विक्षनरी : संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश/घ-जा
मूलशब्द—व्याकरण—संधिरहित मूलशब्द—व्युत्पत्ति—हिन्दी अर्थ
घ —वि॰—-—हन् - टक्, टिलोपः, घत्वं च—प्रहार करने वाला, मारने वाला, नाश करने वाला
घः —पुं॰—-—-—खड़खड़ाना, गरगराहट, टिनटिनाना
घट् —भ्वा॰ आ॰- < घटते>, < घटित>—-—-—व्यस्त होना, प्रयत्न करना, प्रयास करना, जानबूझ कर किसी काम में लगना
घट् —भ्वा॰ आ॰- < घटते>, < घटित>—-—-—होना, घटित होना, सम्भव होना
घट् —भ्वा॰ आ॰- < घटते>, < घटित>—-—-—आना, पहुँचना
घट् —भ्वा॰ प्रेर॰<घटयति>—-—-—एकत्र करना, मिलाना, एक जगह करना
घट् —भ्वा॰ प्रेर॰<घटयति>—-—-—निकट लाना या रखना, सम्पर्क में लाना, धारण करना
घट् —भ्वा॰ प्रेर॰<घटयति>—-—-—निष्पन्न करना, प्रकाशित करना, कार्यान्वित करना
घट् —भ्वा॰ प्रेर॰<घटयति>—-—-—रूप देना, गढ़ना, आकार देना, निर्माण करना, बनाना
घट् —भ्वा॰ प्रेर॰<घटयति>—-—-—प्रणोदित करना, उकसाना
घट् —भ्वा॰ प्रेर॰<घटयति>—-—-—मलना, स्पर्श करना
प्रघट् —भ्वा॰ आ॰—प्र- घट्—-—व्यस्त होना, काम में लगना
प्रघट् —भ्वा॰ आ॰—प्र- घट्—-—आरम्भ करना, शुरू करना
विघट् —भ्वा॰ आ॰—वि- घट्—-—वियुक्त होना, अलग होना
विघट् —भ्वा॰ आ॰—वि- घट्—-—बिगड़ना, बर्बाद होना, रुक जाना, ठहर जाना, बन्द कर देना
विघट् —भ्वा॰ आ॰, पुं॰—वि- घट्—-—अलग- अलग करना, तोड़ना
संघट् —भ्वा॰ आ॰—सम्- घट्—-—मिलाना
संघट् —चुरा॰ उभ॰- < घाटयति>, < घाटित>—सम्- घट्—-—चोट मारना, क्षति पहुँचाना, मार डालना
संघट् —चुरा॰ उभ॰- < घाटयति>, < घाटित>—सम्- घट्—-—मिलाना, जोड़ना, इकट्ठा करना, संग्रह करना
उद्घट् —चुरा॰ उभ॰—उद्- घट्—-—खोलना, तोड़ कर खोलना
घटः —पुं॰—-—घट् - अच्—मिट्टी का मटका, घड़ा, मर्तबान, पानी देने का पात्र
घटः —पुं॰—-—घट् - अच्—कुम्भ राशि
घटः —पुं॰—-—घट् - अच्—हाथी का मस्तक
घटः —पुं॰—-—घट् - अच्—कुम्भक प्राणायाम
घटः —पुं॰—-—घट् - अच्—२० द्रोण के बराबर तोल
घटः —पुं॰—-—घट् - अच्—स्तम्भ का एक अंश
घटाटोपः —पुं॰—घटः- आटोपः—-—रथ या कुर्सी आदि को पूरा ढकने का कपड़ा
घटोद्भवः —पुं॰—घटः- उद्भवः—-—अगस्त्य मुनि के विशेषण
घटजः —पुं॰—घटः- जः—-—अगस्त्य मुनि के विशेषण
घटयोनिः —पुं॰—घटः- योनिः—-—अगस्त्य मुनि के विशेषण
घटसम्भवः —पुं॰—घटः- सम्भवः—-—अगस्त्य मुनि के विशेषण
घटौधस —स्त्री॰—घटः- ऊधस—-—गाय जिसकी औड़ी दूध से भरी हो
घटकर्परः —पुं॰—घटः- कर्परः—-—कवि का नाम
घटकर्परः —पुं॰—घटः- कर्परः—-—ठीकरा, बर्तन का टुकड़ा
घटकारः —पुं॰—घटः- कारः—-—कुम्हार
घटकृत् —पुं॰—घटः- कृत्—-—कुम्हार
घटग्रहः —पुं॰—घटः- ग्रहः—-—पानी भरने वाला
घटदासी —स्त्री॰—घटः- दासी—-—कुटनी
घटपर्यसनम् —नपुं॰—घटः- पर्यसनम्—-—पतित व्यक्ति का अन्त्येष्टि संस्कार करना
घटभेदनकम् —नपुं॰—घटः- भेदनकम्—-—बर्तन बनाने का एक उपकरण
घटराजः —पुं॰—घटः- राजः—-—पक्की मिट्टी का जलपात्र
घटस्थापनम् —नपुं॰—घटः- स्थापनम्—-—दुर्गा के रूप में जल- कलश की स्थापना
घटक —वि॰—-—घट् - णिच् - ण्वुल्—प्रयास करने वाला, प्रयत्नशील
घटक —वि॰—-—घट् - णिच् - ण्वुल्—प्रकाशित करने वाला, निष्पन्न करने वाला
घटक —वि॰—-—घट् - णिच् - ण्वुल्—सारभूत अंश बनाने वाला, अवयव, उपादान
घटकः —पुं॰—-—-—वह वृक्ष जिसके फूल दिखाई न देकर फल ही लगे
घटकः —पुं॰—-—-—सगाई, विवाह तय कराने वाला, एक अभिकर्ता जो वंशावली मिला कर विवाह- सम्बन्ध तय कराये
घटकः —पुं॰—-—-—वंशावली को जानने वाला
घटनम् —स्त्री॰—-—घट् - ल्युट्—प्रयास, प्रयत्न
घटनम् —स्त्री॰—-—घट् - ल्युट्—होना, घटित होना
घटनम् —स्त्री॰—-—घट् - ल्युट्—निष्पन्नता, प्रकाशन, कार्यान्वयन
घटनम् —स्त्री॰—-—घट् - ल्युट्—मिलाना, एकता, एक स्थान पर मिलाना, जोड़
घटनम् —स्त्री॰—-—घट् - ल्युट्—बनाना, रूप देना, आकार देना
घटना —स्त्री॰—-—घट् - ल्युट्—प्रयास, प्रयत्न
घटना —स्त्री॰—-—घट् - ल्युट्—होना, घटित होना
घटना —स्त्री॰—-—घट् - ल्युट्—निष्पन्नता, प्रकाशन, कार्यान्वयन
घटना —स्त्री॰—-—घट् - ल्युट्—मिलाना, एकता, एक स्थान पर मिलाना, जोड़
घटना —स्त्री॰—-—घट् - ल्युट्—बनाना, रूप देना, आकार देना
घटा —स्त्री॰—-—घट् - अङ् - टाप्—चेष्टा, प्रयत्न, प्रयास
घटा —स्त्री॰—-—घट् - अङ् - टाप्—संख्या, टोली, जमाव
घटा —स्त्री॰—-—घट् - अङ् - टाप्—सैनिक कार्य के लिए एकत्र हुई हाथियों की टोली
घटा —स्त्री॰—-—घट् - अङ् - टाप्—सभा
घटिकः —पुं॰—-—घट - ठन्—घड़नई के सहारे नदी पार करने वाला
घटिकम् —नपुं॰—-—-—नितम्ब, चूतड़्
घटिका —स्त्री॰—-—घटी - कन् - टाप्, ह्र्स्वः—एक छोटा घड़ा, करवा, छोटा मिट्टी का बर्तन
घटिका —स्त्री॰—-—घटी - कन् - टाप्, ह्र्स्वः—
घटिका —स्त्री॰—-—घटी - कन् - टाप्, ह्र्स्वः—
घटिका —स्त्री॰—-—घटी - कन् - टाप्, ह्र्स्वः—
घटिन् —पुं॰—-—घट - इनि—कुंभ राशि
घटिन्धम —वि॰—-—घटी - ध्मा - खश् - मुम्, धमादेशः—बर्तन में फूँक मारने वाला
घटिन्धमः —पुं॰—-—-—कुम्हार
घटिन्धय —वि॰—-—घटी - धेट् - खश्, मुम्, ह्रस्वः—जो घड़ा भर पीता है।
घटी —स्त्री॰—-—घट - ङीष्—छोटा घड़ा
घटी —स्त्री॰—-—घट - ङीष्—२४ मिनट के बराबर समय की नाप
घटी —स्त्री॰—-—घट - ङीष्—छोटा जल-घड़ा जिससे दिन की घड़ियाँ गिनने का कार्य लिया जाय।
घटी कारः —पुं॰—घटी- कारः—-—कुम्हार
घटीग्रह —वि॰—घटी-ग्रह—-—पानी भरने वाला
घटीग्राह —वि॰—घटी- ग्राह—-—पानी भरने वाला
घटीयन्त्रम् —नपुं॰—घटी- यन्त्रम्—-—पानी ऊपर उठाने वाली रहट की घड़िया, कुएँ पर पड़ा हुआ रस्सी-डोल
घटीयन्त्रम् —नपुं॰—घटी- यन्त्रम्—-—दिन का समय जानने का एक साधन
घटोत्कचः —पुं॰—-—-—हिडिंबा नाम की राक्षसी से उत्पन्न भीम का एक पुत्र
घट्ट —भ्वा॰ आ॰- < घट्टते>, बहुधा चुरा॰ उभ॰- < घट्टयति>, < घट्टयते>, < घट्टित>—-—-—हिलाना, हरकत देना
घट्ट —भ्वा॰ आ॰- < घट्टते>, बहुधा चुरा॰ उभ॰- < घट्टयति>, < घट्टयते>, < घट्टित>—-—-—स्पर्श करना, मलना, हाथों से मलना
घट्ट —भ्वा॰ आ॰- < घट्टते>, बहुधा चुरा॰ उभ॰- < घट्टयति>, < घट्टयते>, < घट्टित>—-—-—चिकनाना, सहलाना
घट्ट —भ्वा॰ आ॰- < घट्टते>, बहुधा चुरा॰ उभ॰- < घट्टयति>, < घट्टयते>, < घट्टित>—-—-—ईर्ष्या-द्वेष की भावना से बोलना
घट्ट —भ्वा॰ आ॰- < घट्टते>, बहुधा चुरा॰ उभ॰- < घट्टयति>, < घट्टयते>, < घट्टित>—-—-—बाधा पहुँचाना
अवघट्ट् —भ्वा॰ आ॰—अव- घट्ट्—-—खोलना
परिघट्ट —भ्वा॰ आ॰—परि-घट्ट—-—प्रहार करना
विघट्ट —भ्वा॰ आ॰—वि- घट्ट—-—हड़्ताल कर देना, तितर-बितर करना, बखेरना, उड़ा देना
विघट्ट —भ्वा॰ आ॰—वि- घट्ट—-—मलना, घिसना, रगड़्ना
संघट्ट —भ्वा॰ आ॰—सम्-घट्ट—-—थपथपाना
संघट्ट —भ्वा॰ आ॰—सम्-घट्ट—-—इकट्ठा करना, मिलाना
संघट्ट —भ्वा॰ आ॰—सम्-घट्ट—-—एकत्र करना, संचय करना
संघट्ट —भ्वा॰ आ॰—सम्-घट्ट—-—रगड़्ना, घिसना, दबाना
घट्टः —पुं॰—-—घट्ट् - घञ्—घाट- नदी के तट से पानी तक बनी सीढ़ियाँ
घट्टः —पुं॰—-—घट्ट् - घञ्—हिलना-जुलना, आन्दोलन
घट्टः —पुं॰—-—घट्ट् - घञ्—चुंगी घर
घट्टकुटी —स्त्री॰—घट्टः- कुटी—-—चुंगी घर
घट्टप्रभातन्याय —पुं॰—॰घट्टः- प्रभातन्याय—-—चुंगी घर के निकट पौफटी का न्याय, कहते हैं एक गाड़ीवान चुंगी देना नहीं चाहता था, अतः वह ऊबड़-खाबड़ रास्ते से रात को घूमता रहा, जब पौफटी तो देखता है कि वह ठीक चुंगीधर के पास ही खड़ा है, विवश हो उसे चुंगी देनी पड़ी इसलिये जब कोई किसी कार्य को जानबूझ कर टालना चाहता है, परन्तु में उसी को करने के लिए विवश होना पड़ता है तो उस समय इस न्याय का प्रयोग होता है
घट्टजीविन् —पुं॰—घट्टः- जीविन्—-—घाट से प्राप्त महसूल से अपना निर्वाह करने वाला
घट्टजीविन् —पुं॰—घट्टः- जीविन्—-—वर्णसंकर
घट्टना —स्त्री॰—-—घट्ट् - युच् - टाप्—हिलाना, डुलाना, हरकत देना, आन्दोलन करना
घट्टना —स्त्री॰—-—घट्ट् - युच् - टाप्—रगड़्ना
घट्टना —स्त्री॰—-—घट्ट् - युच् - टाप्—जीविका वृत्ति, अभ्यास, व्यवसाय, पेशा
घण्टः —पुं॰—-—घण्ट् - अच्—एक प्रकार का व्यंजन, चटनी
घण्टा —स्त्री॰—-—घण्ट् - अट् - टाप्—घंटी
घण्टा —स्त्री॰—-—घण्ट् - अट् - टाप्—लोहे का या कांसे का गोल पट्ट जिसे समय की सूचना के लिए मूंगरी से पीट कर बजाते हैं।
घण्टागारम् —नपुं॰—घण्टा- अगारम्—-—घण्टा घर
घण्टाफलकः —पुं॰—घण्टा- फलकः—-—घण्टियों से युक्त प्लेट
घण्टाफलकम् —नपुं॰—घण्टा- फलकम्—-—घण्टियों से युक्त प्लेट
घण्टाताडः —पुं॰—घण्टा- ताडः—-—घंटा बजाने वाला
घण्टानावः —पुं॰—घण्टा- नावः—-—घण्टे की आवाज
घण्टापथः —पुं॰—घण्टा- पथः—-—गाँव की मुख्य सड़्क, राजमार्ग, मुख्य मार्ग
घण्टाशब्दः —पुं॰—घण्टा- शब्दः—-—कांसा
घण्टाशब्दः —पुं॰—घण्टा- शब्दः—-—घंटे की आवाज
घण्टिका —स्त्री॰—-—घण्टा - ङीप् - कन्, ह्रस्वः—छोटी घटियाँ, घूंघरु
घण्टुः —पुं॰—-—घण्ट् - उण्—हाथी की छाती पर बंधी एक पट्टी जिसमें घूंघरु लगे होते हैं।
घण्टुः —पुं॰—-—घण्ट् - उण्—ताप, प्रकाश
घण्डः —पुं॰—-—घण् इति शब्दं कुर्वन् डीयते- घण् - डी - ड—मधुमक्खी
घन —वि॰—-—हन् मूर्तौ अप् घनादेशश्च- तारा॰—संहत, दृढ़, कठोर, ठोस
घन —वि॰—-—हन् मूर्तौ अप् घनादेशश्च- तारा॰—सघन, घनिष्ठ, घिनका
घन —वि॰—-—हन् मूर्तौ अप् घनादेशश्च- तारा॰—गठा हुआ, पूर्ण, पूर्णविकसित
घन —वि॰—-—हन् मूर्तौ अप् घनादेशश्च- तारा॰—गम्भीर
घन —वि॰—-—हन् मूर्तौ अप् घनादेशश्च- तारा॰—निरन्तर, स्थायी
घन —वि॰—-—हन् मूर्तौ अप् घनादेशश्च- तारा॰—अभेद्य
घन —वि॰—-—हन् मूर्तौ अप् घनादेशश्च- तारा॰—बड़ा, अत्यधिक, प्रचंड
घन —वि॰—-—हन् मूर्तौ अप् घनादेशश्च- तारा॰—पूर्ण
घन —वि॰—-—हन् मूर्तौ अप् घनादेशश्च- तारा॰—शुभ, भाग्यशाली
घनः —पुं॰—-—-—लोहे का मुद्गर, गदा
घनः —पुं॰—-—-—संख्याद्योतक घन
घनः —पुं॰—-—-—विस्तार, प्रसार
घनः —पुं॰—-—-—संग्रह, समुच्चय, परिमाण, राशि, जमाव या समवाय
घनम् —नपुं॰—-—-—झांझ, घण्टी, घण्टा
घनम् —नपुं॰—-—-—चमड़ी, त्वचा, वल्कल
घनात्ययः —पुं॰—घन- अत्ययः—-—बादलों का लोप, वर्षाऋतु के पश्चात् आने वाली ऋतु, शरद्
घनान्तः —पुं॰—घन- अन्तः—-—बादलों का लोप, वर्षाऋतु के पश्चात् आने वाली ऋतु, शरद्
घनाम्बु —नपुं॰—घन- अम्बु—-—वर्षा
घनाकरः —पुं॰—घन- आकरः—-—वर्षा ऋतु
घनागमः —पुं॰—घन- आगमः—-—बादलों का आगमन, वर्षाऋतु
घनामयः —पुं॰—घन- आमयः—-—छुहारे का वृक्ष
घनाश्रयः —पुं॰—घन- आश्रयः—-—पर्यावरण, अन्तरिक्ष
घनोपलः —पुं॰—घन- उपलः—-—ओले
घनोघः —पुं॰—घन- ओघः—-—बादलों का एकत्र होना
घनकालः —पुं॰—घन- कालः—-—वर्षाऋतु
घनगर्जितम् —नपुं॰—घन- गर्जितम्—-—मेघध्वनि, बादलों की गड़्गड़ाहट या गरज, बिजली की कड़्क
घनगर्जितम् —नपुं॰—घन- गर्जितम्—-—गंभीर और ऊँची दहाड़ या गरज
घनगोलकः —पुं॰—घन- गोलकः—-—चांदी सोने की मिलावट
घनजम्बालः —पुं॰—घन- जम्बालः—-—गाढी दलदल
घनतालः —पुं॰—घन- तालः—-—एक प्रकार का पक्षी, चातक, सारंग
घनतोलः —पुं॰—घन-तोलः—-—चातक पक्षी
घननाभिः —पुं॰—घन- नाभिः—-—धुआँ
घननीहारः —पुं॰—घन- नीहारः—-—गाढ़ा कोहरा, सघन तुषार
घनपदवी —पुं॰—घन-पदवी—-—’बादलों का मार्ग’ अन्तरिक्ष, आकाश
घनपाषण्डः —पुं॰—घन- पाषण्डः—-—मोर
घनफलम् —नपुं॰—घन-फलम्—-—किसी वस्तु की लंबाई- चौड़ाई और मोटाई का गुणनफल अथवा ठोसपन
घनमूलम् —नपुं॰—घन- मूलम्—-—घन- राशि का मूल अंक
घनरसः —पुं॰—घन- रसः—-—गाढ़ा रस
घनरसः —पुं॰—घन- रसः—-—अर्क गाढ़ा
घनरसः —पुं॰—घन- रसः—-—कपूर
घनवर्गः —पुं॰—घन- वर्गः—-—घन का वर्ग, छठा घात
घनवर्त्मन् —नपुं॰—घन- वर्त्मन्—-—आकाश
घनवल्लिका —स्त्री॰—घन- वल्लिका—-—बिजली
घनवल्ली —स्त्री॰—घन- वल्ली—-—बिजली
घनवासः —पुं॰—घन- वासः—-—एक प्रकार का कद्दू, कुम्हड़ा
घनवाहनः —पुं॰—घन- वाहनः—-—शिव
घनवाहनः —पुं॰—घन- वाहनः—-—इन्द्र
घनश्याम —वि॰—घन- श्याम—-—’बादल की भाँति काला’, गहरा काला, पक्का रंग
घनश्यामः —पुं॰—घन-श्यामः—-—राम और कृष्ण का विशेषण
घनसमयः —पुं॰—घन- समयः—-—वर्षाऋतु
घनसारः —पुं॰—घन- सारः—-—कपूर
घनसारः —पुं॰—घन- सारः—-—पारा
घनसारः —पुं॰—घन- सारः—-—जल
घनस्वनः —पुं॰—घन- स्वनः—-—मेघगर्जन
घनहस्तसंख्या —स्त्री॰—घन- हस्तसंख्या—-—खुदाई की मिट्टी आदि नापने की माप
घनाघनः —पुं॰—-—हन् - अच्, हन्तेर्घत्वम् दित्वमभ्यासस्य आक् च—इन्द्र
घनाघनः —पुं॰—-—हन् - अच्, हन्तेर्घत्वम् दित्वमभ्यासस्य आक् च—चिड़चिड़ा, या मदमस्त हाथी
घनाघनः —पुं॰—-—हन् - अच्, हन्तेर्घत्वम् दित्वमभ्यासस्य आक् च—पानी से भरा हुआ या बरसाने वाला बादल
घरट्टः —पुं॰—-—घरं सेकम् अट्टति अतिक्रामति- घर - अट्ट् - अण्, शक॰ पररूपम्—खरांस, घराट, चक्की
घर्घर —वि॰—-—घर्घ - रा - क—अस्पष्ट, घर्घराट करने वाला, गरगर शब्द करने वाला
घर्घर —वि॰—-—घर्घ - रा - क—कलकल ध्वनि करने वाला, बादलों की भांति गड़गड़ शब्द करने वाला
घर्घरः —पुं॰—-—-—अस्पष्ट कलकल ध्वनि, मन्द बड़्बड़् या गरगर की ध्वनि
घर्घरः —पुं॰—-—-—कोलाहल, शोर
घर्घरः —पुं॰—-—-—दरवाजा, द्वार
घर्घरः —पुं॰—-—-—हंसी, अट्ठहास
घर्घरा —स्त्री॰—-—घर्घर - टाप्—घुँघरु जो आभूषण की भांति काम आवें
घर्घरा —स्त्री॰—-—घर्घर - टाप्—घुँघरुओं की गर्गर ध्वनि
घर्घरा —स्त्री॰—-—घर्घर - टाप्—गंगा
घर्घरा —स्त्री॰—-—घर्घर - टाप्—एक प्रकार की वीणा
घर्घरी —स्त्री॰—-—घर्घर - टाप्, ङीष् वा—घुँघरु जो आभूषण की भांति काम आवें
घर्घरी —स्त्री॰—-—घर्घर - टाप्, ङीष् वा—घुँघरुओं की गर्गर ध्वनि
घर्घरी —स्त्री॰—-—घर्घर - टाप्, ङीष् वा—गंगा
घर्घरी —स्त्री॰—-—घर्घर - टाप्, ङीष् वा—एक प्रकार की वीणा
घर्घरिका —स्त्री॰—-—घर्घर - ठन् - टाप्—आभूषण की भांति प्रयुक्त होने वाले घुँघरू
घर्घरिका —स्त्री॰—-—घर्घर - ठन् - टाप्—एक प्रकार का वाद्ययंत्र
घर्घरितम् —नपुं॰—-—घर्घर - इतच्—सूअर के घुरघुराने का शब्द
घर्मः —पुं॰—-—घरति अङ्गात्- घृ - मक् नि॰ गुणः—ताप, गर्मी
घर्मः —पुं॰—-—घरति अङ्गात्- घृ - मक् नि॰ गुणः—गर्मी की ऋतु, निदाघ
घर्मः —पुं॰—-—घरति अङ्गात्- घृ - मक् नि॰ गुणः—स्वेद, पसीना
घर्मः —पुं॰—-—घरति अङ्गात्- घृ - मक् नि॰ गुणः—कड़ाह, उबालने का पात्र
घर्मांशुः —पुं॰—घर्मः- अंशुः—-—सूर्य
घर्मान्तः —पुं॰—घर्मः- अन्तः—-—वर्षाऋतु
घर्माम्बु —नपुं॰—घर्मः- अम्बु—-—स्वेद, पसीना
घर्माम्भस् —नपुं॰—घर्मः- अम्भस्—-—स्वेद, पसीना
घर्मचर्चिका —स्त्री॰—घर्मः- चर्चिका—-—घाम, पित्त, घमौरी
घर्मदीधितिः —पुं॰—घर्मः- दीधितिः—-—सूर्य
घर्मद्युतिः —पुं॰—घर्मः- द्युतिः—-—सूर्य
घर्मपयस् —नपुं॰—घर्मः- पयस्—-—स्वेद, पसीना
घर्षः —पुं॰—-—घृष् - घञ्, ल्युट् वा—रगड़्, घिसर
घर्षः —पुं॰—-—घृष् - घञ्, ल्युट् वा—पीसना, चूरा करना
घर्षणम् —नपुं॰—-—घृष् - घञ्, ल्युट् वा—रगड़्, घिसर
घर्षणम् —नपुं॰—-—घृष् - घञ्, ल्युट् वा—पीसना, चूरा करना
घस् —भ्वा॰ अदा॰- पर॰-< घसति>, < घस्ति>, < घस्त>—-—-—खाना, निगलना
घस्मर —वि॰—-—घस् - क्मरच्—खाऊ, पेटू
घस्मर —वि॰—-—घस् - क्मरच्—निगल जाने वाला, हड़्प करने वाला
घस्र —वि॰—-—घस् - रक्—पीड़ाकर, क्षतिकर
घस्रम् —नपुं॰—-—-—केसर, जाफरान
घाटः —पुं॰—-—घट् - अच्—गर्दन का पिछला भाग
घाटा —स्त्री॰—-—घट् - अच्, स्त्रियां टाप्—गर्दन का पिछला भाग
घाण्टिकः —पुं॰—-—घंटा - ठक्—घंटी बजाने वाला
घाण्टिकः —पुं॰—-—घंटा - ठक्—भाट या चारण
घाण्टिकः —पुं॰—-—घंटा - ठक्—धतूरे का पौधा
घातः —पुं॰—-—हन् - णिच् - घञ्—प्रहार, आघात, खरौच, चोट
घातः —पुं॰—-—हन् - णिच् - घञ्—मार डालना, चोट पहुँचाना, संहार करना, वध करना
घातः —पुं॰—-—हन् - णिच् - घञ्—बाण
घातः —पुं॰—-—हन् - णिच् - घञ्—गुणनफल
घातचन्द्रः —पुं॰—घातः- चन्द्रः—-—अशुभ राशि पर स्थित चन्द्रमा
घाततिथिः —स्त्री॰—घातः- तिथिः—-—अशुभ चान्द्र दिन
घातनक्षत्रम् —नपुं॰—घातः- नक्षत्रम्—-—अशुभ नक्षत्र
घातवारः —पुं॰—घातः- वारः—-—अशुभ दिन
घातस्थानम् —नपुं॰—घातः- स्थानम्—-—बूचड़्खाना, वधस्थान
घातक —वि॰—-—हन् - ण्वुल्—मारनेवाला, संहार करने वाला, हत्यारा, संहारक, क़ातिल, वध करने वाला
घातन —वि॰—-—हन् - णिच् - ल्युट्—हत्यारा, क़ातिल
घातनम् —नपुं॰—-—-—प्रहार करना, मार डालना, हत्या करना, वध करना
घातनम् —नपुं॰—-—-—पशु बलि देना
घातिन् —वि॰—-—हन् - णिच् - णिनि—प्रहार करने वाला, मारने वाला
घातिन् —वि॰—-—हन् - णिच् - णिनि—पकड़्ने वाला या मारने वाला
घातिन् —वि॰—-—हन् - णिच् - णिनि—विनाशकारी
घातिपक्षिन् —पुं॰—घातिन्- पक्षिन्—-—बाज, श्येन
घातिविहगः —पुं॰—घातिन्- विहगः—-—बाज, श्येन
घातुक —वि॰—-—हन् - णिच् - उकञ्—मारने वाला, संहारकारी, अनिष्टकर, चोट पहुँचाने वाला
घातुक —वि॰—-—हन् - णिच् - उकञ्—क्रूर, नृशंस, हिंस्र
घात्य —वि॰—-—हन् - णिच् - ण्यत्—मारे जाने के योग्य, वह व्यक्ति जिसे मार देना चाहिए।
घारः —पुं॰—-—घृ - घञ्—छिड़्कना, तर करना
घार्तिकः —पुं॰—-—घृतेन - निर्वृतः- ठञ्—घी में तले हुए पूड़े
घासः —पुं॰—-—घस् - घञ्—आहार
घासः —पुं॰—-—घस् - घञ्—गोचरभूमि या चरागाह का घास
घासकुन्दम् —नपुं॰—घासः- कुन्दम्—-—चरागाह
घासस्थानम् —नपुं॰—घासः- स्थानम्—-—चरागाह
घु —भ्वा॰ आ॰- < घवते>, < घुत>—-—-—शब्द करना, हल्ला मचाना
घुट् —तुदा॰ पर॰ < घुटति>, < घुटित>—-—-—फिर प्रहार करना, बदला लेने के लिए प्रहार करना, मुक़ाबला करना
घुट् —तुदा॰ पर॰ < घुटति>, < घुटित>—-—-—विरोध करना
घुट् —भ्वा॰ आ॰- <घोटते>—-—-—वापिस आना, लौटना
घुट् —भ्वा॰ आ॰- <घोटते>—-—-—वस्तु विनिमय करना, अदला- बदली करना
घुटः —स्त्री॰—-—घुट् - अच्—टखना
घुटिः —स्त्री॰—-—घुट् - अच्, इन् वा—टखना
घुटी —स्त्री॰—-—घुटि - ङीष—टखना
घुटिकः —पुं॰—-—घुटि - कन्—टखना
घुटिका —स्त्री॰—-—घुटि - कन् स्त्रियां टाप् वा—टखना
घुण् —भ्वा॰ आ॰, तुदा॰ पर॰- < घोणते>, < घुणति>, < घुणित>—-—-—लुढ़कना, चक्कर खाना, लड़खड़ाना, अटेरना
घुण् —भ्वा॰ आ॰—-—-—लेना, प्राप्त करना
घुणः —पुं॰—-—घुण - क—लकड़ी में पाया जाने वाला विशेष प्रकार का कीड़ा
घुणाक्षरम् —स्त्री॰—घुणः- अक्षरम्—-—लकड़ी या पुस्तक के पत्रों में कीड़ों के द्वारा बनाई हुइ रेखाएँ जो कुछ- कुछ अक्षरों जैसी प्रतीत होती हैं।
घुणलिपिः —स्त्री॰—घुणः- लिपिः—-—लकड़ी या पुस्तक के पत्रों में कीड़ों के द्वारा बनाई हुइ रेखाएँ जो कुछ- कुछ अक्षरों जैसी प्रतीत होती हैं।
घुणन्याय —पुं॰—घुणः- न्याय—-—
घुण्टः —पुं॰—-—घुण्ट् - क—टखना
घुण्टकः —पुं॰—-—घुण्ट - कन्—टखना
घुण्टिका —स्त्री॰—-—घुण्टक - टाप् इत्वम्—टखना
घुण्डः —पुं॰—-—घुण् -ड, नि॰ —भौंरा
घुर् —तुदा॰ पर॰- < घुरति>, < घुरित>—-—-—शब्द करना, कोलाहल करना, खुर्राटे भरना, फुफकारना, घुरघुराना
घुर् —तुदा॰ पर॰- < घुरति>, < घुरित>—-—-—डरावना बनना, भयंकर होना
घुर् —तुदा॰ पर॰- < घुरति>, < घुरित>—-—-—दुःख में चिल्लाना
घुरी —स्त्री॰—-—घुर् - कि - ङीष्—नाथना
घुर्घुरीः —स्त्री॰—-—घुर् इत्यव्यक्तं घुरति- घुर् - घुर् - क्—चीलर, चिल्लड़्
घुर्घुरीः —स्त्री॰—-—घुर् इत्यव्यक्तं घुरति- घुर् - घुर् - क्—खुर्राटे भरना, गुर्राना, सूअर आदि जानवर के गले से निकलने वाली आवाज़
घुर्घुर —वि॰—-—घुर्घुर - अच् - ङीष्—सूअर की आवाज
घुलघुलारवः —पुं॰—-—’घुलघुल’ इत्यव्यक्तमारौति- घुलघुल - आ - रु - अच्—क प्रकार का कबूतर
घुष् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰- <घोषति>, < घोषयति>- < घोषयते>, <घुषित>, < घुष्ट>, < घोषित>—-—-—शब्द करना, कोलाहल करना
घुष् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰- <घोषति>, < घोषयति>- < घोषयते>, <घुषित>, < घुष्ट>, < घोषित>—-—-—ऊँचे स्वर से चिल्लाना, सार्वजनिक रुप से घोषणा करना
आघुष् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰—आ-घुष्—-—उच्च स्वर से रोना, सार्वजनिक रूप से घोषणा करना
उत्घुष् —भ्वा॰ पर॰, चुरा॰ उभ॰—उद्- घुष्—-—उच्च स्वर से घोषणा करना, सार्वजनिक रूप से घोषणा करना
उत्घुष् —भ्वा॰- आ॰- < घुषते>—उद्- घुष्—-—सुन्दर या उज्ज्वल होना
घुसृणम् —नपुं॰—-—घुष् - ऋणक्, पृषो॰—केसर, जाफरान
घूकः —पुं॰—-—घू इत्यव्यक्तं कायति- घू - कै - क—उल्लू
घूकारिः —पुं॰—घूकः- अरिः—-—कौवा
घूर्ण् —भ्वा॰ आ॰- तुदा॰ पर॰- < घूर्णते>, < घूर्णति>, < घूर्णित>—-—-—इधर-उधर लुढ़कना, इधर-उधर घूमना, चक्कर काटना, मुड़ना, हिलाना, लिपटना, लड़खड़ाना
घूर्ण —पुं॰—-—-—हिलाना, अटेरना या लपेटना
घूर्ण —वि॰—-—घूर्ण - अच्—हिलाने वाला, इधर- उधर चलने- फिरने वाला
घूर्णवायुः —पुं॰—घूर्णः- वायुः—-—बवण्डर
घूर्णनम् —नपुं॰—-—घूर्ण - ल्युट्—हिलाना-डुलाना, लपेटना, चक्कर खाना, मुड़्ना, घूमना
घूर्णनना —स्त्री॰—-—घूर्ण - ल्युट्—हिलाना-डुलाना, लपेटना, चक्कर खाना, मुड़्ना, घूमना
घृ —भ्वा॰ पर॰-< घरति>, <घृत>—-—-—छिड़्कना
घृ —चुरा॰ उभ॰- < घारयति>, < घारयते>, < घारित>—-—-—छिड़्काव करना, गीला करना, तर करना
अभिघृ —चुरा॰ उभ॰—अभि- घृ—-—छिड़्कना
आघृ —चुरा॰ उभ॰—आ-घृ—-—छिड़्काव करना
घृण् —तना॰ पर॰- < घृणोति>, < घृण्ण>—-—-—चमकना, जलना
घृणा —स्त्री॰—-—घृ - नक् - टाप्—दया, तरस, सुकुमारता
घृणा —स्त्री॰—-—घृ - नक् - टाप्—ऊब, अरुचि, घिन
घृणा —स्त्री॰—-—घृ - नक् - टाप्—झिड़्की, निन्दा
घृणालु —वि॰—-—घृणा - आलुच्—सकरुण, दयापूर्ण, मृदु-हृदय
घृणिः —पुं॰—-—घृ - नि, नि॰—गर्मी, धूप
घृणिः —पुं॰—-—घृ - नि, नि॰—प्रकाश की किरण
घृणिः —पुं॰—-—घृ - नि, नि॰—सूर्य
घृणिः —पुं॰—-—घृ - नि, नि॰—लहर, जल
घृणीनिधिः —पुं॰—घृणिः-निधिः—-—सूर्य
घृतम् —नपुं॰—-—घृ - क्त—घी, ताया हुआ मक्खन
घृतम् —नपुं॰—-—घृ - क्त—मक्खन
घृतम् —नपुं॰—-—घृ - क्त—जल
घृतमन्नः —पुं॰—घृतम्- अन्नः—-—दहकती हुई आग
घृतमर्चिः —पुं॰—घृतम्-अर्चिः—-—दहकती हुई आग
घृतमाहुतिः —स्त्री॰—घृतम्- आहुतिः—-—घी की आहुति
घृतमाह्वः —पुं॰—घृतम्-आह्वः—-—सरल नामक वृक्षविशेष
घृतोदः —पुं॰—घृतम्- उदः—-—’घी का समुद्र’ सात समुद्रों में से एक
घृतोदनः —पुं॰—घृतम्- ओदनः—-—घी से युक्त उबले हुए चावल
घृतकुल्या —स्त्री॰—घृतम्- कुल्या—-—घी की नदी
घृतदीधितिः —पुं॰—घृतम्- दीधितिः—-—अग्नि
घृतधारा —स्त्री॰—घृतम्-धारा—-—घी की अविच्छिन्न धार
घृतपूरः —पुं॰—घृतम्- पूरः—-—एक प्रकार की मिठाई
घृतवरः —पुं॰—घृतम्-वरः—-—एक प्रकार की मिठाई
घृतलेखनी —स्त्री॰—घृतम्- लेखनी—-—घी का चम्मच
घृताची —स्त्री॰—-—घृत - अञ्चु - क्विप् - ङीष्—रात
घृताची —स्त्री॰—-—घृत - अञ्चु - क्विप् - ङीष्—सरस्वती
घृताची —स्त्री॰—-—घृत - अञ्चु - क्विप् - ङीष्—एक अप्सरा
घृताचीगर्भसंभवा —स्त्री॰—घृताची- गर्भसंभवा—-—बड़ी इलायची
घृष् —भ्वा॰ पर॰- < घर्षति>, < घृष्ट>—-—-—रगड़्ना, घिसना
घृष् —भ्वा॰ पर॰- < घर्षति>, < घृष्ट>—-—-—कूंची करना, परिष्कृत करना, चमकाना
घृष् —भ्वा॰ पर॰- < घर्षति>, < घृष्ट>—-—-—कुचलना, पीसना, चूरा करना
घृष् —भ्वा॰ पर॰- < घर्षति>, < घृष्ट>—-—-—होड़ करना, प्रतिद्वन्द्वी होना
उद्घृष् —भ्वा॰ पर॰—उद्- घृष्—-—खुरचना
संघृष् —भ्वा॰ पर॰—सम्- घृष्—-—प्रतिद्वन्द्विता करना, होड़ाहोड़ी करना, प्रतिस्पर्धा करना
संघृष् —भ्वा॰ पर॰—सम्- घृष्—-—रगड़्ना, खुरचना
घृष्टिः —पुं॰—-—घृष् - क्तिच्—सूअर
घृष्टिः —स्त्री॰—-—घृष् - क्तिच्—पीसना, चूरा करना, खुरचना
घृष्टिः —स्त्री॰—-—घृष् - क्तिच्—होड़ाहोड़ी, प्रतिद्वन्द्विता, प्रतियोगिता
घोटः —पुं॰—-—घुट् - अच्—घोड़ा
घोटकः —पुं॰—-—घुट् - ण्वुल् —घोड़ा
घोटारिः —पुं॰—घोटः-अरिः—-—भैंसा
घोटी —स्त्री॰—-—घोट - ङीष्—घोड़ी, सामान्य अश्व
घोटिका —स्त्री॰—-—घुट् - ण्वुल् - टाप्, इत्वम्—घोड़ी, सामान्य अश्व
घोणसः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का रेंगने वाला जन्तु
घोनसः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का रेंगने वाला जन्तु
घोणा —स्त्री॰—-—घुण् - अच् - टाप्—नाक
घोणा —स्त्री॰—-—घुण् - अच् - टाप्—घोड़े की नथुना, थूथन
घोणिन् —पुं॰—-—घोणा - इनि—सूअर
घोण्टा —स्त्री॰—-—घुण् - ट - टाप्—उन्नाव का वृक्ष
घोर —वि॰—-—घुर् - अच्—भयंकर, डरावना, भीषण, भयानक
घोर —वि॰—-—घुर् - अच्—हिंस्र, प्रचण्ड
घोरम् —नपुं॰—-—-—संत्रास, भीषणता
घोराकृति —वि॰—घोर- आकृति—-—देखने में डरावना, भयंकर विकराल
घोरदर्शन —वि॰—घोर- दर्शन—-—देखने में डरावना, भयंकर विकराल
घोरघुष्यम् —नपुं॰—घोर- घुष्यम्—-—कांसा
घोररासनः —पुं॰—घोर- रासनः—-—गीदड़
घोररासिन् —पुं॰—घोर- रासिन्—-—गीदड़
घोरवाशनः —पुं॰—घोर-वाशनः—-—गीदड़
घोरवाशिन् —पुं॰—घोर-वाशिन्—-—गीदड़
घोररूपः —पुं॰—घोर-रूपः—-—शिव का विशेषण
घोलः —पुं॰—-—घुर् - घञ्, रस्य लः—मट्ठा, घुला हुआ दही जिसमें पानी न हो
घोलम् —नपुं॰—-—घुर् - घञ्, रस्य लः—मट्ठा, घुला हुआ दही जिसमें पानी न हो
घोषः —पुं॰—-—घुष् - घञ्—कोलाहल, हल्ला, हंगामा
घोषः —पुं॰—-—घुष् - घञ्—बादलों की गरज
घोषः —पुं॰—-—घुष् - घञ्—घोषणा
घोषः —पुं॰—-—घुष् - घञ्—अफवाह, जनश्रुति
घोषः —पुं॰—-—घुष् - घञ्—ग्वाला
घोषः —पुं॰—-—घुष् - घञ्—झोपड़ी, ग्वालों की बस्ती
घोषः —पुं॰—-—घुष् - घञ्—घोषव्यंजनों के उच्चारण में प्रयुक्त घोषध्वनि
घोषः —पुं॰—-—घुष् - घञ्—कायस्थ
घोषणम् —नपुं॰—-—घुष् - ल्युट्—प्रख्यापन, प्रकथन, उच्च-स्वर से बोलना, सार्वजनिक एलान
घोषणा —स्त्री॰—-—घुष् - ल्युट्—प्रख्यापन, प्रकथन, उच्च-स्वर से बोलना, सार्वजनिक एलान
घोषयित्नुः —पुं॰—-—घुष् - णिच् - इत्नुच्—ढिंढोरची, भाट, हरकारा
घोषयित्नुः —पुं॰—-—घुष् - णिच् - इत्नुच्—ब्राह्मण
घोषयित्नुः —पुं॰—-—घुष् - णिच् - इत्नुच्—कोयल
घ्न —वि॰—-—हन् - क, स्त्रियां ङीप्—वध करने वाला, विनाशक, दूर करने वाला, चिकित्सक
घ्रा —भ्वा॰ पर॰ <जिघ्रति>, <घ्रात>,- <घ्राण>—-—-—सूँघना, पता लगाना, सूंघ का प्रत्यक्ष ज्ञान करना
घ्रा —भ्वा॰ पर॰ <जिघ्रति>, <घ्रात>,- <घ्राण>—-—-—चुंबन करना
घ्राण —भू॰ क॰ कृ॰—-—घ्रा - क्त—सूंघा
घ्राणम् —नपुं॰—-—-—सूंघने की क्रिया
घ्राणम् —नपुं॰—-—-—गंध, बू
घ्राणेन्द्रियम् —नपुं॰—घ्राण- इन्द्रियम्—-—सूंघने की इन्द्रिय, नाक
घ्राणचक्षुष् —वि॰—घ्राण-चक्षुष्—-—’जो आँखों का काम नाक से लेता है’- अर्थात् अंधा
घ्राणतर्पण —वि॰—घ्राण- तर्पण—-—नाक को सुहावना, या सुखकर खुशबूदार, सुगन्धयुक्त
घ्राणम् —नपुं॰—-—-—खुशबू, सुगन्ध
घ्रातिः —स्त्री॰—-—घ्रा - क्तिन—सुंघने की क्रिया
घ्रातिः —स्त्री॰—-—घ्रा - क्तिन—नाक
चः —पुं॰—-—चण् चि - ड—चन्द्रमा
च —अव्य॰—-—-—और, भी, तथा, इसके अतिरिक्त
च —अव्य॰—-—-—शब्द या उक्तियों को जोङ्ने के लिए प्रयुक्त किया जाता है;
च —अव्य॰—-—-—परन्तु, तथापि, तो भी
च —अव्य॰—-—-—निस्सन्देह, निश्चय ही, ठीक, बिलकुल, सर्वथा
च —अव्य॰—-—-—यह प्रायः पादपूर्ति के लिए भी प्रयुक्त होता है।
च —अव्य॰—-—-—<कोशकार उपर्युक्त अर्थों के साथ ’च’ के निम्नांकित अर्थ और बतलाते हैं जो कि संयोजन या समुच्चय के सामान्य अर्थों अन्तर्गत हैं>, <अन्वाचय>, <मुख्य तथ्य को किसी गौण तथ्य से मिलाना>
च —अव्य॰—-—-—<समाहार>, <समुच्चयार्थक संबंध>
च —अव्य॰—-—-—<इतरेतरयोग>, <पारस्परिक संयोग>
च —अव्य॰—-—-—<समुच्चय>, <सब मिलाकर>, <दो उक्तियों के साथ च की बार बार आवृत्ति होती है>
