विक्षनरी:भौतिकी परिभाषा-कोश-२

  • L - electron -- L-इलेक्ट्रॉन
नाभिक की ओर से K- कक्षा से अगली L- कक्षा में स्थित एक इलेक्ट्रॉन परमाणु - नाभिक के साथ इतनी दृढ़ता से बंध हुआ नहीं होता जितना कि K- इलेक्ट्रॉन । इन इलेक्ट्रॉनों की मुख्य कवांटम संख्या (n) 2 होती है।
  • L- capture (L- electron capture) -- L- प्रग्रहण
रेडियोऐक्टिव क्षय का एक प्रकार जिसमें किसी परमाणु के नाभिक द्वारा कक्ष से इलेक्ट्रॉन का प्रग्रहण किया जाता है जिससे एक न्यूट्रीनो का उत्सर्जन और विघटनज परमाणु की अभिलक्षणिक ऐक्स - किरणों का उत्पादन होता है । कभी - कभी ऑगर इलेक्ट्रॉन भी उत्पन्न होते हैं । इससे परमाणु - क्रमांक में तो 1 की कमी आ जाती है परन्तु द्रव्यमान संख्या नहीं बदलती है ।
  • L- network -- L-जाल
फिल्टर या परिपथ-जाल के संबंध में दो घटक वाला एक विद्युत् अवयव जिसमें से एक तो परिपथ के एक पार्श्व के साथ श्रेणीबद्ध और दूसरा दोनों पार्श्वों के साथ समांतर रूप में लगा होता है ।
  • laboratory -- प्रयोगशाला
वह स्थान जहाँ वैज्ञानिक प्रयोग तथा अनुसंधान या परीक्षण किया जाता है ।
  • lactometer -- दुग्धमापी
एक प्रकार का परिवर्ती निमज्जन हाइड्रोमीटर (hydrometer) जो घनत्व के द्वारा दूध की शुद्धता मापने के लिए उपयोग में लाया जाता है । शुद्ध दूध का घनत्व जल की अपेक्षा अधिक होता है । अतः यह जल में या जल मिश्रित दूध में शुद्ध दूध की अपेक्षा अधिक डूब जाता है । इसकी नली पर ऊपर से नीचे की ओर, W, 1, 2, 3, M चिह्न लगे होत हैं जो क्रमशः 100, 75, 50, 25 तथा 0 प्रतिशत जल से द्योतक होते हैं । यह पूर्णतः विश्वासनीय उपकरण नहीं है क्योंकि जल मिश्रित दूध का घनत्व अन्य उपायों से बढ़ाया जा सकता है।
  • laevorotatory -- वामध्रुवण घूर्णक
एक प्रकार का ध्रुवण घूर्णक पदार्थ जो पारगामी प्रकाश किरणपुंज के ध्रुवण समतल को वामावर्त दिशा में घुमा देता है जबकि प्रेक्षण की दिशा पदार्थ में से होकर प्रकाश - स्रोत की ओर होती है ।
  • Lagrange`s theorem -- लग्रांज का प्रमेय
समूह-सिद्धांत का निम्नलिखित प्रमेयः यदि G कोई परिमित समूह है H और उसका कोई उपसमूह है तो G की कोटि H की कोटि का एक पूर्णांकीय गुणज होगी ।
  • lamb shift -- लैम्ब सृति
हाइड्रोजन की 2S1/2 और 2P1/2 अवस्थाओं के ऊर्जा स्तरों के मध्य अल्प ऊर्जा - अंतर । डिराक के समीकरण के अनुसार इन स्तरों की ऊर्जायें समान होनी चाहिए । इलेक्ट्रॉनों के साथ विद्युत्चुंबकीय क्षेत्रों की पारस्परिक क्रिया के प्रभाव द्वारा इस स्रति को समझा जा सकता है जिसमें स्वयं क्षेत्रों के क्वांटमीकरण के कारण ऊर्जा स्तरों में संशोधन हो जाता है ।
  • lambda hyperson -- लैम्डा हाइपेरॉन, हाइपेरॉन
एक प्रकार का हाइपेरॉन जिसका आयु अत्यन्त अल्प (लगभग 10-10s ) और द्रव्यमान न्यूट्रॉन के द्रव्यमान से कुछ अधिक होता है ।
  • lambda point -- लैम्डा बिंदु
1. एक ताप जिस पर अन्य पदार्थों में द्वितीय कोटि के विभिन्न संक्रमण उत्पन्न होते हैं । उदाहरणार्थ वह ताप जिस पर पदार्थ की विशिष्ट ऊष्मा अधिकतम हो जाती है ।
2. एक विशेष ताप जिस पर हीलियम I का हीलियम-II में संक्रमण प्रारंभ होता है । इसका मान संतृप्त वाष्पदाब पर 2.186 K है ।
  • Lambert (unit) -- लैम्बर्ट
जर्मन गणितज्ञ जोहन एच लैम्बर्ट (Johan H. Lambert) (1728-1777)के नाम पर द्युति (brightness) का मात्रक । यह प्रकाश स्रोत के उस पूर्ण विसारक पृष्ठ की द्युति होती है जो एक ल्यूमेन प्रति वर्ग सेंटीमीटर की दर से प्रकाश उत्सर्जित अथवा परावर्तित करता है ।
  • lambert`s law -- लैम्बर्ट नियम
लैम्बर्ट द्वारा प्रतिपादित नियम जिसके अनुसार किसी समांगी पदार्थ की समान मोटाई की परतें, समान मात्र में प्रकाश का अवशोषण करती हैं । इसे इस प्रकार लिखा जा सकता हैः (Formula)
जिसमें I पारगत प्रकाश की तीव्रता d परत की मोटाई और k एक स्थिरांक है जिस अवशोषण - गुणांक कहेत हैं ।
k, प्रयुक्त प्रकाश के तरंगदैर्ध्य पर भी निर्भर करता है । विलयनों पर विचार करते समय इस व्यंजक में अवशोषी अणुओं की सांद्रता का भी ध्यान रखना पड़ता है । संशोधित नियम बियर का नियम कहलाता है ।
  • lamina -- स्तरिका, पटल
एकसमान धनत्य एवं एकसमान मोटाई वाला कोई पत्तर या चद्दर ।
  • laminar flow -- अप्रक्षुब्ध प्रवाह
वह प्रवाह जिसमें प्रक्षोभ न हो ।
  • lamination -- स्तरिका
लोह अथवा फ़ौलाद के तनु पटल जिनसे प्रत्यावर्ती धाराओं में प्रयुक्त होने वाले ट्रांसफ़ार्मर, रिले, चोक आदि उपकरणों की क्रोड बनाई जाती है इनका उपयोग क्रोड की भंवर धाराओं को रोककर वैद्युत् हानियाँ कम करने के ले किया जाता है ।
  • lamp black -- काजल, दीप कज्जल
काजल से मिलता-जुलता एक मृदु काला वर्णक जो वनस्पति तेलों और अन्य कार्बनिक पदार्थों के अपूर्ण दहन से प्राप्त होता है । अब यह प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम से प्राप्त किया जाता है । इसका उपयोग सीमेंट, मृत्तिका पात्र, स्याहियों, लिनोलियम, पृष्ठ - लेपन, पालिशों, कार्बन पेपर, साबुन, पेन्ट आदि उद्योगों में होता है ।
  • Landau damping -- लैंडाऊ अवमंदन
अवकाश आवेश तरंग के दोलनों का अवमंदन जो उन इलेक्ट्रॉन या अन्य कणों के द्वारा किया जाता है जो संबंधित रंग के साथ इसके प्रावस्था वेग से कुछ कम वेग सहित गतिमान होते हैं । इस प्रकार दोलनों के आयाम की कीमत पर कणों का अक्षीय वेग थोड़ा सा बढ़ जाता है ।
  • Lande factor (g- factor) -- लान्डे गुणांक
एक नियम गुणक जो चुंबकगीय क्षेत्र में परमाणु, नाभिक या अन्य कमों के ऊर्जा - स्तर के परिवर्तन दर्शआने वाले व्यंजक में आता है । यह गुणांक अक्षीय एवं प्रचकण कोणीय आघूर्ण के बीच युग्मन से उत्पन्न होने वाली स्पेक्ट्रमी रेखाओं की सूक्ष्म संरचना की व्याख्या करने के लिए आवश्यक होता है । इसका मान 1 और 2 के बीच होता है ।
  • langmuir adsorpton isotherm -- लैंगम्यूर अधिशोषण समातापी वक्र
गतिज सिद्धांत के आधार पर सन् 1918 में लैंगम्यूर द्वारा निगमित एक सैद्धान्तिक समीकरण, जो समतल ठोस सतह पर किसी गैस के अधिशोषण पर दाब का प्रभाव व्यक्त करती है।
लैंगम्यूर ने कल्पना की कि अधिशोषित स्तर एक अणु मोटी होती है और अंत मं साम्य स्थापित होने पर सतह पर गैस - अणुओं की संघनन - दर (rate of condensation) और विशोषण - दर (rate if desorption) समान होती ह । अतः यदि दाब p हो तो गैस - अणुओं द्वारा आवृत्त अधिशोषित सतहं निम्नलिखित व्यंजक द्वारा व्यक्त की जा सकती है । (Formula) जबकि नियत तंत्र के लिए नियत ताप पर एक स्थिरांक है ।
θ और p के मध्य प्राप्त आलेख लैंगम्यूर अधिशोषण समतापी वक्र कहलाता है ।
  • Langmuir effect -- लैंगम्यूर प्रभाव
एक ऐसा आयनन जो निम्न आयनन विभव वाले परमाणोओं का उच्च कार्यफलन वाली तप्त धातु के संपर्क होने पर पैदा होता है । इसका उपयोग क्षार धातुओं जैसे तत्वों के तीव्र आयन किरणपुंज उत्पन्न करने में किया जाता है ।
  • lanthanide contraction -- लैन्थेनाइड संकुचन
लैन्थेनाइड श्रेणी (परमाणु-क्रमांक 57 से 71 तक ) के तत्वों का जैसे-जैसे परमाणु-क्रमांक बढ़ता जाता है ।वैसे-वैसे उनका आयन-अर्धव्यास और इस प्रकार परमाण्विक आयतन क्रमशः घटता जाता है । यह दो बाह्य कोशों में इलेक्ट्रॉनों की समान संख्या पर, नाभिकीय आवेश के खिंचाव में उत्तरोत्तर वृद्धि के कारण होता है ।
  • laplace equation -- लाप्लांस समीकरण
विभव सिद्धांत का मूलभूत समीकरण जिसे इस रूप मे व्यक्त किया जाता हैः (Formula) अथा लाप्लास संकारक के रूप में (Formula) यह प्वासों समीकरण की समांग स्थिति वाला समीकरण है जिसके हल जो कि अदिश राशी हैं अपरिवर्ती अवस्था के ताप, गुरूत्वीय और विद्युत् विभव, आदर्श तरलों की द्रवगतिकीय और अन्य बहुत - सी भोतिक घटनाओं में प्रयुक्त होते हैं । इस समीकरण के हल प्रायः किसी उपयुक्त वक्र रेखी तंत्र में चार पार्थक्य विधि से निकाले जाते हैं जो भौतिक आवश्यकताओं के अनुसार सीमा प्रतिबंधों सहित होते हैं । ये हल हार्मोनिक फलन कहलाते हैं ।
  • Laplace`s equation -- लाप्लास समीकरण
किसी वास्तविक मान फलन u(x,y) के संदर्भ में समीकरण (Formula) जो फलन u के प्रसंवादी होने का प्रतिबंध है ।
  • Larmor precession -- लारमोर पुनस्सरण
चुंबकीय क्षेत्र लगाये जाने पर वेश युक्त कण की कक्षा की पुनस्सरण गति । यह पुरस्सरण क्षेत्र की दिशा के चारों ओर होता है । नाभिक के चारों ओर परिक्रमण करने वाले इलेक्ट्रॉन के लिए लारमोर पुरस्सरण का कोणीय वेग (Formula) होता है जिसमें e इलेक्ट्रॉन का आवेश है, द्रव्यमान, c प्रकाश का वेग और H चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता ।
  • laser -- लेसर
एक सक्रिय इलेक्ट्रॉनीय युक्ति जो भिन्न-भिन्न कंपन-आवृत्तियों के कला असंबद्ध प्रकाश को कला संबद्ध दृश्य या अवरक्त प्रकाश के एक अत्यंत संकीर्ण और तीव्र किरणपुंज में बदल देती है । लेसर शब्दLinght Amplification byStimulated Emission of Radiationका संक्षिपत रूप है। सामान्य प्रकाश के उत्सर्जन में स्रोत के अणु और परमाणु स्वतंत्रतया विकिरण का उत्सर्जन करते हैं, जिससे उपलब्ध किरणपुंज में कंपन-आवृत्तियों का परस्पर कोई निश्चित कला-संबंध नहीं होता । लेसर में एक प्रकाशित अनुनादी के परमाणु निवेश-शक्ति द्वारा उत्तेजित किए जाते हैं और यह अनुनादी उत्तेजित परमाणुओं को कला-संबद्ध-उत्सर्जन के लिए बाद्य करता है । सूक्ष्म तरंगों के क्षेत्र में लेसर जैसी युक्ति मेसर कहलाती है । इसलिए लेसर को प्रकाशिक मेसर भी कहा जाता है । लेसर मूलतः ठोस अवस्था, गैस या डायोड प्रकार के होते हैं ।
  • latent heat -- ऊष्मा, गुप्त
ऊष्मा जो बिना ताप को बदले एक ग्रम ठोस पदार्थ को द्रव अवस्था में या द्रव पदार्थ को गैस अवस्था में परिवर्तित कर सके और जो गलन की गुप्त ऊषअमा अथवा वाष्पन की गुप्त ऊष्मा कहलाती है । इस गुप्त ऊष्मा का मान प्रत्येक पदार्थ के लिए भिन्न होता है ।
  • latent heat of fusion -- गलन की गुप्त ऊष्मा
ऊष्मा की वह मात्रा जो पदार्थ विशेष के एक ग्राम द्रव्यमान को उसके गलनांक के ताप पर ठोस से द्रव अवस्था में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक हो । इसका मात्रक कैलॉरी प्रति ग्राम है । बर्फ के गलन की गुप्त ऊष्मा 79.9 कैलॉरी प्रति ग्राम है ।
  • lateral face -- पार्श्वीय फलक
किसी बहुफलक के आधार और सम्मुख फलक को छोड़कर शेष सब फलक पार्श्वीय फलक होते हैं ।
  • lateral inversion -- पार्श्व परिवर्तन
प्रतिबंब का यह दोष जिसके अनुसार बिंब का दायाँ भाग बाईं और और बायाँ भाग दाईं ओर दिखाई पड़ता है ।
  • lateral maginification -- आवर्दन, पार्श्विक
किसी परावर्तक या अपवर्तक तंत्र के कारण उसके मुख्य अक्ष से समकोणीय दिशआ में रैखिक आवर्धन अर्थात् प्रतिबिंब तथा बिंब की लंबाईयों का अनुपात ।
  • Latin square -- लैटिन वर्ग
सांख्यिकीय प्रयोगार्थ अभिकल्पना के अंतर्गत n उपचार का ऐसा n x nवर्गात्मक विन्यास जिसमें किसी भी पंक्ति या स्तंभ में प्रत्येक उपचार अवश्य आता है और की भी उपचार एक से अधिक बार नहीं आता । पाँच उपचरों A, B, C, D, E, के 5 x 5 लैटिन वर्ग का एक उदाहरण निम्नांकित हैः A B C D E B A E C D C D A E B D E B A C E C D B A
  • latitide, celestial -- अक्षांश, खगोलीय
पृथ्वी के केन्द्र से किसी खगोलीय पिंड की दिशआ में खींची हुई रेखा तथा खगोलीय निरक्ष के समतल के बीच का कोण । य ह तथा खगोलीय रेखांश मिलकर आकाश में पिंड का स्थान निर्दिष्ट करते हैं ।
  • latitude (terrestrial) -- अक्षांश
पृथ्वी पर किसी स्थान का अक्षांश पृथ्वी के केन्द्र से उस स्थान तक खींची हुई रेखा (या सन्निकटतः उस स्थान पर खींचे हुए पृथ्वी तल के अभिलंब) और पृथ्वी के निरक्ष तल के बीच का कोण होता है ।
  • lattice -- जालक, लैटिस
1. (क्रिस्टलिकी)- क्रिस्टलों में परमाणुओं का ज्यामितीय विन्यास ।
2. (नाभिकीय भौ.) नाभिकीय रिऐक्टर मे विखंडनीय और अविखंडनीय पदार्थ के विभिन्न पिंडों का एक नियमित ज्यमितीय विन्यास ।
3. (संचार) नौसंचालन तंत्र में स्थिति दर्शाने वाली, पहचान योग प्रतिच्छेदी रेखाओं का एक चित्राम जो प्रेषित्रों द्वारा स्थापित किया जाता है । चित्राम की प्रतिच्छेदी रेखायें उन प्रेषित्रों के सापेक्ष नियत स्थितियों में होतीहै ।
  • lattice cell -- देखिए-
unit cell.
  • lattice constant -- जालक स्थिकांक, लैटिस स्थिरांक
किसी क्रिस्टल में एकक कोष्ठिका (unit cell) का साइज दर्शाने वाली लंबाई ।
  • lattice energy -- जालक ऊर्जा, लैटिस ऊर्जा
क्रिस्टल जालक की विभव ऊर्जा जो परमाण्विक या आयनिक जालक तंत्र की माप है ।
  • lattice imperfection -- जालक अपूर्णतायें
पूरण समांगी क्रिस्टल जालक की तुलना में जालक - संरचना की कमियाँ ।
  • lattice network -- जालक-परिपथ-जाल
एक प्रकार का विद्युत-परिपथ-जाल जो मैश के आकार में श्रेणीबद्ध शाखाओं से मिलकर बना होता है । इसमें दो असंलग्न संधि-स्थल-निवेश-टर्मिनल के रूप में और शेष दो संधि-स्थल-निर्गत टर्मिनल के रूप में कार्य करते हैं ।
  • latus rectum -- नाभि-लंब
किसी शांकव की नाभि सेहोकर जाने वाली द्विकोटि ।
  • Laue`s x-ray method -- लाउए ऐक्स-किरण विधि
ऐक्स-किरणों द्वारा क्रिस्टल संरचना के विश्लेषण की एक विधि जिसमें सभी तरंग दैर्ध्यों वाला एक ऐक्स - किरणपुंज क्रिस्टल में से गुजारा जाता है । क्रिस्टल के प्रत्येक समतल से लाउए समीकरण का पालन करने वाली तरंगों का विवर्तन हो जाता है जो फोटोग्राफिक प्लेट पर विवर्तन बिंदु के रूप में प्राप्त होता है । ।
  • law -- नियम
प्रेक्षित तथ्यों से निगमित सैद्धांतिक कथन अथवा व्यापकीकरण जो यह व्यक्त करता है कि कुछ निर्दिष्ट बातों या कारणों के विद्यामान होने पर एक निर्दिष्ट घटना सदैव होती है ।
  • law of additive volume -- संकलनीय-आयतन नियम
समान ताप एवं दाब पर गैसों के किसी मिश्रण का आयतन उसके घटकों के आयतन के योग के बराबर होता है ।
  • law of additivity -- संकलनीयता-नियम
किसी अणु का गुणधर्म जो उसके रचक परमाणुओं अथवा आबंधों के गुणधर्मों का योग होता है । इस प्रकार किसी अणु की आण्विक अपवर्तकता, उसके परमाण्विक अपवर्तकताओं के योग के बराबर तथा उसका अणु - भार उसके रचक परमाणुओं के परमाणु - भारों के योग के बराबर होता है ।
  • law of corresponding states -- संगत अवस्थाओं का नियम
यदि दो पदार्थों के दाब उनके क्रांतिक दाब के समानुपाती हों तो उनके ताप, आयतन और घनत्व भी क्रमशः उनके क्रांतिक ताप, क्रांतिक आयतन और क्रांतिक घनत्व के समानुपाती होते हैं । गणितीयतः इस नियम को निम्नलिखित समकरण द्वारा व्यक्त किया जाता हैः (Formula) Pr, Vr, Tr क्रमशः न्यूनीकृत दाब, न्यूनीकृत आयतन तथा न्यूनीकृत ताप कहलाते हैं । यह व्यंजक अवस्था का न्यूनीकृत समीकरण भी कहलाता है ।
  • law of equivalent proportion -- तुल्य अनुपात का नियम
दो तत्व अलग-अलग तीसरे तत्व की समान मात्रा के साथ जिस अनुपात में संयोग करते हैं तो उन दोनों तत्वों के परस्पर संयोग का अनुपात भी ही अथवा उसका कोई सरल गुणक होता है । उदाहरणार्थ, जल में 1 भाग हाइड्रोडन 8 भाग ऑक्सीजन से अथवा 3 भाग हाइड्रोजन, 24 भाग ऑक्सीजन से संयोग करता है । अमोनिया में 3 भाग भाइड्रोजन, 14 भाग नाइट्रोजन से संयोग करता है । अब इस नियम के अनुसार नाइट्रोजन और ऑक्सीजन के परस्पर संयोग का अनुपात 14:24 होगा, जैसा कि N2O3 मेंहोता है ।
  • law of gaseous combinations -- गैसीय संयोजन का नियम
जब गैसें आपस में संयोग करती हैं तो वे ऐसे अनुपातों में संयोग करती हैं जिनका एक दूसरे से और उत्पाद से, यदि वह भी गैसीय हो, सरल संबंध होता है । यह गेलुसैक का नियम कहलाता है । नियम की सार्थकता के लिए यह आवश्यक है कि अभिक्रिया के प्रारंभिक और अंतिम उत्पादों के ताप और दाब समान हों । दो भाग हाइड्रोजन और एक भाग ऑक्सीजन संयोग करके दो भाग पानी बनाते हैं । हालांकि आधुनिक अनुसंधान से पता चला है कि यह नियम पूरर्णतः यथार्थ नहीं है । बर्ट और एडगह ने 1915 में 59 निर्धारणों के आधार पर सिद्ध किया कि शुद्ध हाइड्रोजन और आक्सीजन के संयोग का अनुपात 2.00288:1 है ।
  • law of mass action -- द्रव्य अनुपाती क्रिया का नियम
सन् 1864 में गुल्डबेर्ग और वागे द्वारा प्रतिपादित नियम, जिसके अनुसार किसी पदार्थ की अभिक्रिया - दर उसकी सक्रिया संहति (सांद्रता) के समानुपाती होती है । अतः फलस्वरूप किसी रासायनिक अभिक्रिया का वेग अभिकारकों की सांद्रता के गुणनफल के समानुपाती होता है । इस प्रकार अभिक्रिया A + BC + D में अग्र - अभिक्रिया (forward reaction) का वेग Vf = k1 [A] [B] है, जिसमें k1 स्थिरांक है और गुरूकोष्ठक सांद्रता व्यक्तकरते हैं । इसी प्रकार पश्च - अभिक्रिया (backward reaction) के लिएVb = k2 [C] [D] साम्यावस्था पर, Vf = Vb अथवा k1 [A] [B] = k2 [C] [D] इसलिए(Formula)
  • lawrencium -- लारेन्सियम
तीसरे वर्ग का ऐक्टिवाइड रेडियोऐक्टिव धातु-तत्व । परमाणुक्रमांक 103, प्रतीक , परमाणु - भार 257, अर्धआयु 8 सेकंड । इसके दूसरे ज्ञात समस्थानिक का परमाणु भार 256 है । इसे कैलिफोर्नियम पर बोरॉन आयनों की बमबारी द्वारा बनाया जाता है । इससे ऐल्फा - विकिरण उत्सर्जित होता है । अल्प अर्ध - आयु के कारण अभी तक इसकी रासायनिक पहचान नहीं हो पाई है । इसका आविष्कार 1951 में हुआ था । इलेक्ट्रॉन - संरचनाः1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 3d10 4s2 4p6 4d10 4f14 5s2 sp6 5d10 5f14 6s2 6p6 6d1 7s2
  • laws of reflection -- परावर्तन के नियम
1. आपाती किरण, परावर्तित किरण और (आपतन बिंदु पर) परावर्तक पृष्ठ पर अभिलंब, एक ही समतल में स्थित होते हैं ।
2. आपतन कोण परावर्तन कोण के बराबर होता है ।
  • laws of refraction -- अपवर्तन के नियम
1. आपाती किरण, आपवर्तित किरण और (आपातन बिंदु पर ) पार्थक्य तल पर अभिलंब एक ही समतल मे होते हैं ।
2. आपतन कोण (i) और अपवर्तन कोण (r) के साइनों का अनुपात नियत होता है । इस नियंत अंक को प्रथम माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक कहते हैं, अर्थात् (Formula)
  • laws of thermodynamics -- ऊष्मागतिकी के नियम
ऊष्मागतिकी दो आधारभूत आनुभविक नियमों पर आधारित है जो प्रथम तथा द्वितीय नियम कहलाते हैं । इनके साथ कभी - कभी तृतीय नियम (नेन्सर्ट का ऊष्मा प्रमेय) भी जोड़ दिया जाता है ।
प्रथम नियम (first law): ऊष्मा ऊर्जा ही का एक रूप है और किसी भी प्रक्रम में समस्त प्रकार क ऊर्जाओं का योग अपविर्तित रहता है, अर्थात् न ऊर्जा की उत्पत्ति हो सकती है, न नाश । इसे ऊर्जा संरक्षण नियम भी कहते हैं ।
द्वितीय नियम (second law): ऊष्मा का प्रवाह निम्न ताप वाली वस्तु से उच्च ताप वाली वस्तु की दिशा में केवल तभी हो सकता है जब अन्य वस्तुओं में भी कुछ परिवर्तन हो जाए । दूसरे शब्दों में ऐसी कोई युक्ति संभव नहीं है जिससे किसी वस्तु में से ऊष्मा लेकर उसकी पूरी मात्रा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सके ।
तृतीय नियम (third law): परम शून्य के ताप पर प्रत्येक पदार्थ की एन्ट्रॉपी का मान शून्य हो जाता है ।
  • Le Bel - Van`t Hoff theory -- लबैल - वान्ट हॉफ सिद्धांत
इस सिद्धांत के अनुसार कार्बन की चारों संयोजकताएँ समान होती हं और ये किसी समचतुष्फलक के चारों कोनों की ओर दिष्ट रहती है तथा कार्बन परमाणु समचतुष्फलक के केंद्र में स्थित रहता है । यह संरचनात्मक कार्बनिक रसायन और त्रिविम रसायन का मूल सिद्धांत है । चार संयोजकता - आबंधों की सममिति और तुल्यता को कार्बन परमाणु के चार संयोजकता - इलेक्ट्रॉनों के चार कक्षकों के संकरण के आधार पर आधुनिक आण्विक कक्षक सिद्धांत (molecular orbital thoery) द्वारा समझाया जा सकता है ।
  • leading diagonal -- अग्रग विकर्ण
किसी सारणिक के बायीं ओर ऊपर के कोने से दायीं ओर नीचे के कोने तक का विकर्ण ।
  • leakage -- क्षरण
1. द्रव या गैस का किसी छिद्र आदि से पात्र के बाहर निकलने या उसके अंदर प्रवेश करना ।
2. किसी विद्यत् चार्च या धारा का अपूर्ण अथवा दोषपूर्ण विद्युत रोधन के कारण अभीष्ट पथ से भिन्न किसी अन्य पथ से जाकर लुप्त हो जाना ।
  • leakage curent -- क्षरणधारा
1. एक अवांछित विद्युत् धारा जो किसी विद्युत् रोधी पदार्थ के पृष्ठ पर आवेश के क्षरण होने से प्रवाहित होती है । गंदे, नमीदार या कटे - पेट विद्युत् रोधी को छोड़कर यह धारा प्रायः नगण्य होती है ।
2. किसी संधारित्र में हीन डाइडलेक्ट्रॉनिक के माध्यम से बहने वाली दिष्ट धारा ।
3. किसी दिष्टकारी मे से गुजर जाने वाली वह प्रत्यावर्ती धारा जिसका दिष्टकरण नहीं हो पाता ।
  • leap frog test -- प्लुति-परीक्षण
कंप्यूटर में काम आने वाला एक प्रकार का परीक्षण जिसमे एक विशेष प्रकार के प्रोग्राम का उपयोग किया जाता है । यह प्रोग्राम संचय स्थलों के एक समूह पर अंकगणितीय या तर्कसंगत संक्रिया करके दूसरे समूह पर सथानांतरित हो जाता है और फिर स्थांतरण की यथार्थता का परीक्षण करके पुनः संक्रिया - श्रृंखला आरंभ करता है । इस प्रकार इस परीक्षण द्वारा लगभग सभी संचय - स्थलों का परीक्षण हो जाता है ।
  • leap year -- लीप वर्ष
वह वर्ष जिसमें 366 दिन होते हैं । एक दिन इसलिए जोड़ा जाता है कि केलैण्डर ऋतुओं के अनुसार ठीक - ठीक चले वह वर्ष जो 4 से भाज्य हो उदाहरणार्थ 1956, 1960 आदि । शताब्दी वर्ष लीप वर्ष तब होते हैं जबकि वे 400 से भाज्य हों उदाहरणार्थ 1600, 2000
  • least common multiple -- लघुतम समापवर्त्य, लघुतम
दी हुई संख्याओं से पूरी-पूरी कटने वाली छोटी से छोटी संख्या । जैसे 4,12,16 का लघुतम समापवर्त्य 48 है । वह सबसे छोटे घात का सरलतम व्यंजक जिसको दिए हुए व्यंजक पूरा-पूरा काट सके । जैसे, (x-a), (x2-a2), (x3+a3) का लघुतम समापवर्त्य (x-a) (x+a) (x2-ax + a2) है ।
  • least squares, method of -- न्यूनतम वर्ग विधि
1806 में गाउस और लेजांड्रे द्वारा बतायी गई एक विधि जिसके द्वारा प्रायोगिक आँकड़ों के किसी सेट के लिए सबसे अधिक उपयुक्त समीकरण मालूम किया जाता है । समीकरण y=a +bxमें x एक स्वतंत्र चर है और a,b के उन मानों को सर्वोत्तम बतीती है जिनके लिए y के प्रेक्षित और समीकरण द्वारा निर्धारित मानों के अन्तरों के वर्गों का योगफल न्यूनतम हो ।
  • lecher wire -- लेचर का तार
एक प्रकार की संचरण-लाइन जो 108Hz से अधिक ऊँची रेडियो - आवृत्तियों को मापने में काम आतीहैं इसमें दो समांतर तार होते हैं जिनकी लंबाई मापी जाने वाली कुछ तरंग - दैर्ध्यों के बराबर होती है और जिनमें तरंग - दैर्ध्य के एक अल्पांश के बराबर अंतर होता ह । इसके एक सिरे से सूक्ष्म तरंग - स्रोत को संबद्ध कर दिया जाता है । लघुपथकारी एक सर्पी छड़ तारों के साथ - साथ चलाई जाती हैऔर अप्रगामी तरंगों के निष्पंदों के बीचकी दूरी मालूम करके तरंगदैर्ध्य या आवृत्ति का परिकलन किया जाताहै ।
  • Lechlanche cell -- सेल, लेक्लांशे
प्राथमिक सेल जिसमें धनात्मक ध्रुव कार्बन की छड़ और ऋणात्मक ध्रुव पारदित (amalgamated) जस्ते की छड़ होती है, जो अमोनियम क्लोराइड विलयन में डूबी रहती है । एक सरंध्र पात्र में भरे हुए मैंगेनीज डाइ आक्साइड (निर्ध्रुवक) और ग्रेफ़ाइट के पिसे हुए मिश्रण में कार्बन की छड़ रखी रहती है । इसका वि.वा.ब. लगभग 1.4 वोल्ट होता ह जो धारा का प्रवाह होने पर तेजी से घट जाता है । किन्तु धारा के बंद होने पर पुनः उतना ही हो जाता है । ये सेल मुख्यतः बिजली की घंटी में, टेलीफोन में या इसी प्रकार के अन्य अल्पकालिक कार्यों के लिए उपयोगी होता है ।
  • lens -- लेंस
काँच या किसी दूसरी पारदर्शक वस्तु का पतला टुकड़ा जिसमें आमने - सामने के दोनों पृष्ठ गोलीय अथवा किसी अन्य नियमित वक्र आकृति के होते हैं । साधारणतया इसका उपयोग अकेले या संयुक्त रूप में किसी प्रकाशीय उपकरण में प्रकाश की किरमों को अभिसारित या अपसारित करने के ले किया जाता है । अभिसारी लेन्स उत्तल (convex) तथा अपसारी लेंस वतल कहलाते हैं । दोनों ही वर्गों के लेंस तीन - तीन प्रकार के होते हैं । जिनके नाम उनके दोनों पृष्ठों की आकृति के अनुसार निम्नलिखित हैं ।
1. अवतल या अपसारी (i) समतलावतल (ii) उभयावतल (iii) उत्तलावतल (नवचंद्रक)
2. उत्तल या अभिसारी (i) समतलोतल (ii) उभयोतल (iii) अवतलोत्त्ल (नवचंद्रक)
  • Lenz`s law -- लंज का नियम
जर्मन भौतिकीविद् हाइनरिश फ़्रडिक एमिल लेंज (Hoinrisch FriedrichEmmil Lenz) (1814-1865) ने सन् 1834 में विद्युत् चुंबकीय प्रेरण से उत्पन्न होने वाली विद्युत् दारा की दिशा जानने के लिए इस नियम की खोज की । किसी परिपथ से संबद्ध चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होने के कारम उस परिपथ में प्रेरित होने वाला विद्युत् धारा की दिशा ऐसी होती है कि मूल तथा धारा जनित फ्लक्सों का सम्मिलित मान मूल फ्लक्स के मान के बराबर हीबना रहे । यदि यह धारा फ्लक्स घटने के कारण उत्पन्न हुई हो तो धारा की दिशआ ऐसी होगी जो फ्लक्स में वृद्धि करे ।
  • lepton -- लेप्टॉन
न्यूट्रीनों, इलेक्ट्रॉन, म्यूऑन और इनके ऐन्टीकण जैसे अल्प द्रव्यमान वाले कमों का सामूहिक नाम । लेप्टॉन दुर्बल विद्युत्चुंबकीय अन्योन्य क्रियाओं में तो भाग लेते हैं परंतु प्रबल अन्योन्य क्रियाओं में नहीं ।
  • Leslie`s cube -- लेज़ली का घन
अंग्रेज भौतिकीविद् जोहन लेज़ली (Johan Leslile) (1776-1832) अभिकल्पित । धातु का घनाकार बर्त जिसके पार्श्वीय फलकों पर भिन्न - भिन्न पदार्थों के लेप कर दिए जाते हैं । बर्तन में पानी को उबालने से इन सब फलकों का ताप 1000C हो जाता है । इनसे उत्सर्जित विकिरणों की तुलना ताप विद्युत् पुंज के द्वारा की जाती है और यह प्रदर्शित किया जाता है कि खुरदरा पृष्ठ पालिश किए हुए पृष्ठ की अपेक्षा और काला पृष्ठ सफेद पृष्ठ की अपेक्षा अच्छा उत्सर्जक होता है ।
  • lever -- उत्तोलक (=लीवर)
यह एक सरल यंत्र है जिसके द्वारा एक स्थान पर बल लगाकर अन्य स्थान पर उससे अधिक या कम बल लगाया जा सकता है । यह लकड़ी, धातु या अन्य किसी दृढ़ पदार्थ का एक दंड होता है जो किसी स्थिर अक्ष पर घूम सकता है । इस अक्ष को आलंब कहते हैं । इसका काम बलों के आघूर्ण पर आधारित है और बहुधा इसका उपयोग कम बल लगाकर अधिक भार उठाने के लिए किया जाता है । आलम्ब से भार की दूरी कम ह ती है और जहाँ बल लगाया जाता है उस स्थान की दूरी अधिक होती है ताकि संतुलन की स्थिति में दोनों के आघूर्ण बराबर हो जाएँ । आलम्ब, बल और भार के बीच में भी हो सकता है और ऐसा भी हो सकता है कि आलम्ब लीवर के एक सिरे पर हो तथा बल और आलम्ब दोनों उसके एक ही पार्श्व में हों । कैंची में प्रथम प्रकार का लीवर है और सरौते में दूसरी प्रकार का ।
  • Leyden jar -- लीडन जार
यह एक प्रकार का विद्युत् संधारित्र है जो भीतर और बाहर टिन की चादर से मढ़े हुए कांच के जार के रूप में होता है । जार के मुँह से बाहर निकली हुई पीतल की एक घुंडी से इसके भीतर वाली चादर का संपर्क रहता है और बाहर की चादर का संपर्क पृथ्वी से रहता है । घुंडी के द्वारा इसे विद्युत् से आविष्ट कर दिया जात है । इसकी धारिता कम होती है किन्तु इसका विभव बहुत ऊँचा हो जाता है और इसकी घुंडी से स्फुलिंग प्राप्त किए जा सकते हैं ।
  • life time (mean life time) -- देखें
mean life
  • light -- प्रकाश
ऐसा विकिरण जो आँख के रेटिना पर पड़कर दृष्टि की अनुभूति उत्पन्न करता है ।
  • light - emitting doide (LED) -- प्रकाश उत्सर्जक डायोड
गैलियम आर्सेनाइड जैसे किन्हीं अर्धचालक पदार्थों से बना एक प्रकार की डायोड जिसमें इलेक्ट्रॉन - रिक्त युग्म का प्रत्यक्ष विकिरणी पुनर्योजन संभव है । अगल ऐसे पदार्थों से बनी किसी संधि पर अग्रदिशिक बायस लगाया जाए तो उत्सर्जित प्रकाश बायस धारा के समानुपाती होगा । इससे प्राप्त होने वाला उपयोगी प्रकाश क्रिस्टल पृष्ठ के प्रकाशिक गुण पर निर्भर है और वर्ण उपयुक्त पदार्थ पर । इस प्रकार के डायोड परिकलित्र में प्रदर्श युक्तियों के काम आते हैं ।
  • light year -- प्रकाश वर्ष
खगोल भौतिकी में काम आने वाला दूरी का एक मात्रक जो निर्वात में प्रकाश द्वारा एक वर्ष में तय की हुई दूरी के बराबर है । इसका मान 9.46 x 1012 है ।
  • light year -- प्रकाश वर्ष
दूरी का एक माप जो एक माध्य सौर वर्ष में प्रकाश द्वारा तय की गई दूरी के बराबर है अर्थात् - 9,461,000,000,000 किलोमीटर अथवा 5,880,000,000,000 मील ।
  • lighting -- तड़ित्
कई कारणों से बादलों में विद्युत् का आवेश बहुत बड़ी मात्रा में एकत्र हो जाता है और उनका विभव बढ़कर लाखों वोल्ट का हो जाता है । फलतः किसी एक बादल से दूसेर बादल में अथा बादल से पृथ्वी में मीलों लंबा क्षणिक विद्युत् आर्क प्रकट होता है जिस के कारम भयंकर शब्द और अत्यंत तीव्र प्रकाश उत्पन्न होता है । इसे तड़ित् कहते हैं ।
  • lightning conductor -- तड़ित चालक
ऊँचे भवनों पर लगाये जाने वाला एक प्रकार का तड़ित् रक्षी - तंत्र । इसका एक सिरा वायु मेंहोता है और दूसरा सिरा एकल चालक द्वारा भूमि से जुड़ा होता है । इसके द्वारा वायव सिरे से भूमि तक तड़ित् विसर्जन आसानी से हो जाता है ।
  • lightning conductor -- तड़ित् चालक
धातु की एक चालक पट्टिका जिसका एक सिरा नुकीली तता मकान के उच्चतम भीग से अधिक ऊँचा होता है तथा दूसरा सिरा सुचारू रूप से भू - संपर्कित होता है । आविष्ट बादल जब मकान के ऊपर आते हैं तब इस चालक की नोक में से आवेश धीरे - धीरे निकलता रहता है और विभवांतर इतना नहीं बढ़ पाता कि तड़ित् प्रगट होकर मकान को नष्ट कर सके ।
  • lilnear amplifier -- रैखिक प्रवर्धक
1. सामान्य रूप से ऐसा कोई भी प्रवर्धक जिसमें निर्गत सिग्नल का आयाम, निवेश सिग्नल के आयाम का समानुपाती होता है ।
2. विशेष रूप से एक प्रकार का स्पंद - प्रवर्धक जिसमें स्पंद के किसी दिए हुएआकार के लिए और प्रवर्धक अतिभारित होने तक निर्गत स्पंद का आयाम, निवेशी स्पंद के आयाम का समानुपाती होता है ।
  • lilnear distortion -- रैखिक विरूपण
सिग्नल-विकृति का कोई भी रूप जो सिग्नल के आयाम पर निर्भर नहीं होता ।
  • liminance -- ज्योतिर्मयता
ज्यतीय तीव्रता प्रतिमात्रक क्षएत्रफल । किसी दीप्त पृष्ठ की अभिलंब ज्योतिर्मयता Loउस ज्योतीय तीव्रता को कहते हैं जो उसके 1 cm2 क्षेत्रफल के कारण अभिलंब दिशा में होती है । अभिलंब से θ का कोण बनाने वाली दिशा मे उसकी ज्योतिर्मयता Lθ=Lo cos θ होती है । प्रकाश से संबंधित ।
  • liminescence -- संदीप्ति
उच्च ताप के सिवाय किसी अन्य कारण से प्रकाश का उत्सर्जन । दूसरे शब्दों मे निम्न ताप पर प्रकाश का उत्सर्जन । संदीप्ति के मुख्य कारणों मे से कुछ हैः- रासायनिक क्रिया, विद्युत् क्रिया, घर्षण, पराबैगनी विकिरण, कैथोड किरणें आदि ।
  • liminosity -- ज्योति
साधारण रूप से किसी विकिरण उत्सर्जित करने वाले स्रोत का वह गुण जिसेक कारण वह सफेद अथवा रंगीन काश से चमकता दिखाई देता है । यह कुछ तो प्रकाश के स्रोत से विकीर्ण ऊर्जा पर किन्तु मुख्यतः विभिन्न तरंग - दैर्ध्यों के लिए आँख की सुग्राहिता पर निर्भर है । मात्रात्मक दृष्टि से यह किसी स्रोत से उत्सर्जित ज्योतीय फ्लक्स और संपूर्ण विकिरण फ्लक्स का अनुपात होता ह । इसाक मात्रक ल्यूमेन प्रति वाट होता है ।
  • liminous -- दीप्त
दीप्त वस्तु वह है जिससे प्रकाश उत्सर्जित हो जैसे सूर्य, तारे, लैंप आदि ।
  • limit -- सीमा
1. किसी फलन के संदर्भ में कोई ऐसी संख्या जिसका उस फलन से संख्यात्मक अंतर जितना चाहे कम कर दिया जा सकता है, जबकि स्वतंत्र चरों केमान किन्हीं निर्दिष्ट मानों के अत्यंत निकट आ जाते हों, परन्तु उनके बराबर न हो जाते हों, या फिर ये मान धन या ऋण दिशा में प्रर्याप्ततः बृहद् हो जाते हों । उदाहरणार्थ (Formula) की सीमा 2 है जब x का मान a के निकट आ जाता हो ।
2. यदि Sn कोई अनन्त अनुक्र हो, ε कोई स्वेच्छया गृहीत लघु धन संख्या हो और यदि 1 कोई ऐसी संख्या हो कि n का मान काफी बड़ा हो जाने पर |sn-1<ε| हो जाता हो तो 1 को Sn की सीमा कहते हैं ।
3. किसी निश्चित समाकल (Formula) में a और b को समाकल की सीमाएँ कहते हैं जिनको प्रत्यवकलज F(x) में x के स्थान पर प्रतिस्थापित करके F(a) - F(b) के रूप मे समाकल का मान निकाला जाता है ।
  • limit point -- सीमा बिंदु, गुच्छ बिंदु
किसी बिंदु-समुच्चय का एक ऐसा बिंदु जिसके किसी प्रतिवेश में के अलावा समुच्च्य का कम से कम एक बिंदु अवश्य होता हो वह बिंदु जो समुच्च्य के बिंदु अनुक्रम की सीमा हो ।
  • limiter -- सीमक
1. एक प्रकार का ट्रांसड्यूसर जिसमें एक क्रांतिक मान से ऊपर वाले सभी निवेशों के लिए निर्गत का सदैव एक नियतमान प्राप्त होता है । इसका उपयोग आयाम-मॉडुलन को हटाने अथवा कोण-मॉडुलन को प्रेषण करने के लिए किया जा सकता है ।
2. दूरदर्शन में F.M. ग्राही का अंतिम (या दो) I.F. चरण । इसका उद्देश्य F-M सिग्नल में होने वाले आयाम विरूपण या विचरण को दूर करना है ।
  • Linde process -- लिन्ड प्रक्रम
संपीडन और तत्पश्चात् प्रसार द्वारा वायु या अन्य गैस को द्रवित करने का प्रक्रम । शीतलित वायु को बार - बार अधिक संपीडित वायु मेंले जाकर इस प्रक्रम को तब तक दोहराते हैं जब तक द्रवण नहीं हो जाता । इसमें शीतलन जूल टॉम्सन प्रभाव के कारण होता है ।
  • Lindemann electrometer -- लेक्ट्रोमीटर, लिंडमान
वर्तलपाद विद्युत्मापी के समान ही काम करने वाला बहुत छोटा सुवाह्य (portable) विद्युत्मापी जिसको इस प्रकार बनाया जाता है कि इसे टेढ़ा करने से कोई हानि न हो । वर्तुलपादों के स्थान में चार छोटी - छोटी पट्टिकाएँ होती हैं जिनकी विद्युत् - धारिता बहुत कम होती ह । फलतः बहुत थोड़ी विद्युत से इन पट्टिकाओं का विभव काफी बढ़ जाता है । इसकी सूची पतले तार की होती है और तने हुए क्वार्ट्ज तंतु के बीच में चिपकी रहती है ।
  • line drop -- लाइन-विभव-पात
लाइन प्रतिबाधा के कारम किसी शक्ति - लाइन या संचरण - लाइन पर स्थित दो बिंदुओं के बीच होने वाला विभव - पात ।
  • line frequency -- रेखा आवृत्ति
1. विद्युत् सप्लाई की आवृत्ति जो भारत में 50Hz है ।
2. टेलिविजन में क्रमवीक्षण बिंदु द्वारा चित्र की किसी स्थिर ऊर्ध्वाधर रेखा को एक ओर क्षैतिज दिशा में पार करने की आवृत्ति । इसे क्षैतिज दिशा में पार करने की आवृत्ति । इसे क्षैतिज आवृत्ति या क्षैतिज रेखा आवृत्ति भी कहते हैं ।
  • line frequency -- रेखा-आवृत्ति
1. विद्युत् सप्लाई (आपूर्ति) की आवृत्त जो भार में 50Hz है ।
2. दूरदर्शन में क्रमवीक्षण बिंदु द्वारा चित्र की किसी स्थिर ऊर्ध्वाधर रेखा को एक ओर क्षैतिज दिशआ में पार करने की आवृत्ति । इसे क्षैतिज आवृत्ति या क्षैतिज रेखा - आवृत्ति भी कहते हैं ।
  • line of force -- बलरेखा
गुरूत्वीय, चुंबकीय अथवा वैद्युत् बल-क्षेत्र में वह काल्पनिक रेखा (वक्र) जिसके प्रत्येक बिंदु पर खींची हुई स्पर्श रेखा उस बिंदु पर बल की दिशा बनाती है ।
  • line of greatest slope -- महत्तम ढाल रेखा
किसी आनात समतल की वह रेखा जो दिये हुए बिंदु से क्षैतिज समतल तथा आनत समतल की प्रतिच्छेद - रेखा पर लंब हो ।
  • line of quickest descent -- शीघ्रतम अवरोहण की रेखा
एक ही ऊर्ध्वाधर समतल में दिए हुए किसी वक्र तक उसी समतल में किसी दिए हुए बिंदु से शीघ्रतम अवरोहण की रेखा वह रेखा है जिस पर कोई पिंड दिए हुए बिंदु से वक्र तक फिसल कर कम से कम समय में पहुँच सके ।
  • line printer -- लाइन-मुद्रक
कंप्यूटरों और छिद्रित कार्ड-मशीनों के साथ काम आने वाला एक द्रुत मुद्रक जो एक समय में पूरी लाइन का मुद्रण कर देता है । इस लाइन में 120 या इससे भी अधिक संप्रतीक हो सकते हैं । इस मुद्रक में वर्णमाला के सभी संप्रतीक एक सतत घूर्णमान डिस्क की रील पर लगे होते हैं और डिस्कों की संख्या उतनी ही होती है जितनी कि लाइन में संप्रतीकों की कंप्यूटर क्षण भर के लिए डिस्कों को लाइन के सही संप्रतीकों पर रोक देता है और एक सेकंड के अंश मात्र में मुद्रण कर देता है । इसे द्रुत मुद्रक कहते हैं ।
  • line spectrum -- रेखित्र स्पेक्ट्रम
ऐसा स्पेक्ट्रम जिसमें अदीप्त पृष्ठभूमि पर पतली दीप्त रेखाएँ (उत्सर्जन स्पेक्ट्रम) अथा दीप्त भूमि पर पतली अदीप्त रेखाएँ (उत्सर्जन स्पेक्ट्रम) दिखाई देती है । जब किसी गैस के परमाणु ताप जनित पारस्परिक टक्करों तता वैद्युत् बल आदि के कारण उत्तेजित हो जाते हैं, अर्थात् उनकी ऊर्जा बढ़ जाती है और वे पुनः अपनी स्वाभाविक स्थिति में लौटते हैं तब उनमें से नियत तरंग दैर्ध्यों का एक-वर्ण प्रकाश उत्सर्जित होता है । यही इन दीप्त रेखाओं का कारण है । इस प्रकार जब गैस के परमाणुओं पर प्रकाश पड़ता है तब वे केवल उन्हीं तरंग दैर्ध्यों के प्रकाश का अवशोषण पर प्रकाश पड़ता है तब वे केवल उन्हीं तरंग दैर्ध्यों के प्रकाश का अवशोषण करते हैं जिनका वे उत्सर्जन कर सकते हैं । अतः गैस में से पारगत प्रकाश के स्पेक्ट्रम मे इन तरंग दैर्ध्यों का अभाव हो जाता है और वहाँ काली रेखाएँ दिखाईं देती हैं । गैस के अणुओं में ऐसी क्रिया होने से जो स्पेक्ट्रम प्राप्त होता है वह बैंड-स्पेक्ट्रम कहलाता है, उसमें भी रेखाएं ही होती हैं किन्तु वे इतनी पास-पास होती हैं कि आपस में मिलकर चौड़ी-चौड़ी पट्टियाँ दिखाई देती हैं ।
  • line spectrum -- रेखिल स्पेक्ट्रम
1. संतत स्पेक्ट्रम के विपरीत एक ऐसा स्पेक्ट्रम जिसमें ऊर्जा, द्रव्यमान आवृत्ति तरंगदैर्ध्य आदि के एक अथा अनेक विभिन्न मान होते हैं । इन मानों के संगत स्पेक्ट्रमीय रेखाओं के आस - पास ऊर्जा आदि का एक प्रसर हो सकता है जिससे रेखाओं की परिमित चौड़ाई हो जाती है ।
2. अणुओं के बैंड स्पेक्ट्रम से भिन्नता दर्शाने के लिए परमाणुओं के स्पेक्ट्र का एक रूढ़िगत नाम । वास्तव में दोनों ही प्रकार के स्पेक्ट्रमों में रेखायें होती हैं ।
  • line voltage -- लाइन वोल्टता
वैद्युत शक्ति तंत्र के प्रसंग में किसी एकल कला तंत्र की दो लाइनों के बीच की वोल्टता । भारत मे घरेलू प्रयोग के लिए इसका मान 220 है ।
  • linear acceleration -- त्वरण, रेखीय
प्रति सेकंड होने वाली रेखीय वेग की वृद्धि जिसे सेंटीमीटर प्रति सेकंड, प्रति सेकंड या इसी प्रकार के दूसरे मात्रकों में व्यक्त किया जाता है ।
  • linear accelerator -- रैखिक त्वरक
1. आवेशित कणों का त्वरण करने की एक युक्ति जिसमें वलयाकार इलेक्ट्रोड एक सीधी रेखा में व्यवस्थित होते हैं । जब रेडियो आवृत्ति पर इलेक्ट्रोड -विभव उपयुक्त आयाम सहित बदलते हैं तो इलेक्ट्रोडों के बीच में से गुजरने वाले कणों में ऊर्जा की उत्तरोत्तर वृद्धि हो जाती है और इनका त्वरण बिल्कुल सीधी रेखा में होता है ।
2. आवेशित कणों का त्वरण करने की एक अन्य युक्ति जिसमें कणों का त्वरण एक तरंग पथ में उत्पन्न होने वाले प्रगामी तरंग - क्षेत्र के वैद्युत् घटक द्वार होता है ।
  • linear congruence -- 1. एकघत समशोषता 2. द्विप्राचल रेखा - कुल
1. एकघात समशोषताः वह समशेषता जिसमें सभी पद प्रथम घात के हों । उदाहरणार्थः 12x + 10y -6 = 0 (mod 42)
2. द्विप्राचल रेखा-कुलः रेखाओं का कोई परिवार जिसके समीकरण में दो स्वतंत्र प्राचल आते हों ।
  • linear detection -- रैखिक संसूचन
रेडियो-संचरण में एक प्रकार का संसूचन जिसमें निर्गत वोल्टता संसूचक युक्ति के उपयोगी परिसर में सदा निवेश वोल्लटता की समानुपाती होती है ।
  • linear magnification -- आवर्धन, रैखिक
प्रतिबिंब की लंबाई तथा बिंब की लंबाई का अनुपात, अर्थात् (Formula)
  • linear modulation -- रैखिक मॉडुलन
रेडियो-संचरण में एक प्रकार का मॉडुलन जिसमें बाह्य सिग्नल के मॉडुलित अभिलक्षण में होने वाला परिवर्तन श्रव्य आवृत्ति-बैंड के परिसर में मॉडुलन सिग्नल के मान का समानुपाती होता है ।
  • linear momentum -- रेखिक संवेग
रेखिक संवेग वस्तु के द्रव्यमान तथा उसके रैखिक वेग के गुणनफल के बराबर होता है । यह सदिश राशि है ।
  • linear momentum -- रेखिक संवेग
रेखिक संवेग वस्तु के द्रव्यमान तथा उसके रेखिक वेग के गुणनफल के बराबर होता है । यह सदिश राशि है ।
  • linear programming -- रैखिक प्रोग्रामन
1. गणित एवं संक्रिया-विज्ञान में किसी विशेष प्रकार की समस्या का सर्वोत्तम हल ज्ञात करने में प्रयुक्त तकनीक । उदाहरणार्थः किसी इष्टतम मिश्रण के लिए किस अनुपात में घटकों को चुना और मिलाया जाए ।
2. ऐसी समस्याओं का विश्लेषण जिनमें कुछ चरों के किसी रैखिक फलन का अधिकतमीकरण (अथवा निम्नतमीकरण) करना हो जबकि इन चरों पर रैखिक असमताओं के रूप में कुछ प्रतिबंध लागू होते हों ।
3. गणित तथा संक्रिया-विज्ञान में कुछ विशेष प्रकार की समस्याओं को हल करने की तकनीक जिनमें आने वाले किसी चर या चरों के किसी समुच्च्य के सर्वोत्त्म मानों को ज्ञात करना अभीष्ट हो ।
  • linear programming -- रैखिक प्रोग्रामन
कंप्यूटर में कुछ प्रकार की समस्याओं को हल में जिनमें अनेक चर सम्मिलित होते हैं सर्वोत्तम मान अथवा मानों का सेट प्रदान करने वाली एक तकनीक । समस्याओं की सीमाएँ निम्नलिखित हो सकती हैः- निम्नतम लागत अल्पतम प्रयत्न, अल्पतम काल, अल्पतम उपस्कर आदि । रैखिक प्रोग्रामन - संक्रिया एक अनुसंधान तकनीक है जिसका कंप्यूटर - प्रोग्रामन से कोई संबंध नहीं होता यद्यपि रैखिक प्रोग्रामन कंप्यूटर - प्रोग्रामन से कोई संबंध नहीं होता यद्यपि रैखिक प्रोग्रामन प्रचालन - कंप्यूटर द्वारा किए जा सकते हैं ।
  • linear scan -- रैखिक क्रमवीक्षण
1. एक रेडार किरणपुंज जो अपने क्रमवीक्षण त्रिज्यखंड में एक सिरे से दूसरे सिरे तक अपरिवर्ती कोणीय वेग से घूमता है । यह त्रिज्यखंड पूरा - पूरा 3600 तक हो सकता है ।
2. कैथोड-किरण-नलिका में एक इलेक्ट्रॉन - किरणपुंज जो नलिका के पलक के आर - पार अपरिवर्ती गति से विक्षेपित होता हैं, विक्षेपक इलेक्ट्रोडों पर आरा - दंत - तरंगाकृति रैखिक क्रमवीक्षण प्रदान करती है ।
3. एक रेडार-क्रमवीक्षण जो सीधी रेखा में प्रक्षेपित और नियत होता है । इसका उपयोग विशेष तौर पर त्रिज्यखंडीय क्रमवीक्षण में प्रतिध्वनियों की तीव्रता बढ़ाने के लिए किया जाता है ।
  • linear trend -- रैखिक अभिनति
वह अभिनति जिसका मान काल-चर का एक रैखिक फलन हो । उदाहरणार्थ u(t)=a + bt जहाँa और b अचर हैं ।
  • linkage -- बंध
परमाणुओं के पारस्परिक संयोजकता-संबंधों को व्यक्त करने के लिए संरचनात्मक सूत्रों में प्रयुक्त रेखाएँ । ये बंध ऐसे इलेक्ट्रॉन-युग्म द्वारा बनते हैं जिनमें प्रत्येक परमाणु से एक-एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त होता हैदेखिए- bond.
  • linkage -- बंध
1. चुंबीय फ्लक्स के प्रसंग में चुंबकीय फ्लक्स की रेखाओं की संख्या और उस कुंडली या विद्युत्-परिपथ के जिसमें से ये रेखाएँ गुजरती हैं लपेटों की संख्या के गुणनफल का एक माप ।
2. कंप्यूटर-प्रोग्रामन में दो पृथक्-पृथक् कोडित्र नेमकाओं का संबंध करने वाला कोडन ।
  • liquefaction = condensation (change of state) -- द्रवण
गैस अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तन जो सामान्यतः ताप घटाने से हो जाता है ।
  • liquid -- द्रव
द्रव्य की वह अवस्था जिसमें आयतन तो निश्चित होता हैपरंतु आकृति निश्चित नहीं होती । अतः द्रव जिस पात्र में र खा होता है उसी की आकृति धारण कर लेता है परंतु अपने आयतन से अधिक आयतन वाले पात्र को पूर्ण रूप से नहीं भर सकता । द्रव के अणु स्वतंत्रतापूर्वक गतिमान तो रहते हैं परन्तु उनमें एक दूसरे से पृथक् होने की प्रवृत्ति नहीं होती । आदर्श द्रव, अपरूपक प्रतिबल (shear stress) का स्थायी विरोध नहीं करता है और लगभग असंपीड्य होता है किन्तु साधारण द्रव में बहुत थोड़ा संपीडन हो सकता है । ताप को यथेष्ठ बढ़ाने से यह गैस अवस्था में परिणत हो जाता है और ताप को काफी कम कर देने से यह ठोस रूप भी धारण कर लेता है ।
  • liquid - drop model (of nucleus -- (नाभिक का) द्रव बूंद प्रतिरूप
परमाणु-नाभिक का एक व्यावहारिक कार्यकारी प्रतिरूप जिसे सन् 1936 में एन. बोर ने प्रसुत्त किया था और जिसमें परमाणु - नाभिक की, द्रव की बूंद से तुलना की गई है । जिस प्रकार किसी द्रव के अणु परस्पर मिलकर भिन्न - भिन्न आकार की बूंदें बनाते हैं, उसी प्रकार प्रोटॉन और न्यूट्रॉन मिलकर भिन्न - भइन्न परिमाणों के परमाणु - नाभिक बनाते हैं । द्रव की बूंदों के पृषअठ - तनाव की तुलना उन नाभिकीय आकर्षण - बलों से की जा सकता है जो न्यूक्लिऑनों को परस्पर बांधे रखते हैं । द्रव की बूंद में तो विद्युत् उदासीन अणु होते हैं परंतु नाभिक में न केवल विद्युत् उदासीन न्यूट्रॉन, अपितु धन आवेशित प्रोटॉन भी होते हैं । फलस्वरूप परमाणु - नाभिकों की तुलना ऐसी द्रव की बूंदों से की जा सकती है जो विद्युत् आवेशित अणुओं से बनी हों और जिनमें परस्पर प्रत्याकर्षण बल काम करते हों । इस सिद्धांत के आधार पर नाभिकीय - विखंडन के कुछ पहलुओं की भी व्याख्या की जा सकती है ।
  • liquid crystal -- द्रव क्रिस्टल
द्रव में किन्हीं खास किस्मों के दीर्घ अणुओं का विन्यास जिसके परिणामस्वरूप द्रव में तरलता का पूर्ण अभाव नहीं हो पाता ।
  • liquid crystal -- द्रव क्रिस्टल
कुछ क्रिस्टलीय पदार्थ अपने गलनांक पर समुच्चयन की सीमांत अवस्था प्रदर्शित करते हैं जिनमें एक ओर द्रव के गुणधर्म (जैसे श्यानता, आदि) और दूसरी ओर क्रिस्टल के प्रकाशीय गुणधर्म (जैसे द्विअपवर्तन) होते हैं । ऐरोमैटिक ऐजॉक्सी यौगिक, बेन्जिडीन व्युत्पन्न, कोलेस्टेरॉल व्युत्पन्न और दीर्घ - श्रृंखल कार्बोक्सिलिक अम्ल आदि अनेक यौगिक, द्रव - क्रिस्टल के उदाहरण हैं । इनमें रंग परिवर्तन द्वारा सूक्ष्म - तापांतरों को प्रदर्शित करने की क्षमता होती है । नका उपयोग औषधि, रंगीन टेलीविजन, इलेक्ट्रॉनिक प्रदर्शन - नलियों, ताप संवेदी टेप तथा ताप - निर्धारण पर निर्भर अन्य युक्तियों में होता है ।
  • liquid drop model -- द्रव बूंद प्रतिरूप
बोर द्वारा प्रतिपादित नाभिकीय संरचना का एक मॉडल जिसके अनुसार परमाणु का नाभिक काफी हद तक एक द्रव बूंद के समान माना जा सकता है । यह प्रितरूप भारी नाभिकों के लिए अधिक उपयुक्त है और इससे विखंडन क्रिया का स्पष्टीकरण किया जा सकता है ।
  • Lissajous figures -- लिसाजी की आकृतियाँ
दो परस्पर अभिलंब कंपनों के अध्यरोपण से प्राप्त होने वाला विस्तापन चित्राम । इन आकृतियों को ग्राफ़ीय विधि से या कैथोड किरण नलिका द्वारा प्राप्त किया जा सकता है । इन आकृतियों का सरलतम उदाहरण एक सरल रेखा है जो दो समान आवृत्ति तथापरस्पर कला संबद्ध कंपनों के अध्यरोपण से प्राप्त होती है । ये आकृतियाँ समान आवृत्ति के कंपनों का कला-संबद्ध मालूम करने में बहुत उपयोगी है ।
  • literal coefficient -- अक्षर - गुणांक
अक्षरों द्वारा व्यक्त होने वाले गुणांक । जैसे abxy में xy का अक्षर गुणांक ab है ।
  • litere -- लिटर प्रतीक
1. आयतन की इकाई । 1I = 10-3m3 = 1dm3
  • litre -- लीटर
c.g.s. पद्धति में आयतन का मात्रक, जो अधिक यथार्थ परिभाषा के अनुसार मानक दाब और 4 ताप पर अधिकतम घनत्व वाले जल के एक किलोग्राम के आयतन के बराबर होता है । अतः यह 1000,028 घन सेंटीमीटर के बराबर होता है ।
  • load -- लोड
1. कीस मशीन या उपकरण से प्राप्त होने वाली शक्ति ।
2. विद्युत्-शक्ति की वह मात्रा जो किसी शक्ति - लाइन, शक्ति जनित्र या अन्य शक्ति - स्रोत से प्राप्त की जाती है ।
  • load characteristic -- लोड अभिलक्षण
किसी निर्दिष्ट प्रचालन-परिपथ में इलेक्ट्रॉन-नलिका के किसी चर युगल जैसे इलेक्ट्रॉन-वोल्टता और धारा के तात्क्षणिक मानों के बीच का संबंध । इस स्थिति में सभी इलेक्ट्रोडों की दिष्ट प्रदाय वोल्टताएं अपरिवर्ति रखी जाती हैं ।
  • load factor -- लोड गुणक
औसत विद्युत् लोड और शिखर लोड के बीच का अनुपात जो प्रायः 1 घंटे की अवधि में निकाला जाता है ।
  • load impedance -- लोड प्रतिबाधा
ट्रांसड्यूसर में इसके लोड द्वारा प्रस्तुत होने वाली संमिश्र प्रतिबाधा ।
  • load line -- लोड - लाइन
इलेक्ट्रॉनिक नलिका या ट्रांजिस्टर के अभिलक्षणिक कुल के आलेख पर आर - पार खींची गई एक रेखा जो किसी सीमा तक एक विशेष लोड के लिए निवेश - सिग्नल - वोल्टता एवं सिग्नल धारा के बीच आलेखीय संबंध दर्शाती है ।
  • load matching -- लोड सुमेलन
लोड-परिपथ-प्रतिबाधा का स्रोत के साथ इस प्रकार सुमेलन करने का प्रक्रम ताकि स्रोत से लोड में ऊर्जा का इष्टतम स्थानांतरण हो सके । इसका उपयोग डाइलेक्ट्रिक और प्रेरणिक तापन आदि में होती है ।
  • loadstone (=lode stone) -- चुंबक पत्थर
एक किस्म का खनिज लोह ऑक्साइड (मैगनेटाइट) जिसमें चुंबकीय ध्रुव पाए जाते हैं और जो लोहे की वस्तुओं को आकर्षित करता है । निर्बाध रूप से लटकाए जाने पर इसके ध्रुव सदा चुंबकीय उत्तर - दक्षिण दिशा ही में स्थिर होते हैं ।
  • local action -- स्थीनीय क्रिया
शुद्ध जस्त पर सल्फ्यूरिकऐसिड की रासायनिक क्रिया नहीं हो सकती किंतु यदि जस्ते की छड़ मे कोई अपद्रव्य विद्यमान हो तो रासायनिक क्रिया होने लगती है । इसका कारण यह होता है कि ऐसिड से मिलकर इन अपद्रव्यों के और जस्ते के कणों के छोटे - छोटे वोल्टी सेल बन जात हैं और उनमें विद्युत् - धारा का परवाह होता है । इस क्रिया को स्थानीय क्रिया कहते हैं । इससे विद्युत सेलों में जस्त उस अवस्थआ में भी खर्च होता रहता है जब कि सेल से कोई धारा नहीं ली जाती। इस क्रिया को रोकने के लिए सेलों में प्रयुक्त जस्ते की छड़ या पट्टिका को पारदित कर दिया जाता है अर्थात् उनके पृषअठ पर पारा लगा दिया जाता है ।
  • local oscillator -- स्थानीय दोलित्र
सुपर हेटेरोडाइन अभिग्राही मे काम आने वाला एक दोलित्र जिसकी निर्गत आवृत्ति को प्राप्त सिग्नल की आवृत्ति से मिलाकर इन दोनों के योगफल या अंतर के बराबर एक आवृत्ति के बराबर होती है । इसे विस्पंद दोलित्र भी कहते हैं ।
  • local sidereal time -- 1. अभिबंधन
1. इलेक्ट्रॉनीय दोलित्र की आवृत्ति का अपरिवर्ती आवृत्ति वाले एक अनुप्रयुक्त सिग्नल द्वारा नियंत्रण ।
2. रेडार-ऐंटेना द्वारा लक्ष्य का स्वतः अनुसरण ।
  • locking -- अंतर्बधन
दो परस्पर युगमित दोलित्रों में एक अथवा दोनों की आवृत्तियों का विस्थापन और स्वतः स्थिरन । जिससे कि दोनों आवृत्तियों के बीच दो पूर्णांक संख्याओं का अनुपात स्थापित होकर उनका तुल्यकालन हो जाए ।
  • locking on -- 1. अनुबंध क्षण, अर्जन क्षण 2. अनुबंधन
1. वह क्षण जबकि रेडार किसी लक्ष्य का स्वतः अनुरेखन प्रारंभ करता है ।
2. किसी अनुरेखन अथवा लक्ष्य-खोजी तंत्र द्वारा एक अथवा अधिक निर्देशांकों में लक्ष्य के सतत् और स्वतः अनुरेखन की प्रक्रिया ।
  • locking relay -- अभिलंबी रिले
एक रिले जो पूर्व परिस्थितियों के अंतर्गत किसी अन्य रिले या युक्ति के प्रचालन को रोक देती है ।
  • locomotive -- रेल का इंजन
वाष्प, तेल या विद्युत् से चलने वाला इंजन जो गाड़ियों या डिब्बों को रेल की पटरी पर खींचती है ।
  • locus (of a point) -- बिंदू पथ
1. किसी नियम के अनुसार चलने वाले बिंदु द्वारा अनुरेखित पथ, जैसे यदि कोई बिंदु इस प्रकार चले कि किसी स्थिर बिंदु से उसकी दूरी अपरिवर्तित रहे तो उसका बिंदु पथ एक वृत्त होता है जिसका केंद्र वह स्थिर बिंदु होता हैं ।
2. लेखाचित्र में वह रेखा या पृष्ठ जिस पर वे सब बिंदु अवस्थित होते हैं जिनके निर्देशांक किसी समीकरण को संतुष्ट करते हैं ।
  • logic circuit -- तर्क-परिपथ
एक प्रकार का कंप्यूटर-परिपथ जो अथ (AND), अपि OR), न (NOT) और नापि (NOR) जैसे तर्क - फलनों से संबद्ध विविक्त निवेशी सिग्नलों से विविक्त निर्गत सिग्नल प्रदान करता है या तुलना, चयन, सुमेलन आदि जैसी तर्क - संक्रिया प्रस्तुत करता है ।
  • logic design -- तर्क-डिजाइन
1. कंप्यूटर या दत्त संसाधन तंत्र की आधारभूत योजना ।
2. तर्कसंगत अवयवों के परिपथ- जाल का संश्लेषण जिससे कोई निर्दिष्ट कार्य किया जा सके ।
3. उपर्युक्त दोनों प्रक्रियाओं का परिणाम जिसे प्रायः तंत्र, मशीन या परिपथ-जाल का तर्क कह देते हैं ।
  • logic element -- तर्क-अवयव
कंप्यूटर या दत्त संसाधन-तंत्र में वे लघुतम निर्माण-खंड जो प्रतीकात्मक तर्क के किसी उपयुक्त तंत्र में गणितीय संकारकों से दर्शाये जाते हैं । इनके विशिष्ट उदाहरण AND द्वारा और फ़्लिप-फ़्लॉपFLIP-FLOP हैं।
  • long wave -- दीर्घ तरंग
एक प्रकार की विद्युत तरंग जिसका तरंगदैर्ध्य प्रसारण बैंड की सबसे लंबी तरंगदैर्ध्य (लगभग 545 m ) से भी अधिक होता है ।
  • longitudinal aberration -- विपथन अनुदैर्ध्य
किसी दर्पण, लेन्स या प्रकाशीय तंत्र की अक्ष की दिशा में मापी हुई विपथनिक दूरी । वर्ण विपथन में यह दूरी दो मानक रंगों या तरंग दैर्ध्यों (जैसे फ्रैनहोफ़र की C तथा Fरेखाओं के प्रकाश) की फ़ोकस दूरीयों के अंतर के बराबर होती है । गोलीय विपथन मे यह दूरी उपाक्षीय किरणों (paraxial rays) के फ़ोकस से उपान्तीय किरणों (marginal rays) के फ़ोकस की दूरी होती है ।
  • longitudinal magnification -- आवर्धन, अनुदैर्ध्य
किसी परावर्तक या अपवर्तक तंत्र के मुख्य अक्ष के अनुदिश रैखिक आवर्धन अर्थात् मुख्य अक्ष की दिशआ में प्रतिबिंब और बिंब की लंबाईयों का अनुपात ।
  • longitudinal wave -- तरंग, अनुदैर्ध्य
वह तरंग जिसमें माध्यम के प्रत्येक कण के विस्थापन की दिशा तरंग संचरण की दिशा ही मेंहोती है , जैसे गैसों में ध्वनि - तरंगों ।
  • longitudinal wave -- अनुदैर्ध्य तरंग
वह तरंग जिसमें माध्यम के कण उसी दिशा में विस्थापित होते हैं जिसमें तरंग संचारित होती है ।
  • longsight = hypermetropia -- दीर्घ दृष्टि
आँख का ऐसा दोष जिसमें दूर की चीजें तो स्पष्ट दिखाई देती हैं किंतु पास की चीजें स्पष्ट नहीं दिखाई देतीं । इसका कारण यह होता है कि नेत्र के लेंस से रेटिना की दूरी इतनी कम होती है कि लेंस की असमंजित अवस्था में प्रकाश की समांतर किरणें रेटिना पर फ़ोकस नहीं हो सकतीं । अधिकतम समंजन के द्वार भी केवल उसी वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर फ़ोकस हो सकता है जिसकी दूरी एक विशेष दूरी से अधिक हो । इस दोष को दूर करने के लिये उत्तल लेंस के चश्मे का उपयोग किया जाता है ।
  • loran -- लोरेन (दीर्घ परासी नौ संचालन)
विमान आदि के काम आने वाली एक दीर्घ परासी रेडियो नौ - संचालन व्यवस्था जिसमें दूर - दूर स्थित तीन या चार प्रेषण - केंद्रों से युगपत प्रेषित होने वाले तुल्यकाली स्पंदों का उपयोग किया जाता है । इन स्पंदों के आगमन - काल का अंतर मापकर स्थिति की अतिपवलयिक रेखाएँ निर्धारित की जाती हैं । इन स्थिति - र खाओं में से किन्हीं दो रेखाओं के प्रतिच्छेद से स्थिति का निर्धारण हो जाता है । मानक लोरेन की प्रचालन आवृत्तियाँ 1800 और 2000 के बीच होती हैं ।
  • Loreentz force -- लोरेन्ट्स बल
एक ऐसा बल जो चुंबकीय एवं वैद्युत क्षेत्रों में गतिशील आवएश पर कार्य करता है । इसे निम्नलिखित समीकरण से दर्शाया जा सकता हैः (Formula) जहाँ लोरेन्ट्स बल वैद्युत क्षेत्र कण के वेग एवं युम्बकीय अभिवाह घनत्व का सदिश गुणनफल प्रकाश का वेग
  • Lorentz transformation -- लोरेन्ट्स रूपांतरण
लोरेन्ट्स द्वारा प्रतिपादित एक प्रकार का संबंध जो परस्पर सापेक्ष गति से चलते हुए दो निर्देश तंत्रों से किसी घटना के समय और दूरी के मापनों को आपेक्षिकता के विशिष्ट सिद्धांत के अनुसार एक दूसेर से संबद्ध करता है । के सापेक्ष यदि का वेग ऐक्स - दिशा में v हो और x,y,z,t तथा x`,y`,z`,t` क्रमशः S औरS`निर्देश तंत्रों में किन्हीं दो घटनाओं के स्थान और समय निर्देशांक हों तो इनका पारस्परिक संबंध निम्नलिखित होता हैः (Formula)
  • Lorentz- Fitzgerald contraction -- लोरेन्ट्स फ़िट्सजेरल्ड संकुचन
माइकलसन-मोरले प्रयोग के नकारात्मक परिणाम को समझाने के ले 1893 में फ़िट्सजेरल्ड द्वारा प्रतिपादित एक परिकल्पना जिसके अनुसार ईथर मे से v वेग से गुजराता हुआ कोई बी पिंड गति की दिशा में (Formula) : 1 के अनुपात में सिकुड़ जाता है । जिसमें c प्रकाश का वेग है ।
  • loss angle -- हानि कोण
प्रत्यावर्ती वैद्युत प्रतिबल लगने पर किसी संधारित्र अथवा पर वैद्युत में धारा के अग्रता कोण को 900 से अंतर । यह मुख्यतया परावैद्युत की शैथिल्य जनित हानि के कारम होता है ।
  • loss factor -- क्षय गुणक
1. किसी लाइन, परिपथ या युक्ति में औसत शक्ति ह्यस और शिखर लोड पर शक्ति ह्यस के बीच का अनुपात ।
2. किसी परावैद्युत पदार्थ के परावैद्युतांक और शक्ति गुणाक का गुणनफल । यह किसी दिए हुए प्रत्यावर्ती क्षेत्र मे उस परावैद्युत् पदार्थ में उत्पन्न होने वाली ऊष्मा का समानुपाती होता है । चूंकि परावैद्युतांक और शक्ति गुणक दोनों ही आवृत्ति के फलन होते हैं । अतः क्षय गुणक आवृत्ति के साथ - साथ बदलता है ।
  • loss factor -- क्षय-गुणक
1. किसी लाइन-परिपथ या युक्ति में औसत शक्ति ह्यस और शिखर लोड पर शक्ति-ह्यस के बीच का अनुपात ।
2. किसी परावैद्युत् पदार्थ के परावैद्युतांक और शक्ति - गुणक का गुणनफल । यह किसी दिए हुए प्रत्यावर्ती क्षेत्र मे उस परावैद्युत् पदार्थ मे उत्पन्न होने वाली ऊष्मा का समानुपाती ह ता है । चूंकि परावैद्युतांक और शक्ति - गुणक दोनों का समानुपाती होता ह । चूंकि परावैद्युतांक और शक्ति - गुणक दोनों ही आवृत्ति के फलन होते हैं । अतः क्षय - गुणक आवृत्ति के साथ - साथ बदलता है ।
  • loudness -- प्रबलता
श्रवण संवेदन का तीव्रता अभिलक्षण जिसेक आधार पर ध्वनि को मृदु से लेकर प्रबल सीमा तक किसी उपयुक्त पैमाने पर दर्शाया जा सकता है । प्रबलता के कई पैमाने प्रचलित हैं जैसे डेसिबल पैमाना, फोन पैमाना आदि । इन सभी पैमानों का आधार बेवर - फ़्रैशनर नियम है जिसके अनुसार संवेदन उद्दीपक के लघुगुणक का समानुपाती होता है ।
  • loudspeaker -- लाउडस्पीकर
माइक्रोफ़ोन में से आने वाली विद्युत्-ऊर्जा को ध्वनि-ऊर्जा में बदलने वाला ऐसा उपकरण जिससे ऐसी ध्वनि उत्पन्न हो जो दूर तक सुनाई दे सके । सामान्य लाउडस्पीकर में एक तनुपट या डायाफ़्राम होता है और उससे एक कुंडली जुड़ी रहती है । यह कुंडली एक चुंबकीय बल-क्षेत्र में अवस्थित होती है । इस कुंडली में जब परिवर्ती धारा बहती है तब कुंडली आगे-पीछे विस्थापित होती है अतः तनुपट उस प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति से कंपन करता है और वायु में ध्वनि की तरंगें उत्पन कर देता है ।
  • low angle scattering -- अल्प कोण प्रकीर्णन
आयाती किरणपुंज की दिशा से अल्प कोण पर होने वाला प्रकीर्णन जिसके कारण आपाती किरणपुंज के आसन्न प्रतिवेश में एक विवर्तित विकिरण प्रभावमंजल बन जाता है । यह प्रकीर्णन केवल प्रकीर्णक कणों के साइज और कार पर ही निर्भर करता है उनके आंतरिक स्वरूप पर नहीं ।
  • Lowry - Bronsted hypothesis -- लोरी - ब्रिन्सटेद परिकल्पना
इस परिकल्पना के अनुसार, अम्ल एक ऐसा यौगिक अथवा आयन है जो प्रोटॉन दे सके तथा क्षारक वह यौगिक अथवा आयन है जो प्रोटॉन ग्रहण कर सके । जैसे B + H+ BH+इस समीकरण में B, BH+ अम्ल का संयुग्मी - क्षारक है । B कोई भी ऐसा यौगिक अथवा आयन हो सकता है जो एक प्रोटॉन ले सके । BH+ , B क्षारक का संयुग्मी - अम्ल है जो प्रोटॉन दे सके । उदाहरमार्थः CH3COOH CH3 COO- + H+ इस समीकरण मे ऐसीटिक अम्ल, ऐसीटेट आयन का संयुग्मी अम्ल है और ऐसीटेट आयन ऐसीटिक अम्ल का संयुग्मी क्षारक है ।
  • lubricant -- स्नेहक
तेल या चिकनाहट पैदा करने वाला अन्य पदार्थ जो मशईन या किसी उपकरण के परस्पर गतिशील अवयवों के बीच घर्षण कम करने के लिए रखा जाता है ।
  • lumen -- ल्यूमेन
दीप्त फ्लक्स का एक पूरक SI मात्रक । यह वह फ्लक्स है जो 1 कैन्डेला की एक समान तीव्रता वाले बिंदु स्रोत द्वारा 1 स्टीरेडियन के मात्रक घनकोण के अंदर उत्सर्जित होता है इसका प्रतीक 1m है ।
  • lumen (unit) -- ल्यूमेन
ज्योति-फल्क्स का मात्रक । यह एक कैंडिल (सामान्यतया अंतर्राष्ट्रीय कैंडिल) शक्ति वाले तथा सब दिशाओं में एक समान प्रकाश ऊर्जा उत्सर्जित करने वाले बिंदु स्रोत द्वारा एक मात्रक घन कोण में प्रति - सेकंड उत्सर्जित ऊर्जा के बराबर होता है । ऊसरे शब्दों मे यदि वह स्रोत 1 की त्रिज्या के गोले के केंद्र पर रखा हो तो उस गोले के 12 क्षेत्ऱफल में से प्रति सेकंड गुजरने वाली ऊर्जा ।
  • Lumer Brodhun photometer -- प्रकाशमापी, लूमर ब्रोधन
इस प्रकाशमापी की विशेषता यह है कि जिन दो पृष्ठों की प्रदीप्ति की तुलना करनी होती है वे एक दूसरे को स्पर्श करते हुए दिखाई देती है । ससे उनकी तुलना ठीक - ठीक हो सकती है । इसका मुख्य अवयव विशेष प्रकार से बना हुआ एक प्रिज्म - युग्म है । इसके दोनों प्रिज्म समकोणिक तथा समद्विबाहु होते हैं किन्तु एक प्रिज्म के कर्ण - पृष्ठ के मध्य के थोड़े से वर्तुल भाग को छोड़कर शेष भाग घिसकर उत्तल कर दिया जाता है । फलतः जब दोनों प्रिज्मों के कर्ण पृष्ठों को सटाकर रखा जाता है तब उनका स्पर्श केवल उस वर्तुल भाग मे ही होता है । तेल की एक बूँद के द्वारा इस स्पर्श - स्थल की सब वायु हटा दी जाती है । बिना घिसे प्रिज्म के अन्य पृष्ठ पर भिलम्बतः आपतित प्रकाश कर्म - पृष्ठ के मध्य भाग में दूसरे प्रिज्म में प्रवेश कर जाता है किंतु उसके चारों ओर केभाग से पूर्णतः परावर्तित होकर दूसरे पृष्ठ की ओर चला जाता है । अतः इस
