वरना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनवरना पु ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ वरण] ऊँट । उ॰—वरना भख कर में अवलोकत केश पास कृतबंद । अधर समुद्र सदल जो सहसा ध्वनि उपजत सुखकंद ।—सूर (शब्द॰) ।
वरना ^२ अव्य॰ [अ॰] नहीं तो । यदि ऐसा न होगा तो । जैसे,— आप बैठिए, वरना मैं भी उठकर चला जाऊँगा ।
वरना पु ^३ क्रि॰ स॰ [सं॰ वरण] वरण करना । उ॰—और चाहते होंगे फिर से मर्त्य धरा पर आकर, जीवन श्रम के शोभा सुख को वरना ।—युगपथ, पृ॰ ११५ ।