च —अव्य॰—-—-—<’एक ओर-दूसरी ओर’ ’यद्यपि-तथापि’>, <विरोध को प्रकट करने के लिए>
च —अव्य॰—-—-—<दो बातों का एक साथ होना>, <या अव्यवहित घटना को प्रकट करने के लिए[ज्योंही-त्योंही]>
चक् —भ्वा॰ उभ॰ <चकति>, <चकते>, <चकित>—-—-—तृप्त होना, सन्तुष्ट होना
चक् —भ्वा॰ उभ॰ <चकति>, <चकते>, <चकित>—-—-—प्रतिरोध करना, मुकाबला करना
चकास् —अदा॰ पर॰ विरलतः - आ॰ < चकास्ति>, <चकास्ते>, <चकासित>—-— —चमकना, उज्ज्वल होना
चकास् —अदा॰ पर॰ विरलतः - आ॰ < चकास्ति>, <चकास्ते>, <चकासित>—-—-—प्रसन्न होना, समृद्ध होना
चकास् —अदा॰ पर॰, पुं॰—-—-—चमकाना,प्रकाशित करना
विचकास् —अदा॰ पर॰—वि-चकास्—-—चमकना, उज्ज्वल होना
चकित —वि॰—-—चक् - क्त—थरथराता हुआ, काँपता हुआ,
चकित —वि॰—-—-—डराया हुआ, प्रकम्पित, भौंचक्का
चकित —वि॰—-—-—भयभीत, भीरु, सशंक
चकितम् —अव्य॰—-—-—भय से, भौंचक्का होकर, संत्रस्त होकर, विस्मय के साथ
चकोरः —नपुं॰—-—चक् -ओरन्—पक्षीविशेष, तीतर की जाति का पक्षी
चक्रम् —नपुं॰—-—क्रियते अनेन, कृ घञर्थे क नि॰ द्वित्वम्, @ तारा॰—गाड़ी का पहिया
चक्रम् —नपुं॰—-—-—कुम्हार का चाक
चक्रम् —नपुं॰—-—-—एक तीक्ष्ण गोल अस्त्र, चक्र (विष्णु का)
चक्रम् —नपुं॰—-—-—तेल पेरने का कोल्हू
चक्रम् —नपुं॰—-—-—वृत्त, मण्डल
चक्रम् —नपुं॰—-—-—दल, समुच्चय, संग्रह
चक्रम् —नपुं॰—-—-—राज्य, एकाधिपत्य
चक्रम् —नपुं॰—-—-—प्रान्त, जिला, ग्रामसमूह
चक्रम् —नपुं॰—-—-—वर्तुलाकार सैनिक व्यूह
चक्रम् —नपुं॰—-—-—देह के भीतर के षट्चक्र
चक्रम् —नपुं॰—-—-—कालचक्र, वर्ष समूह
चक्रम् —नपुं॰—-—-—सेना, समूह
चक्रम् —नपुं॰—-—-—ग्रन्थ का अध्याय या अनुभाग
चक्रम् —नपुं॰—-—-—नदी का मोड़
चक्रः —पुं॰—-—-—समूह, दल, वर्ग
चक्राङ्गः —पुं॰—चक्रम्-अङ्गः—-—टेढी गर्दन वाला हंस
चक्राङ्गः —पुं॰—चक्रम्-अङ्गः—-—गाड़ी
चक्राङ्गः —पुं॰—चक्रम्-अङ्गः—-—चकवा
चक्राटः —पुं॰—चक्रम्-अटः—-—बाजीगर, सपेरा
चक्राटः —पुं॰—चक्रम्-अटः—-—दुष्ट, धूर्त, ठग
चक्राटः —पुं॰—चक्रम्-अटः—-—स्वर्णमुद्रा, दीनार
चक्राकार —वि॰—चक्रम्-आकार—-—वर्तुलाकार, गोल
चक्राकृति —वि॰—चक्रम्-आकृति—-—वर्तुलाकार, गोल
चक्रायुधः —पुं॰—चक्रम्-आयुधः—-—विष्णु का विशेषण
चक्रावर्तः —पुं॰—चक्रम्-आवर्तः—-—भँवर वाली या चक्करदार गति
चक्राह्वः —पुं॰—चक्रम्-आह्वः—-—चकवा
चक्राह्वयः —पुं॰—चक्रम्-आह्वयः—-—चकवा
चक्रेश्वरः —पुं॰—चक्रम्-ईश्वरः—-—’चक्रस्वामी’ विष्णु का नाम
चक्रेश्वरः —पुं॰—चक्रम्-ईश्वरः—-—जिले का सर्वोच्च अधिकारी
चक्रोपजीविन् —पुं॰—चक्रम्-उपजीविन्—-—तेली
चक्रकारकम् —नपुं॰—चक्रम्-कारकम्—-—नाखून
चक्रकारकम् —नपुं॰—चक्रम्-कारकम्—-—एक प्रकार का सुगन्ध द्रव्य
चक्रगण्डुः —पुं॰—चक्रम्-गण्डुः—-—गावदुम तकिया
चक्रगतिः —स्त्री॰—चक्रम्-गतिः—-—चक्राकार गति, गोलाई में घूमना
चक्रगुच्छः —पुं॰—चक्रम्-गुच्छः—-—अशोक वृक्ष
चक्रग्रहणम् —नपुं॰—चक्रम्-ग्रहणम्—-—दुर्गप्राचीर, परकोटा, खाई
चक्रग्रहणी —स्त्री॰—चक्रम्-ग्रहणी—-—दुर्गप्राचीर, परकोटा, खाई
चक्रचर —वि॰—चक्रम्-चर—-—वृत्त में घूमने वाला
चक्रचूडामणिः —पुं॰—चक्रम्-चूडामणिः—-—मुकुट में लगी गोलमणि
चक्रजीवकः —पुं॰—चक्रम्-जीवकः—-—कुम्हार
चक्र-जीविन् —पुं॰—चक्रम्-जीविन्—-—कुम्हार
चक्रतीर्थम् —नपुं॰—चक्रम्-तीर्थम्—-—एक पुण्य स्थान का नाम
चक्रदंष्ट्रः —पुं॰—चक्रम्-दंष्ट्रः—-—सूअर
चक्रधरः —पुं॰—चक्रम्-धरः—-—विष्णु का विशेषण
चक्रधरः —पुं॰—चक्रम्-धरः—-—प्रभु, प्रान्त का राज्यपाल या शासक
चक्रधरः —पुं॰—चक्रम्-धरः—-—गाँव का कलाबाज या बाजीगर
चक्रधारा —स्त्री॰—चक्रम्-धारा—-—पहिए का घेरा
चक्रनाभिः —पुं॰—चक्रम्-नाभिः—-—पहिए की नाह
चक्रनामन् —पुं॰—चक्रम्-नामन्—-—चकवा
चक्रनामन् —पुं॰—चक्रम्-नामन्—-—लोहे की माक्षिक धातु
चक्रनायकः —पुं॰—चक्रम्-नायकः—-—दल का नेता
चक्रनायकः —पुं॰—चक्रम्-नायकः—-—एक प्रकार का सुगन्धद्रव्य
चक्रनेमिः —पुं॰—चक्रम्-नेमिः—-—पहिए कि परिधि या घेरा
चक्रपाणि —पुं॰—चक्रम्-पाणि—-—विष्णु का विशेषण
चक्रपादः —पुं॰—चक्रम्-पादः—-—गाड़ी
चक्रपादः —पुं॰—चक्रम्-पादः—-—हाथी
चक्रपादकः —पुं॰—चक्रम्-पादकः—-—गाड़ी
चक्रपादकः —पुं॰—चक्रम्-पादकः—-—हाथी
चक्रपालः —पुं॰—चक्रम्-पालः—-—राज्यपाल
चक्रपालः —पुं॰—चक्रम्-पालः—-—स्वर्णमुद्रा, दीनार
चक्रपालः —पुं॰—चक्रम्-पालः—-—क्षितिज
चक्रबन्धुः —पुं॰—चक्रम्-बन्धुः —-—सूर्य
चक्रबान्धवः —पुं॰—चक्रम्-बान्धवः —-—सूर्य
चक्रबालः —पुं॰—चक्रम्-बालः—-—वृत्त, मण्डल
चक्रबालः —पुं॰—चक्रम्-बालः—-—संग्रह, वर्ग, समुच्चय, राशि
चक्रबालः —पुं॰—चक्रम्-बालः—-—क्षितिज
चक्रबालडः —पुं॰—चक्रम्-बालडः—-—वृत्त, मण्डल
चक्रबालडः —पुं॰—चक्रम्-बालडः—-—संग्रह, वर्ग, समुच्चय, राशि
चक्रबालडः —पुं॰—चक्रम्-बालडः—-—क्षितिज
चक्रवालः —पुं॰—चक्रम्-वालः—-—वृत्त, मण्डल
चक्रवालः —पुं॰—चक्रम्-वालः—-—संग्रह, वर्ग, समुच्चय, राशि
चक्रवालः —पुं॰—चक्रम्-वालः—-—क्षितिज
चक्रवालम् —नपुं॰—चक्रम्-वालम्—-—वृत्त, मण्डल
चक्रवालम् —नपुं॰—चक्रम्-वालम्—-—संग्रह, वर्ग, समुच्चय, राशि
चक्रवालम् —नपुं॰—चक्रम्-वालम्—-—क्षितिज
चक्र-वालडम् —नपुं॰—चक्रम्-वालडम्—-—वृत्त, मण्डल
चक्र-वालडम् —नपुं॰—चक्रम्-वालडम्—-—संग्रह, वर्ग, समुच्चय, राशि
चक्र-वालडम् —नपुं॰—चक्रम्-वालडम्—-—क्षितिज
चक्रवालः —पुं॰—चक्रम्-वालः—-—पुराणों में वर्णित एक पर्वत-शृंखला जो भूमण्डल को दीवार की भाँति घेरे हुए तथा प्रकाश व अन्धकार की सीमा समझी जाती है
चक्रवालः —पुं॰—चक्रम्-वालः—-—चकवा
चक्रभृत् —पुं॰—चक्रम्-भृत्—-—चक्रधारी
चक्रभृत् —पुं॰—चक्-भृत्—-—विष्णु का नाम
चक्र भेदिनी —स्त्री॰—चक्रम्-भेदिनी—-—रात
चक्रभ्रमः —पुं॰—चक्रम्-भ्रमः—-—खराद, सान
चक्रभ्रमिः —स्त्री॰—चक्रम्-भ्रमिः—-—खराद, सान
चक्रमण्डलिन —पुं॰—चक्रम्-मण्डलिन्—-—साँप की एक जाति
चक्रमुखः —पुं॰—चक्रम्-मुखः—-—सूअर
चक्रयानम् —नपुं॰—चक्रम्-यानम्—-—पहिये से चलने वाला वाहन
चक्ररदः —पुं॰—चक्रम्-रदः—-—सूअर
चक्रवर्तिन् —पुं॰—चक्रम्-वर्तिन्—-—सम्राट्, चक्रवर्ती राजा, संसार का प्रभु, समुद्र तक फैले राज्य का स्वामी
चक्रवाकः —पुं॰—चक्रम्-वाकः—-—चकवा
चक्रवाटः —पुं॰—चक्रम्-वाटः—-—सीमा, हद,
चक्रवाटः —पुं॰—चक्रम्-वाटः—-—दीवट
चक्रवाटः —पुं॰—चक्रम्-वाटः—-—कार्य में प्रवृत्त होना
चक्रवातः —पुं॰—चक्रम्-वातः—-—बवंडर, तूफान-आँधी
चक्रवृद्धिः —पुं॰—चक्रम्-वृद्धिः—-—ब्याज पर ब्याज, चक्रवृद्धि ब्याज
चक्रब्यूहः —पुं॰—चक्रम्-ब्यूहः—-—सैन्यदल की मण्डलाकार स्थापना
चक्रसंज्ञम् —नपुं॰—चक्रम्-संज्ञम्—-—रांय
चक्रसंज्ञः —पुं॰—चक्रम्-संज्ञः—-—चकवा
चक्रसाह्वयः —पुं॰—चक्रम्-साह्वयः—-—चकवा
चक्रहस्तः —पुं॰—चक्रम्-हस्तः—-—विष्णु का विशेषण
चक्रक —वि॰—-—चक्रमिव कायति-कै-क—पहिये के आकार का, मण्डलाकार
चक्रकः —पुं॰—-—-—मण्डल में तर्क करना
चक्रवत् —वि॰—-—चक्र - मतुप्; <मस्य वः>—पहियों वाला
चक्रवत् —वि॰—-—-—मण्डलाकार
चक्रवत् —पुं॰—-—-—प्रभु, सम्राट्
चक्रवत् —पुं॰—-—-—विष्णु का नाम
चक्राकी —स्त्री॰—-—-—हंसिनी
चक्राङ्की —स्त्री॰—-—-—हंसिनी
चक्रिका —स्त्री॰—-—चक्र - ठन् -टाप्—ढेर, दल
चक्रिका —स्त्री॰—-—-—दुरभिसन्धि
चक्रिका —स्त्री॰—-—-—घुटना
चक्रिन् —पुं॰—-—चक्र - इनि—विष्णु का विशेषण
चक्रिन् —पुं॰—-—-—सम्राट्, चक्रवर्ती राजा, निरंकुश शासक
चक्रिन् —पुं॰—-—-—राज्यपाल
चक्रिन् —पुं॰—-—-—संसूचक, मुखविर
चक्रिन् —पुं॰—-—-—एक प्रकार का कलाबाज या बाजीगर
चक्रिय —वि॰—-—चक्र - घ—गाड़ी में बैठ कर जाने वाला, यात्रा करने वाला
चक्रीवत् —पुं॰—-—चक्र - मतुप्, मस्य वः, नि॰ चक्रस्य <चक्रीभावः>—गधा
चक्ष् —अदा॰ आ॰ <चष्टे>—-—-—देखना, पर्यवेक्षणा करना, प्रत्यक्षज्ञान प्राप्त करना
चक्ष् —अदा॰ आ॰ <चष्टे>—-—-—बोलना, कहना, बतलाना
आचक्ष् —अदा॰ आ॰—आ-चक्ष्—-—बोलना, घोषणा करना, वर्णन करना, बयान करना, बतलाना, पढाना, समाचार देना
आचक्ष् —अदा॰ आ॰—आ-चक्ष्—-—कहना, सम्बोधित करना
आचक्ष् —अदा॰ आ॰—आ-चक्ष्—-—नाम लेना, पुकारना
परिचक्ष् —अदा॰ आ॰—परि-चक्ष्—-—घोषणा करना, वर्णन करना
परिचक्ष् —अदा॰ आ॰—परि-चक्ष्—-—गिनना
परिचक्ष् —अदा॰ आ॰—परि-चक्ष्—-—उल्लेख करना
परिचक्ष् —अदा॰ आ॰—परि-चक्ष्—-—नाम लेना, पुकारना
प्रचक्ष् —अदा॰ आ॰—प्र-चक्ष्—-—कहना, बोलना, नियम बनाना
प्रचक्ष् —अदा॰ आ॰—प्र-चक्ष्—-—नाम लेना, पुकारना
प्रत्याचक्ष् —अदा॰ आ॰—प्रत्या-चक्ष्—-—त्याग देना, छोङ देना, पीछे हटा देना
व्याचक्ष् —अदा॰ आ॰—व्या-चक्ष्—-—व्याख्या करना, टीका टिप्पण करना
चक्षस् —वि॰—-—चक्ष् - असि—अध्यापक, धर्म-विज्ञान का शिक्षक, दीक्षागुरु, आध्यात्मिक गुरु
चक्षस् —पुं॰—-—-—बृहस्पति का विशेषण
चक्षुष्य —वि॰—-—चक्षुषे हितः स्यात्- <चक्षुस् - यत्>—मनोहर, प्रियदर्शन, सुहावना, सुन्दर
चक्षुष्य —वि॰—-—-—आँखों के लिए हितकर
चक्षुष्या —स्त्री॰—-—-—प्रियदर्शन या सुन्दरी स्त्री
चक्षुस् —नपुं॰—-—चक्ष् - उसि—आँख
चक्षुस् —नपुं॰—-—-—दृष्टि, दर्शन, नजर, देखने की शक्ति
चक्षुर्गोचर —वि॰—चक्षुस्-गोचर—-—दृश्य, दृष्टिगोचर, दृष्टि-परास के अन्तर्गत होने वाला
चक्षुर्दानम् —नपुं॰—चक्षुस्-दानम्—-—प्राण प्रतिष्ठा के समय मूर्ति की आँखों में रंग भरना
चक्षुपथः —पुं॰—चक्षुस्-पथः—-—दृष्टि-परास, क्षितिज
चक्षुमलम् —नपुं॰—चक्षुस्-मलम्—-—आँखों की ढीड़ या मल
चक्षूरागः —पुं॰—चक्षुस्-रागः—-—आँखों में लाली
चक्षूरागः —पुं॰—चक्षुस्-रागः—-—’आँख का प्रेम’ आँख लड़ाने से उत्पन्न प्रेम या अनुराग
चक्षूरोगः —पुं॰—चक्षुस्-रोगः—-—आँख की बीमारी
चक्षुर्विषयः —पुं॰—चक्षुस्-विषयः—-—दृष्टि-परास, निगाह, उपस्थिति, दृश्यता
चक्षुर्विषयः —पुं॰—चक्षुस्-विषयः—-—दृष्टि का विषय, कोई भी दृश्य पदार्थ
चक्षुर्विषयः —पुं॰—चक्षुस्-विषयः—-—क्षितिज
चक्षुःश्रवस् —पुं॰—चक्षुस्-श्रवस्—-—साँप
चक्षुष्मत् —वि॰—-—चक्षुस् - मतुप्—देखने वाला, आँखों वाला, देखने की शक्ति वाला
चक्षुष्मत् —वि॰—-—-—अच्छी दृष्टि रखने वाला
चङ्कुणः —पुं॰—-—चङ्क् - उनञ्—वृक्ष
चङ्कुणः —पुं॰—-—चङ्क् - उनञ्—गाड़ी
चङ्कुणः —पुं॰—-—चङ्क् - उनञ्—वाहन
चङ्कुरः —पुं॰—-—चङ्क् - उरच्—वृक्ष
चङ्कुरः —पुं॰—-—चङ्क् - उरच्—गाड़ी
चङ्कुरः —पुं॰—-—चङ्क् - उरच्—वाहन
चङ्क्रमणम् —नपुं॰—-—क्रम् - यङ् - ल्युट्, यञो लुक् तारा॰—इधर उधर घूमना, आना-जाना, सैर करना
चङ्क्रमणम् —नपुं॰—-—-—शनैः २ या टेढा जाना
चञ्च् —भ्वा॰ पर॰< चञ्चति>, < चञ्चित>—-—-—चलायमान करना, लहराना, हिलाना
चञ्च् —भ्वा॰ पर॰< चञ्चति>, < चञ्चित>—-—-—
चञ्चः —पुं॰—-—चञ्च् - अच्—टोकरी
चञ्चः —पुं॰—-—-—पाँच अंगुलियों से मापा जाने वाला मापदण्डमापदण्ड, पंचांगुल मान
चञ्चरिन् —पुं॰—-—चर् - यङ्, णिनि, यङोलुक्—भौंरा
चञ्चरीकः —पुं॰—-—चर् - इकन्, नि॰ द्वित्वम्—भौंरा
चञ्चल —वि॰—-—चंच् - अलच्, चञ्चं गतिं लाति ला - क वा तारा॰—चलायमान, हिलता हुआ, कम्पमान, थरथराता हुआ
चञ्चल —वि॰—-—चंच् - अलच्, चञ्चं गतिं लाति ला - क वा तारा॰—चलचित्त, चपल, अस्थिर
चञ्चलः —पुं॰—-—चंच् - अलच्, चञ्चं गतिं लाति ला - क वा तारा॰—वायु
चञ्चलः —पुं॰—-—चंच् - अलच्, चञ्चं गतिं लाति ला - क वा तारा॰—प्रेमी
चञ्चलः —पुं॰—-—चंच् - अलच्, चञ्चं गतिं लाति ला - क वा तारा॰—स्वेच्छाचारी
चञ्चला —स्त्री॰—-—चंच् - अलच्, चञ्चं गतिं लाति ला - क वा तारा॰—बिजली
चञ्चला —स्त्री॰—-—चंच् - अलच्, चञ्चं गतिं लाति ला - क वा तारा॰—धन की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी
चञ्चा —स्त्री॰—-—चञ्च् - अच् -टाप्—बेत से बनी कोई वस्तु
चञ्चा —स्त्री॰—-—-—पुआल का बना पुतला, गुड्डा, गुड़िया
चञ्चु —वि॰—-—चञ्च् - उन्—प्रसिद्ध, विख्यात, विदित
चञ्चुः —पुं॰—-—-—चोंच, चूँच
चञ्चू —स्त्री॰—-—-—चोंच, चूँच
चञ्चु्पुटः —पुं॰—चञ्चु-पुटः—-—पक्षी की बन्द चोंच
चञ्चपुटम् —नपुं॰—चञ्चु-पुटम्—-—पक्षी की बन्द चोंच
चञ्चुप्रहारः —पुं॰—चञ्चु-प्रहारः—-—चोंच से टूंग मारना
चञ्चुभृत् —पुं॰—चञ्चु-भृत्—-—पक्षी
चञ्चुमत् —पुं॰—चञ्चु-मत्—-—पक्षी
चञ्चुसूचिः —स्त्री॰—चञ्चु-सूचिः—-—बय्या, सौचिक पक्षी
चंञ्चुर —वि॰—-—चञ्च् - उरच्—चतुर, विशेषज्ञ
चट् —भ्वा॰ पर॰ -<चटति>, <चटित>—-—-—टूटना, गिरना, अलग होना
चट् —चुरा॰ उभ॰ < चाटयति>, <चाटयते>—-—-—मार डालना, क्षति पहुँचाना
चट् —चुरा॰ उभ॰ < चाटयति>, <चाटयते>—-—-—बींधना, तोड़ना
उच्चट् —चुरा॰ उभ॰—उद्-चट्—-—भयभीत करना, त्रासना, डराना
उच्चट् —चुरा॰ उभ॰—उद्-चट्—-—उखड़ना, हटाना, नाश करना
उच्चट् —चुरा॰ उभ॰—उद्-चट्—-—मार डालना, क्षति पहुँचाना
चटकः —पुं॰—-—चट् - क्वुन्—चिड़िया, गोरैया
चटका —स्त्री॰—-—चटक - टाप् —चिड़िया
चटिका —स्त्री॰—-—चटक - टाप् इदादेशश्च—चिड़िया
चटुः —पुं॰—-—चट् - कु—कृपा तथा चापलूसी से पूर्ण शब्द
चटु —नपुं॰—-—चट् - कु—कृपा तथा चापलूसी से पूर्ण शब्द
चटुल —वि॰—-—चटु - लच्—कम्पमान, थरथराता हुआ, अस्थिर, घुमक्कड़, दोलायमान
चटुल —वि॰—-—-—बढिया, सुन्दर, रुचिकर
चटुलोल —वि॰—-—कर्म॰ स॰, नि॰ साधुः—कम्पनशील
चटुलोल —वि॰—-—-—प्रिय, सुन्दर
चटूल्लोल —वि॰—-—कर्म॰ स॰, नि॰ साधुः—कम्पनशील
चटूल्लोल —वि॰—-—-—प्रिय, सुन्दर
चटूल्लोल —वि॰—-—-—मधुरभाषी
चण —वि॰—-—चण् - अच्—विख्यात, प्रसिद्ध, कुशल, कीर्तिकर
अक्षरचणः —पुं॰—अक्षर-चणः—-—चना
चणकः —पुं॰—-—चण् - क्वुन्—चना
चण्ड —वि॰—-—चंड् - अच्—हिंस्र, प्रचण्ड, उग्र, आवेशयुक्त, क्रोधी, रुष्ट
चण्ड —वि॰—-—-—सक्रिय, फुर्तीला
चण्ड —वि॰—-—-—तीखा, तीक्ष्ण
चण्डम् —नपुं॰—-—-—उष्णता, गर्मी
चण्डम् —नपुं॰—-—-—आवेश, क्रोध
चण्डांशुः —पुं॰—चण्ड-अंशुः—-—सूर्य
चण्डदीधितिः —पुं॰—चण्ड-दीधितिः—-—सूर्य
चण्डभानुः —पुं॰—चण्ड-भानुः—-—सूर्य
चण्डीश्वरः —पुं॰—चण्ड-ईश्वरः—-—शिव का एकरुप
चण्डमुंडा —स्त्री॰—चण्ड-मुंडा—-—दुर्गा का ही एक रूप
चण्डमृगः —पुं॰—चण्ड-मृगः—-—जंगली जानवर
चण्डविक्रम —वि॰—चण्ड-विक्रम—-—तीक्ष्ण शक्ति का, अपनी शक्ति में भीषण
चण्डा —स्त्री॰—-—-—दुर्गा का विशेषण
चण्डा —स्त्री॰—-—-—आवेशयुक्त, या क्रोधी स्त्री
चण्डी —स्त्री॰—-—-—दुर्गा का विशेषण
चण्डी —स्त्री॰—-—-—आवेशयुक्त, या क्रोधी स्त्री
चण्डीश्वरः —पुं॰—चण्डी-ईश्वरः—-—शिव का विशेषण
चण्डीपतिः —पुं॰—चण्डी-पतिः—-—शिव का विशेषण
चण्डातः —पुं॰—-—चण्ड - अत् - अण्—सुगन्धयुक्त करवीर
चंण्डातकः —पुं॰—-—चण्ड - अत् - ण्वुल्—लँहगा, साया
चंण्डातकम् —नपुं॰—-—चण्ड - अत् - ण्वुल्—लँहगा, साया
चण्डाल —वि॰—-—चण्ड् - आलच्—दुष्कर्मा, क्रूर कर्मा, तु॰ कर्मचांडाल
चण्डालः —पुं॰—-—-—अत्यन्त नीच और घृणित वर्णसंकर जाति जिसकी उत्पत्ति शूद्र पिता व ब्राह्मण माता से हुई मानी जाती है
चण्डालः —पुं॰—-—-—इस जाति का पुरुष, जातिबहिष्कृत
चण्डालवल्लकी —स्त्री॰—चण्डाल-वल्लकी—-—चण्डाल की वीणा, एक सामान्य या देहाती वीणा
चण्डालिका —स्त्री॰—-—चण्डाल - ठन् - टाप्—चण्डाल की वीणा
चण्डिका —स्त्री॰—-—चण्डाल - ठन् - टाप्—दुर्गा देवी
चण्डिमन् —पुं॰—-—चण्ड - इमनिच्—आवेश, उग्रता, तीक्ष्णता, क्रोध
चण्डिमन् —पुं॰—-—-—गर्मी, ताप
चण्डिलः —पुं॰—-—चंड् - इलच्—नाई
चतुर् —सं॰ वि॰—-—चत् - उरन्—चार
चत्तुरंशः —पुं॰—चतुर्-अंशः—-—चतुर्थ भाग
चतुरंङ्ग —वि॰—चतुर्-अंङ्ग—-—चार सदस्यीय, चार दल युक्त
चतुरंङ्गम् —नपुं॰—चतुर्-अंङ्गम्—-—हाथी, रथ, घोड़े और पदाति इन चार अंगों से सुसज्जित सेना
चतुरंङ्गम् —नपुं॰—चतुर्-अंङ्गम्—-—एक प्रकार की शतरंज
चतुरन्त —वि॰—चतुर्-अन्त—-—चारों ओर सीमायुक्त
चतुरन्ता —स्त्री॰—चतुर्-अन्ता—-—पृथ्वी
चतुरशीत —वि॰—चतुर्-अशीत—-—चौरासीवाँ
चतुरशीति —वि॰ स्त्री॰—चतुर्-अशीति—-—चौरासी
चतुरश्र —वि॰—चतुर्-अश्र—-—चार किनारों वाला, चतुष्कोण
चतुरश्र —वि॰—चतुर्-अश्र—-—सममित, नियमित यासुन्दर, सुडौल
चतुरस्र —वि॰—चतुर्- अस्र—-—चार किनारों वाला, चतुष्कोण
चतुरस्र —वि॰—चतुर्-अस्र—-—सममित, नियमित यासुन्दर, सुडौल
चतुरश्रः —पुं॰—चतुर्- अश्रः—-—वर्गाकार
चतुरस्रः —पुं॰—चतुर्-अस्रः—-—वर्गाकार
चतुराहम् —नपुं॰—चतुर्-अहम्—-—चार दिन का समय
चतुराननः —नपुं॰—चतुर्-आननः—-—ब्रह्मा का विशेषण
चतुराश्रमं —नपुं॰—चतुर्-आश्रमं—-—ब्राह्मण के धार्मिक की चार अवस्थाएँ
चतुरोत्तर —वि॰—चतुर्-उत्तर—-—चार बढ़ा कर
चतुष्कर्ण —वि॰—चतुर्-कर्ण—-—केवल दो व्यक्तियों द्वारा ही सुना गया
चतुष्कोण —वि॰—चतुर्-कोण—-—वर्ग, चार कोनों वाला
चतुर्कोणः —पुं॰—चतुर्-कोणः—-—वर्ग, चतुर्भुज, चार पार्श्व वाली आकृति
चतुर्गतिः —स्त्री॰—चतुर्-गतिः—-—परमात्मा
चतुर्गतिः —स्त्री॰—चतुर्-गतिः—-—कछुवा
चतुर्गुण —वि॰—चतुर्-गुण—-—चारगुणा, चौहरा, चौलड़ा
चतुश्चत्वारिंशत् —वि॰—चतुर्-चत्वारिंशत्—-—चवालीस
चतुश्चत्वारिंश —वि॰—चतुर्-चत्वारिंश—-—चवालिसवाँ
चतुर्णवत —वि॰—चतुर्-णवत—-—चौरानवेवाँ या चौरानवे जोड़ कर
चतुर्णवतं शतम् —नपुं॰—-—-—एक सौ चौरानवे
चतुर्दंतः —पुं॰—चतुर्-दंतः—-—इन्द्र के हाथी ऐरावत का विशेषण
चतुर्दशः —वि॰—चतुर्-दश—-—चौदहवाँ
चतुर्दशन् —वि॰—चतुर्-दशन्—-—चौदह
चतुर्रत्नानि —ब॰ व॰—चतुर्-रत्नानि—-—समुद्र मन्थन के परिणामस्वरूप समुद्र से प्राप्त १४ रत्न
चतुर्विद्याः —ब॰व॰—चतुर्-विद्याः—-—चौदह विद्याएँ
चतुर्दशी —स्त्री॰—चतुर्-दशी—-—चान्द्रपक्ष का चौदहवाँ दिन
चतुर्दिशान् —स्त्री॰—चतुर्-दिशन्—-—सामूहिक रूप से चारों दिशाएँ
चतुर्दिशम् —अव्य॰—चतुर्-दिशम्—-—चारों दिशाओं में, सब दिशाओं में
चतुर्दोलः —पुं॰—चतुर्-दोलः—-—राजकीय पालकी
चतुर्दोलम् —नपुं॰—चतुर्-दोलम्—-—राजकीय पालकी
चतुर्द्वारम् —नपुं॰—चतुर्-द्वारम्—-—चारों दिशाओं में चार द्वारों वाला मकान
चतुर्द्वारम् —नपुं॰—चतुर्-द्वारम्—-—सामूहिक रूप से चारों द्वार
चतुःनवति —वि॰-स्त्री॰—चतुर्-नवति—-—चौरानवे
चतुःपञ्च —वि॰—चतुर्-पञ्च—-—चार या पाँच
चतुष्पञ्चाशत् —स्त्री॰—चतुर्-पञ्चाशत्—-—चौवन
चतुष्पथः —पुं॰—चतुर्-पथः—-—वह स्थान जहाँ चार सड़कें मिलें, चौराहा
चतुष्पथम् —नपुं॰—चतुर्-पथम्—-—वह स्थान जहाँ चार सड़कें मिलें, चौराहा
चतुष्पथः —पुं॰—चतुर्-पथः—-—ब्राह्मण
चतुष्पदः —वि॰—चतुर्-पद—-—चार पैरों वाला
चतुष्पदः —वि॰—चतुर्-पद—-—चार अंगों वाला
चतुष्पदः —पुं॰—चतुर्-पदः—-—चौपाया
चतुष्पदी —स्त्री॰—चतुर्-पदी—-—चार चरण का श्लोक
चतुष्पाठी —पुं॰—चतुर्-पाठी—-—ब्राह्मणों का विद्यालय जिसमें चारों वेदों का पठन-पाठन होता हो
चतुष्पाणिः —पुं॰—चतुर्-पाणिः—-—विष्णु का विशेषण
चतुष्पाद् —वि॰—चतुर्-पाद्—-—चौपाया
चतुष्पाद् —वि॰—चतुर्-पाद्—-—पाँच सदस्यीय या पाँच भागों वाला
चतुष्पाद —वि॰—चतुर्-पाद—-—चौपाया
चतुष्पाद —वि॰—चतुर्-पाद—-—पाँच सदस्यीय या पाँच भागों वाला
चतुष्पादः —पुं॰—चतुर्-पादः—-—चौपाया
चतुष्पादः —पुं॰—चतुर्-पादः—-—न्यायांग की एक कार्यविधि
चतुर्बाहुः —पुं॰—चतुर्-बाहुः—-—विष्णु की उपाधि
चतुर्बाहुः —नपुं॰—चतुर्-बाहु—-—वर्ग
चतुर्भद्रम् —नपुं॰—चतुर्-भद्रम्—-—चारों पुरुषार्थों की समष्टि
चतुर्भागः —पुं॰—चतुर्-भागः—-—चौथा भाग, चौथाई
चतुर्भुज् —वि॰—चतुर्-भुज्—-—चतुष्कोण
चतुर्भुज् —वि॰—चतुर्-भुज्—-—चार भुजाओं वाला
चतुर्भुज् —पुं॰—चतुर्-भुज्—-—विष्णु की उपाधि
चतुर्भुज् —नपुं॰—चतुर्-भुज्—-—वर्ग
चतुर्मासम् —नपुं॰—चतुर्-मासम्—-—चातुर्मास्य, चौमासा
चतुर्मुख —वि॰—चतुर्-मुख—-—चार मुँह वाला
चतुर्मुखः —पुं॰—चतुर्-मुखः—-—ब्रह्मा का विशेषण
चतुर्मुखम् —नपुं॰—चतुर्-मुखम्—-—चार मुँह
चतुर्मुखम् —नपुं॰—चतुर्-मुखम्—-—चार द्वार वाला मकान
चतुर्युगम् —नपुं॰—चतुर्-युगम्—-—चार युगों की समष्टि
चतुर्रात्रम् —नपुं॰—चतुर्-रात्रम्—-—चार रात्रियों का समूह
चतुर्वक्त्रः —पुं॰—चतुर्-वक्त्रः—-—ब्रह्मा का विशेषण
चतुर्वर्गः —पुं॰—चतुर्-वर्गः—-—मानव जीवन के चार पुरुषार्थों का समूह
चतुर्वर्णः —पुं॰—चतुर्-वर्णः—-—हिन्दुओं की चार श्रेणियाँ या जातियाँ अर्थात् ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र
चतुर्वर्षिका —स्त्री॰—चतुर्-वर्षिका—-—चार वर्ष की आयु की गाय
चतुर्विंश —वि॰—चतुर्-विंश—-—चौबीस
चतुर्विंश —वि॰—चतुर्-विंश—-—चौबीस जोड़कर
चतुर्विंशति —वि॰ या स्त्री॰—चतुर्-विंशति—-—चौबीस
चतुर्विंशतिक —वि॰—चतुर्-विंशतिक—-—२४ से युक्त
चतुर्विद्य —वि॰—चतुर्-विद्य—-—जिसने चारों वेदों का अध्ययन किया है
चतु्र्विध —वि॰—चतुर्-विध—-—चार प्रकार का, चौतही
चतुर्वेद —वि॰—चतुर्-वेद—-—चारों वेदों से परिचित
चतुर्वेदः —पुं॰—चतुर्-वेदः—-—पारमात्मा
चतुर्व्यूहः —पुं॰—चतुर्-व्यूहः—-—विष्णु का नाम
चतुर्हम् —नपुं॰—चतुर्-हम्—-—आयुर्वेदविज्ञान
चतुःशालम् —नपुं॰—चतुर्-शालम्—-—चार मकानों का वर्ग, चारों ओर चार भवनों से घिरा हुआ चतुष्कोण
चतुःषष्ठि —वि॰ या स्त्री॰—चतुर्-षष्ठि—-—चौंसठ
चतुर्कला —स्त्री॰, ब॰ व॰—चतुर्-कला—-—चौंसठ कलाएँ
चतुःसप्तति —वि॰ या स्त्री॰—चतुर्-सप्तति—-—चौहत्तर
चतुर्हायन —वि॰ —चतुर्-हायन—-—चार वर्ष की आयु का
चतुर्हायन —वि॰ —चतुर्-हायण—-—चार वर्ष की आयु का
चतुर्होत्रकम् —नपुं॰—चतुर्-होत्रकम्—-—चारों ऋत्विजों का समूह
चतुर —वि॰—-—चत् - उरच्—होशियार, कुशल, मेधावी, तीक्ष्णबुद्धि
चतुर —वि॰—-—-—फुर्तीला, द्रुतगामी या तेज
चतुर —वि॰—-—-—मनोज्ञ, सुन्दर, प्रिय, रुचिकर
चतुरम् —नपुं॰—-—-—होशियारी, मेधाविता
चतुरम् —नपुं॰—-—-—हस्तिशाला
चतुर्थ —वि॰—-—चतुर्णां पूरणः डट् थुक् च—चौथा
चतुर्थम् —नपुं॰—-—-—चौथाई, चौथा भाग
चतुर्थाश्रमः —पुं॰—चतुर्थ-आश्रमः—-—ब्राह्मण के धार्मिक जीवन की चौथी अवस्था, संन्यास
चतुर्भभाज् —वि॰—चतुर्थ-भाज्—-—अपनी प्रजा से आय का चतुर्थांश ग्रहण करने वाला, राजा
चतुर्थक —वि॰—-—चतुर्थ - कन्—चौथा
चतुर्थकः —पुं॰—-—-—चौथेया ज्वर
चतुर्थी —स्त्री॰—-—चतुर्थ - ङीप्—चान्द्र पक्ष का चौथा दिन
चतुर्थी —स्त्री॰—-—-—सम्प्रदान कारक
चतुर्थीकर्मन् —नपुं॰—चतुर्थी-कर्मन्—-—विवाह के चौथे दिन किया जाने वाला संस्कार
चतुर्धा —अव्य॰—-—चतुर् - धा—चार प्रकार से, चारगुणा
चतुष्क —वि॰—-—चतुरवयवं चत्वारोऽवयवा यस्य वा कन् —चार से युक्त
चतुष्क —वि॰—-—-—चार बढ़ा कर
चतुष्कम् —नपुं॰—-—-—चार का समूह
चतुष्कम् —नपुं॰—-—-—चौराहा
चतुष्कम् —नपुं॰—-—-—चौकोर आंगन
चतुष्कम् —नपुं॰—-—-—चार स्तम्भों पर अवस्थित भवन, कमरा या सुकक्ष
चतुष्की —स्त्री॰—-—-—एक चौकोर बड़ा तालाब
चतुष्की —स्त्री॰—-—-—मच्छरदानी, मसहरी
चतुष्टय —वि॰—-—चत्वारोऽवयवा विधाअस्य तयप्—चारगुणा, चार से युक्त
चतुष्टयी —वि॰—-—-—चारगुणा, चार से युक्त
चतुष्टयम् —नपुं॰—-—-—चार का समूह
चत्वरम् —नपुं॰—-—चत् - प्वरच्—चौकोर जगह या आँगन
चत्वरम् —नपुं॰—-—-—यज्ञ के लिए तैयार की गई समतल भूमि
चत्वारिंशत् —स्त्री॰—-—-—चालीस
चत्वालः —पुं॰—-—चत् - वालच्—यज्ञाग्नि रखने के लिए या आहुति देने के लिए भूमि खोद कर बनया गया हवनकुंड
चद् —भ्वा॰ उभ॰ -< चदति> , <चदते>—-—-—कहना, प्रार्थना करना
चदिरः —पुं॰—-—चद् - किरच्, नि॰—चन्द्रमा
चन —अव्य॰—-—-—नहीं, न केवल, भी नहीं
चन्द —भ्वा॰ पर॰- < चन्दति> , < चन्दित>—-—-—चमकना, प्रसन्न होना, खुश होना
चन्दः —पुं॰—-—चन्द - णिच् - अच्—चन्द्रमा, कपूर
चन्दनः —पुं॰—-—चन्द् - णिच् - ल्युट्—चन्दन
चन्दनाचलः —पुं॰—चन्दनः-अचलः—-—मलय पर्वत
चन्दनाद्रिः —पुं॰—चन्दनः-अद्रिः—-—मलय पर्वत
चन्दनगिरिः —पुं॰—चन्दनः-गिरिः—-—मलय पर्वत
चन्दनोदकम् —नपुं॰—चन्दनः-उदकम्—-—चन्दन का पानी
चन्दनपुष्पम् —नपुं॰—चन्दनः-पुष्पम्—-—लौंग
चन्दनसारः —पुं॰—चन्दनः-सारः—-—अत्यन्त श्रेष्ठ चन्दन की लकड़ी
चन्दिरः —पुं॰—-—चन्द् - किरच्—हाथी
चन्दिरः —पुं॰—-—-—चन्द्रमा
चन्द्रः —पुं॰—-—चन्द् - णिच् - रक्—चन्द्रमा
चन्द्रः —पुं॰—-—-—चन्द्र ग्रह
चन्द्रः —पुं॰—-—-—मयूर पंखों में ‘आँख’ का चिह्न
चन्द्रा —स्त्री॰—-—-—इलायची
चन्द्रा —स्त्री॰—-—-—खुला कमरा
चन्द्रांशुः —पुं॰—चन्द्रः-अंशुः—-—चन्द्रमा की किरण
चन्द्रार्धः —पुं॰—चन्द्रः-अर्धः—-—आधा चन्द्रमा
चन्द्रचूडामणिः —पुं॰—चन्द्रः-चूडामणिः—-—शिव के विशेषण
चन्द्रमौलिः —पुं॰—चन्द्रः-मौलिः—-—शिव के विशेषण
चन्द्रशेखरः —पुं॰—चन्द्रः-शेखरः—-—शिव के विशेषण
चन्द्रातपः —पुं॰—चन्द्रः-आतपः—-—चाँदनी
चन्द्रातपः —पुं॰—चन्द्रः-आतपः—-—चँदोआ
चन्द्रातपः —पुं॰—चन्द्रः-आतपः—-—प्रशस्त कक्ष
चन्द्रात्मजः —पुं॰—चन्द्रः-आत्मजः—-—बुधग्रह
चन्द्रौरसः —पुं॰—चन्द्रः-औरसः—-—बुधग्रह
चन्द्रजः —पुं॰—चन्द्रः-जः—-—बुधग्रह
चन्द्रजातः —पुं॰—चन्द्रः-जातः—-—बुधग्रह
चन्द्रतनयः —पुं॰—चन्द्रः-तनयः—-—बुधग्रह
चन्द्रनन्दनः —पुं॰—चन्द्रः-नन्दनः—-—बुधग्रह
चन्द्रपुत्रः —पुं॰—चन्द्रः-पुत्रः—-—बुधग्रह
चन्द्रानन —वि॰—चन्द्रः-आनन—-—चन्द्रमा जैसे मुख वाला
चन्द्रानन —पुं॰—चन्द्रः-आननः—-—कार्तिकेय का विशेषण
चन्द्रापीडः —पुं॰—चन्द्रः-आपीडः—-—शिव का विशेषण
चन्द्राभासः —पुं॰—चन्द्रः-आभासः—-—’झूठा चंद्रमा’ वास्तविक चन्द्रमा से मिलती जुलती आकाश में दिखाई देने वाली आकृति
चन्द्राह्वयः —पुं॰—चन्द्रः-आह्वयः—-—कपूर
चन्द्रेष्टा —स्त्री॰—चन्द्रः-इष्टा—-—कमल का पौधा, कमलों का समूह, रात को कुमुदिनी का खिलना
चन्द्रोदयः —पुं॰—चन्द्रः-उदयः—-—चन्द्रमा का उगना
चन्द्रोपलः —पुं॰—चन्द्रः-उपलः—-—चन्द्रकान्तमणि
चन्द्रकान्तः —पुं॰—चन्द्रः-कान्तः—-—चंद्रकान्तमणि
चन्द्रकान्तः —पुं॰—चन्द्रः-कान्तः—-—रात को खिलने वाला श्वेत कुमुद
चन्द्रकान्तम् —नपुं॰—चन्द्रः- कान्तम्—-—रात को खिलने वाला श्वेत कुमुद
चन्द्रकान्तम् —नपुं॰—चन्द्रः- कान्तम्—-—चन्दन की लकड़ी
चन्द्रकला —स्त्री॰—चन्द्रः- कला—-—चन्द्रमा की रेखा
चन्द्रकान्ता —स्त्री॰—चन्द्रः-कान्ता—-—रात
चन्द्रकान्ता —स्त्री॰—चन्द्रः-कान्ता—-—चाँदनी
चन्द्रकान्तिः —स्त्री॰—चन्द्रः-कान्तिः—-—चाँदनी
चन्द्रकान्तिम् —नपुं॰—चन्द्रः-कान्तिम्—-—चाँदी
चन्द्रक्षयः —पुं॰—चन्द्रः-क्षयः—-—चान्द्रमास का अंतिम दिन
चन्द्रगृहम् —नपुं॰—चन्द्रः- गृहम्—-—कर्कराशि, राशिचक्र में चौथी राशि
चन्द्रगोलः —पुं॰—चन्द्रः-गोलः—-—चन्द्रलोक, चन्द्रमण्डल
चन्द्रगोलिका —स्त्री॰—चन्द्रः-गोलिका—-—चाँदनी
चन्द्रग्रहणम् —नपुं॰—चन्द्रः-ग्रहणम्—-—चन्द्रमा का राहुग्रस्त होना
चन्द्रचञ्चला —स्त्री॰—चन्द्रः-चञ्चला—-—छोटी मछली
चन्द्रचूडः —पुं॰—चन्द्रः-चूडः—-—शिव के विशेषण
चन्द्रचूडामणिः —पुं॰—चन्द्रः-चूडामणिः—-—शिव के विशेषण
चन्द्रमौलिः —पुं॰—चन्द्रः-मौलिः—-—शिव के विशेषण
चन्द्रशेखरः —पुं॰—चन्द्रः-शेखरः—-—शिव के विशेषण
चन्द्रदाराः —पुं॰—चन्द्रः-दाराः—-—’चन्द्रमा की पत्नियाँ’ २७ नक्षत्र
चन्द्रद्युतिः —स्त्री॰—चन्द्रः-द्युतिः—-—चन्दन की लकड़ी
चन्द्रद्युतिः —स्त्री॰—चन्द्रः-द्युतिः—-—चाँदनी
चन्द्रनामन् —पुं॰—चन्द्रः-नामन्—-—कपूर
चन्द्रपादः —पुं॰—चन्द्रः-पादः—-—चन्द्रकिरण
चन्द्रप्रभा —स्त्री॰—चन्द्रः-प्रभा—-—चन्द्रमा का प्रकाश
चन्द्रबाला —स्त्री॰—चन्द्रः- बाला—-—बड़ी इलायची
चन्द्रबाला —स्त्री॰—चन्द्रः- बाला—-—चाँदनी
चन्द्रबिंदुः —स्त्री॰—चन्द्रः-बिंदुः—-—अनुस्वार का चिह्न
