छुः —पुं॰—तर्पणम्-इच्छुः—-—भीष्म का विशेषण
तर्मन् —नपुं॰—-—तृ+मनिन्—यज्ञीय स्तम्भ का का शिखर
तर्षः —पुं॰—-—तृ्ष्+घञ्—प्यास
तर्षः —पुं॰—-—-—कामना, इच्छा
तर्षणम् —नपुं॰—-—तृ्ष्+ल्युट्—प्यास, पिपासा
तर्षित —वि॰—-—तर्ष+इतच्—प्यासा, अभिलाषी, इच्छुक
तर्षुल —वि॰—-—तृष्+उलच्—प्यासा, अभिलाषी, इच्छुक
तर्हि —अव्य॰—-—तद्+र्हिल्—उस समय, तब
तर्हि —अव्य॰—-—तद्+र्हिल्—उस विषय में
यदितर्हि —अव्य॰—-—-—अगर तो
कथंतर्हि —अव्य॰—-—-—तो फिर किस प्रकार
महीतलम् —नपुं॰—मही-तलम्—-—भूमि की सतह अर्थात् पृथ्वी
तलः —पुं॰—-—-—हाथ की हथेली
तलः —पुं॰—-—-—नीचपन, पद का घटियापन
तलः —पुं॰—-—-—निम्न भाग, नीचे का भाग, आधार, पैर, पेंदी
तलः —पुं॰—-—-—वृक्ष या किसी दूसरी वस्तु की नीचे की भूमि, किसी भी वस्तु से प्राप्त शरण
तलः —पुं॰—-—-—छिद्र, गड्ढा
तलम् —नपुं॰—-—-—हाथ की हथेली
तलम् —नपुं॰—-—-—पैर का तला
तलम् —नपुं॰—-—-—नीचपन, पद का घटियापन
तलम् —नपुं॰—-—-—निम्न भाग, नीचे का भाग, आधार, पैर, पेंदी
तलम् —नपुं॰—-—-—वृक्ष या किसी दूसरी वस्तु की नीचे की भूमि, किसी भी वस्तु से प्राप्त शरण
तलम् —नपुं॰—-—-—छिद्र, गढ़ा
तलः —पुं॰—-—-—तलवार की मूठ
तलम् —नपुं॰—-—-—कारण, मूल, प्रयोजन,
तलम् —नपुं॰—-—-—बायीं बाहु पर पहना जाने वाला चमड़े का फीता
तलाङ्गुलिः —स्त्री॰—तल-अङ्गुलिः—-—पैर की उँगली
तलातलम् —नपुं॰—तल-अतलम्—-—सात अधोलोकों में चौथा
तलेक्षणम् —नपुं॰—तल-ईक्षणम्—-—सूअर
तलोदा —स्त्री॰—तल-उदा—-—नदी
तलघातः —पुं॰—तल-घातः—-—थप्पड़
तलतालः —पुं॰—तल-तालः—-—एक प्रकार का वाद्ययन्त्र
तलत्रम् —नपुं॰—तल-त्रम्—-—धनुर्धर का चमड़े का दस्ताना
तलत्राणम् —नपुं॰—तल-त्राणम्—-—धनुर्धर का चमड़े का दस्ताना
तलवाणरम् —नपुं॰—तल-वाणरम्—-—धनुर्धर का चमड़े का दस्ताना
तलप्रहारः —पुं॰—तल-प्रहारः—-—थप्पड़
तलसारकम् —नपुं॰—तल-सारकम्—-—अधोबन्धन, तङ्ग
तलकम् —नपुं॰—-—तल+कन्—बड़ा तालाब
तलतः —अव्य॰—-—तल+तसिल्—पेंदी से
तलाची —स्त्री॰—-—तल्+अच्+क्विप्+ङीप्—चटाई
तलिका —स्त्री॰—-—तल+ठन्—तंग, अधोबन्धन
तलितम् —नपुं॰—-—तल्+क्त—तला हुआ माँस
तलिन —वि॰—-—तल्+इनन्—पतला, दुर्बल, कृश
तलिन —वि॰—-—-—स्पष्ट, स्वच्छ
तलिन —वि॰—-—-—निम्न भाग में या निचली जगह पर स्थित
तलिनम् —नपुं॰—-—-—बिस्तरा, गद्दीदार लम्बी चौकी
तलिमम् —नपुं॰—-—तल+इमन्—फ़र्श लगी हुई भूमि, खड़ञ्जा
तलिमम् —नपुं॰—-—तल+इमन्—बिस्तरा, खटिया, सोफ़ा
तलिमम् —नपुं॰—-—तल+इमन्—चँदोवा
तलिमम् —नपुं॰—-—तल+इमन्—बड़ी तलवार या चाकू
तल्कम् —नपुं॰—-—तल्+कन्—जङ्गल
तल्पः —पुं॰—-—तल्+पक्—गद्देदार लम्बी चौकी, बिस्तरा, सोफ़ा
तल्पः —पुं॰—-—तल्+पक्—पत्नी
तल्पः —पुं॰—-—तल्+पक्—गाड़ी में बैठने का स्थान
तल्पः —पुं॰—-—तल्+पक्—ऊपर की मञ्जिल, बुर्ज, कँगूरा, अटारी
तल्पम् —नपुं॰—-—तल्+पक्—गद्देदार लम्बी चौकी, बिस्तरा, सोफ़ा
तल्पम् —नपुं॰—-—तल्+पक्—पत्नी
तल्पम् —नपुं॰—-—तल्+पक्—गाड़ी में बैठने का स्थान
तल्पम् —नपुं॰—-—तल्+पक्—ऊपर की मञ्जिल, बुर्ज, कँगूरा, अटारी
तल्पकः —पुं॰—-—तल्प+कन्—जिसका कार्य बिस्तरे बिछाने या तैयार करने का है
तल्लजः —पुं॰—-—तत्+लज्+अच्—श्रेष्ठता, सर्वोत्तमता, प्रसन्नता
गोतल्लजः —पुं॰—-—-—श्रेष्ठ गाय, इसी प्रकार
कुमारीतल्लजः —पुं॰—-—-—श्रेष्ठ कन्या
तल्लिका —स्त्री॰—-—तस्मिन् लीयते तत्+ली+ड+कन्, इत्वम्—ताली, कुञ्जी
तल्ली —स्त्री॰—-—तत् लसति तत्+लस्+ड+ङीष्—तरुणी, जवान स्त्री
तष्ट —वि॰—-—तक्ष्+क्त—चीरा हुआ, काटा हुआ, तराशा हुआ, खण्ड-खण्ड किया हुआ
तष्ट —वि॰—-—तक्ष्+क्त—गढ़ा हुआ
तष्ट —पुं॰—-—तक्ष्+तृच्—बढ़ई
तष्ट —पुं॰—-—तक्ष्+तृच्—विश्वकर्मा
तस्करः —पुं॰—-—तद्+कृ+अच्, सुट्, दलोपः—चोर, लुटेरा
तस्करः —स्त्री॰—-—तद्+कृ+अच्, सुट्, दलोपः—जघन्य, घृणित
तस्करी —स्त्री॰—-—-—कामुक स्त्री
तस्थु —वि॰—-—स्था+कु, द्वित्वम्—स्थावर, अचर, स्थिर
ताक्षण्यः —पुं॰—-—तक्षन्+ण्य—बढ़ई का पुत्र
ताक्ष्णः —पुं॰—-—तक्षन्+अण्—बढ़ई का पुत्र
ताच्छीलिकः —पुं॰—-—तच्छील+ठञ्—विशेष प्रवृत्ति, आदत या रुचि को प्रकट करने वाला प्रत्यय
ताटङ्कः —पुं॰—-—ताड्यते, पृषो॰ डस्य टः ताट् अङ्क ब॰स॰—कान का आभूषण, बड़ी वाली
ताटस्थ्यम् —नपुं॰—-—तटस्थ + ष्यञ्—सामीप्य
ताटस्थ्यम् —नपुं॰—-—-—उदासीनता, अनवधानता, पक्षपातशून्यता
ताडः —पुं॰—-—तड् + घञ्—प्रहार, ठोकर, घूंसा या थप्पड़
ताडः —पुं॰—-—-—पूला, गट्ठर
ताडका —स्त्री॰—-—तड् + णिच् + ण्वुल् + टाप्—एक राक्षसी, सुकेतु की पुत्री, सुन्द की पत्नी और मारीच की माता
ताडकेयः —पुं॰—-—ताडका + ढक्—ताडका के पुत्र मारीच राक्षस का विशेषण
ताडड्कः —पुं॰—-—तालम् अङ्क्यते लक्ष्यते - अङ्क + घञ् लक्ष्य डत्वम्, शक॰ पररुपम - तालस्य पत्रमिव - ष॰ त॰ लस्य डः—
ताडपत्रम् —नपुं॰—-—तालम् अङ्क्यते लक्ष्यते - अङ्क + घञ् लक्ष्य डत्वम्, शक॰ पररुपम - तालस्य पत्रमिव - ष॰ त॰ लस्य डः—
ताडनम् —नपुं॰—-—तड् + णिच् + ल्युट्—मारना-पीटना, हण्टर लगाना, वेत लगाना
ताडिः —स्त्री॰—-—तड् + णिच् + इन्—एकप्रकार का ताड़
ताडिः —स्त्री॰—-—तड् + णिच् + इन्—एकप्रकार का आभूषण
ताडी —स्त्री॰—-—ताडि + ङीष्—एकप्रकार का ताड़
ताडी —स्त्री॰—-—ताडि + ङीष्—एकप्रकार का आभूषण
ताड्यमान —वि॰—-—तड् + णिच् + शानच्— पीटा जाता हुआ, प्रहार किया जाता हुआ
ताड्यमानः —पुं॰—-—-—वाद्ययन्त्र
ताण्डवः —पुं॰—-—तण्डु + अण्—नाच, नृत्य
ताण्डवः —पुं॰—-—-—विशेषकर शिव का उन्माद नृत्य या प्रचण्ड नाच
ताण्डवः —पुं॰—-—-—नृत्यकला
ताण्डवः —पुं॰—-—-—एकप्रकार का घास
ताण्डवप्रियः —पुं॰—ताण्डव-प्रियः—-—शिव जी
तातः —पुं॰—-—तनोति विस्तारयति गोत्रादिकम् - तन् + क्त, दीर्घ— पिता
तातः —पुं॰—-—-—स्नेह दया या प्रेम को प्रकट करने वाला शब्द
तातः —पुं॰—-—-—सम्मान द्योतक शब्द
तातगु —वि॰—तात-गु—-—पिता के अनुकूल
तातगुः —पुं॰—तात-गुः—-—ताऊ
तातनः —पुं॰—-—तात + नृत् + ड—खंजन पक्षी
तातलः —पुं॰—-—ताप + ला + क पृषो॰ पस्य तः—एक रोग
तातलः —पुं॰—-—-—लोहे का डंडा या सलाख
तातलः —पुं॰—-—-—पकाना, परिपक्व करना
तातिः —पुं॰—-—ताय् + क्तिच्—सन्तान
तातिः —स्त्री॰—-—-—सातत्य, उत्तराधिकार
तात्कालिक —वि॰—-—तत्काल + ठञ्—उसी समय में होने वाला
तात्कालिक —वि॰—-—-—अव्यवहित
तात्पर्यम् —नपुं॰—-—तत्पर + ष्यञ्—आशय, अर्थ, अभिप्राय
तात्पर्यम् —नपुं॰—-—-—प्रस्तुत योजना का आशय
तात्पर्यम् —नपुं॰—-—-—उद्देश्य, अभिप्रेत पदार्थ, किसी पदार्थ का उल्लेख प्रयोजन इरादा
तात्पर्यम् —नपुं॰—-—-—वक्ता का आशय
तात्विक —वि॰—-—तत्त्व + ठक्—यथार्थ, वास्तविक, परमावश्यक
तादात्म्यम् —नपुं॰—-—तदात्मन् + ष्यञ्—प्रकृति की अभिन्नता, समरुपता, एकता
तादृक्ष —वि॰—-—-—वैसा, उस जैसा, उसकी भाँति
तादृश् —वि॰—-—-—वैसा, उस जैसा, उसकी भाँति
तादृश —वि॰—-—-—वैसा, उस जैसा, उसकी भाँति
तानः —पुं॰—-—तन् + घञ्—धागा, रेशा
तानः —पुं॰—-—-—विलम्बित स्वर प्रधान टेक
तानम् —नपुं॰—-—-—विस्तार, प्रसार
तानम् —नपुं॰—-—-—ज्ञानेन्द्रियों का विषय
तानवम् —नपुं॰—-—तनु + अण्—पतलापन, छोटापन
तानूरः —पुं॰—-—तन् + ऊरण्—भँवर, जलावर्त
तान्त —वि॰—-—तम् + क्त—थका हुआ, निढाल, क्लान्त
तान्त —वि॰—-—-—परेशान, कष्टग्रस्त
तान्त —वि॰—-—-—म्लान, मुर्झाया हुआ
तान्तवम् —नपुं॰—-—तन्तु + अण्—कातना, बुनना
तान्तवम् —नपुं॰—-—-—बुना हुआ कपड़ा
तान्त्रिक —वि॰—-—तन्त्र + ठक्—किसी शास्त्र या सिद्धान्त में सुविज्ञ
तान्त्रिक —वि॰—-—-—तन्त्रों से सम्बद्ध
तान्त्रिक —वि॰—-—-—तन्त्रों से प्राप्त शिक्षा
तान्त्रिकः —पुं॰—-—-—तन्त्र सिद्धान्तों का अनुयायी
तापः —पुं॰—-—तप् + घञ्—गर्मी, चमक-दमक
तापः —पुं॰—-—-—सताना, पीडित करना, कष्ट, सन्ताप, वेदना
तापत्रयम् —नपुं॰—ताप-त्रयम्—-—तीन प्रकार के संताप जो मनुष्य को इस संसार में सहन करने पड़ते हैं - आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक
तापहर —वि॰—ताप-हर—-—शीतलता देने वाला, गर्मी दूर करने वाला
तापनः —पुं॰—-—तप् + णिच् + ल्युट्—सूर्य
तापनः —पुं॰—-—-—ग्रीष्म ऋतु
तापनः —पुं॰—-—-— सूर्यकान्तमणि, कामदेव के बाणों में से एक
तापनम् —नपुं॰—-—-—जलाना, कष्ट देना
तापनम् —नपुं॰—-—-—ठोकना-पीटना
तापस —वि॰—-—-—सन्यासी से सम्बद्ध, कड़ी साधना से सम्बन्ध रखने वाला
तापसः —पुं॰—-—-—वानप्रस्थ, सन्यासी, भक्त
तापसेष्टा —स्त्री॰—तापस-इष्टा—-—अंगूर
तापसतरुः —पुं॰—तापस-तरुः—-—हिंगोट का वृक्ष, इंगुदी
तापसद्रुमः —पुं॰—तापस-द्रुमः—-—हिंगोट का वृक्ष, इंगुदी
तापस्यम् —नपुं॰—-—तापस + ष्यञ्—तपस्या
तापिच्छः —पुं॰—-—तापिनं छादयति - तापिन् + छद् + ड पृषो॰—तमाल का वृक्ष
तापिच्छः —नपुं॰—-—-—तमाल का फूल
तापी —स्त्री॰—-—तय् + णिच् + अच् + ङीष्—ताप्ती नदी जो सूरत के निकट समुद्र में गिर जाती हैं
तापी —स्त्री॰—-—-—यमुना नदी
तामः —पुं॰—-—तम् + घञ्—भय का विषय
तामः —पुं॰—-—-—चिन्ता, दुःख
तामरम् —नपुं॰—-—ताम + ए + क—पानी
तामरसम् —नपुं॰—-—तामरे जल सस्ति - सस् + ड—लाल कमल
तामरसम् —नपुं॰—-—-—सोना, ताँबा
तामरसी —स्त्री॰—-—-—कमलों वाला सरोवर
तामस —वि॰—-—तमोऽस्त्यस्य अण्—काला, अन्धकारग्रस्त, अन्धकार सम्बन्धी, अन्धेरा
तामस —वि॰—-—-—प्रकृति के तीन गुणों में से एक
तामसी —स्त्री॰—-—-—रात, कालीरात
तामसी —स्त्री॰—-—-—दुर्गा का विशेषण
तामसिक —वि॰—-—तमस् + ठञ्—काला, अन्धकारयुक्त
तामसिक —वि॰—-—-—तम से सम्बन्ध रखने वाला, तम से उत्पन्न या तमोमय
तामिस्रः —पुं॰—-—तमिस्रा + अण्—नरक का एक प्रभाग
ताम्बूलम् —नपुं॰—-—तम् + उलच्, बुक्, दीर्घः— सुपारी
ताम्बूलकरङ्कः —पुं॰—ताम्बूलम्-करङ्कः—-—पानदान
ताम्बूलपेटिका —स्त्री॰—ताम्बूलम्-पेटिका—-—पानदान
ताम्बूलदः —पुं॰—ताम्बूलम्-दः—-—पानदान लेकर अमीरों के पीछे चलने वाला नौकर
ताम्बूलधरः —पुं॰—ताम्बूलम्-धरः—-—पानदान लेकर अमीरों के पीछे चलने वाला नौकर
ताम्बूलवाहकः —पुं॰—ताम्बूलम्-वाहकः—-—पानदान लेकर अमीरों के पीछे चलने वाला नौकर
ताम्बूलवल्ली —स्त्री॰—ताम्बूलम्-वल्ली—-—पान की बेल
ताम्र —वि॰—-—तम् + रक्, दीर्घः—ताँबे के रंग का, लाल
ताम्राक्षः —पुं॰—ताम्र-अक्षः—-—कौवा
ताम्राक्षः —पुं॰—ताम्र-अक्षः—-—कोयल
ताम्रार्धः —पुं॰—ताम्र-अर्धः—-—कांसा
ताम्राश्मन् —पुं॰—ताम्र-अश्मन्—-—पद्मरागमणि
ताम्रोपजीविन् —पुं॰—ताम्र-उपजीविन्—-—कसेरा, ताँबें की चीज बनाकर जीवन-निर्वाह करने वाला
ताम्रौष्ठः —पुं॰—ताम्र-ओष्ठः—-—लाल होठ
ताम्रकारः —पुं॰—ताम्र-कारः—-—कसेरा, ताँबें का कार्य करने वाला
ताम्रकृमिः —पुं॰—ताम्र-कृमिः—-—इन्द्रवधूटी, एक प्रकार का लालकीड़ा
ताम्रचूड़ः —पुं॰—ताम्र-चूड़ः—-—मुर्गा
ताम्रत्रपुजम् —नपुं॰—ताम्र-त्रपुजम्—-—पीतल
ताम्रद्रुः —पुं॰—ताम्र-द्रुः—-—लाल चन्दन की लकड़ी
ताम्रपट्टः —पुं॰—ताम्र-पट्टः—-—ताम्रपट्टिका जिसपर प्रायः भूदान के दाता तथा ग्रहीता के नाम खुदे रहते थे
ताम्रपत्रम् —नपुं॰—ताम्र-पत्रम्—-—ताम्रपट्टिका जिसपर प्रायः भूदान के दाता तथा ग्रहीता के नाम खुदे रहते थे
ताम्रपर्णी —स्त्री॰—ताम्र-पर्णी—-—मलयपर्वत से निकलने वाली एक नदी का नाम
ताम्रपल्लवः —पुं॰—ताम्र-पल्लवः—-—अशोकवृक्ष
ताम्रलिप्तः —पुं॰—ताम्र-लिप्तः—-—एक देश का नाम
ताम्रलिप्ताः —पुं॰—ताम्र-लिप्ताः—-—इस देश की प्रजा या शासक
ताम्रवृक्षः —पुं॰—ताम्र-वृक्षः—-—चन्दन के वृक्षों का एक भेद
ताम्रिक —वि॰—-—ताम्र + ठक्—ताँबे का बना हुआ ताम्रमय
ताम्रिकः —पुं॰—-—-—कसेरा, तांबे का कार्य करने वाला
ताय् —भ्वा॰ आ॰ <तायते>, <तायितम्>—-—-—किसी समान रेखा में प्रगति करना, फैलाना, विस्तार करना
ताय् —भ्वा॰ आ॰ <तायते>, <तायितम्>—-—-—रक्षा करना, संरक्षण में रखना
विताय् —भ्वा॰ आ॰—वि-ताय्—-—फैलाना, रचना करना
तार —वि॰—-—तृ + णिच् + अच्—ऊँचा
तार —वि॰—-—-—उत्ताल, कर्कश
तार —वि॰—-—-—चमकीला, उज्जवल, स्पष्ट
तार —वि॰—-—-—अच्छा, श्रेष्ठ, सुरस
तारः —पुं॰—-—-—तारा या ग्रह
तारम् —नपुं॰—-—-—तारा या ग्रह
तारम् —नपुं॰—-—-—आँख की पुतली
ताराभ्रः —पुं॰—तार-अभ्रः—-—कपूर
तारारिः —पुं॰—तार-अरिः—-—लोहभस्म
तारपतनम् —नपुं॰—तार-पतनम्—-—तार का गिराना या उल्कापतन
तारपुष्पः —पुं॰—तार-पुष्पः—-—कुन्द या चमेली की बेल
तारवायुः —पुं॰—तार-वायुः—-—सायँ सायँ करती हुई या सनसनाती हवा
तारशुद्धिकरम् —नपुं॰—तार-शुद्धिकरम्—-—सीसा
तारस्वर —वि॰—तार-स्वर—-—ऊँचे स्वर का या उत्ताल ध्वनि का
तारहारः —पुं॰—तार-हारः—-—सुन्दर मोतियों की माला
तारहारः —पुं॰—तार-हारः—-—एक चमकीला हार
तारक —वि॰—-—तृ + णिच् + ण्वुल्—आगे ले जाने वाला
तारक —वि॰—-—-—रक्षा करने वाला, बचाकर रखने वाला, बचाने वाला
तारकः —पुं॰—-—-—चालक, खिवैया, कर्णधार
तारकः —पुं॰—-—-—छुड़ाने वाला, बचाने वाला
तारकः —पुं॰—-—-—एक राक्षस जिसे कार्तिकेय ने मार गिराया था
तारकः —पुं॰—-—-—घड़नई, बेड़ा
तारकम् —नपुं॰—-—-—घड़नई, बेड़ा
तारकम् —नपुं॰—-—-—आँख की पुतली
तारकारिः —पुं॰—तारक-अरिः—-—कार्तिकेय का विशेषण
तारकजित् —पुं॰—तारक-जित्—-—कार्तिकेय का विशेषण
तारका —स्त्री॰—-—तारक + टाप्—तारा
तारका —स्त्री॰—-—-—उल्का, धूमकेतु
तारका —स्त्री॰—-—-—आँख की पुतली
तारकिणी —स्त्री॰—-—तारक + इनि + ङीष्—तारों भरी रात, वह रात जिसमें तारे खिले हुए हों
तारकित —वि॰—-—तारक + इतच्—तारों वाला, सितारों भरा, ताराजटित
तारणः —पुं॰—-—तृ + णिच् + ल्युट्—नाव, खड़नई
तारणम् —नपुं॰—-—-—पार उतारना
तारणम् —नपुं॰—-—-—बचाना, छुड़ाना, मुक्त करना
तारणिः —स्त्री॰—-—तृ + णिच् + अनि—घड़नई, बेड़ा
तारिणी —स्त्री॰—-—तारिणी + ङीष्—घड़नई, बेड़ा
तारतम्यम् —नपुं॰—-—तरतम् + ष्यञ्—क्रमांकन, अनुपात, सापेक्ष महत्व, तुलनात्मक मूल्य
तारतम्यम् —नपुं॰—-—-—अन्तर भेद
तारलः —पुं॰—-—तरल + अण्—कामुक, लम्पट, विषयी
तारा —स्त्री॰—-—तार + टाप्—तारा या ग्रह
तारा —स्त्री॰—-—-—स्थिर तारा
तारा —स्त्री॰—-—-—आँख की पुतली, आँख का डेला
तारा —स्त्री॰—-—-—वानरराज वाली की पत्नी, अंगद की माता, इसने अपने पति को राम और सुग्रीव के साथ युद्ध न करने के लिए बहुत समझाया। राम द्वारा बाली के मारे जाने पर इसने सुग्रिव से विवाह कर लिया
तारा —स्त्री॰—-—-—देवगुरु बृहस्पति की पत्नी, एक बार चन्द्रमा इसको उठाकर ले गया और याचना करने पर भी इसे वापिस नही किया।घोर युद्ध हुआ, अन्त में ब्रह्मा ने सोम को इस बात के लिए विवश कर दिया कि तारा बृहस्पति को वापिस दे दी जाय। तारा से बुध नामक एक पुत्र का जन्म हुआ। यह बुध ही चन्द्रवंशी राजाओं का पूर्वज कहलाया
तारा —स्त्री॰—-—-—राजा हरिश्चन्द्र की पत्नी तथा रोहित की माता - इसी को तारामती भी कहते हैं
ताराधिपः —पुं॰—तारा-अधिपः—-—चाँद
तारापीडः —पुं॰—तारा-आपीडः—-—चाँद
तारापतिः —पुं॰—तारा-पतिः—-—चाँद
तारापथः —पुं॰—तारा-पथः—-—पर्यावरण, वातावरण
ताराप्रमाणम् —नपुं॰—तारा-प्रमाणम्—-—नक्षत्रमान, नक्षत्रकाल
ताराभूषा —स्त्री॰—तारा-भूषा—-—रात
तारामण्डलम् —नपुं॰—तारा-मण्डलम्—-—तारालोक, राशिचक्र
तारामण्डलम् —नपुं॰—तारा-मण्डलम्—-—आँख की पुतली
तारामृगः —पुं॰—तारा-मृगः—-—मृगशिरा नाम का नक्षत्र
तारिकम् —नपुं॰—-—तार + ठन्—किराया, भाड़ा
तारुण्यम् —नपुं॰—-—तरुण + ष्यञ्—युवावस्था, जवानी
तारुण्यम् —नपुं॰—-—-—ताजगी
तारेयः —पुं॰—-—तारा + ढक्—बुधग्रह
तारेयः —पुं॰—-—-—बालि के पुत्र अंगद का विशेषन
तार्किकः —पुं॰—-—तर्क + ठक्—नैयायिक, तार्किक
तार्किकः —पुं॰—-—-—दार्शनिक
तार्क्ष्यः —पुं॰—-—तृक्ष + अण् = तार्क्ष् + ष्यञ्—गरुड़ का विशेषण
तार्क्ष्यः —पुं॰—-—-—गरुड़ का बड़ा भाई अरुण
तार्क्ष्यः —पुं॰—-—-—गाड़ी
तार्क्ष्यः —पुं॰—-—-—घोड़ा
तार्क्ष्यः —पुं॰—-—-— साँप
तार्क्ष्यः —पुं॰—-—-—पक्षी
तार्क्ष्यध्वजः —पुं॰—तार्क्ष्य-ध्वजः—-—विष्णु का विशेषण
तार्क्ष्यनायकः —पुं॰—तार्क्ष्य-नायकः—-—गरुड़ का विशेषण
तार्तीय —वि॰—-—तृतीय + अण्—तीसरा
तार्तीयीक —वि॰—-—तृतीय + ईकक्—तीसरा
तालः —पुं॰—-—तल + अण्—ताड का वृक्ष
तालः —पुं॰—-—-—ताड का बना हुआ झण्डा
तालः —पुं॰—-—-—तालियाँ बजाना
तालः —पुं॰—-—-—हाथी के कानों का फड़फड़ाना
तालः —पुं॰—-—-—टेक देना, नियत मात्राओं पर ताली बजाना
तालः —पुं॰—-—-—कांसे का बना एक वाद्ययन्त्र
तालः —पुं॰—-—-—ताला, कुण्डी
तालः —पुं॰—-—-—तलवार की मूठ
तालम् —नपुं॰—-—-—ताड वृक्ष का फल
तालाङ्कः —पुं॰—ताल-अङ्कः—-—बलराम
तालाङ्कः —पुं॰—ताल-अङ्कः—-—ताड का पत्ता जो लिखने के काम आता हैं
तालाङ्कः —पुं॰—ताल-अङ्कः—-—पुस्तक
तालाङ्कः —पुं॰—ताल-अङ्कः—-—आरा
तालावचरः —पुं॰—ताल-अवचरः—-—नाचने वाला नट
तालकेतुः —पुं॰—ताल-केतुः—-—भीष्म का विशेषण
तालक्षीरकम् —नपुं॰—ताल-क्षीरकम्—-—ताड का निःस्रवण
तालगर्भः —पुं॰—ताल-गर्भः—-—ताड का निःस्रवण
तालध्वजः —पुं॰—ताल-ध्वजः—-—बलराम का विशेषण
तालभृतः —पुं॰—ताल-भृतः—-—बलराम का विशेषण
तालपत्रम् —नपुं॰—ताल-पत्रम्—-—ताड का पत्ता जिसपर लिखा जाता हैं
तालपत्रम् —नपुं॰—ताल-पत्रम्—-—कान का आभूषण विशेष
तालबद्ध —वि॰—ताल-बद्ध—-—तालों के द्वारा मापा गया, लयात्मक संगीत में मात्राकाल से विनियमित
तालशुद्ध —वि॰—ताल-शुद्ध—-—तालों के द्वारा मापा गया, लयात्मक संगीत में मात्राकाल से विनियमित
तालमर्दलः —पुं॰—ताल-मर्दलः—-—एक प्रकार का वाद्ययन्त्र, झाँझ करताल
तालयन्त्रम् —नपुं॰—ताल-यन्त्रम्—-—जर्राह का एक उपकरण
तालरेचनक —वि॰—ताल-रेचनक—-—नर्तक, अभिनेता
ताललक्षणः —पुं॰—ताल-लक्षणः—-—बलराम का विशेषण
तालवनम् —नपुं॰—ताल-वनम्—-—वृक्षों का समूह
तालवृन्तम् —नपुं॰—ताल-वृन्तम्—-—पंखा
तालकम् —नपुं॰—-—ताल + कन्—हरताल
तालकम् —नपुं॰—-—-—कुण्डी, चटखनी
तालकाभ —वि॰—तालकम्-आभ—-—हरा
तालकाभः —पुं॰—तालकम्-आभः—-—हरा रंग
तालङ्कः —पुं॰—-— = ताडंकः—कान का आभूषण विशेष
तालव्य —वि॰—-—तालु + यत्—तालु से सम्बन्ध रखने वाला, तालु स्थानीय
तालव्यवर्णः —पुं॰—तालव्य-वर्णः—-—तालु स्थानीय अक्षर, अर्थात् इ, ई, च् छ् ज् झ् ञ् और य् तथाश्
तालव्यस्वरः —पुं॰—तालव्य-स्वरः—-—तालु स्थानीय स्वर - अर्थात् इ ई
तालिकः —पुं॰—-—तल + ठक्—खुली हथेली
तालिकः —पुं॰—-—-—ताली बजाना
तालितम् —नपुं॰—-—तड् + णिच् + क्त, डस्य + लत्वम्—रंगदार कपड़ा
तालितम् —नपुं॰—-—-—रस्सी डोरी
ताली —स्त्री॰—-—तड् + णिच् + अच् + ङीष्—पहाड़ी ताड़ का पेड़, ताड़ का वृक्ष
ताली —स्त्री॰—-—-—सुगंध युक्त मिट्टी
ताली —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार की कुंजी
तालीवनम् —नपुं॰—ताली-वनम्—-—ताड़ के वृक्षों का समूह
तालु —नपुं॰—-—तरन्त्यनेन वर्णाः - तृ + उण्, रस्य लः—ऊपर के दांतों और कौवे के बीच का गड्ढा
तालुजिह्वः —पुं॰—तालु-जिह्वः—-—मगरमच्छ
तालुस्थान —वि॰—तालु-स्थान—-—तालु स्थानीय
तालुस्थानम् —नपुं॰—तालु-स्थानम्—-—तालु
तालुरः —पुं॰—-—तल् + णिच् + ऊर—जलावर्त, भंवर
तालूषकम् —नपुं॰—-—तल् + णिच् + ऊषक—तालु
तावक —वि॰—-—युष्मद् + अण्, तवक आदेशः - तवक + खञ्—तेरा, तेरी
तावत् —वि॰—-—तत् + डावतु—इतना, उतना, इतने
तावत् —वि॰—-—-—इतना विशाल, इतना बड़ा, इतना विस्तृत
तावत् —वि॰—-—-—उतना समस्त, सारा
तावत् —अव्य॰—-—-—किसी की ओर से इसी बीच में
तावत् —अव्य॰—-—-—निस्सन्देह
तावत् —अव्य॰—-—-—सचमुच, वस्तुतः
