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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

वर्तमान ^१ वि॰ [सं॰]

१. चलता हुआ । जो जारी हो । जो चल रहा हो ।

२. उपस्थित । मौजूद । विद्यमान ।

३. साक्षात् ।

४. आधुनिक । हाल का ।

वर्तमान ^२ संज्ञा पुं॰

१. व्याकरण में क्रिया के तीन कालों में से एक, जिससे सूचित होता है कि क्रिया अभी चली चलती है, समाप्त नहीं हुई है । विशेष—वर्तमान के कई भेद होते हैं । 'वह आता है' इस क्रिया में आरंभ और चला चलना पाया जाता है, समाप्ति नहीं, इससे यह 'सामान्य वर्तमान' है । कभी कभी वर्तमान के प्रयोग द्वारा 'नित्य प्रबृत्ति' भी पाई जाती है । जैसे,—'भारत के उत्तर में हिमाल्य है ।' कभी कभी 'वृत्ताविरतता' भी पाई जाती है । जैसे,—'इस मैदान में लड़के खेलते हैं' इस वाक्य से यह सूचित होता है कि चाहे कहने के समय लड़के न खेलते रहे हों, पर उसके पूर्व कई बार खेल चुके हैं और आगे भी बराबर खेलेंगे । इसी प्रकार 'वह सांस नहीं खाता' इस वाक्य में 'प्रवृत्तोपरता' पाई जाती है, अर्थात् वह जन्म से ही मांस नहीं खाता । इसी प्रकार और भी भेद हैं ।

२. वृत्तांत । समाचार ।

३. चलता व्यवहार । उ॰—तुम पाँच सात पीढ़ियों के वर्तमान को सनातन व्यवहार मानते हो ।— सत्यार्थप्रकाश (शब्द॰) ।