परावर्तित प्रकाश द्वारा कर्ण-पृष्ठ प्रदीप्त किन्तु मध्य भाग अदीप्त दिखाई देता है, किन्तु घिसे प्रिज्म पर दूसरी ओर से पड़ने वाला प्रकाश बीच के भाग मे से दूसेर प्रिज्म में प्रवेश कर नेत्र में पहुंच जाता है। उसके चारों र के प्रकाश से कर्ण - पृष्ठ का केवल मध्य भाग ही प्रदीप्त दिखाई देता है । जब दोनों ओर दो प्रकाश स्रोतों हों तो उनकी दूरियों का समंजन ऐसा किया जा सकता है कि मध्य भाग अलग दिखाई न पड़े । स्पष्ट है कि इस अवस्था मे दोनों स्रोतों द्वारा हुई प्रदीप्ति बराबर बोगी । वस्तुतः प्रकाश प्रिज्म - युग्म पर सीधा नहीं डाला जाता । वह एक सफेद पर्दे के दोनों पार्श्वों पर डाला जाता है और इन पृष्ठों से विसरित प्रकाश दर्पणों के द्वारा प्रिज्म युग्म पर डाला जाता है ।
  • luminance -- ज्योतिर्मयता
दी हुई दिशा में किसी पृष्ठ के प्रतिमात्रक प्रेक्षेपित क्षेत्रफल की ज्योति-तीव्रता जो उसी दिशा से देखने पर प्राप्त होती है । इस प्रकार ज्योतिर्मयता दर्शन-कोण का फलन है जिसे के रूप में लिया जा सकता है । जहाँ θ दृष्टि रेखा और पृष्ठ के अभिलंब के बीच का कोण है । यदि पृष्ठ का अणु अंश ΔA से दिखाए तो इस अणु अंश का दृष्टि-रेखा के अभिलंब समतल पर प्रक्षेप ΔA Cos θ होगा । इस प्रकार ज्यतिर्मयता निम्नलिखित सूत्र से व्यक्त की जा सकती है । (Formula) जहाँ ΔIθ इस विशिष्ट दिशा में ज्योतितीव्रताहै । इसका मात्रक कैंडेला प्रतिमात्रक क्षेत्रफल है ।
  • luminous flux -- ज्योति फ्लक्स
प्रकाश ऊर्जा (दृष्टि संवेदना उत्पन्न केरने वाली विकीर्म ऊर्जा ) की वह मात्रा जो किसी क्षेत्रफल मे से एक सेकंड में गुजरती है । इसका मात्रक लयूमेन होता है ।
  • luminous intensity -- ज्योतीय तीव्रता
किसी प्रकाश स्रोत की ज्योतीय तीव्रता वह ज्योतीय ऊर्जा है जो वह स्रोत एक मात्रक घन कोण में प्रति सेकंड उत्सर्जित करता है । वस्तुतः यह परिभाषा केवल बिन्दु - स्रोतों के लिए ठीक है । किंतु यदि स्रोत का क्षेत्रफल दूरी की तुलना मे बहुत चोटा हो तो भी उसे सन्निकटतः बिन्दु स्रोत समझा जा सकता है । बहुधा स्रोतों की ज्योतीय तीव्रता विभिन्न दिशाओं में विभिन्न करिमाण की होती है । जब ज्योतीय तीव्रता की दिशा भी बताना आवश्यक होता है । इसका मात्रक कैंडिल - शक्ति है ।
  • luminous paint -- दीप्त पेन्ट, दीप्त प्रलेप
वे वर्णक जो प्रकाश में खुला छोड़ने के बाद अंधेरे में रखने पर चमकते हैं । ये प्रायः कैल्सियम, बेरियम और जस्त के सल्फाइड होते हैं जिनमें कुछ रेडियोऐक्टिव पदार्थ भी मिले होते हैं ।ये घड़ियों के डायल बनाने के काम आते हैं ।
  • Lumsden method -- लुम्सडेन विधि
वाष्प-घनत्व ज्ञात कनरे की विधि । यह विक्टर मेयर विधि का संशोधित रूप है । इसमें वाष्पित द्रव की नियत मात्रा द्वारा विस्थापित हवा के आयतन को नापने के बजाय, आयतन को स्थिर रखकर दाब में होने वाली वृद्धि को नापा जाता है ।
  • lunar eclipse -- चंद्र ग्रहण
पृथ्वी की छाया में चंद्र का प्रवेश और परिणामस्वरूप चंद्र के दीप्त भाग का अंशतः या पूर्णतः अदीप्त होना ।
  • lunar month -- चंद्र महीना
चंद्र की कलाओं पर आधारित मास ।
  • lustre (luster) -- द्रुति, चमक
किसी वस्तु की सतह का परावर्तित प्रकाश दिखाई देना । खनिजों की चमक उन्हें पहचानने में सहायक होती है । खनिजों की चमक धात्विक (जैसे - धातुएँ), काचाभ (जैसे - कांच), हीरकसम (जैसे - हीरा) मौक्तिक, ग्रीजी, (जैसे - खड़िया) आदि कई प्रकार की होती है ।
  • lux -- लक्स
प्रदीप्ति का एक पूरक SI मात्रक । इसका मान 1 ल्यूमेन प्रति वर्ग मीटर की प्रदीप्ति के बराबर होता है । इसका प्रतीक lx है ।
  • lux (meter candle) -- लक्स
प्रदीप्ति की तीव्रता का मात्रक । यह एक ल्यूमेन प्रति वर्ग मीटर के बराबर होता है । इसे मीटर कैन्डल भी कहते हैं । यह 10-4 फ़ोट 0.1 मिली फ़ोट के बराबर होता है ।
  • Lyman series -- लाइमैन श्रेणी
परमाण्वक हाइड्रोजन के स्पेक्ट्रम के पराबैंगनी क्षेत्र में रेखाओं की श्रेणी । इस श्रेणी में रेखाओं की तरंग - संख्या निम्नलिखित समीकरण द्वारा व्यक्त की जाती है (Formula) जिसमें लाइमैन श्रेणी में रेखा की तरंग - संख्या हाइड्रोजन का रिड्बर्ग - स्थिकांक (109,677.591 से.मी)-1 n1=1 और n2 के पूर्णांक मान एक से अधिक हैं ।
  • M-electron -- M- इलेक्ट्रॉन
M कोश में स्थित कक्षीय इलेक्ट्रॉन । यह M कोश परमाणु नाभिक के चारों ओर स्थिक कोशों में से एक है जो नीभिक से गिना जाने वाला तीसरा कोश है । M इलेक्ट्रॉन की मुख्य क्वांटम संख्या 3 होती है ।
  • Mach number -- माख संख्या
किसी माध्यम में गति करते हुए पिंड के वेग का उसी माध्यम में ध्वनि के वेग के साथ अनुपात । गणितीय रूप में इसे निम्नलिखित सूत्र से व्यक्त किया जाता है - (Formula)
जिसमें M माख संख्या है, u पिंड का वेग, v ध्वनि का वेगg गुरूत्वीयत्वरण, R गैस नियंताक और T निरपेक्ष ताप ।
समुद्र तल पर माख संख्या 1 लगभग 1200 किलोमीटर प्रति घण्टा का वेग दर्शाती है और अत्यधिक ऊँचाईयों पर लगभग 1050 किलोमीटर प्रति घण्टा । 1 से अधिक माख संख्या पराध्वनिक वेग दर्शाती है और 5 से अधिक माख संख्या अतिध्वानिक वेग ।
  • Mach principle -- माख नियम
निरपेक्ष आकाश की संकल्पना में माख निकष लगाकर प्रतिपादित किया हुआ एक नियम जिसके अनुसार किसी भी तंत्र का जड़त्व उस तंत्र और शेष विश्व के मध्य होने वाली परस्पर क्रिया के कारण उत्पन्न होता है ।आइंस्टाइन ने माख नियम का उपयोग उस परिकल्पना में किया था जिसके अनुसार दिक्-काल का दूरीक (metric) द्रव्य और ऊर्जा के वितरण द्वारा निर्धारित होता है ।
  • machine code -- मशीनी कोड
अंकीय कंप्यूटर में काम आने वाले अनुदेशों की एक श्रृंखला जिसे कंप्यूटर सीधा स्वीकार कर लेता है ।
  • machine language -- मशीन भाषा, यंत्र भाषा
1. छिद्रित कार्डों पर या छिद्रित कागजी फीते पर कितु भौतिक रूप से अभिव्यक्त कोई भी सूचना जो कंप्यूटर द्वारा स्वीकार की जाती है ।
2. प्रतीक, संप्रतीक और चिन्ह तथा नके संयोजन के नियम जिनके द्वारा कंप्यूटर को अनुदेश या आंकड़े दिये जाते हैं । मशीन भाषा मेंलिखे हुए ये अनुदेश या आंकड़े रूपांतरण या अनुवाद के बीना ही तुरन्त संसाधित किये जा सकता हैं ।
  • machine language -- मशीन-भाषा, यंत्र-भाषा
1. छिद्रित कार्डों पर या छिद्रित कागजी फीते पर कित भौतिक रूप से अभिव्यक्त कोई भी सूचना जो कंप्यूटर द्वारा स्वीकार की जाती है ।
2. प्रतीक, संप्रतीक और चिन्ह तथा नके संयोजन के नियम जिनके द्वारा कंप्यूटर को अनुदेश या आंकड़े दिये जाते हैं । मशीन भाषा मेंलिखे हुए ये अनुदेश या आंकड़े रूपांतरण या अनुवाद के बीना ही तुरन्त संसोधित किये जा सकता हैं ।
  • machine translation (mechanical translation) -- मशीनी अनुवाद
कंप्यूटर या अन्य मशीन द्वारा किसी भाषा का अन्य भाषा मे अनुवाद । इस कार्य के लिए कंप्यूटर के स्मृति - तंत्र में अनुवाद की भाषा का कोश और वे प्रोग्राम संचित होते हैं जिनके द्वारा पर्यायवाची शब्दों में से तर्कसंगत अर्थ छाँटना, छूटे हुए शब्दों की पूर्ति करना और अनूदित वाक्यों को भाषा की शैली के अनुसार पुनर्व्यवस्थित करना आदि कार्य किये जाते हैं ।
  • machine word -- यंत्र शब्द
संप्रतीकों की एक मानक संख्या जो कंप्यूटर द्वारा एक प्रचालन में निमित रूप से संभाली जा सकती है । उदाहरण के तौर पर कोई मशीन 36 द्वयाधारी अंकों की इकाइयों के रूप में संख्याओं अथवा अनुदेशों को नियमित रूप से संभाल सकती है ।
  • machine word -- यंत्र-शब्द
संप्रतीकों की एक मानक संख्या जो कंप्यूटर द्वारा एक प्रचालन में निमित रूप से संभाली जा सकती है । उदाहरण के तौर पर कोई मशीन 36 द्वयाधारी अंकों की इकाइयों के रूप में संख्याओं अथवा अनुदेशों को नियमित रूप से संभाल सकती है ।
  • macro -- स्थूल, महा, दीर्घ
औसत आकार का, दीर्घ, वृहत् स्थूल ।
  • macro instruction -- बहुजनक अनुदेश, गुरू अनुदेश
कंप्यूटरकी समझ में आ सकने वाला स्रोत भाषा का एक संक्षिप्त अनुदेश जो मशीन कोड प्रोग्राम में संकलित होने पर अनेक मशीन कोड - अनुदेश उत्पन्न करता है । इसका उपयोग प्रोग्रामकों के कार्य को सरल और शीघ्र पूरा करने के लिए किया जाता है ।
  • macro programming -- गुरू अनुदेश प्रोग्रामन
कंप्यूटर के लिए किसी समस्या का ऐसा प्रोग्राम बनाना जिसमें सभी कथन गुरू अनुदेशों के रूप में लिखे जाते हैं ।
  • macromolecule -- बृह्दणु
सामान्यतः कार्बनिक अणु जो सैकड़ों या हजारों परमाणुओं के समुच्च्यन से बनता है । ऐसे अणु दो प्रकार के होते हैं ।
(1) अलग-अलग रासायनिक यौगिक जिनका अस्तित्व नष्ट किए बिना उन्हें छोटे भागों में विभाजित नहीं किया जा सकता । जैसे प्रोटीन, जिनमें कुछ के अणुभार लाखों में होते हैं ।
(2) बहुलक, जो परस्पर एकलकों के संयोजन से बनते हैं । प्रत्येक एकलक का वही रासायनिक संघटन होता हैजो बहुलक का, जैसे आइसोप्रीन C5H8 और पॉलिआइसोप्रीन (C5H8)x। उदाहरणार्थ रबर और सेलुलोस । अधिकांश बृहदणु कोलॉइडी आमाप के होते हैं ।
  • macroscopic -- स्थूलदर्शी
इतना बड़ा कि किसी यंत्र की सहायता के बिना ही नेत्रों से देखा जा सके ।
  • macroscopic cross section -- स्थूल परिक्षेत्र
पदार्थ के प्रति मात्रक द्रव्यमान के लिए किसी विशिष्ट प्रक्रम में सभी परमाणुओं का संयुक्त परिक्षेत्र
  • macrosonics -- महाध्वानिकी
शिल्प विज्ञान की एक शाखा जिसमें मार्जन, वेधन र पायसीकरण आदि कार्यों के लिए उच्च आयाम वाली ध्वनि तरंगों के उपयोग का अध्ययन किया जाता है ।
  • Magellanic cloud -- मेजलनीय मंदाकिनी
दक्षिणी खगोलीय ध्रुव के निकट दिखलाई पड़ने वाले दो अनियमित तारा - मेघों को दिया गया नाम । ये हमारी गेलेक्सी के सबसे निकट पायी गई गेलेक्सियाँ हैं और इनको दूरबीन की सहायता के बिना ही देखा जा सकता है ।
  • magic number -- स्थायित्व संख्या, मैजिक संख्या
औसत से कहीं अधिक स्थायित्व वाले न्यूक्लिआइड का परमाणु क्रमांक । इन न्यूक्लिआइडों के असाधारण गुणधर्म जैसे कि न्यूट्रॉन प्रग्रहण परिक्षेत्र, वैद्युत चतुर्ध्रुवी आघूर्ण आदि होते हैं । स्थायित्व संख्यायें 2,8, 20, 28, 50, 82 और 126 हैं ।
  • magic square -- मेजिक वर्ग
धन पूर्णांकों का कोई वर्गाकार विन्यास जिसमें प्रत्येक पिंक्ति, प्रत्येक स्तंभ और प्रत्येक विकर्ण की संख्याओं का जोड़ बराबर हो ।
  • magnet -- चुंबक
1. मैगनेटाइट का टुकड़ा जिसमें लोहे को आकर्षित करने का प्राकृतिक गुण हो । इसे लोडस्टोन या प्राकृतिक चुंबक कहते है।
2. कोई भी इस्पात या लोहे का टुकड़ा जिसमें लोहे को आकर्षित करने का गुण कृत्रिम रूप से उत्पन्न कर दिया गया हो । इसको कृत्रिम चुंबक कहा जाता है । चुंबकों का नामकरण उनकी आकृति के आधारपर भी किया जाता है, जैसे दंड चुंबक, नाल चुंबक । सामान्यतः चुंबक के एक सिरे पर उत्तर ध्रुव और दूसरे पर दक्षिण ध्रुव होता है । यदि कोई दंड चुंबक धागे से इस प्रकार लटकाया जाए कि उसकी लंबाई क्षतिज तल मे रहे तो वह चुंबक सदा उत्तर - दक्षिण दिशा ही में स्थिर होगा ।
  • magnetic amplifier -- चुंबकीय प्रवर्धक
एक ऐसी युक्ति जिसमें एक लघु सिग्नल का बड़ी शक्ति वाले सिग्नल में प्रवर्धन करने के लिए किसी लोहचुंबकीय पदार्थ के अरैखित गुणधर्मों का उयोग किया जाता है । इस प्रवर्धन में नियंत्रक कुंजली परd.c. या a.c.निवेश - सिग्नल लगाया जाता है, जिससे क्रोड की संतृप्ति -मात्रा बदल जाती है और निर्गत कुंडली की प्रत्यावर्ती धारा में अधिक परिवर्तन हो जाता है ।
  • magnetic amplifier -- चुंबकीय प्रवर्धक
एक ऐसी युक्ति जिसमें एक लघु सिग्नल का बड़ी शक्ति वाले सिग्नल में प्रवर्धन करने के लिए किसी लोहचुंबकीय पदार्थ के अरैखित गुणधर्मों का उयोग किया जाता है । इस प्रवर्धन में नियंत्रक कुंजली परd.c. या a.c.निवेश - सिग्नल लगाया जाता है, जिससे क्रोड की संतृप्ति -मात्रा बदल जाती है और निर्गत कुंडली की प्रत्यावर्ती धारा में अधिक परिवर्तन हो जाता है ।
  • magnetic bottle -- चुंबकीय बोतल
एक चुंबकीय क्षेत्र जो इलेक्ट्रॉन नलिका में पिच प्रभाव उत्पन्न करने के लिए प्लैज्मा धारा को अल्पतम आयतन में सीमित रखता है ।
  • magnetic caloric effect -- चुम्बक ऊष्मीय प्रभाव
चुंबकन के परिवर्तनों द्वारा किसी पदार्थ का उत्क्रमणीय तापन और शीतलन । इस प्रभाव से परमशून्य के आस - पास ताप उत्पन्न किये जाते हैं ।
  • magnetic circuit -- चुंबकीय परिपथ
एक पूर्णतः बन्द पथ जो चुम्बकीय फ्लक्स की रेखाओं के किसी सैट द्वरा तय किया जाता है ।
  • magnetic delay line -- चुंबकीय विलंब लाइन
कंप्यूटर में दत्त सामग्री संचय करने के काम में आने वाली एक विलंब लाइन जिसमें मुख्यतः ऐसे धात्विक खंड होते हैं जिनमें संचरण - वेग, प्रकाश -वे ग की तुलना मे कम होता है । सूचना का संचय तरंग चित्रामों के पुनःपरिसंचरण द्वारा पूरा होता है ।
  • magnetic dipole -- चुंबकीय द्विध्रुव
नाभिकीय कणों से संबंधित एक अति लघु द्विध्रुव जिसमें दो बराबर परन्तु विपरीत ध्रुव इतने पास - पास होते हैं कि इसके दिशात्मक गुणधर्म इसके साइज और आकार पर निर्भर नहीं होते ।
  • magnetic focussing -- चुंबकीय फ़ोकसन
चुंबकीय क्षेत्र की क्रिया द्वारा इलेक्ट्रॉन धारा को फ़ोकस करना ।
  • magnetic head -- चुंबकीय शीर्ष
चुंबकीय अभिलेखित्रों में काम आनेव ला एक विद्युत् - चुंबक जिससे वैद्युत परिवर्तनों को चुंबकीय परिवर्तनों में बदलकर चुंबकीय डिस्क, ड्रम या टेप पर संचित किया जाता है या इस प्रकार की पूर्व संचित ऊर्जा का पुनः विद्युत् - ऊर्जा में बदला जाता है । इसके द्वारा संचित ऊर्जा का विलेखन भी हो सकता है ।
  • magnetic induction -- प्रेरण, चुंबकीय
1. किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित चुंबकशील वस्तु के चुंबकित होने की घटना ।
2. यदि किसी बिन्दु पर चुंबकीय तीव्रता H हो और वहाँ रखे किसी पदार्थ की चुंबकशीलता μ हो तो इन दोनों का गुणनफल μH। निरपेक्ष विद्युत चुंबकीय पद्धति में इसका मात्रक गाउस (gauss) है । इसे चुंबकीय फ्लक्स-घनत्व (flux density) भी कहते हैं ।
  • magnetic memory -- चुंबकीय स्मृति तंत्र
कंप्यूटर में काम आने वाला एक स्मृति तंत्र जिसमें सिग्नलों द्वारा चुंबकीय पदार्थ का विभिन्न कोटि मे चुंबकन होने से सूचना का संचय होता है । यह चुंबकीय पदार्थ क्रोड, डिस्क, ड्रम, पट्टिका अथवा फीतों के रूप मे हो सकता है ।
  • magnetic moment (=moment of magnet) -- चुंबकीय आघूर्ण
यदि किसी चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता H हो और उसमें किसी दंडि चुंबक को क्षेत्र की बल रेखाओं से समकोणिक दिशा में रखने के लिए आवश्यक बलयुग्म C हो तो C और H के अनुपात को उस चुंबक का चुंबकीय आघूर्ण कहते हैं । इसका मान ध्रुवों के बीच की दूरी d और ध्रुव प्राबल्य m के गुणनफल mxd के बराबर होता है ।
  • magnetic permeability -- चुंबकशीलता
1. (निरपेक्ष) किसी माध्यम में उत्पन्न चुंबकीय फ्लक्स घनत्व और उसे उत्पन्न करने वाले चुंबकन बल का अनुपात (B/H) निरपेक्ष चुंबकशीलता कहलाता है ।
2. (आपेक्षिक) किसी चुंबकन बल के द्वारा किसी माध्यम में उत्पन्न चुंबकीय फ्लक्स घनत्व का और निर्वात में उत्पन्न चुंबकीय फ्लक्स घनत्व Bo का अनुपात (Formula)
3. यदि दो चुंबकीय ध्रुवों के प्राबल्य m1 तथा m2 हों और उनके बीच की दूरी rहो और वे किसी माध्यम में अवस्थित हों तो उनका पारस्परिक प्रतिकर्षण बल (Formula) जहाँ एक स्थिरांक है जो उस माध्यम की चुंबकशीलता कहलाता है । निर्वात μ = 1 में होता है ।
  • magnetic powder - coated tape -- चुंबकीय चूर्ण विलेपित टेप
एक प्रकार का चुंबकीय फीता जिसमें किसी अचुंबकीय आधार पर लोहचुंबकीय पदार्थ के चूर्ण का समान रूप से लेप काय जाता है ।
  • magnetic quantum number -- चुंबकीय क्वांटम संख्या
एक क्वांटम संख्या जो बाह्य अनुप्रयुक्त चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में परमाण्विक इलेक्ट्रॉन या इलेट्रॉन - समूह का कोणीय संवेग सदिश निर्धारित करती है ।
  • magnetic recorder -- चुंबकीय अभिलेखित्र
एक प्रकार का अभिलेखित्र जो चुंबकीय टेप या तार पर किसी माध्यम में चुंबकीय परिवर्तनों के रूप मे श्रव्य आवृत्ति - संकेतों को दर्ज करता है । साधारणतया इसमें प्रतिश्रवण के लिए भी युक्ति संलग्न होती है जिससे प्रवर्धन सहित या प्रवर्धन के बिना अभिलेखित चुंबकीय परिवर्तनों को वैद्युत् परिवर्तनों में बदल कर लाउडस्पीकर द्वारा ध्वनि - तरंगों के रूप में पुनः सुना जा सकता है ।
  • magnetic recorder -- चुम्बकीय अभिलेखित्र
एक प्रकार का अभिलेखित्र जो चुंबकीय टेप या तार पर किसी माध्यम में चुंबकीय परिवर्तनों के रूप मे श्रव्य आवृत्ति - संकेतों को दर्ज करता है । साधारणतया इसमें प्रतिश्रवण के लिए भी युक्ति संलग्न होती है जिससे प्रवर्धन या प्रवर्धन के बिना अभिलेखित चुंबकीय परिवर्तनों को वैद्युत् परिवर्तनों में बदल कर लाउडस्पीकर द्वारा ध्वनि - तरंगों के रूप में पुनः सुना जा सकता है ।
  • magnetic recording -- चुंबकीय अभिलेखन
श्रव्यावृत्ति सिग्नलों द्वारा टेप या तार जैसे लोहचुंबकीय माध्यम का चुंबकन करके ध्वनि रिकार्ड करना । चुंबकित टेप या तार को पुनरूत्पादन अग्र में से गुजारकर ध्वनि दुबारा सुनी जा सकती है ।
  • magnetic saturation -- चुंबकीय संतृप्ति
चुंबकीय पदार्थ की वह अवस्था जिसके बाद चुंबकीय क्षेत्र को चाहे जितना बढ़ा देने पर भी उसका चुंबकन नहीं बढ़ता । इस स्थिति में सब आण्विक चुंबक चुंबकीय बल रेखाओं के अनुदिश स्थित हो जाते हैं ।
  • magnetic sheet -- चुंबकीय पट्टिका
चुंबकशील पदार्थ की एक पतली पट्टिका जो पृष्ठों के अभिलंब की दिशा में चुंबकित हो । इसका एक पृष्ठ उत्तर ध्रुवा होता है और दूसरा दक्षिण ध्रुव । एक प्रकार से इसको अनंत छोटे - छोटे दंड चुंबकों से बनी हुई मान सकते हैं जिसके सब उत्तर ध्रुव एक पृष्ठ पर और दक्षिण ध्रुव दूसरे पृष्ठ पर होते हैं । इसेक एक मात्रक क्षेत्रफल के चुंबकीय घूर्ण को उसकी सामर्थ्य कहते हैं ।
  • magnetic shielding -- चुंबकीय परिरक्षण
चुंबकीय बल रेखाओं के लिए उच्च चुंबकशीलता वाले पदार्थ का चुंबकीय प्रतिरोध बहुत कम होता है । अतः उनकी प्रवृत्त वायु की अपेक्षा ऐसे पदार्थ मे से जाने की अधिक होती है । अतएव बाहरी चुंबकीय बल से किसी क्षेत्र की रक्षा करने के लिए उसे उच्च चुंबकशीलता वाले पदार्थ के मोटे आवरण द्वारा सब तरफ से ढक देते हैं जिससे समस्त बल रेखाएं उस आवरण की दीवारों में से चली जाती हैं और भीतर की तरफ बिल्कुल नहीं जातीं । इसे चुंबकीय परिरक्षण कहते हं ।
  • magnetic storm -- चुंबकीय प्रक्षोभ
एक प्रकार का प्रक्षोभ जिससे चुंबकीय क्षेत्रों की प्रबलता में द्रुत एवं भारी परिवर्तन हो जाते हैं । पृथ्वी पर इस प्रकार के प्रक्षोभों से रेडियो और तार - संचार दोनों में ही बाधा पड़ जाती है । सूर्य कलंक - सक्रियता इस प्रकार के प्रक्षोभों का कारण मानी जाती है ।
  • magnetic tape -- चुंबकीय फीता, चुंबकीय टेप
ध्वनि अभिलेखन के लिए टेप-रिकार्डर में काम आने वाला प्लास्टिक, कागज या धातु का एक टेप, जिसपर एक चुंबकीय प्रलेह लगा होता है । आजकल अनेक पथयुक्त चुंबकीय फीते भी उपलब्ध हैं ।
  • magnetics -- चुंबक विज्ञान
विज्ञान की एक शाखा जिसमें चुंबकीय घटनाओं का अध्ययन किया जाता है ।
  • magneto - optical laser -- चुंबक - प्रकाशीय लेसर
एक प्रकार का लेसर जिसमें संतत चुंबकीय क्षेत्र के कारण कला संबद्ध विकिरण उत्पन्न होता है ।
  • magneto - sphere -- चुंबक मंडल
पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के कारण पृथ्वी के ऊपरी वायुमंजल में कई पृथ्वी - त्रिज्या तक की ऊंचाई तक फैला हुआ प्रदेश । इसमे मुख्यतः उन इलेक्ट्रॉनों और प्रोटॉनों जैसे प्रगृहीत कण होते हैं जो एक ध्रुव से दूसरे ध्रुव को मिलाने वाली चुंबकीय रेखाओं के इर्द - गिर्द सर्पण करते हैं ।
  • magneto hydrodynamics -- चुंबक द्रवगतिकी
भौतिकी की एक शाखा जिसमें चुंबकीय क्षेत्र के साथ विद्युत्-चालक तरंगों की अन्योन्य क्रिया का अध्ययन किया जाता है । यह तरल द्रव धातु अथवा आयनित गैस (प्लैज्मा) हो सकता है । तरल की गति से एक प्रेरित वैद्युत क्षेत्र की उत्पत्ति होती है जो लगे हुए चुंबकीय क्षेत्र के साथ अन्योन्य क्रिया करता है । इससे स्वयं तरल की गति में परिवर्तन आ जाता है । इसका उपयोग नाभिकीय शक्ति संबंधों में अनुसंधान अथवा नियंत्रित संगलन के लिए किया जाता है ।
  • magnetometer -- चुंबकत्वमापी
चुंबकीय तीव्रता और चुंबकीय घूर्ण आदि के मापने या उनकी तुलना करने का उपकरण ।
  • magneton -- मैग्नेटॉन
परमाणुऔर नाभिकीय भौतिकी का एक मूल नियतांक । सर्वप्रथम बोर ने इसका परिकलन इलेक्ट्रॉन के नैज चुंबकीय आघूर्ण के ले काय था । अपनी कक्षा में गतिशईल 1 कोणीय संवेग वाले इलेक्ट्रॉन द्वारा जनित परिसंचारी धारा चुंबकीय आघूर्ण μ उत्पन्न करती है जिसे निम्न सूत्र से व्यक्त किया जाता हैः (Formula) जहाँ e इलेक्ट्रॉन का आवेश me= इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान क्वांटिक संबंध (Formula) को इस समीकरण में रखने पर जहाँ प्लांक नियतांक m = चुम्बकीय क्वांटम संख्या जब mका मान इकाई हो तो(Formula) इसे बोर मैग्नेटॉन कहते हैं जिसका मान 9. 274096 x 10-24 के बराबर होता है । बिल्कुल उतना ही आघूर्ण इलेक्ट्रॉन प्रचक्रण के कारण होता है यदि इलेक्ट्रॉन का कोणीय संवेग (Formula) के बराबर हो जहाँ (Formula) तो नाभिकीय मैग्नेटॉन (Formula) जिसमें प्रोटॉन का द्रव्यमान है । नाभिकीय मैग्नेटॉन का मान 5.0503 x 10-27 Am2है ।
  • magnetron -- मैग्नेट्रॉन
उच्च निर्वात वाली एक तापयनी नलिका जो आवृत्ति स्पेक्ट्रम के सूक्ष्म तरंग - प्रदेश मे उच्चि शक्ति प्रदान करती है । इसमें एक तापक, कैथोड, बहुखंडी ऐनोड और एकदिशिक धारा - प्रवाह का नियंत्रम करने के लिए एक बाह्य चुंबक होता ह । धारा- प्रवाह प्रायः स्पंदों के रूप में होता है । मैग्नेट्रॉन का उपयोग सूक्ष्म तरंग - रेडियो अथवा रेडार - प्रेषित्रों में दोलित्र के रूप में किया जाता है ।
  • magnetron -- मैग्नोट्रॉन
उच्च निर्वात वाली एक तापयनी नलिका जो आवृत्ति स्पेक्ट्रम के सूक्ष्म तरंग - प्रदेश मे उच्चि शक्ति प्रदान करती है । इसमें एक तापक, कैथोड, बहुखंडी ऐनोड और एकदिशिक धारा - प्रवाह का नियंत्रम करने के लिए एक बाह्य चुंबक होता ह । धारा- प्रवाह प्रायः स्पंदों के रूप में होता है । मैग्नेट्रॉन का उपयोग सूक्ष्म तरंग - रेडियो अथवा रेडार - प्रेषित्रों में दोलित्र के रूप में किया जाता है ।
  • magnification -- आवर्धन
जब कोई प्रकाश तंत्र किसी बिम्ब का प्रतिबिंब बनाता है तब प्रतिबिंब की लंबाई, क्षेत्रफल आदि तथा बिम्ब की लंबाई, क्षेत्रफल आदि का अनुपात आवर्दन कहलाता है ।
  • magnifying power -- आवर्धन क्षमता
किसी लेन्स, दूरबीन, सूक्ष्मदर्शक आदि में से दिखाई देने वाले प्रतिबिम्ब द्वारा तथा खाली आँख से देखने पर बिम्ब द्वारा आँख पर अंतरित कोणों का अनुपात ।
  • magnifying power (of microscope) -- आवर्धन क्षमता (सूक्ष्मदर्शी की)
स्पष्ट दृष्टि की निकटतम दूरी (25 से.मी.) पर सूक्ष्मदर्शी में दिखाई देने वाला प्रतिबिंब तथा उतनी ही दूर से खाली आँख से देखने पर बिम्ब द्वारा आँख पर अंतरित कोणों का अनुपात ।
  • magnitude -- 1. परिमाण 2. कांतिमान
1. (क) परिमाणः राशियों के आकार, विस्तार अथवा माप आदि का मान । (ख) किसी राशि के साथ संबद्ध एक संख्या जिसके द्वारा उसी वर्ग की अन्यि राशियों के साथ उसकी तुलना की जा सके ।
2. कांतिमानः किसी खगोलीय पिंड के आपेक्षित चमकी - लेपन का माप । खगोलीय पिंड जितना अधिक चमकीला है उतना कम उसका कांतिमान होगा । यह माप लघुगुणकीय मापक्रम में विन्यास्त है । मापक्रम में प्रत्येक पूर्णांक अगले पूर्णांक से 2.512 गुना चमकीले तारे के कांतिमान को निरूपित करता है । सूर्य का कांतिमान - 26.72 है और लुब्धक का - 1.43 । मापक्रम में संख्या 6 तक के कांतिमान के तारों को दूरबीन की सहायता के बिना देखा जा सकता है ।
  • mains (electrical) -- मुख्यतार
विद्युत् के संचरण तथा वितरण के लिए प्रयुक्त चालक या चालकों का समूह ।
  • major axis -- दीर्घ अक्ष
दीर्घवृत्त के दो सममिति-अक्षों में वह अक्ष जिसकी दीर्घवृत्त के दो प्रतिच्छेद - बिंदुओं द्वारा अंतरित लंबाई दूसरे सममिति अक्ष की अपेक्षा अधिक हो ।
  • majority carrier -- बहुसंख्या वाहक
अर्धचालक में एक प्रकार के विद्युत् वाहक जिनकी संख्या वाहकों की कुल संख्या के आधे से अधिक होती है । ये वाहक या तो होल हो सकते हैंया इलेक्ट्रॉन । n-प्रकार के पदार्थ मे इलेक्ट्रॉन बहुसंख्यक वाहक होते हैं और p-प्रकार के पदार्थ में होल ।
  • mallaunching -- कुमोचन
रॉकेट का एक प्रकार का प्रमोचन जिसमें प्रमोचन के क्षण में ही रॉकेट के सभी प्रतिबंध तत्क्षण नहीं हट पाते हैं ।
  • manometer -- दाबांतरमापी
गैस का दाब मापने का यंत्र । सामान्यतः यह एक की U आकृति वाली नली होती है जिसमें द्रव (पानी, तेल या पारा) भर होता है । नली की एक बाहु का संबंध उस बर्तन से होता है जिसमें स्थित गैस का दाब मापना हो । दूसरी बाहु का मुँह खुला होता है अर्थात् उसेक द्रव पर वायुमंडलीय दाब लगता है । गैस और वायुमंडल के दाबों का अंतर नली की दोनों भुजाओं में स्थित द्रव की सतहों के अंतर से मालूम किया जाता है ।
  • marker -- चिन्ह्क
1. विमान के यंत्र-अवतरण-तंत्र में काम आने वाली एक रेडियो नौसंचालन युक्ति जो अपने ठीक ऊपर स्थित क्षेत्र को स्पष्ट दर्शाने वाला सिग्नल उत्पन्न करती है ।
2. रेडारदर्शी पर परास या दिक्मान का इलेक्ट्रॉनीय सूचक ।
  • marker generator -- चिन्ह्क जनित्र
1. एक r.ff. जनित्र । इसका उपोग किसी कैथोड - किरम दोलित्र के पर्दा पर प्रसप्र - जनित्र द्वारा उत्पन्न चित्राम में एक याअधिक आवृत्ति - जनित्र द्वारा उत्पन्न चित्राम में एक या अधिक आवृत्ति - चिन्ह्क पिप का अंतःक्षेपण करन के लिए किया जाता है । इसके द्वारा समस्वरक परिपथों के अनुक्रिया वक्रों का समायोजन किया जाता है जैसा कि और टेलिविजन अभिग्राहकों के संरेखन के समय होता है ।
2. एक प्रकार का r.f. स्पंद जनित्र जो परिशुद्ध आयाम, आकार, अवधि और पुनरावर्तन अभिलक्षण वाले स्पंद उत्पन्न करता है । ये स्पंद रेडारदर्शी पर लक्ष्य - परास, दिगंश और उन्नतांश दर्शाने के लिए निर्देश सूचक उत्पन्न करने के काम आते हैं ।
  • marker pulse -- चिन्ह्क स्पंद
समय-विभाजन-बहुसंकेतन प्रणाली में काम आने वाले स्पंद जिन्हें प्रेषित्र और अभिग्राही को तुल्यकालन करने के लिए नियमित अंकरालों पर संचरित किया जाता है । सिग्नल - वाहक स्पंदों से इनका भेद करने के ले उनके अभिलक्षण कुछ भिन्न कर दिए जाते हैं । जैसे प्रतिचयन (submultiple) दर के अपवर्तक (sampling) पर मॉडुलन अधिक कालावधि अथवा नियत अंतराल सहित दो या इससे अधिक स्पंदों का उपयोग ।
  • Markownikoff rule -- मार्कोनिकॉफ नियम
इस नियम के अनुसार किसी असमित ओलिफिन और हाइड्रोजन हैलाइड के संयोजन मेंहैलोजन परमाणु उस कार्बन परमाणु के साथ संयुक्त होताहै जिसमें कम हाइड्रोजन परमाणु होते हैं और हाइड्रोजन परमाणु उस कार्बन परमाणु के साथ संयुक्त होता है जिसमें हाइड्रोडन परमाणु होते हैं । उदाहरणार्थः CH2CH=CH2+HCl---------> CH3CHClCH3
यह नियम उन संकलन प्रक्रमों के लिए सार्थक हैं जिनका आयनी क्रियाविधि होती है । पर - ऑक्साइडों या विलीन ऑक्सीजन की उपस्थिति में यह संकलन, मुक्त - मूलक - क्र‍िया विधि द्वारा होताहै और उत्पाद पूर्णतः इस नियम के अनुसार प्राप्त नहींहोते हैं ।
  • Mars -- मंगल
बहिर्ग्रहों में पृथ्वी की कक्षा से निकटतम ग्रह । सूर्य से दूरी के बढ़ते हुए क्रम में इसका स्तान चौथा है । दैनिक घूर्णन की दर पृथ्वी के घूर्णन की दर के लगभग बराबर है और वार्षिक परिक्रमण में करीब दो साल लगता है । इसके दो उपग्रह हैं ।
  • maser -- मेसर
सूक्ष्म रंग - प्रवर्धकों एवं दोलित्रों का एक वर्ग । मैसर शब्द Microwave Amplification by Stimulated Emission of Radiation का संक्षिप्त रूप है । मेसर का प्रचालन लेसर के सिद्धांत पर ही होता है जिसमें पहले किसी अनुचुंबकीय पदार्थ के अणु या परमाणुओं को एक अस्थायी उच्च ऊर्जा स्तर तक उठाया जाता है और फिर एक सूक्ष्म तरंग - निवेश - सिग्नल द्वारा किसी विशिष्ट आवृत्ति पर धिक आवृत्ति वाले विकिरण को ट्रिगर किया जाता है । इसके परिणामस्वरूप सिग्नल की ऊर्जा से कहीं अधिक ऊर्जा विकिरत होती है । मैसर का निर्माण सर्वप्रथम 1951 में हुआ । गैस मेसर, अनुनादी कोटर मेसर, ठोस अवस्था मेसर और प्रगामी तरंग मेसर आदि इसके कुछ उदाहरम हैं । अन्य प्रवर्धकों की तुलना में मेसर प्रवर्धक बहुत कम रव उत्पन्न करते हैं । मेसर से एक संकीर्ण विकिरणपुंज के रूप में एक वर्णी कलासंबद्ध और अत्यधिक ऊर्जा - घनत्व वाला विकिरण प्राप्त होता है ।
  • masking -- गोपन, प्रच्छादन
1. किसी ध्वनि की श्रव्यता-देहली में होने वाली वृद्धि जो किसी अन्य प्रच्छादक ध्वनि की उपस्थिति के कारमहोती है । ध्वनि का यह प्रच्छादन डेसिबलों में मापा जाता है ।
2. रेडार के सामरिक उपयोग में एक प्रकार का निशअचितप्रक्रम जिसके द्वारा रेडार किरणपुंज को उन क्षेत्रों से विलुप्त कर दिया जाता है जहाँ शत्रु रेडार के उन प्रेषणों को अपने नौसंचालन के काम में ले सकता है । इस कार्य के लिए इन दिशाओं में रेडार किरणपुंज को दुर्बल कर दिया जाता है ।
3. अर्धचालक पृष्ठ पर कोई आच्छद अथवा लेप जो वरणात्मक निक्षएप अथवा उत्कीर्णन के लिए प्रच्छादित प्रदेश बना देता है ।
  • mass -- द्रव्यमान
वस्तु के जड़त्व (अर्थात् गति में परिवर्तन का विरोद करने के गुण ) का भौतिक माप । यदि किसी वस्तु पर बल p लगाने से त्वरण उत्पन्न हो तो बल और त्वरण का अनुपात p/f स वस्तु का द्रव्यमान कहलाता है । दो वस्तुओं के द्रव्यमानों का अनुपात उन त्वरणों के अनुपात के बराबर होता है जो उन दोनों परबराबर परिमाण के बल लगाने से पैदा होत हैं । इस प्रकार किसी वस्तु का द्रव्यमान किसी मानक द्रव्यमान (जैसे मानक किलोग्राम) से तुलना करके मापा जा सकात है । द्रव्यमान की दूसरी परिभाषा गुरूत्वाकर्षण के द्वारा भी दी जाती है । गुरूत्वाकर्षण के नियम के अनुसार यदि दो वस्तुओं के द्रव्यमान m,m` हों और उनकी पारस्परिक दूरी r हो तो उनका आकर्षण बल (Formula) जहाँ Gएक नियतांक है । अतः पृथ्वी के आकर्षण के कारण वस्तु का भार (Formula) जहाँ M पृथ्वी काद्रव्यमान तथा पृथ्वी की त्र्ज्या है । तथा के अपरिवर्ती होने के कारण वस्तुओं के भारों का अनुपात ही उनके द्रव्यमानों का भी अनुपात होता है । द्रव्यमान का C.G.S. मात्रक ग्राम है । सामान्यतः यह समझा जाता है कि द्रव्यमान अपरिवर्ती होता है किन्तु अब प्रमाणित हो गाया है कि गतिमान वस्तुओं का द्रव्यमान वेग की वृद्धि होने पर बढ़ जाता है । यदि mo = विरामी द्रव्यमान, v= प्रेक्षक के सापेक्ष, वस्तु का वेग, c= शून्य आकाश में प्रकाश का वेग m = वस्तु का द्रव्यमान हो तो (Formula) यदिvका मान c के मान के तुलनीय हो जाए तो का मान बहुत ही ज्यदा हो जाएगा । इसका अर्थ यह है कि द्रव्यमान ऊर्जा में और ऊर्जा द्रव्यमान में परस्पर परिवर्तनशील हैं । यदि प्राम द्रव्यमान ऊर्जा में परिवर्तित हो जाए तो प्राप्त ऊर्जा E = mc2 होगी ।
  • mass -- द्रव्यमान, संहति
वस्तु के जड़त्व (अर्थात् गति में परिवर्तन का वरोध करने के गुण ) का मौलिक माप । यदि किसी वस्तु पर बल p लगने से त्वरण f उत्पन्न हो तो बल और त्वरण का अनुपात (Formula) उस वस्तु का द्रव्यमान कहलाता है ।
  • mass - energy equivalence -- द्रव्यमान - ऊर्जा तुल्यता
किसी द्रव्यमान राशि और ऊर्जा राशि की परस्पर तुल्यता जो सूत्र द्वारा दर्शायी जाती है जिसमें द्रव्यमान है ऊर्जा और प्रकाश का वेग है । द्रव्यमान और ऊर्जा का यह संबंध आपेक्षिकता के सिद्धांत द्वारा बताया गया था जो अब प्रयोगों से सिद्ध हो चुका है ।
  • mass defect -- द्रव्यमान क्षति
किसी न्यूक्लाइड के परमाण्विक द्रव्यमान और द्रव्यमान संख्या का अंतर ।
  • mass number -- द्रव्यमान संख्या
किसी परमाणु के नाभिक में प्रोट्रॉनों की संख्या के योगफल के बराबर होती है । यह संख्या परमाणु - द्रव्यमान का निकटतम पूर्णांक है । इसका प्रतीक Aहै । इसे परमाणु के प्रतीक में मूर्धांक द्वारा दिखाया जाता है जैसे (Formula) में 235 द्रव्यमान संख्या है ।
  • mass spectrograph -- द्रव्यमान स्पेक्ट्रोग्राफ़, द्रव्यमान स्पेक्ट्रमलेखी
ऐसी कोई भी उपकरण जो वैद्युत अथवा चुंबकीय अथवा मिश्रित विक्षेपक क्षेत्रों की सहायता से परमाणु, अणु या यौगिकों को घटकों के द्रव्यमान - आवेश अनुपात (m/Q) के अनुसार छांटकर फोटाग्राफिक प्लेट पर द्रव्यमान - स्पेकट्रम की रेखाओं का एक स्थायी अभिलेख बनाता है ।
  • mass spectrum -- द्रव्यमान स्पेक्ट्रम
एक प्रकार का स्पेक्ट्रम जो आयनित परमाणु और अणुओं का द्रव्यमान - वितरण या द्रव्यामान - वेश अनुपात का वितरण दर्शाता है । किसी तत्व का द्रव्यमान स्पेक्ट्रम उस तत्व के समस्थानिकों का आपेक्षिक बाहुल्य दर्शाता है ।
  • master control (central control desk) -- मास्टर नियंत्रक
रेडियो या टेलिविजन प्रसारण मे काम आने वाला एक नियंत्रक पट्ट जिसमें मुख्य प्रोग्राम का नियंत्रण करने वाले अनेक नियंत्रक लगे होते हैं ।
  • master oscillater -- मास्टर दोलित्र
किसी प्रवर्धक में निर्गत की वाहक आवृत्ति स्थापित करने वाला एक दोलित्र । इसका उपयोग आवृत्ति की उच्च कोटि की स्थिरता कायम रखने के लिए किया जाता है ।
  • master oscillator -- मास्टर दोलित्र
किसी प्रवर्धक में निर्गत की वाहक आवृत्ति स्थापित करने वाला एक दोलित्र । इसका उपयोग आवृत्ति की उच्च कोटि की स्थिरता कायम रखने के लिए किया जाता है ।
  • matched load -- सुमेलित लोड
तरंग पथक अथवा समाक्ष विद्युत-लाइन का समापन करने वाला एक लोड जिसकी प्रतिबाधा के कारम संपूर्ण आतापी शक्ति का अवशोषण हो जाता है ।
  • matched termination -- सुमेलित अंत
तरंग पथक-विद्युत्जाल या विद्युत-संचार-लाइनों का एक ऐसा समापन जिससे कोई भी परावर्तित तरंग उत्पन्न नहीं होती ।
  • matched transmission lilne -- सुमेलित संचरण लाइन
एक प्रकार का तरंगपथक अथवा अन्य संचरण लाइन जिसके किसी भी अनुप्रस्थ खण्ड पर कोई परावर्तित तरंग नहीं होती ।
  • matched waveguide -- सुमेलित तरंगपथक
तरंग-पथक के रूप में एक प्रकार की संचरण-लाइन जिसके किसी भी अनुप्रस्थ खंड पर परावर्तित तरंग नहीं होती है ।
  • matched waveguide -- सुमेलित तरंगपथक
तरंग-पथक के रूप में एक प्रकार की संचरण- लाइन जिसके किसी भी अनुप्रस्थ खंड पर परावर्तित तरंग नहीं होती है ।
  • mathematical check -- गणितीय जाँच
कंप्यूटर में प्रचालनों के अनुक्रम की एक प्रोग्रामित जाँच जिसमें अनुक्रम के गणितीय गुणधर्मों का उपयोग किया जाता है ।
  • mathematics -- गणित
वह विज्ञान जिसमें आकृतिगत, विन्यासगत, परिमाणगत तथा राशिगत संबंधों का तार्कित अध्ययन किया जाता है ।
  • matrix -- मैट्रिक्स
1. गणितीय अवयवों का एक समुच्च्य जिसमें सभी अवयव पंक्ति तथा कालमों में रखे जाते हैं । इसका उपयोग कुछ प्रकार की समस्याओं के हल करने में किया जाता है ।
2. रंगीन दूरदर्शन प्रेषित्र का एक अंग जो लाल, हरे और पीले रंग वाले कैमरा - संकेतों को वर्णांतर संकेतों के रूप में बदलता है एवं उन वर्णों का वर्णकत्व उपवाहक के साथ मिलाता है । इसे वर्ण कोडित्र भी कहते हैं ।
3. रंगीन दूरदर्शन अभिग्राही का एक अंग जो प्रेषित्र से प्राप्त होने वाले वर्णांतर संकेतों को लाल, हरे और नीले सिग्नलों में बदल देता है जो रंगीन चित्र - नलिका के प्रचालन के लिए आवश्यक होते हैं । इसे वर्ण विकोडित्र भी कहते हैं ।
  • matter -- द्रव्य
जो स्थान घेरता है और जिसमें भौतिक विश्व बना हुआ माना जाता है और जो ऊर्जा के साथ समस्त जगत् के उत्पादन का आधार है । द्रव्य की प्रकृति अज्ञात है परन्तु इसके कुछ गुण आयतन, गुरूत्व, प्रत्यावस्था, जड़त्व आदि हैं ।
  • maximum -- उच्चिष्ठ
एक या अधिक स्वतंत्र चरों के किसी गणितीय फलन का एक ऐसा मान जिसके स्वतंत्र चरों में से किसी एक को अत्यंत लघु मात्रा में बढ़ाने या घटाने पर फलन का मान घट जाता है ।
  • maximum and minimum thermometer -- तापमापी, महत्तम न्यूनतम
ऐसा तापमापी जिससे यह मालूम हो जाता है कि वायु का ताप अधिकतम कितना हुआ था और न्यूनतम कितना हुआ था । अधिकतम ताप तो ऐसे पारद - तापमापी द्वारा नापा जाता है जिसके बल्ब के पास नली आकुंचित होती है । ताप बढ़ने पर जो पारा नली में चाल जाता है वह ताप घटने पर वापस बल्ब मे नहीं जा सकता । न्यूनतम ताप के लिए तापमापी ऐल्कोहॉल का बनाया जाता है । इसकी नली के द्रव में छोटा सा एक संकेतक होता है जो ताप घटने से तो द्रव पृष्ठ के साथ बल्ब की तरफ खिसक जाता ह किन्तु ताप बढ़ने पर नहीं खिसकता ।
  • maximum thermometer -- तापमापी, महत्तम
तापमापी जो महत्त्म उपलब्द ताप को सूचित करता है । सामान्य प्रकार का महत्तम तापमापी काँचस्थ - पारद थर्मामीटर होता ह जिसके बल्ब के पास नली आकुंचित होती है ताकि ताप के घटने पर नली का पारा वापस बल्ब में नहीं लौट सकता । ज्वारमापी (clinical thermometer) इसी प्रकार का होता है ।
  • mayday -- मेडे (आपात संकेत)
जलयान, वायुयान और अंतरिक्ष यान के लिए संकट काल में काम आने वाला क अंतर्राष्ट्रीय रेडियो - टेलीफोन - संकट - सिग्नल । अंतरिक्ष - यानों में इस कार्य के लिए 20.007 MHz की आवृत्ति निर्धआरित की गई है । यह शब्द फ्रांसीसी शब्द "m`adiez" से बना है, जिसाक अर्थ है -मेरी सहायता करो ।
  • McLeod gauge -- मेकलियोड गेज, मेकलियोड प्रमापी
निर्वात तंत्रों का दाब मापने का एक प्राथमिक उपकरण । इसमें प्रायः पारद युक्त एक कांच का बल्ब होता है जिसके शीर्ष पर एक ऊर्ध्वाधर केशिका नली होती है । साधारणतया यह बल्ब निर्वात तंत्र के साथ जोड़ दिया जात है और पारद के एक स्तम्भ को ऊँचा करके गैस के एक बड़े आयतन को संपीडित करके काफी छोटा किया जाता है । संपीडन के पश्चात केशिका में पारद स्तम्भ की ऊँचाई और निर्वात से जुड़ी हुई एक ऐसी ही अन्य कोशिका में पारद स्तम्ब की ऊँचाई के अन्तर से निर्वात तंत्र का दाब निर्धारित किया जाता है । यदि यह दाब p हो और गैस आदर्श गैस नियम का पालन करे तो मूल दाब po निम्न सूत्र से मालूम किया जाता सकता हैः (Formula)जिसमेंV=बल्ब का आयतन । v = संपीडन के पश्चात् केशिका मे रहने वाली गैस का आयतन ।
r = केशिका की आंतरिक त्रिज्या h = केशिका के शीर्ष से नीचे पारद स्तंभ के शीर्ष की गहराई ।
यह प्रमापी एक निरपेक्ष उपकरण है जो पारद के 10-5 mm तक दाब मापता है परन्तु संघननशील वाष्प की उपस्थिति में इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता है ।
  • mean -- 1. माध्य 2. मध्यपद
1. माध्य (क) राशियों के किसी समुच्चय में उन्हीं राशियों जैसी कोई राशि जो किसी न किसी अर्थ में समुच्च्य के सभी सदस्यों का प्रतिनिधित्व करता हो और किसी समुच्च्य-नियम के अनुसार उन्हीं राशियों के परिसर के अंतर्गत निर्धारित होती हो । (ख) कुछ राशियों की औसत अर्थात् दी हुई राशियों को किसी भी क्रम में जोड़कर उसको राशियों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त लब्धि । इनको समांतर माध्य भी कहते हैं ।
2. मध्य पदः किसी समानुपात में बीच के दो पदों में कोई पद । उदाहरणतः समानुपात a:b:c:d में b और c मध्य पद हैं ।
  • mean deviation -- माध्य विचलन
सांख्यिकीय बंटनों में विक्षेपण का एक माप जो बंटन के किसी केंद्रीय मान से लिए गए विचरों के अंतरों के चिन्ह निरपेक्ष मानों के समांतर माध्य के बराबर होता है । केंद्रीय मान प्रायः समातंर माध्य होता है ।
  • mean free path -- औसत मुक्त पथ / माध्य मुक्त पथ
एक अणु की किसी दूसरे अणु से उत्तरोत्तर दो बार टक्कर होने के बीच तय की गयी दूरी । इसका प्रतीक है । आण्विक नुप्रस्थ काट के साथ इसका निम्नलिखित संबंध होता है । (Formula) जहां, n= इकाई आयतन में अणुओं की संख्या । πσ = आण्विक अनुप्रस्थ काट क्षेत्रफल । गणित सिद्धांत के अनुसार श्यानता के साथ इसका निम्न संबंध होता है । (Formula) जहाँ (Formula)= माध्यम का घनत्व = औसत आण्विक वेग । k = एक नियतांक ।
  • mean life -- औतस आयु / माध्य आय
1. ऐसा औसत काल जिसमें कोई परमाणु अथवा अन्य दूसरा तंत्र किसी विशिष्ट स्थिति में बना रह सकता है । इसका प्रतीक τ है ।
2. एक माध्यम में किसी मूलकण अथवा आयन के अस्तित्व का औसत काल ।
3. अर्धचालक में किसी आवेश वाहक के अस्तित्व का औसत काल ।
  • mean solar time -- माध्य और समय
सूर्य की वार्षिक गति को खगोलीय विषुवद् वृत्त पर पश्चिम से पूर्व की दिशा में समान मानते हुए परिकलित किया हुआ समय जो सभी सामान्य लौकिक व्यवहारों में प्रयुक्त होता है ।
  • mean square deviation -- विचलन माध्य वर्ग
किसी सांख्यिकीय बारंबारता-बंटन में किसी स्वेच्छ मूल बिंदु की सापेक्षता में लिया गया द्वितीय आघूर्ण । यदि मूल बिंदु माध्य हो तो इसे प्रसरण कहते हैं ।
  • mean velocity -- औसत वेग
किसी तंत्र में कणों के वेगों का औसत मान जिसे निम्न समीकरण से व्यक्त किया जाता हैः (Formula) जहाँ n1 कणों का वेग u2 है तथा n2 कणों का वेग u2 आदि । तथा (Formula) कणों की संपूर्ण संख्या । स्थायी अवस्था में किसी गैस के अणुओं में मैस्सवेलीय वेग के बंटन का मान निम्नलिखित होता हैः (Formula) जहाँ k बोल्टसमान नियतांक और m कण का दरव्यमान है ।
  • mechanical equivalent of heat -- ऊष्मा का यांत्रिक तुल्यांक
एक कैलॉरी ऊष्मा उत्पन्न करने के लिए आवश्यक यांत्रिक ऊर्जा । CGS - पद्धति में इस तुल्यांक (J) का मान 4.1855x107 अर्ग प्रति कैलॉरी होता है । इसके मान को पहले जूल (joule) ने निकाला इसलिए इसे जूल का तुल्यांक (Joule`s equivalent) भी कहते हैं ।
  • mechanics -- बल-विज्ञान, यंत्र-विज्ञान, यांत्रिकी
बलों तथा अवरोधों के प्रभाव से कणों तथा निकायों में होने वाले गतियों तथा गति की प्रवृत्तियों का गणितीय सिद्धांत संहतियों की गतियों तथा इन गतियों को उत्पन्न करने अथवा परिवर्तित करने वाले बलों के प्रभाव का अध्ययन। बल-विज्ञान की दो मुख्य शाखाएँ स्थिति-विज्ञान तथा गति-विज्ञान होती हैं ।
  • mechanics -- बलविज्ञान (यांत्रिकी/ यंत्र विज्ञान)
वह विज्ञान जिसमें गतिकी तथा स्थैतिकी दोनों सम्मिलित हैं । इसमें बलों के संतुलन का तथा बलों द्वारा गति की उत्पत्ति और उसके परिवर्तन आदि सभी बातों का विवेचन होता है । यंत्रों और मशीनों के सिद्धांतों और उपयोगों का भी अध्ययन किया जाता है ।
  • median -- माध्यिका
1. त्रिभुज के किसी शीर्ष को उसकी सामने की भुजा के मुध्य बिंदु से मिलाने वाली रेखा ।
2. किसी सांख्यिकीय श्रेणी में माध्यगत बारंबारता से संबंधित चर का मान । संतत-बारंबारता बंटन के लिए माध्यिका की परिभाषा निम्न समीकरण से दी जा सकती है । (Formula) जहाँ M माध्यिका -मान है ।
  • mege -- मेगा
10 लाख की संख्या के लिए एक विशेषण । इसका प्रतीक M है । उदाहरणार्थ 1MΩ= 106Ω
  • megnetic memory -- चुंबकीय स्मृति-यंत्र
कंप्यूटर में काम आने वाला एक स्मृति तंत्र सिग्नलों द्वारा चुंबकीय पदार्थ का विभिन्न कोटि में चुबंकन होने से सूचना का संचयन होता है । यह चुंबकीय पदार्थ क्रोड, जिस्क, ड्रम, पट्टिका अथवा फीतों के रूप में हो सकता है ।
  • megnetic meridian -- याम्योत्तर, चुम्बकीय
किसी स्थान पर लटकाए गए स्वतंत्र चुंबक के अक्ष में से गुजरने वाला ऊर्ध्वाधर तल अथवा उसके ध्रुवों मे से गंजरने वाला वृहत् वृत्त ।
  • Meissner effect -- माइस्नर प्रभाव
किसी अतिचालक को दुर्बल चुंबकीय क्षेत्र में संक्रमण ताप से नीचे तक शीतल करने पर उत्पन्न होने वाला एक प्रभाव जिसमें अतिचालक के अन्दर से चुंबकीय अभिवाह का निषअकासन हो जाता है और पदार्थ पूर्णतया प्रितचंबकीय रूप से कार्यकरता हुआ मालूम पड़ता है । यह प्रभाव पदार्थ की शून्य प्रतिरोधिता से बिल्कुल भिन्न है ।
  • melting point -- गलनांक
वह ताप जिस पर ठोस पदार्थ पिघलकर द्रव अवस्था को प्राप्त कर लेता है । इसका मान दाब में परिवर्तन होने के कारण थोड़ा बदल जाता है और उस पदार्थ में मिली हुई अशुद्धियों से भी प्रभावित होता है ।
  • melting point -- गलनांक
वह ताप जिस पर कोई ठोस, सामान्यतया वायुमंडलीय दाब पर, बिना अपघटित हुए द्रव में बदल जाए । शुद्ध ठोस पदार्थों का गलनांक निश्चित होता ह अतः इसका उपयोग कार्बनिक यौकिगों की शुद्धता को निर्धारित करने के लिए होता है । मिश्रण यौगिकों की शुद्धता को निर्धारित करने के लिए होता है । मिश्रण एक ताप - परास में पिघलते हैं और उनका गलनांक सुनिश्चित नहीं होता । कांचीय (glassy) और रेजिनी पदार्थों का गलनांक भी सुनिश्चित नहीं होता । द्रव - क्रिस्टलों का गलनांक वह ताप है जिस पर उसके विषमदैशिक (anisotropic) गुण नष्ट हो जाते हैं ।
  • memory -- स्मृति
कोई भी ऐसी युक्ति जिसमें पहले सूचना का संचय काय जा सकता है और आवश्यकतानुसार इसे बाद में निकाला जा सकता है । वेयंत्र अथवा माध्यम जिनमें सूचना प्रायः संचित रहती है, कंप्यूटर के अभिन्न अंग होते हैं । ये स्मृतियाँ स्थिर वैद्युत, फ़ेरोवैद्युत, चुंबकीय, प्रकाशिक, इलेक्ट्रॉनीय आदि अनेक प्रकार की हो सकती है ।
  • memory -- स्मृति
कोई भी ऐसी युक्ति जिसमें पहले सूचना का संचय काय जा सकता है और आवश्यकतानुसार इसे बाद में निकाला जा सकता है । वेयंत्र अथवा माध्यम जिनमें सूचना प्रायः संचित रहती है, कंप्यूटर के अभिन्न अंग होते हैं । ये स्मृतियाँ स्थिर वैद्युत, फ़ेरोवैद्युत, चुंबकीय, प्रकाशिक, इलेक्ट्रॉनीय आदि अनेक प्रकार की हो सकती है ।
  • Mendeleeff`s periodic law -- मैंडलीफ का आवर्त - नियम
मैंडलीफ द्वारा प्रस्तुत इस नियम के अनुसार तत्वों के गुणधर्म उनके परमाणु - भारों के आवर्ती फलन होते हैं अर्थात् तत्वों को बढ़ते हुए परमाणु - भार के क्रम मे रखने से समान गुणधर्मों वाले तत्व निशअचित अन्तराल पर ते हैं । यह नियम और इसका संशोधित रूप, जिसमें परमाणु - भार के स्थान पर परमाणु - क्रमांक का प्रयोग किया जाता है, आधुनिक आवर्त - सारिणी के आधार हैं ।
  • mendelevium -- मैन्डेलीवियम
तीसरे वर्ग का ऐक्टिनाइड रेडियोऐक्टिव धात्विक तत्व । परमाणु - क्रमांक 101, संयोजकता 3, परमाणु - भार 256, प्रतीक Md । यह साइक्लोट्रोन में आइन्सटाइनियम - 253 और ऐल्फा कणों की बमबारी द्वारा बनाया जा सकता है । यह स्वतः विखंडन द्वारा नष्ट हो जाता है और इसकी अर्धआयु डेढ़ घंटे है । इसके चार समस्थानिक ज्ञात हैं और सबसे भारी समस्थानिक Md - 258 की अर्ध - आयु 60 दिन होती है । इसके रासायनिक गुणधर्म, विरल मृदा तत्व थूलियम के समान होते हैं । इलेक्ट्रॉन संरचनाः 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 3d10 4s2 4p6 4d10 4f14 5s2 5p6 5d10 5f13 6s2 6p6 7s2
  • mercury vapour lamp -- पारद-वाष्प दीप
एक गैस विसर्जन लैम्प जिसमें एक निर्वातित कांच की नली होती है । इसमें कुछ पारद होता है जो वाष्पित होकर विद्युत् विसर्जन में तीव्र नीला प्रकाश देता है । इस दीप का उपयोग फोटोग्राफी में और पराबैंगनी प्रकाश देता है । इस दीप का उपयोग फोटोग्राफी में और पराबैंगनी प्रकाश के स्रोत के रूप में होता है ।
  • meridian -- याम्योत्तर
पृथ्वी के किसी स्थान के संदर्भ में वह खगोलीय बृहद् वृद्द जो उस स्थान के ऊर्ध्व बिंदु और पाद बिंदु से और खगोलीय ध्रुवों से होकर जाता है । यह खगोल पर पार्थिव याम्योत्तर का प्रक्षेप होता है । किसी स्थान का पार्थिव याम्योत्त्र वह वहद् वृत्त है जो उस स्थान से और पार्थिव ध्रुवों से होकर जाता है ।
  • meridian plane -- अक्षीय तल (प्रकाशिक तंत्र का)
गोलीय दर्पण या लेन्स के प्रकाशिक अक्ष (मुख्य अक्ष) मे से गुजरने वाला समतल ।
  • meromorphic funcion -- अनंतकी फलन
संमिश्र समतल के किसी प्रदेश D पर परिभाषित कोई ऐसा फलन जिसाक प्रत्येक विचित्र बिंदु अनंतक हों ।
  • mesocolloid -- मेसोकोलॉइड
250 Ǻ से 2500Ǻ तक के कोलॉइडी कण जिनमें 100 से 1,000 तक अणु होते हैं । ये कण अर्ध-कोलॉइड और यूकोलॉइड के मध्यवर्ती होते हैं ।
  • mesomerism -- मेसोमरता, मध्यवयवता
रासायनिक अभिक्रियाओं मे किसी पदार्थ का ऐसी दो सरंचनाओं के अनुरूप व्यवहार करना जिसके केवल इलेक्ट्रॉनी विन्यास में अंतर होता है । इसमें इलेक्ट्रॉनों का स्थानांतरण बहुत तीव्र गति से होता है और यह माना जाता है कि दो इलेक्ट्रॉमरी रूप, (electromeric form) किसी निश्चित अनुपात में नीहं पाए जाते हैं और पदार्थ का सामान्य रूप इन दो मध्यावयवी रूपों के बीच का होता है । मध्यावयवता से आबंध दूरियाँ कम हो जाती हैं । और स्थायित्व बढ़ जाता है जिसे दर्शाया नहीं जा सकता है ।
  • meson -- मैसॉन
ऐसा कोई भी मूलभूत कण जिसका द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन के द्रव्यमानों के बीच में होता है । ये कण प्रबल नाभिकीय अन्योन्य क्रियाओं मे भाग लेते हैं और इनके चक्रण पूर्णांकी होते हैं । इनमें से कुछ मेसॉन दीर्घजीवी ( ≈10-8s ) और कुछ अल्पजीवी (≈10-23 s) होते हैं ।
  • meson -- मैसॉन
मौलिक कण जिनका विरामी द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन और प्रोट्रॉन के बीच का होता है । ये अंतरिक्ष किरणों में तथा उच्च ऊजा वाली नाभिकीय अभिक्रियाओं में पाए जाते हैं । ये धन आवेशित, ऋण आवेशित या उदासीन होते हैं । इनकी औसत आयु 10-6 सेकंड से कम होती है । मेसॉन कई प्रकार के होते हैं जेसे μ- मेसॉन (द्रव्यमान = 270 me) μ- मेसॉन (द्रव्यमान = 206 me) और इसके अतिरिक्त λ, θ, κ मेसॉन जो बहुत स्थायी होते हैं ।
  • mesothorium -- मेसोथोरियम
रेडियम का रेडियोऐक्टिव समस्थानिक जो थोरियम क्षय श्रेणी में प्राप्त होता है । यह थोरियम खनिजों से भी बनाया जाता है । इसका उपयोग दीप्त वर्णकों और रेडियम - प्रसर्जन के कारण औषधि में होता है क्योकि यह रेडियम से 250 गुना सक्रिया होता है ।
  • message -- संदेश
कंप्यूटर में काम आने वाला शब्दों का एक समूह जिसकी लंबाई घटाई-बढ़ाई जाती है और कंप्यूटर में जिसका संचार एकक के रूप में होता है ।
  • metagalaxy -- अधिमंदाकिनी
अभी तक ज्ञात सभी गेलेक्सियों का समूह जिसमें सभी तारे, ग्रह, तारा - पुंज, अंतरागैलेक्सिय कण आदि सब कुछ आते हैं । इसमें जो हमारे निकटमत प्रदेश हैं उन्हें आंतरिक अधिमंदाकिनी कहते हैं ।
  • metal -- धातु
तत्वों के एक वर्ग का कोई सदस्य जिनमें उच्च धात्विक द्युति होती है । यह अधिकांश वैद्युत और ताप चालक, तन्य और आघातवर्ध्य होते हैं । ये अम्ल से हाइड्रोजन को विस्थापित कर सकते हैं और हाइड्रॉक्सिल मूलक के साथ क्षारक बनाते हैं । तत्वों को धातुओं और अधातुओं में स्पष्ट रूप से विभाजित नहीं किया जा सकता ह । उदाहरणार्थ टेलुनियम आदि कुछ ऐसे तत्व हैं जिनके भौतिक गुणधर्म धातुओं के समान और रासायनिक गुणधर्म अदातुओं के समान होते हैं । अंतःकेंद्रित घनीय, फलक केंद्रित घनीय और सुंसकुलित षट्कोणीय संरचनाएँ कुछ विशिष्ट धात्विक संरचनाएँ हैं । धातुओं के रासायनिक गुणधर्मों से ज्ञात होता है कि इनके परमाणु एक या अधिक लेक्ट्रॉनों को खोकर स्थीयी आयन बनाते हैं । ठोस अवस्था सेये इलेक्ट्रॉनन अलद - अलगद परमाणुओं पर मजूबती से नहीं जुड़े रहेत और जालकों में मुक्त रूप से गमन कर सकते हैं और इस प्रकार वे वैद्युत और ऊषअमीय धाराओं को ले जा सकते हं ।
  • metal detector -- धातु संसूचक
एक प्रकार कीइलेक्ट्रॉनीय युक्ति जिसका उपयोग बन्दूक, चाकू, या भूमि में गड़ी हुई पाइप लाइन जैसे धातु के गुप्त समामान आदिकी पहचान के लिए किया जाता है । सामान्तः इसके लिए एक उच्चावृत्ति विद्युत्चुम्बकीय क्षेत्र का विकिरण किया जाता है तथा विद्युत्चुम्बकीय क्षेत्र में लोह और अलह धातु से बने सामानों द्वारा उत्पन्न होने वाले परिवर्तनों का संसूचन काय जाता है । इसे इलेक्ट्रॉनीय स्थाननिर्धारक, य धातु स्थान निर्धारक भी कहा जाता है ।
  • metal rectifier -- धात्विक दिष्टकारी
एक प्रकार का दिष्टकारी जिसमें धातु की एक या अनेक चक्रिकायें दाब संपर्क द्वारा अर्धचालकरी स्तरों से जुड़ी होती हैं । इस दिष्टकारी में अर्धचालक से धातु की दिशआ में धारा प्रवाह होने पर प्रतिरोध दूसरी दिशआ के धारा - प्रवाह की अपेक्षा बहुत ही कम होता ह । इसके कुछ उदाहरण कॉपर -ऑक्साइड और सीलिनियम दिष्कारी हैं जिनमें ताम्र पर क्रमशः कॉपर ऑक्साइड और सीलिनियम का सम्पर्क होता ह । इसे संपर्क दिष्टकारी, शुष्क चक्रिका दिष्टकारी और अर्धचालकीय दिष्टकारी भी कहते हैं ।
  • metallic bond -- धात्विक आबंद
धात्विक अवस्था का प्ररूपी (typical) रासायनिक आबंध । इस आबंध की विशेषता यह है कि इसमें गतिशील संयोजकता - इलेक्ट्रॉन होते हैं जो धातु के क्रिस्टल - जालकों में, संकुलित धन आवेशी परमाणुओं को परस्पर बाँधे रखते हैं और इस प्रकार धन और ऋण आवेश संतुलित हो जाते हैं । धातुओं में विद्युत् चालकता और ऊष्मा चालकता इन्हीं के कारण होती है ।
  • metallic crystal -- धात्विक क्रिस्टल
एक प्रकार का क्रिस्टल जिसमें मुक्त इलेक्ट्रॉनों के वातावरण में आपस में बंधे अनेक धात्विक धनात्मक आयनों का एक नियमित विन्यास होता है ।
  • metalloid -- उपधातु
तत्वों का एक वर्ग जिनके गुणधर्म, धातुओं और अधातुओं के बीच के होते हैं । यह अर्धधातु और अर्धचालक होते हैं । इनकी विद्युत् - ऋणात्मकता मध्यम होती है और इनके ऑक्साइड न तीव्र अम्ल होते हैं और न तीव्र क्षारक । इनके कुछ गुणधर्म अर्धधातुओं के समान और अन्य गुणधर्म धातुओं और अधातुओं के समान होते हैं । अधिकांश उपधातुयें अपररूपों में पाई जाती हैं और उनके अर्धचालक गुणधर्म होते हैं । जर्मेनियम, टेल्यूरीयम, एंटीमनी आदि उपधातुओं के उदाहरण हैं । कुछ आधातु भी अक्सर अर्धधातु के गुणधर्म प्रदर्शित करेत हं ।
  • metastable state -- मितस्थायी अवस्था
1. उत्तेजित परमाणु या अणु का एक ऐसा अपेक्षाकृत स्थायी ऊर्जा - स्तर जिसमें वह विकिरण के रूप मे ऊर्जा का त्याग नहीं कर सकता परन्तु किसी अन्य रूप में ऊर्जा का त्याग करके अन्त मे सामान्य अवस्था मे लौट जाता है ।
2. एक ऐसे उत्तेजित रेडियोऐक्टिव समस्थानिक का अपेक्षाकृत स्थायी ऊर्जा - स्तर जो गामा किरमों के उत्सर्जन से क्षय होता हुई निम्नतर ऊर्जा वाले अधिक स्थायी स्तर पर आ जाता है ।
  • meteor -- उल्का
सूर्य का चक्कर लगाने वाला कोई छोटा पिंड । आकाश मे ये अरबों की संख्या में होते हैं । पृथ्वी के वायुमंडल में आने पर ही ये हमें दिखलाई पड़ते हैं, क्योंकि वायुमंडल की रगड़ की वजह से यह चमकने लगते हैं और तभी इन्हें देखना संभव होता है ।
  • meteor -- उल्का
सूर्य के चारों ओर दीर्घवृत्तीय कक्षाओं में घूमते हुए पाषाण अथवा धात्विक पिंड । उल्काओं के कुछ वर्ग प्रत्यक्ष रूप से असंबद्ध कक्षाओं में भ्रमण करते हैं । इन्हें कदाचनिक उल्का कहते हैं । अन्य उल्कायें जो प्रतिवर्ष उसी समय और उन्हीं कक्षाओं में दिखाई देती हैं अनेक उल्का धाराओं का निर्माण करती हैं । इन उल्काओं को वर्षण उल्कायें कहते हैं । जब कोई उल्का पार्थिव वायुमण्डल में प्रवेश करती है तो इससे आयतन उत्पन्नहोता है जिसका संसूचन रेडार द्वारा किया जा सकता है । उल्का स्वयं भी तापदीप्त हो जाती है और एक पुच्छल तारे के रूप में दिखाई पड़ती है ।
  • meteorite -- उल्का पिंड
एक ऐसी उल्का जो पार्थिव वायुमण्डल से गुजरती हुई पूर्ण रूप से भस्म नहीं हो जाती । इसके निम्नलिखित चार मुख्य भेद हैः
1. एरोलाइट, अश्म उल्का-जिसमें लगभग पूर्ण रूप से अश्‍म होता है ।
2. सिडेरोलाइट, लोहाश्म उल्का-जिसमें अश्म और धातु की उचित मात्रा होती है । ये धातु मुख्यतः लौह और निकल होती है ।
3. सिडेराइट लोह उल्का -जिसमें लगभग पूर्णतया लौह धातु होती है ।
4. टेक्साइट-जिसमें मुख्यतया सिलिकायम पदार्थ होता है । उल्कापिंड अधिकांश रूप से एरोलाइट वर्ग के हैं । उल्का पिंडों का आकार उल्का-धूल के कणों से लेकर 50000 kg से भी अधिक भार वाले विशाल पिंडों तक होता है ।
  • meteorology -- मौसम विज्ञान
विज्ञान की एक शाखा जिसमें वायुमण्डल के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाता है । सीमित रूप में यह मौसम का विज्ञान है जिसमें विशेषतया मौसम के सबी पहलुओं से संबंधित भौतिक प्रक्रमों का अध्ययन किया जाता है । मौसम विज्ञान के क्षेत्र में आजकल रॉकेट, रेडार और कृत्रिम उपग्रहों का भी उपयोग होने लगा है ।
  • meteorology -- मौसम विज्ञान
वायुमण्डल तथा उसमें होने वाली ऐसी घटनाओं का विज्ञान जिनका प्रभाव मौसम पर पड़ता है । विशेषतया इसमें वायुमण्डलीय ताप, दाब, नमी, पवन, बादल, वर्षा आदि का अध्ययन होता है ।
  • meter -- मीटर
मीटरी पद्धति में रैखिक माप का आधारभूत मात्रक, जो पेरिस में रखे हुए एक प्लैटिनम के छड़ पर दो नियत निशानों के बीच की दूरी के बराबर होता है । यह 39.37 ईंच के बराबर होता है ।
  • meter (=metre) -- मीटर
S.I. या M.K.S. पद्धित में लम्बाई का मात्रक । यह सेवरे (Sevres) (फ्रांस) मे रखे हुए प्लेटिनम इरीडियम के दंड पर खुदी दो रेखाओं के बीच की दूरी के बराबर होता है । यह दूरी पर नापी जाती है । यह दूरी ooC पर नापी जाती है । एक मीटर = 39.370147 इंच ।
  • meter bridge -- ब्रिज, मीटर
एक प्रकार का व्हीटस्टोन सेतु (Wheatstone`s) जिसमें प्रतिरोधी पदार्थ के एक मीटर लम्बे तार को दो भागों मे विभक्त करके अनुपाती भुजाएँ प्राप्त की जाती हैं और इस विभाजन बिन्दु को खिसकाकर अनुपात का मान बदला जाता है । इसाक उपयोग प्रतिरोध नापने के लिए किया जाता है ।
  • metrix -- आव्यूह, मैट्रिक्स
राशियों का कोई आयताकार विन्यास । इन राशियों को आव्यूह के अवयव कहेत हं । यदि विन्यास में m पंक्तियां और n स्तं हैं तो आव्यूह को mxn आव्यूह कहते हैं ओर उसका निरूपण यह होता हो । आव्यूह (Formula)
  • metrology -- मापिकी, मापविज्ञान
भौतिकी की एक शाखा जिसमें द्रव्यमान, दैर्ध्य और समय तथा उनसे व्युत्पन्न क्षएत्रफल, आयतन, घनत्व, कोण और वेग आदि जैसी राशियों का अध्ययन किय जाता है । इसमें ताप, बैरोमीटरी दाब और तापीय प्रसार आदि का भी अध्ययन सम्मिलित है ।
  • MeV -- MeV
नाभिकीय भौतिकी में कणों की ऊर्जा का एक मात्रक जो 106 के बराबर होता है ।
  • mho (unit) -- मो
विद्युत् चालकता (conductance) का मात्रक जिसे व्युत्क्रम ओह्म भी कहते है ।
  • mica capacitor -- अभ्रक संधारित्र
एक नियत मान वाला संधारित्र जिसमें परावैद्युत् पदार्थ के रूप में अभ्रक का उपयोग किया जाता है । इस संधारित्र का प्रयोग उन स्थितियों में किया जाता है जहाँ परिशुद्धता, स्थायित्व और उच्च परावैद्युत्-प्रबलता का महत्‍व अल्प आकार और कम लागत से अधिक समझा जाता है ।
  • micelle -- मिसेल
पहले इस शब्द का प्रयोग हर प्रकार के कोलॉइडी कण के लिए होता था, किंतु अब मुख्यतः साबुन, रंजक आदि समुच्च्य - कोलॉइडों को मिसेल कहेत हं । मिसेल, विद्युत् आवेशित कोलॉइडी कम हैं जो अणुओं का अतिसूक्ष्म समुच्च्य होता है । वास्तव में कभी -कभी मिसेल का प्रोयग अब भी पॉलिऐक्ट्रोलाइट कमों के लिए होता है । एक निश्चित सांद्रता से नीचे साबुन - विलयन सहयोजित नहीं होते हैं और उसके ऊपर वे पूर्णतया मिसेल होते हैं । इसे क्रांतिक - मिसेल - सांद्रता कहते हैं ।
  • Michelson - Morley experiment -- माइकेलसन मोरले प्रयोग
1887 में ईथर संकल्पना की परीक्षा करने के ले माइकेलसन मोरले द्वारा किया गया एक प्रयोग जिसमें माइकेलसन व्यतिकरम मापी का उपयोग काय गया था । इस प्रयोग में प्रकाश का एक वर्णी पुंज अर्धरतित दर्पण द्वारा दो भागों मे बाँटकर पृथ्वी के घूर्णन और इसीक अभिलम्ब दिशाओं मे भेजा गाय जिसे बाद मे अन्य दर्पणों द्वारा एक ही स्थान पर लाया गया । ईथर संकल्पना के अनुसार उपकरण को घुमाने पर व्यतिकरण फ़्रिजों का अवश्य ही विस्थापन होना चाहिए था परन्तु ऐसा कोई विस्थापन प्रेक्षित नहींहुआ । इस परिणाम के कारम ईथर संकल्पना का अन्त हो गया । अन्त में इस परिणाम की व्याख्या लॉरेन्ट्स - फ़िट्सजेराल्ड संकुचन से हुई जो आपेक्षिकता के विशिष्ट सिद्धांत का ही एक परिणाम है।
  • micro -- 1. माइक्रो 2. सूक्ष्म
1. 10-6 के लिए प्रयुक्त एक उपसर्ग । इसका प्रतीक μ है । उदाहरम 1μm = 10-6m
2. सूक्ष्मदर्शीय आकारों के लिए प्रयुक्त होने वाला एक विशेषण ।
  • micro circuit -- सूक्ष्म परिपथ
सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिकी में काम ने वाला कोई भी परिपथ । संकर सूक्ष्म परिपथ, एकीकृत परिपथ, तनुफ़िल्म परिपथ आदि इसके कुछ उदाहरण हैं ।
  • micro curie -- माइक्रो क्यूरी
विकिरण भौतिकी में काम आने वाला विकिरण-मात्रा का एक मात्रक जो क्यूरी के दस लाखवें भाग के बराबर होता है । इसका प्रतीक μCi है ।
  • micro electronics -- सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिकी
इलेक्ट्रॉनिकी की एक शाखा जिसमें अत्यन्त लघु इलेक्ट्रॉनीय अवयव, परिपथ और युक्तियों के डिजाइन, निर्माण और प्रुयक्तियों का अध्ययन किया जाता है । इसमें समेकित परिपथों का प्रयोग किया जाता है । कंप्यूटरों और अंतरिक्ष यात्रा में सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिकी का महत्व तीव्र गित से बढ़ रहा है ।
  • micro film -- माइक्रोफ़िल्म
एक प्रकार की फ़ोटोग्राफीय फ़िल्म जिसमें अत्यन्त सूक्ष्म रूप में सूचना अंकित होती है ।
  • microelectronics -- सूक्ष्म इलेकट्रॉनिकी