तावत् —अव्य॰—-—-—के विषय में, के सम्बन्ध में
तावत् —अव्य॰—-—-—पूर्णरुप से
तावत्कृत्वः —अव्य॰ —तावत्-कृत्वः—-—इतनी बार
तावन्मात्रम् —अव्य॰ —तावत्-मात्रम्—-—केवल इतना
तावत्वर्ष —वि॰—तावत्-वर्ष—-—इतने वर्ष पुराना
तावतिक —वि॰—-—तावत् + क, इट्—इतने से मोल लिया हुआ, इतने मूक्य का, इतनी कीमत का
तावत्क —वि॰—-—तावत् + क, इट्—इतने से मोल लिया हुआ, इतने मूक्य का, इतनी कीमत का
तावुरिः —पुं॰—-—पुं॰ ग्रीक शब्द—वृष राशि
तिक्त —वि॰—-—तिज् + क्त—कड़वा, तीखा
तिक्तः —पुं॰—-—-—कड़वा स्वाद
तिक्तः —पुं॰—-—-—कुटज वृक्ष
तिक्तगन्धा —स्त्री॰—तिक्त-गन्धा—-—सरसों
तिक्तधातुः —पुं॰—तिक्त-धातुः—-—पित्त
तिक्तफलः —पुं॰—तिक्त-फलः—-—कतक का पौधा
तिक्तमरिचः —पुं॰—तिक्त-मरिचः—-—कतक का पौधा
तिक्तसारः —पुं॰—तिक्त-सारः—-—खैर का व्क्ष
तिग्म —वि॰—-—तिज् + मक् जस्य गः—पैन, नुकीला
तिग्म —वि॰—-—तिज् + मक् जस्य गः—प्रचंड
तिग्म —वि॰—-—तिज् + मक् जस्य गः—गरम, दाहक
तिग्म —वि॰—-—तिज् + मक् जस्य गः—तीखा, चरपरा
तिग्म —वि॰—-—तिज् + मक् जस्य गः—उत्तेजक, जोशीला
तिग्मम् —नपुं॰—-—तिज् + मक् जस्य गः—गर्मी
तिग्मम् —नपुं॰—-—तिज् + मक् जस्य गः—तीखापन
तिग्मांशुः —पुं॰—तिग्म-अंशुः—-—सूर्य
तिग्मांशुः —पुं॰—तिग्म-अंशुः—-—आग
तिग्मांशुः —पुं॰—तिग्म-अंशुः—-—शिव
तिग्मकरः —पुं॰—तिग्म-करः—-—सूर्य
तिग्मदीधितिः —पुं॰—तिग्म-दीधितिः—-—सूर्य
तिग्मरश्मिः —पुं॰—तिग्म-रश्मिः—-—सूर्य
तिज् —भ्वा॰ आ॰ <तितिक्षते>, <तितिक्षित>—-—-—सहन करना, वहन करना, साथ निर्वाह, साहस के साथ भुगतना
तिज् —चुरा॰ उभ॰ या प्रेर॰<तेजयति><तेजयते><तेजित>—-—-— पैना करना, पनाना
तिज् —चुरा॰ उभ॰ या प्रेर॰<तेजयति><तेजयते><तेजित>—-—-—उकसाना, उत्तेजित करना, भड़काना
तितउः —पुं॰—-—तन् + डउ, द्वित्वम्, इत्वम्—चलनी
तितिक्षा —स्त्री॰—-—तिज् + सन् + उ, द्वित्वम्—सहिष्णु, सहन करने वाला, सहनशील
तितिभः —पुं॰—-—तितीतिशब्देन भणति तिति + भण् + ड—जुगनू
तितिभः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का कीड़ा, इन्द्रवधूटी, वीरबहोटी
तितिरः —पुं॰—-—तिति इति शब्दं राति ददाति रा + क—चकोर, तीतर
तित्तिरः —पुं॰—-—तिति इति शब्दं राति ददाति रा + क—चकोर, तीतर
तित्तिरिः —पुं॰—-—तित्तीति शब्दं रौति - रु बा॰ डि तारा॰—तीतर
तित्तिरिः —पुं॰—-—-—एक ऋषि जो कृष्णयजुर्वेद का प्रथम अध्यापक था
तिथः —पुं॰—-—तिज् + थक्, जलोपः—अग्नि
तिथः —पुं॰—-—-—वर्षा ऋतु या शरद
तिथिः —पुं॰—-—अत् + इथिन्, पृषो॰ वा ङीप्—चान्द्र दिवस्
तिथिः —पुं॰—-—-—१५ की संख्या
तिथिक्षयः —पुं॰—तिथि-क्षयः—-—अमावस्या
तिथिक्षयः —पुं॰—तिथि-क्षयः—-—वह तिथि जो आरम्भ होकर सूर्योदय से पूर्व ही या दो सूर्योदयों के बीच में ही समाप्त हो जाती हैं
तिथिपत्री —स्त्री॰—तिथि-पत्री—-—पञ्चाङ्ग
तिथिप्रणीः —पुं॰—तिथि-प्रणीः—-—चाँद
तिथिवृद्धिः —पुं॰—तिथि-वृद्धिः—-—वह दिन जिसमें तिथि दो सूर्योदयों के अन्दर पूरी हो जाती हैं
तिनिशः —पुं॰—-—-—एक वृक्ष विशेष
तिन्तिडः —पुं॰—-— = तिन्तिडी पृषो॰, तिन्तिडी + कन् + टाप्—इमली का वृक्ष
तिन्तिडी —पुं॰—-— = तिन्तिडी पृषो॰, तिन्तिडी + कन् + टाप्—इमली का वृक्ष
तिन्तिडिका —स्त्री॰—-— = तिन्तिडी पृषो॰, तिन्तिडी + कन् + टाप्, ह्रस्वः॰—इमली का वृक्ष
तिन्तिडिकः —पुं॰—-— = तिन्तिडी पृषो॰, तिन्तिडी + कन् + टाप्, ह्रस्वः, तिम् + ईकन् नि॰—इमली का वृक्ष
तिन्दुः —पुं॰—-—तिम् + कु॰ नि—तेन्दू का पेड़
तिन्दुकः —पुं॰—-—तिम् + कु॰ नि, तिन्दू + कन्—तेन्दू का पेड़
तिन्दुलः —पुं॰—-—तिम् + कु॰ नि, तिन्दू + कन्, पक्षे कस्य लः—तेन्दू का पेड़
तिम् —भ्वा॰ पर॰ <तेमति>, <तिमित>—-—-—आर्द्र करना, गीला करना, तर करना
तिमिः —पुं॰—-—तिम् + इन्—समुद्र
तिमिः —पुं॰—-—-—एक बड़ी विशालकाय मछली, ह्वेल मछली
तिमिकोषः —पुं॰—तिमि-कोषः—-—समुद्र
तिमिध्वजः —पुं॰—तिमि-ध्वजः—-—एक राक्षस जिसे इन्द्र ने दशरथ की सहायता से मारा था
तिमिङ्गिल —वि॰—-—तिमि + गिल् + खश्, मुम्—एक प्रकार की मछली जो ‘तिमि’ मछली को निगल जाती हैं
तिमिङ्गिलाशनः —पुं॰—तिमिङ्गिल-अशनः—-—एक ऐसी मछली जो तिमिङ्गिल को भी निगल जाती हैं
तिमिङ्गिलगिलः —पुं॰—तिमिङ्गिल-गिलः—-—एक ऐसी मछली जो तिमिङ्गिल को भी निगल जाती हैं
तिमित —वि॰—-—तिम् + क्त—गतिहीन, स्थित, निश्चल
तिमित —वि॰—-—-—आर्द्र, गीला, तर
तिमिर —वि॰—-—तिस + किंरच्—अन्धकारमय
तिमिरः —पुं॰—-—-—जंग, मुर्चा
तिमिरम् —नपुं॰—-—-—अन्धकार
तिमिरम् —नपुं॰—-—-—अन्धापन
तिमिरम् —नपुं॰—-—-—जंग, मुर्चा
तिमिरारिः —पुं॰—तिमिर-अरिः—-—सूर्य
तिमिरनुद् —पुं॰—तिमिर-नुद्—-—सूर्य
तिमिररिपुः —पुं॰—तिमिर-रिपुः—-—सूर्य
तिरश्ची —स्त्री॰—-—तिर्यक् जातिः स्त्रियां ङीष्—जानवर पशु या पक्षी
तिरश्चीन —वि॰—-—तिर्यक् + ख—टेढ़ा, पार्श्वस्थ, तिरक्षा
तिरस् —अव्य॰—-—तरति दृष्टिपथं - तॄ + असुन्—बांकेपन से, टेढ़ेपन से, तिरछेपन से
तिरस् —अव्य॰—-—-—के बिना, के अतिरिक्त
तिरस् —अव्य॰—-—-—चुपचाप, प्रछन्न रुप से, बिना दिखाई दिये
तिरष्कृ ——तिरस्-कृ—-—ढकना, घृणा करना, आगे बढ़ जाना
तिरोधा ——तिरस्-धा—-—ढकना, छिपाना, अभिभूत करना, अन्तर्धान होना
तिरोभू ——तिरस्-भू—-—अन्तर्धान होना
तिरष्करिणी —स्त्री॰—तिरस्-करिणी—-—परदा, घूँघट
तिरष्करिणी —स्त्री॰—तिरस्-करिणी—-—कनात, कपड़े का पर्दा
तिरष्करिणी —स्त्री॰—तिरस्-कारिणी—-—परदा, घूँघट
तिरष्करिणी —स्त्री॰—तिरस्-कारिणी—-—कनात, कपड़े का पर्दा
तिरष्कारः —पुं॰—तिरस्-कारः—-—छिपाना, अन्तर्धान करना, घृणा
तिरष्क्रिया —स्त्री॰—तिरस्-क्रिया—-—छिपाना, अन्तर्धान करना, घृणा
तिरष्कृत —वि॰—तिरस्-कृत—-—जिसकी अवहेलना की गई हो, अपमानित, निरादृत
तिरष्कृत —वि॰—तिरस्-कृत—-—गर्हित
तिरष्कृत —वि॰—तिरस्-कृत—-—गुप्त, ढका हुआ
तिरोधानम् —नपुं॰—तिरस्-धानम्—-—अन्तर्धान होना, दूर हटाना
तिरोधानम् —नपुं॰—तिरस्-धानम्—-—आच्छादन, अवगुण्ठन, म्यान
तिरोभावः —पुं॰—तिरस्-भावः—-—ओझल होना
तिरोहित् —वि॰—तिरस्-हित्—-—ओझल हुआ, अन्तर्हित
तिरोहित् —वि॰—तिरस्-हित्—-—ढका हुआ, छिपा हुआ, गुप्त
तिरयति —ना॰ धा॰ पर॰—-—-—छिपाना, गुप्त रखना
तिरयति —ना॰ धा॰ पर॰—-—-—बाधा डालना, रोकना, रुकावट डालना, दृष्टि से ओझल करना
तिरयति —ना॰ धा॰ पर॰—-—-—जीतना
तिर्यक् —अव्य॰—-—तिरस् + अञ्च् + क्विप्, तिरसः तिरिः आदेशः अञ्चेर्नलोपः—टेढ़ेपन से , तिरछेपन से, तिरछा या टेढ़ी दिशा में
तिर्यच् —वि॰—-—-—टेढ़ा, आड़ा, अनुप्रस्थ, तिरछा
तिर्यच् —वि॰—-—-—मुड़ा हुआ, वक्र
तिर्यच् —पुं॰—-—-—जानवर, निम्न जाति का या बुद्धिहीन जानवर
तिर्यचन्तरम् —नपुं॰—तिर्यच्-अन्तरम्—-—आरपार मापा हुआ, मध्यवर्ती स्थान, चौड़ाई
तिर्यचयनम् —नपुं॰—तिर्यच्-अयनम्—-—सूर्य द्वारा वार्षिक परिक्रमण
तिर्यचीक्ष —वि॰—तिर्यच्-ईक्ष—-—तिरछा देखने वाला
तिर्यक्जातिः —स्त्री॰—तिर्यच्-जातिः—-—पशु-पक्षी की जाति
तिर्यक्प्रमाणम् —नपुं॰—तिर्यच्-प्रमाणम्—-—चौड़ाई
तिर्यक्प्रेक्षणम् —नपुं॰—तिर्यच्-प्रेक्षणम्—-—तिरक्षी आँख करके देखना
तिर्यक्योनिः —स्त्री॰—तिर्यच्-योनिः—-—पशु-पक्षी की सृष्टि या वंश
तिर्यक्स्रोतस् —पुं॰—तिर्यच्-स्रोतस्—-—जानवरों की दुनिया, पशु सृष्टि
तिलः —पुं॰—-—तिल् + क—तिल का पौधा
तिलः —पुं॰—-—-—तिल के पौधे का बीज
तिलः —पुं॰—-—-—मस्सा, धब्बा
तिलः —पुं॰—-—-—छोटा कण, इतना बडा जितना कि तिल
तिलाम्बु —वि॰—तिल-अम्बु—-—तिल और जल
तिलोदकम् —नपुं॰—तिल-उदकम्—-—तिल और जल
तिलोत्तमा —स्त्री॰—तिल-उत्तमा—-—एक अप्सरा का नाम
तिलौदनः —पुं॰—तिल-ओदनः—-—तिल और दूध मिश्रित भात
तिलौदनम् —नपुं॰—तिल-ओदनम्—-—तिल और दूध मिश्रित भात
तिलकल्कः —पुं॰—तिल-कल्कः—-—तिल को पीसकर बनाई गई पीठी
तिलकल्कजः —पुं॰—तिल-कल्क-जः—-—तिलों की खली
तिलकालकः —पुं॰—तिल-कालकः—-—मस्सा, तिल के बराबर शरीर पर होने वाला काला दाग
तिलकिट्टम् —नपुं॰—तिल-किट्टम्—-—तेल के निकालने के पश्चात बची हुई तिलों की खल
तिलखलिः —स्त्री॰—तिल-खलिः—-—तेल के निकालने के पश्चात बची हुई तिलों की खल
तिलखली —स्त्री॰—तिल-खली—-—तेल के निकालने के पश्चात बची हुई तिलों की खल
तिलचूर्णम् —नपुं॰—तिल-चूर्णम्—-—तेल के निकालने के पश्चात बची हुई तिलों की खल
तिलतण्डुलकम् —नपुं॰—तिल-तण्डुलकम्—-—आलिङ्गन
तिलतैलम् —नपुं॰—तिल-तैलम्—-—तिलों का तेल
तिलपर्णः —पुं॰—तिल-पर्णः—-—तारपीन
तिलपर्णम् —नपुं॰—तिल-पर्णम्—-—चन्दन की लकड़ी
तिलपर्णी —स्त्री॰—तिल-पर्णी—-—चन्दन का पेड़
तिलपर्णी —स्त्री॰—तिल-पर्णी—-—धूप देना
तिलपर्णी —स्त्री॰—तिल-पर्णी—-—तारपीन
तिलरसः —पुं॰—तिल-रसः—-—तिलों का तेल
तिलस्नेहः —पुं॰—तिल-स्नेहः—-—तिलों का तेल
तिलहोमः —पुं॰—तिल-होमः—-—वह होम जिसमें तिलों की आहुति दी जाय
तिलकः —पुं॰—-—तिल + कन्—सुन्दर फूलों का एक वृक्ष
तिलकः —पुं॰—-—तिल + कन्—शरीर पर पड़ी चित्ती या खाल पर बना हुआ कोई नैसर्गिक चिह्न
तिलकः —पुं॰—-—तिल + कन्—चन्दन की लकड़ी या उबटन आदि से किया गया चिह्न
तिलकः —पुं॰—-—तिल + कन्—किसी वस्तु का अङ्कार
तिलकम् —नपुं॰—-—तिल + कन्—चन्दन की लकड़ी या उबटन आदि से किया गया चिह्न
तिलकम् —नपुं॰—-—तिल + कन्—किसी वस्तु का अङ्कार
तिलका —स्त्री॰—-—तिल + कन्+टाप्—एक प्रकार का हार
तिलकम् —नपुं॰—-—तिल + कन्—मूत्राशय
तिलकम् —नपुं॰—-—तिल + कन्—फेफड़ा
तिलकम् —नपुं॰—-—तिल + कन्—एक प्रकार का नमक
तिलकाश्रयः —पुं॰—तिलक-आश्रयः—-—मस्तक
तिलन्तुदः —पुं॰—-—तिल + तुद + खश्, मुम्—तेली
तिलशः —अव्य॰—-—तिल + शस्—तिल तिल करके, कण कण करके, अत्यन्त अल्प परिमाण में
तिलित्सः —पुं॰—-—-—एक बड़ा साँप
तिल्वः —पुं॰—-—तिल् + वन्—लोध का पेड़
तिष्ठद्गु —अव्य॰—-—तिष्ठन्त्यो गावो यस्मिन् काले, तिष्ठत् + गो नि॰—गौओं के दोहने का समय
तिष्यः —पुं॰—-—तुष् + क्यप् नि॰—२७ नक्षत्रों में आठवाँ नक्षत्र
तीक् —भ्वा॰ आ॰ <तीकते>—-—-—जाना, हिलना जुलना
तीक्ष्ण —वि॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—पैना, तीखा
तीक्ष्ण —वि॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—गरम, उष्ण
तीक्ष्ण —वि॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—उत्तेजक, जोशीला
तीक्ष्ण —वि॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—कठोर, प्रबल, मजबूत
तीक्ष्ण —वि॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—रुखा, चिड़चिड़ा
तीक्ष्ण —वि॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—कठोर, कटु, कड़ा, सख्त
तीक्ष्ण —वि॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—अनिष्टकर, अहितकर, अशुभ
तीक्ष्ण —वि॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—उत्सुक
तीक्ष्ण —वि॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—बुद्धिमान, चतुर
तीक्ष्ण —वि॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—उत्साही, उत्कट, ऊर्जस्वी
तीक्ष्ण —वि॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—भक्त, आत्मत्याग करनेवाला
तीक्ष्णः —पुं॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—जवाखार
तीक्ष्णः —पुं॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—लम्बी मिर्च
तीक्ष्णः —पुं॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—काली मिर्च
तीक्ष्णः —पुं॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—काली सरसों या राई
तीक्ष्णम् —नपुं॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—लोहा
तीक्ष्णम् —नपुं॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—इस्पात
तीक्ष्णम् —नपुं॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—गर्मी, तीखापन
तीक्ष्णम् —नपुं॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—युद्ध, लड़ाई
तीक्ष्णम् —नपुं॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—विष
तीक्ष्णम् —नपुं॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—मृत्यु
तीक्ष्णम् —नपुं॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—शस्त्र
तीक्ष्णम् —नपुं॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—समुद्री नमक
तीक्ष्णम् —नपुं॰—-—तिज् + क्स्न, दीर्घः—क्षिप्रता
तीक्ष्णांशुः —पुं॰—तीक्ष्ण-अंशुः—-—सूर्य
तीक्ष्णांशुः —पुं॰—तीक्ष्ण-अंशुः—-—आग
तीक्ष्णायसम् —नपुं॰—तीक्ष्ण-आयसम्—-—इस्पात
तीक्ष्णोपायः —पुं॰—तीक्ष्ण-उपायः—-—प्रबल साधन, मजबूत तरकीब
तीक्ष्णकन्दः —पुं॰—तीक्ष्ण-कन्दः—-—प्याज
तीक्ष्णकर्मन् —वि॰—तीक्ष्ण-कर्मन्—-—उद्यमी, उत्साही, ऊर्जस्वी
तीक्ष्णदंष्ट्रः —पुं॰—तीक्ष्ण-दंष्ट्रः—-—व्याघ्र
तीक्ष्णधारः —पुं॰—तीक्ष्ण-धारः—-—तलवार
तीक्ष्णपुष्पम् —नपुं॰—तीक्ष्ण-पुष्पम्—-—लौंग
तीक्ष्णपुष्पा —स्त्री॰—तीक्ष्ण-पुष्पा—-—लौंग का पौधा
तीक्ष्णपुष्पा —स्त्री॰—तीक्ष्ण-पुष्पा—-—केवड़े का पौधा
तीक्ष्णबुद्धिः —वि॰—तीक्ष्ण-बुद्धिः—-—तीव्रबुद्धि, चतुर, तेज, घाघ, कुशाग्रबुद्धि
तीक्ष्णरश्मिः —पुं॰—तीक्ष्ण-रश्मिः—-—सूर्य
तीक्ष्णरसः —पुं॰—तीक्ष्ण-रसः—-—जवाखार
तीक्ष्णरसः —पुं॰—तीक्ष्ण-रसः—-—जहर का पानी, जहर
तीक्ष्णलौहम् —नपुं॰—तीक्ष्ण-लौहम्—-—इस्पात
तीक्ष्णशूकः —पुं॰—तीक्ष्ण-शूकः—-—जौ
तीम् —दिवा॰ पर॰ <तीम्यति>—-—-—गीला होना, तर होना
तीरम् —नपुं॰—-—तीर् + अच्—तट, किनारा
तीरम् —नपुं॰—-—-—उपान्त, कगर, कोर या धार
तीरः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का बाज
तीरित —वि॰—-—तीर् + क्त—सुलझाया हुआ, समंजित, साक्ष्य के अनुसार निर्णीत
तीरितम् —नपुं॰—-—-—किसी बात का सोचविचार
तीर्ण —वि॰—-—तृ + क्त—पार किया हुआ, पार पहुँचा हुआ
तीर्ण —वि॰—-—-—फैलाया हुआ, प्रसारित
तीर्ण —वि॰—-—-—पीछे छोड़ा हुआ, आगे बढ़ा हुआ
तीर्थम् —नपुं॰—-—तृ + थक्—मार्ग, सड़क, रास्ता, घाट
तीर्थम् —नपुं॰—-—-—नदी में उतरने का स्थान, घाट
तीर्थम् —नपुं॰—-—-—जलस्थान
तीर्थम् —नपुं॰—-—-—पवित्रस्थान
तीर्थम् —नपुं॰—-—-—मार्ग, माध्यम, साधन
तीर्थम् —नपुं॰—-—-—उपचार, तरकीब
तीर्थम् —नपुं॰—-—-—पुण्यात्मा, योग्य व्यक्ति, श्राद्ध का पात्र, उपयुक्त आदाता
तीर्थम् —नपुं॰—-—-—धर्मोपदेष्टा, अध्यापक
तीर्थम् —नपुं॰—-—-—स्रोत, मूल
तीर्थम् —नपुं॰—-—-—मन्त्री
तीर्थम् —नपुं॰—-—-—उपदेश, शिक्षा
तीर्थम् —नपुं॰—-—-—उपयुक्त स्थान या क्षण
तीर्थम् —नपुं॰—-—-—उपयुक्त या यथापूर्व रीति
तीर्थम् —नपुं॰—-—-—हाथ के कुछ भाग जो देवताओं या पितरों के लिए पवित्र होते हैं
तीर्थम् —नपुं॰—-—-—दर्शनशास्त्र के लिए विशिष्ट सिद्धान्तवादी
तीर्थम् —नपुं॰—-—-—स्त्रियोचित लज्जा
तीर्थम् —नपुं॰—-—-—स्त्रीरज
तीर्थम् —नपुं॰—-—-—ब्राह्मण
तीर्थः —पुं॰—-—-—सम्मानसूचक प्रत्यय जो सन्तों और संन्यासियों के नामों के साथ जोड़ा जाय
तीर्थोदकम् —नपुं॰—तीर्थ-उदकम्—-—पवित्र जल
तीर्थकरः —पुं॰—तीर्थ-करः—-—जैन अर्हत्, धर्मशास्त्रोपदेष्टा, जैन सन्त
तीर्थकरः —पुं॰—तीर्थ-करः—-—संन्यासी
तीर्थकरः —पुं॰—तीर्थ-करः—-—अभिनव दार्शनिक सिद्धान्त या धर्मशास्त्र का प्रवर्तक
तीर्थकरः —पुं॰—तीर्थ-करः—-—विष्णु
तीर्थकाकः —पुं॰—तीर्थ-काकः—-—तीर्थ का कौवा
तीर्थध्वांक्षः —पुं॰—तीर्थ-ध्वांक्षः—-—तीर्थ का कौवा
तीर्थवायसः —पुं॰—तीर्थ-वायसः—-—तीर्थ का कौवा
तीर्थभूत —वि॰—तीर्थ-भूत—-—पावन, पवित्र
तीर्थयात्रा —स्त्री॰—तीर्थ-यात्रा—-—किसी पवित्र स्थान के दर्शनार्थ जाना, पावनस्थानों की यात्रा
तीर्थराजः —पुं॰—तीर्थ-राजः—-—प्रयाग, इलाहाबाद
तीर्थराजिः —पुं॰—तीर्थ-राजिः—-—बनारस का विशेषण
तीर्थराजी —स्त्री॰—तीर्थ-राजी—-—बनारस का विशेषण
तीर्थवाकः —पुं॰—तीर्थ-वाकः—-—सिर के बाल
तीर्थविधिः —पुं॰—तीर्थ-विधिः—-—संस्कार जो किसी तीर्थ स्थान पर किये जाय
तीर्थसेविन् —वि॰—तीर्थ-सेविन्—-—तीर्थ में वास करने वाला
तीर्थसेविन् —पुं॰—तीर्थ-सेविन्—-—सारस
तीर्थिकः —पुं॰—-—तीर्थ + टन्—तीर्थ यात्री, वह संन्यासी ब्राह्मण जो तीर्थों के दर्शन के लिए निकला हो
तीवरः —पुं॰—-—तृ + ष्वरच्—समुद्र
तीवरः —पुं॰—-—-—राजपुत्री की किसी क्षत्रिय के संयोग से उत्पन्न वर्णसंकर सन्तान
तीव्र —वि॰—-—तीव्र + रक्—कठोर, गहन, पैना, तेज, प्रचण्ड, कड़ुवा, तीखा, उग्र
तीव्र —वि॰—-—-—भयानक डरावना
तीव्रम् —नपुं॰—-—-—गर्मी, तीखापन
तीव्रम् —नपुं॰—-—-—लोहा, इस्पात
तीव्रम् —नपुं॰—-—-—टीन, रांगा
तीव्रम् —अव्य॰—-—-—प्रचण्ड रुप से, तेजी से, अत्यन्त
तीव्रानन्दः —पुं॰—तीव्र-आनन्दः—-—शिव का विशेषण
तीव्रगति —वि॰—तीव्र-गति—-—शीघ्रगामी, फुर्तीला
तीव्रपौरुषम् —नपुं॰—तीव्र-पौरुषम्—-—साहसपूर्ण शौर्य
तीव्रपौरुषम् —नपुं॰—तीव्र-पौरुषम्—-—शूरवीरता
तीव्रसंवेग —वि॰—तीव्र-संवेग—-—दृढ़-आवेगयुक्त, दृढ़निश्चयी
तीव्रसंवेग —वि॰—तीव्र-संवेग—-—अत्युग्र, अत्यन्त तेज
तु —अव्य॰—-—तुद् + ड्—विरोधसूचक अव्यय - अर्थ (‘परन्तु इसके विपरीत’ ‘दूसरी ओर’ ‘तो भी’)
तु —अव्य॰—-—-—और अब, तो, और
तु —अव्य॰—-—-—के सम्बन्ध में, के विषय में, की बावत
तु —अव्य॰—-—-—कभी कभी इससे ‘भेद’ या ‘श्रेष्ठ गुण’ का पता लगता हैं
तु —अव्य॰—-—-—कभी कभी यह केवल पद पूर्ति के लिए प्रयुक्त होता हैं
तुक्खारः —पुं॰—-—-—विन्ध्याचल पर रहने वाली एक जाति के लोग
तुखारः —पुं॰—-—-—विन्ध्याचल पर रहने वाली एक जाति के लोग
तुषारः —पुं॰—-—-—विन्ध्याचल पर रहने वाली एक जाति के लोग
तुङ्ग —वि॰—-—तुञ्ज् + घञ्, कुत्वम्—ऊँचा, उन्नत, लम्बा, उत्तुंग, प्रमुख
तुङ्ग —वि॰—-—-—मुख्य, प्रधान
तुङ्ग —वि॰—-—-—उग्र, जोशीला
तुङ्गः —पुं॰—-—-—ऊँचाई, उन्नतता
तुङ्गः —पुं॰—-—-—चोटी, शिखर
तुङ्गः —पुं॰—-—-—नारियल का पेड़
तुङ्गबीजः —पुं॰—तुङ्ग-बीजः—-—पारा
तुङ्गभद्रः —पुं॰—तुङ्ग-भद्रः—-—दुर्दान्त हाथी, मदमत्त हाथी
तुङ्गभद्रा —स्त्री॰—तुङ्ग-भद्रा—-—एक नदी जो कृष्णा नदी में गिरती हैं
तुङ्गवेणा —स्त्री॰—तुङ्ग-वेणा—-—एक नदी का नाम
तुङ्गशेखरः —पुं॰—तुङ्ग-शेखरः—-—पहाड़
तुङ्गी —स्त्री॰—-—तुङ्ग + ङीष्—रात
तुङ्गीशः —पुं॰—तुङ्गी-ईशः—-—चन्द्रमा
तुङ्गीशः —पुं॰—तुङ्गी-ईशः—-—सूर्य
तुङ्गीशः —पुं॰—तुङ्गी-ईशः—-—शिव की उपाधि
तुङ्गीशः —पुं॰—तुङ्गी-ईशः—-—कृष्ण की एक उपाधि
तुङ्गीपतिः —पुं॰—तुङ्गी-पतिः—-—चन्द्रमा
तुच्छ —वि॰—-—तुद् + क्विप् = तुद् + छो + क—खाली, शून्य, असार, मन्द
तुच्छ —वि॰—-—-—अल्प, क्षुद्र, नगण्य, तिरस्करणीय
तुच्छ —वि॰—-—-—परित्यक्त, समपरित्यक्त
तुच्छ —वि॰—-—-—नीच, कमीना, नगण्य, तिरस्करणीय, निकम्मा
तुच्छ —वि॰—-—-—गरीब, दीन दुःखी
तुच्छम् —नपुं॰—-—-—तुष, भुसी
तुच्छद्रुः —पुं॰—तुच्छ-द्रुः —-—एरण्ड का वृक्ष
तुच्छधान्यः —पुं॰—तुच्छ-धान्यः —-—भूसी, बेर
तुच्छधान्यकः —पुं॰—तुच्छ-धान्यकः —-—भूसी, बेर
तुञ्जः —पुं॰—-—तुञ्ज् + अच्—इन्द्र का वज्र
तुटुम —नपुं॰—-—तुट् + उम्—मूसा, चूहा
तुण् —तुदा॰ पर॰ <तुणति>—-—-—टेढ़ा करना, मोड़ना, झुकाना
तुण् —तुदा॰ पर॰ <तुणति>—-—-—चालबाजी करना, ठगना, धोखा देना
तुण्डम् —नपुं॰—-—तुण्ड + अच्—मुँह, चेहरा, चोंच
तुण्डम् —नपुं॰—-—-—हाथी की सूंड
तुण्डम् —नपुं॰—-—-—उपकरण की नोक
तुण्डिः —पुं॰—-—तुण्ड + इन्—चेहरा, मुँह
तुण्डिः —स्त्री॰—-—-—नाभि, सूण्डी
