प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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वचन संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. मनुष्य के मुँह से निकला हुआ सार्थक शब्द । वाणी । वाक्य । पर्या॰—इरा । सरस्वती । ब्राह्मी । भाषा । गिरा । गीर्देवी । भारती । वरजा । वर्णमातृका । व्याहार । लपित ।

२. कही हुई बात । कथन । उक्ति । यौ॰—वचनबद्ध । वचनगुप्ति ।

३. व्याकरण में शब्द के रूप में वह विधान जिससे एकत्व या बहुत्व का बोध होता है । विशेष—हिंदी में दो ही वचन होने हैं—एकवचन और बहुवचन । पर कुछ और प्राचीन भाषाओं के समान संस्कृत में एक तीसरा वचन द्विवचन भी होता है ।

४. बोलना । बोलने की क्रिया । उच्चारण । वाचन (को॰) ।

५. शास्त्रों का उधृत अंश । जैसे शास्त्रवचन, श्रुतिवचन (को॰) ।

६. आदेश (को॰) ।

७. मंत्रणा । परामर्श (को॰) ।

८. घोषणा । प्रख्यापन (को॰) ।

९. शब्द का अर्थ या भाव (को॰) ।

१०. सोंठ शुंठी (को॰) ।