चन्द्रभस्मन् —नपुं॰—चन्द्रः-भस्मन्—-—कपूर
चन्द्रभागा —स्त्री॰—चन्द्रः-भागा—-—दक्षिणभारत की एक नदी
चन्द्रभासः —पुं॰—चन्द्रः-भासः—-—तलवार
चन्द्रभूति —नपुं॰—चन्द्रः-भूति—-—चाँदी
चन्द्रमणिः —पुं॰—चन्द्रः-मणिः—-—चन्द्रकान्त मणि
चन्द्ररेखा —स्त्री॰—चन्द्रः-रेखा—-—चन्द्रमा की कला
चन्द्रलेखा —स्त्री॰—चन्द्रः-लेखा—-—चन्द्रमा की कला
चन्द्ररेणुः —पुं॰—चन्द्रः-रेणुः—-—साहित्यचोर
चन्द्रलोकः —पुं॰—चन्द्रः-लोकः—-—चन्द्रसंसार
चन्द्रलोहकम् —नपुं॰—चन्द्रः-लोहकम्—-—चाँदी
चन्द्रलौहम् —नपुं॰—चन्द्रः-लौहम्—-—चाँदी
चन्द्रलौहकम् —नपुं॰—चन्द्रः-लौहकम्—-—चाँदी
चन्द्रवंशः —पुं॰—चन्द्रः-वंशः—-—राजाओं का चन्द्रवंश, भारत के राजवंशों में दूसरी बड़ी पंक्ति
चन्द्रवदन —वि॰—चन्द्रः-वदन—-—चन्द्रमा जैसे मुख वाला
चन्द्रव्रतम् —नपुं॰—चन्द्रः-व्रतम्—-—एक प्रकार की प्रतिज्ञा या तपस्या
चन्द्रशाला —स्त्री॰—चन्द्रः-शाला—-—चौबारा
चन्द्रशाला —स्त्री॰—चन्द्रः-शाला—-—चाँदनी
चन्द्रशालिका —स्त्री॰—चन्द्रः-शालिका—-—चौबारा
चन्द्रशिला —स्त्री॰—चन्द्रः-शिला—-—चन्द्रकान्तमणि
चन्द्रसंज्ञः —पुं॰—चन्द्रः-संज्ञः—-—कपूर
चन्द्रसम्भवः —पुं॰—चन्द्रः-सम्भवः—-—बुध
चन्द्रसम्भवा —स्त्री॰—चन्द्रः-सम्भवा—-—छोटी इलायची
चन्द्रसालोक्यम् —नपुं॰—चन्द्रः-सालोक्यम्—-—चान्द्र स्वर्ग की प्राप्ति
चन्द्रहन् —नपुं॰—चन्द्रः-हन्—-—राहु का विशेषण
चन्द्रहासः —पुं॰—चन्द्रः-हासः—-—चमकीली तलवार
चन्द्रहासः —पुं॰—चन्द्रः-हासः—-—रावण की तलवार
चन्द्रहासः —पुं॰—चन्द्रः-हासः—-—केरल का एक राजा, सुधार्मिक का पुत्र
चन्द्रकः —पुं॰—-—चन्द्र - कन्—चाँद
चन्द्रकः —पुं॰—-—-—मोर के पंखों में आँख का चिह्न
चन्द्रकः —पुं॰—-—-—चन्द्रमा के आकार का वृत्त
चन्द्रकिन् —पुं॰—-—चन्द्रक - इनि—मोर
चन्द्रमस् —पुं॰—-—चन्द्र - मि - असुन्, मादेशः—चाँद
चन्द्रिका —स्त्री॰—-—चन्द्र - ठन् - टाप्—चाँदनी, ज्योत्सना
चन्द्रिका —स्त्री॰—-—-—विशदीकरण, प्रस्तुत विषय पर प्रकाश डालना
चन्द्रिका —स्त्री॰—-—-—जगमगाहट
चन्द्रिका —स्त्री॰—-—-—बड़ी इलायची
चन्द्रिका —स्त्री॰—-—-—चन्द्रभागा नामक नदी
चन्द्रिका —स्त्री॰—-—-—मल्लिका लता
चन्द्रिकाम्बुजम् —नपुं॰—चन्द्रिका-अम्बुजम्—-—चन्द्रोदय होने पर खिलने वाला कुमुद
चन्द्रिकाद्रावः —पुं॰—चन्द्रिका-द्रावः—-—चन्द्रकान्तमणि
चन्द्रिकापायिन् —पुं॰—चन्द्रिका-पायिन्—-—चकोर पक्षी
चन्द्रिलः —पुं॰—-—चन्द्र - इलच्—शिव का विशेषण
चप् —भ्वा॰ पर॰ -< चपति>—-—-—सान्त्वना देना, ढाढस देना
चप् —चुरा॰ उभ॰ < चपयति> , < चपयते>—-—-—पीसना, चूरा करना, माँडना
चपल —वि॰—-—चुप् - कल, उपधोकारस्याकारः—हिलने-डुलने वाला, कम्पमान, थरथराने वाला
चपल —वि॰—-—-—अस्थिर, चञ्चल, चलचित्त, दोलायमान @ शा॰ २\११
चपल —वि॰—-—-—भंगुर, अनित्य, क्षणिक
चपल —वि॰—-—-—फुर्तीला, चञ्चल, चुस्त
चपल —वि॰—-—-—विचारशून्य, अविवेकी
चपलः —पुं॰—-—-—सुगन्ध द्रव्य
चपला —स्त्री॰—-—चपल - टाप्—बिजली
चपला —स्त्री॰—-—-—व्यभिचारिणी स्त्री
चपला —स्त्री॰—-—-—धन की देवी लक्ष्मी
चपलाजनः —पुं॰—चपला-जनः—-—चञ्चल तथा अस्थिरमन स्त्री
चपेटः —पुं॰—-—चप् - इट् - अच्—थप्पड़
चपेटा —स्त्री॰—-— चपेट् - टाप्—चाँटा
चपेटिका —स्त्री॰—-—चपेट - कन् - टाप्, इत्वम्—चाँटा
चम् —भ्वा॰ पर॰ < चमति>, < चान्त>—-—-—पीना, आचमन करना, चढ़ा जाना
चम् —भ्वा॰ पर॰ < चमति>, < चान्त>—-—-—खाना
आचम् —भ्वा॰ पर॰—आ-चम्—-—आचमन करना, एक साँस में पी जाना, चाटना
आचम् —भ्वा॰ पर॰—आ-चम्—-—चाट लेना, पी जाना, सोख लेना
चमत्करणम् —नपुं॰—-—-—विस्मय, आश्चर्य
चमत्करणम् —नपुं॰—-—-—खेल, तमाशा
चमत्करणम् —नपुं॰—-—-—काव्यसौन्दर्य
चमत्कारः —पुं॰—-—-—विस्मय, आश्चर्य
चमत्कारः —पुं॰—-—-—खेल, तमाशा
चमत्कारः —पुं॰—-—-—काव्यसौन्दर्य
चमत्कृतिः —स्त्री॰—-—-—विस्मय, आश्चर्य
चमत्कृतिः —स्त्री॰—-—-—खेल, तमाशा
चमत्कृतिः —स्त्री॰—-—-—काव्य सौन्दर्य
चमरः —पुं॰—-—चम् - अरच्—एक प्रकार का हरिण
चमरी —स्त्री॰—-—-—चमर की मादा
चमरपुच्छम् —नपुं॰—चमरः-पुच्छम्—-—चमर की पूँछ जो पंखे का काम देती है
चमरपुच्छः —पुं॰—चमरः-पुच्छः—-—गिलहरी
चमरिकः —पुं॰—-—चमर - ठन्—कोविदार वृक्ष, कचनार का पेड़
चमसः —पुं॰—-—चमत्यस्मिन् चम - असच् तारा॰—सोमपान करने का लकड़ी का चमचे के आकार का यज्ञ पात्र
चमसम् —नपुं॰—-—चमत्यस्मिन् चम - असच् तारा॰—सोमपान करने का लकड़ी का चमचे के आकार का यज्ञ पात्र
चमूः —स्त्री॰—-—चम् - ऊ—सेना
चमूः —स्त्री॰—-—चम् - ऊ—सेना का एक भाग जिसमें ७२९ हाथी, ७२९ रथ, २१८७ सवार तथा ३६४५ पदाति हों
चमूचरः —पुं॰—चमूः-चरः—-—सैनिक, योद्धा
चमूनाथः —पुं॰—चमूः-नाथः—-—सेनापति, कमांडर, सेना नायक
चमूपः —पुं॰—चमूः-पः—-—सेनापति, कमांडर, सेना नायक
चमूपतिः —पुं॰—चमूः-पतिः—-—सेनापति, कमांडर, सेना नायक
चमूहरः —पुं॰—चमूः-हरः—-—शिव की उपाधि
चमूरुः —पुं॰—-—चम् - ऊर, उत्वम्—एक प्रकार का हरिण
चम्प् —चुरा॰ उभ॰ < चम्पयति>, < चम्पयते>—-—-—जाना, चलना-फिरना
चम्पकः —पुं॰—-—चम्प - ण्वुल—चम्पा नामक पौधा जिसके पीले, सुगन्धयुक्त फूल लगते हैं
चम्पकः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का सुगन्धद्रव्य,
चम्पकम् —नपुं॰—-—-—चम्पा नामक पौधा का फूल
चम्पकमाला —स्त्री॰—चम्पक-माला—-—चम्पाकली, स्त्रियों का एक आभूषण जो गले में पहना जाता है
चम्पकमाला —स्त्री॰—चम्पक-माला—-—चम्पा के फूलों की माला
चम्पकमाला —स्त्री॰—चम्पक-माला—-—एक प्रकार का छन्द
चम्पकरम्भा —स्त्री॰—चम्पक-रम्भा—-—केले की एक जाति
चम्पकालुः —पुं॰—-—चम्पकेन पनसावयवविशेषेण अलति, चम्पक - अल् - उण्—कटहल का पेड़
चम्पकावती —स्त्री॰—-—चम्पक - मतुप् - ङीप्, वत्वं दीर्घश्च—गंगा के किनारे एक प्राचीन नगर, अंगदेश की राजधानी, वर्तमान भागलपुर
चम्पा —स्त्री॰—-—चम्प् - अच् - टाप्—गंगा के किनारे एक प्राचीन नगर, अंगदेश की राजधानी, वर्तमान भागलपुर
चम्पावती —स्त्री॰—-—चम्पा - मतुप् - ङीप् वत्वं—गंगा के किनारे एक प्राचीन नगर, अंगदेश की राजधानी, वर्तमान भागलपुर
चम्पूः —स्त्री॰—-—चम्प् - ऊ—एक प्रकार का काव्य जो गद्य और पद्य दोनों रचनाओं से युक्त होता है तथा जिसमें एक ही विषय की चर्चा होती है
चय् —भ्वा॰ आ॰-<चयते>—-—-—किसी जगह जाना, हिलना-जुलना
चयः —पुं॰—-—चि - अच्—संघात, संग्रह, समुच्चय, ढेर, राशि
चयः —पुं॰—-—चि - अच्—किसी भवन की नींव की मिट्टी का टीला
चयः —पुं॰—-—चि - अच्—किले की खाई की मिट्टी का टीला
चयः —पुं॰—-—चि - अच्—दुर्गप्राचीर
चयः —पुं॰—-—चि - अच्—किले का द्वार
चयः —पुं॰—-—चि - अच्—तिपाई, चौकी
चयः —पुं॰—-—चि - अच्—भवनों का समूह, विशाल भवन
चयः —पुं॰—-—चि - अच्—लकड़ियों का चट्टा
चयनम् —नपुं॰—-—चि - ल्युट्—चुनना, बीनना
चयनम् —नपुं॰—-—चि - ल्युट्—ढेर लगाना, चट्टा लगाना
चर् —भ्वा॰ पर॰ < चरति>, <चरित>—-—-—चलना, घूमना, इधर-उधर जाना, चक्कर काटना, भ्रमण करना
चर् —भ्वा॰ पर॰ < चरति>, <चरित>—-—-—अभ्यास करना, अनुष्ठान करना, पर्यवेक्षण करना
चर् —भ्वा॰ पर॰ < चरति>, <चरित>—-—-—करना, व्यवहार करना, आचरण करना
चर् —भ्वा॰ पर॰ < चरति>, <चरित>—-—-—घास चरना
चर् —भ्वा॰ पर॰ < चरति>, <चरित>—-—-—खाना, उपभोग करना
चर् —भ्वा॰ पर॰ < चरति>, <चरित>—-—-—काम में लगना, व्यस्त होना
चर् —भ्वा॰ पर॰ < चरति>, <चरित>—-—-—जीना, चलते रहना, किसी न किसी अवस्था में विद्यमान रहना
चर् —भ्वा॰ पर॰—-—-—चलाना, हिलाना-जुलाना
चर् —भ्वा॰ पर॰—-—-—भेजना, निदेश देना, हिलाना
चर् —भ्वा॰ पर॰—-—-—दूर करना
चर् —भ्वा॰ पर॰—-—-—अनुष्ठान करना, अभ्यास कराना
चर् —भ्वा॰ पर॰—-—-—संभोग कराना
अतिचर् —भ्वा॰ पर॰—अति-चर्—-—अतिक्रमण करना, उल्लंघन करना, अवज्ञा करना
अतिचर् —भ्वा॰ पर॰—अति-चर्—-—अत्याचार करना
अनुचर् —भ्वा॰ पर॰—अनु-चर्—-—अनुकरण करना
अन्वाचर् —भ्वा॰ पर॰—अन्वा-चर्—-—नकल करना, पीछे चलना
अपचर् —भ्वा॰ पर॰—अप-चर्—-—अतिक्रमण करना, अत्याचार करना
अपचर् —भ्वा॰ पर॰—अप-चर्—-—अवज्ञा करना
अभिचर् —भ्वा॰ पर॰—अभि-चर्—-—अपराध करना, उल्लंघन करना
अभिचर् —भ्वा॰ पर॰—अभि-चर्—-—विश्वास खो देना, धोखा देना
अभिचर् —भ्वा॰ पर॰—अभि-चर्—-—जादू करना, मन्त्र फूँकना
आचर् —भ्वा॰ पर॰—आ-चर्—-—कर्म करना, अभ्यास करना, करना, अनुष्ठान करना
आचर् —भ्वा॰ पर॰—आ-चर्—-—बर्ताव करना, व्यवहार करना, आचरण करना
आचर् —भ्वा॰ पर॰—आ-चर्—-—घूमना, इधर-उधर फिरना
आचर् —भ्वा॰ पर॰—आ-चर्—-—आश्रय लेना, अनुसरण करना
उच्चर् —भ्वा॰ पर॰—उद्-चर्—-—ऊपर जाना, उठना, निकलना, आगे बढ़ना
उच्चर् —भ्वा॰ पर॰—उद्-चर्—-—उठना, प्रकट होना, निकलना
उच्चर् —भ्वा॰ पर॰—उद्-चर्—-—बोलना, उच्चारण करना
उच्चर् —भ्वा॰ पर॰—उद्-चर्—-—मलोत्सर्ग करना, पुरीषोत्सर्ग करना
उच्चर् —भ्वा॰ पर॰—उद्-चर्—-—उत्क्रमण करना, विचलित होना
उच्चर् —भ्वा॰ पर॰—उद्-चर्—-—उठना, चढना
उच्चर् —भ्वा॰ पर॰—उद्-चर्—-—बुलवाना, उच्चारण करवाना
उपचर् —भ्वा॰ पर॰—उप-चर्—-—सेवा करना, हाजरी देना, सेवा में प्रस्तुत रहना
उपचर् —भ्वा॰ पर॰—उप-चर्—-—सेवा करना, चिकित्सा करना, परिचर्या करना
उपचर् —भ्वा॰ पर॰—उप-चर्—-—व्यवहार करना
उपचर् —भ्वा॰ पर॰—उप-चर्—-—निकट जाना
दुष्चर् —भ्वा॰ पर॰—दुस्-चर्—-—ठगना, धोखा देना
परिचर् —भ्वा॰ पर॰—परि-चर्—-—जाना, इधर-उधर घूमना
परिचर् —भ्वा॰ पर॰—परि-चर्—-—सेवा-शुश्रूषा करना, सेवा करना या सेवा में उपस्थित रहना
परिचर् —भ्वा॰ पर॰—परि-चर्—-—देख-भाल करना, परिचर्या करना, सेवा करना
प्रचर् —भ्वा॰ पर॰—प्र-चर्—-—इधर-उधर चलना, ऐंठ कर चलना
प्रचर् —भ्वा॰ पर॰—प्र-चर्—-—फैलना, प्रचलित होना, वर्तमान होना
प्रचर् —भ्वा॰ पर॰—प्र-चर्—-—प्रचलन होना
प्रचर् —भ्वा॰ पर॰—प्र-चर्—-—कार्य आरम्भ करना, मार्ग अपनाना, कार्य करने लगना
प्रचर् —भ्वा॰ पर॰—प्र-चर्—-—इधर-उधर फिराना
विचर् —भ्वा॰ पर॰—वि-चर्—-—इधर-उधर घूमना, भ्रमण करना
विचर् —भ्वा॰ पर॰—वि-चर्—-—करना, अनुष्ठान करना, अभ्यास करना
विचर् —भ्वा॰ पर॰—वि-चर्—-—कर्म करना, बर्ताव करना, व्यवहार करना
विचर् —भ्वा॰ पर॰—वि-चर्—-—सोचना, विचारना, मनन करना
विचर् —भ्वा॰ पर॰—वि-चर्—-—चर्चा करना, वादविवाद करना
विचर् —भ्वा॰ पर॰—वि-चर्—-—हिसाब लगाना, अनुमान लगाना, हिसाब में गिनना, विचार करना
व्यभिचर् —भ्वा॰ पर॰—व्यभि-चर्—-—पथभ्रष्ट होना, विचलित होना
व्यभिचर् —भ्वा॰ पर॰—व्यभि-चर्—-—उल्लंघन करना, विश्वासघात करना
व्यभिचर् —भ्वा॰ पर॰—व्यभि-चर्—-—कपटपूर्ण व्यवहार करना
संचर् —भ्वा॰ पर॰—सम्-चर्—-—चलना, घूमना, जाना, गुजरना, इधर-उधर फिरना
संचर् —भ्वा॰ पर॰—सम्-चर्—-—अभ्यास करना, अनुष्ठान करना
संचर् —भ्वा॰ पर॰—सम्-चर्—-—दे देना, हस्तान्तरित होना
संचर् —भ्वा॰ पर॰—सम्-चर्—-—इधर-उधर भेजना, नेतृत्व करना, संचालन करना
संचर् —भ्वा॰ पर॰—सम्-चर्—-—फैलाना, इधर-उधर घुमाना
संचर् —भ्वा॰ पर॰—सम्-चर्—-—पहुँचाना, समाचार देना, दे देना, सौंप देना
संचर् —भ्वा॰ पर॰—सम्-चर्—-—चरने के लिए मुड़ना
चर —वि॰—-—चर् - अच्—हिलने-जुलने वाला, जाने वाला, चलने वाला
चर —वि॰—-—चर् - अच्—काँपता हुआ, हिलता हुआ
चर —वि॰—-—चर् - अच्—पूर्वकालीन, भूतपूर्व आढ्यचर
चरी —स्त्री॰—-—चर् - अच्-ङीप्—हिलने-जुलने वाला, जाने वाला, चलने वाला
चरी —स्त्री॰—-—चर् - अच्-ङीप्—काँपता हुआ, हिलता हुआ
चरी —स्त्री॰—-—चर् - अच्-ङीप्—जंगम
चरी —स्त्री॰—-—चर् - अच्-ङीप्—सजीव
चरी —स्त्री॰—-—चर् - अच्-ङीप्—पूर्वकालीन, भूतपूर्व आढ्यचर
चरः —पुं॰—-—चर् - अच्—खञ्जन पक्षी
चरः —पुं॰—-—चर् - अच्—जुआ खेलना
चरः —पुं॰—-—चर् - अच्—कौड़ी
चरः —पुं॰—-—चर् - अच्—मंगलग्रह
चरः —पुं॰—-—चर् - अच्—मंगलवार
चराचर —वि॰—चर-अचर—-—जंगम और स्थावर
चरम् —नपुं॰—-—चर् - अच्—सृष्टि की समस्त रचना, संसार
चरम् —नपुं॰—-—चर् - अच्—आकाश, अन्तरिक्ष
चरद्रव्यम् —नपुं॰—चर-द्रव्यम्—-—जंगम वस्तु
चरमूर्तिः —पुं॰—चर-मूर्तिः—-—वह मूर्ति जिसका जुलूस या सवारी निकाली जाय
चरकः —पुं॰—-—-—रमता साधु, अवधूत
चरटः —पुं॰—-—चर् - अटच्—खञ्जन पक्षी
चरणः —पुं॰—-—चर्-ल्युट्—पैर
चरणः —पुं॰—-—-—सहारा, स्तम्भ, थूणी
चरणः —पुं॰—-—-—वृक्ष की जड़
चरणः —पुं॰—-—-—श्लोक की एक पङ्क्ति या पाद
चरणः —पुं॰—-—-—वेद की शाखा या सम्प्रदाय
चरणम् —नपुं॰—-—चर्-ल्युट्—हिलना-जुलना, भ्रमण करना, घूमना
चरणम् —नपुं॰—-—-—अनुष्ठान, अभ्यास
चरणम् —नपुं॰—-—-—जीवनचर्या, चालचलन, व्यवहार
चरणम् —नपुं॰—-—-—निष्पन्नता
चरणम् —नपुं॰—-—-—खाना, उपभोग करना
चरणामृतम् —नपुं॰—चरणः-अमृतम्—-—वह पानी जिसमें किसी श्रद्धेय ब्राह्मण या आध्यात्मिक उपदेष्टा के पैर धोये जा चुके हैं
चरणोदकम् —नपुं॰—चरणः-उदकम्—-—वह पानी जिसमें किसी श्रद्धेय ब्राह्मण या आध्यात्मिक उपदेष्टा के पैर धोये जा चुके हैं
चरणारविंदम् —नपुं॰—चरणः-अरविंदम्—-—कमल जैसे पैर
चरणकमलम् —नपुं॰—चरणः-कमलम्—-—कमल जैसे पैर
चरणपद्यम् —नपुं॰—चरणः-पद्यम्—-—कमल जैसे पैर
चरणायुधः —पुं॰—चरणः-आयुधः—-—मुर्गा
चरणास्कन्दनम् —नपुं॰—चरणः-आस्कन्दनम्—-—पैरों के नीचे रौंदना, कुचलना, पद दलित करना
चरणग्रन्थि —पुं॰—चरणः-ग्रन्थि—-—टखना
चरणपर्वन् —नपुं॰—चरणः-पर्वन्—-—टखना
चरणन्यासः —पुं॰—चरणः-न्यासः—-—पग, कदम
चरणपः —पुं॰—चरणः-पः—-—वृक्ष
चरणपतनम् —नपुं॰—चरणः-पतनम्—-—गिरना, साष्टाङ्ग प्रणाम करना
चरणपतित —वि॰—चरणः-पतित—-—चरणों में दण्डवत् प्रणाम करना
चरणशुश्रूषा —स्त्री॰—चरणः-शुश्रूषा—-—दण्डप्रणाम
चरणशुश्रूषा —स्त्री॰—चरणः-शुश्रूषा—-—सेवा, भक्ति
चरणसेवा —स्त्री॰—चरणः-सेवा—-—दण्डप्रणाम
चरणसेवा —स्त्री॰—चरणः-सेवा—-—सेवा, भक्ति
चरम —वि॰—-—चर् - अमच्—अन्तिम, अन्त्य, आखरी
चरम —वि॰—-—-—पश्चवर्ती, बाद का
चरम —वि॰—-—-—बिल्कुल बाहर का
चरम —वि॰—-—-—सबसे नीच, सबसे कम
चरमम् —अव्य॰—-—-—आखिरकार, अन्त में
चरमाचलः —पुं॰—चरम- अचलः—-—पश्चिमी पर्वत
चरमाद्रिः —पुं॰—चरम-अद्रिः—-—पश्चिमी पर्वत
चरमक्ष्माभृत् —पुं॰—चरम-क्ष्माभृत्—-—पश्चिमी पर्वत
चरमावस्था —स्त्री॰—चरम-अवस्था—-—अन्तिम दशा
चरमकालः —पुं॰—चरम-कालः—-—मृत्यु की घड़ी
चरिः —पुं॰—-—चर् - इन्—जीव, जन्तु
चरित —भू॰ क॰ कृ॰—-—चर् - क्त—घूमा हुआ या फिरा हुआ, गया हुआ
चरित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—अनुष्ठित, अभ्यस्त
चरित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—अवाप्त
चरित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—ज्ञात
चरित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—प्रस्तुत
चरितम् —नपुं॰—-—-—जाना, हिलना-जुलना, मार्ग, कर्म करना, करना, अभ्यास, व्यवहार, कृत्य, कर्म
चरितम् —नपुं॰—-—-—जीवनी, आत्मजीवनी, साहसकथाएँ, इतिहास, कहानी
चरितार्थ —वि॰—चरित-अर्थ—-—जिसने अपना अभीष्ट ध्येय पूरा कर लिया है, सफल
चरितार्थ —वि॰—चरित-अर्थ—-—सन्तुष्ट, तृप्त
चरितार्थ —वि॰—चरित-अर्थ—-—कार्यान्वित, सम्पन्न
चरित्रम् —नपुं॰—-—चर् - इत्र—व्यवहार, आदत, चालचलन, अभ्यास, कृत्य, कर्म
चरित्रम् —नपुं॰—-—-—अनुष्ठान, पर्यवेक्षण
चरित्रम् —नपुं॰—-—-—इतिहास, जीवनचरित, आत्मकथा, वृत्तान्त, साहसकथा
चरित्रम् —नपुं॰—-—-—प्रकृति, स्वभाव
चरित्रम् —नपुं॰—-—-—कर्त्तव्य, अनुमोदित नियमों का पालन
चरिष्णु —वि॰—-—चर - इष्णुच्—जंगम, सक्रिय, इधर उधर घूमने वाला
चरुः —पुं॰—-—चर् - उन्—उबले चावल, आदि से, देवताओं तथा पितरों की सेवा में प्रस्तुत करने के लिए तैयार की गई आहुति
चरुस्थाली —स्त्री॰—चरुः - स्थाली—-—देवताओं तथा पितरों की सेवा में प्रस्तुत करने के लिए चावलों को उबालने का बर्तन
चर्च् —चुरा॰ उभ॰- < चर्चयति>, < चर्चयते>, < चर्चित>—-—-—पढ्ना, ध्यान पूर्वक पढ़ना,अनुशीलन करना, अध्ययन करना
चर्च् —तुदा॰ पर॰ < चर्चति> ,< चर्चित>—-—-—गाली देना, धिक्कारना, निन्दा करना, बुरा-भला कहना, चर्चा करना, विचार करना
चर्चनम् —नपुं॰—-—चर्च् - ल्युट्—अध्ययन, आवृत्ति, बार-२ पढ़ना
चर्चनम् —नपुं॰—-—-—शरीर में उबटन लगाना
चर्चरिका —स्त्री॰—-—चर्चरी - कन् - टाप्, ह्र्स्वः—एक प्रकार का गान
चर्चरिका —स्त्री॰—-—चर्चरी - कन् - टाप्, ह्र्स्वः—तालियाँ बजाना
चर्चरिका —स्त्री॰—-—चर्चरी - कन् - टाप्, ह्र्स्वः—विद्वानों का सस्वर पाठ
चर्चरिका —स्त्री॰—-—चर्चरी - कन् - टाप्, ह्र्स्वः—आमोद प्रमोद, हर्षध्वनि
चर्चरिका —स्त्री॰—-—चर्चरी - कन् - टाप्, ह्र्स्वः—उत्सव
चर्चरिका —स्त्री॰—-—चर्चरी - कन् - टाप्, ह्र्स्वः—खुशामद
चर्चरिका —स्त्री॰—-—चर्चरी - कन् - टाप्, ह्र्स्वः—घुँघराले बाल
चर्चरी —स्त्री॰—-—चर्च् - अरन् - ङीष्—एक प्रकार का गान
चर्चरी —स्त्री॰—-—चर्च् - अरन् - ङीष्—तालियाँ बजाना
चर्चरी —स्त्री॰—-—चर्च् - अरन् - ङीष्—विद्वानों का सस्वर पाठ
चर्चरी —स्त्री॰—-—चर्च् - अरन् - ङीष्—आमोद प्रमोद, हर्षध्वनि
चर्चरी —स्त्री॰—-—चर्च् - अरन् - ङीष्—उत्सव
चर्चरी —स्त्री॰—-—चर्च् - अरन् - ङीष्—खुशामद
चर्चरी —स्त्री॰—-—चर्च् - अरन् - ङीष्—घुँघराले बाल
चर्चा —स्त्री॰—-—चर्च् - अङ् - टाप्, चर्चा - कन् - टाप्, इत्वम्—अध्ययन, आवृत्ति, बार-२ पढ़ना
चर्चा —स्त्री॰—-—-—बहस, पूछ-ताछ, अनुसन्धान
चर्चा —स्त्री॰—-—-—विचार विमर्श
चर्चा —स्त्री॰—-—-—शरीर में उबटन का लेप करना
चर्चिका —स्त्री॰—-—चर्च् - अङ् - टाप्, चर्चा - कन् - टाप्, इत्वम्—अध्ययन, आवृत्ति, बार-२ पढ़ना
चर्चिका —स्त्री॰—-—-—बहस, पूछ-ताछ, अनुसन्धान
चर्चिका —स्त्री॰—-—-—विचार विमर्श
चर्चिका —स्त्री॰—-—-—शरीर में उबटन का लेप करना
चर्चिक्यम् —नपुं॰—-—चर्चिका - यत्—शरीर में लेप करना
चर्चिक्यम् —नपुं॰—-—-—उबटन
चर्चित —भू॰ क॰ कृ॰—-—चर्च - क्त—मालिश किया हुआ, लेप किया हुआ, सुगन्धित, सुवासित आदि
चर्चित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—चर्चा किया गया, विचार किया गया, खोज किया गया
चर्पटः —पुं॰—-—चृप् - अटन्—चपेड़, थप्पड़
चर्पटी —स्त्री॰—-—चर्पट - ङीष्—चपाती, बिस्कुट
चर्भटः —पुं॰—-—चर् - क्विष्, भट् - अच्, ततः कर्म॰ स॰ —एक प्रकार की ककड़ी
चर्भटी —स्त्री॰—-—चर्भट - ङीष्—हर्ष का कोलाहल
चर्मम् —नपुं॰—-—चर्मन् - अच्, टिलोपः—ढाल
चर्मण्वती —स्त्री॰—-—चर्मन् - मतुप् - ङीष्, मस्य वः—गंगा में जाकर मिलने वाली एक नदी, वर्तमान चम्बल नदी
चर्मन् —नपुं॰—-—चर् - मनिन्—त्वचा
चर्मन् —नपुं॰—-—-—चमड़ा, खाल
चर्मन् —नपुं॰—-—-—त्वगिन्द्रिय
चर्माम्भस् —नपुं॰—चर्मन्-अम्भस्—-—लसीका
चर्मावकर्तनम् —नपुं॰—चर्मन्-अवकर्तनम्—-—चमड़े का काम करना
चर्मावकर्तिन् —पुं॰—चर्मन्-अवकर्तिन्—-—मोची
चर्मावकर्तृ —पुं॰—चर्मन्-अवकर्तृ—-—मोची
चर्मकारः —पुं॰—चर्मन्-कारः—-—मोची, चमड़ा कमाने या रंगने वाला
चर्मकारिन् —पुं॰—चर्मन्-कारिन्—-—मोची, चमड़ा कमाने या रंगने वाला
चर्मकीलः —पुं॰—चर्मन्-कीलः—-—मस्सा, अधिमांस
चर्मकीलम् —नपुं॰—चर्मन्-कीलम्—-—मस्सा, अधिमांस
चर्मचित्रकम् —नपुं॰—चर्मन्-चित्रकम्—-—सफेद कोढ़
चर्मजम् —नपुं॰—चर्मन्-जम्—-—बाल
चर्मजम् —नपुं॰—चर्मन्-जम्—-—रुधिर
चर्मतरङ्गः —पुं॰—चर्मन्- तरङ्गः—-—झुर्री
चर्मदण्डः —पुं॰—चर्मन्-दण्डः—-—चाबुक
चर्मनालिका —स्त्री॰—चर्मन्-नालिका—-—चाबुक
चर्मद्रुमः —पुं॰—चर्मन्-द्रुमः—-—भूर्ज नाम का पेड़
चर्मवृक्षः —पुं॰—चर्मन्-वृक्षः—-—भूर्ज नाम का पेड़
चर्मपट्टिका —स्त्री॰—चर्मन्-पट्टिका—-—चमड़े का चौरस टुकड़ा जिस पर पासे डाल कर खेला जाय
चर्मपत्रा —स्त्री॰—चर्मन्-पत्रा—-—चमगादड़, छोटा घरों में पाया जाने वाला चमगादड़
चर्मपादुका —स्त्री॰—चर्मन्-पादुका—-—चमड़े का जूता
चर्मप्रभेदिका —स्त्री॰—चर्मन्-प्रभेदिका—-—मोची की राँपी
चर्मप्रसेवकः —पुं॰—चर्मन्-प्रसेवकः—-—धौंकनी
चर्मप्रसेविका —स्त्री॰—चर्मन्-प्रसेविका—-—धौंकनी
चर्मबन्धः —पुं॰—चर्मन्-बन्धः—-—चमड़े का फीता
चर्ममुण्डा —स्त्री॰—चर्मन् -मुण्डा—-—दुर्गा का विशेषण
चर्मयष्टिः —स्त्री॰—चर्मन्-यष्टिः—-—चाबुक
चर्मवसनः —पुं॰—चर्मन्-वसनः—-—’चर्मावृत्त’ शिव
चर्मवाद्यम् —नपुं॰—चर्मन्-वाद्यम्—-—ढोल, तबला
चर्मसंभवा —स्त्री॰—चर्मन्-संभवा—-—बड़ी इलायची
चर्मसारः —पुं॰—चर्मन्-सारः—-—लसिका, रक्तोदक
चर्ममय —वि॰—-—चर्मन - मयट्—चमड़े का, चमड़े का बना हुआ
चर्मरुः —पुं॰—-—चर्मन् - रा - कु—मोची, चमार, चमड़ा रंगने वाला
चर्मारः —पुं॰—-—चर्मन - ऋ - अण्—मोची, चमार, चमड़ा रंगने वाला
चर्मिक —वि॰—-—चर्मन् - ठन्—ढाल से सुसज्जित
चर्मिन् —वि॰—-—चर्मन् - इनि, टिलोपः—ढाल से सुसज्जित
चर्मिणी —स्त्री॰—-—चर्मन् - इनि, टिलोपः—ढाल से सुसज्जित
चर्मिणी —स्त्री॰—-—-—चमड़े का
चर्मिन् —पुं॰—-—-—ढालधारी सैनिक
चर्मिन् —पुं॰—-—-—भूर्ज वृक्ष
चर्या —स्त्री॰—-—चर् - यत् - टाप्—इधर-उधर जाना, हिलना-जुलना, इधर-उधर सैर करना
चर्या —स्त्री॰—-—-—मार्ग, चाल
चर्या —स्त्री॰—-—-—व्यवहार, चालचलन, आचरणविधि
चर्या —स्त्री॰—-—-—अभ्यास, अनुष्ठान, पालन
चर्या —स्त्री॰—-—-—सब प्रकार के रीति- रिवाज व संस्कारों का नियमित अनुष्ठान
चर्या —स्त्री॰—-—-—प्रथा, रिवाज
चर्व् —भ्वा॰ पर॰- < चर्वति>, चुरा॰ उभ॰ - < चर्वयति- चर्वयते>, < चर्वित>—-—-—चबाना, कुतरना, खाना, कोंपल चरना, काटना
चर्व् —भ्वा॰ पर॰- < चर्वति>, चुरा॰ उभ॰ - < चर्वयति- चर्वयते>, < चर्वित>—-—-—चूस लेना
चर्व् —भ्वा॰ पर॰- < चर्वति>, चुरा॰ उभ॰ - < चर्वयति- चर्वयते>, < चर्वित>—-—-—स्वाद लेना, चखना
चवर्णम् —नपुं॰—-—-—चबाना, खाना
चवर्णम् —नपुं॰—-—-—आचमन करना
चवर्णम् —नपुं॰—-—-—चखना, स्वाद लेना, आनन्द लेना
चवर्णा —स्त्री॰—-—चर्व् - ल्युट्, स्त्रियां टाप्—चबाना, खाना
चवर्णा —स्त्री॰—-—-—आचमन करना
चवर्णा —स्त्री॰—-—-—चखना, स्वाद लेना, आनन्द लेना
चर्वा —स्त्री॰—-—चर्व - अङ्—तमाचा, थप्पड़ का प्रहार
चर्वित —भू॰ क॰ कृ॰—-—चर्व् - क्त—चबाया गया, काटा हुआ, खाया हुआ
चर्वित —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—चखा गया
चर्वितचवर्णम् —नपुं॰—चर्वित-चवर्णम्—-—चबाये हुए को चबाना
चर्वितचवर्णम् —नपुं॰—चर्वित-चवर्णम्—-—पुनरुक्ति, निरर्थक आवृत्ति
चर्वितपात्रम् —नपुं॰—चर्वित-पात्रम्—-—पीकदान
चल् —भ्वा॰ पर॰ < चलति>, < चलित>—-—-—हिलाना, काँपना, धड़कना, थरथराना, स्पन्दित होना
चल् —भ्वा॰ पर॰ < चलति>, < चलित>—-—-—जाना, चलते रहना, सैर करना, स्पन्दित होना, हिलना-जुलना
चल् —भ्वा॰ पर॰ < चलति>, < चलित>—-—-—आगे बढ़ना, विदा होना, कूच करना, चल देना
चल् —भ्वा॰ पर॰ < चलति>, < चलित>—-—-—ग्रस्त होना, सबाध होना, घबड़ाया हुआ या अव्यवस्थितचित्त होना, क्षुब्ध होना, व्याकुल होना
चल् —भ्वा॰ पर॰ < चलति>, < चलित>—-—-—विचलित होना या भटकना
चल् —भ्वा॰ पर॰ < चलति>, < चलित>—-—-—अलग होना, छोड़ देना
चल् —भ्वा॰ पर॰ —-—-—हिलाना-जुलाना डुलाना, हरकत देना
चल् —भ्वा॰ पर॰ —-—-—दूर करना हटाना, निकाल देना
चल् —भ्वा॰ पर॰ —-—-—दूर ले जाना
चल् —भ्वा॰ पर॰ —-—-—आनन्द लेना पालना-पोसना
उच्चल् —भ्वा॰ पर॰ —उद्-चल्—-—चल देना, प्रस्थान करना
उच्चल् —भ्वा॰ पर॰ —उद्- चल्—-—चले जाना, चल देना, छोड़ चलना
प्रचल् —भ्वा॰ पर॰ —प्र-चल्—-—हिलाना, जाना, काँपना
प्रचल् —भ्वा॰ पर॰ —प्र-चल्—-—जाना, सैर करना, चलते जाना, प्रस्थान करना, कूच करना
प्रचल् —भ्वा॰ पर॰ —प्र-चल्—-—ग्रस्त होना, बाधायुक्त या क्षुब्ध होना
प्रचल् —भ्वा॰ पर॰ —प्र-चल्—-—भटकना, विचलित होना
विचल् —भ्वा॰ पर॰ —वि-चल्—-—हिलना-जुलना, चलना
विचल् —भ्वा॰ पर॰ —वि-चल्—-—जाना, आगे बढ़ना, चल देना
विचल् —भ्वा॰ पर॰ —वि-चल्—-—क्षुब्ध होना, बाधायुक्त होना, रूखा होना
विचल् —भ्वा॰ पर॰ —वि-चल्—-—विचलित होना, भटकना
विचल् —तुदा॰ पर॰ <चलति>, < चलित>—वि-चल्—-—खेलना, क्रीडा करना, केलि करना
चल —वि॰—-—चल् - अच्—हिलने-जुलने वाला, काँपने वाला, डोलने वाला, थरथराने वाला, घुमाने वाला
चल —वि॰—-—-—अस्थिर, चञ्चल, परिवर्तनशील, शिथिल, डाँवाडोल
चल —वि॰—-—-—अस्थायी, अनित्य, नश्वर
चलः —पुं॰—-—-—कँपकँपी, वेपथु, क्षोभ
चला —स्त्री॰—-—-—धन की देवी लक्ष्मी
चला —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार का सुगन्ध द्रव्य
चलाचल —वि॰—चल-अचल—-—अति चलायमान, अतिचल
चलाचलः —पुं॰—चल-अचल—-—कौवा
चलातङ्कः —पुं॰—चल- आतङ्कः—-—गठिया बाय, वात रोग
चलात्मन् —वि॰—चल-आत्मन्—-—चलचित्त, चञ्चलमना
चलेन्द्रिय —वि॰—चल-इन्द्रिय—-—भावुक
चलेन्द्रिय —वि॰—चल-इन्द्रिय—-—विषयी
चलेषुः —पुं॰—चल-इषुः—-—वह धनुर्धर जिसका तीर लक्ष्यच्युत हो इधर उधर गिर जाता है, अयोग्य धनुर्धर
चलकर्णः —पुं॰—चल-कर्णः—-—पृथ्वी से ग्रह तक की वास्तविक दूरी
चलचञ्चुः —पुं॰—चल-चञ्चुः—-—चकोर पक्षी
चलदलः —पुं॰—चल-दलः—-—अश्वत्थ वृक्ष
चलपत्रः —पुं॰—चल- पत्रः—-—अश्वत्थ वृक्ष
चलन —वि॰—-—चल् - ल्युट्—गतिशील, थरथराने वाला, कंपमान, डाँवाडोल
चलनम् —नपुं॰—-—-—काँपना हिलना, डाँवाडोल होना
चलनम् —नपुं॰—-—-—घूमना, भरमना
चलनी —स्त्री॰—-—-—सामान्य स्त्रियों के पहनने के लिए लहँगा, पेटीकोट
चलनी —स्त्री॰—-—-—हाथी को बाँधने की रस्सी
चलनकम् —नपुं॰—-—चलन - कन्—एक छोटा लहँगा या पेट्टीकोट जिसे नीच जाति की स्त्रियाँ पहनती हैं
चलिः —नपुं॰—-—चल् - इन्—आवरण, चादर
चलित —भु॰ क॰ कृ॰—-—चल्-- क्त—हिला हुआ, चला हुआ, आन्दोलित, क्षुब्धं
चलित —भु॰ क॰ कृ॰—-—-—गया हुआ, विसर्जित
चलित —भु॰ क॰ कृ॰—-—-—अवाप्त
चलित —भु॰ क॰ कृ॰—-—-—ज्ञात, अधिगत
चलितम् —भु॰ क॰ कृ॰—-—-—हिलाना, स्पन्दित करना
चलितम् —भु॰ क॰ कृ॰—-—-—जाना, चलना
चलितम् —भु॰ क॰ कृ॰—-—-—एक प्रकार का नृत्य
चलुः —पुं॰—-—चल् - उन्—एक घूँट, चुल्लूभर
चलुकः —पुं॰—-—चलु - कन्—चुल्लूभर
चलुकः —पुं॰—-—-—अञ्जलिभर या एक घूँट
चष् —भ्वा॰ उभ॰- < चषति>, < चषते>—-—-—खाना
चष् —भ्वा॰ पर॰ < चषति>—-—-—मार डालना, क्षति पहुँचाना, चोट पहुँचाना
चषकः —पुं॰—-—चष् - क्वुन्—सुरापात्र, प्याला, मदिरा पीने का गिलास
चषकम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार की मदिरा
चषतिः —पुं॰—-—चष् - अति—खाना
चषतिः —पुं॰—-—-—ह्रास, निर्बलता, क्षय
चषालः —पुं॰—-—चष् - आलच्—यज्ञ के खम्भे में लगी लकड़ी की फिरकी
चह् —भ्वा॰ पर॰- < चहति>, चुरा॰ उभ॰- < चहयति>, < चहयते>—-—-—दुष्ट होना
चह् —भ्वा॰ पर॰- < चहति>, चुरा॰ उभ॰- < चहयति>, < चहयते>—-—-—ठगना, धोखा देना
चह् —भ्वा॰ पर॰- < चहति>, चुरा॰ उभ॰- < चहयति>, < चहयते>—-—-—अहंकार करना, घमण्डी बनाना
चाकचक्यम् —नपुं॰—-—चक् - अच्, द्वित्वम्, < चकचकः> -तस्य भावः- ष्यञ्—जगमगाना, प्रभा, चमक- दमक
चाक्र —वि॰—-—चक्र - अण्—चक्र से किया जाने वाला
चाक्र —वि॰—-—-—चक्र या पहिए से सम्बन्ध रखने वाला
चाक्री —स्त्री॰—-—-—चक्र से किया जाने वाला
चाक्री —स्त्री॰—-—-—मण्डलाकार
चाक्री —स्त्री॰—-—-—चक्र या पहिए से सम्बन्ध रखने वाला
चाक्रिक —वि॰—-—चक्र - ठक्—चक्र से किया जाने वाला
चाक्रिक —वि॰—-—-—मण्डलाकार
चाक्रिक —वि॰—-—-—चक्र या पहिए से सम्बन्ध रखने वाला
चाक्रिकी —स्त्री॰—-—-—चक्र से किया जाने वाला