तुण्डिन् —पुं॰—-—तुण्ड + इनि—शिव के बैल का नाम
तुण्डिभ —वि॰—-—तुण्ड् + भ—मोटे पेटवाला
तुण्डिभ —वि॰—-—तुण्ड् + भ—जिसकी तोंद बढ़ गई हैं
तुण्डिभ —वि॰—-—तुण्ड् + भ—भरा हुआ, लदा हुआ
तुण्डिल —वि॰—-—तुण्ड् + भ सिध्मा॰ लच् वा—बातूनी, वाचाल
तुण्डिल —वि॰—-—-—उभरी हुई नाभी वाला
तुत्थः —पुं॰—-—तुद् + थक्—आग
तुत्थः —पुं॰—-—तुद् + थक्—पत्थर
तुत्थम् —नपुं॰—-—तुद् + थक्—एक प्रकार का नीला थोथा या तुतिया जो सुर्मे की भाँति आँखों में लगाया जाय
तुत्था —स्त्री॰—-—तुद् + थक्+टाप्—छोटी इलायची
तुत्था —स्त्री॰—-—तुद् + थक्+टाप्—नील का पौधा
तुत्थाञ्जनम् —नपुं॰—तुत्थ-अञ्जनम्—-—तूतीया या कासीस जो आँखों में दवा की भाँति लगाया जाय
तुद् —तुदा॰ पर॰ <तुदति>, <तुन्न>—-—-—प्रहार करना, घायल करना, आघात करना
तुद् —तुदा॰ पर॰ <तुदति>, <तुन्न>—-—-—चुभोना, अंकुश चुभोना
तुद् —तुदा॰ पर॰ <तुदति>, <तुन्न>—-—-—खरोंचना, चोट पहुँचाना
तुद् —तुदा॰ पर॰ <तुदति>, <तुन्न>—-—-—पीड़ा देना, तंग करना, सताना, कष्ट देना
आतुद् —तुदा॰ पर॰—आ-तुद्—-—प्रहार करना, ताड़ना देना
प्रतुद् —तुदा॰ पर॰—प्र-तुद्—-—मारना, चोट पहुँचाना, घायल करना
प्रतुद् —तुदा॰ पर॰—प्र-तुद्—-—प्रेरित करना, आगे ढकेलना
प्रतुद् —तुदा॰ पर॰—प्र-तुद्—-—जोर डालना, बार-बार आग्रह करना
तुन्दम् —नपुं॰—-—तुन्द् + दन् पृषो॰ —पेट, तोंद
तुन्दकूपिका —स्त्री॰—तुन्दम्-कूपिका— —नाभि का गर्त
तुन्दकूपी —स्त्री॰—तुन्दम्-कूपी— —नाभि का गर्त
तुन्दपरिमार्ज —वि॰—तुन्दम्-परिमार्ज—-—आलसी
तुन्दपरिमृज् —वि॰—तुन्दम्-परिमृज्—-—आलसी
तुन्दमृज् —वि॰—तुन्दम्-मृज्—-—आलसी
तुन्दसुस्त —वि॰—तुन्दम्-सुस्त—-—आलसी
तुन्दवत् —वि॰—-—तुन्द् + मतुप्, मस्य वत्वम्—तोंदवाला, मोटा
तुन्दिक —वि॰—-—तुन्द + ठन्—मोटे पेटवाला
तुन्दिक —वि॰—-—-—जिसकी तोंद बढ़ गई हैं
तुन्दिक —वि॰—-—-—भरा हुआ, लदा हुआ
तुन्दिन् —वि॰—-—तुन्द + ठन्, तुद + इनि—मोटे पेटवाला
तुन्दिन् —वि॰—-—-—जिसकी तोंद बढ़ गई हैं
तुन्दिन् —वि॰—-—-—भरा हुआ, लदा हुआ
तुन्दिभ् —वि॰—-—तुन्द + ठन्, तुद + इनि, तुन्दि + भ—मोटे पेटवाला
तुन्दिभ् —वि॰—-—-—जिसकी तोंद बढ़ गई हैं
तुन्दिभ् —वि॰—-—-—भरा हुआ, लदा हुआ
तुन्दिल —वि॰—-—तुन्द + ठन्, तुद + इनि, तुन्दि + भ, तुन्द + इलच्—मोटे पेटवाला
तुन्दिल —वि॰—-—-—जिसकी तोंद बढ़ गई हैं
तुन्दिल —वि॰—-—-—भरा हुआ, लदा हुआ
तुन्न —वि॰—-—तुद् + क्त—प्रहृत , चोट किया हुआ, घायल
तुन्नवायः —पुं॰—तुन्न-वायः—-—दर्जी
तुभ् —दिवा॰, क्रया॰ पर॰ <तुभ्यति>, <तुभ्नाति>—-—-—चोट मारना, क्षति पहुँचाना, प्रहार करना
तुमुल —वि॰—-—तु + मलुक्—जहाँ पर शोरगुल मच रहा हो, कोलाहलमय
तुमुल —वि॰—-—-—भीषण क्रोधी
तुमुल —वि॰—-—-—उद्विग्न, घबड़ाया हुआ, व्याकुल, अव्यवस्थित द्वन्द्व युद्ध
तुमुल —पुं॰—-—-—होहल्ला, हंगामा
तुमुल —पुं॰—-—-—अव्यवस्थित द्वन्द्व युद्ध रणसंकुल
तुम्बः —पुं॰—-—तुम्ब + अच्—एक प्रकार की लौकी
तुम्बरः —पुं॰—-—तुम्ब + रा + क—एक गंधर्व का नाम
तुम्बरम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का वाद्ययंत्र तानपूरा
तुम्बा —स्त्री॰—-—तुम्ब + टाप्—एक प्रकार की लम्बी लौकी, दुधारु गाय
तुम्बि —स्त्री॰—-—तुम्ब + इन्—एक प्रकार की लौकी, कड़वी तुम्बी
तुम्बी —स्त्री॰—-—तुम्बि + ङीष्—एक प्रकार की लौकी, कड़वी तुम्बी
तुम्बरुः —पुं॰—-—तुम्ब + उरु—एक गंधर्व का नाम
तुम्बुरुः —पुं॰—-—तुम्ब + उरु—एक गंधर्व का नाम
तुरङ्गः —पुं॰—-—तुरेण वेगेन गच्छति - तर + गम् + ड—घोड़ा
तुरङ्गः —पुं॰—-—-—मन्, विचार
तुरङ्गी —स्त्री॰—-—-—घोड़ी
तुरङ्गारोहः —पुं॰—तुरङ्ग-आरोहः—-—घुड़सवार
तुरङ्गोपचारकः —पुं॰—तुरङ्ग-उपचारकः—-—साईस
तुरङ्गप्रियः —पुं॰—तुरङ्ग-प्रियः—-—जौ
तुरङ्गयम् —नपुं॰—तुरङ्ग-यम्—-—जौ
तुरङ्गब्रह्मचर्यम् —नपुं॰—तुरङ्ग-ब्रह्मचर्यम्—-—बलात्-कृत या अनिवार्य बरह्मचर्य, स्त्रीसंग के अभाव में विवश होकर ब्रह्मचर्य जीवन बिताना
तुरगिन् —पुं॰—-—तुरग + इनि—घुड़सवार
तुरङ्गः —पुं॰—-—तुर + गम् + खच् मुम् वा ङिच्च—घोड़ा
तुरङ्गम् —नपुं॰—-—-—मन विचार
तुरङ्गी —स्त्री॰—-—-—घोड़ी
तुरङ्गारिः —पुं॰—तुरङ्ग-अरिः—-—भैंसा
तुरङ्गद्विषणी —स्त्री॰—तुरङ्ग-द्विषणी—-—भैंस
तुरङ्गप्रियः —पुं॰—तुरङ्ग-प्रियः—-—जौ
तुरङ्गयम् —नपुं॰—तुरङ्ग-यम्—-—जौ
तुरङ्गमेधः —पुं॰—तुरङ्ग-मेधः—-—अश्वमेध यज्ञ
तुरङ्गयायिन् —पुं॰—तुरङ्ग-यायिन्—-—किन्नर
तुरङ्गसादिन् —पुं॰—तुरङ्ग-सादिन्—-—किन्नर
तुरङ्गवक्त्राः —पुं॰—तुरङ्ग-वक्त्राः—-—किन्नर
तुरङ्गवदनः —पुं॰—तुरङ्ग-वदनः—-—किन्नर
तुरङ्गशाला —स्त्री॰—तुरङ्ग-शाला—-—अस्तबल, अश्वशाला
तुरङ्गस्थानम् —नपुं॰—तुरङ्ग-स्थानम्—-—अस्तबल, अश्वशाला
तुरङ्गस्कन्धः —पुं॰—तुरङ्ग-स्कन्धः—-—घोड़ों का दल
तुरङ्गम् —नपुं॰—-—तुर + गम् + खच्, मुम्—घोड़ा
तुरायणम् —नपुं॰—-—तुर + फक्—अनासक्ति
तुरायणम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का यज्ञ
तुरासाह् —पुं॰—-—तुर + सह् + णिच् + क्विप्—इन्द्र
तुरी —स्त्री॰—-—तुर् + इन् + ङीप्—एक रेशेदार उपकरण जिससे जुलाहे बाने के धागे को साफ करके अलग अलग करते हैं
तुरी —स्त्री॰—-—-—नली, जुलाहे की नाल
तुरी —स्त्री॰—-—-—चित्रकार की कूची
तुरीय —वि॰—-—चतुर + छ, आद्यलोपः—चौथा
तुरीयम् —नपुं॰—-—-—चौथाई, चौथा भाग, चौथा
तुरीयम् —नपुं॰—-—-—आत्मा की चतुर्थ अवस्था जिसमें आत्मा ब्रह्मा अर्थात् परमात्मा के साथ तदाकार हो जाती हैं
तुरीयवर्णः —पुं॰—तुरीय-वर्णः—-—चौथे वर्ण का मनुष्य, शूद्र
तुरुष्कः —पुं॰—-—-—तुर्क लोग
तुर्य —वि॰—-—चतुर + यत्, आद्यलोपः—चौथा, @ नै॰ ४।१२३
तुर्यम् —नपुं॰—-—-—एक चौथाई, चौथा भाग
तुर्यम् —नपुं॰—-—-—आत्मा की चौथी अवस्था जिसमें आत्मा ब्रह्मा के साथ तदाकार हो जाती हैं
तुल् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <तोलति>, <तोलयति>, <तोलयते>, —-—-—तोलना, मापना
तुल् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <तोलति>, <तोलयति>, <तोलयते>, —-—-—मन में तोलना, विचार करना, सोचना
तुल् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <तोलति>, <तोलयति>, <तोलयते>, —-—-—उठाना, ऊपर करना
तुल् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <तोलति>, <तोलयति>, <तोलयते>, —-—-—सम्भालना, पकड़ना, सहारा देना
तुल् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <तोलति>, <तोलयति>, <तोलयते>, —-—-—तुलना करना, उपमा देना
तुल् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <तोलति>, <तोलयति>, <तोलयते>, —-—-—तुल्य होना, समकक्ष होना
तुल् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <तोलति>, <तोलयति>, <तोलयते>, —-—-—हल्का करना, गर्हण करना, तिरस्कार करना
तुल् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <तोलति>, <तोलयति>, <तोलयते>, —-—-—सन्देह करना, अविश्वास पूर्वक परीक्षण करना
तुल् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <तोलति>, <तोलयति>, <तोलयते>, —-—-—जाँच करना, परीक्षण करना, दुर्दशा करना
उत्तुल् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰—उद्-तुल्—-—सम्भालना, सहारा देना, थामे रहना
तुलनम् —नपुं॰—-—तुल् + ल्युट्—तोलना
तुलनम् —नपुं॰—-—-—तुलना करना, उपमा देना आदि
तुलना —स्त्री॰—-—-—उठाना, उन्नयन
तुलना —स्त्री॰—-—-—निर्धारण करना, आंकना, प्राक्कलन करना
तुलना —स्त्री॰—-—-—परीक्षा करना
तुलसी —स्त्री॰—-—तुलां सादृश्यं स्यति नाशयति - तुला + सो + क + ङीष्—एक पवित्र पौधा जिसकी हिन्दू विशेषकर विष्णु के उपासक पूजा करते हैं
तुलसीपत्रम् —नपुं॰—तुलसी-पत्रम्—-—तुलसी का पत्ता, बहुत तुच्छ उपहार
तुलसीविवाहः —पुं॰—तुलसी-विवाहः—-—कार्तिक शुक्ला द्वादशी को, बालकृष्ण की प्रतिमा के साथ तुलसी का विवाह
तुला —स्त्री॰—-—तोल्यतेऽनया - तुल् + अङ् + टाप्—तराजू, तराजू की डंडी
तुलया धृ ——-—-—तराजू में रखना, तोलना
तुलया धृ ——-—-—मिलाना - झुलना, समानता, समकक्षता, समता
तुलया धृ ——-—-—तुला राशि, सातवीं राशि
तुलया धृ ——-—-—घर की छत पर लगा ढालू शहतीर
तुलया धृ ——-—-—सोना-चांदी तोलने का १०० पल बट्टा
तुलयाकूटः —पुं॰—तुलया-कूटः—-—कम तोलना
तुलयाकोटिः —पुं॰—तुलया-कोटिः—-—नूपुर
तुलयाकोटी —स्त्री॰—तुलया-कोटी—-—नूपुर
तुलयाकोशः —पुं॰—तुलया-कोशः—-—तोल द्वारा कठिन परीक्षा
तुलयाकोषः —पुं॰—तुलया-कोषः—-—तोल द्वारा कठिन परीक्षा
तुलयादानम् —नपुं॰—तुलया-दानम्—-—शरीर के बराबर तोलकर सोने या चाँदी का किसी ब्राह्मण के लिए दान
तुलयाधटः —पुं॰—तुलया-धटः—-—तराजू का पलड़ा
तुलयाधरः —पुं॰—तुलया-धरः—-—व्यापारी, व्यवसायी, सौदागर
तुलयाधरः —पुं॰—तुलया-धरः—-—राशिचक्र में तुला राशि
तुलयाधारः —पुं॰—तुलया-धारः—-—व्यापारी, व्यवसायी, सौदागर
तुलयापरीक्षा —स्त्री॰—तुलया-परीक्षा —-—तुला द्वारा तोलने का कठिन परीक्षा
तुलयापुरुषः —पुं॰—तुलया-पुरुषः—-—सोना, जवाहरात तथा अन्य मूल्यवान वस्तुएँ जो एक मनुष्य के भार के बराबर हो
तुलयाप्रग्रहः —पुं॰—तुलया-प्रग्रहः—-—तराजू की डंडी या डोरी
तुलयाप्रग्राहः —पुं॰—तुलया-प्रग्राहः—-—तराजू की डंडी या डोरी
तुलयामानम् —नपुं॰—तुलया-मानम्—-—तराजू की डंडी
तुलयायष्टिः —नपुं॰—तुलया-यष्टिः—-—तराजू की डंडी
तुलयाबीजम् —नपुं॰—तुलया-बीजम्—-—घुंघची, गुंजा
तुलयासूत्रम् —नपुं॰—तुलया-सूत्रम्—-—तराजू की डोरी
तुलित —भू॰ क॰ कृ॰—-—तुल + क्त—तोला हुआ, प्रतितुलित
तुलित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—तुलना किया हुआ, उपमित, बराबर किया हुआ
तुल्य —वि॰—-—तुलया संमितं यत्—समान प्रकार या श्रेणी का, संतुलित, समान, सदृश, अनुरुप
तुल्यदर्शन —वि॰—तुल्य-दर्शन—-—समदर्शी, सबको समदृष्टि से देखने वाला
तुल्यपानम् —नपुं॰—तुल्य-पानम्—-—मिलकर मद्यपान करना, सहपान
तुल्ययोगिता —स्त्री॰—तुल्य-योगिता—-—एक अलंकार, एक ही विशेषण रखने वाले कई पदार्थों का एकत्र संयोग, पदार्थ चाहे प्रसंगानुकूल हो अथवा असंबद्ध
तुल्यरुप —वि॰—तुल्य-रुप—-—अनुरुप, समरुप, समान, सदृश
तुवर —वि॰—-—तु + श्वरच्—कषाय, कसैला
तुवर —वि॰—-—-—बिना दाढ़ी का
तुष् —दिवा॰ पर॰ <तुष्यति>, <तुष्ट>—-—-—प्रसन्न होना, सन्तुष्ट होना, परितृप्त होना, खुश होना
तुष् —दिवा॰ पुं॰—-—-—प्रसन्न करना, परितुष्ट करना, सन्तुष्ट करना
परितुष् —दिवा॰ पर॰—परि-तुष्—-—प्रसन्न होना, सन्तुष्ट होना, परितृप्त होना
संतुष् —दिवा॰ पर॰—सम्-तुष्—-—प्रसन्न होना, सन्तुष्ट होना, परितृप्त होना
तुषः —पुं॰—-—तुष् + क—अनाज की भूसी
तुषाग्निः —पुं॰—तुष-अग्निः—-—अनाज की भूसी या बूर की आग
तुषानलः —पुं॰—तुष-अनलः—-—अनाज की भूसी या बूर की आग
तुषाम्बु —नपुं॰—तुष-अम्बु—-—चावल या जौ की कांजी
तुषोदकम् —नपुं॰—तुष-उदकम्—-—चावल या जौ की कांजी
तुषग्रहः —पुं॰—तुष-ग्रहः—-—आग
तुषसारः —पुं॰—तुष-सारः—-—आग
तुषार —वि॰—-—तुष + आरक्—ठण्डा, शीतल, तुषाराच्छन्न, ओस से युक्त
तुषारः —पुं॰—-—-—कोहरा, पाला
तुषारः —पुं॰—-—-—बर्फ, हिम
तुषारः —पुं॰—-—-—धुन्द, क्षीणवर्षा, फुहार, ठण्डे पानी की बौछार
तुषारः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का कपूर
तुषाराद्रिः —पुं॰—तुषार-अद्रिः—-—हिमालय पहाड़
तुषारगिरिः —पुं॰—तुषार-गिरिः—-—हिमालय पहाड़
तुषारपर्वतः —पुं॰—तुषार-पर्वतः—-—हिमालय पहाड़
तुषारकणः —पुं॰—तुषार-कणः—-—ओस के कण, हिमकण, कुहरा, पाला
तुषारकालः —पुं॰—तुषार-कालः—-—सर्दी का मौसम
तुषारकिरणः —पुं॰—तुषार-किरणः—-—चन्द्रमा
तुषाररश्मिः —पुं॰—तुषार-रश्मिः—-—चन्द्रमा
तुषारगौर —वि॰—तुषार-गौर—-—हिम की भांति श्वेत
तुषारगौर —वि॰—तुषार-गौर—-—हिम के कारण श्वेत
तुषारगौरः —पुं॰—तुषार-गौरः—-—कपूर
तुषिताः —पुं॰—-—तुष् + कितच्—उपदेवताओं का समूह जो गिनती में १२ या ३६ कहे जाते हैं
तुष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—तुष् + क्त—प्रसन्न, तुष्ट्, खुश, परितृप्त, परितुष्ट
तुष्ट —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—जो कुछ अपने पास हैं उसी से सन्तुष्ट, तथा अन्य के प्रति उदासीन
तुष्टिः —स्त्री॰—-—तुष् + क्तिन्—सन्तोष, परितृप्ति, प्रसन्नता, परितोष्
तुष्टिः —स्त्री॰—-—-—मौन स्वीकृति, प्राप्त वस्तु से अधिक की लालसा न होना
तुष्टुः —पुं॰—-—तुष् + तुक्—कर्णमणि, कानों में पहनने की माणी
तुस —पुं॰—-—-—अनाज की भूसी
तुहिन —वि॰—-—तुह् + इनन्, ह्रस्वश्च—ठण्डा, शीतल
तुहिनम् —नपुं॰—-—-—हिम, बर्फ
तुहिनम् —नपुं॰—-—-—ओस, कुहरा
तुहिनम् —नपुं॰—-—-—चाँदनी, कपूर
तुहिनांशुः —पुं॰—तुहिन-अंशुः—-—चन्द्रमा
तुहिनांशुः —पुं॰—तुहिन-अंशुः—-—कपूर
तुहिनकरः —पुं॰—तुहिन-करः—-—चन्द्रमा
तुहिनकरः —पुं॰—तुहिन-करः—-—कपूर
तुहिनकिरणः —पुं॰—तुहिन-किरणः—-—चन्द्रमा
तुहिनकिरणः —पुं॰—तुहिन-किरणः—-—कपूर
तुहिनद्युतिः —पुं॰—तुहिन-द्युतिः—-—चन्द्रमा
तुहिनद्युतिः —पुं॰—तुहिन-द्युतिः—-—कपूर
तुहिनरश्मिः —पुं॰—तुहिन-रश्मिः—-—चन्द्रमा
तुहिनरश्मिः —पुं॰—तुहिन-रश्मिः—-—कपूर
तुहिनाचलः —पुं॰—तुहिन-अचलः—-—हिमालय पहाड़
तुहिनाद्रिः —पुं॰—तुहिन-अद्रिः—-—हिमालय पहाड़
तुहिनशैलः —पुं॰—तुहिन-शैलः—-—हिमालय पहाड़
तुहिनकणः —पुं॰—तुहिन-कणः—-—ओस की बूंद
तुहिनशर्करा —स्त्री॰—तुहिन-शर्करा—-—बर्फ
तूण् —चुरा॰ उभ॰ <तूणयति>, <तूणयते>—-—-—सिकोड़ना
तूण् —चुरा॰ आ॰ <तूणयते>—-—-—भरना, भर देना
तूणः —पुं॰—-—तूण् + घञ्—तरकस
तूण-धारः —पुं॰—तूण-धारः—-—धनुर्धर
तूणी —स्त्री॰—-—तूण् + ङीष्—तरकस
तूणीर —वि॰—-—तूण् + ङीष्, तूण् + ईरन्—तरकस
तूवरः —पुं॰—-—तु + क्विप्, तु + वृ पृषो॰—बिना दाढ़ी का मनुष्य
तूवरः —पुं॰—-—-—बिना सींग का बैल
तूवरः —पुं॰—-—-—कषाय, कसैला
तूर् —दिवा॰ आ॰ < तूर्यते>, <तूर्ण>—-—-—जल्दी से जाना, शीघ्रता करना
तूर् —दिवा॰ आ॰ < तूर्यते>, <तूर्ण>—-—-—चोट पहुँचाना, मारना
तूरम् —नपुं॰—-—तूर् + घञ्—एक प्रकार का वाद्ययन्त्र
तूर्ण —वि॰—-—त्वर् + क्त, ऊठ, तस्य नत्वम्—फुर्तीला, तेज, शीघ्रकारी
तूर्ण —वि॰—-—-—द्रुतगामी, बेड़ा
तूर्णः —पुं॰—-—-—फुर्ती, शीघ्रता
तूर्णम् —अव्य॰—-—-—फुर्ती से, जल्दी से
तूर्यः —पुं॰—-—त्र्यते ताड्यते तूर + यत्—एक प्रकार का वाद्ययन्त्र, तुरही
तूर्यम् —नपुं॰—-—त्र्यते ताड्यते तूर + यत्—एक प्रकार का वाद्ययन्त्र, तुरही
तूर्योघः —पुं॰—तूर्य-ओघः—-—उपकरणों का समूह
तूलम् —नपुं॰—-—तूल् + क—रुई
तूलम् —नपुं॰—-—-—पर्यावरण, आकाश, वायु
तूलम् —नपुं॰—-—-—घास का गुच्छा
तूलम् —नपुं॰—-—-—शहतूत का पेड़
तूला —स्त्री॰—-—-—दीवे की बत्ती
तूला —स्त्री॰—-—-—जुलाहे का ब्रश या कूची
तूला —स्त्री॰—-—-—चित्रकार की कूची या तूलिका
तूला —स्त्री॰—-—-—नील का पौधा
तूलकार्मुकम् —नपुं॰—तूल-कार्मुकम्—-—धुनकी अर्थात् रुई पीनने की धनुही
तूलधनुस् —वि॰—तूल-धनुस्—-—धुनकी अर्थात् रुई पीनने की धनुही
तूलपिचुः —पुं॰—तूल-पिचुः—-—रुई
तूलशर्करा —स्त्री॰—तूल-शर्करा—-—बिनौला रुई के पौधे का बीज
तूलकम् —नपुं॰—-—तूल् + कन्—रुई
तूलिः —स्त्री॰—-—तूल् + इन्—चितेरे की कूची
तूलिका —स्त्री॰—-—तूलि + कन् + टाप—चित्रकार की कूची, लेखनी
तूलिका —स्त्री॰—-—-—रुई की बत्ती
तूलिका —स्त्री॰—-—-—रुई भरा गद्दा
तूलिका —स्त्री॰—-—-—बर्मा, छेद करने की सलाख
तूष्णीक —वि॰—-—तूष्णीम् + क, मलोपः—चुप रहने वाला, मौनी, स्वल्पभाषी
तूष्णीम् —अव्य॰—-—तूष् + नीम् बा॰—नीरवता में चुपचाप, चुपके से, बिना बोले या बिना किसी शोरगुल के
तूष्णीभावः —पुं॰—तूष्णीम्-भावः—-—नीतवता, निस्तब्धता
तूष्णीशीलः —पुं॰—तूष्णीम्-शीलः—-—खमोश, स्वल्पभाषी या मौनी
तूस्तम् —नपुं॰—-—तूस् + तन्, दीर्घः—जटा
तूस्तम् —नपुं॰—-—-—कण, सूक्ष्म जर्रा
तृंह् —तुदा॰ पर॰ <तृंहति>—-—-—मारना, चोट पहुँचाना
तृणम् —नपुं॰—-—तृह् + क्न, हलोपश्च—घास
तृणम् —नपुं॰—-—-—घास की पत्ती, सरकण्डा, तिनका
तृणम् —नपुं॰—-—-—तिनकों की बनी कोई चीज, तुच्छता के प्रतीक रुप में प्रयुक्त
तृणाग्निः —पुं॰—तृणम्-अग्निः—-—भूस या तिनको की आग
तृणाग्निः —पुं॰—तृणम्-अग्निः—-—जल्दी बुझ जाने वाली आग
तृणाञ्जनः —पुं॰—तृणम्-अञ्जनः—-—गिरगिट
तृणाटवी —पुं॰—तृणम्-अटवी—-—ऐसा जंगल जिसमें घास की बहुतायत हों
तृणावर्तः —पुं॰—तृणम्-आवर्तः—-—हवा का बवण्डर, भभूला
तृणासृज् —नपुं॰—तृणम्-असृज्—-—एक प्रकार का सुगंध द्रव्य
तृणकुङ्कुमम् —नपुं॰—तृणम्-कुङ्कुमम्—-—एक प्रकार का सुगंध द्रव्य
तृणगौरम् —नपुं॰—तृणम्-गौरम्—-—एक प्रकार का सुगंध द्रव्य
तृणेन्द्रः —पुं॰—तृणम्-इन्द्रः—-—ताड़ का वृक्ष
तृणोल्का —स्त्री॰—तृणम्-उल्का—-—तिनकों की मशाल, फूँस की आग की लौ
तृणौकस् —नपुं॰—तृणम्-ओकस्—-—फूँस की झोपड़ी
तृणकाण्डः —पुं॰—तृणम्-काण्डः—-—घास का ढेर
तृणकाण्डम् —नपुं॰—तृणम्-काण्डम्—-—घास का ढेर
तृणकुटी —स्त्री॰—तृणम्-कुटी—-—घास-फूँस की कुटिया
तृणकुटीरकम् —नपुं॰—तृणम्-कुटीरकम्—-—घास-फूँस की कुटिया
तृणकेतुः —पुं॰—तृणम्-केतुः—-—ताड का वृक्ष
तृणगोधा —स्त्री॰—तृणम्-गोधा—-—एक प्रकार की गिरगिट, गोह
तृणग्राहिन् —पुं॰—तृणम्-ग्राहिन्—-—नीलम, नीलकान्तमणि
तृणचरः —पुं॰—तृणम्-चरः—-—गोमेद, एकप्रकार का रत्न
तृणजलायुका —स्त्री॰—तृणम्-जलायुका—-—तितली का लार्वा
तृणजलयुका —स्त्री॰—तृणम्-जलयुका—-—तितली का लार्वा
तृणद्रुमः —पुं॰—तृणम्-द्रुमः—-—ताड का वृक्ष, खजूर
तृणद्रुमः —पुं॰—तृणम्-द्रुमः—-—नारियल का पेड़
तृणद्रुमः —पुं॰—तृणम्-द्रुमः—-—सुपारी का पेड़
तृणद्रुमः —पुं॰—तृणम्-द्रुमः—-—केतकी का पौधा, छुहारे का वृक्ष
तृणधान्यम् —नपुं॰—तृणम्-धान्यम्—-—जंगली अनाज जो बिना बोये उगे
तृणध्वजः —पुं॰—तृणम्-ध्वजः—-—ताड़ का वृक्ष
तृणध्वजः —पुं॰—तृणम्-ध्वजः—-—बांस
तृणपीडम् —नपुं॰—तृणम्-पीडम्—-—दस्त-ब-दस्त लड़ाई
तृणपूली —स्त्री॰—तृणम्-पूली—-—चटाई, सरकण्डो का बना मूढा
तृणप्राय —वि॰—तृणम्-प्राय—-—तिनके के मूल्य का, निकम्मा, नगण्य
तृणबिन्दुः —पुं॰—तृणम्-बिन्दुः—-—एक ऋषि का नाम
तृणमणिः —पुं॰—तृणम्-मणिः—-—एक प्रकार का रत्न
तृणमत्कुणः —पुं॰—तृणम्-मत्कुणः—-—जमानत या जामिन प्रतिभू
तृणराजः —पुं॰—तृणम्-राजः—-—नारियल का पेड़
तृणराजः —पुं॰—तृणम्-राजः—-—बांस
तृणराजः —पुं॰—तृणम्-राजः—-—ईख, गन्ना
तृणराजः —पुं॰—तृणम्-राजः—-—ताड़ का पेड़
तृणवृक्षः —पुं॰—तृणम्-वृक्षः—-—ताड़ का पेड़, खजूर का वृक्ष
तृणवृक्षः —पुं॰—तृणम्-वृक्षः—-—छुहारे का वृक्ष
तृणवृक्षः —पुं॰—तृणम्-वृक्षः—-—नारियल का पेड़
तृणवृक्षः —पुं॰—तृणम्-वृक्षः—-—सुपारी का पेड़
तृणशीतम् —नपुं॰—तृणम्-शीम्—-—एक प्रकार का सुगन्धित घास
तृणसारा —स्त्री॰—तृणम्-सारा—-—केले का पेड़
तृणसिंहः —पुं॰—तृणम्-सिंहः—-—कुल्हाड़ा
तृणहर्म्यः —पुं॰—तृणम्-हर्म्यः—-—घास -फूँस का बना घर
तृण्या —स्त्री॰—-—तृण् + य + टाप्—घास का ढेर
तृतीय —वि॰—-— त्रि + तीय, संप्र॰—तीसरा
तृतीयम् —नपुं॰—-—-—तीसरा भाग
तृतीयप्रकृतिः —पुं॰—तृतीय-प्रकृतिः—-—हीजड़ा
तृतीयक —वि॰—-—तृतीय + कन्—प्रति तीसरे दिन होने वाला तैया
तृतीया —स्त्री॰—-—तृतीय + टाप्—चान्द्र पक्ष का तीसरा दिन, तीज
तृतीया —स्त्री॰—-—-—करण कारक या उसके विभक्ति चिह्न
तृतीयाकृत —वि॰—तृतीया-कृत—-—तीन बार जोता गया