इलेक्ट्रॉनिकी की एक शाखा जिसमें अत्यन्त लघु इलेक्ट्रॉनीय अवयव, परिपथ और युक्तियों के डिजाइन, निर्माण और प्रुयक्तियों का अध्ययन किया जाता है । इसमें समेकित परिपथों का प्रयोग किया जाता है । कंप्यूटरों और अंतरिक्ष यात्रा में सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिकी का महत्व तीव्र गित से बढ़ रहा है ।
  • micrometer (screw) -- माइक्रोमीटर (सूक्ष्ममापी)
सूक्ष्म दूरी नापने का सांधन । इसमे एक नली या डिस्क को घुमाने से एक पेच घूमता है । पूरा एक चक्कर घुमाने से पेच का सिरा सामान्यतः एक या 0.5m आगे बढ़ता है । नली का डिस्क पर ऐसा अशांकन रहात ह जो प्रायः एक चक्क्र को 100 भागों में विभक्त कर देता है । अतः उसे एक चक्कर के 1/100 अंश के बराबर घुमाने से पेच के सिरे का विस्थापन 01 या .005 mm होता है और नापा जा सकता है ।
  • micrometer eyepiece -- सूक्ष्ममापी नेत्रिका
साधारणतया रेम्सडेन (Ramsden) नेत्रिका के किस्म की नेत्रिका जिसमे क्रॉस - तार लगे होते हैं जिन्हे सूक्ष्म मापी पेंच के द्वारा खिसकाया जा सकता है । इसका उपयोग नेत्रिका में बने प्रतिबिंब का तथा उसेक दो बिंदुओं के बीच की दूरी का नाप करने के लिए किया जाता है ।
  • micron -- माइक्रॉन
लंबाई का एक मात्रक जो मीटर के दस लाखवें भाग के बराबर होता है । इस मात्रक का उपयोग प्रकाश के तरंग दैर्ध्य निर्दिष्ट करने के ले किया जात है। इसकी प्रतीक μm है । 1μm = 10-6 ~m है । इसे अब माइक्रोमीटर भी कहते हैं ।
  • microphone -- माइक्रोफोन
एक विद्युत् ध्वानिक ट्रांसड्यूसर जो ध्वनि-तरंगों के प्रति अनुक्रिया करके बिल्कुल उनके तुल्य विद्युत्-तरंग प्रदान करता है ।
  • microphone -- माइक्रोफोन
ध्वनि तरंगों को विद्युत् तरंगों में बदलने का साधन । माइक्रोफ़ोन कई प्रकार के होते हैं - जैसे कार्बन माइक्रोफोन, संधारित्र माइक्रोफोन, चलकुंडली माइक्रोफोन, क्रिस्टल माइक्रोफोन, रिबन माइक्रोफोन आदि ।
  • microphonics -- माइक्रोफोनिक रव
इलेक्ट्रॉन-नलिका-घटक अथवा तंत्र के अवयवों के यांत्रिक कंपन से उत्पन्न रव । इन कंपनों से कंपनयुक्ति मे से प्रवाहित अथवा इसके द्वारा नियंत्रित सिग्नल धाराओं का मॉडुलन हो जाता है । श्रव्यावृत्ति तंत्र में इसे रव के रूप मे सुना जाता है और प्रतिकृति तथा दूरदर्शन प्रतिबिंबों में एक अवांछनीय व्यतिक्रमण चित्राम के रूप मे देखा जाता है ।
  • microradiograph -- सूक्षअम विकिरणी चित्र
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी जैसी युक्तियों से बने हुए प्रतिबिंब का प्रकाशीय पुनरूत्पादन ।
  • microscope -- सूक्ष्मदर्शी (माइक्रोस्कोप)
अत्यंत छोटी वस्तु का आवर्धित प्रतिबिंब दिखाने वाला उपकरण ।
  • microscopic -- सूक्ष्मदर्शीय
1. ऐसा आकार जिसे किसी प्रकाशिक सूक्ष्मदर्शी की मदद से ही देखा जा सकता है । सूक्ष्मदर्शीय आकार किसी साधारण आवर्द्धक या खुली आँखों से देखना संभव नहीं है ।
2. 10-8 या इससे भी कम आकार वाले तंत्र से संबंधित ।
  • microwave -- सूक्ष्म तरंग
एक प्रकार की विद्युत्चुंबकीय तरंग जिसकी तरंग दैर्ध्य 1 mm (अवरक्त विकिरण) से लेकर 30 cm (रेडियो तरंग) तकत होती है । रेडार में सूक्ष्म तरंगों का उपयोग कियी जात है । अति शीघ्रता से काना पकाने के लिए भी सूक्ष्म तरंगों का व्यापारिक स्तर पर उपयोग होता है ।
  • microwave spectroscopy -- सूक्ष्म तरंग स्पेक्ट्रामिकी
स्पेक्ट्रामिकी की एक शाखा जिसमें किसी ठोस या गैसीय पदार्थ द्वारा विभिन्न आवृत्तियों पर सूक्ष्मतरंगों के वरणात्मक अवशोषण का निर्धारण किया जाताइसका उपयोग परमाण्विक, क्रिस्टली एवं आण्विक संरचना के अध्ययन मे किया जाता है । इसके निम्नलिखित तीन मुख्य भाग हैं
1. गैस स्पेक्ट्रमिकी, जिसमें सूक्ष्म तरंगों का अवशोषण, अणविक घूर्णन ऊर्जा के स्थानांतरणों से होता है ।
2. अणुचुंबकीय अनुनाद जिसमें क्रिस्टलीय जाल के आयन और धातुओं तथा अर्धचालकों में इलेक्ट्रॉन अनानाद आदि के द्वारा सूक्ष्म तरंगों का अवशोषण होता है ।
3. लोह चुंबकीय अनुनाद- अवशोषण ।
  • microwave spectroscopy -- सूक्ष्म तरंग स्पेक्ट्रमिकी
स्पेक्ट्रामिकी की एक शाखा जिसमें किसी ठोस या गैसीय पदार्थ द्वारा विभिन्न आवृत्तियों पर सूक्ष्मतरंगों के वरणात्मक अवशोषण का निर्धारण किया जाताइसका उपयोग परमाण्विक, क्रिस्टली एवं आण्विक संरचना के अध्ययन में किया जाता हैं । इसके निम्नलिखित तीन मुख्य भाग हैं
1. गैस स्पेक्ट्रमिकी, जिसमें सूक्ष्म तरंगों का अवशोषण, अणविक घूर्णन ऊर्जा के स्थानांतरणों से होता है ।
2. अणुचुंबकीय अनुनाद जिसमें क्रिस्टलीय जाल के आयन और धातुओं तथा अर्धचालकों में इलेक्ट्रॉन अनानाद आदि के द्वारा सूक्ष्म तरंगों का अवशोषण होता है ।
3. लोह चुंबकीय अनुनाद- अवशोषण ।
  • milky way -- आकाश गंगा
आकाश में एक वृहत् वृत्त के रूप में फैली हुई मेघाम प्रकाश की एक संतत पट्टी । इसाक प्रकाश खरबों तारों के प्रकाश क मिला - जुला प्रकाश होता है । यह विश्व के अनेकानेक गैलेक्सियों में एक है और सूर्य तथा आकाश में दिखाई देने वाले सभी तारे इसके अंश हैं ।
  • Miller effect -- मिलर प्रभाव
पुनर्भरण के कारण किसी इलेक्ट्रॉनीय युक्ति में पाया जाने वाला एक प्रभाव जिससे उस युक्ति की संपूर्ण गतिकीय निवेश धारिता इलेक्ट्रॉनों की स्थैतिक धारिताओं के योगफल के बराबर अथवा इससे अधिक होती है । कुछ परिपथों में निवेश टर्मिनलों के बीच बहुत अधिक धारिता प्रदान करने के लिए ग्रिड और ऐनोड के बीच जान - बूझकर एक संधारित्र लगाया जाता है ।
  • miniaturization -- लघुरूपण
किसी तंत्र, उपकरण अथवा घटकों का साइज, भार अथा दोनों को ही कम करने की एक तकनीक ताकि वे कम से कम स्थान घेरें । ट्रांजिस्टर, मुद्रित परिपथ और पारद सेलवैटरियों का निर्माण इसके कुछ उदाहरण हैं ।
  • minimum -- निम्निष्ठ
एक या अधिक स्वतंत्र चरों के किसी फलन का एक ऐसा मान जिसके स्वतंत्र चरों में से किसी एक को अत्यंत लघु मात्रा में बढ़ाने या घटाने पर फलन का मान बढ़ जाता है ।
  • minimum deviation -- विचलन अल्पतम
किसी प्रिज्म का विचलन कोण अल्पतम उन अवस्थाओं में होता ह जब कि आपतित और निर्गत किरणें प्रिज्म के पृष्ठों से बराबर कोण बनाती हैं । प्रिज्म कोण `A`, अल्पतम विचलन `D` और अपवर्तनांक μ आपस में निम्न सूत्र से संबंधित होते हैं । (Formula)
  • minimum thermometer -- तापमापी, न्यूनतम
वह तापमापी जो नायूनतम उपलब्ध ताप सूचित करता है । सामान्य प्रकार का न्यूनतम तापमापी, सूचिका युक्त काँचस्थ ऐल्कोहॉल थर्मामीटर होता है । यह सूचिका द्रव के साथ नीचे की ओर तो खइसक जाती है परन्तु उसके साथ ऊपर नही उठती ।
  • minor axis -- अघु अक्ष
दीर्घवृत्त के दो सममिति अक्षों में वह अक्ष दीर्घवृत्त के दो प्रतिच्छेद - बिंदुओं द्वारा अंतरित लंबाई दूसरे अक्ष की अपेक्षा कम हो ।
  • minority carrieer -- अल्पांश वाहक
अर्धचालक में एक प्रकार के आवेश वाहक जिनकी संख्या संपूर्ण वाहकों की संख्या के आधे से भी कम होती है ।
  • minority carrier -- अल्पांश -व हक
अर्धचालक में एक प्रकार के आवेश-वाहक जिसकी संख्या संपूर्ण वाहकों की संख्या के आधे से भी कम होती है ।
  • minority emitter -- अल्पसंख्याक उत्सर्जक
ट्रांजिस्टर का एक इलेक्ट्रोड जिससे अल्पांश - वाहकों का प्रवाह अंतःइलेक्ट्रोड - प्रदेश में प्रवेश करता है ।
  • minute -- मिनट
11. समय का एक मात्रक जो माध्य सौर दिवस का 1/1440 भाग होता है ।
2. कोण का एक मात्रक जो डिग्री के 1/60 के बराबर होता है । शतमिक मिनट 0.01 ग्रेड के बराबर होता है ।
  • mirage -- मरीचिका
एक वायुमंडलीय घटना जो बहुधा ग्रीष्म ऋतु में रेगिस्तान या पक्की सड़कों पर दिखाई देती है । इसमें आकाश या पेड़ों का उल्टा प्रतिबिंब दिखाई पड़ता हैजिससे देखने वाले को वहाँ जलाशय के होने का भ्रम होता है । ग्रीष्म ऋतु मे रेत या सड़क के ऊपर की वायु गर्म होकर ऊपर की वायु की अपेक्षा विरल हो जाती है और ऊँचाई से आने वाली आकाश की किरणें जब नीचे की ओर विरल वायु के स्तरों में प्रवेश करती हैं तो अपवर्तन के कारण धीरे - धीरे उनका आपतन कोण बढता जाता है और अंत में क्रांतिक कोण से अधिक हो जाता है । तब प्रकाश का पूर्ण परावर्तनहोता है और आकाश प्रतिबिंबित होकर जलाशय का भ्रम उत्पन्न करता है । इसी प्रकार ऊपर वृक्षों के प्रतिबिंब भी पृथ्वी - तल पर उल्टे दिखाई देते हैं । जब वायु का घनत्व ऊँचाई के साथ अधिक तेजी से घटता है, जैसे समुद्र, झील या ठंडे प्रदेशों के निकट, तब इससे विपरीत प्रकार की एक घटना होती है जिसे उन्मरीचिका () कहते हैं और पानी पर तैरती हुई वस्तुएँ आकाश में अधर लटकती हुई मालूम होती ह ।
  • mirror -- दर्पण
अच्छी तरह पॉलिश किया हुआ परापवर्तक पृष्ठ जो बिना विशेष विसरण (diffusion) के प्रकाश का नियमित परपवर्तन करे और जिसके द्वारा वस्तुओं के स्पष्ट प्रतिबिंब (वास्तविक या आभासी) बनें । सामान्यतया ये समतल, गोलीय (अवतल या उत्तल) और परवलीय होते हैं ।
  • mirror galvanometer -- गैल्वेनोमीटर, दर्पण
गैल्वैनोमीटर जिसका विक्षेप उसके चलतंत्र में लगे दर्पण से परवर्तित प्रकाश द्वारा मापा जाता है ।
  • mirror nuclei -- प्रतीप नाभिक, प्रतीप न्यूक्लियस
एक प्रकार के नाभिक युगल जिनमें एक के न्यूट्रॉनों और दूसेर के प्रोटॉनों अथवा एक के प्रोटॉनों और दूसेर के न्यूट्रॉनों का परस्पर विनिमय हो जाने से नाभिकों का परस्पर रूपांतरण हो जाता है । उदाहरण के लिए निम्नलिखित प्रतीप नाभिक हैं -
1. (Formula) और (Formula) और सभी प्रतीक नाभिक समभारित होते हैं ।
  • Misch metal -- मिश धातु
एक स्वतः ज्वलनशील मिश्रातु जो सीरियम, लोहा, लैन्थेनम, नियोडिमियम और अन्य विरल मृदा धातुओं से बनाई जाती है । यह उन धातुओं के गलित मिश्र-क्लोराइडों के विद्युत्-अपघटन से प्राप्त होती है । ज्वलनशील होने के कारण इसका उपयोग स्वतः लाइटरों में और गोलियों या गोलों का मार्ग ज्ञात करने के लिए होता है क्योंकि वायु के घर्षण के कारण मिश्रातु तापदीप्त (incandescent) हो जाता है ।
  • mismatch -- कुमेल
विद्युत् परिपथों की एक स्थिति जिसमें लोड की प्रतिबाधा लोड से संबद्ध स्रोत की प्रतिबाधा से मेल नहीं खाती ।
  • mist -- कुहासा
धरातल पर या उसके समीप वायुमंडल में निलंबित जल कणों का समूह जिसके कारण वायु में पारदर्शिता नहीं रहती और नजदीक की वस्तुओं को भी देखना कठन हो जाता है । जब वायुमंजल का की बड़ा भाग धीरे - धीरे ठंडा होता है तो दूर - दूर तक की वायु एक साथ ही जलवाष्प से संतृप्त हो जाती है । इस दशा में वायुमंजल में वर्तमान धूल के प्रत्येक कण पर जल की बूंदें बन जाती हैं । बड़े शहरों का कुहासा वायुमंडल में वर्तमान धुएँ के कणों पर इसी प्रकार जलवाष्प के द्रवण से बनता है । मौसम विज्ञान की शब्दावली के अनुसार जब तक दृश्यता 1000 मीटर से अधिक होती है तब तक इस गटना को कुहासा कहना चाहिए, पर जब इससे कम हो जाए तो कुहरा ।
  • mixed crystals -- मिश्र क्रिस्टल
1. जब समान रूप में क्रिस्टलितहोने वाले दो पदार्थों के विलयन को सांद्रित किया जाता है तो प्राप्त क्रिस्टल अक्सर समांगी होते हैं परन्तु साथ ही साथ वे दोनों पदार्थों के मिश्रण होते हैं । ऐसे क्रिस्टलों को पहले मिश्र क्रिस्टल कहा जाता था किंतु अब उन्हें ठोस विलयन कहते हैं ।
2. प्रतिबिंब रूपों की समान मात्राओं का मिश्रण जिसकी कुल मिलाकर कोई ध्रुवण - घूर्णकता नहीं होती है।
  • mixed decimal -- मिश्र दशमलव
ऐसी दशमलव संख्या जो किसी पूर्ण संख्या तथा शुद्ध दशमलव का योग हो, जैसे 29.85 ।
  • mixed number -- मिश्र संख्या
एक पूर्णांक और एक भिन्न का जोड़ । जैसे, 2 3/4 एक मिश्र संख्या है ।
  • mixer -- मिश्रित्र
1. ध्वनि-संचार-अभिलेखन या पुनरूत्पादन-तंत्र में एक युक्ति जिसमें दो या धिक निवेश जिनका प्रायः समंजन किया जा सकता है और एक उभयनिष्ठ निर्गत होते हैं । इस युक्ति पृथक्-पृथक् निवेश-सिग्नल रैखिक रूप से इष्ट समानुपात में मिलाकर एक निर्गत सिग्नल उत्पन्न किया जाता है ।
2. सुपर हेटरोडाइन अभिग्राही का एक भाग जिसमें आगंतुक सिग्नल एक स्थानीय सिग्नल के साथ माडुलित किया जाता है जिससे एक माध्यमिक आवृत्ति वाला सिग्नल उत्पन्न होता है । रेडार और अन्य सूक्ष्म तरंग उपस्कर में क्रिस्टल डायोड मिश्रित के रूप में खूब काम आ रहे हैं ।
3. एक परिपथ जिससे किसी प्रवर्धक के अनेक निवेशों के सापेक्ष आयामों का नियंत्रण संभव होता है ।
4. एक अरैखिक युक्ति जिसमें दो प्रकाश-किरणपुंज इस प्रकार मिलाए जाते हैं कि नए किरणुपंज की आवृत्ति निवेश-आवृत्तियों के योगफल अथा अंतर के बराबर हों । दोनों प्रकाश-किरणपुंजों का आवृत्ति-अंतर इतना कम हो सकता है कि यह प्रकाश-तरंगों के स्थान पर रेडियो-तरंगों के स्पेक्ट्रम में स्थित हो ।
  • mixture -- मिश्रण
दो या दो से अधिक पदार्थों को किसी भी अनुपात में मिलाने से प्राप्‍त वस्तु जिसमें संघटक पदार्थों के कण या अणु परस्पर घुल - मिल तो जाते हैं किन्त उनका स्वतंत्र अस्तित्व बना रहता है ।
  • mocroprogramming -- सूक्ष्म प्रोग्रामन
कंप्यूटर के नियंत्रक एकक में कार्य करने की एक विधि जिसमें केवल अन्वंश प्रचालनों का संयोजन करके प्रोग्रामर उच्चतर स्तर का अनुदेश बना सकता है । एक बार स्थापित होने पर फिर नए प्रोग्राम के लिए केवल उच्चतर स्तर के अनुदेशों की ही आवश्यकता पड़ती है ।
  • mode -- बहुलक
किसी बारंबारता-बंटन में विचर का वह मान जिसकी बारंबारता अधिकतम हों । यदि f(x) एक बारंबारता फलन हो तो बहुलक, x का वह मान होता है जिसके लिए (Formula)
  • mode number -- विधा-संख्या
1. परिवर्ती क्लाइस्ट्रोनों में पूर्ण चक्रों की संख्या जिनके दौरान एक माध्य गति वाला इलेक्ट्रॉन, अपवहन प्रदेश में रहता है ।
2. मैग्नेट्रॉनों में ऐनोड के चारों ओर एक बार जाने में 2π से विभाजित कला - विस्थापन के रेडियनों की संख्या । N यदि ऐनोड खंडों की संख्या हो तो विधा - संख्या n1 और N2 के बीच कोई भी पूर्णांक संख्या हो सकती है ।
  • modem (Modulatior - Demodulator) -- मोडेम
एक वाहक टर्मिनल जिसमें मॉडुलक और विमॉडुलक इस प्रकार होते हैं कि इनके कुछ परिपथ उभयनिष्ठ हों । इस युक्ति से एक प्रकार के उपस्कर से आने वाला सिग्नल दूसरे प्रकार के लिए उपयुक्त रूप में बदल जाता है ।
  • modem algebra -- आधुनिक बीजगणित
बीजगणित की वह शाखा जिसमें समूह (ग्रुप), वलय (रिंग), क्षेत्र (फील्ड), सदिश समष्टि आदि बीजीय तंत्रों का अध्ययन काय जाता है ।
  • moderator -- अवमन्दर
नाभिकीय रिऐक्टरों मे संघट्टनों द्वारा द्रुत न्यूट्रॉनों को मंद करने वाला ग्रेफ़ाइट जैसा कोई पदार्थ ।
  • modifier -- रूपांतरक
कंप्यूटर में काम आने वाली एक राशि जो किसी अनुदेश संकार्य से चक्र सूचकांक का पता बदलने के काम आती है ।
  • modulated carrier -- मॉडुलित वाहक
एक (r,f) वाहक जिसका आयाम या आवृत्ति जैसा कोई अभिलक्षण संचरित सूचना की संगति के अनुसार बदल दिया जाता है ।
  • modulated wave -- मॉडुलित तरंग
दो या अधिक तरंगों का संयोजन जिससे वे आवृत्तियाँ उत्पन्न होती हैं जो मूल तरंगों में नहीं होतीं । यह नई आवृत्तियाँ मूल आवृत्तियों में उपस्थित आवृत्तियों के पूर्ण गुणकों के योगफल अथवा अंतर से बनी होती हैं । उदाहरण के लिए मॉडुलित तरंग वारा जो कि वाहक तरंग एवं सिग्नल तरंगों का एक संयोजन है किसी भौतिक तंत्र मे से सिग्नल अथवा वाक् - संचार किया जाता है ।
  • modulating signal -- मॉडुलक सिग्नल
एक सिग्नल जो वाहक के किसी अभिलक्षण मे परिवर्तन कर देता है
  • modulation -- मॉडुलन
1. रेडियो-संचार में काम आने वाला एक प्रक्रम जिसमें सिग्नल-तरंग के विशिष्ट अभिलक्षण अन्य तरंग पर स्थापित किए जाते हैं । सिग्नल-तरंग को मॉडुलन-तरंग और अन्य को वाहक तरंग कहते हैं । इस प्रकार का मॉडुलन वाहक का आयाम, आवृत्तियाँ, प्रावस्था बदलकर किया जा सकता है जिससे क्रमशः आयाम-मॉडुलन, आवृत्ति-मॉडुलन और प्रावस्था-मॉडुलन प्राप्त होते हैं ।
2. वैद्युत् अथवा चुंबकीय क्षेत्रों द्वारा इलेक्ट्रॉन आयन किरणपुंजों का नियंत्रण । इस प्रकार का मॉडुलन किरणपुंज का वेग या तीव्रता बदलकर अथवा इसका विक्षेप करके उत्पन्न किया जाता है जिससे क्रमशः वेग-मॉडुलन, तीव्रता-माडुलन या विक्षेप-मॉडुलन प्राप्त होते हैं ।
  • modulation -- आरंभक परिवर्तन
संगीत में प्रयुक्त स्वर के आरंभक स्वर की आवृत्ति क परिवर्तन । इससे अन्य स्वरों की आवृत्ति भी उसी अनुपात में परिवर्तित हो जाती है ।
  • modulation (music) -- मूर्च्छना
बोलने या गाने में ध्वनि की तीव्रता का उच्चावचन अर्थात् घटाना - बढ़ाना ।
  • modulation (radio) -- माडुलन
उच्च आवृत्ति की रेडियो तरंगों पर श्रव्य आवृत्ति की विद्युत् चुंबकीय तरंगों का अध्यारोपण, जिससे ध्वनि - तरंगों के सभी लक्षण ( आयाम, आवृत्ति आदि) वाहक रेडियो तरंगों में निविष्ट हो जाते हैं और प्रकाश के वेग से चलकर अन्यत्र पहुँच जाते हैं । वहाँ उनका विमाडुलन करके पुनः ध्वनि तरंगें उत्पन्न कर ली जाती हैं । माडुलन तीन मौलिक रीतियों से किया जाता है ।
1. वाहक तरंग का आयाम बदलकर - आयाम माडुलन ।
2. वाहक तरंग की आवृत्ति बदलकर - आवृत्ति माडुलन ।
3. वाहक तरंग की कला ({hase) बदलकर - कला माडुलन ।
  • modulation factor -- मॉडुलन-गुणक
आयाम माडुलित तरंग में वाहक-स्तर से मॉडुलन-अन्वालोप के अधिकतम विचलन का वाहक-आयाम के साथ अनुपात ।
  • modulus of complex number -- संमिश्र संख्या का मापांक
संमिश्र संख्या को निरूपित करने वाले सदिश की संख्यात्मक लंबाई । संमिश्र संख्या a+bi का मापांक (Formula) है जिसे |a + bi | के रूप में लिखा जाता है । यदि संख्या r(cosβ + I sinβ ) के रूप मे हो, जहां (Formula) तो मापांक r होता है । 3 + 4i का मापांक 5 हैं ।
  • modulus of elasticity -- प्रत्यास्थता-गुणांक
किसी प्रत्यास्थ पदार्थ पर लगने वाले मात्रक प्रतिबल और फलस्वरूप उत्पन्न मात्रक विरूपण का अनुपात जो पदार्थ विशेष के लिए अचर रहताहै ।
  • modulus of elasticity (=coefficient of elasticity) -- प्रत्यास्थता गुणांक
हुक के नियम (Hooke`s law) के अनुसार प्रत्यास्थ पदार्थ की विकृति उसमे उत्पन्न प्रतिबल की समानुपाती होती है । और प्रतिबल तथा विकृति के अनुपात को उस पदार्थ का प्रत्यास्थता गुणांक कहते हैं । उदाहरणार्थ यदि दाब की वृद्धि p के कारण आयतन V में v का परिवप्तन होता है तो प्रतिबल p है और विकृति v/‎‎V है । अतः आयतन प्रत्यास्थता गुणांक (Formula) बराबर है (Formula) विभिन्न प्रकार की विकृतियों के अनुसार विभिन्न प्रत्यास्थता गुणांक होते हैं जैसे यंग का गुणांक, आयतन गुणांक और दृढ़ता गुणांग ।
  • modulus of logarithm -- लघुगुणक का परिवर्तनांक
वह संख्या जिससे किसी एक निकाय के लघुगणकों को गुणा करने पर दूसरे निकाय के लघुगुणक प्राप्त हो जाते हैं । इस संख्या को पहले निकाय के सापेक्ष दूसरे निकाय का परिवर्तनांक कहा जाता है । इस तरह नेपिरीय लघुगुणकों के सापेक्ष साधारण लघुगुणक का परिवर्तनां loge 10 = 2.302585 होता है ।
  • modulus of rigidity (=coefficient of rigidity) -- दृढ़ता-गुणांक
किसी समांग तथा समदिक प्रत्यास्थ ठोस पदार्थ का दृढ़ता - गुणांक उसके एक मात्रक क्षेत्रफल पर लगे स्पर्शरेखीय बल (tangential force) का और उससे उत्पन्न कोणीय विरूपण (angular deformation) का अनुपात होता है ।
  • molal -- ग्राम-आणव
ऐसी सांद्रता जिसमें विलये की मात्रा ग्राम अणुओं में तथा विलायक की मात्रा किलोग्रामों में व्यक्त की जाती है । ग्राम आवणता का मात्रक, प्रतिकिलोग्राम विलायक में विलेये के ग्राम अणुओं की संख्या है और इसे m द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है । यदि 1 किलोग्राम जल में NaCl का एक ग्राम अणु विलीन हो तो यह 1 ग्राम आणव सांद्रता कहलाती है ।
  • molar -- ग्राम-अणुक
ऐसी सांद्रता जो एक लिटर विलायक में किसी पदार्थ के एक ग्राम - अणु को विलीन करने पर प्राप्त होतीहै । ग्राम अणुकता (molarity) M द्वारा निर्दिष्ट की जाती है । ग्राम - अणुक मात्राएँ, पदार्थों के अणु - भार के समानुपाती होती हैं ।
  • molar extinction coefficient -- ग्राम-अणुक विलोपन गुणांक
देखिए -Beer`s law.
  • molar solution -- ग्राम-अणुक विलयन
यदि 1 लिटर विलयन में पदार्थ के एक ग्राम - अणु विद्यामान हों तो प्राप्त विलयन को ग्राम - अणुक विलयन कहते हैं । इस प्रकार NaCl के एक ग्राम अणुक विलयन के 1 लिटर में 58.5 ग्राम NaClहोता है ।
  • mole (molar) fraction -- ग्राम-अणुक भिन्न
यदि किसी मिश्रण में A के अतिरिक्त B, C और D यौगिक हों तो इस मिश्रणमें A का ग्राम - अणुक - भिन्न, Aके अणुओं को A,B,C और D के कुल अणुओं से भाग देने से प्रप्त होने वाली संख्या होती है । व्यावहार में A,B,C और D की सांद्रतायें अणुओं की वास्तविक संख्याओं में व्यक्त नहीं की जाती हैं बल्कि भिन्नों मे या उनके ग्राम अणु - भारों के गुणकों मे व्यक्त की जाती हैं । इसका ग्राम - अमुक - भिन्न के मान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ताहै क्योंकि प्रत्येक पदार्थ के ग्राम - अणु में अणुओं की संख्या समान होती है ।
  • molecular beam -- आण्विक रश्मिपुंज
साधारणतया ऊष्मीय वेगों के साथ किसी निर्वात से होकर गुजरने वाले अणुओं की एकदैशिक धारा या रश्मिपुंज । इस प्रकार का रश्मिपुंज लघु दाब पर गैस युक्त कोष्ठ के सूचीछिद्र में से गैस के अणु निकलने के कारण पैदा होत है । यह धारा या रश्मिपुंज यदि किसी वैद्युत क्षेत्र या चुंबकीय क्षेत्र से गुजरे तो इससे न्यूक्लीय चुंबकीय आघूर्ण और अतिसूक्ष्म संरचना जैसी राशियों का निर्धारण किया जाता है ।
  • molecular compound -- आण्विक यौगिक
दो अणुओं की परस्पर क्रिया से बने यौगिक जिनमें दो घटकों के किन्हीं दो परमाणुओं के बीच सामान्य रासायनिक आबंध नहीं बनते । प्राप्त संकुल, दो घटकों के साथ विलयन में साम्यावस्था में रहता है । A + B [A.B] कुछ आण्विक संकुल सुक्रिस्टलित ठोस होते हैं । उदाहरण्राथ, ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बनों के पिक्रेट जो वास्तव में पिक्रिक अम्ल और हाइड्रोकार्बन से आण्विक यौगिक है । इन यौगिकों में एक घटक ग्राही और दूसरा दाता कहलाता है । ग्राही घटक, ऐसा यौगिक होता है जिसमें अनेक इलेक्ट्रॉनकर्षी समूह होते हैं (उदा. पिक्रिक अम्ल, ट्राइनाइट्रोबेन्जीन आदि), जबकि दाता गटक ऐसा ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बन है जिसमें इलेक्ट्रॉन - दाता - प्रतिस्थापियों की उपस्थिति आवश्यक नहीं ।
  • molecular electronics -- आणविक इलेक्ट्रॉनिकी
इलेक्ट्रॉनिकी की एक शाखा जिसमें सूक्ष्म आकार के जटिल इलेक्ट्रॉनिक परिपथों के निर्माण का अध्ययन किया जाता है । परिपथों का यह निर्माण अर्ध - चालक युक्तियों और परिपथ - अवयवों को एकीकृत रूप में भट्टी में बहुजोन क्रिस्टल का वर्धन करके उत्पन्न किए जाते हैं । इस तकनीक के द्वारा संपूर्ण परिपथ का कार्य पदार्थ के एकल खंड द्वारा किया जाता है ।
  • molecular elevation constant -- ग्राम-अणुक उन्नयन स्थिरांक
किसी विलेय की उपस्थिति में विलायक का क्वथनांक बढ़ जाता है । विलये की अल्प सांद्रताओं के लिए क्वथनांक उन्नयन, विलयन में विलेय के अणुओं की सांद्रताओं के समानुपाती होता है । एक लीटर विलायक मे विलेय के एक ग्राम अणु द्वारा उत्पन्न उन्नयन, ग्राम अणुक उन्नयन स्थिरांक कहलाता है ।
  • molecular orbital -- आण्विक कक्षक
परमाण्विक कक्षकों के रैखिक संयोग से आण्विक कक्षक बनते हैं । परमाण्वीय कक्षकों में प्रत्येक इलेक्ट्रॉन, एकल नाभिक के क्षेत्र में रहता है परंतु आण्विक कक्षक, अणु के सभी नाभिकों और अन्य इलेक्ट्रॉनों के संयुक्त क्षेत्र मे किसी इलेक्ट्रॉन का तरंग फलन निरूपित करता है । आण्विक कक्षक σπ आदि कक्षकों द्वारा निरूपित किए जाते हैं ।\
(क) आबंधक कक्षक (bonding orbital): इन कक्षकों मे आवेश, नाभिक - आबंधों को परस्पर बाँधे रखता है तथा इनकी ऊर्जा कम होती है ।
(ख) प्रति - आबंधक कक्षक(antibonding orbital): इनमें प्रतिकर्षण होता है तथा धन आवेशित नाभिकों में परिरक्षण नही होता। इन कक्षकों की ऊर्जा अधिक होती है ।
(ग) अनाबंधक कक्षक (nonbonding orbital): कक्षक में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों का अणु के स्थायित्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है । हाइड्रोजन अणु मे दोनों इलेक्ट्रॉन σ कक्षक मे होते हैं जो अंतरानाभिकीय अक्ष के सममित होता है और उसमें द्विधुव आघूर्ण नहीं होता । जब नाभिक भिन्न - भिन्न होते हैं तो कक्षक असममित होता है और उसमें द्विध्रुव आघूर्ण होता है । संयुग्मी और ऐरोमैटिक तंत्र, विस्थानित आण्विक कक्षक (delocalilsed molecular orbital) बनाते ह।
  • molecular pump -- पंप, आणविक
इस पंप में एक सिलिंडर के अंदर दूसरा समाक्ष सिलिंडर वेग से घूमता है । बाहर के सिलिंडर में एक प्रवेश द्वार तथा एक निकास द्वार होता है । दोनों के बीच की खाली जगह उन दोनों द्वारों के बीच में विशेष रूप से संकीर्ण होती है । यदि वहाँ की वायु का दाब इतना कम हो कि वायु के अणुओं का औसत मुक्त पथ (mean free path) सिलिंडरों के बीच की इस संकीर्ण जगह की मोटाई के नाम से अधिक हो तो वायु का जो अणु वेग से घूमते हुए सिलंडर से टकराएगा उसका वेग बढ़ जाएगा और वह निकास द्वारा की ओर अन्य अणुओं से टकराए बिना अग्रसर होकर निकास नली में जाकर बाहर निकल जाएगा और यह क्रिया बराबर जारीरहने से प्रवेश द्वार से संबंधित मात्र का दाब बहुत ही कम हो जाता है । इस मार्ग के संकीर्ण होने से प्रवेश द्वार तथा निकास द्वार के निकट वायु के दाब में बहुत अधिक अंतर रह सकता है । फिर भी यह आवश्यक है कि किसी सहायक पंप द्वारा निकास नली से लगे पात्र का वायु दाब काफी कम (1 या 2 mm) कर दिया जाए । इसके द्वारा 10-6mm तक का निर्वात आसानी से प्राप्त हो सकता है ।
  • molecular specturm -- आण्विक स्पेक्ट्रम
बैंड स्पेक्ट्रम का एक प्रकार जो किसी यौगिक या अणु के कारम बनता है । अल्प विभेदन होने पर इस स्पेक्ट्रम में अलग - अलग रेखाएँ नही बल्कि बैंड प्राप्त होते हैं । अधिक विभेदन होने पर इन बैंडों में अनेक तीक्ष्ण रेखाएँ प्रकट हो जाती हैं जो एक दूसरे से काफी नजदीक होती हैं । शीर्ष पर बैंड की चौड़ाई अधिक होती है । जैसे - जैसे शीर्ष से यह दूरी अधिक होती है, रेखाएँ छोटी होती जाती हैं तथा आपस की दूरी भी बढ़ जाती है, रेखाएँ छोटी होती जाती हैं तथा आपस की दूरी भी बढ़ जाती है । नाभीकीय भौतिकी में आणविक स्पेक्ट्रम से नाभिकीय प्रचक्रण और सांख्यिकी तथा समस्थानिक बाहुल्य के अध्ययन मे बहुत साहयता मिलती है ।
  • molecularion -- अणु-आयन
कोई धनात्मक या ऋणात्मक गैसीय आयन जो विकिरण के प्रभाव से उत्पन्न होता है । उदाहरणार्थ, धनात्मक अणु H2+`, ऋणात्मक अणु N2-
  • molecularity of reaction -- आभिक्रिया की अणुसंख्याता
किसी अभिक्रिया की अणुसंख्यता अणुओं की वह संख्या है जौ अभिक्रिया में सहसंयोजकात - परिवर्तनों (आबंधों के टूटने या बनने) के लिए आवश्यक हो । अनेक पदों में होने वाली अभिक्रियाओं मे अणुसंख्याता, वेग -निर्धारक पद की मानी जाती है उदाहरणार्थ निम्न द्वि - पद अभिक्रियाः (Formula) एक - अणुक अभिक्रिया है क्योंकि वेग निर्धारक पद (1) में केवल एक अणु का सह - संयोजकता परिवर्तन होता है ।
इसी प्रकार RX + R`OH ----> ROR` + द्वि - अणुक अभिक्रिया हअभिक्रिया की अणुसंख्यता, गतिक अध्ययन से ज्ञात की जाती है । अभिक्रिया की अणुसंख्यता उसकी क्रियाविधि दर्शाती है और यह उसकी अभिक्रिया कोटि (order of reaction) से भिन्न होती है ।
  • molecule -- अणु
किसी यौगिक या तत्व का सूक्ष्मतम कण जिसका स्वतंत्र अस्तित्व हो और जिसमें यौगिक या तत्व के रासायनिक गुणधर्म मौजूद हों । अणु साधारणतया दो या दो से अधिक परमाणुओं से बना होता है ।
  • molybdenum -- मॉलिब्डेनम
छठे वर्ग का संक्रमण धात्विक तत्व । परमाणु-क्रमांक 42, परमाणु - भार 95.94, प्रतीक Mo । एक मृदु किंतु चर्मल, तन्य, सफेद धातु जो प्लैटिनम से मिलती - जुलती है । गलनांक 26200, क्वथनांक 48000 । यौगिकों मे यह 2,3,4,5 या 6 संयोजकताएं प्रदर्शित करता है जिनमें 6 सबसे अधिक स्थायी है । यह कार्यकेंद्रित घन संरचना में क्रिस्टलित होता है । यह ऊष्मा और विद्युत् का साधारण चालक है । यह व्यापारिक मात्रा में MoO3 के हाइड्रोजन द्वारा अपचयन से तैयार किया जाता है । MoO3 को मॉलिब्डेनाइट से पृथक् किया जाता है । यह हवा में स्थायी रहता है किंतु 6000 पर शीग्ऱ ऑक्सीकृत हो जाता ह। यह नाइट्रोजन से सीधे संयुक्त नही होता है किंतु हैलोजनों के साथ अभिक्रिया करता है । इसका मुख्य उपयोग इस्पातों के लिए मिश्रात्वन - तत्व के रूप में होता है । शुद्ध मॉलिब्डेनम का प्रयोग तार के रूप में रेडियो वाल्वों में तथा तापन - कुंडली में होता है । घासों और वनस्पतियों की वृद्धि के लिए मिट्टी में इसकी उपस्थिति महत्वपूर्ण है । इलेक्ट्रॉन संरचनाः 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 3d10 4s2 4p6 4d5 5s1
  • moment -- आघूर्ण
1. किसी बिंदु अथवा अक्ष के चारों ओर गति उत्पन्न करने की प्रवृत्ति अथवा प्रवृत्ति का माप । स धारणतया इसेकिसी द्रव्यमान अथवा बल आदि की किसी बिंदु या अक्ष से जो दूरी हो उसके साथ द्रव्यमान या बल के गुणनफल से मापा जाता है । यदि बल को F से निरूपित करें और उसको किसी बिंदु से दूरी को f से निरूपित करें तो आघूर्ण = f x r
2. किसी विचर के किसी घातक का एक माध्यमान । बंटन dF (x) वाले एकचर मान x के लिए वचर g(x) का r वाँ आघूर्ण यह होता
(Formula) व्यापक रूप मे किसी बहुचर बंटन dF(x1,x2.....xk) के लिए फलनों g1, g2….का क्रम (r1, r2……rk) वाला आघूर्ण निम्न प्रत्याशा होता है । g1r....gkr. KdF (x1,.....xp) विशेषतः विचर xके आघूर्ण को निम्न रूप मे व्यक्त किया जाता है । (Formula) और किसी शेष मान aके सापेक्ष यह (Formula) आघूर्ण होता है ।
  • moment -- आघूर्ण
1. किसी तंत्र में कार्य करने वाले बल की घूर्णन उत्पन्न करने की प्रवृत्ति । बल का यह आघूर्ण बल के परिमाण और तंत्र के घूर्णन अक्ष से बल की क्रिया रेखा की अभिलंब दूरी के गूणनफल के बराबर होता है । इसे ऐंठन या प्रथम आघूर्ण कहते हैं जिसका मात्रक Nm है ।
2. वायुगतिकी में निम्नलिखित तीन आघूर्ण होते हैं - 1. पिच आघूर्ण; 2. लुंठन आघूर्ण; 3. पार्श्वर्तन आघूर्ण ।
  • moment generating function -- आघूर्ण जनक फलन
किसी चर t का वह फलन, जिसे t के घातों में श्रेणी रूप में प्रसारित करने पर बारंबारता बंटन के आघूरण t के घातों के गुणांकों के रूप में प्राप्त हो जाते हैं । उदाहरणार्थ, अभिलक्षण - फलन एक आघूर्णजनक फलन है ।
  • moment of a couple -- आघूर्ण, बलयुग्म का
यह बलयुग्म की भुजा अर्थात् युग्म के दोनों बलों के बीच की लांबिक दूरी और उनमे से एक बल के गुणनफल के बराबर होता है ।
  • moment of force (=torque) -- आघूर्ण,बल का
बल की वह प्रवृत्ति जिसके कारण वह वस्तु को किसी बिन्दु के गिर्द घुमता है या घुमाने का प्रयत्न करता है । यह उस बल के परिमाण तथा उस बिन्दु से बल की समकोणिक दूरी के गुणनफल के बराबर होता है ।
  • moment of inertia -- आघूर्ण, जड़त्व
किसी अक्ष के गिर्द किसी वस्तु का जड़त्व आघूर्ण उसके प्रत्येक कम के द्रव्यमान m और अक्ष से उसकी लाम्बिक दूरी rके वर्ग के गुणनफल के योग के Σmr2 बराबर होता है
  • moment of momentum -- आघूर्ण, संवेग
यदि कोई द्रव्य कण किसी अक्ष के गिर्द घूम रहा हो तो उस कण के रैखिक संवेग और घूर्णन अक्षसे कण की लाम्बिक दूरी का गुणनफल दृढ़ वस्तु के लिए यह अक्ष के गिर्द अलग - अलग कणों के संवेग आघूर्णों का बीजीय योग होता है । इसे कोणीय संवेग (angular momentum) भी कहते हैं ।
  • moment of momentum (= angular momentum) -- संवेग, आघूर्ण (कोणीय संवेग)
यदि कोई द्रव्य-कण किसी अक्ष के गिर्द घूम रहा हो तो उस कण के रैखिक संवेग और घूर्णन अक्ष से कण की लाम्बिक दूरी का गुणनफल । दृढ़ वस्तु के लिए यह अक्ष के गिर्द उस वस्तु के अलग - अलग कणों के संवेग आघूर्णों का बीजीय योग होता है । इसे कोणीय संवेग भी कहते हैं ।
  • momental ellipsoid -- आघूर्णी दीर्घवृत्तज
घूर्णन कर रहे किसी ऐसे पिंड के लिए, जिस पर कोई भी बाह्य परिणामी व्यावर्तन कार्य नहीं कर रहा है, w.H = 2T होता है । जहां H सदिश कोणीयो संवेग है, w परिणामी सदिश कोणीय वेग है और T संपूर्ण गतिज ऊर्जा है । घटक रूप मे व्यक्त करने पर यह निम्नलिखित दीर्गवृत्तज का समीकरण हो जाता है । Ixxw2x + Iyyw2y + Izzw2z = 2T जहां IyyIzz पिंड में स्थित मुख्य अक्षों के सापेक्ष जड़त्व आघूर्ण हैं, और wx, wy, wz पिंड मे स्थित मुख्य अक्षों के सापेक्ष कोणीय वेग के घटक है । इस समीकरण द्वारा निरूपित दीर्घवृत्तज को पिंड का आघूर्णी दीर्घवृत्त्ज कहते हैं ।
  • momentum -- संवेग
द्रव्यमान mऔर स्थिति - सदिश r वाले किसी कण के संदर्भ में सदिश- राशि (Formula) अथवा mV को कण का संवेग कहते हैं जहाँ Vकण का वेग है और (Formula) के बराबर है । यदि एकल कण के स्थान पर nकणों का तंत्र हो जीनके द्रव्य मान m1…mn हो और स्थिति - सदिश r1……rn हों तो तंत्र का संवेग (Formula) होता है ।
  • monitor -- मानीटर
1. रेडार द्वारा किसी वायुयान के पथ का अनुसरण और इसके सुरक्षित प्रचालन या निर्देशन के लिए उसको उड़ान संबंधी आवश्यक सूचना का प्रेषक ।
2. अभिग्राही द्वार संचार - परिपथ के प्रचालन की जाँच । उसमें परिपथ की समग्र कार्य - दक्षता, संचरित सिग्नल की विकृति, रव, आवृत्ति अनुक्रिया, वाहक आवृत्ति अनुक्रिया, वाहक आवृत्ति आदि - आदि सम्मिलित हैं ।
  • monochromatic radiation -- एकवर्णी विकिरण
1. एकल तरंग दैर्ध्य युक्त एक विद्युत्चुंबकीय विकिरण । दूसेर रूप मे इसे समान ऊर्जा वाले फोटॉनों का विकिरण भी कह सकते हैं । वास्तव में कोई भी विकिरण पूर्णतः एकवर्णी नहीं होता , सिर्फ इसके तरंगदैर्ध्य का काफी संकीर्ण बैंड होता है जैसे - सोडियम प्रकाश तथा पारद (198) का प्रकाश ।
2. नाभिकीय भौतिकी में किसी एक ही प्रकार के नाभिकीय कणों का किरणपुंज जिसमें सभी कणों की ऊर्जा लगभग समान होती है ।
  • monochrome signal -- एकवर्ण सिग्नल
1. एकवर्णी दूरदर्शन में एक सिग्नल-तरंग का वह भाग जो चित्र की ज्योतिर्मयता के मान का मुख्य नियंत्रक होता है चाहे यह चित्र अनेक वर्ण अथवा एक वर्ण में प्रदर्शित किया हो परंतु वर्णकता पर इसका कोई नियंत्रण नहीं होता ।
  • monolilthic (circuit) -- एकीकृत परिपथ
पदार्थ के एकल पिंड में बना ह आ एकीकृत परिपथ जिसमें क्रिस्टलीय अर्धचालक के एक खंड का संसाधन करके संपूर्ण रचना कर ली जाती है ।
  • monomer -- एकलक
एकल अणु या एकल अणुओं से युक्त पदार्थ एकलक का अणु - भार अपेक्षाकृत कम और संरचना सरल होती है । एकलक शब्द का प्रयोग इसे द्वितीय, त्रितय, बहुलक आदि शब्दों से पृथक् करने के लिए होता है । इन शबह्दों का प्रयोग बहुलकित या सहयोजित अणुओं अथवा उनसे बने पदार्थों के लिए होता है जिसमें प्रत्येक मुक्त कण दो, तीन या अधिक अणुओं से बना होता है । स्टाइरीन, वाइनिल, ऐसीटेट, ऐडिपिक अम्ल आदि एकलकों के उदाहरण हैं ।
  • monomolecular layer -- एकाण्विक स्तर
रैले, लैंगम्यू, हार्डी और अन्य वैज्ञानिकों के अनुसार, टोस या द्रव पृष्ठों पर एक अणु मोटी परतों को निक्षिप्त किया जा सकता है । ऐसी परतों को एकण्विक स्तर कहते हैं । उदाहरणार्थ वायु - जल अंतःपृष्ठ पर दीर्घ - श्रृंखल ध्रुवीय यौगिक, अभिविन्यास्त एकाण्विक स्तर बनाते हैजिसमें ध्रुवीय अन्त्य समूह जल - पृष्ठसे संलग्न रहता है । एकाण्विक स्तर, तेल - जल अंतःपृष्ठ पर भी बनते हैं और पायस के निर्माण मे इनका महत्वपूर्ण योगदानहै ।
  • monomuclear compound -- एक - केंद्रक यौगिक
1.वह ऐरोमैटिक यौगिक जिसमें परमाणुओं का एक वलय हो, जैसे बैन्जीन । यदि वलयों की संख्या दो या अधिक हो तो उसे बहुकेंद्रक यौगिक कहते हैं ।
2. समन्वय यौगिकों मे यदि अणु मे एक केंद्रीय परमाणु हो तो उसे भी एक - केंद्रक यौगिक कहते हैं । यदि केंद्रीय परमाणुओं की संख्या दो या अधिक हो तो उसे बहुकेंद्रक यौगिक कहते हैं ।
  • monoscope -- मोनोस्कोप
सिग्नल उत्पन्न करने वाली एक इलेक्ट्रॉन-किरमपुंज - नलिका जिसमें चित्र - सिग्नल एक ऐसे इलेक्ट्रोड का क्रमवीक्षण करके उत्पन्न काय जाता है , जिसके पृष्ठपर द्वितीयक इलेक्ट्रॉन - उत्सर्जन का पूर्व निर्धारित चित्राम बना होता है । यहब स्थिर प्रतिबिंब नलिका के निर्माण के दौरान इलेक्ट्रोड पर मुद्रित कर दिया जाता है जिससे दूरदर्शन उपस्कर के परीक्षण औ समन्यव के लिए एक उपयोगी परीक्षण चित्राम प्राप्त हो जाता है । यह नलिका प्रकाश को विद्युत् ऊर्जा में नहीं बदलती बल्कि दूरदर्शन चैनल को ऐसे सिग्न प्रदान करती है जो कैमरा - नलिका से प्राप्त होने वाले सिग्नलों के समरूप होते हैं । इस प्रकार परीक्षण चित्रामों के एकल प्रतिबिंबों का दूरदर्शन द्वारा संचार किया जाता है ।
  • monostable -- एकस्थितिक
एक ऐसा इलेक्ट्रॉनीय परिपथ जिसकी केवल एक ही स्थायी अवस्था हो और इसकी दूसरी अवस्था अर्धस्थायी हो । इस परिपथ को बाह्य स्पंद लगाकर अपनी अर्धस्थायी अवस्था में ट्रिगर किया जा सकता है ।
  • monotropy -- एकरूपिता
किसी पदार्थ का दो या अधिक क्रिस्टलीय रूपों में पाया जाना जिनमें से केवल एक स्थायी होता है । अन्य रूप मितस्थायी (metastable) होते हैं और स्वतः स्थायी रूप में बदल जाते हैं । एकरूपी पदार्थों में संक्रमण-ताप नहीं होता है । मितस्थायी रूप प्रायः वाष्प या द्रव को शीघ्र ठंडा कर बनाया जाता है । फॉस्फोरस एकरूपी पदार्थ का उत्तम उदाहरण है जिसमें सफेद रूप, बैंगनी रूप की अपेक्षा मितस्थायी होता है और ताप के बढ़ने पर धीरे-धीरे बैंगनी रूप में बदल जाता है । तुलना- enantiotropy.
  • More sounder -- मार्स ध्वनित्र
एक विद्युत् चुंबकीय उपकरण जो तार द्वारा भेजे हुए समाचार के संकेतों को अभिग्राही स्थान पर ध्वनि संकेतों में परिणत कर देता है ।
  • mosaic -- मोजेक
दूरदर्शन कैमरा-नलिका में काम आने वाला एक प्रकाश सुग्राही पृष्ठ एक प्रकार के मोजेक में अभ्रक की पतली चादर होती है जिस पर लाखों छोटे-छोटे रजत-बिंदु होते हैं जिसमें से प्रत्येक बिंदु पर सीज़ियम वाष्प को अभिक्रिया करके उसे प्रकाश सुग्राही बना दिया जाता है । प्रत्येक बिंदु अभ्रक- चादर के दूसरे पार्श्व पर एक चालकीय धात्विक लेप के साथ जिसे सिग्नल-प्लेट कहते हैं, धारितीय रूप से संबद्ध होता है । चित्र मोजेक पर प्रकाशीय रूप से फ़ोकस किया जाता है और इसके फलस्वरूप बिंदुओं पर उत्पन्न होने वाले आदेशों का कैमरा-नलिका के इलेक्ट्रॉन किरणपुंज द्वारा क्रमवीक्षण किया जाता है । इस प्रकार इस युक्ति द्वारा टेलिविजन से प्रसारित होने वाले प्रतिबिंब का वैद्युतरूप में संचय हो जाता है ।
  • Moseley` law -- मोज़ले नियम
मोज़ले द्वार प्रतिपादित एक नियम जिसके अनुसार अभिलक्षणिक ऐक्स - किरणों की किसी विशिष्ट श्रेणी में स्पेक्ट्रम रेखा की आवृत्ति v का वर्गमूल लक्ष्य तत्व के परमाणु क्रमांक Z का समानुपाती होता ह । गणितीय रूप मे यह नियम निम्न सूत्र से व्यक्त किया जाता है - v 1/2 = a (Z-σ) जिसमें aसमानुपात का सथिरांक है और σ सभी दी हुई श्रेणीयों के लिस समान है जिसका मान K रेखाओं के लिए 1.00 और Lα के लिए 7.4 है । परमाणु क्रमांक Z और v 1/2 ‌का सापेक्ष ग्राफ़ मोज़ले आरेख कहलाता है । ऐक्स - किरणों के अध्ययन में इसका विशेष महत्व है ।
  • Mossbauer effect -- मॉसबौर प्रभाव
एक प्रकार का नाभिकीय अनुनादी प्रकीर्णन प्रभाव जिसमें प्रतिक्षेप - रहित गामा उत्सर्जन और इसके विपरीत प्रतिक्षेपरहित अवशोषण प्रक्रम सम्मिलित होते हैं । यह प्रभाव 57 26 Fe प्राप्त होने वाले 14.4 KeV के विकिरण मे बड़ी आसानी से प्रेक्षित काय जा सकता है जिसमें कक्ष ताप पर ही 63 प्रतिशत गामा किरण - फ़ोटॉन प्रतिक्षेप रहित होते हैं . यह प्रभाव गामा किरण ऊर्जा में होने ले अत्यन्त सूक्ष्म परितवर्तनों के संसूचन करने मेंकाम आता है जो गुरूत्वीय अभिरक्त परितवर्तनों के संसूचन करने में काम आता है जो गुरूत्वीय अभिरक्त विस्थापन अथवा नाभिकीय अतिसूक्ष्म ऊर्जा विभाजन के कारम होता है । इसका उपयोग घन अवस्था भौतिकी के अनुसंधानो में और ईथर विस्तापन केसिद्धांतों के परीक्षणों में किया जाता है ।
  • Mossbauer effect -- मॉसबौर प्रभाव
एक नाभिकीय परिघटना जिसका आविष्कार रूडोल्फ मॉसबौर ने 1957 में किया था । इसेक अनुसार किसी रेडियोऐक्टिव समस्थानिक के नाभिक द्वारा उत्सर्जित गामा कण का प्रत्यास्थ (प्रतिक्षएप - मुक्त) उत्सर्जन और तदुपरान्त अन्य परमाण्विक नाभिक द्वारा उसका अवशोषण हो जाता है। यह क्रिस्टलीय ठोसों और कांचों में होता ह किंतु द्रवों में नहीं होता। यह क्रिस्टलीय ठोसों और कांचों में होता ह किंतु द्रवों में नहीं होता। यह परिघटना इसलिए संभव है क्योंकि किसी ठोस में परमाणुओं का जालक - विन्यास, क्वांटम यांत्रिकी के नियमों का अनुसरण करता है । इसका उपयोग किसी ठोस में कंपन - गुणधर्म और परमाण्विक गतियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में तथा संकुल - अणु में परमाणुओं की स्थिति निर्धारित करने में काय जाता है ।
  • motion -- गति
किसी कण अथवा पिंड की स्थिति में किसी निर्देश-तंत्र के सापेक्ष हो रहा परिवर्तन ।
  • motor-boating -- फटफटी कंपन
निम्न या श्रव्य आवृत्ति प्रवर्धकों में उत्पन्न होने वाला स्वतः दोलन जससे मोटर -वोट इंजन की तरह शोर उत्पन्न होता है ।
  • moving average -- गतिमान माध्य
यदि कोई काल-श्रेणी x1, x2…….xn wo, w1,….wk लिए जाते हों जहाँ (Formula) हों तो मानों (Formula) को काल- श्रेणी के गतिमान माध्य कहते हैं ।
  • moving coil ammeter -- ऐमीटर, चल कुंडली
दिष्ट धारा मापने का यंत्र इसका सिद्धांत वही है जो डी आरसोनबल (D` Arsonaval) गैल्वैनोमीटर का है, किन्तु कुंडली कीलकित होती है, निलंबित नहीं, और उस पर एक संकेतक लगा रहता है जो एक डायल पर घूमता है । डायल का अंशांकन ऐसा होता है कि धारा का मान सीधा ऐम्पियरों में पढ़ा जा सके ।
  • moving iron ammeter -- ऐमीटर, चल-लोह
विद्यत्-धारा मापने का यंत्र जो मृदु लोह की एक छड़ पर लपेटी धारावाहक कुंडली के आकर्षण पर अथवा कुंडली के अंदर स्थित दो मृदु लोह की छड़ों में प्रेरित ध्रुवों के प्रतिकर्षण पर आधारित होता है । प्रतिकर्षण पर आधारित यंत्र में एक छड़ अचल होती है और दूसरी कीलकित होती है । इसी से संकेतक जुड़ा ता है जो कि अंशांकित डायल पर घूम सकता है । जब कुंडली में विद्युत् - धारा प्रवाहित होती ह तो उसके अक्ष के समांतर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है । फलतः दोनों छड़ें चुंबकित हो जाती हैं और उनके दोनों सिरों पर ध्रुव उत्पन्न हो जाते हैं जिनका प्राबल्य (pole strength) धार की प्रबलता का अनुपाती होता है । उन छ़ों के पास वाले ध्रुवों के सजातीय होने के कारण दोनों में प्रतिकर्ष होता ह जो दोनों छड़ों के ध्रुव - प्रबल्य के गुणनफल पर निर्भर होता ह ।इस प्रकार प्रतिकर्षण, धारा के वर्ग का समानुपाती होता है । यह दिष्ट तता प्रत्यावर्ती दोनों ही प्रकार की धाराओं के लिए उपयोगी है।
  • multichannel analyzer -- बहुचैनल विश्लेषक
एक प्रकार का परीक्षण यंत्र जो किसी निवेश तरंगाकार को निवेश के किसी विशिष्ट प्राचल के सापेक्ष अनेक चैनलों में विभाजित कर देता है । य दि प्राचल आयाम का कोई चुना हुआ परिसर है तो यह विश्लेषक स्पन्द तुंगता विशेल्षक कहलता है जो आयाम के उस परिसर मे स्पन्दों को छाँट देता है । निवेश तरंगाकार को इसके आवृत्ति घटकों में विभाजित करने वाला परिपथ स्पेक्ट्रम - विश्लेषक कहलाता है । सामान्य रूप से बहुचैनल विश्लेषक में उपर्युक्त दोनों प्रकार के प्रचालनों की सुविधाएँ होती है ।
  • multiple -- गुणज, अपवत्य
अंकगणित में, वह संख्या जो एक दिए हुए पूर्णांक और एक अन्य पूर्णांक का गुणनफल हो । उदाहरणार्थ 2,3,4,6 का एक गुणज 12 है । बीजगणित में, व्यंजक अपने किसी भी गुणनखंड का गुणज होता है, जैसे x4 यह x, x2तथा x3 का गुणज है ।
  • multiple - address code -- बहुपता कोड
कंप्यूटरों में काम आने वाला एक अनुदेश जिसमें, प्रायः होने वाले प्रचालन का कोडित प्रदर्शन होता है । इसमें संचित शब्दों के एक या अधिक पते सम्मिलित होते हैं ।
  • multiple integral -- बहु-समाकल
किसी बहुचर फलन का समाकल जिसमें प्रत्येक चर के सापेक्ष अलग - अलग समाकलन किया गया हो और प्रत्येक समाकलन में अन्य चरों को अचर माना गया हो । द्विचर फलन का समाकलन यह हैः
  • multiple root -- बहुल मूल
किसी बीजीय समीकरण f(x) = 0 का ऐसा मूल a कि (x-a) का दूसरा या उसके बड़ा घात f(x)का एक घंटक बनता हो । जैसे, समीकरण x4-7x3 + 15x2 - 13x + 4 = 0 में मूल 1 तीसरी कोटि का बहुल मूल या त्रिक मूल है, क्योंकि समीकरण का वाम पक्ष (x-1)3 (x-4) के बराबर है ।
  • multiple scattering -- बहुलित प्रकीर्णन
किसी माध्यम में से गुजरने पर नाभिकीय कण या फ़ोटॉन का ऐसा प्रकीर्णन जिसमें अन्तिम विक्षेप कोण अनेक एकल प्रकीर्णन के विक्षेप-कोणों का बीजीय योगफल होता है । इस प्रक्रम का उपयोग आवेशित कणों की ऊर्जा का परिकलन करने के लिए किया जाता है ।
  • multiplet -- बहुक
1. स्पेक्ट्रम स्तरों का एक समूह जो क्वांटम संख्या L और S के मानों द्वारा निशअचित काय जाता है । इन स्तर समूहों से स्पेक्ट्रम लाइनों का एक सेट प्राप्त होता है ।
2. ऐसे मूलभूत कणों की क्वांटम यांत्रिकीय अवस्थाओं का एक सेट जिनके लिए प्रचक्रण (J) पैरिटी (P) और बेरियॉन संख्या (B) आदि जैसी क्वांटम संख्याओं का मान समान होता है ।
  • multiplex -- मल्टीप्लेक्स
एक ही पथ पर आवृत्ति आयाम या तरंग-आकार जैसे अनेक अभिलक्षणों का युगपत् संचार जिसमें किसी भी अभिलक्षण के विवरण का लोप नहीं होता। यह क्रिया काल - विभाजन, आवृत्ति - विभाजन अथवा काल - विभाजन द्वारा की जा सकती है ।
  • multiplexer -- बहुसंकेतक
दो अथवा अधिक सिग्नलों को मिलाने की एक युक्ति जैसे कि एक ही r.f. चैनल पर दो या अधिक प्रोग्रामों का युगपत संचरण करने अथवा रंगीन टेलिविजन में अनेक घटकों से एक संमिश्र रंगीन वीडियों सिग्नल उत्पन्न करने वाली युक्ति ।
  • multiplication -- गुणन
दो संख्याओं से संबद्ध एक गणितीय संक्रिया जिसका निरूपण ab, a.bयाaxb aके रूप में किया जाता है जहाँ a और b संख्याएं हैं । यदि दोनों मे से कम से कम एक संख्या धन पूर्णांक है तो इसका अर्थ है दूसरी संख्या को उतनी बार दोहराकर परिणाम निकालना जितना कि पहली संख्या हो । यद्यपि पूर्णकेत्त्र संख्याओं के संबंध मे इस प्रकार की परिभाष नही दी जा स कती तो भी उनके लिए परिणाम इसी प्रकार से प्राप्त होता है । अमूर्त्त गमितीय तंत्रों में गुणन को एक संक्रिया के रूप में लिया जाता है जिसका संदर्भानुसार उचित अर्थ दिया जात है ।
  • multipliler -- गुणक
1. एक इलेक्ट्रॉनीय युक्ति जिसमें दो या अधिक निवेश होते हैं और इसका निर्गत निवेश सिग्नलों द्वारा दर्शायी गई राशियों के गुणनफल का सूचक होता है। आमतौर पर इस युक्ति द्वारा वोल्टताओं का गुणन किया जाता है ।
2. वोल्टमापी के साथ श्रेणीबद्ध एक प्रतिरोधक जो मापी जाने वाली वोल्टता का परिसर बढ़ता है ।
3. इलेक्ट्रॉन - गुणक ।
4. आवृत्ति - गुणक देखें - frequency multiplier.
  • multistage rocket -- बहुरॉकेट
एक ऐसा रॉकेट जिसमें प्रणोद उत्पन्न करने के लिए दो या अधिक एकक होते हैं । इनमें से प्रत्येक का उपयोग रॉकेट की विभिन्न उड़ान दशाओं में किया जाता है ।
  • ‏‏Multivibrator -- बहुकंपित्र
दो इलेक्ट्रॉन नलिका, ट्रांजिस्टर अथवा अन्यि इलेक्ट्रॉन युक्तियों वाला एक विश्रांति दोलक जिसमें प्रत्येक का निर्गत प्रतिरोध - धारिता अवयवों अथा अन्य अवयवों के द्वारा दूसरे के निवेश से जुड़ाहोता है जिससे कला संबद्ध पुनर्भरण वोल्टता प्राप्त हो जाती है । बहुकंपित्र दो प्रकार के होते हैं ।- 1. मुक्त दोलनी (free running) 2. चालित बहुपंकित्र (driven) मुक्त दोलिनी बहुकंपित्र में मू आवृत्ति युग्मन अवयवों के कलांकों से निर्धारित होताहै और चालित बहुकंपित्र में बाह्य तुल्यकाली वोल्टता द्वारा । चालित बहुकंपित्र भी दो प्रकार के होते हैं -
1. एक स्थितिक (monostable) 2. द्विस्थितिक अवस्था मेंहोतेहैं और जब एकल प्रचालन चक्र प्रारंभ करने के लिए किसी ट्रिगर सिग्नल की आवश्यकता होती हैतो यह परिपथ एक स्थितिक बहुकंपित्र या फ़्लिप- फ़्लिप परिपथ कहलाताहै । इसका उपयोग एक विशेष प्रकार के स्पंद उत्पन्न करन के लिए काय जाता है । द्विस्थितिक बहुकंपित्र में दो बाह्य निवेश लगने पर एक निर्गत सिग्नल प्राप्त होता है जिसके कारण इसका उपयोग स्पंदों के सोपानी गणन (scaling) में किया जाता है ।
  • multivibrator -- बहुकंपित्र
दो इलेक्ट्रॉन-नलिका, ट्रांजिस्टर अथवा अन्य इलेक्ट्रॉन - युक्तियों वाला एक विश्रांति - दोलक जिसमें प्रत्येक का निर्गत प्रतिरोध, धारिता अवयवों अथवा अन्य अवयवों के द्वारा दूसरे के निवेश से जुड़ा होता है जिसे कला संबद्ध पुनर्भरण वोल्टता प्राप्त हो जाती है । बहुकंपित्र दो प्रकार के होते हैः-
1. मुक्त दोलनी बहुकंपित्र (free running multivibrator) 2. चालित बहुकंपित (driven multivibrator) मुक्त दोलनी बहुकंपित्र में मूल वृत्ति युग्मन अवयवों के कालांकों से निर्धारित होती है और चालित बहुकंपित्र में बाह्य तुल्यकाली वोल्टता द्वारा । चालित बहुपंकित्र भी दो प्रकार के होते हैः- 1. एक स्थितिक (monostable) 2. द्विस्थितिक (bistable)
ये दोनों प्रकार के परिपथ सामान्यतः अदोलनीय अवस्था में होते हैं और जब एकल प्रचालन चक्र आरंभ करने के लिए किसी ट्रिगर सिग्नल की आवश्यकता होती है तो यह परिपथ एक स्थितिक बहुकंपित्र या फ़्लिप - फ़्लाप - परिपथ कहलाता है । इसका उपयोग एक विशेष प्रकार के स्पंद उत्पन्न करने के लिए किया जाता है । द्विस्थितिक बहुपंपित्र में दो बाह्य निवेश लगने पर एक निर्गत स्गिनल प्राप्त होता है जिसके कारण इसका उपयोग स्पंदों के सोपान - गणन (scaling ) में किया जाता है ।
  • Muntz metal -- मुन्ट्स धातु
तांबे और जस्ते का एक मिश्रातु जिसमें 60 प्रतिशत तांबा और शेष जस्ता रहता है । इसका तप्त - कर्मण किया जा सकता है और इसका उपयोग तप्त - मुद्रांकन के लिए होता है । वोल्टों, पिनों आदि के निर्माण के लिए इसे चादरों और शलाकाओं में बेल्लित किया जा सकता है । इस मिश्रातु पर समुद्र के पानी का कोई असर नहीं होता है, इसलिए इसका प्रयोग जहाज की साज - सज्जा बनाने के लिए किया जाता है । इसका उपयोग संधारित्र - नली - प्लेटों और अन्य विद्युत् उपकरमओं के लिए भी होता है ।
  • muon -- म्यूऑन, म्यूमेसॉन
एक प्रकार का लेप्टॉन जिसका द्रव्यमान एक इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान से 207 गुणा अधिक होताहै । इसका आयुकल 2 x10-6s है । प्रारंभ में इसकी कल्पना मेसॉन के रूप मे की गई थी इसीलिए इसे μ मेसॉन या मेसाट्रॉन भी कहते हैं ।
  • muscone -- मस्कोन, C16 H30O
3-मेथिल-साइक्लो-पेन्टाडेकानोन जो एक तैलीय स्थूल - चक्रीय कीटोन है । यह कस्तूरी क प्रमुख सुंगधमय अवयव है । इसका क्वथनां 32800 है और इसका उपयोग सुगंधि के रूप में होता है ।
  • musical interval-- स्वरांतराल
दो स्वरकों की आवृत्तियों का अनुपात । --
  • musical scale -- स्वरग्राम
संगीत के लिए उपयोगी ऐसे स्वरकों की श्रेणी जिसके स्वअंतराल संगीत के नियमों पर आधारित होते हैं । इसमें आठवें स्वरक की आवृत्ति प्रथम से दुगनीहोती है और सात स्वरकों से मिलकर एक सप्तक बनता है ।
  • mustard gas -- मस्टर्ड गैस
β, β` डाइक्लोरोडाइएथिल सल्फाइड । हल्की लहसुन के समान गंध वाला एक रंगहीन तैल - द्रव्य, जो ठंडा करने पर प्रिज्मीय क्रिस्टलों के रूप में प्राप्त होता है । गलनांक 130 - 140, क्वथनां 2150-2170, घनत्व 1.2741 । यह पानी में लगभग अविलये और अधिकांश कार्बनिक विलायकों में विलेयहै । इसका निर्माण 300 - 350 पर सल्फर मोनोक्लोराइड की ऐथिलीन के साथ अभिक्रिया से किया जाता है । यह क्षारों के साथ और साधारण ताप पर पानी के साथ धीरे - धीरे क्रिया करता है । यह विरंजक चूर्म द्वारा तेजी के साथ अपघटित होता हैं यह एक शक्तिशाली स्फोटककारी और विष है तथा नेत्रश्लेष्मल शोथ (conjunctivitis) और असथाई अंधापन उत्पन्न कर देता है । रासायनिक युद्ध में यह एक महत्वपूर्ण कर्मक है ।
  • mutarotation -- परिवर्ती ध्रुवण घूर्णन
किसी ध्रुवण - घूर्णक पदार्थ को पानी या अन्य विलायक में घोलने पर उसकी ध्रुवण - घूर्णकता में स्वतः परिवर्तन की परिघटना । उदाहरणार्थ, जब ग्लूकोस को पानी में गोला जाता है तो उसकी ध्रुवण - घूर्णकता शीर्घ कम हो जाती है जिसका कारण आरंभिक α- ग्लूकोस का, α और β ग्लूकोस के संतुलित मिश्रण में बदल जाना है । इन दो पदार्थों के अणुओं में H और OH समूहों के आकाशी विन्यास में अन्तर होता है । परिवर्ती ध्रुवण घूर्णन, अम्लों या क्षारकों या दोनों द्वारा उत्प्रेरित होता है ।
  • mutual inductance (=coefficient of mutual induction) -- प्रेरकत्व, अन्योन्य
परिपथ में विद्युत्धारा के परिवर्तन से अन्योन्य प्रेरणा के द्वारा दूसरे पथ में वि.वा.ब. उत्पन्न हो जात है । यदि यह वि.वा.ब. e2 हो तो (Formula) तो प्रथम परिपथ की विद्युत् धारा के समय सापेक्ष परिवर्तन की दर हैऔर एक स्तिरांक है जिसे उन दोनों परिपथों का अन्योन्य प्ररकत्व या अन्योन्य प्रेरण गुणांक कहते हैं । इसके मात्रक का नाम हैनरी है । दो कुंडलियों का अन्योन्य प्रेरकत्व उनके फेरों की संख्या तथा क्षेत्रफलों के अतिरिक्त उनकी पारस्परिक स्थिति पर भी निर्भर होता ह ।
  • mutually exclusive events -- परस्पर अपवर्जी घटनाएँ
दो या दो से अधिक ऐसी घटनाएँ जिनमें से एक के घटितहोने का यह अर्थ है कि दूसरी कोई भी घटना घटित नहीं होगी । मिसाल के तौर पर, यदि किसी सिक्के को उछाला जाए तो चित पड़ना अथवा पट पड़नाअपवर्जी घटनाएँ हैं ।
  • MW (megawatt) -- मेगावॉट
शक्ति की इकाई जो 1000.000 वॉट के बराबर होती है ।
  • mW (milliwatt) -- मिलीवॉट
शक्ति की इकाई जो एक वॉट का हज़ारवां भाग होती है ।
  • Myriotic field (quantum mechanics) -- मायरियॉटिक क्षेत्र
वह क्वांटित क्षेत्र जो संप्रेषण के निश्चित नियमों के अनुरूप तो होता है परन्तु इसमें निर्वात अवस्था नहीं होती ।
  • n- type semiconductor -- n- प्ररूपी अर्धचालक
एक अपद्रव्यी अर्धचालक जिसमें चालन इलेक्ट्रॉन की मात्रा होलों की मात्रा से अधिक होती है । इसमें संपूर्ण आयनित अपद्रव्यता का सान्द्रण n प्रकार का होता है ।
  • NAND -- नथ / नैंड
एक तर्क-संकारक जिसका गुणधर्म यह होता है कि यदि P, Q, R…….आदि कुछ प्रकथन हों तो P,Q,R….. आदि का नथ उसी समय और केवल उसी समय यथार्थ होगा जबकि इन प्रकथनों में से कम - से - कम एक असत्य हो और P,Q,R…... आदि का नथ उसी समय और केवल उसी समय असत्य होगा जब सभी प्रकथन सत्य हों ।
  • natural abundance -- प्राकृतिक बाहुल्य / बहुल्य
किसी तत्व के समस्थानिकों के मिश्रण में ज्ञात समस्थानिक के परमाणुओं की संख्या । सामान्यतः यह संख्या तत्व के परमाणुओं की कुल संख्या के प्रतिशत के रूप में व्यक्त की जाती है ।
  • natural frequency -- नैज आवृत्ति (स्वाभाविक आवृत्ति)
किसी तंत्र या दोलक की स्वाभाविक आवृत्ति उसके ऐसे निर्बाध दोलनों की आवृत्ति होती है जब वह किसी प्रणोदक या अवमंदक बल से प्रभावित नहीं होता ।
  • natural frequency -- स्वाभाविक आवृत्ति, प्राकृतिक आवृत्ति
1. किसी वैद्युत परिपथ अथवा अवयव की निम्नतम अनुनाद आवृत्ति जबकि इसमें कोई प्रेरकत्व अथवा धारिता का संयोजन नहीं किया जाता ।
2. किसी पिंड अथवा तंत्र के मुक्त दोलनों की आवृत्ति ।
  • natural freuqency -- प्राकृतिक आवृत्ति
1. किसी वैद्युत् परिपथ अवयव की निम्नतम अनुनाद - आवृत्ति जबकि इसमें कोई प्रेरकत्व अथवा धारिता का संयोजन नहीं किया जाता ।
2. किसी पिंड अथवा तंत्र के मुक्त दोलनों की आवृत्ति ।
  • nautical almanac -- नाविक पंचांग
एक वार्षिक प्रकाशन जिसमें प्रायः आगामी तीन वर्षों से संबद्ध खगोलीय विवरण दिया रहता है । इसमें सूर्य, चंद्र और अन्य खगोलीय पिंडों की स्थितियों की सारणियाँ और नाविकों एवं खगोलविदों के काम में आने वाले अन्य आंकड़े दिए होते हैं ।
  • nautical mile -- समुद्री मील
पृथ्वी के पृष्ठ के किसी वृहद्ध वृत्त के 1/21600 वें भाग की लंबाई । क्योंकि पृथ्वी बिल्कुल गोल नहीं । इसलिए यह लंबाई सर्वत्र समान नहीं रहती । खगोलविदों ने इसे 1852 मीटर के रूप में मानकित किया है ।
  • navigation -- नौसंचालन
जल, थल या वायु में यान संचालन के कम आने वाला एक प्रक्रम जिसमें थान की स्थिति मालूम करके इसे इष्ट स्थान तक पहुंचनेके लिए निर्देश दिया जाता है । यान की स्थिति मालूम करने की विधि के भेद से नौसंचालन के अनेक प्रकार हो जाते हैं जैसे खगोलीय नौसंचालन, रेडियो नौसंचालन, रेडार नौसंचालन और डॉप्लर नौसंचालन आदि ।
  • nebula -- नीहारिका
खगोलीय द्रव्य का कोई विशाल जमघट जो धुंधले धब्बे अथवा बादल की तरह आकाश में दिखलाई पड़ता है और जिनमें से अधिकांश को उनके घटकों में वियोजित करना कठिन है । नीहारिकोओं को दो मुख्य वर्गों में रखा जा सकता हैः
1. गांगेय नीहारिकाएँ जो हमारी गैलेक्सी की अंग हैं और
2. परागांगेय नीहारिकाएँ जो इसके बाहर हैं ।
  • nebula -- नीहारिका
एक या अनेक तारों से संबद्ध गैस और धूल का एक अनियमित रूप से विसरित अभ्र । कुछ नीहारिकायें दीप्त होती हैं और कुछ अदीप्त । दीप्त नीहारिकाओं के तारकीय स्पेक्ट्रम में दीप्त रेखाओं की एक श्रेणी या संतत रेखायें पायी जाती हैं । नीहारिकाओं के घनत्व लगभग 10-20 किलोग्राम प्रति घन माटर तक होते हऔर उनके द्रव्यमान 103 सौर द्रव्यमान के बराबर हो सकते हैं । अदीप्त नीहारिकाओं के स्पेक्ट्रम से यह प ता चलता है कि उनका अन्तरातारकीय द्रव्य उत्तेजित नही है और इसीलिए वह दिखाई नहीं पड़ती । ग्रहीय नीहारिकाओं की संरचना एक जटिल मंडलक के सदृश होती है और केन्द्रीय तारे से इनका निकट संबंध होता है । यह माना जाता है । कि नका द्रव्य तारे से निष्कासित होता है । तारे और नीहारिका के परमाण का अंतर ताने के ताप पर निर्भर कता है । 40Kताप पर नीहारिका का परिमाणात्मक अंतर तारे से प्रायः लगभग डेढ़ गुना होता है ।
  • negative -- ऋण, ऋणात्मक
(वह संख्या) जिसका मान शून्य से कम हो: संख्या अक्ष पर निरूपित करने पर जिसका स्थान शून्य की बाई ओर आती है ।
  • negative absorption -- ऋणात्मक अधिशोषण
कुछ विलयनों द्वारा प्रदर्शित परिघटना जिसमें विलेय की सांद्रता पूरे विलयन की अपेक्षा पृष्ठ पर कम होती है । गिब्ज अवशोषण समीकरण के अनुसार जो विलेय, तंत्र काअंतरापृष्ठीय तनाव बढ़ा देता है, ऋणात्मकतः अधिशोषित होता है । उदाहरण के तौर पर सोडियम क्लोराइड के विलयन में ऊपरी पृषअठ पर सोडियम क्लोराइड की सांद्रता कम होती है । इससे सोडियम क्लोराइड के ऋणात्मकतः अधिशोषित होने की पृष्टि होती है ।
  • negative bias -- ऋणात्मक अभिनति
इलेक्ट्रॉन-नलिका में नियंत्रक ग्रिड पर लगी ग्रिड-अभिनति-वोल्टता जो कैथोड के सापेक्ष नियंत्रक ग्रिड को ऋणात्मक बना देती है।
  • negative crystal -- ऋणात्मक क्रिस्टल
द्वि-अपवर्ती एक अक्षीय क्रिस्टल दो प्रकार के होते हैं- ऋणात्मक और धनात्मक । ऋणात्मक क्रिस्टलों में असाधारण किरणों का वेग सादारण किरणों के वेग से अधिक होता है । दूसरे शब्दों में, ऋणात्मक क्रिस्टलों का अपवर्तनांक असाधारण किरणों के लिए साधारण किरणों की अपेक्षा कम होता है ।
  • negative feedback -- ऋणात्मक पुनर्भरण
किसी परिपथ, युक्ति अथवा मशीन के निर्गम सिग्नल के कुछ भाग का निवेश सिग्नल के रूप में पुनर्भरण जिसका कलान्तर निवेश के सापेक्ष 1800 होता है । इस प्रकार के पुनर्भरण से परिपथ का प्रवर्धन कम हो जाता है परन्तु उसका स्थायित्व अधिक हो जाता है ।
  • negative glow -- दीप्ति, ऋण
जब गैस विसर्जन नलिका में गैस का दाब इतना कम होता है कि धनात्मक स्तंभ और कैथोड के बीच में फ़ैरेडे का अदीप्त प्रेदश प्रकट हो जाता है तब कैथोड के चारों ओर एक दीप्ति दिखाई देती है । इसे ऋण दीप्ति कहते हैं ।
  • negative modulation -- ऋणात्मक मॉडुलन
1. दूरदर्शन प्रेषित्रों और कुछ प्रतिकृति में काम आने वाला एक प्रकार का मॉडुलन जिसमें द्युति की वृद्धि आयाम माडुलित प्रेषित शक्ति में होने वाली हानि के संगत होती है ।
2. एक प्रकार का मॉडुलन जिसमें द्युति की वृद्धि आवृत्ति मॉडुलित प्रतिकृति प्रेषित की आवृत्ति में होने वाली हानि के संगत होती है ।
  • negative resistance device -- ऋणात्मक प्रतिरोध युक्ति
एक प्रकार की युक्ति जिसमें धारा की वृद्धि होने पर इसके सिरोंपर वोल्टतापात बढ़ने के बजाय घट जाता है । इस प्रकार का अभिलक्षण विद्युत् - आर्क, सुरंग डायोड और कुछ इलेक्ट्रॉन - नलिका - परिपथों में पाया जाता है ।
  • Nemst heat theorem -- नेन्सर्ट ऊष्मा प्रमेय
इसके अनुसार किसी तंत्र की आंतरिक ऊर्जा और उसकी संगत मुक्त-ऊर्जा उपगामितः (asymptotically) एक-दूसरे के निकट आते-जाते हैं और परम शून्य पर समान हो जातेहैं । प्लांक ने इस प्रमेय को विकसित कर तापगतिकी के तीसरे नियम के रूप में प्रस्तुत किया था देखिए-Third law of thermo-dynamics.