चाक्रिकी —स्त्री॰—-—-—मण्डलाकार
चाक्रिकी —स्त्री॰—-—-—चक्र या पहिए से सम्बन्ध रखने वाला
चाक्रिकः —पुं॰—-—-—कुम्हार
चाक्रिकः —पुं॰—-—-—कोचवान, चालक
चाक्रिणः —पुं॰—-—चक्रिन् - अण्—कुम्हार या तेली का पुत्र
चाक्षुष —वि॰—-—चक्षुस् - अण्—दृष्टि पर निर्भर, दृष्टि से उत्पन्न
चाक्षुष —वि॰—-—-—आँख से सम्बन्ध रखने वाला, आँख का विषय, दार्ष्टिक
चाक्षुष —वि॰—-—-—दृश्य, जो दिखाई दे
चाक्षुषी —स्त्री॰—-—-—दृष्टि पर निर्भर, दृष्टि से उत्पन्न
चाक्षुषी —स्त्री॰—-—-—आँख से सम्बन्ध रखने वाला, आँख का विषय, दार्ष्टिक
चाक्षुषी —स्त्री॰—-—-—दृश्य, जो दिखाई दे
चाक्षुषम् —नपुं॰—-—-—दृष्टि पर निर्भर ज्ञान
चाक्षुर्ज्ञानम् —नपुं॰—चाक्षुष-ज्ञानम्—-—आँखों देखी गवाही, या प्रमाण
चाङ्गः —पुं॰—-—चि - ड् = चम् अङ्गम् यस्य ब॰ स॰—अम्ल-लोणिका शाक
चाङ्गः —पुं॰—-—-—दातों की सफेदी या सौंदर्य
चाञ्चल्यम् —नपुं॰—-—चंञ्चल - ष्यञ्—अस्थिरता, द्रुतगति, विलोलता, कम्पन, फरकना
चाञ्चल्यम् —नपुं॰—-—-—चञ्चलता
चाञ्चल्यम् —नपुं॰—-—-—नश्वरता
चाटः —पुं॰—-—चट् - अच्—बदमाश, ठग
चाटुः —पुं॰—-—चट् - उण्—मधुर तथा प्रिय वचन, मीठी बात, चापलूसी, ठकुरसुहाती
चाटुः —पुं॰—-—-—स्पष्ट भाषण
चाटु —नपुं॰—-—चट् - उण्—मधुर तथा प्रिय वचन, मीठी बात, चापलूसी, ठकुरसुहाती
चाटु —नपुं॰—-—-—स्पष्ट भाषण
चाटूक्तिः —स्त्री॰—चाटुः-उक्तिः—-—खुशामद और झूठी प्रशंसा के वचन
चाटूल्लोल —वि॰—चाटुः-उल्लोल—-—प्रिय तथा मधुर बोलने वाला, चापलूस
चाटुकार —वि॰—चाटुः-कार—-—प्रिय तथा मधुर बोलने वाला, चापलूस
चाटुपटु —वि॰—चाटुः-पटु—-—झूठी प्रशंसा करने में कुशल, पूरा चापलूस
चाटुवटुः —पुं॰—चाटुः-वटुः—-—मसखरा, भाँड़
चाटुलोल —वि॰—चाटुः-लोल—-—सुन्दरतापूर्वक हिलने वाला
चाटुशतम् —नपुं॰—चाटुः-शतम्—-—सैकड़ों अनुरोध, बार-बार की जाने वाली खुशामद
चाणक्यः —पुं॰—-—चणक - यञ्—नागर राजनीति के प्रख्यात प्रणेता विष्णुगुप्त, ‘कौटिल्य’ भी इन्हीं का नाम है
चाणरः —पुं॰—-—-—कंस का सेवक जो प्रसिद्ध मल्लयोद्धा था
चण्डालः —पुं॰—-—चण्डाल - अण्—पतित, अधम
चण्डाली —स्त्री॰—-—चण्डाल - अण्—पतित, अधम
चाडालिका —स्त्री॰—-—-—चण्डालिका
चातकः —पुं॰—-—चच् - ण्वुल्—चातक, पपीहा
चातकी —स्त्री॰—-—-—चातक, पपीहा
चातकानन्दनः —पुं॰—चातकः-आनन्दनः—-—वर्षाऋतु
चातकानन्दनः —पुं॰—चातकः-आनन्दनः—-—बादल
चातनम् —नपुं॰—-—चत् - णिच् - ल्युट्—हटाना
चातनम् —नपुं॰—-—-—क्षति पहुँचाना
चातुर —वि॰—-—-—चार की संख्या से संबद्ध
चातुर —वि॰—-—-—होशियार, योग्य, बुद्धिमान्
चातुर —वि॰—-—-—मधुरभाषी, चापलूस
चातुर —वि॰—-—-—दृष्टिविषयक, प्रत्यक्षज्ञानात्मक
चातुरम् —नपुं॰—-—-—चार पहियों की गाड़ी
चातुरी —स्त्री॰—-—-—कुशलता, दक्षता, योग्यता
चातुरक्षम् —नपुं॰—-—चतुरक्ष - अण्—चौपड़ या चार पासों के खेल में चार का दाँव
चातुरक्षः —पुं॰—-—-—छोटा गोल तकिया
चातुरर्थिकः —पुं॰—-—चतुर्षु अर्थेषु विहितः- ठक्—एक ऐसा प्रत्यय जो चार भिन्न-भिन्न अर्थों को प्रकट करने के लिए शब्द में जोड़ा जाता है
चातुराश्रमिक —वि॰—-—-—ब्राह्मण की धार्मिक-जीवनचर्या के चार कालों में से किसी एक में रहने वाला
चातुराश्रमिकी —स्त्री॰—-—-—ब्राह्मण की धार्मिक-जीवनचर्या के चार कालों में से किसी एक में रहने वाला
चातुराश्रमिन् —वि॰—-—-—ब्राह्मण की धार्मिक-जीवनचर्या के चार कालों में से किसी एक में रहने वाला
चातुराश्रमिणी —स्त्री॰—-—-—ब्राह्मण की धार्मिक-जीवनचर्या के चार कालों में से किसी एक में रहने वाला
चातुराश्रम्यम् —नपुं॰—-—चतुराश्रम - ष्यञ्—ब्राह्मण की धार्मिक-जीवनचर्या के चार काल
चातुरिक —वि॰—-—चातुर - ठक्—चौथे या, हर चौथे दिन होने वाला
चातुर्थक —वि॰—-—चतुर्थ - अण्—चौथे या, हर चौथे दिन होने वाला
चातुर्थिक —वि॰—-—चतुर्थ - ठक् —चौथे या, हर चौथे दिन होने वाला
चातुरिकी —स्त्री॰—-—-—चौथे या, हर चौथे दिन होने वाला
चातुर्थकी —स्त्री॰—-—-—चौथे या, हर चौथे दिन होने वाला
चातुर्थिकी —स्त्री॰—-—-—चौथे या, हर चौथे दिन होने वाला
चातुरिकः —पुं॰—-—-—चौथैया बुखार, जूड़ीताप
चातुर्थकः —पुं॰—-—-—चौथैया बुखार, जूड़ीताप
चातुर्थिकः —पुं॰—-—-—चौथैया बुखार, जूड़ीताप
चातुरार्थाह्निक —वि॰—-—चतुर्थाह्न - ठक्—चौथे दिन होने वाला
चातुरार्थाह्निकी —स्त्री॰—-—-—चौथे दिन होने वाला
चातुर्दशम् —नपुं॰—-—चतुर्दश्यां दृश्यते इति—राक्षस
चातुर्दशिकः —पुं॰—-—चतुर्दशी - ठक्—जो चान्द्रपक्ष की चतुर्दशी के दिन भी पढ़ता है
चातुर्मासक —वि॰—-—चतुर्षु मासेषु भवः- अण् - कन्, चतुर्मास - ठक् - टाप्, ह्र्स्वश्च—जो चातुर्मास्य यज्ञ का अनुष्ठान करता है
चातुर्मासिका —स्त्री॰—-—-—जो चातुर्मास्य यज्ञ का अनुष्ठान करता है
चातुर्मास्यम् —नपुं॰—-—चतुर्मास् - ण्य—हर चार महीने के पश्चात् अनुष्ठेय यज्ञ अर्थात् कार्तिक, फाल्गुन और आषाढ़ के आरम्भ में
चातुर्यम् —नपुं॰—-—चतुर - ष्यञ्—कुशलता, होशियारी, दक्षता, बुद्धिमत्ता
चातुर्यम् —नपुं॰—-—-—लावण्य, रमणीयता, सौन्दर्य
चातुर्वर्ण्यम् —नपुं॰—-—चतुर्वर्ण - ष्यञ्—हिन्दूजाति के मूल चार वर्णों की समष्टि
चातुर्वर्ण्यम् —नपुं॰—-—-—इन चार वर्णों का धर्म या कर्तव्य
चातुर्विध्यम् —नपुं॰—-—चतुर्विध - ष्यञ्—चार प्रकार, चार प्रकार का प्रभाग
चात्वालः —पुं॰—-—चत् - वालच= चत्वाल - अण्—भूमि में खोद कर बनाया हुआ हवनकुण्ड
चात्वालः —पुं॰—-—-—कुशा, दर्भ
चान्दनिक —वि॰—-—चन्दन - ठक्—चन्दन से बनाया हुआ, या उत्पन्न
चान्दनिक —वि॰—-—-—चन्दनरस से सुगन्धित
चान्दनिकी —स्त्री॰—-—-—चन्दन से बनाया हुआ, या उत्पन्न
चान्दनिकी —स्त्री॰—-—-—चन्दनरस से सुगन्धित
चान्द्र —वि॰—-—चन्द्र - अण्—चन्द्रमा से सम्बन्ध रखने वाला, चन्द्रसम्बन्धी
चान्द्री —स्त्री॰—-—-—चन्द्रमा से सम्बन्ध रखने वाला, चन्द्रसम्बन्धी
चान्द्रः —पुं॰—-—-—चान्द्रमास
चान्द्रः —पुं॰—-—-—शुक्लपक्ष
चान्द्रः —पुं॰—-—-—चन्द्रकान्तमणि
चान्द्रम् —नपुं॰—-—-—चान्द्रायण नामक व्रत
चान्द्रम् —नपुं॰—-—-—ताजा अदरक
चान्द्रम् —नपुं॰—-—-—मृगशीर्ष नक्षत्र
चान्द्री —स्त्री॰—-—-—चाँदनी
चान्द्रभागा —स्त्री॰—चान्द्र-भागा—-—चन्द्रभागा नाम नदी
चान्द्रमासः —पुं॰—चान्द्र-मासः—-—चन्द्रमा की तिथियों के अनुसार गिना जाने वाला महीना
चान्द्रव्रतिकः —पुं॰—चान्द्र-व्रतिकः—-—चान्द्रायण व्रत रखने वाला
चान्द्रकम् —नपुं॰—-—चान्द्र - कै - क—सूखा अदरक, सोंठ
चान्द्रमस —वि॰—-—चन्द्रमस् - अण्—चन्द्रमा से सम्बन्ध रखने वाला, चाँद-सम्बन्धी
चान्द्रमसी —स्त्री॰—-—-—चन्द्रमा से सम्बन्ध रखने वाला, चाँद-सम्बन्धी
चान्द्रमसम् —नपुं॰—-—-—मृगशिरा नक्षत्रपुञ्ज
चान्द्रमसायनः —पुं॰—-—चन्द्रमसोऽपत्यम्-फिञ्—बुधग्रह
चान्द्रमसायनिः —पुं॰—-—-—बुधग्रह
चान्द्रायणम् —नपुं॰—-—चन्द्रस्यायनमिवायनमत्र, पूर्वपदात् संज्ञायां णत्वं, संज्ञायां दीर्घः, स्वार्थे अण् वा-तारा॰—एक धार्मिक व्रत या प्रायश्चित्तात्मक तपश्चर्या जो चन्द्रमा की वृद्धि व क्षय से विनियमित है
चान्द्रायणिक —वि॰—-—चान्द्रायण - ठञ्—चान्द्रायण व्रत का पालन करने वाला
चान्द्रायणिकी —वि॰—-—-—चान्द्रायण व्रत का पालन करने वाला
चापम् —नपुं॰—-—चप - अण्—धनुष
चापम् —नपुं॰—-—-—हाथ में धनुष लिये हुए
चापम् —नपुं॰—-—-—इन्द्र धनुष
चापम् —नपुं॰—-—-—वृत्त की तोरणाकार रेखा
चापलम् —नपुं॰—-—चपल - अण्—द्रुतगति, स्फूर्ति
चापलम् —नपुं॰—-—चपल - अण्—चञ्चलता, अस्थिरता, संक्रमणशीलता
चापलम् —नपुं॰—-—चपल - अण्—विचारशून्य या आवेशपूर्ण आचरण, उतावलापन, उद्दण्ड कृत्य
चापलम् —नपुं॰—-—चपल - अण्—अड़ियलपन
चापल्यम् —नपुं॰—-—चपल -ष्यञ् —द्रुतगति, स्फूर्ति
चापल्यम् —नपुं॰—-—चपल -ष्यञ् —चञ्चलता, अस्थिरता, संक्रमणशीलता
चापल्यम् —नपुं॰—-—चपल -ष्यञ् —विचारशून्य या आवेशपूर्ण आचरण, उतावलापन, उद्दण्ड कृत्य
चापल्यम् —नपुं॰—-—चपल -ष्यञ् —अड़ियलपन
चामरः —पुं॰—-—चमर्याः विकारः तत्पुच्छनिर्मितत्वात् चमरी - अण्—चौरी, चँवर या चमरी की पूँछ
चामरम् —नपुं॰—-—-—चौरी, चँवर या चमरी की पूँछ
चामरग्राहः —पुं॰—चामरः-ग्राहः—-—चँवर डुलाने वाला, चँवर वरदार
चामरग्राहिन् —पुं॰—चामरः-ग्राहिन्—-—चँवर डुलाने वाला, चँवर वरदार
चामरग्राहिणी —स्त्री॰—चामरः-ग्राहिणी—-—चँवर डुलाने वाली राजा की सेविका
चामरपुष्पः —पुं॰—चामरः-पुष्पः—-—सुपारी का पेड़
चामरपुष्पः —पुं॰—चामरः-पुष्पः—-—केतकी का पौधा
चामरपुष्पः —पुं॰—चामरः-पुष्पः—-—आम का वृक्ष
चामरपुष्पकः —पुं॰—चामरः-पुष्पकः—-—सुपारी का पेड़
चामरपुष्पकः —पुं॰—चामरः-पुष्पकः—-—केतकी का पौधा
चामरपुष्पकः —पुं॰—चामरः-पुष्पकः—-—आम का वृक्ष
चामरिन् —पुं॰—-—चामर - इनि—घोड़ा
चामीकरम् —नपुं॰—-—चमीकर - अण्—सोना
चामीकरम् —नपुं॰—-—-—धतूरे का पौधा
चामीकरप्रख्य —वि॰—चामीकरम्-प्रख्य—-—सोने की तरह का
चामुण्डा —स्त्री॰—-—चम् - ला - क, पृषो॰ साधूः—दुर्गा का रौद्ररूप
चाम्पिला —स्त्री॰—-—चम्प् - अङ् - टाप् = चम्पा - अण् - इलच्—चम्पा नाम की नदी
चाम्पेयः —पुं॰—-—चम्पा - ढक्—चम्पक वृक्ष
चाम्पेयः —पुं॰—-—चम्पा - ढक्—नागकेसर का पेड़
चाम्पेयम् —नपुं॰—-—-—तन्तु, विशेषकर कमल फूल का
चाम्पेयम् —नपुं॰—-—-—धतूरे का पौधा
चाय् —भ्वा॰ उभ॰ < चायति>, < चायते>—-—-—निरीक्षण करना, अच्छा बुरा पहचानना, देख लेना
चाय् —भ्वा॰ उभ॰ < चायति>, < चायते>—-—-—पूजा करना
चारः —पुं॰—-—चर् - घञ्—जाना, घूमना, चाल, भ्रमण, पैदल चलना
चारः —पुं॰—-—चर् - घञ्—गति, मार्ग, प्रगति- मंगलचार, शनिचार आदि
चारः —पुं॰—-—चर् - घञ्—भेदिया, चर, गुप्तचर, दूत
चारः —पुं॰—-—चर् - घञ्—अनुष्ठान करना, अभ्यास करना
चारः —पुं॰—-—चर् - घञ्—बन्दी
चारः —पुं॰—-—चर् - घञ्—बन्धन, बेड़ी
चारम् —नपुं॰—-—-—कृत्रिम विष
चारान्तरितः —पुं॰—चारः- अन्तरितः—-—भेदिया
चारीक्षणः —पुं॰—चारः - ईक्षणः—-—गुप्तचरों को आँख के स्थान में प्रयुक्त करने वाला राजा जो गुप्तचर या भेदिया रखता है और उन्हीं के माध्यम से देखता है
चारचक्षुस् —पुं॰—चारः- चक्षुस्—-—गुप्तचरों को आँख के स्थान में प्रयुक्त करने वाला राजा जो गुप्तचर या भेदिया रखता है और उन्हीं के माध्यम से देखता है
चारचणः —वि॰—चारः- चणः—-—ललित चाल वाला, सजीला
चारचञ्चु —वि॰—चारः- चञ्चु—-—ललित चाल वाला, सजीला
चारपथः —पुं॰—चारः - पथः—-—चौराहा
चारभटः —पुं॰—चारः- भटः—-—वीर योद्धा
चारवायुः —पुं॰—चारः - वायुः—-—ग्रीष्मकालीन मृदु मन्द पवन, वसन्त वायु
चारकः —पुं॰—-—चर् - णिच् - ण्वुल्—भेदिया
चारकः —पुं॰—-—चर् - णिच् - ण्वुल्—ग्वाला
चारकः —पुं॰—-—चर् - णिच् - ण्वुल्—नेता चालक
चारकः —पुं॰—-—चर् - णिच् - ण्वुल्—साथी
चारकः —पुं॰—-—चर् - णिच् - ण्वुल्—अश्वारोही, सवार
चारकः —पुं॰—-—चर् - णिच् - ण्वुल्—कारागार
चारणः —पुं॰—-—चर् - णिच् - ल्युट्—भ्रमणशील, तीर्थयात्री
चारणः —पुं॰—-—चर् - णिच् - ल्युट्—घूमने- फिरने वाला नट या गवैया, नर्तक, भाँड, भाट
चारणः —पुं॰—-—चर् - णिच् - ल्युट्—स्वर्गीय गवैया, गंधर्व
चारणः —पुं॰—-—चर् - णिच् - ल्युट्—वेद या अन्य धार्मिक ग्रन्थ का पाठ करने वाला
चारणः —पुं॰—-—चर् - णिच् - ल्युट्—भेदिया
चारिका —स्त्री॰—-—चर् - णिच् - ण्वुल् - टाप्, इत्वम्—सेविका, दासी
चारितार्थ्यम् —नपुं॰—-—चरितार्थ - ष्यञ्—उद्देश्यसिद्धि, सफलता
चारित्रम् —नपुं॰—-—चरित्र - अण्, ष्यञ् वा—शील, व्यवहार, काम करने की रीति
चारित्रम् —नपुं॰—-—चरित्र - अण्, ष्यञ् वा—नेकनामी, सच्चरित्रता, ख्याति, सच्चाई, ईमानदारी, अच्छा चालचलन, चारित्र्यविहीन
चारित्रम् —नपुं॰—-—चरित्र - अण्, ष्यञ् वा—सतीत्त्व, सदाचरण
चारित्रम् —नपुं॰—-—चरित्र - अण्, ष्यञ् वा—स्वभाव, तबीयत
चारित्रम् —नपुं॰—-—चरित्र - अण्, ष्यञ् वा—विशिष्ट आचार या अभ्यास
चारित्रम् —नपुं॰—-—चरित्र - अण्, ष्यञ् वा—कुलक्रमागत आचार
चारित्र्यम् —नपुं॰—-—चरित्र - अण्, ष्यञ् वा—शील, व्यवहार, काम करने की रीति
चारित्र्यम् —नपुं॰—-—चरित्र - अण्, ष्यञ् वा—नेकनामी, सच्चरित्रता, ख्याति, सच्चाई, ईमानदारी, अच्छा चालचलन, चारित्र्यविहीन
चारित्र्यम् —नपुं॰—-—चरित्र - अण्, ष्यञ् वा—सतीत्त्व, सदाचरण
चारित्र्यम् —नपुं॰—-—चरित्र - अण्, ष्यञ् वा—स्वभाव, तबीयत
चारित्र्यम् —नपुं॰—-—चरित्र - अण्, ष्यञ् वा—विशिष्ट आचार या अभ्यास
चारित्र्यम् —नपुं॰—-—चरित्र - अण्, ष्यञ् वा—कुलक्रमागत आचार
चारित्रकवच —वि॰—चारित्रम् - कवच—-—सतीत्व रूपी कवच में सुरक्षित
चारु —वि॰—-—-—रुचिकर, सत्कृत, प्रिय, प्रतिष्ठित, अभीष्ट
चारु —वि॰—-—-—सुखद, रमणीय, सुन्दर, कान्त, मनोहर
चारुः —पुं॰—-—-—बृहस्पति का विशेषण
चारु —नपुं॰—-—-—केसर, जाफरान
चारुङ्गी —स्त्री॰—चारु - अङ्गी—-—सुन्दर अंगों वाली स्त्री
चारुघोण —वि॰—चारु - घोण—-—सुन्दर नाक वाला पुरुष
चारुदर्शन —वि॰—चारु - दर्शन—-—प्रियदर्शन, लावण्यमय
चारुधारा —स्त्री॰—चारु - धारा—-—शची, इन्द्राणी, इन्द्र की पत्नी
चारुनेत्र —वि॰—चारु - नेत्र—-—सुन्दर आँखों वाला
चारुलोचन —वि॰—चारु - लोचन—-—सुन्दर आँखों वाला
चारुनेत्रः —पुं॰—चारु - नेत्रः—-—हरिण
चारुलोचनः —पुं॰—चारु - लोचनः—-—हरिण
चारुफला —स्त्री॰—चारु - फला—-—अंगूरों की बेल, अंगूर
चारुलोचना —स्त्री॰—चारु - लोचना—-—सुन्दर आँखों वाली
चारुवक्त्र —वि॰—चारु - वक्त्र—-—सुन्दर मुख वाला
चारुवर्धना —स्त्री॰—चारु - वर्धना—-—स्त्री
चारुव्रता —स्त्री॰—चारु - व्रता—-—एक मास तक उपवास करने वाली स्त्री
चारुशिला —स्त्री॰—चारु - शिला—-—जवाहर, रत्न
चारुशिला —स्त्री॰—चारु - शिला—-—पत्थर की सुन्दर शिला
चारुशील —वि॰—चारु - शील—-—कान्त- स्वभाव या चरित्र
चारुहासिन् —वि॰—चारु - हासिन्—-—मधुर मुस्कान वाला
चार्चिक्यम् —नपुं॰—-—चर्चिका - ष्यञ्—शरीर को सुगन्धित करना, चन्दन आदि लगाना
चार्चिक्यम् —नपुं॰—-—चर्चिका - ष्यञ्—उबटन
चार्म —वि॰—-—चर्मन् - अण्, टिलोपः—चमड़े का बना हुआ
चार्म —वि॰—-—चर्मन् - अण्, टिलोपः—चमड़े से ढका हुआ
चार्म —वि॰—-—चर्मन् - अण्, टिलोपः—ढाल धारी, ढाल से युक्त
चार्मी —स्त्री॰—-—-—चमड़े का बना हुआ
चार्मी —स्त्री॰—-—-—चमड़े से ढका हुआ
चार्मी —स्त्री॰—-—-—ढाल धारी, ढाल से युक्त
चार्मण —वि॰—-—चर्मन् - अण्, स्त्रियां ङीष् च—चमड़े या खाल से ढका हुआ
चार्मणी —स्त्री॰—-—-—चमड़े या खाल से ढका हुआ
चार्मणम् —नपुं॰—-—-—खालों या ढालों का ढेर
चार्मिक —वि॰—-—चर्मन् - ठक्—चमड़े का बना हुआ
चार्मिकी —स्—-—-—चमड़े का बना हुआ
चार्मिणम् —स्त्री॰—-—चर्मिन् - अण्—ढालधारी मनुष्यों का समूह
चार्वाकः —पुं॰—-—-—दार्शनिक जो बृहस्पति का शिष्य बताया जाता है और जिसने भौतिकवाद एवं नास्तिकता के स्थूल रूप का प्रवर्तन किया
चार्वाकः —पुं॰—-—-—महाभारत में वर्णित एक राक्षस जो दुर्योधन का मित्र और पाण्डवों का शत्रु था
चार्वी —स्त्री॰—-—चारु-- ङीष्—सुन्दर स्त्री
चार्वी —स्त्री॰—-—चारु-- ङीष्—चाँदनी
चार्वी —स्त्री॰—-—चारु-- ङीष्—बुद्धि, प्रज्ञा
चार्वी —स्त्री॰—-—चारु-- ङीष्—प्रभा, कान्ति, दीप्ति
चार्वी —स्त्री॰—-—चारु-- ङीष्—कुबेर की पत्नी
चालः —पुं॰—-—चल् - ण—घर का छप्पर या छत
चालः —पुं॰—-—चल् - ण—नीलकण्ठ पक्षी
चालः —पुं॰—-—चल् - ण—हिलना-डुलना, चलना-फिरना
चालः —पुं॰—-—चल् - ण—जंगम होना
चालकः —पुं॰—-—चल् - ण्वुल्—दुर्दान्त हाथी
चालनम् —नपुं॰—-—चल् - णिच् - ल्युट्—चलाना-फिराना, हिलाना-डुलाना, हिलाना
चालनम् —नपुं॰—-—चल् - णिच् - ल्युट्—छनवाना, छानना, छलनी
चालनी —स्त्री॰—-—-—छलनी, झरना
चाषः —पुं॰—-—चष् - णिच् - अच्, पृषो॰ सत्वम्—नीलकण्ठ पक्षी
चासः —पुं॰—-—चष् - णिच् - अच्, पृषो॰ सत्वम्—नीलकण्ठ पक्षी
चि —स्वा॰ उभ॰- < चिनोति>, < चिनुते>, < चित>; पुं॰—-—-—चुनना, बीनना, इकट्ठा करना
चि —स्वा॰ उभ॰- < चिनोति>, < चिनुते>, < चित>; पुं॰—-—-—ढेर लगाना, टाल लगा देना, अम्बार लगा देना
चि —स्वा॰ उभ॰- < चिनोति>, < चिनुते>, < चित>; पुं॰—-—-—जड़ना, खचित करना, मढ़ना, भरना
चि —स्वा॰ उभ॰- < चिनोति>, < चिनुते>, < चित>; पुं॰—-—-—फल उत्पन्न होना, उगना, बढ़ना, फलना-फूलना, समृद्ध होना
चि —स्वा॰ उभ॰- < चिनोति>, < चिनुते>, < चित>; पुं॰—-—-—फल लगता है
अपचि —स्वा॰ उभ॰—अप-चि—-—कम होना, विहीन होना, वञ्चित होना
अपचि —स्वा॰ उभ॰—अप-चि—-—घटना, क्षीण होना, कम होना
अपचि —स्वा॰ उभ॰—अप-चि—-—शरीर में घटना, क्षीण होना
आचि —स्वा॰ उभ॰—आ-चि—-—एकत्र करना, ढेर लगाना
आचि —स्वा॰ उभ॰—आ-चि—-—भरना, ढकना, मढ़ना
उद्चि —स्वा॰ उभ॰—उद्-चि—-—एकत्र करना, बीनना
उपचि —स्वा॰ उभ॰—उप-चि—-—जोड़ना, बढ़ाना
उपचि —स्वा॰ उभ॰—उप-चि—-—उगना, बढ़ना
निचि —स्वा॰ उभ॰—नि-चि—-—ढकना, भरना, फैलाना बिखेरना
निस्चि —स्वा॰ उभ॰—निस्-चि—-—निर्धारण करना, संकल्प करना, निश्चय करना
परिचि —स्वा॰ उभ॰—परि-चि—-—अभ्यास करना
परिचि —स्वा॰ उभ॰—परि-चि—-—प्राप्त करना, लेना
परिचि —स्वा॰ उभ॰—परि-चि—-—बढ़ना
प्रचि —स्वा॰ उभ॰—प्र-चि—-—इकट्ठा करना, चुनना
प्रचि —स्वा॰ उभ॰—प्र-चि—-—जोड़ना
प्रचि —स्वा॰ उभ॰—प्र-चि—-—बढ़ाना, विकसित करना
विचि —स्वा॰ उभ॰—वि-चि—-—एकत्र करना, चुनना
विचि —स्वा॰ उभ॰—वि-चि—-—खोजना, ढूँढ़ना
विनिश्चि —स्वा॰ उभ॰—विनिस्-चि—-—निर्धारण करना, संकल्प करना, निश्चय करना
संचि —स्वा॰ उभ॰—सम्-चि—-—एकत्र करना, संग्रह करना, संचय करना
संचि —स्वा॰ उभ॰—सम्-चि—-—क्रमबद्ध करना, ठीक से रखना
समुच्चि —स्वा॰ उभ॰—समुद्-चि—-—संग्रह करना, जोड़ना
चिकित्सकः —पुं॰—-—कित् - सन् - ण्वुल्—वैद्य, हकीम, डाक्टर
चिकित्सा —स्त्री॰—-—कित् - सन् - अ - टाप्—औषध सेवन करना, औषधोपचार, इलाज करना, स्वस्थ करना
चिकिलः —पुं॰—-—चि - इलच्, कुक्—कीचड़, महापंक, कर्दम, दलदल
चिकीर्षा —स्त्री॰—-—कृ - सन् - अ - टाप्, द्वित्वम्—करने की इच्छा, कामना, अभिलाषा, इच्छा
चिकीर्षित —वि॰—-—कृ - सन - क्त, द्वित्वम्—अभिलषित, इच्छित, साभिप्राय
चिकीर्षितम् —वि॰—-—-—अभिकल्प, आशय, अभिप्राय
चिकीर्षु —वि॰—-—कृ - सन् - उ, धातोर्द्वित्वम्—कुछ करने की इच्छा वाला, इच्छुक
चिकुर —वि॰—-—चि इत्यव्यक्त शब्दं करोति- चि - कुर् - क—हिलने-जुलने वाला, कम्पमान, चञ्चल, अस्थिर
चिकुर —वि॰—-—चि इत्यव्यक्त शब्दं करोति- चि - कुर् - क—अविचार पूर्ण, आवेशयुक्त
चिकुरः —पुं॰—-—-—सिर के बाल
चिकुरः —पुं॰—-—-—रेंगने वाला, साँप
चिकुरुच्चयः —पुं॰—चिकुर-उच्चयः—-—बालों का गुच्छा या ढेर
चिकुरकलापः —पुं॰—चिकुर-कलापः—-—बालों का गुच्छा या ढेर
चिकुरनिकरः —पुं॰—चिकुर-निकरः—-—बालों का गुच्छा या ढेर
चिकुरपक्षः —पुं॰—चिकुर-पक्षः—-—बालों का गुच्छा या ढेर
चिकुरपाशुः —पुं॰—चिकुर-पाशुः—-—बालों का गुच्छा या ढेर
चिकुरभारः —पुं॰—चिकुर-भारः—-—बालों का गुच्छा या ढेर
चिकुरहस्तः —पुं॰—चिकुर-हस्तः—-—बालों का गुच्छा या ढेर
चिकूरः —पुं॰—-—चिकुर नि॰ दीर्घः—बाल
चिक्कः —पुं॰—-—चिक् इति अव्यक्त शब्देन कायति शब्दायते- चिक् - कै - क—छछुन्दर
चिक्कण —वि॰—-—चिक्क्, क्विप् चिक् तं कणति- कण शब्दे - अच् तारा॰—चिकना, चमकदार
चिक्कण —वि॰—-—चिक्क्, क्विप् चिक् तं कणति- कण शब्दे - अच् तारा॰—फिसलनी
चिक्कण —वि॰—-—चिक्क्, क्विप् चिक् तं कणति- कण शब्दे - अच् तारा॰—स्निग्ध
चिक्कण —वि॰—-—चिक्क्, क्विप् चिक् तं कणति- कण शब्दे - अच् तारा॰—मसृण, चर्बीला
चिक्कणा —स्त्री॰—-—चिक्क्, क्विप् चिक् तं कणति- कण शब्दे - अच् तारा॰—चिकनी, चमकदार
चिक्कणी —स्त्री॰—-—चिक्क्, क्विप् चिक् तं कणति- कण शब्दे - अच् तारा॰—चिकनी, चमकदार
चिक्कणः —पुं॰—-—-—सुपारी का पेड़
चिक्कणम् —नपुं॰—-—-—चिक्कणवृक्ष का फल, सुपारी
चिक्कणा —स्त्री॰—-—-—सुपारी का पेड़
चिक्कणा —स्त्री॰—-—-—सुपारी
चिक्कणी —स्त्री॰—-—-—सुपारी का पेड़
चिक्कणी —स्त्री॰—-—-—सुपारी
चिक्कसः —पुं॰—-—चिक्क् - असच्—जौ का आटा
चिक्का —स्त्री॰—-—-—चिक्कणा
चिक्किरः —पुं॰—-—चिक्क् - इरच्, ब्रा॰—चूहा, मूसा
चिल्किदम् —नपुं॰—-—क्लिद् - यङ् - अच्, धातोर्द्वित्वं यङो लुक् च—तरी, तरवट, ताजगी
चिचिण्डः —पुं॰—-—-—एक प्रकार का कद्दू
चिच्छिलाः —पुं॰—-—-—एक देश तथा उसके निवासी
चिञ्चा —स्त्री॰—-—चिम् - चि - ड - टाप्—इमली का पेड़, या उसका फल
चिञ्चा —स्त्री॰—-—चिम् - चि - ड - टाप्—घुँघची का पौधा
चिट् —भ्वा॰ पर॰- < चेटति>, चुरा॰ उभ॰ - <चेटयति>, <चेटयते> —-—-—भेजना, बाहर भेजना
चित् —भ्वा॰ पर॰-< चेतति>, चुरा॰ आ॰ - < चेतयते>, < चेतित>—-—-—प्रत्यक्षज्ञान प्राप्त करना, देखना, नजर डालना, दृष्टिगोचर करना
चित् —भ्वा॰ पर॰-< चेतति>, चुरा॰ आ॰ - < चेतयते>, < चेतित>—-—-—जानना, समझना, चौकस होना, सतर्क होना
चित् —भ्वा॰ पर॰-< चेतति>, चुरा॰ आ॰ - < चेतयते>, < चेतित>—-—-—चैतन्य प्राप्त करना
चित् —भ्वा॰ पर॰-< चेतति>, चुरा॰ आ॰ - < चेतयते>, < चेतित>—-—-—प्रकट होना, चमकना
चित् —स्त्री॰—-—चित् - क्विप्—विचार, प्रत्यक्ष ज्ञान
चित् —स्त्री॰—-—चित् - क्विप्—प्रज्ञा, बुद्धि, समझ
चित् —स्त्री॰—-—चित् - क्विप्—हृदय, मन
चित् —स्त्री॰—-—चित् - क्विप्—आत्मा, जीव, जीवन में सजीवता- सिद्धांत
चित् —स्त्री॰—-—चित् - क्विप्—ब्रह्म
चित्तात्मन् —पुं॰—चित्- आत्मन्—-—चिंतनसिद्धान्त या शक्ति
चित्तात्मन् —पुं॰—चित्- आत्मन्—-—केवल प्रज्ञा, परमात्मा
चित्तात्मकम् —पुं॰—चित्-आत्मकम्—-—चैतन्य
चित्ताभासः —पुं॰—चित्-आभासः—-—जीव
चित्तोल्लासः —पुं॰—चित्-उल्लासः—-—जीवों के हृदय का हर्ष
चित्घनः —पुं॰—चित्-घनः—-—परमात्मा या ब्रह्म
चित्तप्रवृत्तिः —स्त्री॰—चित्- प्रवृत्तिः—-—विचारविमर्श,चिन्तन
चित्तशक्तिः —स्त्री॰—चित्- शक्तिः—-—मानसिक शक्ति, बौद्धिक धारिता
चित्तस्वरूपम् —नपुं॰—चित्- स्वरूपम्—-—परमात्मा
चित् —अव्य॰—-—-—’किम्’ और ‘किम्’ से व्युत्पन्न अन्य शब्दों के साथ जुड़नेवाला अव्यय जिससे कि अर्थों में अनिश्चयात्मकता आती है यथा कुत्रचित् =कहीं, केचित्=कोई
चित् —अव्य॰—-—-—’चित्’ ध्वनि
चित —भू॰ क॰ कृ॰—-—चि - क्त—संग्रह किया हुआ, देर लगाया हुआ, अम्बार लगाया हुआ, इकट्ठा किया हुआ
चित —भू॰ क॰ कृ॰—-—चि - क्त—जमा किया हुआ, सञ्चित
चित —भू॰ क॰ कृ॰—-—चि - क्त—प्राप्त, गृहीत
चित —भू॰ क॰ कृ॰—-—चि - क्त—ढका हुआ
चित —भू॰ क॰ कृ॰—-—चि - क्त—जमाया हुआ, जड़ा हुआ
चिता —स्त्री॰—-—चित - टाप्—मुर्दे को जलाने के लिए चुनकर रक्खी हुई लकड़ियों का ढेर, चितिका
चिताग्निः —पुं॰—चिता- अग्निः—-—शव को जलाने वाली आग
चिताचूडकम् —नपुं॰—चिता- चूडकम्—-—चिता
चितिः —स्त्री॰—-—चि - क्तिन्—संग्रह करना, इकट्ठा करना
चितिः —स्त्री॰—-—चि - क्तिन्—ढेर, समुच्चय, पुञ्ज
चितिः —स्त्री॰—-—चि - क्तिन्—अम्बार, टाल, चट्टा
चितिः —स्त्री॰—-—चि - क्तिन्—चिता
चितिः —स्त्री॰—-—चि - क्तिन्—चौकोर आयताकार स्थान
चितिः —स्त्री॰—-—चि - क्तिन्—समझ
चितिका —स्त्री॰—-—चिता - कन् - टाप्, इत्वम्—टाल, चट्टा
चितिका —स्त्री॰—-—चिता - कन् - टाप्, इत्वम्—चिता
चितिका —स्त्री॰—-—चिता - कन् - टाप्, इत्वम्—करधनी
चित्त —वि॰—-—चित् - क्त—देखा हुआ, प्रत्यक्षज्ञात
चित्त —वि॰—-—चित् - क्त—सोचा हुआ, विचारविमर्श किया हुआ, मनन किया हुआ
चित्त —वि॰—-—चित् - क्त—संकल्प किया हुआ
चित्त —वि॰—-—चित् - क्त—अभिप्रेत, अभिलषित, इच्छित
चित्तम् —नपुं॰—-—-—देखना, ध्यान देना
चित्तम् —नपुं॰—-—-—विचार, चिन्तन, अवधान, इच्छा, अभिप्राय, उद्देश्य
चित्तम् —नपुं॰—-—-—तर्क, बुद्धि, तर्कनाशक्ति
चित्तानुवर्तिन् —वि॰—चित्त- अनुवर्तिन्—-—मन के अनुकूल कार्य करने वाला, अनुरञ्जनकारी
चित्तापहारक —वि॰—चित्त-अपहारक—-—मनोहर, आकर्षक, मोहक
चित्तापहारिन् —वि॰—चित्त- अपहारिन्—-—मनोहर, आकर्षक, मोहक
चित्ताभोगः —पुं॰—चित्त-आभोगः—-—भावनाओं के प्रति मन की आसक्ति, किसी एक वस्तु में अनन्य अनुराग
चित्तासङ्गः —पुं॰—चित्त- आसङ्गः—-—आसक्ति, अनुराग
चित्तोद्रेकः —पुं॰—चित्त-उद्रेकः—-—घमण्ड, गर्व
चित्तैक्यम् —नपुं॰—चित्त- ऐक्यम्—-—सहमति, मतैक्य
चित्तोन्नतिः —स्त्री॰—चित्त-उन्नतिः—-—महानुभावता
चित्तोन्नतिः —स्त्री॰—चित्त-उन्नतिः—-—घमण्ड, दर्प
चित्तसमुन्नतिः —स्त्री॰—चित्त-समुन्नतिः—-—महानुभावता
चित्तसमुन्नतिः —स्त्री॰—चित्त-समुन्नतिः—-—घमण्ड, दर्प
चित्तचारिन् —वि॰—चित्त-चारिन्—-—दूसरे की इच्छा के अनुसार काम करने वाला
चित्तजः —पुं॰—चित्त-जः—-—प्रेम, आवेश
चित्तजः —पुं॰—चित्त-जः—-—प्रेम का देवता काम देव
चित्तजन्मन् —पुं॰—चित्त-जन्मन्—-—प्रेम, आवेश
चित्तजन्मन् —पुं॰—चित्त-जन्मन्—-—प्रेम का देवता काम देव
चित्तभूः —पुं॰—चित्त-भूः—-—प्रेम, आवेश
चित्तभूः —पुं॰—चित्त-भूः—-—प्रेम का देवता काम देव
चित्तयोनिः —पुं॰—चित्त-योनिः—-—प्रेम, आवेश
चित्तयोनिः —पुं॰—चित्त-योनिः—-—प्रेम का देवता काम देव
चित्तज्ञ —वि॰—चित्त-ज्ञ—-—दूसरे के मन की बात जानने वाला
चित्तनाशः —पुं॰—चित्त-नाशः—-—बेहोशी
चित्तनिर्वृतिः —स्त्री॰—चित्त-निर्वृतिः—-—संतोष, प्रसन्नता
चित्तप्रशम —वि॰—चित्त-प्रशम—-—स्वस्थ, शान्त
चित्तप्रशमः —पुं॰—चित्त-प्रशमः—-—मन की शान्ति
चित्तप्रसन्नता —स्त्री॰—चित्त-प्रसन्नता—-—हर्ष, खुशी
चित्तभेदः —पुं॰—चित्त-भेदः—-—विचारभेद
चित्तभेदः —पुं॰—चित्त-भेदः—-—असंगति, अस्थिरता
चित्तमोहः —पुं॰—चित्त-मोहः—-—मनोमुग्धता
चित्तविक्षेपः —पुं॰—चित्त-विक्षेपः—-—मन का उचाटपन
चित्तविप्लवः —पुं॰—चित्त-विप्लवः—-—चित्तभ्रंश, बुद्धिभ्रंश, उन्मत्तता, पागलपन
चित्तविभ्रमः —पुं॰—चित्त-विभ्रमः—-—चित्तभ्रंश, बुद्धिभ्रंश, उन्मत्तता, पागलपन
चित्तविश्लेषः —पुं॰—चित्त-विश्लेषः—-—मैत्री-भंग
चित्तवृत्तिः —स्त्री॰—चित्त-वृत्तिः—-—मन की अवस्था या स्वभाव, रुचि, भावना
चित्तवृत्तिः —स्त्री॰—चित्त-वृत्तिः—-—आन्तरिक अभिप्राय, संवेग
चित्तवृत्तिः —स्त्री॰—चित्त-वृत्तिः—-—मन की आन्तरिक क्रिया, मानसिक दृष्टि
चित्तवेदना —स्त्री॰—चित्त-वेदना—-—कष्ट, चिन्ता
चित्तवैकल्यम् —नपुं॰—चित्त-वैकल्यम्—-—मन की व्यग्रता, परेशानी
चित्तहारिन् —वि॰—चित्त-हारिन्—-—मनोहर, आकर्षक रुचिकर
चित्तवत् —वि॰—-—चित्त - मतुप्, मस्य वः—तर्कसंगत, तर्कयुक्त
चित्तवत् —वि॰—-—चित्त - मतुप्, मस्य वः—सकरुण, सदय
चित्यम् —नपुं॰—-—चि - क्यप्—शव- दाह करने का स्थान
चित्या —स्त्री॰—-—-—काष्ठचयन, निर्माण
चित्र —वि॰—-—चित्र् - अच्, चि - ष्ट्रन् वा—उज्ज्वल, स्पष्ट
चित्र —वि॰—-—-—चितकबरा, धब्बेदार, शवलीकृत
चित्र —वि॰—-—-—दिलचस्प, रुचिकर
चित्र —वि॰—-—-—विविध, विभिन्न प्रकार का, भाँति-भाँति का
चित्र —वि॰—-—-—आश्चर्यजनक, अद्भुत, अजीव
चित्रः —पुं॰—-—-—रंग- विरंगा वर्ण रंग
चित्रः —पुं॰—-—-—अशोक वृक्ष
चित्रम् —नपुं॰—-—-—तस्वीर, चित्रकारी, आलेखन
चित्रम् —नपुं॰—-—-—चमकीला आभूषण
चित्रम् —नपुं॰—-—-—असाधारण छवि, आश्चर्य
चित्रम् —नपुं॰—-—-—साम्प्रदायिक तिलक
चित्रम् —नपुं॰—-—-—आकाश, गगन
चित्रम् —नपुं॰—-—-—सफेद कोढ़, फुलबहरी
चित्रम् —नपुं॰—-—-—काव्य के तीन भेदों में अन्तिम काव्यभेद
चित्रम् —अव्य॰—-—-—अहा! कैसा विस्मय है! क्या अद्भुत बात है!
