प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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वहम संज्ञा पुं॰ [अ॰]

१. बिना संकल्प के चित्त का किसी बात पर जाना । मिथ्या धारणा । झूठा खयाल ।

२. भ्रम ।

३. व्यर्थ की शंका । मिथ्या संदेह । फजूल शक । जैसे,—वहम की तो कोई दवा ही नहीं । उ॰—जिस वस्तु की संसार में सृष्टि ही न हो वह भी वहम समा जाने से तत्काल दिखाई देने लगती है ।—श्रीनिवास ग्रं॰, पृ॰ २४५ ।