  • neodymium -- नियोडिमियम
तीसरे वर्ग का एक विशिष्ट विरल मृदा (लैन्थोनाइड) धात्विक तत्व । परमाणु - क्रमांक 60, परमाणु भार 1444,24, प्रतीक Nd, गलनांक 10240 । यह घन संकुलित षट्कोणीय क्रिस्टलों में प्राप्त होता है । यह सबसे हल्का तत्व है जो α- क्षय प्रदर्शित करता है । यह एक मृदु, आघातवर्ध्य और पीले रंग का तत्व है जो आसानी से बदरंग हो जाता है । इसके 7 समस्थानिक ज्ञात हैं । इसका उपयोग नियोडिमियम के रूप मे लवणों, इलेक्ट्रॉनिकी (लैसर में), मिश्रातुओं, रंगीन कांच में तथा मैग्नेशियम का ऊष्मा रोध बढ़ाने, धातुकर्म अनुसंधान आदि में होता है ।
इलेक्ट्रॉन-संरचनाः
1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 3d10 4s2 4p6 4d10 4f14 5s2 5p6 6s2
  • neon lamp -- निऑन लैम्प
एक गैस विसर्जन लैंप जिसमें निम्न दाब पर निऑन गैस भरी रहती है । विद्युत् विसर्जन होने पर इसमें से लाल रंग का प्रकाश निकलता है । इसके लिए आवश्यक वोल्टता 130 से 170 वोल्ट की होती है ।
  • Neptune -- नेप्ट्यून
सौर परिवार का एक सुदूर ग्रह जिसकी कक्षा सूर्य से दूरी के क्रम में आठवाँ है और जिसके आगे केवल एक ग्रह प्लूटो को ही खोज निकाला गया है । इस ग्रह को पहले पहल गैले ने बर्निन - वेधशाना से देखा था । सूर्यसे इसकी दूरी 27930 लाख मील है । इसके व्यास की लम्बाई 31,000 मील है और परिक्रमण - काल 165 साल है ।
  • neptunium -- नेप्टूनियम
तीसरे वर्ग का ऐकिटनाइड रेडियोऐक्टिव धात्विक तत्व । परमाणु - क्रमां 93, परमाणु भार 237, प्रतीक Np, गलनांक 6400 । इसके सभी समस्तानिक रेडियोऐक्तिव होते हैं जिनमें Np237 सबसे अधिक महत्वपूर्ण है जिसकी अर्ध - आयु 2.25 x 106 वर्ष है । इसे यूरेनियम की न्यूट्रॉनों द्वार बमबारी स प्राप्त किया गया है जहाँ वह प्राकृतिक यूरेनियम द्वारा ट्राइफ्लुओराइड के अपचयन से बनाई जाती है । इसके गुणधर्म यूरेनियम के समान होते हैं ।
इलेक्ट्रॉन-संरचनाः 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 3d10 4s2 4p6 4d10 4f14 5s2 5p6 5d10 5f14 6s2 6p6 6d10 7s2
  • Nernst effect -- नर्न्सट-प्रभाव
नर्न्सट द्वारा खोजा गया एक प्रभाव जिसमें किसी चुंबकीय क्षेत्र के अभिलंब रखी ह ई तप्त पट्टिका के सम्मुख सिरों के बीच विभवांतर पैदा हो जाता है ।
  • network -- जाल
1. परस्पर संबद्ध प्रतिरोधक, कुंडली और संधारित्रों जैसे वैद्युत अवयवों का एक संयोजक । सक्रिय जाल में ऊर्जा का एक स्रोत भी होता है जबकि निष्क्रिय जाल में ऊर्जा का कोई स्रोत नहीं होता ।
2. समाक्ष केबल, रेडियो अथवा तार लाइनों से संबद्ध रेडियो या टेलिविजन प्रसारण केंद्रों की एक श्रृंखला जिससे सभी केंद्रों से एक ही प्रोग्राम का युगपत् प्रसारण किया जा सकता है ।
  • network analyser -- जाल-विश्लेषक / परिपथ जाल-विश्लेषक
1. विद्युत्-परिपथ के अवयवों का एक समुदाय जिनको परस्पर संबद्ध करके आसानी से विद्युत् - परिपथों के मॉडल बनाए जा सकते हैं । मॉडल पर संगत राशियों के मापन से फिर आदिप्ररूप - तत्र के विभिन्न स्थलों पर वैद्युत् - राशियों के मान का अनुमान किया जा सकता है ।
2. एक ऐसी अनुरूप युक्ति जिसकी डिजाइन मूलतः विद्युत् - परिपथ या विद्युत् - शक्ति - लाइन - तंत्रों का अनुकरण करने के लिए बनाई जाती है । जाल - विश्लेषकों द्वारा अनेक समस्योँ का हल वास्तविक तंत्रों के बनने से पूर्व ही प्राप्त हो जाता है ।
  • network analysis -- जाल-विश्लेषण / परिपथ जाल-विश्लेषण
किसी विद्युत्-परिपथ-जाल की संरचना, प्राचल और चालन - बलों से इसकी निवेश और अंतरित प्रतिबाधा - अनुक्रिया आदि जैसे गुणधर्मों का आंकलन । यह प्रक्रम परिपथ - जाल - संश्लेषण का विलोम है ।
  • network synthesis -- जाल-संश्लेषण / परिपथ-जाल-संश्लेषण
निवेश और अंतरित प्रतिबाधा, प्रासंगिक चालन- बल के लिए निर्दिष्ट अनुक्रिया आदि दिए हुए वैद्युत् गुणधर्मों से परिपथ - जाल का आंकलन । यह प्रक्रम परिपथ - जाल विश्लेषण का विलोम है ।
  • neuristor -- न्यूरिस्टर
एक प्रकार की इलेक्ट्रानीय युक्ति जो सिग्नलों के क्षीणन रहित संचरण में मानव तंत्रिका - तंतु की तरह काम करती है । जैव इलेक्ट्रॉनिकी (Bionics) के आधुनिक अनुसंधानों का एक उद्देश्य एक ऐसी पूर्णतया कृत्रिम तंत्रिका का विकास करना है जिसमें अनेक न्यूरिस्टर हों जो संप्रतीकों और अन्य चाक्षुष प्रतिबिंबों को पहचानने में मानव नेत्र और मास्तिष्क का कार्य कर सकें ।
  • neutral axis -- उदासीन अक्ष
किसी झुकाए जाने वाले दंड की वह रेखा जिसकी दिशा में अनुदैर्ध्य प्रतिबल शून्य रहता है अर्थात् जिसकी दिशा में स्थित दंड के रेशे की लंबाई बढ़ती या घटती नहीं है ।
  • neutral equilibrium -- उदासीन संतुलन, उदासीन साभ्य
किसी पिंड की वह संतुलन जिसमें पिंड पर लगे हुए बल पिंड को थोड़ा-सा हिलाने पर न तो उसे पूर्व स्थिति में ही लौटाने का प्रयत्न करें और न ही उसे अन्यत्र विस्थापित करें अर्थात् विस्थापित स्थिति में भी पिंड संतुलन में रहे ।
  • neutral equilibrium -- उदासीन संतुलन ( = उदासीन साम्य)
यदि किसी बल-तंत्र के प्रभाव से विरामावस्था में स्थित वस्तु थोड़े से विस्थापन के बाद नवीन स्थिति में भी विरामावस्था में रहे, तो उसकी अवस्था को उदासीन संतुलन कहा जाता है ।
  • neutral point -- उदासीन बुंदु (चुंबकत्व)
चुंबकीय क्षेत्र में ऐसा बिंदु जिस पर विरोधी चुंबकीय बल संतुलित हो जाते हैं । उदासीन बिंदु पर दिक्सूची जिस दिशआ में रख दी जाती है उसी दिशआ में रूकी रहती है और किसी दिशा विशेष मे रूकने का प्रयत्न नहीं करती ।
  • neutralization -- निष्प्रभावन
इलेक्ट्रॉनीय प्रवर्धक में नलिका की अंतराइलेक्ट्रोडी प्रतिबाधा के माध्यम से निवेश की ओर होने वाले वोल्टता-प्रतिभरण का निराकरण । इसका मुख्य उद्देश्य प्रवर्धक में दोलनों की उत्पत्ति का विरोध करना है। इस कार्य के लिए निवेश पर एक ऐसी वोल्टता लगाई जाती है जिसका परिमाण अंतरा इलेक्ट्रोडी प्रतिबाधा के माध्यम से होने वाली वोल्टता प्रतिभरण के बराबर परंतु कला इससे विपरीत होती है ।
  • neutrino -- न्यूट्रिनो
एक परिकल्पित मूल कण जिसका द्रव्यमान 610-30 ग्राम होता है । इसमें कोई आवेश नहीं होता है तथा इसकी प्रचक्रण क्वांटम संख्या 1/2 होती है । इसे पॉली ने 1927 में नाभिकीय रूपांतरणों में कोणीय संवेग के संरक्षण की व्याख्या करने के लिए अभिगृहीत किया था । इसे प्रयोग द्वारा नहीं पहचाना जा सकाहै । ऐसा अनुमान है कि यह कई किलोमीटर सघन द्रव्य मे से आसानी से गुजर सकता है ।
  • neutrino -- न्यूट्रिनो
एक स्थायी नावेशित मूलकण जिसका विराम द्रव्यान अत्यंत अल्प (संभवतः शून्य) होता है और प्रचक्रण क्वांटम संख्या 1/2 होती है । प्रयोगों से इस कम का द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान के शातांश से भी कम सिद्ध हुआ है । इस कण का अस्तित्व बीटा - क्षय प्रक्रमों में बीटा कणों के सतत ऊर्जा - वितरण के समाधान एवं कोणीय संवेग के संरक्षण के लिए आवश्यक माना गया है । न्यूट्रिनो दो प्रकार के होते हैं । एक प्रकार के न्यूट्रिनो μ - मोसॉन क्षय से संबंधित हैं और दूसरे प्रकार के न्यूट्रिनों β - क्षय से । इसका प्रतीक v है ।
  • neutrodyne -- न्यूट्रोडाइन
आरंभिक समस्वरित रेडियो आवृत्ति प्रवर्धकों मेंकाम आने वाला एक प्रवर्धक परिपथ जिसमें निष्प्रभावन के लिए ट्रायोड चरण के ऐनोड और ग्रिड - परिपथों के बीच एक संधारित्र का संबंधन किया जाता है ।
  • neutron -- न्यूट्रॉन
एक आवेश रहित मूल कण, जो हाइड्रोजन को छोड़ कर अन्य सभी परमाणु के नाभिकों में पाया जाताहै । इसका द्रव्यमान प्रोटॉन के द्रव्यमान से बहुत ही थोड़ा - सा ज्यादा होता है । आवेश रहित होने के कारण न्यूट्रॉन सुगमतापूर्वक परमाणुओं के बाह्य इलेक्ट्रॉनों के बीच मे होकर बिना रूकावट के निकल जाता है और परमाणुओं को आयनित नहीं करता । अतः जब तक किसी नाभिक से इनकी टक्कर नहीं होती तब तक इसके अस्तित्व का पता नहीं चलाया जा सकता है और नाभिक से टकराकर यह उसका विखंडन कर सकता है । इसे 1932 मे चैडविक (Chadwick) ने खोज निकाला था ।
  • neutron -- न्यूट्रॉन
एक अनावेशित मूल कण जिसका द्रव्यमान क्रमांक 1 होता है । यह कम 1 से अधिक द्रव्यमान क्रमांक वाले सभी नाभिकों का एक वयव माना जाता है । पदार्थ मे से गुजरने पर न्यूट्रॉन का कोई प्राथमिक आयतन संसूचित नहीं होता परन्तु संघट्टनों के द्वारा पदार्थ के साथ इसकी जोरदार अयोन्य क्रियाहोती है । मुक्त न्यूट्रॉन अस्थायी होते हैं । इनका क्षय बीटा प्रक्रम द्वारा होता है । नाभिक में बँधे न्यूट्रॉन स्थायी होते हैं । न्यूट्रॉनों के कुछ गुणधर्म निम्नलिखित हैः विराम
द्रव्यमान 1.00894 amu, आवेश =0, प्रचक्रण क्वांटम संख्या =1/4, अर्ध आयु = 12.4 मिनट । चुंबकीय आघूर्ण = 1.9125 नाभिकीय मैग्नेटॉन;सांख्यिकी = फ़रमी - डिराक ।
  • neutron cross - section -- न्यूट्रॉन परिक्षेत्र, न्यूट्रॉन प्रायिकता क्षेत्र
किसी एकल नाभिक अथवा पदार्थ के एकांक आयतन में किसी एक नाभिक के साथ होने वाली न्यूट्रॉन अभिक्रिया की प्रायिकता । न्यूट्रॉन की इन अभिक्रियाओं मे प्रत्यास्थ प्रकीर्णन, अप्रत्यास्थ प्रकीर्णन, प्रग्रहण अथवा ये सब सम्मिलित हैं ।
  • neutron diffraction -- न्यूट्रॉन विवर्तन
एक तकनीक जो किसी न्यूट्रॉन किरणपुंज के विवर्तन द्वारा ठोस पदार्थों की क्रिस्टलीय संरचना का निर्धारण करने के लिए प्रयुक्त होतीहै । इसका सिद्धांत इलेक्ट्रॉन विवर्तन के समान है और ऐक्स-किरण क्रिस्टलोग्राफी के स्थान पर इसका प्रयोग किया जा सकता है । न्यूट्रॉन विवर्तन तकनीक ऐक्स-किरणपुंज पैदा करने और उसकी तीव्रता मापने से संबंधित समस्याएँ जटिल हैं । परन्तु फिर भी इसके निम्नलिखित कुछ लाभ हैं । न्यूट्रॉन विवर्तन तकनीक का एक लाभ यह है कि इसका उपयोग प्रतिलोहचुंबकीय पदार्थों का अध्ययन करने में होता है । क्रिस्टल में परमाणुओं के चुंबकीय द्विध्रुव आघूर्णों और न्यूट्रॉनों के आघूर्णों के मध्य अन्योन्य क्रिया द्वारा चुंबकीय मात्रक सैल का संसूचन होता है । दूसरा लाभ यह है कि इस तकनीक का उपयोग हाइड्रोजन जैसे क्रिस्टलों का अध्ययन करने मेंहोता है जिनमें हाइड्रोजन परमाणुओं के साथ अन्य भारी परमाणु भी होते हैं जैसे कि H2O। हाइड्रोजन परमाणु ऐक्स-किरणों का अत्यल्प प्रकीर्णन करते हैं और ऐक्स-किरणों का अत्यल्प प्रकीर्णन करते हैं और ऐक्स-किरण विवर्तन का चित्राम भारी परमाणुओं के प्रभावों द्वारा ढक जाता है । इसके विपरीत हाइड्रोजडनपरमाणु न्यूट्रॉनों का प्रकीर्णन करते हैं और इसी कारण न्यूट्रॉन विवर्तन का उपयोग हाइड्रोजन परमाणुओं की स्थिति मालूम करने के लिए किया जा सकता है ।
  • neutron number -- न्यूट्रॉन
नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या । यह संख्या द्रव्यमान संख्या और परमाणु क्रमांक के अंतर (A-Z) के बराबर होती है। किसी न्यूक्लाइड के प्रतीक में न्यूट्रॉन संख्या तत्व के प्रतीक के पश्चात् पादांक के रूप में दर्शायी जाती है जैसे 5926 Fe33 में लोह की न्यूट्रॉन संख्या 33है ।
  • neutron star -- न्यूट्रॉन तारा
एक तारा जो ऊर्जा के नाभिकीय स्रोतों के समाप्त हो चुकने के पश्चात् गुरूत्व के अंतर्गत अपभ्रष्टता की स्थिति तक संकुचित होता है । यदि तारा काफी भारी है (1.4 सौर द्रव्यमान से अधिक) तो उसका घनत्व 105 kg/m3 से अधिक होता है और इलेक्ट्रॉन आपेक्षिकीय हो जाते हैं, दाब मंद गति से बढ़ता है और तारा अपेक्षकृत अधिक संकुचित हो सकता है । जब इसका घनत्व 107 kg/m3 से अधिक हो जाता है तब प्रोटॉनों, इलेक्ट्रॉनों और न्यूट्रॉनों के मध्य संतुलन नहीं रहता और न्यूट्रॉनों की संख्या बढ़ जाती है । यह प्रक्रिया 5 1010 kg/m3 तक के घनत्वों पर जारी रहती है और तब 90 प्रतिशत प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन परस्पर अभइक्रिया करके न्यूट्रॉन बनाते हैं । यदि तारे का द्रव्यमान 2.0 सौर द्रव्यमान से कम है तो न्यूट्रॉनों के मध्य लगने वाले प्रतिकर्षण बलों के माल अधिक होते हैं जिसके फलस्वरूप दाब मे तेजी से वृद्धि होने लगती है । इस स्थिति में संकुचन रूप जाता है और एक स्थायी न्यूट्रॉन तारा उत्पन्न होता है । अभी हाल ही में खोजे गए पलसर (स्पंद तारे) न्यूट्रॉन तारों के उदाहरण ह।
  • neutron yiels -- न्यूट्रॉन उत्पादन, न्यूट्रॉन उत्पाद
किसी नाभिकीय रिऐक्टर में उत्पन्न होने वाले उपयोगी न्यूट्रॉनों की संख्या।
  • new moon -- अमावस्या, नव चंद्र
चंद्र की उस समय की कला जब वह सूर्य के साथ युति में हो । इस समय चंद्र क अदीप्त अर्धभाग पृथ्वी की तरफ होने के कारण वह हमें दिखलाई नहीं पड़ता ।
  • newton -- न्यूटन
बल का एक पूरक SI मात्रक । यह वह बल है जो एक किलोग्राम द्रव्यमान वाले पिंड पर अनुप्रयुक्त होने पर ब ल की दिशा में एक मीटर प्रति सेकंड का त्वरण उत्पन्न करता है । इसका प्रतीक N है ।
  • Newton`s law of cooling -- न्यूटन का शीतलन नियम
इस नियम के अनुसार विकिरण और संवहन द्वारा किसी वस्तु की ऊषअमा हानि की समय सापेक्ष दर उसके तथा उसके चारों ओर की वायु के तापों के अंतर के समानुपाती होती है । इस नियम का पालन केवल सन्निकटतः ही होता है और वह भी जबकि वह तापांतर कम होता है ।
  • Newton`s law of gravitation -- न्यूटन का गुरूत्वाकर्षण नियम
न्यूटन के गुरूत्वाकर्षण नियम के अनुसार संसार भर मे द्रव्य का प्रत्येक कण प्रत्येक दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता है और यह आकर्षण बल उन कमों के द्रव्यमान m1,m2का समानुपाती और उनके बीच की दूरी (d) के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है । अतः बल (Formula) गरूत्वाकर्षण नियतांक है ।
  • Newton`s law of motion -- न्यूटन के गति नियम
न्यूटन के गति-नियम निम्नलिखित हैः 1. प्रत्येक पिंड जब तक विरामावस्था में अथवा एक ऋजु रेखा की दिशा में एकसमान गति की अवस्था में रहता है जब तक कि किसी बाहरी बल द्वारा उसे अपनी अवस्था बदलने के लिए बाध्य न करे दिया जाए ।
2. संवेग-परिवर्तन की दर लगाए हुए बल के अनुपात में होती है और यह उस ऋजु रेखा के अनुदिश होता है जिसमें बल कार्यकरता है । सांकेतिक चिन्हों में उक्त तथ्य इस प्रकार लिखा जा सकता हैः Fαma, यहाँ F लगाया हुआ बल है, m पिंड का द्रव्यमान है, तथा a उस पिंड से उत्पन्न त्वरण है ।
3. प्रत्येक क्रिया की एक प्रतिक्रिया होती है जो क्रिया के समान और विपरीत दिशा में होती है ।
  • Newton`s law of motion -- न्यूटन के गति नियम
सन् 1687 में न्यूटन ने गति के तीन मूलभूत नियमों का प्रतिपादन किया था । यह ही नियम न्यूटनीय यांत्रिकी के आधार है ।
1. पहला नियम-प्रत्येक कण तब तक अपनी विरामावस्था में बना रहता है या सीधी रेखा में समान गति से चलता रहता है जब तक कि उस पर किसी बाह्य बल का प्रभाव नहीं पड़ता ।
2. दूसरा नियम - रेखीय संवेग के परिवर्तन की दर आरोपित (लगाए हुए) बल की समानुपाती होती है । यह परिवर्तन बल की दशा मेहोता है अर्थात् यदि किसी वस्तु पर आरोपित बल F हो, उसका द्रव्यमान m हो और वेग v हो तो () और यदि द्रव्यमान स्थि‍ररहे तो ()
3. तीसरा नियम - प्रत्येक क्रिया का विरोध एक बराबर मान की प्रतिक्रिया करती है और उसकी दिशा क्रिया की दिशाओं से विपरीत होती है ।
  • Nicholson`s hydrometer -- उत्प्लव धनात्वमापी, निकलसन
एक एक नियत निमज्जन (constant immersion) किस्म का हाइड्रोमीटर । इसमें धातु का एक खोखला सिलिंजब होता ह जिसके नीचे के भाग में सीसे की गोलियों से भरा शंकु जुड़ा होता है ।इससे यह किसी भी द्रव में सीधा तैरता रहता है । ऊपर के भाग में एक पतली छड़ होती है जिस पर एक कटोरी लगी रहती है । इस कटोरी में बाटों को रखकर छड़ परबने चिह्न तक इसे द्रव मे डुबा दिया जाता है । यदि इस हाइड्रोमीटर का भार W हो तथा उस पर रखे बाटों का भार Wo हो तो विस्थापित का भार W + W1 होगा, W1 उन बांटों का मान है जबकि हाइड्रोमीटर द्रव मे उस नियत चिह्न तक डूब जाता है । इसी प्रकार हाइड्रोमीटर द्वारा विस्थापित जल का भार W+ Woहोगा ।
अतः आपेक्षिक घनत्व () यह उन द्रवों काआपेक्षिक घनत्व मापने के काम आता है जिसके घनत्व और पानी के घनत्व में बहुत अधिक तर न हो । इससे ठोस पदार्थों का आपेक्षिक घनत्व भी नापा जा सकता ह ।
  • nicol prism -- निकल प्रिज्म
रेखा ध्रुवित प्रकाश के उत्पादन या विश्लेषण के लिए उपयोग मे लाया जाने वाला कैलसाइट (द्विअपवर्तक क्रिस्टल) से बना समांतर ष्टफलक (parallelopiped) जिसेक दो फलक समचतुर्भज (rhombus) की आकृति के होते हैंऔर जिसकी लंबाई मोटाई की अपेक्षा लगभग तीन गुनीहोती है । कैलसाइट क्रिस्टल को विशेष प्रकार से काटकर और दोनों टुकड़ों को कैनाडा बाल्सम के द्वारा पुनः जोड़कर यह बनाया जाता है । जब कोई प्रकाश की अध्रुवित किरण एक समचतर्भुज फलक मे से इसमें प्रवेश करती है तो दो अपवर्तित किरणें (साधारण तथा असाधारण ) प्राप्त होती हैं और दों की रेखा - ध्रुवित होती हैं । अशाधारण किरण तो कैनाडा वाल्सम मे होकर निकल प्रिज्म के पार निकल जाती हैं किन्तु साधारण किरण का पूर्ण परावर्तन हो जाता है और वह एक पार्शअव में चली जाती हैं । पारगत किरण पूर्णतः रेखा - ध्रुवित होती है और उसके कंपन समचतुर्भज फलक के छोटे विकर्ण के समातर होते हैं । इसमे कैनाड बाल्सम का उपयोग इसलिए किया जाता है कि उसका अपवर्तनांक 1. 53 होता है और कैलसाइट का साधारण किरण के ले 1.658 । अतः यथोचित आपतन कोण होने पर कैनाडा वाल्सम साधारण किरण का तो पूर्ण परावर्तन कर देता है किन्तु असाधारण किरण पार निकल जाती है ।
  • nine popint circle -- नव बिंदु वृत्त
वह वृत्त जो किसी त्रिभुज के मध्य बिंदुओं, शीर्षों से भुजाओं पर डाले गए लंबों के पाद - बिंदुओं और शीर्षों का लंब - केंद्रों से मिलाने वाले रेखा - खंडों के मध्य बिंदुओं से होकर जाता हो ।
  • niobium -- नायोबियम
कोलम्बियम का वैकल्पित नाम । परमाणु-क्रमांक 41, परमाणु भार 92. 91, प्रतीक Nb । पांचवें वर्ग का एक धात्विक तत्व जो सूक्ष्म मात्राओं में अनेक खनिजों में और मुख्यतः पेन्टा - ऑक्साइड, Nb2O5, में पाया ता हैं प्रमार्जित नायाबियम धूसर या सफेद रंग की धातु है जो हवा में खुला छोड़ने पर पीला पड़ जाती है । कुछ विधियों से यह काले चूर्ण के रूप में प्राप्त होती है । यह काय - केन्द्रित सघन संरचना के रूप मे क्रिस्टलित होता ह । गलनांक 24970, क्वाथनांक 51300, घनत्व 8.55, संयोजकता 2 और 5 ।यह टैन्टेलम से कम आघातवर्ध्य और तन्य होता है । इसका उपयोग क्रोमियम इस्पातों के निर्माण में होता है क्योंकि इससे उनका संधान आसानी से होसकता है । यह रिऐक्टर ईंधन के रूप में और ऊष्मारोधी संरचनाओं में भी इस्तेमाल होता है ।
इलेक्ट्रॉन-संरचनाः 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 3d10 4s2 4p6 4d105s1
  • nobelium -- नोबेलियम
ऐक्टिनाइड (णी का एक सांश्लेषिक रेडियोऐक्टिव तत्व । परमाणु - क्रमां 102, प्रतीक No । यह साइक्लोट्रोन में उच्च ऊर्जा वाले C-13 नाभिकों की क्यूरियम परबमबारी से तैयार किया गया था । इसके साथ समस्थानिक (251257) ज्ञात हैं परंतु इनमें 254 प्रमुख हैं । ये सभी अल्पकालिक होते हैं । इसके रासायनिक गुणधर्म ठीक से ज्ञात नहीं हैं । प्रयोगों से पता चला है कि नोबेलियम त्रिसंयोजी तथा द्विसंयोजी अवस्थाओं में मिलता है और संभवतः द्विसंयोजी अवस्था विलयन में अधिक स्थायी है । इसके उपयोग और यौगिक ज्ञान नहीं हैं ।
इलेक्ट्रॉन-संरचनाः 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 3d10 4s2 4p6 4d10 4f14 5s2 5p6 5d10 5f14 6s2 6p67s2
  • noctovision -- नक्त्रवीक्षण
एक प्रकार का दूरदर्शन-तंत्र जिसमें प्रेषित्र पर क्रमवीक्षण कार्य के लिए अदृश्य किरणों का उपयोग किया जाता हैं ये किरणें प्रायः अवरक्त होती हैं । अतः इस तंत्र में दृश्य प्रकाश की आवश्यकता नही होती है ।
  • node -- पात
1. वह बिंदु जहाँ किसी वक्र के दो भाग एक-दूसरे को काटते हैं और जहाँ पर इन भागों की अलग-अलग स्पर्श रेखाएँ होती है ।
2. खगोल के वे दो बिंदु जहां किसी खगोलीय पिंड की कक्षा की और किसी अन्य पिंड की कक्षा का प्रतिच्छेद बिंदु जिन पर चंद्रमा की स्थिति होना सूर्य - ग्रहण और चंद्र - ग्रहण के लिए आवश्यक प्रतिबंध है ।
  • node -- निस्पंद
अप्रगामी तरंगों का वह बिन्दु या स्थान जिस पर माध्यम के कमों का विस्थापन शून्य अथवा न्यूनतम होता है । दो निस्पंदों के बीच की दूरी तरंग दैर्ध्य की आधी होती है । इस बिंदु से गुजरने वाली रेखा या पृष्ठ निस्पंद रेखा या निस्पंद तल कहलाता है ।
  • noise -- रव, शोर
1. एक प्रकार का अवांछित वैद्युत विक्षोभ या ध्वनि जो किसी इष्ट सिग्नल के सामान्य अभिग्रहण अथवा संसाधन में बाधा पहुँचाती है । प्रतिकृति संचार और दूरदर्शन में रव - वोल्टताओं से प्रतिबिंब के संपूर्ण क्षेत्र में काले या सफेद धब्बे उत्पन्न हो जाते हैं ।
2. कंप्यूटर में अतिरिक्त बिट या शब्द जिनका कोई अर्थ नहीं होता है और जिन्हें उपयोग के समय आँकड़ों से निकाल देना आवश्यक है ।
3. निर्देशित मिसाइल-तंत्र में अनेक भौतिक घटनाओं के कारण उत्पन्न होने वाले अनियंत्रित यादृच्छिक विक्षोभ ।
  • noise figure -- रव गुणांक, रवांक
1. किसी निश्चित बैंड की चौड़ाई के लिए निर्गम पर उत्पन्न होने वाले कुल रव का निवेश के रव से अनुपात ।
2. एक अंक जो यह बताता है कि कोई अभिग्राही सैद्धांतिक इष्टतम निष्पादन से कितना कम है ।
  • noise generator -- रव-जनित्र
परीक्षण - कार्यों के लिए एक यादृच्छिक रव - सिग्नल उत्पन्न करने की युक्ति । इलेक्ट्रॉन - संवर्धक, धनात्मक अभिनति सहित क्रिस्टल डायोड, अदोलायमान मैग्नेट्रॉन आदि कुछ आम रव - जनित्र हैं । इसे रव - स्रोत भी कहते हैं ।
  • noise level -- रव-स्तर
किसी विश्ष्ट स्थान पर वैद्युत अथवा ध्वानिक रव की प्रबलता का मान । यह मान विशिष्ट आवृत्ति परिसर में विशिष्ट आवृत्ति के भारण और समाकलन की कालावधि सहित रव का समाकलन करके प्राप्त किया जाता है । इसे किसी विशिष्ट आधारभूत स्तर के सापेक्ष डेसिबलों में अभिव्यक्त किया जाता है ।
  • noise meter -- रव-मापी
संचार-परिपथ में किसी आधारभूत स्तर के सापेक्ष डेसिबलों में वैद्युत रव का स्तर मापने का एक उपकरण ।
  • noise ratio -- रव-अनुपात
विद्युत -परिपथ के निर्गत पर उपलब्ध रव-शक्ति और निवेश पर उपस्थित रव -शक्ति के बीच का अनुपात ।
  • noise temperature -- रव-ताप
किसी टर्मिनल युग्म और विशिष्ट आवृत्ति पर वह ताप जिस पर किसी निष्क्रिय वैद्युत तंत्र की प्रतिमात्रक चौड़ाई में उपलब्ध तापीय रव-शक्ति वास्तविक टर्मिनलों पर उपस्थित रव के बराबर हो जाती है । रव-मापनों के लिए मानक निर्देश ताप 290 K लिया जाता है ।
  • noise voltage -- रव-वोल्टता
अर्धचालक तंतु जैसे किसी भौतिक तंत्र की वोल्टता मेंहोने वाले स्वतः उच्चावचन ।
  • nominal band -- नामीय बैंड
प्रतिकृति-सिग्नल-तरंग में वह आवृत्ति-बैंड जिसकी चौड़ाई शून्य आवृत्ति और अधिकतम माडुलक आवृत्ति के बीच की चौड़ाई के बराबर होती है ।
  • nomogram -- नोमोग्राम, संरेखण-चार्ट
एक आलेख जिसमें तीन रेखाएँ या वक्र होते हैं, जो प्रायः समांतर होते हैं और जिन पर तीन चरों के मान इस प्रकार अंशांकित होते हं कि एक सरल रेखा से इन तीनों को काटने पर प्राप्त प्रतिच्छेद - बिंदु तीनों चरों के संगत मानों का निरूपण करते हैं ।
  • non - Euclildau geometry -- अयूक्लिडी ज्यामिति
ज्यमिति की वह शाखा जिसमें यूक्लिड के अभिगृहितों को आधार न माना गया हो, विशेषतः जिसमें यूक्लिड के समांतर - अभिगृहीत को अस्वीकार किया गया हो ।
  • non - ideal gas -- अनादर्श गैस
वह गैस जो आदर्श गैस नियमों का पालन नहीं करती ।
  • non - linear network -- अरैखिक परिपथ-जाल
एक ऐसा परिपथ जाल जिसे रैखिक अवकल समीकरणों द्वारा जिनमें समय और अथवा स्थिति निर्देशांक स्वतंत्र चर के रूप में होते हैं निर्दिष्ट नही किया जा सकता ।
  • non - polar molecular -- आध्रुवी अणउ
जब किसी अणु का द्विध्रुव आघूर्ण शून्य होता है तो वह अध्रुवी अणु कहलाता है। सममित सहसंयोजक यौगिक सामान्यतया अध्रुवीहोते हैं क्योंकि उनमें इलेक्ट्रॉन सममिततः व्यवस्थित रहते हैं ।
  • nonelativistic -- अनापेक्षिकीय
किसी भी ऐसे गतिकीय तंत्र से संबंधित जिसमें आपेक्षिक वेग प्रकाश के वेग की तुलना के इतने कम होते हं कि आपेक्षिकीय प्रभावों की उपेक्षा की जा सके ।
  • nono -- नैनो
एक उपसर्ग जो 10-9 अर्थात् 0.000000001 या एक लाख क दस हजारवें बाग को दर्शाता है । पहले इसका नाम मिली - माइक्रोन था । इसका प्रतीक n है ।
उदाहरणार्थः 1 नैनो सेकंड (ns) 10-9s 1 नैनो फ़ेऱ (nf) 10-9 F
  • nonresonant line -- अननुनादी लाइन
एक प्रकार की विद्युत् संचरण लाइन जिसकी प्राकृतिक अनुनादी आवृत्ति संचरित सिग्नल की आवृत्ति से भिन्न होती है । इस प्रकार की लाइन में कोई अग्रगामी तरंगें नहीं होतीं ।
  • NOR -- नापि
एक तर्कसंगत संकारक जिसका यह गुणधर्म होता है कि यदि P,Q, R……..आदि प्रकथन हों तो P, Q, R…….का नापि उसी समय और केवल उसी समय सत्य होगा यदि सभी प्रकथन असत्य हों तथा उसी समय और केवल उसी समय असत्य होगा यदि उन प्रकथनों में से कम से कम एक सत्य हो । तुलना करें `NAND`.
  • nor gate -- nor गेट, नापि द्वार
एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनीय द्वार जिसका निर्गत केवल उसी समय उत्पन्न होता है जबकि इसका कोई निवेश अपनी निर्दिष्ट अवस्था में न हो ।
  • normal -- अभिलंबी रिले
वह रेखा जो किसी वक्र अथवा पृष्ठ के किसी दिए हुए बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा अथवा स्पर्श समतल पर लंब हो और उसी बिंदु से होकर जाता हो । वक्र के संदर्भ में उपर्युक्त रेखा का बिंदु और x-अक्ष के बीच का अंतःखंड ।
  • normal atom -- अनुत्तेजित परमाणु
वह परमाणु जो निम्नतम ऊर्जा की अवस्था में होता है और जिस पर कोई भी आवेश नहींहोता ।
  • north pole -- ध्रुव, उत्तर
स्वतंत्र रूप से लटके हुए चुंबक का वह ध्रुव जो उत्तर दिशा की ओर होता है ।
  • NOT -- न,
एक प्रकार का तर्कसंगत संकारक जिसका यह गुणधर्म होता है कि यदि P का `न` (NOT) उसी समय सत्य होगा जब P असत्य हो और उसी समय असत्य होगा जब P सत्य हो ।
  • NOT gate -- न द्वार
एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनीय परिपथजिसका निर्गत केवल उसी समय प्राप्त होता है जबकि इसका एकल निवेश अर्जित नहीं होता ।
  • note -- स्वर
ध्वनि जो वाद्यों या वाणी से उत्पन्न होती है । जबइसमें केवल एक ही आवृत्ति के कंपन होते हैं तब यह स्वरक (tone) कहलाता है किंतु बहुधा इसमें एक मूल स्वरक के साथ अनेक संवादी स्वरकों का मिश्रण होता है । इसाक तारत्व मूलस्वरक के द्वारा निर्धारित होता है ।
  • nova -- नवतारा
कोई ऐसा तारा जिसकी चमक एकाएक हजारों लाखों गुना बढ़ जाती है और फिर धीरे - धीरे घटकर पहले की तरह हो जाती है । इस प्रक्रिया में एक से तीस साल तक का समय लगता है ।
  • nuclear binding energy -- न्यूक्लीय बंधन ऊर्जा, नाभिकीय बंधन ऊर्जा
वह ऊर्जा जो नाभिक के सभी न्यूक्लिऑनों को पृथक करने के लिए आवश्यक है । इसका मान निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जाता हैः B = [(Zmp + (A-Z)mm] - M (A,Z)जहाँ B= बंधन ऊर्जा ;Z = (mp = प्रोटॉन - द्रव्यमान; mn = न्यूट्रॉन - द्रव्यमान A = द्रव्यमान क्रमांकM (A,Z) = नाभिक का द्रव्यमान तथा बंधन ऊर्जा और सभी द्रव्यमान संहतमात्रकों में व्यक्त किए गये हैं ।
  • nuclear bomb -- नाभिकिय बम
एक प्रकार का अति शक्तिशाली बम जो या तो नाभिकीय विखंडन की प्रक्रिया से विस्फोट ऊर्जा का उत्सर्जन करता है जैसा कि परमाणु बम में अथवा नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया से जैसा कि हाइड्रोजन बम में ।
  • nuclear chain reaction -- नाभिकीय श्रृंखला अभिक्रिया
नाभिकीय अभिक्रियाओं की एक ऐसी श्रृंखला जिसमें श्रृंखला चालू रखने वाला कोई एक कारक स्वयं नाभिकीय अभिक्रिया में उत्पन्न हो जाताहै जिससे समान अभिक्रिया आगे भी चालू रहती है ।
  • nuclear charge -- नाभिकीय चार्ज, नाभिकीय आवेश
किसी परमाणु के नाभिक का संपूर्ण वैद्युत आवेश +Zeजिसमें Z परमाणु क्रमांक है और e इलेक्टरॉन का आवेश है ।
  • nuclear cross section -- नाभिकीय प्रायिकता क्षेत्र
किसी विशिष्ट नाभिकीय अभिक्रिया के लिए परमाणु के नाभिक का प्रायिकता क्षेत्र । प्रग्रहण परायिकता क्षएत्र, विखंडन प्रायिकता क्षेत्र, प्रत्यास्थ और अप्रत्यास्थ प्रकीर्णन आदि इसके कुछ उदाहरण हैं ।
  • nuclear energy -- नाभिकीय ऊर्जा, परमाणु ऊर्जा
नाभिकीय विखंडन अथवा संलयन से मुक्त होने वाली ऊर्जा राशि ।
  • nuclear explosion -- नाभिकीय विस्फोट
किसी नाभिकीय बम का विस्फोट । वह बम हाइड्रोजन बम हो सकता है अथवा परमाणु बम ।
  • nuclear fission -- नाभिकीय विखंडन
किसी बाहरी स्रोत से उत्पन्न न्यूट्रॉनों की बमबारी से प्रेरित परमाण्विक नाभिक का टूटना । विशेष परिस्थितियों में मुक्त न्यूट्रॉनों द्वारा इस क्रिया का संवर्धन होता है । जब खंड़नीय (अस्थाई) नाभिक, जैसे यूरेनियम - 235 या प्लूटोनियम, क्रांतिक क्षेत्र में न्यूट्रॉन से टकराता है तो निम्न बातें होती हैः-
1. नाभिक विघटन होकर अनेक अन्य तत्व बनाता है जिन्हें विखंडन - उत्पाद या खंड कहते हैं । ये सब रेडियोऐक्टिव होते हैं और उनकी उच्च गतिज ऊर्जा होती है ।
2. विदरित नाभिक औसतन 2.5 न्यूट्रॉन उत्सर्जित करता है जो क्रमशः विखंडनीय पदार्थ के अन्य नाभिकों को खंडित करते हैं । इस प्रकार यह श्रृंखला - अभिक्रिया स्वयं होती रहती है ।
3. यह नाभिक के द्रव्यमानक्षति (mass defect)के तुल्य ऊर्जा उत्सर्जित करता है जो सामान्यतया 200 MeV प्रति नाभिक होता है । कुछ द्रव्यमानक्षय गामा किरणों के रूप में होता है ।
  • nuclear fission -- नाभिकीय विखंडन(न्यू-क्लीयफ़िशन)
किसी परमाणु के नाभिक का टूट कर दो या दो से अधिक ऐसे नाभिकों की उत्पत्ति करना जिनके द्रव्यमान लगभग एक ही कोटि के हों । यह घटना विघटन से भिन्न होती है जिसमें नाभिक मे से केवल हल्के ऐल्फ़ा या बीटा कण ही निकल जाते हैं और नाभिक के द्रव्यमान में बहुत थोड़ी कमी होती है । परमाणु बम में विखंडन ही के द्वारा इतनी अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है । सामान्यतया यह क्रिया न्यूट्रॉन की टक्कर के फलस्वरूप होती है ।
  • nuclear fission -- नाभिकीय विखंडन
किसी भारी नाभीक का लगभग दो समान भागों में या कभी - कभी हल्के तत्वों के कई नाभिकों में विभाजनहोना । इस प्रक्रिया से विपुल मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है ।
  • nuclear force -- नाभिकीय बल
परमाणु के नाभिक में न्यूक्लिऑनों के मध्य पारस्परिक क्रिया दर्शाने वाले बलये बल अत्यन्त लघुपरास वाले और आकर्षक प्रकार के होते हैं तथा आवेश पर निर्भर नहीं क रते जिसके फलस्वरूप न्यूट्रॉन - न्यूट्रॉन, न्यूट्रॉन - प्रोटॉन और प्रोटॉन - प्रोटॉनों के मध्य नाभिकीय बल लगभग एक ही प्रकार के होते हैं । इन्हे विनिमय बल भी कहते हैं ।
  • nuclear fuel -- नाभिकीय ईंधन
नाभिकीय रिऐक्टर में काम आने वाला विखंडनीय पदार्थ । यूरेनियम, प्लूटोनियम, थोरियम आदि इसके कुछ उदाहरण हैं ।
  • nuclear fusion -- नाभिकीय संलयन
एक तापनाभिकीय अभिक्रिया जिसमें निम्न परमाणु भार वाले किसी तत्व के नाभिक अत्युच्च ताप और दाब के अन्तर्गत एकीकृत होकर अपेक्षाकृत अधिक परमाणु - भार के नाभिक बनाते हैं । इस अभिक्रिया में द्रव्यमान की हानि ऊर्जा के रूप में मुक्त होती है । हाइड्रोजन बम में इसी अभिक्रिया से ऊर्जा मुक्त होती है जिसमें हाइड्रोजन के नाभिकों का संलयन होकर हीलियम परमाणु बनते हैं । नाभिकीय संलयन ही सौर ऊर्जा का स्रोत माना जाता है ।
  • nuclear isomer -- नाभिकीय समावयवता
ऐसे नाभिक जिनकी किसी एक या अधिक उत्तेजित अवस्थाओं की आयु लंबी (कुछ मिलिसेकंड या अधिक) होती है। इन अवस्थाओं का रेडियोऐक्टिव क्षय विभिन्न विधाओं से हो सकता है ।
  • nuclear magnetic resonance -- नाभिकीय चुंबकीय आनुनाद
अनुनाद द्वारा परमाणुओं के नाभिकों में ऊर्जा-अवशोषण की एक घटना । इसमें नाभिक एक ऐसे अपवर्ती प्रबल चुंबकीय क्षेत्र में स्थित होते हैं जौ उन्हें अपने अक्षीय इलेक्ट्रॉनों के प्रभाव से मुक्त करने में सक्षम होता है । जब इस अपवर्ती चुंबकीय क्षेत्र पर एक ओर रेडियो आवृत्ति वाला चुंबकीय क्षेत्र लगाया जाता है । तो अनुनाद - आवृत्तियों पर नाभिक ऊर्जा का अवशोषण करते हैं । अनुनाद आवृत्ति ω=gh । जहाँ g नाभिकीय जायरोचुंबकीय अनुपात है और h प्लांक - नियतांक । अनुनाद - आवृत्ति पर अवशोषित ऊर्जा की मात्रा से परमाणुओं की पहचान की जा सकती है । नाभिकीय जायरोचुंबकीय अनुपात मालूम करने के लिए भी इस विधि का उपयोग किया जाता है ।
  • nuclear magneton -- नाभिकीय मैग्नेटॉन
प्रोटॉन के नैज चुंबकीय आघूर्ण का एक मूल मात्रक । इसका मान (Formula) जहाँ e और mp क्रमशः प्रोटॉन के आवेश और द्रव्यमान हैं और (Formula) प्लांक नियतांक है ।
इसका मान 5.0503 x 10-27 Am2 है जो बोर मैग्नेटॉन का लगभग 1.1840 है ।
  • nuclear model -- नाभिकीय मॉडल
नाभिक की संरचना दर्शाने वाला एक मॉडल । नाभिक के गुणों को समझने के लिए अनेक प्रकार के मॉजल दिये गये हैं जैसे कि एकल कण मॉडल, स्वतंत्र कम मॉडल, द्रव बूँद मॉडल आदि ।
  • nuclear physics -- नाभिकीय भौतिकी
भौतिकी की एक शाखा जिसमें परमाणु के नाभिक, परमाणु कण और नाभिकीय अभिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है ।
  • nuclear reaction -- नाभिकीय अभिक्रिया
नाभिक और कण अथवा फ़ोटॉन के मध्य अभिक्रिया जिसमें नए नाभिक और एक या अधिक कणों का उत्क्षेपण होता है । नाभिकीय अभिक्रियाएँ आमतौर पर निवेशी अथवा निर्गत कणों या क्वांटमों के प्रतीकों को कोष्ठकों के अंदर और प्रारंभिक तथा अंतिम न्यूक्लिआइडों को कोष्ठकों के बाहर रखकर दर्शायी जाती है । उदाहरण के लिए सूत्र 14 7 N (α,p) 178Oनिम्नलिखित अभिक्रिया को प्रदर्शित करता है । (Formula)
  • nuclear reactor -- नाभिकीय रिऐक्टर
एक प्रकार का उपकरण जिसमें नियंत्रित रूप से नाभिक का विखंडन होता है । विखंडनीय पदार्थ के रूप में यूरेनियम या प्लूटोनियम का उपयोग किया जाता है और ग्रेफाइट अथवा भारी पानी न्यूट्रॉनों की गति मंद करने के लिए मंदक का कार्य करते हैं जिससे अभिक्रीया का नियंत्रण होता है । रिऐक्टरों का उपयोग ताप - वैद्युत् ऊर्जा, रेडियो आइसोटोप और कृत्रिम तत्वों के उत्पादन के लिए किया जाता है ।
  • nuclear recoil -- नाभिकीय प्रतिक्षेप
रेडियोऐक्टिव या किसी अन्य विघटन के दौरान परमाणु के अवशिष्ट नाभिक का यांत्रिक प्रतिक्षेप । इसका बहुत महत्वपूर्ण उपयोग मॉसबौर प्रभाव में होता है । देखें (Mossbauer effect)
  • nuclear spin -- नाभिकीय प्रचक्रण
परमाणु नाभिक का कुल कोणीय संवेग जबकि उसे एकल कण के रूप में माना गया हो ।
  • nucleon -- न्यूक्लिऑन
परमाणु-नाभिक के प्रमुख घटकों अर्थात् न्यूट्रॉन और प्रोटॉन का सामान्य नाम । इस शब्द का प्रयोग इस द्रव्यमान वाले मूल कणों के वर्ग नाम के रूप में भी होता है ।
  • nucleon -- न्यूक्लिऑन
परमाणु के नाभिक की रचना करने वाले कण- समूहों में से एक कण जो प्रोटॉन अथवा न्यूट्रॉन हो सकता है ।
  • nucleonics -- न्यूक्लिऑनिकी
अनुप्रयुक्त भौतिकी की एक शाखा जिसमें नाभिकीय विज्ञान की अनुप्रयुक्तियों और इनसे संबद्ध तकनीकों का अध्ययन किया जाता है ।
  • nucleus -- नाभिक (न्यूक्लियस)
परमाणु का केन्द्रीय भाग जिसमें परमाणु का लगभग पूर्ण द्रव्यमान केन्द्रीत होता है और जिसका व्यास परमाणु व्यास के लगभग एक लाखवें भाग के बराबर होता ह। इस पर विद्युत् का आवेश होता है । यदि परमाणु का क्रमांक Z हो तो इसका आवेश इलेक्ट्रॉन सौर परिवार के ग्रहों की भांति अपनी विविक्त कक्षाओंमें परिक्रमा करते रहते हैं । यह प्रोटॉनों तथा न्यूट्रॉनों का बना होता है और इसमें प्रोटॉनों की संख्या - परमाणु क्रमां Z के बराबर और न्यूट्रॉनों की संख्या A - Zहोती है, जहाँ A उस परमाणु की द्रव्यमान - संख्या (mass number) अर्थात् परमाणु भार से निकटतम पूर्ण संख्या के बराबर होता है ।
  • nucleus -- नाभिक
परमाणु का सबसे अधिक द्रव्यमान वाला भाग । रदरफ़र्ड तथा अन्य वैज्ञानिकों ने यह प्रदर्शित किया था कि इसका आवेश धनात्मक है और यह आवेश Ze के बराबर होता है जहाँ Z तत्व की परमाणु संख्या और e इलेक्ट्रॉन का आवेश है । α - कण प्रकीर्णन के प्रयोगों से इसका आकार लगभग 10-15 m ज्ञात हुआ है । इसकी त्रिज्या (r)का संबंध परमाणु के परमाणु भार A से होता है जिसे r=roA1/3 सूत्र द्वारा प्रदर्शित करते हैं जहाँ roएक नियतांक है । नाभिक में प्रोटॉन और न्यूट्रॉन होते ह। इन दोनों कणों को सामूहिक रूप से न्यूक्लिऑन कहते हैं । किसी तत्व के नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या उसकी परमाणु संख्या Z के बराबर होती है । Z प्रोटॉनों की संख्या उसकी परमाणु संख्या Z बराबर होती है। Z प्रोटॉनों से संबद्ध न्यूट्रॉनों की संख्या N निश्चित सीमाओं के अन्तर्गत परिवर्तनशील है । न्यूट्रॉनों की इन भिन्न संख्याओं के कारण उस तत्व के विभिन्न समस्थानिक उत्पन्न होते हैं । उदाहरण के लिए यूरेनियम के दो समस्थानिकों, जिनमें न्यूक्लिऑनों की संख्याएँ क्रमशः 235 और 238 हैं, 235 92 U143 और 238 92 U 146 दर्रा दर्शाये जाते हैं जहां 92 प्रोटॉनों की संख्या है । किसी ज्ञात समस्थानिक नाभिक में न्यूक्लिऑनों की कुल संख्या को तत्व की द्रव्यमान संख्या कहते हैः
A = N + Z न्यूक्लिऑन एक स्थूल रूप से गोलीय आयतन में नाभिकीय बलों द्वारा कायम रहते हैं ।ये आकर्षी बंधक बल न्यूक्लिऑन - युगलों के मध्य क्रिया करते हैं और इन युगलों के बीच की दूरी नाभिक की त्रिज्या से अपेक्षाकृत कम होती है । प्रकृति में सबसे अधिक पाये जाने वाले परमाणुओं के नाभिक स्थायी होते हैं । परन्तु प्रकृति में पाये जाने वाले रेडियोऐक्टिव परमाणुओं के नाभिक अस्थायी होती हैं जो कि नाभिकीय तत्वांतरण की अभिक्रिया में भाग लेते हैं जिसमें परमाणु - संख्या बदल जाती है और उत्पाद नाभिक के रासायनिकगुण मूलनाभिक के गुणों से भिन्न होते हैं । स्थायी नाभिक पर उच्च ऊर्जीय आवेशित कणों जैसे कि प्रोटॉन, ड्यूटेरॉन आदि की बमबारी करके कृत्रिम नाभिक उत्पन्न किये जाते हैं
  • null hypothesis -- निराकरणनीय परिकल्पना
यादृच्छिक रूप सेचुने गए किसी प्रतिदर्श की स्रोत मानी गई किसी मूल समष्टि के संबंध में कोई ऐसी परिकल्पना जिसकी निराकरणीयता की जांच किसी वैकल्पिक परकल्पना की तुलना मे की जाती है । यदि वैकल्पिक परिकल्पना मानने पर प्रतिदर्श की प्रायिकता इस निराकणीय परिकल्पना के मानने पर प्राप्त प्रायिकता से अधिक है तो निराकरण मान्य है ।
  • null method -- शून्य विक्षेप विधि
मापने की एक विधि जिसमे मापी जाने वाली राशि को उसी प्रकार की अन्य राशि से इस प्रकार संतुलित किया जाता है कि संसूचक यंत्र के संकेतक का विक्षेप शून्य हो जाता है, जैसे व्हीटस्टोन सेतु में ।
  • number -- संख्या
वस्तुओं व्यक्तियों अथवा मानें की गिनती के सूचक शब्द अथवा चिन्ह; ऐसे दो शब्दों अथवा चिन्हों का ऋणात्मक या धनात्मक अनुपात (परिमेय संख्या) ; किसी भौतिक परिमाण को सूचित करने वाली ऐसी राशइ जो उपर्युक्त परिभाषाओं के अनुसार निरूपित नहीं होती, जैसे किसी वृत्त के परिमाप और व्यास का अनुपात π(अपरिमेय संख्या); इन परिभाषाओं के अंतर्गत किसी संख्या और - 1 के वर्गमूल के साथ किसी अन्य संख्या के गुणनफल का योग (संमिश्र संख्या)
  • numerical value -- संख्यात्मक मान
1. किसी संख्या का चिन्ह-निरपेक्ष मान ।
2. वह मान जिसे संख्या के रूप में व्यक्त किया गया हो न कि अक्षरों के रूप में ।
  • numerical value -- संख्यात्मक मान
किसी राशि का मान और उसको मापने के मात्रक का अनुपात ।
  • Nyquist digram -- नाइक्विस्ट आरेख
समकोणीय निर्देशांकों में प्रतिभरण प्रवर्धक के लिए शून्य से लेकर अनंत आवृत्ति तक गुणांक μβ के वास्तविक और अधिकल्पित अंशों का आरेख जिसमें μ प्रतिभरण की अनुपस्थिति में प्रवर्दक का प्रवर्धन है और β निर्गत वोल्टता का वह अंश है जिसे निवेश पर अध्यारोपित किया जाता है । इस आरेख के द्वारा नियंत्रक तंत्र का स्थायित्व निर्धारित किया जाता है ।
  • o - network -- O -जाल
बंद परिपथ के रूप में चार श्रेणीबद्ध प्रतिबाधा- शाखाओं से बना हुआ एक परिपथ-जाल । इसमें दो संलग्न संधि-बिंदु निवेश-टर्मिनल का काम करते हैं और शेष दो निर्गत टर्मिनल के रूप मेंहोते हैं ।
  • object (optics) -- बिंब (= वस्तु)
जिस बिंदु या वस्तु का प्रतिबिंब कोई प्रकाशीय तंत्र बनाता है जिस दीप्त या प्रदीप्त वस्तु के या प्रतिबिंब के बिंदुओं से निकलकर अपसारी किरणें किसी प्रकाशीय तंत्र पर आपतित होती हैं वह वास्तविक बिंब कहलाता है । जिस प्रतिबिंब के बिंदुओं की ओर अभिसारी किरणें फ़ोकस होने से पहले ही किसी प्रकाशीय तंत्र पर आपतित होती हैं वह आभासी बिंब कहलाता है ।
  • objective (object lens) -- अभिदृश्यक (=अभिदृश्य लेन्स)
दरदर्शी तथा सूक्ष्मदर्शी का वह लेंस या लेंस-तंत्र जो दीखी जाने वाली वस्तु की ओर होता हैऔर जिसके द्वारा बनाया हुआ प्रतिबिंब नेत्रिका द्वारा देखा जाता है । अभिदृश्यक इस प्रकार ब नाया जाता है कि वर्ण विपथन तथा गोलीय विपथन यथासंभव दूर हो जाएँ ।
  • oblate spheroid -- लध्वक्ष गौलाभ
वह धनाकृति जो किसी दीर्घवृत्त को उसके लघु-अक्ष के चारों ओर घूर्णन कराने से प्राप्त होती है ।
  • oblique axis -- तिर्यक् अक्ष
निदेशांक ज्यामिति में वे निर्देश - अक्ष जो समकोण पर न कटते हों ।
  • oboe system -- आवो-तंत्र
एक प्रकार का रेडार नौसंचालन-तंत्र जिसमें दो भू-स्टेशन सम्मिलित होते हैं जो वायुवर्ती उत्तर-दाता बीकन की दूरी मापकर वायुयान को यह सूचना रिले कर देतेहैं । `ओबो` अंग्रेजी के "Bomber over Enemy" का संक्षिप्त शब्दरूप है ।
  • observation -- प्रेक्षणीय
(क) किसी तथ्य अथवा घटना (विशेषतया प्राकृतिक ) को देखने या नापने की क्रिया । इसमें प्रायः उपर्युक्त यंत्र द्वारा4 किसी राशइ को मापा जाता है ।
(ख) प्रेक्षण द्वारा उपलब्ध नाप का संख्यात्मक परिमाण
  • obsrvable -- प्रेक्षणीय
भौतिक विज्ञान की मापनीय वस्तुओं के लिए प्रयुक्त शब्द । क्वांटम यांत्रिकी के मैट्रिक्स रूप मे इन्हें मैट्रिक्सों से या वैकल्पिक रूप से तरंग यांत्रिकी में संकारकों से प्रदर्शित किया जाता है ।
  • obtuse angle -- अधिक कोण
वह कोण जो लंब कोण से अधिक तथा ऋजु कोण से कम होता है ।
  • occlusion -- अधिधारण
किसी धातु द्वारा गैस या ठोसों की धारण-क्षमता को व्यक्त करने अथवा किसी अवक्षेप द्वारा विद्युत् - अपघट्य के अवशोषण को व्यक्त करने की विधि । इसकी कोई सुनिश्चित प्रक्रिया नही है । किसी गैस और किसी धातु के संदर्भ में इसका अर्थ साधारण अधिशोषण अथवा किसी गैस के परमाणुओं अथवा अणुओं द्वारा धआतु - जालक का वेधन है जिसके फलस्वरूप अंतराकाशई यौगिक (interstitial compounds) बनते हैं । पैलेडियम द्वारा हाइड्रोजन का अधिधारण इसका उदाहरण हैं । ठोसों द्वारा धातुओं के संदूषण के संदर्भ में इसका अर्थ धातु द्वारा धातुमल का अधिधारण है जो संभवतः एक यांत्रिक प्रक्रम है ।
  • octane number -- ऑक्टेन-संख्या
परीक्षण की मानक परिस्थितियों में किसी ईंधन के मिश्रण की अपस्फोटन - मात्र को व्यक्त करने वाली संख्या । शुद्ध नॉर्मल हैप्टेन (जो अत्यधिक अपस्फोटक ईंधन है ) की ऑक्टेन - संख्या शून्य और आइसोऑक्टेन (एक शाखित श्रृंखल हाइड्रोकार्बन) की ऑक्टेन संख्या 100 मानी गई है । यदि किसी ईंधन का ऑक्टन संख्या 100 मानी गयी है । यदि किसी ईंधन का ऑक्टेन अधिमान (rating) 80 हो तो इसका यह अर्थ हुआ कि कीस मानक परीक्षण ईंधन में उसकी अपस्फोटन - मात्रा, 80 भाग आइसोऑक्टेन तथा 20 भाग नॉर्मल हैप्टेन के मिश्रण के बराबर है । 100 से अधिक ऑक्टेन अधिमान प्राप्त करने के लिए टेट्राएथिल लेड, इट्रामेथिल लेड आदि लेड ऐल्किल यौगिक मिलाए जाते हैं ।
  • octanes -- ऑक्टेन, D8H18
पैराफ़िन श्रेणी के हाइड्रोकार्बन । इस सूत्र के अठारह पैराफिन हाइड्रोकार्बन संभव हैं । ये पेट्रोलियम में पाए जाते हैं और इनके क्वथनां 990C1250C के बीच हैं। सबसे अधिक महत्वपूर्ण समावयन 2, 2, 4 ट्राइमेथिलऐन्टेन (CH3)3C.CH2.CH(CH3)2 है जिसे आइसोऑक्टेन कहते हैं । यह पेट्रोलियम के भंजन से प्राप्त गैस के ब्यूटेन - ब्यूटिलीन अंश से अनेक विधियों द्वारा बड़ी मात्रा मे बनाया जाता है । यह रंगहीन द्रव में हैं, घनत्व 0.6918, क्वथनांक 99.30 । इसके विशिष्ट अपस्फोटरोधी गुणधर्म होते हैं तथा इसका उपयोग पेट्रोल के अपस्फोट - निर्धारण में मानक के रूप में होता है ।
  • octave -- सप्तक
1. उन आवृत्तियों का अंतराल जिनका अनुपात 2:1 हो ।
2. सांगीतिक स्वरग्राम के सात स्वरों का अनुक्रम ।
  • octave (note) -- अष्टम स्वर
यदि किसी त्वरक `ख` की आवृत्ति किसी अन्य स्वरक `क` की आवृत्ति से दुगूनी हो तो `ख` को `क` का अष्टम स्वर कहते हैं।
  • octet rule -- अष्टक नियम
इस नियम के अनुसार किसी स्थायी रासायनिक यौगिक के किसी परमाणु से संबद्ध संयोजकता - इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या आठ हो सकतीहै । देखिए - electrovalency.
  • odd - even nucleus -- विषम-सम नाभिक
वह नाभिक जिसमें प्रोटॉनों की संख्या विषम और न्यूट्रॉनों की संख्या भी विषम होती है । ये नाभिक सबसे कम स्थायीहोते हैं । इसके विपीत सम - स म नाभिक अधिकतम स्थायी होते हैं और विषम - सम नाभिक सामान्य रूप से स्थायी ।
  • odd - odd nucleus -- विषम-विषम नाभिक
वह नाभिक जिसमें प्रोटॉनों की संख्या विषम और न्यूट्रानों की संख्या भी विषम होती है । ये नाभिक सबसे कम स्थायी होते हैं । इसके विपरीत सम - सम नाभिक अधिकतम स्थायी होते हैं ।और विषम - सम नाभिक सामान्य रूप से स्थायी ।
  • odd even check -- विषम-सम जाँच
अंकीय कंप्यूटर में एक स्वतःचालित जाँच- व्यवस्था जिसमें प्रत्येक शब्द के साथ एक अतिरिक्त अंक जाता है जो यह दर्शाता है कि शब्द में एकांकों की कुल संख्या विषम है अथवा सम । इससे उपयुक्त प्रचालन के लिए एक जाँच- व्यवस्था प्राप्त हो जाती है । इसे पैरिटी-जाँच भी कहते हैं ।
  • odd number -- विषम संख्या
वह पूर्ण संख्या जिसे 2 से भाग देने पर 1 शेष बचे; 2 1 के रूप की कोई संखय् जहाँ कोई पूर्णांक हैः उदाहरणार्थ 1, 3, 5, 7 विषम संख्याएँ हैं ।
  • odd permutation -- विषम क्रमचय
कोई क्रमचय जिसे पक्षांतरणों के गुणनफल के रूप मे निरूपित करने पर पक्षातरणों की संख्या विषम होती है ।
  • oersted -- ओर्स्टेड
चुंबकीय क्षेत्र प्रबलता H का एक c.g.s. विद्युत् - चुंबकीय मात्रक । निर्वात में किसी भीबिंदु पर चुंबकीय तीव्रता का ओर्स्टेडों में मान डायनों में व्यक्त उस बल के बराबर है जो उस बिंदु पर स्थित एख मात्रक चुंबकीय ध्रुव पर पड़ता है । Hका परिमेयीकृत MKSA मात्रक (rationalised MKSA unit) ऐम्पियर फेरारूमीटर (Am-1) है । (Formula) अंतर्राष्ट्रीय समझौते से सन् 1932 के पश्चात् अब H के मापन के ले गाउस (gauss) के साथान पर ओर्स्टेड का प्रयोग किया जाता है ।
  • off line operation -- लाइनेतर प्रचालन
कंप्यूटर प्रचालन का एक प्रकार जिसमें निवेश- आँकड़े कंप्यूटर में सीधे न भेजकर पहले इकट्ठे किए जाते हैं और बाद में उनका विश्लेषण किया जाता है ।
  • off lline equipment -- लाइनेतर उपस्कर
कंप्यूटर-तंत्र के साथ काम आने वाली युक्तियाँ, जिनका केंद्रीय संसाधक एकक से कभी संबंध नहीं किया जाता । इसके उदाहरण मुद्रक (printer) आलेखक (plotter) आदि हैं । कंप्यूटर चालू रहते हुए भी इन उपस्करों का समंजन किया जा सकता है ।
  • offset voltage -- ऑफसेट वोल्टता
1. विद्युत् प्रदाय के प्रसंग में एक दिष्टधारा - वोल्टता जो तुलनक प्रवर्धक (comparison amplifier) के निवेश - टर्मिनल के साथ श्रेणीबद्ध रूप से प्रकट होती है जबकि निर्गत वोल्टता से विचलन शून्य हो । विद्युत् प्रदाय के डिजाइन में से प्रायः जान - बूझकर लगा दिया जाता है जिससे शून्य निर्गत वोल्टता होकर निर्गत वोल्टता ऋणात्मक भी हो सकती है ।
2. निवेश सिग्नल की अनुपस्थिति में विभवांतर प्रवर्धक पर लगी हुई एक अतिरिक्त वोल्टता जो इसकी निर्गत वोल्टता को शून्य बना देती है ।
  • ogive -- तोरण
किसी बारंबारता-बंटन के वर्गांतराल-बिंदुओं को भुज के रूप में और संचयी बारंबारता को कोटि के रूप में लेकर आलेखित किया हुआ वक्र ।
  • ohm -- ओम
वैद्युत् प्रतिरोध का एक पूरक SI मात्रक । यह चालक के दो बिंदुओं के मध्य वह वैद्युत् प्रतिरोध है जो उन बिंदुओं के सिरों पर 1 वोल्ट का अपरिवर्ती विभवांतर लगाने पर चालक में 1 ऐम्पियर की धारा उत्पन्न करता है जबकि चालक स्वयं किसी विद्युतवाहक बल का स्रोत नहीं हो । इसका प्रतीक है ।
  • Ohm -- ओम का नियम
जर्मन भौतिकीविद् जार्ज साइमन ओम (George Simon Ohm) 1787-1854के नाम पर । विद्युत् प्रतिरोध का प्रायोगिक मात्रक । उस चालक का प्रतिरोध जिसमें क वोल्ट के विभवांतर से एक ऐम्पियर धारा प्रवाहित होती है । यह प्रतिरोध 109 निरपेक्ष मात्रकों के बराबर होता है ।
  • Ohm`s law -- ओम का नियम
यदि किसी चालक की भौतिक दशा न बदले तो उसमें प्रवाहित अपरिवप्ती दिष्ट विद्युत् - धारा C तथा उस चालक के दोनों सिरों के विभवांतर `V` का अनुपात नियतहोता है अर्थात् V/C = R । इस अनुपात के संख्यात्मक मान को उस चालक का प्रतिरोध कहते हैं । यदि V वोल्टों में और C ऐम्पियरों में मापा जाए तो प्रतिरोध का मानओमों में प्राप्त होता है । ओम प्रतिरोध के मात्रक का नाम हो ।
  • ohm`s law -- ओम नियम
ओम द्वारा प्रतिपादित एक नियम जिसके अनुसार किसी चालक में बहने वाली विद्युत् धारा उसके सिरों के मध्य उत्पन्न विभवांतर के समानुपाती होती है बशर्ते कि अन्य कारक - जैसे, ताप, दाग आदि अपरिवर्ती रहें । इसका गणितीय सूत्र निम्नलिखित हैः- 1= V/Rजहाँ 1 = विद्युत् धारा (ऐम्पियर में) V = अनुप्रयुक्त विभवांतर (वोल्ट में) R =चालक का प्रतिरोध (ओम में )
  • ohmic contact -- ओमी संपर्क
दो ऐसे पदार्थों के मध्य संपर्क जिनके सिरों के बीच वोल्टता का मान उनमें बहने वाली धारा के समानुपाती होता है ।
  • ohmmeter -- ओममापी
वैद्युत् प्रतिरोध को मापने वाला एक यंत्र । इसका पैमाना ओम, किलो ओम या मेगा ओम में अंशाकित होता है ।
  • oil in water emulsion -- जले तैलम् पायस
वह पायस जो पानी में तेल के परिक्षेपण से बनाहो । इस पायस में परिक्षिप्ति प्रावस्था, तेल तथा माध्यम, जल ह ता है तथा इसमें पानी म्लाने से आसानी से मिल जाता है । यहाँ तेल से तात्पर्य ऐसे द्रव से है जो जल में मिश्रणीय नहीं है । तुलना - water in oil emulsion.
  • oil of winter green -- विन्टरग्रीन तेल
गॉल्थेरिया जाति का सगंध तेल । घनत्व 1.175- 1.187 । इसमें 99 प्रतिशत मेथिल सेलिसिलेट होता है । कृत्रिम या संशिल्ष्ट विन्टरग्रीन तेल, मेथिल सैलिसिलेट होता है । देखिए - methyl salicylate.
  • oleic acid -- ओलीक अम्ल, CH3 (CH2)7CH=CH (CH2)7COOH
एक असंतृप्त वसा अम्ल जो रंगहीन द्रव है । यह द्विरूपी होता है जिसमें स्थायी रूप 160 पर सफेद क्रिस्टलीय ठोस में जम जाता है और अस्थायी रूप 120C पर जमता है । घनत्व 0.89, क्वथनांक 2860 (100 मिमी. पर), ऐल्कोहॉल और ईथर में विलये, पानी में अविलेय । इसका cis - विन्यास होता है । यह अधिकांश वाओं और तेलों में ग्लिसराइडों के रूप में, अन्य सभी वसा - अम्लों की अपेक्षा अधिक मात्रा में पाया जाता है । यह गाय के दूध में पाये जाने वाले वसा अम्लों का एक - तिहाई भाग होता है । यह जैतून के तेल या सूअर की चर्बी से साबुनीकरण, अम्लीकरण और प्रभाजी आसवन द्वार पृथक, किया जाता है । इसका उपयोग स्नेहकों, अपमार्जकों, रालों को बनाने तथा मरहमों, श्रृंगार - सामग्री के निर्माण मेंहोता है ।
  • oligosaccharide -- ओलिगो सैकेराइड, ओलिगो शर्कराइड
वह कार्बोहाइड्रेट जो दो से आठ सरल शर्कराओं के आपस में जुड़ने से बनता है । उदाहरणार्थ - स्यूक्रोस जो डेक्सट्रोस और फर्क्टोस का बना होता है । इसके जल - अपघटन से मोनो - सैकेरोसों के अणु, कम संख्या में प्राप्त होते हैं । आठ से अधिक सरल शर्कराओं से बने कार्बोहाइड्रेट को पलिसैकोराइड कहते हैं ।
  • on-lline operation -- युगपत् प्रचालन
कंप्यूटर-प्रचालन का एक प्रकार जिसमें निवेश आँकड़े प्रेक्षण यंत्र अथवा अन्य निवेश - उपस्कर से सीधे ही कंप्यूटर मे भेजे जाते हैं जिससे कंप्यूटर का उपयोग पूरे कार्यकाल में होता रहता है ।
  • on-off keying -- चालू-बंद कुंजीयन
दूर संचार के कार्य में काम आने वाला एक प्रकार का कुंजीयन जिसमें सिग्नल - निर्माण के लिए स्रोत के निर्गत का एकांतर क्रम से प्रेषण और निरोध किया जाता है ।
  • one - one mapping -- एकैकी प्रतिचित्रण
समुच्च्य S से समुच्चय T पर सा फलन कि f(x) = f(y) x=y
  • one-many funciton switch -- एक बहुकार्य स्विच
एक प्रकार का कार्य-स्वीच जिसमें एक बार में केवल एक ही निवेश का उत्तेजन होता है और ऐसा प्रत्येक निवेश अनेक निर्गतों का संयोजन करता है ।
  • Onsager conductivity equation -- ओन्सागर चालकता समीकरण
द्वि-अंगी प्रबल विद्युत्-अपघट्यों की तुल्यांक चालकता और उनके सांद्रण में संबंध स्थापित करने वाला निम्नलिखित समीकरण जिसका नगमन ओन्सागर ने किया थाः (Formula) जबकि (Formula ) तथा (Formula) इस व्यंजक में तुलयांक चालकता ,
^ 0 अनन्त तनुता पर तुल्यांक चालकता, C सांद्रण, 10 + तथा 10 - अनन्त तनुता पर क्रमशः धनायन और ऋणायन की तुल्यांकी आयनिक चालकता, Z,Z दोनों आयनों के आवेश Tपरम ताप, D तथा ηविलायक के क्रमशः परावैद्युतांक तथा श्यानता है ।
यह समीकरण अत्यंत तनु विलयनों पर ही सार्थक रहता है । जल में 250 पर 1-1 विद्युत् अपघट्यों के लिए यह समीकरण निम्नलिखित रूप ले लेता हैः (Formula) जबकि θ तथा σ सिथिरांक है । चूंकि (Formula) राशि स्थिरांक है अतः यहसमीकरण कोलराउश नियम का ही रूप हो जाता हैः (Formula)
  • onto mapping -- आच्छादक प्रतिचित्रण, आच्छादन
ऐसा फलन जिसका परिसर संपूर्ण समष्टि हो ।
  • oorganometallic compound -- कार्बधात्विकयौगिक
वे कार्बनिक या अकार्बनिक यौगिक जिनमें एक या अधिक कार्बन - परमाणु सीधे एक या अधिक धातु - परमाणुओं से संयुक्त रहते हैं । इनका सामान्य सूत्र R-M है, जिसमें R ऐल्किल या ऐरिल मूलक और M धातु है । सामान्यतया कार्बाइड, सायनाइड और धात्विक कार्बोनिल यौगिक इनेमें शामिल नहीं किये जाते हैंक्योंकि वे कार्बधात्विक यौगिकों के आवश्यक गुणधर्मों को प्रदर्शित नहीं करते हैं । ये दो प्रकार के होते हैं - सरल और मिश्र । सरल यौगिकों में धातु केवल कार्बन परमाणुओं से संयुक्त रहता हैऔर मिश्र यौगिकों में धातु हैलोजन आदि अम्लीय समूह से संयुक्त रहता है । सामान्यतया इसे कार्बनिक हैलाइड की धातु के साथ या एक कार्बधात्विक यौगिक की अन्य धातु के साथ क्रिया से बनाया जाता है । इनमें कई अस्थाई और हवा में स्वतः ज्वलनशील होते हैं । ये अत्यन्त आविषालु और क्रियाशील होते हैं । इनका और विशेष रूप से ग्रीन्यार अभिकर्मकों का, उपयोग अनेक रासायनिक प्रक्रमों में होता है। कुछ आस्रेनिक यौगिक महत्वपूर्ण चिकित्सीय कर्मक होते हैं ।
  • opacity -- अपारदर्शिता
पदार्थ का एक गुणधर्म जिसके कारण वह विकिरण ऊर्जा के पारगमन में अवरोध उत्पन्न करता है । अपारदर्शिता पारगमन की व्युत्क्रमानुपाती होती है । प्रकाशमिति और फ़ोटोग्राफी में किसी पदार्थ पर आपतित विकिरण फ्लक्स और पारगमित फ्लक्स के अनुपात द्वारा उस पदार्थ की अपारदर्शिता को मापते हैं ।
  • opal -- दूधिया पत्थर, ओपल, SiO2. nH2O
रंगहीन, सफेद, भूरा, पीला, लाल, हरा आदि रंगों में पाया जाने वाला एक खनिज जो जलयोजित अक्रिस्टलीय सिलिका होता है । यह स्फटिक से मुलायम और कम सघन होता है और विशिष्ट रंगदीप्ति प्रदर्शित करता है । आ.घ. 2.1-2.3 ।
  • opalescent -- दूधिया
1. रंगदीप्त प्रकाश का परावर्तन करने वाला, दूध के समान रंगदीप्ति वाला ।
2. रंगीन, चिकने पृष्ठ वाला, जो विदरों, पतली रेखाओं और बुलबुलों की सामिप्राय उपस्थिति के कारम धुंधलापन और विसरण प्रदर्शित करता है ।
  • opaque -- अपारदर्शी (=पारांध)
(क) जो पारदर्शी न हो अर्थात् पूर्णतः अवशोषित हो जाने के कारम जिसके पार प्रकाश न जा सके ।
(ख) जिसके पार किसी भी प्रकार का विकिरण अथवा विद्युत् तरंग आदि न जा सके ।
  • open circuit -- खुला परिपथ
विच्छेद सहित एक प्रकार का विद्युत्-परिपथ जिसके कारण धारा-प्रवाह के लिए वापसी पथ उपलब्ध नहीं होता ।
  • open circuit impedance -- खुली परिपथ-प्रतिबाधा
किसी विद्युत् लाइन या चार टर्मिनल वाले परिपथ - जाल की चालन बिंदु - प्रतिबाधा जबकि लाइन या परिपथ - जाल को लोड वाला सिरा खुला हुआ हो ।
  • open interval -- विवृत अंतराल
वह अंतराल जो किसी भी अंत्य बिंदु को आविष्ट न करता हो ।
  • open set -- विवृत समुच्चय
किसी दूरीक समशिट का ऐसा उपसमुच्चय U जो कि अपने प्रत्येक सदस्य x के लिए xका कोई є- प्रतिवेश आविष्ट करे । किसी सांस्थितिक समष्टि (x,Formula ) के संदर्भ में (Formula)के सदस्य (Formula)- विवृत कहलाते हैं ।
  • open subroutine -- खुली उपनेमका
कंप्यूटर में काम आने वाली एक प्रकार की उपनेमका जिसे रैखिक प्रचालन अनुदेशों के अनुक्रम में सीधे ही प्रविष्ट किया जात है । यह उपनेमका कूछ कर प्रविष्ट होने वाली बंद उपनेमका से भिन्न होती है । अतः किसी नेमका के प्रत्येक स्थल पर जहाँ इसकी आवश्यकता होती है इस उपनेमका की प्रतिलिपि हर बार बनाई जाती है । इसे सीधी-प्रविष्ट उपनेमका भी कहते हैं ।
  • open wire transmission line -- खुला तार संचरण लाइन
एक संचरण लाइन जिसमें विद्युत् - रोधियों पर आधारित दो अंतराली समांतर तार होते हैं । तारों के बीच की दूरी इतनी रखी जाती है जिससे कि महोर्मि प्रतिबाधा (surge impedance) का अभीष्ट मान प्राप्त हो जे । यदि लाइन से सिरे विद्युत् - रोधियों द्वारा ठीक ढंग जुड़े हुए हों तो वह एक विशुद्ध प्रतिरोध की भाँति कार्य करती है ।
  • opera glass -- नाट्य दूरबीन
गैलीलियो की द्विनेत्री दूरबीन का एक ऐसा छोटा रूप जो आसानी से साथ ले जाया जा सके और बहुधा नाटक आदि को देखने के काम में आता है ।
  • operating curve -- प्रचालन वक्र
देखें - load characteristics.