तृतीयातत्पुरुषः —पुं॰—तृतीया-तत्पुरुषः—-—करणकारक का समास
तृतीयाप्रकृतिः —पुं॰—तृतीया-प्रकृतिः—-—हीजड़ा
तृतीयिन् —वि॰—-—तृतीय + इनि—तीसरे अंश का अधिकारी
तृद् —भ्वा॰ पर॰, रुधा॰ उभ॰ <तर्दति>, <तृणत्ति>, <तृम्पुं॰—-—-—फाड़ना, खण्डशः करना, चीरना
तृद् —भ्वा॰ पर॰, रुधा॰ उभ॰ <तर्दति>, <तृणत्ति>, <तृम्पुं॰—-—-—मार डालना, नष्ट करना, संहार करना
तृद् —भ्वा॰ पर॰, रुधा॰ उभ॰ <तर्दति>, <तृणत्ति>, <तृम्पुं॰—-—-—मुक्त करना
तृद् —भ्वा॰ पर॰, रुधा॰ उभ॰ <तर्दति>, <तृणत्ति>, <तृम्पुं॰—-—-—अवज्ञा करना
तृप् —दिवा॰, स्वा॰ तुदा॰ पर॰ <तृपुं॰—-—-—संतुष्ट होना, प्रसन्न होना, परितुष्ट होना
तृप् —दिवा॰, स्वा॰ तुदा॰ पर॰ <तृपुं॰—-—-—प्रसन्न करना, परितृप्त करना
तृप् —दिवा॰, स्वा॰ तुदा॰ पर॰ पुं॰—-—-—प्रसन्न करना, परितृप्त करना
तृप् —दिवा॰,तुदा॰ पर॰ इच्छा॰ <तितृपुं॰—-—-—जलाना, प्रज्वलित करना
तृप् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰ <तर्पति>, <तर्पयति>, <तर्पयते>—-—-—जलाना, प्रज्वलित करना
तृप् —चुरा॰ आ॰—-—-—सन्तुष्ट होना
तृप्त —वि॰—-—तृप् + क्त—संतृप्त, संतुष्ट, परितुष्ट
तृप्तिः —स्त्री॰—-—तृप् + क्तिन्—संतोष, परितोष
तृप्तिः —स्त्री॰—-—-—अतितृप्ति, ऊब
तृप्तिः —स्त्री॰—-—-—प्रसन्नता, परितुष्टि
तृष् —दिवा॰ पर॰ <तृष्यति>, <तृषित>—-—-—प्यासा होना
तृष् —दिवा॰ पर॰ <तृष्यति>, <तृषित>—-—-—कामना करना, लालायित होना, उत्सुक या उत्कंठित होना
तृष् —स्त्री॰—-—तृष् + क्विप्—प्यास
तृष् —स्त्री॰—-—-—लालसा, उत्सुकता
तृषा —स्त्री॰—-—तृष् + क्विप्+टाप्—प्यास
तृषा —स्त्री॰—-—तृष् + क्विप्+टाप्—लालसा, उत्सुकता
तृषार्त —वि॰—तृषा-आर्त—-—प्यास से आकुल, प्यासा
तृषाहम् —नपुं॰—तृषा-हम्—-—पानी
तृषित —भू॰ क॰ कृ॰—-—तृष् + क्त —प्यासा
तृषित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—लालची, प्यासा, लाभ का इच्छुक
तृष्णज् —वि॰—-—तृष् + नजिङ्—लोभी, लालची, प्यासा
तृष्णा —स्त्री॰—-—तृष् + न + टाप् किच्च—प्यास
तृष्णा —स्त्री॰—-—-—इच्छा, लालसा, लालच, लोभ, लिप्सा
तृष्णाछाया —स्त्री॰—तृष्णा-छाया—-—इच्छा का नाश, मन की शान्ति, संतोष
तृष्णालु —वि॰—-—तृष्णा + आलु—बहुत प्यासा
तृह् —रुधा॰ पर॰ <तृणेढि>—-—-—क्षति पहुँचाना, आघात पहुँचाना, मार डालना, प्रहार करना
तृह् —चुरा॰ उभ॰ <तर्हयति> <तर्हयते>, <तृढ>—-—-—क्षति पहुँचाना, आघात पहुँचाना, मार डालना, प्रहार करना
तृह् —चुरा॰ इच्छा॰ <तितृक्षति, <तिंतृहिषति>—-—-—क्षति पहुँचाना, आघात पहुँचाना, मार डालना, प्रहार करना
तृ —भ्वा॰ पर॰ <तरति>, <तीर्ण>—-—-—पार पहुँच जाना, पार करना
तृ —भ्वा॰ पर॰ <तरति>, <तीर्ण>—-—-—पार पहुँचाना, तय करना
तृ —भ्वा॰ पर॰ <तरति>, <तीर्ण>—-—-—बहना, तैरना
तृ —भ्वा॰ पर॰ <तरति>, <तीर्ण>—-—-—पूर्ण करना, जीत लेना, पार करना, विजयी हो जाना, धीरा
तृ —भ्वा॰ पर॰ <तरति>, <तीर्ण>—-—-—किनारे तक जाना, पारंगत होना
तृ —भ्वा॰ पर॰ <तरति>, <तीर्ण>—-—-— पूरा करना, सम्पन्न करना, पालन करना
तृ —भ्वा॰ पर॰ <तरति>, <तीर्ण>—-—-—बचाया जाना, बच निकलना
तृ —भ्वा॰आ॰<तीर्यते>—-—-—पार किया जाना
तृ —भ्वा॰ पर॰—-—-—ले जाना, आगे बढ़ना
तृ —भ्वा॰ पर॰—-—-—पहुँचाना
तृ —भ्वा॰ पर॰—-—-—बचाना, उद्धार करना, मुक्त करना
तृ —भ्वा॰इच्छा॰ <तितीर्षति>, <तितरिषति>, <तितरीषति>—-—-—पार करने की इच्छा करना
अतितृ —भ्वा॰ पर॰ —अति-तृ—-—पार पहुँचाना, जीत लेना, विजयी ऒना
अवतृ —भ्वा॰ पर॰ —अव-तृ—-—उतरना, अवतरित होना
अवतृ —भ्वा॰ पर॰ —अव-तृ—-—बहना, में गिरना
अवतृ —भ्वा॰ पर॰ —अव-तृ—-—प्रविष्ट होना, घुसना, आना
अवतृ —भ्वा॰ पर॰ —अव-तृ—-—पूर्ण करना, दमन करना, पार करना
अवतृ —भ्वा॰ पर॰ —अव-तृ—-—मनुष्य के रुप में इस धरती पर अवतार पर लेना
अवतृ —भ्वा॰ पर॰ —अव-तृ—-—लाना, जाकर लाना, लगाना
उत्तृ —भ्वा॰ पर॰ —उद्-तृ—-—बाहर निकलना, उतरना, निकलना
उत्तृ —भ्वा॰ पर॰ —उद्-तृ—-—पार जाना, पार पहुँचना
उत्तृ —भ्वा॰ पर॰ —उद्-तृ—-—दमन करना, जीतना, पार करना
निस्तृ —भ्वा॰ पर॰ —निस्-तृ—-—पार पहुँचना
निस्तृ —भ्वा॰ पर॰ —निस्-तृ—-—पूरा करना, सम्पन्न करना, निष्पन्न करना
निस्तृ —भ्वा॰ पर॰ —निस्-तृ—-—पार करना, जीतना, पूरा करना
निस्तृ —भ्वा॰ पर॰ —निस्-तृ—-—पूरा करना, अन्त तक जाना
प्रतृ —भ्वा॰ पर॰ —प्र-तृ—-—पार पहुँचाना
प्रतृ —भ्वा॰ पर॰ —प्र-तृ—-—ठगना, धोखा देना
वितृ —भ्वा॰ पर॰ —वि-तृ—-—पार जाना, पार करना, परे जाना
वितृ —भ्वा॰ पर॰ —वि-तृ—-—देना, स्वीकृत करना, प्रदान करना, अभिदान करना, अर्पित करना, कृपा करना, अनुग्रह करना
वितृ —भ्वा॰ पर॰ —वि-तृ—-—पैदा करना, उत्पादन करना
वितृ —भ्वा॰ पर॰ —वि-तृ—-—ले जाना
व्यतितृ —भ्वा॰ पर॰ —व्यति-तृ—-—पार करना, पूरा करना, जीत लेना
संतृ —भ्वा॰ पर॰ —सम्-तृ—-—पार करना
संतृ —भ्वा॰ पर॰ —सम्-तृ—-—तैरना, बहना
संतृ —भ्वा॰ पर॰ —सम्-तृ—-—पूरा करना, जीत लेना, अन्त तक जाना
तेजनम् —नपुं॰—-—तिज् + ल्युट्—बाँस
तेजनम् —नपुं॰—-—-—पैना करना, तेज करना
तेजनम् —नपुं॰—-—-—प्रदीप्त करना
तेजनम् —नपुं॰—-—-—सरकंडा, नरकुल
तेजनम् —नपुं॰—-—-—बाण की नोक, शस्त्र की धार
तेजलः —पुं॰—-—तिज् + णिच् + कलच्—एक प्रकार का तीतर
तेजस् —नपुं॰—-—तिज् + असुन्—तेजी
तेजस् —नपुं॰—-—-—अग्नि शिख की चोटी, आग की लपट की नोक
तेजस् —नपुं॰—-—-—गर्मी, चमक, दीप्ति
तेजस् —नपुं॰—-—-—प्रभा, प्रकाश, ज्योति, कान्ति
तेजस् —नपुं॰—-—-—गर्मी या प्रकाश, सृष्टि के पाँच मूलतत्त्वों में से एक-अग्नि
तेजस् —नपुं॰—-—-—शरीर की कांति, सौंदर्य
तेजस् —नपुं॰—-—-—तेजस्विता
तेजस् —नपुं॰—-—-—ताकत, शक्ति, सामर्थ्य, साहस, बल, शौर्य, तेज
तेजस् —नपुं॰—-—-—आत्मबल, ओज या उर्जा
तेजस् —नपुं॰—-—-—चरित्रबल, ओजस्विता
तेजस् —नपुं॰—-—-—तेजोयुक्त कान्ति, महिमा, प्रतिष्ठा, प्रभुता, गौरवम्
तेजस् —नपुं॰—-—-—वीर्य, बीज, शुक्र
तेजस् —नपुं॰—-—-—वस्तु की मूल -प्रकृति
तेजस् —नपुं॰—-—-—आत्मिकशक्ति, नैतिक शक्ति, जादू की शक्ति
तेजस् —नपुं॰—-—-—घोड़े का वेग
तेजस् —नपुं॰—-—-—ताजा मक्खन
तेजष्कर —वि॰—तेजस्-कर—-—कान्तिवर्धक
तेजष्कर —वि॰—तेजस्-कर—-—वीर्यवर्धक, शक्तिप्रद
तेजोभङ्गः —पुं॰—तेजस्-भङ्गः—-—अपमान, प्रतिष्ठा का नाश
तेजोभङ्गः —पुं॰—तेजस्-भङ्गः—-—अवसाद, हतोत्साहता
तेजस्-मण्डलम् —नपुं॰—तेजस्-मण्डलम्—-—प्रकाश का परिवेश
तेजोमूर्तिः —पुं॰—तेजस्-मूर्तिः—-—सूर्य
तेजोरुपः —पुं॰—तेजस्-रुपः—-—परमात्मा ब्रह्म
तेजस्वत् —वि॰—-—तेजस् + मतुप्, मस्य वः—उज्ज्वल, चमकीला, शानदार
तेजस्वत् —वि॰—-—-—तेज, तीखा
तेजस्वत् —वि॰—-—-—वीर, शौर्यशाली
तेजस्वत् —वि॰—-—-—ऊर्जस्वी
तेजोवत् —वि॰—-—तेजस् + मतुप्, मस्य वः—उज्ज्वल, चमकीला, शानदार
तेजोवत् —वि॰—-—-—तेज, तीखा
तेजोवत् —वि॰—-—-—वीर, शौर्यशाली
तेजस्विन् —वि॰—-—तेजस् + विनि—चमकदार, उज्ज्वल
तेजस्विन् —वि॰—-—-—शक्तिशाली, शौर्यसम्पन्न, बलवान
तेजस्विन् —वि॰—-—-—गौरवशाली, महानुभव
तेजस्विन् —वि॰—-—-—प्रसिद्ध, विख्यात
तेजस्विन् —वि॰—-—-—अभिमानी
तेजस्विन् —वि॰—-—-—विधिसम्पत
तेजित —वि॰—-—तिज् + णिच् + क्त—पनाया हुआ, तेज किया हुआ
तेजित —वि॰—-—तिज् + णिच् + क्त—उत्तेजित, उद्दीप्त, प्रणोदित
तेजोमय —वि॰—-—तेजस् + मयट्—यशस्वी
तेजोमय —वि॰—-—तेजस् + मयट्—उज्ज्वल, चमकदार प्रकाशमान
तेमः —पुं॰—-—तिम् + घञ्—गीला या तर होना, आर्द्रता
तेमनम् —नपुं॰—-—तिम् + ल्युट्—गीला करना, तर करना
तेमनम् —नपुं॰—-—तिम् + ल्युट्—आर्द्रता
तेमनम् —नपुं॰—-—तिम् + ल्युट्—चटनी, मिर्च मसाला
तेवनम् —नपुं॰—-—तेव् + ल्युट्—खेल, मनोरंजन, आमोद-प्रमोद
तेवनम् —नपुं॰—-—तेव् + ल्युट्—बिहारभूमि, क्रीडास्थल
तैजस —वि॰—-—तेजस् + अण्—उज्ज्वल, शानदार, प्रकाशमान
तैजस —वि॰—-—तेजस् + अण्—प्रकाशयुक्त
तैजस —वि॰—-—तेजस् + अण्—धातुमय
तैजस —वि॰—-—तेजस् + अण्—जोशीला
तैजस —वि॰—-—तेजस् + अण्—ओजस्वी, ऊर्जस्वी
तैजस —वि॰—-—तेजस् + अण्—शक्तिशाली, प्रबल
तैजसम् —नपुं॰—-—तेजस् + अण्—घी
तैजसावर्तनी —स्त्री॰—तैजस्-आवर्तनी—-—कुठाली
तैतिक्ष —वि॰—-—तितिक्षा + ण—सहनशील, सहिष्णु
तैतिरः —पुं॰—-—तैत्तिरः पृषो॰ —तीतर
तैत्तिरः —पुं॰—-—तित्तिर + अण्—तीतर
तैत्तिरम् —नपुं॰—-—-—तीतरों का समूह
तैत्तिरीय —पुं॰—-—तित्तिरिणा प्रोक्तम् अधीयते - तित्तिरि + छ—यजुर्वेद की तैत्तिरीय शाखा के अनुयायी
तैत्तिरीयः —पुं॰—-—-—यजुर्वेद की तैत्तिरीय शाखा
तैमिरः —पुं॰—-—तिमिर + अण्—आँखों का एक रोग-धुंधलापन
तैर्थिक —वि॰—-—तीर्थ + ठञ्—पवित्र, पावन
तैर्थिकः —पुं॰—-—-—एक संन्यासी
तैर्थिकः —पुं॰—-—-—किसी नवीन धार्मिक या दार्शनिक सिद्धान्त का प्रतिपादन करने वाला
तैर्थिकम् —नपुं॰—-—-—पवित्र जल
तैलम् —नपुं॰—-—तिलस्य तत्सदृसस्य वा विकारः अण्—तेल
तैलाटी —स्त्री॰—तैलम्-अटी—-—भिर्र, बरैया
तैलाभ्यङ्गः —पुं॰—तैलम्-अभ्यङ्गः—-—शरीर में तेल की मालिश करना
तैलकल्कजः —पुं॰—तैलम्-कल्कजः—-—खली
तैलपर्णिका —स्त्री॰—तैलम्-पर्णिका—-—चन्दन
तैलपर्णिका —स्त्री॰—तैलम्-पर्णिका—-—धूप
तैलपर्णिका —स्त्री॰—तैलम्-पर्णिका—-—तारपीन
तैलपर्णी —स्त्री॰—तैलम्-पर्णी—-—चन्दन
तैलपर्णी —स्त्री॰—तैलम्-पर्णी—-—धूप
तैलपर्णी —स्त्री॰—तैलम्-पर्णी—-—तारपीन
तैलपिञ्जः —पुं॰—तैलम्-पिञ्जः—-—सफेद तिल
तैलपिपीलिका —स्त्री॰—तैलम्-पिपीलिका—-—चोटी लाल रंग की चिऊँटी
तैलफलः —पुं॰—तैलम्-फलः—-—हिंगोट का वृक्ष
तैलभाविनी —स्त्री॰—तैलम्-भाविनी—-—चमेली
तैलमाली —स्त्री॰—तैलम्-माली—-—दीवे की बत्ती
तैलयन्त्रम् —नपुं॰—तैलम्-यन्त्रम्—-—तेली का कोल्हू
तैलस्फटिकः —पुं॰—तैलम्-स्फटिकः—-—एक प्रकार की मणि
तैलङ्गः —पुं॰—-—-—एक देश का नाम, वर्तमान कर्नाटक प्रदेश
तैलङ्गाः —पुं॰—-—-—इस देश के लोग
तैलिकः —पुं॰—-—तैल + ठन्, तैल + इनि—तेली, तेल पेरने वाला
तैलिन् —पुं॰—-—तैल + ठन्, तैल + इनि—तेली, तेल पेरने वाला
तैलिनी —स्त्री॰—-—तैलिन् + ङीप्—दीवे की बत्ती
तैलीनम् —नपुं॰—-—तिलानां भवनं क्षेत्रम् युक्ता पौर्णमासी - तिष्य + अण् + ङीप् = तैषी, सा अस्ति अस्मिन् मासे -तैषी + अण्—पौष का महीना
तोकम् —नपुं॰—-—तु + क—सन्तान, बच्चा
तोककः —पुं॰—-—तोक + कन्—चातक पक्षी
तोडनम् —नपुं॰—-—तुद् + ल्युट्—टुकड़े-टुकड़े करना, खण्डशः करना
तोडनम् —नपुं॰—-—-—चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना
तोत्वम् —नपुं॰—-—तुद् + ष्ट्रन्—पशुओं को या हाथी को हाँकने का अंकुश
तोदः —नपुं॰—-—तुद् + घञ्—पीडा, वेदना, संताप
तोदनम् —नपुं॰—-—तुद् + ल्युट्—पीडा, वेदना
तोदनम् —नपुं॰—-—-—चेहरा, मुँह
तोमरः —पुं॰—-—तुम्पति हिनस्ति - तुम्प् + अर्, नि॰—लोहे का डंडा
तोमरः —पुं॰—-—-—भाला, नेजा
तोमरम् —नपुं॰—-—तुम्पति हिनस्ति - तुम्प् + अर्, नि॰—लोहे का डंडा
तोमरम् —नपुं॰—-—-—भाला, नेजा
तोमरधरः —पुं॰—तोमर-धरः—-—अग्निदेव
तोयम् —नपुं॰—-—तु + विच्, तवे पूर्त्यै याति - या + क नि॰ साधुः—पानी
तोयाधिवासिनी —स्त्री॰—तोयम्-अधिवासिनी—-—पाटला वृक्ष
तोयाधारः —पुं॰—तोयम्-आधारः—-—सरोवर, कुआँ, जलाशय
तोयालयः —पुं॰—तोयम्-आलयः—-—समुद्र, सागर
तोयेशः —पुं॰—तोयम्-ईशः—-—वरुण का विशेषण
तोयेशम् —नपुं॰—तोयम्-ईशम्—-—पूर्वाषाढ़
तोयोत्सर्गः —पुं॰—तोयम्-उत्सर्गः—-—जलोन्मोचन, वर्षा
तोयकर्मन् —नपुं॰—तोयम्-कर्मन्—-—अङ्गमार्जन
तोयकृच्छ्रः —पुं॰—तोयम्-कृच्छ्रः—-—दिवंगत पितरों को जलतर्पण
तोयकृच्छ्रम् —नपुं॰—तोयम्-कृच्छ्रम्—-—एक प्रकार की तपश्चर्या जिसमें कुछ निश्चित समय तक जल पीकर ही रहना पड़ता हैं
तोयक्रीडा —स्त्री॰—तोयम्-क्रीडा—-—जलविहार
तोयगर्भः —पुं॰—तोयम्-गर्भः—-—नारियल
तोयचरः —पुं॰—तोयम्-चरः—-—एक जलजन्तु
तोयडिम्बः —पुं॰—तोयम्-डिम्बः—-—ओला
तोयडिम्भः —पुं॰—तोयम्-डिम्भः—-—ओला
तोयदः —पुं॰—तोयम्-दः—-—बादल
तोयात्ययः —पुं॰—तोयम्-अत्ययः—-—शरद ऋतु
तोयधरः —पुं॰—तोयम्-धरः—-—बादल
तोयधिः —पुं॰—तोयम्-धिः—-—समुद्र
तोयनिधिः —पुं॰—तोयम्-निधिः—-—समुद्र
तोयनीवी —स्त्री॰—तोयम्-नीवी—-—पृथ्वी
तोयप्रसादनम —नपुं॰—तोयम्-प्रसादनम—-—कतकफल, निर्मली
तोयमलम् —नपुं॰—तोयम्-मलम्—-—समुद्रफेन
तोयमुच् —पुं॰—तोयम्-मुच्—-—बादल
तोययन्त्रम् —नपुं॰—तोयम्-यन्त्रम्—-—जल-घड़ी
तोययन्त्रम् —नपुं॰—तोयम्-यन्त्रम्—-—फौवारा
तोयराज् —पुं॰—तोयम्-राज्—-—समुद्र
तोयराशिः —पुं॰—तोयम्-राशिः—-—समुद्र
तोयवेला —स्त्री॰—तोयम्-वेला—-—जल का किनारा, समुद्रतट
तोयव्यतिकरः —पुं॰—तोयम्-व्यतिकरः—-—संगम
तोयशुक्तिका —स्त्री॰—तोयम्-शुक्तिका—-—सीपी
तोयसर्पिका —स्त्री॰—तोयम्-सर्पिका—-—मेंढक
तोयसूचकः —पुं॰—तोयम्-सूचकः—-—मेंढक
तोरणः —पुं॰—-—तुर् + युच् आधारे ल्युट् वा तारा॰—महराबदार बनाया हुआ द्वार, सिंह द्वार
तोरणः —पुं॰—-—-—बहिर्द्वार, प्रवेश द्वार
तोरणः —पुं॰—-—-—अस्थायी रुप से बनाया हुआ शोभाद्वार
तोरणः —पुं॰—-—-—स्नानागार के निकट का चबूतरा
तोरणम् —नपुं॰—-—तुर् + युच् आधारे ल्युट् वा तारा॰—महराबदार बनाया हुआ द्वार, सिंह द्वार
तोरणम् —नपुं॰—-—-—बहिर्द्वार, प्रवेश द्वार
तोरणम् —नपुं॰—-—-—अस्थायी रुप से बनाया हुआ शोभाद्वार
तोरणम् —नपुं॰—-—-—स्नानागार के निकट का चबूतरा
तोरणम् —नपुं॰—-—-—गर्दन, कण्ठ
तोलः —पुं॰—-—तुल् + घञ्—तोल या भार जो तराजू में तोल लिया गया हो
तोलः —पुं॰—-—-—सोने चांदी का एक तोला या १२ माशे के भार
तोलम् —नपुं॰—-—तुल् + घञ्—तोल या भार जो तराजू में तोल लिया गया हो
तोलम् —नपुं॰—-—-—सोने चांदी का एक तोला या १२ माशे के भार
तोषः —पुं॰—-—तुष् + घञ्—सन्तोष, परितोष, प्रसन्नता, खुशी
तोषणम् —नपुं॰—-—तुष् + ल्युट्—सन्तोष, परितोष
तोषणम् —नपुं॰—-—-—सन्तोषप्रद परितृप्ति
तोषलम् —नपुं॰—-—तोष + लू + ड—मूसल, सोटा
तौक्षिकः —पुं॰—-—-—तुला राशि
तौतिकः —पुं॰—-—-—वह सीपी जिसमें से मोती निकलती हैं
तौर्यम् —नपुं॰—-—तूर्य + अण्—तुरही का शब्द
तौर्यत्रिकम् —नपुं॰—तौर्यम्-त्रिकम्—-—नृत्य, गान और वाद्य की सबेकता, तेहरी स्वरसंगति
तौलम् —नपुं॰—-—तुला + अण्—तराजू
तौलिकः —पुं॰—-— तुलि + ठक्—चित्रकार
तौलिकिकः —पुं॰—-— तुलि + ठक्, तुलिका + ठक्—चित्रकार
त्यक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—त्यज् + क्त—छोड़ा हुआ, त्यागा हुआ, परित्यक्त, उन्मुक्त
त्यक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—उत्सृष्ट, जिसने आत्मसमर्पण कर दिया हो
त्यक्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—कतराया हुआ, टाला हुआ
त्यक्ताग्निः —पुं॰—त्यक्त-अग्निः—-—वह ब्राह्मण जिसने अग्निहोत्र करना छोड़ दिया हैं
त्यक्तजीवित —वि॰—त्यक्त-जीवित—-—प्राण देने के लिए तैयार, कोई भी जोखिम उठाने को तैयार
त्यक्तप्राण —वि॰—त्यक्त-प्राण—-—प्राण देने के लिए तैयार, कोई भी जोखिम उठाने को तैयार
त्यक्तलज्ज —वि॰—त्यक्त-लज्ज—-—निर्लज्ज, बेशर्म
त्यज् —भ्वा॰ पर॰ <त्यजति>, <त्यक्त>—-—-—छोड़ना, त्यागना, उत्सर्ग करना, चले जाना
त्यज् —भ्वा॰ पर॰ <त्यजति>, <त्यक्त>—-—-—जाने देना, बरखास्त करना, सेवामुक्त करना
त्यज् —भ्वा॰ पर॰ <त्यजति>, <त्यक्त>—-—-—छोड़ देना, त्यागना, उत्सर्ग करना, आत्मसमर्पण करना
त्यज् —भ्वा॰ पर॰ <त्यजति>, <त्यक्त>—-—-—कतराना, टालना
त्यज् —भ्वा॰ पर॰ <त्यजति>, <त्यक्त>—-—-—छुटकारा पाना, मुक्त करना
त्यज् —भ्वा॰ पर॰ <त्यजति>, <त्यक्त>—-—-—अवहेलना करना, उपेक्षा करना
त्यज् —भ्वा॰ पर॰ <त्यजति>, <त्यक्त>—-—-—उद्धृत करना
त्यज् —भ्वा॰ पर॰ <त्यजति>, <त्यक्त>—-—-—वितरण करना, प्रदान कर देना
त्यज् —भ्वा॰ पर॰,पुं॰—-—-—छुड़वाना
त्यज् —भ्वा॰ पर॰,इच्छा॰ <तित्यक्षति >—-—-—छोड़ने का इच्छा करना
परित्यज् —भ्वा॰ पर॰—परि-त्यज्—-—छोड़ना, त्यागना, उत्सर्ग करना
परित्यज् —भ्वा॰ पर॰—परि-त्यज्—-—पद त्याग करना, छोड़ देना, रद्द कर देना, तिलाञ्जलि देना
परित्यज् —भ्वा॰ पर॰—परि-त्यज्—-—उद्धृत करना
संत्यज् —भ्वा॰ पर॰—सम्-त्यज्—-—त्यागना
संत्यज् —भ्वा॰ पर॰—सम्-त्यज्—-—टालना, कतराना
संत्यज् —भ्वा॰ पर॰—सम्-त्यज्—-—छोड़ देना, तिलाञ्जलि देना
संत्यज् —भ्वा॰ पर॰—सम्-त्यज्—-—उद्धृत करना
त्यागः —पुं॰—-—त्यज् + घञ्—छोड़ना, परित्याग, छोड़ देना, छोड़कर चले जाना, वियोग
त्यागः —पुं॰—-—त्यज् + घञ्—छोड़ देना, पद त्याग कर देना, तिलांजलि देना
त्यागः —पुं॰—-—त्यज् + घञ्—उपहार दान, धर्मार्थ दान
त्यागः —पुं॰—-—त्यज् + घञ्—मुक्तस्तता, उदारता
त्यागः —पुं॰—-—त्यज् + घञ्—स्राव, मलोत्सर्ग
त्यागयुत —वि॰—त्याग-युत—-—मुक्तहस्त, उदार, दानशील
त्यागशील —वि॰—त्याग-शील—-—मुक्तहस्त, उदार, दानशील
त्यागिन् —वि॰—-—त्यज् + घिनुण्—छोड़ने वाला, परित्याग करने वाला, छोड़ देने वाला
त्यागिन् —वि॰—-—-—प्रदाता, दाता
त्यागिन् —वि॰—-—-—शौर्यशाली, शूरवीर
त्यागिन् —वि॰—-—-—वह जो धार्मिक अनुष्ठानों के फलस्वरुप किसी पारितोषिक या पुरस्कार की अपेक्षा नहीं करता है
त्रप् —भ्वा॰ आ॰ <त्रपते>, <त्रपित>—-—-—शर्माना, लजाना, झंझट में फँस जाना
अपत्रप् —भ्वा॰ आ॰—अप-त्रप्—-—मुड़ना, शर्म के कारण कार्यनिवृत्त होना
त्रपा —स्त्री॰—-—त्रप् + अङ् + टाप्—शर्म, लाज
त्रपा —स्त्री॰—-—-—हया, शर्म
त्रपा —स्त्री॰—-—-—कामुक या व्याभिचारिणी स्त्री
त्रपा —स्त्री॰—-—-—प्रसिद्धि, ख्याति
त्रपानिरस्त —वि॰—त्रपा-निरस्त—-—निर्लज्ज, बेशर्म
त्रपाहीन —वि॰—त्रपा-हीन—-—निर्लज्ज, बेशर्म
त्रपारण्डा —स्त्री॰—त्रपा-रण्डा—-—वेश्या
त्रपिष्ठ —वि॰—-—अयम् एषाम् अतिशयेन तृप्रः - तृप्र + इष्ठन्, तृप्रशब्दस्य त्रपादेशः—अत्यन्त सन्तुष्ट
त्रपीयस् —वि॰—-—तृप्र + ईयसुन्, तृप् शब्दस्य त्रपादेशः—अपेक्षाकृत अधिक सन्तुष्ट
त्रपु —नपुं॰—-—अग्निं दृष्ट्या त्रपते लज्जते इव - त्रप् + उन् तारा॰—टीन, रांगा
त्रपुलम् —नपुं॰—-—त्रप् + उल—टीन, रांगा
त्रपुषम् —नपुं॰—-—त्रप् + उल, त्रप् + उष्—टीन, रांगा
त्रपुस् —वि॰—-—त्रप् + उल, त्रप् + उष्, त्रप् + उस्—टीन, रांगा
त्रपुसम् —नपुं॰—-—त्रप् + उल, त्रप् + उष्, त्रप् + उस्, ज्ञप् + उस—टीन, रांगा
त्रप्स्यम् —नपुं॰—-—-—मट्ठा, घोला हुआ दही
त्रय —वि॰—-—त्रि + अयच्— तेहरा, तिगुना, तीन भागों में विभक्त, तीन प्रकार का
त्रयम् —नपुं॰—-—-— तिगड्डा, तीन का समूह
त्रयश्चत्वारिंश —वि॰—त्रयस्-चत्वारिंश—-—तेंतालीसवाँ
त्रयश्चत्वारिंशत —वि॰ या स्त्री॰—त्रयस्-चत्वारिंशत—-—तेंतालीस
त्रयस्त्रिंश —वि॰—त्रयस्-त्रिंश—-—तेंतीसवाँ
त्रयस्त्रिंशत् —वि॰ या स्त्री॰—त्रयस्-त्रिंशत्—-—तेंतीस
त्रयोदश —वि॰—त्रयस्-दश—-—तेरहवाँ
त्रयोदश —वि॰—त्रयस्-दश—-—तेरह जोड़कर
त्रयोदशन् —वि॰, ब॰ व॰—त्रयस्-दशन्—-—तेरह
त्रयोदशन —वि॰—त्रयस्-दशन—-—तेरहवाँ
त्रयोदशी —स्त्री॰—त्रयस्-दशी—-—चान्द्र पक्ष की तेरहवीं तिथि
त्रयोनवतिः —स्त्री॰—त्रयस्-नवतिः—-—तिरानवे
त्रयःपञ्चाशत् —स्त्री॰—त्रयस्-पञ्चाशत्—-—तरेपन
त्रयोविंश —वि॰—त्रयस्-विंश—-—तेइसवाँ
त्रयोविंश —वि॰—त्रयस्-विंश—-—तेईस से युक्त
त्रयोविंशतिः —स्त्री॰—त्रयस्-विंशतिः—-—तेईस
त्रयःषष्टिः —स्त्री॰—त्रयस्-षष्टिः—-—तरेसठ
त्रयःसप्ततिः —स्त्री॰—त्रयस्-सप्ततिः—-—तिहत्तर
त्रयी —स्त्री॰—-—त्रय + ङीप्—तीनों वेदों की समष्टि
त्रयी —स्त्री॰—-—-—तिगड्डा, त्रिक, त्रिसमूह
