विक्षनरी:भारतीय भाषा कोश ०२

भारतीय भाषा कोश

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301आस्वादनपुंलिंगपुंलिंग---स्वाद लेना, चखना;रसास्वादन (कविता आदि का)।---सुआद लैणा, मानंणा----चखनालज़्जतअंदोज़ी---सॉद, म॑ज्रु॑----सवादुरसु (कविता वग़ैरह जो)---आस्वाद, स्वाद घेणे, चाखणेरसग्रहण (कविता वगैरेचें)---आस्वादनरसग्रहण (कविता वगेरेनुं)---आस्वा॒दन, स्वादग्रहण॒, चाखा (सा, न)रसास्वादन---आस्वादन----आस्वादन, चारिवबारसास्वादन---आस्वादनमु, चवि चूचुटआस्वादनमु---शुवैत्तल्रसित्तळ्---आस्वदिक्कल्आस्वादनं---रुचि नोडुवुदुआस्वादनॆ---
302आहटस्त्रीलिंग----हल्की आवाज।----बिड़क----आहट----सदाह, आवाज़----आहट----चाहूल----अणसारो----मृदु शब्द----पातल शब्द----हालुका आबाज----च़प्पुडु, अलिकिडि----संदडि----कालॊच्च, नेरिय ओ॑च्च----सद्दु----
303आहारपुंलिंग----खाद्य पदार्थ, भोजन।----अहार----खाना, ग़िज़ा----ख्यन----आहारु, खाधो----आहार, भोजन----आहार, खोराक, खानपान, भोजन----आहार, भोजन, खाद्य----आहार----आहार, भोजन----आहारमु----आहारम्, उणवुप्पॊरुळ्----आहारं----आहार----
304आहुतिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---यक्ष या हवन करते समय सामग्री को अग्नि में डालने की क्रिया;हवन में हर बार डाली जाने वाली सामग्री की मात्रा।---अहूती, आहूती, कुरबानीअहूती, आहूती, कुरबानी---आहूती----आहुती, अ॑हवथ----आहूतीआहूती---आहुतिआहुतीचे सामान---आहुतिआहुतिनो समान---आहुतिआहुत---आहुतिआहुति---आहुतिआहुति---आहुतिआहुति---वेळ्वियिल् नॆय्, पॊरि मुदलियन अर्प्पित्त्ळ्, आहुतिवेळ्वियिल् अर्पणिक्कुम् पॊरुळ्---आहुतिआहुति---आहुतिआहुति---
305इंतज़ामपुंलिंग----प्रबन्ध, व्यवस्था।----इंतज़ाम----इंतिज़ाम----इंतिज़ाम----इंतिज़ामु----सोय, व्यवस्था----इंतेजाम, बंदोवस्त----अवस्था, बंदोबस्त----ब्यवस्था, योगार----ब्यबस्था----एर्पाटु----एर्पाडु----एर्प्पाटु, व्यवस्थ----एर्पाडु ब्यवस्थॆ----
306इंदराजपुंलिंग----दर्ज करने की क्रिया या काम, प्रविष्टि।----इंदराज----इंदिराज----दरु॑ज करुन----दर्जु करणु, दाख़िला----नोंदणी, प्रविष्टि----दाखल करवुं ते----ढोकानो----भर्तिकरण, प्रविष्टि----प्रबिष्टि----चेर्चुट----पदिन्दु कॊळ्ळळ्----पतिक्कल, चार्त्तल्----नमूदनॆ----
307इकहराविशेषणविशेषण---एक ही परतवाला;पतला।---इकहिरा----इकहराइकहरा---आ॑कॉन्यल----हिक तहोसन्हो---एकेरीसडपातळ, कृश---एकवडियुंपातळुं---एकहारापातला, छिपछिपे---एंखनीया, एतरपीयापातल, क्षीण----पतळा---ओंटिपोरपल्चनि---ऒट॒टै॒नाडियानमॆल्लिय---ऒट॒ट॒त्तट्टायमॆलिञ्ञ---तॆळ्ळगॆतॆळ्ळगॆ---
308इकाईस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---किसी पूरे वर्ग या समूह का ऐसा भाग जो विश्लेषण के लिए स्वतन्त्र या पृथक माना जाता हो (यूनिट);किसी संख्या में दाईं ओर का पहला अंक या उसका स्थान।---इकाई----इकाई----इकाई----इकाईएको, एके जी जग॒ह---युनिटएकम---एकमएकम---एककएकक---एकक, गोट----एकक----बिंदुवु, यूनिटओकट्लु---ऒन्रि॒यम्मुदल् स्तान एंण, ऒट॒टै॒---यूनिटऒर॒र॒---घटकबिडि, ऒदुं---
309इक्कापुंलिंगपुंलिंग---एक प्रकार की छोटी गाड़ी जिसमें केवल एक घोड़ा जोड़ा जाता हैं;ताश का एक बूटीवाला पत्ता।---यक्कायक्का---इक्कायक्का---यकु॑----टांगोयको (ताश जो)---एक्का-गाडी, टांगा(पत्त्यातील) एक्का---एको, एक्कोएको, एक्को---एक्काटेक्का---एक्का गारी(ताच पातर) एक्का---एक्का, एक्कागाड़ीतास र एक बुटीबाला पत्ता---जट्कावोकट्ल्आकु---कुदिरै वण्डिं'एस' सीट्टु---इक्का वण्डिआस् (चीट्टॅ)---ऎक्कागाडिऎक्का---
310इक्का-दुक्काविशेषण----अकेला,-दुकेला, कोई-कोई।----कल्ला-दुकल्ला, इक्कड़-दुक्कड़----इक्का-दुक्का----अरव-ज्रु॑, स्यठाह कम----एकड़ि-बे॒कड़ि----एकटा-दुकटा----एकल-दोकल----एका-दोका, केउ॒-केउ----दुइ-एक, दुटा-एटा----एक्का-दुग्गा----ओकरिद्दरु----ऒन्रि॒रण्डु----ऒटटयुं तॆट॒ट॒युं----ऒब्बिब्ब----
311इच्छास्त्रीलिंग----चाह, कामना।----इच्छा----ख़ाहिशं----यछ़ा----इछा----इच्छा----इच्छा, मरजी, रुचि----इच्छा, आकांक्षा॒ (क्खा)----इच्छा, कामना----इच्छा, कामना----कोरिक, इच्छा----इच्चै, विरुप्पम्----आग्रहं, इच्छा----आसॆ, बयकॆ----
312इठलानाअकारात्मक क्रिया----गर्वसूचक चेष्टाएं करना, ऐंठ दिखाना, इतराना।----आकड़णा----इठलाना, इतराना----वर करु॑न्य----फूंडिजणु, टेग॒रि डे॒खारणु----ऐट दाखवणे----ऍट देखाडवी----ठमक----गपन ओफन्दि फुर----आड़ा-देखाइबा, गर्ब-देखाइबा----मिडिसिपडुट----सॆरुक्कुडन् नडक्क----गर्वु काणिक्कुक, अहंकरिक्कुक, किरुविक्कुक----बिंकदिंद नडॆयुवुदु जभ्भमाडुवुदु----
313इतिवृत्तपुंलिंगपुंलिंग---किसी विषय से संबन्धित समस्त घटनाओं का काल क्रमानुसार पूर्ण विवरण (केस हिस्टरी);कथा, कहानी आदि के रूप में पुरानी बातों का विवरण, इतिहास।---केस हिसट्रीइतिहास---तवारीख़ (महाज़िरात)सरगुज़श्त---तमसील----विचूरवृतांतु---इंतिवृत्तवृत्तांत---इतिवृत्तइतिहास---इतिवृत्तइतिवृत, इतिहास, पुरावृत---इतिबृत्तइतिहास, बुरंजी---इतिबृत्त, पूर्ण बिकरण----इतिवृत्तमु, कथचरित्र---वरलारु॒पऴंकदैगळिन्पर्णनै, चरित्तिरम्---इतिवृत्तं, संभवविवरणंइतिवृत्तं---स्थितिय विवरइतिहास---
314इतिहासपुंलिंग----किसी व्यक्ति, समाज या देश की महत्वपूर्ण घटनाओं का काल क्रमानुसार वर्णन।----इतिहास----तारीख़----ता॑रीख, यतिहास----इतिहासु, तवारीख़----इतिहास----इतिहास, तवारीख----इतिहास----इतिहास----इतिहास----चरित्र----देश चरित्तिरम्, नाट्टु बरलारु॒----चरित्रं----चरित्रॆ, इतिहास----
315इत्रपुंलिंग----विशिष्ट प्रक्रिया से निकाला हुआ फूलों का सुगंधिंत सार, पुष्पसार, अतर।----अतर----इ़त्र----अ॑तु॑र----अतुरु----अत्तर----इत्र, अत्तर----आतर, पुष्पसार्----आतर----अतर, पुष्पसार----अत्तरु----अत्तर्----अत्तर॒----अत्तरु----
316इधरक्रिया विशेषणक्रिया विशेषण---(दिशा और विस्तार के विचार से) इस ओर, इस तरफ, इस स्थान पर, पास-पड़ोस में;(समय के विचार से) वत्र्तमान के आस-पास।---एधर----इधरइधर---या॑र----हिते, हिन पासेताजो, वेझड़ाईअ में---इकडेआलिकडे---आबाजु, आतरफहमणां, हाल्मां---एइदिके, एइधारे, एइखानेएइधारे, इदानीड़; आजकाल, एखन---एइफाले एइपिनेआजिकालि, बर्तमाने---ए आड़े, ए तरफबर्तमानर, पाख-आख---इच़ट, इक्कडई रोजुल्लो---इंगे, इंदप्पक्कंइप्पॊळुदु---इविडॆईयिटॆक्कु---ईकडॆ, इल्लि, अक्कपक्कदल्लिईचॆगॆ---
317इनकारपुंलिंग----न मानने की क्रिया या भाव, अस्वीकृति।----इनकार----इनकार----न मानुन----इन्कारु----नकार----इनकार, मना----अस्वीकार (सी)----अस्वीकार----अस्वीकृति----निराकरण----मरु॒प्पु----तळ्ळिक्कळयल्----अस्वीकार----
318इनामपुंलिंग----पुरस्कार, पारितोषिक।----इनाम----इन्आ़म----यनामु॑----इनामु----इनाम----इनाम----पुरस्कार, पारितोषिक----पुरस्कार----पुरस्कार, पारितोषिक----बहुमानमु, इनामु----इनाम्, बॆगुमदि----सम्मानं, पारितोषिकं----इनामु----
319इमारतस्त्रीलिंग----भवन।----इमारत----इमारत----अ़मारथ----इमारत----इमारत----इमारत----अट्टालिका, इमारत----भवन, घर----भवन----भवनमु, मेड----माळिगै----कोट्टिटं----कट्टड----
320इलाकापुंलिंग----क्षेत्र, प्रदेश।----इलाका----इ़लाक़ा----अलाकु॑----इलाइको----इलाका----इलाको, प्रांत----एलाका----एलेका, क्षेत्र, लाट----इलाका, क्खेत्र, सीमा, प्रदेश----इलाका, प्रांतमु----इलाका, पिरिवु----एला, प्रदेशं----प्रदेश----
321इलाजपुंलिंगपुंलिंग---उपचार, चिकित्सा;प्रतिकार की युक्ति या उपाय।---इलाज----इ़लाजचारा, तदबीर---यलाज----इलाजुइलाजु---इलाज, उपचारइलाज---इलाज, उपचारउपाय---चिकित्सा, उपचारचिकित्सा---चिकित्साप्रतिकारर उपाय, चिकित्सा---उपचार, चिकित्साप्रतिकार र जुक्ति---चिकित्सउपायमु---चिकिच्चैउपायम्---चिकित्सउपायं---चिकित्सॆपरिहार---
322इशारापुंलिंग----संकेत।----इशारा----इशारा----इशारु॑----इशारो----इषारा----इशारो----संकेत, इशारा----संकेत, इंगित, इचारा----संकेत----संज्ञ, सैग----जाडै----आंग्यं----सन्नॆ, संकेत----
323इस्तरीस्त्रीलिंग----कपड़े की शिकन दूर करने या तह बिठाने के लिए लोहे या पीतल का उपकरण (आयरन)।----इसतरी----इस्तरी----कुंद्य----इस्त्री----इस्त्री----इस्तरी, इस्त्री----इस्तिरि----इस्त्री----इस्त्रि----इस्त्री, चलुव----इस्तिरि पोडुदल----इस्तिरि----इस्त्रि पॆट्टिगॆ----
324इस्पातपुंलिंग----विशेष प्रक्रिया से तैयार किया हुआ कड़ा और बढ़िया लोहा (स्टील)।----असपात----फ़ौलाद----सिटील----रुकु----पोलाद----पोलाद, स्टील----इस्पात----तीखा लोहा----इस्पात----स्टीलु, उक्कु----ऎहकु----उरुक्कु----उक्कु----
325ईंटस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---सांचे में ढालकर पकाया हुआ मिट्टी का टुकड़ा जो दीवार आदि बनाने के काम आता हैं (ब्रिक);ताश के चार रंगों में से एक जिसमें लाल रंग की चोकोर बूटियां बनी होती हैं।---इट्टईंट---ईंटइंट---सीर----सिरईट---वीट(पत्त्यांत) चौकट---ईंटचोकट---इटरुइतन---इटाताचर रुहितनर पात---ईटा (ब्रिक)तास खेळर नालिपान पता---इटुकडायमन---चॆंगळ्डैमंड् (सीट्टु)---इष्टिकडैमन् (चीट्टु)---इट्टिगॆडयमण्डु---
326ईंधनपुंलिंग----जलाने के काम आने वाली लकड़ी, जलावन।----बालण----ईंधन----ज़ालुन, ज़्युन----जलाऊ पदार्थ (काठियूं वग़ैरह)----ईंधन जळण, सरपण----ईंधण, बळतण----इन्धन, ज्वा॒लानि (जा)----इन्धन, खरि----जालेणि काठ----इन्धनमु, वंट चेरुकु----विर॒गु----विर॒कु----सौदॆ----
327ईखस्त्रीलिंग----गन्ना, ऊख।----इक्ख, गन्ना----ईख (गन्ना)----नयशक्कर----कमंदु----ऊंस----ईख, इक्षु, शेरेडी----आख----कुहियार----आखु----चेरकुगड----करुंबु----करिम्पु----कब्बु----
328ईश्वरपुंलिंग----परमात्मा, भगवान।----ईशवर----अल्लाह, ख़ुदा----ईशर, बगवान----ईश्वरु----ईश्वर, भगवान----ईश्वर----ईश्व॒र, भगवान (श्श)----ईश्वर----परमात्मा, भगबान----भगवंतुडु, देवुडु----कडवुळ्----ईश्वरन्----भगवंत----
329उँडेलनासकारात्मक क्रिया----किसी तरल पदार्थ को एक बर्तन से दूसरे बर्तन में डालना या जमीन पर गिरा देना।----उलद्दणा, उलटाउणा----उंडेलना----त्रावुन, फिरुन----ओतणु----ओतणें----रेडवुं----ढाला----ढाल, बाक----ढाळिबा----तिरुगपोयुट----विड (दिरवङ्गळै)----ऒळिक्कुक----सुरियुवुदु, चॆल्लुवुदु----
330उकतानाअकारात्मक क्रिया----ऊबना।----उकताउणा----उकताना----तंग युन----ककि थियणु, बेज़ारु थियणु----त्रासणे, कंटाळणें----कटाळबुं----मन उचाटन हओया----आमनि लाग, भागरि पर----मन उचाटन इबा उच्चाट----विसुगुचेंदुट----सलिप्पडैय----मुषियुक----बेजारागुवुदु----
331उकसानासकारात्मक क्रिया----भड़काना, उत्तेजित करना।----उकसाउणा, चुकण्णा----उकसाना----त्रुस द्युन----भड़िकाइणु----भडकविणे, चेतविणे----भडकाववुं----उसकानो, ओसकानो----उचटा, उत्तेजित कर----उत्तेजित करिबा----रेच्च़गोट्टुट----तूंडिविड----प्रेरिप्पिक्कुक, इळक्किविटुक----प्रचॊदिसुवुद, प्रेरेपणॆमाडुवुदु----
332उक्तिस्त्रीलिंग----किसी की कही हुई बात, कथन, वचन।----उकती----क़ौल, मक़ूला----वनुन, कथ----चविणी----उक्ति, वचन, कथन----उक्ति, कथन----उक्ति----उविश्त, कथा, बचन----कथन, बचन----उक्ति, सूक्ति----पॊन् मॊऴि----उक्ति----हेळिकॆ, उक्ति----
333उखाड़नासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---जमी, ठहरी या लगी हुई चीज को खींचकर आधार से अलग करना;भागने या हटने के लिए विवश करना।---उखेड़ना----उखाड़नाखदेड़ना---मू॑ल कडुन----उखेड़णु, पाड़ां पटणुभज॒ण या हटण लाइ लाचारु करणु---उखडणे, उपटणे----उखाडवुं----उपड़ानो, उखड़ानो, ओखड़ानो----उभाल, उधाल, एरुवाआँतरिबलै बाध्यकर---ओपाड़िबापळाइबापाईं बाध्य करिबा---पेळ्ळगिंचुटबलहीनपरचु---पिडुंगि ऎरि॒यविरट्ट---परि॒च्चुमाट॒ट॒कविरट्टुक, ओटिक्कुक---कीळुवुदुबॆन्नॆट्टुवुदु, ओडिसुवुदु---
334उगनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया--उदय होना, निकलना;अंकुरित होना;उपजना, पैदा होना।--उगणाउगणाउगणा--निकलनाफूटनाउगना--खसुन----उभिरणुसलो फुटणुपैदा थियणु--उगणे, उदय होणेउगवणे, अंकुर, फुटणेउगवणे, उत्पन्न होणे--उगवुं, उदय थवोंफूटवुंनीपजवुं, उत्पन्न थवुं--उदय हओयागाछ अंकुरित हओया---ओला, उदय हअंकुरित हेबागांज अंकुरित ह--उदय हेबा, उइंबा, उँकिमारिबा-अंकुरित हेबा--उदयिंचुटमोलचुट, मोलकेत्तुटमोलचुट, मोलकेत्तुट--वळर, वॆळिवरमुळैक्कउण्डाग--उदिक्कुकमॊलॆ ऒडॆयुवुदुअंकुरिक्कुक, विळयुक मुळक्कुक--मडुवुदु, उदिसुवुदुअंकुरिसुवुदुमॊलॆ ऒडॆयुवुदु--
335उगलनासकारात्मक क्रिया----मुँह में ली हुई चीज को थूक देना, खाई हुई वस्तु को मुँह से बाहर निकाल देना।----उग्गलणा----उगलना----द्रौख अनु॑न्य----ओगा॒रण, कइ करणु----ओकारी करणें----ओकवुं---------ओपज् उत्पादन ह----उपुजिबा----पुट्टुट----कक्क----छर्दिक्कुक----उगळुवुदु----
336उगानासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---किसी बीज या पौधे आदि को उगने में प्रवृत करना, उपजाना।उत्पन्न या पैदा करना।---उगाउणा----उगानापैदा करना---खारुऩ----अभिराइणुपैदा करणु---उगविणेउत्पन्न करणें---उगाडवुंउत्पन्न करवुं---उगरानो, उगलानोउत्पादन करा---ओकाल, बटियाउत्पादन कर, उपजा उत्पन्न कर---ओगाळिबा, बांति करिबा (बान्ति करिबा)उपुजाइबा, उत्पन्न करिबा---मोलिपिंचुटपंडिंचुट, पुट्टिंचुट---विदैर्ये मुळैक्क वैक्कउण्डाक्क---मुळप्पिक्कुकविळयिक्कुक---बॆळसुवुदुहुट्टिसुवुदु---
337उघाड़नासकारात्मक क्रिया----खोलना, अनावृत करना, नंगा करना।----उघाडणा, उघेड़णा----खोलना, बेपरदा करना----खोलुन, मुचु॑रावुन----उघाड़ो करंणु, खोलणु, पर्दो हटाइणु----उघडणें, अनावृत करणे, नागवे करणें----उघाडवुं, खोलवुं, खुल्लुं करवुं----खोला, अनावृत करा----बखलिया, उलिया व्यक्त कर----खोलिबा, लंगळा करिबा----चेरचुट, नग्नमुचेयुट----तिरक्क, अम्मणमाक्क----अनावरणं चॆय्युक----बिच्चुवुदु तॆरॆयुवुदु----
338उचटनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया---किसी जमी या चिपकी हुई वस्तु का अपने आधार से अलग होना, छूटना;मन का हट जाना, न लगना, ऊबना।---उचेड़णा----उचटनाऊबना---वॅथुनदिख युन---उखिड़णुंबेज़ारु थियणु, मनु न लग॒णु---पृथक होणे, सुटणेमन न लागणे, कंटाळणे---ऊचडवुं, उधेडवुंउतारपी, कटाळवुं---पृथक हओया----खह, एरमन नालाग, आमनि लाग---अलगा हेबामन न लागिबा---तोलगिपोवुटविरक्तिपुट्टुट---विडुपडमनदु अलुत्तुप्पोग---इळकुक, वळुतुकमनस्सु, मारु॒क, मुषियुक---कळचुवुदुबेसरवागुवुदु---
339उचितविशेषणविशेषणविशेषण--उपयुक्त, मुनासिब;ठीक, सही;न्यायसंगत।--उचितउचितउचित--मुनासिब----मुना॑सिबमुना॑सिबमुना॑सिब--मुनासिबु जोगो॒ठीकु, सहीइन्साफ़ रूइ--उचित उपयुक्त, योग्यठीक, बरोबरन्यायसंगत--उचित, योग्य, घटितघटितन्याययुक्त--उचित, उपयुक्तउचितउचित, न्यायसंगत--उचित उपयुक्तठिक, आचलउचित, न्यायसंगत--उपजुक्तठिकन्याय संगत--यथोचितयोग्यमयिनसरि अयिन--तगुन्दसरियाननियायमान--उचितंशरियायन्यायमाय--तक्कसरियादन्यायसम्मत--