  • operating point -- प्रचालन बिंदु
इलेक्ट्रॉन नलिका के अभिलक्षणिक वक्र पर स्थित एक बिंदु जो प्रत्यक्ष वोल्टता मानें के संगत होता है । इसका प्रयोग ग्रिड और ऐनोड के लिए करते हैं ।
  • operating point -- प्रचालन-बिंदु
निवेश-सिग्नल की अनुपस्थिति में किसी इलेक्ट्रोनीय युक्ति के उस अभिलक्षण वक्र पर स्थित एक बिंदु जो इलेक्ट्रोडों की औसत वोल्टता या धारा लगी दिष्ट वोल्टता के संगत होता है । इसे शांत बिंदु (quiescent point) भी कहते हैं।
  • operation -- संक्रिया
1. गणितीय क्रियाविधि के नियमों को कार्यान्वित करने का प्रक्रमः जैसे संकलन, व्यवकलन, अवकलन, लघुगुणक निकालना, प्रतिस्थापन अथवा रूपांतरण करना आदि ।
2. किसी समुच्चय S पर लागू की जाने वाली संक्रिया एक ऐसा फलन है जिसका प्रांत S के सदस्यों के क्रमित अनुक्रमों (x1, x2, …..xn) का एक समुच्च्य होता है और जिसका परिसर S का कोई उपसमुच्चय होता है ।
  • operation code -- संक्रिया-कोड / संक्रिया-कूट
1. कंप्यूटर अनुदेश का एक अंश जो प्रायः की जाने वाली संक्रियाओं का प्रकार तो निर्दिष्ट करता है परंतु संकार्यों का स्थान निर्धारण नहीं करता । इसे संक्रिया अंश (operation part) भी कहते हैं ।
2. कंप्यूटर के किसी अनुदेश कोड में काम आने वाले संक्रिया अंशों की सूची जिसमें संगत संक्रियाओं के नाम भी साथ दिए होते हैं । `जोड़ों` `बिना शर्त स्तानांतरण करो, जोड़ो और साफ करो आदि इसके कुछ उदाहरण हैं ।
  • operation time -- प्रचालन-अवधि
1. इलेक्ट्रॉनीय युक्ति के सभी इलेक्ट्रोडों पर युगपत् वेल्टता लगाए जाने पर धारा का अपने अंतिम मान के निर्धारित अंश तक पहुँचने की कालावधि ।
2. कंप्यूटर में दत्त संसाधन के प्रसंग में जोड़ने, घटाने, गुणा, भाग आदि जैसी, किसी संक्रिया के चयन, तैयारी और पूरा करने में लगा हुआ समय । इसमें अभिगम काल भी सम्मिलित होता है ।
  • operational amplifier -- संक्रियात्मक प्रवर्धक
सामान्य रूप से एक उच्च लब्धि वाला इलेक्ट्रॉनीय प्रवर्धक जिसके द्वारा अनेकि गतिणीय संक्रियाएँ की जाती हैं । इसमें उच्च d.c. स्थायित्व और दोलन के प्रति उच्च रोधक्षमता होती है जिसे सामान्यतः विपुल ऋणात्मक पुनर्भरण द्वारा किया जाता है । पुनर्भरण घटकों के उपयुक्त चैनलों से यह प्रवर्धक जोड़ने, घटाने, औसत निकालने, समाकलन और अवकलन आदि की संक्रायाएँ कर सकता है ।
  • operational amplifier -- संक्रियात्मक प्रवर्धक
उच्च d-c सथायित्व वाला एक प्रवर्धक जो दोलनों के ले अधिक रोधक्षम होता है । इन गुणधर्मों को प्राप्त कने के लिए सामान्यतः ऋणात्मक पुनर्भरण की अधिक मात्रा का प्रयोग करते हैं । इसका उपयोग समरूप - अभिकलित्र संक्रियाओं जैसे कि संकलन तथा समाकलन में काय जाता है ।
  • operational programming -- संक्रियात्मक प्रोग्राम
नियंतिर्त विद्युत् शक्ति प्रदाय की निर्गम वोल्टता का सिग्नलों द्वारा नियंत्रण केरन का एक प्रक्रम । ये सिग्नल - वोल्टता, धारा, प्रतिरोध और चुंबकत्व हो सकते हैं जिन पर प्रचालन विद्युत् शक्ति प्रदाय द्वारा पूर्व निर्धारित विधि से संक्रिया की जाती है । ये संक्रियाएँ बीजगणितीय हेर - फेर, गुणन, आंकलन, समाकलन, सोपानन और अवकलन हो सकते हैं ।
  • operations research -- संक्रिया-विज्ञान
गणित की वह शाखा जिसमें उद्योग, वाणिजय आदि क्षेत्रों में आने वाली कार्यसंचालन संबंधी समस्याओं को हल करने में गणित की वेश्लेषिक विधियों के प्रयोग का अध्ययन काय जात है । इस विज्ञान का उद्देश्य कार्य - प्रबंध के मामलों में यथोचित पूर्वानुमानों और निर्णयों पर पहुँचने के लिए तर्कसंगत आधार प्रदान करना ह। इसमें रैखिक प्रोग्रामन, प्रायिकता, सूचना - सिद्धांत, खेल - सिद्धांत, मोन्टे - कालों विधि, पंक्तिसिद्धांत आदि से संबद्ध तकनीक अपनाए जाते हैं ।
  • operator -- संकारक
किसी संक्रिया अथवा संक्रिया-समूह को सूचित करने वाला संकेत जिस पर स्वयं बीजगणितीय क्रियाएँ की जा सकती हों । जैसेः (Formula) अवकल संकारक है ।
  • Oppenauer oxidation -- आपेनॉअर ऑक्सीकरण
सामान्यतया ऐसीटोन या साइक्लोहेक्सनोन आदि कीसि कीटोन की पर्याप्त मात्रा की उपस्थिति में (जो ऑक्सीकारक का काम करता है । कीस द्वितीयक ऐल्कोहॉल का संगत कीटोन में ऑक्सीकरण । इस प्रक्रम में ऐलुमिनियम ऐल्कॉक्साइड का उत्प्रेरक के रूप में प्रयोग किया जाता है । यह विधि कीटोनों के ऐलुमिनियम ऐल्कॉक्साइड द्वरा अपचयन से विपरीत ह। इसका प्रयोग कुछ प्राथमिक ऐल्कोहॉलों का संगत ऐल्डिहाइडों में अपचयन के लिए भी होता है । मंद अभिक्रिया अवस्थाओं के कारम यह विधि सुग्राही यौगिकों के लिए अधिक उपयुक्त है ।
  • opposing reaction -- प्रतिकूल अभिक्रिया
देखिए - backward reaction.
  • optical activity -- ध्रुवण घूर्णकता
कुछ पदार्थों के घोलऐसे होते हैंकि उनमें से गुजरने वाले प्रकाश का ध्रुवण तल घूम जाता है । उनके इस गुण को ध्रुवण घूर्णकता कहते हैं । कुछ एक अक्षीय क्रिस्टलों में भी यह गुण होता है कि उनमें से अक्ष की दिशा में जाने वाले प्रकाश का ध्रुवणतल घूम जाता है ।
  • optical activity -- ध्रुवण घूर्णकता
प्रकाशतः सक्रिय कुछ विलयनों तथा क्रिरूटलों का एक गुणधर्म जिसके कारम वे ध्रुवण - तल को अपनी मोटाई के अनुपात में घुमा देते हैं । आगामी प्रकाश क ओर देखने पर यदि घूर्णन दक्षिणवर्त्तहै तब सक्रियता दक्षिण ध्रुवण - घूर्णक होती है और यदि घूर्णन वामावर्त है तब सक्रियता वाम ध्रुवण - घूर्णक होती है ।
  • optical axis -- प्रकाक्षिक अक्ष
1. लेन्स-पृष्ठों के वक्रता केन्द्रों से होकर गुजरने वाली एक सरल रेखा । इस दिशा में जाने वाली प्रकाश की किरणें पृष्ठों से न तो अपवर्तित होती हैं और न परावर्तित ।
2. द्विअपवर्तनी क्रिस्टलों में एक ऐसी दिशा जिसमें किसी भी प्रकार का द्विअपवर्तन नहीं होता । क्वार्ट्ज क्रिस्टल में z- अक्ष को प्रकाशिक अक्ष कहते हैं जो कि मातृ क्रिस्टल के एक शीर्ष से दूसरे शीर्ष तक जाती है ।
  • optical bleaching -- प्रकाश-विरजन
दृश्य प्रकाश में लघु तरंग दैर्ध्य-प्रतिदीप्ति (नीली या बैंगनी) वाले यौगिकों का कागज या वस्त्रों की सफेदी को बढ़ाने के ले प्रयोग करना । इन कार्य के ले कुछ कार्बनिक यौगिकों (जैसे डाइमीनोस्टिबीन सल्फोनिक अम्ल के व्युत्पन्न आदि) का प्रयोग किया जाता है ।
  • optical centre (of a lens) -- प्रकाशिक केन्द्र
लैंस के प्रथम पृष्ठ से अपवर्तित होने के बाद अक्ष पर स्थित जिस बिंदु में से गुजरने वाली सभी किरणें लैंस के दूसररे पृषअठ मे से बाहर निकलने पर अपनी पूर्व दिशा के समान्तर हो जाती हैं ।
  • optical electron -- प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन
प्रकाश का उत्सर्जन सामान्यतया किसी परमाणु के केवल बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों के कारम उत्पन्न होता है । ऐसे इलेक्ट्रॉनों को प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन कहते हैं । देखिए - valency electron.
  • optical flat -- प्रकाशिक समतल (सपाट तल)
एक सपाट पृष्ठ जिसनी समतलीय अनियमितताएँ आंशिक तरंगदैर्ध्य से अधिक बड़ी नहीं होतीं । किसी ज्ञात समतल को पृष्ठ के ऊपर रखक व्यतिकरण फ़्रिन्जों के प्रेक्षण द्वारा प्रकाशिक समतलता का परीक्षण किया जाता है ।
  • optical illusion -- दृष्टि-भ्रम
किसी वस्तु की आकृति या उसका नाम वास्तविक से भिन्न दिखाई देना । जैसे कि समांतर ऋजु रेखाओं का टेढ़ी-मेढ़ी दिखाई देना या यथार्थता पूर्वक बराबर नाप के दो वर्गों में से एक बड़ा और दूसरा छोटा दिखाई देना ।
  • optical isomer -- प्रकाशिक समावयव
प्रकाशिक समावयवता प्रदर्शित करने वाले यौगिक के दो या अधिक रूपों में से कोई एक । प्रकाशिक समावयवों का रासायनिक संघटन और संरचना - सूत्र समान होते हैं किंतु इन यौगिकों के परमाणुओं या समूहों का, यौगिक मे उपस्थित असममित परमाणु के चारों ओर आकाशीय विन्यास भिन्न - भिन्न होता है । इस कारण ध्रुवित प्रकाश का तल, भिन्न दिशा (दायें या बायें ) या भिन्न मात्रा में घूर्णित होता है ।
  • optical maser -- प्रकाशिक मेसर
देखे Laser ।
  • optical pyrometer -- प्रकाशिक उत्तापमापी
इसमें किसी मानक लैंप के प्रकाश की तीव्रता को घटाकर उत्तप्त पृष्ठ के प्रकाश की तीव्रता के बराबर कर लाय जाता है । तीव्रता का समंजन करने के लिए या तो लैंप के परिपथ में प्रतिरोद को बढ़ाया जाता है या किसी अवशोषक पदार्थ को लैंप के समाने रखकर उसकी मोटाई का समंजन किया जाता है । आँख के सामने कोई रंगीन फ़िल्टर भी रख लिया जाता है ताकि किसी विशेष रंग के प्रकाश का ही उपयोग काय जा सके । तीव्रताओं की तुलना किसी भी प्रकाशमापी विधि से की जा सकती है किन्तु सबसे सरल विधि यह है कि एक उत्तल लैंस द्वारा उत्तप्त पृष्ठ का वास्तविक प्रतिबिंब प्राप्त किया जाता है और ठीक वहीं लैंप का फ़िलामेट रखा जाता है । जब फ़िलामेंट अदृश्य हो जाए, तब दोनों की तीव्रताएँ बराबर होंगी ।
  • optical pyrometer -- उत्तापमापी, प्रकाशिक
इसमें किसी मानक लैंप के प्रकाश की तीव्रता को घटाकर उत्तप्त पृष्ठ के प्रकाश की तीव्रता के बराबर कर लाय जाता है । तीव्रता का समंजन करने के लिए या तो लैंप के परिपथ में प्रतिरोद को बढ़ाया जाता है या किसी अवशोषक पदार्थ को लैंप के समाने रखकर उसकी मोटाई का समंजन किया जाता है । आँख के सामने कोई रंगीन फ़िल्टर भी रख लिया जाता है ताकि किसी विशेष रंग के प्रकाश का ही उपयोग काय जा सके । तीव्रताओं की तुलना किसी भी प्रकाशमापी विधि से की जा सकती है किन्तु सबसे सरल विधि यह है कि एक उत्तल लैंस द्वारा उत्तप्त पृष्ठ का वास्तविक प्रतिबिंब प्राप्त किया जाता है और ठीक वहीं लैंप का फ़िलामेट रखा जाता है । जब फ़िलामेंट अदृश्य हो जाए, तब दोनों की तीव्रताएँ बराबर होंगी ।
  • optically active -- ध्रुवण घूर्णक
प्रकाश के ध्रुवण-तल का बायीं या दायीं ओर घूर् कर सकने वाला । जैसे दक्षिण ध्रुवण-घूर्णक या वाम ध्रुवण घूर्णक ।
  • optically inactive -- ध्रुवण अधूर्णक
ध्रुवित प्रकाश पर कोई क्रिया प्रदर्शित न करने वाला अथवा ध्रवण - उदासीन । उदाहरणार्थ अनेक पदार्थों के त्रिवम समावयवी रूप ।
  • optics -- प्रकाश विज्ञान
भौतिकी की वह शाखा जिसमें प्रकाश और दृष्टि से संबंधित घटनाओं का अध्ययन होता है । इसके दो भाग हैं - ज्यामितीय प्रकाशिकी और भौतिक प्रकाशिकी । ज्यामितीय प्रकाशिकी का उन घटनाओं से संबंध है जिनकी व्याख्या किरणों के परावर्तन और अपवर्तन के प्रयोगात्मक नियमों के आधार पर की जाती है । इसमें यह भी मान लिया जाता हैकि समांग माध्य में प्रकाश की किरणें सीधी रेखा में चलती हैं । भौतिक प्रकाशिकी में प्रकाश की ऊर्जा को तरंगमय मानकर प्रकाशीय घटनाओं का विवेचन किया जाता है । व्यतिकरण और विवर्तन तथा प्रकाश की उत्पत्ति आदि की व्याख्या जो ज्यामितीय प्रकाशकी के द्वारा नहीं हो सकती, भौतिक प्रकाशिकी के द्वारा हो जाती है ।
  • optics -- प्रकाशिकी
भौतिकी की एक शाखा जिसमें प्रकाश के मापन और गुणधर्मों का अध्ययन किया जाता है । यह अध्ययन प्रायः दृश्य स्पेक्ट्रम तक की सीमित होता है । इसकी निम्नलिखित मुख्य शाखाएँ हैं -
1. जमितीय भौतिकी- देखें geometrical optics.
2. भौतिक प्रकाशिकी (physical optics) जिसमें प्रकाश को तरंग रूप में मानकर, व्यतिकरण विवर्तन, ध्रुवण आदि प्रकाश के उन पहलुओं का अध्ययन किया जाता है जिनका स्पष्टीकरण प्रकाश को ऋजुगामी किरणों के रूप में मानकर नहीं किया जा सकता है ।
3. शरीर क्रियात्मक प्रकाशिकीः जिसमें आँख पर प्रकाश (physiological optics) के प्रभाव और दृष्टि संबंधी अध्ययन किए जाते हैं ।
4. दृष्टि प्रकाशिकी- इसमें व्यक्ति की नेत्र-दृष्टि की क्षमता मापने के लिए प्रकाशीय सिद्धांतों का प्रयोग किया जाता है और दृष्टिदोषों को सुधारने के लिए प्रकाशीय साधनों का उपयोग किया जाता है ।
  • optimization -- इष्टतमीकरण
औद्योगिक, व्यापारिक आदि योजनाओं में कुछ प्रतिबंधों के द्वारा परस्पर संबद्ध पर राशियों की मात्राओं को इस प्रकार चुनने की विधि कि परिणाम सर्वाधिक अनुकूल बनें । उदाहरणार्थ, पण्य - परिवहन में यह निर्धारित करना कि किस डिपों से या किसी संयंत्र से कौन - कौन से समान किसी - किसी ग्राहक के पास भेजा जाए, जिससे कि लाभ अधिकतम हो, अथवा लागत कम से कम हो ।
  • optimum load -- इष्टतम लोड
लोड प्रतिबाधा का वह मान जिस पर स्रोत से लोड के लिए अधिकतम शक्ति स्थानांतरित होती है ।
  • optimum programing -- इष्टतम प्रोग्रामन
कंप्यूटर प्रोग्रामन का एक प्रकार जिसमें अनुदेश और दत्त सामग्री का इस प्रकार संचय किया जाता है कि अभिगम काल अल्पतम होता है ।
  • opto electronic device -- दृष्टि इलेक्ट्रॉनीय यक्ति
एक इलेक्ट्रॉनीय युक्ति जिसमें प्रकाश-ऊर्जा से इलेक्ट्रॉनीय धारा का नियंत्रण होता है । प्रकाश डायोड प्रतिबिंब परिवर्तक आदि इसके कुछ उदाहरण हैं ।
  • opto electronics -- दृष्टि इलेक्ट्रॉनिकी
इलेक्ट्रॉनिकी की एक शाखा जिसमें ऐसी इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों का उपयोग किया जाता है जिनमें प्रकाश - ऊर्जा से इलेक्ट्रॉनीय धारा का नियंत्रण होता है ।
  • OR gate -- OR-ग्रेट / अपि गेट
एक बहु-निवेशी गेट परिपथ जिसका निर्गम उस समय ऊर्जायित होता है जबकि एक या अनेक निवेश निर्दारित अवस्था में आ जाती हैं । इसका उपयोग कीय अभिकलित्रों में होता है । अपि गेट तर्कसंगत अंतर्वेशन -OR का कार्य करता है ।
  • orange chrome -- नांरग-क्रोम
अनेक वर्णकों में से एक जो रक्त-पीत से लेकर गहरे नारंगी रंग के होते हैं । ये सामान्य लेड क्रोमेट और क्षारकीय लेड क रोमेट के विभिन्न अनुपातों में परस्पर मिलने से बनते हैं । ये क्रोम - पीत की भाँति बनाये जाते हैं । इन्हें क्रोम - पीत भी कहते हैं ।
  • orbit -- कक्षा
एक प्रकार का वक्र पथ जो किसी ग्रह अथवा पुच्छल तारे द्वारा सूर्य के बल - क्षेत्र में या किसी कण द्वारा बलक्षेत्र में तय किया जाता है । इस संकल्पना का उपयोग विशेष तौर पर रदरफ़र्ड - बोर परमाणु मॉडल में परमाणु के नाभिक बाह्य इलेक्ट्रॉन के पथ के लिए काय जाता है ।
  • orbit -- कक्षा
1. किसी केंद्रीय बल के प्रभाव के अधीर चलने वाले किसी पिंड या कण की गति का मार्ग, जैसे गुरूप्तवाकर्षण के अधीन सूर्य के चारों ओर चलने वाले किसी ग्रह या धूमकेतु का पथ अथवा ग्रह के गर्द चलने वाले उपग्रह का पथ ।
2. यदि S कोई समुच्चय हो और θ समुच्च्य S पर Sका कोई का एकेकी प्रतिचित्रण हो और a,b ε S के लिए संबंध a=θb की परिभाष b = aθ1 के रूप में दी गई हो (जहाँ i शून्यसहित कोई ऋण या धन पूर्णांक हो) तो यह संबंध एक तुत्यता - संबंध होता है । s ε Sके इस तुल्यता - संबंध द्वारा परिभाषित तुल्यता - वर्ग को θ के अंतर्गत S में s की कक्षा कहते हैं ।
  • orbital electron (shell electron) -- कक्षीय इलेक्ट्रॉन
वह इलेक्ट्रॉन जिसकी नाभिक में अत्यंत समीप पाये जाने की बहुत संभावना रहती है जहाँ वह क्वान्टित कक्षक में विद्यामान रहता है । रदरफ़ोर्ड और बोर के सिद्धांत के अनुसार ऐसे इलेक्ट्रॉन, नाभिक के चारों ओर कक्षा में परिक्रमा करते हैं ।
  • orbital quantum number -- कक्षीय क्वांटम संख्या
संभावित स्थायी अवस्थाओं में से किसी एक अवस्था में किसी परमाण्विक इलेक्ट्रॉन के कोणीय संवेग से संबंधित पूर्णांक जिनमें प्रत्येक अवस्था का संबंध भिन्न पूर्णंक से होता है । देखिए - azimuthal quantum number.
  • orbital quantum number -- कक्षीय क्वांटम संख्या
वह संख्या जो नाभिक के चारों ओर अपनी कक्षा मे गित करने वाले किसी इलेक्ट्रॉन के कोणीय संवेग के बराबर होती है । यह संख्या पूर्णांकों में होती है और इसका मान o से लेकर n-1 तक होता है , जहाँ n मुख्य क्वांटम संख्या दर्शाता है ।
  • orbital theory -- कक्षक-सिद्धांत
कक्षक-सिद्धांत का सूत्रपात 1926 में हुआ था जो श्रोडिंगर की तरंग - यांत्रिकी और हाइजेनवर्ग के अनिश्चितता - सिद्त का संयुक्त रूप है । यह न्यूटनी - यांत्रिकी की अपेक्षा रासायनिक आबंधन में इलेक्ट्रॉन और उसके क्रांतिक भाग की अच्छी तरह व्याख्या करता है । कक्षक - सिद्धांत में इलेक्ट्रॉनों को कण के रूप में न मानकर त्रिविम तरंग माना गया है जो उनके ऊर्जा - स्तरों मे पाई जाती है । कोश में इलेक्ट्रॉन की ठीक - ठीक स्थिति निर्धारित नहीं की जा सकती बल्कि गणित के प्रायिकता - नियमों द्वारा उसकी केवल प्रागुक्ति (prediction) की जा सकती है । कक्षक -स्तर और उनके अंदर इलेक्ट्रॉनों की गति तरंग - फलनों और क्वांटम संख्याओं द्वारा व्यक्त की जाती हैं किसी इलेक्ट्रॉन के नियम आयतन में उपस्थित होने की प्रायिकता अर्थात् एक इलेक्ट्रॉन तरंग फलन का वर्ग उस इलेक्ट्रॉन का कक्ष कहलाता है जो गोलाकार या ढम्बल के आकार का हो सकता है । प्रत्येक इलेक्ट्रॉन का ऊर्जा - स्त्र चार क्वांटम संख्याओं द्वार नियमत किया जाता है । रासायनिक आबंधन, संक्रमण धातु संकुलों, अर्धचालकों तथा ठोस अवस्था भौतिकी (solid state physics)आदि में इस सिद्धांत ने पर्याप्त योगदान दिया है ।
  • orbital velocity -- कक्षीय वेग
1. पृथ्वी या किसी अन्य खगोलीय पिंड के चारों ओर किसी विशिष्ट कक्षा में प्रवेश करने और उसमें बने रहने के लिए उपग्रह या अंतरिक्ष यान का आवश्यक वेग । लगभग 36000 किलोमीटर की ऊँचाई पर पृथ्वी के चारों ओर 24 घंटे के आवर्त काल वाली कक्षा के लिए वेग लगभग 3.2 किलोमाटर प्रति सेकंड है ।
2. परमाणु में नाभिक के चारों ओर विभिन्न कक्षाओं में परिक्रमण करते हुए इलेक्ट्रॉन का वेग ।
  • order -- 1. क्रम 2. कोटि
1. क्रमः किसी विन्यास में अवयवों का पूर्वापर संबंध, जैसे अंकगणितीय संक्रियाओं की किसी परंपरा मे यह व्यवस्था कि पहले कौन - सी संक्रिया की जाए, फिर कौन - सी की जाए आदि ।
2. कोटिः किसी गणितीय तंत्र की किसी विशेषता को सूचित करने वाली कोई संख्या, जैसे किसी सारणिक की कोटि उसकी पंक्तियों अथवा स्तंभों की संख्या को सूचित करती है ।
  • order of a group -- समूह की कोटि
किसी समूह में अवयवों की संख्या को उसकी कोटि कहते हैं । यह अनंत भी हो सकती ह । यदि किसी समूह की कोटि परिमित है तो समूह को परिमित समूह कहते हैं । अन्यथा उसे अनंत समूह कहते हैं ।
  • order of an element in a group -- समूह के किसी अवयव की कोटि
यदि Gएक समूह है औरa ε G तो उस लघुतम धनात्मक संख्या m को a की कोटि कहते हैं जिसके लिए am = e जहाँ eसमूह का तत्समक अवयव है ।
  • order of derivative -- अवकलज की कोटि
किसी अवकलज के संदर्भ में यह सूचित करने वाली संख्या कि आश्रित चर का स्वतंत्र चर के सापेक्ष कितनी बार उत्तरोत्तर अवकलन करने पर यह अवकलज प्राप्त हुआ हो ।
  • order of differential equation -- अवकल समीकरण की कोटि
किसी अवकल समीकरण के उच्चतम अवकलज की कोटि ।
  • order of matrix -- आव्यूह की कोटि
किसी आव्यूह की पंक्तियों और स्तंभों की संख्या को सूचित करने वाली राशि जिसे एक गुणनफल के रूप मे लिखा जाता है । यदि आव्यूह की m पंक्तियाँ और n स्तंभ है तो उसकी कोटि mxn है ।
  • ordinal number -- क्रमसूचक संख्या
यह सूचित करने वाली संख्या कि किसी विन्यास में अमुक अवयव अमुक स्थान पर है, जैसे पहला, दूसरा, तीसरा, इत्यादि । इसके विपरीत एक, दो, तीन आदि गणनसंख्याएँ हैं ।
  • ordinary differential equation -- साधारण अवकल समीकरण
वह अवकल समीकरण जिसमें अधिक से अधिक दो चर और उनमें से एक के सापेक्ष दूसरे का प्रथम अथवा उच्च कोटि के अवकलज आते हों । इसके विपरीत आंशिक अवकल समीकरण में एक से अधिक चर होतेहैं ।
  • ordinate -- कोटि
एक क्षैतिज और एक ऊर्ध्वाधर अक्ष के आधार पर ली गई समतल समकोणिक निर्देशांक पद्धति में किसी बिंदु की क्षैतिज अक्ष से मापी गई लांबिक दूरी । यदि बिंदु क्षैतिज की ऊपर की ओर होता है तब कोटि धनात्मक होती है अन्यथा ऋणात्मक ।
  • organ pipe (music) -- आर्गन पाइप
एक ऐसी नलिका जिसकी वायु में किसी निश्चित आवृत्ति के कंपन हों और जिससे सुस्वर ध्वनि निकले । इसके एक सिरे पर एक मुखिका (mouth piece) होती है जिसमें से वायु फूँकी जाती है और दूसरा सिरा या तो खुला होता है या बंद । इसके कंपनों की आवृत्ति इसकी लंबाई पर निर्भर करती है । आर्गन नामक बाजे में भिन्न-भिन्न स्वर विभिन्न लंबाईयों वाली ऐसी नलिकाओं ही के द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं ।
  • organic base -- कार्बनिक क्षारक
वह कार्बनिक यौगिक जो क्षारकीय अभिक्रिया करता है । यह खनिज अम्लों के साथ अक्सर योगात्मक यौगिक बनाता है । प्रमुख कार्बनिक क्षारक, ऐमीन और नाइट्रोजन परमाणु युक्त अन्य यौगिक होते हैं जिनके साथ शीघ्र प्रतिस्थापनीय हाइड्रोजन परमाणु संलग्न रहते हैं ।
  • origin of coordinates -- निर्देश मूल-बिंदु
समतल या आकाश मे बिंदुओं को निरूपित करन के लिए स्वीकृत किसी निर्देश - तंत्र में अक्षों का प्रतिच्छेद - बिंदु ।
  • Orlean dye -- ऑलीन रंजक
सदाबहार बिक्सा ओरलेना (सिंदूरिया) के बीजों की लुगदी से प्राप्त नारंगी रंग का द्रव्य । इसका उपयोग मक्खन और दूध को रंगने तथा वस्त्रों के वर्णक के रूप मे होता है ।
  • orthicon -- आर्थिकान
एक कैमरा-नलिका जिसमें निम्नवेगीय इलेक्ट्रॉनों का एक किरणपुंज एक ऐसे प्रकाश उत्सर्जक मोजेक का क्रमवीक्षण करता है जो विद्युत् - आवेशों के चित्राम का संचयन कर सके । आर्थिकान की सुग्राहिता आइकाकनोस्कोप की सुग्राहिता से अधिक होती है ।
  • orthocentre -- लंब-केन्द्र
त्रिभुज के तीन शीर्ष बिंदुओं से सम्मुख भुजाओं पर डाले गए लंबों का प्रतिच्छेद - बिंदु ।
  • orthochromatic film -- आर्थोक्रोमेटिक फ़िल्म
एक फ़ोटोग्राफीय फ़िल्म जो स्पेक्ट्रम के हरे तथा नीले रंग के किनारों के लिए सुग्राही होती है ।
  • orthochrombic system -- विषमलम्बाक्ष समुदाय
एक ऐसा क्रिस्टल समुदाय जिसके क्रिस्टलों में परस्पर समकोण बनाने वाले तीन क्रिस्टलीय अक्षहोते हैं तथा प्रत्येक अक्ष की लंबाई भिन्न होती है । इस समुदाय के क्रिस्टलों में द्विगुण सममिति अक्ष होता है जो या तो सममिति के दो तलों का प्रतिच्छेद होता है अथवा दो अन्य द्विगुण अक्षों के लंबवत् सममिति - तल होते हैं । उदाहरणार्थ - α - गंधक, पोटैशियम नाइट्रेट और आयोडीन ।
  • orthogonal function -- लांबिक फलन
यदि वास्तविक फलन f1, f2…...ऐसे हैं कि जहाँ m n तो इन फलनों को परिसर (a,b ) में फलन कहते हैं ।
  • orthogonal matrix -- लांबिक आव्यूह
वास्तविक आव्यूह Aको तब लांबिक आव्यूह कहते हैं जब AT = 1 जहाँ AT आव्यूहA का परिवर्त है और I तत्समक आव्यूह है । यहां पंक्ति - सदिश परस्पर लांबिक होते हैं और स्तंभ सदिश भी परस्पर लांबिक होते हैं ।
  • orthogonal set -- लांबिक समुच्चय
किसी अरिक्त समुच्चय S को किसी समुच्चय T के सापेक्ष तब लांबिक माना जाता है जब किS का प्रत्येक अवयव Tके प्रत्येक अवयव के सापेक्ष लांबिक हो । किसी अरिक्त समुच्चय X के उपसमुच्चय Sको तब लांबिक कहा जाता है जब उसके सदस्य परस्पर लांबिक हों ।
  • orthogonal trajectory -- लंबकोणीय संछेदी
वक्रों के किसी परिवार के प्रत्येक सदस्य को समकोण पर काटने वाला कोई वक्र, जैसे किसी बिंदु से गुजरने वाली रेखाओं के परिवार का संछेदी उस बिंदु को केंद्र मानकर खींचा गया कोई वृत्त होता है ।
  • orthohelium term -- ऑर्थोहीलियम पद
आरंभिक अन्वेषकों का विचार था कि हीलियम परमाणु के स्पेक्ट्रम में त्रिक और एकक रेखाएँ क्रमशः दो प्रकार के हीलियमों अर्थात् ऑर्थोहीलियम और पारहीलियम के कारण हैं । इसलिए हीलियम के त्रिक और एकक पदों अर्थात् समान्तर और प्रतिसमान्तर इलेक्ट्रॉन प्रचक्रण वाले ऊर्जा-स्तरों को क्रमशः ऑर्थोहीलियम पद और पारहीलियम पद कहा जाता है ।
  • orthohydrogen -- आर्थो हाइड्रोजन
सामान्य हाइड्रोजन अणुओं की दोकिस्मों में से एक । ये किस्में नाभिकों के चक्रण पर निर्भर करती हैं । आर्थों हाइड्रोजन में दोनों नाभिकों की प्रचक्रण दिशआ एक ही होती है जबकि दूसरी किस्म में जो पैराहाइड्रोजन कहलाती है दोनों नाभिकों की यह प्रचक्रण दिशा परस्पर विपरीत होती है । सामान्य स्थिति में हाइड्रोजन इन दों किस्मों का एक अपरिवर्ती मिश्रण होता है जिसमें लगभग 75 प्रतिशत आर्थोहाइड्रोजन और 25 प्रतिशत पैरा हाइड्रोजन होती है । हाइड्रोजन की ये दोनों किस्में रासायनिक रूप से सर्वसम हैं परन्तु इनके (गलनांक, क्वथनांक और ऊषअमा चालकता जैसे) भौतिक गुणधर्मों में थोड़ा अंतर होत है ।
  • orthohydrogen -- ऑर्तोहाइड्रोजन
हाइड्रोजन अणु दो रूपों मे पाया जाता है जिसका कारण उसके दोनों परमाणुओं के नाभिकों के प्रचक्रण की दिशा में अतंर है । जब दोनों परमाणु एक ही दिशा में प्रचक्रण करते हैं तो पैराहाइड्रोजन और जब वे विपीत दिशाओं मे प्रचक्रण करते हैं तो ऑर्थोहाइड्रोजन प्राप्त होता है । सामान्य हाइड्रोजन दोनों रूपों का मिश्रण होता है जिसमें सामान्य ताप पर 25 प्रतिशत पैराहाइड्रोजन और 75 प्रतिशत ऑर्थोहाइड्रोजन होती है । शुद्ध पैराहाइड्रोजन बनाने के लिये सामान्य हाइड्रोजन को चारकोल के संपर्क मे बहुत कम ताप पर ठंडा किया जाता है। दोनों रूपों के रासायनिक गुणधर्म समान परन्तु कुछ भौतिक गुणधर्म भिन्न होतेहैं । ऑर्थोहाइड्रोजन की समघूर्णन क्वांटम संख्यायें 0.2,4....होती हैं ।
  • orthosilicate -- ऑर्थोसिलिकेट
1. यह सिलिकेट जिसमें SiO4 समूह होता है । इसमें सिलिकन और ऑक्सीजन का अनुपात 1:4 का होता है ।
2. ऑर्थोसिलिसिक अम्ल का लवण अथवा एस्टर, जैसे एथिल सिलिकेट ।
  • oscillation -- दोलन
1. किसी यांत्रिक, वैद्युत या परमाण्विक तंत्र में किसी चर का आवर्ती परिवर्तन । उदाहरण के लिए प्रत्यावर्ती धारा के आयाम या लोलक के प्रदोलों में होने वाले आवर्ती परिवर्तन ।
2. दोलन का एक पूर्ण आवर्त काल ।
  • oscillation -- दोलन
जिस वस्तु की गति आवर्ती हो उसका एक पूर्ण आवर्तन अर्थात् किसी एक स्थिती से प्रारंभ करके पुनः उसी स्थिति में पहुँचने के बीच की समस्त स्थितियों का अनुक्रम ।
  • oscillator -- दोलित्र
दिष्ट धारा का प्रत्यावर्ती धारा शक्ति में बदलने वाली एक अघूर्ण युक्ति । इसके द्वारा किसी इष्ट आवृत्ति और तरंगाकृति वाले अवमंदित दोलन उत्पन्न और कायम रखे जा सकते हैं । इष्ट आवृत्ति का निर्धारण तंत्र के भौतिक स्थिरांकों द्वारा होता है । मोटे तौर पर दोलित्रों के दो वर्ण हैं?
1. हार्मोनिक दोलित्र और 2. विश्रांति दोलित्र (relaxtion oscillator) । हार्मोनिक दोलित्र लगभग ज्यावक्रीय तरंगाकृति उत्पन्न करते हैं जिसके लिए अनुनादी परिपथ, संचरण - लाइनों के खंड, सूक्ष्मतरंग कोटर अनानादी और दाब - वैद्युत् - क्रिस्टलों का उपयोग किया जात है । विश्रांति दोलित्र प्रायः ज्वावक्रेतर आवृति उत्पन्न करते हैं और हार्मोनिक दोलित्रों से कम स्थायी होते हैं । हार्मोनिक दोलित्रों के दो वर्ग और होते हैं -
1. रैखिक 2. अरैखिक जो प्रचालन की विशेता पर निर्बर रहते हैं । रैखिक दोलित्र लगभग पूर्ण ज्वावक्रीय हार्मोनिक रहित और काफी स्थायी होते हैं जबकि अरैखिक दोलित्र प्रचुर हार्मोनिक वाले और कम स्थायीहोते हैं । दोलित्रों का उपयोग प्रायः सभी रेडियो, दूरदर्शन, रेडार, सोनार र टेलिक्रॉन (telecron) तंत्रों में किया जाता है ।
  • oscillator -- दोलित्र (कंपित्र)
वैद्युत् दोलनों के उत्पादन के लिए कोई यंत्र ।
  • oscillatory circuit -- दोलनी परिपथ
एक प्रकार का विद्युत्-परिपथ जिसमें प्रेरकत्व या धारिता अथवा दोनों तथा प्रतिरोध होते हैं जिनका संबंधन इस प्रकार किया जाता है कि कोई वोल्टता आवेग लगने पर एक आवर्ती व्युत्क्रम धार उत्पन्न होती है ।
  • oscillograph -- दोलन लेखी
एक प्रकार का यंत्र जो एक या अधिक द्रुतपरिवर्ति वैद्युत् राशियों का समय अथवा अन्य वैद्युत् राशइ के फलन के रूप में तत्काल रिकार्ड प्रस्तुत करने के काम आता है ।
  • oscillograph -- आसिलोग्राफ़ (= दोलन लेखी )
कोई साधन अथवा उपकरण जो धारा, विभव अथवा अन्य विद्युत् राशियों के परिवर्तन का लिखित अथवा दृश्य ग्राफ प्रदर्शित करें । इसमें गतिशील तंत्र का जड़त्व नगण्य होता है । इसलिए यह द्रुत उच्चावचनों (fluctuations) का अनुसरण कर सकता है । इसके मुख्य प्रकार ये हैः
1. विद्युत् चुंबकीय दोलन लेखी- अल्प विभव और अल्प आवृत्तियों के लिए उपयुक्त ।
2. स्थिर विद्युत् दोलन लेखी - उच्च विभव (2000 वोल्ट से ऊपर) और निम्न आवृत्तियों के लिए उपयुक्त ।
  • oscilloscope -- दोलनदर्शी
एक प्रकार का उपकरण जो एक या अधिक द्रुतपरिवर्ती वैद्युत राशियों का दृश्य प्रतिबिंब बनान के ले काम आताहै । इन वैद्युत राशियों को समय अथवा अन्य वैद्युत् राशि के फलन के रूप मे दर्शाया जाता है । अधिकतर काम आनेवाले दोलनदर्शियों मे से एक दोलनदर्शी कैथोड किरण दोलनदर्शी है जिसमें कैथोड किरण नलिका का उपयोग किया जाता है । इस दोलनदर्शी में प्रतिबिंब के अभिलेखन की कोई निहित व्यवस्था नहीं हीत जबकि दोलनलेखी में ऐसी व्यवस्था अवश्य होती है ।
  • osculating circle -- आश्लेषी वृत्त
किसी आकाशीय वक्र C के किसी बिंदु P के संदर्भ मे वह समतल जो P पर C को स्पर्श रेखा होकर तथा P से संलग्न उस चर बिंदु P` से होकर जाता है तो सीमांत स्थिति में P से संपाती हो जाए; अरथात् वह समतल जो P परस्पर्श रेखा सदिश T तथा मुख्य अभिलंब सदिश से बनता है, जहाँ S वक्र के अनुदिश दूरी है और शून्य के बराबर नहीं है; यदि शून्य है तो आश्लेषी समतल का अस्तित्व नहीं होता ।
  • osmium -- ऑस्मियम
आठवें वर्ग का संक्रमण धात्विक तत्व । परमाणु - क्रमांक 76, परमाणु भार 1902, प्रतीक Os । यह प्लैटिनम वर्ग का सदस्य है । यह अत्यंत कठोर, भंगुर, नीली - सफेद तथा सबसे अधिक घनत्व वाली धातु है जिसका आ.घ. 24.48है । गलनां 2700द. क्वथनांक 44000 तथा पानी और अम्लों में अविलेय । इसकी रंचना षट्फलकीय धन संकुलित होती है । यौगिकों में इसकी संयोजकता 0-8 तक पाई जाती है । सूक्ष्म विभाजित धातु की अत्यधिक उत्पेरकीय शक्तिहोती है । इस कारम इसका उपयोग हाइड्रोजनकारी उत्प्रेरक के रूप में होता है । इसका उपयोग बिजली के बल्बों के फिलामेंटों और पेन - निबों की नोक में होता है । इसके टेट्राऑक्साइड का उपयोग सूक्ष्मदर्शई - कार्य मे अभिरंजक के रूप मेंहोता है ।
इलेक्ट्रॉन - संरचनाः 1s2 2s2 2p6 3s2 3p6 3d10 4f14 5s2 5p6 5d6 6s2
  • osmoscope -- परासरणदर्शी
कोई परासरणमापी अथवा परासरण को प्रदर्शित करने की युक्ति ।
  • Ostwald`s dilution law -- ओस्टवाल्ड तनुता नियम
किसी विद्युत्-अपघट्य के विलयन में मुक्त आयनों और अवियोजित अणुओं के मध्य साम्य रहता है । ये अवियोजित अणु. अन - आयनित अणु या आयन - युग्म हो सकते हैं । विद्युत् - अपघट्य MAका साम्य इस प्रकार लिखा जा सकता हैः MA <=> M+ + A- जबकी M` तथा A मुक्त आयन तथा MA अवियोजित अंश है । यदि α, विद्युत् - अपघट्य का वियोजन अंश हो जोकि मुक्त आयनों के रूप में विद्युत् - अपघट्य तथा c अणु प्रति लिटर का अनुपात है, तो द्रव्य अनुपाती क्रिया नियम के अनुसार, (Formula) चूँकि विलयन अत्यंत तनु है इसलिए सक्रियता - गुणांकों का मान 1 होगा । अर्थात् (Formula) यह व्यंजक,
ओस्टवाल्ड का तनुता नियम कहलाता है । इस व्यंजक मे वास्तव मे k स्थिरांक नही है क्योंकि सक्रियता गुणांक का परित्याग किया गया है ।
  • Otto cycle -- चक्र, ऑटो
[जर्मन इंजीनियर ऑटो निकोलस (Otto Nicholas) (1832-1891) के नाम पर] अंतर्दहन इंजन के सिलिंडर मे वयु तथा तेल के मिश्रण के दाब और आयतन के परिवर्तनों का ऐसा चक्र जिसमें ऊष्मा का विमय स्थिर आयतन पर होता है । इस चक्र मे चार चरम होते हैं ।
1. चूषण चरण (suction stoke) इसमें वायुमंडलीय दाब पर तेल और हवा का मिश्रण सिलिंडर में भर जाता है ।
2. संपीडन चरण (compression stoke) इसमें स्थिरोष्म संपीडन के द्वारा मिश्रण का आयतन उसके पूर्व आयतन के पाँचवें भाग के बराबर कर दिया जाता है जिससे मिश्रण का ताप लगभग 6000C हो जाता है । तब मिश्रण विद्युत् स्फुलिंग द्वारा स्थिर आयतन पर जलता है जिससे ताप बढ़ कर 2,0000C हो जात है और दाब लगभग 15 ऐटमॉस्फियर हो जाता है ।
3. कार्यकर चरण (working stroke) इसमें मिश्रण के स्थिरोष्म प्रसार से पिस्टन आगे की ओर जोर से ढकेला जाता है और उससे संलग्न मशीन चलती है ।
4. रेचक चरण(exhaust stroke) समें मिश्रण का दाब पहले स्थिर आयतन पर घटता है और तब जली हुई बेकार गैसों को बाहर निकाल दिया जाता है । मोटर - कार का पेट्रोल इंजन इसी चक्र के अनुसार काम करता है । आदर्श ऑटो वक्र की दक्षता 52 प्रतिशत होती है । साधारणतः विक्षोभ (turbulence)त्वरण, ऊष्मा चालन आदि के कारण इसकी दक्षता कम हो जाती है ।
  • output -- निर्गम
1. किसी भी परिपथ, युक्ति अथवा संयंत्र द्वारा प्रदान की गई शक्ति, वोल्टता अथवा धारा ।
2. वे टर्मिनल अथवा अन्य स्थल जहाँ सिग्नल प्रदान किया जात है ।
3. किसी बाह्य युक्ति को कंप्यूटर के आंतरिक संचय से प्राप्त होने वाली सूचना ।
नि
  • output capacitance -- निर्गम धारिता
इलेक्ट्रॉनीय युक्ति के निवेश-टर्मिनल को छोड़कर निर्गत टर्मिनल और शेष सभी परस्पर संबद्ध अन्य टर्मिनलों के बीच लघु परिपथ अंतरित धारिता ।
  • output foctor -- निर्गम - गुणक
किसी कालावधि में वास्तविक ऊर्जा का उस ऊर्जा निर्गत के साथ अनुपात जो कि इस दौरान मशीन या उपस्कर को अपनी पूर्ण अनुमत दर पर प्रचालित करने पर प्राप्त होती है ।
  • output impedance -- निर्गम प्रतिबाधा
वह प्रतिबाधा जो स्रोत से लोड को प्राप्त होती है । अधिकतम शक्ति निर्गम के लिए निर्गम प्रितबाधा और लोड प्रतिबाधा के मध्य परस्पर समानता होनी चाहिए ।
  • output impedance -- निर्गम प्रतिबाधा
किसी विद्युत्-स्रोत द्वारा लोड पर प्रदान की हुई प्रतिबाधा । अधिकतम शक्ति निर्गम के लिए निर्गत प्रतिबाधा का लोड प्रतिबाधा के साथ सुमेल होना चाहिए । वोल्टता - स्पंद - संचार के लिए निर्गत प्रतिबाधा कम और धारा - स्पंद - संचार के लिए अधिक होनी चाहिए ।
  • output transformer -- निर्गम ट्रांसफ़ार्मर, निर्म परिणामित्र
एक लोह क्रोडी a.f. ट्रांसफ़ार्मर जो किसी रेडियो अभिग्राही के निर्गम अथा a.f. प्रवर्धक को इसका लाउडस्पीकर या किसी अन्य लोड से सुमेलन करने के लिए प्रयोग किया जाता है ।
  • over couplling -- अधियुग्मन
वैद्युत् अनुनाद की एक ऐसी स्थिति जिसमें दो अनुनादी परिपथों का समस्वरण एक ही आवृत्ति पर किया जाता है परंतु इनके मध्य युग्मन का मान क्रांतिक युग्मन के मान से अधिक रखा जाता है । इसके परिणामस्वरूप एक समान प्रतिबाधा सहित एक विस्तृत बैंड वाला अनुक्रिया - अभिलक्षण प्राप्त होता है ।
  • overflow -- अधिप्रवाह
1. अंकीय कंप्यूटर की एक स्थिति जबकि अंकीय संक्रिया का परिणाम कंप्यूटर की संख्या निर्देशन - क्षमता से अधिक बढ़ जाता है ।
2. उपर्युक्त स्थिति से उत्पन्न होने वाला हासिल अंक ।अधिकांश उपस्करों मे यह अधिप्रवाह एक सूचक के द्वारा दर्शाया जाता है ।
  • overload -- अधिभार
ऐसा कोई भी भार जो किसी मशीन, ट्रांसफार्मर या अन्य उपकरण के अनुमत निर्गम भार से अधिक हो जाता है । भार - अधिकता की यह मात्रा अनुमत निर्गत की प्रतिशतता के रूप में दर्शायी जाती है ।
  • overload -- अधिभार
ऐसा कोई भी भार जो किसी मशीन, ट्रॉंसफर्मर या अन्य उपकरण से अनुमत निर्गत भार से अधिक हो जाता है । भार - अधिकता की यह मात्रा अनुमत निर्गत की प्रतिशतता के रूप में दर्शायी जाती है ।
  • overload capacity -- अधिभार-क्षमता
विद्युत्-धारा, वोल्टता, शक्ति का एक स्तर जिससे अधिक भार पड़ने पर प्रसंगाधीन युक्ति में स्थायी विकार आ जाता है । यह क्षमता प्रायः अनुमत भार-क्षमता से अधिक होती है ।
  • overload factor -- अधिभार-गुणक
संचार में किसी सिग्नल के अधिकतम मान का सूचक उपकरण के पूर्णमापनी विक्षेप के संगत मान के साथ अनुपात । इसके लिए सिग्नल का विचलन रैखिक प्रचालन से एक डेसिबेल से अधिक नहीं होना चाहिए
  • overload protection -- अधिभार-सुरक्षा
एक ऐसी युक्ति द्वारा अधिक धारा से उपकरण का बचाव जो धारा या वोल्टता के अधिक बढ़ जाने पर स्वतः ही परिपथ का विच्छेद कर देती है ।
  • overring -- अधिवलय
यदि R और R` दो वलय हैं और R का R` में अंतःस्थापन किया जा सकता है तो R` को R का अधिवलय कहते है।
  • overtone -- अधिस्वरक
1. किसी मिश्र स्वरमूल स्वरक से उच्च आवृत्ति वाला स्वरक । जब अधिस्वरक मूल स्वरक का पूर्ण गुणज होता है तब उसके सन्नादी कहते हैं ।
2. अनेक विधाओं (modes) में कंपन कर सकने वाले तंत्र की सबसे कम आवृत्ति की मूल विदा से अधिक आवृत्ति की कोई विधा ।
  • overvoltage -- अधिवोल्टता
कीस नियय दर पर विद्युत्-अपघटन प्रारंभ करने के लिए उत्क्रमणीय इलेक्ट्रोड विभव के अतिरिक्त प्रयुक्त विभव । उदाहरणार्थ, प्लैटिनीकृतइलेक्टर्ड पर हाइड्रोजन का उत्सर्जन, उत्क्रमणीय विभव पर होता है परंतु पारद इलेक्ट्रोड पर हाइड्रोजन का उत्सर्जन तब तक नही होता जब तक लगभग 1 वोल्ट (अधिक ऋणात्मक) अधिवोल्टात प्रुयक्त नहीं की जाती। विद्युत् - रंजन, वैद्युत विश्शेषण, वैद्युत अपचयन,पोलैरोग्राफी इत्यादि में अधिवनोल्टता का बहुत व्यापारिक महत्वहै । इस परिघटना की क्रियाविधि अभी अधिक स्पष्ट नहीं हैं ।
  • owen bridge -- ओवेन-सेतु
चार भुजाओं वाला एक a.c. सेतु जो धारिता और प्रतिरोध के पदों में स्वप्रेरकत्व मापता है । शुद्ध प्रेरकत्व में सेतु का तुलन आवृत्ति पर निर्भर नहीं होता ।
  • Owen bridge -- ओवन सेतु
एक चतुर्भुजीय a.c. सेतु, जिसका प्रयोग स्वप्रेरण को धारिता और परिरोध के पदों में मापने के लिए किया जाता है । यह सेतु संतुलन आवृत्ति पर निर्भर नहीं करता है ।
  • oxidation -- ऑक्सीकरण, उपचयन
आरंभ में ऑक्सीकरण का अर्थ था- आक्सीजन से संयोग करना । बाद में ऋण विद्युती या अधात्विक तत्वों के साथ संयोग को भी ऑक्सीकरण कहा जाने लगा । अब इस शब्द का प्रयोग विस्तृत संदर्भ में किया जाता है । अब ऋण आवेशों या इलेक्ट्रॉनों की हानि के फलस्वरूप किसी आयन या परमाणु के संयोजकता - अंक (valency number) में वृद्धि को भी ऑक्सीकरण कहते हैं । वास्तव मे यह ऐसी रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें किसी पदार्थ के एक या अधिक परमाणुओं में से इलेक्ट्रॉन पृथक् होते हैं, साथ ही उसी अभिक्रिया में अन्य पदार्थ इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर लेते हैं । जिससे उनका उपचयन हो जाता है । इलेक्टर्निक परिबाष के अंतर्गत किसी ऐमीन के चतुष्कन जैसी इलेक्ट्रॉन - स्थानांतरण अभिक्रियायें भी आती हैं जिनमें नाइट्रोजन परमाणु का उपचयन हो जाता है क्योंकि यह एकल इलेक्टर्न युग्म का चौथे ऐल्किल समूह के साथ सहभाजन करता है ।R3N + RX -----> [R4N+] X-उपचयन - प्रक्रमों का कार्बनिक रसायन में अत्यंत महत्व है । उनका उपयोग सांश्लेषिक कार्यों और कार्बनिक अणुओं की संरचना ज्ञात करने के लिए होता है ।
  • oxidation - reduction potential -- उपापचयन विभव
यदि किसी अनाक्रम्य (unattackable) इलेक्ट्रोड को किसी उत्क्रमणीय उपापचयन तंत्र मे निमज्जित काय जाए तो इलेक्ट्रोड पर विभवांतर उत्पन्न होता है । इसे उपापचयन विभव कहते हैं और इसे दूसरे उपयुक्त इलेक्ट्रोड के साथ कीसी विभवमापी से मापा जा सकता है । यह तंत्र के उपचयन या अपचयन होने की प्रवृत्ति का माप होता है । हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड विभव को शून्य मानकर उपचयन विभव व्यक्त किए जाते है। इसे अपचयोपचय विभव (redox potential) भी कहते हैं ।
  • oxidation reduction -- उपापचयन
वह रासायनिक अभिक्रिया जिसमें किसी परमाणु या अणु से एक या अधिक इलेक्ट्रॉन, दूसरे परमाणु या अणु में स्थानांतरित होते हैं ।
  • oxidation reduction cell -- उपापचयन सेल
एक वैद्युत जिसमें विद्युत् ऊर्जा पृथक् विलयनों में अपचायक और उपचायक पदार्थों की परस्पर अभिक्रिया से उत्पन्न की जाती है । इन दोनों विलयनों में इलेक्ट्रोड निमज्जित रहते हैं ।
  • oxonium compound -- ऑक्सोनियम यौगिक
कुछ ऑक्सीजन युक्त कार्बनिक यौगिकों का प्रबल अम्लों या उनके लवणों के साथ बने संकलन - यौगिक या द्विक् यौगिक, जैसे [(CH2)2O.]HCl । ये ऑक्सोनियम आयन, H3O+, से काफी मिलते - जुलते हैं और जलीय विलयनों में प्रोटॉन इसी रूप में पाये जाते हैं ।
  • oxygen -- ऑक्सीजन
छठे वर्ग का एक गैसीय तत्व । परमाणु-क्रमांक 8, परमाणु भार 15. 9998, प्रतीक O । लगभग रंगहीन और गंधहीन पानी में अल्प विलेय, सामान्य दाब और 00 ताप पर 100 आयतन पानी में 5 आयतन ऑक्सीजन घुलते ह। इसे नीले रंग के द्रव्य में द्रवित किया जा सकता है, जो - 1830 पर उबलता है । गलनांक 218.90 । द्रव ऑक्सीजन अनुचुंबकीय पदार्थ है । ऑक्सीजन के तीन समस्थानिक हैं जिनका द्रव्यमान 16, 17 और 18 होता है । सामान्य ऑक्सीजन में 0. 2 प्रतिशत O-18 और 0.04 प्रतिशत O-17 होता है । ऑक्सीजन भू - पपड़ी में सर्वाधिक मात्रा में पाया जात है । यह हवा, पानी, चूने के पत्थर, बालू - पत्थर और अन्य चट्टानों में पाया जाता है । इसे शील ने 1772 में और प्रीस्टले ने 1774 में स्वतंत्र रूप से खोजा था । इसका निर्माण द्रव - वायु के आसवन से किया जाता है । कम मात्रा में प्राप्त करने के लिए पोटेशियम क्लोरेट को मैंगनीज डाइ - ऑक्साइड के साथ गर्म काय जाता है जो उत्प्रेक का काम करता है । धात्विक चांदी और कुछ अन्य धातुयें लगभग 5000 पर ऑक्सीजन का अवशोषण करती हैं जो ठांडा करने पर पुनः प्रपात हो जाती हैं । ऑक्सीजन अनेक तत्वों के साथ ऑक्साइड बनाती है । ऑक्सीजन के अणु मेंदो परमाणु और ओजोन में तीन परमाणु होते हैं ।
  • p-i-n diode -- p-i-n डायोड
सिलिकॉन पटलिका (वेफर) युक्त एक डायोड जिसमें p- प्रकार और n- प्रकार के अपद्रव्य लगभग बराबर होते हैं । इसमें अतिरिक्त n- प्रकार के अपद्रव्य एक ओर से और अतिरिक्त p- प्रकार के अपद्रव्य दूसरी ओर से विसरित हो जाते हैं और इस प्रकार बीच मे एक अल्प मादित नैज स्तर बन जाता है जो - प्रकार और p- प्रकार के प्रदेशों के मध्य एक परावेद्युत् प्राचीर के रूप मे कार्य करता है ।
  • p-n junction -- p-n संधि
ठोस अवस्था युक्ति में एक प्रकार की संधि जहाँ p और n प्रकार के अर्धचालक मिलते हैं । इस प्रकार की संधि का अग्र दिशा में जहाँ p- अर्धचालक n से अधिक विभव पर होता है अल्प प्रतिरोध होता है और पश्च दिशा में अत्याधिक जिसके कारण यह दिष्टकारी केरूप में कार्य करती है ।
  • p-n-junction -- p-n संधि
अर्धचालक से बनी हुई दो टर्मिनल वाली एक युक्ति जिसका निर्माअ एक दिशा की अपेक्षा दूसरी दिशा मे अधिक आसानी से विद्युत् धारा का चालन करने के लिए काय जाता है । निर्माण की प्रक्रिया मे क्रिस्टल का एक सिरा p- प्रकार का अर्धचालक बन जाता है और दूसरा सिरा n- प्रकार का । इसका उपयोग दिष्टकारीक और सौर बैटरियों में खूब हो रहा है ।
  • p-type semiconductor -- p - प्रकार अर्धचालक
एक प्रकार का बाह्य अर्धचालक जिसमें छिद्र घनत्व चालक इलेक्ट्रॉनों के घनत्व से अधिक बढ़ जाता है जिसके फलस्वरूप छिद्र अधिकांश वाहक बन जातेहैं । परिणामी आयनित अपद्रव्य सांद्रण ग्राही प्रकार का बन जाता है ।
  • packing density -- संकुलन सघनतांक
अंकीय कंप्यूटर में अभिलेखन अथवा संचयन माध्यम की प्रति मात्रक लंबाई या क्षेत्रफल मे अंकीय सूचना के मानकों की संख्या । इसका एक उदाहरण चुंबकीय फीते की प्रति मात्रक लंबाई में द्वयंकों की संख्या है । सामान्यतया काम मे आने वाले संकुलन सघनतांक लगभग 8, 220, 320, विट प्रति सेंटीमीटर होते हैं ।
  • packing fraction -- संकुलन गुणांक
यह अपेक्षित है कि परमाणु का द्रव्यमान, उन मूल कणों के द्रव्यमानों के योगफल के बराबर हो जिनसे मिलकर परमाणु बना है । परंतु नाभिक को बांधे रखने के लिए कुछ द्रव्यमान, समीकरण E=mc2के अनुसार ऊर्जा में परिणत हो जाता है । संकुलन - गुणांक, न्यूक्लाइड की द्रव्यमान - क्षति और द्रव्यमान - संख्या का अनुपात होता है ।द्रव्यमान - क्षति, वास्तविक परमाण्विक द्रव्यमान तथा द्रव्यमान - संख्या का अंतर होता है । सबसे हल्के और सबसे भारी तत्वों का संकुलन - गुणांक धात्मक तथा मध्यवर्ती तत्वों का संकुलन - गुणांक धनात्मक तथा मध्यवर्ती तत्वों का संकुलन - गुणांक ऋणात्मक होता है ।
  • packing fraction -- संकुलन गुणांक
नाभिक के यथार्थ परमाण्विक द्रव्यमान M और इसकी द्रव्यमान संख्या A के अन्तर का द्रव्यमान संख्या A के साथ अनुपात (Formula)
संकुलन गुणांक क संकल्पना सर्वप्रथन ऐस्टन ने दी । द्रव्यमान संख्या के एक फलन के रूप मे संकुलन गुणांक का आलेख A = 50 पर निम्न ताप मान दर्शाता है । 16 से लेकर 180 तकत की द्रव्यमान संख्याओं के लिए इसका मान ऋणात्मक ह ता है । इस परिसर के बाहर वाली द्रव्यमान संख्याओं के लिए संकुलन गुणांक का मान धनात्मक होता है । धनात्मक मान अस्थायित्व के सूचक ह। अतः 16> A> 180 वाली द्रव्यमान संख्याओं के समस्थानिक नाभिकीय संलयन और नाभिकीय विघटन के प्रक्रमों मे काम आ सकते हैं । इसका प्रतीक f है ।
  • pair production -- युगल उत्पादन
किसी फ़ोटॉन का युगपतइलेक्ट्रॉन और पॉजीट्रॉन मे रूपांतरण । यह रूपांतरण उस समय होता है जब उच्च ऊर्जा युक्त गामा किरण फ़ोटॉन (>1.02 MeV) नाभिक के चहुँ ओर स्थित प्रबल वैद्युत् क्षेत्र जैसे किसी क्षेत्र में से गुजरता है । चूँकि इलेक्ट्रॉन और पॉजीट्रॉन के आवेश समान परिमाण और विपरीत चिन्ह वाले होते हैं इसलिए इस
घटना में वैद्युत आवेश का संचरण होता है । फ़ोटॉन की ऊर्जा hv का एक अंश 2moc2 उत्पन्न होने वाले इलेक्ट्रॉन - पाजीट्रॉन के युगल के विराम द्रव्यमान (rest mass) में खर्च हो जाता है और शेष hv - 2moc2 इलेक्ट्रॉन - पॉजीट्रॉन की गतिज ऊर्जा के रूप मे प्रकट होता है । युगल उत्पादन उन तीन प्रमुख प्रक्रमों में से एख है जिनके द्वारा फ़ोटॉन, पदार्थ में से इलेक्ट्रॉन का उत्सर्जन करा सकता है । फ़ोटॉन की ऊर्जा 2moc2 से अधिक होने पर युगल उत्पादन का परिक्षेत्र (cross - section), Z और फ़ोटॉन क ऊर्जावृद्धि के साथ - साथ बढ़ता है ।
  • panchromatic film (photographic film) -- पैनक्रोमेटिक फ़िल्म, सार्ववर्णी फ़िल्म
एक फ़ोटोग्राफीय फ़िल्म जो दृश्य स्पेक्ट्रम के अधिकांश वर्णों के लिए सुग्राही होती है ।
  • Paneth adsorption rule -- पैनेथ अधिशोषण नियम
इस नियम के अनुसार रैडियोऐक्टिव तत्व का किसी ठोस पदार्थ द्वारा अदिशोषण हो जाएगा, यदि उस ठोस पदार्थ का ऋणाविद्युती मूलक उस रेडियोऐक्टिव अधिशोषी पदार्थ के साथ अपेक्षाकृत अविलेय यौगिक बनाता हो ।
  • paper chromatography -- कागज वर्णलेखिकी
वह सूक्ष्म वर्णलेकन जिसमें कागज की पट्टियों अखवा शीटों का अधिशोषक के रूप में प्रयोग किया जाता है । इसमें कागज से होकर द्रव का प्रवाह गुरूत्व द्वारा या केशिका - चूषण द्वारा होता है । जिस पदार्थ की पहचान करनी होती है उसके विलयन की एक बूंद कागज के एक सिरे पर रखा दी जाती है । इस सिरे को एक विलायक में डुबा देते हैं जो कागज में बहती हुई आरंभिक बूंद में विद्यमान पदार्थ को वरणात्मक रूप से वितरित करता है । ज्ञात पदार्थों से तुलना कर उस पदार्थ की पहचान की जा सकती है ।
  • paper tape -- कागज फ़ीता
कागज की एक पट्टी जिस पर सूचना को छिद्रों के रूप में कोडित कर देते हैं । छिद्रों का प्रत्येक समुच्चय एक विशिष्ट संप्रतीक दर्शाता है । फीते पर प्रायः 5 से लेकर 8 तक न्यास छिद्र स्थितियाँ होती हैं और उनके साथ - साथ छोटे - छोटे दंत चक्र छिद्रों की एक संतत पंक्ति भी होती है । कागज फीता वाचक फीतेपर सूचना का विकोडन करके उसे कंप्यूटर के लिए प्रदर्शित, संचयित अथवा प्रेषित करता है । कागज फीता -पंच का प्रयोग कागज फीता को तैयार करने के लिए किया जाता है और उसका प्रचालन कुंजी पटल अथवा प्रयोगिक आंकड़े के स्रोत से यांत्रिक विधि द्वारा करते हैं या यह प्रचालन स्वतः कंप्यूटर के निर्गम के रूप में होता है ।
  • parabola -- परवलय
वह शाकव जिसकी उत्केन्द्रता 1 हो । किसी ऐसे बिंदु का बिंदु - पथ जो एक नियत बिंदु तथा एक नियत रेखा से सर्वथा समान दूरी पर रहता हो । कार्तीय निर्देश - तंत्र में इसका मानक समीकरण y2 = 4ax है जहाँ नियत बिंदु x- अक्ष के धनात्मक भाग पर मूल बिंदु से a मात्रकों की दूरी पर है और दी हुई रेखा y- अक्ष के समांतर है और मूल बिंदु से बायीं ओर a मात्रकों की दूरी पर है । लंब वृत्तीय शंकु - पृष्ठ की कीस जनक - रेखा के समांतर समतल से काटने पर अतिपरवलय, दीर्घ वृत्त या वृत्त प्राप्त होते हैं ।
  • parachor -- पैराकोर
किसी यौगिक का पैराकोर निम्न सूत्र से व्यक्त किया जाता है । (Formula) जिसमें r द्रव का पृष्‍ठ - तनाव, M अणुभार, D और dक्रमशः द्रव और वाष्प का घनत्वहै ।
पैराकोर एक योज्य फलन है अर्थात् किसी यौगिक के विभिन्न परमाणुओं और समूहों के पैराकोर - मानों का योग पूरे यौगिक के पैराकोर के बराबर होता है । इस कारण इसकी सहायता से यौगिकों की संयचना ज्ञात की जा सकती ह क्योंकि यदि प्रस्तावित संरचना ठीक हो तो इस संरचना में विद्यमान विभिन्न समूहों के पैराकोरों के ज्ञात मानों से परिकलित मान, प्रयोग द्वारा ज्ञात मान के बराबर होना चाहिए ।
  • parahydrogen -- पैराहाइड्रोजन
आण्विक हाइड्रोजन का एक रूप जिसमें दोनों नाभिकीय चक्रण प्रतिसमांतर होते हैं ।
  • parallax -- पैरेलैक्स
जब दो वस्तुएँ प्रेक्षक से विभिन्न दूरियों पर स्थिति होती हैं और एक ही सीध में दिखाई देती हैं तब नेत्र को एक पार्श्व में थोड़ा-सा हटाने से दूर की वस्तु उसी दिशा में तथा पास की वस्तु विपरीत दिशा में विस्थापित दिखाई देती। इस प्रकार के आभासी विस्थापन को पैरेलैक्स कहते हैं । जब दोनों वस्तुएँ बराबर दूरी पर होती हैं तब पैरेलैक्स नहीं होता । दर्पण लेंस आदि से बने प्रतिबिंबों का स्थान मालूम करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है ।
  • parallax -- लंबन
किसी खगोलीय पिंड को विभिन्न स्थानों से देखने पर उसकी स्थितियों मे अनुभव होने वाला आभासी अंतर । किसी तारे का लंबन उस तारे पर पृथ्वी की कक्षा की माध्य त्रिज्या द्वारा अंतरित कोण होता है ।
  • paralled resonance -- समांतर अनुनाद
वैद्युत परिपथ में होने वाला एक प्रकार क अनुनाद जबकि आरोपित सिग्नल प्रेरणा और धारितायुक्त शाखाओं में समांतर रूप से लगाया जाए । अधिकांश स्थितियों मे समांतर अनुनाद की वही आवृत्ति होती है जो प्रेरण और धारितायुक्त शाखाओं को श्रेणीबद्थ अनुनाद के लिए संबद्ध करने पर प्राप्त होती है । इस स्थिति में प्रेरणिक और धारितीय प्रतिघात अनुप्रयुक्त वोल्टता की आवृत्ति पर बराबर हो जाते हैं जिससे कि समांतर नुनादी परिपत की प्रतिबाधा अधिकतम हो जाती है और इस पर अधिकतम सिग्नल - वोल्टता उत्पन्न हो जातीहै ।
  • paralledepiped -- समांतरषट्फलक
छः समतल फलकों से परिबद्ध वह बहुफलक जिसके आमने - सामने के फलक समांतर हों । इसका प्रत्येक फलक समांतरचतुर्भुज होता है ।
  • parallel -- समांतर
(रेखाएँ, वक्र आदि) जिनकी परस्पर दूरी सदैव समान रहीत हो और जो बढ़ाँ जाने पर भी एक - दूसरे से न मिलें ।
  • parallel connection -- पार्श्व संबंधन
जब विद्युत उपकरण इस प्रकार संबद्ध होते हैं कि उनके संधि स्थल पर पहुँच कर विद्युत् धारा उनमें विभक्त हो जाती है । और यह अंश धाराएँ उनमें से निकल कर पुनः मिल जाती हैं तब वे पार्श्वबद्ध कहलाते हैं ।
  • parallel elements -- समांतर अवयव
1. परिपथ-जालों के संबंध में ऐसे दो सीमांत अवयव जबकि (क) वे एक ही नोड योगल के बीच बँधेहों (ख) एक सीमांत अवयवों की काट करने वाला कोई भी काट सैट दूसरे सीमांत अवयवों की भी काट करे । पहली स्थिति के समांतर अवयवों का उपयोग समांतर अनुनादी परिपथों में किया जाता है और दूसरी स्थिति के उदाहरण केबल के वितरित धारिताएँ हैं ।
2. इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटरों के संबंध में वे अवयव जो (क) दो अथवा अधिक युगपत् प्रक्रमों से संबद्ध हों । (ख) दो अथवा अधिक समान अथवा सर्वसम युगपत् प्रक्रमों से संबद्ध हों । (ग) किसी पूर्ण राशी उदाहरणार्थ किसी संप्रतीक के द्वयंक या किसी शब्द के संप्रतीक के अलग - अलग सुविधाओं द्वारा युगपत् संसाधन करने से संबद्ध हो ।
  • parallel feed -- समांतर भरण
1. कंप्यूटर में छिद्रित कार्डों के भरण का एक प्रकार जिसमें कोई कार्ड हॉपर में इस प्रकार रखा जाता है कि यह कार्ड माला में अपने लंबे सिरे को आगे करके प्रवेश करता है । तुलना करें - serial feed ।
2. किसी इलेक्ट्रॉनीय युक्ति के इलेक्ट्रोडों पर a.c. परिपथ के समांतर d.c. वोल्टता लगाना जिससे कि दिष्ट धारा और प्रत्यावर्ती धारा के घटक भिन्न - भिन्न पथों मे प्रवाहित हों । तुलना करें - series feed ।
  • parallel of latitude -- अक्षांशवृत
किसी स्थान से जाने वाला वह काल्पनिक लघुवृत्त जो भूमध्य रेखा के समांतर हो ।
  • parallel rectifier -- समांतर दिष्टकारी
एक प्रकार का दिष्टकारी जिसमें दो या दो से अधिक समान दिष्टकारियों के ऐनोड एक साथ और कैथोड एक साथ जोड़े जाते हैं जिससे उनकी दिष्ट धाराओं का योग हो जाता है ।
  • parallel transmission -- समांतर संचारण
एक प्रकार का संचारण जिसमें किसी शब्द के संप्रतीकों के बिट अलग-अलग चैनलों या एक ही चैनल की भिन्न-भिन्न वाहक आवृत्तियों पर युगपत प्रेषित किए जाते हैं । यह पद्धति अनुक्रमिक संचारण के विपरीत है ।
  • parallelogram -- समांतरचतुर्भुज
वह चतुर्भुज जिसकी सम्मुख भुजाएँ समांतर हों ।
  • parallelogram of forces -- बल-समांतरचतुर्भुज
यदि किसी बिंदु पर एक साथ दो बल लग रहे हों जो परिमाण और दिशा में किसी समांतरचतुर्भुज की दो आसन्न भुजाओं द्वारा निरूपित किए गए हों तो इन दोनों बलों का परिणामी बल परिमाण और दिशआ दोनों में ही समांतरचतुर्भुज के उस विकर्ण द्वारा निरूपित किया जा सकता है जो उन भुजाओं के प्रतिच्छेद - बिंदु से होकर जाता है । इस समांतर चतुर्भुज को बल - समांतरचतुर्भुज कहते हैं ।
  • parallelogram of velocities -- वेग-समांतरचतुर्भुज
यदि किसी गतिमान बिंदु में एक साथ दो वेग हों जो परिमाण और दिशा में किसी समांतरचतुर्भुज की दो असन्न भुजाओं द्वारा निरूपित किए गे हों तो इन दोनों वेगों का परिणामी वेग परिमाण और दिशा दोनों मे ही समांतरचतुर्भुज के उस विकर्ण द्वार निरूपित किया जा सकता है जो उन भुजाओं के प्रतिच्छेद - बिंदु से होकर जाता है । इस समांतरचतुर्भुज के उस विकर्ण द्वारा निरूपित किया जा सकता है जो उन भुजाओं के प्रतिच्छेद - बिंदु से होकर जाता है । इस समांतरचतुर्भुज को वेग - समांतर चतुर्भुज कहते हैं ।
  • paramagnetic amplifier -- प्राचलीय प्रवर्धक
एक प्रकार का सूक्ष्म-तरंग-प्रवर्धक जिसका मूल अवयव ऐसी इलेक्ट्रॉनीय युक्ति ह ती है जिसका प्रतिघात पंपन-आवृत्ति पर किसी प्रत्यावर्ती वोल्टता द्वारा आवर्ती रूप से बदला जा सकता है । इसका प्रचालन - कक्ष ताप पर होता है और निर्गत आवृत्ति का प्रवेश आवृत्ति से विस्थापन नीहं ह ता । डायोड - प्रवर्धक, लोह चुंबकीय प्रवर्धक इसके उदाहरण हैं । इसे प्रतिघात - प्रवर्धक भी कहते हैं ।
  • paramagnetic compounds -- अनुचुंबकीय यौगिक
वे यौगिक जिनमें अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं , अनुचुंबकीय यौगिक कहलाते हैं । ये यौगिक चुंबकीय क्षेत्र द्वारा आकर्षित होते हैं । अयुग्मित इलेक्ट्रॉन, चुंबक की भांति क्रिया करते हैं, जिनका प्रभाव अणु के सभी युग्मित इलेक्ट्रॉनों के प्रेरित प्रतिचुंबकीय प्रभाव (induced diamagnetism) की अपेक्षा अधिक होता है । अतः अनुचुंबकत्व का उपयोग मुक्त मूलकों को पहचानने के लिए होता है ।
  • paramagnetic material -- अनुचुंबकीय पदार्थ
एक पदार्थ जिसकी पारगम्यता निर्वात की पारगम्यता 1 से कुछ अधिक होती है और जो चुंबकन - बल पर लगभग अनाश्रित होती है । इसके विपरीत लोहचुंबकीय पदार्थों में पारगम्यता चुंबकन - बल के साथ - साथ बदलती है । सभी दुर्लभ मृदा (rare earths) इसके उदाहरण हैं ।
  • paramagnetic resonance -- अनुचुंबकीय अनुनाद
एक प्रकार का अनुनादीय प्रभाव जो चुंबकीय क्षएत्र मे स्थित अनुचुंबकीय पदार्थ पर रेडियो आवृत्ति वेल विद्युत्चुंबकीय विकिरण पड़ने अथवा पदार्थ पर किसी स्थैतिक चुंबकीय क्षेत्र के अभिलंब प्रत्यावर्ती चुंबकीय क्षेत्र लगाने पर प्रेक्षित होता है ।यह अनुनाद विकिरण से ऊर्जा - अवशोषण के दौरान एक गर्त के रूप में देखा जाता है, जबकि
1. चुंबकीय क्षेत्र समांग और स्थिर हो और विकिरम आवृत्ति बदली जाए या
2.विकिरण - आवृत्ति स्थिर हो और चुंबकीय क्षेत्र बदला जाए । यह अनुनाद लारमर - आवृत्ति के अति निकट स्थित आवृत्ति पर होता है । यह आवृत्ति निम्नलिखित सूत्र से प्राप्त होतीहै । (Box)
जिसमें (Formula) जहाँ g लांडे - गुणक है, e इलेक्ट्रॉन का आवेश m इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमानऔर c प्रकाश का वेग है तथाH चुंबकीय क्षेत्र - प्रबलता है ।
अनुचुंबकीय अनुनादि का उपयोग परमाणु, अणु, क्रिस्टल - जालक और परमाणु - नाभिक आदि में ऊर्जा - अवस्थाओं के अध्ययन में किया जात है । नाभिकीय अनुचुंबकीय अनुनाद (NMR) चुंबकीय क्षेत्र - प्रबलता का यथार्थ माप कनरे के काम आता है । इलेक्ट्रॉन अनुचुंबकीय अनुनाद (EPR) परमाणु - संरचना एवं ठोस पदार्थों में ऊर्जा - अवस्ताअध्ययन करने के कामआता है ।
  • paramagnetic substance -- अनुचुंबकीय पदार्थ
ऐसा पदार्थ जो चुंबकीय क्षेत्र मे रखने से चुंबकियजाता है और यदि उसे इस प्रकार निलंबित कर दिया जाए कि वह स्वतंत्रता पूर्वक घूम सके तो उसकी लंबाई बल - रेखाओं के समांतर हो जाती है । इन पदार्थों की चुंबकीय प्रवृत्ति (susceptibility) धनात्मक तथा चुंबकशीलता का मान 1 और 1.001 के बीच में होता है । अल्प तीव्रता वाले क्षेत्रों के कारम सामान्य तथा उच्च तापों पर जो चुंबकत्व इनमें उत्पन्न होता है वह क्षेत्र की तीव्रता का समानुपाती होता हैपरंतु अति तीव्र क्षेत्रों तथा निम्न तापों पर चुंबक संतृप्ति की अवस्था में पहुंचने लगता है ।
  • paramagnetism -- अनुचुम्बकत्व
धनात्मक चुबंकीय प्रवृत्ति वाले पदार्थों का एक गुणधर्म जिसके द्वार ये पदार्थ किसी अनुप्रयुक्त चुंबकीय क्षेत्र की दिशा में चुंबकित तो हो जाते हैं परंतु चुंबकीय क्षेत्र हटाये जाने पर स दैशिक चुंबकन को धारण नहीं कर पाते । इन पदार्थों में ऐसे अणु अथवा परमाणु होते हैं जिनमें अयुगलित इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं जिसके कारण इलेक्ट्रॉनों के प्रचक्रणों से एक परिणामी चुंबकीय द्विध्रुव आघूर्ण प्राप्त ह ता है । अनुचुंबकीय पदार्थों की सापेक्ष चुंबकशीलता निर्वात की चुंबकशीलता अर्थात् 1 से कुछ अधिक होती है और चुंबकन बल पर निर्भर नहीं करती । प्लेटीनम के लिए यह चुंबकशीलता 1.00002 होती हैक्यूरी तापांक से ऊपर सभी लोहचुंबकीय पदार्थ और नील तापांक से ऊपर सभी प्रतिलोहचुंबकीय पदार्थ अनुचुंबकीय हो जाते हैं ।