त्रयी —स्त्री॰—-—-—गृहिणी या विवाहिता नारी जिसका पति तथा बालबच्चे जीवित हों
त्रयी —स्त्री॰—-—-—बुद्धि, समझ
त्रयीतनुः —पुं॰—त्रयी-तनुः—-—सूर्य का विशेषण
त्रयीतनुः —पुं॰—त्रयी-तनुः—-—शिव का एक विशेषण
त्रयीधर्मः —पुं॰—त्रयी-धर्मः—-—तीनों वेदों में वर्णित धर्म
त्रयीमुखः —पुं॰—त्रयी-मुखः—-—ब्राह्मण
त्रस् —भ्वा॰, दिवा॰ पर॰ <त्रसति>, <त्रस्यति>, <त्रस्त>—-—-—थर्राना, काँपना, हिलना, भय के कारण विचलित होना
त्रस् —भ्वा॰, दिवा॰ पर॰ <त्रसति>, <त्रस्यति>, <त्रस्त>—-—-—डरना, भयभीत होना, डर जाना
त्रस् —भ्वा॰, दिवा॰ पर॰, पुं॰—-—-—डराना, भयभीत करना
वित्रस् —भ्वा॰, दिवा॰ पर॰—वि-त्रस्—-—भयभीत या त्रस होना
सन्त्रस् —भ्वा॰, दिवा॰ पर॰—सम्-त्रस्—-—डरना, भयभीत होना, त्रस्त होना
त्रस् —चुरा॰ उभ॰ <त्रासयति>, <त्रासयते>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
त्रस् —चुरा॰ उभ॰ <त्रासयति>, <त्रासयते>—-—-—थामना
त्रस् —चुरा॰ उभ॰ <त्रासयति>, <त्रासयते>—-—-—लेना, पकड़ना
त्रस् —चुरा॰ उभ॰ <त्रासयति>, <त्रासयते>—-—-—विरोध करना, रोकना
त्रस —वि॰—-—त्रस् + क—चर, जंगम
त्रसम् —नपुं॰—-—-—वन, जंगल
त्रसरेणुः —पुं॰—त्रस-रेणुः—-—अणु, धूल का कण या अणु जो सूर्यकिरण में हिलता हुआ दिखाई देता हैं
त्रसरः —पुं॰—-—त्रस् + अरन् बा॰ —ढरकी
त्रसुर —वि॰—-—त्रस् + उरच्, त्रस् + क्नु—भीरु, काँपने वाला, डरपोक
त्रस्नु —वि॰—-—त्रस् + उरच्, त्रस् + क्नु—भीरु, काँपने वाला, डरपोक
त्रस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—त्रस् + क्त—भयभीत, डरा हुआ, आतंकित
त्रस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—डरपोक, भीरु
त्रस्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—फुर्तीला, चंचल
त्राण —भू॰ क॰ कृ॰—-—त्रै + क्त तस्य नत्वम्—रक्षा किया गया, अभिरक्षित, प्ररक्षित, बचाया गया
त्राणम् —नपुं॰—-—-—रक्षा, प्रतिरक्षा, प्ररक्षा
त्राणम् —नपुं॰—-—-—शरण, सहारा, आश्रय
त्रात —भू॰ क॰ कृ॰—-—त्रै + क्त —प्ररक्षित, बचाया गया, रक्षा किया गया
त्रापुष —वि॰—-—त्रपुष + अण्—राँगे का बना हुआ
त्रास —वि॰—-—त्रस् + घञ्—चर, चलनशील
त्रासः —पुं॰—-—-—डर, भय, आंतक
त्रासः —पुं॰—-—-—चौकन्ना करने वाला, भयभीत करने वाला
त्रासः —पुं॰—-—-—मणिगत दोष
त्रासन् —वि॰—-—त्रस् + णिच् + ल्युट्—खौफनाक, डरावना, भयङ्कर
त्रासनम् —नपुं॰—-—-—डराने की क्रिया, डराना
त्रासित —वि॰—-—त्रस् + णिच् + क्त—डराया हुआ, आतंकित, भयभीत
त्र्यंशः —पुं॰—त्रि-अंशः—-—तिहाई भाग
त्र्यंशः —पुं॰—त्रि-अंशः—-—तीसरा अंश
त्र्यंक्षः —पुं॰—त्रि-अंक्षः—-—शिव का विशेषण
त्र्यंक्षकः —पुं॰—त्रि-अंक्षकः—-—शिव का विशेषण
त्र्यक्षरः —पुं॰—त्रि-अक्षरः—-—ईश्वर द्योतक अक्षर ‘ओम्’ जो तीन अक्षरों से मिलकर बना है
त्र्यक्षरः —पुं॰—त्रि-अक्षरः—-—जोडी मिलाने वाला घटक
त्र्यङ्कटम् —नपुं॰—त्रि-अङ्कटम्—-—वह तीन रस्सियाँ जिनके सहारे बहँगी के दोनों पलड़े दोनों किनारे पर लटकते रहते हैं
त्र्यङ्कटम् —नपुं॰—त्रि-अङ्कटम्—-—एक प्रकार का अञ्जन, सुर्मा
त्र्यङ्गटम् —नपुं॰—त्रि-अङ्गटम्—-—वह तीन रस्सियाँ जिनके सहारे बहँगी के दोनों पलड़े दोनों किनारे पर लटकते रहते हैं
त्र्यङ्गटम् —नपुं॰—त्रि-अङ्गटम्—-—एक प्रकार का अञ्जन, सुर्मा
त्र्यञ्जलम् —नपुं॰—त्रि-अञ्जलम्—-—तीन अंजलि
त्र्यधिष्ठानः —पुं॰—त्रि-अधिष्ठानः—-—आत्मा
त्र्यध्वगा —स्त्री॰—त्रि-अध्वगा—-—गंगा नदी के विशेषण
त्रिमार्गगा —स्त्री॰—त्रि-मार्गगा—-—गंगा नदी के विशेषण
त्रिवर्त्सगा —स्त्री॰—त्रि-वर्त्सगा—-—गंगा नदी के विशेषण
त्र्यम्बकः —पुं॰—त्रि-अम्बकः—-—‘तीन आंखों वाला, शिव
त्रिसखः —पुं॰—त्रि-सखः—-—कुबेर का विशेषण
त्र्यम्बका —स्त्री॰—त्रि-अम्बका —-—पार्वती का विशेषण
त्र्यब्द —वि॰—त्रि-अब्द—-—तीन वर्ष पुराना
त्र्यब्दम् —नपुं॰—त्रि-अब्दम्—-—तीन वर्ष
त्र्यशीत —वि॰—त्रि-अशीत—-—तिरासिवां
त्र्यशीतिः —स्त्री॰ —त्रि-अशीतिः—-—तिरासी
त्र्यष्टन् —वि॰—त्रि-अष्टन्—-—चौबीस
त्र्यश्र —वि॰—त्रि-अश्र—-—त्रिकोण, त्रिभुजाकार
त्र्यस्र —वि॰—त्रि-अस्र—-—त्रिकोण, त्रिभुजाकार
त्र्यश्रम् —नपुं॰—त्रि-अश्रम्—-—तिकोन, त्रिभुज
त्र्यस्रम् —नपुं॰—त्रि-अस्रम्—-—तिकोन, त्रिभुज
त्र्यहः —पुं॰—त्रि-अहः—-—तीन दिन का काल
त्र्यहित —वि॰—त्रि-अहित—-—तीन दिन में उत्पादित या अनुष्ठित
त्र्यहित —वि॰—त्रि-अहित—-—हर तीसरे दिन घटने वाला
त्र्यर्चम् —नपुं॰—त्रि-ऋचम्—-—तीन ऋचाओं की समष्टि
त्रिककुद् —पुं॰—त्रि-ककुद्—-—त्रिकूट पहाड़
त्रिककुद् —पुं॰—त्रि-ककुद्—-—विष्णु या कृष्ण
त्रिकर्मन् —नपुं॰—त्रि-कर्मन्—-—ब्राह्मण के तीन मुख्य कर्तव्य
त्रिकर्मन् —पुं॰—त्रि-कर्मन्—-—जो इन तीन कर्मों को सम्पन्न करने में व्यस्त हो, ब्राह्मण
त्रिकालम् —नपुं॰—त्रि-कालम्—-—तीन काल अर्थात भूत, वर्तमान और भविष्यत् या तीन समय - प्रातः, मध्याह्न तथा सायम्
त्रिकालम् —नपुं॰—त्रि-कालम्—-—क्रिया के तीन काल
त्रिकालज्ञ —वि॰—त्रि-कालम्-ज्ञ—-—सर्वज्ञ
त्रिकालदर्शिन् —वि॰—त्रि-कालम्-दर्शिन्—-—सर्वज्ञ
त्रिकूटः —पुं॰—त्रि-कूटः—-—सीलोन का एक पहाड़ जिसपर रावण की राजधानी लंका स्थित थी
त्रिकूर्चकम् —नपुं॰—त्रि-कूर्चकम्—-—तीन फलों का चाकू
त्रिकोण —वि॰—त्रि-कोण—-—त्रिभुजाकार, त्रिकोण बनाने वाला
त्रिकोणः —पुं॰—त्रि-कोणः—-—तीन कोण वाली आकृति
त्रिकोणः —पुं॰—त्रि-कोणः—-—योनि
त्रिखट्वम् —नपुं॰—त्रि-खट्वम्—-—तीन खटों का समूह
त्रिखट्वी —स्त्री॰—त्रि-खट्वी—-—तीन खटों का समूह
त्रिगणः —पुं॰—त्रि-गणः—-—सांसारिक जीवन के तीन पदार्थों की समष्टि
त्रिगतः —वि॰—त्रि-गतः—-—तिगुणा
त्रिगतः —वि॰—त्रि-गतः—-—तीन दिन में सम्पन्न
त्रिगर्ताः —स्त्री॰ब॰ व॰—त्रि-गर्ताः—-—भारत के उत्तर पश्चिम में एक देश , इसका नाम ‘जलंधर’ भी हैं
त्रिगर्ताः —स्त्री॰ब॰ व॰—त्रि-गर्ताः—-—इस देश के निवासी या शासक
त्रिगर्ता —स्त्री॰—त्रि-गर्ता—-—कामासक्त स्त्री, स्वैरिणी
त्रिगुण —वि॰—त्रि-गुण—-—तीन डोरों से युक्त तगड़ी
त्रिगुण —वि॰—त्रि-गुण—-—तीन बार आवृत्ति किया हुआ, तीन बार, त्रिविध, तेहरा, तिगुणा
त्रिगुण —वि॰—त्रि-गुण—-—सत्त्व, रजस् तथा तमस् नाम के तीन गुणों से युक्त
त्रिगुणम् —नपुं॰—त्रि-गुणम्—-—प्रधान
त्रिगुणा —स्त्री॰—त्रि-गुणा—-—माया
त्रिगुणा —स्त्री॰—त्रि-गुणा—-—दुर्गा का विशेषण
त्रिचक्षुस् —पुं॰—त्रि-चक्षुस्—-—शिव का एक विशेषण
त्रिचतुर —वि॰, ब॰ व॰—त्रि-चतुर—-—तीन या चार
त्रिचत्वारिंश —वि॰ —त्रि-चत्वारिंश—-—तेतालीसवाँ
त्रिचत्वारिंशत् —स्त्री॰—त्रि-चत्वारिंशत्—-—तेतालीस
त्रिजगत् —नपुं॰—त्रि-जगत्—-—तीन लोक
त्रिजगती —स्त्री॰—त्रि-जगती—-—तीन लोक
त्रिजटः —पुं॰—त्रि-जटः—-—शिव का एक विशेषण
त्रिजटा —स्त्री॰—त्रि-जटा—-—एक राक्षसी
त्रिजीवा —स्त्री॰—त्रि-जीवा—-—तीन चिह्नों की त्रिज्या, या ९० कोटि, अर्धव्यास
त्रिज्या —स्त्री॰—त्रि-ज्या—-—तीन चिह्नों की त्रिज्या, या ९० कोटि, अर्धव्यास
त्रिणता —स्त्री॰—त्रि-णता—-—धनुष
त्रिणव —वि॰, ब॰ व॰—त्रि-णव—-—३x९, नौ का तिगुणा अर्थात् सत्ताइस
त्रितक्षम् —नपुं॰—त्रि-तक्षम्—-—तीन बढ़इयों का समूह
त्रितक्षी —स्त्री॰—त्रि-तक्षी—-—तीन बढ़इयों का समूह
त्रिदण्डम् —नपुं॰—त्रि-दण्डम्—-—संन्यासी के तीन डंडों को बांधकर एक किया हुआ
त्रिदण्डम् —नपुं॰—त्रि-दण्डम्—-—तिगुणा संयम
त्रिदण्डः —पुं॰—त्रि-दण्डः—-—एक धर्मनिष्ठ संन्यासी की अवस्था
त्रिदण्डिन् —पुं॰—त्रि-दण्डिन्—-—धर्मनिष्ठ साधु या संन्यासी जिसने सांसारिक विषयवासनाओं का परित्याग कर दिया हैं और जो अपने दाहिने हाथ में तीन-दंड रखता हैं
त्रिदण्डिन् —पुं॰—त्रि-दण्डिन्—-—जिसने अपने मन, वाणी और शरीर को वश में कर लिया हैं
त्रिदशाः —पुं॰—त्रि-दशाः—-—तीस
त्रिदशाः —पुं॰—त्रि-दशाः—-—तेंतीस देवता
त्रिदशः —पुं॰—त्रि-दशः—-—देवता, अमर
त्रिदशाङ्कुशः —पुं॰—त्रि-दश-अङ्कुशः—-—इन्द्र का वज्र
त्रिदशायुधम् —नपुं॰—त्रि-दश-आयुधम्—-—इन्द्र का वज्र
त्रिदशाधिपः —पुं॰—त्रि-दश-अधिपः—-—इन्द्र के विशेषण
त्रिदशेश्वरः —पुं॰—त्रि-दश-ईश्वरः—-—इन्द्र के विशेषण
त्रिदशपतिः —पुं॰—त्रि-दश-पतिः—-—इन्द्र के विशेषण
त्रिदशाध्यक्षः —पुं॰—त्रि-दश-अध्यक्षः—-—विष्णु का एक विशेषण
त्रिदशारिः —पुं॰—त्रि-दश-अरिः—-—राक्षस
त्रिदशाचार्यः —पुं॰—त्रि-दश-आचार्यः—-—वृहस्पति का विशेषण
त्रिदशगोपः —पुं॰—त्रि-दश-गोपः—-—एक प्रकार का कीड़ा, वीरबहूटी
त्रिदशमञ्जरी —स्त्री॰—त्रि-दश-मञ्जरी—-—तुलसी का पौधा
त्रिदशवधू —स्त्री॰—त्रि-दश-वधू—-—अप्सरा या स्वर्ग की देवी
त्रिदशवनिता —स्त्री॰—त्रि-दश-वनिता—-—अप्सरा या स्वर्ग की देवी
त्रिवर्त्मन् —पुं॰—त्रि-वर्त्मन्—-—आकाश
त्रिदिनम् —नपुं॰—त्रि-दिनम्—-—तीन दिनों की समष्टि
त्रिदिवम् —नपुं॰—त्रि-दिवम्—-—स्वर्ग
त्रिदिवम् —नपुं॰—त्रि-दिवम्—-—आकाश, पर्यावरण
त्रिदिवम् —नपुं॰—त्रि-दिवम्—-—प्रसन्नता
त्रिदिवाधीशः —पुं॰—त्रि-दिवम्-अधीशः—-—इन्द्र का विशेषण
त्रिदिवाधीशः —पुं॰—त्रि-दिवम्-अधीशः—-—देवता
त्रिदिवेशः —पुं॰—त्रि-दिवम्-ईशः—-—इन्द्र का विशेषण
त्रिदिवेशः —पुं॰—त्रि-दिवम्-ईशः—-—देवता
त्रिदिवोद्भवः —पुं॰—त्रि-दिवम्-उद्भवः—-—गंगा
त्रिदिवौकस् —पुं॰—त्रि-दिवम्-ओकस्—-—देवता
त्रिदृश —पुं॰—त्रि-दृश—-—शिव का एक विशेषण
त्रिदोषम् —नपुं॰—त्रि-दोषम्—-—शरीर में होने वाली तीनों दोष
त्रिधारा —स्त्री॰—त्रि-धारा—-—गंगा
त्रिणयनः —पुं॰—त्रि-णयनः—-—शिव के विशेषण
त्रिनयनः —पुं॰—त्रि-नयनः—-—शिव के विशेषण
त्रिनेत्रः —पुं॰—त्रि-नेत्रः—-—शिव के विशेषण
त्रिलोचनः —पुं॰—त्रि-लोचनः—-—शिव के विशेषण
त्रिनवत —वि॰—त्रि-नवत—-—तिरानवेवाँ
त्रिनवतिः —स्त्री॰—त्रि-नवतिः—-—तिरानवे
त्रिपञ्च —वि॰—त्रि-पञ्च—-—तीन गुना पाँच अर्थात् पन्द्रह
त्रिपञ्चाश —वि॰—त्रि-पञ्चाश—-—तरेपनवाँ
त्रिपञ्चाशत् —स्त्री॰—त्रि-पञ्चाशत्—-—तरेपन
त्रिपटुः —पुं॰—त्रि-पटुः—-—काच
त्रिपताकः —पुं॰—त्रि-पताकः—-—हाथ जिसकी तीन अंगुलियाँ फैली हुई हों
त्रिपताकः —पुं॰—त्रि-पताकः—-—त्रिपुंड तिलक लगा हुआ मस्तक
त्रिपत्रकम् —नपुं॰—त्रि-पत्रकम्—-—ढाक
त्रिपथम् —नपुं॰—त्रि-पथम्—-—तिराहा
त्रिपथम् —नपुं॰—त्रि-पथम्—-—वह स्थान जहाँ तीन सड़के मिलती हों
त्रिपथगाम् —नपुं॰—त्रि-पथम्-गाम्—-—गंगा का विशेषण
त्रिपदम् —नपुं॰—त्रि-पदम्—-—तीन पैर वाला
त्रिपदिका —स्त्री॰—त्रि-पदिका—-—तीन पैर वाला
त्रिपदी —स्त्री॰—त्रि-पदी—-—हाथी का तंग
त्रिपदी —स्त्री॰—त्रि-पदी—-—गायत्री छन्द
त्रिपदी —स्त्री॰—त्रि-पदी—-—तिपाई
त्रिपदी —स्त्री॰—त्रि-पदी—-—गोधापधी नाम का पौधा
त्रिपर्णः —पुं॰—त्रि-पर्णः—-—ढाक का पेड़
त्रिपादः —वि॰—त्रि-पादः—-—तीन पैरों वाला
त्रिपादः —वि॰—त्रि-पादः—-—तीन खंडों से युक्त, तीन चौथाई
त्रिपादः —पुं॰—त्रि-पादः—-—त्रिनाम
त्रिपुट —वि॰—त्रि-पुट—-—त्रिभुजाकार
त्रिपुटः —पुं॰—त्रि-पुटः—-— बाण
त्रिपुटः —पुं॰—त्रि-पुटः—-—हथेली
त्रिपुटः —पुं॰—त्रि-पुटः—-—एक हाथ का परिमाण
त्रिपुटः —पुं॰—त्रि-पुटः—-—तट या किनारा
त्रिपुटकः —पुं॰—त्रि-पुटकः—-—त्रिकोण, त्रिभुज
त्रिपुटा —स्त्री॰—त्रि-पुटा—-—दुर्गा का विशेषण
त्रिपुण्ड्रम् —नपुं॰—त्रि-पुण्ड्रम्—-—चन्दन, राख या गोबर से बनाई हुई तीन रेखाएँ
त्रिपुण्ड्रकम् —नपुं॰—त्रि-पुण्ड्रकम्—-—चन्दन, राख या गोबर से बनाई हुई तीन रेखाएँ
त्रिपुरम् —नपुं॰—त्रि-पुरम्—-—तीन नगरों का समूह
त्रिपुरम् —नपुं॰—त्रि-पुरम्—-—द्युलोक, अन्तरिक्ष और भूलोक में मय राक्षस द्वारा बनाये गये सोने, चाँदी और लोहे के तीन नगर
त्रिपुरः —पुं॰—त्रि-पुरः—-—इन नगरों का अधिपति राक्षस
त्रिपुरान्तकः —पुं॰—त्रि-पुर-अन्तकः—-—शिव के विशेषण
त्रिपुरारिः —पुं॰—त्रि-पुर-अरिः—-—शिव के विशेषण
त्रिपुरघ्नः —पुं॰—त्रि-पुर-घ्नः—-—शिव के विशेषण
त्रिपुरदहनः —पुं॰—त्रि-पुर-दहनः—-—शिव के विशेषण
त्रिपुरद्विषः —पुं॰—त्रि-पुर-द्विषः—-—शिव के विशेषण
त्रिपुरहरः —पुं॰—त्रि-पुर-हरः—-—शिव के विशेषण
त्रिपुरदाहः —पुं॰—त्रि-पुर- दाहः—-—तीन नगरों का जलाया जाना
त्रिपुरी —स्त्री॰—त्रि-पुरी—-—जबलपुर के निकट एक नगर जो पहले चेदिदेश के राजाओं की राजधानी था
त्रिपुरी —स्त्री॰—त्रि-पुरी—-—एक देश का नाम
त्रिपौरुष —वि॰—त्रि-पौरुष—-—तीन पीढ़ियों से सम्बन्ध रखने वाला या तीन पीढ़ियों तक चलने वाला
त्रिप्रस्रुतः —पुं॰—त्रि-प्रस्रुतः—-—वह हाथी जिससे मद का स्राव हो रहा हो
त्रिफला —स्त्री॰—त्रि-फला—-—तीन फलों का संघात
त्रिबलिः —पुं॰—त्रि-बलिः—-—स्त्री के नाभि के ऊपर पड़ने वाला तीन बल
त्रिबली —स्त्री॰—त्रि-बली—-—स्त्री के नाभि के ऊपर पड़ने वाला तीन बल
त्रिवलिः —पुं॰—त्रि-वलिः—-—स्त्री के नाभि के ऊपर पड़ने वाला तीन बल
त्रिभद्रम् —नपुं॰—त्रि-भद्रम्—-—स्त्रीसहवास, मैथुन, स्त्रीसम्भोग
त्रिभुवनम् —नपुं॰—त्रि-भुवनम्—-—तीन लोक
त्रिभूमः —पुं॰—त्रि-भूमः—-—तिमंजिला महल
त्रिमार्गा —स्त्री॰—त्रि-मार्गा—-—गंगा
त्रिमुकुटः —पुं॰—त्रि-मुकुटः—-—त्रिकूट पहाड़
त्रिमुखः —पुं॰—त्रि-मुखः—-—बुद्ध का एक विशेषण
त्रिमूर्तिः —पुं॰—त्रि-मूर्तिः—-—हिन्दुओं के त्रिदेव - ब्रह्मा, विष्णु और महेश का संयुक्त रुप
त्रियष्टिः —पुं॰—त्रि-यष्टिः—-—तीन लड़ों का हार
त्रियामा —स्त्री॰—त्रि-यामा—-—रात्रि
त्रियोनिः —पुं॰—त्रि-योनिः—-—तीन कारणों से होने वाला अभियोग
त्रिरात्रम् —नपुं॰—त्रि-रात्रम्—-—तीन रातों का समय
त्रिरेखः —पुं॰—त्रि-रेखः—-—शंख
त्रिलिङ्ग —वि॰—त्रि-लिङ्ग—-—तीनों लिंगों में प्रयुक्त अर्थात् विशेष
त्रिलिङ्गः —पुं॰—त्रि-लिङ्गः—-—एक देश जिसे तैलंग कहते हैं
त्रिलिङ्गी —पुं॰—त्रि-लिङ्गी—-—तीनों लिंगों की समष्टि
त्रिलोकम् —नपुं॰—त्रि-लोकम्—-—तीनों संसार
त्रिलोकेशः —पुं॰—त्रि-लोकम्-ईशः—-—सूर्य
त्रिलोकनाथः —पुं॰—त्रि-लोकम्-नाथः—-—तीनों लोकों का स्वामी, इन्द्र का विशेषण
त्रिलोकेशः —पुं॰—त्रि-लोकम्-ईशः—-—शिव का विशेषण
त्रिलोकी —पुं॰—त्रि-लोकी—-—तीनों लोकों की समष्टि, विश्व
त्रिवर्गः —पुं॰—त्रि-वर्गः—-—सांसारिक जीवन के तीन पदार्थ
त्रिवर्गः —पुं॰—त्रि-वर्गः—-—तीन स्थितियाँ हानि, स्थिरता और वृद्धि
त्रिवर्णकम् —नपुं॰—त्रि-वर्णकम्—-—पहले तीन वर्णो का समाहार
त्रिवारम् —अव्य॰ —त्रि-वारम्—-—तीन बार, तीन मर्तबा
त्रिविक्रमः —पुं॰—त्रि-विक्रमः—-—वामनावतार विष्णु
त्रिविद्यः —पुं॰—त्रि-विद्यः—-—तीनों वेदों में व्युत्पन्न ब्राह्मण
त्रिविद्य —वि॰—त्रि-विद्य—-—तीन प्रकार का, तेहरा
त्रिविष्टपम् —नपुं॰—त्रि-विष्टपम्—-—इन्द्रलोक, स्वर्ग
त्रिपिष्टपम् —नपुं॰—त्रि-पिष्टपम्—-—इन्द्रलोक, स्वर्ग
त्रिविष्टपसद् —पुं॰—त्रि-विष्टपम्-सद्—-—देवता
त्रिवेणिः —स्त्री—त्रि-वेणिः—-—प्रयाग के निकट त्रिवेणी संगम जहाँ गंगा यमुना और सरस्वती मिलती हैं
त्रिवेणी —स्त्री॰—त्रि-वेणी—-—प्रयाग के निकट त्रिवेणी संगम जहाँ गंगा यमुना और सरस्वती मिलती हैं
त्रिवेदः —पुं॰—त्रि-वेदः—-—तीनों वेदों में निष्णात ब्राह्मण
त्रिशङ्कुः —पुं॰—त्रि-शङ्कुः—-—अयोध्या का विख्यात सूर्यवंशी राजा, हरिश्चन्द्र का पिता
त्रिशङ्कुः —पुं॰—त्रि-शङ्कुः—-—चातकपक्षी
त्रिशङ्कुः —पुं॰—त्रि-शङ्कुः—-—बिल्ली
त्रिशङ्कुः —पुं॰—त्रि-शङ्कुः—-—टिड्डा
त्रिशङ्कुः —पुं॰—त्रि-शङ्कुः—-—जुगनू
त्रिशङ्कुजः —पुं॰—त्रि-शङ्कु-जः—-—हरिश्चन्द्र का विशेषण
त्रिशङ्कुयाजिन् —पुं॰—त्रि-शङ्कु-याजिन्—-—विश्वामित्र का विशेषण
त्रिशत —वि॰—त्रि-शत—-—तीन सौ
त्रिशतम् —नपुं॰—त्रि-शतम्—-—एक सौ तीन
त्रिशतम् —नपुं॰—त्रि-शतम्—-—तीन सौ
त्रिशिखम् —नपुं॰—त्रि-शिखम्—-—त्रिशूल
त्रिशिखम् —नपुं॰—त्रि-शिखम्—-— किरीट या मुकुट
त्रिशिरस् —पुं॰—त्रि-शिरस्—-—एक राक्षस जिसको राम ने मारा था
त्रिशूलम् —नपुं॰—त्रि-शूलम्—-—तिरसूल
त्रिशूलाङ्कः —पुं॰—त्रि-शूलम्-अङ्कः—-—शिव का विशेषण
त्रिशूलधारिन् —पुं॰—त्रि-शूलम्-धारिन्—-—शिव का विशेषण
त्रिशूलिन् —पुं॰—त्रि-शूलिन्—-—शिव का विशेषण
त्रिशृङ्गः —पुं॰—त्रि-शृङ्गः—-—त्रिकूट नाम का पहाड़
त्रिषष्टिः —स्त्री॰—त्रि-षष्टिः—-—तरेसठ
त्रिसन्ध्यम् —नपुं॰—त्रि-सन्ध्यम्—-— दिन के तीन काल अर्थात् प्रातः, मध्याह्न और सायम्
त्रिसन्ध्यी —स्त्री॰—त्रि-सन्ध्यी—-— दिन के तीन काल अर्थात् प्रातः, मध्याह्न और सायम्
त्रिसन्ध्यम् —अव्य॰—त्रि-सन्ध्यम्—-—तीनों संध्याओं के समय
त्रिसप्तत —वि॰—त्रि-सप्तत—-—तिहत्तरवाँ
त्रिसप्ततिः —स्त्री॰—त्रि-सप्ततिः—-—तिहत्तर
त्रिसप्तन् —वि॰, ब॰ व॰—त्रि-सप्तन्—-—तीन बार सात अर्थात २१
त्रिसप्त —वि॰, ब॰ व॰—त्रि-सप्त—-—तीन बार सात अर्थात २१
त्रिसाम्यम् —नपुं॰—त्रि-साम्यम्—-—तीनों का साम्य
त्रिस्थली —स्त्री॰—त्रि-स्थली—-—तीन पवित्र स्थान
त्रिस्रोतस् —स्त्री॰—त्रि-स्रोतस्—-—गंगा का विशेषण
त्रिसीत्थ —वि॰—त्रि-सीत्थ—-—तीन बार जोता हुआ
त्रिहल्य —वि॰—त्रि-हल्य—-—तीन बार जोता हुआ
त्रिहायण —वि॰—त्रि-हायण—-—तीन वर्ष का
त्रिंश —वि॰—-—त्रिशत् + डट्—तीसवाँ
त्रिंश —वि॰—-—-—तीस से जुड़ा हुआ
त्रिंश —वि॰—-—-—तीस से युक्त
त्रिंशक —वि॰—-—त्रिंश + कन्—तीस से युक्त
त्रिंशक —वि॰—-—-—तीस के मूल्य का या तीस में खरीदा हुआ
त्रिंशत् —स्त्री॰—-—त्रयोदशतः परिमाणस्य नि॰—तीस
त्रिंशत्पत्रम् —नपुं॰—त्रिंशत्-पत्रम्—-—सूर्योदय के साथ खिलने वाला कमल
त्रिंशकम् —नपुं॰—-—त्रिशत् + कन्—तीस की समष्टि, तीस का समाहार
त्रिक —वि॰—-—त्रयाणां सेंधः - कन्—तिगुना, तेहरा
त्रिक —वि॰—-—-—तिगड्डा बनाने वाला
त्रिक —वि॰—-—-—तीन प्रतिशत
त्रिकम् —नपुं॰—-—-—तिगड्डा
त्रिकम् —नपुं॰—-—-—रीढ की हड्डी का निचला भाग, कूल्हे के पास का भाग
त्रिकम् —नपुं॰—-—-—कन्धे की हड्डियों के बीच का भार
त्रिकम् —नपुं॰—-—-—तीन मसाले
त्रिका —स्त्री॰—-—-—रस्सी के आने जाने के लिए कुएँ पर लगाई गई लकड़ी की गिर्डी
त्रितय —वि॰—-—त्रयोऽवयवा अस्य - त्रि + तयप्—तीन भागों वाला, तिगुना, तीन तह का
त्रितयम् —नपुं॰—-—-—तिगड्डा, तीन का समूह
त्रिधा —अव्य॰—-—त्रि + धाच्—तीन प्रकार से या तीन भागों में
त्रिस् —अव्य॰—-—त्रि + सुच्—तीसरी बार, तीन बार
त्रुट् —दिवा॰ तुदा॰ पर॰ <त्रुट्यति>, <त्रुटति>, <त्रुटित>—-—-—फाड़ना, तोड़ना, टुकड़े-टुकड़े करना, तड़कना, फिसल जाना
त्रुटिः —स्त्री॰—-—त्रुट् + इन् कित्—काटना, तोड़ना, फाड़ना
त्रुटिः —स्त्री॰—-—त्रुट् + इन् कित्—छोटा हिस्सा, अणु
त्रुटिः —स्त्री॰—-—त्रुट् + इन् कित्—समय का अत्यन्त सूक्ष्म अन्तर, १/४ क्षण या १/२ लव
त्रुटिः —स्त्री॰—-—त्रुट् + इन् कित्—सन्देह, अनिश्चितता
त्रुटिः —स्त्री॰—-—त्रुट् + इन् कित्—हानि, नाश
त्रुटिः —स्त्री॰—-—त्रुट् + इन् कित्—छोटी इलायची
त्रुटी —स्त्री॰—-—त्रुटि + ङीष्—काटना, तोड़ना, फाड़ना
त्रुटी —स्त्री॰—-—त्रुटि + ङीष्—छोटा हिस्सा, अणु
त्रुटी —स्त्री॰—-—त्रुटि + ङीष्—समय का अत्यन्त सूक्ष्म अन्तर, १/४ क्षण या १/२ लव
त्रुटी —स्त्री॰—-—त्रुटि + ङीष्—सन्देह, अनिश्चितता
त्रुटी —स्त्री॰—-—त्रुटि + ङीष्—हानि, नाश
त्रुटी —स्त्री॰—-—त्रुटि + ङीष्—छोटी इलायची
त्रेता —स्त्री॰—-—त्रीन् भदान् एति प्राप्नोति - पृषो॰ साधु॰—तिकड़ी, त्रिक्
त्रेता —स्त्री॰—-—-—तीन यज्ञाग्नियों का समाहार