340उच्चविशेषणविशेषणविशेषण--ऊँचा;पद आदि में औरों से ऊपर या बड़ा;श्रेष्ठ।--उच्चाउच्चाउच्चा--ऊंचा (बलंद)बरतरआ़ला--थौदथौदथौद--ऊचोआलाउत्तमु--उच्चवरिष्ठश्रेष्ठ--उच्च, ऊँचुंश्रेष्ठश्रेष्ठ--उँचुउच्च, श्रेष्ठउच्च, उँचु--ओख, उच्चओपर वालाश्रेष्ठ--उंचापद आदि र रु ब ठिबाश्रेष्ठ--ऍत्तयिनउन्नतमयिनश्रेष्ठमयिनं--उयर्न्दपदवियिल् उयर्न्दसिर॒प्पान--पॊक्कमुळ्ळउयर्न्दश्रेष्ठमाय--ऎत्तरवादहिरिय, ज्येष्ठ, श्रेष्ठहिरिय, ज्येष्ठ, श्रेष्ठ--
341उच्चारणपुंलिंग----सार्थक शब्द कहने या बोलने का निश्चित और शुद्ध ढंग या प्रकार (प्रोनेसिएशन)।----उच्चारण----तलफ़्फुज़----वनु॑नुक तरीकु॑----उचारणु----उच्चार----उच्चारण, उच्चार----उच्चारण॒ (न)----उच्चारण----उच्चारण----उच्चारण----उच्चरिप्पु----उच्चारणं----उच्चारणॆ----
342उछल-कूदस्त्रीलिंग----बार-बार उछलने या कूदने की क्रिया या भाव।----नच्च-टप्प----उछलकूद----वॅतलबुजि, वॅठ-छ़ॉँठ----ठेंग टपा----हसणे-खिदळणें----कूदंकूदा, कूदाकूद----लाफालाफि----जपियाजपि----कुदिबा, डिंआ-डेईं, उत्पात----गन्तुलु वेयुट----कुदित्तु विळैयाडुदल्----ऍटुत्तु चाट्टुं----हाराट, कुणित----
343उछलनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया---वेगपूर्वक ऊपर की ओर उठना या बढ़ना;अत्यंत प्रसन्न होना, खुशी से फूलना।---उछल्लणा----उछलना----वॅठ तुलु॑न्य----उछिलिजणुटपा डि॒यणु---उसळणेंआनदान खूश होणें---उछळवुं, उंचेजवुं, कूदवुंप्रसन्नता थी उछळवुं---लाफानोआनंदे लाफानो---उचाल मार, जंपिया----उछुळिबाअत्यंत प्रसन्न हेबा---ऍगुरुटगंतु वेयुट---कुदित्तु ऎळपूरित्तुप्पोग---कुतिच्चु चाटुकअत्यंतं आह्ळादिक्कुक संतोषं कॊण्डु निर॒युक---हारुवुदुनॆगॆदाडुवुडु---
344उजड़नाअकारात्मक क्रिया----बसे हुए स्थान के आबाद न रहने पर उस का टूट-फूट कर बेकार हो जाना।----उज्जड़णा----उजड़ना----वा॑रान गछुन----उजिड़णु----उध्वस्त होणें----उजडावुं----नष्ट हओया, विध्वस्त हओया----छन पर----उजुड़िबा----ध्वंसमगुट----पाऴडैदल्----वासशून्यमावुक----हाळुबीळुवुदु----
345उजालापुंलिंगपुंलिंग---चांदनी, प्रकाश, रोशनी;प्रात:काल होने वाला प्रकाश।---उजालाउजाला---उजाला, रोशनी----गाश----उजालो, प्रकाशुसोझिरो---उजेडप्रकाश, प्रभा---उजाश (स), अजवाऴुंप्रकाश---आलो, चांदनि, प्रकाशआलो---जोनाक, पोहरफेंहुजालि---प्रकाशं, आलोकउजळ, सफा, फर्चा---प्रकाशमु, वेन्नेल, वेलुगुवेलुतुरु---वॆळिच्चम्, निळवॊळिविडियर्कालै वॆळिच्चम्---वॆळिच्चंपुलर॒वॆट्टम्---वॆळकुमुंबॆळकु---
346उठनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया--ऊंचाई की ओर या ऊपर जाना अथवा बढ़ना;गिरे, झुके, बैठे या लेटे होने की स्थिति से खड़े होने की स्थिति में आना;जागना।--उठना----उठना----वॅथुनवॅथुन---उथणु, मथे चढ़णुउथणुउथणु, जाग॒णु--वर जाणे, चढणेउठणेजागे होणे, उठणे--उठवुं, ऊभुं थवुंउठवुंजागवुं--ओठा, चड़ाओठाओठा, जागा--उठथि प हउठ, जाग सार पा--उपर कु जिबा (उठिबा)ठिआ हेबाजागिबा--पयिकि वच्चुटनिलबडुटलेचुट--ऎम्ब, मेले पोगऎळुन्दिरुक्कविऴित्तुक्कॊळ्ळ--पॊन्तुक, पॊङ्ङुकऍळुन्नेल्क्कुकउणरुक--मेलक्केळुवुदुएळुवुदुऎच्चरगॊळ्ळुवुदु--
347उड़नाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया--पंखों या परों की सहायता से आधार छोड़कर ऊपर उठना और आकाश या वायु में इधर-उधर आना-जाना।प्राकृतिक, रसायनिक आदि कारणों से किसी चीज का धीरे-धीरे कम होना या न रह जाना;गायब या लुप्त हो जाना।--उडना----उड़ना----वुडुनवुडुनवुडुन--उडा॒मणुउडा॒मणुउडा॒मणु--उडणेउडून जाणेलुप्त होणें--उडवुं (हवामां)फीकुं पडवुंगायब के लुप्त थवुं--ओड़ा, उड़ाओड़ा, ओवाओड़ा--उरउरि नाइकीया ह उरि यालुका--उड़िबाधीरे धीरे कमिबालुप्त हेबा--ऎगरुटआविरयिपोवुटमांयमगुट--पर॒क्कमॆळ्ळ मॆळ्ळ, कुरै॒न्दु पोग, मरै॒न्दुपोगमरै॒न्दुपोग--पर॒क्कुकइल्लाताकुकलॊपिक्कुक--हारुवुदुइंगुवुदुमायवागुवुदु--
348उतनाविशेषण----पहले निर्धारित मात्रा, मान, संख्या, दूरी आदि का सूचक।----ओना, उतना----उतना----त्यूत, त्यूतुय----ओतिरो----तितका----एटलुं----ततो, तेमन----सिमान, सिमानखिनि----सेतिकि----अन्त----अव्वळवु, अत्तनै----अत्रयुं----अष्टु----
349उतरनाअकारात्मक क्रिया----किसी व्यक्ति या वस्तु का ऊपर के या ऊंचे स्थान से क्रमश: नीचे की ओर आना।----उतरना----उतरना----वसुन----लह॒णु----उतरणे----ऊतरवुं----नामा----नाम----उतुरिबा----दिगुट----इरं॒ग----इर॒ङ्ङुक----इळियुवुदु----
350उतार-चढ़ावपुंलिंगपुंलिंग---नीचे उतरने और ऊपर चढ़ने की अवस्था, क्रिया या भाव;किसी वस्तु के मान, मूल्य स्तर आदि का बराबर घटते-बढ़ते रहना।---उतार-चढ़ाउतार-चढ़ा---उतार-चढ़ाव, कमी-बेशी----ह्यॊर-वन, खसुवसहयॊर-बॅन, उतार-चडाव---लाहु-चाढ़ुघटा-वधी---चढ-उतारचढउतार---चडती-पडती, उतराण-चढाणचढ़-उतार---ओठा-नामा, उठा-नामाकमा-बाड़ा---उठा-नमा, तल-ओपरउठा-नमा---ओल्हाणी ओ चढ़ाणी, ओल्हाइबा ओ चढ़िबाकम ऐबा ओ बढ़िबा, मान व मूल्य र खसिबा-बढ़िबा---ऎत्तु-पल्लमुलुहेच्चुतग्गुलु---एट॒ट॒ इरक्कम्विलै एरुवुदु-इरं॒गुवुदु---कयट॒ट॒वुं, इर॒क्कवुंएट॒ट॒क्कुर॒च्चिल्---एरिळितहॆच्युकडिमॆयागुवुदु---
351उतारनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया--ऊपर से नीचे लाना;अलग करना (वस्त्र), आभूषण;पार या दूसरी ओर पहुँचाना (नदी आदि के)।--लाहुणालाहुणालाहुणा--उतारना----वालुनकडुनतारुन--लाहिणु-पारि पहुचाइणु--उतरविणेवस्त्र, आभूषण काढणेनदी इत्यादीच्या पैलतीरास पोहोचणे--उतारवुंकाढवुंपार लई जवुं--नामानोखोला, छाड़ा---नमाखोल, सोलोकापार कर--उतारिबाअलगा करिबापारि होबा--दिगुटतीसि वेयुटदाटिंचुट--कीऴे इर॒क्ककळैय, अविऴ्क्कअक्करै सेर्क्क--ताऴोट्टु कॊण्डुवरिकअऴिच्चुवॆक्कुककर कटत्तुक--इळिसुवुदुकळचुवुदुदाटिसुवुदु--
352उत्कंठास्त्रीलिंग----कुछ करने या पीने की प्रबल इच्छा, चाव।----उतकंठा, सद्धर----अरमान----चाव, शोख----चाह, अबि॒लाखा, उत्कंठा----उत्कंठा----उत्कंठा----उत्कंठा----उत्कण्ठा, प्रबल इच्छा----उत्कंठा----तहतह तीव्रलालरु----तीविर विरुप्पम् अवा----उत्कंठ, आग्रहं----प्रबल, इच्छॆ----
353उत्कर्षपुंलिंगपुंलिंग---ऊपर की ओर उठने, खिंचने या जाने की क्रिया या भाव;पद, मान, संपत्ति, भाव, मूल्य आदि में होने वाली वृद्धि।---चढ़त, चढ़तल----उ़रूज----थज़र, ऒरूज----चाढु, मथे वधण जी हालतिवाधारो, वाधि---ओढणेउत्कर्ष---उत्कर्षउन्नति, अभिवृद्धि---उत्थितवर्धित---उत्कर्षउन्नति सम्पन्नता---उत्कर्षपद-मान आदि र बृद्धि---उत्कर्षमु, अतिशयमुउन्नति---ऎळुच्चिपदवि, सॆल्वाक्किल उयर्च्चि---उत्कर्षंअभिबृद्धि---एळिगॆ, अभिवृद्धिएळिगॆ एरिकॆ---
354उत्तमविशेषण----गुण, विशेषता आदि में सबसे बढ़कर।----उत्तम----अफ़्जल (आ़ला)----थोंद, वॅतम----उतमु, आला----उत्तम----उत्तम, सोथी, सारुं श्रेष्ठ----उत्तम, सर्वश्रेष्ठ----उत्तम, उत्कृष्ट----उत्तम, उत्कृष्ट-मल----उत्तममयिन----सिर॒न्द----उत्तमं----उत्तम----
355उत्तराधिकारपुंलिंग----किसी को न रह जाने अथवा अपना अधिकार छोड़ देने पर किसी दूसरे को उसकी धन-संपत्ति, पद आदि मिलने का अधिकार।----वरासत----हक़्क़े-विरासत, जानशीनी----वा॑रिसदर----वर्सो, जाइनशीनी----वारसा----उतराधिकार, वारसानो अधिकार----उत्तराधिकार----उत्तराधिकार----उत्तराधिकार----वारसत्वमु----सॊत्तुरिमै----अनन्तरावकाशं----उत्तराधिकार----
356उत्तेजनास्त्रीलिंग----वह स्थिति जिसमें मन की चंचलता के कारण कोई व्यक्ति बिना समझे-बूझे कोई काम करने में उग्रता तथा शीघ्रता से प्रवृत या रत होता है।----उतेजना----इश्तिआ़ल (जोश)----वुतिश----जोशु, उतेजना----उत्तेजना----उत्तेजना, उश्केरणी, आवेश----उत्तेजना----उत्तेजना----उत्तेजना----उद्रेकमु----तूण्डुदल्, आवेशम्----उत्तेजनं----प्रचोदनॆ, रोषावेश----
357उत्पादनपुंलिंग----उत्पन्न या पैदा करने, बनाने की क्रिया या भाव।----पैदावार, उतपादन----तख़्लीक़, पैदावार----पा॑दावार----पैदाइश, उत्पादनु----उत्पादन----उत्पादन----उत्पादन----उत्पादन----उत्पादन----उत्पत्ति----उर्पत्ति, विळैच्चल्----उत्पादनं----उत्पादनॆ----
358उत्सवपुंलिंग----ऐसा सामाजिक या धार्मिक कार्यक्रम जिसमें विशिष्ट अवसर पर विशिष्ट उद्देश्य से लोग उत्साहपूर्वक सम्मिलित होते हैं।----उतसव----जश्न----वॅथसव, बॊड दंह----उत्सवु, जशनु, जल्सो----उत्सव----उत्सव, तहेवार, ओच्छव, आनंदनो, मेळावडो----उत्सव----उत्सव, उछव----उत्सब----उत्सवमु----उत्सवम् तिरुविऴा----उत्सवं, आघोषं----उत्सव----
359उत्साहपुंलिंग----मन की वह वृत्ति या स्थिति जिसके परिणामस्वरूप मनुष्य प्रसन्नता और तत्परतापूर्वक किसी काम को पूरा करने या किसी उद्देश्य को सिद्ध करने के लिए अग्रसर होता है।----उतशाह----जोश, वल्वला----जोश----उत्साहु----उत्साह----उत्साह, जोश, उमंग, आनंद, हर्ष----उत्साह----उत्साह, उछाह----उत्साइ, अग्रसर भाब----उत्साहमु----उत्सागम्, आवल्----उत्साहं----हुरुपु, उत्साह----
360उत्सुकविशेषण----जिसके मन में तीब्र अथवा प्रबल अभिलाषा हो या जो किसी काम या बात के लिए किंचित् अधीर हो।----उतसुक----बेताब, मुश्ताक़----बॆताब----आतुरु, उकंढ्यो, उत्सुकु, ख्वाहानु----उत्सुक----उत्सुक, आतुर, अधीरुं----उत्सुक, व्यग्र----उत्सुक, आग्रही----प्रबल, उत्सुक----उत्साहि----आवलान----उत्सुकन्----तवकगॊळ्ळुव, उत्सुक----
361उदयपुंलिंगपुंलिंग---ऊपर की ओर उठने, उभरने या बढ़ने की क्रिया या भाव, उद्भव;ग्रह, नक्षत्रों आदि का क्षितिज से ऊपर उठकर आकाश में आना और दृश्य होना;---उदे, चढ़ना----तुलूअ़तुलूअ़---तरु॑की, खसुनतरु॑की, खसुन---उसिरण जी हालति चाढ़ुउभिरण जी हालति---उद्भवउदय---उदय, उद्भवप्रगटवुं---उत्थान, उद्भव, उत्पत्तिउदय---उदय, उद्भवउदय---ऊपरकु, उठिबा, उद्भबउदय---उदयमुउदयमु---उयर, ऎलुदल्उदित्तल्---उदयंउदयं---उद्भव, बॆळवणिगॆउदय, मूडुवुदु---
362उदारविशेषणविशेषण---खुले दिलवाला, दानी;जो स्वभाव से नम्र और सुशील हो और पक्षपात या संकीर्णता का विचार छोड़कर सबके साथ खुले दिल से आत्मीयता का व्यवहार करता हो।---खुलदिला, उदारखुलदिला, उदार---कुशादादिल, फ़ैयाज़कुशादादिल---फयाज़फयाज़---उदारु, सख़ीउदारु, वडी॒अ, दिलिवारो---दिलदार, उदारउदार---उदार, दानशीलउदार---उदार, दानशीलउदाचरि, प्रशस्त चित्त, महामति, दयालुं व्यक्ति---उदारउदार, महान---उदार, दानीसमदृष्टि संपन्न---उदारुडुविशालहृदयुडु---दाराळ गुणमुळ्ळपण्बुड़न् नड़न्दुकॊळ्गिर---तुर॒न्न हृदयमुळ्ळ दानशीलन्उदाराशयन्---उदारि, दानिदॊड्ड मनस्सिनव---
363उदासविशेषण----खिन्न, जो किसी प्रकार की उपेक्षा या अभाव के कारण अथवा भावी अनिष्ट की आशंका से खिन्न और चिन्तित हो।----उदास----उदास----गमगीन, वॅदा॑स्य----उदासु, मायूसु----उदास----उदास, गमगीन, खिन्न----उदास, विषण्ण॒ (न्न)----चिंतित----उदासं, चिन्तित----विचारपडुवाडु----मनम् तळर्न्द, वरुत्तमुट॒ट॒----दुखितन्----दु:खि----
364उदासीनविशेषणविशेषणविशेषण--अलग या दूर रहने वाला;आसक्ति अथवा कामना-रहित;तटस्त, विरक्त।--निरलेप, उदासीन----बेतअ़ल्लुक़उदासग़ैरजानिबदार--वॅदा॑सी----उदासीनुबेमनोवेरागी॒--उदासीनआसक्ति अथवा कामना रहिततटस्थ, विरक्त--उदासीनअनासक्ततटस्थ, विरक्त--उदासीनअनासक्त, उदासीन, निर्लिप्ततटस्थ, उदासीन--उदासीन, दूरत थकाबैरागीनिरपेक्ष--अलगा रहिबा बालाउदासीनतटस्थ, बिरक्त--विरागियमुविरक्तुडगुतटस्थमगु--तनित्तु इरुक्किर॒पट॒टुदलट॒ट॒सिरद्दैयट॒ट॒--अकन्निरिक्कुन्नअनासक्तन्विरक्तन्--उदासीन, विरक्तनिर्लिप्ततटस्थ--
365उदाहरणपुंलिंगपुंलिंग---नियम, सिद्धान्त आदि को बोधगम्य तथा स्पष्ट करने के लिए प्रस्तुत किए गए तथ्य;ऐसा आचरण, कृति या क्रिया जो दूसरों को अनुकरण करने के लिए प्रोत्साहित करे।---उदाहरण----मिसाल (नज़ीर)----मिसालमिसाल---मिसालुआदर्शु, नमूनो---उदाहरणआदर्श---उदाहरण, दाखलो, दृष्टांतआदर्श---उदाहरण॒ (न)दृष्टांत, निदर्शन, उदाहरण॒ (न)---उदाहरणआर्हि आदर्श, उदाहरण---दृष्टान्त, उदाइरणअनुकरणीय आचरण, दृष्टान्त उदाइरण---उदाहरणमुमेलुबन्ति---उदारणम्मादिरि---उदाहरणंमातृक---उदाहरणॆ दृष्टान्तमादरि, आदर्श---
366उद्घाटनपुंलिंगपुंलिंग---आवरण या परदा हटाना;आधुनिक परिपाटी या रस्म जो नया कार्य आरंभ करने के समय औपचारिक उत्सव या कृत्य के रूप में की जाती है।---उद्घाटन----निक़ाबकुशाईइफ़्तिताह---दस तुलुनइफतिताह---उद्घाटनुमुहुर्तु करणु---उद्घाटनउद्घाटन---उद्घाटनउद्घाटन---उन्मोचनउद्घाटन---उद्घाटन, उन्मोचनउद्बोधन---उद्घाटन, उन्मोचन, खोलिबाऔपचारिक उत्सब, उद्घाटन---आविष्करिंचुटप्रारंभोत्सवमु---तिर॒न्दु वैत्तल्तिर॒प्पु विऴा---अनावरणं चॆय्यल्उद्घाटनं---अनावरणउद्घाटनॆ---
367उद्देश्यपुंलिंग----वह बात, वस्तु या विषय जिसका ध्यान रखकर कुछ कहा या किया जाए, अभिप्रेत कार्य, पदार्थ या विषय, इष्ट।----उदेश----मक़्सद----मकसद----उदेशु, मक्सदु----उद्देश्य, हेतू----उद्देश्य----उद्देश्य, अभिप्राय----उद्देश्य, लक्ष्य----उधेश्य, अभिप्राय----उद्देश्यमु----कुरि॒क्कोल्----उद्दिष्टकार्य----गुरि, उद्देश्य----
368उद्धरणपुंलिंग----किसी ग्रंथ, लेख आदि से उदाहरण, प्रमाण, साक्षी आदि के रूप में लिया हुआ अंश।----टूक, हवाला----इक़्तिबास----कुलिकिताबि प्यठु॑ नीमु॑च़ मिसाल----हवालो, दाख़िलो----उध्दरण----अवतरण----उद्धरण॒ (न)----उद्धृति----उद्धृति----अवतारिक, अवतरणमु----मेर्कोळ्----उद्धरणं----उद्धरण----
369उद्यमपुंलिंग----परिश्रम, मेहनत।----उद्दम----मेहनत----मॆहनत----उदमु, कोशिश----उद्यम, परिश्रम, मेहनत----उद्यम, यत्न, मेहनत----उद्यम, अध्यवसाय, उद्यो॒ग (जो)----उद्यम, परिश्रम----उद्यम, परिश्रम, महेनत----यत्नमु, प्रयास----उऴैप्पु----परिश्रमं, प्रयत्नं----उद्योग, दुडित----
370उद्योगपुंलिंगपुंलिंग---परिश्रम, अध्यवसाय;काम-धंधा।---उदिओगसन्नत---मेहनतसन्अ़त---मॆहनत, कूशिश----महिनतउद्योग, धंधोंवपारु---उद्योग, परिश्रम, अध्यवसायकाम-धंदा---उद्योग, मेहनत, प्रवृत्ति, कामकामधंधो---उद॒यम (द्द), अध्यवसायकाजकर्म, जीविका---उद्योग, अध्यवसायउद्योग---परिश्रमकामधंधा---परिश्रमपनि-पाट---उऴैप्पुउद्दियोगम्, तॊऴिल्---परिश्रमंतॊऴिळ्, व्यवसायम्---परिश्रमकसबु, उद्यम---
371उद्योगपतिपुंलिंगपुंलिंग---कच्चे माल से पक्का माल तैयार करने वाले किसी बड़े कारखाने का स्वामी;किसी भी उद्योग का स्वामी।---उदिओगपती, सन्नतकार----सन्अ़तकार----बापा॑र्य, कारु॑बारी इन्सान----उद्योगपतीकारखानेदारु---उद्योगपतिकारखानदार---उद्योगपतिकारखानदार---शिळ्पपतिशिल्पपति---उद्योगपति, शिल्पपतिउद्योगर मालिक---उद्योग र स्वामी----पेट्टुबडि दारुडुयजमानि---तॊऴिळदिबरमुदलाळि---मुतलाळितॊऴिलुटम---कार्खानॆय यजमानउद्यमस्थ---
372उधेड़नासकारात्मक क्रिया----सिलाई के टांके खोलना।----उधेड़ना----उधेड़ना----त्रॊप तुलुन मुचरावुन----उडेड़णु----उसवणे----उधेडवुं----सेलाइ खोला----चिलाइ खोल----उतारिबा, खोलिबा----कुट्लु विप्पुट----तैयलैप्पिरिक्क----तुन्नल् आऴिक्कुक----बिडिसुवुद----