  • paramagnetism -- अनुचुम्बकत्व
अनुचुंबकीय पदार्थ के परमाणु, आयन या अणु चुंबकीय द्विध्रुवों के स्वरूप होते हैं । चुबंकीय क्षेत्र के नहोने पर ये द्विध्रुव यादृच्छिक रूप से अभिविन्यास्त होते हैं । अतः इन पाद्रथों के बाहर इन द्विध्रुवों के कारम कोई चुंबकीय बल नहीं होता किन्तु चुंबकीय क्षेत्र में रखने से य सब द्विध्रुव धूम कर क्षेत्र की दिशा में अभिविन्यस्त होने का प्रयत्न करते हं किन्तु ऊष्मीय प्रक्षोभ (thermal agtation) तथा परमाणवीय इलेक्ट्रॉनों के प्रतिचुंबकीय प्रभाव के कारम यह अभिविन्यास अधिक नहीं हो पाता ।
  • parameter -- प्राचल
1. गणितीय फलन मे वह स्वेच्छ अचर अथवा चर जिसमें विभिन्न मान देने से किसी व्यापक फलन की विशिष्ट स्थितियाँ प्राप्त हो सकें । इस तरहy = a + bx में a और b प्राचल हैं क्योंकि इनको विशिष्ट मान देने से समीकरण द्वरा निरूपित विशिष्ट सरल रेखाएँ प्राप्त होती हैं ।
2. स्वतंत्र चर जिनके व्यंजकों के रूप मे किसी समीकरण के चरों को व्यक्त किया जा सके ।
3. सांख्यिकी में इस शब्द क प्रयोग प्रायः बारंबारता बंटनों को निर्धारित करने वाले व्यंजकों (समष्टि - प्रचाल) अथवा किसी प्रसंभाव्य स्थिति को निर्धारित करने वाले निर्देशों (समाश्रयण - प्राचल) के अर्थ में होता है ।
  • parametric device -- प्राचलीय युक्ति
एक प्रकार कीइलेक्ट्रॉनीय युक्ति जिसका प्रचालन किसी विशिष्ट प्राचल के काल-परिवर्तन पर आधारित है । यह प्राचल प्रायः प्रतिघात होता है । इसके उदाहरण प्रतिघात-प्रवर्धक, अर्धचालक डायोड प्राचल प्रवर्धक आदि हैं ।
  • parametric equation -- प्राचलिक समीकरण
किसी वक्र अथवा पृष्ठ का वह समीकरण जिसमें वक्र अथवा पृष्‍ठ पर स्थिति बिंदुओं के निर्देशांक एक या एक से अधिक प्राचलों में व्यक्त किए गए हों ।
जैसे, x = a cos θ, y = b sin θ किसी दीर्घवृत्त् का प्राचलिक समीकरण है ।
  • parasitic oscillagtion -- अवांछित दोलन, ऊर्जा ह्यासी दोलन
दोलक अथवा प्रवर्धक-परिपथ मे उत्पन्न होने वाले अवांछित स्वतः जनित क्षणिक आवेग । इसकी आवृत्ति प्रायः याथार्थ प्रचालन - आवृत्ति से अधिक या कम होती है । इसके फलस्वरूप अस्थायित्व, अधिभार और दक्षता - ह्यास जैसे दुष्परिणाम होतेहैं । इसका विरोध एक कंडली और प्रतिरोधक को पार्श्वबद्ध रूप से परिपथ मे लगाकर किया जाता है ।
  • parastic element -- पराश्रयी
एक विकिरक अवयव जो ऐंटेना की भरण-लाइनों से सीधा नहीं जुड़ा होता किंतु दिशिक ऐंटेना - व्यूह के एक अंग के रूप में काम करता है । यह अवयव अपने तक पहुँचने वाली ऊर्जा का इस प्रकार कला - संबद्ध रूप से परावर्तन या पुनर्विकीर्णन करता है कि इससे इष्ट विकिरण चित्राम प्राप्त हो जाता है इसे निष्क्रिया अवयव भी कहते हैं ।
  • parastic supprressor -- अवांछित दोलनरोधी
किसी परिपथ में अवाँछित उच्च आवृत्ति दोलनों की निरोधक युक्ति जिसमें एक कुंडली और प्रतिरोधक पार्श्वबद्ध रूप में होते हैं ।
  • paraxial rays -- उपाक्षीय किरणें
किसी तंत्र के प्रकाशीय अक्ष के निकटवर्ती प्रकाश की किरणें । इन परिस्थितियों के अंतर्गत आपतन - कोण आदि लघु होतेहैं । इन किरणों के लिए गोलीय विपथन उपेक्षणीय माना जाता है । संयुग्मी फ़ोकस संबंध केवल उपाक्षीय किरणों पर ही ठीक - ठीक लागू होते हैं ।
  • parity -- पैरिटी
तरंग फलन का एक सममिति-गुणधर्म । किसी क्वांटम यांत्रिकीय तंत्र को दर्शाने वाले तरंग पलन φ (x,y,z) की पैरिटी उस समय +1 मानी जाती है जबकि निर्देशांकों के चिन्ह बदलने पर भी तरंग फलन अपरिवर्ती बना रहता है अर्थात् φ (x, y, z) = φ (-x, -y, -z)यदि φ (x, y, z) = φ (-x, -y, -z)हो तो पैरिटी - 1 मानी जाती है । निर्देशांकों का चिन्ह बदलना एक प्रकार की आकाशीय परावर्तन - सममिति है जिस नियम के अनुसार वामावर्त और दक्षिणावर्त तंत्रों में कोई मूलभूत भेद नहीं किया जा सकता । β क्षय जैसी दुर्बल अन्योन्य क्रियोँ को छोड़कर सभी अन्योन्य क्रियाओंपैरिटी का संरक्षण होता है । इसका प्रतीक P है ।
  • parsec -- पारसेक
खगोलीय दूरियों के मापन का एक मात्रक । पृथ्वी से किसी तारे की वह दूरी जिस पर तारे का वार्षिक लंबन एक विकला (सेकंड) के बराबर हो । एक पारसेक 3.258 प्रकाश वर्ष अथवा 206,265 खगोलीय एकक अथवा 19,150,000,000,000 मील के बराबर होता है ।
  • partial correlation -- आंशिक सहसंबंध
किसी बंटन में दो विचरों का सहसंबंध जबकि अन्यि विचर नियत मान लिए गए हों ।
  • partial derivative -- आंशिक अवकलज
एक से अधिक स्वतंत्र चर वाले किसी फलन का वह अवकलज जो किसी एक चर के सापेक्ष लिया गया हो और दूसरों को अचरों के रूप में लिया गया हो ।
  • partial differential equation -- आंशिक अवकलज समीकरण
वह अवकल समीकरण जिसमें एक से अधिक स्वतंत्र चर और इन चरों के सापेक्ष आंशिक अवकलज आते हों ।
  • partial fraction -- आंशिक भिन्न
किसी भिन्न के ऐसेउचित भिन्नात्मक खंड जिनका योग दी हुई भिन्न के बराबर हो ।
जैसे () के आंशिक भिन्न () तथा () है क्योंकि
  • particle accelerator -- कण त्वरित्र
इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और परमाण्विक नाभिकों जैसे आवेशित कमों कोअत्यधिक ऊर्जाओं तक त्वरित करने वाली कोई भी मशीन । साइक्लोट्रॉन, बीटाट्रॉन, सिंक्रोट्रॉन, वान डी ग्राफ जनित्र और रैखिक त्वरित्र आधि इसके कुछ उदाहरण हैं ।
  • particular integral -- विशेष समाकल
किसी अवकल समीकरम का वह हल जो किसी अवकल समीकरण के व्यापक हल के समाकलन - अचर को विशेष मान देने से प्राप्त हो ।
  • partition -- विभाजन
किसी धन पूर्णांक n को उससे छोटे धन पूर्णांकों के योग के रूप में व्यक्त करना, जैसे n = n1 + n2 + ….+n1, n के विभाजनों की संख्या को p(n) से निरूपित करते हैं और यह संख्या प्रत्येक धन पूर्णांक के लिए एक नियत संख्या है,
जैसे p (4) = 5, क्योंकि 4 = 4, 4 = 1 + 3, 4=1 + 1 + 2,4 = 1 + 1 + 1,4 = 2 + 2, इन पांच प्रकारों से S का विभाजन हो सकता है ।
  • partition function -- संवितरण फलन
किसी समुच्चय मे अणुओं का विभिन्न ऊर्जा अवस्थाओं में वितरण व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त फलन । गणितीय रूप में (Formula) जहाँ Z संवितरण फलन है, giऊर्जा अवस्था, ei का सांख्यिकीय भार है ,k बोल्टसमान स्थिरांक और T परम ताप हैं तथा योग तंत्र की सभी ऊर्जा अवस्थाओं पर किया गया है ।
  • partition noise -- विभाजन - र व
एक प्रकार का वैद्युत र व जो इलेक्ट्रॉन-नलिका के विभिन्न इलेक्ट्रोडों के मध्य धारा वितरण में यादृच्छिक उच्चावचनों के कारण उत्पन्न होता है । इस विभाजन - रव के कारण ही पेंटोड और टेट्रोड में ट्रायोड की अपेक्षा अधिक रव होता है ।
  • pascal -- पास्कल
दाब का एक पूरक SI मात्रक । यह वह दाब है जो 1 वर्गमाटर के क्षेत्र पर अनुप्रयुक्त समान रूप से वितरित, 1 न्यूटन के बल द्वारा उत्पन्न होता है । इसका प्रतीक Pa है । 1 पास्कल (Pa) = 10-2 मिलीबार
  • Pascal`s principle -- पास्कल - नियम
तरल के दाब से संबंधित एक नियम जिसके अनुसार विराम अवस्था में तरल के किसी बिंदु पर प्रयुक्त दाब तरल के अन्य भागों में बिना क सी हानि के समान रूप से वितरित हो जाता है ।
  • paschen Back effect -- पाशन बैक प्रभाव
ज़ीमान प्रभाव के सदृश्य एक प्रबाव जो केवल इतने अधिक प्रबल चुंबकीय क्षेत्रों पर लागू होता है जिसमें इलेक्ट्रॉनों के कक्षीय और प्रचक्रण कोणीय आघूर्ण क्षेत्र की दिशआ के सापेक्ष अलग - अलग अभिविन्यस्त हो जाते हैं । इस प्रकार से उत्पन्न स्पेक्ट्रमीय रेखाओं का विभक्त चित्राम ज़ीमान प्रभाव द्वारा प्राप्तहोने वाले चित्राम से बिल्कुल भिन्न होता है क्योंकि ये रेखाएँ इलेक्ट्रॉन कक्षकों के ऊर्जा स्तरों के मध्य संक्रमण होने के कारण पैदा होती हैं ।
  • Paschen series -- पाशन श्रेणी
परमाण्विक हाइड्रोजन के उत्सर्जन - स्पेक्ट्रम के अवरक्त क्षेत्र मे रेखाओं की एक श्रेणी । इस श्रेणी में रेखाओं की तरंग संख्या निन्म संबहंध द्वारा व्यक्त की जाती हैः- (Formula)
जिसमें व्युत्क्रम सेंटीमीटरों में तरंग - स ख्या, RH हाइड्रोजन का रिडबर्ग - नियतांक (109,स677,591 से.मी-1) n1 = 3 और n2 के 3 से अधिक अक पूर्णांक मान होते हैं ।
  • paschen`s law -- पाशन - नियम
एक नियम जिसके अनुसार गैस में अपरिवर्ती ताप पर दो समांतर पट्टिका इलेक्ट्रोडों के मध्य भंजन वोल्टता केवल गैस - दाब और इलेक्ट्रोडों के बीच की दूरी के गूणनफल का एक फलन होती है ।
  • passivation -- निश्चेष्टकरण
निश्चेष्ट या निष्क्रिया करना । देखिए - passivity
  • passive component -- निष्क्रिय घटक
एक प्रकार का इलेकट्रॉनीय घटक जो शक्ति-स्रोत के रूप में काम नहीं कर सकता है । प्रतिरोधक, संधारित्र और प्रेरक आदि इसके उदाहरण हैं । इसके विपरत सक्रिया घटक (active component)शक्ति-स्रोत के रूप में काम कर सकता है ।
  • passive component -- निष्क्रिय घटक
विद्युत्-परिपथ का एकऐसा घटक जिसके अंदर कोई ऊर्जा स्रोत नहींहोता । प्रतिरोधक और संधारित्र इसके उदाहरण हैं । तुलना करें active component ।
  • pasteruisation -- पास्तेरीकरण
रोगजक जीवों को मारने के निए किसी पदार्थ की निश्चित ताप पर, निश्चित समय तक गर्म करने का प्रक्रम । विशेषतः दूध के पास्तेरीकरण की दो विधियाँ हैं ।
1. होल्डर विधि- इसमें दूध को 1450F से 1500F पर 30 मिनट तक गर्म कर शीघ्र 550F या उससे कम ताप तक ठंडा किया जाता है ।
2.उच्च तापअल्प अवधि विधि- इसमें दूध को 1620F से अधिकत ताप पर 15 सेकंड तक गर्म कर ठंडा किया जाता है । पास्तेरीकरण की दक्षता फ़ास्फेटेस की उपस्थिति की जाँच करके की जाती है क्योंकि ये नष्ट हो जाने चाहिये । प्रायः इसका प्रयोग पूर्ण रोगाणुनाशन के अतिरिक्त दूध के प्रत्येक प्रकार के ऊष्मा-उपचार के लिये होता है ।
  • Pauli exclusion principle -- पाउली अपवर्जन सिद्धांत
पाउली द्वारा प्रतिपादित एक सिद्धांत जिसके अनुसार किसी तंत्र में दो समरूपी फ़र्मिऑन (अर्थात् 1/2 प्रचक्रण वाले कण ) उन अवस्थाओं में नहीं रह सकते जिनकी सभी क्वांटम संख्याओं का समुच्च्य समान है । यह सिद्धांत इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन आदि फार्मिआनों पर लागू होता है लेकिन फ़ोटॉन, μ मेसॉन आदि बोसानों पर नहीं ।
  • Pauli`s exclusion principle -- पाउली अपवर्जन सिद्धांत
इस सिद्धांत के अनुसार एक ही परमाणु कोई ऐसे दो इलेक्ट्रॉन नहीं हो सकते जिनकी चारों क्वांटम संख्यएँ समान हों ।
  • peak inverse voltage -- प्रतीप शिखर वोल्टता
किसी इलेक्ट्रॉनीय युक्ति के अग्र धारा-प्रवाह की विपरीत दिशा में ऐनोड की अधिकतम तात्क्षणिक वोल्टता ।
  • peak load -- शिखर - लोड
किसी विश्ष्ट समायांतराल मे एक अथवा अनेक एककों के समूह द्वारा उत्पन्न या उपयुक्तअधिकतम वैद्युत शक्ति लोड । यह अधिकतम - तात्क्षणिक लोड अथवा किसी विशिष्ट समयांतराल में अधिकतम औसत लोड हो सकता है ।
  • peak to peak amplitude -- शिखर-शिखर-आयाम
शून्यमान से धनात्मक और ऋणात्मक दिशाओं में किसी प्रत्यावर्ती धारा या वोल्टता के चरम दोलनों का योगफल । ज्यावक्रीय तरंग के लिए किसी भी दिशआ में शिखर - आयाम, शिखर - शिखर - आयाम का आधा होता है ।
  • peak value -- शिखर-मन
विचारधीन समयांतरला के दौरान समय के साथ परिवर्तनशील विद्युत् - धारा, वोल्टता अथवा शक्ति जैसी किसी राशि का अधिकतम तात्क्षणिक मान । ज्या - तरंग के लिए यह मान प्रभावी मान का 1.414 गुना होता है ।
  • pedal triangle -- पदिक त्रिभुज
किसी त्रिभुज के शीर्ष बिंदुओं से सम्मुख भुजाओं पर डाले गए लंबों के पाद - बिंदुओं को मिलाने से प्राप्त त्रिभुज ।
  • Peltier effect -- पेल्टियर का प्रभाव
[फ़ांसीसी भौतिकविद् जे.सी.ए पेल्टियर JeanCharles Athanase Peltier द्वार सन् 1834 में आविष्कृत घटना] जब भिन्न धातुओं के दो तारों से बने परिपथ में विद्युत् धारा प्रवाहित की जाती है तो एक संधि पर ऊष्मा उत्पन्न होती है और दूसरी पर अवशोषित । इस घटना को पेल्टियर प्रभाव क होती हैं । यह प्रभाव जूल तापन (Jouleheating ) अर्थात् विद्युत् धारा के द्वारा प्रतिरोध में ऊष्मा की उत्पत्ति से भिन्न होता है क्योंकिः- (क) यह प्रभाव केवल संधियों पर ही पाया जाता है । (ख) यह धार की दिशा पर निर्भर होता है किसी संधि विशेष पर एक दिशा में धारा प्रवाहित करने पर जिस दर से ऊष्मा उत्पन्न होती है उसके विपरीत दिशआ में प्रवाहित करने पर ऊष्मा का उसी दर से अवशोषण होता है । (ग) उत्पादित अथवा अवशोषित ऊष्मा उस परिपथ में प्रवाहित चार्ज की मात्रा की समानुपाती होती है ।
  • Peltier effect -- पेल्टियर प्रभाव
पेल्टियर द्वारा प्रतिपादित एक प्रभाव, इसमें दो भिन्न धातुओं वाले किसी बंद परिपथ मे धार प्रवाहित करने पर एक संधि पर तो ऊष्मा मुक्त होती है तथा दूसरी संधि पर अवशोषित । यह जैबेक प्रभाव का उल्टा होता है । यह प्रभाव उत्क्रमणीय है अर्थात् विद्युत् धार की दिशा परिवर्तित करने पर गर्म सिरा ठंडा हो जाता है और ठंडा सिरा गर्म । दो धातुओं के मध्य उत्पन्न तापान्तरबहुत अधिक नहीं होता है । परुन्तु अर्धचालक और चालक की संधियों के उपयोग से अधिक तापान्तर उत्पन्न किया जा सकताहै ।
  • pencil of lines -- रेखा - कूर्चिका
किसी दिए हुए बिंदु से होकर जाने वाली रेखाओं का निकाय । दिया हुआ बिंदु कूर्चिका का शीर्ष बिंदु होता है ।
उदाहरणार्थ, रेखाओं 2x + 3y = 0 और x+5-1 = 0 के प्रतिच्छेद - बिंदुओं से होकर जाने वाली रेखा - कूर्चिका के सदस्यों के समीकरण ये हैः h(2x + 2y) + k (x + y - 1) = 0जहाँ h और k दोनोएक साथ शून्य नही होते ।
  • pencil of rays -- किरण कूर्चिका
प्रकाश की किरणों का पतला शंकु या सिलिंडर । किरण कूर्चिका अपसारी, समांतर या अभिसारी हो सकती है । इसकी मध्य किरण उसकी मुख्य किरण समझी जाती है ।
  • pendulum -- लोलक
कोई पिंड जो डोरी द्वारा किसी स्थिर बिंदु से मुक्त रूप से लटका हुआ हो और गुरूत्व तथा संवेग की संयुक्त के कारण आगे-पीछे डोलता हो ।
  • penetration shower -- वेधी वर्षण
अंतरिक्ष किरणों का एक वर्षण जिसमें कुछ या सभी घटक कण अवशोषी पदार्थ में विद्युत् - चुंबकीय विकिरण की वेधन - सीमा से कहीं अधिक दूर तक प्रवेश कर जाते हैं । यह वेधन प्रायः सीसे के 15-20 cm के तुल्य होता है । इस वर्षण के कण प्रायः μ मेसॉनहोते हैं ।
  • pentagon -- पंचभुज
पांच-भुजाओं वाला बहुभुज ।
  • pentode -- पेन्टोड
एक प्रकार का तापायनिक वाल्व या नलिका जिसमें पाँच इलेक्ट्रोड होते हैं । 1. कैथोड
2. नियंत्रक ग्रिड
3. आवरक या अतिरिक्त ग्रिड जिसे लगभग ऐनोड विभव पर रखा जाता है ।
4. निरोधी ग्रिड जिसे लगभग कैथोड - विभव पर रखा जाता है और
5. ऐनोड । इसकी विशेषताएँ एक आवरक ग्रिड वाले टेट्रोड की तरह होती हैं परन्तु इसमें द्वितीयक उत्सर्जनों का निरोध हो जाता है ।
  • penumbra -- उपच्छाया
यदि किसी प्रकाश - स्रोत का साइज अत्यंत छोटा (बिंदुसम) न हो तो उसके प्रकाश के मार्ग मे स्थित किसी अपारदर्शी वस्तु की तीक्ष्ण छाया नहीं बन सकती । छाया के मध्य का पूर्णतया अदीप्त भाग प्रच्छाया (umbra) कहलाता है । और उपच्छाया वह अंशतः अदीप्त भाग होता है जिसमें प्रकाश स्रोत के कुछ भाग से तो प्रकाश पहुँचता है और कुछ से नहीं ।
  • penumbra -- उपच्छाया
1. सूर्य-ग्रहण अथवा चंद्र-ग्रहण में चंद्रमा या पृथ्वी की छाया का वह भाग जहाँ प्रकाश पूर्ण रूप से नहीं छिपता हो और इसलिए आंशिक ग्रहण दिखलाई पड़ता हो ।
2. सूर्य-धब्बे में धब्बे के अदीप्त केंद्र को घेरने वाला आंशिक रूप से अदीप्त किनारा ।
  • percent -- प्रतिशत
हर सौ पर, सौवाँ भागः इसकी प्रतीक % है । किसी राशि के 6% का अर्थ राशि के 6/100 भाग से है ।
  • percent ripple -- प्रतिशत ऊर्मी
ऊर्मि - वोल्टता के वर्ग माध्य मूल का कुल वोल्टता के औसत मान के साथ अनुपात जो प्रतिशतता में व्यक्त किया जाता है ।
  • percentage -- प्रतिशतता
1. सौ को आधार मानकर परिकलित अंश ।
2. अंकगणित का वह अध्याय जिसमें प्रतिशत का विवेचन किया गया हो ।
  • percentile -- शततमक
वे विभाजन मान जो किसी बंटन की कुल बारंबारता को सौ बराबर-बराबर भागों में विभक्त करते हैं ।
  • perfect crystal -- पूर्ण क्रिस्टल
ऐसा एकल क्रिस्टल जिसमें परमाणुओं की व्यवस्था सर्वत्र समान होती है । इसमें तापीय प्रक्षोभ जैसी अपूर्णतायें जिनसे संरचना की नियमित आवर्तता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता उपेक्षित होती हैं ।
  • perfect gas (=ideal gas) -- आदर्श गैस
आदर्श गैस एक सैद्धांतिक धारणा मात्र है । इस गैस के लिए ऐसी कल्पना की जाती है कि इसके अणुओं का द्रव्यमान तो होता है पर उनका आयतन, नगण्य होता है और उनमें किसी प्रकार का पारस्परिक आकर्षण या प्रतिकर्षण नहीं होता । अतः यह गैस वॉयल, चार्ल्स, एवोगैड्रो आदि के नियमों का पूर्णतः पालन करती है ।
आदर्श गैस का अवस्था = समीकरण PV = RT है, जहाँP= गैस का दाब R = गैस नियतांक T = परम ताप V = एक ग्राम अणु गैस का आयतन ।
  • perfect number -- परिपूर्ण संख्या
वह पूर्णांक जो उसके सभी गुणन-खंडों के योग के बराबर होता हैः (स्पष्टतः इन गुणनखंडों मे स्वयं वह संख्या नहीं ली जाती ) । 28 एक परिपूर्ण संख्या है क्योंकि 1 + 2 + 4 + 7 + 14 = 28 ।
  • perfect square -- पूर्ण वर्ग
किसी संख्या राशइ अथवा व्यंजक का पूरा वर्गफल । उदाहरणार्थः 4 एक पूर्ण वर्ग है; a2 + 2ab + b2 ओक पूर्ण वर्ग है क्योंकि यह (a+b)2 के बराबर है ।
  • perfectly black -- पूर्ण कृष्ण
वह रंग जो सभी प्रकाश किरणों के संपूर्ण अवशोषण से प्राप्त होता है ।
  • periasfron -- तारानीच, उपतारक
युग्म-तारों में से किसी एक तारे की कक्षा में वह स्थान जहां यह तारा दूसरे तारे से कम से कम दूरी पर हो ।
  • perigee -- भूमिनीच समूह
चंद्रमा की या पृथ्वी के किसी कृत्रिम उपग्रह की कक्षा का वह बिंदु जो पृथ्वी के केंद्र से कम से कम दूरी पर होता है ।
  • perihelion -- उपसोर
सौर मंडल के किसी भाग ग्रह की सूर्य से निकटतम दूरी की अवस्था । पृथ्वी की यह अवस्था 3 जनवरी को उत्पन होती है ।
  • perihelion -- उपसौर, रविनीच
किसी ग्रह अथवा धूमकेतु की कक्षा का वह बिंदु जो सूर्य के केंद्र से कम से कम दूरी पर होता है । पृथ्वी प्रतिवर्ष पहली जनवरी के आस - पास इस बिंदु पर पहुंचती है ।
  • perimeter -- परिमाप
किसी बंद वक्र (जैसे, वृत्त, दीर्घवृत्त आदि ) की पूरी लंबाई। किसी बहुभुज की समस्त भुजाओं की लंबाइयों का योगफल ।
  • period -- 1. आवर्तकाल 2. आवर्तनांक
1. आवर्तकालः समय की वह अवधि जिसमें कोई आवर्ती घटना एक बार पूरी - पूरी घटती है । जैसे, किसी सरल आवर्त गति का आवर्तकाल; किसी ग्रह की कक्षीय गति का आवर्तकाल आदि ।
2. आवर्तनांकः किसी आवर्ती दशमलव मे उन अंकों की संख्या जो आवृत्त होते हैं । जैसे 19.738415415 में आवर्ती अंक 415 है और आवर्तनांक 3 है ।
  • periodic function -- आवर्ती फलन
वास्तविक रेखा R पर परिभाषित एक ऐसा अचरेतर फलन f कि किसी वास्तविक संख्या w के लिए और R के किसी x केलिए f (x+w+=f(x),w के सबसे छोटे मान को fका आवर्तनांक कहते हैं। sin x एक आवर्ती फलन है जिसका आवर्तनां 2π है । अधिक व्यापक रूप से किसी रैखिक समष्टि X पर परिभाषित ऐसे फलन f को आवर्ती फलन कहते हैं जिसका एक w X हो जिसके लिए F(X + w) = f (x) जहाँx X 1e2 एक आवर्ती फलन है जिसाक आवर्तनां 2π iहै । (प्रायः e2 के आवर्तनांक को 2π iन कहकर 2π कहते हैं ।
  • periodic law -- आवर्त नियम
इस नियम के अनुसार तत्वों के भौतिक और रासायनिक गुणधर्म उनके परमाणु भार के आवर्ती फलन होते हैं अर्थात् यदि तत्वों को उनके परमाणु भार के क्रम में रखा जाए तो उनके गुण धर्म को पुनरावृत्ति नियत क्रम से होती रहती है और समान रासायनिक गुणधर्म वाले तत्व क निश्चित क्रम में मिलते हैं । परमाणु बार के क्रम से तत्वों को रखने पर कुछ विषमताएँ भी दिखाई पड़ती हैं जौ उन्हें परमाणु संख्या के क्रम से रखने पर दूर हो जाती हैं । अतएव आधुनिक युग में इस नियम को इस प्रकार व्यक्त काय जा सकता हैः "तत्वों के अधिकतर गुणधर्म उनकी परमाणु संख्या के आव र्ती फलन होते हैं " ।
  • periodic motion -- आवर्त गति
वह गति जिसमें विस्थापन, वेग और त्वरण निरंतर परिवर्तित होते रहेत हैं और निश्चित अवधि के बाद उनके मान फिर वही हो जाता हैं जो उस अवधि के प्रारंभ में थे और ऐसा बार - बार होता रहता है। ऐसी गति को दोलन या कंपन कहते हैं और समय की उस निश्चित अवधि को आवर्तकाल कहते हैं ।
  • periodic table -- आवर्त सारिणी
नौ (9) स्तंभों की ऐसी सारिणी जिसमें रासायनिक तत्वों को परमाणु भार के क्रम से रखने पर उनका ऐसी वर्गीकरण हो जाता है कि उनके गुणधर्मों में आवर्तता दिखलाई पड़ती है और रसायनतः समान तत्व एक ही ऊर्ध्व स्तंभ में अवस्थित हो जाते हैं । क्षैतिज पंक्तियों में उनके गुणधर्म क्रमानुसार उत्त्रोत्त्र बदलते जाते हैं । इस प्रकार समस्त तत्व नौ (9) वर्गों में विभाजिति हो जाते हैं । सबसे अधिक प्रचलित आवर्त सारिणी मेन्डेलीफ नामक रूसी वैज्ञानिक ने सन् 1869 ई. में. बनाई थी । तत्वों को परमाणु भार के क्रम में र खनेपर कुछ विषमताएँ प्रगट होती हैं परंतु यदि उनको परमाणु क्रमांक की दृष्टि से रखा जाए तो ये विषमताएँ बहुत कुछ दूर हो जाती हैं ।
  • periodic time -- आवर्त काल
1. किसी ग्रह अथवा उपग्रह द्वारा अपने मूल तारे या ग्रह के चारों ओर पूर्ण परिक्रमण करने के लिए आपेक्षित समय ।
2. सरल आवर्त गति में उतना समय जितना कि गतिमान कम या लोलक किसी स्थान से गुजरने के बाद फिर उसी स्थान से उसी दिशा में तथा उसी वेग से गुजरने के लिए लेता हो ।
  • periodic time (= period) -- आवर्त काल
किसी दोलन या कंपन में होने वाले समस्त परिवर्तनों के एक पूर्ण चक्र का काल; अर्थात् वह काल जिसमें विस्थापन, वेग, त्वरण आदि पुनः अपने पूर्व मानों को प्राप्त कर लेते हैं । आवर्त काल T, आवृत्ति f और कोणीय वेग ω निम्न सूत्र द्वारा संबंधित हैं । (Formula)
  • periscope -- परिदर्शी (= पेरिस्कोप)
एक प्रकाश तंत्र जिसके द्वारा किसी दीवार या अन्य अवरोध के दूसरी ओर का दृश्य देखा जा सकता हो । इसमें लेंस समुदाय से युक्त एक ऊर्ध्वाधर नली होती है । नली के दोनों सिरो पर उसके अक्ष से 450 का कोण बनाते हुए दर्पण या पूर्ण परावर्ती प्रिज्म लगे होते हैं । ऊपर का दर्पण या प्रिज्म वस्तु से प्रकाश को परावर्तित करके आंख के समीप स्थित नीचे के दर्पण पर डालता है और इस नीचे के दर्पण से परावर्तित प्रकाश द्वारा दृश्य देखा जाता है । ऊपर वाले दर्पण या प्रिज्म को ऊर्ध्व अक्ष पर घुमाकर चारों ओर का दृश्य देखा जा सकता है । इसका उपयोग जल में डूबी हुई पनडुब्बी में से समदुर्त तल पर स्थित वस्तुओं और जहाजों को देखने के लिए का जाता है ।
  • peritectic point -- परिक्रांतिक बिंदु
जब कोई ठोस-द्रव तंत्र सा यौगिक बनाए जो अपने गलनांक से कम ताप पर वियोजित हो जाता हैतो वह ताप जिस पर उस यौगिक का ठोस रूप, द्विघटक द्रव के साथ किसी एक ठोस घटक के साथ साम्यावस्था मे रहता है ।
  • peritectic system -- परिक्रांतिक तंत्र
एक विशेष प्रकार का ठोस-द्रव प्रावस्था साम्य तंत्र जो सामान्यतया उन द्वि - अंगी मिश्रातुओं में पाया जाता है जिनमें दो घटक एक दूसरे में सीमित परास वाले ठोस लयन बनाते हैं जो द्रव अवस्था में पूर्णतया मिश्रणीय होते हैं । गलनाक्रांतिक तंत्र के विपरीत परिक्रांतिक तंत्र के हिमांक संघटन वक्र में कोई न्यूनतम बिंदु नहीं होता ।
  • permeabillity -- पारगम्यता / चुंबकशीलता
किसी पिंड अथवा माध्यम में चुंबकीय फ्लक्स (Formula) का चुंबकीय क्षेत्र प्रबलता (Formula) के साथ अनुपात (Formula) इसका SI और M.K.S.A. मात्रक हैनरी प्रति मीटर (H/m) है । c.g.s. मात्रक गाउस प्रति औस्टेंड है । c.g.s. प्रणाली में मुक्त आकाश क चुंबकशीलता μo का मान 1 है और SI मात्रकों में 4μ x 10-7 H/m लोह चुंबकीय पदार्थों की चुंबकशीलता बहुत अधिक होती है और इसका मान क्षेत्र - प्रबलता के साथ - साथ बदलता जाता है । यदि किसी पदार्थ की चुंबकीशीलता 1 से कम है तो वह पदार्थ प्रतिचुंबकीय होगा । इसके विपरीत यदि चुंबकशीलता 1 से अधिक है तो वह अनुचुंबकीय होगा । इसका प्रतीक μ है ।
  • permittivity -- विद्युत्शीलता / परावैद्युतांक : निरपेक्ष विद्युत्शीलता
किसी माध्यम द्वारा वैद्युत् फ्लक्स को अपने मे से गुजरने देने की क्षमता । यह वैद्युत् विस्थापन का विद्युत् क्षएत्र की तीव्रता के साथ अनुपात है । इसे फैरड प्रति मीटर (F/m) में व्यक्त करते हैं और इसाक मान 1 से अधिक होता है । इसका प्रतीक ε है ।
  • permittivity -- आपेक्षिक विद्युत्शीलताः
किसी माध्यम की निरपेक्ष विद्युत्शीलता ε का मुक्त आकाश की विद्युत्शीलता εo के साथ अनुपात । यदि इसे संधारित्र के परावैद्युत माध्यम के रूप में विचार किया जाए तो इसे माध्यम का परावैद्युतांक भी कहते हैं । इसका प्रतीक εr है ।
  • permutation -- क्रमचय
1. दी हुई वस्तुओं में से कुछ या सभी का किसी क्रम में विन्यास । n वस्तुओं में से r वस्तुओं को चुनकर विविध क्रमों में रखने से प्राप्त क्रमचयों की संख्या को Pr से निरूपित किया जाता है और इसका मान (Formula) के बराबर है ।
2. एक संक्रिया जिसमें किसी समुच्च्य के प रत्येक सदस्य के स्थान पर उसी समुच्चय के किसी अन्य सदस्य को या स्वयं उसी को इस प्रकार रखा जाता है कि संक्रिया के पहले और बाद के सदस्यों मे सपरस्पर ऐकैकी संगति रहे ।
  • perpendicular -- लंब
किसी रेखा अथवा समतल से समकोण बनाने वाले (समतल, रेखा आदि) ।
  • persistence -- पश्चदीप्ति
1. उत्तेजन के बाद का समयान्तराल जिसके दौरान कैथोड किरण नलिका के पर्दे से प्रकाश उत्सर्जित होता है । पश्चदीप्ति की मात्रा पर्दे के लिए प्रुयक्त फास्फ़ोरस के प्रकार पर निर्भर करती है ।
2. कुछ गैसों में दिखाई देने वाली मंद दीप्ति जो विद्युत् विसर्जन के गुजरने के पश्चात् काफी लंबी अवधि तक कायम रहती है।
  • persistence characteristic -- अनुबंध अभिलक्षण
किसी संदीप्तिशील परदे से संबद्ध एक वक्र रेखा जो उद्दीपन के पश्चात् ज्योतिर्मयता और समय के बीच संबंध बताती है । इसे ज्योतिर्मयता - क्षय - वक्र भी कहते हैं ।
  • personal error -- व्यक्तिक त्रुटि
किसी व्यक्ति-विशेष द्वारा प्रेक्षित प्रत्येक मान में वास्तविक मान से पाया जाने वाला अतंर जो नियमित रूप से पाया जाता और व्यक्ति की शारीरिक या मानसिर विशेषता पर ही नर्भर करता हो ।
  • perturbation -- क्षोभ
किसी खगोलीय पिंड की कक्षा में किसी अन्य पिंड अथवा पिंडों के आकर्षण से उत्पन्न विचलन ।
  • perturbation theory -- क्षोभ सिद्धांत
जटिल तंत्रों के समीकरण को हल करने की एक सन्निकट विधि । इसमें सर्वप्रथम समरूप तंत्र के सरल समीकरणओं को हल कर लेते हैं और फिर प्राप्त हल मे लघु परिवर्तनों के प्रबाव को समावेशित करते हैं । यह विधि चिरसम्मत और क्वांटम यांत्रिकी से संबंधित समस्याओं पर लागू की जा सकती है । अन्य ग्रहों का क्षोभ - प्रभाव किसी ग्रह की कक्षा का अल्प विरूपण कर देता है जिसका परिकलन इस सिद्धांत के द्वारा किया जा सकता है । इसी प्रकार एक परमाणु में किसी इलेक्ट्रॉन की ऊजा पर अन्य इलेक्ट्रॉनों के प्रभाव को भी इसी सिद्धांत द्वारा परिकलित किया जा सकता है ।
  • phantastron -- फैन्टस्ट्रॉन
एक विशेष प्रकर का ट्रिगर-परिपथ जो ट्रिगर-सिग्नल पाने पर किसी समंजनीय और यथार्थ समयांतराल पर तीक्ष्ण स्पंद और लघु रैखिक प्रसर्प-वोल्टताएँ उत्पन्न करने के काम आता है । यह परिपथ स्वचालित (astable), द्विस्थायी और एकल स्थायी अवस्थाओं में रह सकता है । परंतु अधिकतर इनका उपयोग एकल स्थायी अवस्था में काय जाता है । रेडार-तंत्रों में इसका उपयोग द्वारण और प्रसर्प कार्य के लिए किया जाता है ।
  • phase -- 1. कला 2. कोणांक
1. कलाः एक संपूर्ण चांद्रमास में किसी दिन चंद्र-मंडल की पृथ्वी से दिखलाई देने वाली दीप्ति की स्थिति । अमावस्या के दिन चन्द्रमा का अदीप्त भाग पृथ्वी की तरफ है,इसलिए वह अदृश्य है । इसके बाद पूर्णिमा तक चंद्रमा की बढ़ती हुई कलाएं होती हैं और पूर्णिमा के बाद कलाएँ घटती हैं । बुध और शुक्र की भी ये सब कलाएँ होती हैं । अन्य ग्रहों की कलाएँ आधे से कम कभी नहीं होती ।
2. कोणांकः संमिश्र संख्या की निरूपित करने वाला सदिश धनात्मक अक्ष से जो कोण बनाता है उसे कोणांक कहते हैं । उदाहरणार्थ, 3 + 3i का कोणांक 450 है । ध्रुवीय निर्देशांक पद्धति मे किसी बिंदु की ध्रुवांतर रेखा द्वारा ध्रुवीय अक्ष पर बनाया गया कोण उस बिंदु का कोणांक कहलाता है ।
  • phase -- 1. कला, 2. प्रावस्था
1. कला चक्र के मूल बिंदु के सापेक्ष एक प्रत्यावर्ती अथवा किसी अन्य आवर्ती राशि के तरंग आकार पर किसी बिंदु की स्थिति । आमतौर पर इसे डिर्गी (अंशों) मे व्यक्त करते हैं और एक पूर्ण चक्र को 3600 द्वारा प्रदर्शित किया जाता है ।
2. प्रावस्थाः किसी तंत्र का एक समांग और भौतिक रूप से सुस्पष्ट भाग जो निश्चित सीमा वाले पृष्ठों द्वारा तंत्र के अन्य भागों से पृथक् होता है । उदाहरणार्थ - बर्फ के विभिन्न क्रिस्टलीय रूप, जल और जलवाष्प जलतंत्र की प्रावस्थाएँ हैं ।
  • phase -- कला
किसी आवर्त प्रक्रम या गति के विकास की स्थिति अथवा आवर्त काल का किसी वशेष क्षण से नापा हुआ अंश जो उस स्थिति को प्रगट करता हैं । सरल आवर्त गति को हम निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त करते हैं । (Formula) जिसमें A आयाम है और Tआवर्त काल और आदि कोण (epoch angle) । इस समीकरण में (Formula) को कला कोण कहते हैं । कला इसी कोण द्वारा नापी जाती है ।
  • phase angle -- कला कोण
1. आवर्ती फलन का एक कोण जो कला को 2 से गुणा करने पर प्राप्त होता है, यदि इस कोण को रेडियन में अभिव्यक्त काय जाए । डिर्गी मे अभिव्यक्त करने के लिए यह कोण कला को 3600 से गुणा करने पर प्राप्त होता है ।
2. प्रत्यावर्ती वोल्टता और इसके कारण उत्पन्न होने वाली धारा जैसी उन दो सरल आवर्ती राशियों को दर्शाने वाले सदिशों के बीच का कोण जो ज्वावक्रीय रूप मे बदलता है और जिनकी आवृत्ति समान परंतु कला भिन्न होती है ।
  • phase angle -- कला-कोण
किसी क्षण पर किसी ग्रह को पृथ्वी से मिलाने वाली काली रेखा और उसे सूर्य से मिलाने वाली रेखा के बीच के कोण और एक ऋजुकोण का अनुपात । यह ग्रह के पृथ्वी के सामने वाले अर्धभाग के उस अंश का अनुपात है जो अदीप्त है ।
  • phase constant -- कला-नियतांक
किसी ऐसी विद्युत् लाइन अथवा माध्यम के लिए एक अनुमतांक जिसमें होकर एक विशिष्ट आवृत्ति वाली समतल तरंग का संचारण हो रहा हो । यह संचरणांक का अधिकल्पित अंश होता हैं और संचरण की दिशा में क्षेत्र अवयव या वोल्टता अथवा धारा की कला का दूरी के साथ - साथ ह्यस दर्शाता है । इसका माप रेडियन प्रति मात्रक लंबाई है । संचरणांक का वास्तविक अंश क्षीणता - नियतांक कहलाता है ।
  • phase converter -- कला-परिवर्तित्र
एक प्रकार का वैद्युत् परिवर्तक जो a.c. शक्ति-स्रोत में आवृत्ति का परिवर्तन किए बिना ही कलाओं की संख्या बदल देता है ।
  • phase corrector -- कला-संशोधक
कला-विकृति का संशोधन करने वाला एक विद्युत्-परिपथ-जाल ।
  • phase delay -- काल-विलंब
किसी तंत्र में एक बिंदु से दूसरे बिंदु पर एकल आवृत्ति-तरंग का स्थानांतरण होने पर उत्पन्न होने वाला अतिलघु काल-विलंब इसे प्रायः कुल कला विस्थापन और आवृत्ति के बीच के अनुपात के रूप में व्यक्त किया जाता है ।
  • phase detector -- कला संसूचक
एक विद्युत्-परिपथ जो ऐसी d.c. निर्गत वोल्टता प्रदान करता है जिसका संबंध दोलित्र - सिग्नल और एक संदर्भ - सिग्नल के कालांतर के साथ होता है।
  • phase diagram -- प्रावस्था आरेख
अनेक प्रावस्थाओं के मध्य साम्यावस्था दर्शाने वाला कोई आरेख । एक घटक - तंत्रों मे दाब - ताप आरेख का तथा दो घटक तंत्रों में संघटन - ताप (दाब स्थिर) आरेख अथवा संघटन - दाब (ताप स्थिर) आरेख का प्रयोग किया जाता है ।
  • phase difference -- कलांतर
समान आवर्ती काल वाले दो ज्यावक्रीय फलनों के बीच का अंतर जिसे डिग्री में व्यक्त किया जाता है ।
  • phase difference -- कलांतर
दो सरल आवर्त गतियों को यदिहम (Formula) द्वारा व्यक्त करें तो किसी क्षण t पर उनका कालांतर (Formula) होगा । जब इस कालांतर का मान 0 होता है तब दोनों गतियों की कलाएं समान कहलाती हैं और जब कलांतर का मान या 1800 होता है तब कलाएं विपरीत कहलाती हैं ।
  • phase discriminator -- कला विविक्तकर
कलाओं को अलग-अलग करने की इलेक्ट्रॉनीय युक्ति जिसमें कला चरों की अनुक्रिया के कारण निर्गत आयाम चरों का निर्माण होता है ।
  • phase distortion -- कला-विरूपण
देखें -phase frequency distortion.
  • phase frequency distortion -- कला-आवृत्ति-विरूपण
1. संचरण के लिए आवश्यक आवृत्ति-परिसर में कला-विस्थापन और आवृत्ति के बीच समानुपात की कमी । इसे कला-विकृति भी कहते हैं ।
2. संचरित सिग्नल पर उपर्युक्त विचलन का प्रभाव ।
  • phase inverter -- कला-प्रतीपक
एक परिपथ या युक्ति जो किसी सिग्नल की कला में 1800 का अंतर कर देती है या किसी स्पंद की ध्रुवता बदल देती है । इसका उपयोग प्रायः कर्षापकर्षी प्रवर्धक के एक पद का भरण करने के लिए किया जाता है ।
  • phase lag -- प्रावस्था पश्चता
निर्गत तरंग के सापेक्ष निवेश तरंग का कला - कोण (Formula) अथवा निर्गत तरंग के अंतिम कला - कोण के सापेक्ष निर्गत तरंग का प्रारंभिक कला - कोण (Formula)
  • phase lead -- प्रावस्था अग्रता
निवेश-तरंग के सापेक्ष निर्गत तरंग का कला-कोण (Formula) अथवा निर्गत तरंग के प्रारंभिक कला-कोण के सापेक्ष निर्गत तरंग का अंतिम कला-कोण (Formula) ।
  • phase modulation -- कला मॉडुलन
दूर संचार में काम आने वाल एक प्रकार का मॉडुलन जिसमें वाहक तरंग की कला का परिवर्तन किया जाता है जबकि वाहक तरंग का आयाम अपरिवर्ती रहता है । कला का यह परिवर्तन मॉडुलन सिग्नल की आवृत्ति पर वाहक तरंग के अमॉडुलित मान के ईर्द - गिर्द किया जात ह जिसकी मात्रा मॉडुलक सिग्नल के आयाम की समानुपाती होती हैं ।
  • phase rule -- प्रावस्था नियम
गिब्ज द्वारा प्रस्तुत नियम जो इस प्रकार है - "यदि प्रावस्थाओं की संख्या P स्वतंत्रता कोटि की संख्या F तथा घटकों की संख्या C हो तो, P + F + C +2 " यह नियम विषमांगी साम्यावस्थाओं के अध्ययन में उपयोगी निर्देशक का कार्य करता है । इस नियम का प्रयोग मिश्रातुओं, निष्कर्षण, लवणशोधन आदि उद्योगों में प्रचुरता से किया जाता है ।
  • phase shifter -- कला-विस्थापन-जाल
एक इलेक्ट्रॉनीय युक्ति जिसमें निर्गत वोल्टता (या धारा) का इस प्रकार समंजन किया जा सकता है कि निवेश - वोल्टता (या धारा) के साथ इसका कोई इष्ट कला - संबंध हो ।
  • phase space -- प्रावस्था समष्टि
एक बहुविमीय आकाश जिसमें किसी तंत्र की अवस्था को निर्धारित करने वाले चर निर्देशांकों द्वारा व्यक्त किये जाते हैं । एक कण के लिए प्रावस्था समष्टि छः विमीय आकाश को दर्शाती है जिसमें तीन स्थिति की विमाएँ और तीन संवेग की विमाएँ होती हैं । n कणों के लिए प्रावस्था समष्टि में 6n विमाएँ होती हैं ।
  • phase velocity -- कला वेग
किसी माध्यम मे तरंग के श्रृंग या गर्त या अन्य किसी कला के संचरण का वेग λ/T के बराबर होता है जबकि λ तरंग दैर्ध्य और T आवर्त काल । सामान्यतः इसी को तरंग का वेग कहते है।
  • phase velocity -- कला वेग
किसी माध्यम मे तरंग के श्रृंग (crest) या गर्त (trough) या अन्य किसी कला के संचरण का वेगः यह λ/t के बराबर होता है जबकि λ = तरंग दैर्ध्य और T = आवर्त काल । सामान्यतः इसी को तरंग का वेग कहते हैं ।
  • phase velocity -- कला वेग
विद्युत्चुंबकीय तरंग में किसी निश्चित कला वाले बिंदु का तरंग संचरण की दिशा में वेगतरंग-पथक में कला-वेग तरंग-वेग से अधिक हो सकता है ।
  • phasing -- कला-समंजन / चित्र-समंजन
दूरदर्शन में क्रमवीक्षण लाइन के साथ - साथ चित्र स्थिति का समायोजन ।
  • phasitron -- फैज़िट्रॉन
विशेष प्रकार की बनी हुई एक नलिका, जिसमें उच्च आवृत्ति इलेक्ट्रॉन-धारा का मॉडुलन करने के लि‍एएक ही घूर्णी विद्युत् क्षेत्र का उपयोग किया जाता है ।
  • phonon -- फ़नान / ध्वि क्वांटम
क्रिस्टलीय जालक मे प्रत्यास्थ कंपनों का क्वांटम । इसकी ऊर्जा hv के बराबर होती है, जहाँ h प्लांक नियतांक और v कंपन आवृत्ति है ।
  • phosphor -- संदीपक
स्फुदीप्ति, (phosphorescence) प्रतिदीप्ति (fluorescence) संदीप्ति (luminescence) वाला कोई भी पदार्थ इलेक्ट्रॉन बमबारी के दौरान इस पदार्थ से प्रतिदीप्ति और बमबारी के पश्चात स्फुरदीप्ति उत्पन्न होती है । इसाक उपयोग कैथोड - किरण - नलिकाओं के दर्शक परदे पर लेप के रूप में किया जाता है ।
  • phosphor bronze -- फ़ास्फॅर कांसा
ताम्र, टिन और फ़ॉस्फोरस की एक मिश्र धातु । इसके विशेष प्रत्यास्थ गुणधर्म और वैद्युत् चालकता के कारम इसका उपयोग स्विच और रिले की सम्पर्क कमानियाँ (स्प्रिंग), गैल्वेनोमीटर की निलंबन बालकमानी(hair spring) आदि बनाने मे किया जाता है । इस मिश्रधातु का विशिष्ट संघटन निम्नलिखित हैः 90 प्रतिशत ताँबा 9.7 प्रतिशत टिन और 0.3 प्रतिशत फॉस्फोररस
  • phosphorescence -- स्फुरदीप्ति
एक प्रकार की संदीप्ति जिसमें लघुतर तरंग दैर्ध्य वाले विकिरण जैसे किइलेक्ट्रॉन किरणपुंज, पराबैंगनी प्रकाश, अथवा ऐक्स - किरणों द्वारा उत्तेजन होने के पश्चात् 10-8 sया इससे अधिक समय तक प्रकार का उत्सर्जन जारी रहता है । इसे पश्चदीप्ति भी कहते हैं । परन्तु उत्तेजन के दौरान होने वाले प्रकाश के उत्सर्जन को प्रतिदीप्ति कहते हैं ।
  • phosphorescence -- स्फुददीप्ति
कैलसियम सल्फाइड आदि जैसे कुछ ठोस पदार्थों को प्रकाश (विशेषतः पराबैंगनी - प्रकाश ) में रखने के बाद उनसे प्रकाश का उत्सर्जन होता है । इस प्रकाश उत्सर्जन की जो उत्तेजक प्रकाश के हटा लेने के बाद बी काफी समय तक होता रहता है, स्फुरदीप्ति कहते हैं । इसकी अवधि 106 सेकंड से कई घंटों तक की होती है ।
  • phot -- फ़ोट
प्रदीप्ति की तीव्रता का मात्रक । यह एक ल्यूमेन प्रतिवर्ग सेंटीमीटर के बराबर होता है ।
  • photo - polymerisation -- प्रकाश बहुलकीकरण
प्रकाश के प्रबाव में हनोने वाली मुक्त मूलक बहुलकीकरण अभिक्रियायें । इनमें विकिरण - क्वांटम के अवशोषण द्वारा उत्पन्न मुत मूलक के कारण श्रृंखला - अभिक्रिया आरंभ होती है । उदाहरणार्थ, ऐन्थ्राक्सीन का प्रकाश के प्रभाव में डाइऐन्थ्राक्सीन में बदल जाना ।
  • photo cell (=photo electric cell) -- फ़ोटो सेल (= प्रकाशविद्युत् सेल)
प्रकाश ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करने का साधन । यह एक निर्वात नलिका होता है जिसमें दो इलेक्ट्रोड होते हैं । इसके कैथोड पर सीज़ियम ऑक्साइड जैसे किसी प्रकाश सुग्राही पदार्थ का लेप होता है । जब कैथोड पर प्रकाश पड़ता है तो उसमें से इलेक्ट्रॉन निकलते हैं और धनविभव वाले ऐनोड द्वारा आकर्षित होते हैं । इस प्रकार नलिका में एक सूक्ष्म विद्युत् - धारा चलने लगती है ।
  • photo electric effect -- प्रकाश वैद्युत प्रभाव
(सन् 1887 में हर्ट्स (Hertz) द्वारा आविष्कत कुछ पदार्थों, विशेषताया धातुओंके पृष्ठों पर दृश्य प्रकाश, पराबैंगनी या ऐक्स किरणों के पड़ने पर उनमें से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होते हैं । इन्हें प्रकाश इलेक्ट्रॉन (photo electron) तथा इस घटना को प्रकाश विद्युत् प्रभाव कहते हैं । किसी पृष्ठ विशेष के लिए प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की गतिक - ऊर्जा, प्रकाश की आवृत्ति की समानुपाती होती है । प्रकाश की तीव्रता का इस गतिक ऊर्जा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता । प्रकाश की तीव्रत बढ़ाने से केवल उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़तीहै । प्रत्येक धातु के लिए आपाती प्रकाश की एक न्यूनतम आवृत्ति होती है इससे निम्न आवृत्ति वाला प्रकाश उस धातु से प्रकाश इलेक्टर्न उत्सर्जित नहीं कर सकता । यह न्यूनतम आवृत्ति प्रकाश विद्युत् देहली (photo electric threshould)कहलाती है । इस घटना की व्याख्या प्रकाश के तरंगवाद के आधार पर नहीं की जा सकती क्योंकि यदि यह माना जाए कि प्रकाश तरंग के रूप में चलता है तब प्रकाश की तीव्रता बढ़ाने के आयाम और तदनुसार उसकी ऊर्जा को बढ़ाना चाहिए ।
  • photo emmissive cell -- प्रकाश-इलेक्ट्रॉन-उत्सर्जक सेल
एक प्रकार का प्रकाश-विद्युत्-सेल जिसमें प्रकाश-किरणपुंज की ऊर्जा किसी धात्विक पृष्ठ से इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन करती है और सेल का निर्गम एक अत्यंत अल्प विद्युत्-धारा के रूप में होता है ।
  • photo meson -- फोटॉनज मेसॉन
गामा किरण अथवा अन्य उच्च ऊर्जा वाले फोटॉन के आपतन के फलस्वरूप किसी परमाण्विक नाभिक से उत्क्षिप्त (ejected) एक कण ।
  • photo nuclear reaction -- प्रकाश नाभिकीय अभिक्रिया
फ़ोटॉन द्वारा प्रेरित नाभिकीय अभिक्रिया । इसमे उच्च ऊर्जा वाले फ़ोटॉन जैसे कि गामा किरण अथवा ऐक्स - किरण फ़ोटॉन नाभिक से टकराते हैं जिसके फलस्वरूप नाभिक का विघटन हो जाता है । कुछ स्थितियों में फ़ोटॉन न्यूट्रॉन अथवा प्रोटॉन से टकराता हुआ प्रतीत होता है । कुछ अन्य अवस्थाओं में ऐसा मालूम पड़ता है कि सर्वप्रथम नाभिक फ़ोटॉन का अवशोषण करता है और फिर उच्च ऊर्जा प्राप्त कर लेने के बाद इसका विघटन होता है । कभी - कभी विखंडन की अभिक्रिया भी पायी जाती है ।
  • photocathode -- प्रकाशिक कैथोड
एक प्रकार का सुग्राही पृष्ठ जिस पर प्रकाश या अय उपयुक्त विकिरण पड़ने पर इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन होता है । इसका उपयोग प्रकाश - नलिका, दूरदर्शन, कैमरा - नलिका और अन्य सुग्राही युक्तियों मे किया जाता है ।
  • photochemical reaction -- प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया
प्रकाश द्वारा प्रेरित अभिक्रियायें । प्रयुक्त प्रकाश, दृश्यअथवा पराबैंगनी हो सकता है तथा अभिक्रिया को आरंभ करने के लिए अभिकारी अणुओं को, प्रकाश - क्वांटम के अवशोषण द्वारा उच्च ऊर्जा पर ले जाया जाता है । सामान्यतया ये मुक्त - मूलक प्रक्रम होते हैं । प्रकाश रासायनिक अभिक्रियाओं का उपयोग कार्बनिक यौगिकों के बहुकलन, समावयीकरण और पुनर्विन्यास के लिए होता है । तंत्रों कोसूर्य के प्रकाश या पराबैंगनी प्रकाश -स्रोत के सामने रखने से ये अभिक्रियाएँ की जाती हैं ।
  • photoconduction -- प्रकाशिक चालन
सिलिन्यम आदि कुछ पदार्थ अंधेरे में विद्युत् कुचालक होते हैं । किन्तु प्रकाश के प्रभाव में सुचालक बन जाते हैं । इस परिघटना को प्रकाशिक चालन कहते हैं । इसका कारम प्रकाश के प्रबाव में सिलीनियम से इलेक्ट्रॉनों का मुक्त होना है । इसेक्ट्रॉनों की मुक्त गति के फलस्वरूप चालकता बढ़ जाती है ।
  • photoconductive cell -- प्रकाश चालकीय सेल
एक प्रकार का प्रकाश विद्युत सेल जिसमें प्रकाश की तीव्रता से विद्युत्प्रतिरोध का परिवर्तन होता है । इस सेल मे काँच की एक प्लेट पर दो इलेक्ट्रोडों के बीच सेलिनियम, धात्विक ऑक्साइड या ऐसे ही किसी अन्य पदार्थ का पतला लेप होता है ।
  • photodecomposition -- प्रकाशिक अपघटन
प्रकाश आदि विकिरण-ऊर्जा द्वारा होने वाला रासायनिक अपघटन । देखिए- photolysis.
  • photodimerization -- प्रकाश-द्वितयन
किसी परमाणु या समूह के पृथक हुए बिना, दो समान अणुओं के संयोग से किसी यौगिक का बनना द्वितयन कहलाता है । उदाहरणार्थ, एथिलीन के द्वितयन से ब्यूटिलीन प्राप्त होता है । 2HC2 = CH2 CH2 = CH - CH2 - CH3 प्रकाश द्वारा उत्प्रेरित द्वितयन को प्रकाश - द्वितयन कहते हैं । उदाहरमार्थ, C6H5CH=CHCOOH प्रकाश C6H5 - CH - CHCOOH HOOC - CH - CHC6H5सिनेमिक अम्ल ट्रक्सिलिक अम्ल
  • photodissociation -- प्रकाशिक वियोजन
किसी अणु द्वारा विकिरण-क्वांटम का अवशोषण करन पर उसका छोटे - छोटे अणुओं या परमाणुओं मे वियोजित हो जाना । उदाहरणार्थ, ऐसीटोन प्रकाश का अवशोषण कर मेथिल मूलकों और कार्बन मोनोऑक्साइड में विभक्ति हो जाता है । (CH3)2 CO -> 2CH2 + CO प्रकाश द्वारा प्रेरित ऐसे वियोजन को प्रकाशिक वियोजन कहते हैं ।
  • photoelectric cell -- प्रकाश विद्युत् सेल
जब कुछ तत्वों, विशेष रूप से क्षार-धातुओं को उपयुक्त तरंग दैर्ध्य वाले प्रकाश के प्रभाव में रखा जाता है तो इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होते हैं । उत्सर्जन की तीव्रता, आपतित प्रकाश की तीव्रता के समानुपाती होती है । इस प्रक्रम को विद्युत् प्रभाव कहेत हं । यह प्रक्रम प्रकाश की तीव्रता को मापने में प्रयुक्त यंत्र का आधार हो सकता है जिसे प्रकाश विद्युत् सेल कहते हैं । यह मुख्यतः निर्वातित कांच का बल्ब होता है जिसके भीतरी पृष्ठ के कुछ भाग पर सीलियम आदि किसी उपयुक्त पदार्थ का लेप होता है । बल्ब के बीच में एक वद्युत्रोधी इलेक्ट्रोड के बीच के निर्वातित स्थान में प्रवाहित होने वाली विद्युत्धारा की प्रबलता आपतित विकिरण (प्रकाश ) की तीव्रता का माप होता है ।
  • photoelectric cell -- प्रकाश वैद्युत् सैल
सेलिनीयम, जर्मेनियम या सिलिकन जैसे किसी भी प्रकाश सुग्राही पदार्थ से बना एक सेल जो प्रकाश अथवा अन्य किसी विकिरण के पड़ने पर विद्युत् - धारा उत्पन्न करता है । इसके उदाहरण प्रकाशचालकीय सेल, प्रकाश उत्सर्जी सेल और प्रकाशवोल्टीय सेल, फोटोट्रांजिस्टर आदि हैं ।
  • photoelectric effect -- प्रकाश-विद्युत्-प्रभाव
किसी धातु या अन्य पदार्थ पर दृश्य अवरक्त या पराबैंगनी विकिरण ऊर्जा पड़ने पर इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन । इस प्रक्रम मे प्रत्येक इलेक्ट्रॉन के उत्सर्जन में फ़ोटॉन की सम्पूर्ण ऊर्जा का अवशोषण हो जाता है । यदि E उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा हो, और v विकिरण की आवृत्ति, तो आइन्सटाइन के समीकरण E = hv - фसे इनका संबंध प्राप्त होता है जिसमें h प्लांक नियतांक और ф उस पदार्थ से इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा है । जिसे कार्यफलन कहते हैं ।
  • photoelectric effect -- प्रकाश-विद्युत्-प्रभाव
किसी धातु या अन्य पदार्थ पर दृश्य अवरक्त या पराबैंगनी विकिरण - ऊर्जा पड़ने पर इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन । इस प्रक्रम में प्रत्येक इलेकट्रॉन के ऊत्सर्जन में फ़ोटॉन की संपूर्ण ऊर्जा का अवशोषण हो जाता है यदि E उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा हो और v विकिरण - आवृत्ति, तो आइन्सटाइन के प्रसिद्ध समीकरण E = hv - фसे इनका संबंध प्राप्त होता है जिसमें h प्लांक नियतांक और ф उस पदार्थ से इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा है । जिसे कार्य-फलन कहते हैं ।
  • photoelectric thrreshold -- प्रकाशविद्युत् देहली
ऊर्जा का वह न्यूनतम क्वांटम जिसके द्वारा किसी दिए हुए पृष्ठ से प्रकाश वैद्युत प्रभाव के कारम शून्य गतिज ऊर्जा के इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन होता है ।
  • photoelectric work function -- प्रकाशविद्युत् कार्य-फलन
प्रकाश-विद्युत्-उत्सर्जन के दौरान किसी दिए हुए धात्विक पृष्ठ से इलेक्ट्रॉनों को निर्वात या अन्य किसी संलग्न माध्यम में स्थानांतरण करने के लिए आवश्यक ऊर्जा । इसे प्रायः इलेक्ट्रॉन-वोल्ट में व्यक्त करते हैं ।
  • photoelectric yield -- प्रकाशविद्युत् उत्पाद
किसी आवृत्ति पर प्रकाशवैद्युत् उत्सर्जन धारा और आपाती विकिरण ऊर्जा के बीच अनुपात । इसे प्रकाशवैद्युत सुग्राहित भी कहते हैं ।
  • photoelectron spectroscopy -- प्रकाश इलेक्ट्रॉन स्पेक्ट्रमिकी
इलेक्ट्रॉन स्पेक्ट्रमिकी की एक शाखा जिसके अंतर्गत परमाणुओं और अणुओं के आयनन विभव मापे जाते हैं । पराबैंगनी प्रकाशिक इलेक्ट्रॉन, स्पेक्ट्रमिकी, और ऐक्स किरण प्रकाश इलेक्ट्रॉन स्पेक्ट्रमिकी इसकी उपशाखाएँ हैं ।
  • photography -- प्रकाशानुवर्तन
जब कुछ कार्बनिक यौगिकों को उपयुक्त तरंग - धैर्ध्य वाले प्रकाश के प्रभाव मे रका जाता है तो उनके रंग में व्युत्क्रमणीय परिवर्तन हो जाते हैं । मूल रंग अंधेरे में पुनः प्राप्त हो जाता है और गरम करने पर प्रत्यावर्तन की गति बढ़ जाती है । टेट्राक्लोरो - - कीटो नैफ्थेलीन सामान्य रूप में सफेद होता है किंतु प्रकाशित करने पर लाल हो जाता हैद्वि - पारद यौगिकों की श्रेणी आदि कुछ अकार्बनिक यौगिक प्रकाशानुवर्ती होते हैं जिनमें से कुछ स्पष्ट और तीव्र परिवर्तन प्रदर्शित करते हैं ।
  • photography -- फोटोग्राफी ( फोटोचित्रण)
प्रकाश सुग्राही पदार्थों द्वारा स्थायी प्रतिबिंबों का उत्पादन । काँच की प्लेट या सेलूलाइड की फिल्म पर एक इमल्शन का लेप लगा दिया जाता है जिसमेंकुछ प्रकाश सुग्राही रजत लवण मिले होते हैं। उत्तल लेन्स द्वारा वास्तविक प्रतिबिंब इस प्लेट या फिल्म पर बनाया जाता है । जहाँ-जहाँ प्रकाश पड़ता है वहाँ-वहाँ विद्युत् प्रभाव से रासायनिक क्रियाओं की एक श्रृंखला प्रारंभ हो जाती हैजिससे रजत लवणों के कुछ रजत आयन उदासीन रजत परमाणुओं में परिवर्तित हो जाते हैं । इस प्रकार बने गुप्त प्रतिबिंब को एक रासायनिक अपचायक (chemical reducer) से प्रस्फुटित (develop) किया जाता है । इस प्रक्रम में उपरोक्त रजत परमाणुओं के चारों ओर लगे हुए रजत आयन भी उदासीन रजत परमाणु बन जाते हैं । जिससे प्लेट पर धातव रजत के अपारदर्शी धब्बे बन जाते हैं । तदुपरांत सोडियम थायोसल्फेट (sodium thoisulphate) के विलयन की क्रिया द्वारा प्लेट के अप्रभावित प्रकाश-सुग्राही रजत लवणों को दूर कर दिया जता है । अब प्लेट पर ऐसा स्थायी प्रतिबिंब प्रकट होते हैं जिसमें वस्तु के दीप्त और अदीप्त भाग क्रमशः काले और पारदर्शी होते हैं। इसे नेगेटिव कहते हैं । फोटो के प्लेट ही की तरह प्रकाश-सुग्राही बनाए हुए कागज से सटाकर इस पर प्रकाश डालने से प्लेट ही की तरह उस कागज पर भी वह प्रतिबिंब अंकित हो जाते हैं जिसे पॉजिटिव कहते हैं क्योंकि इसमें काले भाग वे होते हैं जो नेगेटिव में पारदर्शी थे अर्थात् अब इस चित्र में मूल दृश्य के अदीप्त भाग काले और दीप्त भाग सफेद दिखायी देते हैं ।
  • photoionization -- प्रकाशिक आयनन
प्रकाश आदि विकिरण ऊर्जा द्वारा आयनन । इस प्रकार का आयनन, आयन - मंडल में होता है ।
  • photolithography -- प्रकाश-अश्मलेखन
एक यांत्रिक मुद्रण-प्रक्रम जिसमें फोटोग्राफी द्वारा तैयार मुद्रण प्लेटों का प्रयोग किया जाता है । इस प्लेट पर प्रतिबिंब क्षेत्र, तेलस्नेही तथा शेष क्षेत्र जलस्नेही होता है ।
  • photolithography -- फ़ोटोलिथोग्राफ़ी
एक तकनीक जो एकीकृत परिपथों, अर्धचालक के अवयवों, तनुफ़िल्म परिपथों और मुद्रित परिपथों के निर्माण में प्रयोग की जाती है । इस तकनीक में फोटोग्राफीय मास्क से एक अभीष्ट पैटर्न क्रियाधार पदार्थ पर स्थानांतरित किया जाता है । जो कि संसाधन के लिए पले से ही तैयार रहता है । स्वच्छ क्रियाधार को चक्रणी लेप, फुहारन अथवा निमज्जन द्वारा विलयन में प्रकाशरोधी बना देते हैं और फिर इसे सुखाकर इसके ऊपर मास्क मे से प्रकाश डालते हैं । फिर प्रकाशरोधी के विबहुलकित भागों को उपयुक्त विलायक जैसे कि ट्राइक्लोरो
एथिलीन द्वारा धो दिया जाता है । इसके पश्चात् शेष बहुलकित भाग अवक्षेपण प्रक्रमों के लिए एक प्राचीर या मास्क के रूप मे कार्य करते हैं । जब संसाधन की क्रिया समाप्त हो जाती हैतब प्रकाशरोधी को उपयुक्त विलायक में घोलकर पृथक् कर लेते हैं । यदि धनात्मक प्रकाशरोधी का प्रयोग किया जाये तो उद्भसित भाग विबहुलकित हो जाते हैं . इसके विपरीत यदि ऋणात्मक प्रकाशरोधी का प्रयोग किया जाये तो उद्भासित भाग बहुकलित हो जाते हैं और वे विकास करने के पश्चात् शेष बच जाते हैं ।
  • photometer -- प्रकाशमापी (= फ़ोटोमीटर)
प्रकाश स्रोतों (लैंपों) की ज्योतीय तीव्रता तथा ज्योर्तिमयता और उनसे उत्पन्न ज्योतीय फ्लक्स तथा प्रदीप्ति आदि को किसी मानक से तुलना करके मापने का उपकरण। ये कई प्रकार के होते हैं किंतु सभी मे व्युत्क्रम वर्ग नियम का उपयोग किया जाता है ।
प्रकाशमापी-
  • photometer -- फोटोमीटर
एक उपकरण जिससे किसी प्रकाश-स्रोत की तीव्रता या किसी प्रकाश-पृष्ठ की प्रदीप्ति-मात्रा मापी जाती है ।
  • photometer, Bench -- प्रकाशमापी , बेंच
वह प्रकाशिक बेंच (optical bench) जिस पर प्रकाशमापी द्वारा दो प्रकाश - स्रोतों की ज्योतीय तीव्रताओं (luminous intensity) की तुलना की जाती है ।
  • photometry -- प्रकाशमिती
प्रकाश विज्ञान की वह शाखा जिसमें प्रकाश स्रोतों की ज्योतीय तीव्रता संबंधी नियमों तथा तीव्रता नापने की विधियों का अध्ययन किया जाता है ।
  • photomultipliler -- प्रकाश-इलेक्ट्रॉन-संवर्धक
एक प्रकार का इलेक्ट्रॉन-संवर्धक जिसमे प्रकाश वैद्युत उत्सर्जक प्रभाव द्वारा प्रथम इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन होकर विभव द्वारा उनका त्वरण किया जाता है । यह त्वरित इलेक्ट्रॉन-पुंज फिर दूसरे इलेक्ट्रोड (जायनोड ) पृष्ठ पर टकराकर अधिक इलेक्ट्रॉन उत्पन्न करता है । इस प्रकार अनेक डायनोडों से इलेक्ट्रॉनों का संवर्धन होता चला जाता है ।
  • photon -- फ़ोटॉन
विद्युत्चुंबकीय विकिरण का एक क्वांटम । इसकी ऊर्जा hv होती है जिसमें h प्लांक नियांक है और v आवृत्ति । इसका प्रचक्रण 1है ।
  • photon -- फोटॉन
विद्युत् चुंबकीय ऊर्जा का क्वांटम । किसी फ़ोटॉन की ऊर्जा h होती है जिसमें h प्लांक - नियतांक और v फोटॉन से संबद्ध आवृत्ति है । तुलना - quantum.
  • photonuclear raction -- प्रकाश नाभिकीय अभिक्रिया
फोटॉन द्वारा प्रेरित नाभिकीय अभिक्रिया । कुछ उदाहरणों में संभवतः अभिक्रिया के बीच में एक संयुक्त नाभिक बनता है जिसमें फोटॉन का अवशोषण हो जाता है और उसकी ऊर्जा का नाभिकीय अवयवों में वितरण हो जाता है । तत्पश्चात् नाभिक एक या अधिक कणों का वाष्पन कर देता है अथवा उसका फोटॉनज विखंडन (photofission) हो जाता है । अन्य उदाहरणों में फोटॉन सीधे किसीएकल न्यूक्लिऑन के साथ क्रिया करता है जो शेष नाभिक के अत्यधिक उत्तेजितहुए बिना फोटॉनज न्यूट्रॉन अथवा फोटॉनज प्रोटॉन के रूप में निकल जाता है।
  • photosensitiation -- फोटो-सुग्राहीकरण
वह प्रक्रम जिसमें किसी प्रकाश रासायनिक अभिक्रिया को किसी अन्य पदार्थ (फोटो - सुग्राहीकारक) की उपस्थिति द्वारा प्रेरित किया जाता है । प्रकाश - सुग्राहीकारक प्रकाश का अवशोषण करता है किन्तु अभिक्रिया के अंत मे प्रायः अपरिवर्तित रहात है । इस प्रकार अवशोषित प्रकाश - ऊर्जा मुख्य अभिकारकों को दे दी जाती है । उदाहरणार्थ, जब ह इड्रोजन को 2536Ao तरंगधार्ध्य वाले प्रकाश के प्रभाव मे रखा जाता है तो प्रकाश का अवशोषण नहीं होता है और हाइड्रोजन में पारद वाष्प मिला दिये जायेतो पारद - परमाणु विकिरण का अवशोषण कर ऊर्जा - समृद्ध हो जाते हैं । जब इस प्रकार उत्तेजित पारद - परमाणु, हाइड्रोजन अणु से टकराता है तो वह अपनी कुछ ऊर्जा हाइड्रोजन अणु को दे देता है जिस कारम वह परमाणओं में वियोजित हो जाता है । Hg * + H2 = Hg + 2H हाइड्रोजन प्रकाश क सुग्राहीकारक बन जाती है जिसका वह अवशोषण नहीं करती है । फोटोग्राफी की प्लेटें सामान्यतः रंजकों द्वारा प्काश सुग्राहीकृत की जाती हैं ताकि वे स्पेक्ट्रम के उन क्षेत्र् में सुग्राहीकारक हो जायें जिन प र शउदध सिल्वर ब्रोमाइड पूर्णतया असुग्राहीकारक होता है ।
  • photosphere -- प्रकाशमंडल
सूर्य अथवा किसी अन्य तारे का बाह्यतम आभासी पृष्ठ जिससे अधिकांश विकिरण ऊर्जा बाहर आती हुई मालूम पड़ती है । देखने में यह अत्यन्त चमकदार शअवेत नज़र आता है । सूर्य का प्रकाश मंडल एक संतत स्पेक्ट्रम वाला विकिरण उत्सर्जित करता है और विकिरण सिद्धांतों के अनुसार इसका ताप लगभग 5750 K पाया गया है ।
  • photosynthesis -- प्रकाश संश्लेषण
1. प्रकाश द्वारा सम्पन्न कोई संश्लेषण । उदाहरणार्थ, हाइड्रोजन और क्लोरीन के मिश्रण को सूर्य के प्रकाश में रखने पर हाइड्रोजन क्लोराइड का बनना ।
2. पादप कोशिकाओं का प्रकाश तथा ऊष्मा के अवशोषण के द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड और पान से क्लोरोफिल कीउत्प्रेरकीय अभिक्रिया द्वारा ग्लूकोस और तत्पश्चात् अन्य उपयोगी कार्बनिक यौगिकों का बनना, प्रकाश संश्लेषण का एक महत्वपूर्ण उदाहरण हैये कार्बनिक यौगिक सभी जैव द्रव्यों के रचक होते हैं ।
  • phototransistor -- प्रकाश ट्रांजिस्टर
एक अर्धचालक युक्ति जो प्रकाश के प्रति सुग्राही होती है । ये मुख्यतः निम्नलिखित तीन प्रकार की होती हैं- 1. बिंदु संपर्क 2. p-n संधि 3. n-p-n संधि इन सभी स्थितियों में निर्गत धारा सुग्राही संधि पर पड़ने वाले प्रकाश की तीवर्ता की समानुपाती होती है ।
  • photovoltaic cell -- प्रकाश वोल्टीय सेल
एक प्रकार का प्रकाश वैद्युत सेल जिसमें विकिरण की ऊर्जा एक विद्युत वाहकबल को उत्पन्न करती है । इस प्रकार के सेलों में धात्विक प्लेटों पर विभिन्न प्रकार के ऑक्साइडों का लेप होता है और इनमें निर्वात की आवश्यकता नहीं होती है । इसमे वोल्टता की उत्पत्ति अर्धचालक और चालक की पृष्ठ संधि पर बने हुए सीमा - स्तर मे होती है ।
  • photovoltaic effect -- प्रकाशवोल्टीय प्रभाव
एक प्रकार का प्रभाव जिसमें प्रायः प्रकाश अथवा अन्य विकिरण ऊर्जा पड़ने पर संधि या धातु - अर्धचालक p-n संधि जैसी दो असमान पदार्थों की संधि पर विद्युत्वाहक बल उत्पन्न करता है ।
  • photylysis -- प्रकाश - अपघटन
प्रकाश के प्रभाव मे किसी पदार्थ का अपघटन अथवा पदार्थों की अभिक्रिया । इस प्रकार प्रकाश द्वारा प्रेरित मेथेन के क्लोरीनीकरण में क्लोरीन अणुओं का, क्लोरीन परमाणुओं में अपघटन हो जाता है । प्रकाश - अपघटन के लिए आवश्यक प्रकाश का तरंगदैर्ध्य , विभाजित होने वाले आबंध की ऊर्जा पर निर्भर करता है । वह प्रायः 2000Ao - 8000Ao के बीच होता है।
  • pi (π) bond -- पाइ (π) आबंध
परमाणुओं के मध्य कक्षकों में गति करने वाले इलेक्ट्रॉनों द्वारा बना एक सहसंयोजक आबंध । ये कक्षक द्विक्-आबंध युक्त कार्बनिक अणु के तल के ऊपर-नीचे स्थित रहते हैं । इस प्रकार एक आबंध के लिए (p-p आबंध) वास्तविक अतिव्यापन आकाश में दो स्थानों पर होता है । द्विक-आबंध में एक पाई आबंध तथा एक सिग्मा आबंध और त्रिक आबंध में, एक सिग्मा आबंध और दो पाई आबंध होते हैं । बेन्जीन और अन्य ऐरोमैटिक यौगिकों में छः पाई इलेक्ट्रॉन होते हैं । तुलना-sigma bond.