चित्राक्षी —स्त्री॰—चित्र- अक्षी—-—एक पक्षिविशेष, मैना
चित्रनेत्रा —स्त्री॰—चित्र- नेत्रा—-—एक पक्षिविशेष, मैना
चित्रलोचना —स्त्री॰—चित्र- लोचना—-—एक पक्षिविशेष, मैना
चित्राङ्ग —वि॰—चित्र-अङ्ग—-—धारीदार, चित्तीदार, शरीरधारी
चित्राङ्गम् —नपुं॰—चित्र-अङ्गम्—-—सिन्दूर
चित्रान्नम् —नपुं॰—चित्र- अन्नम्—-—रंगदार मसालों से प्रसाधित चावल
चित्रापूपः —पुं॰—चित्र-अपूपः—-—एक प्रकार का पूड़ा
चित्रार्पित —वि॰—चित्र- अर्पित—-—तस्वीर में उतारा हुआ, चित्रित
चित्रारम्भः —वि॰—चित्र-आरम्भः—-—चित्रित
चित्राकृतिः —स्त्री॰—चित्र-आकृतिः—-—चित्रित प्रतिकृति, आलोकचित्र
चित्रायसम् —नपुं॰—चित्र-आयसम्—-—इस्पात
चित्रारम्भः —पुं॰—चित्र-आरम्भः—-—चित्रित दृश्य, चित्र की रूपरेखा
चित्रोक्तिः —स्त्री॰—चित्र-उक्तिः—-—रुचिकर या वाक्चातुर्य से पूर्ण प्रवजन
चित्रोक्तिः —स्त्री॰—चित्र-उक्तिः—-—आकाशवाणी
चित्रोक्तिः —स्त्री॰—चित्र-उक्तिः—-—अद्भुतकहानी
चित्रोदनः —पुं॰—चित्र-ओदनः—-—हल्दी से रंगा पीला भात
चित्रकण्ठः —पुं॰—चित्र-कण्ठः—-—कबूतर
चित्रकथालापः —पुं॰—चित्र-कथालापः—-—रोचक तथा मनोरञ्जक कहानियाँ सुनाना
चित्रकम्बलः —पुं॰—चित्र-कम्बलः—-—छींट की बनी हाथी की झूल
चित्रकम्बलः —पुं॰—चित्र-कम्बलः—-—रंग बिरंगा कालीन
चित्रकरः —पुं॰—चित्र-करः—-—चित्रकार
चित्रकरः —पुं॰—चित्र-करः—-—नाटक का पात्र या अभिनेता
चित्रकर्मन् —नपुं॰—चित्र-कर्मन्—-—असाधारण कार्य
चित्रकर्मन् —नपुं॰—चित्र-कर्मन्—-—विभूषित करना, सजाना
चित्रकर्मन् —नपुं॰—चित्र-कर्मन्—-—तस्वीर
चित्रकर्मन् —नपुं॰—चित्र-कर्मन्—-—जादू
चित्रकर्मन् —पुं॰—चित्र-कर्मन्—-—आश्चर्यजनक करतब करने वाला जादूगर
चित्रकर्मन् —पुं॰—चित्र-कर्मन्—-—चित्रकार
चित्र विद् —पुं॰—चित्र- विद्—-—चित्रकार
चित्र विद् —पुं॰—चित्र- विद्—-—जादूगर
चित्रकायः —पुं॰—चित्र-कायः—-—साधारण शेर
चित्रकायः —पुं॰—चित्र-कायः—-—चीता
चित्रकारः —पुं॰—चित्र-कारः—-—चित्रकारी करने वाला
चित्रकारः —पुं॰—चित्र-कारः—-—एक वर्णसंकर जाति
चित्रकूटः —पुं॰—चित्र-कूटः—-—एक पहाड़ का नाम, इलाहाबाद के निकट एक जिले का नाम
चित्रकृत् —पुं॰—चित्र-कृत्—-—चित्रकार
चित्रक्रिया —स्त्री॰—चित्र-क्रिया—-—चित्रकारी
चित्रग —वि॰—चित्र-ग—-—चित्रित किया हुआ
चित्रगत —वि॰—चित्र-गत—-—चित्रित किया हुआ
चित्रगन्धम् —नपुं॰—चित्र-गन्धम्—-—हरताल
चित्रगुप्तः —पुं॰—चित्र-गुप्तः—-—यमराज के कार्यालय में मनुष्यों के गुण तथा अवगुणों को लिखने वाला
चित्रगृहम् —नपुं॰—चित्र-गृहम्—-—चित्रित घर
चित्रजल्पः —पुं॰—चित्र-जल्पः—-—अटकलपच्चू और असम्बद्ध बात, विभिन्न विषयों पर बातचीत
चित्र त्वचू —पुं॰—चित्र- त्वचू—-—भूर्ज वृक्ष
चित्रदण्डकः —पुं॰—चित्र-दण्डकः—-—कपास का पौधा
चित्रन्यस्त —वि॰—चित्र-न्यस्त—-—चित्रित, तस्वीर में उतारा हुआ
चित्रपक्षः —पुं॰—चित्र-पक्षः—-—चकोर-सदृश तीतर
चित्रपटः —पुं॰—चित्र-पटः—-—आलेख, तस्वीर
चित्रपटः —पुं॰—चित्र-पटः—-—रंगीन या चारखानेदार कपड़ा
चित्रपट्टः —पुं॰—चित्र-पट्टः—-—आलेख, तस्वीर
चित्रपट्टः —पुं॰—चित्र-पट्टः—-—रंगीन या चारखानेदार कपड़ा
चित्रपद —वि॰—चित्र-पद—-—भिन्न-भिन्न भागों में विभक्त
चित्रपद —वि॰—चित्र-पद—-—ललित पदावली से युक्त
चित्रपादा —स्त्री॰—चित्र-पादा—-—मैना, सारिका
चित्रपिच्छकः —पुं॰—चित्र- पिच्छकः—-—मोर
चित्रपंखः —पुं॰—चित्र- पंखः—-—एक प्रकार का बाण
चित्रपृष्ठः —पुं॰—चित्र-पृष्ठः—-—चिड़िया
चित्रफलकम् —नपुं॰—चित्र-फलकम्—-—चित्र-पटल, चित्र रखने का तख्ता
चित्रबर्हः —पुं॰—चित्र- बर्हः—-—मोर
चित्रभानुः —पुं॰—चित्र-भानुः—-—आग
चित्रभानुः —पुं॰—चित्र-भानुः—-—सूर्य
चित्रभानुः —पुं॰—चित्र-भानुः—-—भैरव
चित्रभानुः —पुं॰—चित्र-भानुः—-—मदार का पौधा
चित्रमण्डलः —पुं॰—चित्र-मण्डलः—-—एक प्रकार का साँप
चित्रमृगः —पुं॰—चित्र-मृगः—-—चित्तीदार हरिण
चित्रमेखलः —पुं॰—चित्र-मेखलः—-—मोर
चित्रयोधिन् —पुं॰—चित्र- योधिन्—-—अर्जुन का विशेषण
चित्ररथः —पुं॰—चित्र-रथः—-—सूर्य
चित्ररथः —पुं॰—चित्र-रथः—-—गन्धर्वों के एक राजा का नाम
चित्रलेख —वि॰—चित्र-लेख—-—सुन्दर रूपरेखा वाला, अत्यन्त मण्डलाकार
चित्रलेखा —स्त्री॰—चित्र-लेखा—-—बाणासुर की पुत्री, उषा की एक सहेली
चित्रलेखकः —पुं॰—चित्र-लेखकः—-—चित्रकार
चित्रलेखनिका —स्त्री॰—चित्र-लेखनिका—-—चित्रकार की तूलिका, कूँची
चित्रविचित्र —वि॰—चित्र-विचित्र—-—रंगबिरंगा, चित्तकबरा
चित्रविचित्र —वि॰—चित्र-विचित्र—-—बेलबूटेदार
चित्रविद्या —स्त्री॰—चित्र-विद्या—-—चित्रकला
चित्रभाला —स्त्री॰—चित्र-भाला—-—चित्रकार का कार्यालय
चित्रशिखण्डिन् —पुं॰—चित्र-शिखण्डिन्—-—सात ऋषियों का विशेषण
चित्रशिखण्डिजः —पुं॰—चित्र-शिखण्डिन्-जः—-—बृहस्पति का विशेषण
चित्रसंस्थ —वि॰—चित्र- संस्थ—-—चित्रित
चित्रहस्तः —पुं॰—चित्र-हस्तः—-—युद्ध के अवसर पर हाथों की विशेष अवस्थिति
चित्रकः —पुं॰—-—चित्र - कन्—चित्रकार
चित्रकः —पुं॰—-—चित्र - कन्—सामान्य शेर
चित्रकः —पुं॰—-—चित्र - कन्—छोटा शिकारी चीता
चित्रकः —पुं॰—-—चित्र - कन्—एक वृक्ष का नाम
चित्रकम् —नपुं॰—-—-—मस्तक पर साम्प्रदायिक तिलक
चित्रल —वि॰—-—चित्र् - कल—चितकबरा, चित्तीदार,
चित्रलः —पुं॰—-—-—रंगबिरंगा रंग
चित्रा —स्त्री॰—-—चित्र् - अच् - टाप्—चान्द्र मास का चौदहवाँ नक्षत्र
चित्राटीरः —पुं॰—चित्रा-अटीरः—-—चाँद
चित्रीशः —पुं॰—चित्रा-ईशः—-—चाँद
चित्रिणी —स्त्री॰—-—चित्र् - णिनि, चित्र अस्त्यर्थे इनि वा—भाँति-भाँति के बुद्धिवैभव और श्रेष्ठताओं से युक्त स्त्री, रतिशास्त्र में वर्णित चार प्रकार की स्त्रियों में एक
चित्रित —वि॰—-—चित्र् - क्त—रंगबिरंगा, चित्तीदार
चित्रित —वि॰—-—चित्र् - क्त—चित्रकारी से युक्त
चित्रिन् —वि॰—-—चि - इनि—आश्चर्यकारी
चित्रिन् —वि॰—-—चि - इनि—रंगबिरंगा
चित्रिणी —स्त्री॰—-—-—आश्चर्यकारी
चित्रिणी —स्त्री॰—-—-—रंगबिरंगा
चित्रीय —ना॰ धा॰ - आ॰ <चित्रीयते>—-—-—आश्चर्य पैदा करना, आश्चर्यजनक होना
चित्रीय —ना॰ धा॰ - आ॰ <चित्रीयते>—-—-—आश्चर्य करना
चिन्त् —चुरा॰ उभ॰- < चिन्तयति> , < चिन्तयते>, <चिन्तित>—-—-—सोचना, विचारना, विमर्श करना, चिन्तन करना
चिन्त् —चुरा॰ उभ॰- < चिन्तयति> , < चिन्तयते>, <चिन्तित>—-—-—सोचना, विचार करना, मन में लाना
चिन्त् —चुरा॰ उभ॰- < चिन्तयति> , < चिन्तयते>, <चिन्तित>—-—-—ध्यान करना, देखभाल करना, देखरेख रखना
चिन्त् —चुरा॰ उभ॰- < चिन्तयति> , < चिन्तयते>, <चिन्तित>—-—-—प्रत्यास्मरण करना, याद करना
चिन्त् —चुरा॰ उभ॰- < चिन्तयति> , < चिन्तयते>, <चिन्तित>—-—-—मालूम करना, उपाय करना, खोज करना, सोच कर उपाय निकालना
चिन्त् —चुरा॰ उभ॰- < चिन्तयति> , < चिन्तयते>, <चिन्तित>—-—-—ख्याल रखना, सम्मान करना
चिन्त् —चुरा॰ उभ॰- < चिन्तयति> , < चिन्तयते>, <चिन्तित>—-—-—तोलना, विशेषता बताना
चिन्त् —चुरा॰ उभ॰- < चिन्तयति> , < चिन्तयते>, <चिन्तित>—-—-—चर्चा करना, निरूपण करना, प्रतिपादन करना
अनुचिन्त् —चुरा॰ उभ॰—अनु-चिन्त्—-—बार-बार चिन्तन करना, पिछला याद करना, मन में तोलना
परिचिन्त् —चुरा॰ उभ॰—परि-चिन्त्—-—सोचना, विचारना, कूतना
परिचिन्त् —चुरा॰ उभ॰—परि-चिन्त्—-—चिन्तन करना, याद करना, ध्यान में लाना
परिचिन्त् —चुरा॰ उभ॰—परि-चिन्त्—-—तरकीब निकलना, मालूम करना
विचिन्त् —चुरा॰ उभ॰—वि-चिन्त्—-—सोचना, विचारना
विचिन्त् —चुरा॰ उभ॰—वि-चिन्त्—-—चिन्तन करना, आकलन करना, ध्यानमग्न होना
विचिन्त् —चुरा॰ उभ॰—वि-चिन्त्—-—विचारकोटि में रखना, ध्यान रखना, ख्याल करना
विचिन्त् —चुरा॰ उभ॰—वि-चिन्त्—-—इरादा करना, स्थिर करना, निश्चय करना
विचिन्त् —चुरा॰ उभ॰—वि-चिन्त्—-—उपाय ढूँढना, मालूम करना, खोज निकालना
संचिन्त् —चुरा॰ उभ॰—सम्-चिन्त्—-—सोचना, विचारना, विमर्श करना, चिन्तनरत होना
संचिन्त् —चुरा॰ उभ॰—सम्-चिन्त्—-—तोलना, विशेषता बताना
चिन्तनम् —नपुं॰—-—चिन्त् - ल्युट्—सोचना, विचारना, चिन्तनरत होना
चिन्तनम् —नपुं॰—-—चिन्त् - ल्युट्—आतुर चिन्तन
चिन्तना —स्त्री॰—-—चिन्त् - ल्युट्—सोचना, विचारना, चिन्तनरत होना
चिन्तना —स्त्री॰—-—चिन्त् - ल्युट्—आतुर चिन्तन
चिन्ता —स्त्री॰—-—चिन्त् - णिच् - अङ् - टाप्—चिन्तन, विचार
चिन्ता —स्त्री॰—-—चिन्त् - णिच् - अङ् - टाप्—दुखःद या शोकपूर्ण विचार, परवाह, फ़िकर
चिन्ता —स्त्री॰—-—चिन्त् - णिच् - अङ् - टाप्—विचारविमर्श, विचारण
चिन्ता —स्त्री॰—-—चिन्त् - णिच् - अङ् - टाप्—चिन्ता
चिन्ताकुल —वि॰—चिन्ता-आकुल—-—चिन्तामग्न, व्याकुल, आतुर
चिन्ताकर्मन् —नपुं॰—चिन्ता-कर्मन्—-—चिन्ता करना
चिन्तापर —वि॰—चिन्ता-पर—-—चिन्तनशील, चिन्तातुर
चिन्तामणिः —पुं॰—चिन्ता-मणिः—-—काल्पनिक रत्न, दार्शनिकों की मणि
चिन्तावेश्मन् —नपुं॰—चिन्ता-वेश्मन्—-—परिषद् भवन, मन्त्रणागृह
चिन्तिडी —स्त्री॰—-—-—इमली का पेड़
चिन्तित —वि॰—-—चिन्त् - क्त—सोचा हुआ, विमृष्ट
चिन्तित —वि॰—-—चिन्त् - क्त—उपेत, विचार किया हुआ
चिन्तितिः —स्त्री॰—-—-—सोच, विमर्श, विचार
चिन्तिया —स्त्री॰—-—चिन्त् - क्तिन्, घ वा—सोच, विमर्श, विचार
चिन्त्य —सं॰ कृ॰—-—चिन्त् - यत्—सोचने-विचारने के योग्य
चिन्त्य —सं॰ कृ॰—-—चिन्त् - यत्—खोजने के योग्य, मालूम किये जाने या उपाय ढूँढ लिये जाने के योग्य
चिन्त्य —सं॰ कृ॰—-—चिन्त् - यत्—विचारसापेक्ष, सन्दिग्ध, प्रष्टव्य
चिन्मय —वि॰—-—चित् - मयट्—विशुद्ध बौद्धिकता से युक्त, आत्मिक
चिन्मयम् —नपुं॰—-—-—विशुद्ध ज्ञानमय
चिन्मयम् —नपुं॰—-—-—परमात्मा
चिपट —वि॰—-—नि नता नासिका विद्यतेऽस्य नि - पटच्, चि आदेशः—चपटी नाक वाला
चिपटः —पुं॰—-—-—चिउड़ा, चपटा किया हुआ चावल या अनाज, चौले
चिपिटः —पुं॰—-—नि - पिटच् चि आदेशः—चपटी नाक वाला
चिपिटःग्रीव —वि॰—चिपिटः-ग्रीव—-—छोटी गर्दन वाला
चिपिटःनास —वि॰—चिपिटः-नास—-—चपटी नाक वाला
चिपिटःनासिक —वि॰—चिपिटः-नासिक—-—चपटी नाक वाला
चिपिटकः —पुं॰—-—चिपिट - कन् < चिपिट> पृषो॰ साधुः —चिउड़ा, चौले
चिपुटः —पुं॰—-—चिपिट - कन् < चिपिट> पृषो॰ साधुः —चिउड़ा, चौले
चिबुकम् —नपुं॰—-—चिव्(ब) - उ - कन्, पृषो॰ ह्रस्वः—ठोडी,
चिमिः —पुं॰—-—चि - मिक् बा॰—तोता
चिर —वि॰—-—चि - रक्—दीर्घ, दीर्घकाल तक रहने वाला, दीर्घकाल से चला आया, पुराना
चिरायुस् —वि॰—चिर-आयुस्—-—दीर्घ आयु वाला
चिरायुस् —पुं॰—चिर-आयुस्—-—देवता
चिरारोधः —पुं॰—चिर-आरोधः—-—विलम्बित घेरा, नाकेबन्दी
चिरोत्थ —वि॰—चिर-उत्थ—-—दीर्घ काल तक रहने वाला
चिरकार —वि॰—चिर-कार—-—मन्थर, विलम्बी, ढीला, दीर्घसूत्री
चिरकारिक —वि॰—चिर-कारिक—-—मन्थर, विलम्बी, ढीला, दीर्घसूत्री
चिरकारिन् —वि॰—चिर-कारिन्—-—मन्थर, विलम्बी, ढीला, दीर्घसूत्री
चिरक्रिय —वि॰—चिर-क्रिय—-—मन्थर, विलम्बी, ढीला, दीर्घसूत्री
चिरकालः —पुं॰—चिर-कालः—-—दीर्घकाल
चिरकालिक —वि॰—चिर-कालिक—-—दीर्घकाल से चला आता हुआ, पुराना, दीर्घकाल से चालू, जीर्ण या दीर्घकालानुबन्धी
चिरकालीन —वि॰—चिर-कालीन—-—दीर्घकाल से चला आता हुआ, पुराना, दीर्घकाल से चालू, जीर्ण या दीर्घकालानुबन्धी
चिरजात —वि॰—चिर-जात—-—बहुत समय पहले उत्पन्न, पुराना
चिरजीविन् —वि॰—चिर-जीविन्—-—दीर्घजीवी
चिरजीविन् —पुं॰—चिर-जीविन्—-—उन सात चिरजीवियों का विशेषण जो ‘अमर’ समझे जाते हैं
चिरपाकिन् —वि॰—चिर-पाकिन्—-—देर से पकने वाला
चिरपुष्पः —पुं॰—चिर-पुष्पः—-—बकुल वृक्ष
चिरमित्रम् —नपुं॰—चिर-मित्रम्—-—पुराना मित्र
चिरमेहिन् —पुं॰—चिर-मेहिन्—-—गधा
चिररात्रम् —नपुं॰—चिर-रात्रम्—-—बहुत रातें, दीर्घकाल
चिरउषित॰ —वि॰—चिर-उषित॰—-—जो दीर्घकाल तक रह चुका हो
चिरविप्रोषित —वि॰—चिर-विप्रोषित—-—दीर्घकाल से निर्वासित, प्रवासी
चिरसूता —स्त्री॰—चिर-सूता—-—वह गाय जो कई बछड़े दे चुकी हो
चिरसूतिका —स्त्री॰—चिर-सूतिका—-—वह गाय जो कई बछड़े दे चुकी हो
चिरसेवकः —पुं॰—चिर-सेवकः—-—पुराना नौकर
चिरस्थ —वि॰—चिर-स्थ—-—टिकाऊ, देर तक चलने वाला, चालू रहने वाला, पायेदार
चिरस्थायिन् —वि॰—चिर-स्थायिन्—-—टिकाऊ, देर तक चलने वाला, चालू रहने वाला, पायेदार
चिरस्थित —वि॰—चिर-स्थित—-—टिकाऊ, देर तक चलने वाला, चालू रहने वाला, पायेदार
चिरञ्जीव —वि॰—-—-—दीर्घायु या लम्बी उम्र वाला
चिरञ्जीवः —पुं॰—-—-—काम का विशेषण
चिरण्टी —स्त्री॰—-—चिरे अटति पितृगृहात् भर्तृगेहम्- अट् - अच्, पृषो॰ तारा॰ —विवाहित या अविवाहित लड़की जो सयानी होने पर भी अपने पिता के घर ही रहे
चिरण्टी —स्त्री॰—-—चिरे अटति पितृगृहात् भर्तृगेहम्- अट् - अच्, पृषो॰ तारा॰ —तरुणी, जवान स्त्री
चिरिण्टी —स्त्री॰—-—चिरे अटति पितृगृहात् भर्तृगेहम्- अट् - अच्, पृषो॰ तारा॰ —विवाहित या अविवाहित लड़की जो सयानी होने पर भी अपने पिता के घर ही रहे
चिरिण्टी —स्त्री॰—-—चिरे अटति पितृगृहात् भर्तृगेहम्- अट् - अच्, पृषो॰ तारा॰ —तरुणी, जवान स्त्री
चिरत्न —वि॰—-—चिरे भवः चिर - त्न—चिरकालीन, पुराना, प्राचीन
चिरत्नी —स्त्री॰—-—-—चिरकालीन, पुराना, प्राचीन
चिरन्तन —वि॰—-—चिरम् - टयुल्, तुट्, च—चिरागत, पुराना, प्राचीन
चिरन्तनी —स्त्री॰—-—-—चिरागत, पुराना, प्राचीन
चिराय —ना॰ धा॰ पर॰ <चिरायति>—-—-—विलम्ब करना, ढील देना
चिरिः —पुं॰—-—चिनोति मनुष्यवत् वाक्यानि - चि - रिक्—तोता
चिरु —वि॰—-—चि - रुक्—कन्धे का जोड़
चिर्भटी —स्त्री॰—-—चिर - भट् - अच् - ङीष्, पृषो॰—एक प्रकार की ककड़ी
चिल् —तुदा॰ पर॰ < चिलति>—-—-—कपड़े पहनना, वस्त्र धारण करना
चिलमीलिका —स्त्री॰—-—चिल् - मी ल् - ण्वुल् - टाप्, इत्वम्—एक प्रकार का हार
चिलमीलिका —स्त्री॰—-—चिल् - मी ल् - ण्वुल् - टाप्, इत्वम्—जुगनू
चिलमीलिका —स्त्री॰—-—चिल् - मी ल् - ण्वुल् - टाप्, इत्वम्—बिजली
चिलमिलिका —स्त्री॰—-—चिल् - मि ल् - ण्वुल् - टाप्, इत्वम्—एक प्रकार का हार
चिलमिलिका —स्त्री॰—-—चिल् - मि ल् - ण्वुल् - टाप्, इत्वम्—जुगनू
चिलमिलिका —स्त्री॰—-—चिल् - मि ल् - ण्वुल् - टाप्, इत्वम्—बिजली
चिल्ल् —भ्वा॰ पर॰ - < चिल्लति>, < चिल्लित> —-—-—ढीला होना, शिथिल होना, पिलपिला होना
चिल्ल् —भ्वा॰ पर॰ - < चिल्लति>, < चिल्लित> —-—-—आराम से काम करना, क्रीड़ासक्त होना
चिल्लः —पुं॰—-—चिल्ल् - अच्—चील
चिल्ला —पुं॰—-—चिल्ल् - अच्, स्त्रियां टाप्—चील
चिल्लाभः —पुं॰—चिल्लः-आभः—-—गठकतरा, जेबकतरा
चिल्लिका —स्त्री॰—-—चिल्ल् - इन् - कन् - टाप्—झींगुर
चिल्ली —स्त्री॰—-—चिल्लि - ङीष्—झींगुर
चिविः —पुं॰—-—चीव् - इन् पृषो॰—ठोडी
चिह्नम् —नपुं॰—-—चिह्न - अच्—निशान, धब्बा, छाप, प्रतीक, कुलचिह्ना, बिल्ला, लक्षण
चिह्नम् —नपुं॰—-—चिह्न - अच्—संकेत, इंगित
चिह्नम् —नपुं॰—-—चिह्न - अच्—राशिचिह्न
चिह्नम् —नपुं॰—-—चिह्न - अच्—लक्ष्य दिशा
चिह्नकारिन् —वि॰—चिह्नम्- कारिन्—-—चिह्न लगाने वाला, दाग लगाने वाला
चिह्नकारिन् —वि॰—चिह्नम्- कारिन्—-—प्रहार करने वाला, घायल करने वाला, हत्या करने वाला
चिह्नकारिन् —वि॰—चिह्नम्- कारिन्—-—डरावना, विकराल
चिह्नित —वि॰—-—चिह्न् - क्त—निशान लगा हुआ, संकेतित, मुद्रांकित, किसी पद का बिल्ला लगाये हुए
चिह्नित —वि॰—-—चिह्न् - क्त—दागी
चिह्नित —वि॰—-—चिह्न् - क्त—ज्ञात, अभिहित
चीत्कारः —पुं॰—-—चीत् - कृ - घञ्—अनुकरणमूलक शब्द, कुछ जानवरों की क्रन्दन विशेषकर गधे की रेंक या हाथी की चिंघाड़
चीनः —पुं॰—-—चि - नक्, दीर्घः—एक देश का नाम, वर्तमान चीनदेश
चीनः —पुं॰—-—चि - नक्, दीर्घः—हरिण का एक प्रकार
चीनः —पुं॰—-—चि - नक्, दीर्घः—एक प्रकार का कपड़ा
चीनाः —पुं॰—-—-—चीन देश के निवासी या शासक
चीनम् —नपुं॰—-—-—आँखों के किनारों पर बाँधने के लिए पट्टी
चीनांशुकम् —नपुं॰—चीनः-अंशुकम्—-—चीन का कपड़ा, रेशम, रेशमी कपड़ा
चीनवासस् —नपुं॰—चीनः-वासस्—-—चीन का कपड़ा, रेशम, रेशमी कपड़ा
चीनकर्पूरः —पुं॰—चीनः-कर्पूरः—-—एक प्रकार का कपूर
चीनजम् —नपुं॰—चीनः-जम्—-—इस्पात
चीनपिष्टम् —नपुं॰—चीनः- पिष्टम्—-—सिन्दूर
चीनपिष्टम् —नपुं॰—चीनः- पिष्टम्—-—सीसा
चीनवङ्गम् —नपुं॰—चीनः- वङ्गम्—-—सीसा
चीनाकः —पुं॰—-—चीन - अक् - अण्—एक प्रकार का कपूर
चीरम् —नपुं॰—-—चि - क्रन् दीर्घश्च—चिथड़ा, फटा पुराना कपड़ा, धज्जी
चीरम् —नपुं॰—-—चि - क्रन् दीर्घश्च—वल्कल
चीरम् —नपुं॰—-—चि - क्रन् दीर्घश्च—वस्त्र या पोशाक
चीरम् —नपुं॰—-—चि - क्रन् दीर्घश्च—चार लड़ियों का मोतियों का हार
चीरम् —नपुं॰—-—चि - क्रन् दीर्घश्च—चौड़ी धारी, रेखा, लकीर
चीरम् —नपुं॰—-—चि - क्रन् दीर्घश्च—रेखाएँ बनाकर लिखना
चीरम् —नपुं॰—-—चि - क्रन् दीर्घश्च—सीसा
चीरपरिग्रह —वि॰—चीरम्-परिग्रह—-—वल्कलधारी
चीरपरिग्रह —वि॰—चीरम्-परिग्रह—-—चिथड़े या फटे पुराने कपड़े पहने हुए
चीरवासस् —वि॰—चीरम्-वासस्—-—वल्कलधारी
चीरवासस् —वि॰—चीरम्-वासस्—-—चिथड़े या फटे पुराने कपड़े पहने हुए
चीरिः —स्त्री॰—-—चि - क्रि, दीर्घ॰—आँखों को ढकने का पर्दा
चीरिः —स्त्री॰—-—चि - क्रि, दीर्घ॰—झींगुर
चीरिः —स्त्री॰—-—चि - क्रि, दीर्घ॰—नीचे पहनने वाले कपड़े की झालर या गोट
चीरिका —स्त्री॰—-—चिरि - कै - क - टाप्—झीङ्गुर
चीरुका —स्त्री॰—-—-—झीङ्गुर
चीर्ण —वि॰—-—चर् - नक्, पृषो॰ अत ईत्वम्—किया हुआ, अनुष्ठित, पालित
चीर्ण —वि॰—-—चर् - नक्, पृषो॰ अत ईत्वम्—अधीत, दोहराया हुआ
चीर्ण —वि॰—-—चर् - नक्, पृषो॰ अत ईत्वम्—विदीर्ण किया हुआ, विभाजित
चीर्णपर्णः —पुं॰—चीर्ण- पर्णः—-—खजूर का पेड़
चीलिका —स्त्री॰—-—ची - ला - क - टाप् इत्वम्—झिंगुर
चीव —भ्वा॰ उभ॰ < चीवति>, < चीवते>—-—-—पहनना, ओढना
चीव —भ्वा॰ उभ॰ < चीवति> ,< चीवते>—-—-—लेना, ग्रहण करना
चीव —भ्वा॰ उभ॰ < चीवति>, < चीवते>—-—-—पकड़ना
चीवरम् —नपुं॰—-—चि - ष्वरच् नि॰ दीर्घः, चीव् - अरच् वा—पोशाक, फटा-पुराना, चिंथड़ा
चीवरम् —नपुं॰—-—चि - ष्वरच् नि॰ दीर्घः, चीव् - अरच् वा—भिक्षुक का परिधान, विशेषकर बौद्ध भिक्षु के वस्त्र
चीवरिन् —पुं॰—-—चीवर - इनि—बौद्ध या जैन भिक्षुक
चीवरिन् —पुं॰—-—चीवर - इनि—भिक्षुक
चुक्कारः —पुं॰—-—चुक्क् - अच् = चुक्क - आ - रा - क—सिंह की गर्जन या दहाड़्
चुक्रः —पुं॰—-—चक् - रक्, अत उत्वं च—एक प्रकार की अम्लबेत या अम्ललोणिका
चुक्रः —पुं॰—-—चक् - रक्, अत उत्वं च—खटास
चुक्रम् —नपुं॰—-—-—खटास, अम्लता
चुक्रफलम् —नपुं॰—चुक्रः-फलम्—-—इमली का फल
चुक्रवास्तूकम् —नपुं॰—चुक्रः-वास्तूकम्—-—खटमिट्ठा चोका, अम्ललोणिका
चुक्रा —स्त्री॰—-—चुक्र - टाप्—इमली का पेड़
चुक्रिमन् —पुं॰—-—चुक्र - इमनिच्—खटास, खट्टापन
चुञ्चु —वि॰—-—-—प्रख्यात, प्रसिद्ध, विश्रुत, कुशल
चुण्टा —स्त्री॰—-—चुंट् - अच् - टाप्—छोटा कुआँ या जलाशय
चुण्डा —स्त्री॰—-—चुंड् - अच् - टाप्—छोटा कुआँ या जलाशय
चुत् —भ्वा॰ पर॰ < चोतति>—-—-—चूना, टपकना
चुतः —पुं॰—-—चुत् - क—गुदा
चुद् —चुरा॰ उभ॰ < चोदयति>, < चोदयते> ,< चोदित> —-—-—भेजना, निर्देश देना, आगे फेकना, प्रेरित करना, हाँकना, धकेलना
चुद् —चुरा॰ उभ॰ < चोदयति>, < चोदयते> ,< चोदित> —-—-—प्रणोदित करना, स्फूर्ति देना, ठेलना, सजीव बनाना, उकसाना
चुद् —चुरा॰ उभ॰ < चोदयति>, < चोदयते> ,< चोदित> —-—-—मार्गप्रदर्शन करना, फुसलाना
चुद् —चुरा॰ उभ॰ < चोदयति>, < चोदयते> ,< चोदित> —-—-—शीघ्रता करना, त्वरित करना
चुद् —चुरा॰ उभ॰ < चोदयति>, < चोदयते> ,< चोदित> —-—-—प्रश्न करना, पूछना
चुद् —चुरा॰ उभ॰ < चोदयति>, < चोदयते> ,< चोदित> —-—-—साग्रह निवेदन करना
चुद् —चुरा॰ उभ॰ < चोदयति>, < चोदयते> ,< चोदित> —-—-—प्रस्तुत करना, तर्क या आक्षेप के रूप में सामने लाना
परिचुद् —चुरा॰ उभ॰—परि-चुद्—-—धकेलना, निदेश देना, भेजना
परिचुद् —चुरा॰ उभ॰—परि-चुद्—-—उकसाना, प्रोत्साहित करना
प्रचुद् —चुरा॰ उभ॰—प्र-चुद्—-—ठेलना, प्रणोदित करना, स्फूर्ति देना, उकसाना
प्रचुद् —चुरा॰ उभ॰—प्र-चुद्—-—हाँकना, स्फूर्ति देना, धकेलना
प्रचुद् —चुरा॰ उभ॰—प्र-चुद्—-—निदेश देना
संचुद् —चुरा॰ उभ॰—सम्-चुद्—-—निदेश देना, उकसाना, ठेलना
संचुद् —चुरा॰ उभ॰—सम्-चुद्—-—फेंकना, आगे बढाना
चुन्दी —स्त्री॰—-—चुन्द् - अच् नि॰ ङीष्—दूती, कुटनी
चुप् —भ्वा॰ पर॰ < चोपति>—-—-—शनैः शनैः चलना, दबे पाँव चलना, चुपचाप खिसकना
चुम्ब् —भ्वा॰- चुरा॰ उभ॰- < चुम्बति-चुम्बते>, < चुम्बयति- , < चुम्बित>—-—-—चुम्बन करना
चुम्ब् —भ्वा॰- चुरा॰ उभ॰- < चुम्बति-, < चुम्बयति- चुम्बयते>, < चुम्बित>—-—-—सुकुमारता पूर्वक स्पर्श करना, छूते हुए चलना
परिचुम्ब् —भ्वा॰- चुरा॰ उभ॰—परि-चुम्ब्—-—चूमना
चुम्बः —पुं॰—-—चुम्ब् - अक्, घञ् वा—चुम्बन, चूमना
चुम्बा —स्त्री॰—-—चुम्ब् - अक्, घञ् वा, स्त्रियां टाप्—चुम्बन, चूमना
चुम्बकः —पुं॰—-—चुम्ब् - ण्वुल्—चूमने वाला
चुम्बकः —पुं॰—-—चुम्ब् - ण्वुल्—कामी, कामासक्त, कामुक
चुम्बकः —पुं॰—-—चुम्ब् - ण्वुल्—बदमाश, ठग
चुम्बकः —पुं॰—-—चुम्ब् - ण्वुल्—जिसने चूम लिया, जिसने अनेक विषयों को छू लिया, पल्लवग्राही विद्वान्
चुम्बकः —पुं॰—-—चुम्ब् - ण्वुल्—चुम्बक पत्थर ( चकमक)
चुम्बनम् —नपुं॰—-—चुम्ब् - ल्युट्—चूमना, चुम्बन
चुर् —चुरा॰ उभ॰- < चोरयति-चोरयते>, < चोरित>—-—-—लूटना, चुराना
चुर् —चुरा॰ उभ॰- < चोरयति-चोरयते>, < चोरित>—-—-—वहन करना, रखना, अधिकार में करना, लेना, धारण करना
चुरा —स्त्री॰—-—चुर् - अ - टाप्—चोरी
चुरिः —पुं॰—-—चुर् - कि—छोटा कुआँ
चुरी —स्त्री॰—-—चुरि - ङीष्—छोटा कुआँ
चुलुकः —पुं॰—-—चुल् - उकञ्—गहरा कीचड़
चुलुकः —पुं॰—-—चुल् - उकञ्—एक घूँट या हथेली भर पानी, चुल्लू
चुलुकः —पुं॰—-—चुल् - उकञ्—छोटा बर्तन
चुलुकिन् —पुं॰—-—चुलुक - इनि—सूँस, उलूपी
चुलुम्प् —भ्वा॰ पर॰ < चुलुम्पयति>—-—-—झूलना, डोलना, इधर उधर हिलना, दोलायमान होना
उच्चुलुम्प् —भ्वा॰ पर॰ —उद्-चुलुम्प्—-—झोटे लेना
उच्चुलुम्प् —भ्वा॰ पर॰ —उद्-चुलुम्प्—-—आन्दोलित होना
चुलुम्पः —पुं॰—-—चुलुम्प् - घञ्—बच्चों को लाड़ प्यार करना
चुलुम्पा —स्त्री॰—-—चुलुम्प - टाप्—बकरी
चल्ल् —भ्वा॰ पर॰ < चुल्लति>—-—-—खेलना, क्रीडा करना, प्रेमोन्माद में प्रीतिसूचक संकेत करना
चुल्लिः —स्त्री॰—-—चुल्ल् - इन्—चूल्हा
चुल्ली —स्त्री॰—-—चुल्लि - ङीष्—चूल्हा
चुल्ली —स्त्री॰—-—चुल्लि - ङीष्—चिता
चूडकः —पुं॰—-—चूडा - कन्, ह्रस्वः—कुआँ
चूडा —स्त्री॰—-—चूल् - अङ्, लस्य डः, दीर्घ॰ नि॰—बालों की चोटी, चुटिया
चूडा —स्त्री॰—-—चूल् - अङ्, लस्य डः, दीर्घ॰ नि॰—मुण्डन संस्कार
चूडा —स्त्री॰—-—चूल् - अङ्, लस्य डः, दीर्घ॰ नि॰—मुर्गे की या मोर की कलगी
चूडा —स्त्री॰—-—चूल् - अङ्, लस्य डः, दीर्घ॰ नि॰—ताज, मुकुट, उष्णीष
चूडा —स्त्री॰—-—चूल् - अङ्, लस्य डः, दीर्घ॰ नि॰—सिर
चूडा —स्त्री॰—-—चूल् - अङ्, लस्य डः, दीर्घ॰ नि॰—शिखर, चोटी
चूडा —स्त्री॰—-—चूल् - अङ्, लस्य डः, दीर्घ॰ नि॰—चौबारा, अटारी
चूडा —स्त्री॰—-—चूल् - अङ्, लस्य डः, दीर्घ॰ नि॰—कुआँ
चूडा —स्त्री॰—-—चूल् - अङ्, लस्य डः, दीर्घ॰ नि॰—आभूषण
चूडाकरणम् —नपुं॰—चूडा-करणम्—-—मुण्डन संस्कार
चूडाकर्मन् —नपुं॰—चूडा-कर्मन्—-—मुण्डन संस्कार
चूडापाशः —पुं॰—चूडा-पाशः—-—बालों का गुच्छा, केश समूह
चूडामणिः —पुं॰—चूडा-मणिः—-—सिर पर धारण किया जाने वाला आभूषण, चूडामणि, शीर्षफूल
चूडामणिः —पुं॰—चूडा-मणिः—-—बढ़िया श्रेष्ठ
चूडारत्नम् —नपुं॰—चूडा-रत्नम्—-—सिर पर धारण किया जाने वाला आभूषण, चूडामणि, शीर्षफूल
चूडारत्नम् —नपुं॰—चूडा-रत्नम्—-—बढ़िया श्रेष्ठ
चूडार —वि॰—-—चुडा - ऋ - अण्, चूडा - लच्—सिर पर चुटिया रखने वाला, शिखायुक्त
चूडार —वि॰—-—चुडा - ऋ - अण्, चूडा - लच्—कलगीदार
चूडाल —वि॰—-—चुडा - ऋ - अण्, चूडा - लच्—सिर पर चुटिया रखने वाला, शिखायुक्त
चूडाल —वि॰—-—चुडा - ऋ - अण्, चूडा - लच्—कलगीदार
चूतः —पुं॰—-—चूष् - क्त —आम का पेड़
चूतः —पुं॰—-—चूष् - क्त —कामदेव के पाँच बाणों में से एक
चूतम् —नपुं॰—-—-—गुदा, मलद्वार
चूर्ण् —चुरा॰ उभ॰ < चूर्णयति- चूर्णयते>, < चूर्णित>—-—-—चूरा-चूरा करना, कुचलना, पीस देना
चूर्ण् —चुरा॰ उभ॰ < चूर्णयति- चूर्णयते>, < चूर्णित>—-—-—चकनाचूर करना, कुचल देना
संचूर्ण् —चुरा॰ उभ॰—सम्-चूर्ण्—-—रगड़ देना, कुचल देना
चूर्णः —पुं॰—-—चूर्ण - अच्—चूरा
चूर्णः —पुं॰—-—चूर्ण - अच्—आटा
चूर्णः —पुं॰—-—चूर्ण - अच्—धूल
चूर्णः —पुं॰—-—चूर्ण - अच्—सुगन्धित चूरा, पिसा हुआ चन्दन, कपूर आदि
चूर्णम् —नपुं॰—-—चूर्ण - अच्—चूरा
चूर्णम् —नपुं॰—-—चूर्ण - अच्—आटा
चूर्णम् —नपुं॰—-—चूर्ण - अच्—धूल
चूर्णम् —नपुं॰—-—चूर्ण - अच्—सुगन्धित चूरा, पिसा हुआ चन्दन, कपूर आदि
चूर्णकारः —पुं॰—चूर्णः-कारः—-—चूना फूँकने वाला
चूर्णकुन्तलः —पुं॰—चूर्णः-कुन्तलः—-—घूँघर, घुँघराले बाल, अलकें
चूर्णखण्डम् —नपुं॰—चूर्णः-खण्डम्—-—कङ्कड़, बजरी
चूर्णपारदः —पुं॰—चूर्णः-पारदः—-—शिंगरफ, सिन्दूर
चूर्णयोगः —पुं॰—चूर्णः-योगः—-—गन्धद्रव्यों का चूर्ण
चूर्णकः —पुं॰—-—चूर्ण - कन्—भून कर पीसा हुआ अनाज, सत्तू
चूर्णकम् —नपुं॰—-—-—सुगन्धित चूरा
चूर्णकम् —नपुं॰—-—-—गद्य रचना की एक शैली जो कर्णकटु शब्दों से रहित तथा अल्प समास वाली हो
चूर्णनम् —नपुं॰—-—चूर्ण - ल्युट्—कुचलना, पीसना
चूर्णिः —पुं॰—-—चूर्ण - इन्—पीसा हुआ, चूरा
चूर्णिः —पुं॰—-—चूर्ण - इन्—सौ कौड़ियों का समूह
चू्र्णी —स्त्री॰—-—चूर्णि - ङीष्—पीसा हुआ, चूरा
चू्र्णी —स्त्री॰—-—चूर्णि - ङीष्—सौ कौड़ियों का समूह
चूर्णिका —स्त्री॰—-—चूर्ण - ठन् - टाप्—भुना हुआ और पिसा हुआ अनाज, सत्तू
चूर्णिका —स्त्री॰—-—चूर्ण - ठन् - टाप्—सरल गद्यरचना की एक शैली
चूर्णित —वि॰—-—चूर्ण् - क्त—पीसा हुआ, चूरा किया हुआ
चूर्णित —वि॰—-—चूर्ण् - क्त—कुचला हुआ, रगड़ा हुआ, चूर-चूर किया हुआ, टुकड़े-टुकड़े किया हुआ
चूंलः —पुं॰—-—चुल् - क —बाल, केश
चूंला —स्त्री॰—-—-—ऊपर का कक्ष
चूंला —स्त्री॰—-—-—धूमकेतु की शिखा
चूलिका —स्त्री॰—-—चुल् - ण्वुल्—मुर्गे की कलगी
चूलिका —स्त्री॰—-—चुल् - ण्वुल्—हाथी की कनपटी
चूलिका —स्त्री॰—-—चुल् - ण्वुल्—नेपथ्य में पात्रों द्वारा किसी घटना का संकेत
चूष् —भ्वा॰ पर॰ < चूषति>,< चूषित>—-—-—पीना, चूसना, चूस लेना
चूषा —स्त्री॰—-—चूष् - क - टाप्—चमड़े का तंग
चूषा —स्त्री॰—-—चूष् - क - टाप्—चूसना
चूषा —स्त्री॰—-—चूष् - क - टाप्—मेखला
चूष्यम् —नपुं॰—-—चूष् - ण्यत्—चूसे जाने वाले भोज्य पदार्थ
चृत् —तुदा॰ पर॰- < चृतति>—-—-—चोट पहुँचाना, मार डालना
चृत् —तुदा॰ पर॰- < चृतति>—-—-—बाँधना, एक जगह जोड़ना
चृत् —भ्वा॰ पर॰- < चर्तति>, चुरा॰ उभ॰- < चर्तयति>, <चर्तयते>—-—-—जलाना, प्रज्वलित करना
चेकितानः —पुं॰—-—कित् - यङ् - शानच्, यङो लुक्, धातोर्द्वित्वम्—शिव का विशेषण
चेकितानः —पुं॰—-—कित् - यङ् - शानच्, यङो लुक्, धातोर्द्वित्वम्—यदुवंशी राजा जो पांडवों की ओर से महाभारत के युद्ध में लड़ा
चेटः —पुं॰—-—चिट् - अच्, वा टस्य डः—नौकर
चेटः —पुं॰—-—चिट् - अच्, वा टस्य डः—विट, उपपति
चेडः —पुं॰—-—चिट् - अच्, वा टस्य डः—नौकर
चेडः —पुं॰—-—चिट् - अच्, वा टस्य डः—विट, उपपति
चेटिका —स्त्री॰—-—चिट् - ण्वुल् - टाप्, इत्वम्—सेविका, दासी
चेडिका —स्त्री॰—-—चिट् - ण्वुल् - टाप्, इत्वं, पक्षे डत्वम्—सेविका, दासी
चेटिः —स्त्री॰—-—-—सेविका, दासी
चेटी —स्त्री॰—-—चेटि- ङीष्—सेविका, दासी
चेडी —स्त्री॰—-—चेटि- ङीष्, डत्वम्—सेविका, दासी
चेतन —वि॰—-—चित् - ल्युट्—सजीव, जीवित, जीवधारी, सचेत, संवेदनशील, सजीव और निर्जीव
चेतन —वि॰—-—चित् - ल्युट्—दृश्यमान
चेतनी —वि॰—-—चित् - ल्युट्—सजीव, जीवित, जीवधारी, सचेत, संवेदनशील, सजीव और निर्जीव
चेतनी —वि॰—-—चित् - ल्युट्—दृश्यमान
चेतनः —पुं॰—-—-—सचेत प्राणी, मनुष्य
चेतना —स्त्री॰—-—-—ज्ञान, संज्ञा, प्रतिबोध
चेतना —स्त्री॰—-—-—समझ, प्रज्ञा
चेतना —स्त्री॰—-—-—जीवन, प्राण, सजीवता
चेतना —स्त्री॰—-—-—बुद्धिमत्ता, विचरविमर्श
चेतस् —नपुं॰—-—चित् - असुन्—चेतना, ज्ञान
चेतस् —नपुं॰—-—चित् - असुन्—चिन्तनशील आत्मा, तर्कणा शक्ति
चेतस् —नपुं॰—-—चित् - असुन्—मन, हृदय, आत्मा
चेतःजन्मन् —पुं॰—चेतस्-जन्मन्—-—प्रेम, आवेश