373उधेड़-बुनस्त्रीलिंग----मन की अनिश्चियात्मक स्थिति, उलझन।----उधेड़बुण----उधेड़बुन----परेशानी----बिचिताई, मन जो मोंझारो----विवंचना, व्यग्रता----उलझण, गूंचवाड़ो----इतस्तत: भाव, दुमना, दोमना, द्विधाग्रस्त----गुनागँथा, दोधोर-मोधोर----मान-र अनिश्च्यात्मक स्थिति----ऊहापोहलु, चिक्कु----कुऴप्पमान मननिलै----चिन्ताक्कुऴप्पं----योचनॆ, चिंतॆ----
374उन्नतिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---आगे बढ़ने या विकसित होने की प्रक्रिया;उच्चता।---उनती----तरक़्क़ीबलंदी (उ़रूज)---तरु॑की----उन्नती, वाधारो, तरक्कीऊचाई---उन्नतिश्रेष्ठता---उन्नति, चडतीश्रेष्ठता---उन्नति, अभ्युद्य श्रीवृद्धिउच्चावस्था---उन्नतिउच्चता---उन्नति, बृद्धि, बिकासउच्चता---उन्नतिऔत्तत्यमु---उयर्वुमेन्मै---उन्नतिपुरौगति---प्रगति, मुन्नडॆउन्नति---
375उन्मादपुंलिंगपुंलिंग---मस्तिष्क की असंतुलित अवस्था;साहित्य में एक संचारी भाव।---शुदा, झल्लउन्माद---जुनून (ख़ब्त), सौदा----पागलगी----दिमाग़ जो तवाज़नु बिगिड़णु चर्याईसाहित्य में हिकु भावु, उन्मादु---उन्माद, वेडसाहित्यांतील एक संचारी भाव---उन्माद, घेलछा, गांडपण----उन्मत्तता, पागलाभिउन्माद---उन्मादनासाहित्यर एटा, संचारी भाव---उन्माद, उन्मत्ततासाहित्य-र एक संचारी भाव---उन्मादमु, पिच्चिउन्मादमु---पैत्तियम्इलाक्कियत्तिल् ऒर मन ऎळुच्चि---उन्मादं, भ्रांतुउन्मादं---हुच्चुउन्माद---
376उन्मूलनपुंलिंगपुंलिंग---मूल या जड़ से नष्ट-भ्रष्ट करने की प्रक्रिया;समाप्त करना।---जड़ (जड़ों) पुट्टणा----बेख़कनी, ख़ातिमा----मूलु॑ तलु॑ खतु॑म करुन----पाड़ां पट, जड़नासुखात्मो---नायनाटउन्मूलन, समाप्त करणे---उन्मूलनसमाप्त करवुं---उन्मूलन, उत्पाटन, समूलेंध्वसउच्च्छेद, उन्मूलन---उन्मूलनसमाप्तकरण---उन्मूळन----पेळळगिंचुट, उन्मूलनमुरूपु मापुट---वेरोडु अऴित्तल्मुडित्तुविडल्---उन्मूलनंनशिप्पिक्कल्---कित्तॆसॆयुवुदु निमूर्लनसर्वनाश---
377उपग्रहपुंलिंगपुंलिंग---बड़े ग्रह की परिक्रमा करने वाला छोटा ग्रंह;किसी ग्रह की परिक्रमा करने के लिए आकाश में छोड़ा जाने वाला यांत्रिक गोला या पिंड।---उपग्रहिउपग्रहि---सय्यारचामस्नूई सय्यारा---उपग्रॆह----उपग्रहुनकुली उपग्रहु---उपग्रहउपग्रह---उपग्रहउपग्रह---उपग्रहउपग्रह---उपग्रहकृत्रिम, उपग्रह---उपग्रहउपग्रह---उपग्रहमुउपग्रहमु---उपगिरहम्सॆयक्कै गोळम्---उपग्रहंकृत्रिम उपग्रहं---उपग्रहउपग्रह---
378उपचारपुंलिंग----चिकित्सा।----इलाज----इ़लाज----यलाज----इलाजु----औषधोपचार----चिकित्सा----चिकित्सा----चिकित्सा----चिकित्सा----चिकित्स----चिकिच्चै----चिकित्स----चिकित्सॆ----
379उपजस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--जो उपजा हो, पैदावार, फसल;जो बन कर तैयार हुआ हो, उत्पादन;मन की नई उद्भावना या सूझ।--उपज----पैदावारमस्नूआ़उपज (इख़्तिरा)--पा॑दावार----उपज, पैदावारपैदाइश---पीकउत्पादनकल्पना--ऊपज, पेदाशउत्पादन(मननी) उपज, कल्पना--फसलउत्पादन---उत्पन्न, खेति, फचलउत्पादनउद्भावना--फसल, उपजउत्पादनमनर नूआ उद्भावना--उत्पत्तिपंटउत्पत्ति--विळैच्चल्उर्पत्तिमनदिल तोन्रूम् ऎण्णम्--विळवुउत्पादनं, उत्पन्नंआशयं--बॆळॆ, फसलुउत्पादनॆकल्पनॆ--
380उपजनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया---उगना, अंकुर निकलना या फूटना;कोई नई बात सूझना।---उपजणा----उगना----पा॑दु॑ ग़छुन, वॅपदुन----उपिजणु, पैदा थियणुसुझणु---उत्पन्न होणे, उपजणेंनवीन गोष्ट सुचणे---ऊपजवुं, नीपजवुंनबी बातसूचवळी---जन्मान, जात----गॉँज, गॉँजालि, ओलामनत खेला उद्भावना ह---अंकुरिबानूआ कथा अबिष्कार---मोलकेत्तुटस्फुरिंचुट---विळैय, मुळैक्कपुदु ऐण्णम् तोन्र॒---विळयुक, किळिर्क्कुकतोन्नुक---हुट्टुवुदुस्फुरिसुवुदु---
381उपजाऊविशेषण----कृषि के लिए उपयुक्त भूमि।----उपजाऊ----ज़रखेज़----ज़रखेज़----उपजाऊ----सुपीक----उपजाउ, फळदुप----उर्वर----खेतिर उपयुक्त----उर्बर----सरवंतमु----सॆऴिप्पान----विळवुळ्ळ----फलवत्ताद----
382उपदेशपुंलिंगपुंलिंग---धर्म और नीति के संबंध में विद्वानों द्वारा बताई गई बातें;समुचित राय।---उपदेश----तल्क़ीन (नसीहत)सलाह, नसीहत---वॅपदीश----उपदेशुसलाह---उपदेशयोग्य सळळा---उपदेशयोग्य सलाह---उपदेश----उपदेश, नीति बचनसुपरामर्श---उपदेश----उपदेशमुसलहा---उपदेशम्अरि॒वुरै---उपदेशंउपदेशं---उपदेशयोग्य सनहॆ---
383उपद्रवपुंलिंगपुंलिंग---दंगा, फसाद;हलचल, ऊधम।---हलचल, दंगा----फ़साद (बलवा)हंगामा---दंगु॑-फसाद----झगि॒ड़ो-फसादुगोडु-शोरु---उपद्रव, दंगा, तंटाभांडण---उपद्रवत्रास, उपाधि, संकट, आपदा---दांगा, फेसादउपद्रव, उत्पात, दौरात्म्य---काजिया युँजउपद्रव, उत्पात---दंगा, फिसादउपद्रब, उत्पात---उपद्रवमुगोल, अल्लरि---कलगमतॊन्दिरवु---वऴक्कु, कलहंबहळं---दंगॆगलाटॆ---
384उपनगरपुंलिंग----नगर के आसपास बसा हुआ बाहरी भाग।----बस्ती----मुज्राफ़त (नवाह)----सरय----उपनगरु----उपनगर----उपनगर, परुं----उपनगर----उपनगर----उपनगर----नगरांचलमु----पुर-नगर्----नगरप्रान्तं----उपनगर----
385उपनामपुंलिंग----वास्तविक नाम से भिन्न कवियों, लेखकों आदि का स्वयं रखा हुआ कोई दूसरा नाम (पैननेम)।----उपनाम----तख़ल्लुस----तखेलुस----तख़लुसु----उपनाम, टोपणनाव (पैननेम)----उपनाम, तखल्लुस----उपनाम----उपनाम, छद्मनाम----उपनाम----उपनाममु मारु पेरु----पुनैप्पॆयर्, कुलप्पॆयर्----उपनामम्, तूलिकानामं----काव्य नाम----
386उपन्यासपुंलिंग----वह काल्पनिक गद्य कथा जिसमें वास्तविक जीवन से मिलते-जुलते चरित्रों और कार्य-कलापों का विस्तृत चित्रण हो।----नावल, उपनिआस----नाविल----नावल----उपन्यासु, नावलु----कादंबरी----नवलकथा----उपन्यास----उपन्यास----उपन्यास----नवल----नवीनम्, पुदिनम्, नावल्----नोवल्, आख्यायिक----कादंबरि----
387उपभोक्तापुंलिंग----काम में लाने या व्यवहार करने वाला, खपतकार।----खपतकार, उपभोगता----सारिफ़----वरतावन वोल----वापिराईंदडु, उपभोगु कंदडु----उपभोक्ता----उपभोक्ता----उपभोक्ता, उपभोगकारी----भोकता, उपभोगकरोता----उपभोक्ता----वाडुकदारुडु----उपयोगिप्पवर्, नुगर्वोर्----उपभोगक्तावु----अनुभोग----
388उपभोगपुंलिंगपुंलिंग---आनन्द या सुख-प्राप्ति के लिए किसी वस्तु का भोग करना या उसे व्यवहार में लाना;किसी वस्तु का इस रूप में प्रयोग करना कि उसकी उपभोगिता धीरे-धरे कम होती चले।---उपभोग----ऐ़शसर्फ़---इसतिमाल----उपभोगु, इस्तैमालुखपति---उपभोगउपभोग---उपभोग, भोगवटीउपभोग---उपभोग----उपभोग, सम्भोगभोग---उपभोग----वाडुकवडिवेयु---उपयोगित्तल, नुगर्तल्नुगर्न्दऴित्तल्---उपभोगंमुळुवनुं, उपयोगिच्चु, इल्लाताक्कल्---उपयोगिसुवुदुबळकॆ---
389उपमास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---समान गुणों के आधार पर दो वस्तुओं को तुल्य या समान ठहराना;एक अर्थालंकार जिसमें उपमेय व उपमान भिन्न होते हुए भी उनमें किसी प्रकार की एकता या समानता दिखाई जाए।---उपमाउपमा---तश्बीह (तम्सील)----मिसालमिसाल---भेटउपमा (हिकु अलंकारु जंहिं में बि॒नि शयनि जी भेट कयल हूंदी आहे)---उपमाउपमा अलंकार---उपमाउपमा अलंकार---तुलना, सादृश्यउपमा---उपमा, तुलनाउपमा (साहित्यर अलंकार)---उपमा, तुळनाउपमा---उपम, उपमानमुउपमालंकारमु---उवमैउवमै अणि---उपमिक्कलउपम---होलिकॆउपमॆ---
390उपयोगपुंलिंग----प्रयोग, व्यवहार।----बरतों, उपयोग----इस्त़ेमाल----इसतिमाल----इस्तैमालु, उपयोगु----उपयोग, व्यवहार----उपयोग----प्रयो॒ग (जो), व्यवहार, उपजोग----प्रयोग, ब्यवहार----प्रयोग, ब्यबहार----उपयोगमु----उपयोगम्----उपयोगं----उपयोग, बळकॆ----
391उपयोगीविशेषण----जो प्रयोग या व्यवहार में लाए जाने के योग्य हो।----उपयोगी, कारआमद----कारआमद, मुफ़ीद----बकार यिनस लायक----कमाइतो, उपयोगी----उपयोगी----उपयोगी----उपजोगी----उपयोगी----उपजोगी----उपयोगकरमयिन----उपयोगमुळ्ळ----उपयोगमुळ्ळ----कॆलसक्कॆ वरुव, उपयोगकरवाद----
392उपलक्ष्यपुंलिंग----वह बात जिसे ध्यान में रखकर कुछ कहा या किया जाए।----मंशा----मशा (मक़्सद)----मंशा----कारणु, मुराद----उपलक्ष्य----उपलक्ष्य, संदर्भ----उपलक्ष्य॒ (क्ख), उद्देश्य॒ (श्श)----उपलक्ष्य----उपलख्य----संदर्भमु----कुरि॒क्कोळ्----लक्ष्यं, उद्देशं----गुरि----
393उपलापुंलिंग----जलाने के काम आने वाली गोबर का सूखा टुकड़ा, कंडा।----पाथी----उपला----बॊठ----छणा (सुकलु)----गोवरी, शेणी----छाणुं----घुंटे----गोबरखुँटि----घषि----पिडक----वरट्टि----वरळि, चाणकवरळि----बॆरणि----
394उपवनपुंलिंग----उद्यान, बाग, पार्क।----बगीची, पारक----बाग----बाग----बागु, बग़ीचो, फुलवाड़ी----उपवन, बाग, पार्क----उपवन, बगीचो, वाडी----उदयान, बगिचा, उपवन----उपबन, उद्यान----उपबन, बगिचा, उद्यान----तोट, उद्यानमु----पूंगा----उद्यानं, उपवनं, पून्तोट्टं----तोट उद्यान----
395उपवासपुंलिंग----दिन-भर या दिन-रात भोजन न करना (भूखे रहना, लंधन, फाका)।----बरत, फाका----फ़ाक़ा----फ़ाकु॑, वॅपवास----उपवासु, व्रतु----उपवास, उपोषण----उपवास, अनशन----उपवास, उपोस, अनाहार----उपबास, लघोन----उपबास----उपवासमु----उपवासम्, उण्णविरदम्----उपवासं----उपवास----
396उपसंहारपुंलिंगपुंलिंग---अंत, समाप्ति;किसी प्रकरण, विषय् आदि का अंतिम अंश जिसमें विषय का सारांश दिया जाता है।---उपसंहार----ख़ातिमाइख़्तितामिया----अन्द, खतु॑म---अंतु, पछाड़ीपछाड़ी, सारु---उपसंहार, अंत, समाप्तिउपसंहार---उपसंहारउपसंहार---समाप्ति, शेषउपसंहार---अन्त, शेषउपसंहार---अंत, समाप्ति, शेषउपसंहार---उपसंहारमुमुर्गिपु---मुडिवुमुडिवुरै---सामप्तिउपसंहारं---मुक्तायकॊनॆय भाग, उपसंहार---
397उपस्करपुंलिंग----औज़ार, उपकरण।----औज़ार----आला, औज़ार----सामानु॑----ओज़ारु----उपकरण, अवजार----साधन, ओजार----उपकरण----सा-सरंजाम उपकरण----उपकरण----पनिमुटलु----करुवि, सादनम्----उपकरणं----सलकरणॆ----
398उपस्थितिस्त्रीलिंग----हाज़िरी।----हाजरी----हाज़िरी----हा॑ज़िरी----हाजुरी----उपस्थिति, हजेरी----उपस्थिति, हाजरी----उपस्थिति, हाजिरी----उपस्थिति, हाजिरा----उपस्थिति, हाजिरि----हाज़रु----मुन्निलै----उपस्थिति, हाजर॒----हाजरि----
399उपहारपुंलिंग----प्रसन्न होकर तथा सद्भाव-पूर्वक अथवा किसी अवसर पर किसी को दी जाने वाली कोई वस्तु।----सुगात, तोहफ़ा----तोहफ़ा----तोहफु॑----सूखिड़ी, सोग़ात----उपहार, भेट----उपहार, भेट, बक्षिस----उपहार, उपढौकन----उपहार----उपहार----कानुक----अन्बळिप्पु----उपहारं, काऴ्चद्रब्यं----उपहार, बहुमान----
400उपहासपुंलिंग----हंसी, दिल्लगी, खिल्ली, मज़ाक।----हासा, टिचकर, टिच्चर----मज़ाक, तमस्ख़ुर----मज़ाख करुन----ठठोली, चथर----थट्टा, विनोद, उपहास, मस्करी----उपहास, मश्करी, ठेकडी----उपहास----उपहास----थट्टा, उपहास----ऍग ताळि----परिहासम्, केलि----उपहासं----गेलि, अपहास्य----
401उपाधिस्त्रीलिंग----महत्व योग्यता, सम्मान आदि का सूचक वह पद या शब्द जो किसी के नाम के साथ लगाया जाए, खिताब, पदवी, डिग्री।----उपाधी, ख़िताब----ख़िताब, डिग्री----खताब----लकबु, ख़िताबु, डिग्री----उपाधि, डिग्री, पदवी----उपाधि, पदवी, खिताब, इलकाब----उपाधि, पदवी----उपाधि----पदबी, डिग्री, उपाधि----बिरुदु----पट्टप्पॆयर्, पदवि----डिग्रि, बिरुदं----बिरुदु----
402उपायपुंलिंग----युक्ति, तरकीब।----उपा----तदबीर (तरक़ीब)----वॅपाय, यलाज----उपाउ----उपाय, युक्ति----उपाय, युक्ति----उपाय----उपाय----जुक्ति, उपाय----उपायमु----उपायम्, वऴि----उपायं----उपाय----
403उपासकपुंलिंगपुंलिंग---जो उपासना करता हो;आराधक।---उपासक----इबादतगुज़ार, आ़बिदम़ोतक़िद, परस्तार---बखु॑न्य, वॅपासक----उपासकु, पूजा॒रीभग॒तु---उपासकभक्त, आराधक---उपासकभक्त, आराधक---उपासक, पूजक, भक्त, साधक----उपासक----उपासकभक्त, आराधक---उपासकुडुभक्तुडु---आरादिप्पवर्बक्तर्---उपासकन्भक्तन्---उपासकभक्त---
404उपासनास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---ईश्वर, देवता आदि की मूर्त्ति के पास बैठकर किया जाने वाला आध्यात्मिक चिन्तन, पूजन आराधन;किसी वस्तु के प्रति अत्यधिक आसक्ति की भावना।---उपासना----परस्तिश, पूजा, इ़बादतअ़क़ीदत, एहतराम---पूज़ापूज़ा---उपासना, पूजा॒----उपासना, आराधनापरमासक्ति---उपासना, आराधना, भक्तिपरमासक्ति---उपासना, आराधना, पूजाआसक्ति---उपासना----उपासना, पूजन, आराधनाआसक्ति---उपासनपरमासक्ति---आरादनै, उपासनैआळ्न्द पट॒टु---उपासनअत्यधिकं तात्पर्यं---ध्यान, प्रार्थनॆ, आराधनॆहॆच्चु---
405उपेक्षास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---अवहेलना;अनादर।---अणगौलणा, उपेखिआ----बेरुख़ी, लापरवाहीइहानत, तौहीन (बेइज़्ज़ती)---अनादर, लापरवाही----नज़रअंदाजीबेइज़ती---उपेक्षा, अवहेलनाअनादर---उपेक्षा, तिरस्कारअनादर---उपेक्षा॒ अवहेला, ताच्छिल्य॒, (क्ख) (ल्ल)अनादर, अवज्ञा---उपेक्षा----अवहेळा, उपेख्याअनादर---उपेक्षिंचुटतिरस्कारमु---मदियामैअलट्चियम्---उपेक्षअनादरवु---अलक्ष्य, उपेक्षतिरस्कार---
406उबकाईस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---उल्टी, कै;मिचली, मितली, मतली।---उवत्त----उबकाई (क़ै)मतली---उल्टी यिन्य, द्रॊख यिन्य----उल्टी, कइउबि॒थो---ओकारी, वांतिमळमळ---उबक, ऊबकोबकारी---बमिगाबमिकरा---बमि----ओलटि, बान्तिबान्ति---वांतिकडुपुलो तिरुगुट---वान्दिकुमट्टल्---छर्दिमनं मरि॒च्चल्, ओक्कानं---वांतिवाकरिकॆ---
407उबरनाअकारात्मक क्रिया----घात, फंदे, संकट आदि से बच जाना।----उबरना----बचना----वॅतलुन----बची निकिरणु, छोटिकारो पाइणु----बचावणे----उगरवु, वचवुं----उद्धार पाओया----तर, बाच----संकट आदि-रू बचिजिबा----रक्षिंपबडुट----आबत्तिलिरिन्दु तप्पिक्क----कर कयरु॒क, रक्षप्पॆटुक----पायदिंद, ताप्पिसि कॆळ्ळुवुदु----
408उबलनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया---आग पर रखे हुए तरल पदार्थ का फेन के साथ ऊपर उठना;उत्तेजित होना, आवेश में आना।---उब्बलणा----उबलनाजोश में आना---ग्रख खसु॑न्यशोलुन---उभामणु----उकळणे, उतू येणेउत्तेजित होणे---ऊकळवुंउत्तेजित थवुं---उथलिया उठाउत्तेजित हओया---उतल, उतलि उठउत्तेजित ह---उतुरिबाउत्तिजित हेबा---पोंगुटआवेशपडुट---कॊदिक्कवॆगुळि अडैय---तिळक्कुकआवेशभरितन् आकुक---उक्कुवुदु, कुदियुवुदुआवेश हॊन्दुवुदु---
409उभरनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया---नीचे के तल से उठ या निकलकर ऊपर आना;ऊपर उठकर या किसी प्रकार उत्पन्न होकर अनुभूत या प्रत्यक्ष होना।---उब्भरना----उभरना----कलु॑ कडुनकलु॑ कडुन---उभिरणु, मथे चढणु----वरयेणेजाणवणे, स्पष्ट होणे---ऊभरवुं, ऊभरावुंप्रगट थवुं---उभार, परिव्याप्ति----उला, उदय हओपरलै उठ---उभारिबा----उबुकुटस्पष्टमगुट---पॊगि ऎऴ्मेलॆऴुन्दु तोन्र॒---पॊङ्ङिवरुकप्रत्यक्षप्पॆटुक---हॊरहॊम्मुवुदुप्रकटवागुवुदु---
410उमंगस्त्रीलिंग----कोई काम करने के लिए प्रेरित करने वाला आनन्द या उत्साह।----उमंग----उमंग----शा॑ख----उमंगु----उत्साह, उमेद----उमंग, उत्साह, होश----आनंदावेग----अल्लास, उलाह----उमंग, उल्लास, उत्साह----उल्लासमु, पोंगु----उरचाहम्----उत्साहं----उत्साह----