  • pi-network -- π जाल, पाई-जाल
एक प्रकार का विद्युत्-परिपथ-जाल जिसमें तीन प्रतिबाधा-शाखाएँ होती हैं जो सभी एक-दूसरे से श्रेणीबद्ध रूप से जुड़ी होती हैं जिससे एक बंद परिपथ बन जाता है । तीन संधि-बिंदुओं से क्रमशः एक निवेश टर्मिनल, एक निर्गत-टर्मिनल और एक उभयनिष्ठ निवेश और निर्गत टर्मिनल बन जाता है । इसका एक उदाहरण पाई (π) फिल्टर है ।
  • pick up -- पिक-अप/ उद्ग्राही
1. एक युक्ति जो ध्वनि, संवेदन, मापनीय राशि अथवा किसी भी अन्य प्रकार की सूचना को संगत वैद्युत् स्पंदों में परिवर्तित करती है जैसा कि माइक्रोफ़ोन, फोनोग्राफ पिक - अप अथवा टेलीविजन कैमरा में होता है । ऊर्जा रूपांतरण मे पिक - अप ट्रांसड्यूसर की भाँति कार्य करता है जैसा कि माइक्रोफोन अथवा फोनोग्राफ़ - पिक अप मे होता है । दूर मापन - तंत्र मे सिरा यंत्र पिक - अप होता है ।
2. निकटवर्ती परिपथ अथवा तंत्र से उत्पन्न व्यतिकरण ।
3. एक प्रकार की नाभिकीय अभिक्रिया जिसमें आपाती कण लक्ष्य नाभिक से एक न्यूक्लिऑन ग्रहण कर लेता है और फिरइस न्यूक्लिऑन को अपने साथ बाँध कर आगे बढ़ता हैपिक-अप विखंडन की विपरीत अभिक्रिया है ।
  • picture element -- चित्र अल्पांश
दूरदर्शन चित्र क न्यूनतम अंश । रंगीन दूरदर्शन मे ये तीनों वर्णों मे से किसी भी एक वर्ण का बिंदु होता है और कृष्णा श्वेत दूरदर्शन में यह क्रमवीक्षण रेखा का कोई भी एक वर्गकार खंड होता है जिसकी भुजा क्रमवीक्षण - रेखा की चौड़ाई के बराबर होती है ।
  • picture frequency -- चित्र-आवृत्ति
प्रतिकृति संचरण में काम आने वाली आवृत्तियाँ जो केवल विषय प्रतिलिपि के क्रमवीक्षण से उत्पन्न होती हैं ।
  • picture inversion -- चित्र-व्युत्क्रमण
प्रतिलिपि-संचरणकाम आने वाला एक प्रक्रम जिससे आलेखित प्रतिलिपि की कृष्ण और श्वेत छायाओं का परस्पर उत्क्रम हो जाता है ।
  • picture signal -- चित्र-सिग्लन
दूरदर्शन या प्रतिकृति संचरण मे क्रमवीक्षण प्रक्रम से उत्पन्न होने वाला सिग्नल ।
  • picture transmission -- चित्र-संचरण, चित्र-प्रेषण
तार अथवा बेतार द्वारा चित्र का संचरण जिसमें छाया की मात्रा कम या अधिक होती है ।
  • picture tube -- चित्र-नलिका
दूरदर्शन-अभिग्राहियों में काम आने वाली एक कैथोड-किरण-नलिका जिससे किरण-पुंज द्वारा रेस्टर का क्रमवीक्षण होने पर किरणपुंज की तीव्रता में परिवर्तन लाकर प्रतिबिंब बनाया जाता है ।
  • Pierce oscillator -- पियर्स दोलित्र
एक प्रकार का दोलित्र जिसमें इलेक्ट्रॉन-नलिका के ऐनोड और ग्रिड के बीच में क्वार्ट्ज जैसे एक दाबवैद्युत क्रिस्टल का संबंधन होता है । मूलतः यह एक कालपिट दोलित्र है जिसमें वोल्टता का विभाजन परिपथ के ग्रिड-ऐनोड और ऐनोड-कैथोड धारिताओं के द्वारा किया जाता है ।
  • piezocheistry -- दाब रसायन
रसायन की वह शाखा जिसके अंतर्गत रासायनिक अभिक्रियाओं और प्रक्रमों पर उच्च दाब के प्रभाव का अध्ययन किया जाता है, जैसे भूपर्पटी के अंदर होने वाली क्रियाएं ।
  • piezoelectric crystal -- दाबविद्युत्-क्रिस्टल
दाबवैद्युत् प्रभाव दर्शाने वाला एक क्रिस्टलीय परावैद्युत् । इसके उदाहरण राशेल साल्ट (Rochelle Salt) और क्वार्ट्ज आदि हैं । इसका उपयोग क्रिस्टल लाउडस्पीकर और क्रिस्टल माइक्रोफोन आदि में किया जाता है ।
  • piezoelectric effect -- दाबविद्युत्-प्रभाव
क्वार्ट्ज, राशेल साल्ट और टूरमलिन जैसे क्रिस्टलों पर यांत्रिकीय विकृति बल लगने पर क्रिस्टल - पलकों के आर - पार वैद्युतध्रुवण उत्पन्न होना ।
  • pilot survey -- मार्गदर्शी सर्वेक्षण
मुख्य सर्वेक्षण से पहले छोटे पैमाने पर किया गया वह सर्वेक्षण जिसका उद्देश्य प्रायः सर्वेक्षण की दक्षता को बढ़ाने के ले आवश्यक सूचना प्राप्त करना होता है । उदाहरणार्थ, प्रस्तावित प्रश्नावली की जाँच करने, आँकड़ों के संग्रह मे लगने वाले समय का अंदाजा लगाने आदि के लिए मार्गदर्शी सर्वेक्षण किया जाता है ।
  • pinch effect -- संकुचन प्रभाव
1. किसी सीधी या डोनट (doughnut) आकार की इलेक्ट्रॉन-नलिका के केंद्र में से भारी विद्युत्-धारा प्रवाहित होने पर आयनित गैसों का संकीर्ण सूत्र के रूप में संकुचन ।
2. भारी विद्युत्-धारा प्रवाहित होने पर पिघली हुई धातु का संकुचन और कभी-कभी क्षणिक विदारण ।
  • pinhole camera -- कैमरा, सूचीछिद्र
यह एक प्रकाशरोधी बाक्स होता है जिसमें प्रकाश के प्रवेश का द्वारक (aperture) अति सूक्ष्म सूचीछिद्र होता है । अतः बिना लैंस के ही पर्दे पर उल्टा प्रतिबिंब स्पष्ट बन जाता है किंतु उसीक तीव्रता कम होती है ।
  • pink salt -- पिंक लवण
एक सफेद क्रिस्टलीय लवण जो अमोनियम क्लोराइड के साथ क्लोरोस्टैनिक अम्ल के सांद्र विलयन की अभिक्रिया से प्राप्त होता है । इसका उपयोग मंजिष्ठा (madder) और किरमिज के साथ गुलाबी रंग उत्पन्न करने के लिये रंजक में रंगबंधक के रूप में होता है ।
  • pipette -- पिपेट
किसी द्रव के निश्चित आयतन को अस्थाई तौर पर धारण कर दूसरे पात्र मे उड़ेलने के लिए प्रयुक्त कांच का एक पात्र । साधारणतः बड़े आकार के पिपेटों में द्रव को ग्रहण करने के लिए छोटे छिद्र की नली होती है जिसकी चोंच कोशिकामय होती है ताकि द्रव की बूँदें न गिरे । यह नली बीच मे फैली होती है तथा फिर सिकुड़कर छोटे छिद्र वाले ऊपरी भाग में बदल जाती है । द्रव निकालने के ले पिपेट को उस द्रव में डुबाकर, ऊपरी सिरे से तब तकचूसा जाता है जब तक द्रव नली के ऊपरी भाग मे अंकित निशान तक न पहुंच जाए । इस निशान तक भरे द्रव का निश्चित ताप पर निश्चित आयतन होता हो जो निर्दिष्ट समय में अन्य पात्र में डाला जा सकता है । आयतन, तापऔर समय पिपेट के बीच के भाग में अंकित रहते हैं । जैविक कार्य में प्रयुक्त पिपेट सीधी अंशांकित नलिका होती है जिसकी चोंच केशिकामय होती है ।
  • Pirani gauge -- पिरानी गेज
एक अल्पदाब प्रमापी (गेज) जिसमें विद्युत् धारा द्वारा तृप्त तार की ऊष्मा का कुछ भाग चालन द्वारा गैस में चला जाता है । इसमें तार के सिरों के मध्य एक अपरिवर्ती विभवांतर कायम रखते हैं और दाब के सापेक्ष प्रतिरोध परिवर्तन मालूम कर लेते हैं । दूसरी विधि यह है कि अनुप्रयुक्त विभवांतर का परिवर्तन करके प्रतिरोध को स्थिर रहने दिया जाए और उसे माप लेते हैं । इसका परिसर 10-2 mm से लेकर 10-4 mm Hg तक होता है परमतु इसकी सहायता से 10-5 mmसे 10-6 mm तक के दाब मापे जा चुके हैं । मेकलियोड गेज के साथ तुलना करके इसका अंशांकन करना भी जरूरी है ।
  • piston -- पिस्टन
किसी नलिका (या खोखले सिलिंडर) में भरे हुए तरल को संपीडित करने वाली या उसके बाद से चालित होने वाली एक ठोस पट्टिका (या सिलिंडर) जो उस नलिका में आगे पीछे खिसकाई जा सकती है । यह पिस्टन इस प्रकार का बनाया जाता है कि इसके पार्श्व तथा नलिका की दीवार के बीच मे से तरल प्रवाह न हो सके ।
  • pitch -- 1.तारत्व (ध्वनि)
ध्वनि का क आत्मनिष्ठ गुण जो स्वर ग्राम (म्यूजीकल स्केल) पर उसकी स्थिति निर्धारित करता है । इसे ज्ञात तीव्रता के शुद्ध टोन (स्वरक) की आवृत्ति के रूप में मापा जा सकता है । यद्यपि तारत्व आवृत्ति के पदों में मापा जाताहै परन्तु यह स्वर की प्रबलता और गुणता पर भी निर्भर करता है ।
2. चूड़ी अंतराल (स्क्रू आदि में) उत्तरेत्तर चूड़ियों के बीच की दूरी ।
  • pitch -- तारत्व
ध्वनि संवेदन का वह व्यक्तिनिष्ठ (subjective) अभिलक्षाणिक जिसके द्वारा मनुष्य का कान सांगीतिक स्वरग्राम में उस ध्वानि का स्थान निर्धारित करता है । यदि औसत स्वस्थ कान को इसका स्थान वही मालूम पड़ता है जो उसे किसी विशेषतः निर्दिष्ट तीव्रता वाले शुद्ध स्वरक का मालूम पड़ता है तो उस ध्वनि का तारत्व उस शुद्ध स्वरक की आवृत्ति द्वरा मापा जाता है । किन्तु तारत्व स्वर की तीव्रता और सांगीतिक स्वरूप पर भी आश्रित होता है । तीव्रता बढ़ने पर निम्न आवृत्ति वाले स्वर का तारत्व घट जाता है और उच्च आवृत्ति वाले स्वर का तारत्व बढ़ जाता है ।
  • pitch of a screw -- चूड़ी अंतराल
पेंच के किसी क चूड़ी के एक बिंदु से निकटतम दूसरी चूड़ी के संगत बिंदु की दूरी जो पेंच के अक्ष के समांतर मापी जात है । पेंच का पूरा एक चक्कर घुमाने से पेंच का सिरा इतनी ही दूर आगे बढ़ जाता है या पीछे हट जाता है ।
  • plan position indicator (PPI) -- प्लान-स्थिति-सूचक (PPI)
रेडार के परदे पर लक्ष्य की प्रस्तुति का एक प्रकार जिसमें सिग्नल दीप्त बिंदु के रूप में प्रकट होते हैं लक्ष्य की दूरी परदे के केंद्र-बिंदु से दीप्त बिंदु की दूरी द्वारा दर्शायी जाती है तथा दिक्मान त्रिज्य कोण द्वारा ।
  • planar junction transistor -- समतलीय संधि ट्रांजिस्टर
एक प्रकार का ट्रांजिस्टर जिसमें अपद्रव्य का स्थानीय वेधन बेफर के पृष्ठ पर आंशिक रूप से सिलिकन डायक्साइड जैसे कीस आक्साइड यौगिक का लेप करके प्राप्त किया जाता है ।
  • Planck`s constant -- प्लांक का नियतांक
जर्मन भौतिकीविद् मैक्स प्लांक (Max Planck) (1858 - 1947) सन्म 1900 मे इस मतक प्रतिपादन किया था । क्वांटम सिद्धांत के अनुसार प्रकाश आदि विद्युत् चुंबकीय विकिरण ऊर्जा के अत्यन्त सूक्ष्म कमों के रूप में प्रकाश के वेग से चलते हैं । इन कणों को क्वांटम कहते हैं । एक क्वांटम की ऊर्जा E = hv होती है जहाँ v उस विकिरण की आवृत्ति है और h एक सार्वत्रिक नियतांक है जिसे प्लांक का नियतांक कहेत हं । इसका मान 6.62 x 10-27 अर्ग सेकंड है ।
  • plane -- तल, समतल
वह पृष्ठ जिसेक किन्हीं दो बिंदुओं को मिलाने वाली सरल रेखा का प्रत्येक बिंदु पृष्ठ पर ही स्थित हो ।
  • plane geometry -- समतल ज्यामिति
ज्यामिति की वह शाखा जिसमें कोण, त्रिभुज, बहुभुज, वृत्त् जैसी समतल आकृतियों के गुणधर्मों एवं संबंधों का अध्ययन किया जाता है ।
  • plane wave -- समतल तरंग
एक प्रकार की तरंग जिसें तरंग-अग्र सभी स्थान पर संचरण की दिशा के अभिलंब समांतर समतल होते हैं ।
  • planet -- ग्रह
सूर्य के चारोंओर दीर्घवृत्तीय कक्षा में परिक्रमण करने वाले बड़े एवं ठोस खगोलीय पिंड । सौर परिवार के नौ ग्रह हैः बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि,यूरेनस, नेप्ट्यून, प्लूटों हैं ।
  • planimeter -- प्लैनीमीटर / क्षेत्रफलमापी
समतल पृष्ठ के क्षेत्रफल को शीघ्र मापने की एक यांत्रिक युक्ति। क्षेत्रफल मापने के लिए यंत्र में जुड़े संकेतर को अभीष्ट क्षएत्र क परिसीमा के चारों ओर घुमाया जाता है ।
  • plank`s constant -- प्लांक नियतांक
एक सार्वत्रिक नियतांक जो फोटॉन की ऊर्जा और इसीक आवृत्ति में संबंध स्थापित करने वाले समीकरण E = hv में समानुपात का गुणक h है । इसका मान 6.626196 x10-34 Js है ।
  • planoconvex lens -- समतलावतल लेन्स
ऐसा लेन्स जिसका पृष्ठ समतल और दूसरा अवतल हो ।
  • plasma -- प्लैज्मा
1. कणों का कोईभी ऐसा मिश्रण जिसमें धनात्मस, ऋणात्मक और उदासीन कण होते हैं ताकि मिश्रण विद्युत रूप से उदासीन रहता है । प्लैज्मा शब्द का प्रयोग प्रायः ऐसी गैस के लिए किया जाता हैजो धारा - चालन के लिए प्राय्प्त रूप से आयनित होती ह और चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित हो जाती है । यथार्थ प्लैज्मा की उत्पत्ति जिसमें पूर्ण आयनन हो जाता है और जिसमें उदासीन कण नहीं होते 20,000 K से ऊपर के तापों पर होती है । ठोस पदार्थों में प्लैज़्मा या तो इलेक्ट्रॉन और धनात्मक दाता क रूप में अथवा छिद्र और ऋणात्मक ग्राही के रूप में होता है । एक अन्य प्रकार के प्लैज्मा नैज अर्धचालक में छिद्र और इलेक्ट्रॉनों के रूप मे होता है ।
2. विद्युत् -व सर्जन - नलिका में धनात्मक स्तंभ का दूसरा नाम ।
  • plasma frequency -- प्लैज्मा-आवृत्ति
प्लैज्मा-आवृत्ति में इलेक्ट्रॉनों की कला संबद्ध गति की एक स्वाभाविक आवृत्ति इलेक्ट्रॉन के द्रव्मान और इलेक्ट्रॉन के विस्थापन से उत्पन्न होने वाले अंतराकाशी आवेश के क्षेत्र के प्रत्यानयन बल से संबद्ध होती है । चूंकि अंतराकाशी आवेश का क्षेत्र इलेक्ट्रॉनों के वर्गमूल की समानुपाती होती है ।
  • plasmatron -- प्लैज्माट्रॉन
एक प्रकार की गैस-विसर्जन-नलिका जिसमें एक स्वतंत्र रूप से उत्पन्न प्लैज्मा एक तप्त कैथौड तथा ऐनोड के बीच चालक का काम करता है । ऐनोड धारा का मॉडुलन, चालकता या प्लैज्मा के प्रभावी अनुप्रस्थ काट का परिवर्तन करके किया जाता है ।
  • plasticity -- प्लास्टिकता (सुघट्यता)
कुछ पदार्थ ऐसे होते है जिनमें प्रतिबल (stress) द्वारा उत्पन्न विरूपण प्रतिबल के हट जानेपर भी पर्याप्त माक्रा मे विद्यमान रहात है । उनके इसके गुणधऱ्म को सुघट्यता कहता है ।
  • plasticity -- सुघट्यता
किसी पदार्थ पर प्रत्यास्थता-सीमा से अधिक प्रतिबल लगाए जाने पर पदार्थ द्वारा ग्रहण किए हुए आकार का फिर मूल स्थिति में प्रत्यावर्तित न होने और विरूपित स्थिति में ही रहने का गुणधर्म ।
  • plastometer -- प्लास्टोमीटर
1. सुघट्यता मापने का एक उपकरण, जिसमें मुख्यतः एक केशिका होती है । केशिका इस प्रकार व्यवस्थित रहती है कि नली की लंबाई की क्रमिक वृद्धियों पर पदार्थ के प्रवाह की दर को ज्ञात किया जा सके ।
2. किसी कठोर वस्तु की दन्तुरण-गहराई (depth of Indentation) से रबर की कठोरता को मापने का उपकरण ।
  • plate -- प्लेट
1. संधारित्र के विद्युत् - चालकीय इलेक्ट्रोडों मे से एक इलेक्ट्रोड ।
2. संचायक बैटरी के इलेक्ट्रोडों में से एक ।
3. इलेक्ट्रॉन - नलिका के ऐनोड का दूसरा नाम ।
  • plate efficiency -- पट्टिका-क्षमता
देखें Anode efficiency.
  • plate modualtion -- प्लेट-मॉडुलन
एक प्रकार का मॉडुलन जो किसी भी सी नलिका के ऐनोड पर मॉडुलन-वोल्टता लगा कर उत्पन्न किया जाता है जिसमें वाहक मौजूद हो ।
  • plateau -- प्लैटो
गाइगर-गणित्र-नलिका में गणन-दर और वोल्टता के मध्य खींचे हुए ग्राफ का वह भाग जिसमें गणन-दर लगाई हुई वोल्टता पर निर्भर नहीं होती ।
  • platinum black -- प्लैटिनम ब्लैक
सूक्ष्म चूर्णित प्लैटिनम का काला चूर्ण जो प्लैटिनम का शुद्ध रूप नहीं होता है । यह अपने लवणोंके विलयनों से ऐलुमिनियम, हाइड्रैजीन हाइड्रेट या सोडियम फॉर्मेट आदि अपचायकों की सहायता से अवक्षेपित किया जाता हैइसे रगड़ने से धात्विक द्युति उत्पन्न होती है । यह ऐक्वारेजिया में वलेय है । आ.घ. 15.8 -17.6 । यह एक प्रबल उत्प्रेरक है जिसका उपयोग हाइड्रोजनीकरण, ऑक्सीकरण आदि प्रक्रमों मे होता है । यह हाइड्रोजन, ऑक्सीजन आदि गैसों का अवशोषण कर लेता हैजिन्हें ताप पर मुक्त किया जा सकता है ।
  • plauto -- प्लूटों
सौर परिवार के अभी तक ढूँढ़े गए ग्रहों में सबसे दूर सूर्य की परिक्रमा करने वाला ग्रह । सूर्य से इसकी दूरी 3,6700 लाख मील है । संभवतः इसका व्यास बुध के व्यास से अधिक तथा मंगल के व्यास से कम है । इसका परिक्रमण काल 248 वर्ष है ।
  • plotting -- आलेखन
किसी निर्देशांक पद्धति की सहायता से कागज पर किसी बिंदु की स्थिति को निश्चित करना ।
  • plumb line -- साहुल सूत्र
ऊर्ध्वाधर दिशा जाने के लिए प्रयुक्त वह सूत्र अथवा डोरी जिसके निचले सिरे पर एक भार बंधा होता है ।
  • plumbum -- सीस, सीसा
चौथे वर्ग का धात्विक तत्व । परमाणु-क्रमांक 82, परमाणु - भार 207, 19, प्रतीक pb, संयोजकता +2 +4, समस्थानिक 206, 208, 204,
207 । समस्थानिक 206, 208 और 207 क्रमशः यूरेनियम, तोरियम और ऐक्टिनियम प्राकृतिक रियोऐक्टिव तत्वों की श्रेणी के अंतिम उत्पाद है। यह भारी, तन्य, भृदु, धूसर ठोस है। आपेक्षित घनत्व 11. 35, गलनांक 327.40, क्वथनांक 17550 । यह तनु नाइट्रिक अम्ल में विलेय, पी में अविलेय है । यह संक्षारणरोधी और विकिरण अवेध्य है । यह विद्युत् - कुचालक है । यह गैलेना (लेड सल्फाइड), ऐंग्लिसाइट (लेड सल्फेट) और सेरूसाइट (लेड कार्बोनेट) के भर्जन और अपचयन से प्राप्त होता है । इसका उपयोग संचायक बैटरियों, टेट्राएथिललेड (गैसोलीन योज्य), विकिरण परिरक्षण, केबलों के आवरण, बारूद, चादर और पाइप बनाने, टांका लगाने और गलनीय मिश्रातुओं को बनाने, टाइप धातु बनाने, पेन्ट मूलक और अनेक अन्य मिश्रातुओं को बनाने के लिए होता है ।
इलेक्ट्रॉन - संरचनाः 1s22s22p6 3s23p63p63d10 4s24p64d104f14 5s25p65d10 6s26p2 बबबबबबबबबबबबबबबबबब
  • plutonium -- प्लूटोनियम
तीसरे वर्ग का ऐक्टिनाइड रेडियोऐक्टिव धात्विक तत्व । परमाणु - क्रमांक 94, प्रतीक pu, गलनांक 630.50, अनामानित क्वथनांक 32350 । यह कृत्रिम रूप में परमाणु रिऐक्टर में यूरेनियम - 238 पर, मंद न्यूट्रॉनों की बमबारी और तदुपरान्त β- क्षय से प्राप्त होता है । यह यूरेनियम और विखंडन उत्पादों से विलायक - निष्कर्षण प्रक्रमों द्वारा पृथक् किया जाता है । यह प्रकृति में सूक्ष्म मात्रा में यूरेनियम अयस्कों के साथ पाया जाता है जो प्राकृतिम यूरेनियम द्वारा न्यूट्र्न - प्रग्रहण से प्राप्त होता है । Pu239 समस्थानिक, जिसका सबसे अधिक अध्ययन किया गया है, अत्यधिक सक्रियता के कारम स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकर है जिसका बिना सावधानी के प्रयोग नहीं किया जा सकता है इसकी अर्ध - आयु 21,000 वर्ष है । यह एक विकंडनीय पदार्थ है । धात्विक प्लूटोनियम छः प्रावस्थाओं में क्रिस्टलित होता है । क्रियाशीलता और बनाने की विधियों मे यह यूरेनियम के समान है । इसका उपयोग नाभिकीय रिऐक्टर ईंधन और नाभिकीय शस्त्रों के लिए होता है ।
इलेक्ट्रॉन-संरचनाः 1s22s22p6 3s23p63d10 4s24p64d104f14 5s25p65d10 5f6 6s26p2 7s2
  • pneumatics -- गैस यांत्रिकी
भौतिकी की वह शाखा जिसमें गैसों के गतिज गुणधर्मों तथा गैस के दाब द्वारा चालित यंत्रों का अध्ययन होता है ।
  • Poggendorff cell -- पोगेन्डॉर्फ सेल
एख वोल्टीय सेल जिसका उपयोग विद्युत् विभव को मापने में मानक के रूप मे होता है। इस सेल में पारदित जस्त का ऐनोड और कार्बन का कैथोड होता ह जो पोटेशियम डाइक्रोमेट के तनु सल्फ्यूरिक अम्ल मे बने विलयन में निमज्जित रहते हैं ।
  • point -- बिंदु, अंक
1. ज्यामिति में एक अपरिभाषित संकल्पना, जिसकी यूक्लिड के अनुसार स्थिति तो है पर न लंबाई है, न चौड़ाई और न ऊंचाई ।
2. ज्यामिति का वह अवयव जिसकी परिभाषा इसके निर्देशांकों से दी जाती है जैसे बिंदु (1,3) ।
3. किसी समष्टि का कोई अवयव जो इसके अभिगृहीतों को संतुष्ट करता हो ।
4. मुद्रण-कार्य में टाइपों के आधार के मापन में प्रयुक्त एक माप जो .0138 इंच अथवा .0351 सेंटीमीटर के बराबर होता है ।
  • point - object -- बिंदु - बिंब
ऐसा बिम्ब जिसका विस्तार एक ज्यमितीय बिंदु के बराबर होता है । सैधांतिक विवेचन करते समय ऐसे बिंदु - बिंब की कल्पना की जाती है । किन्तु वास्तव में बिंदु - बिंब उपलब्ध करना असंभव है । प्रयोगों में बहुत ही छोटे विस्तार के बिंब को ही बिंदु - बिंब समझ लिया जाता है ।
  • point at infinity -- अनंतस्थ बिंदु
1. संमिश्र समतल में संलग्न किया गया वह एकमात्र परिकल्पित बिंदु जिसकी परिकल्पना से संमिश्र समतल को संहत माना जा सकता है । यह बिंदुत्रिविम प्रक्षेप (stereographic projection) के ध्रुव का संगत बिंदु है
2. कोई ऐसा आदर्श बिंदु जिसकी परिकल्पना किसी गणितीय प्रमेय के कुछ अवयवों से बचने के लिए की जाती है । जैसे, यह कथन कि समतल की कोई भी दो रेखाएँ परस्पर कटती हैं, यह कहने से निरपवाद हो जाता है कि समांतर रेखाएं अनंतस्थ बिंदु पर परस्पर कटती हैं ।
  • point circle -- बिंदु वृत्त
वृत्त की वह सींमांत स्थिति जहाँ उसकी त्रिज्या शून्य के बराबर हो जाती हो ।
  • point contact diode -- बिंदु संपर्क डायोड
एक प्रकार का अर्धचालक डायोड जिसमें बिंदु संपर्क द्वारा दिष्टकरण होता है । इससे अवांछित धारिता (stray capacitance) न्यूनतम बन जाती है जससे धारा का प्रवाह संधि से त्रिज्य रूप से बाहर जाता है । इसका उपयोग (r-f) और सूक्ष्म तरंग - परिपथों में संसूचक के रूप मे किया जाता है ।
  • point contact transistor polarisation--
देखें - transistor --
  • Poisson distribution -- प्वासों बंटन
एक असंतत एकप्रचाल बंटन जिसका बारंबारता - फलन x = 0,1,2,…….., के लिए f (x) = (Formula) के रूप में होता है । जहाँ mप्राचल है जो माध्य और प्रसरण दोनों ही होता है । यह अत्यधिक विरल घटनाओं का बारंबारता - बंटन हैऔर द्विपद - बंटन का एक सीमांत रूप है ।
  • Poisson`s ratio -- प्वासों अनुपात
पार्श्वीय संकुचन विकृति का अनुदैर्ध्य विकृति के साथ अनुपात । जब किसी छड़ पर कोई अनुदैर्ध्य प्रतिबल लगाया जाए तो इस प्रतिबल की दिशा में छड़ की लंबाई बढ़ती है और इसके अभिलंब इसकी मोटाई घटती है । इसका प्रतीक μ है ।
  • polar -- ध्रुवी, ध्रुवीय
किसी शांकव के समतल मे स्थिति किसी बिंदु के संदर्भ मे वह रेखा जो शांकव की सापेक्षता मे उस बिंदु के संयुग्मी बिंदुओं का बिंदुपथ हो । यदि बिंदु ऐसा है कि उससे शांकव की स्पर्श रेखा खींची जा सके तो यह रेखा उन स्पर्श रेखाओं के स्पर्शबिंदुओं को मिलाने वाली रेखा होगी ।
(i) किसी बिंदु यानी ध्रुव से खींची गी स्पर्श रेखाओं के (वास्तविक अथवा काल्पनिक ) स्पर्श-बिंदुओं में से होकर जाने वाली सरल रेखा ।
(ii) ध्रुव तथा ध्रुवी से संबद्ध ।
  • polar coordinates -- ध्रुवीय निर्देशांक
वह निर्देश-तंत्र जिसमें किसी बिंदु का स्थान-निर्धारण किसी नियत बिंदु से उसकी दूरी और इस नियत बिंदु से दिए हुए बिंदु को मिलाने वाली रेखा और किसी नियत रेखा (यानी ध्रुवी अक्ष ) के बीच के कोण से किया जाता है ।
  • polarimeter -- ध्रुवणमापी
इस उपकरण से किसी द्रव या विलयन द्वारा रेखा ध्रुवित प्रकाश के ध्रुवणकाल का घूर्णन मापा जाता है । इसमें दो निकल प्रिज्म होते हैं । एक से प्रकाश को रेखा - ध्रुवित किया जाता है और दूसरे सेउसका ध्रुवण तल निर्धारित किया जाता है । इसके लिए इसे घुमाकर ऐसी स्थिति में लाया जाता है कि प्रकाश उसमें से गुजरकर आँख में न पहुँच सके । इससे लगा हुआ एक अंशाकित डायल होता ह जिस पर उसकी स्थिति पढ़ ली जाती है । अब दोनों निकलों (nicols) के बीच में एख काँच की नली में द्रव भरकर रख दिया जाता है जिससे दृष्टि क्षेत्र प्रकाशित हो जाता है। निकल को घुमाकर इसे पुनः अदीप्त कर दिया जाता है और निकल के घुमने का कोण नाप लिया जाता है । इस सरल व्यवस्था से घूर्णन कोण यथार्थता पूर्वक नहीं नापे जा सकते । अतः अर्ध आवरण पट्टिका (half shade plate) या बाईक्वार्ट्ज (biquart) जैसे साधन का उपयोग किया जाता है ।
  • polarimeter -- ध्रुवणमापी
समतल ध्रुवित प्रकाश के घूर्णन को यथार्थतापूर्वक मापने वाला एक यंत्र जिसमें प्रकाशीय रूप से सक्रिय द्रवों और ठोस पदार्थों का उपयोग किया जाता है ।
  • polarisation -- ध्रवण
1. परावैद्युत् (dielectric)-विद्युत् बल क्षेत्र द्वारा किसी परावैद्युत् पदार्थ में उत्पन्न विद्युत् जिसके फलस्वरूप उसका प्रत्येक सूक्ष्म अवयव द्वि - ध्रुव (dipole) की तरह व्यवहार करने लगता है ।यदि K परावैद्युतांक हो और R विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता हो तो यह ध्रुवण (Formula) के बराबर होता है । मैक्सवेल (Maxwell) ने इसका नाम विद्युत् विस्थापन रखा था ।
2. प्रकाशीय (of light)-ईथर सिद्धांत के अनुसार प्रकाश तरंग अनुप्रस्थ होती है अर्थात् माध्यम के किसी भी कण के कंपन तरंग संचरण की दिशा से समकोणित समतल मे होते हैं । इनकी दिशा क्षण - क्षण बदलती रहती है किन्तु यदि ये कंपन किसी निर्दिष्ट दिशा मे ही हों तो प्रकाश रेखा ध्रुवित कहलता है । रेखा - ध्रुवित प्रकाश की किरण में विभिन्न कण सदा एक ही समतल में होते हैं । अतः इसका समतल - ध्रुवित प्रकाश भी कहते हैं । यदि अनुप्रस्थ समतल में कंपन ऐसे हों कि कणों का गमन पथ दीर्घवृत्तीय या वृत्तीय हो तो प्रकाश क्रमशः दीर्घवृत्त - ध्रुवित या वृत्त - ध्रुवित कहलाता है ।
3. विद्युत् सेल का (of a cell)-किसी विद्युत् अपघट्य घोल, जैसे तनु गंधक अम्ल मे दो भिन्न पदार्थों यथा जस्ते और ताँबे, की प्लेटों को रखने से बने प्राथमिक सेल से प्राप्त विद्युत् धारा शीघ्र ही काफी कम हो जातीहै । इसका कारण यह है कि हाइड्रोजन के बुलबुले ताँबे की प्लेट पर एकत्र होकर एक तह बना लेते हैं । जिससे न केवल सेल काआंतरिक प रतिरोध बढ़ जाता है वरन् सेल के वि.वा.ब. की दिशा के विपरीत एक वि.वा.ब. भी पैदा हो जाता है । इस घटना को ध्रवण क हते हैं । सेलों को अधिक समय तक कार्यकर रखने के लिए निर्ध्रुवक पदार्तों (depolariser) की सहायता से प्लेट पर गैस का एकत्र होना रोका जाता है ।
  • polarisation -- ध्रवण
किसी भौतिक गुणधर्म की दैशिक निर्भरता उत्पन्न होना । इसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैः- 1. परावैद्युत का ध्रुवणः (क) विद्युत् क्षेत्र की उपस्थिति में विपरीत चिन्ह वाले वैद्युत आवेशों का पृथक्करण जिससे कि वैद्युत द्विध्रुव बन जायें । (ख) एक सदिश राशि जो द्विध्रुव आघूर्म प्रति मात्रक आयतन को व्यक्त करती है ।
2. वैद्युत अपघट्य का ध्रुवणः- विद्युत्-अपघटनी सैल में एक ऐसा विद्युतवाहक बल उत्पन्न होना जो सैल के विद्युत्-वाहक बल का वोरोध करे ।
3. क्रिस्टल में, आयनों का ध्रुवण-विद्युत् क्षेत्र में आयनों की इलेक्ट्रॉनीकी संरचना का विरूपण । यह आयनों के विपरीत दिशाओं हे वाले विस्थापन से भिन्न होता है । कबी - कबी इस प्रभाव को परमाणु क्रोडों का ध्रुवण भी कहते हैं ।
4. अशून्य प्रचक्रण वाले अवपरमाण्विक कणों का ध्रुवण - किसी प्रक्रम जैसे कि प्रकीर्णन के परिणाम स्वरूप प्रचक्रणों की किसी एक विशेष दिशा में संरेखण होने की प्रवृत्ति । ये कण परमाणु - नाभिक, इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रॉन, प्रोट्रॉन, मेसान आदि होसकते हैं ।
5. विद्युत्चुंबकीय विकिरण का ध्रुवण-विद्युत्चुंबकीय कंपनों का कुछ विशिष्ट दिशाओं में पूर्ण अथवा आंशिक दमन । इसे फ़ोटॉनों का ध्रुवण भी कहते हैं ।
  • polaroid -- पोलेराइड
एक तनु पारदर्शी फ़िल्म जिसमें ऐसे परा-सूक्ष्मदर्शी ध्रुवणकारी क्रिस्टल मौजूद होते हैं जिनके प्रकाशिक अक्ष समांतर रेखाओं में स्थित रहते हैं । इन्हें बनाने की अनेकि विधियाँ हैं । पोलेराइडों का प्रयोग करने पर बहुत बड़े ध्रुवणकारी बनाए जा सकते हैं जिनके अनेक उपयोग हैं । पोलेराइडों के उदाहरण हैं - मोटरकार की बत्तियाँ, धूप के चश्मे और कैमरा - फ़िल्टर आदि ।
  • polaroid -- पोलेराइड
अमरीकी पोलेराइड कारपोरेशन द्वारा बनाए गये एक ध्रुवणकारी पटल का व्यापारिक नाम । प्रारंभ में इसे आयोडीन तथा कुनैन के एक यौगिक है रापैथाइट (Harapathite) के सूक्ष्म क्रिस्टलों को नाट्रोसेलुलोज़ में इस प्रकार जमा कर बनाया जाता था कि समस्त क्रिस्टलों के प्रकाशीय अक्ष समांतर रहें । इससे भी अच्छी आधुनिक विधि मे इसे ठोस पोलीवाइनिल ऐलकोहॉल (polyvinyl alcohol) को खींचकर बनाया जाता है । इससे निकलने वाला प्रकाश लगभग पूर्णतया रेखा ध्रुवित होता है किन्तु निकल प्रिज्म में से निकलने वाले प्रकाश की तरह 100 % ध्रुवित नही होता । इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसके बहुत लम्बे चौड़े तख्ते बनाए जा सकते हैं और यह निकल प्रिज्म की तुलना में बहुत सस्ता भी होता है।
  • pole -- 1. ध्रुव 2. अनंतक
1. ध्रुवः (क) खगोल के उन दो बिंदुओं में कोई बिंदु जिन पर पृथ्वी का बढ़ाया हुआ अक्ष मिलता है । खगोल की काल्पनिक दैकि गति में दोंनों ध्रुव अचर माने जाते हैं । (ख) किसी शांकव और किसी रेखा (ध्रुवी) के संदर्भ में वह बिंदु जो शांकव के सापेक्ष रेखा के किसी भी बिंदु का हरात्मक संयुग्मी हो ।(ग) ध्रुवीय - निर्देशांक - तंत्र मे वह नियत बिंदु जिससे किसी बिंदु की दूरी नापी जाती है और ध्रुवाँतर रेखा जिसके सापेक्ष घूमती है ।
2. अनंतकः यदि किसी प्रदेश में परिभाषित संमिश्र फलन f(x) का एक ऐसा फलन वियुक्त बिंदु zo हो कि f(z) को
() के रूप में व्यक्त किया जा सके, जहाँ k एक मान पूर्णांक हैं, बिंदु पर वैश्लेषिक है और तो बिंदु को फलन का अनंतक कहते हं । को अनंतक की घात कहते हैं ।
  • pole -- ध्रुव (पोल)
1. किसी गोलीय पृष्ट का वह बिन्दु, जहाँ उसका घूर्णन अक्ष या सममिति अक्ष उसे काटता है ।
2. विद्युत् धारा के स्रोत (बैटरी या डायनमो) के दो सिरों (terminals) में से कोई एक ।
3. किसी चुंबक का वह स्थान जहाँ चुंबकीय बल रेखाएँ अभिसारित (एकत्र ) हों या जहाँ से अपसारित (फैलती) हों ।
  • pole strength -- ध्रुव प्राबल्य
यदि एक ध्रुव किसी दूसरे समान और सजातीय ध्रुव से 1 cm की दूरी पर हवा मे इस प रकार रखा जाए कि दोनों ध्रुवों के बीच के प्रतिकर्षण बल का मान 1 dyne हो तो वह ध्रुव मात्रक ध्रुव कहलाता है । इस मात्रक ध्रुव से 1 cm की दूरी पर स्थित किसी और चुंबकीय ध्रुव द्वारा जो बल लगता है, यदि उसका मान m dyne हो तो m को उस ध्रव का ध्रुव प्राबल्य कहते हैं ।
  • policeman -- पुलिसमैन
मात्रात्मक विश्लेषण मे कांच के पात्रों की दीवारों से अवक्षेपों को पृथक् करने की युक् ।इसमें कांच की छड़ के सिरे पर रबर का चपटा टुकड़ा लगा रहता है ।
  • polonium -- पोलोनियम
आवर्त सारणी के छठे वर्ग का रेडियोऐक्टिव धात्विक तत्व । परमाणु-क्रमांक 84, परमाणु-भार 210, प्रतीक Po । संयोजकतायें -2, +2, +4, + 6 ।इसके अनेक अस्थायी समस्थानिक हैं किंतु स्थायी समस्थानिक कोई नहीं है । यह प्रकृति में केवल थोरियम और यूरेनियम के क्षय-उत्पाद के रूप में पाया जाता है । यह मैडम क्यूरी द्वारा 1898 में आविष्कृत पहला रेडियोऐक्टिव अपघटन-उत्पाद है । यह पिचब्लैंड और यूरेनियम युक्त अन्य अयस्कों, रेडियम सीस अवशेषों तथा पुराने रेडॉन ऐम्यूलों में पाया जाता है । इसे अधिक मात्रा में बनाने के लिए नाभिकीय रिऐक्टिर में न्यूट्रॉनों की विस्मथ पर बमबारी की जाती है । इसमें से एक हीलियम नाभिक के निकल जाने से सीसे का समस्थानिक प्राप्त होता है । यह ऐल्फा विकिरण और न्यूट्रॉनों का स्रोत है । यह औजारों के अंशांकन, आर्द्रता-निर्धारण और शक्ति के स्रोत के रूप में काम आता है ।
इलेक्ट्रॉन - संरचनाः 1s2 2s22p6 3s23p63d10 4s24p64d10 4s24p64d104f14 5s25p65d10 6s26p4
  • polyelectrolyte -- पॉलिइलेक्ट्रोलाइट
एक वृहदणुक विद्युत्-अपघट्य जिसके एक ही अणु में अनेक आयननीय (ionizable) समूह होते हैं । ये प्राकृतिक (प्रोटीन, गम अरेबिक) अथवा सांश्लेषिक (पॉलिएथिलीन इमीन) दोनों प्रकार के होते हैं । पॉलिइलेक्ट्रोलाइट पूर्णतः ऋणायनी या धनायनी या उभयधर्मी हो सकता है और पृथक् आयनकारी समूह दुर्बल अथा प्रबल अम्ल हो सकते हैं । उदाहरण , प्रबल अम्लीय-पॉलिस्टिरीन सल्फोनिक अम्ल; दुर्बल अम्लीय-पॉलिमेथऐक्रिलिक अम्ल, ऐल्जिनिक अम्ल, प्रबल क्षारकीय-पॉलिवाइनिलऐमीन, उभयवर्ती-पॉलिग्लाइसीन या कोई प्रोटीन । इस शब्द का प्रयोग सामान्यतया विलेय पदार्थों के लिए होता है किंतु आयन-विनिमय रालों और रेशेदार प्रोटीनों को अविलेय पॉलिइलेक्ट्रोलाइट माना जा सकता है ।
  • polygon -- बहुभुज
वह बंद आकृति जिसमें बहुत से कोण तथा भुजाएँ हों । प्रायः यह आकृति समतलीय ही होती है । प्रायः चार से अधिक कोण वाली आकृति को बहुभुज कहते हैं ।
  • polyhedral angle -- बहुतल कोण
किसी बहुफलक के ऐसे फलकों द्वारा बनी हुई आकृति जिनका एक सर्वनिष्ठ शीर्ष हो ।
  • polymorphism -- बहुरूपता
यदि कोई पदार्थ भिन्न संरचना वाले एक से अधिक क्रिस्टलीय रूपों में पाया जाता है । तो उसे बहुरूपी कहते हैं । विभिन्न रूपों को बहुरूनक और इस परिघटना को बहुरूपता कहेत हं । उदाहरणार्थ, कार्बनिक विलायकों से मर्क्यूरिक आयोडाइड पीले रंग के विषमलम्बाक्ष पट्टिकाओं में क्रिस्टलित होता है जो धीरे - धीरे लाल, अधिक स्थायी, द्विसमलंबाक्ष रूप में बदल जाता है । तत्वों की बहुरूपता को अपररूपता (allotropy) कहते हैं ।
  • polynomial -- बहुपद
n- चरों वाला निम्नलिखित रूप का एक परिमेय बीजीय फलनः c1x1alx2bl……..xnri + C1x1a2x32b2……xnm + Ckx1akx2bk………xnrk जहाँ ci गुणांक है औरai, bi,…… क्रमशः x1, x2,……….के घात हैं । a0 + a1x + a2x2 +……..+ anxn एक चर वाला n घात का बहुपद है । योग और गुणन को अमूर्त अर्थ देकर इसी संकेत - पद्धति पर बहुपदों की परिभाषा वलय - सिद्धांत मे दी जाती है । इस प्रकार परिभाषित बहुपदों का समुच्चय एक वलय होता है ।
  • polynomial function -- बहुपद फलन
वह फलन जिनके मानों का परिकलन किसी बहुपद मे स्वतंत्र चर का मान प्रतिस्थापित करके किया जा सकता है ।
  • polynuclear compound -- बहुलकेंद्रक यौगिक, बहु वलय - यौगिक
1. ऐसा समन्वय यौगिक जिसके किसी अणु में दो या अधिक केंद्रीय परमाणु हों ।
  • polysaccharide -- पॉलिसैकेराइड, बहुशर्कराइड
मोनोसैकेराइडों से व्युत्पन्न कार्बो हाइड्रट । ये मोनोसैकेराइडों के n अणुओं से पानी के n-1 अणुओं से निकल जाने से प्राप्त होते हैं । सभी उच्च कार्बोहाइड्रेट पॉलिसैकेराइड होते हैं । उदाहरणार्थ, स्टार्च, सेलुलोस, डेक्सट्रिन आदि । उनके जल - अपघटन से मोनोसैकेराइडों के दो या अधिक अणु प्राप्त होते हैं ।
  • polyvalent -- बहुसंयोजक
दो से अधिक संयोजकता अथवा परिवर्ती संयोजकता अथवा ऑक्सीकरण अवस्था वाला तत्व या आयन । उदाहरणार्थ नाइट्रोजन, जो अपने यौगिकों में - 3 से + 5 तक ऑक्सीकरण - अवस्था प्रदर्शित करता है ।
  • pool rectifier -- कुंड दिष्टकारी
एक प्रकार का गैसयुक्त दिष्टकारी जिसमें कैथोड प्रायः पारद के एक कुंड के रूप में होता है ।
  • population -- 1. जनसंख्या 2. समष्टि
1. जनसंख्याः भौगोलिक आधार पर निर्धारित किसी विशएष प्रदेश में रहने वाले लोगों की कुल संख्या, जैसे किसी देश - विशेष मेंरहने वालों की संख्या ।
2. समष्टिः कोई परिमित या अनंत - व्यक्ति -समूह जिससे सांख्यिकीय मापन के लिए प्रतिदर्श चुने जाते हैं । यह व्यक्ति - समूह मनुष्यों वस्तुओं,म पों या अन्य मदों का हो सकता है ।
  • port -- पोर्ट
1. तरंग पथक क घटक में एक खुली हुई जगह जिसमें होकर ऊर्जा का प्रवेश या निकास किया जा सकता हैअथवा इसके माप लिए जा सकते हैं
2. लाउडस्पीकर के आधारप्रतिवर्त (base reflex) के अहाते में एक खाली स्थान जो मंद्र (bass) अनुक्रिया सुधारने के लिए बनाया जाता है ।
3. किसी विद्युत् परिपथ-जाल का निवेश या निकास-द्वारा ।
  • positive -- धन, धनात्मक
(क) वास्तविक राशियों के संबंद में शून्य से अधिक, जो ऋणात्मक न हो ।
(ख) जो स्वेच्छया मानी हुई वृद्धि की दिशा में प्वृत्त हो अथवा परिकलित की गई हो ।
(ग) जो किसी रेखा अथवा समतल के उस पार्श्व मे हो जिसको हम स्वेच्छया धन माना लेते हैं ।
  • positive (photo) -- पॉज़िटिव
फोटो लेने की प्रक्रिया में नेगेटिव से प्रकाश सुग्राही कागज, प्लेट अथवा फिल्म पर प्राप्त चित्र । समें दृश्य के अदीप्ति और दीप्त भाग वैसे ही दिखाई पड़ते हैं जैसे वास्तव मेंहोतेहैं ।
  • positive column -- धनात्मक स्तंभ
किसी गैस विसर्जन नलिका मे दाब को क्रमशः घटाने पर उसके इलेक्ट्रोडों के बीच व्याप्त एक समान दीप्ति का स्तंभ । दाब को अधिक घटाने पर यह स्तंभ दीप्त तथा अदीप्त धारियों मे बँट जाता है ।
  • positive crystal -- धनात्मक क्रिस्टल
द्विअपवर्तक, एकअक्षीय क्रिस्टल दो प्रकार के होते हैं - ऋणात्मक और धनात्मक । धनात्मक क्रिस्टलों का साधारण अपवर्तनांक (μο) असाधारण अपवर्तनांक (μο) की अपेक्षा अधिक होता है जैसे वर्ट्ज ।
  • positive feed back -- धनात्मक पुनर्भरण
प्रवर्धकों में काम आने वाले पुनर्भरण का एक प्रकार जिसमें परिपथ के निर्गत का एक अंश निवेश के साथ कला संबद्ध रूप में वापस लगा दिया जाता है , जिससे कुल प्रवर्धन बढ़ जाता है । अत्यधिक धनात्मक पुनर्भरण से अस्थायित्व एवं विकृति उत्पन्न हो जाती है और अधिक पुनर्भरण होने पर दोलन की स्थिति आ जाती है । धनात्मक पुनर्भरण को पुनर्जनन पुनर्भरण (regenerating feed back) भी कहते हैं ।
  • positive plate -- धन पट्टिका
सेल की जिस पट्टिका से विद्युत् धारा किसी बाह्य परिपथ में प्रवेश करती है ।
  • positron -- पॉजिट्रॉन
धन आवेशित इलेक्ट्रॉन जिसका आविष्कार 1932 मे ऐंडरसन ने विल्सन मेघ - कक्ष में उसके आयनकारी पथ के द्वारा काय था । बाद में इनकी उपस्थिति का पता उस समंय चला जब किसी रेडियोऐक्टिव तत्व से उत्सर्जित उच्च आवृत्ति वाली γ - किरणें किसी धातु - लेट से टकराई गई । इसके अतिरिक्त कुछ रेडियोऐक्टिव नाभिक भी इलेक्ट्रॉनों की भाँति पॉडिट्रॉन उत्सर्जित करते हैं । पॉडिट्रॉन पर आवेश +1 तथा उसका द्रव्यमान हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान का 1/1800 होता है ।
  • positronium -- पॉज़िट्रोनियम
हाइड्रोजन परमाणु के समान पॉजिट्रॉन और इलेक्ट्रॉन का एक बद्ध अल्पकालिक परमाणु । ये दो प्रकार के होते हैं - आर्थोपॉज़िट्रोनियम और पैरापॉज़िट्रोनियम । आर्थोपॉज़िट्रोनियम में इलेक्ट्रॉन और पॉज़िट्रॉन के प्रचक्रण समांतर होते हैं और पैरापॉज़िट्रोनियम में प्रतिसमांतर । निर्वात मे प्रथम प्रकार के परमाणुओं की औसत आयु 107s होती है और उनसे दो फ़ोटॉन निकलते हैं ।
  • posterior probability -- उत्तर प्रायिकता
किसी प्रायिकता का वह मान जो एक या एक से अधिक अनुप्रयोगों से प्राप्त प्रेक्षणों के आधार पर निर्धारित किया गया हो । इसके विपरीत पूर्व प्रायिकता वह प्रायिकता है जो और आगे के अभिप्रयोगों पर निर्भर नहीं रहती। इन दोनों का अंतर आपेक्षिक है, क्योंकि किसी अभिप्रयोग पर आधारित उत्तर प्रायिकता भी आगे के अभिप्रयोगों की सापेक्षता में पूर्व प्रायिकता होगी ।
  • postulate -- अभिगृहीत
वह कथन जिसे बिना किसी उपपत्ति के स्वीकार कर लिया जात ह । किसी गणितीय तंत्र के अभिगृहीत वे आधारभूत साध्य होते हैं जिनसे अन्य सभी साध्यों को व्युत्पन्न किया जाता है ।
  • potential -- विभव
वैद्युत् बल क्षेत्र में किसी बिंदु पर वैद्युत् विभव अनंत दूरी से उस बिंदु तक एक मात्रक धन आवेश के लाने में किए गए क र्य के बराबर होता है । इसी प्रकार चुंबकीय क्षेत्र या गुरूत्वीय क्षेत्रों में चुंबकीय विभव या गुरूत्वीय विभव क्रमशः एक मात्रक उत्त्र ध्रुव को या एक मात्रक द्रव्यमान वाले द्रव्य को अनंत दूरी से उस बिंदु तक लाने में किए गए कार्य के बराबर होता है ।
  • potential barrier -- विभव प्राचीर
एक ऐसा प्रेदश जिसके आर-पार इस प्रकार की वोल्टता होती है जो इसमें से गुजरने का प्रयत्न करने वाले गतिशील विद्युत्-आवेशों का विरोध करती है । इससे विद्युत्-आवेश वापस भी मुड़ सकते हैं । यह अर्धचालक और नाभिकीय भौतिकी में पाया जाता है ।
  • potential difference -- विभवांतर
दो बिंदुओं के विभवों का अंतर । यह वह कार्य है जो एक मात्रक आवेश, ध्रुव या द्रव्यमान को एक बिंदु से दूसरे तक ले जाने में करना पड़ता है । जिस विभवांतर के कारम विद्युत् चार्ज के एक कूलंब को, एक बिंदु से दूसरे तक ले जाने में एक जूल ऊर्जा की आवश्यकता ह ती है उसे एक वोल्ट (volt) कहते हैं । यदि विभवांतर V वोल्ट हो और वहन किया गया विद्युत् चार्ज Q कूलंब हो तो कार्य W = QV जूल होगा ।
  • potential energy -- ऊर्जा, स्थितिज
वस्तुओं की स्थिति या उनके अवयवों की व्यवस्था (congifuration) के कारण उनमें जो ऊर्जा होती है वह स्थितिज ऊर्जा कहलाती है । इस पूर्ण स्थितिज ऊर्जा को नापना संभव न होने के कारम इसका नाम उस ऊर्जा के द्वारा किया जाता है ज वस्तु को किसी मानक स्थिति से वर्तमान स्थिति में पहुँचने के लिए आवश्यक होती है । जैसे यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान m gm होऔर पृथ्वी से उनकी ऊंचाई में वृद्धि h cm हो जाए तो उसकी स्थितिज ऊर्जा में mgh अर्ग क वृद्धि हो जाती है ।
  • potential energy -- स्थितिज ऊर्जा
किसी तंत्र के विन्यास या स्थिति की वह ऊर्जा जो किसी निर्देश - विन्यास की सापेक्षता मं मापी गई हो । किसी स्थैतिक संरक्षी तंत्र की स्थितिज ऊर्जा उस कार्य के बराबर है जि सिकी निर्दिष्ट विन्यास से तत्कालीन विन्यास में लाने के लिए करना अपेक्षित है । यदि कोई पिंड जिका भार m हो तथा किसी मानक स्थिति से ऊंचाई h तक उठाया हुआ हो तो इस मानक स्थिति की सापेक्षता में उसकी स्थितिज ऊर्जा m x g x h है, जहां गुरूत्व है ।
  • potential gradient -- विभव प्रवणता
अधिकतम परिवर्तन की दिशा में दूरी के साथ विभव के परिवर्तन की दर । जैसे किसी विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता उसके विभव की प्रवणता के बराबर परंतु विपरीत दिशा में होती है ।
  • potentiometer -- पोटेंशियोमीटर (= विभवमापी)
यह इस नियम पर आधारित है कि जब विद्युत् - धारा का प्रवाह कई श्रेणीबद्ध प्रतिरोधों में होता है तो इस परिपथ के किन्हीं भी दो बिंदुओं का विभवांतर उन बिंदुओं के बीच के प्रतिरोध का समानुपाती होता है । विभवमापी के सरलतम रूप में एक मीटर लंबा तथा एक समान मोटाई वाला प्रतिरोधी तार एक तख्ते पर तना रहता है और उसमें बैटरी द्वारा विद्युत् चलाई जाती है । इस तार का प्रतिरोध लंबाई का समानुपाती होता है अतः तार के दो बिंदुओं का विभवांतर भी उनके बीच के तार की लंबाई का अनुपाती होता है । यदि किसी विद्युत् सैल की धन पट्टिका को एक धारामापी मे होकर किसी दूसरे कम विभव वेल बिंदु से जोड़ दिया जाए तो धारामापी में सेल के द्वारा धारा एक दिशा में चलेगी और तार के विभवांतर के द्वारा विपरीत दिशा में । यदि तार का यह दूसरा बिंदु इस प्रकार चुना जाए कि धारामापी में धारा का प्रवाह बिल्कुल भी न हो तो सेल का वि.वा.ब. तार के उन दोनों बिंदुओं के विभवांतर के बराबर होगा और यह उन बिंदुओं के बीच वाले तार की लंबाई का समानुपाती होगा । अर्थात्E= K1अतः यदि दो सैलों के लिए ऐसा संतुलन करने वाली तार की लंबाईयाँ 11 और 12 हों तो () यदि एक सेल मानक सेल हो जिसका विभव मालूम हो तो दूसरी सेल का वियवा.ब. ज्ञात हो जाता है । वि.वा.ब. के विभिन्न परिसरों के नापने के लेए अनेक प्रकार के जटिल विभवमापी बनाए गे हैं किन्तु सब एक ही मूल सिद्धांत पर आधारित हैं ।
  • pound -- पाउंड
ब्रिटिश-मात्रक-पद्धति में द्रव्यमान का मात्रक । यह बोर्ड ऑफ ट्रेड ऑफिस मे रखे हुए प्लेटिनम के सिलिंडर का द्रव्यमान है । इसे इम्पीरियल स्टैंटर्ड पाउंड भी कहते हं । एक पाउंड = 453.5924 ग्राम
  • poundal -- पाउंडल
बल जो एक पाउंड द्रव्यमान की वस्तु में एक फुट प्रति सेकंड प्रतिसेकंड का त्वरण उत्पन्न करे । 32.173 पाउंडल = 1 पौंड भार ।
  • powder method -- चूर्ण विधि
किसी क्रिस्टलीय पदार्थ को पहचानने की एक विधि । इसमें क्रिस्टलीय पदार्थ के बारीक चूर्ण में ऐक्स - किरणों के पुंज को दिष्ट किया जाता है जिससे प्राप्त विवर्तन - चित्र का फोटोग्राफ ले लिया जाता है । फोटोग्राफ के परीक्षण से पदार्थ विशेष को पहचाना जा सकता है । इस विधि का आविष्कार डेबाई और शेरर ने किया था ।
  • power -- शक्ति
किसी स्रोत द्वारा लोड को प्रदान की गई वोल्टता V और धारा I का गुणनफल अर्थात् जहाँ स्रोत की शक्ति है । इसका मात्रक वाट ह।
  • power -- 1. घात 2. शक्ति 3. क्षमता
1. घातः किसी संख्या के ऊपरा दाईं और कोई संख्या रखकर प्राप्त मान, जैसे an संख्या a का n वां घात है और n घातांक है । यहाँ यदि n बार परस्पर गुणा करके प्राप्त मान और ऋण पूर्णांक हैं तो संगत धनात्मक मान से संबद्ध घात का व्युत्क्रम । यदि n परिमेय संख्या p/q है तो यह a के p वें घात का q वाँ मूल है । अपरिमेय संख्या के लिए सन्निकट परिमेय मान के आधार पर इसी प्रकार की परिभाषा दी जाती है ।
2. शक्तिः कार्य करने की समय सापेक्ष दर । अर्थात् शक्ति (Formula) जाहँ w कार्य और t समय है ।
3. क्षमताः किसी परिकल्पना के सांख्तियकीय परीक्षण के संदर्भ में इस बात की प्रायिकता कि कोई वैकल्पिक परिकल्पना गलत हो तो वह परीक्षण के फलस्वरूप अस्वीकृत हो जाए ।
  • power alcohol -- पावर ऐल्कोहॉल
अपरिष्कृत या विकृतीकृत ऐल्कोहॉल । इसका उपयोग गैसोलीन या अन्य मोटर ईंधनों के साथ होता है
  • power amplifier -- शक्ति प्रवर्धक
एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनीय प्रवर्धक जो इसके निवेश पर लगने वाले सिग्नल की शक्ति बढ़ाने के काम आता है । इसका उपयोग उन विशेष स्थितियों में किया जाता हैजबकि प्रवर्धक के निर्गत को सीधा ही एरियल, लाउडस्पीकर या रिले - तंत्र जैसे लोड पर लगाया जाता है ।
  • power attenuation -- शक्ति क्षीणन
देखें - power loss.
  • power conversion efficiency -- शक्ति-परिवप्तन-दक्षता
1. ध्वनि-अभिग्रहण के लिए काम में आने वाले वैद्युत् ध्वनिक ट्रांसड्यूसर मे ट्रांसड्यूसर के वैद्युत टर्मिनलों पर उपलब्ध वैद्युत् शक्ति का ट्रांस्ड्यूसर को मिलने वाली ध्वनिक शक्ति के साथ अनुपात ।
2. विद्युत्-प्रदाय के प्रसंग में निर्गत दिष्टधारा शक्ति का निवेश प्रत्यावर्ती धारा शक्ति के साथ अनुपात ।
  • power detection -- शक्ति-संसूचन
एक प्रकार का संसूचन जिसमें संसूचक युक्ति की निर्गत शक्ति लाउडस्पीकर या अभिलेखित्र जैसी किसी युक्ति को सीदे ही पार्याप्त शक्ति प्रदान करती है ।
  • power divider -- शक्ति-विभाजक
तरंग पथक में एक युक्ति जिसके द्वारा किसी शाखा-बिंदु पर शक्ति का इष्ट वितरण उत्पन्न किया जाता है ।
  • power factor -- शक्ति गुणांक
1. (एकल कलीय a.c. तंत्र में) वाटों में ज्ञात शक्ति का वोल्ट - ऐम्पियरों से अनुपात । यदि वोल्टता एवं धारा ज्यावक्रीय हैं तब शक्ति गुणांक वोल्टता और धारा वेक्टरों के मध्य बने काला कोण की कोज्या के बराबर होता है । गणितीय रूप में, शक्ति गुणांक () जहाँ और क्रमशः प्रभावी वोल्टता और धारा हैं तथा इनके मध्य कला कोणहै । इसका मान 1 से अधिक नहीं हो सकता ।
  • power factor -- शक्ति गुणांक
1. (एकल कलीय a.c. तंत्र में) वाटों में ज्ञात शक्ति का वोल्ट - ऐम्पियरों से अनुपात । यदि वोल्टता एवं धारा ज्यावक्रीय हैं तो शक्ति - गुणांक - वोल्टता और धारा - वेक्टरों के मध्य बने कला - कोण की कोज्या के बराबर होता है । गणितीय रूप में, शक्ति - गुणांक () जहाँ और क्रमशः प्रभावी वोल्टता और धारा हैं तथा इनके कोण हैं । इसका मान 1 से अधिक नही हो सकता ।
  • power gain -- शक्ति-लब्धि
1. इलेक्ट्रानीय प्रवर्धक में विशिष्ट लोड प्रतिबाधा को प्रदान की जाने वाला शक्ति और प्रवर्धक के निवेश पर अवशोषित होने वाली शक्ति का अनुपात । इसे शक्ति - प्रवर्धन भी कहते हैं ।
2. ऐंटेना के प्रसंग में किसी दी हुई दिशा में विकिरण - तीर्वता और ऐंटेना को दी गई कल शक्ति के अनुपात का 4π गुना ।
  • power house -- बिजली घर
वह कारखाना जहाँ विद्युत्-शक्ति का उत्पादन किया जाता है ।
  • power level -- शक्ति-स्तर
संचरण-तंत्र के किसी भी बिंदु पर उस बिंदु पर उपस्थित शक्ति का निर्देश शक्ति के रूप मे चुनी हुई किसी यादृष्छित शक्ति मात्रा के साथ अनुपात । यह अनुपात प्रायः डेसिबेल में व्यक्त किया जाता है जबकि निवेश शक्ति 1 मिलीवाट या 1 वाट ली जाती है । प्रथम दशा मे इसे `dBm` तथा दूसरी दशा में इसे `dBw` लिखा जाता है ।
ट्रांस़ड्यूसर और संचरण-लाइन आदि के निवेश परिपथ द्वारा अवशोषित शक्ति और विशिष्ट प्रचालन प्रतिबंधों के अंतर्गत निर्दिष्ट लोड को दी गई शक्ति का अनुपात । इसे प्रायः डेसिबेल में व्यक्त किया जाता है । इसे शक्ति-क्षीणन भी कहते हैं ।
  • Power of lens -- लैंस की क्षमता
मीटरों में नापी हुई फ़ोकस दूरी F का व्युत्क्रम (reciprocal) अर्थात् लैंस की क्षमता = 1/F । इसके मात्रक को डायोप्टर (dioptre) कहते हैं । यह एक मीटर फ़ोकस दूरी वाले लैंस की क्षमता के बराबर होता है । अभिसारी लेंस की क्षमता धनात्मक और अपसारी की ऋणात्मक मानी जाती है ।
  • power output -- शक्ति निर्गत
इलेक्ट्रॉनीय प्रवर्धक द्वारा लोड को दी गई a.c. शक्ति जिसे वाट मे अभिव्यक्त किया जाता है ।
  • power supply -- विद्युत प्रदाय
एक प्रकार की युक्ति जो उपलब्ध वैद्युत ऊर्जा को किसी इष्ट वोल्टता पर दिष्ट धारा ऊर्जा में बदलती है । इसमें ट्रांसफार्मर, दिष्टकारी फिल्टर तथा इलेक्ट्रॉनीय नियंत्रण होता है । इलेक्ट्रॉनीय नियंत्रण से निर्गत वोल्तटा, प्रदाय वोल्टता और धारा के निर्दिष्ट विचलनों के लिए स्वतः निर्दिष्ट सीमा में बनी रहती है ।
  • power transformer -- शक्ति ट्रांसफार्मर
इलेक्ट्रॉनीय उपस्करों में काम आने वाला एक लोह ट्रांस्फार्मर जिसकी प्राथमीक कुंडली a.c. शक्ति लाइन से जुड़ी होती है और जिसमें एक या अधिक द्वितीयक कुंडलियाँ विभिन्न प्रत्यावर्ती वोल्टताएँ प्रदान करती है ।
  • power tube -- शक्ति-नलिका
एक प्रकार की इलेक्ट्रॉन-नलिका जो सामान्य वोल्टता - नलिका की अपेक्षा अधिक धारा और शक्ति को संभाल सकती है । इसका उपयोग a-f प्रवर्धक के अंतिम चरण मे या (r-f) प्रवर्धक के उच्च शक्ति चरणों में किया जाताहै । इसे शक्ति - प्रवर्धक - नलिका और शक्ति - निर्गत - नलिका भी कहतेहैं ।
  • preamplifier -- पूर्व प्रवर्धक
एक इलेक्ट्रॉनीय प्रवर्धक जो मुख्य रूप से किसी निम्नस्तर सिग्नल - स्रोत के निर्गत का प्रवर्धन करता है और उपयुक्त निवेश और निर्गत प्रतिबाधा प्रस्तुत करता है तथा लब्धि प्रदान करता है । इनसे सिग्नल - रव - अनुपातों में विशेष हानि हुए बिना सिग्नल का आगे संशाधन होता है । पूर्व प्रवर्धक में सिग्नलों को समान करने और उनमें मिश्रण की सुविधा भी सम्मिलित हो सकती हैं ।
  • precession -- पुरस्मरण
जाइरोरकोप (घूर्णाक्ष स्थायी) अथवा किसी घूर्णनशील पिंड के अक्ष के दिक्विन्यास में होने वाला सतत परिवर्तन । यदि कोई पिंड सममिति अक्ष OC के चारों ओर (जहाँ O एक नियत बिंदु है ) प्रचक्रण कर रहा हो और C बिंदु पिंड के बाहर स्थित OZ अक्ष के चारों ओर घूर्णन कर रहा हैतब हमकहते हैं कि पिंड OZ के चारों ओर पुरस्मरण कर रहा है । OZ को पुरस्सरण अक्ष कहते हैं । जाइरोदर्शी अनुप्रयुक्त बल युग्म के कारम पुरस्सरण करते हैं ।
  • precipitant -- अवक्षेपक
कोई अभिकर्मक जिसके कारण अवक्षेपण होता है ।
  • precipitation number -- अवक्षेपणांक
परीक्षण किये जाने वाले तेल से अवक्षेपित ठोस पदार्थ की समानुपाती मात्रा का सूचक । किसी स्नेहक तेल के 10 घन से.मी. को विशेष क्वथन परास वाले 90 घन सेमी नेपथा में मिलाने से प्राप्त अवक्षेप की घन सेमी में मात्रा ।
  • prediction -- प्रागुक्ति
सामान्य अर्थ में वह प्रक्रम जिसमें भविष्य के किसी समय विशेषकर किसी सांख्यिकीय विचर द्वारा ग्रहण किए जाने वाले मान का पहले ही से अनुमान लगाया जाता है । कभी - कभी समय - सापेक्षता के बिना भी प्रागुक्ति की जाती है, जैसे किसी आक्षित चर का स्वतंत्र चरों के साथ समाक्षयण - संबंध की प्रागुक्ति ।
  • predissociation -- पूर्व-नियोजन
इसका प्रयोग स्पेक्ट्रम विज्ञान में एक प्राकर के अणु - पट्ट स्पेक्ट्रम के संबंध में होता है । ये पट्ट विसरित रहते हं और उनकी स्पष्ट अभिसरण सीमा (convergence limit) नहीं होती, किंतु वे धीरे - धीरे सांतत्यक में विलीन हो जाते हैं । इसकी व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है कि अणु पहले प्रकाश का अवशोषण कर एक मितस्थायी अवस्था में बदल जाता है किंतु कुछ कंपनों के बाद वह वियोजित हो जाता है ।
  • pressure -- दाब
1. यदि किसी क्षेत्र S पर बल F अभिलंब दिशआ में लग रहा हो और वह उस पर समान रूप से वितरित हो तब प्रतिमात्रक क्षेत्रफल पर लगने वाला बल, F/S दाब कहलाता है ।
2. तरल पदार्थ (द्रव या गैस) के किसी बिंदु विशेष पर दाब वह बल होता है जो उस बिंदु पर स्थित एक सूक्ष्म समतल पृष्ठ के प्रतिमात्रक क्षेत्रफल पर वह द्रव या गैस लगता है । विरामावस्था में तरल के किसी बिंदु पर सभी दिशाओं मे दाब का मान बराबर होता है । C.G.S. पद्धति में दाब का मात्रक डाइन प्रति वर्ग सेंटीमीटर होता है दाब का एक अन्य मात्रक "बार" (bar) भी होता है जो 106 डाइन प्रति सेंटीमीटर के बराबर होता है । यदि किसी नली में पारा h cm की उँचाई परभर दिया जाए तो उस नली के पेंदे पर पारे के बोझ के कारण hdg डाइन प्रतिवर्ग सेंटीमीटर का दाब लगेगा । इसमें d =पारे का घनत्व; 00C के ताप पर,g =गुरूत्वीय त्वरण है । जो दाब इस दाब के बराबर हो उसे बहुधा h cm पारे का दाब भी कहते हैं । वायुमंजलीय दाब भी दाब का एक मात्रक है और उसका नाम ऐटमॉस्फियर है । मानक ऐटमॉस्फ़ियर 00 सेंटीग्रेड पर स्थित 760.00 mmपारद स्तंभ के दाब के बराबर होता है । एक ऐटॉस्फ़ियर का मान 1013.250 मिलीबार = 1.031 x 106 डाइन प्रति वर्ग सेंटीमीटर होता है ।
  • pressure gauge -- दाब गेज
दाब मापने का यंत्र। ये कई प्रकार के होते हैं । द्रव स्तंभ, दाबांतरमापी और मुक्त पिस्टन गेज प्राथमिक गेज की श्रेणी में आते हैं । द्वितीयक गेजों में बूरदां गेज, प्रतिरोध गेज आदि शामिल किये जाते हैं । सूक्ष्म दाबान्तर मापी भी एख प्रकार का दाब गेज है । मेकलियोड गेज और नुडसन गेज आदि निर्वात गेज के उदाहरण हैं ।
दाब गेज
दाब मापने का यंत्र। ये कई प्रकार के होते हैं । द्रव स्तंभ, दाबांतरमापी और मुक्त पिस्टन गेज प्राथमिक गेज की श्रेणी में आते हैं । द्वितीयक गेजों में बूरदां गेज, प्रतिरोध गेज आदि शामिल किये जाते हैं । सूक्ष्म दाबान्तर मापी भी एख प्रकार का दाब गेज है । मेकलियोड गेज और नुडसन गेज आदि निर्वात गेज के उदाहरण हैं ।
  • price index -- भाव सूचकांक, मूल्य सूचकांक
वह सूचकांक जो वस्तुओं के दामों से संबंधित विविध आँकडों की श्रेणियों को एक श्रेणी में संयोजित करके दामों के एक औसत स्तर के रूप में निरूपित करता है । ये सूचकांक प्रायः खुदरा दामों और उद्योग-निर्मित वस्तुओं के दामों के होते हैं ।
  • primary cell -- प्राथमिक सेल
एक प्रकार का विद्युत् सेल जिसमें विद्युत रासायनिक अभिक्रिया द्वारा विद्युत धारा उत्पन्न की जाती है । सामान्यतः यह अभिक्रिया उत्क्रमणीय नहीं होती अतः विद्युत्धारा द्वारा इस सेल के पुनः आवेशित नहीं किया जा सकता । बहुधा यह सेल एक मानक सेल के रूप मे काम करता है ।
  • primary cell -- सेल, प्राथमिक
प्राथमिक सेल वह विद्युत्-सेल होता है, जिसमें जस्त आदि कीस धातु पर किसी ऐसिड की रासायनिक क्रिया के द्वारा विद्युत् - धारा उत्पन्न होती है । इसके विपरीत द्वितीयक सेल वह होता है जिससे पहले विद्युत् दारा चलाकर विद्युत - ऊर्जा संचित कर ली जाती है और तब वह विद्युत् - स्रोत का काम दे सकती ह इसे संचायक सेल भी कहेत हं ( जैसे डैनियल सेल, वाइक्रोमेट सेल आदि) धारा के प्रवाह से इनमें जस्त ऐसिड घुल - घुल कर नष्ट हो जाता है ।
  • primary colour -- प्राथमिक वर्ण, प्राथमिक रंग
तीन रंगीन प्रकाशों का एक समुच्च्य जिन्हें समान अनुपात में मिलाने पर श्वेत प्रकाश उत्पन्न होता है । इस प्रकार के एक सेट मे लाल, हरे और नीले रंग के प्रकाश होते हैं ।
  • primary emission -- प्राथमिक उत्सर्जन
एक प्रकार का इलेक्ट्रॉन-उत्सर्जन जो किसी पृष्ठ को गरम करने या उस पर इलेक्ट्रॉन - के अतिरिक्त अन्य विकिरण पड़ने अथवा इसके आर - पार विद्युत क्षेत्र लगाने से सीधा ही प्राप्त होता हैइलेक्ट्रॉन - विकिरण द्वारा प्राप्त होने वाला इलेक्ट्रॉन - उत्सर्जन द्वितीयक उत्सर्जन कहलाता है । तुलना करें - secondary emission.
  • primary reaction -- मुख्य अभिक्रीया
यदि A और C अभिकारकों के बीच होने वाली अभिक्रीय मंद हो तथा साथ - साथ A और B के बीच होने वाली अन्य अभिक्रिया तीव्र हो तो तीव्र अभिक्रिया मुख्य तथा मंद अभिक्रिया द्वितीयक कहलाती है ।
  • primary valence -- मुख्य संयोजकता
किसी तत्व की वह संयोजकता जिसके स्थायी यौगिक सबसे अधिक होते हैं ।
  • prime factor -- अभाज्य गुणनखंड
वह अभाज्य राशि (संख्या, बहुपद) जो किसी दी हुई राशि को पूरा-पूरा भाग दे सके । उदाहरणार्थः (1) 30 के अभाज्य गुणनखंड 2,3 और 5 हैं, (2) x5 + 2x3 + x के अभाज्य गुणनखंड x (x+1) और (x-1) है ।
  • prime meridian -- प्रमुख याम्योतर
ग्रीनिच का याम्योतर जिससे पृथ्वी के विविध स्थानों के देशांतर मापे जाते हैं ।
  • prime number -- अभाज्य संख्या
वह संख्या जो स्वयं तथा 1 के अतिरिक्त अन्य किसी संख्या से विभाजित न हो सके । जैसे 2,3,5,7 आदि ।
  • primitive polynomial -- पूर्व बहुपद
पूर्णांकीय गुणांकों वाला कोई बहुपद f(x) = a0 + a1 x + …….+anxn a0, a1,…...an का महत्तम समापवर्तक 1 हो ।
  • primitive root -- पूर्वग मूल
1 का ऐसा n वाँ मूल, अर्थात् समीकरण xn-1 = 0 के हल के रूप में प्राप्त ऐसी संख्या जो nसे छोटे किसी भी पूर्णांक r के लिए xr - 1 =0का हल नहीं हो सकती। n = 1 औरn= 2को छोड़कर बाकी सभी पूर्णांको के लिए पूर्वग मूल संमिश्र होते हैं । पूर्वग तृतीय मूल (Formula) होते हैं और पूर्वग चतुर्थ मूल i होते हैं ।
  • principal axis (of a lens or a mirror) -- अक्ष, मुख्य (लेन्स या दर्पण का)
गोलीय दर्पण या लेन्स के वक्रता-केन्द्रों में से जाने वाली रेखा ।
  • principal curvature -- मुख्य वक्रता
किसी पृष्ठ के किसी बिंदु पर वह अभिलंब वक्रता जो दो मुख्य दिशाओं में से किसी दिशा में काटे गए अभिलंब प्रतिच्छेद की वक्रता हो ।
  • principal directions -- मुख्य दिशाएँ
किसी पृष्ठ के किसी बिंदु पर पृष्ठ को अभिलंब समतलों द्वारा काटने पर प्राप्त वक्रों की वक्रता - त्रिज्यओं में से उन दो वक्रता - त्रिज्यायों की दिशाएँ जिनके संख्यात्मक मान अधिकतम या न्यूनतम हो ।
  • principal normal -- मुख्य अभिलंब
किसी आकाशीय वक्र के किसी बिंदु P के संदर्भ में Pसे होकर जाने वाली वह रेखा जो वक्र पर लंब हो और P पर वक्र के आश्लेषी समतल मे स्थित हो ।
  • principal of uncertainty -- अनिश्चितता का सिद्धांत
यह सिद्धांत बताता है कि किसी द्रव्य कम के स्थान को और संवेग को एक साथ पूर्ण यथार्थता पूर्वक निर्धारित करना असंभव है । यह संभव हो सकता है कि इन दोनों में से किसी एक को जितनी भी यथार्थता से चाहें उतनी से नाप लें परन्तु इन दोनों मसे किसी एक के नाम में यथार्थता जितनी ही अधिक होगी दूसरे के नाप में उतनी की कम हो जाएगी । इस सिद्धांत को वर्नर हाइजनबर्ग (W. Heisenberg) ने 1927 में उपस्थित किया था । उनके नियम के अनुसार यदि किसी कण के स्थान निर्धारण मे अनिश्चितता Δq हो और उसके संवेग निर्धारण में अनिश्चिततता Δqहो और उसके संवेग निर्धारण में अनिश्चितता Δpहो तो दोनों के गुणनफल Δp Δq का मान (Formula) से कम नही हो सकता, जहाँ h पल्क का नियतांक है जिसका मान 6.6 x 10-27 अर्ग - सेकंडहै । यह अनिश्चितता सिदधआंत विहित संयुगममी चरों (canonically conjugate variables) पर लगू होता है, यथा ऊर्जा और समय इत्यादि ।
  • principal radii of curvature -- मुख्य वक्रता-त्रिज्याएँ
किसी पृष्ठ के किसी बिंदु पर लिए गए सभी अभिलंबीय प्रतिच्छेदों की वक्रता - त्रिज्याओं के अंतर्गत वे दो वक्रता - त्रिज्याएँ जिनका मान या तो इनमें सबसे अधिक होता है या सबसे कम ।
  • principal valence -- मुख्य संयोजकता
देखिए- primary valence.
  • principle of conservation of mass -- द्रव्यमान संरक्षण का नियम
द्रव्य न तो उत्पन्न किया जा सकता है, न नष्ट । यह कहना अदिक ठीक होगा कि किसी विलगित द्रव्यतंत्र का द्रव्यमानउसमें होने वाले भौतिकया रासायनिक सभी प्रक्रमों में अपरिवर्तित रहता है । आइन्सटाइन ( Einstein) द्वारा इस नियम में संशोधन किया गया है। द्रव्य का मान सदैव स्थिर नही होता । भौतिक प्रक्रमों द्वारा कभी - कभी द्रव्य ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है और ऊर्जा द्रव्य के रूप में, लेकिन सभी दशाओं में द्रव्य तथा ऊर्जा की मात्रोओं का योग स्थिर रहता है ।
  • principle of conservation of momentum -- संवेग संरक्षण का नियम
किसी भी द्रव्यतंत्र में जिस पर कोई बाह्य प्रभाव कार्यकर नहीं होता, सब संवेगों का बीजीय योग अपरिवर्तित रहता है । (क) रैखिक संवेग-द्रव्य कणों के किसी तंत्र में किसी निश्चित दिशा में समस्त कणों के रैखिक संवेगों का योग अपरिवर्तित रहता है, जब तक कि इस दिशा में उस तंत्र पर कोई बाह्य बल न लगे ।
(ख) कोणीय संवेग- इसी प्रकार, किसी अक्ष के चारों ओर घूमने वाले तंत्र में उसके समस्त अवयवों के कोणीय संवेगों का योग अपरिवर्तित रहातै है जब तक कि कोई बाह्य बलयुग्म उस पर न लगाया जाए ।
  • printed circuit -- मुद्रित परिपथ
एक वैद्युत परिपथ या परिपथ-अवयव जिसमें तारों के संबंधन और कुछ नियत घटक परिपथ बोर्ड पर मुद्रित कर दिए जाते हैं । इसमें सर्वप्रथम किसी विद्युतरोधई पदार्थ के पट्ट पर ताँबे जैसी विद्युत् चालकीय धातु का लेप कर दिया जाता है । धातु के वे अंश जो तार संबंधन और घटकों को दर्शाते हैं फोटोग्राफीय विधि द्वारा संरक्षी लेपन सहित बना दिए जाते हैं । अबयह संपूर्ण पट्ट अम्ल मे डुबाया जाता हजिससे आरक्षित धातु घुल जाती है और परिपत - अवयव रह जाता है इसके बाद परिपथ से संरक्षी लेपन हटा दिया जाता है और परिपथ उपयोग के लिए तैयार हो जाता है ।
  • prior probability -- पूर्व प्रायिकता
प्रायिकता का वह मान जिसकी परिकल्पना किसी अभिप्रयोग के पहले की गई हो; इसकी तुलना में अभिप्रयोग के परिणामस्वरूप प्राप्त प्रायिकता को उत्तर प्रायिकता कहते हैं ।
  • prism -- प्रिज्म
समतल फलकों द्वरा परिबंधित वह ठोस आकृति जिसके दोनों सिरे सर्वांगसम बहुभुज हों तथा समांतर समतलों में स्थित हों ।
  • probability -- प्रायिकता
घटनाओं के किसी अनंत अनुक्रम में किसी वेशिष घटना के घटित होने की आपेक्षिक बारंबारता जो उसके घटित होने के अवसरों की संख्या और उसके अनिवार्य रूप से घटित होने के लिए आपेक्षित घटनाओं की कुल औसत संख्या के अनुपात पर आधारित है ।
  • probable error -- प्रसंभाव्य त्रुटि
प्रतिचयन की विचरणशीलता का एक माप जो मानक त्रुटि का 0.6745 गुना होता है । किसी प्रसामान्य प्रायिकता वक्र के नीचे का आधा क्षेत्रफल माध्य 0.6745 के परिसर के अंतर्गत आता है, जहाँ बंटन का मानक विचलन है । यही इस संख्या की सार्थकता है ।
  • probe -- अन्वेषी शालाका
1. एक परीक्षण-अग्र जिसके एक सिरे पर सक्रिय या निष्क्रिय परिपथ-जाल होता है । इसका उपयोग प्लैज्मा-नलिका, तरंग-पथक आदि तंत्रों में मापन और मानीटरन के लिए किया जाता है । इसके साथ लगाने वाले तंत्र की अवस्था में कोई परिवर्तन नहीं होता ।
2. एक अनुनादी विद्युत्-चालक जो तरंग-पथक या कोटर अनुनादी में ऊर्जा प्रवेश करने अथवा निकालने के लिए रखा जाता है ।
3. एक खंड जो संचरण-लाइन के खांचित खंड में अप्रगामी तरंगानुपात मापने या सिग्नल को प्रवेश कराने या निकालने के लिए रखा जाता है ।
  • process control -- प्रक्रम-नियंत्रण
1. किसी जटिल औद्योगिक प्रक्रम का स्वतः नियंत्रण ।
2. किसी पदार्थ में होनेवाले भौतिक या रासायनिक परिवर्तनों का नियंत्रण ।
  • product -- गुणनफल
किसी गणितीय तंत्र की किन्हीं दो या दो से अधिक वस्तुओं को किसी निर्धारित क्रम मे रखकर उन पर गुणन नामक संक्रिया करके प्राप्त फल; जैसे दो वास्तविक संख्याओं में साधारण गुणा करनके प्राप्त फल । अलग - अलग गणितीय तंत्रों में यह संक्रिया अलग - अलग होती है, जैसे (m x h) आव्यूह A = (aij) का (h x n )आव्यूह B = (bij)से इस क्रम में गुणन - संक्रिया करने से प्राप्त फल C = AB वह m x n आव्यूह होता है जिसका अवयव Cik = Π aijbij होता है ।
  • profit -- लाभ
किसी वस्तु को बेचने पर प्राप्त धन राशि से वस्तु के मूल लागत और उसे बेचने मे लगे हुए खर्चों के योग को घटाने पर प्राप्त धन राशि ।
  • progeamme control -- प्रोग्राम - नियंत्रण
1. एक प्रकार का नियंत्रण-तंत्र जो अपने लक्ष्यमान को या तो स्वतः बनाए रखता है अथवा समय के आधार पर इसका परिवर्तन कर देता है ताकि किसी प्रक्रम केलिए निर्दिष्ट प्रोग्राम का अनुसरण किया जा सकें ।
2. एक प्रकार का नियंत्रण-तंत्र जिसमें किसी संक्रिया या प्रक्रम का निर्देश देने के लिए कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है और कंप्यूटर के द्वारा ही संक्रिया या प्रक्रम को स्वतः बनाए रखने अथवा घटनाओं के निर्दिष्ट अनुक्रम के आधार पर उनमें परिवर्तन का निर्देश दिया जाता है ।
  • programme -- प्रोग्राम
1. उचित अनुक्रम में व्यवस्थित अनुदेशों का एक सेट जो अंकीय अभिकलित्र को समस्या का हल करने के लिए एक या एक से अधिक इष्ट संक्रिया करने का निर्देश देते हैं । पूरे प्रोग्राम में आँकड़े लिखने और परिणामों के कार्यकारी उपयोग की योजनाएँ सम्मिलित होती हैं ।
2. प्रमोद या सूचना के लिए केवल संचरित श्रव्य थवा श्रव्य और दृश्य सिग्नलों का एक अनुक्रम ।
  • programme -- प्रोग्राम, कार्यक्रम
किसी समस्या को हल करने के लिए बनाई गई योजना और उसके लिए आवश्यक चरमों का स्पष्ट निर्देश । इसमें समस्या का विश्लेषण, चरणों का निर्धारण, चरणों की कार्यचयन पद्दति, और अन्य संबद्ध मामले सम्मिलितहैं । अभिकलित्र के संदर्भ मे इसमें नेमकाओं और उपनेमकाओं का निर्धारण, संकेतीकरण आदि प्रक्रम आते हैं ।
  • programme signal -- प्रोग्राम - सिग्नल
1. प्रोग्राम की संक्रिया में परिवर्तन करने वाला कोई भी सिग्नल ।
2. श्रव्य-तंत्रों में श्रव्य पुनरूत्पादन के उद्देश्य से प्रेषण किए जाने वाले भाषण संगीत या संबद्ध ध्वनियों के संगत संमिश्र विद्युत्तरंग ।
  • programming -- प्रक्रमन, प्रोग्रामन
1. प्रोग्रामन बनाने का प्रक्रम ।
2. किसी समस्या के हल की योजना को मशीन - संवेद्य निर्देेश के रूप में लाने काप्रक्रिया - तंत्र ।
  • progression -- श्रेढ़ी
राशियों का वह अनुक्रम जिसमें कोई भी द क्रमिक पद किसी नियम से संबंधित हों । इसके तीन भेद होते हैं, समांतर श्रेढ़ी, गुणोत्त्र श्रेढ़ी तथा हरात्मक श्रेढ़ी ।
  • progressive scanning -- अनुक्रमिक क्रमवीक्षण
दूरदर्शन में काम आने वाला एक प्रकार का रैखिक क्रमवीक्षण-प्रक्रम जिसमें संलग्न रेखाओं का क्रमवीक्षण उत्तरोत्तर अनुक्रम से किया जाता है ।
  • progressive wave -- प्रगामी तरंग
वह अनुप्रस्थ या अनुदैर्ध्य तरंग जिसके शीर्ष, गर्त या संघनन, विरलन माध्यम में स्थानांतरितहोते रहते हैं । यदि माध्यम समांग हो तो इनका वेग अपरिवर्तित ह ता है और उनका मान माध्यम के गुणधर्मों पर अवलंबित होता है । इसमें माध्यम का प्रत्येक कण दोलन करता है और अपने से पहले वाले कण से कला में पिछड़ा रहता है । यदि कोई तरंग v वेग से x-अक्ष की धनात्मक दिशआ में चल रही है तो उसे निम्न समीकरण द्वारा निरूपित किया जाता है । (Formula) जहाँ a= आयाम λ= तरंग दैर्ध्य
  • progressive wave -- प्रगामी तरंग
अनंत समांगी माध्यम अथवा निर्वात में से गुजरने वाली एक तरंग जिसका तरंगाग्र संचरण की दिशा मे एक निश्चित वेग से निरंतर आगे बढ़ता रहात है । इसके विपरीत अप्रगामी तरंग (standing wave) में तरंग दो सीमाओं के बीच सीमित रहती है और तरंगाग्र इन सीमाओं के बीच प्रत्येक बिंदु पर समय के साथ अपरिवर्ती बना रहता हैं ।
  • progressive wave -- प्रगामी तरंग
अनंत समांगी माध्यम अथवा निर्वात में से गुजरने वाली एक तरंग जिसका तरंगाग्र संचरण की दिशा मे एक निश्चित वेग से निरंतर आगे बढ़ता रहात है । इसके विपरीत अप्रगामी तरंग (standing wave) में तरंग दो सीमाओं के बीच सीमित रहती है और तरंगाग्र इन सीमाओं के बीच प्रत्येक बिंदु पर समय के साथ अपरिवर्ती बना रहता हैं ।
  • projection -- प्रक्षेपण, प्रक्षेप
1. किसी आकृति के बिंदुओं को किसी समतल पर निरूपित करने का प्रक्रम या ऐसे प्रक्रम से प्राप्त आकृति । यह निरूपण प्रायः एक नियत बिंदु (प्रक्षेप - केंद्र) की सापेक्षता में होती है । इस बिंदु को दी हुई बिंदु से मिलाने वाली रेखाएँ दिए हुए समतल को जिन बिंदुओं पर काटती हैं उनसे उस समतल पर आकृति का प्रक्षेप बनता है । ऐसे प्रक्षेप को केन्द्रीय प्रक्षेप कहते हैं । किसी आकृति के बिंदुओं से दी हुई रेखा या समतल पर खींचे गए लंबों के पादों से बनी आकृति को बी मूल आकृति का प्रक्षेप कहते हैं । यह लांबिक प्रक्षेप है ।
2. किसी कण अथवा पिंड को वायुमंडल में फेंकने की क्रिया अथवा भाव ।
  • projective geometry -- प्रक्षेपीय ज्यामिति
ज्यामितीय आकृतियों के उन गुणधर्मों का अध्ययन जो प्रक्षेपण के अधीन निश्चर रहते हैं ।
  • prolate spheroid -- दीर्घाक्ष गोलाभ
वह घनाकृति जो किसी दीर्घवृत्तों को उसके दीर्घ अक्ष के चारों ओर घूमाने से प्राप्त होती है ।
  • prometer -- उत्तापमापी, प्रकाशिक
उच्च ताप मापने का यंत्र । यह कई प्रकार के होते हैः- 1. प्रकाशिक उत्तापमापी 2. विकिरण उत्तापमापी 3. प्रतिरोध उत्तापमापी 4. ताप - विद्युत् उत्तापमापी 5. अवरक्त उत्तापमापी ।
  • promethium -- प्रोमिथियम
तीसरे वर्ग का लैन्थेनिड श्रेणी का विरल मृदा रेडियोऐक्टिव तत्व । परमाणु - क्रमांक 61, परमाणु - भार 145, प्रतीक Pm । यह र जत - श्वेत धातु है जिसका गलनांक 11600 है। यह केवल यूरेनियम के विखंडन - उत्पाद के रूप मे प्राप्त किया गया है । इसके 147 Pm और 149 Pmदो समस्थानिक ज्ञात किए गे हैं जिनकी अर्ध - आयु क्रमशः 3. 7 वर्ष और 47 घंटे हैं । यह अन्य विरल मृदा तत्वों के रासायनिक गुणधर्म प्रदर्शित करता है । इसका उपयोग नाभिकीय साहयक पावन जिनित्र, विशिष्ट अर्धचालक बैटरी घड़ी के डायलों के संदीप्त पेंट, ऐक्स - किरण स्रोत, मोटाई प्रमापियों आदि मेंहोता है । इसका पुराना नाम इलीनियम है ।
इलेक्ट्रॉन- संरचनाः 1s2 2s22p6 3s23p63d10 4s24p64d10 4f14 5s25p6 6s2.
