विकार
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनविकार ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. किसी वस्तु का रूप, रंग आदि बदल जाना । विकृति ।
२. मिरुकत के चार प्रधान नियमां में एक जिसके अनुसार एक बर्ण के स्थान में दूसरा वर्ण हो जाता है ।
३. दोष की प्राप्ति । बिगड़ना । खराबी ।
४. दोष । बुराई, अवगुण ।
५. मन की वृत्ति या अवस्था । मनोवेग या प्रवृत्ति । वासना । उ॰—सकल प्रकार विकार बिहाई । मन क्रम वचन करेहु सेवकाई ।—तुलसी (शब्द॰) ।
६. वेदांत और सांख्य दर्शन के अनुसार किसी पदार्थ के रूप आदि का बदल जाना । परिणाम । जैसे,—ककण सोने का विकार है; क्योंकि वह लोने से ही रूपांतरित होकर बना है ।
७. उपद्रव । हानि ।
८. बीमारी । रोग । व्याधि (को॰) ।
९. घाव । जख्म । क्षत (को॰) ।
१०. परिवर्तन । रद्दोबदल (को॰) ।
११. मनोवृत्ति या विचार का बदलना (को॰) ।