411उम्मीदवार (उम्मेदवार)पुंलिंग----किसी पद पर चुने जाने या नियुक्त होने के लिए खड़ा होने वाला या अपने आपको उपस्थित करने वाला व्यक्ति, प्रत्याशी।----उमीदवार----उम्मीदवार----वॅमेदवार----उमेदवारु, उमीदवारु----उम्मेदवार----उमेदवार----उमेदवार, प्रत्याशी निर्वाचन प्रार्थी----प्रार्थी, प्रत्याशी----प्रत्याशी, कर्म-प्रार्थी----अभ्यर्थि----अपेट्चगर्, वेट्पाळर्----स्थानार्थि----उम्मेदुवार----
412उर्वरविशेषणविशेषण---उपजाऊ;जिसकी उत्पादन शक्ति आधिक हो (तत्त्व)।---उपजाऊउपजाऊ---ज़रख़ेज----ज़रखेज़----उपजाऊ----उपजाऊ, उर्वर, सुपीकसुपीक---उपजाउ, फळदुप, रसाळउपजाऊ---उर्वर, ऊर्वरउर्वर, ऊर्वर---सारुवाउर्ब्बर---उर्वर----सारवंतमयिनउर्वरमु---सॆऴिप्पानवळमुळ्ळ---फलभूयिष्टमाय, विळवुळ्ळउत्पादन-शक्तियेरि॒य---फलवत्तादसमृद्धियागि उप्पत्ति माडुव---
413उर्वरकपुंलिंग----खेतों को उपजाऊ बनाने के लिए डाली जाने वाली रसायनिक खाद (फर्टिलाइज़र)।----रेह, खाद----कीमयाई खाद----कीमिया॑यी खाद----कीम्याई भाणु----उर्वरक, खत----खातर----रासायनिक सार----रासायनिक सार----सारायनिक सार----ऎरुवु----उरम्----वळं (रासवळं)----रासायनिक गॊब्बर----
414उलझनस्त्रीलिंग----ऐसी स्थिति जिसमें किसी प्रकार का निराकरण़ या निश्चय करना बहुत कठिन हो, पेचीदगी।----गुंझल, उलझन----उलझन----खुर----उल्झन, मोंझारा----पेंच, विकट प्रश्न----उलझन, गूंचवाडो----झंझाट, फेसाद----समस्या, जटिलता, जंजाल----झंझट----चिक्कु----शिक्कल्----कुऴप्पं, चिन्ताक्कुऴप्पं----पेचाट, सिक्कु----
415उलझनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया---किसी चीज के अंगो का आपस में दूसरी चीज के अंगों के साथ इस प्रकार फंसकर लिपटना कि सहज में एक दूसरे से अलग न हो सकें।झंझट, झगड़े, बखेड़े आदि में इस प्रकार फंसना कि जल्दी छुटकारा न हो सके।---उलझणा----उलझना----फसुन----मुंझणुफासणु---अडकणेअडकणे---गूंचवावुं, गूंचावुंसपडावुं---जड़ाइया पड़ा----जोंट लागपाकत पर---उलुझिवा----चिक्कुपडुटचिक्कुकोनुट---शिक्किक्कॊळ्ळअगप्पड---कुरुङ्ङुक कुऴयुकअकप्पॆटुक, वलयुक---सिक्कि कॊळ्ळुवुदुसिक्कि बीळुवुदु---
416उलटनाअकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया--सीध की विपरीत दिशा या स्थिति में जाना या होना;साधारण स्थिति से विपरीत या विरुद्ध हो जाना या करना;ऊपर का भाग नीचे और नीचे का भाग ऊपर की स्थिति में होना।--उलटना----उलटना----वुलटावुन, फिरुनवुलटावुन, फिरुन---उवतो थियणु, उलटो थियणुउबतो करणु उलटो करणु---उलटणेंउलटणेउलटणे--ऊलटवुंउलटवुंउलटवुं--उलटो (दिके) य॒ ओया वा हओया (ज)पालटानो बदलानोउपुड़ हयोया, उलटानो--ओलट, ओलोटा----ओलटाइबा----तारुमारगुटतारुमारगुटतल्लक्रिंदुलगुट--तारुमाराह पोग, इरुक्कतलै कीळागकविऴ--मरि॒युकविपरीतमाकुककीऴ्मेल मरि॒युक--तिरुगु मुख्गागु वुदुबदलिसुवुदुतलॆकॆळॆकु आगुवुदु--
417उलटीस्त्रीलिंग----कै, वमन।----उलटी----क़ै (उलटी)----द्रॊख, कय----उल्टी कइ----उलटी, वमन, ओकारी----ऊलटी----बमि, वमन----बमि----बान्ति, दमन----वान्ति----वान्दि----छर्दि----वांति----
418उलाहनापुंलिंग----अपकार या हानि के प्रतिकार या पूर्त्ति के लिए ऐसे व्यक्ति से उसकी दु:खपूर्वक चर्चा करना जो उसके लिए उत्तरदायी हो या उसका प्रतिकार कर अथवा करा सकता हो, गिला, शिकवा।----उलाहमा----उलाहना, गिला (शिकायत)----पाम----डो॒रापो, महिणो, लानो----तक्रार गार्हाणे----ओळंभो, फरियाद----नालिश, अभियो॒ग (जो)----आपत्ति, अभियोग----अभिजोग, आपत्ति, फेराद, गुहारि----देप्पुट, ऎत्तिपोडुचुट----पुकार, निन्दनै----परिभवं, उपालंभं----दूरु----
419उलीचनासकारात्मक क्रिया----किसी बड़े आधार या पात्र में भरे हुए जल को बर्तन या हाथ से बाहर निकालना या फेंकना।----बुक्कां भर-भर सुट्टणा----उलीचना----पाज़्रन----कंहिं हंधि भर्यलु पाणी बुकनि यां कंहिं नंढे बासण सां भरे बा॒हिरि उछिलाइणु----उडविणें, टाकणे, फेकणे----उलेचवुं (प्रवाही)----सेचन करा----पानी सिंच----उझाळिबा----तोडुट----तण्णीरै वारिविड----बॆळ्ळं तॆरि॒प्पिक्कुक----नीरॆरॆचुवुदु----
420उल्लंधनपुंलिंग----आज्ञा, नियम, प्रथा, रीति आदि का पालन न करना, अतिक्रमण।----अलंघणा----ख़िलाफ़वर्जी (तजावुज़)----खलाफवरज़ी----उलंधनु, भञिकिड़ी----उल्लंधन अतिक्रमण----उल्लंधन, अतिक्रमण----उल्लंधन, अतिकमण॒ (न)----उल्लंधन----उल्लंधन----अतिक्रमिंच्रुट----मीरु॒दल्----उल्लंधनं----मीरुविकॆ, अतिक्रमण----
421उल्लासपुंलिंग----आनन्द, प्रसन्नता।----खेड़ा----मसर्रत, ख़ुशी----खॅशी----उलासु, ख़ुशी----उल्लास, आन्नद, प्रसन्नता----उल्लास----उल्लास, आह्लाद, अतिशय आनंद----उल्लास----उल्लास----उल्लासमु----आनन्दम्----उल्लासं----उल्लास----
422उल्लेखनीयविशेषण----जिसका वर्णन करना आवश्यक या उचित हो।----वरणनयोग----क़ाबिले ज़िक्र----वनुन लायख----उलेख जोगो॒, बयान जोगो॒----उल्लेखनीय----उल्लेखनीय----उल्लेखनीय----उल्लेखनीय----उल्लेखनीय----वर्णिंपदग्ग चेप्पदगिन----कुरि॒प्पिडत्तक्क----ऎटुत्तु पर॒येण्ट, उल्लेखनीयं----उल्लेखनीय----
423उसूलपुंलिंग----सिद्धान्त।----असूल----उसूल----ऒसूल----उसूलु----सिद्धान्त----उसूल, सिद्धान्त, नियम----सिद्धान्त----सिद्धान्त----सिद्धान्त----सिद्धान्तमु----कॊळ्गै----तत्वं, सिद्धान्तं----मूल तत्व, सिद्धांत----
424उस्तरापुंलिंग----बाल मूंडने का छुरा।----उसतरा----उस्तरा----खूर----पाकी----वस्तरा----असतरो, अस्त्रो----क्षुर, खुर----खुर (क्षुर)----खुर----मंगलिकत्ति----सवरक्कत्ति----क्षौरक्कत्ति----क्षौरद कत्ति----
425ऊघनाअकारात्मक क्रिया----झपकी आने पर आंखे बंद होना और सिर का बारबार झूलना।----ऊघणा----ऊघना----ज़िफु॑ करनि----झूटा खाइणु----डूलकी येणं----झोकुं खाबुं, ऊंघवु----ढोल----कलमटिया, टोपनि घर----ढुऴाइबा, उँगेइबा----कुनिकिपाटु पड़ुट----तूंगि वऴिय----उर॒क्कं तूङ्ङुक----तूकडिसुवुदु----
426ऊचाविशेषणविशेषणविशेषण--आधार या तल से ऊपर उठा हुआ;लंबा;पद, मर्यादा आदि की दृष्टि से दूसरों से आगे बढ़ा हुआ।--उच्चा----ऊंचा----ह्यॊर, थॊदह्यॊर, थॊदह्यॊर, थॊद--ऊचो, मथेडिधोआला, ऊचो--उंचउंचश्रेष्ठ--ऊंचुंलांबुंउच्च--उँचुलम्बाउच्च, उँचु, उलत--ओखदीघलओपरर, उच्च पदस्थ--ऊँचालंबा---ऎत्तयिनपोडवयिनउन्नतमयिन--उयर्न्दउयरमानमुन्नेरिय--उयर्न्न, पॊङ्ङियनीण्टउयर्न्न--ऎत्तरवादउद्दवाददॊड्ड--
427ऊंचाईस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---ऊँचे होने की अवस्था या भाव;गौरव, बड़ाई।---उचाई----ऊंचाईंअ़ज़मत---थज़र----ऊचाई, बुलंदीवडा॒ई, मानु---उंचीगौरव, मोठेपण---ऊचाई, उंचापणुंगौरव, वडपण---उच्चता, खाड़ाइगौरव---उच्चतागौरव---उच्चतागौरब, बडाइ---ऎत्तुपेद्दतनमु---उयरम्गौरवम, पॆरुमै---उयर्च्च, पॊक्कंवलिप्पं, महत्त्वं---ऎत्तरदॊड्डतन---
428ऊपरअव्ययअव्ययविशेषणविशेषण-आकाश की ओर, ऊर्ध्व दिशा में;किसी के आधार या सहारे पर।ओरों से बढ़कर, श्रेष्ठ, उत्तम;अधिक, ज्यादा।-उप्परउप्परउप्परउप्पर-ऊपर----ह्यॊरह्यॊरह्यॊरह्यॊर-मथमथांमथेवधीक-वरआधारेश्रेष्ठ, उत्तमअधिक, अतिरिक्त-उपर, ऊंचेआधारेचडियातुंवधारे-उपर, ओपरउपरे, ओपरेश्रेष्ठ, उत्तमअधिक-ओपर, फालओपरतश्रेष्ट, उत्तमअधिक-उपर, ऊर्ध्वउपरेउत्तम, श्रेष्ठअधिक-पयिनमीद, पयिनश्रेष्ठमु,एक्कुव-मेलेमेले, उदविनाल्सिर॒न्दअदिग-मुकळिल्, मेल्एतिनॆयॆङ्किलुं, आश्रयिच्चुश्रेष्ठमायअधिकं-मेलॆमेलॆउत्तमहॆच्चु-
429ऊबनाअकारात्मक क्रिया----जी भर जाने के बाद किसी वस्तु विशेष में रुचि न रह जाना, मन में विरक्ति उत्पन्न होना।----अक्कणा----ऊबना (उकताना)----तंग, युन, निनुं, युन----ककि थियणु, बेज़ारु थियणु----त्रासणे----कंटाळवूं---------आमुवा, आमनि लाग----मनरे बिरक्ति जात हेबा----विसुगुचेंदुट----शलित्तुप्पोग----मुषियुक----बेजारागुवुदु----
430ऊष्मास्त्रीलिंग----गरम होने की अवस्था, गुण या भाव, गरमी, ताप।----तपा----हरारत----गरमी----गर्मी, तपती----उष्मा, उकाडा----उष्मा, ऊष्मा, गरमी हूंफ----उत्ताप, उष्मा----उष्मा----उत्ताप, गरमि, उष्मा----वेडि----शुडु----उष्मावू चूटु----कावु बिसि----
431ऊसरपुंलिंग----ऐसी भूमि जिसमें रेह की मात्रा बहुत अधिक होने के कारण कुछ उत्पन्न न होता हो, अनुपजाऊ, बंजर, परती।----औसर, बंजर----बंजर (शोराबूम)----बंजर----वार्यासी, कलिराठी----नापीक ओसाड जमीन----ऊसर ऊखर----ऊषट, अनुर्वर----अनुर्बर, असारुवा----अनुर्बर, ऊषर----बीडुभूमि----विळैयाद, तरिशु----तरिशाय, विळविल्लात्त----गॊडुडु, बंजरु----
432ऊहापोहपुंलिंग----अनिश्चय की दशा में होने वाला तर्क-वितर्क या सोच-विचार, उधेड़-बुन।----सोच-विचार----तज्रुब्ज्रुब, कश्मकश (उधेड़बुन)----हतिहुरि गछ़ुन----विस्वसो, बुड॒-तर, बि॒चिताई----उहापोह----ऊहापाह----इतस्तात: भाव, दुमना----बिचार-बिबेचना----इतस्तत: भाब, मन-र तर्क-विर्तक----आलोचन, ऊहापोह----ऊगम्----ऊहापोहं----ऊहापोह, पर्यालोचनॆ----
433ऋणपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--उधार, कर्ज;किसी का किया हुआ उपकार, एहसान;घटाने या बाकी निकालने का चिह्न (-)।--करजा-घटाअ--क़र्जएहसाननफ़ी--करु॑ज़----कर्ज़्रुअहिसानु, थोरोकाटूअ जी निशानी (-)--कर्ज (न.)उपकारवजाबाकीचे चिह्न (-)--ऋण, देवुंएहसानबादबाकीनुं चिन्ह (-)--ऋण, धार देना, कर्जऋण॒, कृतज्ञता, उपकार, बोध (न)ऋण॒ वियोग चिह्न (गणि॒ते) (न)--ऋणअनुग्रहघाटि होवार चिन--उधार, करज, रुण (ऋण)उपकारबाकी काढ़िबा चिह्न (-), बियोग-करिबा--ऋणमु, अप्पुऋणमुतीसिवेत--कडन्ऒरुवर् सॆय्द उदविकऴित्तल् अडैयाळम्--कटंकटप्पाटुन्यूनचिह्नं--सालयारादरु माडिद उपकारकळॆयुव चिह्नॆ (-)--
434ऋणदाताविशेषण----ऋण देने वाला।----लैणदार, लहिणेदार----दाइन (साहुकार), लेनदार----करु॑ज़ दिनु॑ वा॑ल----लहणेदारु, कर्ज़ु, डीं॒दडु----ऋणदाता----ऋणदाता----ऋण॒दाता (न)----ऋणदाता----ऋण-दाता (रुण दाता)----ऋणदात, अप्पिच्चुवाडु----कडन् कॊडुप्पवर्----कटं कॊटुत्तवन्, उत्तमर्णन्----साल कॊडुवव----
435ऋतुराजपुंलिंग----ऋतुओं में सबसे अधिक आनन्द दायक बसंत ऋतु।----रुतराजा----मौसिमे बहार (बहार)----सोन्त----बसंतु, बहार जी मुंद----ऋतुराज----ऋतुराज, बसंत----ऋतुराज, बसंत----बसंत ऋतु----बसंत ऋतु----वसंतुडु, ऋतुपति----इळवेनिर् कालम्, वसंतकाळम्----वसंतं, ऋतुराजन्----वसंतऋतु, ऋतुराज----
436ऋषिपुंलिंगपुंलिंग---वेद-मंत्रों का प्रकाश करने वाले महापुरुष या मंत्र-द्रष्टा;आध्यात्मिक और भौतिक तत्त्वों का साक्षात्कार करने वाला।---रिशी----रिशीआ़रिफ़ (रिशी)---रयॊश----ऋषी----ऋषि, मुनिऋषि---ऋषिऋषि---ऋषि, वेद मंत्र रचियताऋषि---ऋषितत्त्वदर्शी ऋषि---मंत्र-द्रष्टा (रुषि)तत्त्वदर्शी---ऋषिऋषि---रिषि, मुनिवर्आन्मिक, ञानि---ऋषिऋषि---ऋषिऋषि---
437एकतास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---मेल;समानता।---एकता----इत्तिहाद, वह्दतयकसानियत (वह्दत)---यकुत----एकता, एको----एकता, एकीसमानता---एकता ऐक्य, समानतासमानता---ऐक्य, एकता, मिलसाम्य---मिलन, एकता----मेळ, एकता----ऐकमत्यमुसमानत्वमु---ऒट॒टुमैऒप्पम्---ऐक्यंसादृश्यं, साम्यं---ऒग्गट्टुसमानतॆ---
438एकत्रक्रिया विशेषण----इकट्ठा, जमा।----इकत्तर----जम़ा----इकवटु॑ करुन----गडु----एकत्र----एकत्र, साथे, एकु, एकंदर----एकत्र, समवतॆ, जमा----एकत्र----एकत्र, एकाठि, जमा----ओक च़ोट, गुमिकूडिन----ऒन्रू॒ सेर्न्दु, कूट्टाग----ऒन्निच्चु----ऒन्दुगूडिद----
439एकदमअव्ययअव्यय---तुरंत;बिल्कुल।---इकदम----एकदम----यखदम----यक्दमु, तुर्तुबिलकुल---एकदम, लगेचअगदी---एकदम, ताबड़तोड़, झपाटाबंधसाव, तट्टन---शीध्रएकदम, एकेबारे, मोटेह---तुरन्तेएकेबारे, सम्पूर्ण---तुरंतबिलकुल---तक्षणमुपूर्तिगा---उड़नेमुट॒टि॒ळुम्---उटन्तिकच्चुं---कूडलॆसर्वथा---
440एकनिष्ठविशेषणविशेषण---एक पर ही श्रद्धा रखने वाला, अनन्य भक्त;मन लगाकर कोई काम करने वाला, एकाग्रचित।---इक दा भगतइकागरचित्त---मुवाहिदयकसू---तनु॑ मनु॑----हिक जो विश्वासी, एक निष्ठुएकाग्रचितु---एकनिष्ठएकाग्रचित---एकनिष्ठएकाग्रचित---एकनिष्ठएकनिष्ठ, एकाग्रचित---एकनिष्ठएकाग्रचित---एकान्त भक्तएकाग्रचित, एकनिष्ठ---अनन्य भक्तडुएकाग्रचित्तुडु---ऒरुमुनैपपट्ट दियानमुडैयमुळुम़नदुडन् सॆयलाट॒ट॒ल्---एकनिष्ठन्एकाग्रचित्तन् मनस्सु वॆच्चु प्रवर्तिक्कुन्न---एकनिष्ठमनस्सिट्टु कॆलस माडुवव, एकाग्रचित्तवुळवनु---
441एकमतविशेषणपुंलिंग---एक ही तरह की राय रखने वाला।मन की एकता, मतैक्य।---इकमत----मुतफ़िक़ (मुत्तफ़िकुर्राय)इत्तिफ़ाक़े-राय---यकराय, मुतफिक----यक्राइ, हिकमत जाहिकुमतु, यक्राइ---एकमतमतैक्य---एकमतमतेक्य---एकमत, सममतावलंबीमतैक्य---एकमतमतैक्य---एकमतमतैक्य---एकीभविंचुवारुएकीभावमु---ऒरु मनदुळ्ळअबिप्पिराय ऒट॒टुमै---एककंमायऐककण्ठ्यं---एकाभिप्रायदवरुऒम्मत---
442एकमात्रविशेषण----अकेला, एक ही।----इक्को-इक----अकेला, वाहिद----अका॑य----हिकुई, अकेलो----एकटा, एकुलताएक, एकमात्र----एकमात्र, एकनुं, एक, फक्त एकज----एकमात्र----एकमात्र----एकमात्र----ओकटे अयिन, एकैक----ऒरे, तनियान----एकमात्रं ऒरॊट॒ट॒, ऒरे, ऒरु----ऒटिग, ऒन्दॆ----
443एकांतविशेषणविशेषणपुंलिंग--निर्जन, सूना;एक को छोड़ और किसी ओर ध्यान न देने वाला।निर्जन स्थान।--इकांत----सुनसानयकसूतनहाई (तख़्लिया)--ईकांतईकांतईकांत--एकांत, सुञोहिक जो ध्यानु कंदड़ुएकांत, अकेलाई--एकांत, निर्जन, शून्यएकलक्ष्य, एकध्यानीनिर्जन स्थान--एकांत, एकलुं, एकाकी, निर्जन, सुनुंएकलक्ष्यनिर्जन स्थान--एकान्त, निर्जनएकान्त, (सचिव)एकान्त, निर्जन स्थान--निर्जनएकनिष्ठनिर्जनठाइ--निर्जन, एकांत----एकांतमुएकनिष्ठगलएकांतमु--तनिमैयानऒरे गवनमुळ्ळतनिमैयानइडम्--एकांतमाय, विजनमायएकध्यान, निरतन्विजन प्रदेशं--निर्जनएकनिष्ठएकांत--
444एकाकीविशेषण----अकेला।----कल्लमुकल्ला, कल्लाकारा----अकेला (तनहा)----कुनुय----अकेलो----एकाकी, एकटा----एकाकी, एकलु, निराधार----एकला, एकाकी----एकाकी----एकाकी, एकुटिआ----एकाकि, ओंटरि----तनियान, ऒण्डियान----ऒट॒ट॒, एकाकि----ऒटिग----
445एकाग्रविशेषण----तन्मय, दत्तचित्त।----इकागर----यकसू----तनु॑ मनु॑----एकाग्रु, हिकमनो----एकाग्र, तन्मय, दत्तचित्त----एकाग्र, एकलक्षी, तल्लीन, तन्मय----तन्मय, एकाग्र----एकाग्र----तन्मय, एकाग्र----एकाग्रमु----मनदु कुऴंवाद गवनमान----एकाग्रमाय----एकाग्र, तन्मय----
446एकाधिकारपुंलिंग----एक या अकेले व्यक्ति का अधिकार (मॉनोपोली)।----एजारेदारी----एजारादारी (इजारा)----एजारु॑दा॑री----अकेले जो अधिकारु, हिकहटी----एकाधिकार----एकाधिकार, इजारो----एकाधिकार, एकचेटे, अधिकार----एकाधिकार----एकाधिकार----एकाधिकारमु----तनि उरिमै----एकाधिकारं, मोणोपळि----एकस्वाम्य----
447ऐंठनस्त्रीलिंग----मरोड़।----वट्ट----ऐंठन----वुठन----मरोड़, वटु, वकड़ु----पीळ, मुरगळा, ताण----लपेट, वळ, आमव्ठ----मोचड़, पाक----मोचार, पाक----मोड़िबा----मेलि, मेलिक----तिरुगुदल्----चुऴि, पिरि, पिरिमुरु॒क्कं----तिरुवु, हुरि----
448ऐंठनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया-बल पड़ने के कारण मुड़ना या संकुचित होना;अकड़ दिखाना।मरोड़नाधोखा देकर लेना।-वट्ट, पैणे, मरोड़ै लैणाआकड़णा-मुठ्ठणा, मुच्छणा-ऐंठना----मूरुनमूरुनमूरुनमूरुन-मुडणु, मुड़ी पवणुआकिड़िजणुमोड़णु, मरोड़णुठग॒णु-मुरगळणेऐट करणेपिरगळणेफसवून लुबाडणे-अमळावाने कारणे वळवुंअकडाई देखाडवीमरोडवुंधोखाथी लई लवुं-टान धरादेमाक देखानोमोचड़ान, पाकानोठकानो-मोटोका खा, भाज लाग, संकोचित हअहंकार करमोचर पकाठगा--अकड़ देखाइबाठकिबाठकिबा-मेलि पडुटगर्विचुटमेलिक वेयुटमोसगिंचुट-सुरुंगविरै॒त्तुप्पोगतिरुगएमाट॒टि॒ ऎडुत्तुक्कॊळ्ळ-पिरियुकगर्वु काणिक्कुकपिरि मुरु॒क्कुक, पिरिक्कुकचतिक्कुक-तिरुचिकॊळ्ळुवुदुजंभकॊच्चुवुदुहुरिमाडुवुडु तिरुचुवुदुमोसदिंद तॆगदुकॊळळुवुदु-
449ऐनकस्त्रीलिंग----चश्मा।----ऐनक----ऐ़नक (चश्मा)----आन॑क----ऐनक, चश्मो----चष्मा, चाळिशी----चश्मां----चशमा----चश्मा----चस्मा, चश्मा----कळ्ळज़ोडु, कळ्ळद्दमु----मूक्कुक्कण्णाडि----मूक्कु कण्णाटि, कण्णट----कन्नडक----
450ऐश्वर्यपुंलिंगपुंलिंग---धन-संपत्ति, वैभव;प्रभुत्व, शक्ति।---ऐशवरज----अमारत----खॅशहा॑ली----धनु-दौलतशानु-शौकत---ऐश्वर्य धन-संपत्ति, वैभवप्रभुत्व, शक्ति---ऐश्वर्य, विभूति, संपत्तिईश्वरपणुं---ऐश्वर्य, धन संपत्तिऐश्वर्य, प्रभुत्व (र्ज)---धन सम्पत्तिप्रभुत्व, शक्ति---ऐश्वर्य, वैभवप्रभुत्व, भाक्ति---ऐश्वर्यमुप्रभुत्वमु, शक्ति---सॆल्वम्, वैबवम्तिर॒मै---ऐश्वर्यंप्रभुत्वं, अधिकारं---ऐश्वर्यप्रभुत्व---
451ओजस्वीविशेषणविशेषण---प्रभावशाली, तेजस्वी;शक्तिशाली।---तेजवंत, तेजस्वी----पुरअसर, पुरनूरज़ीहशम---नूर पशपुन----तेजस्वी, जल्वेदारुताकतवरु---ओजस्वी, प्रभावशाली, तेजस्वीशक्तिशाली---ओजस्वी, ओजसवाळुं, तेजस्वी, बलिष्ठ, प्रभावशालीशक्तिशाळी---ओजस्वी, तेजस्वीशक्तिमान---ओजस्वीशक्तिशाली---प्रभावशाली, तेजस्वी, ओजस्वीशक्तिशाळी---ओजस्विशक्तिशालि---ऒळिमयमानतिर॒मैयुळ्ळ---ओजस्वियायबलवान्---ओजस्विशक्तिशालि---
452ओझलविशेषण, पुंलिंग----अदृश्य, छिपा हुआ।----ओहले----ओझल----गा॑ब गछुन----गाइबु, ओझलु, अलूपु----अदृश्य----ओझल, अदृश्य, छुपायेलुं----अदृश्य, आड़ाल----अदृश्य, लुप्त----अदृश्य----अदृश्यमु, मायमु----मरै॒न्द, पार्कमुडियाद----मर॒ञ्ञ काणाताय----मरॆयाद----
453ओझापुंलिंगपुंलिंग---भूप-प्रेत आदि झाड़ने वाला व्यक्ति, सयाना।ब्राह्मणों की एक जाति।---मांदरी, सिआणाओझा---आ़मिल----जिन॑ माथु॑रि बा॑लजिनु॑ माथुर वाल---झाड़ो, झाड़ विझंदडुब्राह्मणनि जो हिकु तब्को---मांत्रिकब्राम्हणांचीएक जात---भूवोओझा---ओझाओझा, ब्राह्मणेर जाति विशेष---ओजा, बेजब्राह्मणर एटा जाति---ओझा, गुणिआब्राह्मणंकर एक जाति---भूतवैद्युडु----मन्दिरवादिबिरामणर्गळिल् ऒरु पिरिवु---मंत्रवादिऒरु ब्राह्मणजाति---मंत्रवादिओझा---
454ओटनासकारात्मक क्रिया----कपास के बिनौले अलग करना;----वेलणा----ओटना----चोरुन----ओटणु----सरकी काढणें----कपास लोठवो----तूलोर बिचि छाड़ान----कपाह नेओट----मिणिबा पिंजिबा----एकुट----पंजु कडैय----(पञ्ञि) कटयुक----हत्ति बिडिसुवुदु----
455ओढ़नासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रियापुंलिंग--किसी कपड़े आदि से बदन ढकना;जिम्मा लेना।तन ढकने के लिए ऊपर से डाला जाने वाला वस्त्र।--उत्ते लैणाजिम्मा लैणा---ओढ़ना-ओढ़ना--वलुनह्यॊनवलुन--ओढणुज़िमो खणणुओढणी, मथां पाइण जो कपिडो--पांघरणेउत्तरदायित्व घेणेंअंगावर घेतलेले वस्त्र--वोहारवुं, माथेलेवुंओढवुंओढवुं--ढाका नेओयादायित्त्व नेओयाचादर उड़नि--अर, पिन्धदायित्व लचादर--ढांकिबातनु ढांकिबा पाईउपरुविछा जिबा वाला बस्त्र--कप्पुकोनुटवाध्यत पैन वेसुकोनुदुप्पटि--पोर्तिक्कॊळ्ळपॊरु॒प्पै ऎडत्तुक्कॊळ्ळपोर्वै--पुतक्कुकचुमतल एल्क्कुकपुतप्पु--हॊद्दुकॊळ्ळुवुदुहॊणॆवहिसुवुदुहॊदिकॆ--
456ओरस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---दिशा, तरफ;पक्ष।---वल्ल----तरफ़जानिब---तरफ----तर्फुपासो---बाजू, दिशापक्ष---बाजु, तरफपक्ष, दिशा, बाजु, तरफ---दिकदिक, पझ॒, (क्ख)---फाल दिशपक्ष---दिशा, तरफपख्य---वैपुवैपु---दिशै, पक्कम्पक्कम्---दिक्कु, नेर्क्कुवशं---कडॆपक्ष---
457ओलापुंलिंग----बादलों से गिरने वाले वर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े।----गड़ा, औला अहिण----ओला----डोठ----ग॒डो----गार----करो----शिला-वृष्टि----बरषुणर शिल----कुआ-पथर, करका----वडगळ्ळु----आलंकट्टि----आलिप्पऴं----आनॆकल्लु----
458ओसस्त्रीलिंग----वातावरण में फैली हुई भाप जो जलकण के रूप में पृथ्वी पर गिरती है (ड्यू )।----तरेल----शबनम (ओस)----शबनम----माक----दैव----ओस, झाकळ----शिशिर, हिम----नियर----शिशिर-विन्दु----मंचु----पनि----मञ्ञुतुळ्ळि----इब्बनिहिम----
459ओहदापुंलिंग----किसी कर्मचारी या कार्यकर्त्ता का पद।----ओहदा, हुद्दा, मरतबा----ऒ़हदा----ऒहद़ु॑----उहिदो----हुद्दा, अधिकारपद----होद्दो----पद----पद, पदबी----पद----होदा----पदवि----स्थानं, पदवि----दुद्दॆ----
460औचित्यपुंलिंग----उचित हाने की अवस्था या भाव, उपयुक्तता।----उचितता----म़ाकूलीयत, मौज़ूऩनीयत----जा॑नी----जोगा॒ई, मुनासिबत----औचित्य----औचित्य----औचित्य----औचित्य----उपजुक्तता----औचित्यमु----उगन्द तन्मै, पॊरुत्तम्----औचित्यं----औचित्य----
461औजारपुंलिंग----हथियार, उपकरण।----संद, औज़ार----औज़ार----अवज़ार----ओज़ारु----अवजार, उपकरण----ओजार, हथियार----हथियार, य॒न्त्रपाति (ज)----सा-सरंजाम, उपकरण----हतियार, उपकरण----पनिमुट्टु, आयुधमु----करुवि----उपकरणं, पणियायुधं----सलकरणॆ, उपकरण----
462औटानासकारात्मक क्रिया----किसी तरल पदार्थ को उबालकर या खौला कर गाढ़ा करना।----उबालणा----औटाना----मॊटरावुन----काढणु, घाटो करणु, टहिकाइणु----आटविणे----अकळवुं, उकाळवुं----फोटान----उतलाइ धन कर----आउटिबा----मरग कायुट----वट॒ट॒क्काय्च्च----काच्चिक्कुरु॒क्कुक----इंगिसुवुदु, कुदिसुवुदु----
463औधोगिकविशेषणविशेषण---उद्योग-संबंधी;वस्तुएं तैयार करने के काम से संबंध रखने वाला।---उदिओगिक, सन्नती----सन्अ़तीसन्अ़तगर---कारु॑बा॑री----उद्योग संबंधीहुनिरी---औद्योगिक, उद्योग-संबंधीऔद्योगिक---औधोगिकऔधोगिक---शिल्प संक्रान्तशिल्पण॒ (न्य)---औधागिक----उद्योग संबंधी----पारिश्रामिकपरिश्रम संबंधमयिन---तॊऴिल् संबन्दमान----व्यावसायिकंतॊऴिल्---कैगारिकॆयकैगारिकॆयल्लि, तॊडगिरुव, उद्यमस्थ---
464औद्योगीकरणपुंलिंग----किसी देश में उद्योग-धंधों का विस्तार करने और नए-नए कल-कारखाने स्थापित करने का काम (इन्डस्ट्रियलाइज़ेशन)।----उदिओगीकरन, सन्नतीकरन----सन्अ़तियाना----सनतीकरन----उद्योगीकरणु----औद्योगीकरण----औद्योगीकरण----शिल्पायन----औद्योगीकरण----कळ-कारखानीकरण, औद्योगीकरण----परिश्रमीकरणमु----तॊऴिळ्मयमाक्कुदल्----व्यवसायवत्करणं----कैगारिकॆ स्थापनॆ----
465औपचारिकविशेषणविशेषण---उपचार संबंधी;दिखावटी अथवा किसी नियम या रीति आदि के पालन-स्वरूप किया जाने वाला आचरण।---उपचारिकरसमी---तदारुकीरस्मी---रसमी----इलाज संबंधीरवायती, रस्मी, दस्तूरी---औपचारिकऔपचारिक, लौकिक---औपचारिकऔपचारिक---चिकित्सासंबंधीशिष्टाचार---औपचारिकयथाचार, बिधिगत---चिकित्सासंबंधीशिष्टाचार, औपचारिक---लांछनप्रायमुपैचूपु कोरकु---चिकिच्चै संबन्दमानमुरै॒प्पडियान---औपचारिकंऔपचारिकं---औपचारिकतोरिकॆय---
466औपचारिकतास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---औपचारिक होने की अवस्था गुण या भाव (फार्मोलिज़्म);दुनियादारी।---लोकाचार----रस्मियत (रस्म)दुन्य़ादारी---रस॑मु----रवायत परस्तीदुनियादारी---औपचारिकताव्यवहार, लौकिक---औपचारिकतादुनियादारी---शिष्टाचारितादुनियादारि---यथाचारिता, आनुष्ठानिकतासांसारिकता---औपचारिकता, शिष्टाचारितादुनियादारि, ओ-एब-तथा---लांछनमर्याद---मुरै॒मैउलग वऴक्कु---औपचारिकत्वंनाट्टुनटप्पु---औपचारिकतॆलौकिक ज्ञान---
467औरअव्ययविशेषणक्रिया विशेषण--दो शब्दों और वाक्यों को जोड़ने वाला शब्द, तथा।दूसरा।अधिक।--ते, अतेहोरहोर--और----बॆयि----ऐंबि॒योवधीक, अञा बि--आणि, तथाआणखी, दुसराआणिक, अधिक--अने, तथाबीजुंवधु--आर, ओआर, अन्य॒ (न्न)आर, बेशी, अधिक--आरु, तथाअन्यआरु, अधिक--अन्यअन्यअधिक--मरियुइतरुडुअधिकमु, एक्कुव--मेलुम्, मट॒टुम्मटटॊरु, इन्नुम्अदिगमाग--उम्मट॒टॊ॒रु, मट॒टे॒कूटुतल्--मत्तुबेरॆ, इतरइन्नू--
468औरतस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---स्त्री, महिला;पत्नी।---तीवीं, औरततीवीं, औरत---औ़रतज़ौजा---ज़नानु॑----औरतजाल, जोइ, पत्नी---स्त्री, महिला॒पत्नी---औरत, स्त्रीबैरी---महिला, नारीपत्नी, स्त्री---महिलापत्नी---स्त्री, महिळापत्नी---स्त्रीभार्य---मगळिर्मनैवि---स्त्री, पॆण्णुभार्य---हॆग्सहॆडंति---
469औषधालयपुंलिंग----दवाखाना।----दवाखाना----दवाख़ाना----दवाखानु॑----इस्पताल, दवाख़ानो----औषधालय दवाखाना----औषधालय, दवाखानुं----औषधालय, दवाईखाना----औषधालय----डाक्टर-खाना, औषधाळय----औषधालयमु----मरुन्दु कॊडुक्कुमिडम्----औषधालयं----आस्पत्रॆ----
470औषधस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---दवा;जड़ी-बूटी जो दवा में काम आए।---दवा, औषध----दवाजड़ी-बूटी---दवा----दवाऔखद, दवा में कमि ईंदड़ जड़ी-बूटी---औषधजड़ी-बूटी---औषधि (धी), औसड, दवाजड़ी-बूटी---ओषध, दाबाइभेषज, उद्भिद---औषधबनौषधि---औषधीचेर मूळ---मंदु, औषधिऔषधि---मरुन्दुमूलिगैगल्---मरुन्नुपच्चिल मरुन्नु---औषधि, मद्दुगिडमूलिकॆ---
471औसतपुंलिंगपुंलिंग---माध्य, बीच का (एवरेज);साधारण।---औसत----औसतम़ामूली---अवसथ----सरासरी, विचुविचौलो, साधारणु---सरासरीएधला, सामान्य (एवरेज) साधारण---सरासरी, सरेराशसाधारण---अनुपातसाधारण॒ (न)---गड़ परिणाम, मध्यमसाधारण---हाराहारि, माध्य, मोटामोटिसाधारण---सगटुसाधारणमयिन---सरासरिसादारण---शराशरिसाधारणमाय---सरासरिसाधारण---
472कंगालपुंलिंग----अभाव से पीड़ित, अति निर्धन।----कंगाल----कंगाल, मुफ़्लिस----कंगाल----कंगालु----कंगाल, दरिद्री----कंगाल, दरिद्री----काङ्गाल, दरिद्र----कांङाल, कङल----कंगाल, दरिद्र----बीद, निरुपेद----दरिद्दिरन्, मिगएळै----दरिद्रन्, एऴ----दरिद्र, बडव----
473कंघापुंलिंग----बाल झाड़ने या संवारने का एक उपकरण।----कंघा----कंघा----कंगुव----फणोटो, कंघो----कंगवा----कंगवो, कांसको, दांतियो----चिरुनी----फणि, काकै----पानिआ----दुव्वेन----सीप्पु----चीप्पु----बाचणिगॆ----
474कंजूसविशेषण----धन संग्रह के लालच में कष्ट सहकर हीन अवस्था में रहने वाला व्यक्ति, कृपण।----कंजूस----कंजूस----कंजूस----कंजूसु----कंजूस, चिक्कू, कृपण----कंजूस----कृपण॒ (न)----कृपण----कृपण----लोभि, पिसिनिगोट्टु----कंजन्, उलोबि----पिशुक्कन्----जिपुण----
475कंठपुंलिंगपुंलिंग---गला;गले से निकला हुआ स्वर।---गला----कंठ (गला)सुर (गलेका)---हॊटहॊट---गलो, कंठुसुरु, आवाज्रु---गळागळयोतून निघालेला स्वर---गळुंसूर, साद---कण्ठ, गलाकण्ठ स्व॒र (स)---गला, कण्ठकण्ठ स्वर---गळा, कंठकंठ-स्वर---कंठमुकंठस्वरमु---कळुत्तुकुरल्---कळुत्तुस्वरं---गंटलु, कत्तुकॊरळु, कंठ---
476कंधापुंलिंग----मनुष्य के शरीर की बांह का वह ऊपरी भाग या जोड़, जो गले के नीचे धड़ से जुड़ा रहता है।----मोढा, कन्न्हा----कंधा----फ्यॊक----कंधु, कुल्हो----खांदा----कंध, स्कंध, खभो----कान्ध----कान्ध----कांध----भुजमु----तोळ्----तोळ्----हॆगलु----
477कंपकंपीस्त्रीलिंग----भय, शीत आदि के कारण शरीर में होने वाली थर्राहट, जिसमें एक प्रकार की स्वरता होती है, कंपन।----कांबा----कपकपी----ता॑र खसु॑न्य----डकिणी, कंबणु जी हालति----कांपरे, हुडहुडी----कंप, कंपारी, ध्रुजारी----कॉँपुनि----कँपनि, यर्थरणि----कप, कंपनि----वणकु----नडुक्कम्----विर॒यल्----नडुक----
478कंबलपुंलिंग----बहुत मोटी ऊनी चादर जो प्राय: ओढने के काम आती है।----कंबल----कम्बल----कमु॑ल्य----कंबलु----घोंगडी----कंबल, कामळो, कांबल----कम्बल----कम्बल----कंबल----कंबळि----कंबळि----कम्पिळि----कंबळि----
479कईविशेषणविशेषण---एकाधिक लोग;कुछ।---कई----कई----वारयाह----कई, घणाईकुछु---कित्येक, अनेककाही---कई, अनेककंईक, केटलुंक, थोडुंक---एकाधिक, अनेककयेक, कतकगुलि---एकाधिक, अनेककिछु, अलप---एकाधिक, अनेककिछि---चाला, अनेकमुकोन्नि---अनेगपल---अनेकंपल---हलवुकॆलवु---
480कक्षपुंलिंग----किसी इमारत या भवन का कोई भीतरी भाग, कमरा या खंड।----कमरा----कमरा----कमरु॑----कोठी, कमिरो----खोली----ओरडो----कक्ष॒, कामरा, घर (क्ख)----कोठा, खोंटाली----वड़ कोठरि, कमरा----गदि----वीट्टिन उट्पगुदि उळ्, अरै----मुरि॒----कोणॆ----
481कक्षास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---विद्यार्थियों का वर्ग या श्रेणी जिसमें उन्हें एक साथ एक ही प्रकार की शिक्षा दी जाती है, दर्जा;आकाश में ग्रहों के भ्रमण का गोलाकार मार्ग (ऑर्बिट)।---जमातफेरा, मंडल---दर्जा (जमाअ़त)मदार---जमाथ----क्लासु, दर्जोमदारु (आकास में ग्रहनि जे घुमण जो घेरो)---कक्षा, वर्ग, इयत्ताकक्षा, मंडळ, खगोल मार्ग---वर्गकक्षा---श्रेणी॒ (न)कक्ष॒ (क्ख)---मान, श्रेणीकक्षपथ---श्रेणी, क्लास, किलासआकाश रे ग्रहंक भ्रमण रे गोलाकार---तरगतिमंडलमु---पळ्ळि वगुप्पुगिरहंगळिन्, शुट॒टप्पादै---क्ळास्भ्रमणपथं---तरगतिकक्ष---
482कचहरीस्त्रीलिंग----न्यायालय, अदालत।----कचहिरी----कचहरी----अदालथ----कचहिरी----कचेरी, न्यायालय----कचेरी, अदालत, कार्ट----कछारी, विचारालय, अदालत----काछारी, न्यायालय----कचेरि, न्यायाळय, अदालत----कचेरि, न्यायास्थानमु----नियायालयम्, नीदिमन्र॒म्----कच्चेरि, कोटति----कचेरि, कोर्टु न्यायालय----
483कचोटनाअकारात्मक क्रिया----किसी दु:खद बात से बार-बार मन में पीड़ा या वेदना होना, गड़ना।----चुभणा----चुभना, खटकना----दॅख लगुन----चुभणु, डुखणु----बोंचणे, टोचणे----कचोटावुं----दंशन, बेंधा----अन्तरन दु:ख पा----झुरिबा----पीडिंचुट----वरुत्तप्पड़----नोवुक, नॊम्परप्पॆटुक----व्यथॆपडुवुदु----
484कच्चाविशेषणविशेषण---(खाद्य पदार्थ) अधपका;(फल, फसल आदि) जो परिपक्व न हुआ हो।---कच्चा----कच्चा----कॊच----कचो (अधु पकलु)कचो (अणरस्यलु)---कच्चेअर्धपक्व, कच्चे---कच्चुं, काचुंअपक्व---कॉँचाकांचा---निसिजाआपँइता, केंचा---कंचा----उडकनिपच्चि---पळुक्कादकाय्वॆट्टान्---वेवात्तपच्च---बॆन्दिल्लदहसि, कायि---
485कटघरापुंलिंगपुंलिंग---काठ का जंगलेदार घेरा जिसमें जानवरों को रखते हैं;कचहरी में वह स्थान जिसमें अभियुक्त खड़े होते है।---कटहिराकटहिरा---कटहरा----जंगलु॑----काठ जो वडो॒ पिञिरोकटहिड़ो (कोर्ट में डो॒हीअ जे बीहण जो हंधु---लाकडाचा मोठा पिंजरापिंजरा---पांजरुं----खांचाकाठगड़ा---काठरा, काठर, गँरालकाठगरा---बड़ पिंजराकाठगड़ा---पंजरमु, बोनुबोनु---मरक्कूण्डुसाट्चिक्कूण्डु---कटुसाक्षिक्कूटु---बेलिहाकिरुव प्रदेशसाक्षिकट्टॆ---
486कटारस्त्रीलिंग----छोटी, छुरी।----कटार----कटार----छुर्य----कटार, कटारी----खंजीर, कट्यार----कटार, कटारी----छुरि----कटारी----छोट, छुरी, कटुरी----चिन्न कत्ति----कटारी----कठारि----बाकु, कठारि----