त्रेता —स्त्री॰—-—-—पासे को विशेष ढंग से फेंकना, तीन का दांव फेंकना
त्रेता —स्त्री॰—-—-—हिन्दूओं के चार युगों में दूसरा
त्रेधा —अव्य॰—-—त्रि + एधाच्—तिगुनेपन से, तीन प्रकार से, तीन भागों में
त्रै —भ्वा॰ आ॰ <त्रायते>, <त्रात>, या <त्राण>—-—-—रक्षा करना, प्ररक्षित रखना, बचाना, प्रतिरक्षा करना
परित्रै —भ्वा॰ आ॰ —परि-त्रै—-—बचाना
त्रैकालिक —वि॰—-—त्रिकाल + ठञ्—तीन कालों से सम्बन्ध
त्रैकाल्यम् —नपुं॰—-—त्रिकाल + ष्यञ्—तीन काल
त्रैगुणिक —वि॰—-—त्रिगुण + ठक्—तिगुना, तेहरा
त्रैगुण्यम् —नपुं॰—-—त्रिगुण + ष्यञ्—तिगुनापन, तीन धागों या गुणों का एकत्र होने का भाव
त्रैगुण्यम् —नपुं॰—-—-—तीन गुणों का समाहार
त्रैगुण्यम् —नपुं॰—-—-—तीन गुणों की समष्टि
त्रैपुरः —पुं॰—-—त्रिपुर + अण्—त्रिपुर नाम का देश
त्रैपुरः —पुं॰—-—-—उस देश का निवासी या शासक
त्रैमातुरः —पुं॰—-—त्रिमातृ + अण्, उत्वम्—लक्ष्मण का विशेषण
त्रैमासिक —वि॰—-—त्रिमास + ठञ्—तीन मास पुराना
त्रैमासिक —वि॰—-—-—तीन महीने तक ठहरने वाला या हर तीन महीनें में आने वाला
त्रैराशिकम् —नपुं॰—-—त्रिराशि + ठञ्—तीन ज्ञात राशियों के द्वारा चौथी अज्ञात राशि निकालने की रीति
त्रैलोक्यम् —नपुं॰—-—त्रिलोकी + ष्यञ्—तीन लोकों का समाहार
त्रैवर्णिक —वि॰—-—त्रिवर्ण + ठञ्—पहले तीन वर्णो से सम्बन्ध रखने वाला
त्रैविक्रम —वि॰—-—त्रिविक्रम + अण्—त्रिविक्रम या विष्णु से सम्बन्ध रखने वाला
त्रैविद्यम् —नपुं॰—-—त्रिविद्या + अण्—तीनों वेद
त्रैविद्यम् —नपुं॰—-—-—तीनों वेदों का अध्ययन
त्रैविद्यम् —नपुं॰—-—-—तीन शास्त्र
त्रैविद्यः —पुं॰—-—-—तीनों वेदों में निष्णात ब्राह्मण
त्रैविष्टपः —पुं॰—-—त्रिविष्टप + अण्, ढक् वा— देवता
त्रैविष्टपेयः —पुं॰—-—त्रिविष्टप + अण्, ढक् वा— देवता
त्रोटकम् —नपुं॰—-—त्रुट् + णिच् + ण्वुल्—नाटक का एक भेद
त्रोटिः —स्त्री॰—-—त्रुट् + इ —चोंच, चंचु
त्रोटिहस्तः —पुं॰—त्रोटि-हस्तः—-—पक्षी
त्रोत्रम् —नपुं॰—-—त्रै + उत्र—पशुओं को हांकने की छड़ी
त्वक्ष् —भ्वा॰ पर॰ <त्वक्षति>, <त्वष्ट>—-—-—कतरना, बक्कल उतारना, छीलना
त्वङ्कारः —पुं॰—-—त्वम् + कृ + अण्—निरादर सूचक ‘तू’ शब्द से सम्बोधन करना
त्वङ्ग —भ्वा॰ पर॰ <त्वङ्गति>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
त्वङ्ग —भ्वा॰ पर॰ <त्वङ्गति>—-—-—कूदना, सरपट दौड़ना
त्वङ्ग —भ्वा॰ पर॰ <त्वङ्गति>—-—-—कांपना
त्वच् —स्त्री॰—-—त्वच् + क्विप्—खाल
त्वच् —स्त्री॰—-—-—छाल, वल्कल
त्वच् —स्त्री॰—-—-—ढकना, आवरण
त्वच् —स्त्री॰—-—-—स्पर्शज्ञान
त्वगङ्कुरः —पुं॰—त्वच्-अङ्कुरः—-—रोमांच होना
त्वगिन्द्रियम् —नपुं॰—त्वच्-इन्द्रियम्—-—स्पर्शेन्द्रिय
त्वक्कण्डुरः —पुं॰—त्वच्-कण्डुरः—-—फोड़ा
त्वग्गन्धः —पुं॰—त्वच्-गन्धः—-—सन्तरा
त्वक्छेदः —पुं॰—त्वच्-छेदः—-—चमड़ी में घाव, खरोंच, रगड़
त्वक्जम् —नपुं॰—त्वच्-जम्—-—रुधिर
त्वक्जम् —नपुं॰—त्वच्-जम्—-—बाल
त्वक्तरङ्गकः —पुं॰—त्वच्-तरङ्गकः—-—झुर्री
त्वक्त्रम् —नपुं॰—त्वच्-त्रम्—-—कवच
त्वक्दोषः —पुं॰—त्वच्-दोषः—-—चर्मरोग, कोढ़
त्वक्पारुष्यम् —नपुं॰—त्वच्-पारुष्यम्—-—चमड़ी का रुखापन
त्वक्पुष्पः —पुं॰—त्वच्-पुष्पः—-—रोमांच
त्वक्सारः —पुं॰—त्वच्-सारः—-—बांस
त्वक्सुगन्ध —वि॰—त्वच्-सुगन्ध—-—संतरा
त्वचा —स्त्री॰—-—त्वच् + टाप्—
त्वदीय —वि॰—-—युष्मद् + छ, त्वत् आदेशः—तेरा, तुम्हारा
त्वद् —पुं॰—-—युष्मदः त्वद् आदेशः समासे—
त्वद्विध —वि॰—-—तव इव विद्या प्रकारो यस्य—तेरी तरह, तुम्हारी भांति
त्वर् —भ्वा॰ आ॰ <त्वरते>, <त्वरित>—-—-—शीघ्रता करना, जल्दी करना, वेग से चलना, फुर्ती से कार्य करना
त्वर् —भ्वा॰ आ॰—-—-—जल्दी कराना, शीघ्रता कराना, आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना
त्वरा —स्त्री॰—-—त्वर् + अङ् + टाप्—शीघ्रता, क्षिप्रता, वेग
त्वरिः —स्त्री॰—-—त्वर् + अङ् + टाप्, त्वर् + इन्—शीघ्रता, क्षिप्रता, वेग
त्वरित —वि॰—-—त्वर् + क्त—शीघ्रगामी, फुर्तीला, वेगवान
त्वरितम् —नपुं॰—-—-—शीघ्रता करना, जल्दी करना
त्वरितम् —अव्य॰—-—-—जल्दी से, तेजी से, वेग से, शीघ्रता से
त्वष्दृ —पुं॰—-—त्वक्ष् + तृच्—बढ़ई, निर्माता, कारीगर
त्वष्दृ —पुं॰—-—-—देवताओं का शिल्पी विश्वकर्मा
त्वादृश् —पुं॰—-—त्वमिव दृश्यते - युष्मद् + दृश् + क्विन्, कञ् वा, स्त्रियां ङीप्—तुझ सरीखा, तेरी तरह का
त्वादृश —पुं॰—-—त्वमिव दृश्यते - युष्मद् + दृश् + क्विन्, कञ् वा, स्त्रियां ङीप्—तुझ सरीखा, तेरी तरह का
त्विष् —भ्वा॰ उभ॰ <त्वेषति>, <त्वेषते>—-—-—चमकना, जगमगाना, दमकना, दहकना
त्विष् —स्त्री॰—-—त्विष् + क्विप्—प्रकाश, प्रभा, दीप्ति, चमक-दमक
त्विष् —स्त्री॰—-—-—सौन्दर्य
त्विष् —स्त्री॰—-—-—अधिकार, भार
त्विष् —स्त्री॰—-—-—अभिलाषा, इच्छा
त्विष् —स्त्री॰—-—-—प्रथा, प्रचलन
त्विष् —स्त्री॰—-—-—वक्तृता
त्विषीशः —पुं॰—त्विष्-ईशः—-—सूर्य
त्विषिः —पुं॰—-—त्विष् + इन्—प्रकाश की किरण
त्सरुः —पुं॰—-—त्सर् + उ—रेंगने वाला जानवर
त्सरुः —पुं॰—-—त्सर् + उ—तलवार या किसी अन्य हथियार की मूठ
थम् —नपुं॰—-—-—रक्षा, प्ररक्षा
थुड् —तुदा॰ पर॰ <थुडति>—-—-—ढकना, पर्दा डालना
थुड् —तुदा॰ पर॰ <थुडति>—-—-—छिपाना, गुप्त रखना
थुडनम् —नपुं॰—-—थुड् + ल्युट्—ढकना, लपेटना
थुत्कारः —पुं॰—-—थुत् + कृ + अण्—‘थुत्’ ध्वनि जो थूकने की क्रिया करते समय होती है
थुर्व् —भ्वा॰ पर॰ <थूर्वति>—-—-—चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना
थूत्कारः —पुं॰—-—थुत् + कृ + अण्—‘थुत्’ की ध्वनि जो थूकने की क्रिया करते समय होती है
थूत्कृतम् —नपुं॰—-—थुत् + कृ + अण्, क्त वा—‘थुत्’ की ध्वनि जो थूकने की क्रिया करते समय होती है
थैथै —अव्य॰—-—-—किसी संगीत-वाद्य-यंत्र की अनुकरणात्मक ध्वनि
॰द —वि॰—-—दै-दो या + क—देने वाला, स्वीकार करने वाला, उत्पादन करने वाला, पैदा करने वाला, काट कर फेंकने वाला, नष्ट करने वाला, दूर करने वाला
ददा —स्त्री॰—-—-—पश्चात्ताप
दंश् —भ्वा॰ पर॰ - < दशति>, दष्ट- < इच्छा॰ दिदङ्क्षति>—-—-—काटना, डंक मारना, खा लिया, कुतर लिया
उपदंश् —भ्वा॰ पर॰—-—-—चटनी, अचार आदि खाना
संदंश् —भ्वा॰ पर॰—-—-—काटना, डंक मारना
संदंश् —भ्वा॰ पर॰—-—-—चिपटना, संलग्न रहना, या चिपके रहना
दंशः —पुं॰—-—दंश् + घञ्—काटना, डंक मारना
दंशः —पुं॰—-—दंश् + घञ्—साँप का डंक
दंशः —पुं॰—-—दंश् + घञ्—काटना, काटा हुआ स्थान
दंशः —पुं॰—-—दंश् + घञ्—काटना, फाड़ना
दंशः —पुं॰—-—दंश् + घञ्—डाँस, एक प्रकार की बड़ी मक्खी
दंशः —पुं॰—-—दंश् + घञ्—त्रुटि, दोष, कमी
दंशः —पुं॰—-—दंश् + घञ्—दाँत
दंशः —पुं॰—-—दंश् + घञ्—तीखापन
दंशः —पुं॰—-—दंश् + घञ्—कवच
दंशः —पुं॰—-—दंश् + घञ्—जोड़, अंग
दंशभीरुः —पुं॰—दंशः- भीरुः—-—भैंसा
दंशकः —पुं॰—-—दंश् + ण्वुल्—कुत्ता
दंशकः —पुं॰—-—दंश् + ण्वुल्—बड़ी मक्खी
दंशकः —पुं॰—-—दंश् + ण्वुल्—मक्खी
दंशनम् —नपुं॰—-—दंश् + ल्युट्—काटना या डंक मारने की क्रिया
दंशनम् —नपुं॰—-—दंश् + ल्युट्—कवच, जिरहबख्तर
दंशित —वि॰—-—दंश् + क्त—काटा हुआ
दंशित —वि॰—-—दंश् + क्त—घृतकवच, कवच से सुसज्जित
दंशिन् —पुं॰—-—दंश् +णिनि—कुत्ता
दंशिन् —पुं॰—-—दंश् +णिनि—बड़ी मक्खी
दंशिन् —पुं॰—-—दंश् +णिनि—मक्खी
दंशी —स्त्री॰—-—दंश + ङीष्—छोटा डाँस या वनमाखी
दंष्ट्रा —स्त्री॰—-—दंश् + ष्ट्रन् + टाप्—बड़ा दाँत, हाथी का दाँत, विषैला दाँत
दंष्ट्रास्त्रः —पुं॰—दंष्ट्रा-अस्त्रः—-—जंगली सूअर
दंष्ट्रायुधः —पुं॰—दंष्ट्रा-आयुधः—-—जंगली सूअर
दंष्ट्राकराल —वि॰—दंष्ट्रा-कराल—-—भयंकर दाँतों वाला
दंष्ट्राविषः —पुं॰—दंष्ट्रा-विषः—-—एक प्रकार का साँप
दंष्ट्राल —वि॰—-—दंष्ट्रा + ल—बड़े- बड़े दाँतों वाला
दंष्ट्रिन् —पुं॰—-—दंष्ट्रा + इनि—जंगली सूअर
दंष्ट्रिन् —पुं॰—-—दंष्ट्रा + इनि—साँप
दंष्ट्रिन् —पुं॰—-—दंष्ट्रा + इनि—लकड़बग्घा
दक्ष —वि॰—-—दक्ष् + अच्—योग्य, सक्षम, विशेषज्ञ, चतुर, कुशल
दक्ष —वि॰—-—दक्ष् + अच्—उचित, उपयुक्त
दक्ष —वि॰—-—दक्ष् + अच्—तैयार, खबरदार, सावधान, उद्यत
दक्ष —वि॰—-—दक्ष् + अच्—खरा ईमानदार
दक्षः —पुं॰—-—-—विख्यात प्रजापति का नाम
दक्षः —पुं॰—-—-—शिव का बैल
दक्षः —पुं॰—-—-—बहुत सी प्रेमिकाओं में आसक्त प्रेमी
दक्षः —पुं॰—-—-—शिव का विशेषण
दक्षः —पुं॰—-—-—मानसिक शक्ति, योग्यता, धारिता
दक्षाध्वरध्वंसकः —पुं॰—दक्ष-अध्वरध्वंसकः—-—शिव के विशेषण
दक्षक्रतुध्वंसिन् —पुं॰—दक्ष-क्रतुध्वंसिन्—-—शिव के विशेषण
दक्षकन्या —स्त्री॰—दक्ष- कन्या—-—दुर्गा का विशेषण
दक्षजा —स्त्री॰—दक्ष-जा—-—दुर्गा का विशेषण
दक्षतनया —स्त्री॰—दक्ष-तनया—-—दुर्गा का विशेषण
दक्षसुतः —पुं॰—दक्ष-सुतः—-—देवता
दक्षाय्यः —पुं॰—-—दक्ष् + आय्य—गिद्ध
दक्षाय्यः —पुं॰—-—दक्ष् + आय्य—गरुड़ का विशेषण
दक्षिण —वि॰—-—दक्ष् + इनन्—योग्य, कुशल, निपुण, सक्षम, चतुर
दक्षिण —वि॰—-—दक्ष् + इनन्—दायाँ, दाहिना
दक्षिण —वि॰—-—दक्ष् + इनन्—दक्षिण पार्श्व में स्थित
दक्षिण —वि॰—-—दक्ष् + इनन्—दक्षिण, दक्षिणी जैसा कि दक्षिणवायु, दक्षिणदिक् में
दक्षिण —वि॰—-—दक्ष् + इनन्—दक्षिण में स्थित
दक्षिण —वि॰—-—दक्ष् + इनन्—निष्कपट, खरा, ईमानदार, निष्पक्ष
दक्षिण —वि॰—-—दक्ष् + इनन्—सुहावना, सुखकर, रुचिकर
दक्षिण —वि॰—-—दक्ष् + इनन्—शिष्ट, नागर
दक्षिण —वि॰—-—दक्ष् + इनन्—आज्ञानुवर्ती, वशवर्ती
दक्षिण —वि॰—-—दक्ष् + इनन्—पराश्रित
दक्षिणः —पुं॰—-—-—दायाँ हाथ या बाजू
दक्षिणः —पुं॰—-—-—शिष्ट व्यक्ति, ऐसा प्रेमी जिसका मन अन्य नायिका द्वारा हर लिया गया है परन्तु फिर भी वह केवल एक ही प्रेयसी में अनुरक्त है
दक्षिणः —पुं॰—-—-—शिव या विष्णु का विशेषण
दक्षिणाग्निः —पुं॰—दक्षिण-अग्निः—-—दक्षिण की ओर स्थापित अग्नि, इसको ‘अन्वाहार्यपचन’ भी कहते हैं
दक्षिणाग्र —वि॰—दक्षिण-अग्र—-—दक्षिण की ओर संकेत करता हुआ
दक्षिणाचलः —पुं॰—दक्षिण-अचलः—-—दक्षिणी पहाड़ अर्थात् मलयपर्वत
दक्षिणाभिमुख —वि॰—दक्षिण- अभिमुख—-—दक्षिण की ओर मुँह किये हुए, दक्षिणोन्मुख
दक्षिणायनम् —नपुं॰—दक्षिण-अयनम्—-—भूमध्य रेखा से दक्षिण की ओर सूर्य की प्रगति, वह आधावर्ष जब कि सूर्य उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ता है, शरद् की दक्षिणी अयन सीमा
दक्षिणार्धः —पुं॰—दक्षिण-अर्धः—-—दायाँ हाथ
दक्षिणार्धः —पुं॰—दक्षिण-अर्धः—-—दाहिना या दक्षिणी पार्श्व
दक्षिणाचार —वि॰—दक्षिण-आचार—-—ईमानदार, आचरणशील
दक्षिणाचार —वि॰—दक्षिण-आचार—-—पावन अनुष्ठान के अनुसार शक्ति का उपासक
दक्षिणाशा —स्त्री॰—दक्षिण-आशा—-—दक्षिण दिशा
दक्षिणपतिः —पुं॰—दक्षिण-पतिः—-—यम का विशेषण
दक्षिणेतर —वि॰—दक्षिण- इतर—-—बायाँ
दक्षिणेतर —वि॰—दक्षिण- इतर—-—उत्तरी
दक्षिणेतरा —स्त्री॰—दक्षिण-इतरा—-—उत्तर दिशा
दक्षिणोत्तर —वि॰—दक्षिण-उत्तर—-—दक्षिण उत्तर की ओर मुड़ा हुआ
दक्षिणवृत्तम् —नपुं॰—दक्षिण- वृत्तम्—-—मध्याह्न रेखा
दक्षिणपश्चात् —अव्य॰—दक्षिण-पश्चात्—-—दक्षिण पश्चिम की ओर
दक्षिणपश्चिम —वि॰—दक्षिण-पश्चिम—-—दक्षिण पश्चिमी
दक्षिणपश्चिमा —स्त्री॰—दक्षिण-पश्चिमा—-—दक्षिण पश्चिम दिशा
दक्षिणपूर्व —वि॰—दक्षिण-पूर्व—-—दक्षिण पूर्वी
दक्षिणप्राच् —वि॰—दक्षिण-प्राच्—-—दक्षिण पूर्वी
दक्षिणपूर्वा —स्त्री॰—दक्षिण- पूर्वा—-—दक्षिण पूर्व दिशा
दक्षिणप्राची —स्त्री॰—दक्षिण-प्राची—-—दक्षिण पूर्व दिशा
दक्षिणसमुद्रः —पुं॰—दक्षिण-समुद्रः—-—दक्षिणी सागर
दक्षिणस्थः —स्त्री॰—दक्षिण-स्थः—-—सारथि
दक्षिणतः —अव्य॰—-—दक्षिण + तसिल्—दाईं ओर से या दक्षिण दिशा से
दक्षिणतः —अव्य॰—-—दक्षिण + तसिल्—दाईं ओर को
दक्षिणतः —अव्य॰—-—दक्षिण + तसिल्—दक्षिण दिशा की ओर
दक्षिणा —अव्य॰—-—दक्षिण + आच्—दाईं ओर, दक्षिण की ओर
दक्षिणात् —अव्य॰—-—-—दक्षिण दिशा में
दक्षिणा —स्त्री॰—-—दक्षिण+ टाप्—ब्राह्मणों को उपहार
दक्षिणा —स्त्री॰—-—दक्षिण+ टाप्—दक्षिणा
दक्षिणा —स्त्री॰—-—दक्षिण+ टाप्—भेंट, उपहार, दान, शुल्क, पारिश्रमिक- प्राणदक्षिणा, गुरुदक्षिणा
दक्षिणा —स्त्री॰—-—दक्षिण+ टाप्—अच्छी दुधार गाय, बहुप्रसवी गाय
दक्षिणा —स्त्री॰—-—दक्षिण+ टाप्—दक्षिण दिशा
दक्षिणा —स्त्री॰—-—दक्षिण+ टाप्—दक्षिण देश अर्थात् दक्षिणभारत
दक्षिणार्ह —वि॰—दक्षिणा-अर्ह—-—उपहार प्राप्त करने के योग्य या अधिकारी
दक्षिणावर्त्त —वि॰—दक्षिणा- आवर्त्त—-—दाईं ओर मुड़ा हुआ
दक्षिणावर्त्त —वि॰—दक्षिणा- आवर्त्त—-—दक्षिण की ओर मुड़ा हुआ
दक्षिणाकालः —पुं॰—दक्षिणा-कालः—-—दक्षिणा प्राप्त करने का समय
दक्षिणापथः —पुं॰—दक्षिणा-पथः—-—भारत का दक्षिणी प्रदेश
दक्षिणाप्रवण —वि॰—दक्षिणा-प्रवण—-—दक्षिणोन्मुख
दक्षिणाहि —अव्य॰—-—दक्षिण + आहि—दूर दाईं ओर
दक्षिणाहि —अव्य॰—-—दक्षिण + आहि—दूर दक्षिण में, के दक्षिण की ओर
दक्षिणीय —वि॰—-—दक्षिणामर्हति- दक्षिणा- छ—यज्ञीय उपहार को ग्रहण करने के योग्य या अधिकारी जैसा कि ब्राह्मण
दक्षिण्य —वि॰—-—दक्षिणामर्हति- दक्षिणा-यत्त् —यज्ञीय उपहार को ग्रहण करने के योग्य या अधिकारी जैसा कि ब्राह्मण
दक्षिणेन —अव्य॰—-—दक्षिण + एनप्—की दाईं ओर
दग्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—दह् + क्त—जला हुआ, आग में भस्म हुआ
दग्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—दह् + क्त—शोकसन्तप्त, सत्ताया हुआ, दुःखी
दग्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—दह् + क्त—दुर्भिक्षग्रस्त
दग्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—दह् + क्त—अशुभ
दग्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—दह् + क्त—शुष्क, नीरस, स्वादहीन
दग्ध —भू॰ क॰ कृ॰—-—दह् + क्त—दुर्वृत्त, अभिशप्त, दुष्ट
दग्धिका —स्त्री॰—-—दग्ध + कन् + टाप्, इत्वम्—मुरमुरे, भुने हुए चावल
दघ्न —वि॰—-—-—ऊँचाई, गहराई या पहुँच की भावना को प्रकट करने के लिए संज्ञा शब्दों के साथ लगने वाला प्रत्यय
दण्ड् —चुरा॰ उभ॰ < दण्डयति>, < दण्डयते>, < दण्डित>—-—-—सजा देना, जुर्माना करना, मरम्मत करना
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—यष्टिका, डंडा, छड़ी, गदा, मुद्गर, सोटा, काष्ठदण्डः
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—राजचिह्न, राजसत्ता का प्रतीकरुप दण्ड
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—उपनयन संस्कार के समय द्विज को दिया गया डण्डा
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—संन्यासी का डण्डा
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—हाथी की सूँड़
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—डण्ठल या वृन्त, मूठ
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—पतवार, डाँड़
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—रई का डंडा
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—जुर्माना
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—ताडन, शारीरिक दण्ड, सामान्य दण्ड
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—कैद
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—दण्ड उपाय
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—सेना
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—सैन्यव्यवस्था का एक रूप, व्यूह
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—वशीकरण, नियन्त्रण, प्रतिबन्ध
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—चार हाथ के परिमाण का नाप
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—लिंग
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—घमण्ड
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—शरीर
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—यम का विशेषण
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—विष्णु का नाम
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—शिव का नाम
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—सूर्य का सेवक
दण्डः —पुं॰—-—दण्ड् + अच्—घोड़ा
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—यष्टिका, डंडा, छड़ी, गदा, मुद्गर, सोटा, काष्ठदण्डः
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—राजचिह्न, राजसत्ता का प्रतीकरुप दण्ड
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—उपनयन संस्कार के समय द्विज को दिया गया डण्डा
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—संन्यासी का डण्डा
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—हाथी की सूंड़
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—डण्ठल या वृन्त, मूठ
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—पतवार, डाँड़
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—रई का डंडा
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—जुर्माना
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—ताडन, शारीरिक दण्ड, सामान्य दण्ड
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—कैद
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—दण्ड उपाय
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—सेना
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—सैन्यव्यवस्था का एक रूप, व्यूह
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—वशीकरण, नियन्त्रण, प्रतिबन्ध
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—चार हाथ के परिमाण का नाप
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—लिंग
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—घमण्ड
दण्डम् —नपुं॰—-—दण्ड् + अच्—शरीर
दण्डाजिनम् —नपुं॰—दण्डः-अजिनम्—-—डण्डा और मृगछाला
दण्डाजिनम् —नपुं॰—दण्डः-अजिनम्—-—पाखण्ड, छल
दण्डाधिपः —पुं॰—दण्डः-अधिपः—-—मुख्य दण्डाधिकरण
दण्डानीकम् —नपुं॰—दण्डः-अनीकम्—-—सेना की एक टुकड़ी
दण्डार्ह —वि॰—दण्डः- अर्ह—-—दण्ड दिये जाने के योग्य, दण्ड का भागी
दण्डालसिका —स्त्री॰—दण्डः- अलसिका—-—हैजा
दण्डाज्ञा —स्त्री॰—दण्डः- आज्ञा—-—दण्डित करने के लिए न्यायाधीश का वाक्य
दण्डाहतम् —नपुं॰—दण्डः- आहतम्—-—मट्ठा, छाछ
दण्डकर्मन् —नपुं॰—दण्डः- कर्मन्—-—दण्ड देना, ताडना करना
दण्डकाकः —पुं॰—दण्डः- काकः—-—पहाड़ी कौवा
दण्डकाष्ठम् —नपुं॰—दण्डः- काष्ठम्—-—लकड़ी का डण्डा या सोंटा
दण्डग्रहणम् —नपुं॰—दण्डः- ग्रहणम्—-—संन्यासी का दण्ड ग्रहण करना, तीर्थयात्री का डण्डा लेना, साधु हो जाना
दण्डच्छदनम् —नपुं॰—दण्डः- छदनम्—-—बरतन रखने का कमरा
दण्डढक्का —पुं॰—दण्डः- ढक्का—-—एक प्रकार का ढोल
दण्डदासः —पुं॰—दण्डः- दासः—-—ऋणपरिशोध न करने के कारण बना हुआ सेवक
दण्डदेवकुलम् —नपुं॰—दण्डः- देवकुलम्—-—न्यायालय
दण्डधर —वि॰—दण्डः-धर—-—डण्डा रखने वाला, दण्डधारी
दण्डधर —वि॰—दण्डः-धर—-—दण्ड देने वाला, ताड्ना करने वाला
दण्डधार —वि॰—दण्डः-धार—-—डण्डा रखने वाला, दण्डधारी
दण्डधार —वि॰—दण्डः-धार—-—दण्ड देने वाला, ताडना करने वाला
दण्डधरः —पुं॰—दण्डः-धरः—-—राजा