  • prominence -- सौर ज्वाला
चमकती हुई गैस की एक चादर जो सूर्य के वर्णमंडल के बाहर फैली होती है । गैस की दीप्त धाराएँ वर्णमंडल से उठती ह ई और वापस जाती हुई दिखाई देती ह। पूर्ण सूर्य - ग्रहण के समय इसे खाली आँख से देखा जा सकता है ।
  • proof -- उप्पत्ति
गणितीय, विशेषकर ज्यामितीय प्रमेयों के तथ्य को सिद्ध करने की प्रक्रिया को उप्पत्ति कहते हैं । किसी ज्यामितीय प्रमेय के चार अंग होते हैं । 1. साधारण प्रतिज्ञा 2. मुख्य प्रतिज्ञा 3. रचना 4. उप्पत्ति ।
  • propagation constant -- संचरण नियतांक
किसी माध्यम से तरंग संचरण के दौरान इसके आयाम का क्षीणन और प्रावस्था परिवर्तन दर्शाने वाले एक गुणांक । यह एक संमिश्र राशि है जिसका वास्तविक अंश क्षीणन दर्शाता है और अधिकल्पित अंश प्रावस्था परिवर्तन । यह गुणांक माध्यम के स्वरूप और तरंग-आवृत्ति पर निर्भर करता है ।
  • propagation constant -- संचरण-नियतांक
किसी माध्यम से तरंग-संचरण के दौरान इसके आयाम का क्षीणन और प्रावस्था-परिवर्तन दर्शाने वाला एक गुणांक । यह एक संमिश्र राशि है जिसका वास्तविक अंश क्षीणन दर्शाता है और अभिकल्पित अंश प्रावस्था-परिवर्तन । यह गुणांक माध्यम के स्वरूप और तरंग आवृत्ति पर निर्भर होता है ।
  • propagation loss -- संचरण-हानि
संचरण के दौरान दो बिंदुओं के बीच विकिरित ऊर्जा की हानि । इसके अंतर्गत शक्ति - तीव्रता या अन्य ऐसी ही राशि में आई हुई उस वस्तु को मापा जाता है जो इस राशि को घटने वाले सभी प्रभावों से उत्पन्न हुई हो ।
  • proper fraction -- उचित भिन्न
वह भिन्न जिसका अंश हर से छोटा हो, जैसे 7/9, वह भिन्न जिसके अंश के पदों का अधिकतम घात हर के पदों के अधिकतम घात से कम हो जैसे (Formula) ।
  • proper motion -- निजी गति
किसी तारे के दिशा-परिवर्तन की दर, या अन्य तारों की सापेक्षता में उसके आभासी स्थान का परिवर्तन । प्रायः यह विस्थापन काफी कम होता है । लगभग 50 तारे ही ऐसे पाए गएहैं जिनकी निजी गति प्रतिवर्ष 2 विकला या उसके आस-पास हो ।
  • proper subset -- उचित उपसमुच्चय
किसी समुच्चय के सभी सदस्यों को न लेकर उनके केवल कुछ सदस्यों से बनाया गया उपसमुच्चय ।
  • proposition -- साध्य
किसी ऐसी गणितीय तथ्य का औपचारिक कथन जिसकी उप्पत्ति देना अपेक्षित होता है ।
  • protactinium -- प्रोट-ऐक्टिनियम, प्रोटैक्टिनियम
तीसरे वर्ग का ऐक्टिनाइड धात्विक तत्व । परमाणु - क्रमांक 91, परमाणु - भार 231, घनत्व 15.37, प्रतीक Pa, गलनांक लगभग 16000 । यह प्रकृति में यूरेनियम अयस्कों में पाया जाता है किंतु इस आसानी से प्राप्त करने के लिए Th230 का न्यूट्रॉनों से किरणन किया जाता है । इसे पृथक् करना कठिन होता है जिसके लिए विलायक निष्कर्षण, आयन विनिमय और वाष्पशीलता प्रक्रमों का प्रयोग किया जाताहै । इसे 14000 पर टेट्राफ्लूओराइड का बेरियम के साथ अपचयन किया गया है । यह कठोर, चमकीली आघातवर्ध्य धातु है जो हवा में धीरे - धीरे बदरंग हो जाती है । इसके सभी यौगिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं ।
  • protective colloid -- रक्षी कोलॉइड
जिलेटिन जैसे द्रवस्नेही कोलॉइड, जलयोजित होने के कारम विद्युत् - अपुघट्यों की अल्प मात्राओं को मिलाने पर अप्रभावित रहते हैं । अतः यदि द्रव विरोधी कोलॉइड में इन द्रवस्नेही कोलॉइडों की अल्प मात्राएँ मिला दी जाएँ तो ये द्रव विरोधी कोलॉइडों की, विद्युत् - अपघट्यों के स्कंदन प्रभाव से रक्षा करते हैं । ऐसे द्रवस्नेही कोलॉइड, रक्षी कोलॉइड कहलाते हैं । उदाहरणार्थ, फोटोग्राफी पायस में जिलेटिन, रक्षी कोलॉइड का काम करता है ।
  • protein -- प्रोटीन
जटिल नाइट्रोडनी पदार्थ जो सभी जीवित पादपों और जंतुओं की कोशिकाओं के मुख्य रचक हैं । इनमें लगभग 52 प्रतिशत कार्बन, 25 प्रतिशत ऑक्सीजन, 15 प्रतिशत नाइट्रोजन और 7 प्रतिशत हाइड्रोजन होता है । इधिकांश प्रोटीनों में फॉस्फोरस और गंधक भी होता है ।ऐमीनो अम्लों के अवशिष्ट भागों के पेप्टाइड बंधों (peptide linkages) द्वारा परस्पर संयोजन से बनते हैं । पेप्टाइड बंध का निर्माण एक ऐमीनो अम्ल के अणु के कार्बोक्सी समूह तथा दूसरे एमीनो अम्ल के अणु के ऐमीनो समूह से एक जल - अणु के निरसन से होता है । प्रोटीनों के अणउभार लगभग 5,000 से लेकर 60,00, 000 तक होता है । ये गंधहीन तथा स्वादहीन होते हं । ये पानी में घुलकर कोलॉइडी विलयन बनाते हैं । अनेक प्रोटीन क्रिस्टलीय रूप में भी प्राप्त किए गए हैं । ये ध्रुवण - घूर्णक होते हैं । गर्म करने पर ये अनिश्चित गलनांकों पर अपघटित होते हं तथा जल, अम्ल और कुछ किण्वजों द्वारा इनका जल - अपघटनहो जाता है । ऊतकों के अपव्यय (wastage) की पूर्ति और वृद्धि के लिए खाद्यों में इनकी उपस्थित अनिवार्य है । प्रोटीन को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है ।
1. सरल प्रोटीन-जिसमें प्रोटैमीन, हिस्टोन, ऐल्बुमिन, ग्लोबुलिन, ग्लेटिलि, प्रोलैमीन, स्कलैरिओप्रोटीन आते हैं।
2. संयुग्मित प्रोटीन - इसमें फॉस्फोप्रोटीन, क्रोमोप्रोटीन, ग्लूकोप्रोटीन, न्यूक्लिओप्रोटीन आते हैं ।
3. व्युत्पन्न प्रोटीन या प्रोटीन भंजक उत्पाद - इसमें मेटाप्रोटीन, प्रोटियोस, पेप्टोन, पेप्टाइड आते हैं ।
  • protolysis -- प्रोटॉन-अपघटन
वह अभिक्रिया जिसमें प्रोटॉन (हाइड्रोजन ऑयन ) का अम्ल से क्षारक को स्थानांतरण होता है ।
  • proton -- प्रोटॉन
परमाणु नाभिक दो प्रकार के मौलिक भारी कणों का बना होता है । उनमें से एक प्रकार के कणों पर धनात्मक आवेश होता है । इन्हें प्रोटॉन का आवएश इलेक्ट्रॉन के आवेश के बराबर परपन्तु धनात्मक होता है और उसका मान 4.802x1010 e.s.u. होता है । प्रोटॉन का द्रव्यमान लगभग हाइड्रोजन परमाणु के द्रव्यमान केबराबर अर्थात् 1. 67x10-24 ग्राम होता है । यह इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान से 1845 गुणा अधिक ह ता है । प्रत्येक तत्व के परमाणु - नाभिक मेप्रोटानों की संख्या उस तत्व के परमाणु क्रमांक (atomic number) के बराबर होती है ।
  • proton number -- प्रोटॉन संख्या
परमाणु के नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या । इस संख्या को परमाणु क्रमांक भी कहते हैं । इससे तत्व के रासायनिक गुणों और आवर्त सारणी में उसके स्थान का निर्धारण करते हैं । किसी तत्व के सभी समस्थानिकों की प्रोटॉन संख्या बराबर होती है । इसका प्रतीक Z है ।
  • protonation -- प्रोटॉनीकरण, प्रोटॉनन
किसी यौगिक के साथ प्रोटॉन (हाइड्रोजन आयन) का संयुक्त होना । आदि क्षारक या नाभिक स्नेही समूहों वाले अणुओं का प्रोटॉनन आसानी से होता है, विशेष रूप से जब माध्यम में प्रोटॉनकारी कर्मक (तीव्र अम्ल) की प्रार्याप्त सांदर्ता हो । उदाहरणार्थ, उदासीन अणओं के प्रोटॉनन से बने घन - आयन, आम्ल - विलयन से होने वाली कार्बनिक अभिक्रियाओं मे मध्यवर्तियों के रूप मे पाये जाते हैं ।
  • prototropy -- प्रोटोट्रॉपी, प्रोटोमोची
कीस कार्बनिक अणु में प्रोटॉन का एक स्थान से दूसरे स्थान को अभिगमन जिसके साथ - साथ अणु के आबंध - तंत्र का पुनर्विन्यास भी हो जाता ह , उदाहरणार्थ, प्रोटोट्रॉपी अनेक तंत्रों मेंहोती है, उदाहरणार्थ, - कीटो - ईनॉल चलावयवता में, तता तीन कार्बन चलावयवता में,
  • prrecipitate -- अवक्षेपक
किसी रासायनिक या भौतिक परिवर्तन के फलस्वरूप किसी विलयन से ठोस रूप में पृथक् हुआ पदार्थ । विशेष रूप से को अविलेय, अक्रिस्टलीय या क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ जो पेंदे में इकट्ठा होता है अथवा विलयनमें से विसरित होता है अथवा ऊपरी भाग में तैरता है । यह पदार्थ विलयन में किसी अवक्षेपक को मिलाने पर होने वाली रासायनिक अभिक्रिया के फलस्वरूप प्राप्त होता है ।
  • pseudo sphere -- छद्म गोलक
किसी रज्जु-प्रतिकेन्द्रज को उसी के अनंतस्पर्शी के चारों ओर घुमाने से प्राप्त परिक्रमण-पृष्ठ >
  • pseudo unimolecular reaction -- आभासी एकाणुक अभिक्रिया
वह अभिक्रिया जिसमें एक से अधिक प्रकार के अणु भाग लेते हैं किंतु जिसकी अभिक्रिया - दर केवल एक अणु की सांद्रता पर ही निर्भर करती है । इसका सामान्य उदाहरण दो अणुओं के बीच होने वाली वे अभिक्रियायें हैंजिनमें एक अभिकारक बहुत अधइक मात्रा में विद्यमान रहता है, इसलिए दूसरे अभिकारक की सांद्रता, अभिक्रिया - दर को निर्धारित करतीहै, अतः यह अभिक्रिया प्रथम कोटि की होती है ।
  • ptchblende -- पिचब्लेन्ड
यूरेनिनाइट का स्थूल रूप । यह भारी, भूरे काले रंग का खनिज है जो डामर के समान दिखाई देता है । यह धातुमय शिराओं मे पाया जाता है । इसमें मुख्यतः यूरेनियम ऑक्साइड होते हं किन्तु थोरियम, सीरियम, सीसा आदि भी अलग - अलग मात्रोँ में पेय जाते हैं । यह अत्यन्त रेडियोऐक्टिव होता है और इसका आपेक्षिक घनत्व 6.4 - 9.7 तक होता है । यह यूरेनियम और रेडियम का महत्वपूर्ण स्रोत है ।
  • Pulfrich refractometer -- पुलफ्रिच अपवर्तनांकमापी
एक अपवर्तनांकमापी जिसका उपयोग विशेष रूप से तेलों और वसाओं का अपवर्तनांक ज्ञात करने के लेय होता है ।
  • Pulfrich refractometer -- अपवर्तनांकमापी, पुल्फ्रिश
पुलफ्रिश निर्मित अपवर्तनांकमापी क्रांतिक कोण के सिद्धांत पर कार्य करता है । इसकी सहायता से अल्प मात्रा में उपलब्ध द्रव और ठोस पदार्थों का अपवर्तनांक सरलता से नापा जा सकता है । इसमें उच्च अपवर्तनांक वाले एक समकोणीय प्रिज्म का एक फलक क्षैतिज और एक ऊर्ध्वाधर होता है । क्षैतिज फलक की कोरें घिसकर कुछ नीची कर दी जाती हैं और बीच के समतल पृष्ठ पर वह पदार्थ रखा जाता है जिसका अपपवर्तनांक नापना हो । यदि वह द्रव हो तो काँच की नली के एक टुकड़े को उस फलक के नीचे भाग पर जमा दिया जाता है और उसमें द्रव भर दिया जाता है । यदि ठोस पट्टिका हो तो उसका एक समतल पृष्ठ उक्त क्षैतिज पृष्ठ पर रख कर दोनों के बीच में किसी उच्च अपवर्तनांक वाले तेल की एक बूँद के द्वारा बीच की वायु हटा दी जाती है । जब उस पदार्थपर किंचित् अभिसारी किरणें क्षेतिजतः डाली जाती हैं तो ये उस पदार्थ तथा नीचे वाले प्रिज्म के पार्थक्या तल पर 900 तकत के विभिन्न आपतन कोणों पर पड़ती हैं किन्तु नीचे के प्रिज्म में उनका अपवर्तन कोँ अधिक - से - अधिक क्रांतिक कोण तक का ही हो सकता है । जब ये अपवर्तित किरणें प्रिज्म के ऊर्ध्वाधर फलक से बाहर निकलती हैं तो इनका प्रेक्षण अनंत दूरी के लिए फ़ोकसित दूरदर्शक के द्वारा किया जाता है । उसका दृष्टि क्षेत्र दो भागों में विभक्त दिखाई देता है एक दीप्त और दूसरा बिल्कुल अदीप्त । इनकी तीक्ष्ण विभाजन रेखा के द्वारा क्रांतिक अपवर्तन कोण का नाप हो जाता है और उससे अपवर्तनांक का । दूरदर्शक एक अंशांकित ऊर्ध्वाधर वृत्तपर घूमता हैऔर उसका क्षैतिज दिशआ से जो कोण बनाता है वही क्रांतिक कोण होता है; यदि यह iहो और काँच का अपर्वनांक μg हो तो (Formula)
  • pulse -- स्पंद
सामान्यतः नियत विद्युत्-धारा, वोल्टता या अन्य राशियों में एक क्षणिक और तीव्रि परिवर्तन । स्पंद के मूल अभिलक्षण निम्नलिखित हैं- 1. उत्थान 2. अवधि 3. क्षय ।
  • pulse amplitude modulation -- स्पंद-आयाम-मॉडुलन
एक प्रकार का मॉडुलन जिसमें मॉडुलन - तरंग द्वारा स्पंद वाहक के आयाम का मॉडुलन किया जाता है ।
  • pulse characteristics -- स्पंद-अभिलक्षण
स्पंद के वे घटक जिनमें इसका विश्लेषण किया जाता है । इन गटकों मे एक d.c. घटक, एक मूल आवृत्ति और अनंत हार्मोनिक सम्मिलित होते हैं ।
  • pulse code modulation -- स्पंद-कोड-मॉडुलन
एक प्रकार का स्पंद-मॉडुलन जिसमें प्रेषित किए जाने वाले सिग्नल का शिखर से शिखर आयाम परिसर अनेक मानक मानों में विभाजिति किया जाता है, जिसमें से प्रत्येक का अपना तीन स्थिति वाला कोड होता है । तत्पश्चात् सिग्नल का प्रत्येक नमूना निकटतम मानक आयाम के कोड के रूप में प्रेषित किया जाता है।
  • pulse decaytime -- स्पंद-क्षय काल
वह समय अंतराल जिसमें स्पंद का पुच्छल सिरा स्पंद के शिखर आयाम के 90% से क्षय होकर 10% रह जाता है जबकि आयाम की अन्य उच्च या निम्न सीमाएँ निर्दिष्ट न हों । तुलना करें - pulse rise time ।
  • pulse decoder -- स्पंद विकोडित्र
एक इलेक्ट्रॉनीय परिपथ जो केवल उन स्पंद - सिग्नलों के प्रति अनुक्रिया करता है जिनके बीच में निर्दिष्ट समय अंतराल होता है । इसे नियत विलंब विविक्त कारक भी कहते हैं ।
  • pulse discriminator -- स्पंद वविक्तिकर
एक प्रकार इलेक्ट्रॉनीय विविक्तिकारी परिपथ जो केवल उसी स्पंद को ग्रहण करता है जिसमें आयाम, आवर्तकाल जैसा कोई विशेष अभिलक्षण होता है ।
  • pulse duration -- स्पंद अवधि
उन प्रथम और अंतिम समय के बीच की अवधि जिन पर आयाम का मान शिखर स्पंद आयाम के निर्दिष्ट अंश तक पहुंच जाता है ।
  • pulse frequency modulation -- स्पंद आवृत्ति मॉडुलन
स्पंद समय मॉडुलन का एक प्रकार जिसमे वाहक को स्पंद पुनरावृत्ति की दर मॉडुलन सिग्नल के आयाम एवं आवृत्ति के अनुसार बदली जाती है ।
  • pulse generator -- स्पंद जनित्र
एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनीय यंत्र अथवा परिपथ जिससे विद्युत् - धारा या वोल्टता के स्पंद उत्पन्न किए जातेहैं । इसके कुछ उदाहरण आरादंत प्रसर्प, वर्गाकार आदि स्पंद जनित्र हैं ।
  • pulse height -- स्पंद-उच्चता
स्पंद का वोल्टता आयाम ।
  • pulse height analyser -- स्पंद-उच्चता-विश्लेषक
एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनीय परिपथ जो स्पंदों कोआयाम के चुने हुए परिसरों में छाँट देता है और प्रत्येक परिसर मे आने वाले स्पंदों की संख्या अंकित करता है। इसका एक उपयोग नाभिकीय विकिरकों में ऊर्जा स्पेक्ट्रम और नाभिक की उत्तेजित ऊर्जा अवस्थाओं का जीवनकाल स्पेक्ट्रम प्राप्त करने के लिए किया जाता है ।
  • pulse height discriminator -- स्पंद-उच्चता-विविक्तिकर
एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनीय परिपथ जो केवल तबी निर्दिष्ट निर्गत स्पंद उत्पन्न करता है जबकिइसे किसी दिए हुए मान से अधिक आयाम वाला निवेश स्पंद प राप्त हो । इसे आयाम विविक्तकारी भी कहते हैं ।
  • pulse modulation -- स्पंद-मॉडुलन
1. स्पंदों के द्वारा वाहक तरंग का मॉडुलन । इस प्रसंग मे स्पंद मॉडुलन स्पंद वाहक पर सूचना संचार की विधियाँ दर्शाता है । स्पंद अभिलक्षणों के अनेक रूप हैं जैसे आयाम, आवृत्ति, कालावधित आदि आदि, जनके आधार से मॉडुलन की भी अनेक विधियाँ हैं । इनके कुछ उदाहरण स्पंद - आयाम मॉडुलन (PAM)स्पंद - आवृत्ति - मॉडुलन (PEM) और स्पंद - कालावधि - मॉडुलन आदि आदि हैं ।
  • pulse radar -- स्पंद-रेडार
एक प्रकार का रेडार जिसमें रेडार से ऐसी उच्च शक्ति - स्पंदों का संचार होता है जिनका अंतराल इनकी अवधि से बहुत अधिक होता ह। प्रत्येक स्पंद के बाद कालांतराल मे रेडार अभिग्राही प्रतिध्वनियों के अभिग्रहण के लिए तैयार रहता है ।
  • pulse rise time -- स्पंद-उत्कर्ष-काल
समय का एक अंतराल जो किसी स्पंद के अग्रगामी सिरे को सामान्यतः शिखर स्पंद आयाम के 10% से 90 % तक पहुँचने के लिए आवश्यक होता है जबकि आयाम की अन्य निम्न या उच्च सीमाएँ निर्दिष्ट न हों ।
  • pulse shaper -- स्पंद रूपक
एक इलेक्ट्रॉनीय साधन जो स्पंद के एक या अधिक अभिलक्षणों मे परिवर्तन कर देता हैं एकस्थितिक बहुकंपित्र और स्पंद विस्तारक आदि इसके उदाहरण हैं ।
  • pulse stretcher -- स्पंद-विस्तारक
एक प्रकार का स्पंद-रूपक जो एक ऐसा निर्गत स्पंद उत्पन्न करता है जिसकी अवधि निवेश -स्पंद की अवधि से अधिक होती है और जिसका आयाम निवेश - स्पंद के शिखर - आयाम का समानुपाती होता है ।
  • pulse time modulation -- स्पंद समय मॉडुलन
एक प्रकार का मॉडुलन जिसमें स्पंद वाहक के किसी अभिलक्षण के घटित होने का समय मॉडुलन तरंग के तात्क्षणिक नमूनों के मानों द्वारा मॉडुलित किया जाता है । संक्षेप मेंइसे p.t.m. लिखा जाता है । इसके उदाहरण स्पंद-अवधि, स्पंद-अंतराल और स्पंद-स्थिति-मॉडुलन है ।
  • pulse train -- स्पंद-अनुक्रम
समान अभिलक्षण वाले स्पंदों का एक अनुक्रम ।
  • pulse transformer -- स्पंद-ट्रॉसफार्मर
एक प्रकार का ट्रांसफार्मर जिसका प्रचालन आवृत्तियों के विस्तृत परिसर मे किया जा सकता है । इसका उपयोग उज्यावक्रीय स्पंदों को उनके आकार मे कोई विशेष परिवर्तन किए बिना ही स्थानांतरण करने में किया जाता है ।
  • pulsey -- स्पंदित्र
एक प्रकार का स्पंद-जनित्र जिससे अल्पकालिक उच्च वोल्टता स्पंद उत्पन्न किए जाते हैंजिनका उपयोग स्पंदित सूक्ष्म तरंग दोलित्र या रेडार प्रेषित्र आदि में किया जाता है । निर्वात-नलिका-प्रकार के स्पंदित्र मे यह स्पंद लोड में से किसी संधारित्र का विसर्जन करके उत्पन्न की जाती है । लाइन प्रकार के स्पंदित्र में एक अंतहीन संचरण लाइन उच्च प्रतिबाधा के माध्यम से आवेशित की जाती है और लोड में से इसका विसर्जन किया जाता है ।
  • punced tape -- छिद्रित फीता
कंप्यूटर मे काम आने वाला एक फीता जिसमे छिद्रों के कोडित चित्रामों से सूचनाओं को प्रदर्शित किया जाता है ।
  • punched card -- छिद्रित कार्ड
कंप्यूटर मे काम आने वाला एक नियत साइज और आकार का कार्ड जो किसी सार्थक चित्राम के रूप में पंच करने और मशीन द्वारा धारण करने के ले उपयुक्त होता है । पंच किए गे छिद्र का संवेदन तार ब्रशों द्वारा वैद्युत रूप से, धात्विक उँगलियों द्वारा यांत्रिक रूप से, या प्रकाशवैद्युत् रूप से किया जाता है ।
  • pure mathematics -- शुद्ध गणित
गणित की वह शाखा जिसमें गणित के सिद्धांतों का विकास एवं अध्ययन केवल उस शाथा - विशेष की उपयोगिता के लिए, किया जाता हो न कि किसी तात्कालिक उपादेयता के कारण ।
  • purposive sample -- सौदेश्य प्रतिदर्श
वह प्रतिदर्श जिसके अलग-अलग एककों का चुनाव किसी सौद्देश्य विधि द्वारा किया जाता हो ।
  • pyheliometer -- सूर्य - विकिरणमापी
अभिलंब आयतन पर प्रत्यक्ष सौर विकिरण की तीव्रता मापने का एक यंत्र जहाँ विकिरत विकिरण उपेक्षणीय माना जाता है । यह आकाश के किसी निर्दिश्ट भाग से आने वाले विकिरण को भी माप सकता है ।
  • pyramid -- पिरैमिड
वह बहुफलक जिसका आधार बहुभुज होता है और जिसके अन्य फलक सर्वनिष्ठ शीर्ष बिंदु वाले त्रिभुज होते हैं ।
  • pyrex glass -- पाइरेक्स कांच
तापरोधी बोरोसिलकेट कांच का व्यापारिक नाम इसमें सिलिका की उच्च प्रतिशत मात्रा होती है और साथ हो बोरॉन ट्राइऑक्साइड तथा सूक्ष्म मात्रा में क्षर और ऐलुमिना भी होते है। पाइरेक्स कांच की उच्च यांत्रिक सामर्थ्य होती है और वह प्रबल अम्लों और क्षोरों का प्रतिरोध होता है । आकस्मिक ताप - पिरवर्तन का भी इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है । यह साधारण सोडा कांचों की अपेक्षा उच्च तापों पर मृदु होता है । इसका उपयोग प्रयोगशाला के औषधीय कांच - पात्रों, उपकरणो, विद्युत् - रासायनिक उपस्करों तथा तंतु - कांच आदि के निर्माण मे होता है ।
  • q - factor -- Q गुणक
1. किसी ऊर्जा-संचायक युक्ति, समस्वरित परिपथ या अनुनादी तंत्र का दक्षतांक है । इसे निम्नलिखित सूत्र से दर्शाया जाता है । Q=2n औसत संचित ऊर्जा / प्रति अर्धचक्र में क्षयित ऊर्जा
2. विभिन्न स्थितियों मे इसके मान निम्नलिखित हैः- (क) प्रेरक के लिए (Formula) जहां ω= कोणीय वेग =2π x f (अनुनादी आवृत्ति) L= प्रेरकत्त्व R= प्रतिरोध (ख) संधारित्र के लिए (Formula) जहां C संधारित्र की धारिता है । (ग) L, C और R वाले श्रेणीबद्ध अनुनादी परिपथों के लिए (Formula) रेडियो आवृत्तियों पर प्रयोग होने वाली कुंडलियों के Q का मान प्रायः 100 से 300 के मध्य होता है ।
  • q- meter -- Q- मापी
किसी विद्युत-परिपथ अथवा परिपथ के अवयव का Q मापने वाला एक उपकरण । Q मापने के लिए यह उपकरण प्रतिघात और प्रतिरोध के मध्य अनुपात मापता है ।
  • q- selectivity -- q-वरण - क्षमता
श्रृंखलाबद्ध अनुनादी परिपथ का एक गुणतांक जिसे परिपथ की वरण - क्षमता के रूप मे दर्शाया जाता है । यह गुणातांक वरण की हुई दो, आवृत्तियों पर होने वाले शक्तिक्षय पर आधारित होता है । अनुनादी वक्र पर ये दो आवृत्तियां अनुनाद - आवृत्ति पर शक्ति की तुलना में अर्धशक्ति बिंदुओं के संगत होती है ।
  • quadrangle -- चतुष्कोण
1. चार कोणों अतएव चार भुजाओं वाली समतल आकृति ।
2. चार ऐसे बिंदुओं जिनमें से कोई भी तीन संरेखी नहीं होते, और इन चार बिंदुओं को मिलाने वाले 42 (6) रेखा-खंडों से बनी आकृति । इसे पूर्ण चतुष्कोण भी कहते हैं ।
  • quadrant -- 1. चतुर्थांश 2. वृत्त -पाद
1. चतुर्थाशः कार्तीय निर्देश-तंत्र के निदश-अक्षों द्वारा कोई समतल जिन चार विभागों में विभक्त होता है उनमें से प्रत्येक विभाग को चतुर्थांश कहा जाता है ।
2. वृत्त-पादः किसी वृत्त का चौथाई भाग ।
  • quadrant electro-meter -- वृत्तपाद विद्युत्मापी / क्वाड्रेंट इलेक्टोमीटर
एक प्रकार का विद्युतमापी जिसमें वोल्टताओं और आवेश का मापन अथवा तुलना एक निलंबित धातु - पट्टिका और उसके चारों ओर स्थित चार विद्युतद्रोधी भागों में बंटे एक धआतु के सिलिंडर के बीच उत्पन्न होने वाले स्थिरवैद्युत बलों के द्वारा किया जाता है । धात्विक सिलिंडर के ये भाग एक दूसरे के सम्मुख जोड़े मे संबद्ध होते हैंऔर मापी जाने वाली वोल्टता चतुर्थ पादों के दो युग्मों के मध्य लगाई जाती है ।
  • quadratic equation -- द्विघात समीकरण
वह समीकरण जिसमें अधिकतम घात वाला पद दो घात का हो जैसे यहां चर हैं, चर के गुणांक और अचर है ।
  • quadrature -- क्षेत्रकलन
किसी दिए हुए पृष्ठ के क्षेत्रफल के बराबर का एक वर्ग ज्ञात करने का प्रक्रम ।
  • quadribasic -- चतुःक्षारकीय
1. एकाम्ली क्षारक के चार अणुओं को उदासीन कर सकने वाला, उदाहरणार्थ, पायरोफॉस्फोरिक अम्ल, H4P2O7 । 2 किसी क्षारक या धातु द्वारा प्रतिस्थापनीय चार हाइड्रोजनपरमाणुओं वाला, जैसे H4SiO4 ।
  • quadric -- द्विघाती, द्विघात
1. दो घात वाला ।
2. वह व्यंजक जिसके सभी पद दो घात वाले हों; दो घात वालाएक समघात व्यंजक ।
  • quadrilateral -- चतुर्भुज
1. चार भुजाओं वाला बहुभुज ।
2. चार रेखाओँ और उनके 4c2 (=6) प्रतिच्छेद बिंदुओं से बनी आकृति ।
  • quadrivalence -- चतुःसंयोजकता
चतुःसंयोजी होने की अवस्था अर्थात् वह अवस्था जिसमें किसी तत्व की चार भिन्न संयोजकतायें होती हैं । उदाहरणार्थ, ब्रोमीन की चार संयोजकतायें 1, 3, 5 और 7 हैं । चार संयोजकता वाले तत्व को चतुःसंयोजक (retravalent) कहतेहैं ।
  • quadrupole -- चतुर्ध्रुवी
बहुध्रुवीयों में से एक जो आवेशों और धाराओं के किसी तन्त्र से उत्पन्न विद्युत् और चुम्बकीय क्षेत्रों के प्रभावों को तन्त्र से बाहर स्थित बिन्दुओं पर दर्शाता है। वैद्युत चतुर्ध्रुवी का सरलतम रूप एक ऐसा समान्तर चतुर्ध्रुवी व्यूह है जिसके चारों सिरों पर चार समान आवेश स्थित है और एकान्तर आवेश धनात्मक और ऋणात्मक हैं ।
  • quality (=timbre) -- स्वरूप
जिस गुणधर्म के समान तार्तव और प्रबलता वाली ध्वनियों को अलग - अलग पहचाना जा सके । शुद्ध स्वरक के कंपन सरल आवर्ती होते हैं किंतु अन्य किसी स्वर के कंपनों का विश्लेषण करने से मालूम होता है कि मूलस्वरक के अतिरिक्त उसमें अनेक संनादी आवृत्तियों के कंपन भी विद्यमान होते हैं । स्वर का तारतव तो मूल स्वरक की आवृत्ति द्वारा निर्धारित होता है । किन्तु उसका स्वरूप उसमें विद्यमान संनादियों (harmonics) की संख्या और आपेक्षिक तीव्रताओं पर निर्बर होता है जिनके कारण ध्वनि के कम्पनों के विस्थापन - वक्र की आकृति विशेषप्रकार की हो जाती है ।
  • quality control -- गुणता-नियंत्रण
निर्माण-प्रक्रिया में उन सभी कार्यों का समुच्चय जिनके द्वरा यह निर्धारित किया जाता है कि प्रक्रिया केप्रत्येक चरण में अंतिम उत्पाद अपनी विशिष्ट निर्दिष्टियों की कसौटी पर खरा उतरे । उदाहरण के लिए इलेक्ट्रॉनिक चैसिस के निर्माण में गुणता-नियंत्रण के अंतर्गत निम्नलिखित कार्य सम्मिलित हैः-
1. विशिष्ट निर्दिष्टियों की कसौटी पर अंतिम उत्पाद की जांच करके यह निश्चित करना कि निर्माण की किस प्रक्रिया पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है ।
2. चैसिस के विभिन अंगों पर मशीन करना, सोल्डर करना आदि-आदि प्रत्येक प्रक्रिया की जांच ।
3. निर्माण-प्रक्रिया में काम आने वाले पदार्थों की जांच के लिए एक निरीक्षण-कक्ष स्थापित करना ताकि प्रत्येक अवयव डिजाइन की निर्दिष्टियों के अनुरूप हो ।
4. ग्राहकों की शिकायत के अनुसार विभिन्न प्रतिक्रियाओं की जांच और उनमें संशोधन ।
  • quantic -- समघाती
दो या दो से अधिक चरों का कोई परिमेय पूर्णांकी समघात फलनः दो या दो से अधिक चरों में कोई समघाती बीजीय बहुपद । यदि समघात दो, तीन, चार आदि घात का हो तो इसे द्विचर त्रिचर, चतुश्चर आदि कहा जाता है ।
  • quantity -- 1. राशि 2. मात्रा, परिमाण
1. राशिः कोई गणितीय अथवा बीजीय व्यंजक जिस पर कोई संक्रिया की जा सके, तथा जिससे केवल मान ही अभिलिक्षित हो, न कि उसका अन्य व्यंजकों से संबंध ।
2. मात्रा, परिणामः राशियों के आकार, विस्तार अथवा माप आदि के मान को परिमाण कहते हैं, जैसे एक मीटर कपड़ा, दो किलोग्राम चीनी । यहां मीटर और किलोग्राम परिमाण हैं । परिमाणों के द्वारा हम राशियों की एक दूसरे से तुलना करते हैं । परिमाण के मात्रक लंबाई क्षेत्रफल, आयतन आदि के मात्रक होता हैं ।
  • quantization -- क्वान्टमीकरण
क्वांटम सिद्धांत के अनुसार किसी तन्त्र के प्राचलों जैसे कि ऊर्जा, कोणीय संवेग, आवेश आदि का विविक्त मानामें में ही अस्तित्व सम्भव होना जो कि चिर प्रतिष्ठित भौतिकी के अनुसार प्राचलों के संतत मानों की धारणा के विपरीत है ।
  • quantum -- क्वांटम
ऊर्जा कोणी संवेग, कर्म और आवेश आदि जैसी भौतिक राशियों की वह अल्पतम मात्रा जो किसी क्वांटम सिद्धांत के अनुसार संभव है । इन राशियों के परिवर्तन क्वांटमों के पूर्णांकी गुणजों के पदों में ही होते हैं ।
  • quantum -- क्वाटम
जब ऊर्जा के समान किसी राशि का प्रेक्षित परिमाण सदैव किसी अल्पतम परिमित परिमाण का पूर्व संख्याक गुणज होता है तब वह अल्पतम परिमाण उस राशि का क्वांटम कहलाता है, जैसे प्रकाश तथा अन्य विद्युत् - चुंबकीय विकिरणों की ऊऱ्जा का क्वांटम, जिसका मान के बराबर होता है जहां इस विकिरण की आवृत्ति है और h एक नियतांक है जो इन विकिरणों के क्वांटम स्वरूप के आविष्कर्ता प्लांक के नाम पर प्लांक का नियतांक कहलाता है । इसे हम ऊर्जा का एक कण समझ सकेत हं । इसका नाम फोटॉन है ।
  • quantum (pl.quanta) -- क्वान्टम
क्वान्टम परिकल्पना के अनुसार ऊर्जा विभक्त (discrete) मात्रकों में पाई जाती है जिसका मान किसी नियत आवृत्ति वाले विकिरण के लिए निश्चित होता है । ऊर्जा का स्थानांतरण केवल इन विवक्त मात्रकों में ही होता है । v आवृत्ति के विकिरण के लिए ऊर्जा का मात्रक hv होता है जिसे क्वान्टम कहते हैं जबकि h प्लांक - नियतांक है और इसका मान 6. 625x 10-27अर्ग प्रति सेकंड है । स्पष्ट है कि क्वान्टम का परिमाण, विकिरण की आवृत्ति के अनुक्रमानुपाती र तरंग - दैर्ध्य के व्युत्क्रमानुपाती होता है । उदाहरमआर्थ, लाल प्रकाश वाले विकिरण के लिए इसका मान लगभग 2.5 x 10-12 अर्ग तथा पराबैंगनी विकिरण के लिए लगभग 5x 10-12अर्ग है । यदि क्वान्टम में कण के गुणधर्म हों तो उसे फोटॉन कहते हैं । तलुना - photon.
  • quantum efficiency -- क्वांटम-दक्षता
किसी प्रकाशसुग्राही पदार्थ से किसी निर्धारित तरंग - दैर्ध्य के प्रति आपतित फोटान द्वारा प्रकाश वैद्युत् - प्रभाव से निषअकासित होने वाले इलेक्ट्रॉनों की औसत संख्या ।
  • quantum electrodynamics -- क्वांटम विद्युत्गतिकी
गणितीय भौतिकी की एक शाखा जिसमें इलेक्ट्रॉन, पॉजिट्रॉन और विद्युत्चुम्बकीय क्षेत्र की पारस्परिक क्रियाओं का सैद्धांतिक अध्ययन किया जाता है । इसका आधार मैक्सवेल समीकरमओं का क्वांटमित सिद्धांत और आपेक्षिक डिराक इलेक्ट्रॉन सिद्धांत हैं ।
  • quantum mechanics -- क्वांटम यांत्रिकी
गणितीय भौतिकी की एक शाखा जिसका उदय प्लांक के क्वांटम सिद्धांत से हुआ । इसमें मापी जा सकने वाली राशियों के रूप मे परमाणु और उससे सम्बन्धित तन्त्रों की यांत्रिकी का अध्ययन काय जाता है। इस विषय के दो प्रमुख रूप - तरंग यांत्रिकी और मैट्रिक्स यांत्रिकी हैं जो वास्तव में तुल्य हैं । इसकी एक शाखा आपेक्षिकीय क्वांटम यांत्रिकी है जिसमें आपेक्षिकता के सिद्धांत का समावेश कर लिया गया है ।
  • quantum number -- क्वांटम संख्या
किसी क्वांटमित राशि के विविक्त परिसर मे विभिन्न मानों मे से एक मान को प्रदर्शित करने वाली संख्या । उदाहरण के लिए बोर के सिद्धांतानुसार इलेक्ट्रॉन केवल उन कक्षाओं मे ही जा सकते हैं जहां उनका कोणीय संवेग (mvr) निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जाता है । ()
जहां n एक पूर्णांक है (n = 0, 1, 2……आदि) । इस प्रकार कोणीय संवेग का गुणधर्म क्वांटमित हो जाता है और n एक क्वांटम संख्या है जिससे इसके विभिन्न मान प्राप्त किये जाते हैं । इसी प्रकार इलेक्ट्रॉन का प्रचक्रण भी क्वांटमित होता है । इस स्थिति में प्रचक्रण क्वान्टम संख्या () और () होती हैं जिनमें क्रमशः समान्तर और प्रतिसमान्तर प्रचक्रण व्यक्त किये जाते हैं ।
  • quantum number -- क्वान्टम संख्या
किसी परमाणु के ग्रहीय इलेक्ट्रानों अथवा किसी गुण मे परमाणुओं की ऊर्जा उनके घूर्णन, कंपन, अथवा प्रचक्रण (spin) के कारण होती है । क्वान्टमवाद के एक अभिगृहीत (postulate) के अनुसार ऐसे कण की ऊर्जा के कुछ विभक्त तथा निश्चित मान होते हं । एक विशेषणों की ऊर्जा (जैसे घूर्णन) के लिए ऐसा प्रत्येक मान, ऊर्जा के मात्रक अर्थात क्वान्टम का गुणज होता है जो सदैव क्वान्टम का कोई छोटा पूर्णांक होता है । यह क्वान्टम विचाराधीन विशेष प्रकार की ऊर्जा का अभिलाक्षणिक होता ह । कण की ऊर्जा को निर्धारित करने वाला उपयुक्त पूर्णांक, क्वांटम संक्या कहलाता है ।
  • quantum statistics -- क्वांटम सांख्यिकी
भौतिकी की एक शाखा जो विभिन्न ऊर्जा-स्तरों में मूल कणों का वितरण दर्शाती है । क्वांटम सांख्यिकी दो प्रकार की होती हैः
1. बोस आइन्सटाइन सांख्यिकी, देखें - Bose Einstein statistics.
2. फर्मी डिराक सांख्यिकी । देखें- Fermi-Dirac statistics. दोनों सांख्यिकी उच्च तापों पर जहां काफी अधिक संख्या में ऊर्जा स्तर उत्तेजित होते हैं चिरप्रतिष्ठित मैक्सवेल वोल्ट समान सांख्यिकी का रूप धारण कर लेती हैं ।
  • quantum theory -- क्वांटम सिद्धांत
अणु और परमाणु तन्त्रों की यांत्रिकी से सम्बन्धइत एक सिद्धांत जिसके अनुसार परमाणु अथवा अणु ऊर्जा का उत्सर्जन या अवशोषण एक ऐसे प्रक्रम द्वारा करते हैं जो अनेक पदों में पूरा होता है । प्रत्येक पद में उत्सर्जित या अवशोषित होने वाली ऊर्जा की मात्रा को क्वांटम कहते हैं ।
  • quantum yield -- क्वान्टमी लब्धि
किसी रासायनिक अभिक्रिया मे क्रिया करने वाले आणुओं की संख्या और अवशोषित क्वान्टमों की संख्या का अनुपात । आइन्स्टाइल के प्रकाश रासायनिक तुल्यता - नियम के अनुसार क्वांटमी लब्धि एक होनी चाहिए परन्तु सामान्यतया यह एक से कम होती है । श्रृंखला - अभिक्रियाओं में यह एक से अधिक होती है क्योंकि एक क्वान्टम के अवशोषण से आरंभ होने वाली श्रृंखला अभिक्रिया में अनेक अणु भाग लेते हैं ।
  • quarter wave line -- चतुर्थांश तरंग - लाइन
संचरण-लाइन का एक भाग जिसकी लंबाई संचरण होने वाली मूल आवृत्ति पर तरंग - दैर्ध्य के एक चतुर्थांश के बराबर होती है । सुदूर सिरे पर लघुपथन होने पर इस लाइन की प्रतिबाधा मूल आवृत्ति और सभी विषम हार्मोनिक आवृत्तियों पर अत्यधिक और सम हार्मोनिक आवृत्तियों पर निम्न होती है । चित्र (क) में एक चतुर्थांश तरंग - लाइन a-b दिखाई गई है जिसे ऐंटेना से सम हार्मोनिक विकिरण दूर करने के ले काम में लाया जाता है । चित्र (ख) को चतुर्थांश तरंग - लाइन ऐंटेना भरण आधार के रूप मे तथा सभी सम हारमोनिक सिग्नलों को दूर करने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
  • quartile -- चतुर्थक
उन तीन विचा-मानों में कोई जो किसी वंटन की कुछ वारंवारता को चार बराबर भागों में विभक्त करते हैं । केन्द्रीय मान को माध्यिका तथा अन्य दो विचर मानों को क्रमशः निम्न एवं उपरि चतुर्थक कहा जाता है ।
  • Quartz -- क्वार्ट्ज (=स्फटिक)
सिलिकन डाइऑक्साइड का प्राकृत खजिन। इसके क्रिस्टल षट्कोणीय तथा द्विअपवर्तक (double refracting) होते हैं । इसका असाधारण अपवर्तनांक साधारण अपवर्तनांक की अपेक्षा अधिक होता है । इसलिए इनको धनात्मक क्रिस्टल कहते हैं । यह साधारणतया एक - अक्षीय, रंगहीन, पारदर्शी और कठोर होता है । ये दो प्रकार के होते हैं, वामघूर्णक, दक्षिणघूर्णक । ध्रुवणकारी प्रिज्मों के निर्माण में इसाक बहुत उपोयग किया जाता हैं पराबैंगनी (ultraviolet) विकिरण के लिए पारदर्शी होने के कारण 1800A0 तक के तरंग दैर्ध्यों के लिए इसका उपयोग स्पेक्ट्रमलेखी के प्रिज्म तथा लेन्स बनाने के लिए किया जात है ।40,000A0 तक तरंगदैर्ध्यों के अवरक्त विकिरमों के लिए ही यह पारदर्शई होता है । दाब विद्युत् क्रिस्टल (piezoelectric crystal) के रूप मे भी इसका प्रयोग होता है ।
  • quasar -- क्वासार, ताराकल्प
अंग्रेजी के QUAsi StAR का संक्षिप्तरूप । एक ऐसा ताराकल्प रेडियो विक्रण - स्रोत जो प्रेक्ष्य ब्रह्मांड की सीमा के निकट स्थित होता ह और आकाश में लगभग अर्ध - प्रकाश -वेग से पीछे हटता जा रहा है । यह प्रकाशीय और रेडियो विकिरण उत्सर्जित करता है जिसके कारण इसे प्रकाशीय तथा रेडियो दूरदर्शकों द्वारा देखा जा सकता है । ये विकिरण इतनी अधिक मात्रा में उत्सर्जित होते हैं कि इनका स्पष्टीकरण किसी भी नाभिकीय अथवा अन्य प्रक्रम द्वारा सम्भव नहीं है । सर्वप्रथम क्वासार रेडियो खगोलज्ञों ने मार्च 1963 में खोजा था और अब तक सैकड़ों क्वासार पहचाने जा चुके हैं । अनुमान है कि अभी कम से कम ऐसे दस हजार क्वासार होंगे जिनका कांतिमान 18 से अधि हो ।
  • quatermary -- 1. चतुष्क 2. चतुर्थ
एक शब्द जिसका सामान्य अर्थ चौथाई या चतुर्थ कोटि होता है । रसायन में इस शब्द का प्रयोग ऐसे यौगिकों को व्यक्त करने के लिए होता है जिनमें चार हाइड्रोजन परमाणु प्रतिस्थापित होते हैं । उदाहरणार्थ, चतुष्क अमोनियम या चतुष्क फॉस्फोनियम यौगिक । इसका प्रयोग चार भिन्न परमाणुओं या मूलकों से बने यौगिक को दर्शाने के लिए भी होता है ।
  • quenching -- शमन
1. गैस-पूरित विकिरण-गणित्र में विसर्जन को समाप्त करने का एक प्रक्रम ।
2. आकस्मिक शीतलन, जैसा कि धातुओं के ऊष्मा-संचार में होता है ।
3. उत्सर्जित प्रकाश की तीव्रता का न्यूनन जो, स्वतः अवशोषण, अन्तः आण्विक संघट्टनों द्वारा उत्तेजित अवस्थाओं के जीवन-काल में कमी, अथवा उन बाह्म कारकों का समावेश जो संघट्टन द्वारा ऊर्जा कम कर देते हैं आदि प्रक्रमों द्वारा संभव है ।
  • quenching circuit -- शमन - परिपथ
एक इलेक्ट्रॉनीय परिपथ जो गणित्र-नलिका पर लगी हुई वोल्टता में कमी, निरोध, अथवा व्युत्क्रमण करता है ताकि एकल आयनकारी घटना द्वारा बहुत विसर्जन न हो सके । चित्र में दिए हुए परिपथ में T2 लगभग अंतक वोल्टता तक अभिनत है । जबकि T1 पर कोई अभिनति नही है । परिपथ की यह स्थायी अवस्था है । गणित्र - नलिका से आने वाला ऋणात्मक स्पंद T1की ऐनोडधारा को घटा देता है । प्रवर्धित धनात्मक स्पंद C3 के माध्यम से T2 की ग्रिड पर लगता है जिससे R3 पर एक धारा स्पंद उत्पन्न होता है जो C2 के माध्यम से T1 की ग्रिड को उच्च ऋणात्मक विभव पर ला देता हैं इसका संचरण C1के माध्यम से G.M. गणित्र - नलिका तक होता है जहां विसर्जन का शमन हो जाता है । गणित्र - नलिका से आने वाले प्रत्येक समपंद के लिए इसी प्रकार का प्रचालन चक्र बहुल विसर्जन के शमन का कार्य करता है ।
  • quiescent circuit -- शांत परिपत
इलेक्टरोड अभिनत वोटता की संगत इलेक्टोरड विद्युत - धारा ।
  • quiescent point -- शांत बिंदु
देखें operating point.
  • quinhydrone electrode -- क्विनहाइड्रोन इलेक्ट्रोड
किसी विलयन का pH ज्ञात करने क लिए प्रयुक्त इलेक्ट्रोड । इसमें किसी विलयन में क्विनहाइड्रोन मिलाया जाता है और विलयन में निमज्जित, प्लैटिनम इलेक्ट्रोड पर उत्पन्न रेडॉक्स विभव को नापा जाता है । यह विधि सरल और यथार्थ है परन्तु इसका प्रयोग क्षारीय माध्यम में नहीं हो सकता है ।
  • quotient -- भागफल
एक राशि को दूसरी राशि से भाग देने पर प्राप्त होने वाली राशि । उदाहरणार्थः 6 को 3 से भाग देने पर भागफल 2 प्राप्त होता है ।
  • R-C-coupling -- R-C-युग्मन
दो अथवा अधिक परिपथों के मध्य युग्मन का एक प्रकार जिसमें युग्मन के लिए प्रतिरोधक और संधारित्रों का उपयोग किया जाता है । इसमें युग्मित परिपथों की निवेश और निर्गत प्रतिबाधाओं के रूप में प्रतिरोधकों का इस्तेमाल होता ह और एक चरण से दूसरे चरण को सिग्नल का स्थानांतरण करने के लिए एक युग्मक संधारित्र का उपयोग किया जाता है । इस युग्मक संधारित्र के उपयोग से प्र्तेयक चरण की प्राचलन अवस्था निरपेक्ष रूप से निर्धारित की जा सकती है ।
  • r.m.s. value -- मान
अंग्रेजी केroot mean square value का संक्षिप्त रूप । एक पूर्ण चक्र के दौरान किसी वैद्यत धारा, वोल्टता अथवा किसी आवृत्तिक राशि के तात्क्षणिक मानों के वर्गों के औसत मान का वर्गमूल । यह किसी प्रत्यावर्ती धारा मे वैद्युत धारा अथवा वोल्टता का प्रभावी मान होता है ।
  • rack and pinion -- r.m.s.दण्ड चक्र
एक सीधी या मुड़ी हुई दांतेदार छड़ (rack) तथा दाँतेदार चक्र या पहिए (pinion) की व्यवस्था । इसके द्वार छड़ के दाँतों को चक्र के दाँतों में फँसा कर घूर्णीय गति को रेखिक में परिवर्तित किया जाता है । बहुधा इसका उपयोग सूक्ष्मदर्शी तथा दूरदर्शक को फ़ोकस करने में किया जाता है ।
  • radar -- रेडार
किरणपुंजित तथा परावर्तित r-f ऊर्जा का प्रयोग करने वाला एक तंत्र जिसाक उपयोग वायुयानों के संसूचन और स्थिति - निर्धारण करने, दूरी या ऊँचाई मापने, नौसंचालन, अभिलक्षयन और अन्य कार्यों के लिए किया जाता है । इसका आविष्कार द्वितीय महायुद्ध में वायुयानों के संसूचन के लिए किया गया था । वायुयान का संसूचन और
दूरीमापन सूक्ष्म तरंगों के प्रेषण और वायुयान द्वारा परावर्तित ऊर्जा के अभिग्रहण के मध्य समयांतराल द्वारा किया जाता है । आजकल इसका उपयोग मौसम - विज्ञान मे भी किया जा रहा है । रेडार शब्द अंग्रेजी के "Radio Detecting And Ranging" का संक्षिप्त रूप है ।
  • radar -- रेडार
अंग्रेजी के "Radio Detecting And Ranging" का संक्षिप्त रूप । किरणपुंजित तथा परावर्तित r.f. ऊर्जा का प्रयोग करने वाला एक तंत्र जिसका उपयोग वायुयानों के संसूचन और स्थिति निर्धारण करने, दूरी या ऊँचाई मापने, नौचालन, अभिलक्ष्यन और अन्य कार्यों के लिए किया जाता है । इसका आविष्कार द्वितीय महायुद्ध मे वायुयानों के संसूचन के लिए किया गया था । वायुयान का संसूचन और दूरी मापन सूक्ष्म तरंगों के प्रेषण और वायुयान द्वारा परावर्तित ऊर्जा के अभिग्रहण के मध्य समयान्तराल द्वार किया जाता है । आजकल इसाक उपयोग मौसम विज्ञान में भी किया जा रहा है ।
  • radar range -- रेडार - परास
वह अधिकतम दूरी जिस पर रेडार-तंत्र सामान्यतः वस्तुओं का संसूचन करता रहात ह । यह परास प्रायः वह दूरी मानी जाती है जिस पर रेडार - तंत्र किसी विशिष्ट वस्तु को कम से कम 50% बार संसूचित करता है । मुक्त आकाश मे यह परासग्राही की शक्ति सुग्राहिता और लक्ष्य प्रतिध्वनि क्षेत्रफल के सीधे अनुपात में घटता बढ़ता है परंतु इसका परिवर्तन ऐंटेना लब्धि के वर्ग और संचरित शक्ति के चतुर्थ घात के अनुपात में होता है ।
  • radar resolution -- रेडार - विभेदन
केवल दूरी मापनों के द्वारा लक्ष्यों में विभेद करने की रेडार - यंत्र की क्षमता । यह दूरी - विभेदन सामान्यतः उस अल्पतम त्रैज्जीय दूरी के रूप में दर्शाया जाता है जौ लक्ष्योंबीच होनी अनिवार्य है ताकि उन्हें अलग - अलग से पहचाना जा सके ।
  • radar scan -- रेडार क्रमवीक्षण
1. लक्ष्य की खोज करने के लिए अंतरिक्ष मे रेडार किरमपुंज की गति । यह क्रमवीक्षण रेडार - किरणपुंज द्वारा अंतरिक्ष मे बने पथ के अनुसार अनेक प्रकार का हो सकता है । इसमे वृत्तीय / शांकव, सप्रिल और कुंडलिनी आदि रेडार क्रमवीक्षण के कुछ उदाहरम हैं ।
2. रेडार - किरणपुंज द्वारा बनाया हुआ पथ अथवा चित्राम ।
3. रेडार - किरणपुंज को निर्दिष्ट करने का प्रक्रम ।
  • radian -- रेडियन
कोण-मापन का एक मात्रक । किसी भी वृत्त के उस चाप द्वारा केन्द्र पर अंतरित कोण एक रेडियन होता है जिसकी लंबाई वृत्त की त्रिज्या के बराबर होती है ।
  • radian measure -- रेडियन माप
किसी कोण के संदर्भ मे उस कोण की शीर्षबिंदु को केन्द्र मानकर कोण के समतल में कींचे गए किसी भी वृत्त के, उस कोण द्वारा अंतरित चाप और उस वृत्त की त्रिज्या का अनुपात ।
  • radiation -- विकिरण
(क) शून्याकाश मे अथवा किसी द्रव्य माध्यम (material medium) में तरंग रूप में ऊर्जा के उत्सर्जन और संचरण का प्रक्रम अथवा इस प्राकर संचरित ऊर्जा । उदाहरणार्थ, विद्युत् चुंबकीय तरंगों या प्रस्यास्थ तरंगों (elastic waves) के रूप में ऊर्जा । केवल विकिरण सब्द से साधारणतया विद्युत् चुंबकीय तरंगों की ही बोध होता है ।
(ख) रेडियोऐक्टिव पदार्थों द्वारा उत्सर्जित ऐल्फा, बीटा आदि कणों को भी विकिरण कहते हैं ।
  • radiation -- विकिरण
विद्युत्चुंबकीय तरंगों, ध्वनि तरंगों और आयनकारी कणों के रूप में ऊर्जा का उत्सर्जन ।
  • radiation belt -- विकिरण पट्टी
वान ऐलेन द्वारा खोजी गयीं विकिरण पट्टियाँ । ये उच्च ऊर्जीय कणों के दो बौमेतर प्रदेश हैं जो क्रमशः भूपृष्ठ से 2500-500 किलोमीटर और 12000 -20000 किलोमीटर की ऊँचाइयों पर स्थित होते हैंआंतरिक प्रदेश में मुख्यतः लगभग 100 MeV ऊर्जा वाले प्रोटॉन होते हैं लेकिन उसमें निम्न ऊर्जीय इलेक्ट्रॉन भी पाये जाते हैं और यह 300N और 300 S भू - चुंबकीय अक्षांशों के मध्य स्थित होता है ।ब्रह्म प्रदेश में मुख्यतः 29-100KeV ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन होते हैं और इसका विस्तार लगभग 500 N और 500S भू - चुम्बकीय अक्षांशों तक पाया जाता है परंतु इसकी स्थिति, आकार तथा तीव्रता अत्यंत परिवर्तनशील होती है ।
  • radiation damage -- विकिरण क्षति
आयनकारी विकिरण पड़ने पर किसी पदार्थ के भौतिक या रासायनिक गुणधर्मों में होने वाला अवांछनीय परिवर्तन । सामान्यतः इस शब्द का प्रयोग जैव तंत्रों के लिए नहीं किया जाता ।
  • radiation loss -- विकिरणी हानि
संचरण-शक्ति की हानि का वह अंश जो किसी संचरण-तंत्र से रेडियो आवृत्ति (r-f) शक्ति के विकिरण के कारण होता है ।
  • radiation pattern -- विकिरण-चित्राम
ऐंटेना के विकिरण अथा अभिग्रहण की दिशा के फलन के रूप में ग्राफीय निरूपण । इसे दिशिक चित्राम अथवा क्षेत्र चित्राम (field pattern) भी कहते हैं ।
  • radiation pyrometer -- उत्तापमापी, विकिरण
इसमें उत्त्प्त वस्तु से उत्सर्जित ऊष्मीय विकिरण की तीव्रता को नापा जाता है और कृष्णिका संबंधी स्टीफन के नियम E = σT4 के द्वारा ताप T का परिकलन किया जाता है । इसके द्वारा 6000 से ऊपर का ताप ही यथोचित्त रूप से मापा जा सकता है । इस तरह के एक उत्तापमापी में सुग्राही तापीय युग्म (thermocouple) पर विकिरण केन्द्रीय किया जाता है । उत्पन्न विद्युत् - वाहक बल गर्म वस्तु के ताप का फलन (function) होता है।
  • radiation resistance -- विकिरण प्रतिरोध
किसी ऐंटीना की कुल विकिरित शक्ति को प्रभावी धारा के वर्ग से भाग देने पर प्राप्त राशि । धारा का माप उस बिंदु पर लिया जाता है जहाँ ऐन्टेना के लिए शक्ति का संभरण होता है ।
  • radiation resistance -- विकिरण प्रतिरोध
किसी ऐंटीना की कुल विकिरित शक्ति को प्रभावी धारा के वर्ग से भाग देने पर प्राप्त राशि । धारा का माप उस बिंदु पर लिया जाता है जहाँ ऐन्टेना के लिए शक्ति का संभरण होता है ।
  • radiator -- विकिरक
वह वस्तु जो विद्युत् चुबंकीय विकिरण, विशेषकर ऊष्मा विकिरण उत्सर्जित करती है ।
  • radical -- करणी
वह संख्या अथवा राशि, जो किसी अन्य संख्या अथवा राशि का कोई विशेष मूल द्योतित करती हो; किसी संख्या अथवा चिन्ह द्वारा प्रदर्शित मूल (Formula) आदि संख्याएं क्रमशः 3 का वर्गमूल, 5 का धनमूल, का वां मूल आदि सूचित करती है ।
  • radical axis -- मूलाक्ष
वृत्तों का मूलाक्ष वह रेखा है जिसके प्रत्येक बिंदु से दोनों वृत्तों पर खींची गई स्पर्श रेखाएं परस्पर बराबर है। यदि वे वृत्त् एक दूसरे को काटें तो मूलाक्ष दोनों वृत्तों की कटाव - रेखा है ।
  • radio -- रेडियो
1. (सामान्य अर्थ में) कोई भी रेडियो अभिग्राही ।
2. उपसर्ग के रूप में प्रयुक्त होने पर रेडियोऐक्टिवता से संबंधित ।
3. विशेषण के रूप में रेडियोो आवृत्ति से संबंधित ।
4. (रेडियो संचार में) तार संबंधनों के बिना विद्युत् - चुंबकीय विकिरण के प्रेषण अथवा अभिग्रहण का एक प्रक्रम ।
  • radio astronomy -- रेडियो खगोलिकी
भौतिकी की एक शाखा जिसमें खगोलीय पिंडों से उत्सर्जित होने वाले रेडियोआवृत्ति वाले विकिरण का अध्ययन किया जाताहै । इस शाखा का जन्म 1932 मे बेल टेलिफोन लेबोरेट्री द्वारा गैलेक्सी के रेडियो - उत्सर्जन की खोज से हुआ । इसके अंतर्गत सौर तंत्र के अंदर और बाहर वाले पिंडों के साथ संबद्ध रेडोय उत्सर्जन और रेडियो प्रतिध्वनियों के प्रेक्षण और मापन किए जाते हैं । विकिरण के मापन में र डियो दूरदर्शक का उपयोग किया जाता है । पृथ्वी परवाली इन रेडियो दूरदर्शक का उपयोग किया जाता है । पृथ्वी पर आने वाली इन रेडियो तरंगों के धार्ध्य लगभग 1 cm से 20 m तक की सीमा मेंहोते हैं । रेडियो तकनीकों से ताराकल्प (quasar) ظا स्पंद तारों (pulsar) की खोज हुई ।
  • radio astronomy -- रेडियो खगोलिकी
भौतिकी की एक शाखा जिसमें खगोलीय पिंडों से उत्सर्जित होने वाले रेडियोआवृत्ति वाले विकिरण का अध्ययन किया जाताहै । इस शाखा का जन्म 1932 मे बेल टेलिफोन लेबोरेट्री द्वारा गैलेक्सी के रेडियो - उत्सर्जन की खोज से हुआ । इसके अंतर्गत सौर तंत्र के अंदर और बाहर वाले पिंडों के साथ संबद्ध रेडोय उत्सर्जन और रेडियो प्रतिध्वनियों के प्रेक्षण और मापन किए जाते हैं । विकिरण के मापन में र डियो दूरदर्शक का उपयोग किया जाता है । पृथ्वी परवाली इन रेडियो दूरदर्शक का उपयोग किया जाता है । पृथ्वी पर आने वाली इन रेडियो तरंगों के धार्ध्य लगभग 1 cm से 20 m तक की सीमा मेंहोते हैं । रेडियो तकनीकों से ताराकल्प (quasar)और स्पंद तारों (pulsar) की खोज हुई ।
  • radio channel -- रेडियो चैनल
एक आवृत्ति बैंड जिसकी चौड़ाई रेडियो-संचार के लिए उपयुक्त होती है । चैनल की चौड़ाई संचरण के प्रकार और उत्सर्जन-आवृत्ति के प्रति सहनक्षमता निर्भर रहती है ।
  • radio communication -- रेडियो-संचार
रेडियो - तरंगों द्वारा होने वाल संचार । इस संचार मे प्रेषित्र और अभिग्राही के मध्य तरंगों का तार अथवा तरंग - पथक जैसे भौतिक मानों द्वारा पथ - निर्देशन नहीं होता है । रेडियो - संचार मे चूँकी ऊर्जा का विकिरण अंतरिक्ष में सभी दिशाओं मे हो जाता है अथः रेडियो प्रसारण का क्षेत्र तार - संचरण आदि की अपेक्षा बहुत बढ़ जाता है। रेडियो संचार के लिए रेडियो - तरंगों तीन प्रकार से काम में लाई जा सकती हैं ।
1. कोड के अंतर्गत बिंदु और रेखाओं के सिग्नल द्वारा संदेश का संचरण । यह विधि रेडियो टेलिग्राफी कहलाती है ।
2. रेडियो - तरंगों को मॉडुलित करके मूल धवानिक संदेश प्राप्त कर लिया जाता है । इस विधि के अंतर्गत रेडियो टेलिफोनी और रेडियो प्रसारण आते हैं ।
3. रेडियो - तरंगों द्वारा वैद्युतस्पंदों क संचरण जो अभिग्रहण स्थल पर मूल आकृति अथवा ध्वनि उत्पन्न करते हैं । इस विधि के अंतर्गत रेडियो दूर टंकक, रेडियो प्रतिकृति संचरण और दूरदर्शन आते हैं ।
  • radio doppler -- रेडियो डाप्लर
किसी वस्तु के आपेक्षिक वेग के त्रिज्जीय घटक का सीधा मापन जिसका आधार इस वेग द्वारा रेडियो - तरंगों में प्रेक्षित होने वाले आवृत्ति - परिवर्तन है ।
  • radio fadeout -- रेडियो-श्रीणन
संचार - माध्यम में होने वाले परिवर्तनों द्वारा रेडियो - क्षेत्र - तीवर्ता का विचरण । आयन - मंडल के निम्नतर स्तरों में अचानक और असामान्य आयतन की वृद्धि हो जाने से इन क्षेत्रों से गुजरने वाली रेडियो - तरंगों का अवशोषण बढ़ जाता है और इस स्थिति में अभिग्राही पर प्राप्त होने वाले सिग्नल या तो क्षीण हो जाते हैं या लुप्त हो जाते ह। इस प्रकार का क्षीणन उचानक उत्पन्न होता है । और 1 घंटे तक रह सकता है । इस क्षीणन में (3 से 10) MHz तक की आवृत्तियों पर अधिकतम प्रभाव पड़ता है परंतु उन्हीं स्थलों पर जहाँ सिग्नल पथ का पूर्ण अथवा आंशिक भाग दिन के प्रकाश में रहता है ।
  • radio frequency -- रेडियो आवृत्ति
वह आवृत्ति जिस पर संचार के लिए ऊर्जा के कला संबद्ध विद्युत्चुंबकीय विकिरण का उपयोग किया जाता है । इनका परिसर 3 kHz से 300 GHz तक है । रैडियो आवृत्तियों का वर्गीकरण निम्न प्रकार किया गया है: अति निम्न आवृत्ति 30 kHz से कम निमान आवृत्ति 30-300 kHz मध्यम आवृत्ति 3000 - 3000 kHz उच्च आवृत्ति 3-30 MHzअति उच्चि आवृत्ति 30-300 MHzपरा उच्च आवृत्ति 0.3-3 GHz महोच्च आवृत्ति 3-30 GHz चरम उच्च आवृत्ति 30-300 GHz.
  • radio frequency -- आवृत्ति, रेडियो
विद्युत् चुंबकीय दोलन या तरंग (electromagnetic oscillation) की वह आवृत्ति जो रेडियो संचरण के लिए प्रयुक्त होती है । इनका परिसर 104 साइकल प्रति सेकंड से 3 x 1010 साइकल प्रति सेकंड तक का होता है ।
  • radio horizon -- रेडियो-क्षितिज
पृथ्वी के ऊपर रेडियो - तरंगों के संचरण मे उन बिंदुओं को मिलाने वाला रेखापथ जिन पर रेडियो - प्रेषित्र से जाने वाली सीधी किरणें पृथ्वी पर तल पर स्पर्शरेखीय हो जाती हैं । किसी गोलीय पृष्ठ पर यह क्षितिज एक वृत्त के रूप मे होता है । क्षितिज तक की दूरी वायुमंडलीय अपवर्तन से प्रभावित हो जाती है ।
  • radio interference -- रेडियो-बाधा
1. रेडियो-सिग्नल के अभिग्रहण में एक अवांछित विक्षोभ अथवा अवांछित विक्षोभ उत्पन्न करने वाला कोई भी कारण । रेडियो की यह बाधा रेडियो-प्रेषितंत्र, संचरण-माध्यम अथा रेडियो-अभिग्राही में होने वाला विक्षोभ हो सकती है । इसके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-
1. प्रेषित्र में पृष्ठभूमि-व्यतिकरण
2. संचरण-माध्यम में अवांछित विद्युत्चुंबकीय विभोभ जो कि तड़ित अथवा अवांछित रेडियो-तरंगों और गुंजन अथवा तापीय प्रक्षोभ (thermal agitation) से उत्पन्न हो सकते हैं । 2. दो या अधिक कला संबद्ध r.f. तरंगों का व्यतिकरण ।
  • radio navigation -- रेडियो-संचालन
रेडियो संकेतों की सहायता से वायुयानों और जलयानों का नौचालन जिसमें रेडियो दिशा निर्धारक, रेडियो बीकन, और लोरान जैसे यंत्रों का प्रयोग किया जाता है ।
  • radio nevigation -- रेडियो-संचालन
रेडियो-संकेतों की सहायता से वायुयानों और जलयानों का नौचालन जिसमे रेडियो-दिशा- निर्धारक, रेडियो-बीकन और लोरान जैसे यंत्रों का प्रयोग किया जाता है ।
  • radio receiver -- रेडियो-अभिग्राही
एक इलेकट्रॉनीय युक्ति जो मॉडुलित रेडियो-तरंगों की बोधगम्य ध्वनि या अन्य संवेद्य सिग्नल के रूप में बदल देती है। इसे रेडियो, रेडियोसेट और अभिग्रहण सेट भी कहते हैं ।
  • radio silence, International -- अंतर्राष्ट्रीय रेडियो-नीरवता
वह समयावधि जिसमें सभी रेडियो-स्टेशनों द्वारा होने वाले प्रेषण रोक दिए जाते हैं ताकि 500 Hz की अंतर्राष्ट्रीय संकट - आवृत्ति पर संकट - सिग्नल सुने जा सकें । इसकी समयावधि 3 मिनट की होती है जो घंटे 15 और 45 मिनट बाद शुरू होती है ।
  • radio sonde -- रेडियो सोंड
रेडियो-प्रेषित्र से युक्त एक मौसमलेखी जो गुब्बारे द्वारा वायुमंजल मे से ले जाने पर उड़ान के दौरान स्वतः नियमित अंतराल के पश्चात् विभिन्न ऊँचाइयों पर दाब, ताप और आर्द्रता संबंधी सिग्नल भू - स्टेशन पर भेजता रहता है । भूमि पर इन सिग्नलों को विशेष प्रकार के अभिग्राही पर रिकार्ड किया जाता है । गुब्बारा फट जाने पर यह उपकरण पैराशूट द्वारा नीचे उतार दिया जाता है ।
  • radio star -- रेडियो तारा
आकाश में स्थित एक विविक्त रेडियो स्रोत । यह आमतौर पर किसी ज्ञात प्रकाशीय तारे से मेल नहीं खाता और इसीलिए इसे रेडियो स्रोत कहते हैं । दृश्य रेडियो तारे बहुत थोड़े हैं जिनमें से सूर्य भी एक है ।
  • radio telegraphy -- रेडियो तार संचार
तार प्रणाली जिसमें दो सुदूरवर्ती स्टेशनों के बीच विद्युत् - चुंबकीय तरंगों द्वारा तार भेजा जाता है । इसमें दोनों स्थानों के बीच में कोई चालक तार लगाने की आवश्यकता नहीं होती। इसे बेतार - तार प्रणाली भी कहते हैं ।
  • radio telephony -- रेडियो टेलीफ़ोनी
बिना कि‍सीतार संबंधन के दो केन्द्रों के मध्य, रेडियो तरंगों की सहायता से द्विपथी ध्वनि संचार की व्यवस्था ।
  • radio telescope -- रेडियो दूरदर्शक
एक बृहद् और अत्यधिक दैशिक एंटेना वाला सुग्राही रेडियो अभिग्राही जो रेडियो तारों से आनेवाले संकेतों को ग्रहण करने के लिए प्रयोग किया जाता है । इसका उपयोग प्रायः रेडियो खगेलिकी में होती हैये दो प्रकार के होते हैं -
1. कर्णनीय परवलयिक परावर्तक ऐंटेंना वाले
2. दो या अधिक स्थिर या करणनीय रेडोयो ऐंटिना वाले ।
प्रथम प्रकार का एक बहुत विशाल रेडियो दूरदर्शक इंग्लैंड के जोड्रोल बैंक नामक स्थान पर है और दूसरे प्रकार का भारत में ऊटी नामक स्थान पर है ।
  • radioactive decay -- रेडियोऐक्टिव क्षय
किसी रेडियोऐक्टिव तत्व के परमाणु का विघटन जो निम्न संबंध से व्यक्त किया जाता है - (Formula)
जिसमें रेडियोऐक्टिव तत्व की आयु nv और n क्रमशः आरम्भ में और t समय के बाद विद्यामान परमाणुओं की संख्या तथा e प्राकृतिक लघुगणक का आधार है ।
  • radioactive disintegration -- रेडियोऐक्टिव विघटन
किसी रेडियोऐक्टिव पदार्थ के परमाणु का खंडन । प्रोटॉनों, न्यूट्रॉनों, ड्यूटरॉनों आदि कणों की बमबारी द्वारा किसी परमाणु के खंडन को कृत्रिम या संश्लेषिक रेडियोऐक्टिव विघटन कहते हैं
  • radioactive series -- रेडियोऐक्टिव श्रेणी
न्यूक्लाइडों का अनुक्रमण, जिसमें प्रत्येक न्यूक्लाइड रेडियोऐक्टिव विघटन द्वारा अगले न्यूक्लाइड में रूपांतरित हो जाता है । यह क्रिया तब तक होती रहती है जब तक स्थाई न्यूक्लाइड प्राप्त न हो जाए । पहले सदस्य के जनक, मध्यवर्ती यौगिकों को दुहिताएं और अंतिम स्थायी सदस्य को अन्त्य - उत्पाद कहते हैं । ऐसी तीन श्रेणीयां प्राकृतिक रेडियोऐक्टिव द्रव्यों में और प्लूटोनियम श्रेणी प्रेरित रेडियोऐक्टिव तत्वों में पाइ जाती है । ऐसी श्रेणीयों में होने ले क्रमिक रेडियोऐक्टिव रूपांतरण के प्रक्रम को श्रेणी - विघटन कहते हैं ।
  • radioactive tracer -- रेडियोऐक्टिव अनुज्ञापक
कोई रेडियोऐक्टिव पदार्थ जो सूक्ष्म मात्रा में किसी समस्थानिक में मिलाया जाता है । यह मिश्रण एक रासायनिक पदार्थ की भांति क्रिया करता है । इस अनुज्ञापक को उसकी रेडियोऐक्टिवता द्वारा पहचाना जा सकता है ।
  • radioactivity -- रेडियो ऐक्टिवता (विघटनाभिकता)
वह गुण जिससे रेडियम, यूरेनियम, थोरियम आदि भारी त्तवों के परमाणु - नाभिकों का स्वतः विघटन ( spontaneous disintegration) होता रहता है । इस प्रक्रम में ऐल्फा कण, बीटा कण, तथा गामा विकिरण उत्सर्जित होते हैं और अवशिष्ट परमाणु के भौतिक तथा रासायनिक गुणधर्म बदल जाते हैं । उसका परमाणु भार भी बदल जाता है । ये अवशिअट परमाणु भी रेडियोऐक्टिव होते हं । अतः उनके उत्तरोत्तर विघटन से ऐसे तत्वों की एक श्रेणी प्राप्त हो जाती है जिनका आयु काल विभिन्न परिणाम का होता है । ऐसी तीन श्रेणियाँ प्रसिद्धा हैं और तीनों ही में अंतिम तत्व सीसे (lead) का कोई समस्थानिक (isotope) होता है जो रेडियोऐक्टिव नहीं होता ।
  • radioisotope -- रेडियोआइसोटोप, विकिरण - समस्थानिक
कोई भी रेडियोऐक्टिव समस्थानिक अर्थात् किसी तत्व का वह समस्थानिक रूप जो रेडियोऐक्टिवता प्रदर्शित करता है । रेडियो - आइसोटोपों का उपयोग औषधि में उपाचरक के रूप में, जैव अनुज्ञापक अध्ययनों मे और अनेक औद्योगिक कार्यों मे होता है । जिनमें मोटाई नापने स लेकर बहुलकन आरम्भ करने तक की तकनीक शामिल हैं ।
  • radiometry -- रेडियो - विकिरणमिति
रेडियो विकीरणमापी द्वार विकीर्ण ऊरजा का मापन ।
  • radiophoto -- रेडियो फोटो
प्रतिचित्रण अभिग्राही के लिए रेडियो द्वारा प्रेषित फोटो । सिद्धांत रूप से यह प्रक्रम टेलिविजन में प्रेषित चित्रों के समान ही हैं परंतु बहुत दूर तक चित्रों को भेजने के लिए वाहक तरंगों की आवृत्ति टेलिविजन की वाहक आवृत्ति से काफी कम रखी जाती है ताकि इन तरंगों का आयन मंडल से परावर्तन हो सके । ये चित्र टेलिविजन - चित्रों की अपेक्षा कम स्पष्ट होते हैं ।
  • radiophoto -- रेडियो - फोटो
प्रतिचित्रण अभिग्राही के लिए रेडियो द्वारा प्रेषित फोटो । सिद्धांत रूप से यह प्रक्रम दूरदर्शन में प्रेषित चित्रों के समान ही हैं परंतु बहुत दूर तक चित्रों को भेजने के लिए वाहक तरंगों की आवृत्ति दूरदर्शन की वाहक आवृत्ति से काफी कम रखी जाती है ताकि इन तरंगों का आयन मंडल से परावर्तन हो सके । ये चित्र दूरदर्शन - चित्रों की अपेक्षा कम स्पष्ट होते हैं ।
  • radius of curvature -- वक्रता-त्रिज्या
वक्रता-वृत्त की त्रिज्या ।
  • radius of gyration -- परिभ्रमण-त्रिज्या
किसी घूर्णी तंत्र में उन दो बिंदुओं के बीच की दूरी जिनमें से एक वह बिंदु है जिसके सापेक्ष घूर्णन हो रहा हो और दूसरा वह जहाँ पर (अथवा जाहँ से) ऊर्जा - स्थानांतरण अधिकतम हो । जड़त्व आघूर्ण I तथा द्रव्यमान M वाले तंत्र की परिभ्रमण त्रिज्या (k) निम्नलिखित सूत्र से व्यक्त की जाती हैः (Formula)
  • radius vector -- ध्रुवांतर, ध्रुवांतर रेखा
ध्रुवी निर्देशांक में, ध्रुव से किसी दिए हुए बिंदु को मिलाने वाली दिष्ट देखा अथवा ध्रुव से इस बिन्दु तक ही दूरी ।
  • radix -- मूलांक
किसी संख्या प्रणाली की आधाभूत संख्या; संख्यालेखन की कीस पद्धति का आधार अथवा मूल, जैसे दशमिक संख्या प्रणाली का मूलांक 10 होता है, इसी प्रकार प्राकृतिक लघुगणक मे आधार अथवा मूलांक e तथा साधारण लघुगणक में 10 होता है ।
  • radon -- रेडॉन
शून्य वर्ग का रेडियोऐक्टिव तत्व जो एक अक्रिय गैस है । परमाणु - क्रमांक 86, परमाणु भार 222, प्रतीक Rn । इसका क्वथनां - 650 और गलनांक 710 है। प्राकृति मे पाए जानेव ले तीन समस्थानिक 219 Rn 220 Rn 222 Rn हैं और ये तीनों विभिन्न रेडियोऐक्टिव क्षय - श्रेणियों के सदस्य हैं । यह रेडियम लवणों के विघटन से प्राप्त होता है । इसका स्वतः रेडियोऐक्टिव अपघटन होता है । रेडियम लवणों के विलयन के विघटन से गैस की सूक्ष्म मात्रोयें प्राप्तहोती हैं। 00 पर इसका अवशोषण गुणांक 0.51 है । यह वायुमण्डल मे सूक्ष्म मात्रा में पाया जाता है । इसका उपयोग रेडियम की भांति चिकित्सा मेंहोता है ।
इलेक्ट्रॉन-संरचनाः 1s2 2s22p6 3s23p63d10 4s24p64d104f14 5s25p6 5d10 6s2 6p6.
  • ragnault`s method -- रेन्यो विधि
गैसीय पदार्थों के घनत्व को ज्ञात करने की विधि । इस विधि में निश्चित ताप और दाब पर किसी स के ज्ञात आयतन को तोल लिया जाता है । गैस को सामान्यतया 2 से 50 लीटर आयतन वाले एक बड़े कांच के गोलक में लिया जाताहै । पहले खाली (निर्वातित) गोलक को तोल लेते हैं और फिर तापऔर दाब पर उसमें गैस भरकर तोल लेते हैं ।
  • raidan (unit) -- रेडियन
कोण नापने का मात्रक । यह किसी वृत्त के केन्द्र पर उसकी त्रिज्या के बराबर लंबाई के चाप (arc) द्वारा अंतरित (subtended) कोण है ।
2π रेडियन = 3600 1 रेडियन = 57.2960 = 570 17` 45"
  • rain gauge -- वर्