चेतःजन्मन् —पुं॰—चेतस्-जन्मन्—-—कामदेव
चेतःभवः —पुं॰—चेतस्-भवः—-—प्रेम, आवेश
चेतःभवः —पुं॰—चेतस्-भवः—-—कामदेव
चेतःभूः —पुं॰—चेतस्-भूः—-—प्रेम, आवेश
चेतःभूः —पुं॰—चेतस्-भूः—-—कामदेव
चेतस्विकारः —पुं॰—चेतस्-विकारः—-—मन की विकृति, संवेग, क्षोभ
चेतोमत् —वि॰—-—चेतष् - मतुप्—जिन्दा, जीवित
चेद् —अव्य॰—-—-—यदि, बशर्ते कि, यद्यपि
चेदिः —पुं॰—-—-—एक देश का नाम
चेदिर्पतिः —पुं॰—चेदिः-पतिः—-—शिशुपाल, दमघोष का पुत्र, चेदि देश का राजा
चेदिर्भूभृत् —पुं॰—चेदिः-भूभृत्—-—शिशुपाल, दमघोष का पुत्र, चेदि देश का राजा
चेदिर्राज् —पुं॰—चेदिः-राज्—-—शिशुपाल, दमघोष का पुत्र, चेदि देश का राजा
चेदिर्राज् —पुं॰—चेदिः-राजः—-—शिशुपाल, दमघोष का पुत्र, चेदि देश का राजा
चेय —वि॰—-—चि - यत्—ढेर लगाने के योग्य
चेय —वि॰—-—चि - यत्—एकत्र करने योग्य, संग्रह किये जाने के योग्य
चेल् —भ्वा॰ पर॰ -< चेलति>—-—-—जाना, हिलना-जुलना
चेल् —भ्वा॰ पर॰ -< चेलति>—-—-—हिलना, क्षुब्ध होना, कांपना
चेलम् —नपुं॰—-—चिल् - घञ्—वस्त्र, पोशाक
चेलम् —नपुं॰—-—चिल् - घञ्—बुरा, दुष्ट, कमीना
भार्याचेलम् —नपुं॰—भार्या-चेलम्—-—बुरी पत्नी
चेलप्रक्षालकः —पुं॰—चेलम्-प्रक्षालकः—-—धोबी
चेलिका —स्त्री॰—-—-—चोली, अँगिया
चेष्ट् —चेल - कन् - टापुं॰—-—-—हिलना- जुलना, हिलना- डुलना, सक्रिय होना, जीवन के चिह्न दिखलाना
चेष्ट् —भ्वा॰ आ॰- < चेष्टते>, < चेष्टित>—-—-—प्रयत्न करना, कोशिश करना, प्रयास करना, संघर्ष करना
चेष्ट् —भ्वा॰ आ॰- < चेष्टते>, < चेष्टित>—-—-—अनुष्ठान करना, करना
चेष्ट् —भ्वा॰ आ॰- < चेष्टते>, < चेष्टित>—-—-—व्यवहार करना
विचेष्ट् —भ्वा॰ आ॰—वि-चेष्ट्—-—हिलना-डुलना, चलना-फिरना, गतिशील होना, इधर-उधर फिरना
विचेष्ट् —भ्वा॰ आ॰—वि-चेष्ट्—-—कार्य करना, व्यवहार करना
चेष्टकः —पुं॰—-—चेष्ट् - ण्वुल्—सम्भोग का आसन विशेष, रतिबन्ध
चेष्टनम् —नपुं॰—-—चेष्ट् - ल्युट्—गति
चेष्टनम् —नपुं॰—-—चेष्ट् - ल्युट्—प्रयत्न, प्रयास
चेष्टा —स्त्री॰—-—चेष्ट् - अङ् - टाप्—चाल, गति
चेष्टा —स्त्री॰—-—चेष्ट् - अङ् - टाप्—संकेत, कर्म
चेष्टा —स्त्री॰—-—चेष्ट् - अङ् - टाप्—प्रयत्न, प्रयास
चेष्टा —स्त्री॰—-—चेष्ट् - अङ् - टाप्—व्यवहार
चेष्टानाशः —पुं॰—चेष्टा-नाशः—-—सृष्टि का नाश, प्रलय
चेष्टानिरूपणम् —नपुं॰—चेष्टा-निरूपणम्—-—किसी व्यक्ति की गतिविधि पर आँख रखना
चेष्टित —भू॰ क॰ कृ॰—-—चेष्ट् - क्त—हिला, चला, हिला-डुला
चेष्टितम् —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—चाल, अंगभंगिमा, कर्म
चेष्टितम् —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—क्रिया, कर्म, व्यवहार
चेष्टितम् —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—काम करना
चैतन्यम् —नपुं॰—-—चेतन - ष्यञ्—जीव, जीवन, प्रज्ञा, प्राण, संवेदन
चैतन्यम् —नपुं॰—-—चेतन - ष्यञ्—परमात्मा जो सभी प्रकार की संवेदनाओं का स्रोत और सब प्राणियों का मूलतत्त्व समझा जाता है
चैत्तिक —वि॰—-—चित्त - ठक्—मानसिक, बौद्धिक
चैत्यः —पुं॰—-—चित्य - अण्—सीमा चिह्न बनानेवाला पत्थरों का ढेर
चैत्यः —पुं॰—-—चित्य - अण्—स्मारक, समाधि-प्रस्तर
चैत्यः —पुं॰—-—चित्य - अण्—यज्ञ मण्डप
चैत्यः —पुं॰—-—चित्य - अण्—धार्मिक पूजा का स्थान, वेदी, वह स्थान जहाँ देवमूर्ति प्रस्थापित रहती है
चैत्यः —पुं॰—-—चित्य - अण्—देवालय
चैत्यः —पुं॰—-—चित्य - अण्—बौद्ध और जैन मन्दिर
चैत्यः —नपुं॰—-—चित्य - अण्—गूलर का वृक्ष, या सड़क के किनारे उगने वाला गूलर का पेड़
चैत्यम् —नपुं॰—-—चित्य - अण्—सीमा चिह्न बनानेवाला पत्थरों का ढेर
चैत्यम् —नपुं॰—-—चित्य - अण्—स्मारक, समाधि-प्रस्तर
चैत्यम् —नपुं॰—-—चित्य - अण्—यज्ञ मण्डप
चैत्यम् —नपुं॰—-—चित्य - अण्—धार्मिक पूजा का स्थान, वेदी, वह स्थान जहाँ देवमूर्ति प्रस्थापित रहती है
चैत्यम् —नपुं॰—-—चित्य - अण्—देवालय
चैत्यम् —नपुं॰—-—चित्य - अण्—बौद्ध और जैन मन्दिर
चैत्यम् —नपुं॰—-—चित्य - अण्—गूलर का वृक्ष, या सड़क के किनारे उगने वाला गूलर का पेड़
चैत्यतरुः —पुं॰—चैत्यः-तरुः—-—किसी पवित्र स्थान पर उगा हुआ उदुम्बर अर्थात् गूलर का पेड़
चैत्यद्रुमः —पुं॰—चैत्यः-द्रुमः—-—किसी पवित्र स्थान पर उगा हुआ उदुम्बर अर्थात् गूलर का पेड़
चैत्यवृक्षः —पुं॰—चैत्यः-वृक्षः—-—किसी पवित्र स्थान पर उगा हुआ उदुम्बर अर्थात् गूलर का पेड़
चैत्यपालः —पुं॰—चैत्यः-पालः—-—देवालय का संरक्षक
चैत्यमुखः —पुं॰—चैत्यः-मुखः—-—साधु-संन्यासी का जलपात्र या कमण्डलु
चैत्रः —पुं॰—-—चित्रा - अण्—एक चान्द्र मास का नाम जिसमें कि चन्द्रमा चित्रा नक्षत्र में स्थित रहता है
चैत्रः —पुं॰—-—चित्रा - अण्—बौद्ध भिक्षु
चैत्रम् —नपुं॰—-—-—मन्दिर, मृतक की समाधि
चैत्रावलिः —स्त्री॰—चैत्रः-आवलिः—-—चैत्र की पूर्णिमा
चैत्रसखः —पुं॰—चैत्रः-सखः—-—कामदेव का विशेषण
चैत्ररथम् —नपुं॰—-—चित्ररथ - अण्—कुबेर के उद्यान का नाम
चैत्ररथ्यम् —नपुं॰—-—चित्ररथ - अण्, ष्यञ् वा—कुबेर के उद्यान का नाम
चैत्रिः —पुं॰—-—चैत्री - इञ्—चैत्रमास, चैत का महीना
चैत्रिकः —पुं॰—-—चित्रा - ठक्—चैत्रमास, चैत का महीना
चैत्रिन् —पुं॰—-—चित्रा - इनि —चैत्रमास, चैत का महीना
चैत्री —स्त्री॰—-—चित्रा - अण् - ङीष्—चैत्र मास की पूर्णिमा
चैद्यः —पुं॰—-—चेदि - ष्यञ्—शिशुपाल
चैलम् —नपुं॰—-—चेल् - अण् —कपड़े का टुकड़ा, वस्त्र
चैलधावः —पुं॰—चैलम्-धावः—-—धोबी
चोक्ष —वि॰—-—चक्ष् - घञ्—पवित्र, स्वच्छ
चोक्ष —वि॰—-—चक्ष् - घञ्—ईमानदार
चोक्ष —वि॰—-—चक्ष् - घञ्—होशियार, दक्ष, कुशल
चोक्ष —वि॰—-—चक्ष् - घञ्—सुखकर, रुचिकर, प्रसन्नता देने वाला
चोचम् —नपुं॰—-—कुच् - अच् —वल्कल, छाल
चोचम् —नपुं॰—-—कुच् - अच् —चमड़ा, खाल
चोचम् —नपुं॰—-—कुच् - अच् —नारियल
चोटी —स्त्री॰—-—चुट् - अण् - ङीष्—छोटा लहँगा, साया पेटीकोट
चोडः —पुं॰—-—चुड् - अच् - ङीष्—चोली अँगिया
चोदना —स्त्री॰—-—च्युद् - ल्युट्, स्त्रियां टाप् च—भेजना, निर्देश देना, फेंकना
चोदना —स्त्री॰—-—च्युद् - ल्युट्, स्त्रियां टाप् च—स्फूर्ति देना, आगे हाँकना
चोदना —स्त्री॰—-—च्युद् - ल्युट्, स्त्रियां टाप् च—प्रोत्साहन देना, उकसाना, उत्साह बढ़ाना, उत्तेजना प्रदान करना
चोदना —स्त्री॰—-—च्युद् - ल्युट्, स्त्रियां टाप् च—उपदेश, पुनीत आदेश, वेदविहित विधि
चोदनागुडः —पुं॰—चोदना- गुडः—च्युद् - ल्युट्, स्त्रियां टाप् च—खेलने के लिये गेंद
चोदित —भू॰ क॰ कृ॰—-—चुद् - णिच् - क्त—भेजा, निर्दिष्ट
चोदित —भू॰ क॰ कृ॰—-—चुद् - णिच् - क्त—स्फूर्ति दिया गया, हाँका गया
चोदित —भू॰ क॰ कृ॰—-—चुद् - णिच् - क्त—उकसाया गया, प्रोत्साहित किया गया, उत्तेजित किया गया
चोदित —भू॰ क॰ कृ॰—-—चुद् - णिच् - क्त—तर्क के रूप में सामने प्रस्तुत किया गया
चोद्यम् —भू॰ क॰ कृ॰—-—चुद् - ण्यत्—आक्षेप करना, प्रश्न पूछना
चोद्यम् —भू॰ क॰ कृ॰—-—चुद् - ण्यत्—आक्षेप
चोद्यम् —भू॰ क॰ कृ॰—-—चुद् - ण्यत्—आश्चर्य
चोरः —पुं॰—-—चुर् - णिच् - अच्—चोर, लुटेरा
चौरः —पुं॰—-—चुर् - णिच् - अच्, चुरा - ण—चोर, लुटेरा
चोरिका —स्त्री॰—-—चोर - ठन् - टाप्—चोरी, लूट
चौरिका —स्त्री॰—-—चोर - ठन् - टाप्—चोरी, लूट
चोरित —वि॰—-—चुर् - णिच् - क्त—चुराया गया, लूटा गया
चोरितकम् —नपुं॰—-—चोरित - कन्—चोरी, चौर्य, स्तेय
चोरितकम् —नपुं॰—-—चोरित - कन्—चुराई हुई वस्तु
चोलः —पुं॰—-—चुल् - घञ्—दक्षिण भारत में एक देश का नाम, वर्तमान तञ्जौर या तञ्जावुर
चोलः —पुं॰—-—-—अँगिया चोली
चोली —पुं॰—-—-—अँगिया चोली
चोलकः —पुं॰—-—चोल - कै - क—वक्षस्त्राण
चोलकः —पुं॰—-—चोल - कै - क—छाल या वल्कल
चोलकः —पुं॰—-—चोल - कै - क—चोली
चोलकिन् —पुं॰—-—चोलक - इनि—वक्षस्त्राण से सुसज्जित सैनिक
चोलकिन् —पुं॰—-—चोलक - इनि—सन्तरे का पेड़
चोलकिन् —पुं॰—-—चोलक - इनि—कलाई
चोलण्डुमः —पुं॰—-—चोलस्य अ (उ) ण्डुक इव, ष॰ त॰, शक॰ पर॰ —साफा, पगड़ी, किरीट, मुकुट
चोलोण्डुमः —पुं॰—-—चोलस्य अ (उ) ण्डुक इव, ष॰ त॰, शक॰ पर॰ —साफा, पगड़ी, किरीट, मुकुट
चोषः —पुं॰—-—चुष् - घञ्—चूसना, सूजन
चोष्यम् —नपुं॰—-—-—चूसे जाने वाले भोज्य पदार्थ
चूष्यम् —नपुं॰—-—-—चूसे जाने वाले भोज्य पदार्थ
चौड —वि॰—-—चूडा - अण्—शिखायुक्त, कलगीदार
चौड —वि॰—-—चूडा - अण्—मुण्डन सम्बन्धी
चौल —वि॰—-—चूडा - अण्—शिखायुक्त, कलगीदार
चौल —वि॰—-—चूडा - अण्—मुण्डन सम्बन्धी
चौडी —स्त्री॰—-—-—शिखायुक्त, कलगीदार
चौडी —स्त्री॰—-—-—मुण्डन सम्बन्धी
चौली —स्त्री॰—-—-—शिखायुक्त, कलगीदार
चौली —स्त्री॰—-—-—मुण्डन सम्बन्धी
चौडम् —नपुं॰—-—-—मुण्डन संस्कार
चौलम् —नपुं॰—-—-—मुण्डन संस्कार
चौर्यम् —नपुं॰—-—चोत - ष्यञ्—चोरी, लूट
चौर्यम् —नपुं॰—-—चोत - ष्यञ्—रहस्य, छिपाव
चौर्यरतम् —नपुं॰—चौर्यम्-रतम्—-—छिपे छिपे स्त्री सम्भोग
चौर्यवृत्तिः —स्त्री॰—चौर्यम्-वृत्तिः—-—लूटने की आदत
च्यवनम् —नपुं॰—-—च्यु - ल्युट्—चलना-फिरना, गति
च्यवनम् —नपुं॰—-—च्यु - ल्युट्—वञ्चित होना, हानि, वञ्चना
च्यवनम् —नपुं॰—-—च्यु - ल्युट्—मरना, नष्ट होना
च्यवनम् —नपुं॰—-—च्यु - ल्युट्—बहना, टपकना
च्यु —भ्वा॰ आ॰ -< च्यवते>, < च्युत>—-—-—गिरना, नीचे गिर पड़ना, फिसलना, डूबना
च्यु —भ्वा॰ आ॰ -< च्यवते>, < च्युत>—-—-—बाहर निकलना, बहना, बूँद- बूँद करके टपकना, धार निकलना
च्यु —भ्वा॰ आ॰ -< च्यवते>, < च्युत>—-—-—विचलित होना, भटकना, अलग हो जाना, छोड़ देना
च्यु —भ्वा॰ आ॰ -< च्यवते>, < च्युत>—-—-—खो देना, वञ्चित होना
च्यु —भ्वा॰ आ॰ -< च्यवते>, < च्युत>—-—-—अदृश्य होना, ओझल होना, नष्ट होना, गायब होना
च्यु —भ्वा॰ आ॰ -< च्यवते>, < च्युत>—-—-—घटना, कम होना
परिच्यु —भ्वा॰ आ॰—परि-च्यु—-—चले जाना, उड़ जाना, बच जाना
परिच्यु —भ्वा॰ आ॰—परि-च्यु—-—प्रगमन करना
परिच्यु —भ्वा॰ आ॰—परि-च्यु—-—भटकना, अलग हो जाना, छोड़ देना
परिच्यु —भ्वा॰ आ॰—परि-च्यु—-—खोना, वञ्चित होना
परिच्यु —भ्वा॰ आ॰—परि-च्यु—-—गिर पड़ना, नीचे गिरना
प्रच्यु —भ्वा॰ आ॰—प्र-च्यु—-—अलग हो जाना, नीचे गिर पड़ना
च्युत् —भ्वा॰ पर॰- < च्योतति>—-—-—बूँद-बूँद गिर कर बहना, रिसना, चूना, झरना
च्युत् —भ्वा॰ पर॰- < च्योतति>—-—-—गिर पड़ना, नीचे गिरना, फिसलना
च्युत् —भ्वा॰ पर॰- < च्योतति>—-—-—गिराना, बहाना
च्युत —भू॰ क॰ कृ॰—-—च्यु - क्त, च्युत् - क वा—नीचे गिरा हुआ, खिसका हुआ, गिरा हुआ
च्युत —भू॰ क॰ कृ॰—-—च्यु - क्त, च्युत् - क वा—दूर किया गया, बाहर निकाला गया
च्युत —भू॰ क॰ कृ॰—-—च्यु - क्त, च्युत् - क वा—विचलित, भूला हुआ
च्युत —भू॰ क॰ कृ॰—-—च्यु - क्त, च्युत् - क वा—खोया गया
च्युताधिकार —वि॰—च्युत-अधिकार—-—पदच्युत किया गया
च्युतात्मन् —वि॰—च्युत-आत्मन्—-—दूषित आत्मा वाला, दुष्टात्मा
च्युतिः —स्त्री॰—-—-—अधः पतन, अवपतन
च्युतिः —स्त्री॰—-—-—विचलन
च्युतिः —स्त्री॰—-—-—बूँद-बूँद गिरना, रिसना
च्युतिः —स्त्री॰—-—-—खोना, वञ्चित होना
च्युतिः —स्त्री॰—-—-—अदृश्य होना, नष्ट होना
च्युतिः —स्त्री॰—-—-—योनिच्छद
च्युतः —पुं॰—-—-—आम का वृक्ष
छः —पुं॰—-—छो- ड, क वा—अंश, खंड
छगः —पुं॰—-—छ यज्ञादौ छेदनं गच्छति-छ-गम्-ड—बकरा
छगलः —पुं॰—-—छो -कल, गुक, ह्र्स्वः—बकरा
छगलम् —नपुं॰—-—-—नीला कपड़ा
छगलकः —पुं॰—-—छगल - कन्—बकरा
छटा —स्त्री॰—-—छो - अटन् - टाप्—ढेर, पुंज, राशि, संघात
छटा —स्त्री॰—-—-—प्रकाश, किरण-समूह, कान्ति,दिप्ति
छटा —स्त्री॰—-—-—अविच्छिन्न रेखा, लकीर
छटाभा —स्त्री॰—छटा - आभा—-—बिजली
छटाफलः —पुं॰—छटा - फलः—-—सुपारी का वृक्ष
छत्रः —पुं॰—-—छादयति अनेन इति - छद-णिच्-त्रन्, ह्रस्वः—कुकुरमुत्ता, खुम्भी
छत्रम् —नपुं॰—-—-—छाता, छतरी
छत्रधरः —पुं॰—छत्रः - धरः—-—छत्र पकड़ कर चलने वाला
छत्रधारः —पुं॰—छत्रः - धारः—-—छत्र पकड़ कर चलने वाला
छत्रधारणम् —नपुं॰—छत्रः - धारणम्—-—छाता लेकर चलना, छाता रखना
छत्रधारणम् —नपुं॰—छत्रः - धारणम्—-—राजकीय अधिकार् के रुप में छत्र धारण करना
छत्रपतिः —पुं॰—छत्रः - पतिः—-—राजा जिसके ऊपर राज्य की मर्यादा के चिह्न्न्स्वरुप छत्र किया जाय, प्रभुसत्ताप्राप्त सम्राट
छत्रपतिः —पुं॰—छत्रः - पतिः—-—जंबुद्वीप् कॆ प्राचीन राजा क नाम
छत्रभड़्गः —पुं॰—छत्रः - भड़्गः—-—राजकीय छ्त्र का विनाश, राज्य का नाश, राजगद्दी से उतारा जाना, सिंहासनच्युति
छत्रभड़्गः —पुं॰—छत्रः - भड़्गः—-—परास्रयता
छत्रभड़्गः —पुं॰—छत्रः - भड़्गः—-—रजामन्दी
छत्रभड़्गः —पुं॰—छत्रः - भड़्गः—-—परित्यक्त अवस्था, वैधव्य
छत्रकः —पुं॰—-—छत्र-कै-क—शिव कि पुजा के लिए मन्दिर
छत्रकम् —नपुं॰—-—-—कुकुरमुत्ता, खुम्भी
छत्रा —स्त्री॰—-—छद्-ष्ट्र्न्-टाप्—कुकुरमुत्ता, खुम्भी
छत्राकः —पुं॰—-—छत्रा-कन्—कुकुरमुत्ता, खुम्भी
छत्रिकः —पुं॰—-—छत्र-ठन्—छाता लेकर चलने वाला
छत्रिन् —वि॰—-—छत्र-इनि—छाता रखने वाला या लेकर चलने वाला
छत्रिन् —पुं॰—-—छत्र-इनि—नाई
छत्वरः —पुं॰—-—छद्-ष्वरच्—घर
छत्वरः —पुं॰—-—छद्-ष्वरच्—कु
छद् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰- <छदति> <छदते> <छादयति> <छादयते> <छन्न> <छादित>—-—-—ढकना, ऊपर से ढाँप देना, पर्दा करना
छ्द् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰- <छदति> <छदते> <छादयति> <छादयते> <छन्न> <छादित>—-—-—बिछाना, ढापना
छ्द् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰- <छदति> <छदते> <छादयति> <छादयते> <छन्न> <छादित>—-—-—छिपाना, ढक लेना, ग्रहण लगना,गुप्त रखना
अवच्छद् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰—अव - छद्—-—छिपाना, ढकना, ढापना
आच्छद् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰—आ - छद्—-—ढापना
आच्छद् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰—आ - छद्—-—छिपाना, ढकना
आच्छद् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰—आ - छद्—-—वस्त्र धारण करना, कपड़े पहनना
उच्छद् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰—उद् - छद्—-—उघाड़ना, कपड़े उतारना
उपच्छ्द् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰—उप - छ्द्—-—आच्छादित करना
उपच्छ्द् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰—उप - छ्द्—-—छिपाना, ढकना
परिच्छद् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰—परि -छद्—-—ढांपना, पहनना
परिच्छद् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰—परि -छद्—-—छिपाना, ढांपना
प्रच्छद् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰—प्र - छद्—-—ढांपना, लपेटना, पर्दा डालना, अवगुंठित करना
प्रच्छद् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰—प्र - छद्—-—छिपाना, ढ्कना, भेस बदलना
प्रच्छद् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰—प्र - छद्—-—कपड़े पहनना, वस्त्र धारण करना
प्रच्छद् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰—प्र - छद्—-—रुकावट डालना, रोड़ा अटकाना
प्रतिच्छद् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰—प्रति - छद्—-—छिपाना, ढकना
प्रतिच्छद् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰—प्रति - छद्—-—ढांपना, लपेटना
सञ्छद् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰—सम् - छद्—-—छिपाना
सञ्छद् —भ्वा॰ - चुरा॰ उभ॰—सम् - छद्—-—अवगुंठित करना, लपेटना
छदः —पुं॰—-—छद्-अच्, ल्युट् वा—आवरण, चादर, अल्पच्छद, उत्तरच्छद आदि
छदः —पुं॰—-—-—स्कन्ध, पक्ष
छदः —पुं॰—-—-—म्यान, खोल, गिलाफ, पेटी, बक्स
छदनम् —नपुं॰—-—छद्-अच्, ल्युट् वा—आवरण, चादर, अल्पच्छद, उत्तरच्छद आदि
छदनम् —नपुं॰—-—-—स्कन्ध, पक्ष
छदनम् —नपुं॰—-—-—पत्र, पर्ण
छदनम् —नपुं॰—-—-—म्यान, खोल, गिलाफ, पेटी, बक्स
छदिः —स्त्री॰—-—छद्-कि, इस् वा—गाड़ी की छत
छदिः —स्त्री॰—-—-—घर की छत या छप्पर
छदिस् —नपुं॰—-—छद्-कि, इस् वा—गाड़ी की छत
छदिस् —नपुं॰—-—-—घर की छत या छप्पर
छ्द्यन् —नपुं॰—-—छद्-मनिन्—धोखा देने वाले वस्त्र, कपटवेश
छ्द्यन् —नपुं॰—-—-—दलीला, बहाना, ब्याज
छ्द्यन् —नपुं॰—-—-—जालसाजी, बेईमानी, चालाकी
छद्यतापसः —पुं॰—छद्यन् - तापसः—-—बना हुआ तपस्वी, पाखंडी
छद्यरूपेण —अव्य॰—छद्यन् - रूपेण—-—अज्ञात रूप से, भेस बदल कर
छद्यवेशिन् —पुं॰—छद्यन् - वेशिन्—-—खिलाड़ी, ठग, भेस बदले हुए
छद्यिन् —वि॰—-—छद्यन्-इनि—जालसाज, धोखेबाज
छद्यिन् —वि॰—-—-—भेस बदलते हुए
छन्द् —चुरा॰ उभ॰ - <छंदयति> <छंदयते> <छंदित>—-—-—प्रसन्न करना, तुष्ट करना
छन्द् —चुरा॰ उभ॰ - <छंदयति> <छंदयते> <छंदित>—-—-—फुसलाना, बहकाना
छन्द् —चुरा॰ उभ॰ - <छंदयति> <छंदयते> <छंदित>—-—-—ढाँपना
छन्द् —चुरा॰ उभ॰ - <छंदयति> <छंदयते> <छंदित>—-—-—प्रसन्न होना
उपच्छन्द् —चुरा॰ उभ॰—उप - छन्द्—-—चापलूसी करना, फुसलाना, आमन्त्रित करना
उपच्छन्द् —चुरा॰ उभ॰—उप - छन्द्—-—प्रार्थना करना, निवेदन करना
उपच्छन्द् —चुरा॰ उभ॰—उप - छन्द्—-—अनुनय करना
उपच्छन्द् —चुरा॰ उभ॰—उप - छन्द्—-—कुछ देना
छन्दः —पुं॰—-—छन्द्-घञ्—कामना, इच्छा, कल्पना, चाह, अभिलाषा
छन्दः —पुं॰—-—-—स्वतन्त्र इच्छा, अपनी छाँट, मन कि मौज, कामचार, स्वतन्त्र या इच्छानुकूल आचरण
छन्दः —पुं॰—-—-—वश्यता, नियन्त्रण
छन्दः —पुं॰—-—-—मतलब, इरादा, आशय
छन्दस् —नपुं॰—-—छन्द्-असुन्—कामना, चाह, कल्पना, इच्छा, मरजी
छन्दस् —नपुं॰—-—-—स्वतन्त्र इच्छा, स्वेच्छाचरण
छन्दस् —नपुं॰—-—-—मतलब, इरादा
छन्दस् —नपुं॰—-—-—जालसाज, चालाकी, धोखा
छन्दस् —नपुं॰—-—-—वेद, वैदिक सूक्तों का पावन पाठ
छन्दस् —नपुं॰—-—-—वृत, छन्द
छन्दस् —नपुं॰—-—-—छन्दों का ज्ञान, छन्दः शास्त्र
छन्दस्कृतम् —नपुं॰—छन्दस्-कृतम्—-—वेद का पद्यात्मक भाग या कोई दुसरी पावन रचना
छन्दोगः —पुं॰—छन्दस्-गः—-—श्लोकों का सस्वर पाठ करने वाला
छन्दोगः —पुं॰—छन्दस्-गः—-—सामगायक या सामगान का विद्यार्थी
छन्दोभड़्गः —पुं॰—छन्दस्-भड़्गः—-—छन्दः शास्त्र के नियमों का उल्लंघन
छन्दोविचितिः —स्त्री॰—छन्दस्-विचितिः—-—’छन्दः परीक्षा’ छन्दः शास्त्र क एक ग्रन्थ
छन्न —वि॰—-—छद्-क्त—ढका हुआ
छन्न —वि॰—-—-—छिपा हुआ, गुप्त, रहस्य आदि
छमण्डः —पुं॰—-—छम्-अण्डन्—अनाथ, मातृपितृहीन, जिसका कोई सम्बन्धी न हो
छर्द —चुरा॰ उभ॰ - <छर्दयति> <छर्दित>—-—-—वमन करना, कै करना
छर्दः —स्त्री॰—-—छर्द्-घञ्, ल्युट्, इन्—वमन, कै करन, अस्वस्थता
छर्दनं —स्त्री॰—-—-—वमन, कै करन, अस्वस्थता
छर्दिः —स्त्री॰—-—छर्द्-कन्-टाप्, छर्द् इति वा—वमन, कै करन, अस्वस्थता
छर्दिका —स्त्री॰—-—-—वमन, कै करन, अस्वस्थता
छर्दिस् —स्त्री॰—-—-—वमन, कै करन, अस्वस्थता
छलः —पुं॰—-—छल्-अच्—जालसाजी, चालाकी,धोखा, दगाबाजी
छलः —पुं॰—-—-—बदमाशी, धूर्तता
छलः —पुं॰—-—-—दलील, बहाना, ब्याज, बाह्यरूप
छलः —पुं॰—-—-—योजना, उपाय, तरकीब
छलम् —नपुं॰—-—छल्-अच्—जालसाजी, चालाकी,धोखा, दगाबाजी
छलम् —नपुं॰—-—-—बदमाशी, धूर्तता
छलम् —नपुं॰—-—-—दलील, बहाना, ब्याज, बाह्यरूप
छलम् —नपुं॰—-—-—योजना, उपाय, तरकीब
छलनम् —नपुं॰—-—छल्-ल्युट्, स्त्रियां टाप् च—धोखा देना, ठगना, बुद्धि में दूसरे को पराजित करना
छलना —स्त्री॰—-—छल्-ल्युट्, स्त्रियां टाप् च—धोखा देना, ठगना, बुद्धि में दूसरे को पराजित करना
छलयति —ना॰ धा॰ पर॰—-—-—अपनी चतुराई से बुद्धि मे दूसरे को पराजित करना, धोखा देना, ठगना
छलिकम् —नपुं॰—-—छल-ठन्—एक प्रकार का नाटक या नृत्य
छलिन् —पुं॰—-—छल-इनि—ठग, उचक्का, शठ
छल्लि —स्त्री॰—-—छद्-क्विप्, तां लाति—वल्कल छाल
छल्लि —स्त्री॰—-—-—फैलने वाली लता
छल्लि —स्त्री॰—-—-—सन्तान, प्रजा, सन्तति, औलाद
छल्ली —स्त्री॰—-—छद्-क्विप्, तां लाति- ला-क, गौरा॰ ङीष्—वल्कल छाल
छल्ली —स्त्री॰—-—-—फैलने वाली लता
छल्ली —स्त्री॰—-—-—सन्तान, प्रजा, सन्तति, औलाद
छविः —स्त्री॰—-—छ्यति असारं छिनत्ति तमो वा - छो-वि, किच्च वा ड़ीप्—आभा, चेहरे की सुर्खी, चेहरे क रंगरूप
छविः —स्त्री॰—-—-—सामान्य रंगरूप
छविः —स्त्री॰—-—-—सौन्दर्य, आभा, कान्ति
छविः —स्त्री॰—-—-—प्रकाश, दीप्ति
छविः —स्त्री॰—-—-—त्वचा, खाल
छाग —वि॰—-—छो-गन्—बकरे या बकरी से सम्बन्ध रखने वाला
छागम् —नपुं॰—-—-—बकरी का दूध
छागभोजन —पुं॰—छाग - भोजन—-—भेड़िया
छागमुखः —पुं॰—छाग - मुखः—-—कार्तिकेय का विशेषण
छागरथः —पुं॰—छाग - रथः—-—आग की देवता, अग्नि कि उपाधि
छागवाहनः —पुं॰—छाग - वाहनः—-—आग की देवता, अग्नि कि उपाधि
छागणः —पुं॰—-—छगण-अण्—सूखे कण्डों की आग
छागल —वि॰—-—छगल-अण्—बकरी से प्राप्त होनेवाला
छात —वि॰—-—छो-क्त—काटा गया, विभक्त
छात —वि॰—-—-—निर्बल, दुबलापतला, कृश
छात्रः —पुं॰—-—छत्रं गुरोर्वैगुण्यावरणं शीलमस्य - छत्र-ण—विद्यार्थी, शिष्य
छात्रम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का मधु
छात्रगण्डः —पुं॰—छात्र - गण्डः—-—काव्य का अन्यमनस्क विद्यार्थी जिसे श्लोकों का केवल आरम्भिक पद याद हो
छात्रदर्शनम् —नपुं॰—छात्र - दर्शनम्—-—एक दिन रक्खे हुए दूध् से निकाला हुआ मक्खन
छात्रव्यंसकः —पुं॰—छात्र - व्यंसकः—-—मन्दबुद्धि या धूर्त विद्यार्थी
छादम् —नपुं॰—-—छ्द्-णिच्-घञ्—छप्पर, छत
छादनम् —नपुं॰—-—खद-णिच्-ल्युट्—आवरण, पर्दा
छाद्मिकः —पुं॰—-—छद्यन्-ठक्—धूर्त, कपटी
छान्दस् —वि॰—-—छन्दस्-अण्—वैदिक वेदों के लिए विशेष शब्द
छान्दस् —वि॰—-—-—वेदाध्यायी, वेदज्ञ
छान्दस् —वि॰—-—-—पद्यमय, छन्दोबद्ध
छान्दसः —पुं॰—-—-—वेद ज्ञाता ब्राह्मण
छाया —स्त्री॰—-—छो-य-टाप्—छाँह, छाँव
छाया —स्त्री॰—-—-—प्रतिबिम्बित मूर्ति, अक्स
छाया —स्त्री॰—-—-—समरूपता, समानता
छाया —स्त्री॰—-—-—असत्य, कल्पना, दृष्टिभ्रम
छाया —स्त्री॰—-—-—रंगों का समामिस्रण
छाया —स्त्री॰—-—-—दीप्ति, प्रकाश
छाया —स्त्री॰—-—-—चेहरे की रंगत, स्वाभाविक रंगरूप
छाया —स्त्री॰—-—-—सौन्दर्य
छाया —स्त्री॰—-—-—पंक्ति, रेखा
छाया —स्त्री॰—-—-—सूर्य की पत्नी
छायाङ्कः —पुं॰—छाया - अङ्कः—-—चन्द्रमा
छायाकरः —पुं॰—छाया - करः—-—छाता लेकर चलने वाला
छायाग्रहः —पुं॰—छाया - ग्रहः—-—शीशा, दर्पण
छायातनयः —पुं॰—छाया - तनयः—-—सूर्यपुत्र शनि
छायासुतः —पुं॰—छाया - सुतः—-—सूर्यपुत्र शनि
छायातरुः —पुं॰—छाया - तरुः—-—वह वृक्ष जिसकी छाया घनी हो, छायादार पेड़
छायाद्वितीय —वि॰—छाया - द्वितीय—-—वह जिसका साथ एक मात्र छाया हो, अकेला
छायापथः —पुं॰—छाया - पथः—-—पर्यावरण
छायाभृत् —पुं॰—छाया - भृत्—-—चन्द्रमा
छायामानः —पुं॰—छाया - मानः—-—चन्द्रमा
छायानम् —नपुं॰—छाया - नम्—-—छाया का मापना
छायामित्रम् —नपुं॰—छाया - मित्रम्—-—छतरी
छायामृगधरः —पुं॰—छाया - मृगधरः—-—चन्द्रमा
छायायन्त्रम् —नपुं॰—छाया - यन्त्रम्—-—छाया द्वारा काल का ज्ञान कराने वाला यन्त्र, धूपघड़ी
छायामय —वि॰—-—छाया-मयट्—प्रतिबिम्बि, छायादार
छिः —स्त्री॰—-—छो-कि बा॰—गाली, अपशब्द
छिक्का —स्त्री॰—-—छिक्-कै-क टाप्—छींकना, छींक
छित्तिः —स्त्री॰—-—छिद्+क्तिन्—काटना,टुकड़े-टुकड़े करना
छित्वर —वि॰—-—छिद्+ष्वरप् पृषो०दस्य तः—काटना,काट देना,चीरना,कटाई करना,फाड़ना,छेदना,टुकड़े-टुकड़े करना,विदीर्ण करना,खण्ड-खण्ड करना,विभक्त करना
छित्वर —वि॰—-—छिद्+ष्वरप् पृषो०दस्य तः—बाधा डालना,विघ्न डालना
छित्वर —वि॰—-—छिद्+ष्वरप् पृषो०दस्य तः—हटाना,दूर करना,नष्ट कारना,शान्त करना,मारना
अवछित्वर —वि॰—अव+छित्वर—-—काट डालना,टुकड़े-टुकड़े कर देना,अलग-अलग करना,विभक्त करना
अवछित्वर —वि॰—अव+छित्वर—-—भेद बताना,विवेचन करना
अवछित्वर —वि॰—अव+छित्वर—-—सुधारना,परिभाषा देना,सीमित करना
आछित्वर —वि॰—आ+छित्वर—-—काट डालना,फाड़ना,टुकड़े-टुकड़े करना
आछित्वर —वि॰—आ+छित्वर—-—छीनना,खसोटना,ले आना
आछित्वर —वि॰—आ+छित्वर—-—काट डालना,अलग कर देना
आछित्वर —वि॰—आ+छित्वर—-—हटाना,खींचकर दूर करना
आछित्वर —वि॰—आ+छित्वर—-—खींचना,खींचकर दूर करना,उद्धृत करना,निकालना
आछित्वर —वि॰—आ+छित्वर—-—अवहेलना करना,ध्यान न देना
उत्छित्वर —वि॰—उद्+छित्वर—-—काट डालना,नष्ट करना,उन्मूलन करना,उखाड़ देना
उत्छित्वर —वि॰—उद्+छित्वर—-—हस्तक्षेप करना,विघ्न डालना,रोकना
परिछित्वर —वि॰—परि+छित्वर—-—फाड़ना,काट डालना,टुकड़े-टुकड़े करना
परिछित्वर —वि॰—परि+छित्वर—-—घायल करना,अंग-भंग करना
परिछित्वर —वि॰—परि+छित्वर—-—अलग करना,विभक्त करना,जुदा करना
परिछित्वर —वि॰—परि+छित्वर—-—सही-सही निश्चित करना,सीमा बनाना,परिभाषा करना,निश्चय करना,भेद बताना,विवेचन करना
प्रछित्वर —वि॰—प्र+छित्वर—-—काट डालना,टुकड़े-टुकड़े करना
प्रछित्वर —वि॰—प्र+छित्वर—-—ले जाना,वापिस लेना
विछित्वर —वि॰—वि+छित्वर—-—काट डालना,तोड़ना,फोड़ना,विभक्त करना
विछित्वर —वि॰—वि+छित्वर—-—बाधा डालना,तोड़ देना,समाप्त करना,खतम करना,नष्ट करना,बुझा देना
संछित्वर —वि॰—सम्+छित्वर—-—काटना,काट डालना,विभक्त् करना
संछित्वर —वि॰—सम्+छित्वर—-—दूर करना,साफ कर देना,निवारण करना,हटाना
छिद् —वि॰—-—छिद्+क्विप्—काटने वाला,विभख्त होने वाला,नष्ट करने वाला,हटाने वाला,खण्ड-खण्ड करने वाला
छिदकम् —नपुं॰—-—छिद्+क्वुन्—इन्द्र का वज्र
छिदकम् —नपुं॰—-—छिद्+क्वुन्—हीरा
छिदा —स्त्री॰—-—छिद्+अङ्+टाप्—काटना,विभाजन
छिदिः —स्त्री॰—-—छिद्+इन्—कुल्हाड़ा
छिदिः —स्त्री—-—छिद्+इन्—इन्द्र का वज्र
छिदिरः —पुं॰—-—छिद्+किरच्—कुल्हाड़ा
छिदिरः —पुं॰—-—छिद्+किरच्—शब्द
छिदिरः —पुं॰—-—छिद्+किरच्—अग्नि
छिदिरः —पुं॰—-—छिद्+किरच्—रस्सा,डोरी
छिदुर —वि॰—-—छिद्+कुरच्—काटने वाला,विभक्त करने वाला
छिदुर —वि॰—-—-—आसानी से टूटने वाला
छिदुर —वि॰—-—-—धूर्त,बदमाश,शठ
छिद्र —वि॰—-—छिद्+रक्+,छिद्र+अच् वा—छिदा हुआ,छिद्रों से युक्त्
छिद्रम् —नपुं॰—-—-—छिद्र,दरार,फाँट,कटाव,रन्ध्र,गर्त,विवर,दरज
छिद्रम् —नपुं॰—-—-—दोष,त्रुटि,दूषण
छिद्रम् —नपुं॰—-—-—भेद्य या क्षीण अंश,दुर्बल पक्ष,दोष,न्यूनता
छिद्रानुजीविन् —वि॰—छिद्र+अनुजीविन्—-—दोष या त्रुटियाँ ढूंढ़ने वाला
छिद्रानुजीविन् —वि॰—छिद्र+अनुजीविन्—-—दूसरों की दूषित बातों को खोजने वाला,दूसरों में दोष निकालने वाला,छिद्रान्वेषी
छिद्रानुसन्धानिन् —वि॰—छिद्र+अनुसन्धानिन्—-—दोष या त्रुटियाँ ढूंढ़ने वाला
छिद्रानुसन्धानिन् —वि॰—छिद्र+अनुसन्धानिन्—-—दूसरों की दूषित बातों को खोजने वाला,दूसरों में दोष निकालने वाला,छिद्रान्वेषी
छिद्रानुसारिन् —वि॰—छिद्र+अनुसारिन्—-—दोष या त्रुटियाँ ढूंढ़ने वाला
छिद्रानुसारिन् —वि॰—छिद्र+अनुसारिन्—-—दूसरों की दूषित बातों को खोजने वाला,दूसरों में दोष निकालने वाला,छिद्रान्वेषी
छिद्रान्वेषिन् —वि॰—छिद्र+अन्वेषिन्—-—दोष या त्रुटियाँ ढूंढ़ने वाला
छिद्रान्वेषिन् —वि॰—छिद्र+अन्वेषिन्—-—दूसरों की दूषित बातों को खोजने वाला,दूसरों में दोष निकालने वाला,छिद्रान्वेषी
छिद्रान्तरः —पुं॰—छिद्र+अन्तरः—-—बेत,नरकुल,सरकण्डा
छिद्रात्मन् —वि॰—छिद्र+आत्मन्—-—जो अपनी त्रुटियाँ दूसरों पर प्रकट कर देता है
छिद्रकर्ण —वि॰—छिद्र+कर्ण—-—जिसने कान बिंधवा लिये हैं
छिद्रदर्शन —वि॰—छिद्र+दर्शन—-—दोषों का प्रदर्शन करने वाला
छिद्रदर्शन —वि॰—छिद्र+दर्शन—-—दोषदर्शी
छिद्रित —वि॰—-—छिद्र+इतच्—छिद्रों से युक्त
छिद्रित —वि॰—-—छिद्र+इतच्—बिंधा हुआ,छिदा हुआ
छिन्न — भू॰क॰कृ॰—-—छिद्+क्त—कटा हुआ,विभक्त किया हुआ,विदीर्ण,कटा हुआ,खण्डित,फाड़ा हुआ,टूटा हुआ
छिन्न — भू॰क॰कृ॰—-—छिद्+क्त—नष्ट हुआ,दूर किया हुआ
छिन्नकेश —वि॰—छिन्न+केश—-—जिसके बाल काट लिये गये है,जिसका क्षौर या मुण्डन हो चुका है
छिन्नद्रुमः —पुं॰—छिन्न+द्रुमः—-—खण्डित वृक्ष
छिन्नद्वैध —वि॰—छिन्न+द्वैध—-—जिसका सन्देह मिट गया है
छिन्ननासिक —वि॰—छिन्न+नासिक—-—जिसकी नाक गई है
छिन्नभिन्न —वि॰—छिन्न+भिन्न—-—जो पूरी तरह काट दिया गया है,जिसका अंग भंग हो गया है,क्षतविक्षत,काटा हुआ
छिन्नमस्त —वि॰—छिन्न+मस्त—-—कटे हुए सिर वाला
छिन्नमस्तक —वि॰—छिन्न+मस्तक—-—कटे हुए सिर वाला
छिन्नमूल —वि॰—छिन्न+मूल—-—जिसे जड़ से काट दिया गया है
छिन्नश्वासः —पुं॰—छिन्न+श्वासः—-—एक प्रकार का दमा
