वर्ति
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनवर्ति संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. बत्ती ।
२. अंजन ।
३. वह बत्ती जो वैद्य घाव में देता है ।
४. औषध बनाना ।
५. अनुलेपन । उबटन ।
६. गोली । बटी ।
७. लकीर । रेखा (को॰) ।
८. गले की सूजन (को॰) ।
९. ऐंद्रजालिक का या आभिचारिक तिलक (को॰) ।
१०. कपड़े के किनारे की झालर (को॰) ।
११. चिराग । दीपक (को॰) ।