दण्डधरः —पुं॰—दण्डः-धरः—-—यम
दण्डधरः —पुं॰—दण्डः-धरः—-—न्यायाधीश, सर्वोच्च दण्डाधिकरण
दण्डनायकः —पुं॰—दण्डः- नायकः—-—न्यायाधीश, पुलिस का मुख्य अधिकारी, दण्डाधिकरण
दण्डनायकः —पुं॰—दण्डः- नायकः—-—सेना का मुखिया, सेनापति
दण्डनीतिः —स्त्री॰—दण्डः- नीतिः—-—न्याय प्रशासन, न्यायकरण
दण्डनीतिः —स्त्री॰—दण्डः- नीतिः—-—नागरिक तथा सैनिक प्रशासन
दण्डपद्धति —वि॰—दण्डः- पद्धति—-—राज्यशासनविधि, राज्यतन्त्र
दण्डनेतृ —पुं॰—दण्डः- नेतृ—-—राजा
दण्डपः —पुं॰—दण्डः- पः—-—राजा
दण्डपांशुलः —पुं॰—दण्डः- पांशुलः—-—दरबान, द्वारपाल
दण्डपाणिः —पुं॰—दण्डः- पाणिः—-—यम का विशेषण
दण्डपातः —पुं॰—दण्डः-पातः—-—डण्डे का गिरना
दण्डपातः —पुं॰—दण्डः-पातः—-—दण्ड देना
दण्डपातनम् —नपुं॰—दण्डः- पातनम्—-—दण्ड देना, ताडना करना
दण्डपारुष्यम् —नपुं॰—दण्डः- पारुष्यम्—-—सम्प्रहार, प्रघात
दण्डपारुष्यम् —नपुं॰—दण्डः- पारुष्यम्—-—कठोर तथा दारुण दण्ड देना
दण्डपालः —पुं॰—दण्डः- पालः—-—मुख्य दण्डाधिकरण
दण्डपालः —पुं॰—दण्डः- पालः—-—द्वारपाल, डयोढ़ीवान
दण्डपालकः —पुं॰—दण्डः- पालकः—-—मुख्य दण्डाधिकरण
दण्डपालकः —पुं॰—दण्डः- पालकः—-—द्वारपाल, डयोढ़ीवान
दण्डपोणः —पुं॰—दण्डः- पोणः—-—मूठदार चलनी
दण्डप्रणामः —पुं॰—दण्डः- प्रणामः—-—शरीर को बिना झुकाये नमस्कार करना
दण्डप्रणामः —पुं॰—दण्डः- प्रणामः—-—भूमि पर लेट कर प्रणाम करना
दण्डबालधिः —पुं॰—दण्डः- बालधिः—-—हाथी
दण्डभङ्गः —पुं॰—दण्डः- भङ्गः—-—दण्डाज्ञा पर अमल न करना
दण्डभृत् —पुं॰—दण्डः- भृत्—-—कुम्हार
दण्डभृत् —पुं॰—दण्डः- भृत्—-—यम का विशेषण
दण्डमाणवः —पुं॰—दण्डः- माणवः—-—दण्डधारी
दण्डमाणवः —पुं॰—दण्डः- माणवः—-—दण्डधारी संन्यासी
दण्डमानवः —पुं॰—दण्डः-मानवः—-—दण्डधारी
दण्डमानवः —पुं॰—दण्डः-मानवः—-—दण्डधारी संन्यासी
दण्डमार्गः —पुं॰—दण्डः- मार्गः—-—राजमार्ग, मुख्यमार्ग
दण्डयात्रा —स्त्री॰—दण्डः- यात्रा—-—बरात का जलूस
दण्डयात्रा —स्त्री॰—दण्डः- यात्रा—-—युद्ध के लिए कूच, दिग्विजय के लिए प्रस्थान
दण्डयामः —पुं॰—दण्डः- यामः—-—यम का विशेषण
दण्डयामः —पुं॰—दण्डः- यामः—-—अगस्त्य मुनि की उपाधि
दण्डयामः —पुं॰—दण्डः- यामः—-—दिन
दण्डवादिन् —पुं॰—दण्डः- वादिन्—-—द्वारपाल, सन्तरी, पहरेदार
दण्डवासिन् —पुं॰—दण्डः- वासिन्—-—द्वारपाल, सन्तरी, पहरेदार
दण्डवाहिन् —पुं॰—दण्डः- वाहिन्—-—पुलिस अधिकारी
दण्डविधिः —पुं॰—दण्डः- विधिः—-—दण्ड देने का नियम
दण्डविधिः —पुं॰—दण्डः- विधिः—-—दण्डविधान
दण्डविष्कम्भः —पुं॰—दण्डः- विष्कम्भः—-—मथानी की रस्सी बाँधने का खम्भा
दण्डव्यूहः —पुं॰—दण्डः- व्यूहः—-—एक प्रकार की व्यूह-रचना जिसमें सैनिक पास-पास कतारों में खड़े किये जाते हैं
दण्डशास्त्रम् —पुं॰—दण्डः- शास्त्रम्—-—दण्ड निर्णय का शास्त्र, दण्डविधान
दण्डहस्तः —पुं॰—दण्डः- हस्तः—-—द्वारपाल, पहरेदार, संतरी
दण्डहस्तः —पुं॰—दण्डः- हस्तः—-—यम का विशेषण
दण्डकः —पुं॰—-—दण्ड + कन्—छड़ी, डण्डा
दण्डकः —पुं॰—-—दण्ड + कन्—पङ्क्ति, कतार
दण्डकः —पुं॰—-—दण्ड + कन्—एक छन्द
दण्डकः —पुं॰—-—-—दक्षिण में एक विख्यात प्रदेश जो नर्मदा और गोदावरी के बीच में स्थित है
दण्डका —स्त्री॰—-—-—दक्षिण में एक विख्यात प्रदेश जो नर्मदा और गोदावरी के बीच में स्थित है
दण्डकम् —नपुं॰—-—-—दक्षिण में एक विख्यात प्रदेश जो नर्मदा और गोदावरी के बीच में स्थित है
दण्डनम् —नपुं॰—-—दण्ड् + ल्युट्—दण्ड देना, ताड़ना करना, जुर्माना करना
दण्डादण्डि —अव्य॰—-—दण्डैश्च दण्डैश्च प्रह्यत्य प्रवृत्तं युद्धम्- इच्, द्वित्वं, पूर्वपददीर्घः—लाठियों की लड़ाई, डण्डों की सोटों की लड़ाई
दण्डारः —पुं॰—-—दण्ड + ॠ + अण्—गाड़ी
दण्डारः —पुं॰—-—दण्ड + ॠ + अण्—कुम्हार का चाक
दण्डारः —पुं॰—-—दण्ड + ॠ + अण्—बेड़ा, नाव
दण्डारः —पुं॰—-—दण्ड + ॠ + अण्—मदमस्त हाथी
दण्डिकः —पुं॰—-—दण्ड + ठन्—दण्डधारी, छड़ीबरदार
दण्डिका —स्त्री॰—-—दण्डिक + टाप्—लकड़ी
दण्डिका —स्त्री॰—-—दण्डिक + टाप्—पङ्क्ति, कतार, श्रेणी
दण्डिका —स्त्री॰—-—दण्डिक + टाप्—मोतियों की लड़ी, हार
दण्डिका —स्त्री॰—-—दण्डिक + टाप्—रस्सी
दण्डिन् —पुं॰—-—दण्ड + इनि—चौथे आश्रम में स्थित ब्राह्मण, संन्यासी
दण्डिन् —पुं॰—-—दण्ड + इनि—द्वारपाल, ड्योढ़ीवान
दण्डिन् —पुं॰—-—दण्ड + इनि—डाँड़ चलाने वाला
दण्डिन् —पुं॰—-—दण्ड + इनि—जैन संन्यासी
दण्डिन् —पुं॰—-—दण्ड + इनि—यम का विशेषण
दण्डिन् —पुं॰—-—दण्ड + इनि—राजा
दण्डिन् —पुं॰—-—दण्ड + इनि—दशकुमार चरित और काव्यादर्श का रचयिता, दण्डी कवि
दच्छदः —पुं॰—दत्-छदः—-—होंठ, ओष्ठ
दत्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—दा + क्त—दिया हुआ, प्रदत्त, प्रस्तुत किया हुआ
दत्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—दा + क्त—सोंपा हुआ, वितरित, समर्पित
दत्त —भू॰ क॰ कृ॰—-—दा + क्त—रक्खा हुआ, फैलाया हुआ
दत्तः —पुं॰—-—-—हिन्दू धर्मशास्त्र में वर्णित १२ प्रकार के पुत्रों में से एक
दत्तः —पुं॰—-—-—वैश्यों के नामों के साथ लगने वाली उपाधि
दत्तः —पुं॰—-—-—अत्रि और अनसूया का पुत्र
दत्तम् —नपुं॰—-—-—उपहार, दान
दत्तानपकर्मन् —नपुं॰—दत्त- अनपकर्मन्—-—दी हुई वस्तु को न देना, या दान की हुई वस्तु को वापिस लेना, हिन्दू धर्मशास्त्र में वर्णित १८ स्वाधिकारों में से एक
दत्ताप्रदानिकम् —नपुं॰—दत्त- अप्रदानिकम्—-—दी हुई वस्तु को न देना, या दान की हुई वस्तु को वापिस लेना, हिन्दू धर्मशास्त्र में वर्णित १८ स्वाधिकारों में से एक
दत्तावधान —वि॰—दत्त- अवधान—-—सावधान
दत्तात्रेयः —पुं॰—दत्त- आत्रेयः—-—एक ऋषि, अत्रि और अनसूया का पुत्र, जो ब्रह्मा, विष्णु, महेश का अवतार माना जाता है
दत्तादर —वि॰—दत्त- आदर—-—आदर प्रदर्शित करने वाला, सम्मानपूर्ण
दत्तादर —वि॰—दत्त- आदर—-—सम्मान प्राप्त
दत्तशुल्का —स्त्री॰—दत्त- शुल्का—-—दुलहिन जिसको दहेज दिया गया है
दत्तहस्त —वि॰—दत्त- हस्त—-—जिसने दूसरे की सहायता के लिए हाथ बढ़ाया है, हाथ का सहारा पाये हुए
दत्तहस्त —वि॰—दत्त- हस्त—-—शम्भु की भुजा पर टेक लगाये हुए
दत्तहस्त —वि॰—दत्त- हस्त—-—साहाय्यवान्, समर्पित, साहाय्यित, सहायता- प्राप्त
दत्तकः —पुं॰—-—दत्त + कन्—गोद लिया हुआ पुत्र
दद् —भ्वा॰ आ॰ < ददते>—-—-—देना, प्रदान करना
दद —वि॰—-—दा॰ + श—देने वाला, प्रदान करने वाला
ददनम् —नपुं॰—-—दद् + ल्युट्—उपहार, दान
दध् —भ्वा॰ आ॰ < दधते>—-—-—पकड़ना
दध् —भ्वा॰ आ॰ < दधते>—-—-—धारण करना, पास रखना
दध् —भ्वा॰ आ॰ < दधते>—-—-—उपहार देना
दधि —नपुं॰—-—दध् +इन्—जमा हुआ दूध, दही
दधि —नपुं॰—-—दध् +इन्—तारपीन
दधि —नपुं॰—-—दध् +इन्—वस्त्र
दध्यन्नम् —नपुं॰—दधि- अन्नम्—-—दही मिला हुआ भात
दध्योदनम् —नपुं॰—दधि- ओदनम्—-—दही मिला हुआ भात
दध्युत्तरम् —नपुं॰—दधि- उत्तरम्—-—दही की मलाई, तोड़
दध्युत्तरकम् —नपुं॰—दधि- उत्तरकम्—-—दही की मलाई, तोड़
दध्युत्तरगम् —नपुं॰—दधि- उत्तरगम्—-—दही की मलाई, तोड़
दध्युदः —पुं॰—दधि- उदः—-—जमे हुए दूध का सागर
दध्युदकः —पुं॰—दधि- उदकः—-—जमे हुए दूध का सागर
दधिकूचिका —स्त्री॰—दधि- कूचिका—-—जमे हुए और उबले हुए दूध का मिश्रण
दधिचारः —पुं॰—दधि-चारः—-—रई
दधिजम् —नपुं॰—दधि- जम्—-—ताजा मक्खन
दधिफलः —पुं॰—दधि- फलः—-—कैथ
दधिमण्डः —नपुं॰—दधि- मण्डः—-—दही का तोड़
दधिवारि —नपुं॰—दधि- वारि—-—दही का तोड़
दधिमन्थनम् —नपुं॰—दधि- मन्थनम्—-—दही का मथना
दधिशोणः —पुं॰—दधि- शोणः—-—बन्दर
दधिसक्तु —पुं॰—दधि- सक्तु—-—दही मिला हुआ सत्तू
दधिसारः —पुं॰—दधि- सारः—-—ताजा मक्खन
दधिस्नेहः —पुं॰—दधि-स्नेहः—-—ताजा मक्खन
दधिस्वेदः —पुं॰—दधि- स्वेदः—-—अधरिड़का दही
दधित्थः —पुं॰—-—दधि + स्था + क —कैथ, कपित्थ
दधीचः —पुं॰—-—-—एक विख्यात ऋषि
दधीचास्थि —नपुं॰—दधीचः- अस्थि—-—इन्द्र का वज्र
दधीचास्थि —नपुं॰—दधीचः- अस्थि—-—हीरा
दनुः —स्त्री॰—-—-—दक्ष की एक कन्या जो कश्यप को ब्याही गई थी यही दानवों की माता थी
दनुजः —पुं॰—दनुः- जः—-—राक्षस
दनुपुत्रः —पुं॰—दनुः- पुत्रः—-—राक्षस
दनुसंभवः —पुं॰—दनुः- संभवः—-—राक्षस
दनुसूनुः —पुं॰—दनुः- सूनुः—-—राक्षस
दन्वरिः —पुं॰—दनुः- अरिः—-—देवता
दनुद्विष् —पुं॰—दनुः- द्विष्—-—देवता
दन्तः —पुं॰—-—दम् + तन्—दाँत, हाथी का दाँत, विषदन्त,
दन्तः —पुं॰—-—दम् + तन्—हाथी का दाँत, गजदन्त
दन्तः —पुं॰—-—दम् + तन्—बाण की नोक
दन्तः —पुं॰—-—दम् + तन्—पर्वत की चोटी
दन्तः —पुं॰—-—दम् + तन्—लताकुँज, पर्णशाला
दन्ताग्रम् —नपुं॰—दन्तः- अग्रम्—-—दाँत की नोक
दन्तान्तरम् —नपुं॰—दन्तः- अन्तरं—-—दाँतों के बीच का स्थान
दन्तोद्भेदः —पुं॰—दन्तः- उद्भेदः—-—दाँतों का निकलना
दन्तोलूखलिकः —पुं॰—दन्तः- उलूखलिकः—-—जो अपने दाँतों को ऊखल की भाँति प्रयुक्त करते हैं, एक प्रकार के साधु संन्यासी
दन्तखलिन् —पुं॰—दन्तः- खलिन्—-—जो अपने दाँतों को ऊखल की भाँति प्रयुक्त करते हैं, एक प्रकार के साधु संन्यासी
दन्तकर्षणः —पुं॰—दन्तः- कर्षणः—-—नींबू का वृक्ष
दन्तकारः —पुं॰—दन्तः- कारः—-—हाथीदाँत का काम करने वाला कलाकार
दन्तकाष्ठम् —नपुं॰—दन्तः- काष्ठम्—-—दातून
दन्तकूरः —पुं॰—दन्तः- कूरः—-—लड़ाई
दन्तग्राहिन् —वि॰—दन्तः- ग्राहिन्—-—दाँतों को क्षति पहुँचाने वाला, दाँतों को खराब करने वाला
दन्तघर्षः —पुं॰—दन्तः- घर्षः—-—दाँतों का किचकिचाना, दाँत पीसना
दन्तचालः —पुं॰—दन्तः- चालः—-—दाँतों का ढीलापन
दन्तछदः —पुं॰—दन्तः- छदः—-—होठ
दन्तजात —वि॰—दन्तः- जात—-—जिसके दाँत निकल आये हों, दाँत निकलने का समय
दन्तजाहम् —नपुं॰—दन्तः- जाहम्—-—दाँत की जड़
दन्तधावनम् —नपुं॰—दन्तः- धावनम्—-—दाँतों को धोना, साफ करना
दन्तधावनम् —नपुं॰—दन्तः- धावनम्—-—दातून
दन्तधावनः —पुं॰—दन्तः- धावनः—-—खैर का वृक्ष, मौलसिरी का पेड़
दन्तपत्रम् —नपुं॰—दन्तः- पत्रम्—-—एक प्रकार का कर्णाभूषण
दन्तपत्रकम् —नपुं॰—दन्तः- पत्रकम्—-—कान का आभूषण
दन्तपत्रकम् —नपुं॰—दन्तः- पत्रकम्—-—कुन्द फूल
दन्तपत्रिका —स्त्री॰—दन्तः- पत्रिका—-—कान का आभूषण
दन्तपत्रिका —स्त्री॰—दन्तः- पत्रिका—-—कुन्द
दन्तपवनम् —नपुं॰—दन्तः- पवनम्—-—दातून
दन्तपवनम् —नपुं॰—दन्तः- पवनम्—-—दाँतों का धोना, साफ करना
दन्तपातः —पुं॰—दन्तः- पातः—-—दाँतों का गिरना
दन्तपाली —स्त्री॰—दन्तः- पाली—-—दाँत की नोंक
दन्तपाली —स्त्री॰—दन्तः- पाली—-—मसूड़ा
दन्तपुष्पम् —नपुं॰—दन्तः- पुष्पम्—-—कुन्द फूल
दन्तपुष्पम् —नपुं॰—दन्तः- पुष्पम्—-—कतक फल, निर्मली
दन्तप्रक्षालनम् —नपुं॰—दन्तः- प्रक्षालनम्—-—दाँतों का धोना
दन्तभागः —पुं॰—दन्तः- भागः—-—हाथी के सिर का अगला भाग
दन्तमलम् —नपुं॰—दन्तः- मलम्—-—दाँतों का मैल
दन्तमांसम् —नपुं॰—दन्तः- मांसं—-—मसूड़ा
दन्तमूलम् —नपुं॰—दन्तः- मूलम्—-—मसूड़ा
दन्तवल्कम् —नपुं॰—दन्तः- वल्कम्—-—मसूड़ा
दन्तमूलीयाः —ब॰ व॰—दन्तः- मूलीयाः—-—दन्त्य वर्ण अर्थात् लृ त् थ् द् ध् न् ल् और स्
दन्तरोगः —पुं॰—दन्तः- रोगः—-—दाँत की पीड़ा
दन्तवस्त्रम् —नपुं॰—दन्तः- वस्त्रम्—-—होठ
दन्तवासः —नपुं॰—दन्तः- वासः—-—होठ
दन्तवीजः —पुं॰—दन्तः- वीजः—-—अनार का पेड़
दन्तबीजः —पुं॰—दन्तः- बीजः—-—अनार का पेड़
दन्तवीजकः —पुं॰—दन्तः- वीजकः—-—अनार का पेड़
दन्तबीजकः —पुं॰—दन्तः- बीजकः—-—अनार का पेड़
दन्तवीणा —स्त्री॰—दन्तः- वीणा—-—एक प्रकार का बाजा, सारंगी
दन्तवीणा —स्त्री॰—दन्तः- वीणा—-—दाँत कटकटाना
दन्तवैदर्भः —पुं॰—दन्तः- वैदर्भः—-—बाह्यक्षति के द्वारा दाँतों का टूटना
दन्तव्यसनम् —नपुं॰—दन्तः- व्यसनम्—-—दाँत का टूटना
दन्तशठ —वि॰—दन्तः- शठ—-—खट्टा, चरपरा
दन्तशठः —पुं॰—दन्तः- शठः—-—नींबू का पेड़
दन्तशर्करा —स्त्री॰—दन्तः- शर्करा—-—दाँतों के ऊपर मैल की पपड़ी
दन्तशाणः —पुं॰—दन्तः- शाणः—-—दाँतों पर लगाने का दन्तमञ्जन, दन्तशोधन मिस्सी
दन्तशूल —वि॰—दन्तः- शूल—-—दाँत की पीड़ा
दन्तशूलम् —नपुं॰—दन्तः- शूलम्—-—दाँत की पीड़ा
दन्तशोधनिः —स्त्री॰—दन्तः- शोधनिः—-—दाँत कुरेलनी
दन्तशोफः —पुं॰—दन्तः- शोफः—-—मसूड़ों की सूजन
दन्तसंघर्षः —पुं॰—दन्तः- संघर्षः—-—दाँतों का रगड़ना
दन्तहर्षः —पुं॰—दन्तः- हर्षः—-—दाँतों में लगना
दन्तहर्षकः —पुं॰—दन्तः- हर्षकः—-—नींबू का पेड़
दन्तकः —पुं॰—-—दन्त + कन्—चोटी, शिखर
दन्तकः —पुं॰—-—दन्त + कन्—खूँटी, पलहण्डी
दन्तादन्ति —अव्य॰—-—दन्तैश्च दन्तैश्च प्रहृत्य प्रवृत्तं युद्धम् समासान्तः इच्, पूर्वपददीर्घः—ऐसी लड़ाई जिसमें एक- दूसरे को दाँतों से काटा जाय
दन्तावलः —पुं॰—-—अतिशायितौ दन्तौ यस्य- दन्त + वलच्, दीर्घः—हाथी
दन्तिन् —पुं॰—-—अतिशायितौ दन्तौ यस्य- दन्त + इनि—हाथी
दन्तुर —वि॰—-—दन्त + उरच्—बड़े-बड़े या आगे निकले हुए दाँतों वाला
दन्तुर —वि॰—-—दन्त + उरच्—दाँतेदार, दन्तुरित, दरारदार, दानेदार, उन्नतावनत, विषम
दन्तुर —वि॰—-—दन्त + उरच्—उर्मिल
दन्तुर —वि॰—-—दन्त + उरच्—उठना, खड़ा होना
दन्तुरछदः —पुं॰—दन्तुर-छदः—-—नींबू का पेड़
दन्तुरित —वि॰—-—दन्तुर + इतच्—बड़े या आगे निकले हुए दाँतों वाला
दन्तुरित —वि॰—-—दन्तुर + इतच्—दाँतेदार, उन्नतावनत, खड़े रोंगटों वाला
दन्त्य —वि॰—-—दन्त + यत्—दाँतों से सम्बद्ध
दन्त्यः —पुं॰—-—-—दन्तस्थानीय वर्ण
दन्दशूक —वि॰—-—दंश् + यङ् + ऊक्—काटने वाला, विषैला
दन्दशूक —वि॰—-—दंश् + यङ् + ऊक्—उत्पाती
दन्दशूकः —पुं॰—-—-—साँप, सर्प
दन्दशूकः —पुं॰—-—-—रेंगने वाला जन्तु
दभ् —भ्वा॰ स्वा॰ पर॰ < दभति>, दभ्नोति दब्ध—-—-—क्षति पहुँचाना, चोट पहुँचाना
दभ् —भ्वा॰ स्वा॰ पर॰ < दभति>, दभ्नोति दब्ध—-—-—धोखा देना, ठगना
दभ् —भ्वा॰ स्वा॰ पर॰ < दभति>, दभ्नोति दब्ध—-—-—जाना
दभ् —भ्वा॰ स्वा॰ पर॰ इच्छा॰ < धिप्सति>,<धीप्सति>,<दिदम्भिषति>—-—-—क्षति पहुँचाना, चोट पहुँचाना
दभ् —भ्वा॰ स्वा॰ पर॰ इच्छा॰ < धिप्सति>,<धीप्सति>,<दिदम्भिषति>—-—-—धोखा देना, ठगना
दभ् —भ्वा॰ स्वा॰ पर॰ इच्छा॰ < धिप्सति>,<धीप्सति>,<दिदम्भिषति>—-—-—जाना
दभ् —चुरा॰ उभ॰ < दम्भयति>, < दम्भयते>—-—-—ठेलना, उकसाना, ढकेलना
दम्भ् —भ्वा॰ स्वा॰ पर॰ < दभति>, दभ्नोति दब्ध- इच्छा॰ < धिप्सति>,<धीप्सति>,<दिदम्भिषति>—-—-—क्षति पहुँचाना, चोट पहुँचाना
दम्भ् —भ्वा॰ स्वा॰ पर॰ < दभति>, दभ्नोति दब्ध- इच्छा॰ < धिप्सति>,<धीप्सति>,<दिदम्भिषति>—-—-—धोखा देना, ठगना
दम्भ् —भ्वा॰ स्वा॰ पर॰ < दभति>, दभ्नोति दब्ध- इच्छा॰ < धिप्सति>,<धीप्सति>,<दिदम्भिषति>—-—-—जाना
दम्भ् —भ्वा॰ स्वा॰ पर॰इच्छा॰ < धिप्सति>,<धीप्सति>,<दिदम्भिषति>—-—-—क्षति पहुँचाना, चोट पहुँचाना
दम्भ् —भ्वा॰ स्वा॰ पर॰इच्छा॰ < धिप्सति>,<धीप्सति>,<दिदम्भिषति>—-—-—धोखा देना, ठगना
दम्भ् —भ्वा॰ स्वा॰ पर॰इच्छा॰ < धिप्सति>,<धीप्सति>,<दिदम्भिषति>—-—-—जाना
दम्भ् —चुरा॰ उभ॰ < दम्भयति>, < दम्भयते>—-—-—ठेलना, उकसाना, ढकेलना
दभ्र —वि॰—-—दम्भ् + रक—थोड़ा,स्वल्प
दभ्रम् —अव्य॰—-—-—थोड़ा, जरा, किसी अंश तक
दम् —दिवा॰ पर॰- < दाम्यति>,< दमित>, < दान्त>—-—-—पाला जाना
दम् —दिवा॰ पर॰- < दाम्यति>,< दमित>, < दान्त>—-—-—शान्त होना
दम् —दिवा॰ पर॰- < दाम्यति>,< दमित>, < दान्त>—-—-—पालना, वश में करना, जीतना, रोकना
दम् —दिवा॰ पर॰- < दाम्यति>,< दमित>, < दान्त>—-—-—शान्त करना
दमः —पुं॰—-—दम् + घञ्—पालना, दमन करना
दमः —पुं॰—-—दम् + घञ्—आत्मनियन्त्रण, अपनी उग्र भावनाओं को वश में करना, आत्मसंयम
दमः —पुं॰—-—दम् + घञ्—बुराई की ओर से मन को हटाना, बुरी वृत्तियों का दमन करना
दमः —पुं॰—-—दम् + घञ्—मन की दृढ़ता
दमः —पुं॰—-—दम् + घञ्—दण्ड, जुर्माना
दमः —पुं॰—-—दम् + घञ्—दलदल, कींचड़
दमथः —पुं॰—-—दम् + अथच्, अथुच् वा—अपनि उग्र वृत्तियों को रोकना, या वश में करना आत्मनियन्त्रण
दमथः —पुं॰—-—दम् + अथच्, अथुच् वा—दण्ड
दमथुः —पुं॰—-—दम् + अथच्, अथुच् वा—अपनि उग्र वृत्तियों को रोकना, या वश में करना आत्मनियन्त्रण
दमथुः —पुं॰—-—दम् + अथच्, अथुच् वा—दण्ड
दमन —वि॰—-—दम् + ल्युट्—पालने वाला, दबाने वाला, वश में करने वाला, जीतने वाला, हराने वाला
दमन —वि॰—-—दम् + ल्युट्—शान्त, निरावेश
दमनम् —नपुं॰—-—-—पालना, वश में करना, दबाना, नियन्त्रित करना
दमनम् —नपुं॰—-—-—दण्ड देना, ताड़ना करना
दमयन्ती —स्त्री॰—-—दमयति नाशयति अमङ्गलादिकम्- दम् + णिच् + शतृ + ङीष्—विदर्भ के राजा भीम की पुत्री
दमयितृ —वि॰—-—दम् + णिच् + तृच्—पालने वाला, दमन करने वाला
दमयितृ —वि॰—-—दम् + णिच् + तृच्—दण्ड देने वाला, ताड़ना करने वाला
दमयितृ —वि॰—-—दम् + णिच् + तृच्—विष्णु का विशेषण
दमित —वि॰—-—दम् + क्त—पाला हुआ, शान्त, शान्त किया हुआ
दमित —वि॰—-—दम् + क्त—विजित, दमन किया हुआ, वशीभूत, परास्त
दमुनस् —पुं॰—-—दम् + उनस्—आग
दमूनस् —पुं॰—-—दम् + उनस्, पक्षे दीर्घः—आग
दम्पती —स्त्री॰—-—जाया च पतिश्च द्व॰ स॰- जायाशब्दस्य दमादेशः द्विवचन—पति और पत्नी
दम्भः —पुं॰—-—दम्भ् + घञ्—धोखा, जालसाजी, दाँवपेच
दम्भः —पुं॰—-—दम्भ् + घञ्—धार्मिक, पाखण्ड
दम्भः —पुं॰—-—दम्भ् + घञ्—अहंकार, घमण्ड, आत्मश्लाघा
दम्भः —पुं॰—-—दम्भ् + घञ्—पाप, दुष्टता
दम्भः —पुं॰—-—दम्भ् + घञ्—इन्द्र का वज्र
दम्भनम् —नपुं॰—-—दम्भ् + ल्युट्—ठगना, धोखा देना, छल
दम्भिन् —पुं॰—-—दम्भ् + णिनि—पाखण्डी, धूर्त
दम्भोलिः —पुं॰—-—दम्भ् + असुन्= दम्भस्, तस्मिन् प्रेरणे अलति पर्याप्नोति- अल् + इन्—इन्द्र का वज्र
दम्य —वि॰—-—दम् + यत्—पालने के योग्य, सधाये जाने के लायक
दम्य —वि॰—-—दम् + यत्—दण्ड दिये जाने योग्य
दम्यः —पुं॰—-—-—वह बछड़ा जिसे अभी सधाना है
दय् —भ्वा॰ आ॰- दयते, दयित—-—-—दया आना, करुणा का भाव होना, तरस खाना, सहानुभूति प्रदर्शित करना
दय् —भ्वा॰ आ॰- दयते, दयित—-—-—प्यार करना, अच्छा लगना, रुचिकर होना
दय् —भ्वा॰ आ॰- दयते, दयित—-—-—रक्षा करना
दय् —भ्वा॰ आ॰- दयते, दयित—-—-—जाना, हिलना-जुलना
दय् —भ्वा॰ आ॰- दयते, दयित—-—-—स्वीकार करना, देना, वितरण करना, नियत करना
दय् —भ्वा॰ आ॰- दयते, दयित—-—-—चोट पहुँचाना
दया —स्त्री॰—-—दय् + अङ् + टाप्—तरस, सुकुमारता, करुणा, अनुकम्पा, सहानुभूति
दयाकूटः —पुं॰—दया- कूटः—-—बुद्ध के विशेषण
दयाकूर्चः —पुं॰—दया- कूर्चः—-—बुद्ध के विशेषण
दयावीरः —पुं॰—दया-वीरः—-—वीरतापूर्ण करुणा की भावना, करुणा के फलस्वरूप उदय होने वाला वीररस
दयालु —वि॰—-—दय् + आलुच्—कृपालु, सुकुमार, सदय, करुणापूर्ण
दयित —भू॰ क॰ कृ॰—-—दय् + क्त—प्रिय, चाहा हुआ, इष्ट
दयितः —पुं॰—-—-—पति, प्रेमी, प्रिय व्यक्ति
दयिता —स्त्री॰—-—-—पत्नी, प्रेयसी
दयिताजितः —पुं॰—-—-—जोरू का गुलाम, पत्नीभक्त पति
दर —वि॰—-—दृ + अप्—फाड़ने वाला, चीरने वाला
दरः —पुं॰—-—-—गुफा, कन्दरा, छिद्र
दरम् —नपुं॰—-—-—गुफा, कन्दरा, छिद्र
दरः —पुं॰—-—-—भय, त्रास, डर
दरम् —अव्य॰—-—-—थोड़ा, जरा
दरतिमिरम् —नपुं॰—दर- तिमिरम्—-—भय का अन्धकार
दरणम् —नपुं॰—-—दृ + ल्युट्—तोड़ना, टुकड़े- टुकड़े करना
दरणिः —पुं॰—-—दृ + अनि—भँवर
दरणिः —पुं॰—-—दृ + अनि—धारा
दरणिः —पुं॰—-—दृ + अनि—हिलोर
दरणी —स्त्री॰—-—दरणि + ङीष्—भँवर
दरणी —स्त्री॰—-—दरणि + ङीष्—धारा
दरणी —स्त्री॰—-—दरणि + ङीष्—हिलोर
दरद् —स्त्री॰—-—दृ + अदि—हृदय
दरद् —स्त्री॰—-—दृ + अदि—त्रास, भय