छिन्नसंशय —वि॰—छिन्न+संशय—-—जिसके संन्देह दूर हो गये हैं,सन्देहमुक्त्,पुष्ट
छुछुन्दरः —पुं॰—-—छुछुम् इत्यव्यक्तशब्दो दीर्यते निर्गच्छति अस्मात् छुछुम्+दृ+अप्—छुछुन्दर नाम का जन्तु
छुप् —तुदा॰ पर॰<छुपति>—-—-—स्पर्श करना,छूना
छुपः —पुं॰—-—छिप्+क—स्पर्श
छुपः —पुं॰—-—छिप्+क—झाड़ी,झंखाड़
छुपः —पुं॰—-—छिप्+क—संघर्ष,युद्ध
छुर् —भ्वा॰ पर॰<छोरति><छुरित>—-—-—काटना,विभक्त करना
छुर् —भ्वा॰ पर॰<छोरति><छुरित>—-—-—उत्कीर्ण करना
छुर् —तुदा॰ पर॰<छुरति><छुरित>—-—-—ढांपना,सानना,लीपना,जड़ना,पोतना,अवगुठित करना
छुर् —तुदा॰ पर॰<छुरति><छुरित>—-—-—मिलना
विछुर् —तुदा॰ पर॰—वि+छुर्—-—सानना,लीपना,ढकना,पोतना
छुरणम् —नपुं॰—-—छुर्+ल्युट्—सीनना,लीपना
छुरा —स्त्री॰—-—छुर्+क+टाप्—चूना
छुरिका —स्त्री॰—-—छुर्+क्वुन्+टाप् इत्वम्—चाकू,छूरी
छुरित —भू॰ क॰ कृ—-—छुर्+क्त—खचित,जडित
छुरित —भू॰ क॰ कृ—-—छुर्+क्त—ऊपर फलाया हुआ,पोता हुआ,आच्छादित किया हुआ
छुरित —भू॰ क॰ कृ—-—छुर्+क्त—समाश्रित,अन्तर्मिश्रित
छुरी —स्त्री॰—-—छुर्+ङीप्,छूरी+कन्+टाप्,ह्रस्वः,छुरी पृषो०दीर्घः—चाकू,छूरी
छूरिका —स्त्री॰—-—छुर्+ङीप्,छूरी+कन्+टाप्,ह्रस्वः,छुरी पृषो०दीर्घः—चाकू,छूरी
छूरी —स्त्री॰—-—छुर्+ङीप्,छूरी+कन्+टाप्,ह्रस्वः,छुरी पृषो०दीर्घः—चाकू,छूरी
छृद् —भ्वा॰पर॰,चुरा॰उभ॰<छर्दति><छर्दयति>ते—-—-—जलाना
छृद् —रुधा॰उभ॰ <छृणत्ति><छृन्न>—-—-—खेलना
छृद् —रुधा॰उभ॰ <छृणत्ति><छृन्न>—-—-—चमकना
छृद् —रुधा॰उभ॰ <छृणत्ति><छृन्न>—-—-—वमन करना
छेक —वि॰—-—छो+डेकन् बा॰ तारा॰—पालतू,घरेलू
छेक —वि॰—-—-—बुद्धिमान,नागर
छेकानुप्रासः —पुं॰—छेक+अनुप्रासः—-—अनुप्रास के भेदों में से एक‘एक बार वर्णावृत्ति’ जो कि व्यंजन समूहों में अनेक प्रकार से तथा एक ही बार घटने वाली समानत है
छेकापह्नुतिः —स्त्री॰—छेक+अपह्नुतिः—-—अपह्नुति अलंकार का एक भेद चन्द्रालोक सोदाहरण निरुपण करता है
छेकोक्तिः —स्त्री॰—छेक+उक्तिः—-—वक्रोक्ति,व्यंग्यात्मक वक्रोक्ति,द्वयर्थक मुहाविरा
छेदः —पुं॰—-—छिद्+घञ्—काटना,गिराना,तोड़ डालना,खण्ड-खण्ड करना
छेदः —पुं॰—-—-—निराकरण करना,हटाना,छिन्न-भिन्न करना,साफ करना,जैसा कि ‘संशयच्छेद’ में
छेदः —पुं॰—-—-—विराम,अवसान,समाप्ति,लोप होना जैसा कि ‘धर्मच्छेद’ में
छेदः —पुं॰—-—-—टुकड़ा,ग्रास,कटौती,खण्ड,अनुभाग
छेदनम् —नपुं॰—-—छिद्+ल्युट्—काटना,फाड़ना,काट डालना,टुकड़े-टुकडे करना,खण्ड-खण्ड विभक्त करना
छेदनम् —नपुं॰—-—-—अनुभाग,अंश,टुकड़ा,भाग
छेदनम् —नपुं॰—-—-—नाश,हटाना
छेमण्ड —वि॰—-—छम्+अण्डन्,एत्वम्—मातृपितृहीन,अनाथ
छेलकः —पुं॰—-—छो+डेलक—बकरा
छैदिकः —पुं॰—-—छेद्+टक्—बेत
छो —दिवा॰ पर॰<छ्यति><छात>या<छित>पुं॰—-—-—काटना,काट कर टुकड़े-टुकड़े करना,कटाई करना,लवनी करना
छोटिका —स्त्री॰—-—छुट्+ण्वुल+टाप्,इत्वम्—चुटकी
छोरणम् —स्त्री॰—-—छुर्+ल्युट्—त्याग करना,छोड़ देना
ज —वि॰—-—जि / जन् / जु + ड—से या में उत्पन्न, पैदा हुआ,वंशज, अवतीर्ण, उद्भूत
जः —पुं॰—-—-—उत्पत्ति, जन्म
जः —पुं॰—-—-—भूतना, प्रेर या पिशाच
जक्ष् —अदा॰ पर॰ <जक्षिति> , <जक्षित> , <जग्ध> —-—-—खाना, खा लेना, नष्ट करना, उपभोग करना
जक्षणम् —नपुं॰—-—जक्ष् + ल्युट्—खाना, उपभोग करना
जक्षिः —पुं॰—-—जक्ष् + इन्—खाना, उपभोग करना
जगत् —वि॰—-—गम् + क्विप् नि॰ द्वित्वं तुगागमः—हिलने-जुलने वाला जङ्गम
जगदम्बा —स्त्री॰—जगत्-अम्बा—-—दुर्गा
जगदम्बिका —स्त्री॰—जगत्-अम्बिका—-—दुर्गा
जगदात्मन् —पुं॰—जगत्-आत्मन्—-—परमात्मा
जगदादिजः —पुं॰—जगत्-आदिजः—-—शिव का विशेषण
जगदाधारः —पुं॰—जगत्-आधारः—-—समय,
जगदाधारः —पुं॰—जगत्-आधारः—-—वायु, हवा
जगदायुः —पुं॰—जगत्-आयुः—-—हवा
जगदायुस् —पुं॰—जगत्-आयुस्—-—हवा
जगदीशः —पुं॰—जगत्-ईशः—-—विश्व का स्वामी, परमदेव
जगत्पतिः —पुं॰—जगत्-पतिः—-—विश्व का स्वामी, परमदेव
जगदुद्धारः —पुं॰—जगत्-उद्धारः—-—संसार की मुक्ति
जगत्कर्तृ —पुं॰—जगत्-कर्तृ—-—सृष्टि को बनाने वाला
जगद्धातृ —पुं॰—जगत्-धातृ—-—सृष्टि को बनाने वाला
जगच्चक्षुः —पुं॰—जगत्-चक्षुस्—-—सूर्य
जगन्नाथः —पुं॰—जगत्-नाथः—-—विश्व का स्वामी
जगन्निवासः —पुं॰—जगत्-निवासः—-—परमात्मा
जगत्प्राणः —पुं॰—जगत्-प्राणः—-—विष्णु का विशेषण
जगद्बलः —पुं॰—जगत्-बलः—-—हवा
जगद्योनिः —पुं॰—जगत्-योनिः—-—परमपुरुष
जगद्योनिः —पुं॰—जगत्-योनिः—-—विष्णु का विशेषण
जगद्योनिः —पुं॰—जगत्-योनिः—-—शिव की उपाधि
जगद्योनिः —पुं॰—जगत्-योनिः—-—ब्रह्मा का विशेषण
जगद्योनिः —स्त्री॰—जगत्-योनिः—-—पृथ्वी
जगद्वहा —स्त्री॰—जगत्-वहा—-—पृथ्वी
जगत्साक्षिन् —पुं॰—जगत्-साक्षिन्—-—परमात्मा
जगत्साक्षिन् —पुं॰—जगत्-साक्षिन्—-—सूर्य
जगती —स्त्री॰—-—गम् + अति नि॰ साधुः—पृथ्वी
जगती —स्त्री॰—-—-—लोग, मनुष्य
जगती —स्त्री॰—-—-—वैदिक छन्द का एक भेद
जगत्यधीश्वरः —पुं॰—जगती-अधीश्वरः—-—राजा
जगतीश्वरः —पुं॰—जगती-ईश्वरः—-—राजा
जगतीरुह् —पुं॰—जगती-रुह्—-—वृक्ष
जगरः —पुं॰—-—जागर्ति युद्धेऽनेन-जागृ + अच् पृषो॰ @ तारा॰ —कवच
जगल —वि॰—-—जन् + ड् = जातः सन् गलति गल् + अच्—बदमाश, चालाक, धूर्त
जगलम् —पुं॰—-—-—एक प्रकार की मदिरा
जग्ध —वि॰—-—अद् + क्त जग्धादेशः—खाया हुआ
जग्धि —स्त्री॰—-—अद् + क्तिन् जग्धादेशः—खाना
जग्धिः —स्त्री॰—-—अद् + क्त जग्धादेशः—भोजन
जग्मिः —पुं॰—-—गम् + कि, द्वित्वम्—हवा
जघनम् —नपुं॰—-—हन् + अच्, द्वित्वम्—पुट्ठा, कुल्हा, चूतड़
जघनम् —नपुं॰—-—-—स्त्रियों का पेडू़
जघनम् —नपुं॰—-—-—सेना का पिछला भाग, सेना का सुरक्षित भाग
जघनकूपकौ —पुं॰—जघनम्-कूपकौ—-—किसी सुन्दरी के कुल्हे के ऊपर के गड्ढे
जघनचपला —स्त्री॰—जघन-चपला—-—व्यभिचारिणी स्त्री, कामुका,
जघन्य —वि॰—-—जघने भवः यत्—सबसे पिछला, अन्तिम
जघन्य —वि॰—-—-—सबसे बुरा अत्यन्त दुष्ट, कमीना, अधम, निन्द्य
जघन्य —वि॰—-—-—नीच कुल में उत्पन्न
जघन्यजः —पुं॰—जघन्य-जः—-—छोटा भाई
जघन्यजः —पुं॰—जघन्य-जः—-—शूद्र
जघ्निः —पुं॰—-—हन् + किन्, द्वित्वम्—शस्त्र, हथियार
जघ्नु —वि॰—-—हन् + कु, द्वित्वम्—प्रहार करने वाला, वध करने वाला
जङ्गम —वि॰—-—गम् + यङ् + अच् धातोर्द्वित्वं यङो लुक् च—हिलने-जुलने वाला, जीवित,
जङ्गलम् —नपुं॰—-—गल् + यङ् + अच्, पृषो॰—मरूस्थल,सुनसान जगह, ऊसरभूमि
जङ्गलम् —नपुं॰—-—-—झुरमुट, वन,
जङ्गलम् —नपुं॰—-—-—एकान्त निर्जन स्थान
जङ्गालः —पुं॰—-—जङ्गल, पृषो॰ साधु—मेढ़, बाँध, सीमाचिह्न
जङ्गुलम् —नपुं॰—-—गम् + यङ् + डुल, धातोर्द्वित्वं यङो लुक् च— विष, जहर
जङ्घा —स्त्री॰—-—जङ्घन्यते कुटिलं गच्छति- हन् + यङ् + अच्, यङो लुक् पृषो॰—जाँघ, टखने से लेकर घुटने तक का भाग, पिण्डली
जङ्घारः —पुं॰—जङ्घा-आरः—-—धावक, हरकारा, दूत, सन्देशहर
जङ्घाकारिकः —पुं॰—जङ्घा-कारिकः—-—धावक, हरकारा, दूत, सन्देशहर
जङ्घात्राणम् —नपुं॰—जङ्घा-त्राणम्—-—टाँगों के लिए कवच
जङ्घाल —वि॰—-—जङ्घा-लच्—शीघ्रधावक, प्रजवी
जङ्घालः —पुं॰—-—-—हरिण, बारहसिंघा
जङ्घिल —वि॰—-—जङ्घा-इलच्—प्रधावक, प्रजवी, फुर्तीला
जज् —भ्वा॰पर॰ <जजति>—-—-—लड़ना, युद्धकरना
जञ्ज् —भ्वा॰पर॰ <जञ्जति> —-—-—लड़ना, युद्धकरना
जट् —भ्वा॰पर॰ <जतति> —-—-—(बालों का) जुड़ जाना, बल खाकर जटाजूट होना
जटा —स्त्री॰—-—जट् + अच् + टाप्—बटे हुए बाल, आपस में बल खाकर चिपके हुए बाल
जटा —स्त्री॰—-—-—तन्तुमय जड़
जटा —स्त्री॰—-—-—सामान्य जड़
जटा —स्त्री॰—-—-—शतावरी का पौधा
जटाचीरः —पुं॰—जटा-चीरः—-—शिव के विशेषण
जटाटङ्कः —पुं॰—जटा-टङ्कः—-—शिव के विशेषण
जटाटीरः —पुं॰—जटा-टीरः—-—शिव के विशेषण
जटाधरः —पुं॰—जटा-धरः—-—शिव के विशेषण
जटाजूटः —पुं॰—जटा-जूटः—-—जटाओं के रूप में बटे हुए बालों का समूह
जटाजूटः —पुं॰—जटा-जूटः—-—शिव की जटाएँ
जटाज्वालः —पुं॰—जटा-ज्वालः—-—दीप, लैंप
जटाधर —वि॰—जटा-धर—-—जटाधारी
जटायुः —पुं॰—-—जटं संहतमायुः यस्य ब॰स॰—श्येनी और अरुण का पुत्र, अर्ध दिव्य पक्षी
जटाल —वि॰—-—जटा + लच्—जटाजूटधारी
जटाल —वि॰—-—-—(चिपके हुए बालों की भाँति)एक स्थान पर इकट्ठे किए हुए
जटालः —पुं॰—-—-—गूलर का पेड़
जटि —स्त्री॰—-—जट् + इन्, जटि + ङीष्—गूलर का पेड़
जटि —स्त्री॰—-—जट् + इन्, जटि + ङीष्—उलझ-पुलझ कर चिपके हुए
जटि —स्त्री॰—-—जट् + इन्, जटि + ङीष्—संघात, समुच्चय
जटी —स्त्री॰—-—जट् + इन्, जटि + ङीष्—गूलर का पेड़
जटी —स्त्री॰—-—जट् + इन्, जटि + ङीष्—उलझ-पुलझ कर चिपके हुए
जटी —स्त्री॰—-—जट् + इन्, जटि + ङीष्—संघात, समुच्चय
जटिन् —वि॰ पुं॰—-—जटा + इनि—जटाधारी
जटिन् —वि॰ पुं॰—-—जटा + इनि—शिव का विशेषण
जटिन् —वि॰ पुं॰—-—जटा + इनि—प्लक्ष का वृक्ष, पाकड़ का पेड़
जटिल —वि॰—-—जटा + इलच्—जटाधारी
जटिल —वि॰—-—-—पेचीदा, अव्यवस्थित, अन्तर्मिश्रित, गडमड किया हुआ
जटिल —वि॰—-—-—सघन, अभेद्य,
जटिलः —पुं॰—-—-—सिंह, बकरा
जठर —वि॰—-—जायते जन्तुर्गर्भो वास्मिन् जन् + अर ठान्तदेशः- @ तारा॰—कठोर,सख्त, दृढ़,
जठरम् —नपुं॰—-—-—किसी वस्तु का भीतरी भाग
जठराग्निः —पुं॰—जठर-अग्निः—-—पेट में स्थित अग्नि जो आहार को पचाने का काम करती है, आमाशय की गिल्टियों से निकलने वाला रस,
जठरामयः —पुं॰—जठर-आमय—-—जलोदर रोग
जठरयन्त्रणा —स्त्री॰—जठर-यन्त्रणा—-—गर्भवास का कष्ट
जठरयातना —स्त्री॰—जठर-यातना—-—गर्भवास का कष्ट
जड —वि॰—-—जलति घनीभवति जल् + अच्, लस्य डः—शीतल, जमा हुआ ठण्डा, शीत या ठिठुरा देने वाला
जड —वि॰—-—-—मन्द, लूला-लँगड़ा, गतिहीन, जडीकृत,
जड —वि॰—-—-—निश्चेतन, चेतनारहित, विवेकशून्य, मन्दबुद्धि,
जड —वि॰—-—-—मन्दीकृत, उदासीन या चेतनाशून्य किया हुआ, गुणविवेचनशून्य अरसिक
जड —वि॰—-—-—हड़बड़ा देने वाला, जड़ बना देने वाला, सञ्ज्ञाशून्य करने वाला
जड —वि॰—-—-—वेद पढ़ने के अयोग्य
जडक्रिय —वि॰—जड-क्रिय—-—मन्थर, दीर्घसूत्री
जडता —स्त्री॰—-—जड + तल् + टाप्—मन्दता, कार्य में अरुचि, आलस्य
जडत्वम् —नपुं॰—-—जड + त्व —मन्दता, कार्य में अरुचि, आलस्य
जडता —स्त्री॰—-—जड + तल् + टाप्—अज्ञान, बुद्धूपन
जडत्वम् —नपुं॰—-—जड + त्व —अज्ञान, बुद्धूपन
जडता —स्त्री॰—-—जड + तल् + टाप्—मन्दता
जडत्वम् —नपुं॰—-—जड + त्व —मन्दता
जडिमन् —पुं॰—-—जड + इमनिच्—ठण्डक
जडिमन् —पुं॰—-—जड + इमनिच्—जडता
जडिमन् —पुं॰—-—जड + इमनिच्—मन्दता, उदासीनता
जडिमन् —पुं॰—-—जड + इमनिच्—मूर्च्छा,सञ्ज्ञाहीनता
जतु —नपुं॰—-—जायते वृक्षादिभ्यः जन् + उ त आदेशः—लाख
जत्वश्मकम् —नपुं॰—जतु-अश्मकम्—-—शिलाजीत,
जतुपुत्रकः —पुं॰—जतु्-पुत्रकः—-—शतरञ्ज का मोहरा
जतुरसः —पुं॰—जतु-रसः—-—लाख, महावर
जतुकम् —नपुं॰—-—जतु + कन्—लाख, महावर
जतुका —स्त्री॰—-—जतुक + टाप्—लाख,चमगादड़
जतुकी —स्त्री॰—-—जतुक + ङीष्—चमगादड़
जतुका —स्त्री॰—-—जतुका नि॰ दीर्घ—चमगादड़
जत्रु —नपुं॰—-—जन् + रु तोऽन्तादेशः—ग्रीवास्थि,हँसुली
जन् —दिवा॰ आ॰ < जायते> , <जात > कर्म॰ वा॰ <जन्यते> <जायते>—-—-—पैदा होना, उत्पन्न होना
जन् —दिवा॰ आ॰ < जायते> , <जात > कर्म॰ वा॰ <जन्यते> <जायते>—-—-—उठना, फूटना (पौधे की भाँति), उगना
जन् —दिवा॰ आ॰ < जायते> , <जात > कर्म॰ वा॰ <जन्यते> <जायते>—-—-—होना, बन जाना, आ पड़ना, घटित होना, घटना
जन् —दिवा॰ आ॰, प्रेर॰<जनयति>—-—-—जन्म देना, पैदा करना, उत्पन्न करना
अनुजन् —दिवा॰ आ॰—अनु-जन्—-—बाद में पैदा होना
अनुजन् —दिवा॰ आ॰—अनु-जन्—-—समरूप पैदा होना
अभिजन् —दिवा॰ आ॰—अभि-जन्—-—पैदा होना, उत्पन्न होना, उदय होना, फूटना
अभिजन् —दिवा॰ आ॰—अभि-जन्—-—होना, घटित होना,
अभिजन् —दिवा॰ आ॰—अभि-जन्—-—परिणत होना
अभिजन् —दिवा॰ आ॰—अभि-जन्—-—उच्चकुल में जन्म होना
अभिजन् —दिवा॰ आ॰—अभि-जन्—-—उत्पन्न होना
उपजन् —दिवा॰ आ॰—उप-जन्—-—पैदा होना, उत्पन्न होना निकलना, उगना
उपजन् —दिवा॰ आ॰—उप-जन्—-—फिर जन्म लेना,
उपजन् —दिवा॰ आ॰—उप-जन्—-—होना, घटित होना,
प्रजन् —दिवा॰ आ॰—प्र-जन्—-—उगना, निकलना, फूटना
विजन् —दिवा॰ आ॰—वि-जन्—-—उगना, निकलना, फूटना
सञ्जन् —दिवा॰ आ॰—सम्-जन्—-—उगना, निकलना, फूटना
प्रजन् —दिवा॰ आ॰—प्र-जन्—-—पैदा होना, उत्पन्न होना
विजन् —दिवा॰ आ॰—वि-जन्-—-—पैदा होना, उत्पन्न होना
सञ्जन् —दिवा॰ आ॰—सम्-जन्—-—पैदा होना, उत्पन्न होना
जनः —पुं॰—-—जन् + अच्—जीवजन्तु, जीवितप्राणी, मनुष्य
जनः —पुं॰—-—-—व्यक्ति, पुरुष
जनः —पुं॰—-—-—सामूहिक रूप में मनुष्य, लोग,संसार (एकवचन या बहुवचन में)
जनः —पुं॰—-—-—वंश, राष्ट्र, कबीला
जनः —पुं॰—-—-—`महः' लोक से परे का संसार, देवत्व को प्राप्त मनुष्यों का स्वर्ग
जनातिग —वि॰—जनः-अतिग—-—असाघारण, असामान्य, अतिमानव,
जनाधिपः —पुं॰—जनः-अधिपः—-—राजा
जनाधिनाथः —पुं॰—जनः-अधिनाथः—-—राजा
जनान्तः —पुं॰—जनः-अन्तः—-—वह स्थान जहाँ मनुष्य नहीं रहते, वह स्थान जो बसा हुआ नहीं है,
जनान्तः —पुं॰—जनः-अन्तः—-—प्रदेश
जनान्तः —पुं॰—जनः-अन्तः—-—यम का विशेषण
जनान्तिकम् —नपुं॰—जनः-अन्तिकम्—-— गुप्त संवाद, कान में कहना या एक ओर होकर कहना(अव्य॰) एक ओर को (नाटकों में)
जनार्दनः —पुं॰—जनः-अर्दनः—-—विष्णु या कृष्ण का विशेषण
जनाशनः —पुं॰—जनः-अशनः—-—भेड़िया
जनाकीर्ण —वि॰—जनः-आकीर्ण—-—लोगों से ठसाठस भरा हुआ, जनसंकुल
जनाचारः —पुं॰—जनः-आचारः—-—लोकाचार,लोकरीति,
जनाश्रमः —पुं॰—जनः-आश्रमः—-—धर्मशाला, सराय, पथिकाश्रम,
जनाश्रयः —पुं॰—जनः-आश्रयः—-—मण्डप, शमियाना,
जनेन्द्रः —पुं॰—जनः-इन्द्रः—-—राजा
जनेशः —पुं॰—जनः-ईशः—-—राजा
जनेश्वरः —पुं॰—जनः-ईश्वरः—-—राजा
जनेष्ट —वि॰—जनः-ईष्ट—-—लोकप्रिय
जनेष्ट —पुं॰—जनः-ईष्ट—-—एक प्रकार की चमेली
जनोदाहरणम् —नपुं॰—जनः-उदाहरणम्—-—यश, कीर्ति,
जनौघः —पुं॰—जनः-ओघः—-—जनसम्मर्द, भीड़, जमघट
जनकारी —पुं॰—जनः-कारिन्—-—अलक्तक
जनचक्षुः —नपुं॰—जनः-चक्षुस्—-—`लोकलोचन', सूर्य,
जनत्रा —स्त्री॰—जनः-त्रा—-—छाता, छतरी
जनदेवः —पुं॰—जनः-देवः—-—राजा
जनपदः —पुं॰—जनः-पदः—-—जनसमुदाय, वंश, राष्ट्र
जनपदः —पुं॰—जनः-पदः—-—राजधानी, साम्राज्य, बसा हुआ देश
जनपदः —पुं॰—जनः-पदः—-—जनसाधारण, प्रजा
जनपदः —पुं॰—जनः-पदः—-—मनुष्यजाति,
जनपदी —पुं॰—जनः-पदिन्—-—किसी जनसमुदाय या देश का राजा,
जनप्रवादः —पुं॰—जनः-प्रवादः—-—अफ़वाह, किंवदन्ती, जनश्रुति
जनप्रवादः —पुं॰—जनः-प्रवादः—-—लोकापवाद, बदनामी,
जनप्रिय —वि॰—जनः-प्रिय—-—लोक हितेच्छु
जनप्रिय —वि॰—जनः-प्रिय—-—सर्वप्रिय,
जनमर्यादा —स्त्री॰—जनः-मर्यादा—-—सर्वसम्मत प्रथा
जनरञ्जनम् —नपुं॰—जनः-रञ्जनम्—-—लोगों को सुख देना, लोकप्रियता का प्रसाद प्राप्त करना
जनखः —पुं॰—जनः-खः—-—किंवदन्ती
जनखः —पुं॰—जनः-खः—-—बदनामी, लोकापवाद,
जनवादः —पुं॰—जनः-वादः —-—समाचार, जनश्रुति,
जनवादः —पुं॰—जनः-वादः —-—लोकापवाद,
जनेवादः —पुं॰—जने-वादः—-—समाचार, जनश्रुति,
जनेवादः —पुं॰—जने-वादः—-—लोकापवाद,
जनव्यवहारः —पुं॰—जनः-व्यवहारः—-—लोकप्रिय चलन,
जनश्रुत —वि॰—जनः-श्रुत—-—विख्यात, प्रसिद्ध
जनश्रुतिः —स्त्री॰—जनः-श्रुतिः—-—किंवदन्ती, जनरव
जनसंबाध —वि॰—जनः-संबाध—-—घना बसा हुआ,
जनस्थानम् —नपुं॰—जनः-स्थानम्—-—दण्डक वन के एक भाग का नाम @ रघु॰ १२/४२,१३/२२, उत्तर॰ १/२८,२/१७
जनक —वि॰—-—जन् + णिच् + ण्वुल्—जन्म देने वाला, पैदा करने वाला, कारण बनने वाला या उत्पन्न करने वाला; क्लेशजनक, दुःखजनक आदि,
जनकः —पुं॰—-—-—पिता, जन्म देने वाला
जनकः —पुं॰—-—-—विदेह या मिथिला के प्रसिद्ध राजा, सीता का धर्मपिता वह अपने प्रभूत ज्ञान, अच्छे कार्य और पवित्रता के कारण प्रसिद्ध था राम के द्वारा सीता का परित्याग किए जाने पर उन्होंने वैराग्य ले लिया, सुख और दुःख के प्रति उदासीन हो गए और अपना समय दार्शनिक चर्चा में बिताया याज्ञवल्क्य मुनि जनके पुरोहित और परामर्श दाता थे
जनकात्मजा —स्त्री॰—जनक-आत्मजा—-—जनक की पुत्री सीता के विशेषण
जनकतनया —स्त्री॰—जनक-तनया—-—जनक की पुत्री सीता के विशेषण
जनकनन्दिनी —स्त्री॰—जनक-नन्दिनी—-—जनक की पुत्री सीता के विशेषण
जनकसुता —स्त्री॰—जनक-सुता—-—जनक की पुत्री सीता के विशेषण
जनङ्गमः —पुं॰—-—जनेभ्यो गच्छति बहिः, जन + गम् + खच्, शुभागमः—चाण्डाल
जनता —स्त्री॰—-—जनानां समूहः- तल्—जन्म लोगों समूह, मनुष्य जाति, समुदाय
जनन —वि॰—-—जन् + ल्युट्—पैदा करने वाला, उत्पन्न करने वाला आदि,
जननम् —नपुं॰—-—-—जन्म, पैदा होना,
जननम् —नपुं॰—-—-—पैदा करना, उत्पादन करना, सृजन करना
जननम् —नपुं॰—-—-—साक्षात्कार, प्रत्यक्षीकरण, उदय
जननम् —नपुं॰—-—-—जीवन, अस्तित्व
जननिः —स्त्री॰—-—जन् + अनि—माता
जननिः —स्त्री॰—-—जन् + अनि—जन्म
जननी —स्त्री॰—-—जन् + णिच् + अनि + ङीप्—माता, दया, दयालुता, करुणा
जनमेजयः —पुं॰—-—जनान् एजयति इति जन् + एज् + णिच् + खश्, मुमागमः—हस्तिनापुर का एक प्रसिद्ध राजा
जनयितृ —वि॰—-—जन् + णिच् + तृच्—पैदा करने वाला, जन्म देने वाला सृष्टिकर्ता
जनयितृ —पुं॰—-—जन् + णिच् + तृच्—पिता
जनयित्री —स्त्री॰—-—जनयितृ + ङीप्—माता
जनस् —नपुं॰—-—जन् + णिच् + असुन्—सामूहिक रूप में मनुष्य, लोग,संसार (एकवचन या बहुवचन में)
जनस् —नपुं॰—-—जन् + णिच् + असुन्—वंश, राष्ट्र, कबीला
जनिः —स्त्री॰—-—जन् + इन् —जन्म,सृजन,उत्पादन,
जनिः —स्त्री॰—-—जन् + इन् —स्त्री
जनिः —स्त्री॰—-—जन् + इन् —माता
जनिः —स्त्री॰—-—जन् + इन् —पत्नी
जनिः —स्त्री॰—-—जन् + इन् —स्नुषा, पुत्रवधू
जनिका —स्त्री॰—-—जनि + कन् + टाप्—जन्म,सृजन,उत्पादन,
जनिका —स्त्री॰—-—जनि + कन् + टाप्—स्त्री
जनिका —स्त्री॰—-—जनि + कन् + टाप्—माता
जनिका —स्त्री॰—-—जनि + कन् + टाप्—पत्नी
जनिका —स्त्री॰—-—जनि + कन् + टाप्—स्नुषा, पुत्रवधू
जनी —स्त्री॰—-—जनि + ङीष्—जन्म,सृजन,उत्पादन,
जनी —स्त्री॰—-—जनि + ङीष्—स्त्री
जनी —स्त्री॰—-—जनि + ङीष्—माता
जनी —स्त्री॰—-—जनि + ङीष्—पत्नी
जनी —स्त्री॰—-—जनि + ङीष्—स्नुषा, पुत्रवधू
जनित —वि॰—-—जन् + णिच् + क्त—जिसे जन्म दिया गया है
जनित —वि॰—-—-—पैदा किया हुआ, सृजन किया हुआ, उत्पन्न किया हुआ
जनितृ —पुं॰—-—जन् + णिच् + तृच्—पिता
जनित्री —स्त्री॰—-—जनितृ + ङीप्—माता
जनु —स्त्री॰—-—जन् + उ—जन्म, उत्पत्ति
जनू —स्त्री॰—-—जनु + ऊङ्—जन्म, उत्पत्ति
जनुस् —नपुं॰—-—जन् + उसि—जन्म
जनुस् —नपुं॰—-—-—सृष्टि,उत्पादन
जनुस् —नपुं॰—-—-—जीवन, अस्तित्व
जनुषान्धः —पुं॰—-—-—जन्म से अन्धा, जन्मान्ध
जन्तुः —पुं॰—-—जन् + तृन्—जानवर, जीवित प्राणी, मनुष्य
जन्तुः —पुं॰—-—-—आत्मा, व्यक्ति
जन्तुः —पुं॰—-—-—निम्न जाति का जानवर
जन्तुकम्बुः —पुं॰—जन्तु-कम्बुः—-—घोंघे की सीपी
जन्तुकम्बुः —पुं॰—जन्तु-कम्बुः—-—घोंघा
जन्तुफलः —पुं॰—जन्तु-फलः—-—गूलर का वृक्ष
जन्तुका —स्त्री॰—-—जन्तु + कै + क + टाप्—लाख
जन्तुमती —स्त्री॰—-—जन्तु + मत् + ङीप्—पृथ्वी
जन्मम् —नपुं॰—-—जन् + मन्—उत्पत्ति,
जन्मन् —नपुं॰—-—जन् + मनिन्—जन्म
जन्मन् —नपुं॰—-—-—मूल, उद्गम, उत्पत्ति, सृष्टि
जन्मन् —नपुं॰—-—-—जीवन, अस्तित्व
जन्मन् —नपुं॰—-—-—जन्म-स्थान
जन्मन् —नपुं॰—-—-—उत्पत्ति
जन्माधिपः —पुं॰—जन्मन्-अधिपः—-—शिव का विशेषण
जन्माधिपः —पुं॰—जन्मन्-अधिपः—-—जन्म लग्न का स्वामी
जन्मान्तरम् —नपुं॰—जन्मन्-अन्तरम्—-—दूसरा जन्म
जन्मान्तरीय —वि॰—जन्मन्-अन्तरीय—-—दूसरे जन्म से सम्बद्ध या किसी दूसरे जन्म में किया हुआ
जन्मान्ध —वि॰—जन्मन्-अन्ध—-—जन्म से ही अन्धा
जन्माष्टमी —स्त्री॰—जन्मन्-अष्टमी—-—भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी, श्रीकृष्ण का जन्मदिन
जन्मकीलः —पुं॰—जन्मन्-कीलः—-—विष्णु का विशेषण
जन्मकुण्डली —स्त्री॰—जन्मन्-कुण्डली—-—जन्म पत्रिका में बनाया गया चक्र
जन्मकृत् —पुं॰—जन्मन्-कृत्—-—पिता
जन्मक्षेत्रम् —नपुं॰—जन्मन्-क्षेत्रम्—-—जन्म स्थान
जन्मतिथिः —पुं॰—जन्मन्-तिथिः—-—जन्मदिन
जन्मदिनम् —नपुं॰—जन्मन्-दिनम्—-—जन्मदिन
जन्मदिवसः —पुं॰—जन्मन्-दिवसः—-—जन्मदिन
जन्मदः —वि॰—जन्मन्-दः—-—पिता
जन्मनक्षत्रम् —नपुं॰—जन्मन्-नक्षत्रम्—-—जन्म के समय का नक्षत्र
जन्मभम् —नपुं॰—जन्मन्-भम्—-—जन्म के समय का नक्षत्र
जन्मनामन् —नपुं॰—जन्मन्-नामन्—-—जन्म से बारहवें दिन रक्खा गया नाम
जन्मपत्रम् —नपुं॰—जन्मन्-पत्रम्—-—पत्र या पत्रिका
जन्मपत्रिका —स्त्री॰—जन्मन्-पत्रिका—-—पत्र या पत्रिका
जन्मप्रतिष्ठा —स्त्री॰—जन्मन्-प्रतिष्ठा—-—जन्म स्थान
जन्मप्रतिष्ठा —स्त्री॰—जन्मन्-प्रतिष्ठा—-—माता
जन्मभाज् —पुं॰—जन्मन्-भाज्—-—जानवर, जीवित प्राणी
जन्मभाषा —स्त्री॰—जन्मन्-भाषा—-—मातृभाषा
जन्मभूमिः —स्त्री॰—जन्मन्-भूमिः—-—जन्म स्थान, स्वदेश
जन्मयोगः —पुं॰—जन्मन्-योगः—-—जन्मपत्र
जन्मरोगिन् —वि॰—जन्मन्-रोगिन्—-—जन्म का रोगी
जन्मलग्नम् —नपुं॰—जन्मन्-लग्नम्—-—वह लग्न जो जन्म के समय हो
जन्मवर्त्मन् —नपुं॰—जन्मन्-वर्त्मन्—-—योनि
जन्मशोधनम् —नपुं॰—जन्मन्-शोधनम्—-—जन्म से प्राप्त कर्त्तव्यों का परिपालन
जन्मसाफल्यम् —नपुं॰—जन्मन्-साफल्यम्—-—जीवन के उद्देशों की सिद्धि
जन्मस्थानम् —नपुं॰—जन्मम्-स्थानम्—-—जन्मभूमि, स्वदेश, वह घर जहाँ जन्म लिया है
जन्मस्थानम् —नपुं॰—जन्मम्-स्थानम्—-—गर्भाशय
जन्मिन् —पुं॰—-—जन्मन् + इनि—जानवर, जीवधारी प्राणी
जन्य —वि॰—-—जन् + ण्यत्, जन् + णिच् + यत् वा—जन्म लेने वाला, पैदा होने वाला
जन्य —वि॰—-—-—जात, उत्पन्न
जन्य —वि॰—-—-—(समास के अन्त में) से उत्पन्न, जनित
जन्य —वि॰—-—-—किरी वंश या कुल से सम्बद्ध
जन्य —वि॰—-—-—गँवारू, सामान्य
जन्यः —पुं॰—-—-—मित्र, दूल्हे का सम्बन्धी या सेवक
जन्यः —पुं॰—-—-—जनश्रुति, किंवदन्ती
जन्यम् —नपुं॰—-—-—जन्म, उत्पत्ति, सृष्टि,
जन्यम् —नपुं॰—-—-—जात, सृष्ट, उत्पादित वस्तु
जन्यम् —नपुं॰—-—-—जन्म के समय होने वाला अपशकुन
जन्यम् —नपुं॰—-—-—बाजार, मण्डी, मेला
जन्यम् —नपुं॰—-—-—संग्राम,युद्ध
जन्या —स्त्री॰—-—-—माता की सहेली
जन्या —स्त्री॰—-—-—वधू का सम्बन्धी, वधू की सेविका
जन्या —स्त्री॰—-—-—सुख, आनन्द
जन्युः —पुं॰—-—जन् + युच् बा॰ न अनादेशः—जन्म
जन्युः —पुं॰—-—-—जानवर,जीवधारी, प्राणी
जन्युः —पुं॰—-—-—सृष्टिकर्ता, ब्रह्मा
जप् —भ्वा॰ पर॰ <जपति> , <जपित> , < जपुं॰—-—-—मन्द स्वर में उच्चारण करना, मन ही मन में बार
जप् —भ्वा॰ पर॰ <जपति> , <जपित> , < जपुं॰—-—-—कहना, गुनगुनाना
जप् —भ्वा॰ पर॰ <जपति> , <जपित> , < जपुं॰—-—-—मन्त्रों का गुनगुनाना, मन ही मन प्रार्थना करना
उपजप् —भ्वा॰ पर॰—उप-जप्—-—कान में कहना कानाफूसी करके अपने अनुकूल कर लेना, विद्रोह के लिए भड़काना या उकसाना
जपः —पुं॰—-—जप् + अच्—मन ही मन प्रर्थना करना, धीमे स्वर से किसी मन्त्र को बार-बार दुहराना
जपः —पुं॰—-—जप् + अच्—वेदपाठ करना,देवताओं के नाम बार-बार दुहराना
जपः —पुं॰—-—जप् + अच्—मन्द स्वर से उच्चरित प्रार्थना
जपपरायणः —वि॰—जपः-परायणः—-—प्रार्थना मन्त्रों को धीमे स्वर में उच्चारण करने में व्यस्त
जपमाला —स्त्री॰—जपः-माला—-—जप करने की माला
जप्यः —पुं॰—-—जप् + यत्—मन्द स्वर से या मन ही मन में बोली जाने वाली प्रार्थना
जप्यम् —नपुं॰—-—जप् + यत्—मन्द स्वर से या मन ही मन में बोली जाने वाली प्रार्थना
जप्यः —पुं॰—-—जप् + यत्—जपने योग्य प्रार्थना
जप्यम् —नपुं॰—-—जप् + यत्—जपने योग्य प्रार्थना
जप्यः —पुं॰—-—जप् + यत्—जपी हुई प्रार्थना
जप्यम् —नपुं॰—-—जप् + यत्—जपी हुई प्रार्थना
जभ् —भ्वा॰ पर॰ <जभति>—-—-—सम्भोग करना
जभ् —भ्वा॰ आ॰ <जभते>—-—-—जम्हाई लेना, उबासी लेना
जम्भ् —भ्वा॰ पर॰ <जम्भति> —-—-—सम्भोग करना
जम्भ् —भ्वा॰ आ॰ <जम्भते> —-—-—जम्हाई लेना, उबासी लेना
जम् —भ्वा॰ पर॰ <जमति> —-—-—खाना
जमदग्निः —पुं॰—-—-—भृगुवंश में उत्पन्न एक ब्राह्मण, परशुराम का पिता,
जम्पती —पुं॰—-—-—पति और पत्नी
जम्बालः —पुं॰—-—जम्भ् + घञ् नि॰भस्य बः= जम्ब + आ + ला + क—गारा कीचड़
जम्बालः —पुं॰—-—-—काई, सेवार
जम्बालः —पुं॰—-—-—केवड़े का पौधा
जम्बालिनी —स्त्री॰—-—जम्बाल + इनि + ङीप्—एक नदी
जम्बीरः —पुं॰—-—जम्भ् + ईरिन्, ब आदेशः—चकोतरे का पेड़
जम्बीरम् —नपुं॰—-—-—चकोतरा
जम्बु —स्त्री॰—-—जम् + कु पृषो॰ बुकागमः—जामुन का पेड़, जामुन,
जम्बू —स्त्री॰—-—जम्बु + ऊङ्—जामुन का पेड़, जामुन,
जम्बूखण्डः —पुं॰—जम्बू-खण्डः—-—मेरु पहाड़ के चारों ओर फैले हुए द्वीपों में से एक
जम्बूद्वीपः —पुं॰—जम्बू-द्वीपः—-—मेरु पहाड़ के चारों ओर फैले हुए द्वीपों में से एक
जम्बुकः —पुं॰—-—-—नीच मनुष्य
जम्बूकः —पुं॰—-—-—नीच मनुष्य
जम्बूलः —पुं॰—-—जम्बुं, जम्बूं तन्नाम फलं लाति ला + क—एक प्रकार का वृक्ष, केकड़ा
जम्बूलम् —नपुं॰—-—-—दूल्हे के मित्रों एवं दुल्हन की सखियों द्वारा किया गया परिहास या परिहासात्मक अभिनन्दन
जम्भः —पुं॰—-—जम्भ् + घञ्—जबाड़ा
जम्भः —पुं॰—-—-—कुतर-कुतर कर टुकड़े करना
जम्भः —पुं॰—-—-—जम्हाई, उबासी
जम्भः —पुं॰—-—-—एक राक्षस का नाम जिसे इन्द्र ने मार गिराया था
जम्भः —पुं॰—-—-—चकोतरे का पेड़
जम्भारातिः —पुं॰—जम्भ-अरातिः—-—इन्द्र का विशेषण
जम्भद्विष् —पुं॰—जम्भ-द्विष्—-—इन्द्र का विशेषण
जम्भभेदिन् —पुं॰—जम्भ-भेदिन्—-—इन्द्र का विशेषण
जम्भरिपु —पुं॰—जम्भ-रिपु—-—इन्द्र का विशेषण
जम्भारिः —पुं॰—जम्भ-अरिः—-—आग
जम्भारिः —पुं॰—जम्भ-अरिः—-—इन्द्र का वज्र
जम्भारिः —पुं॰—जम्भ-अरिः—-—इन्द्र
जम्भका —स्त्री॰—-—जम्भ + कन् + टाप्—जमुहाई, उबासी
जम्भा —स्त्री॰—-—जम्भ् + णिच् + अ + टाप्—जमुहाई, उबासी
जम्भिका —स्त्री॰—-—जम्भा + कन् + टाप्, इत्वम्—जमुहाई, उबासी
जम्भरः —पुं॰—-—जम्भं भक्षणरुचिं राति ददाति- जम्भ + रा + क—नींबू या चकोतरे का पेड़
जम्भीरः —पुं॰—-—जम्भं भक्षणरुचिं राति ददाति- जम्भ + ईरन्—नींबू या चकोतरे का पेड़
जयः —पुं॰—-—जि + अच्—जीत, विजयोत्सव, विजय, सफलता, जीतना
जयः —पुं॰—-—-—संयम दमन, जीतना
जयः —पुं॰—-—-—सूर्य का नाम
जयः —पुं॰—-—-—इन्द्र का पुत्र जयन्त
जयः —पुं॰—-—-—पाण्डव राजकुमार युधिष्ठिर
जयः —पुं॰—-—-—विष्णु का सेवक
जयः —पुं॰—-—-—अर्जुन का विशेषण
जया —स्त्री॰—-—-—दुर्गा का सेवक
जया —स्त्री॰—-—-—एक प्रकार का झण्ड़ा
जयावह —वि॰—जयः-आवह—-—विजय दिलाने वाला
जयोद्धुरः —वि॰—जयः-उद्धुरः—-—विजयोल्लास मनाने वाला
जयकोलाहलः —पुं॰—जयः-कोलाहलः—-—जयघोष
जयघोषः —पुं॰—जयः-घोषः—-—पासों से खेलना
जयघोषणम् —नपुं॰—जयःघोषणम्—-—विजय का ढिंढोरा
जयघोषणा —स्त्री॰—जयः-घोषणा—-—विजय का ढिंढोरा
जयढक्का —स्त्री॰—जयः-ढक्का—-—जीत का डंका, एक प्रकार का ढोल जिसे विजय की सूचना देने के लिए बजाया जाता है
जयपत्रम् —नपुं॰—जयः-पत्रम्—-—विजय का अभिलेख
जयपालः —पुं॰—जयः-पालः—-—राजा
जयपालः —पुं॰—जयः-पालः—-—ब्रह्मा का विशेषण
जयपालः —पुं॰—जयः-पालः—-—विष्णु का विशेषण
जयपुत्रकः —पुं॰—जयः-पुत्रकः—-—एक प्रकार का पासा
जयमङ्गलः —पुं॰—जयः-मङ्गलः—-—राजकीय हाथी
जयमङ्गलः —पुं॰—जयः-मङ्गलः—-—ज्वरनाशक उपचार
जयवाहिनी —स्त्री॰—जयः-वाहिनी—-—शची (इन्द्राणी) का विशेषण
जयशब्दः —पुं॰—जयः-शब्दः—-—जयध्वनि
जयशब्दः —पुं॰—जयः-शब्दः—-—चारणों द्वारा उच्चरित जयजयकार
जयस्तम्भः —पुं॰—जयः-स्तम्भः—-—विजय मनाने के लिए बनाया गया स्तम्भ, विजयसूचक स्तम्भ
जयद्रथः —पुं॰—-—जयत् रथो यस्य - ब॰स॰— सिन्धु प्रदेश का राजा, दुर्योधन का बहनोई,
जयनम् —नपुं॰—-—जि + ल्युट्—जीतना, दमन करना
जयनम् —नपुं॰—-—-—हाथी और घोड़ों आदि का कवच
जयनयुज् —वि॰—जयनम्-युज्—-—जीनपोश से सुसज्जित
जयनयुज् —वि॰—जयनम्-युज्—-—विजयी
जयन्तः —पुं॰—-—जि + झच्, अन्तादेशः—इन्द्र के पुत्र का नाम
जयन्तः —पुं॰—-—-—शिव का नाम
जयन्ती —स्त्री॰—-—-—झण्डा या पताका
जयन्ती —स्त्री॰—-—-—इन्द्र की पुत्री
जयन्ती —स्त्री॰—-—-—दुर्गा
जयन्तपत्रम् —नपुं॰—जयन्तः-पत्रम्—-—न्यायाधीश द्वारा दी गई लिखित व्यवस्था (दोनों दलों में से किसी एक के पक्ष में)
जयन्तपत्रम् —नपुं॰—जयन्तः-पत्रम्—-—अश्वमेध यज्ञ के लिए छोड़े हुए घोड़े के मस्तक पर लगा नामपट्ट
जयिन् —वि॰—-—जेतुं शीलमस्य- जि + इनि—विजेता, पराजेता
जयिन् —वि॰—-—-—सफल (मुकदमा) जीतने वाला
जयिन् —वि॰—-—-—मनोहर, आकर्षक हृदय को दमन करने वाला
जयिन् —पुं॰—-—-—विजेता, जयशील
जय्य —वि॰—-—जि + यत्—जीतने के योग्य, प्रहार्य, जो जीता जा सके