487कटुविशेषणविशेषण---जिसके स्वाद में कड़वापन हो;अप्रिय, बुरा लगने वाला।---कांड़ाकांड़ा---तल्ख़ (कड़वा)----ट्यॊठट्यॊठ---कोड़ोअणवणंदड़ु---कडूअप्रिय, कटु---कटु, कडवुं, तीखुंअप्रिय---कटु, तिक्तकटु, अप्रिय---कटुअप्रिय---कटुअप्रिय, खराप---चेदयिन, कटुवुकटुवु---कसप्पानपिडिक्काद---कय्प्पुळ्ळ, चवर्प्पुळ्ळइण्टप्पॆटात्त---कहिअप्रिय, कहि---
488कट्टरविशेषण----पक्का, दृढ़ निश्चयी, सिद्धांतवादी।----कट्टर----कट्टर----कटर----कटरु----कट्टर, पक्का, दृढ निश्चयी, सिद्धान्तवादी----कट्टर, चुस्त----कट्टर, गोंड़ा----दृढमना----दृढ निश्चयी, कट्टर----गट्टिपट्टुदलगल----कॊळ्गैप्पिडिप्पुळ्ळ----उर॒च्च, याथास्थितिकनाय----दृढ निश्चयि----
489कठपुतलीस्त्रीलिंग----काठ (लकड़ी) की बनी हुई पुतली जिसे धागे या तार की सहायता से नचाया जाता है।----कठपुतली----कठपुतली----दारिद॑ज----पुतिली (काठ जी गुडी॒)----कळसूत्रीबाहुली----कठपूतळी----काठेरपुतुल----काठर पुतला----काठ-पितुळा----कोय्यबोम्म----बॊम्मलाट्टत्तिनर् पयन्पडुत्तुम् बोम्मै----मरप्पाव----सूत्रदबॊम्बॆ----
490कठिनविशेषणविशेषण---जो सरलता से न हो सके, मुश्किल;कठोर, सख्त।---औखा, कठन----मुश्किल (सख़्त)----कठ्युन, मुश्किलकठ्युन, मुश्किल---डुख्यो, मुश्किलुसख़्तु---कठिण, अवधडकठोर, टणक, बिकट---कठिन, कठण, सखत, अधरुं, मुश्केलनिर्दय---कठिन, मुश्किलकठिन, शक्त---कठिनकठोर, टान---कठिन, मुस्किलशक्त---कष्टमुकठिनमु, गट्टि---कष्टमानकडिनमान---कठिनंकठोरं, उर॒च्च---कष्टवादगट्टि---
491कठोरविशेषणविशेषण---कड़ा, सख्त;निर्दयी, निष्ठुर।---कठोर----सख़्तसख़्त दिल---सखु॑त----सख़्तुकठोरु, निर्दयी---कठोरनिर्दयी, निर्मम, निष्ठुर---कठोर, कडक, सखतनिर्दय, कर्कश---कड़ा, शक्त, कठोरनिर्मम, निष्ठुर, कठोर---कठोर, टाननिर्दय---कठोर, कड़ा, शक्तनिर्दय, निष्ठुर---कठोरमुदयलेनि---कडिनमानकॊडूरमान---कटुप्पमायदयविल्लात्त---गट्टि, कठोरमरुकविल्लद, निर्दय---
492कड़कनाअकारात्मक क्रिया----कड़कड़ का शब्द होना।----कड़कणा----कड़कना----टासु॑रारय, गछ़ु॑न्य----कड़िकड़ि करणु----कडाडणे----ककडवुं कडकडवुं----कड़कड़ शब्द हओया----डाङर शब्द कर गाजनि मार----कड़कड़ शब्द हेबा, कड़किबा----कटकट लाडुट----उडिक्क----कटकट शब्दं उण्टाकुक----चटचट अन्नुवुदु----
493कड़वाविशेषणविशेषणविशेषण--स्वाद में कसैला या कटु;कटु प्रकृति का;अप्रिय।--कौड़ाकौड़ाकौड़ा--कड़वा----टचॊठ----कौड़ो-अणवणंदड़ु--कडूकटु वृत्तिचाअप्रिय--कडवुंकडवा स्वभाववाळुंअप्रिय--कषा स्वाद वा क्रटु (सा)कड़ा प्रकृतिरकटु, अप्रिय--कटुकठुवा प्रकृतिरअप्रिय--पिता बा कषाकटु प्रकृतिरअप्रिय--चेदैनकठिनमयिनअप्रियमैन--कसप्पानकॊडूरमान गुणमुळ्ळ्पिडिक्काद--कैप्पुरसमुळ्ळशुण्ठियुळ्ळअप्रियमाय--कहिकटुस्वभावदअप्रिय--
494कड़ापुंलिंगविशेषण---धातु का बड़ा छल्ला।सख्त, कठोर।---कड़ाकैड़ा, करड़ा---कड़ाकड़ा, सख़्त---कॊरसखुत---कड़ो, कंगणुसख़्तु---कठोरसख्त---हाथनुं एक घरेणुंसखत---शक्त, कड़ा, कठोरकड़ा---काढा, कठोरबाजु, खारु---कड़ा, शक्त, कठोरधातुनिर्मित बड़ बळा---कडियमुकठोरमयिन---काप्पुकडिनमान---काप्पु, कट्टिवळकटुत्त---बळॆ, कंकणगट्टि, बिरुसाद---
495कढ़ाईस्त्रीलिंग----बेलबूटे निकालने का या बनाने का काम।----कढ़ाई----कढ़ाई (कशीदाकारी)----टॅपु॑का॑म----भर्तु, भर्थु----कशीदा----भरत----सूचिशिल्प----बेजिरे फुल तोला काम----फुलपकासिलाइ काम, मिनाकारी, सूची-शिळ्प----कुट्टुपनि----तुणियिन्मेल् सॆय्युम् पूवेलै----चित्रप्पणि, सूचिवेल----कसूति कॆलस्----
496कतरनस्त्रीलिंग----कपड़े, कागज, धातु आदि के छोटे-छोटे रद्दी टुकड़े।----कातर----कतरन----तिलिम, तु॑र----कतरि (कपिड़े, कागज़ वग़ैरह जी)----बारीक रद्दी तुकडे----कातरण----कापड़ वा कागजेर कतिंत अव्यवहार्य अंश, काट-छांट----कापोर, कागज, आदिर, सरु सरु टुकुरा----कपड़ा, कागज, धातु, आदि-आदि छोट छोट रदि टुकड़ा (कटा-कना)----कत्तिरिंपुलु----कत्तरित्तु, ऎडुक्कप्पट्ट तुण्डु----कष्णं ऎट्टुतुण्टु----कत्तरिसि उळिद चुरु----
497कतरनासकारात्मक क्रिया----कपड़े, कागज या धातु आदि की चादर को कैंची से काट कर दो या अनेक भागों में करना।----कतरना----कतरना----कपटुन----कतिरणु, कटणु----कापणे----कातरवुं----काटा-छॉँटा----काटन, कटा काम----कतुरिबा काटिबा----कत्तिरिंचुट----कत्तरित्तल्----कत्रिक्कुक----कत्तरिसुवुदु----
498कतरनीस्त्रीलिंग----कतरने का उपकरण, कैची।----कैंची----कतरनी----कंची----कैंची----कात्री----कातर----काँचि----केंची----कइंची, कसुरी----कत्तेर----कत्तरिक्कोल्----कत्रिक----कत्तरि----
499कतरानाअकारात्मक क्रिया----बचना।----कतराउणा----कतराना----बचुन----कतिराइणु, पासो करणु, नजर बचाए खिस्कणु----चुकविणे, टाळणे----कतरावुं----दृष्टि एड़ाइया सरिया पड़ा केटे पड़ा----आँतरि फालरि फालरि काट----आड़ेइ, जिबा----तप्पिंचुकोनुट----तप्पिक्क----ऒऴिञ्ञु मारु॒क----तप्पिसि कॊळ्ळुवुदु----
500कतारस्त्रीलिंग----पंक्ति।----कतार, डार (पक्षियों की)----क़तार----लो॑न----कतार----ओळ----कतार, हार----पंक्ति, सारि----शारी, लानि----पंक्ति----पंक्ति, श्रेणि, वरुस----वरिशै----वरि, पन्ति----सालु----
501कत्थापुंलिंग----खैर की लकड़ी का सत जो पान में लगा कर खाया जाता है।----कत्त्था----कत्था----कथु॑----कथो----कात----काथो----खयेर----खैर, खयेर----खइर----काचु----कत्तैक्काँबु----कत्थ----काचु----
502कथनीस्त्रीलिंग----कही हुई बात, उक्ति।----कथनी----क़ौल (मल्फ़ूज़ा)----वन्यमु॑च कथ----चविणी----उक्ति----कथनी----उक्ति, कथन----कथा, उक्ति----कुहा कथा, उक्ति----माट, उक्ति----पेच्चु, वचनम्----पर॒च्चिल्, वाक्कु----मातु॒----
503कथास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---किस्सा, कहानी, उपन्यास आदि;पौराणिक आख्यान जो धर्मोपदेश के रूप में लोगों को सुनाया जाए।---कथा----दास्तान, अफ़्सानाहिकायत (असातीर)---कथकथा---कथा, कहाणीकथा---कथा, गोष्टकहाणी, आख्यान---कथा, वार्ताईश्वर के धर्म संबंधी प्रवचन---काहिनी, गल्पकथा---काहिनी, कथासाधुकथा---कथा, काहाणि गळ्पपौराणिक आख्यान---कथहरिकथ---कदै, शिरु॒कदैकथा कालट्रचेपम्---कथकथाप्रसंगं, हरिकथ---कतॆउपन्यास---
504कथानकपुंलिंग----किसी रचना (महाकाव्य, उपन्यास, नाटक आदि) की कथा-वस्तु।----कथानक----प्लाट----कथ----कथा, कथावस्तू----कथानक----कथानक----कथावस्तु, कथानक----कथाबस्तु, विषयबस्तु----कथावस्तु----कथानिक, कथावस्तुवु----कदैयिन् करु----कथावस्तु----कथावस्तु----
505कदपुंलिंग----(व्यक्ति की) ऊंचाई।----कद----कद----कद----कदु----(व्यक्तीची) उंची----कद----उच्चता----उच्चता----व्यक्तिर उच्चता----पोडवु----उयरम्, आकिरूति----पॊक्कं, उयरं----ऎत्तर----
506कनकपुंलिंगपुंलिंग---सोना, स्वर्ण;धतूरा।---सोनाधतूरा---सोना, ज़रधतूरा---सॅन----सोनुधातूरो---कनक सोने, सुवर्णधोत्रा---कनक, सोनुंधतूरो---कनक, स्वर्ण, सोना (स)धुतुरो---सोणधतुरा---कनक, सुना, स्वर्णधातुरा, दुदुरा---कनकमु, बंगारमुउम्मेत्त---तंगम्ऊमत्तै---स्वर्णंउम्मत्तिन्काय---चिन्नउम्मत्त, धत्तूरि---
507कन्यादानपुंलिंग----विवाह में वर को कन्या का दान करने की रस्म।----कन्निआदान----कन्यादान----कन्यादान----कन्यादानु----कन्यादान----कन्यादान----कन्यादान----कन्यादान----कन्यादान----कन्यादानमु----तिरुमणम्, कन्निकादानं----कन्यकादानं (विवाहं)----कन्यादान----
508कपटपुंलिंगपुंलिंगविशेषण--छलपूर्ण मिथ्या आचरण, दुराव;धोखा।छलपूर्ण।--कपट----कपट-पुरदगा, पुरफ़रेब--कपठ, छ़ल----कपटु, दोखो-कपट भर्यो--कपटफसवणूककपट--कपट, छळदगोछळथी भरेलुं--कपट, छलकपट, धोंकाकपट--कपटफाँकि, प्रबंचनाकपटीया--कपटधोकाछळपूर्ण--कपटमुमोसमुकपटमु--वंजनैसूदुकपटमान--कपटंचतिचति निर॒ञ्ञ--मोस, वंचकतनवंचकतनमोसद--
509कपड़ापुंलिंगपुंलिंग---कपास, ऊन आदि के धागों से बनी हुई वस्तु जो ओढ़ने, बिछाने, पहनने आदि के काम आती है;पहनावा, पोशाक।---कपड़ा----कपड़ा----कपुर----कपिड़ोकपिड़ा, पोशाक---कापडपोशाख, वस्त्रें---कपडुं, कापडपहेरवानुं, लूगडुं, पोशाक---कापडपोशाक---कापोरपोछाक---कपड़ा, कना, बस्त्रपिन्धा, पोषाक---गुड्डदुस्तुलु---तुणिउडुप्पु---वस्त्रं, तुणिवेषं---बट्टॆउडिगॆ---
510कपाटपुंलिंगपुंलिंग---किवाड़, दरवाजे के पल्ले;दरवाजा, द्वार।---भित्त, बार, किवाड़----किवाड़----दरवाज़ु॑----कपाटु, ताकुदरिवाज़ो, दरु---कवाडदरवाजा, दार---कवाडबारणुं---कपाट, दरजार, पाल्लादरजा, द्वार---दुवारर कपाटदुवार---कबाट, कबाटर, फाळेदुआर---कवाटमुतलुपु---कदवुनिलैवायिल---कतकुवातिल्---कदबागिलु---
511कपासस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---एक प्रसिद्ध पौधा जिसके ढोंढ (फल) में से रुई निकलती है (कॉटन);इस पौधे के फलों के तंतु जिससे सूत काता जाता है।---कपाह----कपास----कपस----वंड, कपह जो ब्रूटोकपह---कापसाचे झाडकापूस---कपासरू---कापासतुलो---कपाहकपाह---कपाएहि छोट गछर फळंर तंतु जाहाठारू---प्रत्तिचेट्टुप्रत्ति---परुत्तिपंजु---पञ्ञि, परुतिपञ्ञि---हत्तिय गिडहत्ति---
512कपूतपुंलिंग----बुरे आचरण वाला पुत्र, नालायक बेटा;----कपूत----कपूत----कॅपूत, नालायक----कुपाटु, कपूतु----कुपुत्र----कपूत----कुपुत्र----कुपुत्र----कुपुत्र, नालायक पुअ----कुपुत्रुडु----कॆट्ट नडत्तैयुळ्ळ मगन्----मुटियनाय पुत्रन्----कुपुत्र----
513कपूरपुंलिंग----सफेद रंग का एक सुगंधित धन पदार्थ जो हवा में रखने से भाप बन कर उड़ जाता है (कैंफर)।----कपूर----काफूर----कोफ़ूर----काफूरु----कापूर----कपुर----कर्पूर----कर्पूर----कपूर----कर्पूरमु----कर्पूरम्, सूडम्----कर्पूरं----कर्पूर----
514कपोलपुंलिंग----गाल (चीक)।----गल्ह----गाल----गल, बुथ्य लब----ग॒लु, गि॒लु----गाल----कपोल (ळ), गाल----गाल, कपोल----गाल----कपोळ, गाल----चेक्किलि, बुग्ग----कन्नम्----कपोलं, कविळ्----कॆन्नॆ----
515कफनपुंलिंग----सिला अथवा बिना सिला कपड़ा जिसमें शव को लपेट कर दफनाया या जलाया जाता है।----खप्फण----कफ़न----कफन----कफ़नु, खफ़णु----कफन----कफन, शबने ओढाडवानुं लूगडुं----कफन, शवाच्छादन वस्त्र----शव ढका कापोर----शब-ढंका-वस्त्रं----शवमुपैकप्पु गुड्ड----पिणत्तै मूडुम् तुणि----शवक्कोटि----शव-हॊदिकॆ----
516कबक्रिया विशेषण----किस समय? किस वक्त?----कद, कदों----कब----कर बा॑ज्ग्य----कड॒हिं? कहिं वक्ति?----केव्हां, कधी----क्यारे----कखन----केतिया----केबे----ऍप्पुडु----ऎप्पॊळुदु----ऍप्पोळ्----यावाग----
517कबाड़ीपुंलिंग----टूटी-फूटी या पुरानी चीजें खरीदने या बेचने वाला।----कबाड़ी----कवाड़िया (कबाड़ी)----कब़डा॑य----कबा॒ड़ी----रद्दीवाला----भांग्या-तूटया के रद्दी मालनो वेपारी----काबाड़ी----फुटा-फटा वस्तु बेचोंता----भंगा-रुजाब्रा पुरुणा-बस्तु-बिक्रेता----चेत्तसरुकु कोनुवाडु----कायलांकडैक्कारन्----आक्रिक्कारन्----हळॆ सामानु व्यापारि----
518कबूलनासकारात्मक क्रिया----मान लेना, स्वीकार करना।----कबूलणा----कबूलना----कॅबूल करु॑न----कबूलणु----कबूल करणें----कबूल करवुं, मानी जवुं----मेने नेओया, स्वीकार करा----स्वीकार कर----मानिनेबा, स्वीकार करिबा----स्वीकरिंचुट, अंगीकरिंचुट----ऒप्पुक्कॊळ्ळ----स्वीकरिक्कुक----ऒप्पिकॊळ्ळुवुदु, स्वीकारमाडुवुदु----
519कब्जापुंलिंग----किसी वस्तु पर होने वाला अधिकार जिसके अनुसार उस वस्तु का उपयोग किया जाता है।----कब्जा----कब्ज़ा----कबज़ु॑----कब्ज़ो----कब्जा----कबजो----दखल, आयत्त, हातल----दखल, अधिकार----अधिकार----स्वाधीनमु चेसिकोनुट----कैप्पट॒ट॒ल्----अवकाशं----स्वाम्य----
520कब्रिस्तानपुंलिंग----शव दफनाने के लिए नियत स्थान।----कबरसतान----क़ब्रिस्तान----कबरिस्तान----कब्रिस्तानु----स्मशान----कबरस्तान, कब्रस्तान----गोरस्थान, कबरस्थान----कबरखाना, गरिशलि----कबरस्थान----स्मशानमु----इडुकाडु, मयानंम्----कबरिंटं, सॆमित्तेरि----स्मशान----
521कभीक्रिया विशेषण----किसी समय, किसी अवसर पर।----कदे, कदी----कभी----कुनि वक्तु॑----कड॒हिं, कंहिं वक्ति----कधी----क्यारेक----कखनओ----कोनो समयत----केबे----ऍप्पुडैन्नु----ऍप्पॊळुदावदुं----ऍप्पोळॆङ्किलुं----यावागलादरू----
522कमंडलपुंलिंग----संन्यासियों का जलपात्र जो धातु, मिट्टी, तुपड़ी अथवा नारियल आदि का बना होता हैं।----करमंडल----कशकोल (कमंडल)----कमंडल----कमंडलु----कमंडलु----कमंडल----कमण्डुलु----कमण्डलु----कमंडकु----कमंडलमु----कमंडलु, सन्नियाशिगळिन् तण्णीर् पात्तिरम्----कमंडलं, किण्टि----कमंडलु----
523कमविशेषण----परिमाण, मात्रा, संख्या आदि के विचार से घट कर या थोड़ा।----घट----कम----कम----घटि, थोरो----थोडे----कम, ओछुं----अल्प----कम, ताकर----कम----तक्कु----कॊंजम, कुरै॒वान----कुर॒वाय----कडिमॆ, स्वल्प----
524कमज़ोरविशेषण----दुर्बल, अशक्त, असमर्थ।----कमजोर----कमज़ोर----कमज़ोर----कम्जोरु----कमजोर, अशक्त----कमजोर, दुर्बल, अशक्त----दुर्बल, अशक्त, कमजुरी----दुर्बल----कमजोर, दुर्बळ, अशक्त असमर्थ----नीरसमु----बलवीनमान----दुर्बलन्----दुर्बल, अशक्त----
525कमरस्त्रीलिंग----शरीर का मध्य भाग, कटि।----लक्क, कमर----कमर----कम्बर----कमरि, चेल्हि----कंबर----कमर, कम्मर, केड, कटि----कोमर----कँकाल----अंटा----नडुमु----इडुप्पु----अर----सॊंट----
526कमरबंदपुंलिंग----कमर में बांधने का एक दुप्पटा।----कमरकस्सा, कमरबंद----कमरबंद----कम्बरबंद----कमरिबंदु----कमरेला बांधवयाचे वस्त्र, उपरणे----कमरबंध----कोमरबन्ध----कँकालर अङालि----अंटा रे बांधिबा कनापटि----नडिकटटु----इडुप्पिल् कट्टुम् तुणि----अरप्पट्ट----सॆंटद पट्टि----
527कमरापुंलिंग----कक्ष, कोठरी।----कमरा----कमरा----कमरु----कमिरो, रूमु, कोठी----खोली----ओरडो----कामरा, कुठरि, घर----कोठा----कक्ख, कोठरी----गदि----उळ्, अरै॒----मुरि॒----कोणॆ----
528कमलपुंलिंग----जलाशयों में हाने वाला एक पौधा जिसमें चौड़ी पंखुड़ियों वाले हल्के लाल, नीले, पीले या सफेद रंग के फूल होते है (लोटस)।----कौंल, कमल----कंवल----पंपा॑श----कमलुं, कंवलु----कमळ----कमल (ळ)----पद्म॒, कमल (द्दो)----कमल, पदुम----पद्म----कमलमु, तामरपुव्वु----तामरै----कमलं, तामर----तावरॆ----
529कमानस्त्रीलिंग----धनुष।----कमान----क़मान----कमान----कमानु----धनुष्य----कमान, धनुष, कामठुं----कामान----धनु----धनु----विल्लु----विल्----विल्लु----बिल्लु----
530कमानासकारात्मक क्रिया----कोई व्यवसाय करके अर्थिक लाभ पाना, उपार्जन करना।----कमाउणा----कमाना----कमावुन----कमाइणु----कमविणें----कमावुं----उपार्जन करा, कामानो----उपार्जन कर, आर्ज----कमेइबा, अर्जन----संपादिंचुंट----संबादिक्क----संपादिक्कुक----संपादिसुवुदु----
531कमीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--कम होने की स्थिति अथवा भाव;त्रुटि;अभाव।--घाटतोट---कमी----क॑मी----कमी, घटिताईकमी, नुक्सुकमी, खोटि--कमतरता, कमीत्रुटिअभाव--ओछ़प, ऊणपत्रूटिअभाव--न्यूनता, अल्पता, कम हओयात्रुटिअभाव, अनटन, टानाटानि--घाटित्रुटि, दोषअभाव--कमित्रुटिअभाव--तक्कुव, लोटुलोपमुकोरत--कुरै॒वुतवरु॒इल्लामै--कुर॒वुकुट॒टं॒अभावं, इल्लाय्क--कॊरतॆकुंदुअभाव--
