वंशस्थ संज्ञा पुं॰ [सं॰] बारह वर्णों का एक वर्णवृत्त जिसका व्यवहार संस्कृत काव्यों में अधिक मिलता है । इसमें जगण, तगण, जगण और रगण आते है । जैसे,—प्रथा जु वंशस्थ विलंघि धावती । नसाय तीनों कुल को लजावती । इसे 'वंश- स्थविल' भी कहते हैं ।