जरठ —वि॰—-—जॄ + अठच्—कठोर,ठोस
जरठ —वि॰—-—-—पुराना, अधिक आयु का
जरठ —वि॰—-—-—क्षीण, जीर्ण, निर्बल,
जरठ —वि॰—-—-—पूर्णविकसिक, पक्का, परिपक्व, जरठकमल
जरठ —वि॰—-—-—कठोर हृदय, क्रूर
जरठः —पुं॰—-—-—पाण्डु, पाँचों पाण्डवों के पिता
जरण —वि॰—-—जृ + ल्युट्—बूढ़ा, क्षीण, निर्बल
जरत् —वि॰—-—जृ + शतृ—बूढ़ा अधिक आयु का
जरत् —वि॰—-—-—निर्बल, जीर्ण
जरत्कारुः —पुं॰—जरत्-कारुः—-—एक ऋषि जिसने वासुकि सर्प की बहन से विवाह किया था [एक दिन वह अपना सिर अपनी पत्नी की गोद में रक्खे सो रहे थे, सूर्य डूबने को था पत्नी ने यह देख कर कि संध्याकालीन प्रार्थना का समय बीता जा रहा है, आहिस्ता से जगा दिया परन्तु नींद में बाधा पहुँचने के कारण जरत्कारु को क्रोध आ गया और वह अपनी पत्नी को छोड़ कर सदा के लिए वहाँ से चल दिया जाते समय वह अपनी पत्नी को बता गया कि तुम गर्भवती हो और तुम्हारा पुत्र ही तुम्हें सम्भालने वाला होगा- साथ ही साथ वह सर्प वंश के क्षय को बचावेगा यह पुत्र ही ‘आस्तीक' था ]
जरद्गवः —पुं॰—जरत्-गवः—-—बूढ़ा बैल
जरती —स्त्री॰—-—जॄ + शतृ + ङीप्—एक बूढ़ी नारी
जरन्तः —पुं॰—-—जॄ + झच्, अन्तादेशः—बूढ़ा आदमी
जरा —स्त्री॰—-—जॄ + अङ् + टाप् (जरा शब्द के स्थान पर कर्म॰ द्वि॰व॰ के आगे अजादि विभक्ति परे होने पर विकल्प से `जरस्' आदेश हो जाता है)—बुढ़ापा
जरा —स्त्री॰—-—-—क्षीणता, निर्बलता, बूढ़ापे के कारण दुर्बलता
जरा —स्त्री॰—-—-—पाचनशक्ति
जरा —स्त्री॰—-—-—एक राक्षसी का नाम
जरावस्था —स्त्री॰—जरा-अवस्था—-—क्षीणता
जराजीर्ण —वि॰ —जरा-जीर्ण—-—वयोवृद्ध, निर्बलीकृत, दुर्बल
जरासन्धः —पुं॰—जरा-सन्धः—-—एक प्रसिद्ध राजा और योद्धा, बृहद्रथ का पुत्र
जरायणिः —पुं॰—-—जराया अपत्यम्-फिञ्—जरासन्ध का नाम
जरायु —नपुं॰—-—जरामेति- इ + ञुण्—साँप की केंचुली
जरायु —नपुं॰—-—-—भ्रूण की ऊपरी झिल्ली
जरायु —नपुं॰—-—-—योनि, गर्भाशय
जरायुज —वि॰—जरायु-ज—-—गर्भाशय से उत्पन्न, पिण्डज
जरित —वि॰—-—जरा + इतच्—बूढ़ा, वयोवृद्ध,
जरित —वि॰—-—-—क्षीण, निर्बल
जरिन् —वि॰—-—जरा + इनि—बूढ़ा, वयोवृद्ध
जरूथम् —नपुं॰—-—जॄ + ऊथन्—माँस
जर्जर —वि॰—-—जर्ज + अर—बूढ़ा, निर्बल, क्षीण
जर्जर —वि॰—-—-—जीर्ण, फटा पुराना, टूटा-फूटा, खण्ड-खण्ड किया हुआ, छोटे-२ टुकड़ों में विभक्त
जर्जर —वि॰—-—-—घायल, क्षतविक्षत
जर्जर —वि॰—-—-—झोंझरा, खोखला
जर्जरम् —नपुं॰—-—-—इन्द्र का झण्डा
जर्जरित —वि॰—-—जर्जर + णिच् + क्त—बूढ़ा, क्षीण, निर्बल
जर्जरित —वि॰—-—-—घिसा-पिसा, झीर-झीर, फटा-पुराना, चिथड़े चिथड़े हुआ
जर्जरित —वि॰—-—-—पूरी तरह पराभूत, अयोग्य
जर्जरीक —वि॰—-—जर्जर् + ईक् नि॰ साधुः—बूढ़ा, क्षीण,
जर्जरीक —वि॰—-—-—जीर्ण-शीर्ण- छेदों से भरा हुआ, सछिद्र
जर्तुः —पुं॰—-—जन् + तु, र आदेशः—योनि
जल —वि॰—-—जल् + अक्—स्फूर्तिहीन, ठण्डा, शीतल, जड़
जलम् —नपुं॰—-—-—एक सुगन्धित औषधी का पौधा, खस
जलम् —नपुं॰—-—-—पूर्वाषाढ़ नक्षत्र
जलाञ्चलम् —नपुं॰—जल-अञ्चलम्—-—झरना
जलाञ्चलम् —नपुं॰—जल-अञ्चलम्—-—निर्झर
जलाञ्चलम् —नपुं॰—जल-अञ्चलम्—-—काई
जलाञ्जलिः —पुं॰—जल-अञ्जलिः—-—चुल्लु भर पानी
जलाञ्जलिः —पुं॰—जल-अञ्जलिः—-—मृतक के पितरों को जल तर्पण
जलाटनः —पुं॰—जल-अटनः—-—सारस
जलाटनी —स्त्री॰—जल-अटनी—-—जोंक
जलाण्टकः —पुं॰—जल-अण्टकः—-—घड़ियाल, मगरमच्छ
जलात्ययः —पुं॰—जल-अत्यय—-—शरद, पतझड़
जलाधिदैवतः —पुं॰—जल-अधिदैवतः—-—वरुण का विशेषण, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र पुञ्ज
जलाधिदैवतम् —नपुं॰—जल-अधिदैवतम्—-—वरुण का विशेषण, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र पुञ्ज
जलाधिप —पुं॰—जल-अधिप—-—वरुण का विशेषण
जलाम्बिका —स्त्री॰—जल-अम्बिका—-—कुआँ
जलार्कः —पुं॰—जल-अर्कः—-—जल में पड़ने वाला सूर्य का प्रतिबिम्ब
जलार्णवः —पुं॰—जल-अर्णवः—-—वर्षा ऋतु
जलार्णवः —पुं॰—जल-अर्णवः—-—मीठे पानी का समुद्र
जलार्थिन् —वि॰—जल-अर्थिन्—-—प्यासा
जलावतारः —पुं॰—जल-अवतारः—-—नदी के किनारे नाव पर उतरने का घाट
जलाष्ठीला —स्त्री॰—जल-अष्ठीला—-—बड़ा चौकोर तालाब
जलासुका —स्त्री॰—जल-असुका—-—जोंक
जलाकरः —पुं॰—जल-आकरः—-—झरना, फौवारा, कुआँ
जलाकाङ्क्षः —पुं॰—जल-आकाङ्क्षः—-—हाथी
जलकाङ्क्षः —पुं॰—जल-काङ्क्षः—-—हाथी
जलकाङ्क्षी —पुं॰—जल-काङ्क्षिन्—-—हाथी
जलाखुः —पुं॰—जल-आखुः—-—ऊदबिलाव
जलात्मिका —स्त्री॰—जल-आत्मिका—-—जोंक
जलाथारः —पुं॰—जल-आथारः—-—तालाब, झील या सरोवर, जलाशय
जलायुका —स्त्री॰—जल-आयुका—-—जोंक
जलार्द्र —वि॰—जल-आर्द्र—-—गीला
जलार्द्रम् —नपुं॰—जल-आर्द्रम्—-—गीले कपड़े
जलार्द्रा —स्त्री॰—जल-आर्द्रा—-—पानी से तर पङ्खा
जलालोका —स्त्री॰—जल-आलोका—-—जोंक
जलावर्तः —पुं॰—जल-आवर्तः—-—भँवर, जलगुल्म
जलाशयः —पुं॰—जल-आशयः—-—तालाब,सरोवर, जलाशय
जलाशयः —पुं॰—जल-आशयः—-—मछली
जलाशयः —पुं॰—जल-आशयः—-—समुद्र
जलाश्रयः —पुं॰—जल-आश्रयः—-—तालाब, जलाशय
जलाह्वयम् —नपुं॰—जल-आह्वयम्—-—कमल
जलेन्द्रः —पुं॰—जल-इन्द्रः—-—वरुण का विशेषण
जलेन्द्रः —पुं॰—जल-इन्द्रः—-—समुद्र
जलेन्धनः —पुं॰—जल-इन्धनः—-—वाडवाग्नि
जलेभः —पुं॰—जल-इभः—-—जलहस्ती
जलेशः —पुं॰—जल-ईशः—-—वरुण का विशेषण, समुद्र
जलेश्वरः —पुं॰—जल-ईश्वरः—-—वरुण का विशेषण, समुद्र
जलोच्छ्वासः —पुं॰—जल-उच्छ्वासः—-—नाली, परीवाह
जलोच्छ्वासः —पुं॰—जल-उच्छ्वासः—-—छलक कर बहना
जलोदरम् —नपुं॰—जल-उदरम्—-—जलोदर नाम का रोग जिसमें पेट की त्वचा के नीचे पानी इकट्ठा हो जाता है
जलोद्भव —वि॰ —जल-उद्भव—-—जलचर
जलोरगा —स्त्री॰—जल-उरगा—-—जोंक
जलौकस् —पुं॰—जल-ओकस्—-—जोंक
जलौकसः —पुं॰—जल-ओकसः—-—जोंक
जलकण्टकः —पुं॰—जल-कण्टकः—-—मगरमच्छ
जलकपिः —पुं॰—जल-कपिः—-—सूँस
जलकपोतः —पुं॰—जल-कपोतः—-—जलकबूतर
जलकरङ्गः —पुं॰—जल-करङ्गः—-—एक खाल
जलकरङ्गः —पुं॰—जल-करङ्गः—-—नारियल
जलकरङ्गः —पुं॰—जल-करङ्गः—-—बादल
जलकरङ्गः —पुं॰—जल-करङ्गः—-—तरङ्ग, कमल
जलकल्कः —पुं॰—जल-कल्कः—-—कींचड़
जलकाकः —पुं॰—जल-काकः—-—जलकौआ
जलकान्तः —पुं॰—जल-कान्तः—-—हवा
जलकान्तारः —पुं॰—जल-कान्तारः—-—वरुण का विशेषण
जलकिराटः —पुं॰—जल-किराटः—-—मगरमच्छ, घड़ियाल
जलकुक्कुटः —पुं॰—जल-कुक्कुटः—-—जलमुर्ग, मुर्गाबी
जलकुन्तलः —पुं॰—जल-कुन्तलः—-—काई, सेवारज
जलकोशः —पुं॰—जल-कोशः—-—काई, सेवारज
जलकूपी —स्त्री॰—जल-कूपी—-—झरना, कुआँ
जलकूपी —स्त्री॰—जल-कूपी—-—तालाब
जलकूपी —स्त्री॰—जल-कूपी—-—भँवर
जलकूर्मः —पुं॰—जल-कूर्मः—-—सूँस
जलकेलिः —पुं॰—जल-केलिः—-—जल में विहार करना, एक दूसरे पर पानी उछालना
जलक्रीडा —स्त्री॰—जल-क्रीडा—-—जल में विहार करना, एक दूसरे पर पानी उछालना
जलक्रिया —स्त्री॰—जल-क्रिया—-—मृतकों का पितरों को जल-तर्पण देना
जलगुल्मः —पुं॰—जल-गुल्मः—-—कछुवा
जलगुल्मः —पुं॰—जल-गुल्मः—-—चौकोर तालाब,
जलगुल्मः —पुं॰—जल-गुल्मः—-—भँवर
जलचर —वि॰—जल-चर—-—जल में रहने वाला जीव-जन्तु
जलाजीवः —पुं॰—जल-आजीवः—-—मछवा
जलजीवः —पुं॰—जल-जीवः—-—मछवा
जलचारिन् —पुं॰—जल-चारिन्—-—जलजन्तु
जलचारिन् —पुं॰—जल-चारिन्—-—मछली
जलज —वि॰—जल-ज—-—जल में उत्पन्न या पैदा
जलजः —पुं॰—जल-जः—-—जलजन्तु, मछली, काई, चन्द्रमा
जलजः —पुं॰—जल-जः—-—खोल,शङ्ख,
जलाजीवः —पुं॰—जल-आजीवः—-—मछवा
जलासनः —पुं॰—जल-आसनः—-—ब्रह्मा का विशेषण
जलजन्तुः —पुं॰—जल-जन्तुः—-—मछली
जलजन्तुः —पुं॰—जल-जन्तुः—-—कोई जल का जन्तु
जलजन्तुका —स्त्री॰—जल-जन्तुका—-—जोंक
जलजन्मा —स्त्री॰—जल-जन्मन्—-—कमल
जलजिह्वः —पुं॰—जल-जिह्वः—-—मगरमच्छ
जलजीवी —पुं॰—जल-जीविन्—-—मछवाहा
जलतरङ्ग —वि॰—जल-तरङ्ग—-—लहर
जलतरङ्ग —वि॰—जल-तरङ्ग—-—एक वाद्य विशेष
जलताडनम् —नपुं॰—जल-ताडनम्—-—पानी पीटना
जलताडनम् —नपुं॰—जल-ताडनम्—-—व्यर्थ काम
जलत्रा —स्त्री॰—जल-त्रा—-—छाता
जलत्रासः —पुं॰—जल-त्रासः—-—जलातङ्क रोग, पागल कुत्ते के काटने से हड़कायापन
जलांशनः —पुं॰—जल-अंशनः—-—साल का वृक्ष
जलागमः —पुं॰—जल-आगमः—-—वर्षाऋतु
जलकालः —पुं॰—जल-कालः—-—वर्षाऋतु
जलक्षयः —पुं॰—जल-क्षयः—-—शरद्, पतझड़
जलदर्दुरः —पुं॰—जल-दर्दुरः—-—एक प्रकार वाद्ययन्त्र
जलदेवता —स्त्री॰—जल-देवता—-—जलदेवी, जलपरी
जलद्रोणी —स्त्री॰—जल-द्रोणी—-—डोलची
जलधरः —पुं॰—जल-धरः—-—बादल, समुद्र
जलधारा —स्त्री॰—जल-धारा—-—पानी की धार
जलधिः —पुं॰—जल-धिः—-—समुद्र,
जलधिः —पुं॰—जल-धिः—-—दसनील
जलधिः —पुं॰—जल-धिः—-—चार की संख्या
जलजा —स्त्री॰—जल-जा—-—लक्ष्मी, धन की देवी
जलरशना —स्त्री॰—जल-रशना—-—पृथ्वी
जलनकुलः —पुं॰—जल-नकुलः—-—ऊदबिलाव
जलनरः —पुं॰—जल-नरः—-—जलपुरुष
जलनिधिः —पुं॰—जल-निधिः—-—समुद्र, चार की संख्या
जलनिर्गमः —पुं॰—जल-निर्गमः—-—नाली, पानी का निकास
जलनिर्गमः —पुं॰—जल-निर्गमः—-—जलप्रपात, झरने के पानी का नदी में गिरना
जलनीलिः —पुं॰—जल-नीलिः—-—काई, सेवार
जलपटलम् —नपुं॰—जल-पटलम्—-—बादल
जलपतिः —पुं॰—जल-पतिः—-—समुद्र
जलपतिः —पुं॰—जल-पतिः—-—वरुण का विशेषण
जलपथः —पुं॰—जल-पथः—-—जलयात्रा
जलपारावतः —पुं॰—जल-पारावतः—-—जलकपोत
जलपित्तम् —नपुं॰—जल-पित्तम्—-—आग
जलपुष्पम् —नपुं॰—जल-पुष्पम्—-—पानी में होने वाला फूल, कमल आदि
जलपूरः —पुं॰—जल-पूरः—-—जल की बाढ़,
जलपूरः —पुं॰—जल-पूरः—-—पानी की नदी
जलपृष्ठजा —स्त्री॰—जल-पृष्ठजा—-—काई, सेवार
जलप्रदानम् —नपुं॰—जल-प्रदानम्—-—मृतक पितरों को जल तर्पण
जलप्रलयः —पुं॰—जल-प्रलयः—-—जल के द्वारा विनाश
जलप्रान्तः —पुं॰—जल-प्रान्तः—-—नदी का किनारा
जलप्रायम् —नपुं॰—जल-प्रायम्—-—जलबहुलप्रदेश
जलप्रियः —पुं॰—जल-प्रियः—-—चातक पक्षी
जलप्रियः —पुं॰—जल-प्रियः—-—मछली
जलप्लवः —पुं॰—जल-प्लवः—-—ऊदबिलाव
जलप्लावनम् —नपुं॰—जल-प्लावनम्—-—जलप्रलय, बाढ़
जलबंधुः —पुं॰—जल-बंधुः—-—मछली
जलबालकः —पुं॰—जल-बालकः—-—विंध्य पहाड़
जलवालकः —पुं॰—जल-वालक—-—विंध्य पहाड़
जलबालिका —स्त्री॰—जल-बालिका—-—बिजली
जलबिडाल —वि॰—जल-बिडालः—-—ऊदबिलाव
जलबिम्बः —पुं॰—जल-बिम्बः—-—बुलबुला
जलबिम्बम् —पुं॰—जल-बिम्बम्—-—बुलबुला
जलबिल्वः —पुं॰—जल-बिल्वः—-—एक चौकोर तालाब, सरोवर
जलबिल्वः —पुं॰—जल-बिल्वः—-—कछुवा
जलबिल्वः —पुं॰—जल-बिल्वः—-—केकड़ी
जलभू —वि॰—जल-भू्—-—जल में उत्पन्न
जलभूः —पुं॰—जल-भू्ः—-—बादल,
जलभूः —पुं॰—जल-भू्ः—-—पानी जमा करके रखने का स्थान
जलभूः —पुं॰—जल-भू्ः—-—एक प्रकार का कपूर
जलमक्षिका —स्त्री॰—जल-मक्षिका—-—पानी में रहने वाला एक कीड़ा
जलमण्डूकम् —नपुं॰—जल-मण्डूकम्—-—एक प्रकार का वाद्ययन्त्र, जल दर्दुर
जलमार्गः —पुं॰—जल-मार्गः—-—नाली, जलप्रणाली
जलमुक् —पुं॰—जल-मुच्—-—बादल
जलमुक् —पुं॰—जल-मुच्—-—एक प्रकार का कपूर
जलमूर्तिः —पुं॰—जल-मूर्तिः—-—शिव का विशेषण
जलमूर्तिका —स्त्री॰—जल-मूर्तिका—-—ओला
जलयन्त्रम् —नपुं॰—जल-यन्त्रम्—-—पानी निकालने का यन्त्र, रहट
जलयन्त्रम् —नपुं॰—जल-यन्त्रम्—-—फव्वारा
जलगूहम् —नपुं॰—जल-गृहम्—-—जल के मध्य बना भवन
जलनिकेतनम् —नपुं॰—जल-निकेतनम्—-—जल के मध्य बना भवन
जलमन्दिरम् —नपुं॰—जल-मन्दिरम्—-—जल के मध्य बना भवन
जलयात्रा —स्त्री॰—जल-यात्रा—-—जल मार्ग से नाव आदि के द्वारा यात्रा
जलयानम् —नपुं॰—जल-यानम्—-—जहाज
जलरङ्कुः —पुं॰—जल-रङ्कुः—-—जलकुक्कुट
जलरण्डः —पुं॰—जल-रण्डः—-—भँवर
जलरण्डः —पुं॰—जल-रण्डः—-—पानी की बूँद,बूँदाबाँदी जलकण
जलरण्डः —पुं॰—जल-रण्डः—-—साँप
जलरुण्डः —पुं॰—जल-रुण्डः—-—भँवर
जलरुण्डः —पुं॰—जल-रुण्डः—-—पानी की बूँद,बूँदाबाँदी जलकण
जलरुण्डः —पुं॰—जल-रुण्डः—-—साँप
जलरसः —पुं॰—जल-रसः—-—समुद्री या साँभर नमक
जलराशिः —पुं॰—जल-राशिः—-—समुद्र
जलरुहः —पुं॰—जल-रुहः—-—कमल
जलरुहम् —नपुं॰—जल-रुहम्—-—कमल
जलरूपः —पुं॰—जल-रूपः—-—मगरमच्छ
जललता —स्त्री॰—जल-लता—-—लहर, झाल
जलवायसः —पुं॰—जल-वायसः—-—कौड़िल्ला पक्षी
जलवासः —पुं॰—जल-वासः—-—जल में बसना
जलवाहः —पुं॰—जल-वाहः—-—बादल
जलवाहनी —स्त्री॰—जल-वाहनी—-—पानी की मोरी
जलविषुवत् —स्त्री॰—जल-विषुवत्—-—शारदीय विषुवत्
जलवृश्चिकः —पुं॰—जल-वृश्चिकः—-—झींगा मछली
जलव्यालः —पुं॰—जल-व्यालः—-—पनियल साँप
जलशयः —पुं॰—जल-शयः—-—विष्णु का विशेषण
जलशयनः —पुं॰—जल-शयनः—-—विष्णु का विशेषण
जलशायिन् —पुं॰—जल-शायिन्—-—विष्णु का विशेषण
जलशुकम् —नपुं॰—जल-शुकम्—-—काई, सेवार
जलशूकरः —पुं॰—जल-शूकरः—-—मगरमच्छ
जलशोषः —पुं॰—जल-शोषः—-—सूखा, अनावृष्टि
जलसर्पिणी —स्त्री॰—जल-सर्पिणी—-—जोंक
जलसूचिः —स्त्री॰—जल-सूचिः—-—गंगाई सूँस(गंगा डाल्फिन)
जलसूचिः —स्त्री॰—जल-सूचिः—-—एक प्रकार की मछली
जलसूचिः —स्त्री॰—जल-सूचिः—-—कौवा
जलसूचिः —स्त्री॰—जल-सूचिः—-—जोंक
जलस्थानम् —नपुं॰—जल-स्थानम्—-—तालाब, सरोवर, जलाशय
जलस्थायः —पुं॰—जल-स्थायः—-—तालाब, सरोवर, जलाशय
जलहम् —नपुं॰—जल-हम्—-—छोटा जलमन्दिर
जलहस्तिन् —पुं॰—जल-हस्तिन्—-—जलहाथी
जलहारिणी —स्त्री॰—जल-हारिणी—-—नाली
जलहासः —पुं॰—जल-हासः—-—झाग,
जलहासः —पुं॰—जल-हासः—-—समुद्रफेन
जलङ्गमः —पुं॰—-—जल + गम् + खच्, मुमागमः—चाण्डाल
जलमसिः —पुं॰—-—जलेन मस्यति परिणमति- जल + मस् + इन्—बादल, एक प्रकार का कपूर
जलाका —स्त्री॰—-—जले आकायति प्रकाशते- जल + आ + कै + क + टाप्,—जोंक
जलालुका —स्त्री॰—-— जले अलति गच्छति- जल-अल् + उक् + टाप्—जोंक
जलिका —स्त्री॰—-—जल् + ठन् + टाप्—जोंक
जलुका, —स्त्री॰—-—जलम् ओको यस्य पृषो॰—जोंक
जलेजम् —नपुं॰—-—जले + जन् + ड्—कमल
जलेजातम् —नपुं॰—-—जले + जन् + ड्, क्त वा सप्तम्या अलुक्—कमल
जलेशयः —पुं॰—-—जले + शी + अच्, सप्तम्या अलुक्—मछली, विष्णु का नाम
जल्प् —भ्वा॰ पर॰ <जल्पति> , <जल्पित> —-—-—बोलना, बातें करना, संलाप करना
जल्प् —भ्वा॰ पर॰ <जल्पति> , <जल्पित> —-—-—गुनगुनाना, अस्पष्ट उच्चारण करना
जल्प् —भ्वा॰ पर॰ <जल्पति> , <जल्पित> —-—-—प्रलाप करना, किच-किच करना, बालकलरव करना, कलकलध्वनि करना
अभिजल्प् —भ्वा॰ पर॰—अभि-जल्प्—-—बोलना, बातें करना
प्रजल्प् —भ्वा॰ पर॰—प्र-जल्प्—-—बोलना, कहना, बातें करना
प्रजल्प् —भ्वा॰ पर॰—प्र-जल्प्—-—पुकारना
संजल्प् —भ्वा॰ पर॰—सम्-जल्प्—-—बोलना, संलाप करना
जल्पः —पुं॰—-—जल्प् + घञ्—वक्तृता, भाषण
जल्पः —पुं॰—-—-—प्रवचन, बातचीत
जल्पः —पुं॰—-—-—बालकलरव, प्रलाप, गप-शप
जल्पः —पुं॰—-—-—वादविवाद, वाग्युद्ध
जल्पक —वि॰—-—जल्प् + ण्वुल्—बातूनी, गप्पी
जल्पाक —वि॰—-—जल्प् + षाकन् —बातूनी, गप्पी
जव —वि॰—-—जु + अप्—फुर्तीला, चुस्त
जवः —पुं॰—-—-—वेग, फूर्ती, तेज़ी, द्रुतता
जवः —पुं॰—-—-—त्वरा, क्षिप्रता
जवाधिकः —पुं॰—जव-अधिकः—-— वेगवान् घोड़ा, द्रुतगामी घोड़ा
जवानिलः —पुं॰—जव-अनिलः—-—तेज हवा, आँधी
जवन —वि॰—-—जु + ल्युट्—तेज, फुर्तीला, वेगवान्
जवनः —पुं॰—-—-—द्रुतगामी घोड़ा, तेज घोड़ा
जवनम् —नपुं॰—-—-—चाल, द्रुतगति,वेग
जवनिका —स्त्री॰—-—जूयते आच्छाद्यते अनया- जु + ल्युट् + ङीप्=जवनी + कन् + टाप्, ह्रस्वः=जवनिका—कनात
जवनिका —स्त्री॰—-—जूयते आच्छाद्यते अनया- जु + ल्युट् + ङीप्=जवनी + कन् + टाप्, ह्रस्वः=जवनिका—चिक, पर्दा
जवनी —स्त्री॰—-—जूयते आच्छाद्यते अनया- जु + ल्युट् + ङीप्—कनात
जवनी —स्त्री॰—-—जूयते आच्छाद्यते अनया- जु + ल्युट् + ङीप्—चिक, पर्दा
जवसः —पुं॰—-—जु + असच्—पशुओं के चरने योग्य घास
जवा —स्त्री॰—-—जव + टाप्—अड़हुल, जपा
जष् —भ्वा॰ उभ॰ <जषति> , <जषते> —-—-—क्षति पहुँचाना, चोट पहुँचाना, मारना
जस् —दिवा॰ पर॰ <जस्यति> —-—-—स्वतन्त्र करना, मुक्त करना,
जस् —भ्वा॰ चुरा॰ पर॰ <जसति> , <जासयति> —-—-—चोट पहुँचाना, क्षति पहुँचाना, प्रहार करना
जस् —भ्वा॰ चुरा॰ पर॰ <जसति> , <जासयति> —-—-—अवज्ञा करना, अपमान करना
उज्जस् —भ्वा॰ चुरा॰ पर॰—उद्-जस्—-—मारना
जहकः —पुं॰—-—हा + कन्, द्वित्वम्—समय
जहकः —पुं॰—-—-—साँप की केंचुली
जहत् —वि॰—-—हा + शतृ—छोड़ने वाला, त्यागने वाला
जहल्लक्षणा —स्त्री॰—जहत्-लक्षणा—-—लक्षणा का एक प्रकार
जहत्स्वार्था —स्त्री॰—जहत्-स्वार्था—-—लक्षणा का एक प्रकार
जहानकः —पुं॰—-—हा + शानच् + कन्—महाप्रलय
जहुः —पुं॰—-—हा + उण्, द्वित्वम्—पशु का बच्चा
जह्नुः —पुं॰—-—हा + नु, द्वित्वमाकारलोपश्च—सुहोत्र का पुत्र,
जागरः —पुं॰—-—जागृ + घञ्, गुण—जागरण, जागना, जागते रहना
जागरः —पुं॰—-—-—जाग्रत अवस्था की मनःसृष्टि
जागरः —पुं॰—-—-—कवच, जिरह-बख्तर
जागरणम् —नपुं॰—-—जागृ + ल्युट्—जागना, प्रबुद्ध रहना
जागरणम् —नपुं॰—-—-—खबरदारी, सतर्कता
जागरा —स्त्री॰—-—जागृ + अ + टाप्—जागना, प्रबुद्ध रहना
जागरा —स्त्री॰—-—जागृ + अ + टाप्—खबरदारी, सतर्कता
जागरित —वि॰—-—जागृ + क्त—जागा हुआ
जागरितृ —वि॰—-—जागृ + तृच्, स्त्रियां ङीप् च्—जागरणशील, जागता हुआ, निद्राशून्य
जागरितृ —वि॰—-—जागृ + तृच्, स्त्रियां ङीप् च्—खबरदार, सतर्क
जागरूक —वि॰—-—जागृ + ऊक्—जागरणशील, जागता हुआ, निद्राशून्य
जागरूक —वि॰—-—जागृ + ऊक्—खबरदार, सतर्क
जागर्तिः —स्त्री॰—-—जागृ + क्तिन्—जागरण, जागते रहना
जागर्या —स्त्री॰—-—जागृ + श + यक् + टाप्, गुण—जागरण, जागते रहना
जाग्रिया —स्त्री॰—-—जागृ + श्, रिङादेशः—जागरण, जागते रहना
जागुडम् —नपुं॰—-—जगुड + अण्—केसर, जाफ़रान
जागृ —अदा॰ पर॰ <जागर्ति> , <जागरित> —-—-—जागते रहना, खबरदार या सावधान रहना
जागृ —अदा॰ पर॰ —-—-—निद्रा से जगाया जाना, जागते रहना, आगे का देखना, दूरदर्शी होना
जाघनी —स्त्री॰—-—जघन + अण् + ङीप्—पूँछ, जङ्घा
जाङ्गल —वि॰—-—जङ्गल + अण्—देहाती, चित्रोपम
जाङ्गल —वि॰—-—-—बर्बर, असभ्य
जाङ्गलः —पुं॰—-—-—चकोर, तीतर
जाङ्गलम् —नपुं॰—-—-—हरिण का मांस
जाङ्गुलम् —नपुं॰—-—जङ्गुल + अण्—जहर, विष
जाङ्गुलिः —पुं॰—-—जङ्गुल् + इञ्—साँप के काटे का चिकित्सक, विषवैद्य
जाङ्गुलिकः —पुं॰—-—जङ्गुल् + ठक्—साँप के काटे का चिकित्सक, विषवैद्य
जाङ्घिकः —पुं॰—-—जङ्घा + ठञ्—हरकारा, दूत,
जाजिन् —पुं॰—-—जज् + णिनि—योद्धा, लड़ने वाला
जाठर —वि॰—-—जठर + अण्—पेट से सम्बन्ध रखने वाला या पेट में होने वाला, उदरवर्ती, औदार
जाठरः —पुं॰—-—-—पाचनशक्ति, जाठर रस
जाड्यम् —नपुं॰—-—जड् + ष्यञ्—ठंडक, शीतलता,
जाड्यम् —नपुं॰—-—-—अनाशक्ति, आलस्य, निष्क्रियता
जाड्यम् —नपुं॰—-—-—बुद्धि की मन्दता, बेवकूफी, जडता
जाड्यम् —नपुं॰—-—-—जिह्वा की नीरसता
जात —भू॰ क॰ कृ॰—-—जन् + क्त—अस्तित्व में लाया गया, जन्म दिया गया, पैदा किया गया
जात —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—उगा हुआ, निकला हुआ
जात —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—उद्भूत, उत्पन्न
जात —भू॰ क॰ कृ॰—-—-—अनुभूत, ग्रस्त
जातः —पुं॰—-—-—पुत्र, बेटा,
जातम् —नपुं॰—-—-—जन्तु, जीवधारी, प्राणी
जातम् —नपुं॰—-—-—उत्पादन, उद्गम
जातम् —नपुं॰—-—-—भेद, प्रकार, श्रेणी, जाति
जातम् —नपुं॰—-—-—श्रेणी बनाने वाली वस्तुओं का समूह
जातसुख —वि॰—जात-सुख—-—वह सब कुछ जो सुख में सम्मिलित है
जातसुख —वि॰—जात-सुख—-—बालक, बच्चा
जातापत्या —स्त्री॰—जात-अपत्या—-—माता
जातामर्ष —वि॰—जात-अमर्ष—-—नाराज, क्रुद्ध
जाताश्रु —वि॰—जात-अश्रु—-—आँसू बहाने वाला
जातेष्टिः —स्त्री॰—जात-इष्टिः—-—जातकर्मसंस्कार
जातोक्षः —पुं॰—जात-उक्षः—-—थोड़ी आयु का बैल
जातकर्मा —स्त्री॰—जात-कर्मन्—-—बच्चे के जन्मते ही अनुष्ठेय संस्कार
जातकलाप —वि॰—जात-कलाप—-—पूँछवाला
जातकाम —वि॰—जात-काम—-—आसक्त
जातपक्ष —वि॰—जात-पक्ष—-—जिसके डैने या पंख निकल आये हों, अजातपक्ष, अनुदितपक्ष
जातपाश —वि॰—जात-पाश—-—बन्धन युक्त, बेड़ी पड़ा हुआ
जातप्रत्यय —वि॰—जात-प्रत्यय—-—जिसके मन में विश्वास उत्पन्न हो गया हो
जातमन्मथ —वि॰—जात-मन्मथ—-—प्रेम में आसक्त
जातमात्र —वि॰—जात-मात्र—-—तुरन्त का उत्पन्न, सद्योजात
जातरूप —वि॰—जात-रूप—-—सुन्दर, उज्ज्वल
जातरूपम् —वि॰—जात-रूपम्—-—सोना
जातवेदः —पुं॰—जात-वेदः—-—अग्नि का विशेषण
जातक —वि॰—-—जात + कन्—जन्मा हुआ, उत्पन्न
जातकः —पुं॰—-—-—नवजात शिशु
जातकम् —नपुं॰—-—-—जातकर्मसंस्कार
जातकम् —नपुं॰—-—-—जन्म विषयक फलित ज्योतिष की गणना
जातकम् —नपुं॰—-—-—एक जैसी वस्तुओं का संग्रह
जातिः —स्त्री॰—-—जन्- + क्तिन्—जन्म, उत्पत्ति
जातिः —स्त्री॰—-—-—जन्म के अनुसार अस्तित्व का रूप
जातिः —स्त्री॰—-—-—गोत्र, परिवार, वंश
जातिः —स्त्री॰—-—-—जाति, कबीला या वर्ग
जातिः —स्त्री॰—-—-—श्रेणी, वर्ग, प्रकार, नस्ल, -पशुजाति, पुष्पजाति आदि
जातिः —स्त्री॰—-—-—किसी एक वर्ग के विशेष गुण जो उसे और दूसरे वर्गों से पृथक् करें, किसी एक नस्ल के लक्षण जो मूल तत्त्वों को बतलाएँ जैसे कि गाय और घोड़ों का ‘गोत्व' 'अश्वत्व'
जातिः —स्त्री॰—-—-—चमेली का फूल या पौधा
जातिः —स्त्री॰—-—-—व्यर्थ उत्तर
जातिः —स्त्री॰—-—-—भारतीय स्वरग्राम के सात स्वर
जातिः —स्त्री॰—-—-—छन्दों की एक श्रेणी
जात्यन्ध —वि॰—जातिः-अन्ध—-—जन्मान्ध
जातिकोशः —पुं॰—जातिः-कोशः—-—जायफल
जातिकोषः —पुं॰—जातिः-कोषः—-—जायफल
जातिकोषम् —नपुं॰—जातिः-कोषम्—-—जायफल
जातिकोशी —स्त्री॰—जातिः-कोशी—-—जावित्री
जातिकोषी —स्त्री॰—जातिः-कोषी—-—जावित्री
जातिधर्मः —पुं॰—जातिः-धर्मः—-—किसी जाति के कर्तव्य, आचार
जातिधर्मः —पुं॰—जातिः-धर्मः—-—किसी जाति की सामान्य सम्पत्ति
जातिध्वंसः —पुं॰—जातिः-ध्वंसः—-—जाति, या उसके विशेषाधिकारों की हानि
जातिपत्री —स्त्री॰—जातिः-पत्री—-—जावित्री,जायफल का ऊपरी छिल्का
जातिब्राह्मणः —पुं॰—जातिः-ब्राह्मणः—-—केवल जन्म से ब्राह्मण,गुणकर्म, तप और स्वध्याय से हीन, अज्ञानी ब्राह्मण
जातिभ्रंशः —पुं॰—जातिः-भ्रंशः—-—जातिच्युति
जातिभ्रष्टः —वि॰—जातिः-भ्रष्टः—-—जातिच्युत, जातिबहिष्कृत
जातिमात्रम् —नपुं॰—जातिः-मात्रम्—-—केवल जन्म' केवल जन्म के कारण जीवन में प्राप्त पद
जातिमात्रम् —नपुं॰—जातिः-मात्रम्—-—केवल जाति
जातिलक्षणम् —नपुं॰—जातिः-लक्षणम्—-—जातिसूचक भेद, जातिसूचक विशेषताएँ
जातिवाचक —वि॰—जातिः-वाचक—-—नस्ल के बतलाने वाला (शब्द)
जातिवैरम् —नपुं॰—जातिः-वैरम्—-—जातिगतद्वेष, स्वाभाविक शत्रुता
जातिवैरिन् —पुं॰—जातिः-वैरिन्—-—स्वाभाविक शत्रु
जातिशब्दः —पुं॰—जातिः-शब्दः—-—नस्ल या जाति बतलाने वाला नाम, जातिबोधकशब्द, जातिवाचक संज्ञा
जातिसंकरः —पुं॰—जातिः-संकरः—-—दो जातियों का मिश्रण, दोगलापन
जातिसम्पन्नः —वि॰—जातिः-सम्पन्नः—-—अच्छे घराने का, कुलीन
जातिसारम् —नपुं॰—जातिः-सारम्—-—जायफल
जातिस्मरः —वि॰—जातिः-स्मरः—-—जिसे अपने पूर्वजन्म का वृत्तान्त याद हो
जातिस्वभावः —पुं॰—जातिः-स्वभावः—-—जातिगत स्वभाव या लक्षण
जातिहीन —वि॰—जातिः-हीन—-—नीच जाति का, जातिबहिष्कृत
जातिमत् —वि॰—-—जाति + मतुप्—उत्तम कुल में उत्पन्न, ऊचे घराने में जन्मा
जातु —अव्य॰—-—जन् + क्तुन् पृषो॰ साधुः—कभी, सर्वथा, किसी समय, संभवतः
जातु —अव्य॰—-—-—कदाचित्, कभी
जातु —अव्य॰—-—-—एकबार, एकसमय, किसी, दिन
जातु —अव्य॰—-—-—अनुमति न देना, सहन न कर सकना
जातु —अव्य॰—-—-—निन्दा (गर्हा)
जातुधानः —पुं॰—-—जातु गर्हितं धानं सन्निधानं यस्य ब॰स॰—राक्षस, पिशाच
जातुष —वि॰—-—जतु + अण्, षुक्—लाख से बना हुआ,या लाख से ढका हुआ
जातुष —वि॰—-—-—चिपचिपा चिपकने वाला
जात्य —वि॰—-—जाति + यत्—एक ही परिवार का सम्बन्धी
जात्य —वि॰—-—-—उत्तम, उत्तमकुलोद्भव, सत्कुलोत्पन्न
जात्य —वि॰—-—-—मनोहर, सुन्दर, सुखद
जानकी —स्त्री॰—-—जनक + अण् + ङीप्—जनक की पुत्री सीता, राम की भार्या
जानपदः —पुं॰—-—जनपद + अण्—देहाती, गँवार, ग्रामीण, किसान
जानपदा —स्त्री॰—-—-—सर्वप्रिय उक्ति
जानु —नपुं॰—-—जन् + ञुण्—घुटना
जानुदघ्न —वि॰—जानु-दघ्न—-—घुटनों तक ऊँचा, घुटनों तक गहरा
जानुफलकम् —नपुं॰—जानु-फलकम्—-—घुटने की पाली
जानुमण्डलम् —नपुं॰—जानु-मण्डलम्—-—घुटने की पाली
जानुसन्धिः —पुं॰—जानु-सन्धिः—-—घुटने का जोड़
जापः —पुं॰—-—जप् + घञ्—प्रार्थना जपना, कान में कहना, गुनगुनाना
जापः —पुं॰—-—-—जप की हुई प्रार्थना या मन्त्र
जाबालः —पुं॰—-—जबाल + अण्—रेवड़, बकरों का समूह
जामदग्न्यः —पुं॰—-—जमदग्नि + यञ्—परशुराम, जमदग्नि का पुत्र
जामा —स्त्री॰—-—जम + अण् वा स्त्रीत्वम्—पुत्री
जामा —स्त्री॰—-—-—पुत्रबधू
जामातृ —पुं॰—-—जायां माति मिनोति मिमीते वा नि॰—दामाद
जामातृ —पुं॰—-—-—स्वामी, मालिक
जामातृ —पुं॰—-—-—सूरजमुखी फूल
जामिः —स्त्री॰—-—जम् + इन् नि॰ बुद्धि—बहन,
जामिः —स्त्री॰—-—-—पुत्रबधु
जामिः —स्त्री॰—-—-—नजदीकी संबन्धिनी
जामिः —स्त्री॰—-—-—गुणवती सती साध्वी स्त्री
जामित्रम् —नपुं॰—-— =जायामित्रम्—जन्मकुण्डली में लग्न से सातवाँ घर
जामेयः —नपुं॰—-—जाम्या भगिन्या-अपत्यम् ढञ्—भानजा, बहन का पुत्र
जाम्बवम् —नपुं॰—-—जम्ब्वाः फलम् अण् तस्य बा॰ न लुप्-तारा॰—सोना
जाम्बवम् —नपुं॰—-—-—जम्बुवृक्ष का फल, जामुन
जाम्बवत् —पुं॰—-—जाम्ब + मतुप्— रीछों का राजा जिसने लंका पर आक्रमण के समय राम की सहायता की
जाम्बीरम् —नपुं॰—-—जंबीर + अण्, पक्षे रलयोरभेदः—चकोतरा
जाम्बीलम् —नपुं॰—-—जंबीर + अण्, पक्षे रलयोरभेदः—चकोतरा
जाम्बूनदम् —नपुं॰—-—जम्बूनद + अण्—सोना
जाम्बूनदम् —नपुं॰—-—-—एक सोने का आभूषण
जाम्बूनदम् —नपुं॰—-—-—धतूरे का पौधा
जाया —स्त्री॰—-—जन् + यक् + टाप्, आत्व—पत्नी
जायानुजीविन् —पुं॰—जाया-अनुजीविन्—-—अभिनेता, नट
जायानुजीविन् —पुं॰—जाया-अनुजीविन्—-—वेश्या का पति
जायानुजीविन् —पुं॰—जाया-अनुजीविन्—-—मोहताज, दरिद्र
जायाजीवः —पुं॰—जाया-आजीवः—-—अभिनेता, नट
जायाजीवः —पुं॰—जाया-आजीवः—-—वेश्या का पति
जायाजीवः —पुं॰—जाया-आजीवः—-—मोहताज, दरिद्र
जायापती —द्वि॰व॰—जाया-पती—-—पती और पत्नी
जायिन् —वि॰—-—जि + णिनि—जीतने वाला, दमन करने वाला
जायिन् —पुं॰—-—-—ध्रुपद जाति की एक ताल
जायुः —पुं॰—-—जि + उण्—औषधि
जारः —पुं॰—-—जीर्यति अनेन स्त्रियाः सतीत्वम् जॄ + घञ् जरयतीति जारः- निरु॰—उपपति, प्रेमी, आशिक
जारजः —पुं॰—जारः-जः—-—दोगला, हरामी
जारजन्मन् —पुं॰—जारः-जन्मन्—-—दोगला, हरामी
जारजातः —पुं॰—जारः-जातः—-—दोगला, हरामी
जारभरा —स्त्री॰—जारः-भरा—-—व्यभिचारिणी स्त्री
जारिणी —स्त्री॰—-—जार + इनि + ङीप्—व्यभिचारिणी स्त्री
जालम् —नपुं॰—-—जल् + ण—फंदा, पाश,
जालम् —नपुं॰—-—-—जाला, मकड़ी का जाला
जालम् —नपुं॰—-—-—कवच, तार की जालियों का बना शिरस्त्राण
जालम् —नपुं॰—-—-—अक्षिकारन्ध्र, गवाक्ष, झिलमिली, खिड़की
जालम् —नपुं॰—-—-—संग्रह, संघात, राशि, ढ़ेर
जालम् —नपुं॰—-—-—भ्रम, धोखा
जालम् —नपुं॰—-—-—अनखिला फूल
जालाक्षः —पुं॰—जालम्-अक्षः—-—झरोखा, खिड़की
जालकर्मन् —नपुं॰—जालम्-कर्मन्—-—मछ्ली पकड़ने का धन्धा, मछली पकड़ना
जालकारकः —पुं॰—जालम्-कारकः—-—जाल निर्माता
जालकारकः —पुं॰—जालम्-कारकः—-—मकड़ी
जालगोणिका —स्त्री॰—जालम्-गोणिका—-—एक प्रकार की मथानी
जालपाद् —नपुं॰—जालम्-पाद्—-—कलहंस
जालपादः —पुं॰—जालम्-पादः—-—कलहंस
जालप्रायः —पुं॰—जालम्-प्रायः—-—कवच, जिरहबख्तर
जालकम् —नपुं॰—-—जालमिव कायति + कै + क—फन्दा
जालकम् —नपुं॰—-—-—समुच्चय, संग्रह
जालकम् —नपुं॰—-—-—गवाक्ष, खिड़की
जालकम् —नपुं॰—-—-—कली, अनखिला फूल
जालकम् —नपुं॰—-—-—एक प्रकार का आभूषण
जालकम् —नपुं॰—-—-—भ्रम, धोखा
जालकमालिन् —बि॰—जालकम्-मालिन्—-—अवगुण्ठित
जालकिन् —पुं॰—-—जालक + इन्—बादल
जालकिनी —स्त्री॰—-—जालकिन् + ङीप्— भेड़
जालिकः —पुं॰—-—जाल + ठन्—मछवाहा
जालिकः —पुं॰—-—-—बहेलिया, चिड़िमार
जालिकः —पुं॰—-—-—प्रान्ता का राज्यपाल या मुख्य-शासक
जालिका —स्त्री॰—-—-—जञ्जीरों का बना कवच
जालिका —स्त्री॰—-—-—घूँघट,मुख पर डालने का ऊनी कपड़ा
जालिनी —स्त्री॰—-—जाल + इनि + ङीप्—चित्रों से सुभूषित कमरा
जाल्म —वि॰—-—जल् + णिक् बा॰ म—क्रूर, निष्ठुर,कठोर
जाल्म —वि॰—-—-—उतावला, अविवेकी
जाल्मः —पुं॰—-—-—बदमाश, शठ, लुच्चा, पाजी, कुकर्मी
जाल्मः —पुं॰—-—-—निर्धन आदमी, नीच, अधम
जाल्मक —वि॰—-—जाल्म + कन्—घृणित, नीच, कमीना, तिरस्करणीय
जावन्यम् —नपुं॰—-—जवन् + ष्यञ्—चाल, तेजी
जावन्यम् —नपुं॰—-—-—शीघ्रता, त्वरा
जाहम् —नपुं॰—-—-—एक प्रत्यय जो शरीर के अङ्गों के अभिधायक संज्ञा शब्दों के अन्त में 'मूल' को प्रकट करने के लिए जोड़ा जाता है
कर्णजाहम् —नपुं॰—कर्ण-जाहम्—-—कान की जड़
जाह्नवी —स्त्री॰—-—जह्नु + अण् + ङीप्—गङ्गा नदी का विशेषण