532करपुंलिंगपुंलिंग---हाथ;सरकार द्वारा जनता से उगाहा हुआ धन (टैक्स)।---हत्त्थ, कर (करकमल)कर---हाथटेक्स (महसूल)---अथु॑----हथुढल, टैक्सु---हातकर---कर, हाथवेरो, लागो---हात, करकर, शुल्क, खाजना राजस्व---हातकर---कर, हातकर, राजस्व---करमु, चेय्यिपन्नु---कैवरि---कैकरं---कैतॆरिगॆ, कर---
533करघापुंलिंग----कपड़ा बुनने का एक यंत्र, खड्डी।----खड्डी----करगह----वोननवान----आडा॒णो----माग----साळ----तॉँत----ताँतशाल----तन्त, लुणा वुणिबा एक जन्त्र----मग्गमु----कैत्तरि----तरि॒----कैमग्ग----
534करनासकारात्मक क्रिया----किसी कार्य का संपादन।----करना----करना----करुन----करणु----करणें----करवुं----करा----कोनो काम कर----करिबा, कार्य संपादन----चेयुट----शॆय्य----चॆय्युक----माडुवुदु----
535करनीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--कार्य, कर्म;राजगीरों का एक प्रसिद्ध उपकरण, जिससे गारा या मसाला उठाकर दीवारों आदि पर थोपा, पोता या लगाया जाता है।अनुचित या हीन आचरण (बोलचाल में)।--करनीकांडीकरनी--करनी----का॑मकरु॑न्य---करिणी, कमुचूनारी, मारो (राज़े जो ओज़ारु)करिणी, बेहूदी हलति--कृति, कर्म, कार्यकरनीकरणी--करणी, आचरणरांपीकरतूक--कर्म, काजकर्णिक (न)कम्म (कथ्य भाषा)--कार्य, कर्म, कामकरणीहीन आचरण--करणी, कार्य, कर्म-अनुचित बा हीन आचरण--कार्यमु, पनितापिचेष्ट--सॆयल्, कारियम्करणैकॆट्ट नडत्तै--प्रवृतिकुलेरूदुर्न्नटत्त--कॆलसकरणॆदुष्कर्म--
536करवटस्त्रीलिंग----बैठने, लेटने आदि में शरीर का वह पार्श्व या बल जिस पर शरीर का सारा भार पड़ता है।----पासा----करवट----लरि फिरुन----पासो (बदन जो)----कूस, कुशी----करवट, पडखुं, पासुं----कात, आड़, पार्श्वे, अवस्थित----काति बा बागर----कड़----प्रक्क----(उडलिन्) पक्कम्----(शरीरत्तिन्टॆ) वशं----मग्गुलु----
537कराराविशेषणविशेषण---कुरकुरा;तेज, उत्कट, उग्र (कार्य, उत्तर)।---करारा----करारातेज़---त्रकुर----भुर्किणोसख़्तु, तेज्रु (जवाबु वग़ैरह)---कुरकुरीततेज, उत्कट, उग्र (कार्य, उत्तर)---कडकतीक्ष्ण---मचमचेशक्त (काज), कड़ा (जवाब)---मुरमुरीया, चनकाउत्कट, उग्र, टान---कड़कड़िआतेज, उत्कट, उग्र---करकरलाडुतीव्रमयिन---मुरु॒गलान, करार्उरु॒दियान---करुमुरेयुळ्ळउग्रमाय, शक्तियाय---गरिगरियादचुरुकु, उग्र---
538कराहनाअकारात्मक क्रिया----पीड़ा या वेदना के समय व्यथा-सूचक शब्द का मुँह से निकलना।----हूँगणा, कराहणा----कराहना----उँह करुने----कंझणु, कुर्कणु----कण्हणे----पीडाथी आह करवी----कातरानों----कॅँका----कुंथाइबा----मूलुगुट----मुनग----वेदन कॊण्टु निलविळिक्कुक (ञरङ्ङुक)----नरळुवुदु----
539करुणविशेषणविशेषणविशेषण--दयालु;दु:खद;साहित्य में एक रस।--करुण-करुण--रह्मदिलदर्दनाकदर्द (सोज़)--दया----दयालूदुखदाईकरुण रसु--करुण, दयाळुदु:खद, दयनीयकरूण रस--करूणशोककारकसाहित्यशास्त्र नो एक रस (करूण रस)--करूणा॒युक्त (न) (जु)करुण॒, आर्त्त, कातर (न)करुण॒ रस (अलंकारशास्त्रे) (न)--दयालुकरुण, दु:दायककरुण रस--दयाळु, करुणदु:खद, आर्त, कातरसाहित रे एक रस--दयगलदयनीयमयिनकरुण रसमु--इरक्कमुळ्ळपरिदाबमानइलक्कियत्तिल् ऒरु मननिलै--करुणयुळ्ळकरुणमायकरुण रसं--करुणॆयुळ्ळकरुणॆ उण्टुमाडुवकरुण रस--
540करोड़पतिपुंलिंग----वह जिसके पास करोड़ों रुपये अथवा करोड़ों की संपत्ति हो।----करोड़पती----करोड़पति----करोड़प॑ति----किरोड़पती----कोट्याधीश----करोडपति----कोटिपति----कोटिपति----कोड़पति, कोटिपति----कोटीश्वरुडु----कोटीश्वरन्----कोटीश्वरन्----कोट्याधीश----
541कर्ज़पुंलिंग----उधार लिया हुआ धन, ऋण।----करजा----क़र्ज----करु॑ज़----कर्ज़ु----कर्ज----करज, देणुं----धार, ऋण॒, कर्ज (न)----ऋण, धार----करज, ऋण (रुण)----अप्पु----कडन्----कटं----साल----
542कर्त्तव्यपुंलिंगपुंलिंग---ऐसा काम जिसे पूरा करना आवश्यक हो, धर्म;ऐसा कार्य जिसे संपादित करने के लिए लोग विधान या शासन द्वारा बंधे हों।---करतव्व----फर्ज़फ़रीज़ा (फ़र्ज), लाज़िम---फरु॑ज़----कर्तव्यु, फ़र्ज़ु----कर्त्तव्यनियमबद्ध---कर्त्तव्यफरज---कर्त्तव्य, करणी॒य (न)कर्त्तव्य, विधेय---कर्त्तव्यवाध्य-वाधक्ता---कर्त्तव्य----कर्तव्यमुविधि---कडमैशट्टप्पडि शॆय्य वेण्डिय वेलै---कर्तव्यं, कटमकर्तव्यं, कटम---कर्तव्यंकर्तव्यं---
543कर्त्तापुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--करने या बनाने वाला, रचयिता, निर्माता;हिंदी व्याकरण में पहला कारक;धर या परिवार का स्वामी (धर्मशास्त्र और विधि के क्षेत्र में)।--करताकरताकरता--ख़ालिक़फ़ाइ़लसाहिबे-ख़ाना, क्लीएनेमत--करनवा॑लन, दय-मा॑लिख--कर्ता, कंदड़ुहिंदी ग्रामर में फ़ाइलुमालिकु (धर वग़ैरह जो)--कर्त्ता, रचयिता, निर्माताकर्त्ता (व्याकरणोतील)मालक--कर्त्तापहेली विभक्ति नो कारककुंटुबनो स्वामी--कर्त्ता, भ्रष्टा, निर्माताकर्त्ता (व्याकरणे) कारक विशेषकर्त्ता, कत्ता--कर्त्ता, करोंताकर्त्ता कारकघरर गराकी--कर्त्ताव्याकरण रे प्रथम कारकपरिबार बा घर र स्वामी--कर्त, चेयुवाडु-यंजमानि--कर्त्तर्, कडवुळ्ऎऴुवाय्वीट्टु यजमान्--कर्त्तावु, निर्मातावुकर्त्तावुकारणवन्--कर्ताप्रथमाविभक्तिकर्ता--
544कर्त्ता-धर्त्तापुंलिंग----वह व्यक्ति जिसको किसी कार्य या विषय के सभी अधिकार प्राप्त हों।----करता-धरता----करता-धरता----करता-दरता----कर्ता-धर्ता, मुख्यु, कमु कंदड़ु----कर्ताधर्ता----कर्त्ता-धर्त्ता----कर्त्ता, प्रधान व्यक्ति----हर्त्ता-कर्त्ता----क्रर्ता-धर्ता----सर्वाधिकारि----एट॒टुनडत्तुबवर्----नटत्तिप्पुकारन्----यजमान----
545कर्मपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग-वह जो किया जाए, काम कार्य;पूर्व जन्म में किए गए कार्य;शास्त्रीय विधान से युक्त धार्मिक कार्य;व्याकरण में वाक्य का वह पद जिसपर कर्त्ता की क्रिया का प्रभाव पड़ता है, हिंदी व्याकरण में दूसरा कारक।-करमकरमकरमकरम-कामकरम (आ़माल)करमकांडमफ्ऊ़ल-करु॑मकरु॑मकरु॑मकरु॑म-कर्मु, कमुकर्मुकर्मुहिंदी ग्रामर में 'मफऊलु'-कर्म, कामकर्म (गत जन्मीचे)धर्मकार्यकर्म (व्याकरणोतील)-कर्म, कामकर्मधर्म कर्मबीजी विभक्ति नो कारक-कर्म, कार्य॒, काज (ज)कर्म (पर्वजन्मेर कर्म)कर्म, शास्त्रबिहिन अनुष्ठानकर्म (व्याकरणे) कारक विशेष-कर्मपूर्वजन्मर कर्मधर्मीय कर्म(व्याकरण) कर्म्म-काम, कार्ज्य, कर्मपूर्व-जन्म-कर्मधार्मिक-कार्ज्यव्याकरण रे द्वितीय कारक-पनिकर्मकर्मकर्म-वेलै, सॆयल्मुन्विनैमदच्चडङ्गुसॆयप्पुडु पॊरुळ्-जोलिपूर्वकर्म्मंमतपरमाय कर्मं(व्याकरण) कर्मं-कॆलसकर्मकर्मकर्म-
546कर्मठविशेषणविशेषण---काम में कुशल;मेहनती।---कामाकामा---मेहनती----मॆहनती----कम में भडुमहिनती---कामांत कुशलमेहनती---कर्मठ, कर्मामां चूस्तमहेनतु---कर्मठ, दक्ष॒, कार्य॒कुशल (क्ख) (ज)परिश्रमी, मेहनति, कर्मठ---कर्मठ, कर्म्मकुशलपरिश्रमी---कर्मठपरिश्रमी---निपुणुडुकर्मनिष्ठुडु---वेलैयिल् तिर॒मैयुळ्ळउऴैप्पाळि---कार्यकुशलतयुळ्ळपरिश्रमियाय---कार्यकुशलकर्मनिष्ठ---
547कलंकपुंलिंगपुंलिंग---दाग, धब्बा;लांछन, निन्दा।---कलंक----कलंक----दागहॉँछ़---दागुं, धबो॒कलंकु---कलंक, डागलांछन---डाध, कलंकलांछन, आळ---कलङ्क, दागकलङ्क, अपवाद, लाञ्छन---कलंक, दाग, चेकानिन्दा---कळंक, दागलांछन, निन्दा---कलंकमु, मच्चनिंद---माशु, अळुक्कुकुरै॒---पाटु, अटयाळंकळंकं---कळंकनिन्दॆ, अपवाद---
548कलपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंगस्त्रीलिंग-आज के दिन से ठीक पहले का बीता हुआ दिन;आज के दिन के ठीक बाद में आने वाला दिन;चैन, आराम।मशीन, यंत्र, पुर्ज़ा।-कल्हकल्हचैनकल-कल----राथपगाहचॆनकल, मशीन-काल्हसुभाणोचैनु, आरामुकल, मशीन-कालउद्याआराममशीन, यंत्र-काल (गई)काल (आवती)आरामयंत्र-काल, गतकालकाल, आगामी कालआरामय॒न्त्र, कल (ज)-कालिकाइलैआराम, शन्तिकल, यंत्र-गत कालिआसन्ता-कालि-कळ, जन्त्र-निन्नरेपुनिश्चिंतयंत्रमु-नेट॒टुनाळैनिम्मदिइयंदिरम्-इन्नलॆनाळॆशांतियंत्रं-निन्नॆनाळॆनॆम्मदि, सुखमशीनु-
549कलईस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--सफेद रंग का प्रसिद्ध खनिज पदार्थ, रांगा;चूने की पुताई, सफेदी;मिथ्या आचरण या दिखावटी रूप।--कलीकलीकली--कल़ई----कलाय, मछ़----कलईपोचीडे॒खु, बनावटी वहिंवारु--कल्हई, कथीलसफेदीदिखाऊपणा--कलाईसफेदीबहारनो ओप--दस्ता, राड.चुनकाममिथ्या आचरण अथवा कृत्रिम रूप--बगिताभकलाइमिछा रहण--कलेइचून सफेइति, धळारंगमिथ्या आचरण--तगरमु, कळाइवेल्लबूटकमु--ईयम्कलाइ, पृशुदल्पॊय्यान तोट॒ट॒म्--तकरं, वॆळुत्तीयंवॆळ्ळ पूशल्कळ्ळं--तवरसुण्णद बळितआडंबर्--
550कलफपुंलिंग----चावल, अरारोट आदि को पका कर बनाई हुई पतली लेई जिसे धुले कपड़ों पर लगाकर उनकी तह कड़ी की जाती है, मांड।----माइआ, मावा, कलफ----कलफ़----मायि----कलफु----कलप, कांजी----आर, कांजी, खळ----कलप, माड़----मार, कलप----चावळपेज लेहिमंड----गंजि----तुणिग्ळुक्कु पोडुम् कंजी----कञ्ञि----गंजि----
551कलमस्त्रीलिंगस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग--लेखनी;चित्र बनाने की कूची;पेड़-पौधों की वे टहनियां जो काट कर दूसरी जगह गाड़ी या लगाई जाती हैं कि उन से उसी प्रकार के नए पेड़-पौधे उगें।--कलमकलमकलम--क़लम----कलमकलमकलम--कलमु, लेखणिबुर्शुकलमु--लेखणीब्रशकलम (रोपाचे)--कलमचित्रकारनी पींछीकलम--कलम, लेखनीतुलि, तूलिकलम--कलमतुलि(गछर) कलम--लेखनीतूळि, कली---कलमुकलमुअंटु--पेनातूरिकैऒट्टुच्चॆडि--पेनब्रष्ऒट्टुतै--लेखनिब्रश्कसिगॊम्बॆ--
552कलरवपुंलिंगपुंलिंग---पक्षियों के चहकने का कोमल और मधुर शब्द;मधुर तथा रसीली ध्वनि।---चहचहाट----कूक----बोल-बोश----पख्युनि जी चह चह जो आवाजुमधुर आवाजु---कलरवमधुर ध्वनि---कलरव, गुंजारवमधुर ध्वनि---कलरव, काकलिकाकलि, कलध्वनि---कलरव, कलकलनिसुमधुर ध्वनि---कळरबसुमधूर-ध्वनि---कलरवमुकलरवमु---परवैगळिन् ऒलिइनिय ऒलि---कळरवंमधुरनादं---कलरवमधुर ध्वनि---
553कलशपुंलिंगपुंलिंग---धड़ा, कलसा;मंदिरों आदि के शिखर पर लगा हुआ घड़े के आकार का कंगूरा।---घड़ाकलस---कलसाकलस, कंगूरा---कलश, गडु॑----कलशुकलशु, कंगूरो---कलश, कळशी, घागरकळस---कलश, कलशशिखर, टोच---कलस, कलश, घड़ा, गागराकलस, कलसाकृति चूड़ा वा अलङ्कार---कलहकलची---कळस, माठिआ----कलशमु, कुंडकलशमु---पानैगोपुरंगळिन् कलशम्---कलशंताऴिकक्कुटं---कॊडकलश---
554कलहपुंलिंगपुंलिंग---घरेलू झगड़ा, विवाद;युद्ध।---कला----लड़ाई----लडा॑य----कलहयुद्ध, लड़ाई---कलह, भांडणयुद्ध---कलहयुध्ध---कलह, विवादयुद्ध, कलह---कलह, काजियायुद्ध---कळह, बिबादजुद्ध---कलहमु, तगुवुलाटयुद्धमु---कलहमचण्डै---कलहंयुद्धं---जगळयुद्ध---
555कलास्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---हुनर (आर्ट);चन्द्र या सूर्य का अंश।---कला----फनकला---हॊनरकला---कलाकला (चंड या सिज जो हिसो)---कलाचन्द्रा ची कला---कला (ळा)चंद्रनो सोळमो भाग---कला, नृत्य, गीतादि चौसंट्टी कलाकला, चन्द्र अथवा सूर्ये॒र अंश (ज)---कला(चन्द-सूर्य) कला, अंश---कळाचन्द्र बा सूर्ज्यंकर एक अंश---कळकळ---कलैसूरिय, चन्दिर विम्बत्तिन् पगुदि---कलकल---कलॆकलॆ---
556कलाकारपुंलिंग----कला की साधना करने वाला (आर्टिस्ट)।----कलाकार----फ़नकार----कलाकार----कलाकारु----कलाकार----कलाकार----कलाविद्, शिल्पी----कलाकार, शिल्पी----कळाकार, कळार, साधक----कळाकारुडु----कलैञर्----कलाकारन्----कलाकार----
557कलाबाजीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---सिर नीचा करके उलट जाने की क्रिया या खेल;कलापूर्ण ढंग से दिखाए जाने वाले अद्भुत शारीरिक खेल।---उलटबाजी, कलाबाज़ीउलटबाजी, कलाबाज़ी---कलाबाज़ी----वलुगतुन----कलाबाज़ीकलाबाज़ी---कोलांटी उडीकसरत---गुलांटखेलकूद के नटनी क्रिया---डिगबाजिप्रदर्शित शारीरिक क्रीड़ा---लुटिखोटब्यायाम---शिळ्पि----पल्टी गोट्टुटसर्कसु---कुट्टिक्करणम् पोडुदल्कलैत्तिरन्---तलकुत्ति मरि॒च्चिल्, कुट्टिक्करणंकलापूर्णमाय अभ्यासं कय्याङ्कळि---लागदॊम्बराट---
558कलियुगपुंलिंग----पुराणानुसार चार युगों में से चौथा युग जो आजकल चल रहा है।----कलजुग----कलजुग----कलियॅग----कलिजुगु----कलियुग----कलियुग----कलियु॒ग, कलिकाल (ज)----कलियुग----कऴिजुग----कलिजुगमु----कलियुगम्----कलियुगं----कलियुग----
559कलीस्त्रीलिंग----फूल का वह आरंभिक रूप जिसमें पंखुड़ियां खिली या खुली न हो।----कली----कली----टूर----कली, मुखिड़ी----कळी----कळी----कुँडि, कलि----फुलर कलि----कढ़ि----मॊग्ग----मॊट्टु----पूमॊट्टु----मॊग्गु----
560कलुषपुंलिंग----पातक, पाप।----पाप----गुनाह, पाप----दाग----पापु----पातक, पाप----पाप----कलुष, पाप----पाप----पाप, कळुष----पापमु----पावम्----पापं पातकं----पाप----
561कलेजापुंलिंगपुंलिंग---यकृत, जिगर, दिल;जीवट, साहस।---कलेजा, कालजा----कलेजा----दिलजिगरु॑---छाती, सीनोकलेजो, हिमथ---छाती, वक्षस्थलसाहस, हिम्मत---छातीसाहस---वक्ष, छाति, वुकसाहस---बुकुसाहसु---छाति, बख्य, धुकुसाहस---रोम्मुसाहसमु---मार्बुदैरियम्---नॆञ्चुतन्टेटं---ऎदॆऎदॆगारिकॆ, साहस---
562कल्पनास्त्रीलिंग----वह क्रियात्मक मानसिक शक्ति जो अन्त:करण में अवास्तविक वस्तुओं के स्वरूप को उपस्थित करके काव्य, चित्र आदि के रूप में अभिव्यक्त होती है।----कलपना----तसव्वुर (तख़्य्युल)----ख़॑योली----कल्पना, तसवुरु----कल्पनाशक्ति----कल्पना----कल्पना----कल्पना----कळ्पना----कल्पनाशक्ति कल्पन, कल्पितमु----कर्पनै----संकल्पं----कल्पनॆ, ऊहॆ----
563कल्प-वृक्षपुंलिंग----पुराणानुसार देवलोक का एक वृक्ष जो सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाला होता है।----कलप बिरक्ष----कलप वरिकश----कल्प व्रख्य----कल्प वृक्षु----कल्पवृक्ष----कल्पवृक्ष----कल्पतरु, कल्पवृक्ष॒ (क्ख)----कल्पतरु----कळ्प वृख्य कळ्प-तरु----कल्पवृक्ष्मु----कर्पग मरम्----कल्पवृक्षं----कल्पवृक्ष----
564कल्याणपुंलिंगपुंलिंग---हित, भलाई, समृद्धि;मंगल, शुभ।---कलिआण----बह्बूद----कल्यान----कल्याणु, भलोशुभु---कल्याण हितमंगल, शुभ---कल्याणमंगळ, शुभ, श्रेय---कल्याण॒, समृद्धि (न)कल्याण॒, मंगल, शुभ (न)---कल्याणमंगल, शुभ---कल्याणमंगळ, शुभ---मंचि, मेलुशुभमु---नलन्शुभ कारियम्---नन्म, समृद्धिमंगळं---हितमंगल, शुभ---
565कविपुंलिंग----वह जो कविता या काव्य की रचना करता हो।---कवी----शाइर----शा॑यिर----कवी, शाइरु----कवि----कवि----कबि----कवि----कवि (कवि)----कवि----कविञन्----कवि----कवि----
566कवितास्त्रीलिंग----लय प्रधान तथा शब्द-बद्ध साहित्यिक रचना जो प्राय: छंदों में होती है, काव्य।----कविता----नज़्म (शाइ़री)----शा॑यिरी----कविता, शइरु----कविता, काव्य----कविता----कविता, काव्य----कविता, काव्य----कविता (कबिता)----कवित्वमु, कवनमु, कवित----कवितै----कवित----कवितॆ, काव्य----