दरद् —स्त्री॰—-—दृ + अदि—पहाड़
दरद् —स्त्री॰—-—दृ + अदि—चट्टान, किनारा, टीला
दरदाः —पुं॰—-—दर + दै + क—कश्मीर की सीमा को छूता हुआ एक देश
दरिः —स्त्री॰—-—दृ+ इन्—गुफा, कन्दरा, घाटी, दरीगृह
दरी —स्त्री॰—-—दरि+ ङीष्—गुफा, कन्दरा, घाटी, दरीगृह
दरिद्रा —अदा॰ पर॰- < दरिद्राति>, < दरिद्रितः> —-—-—निर्धन होना, गरीब होना
दरिद्रा —अदा॰ पर॰- < दरिद्राति>, < दरिद्रितः> —-—-—कष्टग्रस्त होना
दरिद्रा —अदा॰ पर॰- < दरिद्राति>, < दरिद्रितः> —-—-—दुबला-पतला होना
दरिद्रा —अदा॰पर॰प्रे॰<दरिद्रयति>—-—-—निर्धन होना, गरीब होना
दरिद्रा —अदा॰पर॰प्रे॰<दरिद्रयति>—-—-—कष्टग्रस्त होना
दरिद्रा —अदा॰पर॰प्रे॰<दरिद्रयति>—-—-—दुबला-पतला होना
दरिद्रा —अदा॰पर॰इच्छा॰<दिदरिद्रायति><दिदरिद्रिषति>—-—-—निर्धन होना, गरीब होना
दरिद्रा —अदा॰पर॰इच्छा॰<दिदरिद्रायति><दिदरिद्रिषति>—-—-—कष्टग्रस्त होना
दरिद्रा —अदा॰पर॰इच्छा॰<दिदरिद्रायति><दिदरिद्रिषति>—-—-—दुबला-पतला होना
दरिद्र —वि॰—-—दरिद्रा + क—निर्धन, गरीब, अभावग्रस्त, दुर्दशाग्रस्त
दरिद्रता —स्त्री॰—-—-—गरीबी
दरोदरः —पुं॰—-—दरो भयं तञ्जनकमुदरं यस्य—जुआरी
दरोदरः —पुं॰—-—दरो भयं तञ्जनकमुदरं यस्य—जुए पर लगा दाँव
दरोदरम् —नपुं॰—-—-—जुआ खेलना
दरोदरम् —नपुं॰—-—-—पाँसा, अक्ष
दर्दरः —पुं॰—-—दृ + यद् + अच्—पहाड़
दर्दरः —पुं॰—-—दृ + यद् + अच्—कुछ टूटा हुआ मर्तवान
दर्दरीकः —पुं॰—-—दृ + यङ् + ईकन्—मेढक
दर्दरीकः —पुं॰—-—दृ + यङ् + ईकन्—बादल
दर्दरीकः —पुं॰—-—दृ + यङ् + ईकन्—एक प्रकार का वाद्ययन्त्र
दर्दरीकम् —नपुं॰—-—-—एक वाद्ययन्त्र
दर्दुरः —पुं॰—-—दृ + यङ् + उरच्—मेढक
दर्दुरः —पुं॰—-—दृ + यङ् + उरच्—बादल
दर्दुरः —पुं॰—-—दृ + यङ् + उरच्—बाँसुरी जैसा एक वाद्ययन्त्र
दर्दुरः —पुं॰—-—दृ + यङ् + उरच्—पहाड़
दर्दुरः —पुं॰—-—दृ + यङ् + उरच्—दक्षिण में स्थित एक पहाड़ का नाम
दर्द्रुः —स्त्री॰—-—दरिद्रा + उ नि॰ साधुः—दाद, एक प्रकार का चर्मरोग
दर्द्रूः —स्त्री॰—-—दरिद्रा + उ नि॰ साधुः—दाद, एक प्रकार का चर्मरोग
दर्पः —पुं॰—-—दृप् + घञ्, अच् वा—घमण्ड, अहङ्कार, धृष्टता, अभिमान
दर्पः —पुं॰—-—दृप् + घञ्, अच् वा—उतावलापन
दर्पः —पुं॰—-—दृप् + घञ्, अच् वा—गर्व, दम्भ
दर्पः —पुं॰—-—दृप् + घञ्, अच् वा—रोष, विक्षोभ
दर्पः —पुं॰—-—दृप् + घञ्, अच् वा—गर्मी
दर्पः —पुं॰—-—दृप् + घञ्, अच् वा—कस्तूरी
दर्पाध्मात —वि॰—दर्पः- आघ्मात—-—अभिमान से फूला हुआ
दर्पच्छिद् —वि॰—दर्पः- छिद्—-—घमण्ड तोड़ने वाला, नीचा दिखाने वाला
दर्पःहर —वि॰—दर्पः- हर—-—घमण्ड तोड़ने वाला, नीचा दिखाने वाला
दर्पकः —पुं॰—-—दृप् + णिच् + ण्वुल्—प्रेम के देवता, कामदेव
दर्पणः —पुं॰—-—दृप् + णिच् + ल्युट्—मुँह देखने का शीशा, आयना
दर्पणम् —नपुं॰—-—-—जलना, प्रज्वलित करना
दर्पित —वि॰ —-—दृप् + क्त, दृप् + णिनि—घमण्डी, अहंकारी, अभिमानी
दर्पिन् —वि॰ —-—दृप् + क्त, दृप् + णिनि—घमण्डी, अहंकारी, अभिमानी
दर्भः —पुं॰—-—दृ + भ—एक प्रकार का पवित्र घास जो यज्ञानुष्ठानों के अवसर पर प्रयुक्त किया जाता है
दर्भाङ्कुरः —पुं॰—दर्भः- अङ्कुरः—-—कुश घास का नुकीला पत्ता
दर्भानूपः —पुं॰—दर्भः- अनूपः—-—दर्भ घास से परिपूर्ण दलदली भूमि
दर्भाह्वयः —पुं॰—दर्भः-आह्वयः—-—मुञ्ज घास
दर्भटम् —नपुं॰—-—दृभ् + अटन्—निजी कमरा, आराम करने का एकान्त कमरा
दर्वः —पुं॰—-—दृ + व—एक उत्पातकारी अनिष्टकर जन्तु
दर्वः —पुं॰—-—दृ + व—राक्षस, पिशाच
दर्वटः —पुं॰—-—दर्व + अट् + अच् शक॰ पररूपम्—गाँव का पहरेदार, पुलिस अधिकारी
दर्वटः —पुं॰—-—दर्व + अट् + अच् शक॰ पररूपम्—द्वारपाल
दर्वरीकः —पुं॰—-—दृ + ईकन्, नि॰ साधुः—इन्द्र का विशेषण
दर्वरीकः —पुं॰—-—दृ + ईकन्, नि॰ साधुः—एक प्रकार का वाद्य यन्त्र
दर्वरीकः —पुं॰—-—दृ + ईकन्, नि॰ साधुः—हवा, वायु
दर्विका —स्त्री॰—-—दर्वि + कन् + टाप्—कड़छी, चमचा
दर्वी —वि॰—-—दृ + विन्, वा ङीष्—कड़छी, चम्मच
दर्वी —वि॰—-—दृ + विन्, वा ङीष्—साँप का फैलाया हुआ फण
दर्वीकरः —पुं॰—दर्वी-करः—-—साँप, सर्प
दर्शः —पुं॰—-—दृश् + घञ्—दृष्टि, दृश्य, दर्शन
दर्शः —पुं॰—-—दृश् + घञ्—दृष्टि, दृश्य, दर्शन
दर्शः —पुं॰—-—दृश् + घञ्—अमावस्या
दर्शः —पुं॰—-—दृश् + घञ्—पाक्षिक यज्ञ, अमावस्या के दिन होने वाला यज्ञीय कृत्य
दर्शपः —पुं॰—दर्शः- पः—-—देवता
दर्शयामिनी —स्त्री॰—दर्शः- यामिनी—-—अमावस्या की रात्रि
दर्शविपद् —पुं॰—दर्शः- विपद्—-—चाँद
दर्शक —वि॰—-—दृश् + ण्वुल्—देखने वाला, अनुष्ठान करने वाला
दर्शक —वि॰—-—दृश् + ण्वुल्—दिखलाने वाला, बतलाने वाला
दर्शकः —पुं॰—-—-—प्रदर्शन करने वाला
दर्शकः —पुं॰—-—-—द्वारपाल, पहरेदार
दर्शकः —पुं॰—-—-—कुशल व्यक्ति, किसी कला में प्रवीण व्यक्ति
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—देखना, दर्शन करना, निरीक्षण करना
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—जानना, समझना, प्रत्यक्ष जानना, परिदर्शन करना
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—दृष्टि, दर्शन
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—आँख
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—निरीक्षण, परीक्षा
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—दिखलाना, प्रदर्शन करना, प्रदर्शनी
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—दिखलाई देना
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—भेंट करना, दर्शन करना, दर्शन
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—किसी के सम्मुख जाना, श्रोता
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—रंग, पहलू, दर्शन
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—दर्शन देना, उपस्थित होना
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—स्वपन, ख्वाब
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—विवेक, समझ,बुद्धि
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—निर्णय, अवबोध
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—धार्मिक ज्ञान
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—शास्त्र में व्याख्यात कोई नियम या सिद्धान्त
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—दर्शनशास्त्र
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—दर्पण
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—गुण, व्यवहार की खूबी
दर्शनम् —नपुं॰—-—दृश् + ल्युट्—यज्ञ
दर्शनेप्सु —वि॰—दर्शन-ईप्सु—-—दर्शन करने का अभिलाषी
दर्शनपथ —वि॰—दर्शन-पथ—-—दृष्टि या दर्शन का परास, क्षितिज
दर्शनप्रतिभूः —पुं॰—दर्शन-प्रतिभूः—-—उपस्थित होने के लिए जमानत या जामिन
दर्शनीय —वि॰—-—दृश् + अनीयर्—देखने के योग्य, निरीक्षण के योग्य, प्रत्यक्षज्ञान प्राप्त करने के योग्य
दर्शनीय —वि॰—-—दृश् + अनीयर्—देखने के लिये उचित, सुहावना, मनोहर, सुन्दर
दर्शनीय —वि॰—-—दृश् + अनीयर्—न्यायालय में उपस्थित होने के योग्य
दर्शयितृ —पुं॰—-—दृश् + णिच् + तृच्—दौवारिक, प्रवेशक, द्वारपाल
दर्शयितृ —पुं॰—-—दृश् + णिच् + तृच्—मार्ग प्रदर्शक
दर्शित —वि॰—-—दृश् + णिच् + क्त—दिखाया गया, प्रदर्शित, प्रकटीकृत, प्रदर्शित की गई
दर्शित —वि॰—-—दृश् + णिच् + क्त—देखा गया, समझ लिया गया
दर्शित —वि॰—-—दृश् + णिच् + क्त—व्याख्यात, सिद्ध
दर्शित —वि॰—-—दृश् + णिच् + क्त—प्रतीयमान
दल् —भ्वा॰ पर॰ - < दलति>, < दलित>—-—-—फट पड़ना, टुकड़े- टुकड़े होना, फट जाना, तरेड़ आ जाना
दल् —भ्वा॰ पर॰ - < दलति>, < दलित>—-—-—प्रसार करना, विकसित होना, खिलना
दल् —पुं॰—-—-—फोड़ना, फाड़ना
दल् —पुं॰—-—-—काटना, बाँटना, टुकड़े-टुकड़े करना
उद्दल् —वि॰—उद्- दल्—-—तोड़ना, खण्ड-खण्ड करना, तरेड़ आ जाना
उद्दल् —वि॰—उद्- दल्—-—खोदना
उद्दल् —पुं॰—उद्- दल्—-—फाड़ डालना
दलः —पुं॰—-—दल् + अच्—टुकड़ा, अंश, भाग, खण्ड
दलः —पुं॰—-—दल् + अच्—उपाधि
दलः —पुं॰—-—दल् + अच्—दो आधों में से एक
दलः —पुं॰—-—दल् + अच्—म्यान, कोष
दलः —पुं॰—-—दल् + अच्—छोटा अंकुर या कोंपल, फूल की पंखुड़ी, पत्ता
दलः —पुं॰—-—दल् + अच्—शस्त्र का फलक
दलः —पुं॰—-—दल् + अच्—पुञ्ज, राशि, ढेर
दलः —पुं॰—-—दल् + अच्—सेना की टुकड़ी, सैनिकों की टोली
दलम् —नपुं॰—-—दल् + अच्—टुकड़ा, अंश, भाग, खण्ड
दलम् —नपुं॰—-—दल् + अच्—उपाधि
दलम् —नपुं॰—-—दल् + अच्—दो आधों में से एक
दलम् —नपुं॰—-—दल् + अच्—म्यान, कोष
दलम् —नपुं॰—-—दल् + अच्—छोटा अंकुर या कोंपल, फूल की पंखुड़ी, पत्ता
दलम् —नपुं॰—-—दल् + अच्—शस्त्र का फलक
दलम् —नपुं॰—-—दल् + अच्—पुञ्ज, राशि, ढेर
दलम् —नपुं॰—-—दल् + अच्—सेना की टुकड़ी, सैनिकों की टोली
दलाढकः —पुं॰—दलः- आढकः—-—झाग
दलाढकः —पुं॰—दलः- आढकः—-—मसीक्षेपी मत्स्य का भीतरी कवच
दलाढकः —पुं॰—दलः- आढकः—-—खाई, परिखा
दलाढकः —पुं॰—दलः- आढकः—-—बवंडर, आँधी
दलाढकः —पुं॰—दलः- आढकः—-—गेरु
दलकोषः —पुं॰—दलः-कोषः—-—कुन्दलता
दलनिर्भीकः —पुं॰—दलः- निर्भीकः—-—भोजपत्र का वृक्ष
दलपुष्पा —स्त्री॰—दलः- पुष्पा—-—केवड़े का पौधा
दलसूचिः —स्त्री॰—दलः-सूचिः—-—काँटा
दलसूची —स्त्री॰—दलः-सूची—-—काँटा
दलस्नसा —स्त्री॰—दलः- स्नसा—-—पत्ते का रेशा या नस
दलनम् —नपुं॰—-—दल् + ल्युट्—फट पड़ना, तोड़ना, काटना, बाँटना, कुचलना, पीसना, टुकड़े- टुकड़े करना
दलनी —स्त्री॰—-—दलन + ङीप्, दल् +इन्—मिट्टी का ढेला, मिट्टी का लौंदा
दलिः —पुं॰—-—दलन + ङीप्, दल् +इन्—मिट्टी का ढेला, मिट्टी का लौंदा
दलपः —पुं॰—-—दल् + कपन्—शस्त्र
दलपः —पुं॰—-—दल् + कपन्—सोना
दलपः —पुं॰—-—दल् + कपन्—शास्त्र
दलशः —अव्य॰—-—दल् + शस्—टुकड़े- टुकड़े करके, खण्ड- खण्ड करके
दलित —भू॰ क॰ कॄ॰—-—दल् + क्त—टूटा हुआ, चीरा हुआ, फाड़ा हुआ, फटा हुआ, टुकड़े-टुकड़े हुआ
दलित —भू॰ क॰ कॄ॰—-—दल् + क्त—खुला हुआ, फैलाया हुआ
दल्भः —पुं॰—-—दल् + भ—पहिया
दल्भः —पुं॰—-—दल् + भ—जालसाजी, बेईमानी
दवः —पुं॰—-—दु + अच्—वन, जंगल
दवः —पुं॰—-—दु + अच्—जंगल की आग, दावाग्नि
दवः —पुं॰—-—दु + अच्—आग, गर्मी
दवः —पुं॰—-—दु + अच्—बुखार, पीड़ा
दवाग्निः —पुं॰—दवः- अग्निः—-—जंगल की आग, दावाग्नि
दवदहनः —पुं॰—दवः- दहनः—-—जंगल की आग, दावाग्नि
दवथुः —पुं॰—-—दु + अथुच्—आग, गर्मी
दवथुः —पुं॰—-—दु + अथुच्—पीडा, चिन्ता, दुःख
दवथुः —पुं॰—-—दु + अथुच्—आँख की सूजन
दविष्ठ —वि॰—-—दूर + इष्ठन्, दवादेशः—अत्यन्त दूर का, के, की
दवीयस् —वि॰—-—दूर + ईयसुन्, दवादेशः—अपेक्षाकृत दूर का
दवीयस् —वि॰—-—दूर + ईयसुन्, दवादेशः—कहीं परे, कहीं दूर
दशक —वि॰—-—दशन् + कन् —दस से युक्त, दशगुना,
दशकम् —नपुं॰—-—-—दश का समाहार
दशत् —स्त्री॰—-—दशन् + अति—दस का समाहार, दशक
दशतिः —स्त्री॰—-—दशन् + अति—दस का समाहार, दशक
दशन् —सं॰ वि॰ ब॰ व॰—-—दंश् + कनिन्—दस
दशाङ्गुल —वि॰—दशन्- अङ्गुल—-—दस अङ्गुल लम्बा
दशार्ध —वि॰—दशन्- अर्ध—-—पाँच
दशार्धः —पुं॰—दशन्- अर्धः—-—बुद्ध का विशेषण
दशावताराः —पुं॰—दशन्- अवताराः—-—विष्णु के दस अवतार,
दशाश्वः —पुं॰—दशन्- अश्वः—-—चन्द्रमा
दशाननः —पुं॰—दशन्- आननः—-—रावण के विशेषण
दशास्यः —पुं॰—दशन्- आस्यः—-—रावण के विशेषण
दशामयः —पुं॰—दशन्- आमयः—-—रुद्र का विशेषण
दशेशः —पुं॰—दशन्- ईशः—-—दस ग्रामों का अधीक्षक
दशैकादशिक —वि॰—दशन्- एकादशिक —-—जो दस रुपये देकर ग्यारह लेता है, अर्थात् जो १० प्रतिशत पर उधार देता है
दशकण्ठः —पुं॰—दशन्- कण्ठः—-—रावण के विशेषण
दशकन्धरः —पुं॰—दशन्- कन्धरः—-—रावण के विशेषण
दशकन्धरारिः —पुं॰—दशन्- अरिः—-—राम के विशेषण
दशकन्धरजित् —पुं॰—दशन्- जित्—-—राम के विशेषण
दशकन्धररिपुः —पुं॰—दशन्- रिपुः—-—राम के विशेषण
दशगुण —वि॰—दशन्- गुण—-—दस गुना, दस गुणा बड़ा
दशग्रामिन् —पुं॰—दशन्- ग्रामिन्—-—दस ग्रामों का अधीक्षक
दशपः —पुं॰—दशन्-पः—-—दस ग्रामों का अधीक्षक
दशग्रीवः —पुं॰—दशन्- ग्रीवः—-—दशकण्ठः
दशपारमिताध्वरः —पुं॰—दशन्- पारमिताध्वरः —-—’दस सिद्धियों का स्वामी’ बुद्ध का विशेषण
दशपुरः —पुं॰—दशन्- पुरः—-—एक प्राचीन नगर का नाम, राजा रन्तिदेव की राजधानी
दशबलः —पुं॰—दशन्- बलः—-—बुद्ध के विशेषण
दशभूमिगः —पुं॰—दशन्- भूमिगः—-—बुद्ध के विशेषण
दशमालिकाः —पुं॰—दशन्- मालिकाः—-—एक देश का नाम
दशमालिकाः —ब॰ व॰—दशन्- मालिकाः—-—इस देश के निवासी या शासक
दशमास्य —वि॰—दशन्- मास्य—-—दस महीने का
दशमास्य —वि॰—दशन्- मास्य—-—गर्भ में दस मास
दशमुखः —पुं॰—दशन्- मुखः—-—रावण का विशेषण
दशरिपुः —पुं॰—दशन्- रिपुः—-—राम का विशेषण
दशरथः —पुं॰—दशन्- रथः—-—अयोध्या का एक प्रसिद्ध राजा, अज का पुत्र, राम और उनके तीन भाइयों का पिता
दशरश्मिशतः —पुं॰—दशन्- रश्मिशतः—-—सूर्य
दशरात्रम् —नपुं॰—दशन्- रात्रम्—-—दस रातों का समय
दशरात्रः —पुं॰—दशन्- रात्रः—-—दस दिन तक चलने वाला एक विशेष यज्ञ
दशरूपंभृत् —पुं॰—दशन्- रूपंभृत्—-—विष्णु का विशेषण
दशवक्त्रः —पुं॰—दशन्- वक्त्रः—-—दे॰ ‘दशमुख,
दशवदनः —पुं॰—दशन्- वदनः—-—दे॰ ‘दशमुख,
दशवाजिन् —पुं॰—दशन्- वाजिन्—-—चन्द्रमा
दशवार्षिक —वि॰—दशन्- वार्षिक—-—हर दस वर्ष के पश्चात् होने वाला या दस वर्ष तक टिकने वाला
दशविध —वि॰—दशन्- विध—-—दस प्रकार का
दशशतम् —नपुं॰—दशन्- शतम्—-—एक हजार
दशशतम् —नपुं॰—दशन्- शतम्—-—एक सौ दस
दशरश्मिः —पुं॰—दशन्- रश्मिः—-—सूर्य
दशशती —स्त्री॰—दशन्- शती—-—एक हजार
दशसाहस्रम् —नपुं॰—दशन्- साहस्रम्—-—दस हजार
दशहरा —स्त्री॰—दशन्- हरा—-—गङ्गा का विशेषण
दशहरा —स्त्री॰—दशन्- हरा—-—गङ्गा के सम्मान के उपलक्ष्य में ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को मनाया जाने वाला पर्व
दशहरा —स्त्री॰—दशन्- हरा—-—दुर्गा के सम्मान में आश्विन शुक्ल दशमी को मनाया जाने वाला पर्व
दशतय —वि॰—-—दशन् + तयम्—दस भागों से युक्त, दस गुना
दशधा —अव्य॰—-—दशन् + धा—दस प्रकार से
दशधा —अव्य॰—-—दशन् + धा—दस भागों में
दशनः —पुं॰—-—दंश् + ल्युट नि॰ नलोपः—दाँत
दशनः —पुं॰—-—दंश् + ल्युट नि॰ नलोपः—काटना
दशनम् —नपुं॰—-—दंश् + ल्युट नि॰ नलोपः—दाँत
दशनम् —नपुं॰—-—दंश् + ल्युट नि॰ नलोपः—काटना
दशनः —पुं॰—-—-—पहाड़ की चोटी
दशनांशु —वि॰—दशनः- अंशु—-—दाँतों की चमक
दशनाङ्कः —पुं॰—दशनः- अङ्कः—-—दाँत से काटने का चिह्न काटना
दशनोच्छिष्टः —पुं॰—दशनः- उच्छिष्टः—-—होठ
दशनोच्छिष्टः —पुं॰—दशनः- उच्छिष्टः—-—चुम्बन
दशनोच्छिष्टः —पुं॰—दशनः- उच्छिष्टः—-—आह
दशनच्छदः —पुं॰—दशनः- छदः—-—होठ
दशनच्छदः —पुं॰—दशनः- छदः—-—चुम्बन
दशनवासस् —नपुं॰—दशनः- वासस्—-—होठ
दशनवासस् —नपुं॰—दशनः- वासस्—-—चुम्बन
दशनपदम् —नपुं॰—दशनः- पदम्—-—बुड़का भरना, दाँत का चिह्न
दशनबीजः —पुं॰—दशनः- बीजः—-—अनार का पेड़
दशम —वि॰—-—दशन् + डट् - मट्—दसवाँ
दशमिन् —वि॰—-—दशमी + इनि—बहुत पुराना
दशमी —स्त्री॰—-—-—चान्द्र मास के पक्ष का दसवाँ दिन
दशमी —स्त्री॰—-—-—मानव जीवन की दशवीं दशाब्दी
दशमी —स्त्री॰—-—-—शताब्दी के अन्तिम दस वर्ष
दशमीस्थ —वि॰—दशमी- स्थ—-—९० वर्ष से अधिक आयु
दष्ट —वि॰—-—दंश + क्त—काटा गया, डङ्क मारा गया
दशा —स्त्री॰—-—दंश् + अङ् नि॰ टाप्—वस्त्र के छोर पर रहने वाले धागे, कपड़े पर लगी गोट, झालर, मगजी
दशा —स्त्री॰—-—दंश् + अङ् नि॰ टाप्—दीवे की बत्ती
दशा —स्त्री॰—-—दंश् + अङ् नि॰ टाप्—आयु, या जीवन की अवस्था
दशा —स्त्री॰—-—दंश् + अङ् नि॰ टाप्—जीवन की एक अवस्था या काल
दशा —स्त्री॰—-—दंश् + अङ् नि॰ टाप्—काल
दशा —स्त्री॰—-—दंश् + अङ् नि॰ टाप्—स्थिति, अवस्था, परिस्थिति
दशा —स्त्री॰—-—दंश् + अङ् नि॰ टाप्—मन की स्थिति या अवस्था
दशा —स्त्री॰—-—दंश् + अङ् नि॰ टाप्—कर्मों का फल
दशा —स्त्री॰—-—दंश् + अङ् नि॰ टाप्—ग्रहों की स्थिति
दशा —स्त्री॰—-—दंश् + अङ् नि॰ टाप्—मन, समझ
दशान्तः —पुं॰—दशा- अन्तः—-—बत्ती का छोर
दशान्तः —पुं॰—दशा- अन्तः—-—जीवन का अन्त
दशेन्धनः —पुं॰—दशा- इन्धनः—-—लैम्प, दीपक
दशाकर्वः —पुं॰—दशा- कर्वः—-—वस्त्र का किनारा
दशाकर्वः —पुं॰—दशा- कर्वः—-—लैम्प, दीपक
दशापाकः —पुं॰—दशा- पाकः—-—भाग्य की परिपक्वावस्था
दशापाकः —पुं॰—दशा- पाकः—-—जीवन की परिवर्तित दशा
दशाविपाकः —पुं॰—दशा-विपाकः—-—भाग्य की परिपक्वावस्था
दशाविपाकः —पुं॰—दशा-विपाकः—-—जीवन की परिवर्तित दशा
दशार्णाः —ब॰ व॰—-—दश॰ ऋणानि दुर्गभूमयो वा यत्र ब॰ स॰—एक देश का नाम
दशार्णाः —ब॰ व॰—-—दश॰ ऋणानि दुर्गभूमयो वा यत्र ब॰ स॰—इस देश के निवासी
दशिन् —वि॰—-—दशन् + इनि—दश रखने वाला
दशिन् —पुं॰—-—-—दश ग्रामों का अधीक्षक
दर्शर —वि॰—-—दंश् + एरक्—काटने वाला, उपद्रवी, अनिष्टकर, पीडाकर
दर्शरः —पुं॰—-—-—शरारती या विषैला जन्तु
दशेरकः —पुं॰—-—दशेर + कन्—ऊँट का बच्चा
दस्युः —पुं॰—-—दस् + युच्—दुष्कर्मियों या राक्षसों का समूह, जो कि देवताओं के विद्रोही तथा मानव जाति के शत्रु थे और इन्द्र के द्वारा मारे गये
दस्युः —पुं॰—-—दस् + युच्—जातिबहिष्कृत, अपने कर्तव्यकर्मों से च्युत हो जाने के कारण जाति से बहिष्कृत
दस्युः —पुं॰—-—दस् + युच्—चोर, लुटेरा, उचक्का
दस्युः —पुं॰—-—दस् + युच्—दुष्ट, उत्पातशील
दस्युः —पुं॰—-—दस् + युच्—आततायी, उद्धत, अत्याचारी
दस्र —वि॰—-—दस्यति पांसून् दस् + रक्—बर्बर, भीषण, विनाशकारी
दस्रौ —पुं॰—-—-—दोनों अश्विनीकुमार, देवों के वैद्य
दस्रः —पुं॰—-—-—अश्विनी नक्षत्र
दस्रूः —स्त्री॰—-—-—सूर्य की पत्नी और अश्विनीकुमारों की माता संज्ञा
दह् — भ्वा॰ पर॰ <दहति>, < दग्ध>- इच्छा॰ < दिघक्षति>—-—-—जलाना, झुलसाना
दह् — भ्वा॰ पर॰ <दहति>, < दग्ध>- इच्छा॰ < दिघक्षति>—-—-—उड़ा देना, पूर्ण रूप से नष्ट कर देना
दह् — भ्वा॰ पर॰ <दहति>, < दग्ध>- इच्छा॰ < दिघक्षति>—-—-—पीडा देना, सताना, कष्ट देना, दुःखी करना
दह् — भ्वा॰ पर॰ <दहति>, < दग्ध>- इच्छा॰ < दिघक्षति>—-—-—गर्म लोहे या कास्टिक तेजाब से जला देना
निर्दह् —भ्वा॰ पर॰ —निस्- दह्—-—जलाना, जलाकर समाप्त कर देना
निर्दह् —भ्वा॰ पर॰ —निस्- दह्—-—सताना, दुःख देना, पीडित करना
परिदह् —भ्वा॰ पर॰ —परि- दह्—-—जलाना, झुलसाना
प्रदह् —भ्वा॰ पर॰ —प्र- दह्—-—जलाना
प्रदह् —भ्वा॰ पर॰ —प्र- दह्—-—पूरी तरह से जला देना
प्रदह् —भ्वा॰ पर॰ —प्र- दह्—-—पीड़ा देना, सताना
प्रदह् —भ्वा॰ पर॰ —प्र- दह्—-—कष्ट देना, चि़ढ़ाना
सन्दह् —भ्वा॰ पर॰ —सम्- दह्—-—जलाना
दहन —वि॰—-—दह् + ल्युट्—जलाना, आग में जलाकर समाप्त कर देना
दहन —वि॰—-—दह् + ल्युट्—विनाशकारी, क्षतिकर
दहनः —पुं॰—-—-—’तीन’ की संख्या
दहनः —पुं॰—-—-—’भल्लातक’ का पौधा
दहनम् —नपुं॰—-—-—जलाना, आग में जलाकर समाप्त कर देना
दहनारातिः —पुं॰—दहन- अरातिः—-—पानी
दहनोपलः —पुं॰—दहन- उपलः—-—सूर्यकान्तमणि
दहनोल्का —स्त्री॰—दहन- उल्का—-—जलती हुई लकड़ी
दहनकेतनः —पुं॰—दहन- केतनः—-—धुआँ
दहनप्रिया —स्त्री॰—दहन- प्रिया—-—अग्नि की पत्नी स्वाहा
दहनसारथिः —पुं॰—दहन- सारथिः—-—हवा
दहर —वि॰—-—दह् + अर—रञ्चमात्र, सूक्ष्म, बारीक, लघु
दहरः —पुं॰—-—-—बच्चा, शिशु
दहरः —पुं॰—-—-—जानवर का बच्चा
दहरः —पुं॰—-—-—हृदयरन्ध्र, हृदय
दह्र —वि॰—-—दह + रक्—दावाग्नि, जंगल की आग