वाही
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनवाही ^१ वि॰ [अ॰]
१. सुस्त । ढीला ।
२. निकम्मा ।
३. बुद्धिहीन । मूर्ख । उ॰—पीठि परो ईठि सो बसीठि बिनु ढीठ मन नीठ न सँभारै वाही मोहि मढ़ि रहो है ।—देव (शब्द॰) ।
४. आवारा ।
५. बेठिकाने का ।
६. वेहूदा । उ॰—वाही ही खासे ।—सैर॰, पृ॰ ४ ।
वाही पु ^२ सर्व॰ [हि॰]दे॰ 'वही' । उ॰—(क) वाही थी गुण वेलड़ी, वाही थी रस बेलि । पीणई पीवी मारवी, चाल्या सूती मेलि ।—ढोला॰, दू॰ ६१० । (ख) उपरना वाही कैं जु रह्यो । जाही के उर बसे स्यामघन, निसि कों जहँ सुख गह्मो ।—नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ ३५५ ।
वाही ^३ वि॰ [सं॰ वाहिन्]
१. वहन करने या ढोनेवाला ।
२. रथ आदि खींचनेवाला ।
३. उत्पन्न करनेवाला । पैदा करने या लानेवाला ।
४. बहनेवाला ।
५. गिराने या प्रवाहिन करने वाला [को॰] ।
वाही ^४ संज्ञा पुं॰ रथ । गाड़ी [को॰] ।