567कष्टपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--पीड़ा;मुसीबत, आपत्ति;मेहनत, श्रम।--कशट----तकलीफ़मुसीबतदिक़्क़त--कश्ट----कष्टु, तकलीफ़मुसीबत, विपदामहिनत, श्रमु--त्रास, पीड़ातसदी, संकट, आपत्तिश्रम, कष्ट--कष्ट, दु:ख, संतापआपत्ति, मुसीबतश्रम--कष्ट, दु:ख, क्लेश, पीड़ाकष्ट, विपदकष्ट, श्रम, आयास--कष्ट, पीड़ाजंजालश्रम, गार खाटनि--कष्ट, पीड़ाआपत्ति, जंजाळश्रम--नोप्पिविपत्तिकष्टमु, श्रम--कष्टम्तुन्बम्उऴैप्पु--वेदनकष्टप्पाटुआयासं--नोवु, बेनॆकष्टश्रम--
568कसनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---बन्धन कड़ा करना;सोने की जाँच के लिए उसकी परीक्षा करना।---कसणापरखना---कसना----कसुन----कशणु, छिकेव॒धणुकसौटीअ ते सोनु वग़ैरह परिखणु---कसणे आवळणेकस लावणे---कसवुंकसोटी करवी---कषा, आँटाकष्टि पाथरे (सोना) परीक्षा करा (करना)---आँट, कच, टानि बान्धकषटि शिलत घॅँह---कषिबा, बंधन कड़ा करिबा----बिगिंचुटपरीक्षिंचु---कट्टै इरु॒क्कउरैत्तुप्पार्क्क---मुरु॒क्कुकमाट॒टुरक्कुक---बिगियुवुदुउज्जुवुदु---
569कसबा (कस्बा)पुंलिंग----छोटा शहर।----कसबा----क़स्बा----कसबु॑----नंढो गो॒ठु----कसबा लहान शहर----कसबो----छोटो शहर, कसबा----सरु नगर----छोट सहर----पेद्द ग्राममु, बस्ती----कस्बा (शिरु॒ नगरम)----चॆरि॒य पट्टणं, पट्टण प्रान्तं----चिक्क ऊरु----
570कसमस्त्रीलिंग----धर्म ईश्वर आदि को साक्षी मान कर कही जाने वाली बात, शपथ।----सौंह, कसम----क़सम----कसम----कसमु----शपथ----कसम, सोगंद----शपथ, दिब्यि, कसम----शपथ----शपथ, राण----शपथमु, ओट्टु----शबदम्, आणै----शपथं----आणॆ, प्रमाण----
571कसरस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---कमी, न्यूनता;दोष, विकार।---कसर----कसर----कसर----कसर, कमीविड॒, घटिताई---कसर, न्यूनतादोष, विकार---कसर, खामीदोष, खामी---न्यूनता, कमीदोष, विकार---कम, घाटिदोष, विकार---कमि, न्यूनतादोष, बिकार---लोटुदोषमु---कुरै॒कुटटम्---कुर॒वुदोष---कॊरतॆकुंदु, दोष---
572कसरतस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---स्वास्थ्य की रक्षा तथा सुधार के लिए की जाने वाली आंगिक अथवा शरीरिक क्रियाएँ, व्यायाम;परिश्रम, आयास।---कसरत----कस्रत----कसरत----कसिरतमेहिनत---व्यायाम कसरतपरिश्रम, आयास---कसरतपरिश्रम, महेनत---व्यायाम, कसरतकठोर, श्रम, विशेष चेष्टा---कसरत, व्यायामश्रम, परिश्रम---कसरत, व्यायाम----व्यायाममुशरीर श्रम---देहप्पयिर्चिउऴैप्पु---व्यायामंपरिश्रमं, प्रयासं---कसरत्तुश्रम---
573कसाईपुंलिंग----पशुओं आदि की हत्या करके उनके मांस को बेचने का व्यवसाय करने वाला, बूचड़।----कसाई----क़साई----पुज----कांसाई----कसाई, खाटीक----कसाई----कसाइ----कचाइ----कंसाइ----कसाइवाडु----कशाप्पुक्कारन्----कशाप्पुकारन्----कटुक----
574कसूर (कुसूर)पुंलिंगपुंलिंग---दोष, अपराध;त्रुटि, भूल।---कसूर----क्रुसुर----कॊसूरच़ोश---कसूरु, डो॒हुभुल, चुक---कसूर दोष, अपराधत्रुटि, भूल-चूक---कसूरखामी, भूल---कसुर, दोष, अपराधकसुर, त्रुटि, भुल-चुक---दोष, अपराधत्रुटो, भुल---कसुर, दोष, अपराधत्रुटि, भूल---दोषमु, तप्पुपोरपाटु---कुट॒ट॒म्पिऴै---कुट॒ट॒म, अपराधंतॆटटु---तप्पुमरवु---
575कसैलाविशेषण----जिसके स्वाद से जीभ में हल्की ऐंठन या कुछ तनाव हो। आंवले, फिटकरी, सुपारी आदि के स्वाद-का सा, कषाय।----कसैला----कसैला----ट्यॊठ----कसारो----तुरट----कषाय स्वादनुं, कसाणुं----कषा, कषाटे----केहेटा, कषाय----कषा, कषाय----ओगरु----तुवर्प्पान----चवर्प्पुऴळ----ऒगरु----
576कसौटीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---एक प्रकार का काला पत्थर जिस पर रगड़ कर सोने की परख की जाती है;महत्व या मूल्य आंकने का कोई मानक आधार।---कसवट्टी----कसौटी----कहव॑ट----कसौटी----निकषकसोटी---कसोटीकस काढवानी रीत---कष्टिपाथर, निकषमूल्य निर्धारणेर मानदण्ड---कषटि शिलासूत्र, मान---कषटी (पथर) निकपमूल्य निर्धारणर मानदण्ड---गीटुराइगीटुराइ---उरैकलविलै, मदिप्पिडम् सादनम्---उरकल्लुमाट॒टॅ॒---ऒरॆगल्लुऒरॆ---
577कस्तूरीस्त्रीलिंग----एक प्रसिद्ध सुगंधित पदार्थ जो एक विशेष मृग की नाभि के पास थैली में पाया जाता है, (मस्क)।----कसतूरी----मुश्क----कॊस्तूर्यनाफु॑----खथूरी, खस्तूरी, मुश्क----कस्तुरी---------कस्तुरी----कस्तुरी----कस्तूरि----कस्तूरि----कस्तूरि----कस्तूरि----कस्तूरि----
578कहकहापुंलिंग----जोर की हंसी, ठहाका।----ठाहका----क़ह्क़हा----खंगालु॑----रहिकु----खदखदा हंसणे खिदळणे----अट्टहास्य, खडखडाट हसवुं ते----उच्च हास्य, अट्टहास----वेकवेकनि, डाङर हाँहि----उच्च हास----पक पक, अट्टहासमु----अट्टहासम्----पॊट्टिच्चिरि----अट्टहास----
579कहनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रियापुंलिंगपुंलिंगशब्द द्वारा भाव व्यक्त करना;सूचना देना अथवा घोषणा करना;समझाना-बुझाना।कथन, बात;आदेश।कहणा----कहना--कहना, कहा-कथ, करु॑न्यवनुनवनुनकथबाथ-चवणु-चवणु, गल्हिआदेशु, हुक्मुबोलणेंसांगणें, सूचना देणेसमजाविणेकथन, गोष्टआदेशकहेवुंसूचना आपवीसमजाववुंकथन, कहेवुं तेआदेश, हुक्मबला, कओयाबलाबला-कओया, बोझानकथन, कथाआदेशक, कथा कघोषणा करबुजाकथा, मात, उक्तिआदेशकहिबासूचना देबाबुझा इबाकथनआदेशचेप्पुटचेप्पुटचेप्पुटमाटमाट, आदेशमुसॊलल, कूर॒अरि॒विक्कसोल्लशॊल, कुट॒टुकट्टळैपर॒युकअरि॒यिक्कुकमनस्सिलाक्किक्कुकपर॒च्चिलआज्ञ, उत्तरवुहेळुवुदुतिळिसुवुदुबुद्धि हेळुवुदुहेळिकॆ, मातुआज्ञॆ, अप्पणॆ
580कहाँक्रिया विशेषण----किस स्थान पर? किस स्थिति में? किस अवसर पर?----कित्त्थे----कहां----कति----किथे? कहिड़े हंधि?----कोठे----क्यां----कोथाय----कत (कोत), कोन ठाइत, कोन समयत----केउंठि----ऍच़ट, ऍक्कड----ऍङ्गे----ऎविटॆ?----ऎल्लि----
581कहानीस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---कथा, किस्सा;मनगढंत बात।---कहाणी----कहानी----कहा॑नी, कथकहा॑नी, कथ---कहाणी, आखाणीकहाणी, आखाणी---कहाणी, गोष्टदंत कथा---वार्तादंतकथा---काहिनी, गल्प, केच्छाबानानो कथा---काहिनी, कथासजा कथा, मने गढा कथा---काहाणी, गळ्पमनगढ़ा कथा---कथकथ---कदैकट्टुक्कदै---कथकॆट्टुकथ---कतॆकल्पित मातु---
582कहावतस्त्रीलिंग----ऐसा बंधा हुआ लोक-प्रचलित कथन या वाक्य जिसमें कोई तथ्य या अनुभव की बात संक्षेप में चामत्कारिक ढंग से कही गई हो (प्रोवर्ब)।----अखाण, अखौत, कहावत----कहावत (मसल)----कहावथ----कहावत, चविणी----लोकोक्ति----कहेवत----प्रवाद----प्रबचन, फकरा, दृष्टान्त----प्रबचन (प्रोभर्ब) ढग----सामेत, लकोक्ति----पऴमॊऴि----पऴंचॊल्----गादॆ----
583काँखनाअकारात्मक क्रियाअकारात्मक क्रिया---मल-त्याग के समय आँतों या पेट को इस प्रकार कुछ जोर से दबाना कि मुँह से 'आह' या 'ऊँह' शब्द निकले;कठिन या विशेष परिश्रम का काम करते समय उक्त प्रकार की चेष्टा या शब्द करना।---किल्ल्हणा----कांखनाकांखना---लमुन, कुकु॑राय----कंझणु----कुंथणेकुंथणे---करांजवुंघणा जोरथी बोलवुं---कोंतानो, कोंथानो, कोंत देओआकोंकानो---ऍह करहैचौदि---कुंथाइबा, काकुंथाइबा---मुक्कुटमुक्कट---मुक्कि मुनग----मुक्कुक, मुरळुकमुरळुक---तिणुकुवुदुतिणुकुवुदु---
584कांचपुंलिंग----शीशा।----कच----कांच----शीशु॑----शीशो, काचु----कांच----काच----काच, काँच----काँच, चिचा----काच----गाजु----कण्णाडि----कण्णाटि----गाजु----
585कांटापुंलिंगपुंलिंगपुंलिंग--विशिष्ट प्रकार के पेड़-पौधों की डालियों आदि पर निकले हुए सुई की तरह नुकीले और कड़े अंकुर, कंटक;तराजू;धातु का एक उपकरण जिससे खाने की चीज़ें उठाकर खाई जाती हैं।--कंडाकंडाकांटा--कांटातराज़ूकांटा--कोंडकोंडकोंड--कंडोताराज़ी, कांटोकाटो (खाधो खाइण लाइ)--कांटातराजू, काटाकाटा (जेवायच्या वेळचा)--कांटोतराजूचमचा घाटनुं साधन--काँटाकाँटा, लौहमय मानदण्डकाँटा--काँइटतर्जु, पाल्लाकाँटा-चामुच, काँचा--कंटातराजुकंटा, चामुच--मुल्लुत्रासुफोर्कु--मुळ्तराशुमुल्-करंडि (फोर्कु)--मुळ्ळुत्रासमुऴळु (फोर्क्)--मुळ्ळुतक्कडिफोर्क्--
586कांतिस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---चमक, आभा;शोभा, सौन्दर्य।---चमक, लिशक----नूर (ताबानी), चमकजमाल---चमखतीज़---चमकसूंहं, सोभ्या---कांति, चमकशोभा, सौंदर्य---कांतिशोभा, सौंदर्य---कान्ति, द्युति, प्रभाकान्ति, शोभा, सौन्दर्य॒ (र्ज)---कान्ति, जेउतिशोभा, सौन्दर्य---चमक, आभा, कांति, द्युतिशोभा, सौन्दर्य---कांतिसौदर्यमु---ऒळिऎऴिल्---शोभसौन्दर्यं---हॊळपुसौन्दर्य---
587कांपनाअकारात्मक क्रिया----क्रोध, भय, शीत आदि के कारण शरीर का रह-रह कर हिलना, थरथराना।----कंबणा----कांपना----थरुथरु॑ अच़ु॑न्य----कंबणु, ड॒कणु----कापणे, थरथरणे----कांपवुं, कपवुं, ध्रूजवुं, थरथरवुं----काँपा, कम्पित हओया----कँप----कंपिबा, थरिबा----वणकुट----नडुंग----विर॒क्कुक----नडुगुवुदु----
588कागजपुंलिंगपुंलिंग---सन, बाँस चीथड़े आदि की लुगदी से बनाया गया पत्र जो लिखने-छापने आदि के काम आता है (पेपर);ऐसा आवश्यक पत्र, प्रलेख आदि जिसका विधिक महत्व हो।---कागज----काग़ज़----काकज़काकज़---काग़जु----कागजदस्तावेज---कागज, कागळकागळ---कागजकागज, दलिल---कागजकाकत, खत, दलील---कागज----कागितमुकागितमु---कागिदम्दस्तावेजु---कटलासुरेख---कागदकागद, पत्र---
589काजलपुंलिंग----तेल, घी आदि के जलने से होने वाले धुँए की कालिख जो सुरमे की तरह लाभ या सुन्दरता के लिए आँख में लगाई जाती है; अंजन।----कज्जल----काजल----कज्रुल----कजलु----काजळ----काजल (ळ), मेश----काजल, अञ्जन----काजल----कळा, काजळ----काटुक----कण्मै----कण्मषि----काडिगॆ----
590काट-छांटस्त्रीलिंगस्त्रीलिंग---किसी वस्तु का फालतू अंश काट कर अलग कर देने अथवा निकाल देने की क्रिया या भाव;कमी-बेशी, घटाव, बढ़ाव।---कटवड्ढ़, कांट-छांट----काट-छांट----च़टु॑-वाठ----काट-कूट, कट-कूटघंटि-वधाई---काट-छाटकमी-जास्त---कापकूपओछावत्तापणुं---काट-छाँटबादसाद, काट-छाँट---काट-कुटयोग-बियोग, बढ़ा-टुटा---काट-छांटकमिवा, बढ़िबा---हेच्चु तग्गुलु सविरिंचुटसवरिंपु---कुरै॒त्तल्नीक्कुदलुम् शेर्त्तलुम्---चॆत्तिमिनुक्कल् वॆट्टिच्चुरुक्कल्एटटक्कुर॒च्चिल्---कत्तरिसुवुदुहॆच्चु-कडिमॆ---
591काटनासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया-औज़ार या शस्त्र आदि की धार से किसी वस्तु के दो या अधिक टुकड़े करना;डंक मारना या दांत गड़ा कर घाव कर देना;कलम की लकीर से किसी लिखावट को रद्द करना;खंडन करना, अमान्य ठहराना।-कट्टणा, वड्ढणावड्ढणाकट्टणाकट्टणा-काटना----च़टुनच़टुनच़टुन--कपणु, कटणुडं॒गणु, चकु, पाइणुकाटणुकरणु, रदि करणु-कापणेचावणेखोडणेखंडन करणें, अमान्य करणे, रद्द करणे-कापवुंकरडवुंदूर करवुं फेडवुंवखोडवुं तोडी पाडवुं-काटाहुल फुटान, कामड़ानकाटाकाटा, खण्डन करा-काट, छोओकरदाँतेरे कामोर(कलम बा पेन्सिलेरे काट)खण्डन कर-काटिबाकामुडिबा, दंशनकटिबा, रद्द करिबा--कत्तिरिंचुटकोरुकुट, कुट्टुटकोट्टिवेयुटरद्दुचेयुट-वॆट्ट, तुण्डाक्ककडिक्कऎऴुदियदै अडिक्कमरु॒क्क-मुरि॒क्कुक, वॆट्टुककटिक्कुकवॆट्टुकखंडिक्कुक-कत्तरिसुवुदुकच्चुवुदुहॊडॆयुवुदुखंडिसुवुदु-
592काठपुंलिंगपुंलिंग---लकड़ी, काष्ठ;जलाने की लकड़ी, ईंधन।---लकड़ी काठबालण---काठकाठ---काठ-बाठ----काठुकाठ्यूं (बा॒रण जूं)---लाकूडईंधन, सरपण, जळण---काष्ठ, लाक़डुंबऴतण---काठ, काष्ठजवालनि, इन्धन---काठखरि---काठजाळेणी काठ, इन्धन---कोटरयवंटचेरुकु---कट्टै, मरम्विर॒गु---मरं, तटिविर॒कु---कट्टिगॆ, मरउरुवलु, सौदॆ---
593काढ़नासकारात्मक क्रियासकारात्मक क्रिया---किसी वस्तु के भीतर से कोई चीज बाहर निकालना, निकालना;पत्थर, लकड़ी या कपड़े आदि पर बेल-बूटे बनाना।---कड्ढ़णाकड्ढ़णा---काढ़ना----कडुनटॅपु कडनि---कढणुभर्तु भरणु---काढ़णेंकशीदा काढणे---काढवुंआलेखवुं, कशीदो करवो---बाहिर कराकारुकार्य करा---नीरस, कठुआहानि बा उलियाइ आन, कारुकार्य कर, फुल-जालि काट---कठोर बा निश्चेष्ट, नीरसकाढ़िबा, बाहार, करिबा, निकालि देबा---कोय्यचेक्कु---उणर्च्चियटटवॆळिये ऎडुक्क---पुरत्तॆटुक्कुककॊत्तुपणि---तॆगॆयुवुदुकसूति हाकुवुदु---
594कातनासकारात्मक क्रिया----रूई, ऊन, रेशम आदि बट कर धागा बनाना।----कत्तणा----कातना----कतुन----कतणु----कातणे----कातवुं----सुता काटा----पका, पाक दि----कातिबा, सुताकाटिबा----वडुकुट----नूल् नूर्क्क----नूल्क्कुक----नूलुवुदु----
595कानाविशेषणविशेषण---जिसकी एक आंख खराब या विकृत हो गई हो या फूट गई हो;वे फल आदि जिनका कुछ भाग कीड़ों आदि ने खा लिया हो।---काणाकाणा---काना----कोन----काणोदाग़ी, कीअंनि खाधलु (भाजी॒, मेवो वग़ैरह)---काणा, चकणानासके---काणुंसडेलुं---कानाकाना फल, पोकाय काटा फल---कणा, एटा, चकुरे नेदेखापोके खोबा, पोके बिन्धा---कणापोकलगा (पोकरा) फल---एकाक्षिपुरुगुपट्टिन, पुच्चु---ओरुकण् कुरुडानपूच्चि कडित्त---ओट॒ट॒क्कण्णन्पुळुक्कुत्तुळ्ळ---ऒक्कण्णहुळुतिंद---
596कानूनपुंलिंगपुंलिंग---राज्य नियम, विधि;किसी वर्ग या समाज में प्रचलित सर्वमान्य नियम या रूढ़ियाँ।---कानून----क़ानून----कोनूनकोनून---कानूनु----कायदा, राज्यनियम, विधि,नियम वा रूढ़ि---कानून, कायदोरिवाज, नियम---आइन, कानुनरीति, प्रथा---आइन, कानूननियम, नीति, रीति---कानुनसर्वमान्य नियम---चट्टमुआचारमु---चट्टम्समूह कट्टुप्पाडु---नियमंसामूह्य संप्रदायं---कायदॆव्यवस्थॆ---
597काफीविशेषणस्त्रीलिंग---पर्याप्त, यथेष्ट।एक प्रकार का पेय, कहवा।---काफी----काफ़ीकॉफ़ी---वरियाह----काफी----पर्याप्त यथेष्टफॉफ़ी---पूरतुंकोफी---प्रर्याप्त, यथेष्ट, प्रचुरकाफि---पर्यप्त, यथेष्टकाफि---जथेष्टकाफि---चालु, तगिनंतकाफी---पोदुमानकाप्पि---वेण्टत्रकाप्पि---साकष्टुकाफि---
598कामपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंगपुंलिंगअपने-अपने विषयों के भोग की ओर होने वाली इंद्रियों की स्वाभाविक प्रवृति;इच्छा, अभिलाषा, कामना;कार्य, कृत्य;धंधा, व्यापार, नौकरी;वास्ता, मतलब।कामकामनाकम्मकम्मकम्मकाम (मेलान)ख़्वाहिशकामधन्धावास्ता, मतलबकाम॑काम॑काम॑काम॑कॊमकामु, कामवासनाइछा, कामनाकमु--काम कामवासनाइच्छा, अभिलाषा, कामनाकार्य, कृत्यधंदा, व्यापार, नोकरीमतलब, संबंधकामइच्छा, वासनाकर्म, कृत्यव्यवसाय, धंधो, नोकर, चाकरनुं कामखपकामकाम, अभिलाषा, कामनाकार्य॒, काज (र्ज)काज, चाकरीकाज, प्रयोजनकाम प्रवृतिकामना, इच्छाकाम, कृत्यबृति चाकरिकाम, प्रयोजनकाम, प्रबृति, बासनाइछा, अभिळाषा, कामनाकार्ज्य, कृत्यधन्दा, चोकेरि-काममुकोरिकपनिउद्योगमुपनि, प्रयोजनमुकामम्विरुप्पम्वेलैतॊऴिल, उद्दियोगम्संबन्दमकामंआग्रहं, कामनकार्यंजोलिबन्धंआसक्तिबयकॆकॆलसकसबुकॆलस
599कामधेनुस्त्रीलिंग----पुराणों में वर्णित एक प्रसिद्ध गौ जो सब प्रकार की कामनाएँ पूरी करने वाली मानी गई है, सुरभी (सुरभि)।----कामधेन----कामधेनू----कामदीन----कामधेनू----कामधेनु, सुरभी----कामधेनु----कामधेनु, सुरभि----कामधेनु----कामधेनु----कामधेनुवु----कामदेनु----कामधेनु----कामधेनु----
600कामनास्त्रीलिंग----अभीष्ट, हार्दिक इच्छा।----कामना----तमन्ना, आर्ज़ू----यछ़ुन----कामना, इछा----कामना, इच्छा----कामना----कामना, वासना, इच्छा----कामना, अभिलासा, इच्छा----अभीष्ट, इच्छा, कामना----कोरिक, अभिलाषा----आवल्----अभिलाषं----कोरिकॆ, इच्छॆ----